राष्ट्रीय
पिछले सप्ताह सऊदी अरब ने एक बैंक नोट जारी किया था जिसमें भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया गया था. भारत सरकार ने सऊदी अरब से इस गलती को सुधारने को कहा है. यह नोट जी-20 की बैठक को लेकर जारी किए गए हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारत सरकार ने गुरुवार, 29 अक्टूबर को सऊदी अरब से गलती को सुधारने के लिए कहा जिसमें खाड़ी देश ने जी-20 बैंक नोट में भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया था. भारत सरकार ने सऊदी से नक्शे को ठीक करने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है. दरअसल नए 20 रियाल के नोट पर प्रिंट किए गए वैश्विक मानचित्र में जम्मू-कश्मीर और लेह को भारत के हिस्से के रूप में नहीं दिखाया गया है और इसी पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
India urges #SaudiArabia to take urgent corrective steps on #G20 banknote depicting #JammuAndKashmir as separate entity, @MEAIndia reiterates UTs of J&K and Ladakh are integral parts of India pic.twitter.com/6p9xNTyvLl
— DD News (@DDNewslive) October 30, 2020
सऊदी अरब की अगुवाई में हाल ही में जी-20 की बैठक होने वाली है और उसी मौके पर सऊदी ने 20 रियाल का नया नोट जारी किया है. इस नए नोट में किंग सलमान की तस्वीर, जी-20 सऊदी समिट का लोगो और जी-20 देशों का नक्शा दिखाया गया है. सऊदी अरब मौद्रिक प्राधिकरण ने इस नोट को 24 अक्टूबर को छापा था. जी-20 की वर्चुअल बैठक 21-22 नवंबर को होने वाली है और नक्शे को लेकर बैठक से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "हमने सऊदी अरब को नई दिल्ली में उनके राजदूत के माध्यम से और रियाद में भी अपनी गंभीर चिंता से अवगत करा दिया है और सऊदी अरब से कहा है कि इस बारे में जल्द सही कदम उठाएं." साथ ही उन्होंने कहा, "मैं फिर एक बार कहना चाहूंगा कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण हिस्सा भारत का अभिन्न हिस्सा है."
गौरतलब है कि इसी नक्शे में जम्मू और कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शामिल है उसे एक अलग हिस्सा दिखाया गया है. यानी उसे ना भारत और ना ही पाकिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया है. हालांकि पाकिस्तान सऊदी अरब का करीबी माना जाता है लेकिन भारत के रिश्ते हर लिहाज से सऊदी के साथ हाल के समय में मजबूत हुए हैं.
भोपाल, 30 अक्टूबर| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फ्रांस के राष्ट्रपति के खिलाफ किए गए प्रदर्शन पर राज्य सरकार ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। प्रदर्शन करने वालों पर केस दर्ज कर लिया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के खिलाफ भोपाल के मुस्लिम समुदाय ने राजधानी के इकबाल मैदान में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अगुवाई में गुरुवार को प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
इस प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश शांति का टापू है। इसकी शांति को भंग करने वालों से हम पूरी सख्ती से निपटेंगे। इस मामले में 188 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा, वो चाहे कोई भी हो।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि कोरोना महामारी को लेकर दी गई हिदायतों का प्रदर्शन के दौरान पालन नहीं किया गया। प्रदर्शन में जो लेाग हिस्सा लेने पहुंचे वे न तो मास्क लगाए थे और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा। (आईएएनएस)
भोपाल, 30 अक्टूबर| वन्य प्राणियों के अंगों की तस्करी के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का उपयोग करने वाले तस्कर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। स्पेशल टास्क स्ट्राइक फोर्स (वन्य-प्राणी) एवं टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके पास से पेंगेालिन स्केल्स व हाथी दांत बरामद किए हैं। वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि वन्य प्राणियों के अवयवों की तस्करी करने वाले गिरोह द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म यू-ट्यूब का उपयोग कर उसके माध्यम से वन्य-प्राणी अंगों की तस्करी प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर की जा रही थी। स्पेशल टास्क फोर्स (वन्य-प्राणी) के अंतर्गत गठित फॉरेस्ट सायबर सेल द्वारा प्रकरण की विवेचना करने पर पाया गया कि लिप्त गिरोह द्वारा वन्य-प्राणियों से संबंधित वीडियो बनाकर उसे अपलोड कर अवैध व्यापार किया जा रहा था।
व्न विभाग के अनुसार, इस मामले में स्पेशल टास्क स्ट्राइक फोर्स (वन्य-प्राणी) एवं टाइगर स्ट्राइक फोर्स इंदौर व सागर द्वारा उज्जैन तथा शिवपुरी में कार्रवाई कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से दो किलो 700 ग्राम पेंगोलिन स्केल्स व हाथी दांत के आभूषण जब्त कर प्रकरण दर्ज किया गया।
बताया गया है कि इस गिरोह द्वारा दिए जाने वाले लालच व अंधविश्वास में आम लोग आकर भ्रमित होकर इस आपराधिक कृत्य में शामिल होते रहे तथा लगातार ऐसे व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ती गई। इस पर संज्ञान लेकर तत्काल यू-ट्यूब के भारत एवं अमेरिका मुख्यालय को नोटिस जारी कर उन्हें आपराधिक कृत्य के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिये अनुरोध भी किया गया। यू-ट्यूब द्वारा समय रहते कार्रवाई न करने पर उन्हें एक प्रकरण में आरोपी भी बनाया गया है।
स्पेशल टास्क फोर्स (वन्य-प्राणी) द्वारा लिप्त गिरोह के विरुद्ध तेलंगाना राज्य में भी स्थानीय एजेंसी के माध्यम से 10 आरोपियों को गिरतार कर प्रकरण दर्ज करवाया गया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वन्य-प्राणियों के अवयवों के अवैध व्यापार में लिप्त गिरोह के विरुद्ध लगातार कार्रवाई जारी है। (आईएएनएस)
पन्ना, 30 अक्टूबर । मध्यप्रदेश के पन्ना में बाघ पुर्नस्थापना योजना में पन्ना टाईगर रिर्जव को यूनेस्को ने 12वें बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में चिन्हित किया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार पन्ना की नैसर्गिक खूबियों को अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज में स्थापित कर गौरव बढ़ाने वाली यह घोषणा बुधवार को की गई थी। यूनेस्को वर्ल्ड नेटवर्क आफ बायोस्फीयर रिजर्व में पन्ना को जोड़े जाने की खबर से प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमी आल्हादित हैं।
बाघ संरक्षण में अहम योगदान देने वाले सेवानिवृत्त वन अधिकारी आर श्रीनिवास मूर्ति ने इस अनूठी उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए पन्ना वासियों को बधाई दी है।
विंध्य पर्वत श्रंखला में स्थित पन्ना के खूबसूरत जंगल और वादियां किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। यहां की भौगोलिक संरचना, जैव विविधता व प्राकृतिक सौंदर्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। इस अनमोल प्राकृतिक धरोहर को पन्ना के लोगों ने विपरीत परिस्थितियों और आर्थिक पिछड़ेपन के बावजूद भी काफी हद तक सहेज व संभालकर रखा है।(univarta.com)
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर । उच्चतम न्यायालय ने मादक पदार्थों से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत किसी पुलिस अधिकारी के समक्ष आरोपी के बयान को सबूत नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 2:1 के बहुमत के आधार पर फैसला दिया।
न्यायमूर्ति रोहिंगटन और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने समर्थन में वोट दिया जबकि न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी ने असहमति का फैसला दिया।
दरअसल न्यायालय ने है कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किए गए आरोपियों के बयानों को ट्रायल के दौरान इकबालिया बयान के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। (univarta.com)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर । सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को कहा है कि पुलवामा आतंकवादी हमले को साजिश बताने वाली कांग्रेस को देश से माफी मागनी चाहिए।
श्री जावडेकर ने आज ट्वीट कर कहा, पाकिस्तान ने माना कि पुलवामा में हमला उन्होंने किया। अब कांग्रेस वाले और बाकी लोग जो साजिश की बात करते थे उनको देश से माफी मांगनी चाहिए।
पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने गुरुवार 29 अक्टूबर को पाकिस्तानी संसद में दिए अपने बयान में माना की पुलवामा आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ था। उन्होंने पिछले साल पुलवामा में किए गए आतंकवादी हमले को पाकिस्तान और वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान की उपलब्धि करार दिया है। पिछले साल 14 फरवरी को पुलवामा में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर आतंकी हमला किया गया था। एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी कार सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दी थी। इस धमाके में 40 जवान शहीद हो गए थे।(univarta.com)
गाजीपुर, 30 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक व्यापारी ने कथित रूप से खुदकुशी कर ली है और अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ गया जिसमें उसने लिखा कि 2022 विधानसभा चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के कारण वह यह कदम उठा रहा है। कथित तौर पर सुसाइड नोट में व्यापारी मुन्नू प्रसाद ने आरोप लगाया कि बसपा अध्यक्ष मायावती उन्हें चुनाव लडऩे का टिकट देने के लिए दो करोड़ रुपये की मांग कर रही थीं। चूंकि वह इतनी बड़ी रकम देने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपीनाथ सोनी ने कहा कि वे सुसाइट नोट की सच्चाई पता कर रहे हैं और जांच पूरी होने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
इस बीच, बसपा के जिला समन्वयक गुड्डू राम ने कहा कि व्यापारी का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है और कथित सुसाइड नोट का उद्देश्य पार्टी को बदनाम करना है।
हालांकि, व्यापारी के पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि वह पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल होते थे और उन्होंने दावा किया था कि बसपा अध्यक्ष उन्हें चुनाव में टिकट देंगी। (आईएएनएस)
मेरठ, 30 अक्टूबर | मेरठ के सरधाना इलाके में एक पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री में एलपीजी सिलेंडर विस्फोट हो गया जिसमें एक स्थानीय कांग्रेस नेता असीम खान और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। घटना गुरुवार को हुई।
धमाके का असर इतना जोरदार था कि कांग्रेस की शहर इकाई के प्रमुख के घर, जहां अवैध रूप से फैक्ट्री चल रही थी, धराशाई हो गया और आसपास के कई घरों और दुकानों को भी नुकसान पहुंचा।
बचाव कार्यों के लिए पुलिस और अग्निशमन दल को लगाया गया है। दो बच्चों समेत 7 लोगों को मलबे से बाहर निकाला गया और अस्पताल भेजा गया। मलबे में दो और लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस अधिकारी आर.पी. सिंह ने कहा, प्रथम दृष्ट्या लगता है कि गैस सिलेंडर में आग लगने के बाद विस्फोट हुआ है। धमाके के पीछे की वजह का पता लगाने के लिए फोरेंसिक टीम भी जांच कर रही है। सरधाना के कांग्रेस शहर अध्यक्ष और एक अन्य व्यक्ति की विस्फोट में मौत हो गई है। कम से कम 10 अन्य घरों को नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने आगे कहा, इस मामले में एक जांच टीम का गठन किया गया है ताकि पता लगाया जा सके कि दुर्घटना किस वजह से हुई।(आईएएनएस)
भोपाल, 30 अक्टूबर | मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव के प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एक-दूसरे पर हमले बोल रही हैं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर आरोप लगाया है कि छह सौ करोड़ के घोटाले के आरापी को सरकारी गवाह बनाकर प्रदेश का मुख्य सचिव बना दिया था। शर्मा ने गुरुवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस कमल नाथ सरकार के 15 महीने का हिसाब न देकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा नेताओं पर अनर्गल आरोप लगाकर जनता का ध्यान मुद्दांे से हटाने का प्रयास कर रही है। कमल नाथ को 15 महीने के कार्यकाल का जनता के सामने हिसाब देना चाहिए न कि हार की बौखलाहट में अनर्गल आरोप लगाकर जनता को गुमराह करना चाहिए।
शर्मा ने कहा कि जनवरी माह में केंद्र ने कोरोना को लेकर सभी प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी, लेकिन मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार कोरोना से निपटने के इंतजाम करने के बजाय इंदौर में आइफा आयोजन के लिए बैठकों में व्यस्त थी, उसे जनता से कोई लेनादेना नहीं था।
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि जिस अधिकारी पर 600 करोड़ के घोटाले का आरोप था, उसे बचाने के लिए सरकारी गवाह बनाते हुए उसे मुख्य सचिव बनाने का काम कमल नाथ ने किया। कमल नाथ ने प्रदेश में आते ही एक भ्रष्ट अधिकारी को उपकृत करके भ्रष्टाचार का खेल शुरू कर दिया। कमल नाथ को जवाब देना चाहिए कि किस आधार पर उसे सरकारी गवाह बना दिया गया।
उन्होंने कहा कि कमल नाथ के प्रमुख अधिकारी रहे गोपाल रेड्डी के बारे में केंद्र सरकार ने एक रिपोर्ट के आधार पर यहां तक कह दिया था कि इस अधिकारी को आफिस के अंदर घुसने की इजाजत नहीं है, इसे बैरंग वापस भेज दिया जाना चाहिए। उस अधिकारी को कमल नाथ सरकार ने उपकृत करने का काम किया। कमल नाथ सरकार ने एस. आर. मोहंती और गोपाल रेड्डी जैसे अधिकारियों को मुख्य सचिव बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा कि कमल नाथ बताएं कि कांग्रेस नेता दिग्विजय की पत्नी जिस मीडिया संस्थान में सहभागी बनी, उस मीडिया संस्थान को कमलनाथ सरकार द्वारा कितने पैसों की बंटरबाट की गई? कमल नाथ बताएं कि माध्यम द्वारा 20 मार्च 2020 को 40 करोड़ का भुगतान किसे किया गया? वहीं किसानों के नाम पर छपे ताम्रपत्रों का भुगतान बिना छपे ही क्यों कर दिया गया?(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर | एथेनॉल की खरीद की प्रक्रिया और कीमतों में वृद्धि कर इसके उत्पादन व आपूर्ति को बढ़ावा देने के फैसले का स्वागत करते चीनी उद्योग का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने गुरुवार को कहा कि इस फैसले से न सिर्फ चीनी के उत्पादन में 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि पेट्रोल में 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।
इस्मा महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "इससे न सिर्फ चीनी के आधिक्य उत्पादन में करीब 20 लाख टन की कमी आएगी, बल्कि हम 2022 तक 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होंगे।"
केंद्र सरकार ने एक दिसंबर, 2020 से 30 नवंबर, 2021 की एथेनॉल आपूर्ति वर्ष के चीनी सीजन 2020-21 के लिए एथेनॉल की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी है। सरकार ने सी-हैवी शीरे से बने एथनॉल की कीमत 43.75 रुपये से बढ़ाकर 45.69 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जबकि बी-हैवी शीरे से उत्पन्न एथनॉल की कीमत 54.27 रुपये से बढ़ाकर 57.61 रुपये प्रति लीटर तय की गई है।
वहीं, गन्ने के रस/चीनी की चाशनी से उत्पन्नएथनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 62.65 रुपये प्रति लीटर की गई है।
वर्मा ने एथेनॉल की कीमतों में 3.34 रुपये तक की वृद्धि को आकर्षक बताते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले पर कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण एथेनॉल की कीमतों के पुनरीक्षण की आशंकाओं पर विराम लग गया और एथेनॉल की कीमतों को कच्चे तेल की कीमत से नहीं बल्कि चीनी व गन्ने के दाम से जोड़ कर देखने की सरकार की प्रतिबद्धता साबित हुई।
उन्होंने कहा कि इससे चीनी उद्योग और मद्य निर्माण-शालाओं का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा और वे एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निवेश करने को प्रोत्साहित होंगे।(आईएएनएस)
सोशल मीडिया का आज जो विशाल स्वरूप दुनिया में नजर आता है उसके पीछे अमेरिका के एक कानून की बड़ी भूमिका है. अब उसी कानून को हटाने की मांग हो रही है. क्या है यह कानून और इसके ना होने पर क्या होगा?
फेसबुक, ट्विटर और गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बुधवार को अमेरिकी सीनेट की कॉमर्स कमेटी के सामने पेश हए. सांसदों के सामने इनकी पेशी पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने के आरोपों में हुई. एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी इन पर रुढ़िवाद विरोधी होने का आरोप लगा रही है, तो दूसरी तरफ डेमोक्रैटिक पार्टी उनसे फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाले संदेशों को नहीं रोक पाने पर नाराज है.
सोशल मीडिया पर कैसे आरोप?
सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां इन आरोपों से इनकार कर रही हैं. हालांकि दोनों पार्टियों के सांसदों के पास इन्हें कठघरे में खड़ा करने के लिए उदाहरणों और दलीलों की कमी नहीं है. ऑनलाइन स्पीच के मामले में दोनों अमेरिकी दल इन कंपनियों को मिली कानूनी सुरक्षा को चुनौती देना चाहते हैं.
बुधवार को इन कंपनियों के अधिकारियों की पेशी के दौरान बहुत जल्द ही बहस का रुख राष्ट्रपति चुनाव अभियान से जुड़े सवालों पर चला गया. हालांकि चुनाव की सुरक्षा को लेकर सवाल पहले से ही उठाए जा रहे हैं. कॉमर्स कमेटी के सांसदों ने ट्विटर के जैक डोरसी, फेसबुक के मार्क जकरबर्ग, और गूगल के सुंदर पिचाई को उनके वादे की याद दिलाई कि ये कंपनियां चुनाव के दौरान हिंसा या लोगों को भड़काने वाले विदेशी लोगों पर पहरा रखेंगी.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए तीनों अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कई कदम उठाए हैं जिनमें समाचार संगठनों से गठजोड़ से लेकर मतदान के बारे में सही सूचना फैलाना शामिल है. डोरसी का कहना है कि ट्विटर राज्यों के चुनाव अधिकारियों के साथ मिल कर इस काम में जुटा है. डोरसी ने कहा, "हम चाहते हैं कि लोगों को इस सेवा के जरिए जितना ज्यादा संभव है सूचना दी जाए."
डॉनल्ड ट्रंप सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल करते हैं और उन पर आरोप भी जम कर लगाते हैं.
रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का आरोप है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बिना किसी सबूत के रुढ़िवादी, धार्मिक और गर्भपात विरोधी विचारों को जानबूझ कर दबाया जा रहा है. रिपब्लिकन सांसदों का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप और डेमोक्रैटिक उम्मीदवार जो बाइडेन के मुकाबले के बीच यह काम बहुत ज्यादा किया गया.
इंटरनेट की आजादी खतरे में!
कॉमर्स कमेटी के चेयरमैन सेनेटर रोजर विकर ने पेशी की शुरुआत में कहा कि ऑनलाइन स्पीच को नियंत्रित करने वाले कानूनों को संशोधित किया जाए क्योंकि,"इंटरनेट का खुलापन और आजादी खतरे में है." विकर ने इस दौरान बाइडेन के बारे में एक पोस्ट का हवाला दिया. यह खबर बाइडेन के बेटे के बारे में थी जिसे दूसरे प्रकाशनों ने पुष्ट नहीं किया था. अपुष्ट ईमेल के दावों पर आधारित खबर के बारे में कहा गया कि यह ट्रंप के सहयोगियों ने ही उड़ाई है.
ट्विटर ने इस खबर को रोक दिया था जिसकी वजह से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद और ट्रंप काफी नाराज हुए. सुनवाई के दौरान सीनेटर टेड क्रुज ने डोरसी से कहा, "ट्विटर का रवैया अब तक बहुत ज्यादा कट्टर रहा है." क्रूज का कहना है कि एक अखबार की खबर पर ट्विटर ने जिस तरह का रवैया अपनाया, वह एक तरह की सेंसरशिप है जो उन अमेरिकी लोगों की आवाज दबा देता है जिनके साथ उसकी असहमति होती है. क्रूज ने सीधे पूछा, "आपको इस काम के लिए किसने चुना है? और यह तय करने का इंचार्ज बनाया है कि मीडिया को क्या रिपोर्ट करने का अधिकार है?"
डोरसी ने क्रूज से कहा कि वे नहीं मानते कि ट्विटर चुनाव को प्रभावित कर सकता है क्योंकि यह सिर्फ सूचना पाने का एक जरिया है. डोरसी ने राजनीतिक पक्षपात के आरोपों से भी इनकार किया. उन्होंने ध्यान दिलाया, "लोग जो देखते हैं उसका ज्यादातर हिस्सा अल्गोरिद्म से तय होता है." रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने ईरान, चीन और होलोकॉस्ट से इनकार करने वाले मुद्दों का जिक्र कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर पक्षपात के आरोपों को मजबूती दी.
डेमोक्रैटिक पार्टी के आरोप
रिसर्चरों को इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि सोशल मीडिया कंपनियों ने जान बूझ कर किसी रुढ़िवादी समाचार, पोस्ट या फिर दूसरी सामग्रियों के साथ भेदभाव किया हो. हालांकि आरोप लगाने वालों में केवल रिपब्लिकन सीनेटर ही नहीं है. डेमोक्रैट सांसदों ने अपनी आलोचना मुख्य रूप से नफरती भाषणों, गलत सूचनाओं और ऐसी सामग्रियों पर केंद्रित रखी जिनसे हिंसा को बढ़ावा मिलता है, लोग चुनाव से दूर होते हैं या फिर कोरोना वायरस के बारे में गलत जानकारी दी जाती है. उनका आरोप है कि इन कंपनियों के सीईओ ऐसी सामग्री को रोक पाने में नाकाम रहे हैं. वे इन प्लेटफार्मों पर नफरती अपराधों और अमेरिका में श्वेत राष्ट्रवाद के उभार में भूमिका निभाने का आरोप लगाते हैं.
ट्रंप प्रशासन चाहता है कि संसद इन कंपनियों को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा वापस ले ले. वास्तव में 1996 में अमेरिका के दूरसंचार से जुड़े कानून में जोड़े गए 26 शब्दों ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी कंपनियों को आज इस रूप में उभरने का मौका दिया. यही कानून इंटरनेट पर किसी भी तरह के भेदभाव या सेंसरशिप से मुक्त भाषण या संदेशों का आधार है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने इन्हें कार्यकारी आदेश के जरिए सीधे चुनौती दी है. इनमें से एक आदेश ऑनलाइन प्लेटफार्मों "संपादकीय फैसलों" पर मिलने वाला संरक्षण उनसे छीन लेगा. दोनों अमेरिकी पार्टियों में ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि सेक्शन 230 सोशल मीडिया कंपनियों को निष्पक्ष रह कर नियंत्रित करने की जिम्मेदारी से मुक्त कर रही है. बुधवार को ट्रंप ने ट्वीट किया, "सेक्शन 230 को हटाओ!"
क्या है सेक्शन 230?
अगर कोई समाचार एजेंसी आप पर झूठा आरोप लगाती है तो आप उसके खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं लेकिन अगर यही बात कोई फेसबुक पर लिखी पोस्ट में कहता है, तो आप फेसबुक को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. सेक्शन 230 में यही कहा गया है. आप पोस्ट डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं, फेसबुक के खिलाफ नहीं.
सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इस सुरक्षा ने ही इंटरनेट को आज इस हाल में पहुंचाया है. सोशल मीडिया कंपनियां करोड़ों लोगों के संदेश अपने प्लेटफॉर्म पर रख सकती हैं और इसके लिए उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. सेक्शन 230 की कानूनी व्याख्या सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को इस बात का भी अधिकार देती है कि वे अपनी सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए उन पोस्ट को हटा सकती हैं जो अश्लील है या फिर उनकी सेवा मानकों के स्तर का उल्लंघन करती है. हालांकि यह अधिकार तभी तक है जब तक कि उनके कदमों पर "भरोसा" कायम है.
सेक्शन 230 आया कहां से?
इस धारा के बनने का इतिहास तकरीबन 70 साल पुराना है. 1950 के दशक में किताब की एक दुकान के मालिक पर "अश्लील" सामग्री वाली किताबें बेचने के लिए मुकदमा किया गया. पहले संशोधन में इसके लिए सुरक्षा नहीं थी. इस तरह का मुकदमा आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा और फैसला आया कि किसी और की सामग्री के लिए किसी और को दोषी ठहराया गया है. तब यह व्यवस्था दी गई कि मुकदमा दायर करने वाले को यह साबित करना होगा कि किताब बेचने वाला इस बात को जानता था कि इसमें अश्लील सामग्री है.
इसके कुछ दशकों के बाद जब कारोबारी इंटरनेट ने पंख फड़फड़ाने शुरू किए तो कॉम्पुसर्व और प्रोडिजी नाम की दो सेवाएं चालू हुईं. दोनों ऑनलाइन फोरम थे लेकन कॉम्पुसर्व ने इसे नियंत्रित नहीं करने का फैसला किया जबकि प्रोडिजी ने ऐसा किया क्योंकि वह पारिवारिक छवि बनाना चाहती थी. कॉम्पुसर्व के खिलाफ जब मुकदमा हुआ, तो उसे खारिज कर दिया गया लेकिन प्रोडिजी मुसीबत में आ गई. तब जज ने इस मामले में फैसला दिया, "इन्होंने संपादकीय नियंत्रण रखा है.. तो आप एक अखबार की तरह है ना कि अखबार का स्टॉल."
राजनेताओं को यह उचित नहीं लगा, उन्हें चिंता थी कि इससे नई कंपनियां नियंत्रण से खुद को दूर कर लेंगी और तब सेक्शन 230 बनाया गया. आज कंपनियों को ना सिर्फ यूजर के पोस्ट की जिम्मेदारी बल्कि उन्हें नियंत्रित करने के मामले में भी कानूनी सुरक्षा है.
सेक्शन 230 हटाने पर क्या होगा?
सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों का आधार ही यूजर का बनाया कंटेंट है. अगर उन्हें उसके लिए दोषी ठहाराया जाने लगा, तो वे उसे अपने प्लेटफॉर्म पर डालना बंद कर देंगे और नतीजा ऐसी कंपनियों के अस्तित्व पर संकट के रूप में सामने आएगा. सेक्शन 230 पर किताब लिखने वाले जेफ कासेफ का कहना है, "मुझे नहीं लगता कि बिना सेक्शन 230 के इनमें से किसी भी कंपनी का अस्तित्व आज के रूप में होता.उन्होंने अपना बिजनेस मॉडल ही यूजर कंटेंट के बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में बनाया है."
इसके दो नतीजे हो सकते हैं. एक तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बहुत सजग हो जाएंगे. जैसा कि क्रेगलिस्ट के मामले में हुआ था. 2018 में सेक्स तस्करी के कानून में सेक्शन 230 का एक अपवाद जोड़ा गया. ऐसी सामग्री जो "देह व्यापार को सुलभ बनाती हो या उसका प्रचार करती हो." इस कानून के पास होने के बाद अमेरिका की विख्यात क्लासिफाइड विज्ञापन एजेंसी क्रेगलिस्ट ने फौरन "निजी" सेक्शन को पूरी तरह से हटा दिया. हालांकि यह देह व्यापार के लिए नहीं बना था लेकिन कंपनी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. इसका नुकसान सबसे ज्यादा फिलहाल तो खुद राष्ट्रपति को होगा जो नियमित रूप से लोगों पर निजी हमले करते हैं, साजिशों की बात करते हैं और दूसरों पर आरोप लगाते हैं. अगर कंपनियों को कानूनी सुरक्षा नहीं मिली, तो वे ऐसे संदेशों को अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं रहने देंगी.
एक दूसरा नतीजा यह हो सकता है कि ट्विटर, फेसबुक और दूसरे प्लेटफॉर्म पूरी तरह से नियंत्रण खत्म कर दें और तब यह पूरी तरह से आजाद हो जाएगा. तब इस पर लोग कुछ भी कहने के लिए आजाद होंगे और फिर ट्रोल्स इन पर कब्जा कर लेंगे. सेंट क्लारा यूनविर्सिटी में कानून के प्रोफेसर एरिक गोल्डमैन का कहना है कि सेक्शन 230 का हटाना, "इंटरनेट के अस्तित्व पर ही एक खतरा है." हालांकि गोल्डमैन का मानना है कि ट्रंप का आदेश इंटरनेट के लिए कोई खतरा नहीं है. यह एक "राजनीतिक ड्रामा" है जो ट्रंप के समर्थकों को पसंद आता है.
भारत में भी सोशल मीडिया को लेकर आए दिन सवाल उठ रहे हैं. भारत में फेसबुक की नीति प्रमुख आंखी दास ने इस्तीफा दे दिया. उन पर सत्ताधारी पार्टी के साथ नरमी बरतने के आरोप लगे थे. आरोप यह था कि सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों ने फेसबुक के नफरती भाषण से जुड़े कानूनों का उल्लंघन कर मुस्लिम विरोधी पोस्ट डाले और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि कंपनी ने इससे इनकार किया. कंपनी के सीईओ की संसदीय पैनल के सामने पेशी भी हुई थी.
एनआर/आईबी (एपी) (dw.com)
मुंबई, 29 अक्टूबर | एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की कैबिनेट ने गुरुवार को एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी के विकास के लिए नए टेंडर आमंत्रित करने का फैसला किया है। इसके साथ ही अक्टूबर 2018 में आमंत्रित किए गए सभी टेंडर कैंसल हो गए हैं। ऐसा सचिवों की एक समिति के फैसले के बाद किया गया है। इसके बाद से धारावी को विकसित करने के 16 साल के प्रयासों पर फिर से संकट खड़ा हो गया है।
नियम और कानूनों में बदलाव के बाद नई टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें रेलवे की 45 एकड़ की भूमि धारावी के विकास के लिए स्थानांतरित करने का मुद्दा भी शामिल है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के निर्देश देने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की, जिसमें न्यायाधीश एम.आर. शाह और आर. सुभाष रेड्डी भी शामिल थे।
वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सभी आधारों को मिला दिया है और जिस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वह विशेष रूप से एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई के लिए बाध्य है, जो एक सार्वजनिक कार्यालय रखता है। उन्होंने शिवकुमार मामले का हवाला दिया, जहां यह कहा गया कि चूंकि इस मामले में कोई व्यक्ति पक्षकार नहीं है, इसलिए जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।
न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि ऐसा कठोर आदेश पारित किया गया, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया और इसमें मुख्यमंत्री भी एक पार्टी नहीं थे। न्यायाधीश शाह ने भी कहा कि इस आदेश ने तो सभी को ही आश्चर्य में डाल दिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एक पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया था।
मुख्यमंत्री पर भाजपा के झारखंड प्रभारी होते हुए गौ सेवा आयोग में उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उनके रिश्तेदारों के बैंक खाते में धन हस्तांतरित करने का आरोप लगाया गया है।
शीर्ष अदालत ने मुख्यमंत्री के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया, जब राज्य सरकार और मुख्यमंत्री याचिका में पक्षकार भी नहीं हैं।
मंगलवार को हाईकोर्ट ने दो पत्रकारों उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
पत्रकारों ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की, जो इस साल जुलाई में आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत विद्रोह, जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में दर्ज की गई थी।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | सादिक़ ने बुधवार को नेशनल असेंबली में दावा किया था, ''पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने एक बैठक में कहा था कि अगर विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा नहीं किया जाता है तो भारत रात नौ बजे तक हमला कर देगा.
अयाज़ सादिक़ ने संसद में अपने भाषण में बुधवार को कहा था, ''मुझे याद है कि शाह महमूद क़ुरैशी साहब उस मीटिंग में थे जिसमें प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने आने से इनकार कर दिया था. इस बैठक में सेना प्रमुख थे. उनके पैर काँप रहे थे और पसीने माथे पर थे.''
''हमसे शाह महमूद क़ुरैशी साहब ने कहा कि ख़ुदा के वास्ते अभिनंदन को वापस जाने दें नहीं तो रात के नौ बजे हिन्दुस्तान पाकिस्तान पर अटैक कर देगा. हिन्दुस्तान को कोई अटैक नहीं करना था और इन्होंने अभिनंदन के मामले में घुटने टेक दिए. इसलिए कोई ऐसी बातें न करें कि हम ये सब बताने के लिए मजबूर हो जाएं.''
अयाज़ सादिक़ के भाषण का यह वीडियो भारतीय सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहा है. सरदार अयाज़ सादिक़ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
बीजेपी ने अयाज़ सादिक़ के भाषण को लिया हाथों-हाथ
बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने भी इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा, ''कांग्रेस के राजकुमार को भारत के किसी भी चीज़ पर भरोसा नहीं है. वो चाहे हमारी सेना हो, सरकार हो या हमारे नागरिक. अब वो अपने सबसे भरोसेमंद मुल्क पाकिस्तान की बात ही सुन लें. उम्मीद है कि उनकी आँखें खुलेंगी...''
बीजेपी ने इस वीडियो को हाथों-हाथ लिया और इसे पोस्ट करते हुए सीधे कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया. जेपी नड्डा के इस ट्वीट को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी रीट्वीट किया है.
बुधवार की रात भारत के कई न्यूज़ चैनलों के प्राइम टाइम शो में सादिक़ के बयान को बहुत ही गंभीरता से जगह दी गई. पाकिस्तान के न्यूज़ चैनलों में भी सादिक़ के बयान को जगह मिली और उनसे पूछा गया कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा?
बुधवार को पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल दुनिया न्यूज़ के प्रोग्राम नुक़्ता-ए-नज़र में अयाज़ सादिक़ ने कहा, ''मैं कोई निजी हमला नहीं करना चाहता लेकिन जो सत्ता में हैं वो हमें 'चोर' और 'मोदी का यार' कहेंगे तो उन्हें जवाब देना होगा. इन लोगों में गंभीरता नाम की कोई चीज़ नहीं है.''
सादिक़ ने दुनिया न्यूज़ के प्रोग्राम में कहा, ''ये संसद के नियम तक नहीं जानते हैं. हमने इस सरकार को कश्मीर के मामले में हर मुश्किल घड़ी में समर्थन किया है. वो चाहे अभिनंदन का ही मामला क्यों न हो. लेकिन इस सरकार को भी चाहिए कि वो विपक्ष का सम्मान करे.''
पाकिस्तान सरकार का पक्ष
पाकिस्तान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी असोसिएटेड प्रेस ऑफ़ पाकिस्तान के अनुसार विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने सादिक़ के दावों को ख़ारिज कर दिया है.
क़ुरैशी ने कहा, ''मुझे खेद है कि ज़िम्मेदार लोग ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दे रहे हैं. मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तानी नेशनल असेंबली के पूर्व स्पीकर यह बात कहेंगे कि अभिनंदन को पाकिस्तान ने दबाव में आकर छोड़ा था.''
''ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर सरकार ने सभी संसदीय नेताओं को भरोसा में लिया था लेकिन मीटिंग में अभिनंदन पर कोई चर्चा नहीं हुई थी. राजनीतिक फ़ायदे के लिए यह बहुत ही ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दिया गया है. यह हैरान करने वाला है.''
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि वो नहीं चाहते कि कुलभूषण मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के ज़रिए भारत कोई फ़ायदा न उठाए.
क़ुरैशी ने कहा कि कुलभूषण और अभिनंदन मामले में विपक्ष पाकिस्तान को गुमराह कर रहा है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने नेशनल असेंबली में पीएमएल-एन नेता के बयान पर प्रतिक्रिया में ये बातें कहीं.
'भारतीय मीडिया की धूर्त पत्रकारिता'
पाकिस्तान सरकार में मंत्री फ़वाद चौधरी ने बीबीसी संवाददाता शुमाइला ज़ाफ़री से बात की. उन्होंने कहा, ''अगर आप पूरी बात सुनेंगे तो पता चलेगा कि वो पुलवामा हमले के बाद हुए घटनाक्रमों के बारे में है. भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने अपने फ़ायदे के लिए अयाज़ सादिक़ के बयान का एक टुकड़ा उठा लिया और उसे वायरल कर दिया.''
फ़वाद चौधरी ने कहा कि ये सब भारत की धूर्त और बेइमान पत्रकारिता का नमूना है. उन्होंने कहा, ''हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ हैं. हम किसी भी रूप में आतंकवाद की आलोचना करते हैं.''
पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी अली मुहम्मद ख़ान ने कहा कि भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने के लिए हुई बैठक में विपक्षी नेता शहबाज़ शरीफ़, पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ़ अली ज़रदारी और जेयूआई-एफ़ नेताओं से भी सहमति ली गई थी.
उन्होंने कहा कि अभिनंदन को 'सकारात्मक पहल' की वजह से रिहा किया गया था. बुधवार को संसद में पीएमएल-एन नेता ख़्वाजा आसिफ़ ने कहा कि इमरान ख़ान की सरकार भारत के तुष्टीकरण में लगी है. फ़रवरी 2019 में भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान ने अपने नियंत्रण में ले लिया था.
पाकिस्तानी सेना ने अयाज़ सादिक़ का यह बयान वायरल होने के बाद गुरुवार को एक प्रेस कॉफ़्रेंस कर इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने एक ज़िम्मेदार देश के तौर पर अमन को एक और मौका देते हुए विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने का फ़ैसला लिया था.''
''इसे पाकिस्तान के परिपक्व कदम के अलावा किसी और चीज़ से जोड़ना निहायती अफ़सोसजनक है. पाकिस्तान ने पहले भारत को अपनी ताक़त दिखाई और फिर यह फ़ैसला लिया. हमने उन्हें ऐसा ज़ख़्म दिया जो आज भी दुखता है."
'अभिनंदन पाकिस्तान कोई मिठाई बाँटने नहीं आए थे'
हालाँकि इन सारे विवादों के बाद अब अयाज़ सादिक़ का कहना है कि भारतीय मीडिया में उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया.
उन्होंने कहा, "भारतीय मीडिया में मेरे बयान के बारे में जो कहा जो रहा है वो पूरी तरह उलटा है. अभिनंदन पाकिस्तान में कोई मिठाई बाँटने नहीं आए थे. वो पाकिस्तान पर हमला करने आए थे और जब पाकिस्तान ने उनका जहाज़ गिराया था तो पाकिस्तान की फ़तह हुई थी.''
''इसके बाद जब इमरान ख़ान ने सांसदों की बैठक बुलाई तो वो ख़ुद उसमें नहीं आए. शाह महमूद क़ुरैशी ने हमसे कहा कि पकिस्तान अपने 'राष्ट्रीय हित' में अभिनंदन को वापस भेजना चाहता है और यह फ़ैसला नेतृत्व ने किया है."
सादिक़ के मुताबिक़, "इमरान ख़ान ने किसके दबाव में ये फ़ैसला लिया और उनकी क्या मजबूरियाँ थीं, इस बारे में उन्होंने हमें कुछ नहीं बताया. हम अभिनंदन को वापस भेजने के फ़ैसले पर सहमत नहीं थे. कोई जल्दी नहीं थी.''
''इंतज़ार किया जा सकता था. भले ही नेतृत्व ने यह फ़ैसला राष्ट्रीय हित का हवाला देकर लिया हो लेकिन इस फ़ैसले में उसकी कमज़ोरी नज़र आई."
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की गोलबंदी लगातार बढ़ रही है. पाकिस्तान की राजनीति में कभी धुर विरोधी रही पीपीपी और पीएमएल-एन दोनों इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ एकजुट हो गई हैं.
द न्यूज़ के अनुसार पीपीपी चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने दावा किया कि पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार जनवरी 2021 में गिर जाएगी. बिलावल ने कहा कि अगले साल जनवरी महीने में इमरान ख़ान की सरकार सत्ता से बाहर हो जाएगी.
पुलवामा और बालाकोट में क्या हुआ था?
पुलवामा में 14 फ़रवरी 2019 को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के काफ़िले पर हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ़ के 40 जवान मारे गए थे. भारत का आरोप है कि इस हमले में पाकिस्तान में सक्रिय चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है.
पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया था. इस हमले के जवाब में पाकिस्तान ने भी 27 फ़रवरी को भारत पर हवाई कार्रवाई की थी.
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी. इस दौरान ही विंग कमांडर अभिनंदन मिग 21 लेकर उड़े थे, लेकिन पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स के हमले में उनका विमान पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में गिर गया.
यहाँ अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया था. विंग कमांडर अभिनंदन के पकड़े जाने और पाकिस्तानी सेना के क़ब्ज़े वाली तस्वीरों को लेकर भारत में काफ़ी आक्रोश था.
पाकिस्तानी सेना ने अभिनंदन का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इस वीडियो में अभिनंदन ज़ख़्मी दिख रहे थे और उनके चेहरे पर ख़ून फैला हुआ था.
बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संसद में अभिनंदन को छोड़े जाने की घोषणा की. (bbc)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | समलैंगिकों के अधिकारों को ले कर एक संस्था केरल हाईकोर्ट पहुंची है. अगर अदालत ने माना तो समलैंगिकों का "इलाज" करने की प्रथा गैरकानूनी कहलाएगी.
अवस्थी की उम्र 22 साल है. भारत की किसी भी सामान्य लड़की की तरह इस उम्र में उसके पास भी शादी के लिए रिश्ते आ रहे हैं. लेकिन अवस्थी को शादी नहीं करनी. उसकी मर्दों में कोई रुचि नहीं है. माता पिता को कई बार टालने के बाद आखिरकार अवस्थी ने उन्हें अपनी सच्चाई बताने का फैसला किया. उसे लगा था कि वे उसे समझेंगे लेकिन वे तो उसे इलाज कराने के लिए पहले एक नन और फिर डॉक्टर के पास ले गए.
कमाल की बात यह थी कि डॉक्टर ने भी इलाज करने का बीड़ा उठा लिया. अवस्थी पर कुछ टेस्ट किए गए और डॉक्टर ने माता पिता को आश्वासन दिया कि हार्मोन थेरेपी के जरिए वह उनकी बेटी का इलाज करेगी. अवस्थी से डॉक्टर ने कहा, "हम इस बात की जांच करेंगे कि तुम किसी पुरुष के साथ संभोग क्यों नहीं करना चाहती हो. तुम्हें यहां भर्ती होना होगा और हमें कुछ टेस्ट करने होंगे ताकि पता कर सकें कि तुम्हें क्या बीमारी है. टेस्ट के नतीजों के बिनाह पर ही कोई फैसला लिया जा सकेगा और उसके बाद काउंसलिंग सेशन भी होंगे."
कन्वर्जन थेरेपी के खिलाफ कानून
यह कहानी सिर्फ अवस्थी की नहीं है. भारत में जगह जगह लोग झाड़ फूंक करा के या फिर डॉक्टर के पास इलाज करा के अपने समलैंगिक बच्चों को "ठीक" करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन भविष्य में शायद वे ऐसा नहीं कर पाएंगे. कम से कम केरल में तो नहीं. केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां किसी व्यक्ति के लैंगिक रुझान को बदलने की कोशिश करने को गैरकानूनी करार दिया जाएगा. किसी भी स्वास्थ्यकर्मी या धर्म गुरु द्वारा ऐसा करना अपराध माना जाएगा.
"करेक्शन थेरेपी" या "कन्वर्जन थेरेपी" के तहत कई बार समलैंगिक व्यक्तियों को तब तक मारा पीटा जाता है जब तक वह "ठीक" हो जाने का वादा ना करें. कई लोग इसे शैतान या प्रेत आत्मा का साया बताते हैं. कई मामलों में तो इसके तहत बलात्कार तक किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में इस तरह के "इलाज" के तरीकों को खत्म करने की मांग की है लेकिन अब तक सिर्फ तीन ही देशों ने ऐसा किया है. ये देश हैं ब्राजील, इक्वाडोर और माल्टा. इनके अलावा न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और आयरलैंड में इस पर चर्चा चल रही है.
इलाज के नाम पर प्रताड़ना
केरल हाईकोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की गई है जिसे अदालत ने स्वीकार लिया है. अगले महीने से इस पर सुनवाई शुरू होगी. समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था कीराला ने यह याचिका दायर की है. संस्था का कहना है कि इस साल मई में एक समलैंगिक छात्रा अंजना हरीश की खुदकुशी के बाद उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया. अंजना ने अपनी जान लेने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट कर के विस्तार में बताया था कि उसका "इलाज" कराने के लिए उसके घर वालों ने उसके साथ क्या क्या अत्याचार किया.
वीडियो में अंजना ने कहा कि उसे एक ईसाई मेंटल हेल्थ सेंटर में रखा गया था, जहां उसे इतनी भारी नशे की दवाएं दी जाती थी कि वह रोबोट जैसा महसूस करती थी, "मुझे कुछ 40 इंजेक्शन दिए गए... मैं मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुकी थी." अंजना ने बताया कि दो महीने तक चला यह "इलाज" दो अलग अलग सेंटरों में हुआ, "मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का होता है कि मेरे अपने परिवार ने मेरे साथ ऐसा किया. जिन लोगों को मेरी रक्षा करनी थी, उन्होंने ही मुझे प्रताड़ित किया."
लॉकडाउन में बढ़े मामले
कीराला का कहना है कि मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से उनके पास मदद के लिए 1200 फोन कॉल आ चुके हैं जबकि 2019 में पूरे साल में 1500 कॉल आए थे. इनमें से ज्यादातर मामलों में लोग परिवार से परेशान हो कर आत्महत्या की बात कर रहे होते हैं. कन्वर्जन थेरेपी पर कोई आधिकारिक डाटा तो मौजूद नहीं है लेकिन कीराला का कहना है कि उसे केरल में 20 ऐसे मेन्टल हेल्थ सेंटरों की जानकारी है जहां ऐसा होता है.
अब तक तमिलनाडु भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने "2019 मेन्टल हेल्थ पॉलिसी" के तहत कन्वर्जन थेरेपी को "अनुचित और अवैज्ञानिक" बताया है. LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि कन्वर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने से बड़ी मदद मिलेगी. लेकिन साथ ही लोगों की मानसिकता में बदलाव भी जरूरी है.
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | बिहार में पहले चरण के मतदान में 71 विधानसभा सीटों का भविष्य बुधवार को ईवीएम में बंद हो चुका है. पहले चरण के मतदान के दिन सुबह-सुबह पटना से प्रकाशित अख़बारों में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर पहले पन्ने पर छपी हुई थी.
जनता दल यूनाइटेड की ओर से जारी इस विज्ञापन में नीतीश कुमार आगे दिखते हैं जबकि मोदी ठीक उनके पीछे. बस ये ही वो पोस्टर हैं, जहाँ नीतीश कुमार बिहार में आगे दिख रहे हैं.
पिछले दिनों के विज्ञापन में केवल नरेंद्र मोदी नज़र आए थे. बाद में जारी दूसरी तस्वीरों में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं के सामने सुशील मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर छोटी नज़र आती है.
बीजेपी बिहार का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी को सामने रखकर लड़ रही है.
पटना की सड़कों पर पटे बीजेपी के पोस्टर के अलावा चुनावी रैलियों में ये साफ़ नज़र आता है कि एनडीए और ख़ुद नीतीश कुमार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी कितने महत्वपूर्ण बन गए हैं.
बुधवार को दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर और पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की संयुक्त रैलियाँ हुईं.
तीनों रैलियों में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को तीन बार श्रद्धेय, छह बार आदरणीय कहा, जबकि नरेंद्र मोदी ने दो बार नीतीश कुमार को परम मित्र कहा.
मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर में नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार के काफ़िले के तीनों हेलिकॉप्टर समय से पहुँचे. दोपहर की सभा में हज़ारों की भीड़ थी, लेकिन बड़ा होने की वजह से मैदान आधा से ज़्यादा खाली दिख रहा था.
हालाँकि कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री मोदी को देखने के लिए लोगों की भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की कोई परवाह नहीं कर रही थी.
एक युवा से जब हमने ये जानने की कोशिश की कि महागठबंधन की रैलियों में कहीं ज़्यादा भीड़ नज़र आती है, तो उस युवा का जवाब था कि 'तेजस्वी यादव की सभाएँ कहीं छोटे मैदानों में आयोजित हो रही है, तो ग्राउंड पूरा भर जाता है.'
वहीं खड़े एक दूसरे युवा ने दावा किया कि दो दिन पहले इलाक़े में तेजस्वी यादव की सभा हुई थी, जिसमें ज़्यादा लोग आए थे, हालांकि उन्होंने ये माना कि तेजस्वी ने जिस मैदान में सभा की थी, वह छोटा था.
बार-बार जंगलराज का ज़िक्र
मोतीपुर में हर शख़्स पीएम नरेंद्र मोदी की बात करता नज़र आया. नीतीश कुमार की बात पूछने पर सभा में मौजूद एक शख़्स ने कहा, "बताइए बीजेपी ने 15 साल तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. अब उनको ख़ुद से ये पद छोड़कर अगले 15 साल तक बीजेपी का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. बीजेपी को गिरिराज सिंह को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए."
इस इलाक़े में सवर्ण मतदाताओं की संख्या ज़्यादा होने के चलते आम लोगों से चर्चा में बार-बार जंगलराज का ज़िक्र आता रहा. इस पहलू की ख़बर मोदी जी को भी थी, लिहाज़ा 24 मिनट के भाषण में क़रीब 13 मिनट वे बिहार में अपराध पर बोलते रहे.
हालाँकि एनसीआरबी के आँकड़ों की बात करें, तो नीतीश कुमार के समय में अपराध कम होने की कोई पुष्टि नहीं होती है.
मोतीपुर में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जंगलराज के युवराज आए, तो बिहार में अपराध का उद्योग शुरू हो जाएगा.
सभा को छोड़कर जाती भीड़
अपने भाषण की शुरुआत में दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर में नरेंद्र मोदी ने स्थानीय भाषा में 'गोर लगई छी', कहकर लोगों को लुभाने की कोशिश भी की.
लेकिन तेज़ धूप और मैदान में लगे लाउड स्पीकरों से स्पष्ट आवाज़ न आने के चलते मैदान से भीड़ तभी वापस होने लगी थी, जब मोदी ये बता रहे थे कि कैसे एनडीए के राज में बिहार का विकास हुआ है.
लौट रहे एक शख़्स ने कहा कि वो सोशल मीडिया पर मोदी जी को सुन लेगा, यहाँ रुकने का कोई फ़ायदा नहीं. हालाँकि उन्होंने बीजेपी के समर्थन की बात कही.
भीड़ को संभालने में लगे बिहार पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि आप देख ही रहे हैं कि जब मोदी जी बोल रहे हैं, तब भी जनता रुक नहीं रही है, क्योंकि वे बार-बार एक जैसी बातें ही कर रहे हैं.
नीतीश कुमार उम्मीद के मुताबिक़ ज़्यादा नहीं बोले और बिहार के विकास में मोदी जी के योगदान की प्रशंसा की.
बिहार में नीतीश कुमार जिस विकास की चर्चा करते नहीं अघाते, उनमें ज़्यादातर सड़कें केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत बनाई गई हैं, लेकिन उससे हक़ीक़त बहुत बदली हो, इसकी झलक नहीं दिखती है.
मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर से दरभंगा के कुशेश्वरस्थान के रास्ते से गुज़रने पर सड़क को लेकर विकास के नैरेटिव का सच समझ में आता है.
क़रीब 120 किलोमीटर की दूरी में चार घंटे का समय लग चुका था, लेकिन राहुल गांधी की रैली में शामिल एक एनडीए समर्थक युवा ने कहा कि बीते 15 साल में नीतीश कुमार ने बिहार का काफ़ी विकास किया है और दरभंगा से मुज़फ़्फ़रपुर पहुँचने में महज़ डेढ़ घंटे का वक़्त लगता है.
राहुल गांधी की सभा
राहुल गांधी की रैली जिस कुशेश्वरस्थान पर हो रही थी, वह बिहार के सबसे पिछड़े इलाक़े में शामिल है.
इलाक़े में पिछड़ा समुदाय और महादलितों की काफ़ी आबादी है और इसकी झलक राहुल गांधी की रैली में भी नज़र आई. लोगों में महागठबंधन की तरफ़ रुझान दिखा.
इस रुझान की सबसे बड़ी वजह बताते हुए कभी बीजेपी के सांसद रहे और मौजूदा कांग्रेसी नेता कीर्ति आज़ाद बताते हैं कि प्रवासी मज़दूरों के साथ जिस तरह का बर्ताव मोदी और नीतीश कुमार की सरकार ने किया, उससे लोगों में भारी नाराज़गी है. कीर्ति आज़ाद के मुताबिक़, ग़रीब गुरबे लोग इस बार मोदी जी के जुमलों में नहीं फँसेंगे.
राहुल गांधी की सभा में जुटी भीड़ तेजस्वी यादव के नारे लगा रही थी और उनकी नौकरी देने की घोषणा की चर्चा सबसे ज़्यादा हो रही थी.
राहुल गांधी ने भी अपनी सभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अपनी सभाओं में दो करोड़ रोज़गार की बात नहीं करते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि तेजस्वी यादव रोज़गार की बात कर रहे हैं और कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.
रैली में आए एक बुज़ुर्ग ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन के दौरान पूरे राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच गया है और ग़रीब आदमी की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.
यह वह इलाक़ा है, जहाँ जनता दल यूनाइटेड का दबदबा रहा है और रामविलास पासवान के समर्थकों की बड़ी संख्या है.
चिराग पासवान का नाम लेने पर भीड़ में शामिल एक शख़्स ने कहा कि चिराग़ युवा नेता हैं और उम्मीदों से भरे हैं, लेकिन इस बार पूँजीपतियों की राजनीति करने वालों का साथ दे रहे हैं, उन्हें ग़रीब गुरबों के साथ आ जाना चाहिए.
'लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता'
तेजस्वी यादव की आलोचना करते हुए बीजेपी लगातार लोगों को लालू-राबड़ी शासन के 15 सालों की याद दिलाती है, इस बारे में कीर्ति आज़ाद कहते हैं कि दरअसल इन 15 सालों में इन लोगों के पास अपना कोई काम बताने को है नहीं, तो क्या करेंगे.
वहीं भीड़ में शामिल एक बुज़ुर्ग ने कहा कि लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता, जैसे कोरोना के समय में नीतीश कुमार ने मरने के लिए छोड़ दिया है.
लेकिन मोदी की रैली की तुलना में राहुल की रैली में आने वाले लोगों की संख्या कम थी. लेकिन नीतीश कुमार की सभाओं की तुलना में ज़्यादा भीड़ है, ऐसा दावा करने वाले ढेरों लोग मिले.
बिहार का चुनाव मुख्य तौर पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई में तब्दील होता दिख रहा है. (bbc)
श्रीनगर, 29 अक्टूबर| विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने गुरुवार को समुदाय के जम्मू एवं कश्मीर में पुनर्वास की व्यवस्था होने तक बाहरी लोगों के लिए जमीन की ब्रिकी प्रतिबंधित करने की मांग की। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठन 'सुलह, वापसी और पुनर्वास' के अध्यक्ष सतीश अंबरदार ने एक बयान में कहा, "भारत सरकार ने मंगलवार, 27 अक्टूबर को जम्मू एवं कश्मीर के लिए भूमि कानून के संबंध में अधिसूचना जारी की। यह कानून जम्मू एवं कश्मीर में भारत के नागरिकों के लिए जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त करेगा।"
उन्होंने कहा, "कश्मीरी पंडित ठगा महसूस कर रहे हैं। गत 31 वर्षो से हम अपनी मातृभूमि में वापसी और पुनर्वास की राह देख रहे हैं। हमें बिना फिर से बसाए, भारत सरकार ने कश्मीर की जमीन को बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिया। क्या यह अन्याय नहीं है? 1989 से, समुदाय घाटी में जातीय नरसंहार का सामना कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "राज्य और केंद्र में पूर्ववर्ती सरकारें घाटी में हमारे लोगों की सुरक्षा करने में विफल रही। हमारे समुदाय के साथ जो भी हुआ, सरकार मूकदर्शक बनकर देखती रही। कश्मीरी पंडितों को मारा गया, उनकी संपत्ति लूटी और जलाई गई, मंदिरों को नष्ट किया गया। कई महिलाओं का अपहरण किया गया, उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और हत्या की गई।"
उन्होंने कहा, "मजबूरी में किए गए पलायन ने हमें हमारी जड़ों से काट दिया। इससे हमारी अनूठी धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचना प्रभावित हुई। हमें महसूस होता है कि सरकार ने हमें पूरी तरह से धोखा दिया है। अगर पिछली सरकारों ने हमें कश्मीर में हमारी जमीन पाने में मदद नहीं की तो इस सरकार ने यह सुनिश्चित कर दिया कि हम हमेशा निर्वासन में ही रहें।"
उन्होंने कहा, "हम मांग करते हैं कि कश्मीर पंडितों के पुनर्वास तक किसी भी प्रकार की जमीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए। हम मांग करते हैं कि जिन 419 परिवारों को घाटी में बसाने का गृह मंत्रालय ने वादा किया था, उन्हें बसाया जाए। हम सभी सांसदों से अपील करते हैं कि कृपया कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में मदद करें।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम' के तहत गुरुवार को एनजीओ गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता ने बच्चों से संवाद किया। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अंशु गुप्ता ने बच्चों को अपने सपने पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "नींद वाले सपने अलग होते हैं, लेकिन आपको सफल होना है तो जागते हुए सपने देखने होंगे, क्योंकि उस पर आपको काम करना है। आपको कहीं कचरा गिरा हुआ दिखे या पुराने कपड़ों का ढेर हो, तो उसे समस्या नहीं बल्कि अवसर समझें और समाधान ढूंढें। आज हमलोग हर साल 6000 टन पुराना मैटेरियल हैंडिल कर रहे हैं। इनमें पुराने कपड़े, चादरें, फर्नीचर जैसी चीजें होती हैं, जिन्हें हमने नई मुद्रा में बदल दिया है।"
अंशु ने कहा, "सेकेंड हैंड मैटेरियल को इतनी बड़ी करेंसी में कन्वर्ट करने में मुझे गांवों से मिली शिक्षा काफी काम आई। हमें सिर्फ किताबों तक सीमित रहने के बजाय समाज से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि वह 1990 में जनसंचार की पढ़ाई के लिए दिल्ली आए। उस दौरान उत्तरकाशी में भूकंप आने पर वहां जाकर पीड़ितों की मदद की। उन्होंने कहा, "उस दौरान मेरी गांव वालों को लेकर धारणा बदली। इसके बाद मैंने समाज में लोगों की मदद का बीड़ा उठा लिया। गूंज जैसी संस्था बनने में इसकी बड़ी भूमिका रही।"
गुप्ता ने बच्चों से संवाद करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की इस बात पर सहमति जताई कि अपने काम में आनंद आना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा, "हम काफी दुखी लोगों की पीड़ा से जुड़ते हैं और लोगों के दुख से हम काफी विचलित भी होते हैं। इसके बावजूद यह सोचकर चैन की नींद सोते हैं कि आज कुछ अच्छा किया।"
उन्होंने कहा, "हमें दूसरों की पीड़ा से जुड़ने का कीड़ा लग गया है और सबकी मदद करने में ही हमें आनंद आता है।" इस संदर्भ में गुप्ता ने अपनी एक कविता भी सुनाई- "बस चढ़ा ही रहा था एक और चादर मजार पर, कि नजर बाहर कांपते फकीर पर पड़ गई।"
गुप्ता ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति की सराहना करते हुए सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा को जरूरी बताया। उन्होंने कहा, "दिल्ली में हुए काम के कारण ही जब मुझे बच्चों से इस बातचीत का आमंत्रण मिला तो काफी अच्छा लगा। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट देखकर काफी गर्व होता है।"
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "अब तक हमने बड़े उद्यमियों से संवाद किया है। लेकिन आज हमारे बच्चे उस व्यक्ति से संवाद कर रहे हैं जो लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहे हैं। अपने लिए तो सभी लोग काम करते हैं, लेकिन अंशु गुप्ता ने दूसरों की पीड़ा समझकर उनके लिए अपना जीवन समर्पित किया है। इसीलिए उन्हें दुनिया का प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे सम्मान मिला, जिसे एशियाई देशों का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।"
सिसोदिया ने इस संवाद को बच्चों के लिए काफी उपयोगी बताया। उन्होंने अंशु गुप्ता की तुलना फिल्म 'थ्री इडियट' के रैंचो (आमिर खान) से की। सिसोदिया ने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को दिल्ली में सोना तस्करी मामले में असम के गुवाहाटी और महाराष्ट्र के सांगली में चार स्थानों पर तलाशी ली। एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने आरोपियों और उनके संचालकों से संबंधित उन परिसरों की तलाशी ली, जहां से उनके द्वारा अपराध के संबंध में षड्यंत्र रचा जाता था।
अधिकारी ने कहा, "तलाशी के दौरान संदिग्ध दस्तावेजों के साथ-साथ तात्कालिक अपराध में संलिप्त व्यक्तियों, जिनके म्यांमार और नेपाल सहित विदेशों में भी संबंध थे, उनके दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त किया गया।"
एनआईए ने इस साल 29 सितंबर को इस सोना तस्करी मामले की जांच का जिम्मा संभाला था। एजेंसी को इसकी जांच की जिम्मेदारी 28 अगस्त को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 42.89 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाले 83.621 किलोग्राम की तस्करी का सोना जब्त किया गया था। गोल्ड बार के रूप में आठ लोगों के पास से यह सोना पकड़ा गया था।
अधिकारी ने कहा, "अब तक इन आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने गुवाहाटी से उक्त खेप को अपने हैंडलर के निर्देश पर नई दिल्ली में इसकी अगली डिलीवरी के लिए एकत्र किया था। हैंडलर के संबंध में यह आशंका है कि उसने सोना की तस्करी म्यांमार, नेपाल और भूटान से कराई थी।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | आतंकी फंडिंग केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपना दायरा बढ़ाते हुए कश्मीर के बाद दिल्ली में भी छापेमारी की है. इस केस में जांच एजेंसी ने बुधवार को श्रीनगर के 10 ठिकानों और बेंगलुरू के एक ठिकाने पर छापेमारी की थी.
गुरुवार को एनआईए ने छह गैर लाभकारी संगठन, ट्रस्ट और नौ दूसरे स्थानों पर छापेमारी की जिसमें दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान की संपत्ति भी शामिल है. जिन छह एनजीओ पर एनआईए ने छापे मारे हैं वे हैं-फलाह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी एलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेके यतीम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉयस फॉर विक्टिम्स. श्रीनगर के साथ-साथ जांच एजेंसी ने दिल्ली में भी छापे मारे. यह छापेमारी एक साथ की गई और बताया जा रहा है कि यह सीमा पार से होने वाली आतंकी फंडिंग की जांच के सिलसिले में की जा रही है.
एनआईए की टीम ने गुरुवार सुबह कश्मीर में अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापे मारे. चैरिटी एलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली स्थित एनजीओ है और बाकी श्रीनगर में है. जफरुल इस्लाम खान मिल्ली गजट अखबार के संस्थापक संपादक हैं और चैरिटी एलांसय के चेयरमैन हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के जामिया नगर में चैरिटी एलायंस के कार्यालय की तलाशी एनआईए ने ली है. जफरुल इस्लाम खान उस समय चर्चा में रहे जब सोशल मीडिया पर एक बयान को लेकर उनके ऊपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया जिसके बाद 2 मई को दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों पर धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर भारत और विदेशों से धन जुटाकर और फिर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने का आरोप है. हालांकि इस छापेमारी से घाटी के राजनीतिक दल नाराज हैं और इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि एनआईए केंद्र की पालतू एजेंसी बन गई और असहमति जताने वाले पर कार्रवाई करती है.
बुधवार को ग्रेटर कश्मीर अखबार के दफ्तर और एक पत्रकार के घर पर भी छापे मारे गए थे. कश्मीर एडिटर्स गिल्ड ने ग्रेटर कश्मीर अखबार के दफ्तर पर छापेमारी पर चिंता जताते हुए एक बयान भी जारी किया है. कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन का कहना है कि अखबार के दफ्तर पर छापे मारकर सरकार "हमारी फुसफुसाहट को भी बंद करने की कोशिश कर रही है."
एनआईए ने बुधवार को श्रीनगर और बांदीपुर में 10 स्थानों और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापेमारी की थी. एनआईए ने जम्मू और कश्मीर सिविल सोसाइटी के कोर्डिनेटर खुर्रम परवेज के निवास और दफ्तर में तलाशी ली थी. इसके अलावा खुर्रम परवेज के साथी परवेज अहमद बुखारी (पत्रकार), एक्टिविस्ट परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्री, परवीना अहंगर के ठिकानों की भी तलाशी ली थी.
एनआईए ने 8 अक्टूबर को आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था. उसी के तहत ये कार्रवाई की जा रही है. एजेंसी का दावा है कि छापों में कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं.
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा में मील का पत्थर बन सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला. लेकिन क्या अदालत की टिप्पणी से सरकारों की मनमानी आखिरकार थमेगी?
हाल के वर्षों में सोशल मीडिया की स्वीकार्यता और पहुंच बढ़ी है. लेकिन सरकारों और राजनीतिक दलों को इन पर होने वाली खरी टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं होतीं. इसलिए सरकार के फैसलों की आलोचना करने वालों के खिलाफ मनमाने तरीके से दूर-दराज के शहरों में केस दर्ज कर दिए जाते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला इस मामले में मील का पत्थर साबित हो सकता है. अदालत ने पश्चिम बंगाल की सरकार और कोलकाता पुलिस को आईना दिखाते हुए उनको सीमा पार नहीं करने की चेतावनी दी है. उसने कहा है कि सोशल मीडिया पर आलोचना के लिए किसी नागरिक के खिलाफ देश के दूर-दराज के हिस्से में मामले दर्ज कर उनको परेशान नहीं किया जा सकता. इसे अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है.
बोलनेकीआजादीकीरक्षा
दरअसल, रोशनी बिश्वास नामक एक 29 वर्षीय महिला ने कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान कोलकाता के मुस्लिमबहुल राजाबाजार इलाके में इसके उल्लंघन की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी. इसके बाद कोलकाता पुलिस ने उस महिला पर अपनी पोस्ट के जरिए एक खास समुदाय के प्रति नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था. उसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने उस महिला को पूछताछ के लिए कोलकाता पुलिस के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. उसकी अपील पर सुनवाई के बाद ही न्यायमूर्ति वाईबी चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने सरकार और पुलिस को लताड़ते हुए उनको सीमा में रहने की नसीहत दी है. अदालत का कहना था कि सरकार की आलोचना करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देश के किसी दूसरे हिस्से में रहने वाले नागरिकों को परेशान नहीं किया जा सकता.
खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को दी जाने वाली बोलने की आजादी की वकालत करते हुए कहा कि अगर तमाम राज्यों की पुलिस इस तरह आम लोगों को समन जारी करने लगेगी तो यह एक खतरनाक ट्रेंड बन जाएगा, "आपको सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. भारत को एक आजाद देश की तरह बर्ताव करना चाहिए. हम बतौर सुप्रीम कोर्ट बोलने की आजादी की रक्षा के लिए यहां हैं."
सरकारकेखिलाफलिखनेकीहिम्मतकैसे
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील आर बसंत ने अदालत से कहा कि महिला से सिर्फ पूछताछ की जाएगी, उनको गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. लेकिन खंडपीठ ने कहा कि पुलिस उसे मेल से सवाल भेज कर या फिर वीडियो कॉनेफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ कर सकती थी, "दिल्ली में रह रहे व्यक्ति को पूछताछ के लिए कोलकाता बुलाने का मकसद ही उसे परेशान करना है. कल को मुंबई, मणिपुर या फिर चेन्नई की पुलिस ऐसा ही करेगी. आप बोलने की आजादी चाहते हैं या नहीं." सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि कोलकाता से जांच अधिकारी को दिल्ली आकर पूछताछ करनी चाहिए. महिला से पूछताछ में सहयोग करने को कहा गया है.
सुनवाई के दौरान महिला के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि कोलकाता पुलिस का इरादा महिला को सामने बुलाने और उसे डराने-धमकाने का था. राज्य सरकार के वकील की दलील थी कि महिला को पुलिस के समक्ष पेश होना पड़ेगा. पूछताछ के लिए पेशी से छूट के नतीजे खतरनाक होंगे. इस आधार पर हर अभियुक्त खुद के बेकसूर होने का दावा करते हुए फायदा उठाने का प्रयास करेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील की खिंचाई करते हुए कहा, "ऐसा लग रहा है जैसे आप उस महिला से कहना चाहते हैं कि सरकार के खिलाफ लिखने की हिम्मत कैसे हुई. हम उसे समन के नाम पर देश के किसी भी कोने से घसीट सकते हैं.”
सरकारोंकोलेना होगा सबक
सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार की सक्रियता का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले एक कार्टून फॉरवर्ड करने के मामले में जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र को भी गिरफ्तार किया गया था. बीते साल मई में बीजेपी की युवा मोर्चा नेता प्रियंका शर्मा को भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्टून पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसे 14 दिन पुलिस हिरासत में रहना पड़ा था. उस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रियंका को जमानत पर रिहा करते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. इन दोनों के अलावा भी सोशल मीडिया पोस्ट पर सरकार की आलोचना करने वाले लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनको गिरफ्तार किया जाता रहा है.
कानूनविदों का कहना है कि शीर्ष अदालत का यह फैसला और उसकी कटु टिप्पणियां अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. लेकिन इसके लिए सरकारों को इस फैसले से सबक लेना होगा. साथ ही इस प्रवृत्ति पर अंकुश के लिए मौजूदा कानून में कुछ संशोधन भी जरूरी है ताकि किसी भी नागरिक के खिलाफ मनमाने तरीके से देश में कहीं भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सके.
हथियारकेतौरपरइस्तेमाल
कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील संजीत सेनगुप्ता कहते हैं, "सरकारें अपनी आलोचना सह नहीं पा रही हैं. इसलिए किसी पोस्ट के नागवार गुजरते ही सरकार के संकेत पर पुलिस सक्रिय हो जाती है. ऐसे मामलों का अकेला मकसद संबंधित व्यक्ति को सबक सिखाना होता है. बाद में ऐसे मामले या तो खारिज हो जाते हैं या फिर पुलिस व सरकार उनको वापस ले लेती हैं. ज्यादातर मामलों में अपराध साबित नहीं होता. लेकिन सोशल मीडिया पर खुद को अभिव्यक्त करने वाले को सजा देने की पुलिस और सरकार की मंशा तो पूरी हो जाती है.”
कानून के प्रोफेसर कुशल कुमार गांगुली कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अहम तो है. लेकिन कुछ दिनों में पुलिस और सरकारें इसको भुला देंगी. अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के प्रति सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन भी जरूरी है. इसके तहत यह अनिवार्य किया जा सकता है कि प्राथमिकी वहीं दर्ज की जा सकेगी जहां कथित अपराध हुआ है. इसके साथ ही ऐसी गलती पर सरकार या पुलिस के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि पुलिस ऐसा करने से पहले दो बार सोचे." वह कहते हैं कि फिलहाल तो राज्य की सरकारें और पुलिस इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं. इस खतरनाक प्रवृत्ति पर नकेल कसना जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो केरल के व्यक्ति की किसी पोस्ट पर पूर्वोत्तर या कश्मीर में मामला दर्ज कर उसे पूछताछ का समन भेजने जैसे मामले सामने आते रहेंगे.
श्रीनगर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को एक जेल में बदल दिया गया है, और यहां राजनेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के सदस्यों की आवाज दबाई जा रही है। गुरुवार को श्रीनगर में गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए नए भूमि कानूनों के खिलाफ पीडीपी समर्थकों ने बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया। महबूबा ने कहा कि इसके बाद गुरुवार को पीडीपी सदस्य कश्मीर में एक मार्च निकालना चाहते थे, मगर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पीडीपी कार्यालय को सील कर दिया गया।
उन्होंने कहा, "मैंने उनसे पुलिस स्टेशन में मिलने की कोशिश की, लेकिन मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई।"
उन्होंने कहा कि किसी को भी कश्मीर में बोलने की अनुमति नहीं है, चाहे वह पत्रकार हो, सिविल सोसायटी या राजनेता।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "पूरी तरह से अराजकता है। जम्मू-कश्मीर को जेल में बदल दिया गया है। वे हमारे संसाधनों को लूटना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा कि जब लद्दाख के लोगों ने विरोध किया, तो उन्हें एक विमान से दिल्ली ले जाया गया और पूछा कि उनकी क्या समस्याएं हैं, लेकिन आज लद्दाख के लोग भी पछता रहे हैं।
उन्होंने कहा, "गरीब लोगों को रोटी नहीं दी जाती है, बल्कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए कहा जाता है।" उसने कहा।
महबूबा ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए लाए गए नए कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रहेंगी।
"हम ट्विटर के राजनेता नहीं हैं, हम अंदर नहीं रहेंगे, हम बाहर आएंगे। हर दिन दिल्ली द्वारा एक नया डिक्टेट (अलोकप्रिय आदेश) जारी किया जा रहा है। अगर वे इतने मजबूत हैं तो चीन का मुकाबला क्यों नहीं कर रहे हैं, जिसने हमारे 20 जवानों को शहीद कर दिया। क्या सारा सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ही है?"
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| गुर्जर समुदाय के सैकड़ों लोगों ने गुरुवार को अमन बैसला के लिए न्याय की मांग को लेकर दिल्ली-नोएडा-डाइरेक्टवे (डीएनडी) फ्लाइवे पर प्रदर्शन किया, जिससे लगभग 2 किलोमीटर तक जाम की स्थिति पैदा हो गई। अमन बीते माह अपने घर में मृत पाया गया था। प्रदर्शनकारी दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाईवे के पास पहुंच गए और अमन बैसला की मौत के पीछे जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के लिए प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन को देखते हुए, दिल्ली पुलिस ने यमुना रिवर ब्रिज पर बैरिकेड्स लगा दिया, जिससे डीएनडी पर यातायात थम गया।
डीएनडी पर ट्रैफिक रुकने से नोएडा की ओर आने वाली महारानी बाग स्ट्रेच के पास भारी जाम लग गया।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| ट्विटर ने आज (गुरुवार) देश भर में टॉपिक्स फीचर को लॉन्च कर दिया है, इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में लॉन्च किया गया है। इसकी मदद से लोग अपनी रूची और अपनी पसंद के हिसाब से विषयों के बारे में आसानी से जान पाएंगे। टॉपिक्स फीचर में यूजर्स को अपने हिसाब से विषयों को चुनने में आसानी होगी। इससे उन्हें अपने टाइम लाइन पर इन्हीं विषयों से संबंधित अधिक चीजें देखने को मिलेंगी। यानि कि टॉपिक में लोगों को अपनी रूचि के विशिष्ट विषयों को न केवल चुनने की अनुमति मिलेगी बल्कि इसमें समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने का भी अवसर मिलेगा।
जब कोई व्यक्ति किसी एक टॉपिक को फॉलो करने का सोचता है, तो चाहें वह उसका पसंदीदा बैंड हो या स्पोर्ट्स टीम हो या कोई शहर हो, वे अपनी टाइमलाइन पर उन अकाउंटस से किए गए सभी ट्वीट्स देख पाएंगे।
ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी ने कहा, "फीचर में हिंदी टॉपिक्स का शामिल होना भाषाओं में संवाद की विविधताओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। हम भारत में ट्विटर पर लोगों के इन जीवंत वातार्लापों को देखकर बेहद रोमांचित हैं।"
हिंदी टॉपिक के तहत यूजर्स देवनागरी लिपि में ट्वीटस को देख पाएंगे और साथ ही रोमन वर्णमाला में हिंदी टाइप भी कर सकेंगे।
कोच्चि, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| केरल में मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन के पूर्व सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष ने विजयन से इस्तीफे की मांग की है। अदालत में पेश हुए शिवशंकर को सोने की तस्करी मामले में एक सप्ताह के लिए प्र्वतन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया गया है। ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामले में शिवशंकर को पांचवां आरोपी बनाया है। जबकि सोना तस्करी के मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश, पी.एस. सरिथ, संदीप नायर और फैजल फरीद हैं।
शिवशंकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईडी ने बुधवार को उन्हें राज्य की राजधानी के एक आयुर्वेद संस्थान से हिरासत में लिया था। गुरुवार सुबह ईडी ने उन्हें एर्नाकुलम के प्रिंसिपल सेशन कोर्ट में पेश किया। अदालत में शिवशंकर ने कहा कि उन्हें ईडी परेशान कर रही है। उनसे रात 1 बजे तक पूछताछ करने के बाद सुबह साढ़े 5 बजे से फिर से पूछताछ की गई। जबकि वह दो सप्ताह से आयुर्वेदिक उपचार पर हैं।
वहीं ईडी ने कहा कि शिवशंकर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एक सप्ताह की पूछताछ के लिए शीर्ष आईएएस अधिकारी को ईडी को सौंप दिया। अदालत ने ईडी से कहा है कि वे तीन घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें एक घंटे का आराम दें और वकील-डॉक्टर से मिलने की अनुमति भी दी।
गुरुवार को पूरे राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों के विभिन्न संगठनों ने विजयन के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया।
विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा, "विजयन कहां हैं, वह कुछ दिनों से दिखाई नहीं दिए। वह मामलों से इस तरह से दूर नहीं जा सकते। पहले उन्होंने स्वप्ना के साथ मीटिंग को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। फिर बार-बार बयान बदले। विजयन को सब कुछ पता है और वह इस तरह छिपकर नहीं बैठ सकते।"
राज्य के भाजपा अध्यक्ष के.सुरेंद्रन ने यह कहकर एक और धमाका कर दिया कि उनके पास ठोस जानकारी है कि इस मामले में शिवशंकर अकेले नहीं हैं।
सुरेंद्रन ने कहा कि जब विजयन यूएई में थे तब स्वप्ना भी वहां थी। उन्होंने आगे कहा, "शिवशंकर के अलावा विजयन के कार्यालय के दो और अधिकारियों की भी इसमें भूमिका है। तस्करी करने वाला गिरोह विजयन के ऑफिस भी गया था और उनके 2 राज्य मंत्रियों के साथ भी संबंध हैं। मैं इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, यह केवल राजनीतिक आरोप नहीं है।"
वहीं विजयन के करीबी नेता एम.वी. गोविंदन ने कहा कि विजयन के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा, "अगर कोई व्यक्ति नैतिक जिम्मेदारी की बात करता है तो बाप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आनी चाहिए, क्योंकि शिवशंकर केंद्रीय सेवा के अधिकारी हैं। जांच को आगे बढ़ने दें, माकपा को डरने की जरूरत नहीं है।"
इस बीच सीमा शुल्क विभाग भी शिवशंकर की हिरासत चाहता। शिवशंकर की तरफ से कोर्ट में जमानत याचिका दायर किए जाने की संभावना है।