राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| विवादित भारत-चीन सीमा से लगी हिमालय की महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों और दरें में तापमान घटकर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जिससे इन इलाकों में तैनात दोनों पक्षों के हजारों सैनिकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
इस बीच भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के पूर्वी लद्दाख के गतिरोध को लेकर सातवीं बार 12 अक्टूबर को मिलने की उम्मीद है। हालांकि, पिछली सभी वार्ताएं विफल रही हैं, जिससे मामले के जल्दी सुलझने की उम्मीदें घटी हैं।
बल्कि पिछले महीनों में सैनिकों को 17,000 फुट तक ऊंची चोटियों पर उतारा गया है, ये ऐसे दुर्गम इलाके हैं जहां सैनिकों को लाने ले-जाने में खासा समय लगता है।
इससे पहले 29 अगस्त को भारत ने अंधेरे में चुपके से एक ऑपरेशन चलाकर दक्षिणी तट पर पैंगोंग त्सो झील के पास 16,000 फुट की ऊंचाइयों और पर्वत के दरें पर कब्जा कर लिया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इन बिंदुओं पर केवल भोजन और पानी ही पहुंच पा रहा है।"
परमाणु-सशस्त्र राष्ट्रों के बीच छह महीने से चल रहा सीमा विवाद अब धैर्य की परीक्षा ले रहा है, क्योंकि दोनों ही पक्ष युद्ध के लिए तैयार नजर आते हैं।
एक महीने से अधिक समय से चोटियों पर जमे सैनिकों में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के लोग शामिल हैं। यह एक विशेष बल है, जिसमें तिब्बती शरणार्थियों को शामिल किया गया था।
वहीं चीन ने भी भारतीय सेना से कुछ मीटर की दूरी पर अपने सैनिकों को तैनात किया हुआ है। एसएफएफ की टुकड़ियां 13 महत्वपूर्ण ऊंचाइयां हासिल कर चुकी हैं।
अधिकारी ने कहा, "इन ऊंचाइयों पर ना तो कोई अस्थायी ढांचा बनाया गया है, ना ही यहां कोई सड़क या बुनियादी ढांचा है।"
चीन भी ऐसी ही स्थिति में है और रसद आदि की समस्या झेल रहा है। हालांकि ऐसे मुश्किल हालातों में भी सेना हाई अलर्ट पर है क्योंकि पीएलए ने कुछ महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर सैनिकों को केवल कुछ मीटर की दूरी पर तैनात किया है।
एक सूत्र ने कहा कि जब तक चीन पूरी तरह से अपने सैनिकों को वापस नहीं ले लेता, तब तक इन ऊंचाइयों से भारत अपने सैनिकों में कोई कमी नहीं करेगा।
बता दें कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर छह महीने से गतिरोध जारी है। कई स्तरों पर संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
रांची/पटना, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| झारखंड में सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की दोस्ती बिहार में टूट गई है। महागठबंधन में झामुमो को सम्मानजनक सीट नहीं मिलने के कारण पार्टी ने अब अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि हमारी तैयारी थी कि बिहार में धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करते हुए, महागठबंधन में साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे। झारखंड की तरह ही बिहार में भी भाजपा जैसे दलों को रोका जाए, लेकिन यह नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि झामुमो बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगा।
उन्होंने कहा, "झामुमो सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता है।"
राजद की वजूद के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में उनका क्या वजूद था, फिर भी लोकसभा और विधानसभा में उनको हैसियत से ज्यादा दिया। उन्होंने कहा कि अपने संगठन के बूते बिहार में निर्णायक सीटों पर हम लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि झामुमो झारखंड को संघर्ष करके हासिल किया है, खैरात में नहीं पाया है।
पार्टी ने झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पिरपैती और नाथनगर से प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन से पहले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, उसके बाद राष्ट्रीय लोक समता पार्टी व विकासशील इंसान पार्टी और झामुमो ने भी किनारा कर लिया।
लखनऊ 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथों में देने का फैसला 15 जनवरी तक टाल दिया गया है। प्रदेश के बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं का सोमवार से शुरू हुआ प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार मंगलवार को समाप्त कर दिया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की कैबिनेट उप समिति के बीच वार्ता में पूवार्ंचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की सहमति बन जाने के बाद कार्य बहिष्कार समाप्त करने का एलान किया गया। दोनों मंत्रियों और मुख्य सचिव आऱ क़े तिवारी की मौजूदगी में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व पावर कार्पोरेशन प्रबंधन के बीच समझौते पर दस्तखत किए गए।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मंत्रियों के साथ आला अधिकारियों को लेकर हाइलेवल बैठक भी की थी। बीती देर रात तक वार्ता में भी लगभग इन्हीं मुद्दों पर सहमति बन गई लेकिन अरविंद कुमार के समझौते पर दस्तखत करने से इनकार कर देने की वजह से टकराव बढ़ गया था। सोमवार रात में वार्ता विफल हो जाने के बाद कार्य बहिष्कार का व्यापक असर नजर आने लगा था। मंगलवार को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में बिजली आपूर्ति अस्त-व्यस्त रही। इसी बीच पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी कार्य बहिष्कार में शामिल होने का एलान कर दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। दिन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री व शासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
इसके बाद कैबिनेट उप समिति को संघर्ष समिति से वार्ता करके गतिरोध समाप्त करने का जिम्मा सौंपा गया। कैबिनेट उप समिति के साथ वार्ता में फिलहाल पूवार्ंचल निगम का निजीकरण न करने पर सहमति हो गई। समझौते में कहा गया है कि प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही बिजली सुधार के लिए कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जा रही है।
पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की घोषित अनिश्चिकालीन हड़ताल का दो दिनों से बड़ा असर हो रहा है। पानी नहीं आने से कई जगह हाहाकार मचा रहा। सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी विरोध में डटे रहे। इन लोगों ने कई जगह पर बिजली काटी। बिजली ना आने से कई जिलों में पेयजल न होने के कारण हालात बिगड़ गए। सूबे की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री से लेकर उपमुख्यमंत्री और तमाम मंत्रियों के आवास पर बिजली व्यवस्था चरमराती दिखी। कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई।
प्रदेश के पूवार्ंचल के जिलों के साथ ही सूबे की राजधानी लखनऊ में भी बिजली संकट खड़ा हो गया। लोग इसके कारण काफी परेशानी में थे। वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली, मुरादाबाद के साथ अन्य सभी जिलों में बिजली का संकट गहरा गया। निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने ब्रेकडाउन की शिकायतें भी नहीं ली।
भोपाल, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को विधानसभा की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से मंगलवार को चार उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी गई। इस तरह कांग्रेस अब तक 27 उम्मीदवार तय कर चुकी है। कांग्रेस के मध्यप्रदेश प्रभारी और केंद्रीय चुनाव समिति के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा तय किए गए उपचुनाव के उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की। इस सूची में चार उम्मीदवारों के नाम हैं।
पार्टी ने मुरैना से राकेश मावई, मेहगांव से हेमंत कटारे, मलहरा से रामसिया भारती और बदनावर से कमल पटेल को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने बदनावर के उम्मीदवार में बदलाव किया है और नए उम्मीदवार के तौर पर कमल पटेल को मैदान में उतारने का फैसला लिया है।
कांग्रेस ने इससे पहले दो सूचियां जारी की थीं, जिनमें क्रमश: 8 और 15 उम्मीदवारों के नाम थे। इस तरह अब तक कुल 27 उम्मीदवारों के नाम तय हुए हैं। सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा रह गया है, जहां कांग्रेस को उम्मीदवार तय करना है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| पिछले तीन महीनों में रैंसमवेयर हमलों में 39 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखने को मिली है और भारत इससे संबंधित खतरों के मामले में सबसे अधिक प्रभावित देशों में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। साइबर सिक्योरिटी फर्म चेक प्वाइंट ने मंगलवार को एक शोध रिपोर्ट में यह जानकारी दी। शोध में पता चला है कि वैश्विक स्तर पर 2020 की पहली छमाही की तुलना में पिछले तीन महीनों में रैंसमवेयर हमलों के दैनिक औसत में 50 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।
पिछले तीन महीनों में अमेरिका में रैंसमवेयर के हमले दोगुनी रफ्तार से बढ़े। वहां इस अवधि के दौरान लगभग 98 प्रतिशत मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।
अध्ययन अवधि के दौरान रैंसमवेयर हमलों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में श्रीलंका, रूस और तुर्की क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वभर में रैंसमवेयर से प्रभावित स्वास्थ्य संगठनों का प्रतिशत लगभग दोगुना हो गया है।
चेक प्वाइंट में थ्रेट इंटेलिजेंस के प्रमुख लोटेम फिंकेलस्टीन ने एक बयान में कहा, "रैंसमवेयर 2020 में रिकॉर्ड तोड़ रहा है।"
उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस महामारी के आगमन के साथ ही रैंसमवेयर का चलन शुरू हुआ, क्योंकि संगठनों ने सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए कार्यालयों के बजाय दूरस्थ कार्यबल (रिमोट वर्कफोर्स) पर ध्यान केंद्रित किया।
अधिकारी ने कहा, "पिछले तीन महीनों में ही रैंसमवेयर हमलों के मामलों में खतरनाक उछाल देखने को मिला है।"
रैंसमवेयर हमलों के जरिए किसी भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने से लेकर महत्वपूर्ण डाटा चुराने और ब्लैकमेल करने जैसे कई अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
वर्तमान समय में रैंसमवेयर हमलों को बड़ी सफाई और बेहतरीन ढंग से अंजाम दिया जाता है, जिसमें डबल एक्सटॉर्शन और लोगों को भुगतान करने पर मजबूर करना भी शामिल है।
एक डबल एक्सटॉर्शन अटैक में हैकर्स पहले पीड़ित के डेटाबेस को एन्क्रिप्ट करने से पहले बड़ी मात्रा में संवेदनशील जानकारी निकालते हैं।
बाद में हमलावर उस सूचना को प्रकाशित करने की धमकी देते हैं और पीड़ित से फिरौती की मांग करने लगते हैं। वह डराते हैं कि अगर उन्हें फिरौती का भुगतान नहीं किया जाता है तो वह महत्वपूर्ण सूचना लीक कर देंगे।
दरभंगा (बिहार), 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार चुनाव के दौरान दरभंगा जिले के विशनपुर थाना क्षेत्र से मंगलवार को पुलिस ने एक वाहन से करीब एक करोड़ रुपये बरामद किए हैं। इस मामले में पुलिस वाहन पर सवार दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हनुमान नगर चेकपोस्ट के पास पुलिस वाहन जांच अभियान चला रही थी। इसी दौरान एक स्कार्पियो से पुलिस ने करीब एक करोड़ 11 लाख रुपये बरामद किए हैं।
विशनपुर के थाना प्रभारी मुकेश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि स्कॉर्पियो में बैठे दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उन्होंने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि वाहन समस्तीपुर से मधुबनी के जयनगर जा रहा था।
सूत्रों के मुताबिक, इसकी सूचना आयकर विभाग के अधिकारियों को भी दे दी गई है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि बरामद रुपयों का संबंध बिहार चुनाव से तो नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र के बिस्कोमान भवन के पास वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने एक वाहन से 74 लाख रुपये बरामद किए गए थे। इस वाहन में राजद के झंडे लगे थे।
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तीन चरणों में 28 अक्टूबर, 3 और 7 नवंबर को होना है। वोटों की गिनती 10 नवंबर को होनी है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अलग-अलग समूहों के लगभग 80 लोगों ने मंगलवार को दिवगांत केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली से मुलाकात की और डीडीसीए के अध्यक्ष पद के लिए उन्हें समर्थन देने की बात कही। हालांकि इन समूह में सी.के. खन्ना का समूह नहीं था।
कुछ लोग उम्मीद कर रहे थे कि 31 साल के रोहन जेटली मंगलवार को अपनी टीम का ऐलान करेंगे, लेकिन कुछ पदों पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी और खन्ना भी इस बैठक में नहीं थे इसलिए ऐलान नहीं किया गया।
डीडीसीए के छह पदों के लिए 17 से 20 अक्टूबर के बीच चुनाव होने हैं।
इस बैठक में मौजूद एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा, "डीडीसीए के सभी समूहों ने सिर्फ सी.के. खन्ना के ग्रुप को छोड़कर, रोहन जेटली से मुलाकात की, इस उम्मीद से ही कि आज प्रत्याशियों की सूची जारी हो जाएगी। हम 80 लोग थे और सभी चाहते थे कि रोहन अध्यक्ष बनें, खन्ना भी उनका साथ दे रहे हैं, लेकिन खन्ना बैठक में मौजूद नहीं थे इसलिए फैसला किया गया कि उनसे एक बार और बात की जाएगी। इसलिए ललित होटल में हमारी बैठक के बाद रोहन सीधे खन्ना से मिलने उनके घर गए।"
अध्यक्ष पद को छोड़कर अगर बाकी के पांच पदों पर बुधवार तक सर्वसम्मति नहीं बनती है तो सभी समूह के लोग अलग-अलग पदों के लिए अपना नामांकन भरेंगे।
रोचक बात यह है कि 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में डीडीसीए से संबंधित एक विशेष याचिका की सुनवाई होनी है जो चुनावों पर प्रभाव डाल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि चुनावों पर रोक नहीं लगाई है।
सूत्र ने कहा, "साफ बात यह है कि सी.के. खन्ना ग्रुप दो सीटें चाहता है। वहीं दूसरा ग्रुप एसपी बंसल, राजन मानचंदा, विनोद तिहारा दो सीट चाहते हैं और भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर एक सीट चाहते हैं। खन्ना अपनी बात पर अड़े हैं कि उनकी पत्नी कोषाध्यक्ष के पद का चुनाव लड़े। इसके अलावा वो कुछ और सीटों पर अपने लोग चाहते हैं। यह मुख्य मुद्दा है।"
पटना, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में मंगलवार को सीट बंटवारे के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। भाजपा ने हाल ही में पार्टी में शामिल हुई शूटर श्रेयसी सिंह को जमुई से प्रत्याशी बनाया है, जबकि गया से मंत्री प्रेम कुमार पर पार्टी ने फिर से विश्वास जताया है।
राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा 27 प्रत्याशियों की सूची में पांच महिलाओं को टिकट दिया गया है। भाजपा ने गोह से मनोज कुमार शर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाया है, जबकि रामाधार सिंह को औरंगाबाद से तथा ज्ञानेंद्र ज्ञानु को बाढ़ से चुनाव मैदान में होंगे।
पार्टी ने निक्की हेम्ब्रम को कटोरिया से जबकि मुन्नी देवी को शाहपुर से, रिंकी रानी पांडेय को भभुआ से अरुणा देवी को वरसलीगंज से तथा शूटर श्रेयसी सिंह को जमुई से टिकट दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह बिहार के दिग्गज नेता रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं।
इसके अलावा, पार्टी ने कहलगांव से पवन कुमार यादव, बांका से रामनारायण मंडल, मुंगेर से प्रणव यादव, लखीसराय से विजय कुमार सिन्हा, तरारी से कौशल कुमार सिंह व काराकाट से राजेश्वर राज को टिकट दिया है।
भोपाल, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए 28 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में 25 उन नेताओं के नाम शामिल हैं जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने मंगलवार रात को उम्मीदवारों की सूची जारी की है।
इस सूची के मुताबिक, जौरा से सूबेदार सिंह राजौधा, सुमावली से एंदल सिंह कंसाना, मुरैना से रघुराज सिंह कंसाना, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया, अंबाह से कमलेश जाटव, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया, गोहद से रणवीर सिंह जाटव, ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर, ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, डबरा से इमरती देवी, भांडेर से रक्षा संतराम सरोनिया, करैरा से जसवंत जाटव को उम्मीदवार बनाया गया है।
इसी तरह पोहरी से सुरेश धाकड़, बमौरी से महेंद्र सिंह सिसौदिया, अशोकनगर से जजपाल सिंह जज्जी, मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव, सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, मलेहरा से प्रद्युम्न सिंह लोधी, अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह, सांची से प्रभु राम चौधरी, ब्यावरा से नारायण सिंह पवार, आगर से मनोज ऊंटवाल, हाटपिपल्या से मनोज चौधरी, मांधाता से नारायण पटेल, नेपानगर से सुमित्रा देवी कास्डेकर, बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, सांवेर से तुलसीराम सिलावट और सुवासरा से हरदीप सिंह डंग को उम्मीदवार बनाया गया है।
श्रीनगर, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य कश्मीर के गांदेरबल जिले में मंगलवार की शाम एक भाजपा कार्यकर्ता पर हुए आतंकी हमले में बचाव करते घायल हुए एक पुलिस कांस्टेबल की मौत हो गई। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। इससे पहले, आतंकवादियों ने एक भाजपा कार्यकर्ता पर हमला किया। इस हमले में भाजपा कार्यकर्ता तो सकुश बच निकले, लेकिन उनकी सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) में से एक को गोली लग गई। जवाबी कार्रवाई में एक अज्ञात आतंकी को मौके पर ही मार गिराया गया।
दोतरफा गोलीबारी में घायल पीएसओ मोहम्मद अलताफ ने बाद में दम तोड़ दिया।
सुमित कुमार सिंह
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| विवादित भारत-चीन सीमा से लगी हिमालय की महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों और दरें में तापमान घटकर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जिससे इन इलाकों में तैनात दोनों पक्षों के हजारों सैनिकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
इस बीच भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के पूर्वी लद्दाख के गतिरोध को लेकर सातवीं बार 12 अक्टूबर को मिलने की उम्मीद है। हालांकि, पिछली सभी वार्ताएं विफल रही हैं, जिससे मामले के जल्दी सुलझने की उम्मीदें घटी हैं।
बल्कि पिछले महीनों में सैनिकों को 17,000 फुट तक ऊंची चोटियों पर उतारा गया है, ये ऐसे दुर्गम इलाके हैं जहां सैनिकों को लाने ले-जाने में खासा समय लगता है।
इससे पहले 29 अगस्त को भारत ने अंधेरे में चुपके से एक ऑपरेशन चलाकर दक्षिणी तट पर पैंगोंग त्सो झील के पास 16,000 फुट की ऊंचाइयों और पर्वत के दरें पर कब्जा कर लिया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इन बिंदुओं पर केवल भोजन और पानी ही पहुंच पा रहा है।"
परमाणु-सशस्त्र राष्ट्रों के बीच छह महीने से चल रहा सीमा विवाद अब धैर्य की परीक्षा ले रहा है, क्योंकि दोनों ही पक्ष युद्ध के लिए तैयार नजर आते हैं।
एक महीने से अधिक समय से चोटियों पर जमे सैनिकों में स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के लोग शामिल हैं। यह एक विशेष बल है, जिसमें तिब्बती शरणार्थियों को शामिल किया गया था।
वहीं चीन ने भी भारतीय सेना से कुछ मीटर की दूरी पर अपने सैनिकों को तैनात किया हुआ है। एसएफएफ की टुकड़ियां 13 महत्वपूर्ण ऊंचाइयां हासिल कर चुकी हैं।
अधिकारी ने कहा, "इन ऊंचाइयों पर ना तो कोई अस्थायी ढांचा बनाया गया है, ना ही यहां कोई सड़क या बुनियादी ढांचा है।"
चीन भी ऐसी ही स्थिति में है और रसद आदि की समस्या झेल रहा है। हालांकि ऐसे मुश्किल हालातों में भी सेना हाई अलर्ट पर है क्योंकि पीएलए ने कुछ महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर सैनिकों को केवल कुछ मीटर की दूरी पर तैनात किया है।
एक सूत्र ने कहा कि जब तक चीन पूरी तरह से अपने सैनिकों को वापस नहीं ले लेता, तब तक इन ऊंचाइयों से भारत अपने सैनिकों में कोई कमी नहीं करेगा।
बता दें कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर छह महीने से गतिरोध जारी है। कई स्तरों पर संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश के 76 प्रतिशत लोगों को लगता है कि समाचार चैनलों पर उचित बहस (डिबेट) न होकर अनावश्यक झगड़ा होता है। आईएएनएस सी-वोटर मीडिया कंजम्पशन ट्रैकर के हालिया निष्कर्षों में यह बात सामने आई है।
सर्वेक्षण में 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि विचारों के सार्थक आदान-प्रदान के बजाय टेलीविजन डिबेट पर झगड़ा अधिक होता है।
उत्तरदाताओं का विचार है कि ये बहस अक्सर पहले विश्व युद्ध की शैली पर आधारित होती हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से पहचाने जाने वाले लड़ाके (वाद-विवादकर्ता) दूसरी तरफ के व्यक्ति पर और भी अधिक जोर से चीखने-चिल्लाने में विश्वास रखते हैं।
आईएएनएस सी-वोटर के सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे वास्तव में मानते हैं कि टीवी न्यूज चैनल पर वास्तविक बहस की तुलना में लड़ाई-झगड़ा और चीख-पुकार अधिक होती है। इस पर सर्वे में शामिल 76 प्रतिशत ने सहमति व्यक्त की।
इनमें से 77.1 पुरुष उत्तरदाताओं ने सहमति दिखाई, वहीं 74.9 महिला उत्तरदाता इस बात से सहमत दिखाई दीं।
जब इन सवालों को सामाजिक समूहों के समक्ष रखा गया था तो दिलचप्स आंकड़े सामने आए। इनमें उच्च जाति से संबंध रखने वाले 79.7 प्रतिशत हिंदू, जबकि 94 प्रतिशत ईसाई इस बात से सहमत हैं।
इसके अलावा 78 प्रतिशत से अधिक मुसलमानों ने माना कि चैनलों पर कोई सार्थक बहस नहीं होती है, जबकि 71.6 प्रतिशत ओबीसी और 73.9 प्रतिशत एससी और एसटी वर्ग के लोगों ने कहा कि बहस से ज्यादा झगड़ा देखने को मिलता है।
शहरी क्षेत्र में लगभग 75 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 77 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि टीवी डिबेट में बहस से कहीं अधिक झगड़ा देखने को मिलता है।
अगर आयु वर्ग की बात की जाए तो 18 से 44 आयु वर्ग में औसतन 75 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोई सार्थक बहस नहीं होती है।
कोविड-19 महामारी ने भारत के नए मीडिया परिदृश्य को दर्शाया है। देश में 54 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि वह टीवी समाचार चैनलों को देखकर थक चुके हैं। वहीं 43 प्रतिशत भारतीय इस बात से असहमत हैं।
इस सर्वेक्षण में सभी राज्यों में स्थित सभी जिलों से आने वाले 5000 से अधिक उत्तरदाताओं से बातचीत की गई है। यह सर्वेक्षण वर्ष 2020 में सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान किया गया है।
गुवाहटी, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| असम पुलिस भर्ती घोटाले के प्रमुख अभियुक्तों में से एक असम के पूर्व डीआईजी प्रसांता कुमार दत्ता को पुलिस ने मंगलवार को भारत-नेपाल सीमा से हिरासत में लिया गया। इसकी जानकारी पुलिस ने दी। पुलिस प्रवक्ता ने कहा, "सीआईडी असम द्वारा जारी लुक आउट सकरुलर के बल पर दत्ता को हिरासत में लिया गया है। उन्हें अभी पश्चिम बंगाल पुलिस को सौंप दिया गया है। बाद में असम पुलिस उन्हें गुवाहाटी लाएगी।"
20 सितंबर को पुलिस भर्ती घोटाला सामने आने के बाद दत्ता, पूर्व भाजपा नेता दिबन डेका के साथ फरार हो गए थे।
असम पुलिस ने पूर्व डीआईजी से जुड़ी जानकारी साझा करने वालों को 1 लाख रुपये के इनाम का देने का फरमान जारी किया था।
हालांकि, भाजपा नेता डेका ने 30 सितंबर की रात को बारपेटा जिले के पथरचक्रुची में पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
इस घोटाले से जुड़े महिला समेत 33 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| दुनिया में जिस प्रकार से कोविड-19 महामारी का प्रसार हुआ है और इसे लेकर कई रहस्य भी अभी बरकरार हैं, इसके मद्देनजर विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विश्व को अब एक प्रभावी जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा ताकि भविष्य में जैविक खतरों से जुड़े मुद्दों को बारीकी से देखा जा सके। विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक डॉ. सचिन चतुर्वेदी ने इस विषय पर मंगलवार को आयोजित एक वेबीनार में कहा, कोविड-19 के बाद जैविक खतरों के मुद्दों को बारीकी से देखना होगा। सबसे पहले एक वैश्विक और लचीला लेकिन मजबूत जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जो सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की पूरी श्रृंखला को कवर करेगा।"
चतुर्वेदी ने आगे कहा, "इसमें वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रारंभिक चेतावनी, नीति निर्माण, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और जैव आपदा से मजबूती से निपटने की क्षमता तैयार करना शामिल होगा। इसके अलावा जैविक युद्ध के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तैयारियों की मदद करने के लिए बायोसाइंस विशेषज्ञता और ज्ञान नेटवर्क को तत्काल विकसित करना होगा।"
उन्होंने कहा कि भारत ने 26 मार्च 2020 को जैविक हथियार सम्मेलन (बीडब्ल्यूसी) को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसके संस्थागत ढांचे को अधिक से अधिक मजबूत बनाने का आह्वान किया।
बकौल चतुर्वेदी, "इसके अलावा, भारत ने पिछले कई वर्षों में लगातार एसटीआई और निरस्त्रीकरण के मुद्दे को उठाया है। यह एक प्रकार से 2017 में 18 अन्य देशों के साथ दिए गए अपने प्रस्ताव को ही आगे बढ़ाने की प्रक्रिया है जिसके तहत भारत ने सैन्य प्रयोजनों के लिए इन प्रौद्योगिकियों के उपयोग से संबंधित चुनौतियों का पता लगाने की आवश्यकता को सामने रखा था।"
चतुर्वेदी ने कहा कि उस प्रस्ताव में विश्वास को बहाल करने और निरस्त्रीकरण सत्यापन और हथियारों के नियंत्रण की लागत को कम करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग का भी आह्वान किया था। कई विकासशील देशों ने भारत का समर्थन किया।
अमेरिका के सीनेटर क्रिस फोर्ड, सहायक सचिव, यूएस स्टेट डिपार्टमेंट, ब्यूरो ऑफ इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड नॉन-प्रोलिफरेशन (आईएसएन), ने भी ट्वीट किया कि हम बीडब्ल्यूसी पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की प्रतिबद्धताओं के महत्व पर बल देते हैं। कोविड-19 महामारी सभी जैविक जोखिमों को कम करने के लिए बीडब्ल्यूसी से जुड़े सभी पक्षों की प्रतिबद्धताओं के महत्व को रेखांकित करती है। साथ ही इस जरूरत को भी बताती है कि इस क्षेत्र में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए।
-- आईएएनएस
पटियाला (पंजाब), 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मर्जी है कि उन्हें हाथरस की घटना में एक 'अंतर्राष्ट्रीय साजिश' दिखाई देती है, लेकिन मैं तो इसे एक बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी के रूप में देखता हूं। एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में राहुल ने एक सवाल के जवाब में कहा, "यह योगी आदित्यनाथ की मर्जी है कि वह इस घटना को लेकर किसी भी तरह की कल्पना कर सकते हैं, लेकिन मैं जो देखता हूं, वह यह है कि एक प्यारी सी लड़की को बेरहमी से मार डाला गया और अब उसके परिवार को धमकाया जा रहा है।"
कांग्रेस सांसद ने कहा कि उन्हें यह दिलचस्प लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।
राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथरस जाने के दौरान उप्र पुलिस द्वारा धक्कामुक्की की गई थी। साथ ही बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो सहा, यह उस दर्द के आगे कुछ भी नहीं है, जिससे पीड़ित परिवार गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में उन्हें धकेला गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उप्र में पुलिस द्वारा उन्हें धकेला जाना कोई बड़ी बात नहीं है।
राहुल ने कहा कि उनका और उनकी पार्टी का काम भारत के लोगों के हितों की रक्षा करना था, यही वजह है कि वह हाथरस गए और पंजाब में भी किसानों के साथ खड़े हुए। फिर चाहे इसके लिए उन्हें धक्के खाने पड़ें या लाठियां।
उन्होंने कहा, "कल्पना करें कि आपके बेटे या बेटी को इस तरह से मारा जा रहा है और आपके परिवार को विरोध करने, न्याय की मांग करने पर निशाना बनाया जा रहा है। मैंने इस घटना को इसी तरह महसूस किया और इसीलिए अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ। बात सिर्फ हाथरस की पीड़िता और उसके परिवार की नहीं, बल्कि देश की उन हजारों-लाखों महिलाओं की है, जिनके साथ लगभग हर दिन दुष्कर्म होते हैं।"
यह पूछ जाने पर कि कृषि बिल पर मतदान के दौरान वह संसद में मौजूद क्यों नहीं थे, तो राहुल ने कहा कि वह एक बेटा भी हैं और अपनी मां के प्रति उनके भी कुछ कर्तव्य हैं।
उन्होंने कहा कि उस दिन उनकी मां को मेडिकल जांच के लिए विदेश जाना पड़ा था। पारिवारिक कारणों से उनकी बहन, मां के साथ नहीं जा सकी थीं, इसीलिए उनका जाना उनकी जिम्मेदारी थी।
--आईएएनएस
हाथरस, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हाथरस में युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म के बाद मारपीट में चोट लगने के कारण उसकी मृत्यु होने के बाद नेताओं का लगातार जमवड़ा लगा है। इसी क्रम में मंगलवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले भी मृतका के घर पहुंचे। उन्होंने काफी देर तक परिजनों से बातचीत कर घटना की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने पार्टी की तरफ से पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये देने की घोषणा की है।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास आठवले ने कहा कि, "इस मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा हो गई है, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार एसआईटी भी जांच करा रही है। ऐसे में कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा।" उन्होंने कहा कि, "पीड़ित परिवार ने हाथरस के जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मैं भी इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात करूंगा।"
आठवले ने कहा कि, "यहां की यह घटना मानवता पर कलंक है। हम डीएम के खिलाफ कर्रवाई के लिए मुख्यमंत्री से बात करेंगे।" इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के फंड से पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपया देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवार को 25 लाख रुपया देने तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने को कहा भी है।"
मंत्री ने कहा कि, "प्रदेश में सपा व बसपा के समय भी दलितों पर अत्याचार होते रहे हैं, इसलिए विपक्ष को इस पर राजनीति करने की जगह सुधार के लिए सुझाव देना चाहिए। इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जो भी लोग हाथरस कांड के आरोपी हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।"
--आईएएनएस
नयी दिल्ली, 06 अक्टूबर (वार्ता) बहुजन समाज पार्टी के नेता कुंवर दानिश अली ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि हाथरस की घटना के बहाने प्रदेश में दंगा कराने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का पर्दाफाश करने वाली सरकार को अब यह भी साफ कर देना चाहिए कि दुष्कर्म पीड़िता को रात के अंधेरे में जलाने वाले किस देश के एजेंट थे।
अमरोहा से लोकसभा सांसद श्री अली ने मंगलवार को ट्वीट कर योगी सरकार से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने कहा''योगीजी, अब जब आपने हाथरस दुष्कर्म कांड के बहाने प्रदेश में दंगा कराने के अंतरराष्ट्रीय षड्यन्त्र का ‘पर्दाफ़ाश’ कर ही दिया है तो देश को यह भी बता दें कि जिन लोगों ने लड़की को रात के अंधेरे में जलाया वे लोग किस देश के एजेंट हैं? ”
उन्होंने कहा “ विदेश मंत्रालय ने 48 घंटे गुजरने के बाद भी आपके ‘पर्दाफ़ाश’ का नोटिस क्यों नहीं लिया? आप केंद्र सरकार से माँग करें कि वो ऐसे ‘दुश्मन’ देशों से अपने राजनयिक संबंध समाप्त करने की तुरंत घोषणा करे क्योंकि जो भी देश हमारे मुल्क में अफरा तफरी फैलाने के लिये फंडिंग करता है उससे हम किसी भी प्रकार का संबंध क्यों रखें?''
गौरतलब है कि पुलिस ने हाथरस की घटना की आड़ में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के प्रयास में 19 मुकदमे दर्ज किये है और इस सिलसिले में पांच लोगों को हिरासत में लिया है।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार को विपक्ष पर सांप्रदायिक दंगे की साजिश रचने का आरोप लगाने के बजाय हाथरस पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने में दिलचस्पी लेने की सलाह दी है।
आजाद जितेन्द्र
वार्ता
पटना, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से अपने प्रभाव वाले 12 विधानसभा सीटों की मांग की है। कहा जा रहा है कि इस दावेदारी को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जल्द ही राजद नेता तेजस्वी यादव से बात करेंगे। झामुमों के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने महागठबंधन में 12 सीटों की मांग की है।
झामुमो के सचिव विनोद पांडेय ने कहा, "झारखंड के मुख्यमंत्री मंगलवार या बुधवार को तेजस्वी यादवजी से बात करेंगे। झामुमो उन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगा, जहां हमारा मजबूत आधार है। झारखंड में हम सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां राजद भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।"
उन्होंने कहा, "हमारी इच्छा बिहार में भी मजबूत महागठबंधन की है। हेमंतजी और तेजस्वीजी दोनों परिपक्व हैं और वे ऐसा फैसला लेंगे, जो धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करेगा।"
इस बीच, राजद के सांसद मनोज झा ने कहा कि राजद और झामुमो की नैसर्गिक दोस्ती है। झारखंड सरकार में राजद भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या को लेकर तो वे नहीं बताएंगे, लेकिन दोनों दलों के नेता परिपक्व हैं और सीटों को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं होगा।
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन में हुए फैसले के मुताबिक, राजद 144 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाकपा (माले) को 19 सीटें, भाकपा को 6 और माकपा 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। राजद अपने कोटे से ही झामुमो को भी सीट देगा।
--आईएएनएस
पटना, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार चुनाव को लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे की घोषणा कर दी गई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि राजग में शामिल भाजपा के हिस्से में 121 सीटें, जबकि जदयू के हिस्से में 122 सीटें आई हैं। पटना में आयोजित राजग के संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को 121 सीटें दी गई हैं, जबकि जदयू के हिस्से में 122 सीटें आई हैं। उन्होंने कहा कि जदयू अपने कोटे से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को सात सीटें दी हैं, जबकि भाजपा अपने कोटे से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को सीटें देगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और वीआईपी में बात अंतिम चरण में हैं।
उन्होंने कहा, "कोई क्या बोल रहा है, उससे मतलब नहीं है। हमलोग मिलकर काम कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।"
इससे पहले भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दोहराया कि राजग बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव मैदान में है।
पटना में आयोजित राजग के संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़णवीस, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित कई नेता उपस्थित रहे।
--आईएएनएस
लखनऊ, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हाथरस की 19 वर्षीय दलित लड़की की मौत के बाद पिछले एक हफ्ते में लगभग हर राजनेता ने पीड़िता के घर तक पहुंचने की कोशिश की है। वहीं खुद को दलितों का निर्विवाद नेता कहने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती की मामले से अनुपस्थिति चौंकाने वाली है।
वैसे वह नियमित रूप से इस घटना के बारे में ट्वीट कर रही हैं और कार्रवाई की मांग कर रही है, लेकिन घटनास्थल पर उनकी अनुपस्थिति ने उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक गलत संदेश भेजा है।
वैसे जो लोग मायावती को सालों से देख रहे हैं, उनके लिए मायावती का ऐसा व्यवहार आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है। वे अपने खुद के कार्यकाल में भी उन लोगों से मिलने के लिए बाहर नहीं निकली थीं, जो उस समय अत्याचारों के शिकार हुए थे।
ऐसी घटनाओं पर नजर डालें तो 2014 में बदायूं में दो दलित चचेरी बहनों को दुष्कर्म के बाद एक पेड़ से लटका दिया गया था, तब भी मायावती उनके शोक संतप्त परिवारों से मिलने के लिए अपने घर से बाहर नहीं निकलीं थीं। जबकि उस समय बसपा विपक्ष में थी और समाजवादी पार्टी सत्ता में थी। ऐसे में मायावती दलितों के बीच अपने आधार को मजबूत करने के लिए इस घटना का बखूबी इस्तेमाल कर सकती थीं। लेकिन उन्होंने एक बयान जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी।
बसपा अध्यक्ष के करीबी सूत्रों का दावा है कि मायावती को धूल से एलर्जी है, इसलिए वह ग्रामीण इलाकों में नहीं जाती हैं। सक्रिय राजनीति करने वालों के आगे ऐसा कारण हालांकि टिकता नहीं है। इसके अलावा मायावती अपनी पार्टी में किसी पर इतना भरोसा भी नहीं करतीं कि ऐसे मौकों पर वे उसे अपने प्रतिनिधि के तौर पर भेज सकें, बल्कि पार्टी में कोई नेता ज्यादा सक्रिय होने की कोशिश करता है तो उसे बाहरा का रास्ता दिखा दिया जाता है। यही वजह है कि कभी भी बसपा का जिला स्तर पर कोई विरोध प्रदर्शन या अन्य कार्यक्रम नहीं दिखाई देता है।
बसपा के एक वरिष्ठ विधायक कहते हैं, "बहनजी के साथ एक समस्या है कि वह पुराने समय में ही जी रही हैं और उन्हें यह महसूस नहीं हो रहा है कि चीजें बदल गई हैं। दलितों की नई पीढ़ी सत्ता में भागीदारी चाहती है। इस पर अगर कोई भी उन्हें सुझाव देने की कोशिश करता है, तो यह ईशनिंदा से कम नहीं है।"
यही वजह है कि अब भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को उप्र में बढ़त मिली है, जो धीरे-धीरे ही सही, उप्र की दलित राजनीति में अपनी जगह बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, हाथरस की घटना में आजाद ग्राउंड जीरो पर पहुंचे और पीड़ित परिवार के साथ घंटों तक रहे, जबकि मायावती ने ट्वीट कर अपनी चिंता व्यक्त कर दी। जाहिर है, उस ट्वीट को अधिकांश दलितों ने देखा भी नहीं होगा।
अगर मायावती को लगता है कि दलितों के पास बसपा के अलावा कोई विकल्प नहीं है तो ये शायद उनकी भूल साबित होगी। उनकी जगह भीम आर्मी अपनी पकड़ बना रही है।
भीम आर्मी में शामिल हुए बसपा के एक पूर्व नेता कहते हैं, "चंद्रशेखर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए केवल एक फोन कॉल की दूरी पर हैं। वह हमेशा उपलब्ध रहते हैं, जबकि मायावती के तो किसी से मिलने की उम्मीद ही नहीं की जा सकती। ना ही उन्होंने पार्टी में कोई दूसरा नेता उभरने दिया। ऐसे में संकट के समय हम उन पर निर्भर नहीं रह सकते। अब उनके भाई आनंद और भतीजे आकाश भी उन्हीं के नक्शेकदम पर हैं और यह बसपा को उसके अंत तक ले जाएगा।"
--आईएएनएस
नयी दिल्ली ,06 अक्टूबर (वार्ता) लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) के बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले दमखम दिखाने के फैसले तथा जनता दल(यूनाइटेड) के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने की चुनौती और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के समर्थन की घोषणा से यह सवाल उठ रहा है कि चिराग पासवान नीत लोजपा क्या इस बार प्रदेश में ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रहेगी अथवा कोई खेल बिगाड़ेगी।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को हाेने वाले चुनाव में भाजपा और जद(यू) के बीच ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ के फार्मूले पर सहमति बन गयी है।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा और जद(यू)मंगलवार को सीटों के बंटवारे और अपने उम्मीदवारों की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
इस बीच लोजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनकी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की धमकी दी है , हालांकि पार्टी ने यह भी कहा है कि वह भाजपा के खिलाफ नहीं है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही श्री कुमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) से लोजपा को अलग कर दें , लेकिन चिराग का रूख स्पष्ट है और वह अकेले के दम पर अपनी पार्टी की ताकत को आजमाना चाहते हैं। इसके अलावा भाजपा के पास चिराग से विरोध मोल लेने का कोई तर्क भी नहीं है , क्योंकि वह (चिराग) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सहजता से स्वीकार करते हैं। उन्हाेंने यह भी कहा कि लोजपा के इस रूख का मतलब यह भी है कि भाजपा-जद (यू) गठबंधन की कसौटी अब शुरू होगी।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर भाजपा चुनाव में जद(यू) से अधिक सीटें जीतती है, तो मुख्यमंत्री पद पर उसका वाजिब दावा भी होगा , हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि श्री कुमार एक अनुभवी राजनेता हैं जो राजनीतिक मतभेदों के बीच सहजता से तालमेल का उन्हें पुराना अनुभव है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के समक्ष पिछले साल महाराष्ट्र में विषम चुनौती सामने आयी थी , जब शिवसेना ने मुख्यमंत्री का पद हासिल करने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(संप्रग) का हाथ थाम लिया था । उन्होंने यह भी दावा किया कि निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि चुनाव के पहले मौजूदा गठबंधन चुनाव के बाद भी कामय रहेगा अथवा नहीं।
टंडन जितेन्द्र
वार्ता
पटना, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कई नए गठबंधन बन रहे हैं। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ चुनाव मैदान में उतरे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी जल्द ही इस गठबंधन में शामिल हो जाएगी। पटना में मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुशवाहा ने कहा, "ओवैसी जी की पार्टी से भी बात हुई है। ओवैसी जी की पार्टी भी दो-चार दिनों में इस गठबंधन में शामिल हो जाएगी।"
इस गठबंधन में देवेंद्र यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल (डेमोक्रेटिक) पहले से ही शामिल है।
उन्होंने कहा कि आगे आने वाले दिनों में इन पार्टियों के नेता आपस में मिलकर गठबंधन का नाम और बाकी चीजें तय करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तिथि 8 अक्टूबर है। उन्होंने कहा कि एक-दो दिनों में प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी।
इस मौके पर पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र और पूर्व विधायक अजय प्रताप सिंह ने भी अपने कई समर्थकों के साथ रालोसपा की सदस्यता ग्रहण की।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री रहे दिलीप रे और पांच अन्य को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इन लोगों ने एक साथ साजिश रची, ये बात बिना किसी संदेह के साबित होती है। यह मामला 1999 में कोयला मंत्रालय की 14वीं स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा झारखंड के गिरिडीह जिले में 105.153 हेक्टेयर कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है।
दिलीप रे के अलावा, कोयला मंत्रालय के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारी - प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम भी दोषी पाए गए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कास्त्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के पूर्व सलाहकार (प्रोजेक्ट्स) और इसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल को भी दोषी पाया है।
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने झारखंड के कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में दिलीप रे को आपराधिक साजिश का दोषी पाया। दिलीप रे 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला मंत्री थे।
अदालत ने उन्हें 120बी (आपराधिक साजिश) 409 (आपराधिक विश्वासघात) और भारतीय दंड संहिता की 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध का दोषी ठहराया है।
इसके अलावा, महेश कुमार अग्रवाल और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड को भी 379 (चोरी की सजा) और भारतीय दंड संहिता के 34 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया है। दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान 14 अक्टूबर को होगा।
मामले में 51 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामले में पाए गए तथ्य और परिस्थितियां स्पष्ट रूप से साबित करती हैं कि निजी पार्टियां और सरकारी सेवक आपराधिक साजिश रचने में एक साथ मिले हुए थे।
कोर्ट में कहा गया कि ब्रम्हाडीह कोयला ब्लॉक राष्ट्रीयकृत कोयला खदान नहीं था और कोयला मंत्रालय द्वारा आवंटित की जाने वाली कैप्टिव कोयला ब्लॉकों की चिन्हित सूची में भी शामिल नहीं था।
वरिष्ठ लोक अभियोजक ए.पी. सिंह ने अदालत को बताया था कि ब्रम्हाडीह कोयला ब्लॉक निजी पार्टियों को आवंटित किया जाने वाला एक चिन्हित कैप्टिव कोल ब्लॉक नहीं था। यहां तक कि स्क्रीनिंग कमेटी भी इसे किसी भी कंपनी को आवंटित करने पर विचार करने के लिए सक्षम नहीं थी।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि दिलीप रे ने खुद कोयला मंत्रालय के दिशानिर्देशों को मंजूरी दी थी कि अगर ओपन कास्ट में वार्षिक उत्पादन क्षमता 1 एमटीपी से कम है तो लौह और इस्पात या स्पंज आयरन के उत्पादन में लगी कंपनी को कोई भी कोयला ब्लॉक आवंटित नहीं किया जाएगा। हालांकि, कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के मामले में, उन्होंने इन दिशानिर्देशों को कमजोर करने पर सहमति जता दी, ताकि इसमें शामिल निजी पार्टियों को अनुचित लाभ मिल सके।
--आईएएनएस
चेन्नई, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर 2020 से पहले अपने नए रॉकेट 'स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी)' को लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने यह भी कहा कि इसकी सबसे बड़ी मोटर- ठोस ईंधन वाली बूस्टर मोटर की जांच के लिए आवश्यक परीक्षण नवंबर में किया जाएगा।
इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक एस. सोमनाथ ने आईएएनएस को बताया, "एसएसएलवी लॉन्च पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल सी49 (पीएसएसवी सी49) की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट पर पहले लॉन्च पैड से होगा। पीएसएलवी सी49 की उड़ान के बाद लॉन्च पैड को एसएसएलवी के अनुरूप बनाया जाना है।"
सोमनाथ ने कहा कि अगले महीने पीएसएलवी सी49 लगभग 10 उपग्रहों (सैटेलाइट) के साथ उड़ान भरेगा। रॉकेट भारत के रिसैट-2बीआर2 और अन्य वाणिज्यिक उपग्रहों को ले जाएगा। इसके बाद दिसंबर में पीएसएलवी सी50 जिसैट-12आर सैटेलाइट के साथ उड़ान भरेगा। सोमनाथ ने कहा कि रॉकेट को विभिन्न केंद्रों से आने वाली विभिन्न प्रणालियों के साथ श्रीहरिकोटा में इकट्ठा किया जा रहा है। यह दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा।
सोमनाथ ने कहा, "ड्राइंग बोर्ड से पैड लॉन्च करने में लगने वाला समय लगभग ढाई साल है। एसएसएलवी एक तीन चरण/इंजन रॉकेट है, जो सभी ठोस ईंधन (सॉलिड फ्यूल) द्वारा संचालित है।"
इस 34 मीटर के रॉकेट में 120 टन का भार उठाने की क्षमता होगी। रॉकेट में विभिन्न कक्षाओं में कई उपग्रह प्रक्षेपित करने की भी क्षमता है। एसएसएलवी लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) के लिए 500 किलोग्राम पेलोड और सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा (एसएसओ) के लिए 300 किलोग्राम वजन ले जा सकता है।
सोमनाथ के अनुसार, रॉकेट को विकसित करने में लगभग 120 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
उन्होंने कहा, "एसएसएलवी के लिए विशेष बात यह है कि इसमें लोकल कंपोनेंट के साथ बिल्कुल नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है।"
सोमनाथ ने कहा कि एसएसएलवी को विकसित करने की लागत कम है और नए रॉकेट के लिए केवल पीएसएलवी रॉकेट के तीसरे चरण को अपनाया गया है।
एक उपग्रह को लॉन्च करने की प्रति किलोग्राम लागत इसरो के अन्य रॉकेट पीएसएलवी के समान होगी।
उन्होंने कहा कि एसएसवी के लिए पहला पेलोड पहले ही बुक हो चुका है और कुछ और पेलोड देखे जा रहे हैं, क्योंकि रॉकेट में 500 किलोग्राम तक की क्षमता है।
--आईएएनएस
पटियाला (पंजाब), 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| राहुल गांधी ने अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए कि बताया कि कैसे मुट्ठीभर सिखों ने उनके परिवार की रक्षा की थी, जब 1977 में उनकी दादी इंदिरा गांधी संसदीय चुनाव हार गई थीं। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि उन्हें लगता है कि उन पर पंजाब और पंजाबियों का कर्ज है। राहुल गांधी ने याद करते हुए कहा, "घर में कोई नहीं था, सिवाय उन सिखों के, जिन्होंने मेरी दादी की रक्षा की।"
यह पूछे जाने पर कि पंजाबियों को उन पर भरोसा क्यों करना चाहिए, राहुल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पंजाब के लोगों को उनके कार्यो को देखना चाहिए और उनके राजनीतिक करियर को देखना चाहिए, जिसमें वह हमेशा किसी भी अन्याय से पीड़ित लोगों के साथ खड़े रहे हैं।
राहुल ने कहा कि उन्होंने पंजाबियों से बहुत कुछ सीखा है, जिसका वह आभार प्रकट करते हैं। राहुल ने कहा कि उन्हें हमेशा यह महसूस होता है कि उन्हें पंजाब के लोगों का कर्ज चुकाना है।
उन्होंने कहा कि उनकी तमिलनाडु के लोगों के लिए भी ऐसी ही भावनाएं हैं।
राहुल ने कहा कि वह अब पंजाब आए, क्योंकि उन्हें लगा कि मोदी सरकार की ओर से राज्य के साथ घोर अन्याय किया जा रहा है और वह सहज रूप से हमेशा कमजोर और पीड़ितों के साथ खड़े रहते हैं।
--आईएएनएस