अंतरराष्ट्रीय
-टॉम बैटमैन
हमास और इसराइल के बीच बंधकों को लेकर हुई डील के तहत लागू होने वाले अस्थायी युद्ध विराम को टाल दिया गया है. यही इस डील का पहला चरण है.
स्थानीय समयानुसार 10 बजे से ये युद्ध विराम लागू होना था जिसके कुछ घंटे बाद हमास इसराइली बंधकों को छोड़ता और इसराइल फ़लस्तीनी कैदियों को छोड़ता.
अब से थोड़ी देर पहले इसरायली सेना के मुख्य प्रवक्ता डेनियल हगारी ने एक ब्रीफिंग में कहा कि उन्हें नहीं पता कि युद्धविराम किस समय शुरू होगा.
अब इसराइल की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख कह रहे हैं कि दोनों पक्षों की बातचीत आगे बढ़ रही है और अभी जारी रहेगी, लेकिन बंधकों को शुक्रवार से पहले रिहा नहीं किया जाएगा.
अभी जो पता है उसके अनुसार युद्ध विराम को लागू करने में काफ़ी देरी होगी, 24 घंटे या उससे ज़्यादा की देरी के बाद कल संभवतः इस डील के लागू होने की शुरूआत होगी.
ये डील क्या है
बुधवार को इसराइल और हमास दोनों ने इस डील का आधिकारिक एलान किया था.
डील के मुताबिक़ 50 इसराइली बंधकों को हमास चार दिन के युद्ध विराम के बदले छोड़ेगा और 150 फ़लस्तीनी जो इसराइल की कैद में है उन्हें इसराइल छोड़ेगा.
इसराइल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अतिरिक्त 10 इसराइली बंधकों को छोड़ेने पर एक दिन का अतिरिक्त युद्ध विराम दिया जाएगा.
हमास ने सात अक्टूबर को किए गए हमले के बाद 240 इसराइलियों को बंधक बना लिया था.
हमास के बयान के अनुसार इन चार दिनों में सैकड़ों मानवीय सहायता, दवाओं और ईंधन वाले ट्रक ग़ज़ा में प्रवेश करेंगे. इसराइल ना तो कोई हमले करेगा ना ही किसी की गिरफ़्तारी की जाएगी.
क़तर, मिस्र और अमेरिका ने इस डील में अहम भूमिका निभायी है. (bbc.com/hindi)
इस्राएल की कैबिनेट ने गाजा में जंग को अस्थायी रूप से रोकने और हमास आतंकवादी समूह द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए एक समझौते को मंजूरी दी है.
इस्राएल की वॉर कैबिनेट ने 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में बंधक बनाए गए महिलाओं और बच्चों समेत 50 बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए चार दिवसीय युद्धविराम पर हमास के साथ सहमति हुई है. बदले में हमास ने कहा कि इस्राएल अपनी जेलों में बंद 150 फलीस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा करेगा. इस्राएल ने कहा है कि वह हमास द्वारा रिहा किए गए हर 10 बंधकों के लिए युद्धविराम को एक अतिरिक्त दिन बढ़ा देगा.
इस चार दिवसीय युद्धविराम के दौरान गाजा में राहत अभियान भी संभव हो सकेगा. पिछले कई हफ्तों से चल रही लड़ाई ने गाजा पट्टी में संकट की स्थिति पैदा कर दी है और फलीस्तीनी नागरिकों को फौरन मदद की जरूरत है. गाजा में अधिकारियों का कहना है कि इन चार दिनों के दौरान सैकड़ों सहायता ट्रक गाजा पट्टी में पहुंचेंगे, जिनमें मेडिकल सप्लाई के साथ ही पीने का साफ पानी और अन्य बुनियादी जरूरत की चीजें होंगी.
नेतन्याहू: जारी रहेगा युद्ध
डील को मंजूरी देने से पहले इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि लड़ाई में विराम का मतलब हमास के साथ संघर्ष का अंत नहीं होगा. सोशल मीडिया पर जारी किए गए एक वीडियो में नेतन्याहू ने कहा, "हम तब तक युद्ध जारी रखेंगे जब तक हम अपने सभी युद्ध लक्ष्यों को हासिल नहीं कर लेते, हमास को खत्म करना, सभी बंधकों और लापता लोगों की वापसी और यह सुनिश्चित करना कि गाजा में कोई ऐसा तत्व न हो जो इस्राएल के लिए खतरा हो."
इस्राएली सरकार के बयान के मुताबिक बंधकों को चार दिनों की अवधि में छोटे समूहों में रिहा किया जाएगा. इस दौरान युद्धविराम रहेगा. हमास ने तटीय क्षेत्र में 46 दिनों के खूनी संघर्ष के बाद कतर-मिस्र की मध्यस्थता में बुधवार को इस्राएल के साथ चार दिवसीय युद्धविराम समझौते की पुष्टि की है. पिछले 46 दिनों से इस्राएली सेना गाजा में मौजूद हमास के आतंकवादी और उसके ठिकानों पर हमले कर रही है.
संघर्ष विराम पर प्रतिक्रिया
दुनिया के तमाम नेताओं ने इस डील का स्वागत किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस्राएल और हमास के बीच समझौते में मदद करने के लिए मिस्र और कतर को धन्यवाद दिया है. बाइडेन ने कहा कि उन्होंने उस समझौते का स्वागत किया है जो इस्राएल पर 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों के दौरान हमास द्वारा बनाए गए बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा कि रिहा होने वालों में अमेरिकी बंधक भी शामिल होंगे.
बाइडेन ने कहा कि वह "असाधारण रूप से संतुष्ट" हैं कि इस समझौते के पूरी तरह से लागू होने के बाद कुछ बंधक "अपने परिवारों के साथ दोबारा मिल जाएंगे." उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद "अधिक से अधिक अमेरिकी बंधकों को घर लाया जाना चाहिए." एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि रिहा किए जाने वाले 50 बंधकों में तीन अमेरिकी नागरिकों के शामिल होने की उम्मीद है.
जर्मनी ने समझौते को बताया सफलता
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, "बंधकों के पहले बड़े समूह की रिहाई की घोषणा एक सफलता है, भले ही दुनिया में कुछ भी उनकी पीड़ा को कम नहीं कर सकता है."
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने इस्राएल और आतंकवादी समूह के बीच समझौते का "पूरे दिल से" स्वागत किया है. उन्होंने एक्स पर लिखा, "मैं उन परिवारों की खुशी में शामिल हूं जो जल्द ही अपने प्रियजनों को फिर से गले लगा सकते हैं."
फॉन डेय लायन ने आगे लिखा, "मैं उन सभी की बहुत आभारी हूं जिन्होंने इस डील को पूरा करने के लिए हाल के हफ्तों में राजनयिक चैनलों के माध्यम से अथक प्रयास किया है." उन्होंने कहा, "मैं आतंकवादी हमास से सभी बंधकों को तुरंत रिहा करने और उन्हें सुरक्षित घर लौटने की इजाजत देने की मांग करती हूं."
हमास के कब्जे में बंधक
इस्राएली सरकार के मुताबिक हमास के बंदूकधारियों ने 7 अक्टूबर को सीमा पारकर हमला किया. इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक थे. हमास और अन्य फलीस्तीनी आतंकवादी समूहों ने करीब 240 इस्राएली और विदेशियों को बंधक बना लिया, उनमें बुजुर्ग लोग और छोटे बच्चे भी शामिल थे.
इसके बाद इस्राएल ने बंधकों को घर वापस लाने और आतंकवादी समूह को बर्बाद करने की कसम खाते हुए हमास के खिलाफ युद्ध की घोषणा की. उसने गाजा में एक बड़ा हवाई और जमीनी अभियान शुरू किया. गाजा पर शासन करने वाले हमास का कहना है कि इस्राएली हमले में 10,000 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं.
एए/एमजे (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
मंगलवार को ब्रिक्स देशों के नेताओं ने इसराइल-हमास जंग पर असाधारण वर्चुअल बैठक की.
ग्लोबल साउथ के लगभग सभी वैश्विक नेताओं की मौजूदगी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
इस बैठक में पीएम मोदी के नहीं आने पर कई तरह की बातें कही जा रही हैं और कई कारण बताए जा रहे हैं.
ब्रिक्स नेताओं ने इसराइल-हमास जंग में तुरंत मानवीय संघर्ष-विराम लागू करने की मांग की.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि फ़लस्तीनियों की अलग देश की मांग को लंबे समय से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है.
वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस संकट के लिए नाकाम अमेरिकी कूटनीति को ज़िम्मेदार बताया.
वहीं दक्षिण अफ़्रीका ने इसराइल पर ‘युद्ध अपराधों’ और नरसंहार के आरोप लगाये हैं.
ब्रिक्स के सदस्य देशों ने इसराइल-हमास जंग से पैदा हुए मध्य-पूर्व के हालात पर चर्चा तो की लेकिन सम्मेलन के बाद कोई साझा बयान जारी नहीं किया जा सका.
ब्रिक्स दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. इसमें ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन, दक्षिण अफ़्रीका शामिल है. इसके अलावा सऊदी अरब और मिस्र समेत कई नए सदस्य देश भी हैं.
रूसी समाचार सेवा ताश के मुताबिक़ राष्ट्रपति पुतिन ने सम्मेलन के दौरान कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसराइल-हमास जंग का राजनीतिक समाधान निकालने के लिए एकजुट होना चाहिए.
पुतिन ने कहा, “रूस का पक्ष स्पष्ट है और परिस्थिति के साथ नहीं बदलता है. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होने का आह्वान करते हैं ताकि तनाव कम किया जा सके. इसराइली फ़लस्तीन संघर्ष का राजनीतिक समाधान निकालना होगा.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठक में क्यों नहीं हुए शामिल?
दक्षिण अफ़्रीका ने ब्रिक्स के इस असाधारण वर्चुअल सम्मेलन की मेज़बानी की. ग्लोबल साउथ के वैश्विक नेताओं की मौजूदगी के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे दूर रहे.
प्रधानमंत्री की ग़ैर-मौजूदगी को लेकर भारत की तरफ़ से कोई अधिकारिक वजह नहीं बताई गई है. भारत में पाँच राज्यों में चुनाव हैं और मोदी की चुनावी व्यवस्तता इसका एक कारण हो सकती है.
हालांकि विश्लेषक मानते हैं कि ग्लोबल साउथ के बाक़ी देशों और भारत का रुख़ इसराइल को लेकर अलग हैं. ब्रिक्स के सभी सदस्य देश जहाँ इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष के मुद्दे पर फ़लस्तीनियों की तरफ़ झुके नज़र आते हैं, वहीं भारत अभी तक इसराइल के साथ खड़ा नज़र आया है.
ब्रूकिंग्स इंस्टिट्यूट की सीनियर फेलो तनवी मदान मानती हैं कि मोदी के सम्मेलन में शामिल ना होने की एक वजह ये भी हो सकती है कि वो ‘इस सम्मेलन में इसराइल और पश्चिम की आलोचना से बचना चाह रहे हैं.’
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में शामिल हुए. तनवी मदान को लगता है कि हो सकता है जिनपिंग से बचने के लिए भी मोदी इसमें शामिल ना हुए हों.
हमास को लेकर भी भारत का रुख़ ब्रिक्स के बाक़ी सदस्य देशों से अलग है. इसराइल पर हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास की सख़्त आलोचना की थी और कहा था कि भारत इसराइल के साथ खड़ा है.
भारत के अलावा ब्रिक्स के पांचों मूल सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सम्मेलन में शामिल हुए.
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग़ैर-मौजूदगी को इसराइल के प्रति खुले समर्थन के रूप में भी देखा जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार एस एल कंथन ने एक्स पर सवाल उठाया है कि 'इसराइल की ऐसी कठपुतली क्यों?'
चीन के राष्ट्रपति शी जिपिंग ने तुरंत संघर्षविराम की मांग की और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के पालन पर ज़ोर दिया. जिनपिंग ने ग़ज़ा में मारे जा रहे नागरिकों के बारे में भी बात की.
एस एल कंथन ने सवाल उठाया, “भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संघर्ष–विराम पर बात नहीं की, सिर्फ़ मानवीय राहत का ज़िक्र किया. भारत अमेरिका और इसराइल का पिछलग्गू बनता जा रहा है, ये हैरान करने वाला है.”
शी जिनपिंग भी जी-20 में नहीं हुए थे शामिल
तनवी मदान के इस ट्वीट पर ओआरएफ़ की विजटिंग फेलो और सामरिक मामलों की विशेषज्ञ वेलिना चाकरोवा ने लिखा है कि अगर जी-20 समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आ सकते हैं तो पीएम मोदी भी ब्रिक्स की बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं.
दिलचस्प है कि ब्रिक्स की बैठक के एक दिन बाद यानी बुधवार को पीएम मोदी जी-20 की बैठक कर रहे हैं. यह बैठक वर्चुअल है और इसमें नई दिल्ली डिक्लरेशन को लागू करने पर बात होगी.
इसी साल सितंबर में नई दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में जी-20 का शिखर सम्मेलन हुआ था और इसमें सहमति से दिल्ली घोषणापत्र पास हुआ था. इस शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं हुए थे. बुधवार को जो वर्चुअल बैठक हो रही है, उसमें भी शी जिनपिंग शामिल नहीं हो रहे हैं. भारत के पास इसी नवंबर तक जी-20 की अध्यक्षता है.
जब शी जिनपिंग सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत नहीं आए थे तब कहा गया था कि चीन भारत की उपेक्षा कर रहा है. ब्रिक्स को चीन की अगुआई वाला संगठन माना जाता है और इसमें उसी का दबदबा है. ऐसे में पीएम मोदी का ब्रिक्स की बैठक में नहीं जाना शी जिनपिंग के जी-20 में नहीं आने से जोड़ा जा रहा है.
ब्रिक्स में इसराइल पर भारत का अलग रुख़
इस साल अगस्त में ब्रिक्स का विस्तार किया गया था. मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अर्जेंटिना को समूह में आमंत्रित किया गया था. ये सभी देश अगले साल जनवरी से ब्रिक्स के पूर्णकालिक सदस्य हो जाएंगे.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए तुरंत युद्धविराम का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को तुरंत सभी तरह के हमले रोकने चाहिए और बंधक बनाये गए नागरिकों को रिहा किया जाना चाहिए.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुए. उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया.
ब्रिक्स नेताओं ने जहां संघर्षविराम की मांग की वहीं भारतीय विदेश मंत्री इस संवेदनशील मुद्दे पर महीन रेखा पर चलते नज़र आए.
एस जयशंकर ने मौजूदा संकट के लिए सात अक्तूबर को इसराइल पर हमास के हमले को ज़िम्मेदार बताया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि फ़लस्तीनियों की चिंताओं को गंभीरता से सुना जाना चाहिए.
जयशंकर ने इस इसराइल-फ़लस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख़ स्पष्ट करते हुए कहा कि द्वि-राष्ट्र समाधान ही इसका हल है और ये शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का लगातार समर्थन करता रहा है.
जयशंकर ने ग़ज़ा में जारी संघर्ष में हो रही नागरिकों की मौतों की निंदा की. उन्होंने ये भी कहा कि ‘आतंकवाद’ पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
सऊदी अरब ने क्या कहा?
ब्रिक्स के सदस्य देश, शुरू से ही इसराइल-फ़लस्तीन टकराव में युद्धविराम की मांग कर रहे हैं. हालांकि युद्धविराम पर भारत संयुक्त राष्ट्र में हुए मतदान से दूर रहा था. बाक़ी सभी ब्रिक्स सदस्य देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था.
इसराइल-हमास जंग पर ब्रिक्स देशों की आवाज़ पश्चिमी देशों और अमेरिका से अलग है.
ब्रिक्स देशों ने जहाँ तुरंत संघर्षविराम की मांग की है, वहीं अमेरिका की तरफ़ से अभी तक संघर्ष-विराम की आवाज़ नहीं उठी है.
ब्रिक्स में इस समय कुल 11 सदस्य देश हैं. पिछले महीने जब संयुक्त राष्ट्र में मानवीय संघर्ष-विराम को लेकर प्रस्ताव पर मतदान हुआ था, तब इनमें से सिर्फ़ भारत और इथियोपिया ने ही इसका समर्थन नहीं किया था.
भारत मतदान से अनुपस्थित रहा था क्योंकि भारत का पक्ष था कि प्रस्ताव में ‘हमास के आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की गई थी.’
दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति सिरील रामाफोसा ने इस असाधारण ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता की.
उन्होंने इसराइल पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए कहा कि ग़ज़ा में तेल, दवाएं और पानी ना पहुंचने देना जनसंहार के बराबर है.
रामाफोसा ने ये भी कहा कि इसराइल पर हमले और लोगों को बंधक बनाने के लिए हमास को भी ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान भी इस सम्मेलन में शामिल हुए.
उन्होंने 1967 की सीमाओं के आधार पर फ़लस्तीनी राष्ट्र के निर्माण की मांग की. मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि द्वि राष्ट्र समाधान से जुड़े अंतरराष्ट्रीय निर्णयों को लागू किए बिना इसराइल-फ़लस्तीन टकराव का कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है.
क्राउन प्रिंस ने ‘ग़ज़ा पर इसराइली हमले’ तुरंत रोकने और मानवीय मदद पहुँचाने की मांग भी की.
चीन के क़रीब जा रहे हैं अरब देश?
ब्रिक्स के इस सम्मेलन में सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हुए.
सऊदी प्रिंस सलमान ने सभी देशों से इसराइल को हथियारों की आपूर्ति रोकने की अपील भी की.
वहीं ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने ब्रिक्स देशों से इसराइल सरकार और सैन्य बलों को 'आतंकवादी' घोषित करने की मांग की.
कुछ दिन पहले चीन में अरब देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी. अब उसके ठीक बाद दक्षिण अफ़्रीका की मेज़बानी में ब्रिक्स का ये सम्मेलन हुआ है.
हाल ही में रियाद में भी अरब-इस्लामी देशों का असाधारण सम्मेलन हुआ था. हालांकि उस सम्मेलन में भी कुछ ठोस नहीं निकल सका था.
विश्लेषक मान रहे हैं कि इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष को लेकर अरब देशों में बेचैनी और बेबसी है.
द हिंदू के अंतरराष्ट्रीय मामलों के संपादक स्टेंली जॉनी ने एक्स पर लिखा है, 'अरब के देशों के विदेश मंत्री बीजिंग क्यों गए? अरब भारी दवाब में हैं. भले ही वो युद्ध रोकने के लिए कुछ ना कर पा रहे हों, उन्हें कुछ करते हुए दिखना है.''
''चीन पहले ही मध्य-पूर्व में शांति मध्यस्थ के रूप में आ चुका है. चीन ने ईरान और सऊदी के बीच समझौता कराया है. एक और अहम बात ये है कि अरब नेता बाइडन के इसराइल को बिना शर्त समर्थन देने से बेहद नाराज़ है. वो चीन को अधिक तटस्थ देख रहे हैं. वो अमेरिका को भी ये स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वो चीन को अब पश्चिमी एशिया में एक दूसरे ध्रुव के रूप में देख रहे हैं. ये बड़ा घटनाक्रम है.'' (bbc.com)
अंतरराष्ट्रीय संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि चीन मस्जिदों को बंद कर रहा है, तोड़ रहा है या उनके उपयोग बदल रहा है.
एचआरडब्ल्यू ने कहा है कि ये क्रैकडाउन चीन में इस्लाम के पालन को रोकने के ‘व्यवस्थित प्रयास’ का नतीजा है.
चीन अधिकारिक रूप से नास्तिक देश है लेकिन दावा करता है कि वहां धार्मिक स्वतंत्रता है. चीन में क़रीब दो करोड़ मुसलमान रहते हैं.
हालांकि, पर्यवेक्षक मानते हैं कि, हाल के सालों में संगठित धर्म का दमन बढ़ा है और चीन धर्म पर अपना नियंत्रण बढ़ा रहा है.
बीबीसी ने एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले इस पर टिप्पणी के लिए चीन के विदेश मंत्रालय और नस्लीय मामलों के आयोग से संपर्क किया.
एचआरडब्ल्यू की चीन में कार्यवाहक निदेशक माया वांग ने कहा, “चीन सरकार का मस्जिदों को बंद करना, तोड़ना और उनका इस्तेमाल बदलना चीन में इस्लाम के दमन के व्यवस्थित प्रयासों का हिस्सा है.”
मक़सद क्या है?
ये रिपोर्ट उत्तर-पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहने वाले वीगर मुसलमानों के व्यवस्थित रूप से मानवाधिकार हनन और शोषण के बढ़ते सबूतों के बाद आई है.
चीन वीगर मुसलमानों के शोषण के आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.
चीन के अधिकतर मुसलमान देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में रहते हैं. इनमें शिनजियांग, किनघाई, गांसू और निंगक्सिया या प्रांत हैं.
एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक़ स्वायत्त क्षेत्र निंगक्सिया या के लियाओकियाओ गांव में छह में से तीन मस्जिदों के गुंबद और मीनारों को हटा दिया गया है. बाक़ी तीन के नमाज़ पढ़ने के मुख्य हॉल नष्ट कर दिए गए हैं.
एचआरडब्ल्यू को मिली सेटेलाइट तस्वीरों में मस्जिद के एक गोल गुंबद की जगह चीनी स्टाइल का पैगोडा दिखाई दे रहा है. ये बदलाव अक्तूबर 2018 से जनवरी 2020 के बीच हुआ.
चीनी मुसलमानों पर शोध करने वाली हैना थेकर ने बीबीसी को बताया है कि साल 2020 के बाद से निंगक्सिया या में 1300 से अधिक मस्जिदों को या तो बंद कर दिया गया है या उनके इस्तेमाल को बदल दिया गया है. ये इस क्षेत्र की कुल मस्जिदों में से एक तिहाई हैं.
चीन के नेता शी जिनपिंग के शासनकाल में कम्युनिस्ट पार्टी ने धर्म को अपनी राजनीतिक विचारधारा और चीनी संस्कृति से जोड़ने की कोशिश की है.
कम्युनिस्ट दस्तावेज
साल 2018 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने एक दस्तावेज़ प्रकाशित किया था, जिसमें मस्जिदों के नियंत्रण और समेकन का उल्लेख किया गया था.
इस दस्तावेज़ में सरकारों से कहा गया था कि ‘अधिक मस्जिदों को तोड़ें और कम का निर्माण करें और ऐसे ढांचों की कुल संख्या को कम करने के प्रयास करें.’
इस दस्तावेज़ के मुताबिक़ मस्जिदों का निर्माण, लेआउट और मस्जिदों को मिलने वाले फंड पर सख़्त निगरानी की जानी चाहिए.
इस तरह का दमन तिब्बत और शिनजियांग में अधिक रहा था लेकिन अब ये दूसरे इलाक़ों में भी फैल रहा है.
चीन में मुसलमानों के दो मुख्य नस्लीय समूह हैं. हुई उन मुसलमानों के वंशज हैं जो आठवीं सदी में टैंग शासन के दौरान चीन पहुँचे थे. दूसरा समूह वीगरों का है जो अधिकतर शिनजियांग में रहते हैं.
2017 के बाद से शिनजियांग की दो तिहाई मस्जिदों को या तो नष्ट कर दिया गया है या नुक़सान पहुँचाया गया है. ये आंकड़ा स्वतंत्र थिंक टैंक ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटिजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट से है.
अमेरिका स्थित शिक्षाविद डेविड स्ट्रोप के साथ हुई मुसलमानों पर एक रिपोर्ट लिख रहीं डॉ. थेकर कहती हैं, "आम तौर पर निंगक्सिया 'चीनीकरण' नीति के कार्यान्वयन के लिए एक पायलट साइट रही है और इसलिए, अन्य प्रांतों से पहले निंगक्सिया में नवीकरण और विलय दोनों शुरू हो गए हैं.
मुसलमानों की चीनीकरण
‘चीनीकरण’ का संदर्भ राष्ट्रपति शी जिनपिंग के चीनी संस्कृति और समाज को प्रतिबिंबित करने के लिए धार्मिक मान्यताओं को बदलने के प्रयासों से है.
चीन की सरकार का दावा है कि मस्जिदों का समेकन (एक जगह करना), ये आमतौर पर तब होता है, जब गाँवों को स्थानांतरित किया जाता है या एक साथ मिला दिया जाता है.
इससे मुसलमानों पर आर्थिक बोझ कम हो रहा है. लेकिन कुछ हुई मुसलमानों का कहना है कि इसका मक़सद उनकी वफ़ादारी को कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ़ मोड़ना है.
कुछ निवासियों ने ‘चीनीकरण’ की इन नीतियों का खुला विरोध किया है, लेकिन अभी तक उनका विरोध बेअसर ही रहा है.
पिछले कुछ सालों में, ऐसे कई लोगों को या तो जेल में बंद किया गया है या हिरासत में रखा गया है जो मस्जिदों को बंद करने को लेकर प्रशासन से टकराये थे.
अमेरिका में रह रहे हुई कार्यकर्ता मा जू के मुताबिक़ मस्जिदों के बाहरी तत्वों को हटाने के बाद स्थानीय प्रशासन ऐसी सुविधाओं को हटाता है जो धार्मिक गतिविधियों के लिए ज़रूरी हैं, जैसे कि वुज़ुखाना और इमाम का मंच.
एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है, ‘जब लोग मस्जिदों में जाना बंद कर देते हैं, तब प्रशासन इसे मस्जिद को बंद करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल करता है.’
एचआरडब्ल्यू ने एक वीडियो की पुष्टि की है, जिसमें दक्षिणी निंगक्सिया के लियूजिआगुओ की मस्जिद के गुंबद और दो मीनारों को हटाने के कुछ देर बाद ही वुज़ुखाने को भी हटा दिया गया.
निंगक्सिया की सीमा से सटे गांसू प्रांत में, अधिकारियों ने मस्जिदों के बंद होने, समेकित होने या इस्तेमाल बदले जाने को लेकर नियमित घोषणाएं की हैं.
साल 2018 में प्रशासन ने लिंग्शिया शहर में 16 साल से कम उम्र के नाबालिगों के धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने या धर्म से जुड़ी शिक्षा हासिल करने पर रोक लगा दी थी. इस शहर को पहले चीन के ‘लिटिल मक्का’ के रूप में भी जाना जाता था.
मस्जिदों के उपयोग में बदलाव
2019 में एक स्थानीय टीवी चैनल पर प्रसारित हुई रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रशासन के ‘श्रमसाध्य, वैचारिक शिक्षा और मार्गदर्शन कार्य’ के बाद कई मस्जिदों को कार्यस्थलों का सांस्कृतिक केंद्रों में बदल दिया है.
डॉ. थेकर कहती हैं कि ‘चीनीकरण’ अभियान से पहले, हुई मुसलमानों को सरकार से कई तरह की मदद और प्रोत्साहन मिलता था.
“इस अभियान ने चीन में वो जगह बहुत संकुचित कर दी है, जहां मुसलमान होकर रहा जा सकता है और देशभक्ति साथ धार्मिक पालन के एक ख़ास दृष्टिकोण के पीछे सत्ता की ताक़त को लगा दिया है.’
वो कहती हैं, “ये देश के इस्लामोफोबिक नज़रिये को दिखाता है, जिसमें मुसलमानों को हर चीज़ के ऊपर देशभक्ति को रखना है और इसमें किसी भी विदेशी प्रभाव को एक ख़तरे के रूप में देखा जाता है.”
ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया निदेशक इलेन पीयर्सन ने कहा, “अरब और मुस्लिम जगत के नेताओं को इस बारे में सवाल उठाने चाहिए और चिंताएं ज़ाहिर करनी चाहिए.”
चीन की सरकार के इस अभियान से सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं, अन्य अल्पसंख्यक धर्मों के लोग भी प्रभावित हुए हैं.
उदाहरण के लिए, हाल के महीनों में ही चीन ने अधिकारिक और राजनयिक दस्तावेज़ों में ‘तिब्बत’ की जगह ‘शिजांग’ के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है.
ये इस क्षेत्र का मंदारिन भाषा का नाम है. प्रशासन ने चर्चों से क्रॉस हटवा दिए हैं. पादरियों को गिरफ़्तार किया गया है और ऑनलाइन स्टोर से बाइबल को भी हटवा दिया गया है.
इस्लामिक देशों की चुप्पी
ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी में चाइना पॉलिसी के एक्सपर्ट माइकल क्लार्क मुस्लिम देशों की ख़ामोशी का कारण चीन की आर्थिक शक्ति और पलटवार के डर को मुख्य कारण मानते हैं.
क्लार्क ने एबीसी से कहा है, ''म्यांमार के ख़िलाफ़ मुस्लिम देश इसलिए बोल लेते हैं क्योंकि वो कमज़ोर देश है. उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना आसान है. म्यांमार जैसे देशों की तुलना में चीन की अर्थव्यवस्था 180 गुना ज़्यादा बड़ी है. ऐसे में आलोचना करना भूल जाना अपने हक़ में ज़्यादा होता है.''
मध्य-पू्र्व और उत्तरी अफ़्रीका में चीन 2005 से अब तक 144 अरब डॉलर का निवेश किया है. इसी दौरान मलेशिया और इंडोनेशिया में चीन ने 121.6 अरब डॉलर का निवेश किया. चीन ने सऊदी अरब और इराक़ की सरकारी तेल कंपनियों ने भारी निवेश कर रखा है. इसके साथ ही चीन ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना बन बेल्ट वन रोड के तहत एशिया, मध्य-पूर्व और अफ़्रीका में भारी निवेश का वादा कर रखा है. (bbc.com)
हमास और इसराइल के बीच बंधकों की रिहाई और युद्ध में विराम को लेकर समझौते की घोषणा कर दी गई है.
इसराइल की कैबिनेट ने 50 बंधकों की रिहाई को सुरक्षित करने के लिए हमास के साथ समझौते को मंज़ूरी दे दी है.
इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि लड़ाई में चार दिन के विराम के दौरान बंधक रिहा किए जाएंगे.
इस समझौते के तहत अतिरिक्त दस बंधकों की रिहाई पर युद्ध विराम को एक और दिन के लिए बढ़ाया जाएगा.
इसराइल की कैबिनेट ने मंगलवार शाम शुरू हुई एक लंबी बैठक के बाद इस समझौते को मंज़ूरी दी है. कैबिनेट की बैठक बुधवार सुबह तक चली.
कैबिनेट की बैठक से पहले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा था कि बंधकों की रिहाई के लिए समझौता होने के बावजूद भी हमास के साथ युद्ध जारी रहेगा.
हमास ने 7 अक्तूबर को इसराइल पर हमला किया था. इस हमले में 1200 से अधिक इसराइली मारे गए थे और 200 से अधिक को बंधक बना लिया गया था.
इस हमले के बाद इसराइल ने ग़ज़ा से हमास को समाप्त करने के उद्देश्य से ग़ज़ा पर हमले शुरू किए थे.
ग़ज़ा पर 46 दिनों से इसराइल के हमले जारी हैं और इसराइली सेना ग़ज़ा में बड़ा ज़मीनी सैन्य अभियान भी चला रही है.
हमास ने क्या बताया?
हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इसराइल के सैन्य अभियान में अब तक 14000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें पांच हज़ार से अधिक बच्चे हैं.
इस बीच हमास ने बताया है कि इसराइली बंधकों के बदले इसराइल की जेलों से 150 फ़लस्तीनियों को रिहा किया जाएगा.
फ़लस्तीनी सूचना केंद्र की तरफ़ से जारी बयान में बताया गया है कि 150 फ़लस्तीनियों के बदले 50 इसराइली बंधकों को रिहा किया जाएगा.
इस समझौते के तहत राहत सामग्री और दवाइयां लेकर आने वाले सैकड़ों ट्रकों को ग़ज़ा में दाख़िल होने की अनुमति दी जाएगी. हमास के मुताबिक़ ईंधन को भी ग़ज़ा में आने दिया जाएगा.
हमास की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि संघर्षविराम के दौरान इसराइल ग़ज़ा में ना ही कोई हमला करेगा और ना ही किसी की गिरफ़्तारी करेगा.
हमास के मुताबिक़ संघर्ष विराम के दौरान दक्षिणी ग़ज़ा के ऊपर एयर ट्रैफ़िक पूरी तरह रुक जाएगा जबकि उत्तरी ग़ज़ा में सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक एयर ट्रैफिक बंद रहेगा.
आगे भी बंधकों की रिहाई का रास्ता होगा साफ़
यरूशलम में मौजूद बीबीसी की मध्य-पूर्व संवाददाता योलांडे नेल के मुताबिक़ समझौते को इस तरह तैयार किया गया है कि आगे भी और अधिक बंधकों की रिहाई का रास्ता साफ़ हो सके.
समझौते के तहत शुरुआत में हमास 50 महिला और बाल बंधकों को अलग-अलग रिहा करेगा.
इसराइल की सरकार का कहना है कि हर अतिरिक्त दस बंधकों की रिहाई पर युद्ध में एक दिन का विराम दिया जाएगा.
कई बंधकों के परिवार इस शर्त को अहम मान रहे हैं. बीबीसी संवाददाता से बात करते हुए कुछ बंधकों के परिजनों ने कहा था कि वो नहीं चाहते कि कोई आंशिक समझौता हो.
ये भी माना जा रहा है कि जिन पचास बंधकों को रिहा किया जा रहा है, इनमें वो लोग होंगे जो इसराइली नागरिक हैं या जिनके पास दोहरी नागरिकता है.
वहीं अमेरिका को उम्मीद है कि पचास से अधिक बंधकों को रिहा किया जा सकता है.
अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि पचास से अधिक बंधक रिहा होंगे.
अमेरिका के मुताबिक़ एक चार वर्षीय अमेरिकी बंधक के रिहा होने की भी उम्मीद है.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कम से कम तीन अमेरिकी बंधक इस समझौते के तहत रिहा होंगे जिनमें एक चार वर्षीय बच्ची भी है.
मीडिया से बात करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अबीगेल, जो शुक्रवार को चार साल की होगी, वो भी रिहा हो रही है, अबिगेल के माता-पिता की हमास के हमले में मौत हो गई थी.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक़ बंधकों को चार से पांच दिनों के भीतर रिहा कर दिया जाएगा.
अमेरिका ने निभाई अहम भूमिका
माना जा रहा है कि इस समझौते को कराने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई है.
अमेरिका के विदेश विभाग पर नज़र रखने वाली बीबीसी संवाददाता बारबारा प्लेट अशर के मुताबिक़ इस समझौते को कराने में अमेरिका ने बड़ी भूमिका निभाई है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, सीआईए के प्रमुख और स्वयं राष्ट्रपति जो बाइडन ये समझौता कराने में शामिल रहे हैं.
अमेरिकी नेताओं ने क़तर और इसराइल के साथ लगातार वार्ताएं कीं ताकि समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने बाइडन का शुक्रिया अदा करते हुए कहा है कि उन्होंने शर्तों में सुधार किया ताकि ‘कम क़ीमत पर अधिक बंधक’ छुड़ाये जा सकें.
अमेरिका के अपने हित भी इस समझौते से जुड़े हैं. दस अमेरिकी लापता हैं और ये माना जा रहा है कि उन्हें बंधक बनाक रखा गया होगा.
अमेरिका ग़ज़ा जाने वाली राहत सामग्री को बढ़ाने पर भी ज़ोर देता रहा था, इसमें ईंधन भी शामिल है.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि युद्ध रुकने से ग़ज़ा जाने वाली मानवीय मदद बढ़ेगी.
इसराइल की सरकार ने क्या कहा
वहीं इसराइल की सरकार की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि इसराइल की सरकार सभी बंधकों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
बयान में कहा गया, “इसराइल की सरकार, आईडीएफ़ (सेना), और सुरक्षा सेवाएं युद्ध को जारी रखेंगी ताकि सभी बंधकों को वापस लाने और हमास को पूरी तरह समाप्त किया जा सके और ये सुनिश्चित किया जा सके कि ग़ज़ा से इसराइल को फिर कभी कोई ख़तरा ना हो.”
इसराइल और हमास के बीच बंधकों की रिहाई के लिए हुए इस समझौते से जुड़ी जानकारियां कई दिनों से मीडिया में आ रहीं थीं.
अब इसराइल की सरकार ने इस समझौते पर मुहर लगा दी है और 46 दिन बाद ग़ज़ा में हिंसा रुकने का रास्ता साफ़ हुआ है.
इसी बीच मंगलवार को ब्रिक्स देशों ने एक असाधारण वर्चुअल सम्मेलन में ग़ज़ा में तुरंत संघर्ष-विराम लागू करने की अपील की थी.
इस युद्ध में हो रहे भीषण विनाश और बड़ी तादाद में आम लोगों के मारे जाने की वजह से इसराइल पर युद्ध को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा था.
इसी बीच मंगलवार को एमएसएफ़ (डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स) ने कहा है कि उत्तरी ग़ज़ा के अल-औदा अस्तपताल पर हुए हमले में उसके साथ काम करने वाले तीन डॉक्टरों की मौत हो गई है.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि एक अन्य हमले में उसकी एक युवा कर्मचारी की परिवार समेत मौत हो गई है.
लेबनान के टीवी चैनल अल- मायादीन का कहना है कि लेबनान-इसराइल बॉर्डर पर हुए एक हवाई हमले में उसके दो पत्रकारों की मौत हो गई है. इसराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 50 से अधिक पत्रकार मारे जा चुके हैं.
वहीं इसराइल की सेना ने ग़ज़ा में अपने सैन्य अभियान के आगे बढ़ने की घोषणा करते हुए कहा है कि उसकी सेना ने जबीलिया कैंप इलाक़े को घेर लिया है और यहां सैन्य अभियान शुरू किया जाएगा. (bbc.com)
बेरूत, 22 नवंबर । लेबनान के सैन्य और चिकित्सा सूत्रों ने कहा कि दक्षिणी लेबनान में चार इजरायली हवाई हमलों में नौ लोग मारे गए। लेबनान-इजराइल सीमा पर छह सप्ताह से अधिक समय से टकराव तेज हो गया है।
नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिमी लेबनान के चाइतियाह गांव में चार लोगों की मौत हो गई। उनके चार पहिया वाहन पर इजराइली ड्रोन द्वारा हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल से हमला किया गया था।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एल्नाश्रा समाचार वेबसाइट के अनुसार मृतकों की पहचान हमास के तीन सदस्यों और लेबनान में अल-कसम ब्रिगेड के डिप्टी कमांडर के रूप में की गई है।
सूत्रों ने यह भी पुष्टि की कि दक्षिणपूर्वी लेबनान के खियाम गांव में हिजबुल्लाह केंद्र पर इजराइली हवाई हमले में हिजबुल्लाह का एक सदस्य मारा गया।
इससे पहले मंगलवार सुबह, स्थानीय मीडिया ने बताया कि इजराइली ड्रोन ने लेबनान के दक्षिणी गांव तायर हरफा पर हमला किया। इसमें स्थानीय टीवी चैनल अल-मायादीन के पत्रकार फराह उमर और फोटोग्राफर रबीह अल-मामारी और हुसैन अकिल नामक नागरिक की मौत हो गई, जबकि काफ़र गांव पर हमलेे में 80 साल की महिला की मौत हो गई।
लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह द्वारा सोमवार को इज़राइल पर हमास के हमलों के समर्थन में 8 अक्टूबर को शेबा फार्म्स की ओर दर्जनों रॉकेट दागे जाने के बाद छह सप्ताह से अधिक समय से लेबनान-इज़राइल सीमा पर तनाव बढ़ गया है।
(आईएएनएस)।
तेल अवीव, 22 नवंबर । इजराइली कैबिनेट ने 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में बंधक बनाए गए महिलाओं और बच्चों सहित 50 बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए चार दिवसीय युद्धविराम और हमास के साथ एक समझौते पर सहमति व्यक्त की है।
हालांकि, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार देर रात कैबिनेट बैठक में कहा कि देश युद्ध नहीं रोकेगा।
एक बयान में, इजराइली प्रधान मंत्री कार्यालय ने कहा कि समझौते के तहत, प्रत्येक अतिरिक्त 10 बंधकों की रिहाई से लड़ाई में रुकावट एक दिन बढ़ जाएगी।
बुधवार सुबह हमास ने कहा कि समझौते के तहत इजराइली जेलों में बंद 150 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि कैदियों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
हमास के बयान में कहा गया है कि इस सौदे में गाजा के सभी हिस्सों में सहायता राहत, चिकित्सा आपूर्ति और ईंधन ले जाने वाले सैकड़ों ट्रकों का प्रवेश भी शामिल है।
आईएएनएस की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, बंधकों के पहले समूह की रिहाई जल्द ही होगी।
कतर और अमेरिका युद्धविराम के लिए इजराइल और हमास दोनों के साथ सक्रिय मध्यस्थता वार्ता में शामिल रहे हैं।
संघर्ष विराम का विरोध करने वालों ने इज़राइली कैबिनेट को चेतावनी दी कि यह आंशिक बंधक समझौता कैद में रखे गए सभी लोगों को सुरक्षित करने की प्रक्रिया को पटरी से उतार देगा और यह गाजा में आतंकवादी समूह के खिलाफ सैन्य हमले को जटिल बना देगा।
हालांकि नेतन्याहू ने कहा, "हम युद्ध में हैं और तब तक युद्ध में बने रहेंगे जब तक हमास को नष्ट करने और हमारे सभी बंदियों को रिहा करने सहित हमारे उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते।"
इज़रायली अधिकारियों ने कहा है कि गाजा में कम से कम 236 बंधक हैं। (आईएएनएस)।
रामल्लाह, 22 नवंबर फिलिस्तीनी आंकड़ों के मुताबिक, 7 अक्टूबर को इजराइल-हमास संघर्ष की शुरुआत के बाद से वेस्ट बैंक में इजराइली बलों ने कम से कम 3,000 फिलिस्तीनियों को गिरफ्तार किया है।
मंगलवार को जारी फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी कमीशन फ़ॉर प्रिज़नर्स अफेयर्स और फ़िलिस्तीनी प्रिज़नर्स क्लब के एक संयुक्त बयान के अनुसार, पिछले कुछ घंटों में, वेस्ट बैंक में कम से कम 40 फ़िलिस्तीनियों को इज़राइली सेना ने हिरासत में लिया है।
बयान में कहा गया है कि इजराइली बलों ने जेनिन, हेब्रोन, बेथलेहम, नब्लस, रामल्ला, जेरूसलम और जेरिको सहित वेस्ट बैंक के विभिन्न स्थानों पर गिरफ्तारियां कीं, जबकि कई आवासीय घरों पर भी छापेमारी की।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ को घरों से पकड़ लिया गया, कुछ को सैन्य चौकियों पर हिरासत में लिया गया, कुछ को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया और कुछ को बंधक बना लिया गया। (आईएएनएस)।
सियोल, 22 नवंबर । उत्तर कोरिया ने अपने तीसरे प्रयास में अपने पहले सैन्य टोही उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में सफलता का दावा किया है, इससे यह संभावना बढ़ गई है कि उसे रूस से तकनीकी सहायता मिली है। एक मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को यह बात कही गई।
योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने कहा कि एक नए प्रकार के चोलिमा-1 अंतरिक्ष रॉकेट ने क्रमशः मई और अगस्त में दो असफल प्रयासों के बाद, मंगलवार रात को मल्लीगयोंग-1 उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया।
नवीनतम प्रक्षेपण इन अटकलों के बीच हुआ कि रूस ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध में रूस के उपयोग के लिए सैन्य उपकरणों और हथियारों की उत्तर की आपूर्ति के बदले में उत्तर कोरिया को सैन्य तकनीक प्रदान की होगी।
दक्षिण कोरियाई सैन्य अधिकारियों और खुफिया विभाग ने कहा कि रूस द्वारा उत्तर को तकनीकी सहायता प्रदान करने की संभावना है।
सितंबर में, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने रूस की यात्रा की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक शिखर बैठक की।
रक्षा मंत्री शिन वोन-सिक ने रविवार को मीडिया साक्षात्कार के दौरान कहा कि माना जाता है कि उत्तर कोरिया ने रूस की सहायता से अपने उपग्रह में इंजन की समस्याओं को दूर कर लिया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, एक सैन्य अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि सितंबर शिखर सम्मेलन से पहले ही 80 टन का तरल ईंधन इंजन रूस से उत्तर कोरिया में स्थानांतरित कर दिया गया था, और कहा कि सबूत बताते हैं कि रूसी इंजीनियरों ने शिखर सम्मेलन के बाद उत्तर कोरिया में प्रवेश किया था।
प्रक्षेपण का विस्तृत विश्लेषण होने तक, दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने इसकी पुष्टि नहीं की कि यह सफल रहा या नहीं। (आईएएनएस)।
कॉप 28 में फ्रांस और अमेरिका कोयला संयंत्रों को लेकर एक ऐसा प्रस्ताव ला सकते हैं जिससे भारत को आने वाले समय में परेशानी हो सकती है. प्रस्ताव कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के लिए प्राइवेट फंडिंग रोकने को लेकर है.
जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र का शीर्ष सम्मेलन कॉप 28 दुबई में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक चलेगा. सामान्य रूप से उम्मीद की जाती है कि इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए जरूरी कदमों पर दुनिया के सभी देशों के बीच सहमति बनाने की दिशा में काम किया जाएगा.
लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है कि कम से कम एक प्रस्ताव पर देशों के बीच असहमति और बढ़ सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस और अमेरिका मिल कर कोयले से चलने वाले बिजली के संयंत्रों के लिए निजी फंडिंग को रोकने का प्रस्ताव ला सकते हैं.
भारत के लिए समस्या
भारत और यूरोप में स्थित तीन सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दावा किया है इस योजना के बारे में भारत को इसी महीने बता दिया गया. इस तरह के प्रस्ताव को भारत और चीन के लिए एक धक्का माना जा रहा है. दोनों देश अपनी अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए कोयला संयंत्रों के निर्माण को रोकने की किसी भी कोशिश के खिलाफ हैं.
रॉयटर्स के मुताबिक दो भारतीय अधिकारियों का कहना है कि फ्रांस में विकास के राज्य मंत्री क्रिसूला जाकारोपोलो ने भारत सरकार को इस योजना के बारे में बता दिया है. इसे निजी वित्तीय संस्थानों और बीमा कंपनियों के लिए "न्यू कोल एक्सक्लूजन पॉलिसी" का नाम दिया गया है. इससे पहले इस तरह की किसी भी योजना की जानकारी सामने नहीं आई है.
जाकारोपोलो के एक प्रवक्ता ने ईमेल पर पूछे गए रॉयटर्स के सवालों पर सीधे टिप्पणी नहीं की लेकिन कहा कि पिछले कुछ सालों में कोयले में निजी निवेश के सवाल पर कई बहुराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा हुई है. भारत के पर्यावरण, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा, कोयला, विदेश और सूचना मंत्रालयों, ओईसीडी और नई दिल्ली में फ्रांस के दूतावास को भी रॉयटर्स ने टिप्पणी के लिए अनुरोध किया था, लेकिन इनमें से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
यूरोप में एक सूत्र ने बताया कि इसका उद्देश्य कोयला आधारित बिजली के लिए निजी फंडिंग को सूखा देना है और यह फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है. इसे ग्लोबल वॉर्मिंग की रफ्तार को कम करने के लिए कदमों को तेज करने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है.
देशों के बीच टकराव
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव के मुताबिक ओईसीडी निजी वित्तीय कंपनियों के लिए कोयले से निकलने के मानक तैयार करेगा. इन कंपनियों के वित्तपोषण पर नियामक, रेटिंग एजेंसियां और गैर-सरकारी संगठन नजर रख सकेंगे.
फ्रांस द्वारा भारत से साझा की गई योजना के मुताबिक अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा समेत कई देश कोयले से बिजली बनाने को धीरे धीरे खत्म करने की योजना पर काम करते रहे हैं. ये देश कोयले को जलवायु लक्ष्यों के लिए "सबसे बड़ा खतरा" मानते हैं. उन्हें चिंता है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियां अभी भी विकासशील देशों की कोयला क्षमता में बड़ी बढ़ोतरी को समर्थन दे रही हैं.
अधिकारियों के मुताबिक कोयले की क्षमता में करीब 490 गीगावाट की बढ़ोतरी या तो चल रही है या योजना में है. यह मौजूदा वैश्विक क्षमता के पांचवें हिस्से के बराबर है और इसमें से अधिकांश या तो भारत में है या चीन में. जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के डिप्टी विशेष राजदूत रिच ड्यूक ने इस प्रस्ताव पर सीधे टिप्पणी नहीं की लेकिन कोयला आधारित संयंत्रों की बात की.
उन्होंने कहा कि देशों को चाहिए कि वो बिना रुके नए कोयला संयंत्र बना कर "और गहरे गड्ढे खोदने बंद करें". भारत में करीब 73 प्रतिशत बिजली कोयले से बन रही है. हालांकि भारत ने गैर-जीवाश्म क्षमता को बढ़ा कर 44 प्रतिशत तक कर लिया है.
उसका इरादा कॉप 28 में जीवाश्म ईंधन को कम करने या बंद करने की समयसीमा तय करने की कोशिशों का मुकाबला करने का है. वह सदस्य देशों से दूसरे स्रोतों से उत्सर्जन कम करने पर ध्यान केंद्रित करने को कह सकता है. वह विकसित देशों पर 2050 तक कार्बन न्यूट्रल की जगह कार्बन नेगेटिव बनने का दबाव भी डाल सकता है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
यरुशलम, 22 नवंबर। इजराइल की कैबिनेट ने फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के साथ अस्थायी युद्धविराम को बुधवार को मंजूरी दी, जिससे छह सप्ताह से जारी विध्वंसक युद्ध कुछ दिन के लिए रुक जाएगा। इस दौरान गाजा पट्टी में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के बदले इजराइल की जेलों में बंद फलस्तीन के कैदियों को छोड़ा जाएगा।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि समझौते में चार दिवसीय युद्ध विराम का आह्वान किया गया है। इस दौरान इजराइल गाजा में हमले रोक देगा, जबकि हमास बंधक बनाए गए इजराइल के लगभग 240 लोगों में से कम से कम 50 बंधकों को रिहा कर देगा। सबसे पहले बंधक महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, “इजराइल सरकार सभी बंधकों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। आज रात, सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के पहले चरण की रूपरेखा को मंजूरी दे दी।’’
हमास के साथ मध्यस्थता करने वाले कतर की ओर से बुधवार को सुबह जारी एक बयान में कहा गया कि समझौते में “इजराइल की जेलों में बंद कई फलस्तीनी महिलाओं और बच्चों की रिहाई भी शामिल है। समझौता लागू करने के बाद के चरणों में रिहा किए जाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।”
बयान के अनुसार, इजराइल की ओर से गाजा में अतिरिक्त मानवीय सहायता की अनुमति दी जाएगी।
हालांकि, इजराइल की ओर जारी बयान में इनमें से किसी बात का जिक्र नहीं किया गया है।
कतर के विदेश मंत्रालय के बयान में मिस्र, अमेरिका और कतर की मध्यस्थता से ‘‘मानवीय विराम’’ के लिए समझौता तैयार करने वाली बातचीत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि युद्ध विराम की शुरुआत का समय अगले दिन घोषित किया जाएगा।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि सभी पक्षों द्वारा समझौते को मंजूरी मिलने के लगभग 24 घंटे बाद बंधकों की रिहाई शुरू हो जाएगी।
बुधवार सुबह कैबिनेट में मतदान से पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि युद्ध विराम समाप्त होने के बाद इजराइल हमास पर हमले फिर से शुरू करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम युद्ध कर रहे हैं और युद्ध जारी रखेंगे। अपना लक्ष्य हासिल करने तक हम रुकेंगे नहीं।’’
एक सरकारी बयान में कहा गया कि हमास द्वारा रिहा किए गए हर अतिरिक्त 10 बंधकों के लिए संघर्ष विराम को एक अतिरिक्त दिन बढ़ाया जाएगा।
इजराइल ने कहा है कि जब तक वह हमास के सैन्य प्रतिष्ठानों को नष्ट नहीं कर देता और सभी बंधकों रिहा नहीं करा लेता तब तक वह युद्ध जारी रखेगा।
नेतन्याहू ने कहा कि युद्धविराम के दौरान खुफिया प्रयास जारी रहेंगे जिससे सेना को अगले चरण की लड़ाई के लिए तैयार होने का अवसर मिलेगा।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइल के हवाई और जमीनी हमलों में 11,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं और 2,700 से अधिक लोग लापता हैं।
एपी साजन मनीषा मनीषा 2211 1038 यरुशलम (एपी)
वाशिंगटन, 22 नवंबर। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को इस बात को लेकर चिंता जताई कि ईरान यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस की मदद के लिए उसे बैलिस्टिक मिसाइल दे सकता है, जो यूक्रेन के लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। अमेरिका के एक राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि ईरान पहले से रूस को ड्रोन, लक्षित हवाई बम और गोला बारूद मुहैया करा रहा है और संभवत: वह ‘‘रूस का समर्थन करने की दिशा में आगे बढ़ने का विचार कर रहा है।’’
किर्बी ने सितंबर में हुई बैठक का जिक्र किया जिसमें ईरान ने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की मेजबानी की थी और कई बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली का प्रदर्शन किया था । अमेरिका ने इस पर चिंता जताई थी।
किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘इसलिए हम बात को लेकर चिंतित हैं कि ईरान संभवत: रूस को बैलिस्टिक मिसाइल उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के खिलाफ कर सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस समर्थन के बदले रूस ईरान को मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और हवाई रक्षा समेत अभूतपूर्व रक्षा सहयोग की पेशकश कर सकता है।’’
किर्बी की यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन की रक्षा जरूरतों के मद में आपात अमेरिकी कोष से 61 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि देने का अनुरोध किया था, कांग्रेस ने इसे अभी इसे मंजूरी नहीं दी है।
एपी सुरभि शोभना शोभना 2211 1018 वाशिंगटन (एपी)
किन्शासना, 22 नवंबर। कांगो के विदेश मंत्री और देश में संयुक्त राष्ट्र के स्थिरिकरण मिशन ने मध्य अफ्रीकी देश में करीब दो दशक से अधिक समय तक संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की मौजूदगी को समाप्त करने के लिए मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
कांगो के विदेश मंत्री क्रिस्टोफ लुटुंडुला ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर कहा कि पूर्वी कांगो में शांति बहाली की इच्छा पूरी नहीं हो सकी लेकिन इसके बावजूद इस समझौते से अब संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग यहीं खत्म हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सितंबर में अपने संबोधन में कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स त्शिसेकेदी ने 15,000 शांति रक्षकों की जल्द वापसी का अनुरोध किया था। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कांग्रेस से कहा कि ‘‘संयुक्त राष्ट्र मिशन की चरणबद्ध तरीके से वापसी निश्चित रूप से जिम्मेदाराना तरीके से होनी चाहिए।’’
इसके लिए मंगलवार को कोई समयसीमा घोषित नहीं की गई। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि मौजूदा चुनावी प्रक्रिया के पूरा होने तक शांति रक्षकों की वापसी संभव नहीं लग रही।
एपी सुरभि शोभना शोभना 2211 0838 किन्शासा (एपी)
क़तर ने कहा है कि अगले 24 घंटों में युद्ध विराम के समय का एलान किया जाएगा.
ये भी कहा गया है कि युद्ध विराम चार दिन तक लागू होगा और ‘ये आगे भी बढ़ सकता है.’
हमास के कब्ज़े वाले इसराइली बंधकों को लेकर बहुप्रतीक्षित डील हो गई है. शुरूआती चरण में 50 बंधकों जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं उन्हें छोड़ा जाएगा और इसके बदले में चार दिन तक का अस्थायी युद्ध विराम होगा. हालांकि ये बंधक कब छोड़े जाएंगे और अस्थायी युद्ध विराम कब से लागू होगा इसे लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है
इसके अलावा डील में ये भी कहा गया है कि हर अतिरिक्त 10 बंधकों को रिहा करने के बदले एक दिन का अतिरिक्त युद्ध विराम मिलेगा.
इस समझौते को लेकर हमास ने भी बयान जारी कर बताया है कि 50 इसराइली बंधकों के बदले इसराइल की जेलों में बंद 150 फ़लस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा.
इस डील के तहत मानवीय मदद, ज़रूरी दवाएं और ईंधन से भरे सैकड़ों ट्रकों को ग़ज़ा में प्रवेश मिलेगा.हमास के बयान में कहा गया है कि चार दिनों के युद्ध विराम में इसराइल ना तो कोई हमले करेगा और ना ही किसी को गिरफ्तार करेगा. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसराइली बंधकों को लेकर हुई डील पर कहा है कि वह इस बात से ‘काफ़ी ज़्यादा संतुष्ट हैं. कि हफ्तों तक बंधक रहे ये लोग आखिरकार अपने परिवार से मिलेंगे.’
बाइडन ने क़तर और मिस्र की ओर से इस डील तक पहुंचने में निभायी गई मुख्य भूमिका पर उनका शुक्रिया अदा किया है.
उन्होंने ये भी कहा कि वह युद्ध में विराम का समर्थन करने के लिए इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की 'प्रतिबद्धता' की सराहना करते हैं.
बाइडन ने ज़ोर देते हुए कहा- “ये ज़रूरी है कि डील के सभी पहलू पूरी तरह से लागू किए जाएं.”
इस डील में अमेरिका ने सबसे अहम भूमिका निभायी है और साथ ही क़तर और मिस्र ने भी मध्यस्थता की है.
इसराइल और हमास के बीच क्या डील हुई
सात अक्टूबर से हमास के कब्ज़े वाले इसराइली बंधकों को लेकर बहुप्रतीक्षित डील हो गई है. शुरूआती चरण में 50 बंधकों जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं उन्हें छोड़ा जाएगा और इसके बदले में चार दिन तक का अस्थायी युद्ध विराम होगा.
इसके अलावा डील में ये भी कहा गया है कि हर अतिरिक्त 10 बंधकों को रिहा करने के बदले एक दिन का अतिरिक्त युद्ध विराम मिलेगा.
हालांकि इसराइली सरकार का कहना है कि इसराइली सेना और सिक्योरिटी सर्विस सभी बंधकों की घर वापसी होने तक और हमास का पूरा सफ़ाया करने तक युद्ध जारी रखेंगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग़ज़ा से इसराइल को आगे कोई नया ख़तरा ना हो.
हमास ने कहा 150 फ़लस्तीनी छोड़े जाएंगे
अब इस समझौते को लेकर हमास ने भी बयान जारी कर बताया है कि 50 इसराइली बंधकों के बदले इसराइल की जेलों में बंद 150 फ़लस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा.
इस डील के तहत मानवीय मदद, ज़रूरी दवाएं और ईंधन से भरे सैकड़ों ट्रकों को ग़ज़ा में प्रवेश मिलेगा.हमास के बयान में कहा गया है कि चार दिनों के युद्ध विराम में इसराइल ना तो कोई हमले करेगा और ना ही किसी को गिरफ्तार करेगा.
चार दिनों तक अस्थायी युद्ध विराम के दौरान, दक्षिणी ग़ज़ा में एयर ट्रैफ़िक पूरी तरह से बंद रहेगा और उत्तरी ग़ज़ा में भी हर दिन छह घंटे तक, स्थानीय समयानुसार सुबह 10:00 बजे से शाम 16:00 बजे तक इसे रोका जाएगा. (bbc.com/hindi)
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इसराइल हमास के ख़िलाफ़ ‘लक्ष्य हासिल होने तक’ युद्ध जारी रखेगा.
इसराइली बंधकों को लेकर होने वाली डील पर चर्चा के लिए कैबिनेट की बैठक से पहले एक रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो बयान में नेतन्याहू ने कहा कि इस तरह की "बकवास" बातें की जा रही हैं कि बंधकों को रिहा करने के बाद युद्ध रोक दिया जाएगा.
उन्होंने बंधकों की वापसी कोअपने ‘सबसे बड़े लक्ष्यों में से एक बताया’
उन्होंने कहा- “युद्ध में कई चरण होते हैं और बंधकों की वापसी में भी कई चरण होंगे,लेकिन हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम पूरी तरह से जीत नहीं जाते. सभी बंधकों को वापस लाना हमारा सबसे पवित्र कर्तव्य है.”
उन्होंने कहाहमास का सफ़ाया भी एक लक्ष्य है और ग़ज़ा में ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ेंगे जिससे इसराइल को फिर से ख़तरा हो."
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी धन्यवाद देते हुए कहा किउन्होंने "कम कीमत चुकाने के बदले अधिक बंधकों की रिहाई के लिए डील का प्लान बनाने में मदद की.”
वहीं अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन का कहना है कि क़तर के अधिकारियों ने डील का प्रस्ताव इसराइल को आज सुबह सौंपा है.
क़तर इस पूरे युद्ध में हमास और इसराइल की पार्टियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता रहा है. इससे पहले भी चार बंधक जिन्हें हमास ने छोड़ा था वो क़तर की मध्यस्थता से ही हुआ था.
अब तक जो रिपोर्ट सामने आ रही हैं उसके मुताबिक़ इसराइली सरकार जिस डील की समीक्षा कर रही है, उसमें कहा गया है कि कुछ दिनों के लिए युद्ध रोकने के बदले में बंधक रिहा किए जाएंगे.(bbc.com/hindi)
अब से थोड़ी देर पहले इसराइल ने घोषणा की कि हमास के साथ इसराइली बंधकों को लेकर डील पर सहमति बन गई है और सात अक्टूबर से हमास के कब्ज़े में रह रहे 50 इसराइली बंधकों को छोड़ा जाएगा. इसके बदले में चार दिनों का अस्थायी युद्ध विराम होगा.
अब इस समझौते को लेकर हमास ने भी बयान जारी कर बताया है कि 50 इसराइली बंधकों के बदले इसराइल की जेलों में बंद 150 फ़लस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा.
इस डील के तहत मानवीय मदद, ज़रूरी दवाएं और ईंधन से भरे सैकड़ों ट्रकों को ग़ज़ा में प्रवेश मिलेगा.
हमास के बयान में कहा गया है कि चार दिनों के युद्ध विराम में इसराइल ना तो कोई हमले करेगा और ना ही किसी को गिरफ्तार करेगा.
चार दिनों तक अस्थायी युद्ध विराम के दौरान, दक्षिणी ग़ज़ा में एयर ट्रैफ़िक पूरी तरह से बंद रहेगा और उत्तरी ग़ज़ा में भी हर दिन छह घंटे तक, स्थानीय समयानुसार सुबह 10:00 बजे से शाम 16:00 बजे तक इसे रोका जाएगा.
ग़ज़ा के एयर स्पेस को इसराइल कंट्रोल करता है.
सात अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले में हमास ने 240 इसराइलियों को बंधक बनाया है. इसमें से अब तक चार बंधक ही छोड़े गए हैं. (bbc.com/hindi)
यरुशलम, 22 नवंबर। इजराइल की कैबिनेट ने फलस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास के साथ युद्धविराम को बुधवार को मंजूरी दी, जिससे छह सप्ताह से जारी विध्वंसकारी युद्ध में कुछ दिन के लिए रोक लगेगी और गाजा पट्टी में बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई के बदले इजराइल की जेलों में बंद फलस्तीन के कैदियों को छोड़ा जाएगा।
इजराइली सरकार ने कहा कि समझौते के तहत हमास गाजा पट्टी में बंधक बनाए गए लगभग 240 बंधकों में से 50 को चार दिन में रिहा करेगा।
सरकार ने कहा कि पहले बच्चों और महिलाओं को रिहा किया जाएगा। बुधवार सुबह कैबिनेट में मतदान से पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि युद्ध विराम समाप्त होने के बाद इजराइल हमास पर हमले फिर से शुरू करेगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि युद्धविराम कब से लागू होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम युद्ध में हैं और हम युद्ध जारी रखेंगे। अपना लक्ष्य हासिल करने तक हम रुकेंगे नहीं।’’
इजराइल ने कहा है कि जब तक वह हमास के सैन्य प्रतिष्ठानों को नष्ट नहीं कर देता और सभी बंधकों रिहा नहीं करा लेता तब तक युद्ध जारी रखेगा।
नेतन्याहू ने कहा कि युद्धविराम के दौरान खुफिया प्रयास जारी रहेंगे जिससे सेना को अगले चरण की लड़ाई के लिए तैयार होने का अवसर मिलेगा।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इजराइल के हवाई और जमीनी हमलों में 11,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं और 2,700 से अधिक लापता हैं।
एपी शोभना सुरभि सुरभि 2211 0842 यरूशलम (एपी)
पाकिस्तान ने 2024 में ब्रिक्स देशों के समूह में शामिल होने के लिए आवेदन किया है.
पाकिस्तान के रूस में नवनियुक्त राजदूत मुहम्मद ख़ालिद जमाली ने रूस की समाचार एजेंसी तास को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही है.
जमाली से जब पूछा गया कि क्या पाकिस्तान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए बिड किया है तो उन्होंने कहा पाकिस्तान पहले ही आवेदन कर चुका है.
उन्होंने कहा- “पाकिस्तान इस महत्वपूर्ण समूह का हिस्सा बनना चाहता है और पाकिस्तान सदस्य देशों से समर्थन के लिए संपर्क कर रहा है, रूस से हम खास तौर पर समर्थन चाहते हैं.”
ब्रिक्स उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का समूह है जिसके सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका रहे हैं. इस साल अगस्त में ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन में इसका विस्तार करते हुए इस समूह में मिस्र, ईरान, सऊदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और अर्जेंटीना को शामिल किया गया.
मंगलवार को इसराइल और ग़ज़ा के मुद्दे पर ब्रिक्स की वर्चुअल बैठक बुलायी गई थी जिसमें तुरंत युद्धविराम करने का आह्वान किया गया. इस बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए लेकिन भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया.
इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि हमास ने जिन इसराइली नागरिकों को बंधक बनाया है, उनमें से 50 बंधकों की रिहाई चार दिनों तक की जाएगी और इस दौरान युद्ध अस्थायी रूप से रोका जाएगा.
इसराइल की कैबिनेट ने इस डील को मंज़ूरी दी, जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे लेकर आधिकारिक बयान जारी किया है.
इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में कहा है, ''इसराइल सरकार सभी बंधकों की घर वापसी कराने के लिए प्रतिबद्ध है. आज सरकार ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पहले चरण की रूपरेखा को मंज़ूरी दे दी है, जिसके अनुसार 50 बंधकों जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, उन्हें चार दिनों में रिहा किया जाएगा, इस दौरान लड़ाई रोकी जाएगी.''
इसराइली सरकार, इसराइली सेना और सिक्योरिटी सर्विस सभी बंधकों की घर वापसी होने तक और हमास का पूरा सफ़ाया करने तक युद्ध जारी रखेंगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग़ज़ा से इसराइल को आगे कोई नया ख़तरा ना हो.
हमास का बयान
हमास ने टेलीग्राम पर बयान जारी करते हुए कहा है कि ‘मानवीय आधार पर युद्ध विराम’ पर सहमति बन गयी है. हमास ने क़तर और मिस्र का भी इस डील की मध्यस्थता करने के लिए शुक्रिया अदा किया है.
कई सप्ताह तक चली बातचीत के बाद इसराइल और हमास ने बीते दिनों ये संकेत दिए थे कि सात अक्टूबर से हमास के कब्ज़े में बंद इसराइली बंधकों को लेकर दोनो पक्ष एक डील के काफ़ी करीब हैं.
मंगलवार को हमास के नेता इस्माइल हानिया ने रॉयटर्स से बात करते हुए कहा था कि हमास इसराइल के साथ ‘युद्ध विराम की डील’ के काफ़ी करीब है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भी कहा था कि उनके पास जल्द साझा करने के एक ‘अच्छी ख़बर’ होगी. (bbc.com/hindi)
-योलांद नेल
सात अक्टूबर से हमास के कब्ज़े में बंद इसराइली बंधकों को लेकर बहुप्रतीक्षित डील हो गई है.
शुरूआती चरण में 50 बंधकों जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं उन्हें छोड़ा जाएगा और इसके बदले में चार दिन तक का अस्थायी युद्ध विराम होगा.
इसके अलावा डील में ये भी कहा गया है कि हर अतिरिक्त 10 बंधकों को रिहा करने के बदले एक दिन का अतिरिक्त युद्ध विराम मिलेगा.
ये डील का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि कुछ बंधकों के परिवार ने हमें बताया कि वो एक आंशिक डील नहीं चाहते जिसमें बस कुछ बंधकों को ही छोड़ा जाए. इस क्लॉज़ से उम्मीद है कि और भी बंधक आने वाले भविष्य में छोड़े जाएंगे.
माना जा रहा है कि जिन शुरूआती 50 लोगों को छोड़ा जाएगा उसमें ज़्यादातर वो इसराइली नागरिक होंगे जिनके पास दो देशों की नागरिकता होगी.
मंगलवार की सुबह इसराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया है कि हमास ने जिन इसराइली नागरिकों को बंधक बनाया है, उनमें से 50 बंधकों की रिहाई पर सहमति हो गई है. इसके लिए चार दिनों तक युद्ध रोका जाएगा.
अपने बयान में इसराइल ने कहा- "इसराइल सरकार सभी बंधकों की घर वापसी कराने के लिए प्रतिबद्ध है. आज सरकार ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पहले चरण की रूपरेखा को मंज़ूरी दे दी है, जिसके अनुसार 50 बंधकों जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, उन्हें चार दिनों में रिहा किया जाएगा, इस दौरान लड़ाई रोकी जाएगी.''
"इसराइली सरकार, इसराइली सेना और सिक्योरिटी सर्विस सभी बंधकों की घर वापसी होने तक और हमास का पूरा सफ़ाया करने तक युद्ध जारी रखेंगी. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग़ज़ा से इसराइल को आगे कोई नया ख़तरा ना हो." (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 21 नवंबर । पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान की तीसरी और मौजूदा पत्नी बुशरा बीबी के पूर्व पति ने आरोप लगाया है कि इमरान ने उनकी 28 साल पुरानी शादी को जबरदस्ती खत्म कर दिया।
एक टीवी इंटरव्यू में खावर फरीद मनेका ने इमरान खान पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन पर बुशरा बीबी से अपनी शादी जल्दी कराने के लिए तलाक की प्रक्रिया में हेरफेर करने का आरोप लगाया है।
बुशरा बीबी, जिनकी मनेका से शादी को 28 साल हो गए थे और उनके कम से कम पांच बच्चे थे, धार्मिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के लि4ए प्रसिद्ध मनेका परिवार का हिस्सा बनने के बाद एक "पीयर" (आध्यात्मिक उपचारक) बन गईं।
बुशरा, उर्फ पिंकी पीरनी, बाद में दुबई में अपनी बहन के माध्यम से इमरान खान से जुड़ी थी, जिसका उद्देश्य पूर्व प्रधानमंत्री को रेहम खान के साथ तलाक के बाद होने वाले अवसाद और आघात से उबारना था।
खावर मनेका ने कहा, "इमरान खान ने बुशरा के साथ मेरी 28 साल पुरानी शादी को बर्बाद कर दिया। हम खुशी-खुशी शादीशुदा थे। मेरी अनुपस्थिति में इमरान खान मेरे घर आते थे और बुशरा के साथ घंटों बैठते थे। वे रात को मोबाइल पर घंटों बातें करते थे। ये सब मेरी इजाज़त के बिना हो रहा था। जब भी मैं बुशरा से सवाल करता तो वह कहती कि यह आध्यात्मिक उपचार से जुड़ा मामला है।''
"एक बार मैंने अपने नौकर को फोन किया और उससे पूछा कि बुशरा का फोन क्यों नहीं मिल रहा है। उन्होंने मुझसे कहा कि इमरान खान यहां हैं। मैंने उससे कहा कि जब तक मैं कॉल पर रहूं, तब तक वह कमरे में चले जाए। मैंने बुशरा और इमरान खान को डांटा और खान को मेरा घर छोड़ने के लिए कहा। मैंने अपने नौकर से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि वह तुरंत चला जाए।''
खावर फरीद मनेका ने यह भी खुलासा किया कि बुशरा ने तलाक से कम से कम छह महीने पहले अपना घर छोड़ दिया था और पंजाब के पाकपट्टन शहर में अपने निवास स्थान पर चली गईं थी।
उस समय तक, यह एक अलगाव था और तलाक नहीं था। मनेका ने बुशरा से घर लौटने के लिए कहकर सुलह करने की कोशिश की थी।
उन्होंने कहा, "मेरी मां ने मुझसे बुशरा को घर वापस लाने के लिए कहा क्योंकि उन्हें इमरान खान के चरित्र पर गंभीर संदेह था।"
अपने कथित जबरन तलाक के बारे में बात करते हुए खावर फरीद मनेका ने कहा कि बुशरा की दोस्त फरहत शहजादी उर्फ फराह गोगी ने उन्हें फोन किया और कहा कि बुशरा घर वापस नहीं आएंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें तलाक दे देना चाहिए।
"फराह गोगी के फोन के बाद, मैं बुशरा के पास गया और उनसे पूछा कि क्या हो रहा है। उसने मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और अपना सिर नीचे कर लिया। फराह और कुछ अन्य लोगों ने बुशरा को तलाक देने के लिए मुझे दोबारा फोन किया। 14 नवंबर 2017 को मैंने निराश होकर लिखित तलाक दे दिया और इसे गोगी को भेज दिया और कहा कि इसे बुशरा को दे दो।''
खावर फरीद मनेका ने आगे कहा कि बुशरा ने 1 जनवरी 2018 को इमरान खान के निकाह (शादी) समारोह की सुविधा के लिए तलाक की तारीख बदलने के लिए गोगी के माध्यम से उन्हें एक टेक्स्ट संदेश भेजा था।
"मुझसे संपर्क करने और तलाक की तारीख बदलने के लिए कहने के उसके दुस्साहस को देखकर मैं क्रोधित और स्तब्ध था।"
इस्लाम के मुताबिक, तलाक के बाद कम से कम तीन महीने तक कोई महिला दोबारा शादी नहीं कर सकती।
बुशरा बीबी के मामले में, चूंकि खावर फरीद मनेका ने उन्हें 14 नवंबर, 2017 को तलाक दे दिया था, इसलिए वह 14 जनवरी, 2018 को इमरान खान से दोबारा शादी नहीं कर सकीं।
बुशरा के साथ इमरान खान की शादी का मामला भी अदालतों में उठाया गया है क्योंकि निकाह समारोह को संपन्न कराने वाले मौलवी ने कहा है कि यह इस्लामी शरिया के अनुसार नहीं था। यही वजह है कि पूर्व प्रधानमंत्री ने फरवरी 2018 के दौरान उनसे संपर्क किया था और अनुरोध किया था, उन्हें फिर से समारोह आयोजित करने के लिए कहा गया।
घटनाक्रम से अवगत राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया था कि बुशरा बीबी के लिए एक कथित "आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन" ने उन्हें इमरान खान से शादी करने का निर्देश दिया था और वह प्रधानमंत्री बनेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार जावेद चौधरी के मुताबिक, "खावर मनेका के दावे पर मुझे गंभीर संदेह है। मुझे पूरा यकीन है कि वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि आध्यात्मिक उपचार प्रक्रिया के तहत बुशरा बीबी और इमरान खान के बीच क्या चल रहा था।"
उन्होंने कहा, "बहुत विश्वसनीय सूत्रों ने मुझे तब बताया था कि बुशरा बीबी ने इमरान खान को अपनी बेटी से शादी करने का प्रस्ताव दिया था। इमरान खान ने इसलिए मना कर दिया क्योंकि उम्र में काफी अंतर था। बाद में, बुशरा बीबी ने उन्हें उनसे शादी करने की पेशकश की और कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं, तो वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन जाएंगे।"
लेकिन, खावर फरीद मनेका का दावा है कि उन्हें इमरान खान के करीबी जुल्फी बुखारी और गोगी ने चुप रहने की धमकी दी थी और उन्हें पीटीआई प्रमुख के खिलाफ बोलने से रोका था।
खावर फरीद मनेका ने कहा, ''फराह गोगी ने मुझे बताया कि इमरान उनके भक्त और भावी प्रधानमंत्री नहीं हैं।''
खावर फरीद मनेका का खुलासा एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है। कई लोगों का मानना है कि ऐसे बयान ऐसे समय में दिए जा रहे हैं, जब पंजाब प्रांत में उनके, फराह और तत्कालीन मुख्यमंत्री (सीएम) उस्मान बुजदार द्वारा गंभीर भ्रष्टाचार के कानूनी मामलों की जांच की जा रही है।(आईएएनएस)।
पेशावर (पाकिस्तान), 21 नवंबर पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने उत्तर पश्चिम पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खुफिया सूचना के आधार पर चलाए गए दो अभियान के दौरान कम से कम तीन आतंकवादियों को मार गिराया जबकि आईईडी विस्फोट में एक सैनिक की भी मौत हो गई। सेना ने यह जानकारी दी।
डेरा इस्माइल खान जिले के कुलाची इलाके में सोमवार को आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई जबरदस्त गोलीबारी में दो आतंकवादियों को मार गिराया गया।
पाकिस्तान सेना की सूचना शाखा ने एक बयान में कहा कि दक्षिण वजीरिस्तान जिले के कोट आजम क्षेत्र में चलाए गए एक अलग अभियान में गोली लगने से एक आतंकवादी मारा गया।
विभाग ने कहा कि सुरक्षा बलों ने मारे गए तीनों आतंकवादियों के पास से हथियार एवं गोलाबारूद बरामद किए जो सुरक्षा बलों एवं आम नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे।
उत्तर वजीरिस्तान जिले के घरयूम क्षेत्र में एक अन्य घटना में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के विस्फोट में एक सैनिक की भी मौत हो गई।
सुरक्षा बलों ने इलाके में किसी भी आतंकवादी की मौजूदगी को खत्म करने के लिए इन इलाकों में अभियान शुरू किया है।
सेना ने कहा कि पाकिस्तान के सुरक्षा बल देश से आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। (भाषा)
सैन फ्रांसिस्को, 21 नवंबर । माइक्रोसॉफ्ट के एडवांस एआई रिसर्च का नेतृत्व करने के लिए सैम ऑल्टमैन को नियुक्त करने के बाद कंपनी के अध्यक्ष और सीईओ सत्या नडेला ने कहा है कि यह अभी भी संभव है कि ऑल्टमैन ओपनएआई में लौट सकते हैं।
सीएनबीसी के साथ एक इंटरव्यू में, नडेला ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट चाहता है कि ऑल्टमैन और पूर्व ओपनएआई अध्यक्ष ग्रेग ब्रॉकमैन के पास एक शानदार घर हो, अगर वे ओपनएआई में नहीं जा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या ऑल्टमैन ओपनएआई में वापस जाएंगे, नडेला ने कहा: "आप जानते हैं, ओपनएआई बोर्ड और प्रबंधन और कर्मचारियों (माइक्रोसॉफ्ट) ने स्पष्ट रूप से ओपनएआई के साथ साझेदारी करना चुना, जाहिर तौर पर यह ओपनएआई के लोगों के वहां रहने या माइक्रोसॉफ्ट में आने पर निर्भर करता है, इसलिए मैं दोनों विकल्पों के साथ हूं।''
इसका मतलब यह है कि ऑल्टमैन का माइक्रोसॉफ्ट में जाना अभी भी तय सौदा नहीं है। सोमवार को ओपनएआई के 500 से ज्यादा कर्मचारियों ने कथित तौर पर इस्तीफा देने और माइक्रोसॉफ्ट में शामिल होने की धमकी दी थी।
ओपनएआई में लगभग 770 कर्मचारी हैं।
कई सूत्रों ने द वर्ज को बताया कि ऑल्टमैन और ब्रॉकमैन अभी भी ओपनएआई में लौटने के इच्छुक हैं, अगर उन्हें निकालने वाले बोर्ड के बाकी सदस्य अलग हट जाएं।
नडेला ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट आगे चलकर ओपनएआई के प्रशासन में कुछ बदलाव देखना चाहेगा, जिसमें उनके निवेशक संबंध भी शामिल हैं। माइक्रोसॉफ्ट, जिसने आज तक ओपनएआई में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, के पास ओपनएआई बोर्ड में कोई सीट नहीं है।''
नडेला ने सीएनबीसी को बताया, "यह स्पष्ट है कि शासन में कुछ बदलाव होना चाहिए, हम इस पर उनके बोर्ड के साथ अच्छी बातचीत करेंगे और जैसे-जैसे यह आगे बढ़ेगा, हम आगे बढ़ेंगे।" (आईएएनएस)।
त्रिपोली, 21 नवंबर । अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कहा कि पिछले सप्ताह लीबिया के तट से 662 अवैध प्रवासियों को बचाया गया।
संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि 12-18 नवंबर को 662 प्रवासियों को रोका गया और वे लीबिया लौट आए।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक 14,894 अवैध प्रवासियों को बचाया गया और उन्हें लीबिया लौटा दिया गया। लीबिया के तट से दूर मध्य भूमध्यसागरीय मार्ग पर 940 की मौत हो गई और 1,248 लापता हो गए।
2011 में मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से लीबिया को हिंसा और असुरक्षा का सामना करना पड़ा है। कई प्रवासियों ने लीबिया से यूरोपीय तटों तक भूमध्य सागर पार करने का विकल्प चुना। (आईएएनएस)।