अंतरराष्ट्रीय
न्यूयॉर्क, 27 जून | न्यूयॉर्क में अपने घर के पास जीप में बैठे भारतीय मूल के एक व्यक्ति को करीब से गोली मार दी गई, जिससे उसकी मौत हो गई। न्यूयॉर्क डेली न्यूज ने पुलिस के हवाले से बताया कि शनिवार दोपहर गोली लगने के बाद 31 वर्षीय सतनाम सिंह को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
यह घटना दक्षिण ओजोन पार्क पड़ोस में हुई, जो रिचमंड हिल के बगल में है। यहां अप्रैल में दो सिख लोगों पर हमला किया गया था, जिसे पुलिस ने नफरत में अपराध के रूप में वर्गीकृत किया था।
दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं।
द न्यूज ने कहा कि सतनाम सिंह को गोली मारे जाने को लेकर पुलिस और प्रत्यक्षदर्शी के बयान में एक विसंगति है।
पुलिस के अनुसार, शूटर पैदल आया और सतनाम के जीप में बैठते ही उसे गोली मार दी, लेकिन एक पड़ोसी ने कहा कि हमलावर ने एक कार से गोली चलाई थी। उसके घर के सुरक्षा कैमरे ने घटना को कैद कर लिया था।
समाचार साइट एएमएनवाई ने कहा कि रविवार की सुबह तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और पुलिस इस मकसद के बारे में अनिश्चित थी।
द न्यूज ने पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा कि सतनाम सिंह ने एक दोस्त से जीप उधार ली थी और जासूस इस बात की जांच कर रहे थे कि क्या वह शूटर का निशाना था या गलती से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा मारा गया था जो वास्तव में वाहन के मालिक पर हमला करना चाहता था।
इसी साल अप्रैल में रिचमंड हिल में अलग-अलग घटनाओं में दो सिखों की पगड़ी उतार दी गई थी और उनके साथ लूटपाट की गई थी।
पुलिस ने उन हमलों के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ्तार किया था और उन पर नफरत में अपराध करने का आरोप लगाया था।
(आईएएनएस)
एल्मौ, 27 जून | ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) के नेताओं ने दक्षिण जर्मनी के बवेरियन आल्प्स के श्लॉस एल्मौ में अपने तीन दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की शुरुआत की।
शिखर सम्मेलन रूस-यूक्रेन संघर्ष, जलवायु और अन्य पर ध्यान केंद्रित करेगा।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन संघर्ष, विशेष रूप से रूस के खिलाफ प्रतिबंध और दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों की स्थिति पर चर्चा होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार सुबह कहा था कि जी7 रूसी सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाएगा।
रविवार को पहले कार्य सत्र में नेताओं ने वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की। मेजबान जर्मन फेडरल चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के अनुसार, सभी जी7 देश उन संकटों के बारे में चिंतित हैं, जिनसे इस समय निपटा जा रहा है। कुछ देशों में गिरती विकास दर, बढ़ती मुद्रास्फीति, कच्चे माल की कमी और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान प्रमुख समस्याएं हैं।
दोपहर में कार्य सत्र चलने के बाद जी7 नेताओं ने एक अरब डॉलर की वैश्विक अवसंरचना और निवेश पहल शुरू की, जिसे 'वैश्विक बुनियादी ढांचे और निवेश के लिए साझेदारी' कहा गया।
एक जर्मन संघीय सरकार के सूत्र ने शनिवार रात कहा कि रूसी तेल की कीमतों पर चर्चा की जाएगी, एक उपाय जो रूस को भारत जैसे बड़े खरीदारों को भविष्य में काफी कम कीमत पर तेल बेचने के लिए मजबूर करता है। जी7 देश इस मुद्दे पर गहन चर्चा कर रहे हैं और एक समझौता खोजने के रास्ते पर हैं।
सूत्र ने बताया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मुद्दे पर जी7 नेताओं की ओर से बयान दिया जाएगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर जेलेंस्की शिखर सम्मेलन के दौरान वीडियो के माध्यम से भाषण देंगे।
नेता रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण पैदा हुए खाद्य संकट को भी संबोधित करेंगे। वे काला सागर में यूक्रेन के अनाज निर्यात को रोकने के तरीकों की तलाश करने की कोशिश करेंगे और संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की मदद करने के लिए वित्तीय प्रतिज्ञा करेंगे।
मेजबान देश जर्मनी द्वारा बनाई गई नीतिगत प्राथमिकताओं के अनुसार, जी7 नेता स्कोल्ज द्वारा सामने रखे गए 'क्लाइमेट क्लब' की स्थापना कर जलवायु परिवर्तन सहित मुद्दों का हल भी तलाश करेंगे।
जर्मनी, अमेरिका, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस और यूरोपीय संघ के नेताओं के अलावा, भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, सेनेगल और अर्जेटीना के नेताओं को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
विशेषज्ञों ने कहा कि पश्चिमी ब्लॉक प्रमुख विकासशील देशों को रूस के खिलाफ अपने प्रतिबंधों में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश करने के लिए जी7 शिखर सम्मेलन के मौके का लाभ उठाए जाने की उम्मीद है।
(आईएएनएस)
गेयान (अफगानिस्तान), 26 जून। अफगानिस्तान में जब पिछले हफ्ते भूकंप आया तो नहीम गुल अपने पत्थर और मिट्टी के घर के नीचे दब गए।
मलबे में उनके पिता और दो बहनें भी दब गई जिससे उनकी मौत हो गई। गुल को यह नहीं पता कि कितने घंटे तक मलबे को हटाने के बाद उन्हें अपने पिता और बहनों के शव नज़र आए।
दक्षिण पूर्व अफगानिस्तान में बुधवार को आए छह तीव्रता के भूकंप ने दूरदराज़ के क्षेत्र में भंयकर तबाही मचाई है। इस वजह से कम से कम 1150 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों जख्मी हैं।
गुल के हर ओर तबाही है और मदद उन जैसे लोगों तक पहुंच नहीं पा रही है। भूकंप के दौरान घर की दीवार गिरने से उनके भांजे और भतीजे की भी मौत हुई है।
गुल ने अमेरिकी समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटिड प्रेस’ से रविवार को कहा, “ मुझे नहीं पता कि हमारे साथ क्या होगा या हम कैसे फिर से अपनी जिंदगी शुरू करेंगे। हमारे पास फिर से शुरुआत करने के लिए धन भी नहीं है।”उनका हाथ और कंधा जख्मी हुआ है।
यह बात पक्तिका और खोस्त प्रांत के उन गांवों के हजारों लोगों ने कही जहां भूकंप ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है।
जो लोग बमुश्किल अपना गुज़र-बसर कर रहे थे, उन्होंने सबकुछ गंवा दिया है। अनेक लोगों तक तो अब तक राहत समूह एवं अधिकारी भी नहीं पहुंचे हैं। वे प्रभावित इलाकों तक पहुंचने की कोशश कर रहे हैं लेकिन रास्ते में भूस्खलन की वजह से पहुंच नहीं पा रहे हैं।
आर्थिक तंगी से जूझ कर रहे तालिबान को हालात का इल्म है और उसने विदेशी सहायता का आग्रह किया है और वाशिंगटन से अफगानिस्तान के अरबों डॉलर के भंडार को निकालने पर लगी रोक को हटाने की शनिवार को फिर से अपील की। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहायता संगठनों और देशों ने मदद भेजी है।
चीन ने करीब 75 लाख डॉलर की आपात मानवीय सहायता भेजने का शनिवार को संकल्प लिया। वह ईरान पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात और कतर के साथ शामिल हो गया है जिन्होंने टेंट, तौलिए, बिस्तर और अन्य जरूरत का सामान भूकंप प्रभावित इलाकों में भेजा है।
संयुक्त राष्ट्र के उप विशेष प्रतिनिधि रमिज़ अलकबरोव ने शनिवार को प्रभावित पक्तिका प्रांत का दौरा किया और नुकसान का आकलन किया तथा खाद्य सामान, दवा और टेंट वितरित किए। संयुक्त राष्ट्र के हेलीकॉप्टर और ट्रक ब्रेड, आटा, चावल और कंबल लेकर प्रभावित इलाकों में पहुंचे।
ग्रामीणों ने लोगों के शव हाथों से मलबा खोदकर निकाले हैं और उन्हें सामूहिक कब्रों में दफनाया है। वे बारिश के बावजूद लकड़ी के पट्टों पर सो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक संगठन ओसीएचओ ने बताया कि करीब 800 परिवार खुले में रह रहे हैं।
गुल को गेयान जिले में एक स्थानीय परोपकारी संस्था की ओर से टेंट और कंबल मिला है, लेकिन उन्हें और उनके रिश्तेदारों को बुनियादी चीज़ों का भी खुद ही इंतजाम करना पड़ रहा है।
शुक्रवार को भूकंप बाद का ज़ोरदार झटका आया था जिसमें पांच और लोगों की मौत हो गई थी।
सरकार के आर्थिक हालात खराब होने के बीच ‘अफगानिस्तान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इनवेस्टमेंट’ ने रविवार को कहा कि उसने पक्तिका और खोस्त प्रांतों के लिए 15 लाख डॉलर जुटाए हैं। (एपी)
पाकिस्तान ने कहा है कि रूस पर पाबंदी लगने से पाकिस्तान समेत कई विकासशील देश प्रभावित होंगे.
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिख़ार ने साप्ताहिक ब्रीफ़िंग के दौरान कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं हैं, लेकिन रूस पर लगी पाबंदी से पाकिस्तान समेत दुनिया के कई विकासशील देश इससे प्रभावित हो रहे हैं.
इस दौरान पाकिस्तानी प्रवक्ता ने भारत का भी ज़िक्र किया.
प्रवक्ता आसिम इफ़्तिख़ार ने कहा कि पाकिस्तान सभी समस्याओं के हल के लिए भारत के साथ उद्देश्यपूर्ण और परिणाम उन्मुख बातचीत करना चाहता है.
पाकिस्तानी प्रवक्ता ने आगे कहा, "लेकिन इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना भारत की ज़िम्मेदारी है. भारत पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है." (bbc.com)
पाकिस्तान ने भारत प्रशासित कश्मीर में जी-20 सम्मेलन किए जाने के भारतीय प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है.
अख़बार जंग के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बात स्वीकृत है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है. पाकिस्तान ने कहा कि उसे पूरी उम्मीद है कि कश्मीर की विवादित हैसियत को समझते हुए जी-20 के सदस्य देश भारत के इस प्रस्ताव से सहमत नहीं होंगे.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि कश्मीर 1947 से अब तक भारत के 'क़ब्ज़े' में है और यह मुद्दा सात दशकों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल है.
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत कश्मीर में डेमोग्राफ़ी को बदलने की कोशिश कर रहा है.
जी-20 दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है जिसमें अमेरिका, रूस, चीन और ब्रिटेन समेत यूरोपियन यूनियन भी शामिल हैं.
भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता करेगा. भारत ने घोषणा की है कि अगले साल जी-20 शिखर सम्मेलन भारत प्रशासित कश्मीर में आयोजित किया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बैठक के आयोजन की तैयारी के लिए आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय कमेटी भी बना दी है. (bbc.com)
-इक़बाल अहमद
स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सूद-मुक्त (ब्याज मुक्त) करने के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
पाकिस्तान के केंद्रीय शरिया कोर्ट ने इसी साल 28 अप्रैल को पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में सूद के लेनदेन के ख़िलाफ़ दायर बहुत सारी याचिकाओं पर 19 साल के बाद फ़ैसला सुनाते हुए इसे शरिया-विरुद्ध क़रार दिया था और सरकार को निर्देश दिया था कि वो 2027 तक पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से सूद के लेन-देन को ख़त्म कर दे.
शरिया कोर्ट की तीन जज की बेंच ने कहा था कि सूद का ख़ात्मा धार्मिक और क़ानूनी ज़िम्मेदारी है इसलिए सरकार को सूद के लेन-देन को हर हालत में ख़त्म करना होगा. ग़ौरतलब है कि इस्लाम धर्म में ब्याज या सूद लेने-देने पर सख़्त पाबंदी है और उसे हराम काम माना जाता है.
अदालत ने कहा था कि सिस्टम से सूद के लेन-देन को पूरी तरह ख़त्म करने के लिए पाँच साल का वक़्त काफ़ी है और सरकार से उम्मीद की जाती है कि वो इस मामले में उठाए जाने वाले क़दमों की सालाना रिपोर्ट संसद में पेश करे.
शरिया कोर्ट के इस फ़ैसले को स्टेट बैंक ने चुनौती दी है. पाकिस्तान के सबसे बड़े सरकारी बैंक के अलावा चार निजी बैंकों ने भी शरिया अदालत के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.(bbc.com)
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक सऊदी अरब ने मुर्तजा कुरैरिस को रिहा कर दिया है. उन्हें सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 13 साल थी.
मुर्तजा कुरैरिस को एक बार मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा था, हालांकि उन्हें आखिर में जेल की सजा सुनाई गई. उन्हें साल 2014 में पकड़ा गया था. उनके ऊपर 2011 में हुई अरब स्प्रिंग के दौरान प्रदर्शनों में आंशिक भागीदारी का आरोप था.
माना जाता है कि मुर्तजा राजनीतिक विरोध में शामिल होने के लिए हिरासत में लिए जाने वाले सबसे कम उम्र के सऊदी कैदी थे.
सऊदी शिया लंबे समय से सुन्नी मुस्लिम बहुल देश में भेदभाव और दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में व्यवहार किए जाने की शिकायत करते रहे हैं. अरब स्प्रिंग के दौरान सऊदी के लोग भी प्रशासन के खिलाफ सड़को पर उतर आए.
हालांकि इस विरोध को दबा दिया गया और इसमें शामिल कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और कई लोगों को मार दिया गया. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि मुर्तजा कुरैरिस को कई सालों तक बिना किसी आरोप के रखा गया.
मुर्तजा की तस्वीरें इस पूरी कहानी को बयां करती हैं. पहली तस्वीर तब की है जब मुर्तजा को गिरफ्तार किया गया. जिसमें वो एक बच्चे की तरह दिखाई दे रहे हैं और दूसरी तस्वीर में एक दाढ़ी वाला युवक दिखाई दे रहा है.
उन्हें 12 साल की सजा हुई जिसे बाद में घटाकर 8 साल कर दिया गया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उनकी रिहाई की स्वागत किया है. (bbc.com)
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है जिसके बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक़ क़ानूनी रहेगा या नहीं इसे लेकर अमेरिका के अलग-अलग राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.
माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.
13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लागू हो जाएंगे.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 50 साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
अर्कांसस राज्य के लिटिल रॉक में एक अबॉर्शन क्लीनिक में इस फ़ैसले का सीधा असर देखने को मिल रहा है.
राज्य में अदालत का फ़ैसला आते ही यहां त्वरित प्रभाव से गर्भपात पर प्रतिबंध की इजाज़त दे दी गई.
वहाँ जैसे ही अदालत ने अपना फ़ैसला ऑनलाइन पोस्ट किया, अबॉर्शन कराने वालों के लिए क्लीनिक के दरवाज़े बंद कर दिए गए. क्लीनिक स्टाफ़ ने फ़ोन कर-करके महिलाओं को बताया कि कोर्ट के फ़ैसले के बाद उनकी अप्वाइंटमेंट्स कैंसिल कर दी गई है.
एशली हंट एक नर्स हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि कई बार हम बहुत बुरी ख़बरों को सुनने के लिए तैयारी तो करते हैं लेकिन अंत में जब वो ख़बर हमारे सिर पर पड़ती है तो उसकी चोट बहुत बड़ी होती है.
उन्होंने कहा, "इस फ़ैसले के बाद महिलाओं को कॉल करना और उन्हें बताना कि रो बनाम वेड फैसले को बदल दिया गया है, वाकई दिल दहलाने वाला अनुभव है."
क्लीनिक के बाहर खड़ी हेड एस्कॉर्ट्सकरेन कहती हैं, "मैंने सोचा था कि यह राज्य अभी भी लोगों की परवाह करेगा. अभी भी महिलाओं की परवाह करेगा."
वहीं क्लीनिक के बाहर एंटी-अबॉर्शन प्रदर्शनकारी जश्न मना रहे थे.
प्रदर्शन कर रहे लोग उन लोगों पर चिल्ला रहे थे जो क्लीनिक के बाहर अपनी कार पार्क करने की कोशिश कर रहे थे. वे ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे - 'आप नोटिस पर हैं.'
उनमें से एक शख़्स ने कार पार्क कर रहे एक दूसरे शख़्स को कहा- "मेरी आप लोगों को सलाह है कि आप लोग इस जगह से चले जाएं और अन्याय से भरी इस बुरी जगह को जितनी जल्दी हो सके छोड़ दें."
ग़रीब महिलाओं को होगी 'मुश्किल'
अर्कांसस की ही तरह लुइज़ियाना एक अन्य ऐसा राज्य है जहां इस फ़ैसले का सीधा और तुरंत असर देखा गया है.
फ़ैसला सार्वजनिक होने के साथ ही राज्य के तीन अबॉर्शन सेंटर्स में से एक वीमेन्स हेल्थ केयर सेंटर, को तुरंत बंद कर दिया गया और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को उनके घर जाने को बोल दिया गया.
इस क्लीनिक के बाहर खड़ी लिंडा कोचेर ने बीबीसी से कहा कि अमीर महिलाओं के लिए कोई समस्या नहीं होगी. वे अबॉर्शन कराने के लिए दूसरे राज्य चली जाएंगी लेकिन ग़रीब महिलाओं को इसका ख़ामियाज़ा उठाना होगा.
हालांकि गर्भपात विरोधी कैंपेन में शामिल पादरी बिल शैंक्स ने कहा कि यह जश्न मनाने का दिन है.
ऐसे में अगर आंकड़ों के संदर्भ में बात करें तो ऐसी संभावना जताई जा रही है कि क़रीब 36 मिलियन (3.6 करोड़) महिलाओं से उनके राज्य में गर्भपात का अधिकार छिन जाएगा. यह आंकड़े एक हेल्थकेयर ऑर्गेनाइज़ेशन प्लान्ड पैरेंटहुड की ओर से जारी किए गए हैं.
इडाहो, टेनेसी और टेक्सस में अगले 30 दिनों में ये प्रतिबंध लागू हो जाएंगे
जिस समय यह फ़ैसला आया बहुत से प्रदर्शनकारी कोर्ट के बाहर मौजूद थे. इस फ़ैसले के आने के बाद अमेरिका के क़रीब 50 से अधिक शहरों में विरोध प्रदर्शन दर्ज किए गए हैं.
अमेरिका में लंबे समय से गर्भपात-विरोधी क़ानून पर बहस जारी है. हाल ही में हुए प्यू सर्वे में पाया गया है कि क़रीब 61 फ़ीसद वयस्क ने कहा कि गर्भपात पूरी तरह से क़ानूनी होना चाहिए या फिर अधिकांश मामलों में क़ानूनी होना चाहिए. जबकि 37 फ़ीसद ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए.
एंटी-अबॉर्शन एडवोकेट टेरे हार्डिंग के मुताबिक, हर जीवन को सुरक्षित किए जाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बाइडन को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की निंदा करते हुए सुना. बाइडन ने अपने एक संबोधन में कहा था कि इस फ़ैसले ने महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन को ख़तरे में डाल दिया है.
बाइडन ने कहा था कि इस फ़ैसले से विचारधारा की कट्टरता का एहसास होता है और सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला बेहद दुखद है.
फ़ैसले के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे कि राज्य और वहां के स्थानीय अधिकारी गर्भपात के लिए यात्रा करने वाली महिलाओं को रोके नहीं. (उन राज्यों की यात्रा जहां यह क़ानून है)
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी इस पर अपनी टिप्पणी ट्वीट की है.
उन्होंने लिखा है, "अमेरिका में आज दसियों लाख औरतें बिना किसी हेल्थ केयर और रीप्रोडक्टिव हेल्थ केयर के हो गयी हैं. अमेरिका की जनता से उसका संवैधानिक अधिकाार छीन लिया गया है."
इस बीच रो बनाम वेड फ़ैसले के लंबे समय से विरोधी रहे पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने एंटी-अबॉर्शन कैंपेन में शामिल लोगों से तब तक ना रुकने की अपील की हा जब तक कि जीवन की पवित्रता को हर राज्य में स्वीकार्यता ना मिल जाए.
अमेरिका में 1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसे रो बनाम वेड मामला कहा गया.
इसमें कहा गया कि गर्भधारण और गर्भपात काफ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का.
दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा कि संविधान गर्भवती महिला को फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
इसके बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना बाध्यकारी हो गया.
फ़ैसले ने अमेरिकी महिला को गर्भधारण के पहले तीन महीनों में गर्भपात कराने का क़ानूनी हक़ दिया. हालांकि दूसरे ट्राइमेस्टर यानी चौथे से लेकर छठे महीने में गर्भपात को लेकर पाबंदियां लगाई गईं.
लेकिन अमेरिका के धार्मिक समूहों के लिए ये बड़ा मुद्दा था क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है.
इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग-अलग थे. 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा.
इसके बाद वहाँ कई राज्यों में गर्भपात पर पाबंदियां लगाने वाले नियम लागू किए, तो कईयों नेमहिलाओं को ये हक़ देना जारी रखा.
कैसे हुआ फ़ैसला
1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसे रो बनाम वेड मामला कहा गया. इसमें गर्भपात की सुविधाओं तक आसान पहुंच की गुहार लगाई गई और कहा गया कि गर्भधारण और गर्भपात का फ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का.
दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने इस मामले मेंअपना फ़ैसला दिया. कोर्ट ने गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है. इसके बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना बाध्यकारी हो गया.
लेकिन इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. धार्मिक समूहों के लिए ये बड़ा मुद्दा था क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है. इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग-अलग थे. 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा.
इसके बाद के दशक में कई राज्यों में गर्भपात पर पाबंदियां लगाने वाले नियम लागू किए, जबकि कईयों ने महिलाओं को ये हक़ देना जारी रखा.
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सत्र में जब डॉब्स बनाम जैक्सन वीमेन्स हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन का मामला सामने आया तब जाकर एकबार फिर गर्भपात को लेकर बहस छिड़ गई.
यह मामला मिसिसिपी का था जिसमें राज्य के क़ानून को (15वें सप्ताह के बाद अबॉर्शन के प्रतिबंध का कानून) चुनौती दी गई ती.
राज्य के पक्ष में फ़ैसला देते हुए कंज़रवेटिव-मेजोरिटी (कंज़रवेटिव-बहुल्य) कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया.
पांच जज इस फ़ैसले के पक्ष में थे जबकि तीन न्यायाधीश बहुमत के इस फ़ैसले से असहमत थे.
भारत में पिछले साल गर्भपात के बारे में क़ानून में संशोधन किया गया जिसके बाद गर्भपात करवाने के लिए मान्य अवधि को 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 24 हफ़्ते कर दिया गया.
स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय के अनुसार 16 मार्च 2021 भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी (संशोधित) बिल 2020 को राज्यसभा में पास किया गया.
इसमें कहा गया कि गर्भपात के लिए मान्य अवधि विशेष तरह की महिलाओं के लिए बढ़ाई गई है, जिन्हें एमटीपी नियमों में संशोधन के ज़रिए परिभाषित किया जाएगा और इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य असुरक्षित महिलाएँ (विकलांग महिलाएँ, नाबालिग) भी शामिल होंगी.
इससे पहले भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट , 1971 था, जिसमें संशोधन किए गए हैं.
इस एक्ट में ये प्रावधान था कि अगर किसी महिला का 12 हफ़्ते का गर्भ है, तो वो एक डॉक्टर की सलाह पर गर्भपात करवा सकती है. वहीं 12-20 हफ़्ते में दो डॉक्टरों की सलाह अनिवार्य थी और 20-24 हफ़्ते में गर्भपात की महिला को अनुमति नहीं थी.
लेकिन इस संशोधित बिल में 12 और 12-20 हफ़्ते में एक डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी बताया गया है.
इसके अलावा अगर भ्रूण 20-24 हफ़्ते का है, तो इसमें कुछ श्रेणी की महिलाओं को दो डॉक्टरों की सलाह लेनी होगी और अगर भ्रूण 24 हफ़्ते से ज़्यादा समय का है, तो मेडिकल सलाह के बाद ही इजाज़त दी जाएगी. (bbc.com)
ओस्लो, 25 जून। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में शनिवार तड़के एक बार के निकट हुई गोलीबारी की घटना में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। नॉर्वे पुलिस ने यह जानकारी दी।
नॉर्वे की पुलिस का कहना है कि वह ओस्लो में हुई गोलीबारी की घटना को आतंकवादी हमला मानकर इसकी जांच कर रही है।
पुलिस अधिकारियों ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गोलीबारी के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया 42 वर्षीय संदिग्ध व्यक्ति ईरानी मूल का नॉर्वे का नागरिक है, जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। पुलिस ने हमलावर के पास से एक पिस्तौल और एक स्वचालित हथियार समेत दो आग्नेयास्त्र जब्त किए हैं। आरोपी ने ओस्लो के व्यस्त कारोबारी क्षेत्र के तीन स्थानों पर गोलीबारी की।
ओस्लो में गोलीबारी की यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब शहर में समलैंगिकों के समर्थन में एक वार्षिक रैली के आयोजन की तैयारियां चल रही थीं। ओस्लो के लंदन पब नामक जिस बार के बाहर यह गोलीबारी हुई, वह समलैंगिकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
पुलिस की सलाह पर आयोजकों ने समलैंगिकों के समर्थन में निकाली जाने वाली रैली और उससे संबंधित सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।
पुलिस के मुताबिक, गोलीबारी शनिवार तड़के नॉर्वे की राजधानी के केंद्र में स्थित एक बार के बाहर हुई।
पुलिस अटॉर्नी क्रिस्टियन हटलो ने कहा कि संदिग्ध को कई स्थानों पर की गयी गोलीबारी के सिलसिले में हत्या, हत्या के प्रयास और आतंकवाद के संदेह में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी के मानसिक स्वास्थ्य की भी जांच की जा रही है।
हटलो ने कहा, ‘‘हमारा समग्र आकलन यह है कि यह मानने के लिए पर्याप्त साक्ष्य एवं आधार हैं कि वह लोगों में गंभीर भय पैदा करना चाहता था।’’
इस घटना के एक अन्य चश्मदीद 46 वर्षीय मार्कस न्याबक्कन ने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में इलाके में हंगामा होने की सूचना से मिली थी।
मार्कस ने नॉर्वे के प्रसारक टीवी 2 से कहा, “जब मैं सीज़र बार में गया तो वहां बहुत सारे लोग भागने लगे थे और बहुत चीख-पुकार मच रही थी। मैंने सोचा था कि वहां किसी झगड़े के कारण ऐसा हो रहा था, इसलिए मैं बाहर निकल गया। लेकिन, फिर मैंने सुना कि यह गोलीबारी की एक घटना थी। कोई मशीनगन से गोलीबारी कर रहा था।”
गोलीबारी की यह घटना स्थानीय समयानुसार देर रात करीब एक बजे हुई, घबराए हुए लोग सड़कों पर भाग रहे थे और बंदूकधारी से छिपने की कोशिश कर रहे थे।
नॉर्वे की सरकारी प्रसारक कंपनी एनआरके के पत्रकार ओलाव रोनेबर्ग ने बताया कि उन्होंने गोलीबारी की इस घटना को अपनी आंखों से देखा।
रोनेबर्ग ने कहा, “मैंने देखा कि एक आदमी बैग के साथ वहां पहुंचा। उसने बैग से हथियार निकाला और गोलीबारी शुरू कर दी। पहले मुझे लगा कि यह एक एयर गन है। तभी बगल के बार का शीशा टूट गया और मैं समझ गया कि मुझे छिपने के लिए भागना होगा।”
पुलिस निरीक्षक टोरे सोल्डल ने कहा कि गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और गंभीर रूप से घायल 10 लोगों का उपचार चल रहा है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या गोलीबारी की इस घटना का संबंध समलैंगिकों के समर्थन में ओस्लो में शनिवार को आयोजित होने वाली रैली से था।
नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘आज रात ओस्लो में लंदन पब के बाहर हुई गोलीबारी की चौंकाने वाली घटना निर्दोष लोगों पर किया गया एक क्रूर हमला था।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि इस हमले का मकसद स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन इससे समलैंगिक समुदाय के लोगों में भय और शोक व्याप्त हो गया था। इस मुश्किल समय में हम सभी उनके साथ हैं।
नॉर्वे के सम्राट हेराल्ड पंचम ने भी गोलीबारी की इस घटना पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वह और नॉर्वे का शाही परिवार रात को हई गोलीबारी की त्रासदी से भयभीत है।
सम्राट हेराल्ड पंचम ने एक बयान में कहा, ‘‘हम इस घटना में मारे गए लोगों के सभी परिजनों और प्रभावितों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उन सभी के प्रति स्नेहपूर्ण विचार व्यक्त करते हैं जो अब डरे हुए, बेचैन और शोक में हैं। हमें स्वतंत्रता, विविधता और एक दूसरे के लिए सम्मान जैसे अपने सामाजिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए। हमें सभी लोगों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए एकजुट होना चाहिए।’’
बार में मौजूद क्रिश्चियन ब्रेडेली नामक एक व्यक्ति ने नॉर्वे के समाचार पत्र “वीजी“ को बताया कि वह लगभग 10 लोगों के समूह के साथ चौथी मंजिल पर तब तक छिपे रहे जब तक कि उन्हें यह नहीं बताया गया कि बाहर आना सुरक्षित है।
ब्रेडेली ने कहा, ‘‘कई लोगों को अपनी जान का डर सता रहा था। बाहर निकलते समय हमने कई घायल लोगों को देखा, तो हम समझ गए कि कुछ गंभीर हुआ था।’’
नॉर्वे के स्थानीय समाचार चैनल ‘टीवी-2’ पर प्रसारित वीडियो फुटेज में घबराए लोगों को ओस्लो की सड़कों पर भागते हुए देखा जा रहा है और उनके पीछे गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है।
समलैंगिकों से जुड़ी रैली के आयोजकों ने बताया कि वे पुलिस के संपर्क में हैं। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘‘हम इस दुखद घटना से स्तब्ध और दुखी हैं। हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। हमारी संवेदनाएं पीड़ितों और उनके प्रियजनों के साथ हैं।’’
गौरतलब है कि नॉर्वे में गोलीबारी की सबसे दर्दनाक घटना साल 2011 में हुई थी, जब दक्षिणपंथी विचारधारा वाले एक व्यक्ति ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी।
वर्ष 2019 में एक अन्य दक्षिणपंथी चरमपंथी ने अपनी सौतेली बहन की हत्या करने के बाद एक मस्जिद में गोलीबारी की थी, लेकिन इस घटना में किसी को नुकसान पहुंचने से पहले उसे पकड़ लिया गया था। (एपी)
ओस्लो, 25 जून | ओस्लो के एक नाइट क्लब में गोलीबारी के दौरान दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि संदिग्ध शूटर को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन शूटिंग के पीछे के मकसद का तुरंत खुलासा नहीं किया।
बीबीसी के अनुसार, लंदन पब में, एक लोकप्रिय समलैंगिक बार, साथ ही हेर निल्सन जैज क्लब के पास और लगभग 1 बजे एक टेकअवे में गोलियों की बौछार की खबरें थीं।
शूटिंग तब होती है, जब ओस्लो शनिवार को बाद में अपनी वार्षिक गौरव परेड आयोजित करने वाली है।
शूटिंग के जवाब में न्याय मंत्री एमिली एंगर मेहल ने कहा कि इस घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया था। उन्होंने कहा, "नॉर्वे एक विश्वास का समुदाय है जहां हर किसी को शनिवार की रात को बाहर सुरक्षित महसूस करना चाहिए।"
घटना का कोई अन्य विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं था। (आईएएनएस)
न्यू यॉर्क, 25 जून | हमारे सौर मंडल में पांच प्रमुख ग्रह-बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि, दुर्लभ ग्रहों की युति के लिए एक पंक्ति में हैं, जो नग्न आंखों को दिखाई देते हैं। एक स्पष्ट आकाश में ग्रहों को भोर से पहले चमकते देखा जा सकता है। बीबीसी ने शुक्रवार को बताया कि यह बुध को देखने का एक विशेष अवसर है, जो आमतौर पर सूर्य की तेज रोशनी से नजर नहीं आता है।
ग्रहों का संगम शुक्रवार की सुबह सबसे चमकीला था, लेकिन दुनिया के अधिकांश हिस्सों से सोमवार तक दिखाई देगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, पिछली बार यह संयोजन 2004 में हुआ था और इसे 2040 तक फिर से नहीं देखा जाएगा।
सोसाइटी फॉर पॉपुलर एस्ट्रोनॉमी प्रो लूसी ग्रीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिक और मुख्य स्टारगेजर बताते हैं कि ग्रह 'क्षितिज के करीब से फैले मोतियों की एक स्ट्रिंग की तरह' दिखाई देते हैं।
यह एक विशेष घटना भी है, क्योंकि ग्रह सूर्य से जिस क्रम में स्थित होते हैं, उसी क्रम में प्रकट होते हैं।
प्रो ग्रीन का कहना है कि पृथ्वी से सौर मंडल को देखने के हमारे दृष्टिकोण के कारण ग्रहों के संगम के लिए हमेशा ऐसा नहीं होता है।
शुक्रवार को एक अर्धचंद्र भी कतार में शामिल हो गया, जो शुक्र और मंगल के बीच दिखाई दे रहा है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 25 जून | अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने निर्धारित किया है कि उसका स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) मेगारॉकेट आर्टेमिस 1 उड़ान परीक्षण के लिए तैयार है। नासा ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा कि एजेंसी अब एसएलएस और ओरियन को अगले सप्ताह कैनेडी में व्हीकल असेंबली बिल्डिंग (वीएबी) में लॉन्च करने के लिए रॉकेट और अंतरिक्ष यान तैयार करेगी।
आर्टेमिस 1 नासा के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम- ओरियन स्पेसक्राफ्ट, एसएलएस रॉकेट और सपोर्टिग ग्राउंड सिस्टम का पहला एकीकृत परीक्षण होगा।
तेजी से जटिल मिशनों की श्रृंखला में पहले के रूप में, आर्टेमिस 1 मंगल पर मानव मिशन की तैयारी में चंद्रमा पर लंबी अवधि की खोज का मार्ग प्रशस्त करेगा।
नासा मुख्यालय में कॉमन एक्सप्लोरेशन सिस्टम के डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर टॉम व्हिटमेयर ने कहा, "हमने रिहर्सल चरण पूरा कर लिया है और हमने जो कुछ भी सीखा है, वह लक्ष्य लॉन्च विंडो के दौरान उठाने की हमारी क्षमता में सुधार करने में मदद करेगा।"
उन्होंने कहा, "टीम अब अगला कदम उठाने और लॉन्च की तैयारी के लिए तैयार है।"
कैनेडी के आर्टेमिस लॉन्च डायरेक्टर चार्ली ब्लैकवेल-थॉम्पसन ने कहा, "हमारी आर्टेमिस लॉन्च टीम ने प्रणोदक लोडिंग ऑपरेशन की गतिशीलता को अनुकूलित करने के लिए तेजी से काम किया है। प्रत्येक मील का पत्थर और प्रत्येक परीक्षण के साथ, हम लॉन्च के एक कदम दूर हैं।"
आर्टेमिस 1 को पहले मई 2022 के अंत में लॉन्च किया जाना था। हालांकि, इसके वेट ड्रेस रिहर्सल में कई देरी के कारण, मेगा मून रॉकेट को और आगे बढ़ाया गया है।
नासा ने पहले संकेत दिया था कि अंतिम परीक्षण की सफलता अगस्त में इसके पहले प्रक्षेपण के लिए मंच तैयार कर सकती है।
आर्टेमिस मिशन के साथ, नासा चंद्रमा पर पहली महिला और रंग के पहले व्यक्ति को उतारेगा और मंगल पर मिशन की तैयारी में दीर्घकालिक अन्वेषण स्थापित करेगा। (आईएएनएस)
रबात, 25 जून। स्पेन में घुसने की कोशिश के दौरान देश के उत्तर अफ्रीकी एन्क्लेव मेलिला से सटी मोरक्को की सीमा पर शुक्रवार को बाड़ के पास मची भगदड़ में कम से कम 18 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों पुलिसकर्मियों समेत कई अन्य घायल हो गए। मोरक्को के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कुल 133 प्रवासी शुक्रवार को मोरक्को के नाडोर शहर और मेलिला के बीच की सीमा को पार करने में सफल रहे। पिछले महीने स्पेन और मोरक्को के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों के सीमा पार करने की घटना सामने आई है।
मेलिला में स्पेन सरकार के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 2,000 लोगों ने सीमा पार करने का प्रयास किया, लेकिन कई को स्पेनिश सिविल गार्ड पुलिस और मोरक्को के सुरक्षाबलों ने बाड़ के दोनों ओर रोक दिया।
मोरक्को के गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि लोहे की बाड़ पर चढ़ने की कोशिश के दौरान भगदड़ मच गई, जिससे पांच प्रवासियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि लगभग 76 प्रवासी और मोरक्को के 140 सुरक्षा अधिकारी घायल हो गए।
मोरक्को की आधिकारिक समाचार एजेंसी एमएपी ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया कि घायल प्रवासियों में से 13 की बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो पर पहुंच गई। हालांकि, मोरक्को के मानवाधिकार संघ ने घटना में 27 लोगों की मौत होने का दावा किया है।
वहीं, स्पेन के अधिकारियों ने कहा कि 49 सिविल गार्ड्स को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि कुछ प्रवासियों ने पत्थर फेंके, जिससे पुलिस के चार वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
अधिकारियों के अनुसार, जो लोग सीमा पार करने में सफल रहे, वे एक स्थानीय प्रवासी केंद्र पहुंचे, जहां प्राधिकारी उनकी परिस्थितियों का मूल्यांकन करने में जुटे हैं।
गरीबी और हिंसा की वजह से अफ्रीका से पलायन करने वाले लोग कभी-कभी यूरोप में घुसने के लिए बड़े पैमाने पर उत्तरी अफ्रीकी तट, मेलिला और स्पेन के अन्य क्षेत्रों तक पहुंचने का प्रयास करते हैं।
प्रवासियों को सीमा से दूर रखने के लिए स्पेन ज्यादातर मोरक्को पर निर्भर रहा है।
स्पेन के अधिकारियों के मुताबिक, मार्च की शुरुआत में दो दिनों में 3,500 से अधिक लोगों ने मेलिला में लगे छह मीटर ऊंचे अवरोधक को पार करने की कोशिश की थी और लगभग 1,000 इसे पार करने में सफल भी रहे थे।
मार्च में स्पेन और मोरक्को के बीच संबंधों में सुधार के बाद शुक्रवार को प्रवासियों द्वारा सीमा लांघने का यह पहला प्रयास था। (एपी)
गर्भपात को महिला के हक़ बनाने की मांग करने वाले संगठन कोर्ट के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं. उनका कहना है कि महिला के शरीर से जुड़ा फ़ैसला सरकार का नहीं हो सकता.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है. माना जा रहा है कि इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक क़ानूनी नहीं रहेगा और इसे लेकर राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.
कोर्ट ने पचास साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
अबॉर्शन के क़ानूनी हक़ के मामले में भारत क्या अमेरिका से बेहतर है
कुछ सप्ताह पहले इस मामले के फ़ैसले से जुड़ा एक दस्तावेज़ लीक हुआ था जिसके बाद ये चर्चा शुरू हो गई ती कि कोर्ट इसके हक में फ़ैसला दे सकती है.
जानकार कहते हैं कि कोर्ट का ये फ़ैसला अमेरिका में गर्भपात के हक़ को बदल देगा क्योंकि इसके बाद हर राज्य अब इसे लेकर अपने नियम बना सकेगा.
माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.
13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद स्वत: लागू हो जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि कुछ और राज्य भी जल्द इससे जुड़े प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.
क्या है रो हनाम वेड मामला?
- 1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसे रो बनाम वेड मामला कहा गया.
- इसमें गर्भपात की सुविधाओं तक आसान पहुंच की गुहार लगाई गई और कहा गया कि गर्भधारण और गर्भपात के मामले में फ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का.
- दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने फ़ैसला दिया. गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा गया कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
- इसके बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना बाध्यकारी हो गया.
- फ़ैसले ने अमेरिकी महिला को गर्भधारण के पहले तीन महीनों में गर्भपात कराने का क़ानूनी हक़ दिया. हालांकि दूसरे ट्राइमेस्टर यानी चौथे से लेकर छठे महीने में गर्भपात को लेकर पाबंदियां लगाई गईं.
- लेकिन इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. धार्मिक समूहों के लिए ये बड़ा मुद्दा था क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है.
- इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग-अलग थे. 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा.
- इसके बाद के दशक में कई राज्यों में गर्भपात पर पाबंदियां लगाने वाले नियम लागू किए, जबकि कईयों ने महिलाओं को ये हक़ देना जारी रखा.
- सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद जानकार मानते हैं कि देश अब साफ़ तौर पर गर्भपात की इजाज़त देने वाले और इसे बैन करने वाले राज्यों में बंटा दिखेगा.
- महिलाओें के स्वास्थ्य से जुड़ी संस्था प्लान्ड पेरेन्टहुड के एक शोध के अनुसार इसके बाद अनुमानित 3.6 करोड़ महिलाओं के लिए गर्भपात की सुविधाओं तक पहुंच बाधित हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट डॉब्स बनाम जैकसन महिला स्वास्थ्य संगठन मामले में सुनवाई कर रही थी, जिसमें 15 सप्ताह से अधिक की उम्र के भ्रूण के गर्भपात को लेकर लगाई पाबंदी को चुनौती दी गई थी.
इस मामले में कोर्ट ने 06-03 वोट से राज्य सरकार के हक़ में फ़ैसला दिया था और एक तरह से गर्भपात को लेकर महिलाओं को मिले संवैधानिक हक़ को ख़त्म कर दिया.
कोर्ट के आदेश में एक जगह पर लिखा है, "हम मानते हैं कि गर्भपात कराने का हक़ संविधान प्रदत्त नहीं है... और गर्भपात के नियमन को लेकर फ़ैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए."
ये सुप्रीम कोर्ट के खुद के ही दिए पुराने फ़ैसले के विपरीत है और अभूतपूर्व है. माना जा रहा है कि इसके बाद अलग-अलग राज्यों के बीच राजनीतिक संघर्ष एक अलग स्तर तक पहुंच सकता है और पूरा देश इस मामले में विभाजित दिख सकता है.
पेन्सिल्वेनिया, मिशिगन और विस्कॉनसिन जैसे राज्यों में गर्भपात के मुद्दे पर लोगों की राय बेहद कम मार्जिन से बंटी हुई है, और यहां ये क़ानूनी हक होगा या नहीं ये फ़ैसला हर चुनाव के बाद बदल सकता है.
वहीं दूसरे राज्यों में इसे लेकर नए मुद्दों पर क़ानूनी जंग छिड़ सकती है जैसे गर्भपात के लिए नागरिक राज्य से बाहर जा कर सुविधाएं ले सकते हैं या नहीं, क्या गर्भपात के लिए मेल से दवा मंगाई जा सकती है.
कैलिफोर्निया, न्यू मेक्सिको और मिशिगन जैसे राज्यों के डेमोक्रेटिक गवर्नर पहले ही रो बनाम वेड मामले के पलटने की सूरत में अपने राज्य के संविधानों के भीतर गर्भपात का हक़ सुनिश्चित करने की योजना की घोषणा कर चुके हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने गुरुवार को कई राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों से मुलाक़ात की है और गर्भपात के हक के पक्ष में बात की. (bbc.com)
गायान (अफगानिस्तान), 24 जून। अफगानिस्तान पिछले हफ्ते आए भूकंप की तबाही से अभी उबरा भी नहीं था कि शुक्रवार को एक बार फिर उसी पूर्वी हिस्से में भूकंप का झटका महसूस किया गया, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 11 लोग घायल हो गए।
सरकारी समाचार एजेंसी बख्तर ने यह जानकारी दी और कहा कि यह कम तीव्रता का भूकंप था। एजेंसी ने बताया कि बुधवार तड़के इसी इलाके में 6 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें मरने वालों की संख्या बढकर करीब 1,150 हो गई है।
भूकंप का झटका भयानक गरीबी से जूझ रहे दूरदराज के एक पहाड़ी क्षेत्र में महसूस किया गया। भूकंप ऐेसे समय में आया है, जब पूरा देश आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद कई देशों ने महत्वपूर्ण वित्तपोषण और सहायता बंद कर दी। इससे स्थिति की गंभीरता बढ़ गई।
पाकिस्तान के मौसम विभाग ने शुक्रवार को 4.2 तीव्रता वाले भूकंप आने की सूचना दी, वहीं बख्तर समाचार एजेंसी ने बताया कि गायान जिले में भकंप में पांच और लोगों की मौत हो गई तथा 11 लोग घायल हो गए।
सरकारी मीडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते आए भूकंप के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,150 हो गई है। ईंट और पत्थरों से बने घर भूकंप के कारण मलबे में तब्दील हो गए हैं और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में लाखों बच्चों के गंभीर कुपोषण की चपेट में आने का खतरा है। बुधवार को आए छह तीव्रता वाले भूकंप ने हजारों लोगों का आसरा छीन लिया है। सरकारी मीडिया ने बताया कि पिछले दिनों आए भूकंप में करीब 3,000 मकान नष्ट हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
स्थानीय ‘रेड क्रीसेंट’ और ‘वर्ल्ड फूड प्रोग्राम’ जैसे सहायता संगठन सबसे कमजोर परिवारों को भोजन और अन्य आपातकालीन जरूरतों मुहैया करा रहे हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी बख्तर के तालिबान निदेशक अब्दुल वाहिद रायन ने शुक्रवार को कहा कि पिछली रिपोर्ट के अनुसार 1,000 लोग मारे गए थे और ताजा रिपोर्ट के अनुसार मृतकों की संख्या बढ़कर 1,150 हो गई है। उन्होंने कहा कि कम से कम 1,600 लोग घायल हुए हैं।
मानवीय कार्य के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने मरने वालों की संख्या 770 बताई है। गायान जिले में भूकंप से कम से कम 1,000 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। खोस्त प्रांत के स्पेरा जिले में 800 मकानों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि आधुनिक इमारतें छह तीव्रता वाले भूकंप का सामना करने में सक्षम रहीं।
जर्मनी, नॉर्वे और कई अन्य देशों ने घोषणा की कि वे भूकंप प्रभावितों के लिए सहायता भेज रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे केवल संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से काम करेंगे, तालिबान के साथ नहीं, जिसे अब तक किसी भी सरकार ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।
भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री से भरे ट्रक पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचे और मानवीय सहायता सामग्री से भरे विमान ईरान और कतर में उतरे। भारत ने कहा है कि उसकी सहायता सामग्री वहां मौजूद एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी को सौंपी जाएगी। (एपी)
वाशिंगटन, 24 जून | रक्षा विभाग (डीओडी) ने शुक्रवार को घोषणा की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मौजूदा रूसी आक्रमण के मद्देनजर यूक्रेन की महत्वपूर्ण हथियारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 450 मिलियन डॉलर तक की निकासी को अधिकृत किया है। विभाग ने एक बयान में कहा कि डीओडी शेयरों में यह 13वां प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाउन है।
पेंटागन के कार्यवाहक प्रेस सचिव टॉड ब्रेसेले के हवाले से कहा गया, "अमेरिका ने बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में लगभग 6.8 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 24 फरवरी को रूस के अकारण आक्रमण की शुरुआत के बाद से लगभग 6.1 अरब डॉलर शामिल हैं।"
विभाग ने पुष्टि की है कि पैकेज में चार उच्च-गतिशीलता आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम, 105 मिमी गोला बारूद के 36,000 राउंड, 155 मिमी तोपखाने के लिए 18 सामरिक वाहन, 1,200 ग्रेनेड लांचर, 2,000 मशीनगन, 18 तटीय और नदी के किनारे गश्ती नौकाएं, स्पेयर पार्ट्स और अन्य उपकरण शामिल हैं।
अमेरिका ने अब बाइडेन प्रशासन की शुरुआत के बाद से यूक्रेन को सुरक्षा सहायता में लगभग 6.8 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें 24 फरवरी को रूस द्वारा युद्ध शुरू करने के बाद से लगभग 6.1 बिलियन डॉलर शामिल हैं।
डीओडी ने कहा कि अमेरिका ने 2014 से यूक्रेन को 8.7 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता देने का वादा किया है। (आईएएनएस)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 23 जून | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक आरती प्रभाकर को ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (ओएसटीपी) के डायरेक्टर के पद के लिए नामित किया गया है। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस ने दी।
व्हाइट हाउस ने कहा कि उनका नामांकन बुधवार को सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
दरअसल, पद ग्रहण करने से पहले उन्हें सीनेट की मंजूरी की जरूरत होगी, जिसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। अगर सीनेट उन्हें मंजूरी देता है तो वह ओएसटीपी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और अश्वेत होंगी।
व्हाइट हाउस ने एमआरएनए आधारित कोविड 19 वैक्सीन को महामारी से बहुत पहले संभव बनाने में मदद करने का श्रेय दिया।
व्हाइट हाउस ने कहा, आरती प्रभाकर ने 2012 से 2017 तक डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (डीएआरपीए) के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रैपिड-रिस्पांस एमआरएनए वैक्सीन तैयार करने में मदद की, जो कोविड-19 के जवाब में विश्व इतिहास में सबसे तेज सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन थी।
बाइडेन ने कहा कि वह एक शानदार और सम्मानित इंजीनियर और अप्लाइड-फिजिस्ट हैं। वो हमारी संभावनाओं का विस्तार करने, हमारी सबसे मुश्किल चुनौतियों को हल करने और नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए ओएसटीपी का नेतृत्व करेंगी।
अगर सीनेट द्वारा उन्हें मंजूरी मिल जाती है, तो वह अमेरिकी कैबिनेट में सेवा देने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी होंगी।
पहली निक्की हेली थीं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में कैबिनेट रैंक के साथ संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था।
पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने प्रभाकर को 1993 में राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसटी) का प्रमुख बनाया था। 34 साल की उम्र में एनआईएसटी का नेतृत्व करने वाली भी वह पहली महिला थीं।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें डीएआरपीए का प्रमुख बनाया।
प्रभाकर ने सिलिकॉन वैली में एक कार्यकारी और एक उद्यम पूंजीपति के रूप में 15 वर्षो तक काम किया। (आईएएनएस)
ह्यूस्टन, 23 जून | टेक्सास के उवाल्डे में 24 मई को स्कूल में हुई गोलीबारी में 19 बच्चों और दो शिक्षकों की जान लेने का दावा करने वाले एक पुलिस प्रमुख को छुट्टी पर भेजा है। बीबीसी ने बताया, "बुधवार को एक बयान में स्कूल जिला अधीक्षक हैल हरेल ने कहा, उन्होंने स्कूल जिला पुलिस बल के प्रमुख प्रेडो अरेडरेडो को प्रशासनिक अवकाश पर तुरंत प्रभावी कर दिया था।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने मूल रूप से कार्मिक निर्णय लेने से पहले जांच पूरी होने तक प्रतीक्षा करने की योजना बनाई थी।
18 वर्षीय बंदूकधारी सल्वाडोर रामोस का सामना करने में कानून प्रवर्तन में देरी के लिए स्कूल जिला पुलिस बल के प्रमुख अरेर्डोडो को दोषी ठहराया गया है।
रॉब एलीमेंट्री स्कूल में गोलीबारी के कुछ ही दिनों बाद, टेक्सास के सार्वजनिक सुरक्षा विभाग के निदेशक स्टीवन मैकक्रॉ ने दावा किया था कि स्थानीय पुलिस ने स्कूल की कक्षा को भंग करने के लिए लगभग एक घंटे तक प्रतीक्षा करके गलत निर्णय लिया, जहां रामोस ने बच्चों और शिक्षकों को गोली मारने से पहले गोली मार दी थी।
मैकक्रॉ के अनुसार, हमले के दौरान लगभग 20 अधिकारी कक्षा के बाहर खड़े थे।
मंगलवार को एक राज्य सीनेट की सुनवाई में मैकक्रॉ ने कहा कि अरेर्डोडो ने बच्चों के जीवन से पहले अधिकारियों के जीवन को रखने का फैसला किया और प्रतिक्रिया को घोर विफलता करार दिया।
2007 में वर्जीनिया टेक शूटिंग और 2012 में सैंडी हुक एलीमेंट्री स्कूल की शूटिंग और टेक्सास में सबसे घातक शूटिंग के बाद, यह अमेरिका में तीसरी सबसे घातक स्कूल में हमला किया गया था।
गन वायलेंस आर्काइव के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में वर्ष की शुरुआत से अब तक 267 सामूहिक गोलीबारी देखी गई है, जिसमें 20,000 से अधिक लोग हिंसा में मारे गए हैं। (आईएएनएस)
लंदन, 23 जून | ब्रिटेन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने लंदन में सीवेज के नमूनों में पोलियो वायरस पाया है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) के अनुसार, लंदन बेकटन सीवेज ट्रीटमेंट वर्क्स से एकत्र किए गए सीवेज के नमूनों में पोलियोवायरस संभवत: किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा लंदन में आयात किया गया था जिसे हाल ही में वायरस के एक जीवित रूप के साथ विदेशों में टीका लगाया गया था।
वायरस का विकास जारी है और अब इसे 'वैक्सीन-ड्राइव्ड' पोलियोवायरस टाइप 2 (वीडीपीवी2) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह दुर्लभ अवसरों पर उन लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जैसे कि लकवा, जिन्होंने पूरी से टीकाकरण नहीं करवाया है।
यूकेएचएसए ने कहा कि हालांकि, वायरस केवल सीवेज के नमूनों में पाया गया है और देश में पक्षाघात का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
इसमें कहा गया है कि यह स्थापित करने के लिए आगे की जांच चल रही है कि क्या कोई सामुदायिक प्रसारण हो रहा है।
फिर भी अधिकारियों ने कहा कि वैक्सीन-ड्राइव्ड पोलियोवायरस दुर्लभ है और समग्र रूप से जनता के लिए जोखिम बेहद कम है।
यूकेएचएसए में सलाहकार महामारी विशेषज्ञ वैनेसा सलीबा ने एक बयान में कहा, "वैक्सीन-ड्राइव्ड पोलियोवायरस में फैलने की क्षमता होती है, खासकर उन समुदायों में जहां टीके का सेवन कम होता है। दुर्लभ अवसरों पर यह उन लोगों में पक्षाघात का कारण बन सकता है, जिन्हें पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है।"
उन्होंने लोगों से पोलियो के टीके के बारे में अप टू डेट रहने का भी आग्रह किया, खासकर छोटे बच्चों के माता-पिता, जो शायद टीकाकरण का अवसर चूक गए हैं।
फरवरी से मई के बीच लिए गए सीवेज के नमूनों में कई करीबी वायरस भी पाए गए।
2003 में यूके को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था। यूके में अनुबंधित वाइल्ड पोलियो के अंतिम मामले की पुष्टि 1984 में हुई थी। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 23 जून। पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी अपनी पसंद का सेना प्रमुख बनाने की योजना नहीं बनाई, जैसा की उनके विरोधियों ने आरोप लगाया है।
इस्लामाबाद में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने अपनी पसंद का सेना प्रमुख नियुक्त करने का बारे में कभी नहीं सोचा था।
उन्होंने कहा, ‘‘अल्लाह मेरा गवाह है। मैंने कभी नहीं सोचा कि नवंबर में सेना प्रमुख कौन होगा। इमरान खान को अपना सेना प्रमुख नियुक्त करने की जरूरत नहीं है।’’
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख का कार्यकाल नवंबर 2022 में समाप्त होना है।(भाषा)
कई विपक्षी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा है कि उनकी द्रौपदी मुर्मू से व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि वे उन्हें अच्छी तरह जानते हैं और उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देते हैं.
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए दो बैठकें की. और आख़िरकार टीएमसी के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति हुई.
लेकिन विपक्षी दलों की पहली पसंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार थे, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया. फिर गोपालकृष्ण गांधी और फारूक़ अब्दुल्लाह के नाम पर भी चर्चा हुई.
इस बारे में यशवंत सिन्हा ने कहा- जीवन में बहुत बार मेरे साथ ऐसा हुआ है कि मैं दूसरी पसंद रहा हूँ. पहली पसंद नहीं रहा हूँ. लेकिन किसी परिस्थितिवश दूसरी पसंद होते हुए भी वो पद हमीं को मिला. और उसका पूरा उपयोग किया राष्ट्रहित में. इस बार दूसरा नहीं चौथा उम्मीदवार हूँ. तो हमारी जीत की संभावना भी डबल हो जाती है.
द्रौपदी मुर्मू के बारे में यशवंत सिन्हा ने कहा कि उनकी उनसे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं. उन्होंने कहा- उनको मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ. अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ. लेकिन ये लड़ाई है मुद्दों की. ये लड़ाई है भारत के संविधान को बचाने की.
बीजेपी की अगुआई में एनडीए ने मंगलवार शाम द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं और झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.
तालिबानी अधिकारियों के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में आए शक्तिशाली भूकंप में कम से कम 920 लोगों की मौत हो गई है और 600 से अधिक घायल हुए हैं.
सोशल मीडिया पर आ रही तस्वीरों में वहां हुए भारी भूस्खलन और तहस-नहस हुए मिट्टी के घर दिख रहे हैं. सबसे ज़्यादा नुक़सान पूर्वी प्रांत पक्तिका में हुआ है, वहां बचाव दल घायलों के इलाज के लिए कोशिश कर रहे हैं.
इस प्रांत में बड़ी संख्या में घर मलबे में तब्दील हो गए हैं. यहाँ से आ रही तस्वीरों में घायलों को स्ट्रेचर में ले जाते देखा जा सकता है. दूर-दराज़ के इलाक़ों से हेलिकॉप्टर के ज़रिए घायलों को अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है.
तालिबान के नेता हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ने बताया है कि सैकड़ों घर तबाह हो गए हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
तालिबान के आपदा प्रबंधन के उप मंत्री शरफ़ुद्दीन मुस्लिम ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कम-से-कम 920 लोग मारे गए हैं और 600 से अधिक घायल हुए हैं.
जानकारी के मुताबिक़, भूकंप का केंद्र दक्षिणी पूर्वी शहर ख़ोस्त से 44 किलोमीटर दूर स्थित था.
भूकंप के झटके अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारत तक महसूस किए गए. जानकारी के मुताबिक़, भूकंप के झटके अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक महसूस किए गए.
तालिबान के एक प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्वीट के ज़रिए जानकारी दी है कि भूकंप में सैकड़ों लोगों की जान गई है. करीमी ने प्रभावित ज़िलों के नाम नहीं बताए. भूकंप स्थानीय समय के अनुसार, आधी रात के बाद 1.30 बजे (भारत के अनुसार रात 2.30 बजे) आया. उस समय लोग अपने घरों में सो रहे थे.
अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिका प्रांत के अलावा भूकंप का असर ख़ोस्त, गज़नी,लोगार, काबुल, जलालाबाद और लग़मन में भी हुआ है.
तालिबानी अधिकारियों ने राहत एजेंसियों से भूकंप से प्रभावित देश के पूर्वी इलाक़ों में पहुंचने का अनुरोध किया है.
एक स्थानीय डॉक्टर ने बीबीसी को बताया है कि हताहत होने वाले ज़्यादातर लोग पक्तिका प्रांत के गयान और बरमाल ज़िलों के हैं. स्थानीय वेबसाइट इतिलाते रोज़ के अनुसार गयान ज़िले का एक पूरा गांव बर्बाद हो गया है.
दशकों से युद्ध से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान ने भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए कोई ख़ास उपाय अब तक नहीं किए हैं. ऐसे में आपदाओं के आने पर देश के लिए उससे निबट पाना बहुत कठिन हो जाता है. हालांकि राहत एजेंसियों ने पिछले कुछ सालों में कई इमारतों को मज़बूत बनाया है.
अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा है कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.1 थी. भूकंप का केंद्र ख़ोस्त से 44 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम दिशा में था.
अफ़ग़ानिस्तान के ग्रामीण इलाक़ो में अधिकतर घर मिट्टी के होते हैं जो भूकंप के झटके सह नहीं पाते हैं. इसी कारण वहां नुकसान भी अधिक होता है. (bbc.com)
लाहौर, 22 जून | पाकिस्तान के महान क्रिकेटर जहीर अब्बास की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें लंदन के एक अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया है। क्रिकेट पाकिस्तान की एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 74 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर को गंभीर स्थिति में सेंट मैरी अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया।
पूर्व टेस्ट कप्तान को दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस और ऑस्ट्रेलिया की पूर्व महिला क्रिकेटर लिसा स्टालेकर के साथ 2020 में आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था।
अब्बास यूएई से लंदन की यात्रा के बाद कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे। उन्हें कुछ दिन पहले किडनी में दर्द के साथ अस्पताल लाया गया था। बाद में पता चला कि पूर्व क्रिकेटर निमोनिया से भी पीड़ित थे।
अब्बास के प्रथम श्रेणी बल्लेबाजी के आंकड़े आश्चर्यजनक हैं, दिग्गज खिलाड़ी ने 459 मैचों में 34,843 रन बनाए हैं, जिसमें 108 शतक और 158 अर्धशतक शामिल हैं। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने एक टेस्ट और तीन एकदिवसीय मैचों में आईसीसी मैच रेफरी के रूप में भी काम किया।
(आईएएनएस)
मेक्सिको सिटी, 22 जून | मेक्सिको में पिछले 9 हफ्तों में कोविड 19 के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इस अवधि में कोई भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ है और न ही महामारी से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसकी सूचना प्रीवेंशन और हेल्थ प्रोमोशन के अंडरसेक्रेटरी ह्यूगो लोपेज गैटेल ने दी। लोपेज गैटेल ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान में कोरोना का प्रकोप कुछ महीने पहले संक्रमण की चौथी लहर की तुलना में अधिक मध्यम गति से फैल रहा है। इसके पीछे का कारण ओमिक्रोन बीए.4 और बीए.5 वेरिएंट है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लोपेज गैटेल ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के दौरान अस्पताल में भर्ती होने या मौतों की संख्या में किसी भी तरह की बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है।
लोपेज गैटेल ने कहा, "देश भर में प्रतिदिन औसतन पांच मौतें होती हैं, जो विशेष रूप से दूसरी लहर के दौरान देखा गया था, लेकिन उसकी तुलना में यह काफी कम है।"
सोमवार तक, मेक्सिको ने 5,877,837 कोविड-19 मामलों की पुष्टि की थी। (आईएएनएस)
लंदन, 22 जून | ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कुछ गे और बायसेक्सुअल पुरुषों, जिनमें मंकीपॉक्स होने का खतरा अधिक है, उन्हें वैक्सीन लगाई जानी चाहिए। बीबीसी के अनुसार, यह कदम ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। देश में अब तक इस वायरस से 793 लोग संक्रमित हो चुके हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंकीपॉक्स को यौन संचारित संक्रमण के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। हालांकि, यह यौन संबंध के दौरान, बिस्तर, तौलिये और स्किन के साथ संपर्क में आने से भी फैलता है।
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने कहा कि चेचक से बचाव के लिए बनाई गई वैक्सीन इम्वेनेक्स मंकीपॉक्स के संपर्क में आए मरीजों को वायरस से उबरने में मदद कर सकती है।
वैक्सीन इम्वेनेक्स मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी है। इसको यूके के वैक्सीन विशेषज्ञों, संयुक्त टीकाकरण और प्रतिरक्षा समिति (जेसीवीआई) द्वारा मंजूरी मिल चुकी है। (आईएएनएस)