अंतरराष्ट्रीय
सऊदी अरब की अदालत ने अमेरिकी नागरिक साद इब्राहिम अल-मादी को उनके ट्वीट के लिए 16 साल की जेल की सजा सुनाई है. इब्राहिम के बेटे ने बीबीसी अरबी को इसकी जानकारी दी है.
अमेरिका और सऊदी अरब की दोहरी नागरिकता रखने वाले अल-मादी को बीते साल नवंबर महीने में गिरफ़्तार किया गया था, जब वो अपने परिवार से मिलने के लिए फ़्लोरिडा से रियाद आए थे.
अल-मादी के बेटे ने पहली बार इसको लेकर मीडिया के सामने बात की है, जबकि अमेरिका ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी थी.
अल-मादी के बेटे इब्राहिम ने कहा कि वो अपने पिता को जेल में मरते नहीं देखना चाहते. इब्राहिम ने ये भी दावा किया कि गिरफ़्तारी के बाद से ही उनके पिता को सऊदी अधिकारियों की ओर से प्रताड़ित किया जा रहा है.
सऊदी की अदालत ने मुल्क़ को अस्थिर करने की कोशिश और आतंकवाद का समर्थन करने जैसे आरोपों में अल-मादी को सज़ा दी है.
इब्राहिम के अनुसार, इन आरोपों को साबित करने के लिए अदालत में सिर्फ़ 14 ट्वीट ही सबूत के तौर पर पेश किए गए.
बीबीसी ने इन ट्वीट्स को देखा. ये ट्वीट्स जेद्दा और मक्का में पुराने ढांचों को ढहाने, ग़रीबी पर चिंता ज़ाहिर करने और सऊदी के पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या से जुड़े थे.
अभियोजन पक्ष ने अल-मादी को 42 साल की क़ैद दिए जाने की मांग की थी.
इब्राहिम पिता की गिरफ़्तारी के बाद से ही उनसे बात नहीं कर पाए हैं. हालांकि, परिवार के अन्य सदस्य उनके पिता से मिले हैं और बताया है कि वो ठीक हैं. लेकिन इब्राहिम कहते हैं कि उन्हें इस दावे पर शक है.
इब्राहिम ने अपने पिता के केस में अमेरिका के रुचि न लेने की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारी उनके पिता से केवल दो बार मिले हैं. पहली बार उनके जेल जाने के छह महीने बाद कोई अमेरिकी अधिकारी मिला था. इब्राहिम ने इस मामले में व्हाइट हाउस से संपर्क न हो पाने का भी ज़िक्र किया.
उन्होंने अपने पिता के केस के बारे में बीबीसी को तब बताया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति जुलाई महीने में ही रियाद दौरे पर थे.
उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए अमेरिका के दोहरे रवैये पर सवाल उठाए. वो कहते हैं, "अगर रूस या ईरान में किसी नागरिक को हिरासत में लिया होता तो अमेरिका हरकत में आ गया होता लेकिन अगर आपको सऊदी अरब में जेल की सज़ा हुई है तो यहां तेल का एक बैरल आपसे ज़्यादा कीमती है." (bbc.com/hindi)
रूस ने एक बार फिर यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों को निशाना बनाया है, जिससे राजधानी कीएव और दूसरे शहरों में बिजली और पानी की सप्लाई ठप पड़ गई है.
कीएव में सुबह कई धमाकों की आवाज़ें सुनाई दी और कुछ ही देर में डेनिप्रो नदी के पास एक बिजली स्टेशन के आसपास से धुएं का गुबार उठने लगा.
कीएव के पश्चिम में स्थित ज़ाइटॉमिर में बिजली और पानी की सप्लाई काट दी गई है.
इससे पहले, रूस ने कामिकाज़ी ड्रोन से राजधानी कीएव समेत कई जगह धमाके किए थे. ऐसा माना जाता है कि कामिकाज़ी ड्रोन ईरान निर्मित हैं. ड्रोन हमलों में आठ लोगों की मौत हुई है. ये लोग कीएव और सूमी के रहने वाले थे.
ड्रोन हमलों में कई अहम इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचा है जिसके चलते सैकड़ों शहरों और गांवों में बिजली नहीं आ रही है.
हाल के दिनों में रूस ने योजनाबद्ध तरीके से यूक्रेन में बिजली केंद्रों पर हमले किए हैं. सर्दियों से पहले इस तरह के हमलों से लोग काफी परेशान हैं.
राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख कायरलो टायमोशेंको ने कहा कि एक एस -300 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल को मायकोलाइव शहर में एक आवासीय इमारत पर रात में दागा गया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई है. इस हमले में शहर का फूल बाज़ार भी तबाह हो गया है. (bbc.com/hindi)
आइजोल, 18 अक्टूबर मिजोरम लोक सेवा के एक अधिकारी को अपने बुजुर्ग रिश्तेदार पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। घटना का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गया है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि डेनियल सैलो 2014 बैच के अधिकारी हैं, जो अवर सचिव रैंक पर हैं। उन्हें आइजोल के राम्ह्लूं इलाके में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया।
आइजोल के पुलिस अधीक्षक सी लालरुआ ने बताया कि सैलो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें सैलो तीखी बहस के बाद अपनी पत्नी के चाचा को जमीन पर पटकते दिख रहे हैं। वीडियो में सैलो, अपने रिश्तेदार की देहाती पृष्ठभूमि और उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर उन्हें अपशब्द कहते भी सुने जा सकते हैं।
घटना शनिवार की है जब सैलो तुइकुअल नॉर्थ इलाके में स्थित अपने ससुराल में अपनी पत्नी को अपने साथ ले जाने के लिए गए थे। उनके परिवार ने कहा कि सैलो की पत्नी हाल में उन्हें छोड़कर अपने मायके चली गई थी। कथित वीडियो वायरल होने के बाद यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) सहित राज्य के विभिन्न संगठनों ने सरकारी अधिकारी की आलोचना की थी। (भाषा)
सीमा हाकू काचरू
ह्यूस्टन, 18 अक्टूबर अमेरिकी राज्य टेक्सास में पहले भारतवंशी सिख अमेरिकी अधिकारी संदीप दहलिवाल की 2019 में हत्या के मामले में यहां की अदालत ने आरोपी व्यक्ति को दोषी करार दिया है।
ह्यूस्टन में हैरिस काउंटी में आपराधिक अदालत के न्यायाधीश ने रॉबर्ट सोलिस (50) को दहलिवाल की हत्या के मामले में दोषी करार दिया। दहलिवाल (42) हैरिस काउंटी शेरिफ के कार्यालय में 10 साल से कार्यरत थे। 2015 में वर्दी के साथ पगड़ी पहनने की अनुमति मिलने के कारण वह चर्चा में आए थे। 27 सितंबर, 2019 को ड्यूटी पर तैनात दहलिवाल की घात लगाकर की गई गोलीबारी में हत्या कर दी गई थी।
सोमवार को न्यायाधीश के फैसला सुनाए जाने के दौरान दहलिवाल का परिवार भी अदालत कक्ष में मौजूद था। न्यायाधीश को फैसला सुनाने में 30 मिनट से भी कम वक्त लगा।
सोलिस ने अपने वकील को हटाकर खुद अदालत में अपना पक्ष रखा था। उसने न्यायाधीश से कहा, ‘‘चूंकि आप मानते हैं कि मैं हत्या का दोषी हूं, इसलिए मेरा मानना है कि आप मुझे मृत्यु दंड सुनाएंगे।’’
न्यायाधीश क्रिस मॉर्टन ने फैसला पढ़कर सुनाया और सोलिस ने सिर हिलाकर फैसले पर हामी भरी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। (भाषा)
यूरोपीय संघ ने ईरान की "मॉरैलिटी पुलिस" पर प्रतिबंध लगा दिया है. पिछले महीने कथित मारपीट की वजह से महसा अमीनी की हिरासत में मौत हो गई थी. तब से वहां और दुनिया के कई हिस्सों में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं.
ईरान में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर प्रशासन और पुलिस की सख्ती की लगातार खबरें आ रही हैं. प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़पों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. ईरान का कहना है कि सुरक्षा बलों के कई सदस्यों की भी मौत हुई है. यूरोपीय संघ ने 'मॉरैलिटी पुलिस" के साथ ही रेवॉल्यूशनरी गार्ड के साइबर डिविजन के लिए जिम्मेदार मंत्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. यह डिविजन देश में प्रदर्शनों के दौर में इंटरनेट पर पाबंदियां लगाने में शामिल है.
प्रतिबंधों की सूची संघ के प्रशासनिक गजट में छापी गई है. इसके मुताबिक कथित मॉरैलिटी पुलिस के प्रमुख, रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स के बासिज अर्धसैनिक बल, नेशनल पुलिस की एक वर्दीधारी ईकाई और इन सब बलों के प्रभारियों पर यह प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें शामिल चार संगठनों के 11 लोगों पर यूरोपीय संघ का वीजा प्रतिबंध लागू होगा. साथ ही उनकी संपत्तियां जब्त करने के निर्देश दिये गये हैं. ईरान ने इन प्रतिबंधों का "तत्काल" जवाब देने की बात कही है.
प्रतिबंधों की आधिकारिक सूचना आने से पहले जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने मॉरैलिटी पुलिस के बारे में कहा था, "जिस तरह के अपराध वहां हो रहे हैं उनमें यह शब्द सचमुच उचित नहीं है." प्रतिबंधों की सूची ऐसे समय में जारी की गई है जब ईरान में घटनाएं नाटकीय रूप ले रही हैं. तेहरान की कुख्यात एविन जेल में आग लगने के कारण कई लोगों की जान गई है. इस जेल में ईरान के राजनीतिक कैदी, दोहरी नागरिकता वाले लोग और विदेशियों को रखा जाता है.
महसा अमीनी की मौत के बाद प्रदर्शन
22 साल की महसा अमीनी को हिजाब नहीं पहनने के लिए हिरासत में लिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी. उसके बाद हुए प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से दबाने की कोशिशों पर यूरोपीय संघ चिंता में था. विरोध प्रदर्शन धीरे धीरे ईरान में सत्ताविरोधी प्रदर्शनों में बदल रहा है. इनमें शामिल होने वाले लोग नये मौलवियों के नेतृत्व वाले शासन से मुक्ति की मांग कर रहे हैं.
प्रतिबंधों की सूची में कहा गया है कि मॉरैलिटी पुलिस और उसके तेहरान और राष्ट्रीय प्रमुख अमीनी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं. इसमें लिखा गया है, "भरोसेमंद रिपोर्टों और गवाहों के मुताबिक अमीनी को बुरी तरह पीटा गया और हिरासत में दुर्व्यवहार किया गया जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और 16 सितंबर 2022 को उनकी मौत हो गई."
आरोप है कि अमीनी ने हिजाब ठीक से नहीं पहना था. सूचना और प्रसारण मंत्री ईसा जेरपोर को ईरान में विरोध प्रदर्शन बढ़ने पर इंटरनेट ब्लैकआउट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. संघ का कहना है कि इसके जरिये ईरानी लोगों को सूचना हासिल करने और विचारों की आजादी में बाधा डाली गयी.
बासिज फोर्स को प्रदर्शनकारियों पर "खासतौर से ज्यादा कठोरता" दिखाने के लिए जिम्मेदार माना गया है जिसके नतीजे में, "बहुत से लोगों की जान गई."
पश्चिमी देश और ईरान के संबंध बिगड़े
प्रतिबंधों का फैसला करने के लिए बुलाई गई यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों में जाते हुए बेयरबॉक ने कहा कि ईरान में जो दुर्व्यवहार हो रहा है "उसकी ओर से हम अपनी आंखें नहीं मूदेंगे. अगर हिंसा जारी रहती है तो और ज्यादा प्रतिबंध लगेंगे."
अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने भी ईरान पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए अपनी तरफ से प्रतिबंध लगाये हैं. उधर ईरान ने इसके जवाब में कहा है कि अमेरिका और पश्चिमी देश सत्ता विरोधी प्रदर्शनों को हवा दे रहे हैं.
ईरान के साथ पश्चिमी देशों के संबंधों में खटास ऐसे समय में आई है जब 2015 के परमाणु करार को दोबारा लागू करने की उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं. यूरोपीय संघ पिछले डेढ़ साल से इस करार को दोबारा लागू कराने की कोशिश में है लेकिन अब तक नाकामी ही हाथ आई है. इस बीच ईरान पर रूस को ड्रोन देने के आरोप भी लग रहे हैं जिनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन पर हमले में कर रहा है. ताजा ड्रोन हमलों में राजधानी कीव को निशाना बनाया गया है. ईरान का कहना है कि उसने युद्ध शुरू होने के बाद रूस को ड्रोन की सप्लाई नहीं दी है.
एनआर/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)
अंतरिक्षविज्ञानियों ने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे तेज चमक को देखा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद यह ब्लैक होल के बनने की शुरुआत का नतीजा रहा होगा.
अंतरिक्ष में जिसे अब तक की सबसे तेज चमक बताया जा रहा है वह धरती से करीब 2.4 अरब प्रकाश वर्ष दूर पैदा हुई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक विद्युतचुंबकीय विकिरण के सबसे तेज स्वरूप गामा किरणों का धमाका इस चमक की वजह हो सकता है. सबसे पहले इसे कक्षा में चक्कर लगा रहे टेलिस्कोपों ने 9 अक्टूबर को देखा. धमाके के बाद फैली किरणों की रोशनी दुनिया भर के वैज्ञानिक अब भी देख रहे हैं.
एस्ट्रोफिजिसिस्ट ब्रेंडेन ओ'कोनॉर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि गामा किरणों के धमाके की अवधि सैकड़ों सेकेंडों की होती है. यह धमाका रविवार को हुआ था और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह मरते हुए उन तारों से हुआ था जिनका आकार हमारे सूरज की तुलना में 30 गुना ज्यादा था. तारे सुपरनोवा विस्फोट में टूटते हैं और फिर उनसे ब्लैक होल बनता है, इसके बाद पदार्थ ब्लैक होल के चारों ओर एक घेरे में जमा हो जाते हैं और अंदर की तरफ जाते हैं. उसके बाद बाद वहां से बड़ी तेजी से उर्जा निकलती है जिसकी गति प्रकाश के गति की 99.99 फीसदी होती है.
रिकॉर्ड उर्जा
इस बार के धमाके में चमक के साथ निकले फोटॉन में 18 टेरालेक्ट्रॉनवोल्ट की उर्जा थी जो रिकॉर्ड है. 18 टेराइलेक्ट्रॉनवोल्ट का मतलब है 18 के बाद 12 शून्य लगाने से जो संख्या बनेगी उतने वोल्ट. इस धमाके का पृथ्वी के आयनोस्फेयर में रेडियो संचार पर भी असर हुआ. चिली के जेमिनी साउथ टेलिस्कोप में इंफ्रारेड उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले ओ'कोनॉर का कहना है, "यह सचमुच रिकॉर्ड तोड़ रहा है, फोटॉन की संख्या के मामले में भी और उनकी ऊर्जा के मामले में भी जो हम तक पहुंच रही है. इस तरह की कोई घटना का हमारे पास होना सचमुच सदी की एक घटना है."
गामा किरणों पर रिसर्च 1960 के दशक में पहली बार शुरू हुई. उस वक्त सोवियत संघ के आकाश में बम धमाकों का पता करने के लिए तैयार की गई अमेरिकी सैटेलाइट ने बताया कि ये धमाके वास्तव में हमारी आकाशगंगा के बाहर से हो रहे हैं. ओ'कोनॉर ने बताया, "गामा किरणों के धमाके में आम तौर पर कुछ सेकेंडों में उतनी ही ऊर्जा निकलती है जितनी कि हमारा सूरज पूरे जीवनकाल में पैदा करता है. इस बार की घटना सबसे ज्यादा चमकदार थी."
ब्लैक होल के बारे में जानकारी
गामा किरणों के इस धमाके को GRB 221009A नाम दिया गया है. इसे नासा के फेर्मी गामा रे स्पेस टेलिस्कोप, नील गेरेल्स स्विफ्ट ऑब्जरवेटरी और विंड स्पेसक्राफ्ट ने सबसे पहले देखा.
इसकी शुरुआत सैजिटा तारामंडल की तरफ से हुई और करीब 1.9 अरब वर्ष का सफर तय करके पृथ्वी तक पहुंची. इस घटना को देखना एक तरह से ऐसा था जैसे वैज्ञानिक 1.9 अरब साल के घटनाओं रिकॉर्डिंग को आंखों के आगे चलते देख रहे हों. वैज्ञानिकों को इस घटना ने ब्लैक होल के निर्माण के बारे में भी नई जानकारी जुटाने का एक बढ़िया मौक दिया.
अगले कुछ हफ्तों तक ओ'कोनॉर और उनके सुपरनोवा के निशानों को ऑप्टिकल और इंफ्रारेड पर देखते रहेंगे ताकि चमक को लेकर जो उनकी अवधारणा है उसकी पुष्टि कर सकें. हालांकि दुर्भाग्य यह है कि धमाके की शुरुआती चमक एमेच्योर लोगों को भी दिख रही थी लेकिन उसके बाद तेजी से ओझल होती चली गई.
सुपरनोवा विस्फोटों को सोना, प्लैटिनम, यूरेनियम जैसे भारी तत्वों के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है. अंतरिक्षविज्ञानी इसके संकेतों की भी खोज करेंगे.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)
पर्यावरण अपराध दुनिया का तीसरा सबसे आकर्षक आपराधिक कारोबार है, फिर भी अक्सर इसे छोटा-मोटा अपराध माना जाता है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि यूरोपीय संघ का नया कानून जल्द ही इसे बदल सकता है.
डॉयचे वैले पर बेटीना स्टेहकैंपर की रिपोर्ट-
सासा ब्रॉन ने 28 सालों में एक रिसर्चर के रूप में काम करते हुए बहुत कुछ देखा है. पिछले छह सालों में इंटरपोल के पर्यावरण से जुड़े सुरक्षा कार्यक्रम के आपराधिक खुफिया अधिकारी के तौर पर काम करना उनके लिए सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रहा. उन्होंने हाल ही में जर्मन राजनेताओं के साथ आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा- "पर्यावरण अपराध के क्षेत्र में क्रूरता और फायदा लगभग सोच से परे है. कार्टेल ने अवैध खनन, लकड़ी के व्यापार और कचरे के अवैध निपटारे के पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया है."
ब्राउन ने उदाहरण गिनाए- पेरू में जंगलों की कटाई का विरोध करने वाले गांवों को आपराधिक गिरोहों ने उजाड़ दिया, तो वहीं मछली पकड़ने वाले अवैध बेड़े ने भुगतान से बचने के लिए चालक दल को पानी में फेंक दिया. अवैध तरीकों से हासिल की गई लकड़ी और मछली का ज्यादातर हिस्सा जर्मनी लाया गया.
पर्यावरण से जुड़े अपराध
पर्यावरण से जुड़े अपराध के कई रूप हैं और इसमें जंगली जानवरों का अवैध व्यापार, अवैध कटाई, कचरे का अवैध निपटारा और वातावरण, पानी या मिट्टी में प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों का अवैध बहाव शामिल है.
यह अंतरराष्ट्रीय अपराधिक गिरोह के लिए एक आकर्षक व्यवसाय है. उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के 2016 के आंकड़ों के मुताबिक सालाना 10 से 12 अरब अमेरिकी डॉलर कीमत के अवैध कचरे की तस्करी होती है.
ये गिरोह कचरे के उचित निपटारे और परमिट की लागत को बचा लेते हैं. कुछ गिरोहों के लिए, कचरा प्रबंधन से होने वाला फायदा इतना ज्यादा दिलचस्प है कि इसने नशीले पदार्थों की तस्करी को भी पीछे छोड़ दिया है.
क्या लकड़ी नया सोना है?
अवैध कटाई से होने वाला मुनाफा भी बढ़ा है. उदाहरण के लिए, अच्छी तरह तैयार हो चुकी ट्रॉपिकल लकड़ियां दुर्लभ हैं और इनकी मांग ज्यादा है. इसका इस्तेमाल नाव बनाने के लिए किया जाता है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की वन अपराध की जर्मन शाखा में प्रोजेक्ट मैनेजर कैथरीना लैंग कहती हैं कि उपभोक्ता कभी भी नहीं तय कर सकते कि उनके खरीदे गए उत्पाद में इस्तेमाल की गई लकड़ी कानूनी तरीकों से हासिल की गई है या नहीं.
जर्मन एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (वीडीआई) की 2021 की एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में वन क्षेत्र में हो रही 30% गतिविधियों के लिए अवैध लॉगिंग अकाउंट हैं. ट्रॉपिकल लकड़ी पैदा करने वाले देशों में ये आंकड़े करीब 90% तक बढ़ सकते हैं.
जर्मन टिम्बर रेगुलेशन पैदावार के प्रमाण पत्र की मांग करते हैं, लेकिन डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने कई बार साबित किया है कि लेबलिंग को लेकर अक्सर धोखाधड़ी होती है. उदाहरण के लिए, लकड़ी को वियतनाम की सख्त लकड़ी बताया जा सकता है लेकिन असल में यह निचले दर्जे की बेकार लकड़ी हो सकती है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, जर्मनी लकड़ी के लेबल को जांचने के लिए जेनेटिक और आइसोटोपिक फिंगरप्रिंटिंग का इस्तेमाल करता है.
सासा ब्राउन का कहना है कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ जैसे गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग अमूल्य है, लेकिन इन संगठनों के काम की हमेशा तारीफ नहीं की जाती है, खासकर उन देशों में जहां सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार है.
पर्यावरणीय अपराध को छोटे अपराध के रूप में देखा जाना
यूरोपियन यूनियन एजेंसी फॉर लॉ एनफोर्समेंट कोऑपरेशन (यूरोपोल) के मुताबिक, पर्यावरण से जुड़े अपराध नशीले पदार्थों की तस्करी और नकली सामानों के बाद दुनिया भर में अपराध का तीसरा सबसे आकर्षक क्षेत्र है. इसमें हर साल 110 अरब डॉलर से 280 अरब डॉलर के बीच का मुनाफा है.
सटीक आंकड़े बता पाना मुश्किल है क्योंकि ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है जो सामने नहीं आ पातीं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के लिए जर्मनी और यूरोप में वन्यजीव कार्यक्रम के लिए काम कर रहे प्रमुख मोरित्ज क्लोस कहते हैं- "यह निश्चित रूप से इस तथ्य से भी जुड़ा है कि हम पर्यावरण से जुड़े अपराध के मामले में प्रशासनिक अपराधों की बात करते हैं. कई मामले अक्सर उजागर नहीं होते हैं. उनके बारे में सिर्फ तभी पता चल पाता है जब जानबूझकर और टारगेट कंट्रोल किया जाता हैं. अपराधों का खुलासा होने पर भी सजा हल्की ही होती है.''
विशेषज्ञ इस बात से सहमत लगते हैं कि स्टाफ की कमी के साथ-साथ संभवतः राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की भी समस्या है. क्लोस बताते हैं- "कुछ साल पहले (पश्चिमी जर्मन राज्य) नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में, हमारे पास पर्यावरण मंत्रालय में एक पर्यावरण अपराध से जुड़ी यूनिट थी, जो बहुत सफल रही. एक अनुभवी जांचकर्ता और एक सरकारी प्रॉसिक्यूटर ने नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में पर्यावरण अपराध के मामलों पर साथ काम किया, अधिकारियों को सलाह दी और कुछ मामलों की खुद से जांच की. हालांकि, इसे "राजनीतिक कारणों से" बंद कर दिया गया.''
उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि राज्य अब इस फैसले को पलटने की कोशिश कर रहा है. पूर्वी जर्मन राज्य ब्रैंडेनबर्ग में दो साल पर्यावरण से जुड़े अपराध को लेकर विशेष अभियोजन कार्यालय चला. हालांकि वहां के लोगों ने स्टाफ की कमी की भी शिकायत की. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरणीय अपराध से निपटने के लिए प्रशिक्षित जजों, सरकारी वकील, पुलिस और सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ यूरोप भर में संचालन केंद्रों की जरूरत है.
सासा ब्रॉन का कहना है कि पर्यावरणीय अपराध को बाकी गंभीर अपराधों की तरह ही अंडरकवर जांच, वायरटैप और जीपीएस ट्रैकिंग समेत उन्हीं उपकरणों से लड़ा जाना चाहिए. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "इसे अक्सर छोटा अपराध माना जाता है ना कि हमारे भविष्य के खिलाफ अपराध."
जर्मन न्याय मंत्री पर कार्यकर्ताओं का दबाव
कुछ लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल पेश होने वाला नया यूरोपीय कानून यूरोपीय संघ के पर्यावरण कानूनों को सख्त बनायेगा. "यूरोप में, पर्यावरणीय अपराध के लिए असल तौर पर कोई सजा नहीं है. कानून तोड़ने वाले सजा से बच निकलते हैं और कानून मानने पर कम जोर दिया जाता है."
यूरोपीय पर्यावरण आयुक्त वर्जिनियस सिंकेविसियस ने पिछले साल कहा था- "हम पर्यावरणीय अपराध पर नये निर्देशों का प्रस्ताव लाकर बदलाव चाहते हैं जो पर्यावरणीय कानून के शासन को मजबूत करेगा." जर्मनी के प्रमुख पर्यावरण संघों को डर है कि प्रतिबंध उतने सख्त नहीं होंगे जितने होने चाहिए. जर्मन न्याय मंत्री मार्को बुशमैन को लिखे एक खुले पत्र में, उन्होंने उनसे यह सुनिश्चित करने की गुजारिश की कि यूरोपीय संघ आधुनिक और असरदार कानून अपनाये.
उन्होंने गंभीर पर्यावरणीय अपराधों की अधिकतम सजा को कम करने के साथ-साथ कंपनियों के लिए जुर्माना कम करने की वकालत करने के लिए बुशमैन की भी आलोचना की. बर्लिन के इकोलॉजिक इंस्टीट्यूट में पर्यावरण कानून में विशेषज्ञता रखने वाले एक वकील श्टेफान सिना ने डीडब्ल्यू को बताया कि और उपाय ज्यादा असरदार होंगे. उन्होंने कहा, ''प्रतिबंधों की बात आती है, तो यह अहम है कि किसी अपराध से होने वाले फायदे को नियम से जब्त किया जाए. यह आमतौर पर अपराधियों पर सजा से ज्यादा भारी पड़ता है." पर्यावरण के पक्षधरों के पास अभी भी अपना पक्ष रखने के लिए कुछ समय है. यूरोपीय संघ से सिर्फ अगले साल के मध्य तक नए निर्देश लागू करने की उम्मीद है. (dw.com)
युगांडा में वायरस के सूडान स्ट्रेन के खिलाफ कारगर वैक्सीन उपलब्ध ना होने से महामारी का प्रकोप बढ़ गया है. अब सीरम इंस्टीट्यूट इबोला के खिलाफ वैक्सीन बनाने की तैयारी में है.
भारत का सीरम इंस्टीट्यूट अब युगांडा को महामारी की मार से बचाने में जुट गया है. कंपनी ने 20,000 से 30,000 डोज इबोला वैक्सीन तैयार करने की योजना बनाई है. वैक्सीन बनाने में जुटे लोग और कंपनी के एक सूत्र के मुताबिक ये प्रयोगात्मक वैक्सीन होगी जिसे नवंबर तक परीक्षण के लिए तैयार कर लिया जाएगा. युगांडा में वायरस के सूडान स्ट्रेन के खिलाफ कारगर वैक्सीन उपलब्ध ना होने से महामारी का प्रकोप बढ़ गया है.
पिछले महीने से अब तक यहां इबोला के 54 मामले मिले हैं और 19 मौतें हो चुकी हैं. पिछले सप्ताह राजधानी कंपाला में पहला मामला दर्ज किया गया था. स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि असल संख्या ज्यादा हो सकती है.
वैक्सीन की सप्लाई मुफ्त
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इबोला वैक्सीन ने पहले चरण के ट्रायल में सूडान और जायरे दोनों स्ट्रेन के खिलाफ कुछ कारगर होता दिखा है. इसके डेवलपर्स ने बताया कि इसे युगांडा में नियामक मंजूरी मिलते ही क्लिनिकल ट्रायल में इस्तेमाल किया जा सकता है.
ऑक्सफोर्ड में इबोला वैक्सीन तैयार करने वाली टीम की चीफ साइंटिफिक इंवेस्टिगेटर टेरेसा लैम्बे ने रायटर्स को बताया, ''हम सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर वैक्सीन निर्माण को तेज करने के लिए काम कर रहे हैं. हम नवंबर के मध्य से आखिर तक करीब 20,000 से 30,000 या उससे भी ज्यादा बड़ी संख्या में डोज तैयार करने की उम्मीद कर रहे हैं.''
दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के सूत्र ने भी इस बात की पुष्टि की है. उनके मुताबिक इबोला वैक्सीन मुफ्त में सप्लाई की जाएगी.
सूडान स्ट्रेन के खिलाफ छह वैक्सीन हो रहे तैयार
युगांडा के सूचना मंत्री क्रिस बैरियोमुंशी ने कहा कि उन्हें वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख तेद्रोस अधनोम घेब्रेसेयूस ने पिछले सप्ताह कहा था कि दो वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल आने वाले हफ्तों में शुरू हो सकता है. इसके लिए युगांडा सरकार की मंजूरी का इंतजार है. उन्होंने वैक्सीन के नाम का खुलासा नहीं किया था.
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सूडान स्ट्रेन के खिलाफ कम से कम छह वैक्सीन तैयार किए जा रहे हैं जिनमें 3 वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल का डेटा भी तैयार है. इनमें से एक को वाशिंगटन, डीसी के साबिन वैक्सीन इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है.
वैक्सीन में निवेश की कमी से शोधकर्ताओं में निराशा
ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर में निराशा है कि उनकी वैक्सीन प्रकोप के शुरुआती समय तक इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं थी. उनका मानना है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दुनिया भर की सरकारों ने वैक्सीन में निवेश को पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दी. वैक्सीन कई सालों से विकास में है लेकिन कम फंडिंग की वजह से क्लीनिकल ट्रायल में तेजी नहीं आ सकी.
ऑक्सफोर्ड के एक एसोसिएट प्रोफेसर सैंडी डगलस कहते हैं- "बेहतर निवेश हो तो दुनिया को इबोला और दूसरी कई बीमारियों के खिलाफ आसानी से शीशियों में तैयार वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है. जो काम पहले किया जा सकता था, उस पर हम कई महीने बिता चुके हैं."
दुनिया में जितने लोग हैं, स्मार्ट फोन की संख्या उससे दोगुनी से भी ज्यादा है. भारत की आबादी के करीब तीन गुना फोन इस साल फेंक दिए जाएंगे.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निवारणपर काम करने वाली संस्था वेस्ट इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट (WEEE) ने कहा है कि इस साल दुनियाभर में 5.3 अरब फोन फेंक दिए जाएंगे. संस्था का यह अनुमान वैश्विक व्यापार के आंकड़ों पर आधारित है.
दुनिया में ई-कचरे के बढ़ते संकट को दिखाते इस शोध में कहा गया है कि ऐसे लोगों की तादाद काफी बड़ी है जो अपने पुराने फोन को रीसाइकल करने के बजाय रखे रहते हैं. ई-कचरा का दोहरा नुकसान है क्योंकि इसे फेंकने के कारण जलवायु को नुकसान होता है और इसमें इस्तेमाल कीमती धातुओं को यदि रिसाइक्लिंग के दौरान निकाला नहीं जाता है तो खनन के जरिए उन्हें पृथ्वी से निकालना पड़ता है, जिसके अपने कई नुकसान हैं.
एक स्मार्टफोन के अंदर 62 धातुएं हो सकती हैं. आईफोन के पुर्जों में सोना, चांदी और पैलेडियम जैसी बेशकीमती धातु भी होती हैं जिन्हें एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में खनन से निकाला जाता है.
संस्था के महानिदेशक पास्कल लीरॉय ने कहा कि लोगों को अंदाजा नहीं है कि ई-कचरे में मौजूद कीमती धातुओं की मात्रा कितनी बड़ी है. वह कहते हैं, "लोगों को अहसास नहीं है कि देखने में सामान्य लगने वालीं इन चीजों को अगर वैश्विक स्तर पर एक साथ रखा जाए तो कितनी बड़ी मात्रा बन सकती है.”
16 अरब फोन
एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में इस वक्त 16 अरब से ज्यादा मोबाइल फोन हैं. यूरोप में जितने फोन हैं, उनमें से लगभग एक तिहाई इस्तेमाल नहीं होते. डब्ल्यू ट्रिपल ई का शोध दिखाता है कि इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा 2030 तक सालाना 7.4 करोड़ टन की दर से बढ़ने लगेगा.
इस कचरे में सिर्फ फोन शामिल नहीं हैं. टैबलेट और कंप्यूटर से लेकर वॉशिंग मशीन, टोस्टर और फ्रिज व जीपीएस मशीन तक ई-कचरे का बड़ा हिस्सा बन रहे हैं.
एक अनुमान के मुताबिक 2018 में पूरी दुनिया में 5 करोड़ टन ई-कचरा जमा हुआ. इस कचरे में कंप्यूटर प्रोडक्ट्स, स्क्रीन्स, स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और हीटिंग या कूलिंग वाले उपकरण सबसे ज्यादा थे. इसमें से सिर्फ 20 फीसदी कचरे की रिसाइक्लिंग हुई, बाकी खुली जमीन या नदियों और समंदर तक पहुंच गए.
भारत की स्थिति
इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करने के मामले में भारत दुनिया का पांचवां बड़ा देश है. भारत में हर साल करीब 10 लाख टन ई-कचरा निकलता है. भारतीय शहरों में पैदा होने वाले इलेक्ट्रॉनिक कचरे में सबसे ज्यादा कंप्यूटर होते हैं. ऐसे ई कचरे में 40 फीसदी सीसा और 70 फीसदी भारी धातुएं मिलीं हैं.
एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे देश में लाखों टन ई-कचरे का महज तीन से दस फीसदी ही इकट्ठा किया जाता है. नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के पिछले दिसंबर 2020 में पेश इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में ई-कचरा कलेक्शन का लक्ष्य था 35,422 टन लेकिन कलेक्शन हुआ 25,325 टन.
इसी तरह 2018-19 में लक्ष्य था 1,54,242 टन लेकिन जमा हुआ 78,281 टन. और अगले ही साल यानी 2019-20 में भारत में 10,14,961 टन ई-कचरा पैदा कर दिया गया. (dw.com)
ऑस्ट्रेलिया, 18 अक्टूबर । ऑस्ट्रेलिया ने पश्चिमी येरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का चार साल पुराना फ़ैसला पलट दिया है.
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने 2018 में जो फ़ैसला किया था उसमें विश्व शांति की अनदेखी की गई थी और इस फ़ैसले ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरे देशों से अलग-थलग कर दिया था.
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के इसराइल के मैत्री संबंध पहले जैसे ही रहेंगे, लेकिन दूतावास तेल अवीव में ही रहेगा. येरूशलम को लेकर इसराइल और फ़लस्तीन के बीच विवाद लंबे समय से चल रहा है.
इसराइल के विदेश मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया के इस कदम पर 'घोर निराशा' जताई है. इसराइली मीडिया ने कहा है कि इसराइल इस मामले में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत को तलब करेगा और अपनी चिंता से अवगत कराएगा.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को साल 2017 में आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब उन्होंने अमेरिका की विदेश नीति के उलट येरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी.
इसके बाद मई 2018 में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम स्थानांतरित कर दिया गया था.
इसके कुछ महीनों बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी अमेरिका की राह पर चलने की घोषणा की थी, लेकिन कहा था कि फ़िलहाल दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम नहीं ले जाया जाएगा.
मॉस्को, 17 अक्टूबर। रूस का एक युद्धक विमान सोमवार को इंजन में खराबी आने के बाद अजोव सागर के किनारे स्थित रूसी शहर के रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी।
घटना के कारण नौ मंजिला इमारत की कई मंजिलों में भीषण आग लग गयी।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सु-34 के एक इंजन में उड़ान भरने के दौरान आग लगने के बाद वह येस्क बंदरगाह शहर में नीचे गिर गया।
उसने बताया कि चालक दल के दोनों सदस्य सुरक्षित बाहर निकल गए लेकिन विमान एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
स्थानीय प्राधिकारियों ने बताया कि कम से कम तीन निवासियों की मौत हो गयी और 21 अन्य घायल हो गए, जिनमें से आठ की हालत गंभीर है।
उन्होंने बताया कि कम से कम 17 अपार्टमेंट आग लगने से प्रभावित हुए हैं और करीब 100 निवासियों को बाहर निकाला गया है।
क्रेमलिन ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दुर्घटना की जानकारी दी गयी है और स्वास्थ्य एवं आपात मंत्रियों के साथ ही स्थानीय गवर्नर को दुर्घटनास्थल पर जाने का आदेश दिया गया है। 90,000 की आबादी वाला येस्क शहर रूस का बड़ा हवाई अड्डा है।
क्षेत्रीय गवर्नर वेनियामिन कोंद्रात्येव ने कहा कि आपात सेवाओं ने आग पर काबू पा लिया है। (एपी)
-अहमद इजाज़ी
पाकिस्तान में रविवार को नेशनल असेंबली की आठ सीटों और प्रांतीय विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे. उपचुनावों में इमरान ख़ान की पार्टी ने आठ में से छह सीटों पर जबकि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने दो सीटों पर जीत हासिल की.
पंजाब की तीन प्रांतीय सीटों में से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने दो और मुस्लिम लीग-नून ने एक सीट जीती.
पीटीआई के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ख़ुद नेशनल असेंबली की आठ सीटों में से सात के लिए उम्मीदवार थे. शाह महमूद कुरैशी की बेटी मेहर बानो कुरैशी ने मुल्तान सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वो पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी के बेटे अली मूसा गिलानी से चुनाव हार गईं.
अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) एनपी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा, जमीयत उलेमा इस्लाम एफ़ (जेयूआईएफ़) ने एक सीट, पीपल्स पार्टी ने दो सीटों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) ने दो सीटों और मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन किसी भी पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई.
इमरान ख़ान ने नेशनल असेंबली की आठ में से सात सीटों पर चुनाव लड़ा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए छह में सफल रहे.
साल 2018 के आम चुनाव में उन्होंने नेशनल असेंबली की पांच सीटों पर जीत हासिल की थी. इसलिए, यह कहा जा सकता है कि वे राजनीतिक लोकप्रियता की ऊंचाइयों को छू रहे हैं.
ख़ैबर पख्तूनख्वा में, पिछले साल के स्थानीय सरकार के चुनावों के परिणाम, खासकर पहले चरण में पीटीआई को एक बड़ा झटका लगा था, लेकिन उपचुनाव में तीन सीटों पर मिली सफलता ने पार्टी के विश्वास को बढ़ाया.
ख़ैबर पख्तूनख्वा के मोर्चे पर एएनपी, जेयूआईएफ और उनके सहयोगी पूरी तरह से हार गए. इसी तरह, पंजाब के दो सबसे महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों, फ़ैसलाबाद एनए 108 और ननकाना साहिब एनए 118 में इमरान ख़ान ने पीएमएल-एन के उम्मीदवारों को हराया है.
इस साल जुलाई में प्रांतीय निर्वाचन क्षेत्रों में हार के बाद पंजाब में पीएमएल-एन की यह हार एक बहुत ही चिंताजनक पहलू है. इसी तरह कराची के एक निर्वाचन क्षेत्र में इमरान ख़ान ने एमक्यूएम के उम्मीदवार को हराकर कराची में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी है.
अब सवाल यह है कि चुनावी नतीजों की लोकप्रियता के बाद क्या इमरान ख़ान और आक्रामक रुख अख्तियार कर सकते हैं?
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक सोहेल वराइच का कहना है कि ''इमरान ख़ान नेशनल असेंबली की छह सीटों पर जीत से खुश होंगे और इसे अपनी लोकप्रियता की जीत कहेंगे, जिसके बाद वह हवा के घोड़े पर सवार होंगे.''
चुनावी मामलों के विशेषज्ञ अहमद बिलाल महबूब ने कहा, ''नेशनल असेंबली की सीटों पर पीटीआई के शानदार प्रदर्शन ने इमरान ख़ान की लोकप्रियता पर मुहर लगा दी है. अब वे ऊंचे स्वर में निकलेंगे.''
उपचुनाव की ख़ास बातें
पाकिस्तान में रविवार को नेशनल असेंबली की आठ सीटों और प्रांतीय विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव हुए.
इमरान ख़ान की पार्टी ने नेशनल असेंबली की आठ में से छह सीटों सीटों पर जीत दर्ज की.
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने दो सीटों पर जीत हासिल की.
पंजाब की तीन प्रांतीय सीटों में से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने दो सीटें जीती.
मुस्लिम लीग-नून को एक सीट पर जीत मिली.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान खुद नेशनल असेंबली की आठ सीटों में से सात के लिए उम्मीदवार थे.
शाह महमूद कुरैशी की बेटी मेहर बानो कुरैशी ने मुल्तान सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गईं.
पीटीआई कार्यकर्ताओं के बारे में यह भी धारणा है कि वे इमरान ख़ान की रैलियों में भाग लेते हैं, लेकिन मतदान में चुनावी रैलियों की तरह उत्साह नहीं दिखाते हैं.
इसके अलावा इमरान ख़ान सोशल मीडिया पर काफ़ी लोकप्रिय हैं और मीडिया में रहने का हुनर जानते हैं. लेकिन इमरान ख़ान को अपने क्षेत्र की राजनीति और युवा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले उनके वोटर की समस्याओं को ज़रूर समझना चाहिए.
इमरान ख़ान लगातार भाषण देते हैं, सोशल मीडिया पर लिखते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनकी बातों का असर कम होता है. इसलिए यह संभव है कि मतदान केंद्र तक लोगों को अपने पक्ष में आकर्षित करने में अक्सर विफल हो जाते हैं, ऐसा जानकारों का मानना है.
हालांकि, रविवार को हुए चुनाव ने इमरान ख़ान के वोटरों को एक अलग ही रूप दे दिया है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या इमरान ख़ान अपनी राजनीतिक श्रेष्ठता को हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगे?
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इमरान ख़ान नवंबर में होने वाली सेना प्रमुख की महत्वपूर्ण नियुक्ति को प्रभावित करने के लिए अपने नेतृत्व का इस्तेमाल करेंगे.
उपचुनाव से पहले ही, यह पहलू राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा में था कि इमरान ख़ान पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी को यह एहसास कराना चाहते हैं कि वह सबसे लोकप्रिय नेता हैं. वक़्त और लोग उनके साथ हैं.
इसलिए उपचुनाव में ज़्यादा सीटें जीतने के बाद वे यह दिखावा करेंगे कि सत्ताधारी पार्टी अपनी ग़लती समझ गई है.
जीत के बाद क्या करेंगे इमरान
कुछ ऐसा ही असद उमर ने रविवार रात चुनाव परिणाम के समय कहा था. उन्होंने कहा, ''छह महीने में क्या हुआ, लोगों ने आज अपना गुस्सा निकाला, निर्णय लेने वालों को अपनी ग़लती समझनी चाहिए.''
उपचुनाव के नतीजों से इमरान ख़ान सत्ता पक्ष पर दबाव बनाकर अपने लिए राजनीतिक जगह बनाने की कोशिश कर सकते हैं.
इमरान ख़ान हाल के दिनों में कई बार लॉन्ग मार्च के संकेत दे चुके हैं, लेकिन इसी सिलसिले में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से शपथ भी ली है.
उपचुनाव से पहले कहा जा रहा था कि अगर इमरान ख़ान जीते तो जनता उनके साथ है और अगर हार गए तो इस्लामाबाद में यह कहते हुए चुनाव आयोग की आलोचना करेंगे कि हमारे साथ धांधली हुई है.
अब जबकि उन्होंने ख़ुद सात में से छह सीटें औपचारिक और अनौपचारिक परिणामों के अनुसार जीत ली हैं, तो संभावित लॉन्ग मार्च कितना प्रभावी हो सकता है?
इस सवाल के जवाब में राजनीतिक विश्लेषक मुर्तजा सोलंगी ने कहा, ''इमरान ख़ान ने उपचुनाव जीतने के लिए अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल किया और इस सफलता की बदौलत उन्होंने इस्लामाबाद लॉन्ग मार्च को सही ठहराया और कुछ हद तक उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल किया.''
जबकि राजनीतिक विश्लेषक सलमान गनी इससे अलग राय रखते हैं. वो कहते हैं, ''मुझे लगता है कि इमरान ख़ान अपनी जीत के बाद एक लंबा मार्च नहीं करेंगे. वह फ़िलहाल अपने पुराने साथियों और वकीलों की सलाह पर भरोसा कर रहे हैं.''
पंजाब में PML-N की हार का क्या मतलब है?
पीएमएल-एन उम्मीदवारों को पीटीआई के अध्यक्ष इमरान ख़ान से मुकाबले में पंजाब में नेशनल असेंबली की दो सीटों एनए-108 और एनए-118 में हार का सामना करना पड़ा.
फ़ैसलाबाद की एनए 108 सीट पर आबिद शेर अली स्पष्ट रूप से हार गए थे जबकि ननकाना साहिब सीट पर शजरा मनसब अपनी सीट नहीं बचा सके.
अब सवाल यह है कि मुस्लिम लीग नून का वोटर कहां गया?
विश्लेषकों का मानना है कि पीएमएल-एन का मतदान प्रतिशत धीरे-धीरे कम हो रहा है और यह पहलू इस पार्टी के लिए बेहद चिंताजनक है.
सोहेल वड़ैच के मुताबिक़, ''ये चुनाव लोकप्रियता के बखान पर हुए थे. पंजाब से पीएमएल-एन की सीटों का नुक़सान उनके लिए चिंता का विषय होगा. मुस्लिम लीग-एन के पास वोट बैंक है, लेकिन अब यह घट रहा है. यह हार मुस्लिम लीग-एन पर दबाव बनाएगी.''
पंजाब में पीएमएल-एन की हार पर मुर्तजा सोलंगी ने कहा, ''पीएमएल-एन पंजाब में हार गई है. उपचुनाव की लड़ाई में इस पार्टी को सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ. मुस्लिम लीग-नून ने इस चुनाव में अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन नहीं किया.''
देखा जाए तो चुनाव लड़ रहे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) में शामिल पार्टियों का प्रदर्शन बिल्कुल ख़राब रहा है, लेकिन क्या यह प्रदर्शन पीडीएम की एकता कायम रख पाएगा या उसमें दरार पड़ सकती है?
इस सवाल के जवाब में अहमद बिलाल महबूब ने कहा कि ''पीडीएम का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. यदि उनका प्रदर्शन अच्छा होता तो इस गठबंधन में शामिल दलों का विश्वास बढ़ जाता, लेकिन मौजूदा प्रदर्शन से उनका विश्वास टूट सकता है और गठबंधन कायम नहीं रह सकता है.''
विश्लेषक सलमान गनी ने कहा कि पीडीएम में शामिल पार्टियों पर दबाव जरूर है, लेकिन सरकार की सहयोगी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने नेशनल असेंबली में दो सीटें जीतकर दबाव कम किया है. एक प्रांतीय सीट भी मुस्लिम लीग-एन ने जीती है. (bbc.com/hindi)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 17 अक्टूबर। ब्रिटेन के नए वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने विवाद का विषय बनी हुई सभी कर कटौतियों को वापस लेने के साथ ही एक आपातकालीन वित्तीय बयान में महंगे ऊर्जा बिल समर्थन को भी कम करने की घोषणा की।
हंट का यह बयान ब्रिटेन की 'राजकोषीय स्थिरता' के बारे में बाजारों को आश्वस्त करने और अपने पूर्ववर्ती क्वासी क्वारटेंग द्वारा पिछले महीने पेश किए गए मिनी बजट से लगे झटके को शांत करने का एक प्रयास है।
हंट ने कहा कि ब्रिटेन की वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक आयकर में एक पेंस की कटौती के फैसले को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है। पूर्व वित्त मंत्री क्वारटेंग ने अपने मिनी बजट में इसे अप्रैल 2023 से लागू करने का ऐलान किया था।
इसके अलावा सरकार की ऊर्जा मूल्य गारंटी केवल अप्रैल तक ही सार्वभौमिक होगी, जबकि मूल रूप से योजना दो साल के लिए थी।
हंट ने एक बयान में कहा, 'सरकार ने आज मिनी बजट में और बदलाव करने का फैसला किया है... हमने मध्यावधि की वित्तीय योजना से पहले इनकी घोषणा करने का फैसला किया है।'
उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री लिज ट्रस और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली के साथ बैठक के बाद कुछ उपायों को तेजी से लागू करने का फैसला किया। ब्रिटेन में 31 अक्टूबर को विस्तृत मध्यावधि वित्तीय योजना पेश की जानी है।
ट्रस ने गत शुक्रवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी में शीर्ष पद के दावेदार रहे हंट को नया वित्त मंत्री बनाया था। इसके साथ ही उन्होंने कर कटौती के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने अपने करीबी मंत्री क्वारटेंग को पद से बर्खास्त कर दिया था। पिछले महीने के अंत में कर कटौती के प्रस्ताव वाले ‘मिनी बजट’ के कारण अर्थव्यवस्था में आए उठा-पटक को रोकने के लिये यह कदम उठाया गया है।
बोरिस जॉनसन के जुलाई में इस्तीफा देने के बाद हंट खुद शीर्ष पद की दौड़ में थे। लेकिन, कंजर्वेटिव पार्टी के पर्याप्त सदस्यों का समर्थन नहीं मिलने पर उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री सुनक को समर्थन दिया था। उनकी नियुक्ति को ट्रस द्वारा पार्टी के भीतर मतभेद को दूर करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। (भाषा)
स्टाकहोम, 17 अक्टूबर। स्वीडन की संसद ने सोमवार को परंपरावादी मॉडरेट पार्टी के नेता उल्फ क्रिस्टर्सन (59) का प्रधानमंत्री के रूप में चुनाव किया।
वह ऐसे गठबंधन के प्रमुख होंगे जिसे कभी कट्टरपंथी दक्षिणपंथी रही ‘‘स्वीडन डेमोक्रेट्स’’ पार्टी का भी समर्थन प्राप्त है।
क्रिस्टर्सन 173 के मुकाबले 176 मतों से निर्वाचित हुए। उनकी सरकार के मंगलवार को कार्यभार ग्रहण करने की उम्मीद है।
उनके गठबंधन में तीन दल शामिल हैं हालांकि गठबंधन के पास बहुमत नहीं है। लेकिन स्वीडन में, प्रधानमंत्री तब तक शासन कर सकते हैं जब तक कि संसद में उनके खिलाफ बहुमत नहीं हो।
स्वीडन डेमोक्रेट्स के साथ करीब एक महीने हुई बातचीत के बाद, यह समझौता आकार ले सका है।
क्रिस्टर्सन की गठबंधन सरकार में उनकी पार्टी के साथ क्रिस्चियन डेमोक्रेट्स भी शामिल होगी। हालांकि क्रिस्टर्सन ने कहा है कि वह स्वीडन डेमोक्रेट्स के साथ "निकट संपर्क’’ में रहेंगे।
संसद में बहुमत प्राप्त करने के लिए वह स्वीडन डेमोक्रेट्स के समर्थन पर निर्भर हैं। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि कैबिनेट में शामिल हुए बिना भी पार्टी सरकार की नीति को प्रभावित कर सकती है।
दक्षिणपंथी चरमपंथियों ने 1980 के दशक में स्वीडन डेमोक्रेट्स की स्थापना की थी। जिमी एक्सन ने 2005 में पार्टी की कमान संभाल ली और उसके बाद पार्टी की बयानबाजी में नरमी आई है और कुछ नस्लवादी सदस्यों को पार्टी से निष्कासित भी किया गया था। (एपी)
मनीला, 17 अक्टूबर। मध्य फिलीपीन में सेना का एक ट्रक टायर फटने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे सात सैनिकों की मौत हो गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि बारिश के कारण ट्रक का टायर फट गया और वाहन पलटकर सड़क किनारे खड़े एक ‘सीमेंट मिक्सर’ से टकरा गया। मस्बते प्रांत के तटीय शहर उसॉन में रविवार रात हुए इस हादसे में सेना के सात अन्य जवान घायल भी हो गए। सैनिक सेना के एक शिविर से भोजन व अन्य सामग्री प्राप्त करने के बाद वापस अपनी टुकड़ी की ओर जा रहे थे।
क्षेत्रीय सेना कमांडर मेजर जनरल एलेक्स लूना ने बताया कि इनमें से कुछ सैनिक खुफिया जानकारी जुटाने के एक ‘मिशन’ से लौट रहे थे।
पुलिस के जांच अधिकारी सार्जेंट लादिस्लाओ जुमाओ ने बताया कि ट्रक का पीछे वाला एक टायर फटने से वाहन पलट गया और सड़क किनारे खड़े एक ‘सीमेंट मिक्सर’ से टकरा गया। हादसे में किसी तरह की साजिश के काई सबूत नहीं मिले हैं। (एपी)
ईरान, 17 अक्टूबर । ईरान की कुख्यात एविन जेल में आग लगने से मरने वालों की संख्या चार से बढ़कर आठ हो गई है. ये जानकारी ईरान की न्यायपालिका ने एक बयान जारी कर दी है.
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात तेहरान की जेल में लगी आग में दर्जनों लोग घायल हो गए हैं.
पिछले एक महीने से ईरान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल सैकड़ों लोगों को एविन जेल में भेजा गया है. हालांकि यह अभी साफ़ नहीं है कि आग की घटना का प्रदर्शनकारियों से कुछ लेना-देना है.
न्यायपालिका ने अपने बयान में कहा कि कैदियों के बीच लड़ाई के बाद जेल की एक वर्कशॉप में आग लगी.
सरकारी टीवी के मुताबिक जेल में आग लगना, कैदियों की एक योजना का हिस्सा था, आग के सहारे कैदी जेल से भागना चाहते थे जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया है.
वहीं जेल के अंदर एक चश्मदीद ने बीबीसी फ़ारसी को बताया कि कैदियों ने आग नहीं लगाई है. (bbc.com/hindi)
कीएव, 17 अक्टूबर । यूक्रेन की राजधानी कीएव में कम से कम चार विस्फोट हुए हैं. वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के सलाहकार का कहना है कि रूस ने कामिकेज़ ड्रोन के ज़रिए ये हमले किए हैं.
राष्ट्रपति के स्टाफ हेड एंड्री यरमक ने कहा कि ये हमले रूस की हताशा को दिखाते हैं.
मायकोलाइव शहर के मेयर का कहना है कि उनके यहां इसी तरह के ड्रोन के ज़रिए सूरजमुखी के तेल के टैंकों में आग लगाई गई.
एक हफ्ता पहले राजधानी कीएव समेत यूक्रेन के कई शहरों पर रूस ने मिसाइल हमले किए थे. जिसमें 19 लोग मारे गए थे.
यूक्रेन की वायु सेना के एक अधिकारी का मानना है कि ये कामिकेज़ ड्रोन ईरान निर्मित हैं. इन्होंने दक्षिण दिशा से यूक्रेन में एंट्री ली थी.
ऑलेक्सेंडर सेंकेविच ने बताया की कीएव में हमले से पहले रविवार के देर शाम यूक्रेन के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक माइकोलाइव में तीन ड्रोनों ने तेल के टैंकों में आग लगा दी थी.
इसके बाद सोमवार सुबह इसी तरह के ड्रोन हमले कीएव में किए गए.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का कहना है कि रूस यूक्रेन के नागरिकों को डराने के लिए आबादी वाले शहरों में हमला कर रहा है. (bbc.com/hindi)
ग्रीस, 17 अक्टूबर । ग्रीस और तुर्की की सीमा पर करीब 100 पुरुषों के नग्न हाल में मिलने पर संयुक्त राष्ट्र ने 'गहरी चिंता' ज़ाहिर की है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है.
ग्रीस की पुलिस ने बताया कि तुर्की से सटी उत्तरी सीमा के पास से इन पुरुषों को बचाया गया है. इनमें से कुछ पुरुष घायल भी हैं. हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि इतने सारे लोग इस अवस्था में वहां कैसे पहुँचे.
ग्रीस ने तुर्की पर आरोप लगाते हुए उसके व्यवहार को 'सभ्यता का अपमान' बताया है. वहीं, तुर्की ने अपने पड़ोसी के दावों को 'झूठा' बताते हुए उसपर 'बर्बरता' का आरोप लगाया है.
ग्रीस की पुलिस और यूरोपियन संघ की बॉर्डर एजेंसी फ़्रंटेक्स की जाँच से पता लगा है कि ये सभी प्रवासी हैं जो तुर्क़ी से नदी पार करते हुए ग्रीस के क्षेत्र में घुसे.
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मामले में बयान जारी करके कहा है कि वो ग्रीस और तुर्की की सीमा के पास से 100 पुरुषों के नग्न अवस्था में मिलने से 'बेहद चिंतित' है.
साल 2015 और 2016 के बीच ग्रीस में शरणार्थियों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी, जब सीरिया, इराक और अफ़गानिस्तान में युद्ध और गरीबी झेलने वाले लाखों शरणार्थी तुर्की के रास्ते वहां पहुँच रहे थे.
हालांकि, उसके बाद शरणार्थियों की संख्या कम हुई. लेकिन ग्रीस के अधिकारियों का कहना है कि हाल के समय में तुर्की की ज़मीन से उसके क्षेत्र में घुसने वाले शरणार्थियों की संख्या फिर बढ़ने लगी है.
सुसिता फर्नांडो
कोलंबो, 17 अक्टूबर | श्रीलंका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने लगातार हो रही भारी बारिश के कारण आने वाले हफ्तों में डेंगू के प्रकोप की चेतावनी दी है।
इस साल अब तक, श्रीलंका में 61,000 से अधिक डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2021 के पहले 10 महीनों में लगभग 20,000 मामले दर्ज किए गए थे।
इस बीमारी से तीन लोगों की जान भी चली गई है।
नेशनल डेंगू कंट्रोल यूनिट के अनुसार, अधिकतर मामले पश्चिमी प्रांत से सामने आए हैं, जिनमें सबसे अधिक मामले कोलंबो जिले में दर्ज किए गए हैं।
इस बीच, भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से करीब 15,400 परिवार प्रभावित हुए हैं, जिसके बुधवार तक जारी रहने का अनुमान है।
पांच घर और नौ व्यवसाय पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि लगभग 200 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अधिकारियों को बारिश और बाढ़ से प्रभावित लोगों को भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। श्रीलंका नौसेना के 36 राहत दलों को राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयार रखा गया है। (आईएएनएस)
कीएव, 17 अक्टूबर । यूक्रेन की राजधानी कीएव में कम से तीन धमाके सुने गए हैं.
कीएव के मेयर विताली क्लित्स्को ने बताया कि धमाकों से सेंट्रल शेवचेंकिवस्की की रिहायशी इमारत को नुकसान पहुंचा है. राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के दफ्तर ने दावा किया कि धमाके कामिकेज़े ड्रोन्स से किए गए.
पिछले हफ्ते भी यूक्रेन के कई शहरों में रूस ने मिसाइलों से हमला किया था, जिसमें कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी. कीएव में मौजूद बीबीसी संवाददाता पॉल एडम्स के मुताबिक ये धमाके स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे हुए.
सोशल मीडिया साइट टेलीग्राम पर धमाकों की जानकारी देते हुए क्लित्स्को ने कहा कि धमाके शेवचेंकिवस्की ज़िले में हुए, जिसे पिछले हफ्ते भी निशाना बनाया गया था.
उन्होंने बताया कि बचावकर्मी घटनास्थल पर पहुँच गए हैं. उन्होंने लोगों से हवाई हमलों से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर रहने को कहा है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूक्रेन की स्पेशल सर्विस क्राइमिया के पुल पर हमले के लिए ज़िम्मेदार है. उन्होंने कहा कि क्राइमिया के पुल को नुक़सान पहुँचाने जाने के बाद रूस ने बदला लिया है.
कीव, 17 अक्टूबर। यूक्रेन के कई शहरों पर पिछले सप्ताह रूस द्वारा किए गए हमलों के बाद सोमवार को मध्य कीव एक बार फिर फिर कई धमाकों से दहल गया।
कीव शहर के मेयर विटाली क्लिचको ने कहा कि राजधानी का मध्य शेवचेंको जिला इस हमले से प्रभावित हुआ है और निवासियों से जान बचाने के लिए शरणार्थी केंद्रों का रूख करने का आग्रह किया गया। हमले को लेकर हालांकि तत्काल अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकीं।
विस्फोट उसी मध्य जिले में कि गए जहां एक सप्ताह पहले एक रूसी मिसाइल ने बच्चों के खेल के मैदान और कीव नेशनल यूनिवर्सिटी की मुख्य इमारतों के पास चौराहे को निशाना बनाया था।
सोशल मीडिया पर अपलोड की गई तस्वीरों और पोस्ट में स्पष्ट रूप से मध्य कीव के क्षेत्र में आग लगने के कारण काले धुएं का गुबार दिखाई दे रहा था।
यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख एंड्री यरमक ने सोशल मीडिया मंच ‘टेलीग्राम’ पर एक पोस्ट में लिखा, रूसी बलों ने कीव पर ईरानी शाहेद ड्रोन से हमला किया।
रूस हाल के सप्ताह में बिजली केंद्रों सहित बुनियादी ढांचे को लक्षित करने के लिए तथाकथित आत्मघाती ड्रोन का बार-बार उपयोग कर रहा है।
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार रात अपने संबोधन में कहा कि दोनेत्स्क क्षेत्र के बखमुट और सोलेदार शहरों के आसपास भारी लड़ाई चल रही थी। (एपी)
बर्लिन, 17 अक्टूबर। ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ ने दुनिया भर से पोलियो को जड़ से मिटाने के लिए 1.2 अरब डॉलर देने की घोषणा की है।
फाउंडेशन ने रविवार को एक बयान में कहा, इस पैसे का इस्तेमाल 2026 तक वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल की रणनीति को पूरी तरह लागू करने के लिए किया जाएगा। इस पहल के तहत पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
बयान के अनुसार, इस पैसे का इस्तेमाल वायरस के नए स्वरूपों के प्रकोप को रोकने के लिए भी किया जाएगा।
फाउंडेशन ने यह घोषणा रविवार को बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में की।
फाउंडेशन की वेबसाइट पर जारी एक बयान के अनुसार, उसने पोलियो उन्मूलन पहल के लिए अभी तक करीब पांच अरब डॉलर डालर दिए हैं। इस पहल के तहत पोलियो अभियानों को व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके जरिए ‘नोवल ओरल पोलियो वैक्सीन टाइप-2’ के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क सुज़मैन ने कहा, ‘‘ इसे (पोलियो) जड़ से खत्म करने का आखिरी चरण अभी तक सबसे जटिल रहा है। फाउंडेशन पोलियो मुक्त भविष्य के निर्माण को लेकर प्रतिबद्ध है और हमें उम्मीद है कि ऐसा जल्दी होगा।’’
पाकिस्तान में इस साल अब तक पोलियो के 20 मामले सामने आए हैं। ये सभी उसके उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सामने आए।
वहीं अफगानिस्तान में अभी तक इस साल पोलियो के दो मामले सामने आए हैं। तालिबान के देश की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद से वहां बढ़ती हिंसा व तालिबान के पोलियो अभियान से जुड़े दलों पर प्रतिबंध लगाने के कारण पोलियो के टीके कई स्थानों पर पहुंच नहीं पा रहे हैं। हालांकि पिछले साल सत्ता में आने के कुछ महीने बाद तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य कर्मियों को एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की थी। (एपी)
काठमांडू, 16 अक्टूबर | नेपाल के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले साहित्यकार और इतिहासकार सत्य मोहन जोशी का 103 वर्ष की उम्र में रविवार को यहां केआईएसटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में निधन हो गया। द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जोशी को 23 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें मूत्र संक्रमण, छाती और हृदय संबंधी समस्याओं का पता चला था।
जोशी का इलाज कर रहे डॉक्टर सूरज बजराचार्य ने बताया कि जोशी ने सुबह 7.09 बजे अंतिम सांस ली।
1919 में पट्टन में जन्मे जोशी ने 60 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
वह तीन बार मदन पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे और उन्हें 'बंगमाया शताब्दी पुरुष' (मैन ऑफ द सेंचुरी) के रूप में सम्मानित किया गया था। (आईएएनएस)
मेक्सिको, 16 अक्टूबर | मेक्सिको के गुआनाजुआतो प्रांत के इरापुआटो शहर में एक बार में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। सीएनएन ने शहर के नागरिक सुरक्षा सचिव के बयान के हवाले से बताया कि शनिवार शाम को हुई इस घटना में लगभग छह पुरुष और इतनी ही महिलाएं मारी गई।
अज्ञात बंदूकधारियों की तलाश की जा रही है।
गुआनाजुआतो राज्य में एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी सामूहिक गोलीबारी है।
इससे पहले की घटना में मेक्सिको के सैन मिगुएल तोतोलापन शहर के एक टाउन हॉल में बंदूकधारियों द्वारा की गई गोलीबारी में शहर के एक मेयर सहित 18 लोगों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे। (आईएएनएस)
मास्को, 16 अक्टूबर यूक्रेन के पास रूसी सैन्य ‘‘फायरिंग रेंज’’ में दो लोगों ने सैनिकों पर गोलीबारी की, जिसमें 11 लोग मारे गए और 15 घायल हो गए। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि यह गोलीबारी शनिवार को दक्षिण-पश्चिमी रूस के बेलगोरोद क्षेत्र में हुई जो यूक्रेन की सीमा से लगता है। इस बयान के अनुसार, पूर्व सोवियत गणराज्य के दो अज्ञात लोगों ने लक्ष्य अभ्यास के दौरान स्वयंसेवी सैनिकों पर गोलीबारी की और जवाबी कार्रवाई में दोनों मारे गए।
मंत्रालय ने इस घटना को आतंकवादी हमला बताया।
यह गोलीबारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन में रूसी सेना को मजबूत करने के लिए सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त आम नागरिकों की जल्द तैनाती किए जाने के आदेश के बीच हुई। राष्ट्रपति के इस आदेश के विरोध में रूस भर में प्रदर्शन शुरू हो गए और हजारों की संख्या में लोग देश छोड़ कर अन्यत्र चले गए।
पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि 2,22,000 से 3,00,000 सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नागरिकों की सेना में तैनाती संबंधी आदेश पर अमल शुरू किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें से 33,000 पहले ही सैन्य इकाइयों में शामिल हो चुके हैं जबकि 16,000 यूक्रेन में जारी सैन्य अभियान का हिस्सा बन चुके हैं।
पुतिन द्वारा सितंबर में जारी इस आदेश के तहत 65 वर्ष से कम आयु के लगभग सभी पुरुष सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नागरिकों के रूप में पंजीकृत हैं। इस फैसले पर आम जनता में नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। राष्ट्रपति के इस आदेश के बाद हजारों लोग रूस छोड़कर पड़ोसी देशों में पलायन करने लगे।
पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन में फरवरी में रूस के हमले शुरू होने के बाद से दोनों ही देशों को गहरी सैन्य और नागरिक क्षति उठानी पड़ी है। (एपी)