अंतरराष्ट्रीय
न्यूयॉर्क, 27 नवंबर । अमेरिका के वर्मोंट में एक विश्वविद्यालय परिसर के पास तीन फिलिस्तीनी छात्रों को गोली मार दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना बर्लिंगटन शहर में वर्मोंट विश्वविद्यालय के परिसर के पास शनिवार शाम को हुई।
पीडि़तोें की पहचान हिशाम अवतानी, किन्नान अब्देल हामिद और तहसीन अहमद के रूप में हुई। उन पर उस समय हमला किया गया, जब वे एक पारिवारिक रात्रिभोज के लिए जा रहे थे। वे अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं।
यूके में फ़िलिस्तीनी मिशन के प्रमुख हुसाम ज़ोमलॉट ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा: "तीन फ़िलिस्तीनी छात्रों हिशाम अवतानी, तहसीन अली और केनान अब्दुलहामिद काेे कल रात बर्लिंगटन, संयुक्त राज्य अमेरिका में रास्ते में गोली मार दी गई।" वे गंभीर रूप से घायल हैं।"
ज़ोमलॉट ने पोस्ट में कहा, "और छह सप्ताह पहले, इलिनोइस में घृणा अपराध में 6 वर्षीय फिलिस्तीनी बच्चे को 26 बार चाकू मारा गया था। फिलिस्तीनियों के खिलाफ घृणा अपराध बंद होने चाहिए। फिलिस्तीनियों को हर जगह सुरक्षा की आवश्यकता है।" (आईएएनएस)।
गाजा/जेरूसलम, 27 नवंबर । फिलीस्तीनी सूत्रों ने कथित तौर पर कहा है कि मौजूदा इजरायल-हमास मानवीय संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने के लिए मध्यस्थता के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
नाम न बताने की शर्त पर फिलिस्तीनी सूत्रों ने शिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया, "कतर और मिस्र ने इजरायल और हमास को एक मसौदा समझौते से अवगत कराया है। इसका लक्ष्य मौजूदा चार दिवसीय संघर्ष विराम को बढ़ाना और दोनों पक्षों के बीच बड़े पैमाने पर कैदियों की अदला-बदली को सुविधाजनक बनाना है।"
सूत्रों ने कहा कि चर्चा में गाजा में 40 से 50 बंदियों की रिहाई, मानवीय संकट को कम करने के लिए एन्क्लेव में मानवीय सहायता में वृद्धि शामिल है।
कतरी-मिस्र प्रस्ताव को लेकर हमास ने शुरुआती इच्छा दिखाई है। रविवार रात समूह के एक प्रतिनिधि के एक बयान के अनुसार, "हमास संघर्ष विराम को चार दिनों से आगे बढ़ाने की मांग कर रहा है, जिस पर शुरुआत में इज़राइल के साथ सहमति बनी है।"
इस बीच, इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अगर हमास अधिक बंधकों को मुक्त कर देगा, तो वह हमास के साथ युद्धविराम को कुछ दिनों के लिए बढ़ाने पर सहमत हो सकते हैं।
एक इजरायली वीडियो बयान के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक फोन कॉल में, नेतन्याहू ने कहा कि वह रिहा किए गए प्रत्येक अतिरिक्त दस बंधकों के लिए एक अतिरिक्त दिन के आधार पर संघर्ष विराम विस्तार का "स्वागत" करेंगे, जैसा कि कतर की मध्यस्थता वाले युद्धविराम समझौते में उल्लिखित है। .
गौरतलब है कि गाजा पट्टी में अस्थायी संघर्ष विराम रविवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गया।
संघर्ष विराम समझौते में इजरायली जेलों से 150 फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा करने के बदले में गाजा से 50 इजरायली बंधकों की रिहाई का प्रावधान है। (आईएएनएस)।
लंदन, 27 नवंबर । प्रसिद्ध आयरिश उपन्यासकार पॉल लिंच के 'पैगंबर सॉन्ग' को बुकर पुरस्कार 2023 का विजेता घोषित किया गया है।
लेखक को 50 हजार पाउंड मिले और रविवार, 26 नवंबर को लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट में आयोजित एक समारोह में 2022 के विजेता श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका ने उन्हें ट्रॉफी प्रदान की।
नैरोबी में जन्मी अकाउंटेंट से नवोदित उपन्यासकार चेतना मारू, जो भारतीय मूल की हैं और लंदन की निवासी हैं, इस पुरस्कार के लिए चुने गए छह लेखकों में से एक थीं।
रविवार को पुरस्कार समारोह की मेजबानी ब्रिटिश पत्रकार और लेखिका समीरा अहमद ने की।
जूरी के अध्यक्ष, एसी एडुग्यान, जो एक बार नामांकित थे, ने विजेता पुस्तक को "आत्मा को झकझोर देने वाली और सच्ची" बताया, और कहा कि पाठक "इसकी चेतावनियों को जल्द नहीं भूलेंगे।"
एक समीक्षा में कहा गया,'पैगंबर सॉन्ग' राजनीतिक उग्रवाद के उदय से लेकर शरणार्थियों की वैश्विक दुर्दशा तक, हमारे युग की कुछ सबसे बड़ी सामाजिक और राजनीतिक चिंताओं को दर्शाता है।
पुस्तक के बारे में पॉल लिंच ने कहा, "पैगंबर सोंग आंशिक रूप से कट्टरपंथी सहानुभूति का एक प्रयास है। मैं चाहता था कि पाठक इस पुस्तक के अंत तक, वे न केवल जानें, बल्कि इस समस्या को खुद महसूस करें।"
आइरिस मर्डोक, जॉन बैनविल, रॉडी डॉयल और ऐनी एनराइट के बाद लिंच बुकर पुरस्कार जीतने वाले पांचवें आयरिश लेखक हैं।
--आईएएनएस
लंदन, 27 नवंबर । ब्रिटेन में एक पुलिसकर्मी को उस महिला के भारतीय लहजे की नकल करने के लिए कदाचार का दोषी ठहराया गया है, जिसने नवंबर 2022 में घृणा अपराध की एक घटना की रिपोर्ट करने के लिए फोन किया था।
द डेली मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस कांस्टेबल पैट्रिक हैरिसन ने कदाचार पैनल के फैसले से पहले वेस्ट यॉर्कशायर पुलिस से इस्तीफा दे दिया, जिसने फैसला सुनाया कि उसने भेदभावपूर्ण कार्य किया।
पैनल ने कहा कि हैरिसन और महिला के बीच फोन पर बातचीत के बाद, हैरिसन ने कॉल करने वाले द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ वाक्यांशों की नकल की।
महिला ने इन टिप्पणियों को सुना और इस्लामोफोबिया निगरानी समूह, टेल मामा (मुस्लिम विरोधी हमलों को मापने) को मामले की सूचना दी।
हैरिसन ने अपने 'अस्वीकार्य और अक्षम्य' व्यवहार को स्वीकार किया और स्वीकार किया कि यह पेशेवर आचरण के मानकों का उल्लंघन और घोर कदाचार है।
पैनल अध्यक्ष कैथरीन वुड ने कहा कि यदि हैरिसन ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया होता।
द मिरर ने बताया कि वुड ने फैसला सुनाया कि हैरिसन ने कॉल करने वाली महिला के साथ उसकी जाति के कारण भेदभाव किया था। उन्होंने कहा: "पुलिस के भीतर नस्लवाद और इस्लामोफोबिया राष्ट्रीय चिंता के मुद्दे हैं। "
हैरिसन ने पैनल को बताया कि उसे अपने कृत्य पर पछतावा है और उसने फोन करने वाले से मिलकर व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने की पेशकश की।
पैनल ने कहा कि अधिकारी की हरकतों से महिला को 'मनोवैज्ञानिक परेशानी' हुई और इसके परिणामस्वरूप पुलिस में उसका 'भरोसा और विश्वास खत्म' हो गया। (आईएएनएस)।
ओटावा, 27 नवंबर मध्य कनाडा की राजधानी मैनिटोबा के विन्निपेग में गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय पुलिस ने यह जानकारी दी।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने स्थानीय पुलिस के एक बयान के हवाले से कहा, विन्निपेग पुलिस रविवार को घटनास्थल पर पहुंची।
एक वयस्क पुरुष और महिला को घटनास्थल पर ही मृत घोषित कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि तीन पीड़ितों को अस्पताल ले जाया गया और बाद में उनमें से एक की मौत हो गई, जबकि अन्य दो की हालत गंभीर बनी हुई है।
बयान में कहा गया है कि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और जांच जारी है। (आईएएनएस)
अमेरिका में एक विश्वविद्यालय के तीन फ़लस्तीनी छात्रों को गोली मारने वालों का सुराग़ देने वाले को 10 हज़ार अमेरिकी डॉलर का ईनाम दिया जाएगा.
इस ईनाम की घोषणा अमेरिका के ही एक मुस्लिम नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह ने की है.
द काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (सीएआईआर) ने प्रशासन से अपील की है कि वो इस गोलीबारी के संभावित ‘पूर्वाग्रह के मक़सद’ की भी जांच करे. इस समूह का दावा है कि ‘मुस्लिम विरोधी और फ़लस्तीन विरोधी नफ़रत में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है.’
बर्लिंगटन पुलिस के मुताबिक़, परिवार के साथ डिनर करते जाते समय यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्मोन्ट कैंपस के नज़दीक एक शख़्स ने हिशाम अवारतानी, तहसीन अहमद और किन्नान अब्दलहामिद को गोली मार दी थी.
अफ़सरों का कहना है कि वो हमले के मक़सद की छानबीन कर रहे हैं लेकिन जब उन पर हमला हुआ तब उन्होंने काफ़िया (पारंपरिक स्कार्फ़) पहना हुआ था और वो अरबी बोल रहे थे.
बर्लिंगटन पुलिस प्रमुख जोन मूरा का कहना है कि दो लोगों की हालत स्थिर है जबकि तीसरा गंभीर रूप से घायल है.
पुलिस संदिग्ध को ढूंढने में लगी हुई है. (bbc.com/hindi)
नानटुकेट (अमेरिका), 27 नवंबर। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमास द्वारा बंधक बनाई गई चार वर्षीय अमेरिकी बच्ची एबिगेल एडन को इजराइल-हमास युद्ध विराम समझौते के तहत रिहा किए जाने की रविवार को पुष्टि की।
बाइडन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘शुक्र है कि वह घर लौट आई है। काश, मैं भी उसे गोद में उठाने के लिए वहां होता।’’
एबिगेल के पास इजराइल और अमेरिका की दोहरी नागरिकता है। बाइडन ने कहा कि वह ‘‘इजराइल में सुरक्षित’’ है।
एबिगेल इजराइल-हमास के बीच युद्ध विराम समझौते के तहत रिहा की जाने वाली पहली अमेरिकी नागिरक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने बाद में बताया कि राष्ट्रपति ने अमेरिका एवं इजराइल में रह रहे बच्ची के परिवार के सदस्यों से फोन पर बात की। उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी बात की।
हमास के आतंकवादियों ने सात अक्टूबर को इजराइल पर अप्रत्याशित हमले के दौरान एबिगेल के माता-पिता की हत्या कर दी थी। एबिगेल जान बचाने के लिए भागकर अपने पड़ोसी के घर चली गई थी। पड़ोस में रहने वाली हागर नामक महिला अपने तीन बच्चों के साथ एबिगेल को अपने साथ कहीं ले गई थी, लेकिन फिर वे पांचों लापता हो गए थे। बाद में पुष्टि हुई कि उन सभी को बंधक बना लिया गया है। हमास के आतंकवादी इजराइल पर हमले के बाद जिन 200 से अधिक लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गए थे, एबिगेल उन्हीं लोगों में शामिल थी।
एबिगेल के परिवार के दो सदस्यों ने बाइडन, कतर सरकार और बच्ची को छुड़ाने में मदद करने वाले अन्य लोगों को धन्यवाद दिया।
एबिगेल की रिश्तेदारों लिज हिर्श नफ्ताली और नोआ नफ्ताली ने कहा, ‘‘आज की रिहाई साबित करती है कि यह संभव है। हम सभी बंधकों को घर वापस ला सकते हैं। हमें प्रयास जारी रखना होगा।’’
हमास ने रविवार को 17 और बंधकों को रिहा किया। चार दिवसीय संघर्ष विराम के तहत तीसरी बार बंधकों की रिहाई हुई है। कुछ बंधकों को सीधे तौर पर इजराइल को सौंप दिया गया जबकि अन्य मिस्र के रास्ते रवाना हुए। इजराइल की सेना ने कहा कि एक बंधक को विमान के जरिए सीधे अस्पताल ले जाया गया।
‘व्हाइट हाउस’ के अनुसार, बाइडन और नेतन्याहू ने सभी बंधकों की रिहाई नहीं होने तक प्रयास जारी रखने पर सहमति जताई। बाइडन ने वार्ता को दिन-प्रतिदिन, घंटा-दर-घंटा की प्रक्रिया बताया और कहा कि वह सभी बंधकों की रिहाई होने तक काम करते रहेंगे।
बाइडन ने कहा कि युद्ध विराम समझौता ‘‘लोगों की जिंदगियां बचा रहा है।’’
समझौते के तहत इजराइल ने रविवार को 39 फलस्तीनियों को रिहा किया। युद्ध विराम के अंतिम दिन सोमवार को चौथी बार कैदियों एवं बंधकों की अदला-बदली होने की उम्मीद है। इस युद्ध विराम के दौरान कुल 50 बंधकों और 150 फलस्तीनियों की रिहाई होनी है। जिन लोगों की रिहाई होनी है वे सभी महिलाएं और नाबालिग हैं।
नेतन्याहू ने बाइडन से बात करने के बाद एक वीडियो बयान जारी किया। उन्होंने एबिगेल को घर लाने की खुशी के साथ-साथ उसके माता-पिता के मारे जाने के दुःख के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘‘उसके माता-पिता नहीं हैं, लेकिन पूरा देश उसका है जो उसे गले लगाता है और हम उसकी सभी जरूरतों का ख्याल रखेंगे।’’
नेतन्याहू ने दोहराया कि प्रत्येक अतिरिक्त 10 बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध विराम की अवधि को एक दिन आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि यह अवधि समाप्त होते ही हमास के खिलाफ फिर से ‘‘पूरी ताकत के साथ’’ युद्ध शुरू किया जाएगा। (एपी)
पेशावर (पाकिस्तान), 27 नवंबर। पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान जिले में एक खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए एक अभियान के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में आठ आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा 'इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस' (आईएसपीआर) ने यह जानकारी दी।
आईएसपीआर ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद जिले के सारारोधा इलाके में अभियान चलाया गया था।
उसने बताया कि अभियान के दौरान सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें आठ आतंकवादी मारे गए।
आईएसपीआर के मुताबिक, मारे गए आतंकवादी सुरक्षा बलों और निर्दोष आम लोगों के खिलाफ कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के पास से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक भी बरामद किए गए।
उसने कहा कि सुरक्षा बल पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। (भाषा)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 27 नवंबर। आयरलैंड के लेखक पॉल लिंच को उनके उपन्यास ‘प्रॉफेट सॉन्ग’ के लिए लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में बुकर पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया।
लिंच ने लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की लेखिका चेतना मारू के पहले उपन्यास ‘वेस्टर्न लेन’ को पछाड़कर यह पुरस्कार अपने नाम किया।
लिंच (46) ने ‘प्रॉफेट सॉन्ग’ में निरंकुशता की चपेट वाले आयरलैंड की तस्वीर पेश की है। यह उपन्यास एक परिवार की कहानी बताता है जो एक ऐसी भयानक नयी दुनिया से जूझ रहा है जिसमें वे लोकतांत्रिक मानदंड गायब होने लगते हैं, जिनका वह आदी है।
लिंच ने 50,000 पाउंड इनामी राशि वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं आधुनिक अराजकता को देखने की कोशिश कर रहा था। मैंने पश्चिमी लोकतंत्रों में अशांति को देखने की कोशिश की। सीरिया की समस्या, शरणार्थी संकट का पैमाना और पश्चिम की उदासीनता...।’’
लिंच यह पुरस्कार जीतने वाले आयरलैंड के पांचवें लेखक बन गए हैं। इससे पहले आयरलैंड के आयरिस मर्डोक, जॉन बैनविले, रॉडी डॉयल और ऐनी एनराइट ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता था।
लिंच को लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट में आयोजित पुरस्कार समारोह में श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलका ने यह पुरस्कार दिया। करुणातिलका ‘द सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए पिछले साल के बुकर विजेता थे।
इस साल पुरस्कार के लिए जो छह लेखक दावेदार थे, उनमें केन्या में जन्मी चेतना मारू भी शामिल हैं। मारू का उपन्यास ‘वेस्टर्न लेन’ ब्रिटिश गुजराती परिवेश पर आधारित है। बुकर पुरस्कार के विजेता का चयन करने समूह के सदस्यों ने जटिल मानवीय भावनाओं के रूपक के तौर पर स्क्वैश के खेल के उपयोग के लिए इस उपन्यास की प्रशंसा की थी।
इसके अलावा सारा बर्नस्टीन का उपन्यास ‘स्टडी फॉर ओबिडिएंस’, जोनाथन एस्कोफरी का ‘इफ आई सर्वाइव यू’, पॉल हार्डिंग का ‘द अदर ईडन’, और पॉल मरे का ‘द बी स्टिंग’ इस बार पुरस्कार के दावेदार थे। पुरस्कार की अंतिम सूची में जगह बनाने वाले हर दावेदार को 2,500 पाउंड दिए जाएंगे। (भाषा)
हमास की ओर से कुल 14 इसराइली और तीन विदेशी बंधकों को छोड़े जाने के बाद इसराइल ने भी 39 फ़लस्तीनी कैदियों को अपनी जेल से रिहा कर दिया है.
इसराइल की जेल सेवा ने इसकी जानकारी दी है.
जैसे ही 39 फलस्तीनीयों को इसराइल की सेना की जेल से छोड़ा गया इन लोगों ने अपने झंडे फहराए.
हमास और इसराइल के बीच हुए समझौते के तहत चार दिन का अस्थायी युद्ध विराम घोषित किया गया जो शुक्रवार से लागू है. सोमवार को इस युद्ध विराम का चौथा दिन है.
ऐसा लग रहा है कि दोनों के बीच युद्ध विराम की अवधि बढ़ने वाली है.
रविवार की रात हमास ने छोड़े जाने वाले इसराइली बंधकों की संख्या बढ़ाने के बदले युद्ध विराम को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया.
एक वरिष्ठ फ़लस्तीनी अधिकारी ने बीबीसी को बताया है कि हमास ने मध्यस्थ्ता करने वालों से कहा है कि वह युद्ध विराम को दो से चार दिन तक और बढ़ाना चाहता है जिसके बदले वो अतिरिक्त 20 से 40 बंधक छोड़ने को तैयार है.
इसके बाद इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू ने एक बयान में समझौते के उस क्लॉज़ का जिक्र किया जिसके तहत कहा गया था कि हर अतिरिक्त 10 बंधकों को छोड़ने के बदले ये अस्थायी युद्ध विराम 24 घंटों के लिए बढ़ा दिया जाएगा. उन्होंने समझौते के इस बिंदु के 'वरदान' बताया.
हालांकि उन्होंने भी कहा है कि जैसे ही समझौते के तहत लागू हुआ “अस्थायी युद्ध विराम खत्म होगा इसराइल पूरी ताकत से हमला करेगा.”
हमास और इसराइल के बीच जारी डील के तहत हमास इसराइल के कुल 50 बंधकों को छोड़ रहा है और बदले में इसराइल कुल150 फ़लस्तीनी कैदियों को अपनी जेल से रिहा करेगा.
इस दौरान चार दिनों तक इसराइल ग़ज़ा पर कोई हमले नहीं करेगा और ना ही कोई गिरफ्तारी होगी. (bbc.com/hindi)
दीर अल बलाह, 26 नवंबर। चरमपंथी संगठन हमास द्वारा 13 इजराइली और चार विदेशी बंधकों को रिहा किए जाने के बाद इजराइल ने कम से कम 36 फलस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया। इसके साथ, इजराइल और हमास के बीच तनावपूर्ण युद्ध विराम आगे बढ़ता नजर आ रहा है।
हमास ने शनिवार को इजराइल पर समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसके चलते बंधकों और कैदियों की रिहाई में कई घंटों की देरी हुई।
शनिवार देर रात मध्य तेल अवीव में हजारों लोग एकत्रित हुए और उन्होंने हमास द्वारा सात अक्टूबर को बंधक बनाए गए सभी 240 लोगों को रिहा करने की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर बंधकों को वापस लाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने का आरोप भी लगाया।
युद्ध में 1,200 से अधिक इजराइली नागरिकों की जानें जा चुकी है। हमास शासित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 13,300 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें लगभग दो तिहाई महिलाएं और बच्चे हैं।
हमास ने रविवार को घोषणा की थी कि उसके शीर्ष कमांडरों में से एक अहमद अल-घंडोर मारा गया है। उसने इस बारे कोई और जानकारी नहीं दी। वह उत्तरी गाजा का प्रभारी था और लड़ाई में मारे गए शीर्ष चरमपंथियों में शामिल है।
हमास ने इजराइल पर सात अक्टूबर को अप्रत्याशित हमला कर करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके बाद इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी पर हमला किया। कतर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता से इजराइल और हमास के बीच शुक्रवार को शुरू हुए चार दिवसीय युद्ध विराम के दौरान कुल 50 इजराइली बंधकों और 150 फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाना है।
इजराइल ने कहा है कि प्रत्येक अतिरिक्त 10 बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध विराम की अवधि को एक दिन आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन उसने युद्ध विराम समाप्त होने के बाद हमले शुरू करने की बात कही है।
इजराइल ने रविवार तड़के कहा कि उसे बंधकों की एक नई सूची प्राप्त हुई है जिन्हें तीसरे चरण में रिहा किया जाना है।
शुक्रवार सुबह प्रभावी हुए इस युद्धविराम से गाजा के 23 लाख लोगों को राहत मिली, जो पिछले कई हफ्तों से इजराइल द्वारा की जा रही लगातार बमबारी से परेशान हैं और मूलभूत जरूरत की चीजों की आपूर्ति की कमी से जूझ रहे थे। इस बमबारी में हजारों लोगों की जान चली गई, तीन-चौथाई आबादी बेघर हो गई और आवासीय क्षेत्र नष्ट हो गये।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि युद्ध विराम से व्यापक स्तर पर खाद्य सामग्री, पानी और दवा की आपूर्ति का रास्ता खुला है। इसके साथ ही, रसोई गैस की आपूर्ति भी शुरू कर दी गई। युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रसोई गैस की आपूर्ति की गई है। (एपी)
हमास ने रविवार को अपने चार शीर्ष कमांडरों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया है कि उत्तरी ग़ज़ा हमास की ब्रिगेड के कमांडर अहमद अल गंदौर की भी मौत हो गई है.
हालांकि हमास ने अपने बयान में ये नहीं बताया है कि ये कमांडर कब और कैसे मारे गए.
इसी बीच इसराइल और हमास के बीच संघर्ष विराम का आज तीसरा दिन हैं.
वहीं फ़लस्तीनी रेड क्रेसेंट ने बताया है कि रविवार को मग़ाज़ी शरणार्थी केंद्र में इसराइली सेना के एक हमले में एक किसान की मौत हो गई है.
फ़लस्तीनी रेड क्रेसेंट की इस रिपोर्ट पर इसराइल ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
अभी ये भी स्पष्ट नहीं है कि इस घटना का बंधकों की रिहाई के लिए हुए समझौते पर कोई असर होगा या नहीं.
इसराइल और हमास चार दिनों के संघर्ष विराम के लिए तैयार हुए थे. अभी तक हमास ने दो बार इसराइल के बंधकों को रिहा किया है और इसके बदले इसराइल ने भी फ़लस्तीन के क़ैदियों को छोड़ा है.
रविवार को ही 13 इसराइली और चार थाई बंधक इसराइल पहुंचे हैं. हालांकि इन बंधकों की रिहाई में देरी हुई थी.
मिस्र और क़तर की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद बंधकों की रिहाई को लेकर पैदा हुए मतभेद समाप्त हो गए थे.
हमास और इसराइल के बीच इस समय नाज़ुक संघर्ष विराम लागू है. ये 7 अक्तूबर को हमास के इसराइल पर किए गए हमले के बाद से जारी जंग में पहला विराम है.
दक्षिणी इसराइल पर हमास के हमले में 1,200 से अधिक इसराइली मारे गए थे. इसराइल के जवाबी हमले में अब तक 14,800 से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत के क़रीब बच्चे हैं.
इसराइल ने कहा है कि अगर हमास और बंधकों को रिहा करता है, तो संघर्ष विराम को आगे जारी रखा जा सकता है. इस समय हमास के क़ब्ज़े में 200 से अधिक बंधक हैं. (bbc.com/hindi)
वेस्ट बैंक, 26 नवंबर हमास द्वारा 13 इजराइली और चार विदेशी बंधकों को छोड़े जाने के बाद इजराइल द्वारा रिहा किए गए कम से कम 36 फलस्तीनी लोगों को लेकर एक बस रविवार तड़के वेस्ट बैंक पहुंची।
हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों और इजराइल में फलस्तीनी कैदियों की अदला-बदली के दूसरे दौर के तहत इन बंधकों और कैदियों को रिहा किया गया है।
अल बिरेह पहुंचने पर सैकड़ों लोगों ने रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति की बस का स्वागत किया। भीड़ ने बस के पहुंचते ही ‘‘अल्लाह हू अकबर’’ के नारे लगाए। बस की छत पर कई युवा पुरुष खड़े हो गए। भीड़ में मौजूद कई लोगों ने हमास के झंडे पकड़ रखे थे। उन्होंने हमास के समर्थन में नारेबाजी की।
इजराइली सेना ने कहा कि हमास द्वारा छोड़े गए बंधकों में चार लोग थाईलैंड के नागरिक हैं। इन बंधकों को इजराइल ले जाया गया है और उन्हें उनके परिवारों से मिलाया जा रहा है।
हमास ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें बंधक घबराए और कांपते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर की सेहत ठीक प्रतीत हो रही है। वीडियो में नकाबपोश चरमपंथी उन्हें रेड क्रॉस के वाहन की ओर ले जाते दिख रहे हैं।
अपनी रिहाई के तुरंत बाद नूरहान अवाद नाम की महिला यरूशलेम के पास कलंदिया शरणार्थी शिविर में जब पहुंचीं तो सैकड़ों लोगों ने उसका एक नायिका की तरह स्वागत किया। अवाद 2016 में जब 17 साल की थी तब उसे एक इजराइली सैनिक पर कैंची से वार करने के प्रयास के लिए साढ़े 13 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी।
रिहा की गई एक अन्य फलस्तीनी महिला शुरौक दुवियात ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम गाजा में अपने लोगों को संदेश भेजते हैं कि हम आपके साथ खड़े हैं और आपका समर्थन करते हैं।’’
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बताया कि हमास द्वारा शनिवार को रिहा किए गए इजराइली बंधकों में सात बच्चे और छह महिलाएं शामिल हैं। किबुत्ज के एक प्रवक्ता ने बताया कि रिहा किए गए अधिकतर बंधक किबुत्ज बेरी से हैं। हमास के आतंकवादियों ने सात अक्टूबर को इजराइल पर हमले के दौरान किबुत्ज बेरी को तबाह कर दिया था। रिहा गए गए बच्चों की उम्र तीन से 16 साल और महिलाओं की उम्र 18 से 67 साल के बीच है।
किबुत्ज के प्रवक्ता ने बताया कि रिहा किए गए सभी बंधकों के परिवार का कोई न कोई सदस्य या तो सात अक्टूबर की हिंसा में मारा गया था या उनका कोई प्रियजन गाजा में बंधक है।
प्रवक्ता ने कहा कि रिहा किए गए बंधकों में शामिल 12 वर्षीय हिला रोटेम की मां अब भी हमास के कब्जे में है।
किबुत्ज के निवासी सात अक्टूबर के हमले के बाद से एक होटल में एक साथ रह रहे हैं। शनिवार देर रात होटल के एक सभागार में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और जब उन्होंने अपने प्रियजनों की पहली तस्वीरें जारी होते देखीं तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।
हमास ने इजराइल पर युद्ध विराम समझौते की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए बंधकों की रिहाई कई घंटों तक टाले रखी, जिसके कारण तनावपूर्ण गतिरोध पैदा हो गया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रयासों से इस गतिरोध को दूर कर दिया गया।
युद्धविराम के पहले दिन हमास ने करीब 240 बंधकों में से 24 लोगों को रिहा किया था और इजराइल ने 39 फलस्तीनी कैदियों को छोड़ा था।
हमास ने इजराइल पर सात अक्टूबर को अप्रत्याशित हमला कर करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके बाद इजराइल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी पर हमला किया। इजराइल और हमास के बीच चार दिवसीय युद्ध विराम के दौरान कुल 50 इजराइली बंधकों और 150 फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाना है।
इजराइल ने कहा है कि प्रत्येक अतिरिक्त 10 बंधकों की रिहाई के लिए युद्ध विराम की अवधि को एक अतिरिक्त दिन आगे बढ़ाया जा सकता है। (एपी)
गाजा/जेरूसलम, 26 नवंबर । हमास ने एक बयान में कहा है कि उसने इजरायली और विदेशी बंधकों के दूसरे समूह को रेड क्रॉस को सौंप दिया है।
इज़राइल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने शनिवार देर रात अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, 13 इजरायली और चार थाई समेत 17 बंधक मिस्र से प्रवेश कर गए हैं और इजरायल जा रहे हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ये 17 लोग बंधकों का दूसरा समूह हैंं, जिसे फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में इज़राइल वापस भेजा गया है।
स्थानीय समयानुसार शनिवार शाम करीब 4 बजे आदान-प्रदान होने वाला था। लेकिन हमास द्वारा इज़राइल पर चार दिवसीय मानवीय संघर्ष विराम समझौते की शर्तों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाने के बाद इसमें कई घंटों की देरी हुई। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 26 नवंबर । पहली खेप में किसी भी अमेरिकी को रिहा नहीं किए जाने पर जीओपी सांसदों के नेतृत्व में अमेरिकी लोगों के एक वर्ग ने अपने गुस्से और हताशा को व्यक्त किया व राष्ट्रपति बाइडेन की आलोचना की। मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है।
शुक्रवार को, हमास ने एक समझौते के तहत 13 इजरायलियों को मुक्त कर दिया। चार दिवसीय युद्धविराम के दौरान 50 बंधकों को रिहा किया जाना है। इसके बदले में इजरायली जेलों में बंद 150 फिलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा।
न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को रिहा किए गए लोगों में से कोई भी अमेरिकी नहीं शामिल होने पर कुछ रूढ़िवादी सांसद नाराज हो गए, जिन्होंने बाइडेन की आलोचना की।
अपनी प्रतिक्रिया में रूढ़िवादी टिप्पणीकार कारमाइन सबिया ने एक्स पर लिखा: "कहा जाता है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इज़राइल और हमास के साथ बंधकों के लिए सौदा किया और किसी भी अमेरिकी को इसमें शामिल नहीं किया गया।"
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक ग्राहम एलन ने पोस्ट किया: "मुझे कैसे पता चलेगा कि जो बाइडेन कमजोर हैं? आज किसी भी अमेरिकी को रिहा नहीं किया गया। अगर यह ट्रंप होते, तो वे अपने परिवारों के साथ धन्यवाद ज्ञापन करते।"
पॉडकास्टर एलेक लेस ने टिप्पणी की: "जाहिर तौर पर हमास और इज़राइल के बीच बंधक सौदे में किसी भी अमेरिकी को रिहा नहीं किया जा रहा है, इसके लिए बाइडेन ने मध्यस्थता करने का दावा किया है! "
इस बीच, रूढ़िवादी टिप्पणी वेबसाइट टाउनहॉल के स्तंभकार फिल होलोवे ने बंधकों की रिहाई के बारे में एक समाचार लेख साझा किया और एक्स पर लिखा: "बाइडेन श्रेय लेने की कोशिश करने जा रहे हैं। किसी अमेरिकी को रिहा क्यों नहीं किया गया? जब तक अमेरिकियों को रिहा नहीं किया जाता, बाइडेन को चुप रहने की जरूरत है।" (आईएएनएस)
कोपेनहेगन, 26 नवंबर । यूरोपीय संघ (ईयू) पर्यावरण एजेंसी ने एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण वर्तमान में यूरोप में सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिम कारक है।
यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी (ईईए) ने रिपोर्ट में कहा, "2021 में वायु प्रदूषक सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अपने वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों में अनुशंसित स्तरों से काफी ऊपर रही।"
इसमें कहा गया है, "वायु प्रदूषण को इन दिशानिर्देश स्तरों तक कम करने से यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में महत्वपूर्ण संख्या में होने वाली मौतों को रोका जा सकेगा।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में पाया गया कि 2021 में यूरोपीय संघ के भीतर 320,000 से अधिक मौतें तीन मुख्य वायु प्रदूषक सूक्ष्म कण पदार्थ, ओजोन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से संबंधित थीं।
इसमें कहा गया है कि अगर सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) की सांद्रता डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुरूप होती तो यूरोपीय संघ में 253,000 मौतों को टाला जा सकता था।
इस बीच, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) से प्रदूषण के कारण 52,000 मौतें हुईं और अल्पकालिक ओजोन (ओ3) के संपर्क में आने से 22,000 मौतें हुईं।
रिपोर्ट के अनुसार, जब यूरोपीय संघ के बाहर यूरोपीय देशों के एक बड़े समूह को शामिल किया गया तो पूरे यूरोप में प्रदूषकों से संबंधित मौतों की संख्या 389,000 तक पहुंच गई।
ईईए के अनुसार, स्वास्थ्य प्रभावों के नए अनुमान के अनुसार वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, अस्थमा और मधुमेह जैसी कुछ बीमारियां पैदा होती हैं या बढ़ जाती हैं। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 26 नवंबर । अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) के साथ एक फाइलिंग के अनुसार, एलन मस्क के स्वामित्व वाली ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस कंपनी न्यूरालिंक ने अतिरिक्त 43 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। ।
टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार, फाइलिंग से पता चला है कि कंपनी ने अगस्त की शुरुआत में पीटर थिएल के फाउंडर्स फंड के नेतृत्व में अपनी पिछली किश्त को 280 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 323 मिलियन डॉलर कर दिया था।
फाइलिंग के अनुसार, 32 निवेशकों ने इस राउंड में भाग लिया।
न्यूरालिंक ने अपने मूल्यांकन का खुलासा नहीं किया है। लेकिन, जून में रिपोर्ट में कहा गया था कि निजी तौर पर निष्पादित स्टॉक ट्रेडों के बाद कंपनी का मूल्य लगभग 5 बिलियन डॉलर था।
न्यूरालिंक, जिसे 2016 में स्थापित किया गया था, ने एक सिलाई मशीन जैसा रोबोट बनाया। यह मस्तिष्क के अंदर अति पतले धागे को प्रत्यारोपित करने में सक्षम है। धागे इलेक्ट्रोड के साथ एक कस्टम-डिजाइन किए गए चिप से जुड़ते हैं जो न्यूरॉन्स ग्रुप्स से डेटा पढ़ सकते हैं।
सितंबर में, न्यूरालिंक ने कहा कि वह पैरालिसिस कंट्रोल डिवाइस वाले लोगों की मदद के लिए मानव परीक्षणों के लिए अपने पहले परीक्षण विषयों की भर्ती कर रहा है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ''पीआरआईएमई स्टडी (शॉर्ट फॉर प्रीसाइस रोबॉर्टिकल इम्प्लांट ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस) का उद्देश्य हमारे इम्प्लांट (एन1) और सर्जिकल रोबोट (आ1) की सुरक्षा का मूल्यांकन करना और पक्षाघात से पीड़ित लोगों को अपने विचारों से बाहरी उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाने के लिए हमारे वायरलेस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस की प्रारंभिक कार्यक्षमता का आकलन करना है।'' (आईएएनएस)
हमास ने 17 और बंधकों को छोड़ा है. इनमें 13 इसराइली और चार थाई नागरिक हैं. इसके साथ ही 13 इसराइली बंधकों को छोड़ने के एवज़ में छोड़े गए 39 फ़लस्तीनी क़ैदी वेस्ट बैंक और यरुशलम पहुंच गए.
जिन 39 कैदियों को छोड़ा गया उनमें छह महिलाएं हैं. बाकी सभी 18 साल से कम की उम्र के हैं.
टीवी तस्वीरों में इन कैदियों को बस में वेस्ट बैंक के बैतुनिया शहर की ओर ले जाते दिखाया गया. ये लोग खुशियां मनाते लोगों के बीच बसों से उतर रहे थे.
इससे पहले बंधकों और कैदियों की अदला-बदली काम उस समय रुक गया था जब अस्थायी संघर्ष विराम को लेकर दोनों पक्षों में विवाद पैदा हो गया था.
हमास का कहना था कि इसराइल इस समझौते का उल्लंघन कर रहा है. वो ग़ज़ा में मदद सामग्री लेकर आ रहे ट्रक को आने नहीं देना चाह रहा है.
वहीं इसराइल ने इन आरोपों से इनकार किया था. (bbc.com/hindi)
अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ़्लॉयड की 2020 में हुई मौत के मामले में जेल की सज़ा काट रहे पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक शॉविन एरिज़ोना जेल में चाकू से हुए हमले में घायल हो गए हैं.
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में शॉविन गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.
द ब्यूरो ऑफ़ प्रिजन्स के एक बयान के अनुसार, टक्सन शहर की संघीय जेल में शुक्रवार को स्थानीय समय के अनुसार दोपहर साढ़े 12 बजे शॉविन पर एक क़ैदी ने हमला किया.
हालांकि हमला करने वाले क़ैदी का नाम नहीं बताया गया है.
कौन हैं डेरेक शॉविन?
अमेरिका की एक अदालत ने 2021 में अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ़्लॉयड की 2020 में हुई मौत के मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक शॉविन को हत्या का दोषी क़रार दिया था.
इसके लिए उन्हें 22 साल छह महीने की जेल की सज़ा सुनाई गई.
न्यायाधीश ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि पूर्व पुलिस अधिकारी डेरेक शॉविन की सज़ा 'अपने पद और अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करने' और 'जॉर्ज फ़्लॉयड के साथ उनके क्रूर व्यवहार' को देखते हुए तय की गई है.
अभी 47 साल के डेरेक शॉविन पर आरोप लगाया गया था कि मई 2020 में मिनेपोलिस में उन्होंने एक निहत्थे और काले व्यक्ति जॉर्ज फ़्लॉयड की गर्दन को नौ मिनट तक अपने घुटने से दबाकर रखा था.
इसके कुछ ही मिनटों बाद उनकी मौत हो गई थी.
यह मामला तब चर्चा में आया जब इस घटना का वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो गया.
इस वीडियो के सामने आने के बाद अमेरिका सहित पूरी दुनिया में नस्लवाद और पुलिस के बुरे व्यवहार के ख़िलाफ़ जमकर विरोध प्रदर्शन हुए थे. (bbc.com/hindi)
रूस ने कीएव में अपना अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया है. कीएव के मेयर ने इसकी जानकारी दी और इसे पिछले साल शुरू हुए इस युद्ध में सबसे बड़ा हमला बताया.
शनिवार की सुबह कीएव के निवासी इस हमले की आवाज़ की वजह से सूर्योदय से पहले उठ गए. पूरे शहर में अगले छह घंटे तक हवाई हमले की आवाज़ें गूंजती रहीं. उत्तर और पूर्व की दिशा से लगातार हमले किए जा रहे थे.
अधिकारियों ने बताया कि शहर पर ईरान में बनाए गए 75 शाहेद ड्रोनों से हमले किए गए, जिनमें से 74 को मार गिराया गया.
रूस के मिसाइलों के स्टॉक में कमी की ख़बरों के बाद उसकी ओर से शाहेद ड्रोन के इस्तेमाल में वृद्धि देखी गई है. ये मिसाइल की तुलना में धीमी गति से हमला करते हैं, साथ ही इनकी मारक क्षमता भी अलग होती है.
यूक्रेन ने अधिकतर मिसाइलों के मार गिराने का दावा किया है, जबकि किसी ड्रोन के मलबे से भी बहुत नुकसान हो सकता है. हालांकि इस हमले से किसी के मौत की कोई सूचना अब तक नहीं मिली है.
वहीं कीएव के मेयर के मुताबिक़, "हमले में कम से कम पांच लोग घायल हुए हैं. जिनमें एक 11 साल का बच्चा भी शामिल है."
उन्होंने बताया कि इस हमले से जिन इमारतों को नुकसान पहुंचा है उनमें एक बच्चों का स्कूल भी शामिल है.
बीते कुछ हफ़्ते से इस युद्ध में बनी शांति के दरम्यान यह कयास लगाए जा रहे थे कि रूस मिसाइलें जमा कर रहा है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने इस हमले को 'जानबूझकर आतंक मचाना' करार दिया है.
उन्होंने यह भी कहा, "उनका देश रूस के आतंक के ख़िलाफ़ दुनियाभर के देशों को एकजुट करने के काम में जुटा रहेगा." (bbc.com/hindi)
तेल अवीव, 25 नवंबर । इजरायली अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि चार दिवसीय युद्धविराम के दूसरे दिन चल रही अदला-बदली के तहत 42 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले हमास द्वारा बंदी बनाए गए 14 बंधकों को रिहा किया जाएगा।
शुक्रवार को 13 इजरायली, 10 थाई और फिलिपींस के एक नागरिक सहित 24 बंधकों को रिहा कर दिया गया, जबकि इजरायल ने 39 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया।
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल और हमास के बीच समझौते के तहत, प्रत्येक इजरायली रिहाई के लिए तीन कैदियों को रिहा किया जाना है।
इज़रायल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले में 1,200 लोग मारे गए और लगभग 240 लोगों को बंधक बना लिया गया।
दूसरी ओर, हमास द्वारा संचालित गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 14,500 से अधिक लोग मारे गए हैं। (आईएएनएस)
इसराइल के एक अधिकारी ने बताया है कि हमास शुक्रवार की तरह शनिवार को भी इसराइली बंधकों को रिहा करेगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने इसराइल के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि हमास शनिवार को 14 बंधकों को रिहा करेगा.
इसराइली अधिकारियों ने बताया है कि इसराइल इसके बदले 42 फ़लस्तीनी क़ैदियों को रिहा करेगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, इसराइल के एक बंधक के बदले तीन फ़लस्तीनी क़ैदियों को रिहा करने के फॉर्मूले पर सहमति बनी है.
क़तर और मिस्र के प्रयासों से इसराइल और हमास के बीच हुए अस्थाई युद्धविराम के पहले दिन शुक्रवार को इसराइल के 13 क़ैदियों की रिहाई हुई थी.
उसके बदले में इसराइल ने भी 39 फ़लस्तीनी क़ैदी रिहा किए थे. (bbc.com/hindi)
लंदन, 25 नवंबर । तैंतीस साल के एक सिख व्यक्ति का कहना है कि ब्रिटेन के वेस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में "उपद्रवियों" के एक समूह ने उनकी दुकान में प्रवेश किया और उनमें से एक ने उनके सिर पर बोतल से हमला किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
बर्मिंघमलाइव समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, करणजीत सिंह ने कहा कि सीसीटीवी में इसी साल 19 जून को ओल्डबरी में उनके मोबाइल फोन स्टोर में प्रवेश करते हुए उपद्रवियों का एक समूह कैमरे में कैद है।
करणजीत सिंह भारतीय शास्त्रीय संगीत शिक्षक भी हैं। उन्होंने वेबसाइट को बताया, "एक आदमी ने मेरे सिर पर बोतल से वार किया। मुझे पता था कि वे उपद्रवी हैं।"
फुटेज में एक युवक उन पर बोतल से वार करता हुआ दिखाई दिया।
समूह का एक अन्य लड़का दुकान के दरवाजे को लात मारते हुए दिखाई दे रहा है। दोपहर में हुई घटना के दौरान सिंह और दो अन्य लोगों ने उसे अंदर से बंद कर रखा था।
हमले के कैमरे में कैद होने के बावजूद, सिंह ने कहा कि पुलिस ने "इस बारे में कुछ नहीं किया"।
उन्होंने कहा, "पुलिस ने मुझे सिर्फ एक क्राइम रेफरेंस नंबर दिया है।"
2005 में भारत से ब्रिटेन चले गए सिंह ने द मिरर अखबार को बताया कि उनकी दुकान के अंदर "झगड़े" हुए हैं और उन्हें "कम उम्र" के ग्राहकों से परेशानी हुई है।
उन्होंने एक और घटना को याद किया जहां एक कॉलेज छात्र एक बड़ा चाकू लहराते हुए उनकी दुकान में दाखिल हुआ था।
पिछले साल ओल्डबरी टाउन सेंटर में चर्च स्ट्रीट पर अपना स्टोर खोलने वाले सिंह ने दावा किया कि यह क्षेत्र "सुरक्षित" नहीं है।
उन्होंने मिरर को बताया, "यह बहुत सुरक्षित जगह नहीं है। मेरी दुकान में मुझे बहुत परेशानी हुई है। जब से मैंने यहां शुरुआत की है, मेरी दुकान में उपद्रवी आए हैं, मैंने इसकी सूचना परिषद और पुलिस को दी है।" (आईएएनएस)।
बैंकॉक, 25 नवंबर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के नेता दत्तात्रेय होसबाले ने हिंदू समुदाय की आवाज को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए विभिन्न हिंदू संगठनों के बीच बेहतर समन्वय की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि संगठनों की भिन्नता के कारण ही कई देशों में हिंदू लोग अलग-थलग हो गए हैं।
थाईलैंड की राजधानी में यहां शुक्रवार शाम विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव होसबाले ने कहा कि समाज के सामने मुंह बाए खड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए विश्व स्तर पर हिंदू संगठनों का मजबूत होना समय की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भाषा, पंथ, जाति, उपजाति और गुरुओं के आधार पर विश्व के कई हिस्सों में कई संघ, संगठन और फोरम बन गए हैं तथा एक-दूसरे के कार्यों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
होसबाले ने कहा, 'सगंठनों की इस भिन्नता के कारण हिंदू खो गया है। बड़े उद्देश्य को नहीं भूलना चाहिए। बहुत बार हिंदू समाज की भिन्नता के कारण कई स्थानों पर फूट पैदा हुई है।'
उन्होंने हिंदू समाज की आवाज को प्रभावी तरीके से उठाने के वास्ते मतभेदों और विरोधाभासों को दूर करने के लिए संगठनों के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान किया।
होसबाले ने कहा, 'हिंदू संगठनों को आपस में जानकारी साझा करनी होगी, बेहतर समन्वय स्थापित करना होगा, आपस में सहयोग करना होगा और नकल से बचना होगा। दोहराव आपको कहीं नहीं ले जाएगा।' (भाषा)
राघवेंद्र राव
सत्ताईस लाख की आबादी वाला एक छोटा सा देश मध्य-पूर्व के साथ-साथ दुनिया भर में अपना क़द बढ़ाता जा रहा है.
तीन तरफ से फ़ारस की खाड़ी से घिरे इस देश का क्षेत्रफल 11,581 वर्ग किलोमीटर है. मध्य-पूर्व के नक़्शे में ये एक बिंदु सा नज़र आता है.
लेकिन पिछले कुछ सालों में इस देश ने अपनी कूटनीति का लोहा सारी दुनिया में मनवा लिया है.
आज दुनिया में शायद ही कोई ऐसा देश है जो एक मध्यस्थ के तौर पर क़तर का मुक़ाबला कर सके.
इसराइल और हमास के बीच चार दिन के युद्ध विराम की ख़बर ने उम्मीदें बढ़ा दी हैं कि शायद आने वाले दिनों में इस युद्ध से पैदा हुए मानवीय संकट से निपटा जा सकेगा.
दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत हमास चार दिनों में ग़ज़ा से 50 बंधकों को रिहा करेगा और इसराइल 150 फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा.
अमेरिका, इसराइल और हमास से लगातार बातचीत के ज़रिये क़तर ने ये समझौता करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
साथ ही मध्य-पूर्व के इस छोटे से देश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो इस क्षेत्र का निर्विवाद मध्यस्थ है.
इसराइल-हमास जंग और क़तर
सात अक्टूबर को हमास के इसराइल पर हमले और कई लोगों को बंधक बनाए जाने के बाद से ही क़तर बंधकों को छुड़वाने के लिए अमेरिका और इसराइल के साथ क़रीबी तौर पर काम करता रहा है.
इन्हीं कोशिशों का नतीजा था कि 20 अक्टूबर को दो अमेरिकी महिला बंधकों को हमास से छुड़ाने में कामयाबी मिली.
इसके बाद इसराइल और हमास के बीच बातचीत करवाने की कोशिशें और तेज़ हुईं और आख़िरकार दोनों पक्ष चार दिन के युद्धविराम और बंधकों की रिहाई पर राज़ी हो गए.
क़तर की भूमिका सिर्फ़ बंधक छुड़ाने तक सीमित नहीं रही है. इस खाड़ी देश ने इसराइली नाकाबंदी के तहत ग़ज़ा में मानवीय सहायता की अनुमति देने के लिए मिस्र के साथ सीमा खोलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
याद रहे कि क़तर एक ऐसा देश है जिसके सम्बन्ध इसराइल और हमास दोनों से ही हैं. साल 2012 में हमास ने दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय खोला था. माना जाता है कि हमास के कई शीर्ष नेता दोहा में ही रहते हैं.
पिछले कुछ समय में अमेरिका ने क़तर पर दबाव बनाने की कोशिश की है कि वो हमास के कार्यालय को बंद कर दे.
लेकिन क़तर ने ये साफ़ कर दिया है कि हमास के राजनीतिक कार्यालय का मक़सद क्षेत्र में बातचीत का ज़रिया बनना हैं न कि किसी युद्ध को भड़काना.
क़तर का कहना है कि हमास के साथ संचार माध्यमों को खुला रखना महत्वपूर्ण है और अब शायद अमेरिका भी इस बात को समझने लगा है.
मध्यस्थता में माहिर क़तर?
पिछले कुछ सालों के उदाहरणों पर नज़र डालें तो लगता है कि क़तर ने मध्यस्थता करने या बातचीत में मदद करवाने में महारत हासिल कर ली है.
इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण साल 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच क़तर की राजधानी दोहा में हुआ शांति समझौता था जिसके तहत फैसला लिया गया कि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा.
क़तर ही वो देश था जिसने साल 2013 में तालिबान को अपने देश में राजनीतिक कार्यालय खोलने की इजाज़त दी.
क़तर की मध्यस्थता की एक मिसाल इस साल सितंबर में देखी गई जब उसकी मदद से एक हाई-प्रोफाइल क़ैदियों की अदला बदली हुई जिसमें पांच अमेरिकी कैदियों और पांच ईरानी कैदियों को रिहा किया गया. पांचों अमेरिकी क़ैदियों को तेहरान से दोहा लाया गया जहां से वो अमेरिका के लिए रवाना हुए.
इसी साल अक्टूबर में क़तर की मध्यस्थता से हुए समझौते के तहत रूस चार यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों को लौटाने के लिए मान गया.
क़तर के मध्यस्थता प्रयासों से कई सफलताएँ मिली हैं. क़तरी मध्यस्थता ने दारफुर में दोहा शांति समझौते तक पहुंचने, इरेट्रिया में जिबूती के युद्ध के कैदियों की रिहाई, सीरिया में बंधकों को रिहा करने और लेबनान में राष्ट्रपति पद के संकट को ख़त्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
'क़तर तटस्थ और स्वीकार्य मध्यस्थ'
डॉक्टर प्रेमानंद मिश्रा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फ़ॉर पीस एंड कॉनफ़्लिक्ट रेज़ोल्यूशन में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं.
वे कहते हैं कि किसी भी मध्यस्थता के लिए ज़रूरी है कि मध्यस्थ न्यूट्रल या तटस्थ हो और दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो.
वे कहते हैं, "साथ ही कोई ऐतिहासिक बोझ नहीं होना चाहिए जो मध्यस्थ की तटस्थता को अयोग्य ठहराए. बातचीत को बनाए रखने के लिए विशाल वित्तीय संसाधनों की ज़रूरत होती है जो मध्यस्थ के पास होने चाहिए."
"इसके अलावा घरेलू मुद्दों पर अपना अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड और अमेरिका जैसी शक्तियों से अच्छे सम्बन्ध होना भी एक मध्यस्थ के लिए मददगार हैं. इन सभी मानदंडों पर क़तर खरा उतरता है."
डॉक्टर मिश्रा कहते हैं, "क़तर के ऊपर कोई निश्चित एजेंडा रखने या किसी एक पक्ष के साथ चयनात्मक होने का कोई ऐतिहासिक बोझ नहीं है. क़तर अच्छे इरादों वाला एक तटस्थ मध्यस्थ रहा है और बातचीत के लिए शत्रु पक्षों को साथ लाने में रणनीतिक रूप से अच्छी स्थिति में है".
डॉक्टर मिश्रा कहते हैं कि क़तर संसाधनों से बेहद समृद्ध है और यही वजह है कि एक छोटा देश होने के बावजूद मध्य पूर्व में उसे गंभीरता से लिया जाता है.
वे कहते हैं कि क़तर की स्थापना के बाद से चौथे आधुनिक मध्य पूर्व में इसराइल, सऊदी अरब, ईरान और तुर्की का वर्चस्व रहा है.
और खाड़ी के भीतर सऊदी अरब के कुछ विरोध को छोड़कर क़तर के सभी क्षेत्रीय शक्तियों के साथ अच्छे संबंध हैं और इसी वजह से संघर्ष समाधान करने और एक तटस्थ मध्यस्थ के तौर पर क़तर एक सक्षम देश के रूप में उभरा है.
वे कहते हैं, "क़तर के एकमात्र वैश्विक शक्ति अमेरिका के साथ मजबूत और भरोसेमंद संबंध हैं. क़तर संगठनात्मक उद्देश्यों के लिए सभी इस्लामी पार्टियों का केंद्र है जो क़तर को मध्य पूर्व में अपरिहार्य अभिनेता बनाता है. क़तर ये भी मानता है कि मध्यस्थ की भूमिका एक धार्मिक कर्तव्य है."
"ये सभी वजहें क़तर को एक सफल मध्यस्थ बनाते हैं लेकिन क़तर के नज़रिए से भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि मध्यस्थ की भूमिका राज्य की ब्रांडिंग और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करती है."
"साथ ही अपने क्षेत्रीय पड़ोसियों से छोटा देश होने के बावजूद एक गंभीर क्षेत्रीय शक्ति और शांति निर्माता के रूप में खुद को स्थापित करने में मदद करती है."
कैसे बढ़ा क़तर का क़द?
अनिल त्रिगुणायत जॉर्डन और लीबिया में भारत के राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं. उन्होंने भारत के विदेश मंत्रालय के वेस्ट एशिया डिविज़न में भी काम किया है.
वे कहते हैं, "सबसे अहम बात ये है कि अमेरिका का एक बहुत बड़ा बेस क़तर में है. जहां तक प्रति व्यक्ति आय का सवाल है, क़तर इस क्षेत्र का सबसे अमीर देश है. क़तर में प्रति व्यक्ति आय 138000 डॉलर है और उनके पास विशाल गैस भंडार है."
"उनके नेता बहुत गतिशील और अंतरराष्ट्रीय सोच वाले रहे हैं और उन्हें एहसास है कि एक छोटा देश होने की वजह से उनका मध्य-पूर्व में कोई ख़ास प्रभाव नहीं होगा."
अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि क़तर के पास धन की कमी नहीं है तो अपना प्रभाव बनाने का रास्ता उसने ये निकाला कि संकटों के दौरान उसने बड़ी शक्तियों, ख़ासकर अमेरिका, की मदद करनी शुरू कर दी.
वे कहते हैं, "कुछ साल पहले क़तर ने तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक अमेरिकी क़ैदी के बदले में पांच तालिबानियों की रिहाई सुनिश्चित करने में मदद की थी. फिर उन्होंने तालिबान को क़तर में एक कार्यालय खोलने की अनुमति दी."
"क़तर की मदद से अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ. इस बातचीत में जब भी कोई मुश्किलें आईं तो क़तर ने मदद की और यही वजह है कि अमेरिका ने क़तर को एक ग़ैर-नेटो अलाइ का दर्जा दिया."
अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि जहाँ तक मध्य-पूर्व की बात है तो क़तर शुरू से मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करता रहा है.
वे कहते हैं, "यही वजह थी की 2017 में सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने क़तर पर ब्लॉकेड (नाकाबंदी) लगा दिया था."
इन चार देशों ने साल 2017 में क़तर के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध तोड़ दिए थे और उस पर समुद्री, ज़मीनी और हवाई नाकाबंदी लगा दी थी.
इन देशों का कहना था कि क़तर आतंकवाद का समर्थन करता है और ईरान से बहुत क़रीब है.
त्रिगुणायत कहते हैं, "इस ब्लॉकेड के दौरान का वक़्त क़तर ने अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को बढ़ने के लिए इस्तेमाल किया. और अब उसके नतीजे दिख रहे हैं. क़तर पर लगाया गया ब्लॉकेड उनके लिए वरदान साबित हुआ."
"उसकी वजह से उन्हें दुनिया की सहानुभूति मिली और उनका प्रभाव बढ़ा और फीफा वर्ल्ड कप जैसे आयोजनों से उसका क़द बढ़ता चला गया. क़तर के पास अब एक कूटनीतिक प्रभाव है."
'अमेरिका से साझेदारी क़तर के लिए फायदेमंद'
डॉक्टर मिश्रा कहते हैं कि क़तर इस्लामी विशेषताओं के साथ मध्य-पूर्व के नॉर्वे की तरह है.
वे कहते हैं, "मध्य पूर्व में संघर्ष की स्थिति काफी हद तक उन इस्लामी आंदोलनों की वजह से है जिन्हें क़तर ने सामग्री और संगठनात्मक दोनों तरह से समर्थन दिया है."
"इसके अलावा क़तर एक भरोसेमंद अमेरिकी साझेदार है और अमेरिका को अन्य खाड़ी राजतंत्रों और इसराइल का विरोध करने वाली अलग-अलग शत्रुतापूर्ण पार्टियों को संभालने के लिए क़तर की ज़रूरत है."
वे कहते हैं कि क़तर को एक क्षेत्रीय मैचमेकर बनाने में ईरान का फैक्टर महत्वपूर्ण है.
क़तर ईरान को स्वीकार्य है क्योंकि ईरान क़तर को तुर्की की तरह एक संभावित खतरा नहीं मानता है. इसके अलावा क़तर मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी इस्लामी पार्टियों के भी क़रीब है जिनकी क्षेत्र में मज़बूत लोकप्रियता है.
मिश्रा कहते हैं, "अमेरिकी रणनीति क्षेत्र में शांति स्थापित करने में एक रचनात्मक खिलाड़ी के रूप में क़तर के अपने एजेंडे के साथ फिट बैठती है."
"और क़तर को अंतरराष्ट्रीय मान्यता के साथ एक मज़बूत खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने में मदद करती है. मध्यस्थता ने विश्व राजनीति में क़तर के महत्व को मजबूत किया है."
क्या बढ़ेगा क़तर का दबदबा?
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि जब तक क़तर के अमेरिका से अच्छे रिश्ते हैं उसके प्रभाव में कोई कमी नहीं आएगी.
साथ ही वो इस बात का भी ज़िक्र करते हैं कि सऊदी अरब जिसने एक समय पर क़तर पर ब्लॉकेड लगाया था, आज उसी सऊदी अरब से क़तर के क़रीबी रिश्ते हैं.
डॉक्टर प्रेमानंद मिश्रा कहते हैं कि मध्य-पूर्व कई मूक क्रांतियों के शिखर पर है और आने वाले वक़्त में कई ज़्यादा संघर्ष उभरने की सम्भावना है.
वे कहते हैं, "मध्य पूर्व में अधिक अरब विद्रोह देखने को मिल सकता है और क्षेत्रीय स्थिति में ईरान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी और इसलिए सभी फैक्टर्स को देखते हुए क़तर की स्थिति और मज़बूत होगी."
"अगर फ़लस्तीनी मुद्दे का हल नहीं हुआ तो मध्य-पूर्व में गंभीर दरार पैदा होगी. ईरान के साथ अमेरिका, खाड़ी और इसराइल के संबंध शत्रुतापूर्ण बने हुए हैं और यमन, लीबिया, लेबनान से लेकर फ़लस्तीन तक कई चुनौतियाँ मौजूद हैं."
डॉक्टर मिश्रा के मुताबिक़, "मध्य पूर्व में शांति का रोडमैप क्षेत्रीय ढांचे से होकर गुजरता है और क़तर सबसे महत्वपूर्ण अभिनेता है जिसने एक छोटा राष्ट्र होने के बावजूद मध्यस्थ की अपनी भूमिका को अच्छी तरह से निभाया है."
"वैश्विक इरादे वाली एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा, छवि और वैधता के एजेंडे के साथ क़तर की स्थिति अधिक शक्तिशाली होगी." (bbc.com)