अंतरराष्ट्रीय
सोल, 25 अगस्त | प्योंगयांग द्वारा महामारी पर जीत का दावा करने के दो हफ्ते बाद उत्तर कोरिया ने उत्तरपूर्वी प्रांत रियानगांग में कोविड-19 के चार नए संदिग्ध मामले दर्ज किए हैं। प्योंगयांग की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने राज्य आपातकालीन महामारी रोकथाम मुख्यालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, 23 अगस्त को रियानगांग में 'घातक महामारी' से संक्रमित होने के संदेह में नए मामले सामने आए।
योनहाप न्यूज एजेंसी ने केसीएनए की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि, स्वास्थ्य अधिकारियों ने तुरंत इलाके को सील कर दिया। संदिग्ध मामलों के परीक्षण के लिए तत्काल महामारी विरोधी टीमों को भेजा और बुखार के कारण का पता लगाने के उपाय किए।
राष्ट्र द्वारा पहले पुष्टि किए गए मामले की रिपोर्ट के तीन महीने बाद, 10 अगस्त को, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने कोविड-19 पर जीत की घोषणा की और देश के अधिकतम आपातकालीन महामारी विरोधी उपायों को हटाने का आदेश दिया। (आईएएनएस)|
पाकिस्तान में बाढ़ और बारिश के कहर से अभी तक 900 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 30 लाख से अधिक लोग इससे किसी ना किसी प्रकार से प्रभावित हुए हैं.
बीबीसी उर्दू की ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान के 116 ज़िले बाढ़ और बारिश से बुरी तरह प्रभावित हैं.
एनडीएमए की रिपोर्ट के अनुसार, बलूचिस्तान प्रांत के ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.
यहाँ के सभी 33 ज़िलों में स्थिति बेहद गंभीर है.
वहीं ख़ैबर के 34 ज़िले और सिंध के 23 ज़िले भी बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं.
अगर आबादी के लिहाज़ से देखें तो पाकिस्तान का सिंध प्रांत सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. यहां 22 लाख 63 हज़ार लोगों का जीवन बाढ़ और बारिश के कारण प्रभावित हुआ है.
हालाँकि यह केंद्र के आंकड़े हैं, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि सिंध प्रांत में बाढ़-बारिश से प्रभावित होने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
एनडीएमए की रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ और बारिश से सात लाख आठ हज़ार से अधिक जानवर अभी तक बह गए हैं. इसके अलावा कई जगहों पर सड़क भी बह गई है (bbc.com/hindi)
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अचानक कीएव पहुंचे हैं. वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात की.
यूक्रेन सोवियत संघ से आज़ादी का अपना 31वां साल मना रहा है.
यूक्रेन पहुंच कर जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है वो हमारे लिए मायने रखता है. इसलिए आज मैं कीएव आया हूं."
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि ब्रिटेन अपने दोस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. मुझे यकीन है कि यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है और जीतेगा भी."
रूस के साथ शुरू हुई लड़ाई के बाद बोरिस जॉनसन तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे हैं.
7 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद जॉनसन कई दिनों बाद सार्वजनिक रूप से दिखे हैं.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन की आज़ादी को लेकर ब्रिटेन के कट्टर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को ऑर्डर ऑफ़ लिबर्टी से सम्मानित किया.
तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे बोरिस जॉनसन, ज़ेलेंस्की से की मुलाक़ात- देखें तस्वीरें
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अचानक कीएव पहुंचे हैं. वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मुलाक़ात की.
यूक्रेन सोवियत संघ से आज़ादी का अपना 31वां साल मना रहा है.
यूक्रेन पहुंच कर जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है वो हमारे लिए मायने रखता है. इसलिए आज मैं कीएव आया हूं."
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि ब्रिटेन अपने दोस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा. मुझे यकीन है कि यूक्रेन इस युद्ध को जीत सकता है और जीतेगा भी."
रूस के साथ शुरू हुई लड़ाई के बाद बोरिस जॉनसन तीसरी बार यूक्रेन की राजधानी कीएव पहुंचे हैं.
7 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद जॉनसन कई दिनों बाद सार्वजनिक रूप से दिखे हैं.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन की आज़ादी को लेकर ब्रिटेन के कट्टर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को ऑर्डर ऑफ़ लिबर्टी से सम्मानित किया. (bbc.com/hindi)
-ज़ुबैर अहमद
चाहे मॉरीशस हो, गुयाना, आयरलैंड, पुर्तगाल या फिजी, भारतीय मूल के नेताओं की एक लंबी सूची है जो इन जैसे कई देशों के या तो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके हैं.
दुनिया में भारत के अलावा कोई ऐसा देश नहीं है जिसके मूल के लोग 30 से अधिक देशों पर या तो राज करते हैं या कर चुके हैं.
42 वर्षीय ऋषि सुनक का नाम इस सूची में जुड़ सकता है अगर वह ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में कामयाब होते हैं. नतीजे पांच सितंबर को आएंगे.
उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस हैं जो विभिन्न सर्वेक्षणों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री की दौड़ में उनसे आगे चल रही हैं. दोनों लीडरों में से एक को उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी के 160,000 सदस्य वोट देकर चुन रहे हैं. पार्टी में लिज़ ट्रस अधिक प्रभाव रखती हैं लेकिन देश भर में ऋषि सुनक की लोकप्रियता लिज़ ट्रस से कहीं अधिक महसूस होती है.
इस रेस का नतीजा जो भी हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत तेज़ी से उदय हुआ है. उन्होंने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार संसद का चुनाव जीता. केवल सात वर्षों में वो आज प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. अगर वो इसमें कामयाब हुए तो वो ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के और काली नस्ल के प्रधानमंत्री होंगे.
विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद 75 साल के वीरेंद्र शर्मा, ऋषि सुनक को अच्छी तरह जानते हैं.
दोनों भारतीय मूल के सांसद भी हैं और दोनों की तारें पंजाब से जुड़ती हैं. ऋषि के बारे में वो कहते हैं, "आज हम इस स्तर पर आ गए हैं कि यहाँ कि जो कम्युनिटीज़ हैं, यहाँ का जो राजनीतिक हालात हैं, समाज है, उसका हिस्सा बन गये. तो आज आर्थिक रूप से जो डायसपोरा (भारतीय मूल के) की एक पॉवर बनी हैं, अभी राजनीति में हमारे लगभग 40 के करीब एशियाई और काली नस्ल के सांसद हैं."
कई विशेषज्ञ कहते हैं कि ऋषि का प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक क्षण होगा, ठीक उसी तरह से जिस तरह अमेरिका में 2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने के समय हुआ था. ऋषि सुनक से पहले भी दक्षिण एशिया के मूल के नेता बड़े पदों पर आए हैं. वो मंत्री भी बने हैं और मेयर भी, जैसे कि प्रीति पटेल इस देश की गृहमंत्री हैं और सादिक़ खान लंदन के मेयर हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री के पद का दावेदार अब तक कोई नहीं हुआ है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऋषि का उदय एशियाई समुदायों की कामयाबी से जुड़ा है. उनका कहना है कि ब्रिटेन के समाज में विविधता भी ऋषि जैसे नेताओं के उदय ही है.
डॉक्टर नीलम रैना मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. वो कहती हैं, "ऐतिहासिक तो होगा क्योंकि भारत की तुलना में यहाँ संसद में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधत्व कहीं ज़्यादा है. लेकिन ऐतिहासिक इसलिए होगा क्योंकि उनकी नस्ली पहचान अलग है."
ऋषि भारतीय मूल की तीसरी पीढ़ी हैं. उनके दादा-दादी ने भारत के विभाजन से पहले ही पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला शहर से ईस्ट अफ्रीका के लिए पलायन किया था. वो बहुत सालों बाद इंग्लैंड के सॉउथैंप्टन शहर आकर बस गए थे जहाँ 1980 में ऋषि सुनक का जन्म हुआ. इसी शहर में वो पले-बढ़े.
ब्रिटेन के सबसे अमीरों में गिनती
ब्रिटेन में आम धारणा यह है कि ऋषि सुनक बहुत ही अमीर हैं, जो आम लोगों से उनके फ़ासले का मुख्य कारण बन गया है. हाल के एक सर्वे के अनुसार ब्रिटेन के 250 सबसे अमीर परिवारों में उनकी गिनती होती है. लेकिन क्या वो पैदाइशी अमीर थे?
इसकी जानकारी तो सॉउथैंप्टन में ही मिल सकती थी जहाँ उनकी पैदाइश के बाद उनका बचपन गुज़रा. हम वहां ऐसे कई लोगों से मिले जो उन्हें बचपन से जानते थे और आज भी उनसे उनका संपर्क है.
वैदिक सोसाइटी टेम्पल साउथैंप्टन में हिन्दू समुदाय का एक विशाल मंदिर है जिसके संस्थापकों में ऋषि सुनक के परिवार के लोग भी शामिल हैं. उनका बचपन इसी मंदिर के इर्द-गिर्द गुज़रा जहाँ उन्होंने हिन्दू धर्म की शिक्षा प्राप्त की. 75 वर्षीय नरेश सोनचाटला, ऋषि सुनक को बचपन से जानते हैं. वो कहते हैं, "ऋषि सुनक जब छोटा बच्चा था तब से मंदिर आया करता था, उनके माता-पिता और दादा-दादी के साथ".
संजय चंदाराणा कॉर्पोरेट जगत के एक अहम पद हैं. साथ ही वो वैदिक सोसाइटी हिंदू मंदिर के अध्यक्ष भी हैं. वो ऋषि से हाल में ही मिले जब पिछले महीने वो मंदिर आये थे. मंदिर में वो समुदाय के सभी लोगों से मिले.
उस भेंट को याद करते हुए संजय कहते हैं, "वो रोटियां बना रहे थे, गोल बन रही थी, तो मैंने उनसे पूछा कि घर पर आप ही खाना बनाते हो? तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां मुझे अच्छा लगता हैं खाना बनाना. उनसे हमने पूछा कि आप बाल विकास के विद्यार्थी (इस मंदिर में) हैं तो यहां के बच्चों से मिलना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा हां मिलना चाहूंगा और वो वहां पर गए."
उनके पिता यशवीर सुनक डॉक्टर हैं और माता उषा सुनक हाल तक एक केमिस्ट की दुकान चलाती थीं. वो अब भी इसी शहर में रहते हैं. ऋषि इसी तरह के साधारण, धार्मिक हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों में से हैं. परिवार में पढ़ाई और करियर पर ज़ोर ज़्यादा अधिक है. इसी लिए उनके पिता ने उन्हें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया.
वित्त मंत्री के तौर पर कैसा था काम
अपनी वेबसाइट में वो लिखते हैं, "मेरे माता-पिता ने बहुत त्याग किया ताकि मैं अच्छे स्कूलों में जा सकूं. मैं भाग्यशाली था कि मुझे विनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौक़ा मिला."
ऋषि ने इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से 2009 में बेंगलुरु में शादी की. अब इनके दो बच्चे भी हैं. कहा जाता है कि उनकी घोषित 730 मिलियन पाउंड की संपत्ति की अधिकतर की मालिक उनकी पत्नी हैं. ऋषि सेल्फ़-मेड हैं, वो अपनी वेबसाइट में कहते हैं: "मैं एक सफल व्यावसायिक करियर का आनंद लेने के लिए भाग्यशाली रहा हूं. मैंने एक बड़ी निवेश फर्म की सह-स्थापना की, जो सिलिकॉन वैली से लेकर बैंगलुरु तक की कंपनियों के साथ काम कर रही है."
ऋषि सुनक, कोरोना महामारी से ठीक पहले देश के वित्त मंत्री बने. ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के पद के बाद वित्त मंत्री का पद दूसरा सब से बड़ा पद माना जाता है. इस पद पर उन्होंने ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया जिसके कारण कई लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. विश्लेषक कहते हैं कि अगर ये आम चुनाव होता तो शायद ऋषि प्रधानमंत्री के दौड़ में कामयाब रहते.
वो वित्त मंत्री की हैसियत से देश के दूसरे सबसे बड़े पद पर आसीन रह चुके हैं. विश्लेषकों के अनुसार यहाँ से वो केवल प्रधानमंत्री ही बन सकते हैं, आज नहीं तो 2024 के आम चुनाव में. (bbc.com/hindi)
बैंकॉक, 24 अगस्त | थाईलैंड की एक अदालत ने बुधवार को प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओ-चा को पद से निलंबित कर दिया। साथ ही पीएम के आठ साल के कार्यकाल की अवधि की समीक्षा का फैसला भी किया।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी दलों द्वारा एक मामला सामने लाने के बाद आया है कि 2014 में एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने वाले प्रयुथ ने बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया था।
थाईलैंड के संविधान में प्रधानमंत्री का कार्यालय आठ साल का होता है।
2019 में सैन्य सरकार निर्देशित चुनाव के तहत प्रयुथ दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए।
उत्तराधिकार की कैबिनेट लाइन के अनुसार, उप प्रधानमंत्री प्रवित वोंगसुवान, जो एक पूर्व सेना प्रमुख भी हैं। संभवत: वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनेंगे। (आईएएनएस)|
-अन्नाबेल लियांग
शंघाई, 23 अगस्त । चीनी शहर शंघाई में बुंद के नाम से मशहूर स्काईलाइन में दो रातों तक लाइट नहीं जलाई जाएगी।अधिकारियों का कहना है कि बिजली बचाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
अपने ऐतिहासिक और फ्यूचरिस्टिक बिल्डिंग के लिए मशहूर यह वाटरफ्रंट एरिया में पर्यटकों का तांता लगा रहता है। चीन के कुछ शहरों में ऐसे ही हालात हैं।
सिचुआन में अधिकांश बड़े मैन्यूफैक्चरर्स ने बीबीसी को बताया कि उन्हें बिजली की कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। देश के बड़े इलाके में सूखा पड़ रहा है। कई इलाकों में हीट वेव रिकार्ड तोड़ रही है।
रविवार को एक नोटिस में शंघाई लैंडस्केपिंग एंड सिटी अपयिरेंस एडमिनिस्ट्रेटिव ब्यूरो ने कहा कि बुंद में शहर की सबसे बड़ी नदी के किनारे बनाई गई बिल्डिंग्स में सोमवार और मंगलवार को लाइट नहीं जलाई जाएगी।
नोटिस में कहा गया है,अगर आपको इससे कोई असुविधा होती है तो हमें इसका खेद है
सिचुआन प्रांत में तापमान 40 डिग्री से ऊपर
चीन में पिछले सप्ताह सूखा का पहला राष्ट्रीय अलर्ट जारी किया था। दरअसल शंघाई , यांग्जी डेल्टा क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम चीन के सिचुआन इलाके में पिछले कई हफ्तों से भारी गर्मी पड़ रही है।यहां येलो अलर्ट जारी किया गया है। आधिकारिक स्तर पर यह तीसरा सबसे ख़तरनाक स्तर है।
सिचुआन प्रांत में तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है। अधिकारियों ने एक हालिया बयान में कहा है कि बढ़ते तापमान और कम बारिश के साथ हवा की खराब हालत की वजह से भारी बिजली संकट पैदा हो गया है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बिजली कटौती को पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। कटौती कुछ औद्योगिक कंपनियों में भी की जा रही है। जर्मन कार कंपनी फॉक्सवैगन ने बीबीसी से कहा कि चेंग्दु (सिचुआन की राजधानी) में इसकी फैक्ट्री बिजली कटौती की वजह से बंद है।
फॉक्सवैन के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी की कारों की डिलीवरी में देरी हो सकती है। आने वाले दिनों में इसकी रिकवरी हो सकती है। प्रवक्ता ने कहा, हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। सप्लायरों से हम संपर्क बनाए हुए हैं।
ऐपल की सप्लायर फॉक्सकॉन ने भी सिचुआन में अपना फिलहाल अपना प्लांट बंद रखा है। हालांकि इसने कहा है कि बिजली कटौती से उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
इस बीच एक और बड़ी कार कंपनी जापान की टोयोटा ने बीबीसी को बताया कि वह धीरे-धीरे प्रोडक्शन शुरू कर रही है। हालांकि इसके लिए अपने यहां पैदा की जाने वाली बिजली का ही सहारा ले रही है।
हालात सुधरने की उम्मीद
कंस्लटेंसी फर्म कंट्रोल रिस्क्स में चीन और उत्तर एशिया के एसोसिएट एनालिस्ट चेन्यु वु का कहना है कि बिजली की कटौती ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाली है।
उन्होंने कहा, स्थानीय स्तर पर बिजली बचाने और उत्पादन बढ़ाने की कोशिश हो रही है और इससे आने वाले सप्ताह में हालात में सुधार होने की संभावना बनती दिख रही है। अगर आने वाले दिनों में गर्मी कम होती है तो हालात जल्दी ठीक होंगे।
प्रशासन मध्य और दक्षिण पश्चिम चीन में बारिश बढ़ाने के उपाय कर रहा है। चीन में इस वक्त जो हीट वेव चल रही है, वो अब तक का सबसे लंबी हीट वेव है।
यांग्जी नदी के आसपास सूखे से प्रभावित इलाकों में बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं हुबेई और कई दूसरे प्रांतों में केमिकल ले जाने वाले रॉकेट छोड़े जा रहे हैं ताकि बारिश हो। लेकिन बादलों का घेरा न होने की वजह से कई जगह ये कोशिश नाकाम हो गई। (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 23 अगस्त | कैलिफोर्निया के प्रशासनिक कानून कार्यालय (ओएएल) ने देश के नागरिक अधिकार नियामक के खिलाफ एलन मस्क के टेस्ला द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में कंपनी पर उसकी फैक्ट्रियों में नस्लीय भेदभाव का आरोप लगाया गया था। कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ फेयर एम्प्लॉयमेंट एंड हाउसिंग या डीएफईएच (जिसे अब नागरिक अधिकार विभाग कहा जाता है) ने फरवरी में टेस्ला के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें उसकी फैक्ट्री, कैलिफोर्निया मैन्युफैक्च रिंग प्लांट में नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद टेस्ला ने इस साल जून में कैलिफोर्निया के ओएएल के पास याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि नागरिक अधिकार विभाग ने इलेक्ट्रिक कार निर्माता को 'जांच का उचित नोटिस' नहीं दिया।
टेकक्रंच ने सोमवार की देर रात खबर दी कि ओएएल ने अब राज्य के नागरिक अधिकार वॉचडॉग के खिलाफ टेस्ला की याचिका को खारिज कर दिया है।
ओएएल ने कहा कि टेस्ला अभी भी अदालत में अपने दावों को आगे बढ़ा सकती है।
यूएस इक्वल एंप्लॉयमेंट ऑपच्र्युनिटी कमीशन (ईईओसी) ने भी टेस्ला में अपनी सुविधाओं पर कथित कार्यस्थल भेदभाव के लिए 'खुली जांच' शुरू की है।
पिछले साल अक्टूबर में, टेस्ला को एक ब्लैक पूर्व ठेकेदार को नुकसान में 137 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिसने कंपनी पर भेदभाव और नस्लीय दुर्व्यवहार की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।
यूएस डिस्ट्रिक्ट जज ने बाद में दंडात्मक हर्जाने को घटाकर 15 मिलियन डॉलर कर दिया।
फरवरी में, डीईएफएच ने टेस्ला के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें राज्य में उसके फ्रेमोंट विनिर्माण संयंत्र में व्यवस्थित नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
नियामक एजेंसी ने कहा कि उसे टेस्ला के फ्रेमोंट फैक्ट्री में कार्यस्थल के मुद्दों पर कई शिकायतें मिली हैं। (आईएएनएस)|
ट्विटर के ख़िलाफ़ कानूनी जंग लड़ रहे एलन मस्क ने अब इस कंपनी के सह-संस्थापक जैक डोर्सी को भी मामले में शामिल कर लिया है. मस्क के वकीलों ने डोर्सी को मामले में अदालत में तलब किया है.
एलन मस्क ट्विटर को ख़रीदने के लिए हुए 44 अरब डॉलर के सौदे को रद्द करना चाहते हैं. मस्क का आरोप है कि टेक कंपनी उन्हें फर्ज़ी अकाउंट्स के बारे में आंकड़े नहीं बता पाई, जिसकी वजह से अब वो ट्विटर नहीं ख़रीदेंगे.
वहीं, सोशल मीडिया साइट ट्विटर अब मस्क पर दबाव बना रही है ताकि वो ये सौदा रद्द न करें. इसके लिए कंपनी ने कोर्ट का रुख किया है.
इस मामले में अक्टूबर महीने में अमेरिका के डेलावेयर में सुनवाई होनी है. इससे पहले अगर दोनों पक्ष के बीच समझौता हो जाता है तो सुनवाई नहीं होगी.
ट्विटर को उम्मीद है कि जज एलन मस्क को कंपनी का टेकओवर पूरा करने का आदेश देंगे. मस्क ने 54.20 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से इस कंपनी को ख़रीदने का फ़ैसला किया था.
लेकिन मुक़दमें से जुड़ी तैयारियों के तौर पर, मस्क के वकीलों ने उनके दोस्त जैक डोर्सी को इस उम्मीद में बुलाया है कि इससे टेस्ला मालिक के तर्क को समर्थन मिलेगा. मस्क का तर्क है कि ट्विटर अपने प्लेटफ़ॉर्म पर फर्ज़ी ख़ातों की संख्या को लेकर ईमानदार नहीं है.
जुलाई महीने में एलन मस्क ने ट्विटर डील को रद्द करने का फ़ैसला किया था, जिसके बाद कंपनी ने ये मामला कोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया. मस्क ने ट्विटर पर फर्ज़ी ख़ातों की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया है लेकिन ट्विटर ने दलील दी है कि सौदे से पीछे हटने के लिए मस्क बहाने बना रहे हैं.
जैक डोर्सी ने बीते साल नवंबर महीने में ट्विटर के सीईओ पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. एलन मस्क ने जब ट्विटर ख़रीदने का एलान किया था, तब डोर्सी ने उनके समर्थन में ट्वीट किया था. (bbc.com/hindi)
रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी एफ़एसबी ने कहा है कि उन्होंने चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट के एक सदस्य को मध्य एशिया के एक देश से हिरासत में लिया है जिसे पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के मामले में भारत के एक सत्ताधारी नेता पर आत्मघाती हमला करने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई थी.
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी 'तास' ने एफ़एसबी के हवाले से बताया है कि इस्लामिक स्टेट के प्रमुख ने इसी साल अप्रैल से जून के बीच तुर्क़ी में रहते हुए एक विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर भर्ती किया था.
एफ़एसबी के 'सेंटर फॉर पब्लिक रिलेशन्स' (सीपीआर) ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'टेलीग्राम' और इस्तांबुल में आईएसआईएस के एक प्रतिनिधि के साथ व्यक्तिगत मुलाक़ात के बाद आईएस की विचारधारा से ये शख्स प्रभावित हुआ.
एफ़एसबी ने बताया कि इस शख्स ने आईएस प्रमुख के प्रति अपनी वफ़ादारी की कसम ख़ाई थी, इसके बाद इन्हें रूस जाने का निर्देश दिया गया.
यहाँ से संदिग्ध हमलावर को ज़रूरी दस्तावेज़ लेने थे और फिर आत्मघाती हमले को अंजाम देने के लिए भारत रवाना होना था.
चरमपंथी शख्स की पहचान अभी तक रूस ने नहीं की है लेकिन ये दावा किया है कि शख्स ने कबूला है कि वो भारत के किसी सत्ताधारी नेता पर आत्मघाती हमला करने की योजना बना रहा था.
सीपीआर ने शख्स से पूछताछ का वीडियो सोमवार को जारी किया, जिसमें उनका चेहरा धुंधला कर दिया गया है.
इस वीडियो में शख्स ने माना है कि उन्होंने आईएस के प्रति वफ़ादारी निभाने की कसम अप्रैल 2022 में ली और इसके बाद उन्हें ख़ास ट्रेनिंग भी मिली.
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी दी थी, जिसके बाद इस्लामिक दुनिया ने विरोध जताया था. विवाद बढ़ने पर बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था और नवीन जिंदल को पार्टी से बाहर कर दिया गया. (bbc.com/hindi)
-लियो सैंड्स
ये एक ऐसा हमला है जो कि रूस में कई सवाल खड़े कर रहा है.
दरया दुगिना रूस के दार्शनिक अलेक्ज़ेंडर की बेटी थीं जिन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 'दिमाग़' कहा जाता है.
रूसी जांच कमेटी के मुताबिक़, दरया दुगिना की मौत तब हुई जब वो अपनी कार में घर जा रही थीं तभी कथित तौर पर उनकी कार में धमाका हो गया.
रूसी अधिकारियों का कहना है कि शनिवार रात को मॉस्को के नज़दीक हुए हमले का मुख्य निशाना संभवत: उनके पिता अलेक्जे़ंडर दुगिन थे.
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि हमले की योजना बनाई गई थी. विस्फोटक अलेक्ज़ेंडर दुगिन की कार में लगाए गए थे जिन्होंने मॉस्को के बाहर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद आख़िरी लम्हों में अपनी कार बेटी की कार से बदल ली थी.
दुगिन और उनकी बेटी दरअसल ज़ख़ारोवो एस्टेट में हुए एक जलसे में मुख्य अतिथि थे. विचारक दुगिन ने वहां एक व्याख्यान दिया था.
हालांकि जांच अभी चल रही है. इस बीच अधिकारियों ने कहा है कि जिस पार्किंग एरिया में कार खड़ी थी वहां के सुरक्षा कैमरे काम नहीं कर रहे थे.
बोल्शिए व्याज़ेमी गांव के नज़दीक दुगिना की मौत मौके पर ही हो गई.
इमरजेंसी सेवा जब घटनास्थल पर पहुंची तो दुगिना की कार जल रही थी. टेलीग्राम पर पोस्ट की गई तस्वीरों को देखकर दार्शनिक दुगिन काफ़ी सदमे में नज़र आ रहे हैं.
अभी तक रूसी अधिकारियों को धमाके के ज़िम्मेदार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.
जांचकर्ताओं ने पुष्ट किया है दुगिना ख़ुद कार चला रही थीं और बोल्शिए व्याज़ेमी गांव के नज़दीक घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.
जांचकर्ताओं ने बताया है कि विस्फोटक कार के नीचे लगाए गए थे और धमाके के बाद कार में आग लग गई. फ़ोरेंसिस और धमाकों के विशेषज्ञ मामले की जांच कर रहे हैं.
बीबीसी की रूसी सेवा ने रिपोर्ट किया है कि दुगिना की मौत ने इन कयासों को दे दी है कि इस घटना के पीछे क्या आख़िर क्या कारण होंगे.
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ख़ारोवा ने एक टेलीग्राम पोस्ट में कहा कि अगर इस हमले के पीछे यूक्रेन का हाथ होने की बात सामने आती है तो इसे 'स्टेट टेररिज़्म' (देश प्रयोजित आतंकवाद) माना जाएगा.
दुगिन के समर्थक इसके पीछे यूक्रेनियों का हाथ होने का दावा कर रहे हैं, हालांकि इसके लिए उन्होंने कोई प्रमाण नहीं दिए हैं.
जबकि दूसरी तरफ़ उनके उदार विपक्षियों का इशारा रूसी स्पेशल सर्विसेज़ की तरफ़ है. हालांकि उन्होंने भी इसका कोई प्रमाण नहीं दिया है.
रूसी विश्लेषकों ने दुगिना की कार में धमाके के बाद जो पहला सवाल उठाया है वो ये कि क्या उनके पिता अलेक्ज़ेंडर दुगिन निशाना थे.
यूक्रेन के अधिकारियों ने हमले में शामिल होने के आरोपों का खंडन किया है. उनका कहना है कि ये रूस के भीतर की सियासी दुश्मनी की वजह से हुआ है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोडोलिएक ने कहा, ''यूक्रेन के इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि हम कोई अपराधी मुल्क नहीं हैं. रूसी संघ ऐसा है.''
ऐसी घटनाएं रूस के अधिकारियों की चिंता बढ़ा रही हैं. ख़ासतौर से क्राइमियाई प्रायद्वीप और यूक्रेन के नज़दीक रूसी इलाकों में हुए हालिया धमाकों और हमलों के बाद. क्राइमिया का साल 2014 में रूस ने विलय कर लिया था.
रूस में चलाए जा रहे प्रोपेगैंडा में बार-बार ये कहा जाता है कि कैसे व्लादिमीर पुतिन ने 1990 के अशांत दशक के बाद देश में सुरक्षा और स्थिरता लाई. तब कार बम धमाके और राजनीतिक हत्याएं आम हुआ करती थीं.
हालांकि राजधानी मॉस्को के निकट दुगिना की कार पर हुआ बम हमला प्रोपेगैंडा के दावों को ग़लत साबित करता है.
रूस में अलेक्ज़ेंडर दुगिन के पास कोई सरकारी पद नहीं है, पर वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के काफ़ी क़रीबी माने जाते हैं और उन्हें 'पुतिन का रास्पुतिन' भी कहा जाता है.
(आपको बता दें कि ग्रिगोरी रास्पुतिन रूसी साम्राज्य के आख़िरी ज़ार निकोलस द्वितीय के विश्वासपात्र थे और ज़ार के लिए गए फ़ैसलों में उनकी अहम भूमिका मानी जाती थी. निकोलस द्वितीय की पत्नी एलेक्जेंड्रा पर भी रास्पुतिन का ख़ासा प्रभाव था.
रास्पुतिन साइबेरिया के तोबोल्स्क के रहनेवाले थे. ज़ारिना को लगता था कि रास्पुतिन अपनी जादुई शक्तियों से उनके बीमार बेटे और सिंहासन के उत्तराधिकारी एलेक्सी को ठीक कर सकते थे. )
दुगिना एक रूस की एक मशहूर पत्रकार थीं जो यूक्रेन पर रूस के हमले का खुलकर समर्थन करती थीं.
इस साल की शुरुआत में अमेरिका और ब्रितानी अधिकारियों ने उन पर प्रतिबंध लगा दिए थे. 29 साल की दुगिना पर आरोप लगा था कि रूसी हमले के बारे में वो इंटरनेट पर ग़लत ख़बरें फैला रही हैं.
मई में दिए एक इंटरव्यू में दुगिना ने इस लड़ाई को ''सभ्यताओं का संघर्ष'' कहा था और इस इस बात पर गर्व महसूस किया था कि उन पर और उनके पिता पर पश्चिम ने प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
क्राइमिया के रूस में विलय में अलेक्ज़ेंडर दुगिन की कथित भूमिका मानते हुए अमेरिका ने साल 2015 में उन पर प्रतिबंध लगा दिया था .
व्लादिमीर पुतिन की सोच को प्रभावित करने में दुगिन के लेखों का अहम योगदान माना जाता है. साथ ही क्रेमलिन में कई लोग जिस धुर-राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं उसके पीछे भी एलेक्जे़ंडर दुगिन की प्रमुख वैचारिक भूमिका मानी जाती है. (bbc.com/hindi)
बीते कई साल से अलेक्जे़ंडर दुगिन रूस की सरकार को ज़्यादा वैश्विक मंच पर आक्रामक रवैया अख़्तियार करने की सलाह देते रहे हैं. उन्होंने यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई का भी समर्थन किया है.
मॉस्को, 22 अगस्त। रूस ने पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए शीर्ष भारतीय नेतृत्व जमात के एक सदस्य पर आत्मघाती हमला करने की साज़िश रचने के लिए इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के एक आतंकवादी को पकड़ा है । रूस की शीर्ष खुफिया एजेंसी ने सोमवार को बताया कि यह शख्स एक मध्य एशियाई देश का रहने वाला है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने खबर दी है कि रूस की खुफिया एजेंसी ‘संघीय सुरक्षा सेवा’ (एफएसबी) के मुताबिक, प्रतिबंधित इस्लामिक स्टेट के एक सरगना ने इस साल अप्रैल से जून के बीच तुर्की में प्रवास के दौरान एक विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर संगठन में भर्ती किया था।
एफएसबी ने कहा, “संघीय सुरक्षा सेवा ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ के सदस्य की रूस में पहचान की और उसे पकड़ लिया। हिरासत में लिया गया शख्स मध्य एशिया के एक देश का नागरिक है और उसने भारत के सत्तारूढ़ दल के शीर्ष नेतृत्व में शामिल एक सदस्य पर आत्मघाती हमला करने की योजना बनाई थी।”
एफएसबी के ‘सेंटर फॉर पब्लिक रिलेशन्स’ (सीपीआर) ने बताया कि सोशल मीडिया मंच ‘टेलीग्राम’ और इस्तांबुल में आईएसआईएस के एक प्रतिनिधि के साथ व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान उसके दिमाग में संगठन की विचारधारा को भरा गया।
खबर के मुताबिक, एफएसबी ने उल्लेख किया कि आतंकवादी ने आईएसआईएस के ‘अमीर’ (प्रमुख) के प्रति निष्ठा की शपथ ली, जिसके बाद उसे रूस जाने और जरूरी दस्तावेज़ हासिल करने के लिए निर्देशित किया गया, ताकि वह भारत जा सके और इस आतंकवादी कृत्य को अंजाम दे सके।
रूस की खुफिया एजेंसी ने आतंकवादी की पहचान उजागर नहीं की। उसने स्वीकार किया है कि वह पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए भारत के सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य के खिलाफ आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था।
सीपीआर की ओर से उससे पूछताछ का वीडियो सोमवार को जारी किया गया जिसमें आतंकवादी कह रहा है कि उसने अप्रैल 2022 में आईएसआईएस के ‘अमीर’ के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी और एक विशेष प्रशिक्षण लिया था जिसके बाद वह रूस आया और यहां से भारत जाता।
उसने कहा, “पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के लिए आईएसआईएस के इशारे पर आतंकवादी हमला करने के लिए मुझे वहां चीजें दी जानी थीं।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तत्कालीन प्रवक्ता नुपुर शर्मा और पार्टी के दिल्ली ईकाई के मीडिया प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रमुख नवीन कुमार जिंदल ने पैगंबर को लेकर विवादित टिप्पणियां की थी जिसके बाद मुस्लिम देशों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी और पार्टी ने नुपुर को निलंबित और कुमार को निष्कासित कर दिया था।
खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस और इससे संबंधित सभी संगठनों को भारत में प्रतिबंधित किया गया है। वे इराक और सीरिया में कई हमले करने के लिए जिम्मेदार हैं।
गृह मंत्रालय ने आतंकवादी समूह पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि भारत के युवाओं की संगठन में भर्ती और उन्हें कट्टर बनाया जाना देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है, खासकर जब ऐसे युवा भारत लौटते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके संभावित प्रभाव पड़ सकते हैं। (भाषा)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को दहशतगर्दी एक मामले में तीन दिन की ज़मानत मिली है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इमरान ख़ान को अग्रिम ज़मानत देते हुए उन्हें 25 अगस्त तक आतंकवाद निरोधी कोर्ट के सामने पेश होने को कहा है.
इमरान खान के वकीलों ने कोर्ट में कहा था कि इमरान ख़ान मामले में जांच के लिए तैयार हैं. उनका अतीत में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और न ही उन्हें कभी सज़ा दी गई है. इसके साथ ही वकीलों ने ये भी कहा कि इमरान ख़ान को अग्रिम ज़मानत देने से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ़ रजिस्ट्रार ऑफ़िस ने इमरान ख़ान की अग्रिम ज़मानत की याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उनके पास बायोमेट्रिक रिकॉर्ड नहीं है. रजिस्ट्रार ऑफ़िस की तरफ़ से कहा गया कि इमरान ख़ान को हाई कोर्ट की जगह आतंकवाद निरोधी कोर्ट में जाना चाहिए.
इमरान ख़ान की तरफ से कहा गया कि आतंकवाद निरोधी कोर्ट के जज छुट्टी पर हैं, इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.
क्या है मामला
पाकिस्तान में पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है.
इमरान ख़ान पर शनिवार को एक रैली के दौरान पुलिस और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया गया है.
आतंकवाद निरोधी एक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में "शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया" और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पीटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.
इमरान ख़ान ने शनिवार को रैली में अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे. (bbc.com)
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को गिरफ़्तार किए जाने की अटकलों के बीच भारी तनाव की स्थिति बन गई है और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने इमरान ख़ान के घर के बाहर डेरा डाल दिया है.
इमरान ख़ान के घर के बाहर पुलिसकर्मी भी तैनात हैं, हालाँकि उनका कहना है कि वो उन्हें गिरफ़्तार करने नहीं, बल्कि क़ानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं.
दरअसल, पाकिस्तान में पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है.
इमरान ख़ान पर शनिवार को एक रैली के दौरान पुलिस और न्यायपालिका को धमकाने का आरोप लगाया गया है.
पाकिस्तान में इस घटना को लेकर रविवार को सोशल ट्विटर पर - "इमरान ख़ान हमारी रेड लाइन" ट्रेंड करने लगा.
इस्लामाबाद में बनी गला में उनके घर के बाहर जुटे समर्थकों ने चेतावनी दी है कि उनके नेता की गिरफ़्तारी "घर की दहलीज़" यानी लक्ष्मण रेखा को लाँघने के जैसा होगा.
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनके नेता को गिरफ़्तार किया गया तो वो इस्लामाबाद को अपने क़ब्ज़े में ले लेंगे.
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई के वरिष्ठ नेता शाह महमूद क़ुरैशी ने रविवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, "हम अमनपसंद लोग हैं, लोकतांत्रिक लोग हैं, हम क़ानून के भीतर रहकर सियासी जद्दोज़हद जारी रखेंगे, लेकिन अगर आपने हमारे घर की दहलीज़ को फ़लाँगा कि उसके नतीजे के ज़िम्मेदार वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे, और जो नुक़सान पहुँचेगा उसके ज़िम्मेदार आसिफ़ अली ज़रदारी साहब और शहबाज़ शरीफ़ साहब आप होंगे."
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच का ये मामला ऐसे समय आया है जब उनके और पाकिस्तान सरकार के बीच तनाव चरम सीमा पर है.
इस वर्ष अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के बाद सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान ख़ान लगातार सरकार और सेना की आलोचना करते रहे हैं.
वो इसके बाद से ही आक्राम रुख़ अख़्तियार कर पूरे देश में दौरा कर रैलियों में सरकार और सेना पर हमले करते हुए फिर से चुनाव करवाने की माँग कर रहे हैं.
पाकिस्तान पुलिस ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ जाँच तब शुरू की जब उन्होंने अधिकारियों पर अपने एक क़रीबी सहयोगी शहबाज़ को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया जिन्हें पिछले हफ़्ते देशद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
इमरान ख़ान ने शनिवार को रैली में अपनी पार्टी के सहयोगी को हिरासत में लिए जाने और कथित तौर पर बदसलूकी किए जाने को लेकर इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख और एक महिला जज की निंदा की थी.
इमरान ने अपने भाषण में धमकी दी थी कि वो शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, चुनाव आयोग और उनके राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ अपने सहयोगी शहबाज़ गिल के साथ कथित बदसलूकी करने के लिए मामले दायर करेंगे.
इमरान ख़ान ने ख़ास तौर पर अतिरिक्त जिला और सत्र जज ज़ेबा चौधरी को निशाना बनाया जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के आग्रह पर शहबाज़ गिल की दो दिन की पुलिस रिमांड को मंज़ूरी दी थी.
इमरान ख़ान ने रैली में पुलिस प्रमुख और जज को निशाना बनाते हुए कहा, "शर्म करो, इस्लामाबाद आईजी, तुम्हें तो नहीं छोड़ना है, तुम्हारे ऊपर केस करना है हमने, और मजिस्ट्रेट साहिबा ज़ेबा, आप भी तैयार हो जाएँ, आपके ऊपर भी हम ऐक्शन लेंगे."
रविवार को इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ होने से पहले पाकिस्तान के गृहमंत्री राना सनाउल्लाह ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि सरकार इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने से पहले क़ानूनी परामर्शन ले रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इमरान ख़ान ने भाषण में जो कहा वो उनके पिछले भाषणों की कड़ी है जिसमें वो सेना और अन्य संस्थानों को निशाना बनाते रहे हैं.
जाँचकर्ताओं का कहना है कि इमरान ख़ान ने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने से उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद-विरोधी क़ानून तोड़ा है.
पाकिस्तान के मीडिया नियामक ने शनिवार को कहा था कि इमरान ख़ान की रैलियों के टीवी पर सीधे प्रसारण पर भी रोक लगा दी गई है क्योंकि वो सरकारी संस्थानों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दे रहे हैं.
इमरान ख़ान ने इसके बाद दावा किया कि सरकार उन्हें सेंसर करने की कोशिश कर रही है.
रविवार को रावलपिंडी में एक दूसरी रैली में उन्होंने कहा, "इमरान ख़ान ने क्या जुर्म किया है? मैं इन चोरों के गिरोह को मंज़ूर नहीं करूँगा."
इमरान ख़ान ने बाद में सरकार पर आरोप लगाया कि उनसे लोगों को उनका भाषण लाइव सुनने से रोकने के लिए यूट्यूब को भी ब्लॉक किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ शनिवार रात 10 बजे इस्लामाबाद के मरगल्ला पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज करवाई गई.
आतंकवाद निरोधी ऐक्ट की धारा-7 के तहत दायर मामले में कहा गया है कि इमरान ख़ान ने अपने भाषण में "शीर्ष पुलिस अधिकारियों और एक सम्मानित महिला जज को डराया और धमकाया" और उनका इरादा उन्हें अपना काम करने देने से रोकना और उन्हें पाटीआई के किसी शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से रोकना था.
सत्ता से बाहर होने के बावजूद पाकिस्तान में इमरान ख़ान के पास लोगों का अच्छा-ख़ासा समर्थन है.
पिछले महीने उनकी पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में सत्ताधारी दल को उपचुनावों में मात देकर अपने विरोधियों को हैरान कर दिया था.
पंजाब के उपचुनाव में पाकिस्तान में सत्ताधारी दल पीएमएल(एन) को उम्मीद थी कि वो आसानी से जीत जाएगी. मगर इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) ने 20 में से 15 सीटें जीतकर प्रांतीय असेंबली पर कब्ज़ा कर लिया.
इस उपचुनाव के नतीजे को कई लोगों ने चुनावी लड़ाई में इमरान ख़ान की लोकप्रियता का एक संकेत बताया और ऐसा कहा जाने लगा कि यदि समय से पहले चुनाव कराए जाते हैं तो उनका पलड़ा भारी रह सकता है.
इमरान ख़ान 2018 के चुनाव में जीत कर प्रधानमंत्री बने थे. मगर अपने कार्यकाल के आख़िरी वर्षों में पाकिस्तान की ताक़तवर सेना के साथ उनका मतभेद हुआ.
इसके बाद उनकी पार्टी से एक-के-बाद-एक कई नेता अलग होते चले गए, और आख़िरकार इस वर्ष अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव में उनका बहुमत जाता रहा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. (bbc.com)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 22 अगस्त। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर शनिवार को इस्लामाबाद रैली में पुलिस, न्यायपालिका और अन्य सरकारी संस्थानों को धमकी देने के आरोप में आतंकवाद-रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस संबंध में जानकारी रविवार को सामने आई।
इससे पहले, पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने रविवार को कहा कि रैली में राज्य के संस्थानों को धमकी देने और भड़काऊ बयान देने के आरोप में सरकार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ मामला दर्ज करने पर विचार कर रही है।
खान के खिलाफ शनिवार रात 10 बजे इस्लामाबाद के मारगल्ला थाने में आतंकवाद-रोधी अधिनियम की धारा-7 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसमें कहा गया कि खान के भाषण ने पुलिस, न्यायाधीशों और देश में भय एवं अनिश्चितता की स्थिति पैदा की।
इमरान खान ने शनिवार को यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए शीर्ष पुलिस अधिकारियों, एक महिला मजिस्ट्रेट, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने की धमकी दी थी। उन्होंने अपने सहयोगी शहबाज गिल के साथ हुए बर्ताव को लेकर यह चेतावनी दी थी, जिन्हें राजद्रोह के आरोप में पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था।
सनाउल्लाह ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख अपने भाषणों में सेना और अन्य संस्थानों को निशाना बनाते रहे हैं और उन्होंने अपने इस अभियान को जारी रखा है।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने खान के नए भाषण पर एक रिपोर्ट तैयार की है और वह इस संबंध में आगामी कुछ दिनों में अंतिम निर्णय लेने से पहले महाधिवक्ता तथा कानून मंत्रालय से परामर्श कर रहा है।
इससे पहले पाकिस्तान में मीडिया पर निगरानी रखने वाली संस्था ने सभी उपग्रह टेलीविजन चैनलों पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री खान के भाषणों के सीधे प्रसारण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि टेलीविजन चैनल बार-बार चेतावनी देने के बावजूद ‘‘सरकारी प्रतिष्ठानों’’ के खिलाफ सामग्री के प्रसारण को रोकने में नाकाम रहे हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘ऐसा देखा गया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान अपने भाषणों/वक्तव्यों में सरकारी प्रतिष्ठानों पर लगातार निराधार आरोप लगा रहे हैं और उकसावे वाले बयानों के जरिए घृणास्पद भाषणों का प्रचार कर रहे हैं, जिससे कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है और इससे सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका है।’’
नियामक ने कहा कि खान के भाषण संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन हैं और मीडिया की आचार संहिता के खिलाफ हैं।
पीटीआई के अध्यक्ष पर लगाए गए प्रतिबंधों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार फासीवादी सरकार है।
इस बीच, खान ने रविवार रात रावलपिंडी के लियाकत बाग मैदान में एक रैली को संबोधित किया।
खान ने पेमरा पर अपने भाषणों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कहा, ‘‘अब पेमरा भी इस खेल में शामिल है। इमरान खान ने क्या किया है? मेरा एकमात्र अपराध यह है कि मैं इस ‘आयातित सरकार’ को स्वीकार नहीं कर रहा हूं।’’ (भाषा)
पोकरोव्स्क (यूक्रेन), 22 अगस्त। पूर्वी यूक्रेन के पोकरोव्स्क पेरिनेटल अस्पताल के गलियारे में नन्ही वेरोनिका के रोने की आवाज दूर से ही सुनाई दे रही है...समय से पहले जन्मी वेरोनिका का वजन 1.5 किलोग्राम है और उसे सांस लेने में मदद के लिए नाक में नली लगाकर ऑक्सीजन दिया जा रहा है। पीलिया से पीड़ित होने के कारण उसे एक ‘इनक्यूबेटर’ में रखा गया है।
डॉ. टेटियाना मायरोशिनचेंको उसकी देखरेख कर रही हैं। उन्होंने वेरोनिका से बड़ी सावधानी से उन नलियों को जोड़ा है, जिसकी मदद बच्ची की मां का दूध उसे पिलाया जा सके।
फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण करने से पहले, देश के युद्धग्रस्त दोनेत्सक क्षेत्र के सरकारी नियंत्रित क्षेत्रों में तीन अस्पताल में समय से पहले जन्मे बच्चों की देखभाल करने की सुविधाएं थीं। इसमें से एक रूसी हवाई हमले में तबाह हो गया, जबकि एक अन्य को युद्ध के कारण बंद करना पड़ा। अब केवल पोकरोव्स्क के अस्पताल में ऐसे बच्चों की देखरेख की व्यवस्था है।
अस्पताल की एक मात्र नियोनेटोलॉजिस्ट (नवजात बच्चों के विशेषज्ञ) मायरोशिनचेंको अब अस्पताल में ही रहती हैं। उनका तीन साल का बेटा कुछ दिन अस्पताल में अपनी मां के पास और कुछ दिन घर पर अपने पिता के साथ रहता है। मायरोशिनचेंको के पति एक कोयले की खान में काम करते हैं।
चिकित्सक ने बताया कि उनके लिए अस्पताल में रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि हवाई हमले की चेतावनी देने वाले ‘सायरन’ बजने के बावजूद ‘इनक्यूबेटर वार्ड’ में बच्चों को जीवन रक्षक मशीनों से हटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर मैं वेरोनिका को आश्रय स्थल ले जाऊंगी तो उसमें पांच मिनट लगेंगे, लेकिन उसके लिए वह पांच मिनट बेहद नाजुक हो सकते हैं।’’
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि समय से पहले या कुछ जटिलताओं के साथ जन्मे बच्चों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में इस साल करीब दोगुना है, तनाव और तेजी से बिगड़ते जीवन स्तर के कारण गर्भवती महिलाओं का मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
रूस और उसके समर्थित अलगाववादियों ने अब आधे से अधिक दोनेत्सक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। पोकरोव्स्क अब भी यूक्रेन सरकार के नियंत्रण में है।
मायरोशिनचेंको ने कहा, ‘‘ इस इमारत के बाहर जो कुछ भी हो रहा है यकीनन हम उसको लेकर चिंतित हैं लेकिन हम उसके बारे में बात नहीं करते।’’
उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता अभी केवल बच्ची का ध्यान रखना है।
मुख्य चिकित्सक डॉ. इवान त्स्यगानोक ने कहा, ‘‘ बच्चों को जन्म ऐसा कार्य नहीं जिसे रोका जा सके या जिसके समय में बदलाव किया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि प्रसूति अस्पताल को पोकरोव्स्क से बाहर कहीं और स्थापित करना संभव नहीं है।
पोकरोव्स्क में दो दिन की बेटी की मां इन्ना किस्लीचेंको (23) ने कहा कि अस्पताल से जाने के बाद वह यूक्रेन में पश्चिम की ओर सुरक्षित क्षेत्रों में जाने पर विचार कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सभी नवजात बच्चों के जीवन को लेकर चिंतित हूं, केवल अपनी बच्ची नहीं...बल्कि यूक्रेन के सभी बच्चों को लेकर, पूरे यूक्रेन को लेकर...।’’
संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों के अनुसार, युद्ध के कारण यूक्रेन में 1.2 करोड़ से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। इनमें से करीब आधे लोगों ने यूक्रेन में ही कहीं अन्य स्थान पर पनाह ली है, जबकि अन्य यूरोपीय देशों में चले गए हैं। (एपी)
सिंगापुर अपने यहां एक क़ानून को निरस्त करने वाला है. दरअसल, ये कानून गे-सेक्स पर प्रतिबंध लगाता है. इस क़ानून के रद्द हो जाने के बाद गे सेक्स को क़ानूनी मान्यता मिल जाएगी.
गे-सेक्स को लेकर सालों से चल रही बहस के बाद इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण फ़ैसला आया है. देश के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने नेशनल टीवी पर इस बात की घोषणा की.
सिंगापुर में एलजीबीटी कम्युनिटी के कार्यकर्ताओं ने इस क़दम को मानवता की जीत के तौर पर परिभाषित किया है.
सिंगापुर आमतौर पर अपने रुढ़िवादी मूल्यों के लिए जाना जाता है लेकिन हाल के सालों में जिस तरह से लोगों ने गे-सेक्स को क़ानूनी मान्यता देने का आह्वान किया और उसके लिए प्रदर्शन किए, उसी का परिणाम है कि अब प्रधानमंत्री की ओर से आने वाले समय में 377-ए क़ानून को रद्द करने की घोषणा की गई है.
एलजीबीटी अधिकारों को लेकर एशिया के कई देशों जैसे भारत, ताइवान और थाईलैंड ने कुछ सार्थक क़दम उठाए हैं और इनके बाद सिंगापुर इस दिशा में क़दम बढ़ाने वाला एक और देश बन गया है.
रविवार को नेशनल टीवी पर अपने संबोधन के दौरान पीएम ली ने कहा कि वो इस क़ानून को रद्द कर देंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि यही करना सही होगा. साथ ही ये एक ऐसा फ़ैसला होगा जिसे सिंगापुर में रहने वाले अधिक से अधिक लोग स्वीकार करेंगे.
उन्होंने कहा, “इस क़दम के बाद से गे लोगों को बेहतर स्वीकार्यता मिल सकेगी.”
एक गे-एक्टिविस्ट जॉनसन ओंग ने बीबीसी से कहा, “अंतत: हमें यह मिल ही गया. आज हम बहुत ख़ुश हैं. ” (bbc.com)
'बुलबुल-ए-पाकिस्तान' का ख़िताब जीतने वालीं मशहूर गायिका नय्यरा नूर का निधन हो गया है. उनकी उम्र 72 साल थी. उनके जनाज़े की नमाज़ रविवार की दोपहर कराची में अदा की जाएगी.
साल 2005 में, उन्हें पाकिस्तान सरकार की तरफ़ से राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था.
वर्षों पहले, उन्होंने गाना बंद कर दिया, लेकिन उनके गाये हुए गीत और ग़ज़लें हर दौर में लोकप्रिय रहे.
उनके मशहूर गीतों और ग़ज़लों में, तेरा साया जहां भी हो सजना, रूठे हो तुम तुमको कैसे मनाऊं पिया, आज बाज़ार में पा-बजोला चलो, कहां हो तुम चले आओ, ए इश्क़ हमें बर्बाद न कर और वतन कि मिट्टी गवाह रहना समेत बहुत से गीत शामिल थे.
नय्यरा का करियर 70 के दशक में शुरू हुआ और साल 2022 तक जारी रहा. इस दौरान उन्होंने गानों, ग़ज़लों और गीतों के अलावा फ़िल्मों और नाटकों के लिए प्लेबैक सिंगिंग भी की है.
अपने एक इंटरव्यू में, उन्होंने कहा था कि उनका बचपन असम में बीता, जहां उनके घर के पास लड़कियां सुबह घंटी बजाती थीं, भजन गाती थीं और उससे वो मंत्रमुग्ध हो जाती थीं.
उन्होंने बताया था, "मैं अपने आप को रोक नहीं पाती थी, जब तक वो वहां से चली नहीं जाती थीं तब तक मैं वहीं बैठ कर उनको सुनती रहती थी.''
बंटवारे के कुछ सालों के बाद उनका परिवार पाकिस्तान आ गया.
कॉलेज में नय्यरा अपने दोस्तों के बीच गाती थीं. एक बार लाहौर में एक यूथ फ़ेस्टिवल में, उन्हें इक़बाल ओपेरा के लिए बुलाया गया था और उन्होंने गाया था. उसके बाद नय्यरा ने लाहौर में ओपन एयर में गाया तो उन्हें गोल्ड मेडल दिया गया.
नय्यरा नूर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि आगे जाकर वो नियमित रूप से गायकी से जुड़ जाएंगी. हालांकि, उन्होंने कहा था कि घर में गाना बहुत सुना जाता था और उन्हें लगता था कि जैसे वह किसी चीज़ की तलाश में थीं.
पीटीवी के सेट पर इंटरव्यू देते हुए होस्ट मुनीज़ा हाशमी से बातचीत में उन्होंने कहा था, "मैं शायद कभी भी यह बात नहीं समझ सकती थी, एनसीए में कंसर्ट होते थे और बड़े उस्ताद उन कंसर्ट्स में आते थे. एक बार प्रोफ़ेसर इसरार को थोड़ी देर हो गई थी, तो मेरे सहपाठियों ने कहा कि जब तक वो नहीं आते तब तक तुम गाओ. जब मैं गाने के बाद नीचे आई, तो प्रोफ़ेसर ने मुझसे कहा कि मैं तुमसे यह कहने आया हूं कि तुम बहुत अच्छा गाती हो और आप इस कला को बर्बाद मत करो. वो ही हैं जो पहले मुझे रेडियो पर लाये और जो सबसे पहली ग़ज़ल मैंने गाई थी वह रेडियो पर ही गाई थी."
नय्यरा नेशनल कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में पढ़ती थीं, वहां उन्होंने पहले यूनिवर्सिटी में गाना शुरू किया, फिर रेडियो और टीवी पर गाने लगीं. उन्होंने पहले वैसे ही गपशप के लिए गाया और फिर बाद में यह सिलसिला चलता गया.
नय्यरा नूर का परिचय पीटीवी पर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की बेटी मुनीज़ा हाशमी ने कराया था.
नय्यरा नूर बहुत ही साधारण तरीक़े से रहती थीं और गंभीरता की छाप उनकी गायन शैली और शायरी के चुनाव में भी झलकती थी.
उनके करियर के दौरान और बाद में भी उनके बहुत ही कम इंटरव्यूज़ देखने को मिले.
जब उन्होंने फ़िल्म फ़र्ज़ और ममता के लिए राष्ट्रीय गीत 'इस परचम के साये तले हम एक हैं' गाया, तो उस समय के एक रेडियो नाटक कलाकार और शायर जमात अली शायर को दिए अपने एक और इंटरव्यू में, उन्होंने बताया था कि हमारे परिवार में गायन पर पाबन्दी थी ख़ासतौर से पिता के परिवार में, लेकिन बाद में पिता ने यह पाबंदी हटा दी थी.
संगीत की तालीम कभी नहीं ली
उन्होंने कहा था, "अगर किसी बच्चे पर पाबंदी लगा दी जाए, तो वो बग़ावत कर देता है, इसलिए यही ठीक है कि उसे उस तरफ़ जाने दो."
वह कहती थीं, "उन्होंने रेडियो सुन-सुन कर गाना सीखा. गाना गाने कि ललक तो मेरे अन्दर थी, लेकिन मैंने बड़े लोगों को बहुत सुना है. अच्छा और मुश्किल गाना बहुत सुना है और मैं समझती हूँ कि यह भी एक ज्ञान है. मैं 24 घंटे इसी में रहती थी, बड़े-बड़े उस्तादों को सुनती थी और अब भी सुनती हूँ"
लेकिन नय्यरा ने औपचारिक तौर पर संगीत की शिक्षा नहीं ली लेकिन वह कहती थीं कि लोगों की उम्मीदों को देखते हुए मैंने रियाज़ करना शुरू किया.
उनकी शादी उनके साथी गायक शहरयार ज़ैदी से हुई जो अब अभिनय के क्षेत्र में काफ़ी मशहूर हैं. उनके दो बेटे हैं.
वो कहती थीं, ''मेरी प्राथमिकता हमेशा घर और बच्चे होते थे, लेकिन कोशिश रहती थी कि रियाज़ भी जारी रखूँ.''
''कई बार तो मैं बच्चों के झमेलों में रियाज़ भी नहीं कर पाती थी, लेकिन मुझे पता था कि मैं काम की गुणवत्ता और अपने गले की ताक़त को बरकरार नहीं रख पाऊंगी, इसलिए हमेशा यही कोशिश होती थी कि मैं रियाज़ ज़रूर करूँ."
वह कहती थीं, "मैं सुबह डेढ़ घंटे रियाज़ करती थी."
नय्यरा ने गीत, गाने, ग़ज़लें गाईं और फ़िल्मी गाने भी गाए लेकिन वह कहती थीं कि फ़िल्मी गाने थोड़े अलग होते हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री के माहौल के बारे में जो कुछ भी सुना, उससे डरती थीं, वो इसमें एडजस्ट नहीं हो पाईं.
ख़्वाजा ख़ुर्शीद अनवर ने उन्हें शिरीन फ़रहाद के लिए बुलाया था. वह कहती थीं कि वह उनके लिए गर्व का क्षण था. उन्होंने कहा था, "उनका बुलाना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात थी और उसके बाद मैं बहुत आत्मविश्वास महसूस करती थी."
उन्हें संगीतकार अरशद महमूद और रोबिन घोष के साथ काम करने का भी सम्मान मिला.
गायकी में वह अख़्तरी फ़ैज़ाबादी और बेगम अख़्तर की प्रशंसक थीं, जबकि शायरों में उन्हें फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और नासिर काज़मी बहुत पसंद थे.
नय्यरा नूर ने अपने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था कि उनके गीतों और ग़ज़लों का एक एल्बम रिलीज़ हुआ था जिसके बाद उन्होंने पीटीवी पर बहुत ज़्यादा गाया और फिर उनके एल्बम रिलीज़ होते रहे.
नय्यरा नूर के दो बेटे हैं, जिनमें से एक बेटा काविश गायक है.
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "बहुत उदास दिल के साथ मैं अपनी ताई नय्यरा नूर के निधन की ख़बर दे रहा हूँ."
नय्यरा नूर के निधन पर पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर दुख छाया हुआ है. बहुत से लोग दुख व्यक्त कर रहे हैं और उनकी मशहूर ग़ज़लें और गाने भी शेयर कर रहे हैं.
सुमन जाफ़री ने लिखा, "दुखद, दुखद समाचार, एक दौर समाप्त हो गया, एक बहुत बड़ी क्षति, नय्यरा नूर चल बसीं... "
मोना फ़ारूक़ ने लिखा, "जो ग़ज़लें और नज़्में नय्यरा नूर ने गाईं वो फिर उन्हीं की हो गईं, शायरों के नाम पीछे छूट गए. एक स्वर्ण युग का अंत हो गया."
वरिष्ठ पत्रकार अज़हर अब्बास ने लिखा कि बहुत से लोगों ने फ़ैज़ की क्रांतिकारी शायरी को नय्यरा नूर की गायकी से ही समझा है. (bbc.com)
लंदन, 21 अगस्त | इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैकुलम ने संकेत दिया है कि वह आउट आफ फॉर्म चल रहे सलामी बल्लेबाज जैक क्रॉली पर विश्वास बनाए रखेंगे और 25 अगस्त से मैनचेस्टर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में उनके साथ खेलेंगे। क्रॉली लंबे समय से खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं। 24 वर्षीय सलामी बल्लेबाज ने लॉर्डस में शुरूआती टेस्ट में प्रोटियाज के खिलाफ सिर्फ नौ और 13 रन बनाए, जिसे इंग्लैंड तीन दिनों के भीतर एक पारी और 12 रन से हार गया। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने अभी तक अपने देश के लिए इस सीजन में 10 पारियों में एक भी अर्धशतक नहीं बनाया है।
हालांकि, मैकुलम ने कहा कि वह युवा क्रिकेटर के साथ धैर्य रखने और ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्हें एक और मौका देने के लिए तैयार हैं।
रविवार को आईसीसी ने मैकुलम के हवाले से कहा, "हमारे पास कुछ खिलाड़ी हैं, जिन्हें उन पदों पर रखा गया है क्योंकि उनके पास कुछ बेहतरीन खिलाड़ी हैं। मैं जैक जैसे खिलाड़ी को अच्छे से जानता हूं। वह एक शानदार खिलाड़ी हैं।"
मैकुलम ने कहा, "वह उस स्थिति में है क्योंकि उनके पास खेल की कुछ ऐसी योजनाएं हैं, जहां इंग्लैंड के लिए मैच जीता जा सकता है।"
क्रॉली इंग्लैंड के एकमात्र खिलाड़ी नहीं थे, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका के भयानक तेज आक्रमण के खिलाफ संघर्ष किया, लेकिन उनके खराब स्कोर के कारण कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने उनकी आलोचना की थी। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक आथर्टन ने भी क्रॉली की टीम में जगह पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि टीम से बाहर होने से युवा खिलाड़ी को फायदा हो सकता है।
सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज गेंद को बार-बार आफ स्टंप के आसपास डालते हैं और क्रॉली आफ स्टंप पर और उसके आसपास आउट हो रहे हैं। यह एक सलामी बल्लेबाज के रूप में खेल है और यदि आप अपने खेल के उस पहलू को सुलझाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो यह एक मुद्दा है।
हालांकि, मैकुलम ने कहा कि यह उनकी सोच नहीं है। मैकुलम ने कहा, "मैं ऐसा नहीं सोचता। हम लोगों को अवसर देते रहना चाहते हैं, तब उनका कौशल और प्रतिभा सामने आ सकती हैं। हमें उनके साथ प्रयोग की जाने वाली भाषा के बारे में वास्तव में सकारात्मक होना चाहिए और लोगों को अवसर देते रहने के लिए उसके आसपास के चयन के साथ वास्तव में सुसंगत होना चाहिए।" (आईएएनएस)|
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा है कि उनका देश बातचीत के ज़रिए भारत के साथ ‘स्थाई शांति’ चाहता है, क्योंकि कश्मीर का मसला सुलझाने के लिए दोनों देशों के लिए युद्ध कोई विकल्प नहीं हो सकता.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शहबाज़ शरीफ़ ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात के दौरान यह बयान दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में स्थाई शांति के लिए ज़रूरी है कि कश्मीर समस्या का हल संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार हो.
भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते पिछले 75 सालों के दौरान अधिकतर समय तक तनावपूर्ण बने रहे हैं. इसकी मुख्य वजह कश्मीर का विवाद रही है. भारत का आरोप रहा है कि पाकिस्तान कश्मीर में चरमपंथ फैलाता रहा है.
भारत का कहना रहा है कि जम्मू और कश्मीर उसके देश का अभिन्न हिस्सा है और आगे भी रहेगा. वहीं पाकिस्तान का तर्क रहा है कि भारत के बंटवारे के बाद पूरा कश्मीर उसके देश का हिस्सा होना चाहिए. (bbc.com)
पाकिस्तान की दिग्गज गायिका और ‘बुलबुल-ए-पाकिस्तान’ के नाम से मशहूर नय्यरा नूर का शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात में निधन हो गया है. वे 71 साल की थीं.
उनके परिवार के एक सदस्य रज़ा ज़ैदी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘‘मैं भारी मन से अपनी प्यारी ताई नय्यरा नूर के निधन का एलान करता हूं. उनकी आत्मा को शांति मिले. सुरीली आवाज़ के चलते उन्हें ‘बुलबुल-ए-पाकिस्तान’ के सम्मान से नवाज़ा गया था.’’
उन्हें साहित्य, कला, विज्ञान, खेल क्षेत्र के सर्वोच्च सम्मान ‘तमग़ा-ए-हसन कारकुर्दगी’ यानी 'प्राइड ऑफ़ ऑनर’ से भी नवाज़ा गया. इसके अलावा और भी कई सम्मान नय्यरा नूर को मिल चुका है.
तेरा साया जहां भी हो सजना, पलक बिछा दूं, मुझे दिल से ना भुलाना, चाहे रोके ज़माना, टूट गया सपना, इतना भी ना चाहो मुझे, तू ही बता, पगली पवन, वतन की मिट्टी गवाह रहना, ऐ जज़्बा-ए-दिल, जैसे गीत दशकों से भारत और पाकिस्तान के लाखों प्रशंसकों की ज़बान पर रहे हैं.
उन्होंने पाकिस्तान की कई फ़िल्मों के साथ-साथ कई ग़ज़लें भी गाईं. (bbc.com)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का ‘दिमाग़’ कहे जाने वाले अलेक्ज़ेंडर दुगिन की बेटी दार्या दुगिन की राजधानी माॅस्को के पास कथित तौर पर हत्या कर दी गई है.
दार्या दुगिन रूस की जानी मानी पत्रकार और कमेंटेटर थीं. उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन किया था.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, दार्या दुगिन जब अपनी कार से घर जा रही थीं, तो उनकी कार में धमाका हो गया. अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि क्या इस धमाके का असली लक्ष्य रूसी चिंतक अलेक्ज़ेंडर दुगिन थे या नहीं.
दुगिन रूस के प्रमुख धुर राष्ट्रवादी विचारक माने जाते हैं. उन्हें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का काफ़ी क़रीबी माना जाता है. कई लोग उन्हें ‘पुतिन का रासपुतिन’ कहते हैं.
माना जाता है कि यूक्रेन पर हमले से वे क़रीब से जुड़े हैं. वैसे सरकार में वे किसी पद पर नहीं हैं.
रूस के मीडिया संस्थान 112 के अनुसार, शनिवार की शाम को जिस कार में विस्फोट हुआ, पिता और पुत्री दोनों को उसकी कार से वापस लौटना था. हालांकि अंतिम समय में दुगिन ने अपनी बेटी से अलग जाने का फै़सला लिया.
सोशल मीडिया ऐप टेलीग्राम पर डाले गए एक अप्रामाणिक फुटेज में अलेक्जेंडर दुगिन सदमे में दिख रहे हैं, जबकि हादसे की जगह पर इमरजेंसी सेवा को पहुंचते हुए देखा गया.
हालांकि अभी तक बीबीसी इस फुटेज की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पाया है. वहीं रूस के प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
इस घटना के बारे में रूस की एक न्यूज़ एजेंसी ने बताया कि माॅस्को के ओडिंटसोवो ज़िले के एक हाइवे पर एक कार में आग लग गई. (bbc.com)
कोरोना महामारी की शुरुआत को दो साल से ज़्यादा वक़्त हो चुका है. दुनिया भर में विमानन उद्योग महामारी के झटके से उबरने की कोशिश में है.
इसी बीच, पिछले महीने यानी जुलाई 2022 में दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक 'हीथ्रो' के सीईओ जॉन हॉलैंड के ने एक ऐसा आदेश जारी किया जिसने कई लोगों को हैरान कर दिया.
उन्होंने हीथ्रो एयरपोर्ट इस्तेमाल करने वाली एयरलाइन कंपनियों से कहा कि वो 'गर्मी के मौजूदा सीजन के दौरान हवाई यात्रा के टिकट नहीं बेचें.'
जॉन हॉलैंड ने कहा कि यात्री सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से सफर करें और अपने बैग के साथ मंज़िल तक पहुंच सकें, ये तय करना ज़रूरी है.
उन्होंने तय किया कि अब हीथ्रो एयरपोर्ट से हर दिन अधिकतम एक लाख यात्री ही उड़ान भर सकेंगे. आमतौर पर यहां से हर रोज़ पांच लाख यात्री रवाना होते हैं.
दूसरे एयरपोर्ट मसलन एम्सटर्डम के स्कीपल, जर्मनी के फ्रैंकफर्ट और ब्रिटेन के गैटविक एयरपोर्ट ने भी ऐसी सीमा तय कर दीं.
बीते कई महीनों से तमाम हवाई अड्डों पर अफरातफरी की स्थिति देखी जा रही है.
उड़ानों का आखिरी मिनट पर रद्द होना, लंबी कतारें और यात्रियों के सामान पहुंचने में देरी आम बात हो गई है.
दुनिया भर के प्रमुख एयरपोर्ट और एयरलाइन कंपनियां बढ़ती मांग के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम साबित होने लगे.
कई देशों में छुट्टियों की शुरुआत के साथ ये आशंका थी कि अफरातफरी और बढ़ सकती है.
अब सवाल है कि क्या हवाई सफ़र फिर से सामान्य स्थिति में आ पाएगा यानी सफ़र से जुड़ी मुश्किलें हाल फिलहाल दूर हो पाएंगी?
इसका जवाब पाने के लिए बीबीसी ने चार एक्सपर्ट से बात की.
एविएशन एनालिस्ट सैली गेथिन बताती हैं, " इस समस्या से जूझने वाले प्रमुख देश हैं यूके, नीदरलैंड्स और यूएसए. ऑस्ट्रेलिया में भी दिक्कत की शुरुआत हो गई है. आयरलैंड, जर्मनी और स्पेन भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं."
सैली गेथिन बताती हैं कि एयरपोर्ट पर यात्रियों को कई बार 'पूरी तरह जाम' की स्थिति का सामना करना पड़ता है.
सैली कहती हैं, " यात्री एयरपोर्ट टर्मिनल में दाखिल तक नहीं हो पाते. कुछ मौकों पर उनकी फ्लाइट छूट जाती है. कभी वो सुरक्षा जांच के बाद अंदर पहुंच जाते हैं तो मालूम होता है कि फ्लाइट नहीं जा रही है. कुछ मौकों पर उनके बैग विमान में नहीं चढ़ पाते. या उन्हें पता चलता है कि विमान के उड़ान भरने में देरी हो रही है."
सैली बताती हैं कि यात्रा में होने वाला व्यवधान इस बात पर निर्भर करता है कि किसी खास शहर में लॉकडाउन से जुड़े नियमों में कब ढील दी गई.
वो बताती हैं कि यूरोप में सीमाओं और सड़कों पर पाबंदियों को काफी जल्दीबाज़ी में हटाया गया. ब्रिटेन में तो ये रातों रात हुआ.
लॉकडाउन हटाए जाने के समय एयरपोर्ट और विमान कंपनियां पूरी तरह तैयार नहीं थीं.
वहां भीड़ बहुत ज़्यादा थी. कई एयरपोर्ट पर पूरी संख्या में कर्मचारी भी नहीं थे.
सैली बताती हैं कि विमानन सेवा में कई चीजें आपस में जुड़ी होती हैं. एम्सटर्डम, दुबई, लंदन और पेरिस जैसे बड़े एयरपोर्ट से लोग कई कनेक्टिंग उड़ानें पकड़ते हैं. यहां कई फीडर विमान भी आते जाते हैं.
अगर एक उड़ान में देरी हो या फिर वो रद्द हो जाए तो कनेक्टिंग फ्लाइट छूट सकती है.
तय तारीख और वक़्त पर लैंडिंग करने, उड़ान भरने और अपनी सेवाओं को सुचारू रखने के लिए एयरलाइन्स कंपनियों को एयरपोर्ट अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है. इसे 'स्लॉट' कहा जाता है. एयरलाइन्स कंपनियां अपने स्लॉट पर आसानी से दावा नहीं छोड़ती हैं.
ऐसे में अगर किसी कंपनी की फ्लाइट कैंसिल होती है तो दूसरी कंपनी उस स्लॉट का इस्तेमाल नहीं कर सकती है.
सैली गेथिन बताती हैं, " ये सिर्फ़ एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी से जुड़ी दिक्कत नहीं है. ये उम्मीद थी कि जब मांग बढ़ेगी तो ज़्यादातर यात्री वो होंगे जो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जा रहे होंगे. इसी वजह से बेशुमार भीड़ बढ़ी. महामारी शुरू होने के पहले का समय होता तो एयरलाइन्स कंपनियों ने अंदाज़ा लगा लिया होता कि छुट्टियों के सीजन में कैसी स्थिति रहने वाली है."
अंतरराष्ट्रीय उड़ानें पहले भी बंद रही हैं. मसलन साल 2010 में आईसलैंड के ज्वालामुखी से निकली राख का गुबार यूरोप के आसमान पर छा गया और कई दिन तक विमान उड़ान नहीं भर सके.
लेकिन इस बार दिक्कत अलग है.
सैली कहती हैं, " ये समस्या वैश्विक स्तर पर दिखती है. ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि भीड़ फिर कब बढ़ जाए. ये अभूतपूर्व स्थिति है. इसलिए भी कि अलग अलग इलाकों में महामारी को लेकर कैसी पाबंदी लागू हैं और वहां उड्डयन क्षेत्र को कितनी मदद मिलती है. ख़ासकर ये समझते हुए कि महामारी के बाद उन्हें अपना वजूद बचाए रखना है."
कोविड अभी ख़त्म नहीं हुआ है और कई जगह प्रतिबंध भी जारी हैं. चीन ने अब भी कुछ देशों से सीधी उड़ानों पर रोक लगाई हुई है.
जापान ने जून 2022 में शर्तों के साथ अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आने की इजाज़त दी है. सैली कहती हैं कि यात्रियों को मान कर चलना चाहिए कि उड़ानों को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी रहने वाली है.
उनकी राय है कि सर्दियों में मांग घटेगी तब स्थिति बेहतर हो सकती है.
आर्थिक संकट
'एयरक्राफ़्ट कॉमर्स' मैगज़ीन के एडिटर चार्ल्स विलियम्स बताते हैं, "दुनिया भर की एयरलाइन कंपनियों की वित्तीय स्थिति कमज़ोर हो गई. एयरलाइन कंपनियां अब अपनी स्थिति दुरुस्त करने की कोशिश में जुटी हैं.
कारोबार को बचाए रखने के लिए व्यापारी खुद को हालात के मुताबिक ढालते रहे हैं. लो बजट वाली एयरलाइन्स ने इस उद्योग की कायापलट कर दी.
चार्ल्स बताते हैं कि बीते 20 साल के दौरान एयरलाइन के खर्च की स्थिति पूरी तरह बदल गई है. इस दौरान कम ख़र्च में आपरेट करने वाला मॉडल अपनाया गया. अब इस मोर्चे पर ज़्यादा कटौती संभव नहीं है.
चार्ल्स कहते हैं, " एयरलाइन्स इंडस्ट्री में 'लोड फैक्टर' का मतलब होता है कि पैसे देकर यात्रा कर रहे लोगों से कितनी सीटें भरी हैं. अगर सौ सीट वाला विमान है और ठीक ठाक किराए के साथ 80 सीटें भरी हुई हैं तो सिर्फ़ खर्च निकलेगा. आखिरी के चार या पांच यात्रियों के जरिए मुनाफा हासिल होगा. ये बहुत कम मार्जिन वाला कारोबार है. यात्रियों की संख्या में अचानक काफी कमी आने की वजह से एयरलाइन्स कंपनियों को बड़ा झटका लगता है. जैसे कि दो साल पहले हुआ था."
मौजूदा दौर की आर्थिक चुनौतियां पहले लिए गए फ़ैसलों से भी जुड़ी हैं.
ज़्यादातर कंपनियां जिन विमानों को उड़ाती हैं वो उनके नहीं होते. ऐसे में महामारी के दौरान उनकी प्राथमिकता लीज़ से जुड़े समझौतों को दोबारा तय करने की थी.
जिन दिनों यात्रियों के सफ़र करने पर पाबंदी लगी हुई थी, तब कुछ विमान कंपनियों ने कार्गो सेवा चालू रखी हुई थी.
चार्ल्स कहते हैं, " लंबी दूरी की उड़ान भरने वाले बड़े विमानों में सामान रखने की काफी जगह होती है. महामारी के दौरान ऐसे ज़्यादातर विमान खड़े ही रहे. उस समय जो विमान माल ढो रहे थे उनमें जगह कम रहती थी. ऐसे में माल पहुंचाने का किराया सामान्य दिनों की तुलना में चार से पांच गुना तक बढ़ गया. मैं समझता हूं कि माल ढुलाई के ऊंचे किराए की वजह से विमान कंपनियां चलती रहीं."
विमानन एक महंगा कारोबार है. अब ये अनिश्चितता की स्थिति से भी घिर गया है.
चार्ल्स कहते हैं, " महामारी के साथ दिक्कत ये है कि आपको ये अंदाज़ा नहीं होता कि इसका असर कब तक रहेगा. 2020 में एयरक्राफ़्ट खड़े रखने की जगह की भी कमी हो गई थी. एयरलाइन कंपनियों के लिए ये भी बहुत महंगा साबित हो रहा था."
महामारी के दौरान खड़े रहे सैकड़ों विमानों को दोबारा एक्टिव करने के लिए पर्याप्त संख्या में मैंटिनेंस स्टाफ़ नहीं है. ऐसे में ये विमान दोबारा उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. जो विमान उड़ान भर रहे हैं, उनके लिए ईंधन खासा महंगा है. बिजनेस क्लास की सीटें पहले की तरह नहीं भर पा रही हैं. ऐसे में किराए बढ़ सकते हैं.
चार्ल्स कहते हैं कि ये इंडस्ट्री समझती है कि दिक्कतें धीरे धीरे ही दूर होंगी. अमेरिकी मार्केट, यूरोप और एशिया में रिकवरी देखी जा रही है.
यही है सामान्य परिस्थिति?
जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की प्रोफ़ेसर लॉरी गैरो कहती हैं, "विमान में उड़ान भरने वाले यात्रियों की संख्या हालिया महीनों में किस दिशा में बढ़ रही हैं, ये समझने के लिए जानना अहम होगा कि कोविड की शुरुआत में हम कहां थे?"
लॉरी गैरो एगीफ़ोर्स की प्रेसिडेंट भी हैं. ये एयरलाइन्स पर रिसर्च करने वाला संस्थान है. अभी विमानन उद्योग कॉस्ट और कस्टमर यानी लागत और ग्राहकों के बीच संतुलन बिठाने में जूझ रहा है.
लॉरी गैरो बताती हैं, " 2020 के शुरूआती महीनों में पूरी दुनिया में मांग 90 से 95 फ़ीसदी तक घट गई. हम देख रहे हैं कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रिकवरी की दर अलग-अलग रही है. अमेरिका में घरेलू स्तर पर मांग कोविड के पहले के दौर करीब तक पहुंच गई है. अमेरिका और यूरोप के बीच यात्रा की दर भी महामारी के पहले के स्तर तक जा पहुंची है. लेकिन दुनिया के दूसरे हिस्सों ख़ासकर एशिया में कोविड के पहले की तुलना में ये अब भी 30 प्रतिशत कम है."
कुल मांग अभी भी महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच सकी है लेकिन फिर भी एयरपोर्ट और एयरलाइन्स बोझ तले दबे जा रहे हैं.
लॉरी गैरो महामारी शुरू होने के पहले जून के महीने और इस साल जून से तुलना करती हैं और देखती हैं कि तब और अब अमेरिका में उड़ानों में हुई देरी और उड़ानें रद्द होने में कितना अंतर है.
लॉरी गैरो कहती हैं कि अंतर तो ज़्यादा नहीं है. बस अब उतने विमान चालू स्थिति में नहीं है. अब किसी दिक्कत को दूर करना ज़्यादा चुनौती भरा हो गया है. कुछ अप्रत्याशित बदलाव भी हुए.
लॉरी गैरो बताती हैं, " महामारी के दौरान एक दिलचस्प बात हुई. मांग बहुत तेज़ी के साथ घटी. कई एयरलाइन्स कंपनियों ने पुराने विमानों को रिटायर करने का फ़ैसला कर लिया. पुराने विमान में ईंधन की खपत ज़्यादा होती थी. पर्यावरण के मानकों में भी वो पीछे थे. ऐसे में महामारी के दौर के मुक़ाबले उत्सर्जन के लिहाज से आज हवाई यात्रा ज़्यादा स्वच्छ है."
लॉरी बताती हैं कि मौज मजे के लिए यात्रा करने वाले लोग महामारी से पहले के दौर के मुक़ाबले अब ज़्यादा खर्च करने को तैयार हैं. बिज़नेस से जुड़ी यात्राओं की संख्या कम हुई है. विमान कंपनियां बदली परिस्थिति के मुताबिक रणनीति बनाना चाहती हैं.
लॉरी कहती हैं कि इस उद्योग की मदद के लिए सरकार भी कुछ कदम उठा सकती है.
वो कहती हैं, " पहली बात तो ये है कि हमें ये मानना होगा कि एयरलाइन्स देश की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है. कोविड की शुरुआत में जब स्थितियां काफी खराब थीं तब तमाम सरकारों ने कदम उठाए. उन्होंने हवाई सेवा को बहाल रखा. पीपीई किट, वेंटिलेटर, महामारी से मुक़ाबले और अर्थव्यवस्था को चलाए रखने के लिए ज़रूरी चीजें विमानों के जरिए लाई ले जाई गईं."
लॉरी कहती हैं कि विमानन उद्योग को भविष्य के संभावित झटकों से बचाने के लिए भी सरकारें तैयारी कर सकती हैं. वो एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल सिस्टम का आधुनिकीकरण कर सकती हैं और ये एक बड़ी मदद होगी.
कर्मचारियों की कमी
'एल्टन एविएशन' के प्रबंध निदेशक उमंग गुप्ता बताते हैं, "एयर स्टाफ की स्थिति अभी खराब है. मुझे नहीं लगता कि गर्मी के मौसम में स्थिति में सुधार आएगा."
'एल्टन एविएशन' कंसल्टेंसी फर्म है. महीनों तक रोक के बाद उड़ानें शुरू होते ही लाखों लोग टिकट बुक करने में जुट गए. उमंग गुप्ता बताते हैं कि मांग में इस कदर उछाल आया जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
एयरपोर्ट पर आम तौर पर 'चेक इन स्टाफ़' और 'केबिन क्रू' नज़र आते हैं. लेकिन विमान की सुचारू उड़ान के लिए पर्दे के पीछे कई लोग काम कर रहे होते हैं.
उमंग गुप्ता कहते हैं, "हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जो सामान संभांलते हैं. वो लोग भी हैं जो लोगों को विमान से टर्मिनल तक ले जाते हैं. इनके अलावा ट्रैफ़िक कंट्रोलर होते हैं. भोजन और पेय से जुड़ी सेवाओं को देखने वाले लोग होते हैं. मेंटिनेंस करने वाले भी होते हैं. विमान के उड़ान भरने के पीछे एक बड़ा तंत्र मदद में जुटा होता है."
एयरलाइन्स और एयरपोर्ट ऑपरेटर्स पर वेतन और भत्तों का एक बड़ा बोझ होता है. महामारी के दौरान कई कर्मचारियों और ठेकाकर्मियों ने या तो नौकरी छोड़ दी या उन्हें निकाल दिया गया. अब मांग के मुताबिक तैनात करने के लिए कर्मचारी नहीं हैं. पायलट भी कम हैं. कुछ ने तय रकम लेकर नौकरी छोड़ दी. उनकी जगह भरने में वक्त लग रहा है.
विमान पायलट का लाइसेंस हासिल करने के लिए कम से कम 15 सौ घंटे की उड़ान का अनुभव ज़रूरी है.
उमंग गुप्ता कहते हैं कि इस बारे में बहस होती है कि क्या इसे कम किया जा सकता है. वो बताते हैं कि कमर्शियल पायलटों की उम्र जब साठ साल के पार हो जाती है तो उन्हें रिटायर होना होता है. रिटायर होने की उम्र बढ़ाने का भी सुझाव दिया जा रहा है.
उमंग गुप्ता बताते हैं, "इन तमाम मुद्दों पर श्रमिक समूहों, एयरलाइन कंपनियों, संबंधित सरकारों और नियामकों के बीच बहस चलती रहती हैं. मुझे नहीं लगता कि इस दिशा में जल्दी कोई बदलाव होने जा रहा है. इस मामले का लंबा और गहन मूल्यांकन ज़रूरी है. ये एक मुश्किल विषय़ है."
पायलटों की उपलब्धता और यात्रियों की बढ़ती मांग के बीच का अंतर छोटे ऑपरेटरों पर दबाव बढ़ा रहा है. उमंग गुप्ता कहते हैं क्षेत्रीय एयरलाइन कंपनियों को ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बड़ी कंपनियों ने ज़्यादातर पायलटों को नियुक्त कर लिया है.
दूसरे तमाम पद भी खाली हैं. मौजूदा कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है.
उमंग गुप्ता कहते हैं, "स्थिति ये है कि कई बार उड़ानों में देरी हो रही है या फिर उन्हें कैंसल किया जा रहा है. आपको परेशान और चिढ़े हुए यात्रियों का सामना करना होता है. इस इंडस्ट्री में काम करने वालों को काफी दबाव और थकान झेलते हुए काम करना पड़ रहा है."
लौटते हैं उसी सवाल पर कि क्या हवाई सफर कभी सुचारू हो पाएगा,
हमारे एक्सपर्ट की राय है कि ऐसा मुमकिन है. लेकिन इसके लिए कम से कम अगले साल तक इंतज़ार करना होगा. जहां दूसरे देशों के यात्रियों के आने पर अब भी रोक है, वहां इससे भी ज़्यादा समय लग सकता है.
इस समस्या का चुटकी बजाते हल तलाशना मुश्किल है. हवाई सफर महंगा होने के भी आसार हैं. हर मोर्चे पर कर्मचारियों की कमी है. पायलटों की कमी का असर उड़ानों पर हो रहा है.
अभी जो अफरा तफरी की स्थिति है, उसमें सुधार होने से पहले हालात और भी खराब हो सकते हैं. जब लंबी कतारों का दौर ख़त्म हो जाएगा तब सुधार का असर दिखेगा लेकिन महामारी से पहले वाली स्थिति शायद ही आ पाएगी. (bbc.com)
इस्लामाबाद, 21 अगस्त। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को दावा किया कि लेखक सलमान रुश्दी की हत्या के प्रयास के बारे में एक ब्रिटिश अखबार को दिए गए उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया। रुश्दी (75) पर गत सप्ताह लेबनानी मूल के अमेरिकी नागरिक 24 वर्षीय हादी मातर ने चाकू से हमला कर दिया था।
द गार्डियन अखबार को दिए एक साक्षात्कार में खान ने रुश्दी पर किए गए हमले की निंदा की थी और दावा किया था कि लेखक के प्रति मुसलमानों का गुस्सा जायज है लेकिन हमले को सही नहीं ठहराया जा सकता।
हालांकि, पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के अध्यक्ष के आधिकारिक ट्विटर खाते से दावा किया गया कि इमरान के बयान को गलत अर्थ में लिया गया।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, इमरान ने 2012 में भारत में एक सम्मेलन में भाग लेने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसमें रुश्दी शामिल होने वाले थे। उन्होंने कहा, ‘‘साक्षात्कार में मैंने ईशनिंदा करने वालों को सजा देने के इस्लामी तरीके को समझाया था।’’ (भाषा)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 20 अगस्त। कंजर्वेटिव पार्टी के एक वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व मंत्री ने ‘टोरी’ नेता के तौर पर बोरिस जॉनसन का स्थान लेने के लिए ऋषि सुनक का शनिवार को समर्थन करते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री (सुनक) में इस शीर्ष पद के लिए आवश्यक सभी चीजें है।
जॉनसन द्वारा नाटकीय ढंग से मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिये गये माइकल गोव ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ में आगे चल रहीं विदेश मंत्री लिज ट्रस की करों में कटौती की योजना को सच्चाई से कोसों दूर बताया है।
उन्होंने कहा कि नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा में सुनक ही एक व्यक्ति हैं जो सही तर्क दे रहे हैं और मतदाताओं से सच बोल रहे हैं।
गोव ने ‘द टाइम्स’ समाचार पत्र से कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि इस पद के लिए क्या जरूरी है। और ऋषि में वे चीजें हैं।’’
वरिष्ठ टोरी नेता ने कहा, ‘‘इससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अगली सरकार अपनी केंद्रीय आर्थिक योजना में क्या अपनाएगी। और यहां मैं इसे लेकर बहुत चिंतित हूं कि कई लोगों द्वारा नेतृत्व पर बहस सच्चाई से कोसों दूर रही है। जीवन-यापन पर आने वाली लागत के प्रश्न को करों में कटौती के जरिए खारिज नहीं किया जा सकता। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ऋषि ने सही तर्क दिए हैं। उन्होंने केंद्रीय आर्थिक प्रश्नों पर सच कहा है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, और खर्च को नियंत्रित करने तथा उधार लेना कम करने तक हम सामान्य कराधान में और कटौती नहीं कर सकते।’’
इस बीच, सुनक ने गोव के समर्थन का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, ‘‘माइकल गोव के टीम में आने की खबर अच्छी है।’’ (भाषा)
मनीला, 20 अगस्त (आईएएनएस)| 30 जून को पदभार ग्रहण करने के बाद फिलीपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड रोमुअलडेज मार्कोस सितंबर में इंडोनेशिया और सिंगापुर की अपनी पहली विदेश यात्रा पर जाने वाले हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्जुअल न्यूज कॉन्फ्रेंस में एंजेल्स ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति 4 से 6 सितंबर तक इंडोनेशिया में और 6 से 7 सितंबर तक सिंगापुर में रहेंगे।
फिलीपींस की तरह, इंडोनेशिया और सिंगापुर दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के सदस्य हैं, जिसमें ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम भी शामिल हैं।
इसके अलावा, अमेरिका में फिलीपीन के राजदूत जोस मैनुअल रोमुअलडेज द्वारा पहले की गई टिप्पणी के अनुसार, मार्कोस संभवत: सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का दौरा करेंगे।