राष्ट्रीय
चंडीगढ़, 20 अक्टूबर| राज्य के किसानों और कृषि क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में केन्द्र के किसान संबंधी कानूनों को खारिज करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान उन्होंने सभी दलों से इस कृषि प्रधान राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक हितों से ऊपर उठने की अपील भी की। इस नए प्रस्ताव के ड्राफ्ट में कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली बिल को रद्द करने की घोषणा की गई है, साथ ही "नए सिरे से अध्यादेश लाने की मांग की गई है, जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न की खरीद का वैधानिक अधिकार मिल सके।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विभिन्न विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा करने के बाद रात साढ़े 9 बजे ही इस ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर कर दिए थे। सत्र के दौरान विधेयकों की प्रतियों को साझा करने के बीच उन्होंने कहा कि ऐसी ही घटना तक हुई थी जब उनकी सरकार ने 2004 में अपने आखिरी कार्यकाल में पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वॉटर एग्रीमेंट एक्ट लाया था।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को पेश किए जा रहे विधेयकों से राज्य की कानूनी लड़ाई का आधार मजबूत होगा और इसलिए इसकी पूरी तरह से जांच की जरूरत है। इस ड्राफ्ट में "केन्द्र सरकार के किसानों और खेतों को लेकर अपनाए गए कठोर और असंगत रवैये पर" अफसोस भी जताया गया है।
इसमें लिखा गया है, "3 (कृषि) विधेयकों और प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 को सर्वसम्मति से अस्वीकार करने के लिए विधानसभा विवश है।"
तीनों विधेयक -- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा 14 सितंबर को पत्र के जरिए सदन की चिंताओं और भावनाओं को प्रधानमंत्री तक पहुंचा दिया गया था।
ड्राफ्ट में लिखा गया, "प्रस्तावित विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 के साथ ये तीन कानून स्पष्ट रूप से किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं, और यह कृषि विपणन प्रणाली न केवल पंजाब में बल्कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हरित क्रांति की शुरूआत करने वाले क्षेत्रों में भी स्थापित की गई है।"
इसमें आगे यह भी कहा गया कि ये कानून भारत के संविधान (एंट्री 14 लिस्ट- 2) के खिलाफ भी हैं, जिसमें कृषि को राज्य के विषय के रूप में शामिल किया गया है।
ये कानून एक तरह से राज्यों के अधिकार पर सीधा हमला है, जो देश के संविधान में निहित कार्यों और राज्यों की शक्तियों पर अतिक्रमण करते हैं। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 20 अक्टूबर| कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कमल नाथ ऐसे मुख्यमंत्री थे जो 15 माह मुख्यमंत्री रहे और बल्लभ भवन से बाहर नहीं निकले, प्रदेश के विकास की चिंता नहीं की, यही कारण है कि उनके 15 माह के शासनकाल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पांच माह की बैलेंस सीट भारी है।
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव हो रहे हैं। इस उप-चुनाव में सिंधिया भाजपा के स्टार प्रचारक हैं और हर क्षेत्र में पहुंचकर कमल नाथ सरकार के काल की कमियां गिना रहे हैं और शिवराज सिंह चौहान सरकार की खूबियां।
चुनाव प्रचार के दौरान सिंधिया ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि यह उप-चुनाव विनाश बनाम विकास है। राज्य में 15 माह तक भ्रष्टाचारी और विकास नहीं विनाशशील सरकार थी, उसका समापन करके गरीबों के उत्थान, विकासशील सरकार बनी है। कमल नाथ की 15 माह की बैलेंसशीट और शिवराज सिंह चौहान की सात माह की बैलेंस शीट जनता के सामने है। कमल नाथ ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने 15 माह में एक भी नई योजना नहीं बनाई, नया कार्य नहीं किया, एक भी दौरा नहीं किया, बल्लभ भवन में कैद हेाकर उन्होंने उद्योगपतियों के साथ भ्रष्टाचार का एक केंद्र स्थापित कर दिया था।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सिंधिया ने कहा कि एक तरफ जहां कमल नाथ के 15 माह के शाासनकाल की बैलेंसशीट हमारे सामने है तो दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान, जिन्होंने पांच माह में कोरोना जैसी महामारी से निपटा, साथ में नई योजनाओं की सौगात दी। इसके साथ क्षेत्रीय स्तर पर हर क्षेत्र और संभाग की विकास की योजनाएं शुरु की। इसका उदाहरण है ग्वालियर-चंबल एक्सप्रेस वे। कमल नाथ के कार्यकाल में उनसे कई बार अनुरोध किया, मगर बात उनके एक कान से होती हुई दूसरे से निकल गई। वहीं शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पांच माह में उस परियोजना को स्वीकृति मिल गई। यह साढ़े आठ हजार करोड़ का एक्सप्रेस वे है। ऐसी हर विधानसभा क्षेत्र में अनेकों और सैकड़ों करोड़ की योजनाएं शुरु की गई है।
कमल नाथ की कार्य शैली पर हमला बोलते हुए सिंधिया ने कहा कि कमल नाथ 15 माह ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने इस अवधि में एक भी संभाग का दौरा नहीं किया, अब चुनाव हैं तो वोट मांगने आ रहे हैं। प्रदेश में अतिवृष्टि-ओलावृष्टि हुई मगर इस अवधि में भी उनका दौरा नहीं हुआ। तब कांग्रेस में रहते हुए मैंने और भाजपा से शिवराज िंसंह ने दौरा किया था। मुख्यमंत्री वास्तव में मुख्य सेवक होता है, उसे दुख और तकलीफ के समय जनता के साथ हेाना चाहिए मगर कमल नाथ बल्लभ भवन से बाहर ही नहीं निकले।
राज्य में हो रहे उप-चुनाव में भाजपा द्वारा सिंधिया को किनारे किए जाने, उनकी साख से जोड़ते हुए कांग्रेस लगातार हमले बोल रही है। इस पर सिंधिया ने कहा कि, हर चुनाव महत्वपूर्ण होता है और उसे गंभीरता से लड़ा जाता है, वही कर रहा हूं। जहां तक कांग्रेस के आरोपों का सवाल है तो मुझे न कभी पद की अभिलाषा रही और न ही लालबत्ती की। मैंने सदैव जनता की लड़ाई लड़ी है, गरीबों के उत्थान, विकास की लड़ाई लड़ी है, कभी कुर्सी की लड़ाई नहीं लड़ी, कभी लालबत्ती की लड़ाई नहीं लड़ी और न ही इन चीजों से मोह है, जैसा कि मेरे प्रतिद्वंद्वी की आशा और अभिलाषा है।
विधानसभा के उप-चुनाव के दौरान भाषा के गिरते स्तर को लेकर सिंधिया दुखी हैं। उनका कहना है कि बीते दो दशक से वे जनसेवा के क्षेत्र में है, उन्होंने इस बात की कभी कल्पना नहीं की थी कि भाषा का यह स्तर होगा। सिंधिया ने कहा कि चुनाव की तारीख करीब आने के साथ भाषा में जो गिरावट आ रही है वह हमारी संस्कृति के विपरीत है। जो कांग्रेस पार्टी महिलाओं की बात करती थी उसी के नेता कमल नाथ ने डबरा से भाजपा की उम्मीदवार और सरकार की मंत्री इमरती देवी जो दलित वर्ग से है उन पर जो टिप्पणी की, जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, वह उनके चरित्र और नीयत को दर्शाता है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सिंधिया ने कहा कि महिलाओं पर कांग्रेस नेताओं का यह ²ष्टिकोण पहली बार सामने नहीं आया है। उसी मंच से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि इमरती देवी को जलेबी बना देंगे। दो साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन को लेकर जो कहा था उसे तो दोहरा भी नहीं सकते। इतना ही नहीं कमल नाथ अपने बयान पर माफी मांगना तो दूर वे तो उसे सही ठहराने में लगे हैं। कह रहे हैं कि राज्यसभा और लोकसभा की आइटम संख्या से जोड़ रहे हैं। यह कमल नाथ का अजब तर्क है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस की रफ्तार घट रही है। लेकिन ठीक हुए लोगों में अन्य कई बीमारियां होने लगी है। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधित अन्य परेशानियां भी सामने देखने को मिल रही हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर की मदद से ऐसे रोगियों का सर्वे कराने जा रहा है। यह अभियान मंगलवार से शुरू हो जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस अभियान के अर्न्तगत 15 सितंबर तक कोरोना से ठीक हुए 80 हजार लोगों का सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए विशेष टीम बनायी गयी है। मेडिकल टीमें ऐसे रोगियों से सवाल जवाब कर उनकी स्क्रीनिंग करेगी। अगर उन्हें करोना से मुक्ति मिल गयी है। इसके अलावा अन्य किसी तरह की परेशानी के इलाज के लिए गठित डाक्टर की टीमें मदद करेंगी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के अनुसार, कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को अगर परेशानी हो रही है तो सभी जिलों में नान कोविड अस्पतालों में पोस्ट कोविड केयर डेस्क से उनकी मदद हो जाएगी।
उधर लखनऊ में कोरोना संक्रमण में कमी आने लगी है। सोमवार को करीब 84 दिन बाद पहली बार मरीजों की संख्या करीब 250 से कम रही। लखनऊ में 28 जुलाई को 24 घंटे में 247 कोरोना मरीज मिले थे। इसके बाद मरीज लगातार बढ़ते जा रहे थे। शहर में संक्रमण का दायरा घट रहा है। लेकिन अभी खतरा टला नहीं है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ की रिकवरी दर को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ का जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग सभी कोविड अस्पतालों में नियमित संवाद बनाते हुए रिकवरी दर बेहतर करें। (आईएएनएस)
लखनऊ, 20 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 26 करोड़ के वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले महज छह महीने में 26.1 करोड़ कार्य दिवस बनाने का रिकॉर्ड बनाया है। यह पहली बार है कि राज्य ने केवल आधी अवधि में योजना का वार्षिक लक्ष्य प्राप्त किया है।
राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने लॉकडाउन के दौरान राज्य में लौटने वाले लाखों प्रवासियों के लिए मनरेगा के तहत रोजगार सृजन में तेजी लाकर ये उपलब्धि हासिल की।
सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा के एक महीने बाद 21 अप्रैल से प्रवासियों को नौकरी देना शुरू कर दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान में कहा कि महामारी के चरम के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में वापस आने वाले प्रवासियों को रोजगार प्रदान करने में यह योजना काफी मददगार साबित हुई।
उन्होंने कहा कि योजना को कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करते हुए रणनीतिक तरीके से लागू किया गया था, जिसमें नदियों, तालाबों के पुनरुद्धार और वृक्षारोपण शामिल हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा, "इन सभी गतिविधियों ने प्रवासियों को रोजगार देने में राज्य सरकार की मदद की।"
इससे पहले, मनरेगा का प्रदर्शन राज्य में नौकरी सृजन के मामले में बहुत अच्छा नहीं रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि योजना के तहत लोगों के नामांकन का लक्ष्य मोटे तौर पर पिछले पांच वर्षों से 1.03 करोड़ परिवारों में स्थिर है। यह लगभग पांच करोड़ वार्षिक कार्य दिवस में तब्दील होता है। (आईएएनएस)
अलीगढ़ (उप्र), 20 अक्टूबर| उप्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, यहां 7 साल के लड़के ने अलीगढ़ में कथित तौर पर अपनी साढ़े 5 साल की पड़ोसी का यौन शोषण किया है। घटना को लेकर पुलिस ने पॉक्सो के तहत मामला दर्ज कर लिया है। कावेरी पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 376 और यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक (अपराध) अरविंद कुमार ने कहा कि आरोपी बच्चे को मंगलवार को जुवैनाइल जस्टिस (जेजे) बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा।
बाल कल्याण अधिकारी को दिए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि जब वह अपनी गेंद लेने के लिए पड़ोसी के घर गई, तब लड़के ने उसका यौन शोषण किया। लड़की की मां के द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार यह घटना 12 अक्टूबर को हुई थी।
एफआईआर में मां ने कहा, "मेरी बेटी जब छत पर खेल रही थी तो उसकी गेंद पड़ोसी के घर चली गई, जब वह गेंद वापस लेने गई तो उसे पड़ोस के किराएदार के बेटे ने पकड़ लिया।"
पुलिस ने कहा, "हालांकि लड़के की उम्र नहीं बताई गई है लेकिन मेडिकल जांच से पता चला है कि वह 7 साल का है। लड़का अभी अपने माता-पिता के साथ है।"
बता दें कि आईपीसी की धारा 83 ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 7 से 12 वर्ष के बीच हो उन्हें आंशिक रूप से प्रतिरक्षा देती है। इसके तहत "इस उम्र के बच्चों द्वारा किया गया कोई भी काम अपराध नहीं है, क्योंकि उनमें समझने के लिए पर्याप्त परिपक्वता नहीं होती और ना वो यह समझ पाते हैं कि उनके उस आचरण के क्या परिणाम होंगे।" (आईएएनएस)
भारतीय रेलवे ने त्योहारी सीजन में यूं तो आम लोगों को राहत देने के लिए आज से 392 विशेष ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है, लेकिन इसके साथ ही पहले से आर्थिक संकट से परेशान लोगों पर अतिरिक्त भार डालने का फैसला किया है।
रेलवे ने कहा है दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली के मद्देनजर अलग-अलग शहरों को जोड़ने वाली 392 ट्रेनें मंगलवार 20 अक्टूबर से शुरु हो जाएंगी। इन ट्रेनों में से 118 सेवाएं पश्चिम रेलवे द्वारा संचालित की जाएंगी। पश्चिम रेलवे का कहना है कि इनमें से 5 ट्रेनें बांद्रा टर्मिनस, दो इंदौर और दो उधाना से चलेंगे। यह सभी ट्रेनें जोड़े में होंगी। इसी तरह एक-एक जोड़ी ट्रेन ओखा, गांधीधाम और पोरबंदर स्टेशनों से भी रवाना होंगी।
लेकिन इसके साथ ही रेलवे ने कह दिया है कि इन सभी स्पेशल ट्रेनों का विशेष किराया वसूला जाएगा। इन विशेष ट्रेन में यात्रा करने के लिए 30 फीसदी अतिरिक्त किराया चुकाना होगा। इन ट्रेनों में यात्रा के लिए20 अक्तूबर यानी आज से 22 अक्तूबर के बीच ही टिकट बुक कराया जा सकता है।
रेलवे ने कहा है कि पश्चिम रेलवे द्वारा 6 नवम्बर से जामनगर एवं तिरुनेलवेली के बीच विशेष ट्रेन चलाई जायेगी, जो सप्ताह में दो दिन चलेगी। साथ ही बीकानेर एवं मदुरई तथा पुणे एवं हज़रत निज़ामुद्दीन के बीच चलने वाली दो त्योहार विशेष ट्रेनें भी पश्चिम रेलवे से गुज़रेंगी।(navjivan)
टोरंटो, 20 अक्टूबर | कनाडा की पुलिस अभी भी एक 22 वर्षीय भारतीय व्यक्ति को कनाडा में लक्षित भारतीय कॉल सेंटर घोटाले में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जांच में इस घोटाले का पता चला है, जहां अध्ययन (स्टडी) वीजा पर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की भागीदारी है।
यह हालांकि ज्ञात नहीं है कि टोरंटो के बाहरी इलाके में मिसिसॉगा के नमन ग्रोवर भी कनाडा में एक अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं।
कॉल सेंटर घोटालेबाजों के लिए 'मनी म्यूल' के रूप में काम करते पाए जाने के बाद ग्रोवर के लिए एक कनाडा-व्यापी वारंट जारी किया गया है।
कनाडा के राष्ट्रीय पुलिस बल रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) को संदेह है कि वह देश से भाग गया होगा।
भारत के फोन घोटालेबाज कनाडा राजस्व एजेंसी (सीआरए), पुलिस संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधियों के रूप में प्रस्तुत करके कनाडा के लोगों को निशाना बना रहे हैं। वे लोगों को पैसे का भुगतान करने या अपने वित्तीय/क्रेडिट कार्ड की जानकारी देने की बात करते हैं और अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो उन्हें कार्रवाई का सामना करने का डर दिखाया जाता है।
ग्रोवर कनाडा रेवेन्यू एजेंसी फोन घोटाले, बैंक जांचकर्ता घोटाले और तकनीकी सहायता घोटाले के संबंध में वांछित है। उस पर धोखाधड़ी, अपराध से प्राप्त रुपये हथियाने और अपराध की धन शोधन की कार्यवाही का आरोप लगाया गया है।
पुलिस का कहना है कि कॉल सेंटर के घोटालेबाज पीड़ितों से पैसा प्राप्त करने के लिए कनाडा में 'मनी म्यूल' के रूप में व्यक्तियों की भर्ती करते हैं।
रॉयल कनाडाई माउंटेड पुलिस की ओर से दो साल की जांच के बाद ग्रोवर को 'मनी म्यूल्स/मनी म्यूल मैनेजर' के तौर पर उजागर किया गया है।
पुलिस का कहना है कि घोटालेबाजों ने कनाडा में आने से पहले या यहां अध्ययन करते हुए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को इन घोटालों के लिए अध्ययन वीजा पर भर्ती किया है।
यह अनुमान है कि कॉल सेंटर के घोटालेबाजों ने 2014 से 2020 के बीच अकेले सीआरए फोन घोटाले के माध्यम से कनाडा में रहने वालों के साथ 1.8 करोड़ डॉलर की धोखाधड़ी की है। इसके अलावा अगर इसमें अन्य घोटाले भी शामिल हैं, तो कनाडाई को कुल नुकसान 3.5 करोड़ डॉलर से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है।
आरसीएमपी इंस्पेक्टर जिम ओगडेन ने घोटाला करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा, "जो लोग इसमें शामिल होंगे, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। उन पर आपराधिक आरोप लगाए जाएंगे और इन आपराधिक संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों में भाग लेने के अन्य गंभीर परिणाम होंगे, जिनमें छात्र वीजा रद्द करना भी शामिल है।"(आईएएनएस)
पणजी, 20 अक्टूबर | गोवा के उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेकर ने सोमवार को गोवा पुलिस साइबर सेल में एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि अज्ञात व्यक्तियों ने उस व्हाट्सएप ग्रुप में एक अश्लील वीडियो साझा किया है, जिसका वह खुद हिस्सा हैं। कावलेकर ने साइबर सेल को दी अपनी शिकायत में कहा कि यह कथित वीडियो व्हाट्सएप ग्रुप 'विलेजिज टू गोवा' पर भेजा गया था। उन्होंने बताया कि यह वीडियो रात 1.20 बजे भेजा गया, जब वह सो रहे थे।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, "इस वीडियो को इस व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा गया, जहां मैं उसके सदस्यों में से एक हूं और यह जानबूझकर कुछ आपराधिक इरादे से मेरे नाम पर भेजा गया है।"
उपमुख्यमंत्री ने कहा, "यह संदेश कई व्हाट्सएप समूहों (ग्रुप) में से केवल इस ग्रुप को भेजा गया था, जहां मैं सदस्य हूं। इसके अलावा, जिस समय यह संदेश भेजा गया था, मैं फोन की पहुंच में नहीं था और मैं उस समय सो रहा था।"
कावलेकर ने कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए इससे पहले भी प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा, "हाल के दिनों में मुझे बदनाम करने और जनता के सामने मेरी गलत छवि पेश करने की ऐसी कई कोशिशें हुई हैं।"
उन्होंने ऐसे सभी उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने ऐसा कृत्य किया है।(आईएएनएस)
भोपाल, 20 अक्टूबर| ग्वालियर के डबरा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा मंत्री इमरती देवी पर की गई टिप्पणी से सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र का जवाब पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने दिया है। इस पत्र में नाथ ने लिखा है, "आप लगातार झूठ परोस रहे हैं और सोनिया गांधीजी को लिखे खत में भी झूठ को इतना बढ़ा-चढ़ाकर लिखा है कि झूठ भी शर्मा जाए।
डबरा की सभा में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कमल नाथ ने लिखा है, "मैंने कोई सम्मानजनक टिप्पणी नहीं की, फिर भी आप और भाजपा झूठ परोस रही है और जिस शब्द की ओर आप इशारा कर रहे हैं, उस शब्द के कई मायने हैं। कई तरह की व्याख्याए हैं, लेकिन सोच में खोट के अनुसार आप और आपकी पार्टी अपनी मनमर्जी की व्याख्या कर झूठ परोसने में लगे और जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। प्रदेश की जनता इस सच्चाई को जानती है कि आप येन केन प्रकारेण अपनी कुर्सी बचाने के लिए चुनाव को वास्तविक मुद्दों से भटकाकर अनैतिक और अतिभावनात्मक राजनीति की ओर ले जा रहे हैं।"
कमल नाथ ने इस बात पर भी आश्चर्य जाहिर किया है कि सोनिया गांधी को महिलाओं के सम्मान व सुरक्षा को लेकर पत्र लिखा गया। उन्होंने लिखा, "आपकी 15 वर्षीय सरकार में मध्यप्रदेश बहन-बेटियों से दुष्कर्म, महिलाओं पर अत्याचार और महिला अपराध में देश में शीर्ष पर रहा है और इस दौरान ऐसी घटनाओं पर आप अपने दायित्वों का निर्वहन ना करते हुए सालों तक मौन रहे। पिछले 7 माह की भाजपा सरकार में कोरोना काल में भी बहन-बेटियों के साथ दरिंदगी की घटनाएं घटीं और राज्य फिर दुष्कर्म के मामले में देश में शीर्ष स्थान वाले प्रदेशों के रूप में सामने आ रहा है।"
कमल ने हाथरस की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि "भारतीय संस्कृति में महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा सर्वोपरि है चाहे वह किसी जाति अथवा धर्म की महिला हो यदि आप सचमुच में महिलाओं और दलित सम्मान को लेकर द्रवित होते तो हाथरस की घटना, स्वामी चिन्मयानंद की घटना, भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के द्वारा की गई घटनाओं और रीवा जिले में महिला बंदी पर घटित घटनाओं पर मौन और उपवास आवश्य रखते, परंतु आपने पत्र में महिलाओं की जाति का उल्लेख कर अपनी अनैतिक राजनीति की मानसिकता को स्पष्ट तौर पर प्रदर्शित किया है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक जीवन का हवाला देते हुए कहा, "मैंने 40 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में सदैव महिलाओं का सम्मान किया है और मैं सदैव महिलाओं का सम्मान करूंगा, मगर महिलाओं के सम्मान का दिखावा कर आपकी तरह कुत्सित राजनीति कभी नहीं करूंगा। महिलाओं के संबंध में आज तक मैंने कभी भी कोई भी अशोभनीय टिप्पणी नहीं की, जबकि आप की पार्टी के कई नेता महिलाओं पर अशोभनीय टिप्पणी के आदी हैं और उसके कई उदाहरण भी मौजूद हैं।"
मुख्यमंत्री ने शिवराज से उम्मीद जताई है कि वे राजनीतिक शुचिता और नैतिकता का वास्तविकता में पालन करेंगे और राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए वास्तविक एवं गंभीर प्रयास भी करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले एक अंतर्राज्यीय रैकेट के एक प्रमुख सदस्य को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 25 अवैध सेमी-ऑटोमेटिक पिस्तौल जब्त किए हैं। गिरफ्तार किया गया आरोपी मध्यप्रदेश के धार जिले का रहने वाला है। आरोपी रवि मौर्य (25) को रोहिणी के सेक्टर 11 से उपलब्ध किया है। उससे पहले ही वह अपने संपर्क के लोगों को अवैध हथियारों की बड़ी खेप पहुंचाकर आया था। उसके खिलाफ पीएस स्पेशल सेल, दिल्ली में मामला दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस ने बताया कि मौर्य को उसके गांव के ही एक व्यक्ति जगत ने इस काम में लगाया था।(आईएएनएस)
हैदराबाद, 20 अक्टूबर | हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य हिस्सों में हुई भारी बारिश और बाढ़ के मरने वालों की संख्या बढ़कर 70 हो गई है। वहीं दो और लापता लोगों के शव सोमवार को राज्य की राजधानी में मिले हैं। पुलिस ने कहा कि हैदराबाद के सबसे पुराने शहर ए-जुबैल कॉलोनी में दो शव पाए गए हैं। यहां 5 दिनों से भरा बाढ़ का पानी बह गया है, जिसके बाद ये शव मिले हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि ये दोनों व्यक्ति मेलार्डेवपल्ली में 13 अक्टूबर को हुई भारी बारिश के बाद बाढ़ के पानी में बह गए थे।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 20 अक्टूबर | दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के चांदपोरा बिजबेहरा इलाके में सोमवार को आतंकवादियों ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मार दी। पुलिस ने बताया कि शहीद हुए इंस्पेक्टर का नाम मोहम्मद असरफ भट है। वह चांदपोरा कनेलवां के रहने वाले थे। उन्हें घर के पास ही गोली मार दी गई।
पुलिस के मुताबिक, गोली लगने से जख्मी हुए अधिकारी को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
इस वारदात का मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया है।
अनंतनाग के डीपीएल में शहीद अधिकारी के पार्थिव शरीर पर आईजीपी विजय कुमार व अन्य सैन्य अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किया।(आईएएनएस)
गांधीनगर, 20 अक्टूबर | गुजरात में सोमवार को तीन महीने में पहली बार कोरोना संक्रमण के नए मामले हजार से कम, 996 आए। संक्रमितों की कुल संख्या अब 1,60,722 हो गई। फिर 8 मरीजों की मौत के साथ राज्य में कोरोना से अब तक 3,646 मरीजों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, इससे पहले 20 जुलाई को 998 नए मामले आए थे।
सोमवार को 1,147 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया, जिसके साथ कोरोना से उबरने वालों की कुल संख्या 1,42,799 तक जा पहुंची।
सुरत में 227, अहमदाबाद में 178, वडोदरा में 112, राजकोट में 83 और जामनगर में 66 नए मामले सामने आए।(आईएएनएस)
कोलकाता, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को लोगों के लिए 'नो-एंट्री जोन' बनाने का निर्देश दिया। बंगालियों के सबसे बड़े पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत से ठीक कुछ दिन पहले यह आदेश आया है। अदालत ने कहा कि छोटे पंडालों के लिए पांच मीटर का क्षेत्र और बड़े पंडालों के लिए 10 मीटर क्षेत्र को भी नो-एंट्री जोन में शामिल किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश में आगे कहा गया है कि छोटी पूजा के मामले में 15 से अधिक और बड़ी पूजा के मामले में 25 पहले से आइडेंटिफाइड किए गए लोगों को बफर जोन या पंडालों के अंदर अनुमति दी जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि इन लोगों को आयोजकों द्वारा पहले से पहचाना जाना होगा, जिसकी एक सूची को सख्ती से बनाए रखना होगा। सूची अस्थायी नहीं हो सकती।
अदालत ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी को देखते हुए, पंडाल क्षेत्रों को बैरिकेडिंग करना होगा और नो-एंट्री जोन के रूप में सीमांकन करना होगा, सिवाय उन लोगों को छोड़कर जिन्हें आयोजकों द्वारा पहले से आइडेंटिफाइड किया गया है।
यह आदेश राज्य भर में लागू है, जिसमें सभी पूजा शामिल हैं, जिसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले राज्य प्रशासन से 50,000 रुपये मिले हैं।
कोलकाता पुलिस नियमावली में उल्लिखित सभी प्रमुख पूजाओं को बड़े पंडालों में होने वाली पूजा के रूप में माना जाएगा।
चल रहे कोरोनावायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया कि वह लोगों से सोशल डिस्टिेंसिंग दिशानिर्देशों को बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का अनुरोध करे।
इस बीच, 26 पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) वैन और 13 एडिशनल हैवी रेडियो फ्लाइंग स्क्वॉड के साथ कम से कम 600 पुलिसकर्मियों को कोलकाता और इसके आसपास के क्षेत्रों में तैनात किया गया है ताकि उत्सव के दौरान भीड़ का प्रबंधन किया जा सके।
इनके अलावा, 31 रैपिड-सिटी पेट्रोल बाइक, 16 एम्बुलेंस और 73 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरों को भी दुर्गा पूजा के दौरान निगरानी के काम में लगाया गया है।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि उत्सव के दिनों में कोलकाता के विभिन्न इलाकों में अतिरिक्त बलों को तैनात किया जाएगा।
नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में जुलूस और शोभा यात्रा की इजाजत का मामला राज्य सरकार के मत्थे छोड़ दिया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि राज्य सरकार के निर्णय पर नांदेड़ गुरुद्वारे को कोई आपत्ति हो तो वह बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को स्वतंत्र हैं।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने सोमवार को नांदेड़ सिख गुरुद्वारा साहिब बोर्ड की याचिका की सुनवाई की, जिसमें उसने दशहरा उत्सव और गुरुग्रंथ साहिब जुलूस की इजाजत दिये जाने की मांग की थी। खंडपीठ ने कहा कि कोरोना काल में उत्सव और शोभा यात्रा को कितनी सीमित करके इजाजत दी जा सकती है इसका फैसला राज्य सरकार करेगी, लेकिन अगर उससे नांदेड़ गुरुद्वारे को कोई आपत्ति हो तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोरोना काल में किसी जुलूस की इजाजत नहीं दी गई है। सुनवाई के दौरान गणपति महोत्सव का भी जिक्र आया और न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या नांदेड़ गुरुद्वारा में दशहरा उत्सव और गुरु ग्रंथ साहिब जुलूस को शाम पांच बजे तक सीमित रखने की अनुमति दी जा सकती है? न्यायालय ने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कोरोना की स्थिति को देखते हुए फैसला लिया जाये।
न्यायमूर्ति राव ने राज्य के अधिकारियों को गुरुद्वारा समिति की याचिका सुनने का कहा।
गौरतलब है गुरु गोबिंद सिंह जी के निर्वाण स्थल नांदेड़ साहिब में निकलने वाली शोभा यात्रा और अन्य उत्सवों की इजाजत लेने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिका में कहा गया थ कि केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार 50 फीसदी लोगों के साथ इजाजत दे दी जानी चाहिए, लेकिन इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्यक्रम से कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार वास्तव में कोरोना की प्रकोप को लेकर चिंतित है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि राज्य के लिए गणपति सबसे बड़ा त्योहार है, लेकिन उसमें भी राज्य सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी।
नयी दिल्ली 19 अक्टूबर (वार्ता)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को आगाह करते हुए आज कहा कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के नये मामलों में आयी कमी को देखकर लापरवाही बरतने से इस त्योहारी मौसम में स्थिति गंभीर हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने सोमवार को कहा कि इस क्षेत्र में हाल में कोरोना संक्रमण के ताजे मामलों में हल्की गिरावट आयी है लेकिन इससे निश्चिंत होने की जरूरत नहीं है। इस क्षेत्र में अब भी कोरोना संक्रमण के अधिक मामले हैं। कोरोना महामारी का कहर अब भी जारी है और इसके प्रसार को रोकने के लिए लगातार सावधानी भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम और सर्दी के मौसम में हमारे लापरवाही बरतने से कोरोना संक्रमण की स्थिति और गंभीर हो सकती है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक है। उन्होंने कहा,“ त्योहारी मौसम में हमें एक व्यक्ति के रूप में अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि हम शारीरिक दूरी का पालन करेंगे तथा हाथों की स्वच्छता का ख्याल रखेंगे। हम मास्क पहनेंगे और छींकनें तथा खांसने के समय कोविड-19 अनुकूल व्यवहार का पालन करेंगे। लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों को नजरअंदाज करना चाहिए और जिस जगह पर हवा की आवाजाही ठीक न हो या वो जगह खुली न हो और ताजी हवा न आ पाये, वहां नहीं रहना चाहिए।”
डॉ खेत्रपाल ने कहा कि सदस्य देश कोरोना टेस्ट की क्षमता बढ़ाने का सम्मिलित प्रयास कर रहे हैं ताकि संक्रमित व्यक्तियों का पता जल्द चल पाये और उनके संपर्क में आये लोगों की समय पर ट्रैकिंग हो पाये तथा संक्रमित व्यक्ति का समुचित उपचार शुरु हो जाये। इसी जज्बे के साथ हमारा प्रयास बरकरार रखने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में भाजपा की महिला प्रत्याशी इमरती देवी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मामले में भाजपा ने राष्ट्रीय महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है। राष्ट्रीय सचिव विजया रहाटकर के नेतृत्व में भाजपा की महिला नेताओं ने आयोग पहुंचकर अध्यक्ष रेखा शर्मा को शिकायत पत्र सौंपकर, कार्रवाई की मांग की। भाजपा की राष्ट्रीय सचिव विजया रहाटकर ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को सौंपे पत्र में कहा है कि, "मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में डबरा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी इमरती देवी को अपशब्द कहा।"
18 अक्टूबर को डबरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने दलित महिला प्रत्याशी इमरती देवी को 'आइटम' कहकर संबोधित किया था।
विजया रहाटकर ने कहा कि, "वह अपने कथन पर आज भी अडिग हैं। इससे प्रमाणित होता है कि कमलनाथ ने जानबूझकर इमरती देवी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। जनसभा के वीडियो में अभद्र टिप्पणी का प्रमाण है।"
विजया रहाटकर ने कहा कि, "इमरती देवी के खिलाफ बयान से कमलनाथ की महिलाओं के प्रति सोच पता चलती है। इसलिए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।"
कोलकाता, 19 अक्टूबर | कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं को जाने की इजाज़त नहीं होगी.
बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पंडाल में सिर्फ आयोजकों को जाने की अनुमति दी जाएगी.
बड़े पंडालों में एक समय में अधिकतम 25 आयोजकों को जाने की इजाज़त होगी और छोटे पंडालों में 15 आयोजकों को.
पश्चिम बंगाल में 37,000 से अधिक दुर्गा पंडाल हैं और वहा कोरोना के मामले अभी भी बढ़ रहे हैं. इससे पहले राज्य सरकार ने सभी दुर्गा पूजा समितियों को 50,000 रुपये देने का ऐलान किया था. (bbc)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| गूगल ने कहा है कि वह अपने इमरजेंसी लोकेशन शेयरिंग ऐप-ट्रस्टेड कांट्रेक्ट्स को दिसम्बर से बंद कर रहा है। गूगल के इस घोषणा के बाद से अब यह एप प्लेस्टोर पर दिखाई नहीं दे रहा है।
तीन साल पहले लॉन्च किया गया यह ऐप लोगों को अपने प्रियजनों और विश्वस्थ जनों को जोड़ने की आजादी देता था, जिससे कि आपात स्थिति में वे उनकी मदद ले सकें।
अगर आप काफी प्रयास के बावजूद रेस्पांस नहीं कर रहे हैं तो यह ऐप स्वत: ही आपका अंतिम ज्ञात लोगेशन आपके प्रियजनों से शेयर कर देगा, जिसकी मदद से वे आपकी खोज शुरू कर सकते हैं।
भोपाल, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की कथित तौर पर मंत्री इमरती देवी को 'आइटम' बताए जाने वाली टिप्पणी से सियासी बवाल मचा हुआ है। मुखयमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर कार्रवाई की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखा है। सोनिया गांधी को सोमवार को लिखे पत्र में शिवराज ने कहा है कि "मध्यप्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने कैबिनेट मंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग की महिला नेत्री इमरती देवी पर अभद्र एवं अशोभनीय टिप्पणी की है। जब उन्होंने यह टिप्पणी की, तब ठहाके भी लगाए। यह टिप्पणी इतनी अभद्र है कि मैं उसका उल्लेख अपने पत्र में करना किसी भी महिला का पुन: अपमान करने जैसा मानता हूं।"
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है, "मुझे इस बात की उम्मीद थी कि आप स्वयं महिला होने के नाते कमल नाथ के इस बयान को लेकर प्रकाशित हुई खबरों के आधार पर संज्ञान लेंगी तथा संवैधानिक पद पर आसीन एक महिला के अपमान का प्रतिकार करते हुए अपनी पार्टी के नेता की टिप्पणी की निंदा करेंगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी, लेकिन आपने अब तक ऐसा नहीं किया है।"
चौहान ने आगे लिखा है कि कमल नाथ की टिप्पणी के बाद आपने अपने महासचिवों के साथ बैठक की, जिसमें महिलाओं के सम्मान पर चर्चा की गई, लेकिन आपने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा की गई टिप्पणी पर संज्ञान लेने की कोई जरूरत महसूस नहीं की, वहीं दूसरी ओर कमल नाथ की धृष्टता देखिए कि अपनी अशोभनीय व निंदनीय टिप्पणी को भी वे सही ठहरा रहे हैं।
शिवराज ने सोनिया से आग्रह किया है एक दलित महिला के प्रति अभद्र व अशोभनीय टिप्पणी करने वाले और उसे जायज ठहराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटाएं। साथ ही उनकी कड़ी निंदा भी करें, ताकि महिलाओं का अपमान करने वाले आपकी पार्टी के नेताओं को सबक मिले।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| 'द इंडियन फार्मर्स परसेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज' ने पाया है कि देश में हर दूसरा किसान संसद से हाल ही में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है, जबकि 35 प्रतिशत किसान इन कानूनों का समर्थन करते हैं। ये खुलासा हुआ है गांव कनेक्शन के एक सर्वे में। हालांकि, यह भी पाया गया कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले 52 फीसदी किसानों में से 36 प्रतिशत से अधिक इन कानूनों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। इसी तरह, कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले 35 प्रतिशत किसानों में से लगभग 18 प्रतिशत को उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता।
गांव कनेक्शन ने ये सर्वेक्षण 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच देश के 16 राज्यों के 53 जिलों में करवाया था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत किसानों में इस बात का डर है कि नए कृषि कानून लागू होने के बाद खुले बाजार में उनको अपनी फसल कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जबकि 33 प्रतिशत किसानों को डर है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को खत्म कर देगी।
दिलचस्प बात है कि इन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले आधे से अधिक (52 प्रतिशत) किसानों में से 36 प्रतिशत को इन कानूनों के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। लगभग 44 प्रतिशत किसानों ने कहा कि मोदी सरकार 'प्रो-फार्मर' (किसान समर्थक) है, जबकि लगभग 28 फीसदी ने कहा कि वो 'किसान विरोधी' हैं।
इसके अलावा, सर्वेक्षण के एक अन्य प्रश्न में, अधिकांश किसानों (35 प्रतिशत) ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के लिए अच्छा काम किया है, जबकि लगभग 20 प्रतिशत ने कहा कि सरकार निजी कंपनियों के समर्थन में है।
बता दें कि किसान और किसान संगठनों का एक वर्ग नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है। इन नए कानूनों पर किसानों की राय जानने के लिए, गांव कनेक्शन ने देश के सभी क्षेत्रों में फैले 5,022 किसानों का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि कुल 67 प्रतिशत किसानों को इन तीन कृषि कानूनों के बारे में जानकारी थी। दो-तिहाई किसान देश में चल रहे किसानों के विरोध के बारे में जानते थे। विरोध के बारे में जागरूकता सबसे ज्यादा देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र (91 प्रतिशत) के किसानों में थी, जिसमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल है। पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़) में किसानों के विरोध के बारे में सबसे कम (46 प्रतिशत) जागरूकता देखी गई।
भोपाल/अनूपपुर, 19 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए चल रहे प्रचार अभियान के दौरान बयानों का स्तर गिराए जाने का सिलसला जारी है। नया विवादास्पद बयान शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्री बिसाहू लाल सिंह का सामने आया है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार की पत्नी को ‘रखैल’ कह दिया।
कांग्रेस ने मंत्री बिसाहू लाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता सैयद जाफर ने बिसाहू लाल के एक बयान का वीडियो ट्वीट किया है। इस वीडियो में बिसाहूलाल सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ सिंह के नामांकन में दिए गए ब्यौरे पर टिप्पणी कर रहे हैं। मंत्री कह रहे हैं कि विश्वनाथ ने अपनी पहली पत्नी का नहीं, बल्कि रखैल का ब्यौरा दिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने ट्वीट कर इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि इसे कहते हैं महिला का अपमान। भाजपा के मंत्री बिसाहू लाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी को कहा रखैल, क्या महिलाओं के लिए ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल करती है भाजपा? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए मंत्री को पद से हटाएं और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगें।
बिसाहू लाल सिंह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थामा था और कमल नाथ की सरकार गिराई थी। बिसाहू लाल अनूपपुर से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। अपने क्षेत्र के सबसे अमीर उम्मीदवार बिसाहू लाल हाल ही में एक वीडियो में नोट बांटते नजर आए थे। उन्होंने हालांकि इसे पुराना वीडियो बताया था। (आईएएनएस)
अहमदाबाद, 19 अक्टूबर (भाषा)। महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने कहा है कि अगर भारत ने अलग आर्थिक नीति अपनाई होती तो भारत कोरोना वायरस महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकता था। उनका कहना है कि वर्तमान आर्थिक नीति के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है और किसान शहरों का रुख करने के लिए बाध्य हैं।
वह गुजरात विद्यापीठ के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। गांधी ने देश की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा मिला है जिससे ‘बड़ी आबादी इधर से उधर’ हुई है और बड़ी संख्या में किसान शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘उदारीकण, निजीकरण या वैश्वीकरण की आर्थिक नीति से बड़ी संख्या में आबादी इधर से उधर हुई है न कि उसका पुनर्वास हुआ है। जिस तरीके से शहरों की आबादी बढ़ रही है उसने आज महामारी (कोविड-19) का तेजी से प्रसार किया है।’
उन्होंने कहा, ‘क्या शहरों की तरफ आबादी के जाने से महामारी नहीं बढ़ेगी? हमें अपनी आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।’ सेवानिवृत्त राजनयिक और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने कहा, ‘अगर हमने अलग नीति अपनाई होती तो हमारे पास ज्यादा संख्या में अस्पताल, नर्सों के लिए हॉस्टल, प्रयोगशाला तकनीशियन होने चाहिए थे न कि सरकारी स्तर पर बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं और सामाजिक स्तर पर बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद होने चाहिए थे।’
उन्होंने कहा, ‘यह महामारी 100 वर्षों के बाद आई है लेकिन कौन जानता है कि हर वर्ष एक नया वायरस आ जाए।’ उन्होंने कहा कि इस कारण गरीब लोगों को उन लोगों के कारण भुगतना पड़ता है जो महामारी के दौरान त्योहार के नाम पर सामाजिक दूरी के नियम, मास्क पहनने और साफ-सफाई आदि की बात भूल जाते हैं। गांधी ने कहा कि किसानों ने हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान किया लेकिन सरकार की तरफ से अपनाई गई नीतियों के कारण वे शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए।
हैदराबाद, 19 अक्टूबर| मुसी नदी पर बने मशहूर पुराने पुल के एक खंभे में दरार आने के बाद इसे ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया है। पुलिस ने कहा कि एक तरफ हुसैनी आलम और बहादुरपुरा की तरफ से आने वाले ट्रैफिक और दूसरी तरफ के करवन और जियागुड़ा से आने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस ने पुल के दोनों सिरों पर बैरिकेडिंग कर दी है। यहां पर पुल से गुजरने वाले कुछ यात्रियों ने इसमें कंपन होने की शिकायत भी की थी।
पुराना पुल पुराने शहर और करवन, धूलपेट, जियागुड़ा, मेहदीपटनम, आसिफनगर और तपचबुत्रा जैसे क्षेत्रों को जोड़ने वाला अहम जरिया है। अब पुल के बंद होने से नदी के दोनों ओर सड़कों पर ट्रैफिक जाम हो गया है। हालांकि ट्रैफिक को पुराना पुल के समानांतर बने मुसल्लम जंग पुल की ओर मोड़ दिया गया है, जिससे थोड़ी आसानी हुई है।
पुराना पुल मुसी नदी पर बना तीसरा पुल है जिसे पिछले एक सप्ताह में शहर में हुई भारी बारिश और बाढ़ के बाद बंद किया गया है।
बता दें कि हिमायत सागर जलाशय से पानी छोड़े जाने के कारण मुसी नदी पहले से ही उफान पर है। उस पर भारी बारिश के कारण स्थिति और बिगड़ गई है।
हैदराबाद मेट्रो जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अनुसार, हिमायत सागर का स्तर 1762.80 फीट पहुंच गया है, जबकि इस का पूरा स्तर ही 1763.500 फीट है।
अधिकारियों का कहना है कि 20 साल बाद यह पहला मौका है जब मुसी में इस तरह बाढ़ आई है। इतिहासकारों का कहना है कि 28 सितंबर, 1908 में हजारों लोग मारे गए थे, उस समय भारी बारिश के कारण मुसी नदी में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी थी, जिसके बाद हैदराबाद राज्य के निजाम ने बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए हिमायत सागर और उस्मान सागर का निर्माण कराया था। ये जलाशय कुछ साल पहले तक पीने के पानी के एकमात्र स्रोत थे। (आईएएनएस)
आइजोल, 19 अक्टूबर| मिजोरम के अधिकारियों द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश खत्म करने के बाद करीब पखवाड़े भर से चल रहा त्रिपुरा-मिजोरम सीमा पर तनाव आखिरकार खत्म हो गया। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। रविवार की देर शाम पश्चिमी मिजोरम के ममित जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत लगी निषेधाज्ञा आदेश को रद्द कर दिया। धारा 144 एक स्थानीय संगठन द्वारा त्रिपुरा क्षेत्र में एक मंदिर के प्रस्तावित निर्माण के बाद हुए हंगामे के मद्देनजर शुक्रवार को फूलदुंगसेई, जाम्पुई और जोमुनतलंग गांवों में लगाई गई थी।
त्रिपुरा गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिंद्य कुमार भट्टाचार्जी ने 17 अक्टूबर को मिजोरम गृह विभाग के उप सचिव डेविड एच. ललथंगलिआना को जोरदार शब्दों में अपने पत्र में कहा कि ममित के जिलाधिकारी ने त्रिपुरा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को भी गलती से शामिल कर लिया जब उन्होंने मिजोरम सीमावर्ती क्षेत्रों में निषेधात्मक आदेशों को लागू किया।
उत्तर त्रिपुरा जिले के पुलिस अधीक्षक भानुपद चक्रवर्ती ने कहा कि हालांकि मिजोरम प्राधिकरण ने निषेधात्मक आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन त्रिपुरा स्टेट राइफल्स और पुलिस के जवान कुछ और समय तक फूलदुंगसेई गांव में रहेंगे। चक्रवर्ती ने सोमवार को आईएएनएस को बताया, "एक मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर विवादों को देखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। हालांकि, अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है या हमारी तरफ किसी भी तरह का तनाव नहीं है।"
इस बीच, लुसाई (मिजो) के एक संगठन मिजो कन्वेंशन ने सोमवार को 19 और 20 अक्टूबर को फुलदुंगसेई और आस-पास के इलाकों में अपने दो दिवसीय बंद का आह्वान किया।
मिजो कन्वेंशन के अध्यक्ष जीरमतिआमा पचू ने मीडिया को बताया कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर वे सोमवार और मंगलवार को स्ट्राइक पर नहीं जाएंगे।
त्रिपुरा के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते मिजोरम के साथ अंतर-राज्य सीमा के साथ विवादित फुलदुंगसेई गांव में एक मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का आदेश दिया था।
उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर की सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) चांदनी चंद्रन ने ब्रू सोंग्रोंगमा मेथो के उपाध्यक्ष बाबूजॉय रिएंग को लिखे एक पत्र में मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का निर्देश दिया था।
त्रिपुरा और मिजोरम 109 किलोमीटर की इंटर-स्टेट पहाड़ी सीमाओं को साझा करते हैं। (आईएएनएस)