अंतरराष्ट्रीय
उत्तरी जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में स्थित यहोवा विटनेस के एक मीटिंग हॉल में हुई गोलीबारी में कई लोग मारे गए हैं. मरने वालों की सटीक संख्या सामने नहीं आई है.
यहोवा विटनेस एक ईसाई-आधारित धार्मिक आंदोलन से जुड़ा संप्रदाय है. 19वीं सदी में अमेरिका में इस संप्रदाय की स्थापना की गई थी.
पुलिस का कहना है कि ‘माना जा रहा है बंदूकधारी की मौत हो गई है. हालांकि अब तक ये साफ़ नहीं है कि जर्मन स्थानीय मीडिया इस हादसे में मारे गए जिन छह-सात लोगों की पुष्टि कर रहा है, उसमें बंदूकधारी शामिल है या नहीं.
पुलिस का कहना है कि “गोलीबारी करने के पीछे बंदूकधारी की मंशा क्या थी इसे लेकर कोई सही जानकारी नहीं है.”
इसके अलावा ग्रॉस बोरस्टेल ज़िले के डीलबॉज स्ट्रीट पर हुई गोलीबारी में भी कई लोग घायल हुए हैं.
पुलिस प्रवक्ता होल्गर वेहरेन ने कहा कि पुलिस को 21:15 (स्थानीय समयानुसार) के आसपास जानकारी दी गई कि मीटिंग हॉल की इमारत में गोली चली है.
उन्होंने बताया कि जो अधिकारी मौक़े पर पहुंचे उन्होंने पाया कि "कुछ लोग फ़ायर आर्म से गंभीर रूप से घायल थे और ज़मीन पर पड़े हुए थे, उनमें से कुछ की हालत बेहद नाज़ुक थी.”
“इसके बाद हमें इमारत के ऊपरी हिस्से से गोली चलने की आवाज़ आई जब हम वहां पहुंचे तो हमें एक व्यक्ति की लाश मिली. अब तक इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि अपराधी घटनास्थल से बच निकला है.”
वेहरेन ने कहा, “हमें अब तक ये पता है कि कई लोग इस हादसे में मारे गए हैं, कई लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल पहुंचाया गया है.”
आस-पास के इलाकों में रहने वालों को कहा गया था कि वह घर से बाहर ना निकलें. जो फ़ुटेज सामने आई है उसमें पुलिस लोगों को मीटिंग हॉल से बाहर ले जाती नज़र आ रही है.
हैम्बर्ग के आंतरिक मामलों के मंत्री एंडी ग्रोटे ने ट्विटर पर लिखा, “घटनास्थल पर पुलिस विशेष बल और बड़ी संख्या में अधिकारियों को तैनात किया गया है.”
पुलिस ने जनता से सुनी-सुनाई बातें और अफ़वाह ना फैलाने की अपील की है. (bbc.com/hindi)
कैली एनजी और बारबरा प्लैट अशर
अफ़ग़ानिस्तान में उत्तरी बल्ख़ प्रांत के तालिबान गवर्नर की एक बम धमाके में मौत हो गई. ये बम विस्फोट उनके दफ़्तर में हुआ था.
तालिबान के साल 2021 में सत्ता में आने के बाद से मारे जाने वाले तालिबान नेताओं में गवर्नर मोहम्मद दाऊद मुज़म्मिल सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे.
अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा लगातार कम हुई है लेकिन तालिबान समर्थक नेताओं को लगातार हमलों में मारा जा रहा है. कई हमलों की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है.
स्थानीय पुलिस ने कहा है कि इस हमले का कारण स्पष्ट नहीं है. किसी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
लेकिन, तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने ट्विटर पर कहा कि गवर्नर ''इस्लाम के दुश्मनों के एक धमाके में शहीद हुए हैं.''
उन्होंने बताया कि जांच चल रही है.
बताया जाता है कि मुजम्मिल ने इससे पहले नंगरहार प्रांत में गवर्नर के तौर पर इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के ख़िलाफ़ लड़ाई का नेतृत्व किया है. वो पिछले साल अक्टूबर में बल्ख़ आए थे.
बल्ख़ पुलिस के प्रवक्ता मोहम्मद आसिफ़ वज़ीरी ने बताया कि ये धमाका गवर्नर के दफ़्तर की दूसरी मंज़िल पर सुबह करीब नौ बजे हुआ था. इसमें कम से कम एक और शख़्स की जान गई है और कई घायल हुए हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान ख़ान के भाषणों को टीवी चैनल पर प्रसारित करने पर लगे प्रतिबंध के आदेश को सस्पेंड कर दिया है.
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पीईएमआरए) ने सैटेलाइट टीवी चैनलों पर इमरान ख़ान के लाइव या रिकॉर्ड किए गए भाषणों और बयानों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है.
इमरान ख़ान पर अपने भाषणों में संस्थाओं और शख़्सियतों पर बेबुनियाद आरोप लगाने का आरोप लगाया गया था.
पीटीआई ने नियामक प्राधिकरण के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ लाहौर हाई कोर्ट में अपील की थी.
इस मामले की सुनवाई करते हुए गुरुवार को कोर्ट ने प्रतिबंध से जुड़ी अधिसूचना को निलंबित कर दिया और मामले को सुनवाई के लिए बड़ी पीठ के पास भेज दिया. अब इस मामले की सुनवाई 13 मार्च को होगी. (bbc.com/hindi)
जकार्ता, 9 मार्च। इंडोनेशिया के सुदूर नतुना द्वीप में हुए भीषण भूस्खलन के बाद फैले मलबे से बचावकर्मियों द्वारा और शव बरामद करने के बाद, इस प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय आपदा निवारण एजेंसी ने एक बयान में कहा कि दक्षिण चीन सागर के किनारे नतुना क्षेत्र में एक दूरस्थ द्वीप पर जेंटिंग गांव में खोज अभियान चलाया जा रहा है। वहां मूसलाधार बारिश के बाद सोमवार को हुए भूस्खलन में 30 मकान मलबे में दब गए थे।
नतुना की खोज एवं बचाव एजेंसी के प्रमुख अब्दुल रहमान ने बताया कि अधिकारियों ने खोज एवं बचाव एजेंसी, पुलिस और सेना के 700 से अधिक बचावकर्मियों को 24 लोगों की तलाश के लिए तैनात किया है, जो अब भी लापता हैं। इन लोगों के भूस्खलन के मलबे में दबे मकानों में फंसे होने की आशंका है।
रहमान ने एक वीडियो बयान में कहा, ‘‘मौसम में सुधार की वजह से हम और शव बरामद कर सके।’’
राष्ट्रीय आपदा निवारण एजेंसी के प्रमुख सुहरयांतो ने बृहस्पतिवार को बताया कि आठ लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बनी हुई है।
घटनास्थल पर तेज बारिश होने के कारण बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है।
सुहरयांतो ने कहा, ‘‘हम लापता लोगों का पता लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि श्वान दस्ते का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। बुधवार को जकार्ता और आसपास के द्वीपों से बचाव दल, चिकित्सा दल और तंबू, कंबल तथा भोजन सहित राहत सामग्री लेकर दो हेलीकॉप्टर और कई जहाज यहां पहुंचे।
सुहरयांतो ने बताया कि सोमवार को हुए भूस्खलन में करीब 1300 लोग बेघर हो गए, जिन्होंने अस्थायी आश्रय स्थलों में पनाह ली है।
एपी प्रशांत शफीक शफीक 0903 1811 जकार्ता (एपी)
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान ख़ान और अन्य 400 लोगों पर हत्या और चरमपंथ के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.
लाहौर पुलिस ने ये मामला पाटीआई की एक रैली के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ हुए टकराव को लेकर दर्ज किया है.
इस टकराव में एक पीटीआई कार्यकर्ता की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे.
सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) ने 11 महीने में इमरान ख़ान पर ये 80वां मामला दर्ज कराया है.
बुधवार को इमरान ख़ान के घर के बाहर न्यायपालिका के समर्थन में रैली के लिए पार्टी कार्यकर्ता इकट्ठा हुए थे.
पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने कार्यकर्ताओं पर हमला बोल दिया जिसमें पीटीआई कार्यकर्ता अली बिलाल की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.
इस मामले में पुलिस ने 100 पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है.
पुलिस की एफ़आईआर में कहा गया है कि पीटीआई कार्यकर्ताओं के साथ टकराव में 11 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं.
कार्यकर्ताओं ने उन पर पत्थर फेंके. इसमें छह कार्यकर्ता भी घायल हुए.
पीटीआई के वरिष्ठ नेता फवाद चौधरी ने गुरुवार को कहा था कि मृतक पीटीआई कार्यकर्ता के परिवार की शिकायत पर पुलिसकर्मियों और उनके मालिकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के बजाय पुलिस ने 70 साल के इमरान ख़ान और 400 अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
एफ़आईआर में फवाद चौधरी, फ़ारुख़ हबीब, हम्माद अज़हर और महमूदूर रशीद का नाम भी शामिल है. (bbc.com/hindi)
(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 9 मार्च। नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडेल बृहस्पतिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में विजयी घोषित किए गए हैं और वह देश के तीसरे राष्ट्रपति होंगे।
पौडेल ऐसे समय राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं जब राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में कमजोर गठबंधन सरकार शासन कर रही है।
पौडेल आठ दलों के गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार थे जिनमें नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- माओइस्ट सेंटर (सीपीएन- माओइस्ट सेंटर) शामिल है। पौडेल को संसद के 214 सदस्यों और प्रांतीय विधानसभाओं के 352 सदस्यों का समर्थन मिला।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने ट्वीट किया, ‘‘राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर मेरे मित्र रामचंद्र पौडेल को हृदय से बधाई।’’
आठ पार्टियों के समर्थन की वजह से 78 वर्षीय पौडेल का निर्वाचित होना लगभग तय था। उनके खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ‘ओली’ नीत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-एकीकृत मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के सुभाष चंद्र नेमबांग मैदान में थे।
वर्ष 2008 में देश को गणतंत्र घोषित किए जाने के बाद यह तीसरा राष्ट्रपति चुनाव है।
नेपाल की निवर्तमान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल 882 मतदाता हैं जिनमें 332 सदस्य संसद के हैं जबकि 550 सदस्य सात प्रांतीय विधानसभाओं के हैं।
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता शालीग्राम ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में प्रांतीय विधानसभाओं के 518 सदस्यों और संसद के 313 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
पौडेल ने इससे पहले विश्वास जताया था कि विधायिका के सदस्य उन्हीं के पक्ष में मतदान करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि संघीय संसद एवं प्रांतीय एसेंबली के सदस्य मुझे वोट करेंगे। मेरा मानना है कि वे मेरे लंबे संघर्ष के बारे में सही निर्णय करेंगे।’’
चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
पौडेल को राष्ट्रपति पद के चुनाव में समर्थन देने को लेकर उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने मौजूदा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। सीपीएन-यूएमएल नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि निर्वाचन की तारीख से पांच वर्ष होगी और एक व्यक्ति को इस पद पर केवल दो कार्यकाल के लिए ही चुना जा सकता है।
राष्ट्रपति का पद हालांकि काफी हद तक औपचारिक है, लेकिन संविधान प्रदत्त विवेकाधीन शक्तियों के कारण नेपाल के राजनीतिक दलों में हाल के दिनों में इस पद के लिए रुचि बढ़ी है।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने राष्ट्रपति चुनाव में तटस्थ रहने का फैसला किया है। इसके प्रतिनिधि सभा में 14 और प्रांतीय विधानसभाओं में 28 सदस्य हैं। नेपाल वर्कर्स ऐंड पीजेंट पार्टी ने भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।
पौडेल का जन्म 14 अक्टूबर 1944 को बाहुनपोखरी में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था और 16 साल की उम्र में ही वह राजनीति से जुड़ गए थे। वह वर्ष 1970 में नेपाली कांग्रेस की छात्र इकाई नेपाल स्टुडेंट्स यूनियन के संस्थापक सदस्य बने।
पौडेल वर्ष 1980 में नेपाली कांग्रेस (प्रतिबंधित) तन्हुं जिला समिति के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। वर्ष 1987 में उन्हें पदोन्नति मिली और पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति में जगह दी गई। इसी साल उन्हें पार्टी प्रचार समिति का सदस्य बनाया गया। वर्ष 2005 में पौडेल पार्टी के महासचिव बने, वर्ष 2007 में वह पार्टी के उपाध्यक्ष बनाए गए। उन्होंने वर्ष 2015 में कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका भी निभाई।
उन्होंने वर्ष 1985 में हुए सत्याग्रह में सक्रिय भूमिका निभाई। पौडेल ने वर्ष 1990 में पहले जन आंदोलन और वर्ष 2006 में जन आंदोलन के दूसरे हिस्से में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अधिनायकवादी पंचायत शासन के खिलाफ लड़ने के दौरान 12 साल जेल में बिताए।
पौडेल पहली बार वर्ष 1991 में तन्हुं जिले से प्रतिनिधि सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और तब से लगातार छह बार इसी जिले से संसद के लिए चुने गए। (भाषा)
कीव, 9 मार्च। रूस ने बृहस्पतिवार तड़के यूक्रेन के कई शहरों में बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले किए, जिसमें ऊर्जा बुनियादी सुविधाओं को निशाना बनाया गया। यूक्रेन के अधिकारियों और मीडिया ने यह जानकारी दी।
कई सप्ताह के बाद इस तरह के व्यापक मिसाइल हमलों के कारण पूरे यूक्रेन में हवाई हमले से संबंधित सायरन बजने लगे।
पूर्वोत्तर खारकीव क्षेत्र के गवर्नर ओलेह सिनीहुबोव ने खारकीव पर 15 से अधिक हमलों की जानकारी दी।
उन्होंने संदेश ऐप ‘टेलीग्राम’ पर कहा, ‘‘महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे एक बार फिर निशाने पर।’’
दक्षिणी ओडेसा क्षेत्र के गवर्नर मैक्सिम मार्चेंको ने भी ओडेसा पर हमले की सूचना देते हुए कहा कि हमलों में ऊर्जा सुविधाएं तथा आवासीय इमारतें प्रभावित हुई हैं।
नीपर, लुत्सक और रीवने शहर में भी ऐसे ही हमलों की खबर है।
एपी निहारिका सुरेश सुरेश 0903 0955 कीव (एपी)
विंटर हेवन (अमेरिका), 9 मार्च। अमेरिका के मध्य फ्लोरिडा स्थित झील के ऊपर मंगलवार को दो विमानों के टकराने से चार लोगों की मौत हो गई। शेरिफ के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पॉल्क काउंटी शेरिफ ग्रैडी जुड ने बताया कि विंटर हेवन स्थित लेक हार्टरिज के ऊपर यह हादसा हुआ, जहां एक “पाइपर जे -3 क्यूब सीप्लेन” और “चेरोकी पाइपर 161 फिक्स्ड-विंग” विमान दोपहर दो बजे के आसपास टकरा गए।
शेरिफ ने बताया कि कई बचाव कर्मियों के मुताबिक जहां एक विमान लगभग 21 फीट (6.4 मीटर) पानी के नीचे डूब गया, वहीं दूसरा आंशिक रूप से जलमग्न था। बचावकर्मियों ने विमानों से चार शव निकाले।
राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड और संघीय विमानन प्रशासन इस बात की जांच करेंगे कि दोनों विमानों के आपस में टकराने का कारण क्या था।
एपी जितेंद्र संतोष संतोष 0903 0107 विंटरहेवन (एपी)
जॉर्जिया में एक विवादित विधेयक को लेकर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुई हैं.
बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारियों ने राजधानी तिब्लिसी में प्रदर्शन किया है.
जॉर्जिया की संसद ने एक विवादित क़ानून पास किया है. आलोचकों का कहना है कि ये क़ानून प्रेस और नागरिक समाज के अधिकारों को सीमित कर देगा.
संसद के बाहर से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए दंगा रोधी पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.
कई प्रदर्शनकारी इस दौरान ज़मीन पर गिर गए. प्रदर्शनकारी जॉर्जिया और यूरोपीय संघ का झंडा फ़हरा रहे थे.
पुलिस ने इस दौरान 66 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है जिनमें विपक्ष के नेता ज़ुराब जापारिद्ज़े भी शामिल हैं.
जॉर्जिया की संसद में पारित हुए इस नए विधेयक की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हो रही है.
इस विधेयक के तहत जॉर्जिया में काम कर रहे विदेशी मीडिया संस्थानों और ग़ैर सरकारी संगठनों को विदेश से बीस प्रतिशत से अधिक फंड लेने पर अपने आप को 'विदेशी एजेंट' घोषित करना पड़ेगा.
ऐसा ना करने पर भारी ज़ुर्माने और जेल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
विरोधियों का कहना है कि ये क़ानून जॉर्जिया को रूस की तरह अधिनायकवाद की तरफ़ ले जाएगा और इससे जॉर्जिया के यूरोपीय संघ का हिस्सा बनने में भी दिक्कतें आएंगी. (bbc.com/hindi)
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने कहा है कि उनके देश में शरण लेने वाले रोहिंग्याओं के वापस लौटने के मुद्दे पर म्यांमार की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिला है.
क़तर दौरे पर अल-जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में शेख़ हसीना ने कहा कि बांग्लादेश ने म्यांमार में उत्पीड़न, हत्या और बलात्कार के पीड़ित रोहिंग्याओं को मानवीय आधार पर शरण दी.
हाल ही में कॉक्स बाज़ार में लगी भीषण आग से जुड़े सवाल पर शेख़ हसीना ने इंटरव्यू में कहा, "जब म्यांमार में रोहिंग्याओं का उत्पीड़न हुआ तब उनके साथ हत्या, बलात्कार जैसे मामले सामने आए...हमें रोहिंग्याओं के लिए बुरा लगा...इसके बाद हमने अपनी सीमाएं खोली...हमने उन्हें आने दिया. इसके अलावा हमने उन्हें रहने की जगह दी, सबकुछ मानवीय आधार पर किया."
उन्होंने कहा, "हमने म्यांमार के साथ बातचीत शुरू की. हमने उनसे कहा कि रोहिंग्या आपने देश के नागरिक हैं और उन्हें वापस अपने देश जाने दिया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से वो (म्यांमार) सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दे रहे. मुझे लगता है कि इन लोगों को अपने घर और देश वापस जाना चाहिए."
कॉक्स बाज़ार में रहने वाले रोहिंग्याओं की स्थिति पर शेख़ हसीना ने कहा कि वहां की स्थितियां कुछ ख़ास नहीं है.
शेख़ हसीना ने कहा, "रोहिंग्या अब ख़ुद एक-दूसरे से लड़ रहे हैं. वो ड्रग्स, हथियार और मानव तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गए हैं. इसके साथ ही उन लोगों के आपस में भी बहुत विवाद हैं." (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 8 मार्च। संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान कई बुनियादी अधिकारों से वंचित महिलाओं एवं लड़कियों के लिए दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान के नए शासकों ने ऐसे नियम लागू करने पर जोर दिया है जिनसे ज्यादातर महिलाएं और लड़कियां अपने घरों में कैद हो गई हैं।
बयान के अनुसार अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने उदारवादी रुख अपनाने का वादा किया था, लेकिन उसके बावजूद उसने कठोर नियम लागू किए हैं। उन्होंने छठी कक्षा के बाद लड़कियों की शिक्षा के साथ ही पार्कों और जिम जैसे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की मौजूदगी तक पर प्रतिबंध लगा दिए।
बयान के अनुसार, इसके साथ ही महिलाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों में काम करने से भी रोक दिया गया है और उन्हें सिर से पैर तक, खुद को ढंक कर रखने का आदेश दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में मिशन की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा, "तालिबान के शासन में अफगानिस्तान महिलाओं के अधिकारों को लेकर दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन गया है।"
उन्होंने कहा, "अफगान महिलाओं एवं लड़कियों को सार्वजनिक स्थानों से बाहर करने के उनके सुनियोजित प्रयासों को देखना दुखद है।"
अफगानिस्तान में महिलाओं पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई है। लेकिन तालिबान ने अपने सख्त रुख से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है। उसने हालांकि दावा किया है कि ये प्रतिबंध अस्थायी हैं क्योंकि महिलाएं हिजाब सही ढंग से नहीं पहन रही थीं और विभिन्न नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था।
विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के बारे में तालिबान सरकार का दावा है कि पढ़ाए जा रहे कुछ विषय अफगान और इस्लामी मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं।
ओटुनबायेवा ने कहा कि देश की आधी आबादी को उनके घरों तक सीमित करना दुनिया के सबसे बड़े मानवीय और आर्थिक संकटों में से एक है तथा यह राष्ट्रीय आत्म-नुकसान का कार्य भी है। उन्होंने कहा कि इन कदमों से अफगानिस्तान अपने ही नागरिकों और बाकी दुनिया से और अलग हो जाएगा।
काबुल के एक कालीन कारखाने में कई ऐसी लड़कियां काम करती हैं जो पहले स्कूल या विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करती थी। उनके साथ ऐसी महिलाएं भी काम करती हैं जो पहले सरकारी कर्मचारी थीं और अब वे अपना दिन कालीन बुनने में बिताती हैं।
हफीजा देश में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले कानून की प्रथम वर्ष की छात्रा थीं। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी यहां कैदियों की तरह हैं, हमें ऐसा लगता है कि हम किसी पिंजरे में कैद हैं।”
उन्होंने कहा, "उस समय स्थिति सबसे खराब हो जाती है जब आपके सपने टूट जाते हैं, और आपको महिला होने के कारण दंडित किया जाता है।"
एपी अविनाश पवनेश पवनेश 0803 1622 इस्लामाबाद (एपी)
पाकिस्तान के लाहौर में धारा 144 लगाए जाने के बावजूद इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ के कार्यकर्ता इकट्ठा होने की कोशिश कर रहे हैं.
पुलिस ने सख़्त बैरीकेडिंग की है और कई जगह कार्यकर्ताओं पर पानी की बौछारों का भी इस्तेमाल किया है.
रिपोर्टों के मुताबिक कई जगह पार्टी कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पत्थरबाज़ी भी की है.
इमरान ख़ान की प्रस्तावित बैठक के मद्देनज़र पंजाब प्रांत की पुलिस ने लाहौर में पहले से ही धारा 144 लगा दी थी. इसी के साथ जुलूसों और रैलियों पर भी रोक लगा दी थी.
भारी तादाद में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं
धारा 144 का उल्लंघन करने पर पुलिस इमरान ख़ान की पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी ले रही है.
बीबीसी संवाददाता के मुताबिक लाहौर पुलिस ने ज़मान पार्क की तरफ़ जाने वाली सड़क को बंद कर दिया है और कनाल रोड पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है.
उत्तेजित कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों का इस्तेमाल भी करना पड़ रहा है.इमरान ख़ान ने आज लाहौर में रैली निकालने का एलान किया था. (bbc.com/hindi)
भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान को बीस हज़ार मीट्रिक टन गेहूं भेजने का फ़ैसला किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बीते मंगलवार प्रेस रिलीज़ जारी करके बताया है कि ये फ़ैसला सात मार्च को हुई भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक में लिया गया है.
भारत ने इससे पहले पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान को गेंहू भेजे हैं.
लेकिन पाकिस्तान के साथ किए गए इस मामले में समझौते की मियाद पूरी होने की वजह से भारत ने चाबहार पोर्ट के रास्ते गेहूं भेजने का फ़ैसला किया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अफ़ग़ानिस्तान इस समय जिस खाद्य संकट से जूझ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की है.
इसके तहत भारत अफ़ग़ानिस्तान की जनता के लिए बीस हज़ार मीट्रिक टन गेहूं चाबहार पोर्ट से भेजेगा.
इस बैठक में भारत, कज़ाख़्स्तान, किर्गिज़ गणराज्य और ताजिकिस्तान के साथ-साथ तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के शीर्ष अधिकारी और दूत शामिल हुए थे.
भारत और मध्य एशिया के देशों के बीच इस बैठक को लेकर पिछले साल जनवरी में हुए भारत-मध्य एशिया सम्मेलन के दौरान सहमति बनी थी.
साल भर पहले हुए सम्मेलन में तय किया गया था कि अफ़ग़ानिस्तान पर एक विशेष संपर्क समूह भी बनाया जाएगा.
पाकिस्तान के साथ समझौता
भारत सरकार ने इससे पहले साल 2021 में विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ अफ़ग़ानिस्तान में जारी मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए 50 हज़ार मीट्रिक टन गेहूं भेजने का समझौता किया था.
इस गेहूं को पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान तक पहुँचाया जाना था. शुरुआती दौर में पाकिस्तान इसे लेकर सहज नहीं था.
इस मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच कई महीनों तक बातचीत हुई जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के खाद्य संकट को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने भारत को रास्ता देने का फ़ैसला किया था.
ये समझौता इमरान ख़ान सरकार के साथ किया गया था और साल 2022 के अप्रैल महीने में इमरान ख़ान सरकार सत्ता से बाहर हो गई.
इसके बाद पाकिस्तान में आई बाढ़ के चलते गेहूं भेजने के लिए मिला रास्ता उपलब्ध नहीं हो सका.
आख़िरकार इस समझौते की मियाद ख़त्म हो गई और इसे आगे बढ़ाने के लिए की गई बातचीत किसी नतीज़े पर नहीं पहुँची.
क्या बोला तालिबान
तालिबान ने भारत सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
ये पहला मौक़ा है, जब भारत तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद चाबहार के रास्ते उसे मदद भेज रहा है.
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने विऑन न्यूज़ से कहा है, ''चाबाहार के ज़रिए भारत अफ़ग़ानिस्तान में 20 हज़ार मीट्रिक टन गेहूँ भेज रहा है. यह एक सराहनीय क़दम है. इस तरह की मदद से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और द्विपक्षीय संबंध मज़बूत होंगे.''
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में अभी तालिबान को मान्यता नहीं दी है लेकिन मोदी सरकार ने बातचीत कभी बंद नहीं की थी.
अमेरिकी थिंक टैंक द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया के निदेशक माइकल कगलमैन ने चाबहार के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान में भारत के गेहूं भेजने के फ़ैसले को एक बड़ी प्रगति बताया है.
उन्होंने लिखा है, ''ग्वादर बनाम चाबाहार की प्रतिस्पर्धा लंबे समय से रही है. इन पोर्टों को लेकर बातें ख़ूब होती रही हैं लेकिन हाल के समय में चाबाहार वाक़ई ज़मीन पर उतर चुका है. यह हालिया प्रगति वाक़ई बड़ी है. भारत चाबाहार के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान को मदद भेज रहा है.''
भारत सरकार ने इसी बैठक में संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स और उससे जुड़े अपराधों पर नज़र रखने वाली संस्था यूएनओडीसी के साथ भी क़रार किया है.
इस समझौते के तहत भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था से जुड़े अधिकारियों समेत अन्य कर्मचारियों की क्षमताओं के विकास के लिए एक विशेष कोर्स डिज़ाइन करेगी.
इसके साथ ही भारत सरकार ड्रग्स की तस्करी रोकने और ड्रग्स लेने वालों, विशेष रूप से अफ़ग़ानी महिलाओं के पुनर्वास में सहयोग करेगी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़, विदेश मंत्रालय की रिलीज़ में इस बारे में जानकारी ज़रूर दी गई है लेकिन ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि ये ट्रेनिंग कोर्स काबुल स्थित भारतीय मिशन की ओर से कराए जाएंगे, जहाँ भारत की तकनीकी टीम मौजूद है. या इस कोर्स को करने के लिए भारत अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को वीज़ा उपलब्ध कराएगा.
ये बात इसलिए अहम है क्योंकि भारत ने साल 2021 में तालिबानी सरकार आने से पहले जारी किए गए सभी वीज़ा रद्द कर दिए हैं.
तालिबानी सरकार आने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान के छात्रों या अन्य नागरिकों को भारत का वीज़ा नहीं दिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एवं अपराध कार्यालय की रिपोर्ट्स के मुताबिक़, तालिबान का नियंत्रण होने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में अफीम का उत्पान लगभग एक तिहाई बढ़ गया है.
दुनिया की 80 फीसद से ज़्यादा अफीम और हेरोइन की तस्करी अफ़ग़ानिस्तान से की जाती है.
मध्य एशिया में अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों के लिए ड्रग्स की तस्करी और चरमपंथ अफ़ग़ानिस्तान से जुड़ी चिंताओं में सबसे अहम है.
पाकिस्तान-तालिबान रिश्ते और भारत
अब से लगभग दो साल पहले अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं की वापसी के वक़्त पाकिस्तान में इसे उसकी कूटनीति की जीत के रूप में देखा गया था.
साल 2021 के अगस्त महीने में काबुल पर तालिबान का नियंत्रण होने के साथ ही पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के मुखिया जनरल फ़ैज हमीद को काबुल पहुंचे थे.
जनरल फ़ैज़ हमीद उस वक़्त काबुल पहुंचे थे जब तालिबान के अंदर अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता को लेकर संघर्ष शुरू होने की ख़बरें आई थीं.
ऐसे माहौल में पाक सैन्य अधिकारी के काबुल पहुंचने को तालिबान पर पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा गया था.
ठीक इसी वक़्त चिंताएं जताई गयी थीं कि अगर भारत अपने पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान से कूटनीतिक रूप से बाहर हो जाता है तो उसके लिए सुरक्षा से जुड़े नए संकट पैदा हो सकते हैं.
हालांकि, भारत ने इन चिंताओं को दरकिनार करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के साथ बातचीत जारी रखी हुई है.
लेकिन पिछले कुछ महीनों से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन को लेकर विवाद भड़कता जा रहा है.
और हाल ही में कई जगहों पर दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी होने की ख़बरें भी आई हैं. (bbc.com/hindi)
कराची, 8 मार्च। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में गैस रिसाव के कारण हुए विस्फोट में एक महिला और दो नाबालिग लड़कियों सहित कम से कम सात सदस्यों की मौत हो गई। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि यह घटना सोमवार रात सिरी कलां इलाके में गैस रिसाव के कारण हुए विस्फोट की वजह से मिट्टी की दीवार वाले एक कमरे के धंसने के बाद हुई।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “रात में जब परिवार का कोई सदस्य हीटर चालू करने के लिए उठा तो गैस लीक होने से धमाका हो गया।”
उन्होंने बताया, “इस विस्फोट में परिवार के मुखिया, उनकी पत्नी, दो नाबालिग लड़कियों और तीन बेटों की मौत हो गई।”
पुलिस ने बताया कि दूसरे कमरे में सो रहे परिवार के चार अन्य सदस्य घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। (भाषा)
जिनेवा, 8 मार्च। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के नए प्रमुख वोल्कर तुर्क ने मंगलवार को कहा कि उनके कार्यालय ने चीन में उइगर मुस्लिमों सहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों संबंधी मुद्दों को लेकर ‘संवाद के रास्ते’ खोले हैं।
उन्होंने साथ ही स्वीकार किया कि यह उन कार्यकर्ताओं की उम्मीदों के अनुकूल नहीं है जो चीन को और सख्त संदेश देने के पक्षधर हैं।
वोल्कर ने यह भी नहीं बताया कि उनके कार्यालय की चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र को लेकर पिछले अगस्त में उनकी पूर्ववर्ती मिशेल बैशलेट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के संबंध में क्या योजना है। रिपोर्ट में शिनजियांग में उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध’’ का संकेत दिया गया है।
तुर्क ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने चीन में मनमाने तरीके से लोगों को कथित तौर पर हिरासत में रखने जैसी चिंताओं पर गौर किया है और उन्होंने इस संबंध में ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को दबाने के लिए लाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के प्रभाव पर भी चिंता जताई। (एपी)
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में होली की पूर्व संध्या पर एक हिंदू डॉक्टर की हत्या का मामला सामने आया है. दावा है कि डॉक्टर को उन्हीं के ड्राइवर ने मारा.
डॉन न्यूज़ ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि एसएसपी अमजद शेख़ के अनुसार डॉक्टर धरम देव राठी की उन्हीं के ड्राइवर हनीफ़ लेघारी ने हत्या की और वहां से फरार हो गया.
पाकिस्तान के ग़ैर-मुस्लिम क्षेत्र से सांसद खियल दास कोहिस्तानी ने भी इस हत्या की निंदा की है.
उन्होंने ट्वीट किया, "मैं होली की पूर्व संध्या पर जाने-माने हिंदू डॉक्टर धरम देव राठी की निर्मम हत्या की निंदा करता हूं. एसएसपी अमजद शेख़ ने पुष्टि की है कि राठी के ड्राइवर ने ही उनकी हत्या की. अभियुक्त को पकड़ने के लिए पुलिस की छापेमारी जारी है."
वहीं डॉन न्यूज़ ने डॉक्टर राठी के रसोइए दिलीप ठाकुर के हवाले से बताया कि वारदात से पहले डॉक्टर और ड्राइवर की बहस हुई थी. रसोइए ने पुलिस को ये भी बताया कि ड्राइवर लेघारी खैरपुर मिर्स का रहने वाला है और हिंदू डॉक्टर की निर्मम हत्या करने के बाद से फ़रार है.
हालांकि, हत्या के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है. एसएसपी के अनुसार रसोइया इस हादसे से सदमे में है और उन्हें अस्पताल ले जाया गया है.
स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हो चुके डॉक्टर राठी का परिवार अमेरिका में रहता है. (bbc.com/hindi)
अमेरिका की सीनेट ने मंगलवार को भारतीय-अमेरिकी अरुण सुब्रमण्यम को न्यूयॉर्क की ज़िला अदालत का जज नियुक्त करने पर मुहर लगा दी है. सुब्रमण्यम इस बेंच में शामिल होने वाले पहले दक्षिण एशियाई मूल के जज होंगे.
सुब्रमण्यम के नामांकन के पक्ष में 58 मत पड़े और विपक्ष में 37 वोट.
सीनेट के नेता चक शुमर ने कहा, "हमने न्यू यॉर्क के दक्षिण ज़िले की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जज के तौर पर अरुण सुब्रमण्यम को चुना है. वो भारतीय प्रवासी के बेटे हैं और दक्षिण ज़िले की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पहले दक्षिण एशियाई जज भी हैं. यहाँ दक्षिण एशियाई-अमेरिकियों की बड़ी आबादी है. उन्होंने अपना करियर लोगों के लिए संघर्ष करने में बिताया है."
पीटीआई के अनुसार, सुब्रमण्यम का जन्म पेन्सिलवीनिया में साल 1979 में हुआ था. उनके माता-पिता 1970 के दशक में ही अमेरिका जाकर बसे थे. उनके पिता कई कंपनियों में कंट्रोल सिस्टम इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं. उनकी माँ ने भी अमेरिका में कई नौकरियां की हैं.
सुब्रमण्यम ने साल 2001 में केस वेस्टर्न रिज़र्व यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस और इंग्लिश में स्नातक किया. इसके तीन साल बाद उन्होंने कोलंबिया लॉ स्कूल से लॉ डिग्री ली.(bbc.com/hindi)
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के गुलिस्तां इलाके के पास मंगलवार को हुए एक विस्फोट में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए.
ये घटना ढाका के नॉर्थ साउथ रोड के सिद्दीकी बाजार में शाम करीब पांच बजे हुई. मृतकों में नौ पुरुष और दो महिलाएं हैं. घायलों को ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
विस्फोट के समय बीबीसी बांग्ला के संवाददाता शाहनवाज रॉकी उसी रास्ते से गुजर रहे थे. वो जिस वाहन पर सवार थे वह विस्फोट के समय मौके से सिर्फ सौ मीटर दूर था.
शाहनवाज ने मौके से बताया है कि विस्फोट के बाद एक सात मंजिला इमारत का मलबा आसपास के इलाके में बिखर गया. विस्फोट की वजह से सड़क से गुजर रही एक बस के तमाम शीशे टूट कर बिखर गए और उसमें सवार कई यात्री घायल हो गए.
इसके अलावा उस इमारत के सामने खड़े कई वैन और रिक्शा चालक और आम लोग घायल हो गए.
बीबीसी संवाददाता ने बताया है कि कैफे क्वीन नामक उस इमारत और उसके आसपास के इलाको में ज्यादातर सैनिटरी के सामान की दुकानें हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस इमारत के ऊपरी हिस्से में कुछ दफ्तर और आवासीय फ्लैट भी थे.
कई लोग मलबे से निकाले गए
शाहनवाज रॉकी ने बताया है कि विस्फोट से वहां खड़े कुछ रिक्शा और वैन चालक भी घायल हो गए हैं. बीबीसी संवाददाता ने देखा कि घायलों को एक छोटे ट्रक के जरिए अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. विस्फोट के बाद हजारों लोग मौके पर जुट गए हैं. जिस इमारत में विस्फोट हुआ वहां टाइल्स और सेनेटरी सामान बेचने वाली एक दुकान थी.
फायर सर्विसेज कंट्रोल रूम के अधिकारी राशिद बिन खालिद ने बताया, "विस्फोट की खबर मिलते ही मौके पर पहुंची फायर सर्विसेज की टीम ने वहां से चार शव बरामद किए और कई घायलों को बचाया. घायलों को अस्पताल भेजा जा रहा है."
लेकिन ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निदेशक ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद नजमुल हक ने बताया, "मैंने कम से कम छह शव देखे हैं. हमारे अस्पताल में फिलहाल सौ लोगों का इलाज चल रहा है. अब भी कई घायल अस्पताल पहुंच रहे हैं. उनको मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. इसलिए अस्पताल के तमाम डॉक्टरों को आपात स्थिति से निपटने के लिए बुला लिया गया है."
चश्मदीद ने क्या बताया?
फायर सर्विसेज के अधिकारी फिलहाल यह नहीं बता सके है कि कैसे और क्यों विस्फोट हुआ.
विस्फोट के एक प्रत्यक्षदर्शी ने पत्रकारों को बताया, "मैं ब्रेक बैंक के पास खड़ा था. अचानक एक तेज धमाका सुन कर मैंने इमारत के सामने पहुंच कर देखा कि उससे काफी मात्रा में धुआं निकल रहा है. वहां से निकले लकड़ी और ईंट के टुकड़े सामने खड़े लोगों के शरीर पर लगे. कुछ लोग मलबे के नीचे दब गए हैं. इमारत के सामने खड़ी वैन के कुछ चालक दीवार के नीचे दब गए हैं. सामने की सड़क पर ट्रैफिक में फंसी एक बस के एक तरफ के तमाम शीशे टूट गए. बस यात्रियों में से ज्यादातर घायल हो गए हैं."
उसका कहना था कि इमारत के सामने कई लोग घायल पड़े हैं. उनके शरीर से खून बह रहा है. आसपास के लोग मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.
बीते रविवार को ढाका के साइंस क्लब इलाके में ऐसे ही एक विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 14 घायल हो गए थे. शनिवार को चटगांव के सीता कुंड में एक ऑक्सीजन कारखाने में विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी.
कई विस्फोट, जांच पूरी नहीं
बांग्लादेश में बीते एक महीने के दौरान ढाका समेत विभिन्न शहरों में कई विस्फोट हो चुके हैं.
बीते कुछ वर्षों के दौरान ऐसी कई घटनाएं सुर्खियों में रही हैं. लेकिन ऐसे तमाम मामलों में जमी हुई गैस को ही विस्फोट की वजह बताया जा रहा है.
इनमें से कुछ घटनाओं की जांच अब तक पूरी नहीं हो सकी है. अब तक जितनी जांच रिपोर्ट सामने आई है उनमें विस्फोट के लिए मूल रूप से इमारत या संस्थान के मालिको को ही जिम्मेदार ठहराया गया है. ऐसी घटनाओं की जांच के दौरान संबंधित अधिकारियों की लापरवाही सामने आने के बावजूद उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. ज्यादातर मामलों में इमारत के मालिको पर ही जिम्मेदारी थोप दी जाती है.
फायर सर्विसेज का दावा है कि आम लोगों के सचेत नहीं रहने के कारण ही बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं. इन दुर्घटनाओं को रोकना संभव नहीं हो रहा है.
सिद्दीकी बाजार की यह घटना वर्ष 2021 में 27 जून को मोग बाजार में हुए विस्फोट से मिलती-जुलती है. उस घटना में इमारत के नीचे कोई गैस कनेक्शन नहीं मिला था. गैस सिलेंडर भी सही-सलामत था. उस समय विशेषज्ञों ने कहा था कि उनको वहां से मीथेन गैस का पता चला था जो शायद सीवेज पाइपलाइन से लीक हुई हो सकती है.
इसके अलावा नारायणगंज में चार सितंबर, 2020 को फतुल्ला में एक मस्जिद में हुए विस्फोट में 34 लोगों की मौत हुई थी.
उस घटना की जांच करने वाली सीआईडी ने विस्फोट के कारण की जानकारी देते हुए बताया था कि मस्जिद के भीतर गैस और बिजली का अवैध कनेक्शन था. गैस लाइन में रिसाव से निकलने वाली गैस के बिजली के संपर्क में आने की वजह से ही विस्फोट हुआ था. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन अचानक इराक़ दौरे पर पहुंच गए हैं.
अमेरिका-इराक़ युद्ध के दो दशक पूरे होने की वर्षगांठ के दो सप्ताह पहले जनरल लॉयड ऑस्टिन इराक़ पहुंचे हैं. इस युद्ध में इराक के शासक सद्दाम हुसैन की सत्ता का अंत हो गया था.
सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट में जनरल ऑस्टिन ने अमेरिका और इराक के बीच सामरिक साझेदारी की बात की और कहा कि दोनों सुरक्षित, स्थायी और सार्वभौम इराक की तरफ कदम बढ़ाने को प्रतिबद्ध हैं.
बग़दाद में इराक़ी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के साथ बातचीत के बाद उन्होंने कहा, "आने वाले दिनों में इराक़ी सरकार की गुज़ारिश पर अमेरिकी सेना इराक़ में रहने के लिए तैयार है. फिलहाल सेना नॉन-कॉम्बैट भूमिका में है और चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई में इराक़ी सेना को सलाह दे रही है, उन्हें ट्रेनिंग दे रही है और उनकी मदद कर रही है."
फिलहाल इराक़ में क़रीब 2,500 अमेरिकी सैनिक हैं, जो इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से लड़ने में इराक़ी सेना की मदद कर रहे हैं.
2011 में यहां से अमेरिकी सेना के वापस जाने के बाद इस्लामिक स्टेट ने यहां के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा कर लिया था.
ये चरमपंथी समूह अब पहले के मुक़ाबले उतना ताकतवर नहीं है, लेकिन जानकार कहते हैं कि अभी भी उनके स्लीपर सेल इराक़ के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं.
जनरल ऑस्टिन इराक़ का दौरा करने वाले बाइडन प्रशासन के सबसे आला अधिकारी हैं. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को तोशाखाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट को 13 मार्च तक निलंबित कर दिया है.
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने दिन में फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे बाद में सुनाया गया.
कोर्ट ने इमरान ख़ान को 13 मार्च को जिला एवं सत्र अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है.
पिछले सप्ताह, तोशाखाना मामले में उनके कोर्ट नहीं पहुंचने पर ज़िला और सत्र अदालत ने उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्होंने तोशाखाना से लिए गिफ्ट्स की जानकारी चुनाव आयोग से छिपाई. तोशाखाना वह जगह है
तोशाखाना, पाकिस्तान में एक सरकारी विभाग है. यहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे बड़े अधिकारियों को किसी यात्रा के दौरान मिलने वाले क़ीमती तोहफों को रखा जाता है.(bbc.com/hindi)
कोहिमा, 7 मार्च। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो ने नगालैंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल के लिए मंगलवार को शपथ ली।
राज्यपाल ला गणेशन ने 72 वर्षीय रियो को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
एनडीपीपी के टी आर जेलियांग और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वाई पैटन को राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। रियो के मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी शपथ ली।
मंत्रिपरिषद् के सदस्य के रूप में शपथ लेने वालों में अपने मजाकिया अंदाज के लिए सोशल मीडिया पर लोकप्रिय एवं भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख तेमजेन इम्ना अलॉन्ग और पहली बार नगालैंड विधानसभा के लिए चुनी गई दो महिलाओं में शुमार सलहौतुओनुओ क्रूस भी शामिल हैं।
क्रूस और हेकानी जाखलू चुनाव जीतकर पहली बार नगालैंड विधानसभा पहुंची हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री एवं पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के संयोजक हिमंत विश्व शर्मा भी इस मौके पर मौजूद थे।
रियो के मंत्रिमंडल में एनडीपीपी से सात और भाजपा से पांच मंत्री हैं। मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये नये चेहरों में सिर्फ क्रूस और पी बाशंगमोनबा ही हैं।
क्रूस ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह राज्य की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनने से खुश हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जो भी विभाग दिया जाएगा, लोगों के लिए उसमें वह गंभीरता से काम करेंगी।
रियो ने संवाददाताओं से बातचीत में उन्हें पांचवां कार्यकाल देने के लिए राज्य की जनता का शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा कि मंत्रियों के विभागों का बंटवारा मंगलवार शाम होने वाली मंत्रिमंडल की प्रथम बैठक के बाद किया जाएगा।
रियो अपने राज्य में सर्वदलीय सरकार का नेतृत्व करेंगे, जहां कोई विपक्षी दल नहीं होगा। एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में राज्य विधानसभा की 60 सीट में से 37 सीट पर जीत हासिल की।
रियो पहली बार 2003 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वह 2008 और 2013 में मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2014 में इस्तीफा दे दिया और लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद, 2018 में फिर से मुख्यमंत्री बने।
वहीं, पांचवां कार्यकाल मिलने के साथ रियो नगालैंड में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता हो गये हैं। उन्होंने एस सी जमीर का रिकार्ड तोड़ दिया, जो 1980, 1982-86, 1989-90, और 1993-2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। (भाषा)
बांग्लादेश में अधिकारियों का कहना है कि राजधानी ढाका में एक व्यस्त बाज़ार की एक इमारत में धमाका हुआ है जिसमें कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ढाका में एक सात-मंज़िला कमर्शियल बिल्डिंग में हुए इस धमाके में कम से कम सौ लोग घायल बताए जा रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने ख़बर दी है कि धमाका गुलिस्तान के इलाक़े में इस इमारत की चौथी और पांचवीं मंज़िल पर हुआ. ये इलाक़ा देश में होलसेल सामान का गढ़ माना जाता है.
पीटीआई ने डीएमसीएच आउटपोस्ट पर तैनात इंस्पेक्टर बच्चू मियां के हवाले से ख़बर दी है कि घायलों को इलाज के लिए ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया.
अब तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि धमाके की वजह क्या थी.
समाचार एजेंसी एएनआई ने स्थानीय मीडिया में आ रही रिपोर्टों के हवाले से कहा है कि इस धमाके में कम से कम सात लोगों की मौत हुई है.
बांग्लादेशी न्यूज़ पोर्टल bdnews24 ने फ़यर सर्विस स्टेशन के हवाले से ख़बर दी है कि धमाका स्थानी समयानुसार चार बज तक 50 मिनट पर हुआ.
धमाके के बाद लगी आग पर काबू पाने के लिए दमकल की पांच गाड़ियों को इलाक़े में तैनात किया गया है
इस इमारत के निचले स्तर पर सैनिटरी उत्पादों की कुछ दुकानें थीं. वहीं इसके सामने बांग्लादेश के निजी बैंक बीआरएस की एक ब्रांच थी. धमाके में इसे भी नुक़सान पहुंचा है.
इससे पहले शनिवार को बांग्लादेश के दक्षिणी इलाक़े में ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली एक फैक्ट्री में धमाका हुआ था जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी. (bbc.com/hindi)
जापान की स्पेस एजेंसी ने कहा है कि लॉन्च के दूसरे चरण में इंजन चालू न हो पाने के कारण उनका नया रॉकेट लॉन्च नहीं हो पाया है. ये दूसरी बार है जब ये रॉकेट लॉन्च नाकाम हुआ है.
कमांड सेंटर ने कहा कि 57 मीटर लंबा ये रॉकेट सफलतापूर्वक तानेगाशिमा स्पेस पोर्ट से उड़ा था लेकिन कुछ मिनट बाद इसकी गति धीमी होने लगी जिसके बाद उसे 'सेल्फ़ डिस्ट्रक्शन' (खुद को नष्ट करने) का आदेश दिया गया.
जापानी स्पेस एजेंसी के प्रमुख हिरोशी यामाकावा ने इसके लिए माफ़ी मांगी है और कहा है कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी.
जानकारों का कहना है कि जापानी स्पेस एजेंसी के लिए ये एक बड़ा झटका है.
वहीं जापान की सरकार ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' कहा है.
जापान क़रीब तीन दशक के बाद अपना पहला मीडियम-लिफ्ट रेंज का रॉकेट एच-3 लॉन्च कर रहा था.
ये रॉकेट निगरानी के लिए बनी एएलओएस-3 सैटेलाइट लेकर जा रहा था. जापान का कहना था कि ये सैटेलाइट उत्तर कोरिया के मिसाइल लॉन्च पर नज़र रख सकेगा.
जापान के मीडियम-लिफ्ट रेंज एच3 रॉकेट को अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 का प्रतिद्वंदी माना जा रहा था. फाल्कन-9 के मुक़ाबले इसके ज़रिए उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की क़ीमत कम हो जाएगी.
ये दूसरी बार है जब ये रॉकेट लॉन्च नहीं हो सका है. फरवरी में इसे लॉन्च करने की कोशिश उस वक्त नाकाम हो गई थी जब रॉकेट बूस्टर्स में ख़राबी के कारण रॉकेट लिफ्ट-ऑफ़ ही नहीं कर सका था. (bbc.com/hindi)
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अक्सर अपने बयानों में चीन के विकास की बात करते हैं लेकिन सीधे तौर पर अमेरिका के बारे में कुछ नहीं कहते.
लेकिन चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस के दौरान आयोजित राजनीतिक सलाहकारों के समूह की एक बैठक में व्यापारियों से बात करते हुए उन्होंने अमेरिका को निशाने पर लिया.
उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन को 'घेरने, दबाने और रोकने' की पूरी कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस कारण चीन के सामने कई 'चुनौतियां' खड़ी हो गई हैं.
दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्री चिन गांग ने मंगलवार को राष्ट्रपति के बयान का समर्थन किया और चीन-अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्तों के लिए अमेरिका को ज़िम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका ने अपनी हरकतों पर ब्रेक नहीं लगाया और ग़लत राह पर चलना बंद नहीं किया तो चाहे कितनी भी सुरक्षा रखी जाए गाड़ी का पटरी से उतरना तय है और इससे संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इसका परिणाम भयंकर होगा?"
उन्होंने कहा, "ये एक लापरवाह खेल है जिसमें दोनों पक्षों के हित और साथ ही पूरी मानवता का भविष्य शामिल है. ये सामान्य बात है कि चीन हर तरह से इसके ख़िलाफ़ है."
चिंग गांग ने ताइवान मामले का ज़िक्र किया और कहा कि ये वो लाल रेखा है जिसे पार करने की इजाज़त नहीं है.
चिन गांग ने कहा, "ताइवान का सवाल चीन के मूल हितों से जुड़ा है, ये चीन अमेरिका के राजनीतिक रिश्तों के मूल में है और दोनों के रिश्तों में ये वो लाल रेखा है जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए."
"ताइवान मामले पर सवाल खड़ा करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से अमेरिका की है. हम अमेरिका के ताइवान मामले को लेकर इसलिए बात कर रहे हैं ताकि हम उसे कहें कि वो चीन के आंतरिक मामलों में दखलअंदाज़ी न करे."
अमेरिका में कई जगहों पर ऊंचाई पर उड़ने वाले चीन के बलून देखे जाने के बाद अमेरिका और चीन के बीत रिश्ते और बिगड़ गए हैं.
अमेरिका ने ये कहते हुए चीनी बलून को गिरा दिया था कि इसमें जासूसी के लिए उपकरण लगे हुए थे.
लेकिन चीन ने कहा कि ये मौसम की जानकारी इकट्ठा करने वाला बलून था जो रास्ता भटक कर अमेरिका के इलाक़े में चला गया था, लेकिन अमेरिका ने इसे लेकर ओवररिएक्ट किया है. (bbc.com/hindi)
उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग-उन की बहन किम यो-जोंग ने मंगलवार को चेतावनी दी है कि उनका देश अमेरिका और दक्षिण कोरिया के ख़िलाफ़ बहुत मज़बूत और त्वरित कार्रवाई करने के लिए तैयार है.
ये बयान अमेरिका के परमाणु सक्षम बी-52 बॉम्बर को उड़ाने के एक दिन बाद आया है.
सोमवार को अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने संयुक्त अभ्यास के दौरान कोरियाई प्रायद्वीप के ऊपर बी-52 बॉम्बर उड़ाया था. दोनों देशों की सेनाएं भी इस महीने के आख़िर में अपने सबसे बड़े अभ्यास को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रही हैं.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक़ किम यो-जोंग ने अपने बयान में ये विस्तार से नहीं बताया कि उनका देश किस तरह की कार्रवाई कर सकता है.
हालांकि उत्तर कोरिया, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास के जवाब में अक्सर मिसाइलों का परीक्षण करता है, क्योंकि वह मानता है कि उसे इस तरह से सैन्य अभ्यास से डराया जा रहा है.
किम यो-जोंग ने बयान में कहा, "हम अमेरिकी सेना और दक्षिण कोरिया की कठपुतली सेना की चालों पर नज़र रखते हैं और हमेशा त्वरित और ज़बरदस्त जवाबी कार्रवाई करने के लिए तैयार रहते हैं."
उनका कहना है कि इस तरह के अभ्यास को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है.
कौन हैं किम यो-जोंग
किम यो-जोंग उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग-उन की इकलौती और छोटी बहन हैं.
1987 में पैदा हुईं यो-जोंग किम से चार साल छोटी हैं. दोनों ने साथ रहकर स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पढ़ाई की थी.
यो-जोंग 2018 में तब चर्चा में आई थीं जब वो दक्षिण कोरिया जाने वाली किम वंश की पहली सदस्य बनी थीं. वो शीतकालीन ओलंपिक में जाने वाले प्रतिनिधिमंडल की सदस्य थीं. इस ओलंपिक में उत्तर और दक्षिण कोरिया संयुक्त टीम के रूप में मैदान में उतरे थे.
साथ ही उन्होंने अपने भाई के साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए काम किया है. इसमें दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक शामिल थे.