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अयोध्या, 22 अगस्त | विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार अयोध्या में जल्द ही दिल्ली और अयोध्या के बीच एक हाई-स्पीड ट्रेन दौड़ेगी। सुपरफास्ट ट्रेन दिल्ली और पवित्र शहर के बीच यात्रा के समय को केवल तीन घंटे तक कम कर देगी।
राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल निगम के कार्यकारी निदेशक अनूप कुमार अग्रवाल ने रेलवे स्टेशन के लिए स्थल को अंतिम रूप देने के लिए पिछले सप्ताह अयोध्या का दौरा किया था।
उन्होंने कहा कि भगवान राम की नगरी को सीधे राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने की योजना है।
एक हवाई सर्वेक्षण किया गया है और योजना को केंद्र द्वारा अनुमोदित भी किया गया है।
अयोध्या से लखनऊ को जोड़ने वाला 130 किमी का रेलवे ट्रैक बिछाया जाएगा, जो आगरा-लखनऊ-इलाहाबाद के रास्ते दिल्ली से वाराणसी को जोड़ने वाले 941.5 किमी हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर का हिस्सा होगा। अधिकारी ने कहा कि हाई-स्पीड ट्रेन रेलवे कॉरिडोर का एक हिस्सा लखनऊ और आगरा में भूमिगत हो सकता है।
उन्होंने कहा, "एएआई से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलते ही नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन काम शुरू कर देगा। परियोजना को पूरा होने में सात साल लगेंगे।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अगस्त | भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड में पार्टी नेतृत्व से लोगों से जुड़ने और केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा है। नड्डा पार्टी की चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए शुक्रवार से दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर थे।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि नड्डा ने तीन बुनियादी सूत्र दिए हैं- बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना, रात्रि प्रवास और चुनाव जीतने के लिए लोगों से संवाद।
पता चला है कि कार्यकर्ताओं के विभिन्न समूहों से फीडबैक लेने के दौरान निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकर्ताओं और लोगों से संपर्क नड्डा के संज्ञान में आया।
पार्टी के एक नेता ने बताया, "नड्डाजी ने कहा कि मुख्यमंत्री, मंत्रियों, पार्टी संगठन और विधायकों से लेकर सभी को मिलकर काम करना होगा। अपने दो दिनों के प्रवास के दौरान उन्होंने सभी को लोगों से संपर्क स्थापित करने और राज्य सरकार और विधायकों के बारे में उनकी राय लेने की सलाह दी।"
नेता के मुताबिक, नड्डा ने कहा कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद मंत्रियों, विधायकों और राज्य पदाधिकारियों की पहुंच में निरंतरता नहीं है।
नेता ने कहा, उन्होंने (नड्डा) राज्य इकाई से तीनों कार्यक्रमों की अनुपालन रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि नड्डा ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए उन्हें अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों के साथ रहने और रहने के लिए कहा।
नड्डाजी ने जोर देकर कहा कि नेताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों के साथ समय बिताना चाहिए और जमीन पर स्थिति को समझना चाहिए। उन्होंने नेताओं को लोगों की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए लोगों के साथ रात बिताने की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा, पार्टी प्रमुख ने निर्वाचित प्रतिनिधियों से कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं और कार्यों के बारे में जानकारी फैलाएं।(आईएएनएस)
कोलकाता, 22 अगस्त | माकपा ने दिवंगत माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल राज्य महासचिव अनिल बिस्वास की बेटी अजंता विश्वास को उनके लेखों के लिए छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। टीएमसी के मुखपत्र जागो बांग्ला का शीर्षक - 'बोंगो राजनीतित नारीशक्ति' (बंगाल राजनीति में महिला शक्ति) जहां उन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व से लेकर वर्तमान समय तक पश्चिम बंगाल में महिला राजनेताओं के योगदान पर चर्चा की है। कोलकत्ता जिला समिति से अजंता के जवाब वाली एक रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद सीपीआई (एम) की राज्य समिति ने अपने अलीमुद्दीन स्ट्रीट मुख्यालय में शनिवार को यह निर्णय लिया। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पार्टी के शिक्षक संघ ने की थी।
रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में इतिहास पढ़ाने वाले बिस्वास ने प्रसिद्ध बंगाली राष्ट्रवादी नेता और अधिवक्ता चित्तरंजन दास की पत्नी बसंती देवी से अपने चार-भाग के लेख में लिखा है, जिनका ममता बनर्जी तक अपने पति के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान था।
उन्होंने ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखा और सिंगूर में आंदोलन को 'गण बिखोभ (जन आंदोलन)' कहा, जिससे सियासी पारा चढ़ गया। सीपीएम नेताओं ने माना कि व्यक्त किए गए विचार पार्टी लाइन के अनुरूप नहीं थे।
सीपीएम क्षेत्र समिति ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। सूत्रों ने कहा कि कारण बताओ नोटिस के जवाब में अजंता ने लेखों के लिए खेद व्यक्त किया, लेकिन पार्टी संतुष्ट नहीं थी।
उन्होंने राज्य में महिला राजनेताओं पर लेखों का बचाव किया था।(आईएएनएस)
नई दिल्ली : काबुल एयरपोर्ट में फंसे 168 यात्रियों को लेकर सी-17 ग्लोबमास्टर विमान भारत सुरक्षित पहुंच चुका है. ये विमान सुबह करीब 10 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचा. इन यात्रियों में 24 अफगान सिख भी बताए जाते हैं. साथ ही इनमें दो अफगान सांसद यानी सीनेटर शामिल हैं. इसमें तालिबान के खिलाफ मुखर रहीं सीनेटर अनारकली भी शामिल हैं. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया जा रहा है. कई विदेशी नागरिक भी असुरक्षा के माहौल को देखते हुए भारत आए हैं.
इससे पहले, दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर काबुल से 3 फ्लाइट आई हैं. ये फ्लाइट दोहा, ताजिकिस्तान होते हुए भारत आई हैं. एक फ्लाइट विस्तारा की, दूसरी एयर इंडिया की और तीसरी इंडिगो की है. सभी फ्लाइट सुबह 4:30 से 6 बजे के बीच आई हैं इंडिगो और एयर इंडिया की फ्लाइट के जरिये 250 भारतीय आए हैं.
जानकारी मुताबिक, काबुल से भारत आए सभी यात्रियों का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया जाएगा. इसके बाद ही एय़रपोर्ट से सभी बाहर आ सकेंगे.
काबुल एयरपोर्ट पर जिस तरह के हालात हैं ऐसे में भारतीय नागरिकों और भारत आने की इच्छा रखने वाले अफगानियों को निकालना मुश्किल काम है. भारत सरकार ने अफगानिस्तान में फंसे अपने लोगों को निकालने की कवायद तेज कर दी है. 168 यात्रियों को लेकर आए विमान से पहले तीन और उड़ानें आज सुबह भारत आ चुकी हैं.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने काबुल से निकाले गए भारतीयों के बारे में जानकारी देते हुए एक के बाद एक ट्वीट किए. उन्होंने एक वीडियो क्लिप भी पोस्ट की है, जिसमें काबुल से निकाले गए लोग 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हुए दिख रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को निकालने की प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी.
आज रक्षाबंधन का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. भाई-बहन के इस त्योहार में प्यार और अपनापन देखा जाता है. आज के दिन भाई अपनी बहन को रक्षा देने के लिए वचन देता है. राखी बंधन का त्योहार अब ग्लोबल हो गया है. देश-विदेश में रह रहे भारतीय इसे धूमधाम से मनाते हैं. इस त्योहार को अब विदेशी भी बहुत शान से मनाते हैं. आज राखी बंधन का त्योहार सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. सभी लोग एक दूसरे को सोशल मीडिया पर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं.
इस त्योहार पर अन्य यूजर्स भी बधाई दे रहे हैं.
नई दिल्ली, 21 अगस्त | केंद्र सरकार ने 2030 तक 'शून्य भुखमरी' के लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी की है। इसके लिए 'भुखमरी मुक्त पंचायत' और 'भुखमरी मुक्त भारत' अभियान पर सरकार जोर दे रही है। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पंचायती राज मंत्रालय इस सिलसिले में 23 अगस्त को को एक राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित करेगा, जिसमें भारत को 2030 तक भुखमरी मुक्त बनाने पर चर्चा होगी। इस वेबिनार का उद्घाटन पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह करेंगे। दिन भर चलने वाले वेबिनार में भुखमरी से लड़ने में भारत की स्थिति को लेकर चर्चा होगी, साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से भुखमरी को खत्म करने के लिए की दिशा में चलाई गई योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। यह वेबिनार क्षमता निर्माण में मदद करेगी और उन्हें 2030 तक भुखमरी मुक्त पंचायत और इस तरह भुखमरी मुक्त भारत सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगी।
सुबह 10:00 बजे से शुरू होने वाले वेबिनार में दुनिया में भुखमरी से लड़ने को लेकर भारत की स्थिति पर चर्चा के अलावा खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा की पर्याप्तता, सतत कृषि उत्पादन, सार्वजनिक वितरण, खाद्य उत्पादन में कमी और प्रसंस्करण हानि, पोषण सुरक्षा एवं 2030 तक शून्य भुखमरी के लक्ष्य की प्राप्ति पर असर डालने वाले तकनीकी समाधानों का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।
विश्व खाद्य कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रतिनिधि, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय जैसे केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि वेबिनार में मुख्य वक्ता होंगे।
वेबिनार में तीनों स्तरों के पंचायतों के बड़ी संख्या में हिस्सा लेने की उम्मीद है। राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों के पंचायती राज विभागों के अधिकारी वेबिनार में भाग लेंगे क्योंकि कुछ राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों के पंचायती राज मंत्रियों के अपने राज्य व केंद्र शासित क्षेत्र का नेतृत्व करने की उम्मीद है।(आईएएनएस)
पटना, 21 अगस्त | अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर हमला तेज करते हुए तेजप्रताप यादव ने आरोप लगाया है कि तेजप्रताप यादव ने ऐसे समय में बिहार की जनता को छोड़ दिया है, जब बाढ़ ने राज्य के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है और दिल्ली चले गए हैं। इस तरह के आरोप पहले सत्ता पक्ष द्वारा लगाए गए थे, लेकिन अब दो युद्धरत भाइयों के बीच प्रतिद्वंद्विता ने बिहार के एनडीए के नेताओं को एक नया एजेंडा दिया है।
तेजस्वी यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ पार्टी के मामलों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली गए और राजद में चल रही उथल-पुथल, जो तेज प्रताप यादव द्वारा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ बयानों के बाद शुरू हुई।
तेज प्रताप ने कहा, "तेजस्वी यादव बिहार के लोगों को बाढ़ में संघर्ष करने के लिए छोड़ कर दिल्ली चले गए। उनका उनके सलाहकार संजय यादव ने ब्रेनवॉश किया, जिनकी सलाह पर तेजस्वी काम कर रहे हैं। हरियाणा के रहने वाले संजय यादव दिल्ली में एक मॉल बना रहे हैं। हर सदस्य और नेता राजद के लोग उनके बारे में जानते हैं।"
तेज प्रताप ने कई राजद नेताओं की तुलना महाभारत के पात्रों से भी की। उन्होंने दावा किया कि वह खुद पार्टी के कृष्णा हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव को अर्जुन नाम भी दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि तेज प्रताप जगदानंद सिंह शिशुपाल और संजय यादव को दुर्योधन बता रहे हैं।
तेज प्रताप ने कहा, "जैसे महाभारत में शिशुपाल द्वारा कृष्ण को गाली दी गई थी, वैसे ही मैं जगदानंद के अपशब्दों का शिकार हूं। लोग यह भी जानते हैं कि दुर्योधन कैसे मारा गया था। यह कृष्ण थे जिन्होंने दुर्योधन की जांघों पर हमला करने का सुझाव दिया था।"
इससे पहले तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा था कि तेज प्रताप यादव उनके बड़े भाई हैं लेकिन उन्हें पार्टी के अनुशासन का पालन करना होगा। तेजस्वी ने कहा, "हमारे माता-पिता ने हमें बड़ों का सम्मान करना सिखाया।"
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तेज प्रताप ने कहा कि जगदानंद सिंह के माता-पिता ने उन्हें ऐसी सलाह नहीं दी, इसलिए वह राजद के गरीब नेताओं को अपमानित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कई नेताओं का कहना है कि पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद पार्टी के हर विकास पर नजर रख रहे हैं।
तेज प्रताप ने कहा, "अगर यह सच है तो लालू प्रसाद कौन सही और कौन गलत में फर्क क्यों नहीं कर रहे हैं। अगर उन्हें पार्टी की चिंता है, तो वह गलत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। मैं दिल्ली जाऊंगा और उनसे मिलूंगा। लालू प्रसाद द्वारा खुद कार्रवाई करने का समय आ गया है।"
सूत्रों ने बताया है कि तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव से काफी खफा हैं। तेजस्वी ने कहा कि वह पार्टी की छवि बना रहे हैं और तेज प्रताप इसे कीचड़ में घसीट रहे हैं। तेजस्वी तेज प्रताप यादव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।(आईएएनएस)
मुंबई, 21 अगस्त | माल या सेवाओं की आपूर्ति के बिना फर्जी बिलों से जुड़े 118 करोड़ रुपये के जीएसटी धोखाधड़ी के मामले में सात कंपनियों के माध्यम से काम करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। ऑपरेशन को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई), मुंबई जोनल यूनिट द्वारा अंजाम दिया गया, जिसके कारण मास्टरमाइंड संतोष दोशी को गिरफ्तार किया गया, जो मासूम ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं।
दोशी सात अन्य कंपनियों को भी चलाता / नियंत्रित करता है। जिसमें अमल ओवरसीज, सी-क्लस्टर एक्सपोट्रेड, मेटिकुलस ओवरसीज, एकॉन क्रिस्टलमर्चेंट्स, निनाद ओवरसीज, व्हाइट ओपल एक्सपोट्रेड और पारेस ओवरसीज शामिल हैं।
इनमें से, व्हाइट ओपल एक्सपोट्रेड ने गैर-मौजूद निर्यात के खिलाफ 118 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा करने के लिए वास्तव में माल / सेवाओं की आपूर्ति किए बिना फर्जी चालान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का धोखाधड़ी से लाभ उठाया।
वित्तीय धोखाधड़ी के तौर-तरीकों के बारे में बताते हुए, डीजीजीआई के अधिकारियों ने कहा कि जाली दस्तावेजों का उपयोग करके झारखंड और पश्चिम बंगाल में कई डमी कंपनियां बनाई गईं, जिन्होंने बदले में फर्जी आईटीसी को छत्तीसगढ़ में मध्यस्थ संस्थाओं के रूप में काम करने वाली शेल ट्रेडिंग फर्मों को पारित कर दिया।
इसी तरह की कई नकली इकाइयां मुंबई और पुणे में निर्यात मोचरें के रूप में स्थापित की गईं, जिन्होंने कथित तौर पर छत्तीसगढ़ से नकली निर्यात माल लिया।
जैसा कि यह निकला, निर्यात इकाइयां बिना किसी वास्तविक लेनदेन के पूरी तरह से आईटीसी रिफंड को धोखाधड़ी से प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाई गई थीं।
जांच के दौरान, डीजीजीआई के अधिकारियों ने निर्यात या माल ढुलाई में लगे कई प्रमुख व्यक्तियों और अधिकारियों पर छापा मारा और उनके बयान दर्ज किए।
डीजीजीआई ने पाया कि पुणे का निवासी दोशी उपरोक्त सात निर्यात फर्मों का प्रमोटर और ऑपरेटर था और आईटीसी के तहत दावों को भुनाने की सुविधा के लिए निमार्ताओं से लेकर व्यापारियों तक बिचौलियों से लेकर निर्यातकों तक के जटिल, बहुस्तरीय लेनदेन का इस्तेमाल किया।
दोशी, (जिसे पहले मुंबई सीमा शुल्क द्वारा एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था) को एक निर्दिष्ट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। आगे की जांच जारी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अगस्त | अफगानिस्तान के स्थानीय मीडिया द्वारा तालिबान द्वारा कई भारतीयों सहित 150 लोगों को पकड़े जाने की खबर के बाद कांग्रेस ने शनिवार को वहां की स्थिति को सबसे खतरनाक बताया और उम्मीद जताई कि नरेंद्र मोदी सरकार अब इस पर ध्यान देगी और सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रूप से वापस लाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करेगी। एक ट्वीट में, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, यह सबसे परेशान करने वाला और चिंताजनक है। यही कारण था कि कांग्रेस ने मोदी सरकार से सभी भारतीयों को निकालने और अपनी जिम्मेदारी से न हटने का आग्रह किया है। आशा है कि मोदी सरकार अब संज्ञान लेगी और हमारे सभी नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करेगी।
उनकी टिप्पणी अफगानिस्तान के स्थानीय मीडिया द्वारा रिपोर्ट किए जाने के तुरंत बाद आई कि तालिबान ने शनिवार को काबुल हवाई अड्डे से 150 से अधिक लोगों को पकड़ लिया है, जिनमें ज्यादातर भारतीय हैं।
हालांकि तालिबान के एक अधिकारी ने काबुल हवाईअड्डे के पास विदेशी नागरिकों के अपहरण की खबरों का खंडन किया है, जहां अमेरिका के नेतृत्व में लोगों को निकालने के प्रयासों के बीच अभी भी बड़ी भीड़ मौजूद है।
तालिबान के प्रवक्ता अहमदुल्ला वासेक ने स्थानीय मीडिया एटलालाट्रोज को बताया, अपहरण की खबर अफवाह है। तालिबान सदस्य सभी विदेशी नागरिकों को हवाई अड्डे तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। हम सभी विदेशियों को हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए ²ढ़ हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि तालिबान बल लगभग 150 भारतीय नागरिकों को हवाई अड्डे में सुरक्षित रूप से प्रवेश कराने के लिए जुटे हैं।
15 अगस्त को तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा किए जाने के बाद से हजारों अफगानी देश छोड़ने के लिए काबुल हवाईअड्डे पर पहुंच रहे हैं।
स्थानीय निवासी फरहाद मोहम्मदी ने कहा कि शनिवार सुबह तीन उड़ानों के उड़ान भरने के बाद निकासी उड़ानें जारी हैं।
एयरलिफ्ट प्रक्रिया में मदद के लिए काबुल हवाई अड्डे पर लगभग 5,000 अमेरिकी सैनिकों को तैनात किया गया है।
राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से हवाई अड्डे पर गोलीबारी और भगदड़ में कम से कम 12 लोग मारे गए हैं।
तालिबान द्वारा देश के अधिकांश हिस्सों पर तेजी से कब्जा किए जाने के बाद से अफगानिस्तान में स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
इससे पहले दिन में, काबुल हवाई अड्डे से शनिवार सुबह एक भारतीय वायु सेना (आईएएफ) सी-130जे परिवहन विमान द्वारा अफगानिस्तान से 85 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकाला गया।
तालिबान ने पिछले रविवार को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया और अब वहां सरकार स्थापित करने की प्रक्रिया में है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अगस्त | अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से हालात बेहद बिगड़े हुए हैं, वहीं तालीबानी आतंक के बीच दिल्ली गुरुद्वारा परिसर की ओर से उधर सिखों के अपहरण की घटना का खंडन किया गया है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि, हमारे सभी परिवार सुरक्षित हैं, गुरुद्वारे के अंदर हैं, हालांकि कल कुछ हलचल हुई थी। करीब 300 लोग बिल्कुल सुरक्षित हैं।
हमारे सभी लोग सुरक्षित व किसी के साथ कोई घटनाएं नहीं हुईं, 150 लोगों की बातचीत चल रही है वह गुरुद्वारे परिसर में नहीं थे वह अलग अलग जगह थे। गुरुद्वारे के अंदर और आस पास की जगह पर जो लोग रुके हैं, वह बिल्कुल सुरक्षित हैं। निरंतर मैं उनसे संपर्क में हूं।
दरअसल तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के लोग बेहद डरे हुए हैं, दूसरी ओर अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक परिवार मदद की गुहार लगा रहे हैं।
काबुल एयर पोर्ट पर सैकडों की संख्या में लोग अफगान छोड़ने के लिए इंतजार कर रहें हैं, लेकिन तालिबानियों के कारण सम्भव नहीं हो सका है।
हाल में अफगानिस्तान से आई तस्वीरों ने देश भर के लोगों को विचलित किया है। दिल्ली में रह रहे अफगानिस्तानी नागरिक भी लगातार अपने लोगों की मदद के लिए भारत सरकार से मदद मांग रहे हैं।(आईएएनएस)
पूर्वोत्तर में तिब्बत की सीमा अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका बरसों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. अब वहां भी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे और कालका-शिमला रेलवे की तर्ज पर ट्वाय ट्रेन चलेगी.
डॉयचे वेले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे को इस परियोजना पर काम आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. सीमा पार चीन की ओर से आधारभूत परियोजनाओं में लगातार तेजी को ध्यान में रखते हुए और तवांग को पर्यटकों के लिए और लोकप्रिय बनाने के मकसद से ही यह परियोजना शुरू करने का फैसला किया गया है. अब अगले सप्ताह पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारी इस परियोजना के सर्वेक्षण के लिए इलाके का दौरा करेंगे.
रेलवे अधिकारियों ने छह महीने के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है. ट्वाय ट्रेन चलाने के अलावा सीमा पार की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए तवांग तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना पर भी काम तेज करने का फैसला किया गया है. फिलहाल राजधानी ईटानगर से दस किमी दूर स्थित नाहरलागून तक ही ट्रेन जाती है. उसे रेलवे नेटवर्क से वर्ष 2014 में ही जोड़ा गया था.
ट्वाय ट्रेन परियोजना
तवांग राजधानी ईटानगर से करीब साढ़े चार सौ किमी उत्तर-पश्चिम साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अपने बौद्ध मठों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर तवांग दशकों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है. यह बालीवुड को भी लुभाता रहा है और कोयला समेत कई हिंदी फिल्मों की शूटिंग इलाके में हो चुकी है. तवांग में भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है. इसकी स्थापना वर्ष 1681 के अंत में मेरा लामा लोद्रे ग्यात्सो ने की थी.
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक अंशुल गुप्ता ने राजधानी में मुख्यमंत्री पेमा खांडू से मुलाकात के दौरान ट्वाय ट्रेन परियोजना का प्रस्ताव रखा. मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श के बाद इसे हरी झंडी दिखा दी. प्रस्ताव के मुताबिक, यह ट्रेन तवांग शहर के इर्द-गिर्द ही चलेगी. इसमें कम से कम तीन कोच होंगे और हर कोच में 12 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी. गुप्ता बताते हैं, "यह परियोजना मुख्य रूप से पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है. इसके तहत बाकी चीजों के अलावा फूड कोर्ट और क्राफ्ट बाजार जैसी सुविधाओं वाला एक पार्क भी शामिल है."
एनएफ रेलवे के मुख्य जनसंपर्क सुभानन चंदा बताते हैं कि ट्वाय ट्रेन परियोजना के लिए चार करोड़ रुपए की पूरी लागत राज्य सरकार ही वहन करेगी. इस रेल सेवा को शुरू करने के लिए करीब पांच सौ मीटर नई पटरियां बिछाई जाएंगी. रेलवे ने छह महीने के भीतर इस परियोजना को पूरा करने का भरोसा दिया है.
सामरिक रेल परियोजनाएं भी
अरुणाचल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए रेलवे राज्य में कई अन्य परियोजनाओं पर भी काम कर रही है. इसमें भालुकपोंग से तवांग के करीब तक 378 किमी लंबी ब्रॉडगेज लाइन का निर्माण भी शामिल है. यह रेल सेवा 10 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचेगी. इसका अस्सी फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, भालुकपोंग-तवांग लाइन का निर्माण सबसे चुनौतीपूर्ण होगा. यह रेलवे लाइन पांच सौ से नौ हजार फीट ऊंचाई तक के इलाकों से गुजरेगी.
रेलवे के एक अधिकारी बताते हैं कि अरुणाचल से लगी सीमा के पास चीन की आधारभूत योजनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी सीमावर्ती इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत सामरिक महत्व की तीन रेलवे परियोजनाओं का काम भी चल रहा है. इनके तहत अरुणाचल के भालुकपोंग से तवांग, असम के मुरकोंगसेलेक से लेकर अरुणाचल के पासीघाट और असम के ही सिलापाथर से अरुणाचल के बाने के बीच पटरियां बिछाई जाएंगी. उस अधिकारी ने बताया कि इन तीनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ से 70 हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई है.
रेल सेवाएं शुरू करने की मांग
रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने रेलवे सेवाओं को दोबारा शुरू करने की भी मांग उठाई. कोरोना की वजह से इलाके में बंद रेल सेवाओं को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है. बैठक में नाहरलागून-गुवाहाटी के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस और नाहरलागून से दिल्ली के बीच चलने वाली एसी एक्सप्रेस को एक सितंबर से चलाने का फैसला किया गया.
मुख्यमंत्री ने रेलवे अधिकारियों से नाहरलागून से चेन्नई होते हुए बेंगलुरु तक के लिए भी सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग की. उनका कहना था कि राज्य के हजारों छात्र, युवा और मरीज पढ़ाई, रोजगार और इलाज के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों में जाते हैं. रेलवे ने इस मांग पर विचार करने का भरोसा दिया है. (dw.com)
पिछले कुछ सालों में भारत में उभरे 'कूल जनरेशन' का फैशन सेंस कॉपी करना हो तो साइड स्वेप्ट या फेड हेयरस्टाइल रखिए, रेट्रो राउंड सनग्लासेज लगाइए या फिर हुडी और रिप्ड एंकल लेंथ जींस के साथ स्पोर्ट्स शू या लोफर्स पहन लीजिए.
डॉयचे वेले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
पिछले महीने भारत में एक 17 साल की लड़की की उसके पहनावे के लिए हत्या के बाद जबरदस्त गुस्सा दिखा. उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले की इस लड़की की हत्या उसके रिश्तेदारों ने सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि उसने जींस पहनी थी. लेकिन यह इलाके की आम तस्वीर नहीं है. एक ओर उत्तरप्रदेश के इस इलाके में अब भी लड़कियों का जींस पहनना मना है, वहीं नेहा के घर से सिर्फ पचास किमी दूर पड़ोसी जिले गोरखपुर में नेहा की उम्र की ही लड़कियां न सिर्फ लेटेस्ट फैशन फॉलो कर रही हैं बल्कि इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर बनने की ओर कदम भी बढ़ा चुकी हैं.
ज्यादातर मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों से आने वाली ये टीनएज लड़कियां स्कूलों के पास, पार्क में या सड़कों पर इंस्टाग्राम रील्स बनाती देखी जा सकती हैं. कभी मौसम सही नहीं रहा तो ये अपने कमरे में या घर की छतों पर ही लेटेस्ट ट्रेंड के वीडियो बना लेती हैं लेकिन मजाल जो कभी कंटेट सही समय पर पोस्ट न हो पाए. पहले ये अपना ज्यादातर कंटेंट टिकटॉक पर पोस्ट करती थीं लेकिन पिछले साल चीन के साथ सीमा तनाव के बाद भारत सरकार ने टिकटॉक को बैन कर दिया.
कॉन्फिडेंट हैं ये कंटेट क्रियेटर्स
सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़के भी लगभग पूरे भारत में फैल चुके इस ट्रेंड का हिस्सा हैं. 'जेन जी' (साल 1995 के बाद पैदा हुए) और 'जेन अल्फा' (साल 2010 के बाद पैदा हुए) कहे जाने वाले ये नौजवान और टीनएज लड़के-लड़कियां हर लेटेस्ट ट्रेंड से वाकिफ हैं. वैसे इस 'कूल जनरेशन' का बेसिक फैशन सेंस कॉपी करना हो तो साइड स्वेप्ट या फेड हेयरस्टाइल रखिए, रेट्रो राउंड सनग्लासेज लगाइए फिर हुडी और रिप्ड एंकल लेंथ जींस के साथ स्पोर्ट्स शू या लोफर्स पहन लीजिए. बस, आप भी इनकी तरह कूल बन जाएंगे. फिर भी इनकी तरह कॉन्फिडेंट हो पाएं ये जरूरी नहीं है.
तो कहां से आता है ये कॉन्फिडेंस? इस सवाल के जवाब में साइकोलॉजिस्ट हिमानी कुलकर्णी कहती हैं, "कॉन्फिडेंस की वजह काफी हद तक टीनएज है क्योंकि इस दौरान खुद को जाहिर करने की इच्छा बहुत ज्यादा होती है. तब इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे क्या सोचते हैं. और हम सभी के अंदर किसी न किसी तरह की क्रिएटिविटी छिपी है लेकिन सबके पास अपना हुनर दिखाने के लिए बड़े स्टेज उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में इंस्टा रील्स और टिकटॉक जैसे माध्यमों ने इन्हें एक प्लेटफॉर्म दिया है. थोड़ा कॉन्फिडेंस इन माध्यमों ने भी बढ़ाया है."
कैसे फॉलो करते हैं फैशन और ट्रेंड
यूं तो इनके सनग्लासेज और हेयरस्टाइल में आपको 'के-पॉप स्टार्स' का प्रभाव दिखेगा लेकिन इनमें से ज्यादातर लोकल इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर्स से इंफ्लुएंस्ड हैं. हर पीढ़ी के अपने हीरो होते हैं. वैसे ही इनके हीरो हैं, रियाज अली, फैसल शेख उर्फ फैजू, निशा गुरगैन, जन्नत जुबैर, आवेज दरबार और कई लाखों-करोड़ों की फैन फॉलोइंग रखने वाले इंस्टाग्रामर. ये सभी दुनिया भर के बेहतरीन फैशन को भारत में घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
दिल्ली की 13 साल की अंजनी हों, देवरिया के 15 साल के मोहम्मद फैज सिद्दिकी उर्फ फैज या कानपुर की 21 साल की प्रियांशी गुप्ता. इंस्टाग्राम के इन सभी बड़े सितारों के नाम इनकी जबान पर रहते हैं. ये सभी नए फैशन और ट्रेंड की जानकारी भी इंस्टाग्राम से ही हासिल करते हैं. हालांकि अंजनी कहती हैं, उनकी नजर दक्षिण कोरियाई बैंड बीटीएस के स्टार्स पर भी रहती है.
नहीं करनी है मॉडलिंग-एक्टिंग
कानपुर की रहने वाली प्रियांशी गुप्ता फिलहाल एमए कर रही हैं. एक साधारण परिवार से आने वाली प्रियांशी अपना खर्च खुद उठाने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं और अपने भाई, मां और मौसी के साथ भी इंस्टा रील्स बनाती हैं. हालांकि मॉडलिंग और एक्टिंग की राह पर जाने के बजाए वे टीचिंग लाइन में जाना चाहती हैं.
फैज फिलहाल पड़ोसी जिले गोरखपुर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. उनके पिता सऊदी अरब में नौकरी करते हैं और मां गृहणी हैं. वे भी आगे मॉडलिंग या एक्टिंग करने के बजाए चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं. इसी तरह अंजनी को भी एक्टिंग पसंद तो है लेकिन वे कहती हैं, "एक्टर नहीं बनी तो डॉक्टर बनूंगीं."
साइकोलॉजिस्ट हिमानी कुलकर्णी कहती हैं, "भारत में नेपोटिज्म और स्ट्रगल को लेकर कहानियां इतनी आम हैं कि लोग पूरे विश्वास के साथ एक्टर बनने की बात नहीं कह पाते. लेकिन दूसरों को अपना हुनर दिखाकर जरूर जानना चाहते हैं कि वे हमारे बारे में क्या सोचते हैं."
कंटेंट में धार्मिक और जातीय टच
इन इंस्टा रील्स और वीडियोज में धार्मिक, जातीय और अस्मितावादी कंटेट भी होता है. 21 साल की उम्र से ही वीडियो बनाते आ रहे मध्यप्रदेश के बडवानी जिले के राजा कहते हैं, "मेरे वीडियो आदिवासी कल्चर के इर्द-गिर्द होते हैं. आदिवासी कल्चर के अलावा वीडियोज में 'प्यार-मोहब्बत' और 'हल्की-फुल्की छेड़छाड़' भी होती है." इसी तरह हिंदी महीने सावन में बनाए वीडियोज में प्रियांशी के माथे पर चंदन तिलक लगा रहता है.
इस पर हिमानी कहती हैं, "जो बातें जेन जी और जेन अल्फा के बच्चे अपने वीडियोज में कर ले रहे हैं वो मिलेनियल्स (साल 1980 के बाद पैदा हुए लोग) के लिए भी कहनी मुश्किल थी. रिश्तों, जेंडर और भविष्य ही नहीं अस्मिता पर भी ये कंटेट क्रिएटर स्पष्ट तौर पर अपनी सोच रख रहे हैं. इन रील्स में 'जिंदगी क्या है', 'दोस्ती क्या है', 'प्यार क्या है' जैसी बातें आम है. उनके पास भले ही शब्द न हों लेकिन कविताओं, गीतों के जरिए वे अपनी सोच को सामने रख रहे हैं."
हालांकि हिमानी यह भी कहती हैं कि कंटेंट क्रिएटर 30-40 फीसदी ऐसा कंटेंट अपने विचार और भावना के चलते बनाते हैं. ऐसे कंटेट बनाने के पीछे 60-70 फीसदी वजह इसका दर्शकों को पसंद आना होता है."
परिवार का पूरा सपोर्ट
हमने जिन इंस्टाग्रामर से बात की उनमें से ज्यादातर कहते हैं कि उन्हें परिवार से पूरा सपोर्ट मिलता है और कोई रोकटोक नहीं होती. फैज कहते हैं, "कभी-कभी नंबर इधर-उधर हो जाते हैं लेकिन घर पर डांट नहीं पड़ती." अभी 8वीं क्लास में पढ़ने वाली अंजनी तो साफ-साफ कहती हैं, "जितना समय पढ़ाई पर लगाती हूं, उतना ही इंस्टाग्राम पर भी देती हूं. क्लास में टॉपर तो नहीं हूं लेकिन खराब मार्क्स भी नहीं आते."
ये कंटेंट क्रिएटर अपनी प्राइवेसी को लेकर भी बहुत सजग हैं. गोरखपुर की ज्यादातर लड़कियों ने अपना अकाउंट प्राइवेट कर रखा है और दिल्ली की अंजनी बताती हैं कि उनका मुख्य अकाउंट प्राइवेट है और आम इंस्टाग्राम सर्फिंग के लिए वे एक फेक इंस्टा आईडी का इस्तेमाल करती हैं. (dw.com)
लंदन के लिटिल इंडिया कहे जाने वाले इलाके में लड़कियों की पहली फुटबॉल टीम लड़कियों के लिए नया अवसर लाई है. ब्रिटेन में फुटबॉल क्रिकेट की तरह लोकप्रिय है लेकिन ब्रिटिश भारतीय लड़कियों के लिए इस खेल में मौके नहीं रहे हैं.
डॉयचे वेले पर स्वाति बक्शी की रिपोर्ट
ब्रिटेन में फुटबॉल की पेशेवर दुनिया में ब्रिटिश-एशियाई खिलाड़ियों का नाम गिना जाए तो चंद पुरुषों के नाम जुबान पर भले आ जाएं लेकिन ब्रिटिश-भारतीय महिलाओं का एक भी नाम गिन पाना मुमकिन नहीं होगा. ये वर्ग फुटबॉल की दुनिया से नदारद है. इस स्थिति के पीछे सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचों की भूमिका है लेकिन ये सूरत बदल सकती है, इसकी उम्मीद जगा रही है एक सामुदायिक फुटबॉल क्लब- साउथॉल एथलेटिक एफसी (साउथॉल एएफसी) की महिला टीम. पश्चिमी लंदन में बसा साउथॉल भारत के पंजाब राज्य से ताल्लुक रखने वाली आबादी का गढ़ है. ये क्लब फुटबॉल खेलने की चाह रखने वाली यहां की ब्रिटिश-भारतीय लड़कियों के लिए नया अवसर बनकर उभरा है.
क्लब की महिला टीम इसी साल अस्तित्व में आई है और नई प्रतिभाएं निखारने की उम्मीदों से भरी हुई है. लड़कियों की टीम बनाने के फैसले पर बात करते हुए मैनेजर सिंतु सुब्रह्मण्यम बताते हैं, "हमारे क्लब में लड़कों की टीम का बढ़िया प्रदर्शन रहा है. जब क्लब की गतिविधियां बढ़ाने का सवाल आया तो हमें लगा कि सबसे बड़ी जरूरत लड़कियों को मौका देने की है. ऐसा नहीं है कि लड़कियों की खेलों में दिलचस्पी नहीं है, दिक्कत इस बात की है कि उन्हें पता ही नहीं था कि शुरूआत कहां से हो सकती है."
ब्रिटेन में महिला फुटबॉल, केन्द्रीय नियामक संस्था इंग्लिश फुटबॉल एसोसिएशन (एफए) के नियंत्रण में गैर-व्यावसायिक स्तर पर खेला जाता है. एफए में महिला फुटबॉल के विकास के लिए जिम्मेदार रेचल पैवलू ने हाल ही में बीबीसी से कहा कि एफए की कोशिश है कि ब्रिटिश एशियाई लड़कियों के सामने रोल मॉडल पेश करने के साथ-साथ महिलाओं के फुटबॉल क्लबों के जरिए ये पता लगाया जाए कि उन्हें किस चीज की जरूरत है. 1863 में बने दुनिया के सबसे पुराने फुटबॉल संगठन के पास ये जानकारियां अब तक ना होना ही अपने आप में असहज करने वाली बात है.
फुटबॉल नहीं शादी अहम
ब्रिटेन में साल 2020 में हुए एक आधिकारिक सर्वे में सामने आया कि सोलह साल से ऊपर के आयु वर्ग में ब्रिटिश-एशियाई महिलाएं शारीरिक रूप से सबसे कम क्रियाशील समूह हैं. इसे सीधे तौर पर खेलों से जोड़कर देखा जा सकता है. लड़कियां बताती हैं कि भारतीय परिवारों में खेलने के लिए प्रोत्साहित करना तो दूर, उन्हें रोका जाता है. ज्यादातर घरों में बीस बरस से ऊपर की लड़कियों के लिए करियर के बजाय उनकी शादी ही एकमात्र प्राथमिकता बन कर रह जाती है.
साउथॉल क्लब में खेलने वाली सिमरत कौर फ्लोरा स्कूल के दिनों से ही फुटबॉल में दिलचस्पी रखती हैं. अपना निजी अनुभव बांटते हुए वो कहती हैं, "मेरे घर में मुझे रोका तो नहीं गया खेलने से लेकिन मेरे साथ भारतीय परिवारों की लड़कियां थीं जो स्कूल के दिनों से ही घर में ये बता नहीं पाईं कि वो फुटबॉल खेलती हैं. उन्हें झूठ बोलना पड़ता था क्योंकि इसकी इजाजत नहीं मिलती.”
ये अनुभव ज्यादातर भारतीय लड़कियों के मामले में आम है जिन्हें जिम्मेदारी समझ कर मां-बाप घर से विदा कर देना चाहते हैं. लिहाजा खेल-कूद जिंदगी की इस स्कीम में फिट नहीं बैठता. एक दूसरी चिंता रंग-रूप की भी है जिसके बंधनों से भारतीय परिवारों की सोच आजाद नहीं हुई है. धूप में खेलने से लड़कियों की त्वचा का रंग गाढ़ा और शादी की संभावनाएं हल्की पड़ने का डर अब भी बरकरार है.
भेद-भाव और अवसरों की कमी
गौर करने लायक बात ये है कि फुटबॉल को एशियाई घर और संस्कृति से जोड़ने की रवायत दरअसल इसे समुदाय की अंदरूनी समस्या के तौर पर स्थापित करती है. सवाल ये है कि क्या बात वाकई खेलों से लड़कियों को दूर रखने की दिक्कत पर आकर खत्म हो जाती है? इसके जवाब में हमें फुटबॉल में रेसिज्म यानी जातीय भेद-भाव की परंपरा को खंगालना होगा. भेद-भाव की बात इस खेल की तरफ रुझान रखने वाले लगभग हर भारतीय से सुनी जा सकती है.
टीम मैनेजर सिंतु खुद बताते हैं कि "बहुत सी लड़कियों को स्कूली स्तर पर हुए अनुभवों ने आगे बढ़ने से रोक दिया. इसे भेद-भाव का नाम दें या कुछ और वजह रही हो लेकिन लड़कियों के लिए मौके पैदा नहीं किए गए. हमारे क्लब के बनते ही सोशल मीडिया के जरिए इस नए प्रयास ने उन्हें आकर्षित किया. चंद ही महीनों में करीब बीस लड़कियां हमसे जुड़ चुकी हैं.” भेद-भाव की मानसिकता से जुड़ा दूसरा दिलचस्प पहलू है भारतीय समुदाय को क्रिकेट से जोड़कर देखना. भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का खामियाजा ये है कि ब्रिटिश-भारतीय समुदाय को सिर्फ उसी खेल के खांचे में फिट कर दिया गया है.
फुटबॉल को त्वचा के रंग और जातीय विरासत से जोड़ने की इस प्रवृत्ति के चलते भारतीयों को सिर्फ क्रिकेट खेलने लायक ही समझा जाता है, इस बात को सिमरत कौर स्वीकार करती हैं. वो कहती हैं, "इसे रेसिज्म का ही एक रूप माना जाना चाहिए कि एक भारतीय को देखते ही कोई ये कहे कि तुम्हें तो क्रिकेट ही खेलना चाहिए. मुझे लगता है साउथॉल क्लब की सभी लड़कियों के सामने ये मौका है कि अपने बेहतर प्रदर्शन से इन सारी वर्जनाओं को तोड़ दें.” साउथॉल एफसी ने अवसर पैदा किया है और युवा लड़कियों में इरादा भी है. अवसर और इरादे का ये मेल ब्रिटिश फुटबॉल जगत में भारतीय लड़कियों की भागीदारी का रास्ता तैयार कर सकता है. (dw.com)
थोड़ी सी चूक पर साइबर अपराधियों द्वारा बैंक अकाउंट खाली कर देने से लोग पहले से ही त्रस्त थे, किंतु अब बैंककर्मियों की मिलीभगत से खाते से पैसे उड़ा दिए जाने से लोगों का बैंकों पर से भरोसा उठने लगा है.
डॉयचे वेले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट
जी हां, बिहार में लगातार ऐसी कई घटनाएं समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रहीं है. बैंककर्मियों की मिलीभगत के कारण खाताधारी की सभी गोपनीय सूचनाएं अपराधियों तक पहुंच जाती हैं, जिसके आधार पर साइबर गिरोह अकाउंट से संबद्ध फोन नंबर को या तो बदलवा देता है या फिर पोर्ट कर नया सिम जारी करवा लेता है. इसकी वजह से खाते से पैसे की निकासी का बैंक की तरफ से भेजा गया मैसेज उन तक नहीं पहुंच पाता है. खाताधारी को पैसा निकाले जाने के बारे में तब पता चल पाता है जब वे अपना पासबुक अपडेट करते हैं, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है.
सांसद निधि से भी निकाल लिए गए थे पैसे
अभी हाल में मुजफ्फरपुर में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के करीब 300 ग्राहकों के खाते से बैंक के कैशियर ने ही अपराधियों से साठगांठ कर पांच करोड़ रुपये से अधिक गायब कर दिए. पुलिस ने इस संबंध में कैशियर नितेश कुमार के साथ कई अन्य को गिरफ्तार किया है. इसी तरह का मामला बक्सर जिले में सामने आया, जहां ग्रामीण बैंक के मैनेजर ने शेयर ट्रेडिंग का शौक पूरा करने के लिए करीब 200 लोगों के खाते से फर्जी चेक के जरिए एक करोड़ रुपये का गबन कर लिया. फर्जीवाड़े का मामला तब पता चला जब खाताधारी पैसा निकालने के लिए बैंक पहुंचे, जहां उन्हें खाते में पैसा नहीं होने की जानकारी दी गई. ग्राहकों की शिकायत पर जांच हुई और बैंक के मैनेजर रविशंकर कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
इसके पहले बिहार के महाराजगंज से सांसद जनार्दन प्रसाद सिग्रीवाल की सांसद निधि वाले खाते से क्लोन चेक के जरिए 89 लाख रुपये निकाल लिए गए थे. सांसद ने इस मामले में पूरे बैंक प्रबंधन को कटघरे में खड़ा किया. मूल चेक उसी अधिकारी के पास ही था जिसे चेक जारी करने का अधिकार था. छपरा स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य शाखा में सांसद क्षेत्रीय विकास कोष का खाता था. चेक की क्लोनिंग कर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के बैंक ऑफ बड़ौदा के खातेदार संदीप कोठारी के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर किया गया था. मामला लोकसभा अध्यक्ष तथा गृह मंत्रालय तक पहुंचा. बाद में बैंक ने उनके खाते में निकासी की गई रकम जमा की.
इसी तरह का एक और मामला इंडियन बैंक की पटना विश्वविद्यालय शाखा में सामने आया, जहां पटना कॉलेज के खाते से 62.80 लाख रुपये क्लोन चेक के जरिए निकाल लिए गए. पटना कॉलेज के प्रिंसिपल ने इस मामले को लेकर इंडियन बैंक की शाखा प्रबंधक के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करवाई थी. यहां से लेकर गुजरात के नवरंगपुरा ब्रांच तक के बैंक कर्मी संदेह के घेरे में हैं. एक अन्य मामले में गया जिले में भारतीय स्टेट बैंक की मानपुर शाखा की महिला बैंक अधिकारी प्रीति सिंह ने स्वयं तथा अपने छह रिश्तेदारों के खाते में अन्य ग्राहकों के खाते से छह करोड़ 96 लाख रुपये ट्रांसफर करवा दिए. इस प्रकरण में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.
कैसे निकाले जाते हैं पैसे
मुजफ्फरपुर में पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में कैशियर की मिलीभगत से किए गए फ्रॉड में पता चला कि बैंक का कैशियर नितेश पहले उन खातों की पहचान करता था जिनमें मोटी रकम जमा रहती थी. वह पर्सनल कंप्यूटर पर बैंक की लॉग-इन आईडी से ऐसे खाताधारकों के संबंध में केवाईसी से संबंधित सारी गोपनीय जानकारी निकाल लेता था और उसे गिरोह के सदस्य को फारवर्ड कर देता था. इसके आधार पर गिरोह फर्जी आधार कार्ड तैयार कर लेता था. इस पर फोटो फर्जी आदमी का होता था और फिर इसके सहारे अकाउंट से लिंक मोबाइल फोन नंबर को दूसरी कंपनी में पोर्ट कराया जाता था. जाहिर है, नया सिम निकाले जाने के बाद संबंधित खाताधारी का फोन बंद हो जाता था और वह इसे नेटवर्क की समस्या समझता था.
इधर, जैसे ही पोर्ट किया हुआ नंबर काम करना शुरू करता था, बैंक का मोबाइल ऐप डाउनलोड कर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर दिया जाता था. पुलिस ने इस गिरोह के कब्जे से नकदी के अलावा 12 मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप व 20 आधार कार्ड जब्त किया है. पुलिस की जांच में यह भी पता चला है कि पंजाब नेशनल बैंक के सॉफ्टवेयर की एक छोटी सी गड़बड़ी की जानकारी बैंक कर्मी नितेश ने गिरोह को दे दी थी जिसका फायदा उठाकर कई लोगों के खाते से पैसे उड़ाए गए. इस गिरोह ने मुजफ्फरपुर शहर के दामुचक मुहल्ले की निवासी प्रो. मीना कुमारी के पंजाब नेशनल बैंक की गोबरसही शाखा के अकाउंट से एक करोड़ सात लाख रुपये गायब कर दिए.
इसके अतिरिक्त एक रिटायर्ड बीएसएनएल कर्मी रामदेव राम के खाते से 22 लाख से अधिक की राशि तथा वन विभाग के एक सेवानिवृत कर्मी के अकाउंट से 11 लाख से अधिक रकम की अवैध निकासी की गई. पटना मेडिकल कालेज अस्पताल में तैनात चिकित्सक डॉ. राधारमण के खाते से भी इस गिरोह ने पांच लाख रुपये उड़ा लिए थे. पकड़े गए साइबर अपराधियों ने छपरा, दरभंगा, वैशाली, मोतिहारी व सीतामढ़ी में भी किया गया अपराध स्वीकार किया है. पुलिस साइंस कॉलेज परिसर, गोबरसही स्थित पंजाब नेशनल बैंक के कैशियर नितेश कुमार को ही इस गिरोह का सरगना बता रही है. नितेश कुमार सिंह सहित मो. जफर इकबाल, मंजय कुमार सिंह तथा राजेश कुमार पुलिस की रिमांड पर हैं.
घोस्ट अकाउंट में ट्रांसफर की गई राशि
मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत के अनुसार, "बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है जिसमें सिम कार्ड को स्वैप कर ऑनलाइन फ्रॉड किया गया है." पुलिस जांच में पता चला है कि इस गिरोह के द्वारा कोलकाता व बेंगलूर में 40 से अधिक घोस्ट खाते खोले गए हैं. पुलिस के अनुसार उन खातों को घोस्ट अकाउंट कहा जाता है जिन्हें खोलने के लिए किसी कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर दिया जाता है. एसएसपी जयंत कांत के अनुसार, "इन खातों का डिटेल तो होता है, किंतु इनका संचालन कौन कर रहा है, यह पता नहीं होता." ये अकाउंट अधिकतर निजी बैंकों में खोले जाते हैं, जो ओपनिंग के समय जरूरी कागजातों की गंभीरता से जांच नहीं करते हैं.
अवैध ट्रांजेक्शन इन्हीं खातों में पैसा जमा किया जाता है. फिर हवाला के जरिए रकम गिरोह के सदस्य के पास भेजा जाता है. हवाला कारोबारियों द्वारा पैसा भेजने के एवज में बतौर कमीशन पचास प्रतिशत राशि लिए जाने की बात सामने आ रही है. पुलिस का दावा है कि कुछ हवाला कारोबारियों की पहचान कर ली गई है. अब तक की जांच में ऐसे 22 घोस्ट अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है. कोलकाता तथा बेंगलूर के एक दर्जन से अधिक बैंकों के अधिकारी भी जांच की जद में हैं. इन घोस्ट खातों से लिंक फोन नंबर तथा आधार नंबर के सहारे पुलिस इनके संचालकों तक पहुंचने में जुटी है. वहीं पंजाब नेशनल बैंक के मुजफ्फरपुर मंडल के प्रमुख संजय सिन्हा के अनुसार, "पुलिस को जांच में पूरा सहयोग किया जा रहा है. बैंक के स्तर से भी आंतरिक जांच जारी है. बैंक की जांच तथा पुलिस रिपोर्ट के आधार पर दोषी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी."
ग्राहकों के नुकसान से बचाने की चुनौती
बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक का निर्देश कहता है कि अगर आपके बैंक खाते से अवैध निकासी की जाती है तो तीन दिन के अंदर अगर बैंक को इसकी शिकायत की जाए तो ग्राहक को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. बशर्ते थर्ड पार्टी धोखाधड़ी बैंक या ग्राहक की चूक की वजह से नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम की किसी चूक की वजह से हुई हो. इसके साथ ही शिकायत की समय सीमा के अनुपात में बैंक की देनदारी तय की गई है. गृह मंत्रालय ने भी साइबर फ्रॉड से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक केंद्रीकृत हेल्पलाइन नंबर जारी किया हुआ है. इसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है.
सरकार की माने तो इस हेल्पलाइन के जरिए बैंक तथा पुलिस को आपस में कनेक्ट होकर रियल टाइम एक्शन में मदद मिलेगी. शायद इसलिए एक निजी बैंक के रिटायर्ड क्षेत्रीय प्रबंधक कहते हैं, "ऐसी कोई भी व्यवस्था तब कारगर होगी जब तय समय सीमा के अंदर फ्रॉड के संबंध में पता चल जाए. यहां तो पता ही तब चलता है जब समय बीत जाता है. इस परिस्थिति में शिकायतों का हश्र क्या होगा." जाहिर है, ऐसी घटनाओं को रोकने और ग्राहकों को अपराधियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बैंकिंग व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है. (dw.com)
गुवाहाटी, 20 अगस्त| पश्चिमी असम के भूटान से सटे बक्सा जिले में शुक्रवार को दो वयस्क मादा हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। असम के वन्यजीव अधिकारियों ने कहा कि यह घटना बटाबारी वन रेंज के साथ कोरोइबाड़ी में हुई, जहां दो हाथी एक धान के खेत के चारों ओर लगे एक बिजली के बाड़ की चपेट में आ गए। किसान हरेश्वर दैमारी ने सिंगरा पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण कर दिया और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार हाथी भोजन की तलाश में पहाड़ी जंगलों से नीचे आए थे।
यह घटना बक्सा जिले के एक अन्य गांव में गुरुवार को मानव-पशु की भिडंत संघर्ष में एक ग्रामीण की मौत और एक अन्य के घायल होने के एक दिन बाद की है।
इस साल असम के विभिन्न हिस्सों में किसानों द्वारा अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए लगाए गए अवैध बिजली के बाड़ से कम से कम 13 हाथियों की मौत हो गई। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2011 और 2019 के बीच असम में 90 से अधिक हाथियों को करंट लग गया। जहर और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी हाथियों की मौत हो गई, जिसमें मई में नागांव जिले में बिजली गिरने से 18 विशाल हाथी मारे गए। (आईएएनएस)
लाइफ़ कोच गौर गोपाल दास का वीडियो दुनिया में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला और पसंद किए जाने वाला वीडियो है. अभी हाल ही में फेसबुक ने पहली बार रिपोर्ट बनाई है. अपनी रिपोर्ट में फेसबुक ने कहा है कि भारत के गौर गोपाल दास का मोटिवेशनल वीडियो पूरी दुनिया में देखा जाना वाला वीडियो है. गौर गोपाल दास का वीडियो फर्स्ट थ्री यू सी आर योर रियलिटी को लोगों ने फेसबुक पर सबसे ज्यादा पसंद किया है. गौर गोपाल दास सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. अपने बारे में बताते हैं कि वो एक साधू, पर्सनल कोच और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. अपने वीडियोज़ के ज़रिए वो सोशल मीडिया पर हमेशा चर्चा में रहते हैं.
फेसबुक का ये डाटा 1 अप्रैल 2021 से लेकर 30 जून 2021 तक है. फेसबुक अभी विवादों में घिरा है. फेसबुक पर आरोप लगा है कि दक्षिणपंथी विचारों के कंटेंट को ज़्यादा तवज्जो देता है. गौर गोपाल दास के वीडियो को करीब 80.6 मिलियन लोगों ने देखा है, वहीं संगीतकार एस गट्टा इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं. उनके वीडियो को 61.4 मिलियन लोगों ने देखा है.
फेसबुक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फेसबुक पर खाने-पीने वाले सवालों को ज़्यादा देखा जाता है. फेसबुक ने बताया कि इस रिपोर्ट के ज़रिए हम अपने यूज़र्स को बताना चाहते हैं कि फेसबुक पर लोग कैसे कॉन्टेंट को देखना पसंद करते हैं.
गौर गोपाल दास जीवन जीने के सही तरीके के बारे में बताते हैं. लोगों को अपने वीडियोज़ के ज़रिए ज़िदगी के बारे में बताते हैं.
मुंबई: बीजेपी नेता किरीट सोमैया की कार पर हमले की खबर सामने आ रही है. उन्होंने ट्वीट किया है कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा ये हमला किया गया है.उन्होंने लिखा है कि दोपहर 12.30 बजे के शिवसेना के 'गुंडों' ने 3 बड़े पत्थर फेंके जो उनकी कार के शीशों से जा टकराए, जहां पर वे बैठे हुए थे.
दरअसल, महाराष्ट्र के वासिम इलाके में शिवसेना सांसद भावना गवली की बालाजी पार्टिकल बोर्ड फैक्टरी पर लगे 100 करोड़ के घोटाले की जांच के लिए किरीट आए थे.
बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी और सत्तारूढ़ सरकार के बीच तल्खियां बढ़ रही हैं. कोरोना वायरस संकट के बीच बीजेपी द्वारा आयोजित जन आशीर्वाद यात्रा से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार नाराज दिख रही है. आर्थिक नगरी मुंबई में यात्रा निकालने के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं पर कोविड प्रोटोकॉल्स के उल्लंघन के आरोप में मुंबई के अलग-अलग पुलिस थानों में 19 FIR दर्ज की गई हैं. ये FIR विलेपार्ले, खेरवाड़ी, माहिम, शिवाजी पार्क, दादर , चेम्बूर, एयरपोर्ट और गोवंडी पुलिस थानों में दर्ज की गई हैं. आयोजकों पर आईपीसी की धारा 188, NDMA एक्ट की धारा 51 और BP एक्ट की धारा 135 लगाई गई है, हालांकि इन मामलों में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. केंद्रीय मंत्री कपिल पाटिल के समर्थन में 16 अगस्त को जन आशीर्वाद यात्रा निकाली गई थी, जिसमें सैकड़ों बीजेपी कार्यकर्ता शामिल हुए थे. यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्री का शहर के अलग-अलग इलाकों में स्वागत किया गया था.
अतुल अनेजा
नई दिल्ली, 20 अगस्त: पहला स्पष्ट संकेत है कि हाई-प्रोफाइल अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूह तालिबान को ग्लोबल जिहाद के विस्तार के लिए प्रस्ताव भेज रहे हैं क्योंकि अरब प्रायद्वीप (एक्यूएपी) में अल कायदा के साथ उभरा है, जिसमें दूसरों के लिए मॉडल की भूमिका के रूप में अफगान चरमपंथी समूह की प्रशंसा की गई है।
एक्यूएपी ने एक बयान में कहा, "इस जीत और अधिकार से हमें पता चलता है कि जिहाद और लड़ाई शरीयत-आधारित, कानूनी और वास्तविक तरीके से अधिकारों को बहाल करने (और) आक्रमणकारियों और कब्जाधारियों को निष्कासित करने का प्रतिनिधित्व करते हैं।"
एक्यूएपी ने लोकतंत्र को एक 'भ्रामक मृगतृष्णा' के रूप में वर्णित किया, जिसका कोई भविष्य नहीं है। एक्यूएपी अल कायदा 'अंतर्राष्ट्रीय' के सबसे शक्तिशाली विंग में से एक है।
"जहां तक लोकतंत्र के खेल और सरल शांतिवाद के साथ काम करने की बात है, यह एक भ्रामक मृगतृष्णा, एक क्षणभंगुर छाया और एक दुष्चक्र है जो एक शून्य से शुरू होता है और इसके साथ समाप्त होता है, एसआईटीई इंटेलिजेंस ग्रुप द्वारा किए गए बयान में कहा गया है- एक खुला- स्रोत संगठन जो दुनिया भर में आतंकी नेटवर्क पर नजर रखता है।"
अल कायदा और तालिबान का संबंध गहरा है। 1996 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद, तालिबान शासित अफगानिस्तान अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक विशाल आधार बन गया, जो तब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शानदार आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए तैयार हो गए, जिसमें न्यूयॉर्क में ट्विन टावरों पर 9/11 की स्ट्राइक भी शामिल थी। तालिबान ने समूह के अल कायदा 'आमिर' ओसामा बिन लादेन और उसके दाहिने हाथ अयमन अल जवाहिरी को आश्रय दिया था।
अमेरिका एक्यूएपी को अल-कायदा के वैश्विक पंथ की सबसे खतरनाक शाखा के रूप में देखता है। नतीजतन, इसने यमन में एक्यूएपी नेताओं के खिलाफ कई ड्रोन हमले किए, जिनमें इसके अमेरिकी शिक्षित नेता, अनवर नासिर अल-अवलाकी भी शामिल थे।
एएफपी ने बताया कि रविवार को, यमन के केंद्रीय गवर्नर बेदा और दक्षिणी प्रांत शबवा में एक्यूएपी लड़ाकों ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी का जश्न आतिशबाजी और हवा में गोलियां चलाकर मनाया।
कट्टरपंथी समूह ने स्पष्ट रूप से यमन युद्ध का फायदा उठाया है, जो 2014 में दक्षिणी यमन में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शुरू हुआ था।
(यह सामग्री इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के एक व्यवस्था के तहत पेश की गई है)
चेन्नई, 20 अगस्त | पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से चिकित्सा विभागों में ललित कला के खिलाड़ियों और विशेषज्ञों के लिए नौकरी कोटा प्रदान करने का आग्रह किया।
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम को लिखे पत्र में, पीएमके नेता ने कहा कि चिकित्सा सेवा भर्ती बोर्ड (एमएसआरबी) द्वारा भरे गए चिकित्सा क्षेत्र में रिक्तियों को उन खिलाड़ियों के लिए कोटा प्रदान करना चाहिए जो पदक जीतते हैं और विभिन्न ललित कलाओं में पुरस्कार विजेता विशेषज्ञ हैं।
रामदास ने कहा कि 2012 में स्थापित एमएसआरबी ने राज्य के चिकित्सा विभागों में विभिन्न नौकरियों के लिए हजारों लोगों की भर्ती की है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे पड़ोसी राज्यों की ओर इशारा करते हुए रामदास ने कहा कि उनके पास कुशल खिलाड़ियों और पुरस्कार विजेता कलाकारों के लिए नौकरी का कोटा है।
रामदास ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार के कुछ विभागों में खेल हस्तियों के लिए नौकरी कोटा है, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित विभागों में ऐसा कोई कोटा नहीं है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अगस्त | माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने कहा है कि उपयोगकर्ता अब एक ही ट्वीट को 20 अलग-अलग डीएम बातचीत में साझा कर सकते हैं। यह कार्यक्षमता कई नई सुविधाओं का हिस्सा है, जिसकी घोषणा ट्विटर ने गुरुवार को अपने डारेक्ट मैसेज को लेकर की।
कंपनी ने एक ट्वीट में कहा, जब आप एक से अधिक लोगों को एक ट्वीट डीएम करते हैं तो कोई और (अजीब) आकस्मिक समूह चैट नहीं करता है। अब आप एक ही ट्वीट को 20 अलग-अलग डीएम काफिलों में अलग-अलग साझा कर सकते हैं।
यह फीचर आने वाले हफ्तों में पहले आईओएस और ट्विटर के वेब वर्जन और जल्द ही एंड्रॉइड पर आ रहा है।
ट्विटर ने कहा कि एक संदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए, डबल-टैप है और अब लॉन्ग प्रेस है।
ट्विटर ने कहा, जब आप किसी संदेश को लंबे समय तक दबाते हैं, तो आप प्रतिक्रिया पिकर को खींचने के लिए मेनू से 'प्रतिक्रिया जोड़ें' पर टैप कर सकते हैं। आईओएस पर यह रोल आउट हो रहा है।
आईओएस यूजर्स के लिए ट्विटर डीएम टाइमस्टैम्प में बदलाव कर रहा है।
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने कहा कि कंपनी ने कम टाइमस्टैम्प अव्यवस्था के लिए संदेशों को तिथि के अनुसार समूहीकृत करके बातचीत को स्कैन करना आसान बना दिया है।
एक और फीचर जोड़ते हुए, ट्विटर ने कहा कि जब आप चैट को स्क्रॉल कर रहे होते हैं, तो एक नया क्विक-स्क्रॉल बटन डाउनवर्ड एरो आपको नवीनतम संदेश पर जाने देगा।
यह फीचर एंड्रॉयड और आईओएस दोनों यूजर्स के लिए उपलब्ध है।
इस साल मई में, ट्विटर ने दो साल पहले आईओएस डिवाइस पर फीचर लॉन्च करने के बाद, एंड्रॉइड इकोसिस्टम में डरेक्ट मैसेज सर्च लाया है।
इस साल की शुरूआत में, माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने घोषणा की कि वह भारत में 140 सेकंड तक के डायरेक्ट मैसेज (डीएम) में वॉयस मैसेज का परीक्षण कर रहा है।
जब अमेरिकी सेना मौजूद थी, तालिबान को दूर-दराज के गांवों में धकेल दिया गया था। सेना के संपर्क में रहने वाले स्थानीय ग्रामीण अपने गांव वापस जाने से बहुत डरते थे। तालिबान ने उन्हें गांवों के अंदर जाने से पहले उनकी उंगलियों के निशान ले लिए। अगर किसी का सेना से संबंध पाया जाता है, तो वे उसे मार डालेंगे। उन्होंने कहा कि सेना के संपर्क में रहने वाले ग्रामीण सालों से अपने स्थानों पर नहीं गए।
दीपक कुमार ने इंटरनेट पर अफगानिस्तान में सेना के एक अड्डे पर नौकरी की रिक्ति पाई और स्काइप पर साक्षात्कार में भाग लिया।
फिर उन्होंने नई दिल्ली में एक मेडिकल परीक्षा में भाग लिया और काबुल पहुंचे। उन्हें पांच या छह महीने में एक बार तीन दिन की छुट्टी दी जाती थी और उनके यात्रा खर्च का ध्यान रखा जाता था।
उन्होंने कहा, "शुरूआत में मैं डर गया था। चूंकि यह एक सैन्य अड्डा था जहां सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है और मेरे कई दोस्त पहले से ही काम कर चुके हैं, इसलिए मैंने काम करना चुना।" (आईएएनएस)
मंगलुरु, 20 अगस्त | अफगानिस्तान के हेरात में अमेरिका और नाटो सैन्य अड्डे के बचाव दल में काम करने वाले 35 वर्षीय दीपक कुमार यू ने अपने कार्यकाल के दौरान युद्धग्रस्त देश में तालिबान के साथ आतंक के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "मैं हेरात शहर के स्थानीय लोगों के संपर्क में हूं, जिन्होंने मेरे साथ काम किया। पूरे शहर में कर्फ्यू जैसा माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।"
केवल काबुल हवाईअड्डा चल रहा है और बाकी सभी बंद हैं।
वे कहते हैं, "जब हमें निकाला गया था, तो वहां कोई भीड़ नहीं थी, जैसा कि काबुल में हो रहा है। हमारा ठिकाना खाली कराने के बाद उसे स्थानीय सरकार को सौंप दिया गया था।"
दक्षिण कन्नड़ के पुत्तूर से दीपक कुमार ने छह साल तक ईरान सीमा पर हेरात सेना के अड्डे पर काम किया।
वे कहते हैं, "हमने पुर्तगाली और ब्रिटिश नागरिकों के साथ काम किया। टीम में कुछ लोग महाराष्ट्र और केरल राज्यों से भी शामिल हुए।"
वे कहते हैं, "अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं दो साल और अफगानिस्तान में रहने की योजना बना रहा था।"
हालांकि, वह 22 जून को अफगानिस्तान से अपने सहयोगियों मिथुन शेट्टी, शेखर, हैदर और अन्य के साथ लौटे हैं।
उन्होंने कहा, "सैन्य ठिकाने उन क्षेत्रों में स्थापित किए गए थे जहां आतंकवादी ज्यादा सक्रिय थे। जब मैं एक सैन्य अड्डे पर काम करता था, तो तालिबान द्वारा लॉन्च किए गए रॉकेट परिसर के ठीक अंदर गिरते थे। रडार का इस्तेमाल इसे पहचानने और गिरने से पहले एक संकेत देने के लिए किया जाता था। हम अच्छी तरह से बने बंकरों में भागते थे। जब तक मैं वहां था, रॉकेट फायरिंग के कारण किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी।"
उन्होंने कहा, "सैन्य कर्मियों ने कभी भी हमारे साथ कोई जानकारी साझा नहीं की, हालांकि, हम उनके अभियानों को खुशी से देखते थे।"
उन्होंने कहा, "जो लोग लड़ाकू विमानों में तालिबान के खिलाफ लड़ने गए थे, वे शवों और घायल सैनिकों के साथ लौट आए। उनका इलाज बेस अस्पतालों में किया गया।"
जब तक अमेरिकी सेना मौजूद थी, तालिबान ने कभी अपनी पूंछ नहीं हिलाई। लेकिन, दीपक कुमार के अनुसार, तालिबान युद्ध की घोषणा करने के लिए आधुनिक गोला-बारूद के साथ तैयार था।
वे बताते हैं, जब अमेरिका ने अपने सशस्त्र बलों को वापस लेने का फैसला किया, तो अफगानिस्तान के स्थानीय लोग जो संपर्क में थे, डर गए। वे कहते थे कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद एक महीने में तालिबान पूरे देश पर कब्जा कर लेगा, यह सच हो गया है।
वे कहते हैं, जब अमेरिकी चले गए, तो उन्होंने अफगानिस्तान की सेना को प्रशिक्षित किया था। हालांकि, सेना, लगभग 3 लाख मजबूत, 50-60,000 तालिबान सेना के खिलाफ बचाव नहीं कर सकी। अफगानों ने इसकी भविष्यवाणी की थी और अफगान लोगों का स्वभाव वास्तव में अच्छा है।
अमेरिका और नाटो देशों द्वारा स्थापित सैन्य व्यवस्था में कई भारतीय थे। उनमें से ज्यादातर अमेरिकी सेना की वापसी के बाद लौट आए हैं। मेरे सभी दोस्त भी सकुशल देश लौट गए हैं। (आईएएनएस)
भोपाल, 20 अगस्त | मध्य प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने नियुक्ति की है। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का कुलपति जबलपुर के संभागायुक्त बी चंद्रशेखर को बनाया गया है, वहीं उज्जैन के महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति की जिम्मेदारी विजय कुमार को सौंपी गई है। राज्यपाल पटेल ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 की अनुसूची की धारा 13 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य शासन से परामर्श के उपरांत कुलपति की नियुक्ति की है। राज्यपाल पटेल ने कुलपति के पद पर आयुक्त जबलपुर संभाग बी. चन्द्रशेखर को नियुक्त किया है। आयुक्त बी. चन्द्रशेखर वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किये गए है।
इसी तरह राज्यपाल पटेल ने उज्जैन के महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति पद पर वेद एवं व्याकरण विभाग, कविकुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक नागपुर के प्रोफेसर श्री विजय कुमार को नियुक्त किया है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति पटेल ने महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 की धारा 28 की उपधारा एक में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कुलपति की नियुक्ति की है। कुलपति के रुप में प्रोफेसर विजय कुमार का कार्यकाल कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से चार वर्ष की कालावधि के लिए होगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अगस्त | कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कई मुद्दों पर चर्चा के लिए शुक्रवार को विपक्षी दलों के साथ बैठक करेंगी। पार्टी नेताओं के अनुसार, सोनिया गांधी संसद के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र सहित मुद्दों पर चर्चा के लिए विपक्षी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक की अध्यक्षता करेंगी।
पार्टी नेता ने कहा कि कम से कम 18 विपक्षी दलों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वर्चुअली मिलने का कार्यक्रम है, जिसमें आर्थिक मंदी, कोविड -19 महामारी का कथित कुप्रबंधन, पेगासस स्पाइवेयर विवाद और किसानों का विरोध जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इन मुद्दों ने हाल ही में समाप्त हुए सत्र को झकझोर कर रख दिया था।
सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक को गांधी परिवार द्वारा विपक्ष के बीच सेंट्रल फिगर के रूप में अपनी स्थिति को फिर से स्थापित करने के लिए उठाए गए कदम के रूप में देखा जा रहा है।
मानसून सत्र के दौरान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नाश्ते पर विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की थी।
यहां तक कि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी 9 अगस्त को एक डिनर पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें कई शीर्ष विपक्षी नेताओं ने भाग लिया था।
सिब्बल ने कहा, "राजीव गांधी की 77वीं जयंती। इस बात की खुशी है कि सोनिया गांधी इस दिन विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगी। राजीव गांधी ने भारत के आधुनिकीकरण के युग की शुरूआत की और प्रौद्योगिकी क्रांति की शुरूआत की। हम उन्हें प्यार से याद करते हैं।" (आईएएनएस)
मुंबई, 20 अगस्त | यामी गौतम धर ने आगामी खोजी नाटक 'लॉस्ट' के लिए अपनी भूमिका की तैयारी शुरू कर दी है, जिसकी शूटिंग कोलकाता में हो रही है। अभिनेत्री का कहना है कि किरदार को अपनेपन का एहसास दिलाने के लिए भाषा मौलिक है और वह हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि उन्हें क्षेत्रीय उच्चारण सही मिले। बंगाल के गढ़ में स्थित एक उग्र क्राइम रिपोर्टर के रूप में, यामी अपने चरित्र की त्वचा में ढलने के लिए भाषा सीखकर अतिरिक्त मील जा रही है।
यामी ने कहा, "चरित्र को अपनेपन की भावना देने और स्क्रीन पर वास्तविक दिखने में भाषा मौलिक है। मैं हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हूं कि मुझे क्षेत्रीय उच्चारण या बोली सही लगे, यहां तक कि एक संक्षिप्त संवाद के लिए भी।"
अभिनेत्री ने कहा, " 'लॉस्ट' के लिए, मैं सेट पर बंगाली क्रू के साथ उनके भाषण की छोटी बारीकियों को समझने के लिए बातचीत कर रही हूं। यह मेरी भूमिका के लिए इसके उच्चारण को पकड़ने में भी मदद कर रहा है।"
अनिरुद्ध रॉय चौधरी मीडिया की अखंडता के मुद्दे पर आधारित 'लॉस्ट' का निर्देशन कर रहे हैं।
यामी के पास पाइपलाइन में 'ए थ्रसडे', 'दसवी' और 'भूत पुलिस' भी हैं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 20 अगस्त | पंजाब में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनके कट्टर विरोधी रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को यहां सौहार्दपूर्ण माहौल में मुलाकात की और बाद में अपने फोटो साझा किए। मुख्यमंत्री के प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, "सत्तारूढ़ दल और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने और सरकारी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और सुधार की पहल में तेजी लाने के लिए, मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू ने शुक्रवार को 10 सदस्यीय 'रणनीतिक नीति समूह' स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।"
मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले इस समूह में लोकल गवर्मेट मिनिस्टर ब्रह्म मोहिंद्रा, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और सामाजिक सुरक्षा मंत्री अरुणा चौधरी, सिद्धू और पार्टी के चार कार्यकारी अध्यक्ष - कुलजीत सिंह नागरा, सुखविंदर सिंह डैनी, संगत सिंह गिलजियान और पवन गोयल और परगट सिंह शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि यह फैसला आज सुबह तब लिया गया जब सिद्धू ने नागरा और परगट के साथ मुख्यमंत्री से पंजाब से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने और पार्टी-सरकार समन्वय को मजबूत करने के कदमों पर चर्चा की।
समूह आवश्यकतानुसार अन्य मंत्रियों, विशेषज्ञों आदि के परामर्श से साप्ताहिक बैठकें करेगा। यह पहले से ही कार्यान्वयन के तहत राज्य सरकार की विभिन्न पहलों की प्रगति पर चर्चा और समीक्षा करेगा, और इसे तेज करने के उपायों का भी सुझाव देगा। (आईएएनएस)