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वाशिंगटन, 29 जुलाई (आईएएनएस)। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के अनुसार, दुनियाभर में कोरोनोवायरस के मामलों की कुल संख्या 1.66 करोड़ की संख्या पार कर गई है, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या 659,000 से अधिक हो गई हैं।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि बुधवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 16,667,130 थी, जबकि इससे होने वाली मौतों की संख्या 659,045 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, अमेरिका 4,349,324 मामलों और 149,235 मौतों के साथ दुनिया का सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है।
ब्राजील 2,483,191 संक्रमण और 88,539 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएई के आंकड़ों के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (1,483,156) स्थान पर है, और उसके बाद रूस (822,060), दक्षिण अफ्रीका (459,761), मेक्सिको (402,697), पेरू (389,717), चिली (349,800), ब्रिटेन (302,293), ईरान (296,273), स्पेन (280,610), पाकिस्तान (275,225), सऊदी अरब (270,831), कोलंबिया (257,101), इटली (246,488), बांग्लादेश (229,185), तुर्की (227,982), फ्रांस (221,077), जर्मनी (207,707), अर्जेंटीना (173,355), कनाडा (116,871), इराक (115,332), कतर (109,880) और इंडोनेशिया (102,051) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश ब्रिटेन (45,963), मेक्सिको (44,876), इटली (35,123), भारत (33,425), फ्रांस (30,226), स्पेन (28,436), पेरू (18,418), ईरान (16,147) और रूस (13,483) हैं।
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के बेटे येर नेतन्याहू ने भारत के हिंदुओं से माफ़ी माँगी है.
29 साल के येर सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय हैं.
उन्होंने रविवार को ट्विटर पर देवी दुर्गा की एक तस्वीर साझा की थी, जिनके चेहरे पर लिआत बेन अरी का चेहरा लगा था.
लिआत बेन अरी उनके पिता के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के केस में सरकारी वकील हैं. उन्होंने देवी दुर्गा के चेहरे पर सरकारी वकील की तस्वीर लगा दी थी.
उस तस्वीर में देवी दुर्गा के कई हाथों को अभद्र इशारे करते हुए भी दिखाया गया था.
देवी दुर्गा हमेशा एक शेर के साथ दिखाई जाती हैं. येर ने एक शेर के चेहरे पर इसराइल के अटॉर्नी जनरल की तस्वीर लगा दी थी और उस पर लिखा था, "अपनी औक़ात को पहचानो, तुच्छ लोग."
उनके इस ट्वीट पर कोई लोगों ने काफ़ी नाराज़गी जताई थी, जिसके बाद उन्होंने सोमवार को माफ़ी माँगते हुए ट्वीट किया.
येर ने लिखा, "मैंने एक व्यंगात्मक पेज से 'मीम' साझा किया था, जिसमें इसराइल के नेताओं की आलोचना की गई थी. मुझे नहीं पता था कि इस तस्वीर का कोई संबंध हिंदू आस्था से भी है. मुझे जैसे ही मेरे भारतीय दोस्तों से इसका पता चला तो मैंने ट्वीट हटा दिया. मैं इसके लिए माफ़ी माँगता हूं."
येर आम तौर पर हिब्रू भाषा में सोशल मीडिया पर लिखते हैं लेकिन माफ़ी माँगने वाले ट्वीट को उन्होंने जानबूझकर अंग्रेज़ी में लिखा है ताकि भारत के ज़्यादातर लोग उसे पढ़ सकें.
येर के ट्वीट पर कई लोगों ने तो काफ़ी सख़्त नाराज़गी जताई थी, लेकिन कई लोग ये भी कह रहे थे कि इसराइल और पश्चिमी देशों में लोग को भारतीय धर्म और संस्कृति के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती है इसलिए येर की बातों को उतनी गंभीरता ने नहीं लिया जाना चाहिए.
येर के माफ़ीनामे के बाद इसराइल में कई लोगों ने अपनी ग़लती पर माफ़ी माँगने की हिम्मत दिखाने के लिए येर की तारीफ़ की लेकिन कई लोगों ने उन्हें ग़ैर-ज़िम्मेदार क़रार दिया.
येर इससे पहले भी कई तरह के विवादों में फँस चुके हैं.
इस महीने के शुरू में उन्हें एक महिला पत्रकार डाना वायस से माफ़ी माँगनी पड़ी थी जब येर ने कह दिया था कि प्रतिष्ठित न्यूज़ एंकर इस मुक़ाम पर शारीरिक समझौते कर पहुँची हैं.(bbc)
प्रवक्ता के इस्तीफे के बाद बयान से पलटे
सलीम पंडित, श्रीनगर
नैशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार में आर्टिकल लिखा। उमर अब्दुल्ला के आर्टिकल को लेकर उनकी पार्टी में दो फाड़ हो गए। विवाद के बाद उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने की मांग से पीछे हट गए।
उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को ट्वीट किया, 'मैंने सिर्फ इतना कहा था कि जम्मू-कश्मीर राज्य का सीएम होने के तौर पर मैं केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर के लिए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा। सिर्फ इतना ही कहा था, इससे न कम न ज्यादा। बाहर के लोग हल्ला मचा रहे हैं कि मैं जम्मू-कश्मीर को राज्य बनाने की मांग कर रहा हूं।'
पार्टी को बड़ा झटका, रुहुल्ला ने दिया इस्तीफा
उमर अब्दुल्ला की यह सफाई तब आई है जब नैशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता रुहुल्ला मेहदी ने मंगलवार को पार्टी के मुख्य प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। रुहुल्ला मेहदी एक प्रभावशाली शिया नेता माने जाते हैं। उनका मध्य कश्मीर के बडगाम में बड़ा प्रभाव है। रुहुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, 'मैंने जम्मू-कश्मीर नैशनल कॉन्फ्रेंस को मुख्य प्रवक्ता पद से अपना इस्तीफा भेज दिया है और अब से मेरे किसी भी बयान को उस तरह नहीं देखा जाए।'
'राज्य बनाने की मांग आखिरी'
रुहुल्ला ने अब्दुल्ला पर पार्टी की मांग भूल जाने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, 'राज्य का दर्जा बहाल करना न्यूनतम मांग है। यह आखिरी मांग होनी चाहिए। हमारी मांग जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जें का राज्य बहाल करने की है।'
पत्रकारों पर जमकर बरसे
उमर अब्दुल्ला को आठ महीने हाउस अरेस्ट करके रखा गया था। उन्हें इसी साल मार्च में रिहा किया गया। उनका कश्मीर को लेकर राजनीतिक बयान आर्टिकल 370 हटाए जाने के पहली बार आया है। अब्दुल्ला ने अपने आर्टिकल को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप पत्रकारों पर लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं इससे असहमत हूं, यह कहने में कोई समस्या नहीं है। मैंने कहा और किया लेकिन जब आप कोई कुछ खोज करते हैं और मेरी जुबान से कोई शब्द लेकर मेरे ऊपर ही अटैक करते हैं तो यह मेरे बारे में तुम्हारे बारे में उससे कहीं ज्यादा है। आप सब आलसी पत्रकारों और टिप्पणीकारों से मैं पूछता हूं कि कृपया मुझे दिखाएं कि मैंने कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाए रखने की मांग कब की?'
बोले, नफरत वाले तो नफरत करेंगे
उमर अब्दुल्ला ने एक के बाद एक लगातार ट्वीट किए। उन्होंने आगे लिखा, 'नफरत वाले नफरत करेंगे, कुछ भी नहीं बदलेगा। कुछ लोग हैं जिनसे मैं कुछ अच्छे की उम्मीद कर सकता हूं। उदासीनता राजनीति का एक हिस्सा है और हर किसी को इसके साथ जीना सीखना चाहिए। जीवन चलता रहेगा।'(navbharat)
- विकास बहुगुणा
राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस के भीतर उथल-पुथल जारी है. पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री पद से भी हटा दिए गए सचिन पायलट बागी रुख अपनाए हुए हैं. हालांकि कांग्रेस इसे भाजपा की साजिश बता रही है. पार्टी नेता अजय माकन ने बीते दिनों कहा कि यदि चुनी गई किसी सरकार को पैसे की ताकत से अपदस्थ किया जाता है, तो यह जनादेश के साथ धोखा और लोकतंत्र की हत्या है. पार्टी के दूसरे नेता भी कमोबेश ऐसी बातें कई बार कह चुके हैं.
इससे पहले विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस, भाजपा के हाथों कर्नाटक और मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुकी है. तब भी उसने केंद्र में सत्ताधारी पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया था. कई विश्लेषक भी इस तरह सत्ता परिवर्तन को लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं बताते. हाल में सत्याग्रह पर ही प्रकाशित अपने एक लेख में चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा का कहना था, ‘अगर विधायक किसी भी समय खरीदे और बेचे जा सकते हैं तो फिर चुनाव करवाने का मतलब ही क्या है? क्या इससे उन भारतीयों की लोकतांत्रिक इच्छा के कुछ मायने रह जाते हैं जिन्होंने इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में वोट दिया था? अगर पैसे की ताकत का इस्तेमाल करके इतने प्रभावी तरीके से निष्पक्ष और स्वतंत्र कहे जाने वाले किसी चुनाव का नतीजा पलटा जा सकता है तो भारत को सिर्फ चुनाव का लोकतंत्र भी कैसे कहा जाए?’
ऐसे में पूछा जा सकता है कि जिस कांग्रेस पार्टी की सरकारें गिराने या ऐसा करने की कोशिशों के लिए भारतीय लोकतंत्र पर भी सवाल उठाया जा रहा है, उस कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र का क्या हाल है? क्या भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगा रही कांग्रेस खुद इस लोकतंत्र को कोई बेहतर विकल्प दे सकती है? क्या खेत की मिट्टी से ही उसमें उगने वाली फसल की गुणवत्ता तय नहीं होती है?
2019 के आम चुनाव में भाजपा की दोबारा प्रचंड जीत के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. इससे एक सदी पहले यानी 1919 में मोतीलाल नेहरू पहली बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. 1919 से 2019 तक 100 साल के इस सफर के दौरान कांग्रेस में जमीन-आसमान का फर्क आया है. तब कांग्रेस आसमान पर थी और उसके मूल्य भी ऊंचे थे. आज साफ है कि वह दोनों मोर्चों पर घिसट भी नहीं पा रही है.
मोतीलाल और जवाहरलाल नेहरू के वक्त की कांग्रेस परंपरावाद से लेकर आधुनिकता तक कई विरोधाभासी धाराओं को साथ लिए चलती थी. नेतृत्व के फैसलों पर खुलकर बहस होती थी और इसमें आलोचना के लिए भी खूब जगह थी. 1958 के मूंदड़ा घोटाले के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. यह आजाद भारत का पहला वित्तीय घोटाला था और इसने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बड़ी किरकिरी की थी. इसकी एक वजह यह भी थी कि इसे उजागर करने वाला और कोई नहीं बल्कि उनके ही दामाद और कांग्रेस के सांसद फीरोज गांधी थे. इस घोटाले के चलते तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णमचारी को इस्तीफा देना पड़ा था.
इसी सिलसिले में 1962 का भी एक किस्सा याद किया जा सकता है. चीन के साथ युद्ध को लेकर संसद में बहस गर्म थी. अक्साई चिन, चीन के कब्जे में चले जाने को लेकर विपक्ष ने हंगामा मचाया हुआ था. इसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में यह बयान दिया कि अक्साई चिन में घास का एक तिनका तक नहीं उगता. कहते हैं कि इस पर उनकी ही पार्टी के सांसद महावीर त्यागी ने अपना गंजा सिर उन्हें दिखाया और कहा, ‘यहां भी कुछ नहीं उगता तो क्या मैं इसे कटवा दूं या फिर किसी और को दे दूं.’
अब 2020 पर आते हैं. क्या आज की कांग्रेस में ऐसी किसी स्थिति की कल्पना की जा सकती है? एक ताजा उदाहरण से ही इसे समझते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता रहे संजय झा ने कुछ दिन पहले टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में एक लेख लिखा. इसमें कहा गया था कि दो लोकसभा चुनावों में इतनी बुरी हार के बाद भी ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जिससे लगे कि पार्टी खुद को पुनर्जीवित करने के प्रति गंभीर है. उनका यह भी कहना था कि अगर कोई कंपनी किसी एक तिमाही में भी बुरा प्रदर्शन करती है तो उसका कड़ा विश्लेषण होता है और किसी को नहीं बख्शा जाता, खास कर सीईओ और बोर्ड को. संजय झा का कहना था कि कांग्रेस के भीतर ऐसा कोई मंच तक नहीं है जहां पार्टी की बेहतरी के लिए स्वस्थ संवाद हो सके. इसके बाद उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया. इसके कुछ दिन बाद उन्होंने राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर टिप्पणी की. इसमें संजय झा का कहना था कि जब सचिन पायलट के राज्य इकाई का अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में शानदार वापसी की तो उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था. इसके बाद संजय झा को पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया. इसका कारण उनका पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना और अनुशासन तोड़ना बताया गया.
माना जाता है कि कांग्रेस के भीतर कभी मौजूद रही लोकतंत्र की शानदार इमारत के दरकने की शुरुआत इंदिरा गांधी के जमाने में हुई. वे 1959 में पहली बार कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं. उस समय भी कहा गया था कि जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी को आगे बढ़ाकर गलत परंपरा शुरू कर रहे हैं. इस आलोचना का नेहरू ने जवाब भी दिया था. उनका कहना था कि वे बेटी को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार नहीं कर रहे हैं. प्रथम प्रधानमंत्री के मुताबिक वे कुछ समय तक इस विचार के खिलाफ भी थे कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए उनकी बेटी कांग्रेस की अध्यक्ष बन जाएं.
हालांकि कई ऐसा नहीं मानते. एक साक्षात्कार में वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय कहते हैं, ‘नेहरू खुद इंदिरा को कांग्रेस के नेतृत्व की कतार में खड़ा करने, बनाए रखने और जिम्मेदारी सौंपने का प्रयास करते रहे. जब नेहरू की तबीयत थोड़ी कमजोर हुई तो उन्होंने इंदिरा को कांग्रेस की कार्यसमिति में रखा.’ यह भी कहा जाता है कि अध्यक्ष पद के लिए पहले दक्षिण भारत से तालुल्क रखने वाले धाकड़ नेता निजलिंगप्पा का नाम प्रस्ताव हुआ था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इस पर चुप्पी ओढ़ ली और फिर जब इंदिरा गांधी के नाम का प्रस्ताव आया तो उन्होंने हामी भर दी.
महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और राजेंद्र प्रसाद जैसे कांग्रेसी दिग्गजों ने हमेशा कोशिश की कि उनके बच्चे उनकी राजनीतिक विरासत का फायदा न उठाएं. लेकिन इंदिरा गांधी इससे उलट राह पर गईं. जैसा कि अपने एक लेख में पूर्व नौकरशाह और चर्चित लेखक पवन के वर्मा लिखते हैं, ‘उन्होंने वंशवाद को संस्थागत रूप देने की बड़ी भूल की. अपने छोटे बेटे संजय को वे खुले तौर पर अपना उत्तराधिकारी मानती थीं.’ जब संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में असमय मौत हुई तो इंदिरा अपने बड़े बेटे और पेशे से पायलट उन राजीव गांधी को पार्टी में ले आईं जिनकी राजनीति में दिलचस्पी ही नहीं थी.
सोनिया गांधी की जीवनी ‘सोनिया : अ बायोग्राफी’ में वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई लिखते हैं, ‘इंदिरा और राजीव गांधी की इस पारिवारिक पकड़ ने पार्टी में नंबर दो का पद भी ढहा दिया था. हमेशा सशंकित रहने वाली इंदिरा गांधी ने राजीव को एक अहम सबक सिखाया - स्थानीय क्षत्रपों पर लगाम रखो और किसी भी ऐसे शख्स को आगे मत बढ़ाओ जो नेहरू-गांधी परिवार का न हो.’
इंदिरा गांधी ने खुद यही किया था. उनके समय में ही कांग्रेस में ‘हाईकमान कल्चर’ का जन्म हुआ और क्षेत्रीय नेता हाशिये पर डाल दिए गए. लंदन के मशहूर किंग्स कॉलेज के निदेशक और चर्चित लेखक सुनील खिलनानी अपने एक लेख में कहते हैं कि ऐसा इंदिरा गांधी ने दो तरीकों से किया - पहले उन्होंने पार्टी का विभाजन किया और फिर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दीं कि पार्टी से वफादारी के बजाय इंदिरा गांधी से वफादारी की अहमियत ज्यादा हो गई.
इंदिरा गांधी ने यह बदलाव पैसे का हिसाब-किताब बदलकर किया. पहले पैसे का मामला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से अलग रखा जाता था. जवाहरलाल नेहरू आदर्शवादी नेता थे लेकिन उन्हें यह भी अहसास था कि कांग्रेस जैसी विशाल पार्टी को चलाने के लिए काफी पैसे की जरूरत होती है, तो उन्होंने यह काम स्थानीय क्षत्रपों पर छोड़ रखा था जो अपने-अपने तरीकों से पैसा जुटाते और इसे अपने इलाकों में चुनाव पर खर्च करते. सुनील खिलनानी लिखते हैं, ‘इंदिरा गांधी ने यह व्यवस्था खत्म कर दी. अब स्थानीय नेताओं को दरकिनार करते हुए नकदी सीधे उनके निजी सचिवों के पास पहुंचाई जाने लगी और उम्मीदवारों को चुनावी खर्च के लिए पैसा देने की व्यवस्था पर इंदिरा गांधी के दफ्तर का नियंत्रण हो गया. पैसा पहले ब्रीफकेस में भरकर आता था. बाद में सूटकेस में भरकर आने लगा.’ सुनील खिलनानी के मुताबिक इस सूटकेस संस्कृति के जरिये इंदिरा गांधी ने अपने चहेते वफादारों का एक समूह खड़ा कर लिया जिसे इस वफादारी का इनाम भी मिलता था. इस सबका दुष्परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस वोट पाने से लेकर विधायक दल का नेता चुनने तक हर मामले में नेहरू-गांधी परिवार का मुंह ताकने लगी.
यही वजह थी कि 1984 में जब अपने अंगरक्षकों के हमले में इंदिरा गांधी की असमय मौत हुई तो राजनीति के मामले में नौसिखिये राजीव गांधी को तुरंत ही पार्टी की कमान दे दी गई. उन्होंने अपनी मां से मिले सबक याद रखे. राशिद किदवई ने अपनी किताब में लिखा है कि शरद पवार, नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह जैसे कई मजबूत क्षत्रपों पर लगाम रखने के लिए राजीव गांधी ने भी नेताओं का एक दरबारी समूह बनाया. कोई खास जनाधार न रखने वाले इन नेताओं को ताकतवर पद दिए गए. बूटा सिंह, गुलाम नबी आजाद और जितेंद्र प्रसाद ऐसे नेताओं में गिने गए. यानी इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में लोकतंत्र के खात्मे की जो प्रक्रिया शुरू की थी उसे राजीव गांधी ने आगे बढ़ाया.
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद भी वही हुआ जो 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था. इस घटना के बाद दिल्ली में उनके निवास 10 जनपथ पर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी. वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह भी वहां मौजूद थीं. इसी दौरान अपने एक सहयोगी से उन्हें खबर मिली कि कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक हुई है जिसमें सोनिया गांधी को पार्टी की कमान देने का फैसला हुआ है. यह सुनकर वे हैरान रह गईं. अपनी किताब दरबार में वे लिखती हैं, ‘मैंने कहा कि वे तो विदेशी हैं और हिंदी तक नहीं बोलतीं. वे कभी अखबार नहीं पढ़तीं. ये पागलपन है.’ सोनिया गांधी तब कांग्रेस की सदस्य तक नहीं थीं. अपनी किताब में राशिद किदवई लिखते हैं, ‘सोनिया गांधी में नेतृत्व के गुण हैं या नहीं, उन्हें भारतीय राजनीति की पेचीदगियों का अंदाजा है या नहीं, इन बातों पर जरा भी विचार नहीं किया गया.’
हालांकि सोनिया गांधी ने उस समय यह पद ठुकरा दिया. एक बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि जो विपदा उन पर आई है उसे और अपने बच्चों को देखते हुए उनके लिए कांग्रेस अध्यक्ष का पद स्वीकार करना संभव नहीं है. परिवार के सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी को कांग्रेस कार्यसमिति का यह फैसला काफी असंवेदनशील भी लगा क्योंकि तब तक राजीव गांधी का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ था. राशिद किदवई के मुताबिक उस समय परिवार के काफी करीबी रहे अमिताभ बच्चन ने कहा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को भी इसी तरह पार्टी की कमान थामने को मजबूर किया गया था और कब तक गांधी परिवार के सदस्य इस तरह बलिदान देते रहेंगे.
इसके बाद अगले चार साल तक कांग्रेस की कमान तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पास रही. 1978 में ब्रह्मानंद रेड्डी के बाद से यह पहली बार था जब पार्टी की अगुवाई गांधी परिवार से बाहर का कोई शख्स कर रहा था. हालांकि तब भी गांधी परिवार कांग्रेस के भीतर एक शक्ति केंद्र था ही. कहा जाता है कि नरसिम्हा राव से असंतुष्ट नेता सोनिया गांधी को अपना दुखड़ा सुनाते थे. राव के बाद दो साल पार्टी सीताराम केसरी की अगुवाई में चली.
तब तक 1996 के आम चुनाव आ चुके थे. इन चुनावों में सत्ताधारी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी फीका रहा. पांच साल पहले 244 सीटें लाने वाली पार्टी इस बार 144 के आंकड़े पर सिमट गई. उधर, भाजपा का आंकड़ा 120 से उछलकर 161 पर पहुंच गया. कांग्रेस का एक धड़ा सोनिया गांधी को वापस लाने की कोशिशों में जुटा था. पार्टी की बिगड़ती हालत ने उसकी इन कोशिशों को वजन दे दिया. 1997 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में सोनिया गांधी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई गई और इसके तीन महीने के भीतर ही वे अध्यक्ष बन गईं.
कांग्रेस के अब तक हुए अध्यक्षों की सूची देखें तो सोनिया गांंधी राजनीति के लिहाज से सबसे ज्यादा नातजुर्बेकार थीं लेकिन, उन्होंने सबसे ज्यादा समय तक यह कुर्सी संभाली. वे करीब दो दशक तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और अब फिर अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाले हुए हैं.
इसी तरह राहुल गांधी 2004 में सक्रिय राजनीति में आए. तीन साल के भीतर उन्हें पार्टी महासचिव बना दिया गया. 2013 में यानी राजनीति में आने के 10 साल से भी कम वक्त के भीतर राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष बन गए. 2017 में वे अध्यक्ष बनाए गए. 2019 में उन्होंने पद छोड़ा तो चुनाव नहीं हुए बल्कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बन गईं. इसी तरह कोई चुनाव न जीतने के बाद भी प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव हैं. और परिवार में कथित तौर पर सबसे ज्यादा राजनीतिक परिपक्वता रखने के बाद भी सिर्फ पारिवारिक समीकरणों के चलते ही वे शायद पार्टी में बड़ी मांग होने पर भी उसके लिए खुलकर राजनीति नहीं कर पा रही हैं.
यानी कि अब भी कांग्रेस उसी तरह चल रही है जैसी राजीव और इंदिरा गांधी के समय चलती थी. इसका मतलब यह है कि पार्टी के भीतर लोकतंत्र पहले की तरह अब भी गायब है. अगर इससे थोड़ा आगे बढ़ें तो यह भी कहा जा सकता है कि जब गांधी परिवार के भीतर ही नेतृत्व का निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित नहीं है तो इसकी उम्मीद पार्टी के स्तर पर कैसे की जा सकती है! राजीव-इंदिरा की तरह आज सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द भी नेताओं की एक मंडली जमी रहती है और बाकियों को इसके जरिये ही उन तक अपनी बात पहुंचानी पड़ती है. राज्यों के चुनाव होते हैं तो विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार केंद्रीय नेतृत्व को दे दिया जाता है जो अपनी पसंद का नाम तय कर देता है. संसदीय दल का नेता चुनने के मामले में भी ऐसा ही होता है.
2004 के आम चुनाव में तो मामला इससे भी आगे चला गया था. कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें लाई थीं और उसके नेतृत्व में गठबंधन सरकार बननी थी. लेकिन विदेशी मूल का हवाला देकर भाजपा ने सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध शुरू कर दिया. इसके बाद सोनिया गांधी खुद प्रधानमंत्री नहीं बनीं लेकिन उनके एक इशारे पर ही मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बना दिया गया. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. प्रधानमंत्री को सलाह देने के लिए एक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बन गई जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं. इस तरह का काम भारतीय लोकतंत्र में पहली बार हुआ था और इसके चलते सोनिया गांधी को सुपर पीएम कहा जाने लगा था.
वे दिन अब बीत चुके हैं. बीते साल कांग्रेस को लगातार दूसरे आम चुनाव में भयानक हार का सामना करना पड़ा. 2014 में महज 44 लोकसभा सीटें लाने वाली पार्टी 2019 के आम चुनाव में इस आंकड़े में सिर्फ आठ की बढो़तरी कर सकी. इस तरह देखें तो पार्टी के एक परिवार पर निर्भर होने के लिहाज से भी इस समय एक दिलचस्प स्थिति है. ऐसा पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य कांग्रेस में तीन सबसे प्रभावशाली भूमिकाओं में हैं और ठीक उसी वक्त पार्टी सबसे कमजोर हालत में है. अभी तक कहा जाता था कि गांधी परिवार एक गोंद की तरह कांग्रेस को जोड़े रखता है क्योंकि इसका करिश्मा चुनाव में वोट दिलवाता है. लेकिन साफ है कि वह करिश्मा अब काम नहीं कर रहा. पवन के वर्मा कहते हैं, ‘सच ये है कि पार्टी एक ऐसे परिवार की बंधक बनी हुई है जो दो आम चुनावों में इसका खाता 44 से सिर्फ 52 तक पहुंचा सका.’ उनके मुताबिक कांग्रेस को नेतृत्व से लेकर संगठन तक बुनियादी बदलाव की जरूरत है और तभी वह एक ऐसा विश्वसनीय विपक्ष बन सकती है जिसकी लोकतंत्र को जरूरत होती है.
दबी जुबान में ही सही, कांग्रेस के भीतर से भी इस तरह के सुर सुनाई दे रहे हैं. कुछ समय पहले पार्टी नेता संदीप दीक्षित का कहना था कि ‘महीनों बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं कर सके. वजह ये है कि वे डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे.’ पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है और अब भी कांग्रेस में कम से कम छह से आठ नेता हैं जो अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं. उनके इस बयान का पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी खुला समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं.’ शशि थरूर का आगे कहना था, ‘मैं कांग्रेस कार्यसमिति से फिर आग्रह करता हूं कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराया जाए.’
लेकिन अध्यक्ष पद के लिए चुनाव एक ऐसी बात है जो कांग्रेस में अपवाद और अनोखी बात रही है. आखिर बार ऐसा 2001 में हुआ था जब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे और महज एक फीसदी वोट हासिल कर सके थे. उससे पहले 1997 में कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था जिसमें सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराया था. और इससे पहले चुनाव की नौबत 1950 में तब आई थी जब जवाहरलाल नेहरू की नापसंदगी के बाद भी पुरुषोत्तम दास टंडन को ज्यादा वोट मिले थे और वे कांग्रेस के मुखिया बन गए थे. बाकी सभी मौकों पर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव बंद कमरों में होता रहा है.
कांग्रेस के कई नेताओं के अलावा कुछ विश्लेषक भी मानते हैं कि किसी नए चेहरे का लोकतांत्रिक रूप से चुनाव ही भारत की सबसे पुरानी पार्टी को नया रूप देने का सबसे सही तरीका हो सकता है. अपने एक लेख में रामचंद्र गुहा कहते हैं कि इससे भी आगे बढ़कर वह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है जो अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी अपनाती है और जो कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक है. वे लिखते हैं, ‘पार्टी सदस्यों तक सीमित रहने वाले चुनाव से पहले टेलीविजन पर बहसें और टाउन हॉल जैसे आयोजन हो सकते हैं जिनमें उम्मीदवार अपने नजरिये और नेतृत्व की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करें. आखिर कांग्रेस इस बारे में क्यों नहीं सोचती?’
रामचंद्र गुहा का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव उन लोगों के लिए भी खुला होना चाहिए जो कभी कांग्रेस में थे, लेकिन उसे छोड़कर चले गए. उदाहरण के लिए ममता बनर्जी. इस चर्चित इतिहासकार के मुताबिक ऐसे लोगों को भी उम्मीदवारी पेश करने की छूट दी जा सकती है जो कभी कांग्रेस पार्टी के सदस्य नहीं रहे. वे लिखते हैं, ‘मसलन कोई सफल उद्यमी या करिश्माई सामाजिक कार्यकर्ता भी दावेदार हो सकता है जिससे चुनाव कहीं ज्यादा दिलचस्प हो जाएगा.’ उनके मुताबिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार-भाषण देने और व्यक्तिगत घोषणा पत्र जारी करने की छूट होनी चाहिए. रामचंद्र गुहा मानते हैं कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव इतना लोकतांत्रिक और पारदर्शी हो जाए तो तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी वे पार्टियां उसके साथ आ सकती हैं जिनके नेताओं के बारे में माना जाता है कि वे सिर्फ इसलिए कांग्रेस छोड़कर चले गए कि उन्हें एक हद से आगे नहीं बढ़ने दिया गया.
कई और विश्लेषक भी मानते हैं कि कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पा रही कि नेहरू गांधी परिवार को लेकर उसकी जो श्रद्धा है, वही उसके उद्धार की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. अपने एक लेख में राशिद किदवई कहते हैं, ‘जो नए मतदाता हैं या जिसे हम न्यू इंडिया कहते हैं, वे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से ऊब चुके हैं. वे एक ही परिवार से हटना चाह रहे हैं.’ उनके मुताबिक जिस दिन कांग्रेस को यह समझ में आ जाएगा कि वह नेहरू-गांधी परिवार का इस्तेमाल भले करे, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व किसी और को दे दे, उसी दिन से कांग्रेस में बदलाव शुरू हो जाएगा.’
सवाल उठता है कि क्या ऐसा होगा? अभी तो अध्यक्ष पद छोड़ने के बावजूद कांग्रेस के केंद्र में राहुल गांधी ही दिख रहे हैं. पार्टी से जुड़ी ज्यादातर बड़ी सुर्खियां उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस या ट्वीट पर ही केंद्रित होती हैं. अंदरखाने से आ रही खबरों के मुताबिक कांग्रेस के कई नेता इससे फिक्रमंद हैं. उनकी शिकायत है कि रणनीति तो राहुल गांधी अपने हिसाब से तय कर रहे हैं, लेकिन इस रण को लड़ने वाले संगठन से जुड़ी शिकायतों पर वे यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वे अब पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं.(satyagrah)
बीजिंग (आईएएनएस)| चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आली प्रिफेक्च र में स्थित कैलाश पर्वत तिब्बती बौद्ध धर्म, हिन्दू धर्म और जैन धर्म के अनुयाइयों द्वारा माना गया विश्व केंद्र है। वर्ष 2019 में पवित्र कैलाश मानसरोवर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 1.907 लाख रही। इधर के वर्षो में अधिकाधिक श्रद्धालु इस पर्वत की परिक्रमा करने के लिए यहां आ चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2019 में फूलेन काऊंटी, जहां पवित्र कैलाश और मानसरोवर है, ने कुल मिलाकर देश-विदेश के 1.907 लाख पर्यटकों का सत्कार किया, जिससे कुल 27.3 करोड़ चीनी युआन की आय हुई। 54 हजार विदेशी पर्यटकों में 73 प्रतिशत भारतीय हैं, जबकि 10 प्रतिशत नेपाली हैं।
महामारी के दौरान ई-कॉमर्स और डिजिटल फाइनेंस....
बीजिंग, 29 जुलाई (आईएएनएस)| पिछले कुछ समय में चीन में ऑनलाइन खुदरा, ऑनलाइन शिक्षा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, टेलेकम्युटिंग आदि नये व्यवसाय उभरकर सामने आये हैं। कोरोना महामारी के दौर में बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन आदि तकनीक के प्रयोग से देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था का तेज विकास हुआ है। चीन की जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था का अनुपात करीब 30 प्रतिशत है, और डिजिटल अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर जीडीपी की वृद्धि दर से कई गुणा ज्यादा है। करीब 20 करोड़ लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़े कामों में संलग्न हैं। जाहिर है, देश की अर्थव्यवस्था में इसकी अहम भूमिका है और देश में आर्थिक विकास और रोजगार देने का नया ईंधन बन गयी है।
चीन में नेटिजनों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। हाल में चीनी इंटरनेट एसोसिएशन ने चीन में इंटरनेट विकास की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार चीन में नेटिजनों की संख्या 1 अरब 31 करोड़ 90 लाख रही, ई-कॉमर्स व्यापार 348.1 खरब चीनी युआन रहा और ऑनलाइन भुगतान की राशि करीब 2498.8 खरब युआन रही। चीन में ऑनलाइन भुगतान दर दुनिया में पहले स्थान पर है।
चीन में रह रहे बहुत से विदेशी लोगों का मानना है कि चीन में ऑनलाइन भुगतान बहुत सुविधाजनक है, जो उनके जीवन का एक जरूरी भाग बन गया है। करीब हर सभी छोटी-बड़ी दुकानों पर भुगतान करने का क्यूआर कोड उपलब्ध रहता है। इसे स्कैन कर भुगतान किया जा सकता है। लोग बस अपने मोबाइल फोन से भुगतान कर बस, मेट्रो, टैक्सी आदि में यात्रा कर सकते हैं, या फिर खाने-पीने की तमाम चीजें खरीद सकते हैं। यानी की मोबाइल भुगतान से एक पानी की बोतल से लेकर बड़े-से-बड़े फर्नीचर खरीद सकते हैं।
देखें तो महामारी के दौरान ई-कॉमर्स और डिजिटल फाइनेंस समेत डिजिटल अर्थव्यवस्था ने चीन की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाया है। 5जी बेस स्टेशन, यूएचवी, हाई-स्पीड रेलवे, नयी ऊर्जा वाहन चार्जिंग पाइल्स, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, औद्योगिक इंटरनेट आदि नये किस्म के बुनियादी संस्थापनों के निर्माण के चलते अधिकाधिक चीनी लोग डिजिटल अर्थव्यवस्था में शामिल होते जाएंगे। माना जा रहा है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था चीन की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाएगी।
...और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप
पटना, 28 जुलाई (आईएएनएस)| पटना के रहने वाले और बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या के मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। सुशांत के पिता के. के. सिंह ने पटना के राजीव नगर थाना क्षेत्र में एक मामला दर्ज करवाया है। दर्ज मामले में उन्होंने सुशांत की कथित प्रेमिका रिया चक्रवर्ती, उनके परिजन सहित छह लोगों को नामजद आरोपी बनाया है।
राजीव नगर थाना प्रभारी योगेंद्र रविदास ने मंगलवार को बताया कि के. के. सिंह द्वारा दर्ज कराए गए मामले में सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।
राजीवनगर थाना में दर्ज एफआईआर संख्या 241/20 मामले में रिया चक्रवर्ती सहित छह लोगों को भादवि की धारा 340, 341, 342, 380, 406, 420 और 306 के तहत आरोपी बनाया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सुशांत के पिता द्वारा 25 जुलाई को राजीव नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी में रिया चक्रवर्ती के अलावे इंद्रजीत चक्रवर्ती, संध्या चक्रवर्ती, शोविक चक्रवर्ती, सैमुअल मिरिंडा, श्रुति मोदी और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, बेइमानी, बंधक बनाकर रखने और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है।
सिंह ने दर्ज प्राथमिकी में लिखा है, "मेरा बेटा 2019 से अभिनय जगत में बुलंदियों पर था। फिल्म जगत में काम करने के दौरान रिया चक्रवर्ती नाम की एक लड़की अपने परिजन और अन्य साथी के साथ सोची समझी साजिश के तहत मेरे बेटे सुशांत सिंह से जान पहचान बढ़ाने लग गई। जिससे वह सुशांत सिंह के अच्छे संपर्क का फायदा उठाकर अपने आप को अभिनय जगत में स्थापित कर पाए और सुशांत सिंह के करोड़ों रुपए पर अपना हाथ साफ कर सके यही उसकी योजना थी।"
"इस षडयंत्र में रिया और उसके परिजन इंद्रजीत चक्रवर्ती, संध्या चक्रवर्ती, शोविक चक्रवर्ती ने मेरे बेटे से काफी नजदीकियां बढ़ा ली और सभी मेरे बेटे के हर मामले में हस्तक्षेप करने लगे। उसके उपरांत मेरा बेटा जहां रह रहा था वह घर जाकर छुड़वा दिया गया कि इस घर में भूत-प्रेत है।"
दर्ज प्राथमिकी में रिया पर पैसा ठगने का भी आरोप लगाया गया है वहीं सुशांत को भावनात्मक लड़का बताया गया है।
इधर, पटना सेंट्रल रेंज के आईजी संजय कुमार ने कहा कि दर्ज प्राथमिकी में प्यार में फंसाकर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है।
इधर, सूत्रों के मुताबिक पटना में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पटना पुलिस की एक टीम मुंबई पुहंच गई है और मामले की जांच में जुट गई है। सूत्रों का कहना है कि पटना पुलिस वहां इस मामले में कुछ लोगों से पूछताछ भी करेगी।
उल्लेखनीय है कि पटना के रहने वाले सुशांत मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में 14 जून को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। सुशांत काफी कम समय में बॉलीवुड में सफल अभिनेताओं में शामिल हो चुके थे। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म 'एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी' में इनकी भूिमका काफी चर्चित रही थी।
सुशांत की आत्महत्या को लेकर कई संगठनों ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की थी। मुंबई पुलिस हालांकि इस मामले की जांच कर रही है और अब तक कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
वायुसेनाध्यक्ष करेंगे अगुआनी
अंबाला, 29 जुलाई (वार्ता) फ्रांस से खरीदे जा रहे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के पांच विमान बुधवार दोपहर अंबाला के वायुसेना एयरबेस पहुंचेंगे जहां वायुसेनाध्यक्ष आर के एस भदौरिया उनकी अगुआनी करेंगे।
राफेल विमानों की यह पहली खेप है। भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया है और इस सौदे की पहली खेप में ये विमान प्राप्त हुए हैं।
पांचों विमानों ने सोमवार को फ्रांस से उड़ान भरी थी और उसी दिन दस घंटे का सफर तय कर संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे और आज वहां से उड़ान भर अंबाला पहुंचेंगे।
अंबाला में ही राफेल की पहली स्क्वाड्रन तैनात होगी। 17वीं नंबर की इस स्क्वाड्रन को ''गोल्डन-ऐरोज़'' नाम दिया गया है जिसमें 18 राफेल लड़ाकू विमान, तीन प्रशिक्षक और बाकी 15 लड़ाकू विमान होंगे।
पांच राफेल लड़ाकू विमानों के आने के पहले मंगलवार को अंबाला वायु सेना केंद्र के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और निषेधाज्ञा लागू की गई है। अंबाला जिला प्रशासन ने वायुसेना केंद्र के तीन किलोमीटर के दायरे में लोगों के ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दसॉ एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था।
श्रीनगर (आईएएनएस)| एयर कमोडोर हिलाल अहमद राथर कश्मीर में रातों रात चर्चा का विषय बन गए हैं। हिलाल ने राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप को विदाई दी, जिन्होंने फ्रांस से भारत के लिए सोमवार को उड़ान भरी। इसके अलावा वह भारतीय जरूरतों के मुताबिक राफेल विमान के शस्त्रीकरण से भी जुड़े रहे हैं।
हिलाल मौजूदा समय में फ्रांस में भारत के एयर अटैच हैं।
भारतीय वायुसेना के इस अधिकारी के करियर विवरणों के अनुसार, दुनिया में यह सर्वश्रेष्ठ फ्लाइंग अधिकारी हैं।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए हिलाल के पिता दिवंगत मोहम्मद अब्दुल्लाह राथर जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस विभाग से पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
हिलाल की तीन बहनें हैं और अपने माता-पिता के वह इकलौते पुत्र हैं।
हिलाल की पढ़ाई जम्मू जिले के नगरोटा कस्बे में सैनिक स्कूल में हुई। वह वायुसेना में 17 दिसंबर, 1988 को एक लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल हुए।
वह 1993 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए, 2004 में विंग कमांडर, 2016 में ग्रुप कैप्टन और 2019 में एयर कोमोडोर बन गए।
उन्होंने डिफेंस सर्विसिस स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) से स्नातक की पढ़ाई की। उन्होंने एयर वार कॉलेज (अमेरिका) से भी डिस्टिंक्शन के साथ डिग्री हासिल की। उन्होंने एलडीए में स्वार्ड ऑफ ऑनर जीता।
हिलाल को वायुसेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है।
मिराज-2000, मिग-21 और किरण विमानों पर 3,000 घंटों की दुर्घटनामुक्त उड़ानों के निष्कलंक रिकॉर्ड के साथ हिलाल का नाम अब भारत में राफेल के साथ हमेशा के लिए जुड़ जाएगा।
रायपुर, 28 जुलाई। प्रदेश में आज रात मिले कोरोना पॉजिटिव लोगों में से रायपुर के 157 लोगों की लिस्ट में दो दर्ज़न लोग शदाणी दरबार से जुड़े हुए हैं. पहले भी यहां के दर्जनों लोग पॉजिटिव निकल चुके हैं.
पॉजिटिव लोगों में से रायपुर के दर्जनों इलाकों के लोग हैं. वीआईपी एस्टेट, हीरापुर, रामनगर, कोटा, मन, क्रेस्ट ग्रीन, भटगांव, शिवानंद नगर, तहसील ऑफिस आरंग, थाना आरंग, शंकर नगर, मठपुरैना, टिकरापारा, आदर्श नगर, महावीर नगर, चौबे कॉलोनी, बीएसएफ कैंप-माना, कृष्णा नगर, राजा तालाब, श्रीराम नगर-मंदिर हसौद, रहेजा रेजीडेंसी-अवन्ति नगर, राजीव आवास-लाल गंगा के पीछे, गोपाल नगर, रामेश्वर नगर-भनपुरी, हनुमान वाटिका-भाठागांव, आनंद नगर, शदाणी दरबार(24 लोग), बजरंग नगर-तात्यापारा, कैपिटल पैलेस, वासुदेव पारा-रामकुंड, देवेंद्र नगर, सर्वोदय नगर-पचपेड़ी नाका, पुराना पुलिस मुख्यालय, प्रोफेसर कॉलोनी, बसंत विहार कॉलोनी, भवानी नगर-कोटा, मुस्कान रेजीडेंसी-पचपेड़ी नाका, बैरन बाजार, अभनपुर, सिविल लाइन्स, गाँधी नगर-पंडरी, लाल गंगा शॉपिंग मॉल, शहीद नगर-खमतराई, हीरापुर-टाटीबंध, अवधपुरी-भाटागांव, सरस्वती नगर, जे के वीडियो हॉल सांकरा( 4 लोग), गंगा विहार-अमलीडीह, कुशालपुर-दंतेश्वरी मंदिर, जनता कॉलोनी, कैलाश नगर -बिरगांव, विंध्यवासिनी मंदिर-वार्ड नंबर-२०, दलदलसिवनी ,रावतपुरा कॉलोनी मठपुरैना, काशीराम नगर, अवन्ति विहार-भाटागांव, अटल नगर, पुलिस लाइन, अग्रसेन चौक, बालाजी मंदिर के पास-कोटा, पार्वती नगर.
लिस्ट में कई लोग अस्पतालों, और दूसरी जगहों के कर्मचारी हैं. गोयल हॉस्पिटल(4 लोग), atm कैश वैन कर्मचारी, शराब दुकान कर्मचारी, साई केयर डेंटल हॉस्पिटल, मेकाहारा की एक डॉक्टर, जीवन मेमोरियल हॉस्पिटल, EOW ऑफिस, पंडरी कपडा मार्किट, मेडिशाइन हॉस्पिटल, इंडसइंड बैंक, टाटा क्रोमा। करीब एक दर्ज़न पुलिसवाले भी लिस्ट में हैं.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 28 जुलाई। कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत सीतामढ़ी बस्ती में निवास करने वाले गणपत सिंह का 14 वर्षीय पुत्र दुलेश्वर मंगलवार की शाम अपने घर के समीप खेल रहा था। इसी दौरान तेज आंधी बारिश शुरू हो गई और अकाशीय बिजली सीधे दुलेश्वर के ऊपर आ गिरी परिजन उसे तत्काल इलाज के लिए लेकर जिला अस्पताल पहुंचे जहां चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 28 जुलाई। करतला थाना क्षेत्र के ग्राम सकदुकला में युवक की बाड़ी में लाश मिलने के मामले को पुलिस ने सुलझा लिया है। युवक की हत्या किसी और ने नहीं उसकी नाबालिग प्रेमिका ने ही रस्सी से गला घोटकर की थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है ।
करतला थाना अंतर्गत ग्राम सकदूकला में निवासरत मंगत राम राठिया 22 वर्ष 25 जुलाई को ग्राम नोनबिर्रा में अपने मितान के जन्मदिन में शामिल होने गया था। अगली सुबह सकदूकला गांव में रहने वाले श्रवण कुमार प्रजापति के बाड़ी में उसका शव मिला था। पुलिस ने मौके पर देखा कि मृतक के गले में निशान दिखाई पड़ रहा है। इस आधार पर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302, 201 के तहत मामला पंजीबद्व कर विवेचना शुरू की। इस दौरान पुलिस को जानकारी मिली को मृतक का प्रेम संबंध गांव की किसी किशोरी से है जिसके आधार पर पुलिस ने किशोरी को पूछताछ करने के लिए थाने ले आई। पूछताछ के दौरान पहले तो उसने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया। लेकिन कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने हत्या करने की बात कबूल कर ली।
पूछताछ के दौरान किशोरी ने बताया कि घटना 25 जुलाई के रात की है। उसके प्रेमी ने कॉल कर उसे रात में मिलने के लिए बुलाया था। जब वह पहुँची तो उसके प्रेमी ने उसे अपनी बाइक में बिठाकर श्रवण प्रजापति की बाड़ी में ले आया था। प्रेमी युवक नशे में था जहाँ दोनों के बीच विवाद होने लगा। जब प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को अन्य लडक़ों के साथ घूमने के लिए मना किया तो प्रेमिका आक्रोशित हो गई। इसी विवाद के दौरान किशोरी ने पास में रखी रस्सी अपने प्रेमी के गले में डालकर दबा दिया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने किशोरी को गिरफ्तार कर लिया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। माना विमानतल की सुरक्षा अमले में तैनात सीआईएसएफ के दो जवान कोरोना पाज़िटिव पाए गए हैं। इससे पहले सोमवार की देर रात जारी कोरोना पाज़िटिव लोगों की सूची में गोदावरी पावर के पांच कर्मचारी भी है।
बताया गया कि सिलतरा स्थित गोदावरी पावर कंपनी के कोरोना पाज़िटिव पाए गए कर्मचारियों की कोई ट्रेवल्स हिस्ट्री नहीं है। यही नहीं, कल की सूची में तीन पुलिस कर्मियों के साथ ही साथ एक विख्यात महिला हाकी खिलाड़ी का भी नाम है।
दूसरी तरफ, आज कोरोना पाज़िटिव पाए गए सीआईएसएफ के जवान कुछ दिन पहले दिल्ली से लौटे थे और होम क्वारंटीन पर थे।इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। प्रदेश में रात 8.30 बजे तक 277 नए कोरोना पॉजिटिव मिले।
इनमें सर्वाधिक 138 रायपुर जिले के हैं। इसके बाद राजनांदगांव 20, दुर्ग से 19, बिलासपुर और बस्तर 18-18, नारायणपुर 11, रायगढ़, और बलौदाबाजार 8-8, गरियाबंद और सरगुजा 6-6, कबीरधाम 5, कोरबा और मुंगेली 4-4, बलरामपुर, जशपुर और दंतेवाड़ा 3-3, कांकेर 2, और जांजगीर-चांपा से एक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। लेकिन आज रात देर तक बाकी जिलों से और भी कोरोना पॉजिटिव मिल सकते हैं।
आज दुर्ग निवासी एक 63 बरस की महिला जो कि दो बरस से कैंसर पीडि़त थी, उसे सांस की तकलीफ के बाद कोरोना पॉजिटिव पाकर 26 जुलाई को एम्स में भर्ती कराया गया था। आईसीयू में इलाज के दौरान हार्टअटैक से 28 तारीख सुबह उसकी मौत हो गई।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। प्रदेश में आज शाम 7 बजे तक 265 नए कोरोना पॉजिटिव मिले।
इनमें सर्वाधिक 138 रायपुर जिले के हैं। इसके बाद बिलासपुर और बस्तर से 18-18, दुर्ग से 16, राजनांदगांव 13, नारायणपुर 11, रायगढ़ 8, बलौदाबाजार, गरियाबंद और सरगुजा 6-6, कबीरधाम 5, कोरबा और मुंगेली 4-4, बलरामपुर, जशपुर और दंतेवाड़ा 3-3, कांकेर 2, और जांजगीर-चांपा से एक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। लेकिन आज रात देर तक बाकी जिलों से और भी कोरोना पॉजिटिव मिल सकते हैं।
रायपुर, 28 जुलाई। राज्य शासन द्वारा प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से सहकारिता विभाग के अंतर्गत संभाग और जिला कार्यालय में पदस्थ प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की नवीन पदस्थापनाएं की है। सहकारिता विभाग ने इस संबंध में आज मंत्रालय से आदेश जारी कर दिया है।
सहकारिता विभाग द्वारा जारी ओदशानुसार उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं दुर्ग एस.के. तिग्गा को कार्यालय पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ नवा रायपुर इन्द्रावती भवन, उप पंजीयक दिलीप जायसवाल को पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ से उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जगदलपुर पदस्थ किया गया है। सहायक पंजीयक अवधेश मिश्रा को संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायपुर से सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं गरियाबंद, सहायक पंजीयक विश्वदीप महोबे को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं दुर्ग से प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं बेमेतरा, सहायक पंजीयक सुरेन्द्र कुमार गोंड़ को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायगढ़ से नोडल अधिकारी नवीन जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही का अतिरिक्त प्रभार, सहायक पंजीयक बी.एल. पोया को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं जगदलपुर से सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं सुकमा, सहायक पंजीयक आशुतोष डडसेना को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर से प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं सूरजपुर, सहायक पंजीयक एम. मिंज को उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं कोरबा से प्रभारी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं अंबिकापुर, सहायक पंजीयक रविन्द्रनाथ पैकरा को कार्यालय उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं अंबिकापुर से सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं बलरामपुर और सहायक पंजीयक अनिल कुमार तारम को सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं दंतेवाड़ा से सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाएं बीजापुर पदस्थ किया गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 जुलाई। प्रदेश के सौ विकास खंडों को रेड जोन घोषित किया गया है। इसके अलावा 9 विकासखंडों को आरेंज जोन में रखा गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए नये सिरे से विकासखंडों को चिन्हित किया है। सूची इस प्रकार हैं-
बीजिंग, 28 जुलाई (आईएएनएस)| ऐप्पल के द्वारा इस साल आईफोन 12 के कम से कम चार मॉडल का ऐलान किया जाना है, लेकिन लॉन्चिंग से पहले ही 5.4 इंच की आईफोन 12 की तस्वीरें इस वक्त इंटरनेट पर छायी हुई हैं। ऐप्पलइंसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, वीबो पर सीकडिवाइस द्वारा पेश किए गए इन तस्वीरों में इसी से मिलती-जुलती एक स्मार्टफोन की तस्वीर दिखाई दे रही है, हालांकि इसमें ट्रूडेप्थ कैमरा और अन्य सेंसर मौजूद नहीं हैं।
इससे ऐसा लगता है कि फोन की साइज आईफोन 11 के जितनी ही होगी, लेकिन बेजल अनुपात की दृष्टि से इसमें और अधिक बेहतर स्क्रीन होगा।
पहले के कुछ रपटों में सुझाया गया था कि आईफोन 12 सीरीज के आने वाले मॉडल्स फ्लैट एजेस के होंगे। हालांकि तस्वीरों से इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है क्योंकि ये अधिक स्पष्ट नहीं हैं।
आईफोन 12 के इन मॉडल्स के 2,227 एमएएच बैटरी के साथ आने की उम्मीद है। इसके साथ ही ये एलटीई और 5जी दोनों ही संस्करणों में आ सकती है जिसमें सामान्य एलटीई वर्जन की कीमत की शुरुआत लगभग 41,000 रुपये से होगी।
आईफोन 12 सीरीज के तहत ऐप्पल के चार नए आईफोन के लॉन्च होने की उम्मीद है जिसमें दो प्रीमियम वेरिएंट शामिल होंगे।
कंपनी के विश्लेषक मिंग-ची कुओ ने दावा किया है, सभी चार मॉडल्स में ओएलईडी डिस्प्ले के साथ 5जी सपोर्ट की उम्मीद जताई जा रही है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया। पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने को लेकर मंगलवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई। दिल्ली सरकार का मानना है कि दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को कोर्ट ने निष्पक्ष नहीं माना है। ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
हालांकि दिल्ली सरकार उप राज्यपाल की इस बात से सहमत है कि यह केस बेहद महत्वपूर्ण है। इस कारण दिल्ली सरकार ने गृह विभाग को निर्देश दिया है कि दिल्ली दंगे के लिए देश के सबसे बेहतरीन वकीलों का पैनल बनाया जाए। साथ ही यह पैनल निष्पक्ष भी होना चाहिए।
दिल्ली सरकार ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा, "मंगलवार शाम को हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव के साथ दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के सुझाव पर विचार किया गया। इस दौरान यह तय हुआ कि दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने के लिए जो भी दोषी हैं, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए। साथ ही यह भी तय हुआ कि निर्दोष को परेशान या दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इस कारण दिल्ली कैबिनेट ने दिल्ली सरकार द्वारा वकीलों के पैनल की नियुक्ति से सहमति जताई। साथ ही दिल्ली पुलिस के वकील पैनल को मंजूरी देने के उपराज्यपाल के सुझाव को अस्वीकार कर दिया।"
कैबिनेट के मुताबिक इसके पीछे का कारण यह है कि दिल्ली पुलिस की जांच पर विभिन्न न्यायालय की ओर से पिछले दिनों उंगली उठाई गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार ने दिल्ली दंगे के संबंध में दिल्ली पुलिस पर टिप्पणी की थी, "दिल्ली पुलिस न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है।" सेशन कोर्ट ने भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट में भी दिल्ली पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए गए थे। इस स्थिति में दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच पर संदेह था।
दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना है कि दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगों की जांच एजेंसी रही है, ऐसे में उनके वकीलों के पैनल को मंजूरी देने से निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
इसके अलावा दिल्ली सरकार की कैबिनेट का मानना है कि वकील पैनल का फैसला करने के मामले में उपराज्यपाल का बार-बार हस्तक्षेप करना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उपराज्यपाल अपने अधिकार का इस्तेमाल सिर्फ दुर्लभ मामलों में कर सकते हैं। उप राज्यपाल ने दिल्ली सरकार की तरफ से गठित पैनल पर असहमति जताते हुए, कैबिनेट में निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया था।
लॉस एंजेलिस, 28 जुलाई (आईएएनएस)| असम में राहत कार्य के लिए दान करने के बाद, बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनास और उनके पति निक जोनास ने बाढ़ प्रभावित राज्य बिहार को भी दान किया।
प्रियंका ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने बचाव कार्य हेतु असम और बिहार के बाढ़ राहत संगठनों को सहायता राशि प्रदान की हैं और उन्होंने अपने फैंस को भी मदद के लिए डोनेशन के लिए कहा है।
अभिनेत्री ने लिखा, "भारत में मानसून ने देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। बिहार राज्य जहां मैं पैदा हुई थी वहां लगातार बारिश के चलते बाढ़ आ गई है।"
उन्होंने लिखा, "असम की तरह यहां भी लोग प्रभावित हो गए हैं और कई लोग विस्थापित हो गए हैं। वे लोग तबाही से जूझ रहे हैं, उन्हें हर संभव मदद की जरूरत है, जो हम कर सकते हैं। निक और मैंने पहले ही कुछ संगठनों को दान दे दिया है, जिनकी टीम राज्य में सक्रिय है और हर संभव मदद के लिए आगे है। अब आपकी बारी है।"
अभिनेत्री ने कुछ संगठनों के बारे में भी बताया, जहां कोई भी दान कर सकता है।
भोपाल, 28 जुलाई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश की राजधानी में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनके संपर्क में आए कुछ लोगों को संस्थागत क्वारंटीन सेंटर रास नहीं आ रहे हैं। लिहाजा, जिला प्रशासन ने निजी होटलों को चिह्न्ति किया है, जहां लोग स्वेच्छा से स्वयं भुगतान कर क्वारंटीन हो सकेंगे। राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए लोगों को सरकारी स्तर पर क्वारंटीन करने के लिए कई सेंटर बनाए हैं और वहां सुविधाएं भी हैं, मगर कुछ लोगों को वह रास नहीं आ रहा है। इसके चलते भोपाल में होटलों को क्वारंटीन सेंटर में बदला जा रहा है। इनमें रहने के लिए शुल्क का भुगतान स्वयं संबंधित व्यक्ति को करना होगा।
भोपाल के जिलाधिकारी अविनाश लवानिया ने बताया है कि जो लोग अपनी सुविधा अनुसार निजी होटल में क्वारंटीन होना चाहते हैं, वे स्वयं के व्यय पर चिह्न्ति होटल में क्वारंटीन हो सकते हैं। वे इसके लिए एसडीएम से संपर्क कर सकते हैं, जिनके पास निजी होटलों की सूची उपलब्ध है। इनका किराया और व्यवस्थाओं का शुल्क भी निर्धारित है, जिसका भुगतान संबंधित को स्वयं करना होगा।
आनंद सिंह
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| भले ही भारतीय रेल ने 2021-22 तक 44 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट या ट्रेन 18 ट्रेन सेट का उत्पादन पूरा करने का दावा किया है, लेकिन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने एक आंतरिक आकलन में कहा है कि यह 2027 से पहले पूरा नहीं हो सकता।
आईसीएफ के मुख्य योजना अभियंता ने 14 जुलाई को अपने पत्र में मैकेनिकल इंजीनियरिंग (प्रोडक्शन यूनिट) के निदेशक से कहा है, व्यावसायिक सेवाओं के रैक बनाने के लिए रेल सेटों के प्रोटोटाइप बनाने में कम से कम 28 महीने का समय लगेगा।
इस पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास है।
आईसीएफ के योजना अभियंता ने यह भी दावा किया कि ट्रेन सेट के प्रोटोटाइप बनाने के बाद परीक्षण करने में छह महीने और लगेंगे। पत्र में आगे कहा गया है कि इसके बाद वंदे भारत रेक का उत्पादन शुरू होगा और यह हर महीने 16 डिब्बों वाली एक रेक उपलब्ध करा सकेगा।
44 रैक के लिए आईसीएफ को 44 ट्रेन सेट के निर्माण में साढ़े तीन साल और लगेंगे। इस तरह देखें तो ट्रेन सेट तैयार होने की अनुमानित तारीख दिसंबर, 2027 है।
आईसीएफ के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया कि अभी तक 'कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है' कि हम कब वंदे भारत रैक देने की स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा, "पहले निविदा को अंतिम रूप दिया जाना है और उसके बाद ही वंदे भारत रैक की आपूर्ति करने के लिए तिथि तय होगी।"
चेन्नई स्थित आईसीएफ ने ट्रेन 18 के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन किट खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं, जो बिना इंजन वाली देश की पहली स्व-चालित ट्रेन है।
ट्रेन 18 का निर्माण आईसीएफ द्वारा किया गया था, जिसका स्वामित्व भारतीय रेल के पास है, जिसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री लगी है। इन्हीं ट्रेनों को बाद में नया नाम वंदे भारत ट्रेन दिया गया।
हैदराबाद, 28 जुलाई (आईएएनएस)| हैदराबाद रियासत के अंतिम शासक, निजाम मीर उस्मान अली खान की अंतिम जीवित पुत्री साहबजादी बशीरुन्निसां बेगम का यहां मंगलवार को निधन हो गया। वह 93 साल की थीं। उन्होंने मंगलवार सुबह पुरानी हवेली स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी इकलौती बेटी रशीदुन्निसां हैं।
निजाम के पोते और निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब नजफ अली खान ने आईएएनएस को बताया, "साहबजादी बशीरुन्निसां बेगम साहिबा का निधन परिवार के लिए एक बड़ी क्षति है। वह हैदराबादी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का प्रतीक थीं।"
उन्हें हैदराबाद के पुराने शहर दरगाह हजरत याहिया पाशा में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अंतिम संस्कार में निजाम के परिवार के कई सदस्य शामिल हुए।
बशीरुन्निसां बेगम का विवाह नवाब काजिम यार जंग से हुआ था, जिन्हें अली पाशा के नाम से जाना जाता था और जिनका 1998 में निधन हो गया।
अपने समय में दुनिया के सबसे अमीर शख्सियत माने जाने वाले मीर उस्मान अली खान का सन् 1967 में निधन हुआ था।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)| इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने टेस्ट में वो मुकाम हासिल किया, जिसे अभी तक बहुत कम गेंदबाज कर सके हैं। इस फेहिरस्त में वो मुथैया मुरलीधरन, शेन वार्न, ग्लैन मैक्ग्राथ, कर्टनी वॉल्श की सूची में आकर खड़े हो गए हैं। दरअसल ब्रॉड ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफर्ड में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के आखिरी दिन मंगलवार को क्रैग ब्रैथवेट को आउट कर टेस्ट क्रिकेट में अपने 500 विकेट पूरे किए। ब्रॉड से पहले सिर्फ छह गेंदबाज की टेस्ट में 500 विकेट का आंकड़ा छू पाए हैं। ब्रॉड इस सूची में सातवें स्थान पर हैं।
सबसे पहले यह आंकड़ा कर्टनी वॉल्श ने छुआ था। विंडीज के वॉल्श एक समय तक टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। वॉल्श के नाम 132 टेस्ट मैचों में 519 विकेट हैं।
वॉल्श के बाद कुछ और गेंदबाजों ने यह मुकाम हासिल किया और अब टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकार्ड श्रीलंका के मुरलीधरन के नाम है। मुरलीधरन ने 133 टेस्ट मैचों में कुल 800 विकेट लिए हैं।
इन तीनों के अलावा टेस्ट में 500 या उससे ज्यादा विकेट लेने वालों की सूची में आस्ट्रेलिया के वार्न और मैक्ग्राथ, भारत के अनिल कुंबले और इंग्लैंड के ही जेम्स एंडरसन हैं।
मुरलीधरन के बाद टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने की सूची में वार्न दूसरे स्थान पर हैं। उनके नाम 145 मैचों में 708 विकेट हैं। तीसरे नंबर पर कुंबले हैं जिनके नाम 132 टेस्ट में 619 विकेट हैं। फिर एंडरसन का नंबर है जो 589 विकेट ले चुके हैं।
एंडरसन के बाद मैक्ग्राथ (563) और फिर वॉल्श हैं। वॉल्श के बाद अब ब्रॉड आ गए हैं।
वहीं ब्रॉड इंग्लैंड के लिए टेस्ट में 500 विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज हैं। यह कुल सात गेंदबाज ही टेस्ट में इस मुकाम तक पहुंच सके हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 28 जुलाई। मंगलवार को बचेली से दंतेवाड़ा जाने वाली मार्ग पर नेरली घाटी में गैस सिलेंडर से भरा ट्रक पेड़ से टकराकर पलट गया। घटना की जानकारी लगते ही तत्काल पुलिस घटनास्थल पर पहुंची।
बताया जा रहा है कि ट्रक क्रं. यूपी 92 टी 3507 रायपुर से बचेली की ओर एलपीजी गैस सिलेंडर को लोड कर रायपुर से बचेली आ रहा था। शांतिकुंज एचपी गैस एजेंसी जाना था। लेकिन बचेली पहुंचने से पहले ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वाहन चालक को मामूली चोटें आई। उसे अपोलो अस्पताल में लाया गया।