राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 28 सितम्बर | देशभर में अपने जनाधार और जनपतिनिधियों की संख्या बढ़ाने की मुहिम में लगी भाजपा को पुड्डुचेरी में एक बड़ी कामयाबी मिली है। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के नाम से गठित होने वाले राजनीतिक दल को पहली बार पुड्डुचेरी से राज्यसभा की सीट मिली है। पार्टी की इस सफलता से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुड्डुचेरी से भाजपा को पहली बार राज्यसभा सीट मिलने को पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के लिए गर्व की बात बताया है। पुड्डुचेरी की जीत से उत्साहित प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके लिखा कि यह भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं के लिए गर्व की बात है कि हमारी पार्टी को एस सेल्वागणपति जी के रूप में पुड्डुचेरी से पहला राज्यसभा सांसद मिला है।
प्रधानमंत्री ने पुड्डुचेरी की जनता का आभार जताते हुए यह भरोसा दिलाया कि वे राज्य की प्रगति के लिए लगातार कार्य करते रहेंगे।
आपको बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में भाजपा, एआईएनआरसी की गठबंधन सरकार है और समझौते के तहत इस बार राज्यसभा सीट भाजपा के खाते में आई है और इस तरह से पुड्डुचेरी से पहली बार राज्यसभा में भाजपा का कोई सांसद पहुंचा है और वो भी निर्विरोध निर्वाचित होकर।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के दो सहयोगियों सवार्नंद सोनोवाल और एल मुरुगन को भी राज्यसभा चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होने पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि मेरे मंत्रिमंडलीय सहयोगियों सवार्नंद सोनोवाल और एल मुरुगन को क्रमश: असम और मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने पर बधाई।
उन्होने अपने दोनों मंत्रिमंडलीय सहयोगियों पर विश्वास जताते हुए लिखा कि ये दोनों संसद की कार्यवाहियों में अपना योगदान देंगे और लोगों की भलाई के हमारे एजेंडे को बढ़ाएंगे।
आपको बता दें कि सोमवार को इन सीटों पर नाम वापस लेने की आखिरी तारीख थी और इन सभी सीटों पर एक ही उम्मीदवार होने की वजह से निर्वाचन अधिकारियों ने इन्हे निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 सितम्बर | लाहौर का एक सत्र अदालत ने पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के धारा 295 सी के तहत ईश-निंदा के आरोप में एक मुस्लिम महिला को मौत की सजा सुना दी। डॉन न्यूज ने इसकी जानकारी दी। फैसले में कहा, "दोषी सल्मा तनवीर को मौत की सजा सुनाई गई है और पीकेआर फाइन यू/एस 295-सी पीपीसी के तहत 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।"
अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश मंसूर अहमद कुरेशी ने अपने 22-पेज के फैसले में कहा, "यह उचित संदेह से परे साबित हुआ है कि सल्मा तनवीर ने पवित्र पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) के संबंध में अपमानजनक लेखन लिखे और वितरित किए और वह साबित करने में नाकाम रहे कि उसका मामला पीपीसी की धारा 84 द्वारा प्रदान किए गए अपवाद में पड़ता है।"
डॉन समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि एक निजी स्कूल के मालिक और प्रिंसिपल पर अपने लेखन की फोटोकॉपी वितरित करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें उन्होंने भविष्यवक्ता की अंतिमवस्था से इंकार कर दिया और उन्हें एक भविष्यद्वक्ता के रूप में दावा किया।
महिला के वकील, मुहम्मद रमजान ने तर्क दिया था कि संदिग्ध घटना के समय अस्वस्थ मस्तिष्क में थी।
उन्होंने कहा कि संबंधित मजिस्ट्रेट ने संदिग्ध की मानसिक परीक्षा का आदेश दिया था जो संदिग्ध के हिस्से पर किसी भी गलती के बिना लंबित रहा था।
इस वकील ने आगे कहा कि फोटोकॉपीज से लेखन की तुलना संभव नहीं थी क्योंकि कथित दस्तावेजों की फोटोकॉपी में छेड़छाड़ की गई थी।
एक राज्य अभियोजक, सदिया आरिफ ने शिकायतकर्ता के वकील गुलाम मुस्तफा चौधरी की सहायता करते हुए अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अभियोजन पक्ष ने मौखिक और वृत्तचित्र साक्ष्य के आधार पर अपना मामला साबित कर दिया।
उन्होंने कहा कि संदिग्ध यह साबित करने में असफल रहा कि निन्दा सामग्री लिखने और वितरित करने के समय वह अपने कार्य की प्रकृति को जानने में असमर्थ थी।
धारा 84 असुरक्षित दिमाग के व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित है।
निश्तर कॉलोनी पुलिस ने स्थानीय मस्जिद के कारी इफ्तिखार अहमद रजा की शिकायत पर महिला के खिलाफ 2 सितंबर, 2013 को प्राथमिकी दर्ज की थी।
न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि रिकॉर्ड से पता चला कि महिला अपनी गिरफ्तारी तक अपने स्कूल को अकेले चला रही थी।
इसलिए, महिला को कानूनी पागलपन से पीड़ित नहीं होने के लिए कहा जा सका।
न्यायाधीश ने आगे देखा कि यह स्पष्ट था कि संदिग्ध असामान्यता से मुक्त नहीं थी अन्यथा, वरना ऐसी अपमानजनक सामग्री को लिखकर उसके वितरित नहीं करती। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 सितम्बर | राष्ट्रीय राजधानी की मंडोली जेल में कम से कम 25 कैदियों ने जानबूझकर खुद को घायल कर लिया है। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को दी। सूत्रों के अनुसार, यह घटना सोमवार शाम को जेल नंबर 11 में हुई जब दो कैदी दानिश और अनीश बिना किसी कारण के अपने वार्ड से बाहर जाना चाहते थे। बाद में पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक दिया क्योंकि दोनों के बीच एक मौजूदा गिरोह प्रतिद्वंद्विता थी।
जेल सूत्रों ने कहा, "इस बात ने उन्हें उत्तेजित कर दिया और उन्होंने खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहा।"
इसके बाद अन्य कैदियों ने भी दीवारों पर सिर पीटकर और एक-दूसरे को छुरा घोंपकर खुद को घायल करना शुरू कर दिया। इसके बाद जेल अधिकारियों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा।
सूत्रों ने कहा, "करीब 25 कैदियों को मामूली चोटें आई, जिनमें से एक को नजदीकी अस्पताल ले जाना पड़ा।"
गौरतलब है कि रोहिणी कोर्ट में जितेंद्र सिंह मान उर्फ 'गोगी' की नाटकीय हत्या के बाद अधिकारियों ने उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल, मंडोली जेल और रोहिणी समेत दिल्ली की सभी जेलों में गैंगवार की आशंका जताई है। जेल को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
गोगी तिहाड़ जेल में बंद था जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी टीलू ताजपुरिया मंडोली जेल में हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 28 सितम्बर | अगले 48 घंटे के भीतर देश भर के सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों को 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों का डेटा अपडेट और अपलोड करना होगा। स्कूलों से यह डेटा मिलने के बाद ही सीबीएसई बोर्ड इस साल नवंबर में शुरू होने वाली पहले बैच की बोर्ड परीक्षाओं की डेट शीट घोषित करेगा। सीबीएसई बोर्ड फिलहाल देश भर के 10वीं एवं 12वीं कक्षा के सीबीएसई छात्रों का ब्यौरा एकत्र कर रहा है। इस संदर्भ में सीबीएसई बोर्ड ने देशभर के स्कूलों के लिए एक नोटिस भी जारी किया है। नोटिस में सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि सभी स्कूलों को तय समय में छात्रों की जानकारी 'लिस्ट ऑफ कैडिडेट्स' यानी एलओसी बनाकर बोर्ड को भेजनी है। स्कूलों द्वारा यह प्रक्रिया 30 सितंबर पूरी की जानी है।
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज के मुताबिक सीबीएसई बोर्ड इस बार दो चरणों में बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कर रहा है। कोरोना महामारी के मद्देनजर सावधानी बरतते हुए यह फैसला लिया गया है। इस योजना के तहत बोर्ड परीक्षा का पहला चरण नवंबर व दिसंबर माह के दौरान आयोजित किया जाएगा।
सीबीएसई बोर्ड का कहना है कि पहले चरण की परीक्षाओं की तैयारियों को देखते हुए बोर्ड ने सभी स्कूलों और प्रधानाचार्यों को उम्मीदवारों की सूची जमा करने का निर्देश दिया है।
देशभर के ऐसे सभी स्कूल जो सीबीएसई से एफिलिएटिड है वे अब अपनी आधिकारिक लिस्ट सीबीएसई के संबंधित पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे। सीबीएसई के मुताबिक स्कूलों के लिए यह सुविधा 30 सितंबर तक जारी रहेगी।
यह प्रक्रिया शुक्रवार यानी 17 सितंबर से शुरू हो गई है। इस माह के अंत यानी 30 सितंबर तक देशभर के सभी सीबीएसई स्कूल बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले अपने छात्रों का ब्यौरा सीबीएसई को भेज सकते हैं। यह ब्यौरा ऑनलाइन माध्यम से बोर्ड को भेजा जाएगा।
दरअसल सीबीएसई बोर्ड 16 अगस्त को ही स्कूलों को छात्रों का ब्यौरा यानी एलओसी बनाने का निर्देश दे चुका है। बोर्ड द्वारा इस प्रक्रिया को आधिकारिक रूप से 17 सितंबर से शुरू किया जा रहा है इसके लिए उपलब्ध कराए गए पोर्टल पर जाकर विभिन्न स्कूलों को अपना विवरण अपलोड करना होगा। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 28 सितम्बर | पुलिस ने मंगलवार को बताया कि ओडिशा के पिपिली इलाके के बलंगा पुलिस थाने में बीती आधी रात को भीषण विस्फोट हुआ। पुलिस ने कहा कि थाने में मलखाना की संतरी सरोज बेहरा विस्फोट से बाल-बाल बच गई, जबकि अन्य कर्मचारी उपचुनाव ड्यूटी पर थे।
पुलिस को संदेह है कि विस्फोट विभिन्न क्षेत्रों में छापेमारी के बाद मलखाना में जब्त और जमा किए गए विस्फोटकों के बड़े जखीरे के कारण हुआ होगा।
धमाका इतना जोरदार था कि पूरा कार्यालय भवन ढह गया जबकि आग में लगभग सभी कार्यालय का सामान, दस्तावेज, और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान जल कर राख हो गया।
सेंट्रल रेंज के आईजी नरसिंह भोला और पुरी के एसपी कंवर विशाल सिंह ने थाने का दौरा कर इसकी जांच की।
एसपी सिंह ने कहा कि विस्फोट में इमारत के सभी बिजली के उपकरण और फर्नीचर क्षतिग्रस्त हो गए है। विस्फोट में कोई चोट या हताहत नहीं हुआ है। हमने घटना की जांच शुरू कर दी है। अतिरिक्त एसपी पी. प्रधान को प्रारंभिक जांच करने और जांच से जुड़ी एक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेजों और रिपोटरें का विश्लेषण करने के बाद विस्तृत और गहन जांच की जाएगी।
सिंह ने कहा कि जिला स्तरीय वैज्ञानिक और बम निरोधक दल पहले ही मौके पर पहुंच चुके हैं जबकि राज्य फोरेंसिक लैब की एक टीम भी इसकी जांच करेगी।
भोला ने कहा कि अगर कोई पुलिस अधिकारी जांच रिपोर्ट में दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि वहां बहुत सारे जब्त विस्फोटक थे। इसलिए, हमें उस विशेष विस्फोटक का पता लगाना होगा जो विस्फोट का कारण बना और इसका प्रभारी कौन था।
ओडिशा पुलिस के आईजी ने कहा कि इस विस्फोट के बाद सभी पुलिस थानों को निर्देश दिया गया है कि जब्त विस्फोटक को या तो निष्क्रिय कर दिया जाए या ऐसी घटना से बचने के लिए सुरक्षित स्थान पर रखा जाए।
उन्होंने कहा कि थाना अब अस्थायी भवन से चलेगा और जल्द ही थाना प्रभारी के लिए नए भवन के निर्माण के लिए राशि मांगी जाएगी।
इस बीच, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की। पात्रा ने कहा कि पिपिली क्षेत्र में लंबे समय से गिरोह युद्ध और बमबारी की खबरें आती रही हैं। हाल ही में, सतसंखा में भाजपा कार्यालय पर एक बम फेंका गया था, जिसकी मीडिया में खबर आई थी।
उन्होंने सवाल किया कि जहां पुलिस ही सुरक्षित नहीं है, वे लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?
अपनी प्रतिक्रिया में, बीजेडी के वरिष्ठ नेता और मंत्री समीर दास ने कहा कि यह संदेह था कि विस्फोट 2018 में जब्त किए गए विस्फोटकों के कारण हुआ और सौर बैटरी भी वहां संग्रहित की गई थी। दास ने कहा कि इस घटना से उपचुनाव का कोई संबंध नहीं है।
ओडिशा के पुरी जिले में पिपिली विधानसभा क्षेत्र के लिए लंबे समय से लंबित उपचुनाव 30 सितंबर को होगा। सुरम्य विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव की आवश्यकता थी क्योंकि इसके मौजूदा बीजेडी विधायक प्रदीप महारथी की अक्टूबर 2020 में कोविड -19 के कारण मौत हो गई थी। (आईएएनएस)
भोपाल, 28 सितम्बर | मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह की सक्रियता एक बार फिर तेजी से बढ़ चली है, वे हर मोर्चे पर पार्टी की कमान संभाले नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इन दिनों चुप्पी साधे हुए हैं, तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ स्वास्थ्य कारणों से देश से बाहर हैं। बीते कुछ दिनों की राज्य की सियासी हलचल और खासकर कांग्रेस की गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सक्रियता सबसे ज्यादा नजर आती है। वे राज्य के अलग-अलग हिस्सों में दौरे कर रहे हैं, आंदोलन, धरना और प्रदर्शन में हिस्सा भी ले रहे हैं। इसके साथ ही सीधे तौर पर वे सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिग्विजय सिंह ही सबसे ज्यादा सक्रिय हों, हां कुछ नेता जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो, जीतू पटवारी, पीसी शर्मा, कमलेश्वर पटेल, सचिन यादव जैसे नेता भी अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं, मगर इन सभी नेताओं की सक्रियता सीमित दायरे में है। पूरे राज्य में अगर कोई एक नेता सक्रिय है तो वह दिग्विजय हैं। इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व मंत्री अजय सिंह जैसे तमाम नेताओं की सक्रियता नजर नहीं आ रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की इन दिनों स्वास्थ्य कारणों से देश के बाहर हैं। इन स्थितियों में मध्य प्रदेश की कांग्रेस की कमान पूरी तरह दिग्विजय सिंह ने थाम रखी है। उन्होंने सोमवार को भोपाल में किसान आंदोलन में हिस्सा लिया तो है, मंगलवार को इंदौर में प्रदर्शन करने पहुंच गए।
कांग्रेस ने इंदौर में प्रदर्शन का ऐलान किया है। यह प्रदर्शन कई कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा की गई जिला बदर कार्रवाई का विरोध को लेकर है। इस प्रदर्शन में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सड़क पर उतरे हैं।
कांग्रेस के इंदौर प्रदर्शन पर भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने तंज कसते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह और कांग्रेस कभी-कभी बाहर निकलते हैं। उन्हें प्रदेश और शहर के विकास की चिंता नहीं है। वह केवल गैरकानूनी काम करने वाले लोगों के समर्थन में सामने आते हैं। (आईएएनएस)
भारत में दस लोगों को पुलिस ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर परीक्षा में नकल करने की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने चप्पलों में ब्लू टूथ डिवाइस छिपा रखी थी.
डॉयचे वेले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
राजस्थान पुलिस ने दस लोगों को आधुनिक तकनीक की मदद से नकल करने की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने अपनी चप्पलों में ब्लू टूथ डिवाइस छिपा रखी थीं.
भारत में नकल एक बड़ी समस्या रही है. रविवार को राजस्थान में सरकारी परीक्षा हुई जिसमें 16 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इस परीक्षा में नकल रोकने के लिए कड़े प्रबंध किए गए थे. परीक्षा जारी रहने के दौरान पुलिस को मोबाइल फोन जब्त करने के भी अधिकार दिए गए थे.
हाईटेकनकल
पुलिस का कहना है कि कुछ अभ्यार्थियों ने इन कड़े प्रतिबंधों का तोड़ निकालने की कोशिश की थी. उन्होंने अपनी चप्पलों के तले में ब्लू टूथ डिवाइस छिपा ली थी. इस डिवाइस से फोन कॉल रिसीव की जा सकती थी जिसे कान में लगाए बहुत छोटे वायरलेस रिसीवर के जरिए सुना जा सकता था.
बीकानेर में पुलिस अधिकारी प्रीति चंद्रा ने मीडिया को बताया कि आरोपियों की योजना थी कि बाहर बैठे कुछ लोग कॉल करेंगे और सवालों के जवाब बताएंगे. यह परीक्षा शिक्षकों की भर्ती के लिए हो रही थी.
चंद्रा ने कहा कि परीक्षा से एक दिन पहले ही केंद्र के बाहर घूम रहे कुछ लोगों पर पुलिसकर्मियों को संदेह हुआ तो उनकी तलाशी ली गई, जिसमें योजना का पता चला.
चंद्रा ने बताया, "हम इससे वाकिफ थे कि नकल की कोशिश हो सकती है. लेकिन हमने सोचा था कि कोई पेपर लीक करने की कोशिश कर सकता है या फिर इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसीलिए कई जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया था. लेकिन यह तरीका एकदम नया था. वे तकनीकी रूप से मजबूत हो रहे हैं.”
पुलिस की जांच में पता चला कि कम से कम 25 परीक्षार्थियों ने एक गैंग से ये चप्पल 60-60 हजार रुपये में खरीदी थीं. बीकानेर पुलिस ने यह सूचना अन्य जिलों में परीक्षा केंद्रों तक भी भेजी जिसके बाद परीक्षार्थियों को कमरे के बाहर ही जूते-चप्पल निकालने को कहा गया.
चंद्रा बताती हैं कि एक मामले में तो पुलिस को अभ्यार्थी का पता परीक्षा क बाद चला. उन्होंने कहा, "एक छात्र को हमने एग्जाम के बाद पकड़ा और हमें उसके कान से ब्लूटूथ डिवाइस निकलवाने के लिए उसे डॉक्टर के पास ले जाना पड़ा.”
बीमारीबनचुकीनकल
भारत में स्कूल-कॉलेज की परीक्षाओं में ही नहीं, सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी नकल बहुत ज्यादा बढ़ रही है और अधिकारियों को नकलार्थियों के आधुनिक तरीकों से निपटने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.
अधिकारी बताते हैं कि नकल करने के तरीकों में किसी अन्य के स्थान पर परीक्षा देना भी शामिल है जिसे कुछ लोगों ने तो अपना पेशा ही बना लिया है. इसके अलावा पेपर चुराना और उन्हें बेचना भी एक पेशेवर अपराध बन चुका है.
राजस्थान में हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा का पेपर लीक होने के भी आरोप लगे हैं. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक परीक्षा से दो घंटे पहले ही पर्चा लीक हो गया था. पिछले महीने हरियाणा में पुलिस भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
इसी साल फरवरी में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक होने के मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसी घटनाएं देश की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर रही हैं. कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश के व्यापम जैसे मामले शिक्षा प्रणाली को खराब कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे ने कहा, "हम एक संदेश देना चाहते हैं. ये लोग शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर रहे हैं. हम उन मामलों से गुजर रहे हैं जहां शिक्षा प्रणाली विकृत और खराब की गई है.” उन्होंने कहा था कि हम जानते हैं कि मध्य प्रदेश में व्यापम मामले में क्या हुआ था. (dw.com)
अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन अगले महीने भारत और पाकिस्तान के दौरे पर जा रही हैं. सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान का सत्तारोहण इस यात्रा के केंद्र में होगा.
अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन अगले महीने भारत और पाकिस्तान का दौरा करेंगी. अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए के प्रमुख बिल बर्न्स ने हाल ही में पाकिस्तान दौरा किया है जिसके बाद शरमन सबसे उच्च अमेरिकी अधिकारी होंगी जो भारत के पड़ोसी देश जा रही हैं.
शरमन 7-8 अक्टूबर को पाकिस्तान में होंगी जहां वह वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगी. उससे पहले 6-7 अक्टूबर को वह भारत में रहेंगी. अपने दौरे पर शरमन दिल्ली और मुंबई जाएंगी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक वह अमेरिका-भारत बिजनस काउंसिल की सालाना ‘आइडियाज समिट' को संबोधित करेंगी. शरमन भारत के सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगी.
अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था. पाकिस्तान को तालिबान का करीबी माना जाता है. उधर भारत, जो पश्चिम समर्थक लोकतांत्रिक अफगान सरकार की मदद कर रहा था, तालिबान को लेकर लगातार अपनी चिंताएं जताता रहा है. उसने अफगानिस्तान की स्थिति में पाकिस्तान की भूमिका पर नजर रखने की भी अपील की है.
1996 से 2001 तक जब तालिबान पिछली बार अफगानिस्तान पर काबिज था, तब भी पाकिस्तान ही उसका सबसे बड़ा समर्थक था. अमेरिका भी पाकिस्तान पर तालिबान की अंदरखाने मदद का आरोप लगाता रहा है.
‘बलि का बकरा'
पाकिस्तान का कहना है कि उस पर लगाए जा रहे इल्जाम अन्यायपूर्ण हैं. सोमवार को अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का एक लेख छपा है जिसमें उन्होंने अपने देश को बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाया है.
खान ने लिखा है, "अफगानिस्तान में बाहरियों द्वारा चलाए जा रहे युद्ध को वैधता नहीं मिल पाई थी, जो एक भ्रष्ट और नाकाबिल सरकार के कारण और बढ़ गई जिसे विशेषकर ग्रामीण अफगानिस्तान में कठपुतली सरकार के रूप में देखा जाता था और उसकी कोई विश्वसनीयता नहीं थी.”
इमरान खान ने कुछ इसी तरह की बात संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सालाना भाषण में कही थीं. अपने लेख में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि तालिबान सरकार के साथ संपर्क बनाए ताकि "शांति और स्थिरता स्थापति हो.”
अपने पूर्ववर्तियों की तरह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में सक्रिय दिलचस्पी दिखाई है. इसके उलट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से उन्होंने अब तक बात भी नहीं की है जबकि उन्हें सरकार में आए नौ महीने हो चुके हैं. हालांकि पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पाक विदेश मंत्री से मुलाकात की और अफगानिस्तान से अमेरीकियों को निकालने में मदद के लिए धन्यवाद किया.
मौजूदगी बनाने की कोशिश
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शरमन अपनी यात्रा के दौरान उज्बेकिस्तान भी जाएंगी. अमेरिका अफगानिस्तान के आसपास कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है क्योंकि वह चाहता है कि इलाके में उसकी फौजों की मौजूदगी इस तरह रहे कि अल कायदा या इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनों पर जल्द कार्रवाई की जा सके.
गुरुवार को वेंडी शरमन जेनेवा में रूस के साथ बातचीत करने वाली हैं, दोनों देशों के नेताओं के बीच रणनीतिक स्थिरता विमर्श का दूसरा दौर होगा. जून में जो बाइडेन और व्लादीमीर पुतिन की पहली बैठक में कथित रणनीतिक स्थिरता विमर्श की शुरुआत की गई थी, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच जारी असहमतियों को बातचीत से दूर करना और तनाव घटाना है.
इस बारे में पहली बैठक जुलाई में हो चुकी है जिसमें हथियारों पर नियंत्रण के मुद्दे पर विस्तृत विमर्श हुआ था. रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान और उसके बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति कई मंचों से कह चुके हैं कि वह रूस से सहयोग बढ़ाना चाहते हैं.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)
दो साल पहले भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था जिसके बाद कश्मीर में काफी तनाव पैदा हो गया. डीडब्ल्यू ने कई कश्मीरियों से बात की, जिनमें से बहुत से लोग भारत सरकार से नाराज दिखते हैं.
डॉयचे वेले पर धारवी वैद की रिपोर्ट
भारत प्रशासित कश्मीर के श्रीनगर में 58 वर्षीय नाविक शब्बीर कहते हैं, "कश्मीर में हर चीज की तरह, मैं भी अपने पिछले दिनों की छायामात्र हूं.”
शब्बीर (बदला हुआ नाम), डल झील पर एक पारंपरिक पीली शिकारा नाव के मालिक हुआ करते थे. झील का तैरता बाजार शब्बीर की आजीविका का मुख्य साधन था. यह तब तक था जब तक भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को भारत प्रशासित कश्मीर की अर्ध-स्वायत्त स्थिति को समाप्त करने का निर्णय नहीं लिया था.
जब इस क्षेत्र ने अपना विशेष दर्जा खो दिया और एक कड़ी सुरक्षा बंद हो गई तो शब्बीर ने अपनी आजीविका के साथ-साथ अपनी पीली नाव भी खो दी.
डीडब्ल्यू से बातचीत में शब्बीर कहते हैं, "मेरे पास एक रिश्तेदार के साथ उसकी नाव पर काम पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं था. मेरी दो बेटियां हैं जिनकी शादी करनी है. सरकारी हुक्मरान कहते हैं कि चीजें वापस सामान्य हो रही हैं, लेकिन मुझे यह दिखाई नहीं दे रहा है. कोई उम्मीद भी नहीं है और न कोई भरोसा है. जो हुआ, उसे मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा.”
कश्मीरका ‘अलगाव'
1947 के बाद से ही यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु हथियारों से लैस दो देशों के बीच विवाद का विषय रहा है.
कश्मीर ने पिछले कुछ दशकों में एक खौफनाक विद्रोह देखा है, साथ ही साथ हजारों हिंदुओं या कश्मीरी पंडितों का सामूहिक पलायन, भारी सैन्यीकरण और सुरक्षा लॉकडाउन के साथ ही मानवाधिकार हनन की तमाम घटनाओं का भी गवाह रहा है.
दकश्मीरवाला के संस्थापक और संपादक फहाद शाह कहते हैं कि कश्मीरी अलग-थलग पड़ गए हैं. "अलगाव को समझने के लिए आपको यह समझने की जरूरत है कि एक छोटा कश्मीरी बच्चा कैसे बड़ा होता है.”
शाह कहते हैं, "साल 1996 के चुनाव के दौरान मैं एक छोटा लड़का था और मुझे याद है कि सेना मेरे घर के अंदर आ रही थी और वहां के लोगों को वोट देने के लिए ले जा रही थी. मुझे याद है कि मैं अपनी मां के साथ आंगन में बैठकर घर को बर्बाद न करने के लिए कह रहा था. आप कश्मीर में बढ़ती हुई कार्रवाई की एक पूरी श्रृंखला को देखिए, आप हमलों और हत्याओं को देखिए. कश्मीर में एक युवा दिमाग शुरू से ही क्यूरेट हो जाता है. आप यह जानने लगते हैं कि सामान्य लोग ऐसा नहीं करते हैं और सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता है.”
'सुलहकासवालनहीं'
उत्तरी कॉलराडो विश्वविद्यालय में राजनीतिक मानवविज्ञानी अतहर जिया को नहीं लगता कि भारत सरकार के साथ सुलह संभव है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहती हैं, "यदि किसी के गले पर कोई चाकू रखे हो, तो मुझे नहीं लगता कि यह सुलह की स्थिति है. मुझे नहीं लगता कि कश्मीर में निरस्तीकरण के बाद की कोई दुनिया है. यह लगातार अपमान की स्थिति है. यदि हम सोचते हैं कि कश्मीरी लोग अपने जख्मों को भूलकर उनके साथ सामंजस्य बिठाएंगे, तो यह भूल होगी. लोग ऐसे जख्मों को नहीं भूलते.”
कश्मीर में जो कुछ हो रहा है जिया उसे "लोगों का धीमा नरसंहार" और "युवा लड़कों की हत्या" कहती हैं. वह कहती हैं, "ये युद्ध अपराध हैं. वे यानी भारत सरकार, सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की इन सड़कों का निर्माण कर रहे हैं. कश्मीरियों को भारत से अपने लिए उम्मीद नहीं दिखती, इसलिए सुलह का सवाल ही नहीं है.”
सुलहकीकोशिशें ?
एक हिंसक विद्रोह और उत्पीड़न के डर ने साल 1990 के दशक की शुरुआत में हजारों कश्मीरी हिंदुओं को उनके घरों से निकाल दिया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद करीब 520 कश्मीरी प्रवासी इस क्षेत्र में लौट आए हैं.
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में प्रशासन कश्मीरी हिंदुओं की वापसी की सुविधा के लिए जरूरी चीजों पर काम तेज कर रहा है. लेखक राहुल पंडिता, उस वक्त 14 साल के थे जब वो अपने परिवार के साथ कश्मीर से भाग गए थे. डीडब्ल्यू से बातचीत में राहुल पंडिता कहते हैं, "मैं सुलह और कश्मीरी पंडितों की वापसी के बारे में भी निराशावादी हूं. हम सुलह या कश्मीरी पंडितों की तथाकथित वापसी की बात करते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि आज की कश्मीर घाटी 1990 की कश्मीर घाटी की तुलना में 10 गुना अधिक कट्टरपंथी है.”
उनके मुताबिक, "कश्मीरी पंडितों से यह उम्मीद करना कि वे शेष भारत या बाकी दुनिया में बहुत सावधानी से अपनी बेहतर जीवनशैली छोड़कर इस कट्टरपंथी घाटी में वापस चले जाएंगे, जहां उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है. उनसे यह पूछना ही उनके प्रति अत्याचार है.”
दक्षिण अफ्रीका और रवांडा में सच्चाई और सुलह आयोगों का हवाला देते हुए राहुल पंडिता कहते हैं कि किसी भी सुलह की पहली आवश्यकता इतिहास की स्वीकृति होती है. वह कहते हैं, "बहुसंख्यक कश्मीरी मुसलमान उन परिस्थितियों से पूरी तरह इनकार करते हैं जिनके कारण कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ. पलायन के तीस साल बाद भी ऐसी कोई स्वीकारोक्ति नहीं हुई, यहां तक कि निजी बातचीत में भी नहीं.”
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1990 के दशक में मारे गए कश्मीरी हिंदुओं की संख्या 219 थी, लेकिन पंडिता कहते हैं कि हिंसा में कम से कम 700 लोग मारे गए थे. पंडिता यह भी कहते हैं कि अभी तक एक भी दोष सिद्ध नहीं हुआ है.
वह कहते हैं, "दुर्भाग्य से यह सरकार भी कश्मीरी पंडितों को किसी भी प्रकार का न्याय देने के प्रति गंभीर नहीं है. उनसे किसी भी सुलह का हिस्सा बनने की उम्मीद करना व्यर्थ है.”
जिया के अनुसार, भारत के राजनीतिक ढांचे ने "इन दो स्वदेशी समुदायों के दर्द को हथियार बना दिया है."
उनके मुताबिक, "मुझे लगता है कि यह इन दोनों समुदायों को सोचना है कि वे एक दूसरे को कितनी दूर तक हथियार बनाना चाहते हैं. क्या कश्मीरी पंडित एक साथ आना चाहते हैं और सेना के घेरे वाले कस्बों में रहना चाहते हैं, या क्या वे ऐसे लोगों के रूप में वापस आना चाहते हैं जो बहुसंख्यक समुदाय वाले पड़ोस के बीच रहना चाहते हैं?”
जिया कहती हैं, "लोगों को इन्हीं मैकियावेलियन नीतियों की इन साजिशों से ऊपर उठना होगा जिन्हें इन सरकारों ने लागू किया है.” (dw.com)
वीपीएन सेवाएं यूजर को रिमोट सर्वर के जरिए इंटरनेट इस्तेमाल करने का मौका देती हैं. जिससे उनकी पहचान छिपी रहती है. वीपीएन के इस्तेमाल से किसी खास देश में बैन वेबसाइट्स भी खोली जा सकती हैं.
डॉयचे वेले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
अगस्त में एक संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया कि भारत में सभी तरह के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) को बैन कर दिया जाना चाहिए. लेकिन जानकार डर जता रहे हैं कि इस कदम के बहुत बुरे परिणाम होंगे. यह न सिर्फ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विसलब्लोअर और पत्रकारों के काम को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि कई कंपनियों और आम लोगों के लिए भी नुकसानदेह साबित होगा.
बता दें कि एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या वीपीएन का इस्तेमाल मुख्य रूप से इंटरनेट पर अपनी पहचान छिपाने के लिए किया जाता है. दरअसल इंटरनेट से जुड़े सभी डिवाइस का एक इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) अड्रेस होता है. इसके जरिए कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार एजेंसियां और इंटरनेट सेवा प्रदाता आदि किसी खास डिवाइस, उसकी जगह और उसे इस्तेमाल करने वाले के बारे में जानकारियां जुटा सकते हैं.
वहीं वीपीएन का इस्तेमाल कर यूजर किसी रिमोट सर्वर या सर्वर्स के जरिए किसी खास सर्वर या वेबसाइट को इस्तेमाल कर सकता है. ऐसा करने से यूजर की पहचान छिपी रहती है. ऐसे वीपीएन जिनका सर्वर दूसरे देश में हो उनका इस्तेमाल कर किसी खास देश में बैन वेबसाइट भी खोली जा सकती हैं. इसीलिए भारत में वीपीएन बैन का सुझाव सामने आया है. समिति का तर्क है कि इससे अपराधों पर लगाम लगेगी.
पूर्णबैनकीसिफारिश
फिलहाल जिस संसदीय समिति ने बैन की सिफारिश की है, उसने इसके लिए 'तकनीकी चुनौतियों' का हवाला दिया है. इसमें कहा गया है कि डार्क वेब और वीपीएन साइबर सिक्योरिटी की चारदीवारी को फांद सकते हैं और ये अपराधियों की ऑनलाइन पहचान छिपाने में मदद करते हैं."
सिफारिश में यह भी कहा गया है कि वीपीएन को आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है और कई सारी वेबसाइट्स ऐसी सुविधाएं दे रही हैं और इनका प्रचार भी कर रही हैं. इसलिए कमेटी का सुझाव है कि गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मंत्रालय (MeitY) के साथ सहयोग करे ताकि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से वीपीएन की पहचानकर उन्हें हमेशा किए ब्लॉक किया जा सके.
डार्कवेबऔरवीपीएनअलग
जानकार मानते हैं कि यह सुझाव, सुई का काम तलवार से कराने जैसा है. अंतरराष्ट्रीय संस्था एक्सेस नाउ में पॉलिसी डायरेक्टर रमनजीत सिंह चीमा कहते हैं, "यह छोटी सी समस्या का बहुत बड़ा इलाज है." वीपीएन को अक्सर ब्लॉक वेबसाइट्स को खोलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि दूसरी ओर डार्क वेब उस इंटरनेट का हिस्सा ही नहीं होता, जिसे लोग आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं.
डार्क वेब का इस्तेमाल करने के लिए अनियन राउटर यानी टॉर (TOR) की जरूरत होती है, जो कि ऐसा गुप्त नेटवर्क होता है, जिसकी अपनी अलग वेबसाइट्स होती हैं. इसकी वेबसाइट, वेब अड्रेस के अंत में 'डॉट कॉम' के बजाए 'डॉट अनियन' एक्सटेंशन का इस्तेमाल करती हैं.
अपराधियोंकोपकड़नामुश्किलनहीं
जानकारों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि वीपीएन का इस्तेमाल कर अपराध कर रहे लोगों को पकड़ा नहीं जा सकता. वीपीएन, यूजर और सेवा के बीच एक केंद्रीय माध्यम होता है, इसकी प्रदाता कंपनियां कभी भी जान सकती है कि यूजर क्या कर रहे हैं. कई सारे सेवा प्रदाता अपने यूजर्स को और ज्यादा सुरक्षा देने के लिए ट्रैफिक को इन्क्रिप्ट कर देते हैं. इसके बावजूद दुनियाभर में कानून व्यवस्था स्थापित करने वाली एजेंसियां वीपीएन इस्तेमाल कर रहे अपराधियों को पकड़ रही हैं बल्कि ये एजेंसियां टॉर जैसे माध्यम की जांच करने में भी सक्षम रही हैं.
साल 2013 में अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (FBI) ने 'सिल्क रोड' नाम के एक डार्क वेब मार्केट प्लेस को बंद किया था, जिस पर ड्रग्स से लेकर इंसानों तक कई गैर-कानूनी चीजें बेची जा रही थीं. उन्होंने इसे चला रहे अपराधी को भी गिरफ्तार किया था.
भारतीयोंकीसुरक्षाउनकेहाथ
जानकार कहते हैं, भारत में इंटरनेट को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं है. लोगों के डेटा की सुरक्षा का कोई कानून नहीं है. यहां कई पॉलिटिकल और सोशल वेबसाइट ब्लॉक हैं. 'डाउरी कैल्कुलेटर' जैसी दहेज के खिलाफ संदेश देने वाली वेबसाइट्स तक बैन हैं.
यूं तो सरकार के पास आईटी एक्ट के तहत इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को किसी वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश देने का अधिकार है लेकिन कई बार कोई वेबसाइट बिना किसी आदेश के ही ब्लॉक कर दी जाती है. रमनजीत सिंह चीमा कहते हैं, "जबकि ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और भारतीय संविधान दोनों के ही खिलाफ है. ऐसे में अगर सरकार वीपीएन बैन का फैसला करती है तो कोर्ट को यह तुरंत वापस लेना चाहिए."
वह कहते हैं, "सबसे बुरी बात है कि इतने बड़े सुझाव के लिए कमेटी की ओर से कोई सबूत या आंकड़े नहीं दिए गए हैं. इसे साबित करने के लिए कोई आंकड़ा नहीं है कि वीपीएन क्राइम को बढ़ावा दे रहा है. और सरकार और कंपनियां वीपीएन को बैन करने की प्रक्रिया में जितना पैसा खर्च करेंगी, उतना पुलिस को साइबर क्राइम के खिलाफ ट्रेनिंग देने में करें तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा. महिलाएं आम अपराध की शिकायत करने पुलिस के पास नहीं जातीं. साइबर क्राइम की शिकायत करने वे तभी जाएंगी जब उन्हें पुलिस पर विश्वास होगा. यह विश्वास पैदा करने की जरूरत है."
आमयूजर्सऔरकंपनियोंकेलिएजरूरी
रमनजीत सिंह चीमा के मुताबिक, "वीपीएन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी जरूरी है." वहीं एक्सेस नाउ की एशिया पैसेफिक काउसंल नम्रता माहेश्वरी कहती हैं, "कई बार आम लोग बिना विज्ञापनों के इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहते हैं. वीपीएन के जरिए उन्हें ऐसा करने की छूट मिलनी चाहिए. इस उद्देश्य से ही कई सारे सर्च इंजन में अब वीपीएन खुद ही इंबेड होता है. भारत सरकार ने कई वेबसाइट को बिना वजह बताए बैन किया हुआ है. कई बैन पर अभी कोर्ट में मामले विचाराधीन हैं. ऐसी वेबसाइट की सेवाओं के लिए भी वीपीएन की काफी उपयोगिता होती है."
जानकारों के मुताबिक वीपीएन बैन इसलिए भी एक खराब कदम है क्योंकि व्यक्तिगत यूजर्स के अलावा कई बिजनेस भी इसका इस्तेमाल करते हैं. लगभग वे सभी बिजनेस जिनके कर्मचारी कंपनी से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे हैं. रमनजीत सिंह चीमा बताते हैं, "कंपनियां खुद अपने कर्मचारियों को वीपीएन इस्तेमाल करने के लिए कह रही हैं." कॉरपोरेट इसका इस्तेमाल कर एक इंटर्नल नेटवर्क बना रहे हैं, जिसे कर्मचारी उस समय एक्सेस कर सकते हैं, जब वे ऑफिस में न हों. और वर्क-फ्रॉम-होम के दौर में यह एक जरूरी उपाय हो चुका है. (dw.com)
दक्षिण कन्नड़, 27 सितंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में सोमवार को एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा रेप पीड़िता नाबालिग लड़की के साथ रेप किए जाने की चौंकाने वाली घटना सामने आई। बच्ची के पिता ने दक्षिण कन्नड़ के कदबा थाने में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घटना के बाद से आरोपी पुलिस कांस्टेबल लापता हो गया है।
नाबालिग लड़की ने दो साल पहले कदबा थाने में रेप का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस कांस्टेबल मामले को लेकर लड़की से बातचीत करने उसके घर जाने लगा। पीड़िता के पिता ने शिकायत में उल्लेख किया है कि वह समन देने के बहाने उसके घर जाता था।
आरोपी ने रेप पीड़िता से वादा किया था कि वह उससे शादी करेगा और उसका यौन शोषण करता रहा। शिकायत में कहा गया है कि जब लड़की साढ़े पांच महीने की गर्भवती हो गई, तब उसके माता-पिता को इस बारे में पता चला और उसने आरोपी से पूछताछ की।
आरोपी ने लड़की से शादी करने से साफ इनकार कर दिया। उसने उसके माता-पिता से गर्भपात कराने के लिए कहा और इसके लिए पैसे देने का वादा किया। पिता की शिकायत में कहा गया है कि अब लड़की और उसकी मां 18 सितंबर से लापता हैं।
सूत्रों ने बताया कि आरोपी ने उन्हें 35,000 रुपये डिजिटल ट्रांसफर किया और उन्होंने बेटी का गर्भपात कराया। इसके बाद आरोपी बेटी और मां को अपने साथ ले गया। बेटी-मां ने शिकायतकर्ता को सूचित किया कि उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है।
पिता ने पुलिस से आरोपी पुलिस कांस्टेबल के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने और यह भी पता लगाने को कहा है कि उसकी बेटी और पत्नी को कहां रखा गया है। इसकी शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री से भी की है।
नई दिल्ली, 27 सितंबर | भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कहा कि उद्योग, खेल, चिकित्सा, विज्ञान से लेकर अंतरिक्ष तक भारतीय महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही हैं। भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को वर्चुअली संबोधित करते हुए, नड्डा ने कहा, "रानी लक्ष्मीबाई और कई अन्य महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उनके योगदान को कोई नहीं भूल सकता। स्वतंत्रता के बाद के युग में भी, भारतीय समाज में महिलाओं का योगदान अद्वितीय है।"
उन्होंने कहा, "उद्योग, खेल, चिकित्सा, विज्ञान से लेकर अंतरिक्ष तक, भारतीय महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ रही हैं। उन्होंने हाल ही में संपन्न टोक्यो ओलंपिक में भी अपनी योग्यता साबित की।"
नड्डा ने कहा, "हमारा मानना है कि किसी भी देश के विकास के लिए महिलाओं को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। हम भारतीय महिलाओं को सशक्त और स्वतंत्र बनाना चाहते हैं।"
नरेंद्र मोदी कैबिनेट में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में बात करते हुए नड्डा ने कहा, "मोदी सरकार में महिलाओं की भूमिका और संख्या हाल के दिनों में बढ़ी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में 12 महिला मंत्री हैं, जो कुल का 14 प्रतिशत है। यह भारत के इतिहास में एक रिकॉर्ड है।"
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में रक्षा, विदेश, वित्त और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय महिला मंत्रियों को दिए गए। उन्होंने कहा, "भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। सरकार ने कांस्टेबल के पद के लिए सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है।"
महिला सुरक्षा के बारे में नड्डा ने कहा, "हमारी सरकार ने पूरे भारत के आठ शहरों में सेफ सिटी प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। मोदी सरकार ने 2015 में एक महिला हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया था। महिलाएं अब सहायता के लिए 181 का उपयोग कर सकती हैं। पहली बार, महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक नया डिवीजन बनाया गया है। देश के हर थाने में महिला हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया।"
नड्डा ने महिला कल्याण के लिए मोदी सरकार की कई योजनाओं जैसे 'मातृ वंदना योजना', 'परिवार विकास मिशन', छह महीने का मातृत्व अवकाश और मुफ्त एम्बुलेंस और मुफ्त डिलीवरी की सुविधा के साथ-साथ 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता के बारे में बात की।
उन्होंने दावा किया कि इन योजनाओं के स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे परिणाम आए हैं।
पार्टी की महिला विंग के कार्यो की प्रशंसा करते हुए नड्डा ने कहा, "जब देश कोविड महामारी से जूझ रहा था, हमारे महिला मोर्चा ने देश के लोगों की सहायता करने में महतवपूर्ण योगदान दिया।" (आईएएनएस)
जम्मू, 27 सितंबर | अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगते अखनूर इलाके में भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, नशीला पदार्थ और नकली नोट बरामद करने में बीएसएफ को सोमवार को बड़ी कामयाबी मिली। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बीएसएफ ने कहा कि एक विशिष्ट इनपुट पर कार्रवाई करते हुए, अखनूर क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास एक तलाशी अभियान चलाया गया।
तलाशी के दौरान मोटी सरकंडा घास में छिपा एक थैला मिला। यहां से चार पिस्तौल, आठ मैगजीन, 7.63 गुणा 25 एमएम की 190 गोलियां, एक किलो वजनी नशीला पदार्थ (संभावित हेरोइन) और 2,75,000 रुपये के नकली नोट मिले हैं।
बयान के अनुसार, यह खेप क्षेत्र के राष्ट्र विरोधी तत्वों (एएनई) तक पहुंचाए ताने की संभावना थी, लेकिन बीएसएफ ने खेप को जब्त करके उनके नापाक प्रयासों को विफल कर दिया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के योगदान को मान्यता देने के लिए डिजिटल संग्रहालय स्थापित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है कि निर्माण स्थल पर कार्य में लगे सभी कर्मियों को कोरोना वैक्सीन लग जाए। उन्होने अधिकारियों को सभी श्रमिकों की मासिक स्वास्थ्य जांच कराने का भी निर्देश दिया।
श्रमिकों द्वारा नए संसद भवन के निर्माण कार्य में लगने को पवित्र और ऐतिहासिक बताते हुए उन्होने अधिकारियों को निर्देश दिया कि एक बार निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद, निर्माण स्थल पर काम में लगे सभी निर्माण श्रमिकों के लिए एक डिजिटल संग्रहालय स्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें उनका नाम, उनके स्थान का नाम, उनकी तस्वीर और उनके व्यक्तिगत विवरण शामिल हों।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्माण कार्य में उनके योगदान को पहचान मिलनी चाहिए और इसलिए सभी श्रमिकों को उनकी भूमिका और उनके इस प्रयास में भागीदारी के बारे में एक प्रमाण पत्र भी दिया जाना चाहिए।
दरअसल , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 26 सितंबर को रात पौने नौ बजे अचानक नए संसद भवन के निर्माण स्थल पर पहुंच कर निर्माण कार्यों का जायजा लिया था और साथ ही इसकी प्रगति की समीक्षा भी की थी। निर्माण स्थल पर एक घंटे भी अधिक समय तक निरीक्षण करने के दौरान उन्होने साइट पर किए जा रहे निर्माण कार्यों की प्रगति के बारे में जानकारी लेते हुए परियोजना को समय पर पूरा करने का निर्देश भी दिया। उन्होने वहां काम कर रहे श्रमिकों से बातचीत भी की थी और उनका हालचाल भी जाना था। उसी दौरान उन्होने श्रमिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे एक पवित्र और ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं।
आपको बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन का भी निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी और 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। कई तरह की अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस संसद भवन की नई इमारत में 1300 से अधिक सदस्यों ( लोकसभा चैंबर में 888 और राज्यसभा चैंबर में 384 ) के एक साथ बैठने की क्षमता होगी। ( आईएएनएस )
पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार का आज आखिरी दिन है, और प्रचार करने पहुंचे BJP नेता दिलीप घोष के साथ धक्का-मुक्की हुई है. घोष के साथ सांसद अर्जुन सिंह भी थे. TMC कार्यकर्ताओं ने दोनों नेताओं का पीछा किया. इस दौरान वहां तनाव काफी बढ़ गया. BJP नेताओं की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने दोनों नेताओं को वहां से सुरक्षित निकाला, लेकिन भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को हथियार निकालने पड़े. भवानीपुर सीट पर हो रहे उपचुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उम्मीदवार हैं, और उनका मुकाबला BJP की प्रियंका टिबरेवाल से है. इस सीट पर मतदान 30 सितंबर को होगा.
पार्टी उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल के लिए प्रचार करते समय भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने ‘‘वापस जाओ'' के नारे लगाए. राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर दिखा कि घोष के साथ सड़क पर धक्का-मुक्की की जा रही है और दुर्व्यवहार किया जा रहा है और सुरक्षाकर्मी उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक संदिग्ध समर्थक को एक सुरक्षाकर्मी का कॉलर पकड़ते देखा गया, जिसने भीड़ को हटाने के लिए तुरंत पिस्तौल निकाल ली.
घटना तब हुई जब घोष विधानसभा क्षेत्र के जोडुबाबर बाजार इलाके में एक टीकाकरण शिविर के अंदर गए थे. वहां मौजूद तृणमूल समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए उन्हें वहां से चले जाने के लिए कहा और आरोप लगाया कि सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में वह चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
घोष सुरक्षाकर्मियों के घेरे में वहां से चले गए और बाद में आरोप लगाया कि तृणमूल समर्थकों ने अकारण उन पर ‘‘हमला'' किया और एक भाजपा कार्यकर्ता को घायल कर दिया. उन्होंने पूछा, ‘‘हम मामले को चुनाव आयोग के समक्ष उठाएंगे. यह किस तरह का चुनाव है?''
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने शाम चार बजे तक राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. यह अभी तक पता नहीं चला है कि राज्य सरकार ने चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेजी है अथवा नहीं.
विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के चुनाव प्रभारी और सांसद अर्जुन सिंह जब प्रचार करने गए तो ‘‘वापस जाओ''और ‘‘बोहिरगाटो (बाहरी)'' के नारे लगाए गए. तृणमूल के पूर्व विधायक सिंह बैरकपुर से लोकसभा सदस्य हैं.
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मांग की कि चुनाव आयोग घटना के दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने कहा, ‘‘यहां स्थिति नाजुक है. लेकिन भाजपा कार्यकर्ता अंतिम सांस तक लड़ेंगे और छोड़ेंगे नहीं.''
तृणमूल के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने कहा कि हर किसी को घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करने का अधिकार है लेकिन हथियार से लोगों को धमकाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह गोधरा या भाटपारा नहीं है, यह भवानीपुर है. भाजपा को उसके कार्यों के लिए 30 सितंबर को करारा जवाब मिलेगा.''
अर्जुन सिंह ने राज्य प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाया कि सांसदों और राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं पर हमला हो रहा है फिर भी वे कुछ नहीं कर रहे हैं.
तृणमूल ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि घोष के अंगरक्षक ने लोगों को डराने के लिए पिस्तौल निकाल ली. पार्टी ने ट्वीट किया, ‘‘बंगाल भाजपा का स्तर काफी गिर गया है. दिनदहाड़े लोगों पर पिस्तौल कैसे तानी जा सकती है? क्या लोगों को उन नेताओं का विरोध करने का अधिकार नहीं है जिनका वह समर्थन नहीं करते? इस तरह के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन शर्मनाक है. यह भवानीपुर के लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ है.'' भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए 30 सितंबर को उपचुनाव होने वाले हैं. (इनपुट भाषा से...)
चेन्नई, 27 सितम्बर | 48 वर्षीय एक व्यक्ति ने सोमवार की सुबह मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के आवास के सामने खुद को आग लगा ली। पुलिस ने इसकी जानकारी दी। आवास पर तैनात पुलिस कर्मियों ने उसे बचाया और 40 फीसदी जले हुए व्यक्ति को किलपौक मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।
पुलिस ने कहा कि व्यक्ति की पहचान तमिलनाडु के तेनकासी जिले के वेट्रिमरन के रूप में हुई है और उसके आत्महत्या के प्रयास के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।
अभिरामपुरम पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस ने बताया कि उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने किलपौक मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा कर वेट्रिमरन का हाल चाल जाना। (आईएएनएस)
गांधीनगर, 27 सितम्बर | गुजरात विधानसभा के सोमवार से शुरू हुए दो दिवसीय मानसून सत्र की अध्यक्षता डॉ. निमाबेन आचार्य करेंगी, जो गुजरात विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष (स्पीकर) बनीं हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, पूर्व स्पीकर राजेंद्र पटेल और विपक्ष के नेता परेश धनानी उन्हें उनकी कुर्सी तक ले गए। सदन के अध्यक्ष का पद राजेंद्र त्रिवेदी के इस्तीफे से खाली हो गया था, जिन्हें राजस्व, आपदा प्रबंधन, कानून और न्याय और विधायी और संसदीय मामलों जैसे विभागों की जिम्मेदारी देते हुए कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
भाजपा ने आचार्य को अध्यक्ष पद के लिए नामित किया और विपक्षी कांग्रेस ने भी इसका समर्थन किया। भाजपा ने सदन के उपाध्यक्ष पद के लिए शेहरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक जेठाभाई भरवाड़ को भी नामित किया है, जिसे गुजरात विधानसभा सचिव ने मंजूरी दे दी है, जबकि कांग्रेस ने अपने छह बार के विधायक अनिल जोशियारा को भिलोदा निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा था।
गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव से पहले ही आचार्य ने विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष के पद से अपना इस्तीफा दे दिया। आचार्य ने कहा कि वह जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कुर्सी के साथ न्याय करने की कोशिश करेंगी।
आचार्य ने कहा, आज विट्ठलभाई पटेल का जन्मदिन है और मैं आज कार्यभार ग्रहण करके सम्मानित महसूस कर रही हूं। यह न केवल मेरे लिए बल्कि पूरे महिला जेंडर के लिए सम्मान है। कल्याणजी मेहता से लेकर राजेंद्र त्रिवेदी तक राज्य विधानसभा के स्पीकर्स का गौरवशाली इतिहास मेरे लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
उन्होंने कहा कि उन्हें विपक्षी नेताओं से भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने मीडिया प्रतिनिधियों से कहा, पत्रकार चौथे स्तंभ के रूप में जाने जाते हैं, मुझे विश्वास है कि आप लोकतंत्र के हित में सदन की कार्यवाही के बारे में रिपोर्ट करेंगे।
गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा, हम जब भी स्पीकर के कक्ष में जाते थे तो हम केवल पुरुष स्पीकर्स की तस्वीरें देखते थे, लेकिन अब हम एक महिला चेहरा देखेंगे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितंबर | आरएसएस की ओर झुकाव वाली पत्रिका 'पांचजन्य' ने जेफ बेजोस पर हमला करने के बाद अमेजन के खिलाफ एक कवर स्टोरी प्रकाशित की, जिसमें इसे ईस्ट इंडिया कंपनी की दूसरी पीढ़ी कहा, जिसने व्यापारिक हितों के साथ भारत में प्रवेश किया, लेकिन इसे 200 साल तक उपनिवेश बनाए रखा। कांग्रेस का कहना है कि अमेजन के बारे में आरएसएस जो कह रहा है वह अप्रासंगिक है, लेकिन कंपनी के खिलाफ रिश्वत के आरोप की 'जांच' होनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा, "आरएसएस अमेजन पर जो कह रहा है, वह अप्रासंगिक है, क्योंकि भाजपा और आरएसएस के बीच एक जुगलबंदी चल रही है। हमने उनकी जुगलबंदी देखी है, वे किसान आंदोलन में बेनकाब हो गए हैं। हमने किसान आंदोलन में बीकेएस (भारतीय किसान संघ)) द्वारा निभाई गई संदिग्ध भूमिका देखी है। वे पिछले एक साल में किसानों के समर्थन में एक दिन के लिए नहीं आए, इसलिए कोई भी अब आरएसएस को गंभीरता से नहीं लेता है। वे राष्ट्रीय हित में नहीं, बल्कि भाजपा के हित में बात करते हैं।"
कांग्रेस ने पिछले हफ्ते सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेजन ने भ्रष्टाचार के रूप में कानूनी फीस का भुगतान किया और पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था, "कानून मंत्रालय का बजट 1,100 करोड़ रुपये का है, मगर ई-कॉमर्स कंपनी ने दो साल में कानूनी शुल्क के रूप में उसे 8,546 करोड़ रुपये का भुगतान किया।"
बेजोस की तस्वीर के साथ छपी कवर स्टोरी में आरएसएस की पत्रिका ने अमेजन पर रिश्वतखोरी को बढ़ावा देने का आरोप लगाने के बाद अब भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप लगाया है। पांचजन्य ने अमेजन पर प्राइम वीडियो फिल्मों और सामग्री के माध्यम से हिंदू मूल्यों का अपमान करने का भी आरोप लगाया है।
पांचजन्य अपनी कवर स्टोरी के सार में कहता है, "अमेजन भी भारतीय बाजार पर एकाधिकार चाहता है। इसके लिए उसने यहां के लोगों की राजनीतिक, आर्थिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को घेरने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस पर ई-मार्केट प्लेटफॉर्म पर कब्जा करने के लिए फर्जी कंपनियां खोलने और अपने पक्ष में नीतियां बनाने के लिए रिश्वत देने का आरोप है। यह प्राइम वीडियो के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विरोध में कार्यक्रमों का प्रसारण करता है।
कहानी उन आरोपों को संदर्भित करती है कि अमेजन के कानूनी प्रतिनिधियों ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी, और सवाल उठाती है : "इसने (कंपनी) ने क्या गलत किया, जिसे रिश्वत देने की जरूरत पड़ी .. लोग इस कंपनी को स्वदेशी उद्यमिता, आर्थिक स्वतंत्रता और संस्कृति के लिए खतरा क्यों मानते हैं?"(आईएएनएस)
वाराणसी, 27 सितम्बर | वाराणसी पुलिस ने काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में दुकानों की बिक्री के लिए सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन पोस्ट करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, हालांकि परियोजना अभी भी पूरी नहीं हुई है। जेल भेजे गए दोनों आरोपियों के साथियों की पुलिस तलाश कर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील वर्मा को फर्जी विज्ञापनों की जानकारी दी गई, जिसके बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई।
वाराणसी के पुलिस आयुक्त सतीश गणेश ने कहा कि हमारी टीम ने आरोपी शशिकांत चौरसिया और उसके साथी रत्न शेखर को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया, जिन्होंने खुद को बीजेपी पदाधिकारी बताया था। दोनों को जेल भेज दिया गया है, जबकि उनके साथियों की तलाश शुरू कर दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में दुकानों का निर्माण प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक कोई आवंटन शुरू नहीं हुआ है क्योंकि परियोजना अभी भी पूरी नहीं हुई है।
चौरसिया ने अपने फेसबुक पेज पर फर्जी विज्ञापन पोस्ट किए थे।
टेंपल ट्रस्ट के सीईओ सुनील वर्मा ने कहा कि कुछ अधिकारियों ने चौरसिया का विज्ञापन देखा, जिसमें कहा गया था कि दुकानें सीमित संख्या में उपलब्ध हैं और प्रत्येक दुकान की कीमत 70 लाख रुपये थी। दुकानों में रुचि रखने वालों को जल्द से जल्द संपर्क करने के लिए कहा गया था।
वर्मा ने शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद दशाश्वमेध पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
दशाश्वमेध के सहायक पुलिस आयुक्त अवधेश कुमार पांडे ने कहा कि आरोपी ने कुछ दुकानों के सौदे को अंतिम रूप भी दे दिया था। यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि इन सौदों में पैसे का कोई लेन-देन तो नहीं किया गया।
पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या आरोपी ने 35 लाख रुपये लिए थे क्योंकि विज्ञापन में कहा गया था कि खरीदारों को लागत का 50 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान करना होगा।
दुकान आवंटन के संबंध में जिलाधिकारी के नाम फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के आरोप में आरोपी युगल का एक और साथी पुलिस की रडार पर है।
आरोपियों में से एक रत्ना शेखर ने काशी क्षेत्र इकाई के भाजपा उपाध्यक्ष के रूप में खुद को पेश किया।
अपने फेसबुक प्रोफाइल पर, चौरसिया ने एक रियल एस्टेट व्यापारी के रूप में खुद को लॉयन ग्रुप नामक एक फर्म के मालिक के रूप में पेश किया था।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितम्बर | इटली के विदेश मंत्री लुइगी डि माइओ ने तालिबान की कार्यवाहक कैबिनेट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के लिए उनके द्वारा मान्यता प्राप्त करना असंभव है। खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, माइओ ने माइओ ने अफगानिस्तान में कार्यवाहक तालिबान सरकार के नवनियुक्त मंत्रियों में से कम से कम 17 को आतंकवादी करार देते हुए कहा है कि उनके देश के लिए इस सरकार को मान्यता देना असंभव है।
तालिबान के अधिग्रहण को लगभग 45 दिन हो चुके हैं लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक इसे मान्यता नहीं दी है।
इतालवी विदेश मंत्री ने कहा कि तालिबान पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप है, जिसे मान्यता नहीं दी जाएगी, लेकिन साथ ही कहा कि अफगानिस्तान के लोगों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
माइओ ने कहा कि दुनिया को शरणार्थियों का आगमन रोकने के लिए एक साथ आना चाहिए। बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आगमन से क्षेत्रीय राष्ट्र अस्थिर हो जाएंगे।
डि माइओ का यह बयान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के उस दावे के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि अफगानिस्तान में कार्यवाहक सरकार को जल्द ही मान्यता मिल जायेगी, क्योंकि वे संयुक्त राष्ट्र के संपर्क में हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता प्रदान करने के लिए कुछ शर्तें पहले से निर्धारित कर रखी हैं, जिनमें महिलाओं और मानवाधिकारों का सम्मान, समावेशी सरकार की स्थापना, अफगानिस्तान को आतंकवाद का सुरक्षित ठिकाना नहीं बनने देना आदि प्रमुख हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने हालांकि 15 अगस्त को जब से देश पर कब्जा किया है, तब से उसने इनमें से किसी शर्त को पूरा नहीं किया है।(आईएएनएस)
बगदाद, 27 सितम्बर | बगदाद की एक अदालत ने इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक बैठक में तीन प्रतिभागियों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, एक प्रस्ताव जिसे ट्राकी सरकार ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने एक बयान में कहा कि अदालत ने रविवार को कबायली नेता विसम अल-हरदान, पूर्व विधायक मितल अल-अलौसी और इराकी संस्कृति मंत्रालय के एक कर्मचारी सहार करीम अल-ताई के खिलाफ वारंट जारी किया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कुर्दिस्तान के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी एरबिल में कुछ आदिवासी हस्तियों और व्यक्तियों द्वारा दो दिन पहले आयोजित एक 'अवैध बैठक' में इराकी सरकार ने भाग लिया।
बयान में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायिक परिषद एरबिल बैठक में अन्य प्रतिभागियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी, जब अधिकारियों को उनका पूरा नाम मिल जाएगा।
एरबिल बैठक में इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने के आह्वान की सरकार और लोगों दोनों ने निंदा की और इसे खारिज कर दिया।
इराकी कानूनों के अनुसार, देश के इजरायल के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं और इराकियों के वहां यात्रा करने पर प्रतिबंध है।
"सामान्यीकरण की अवधारणा इराकी राज्य में संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक रूप से खारिज कर दी गई है।"
देश के मंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने शनिवार को एक बयान में कहा, "सरकार ने स्पष्ट रूप से अल-कुद्स (जेरूसलम) को अपनी राजधानी के रूप में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना में फिलिस्तीनी अधिकार के समर्थन में इराक की दृढ़ स्थिति व्यक्त की है।"
24 सितंबर को, कई इराकी प्रांतों के सैकड़ों इराकी व्यक्तियों ने एरबिल में एक बैठक की, जिसमें इराक से अब्राहम समझौते में शामिल होने और इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का आह्वान किया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितम्बर | उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा के लोकसभा सांसद वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 400 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि राज्य में गन्ना किसानों की हालत बहुत खराब है। मुख्यमंत्री ने गन्ने की कीमत में जो 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की घोषणा की है उसके लिए मैं उनका आभार जताता हूं, लेकिन यह नाकाफी है। गन्ने की कीमत बढ़ाकर सरकार ने सही दिशा में कदम तो उठाया है लेकिन कर्ज में डूबे किसानों की दयनीय हालत को सुधारने के लिए मैं सरकार से और ज्यादा उदारता दिखाने की अपील करूंगा।
सीएम योगी को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने गन्ने की खेती में बढ़ती लागत और महंगाई का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से मांग की है कि या तो प्रदेश की सरकार गन्ने की कीमत को ही 400 रुपये प्रति क्विंटल घोषित कर दे या अगर किसी कारणवश और मूल्य वृद्धि करना संभव न हो तो उत्तर प्रदेश सरकार अपनी ओर से घोषित किए गए गन्ना मूल्य के ऊपर अलग से 50 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस किसानों को देने की घोषणा करे।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के आगामी पेराई सत्र 2021-22 के लिए गन्ने के रेट में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करते हुए इसे 350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। वरुण गांधी ने इसे लेकर आभार जताते हुए यह भी लिखा कि पिछले चार सत्रों में गन्ने के रेट में केवल 10 रुपये प्रति क्विंटल की ही बढ़ोतरी की गई थी। जबकि पिछले चार सालों में गन्ने की लागत- खाद, बीज, कीटनाशक, बिजली, पानी, डीजल, मजदूरी और ढुलाई आदि का खर्चा बहुत बढ़ गया है।
वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में इसका भी उल्लेख किया कि गन्ने की खेती में लगभग 50 लाख किसान परिवार लगे हैं और आज प्रदेश के गन्ना किसानों की आर्थिक हालत बहुत ही दयनीय बनी हुई है। गन्ने का उचित मूल्य ना मिलने के कारण प्रदेश के किसान कर्ज में डूब गए हैं।(आईएएनएस)
कृषि कानून के विरोध में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद बुलाया. दिल्ली-एनसीआर में बंद को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली की सीमाओं पर बंद के कारण लोगों को असुविधा झेलनी पड़ रही है.
डॉयचे वेले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर देशव्यापी आह्वान के बाद सोमवार को सैकड़ों किसानों ने दिल्ली को हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 1 समेत प्रमुख राजमार्गों को बंद किया. संयुक्त किसान मोर्चा के 40 संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है.
आंदोलन कर रहे किसानों ने सोमवार सुबह 6 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक बंद को सफल बनाने के लिए पिछले कई दिनों से तैयारी शुरू कर दी थी. इसका असर सोमवार सुबह दिखा भी. दिल्ली के पास बॉर्डर पर लंबा जाम लग गया और सप्ताह के पहले दिन दफ्तर जाने वालों को काफी परेशानी हुई.
किसान संगठनों का कहना है कि भारत बंद को शांतिपूर्ण तरीके से लागू करवाया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि आपात सेवा को बंद के दौरान नहीं रोका जाएगा. आपात प्रतिष्ठानों, अस्पतालों, दवा की दुकानों, एंबुलेंस, राहत और बचाव कार्य और निजी इमरेजेंसी सेवा पर कोई रोक नहीं रहेगी.
राजनीतिक पार्टियों का समर्थन
कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सभी लोगों से इस बंद का समर्थन करने का भी आग्रह किया. राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया है. कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और वामदलों ने बंद का समर्थन किया है.
कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, प्रदेश इकाई प्रमुखों और पार्टी से जुड़े संगठनों के प्रमुखों से इस बंद में शामिल होने को कहा है. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने रविवार को किसानों के भारत बंद समर्थन किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "केंद्र द्वारा जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत व दुखी देश के किसान इनकी वापसी की मांग को लेकर लगभग 10 महीने से पूरे देश और खासकर दिल्ली के आसपास के राज्यों में तीव्र आंदोलित हैं."
उन्होंने आगे लिखा, "केंद्र सरकार से भी अपील है कि किसान समाज के प्रति उचित सहानुभूति व संवेदनशीलता दिखाते हुए तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस ले, आगे उचित सलाह-मश्विरा और इनकी सहमति से नया कानून लाए ताकि इस समस्या का समाधान हो."
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि वह भारत बंद का समर्थन नहीं करेंगी लेकिन किसानों के मुद्दे पर उनके साथ हैं. भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर अभियान के दौरान उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह किसानों का समर्थन करने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जाएंगी.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बंद का समर्थन किया है. उन्होंने लिखा, "संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद को एसपी का पूर्ण समर्थन है. देश के अन्नदाता का मान न करनेवाली दंभी बीजेपी सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है. किसान आंदोलन भाजपा के अंदर टूट का कारण बनने लगा है."
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन को अहिंसक सत्याग्रह बताया. उन्होंने लिखा, "किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है. इसलिए #आजभारतबंद_है."
अड़े हैं किसान
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "कृषि मंत्री कह रहे हैं कि बातचीत के लिए आएं. हम कृषि मंत्री से कहना चाहते हैं कि सरकार हमें समय और जगह बताएं. ये सिर्फ बोलने के लिए कहते हैं कि बातचीत के लिए आएं."
इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वे आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाएं. तोमर ने कहा कि किसानों की बताई गई आपत्तियों पर पहले भी कई बार बात हो चुकी है, लेकिन फिर भी उनकी कोई बात बची है तो सरकार बातचीत के लिए तैयार है.
पिछले 10 महीनों से किसान तीन नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर आंदोलन कर रहे हैं. किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. (dw.com)
हैदराबाद, 26 सितंबर | दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) ने रविवार को आंध्रप्रदेश-ओडिशा तट को पार करने के बाद चक्रवाती तूफान 'गुलाब' के मद्देनजर 12 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है और कुछ अन्य ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट, डायवर्ट या रीशेड्यूल किया है। भुवनेश्वर-सिकंदराबाद, भुवनेश्वर-तिरुपति, तिरुपति-भुवनेश्वर, पुरी-चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई सेंट्रल-पुरी, संबलपुर-एच.एस. नांदेड़, एचएस नांदेड़-संबलपुर, रायगडा-गुंटूर ट्रेनें, जो रविवार और सोमवार को चलने वाली सभी ट्रेनों को रद्द कर दी गई हैं।
अधिकारियों ने भुवनेश्वर-केएसआर बेंगलुरु सिटी, केएसआर बेंगलुरु सिटी-भुवनेश्वर, भुवनेश्वर-यशवंतपुर और यशवंतपुर-भुवनेश्वर ट्रेनों को रद्द किया है।
उन्होंने खुर्दा रावड़-अंगुल-संबलपुर-तीतियागढ़-लखोली-बल्हारशाह होते हुए पुरी-ओखा ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया है।
न्यू तिनसुकिया-केएसआर बेंगलुरु सिटी, जिसने शुक्रवार को यात्रा शुरू की, को खड़गपुर-झारसुगुडा-बल्हारशाह के रास्ते डायवर्ट किया गया। हावड़ा-चेन्नई सेंट्रल, हावड़ा-यशवंतपुर, हावड़ा-वास्को-डि-गामा को भी खड़गपुर-झारसुगुड़ा-बल्हारशाह के रास्ते डायवर्ट किया गया।
यशवंतपुर-बज बज ट्रेन को विजयनगरम-टिटलागढ़-आसनसोल होते हुए और कन्याकुमारी-हावड़ा ट्रेन को विजयनगरम-टिटलागढ़-झारसुगुड़ा-खड़गपुर होते हुए डायवर्ट किया गया।
चेन्नई सेंट्रल-हावड़ा को विजयनगरम-टिटलागढ़-झारसुगुडा-खड़गपुर होते हुए डायवर्ट किया गया।
शनिवार को यात्रा शुरू करने वाली गुंटूर-रायगड़ा ट्रेन को विशाखापत्तनम में समाप्त कर दिया गया और विशाखापत्तनम और रायगडा के बीच आंशिक रूप से रद्द कर दिया।
भुवनेश्वर-मुंबई सीएसएमटी और पुरी-तिरुपति ट्रेनों के समय में बदलाव किया है।
उन्होंने ने स्थिति के अनुसार दक्षिण पूर्व रेलवे, मध्य रेलवे और दक्षिण मध्य रेलवे में 10 ट्रेनों के नियमन की भी घोषणा की है। (आईएएनएस)
बेंगलुरू, 26 सितम्बर | छोटे मध्यम व्यवसायों (एसएमबी) को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए, अमेजॅन इंडिया ने रविवार को घोषणा की है कि वह 3 अक्टूबर से अपना 'ग्रेट इंडियन फेस्टिवल' (जीआईएफ) 2021 शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कंपनी ने कहा कि अमेजॅन जीआईएफ 2021 लाखों छोटे विक्रेताओं को समर्पित है, जिसमें 450 शहरों की 75,000 से अधिक स्थानीय दुकानें शामिल हैं, जो देश भर के ग्राहकों को अपने उत्पादों के अनूठे चयन की पेशकश करता हैं।
कंपनी ने एक बयान में कहा, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता ग्राहकों का विश्वास और हमारे विक्रेताओं, विशेष रूप से लाखों छोटे विक्रेताओं और पूरे भारत में हजारों स्थानीय दुकानदारों को लाभ होता है।
अमेजॅन ग्रेट इंडियन फेस्टिवल अब 3 अक्टूबर, 2021 से शुरू होगा और हमेशा की तरह, प्राइम मेंबर्स के पास जल्दी पहुंच होगा।
शॉपिंग फेस्टिवल में विभिन्न अन्य कार्यक्रमों जैसे कि अमेजॅन लॉन्चपैड, अमेजन सहेली, अमेजन कारीगर के साथ-साथ सभी श्रेणियों में शीर्ष भारतीय और वैश्विक ब्रांडों के तहत अमेजन विक्रेताओं के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस फेस्टिवल में सैमसंग, वनप्लस, श्याओमी, सोनी, एप्पल, बोट, लेनोवो, एचपी, आसुस, फॉसिल, लेवीज, बीबा, एलन सॉली, एडिडास आदि जैसे शीर्ष ब्रांडों के 1,000 से अधिक नए उत्पाद लॉन्च होंगे।
भारत में अमेजन बिजनेस के ग्राहक अपने ग्राहकों या कर्मचारियों के लिए अपनी नियमित व्यावसायिक खरीदारी या कॉपोर्रेट उपहार देने के लिए विशेष ऑफर, थोक छूट, कम उत्सव मूल्य ऑफर, कैशबैक, पुरस्कार और बहुत कुछ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। (आईएएनएस)