अंतरराष्ट्रीय
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 22 सितंबर। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के सामने पेश हुए और एक महिला न्यायाधीश के खिलाफ की गई अपनी विवादित टिप्पणी के लिए माफी मांगने की इच्छा जताई, जिसके बाद उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
अदालत द्वारा महिला न्यायाधीश के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए 69 वर्षीय खान को अवमानना की कार्यवाही में आधिकारिक तौर पर अभ्यारोपित किए जाने की संभावना थी।
खान कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच अदालत में पेश हुए।
खान की ओर से अपनी विवादास्पद टिप्पणी के लिए अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी से माफी मांगने की इच्छा व्यक्त करने के बाद, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही स्थगित कर दी।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह की अगुवाई वाली बड़ी पीठ कर रही थी जिसमें न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कियानी, न्यायमूर्ति मियां गुल हसन औरंगज़ेब, न्यायमूर्ति महमूद जहांगीर और न्यायमूर्ति बाबर सत्तार शामिल हैं।
जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष ने अपना बयान रिकॉर्ड में रखने की इजाजत मांगी और कहा कि उन्हें पिछली सुनवाई पर भी बोलने से रोक दिया गया था।
पूर्व क्रिकेटर एवं सियातसदां ने अदालत से कहा, “ मैं महिला न्यायाधीश से माफी मांगने को तैयार हूं।” उन्होंने कहा, “अदालत को लगता है कि मैंने हद पार की है। मेरा इरादा महिला न्यायाधीश को धमकाना नहीं था। अगर अदालत कहती है तो मैं व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश के पास जाकर माफी मांगने के लिए तैयार हूं।”
उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया, "मैं भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करूंगा।" उन्होंने कहा, "अगर मैंने हद लांघी है तो मुझे खेद है।"
मुख्य न्यायाधीश मिनाल्लाह ने खान से कहा, “ व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश से मिलना, आपका निजी फैसला होगा.. अगर आपको गलती का एहसास हो गया है और आप इसके लिए माफी मांगने के लिए तैयार हैं... तो यह काफी है।”
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री से कहा कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें उन बातों का विवरण हो जो उन्होंने कही हैं और मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी।
राजधानी में 20 अगस्त को एक रैली के दौरान, खान ने अपने सहयोगी शाहबाज़ गिल के साथ की गई बदसुलूकी को लेकर शीर्ष पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की धमकी दी थी। गिल को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने न्यायाधीश ज़ेबा चौधरी के उस फैसले पर ऐतराज़ जताया था जिसमें उन्होंने गिल को दो दिन की हिरासत में भेजने की पुलिस की गुज़ारिश को स्वीकार कर लिया था और कहा था कि उन्हें तैयार रहना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
भाषण के कुछ घंटों बाद, खान पर अपनी रैली में पुलिस, न्यायपालिका और राज्य के अन्य संस्थानों को धमकाने के आरोप में आतंकवाद रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था।
न्यायमूर्ति आमिर फारूक ने गिल की पुलिस रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए खान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया था।
उच्च न्यायालय ने अदालत को संतुष्ट करने के वास्ते लिखित जवाब देने का खान को दो बार मौका दिया था, लेकिन वह अदालत को संतुष्ट करने में नाकाम रहे। इसके बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अभ्यारोपित करने की घोषणा की थी। (भाषा)
अमेरिकी डॉलर की तुलना में गुरुवार को भारतीय रुपये में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गयी है. बुधवार को भारतीय रुपया 79.98 के स्तर तक पहुंच गया था.
लेकिन गुरुवार को भारतीय मुद्रा में गिरावट जारी रही.
इसके साथ ही डॉलर की तुलना में रुपया 80.47 के स्तर पर पहुंच गया है.
सरल शब्दों में कहें तो फॉरेन एक्सचेंज पर एक डॉलर के बदले में 80.47 रुपये मिल सकते हैं.
रुपये में गिरावट के लिए अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज़ दरों में बढ़त को ज़िम्मेदार माना जा रहा है. (bbc.com/hindi)
ईरान में एक महिला महसा आमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन थमता हुआ नज़र नहीं आ रहा है. लगातार पांचवे दिन ईरान के अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी है.
बीबीसी को तेहरान, तालेश, मशाद, ज़हेदान, अहवाज़, सिरजन, अमोल, केशम और नौशहर समेत तमाम अन्य शहरों से वीडियो मिले हैं.
इन विरोध प्रदर्शनों में 'तानाशाह की मौत हो' के नारे लगाए जा रहे हैं. ये नारा ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामनेई के लिए लगाया जा रहा था.
पांचवे दिन हुए विरोध प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों से भिड़ते हुए नज़र आए. इसके साथ ही ईरान के कई हिस्सों में सोशल मीडिया एप्स जैसे इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को प्रतिबंधित कर दिया गया है.
महिलाओं ने लगातार पांचवे दिन भी कई जगहों पर हिजाब जलाकर विरोध करना जारी रखा है.
ईरान में ताज़ा प्रदर्शनों की शुरूआत महसा आमिनी नाम की एक लड़की की पुलिस हिरासत में मौत के बाद शुरू हुए हैं.
ईरान के कुर्दिस्तान प्रांत की 22 वर्षीया महसा आमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.
उन्हें पिछले हफ़्ते तेहरान में 'हिजाब से जुड़े नियमों का कथित तौर पर पालन नहीं करने के लिए' गिरफ़्तार किया गया था.
तेहरान की मोरलिटी पुलिस का कहना है कि ईरान में 'सार्वजनिक जगहों पर बाल ढँकने और ढीले कपड़े पहनने' के नियम को सख़्ती से लागू करने के सिलसिले में कुछ महिलाएँ हिरासत में ली गई थीं.महसा भी उनमें थीं.
तेहरान पुलिस के कमांडर हुसैन रहीमी ने सोमवार को कहा कि पुलिस के ख़िलाफ़ 'कायराना इल्जाम' लगाए जा रहे हैं. महसा के साथ कोई हिंसा नहीं की गई थी और पुलिस उन्हें ज़िंदा रखने के लिए जो कुछ भी कर सकती थी, पुलिस ने किया. (bbc.com/hindi)
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आंशिक लामबंदी की घोषणा के विरोध में रूस में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं. पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध के लिए लाखों रिज़र्व सैनिकों को ड्यूटी पर बुलाया जाएगा और हथियारों में निवेश भी बढ़ाया जाएगा.
पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को लोगों को गिरफ़्तार किया है. रूसी मानवाधिकार संगठन ओवीडी-इन्फो के मुताबिक़, गिरफ़्तार होने वालों की संख्या एक हज़ार से ज़्यादा है.
मॉस्को और सेंट पीट्सबर्ग में सबसे ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इसके साथ ही पुलिस ने साइबेरियाई शहरों इरकुत्स्क और याकातेरिबर्ग में दर्जनों लोगों को गिरफ़्तार किया है.
पुतिन के एलान के बाद रूस से बाहर जाने वाली फ़्लाइट्स की बुकिंग में भी जबरदस्त तेजी देखी गयी. कुछ समय बाद एक भी फ़्लाइट में जगह नहीं बची.
मॉस्को के प्रॉसिक्यूटर ऑफिस ने बुधवार को चेतावनी दी है कि इंटरनेट पर अनाधिकृत विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए आह्वान करने या उनमें हिस्सा लेने पर 15 सालों तक जेल में रहने की सजा दी जा सकती है.
यूक्रेन युद्ध से जुड़ा “दुष्प्रचार” फैलाने पर कड़ी सजाएं देने के प्रावधानों एवं पुतिन विरोधी सामाजिक कार्यकर्ताओं की पुलिस प्रताड़ना के बाद रूस में सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन काफ़ी दुर्लभ हो गए हैं.
पुतिन ने बीते बुधवार आंशिक सैन्य लामबंदी का एलान किया है जिसका अर्थ तीन लाख आरक्षित सैनिकों को भेजा जाना है.
पुतिन ने टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में कहा है कि वह रूस की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए ‘सभी उपलब्ध साधनों’ का इस्तेमाल करेंगे.
पश्चिमी दुनिया में पुतिन के इस बयान का अर्थ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से लगाया जा रहा है. यूक्रेन और उसके सहयोगियों ने पुतिन के इस बयान की निंदा की है. (bbc.com/hindi)
-स्टीव रोज़नबर्ग
आज से पहले तक रूस दावा करता रहा है कि यूक्रेन में उसका सैन्य अभियान योजना के अनुसार ही चल रहा है.
लेकिन अब ऐसा नहीं है.
व्लादिमीर पुतिन रूसी सेना के रिज़र्व सैनिकों को वापस बुलाने का एलान करके ये मान चुके हैं कि युद्ध के मैदान पर उन्हें अतिरिक्त सैनिकों की ज़रूरत है.
रूसी राष्ट्रपति को सुनने से ऐसा नहीं लगता कि उन्हें सात महीने पहले यूक्रेन पर हमला करने का ज़रा भी खेद है.
पुतिन ने बताया है कि रूस की दिक्कतों के लिए पश्चिमी देश ज़िम्मेदार हैं. ये कहते हुए उन्होंने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे रूस को तोड़ना चाहते हैं.
उन्होंने कहा है, “अगर रूस की क्षेत्रीय अखंडता को ख़तरा पैदा होता है तो हम उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे."
रूस ने यूक्रेन के जिन इलाक़ों पर हाल में कब्ज़ा किया है वहाँ आने वाले दिनों में जनमत संग्रह करवाया जा रहा है.
ये यूक्रेन और पश्चिमी देशों को सीधा संदेश है – हमने जिस ज़मीन पर कब्जा किया है और जिस पर हम दावा करेंगे, उसे वापस लेने की कोशिश न की जाए.
ये स्पष्ट करने के लिए उन्होंने धमकी दे डाली है.
उन्होंने कहा है, “जो हमें परमाणु हथियारों से धमकाने की कोशिश करते हैं, उन्हें ये पता होना चाहिए कि हवाएं उनकी तरफ़ भी बह सकती हैं.” (bbc.com/hindi)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को यूक्रेन में युद्ध के लिए आंशिक लामबंदी का एलान किया है. इसका अर्थ है कि यूक्रेन युद्ध में रूस और अधिक संसधान और सैन्य टुकड़ियों को शामिल करेगा.
पुतिन ने टीवी पर प्रसारित हुए देश के नाम संबोधित अपने भाषण में कहा है कि ‘यह रूस की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए ये एक ज़रूरी कदम था.’
उन्होंने कहा कि ‘पश्चिमी दुनिया रूस का ख़ात्मा चाहती थी जैसे उसने सोवियत संघ का ख़ात्मा ककर दिया.’
भाषण में क्या कहा –
- पुतिन ने यूक्रेन में जारी सैन्य संघर्ष में अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेजने का एलान किया है. इसका अर्थ ये है कि रूसी सेना में सेवाएं दे चुके लोगों को वापस बुलाया जाएगा.
- इन सैन्य टुकड़ियों की रवानगी आज से शुरू होगी.
- पुतिन ने पश्चिमी देशों पर रूस को परमाणु हमले के नाम पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है.
- पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देशों की धमकियों का जवाब देने के लिए उनके पास काफ़ी हथियार हैं.
- उन्होंने कहा है कि डोनबास में ‘अपनों’ की सुरक्षा के लिए हर संभव साधन जुटाए जाएंगे.
- उन्होंने रूस में हथियारों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फंडिंग का आदेश दिया है.
- रूसी संसद दूमा के सदस्य येवगेनी पोपोव ने बीबीसी को बताया है कि ‘जैसा मैं समझता हूं, कुछ अनुभवी सैनिकों को तैनात किया जाएगा और जो लोग अभी-अभी सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें बुलाया जा सकता है. ये आम लोगों को युद्ध के मैदान में भेजने की बात नहीं है.’ (bbc.com/hindi)
-सोफिया बेट्टिज़ा
इज़ियम शहर पर यूक्रेन के दोबारा क़ब्ज़े के बाद रूसी सेना के अत्याचारों के आरोप सामने आ रहे हैं. इस शहर में रह रहे श्रीलंकाई लोगों के एक समूह ने रूसी सेना पर अत्याचार के आरोप लगाए हैं.
रूसी सैनिकों के ज़ुल्म की दास्तां बयान करने वाले इन श्रीलंकाई नागरिकों को यहां कई महीनों से क़ैद रखा गया था.
इन कैदियों में से एक दिलुजान पतथिनाजकन ने कहा, '' ऐसा लग रहा था कि हम यहां से ज़िंदा नहीं निकल पाएंगे. ''
दिलुजान उन सात श्रीलंकाई लोगों में से एक हैं जिन्हें रूसी सैनिकों ने मई में पकड़ लिया था. रूसी हमले में अपनी जान को ख़तरे में देखते हुए यह समूह कुपियांस्क में अपने घर से ज़्यादा सुरक्षित खारकीएव की ओर से निकला था. कुपियांस्क से खारकीएव 120 किलोमीटर दूर है.
लेकिन पहली ही चेक पोस्ट पर श्रीलंकाई लोगों का ग्रुप रूसी सैनिकों के हाथ पड़ गया. इन सैनिकों ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी. उनके हाथ पीछे की ओर बांध दिए गए और उन्हें रूसी सीमा के पास वोवचांस्क में एक मशीन टूल फैक्टरी में ले जाया गया.
ये चार महीने के उनके दु:स्वप्न की शुरुआत थी. उन्हें यहीं बंद रखा गया. उनसे ज़बर्दस्ती काम लिया जाता था और प्रताड़ना भी दी जाती थी.
श्रीलंकाई लोगों का यह दल यूक्रेन में रोज़गार या पढ़ाई के लिए आया था. लेकिन अब वे क़ैदी थे जो रूसियों के क़ब्जे़ में नाम मात्र के भोजन पर ज़िंदा थे. इन कै़दियों को दिन में एक बार सिर्फ़ दो मिनट के लिए टॉयलेट जाने की इजाज़त थी.
उम्र के तीसरे दशक में चल रहे पुरुषों को एक कमरे में बंद रखा गया था. जबकि 50 साल की महिला मेरी एडिट उथाजकुमार को उनसे अलग रखा गया था.
वह बताती हैं,'' उन्होंने हमें एक कमरे में बंद रखा था. हम जब नहाने निकलते थे तो रूसी सैनिक हमारी पिटाई करते थे. उन्होंने मुझे दूसरे बंधकों से मिलने भी नहीं दिया. हम तीन महीने तक अंदर फंसे रहे. ''
मेरी का चेहरा पहले ही श्रीलंका में हुए एक विस्फोट में झुलस चुका है. उन्हें दिल की बीमारी है. लेकिन यहां उन्हें इसकी कोई दवा नहीं दी गई.
लेकिन अकेले कमरे में बंद रखे जाने का उनके स्वास्थ्य पर ज्यादा असर हुआ है.
वह कहती हैं, ''अकेले बंद रखे जाने की वजह से मैं काफी तनाव में आ जाती थी. रूसी सैनिकों ने कहा कि मेरा मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है. मुझे दवा दी जाती थी, लेकिन मैंने नहीं ली. ''
पैर के अंगूठे के नाखून उखाड़े
दूसरे लोगों पर भी ज़ुल्म ढाए गए. कै़द किए गए एक शख्स ने जूते उतारकर अपना अंगूठा दिखाया. उनके अंगूठे के नाखून प्लायर से निकाल लिए गए थे. एक और शख्स को प्रताड़ित किया गया था.
बंधक बनाए लोगों का कहना है कि उन्हें बिना वजह के पीटा जाता था. रूसी सैनिक शराब पीकर उन पर टूट पड़ते थे..
35 साल के थिनेश गगनथिन बताते हैं, '' एक सैनिक ने मेरे पेट में घूंसे मारे. इससे मैं दो दिनों तक दर्द से तड़पता रहा. इसके बाद उसने मुझसे पैसे मांगे''.
25 साल के दिलुकशान रॉबर्टक्लाइव ने बताया, ''हमें बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था. हम बेहद दुखी थी और हर दिन रोते थे. हमें सिर्फ एक ही चीज ने जिंदा रखा था, वह थी हमारी प्रार्थना. दूसरी चीज थी हमारे परिवार की यादें ''
रूस ने यूक्रेन पर हमले के दौरान नागरिकों को निशाना बनाए जाने या युद्ध अपराधों को अंजाम देने से इनकार किया है. लेकिन श्रीलंकाई नागरिकों पर जुल्म की यह ख़बर ऐसे वक्त में आई है जब रूसी सैनिकों पर ऐसे आरोप लगातार लग रहे हैं.
'शवों पर यातना के निशान'
यूक्रेन इज़ियम की क्रबगाहों से शवों के अवशेष निकाल रहा है. कुछ शवों के शरीर पर यातना के निशान हैं.
यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदोमीर जे़लेंस्की ने कहा ,''खारकीएव में आजाद कराए जा रहे इलाकों और कई शहरों में दस से अधिक टॉर्चर चैंबर मिले हैं. ''
रूसी सैनिकों की कैद से इन श्रीलंकाई लोगों को तब छुड़ाया गया है, जब यूक्रेनी सैनिकों ने इस महीने वोवचांस्क समेत कई इलाकों पर दोबारा कब्जा करना शुरू किया.
रूसी सैनिकों के कब्जे से रिहा श्रीलंकाई लोगों का यह दल एक बार फिर खारकीएव की ओर चल पड़ा था. लेकिन उनके पास फोन नहीं थे. अपने परिवार के लोगों से संपर्क करने का उनके पास कोई जरिया नहीं था.
कैसे मिली मुक्ति?
लेकिन आखिरकार उनकी किस्मत ने पलटी खाई. कुछ लोगों ने उन्हें रास्ते में पहचान लिया और पुलिस को फोन कर दिया. एक पुलिस अफसर ने उन्हें अपना फोन दिया. 40 साल के एंकरनाथन गणेशमूर्ति ने फोन स्क्रीन पर अपनी पत्नी और बेटी को देखा तो फफक पड़े. फोन आते रहे और आंसू बहते रहे. पुलिस अफसर को इन लोगों ने गले से लगा लिया.
इस दल को खारकीएव ले जाया गया. वहां उनका इलाज किया गया और नए कपड़े दिए गए. उन्हें एक पुनर्वास केंद्र में रखा गया है जहां स्विमिंग पूल और जिम है. चेहरे पर चौड़ी मुस्कान लिए दिलुकशान कहते हैं. अब मैं बहुत खुश महसूस कर रहा हूं. '' (bbc.com/hindi)
सैन फ्रांसिस्को, 21 सितंबर | अमेरिकन एयरलाइंस ने डेटा ब्रीच की पुष्टि की है। इसके तहत कुछ ग्राहकों के नाम, जन्मदिन, मेलिंग और ईमेल पते, फोन, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट नंबर और 'कुछ चिकित्सा जानकारी' प्रभावित हुई है। हालांकि, एयरलाइन ने कहा कि उसके पास यह बताने के लिए कोई सबूत नहीं है कि 'आपकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग किया गया है।'
जुलाई में हुए डेटा उल्लंघन का खुलासा करते हुए, एक बयान में कहा गया, "फिर भी, सावधानी से, हम आपको घटना और सुरक्षात्मक उपायों के बारे में आपको जानकारी प्रदान करना चाहते थे।"
अमेरिकल एयरलाइंस ने कहा, "जुलाई 2022 में हमने पाया कि एक अनधिकृत हैकर ने सीमित संख्या में अमेरिकन एयरलाइंस टीम के सदस्यों के ईमेल खातों से छेड़छाड़ की। घटना का पता चलने पर, हमने लागू ईमेल खातों को सुरक्षित कर लिया और एक फोरेंसिक जांच करने के लिए एक थर्ड पार्टी की साइबर सुरक्षा फोरेंसिक फर्म को नियुक्त किया।"
जांच ने निर्धारित किया कि कुछ व्यक्तिगत जानकारी ईमेल खातों में थी।
एयरलाइन ने सूचित किया, "इस घटना में शामिल व्यक्तिगत जानकारी में आपका नाम, जन्म तिथि, डाक पता, फोन नंबर, ईमेल पता, ड्राइवर का लाइसेंस नंबर, पासपोर्ट नंबर और/या आपके द्वारा प्रदान की गई कुछ चिकित्सा जानकारी शामिल हो सकती है।"
एयरलाइन ने कहा कि वह प्रभावित ग्राहकों की पहचान की चोरी का पता लगाने और समाधान में मदद करने के लिए एक्सपीरियन के आइडेंटिटीवर्क्स की दो साल की मुफ्त सदस्यता प्रदान करेगी।
यह प्रोडक्ट "आपको बेहतर पहचान का पता लगाने और पहचान की चोरी का समाधान प्रदान करता है।"
अमेरिकन एयरलाइंस ने कहा, "हालांकि हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग किया गया है, हम अनुशंसा करते हैं कि आप एक्सपीरियन की क्रेडिट निगरानी में नामांकन करें।"
इससे पहले अमेरिकन एयरलाइंस मार्च 2021 में डेटा ब्रीच की चपेट में आ गई थी। (आईएएनएस)|
तोक्यो, 21 सितंबर। जापान की राजधानी तोक्यो में बुधवार तड़के एक बुजुर्ग ने कथित तौर पर अगले हफ्ते शिंजो आबे की राजकीय अंत्येष्टि के विरोध में प्रधानमंत्री कार्यालय के पास खुद को आग लगा ली। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
समाचार एजेंसी ‘क्योदो न्यूज’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, बुजुर्ग के पास से उसके द्वारा कथित तौर पर लिखा गया एक नोट बरामद हुआ है, जिसमें कहा गया है, “व्यक्तिगत तौर पर मैं शिंजो आबे (जापान के पूर्व प्रधानमंत्री) का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने के सख्त खिलाफ हूं।”
खबर के अनुसार, आत्मदाह करने वाले बुजुर्ग की उम्र 70 साल से अधिक है और उसके शरीर का बड़ा हिस्सा झुलस गया है। हालांकि, वह होश में था।
वहीं, पुलिस ने बताया कि बुजुर्ग ने खुद पर तेल छिड़कने के बाद आग लगा ली। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
तोक्यो दमकल विभाग के एक अधिकारी ने राजधानी के कासुमिगासेकी जिले में एक बुजुर्ग द्वारा आत्मदाह किए जाने की पुष्ट की। हालांकि, उन्होंने मामले को संवेदनशील करार देते हुए संबंधित व्यक्ति की पहचान और आत्मदाह के पीछे की वजहों व परिस्थितियों के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया।
तोक्यो पुलिस ने भी घटना पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। उसने आग में एक पुलिसकर्मी के घायल होने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट पर भी कोई टिप्पणी नहीं की।
गौरतलब है कि यूनिफिकेशन चर्च से सत्तारूढ़ दल लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और आबे के संबंधों को लेकर अधिक जानकारी सामने आने के साथ ही जापान में पूर्व प्रधानमंत्री की राजकीय अंत्येष्टि को लेकर विरोध बढ़ने लगा है।
आबे की हत्या के आरोपी को भी कथित तौर पर लगता था कि उसकी मां द्वारा यूनिफिकेशन चर्च को दिए गए दान से उसका परिवार बर्बाद हो गया। एलडीपी ने कहा है कि उसके लगभग आधे सांसद यूनिफिकेशन चर्च से जुड़े हैं।
जापान में किसी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाना एक दुर्लभ घटना है, लेकिन प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा है कि आबे इसके हकदार हैं, क्योंकि वह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश में सबसे लंबे समय तक सेवाएं देने वाले ऐसे नेता थे, जिनके शासन में जापान ने उल्लेखनीय राजनयिक व आर्थिक उपलब्धियां हासिल कीं।(एपी)
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में आज संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हमारी दुनिया संकट में है और दुनिया की व्यवस्था लाचार हो गई है.
सहयोग और संवाद ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. कोई भी शक्ति या समूह अकेले किसी बड़ी वैश्विक चुनौती का हल नहीं खोज सकती. हमें दुनिया की एकजुटता की ज़रूरत है.
गुटेरेस ने महासभा को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारे युग की नाटकीय चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार या इच्छुक नहीं है.
''यूएन चार्टर और इसके द्वारा प्रस्तुत आदर्श खतरे में हैं.कार्रवाई करना हमारा कर्तव्य है. हमें अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के संरक्षण के संबंध में हर जगह ठोस कार्रवाई करने की ज़रूरत है.
गुटेरेस ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर नफ़रत और नकारत्मकता फैलाने का भी आरोप लगाया.
दुनियाभर के 193 देशों के नेता न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं.
भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं लेकिन चीन और रूस के राष्ट्रपति इस बार बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं.
महासभा के एजेंडे में इस बार जलवायु संकट से लेकर शिक्षा व्यवस्था में बदलाव जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं. (bbc.com/hindi)
ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया समुद्र तट पर एक साथ चौदह स्पर्म व्हेल्स मरी मिली हैं.
स्थानीय लोगों ने सबसे पहले तट पर इन मरी हुई व्हेल को देखा और अधिकारियों को इसकी सूचना दी.
व्हेल यहां कैसे फंस गईं, इसके कारणों का अभी पता नहीं चला है. वन्यजीव जीवविज्ञानी और एक पशु चिकित्सक को जांच के लिए वहाँ भेजा गया है.
हालांकि तस्मानिया में व्हेल का तटों पर फंसना कोई नई बात नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये द्वीप इस तरह की घटनाओं का ''हॉटस्पॉट'' है.
सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि हवाई सर्वेक्षण से पता चलेगा कि इलाके में कहीं और जीव तो नहीं फंसे हैं.
पूरी दुनिया में स्पर्म व्हेल की प्रजाति पर ख़तरा मंडरा रहा है. ये 18 मीटर तक लंबी और 45 टन तक भारी हो सकती हैं.
सितंबर साल 2020, में ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया में वेस्ट कोस्ट पर फंसने से 380 पायलट व्हेल की मौत हो गई थी. (bbc.com/hindi)
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देने पहुंचे हॉन्ग कॉन्ग के एक 43 वर्षीय शख्स को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. ये शख्स महारानी को श्रद्धांजलि देने सोमवार रात ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास पहुंचा था.
पुलिस ने बीबीसी की चीनी सेवा को बताया कि इस व्यक्ति को औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून के तहत हिरासत में लिया गया था.
स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि ये ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास के बाहर अपने हारमोनिका पर कई गाने बजा रहा था. इनमें 2019 के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े गानों के साथ ब्रिटिश राष्ट्रगान भी शामिल था.
सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए फुटेज में वाणिज्य दूतावास के बाहर खड़े इस शख्स को हारमोनिका पर "ग्लोरी टू हॉन्ग कॉन्ग" बजाते हुए दिखाया गया है. ये हॉन्ग कॉन्ग में 2019 के लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों का अनौपचारिक गाना था.
पुलिस ने बीबीसी को बताया कि शख्स को "देशद्रोह के इरादे से काम" करने के संदेह में हिरासत में लिया गया था.
हॉन्ग कॉन्ग ब्रितानी शासन के अधीन था, लेकिन साल 1997 में इसे 'एक देश दो विधान' सिद्धांत के तहत चीन को सौंप दिया गया था.
चीन एक देश दो व्यवस्था के सिद्धांत के तहत हॉन्ग कॉन्ग पर शासन करने के लिए सहमत हुआ, जहां अगले 50 साल तक उसे विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर राजनीतिक और आर्थिक आज़ादी हासिल होती.
इस समझौते के बाद हॉन्ग कॉन्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बन गया लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि विरोधियों पर कार्रवाई, चीन द्वारा अपने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू करना और केवल राष्ट्रवादियों को ही शासन करने की अनुमति देने जैसे कानून साल 1997 के हैंडओवर सिद्धांतों का उल्लंघन है. (bbc.com/hindi)
तालिबान के एक सहयोगी हाजी बशीर नूरज़ई अमेरिका में कई दशकों की क़ैद के बाद आख़िरकार रिहा हो गए और सोमवार को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पहुँचे.
अफ़ग़ानिस्तान की सरकारी मीडिया के मुताबिक़, नूरज़ई उन आख़िरी क़ैदियों में शामिल थे जिन्हें दुनिया की सबसे बदनाम जेल में रखा गया था.
ग्वांतानामो बे 'चरमपंथ के ख़िलाफ़ जंग' की शुरुआत के बाद साल 2002 में शुरू की गई थी और यहाँ उन लोगों को रखा जाता था जिन्हें अमेरिकी सरकार 'चरमपंथी' घोषित करती थी.
ग्वांतानामो बे में पहली बार 11 जनवरी 2002 को 20 क़ैदी लाए गए थे और इसके बाद से यहाँ सैकड़ों लोगों को रखा जा चुका है. इनमें से अधिकतर पर ना ही कोई आरोप तय किए गए और न ही मुक़दमा चलाया गया.
नूरज़ई की रिहाई तालिबान शासकों और अमेरिका के बीच लंबी बातचीत के बाद तय हुई अदला-बदली का नतीजा है. साल 2020 में बंधक बनाए गए एक अमेरिकी इंजीनियर मार्क फ़्रेरिच की रिहाई के बदले तालिबान के नूरज़ई को छोड़ा गया है. नूरज़ई साल 2005 से अमेरिका की जेल में बंद थे.
अमेरिका ने हालाँकि तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन सोमवार को दोनों देशों में अधिकारियों ने कहा कि लंबे दौर की बातचीत के बाद क़ैदियों की अदला-बदली पर सहमति बनी है. साथ ही ये भी कहा था कि तालिबान और बाइडन प्रशासन के बीच बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, "मार्क फ्रेरिच की रिहाई के लिए बातचीत आसान नहीं थी. ये अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है कि ऐसे फ़ैसलों को स्वीकार किया जाए."
तालिबान ने कहा है कि फ्रेरिच को सोमवार को काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिकी अधिकारियों के हवाले किया गया. बदले में अमेरिकी अधिकारियों ने ड्रग तस्करी के आरोप में जेल में बंद नूरज़ई को तालिबान के हवाले किया.
60 साल के फ्रेरिच का तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने से एक साल पहले अपहरण कर लिया था. फ्रेरिच काबुल में 10 साल से बतौर सिविल इंजीनियर काम कर रहे थे.
फ्रेरिच की बहन शार्लीन ककोरा ने कहा कि उन्हें भाई के रिहा होने की पूरी उम्मीद थी. एक बयान में ककोरा ने कहा, "मैं यह सुनकर बहुत खुश हूँ कि मेरा भाई सही सलामत है और घर लौट रहा है. पिछले 31 महीने से मेरा परिवार हर दिन उनके लिए प्रार्थना कर रहा था."
कौन हैं नूरज़ई?
नूरज़ई तालिबान के लिए कितने अहम हैं, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता छीनने से कई महीने पहले उन्होंने अमेरिका से फ्रेरिच की रिहाई के बदले नूरज़ई को छोड़ने की मांग की थी.
हालाँकि तब अमेरिका की ओर से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले थे कि वह तालिबान के इस प्रस्ताव को लेकर गंभीर है.
नूरज़ई के अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल लौटने पर उनका ज़ोरदार स्वागत किया गया. सोशल मीडिया पर जारी कुछ वीडियो में दिख रहा है कि बड़ी संख्या में तालिबान फूल मालाओं से नूरज़ई का स्वागत कर रहे हैं.
बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में नूरज़ई ने कहा, "अमेरिका की इच्छा से मेरी रिहाई दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करेगी."
नूरज़ई तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के क़रीबी थे और 1990 के दशक में बनी तालिबान सरकार को उन्होंने आर्थिक मदद की थी.
अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने सोमवार को समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया- नूरज़ई के पास तालिबान का कोई आधिकारिक पद नहीं था, लेकिन उन्होंने हथियार और दूसरे तरीक़ों से हमारी मदद ज़रूर की थी.
नूरज़ई को हेरोइन तस्करी के मामले में अमेरिकी अदालत ने दोषी ठहराया था. उन्होंने 17 साल जेल में गुज़ारे. आरोप था कि नूरज़ई कंधार प्रांत में बड़े पैमाने पर अफ़ीम का कारोबार करता है. उस वक़्त कंधार तालिबान का मज़बूत ठिकाना था.
2005 में जब नूरज़ई को गिरफ़्तार किया गया था तो उनकी गिनती दुनिया के सबसे बड़ी ड्रग तस्करों में होती थी. अफ़ग़ानिस्तान के क़बायली नेता नूरज़ई को न्यूयॉर्क की अदालत ने 5 करोड़ डॉलर की ड्रग तस्करी के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि नूरज़ई ने बड़े पैमाने पर अफ़ीम की खेती तो करवाई ही थी, साथ ही अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में ऐसी लैब भी बनाई थी जिनमें अफ़ीम को प्रोसेस कर हेरोइन बनाया जाता था.
हालाँकि तब नूरज़ई के वकील ने कहा था कि नूरज़ई को इंसाफ़ नहीं मिला है. उन्होंने ये भी दावा किया था कि नूरज़ई पर लगे आरोप ग़लत हैं और अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया था कि नूरज़ई को गिरफ़्तार नहीं किया जाएगा. (bbc.com/hindi)
सिडनी, 20 सितम्बर | ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स (एनएसडब्ल्यू) के प्रीमियर डोमिनिक पेरोटेट ने मंगलवार को घोषणा की कि, राज्य में अपराधी जो शव के स्थान के बारे में जानकारी देने से मना करते हैं, वे नए कानूनों के तहत पैरोल के लिए पात्र नहीं होंगे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पेरोटेट ने कहा कि सरकार के प्रस्तावित विधेयक का मतलब होगा कि अपराधियों को जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करना चाहिए और पैरोल पर रिहा होने के किसी भी मौके के लिए अवशेषों के स्थान का खुलासा करना चाहिए। किसी प्रियजन के शव का पता लगाने में असमर्थ होना पीड़ितों के परिवारों और दोस्तों के लिए बेहद दुखद और दर्दनाक है।
उन्होंने कहा, ये कानून हत्या या हत्या के अपराध के दोषी, कैदियों को पैरोल मिलने से रोकने के लिए हैं, जब तक कि वे पीड़ित परिवार के दर्द को खत्म करने के लिए पुलिस की मदद नहीं करते हैं और उनके प्रियजनों का शव उन्हें वापस नहीं करते है। कानून, जो अभी भी प्रस्ताव के अधीन है, उसका अर्थ ये होगा कि राज्य पैरोल प्राधिकरण पैरोल से इनकार करने के लिए बाध्य है, जब तक कि उसे एनएसडब्ल्यू पुलिस बल के आयुक्त से लिखित सलाह के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक जानकारी प्राप्त न हो, यह निर्धारित करने के लिए कि क्या अपराधी ने पीड़ित की पहचान और पता बताने में संतोषजनक रूप से सहयोग किया है।
कानून में बदलाव पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि यह क्रिस डॉसन के हाई-प्रोफाइल मामले का अनुसरण करता है, जिसे पिछले महीने 40 साल पहले अपनी पत्नी लिनेट की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसका शव कभी नहीं मिला। सुधार मंत्री जेफ्री ली ने कहा कि, सुधार अन्य न्यायालयों में कानूनों पर आधारित हैं और एनएसडब्ल्यू में सभी मौजूदा और भविष्य के कैदियों पर लागू होंगे, जिन्हें दोषी अपराधियों को पकड़ने के लिए अभी तक पैरोल के लिए विचार नहीं किया गया है।
ली ने कहा, पेरोल के लिए आने वाले जेल में किसी भी अपराधी को पुलिस के साथ सहयोग करने से इनकार करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, अगर वह पैरोल पाने की अपनी संभावनाओं को बरकरार रखना चाहते हैं। (आईएएनएस)|
वेलिंगटन, 20 सितंबर | न्यूजीलैंड के ताओपो ज्वालामुखी में मंगलवार को अलर्ट का स्तर पहली बार बढ़ा दिया गया। यह पहली बार है जब ज्वालामुखी चेतावनी को स्तर 1 तक बढ़ा दिया गया है, हालांकि यह ताओपो में पहली ज्वालामुखी उपद्रव नहीं है, जियोनेट ने कहा, जो न्यूजीलैंड के लिए भूवैज्ञानिक खतरे की जानकारी प्रदान करता है।
जियोनेट के एक बयान में कहा गया है, "पिछले 150 वर्षों में अनरेस्ट के 17 एपिसोड हुए हैं। इनमें से कई अधिक गंभीर थे।"
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जीएनएस विज्ञान ज्वालामुखी टीम के निको फोरनियर ने कहा कि इनमें से कोई विस्फोट में नहीं बदला।
फोरनियर ने कहा, ताओपो ज्वालामुखी में अंतिम विस्फोट 232 ईस्वी के आसपास हुआ था।
"ताओपो में विस्फोट की संभावना बहुत कम रहती है," उन्होंने कहा। मामूली ज्वालामुखी अशांति से जमीन की विकृति हो रही है।
जीएनएस साइंस, जियोनेट कार्यक्रम के माध्यम से, गतिविधि के संकेतों के लिए ताओपो ज्वालामुखी और अन्य सक्रिय ज्वालामुखियों की लगातार निगरानी करता है।
फोरनियर ने कहा, "जबकि कुछ भूकंप ताओपो झील के आसपास के क्षेत्रों में महसूस किए जा सकते हैं, विरूपण वर्तमान में केवल हमारे संवेदनशील निगरानी उपकरणों द्वारा ही पता लगाया जा सकता है।"
ताओपो झील के मध्य भाग के नीचे भूकंप का क्रम जारी है, उन्होंने कहा, लगभग 700 छोटे भूकंप, मुख्य रूप से झील के नीचे 4 से 13 किमी की गहराई पर स्थित हैं।
फोरनियर ने कहा, "हम ज्वालामुखी के अंदर मैग्मा और हाइड्रोथर्मल तरल पदार्थों की गति के कारण होने वाली भूकंप गतिविधि की व्याख्या करते हैं। हमने रसायन विज्ञान में परिवर्तन के लिए झील के चारों ओर स्प्रिंग्स और गैस वेंट का भी नमूना लिया है जो भूकंप और जमीन के उत्थान से संबंधित हो सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी चेतावनी स्तर 1 ज्यादातर पर्यावरणीय खतरों से जुड़ा है, लेकिन विस्फोट के खतरों की संभावना भी मौजूद है। (आईएएनएस)|
ब्यूनस आयर्स, 20 सितंबर | अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के तकनीकी कर्मचारियों ने अर्जेटीना के साथ संगठन के ऋण राहत समझौते की दूसरी समीक्षा को मंजूरी दे दी है, जिससे आने वाले हफ्तों में दक्षिण अमेरिकी देश के लिए 3.9 अरब डॉलर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आईएमएफ ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "अर्जेटीना की 30-महीने की ईएफएफ (विस्तारित फंड सुविधा) व्यवस्था के तहत दूसरी समीक्षा पर आईएमएफ कर्मचारी और अर्जेटीना के अधिकारी स्टाफ-स्तरीय समझौते पर पहुंच गए हैं।"
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह मंजूरी दूसरी तिमाही में सरकार द्वारा मात्रात्मक कार्यक्रम के लक्ष्यों को पूरा करने के अनुरूप है।
समझौता आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड के अनुमोदन के अधीन है, जिसकी आने वाले हफ्तों में बैठक होने की उम्मीद है।
आईएमएफ ने कहा, "एक बार समीक्षा पूरी हो जाने के बाद अर्जेटीना की पहुंच करीब 3.9 अरब डॉलर हो जाएगी।"
इसमें कहा गया है, "पहले की असफलताओं को ठीक करने के उद्देश्य से हाल की निर्णायक नीतिगत कार्रवाइयां अंतर्राष्ट्रीय भंडार के पुनर्निर्माण सहित आत्मविश्वास को बहाल करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने में मदद कर रही हैं।"
आईएमएफ स्टाफ और अर्जेटीना के अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की कि व्यवस्था के अनुमोदन पर स्थापित प्रमुख उद्देश्य, जिनमें प्राथमिक वित्तीय घाटे और शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय भंडार से संबंधित हैं, 2023 तक अपरिवर्तित रहेंगे।
आईएमएफ ने कहा, "आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने और अर्जेटीना की गहरी चुनौतियों, विशेष रूप से उच्च और लगातार मुद्रास्फीति को दूर करने के लिए दृढ़ नीति कार्यान्वयन आवश्यक है।"
अर्जेटीना और आईएमएफ ने मार्च में एक ऋण राहत समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे देश को 44.5 अरब डॉलर के कर्ज पर अपने दायित्वों को पूरा करने में मदद मिलेगी। (आईएएनएस)|
रामल्लाह, 20 सितंबर | पूर्वी यरुशलम में करीब 150 फिलिस्तीनी स्कूल इजरायली पाठ्यक्रम को लागू करने के इजरायल सरकार के प्रयासों के विरोध में बंद हो गए हैं। आधिकारिक फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी डब्लूयएएफए ने बताया, सोमवार को लगभग 100,000 छात्र हड़ताल के चलते स्कूलों में नहीं गए। इजरायल सरकार स्कूलों को फिलीस्तीनी पाठ्यक्रम छोड़ कर इजरायली पाठ्यक्रम अपनाने के लिए मजबूर कर रही है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने ड्ब्लूएफए का हवाला देते हुए कहा कि, पूर्वी यरुशलम में माता-पिता के संघ के प्रमुख जि़याद अल-शामाली ने कहा कि, अगर इजराइल के प्रयास सफल होते हैं, तो यह यरूशलेम में हमारे 90 प्रतिशत बच्चों की शिक्षा पर नियंत्रण हो जाएगा।
अल-शामाली के अनुसार, किंडरगार्टन से लेकर कक्षा 12 तक के करीब 115,000 बच्चे यरुशलम में 280 से अधिक फिलीस्तीनी स्कूलों में पढ़ते हैं।
रविवार की रात, वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गए, जिसमें पूर्वी यरुशलम के निवासियों ने सामान्य हड़ताल की और फिलिस्तीनी पाठ्यक्रम के लिए 'हां' और इजरायली पाठ्यक्रम के लिए 'ना' लिखे पोस्टर लगाए।
जुलाई के अंत में, इजराइल ने पूर्वी यरुशलम में छह फिलिस्तीनी स्कूलों के स्थायी लाइसेंस को रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि, उनकी पाठ्यपुस्तकों में इजराइल और उसकी सेना के खिलाफ उकसाने वाली सामग्री है।
दशकों से, पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनी स्कूलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों पर विवाद दोनों पक्षों के बीच रहा है।
फिलिस्तीनियों ने पाठ्यपुस्तकों के चुनाव में हस्तक्षेप करने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और पश्चिमी देशों से शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने से रोकने के लिए इजराइल की आलोचना की।
1967 के मध्य पूर्व युद्ध में इजराइल ने वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया था, दोनों पर फिलिस्तीनियों का दावा है और तब से इजरायल इस क्षेत्र को नियंत्रित कर रहा है। (आईएएनएस)|
अदीस अबाबा, 20 सितंबर| इथियोपिया के ओरोमिया क्षेत्रीय राज्य में एक यातायात दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई है। राज्य से संबद्ध फाना ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेट (एफबीसी) ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया, यातायात दुर्घटना ओरोमिया क्षेत्र के पश्चिम अर्सी क्षेत्र में स्थित अदाबा जिले में सोमवार को हुई, जब सड़क पर यात्रा कर रही एक मिनीबस खाई में गिर गई, जिससे छह लोगों की मौत हो गई।
पुलिस ने आगे कहा कि, दुर्घटना से कुछ 15 अन्य लोगों को गंभीर और हल्की शारीरिक चोटें आई हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, घायलों का नजदीकी स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज चल रहा है।
पुलिस ने घटना का मुख्य कारण ओवरलोड को बताया, जिसमें 28 लोगों को ले जाने की क्षमता वाली बस दुर्घटना के समय 40 लोगों को ले जा रही थी।
इथियोपिया में दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति कार स्वामित्व दर है, घातक यातायात दुर्घटनाएं काफी आम हैं।
दोष अक्सर खराब सड़कों, लापरवाह ड्राइविंग, एक दोषपूर्ण ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रणाली और सुरक्षा नियमों के ढीले प्रवर्तन पर लगाया जाता है। (आईएएनएस)|
अरुल लुइस
संयुक्त राष्ट्र, 20 सितंबर | विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक विकास और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर चर्चा करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) अध्यक्ष सीसाबा कोरोसी के साथ एक बैठक में भारत के समर्थन का आश्वासन दिया।
उच्चस्तरीय महासभा की बैठक की पूर्व संध्या पर सोमवार को उन्होंने आठ विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं और इंडोनेशिया से त्रिनिदाद तक के भूगोल और सुरक्षा, खाद्य और कृषि से लेकर अर्थव्यवस्था और विकास तक के विषयों को कवर करते हुए दो बहुपक्षीय सत्रों में भाग लिया।
एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार, जयशंकर ने कोरोसी और अन्य के साथ बैठक में विकासशील देशों के लिए ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, उर्वरक उपलब्धता, स्वास्थ्य मुद्दों, वैश्विक ऋण चिंताओं और व्यापार व्यवधान समस्याओं जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की। (आईएएनएस)|
कोरोसी से मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, "उन्हें भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। वैश्विक प्रगति के लिए एसडीजी एजेंडे की महत्ता पर चर्चा की। इस संबंध में भारतीय अनुभव साझा किए।"
एसडीजी संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2030 तक हासिल किए जाने वाले 17 सतत विकास लक्ष्य हैं और इसमें पर्यावरण से लेकर शिक्षा तक और गरीबी से शांति तक के विषयों को शामिल किया गया है।
जयशंकर की दिन की पहली बैठक अर्जेटीना के विदेश मंत्री सैंटियागो कैफिएरो के साथ थी, जो लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों (सीईएलएसी) के समुदाय के अस्थायी अध्यक्ष हैं, साथ ही ग्वाटेमाला के विदेश मंत्री मारियो एडोल्फो बुकारो फ्लोर्स और त्रिनिदाद और टोबैगो के अमेरी ब्राउन के साथ थे।
बैठक का उद्देश्य भारत और सीईएलएसी देशों के बीच स्वास्थ्य और विज्ञान से लेकर व्यापार और ऊर्जा तक के क्षेत्रों में बढ़ते संबंधों को उजागर करना और उन्हें और विकसित करना है। सूत्र ने कहा, उदाहरण के लिए भारत शीर्ष पांच व्यापार भागीदारों में से एक है।
कैफिएरो ने ट्वीट किया कि सीईएलएसी ने "भारत के साथ क्षेत्र के लिंक को 5 साल बाद फिर से सक्रिय किया।"
उन्होंने स्पैनिश भाषा में ट्वीट कर कहा, "वैश्विक दक्षिण के देशों की एकता ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा एजेंडे को मजबूत करना संभव बनाएगी, जो हमारे लोगों के विकास की कुंजी है।"
सूत्र ने कहा कि जयशंकर की फ्रांस के विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना और संयुक्त अरब अमीरात के जायद अल नाहयान के साथ त्रिपक्षीय बैठक कूटनीति में समकालीन विकास का अनुसरण करती है, जो द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों से परे भौगोलिक क्षेत्रों में फैले हित-आधारित समूहों की ओर बढ़ रही है।
सूत्र ने कहा कि खाद्य, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की गई।
जयशंकर ने अल नाहयान के साथ भी आमने-सामने मुलाकात की, जिनके देश के साथ भारत के घनिष्ठ बहुपक्षीय संबंध हैं।
''अगर अमेरिका इस बात की गारंटी दे कि वो ईरान के साथ परमाणु क़रार से दोबारा अपने क़दम वापस नहीं खींचेगा तो तेहरान इस समझौते को फिर से लागू करने में गंभीरता दिखलाएगा.''
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीबीएस न्यूज़ को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही है. ये इंटरव्यू रविवार को प्रसारित किया गया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि साल 2015 के परमाणु समझौते को फिर से लागू करने के लिए तेहरान को अमेरिका की मज़बूत गारंटी की ज़रूरत पड़ेगी.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के ख़िलाफ़ राजनीतिक मक़सद से की जा रही जांच को रोकने की भी अपील की थी.
सीबीएस न्यूज़ के कार्यक्रम '60 मिनट्स' के लिए इस इंटरव्यू में इब्राहिम रईसी ने कहा, "अगर ये अच्छा और वाजिब समझौता है तो इस डील को पूरा करने के लिए हम गंभीरता से विचार करेंगे."
इब्राहिम रईसी ने क्या कहा
इस हफ़्ते वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करने वाले हैं. इब्राहिम रईसी ने सीबीसी न्यूज़ की रिपोर्टर लेस्ली स्टॉह्ल से कहा-
ये समझौता टिकाऊ होना चाहिए. इस बात की गारंटी होनी चाहिए. अगर गारंटी होगी तो अमेरिकी इस समझौते से पीछे नहीं हट सकेंगे.
अमेरिका ने परमाणु क़रार पर अपना वादा तोड़ा है.
उन्होंने ये एकतरफ़ा तरीके से किया. उन्होंने कहा कि हम समझौते से बाहर निकल रहे हैं. अब वादे करना बेमानी हो गया है. हम अमेरिकियों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि हमने उनका बर्ताव देखा है. यही वजह है कि अगर गारंटी नहीं होगी तो भरोसा नहीं होगा.
ईरान ने कई बार ये कहा है कि परमाणु हथियार रखने का उसका कोई इरादा नहीं है. ईरान ने इन दावों का कई बार जवाब दिया है. ये बेबुनियाद दावे हैं.
ईरान के नागरिक भी अमेरिकी जेलों में बंद हैं. वे सिर्फ़ इसलिए जेल में हैं क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधों से बचने की कोशिश की थी. हमने अमेरिकियों से कहा है कि हमारी जेलों में बंद अमेरिकियों पर हम बात कर सकते हैं. इस पर परमाणु वार्ता से इतर बात की जा सकती है. इस पर द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है. ये एक मानवीय मुद्दा है. इस पर बात हो सकती है.
मुझे नहीं लगता है कि राष्ट्रपति बाइडन से मेरी कोई मुलाकात होने वाली है. मुझे नहीं लगता है कि इस तरह की किसी मुलाकात से कोई फ़ायदा होने वाला है.
अमेरिका की नई सरकार ये दावा करती है कि वो पिछले ट्रंप प्रशासन से अलग हैं. हमें भेजे गए संदेश में उन्होंने यही कहा है. लेकिन हमें कोई बदलाव नहीं दिखाई देता है. बाइडन ने ट्रंप के लगाए प्रतिबंधों को जारी रखा हुआ है. ये प्रतिबंध ईरान के लोगों पर ज़ुल्म हैं. हमारे लिए ये ज़रूरी है कि प्रतिबंध हटाए जाएं.
इस समझौते के तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम रोकने के एवज में अमेरिका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक प्रतिबंधों से राहत दी गई थी.
'किसी पश्चिमी देश के पत्रकार को पहला इंटरव्यू'
सीबीएस न्यूज़ ने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के इस इंटरव्यू को किसी पश्चिमी देश के पत्रकार को दिया गया पहला इंटरव्यू बताया है.
लेस्ली स्टॉह्ल ने कहा है, "मुझसे कहा गया था कि मुझे किस तरह से कपड़े पहनना चाहिए. मुझसे कहा गया कि उनके बैठने से पहले मुझे नहीं बैठना है और जब वे बोल रहे हों तो मुझे उन्हें बीच में टोकना नहीं है."
वियेना में अमेरिका के साथ बातचीत के दौरान भी ईरान ने ये मांग रखी थी कि भविष्य में कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति इस समझौते से पीछे नहीं हटेगा, इसका भरोसा होना चाहिए.
साल 2018 में जिस तरह से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से पीछे हटने का एलान कर दिया था, ईरान का कहना है कि वैसा दोबारा नहीं होना चाहिए.
लेकिन इस साल मार्च में इस समझौते के फिर से जीवित होने की उम्मीदें जगीं. लेकिन अमेरिका और ईरान के बीच चल रही अप्रत्यक्ष वार्ता कुछ मुद्दों पर टूट गई.
टिकाऊ समझौते पर ईरान का रुख
इसकी एक वजह ये भी थी कि ईरान इस बात पर अड़ गया कि समझौते के फिर से लागू होने से पहले इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी उसके परमाणु प्रतिष्ठानों के ख़िलाफ़ चल रही जांच रोक दे.
दरअसल, ईरान में तीन जगहों पर आईएईए को यूरेनियम के अंश मिले थे और इसकी जांच वो कर रहा है.
आईएईए को दी गई अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की लिस्ट में ईरान ने इन जगहों के बारे में जानकारी छुपाई थी.
इस बात को लेकर फ़िलहाल कोई संकेत नहीं है कि अमेरिका और ईरान गतिरोध के इन मुद्दों पर बात आगे बढ़ा सकेंगे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान ईरान एक टिकाऊ समझौते तक पहुंचने के लिए अपनी कूटनीतिक कोशिशें जारी रखेगा.
हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ईरान को वो आश्वासन नहीं दे सकते हैं जिसकी तेहरान मांग कर रहा है. अमेरिका की नज़र में ये डील एक राजनीतिक समझौता होगा न कि क़ानूनी रूप से एक बाध्यकारी संधि.
ईरान के साथ परमाणु क़रार क्या है?
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ ये समझौता हुआ था.
आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के वादे के एवज में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर सीमित कर दिया था.
तीन साल बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से पीछे हटने का एलान कर दिया और ईरान के ख़िलाफ़ और कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की.
समाचार एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन ये चाहते हैं कि ईरान के साथ परमाणु क़रार फिर से बहाल हो जाए, लेकिन ईरान की ओर से गारंटी की शर्त रखे जाने के बाद मामला पेचीदा हो गया है.
बाइडन प्रशासन का कहना है कि अमेरिकी शासन व्यवस्था में इस बात का वादा करना नामुमकिन है कि भविष्य के राष्ट्रपति क्या करेंगे और क्या नहीं. दूसरी तरफ़ इब्राहिम रईसी का कहना है कि ट्रंप की कार्रवाई ये बतलाती है कि अमेरिका के वादों का कोई मतलब नहीं है.
ईरान का दावा
साल 2015 के इस समझौते में ब्रिटेन, चीन, फ़्रांस, जर्मनी और रूस भी शामिल थे. समझौते से जुड़े देशों का ये मानना था कि ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए ये सबसे अच्छा तरीका है.
हालांकि ईरान इस बात से हमेशा इनकार करता रहा है कि उसका इरादा कभी परमाणु बम बनाने का था. उसका हमेशा से ये कहना रहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.
इब्राहिम रईसी पिछले साल सत्ता में आए हैं. उनसे पहले के राष्ट्रपति हसन रूहानी को कुछ हद तक उदारवादी माना जाता था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए न्यूयॉर्क जाते समय वे ओबामा को टेलिफ़ोन किया करते थे.
यूरोपीय संघ की विदेश नीति मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने पिछले हफ़्ते समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया था कि ईरान के साथ परमाणु क़रार को फिर से सक्रिय करने के लिए की जा रही बातचीत में गतिरोध आ गया है.
इससे पहले यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अगस्त में कहा था कि गतिरोध के मुद्दों पर बातचीत में कुछ प्रगति हुई है और इसमें अमेरिकी गारंटी पर ईरान की मांग का मुद्दा भी शामिल है.
इसके तीन दिन बाद जोसेप बोरेल ने अंतिम बताए जा रहे समझौते का मसौदा जारी किया था.
सितंबर की शुरुआत में आईएईए की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वो इस बात की पुष्टि करने में सक्षम नहीं है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए समर्पित है.
इस रिपोर्ट के बाद ईरान के साथ परमाणु करार को बहाल करने को लेकर की जा रही कूटनीतिक कोशिशें और जटिल हो गई हैं.
ईरान इस मांग पर भी अड़ा है कि आईएईए उसके ख़िलाफ़ जो जांच कर रहा है, उसे ख़त्म करना होगा. (bbc.com/hindi)
-फ़्रांसेस माओ
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने हालिया इंटरव्यू में कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिकी फ़ौज उसकी रक्षा करेगी.
बाइडन इससे पहले भी इस तरह का बयान दे चुके हैं.
लेकिन अमेरिकी न्यूज़ मीडिया समूह सीबीएस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बारे में बात की है.
इस इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या ऐसी स्थिति सामने आने पर अमेरिकी फौज़ ताइवान की सुरक्षा करेगी.
इसका जवाब उन्होंने 'हां' में दिया था.
चीन ने राष्ट्रपति बाइडन के बयान की आलोचना की है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने अमेरिका से अपना विरोध जताया है.
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने नियमित प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा कि चीन को सभी ज़रूरी क़दम उठाने का अधिकार है.
उन्होंने अमेरिका से अपील की कि वो ताइवान से जुड़े मुद्दों पर सावधानी पूर्वक व्यवहार करे और ताइवान की आज़ादी के लिए अलगाववादी गुटों को ग़लत संदेश न भेजे.
माओ निंग ने कहा कि दुनिया में एक ही चीन है और ताइवान चीन का हिस्सा है.
फिर व्हाइट हाउस से आया स्पष्टीकरण
लेकिन बीते रविवार इस इंटरव्यू के प्रसारण के बाद व्हाइट हाउस ने एक बार फिर कहा है कि ताइवान को लेकर अमेरिका की नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है.
इस मुद्दे को लेकर अमेरिकी नीति में हमेशा एक तरह की "रणनीतिक अस्पष्टता" रही है. इसका आशय ये है कि अमेरिका ताइवान की रक्षा करने का वादा नहीं करता और न ही वह इससे इनकार करता है.
ताइवान चीन के पूर्वी तट से थोड़ी दूरी पर स्थित एक द्वीप है जिसे चीन अपना क्षेत्र बताता आया है. अमेरिका इस मुद्दे पर लंबे समय से कूटनीतिक असमंजस का शिकार रहा है क्योंकि अमेरिका 'वन चाइना पॉलिसी' का पालन करता है जो उसके और चीन के रिश्तों के लिहाज़ से बेहद अहम है.
इस नीति के तहत ताइवान चीन का एक हिस्सा है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं है. ऐसे में अमेरिका ताइवान को एक अलग मुल्क के रूप में नहीं स्वीकार करता है और इसके साथ अमेरिका के कूटनीतिक संबंध भी नहीं हैं.
लेकिन वह ताइवान से क़रीबी संबंध रखता है और ताइवान रिलेशंस ऐक्ट के तहत हथियार भी बेचता है. इस क़ानून के तहत अमेरिका को ताइवान को वो सब देना चाहिए जिससे वह ख़ुद की रक्षा कर सके.
बाइडन ने इस नीति को सीबीएस को दिए इंटरव्यू के दौरान भी दोहराया है.
उन्होंने कहा, "एक वन चाइना पॉलिसी है और ताइवान अपनी स्वतंत्रता को लेकर फ़ैसला कर सकता है. हम किसी तरह का बदलाव नहीं कर रहे हैं और उनके स्वतंत्र होने की सराहना नहीं कर रहे हैं, ये उनका अपना फ़ैसला है."
बाइडन ने पहले क्या कहा था
बाइडन ने इससे पहले मई में भी कहा था कि ताइवान पर हमला होने की स्थिति में वह सैन्य दखल देंगे.
इसके तुरंत बाद व्हाइट हाउस की ओर से बयान आया था कि अमेरिकी दीर्घकालिक चीन नीति में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया है.
इस बार भी व्हाइट हाउस ने ऐसा बयान दिया है जो राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान की तुलना में विरोधाभासी नज़र आता है.
व्हाइट हाउस ने कहा है कि ''राष्ट्रपति इस बारे में इस साल की शुरुआत में टोक्यो में भी कह चुके हैं. उन्होंने ये स्पष्ट कर दिया था कि हमारी ताइवान नीति नहीं बदली है."
लेकिन ये साल 2022 में तीसरा मौक़ा है जब राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिका के आधिकारिक रुख़ से आगे बढ़कर सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए हैं. इससे पहले उन्होंने अक्तूबर 2021, मई 2022 और अब सितंबर 2022 में इस तरह के संकेत दिए हैं.
अमेरिका ने किया हथियार बेचने का सौदा
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने ताइवान के साथ 1.1 अरब डॉलर का हथियार और मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम बेचने का क़रार किया है. इसके बाद चीन की नाराज़गी सामने आई है.
और हाल ही में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा की वजह से अमेरिका और चीन के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया था.
स्पीकर नैंसी पेलोसी और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने ताइवान पहुँचने पर एक बयान जारी कर कहा था- ''हमारे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा यहाँ के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. ये हमारी इंडो-पैसिफ़िक यात्रा का हिस्सा है जिसमें सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं. ये यात्रा सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी और लोकतांत्रिक शासन के मुद्दों पर केंद्रित है.
इसके बाद चीन ने पाँच दिन तक चलने वाला सैन्य अभ्यास किया था.
चीन की सरकारी मीडिया 'ग्लोबल टाइम्स' ने एक ट्वीट में लिखा था कि 'चीनी सेना ताइवान के चारों ओर छह जगहों पर एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करेगी जिसमें लाइव फ़ायर ड्रिल शामिल होगा.'
इसके बाद अमेरिका ने दावा किया है कि इस अभ्यास के दौरान चीन ने कुछ मिसाइलें लॉन्च की थीं जो ताइवान के आसमान से होकर गुजरी थीं. लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की.
ताइवान ने इस पर कहा था कि चीन द्वारा लॉन्च की गई मिसाइलें काफ़ी ऊँचाई से होकर गुजरी थीं जिन्होंने द्वीप के लिए किसी तरह का ख़तरा पेश नहीं किया. (bbc.com/hindi)
लंदन, 19 सितंबर | ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्डस में भारतीय मूल के स्वराज पॉल ने ढाका में एक गर्ल्स कॉलेज बनाने के लिए निवेश करने का ऐलान किया है।
उन्होंने आईएएनएस को बताया कि लंदन में एक बैठक के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस बारे में चर्चा हुई है।
स्वराज पॉल ने अगस्त 1975 में ढाका के तख्तापलट से बचाने के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना को लंदन भेज दिया था।
पॉल ने कहा, उस समय उनका जीवन काफी खतरे में था और ऐसी स्थिति में वे बांग्लादेश वापस नहीं जा सकते थे।
91 वर्षीय पॉल ने कहा, मैंने हसीना से लगभग एक घंटे बात की, जिसमें हमने बीते दिनों को याद किया।
बता दें, हसीना महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लंदन में हैं, जिनका 8 सितंबर को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
शेख रेहाना की बेटी ट्यूलिप सिद्दीकी, एक उभरती हुई ब्रिटिश राजनेता हैं, जो हाउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी की सांसद हैं। (आईएएनएस)|
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि ताइवान पर चीन के हमले की स्थिति में अमेरिकी सेनाएं उसका बचाव करेंगी.
सीबीएस को दिए एक इंटरव्यू में उनसे सवाल किया गया था कि क्या अमेरिकी सेनाएं हमले की स्थिति में ताइवान का बचाव करेंगी, जिसे चीन स्वघोषित तौर पर अपना हिस्सा मानता है.
इस पर बाइडन ने कहा, ‘हां ज़रूर. अगर उस पर अप्रत्याशित हमला होता है.’
इस इंटरव्यू में जो बाइडन ने ताइवान को लेकर लंबे समय से चली आ रही अमेरिका की नीति से अलग बयान दिया है. लेकिन ताइवान के समर्थन में सेना भेजने को लेकर उनका बयान पहले की तुलना में काफ़ी स्पष्ट है.
हालांकि इस बारे में व्हाइट हाउस के प्रवक्ता से जब सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ने पहले भी यह कहा है. इस साल टोक्यो में भी. उन्होंने तब यह स्पष्ट किया था कि ताइवान को लेकर उनकी नीति बदली नहीं है. वो सच बरकरार है.’’ (bbc.com/hindi)
स्टॉकहोम, 19 सितंबर | इस सर्दी में जीवनरक्षक चिकित्सा उपकरणों पर मरीजों को खतरा हो सकता है, क्योंकि स्वीडन में ऊर्जा की कमी के कारण बिजली कटौती की संभावना है, एक सरकारी एजेंसी ने चेतावनी दी है। स्वीडिश सिविल आकस्मिकता एजेंसी (एमएसबी) में आपूर्ति तैयारियों के प्रबंधक जान-ओलोफ ओल्सन ने स्वीडिश टेलीविजन को बताया, "उन लोगों के लिए हमेशा एक जोखिम होता है जिन्हें जीवन-निर्वाह मशीनों की जरूरत होती है या अगर बिजली की कमी होती है तो वे घरेलू स्वास्थ्य देखभाल में भी परेशानी महसूस करते हैं।"
उन्होंने बताया कि भले ही अस्पतालों में बैकअप बिजली व्यवस्था है, लेकिन उसके कारगर न होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एसवीटी के हवाले से बताया कि इसके अलावा, बिजली कटौती से अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक लॉक, गैर-काम करने वाली ट्रैफिक लाइट और हीटिंग की समस्या।
ओल्सन ने एसवीटी को बताया, "दुर्भाग्य से, तैयारी आम तौर पर बहुत खराब होती है। पहले से ही 2011 में, हमने स्वीडन में समाज के लिए महत्वपूर्ण 50,000 बिजली-निर्भर व्यवसायों की पहचान की। उनमें से बहुत कम के पास आरक्षित शक्ति है। परिणाम यह है कि कई व्यवसाय, दुकानें और कंपनियां बस बंद हो जाती हैं। पावर आउटेज की घटना के रूप में कोई योजना बी नहीं है।"
आम तौर पर, स्वीडन जितनी बिजली की खपत करता है, उससे कहीं अधिक बिजली का उत्पादन करता है।
हालांकि, यूरोपीय व्यापक ऊर्जा संकट के कारण निर्यात में वृद्धि हुई है।
अनियोजित मरम्मत कार्यो के कारण, स्वीडन के छह परमाणु रिएक्टरों में से एक के 31 जनवरी, 2023 तक ऑफलाइन होने की भी उम्मीद है।
इसलिए, राष्ट्रीय बिजली ग्रिड ऑपरेटर स्वेन्स्का क्राफ्टनेट ने चेतावनी दी है कि देश के कुछ हिस्सों में बिना किसी सूचना के कट जाने का जोखिम है, मांग आपूर्ति से अधिक होनी चाहिए।
सांख्यिकी स्वीडन के अनुसार, पिछले साल देश में 166 टेरावाट घंटे बिजली का उत्पादन किया गया था। (आईएएनएस)|
जम्मू, 19 सितंबर | जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में पठानकोट-जम्मू राजमार्ग पर ट्रक में आग लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। घटना रविवार देर शाम की है।
पुलिस ने बताया कि कठुआ जिले में पठानकोट-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर जम्मू आ रहे ट्रक में अचानक आग लग गई।
उन्होंने बताया कि लोगों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान ट्रक के हेल्पर की जान को नहीं बचा सके।
पुलिस ने कहा, "मृतक हेल्पर की पहचान की जा रही है।" (आईएएनएस)|