राजनीति
पटना, 24 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होना है, इससे चार दिन पहले शनिवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने घोषणा पत्र जारी की। घोषणा पत्र को 'वचन पत्र' बताते हुए रालोसपा ने रोजगारों को रोजगार देने का वादा किया है। रालोसपा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा जारी घोषणा पत्र में 'उपेंद्र हैं, तो उम्मीद है' का नारा देते नौजवानों को रोजगार, विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का वादा किया गया है।
उन्होंने नारा देते हुए कहा, 'न 15 साल वाली ये सरकार, न 15 साल वाली वो सरकार। अबकी बार शिक्षा और रोजगार वाली सरकार।'
रालोसपा के घोषणा पत्र में 25 सूत्री कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें दवाई, कड़ाई, कमाई, सिंचाई, कार्रवाई, सुनवाई को सम्मिलित किया गया है। शहर में वार्ड क्लिनिक और गांवों में 2,000 की आबादी पर एक क्लिनिक खोलने का वादा किया गया है जबकि नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में स्कूल की स्थापना करने और मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में 'युवा आयोग' का गठन करने का वादा भी किया गया है। सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की प्रतिमा स्थापित करने का भी वादा लोगांे से किया गया है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जेडीएसएफ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। इस मोर्चे में मायावती की पार्टी बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के अलावा अन्य पार्टियां शामिल हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। पंजाब के होशियारपुर में बिहार के प्रवासी परिवार की बेटी से बेरहमी पर बीजेपी ने राहुल गांधी और तेजस्वी को घेरा है। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि हाथरस पर आंदोलन करने वाले राहुल गांधी होशियारपुर क्यों नहीं जाते? बिहार की बेटी के साथ जुल्म हुआ वहां कांग्रेस की सरकार है, तेजस्वी राहुल गांधी के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘बिहार के दलित प्रवासी मजदूर के छह वर्ष की बेटी के साथ दुष्कर्म हुआ। दुष्कर्म के बाद उसको मार दिया गया। यह कैसी दर्दनाक और शर्मसार करने वाली घटना है। अभी तक अपराधी पकड़े नहीं गए। हम मांग करते हैं कि अपराधियों को पकड़ें और कड़ी कार्रवाई करें।’
जावडेकर ने आगे कहा, ‘राहुल गांधी पॉलिटिल टूर पर जाते हैं, इसके बजाए उन्हें पंजाब, राजस्थान जाना चाहिए। उनकी सरकारों में महिलाओं के साथ क्या अन्याय हो रहा है, कैसे दुष्कर्म हो रहा है। यह देखने ना प्रियंका गांधी गयीं, ना राहुल गांधी गए। इसकी हम भर्तसना करते हैं, हम तेजस्वी यादव से भी मांग करते हैं कि बिहार की बेटी के साथ अत्याचार पर चुप रहने वालों के साथ वो प्रचार करते हैं। यह कैसे चलेगा ?’
जानकारी के मुताबिक पंजाब के होशियार पुर में हुई घटना में शामिल हो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिस बच्ची की मौत हुई है उसके पिता एक हवेली में काम करते हैं। इस हवेली के मालिक के पोते पर ही इस वारदात को अंजाम देने का आरोप है।
पुलिस ने दादा और पोता, दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में डीजीपी को स्पीड ट्रायल करवाने के आदेश दिए थे। उन्होंने आरोपियों तो सख्त से सख्त सजा दिलाने की बात भी कही थी। (abplive.com)
नवादा, 23 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को महागठबंधन के दो दिग्गज कांग्रेस के राहुल गांधी और राजद के तेजस्वी यादव एक मंच पर पहुंचे और विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। नवादा के हिसुआ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री आवास से बाहर नहीं निकलने को लेकर आड़े हाथों लिया और करारा सियासी हमला बोला।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब लोगों को उनकी जरूरत थी तब वे 'घर में कैद थे' और आज बाहर निकलकर वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौट रहे थे तब भी कोरोना काल था और आज भी कोरोना काल है। उस समय मुख्यमंत्री घर से नहीं निकले, लेकिन आज जब वोट मांगना हुआ तो रैली कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, नीतीश कुमार 144 दिनों तक मुख्यमंत्री आवास में बंद थे। लेकिन अब वो घर से बाहर आ गए हैं, क्यों? तब भी कोरोना था, अब भी कोरोना है। लेकिन अब उनको आपका वोट चाहिए, तो उनको बाहर आना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को अब भी रोजगार नहीं मिला है। आम लोग अभी भी बेरोजगार हैं।
तेजस्वी ने भोजपुरी भाषा में लोगों में जोश भरते हुए कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के प्रस्ताव को मंजूर करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज बजट की आधी राशि खर्च नहीं की जाती है, वह सब वापस लौट जाता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्रों का विकास कर भी रोजगार दिया जाएगा।
इस रैली को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी संबोधित किया और केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये कानून किसानों पर आक्रमण करने के लिए लाए गए हैं।
बिहार चुनाव में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तीन रैली को संबोधित कर रहे हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 23 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए सभी पार्टियों में जोर आजमाईश शुरू हो गयी है। भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन तेज है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार उतारने के फैसले से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना खत्म होती दिख रही है। पार्टी ने अपने नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है। बसपा की इस चाल से भाजपा के नौ सदस्यों के जीतने की राह जहां कठिन होगी वहीं, सपा और कांग्रेस के सामने भी पशोपेश के हालत हो सकते हैं।
दरअसल, विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले इस चुनाव में भाजपा के आठ व सपा के एक सदस्य की जीत तय है। भाजपा का एक और सदस्य तब ही जीत सकता है जब विपक्ष साझा प्रत्याशी न खड़ा करे। न बसपा और न ही कांग्रेस खुद के दम पर अपना प्रत्याशी जिता सकती है। विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए किसी भी प्रत्याशी को 36 वोटों की आवश्यकता होगी। भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत तय है। बसपा द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है।
समाजवादी पार्टी ने अपना एक उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव का नामांकन कराकर स्पष्ट कर दिया कि उसके पास दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद वह किसी और को खड़ाकर करने का संकेत नहीं दे रही है। सपा द्वारा केवल उम्मीदवार खड़ा करने से भाजपा को निर्विरोध निर्वाचन की आश थी। भाजपा को भरोसा था कि पर्याप्त वोट न मिलने से विपक्षी दलों की एकता को झटका लगेगा। ऐसे में भाजपा अपने 9 सदस्यों को राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में बसपा की प्रमुख मायावती पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव लड़ाकर एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही हैं।
बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने बताया कि पार्टी ने बिहार के प्रभारी रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है। 26 अक्टूबर को उनका नामांकन किया जाएगा। विधानसभा में बसपा के पास 18 विधायक हैं। पार्टी को एक सीट निकालने के लिए करीब 39 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी। इससे साफ है कि उसे दूसरे दलों से सहयोग लेना पड़ेगा।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या वैसे तो 18 ही हैं, लेकिन इनमें भी मुख्तार अंसारी, अनिल सिंह सहित दो-तीन और के वोट उसे मिलने की उम्मीद नहीं है। फिर भी मायावती प्रत्याशी उतारकर, भाजपा के नौवें उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना को खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं। बसपा नेताओं का कहना है कि मायावती के इस फैसले से कांग्रेस, सपा व अन्य विपक्षी दलों द्वारा पार्टी को भाजपा की बी-टीम के रूप में प्रचार करने पर खुद-ब-खुद ब्रेक भी लग जाएगा।
दूसरी तरफ अगर बसपा प्रत्याशी को सपा व कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो पार्टी को पलटवार करने का मौका मिलेगा। बसपा प्रत्याशी के हारने की स्थिति में पार्टी नेताओं द्वारा जनता के बीच यह सवाल उठाया ही जाएगा कि आखिर भाजपा का मददगार कौन है। वैसे सूत्रों का कहना है कि भाजपा को हराने के लिए सपा, कांग्रेस के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा कई निर्दलीय का भी बसपा को समर्थन मिल सकता है। बसपा की नजर भाजपा के असंतुष्टों पर भी है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 23 अक्टूबर| ऐसे तो आम तौर पर किसी भी चुनाव के पहले राजनीतिक दलों द्वारा वादों की झड़ी लगाई जाती रही है, लेकिन बिहार में इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल नौकरियों की बारिश कर रहे हैं। अगर सच में राजनीतिक दल इतनी नौकरियां उपलब्ध करा दें तो बिहार में पलायन की समस्या ही दूर हो जाए।
वैसे, सबसे मजेदार बात है कि पिछले 30 साल से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में रही है, लेकिन आज भी यहां के युवाओं को शिक्षा या नौकरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है।
इस चुनाव में यही राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र में नौकरी और रोजगार की झड़ी लगाकर, युवाओं को आकर्षित करने में जुड़े हैं। हालांकि इस दौरान सभी राजनीतिक दल 'खुद की कमीज दूसरों से सफेद' बताने को लेकर एक-दूसरे की आलोचना करते हुए सवाल भी उठा रहे हैं।
महागठबंधन में शामिल होकर साथ में चुनाव मैदान में उतरे राजद और कांग्रेस ने जहां बिहार के 10-10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है वहीं, भाजपा ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है।
भाजपा की नेता और केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पटना में भाजपा के '5 सूत्र, एक लक्ष्य, 11 संकल्प' के विजन डाक्यूमेंट को जारी किया। इस घोषणा पत्र में बीजेपी ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है।
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि एक हजार नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्यभर के विशेष सफल उत्पाद जैसे- मक्का, फल, सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मशाला, शहद, मेंथा, औषधीय पौधों के लिए सप्लाई चेन विकसित करेंगे जिससे 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्रों में भी रोजगार देने का वादा किया गया है।
इससे पहले काग्रेंस ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया था। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में 10 लाख युवाओं को रोजगार और जिन लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा, उन्हें 1500 रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया है।
इधर, जदयू ने भी कौशल विकास कर लोगों को रोजगार देने का वादा किया है।
इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए संकल्प लिया है कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में युवाओं को 10 लाख रोजगार देने पर मुहर लगेगी। इस मामले को वे सभी चुनावी सभाओं में जिक्र भी कर रहे हैं।
तेजस्वी के रोजगार देने के वादे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाए कि आखिर इतना पैसा कहां से आएगा।
सुषील मोदी ने कहा, यदि वास्तव में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि 1,11,189.06 करोड़ होती है।
उन्होंने राजद के वादे को ढपोरशंखी तक बता दिया।
इधर, भाजपा के घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार देने को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजद के 10 लाख नौकरियों पर सवाल उठाने वाले अब 19 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने इसे छलावा बताते हुए कहा कि हमारे निर्णय के बाद इन्हें रोजगार देने की चिंता सता रही है।
इधर, सुशील मोदी कहते हैं, भााजपा और दूसरे दलों में यही फर्क है कि दूसरे जहां तारे तोड़ लाने जैसे वादे कर केवल सत्ता हथियाना चाहते हैं, वहां भाजपा सिर्फ वही बात करती है, जिसे जमीन पर लागू किया जा सके।
उन्होंने आगे कहा, हम कोरा वादा नहीं, सेवा का संकल्प करते हैं, इसलिए घोषणा पत्र में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का निश्चय किया है। हमने इसका ब्योरा भी दिया है कि ये अवसर लोगों को कैसे दिलाएंगे।
बहरहाल, इस चुनाव में नौकरियों की बारिश हो रही है, अब देखने वाली बात है किस राजनीतिक दल के वादों पर लोग ज्यादा विश्वास करते हैं और उन्हें सत्ता तक पहुंचाते हैं। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद भले ही चारा घोटाला के मामले में सजा काट रहे हों, लेकिन अपने ट्विटर हैंडल से वे बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लालू के ट्विटर हैंडल से लगातार विरोधियों पर निशाना साधा जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को लालू के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुख्य 'मौका' मंत्री और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को उप मुख्य 'धोखा' मंत्री बताया गया है।
लालू के ट्विटर हैंडल से एक कार्टून भी पोस्ट किया गया है, जिसमें नीतीश, सुशील मोदी को मौका मांगते दिखाया गया है, जबकि जनता उनसे कितना मौका देने की बात कह रही है।
लालू ने कार्टून के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, ''मुख्य-मौका मंत्री जी और उप मुख्य-धोखा मंत्री जी, जनता ने बहुत दिया आपको मौका और आप ने दिया जनता को धोखा।''
उल्लेखनीय है कि लालू ट्विटर के जरिए लगातार विरोधियों पर निशाना साध रही है। लालू चारा घोटाला के मामले में जेल में बंद हैं। फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से वे रांची के रिम्स में भर्ती हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 22 अक्टूबर| आम तौर पर चुनाव के पूर्व सत्ता तक पहुंचने की महत्वकांक्षा में नेताओं का दल बदलकर ''निजाम'' बदलने की परंपरा पुरानी है, लेकिन कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में रिश्तों पर भी सियासत भारी पड़ रही है, जिस कारण मतदाताओं में भी संशय है।
बिहार के इस चुनावी मैदान में सास और बहू भी एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं वहीं चाचा-भतीजा भी एक-दूसरे के लिए ताल ठोंक रहे हैं। रिश्तेदारों के बीच मचे घमासान से मतदाता भी संशय में है कि वह किसे वोट दे, क्योंकि उनके ताल्लुकात दोनों पक्षों से अच्छे हैं। ऐसे में रिश्तेदारों के बीच हो रहे इस चुनावी दंगल का रोमांच और भी अधिक बढ़ गया है।
विधानसभा चुनाव में रामनगर ऐसी सीट है, जहां सास और बहू आमने-सामने हैं। यहां भाजपा विधायक भागीरथी देवी को उनकी बहू निर्दलीय रानी कुमारी से कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां दोनों के चुनावी मैदान में उतर जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। रामनगर का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी भागीरथी देवी के मुकाबले उनकी बहू राजनीति में भले ही नई हों लेकिन वे क्षेत्र में भावनात्मक रूप से वोट मांग रही हैं।
रानी का कहना है कि एक-एक घर में जाएंगी और विकास के दावे और वादे की सच्चाई बताएंगी। इधर, भागीरथी देवी कहती हैं कि जनता-जनार्दन मालिक हैं। चुनाव में वही फैसला करते हैं।
सीमांचल की जोकीहाट सीट पर इस बार दिग्ग्ज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के दो पुत्र आमने-सामने हैं। इस सीट से पांच बार तस्लीमुद्दीन विधायक रहे हैं। इसी सीट से उनके मंझले पुत्र सरफराज आलम चार बार विधायक बने। विधायक रहते हुए उन्होंने तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद 2018 में अररिया लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने जोकीहाट विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया।
यहां हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर जोकीहाट से विधायक बने। इसके बाद के 2019 में लोकसभा चुनाव में सरफराज आलम हार गए और अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट पर वापस आए और राजद से टिकट मिल गया। इसके बाद उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम एआइएमआइएम के तरफ से चुनावी मैदान में उतर आए।
इधर, भोजपुर के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में जेठानी और देवरानी के बीच रोचक मुकाबला है। पूर्व विधायक मुन्नी देवी को भाजपा ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है तो उनकी जेठानी शोभा देवी बतौर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में उतर आई हैं। पिछले चुनाव में शोभा देवी के पति विशेश्वर ओझा भाजपा के उम्मीदवार थे।
सारण जिले के मढ़ौरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रामप्रवेश राय के पुत्र आनंद राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं उनके चाचा जयराम राय भी निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं।
बहरहाल, राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में सियासत की सीढ़ियां चढ़ने के लिए नेता रिश्तों को दरकिनार कर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हों, लेकिन देखने वाली बात होगी मतदाता किसे तरजीह देते हैं।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर| कोरोना संकट के बंदिशों के बीच उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव के लिए भाजपा गुरुवार से प्रचार अभियान में जुटेगी। पार्टी के स्टार प्रचारक मैदान में होगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह तीन क्षेत्रों में जनसभा करेंगे। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या और डा. दिनेश शर्मा भी चुनाव मैदान में प्रचार के लिए कूदेंगे। भाजपा के प्रदेश् मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वतंत्रदेव सिंह अमरोहा की नौैगांव सादात विधानसभा, बुलंदशहर, और टूंडला में पार्टी के समर्थन में जनसभा करेंगे।
उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर को उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा बुलंदशहर में जनसभा को संबोधित करेंगे। 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कानपुर की घाटमपुर तथा उन्नाव की बांगरमउ सीट के लिए प्रचार करेंगे। 28 को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद दो चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। केशव मौर्या 29 को तीन सभाएं करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 31 अक्टूबर को मल्हनी और देवरिया की जनसभाओं में प्रत्याशियों के लिए वोट मांगेगे।
इसके अलावा सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों व पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों की सभाएं और बैठक तय की गयी है। ये नेता पार्टी की योजना के अनुरूप पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार अभियान को गति देंगे। वहीं दूसरी ओर संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी उपचुनाव वाले क्षेत्रों में पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकतार्ओं के साथ लगातार बैठकों को सिलसिला जारी कर रखा है। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी की चुनावी घोषणा पत्र को जारी किया। घोषणा पत्र में पांच सूत्र, एक लक्ष्य और 1 संकल्प को स्थान देते हुए आत्मनिर्भर बिहार बनाने का संकल्प दोहराया गया है। घोषणा पत्र में कोरोना वैक्सीन का मफुत टीकाकरण का वादा भी किया गया है।
बिहार के लिए भाजपा ने अपने विजन डाक्यूमेंट में 11 संकल्प किए हैं। इनमें सबसे पहला है कि अगर सत्ता में आए तो कोरोना वैक्सीन का मुफ्त टीकाकरण किया जाएगा।
इस मौके पर वित्त मंत्री ने कहा कि देश के विकास के लिए बिहार का विकास आवश्यक है, इसके लिए राष्ट्रीय जनतािंत्रक गठबंधन (राजग) को इस चुनाव में जीतना जरूरी है।
भाजपा के घोषणा पत्र में बिहार के 1000 नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्य के विशेष उत्पाद जैसे मक्का, फल, चूड़ा, मखाना, पान, मसाला, शहद, मेथा औषधीय पौधों के सप्लाई चेन विकसित कर 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में भाजपा कहा है, 'हमारा संकल्प है कि 10 हजार चिकित्सक, 50 हजार पारामेडिकलकर्मियों सहित राज्य में कुल एक लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के अवसर प्रदान करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा दरभंगा एम्स का संचालन 2024 तक प्रारंभ किया जाएगा।''
घोषणा पत्र में गांव, शहर सबका विकास, आत्म निर्भर बिहार बनाने का संकल्प लिया गया है। इसके अलावा स्वस्थ समाज, आत्मनिर्भर बिहार और सशक्त कृषक, समृद्ध किसान का नारा दिया गया है।
चुनावी घोषणा पत्र के लोकार्पण समारोह में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद डॉ. संजय जायसवाल, बिहार चुनाव प्रभारी देवेन्द्र फडणवीस, बिहार भाजपा प्रभारी भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय व अश्विनी कुमार चौबे सहित राज्य के कई मंत्री उपस्थित रहे। (आईएएनएस)
एमपी चुनाव
पंकज मुकाती
इंदौर, 21 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। बगावत अब शिवराज सरकार की नाक के नीचे तक आ गई है। इस बगावत से ग्वालियर-चम्बल में तो दिक्कत है ही, अब सांची में भी नाक कटती दिख रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आये मंत्री प्रभुराम चौधरी बेहद मुश्किल में है। एक तो गद्दार और बिकाऊ से उनकी हालत वैसे ही गड़बड़ है। अब स्थानीय भाजपा नेताओं ने भितरघात करके उनको हराने की मुहिम छेड़ दी है।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने चुनाव से दूरी बना रखी है। वे खुद तो प्रचार नहीं कर रहे हैं। साथ ही प्रचार करने वालों को धमकी भी दे रहे हैं। खबर है कि शेजवार के समर्थक प्रभुराम चौधरी के खिलाफ वोट देने की मुहिम भी चला रहे हैं।
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने शेजवार की शिकायत भाजपा आलाकमान से भी की है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसे गंभीरता से लिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा शेजवार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।
सांची में कांग्रेस से आए प्रभुराम चौधरी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को शिकस्त दी थी। इस इलाके में वैसे भी शेजवार मंत्री रहते कोई मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं। खुद शिवराज सिंह इस इलाके में कई दौरे कर चुके हैं।
चौधरी के भाजपा में आने के बाद से ही शेजवार परिवार की सियासत पर खतरा दिखाई दे रहा था। तभी ये कहा जा रहा था कि प्रभुराम चौधरी को शेजवार परिवार का समर्थन शायद ही मिले। भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा ही हो रहा है।
सांची में भाजपा के पोस्टर्स में शेजवार को ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है वहीं चौधरी के समर्थकों ने युवा मोर्चा की तर्ज पर सिंधिया युवा मोर्चा बना लिया है जिससे न सिर्फ शेजवार बल्कि भाजपा कार्यकर्ता भी नाराज हैं।
शेजवार के सामने कमजोर दिख रहे चौधरी
सांची गौरीशंकर शेजवार का गढ़ माना जाता है और प्रभुराम और शेजवार खुद एक दूसरे के घोर विरोधी रहे हैं। दोनों ही पांच बार चुनाव में आमने-सामने आ चुके हैं। जिनमें से तीन बार शेजवारको और दो बार चौधरी को जीत हासिल हुई थी। 2018 में चौधरी ने मुदित शेजवार को हराकर तीसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की है।
लखनऊ, 21 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बुधवार को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी मौजूद थे। राज्यसभा की जिन 10 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं उनमें चार सीटें समाजवादी पार्टी के पास हैं, लेकिन अब विधायकों की संख्या के अनुसार उसे केवल एक सीट से ही संतोष करना होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी करते ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रो. राम गोपाल यादव को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था।
यूपी से राज्यसभा की सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, 20 अक्टूबर को चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन शुरू हो गए।
नामांकन करने के बाद रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को राज्यसभा के लिए पांचवीं बार उम्मीदवार बनाने के लिए धन्यवाद। देश और प्रदेश की सारी जनता दुखी है। उन्होंने कहा कि आज ऐसी कोई बात नहीं कहना चाहता जो सत्ताधारी दल के मन को दुखे।
यूपी से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने 13 अक्टूबर को की थी। इन 10 सीटों के लिए चुनाव की अधिसूचना 20 अक्टूबर को जारी हो गई। राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म हो रहा है। नामांकन 27 अक्टूबर तक भरे जाएंगे। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। दो नवंबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। नौ नवंबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा। उसी दिन शाम पांच बजे से मतगणना होगी और परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। (आईएएनएस)
पटना, 21 अक्टूबर| बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान ने घोषणा पत्र जारी करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार सियासी हमला बोला। घोषणा पत्र का नाम 'विजन डाक्यूमेंट 2020' दिया गया है। चिराग ने विजन डॉक्यूमेंट में 'बिहार फस्र्ट, बिहारी फस्र्ट' का नारा दिया है। विजन डॉक्यूमेंट जारी करने के पहले चिराग पासवान ने अपनी मां रीना पासवान से आशीर्वाद लिया। 'नया बिहार, युवा बिहार' के नारे के साथ लोजपा के विजन डाक्यूमेंट में 'समान काम के बदले समान वेतन' का वादा किया गया है।
इस डॉक्यूमेंट में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, उद्योग, रोजगार, पलायन, कृषि, बाढ़-सूखा, शहरी और ग्रामीण विकास से लेकर कानून व्यवस्था, शासन प्रणाली तक की बातें की गई हैं।
लोजपा ने अपने घोषणा पत्र में बिहार में सामान वेतन लागू किया जाएगा का वादा किया गया है जबकि बेरोजगारों को आकर्षित करने के लिए बिहार में सभी सरकारी पदों को भरे जाने का वादा किया गया है। घोषणा पत्र में लोजपा की सरकार बनने पर युवा आयोग का गठन करने और माता सीता का भव्य मंदिर निर्माण करने का वादा किया गया है। बिहार में कोटा की तर्ज पर कोचिंग फैक्ट्री बनाने की बात भी कही गई है।
चिराग ने कहा कि उनकी सोच बिहार को फिर से गौरवशाली बनाने की है। लोजपा प्रमुख ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो बांटो और राज करो नीति पर बिहार में सत्ता में रहे, यही कारण है कि 15 साल सरकार चलाने के बाद भी वे नाली, गली और खेत में पानी पहुंचाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके (नीतीश) के नेतृत्व में बिहार के विकास की कल्पना करना उचित नहीं है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव 23 अक्टूबर को अपनी पहली संयुक्त रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस पार्टी सूत्रों ने बुधवार को ये जानकारी दी।
महागठबंधन की एकता दिखाने और 28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले पार्टी कार्यकतार्ओं में जोश भरने के लिए महागठबंधन के नेताओं द्वारा इस तरह की पहली रैली बिहार के नवादा जिले के हिसुआ में 23 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि रैली का मकसद बिहार के मतदाताओं को संदेश देना है कि महागठबंधन मजबूत हो और इसके सभी घटक दल एकजुट रहे।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद की अनुपस्थिति के बावजूद भारी भीड़ खींच रहे हैं। राजद नेता ने कहा कि संयुक्त रैली धार्मिक अल्पसंख्यकों को संदेश देगी कि वे एकजुट रहें क्योंकि जनता दल-यूनाइटेड भी उनको लुभाने की कोशिश में है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 21 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर चुनाव मैदान में है। ऐसे में राजद का अधिकांश सीटों पर जनता दल (युनाइटेड) से मुकाबला है।
इस चुनाव में पिछले चुनाव से परिस्थितियां बदली हैं। पिछले चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी, जबकि इस चुनाव में जदयू, भाजपा और दो अन्य छोटे दलों के साथ चुनाव मैदान में है। राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनाव मैदान में है।
वर्ष 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरी राजद 101 सीटों पर चुनााव लड़ी थी जबकि इस चुनाव में वह 144 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन में सबसे मजबूत और पिछले चुनाव में सबसे बड़े दल राजद का इस चुनाव में अधिकांश सीटों पर जदयू से मुकाबला है।
इस चुनाव में 77 सीटों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के उम्म्ीदवार राजद के उम्मीदवार के सामने हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा 110 सीटों पर चुनाव मैदान में है।
भाजपा के सिर्फ 51 प्रत्याशी ही राजद के सामने है। ऐसे में भाजपा के लिए अन्य 59 सीट इन 51 सीटों से अपेक्षाकृत आसान माना जा रहा है। इस चुनाव में राजद के पांच प्रत्याशी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के आमने-सामने हैं जबकि 11 सीटों पर राजद प्रत्याशी का मुकाबला विकासशील इंसान पार्टी से है।
सूत्र कहते हैं कि चुनाव पूर्व सर्वे के आधार पर राजद ने नीतीश से लोगांे की नाराजगी का लाभ उठाने के लिए अपने अधिाकांश प्रत्याशी जदयू के प्रत्याशी के सामने उतारे हैं।
वैसे, राजद के नेता इससे इनकार कर रहे हैं। राजद के एक नेता बताते हैं कि जमीनी हकीकत, पार्टी की क्षेत्रवार मजबूती और जातीय समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी उतारे गए हैं। यह महज संयोग है कि अधिकांश प्रत्याशियों का मुकाबला जदयू के प्रत्याशी से है। उन्होंने बताया कि राजद के लिए भाजपा और जदयू एक समान है।
राजद के अन्य एक नेता का कहना है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं और तय है कि इस चुनााव के बाद वे मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की जीत तय है, हालांकि कुछ सीटों पर जीतों का अंतर 2000 से 3000 हो सकता है।
इधर, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान भी खुले तौर पर भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं और नीतीश का विरोध कर रहे हैं। लोजपा अधिकांश ऐसे क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी उतारी है जहां जदयू चुनाव लड़ रही है। ऐसे में लोजपा ने भाजपा से नाराज होकर अलग हुए नेताओं को भी टिकट थमाया है, जो जदयू के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और दियारा क्षेत्र से लोजपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह कहते भी हैं कि उन्हें व्यक्तिगत आधार पर भाजपा कार्यकतार्ओं का साथ मिल रहा है। वे कहते हैं कि नेताओं का अपना व्यक्तिगत आधार भी होता है।
इधर, जद यू के प्रवक्ता के.सी. त्यागी का कहना है कि राजद के ऐसे किसी भी चाल से उनकी पार्टी चिंतित नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के मुद्दे पर वे चुनावी मैदान में हैं और राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे है। लोगों को यह तय करना है कि नीतीश कुमार चाहिए या कोई और।
बहरहाल, बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ गई है और सभी दल सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा दमखम से जुटे हुए हैं। ऐसे में जदयू तेजस्वी के इस चाल से कैसे निपट पाता है, यह देखने वाली बात होगी। (आईएएनएस)
सांवेर से भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट के शपथ पत्र में कमाई के आंकड़े देखकर अर्थशास्त्री भी हैरान होंगे, आखिर लॉकडाउन में ये बढ़ोतरी कहां से आई
पंकज मुकाती
इंदौर, 21 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’)। बिकाऊ के नारों के बीच तुलसी सिलावट की कमाई में हुई बढ़ोतरी ने सबको चौंका दिया। शिवराज और भाजपा दोनों तुलसी पहलवान के लिए बेहद लकी साबित हुए। शिवराज का साथ उन्हें मालामाल कर गया। पिछले आठ महीने में तुलसी सिलावट की कमाई में 80. 80 फीसदी का इजाफा हुआ। वो भी लॉकडाउन के आठ महीनों में। जब आठ महीने में सारे कारोबार बंद थे तब सिलावट ने किस जादू से इतना पैसा कमाया? ये सवाल सांवेर की जनता के मन में भी है।
सांवेर से भाजपा प्रत्याशी सिलावट की आय की जानकारी उनके अग्रिम आयकर रिटर्न में सामने आई। पिछले सप्ताह नामांकन दाखिले के साथ सिलावट ने अपना शपथ पत्र भी जारी किया। इसमें उन्होंने पिछले आठ महीने में आमदनी में 80 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी बताई है। यानी कांग्रेस की ड्योढ़ी छोडक़र भाजपा में कदम रखना फायदे का सौदा साबित हुआ।
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शपथ-पत्र के साथ सिलावट ने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न की जो जानकारी दी है उसके अनुसार 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में उनकी आमदनी 80.80 प्रतिशत बढ़ी है। दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू की आय कम हुई। 2017-18 में उन्होंने अपनी आय 1.07 करोड़ बताई थी जो 2019-20 में घटकर 40.61 लाख ही रह गई।
शपथ पत्र के अनुसार सिलावट के पास कुल 91 लाख 87 हजार 721 रुपए की चल संपत्ति है वहीं करीब 8.63 करोड़ की अचल संपत्ति है। आंकड़ों में देखें तो कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते तुलसी सिलावट नुकसान में रहे। 2018-19 में उनकी आमदनी 6.46 लाख थी जो 2019-20 में घटकर 6.18 रह गई। मतलब, मंत्री बनने का कोई फायदा नहीं मिला। मगर, मार्च 2020 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। भाजपा का दामन थाम लिया।
लॉकडाउन में कमाई से अर्थशास्त्री भी हैरान
24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के चलते लॉकडाउन घोषित कर दिया था। व्यापार से लेकर कारोबार तक घाटे में रहे। नौकरियां चली गई। मगर, लॉकडाउन के बावजूद तुलसी सिलावट ने कमाई बढ़ाने का कमाल कैसे कर दिखाया?अर्थशास्त्री यही समझने में लगे हैं।
लखनऊ, 21 अक्टूबर| समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कोविड परीक्षण पॉजिटिव आने के बाद से वे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं और सांसद मोहम्मद आजम खान अभी भी जेल में हैं। इसके बाद भी 3 नवंबर को होने जा रहे उप-चुनावों के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में इन दोनों के नाम हैं। 7 विधानसभा सीटों के लिए समाजवादी पार्टी ने मंगलवार की शाम को स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, जिसमें सपा सांसद जया बच्चन का नाम गायब है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "यह हमारे वरिष्ठ नेताओं के प्रति सम्मान दर्शाने का एक तरीका है। वे भले ही शारीरिक रूप से प्रचार करने में सक्षम न हों, लेकिन उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।"
स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल अन्य नामों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, उपाध्यक्ष किरणमय नंदा, पार्टी महासचिव प्रोम गोपाल यादव, इंद्रजीत सरोज, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल शामिल हैं।
अब तक किसी भी नेता ने वर्चुअली या भौतिक रूप से अभियान शुरू नहीं किया है। (आईएएनएस)
भोपाल, 20 अक्टूबर| मध्यप्रदेश में होने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में 355 उम्मीदवार ही मैदान में रह गए हैं। यह स्थिति नाम वापसी के बाद बनी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में 35 अभ्यर्थियों ने नाम वापस लिए। नाम वापसी के बाद 355 विधिमान्य अभ्यर्थी शेष हैं।
राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। वहीं बसपा ने भी सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके चलते कई स्थानों पर मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है। राज्य में तीन नबंवर को मतदान होना है और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
राज्य की विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 28 स्थान रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं। विधानसभा इस समय में 202 सदस्य हैं, जिनमें भाजपा के 107 और कांग्रेस के 88 सदस्य हैं। इस तरह सदन में पूर्ण बहुमत के लिए भाजपा को नौ सीटें जीतना जरूरी है। वहीं कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए सभी 28 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। (आईएएनएस)
पटना, 20 अक्टूबर| बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद प्रिंस राज मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे और उनसे तथा राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। लोजपा नेता मंगलवार की सुबह राबड़ी देवी आवास पहुंचे और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। मुलाकात के बाद आवास से बाहर निकले पिं्रस राज ने हालांकि इसे राजनीतिक मुलाकात नहीं बल्कि पारिवारिक मुलाकात बताया।
प्रिंस राज ने पत्रकारों से कहा, मैं अपने बड़े पापा दिवंगत रामविलास पासवान के श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने को लेकर न्यौता देने राबड़ी आवास आया था। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से मुलाकात हुई है। इसे राजनीति से जोड़ना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिवंगत नेता पासवान का सभी नेताओं से संपर्क था। कई लोगों से व्यक्तिगत तौर पर जाकर आयोजन में आने का निमंत्रण दे रहा हूं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का श्राद्धकर्म मंगलवार को पटना के आवास पर है, इसमें कई नेताओं के पहुंचने की संभावना है।
इधर, इस खबर के बाद से बिहार के सियासी गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।
गौरतलब है कि लोजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरी है और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं।
सोमवार को तेजस्वी ने कहा था कि नीतीश कुमार ने चिराग पासवान के साथ सही व्यवहार नहीं किया है। (आईएएनएस)
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 19 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा कुछ सीटें झटक कर अपने को मुख्य लड़ाई में साबित करने की फिराक में है। पार्टी उपचुनाव में जोर शोर से भाग ले रही है। बसपा ने इस चुनाव में भी सोशल इंजीनियरिंग का ही फार्मूला चुना है। इसके लिए अपने बड़े नेताओं की फौज को प्रत्याशी चयन के लिए लगाया था। हर एक सीट पर बहुत सोच विचार कर ही उम्मीदवार उतारा गया है।
बसपा के एक नेता ने बताया कि, उपचुनाव में पार्टी के बड़े नेताओं के कंधे पर चुनाव जीताने की जिम्मेदारी है। बसपा के पास इस चुनाव में खोने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ है। पुराने इतिहास को देखें तो जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं वो सीटें ज्यादातर बसपा के पास ही रही हैं। चाहे घाटपुर हो या बंगमऊ, बुलंदशहर -- यह सब सीटें बसपा के खाते में एक दो बार रह चुकी हैं। यहां पर उसे गणित सेट करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। लेकिन इस बार पार्टी ने सारे उम्मीदवार जीताऊ ही उतारे हैं। प्रदेश में जिस प्रकार से माहौल है उससे लोग बसपा के शासन को याद कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चुनाव के लिए शीर्ष नेतृत्व के निर्देशन में हर एक सीट पर रणनीति तैयार की गयी है। राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली के अलावा सांसद विधायक भी पूरा फोकस उपचुनाव पर ही कर रहे हैं। चुनाव वाले क्षेत्र में विभिन्न समाज के लोगों ने डेरा डालकर रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है।
राजनीतिक पंडित बताते है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पहुंचकर 19 सीटें ही जीत पायी थी। इससे कार्यकतार्ओं का मनोबल टूटा था। उसकी भरपाई पार्टी इस उपचुनाव से करना चाहती है। यह बसपा के लिए बड़ा अवसर होगा। इससे आगे आने वाले चुनाव पर असर पड़ सकता है।
वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि बसपा 2012 से लगातार सत्ता से दूर है। भाजपा के सभी जातियों पर सेंधमारी का प्रयास कर रही उसके चलते बसपा के लिए चिंता का विषय जरूर है कि उसका वफादार वोटर उसके पास टिका रहे। इसके लिए पार्टी ने जमीनी स्तर पर तमाम कार्ययोजनाएं बनायी हैं। 2022 का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। विपक्ष की जगह कई सालों से खाली पड़ी है। विपक्ष में एक जगह बनाना और भाजपा को चुनौती देना बहुत महत्वपूर्ण है। इस चुनाव के जरिए यह परखा जा रहा है। बसपा अपनी ओर कितनी जातियों के वोटर को आकर्षित कर सकती है। क्योंकि सोशल इंजीनियरिंग में बसपा 2007 में सफल हो चुकी है। बसपा के दलित वोट उसकी ओर कितने बचे है। सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से वह अन्य जातियों को अपनी ओर कितना खींच पाती है। इसकी भी परीक्षा इस उपचुनाव में होगी। (आईएएनएस)
औरंगाबाद (बिहार), 19 अक्टूबर| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद पर जोरदार सियासी हमला बोला। उन्होंने बिना किसी के नाम लिए कहा कि पति (लालू) जब अंदर (जेल) गए तो पत्नी (राबड़ी देवी) को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन महिलाओं के विकास के लिए कुछ नहीं हुआ। औरंगाबाद के रफीगंज और गया के शेरघाटी में अलग-अलग चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के शासनकाल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पति-पत्नी के राज में क्या होता था, सबको मालूम है। लेकिन जब हम लोगों को काम करने का मौका मिला तब कानून का राज कायम किया। सभी क्षेत्रों में काम हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा, उस समय कितने तरह के अपराध होते थे? क्या-क्या नहीं होते थे, शाम होते लोग घर से बाहर नहीं निकलना चाहता थे। लेकिन जब हमलोगों को काम करने का मौका मिला तो सभी क्षेत्रों में काम हुआ।
उन्होंने चारा घोटाला में लालू के जेल जाने के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा, पति जब जेल गए तो पत्नी को बैठा दिया। लेकिन महिलाओं के लिए कुछ किया क्या। जब हमलोग आए तो पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी।
नीतीश कुमार ने कहा कि किसी की उपेक्षा नहीं की। हाशिये के तबके के लिए विशेष काम हुआ। आज बिहार के काम की चर्चा देश ही नहीं, दुनियाभर में हो रही है और कुछ लोग उसमें खोट निकालने में लगे हैं।
उन्होंने कहा, महिला सशक्तीकरण पर बल दिया। अल्पसंख्यकों के लिए काम किया। बेटियों को साइकल दी तो उनका आत्मविश्वास बढ़ा। हमने बिना भेदभाव के हर तबके के विकास के लिए काम किया है। महिलाओं को बराबर का अवसर दिया। (आईएएनएस)
पटना, 19 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल अपने पूरे दमखम के साथ जुट गए हैं, यही कारण है कि नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गया है। इसी दौरान बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली बहस की चुनौती दी है। तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास को लेकर कहीं भी बहस कर लें। तेजस्वी यादव ने सोमवार को पटना में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली चुनौती दी कि वे राज्य के प्रमुख के रूप में पिछले 15 वर्षों में उनकी किसी भी उपलब्धि पर उनसे बहस करें।
उन्होंने कहा, मैं आग्रह पूर्वक चुनौती देता हूं कि नीतीश कुमार पिछले 15 वर्षों में अपनी किसी भी उपलब्धि पर मेरे साथ बहस करें। हमें इस नई परंपरा को शुरू करना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र की स्थापना पहली बार बिहार के वैशाली में हुई थी। मुख्यमंत्री उम्मीदवारों के बीच बहस होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि लोग राज्य सरकार से बहुत नाराज हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि हम बहुत ही सहज बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैंै। तेजस्वी यादव बेरोगजारी और पलायन को लेकर सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं और हर चुनावी सभा में इस मुद्दे को उछाल रहे हैं।
इधर, बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नित्यानपंद राय ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए कहा कि वे तेजस्वी के साथ किसी भी मुद्दे पर कहीं भी बहस को लेकर तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार राजग के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, इस कारण वे व्यस्त हैं।
बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि राजद इस चुनाव में कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 19 अक्टूबर| कुछ समय के लिए पंजाब में राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू ने आखिरकार सोमवार को यहां विधानसभा सत्र के उद्घाटन के दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। राज्य सरकार ने एक दिन के बजाय दो दिनों के लिए विशेष सत्र बुलाया है। इस सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों को नकारने के लिए राज्य द्वारा कानून बनाने के मुद्दे पर चर्चा होगी।
पिछले जुलाई में पंजाब के राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद से राजनीति गलियारे में ज्यादा नजर नहीं आने वाले सिद्धू ने विधानसभा पहुंचने से पहले अपने मित्र और पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान और विधायक परगट सिंह से मुलाकात की।
लेकिन सिद्धू ने विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ अभिवादन का आदान-प्रदान नहीं किया। हालांकि, उन्हें अपने अन्य पार्टी के दूसरे सहयोगियों के साथ कुछ समय बातचीत करते देखा गया।
सिद्धू ने आखिरी बार फरवरी 2019 में विधानसभा सत्र में भाग लिया था।
पोर्टफोलियो आवंटन को लेकर मुख्यमंत्री से मतभेद के बाद कांग्रेस के नेता ने 14 जुलाई, 2019 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू स्थानीय निकायों के प्रभारी थे लेकिन उन्हें ऊर्जा विभाग में शिफ्ट कर दिया गया था।
पिछले महीने, सिद्धू ने अपने गृहनगर अमृतसर की सड़कों पर संसद द्वारा पारित 'काले' कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन शुरू करके लोगों के साथ अपने संपर्क को फिर से शुरू किया।
उन्होंने तीन कृषि कानूनों के बारे में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वे कृषक समुदाय को बर्बाद कर देंगे। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 19 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दल राज्य की सत्ता तक पहुंचने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। सभी दलों की चाहत सत्ता में भागीदारी की है।
चुनाव को लेकर दल हो या गठबंधन अपने नेता या मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रख चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। कई मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तो खुद चुनावी मैदान में योद्धा भी बने हैं। इस चुनाव में जहां सत्ता तक पुहंचने के लिए विभिन्न पार्टियों ने चार अलग-अलग गठबंधन बनाकर चुनावी मैदान में हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए छह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री का चेहरा हैं वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले विपक्षी दल के महागठबंधन राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के दावे के साथ चुनावी मैदान में है। तेजस्वी खुद राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं।
पिछले चुनाव से राज्य की सियासी परिसिथतियां भी बदली हैं। पिछली बार 2015 में विधानसभा चुनाव के जदयू और राजद ने साथ महागठबंधन बनाकर जब चुनाव लड़ा था तब महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार का चेहरा मुख्यमंत्री के लिए सामने रखा गया था, जबकि राजग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे के साथ चुनाव लड़ा और चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री तय करने की बात कही थी।
इस चुनाव में एक बार फिर भाजपा और जदयू साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं और मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार हैं।
वैसे, इस चुनाव में नीतीश के रास्ते इतने आसान नहीं है। इस चुनाव में छह मुख्यमंत्री के चेहरे हैं।
तेजस्वी और नीतीश के अलावे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), बसपा के साथ छह दलों का गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया है। इधर, जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव को प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी मैदान में जोर लगाए हुए है।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपने अध्यक्ष चिराग पासवान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है, हालांकि चिराग ने अब तक खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं किया है। वैसे, लोजपा इस चुनाव में अकेले 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात करते हए आर-पार की लड़ाई लड़ रही है।
इधर, इस चुनाव में प्लुरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी भी खुद को मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित कर चुनावी मैदान में है। पुष्पम प्रिया चौधरी ने स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित करते हुए खुद को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर रखा है।
बहरहाल, सभी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए चुनावी मैदान में खूब पसीना बहा रहे हैं। लेकिन इस लोकतंत्र में जनता किनके कामों और चेहरे पर मुहर लगाती है, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा जब चुनाव परिणाम आएंगे। (आईएएनएस)
लखनऊ, 19 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित दुर्जनपुर गांव में कोटा की दुकान के आवंटन के दौरान फायरिंग के मुख्य आरोपित धीरेंद्र प्रताप सिंह के पक्ष में लगातार बैरिया से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह की तरफ से हो रही बयानबाजी पर प्रदेश नेतृत्व के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी नाराजगी जताई है। नड्डा ने इस प्रकरण पर विधायक सुरेंद्र सिंह को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। नड्डा ने भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से फोन पर बातचीत में साफ कहा है कि विधायक जांच को प्रभावित करने का प्रयास न करें। यह ठीक नहीं होगा।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, नड्डा ने विधायक को सख्त चेतावनी दी है। वह विधायक सुरेंद्र सिंह की हरकतों से बेहद नाराज हैं। इसी कारण उन्होंने स्वतंत्रदेव सिंह को फोन किया है। इस दौरान उन्होंने विधायक के आचरण पर भारी नाराजगी जताई। उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि हम ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे। विधायक लगातार इस केस में बयान देते फिर रहे हैं। पार्टी को विधायक के ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बलिया कांड की जांच से विधायक दूर रहें तो बेहतर होगा। अगर उन्होंने जांच प्रभावित करने का प्रयास किया तो फिर कठोर कार्रवाई होगी।
इससे पहले लखनऊ में रविवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने बैरिया के विधायक सुरेंद्र सिंह को तलब किया था। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में विधायक और समर्थकों पर भी कार्रवाई हो सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी उनसे कहा कि इससे पार्टी और सरकार की छवि खराब होती है।
सुरेंद्र सिंह ने भाजपा अध्यक्ष से कहा कि उन पर घटना के आरोपियों को बचाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। विधायक की बयानबाजी को विपक्ष तुरंत लपक रहा है। प्रियंका गांधी ने विधायक के बयान पर भाजपा को काफी घेरा है।
गौरतलब है कि 15 अक्टूबर को बलिया के रेवती थाना इलाके के दुर्जनपुर गांव के पंचायत भवन में राशन दुकान आवंटन की प्रक्रिया चल रही थी। हनुमानगंज और दुर्जनपुर के राशन दुकान के चयन को लेकर दो पक्षों में हंगामा हो गया। इस दौरान देखते ही देखते ईंट-पत्थर चलने लगे। धीरेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि उसने फायरिंग कर दी। इसमें जयप्रकाश पाल (45) की मौत हो गई। धीरेंद्र प्रताप सिंह को इस मामले में रविवार को लखनऊ से गिरफ्तार कर आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
पटना, 18 अक्टूबर। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। राज्य में भाजपा जहां स्पष्ट कर चुकी है कि वह जनता दल यूनाइटेड (जदयू), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं तमाम आलोचनाओं के बावजूद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भाजपा के प्रति अपना समर्थन दिखाने से नहीं चूक रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार कह रहे हैं कि राज्य में भाजपा और लोजपा की सरकार बनेगी। चिराग ने रविवार को कहा कि भाजपा अपना गठबंधन धर्म निभाए और मेरे खिलाफ जितना बोलना है बोलें। प्रधानमंत्री मोदी भी मेरी आलोचना कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने खुद को वोटकटवा पार्टी कहे जाने पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह पापा रामविलास पासवान का अपमान है। चिराग का कहना है कि मैं नीतीश के खिलाफ नहीं हूं उनकी नीतियों की आलोचना करता हूं।
एक टीवी चैनल के साथ हुई बातचीत में चिराग पासवान ने कहा, आप (भाजपा) मेरा जितना विरोध करना चाहते हैं करें, पार्टी पापा की है। भाजपा नेताओं के वोटकटवा कहने वाले बयान से आहत हूं। पार्टी को ऐसा कहना पापा का अपमान है। प्रधानमंत्री से मेरा दिल का रिश्ता है। प्रधानमंत्री मेरे दिल में बसते हैं। जब मेरे साथ कोई नहीं खड़ा था तब वो मेरे साथ थे। पिता के निधन पर उन्होंने मुझे सांत्वना दी। जब पापा अस्पताल में थे तो प्रधानमंत्री मुझे फोन किया करते थे। वे कठिन समय में मेरे साथ खड़े रहे। मैं अपने प्रधानमंत्री की बुराई क्यों करूं।
पांच सीटों पर मजबूरी में उतारे उम्मीदवार
लोजपा अध्यक्ष ने आगे कहा, नीतीश को खुश करने के लिए भाजपा नेता मेरे खिलाफ बोल रहे हैं। हम प्रधानमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। पांच सीटों को छोडक़र भाजपा के सभी उम्मीदवारों को मेरा समर्थन है। यहां भी मजबूरी में उम्मीदवार उतारने पड़े क्योंकि उन्होंने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। मैं राजद-कांग्रेस के साथ नहीं जाऊंगा। मैं मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता। राज्य में भाजपा-लोजपा की सरकार बनेगी। मैं नीतीश के खिलाफ नहीं हूं उनकी नीतियों की आलोचना करता हूं।
शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा
एनडीए से अलग होकर चुनाव लडऩे और इसके परिणाम को लेकर पूछे गए सवाल पर लोजपा नेता ने कहा, एनडीए से अलग होने के फैसले पर पछतावा नहीं हैं और न ही उन्हें यह फैसला लेने में डर लगा। पापा बोलते थे कि अगर शेर का बच्चा होगा तो जंगल चीर कर निकलेगा। अगर गीदड़ होगा तो वो मारा जाएगा। मैं भी अब खुद को परखने निकला हूं। शेर का बच्चा हूं तो जंगल चीर कर निकलूंगा। नहीं तो वहीं मारा जाऊंगा।
नीतीश ने युवा नेतृत्व को नकारा
चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री पर युवा नेताओं को खारिज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने नीतियों को लागू करना बंद कर दिया और संतृप्त हो गए। उन्होंने युवा नेताओं को खारिज कर दिया, उन्हें अनुभवहीन कहा लेकिन खुद उन्होंने खुद जेपी आंदोलन के दौरान एक युवा कार्यकर्ता के तौर पर राजनीति शुरू की थी। हम भी बिहार के लिए जागरूक हैं और अच्छा सोच सकते हैं। राज्य ने उन्हें पहले ही 15 साल दे दिए हैं।
प्रधानमंत्री कर सकते हैं मेरी आलोचना
जमुई से सांसद ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा मेरी आलोचना किए जाने का मैं स्वागत करूंगा। उन्होंने कहा, मुझे मोदी जी का सम्मान क्यों नहीं करना चाहिए। मेरे पिता के आईसीयू में भर्ती होने पर केवल उन्होंने मेरा साथ दिया था। मुख्यमंत्री लोजपा और भाजपा के बीच दूरी को चित्रित करने के लिए उत्सुक हैं। मैं यह कहकर इस डर को दूर करना चाहूंगा कि मैं भाजपा नेताओं, यहां तक की प्रधानमंत्री द्वारा मेरी आलोचना करने का स्वागत करुंगा। (amarujala)