खेल
अहमदाबाद, 2 फरवरी भारत के स्टार हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक पांड्या का मानना है कि उनमें दबाव झेलने की क्षमता विकसित हो गई है और उन्हें टीम के लिए महान महेंद्र सिंह धोनी की तरह भूमिका निभाने में कोई परेशानी नहीं है।
इस 29 साल के ऑलराउंडर को आतिशी बल्लेबाजी के जाना जाता है लेकिन हाल में श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखलाओं में टीम की अगुवाई करने वाले इस खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने पारी को संभालना सीख लिया है। पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के बाद के चरण में ऐसी भूमिका निभाया करते थे।
न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय में 168 रन की जीत के साथ श्रृंखला को 2-1 से अपने नाम करने वाले भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘ मुझे दूसरे तरीके से जिम्मेदारी लेनी है। जहां मैं हमेशा साझेदारी में विश्वास करता हूं। मैं अपनी टीम और दूसरे अधिक भरोसा और आश्वासन देना चाहता हूं कि कम से कम मैं वहां मौजूद हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस टीम (टी20 अंतरराष्ट्रीय) में शामिल अन्य खिलाड़ियों के मुकाबले अधिक क्रिकेट खेला है। ऐसे में अनुभव से मैंने दबाव को झेलने के साथ यह सुनिश्चित करना सीखा है कि हर परिस्थिति मे टीम में माहौल शांत रहे।’’
धोनी को उनके शांत व्यवहार के लिए जाना जाता है और हार्दिक का मानना है कि अब यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे एक बल्लेबाज के रूप में दिग्गज विकेटकीपर की जगह लें। वह इस भूमिका को निभाने के लिए अपने स्ट्राइक-रेट को कम करने लिए तैयार हैं।
हार्दिक ने कहा, ‘‘इस तरह, शायद मुझे अपना स्ट्राइक रेट कम करना होगा या नयी चुनौती स्वीकार करनी होगी। यह कुछ ऐसा है जिसे होते हुए मैं देख रहा हूं। मुझे इस तरह की भूमिका निभाने में कोई आपत्ति नहीं है जैसा की माही भाई (धोनी) करते थे।’’
हार्दिक ने 87 टी20 मैचों में 142.17 के स्ट्राइक रेट से 1271 रन बनाए हैं।
हार्दिक ने कहा, ‘‘इमानदारी से कहूं तो मुझे छक्के लगाना पसंद है लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर आपको बेहतर होते रहना होता है। मुझे कुछ और भूमिका निभानी है और मैं बल्लेबाजी के समय साझेदारी में विश्वास करता हूं।
भारत ने तीसरे टी20 अंतरराष्ट्रीय में शानदार लय में चल रहे शुभमन गिल की नाबाद 126 रन की पारी के बूते भारत ने चार विकेट पर 234 रन बनाने के बाद न्यूजीलैंड की पारी को 66 रन पर समेट कर 168 रन की अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की।
हार्दिक ने तेज गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई करते हुए चार विकेट झटके। उन्होंने नयी गेंद से गेंदबाजी की शुरुआत करने के बाद में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ मुझे टी 20 अंतरराष्ट्रीय में नयी गेंद से गेंदबाजी करनी होगी क्योंकि इस टीम में दूसरे गेंदबाज नये है और मैं उन्हें मुश्किल भूमिका नहीं देना चाहता। अगर उनके खिलाफ अधिक रन बन गये तो वे दबाव में आ सकते है। मैं खुद जिम्मेदारी लेकर टीम का नेतृत्व करना चाहता हूं।’’
हार्दिक ने कहा कि आगामी एकदिवसीय और टी20 अंतरराष्ट्रीय विश्व कप को देखते हुए फिलहाल उनका पूरा ध्यान सीमित ओवर की क्रिकेट पर है। उन्होंने अपना पिछला टेस्ट 2018 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। उनकी 2019 में सर्जरी हुई थी और उसके बाद से वह खेल के सबसे लंबे प्रारूप की टीम से बाहर है।
पंड्या ने कहा, ‘‘ मैं तब वापसी करूंगा जब मुझे लगेगा कि मेरे लिये टेस्ट क्रिकेट खेलने का सही समय है। अभी, मैं सफेद गेंद के क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने कर रहा हूं, जो महत्वपूर्ण है।’’ (भाषा)
मेलबर्न, 2 फरवरी | ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा का वीजा मंजूर हो गया है। गुरुवार की सुबह वो भारत के लिए रवाना हो गए। नागपुर में 9 फरवरी से शुरू होने वाली चार मैचों की बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट सीरीज के लिए वो भारत आ रहे हैं। पिछले 12 महीनों में ऑस्ट्रेलिया के सबसे शानदार बल्लेबाज ख्वाजा को भारत आने के लिए वीजा मंजूर हो गया है और टेस्ट टीम के साथ जुड़ने के लिए गुरुवार की सुबह ऑस्ट्रेलिया से भारत के लिए रवाना हो गए।
ख्वाजा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन कम उम्र में वो ऑस्ट्रेलिया चले गए। उन्होंने गुरुवार सुबह हिंदी में ट्वीट किया, इंडिया, मैं आ रहा हूं।
सलामी बल्लेबाज, जिन्हें इस सप्ताह 2022 के लिए ऑस्ट्रेलिया के मेन्स टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर का ताज मिला था, बुधवार को बेंगलुरु के लिए उड़ान नहीं भर पाए, क्योंकि वीजा के लिए मंजूरी नहीं मिली थी।
क्रिकेट डॉट कॉम डॉट एयू ने बताया, कागजी कार्रवाई बुधवार रात हुई और 36 वर्षीय के गुरुवार को उड़ान भरने की पुष्टि हुई है।
ख्वाजा बेंगलुरू में अपनी टीम के साथियों के साथ जुड़ेंगे, जहां वे सोमवार तक अलूर में प्रशिक्षण लेंगे, इसके बाद जामथा में विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेले जाने वाले सीरीज के पहले मैच के लिए नागपुर जाएंगे। (आईएएनएस)|
किम्बरले (दक्षिण अफ्रीका) 2 फरवरी। कप्तान जोस बटलर और डाविड मलान की शतकीय पारियों के बाद दो साल में अपनी पहली श्रृंखला खेल रहे तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर के छह विकेट से इंग्लैंड ने तीसरे एकदिवसीय मैच में दक्षिण अफ्रीका को 59 रन से हराकर सांत्वना जीत दर्ज की।
तीन मैचों की श्रृंखला को पहली ही गंवा चुकी इंग्लैंड की टीम इस मुकाबले में भी 14 रन पर तीन विकेट खोकर मुसीबत में थी लेकिन सलामी बल्लेबाज मलान की 118 और बटलर की 131 रन की पारियों और दोनों के बीच चौथे विकेट के लिए 232 रन की साझेदारी के दम पर उसने सात विकेट पर 346 रन बनाने के बाद दक्षिण अफ्रीका को 43.1 ओवर में 287 रन पर आउट कर दिया।
आर्चर ने दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष और मध्यक्रम के बल्लेबाजों को चलता किया। उन्होंने 9.1 ओवर में 40 रन देकर छह विकेट चटकाये। आर्चर ने दक्षिण अफ्रीका के आखिरी बल्लेबाज तबरेज शम्सी को बोल्ड कर टीम की जीत पर मुहर लगाई।
दक्षिण अफ्रीका इस साल भारत में होने वाले 50 ओवर के विश्व कप के लिए स्वत: क्वालीफाइंग हासिल करने से अब भी बाहर है और उसे हर मैच में जीत की जरूरत है। टीम के पास स्वत: क्वालीफिकेशन हासिल करने के लिए नीदरलैंड के खिलाफ दो वनडे बाकी हैं। इंग्लैंड ने इस विश्व कप के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया है।
जेसन रॉय (1), बेन डकेट (0) और हैरी ब्रूक (6) के सस्ते में पवेलियन लौटने के बाद मलान और बटलर ने शुरुआत में संभल कर बल्लेबाजी के बाद आक्रामक तेवर अपनाते हुए दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों को हावी होने का मौका नहीं दिया। मलान ने 114 गेंद की पारी में सात चौके और छह छक्के जबकि बटलर ने 127 गेंद की पारी में छह चौके और सात छक्के जड़े।
मोईन अली ने इसके बाद 23 गेंद में दो चौके और चार छक्के की मदद से 43 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली जिससे इंग्लैंड ने इस मैदान का सर्वोच्च एकदिवसीय स्कोर बनाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड श्रीलंका के नाम था। श्रीलंका ने 2012 में पांच विकेट पर 304 रन बनाये थे।
दक्षिण अफ्रीका ने इस मैच में कगिसो रबाडा और एनरिच नॉर्किया को विश्राम दिया था। लुंगी एनगिडी ने 62 रन देकर चार विकेट के साथ टीम के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे।
कोहनी और पीठ की चोटों के कारण लंबे समय तक खेल से दूर रहे आर्चर ने इस श्रृंखला के पहले मुकाबले से वापसी की। उन्होंने रासी वैन डेर डूसन (05), एडेन मार्कराम (39), डेविड मिलर (13) और दक्षिण अफ्रीका के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले हेनरिक क्लासेन (80) के अहम विकेट झटके। (एपी)
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वीज़ा मिलने में देर होने के कारण ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट खिलाड़ी उस्मान ख़्वाजा बुधवार को फ़्लाइट नहीं ले सके थे, लेकिन गुरुवार की सुबह उन्होंने ट्वीट करके बताया है कि अब वो भारत आ रहे हैं.
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा, ''इंडिया, मैं आ रहा हूं.''
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की टीम उस्मान ख़्वाजा के बिनाही बुधवार को भारत के लिए रवाना हो गई थी. ऑस्ट्रेलिया की टीम अपने भारत के दौरे पर चार टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर सिरीज़ और एक वनडे सिरीज़ खेलेगी.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी मूल का होने की वजह से उस्मान ख़्वाजा को भारत का वीज़ा मिलने में देरी हुई. हालांकि आधिकारिक तौर पर देरी के पीछे की वजहों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है.
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले ख़्वाजा ने बुधवार को एक मीम के साथ पोस्ट किया, "मैं भारत का वीज़ा मिलने का इंतज़ार कुछ तरह कर रहा हूं…"
कौन हैं उस्मान ख़्वाजा?
पाकिस्तान में पैदा हुए ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ उस्मान ख़्वाजा अब तक ऑस्ट्रेलिया के लिए 56 टेस्ट, 40 वनडे और नौ टी-20 मैच खेल चुके हैं. 36 वर्षीय उस्मान ख़्वाजा 2016 में आईपीएल में भी खेल चुके हैं.
उस्मान को सोमवार को ही ऑस्ट्रेलिया के जानेमाने स्पिन गेंदबाज़ शेन वॉर्न के नाम पर शुरू किया गया ऑस्ट्रेलिया टेस्ट प्लेयर ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड मिला है.
भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया का पहला टेस्ट नौ फ़रवरी को नागपुर में खेला जाएगा. नागपुर पहुंचने से पहले टीम चार दिन तक बेंगलुरु में अभ्यास करेगी. दोनों ही टीमें वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की दौड़ में हैं. (bbc.com/hindi)
ईस्ट लंदन, 1 फरवरी। महिला टी20 विश्व कप में अब कुछ ही दिन रह गये हैं तो हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली भारतीय टीम अपनी तैयारियों का अंतिम चरण गुरूवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ त्रिकोणीय श्रृंखला का फाइनल जीतकर खत्म करना चाहेगी।
भारत को आस्ट्रेलिया से अपनी सरजमीं पर हुई श्रृंखला में 1-4 से हार मिली थी। लेकिन टीम ने इस त्रिकोणीय श्रृंखला में वापसी कर तीन जीत दर्ज की और 10 फरवरी से शुरू हो रहे 10 टीमों के वैश्विक टूर्नामेंट से पहले अब वह टूर्नामेंट का समापन ट्राफी जीतकर करना चाहेगी।
भारत ने त्रिकोणीय श्रृंखला के शुरूआती मैच में दक्षिण अफ्रीका को मात दी लेकिन फिर लीग चरण में दोनों टीमों के बीच मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया। भारत ने वेस्टइंडीज को दो बार हराकर फाइनल में जगह बनायी।
पर विश्व कप में भारत की मुख्य चुनौती इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया जैसी टीमों को पछाड़ने की होगी।
तीन मैचों में आठ विकेट चटकाने वाली आल राउंडर दीप्ति शर्मा फाइनल में भारत के लिये अहम गेंदबाज होंगी।
वहीं आलोचनाओं से घिरी जेमिमा रोड्रिग्स ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम लीग मैच में जरूरी रन जुटाये और वह इसी निरंतरता को कायम रखना चाहेंगी।
भारत के लिये सबसे बड़ी सकारात्मक चीज पूजा वस्त्राकर की वापसी होगी जो चोट के कारण बाहर चल रही थीं।
भारत की अंडर-19 महिला टीम की पोट्चेफ्स्ट्रूम में शुरूआती अंडर-19 विश्व कप की जीत हरमनप्रीत की टीम को फाइनल के साथ आईसीसी खिताब जीतने के लिये प्रेरित कर सकती है।
टीमें इस प्रकार हैं :
भारत :
हरमनप्रीत कौर (कप्तान), स्मृति मंधाना (उप कप्तान), अंजलि सरवनी, यास्तिका भाटिया, हरलीन देओल, राजेश्वरी गायकवाड़, अमनजोत कौर, एस मेघना, मेघना सिंह, शिखा पांडे, स्नेह राणा, रेणुका सिंह, जेमिमा रोड्रिग्स, दीप्ति शर्मा, देविका वैद्य, पूजा वस्त्राकर, सुषमा वर्मा और राधा यादव।
दक्षिण अफ्रीका:
सुने लुस (कप्तान), क्लो ट्रायन (उप कप्तान), एनेके बॉश, तजमीन ब्रिट्स, नादिने डि क्लर्क, एनेरी डर्कसेन, लारा गुडाल, शबनीम इस्माइल, शिनालो जाफ्टा, मरिजाने काप, अयाबोंगा खाका, मसाबाटा क्लास, टेबोगो माचेके, नोनकुलुलेको म्लाबा, तुमी शेखुखुने, डेल्मी टकर, लौरा वोल्वार्ट।
मैच भारतीय समयानुसार शाम छह बजकर 30 मिनट पर। (भाषा)
राखी शर्मा
-'म्हारी छोरियाँ छोरों से कम हैं के!'
आमिर ख़ान की फ़िल्म दंगल के इस डायलॉग के मायने तब और बढ़ जाते हैं, जब भारत की कोई बेटी खेल के मैदान पर बाज़ी मार कर आती है.
दिल्ली की श्वेता सहरावत ने ऐसी ही बाज़ी मार कर अपनी माँ को इसी अहसास से भर दिया है.
पहले बात श्वेता सहरावत की कामयाबी की.
दक्षिण अफ़्रीका में आईसीसी अंडर-19 महिला विश्व कप का ख़िताब जीतने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा रही हैं सलामी बल्लेबाज़ श्वेता सहरावत.
दाहिने हाथ की बल्लेबाज़ श्वेता ने पूरे विश्व कप में सात मैच खेले, जिसमें उन्होंने 99 की औसत से 297 रन बनाए.
इस दौरान उन्होंने तीन अर्धशतक लगाए.
उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 92 रहा.
पचास चौके और दो छक्के
श्वेता ने पूरे टूर्नामेंट में 50 चौके और दो छक्के भी लगाए.
बेटी के करिश्माई प्रदर्शन पर पिता संजय और माँ सीमा सहरावत की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं.
संजय के दफ़्तर के लोग और दोस्त जो उनकी बेटी के क्रिकेट खेलने की बातों को अनसुना कर देते थे, आज वो सभी बधाई संदेश भेज रहे हैं.
संजय और सीमा की बड़ी बेटी स्वाति भी क्रिकेट खेला करती थीं, लेकिन पढ़ाई की वजह से वो इसे बरकरार नहीं रख पाईं.
संजय बचपन में जब स्वाति को क्रिकेट अकेडमी ले जाया करते थे, तो श्वेता भी साथ जाया करती थीं.
धीरे धीरे वो भी इसमें दिलचस्पी लेने लगीं. तब सात साल की श्वेता की ज़िद पर उन्होंने उसे भी अकेडमी में डाल दिया था.
संजय बताते हैं, "पहले तो मुझे डर था कि कहीं उसे तेज़ गेंद से चोट ना लग जाए, लेकिन जब उसने मुझे शॉट खेलकर दिखाया तो मैं हैरान था. अकेडमी में उसके कोच ने भी शुरुआती दिनों में ही मुझसे कहा था कि इस बच्ची में कुछ करंट है, ये कुछ बड़ा करेगी."
लड़कों के साथ खेल कर सीखा
ये पूछने पर कि लड़की होने की वजह से श्वेता को क्रिकेट खेलने में किसी परेशानी का सामना करना पड़ा, उनके पिता संजय बड़े उत्साह से बताते हैं, "क्रिकेट अकेडमी में श्वेता को लड़कियों ने कम और लड़कों ने ज़्यादा गेंदें डाली हैं. श्वेता को लड़की होने की वजह से क्रिकेट खेलने में कभी परेशानी नहीं हुई, बल्कि उनकी अकेडमी के लड़के उनका गेम देखना काफ़ी एंज्वॉय करते थे. वो ख़ुद आकर उसे बॉल डाला करते थे."
श्वेता की बड़ी बहन स्वाति अब क्रिकेट तो नहीं खेलती हैं, लेकिन क्रिकेट से अपने प्यार को वो बहन के ज़रिए महसूस कर खुश हैं.
स्वाति ने भी पूरा विश्व कप बड़ी बेचैनी के साथ देखा. उन्हें उम्मीद थी कि छोटी बहन ने कप जीतने का वादा किया है, तो पूरा ज़रूर करेगी.
स्वाति बताती हैं, "पिछले 3-4 दिन कैसे निकले पता ही नहीं चला. अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि टीम जीत गई है. उसे टीवी पर खेलते देखना ही हमारे लिए गर्व की बात है. मैंने ख़ुद अपने दोस्तों और दफ़्तर के साथियों से उसका मैच देखने को कहा. मेरे लिए ये बड़ी बात है."
महिला अंडर-19 का ये पहला टी-20 विश्व कप था.
आईसीसी पहले इस टूर्नामेंट को 2021 में आयोजित करना चाहती थी, लेकिन कोविड की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा.
स्वाति कहती हैं कि यंग लड़कियों को अपना टैलेंट दिखाने के लिए अब एक और प्लेटफ़ॉर्म मिल गया है.
उन्होंने कहा, "पहले लड़कियाँ रणजी और सीनियर टीम के लिए खेला करती थीं. लेकिन अंडर-19 विश्व कप ने नए दरवाज़े खोल दिए हैं और इन लड़कियों की जीत से इसे एक बढ़िया पुश मिलेगा. वीमेन क्रिकेट का ग्रॉफ़ अब तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है."
वहीं श्वेता की माँ सीमा सहरावत को इंतज़ार है बेटी के घर लौटने का.
श्वेता को घर का खाना ही पसंद आता है, तो माँ ने उनके पसंदीदा हरा साग और चूरमा बनाने की तैयारियाँ करके रखी हैं.
ये साल भारतीय महिला क्रिकेट के लिहाज़ से काफ़ी अहम है.
अंडर-19 विश्व कप के बाद अब कुछ ही दिनों में सीनियर महिला खिलाड़ियों का टी-20 विश्व कप भी शुरू हो रहा है.
इसके बाद महिलाओं के आईपीएल, यानी वीमेन प्रीमियर लीग की भी शुरुआत हो जाएगी. डब्लूपीएल का ये पहला संस्करण होगा जिसमें दिल्ली की टीम भी शामिल है.
श्वेता घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए ही खेलती आई हैं. ऐसे में अगर वो डब्लूपीएल में भी दिल्ली के लिए ही खेलती हैं, तो परिवार को इसकी ज़्यादा ख़ुशी होगी. (bbc.com/hindi)
नई दिल्ली, 31 जनवरी | भारत के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर का मानना है कि गति में विविधता के अलावा, बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह के लिए यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वह अपनी नो-बॉल गेंदबाजी के मुद्दे को सुलझाए। अर्शदीप ने जुलाई 2022 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टी20 डेब्यू किया था। इस साल के दौरान 21 मैचों में 18.12 की औसत, 13.30 की स्ट्राइक रेट और 8.17 की इकॉनमी रेट से 33 विकेट लिए।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप में भारत के लिए दस विकेट लेने के लिए जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में भी सराहनीय काम किया और यहां तक कि आईसीसी इमर्जिग मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर पुरस्कार के लिए नामांकन भी अर्जित किया।
लेकिन टी20 विश्व कप के समाप्त होने के बाद से टी20 में 10.24 इकॉनमी रेट से उन्होंने रन दिए हैं।
गंभीर ने कहा, आप अपनी गेंदबाजी में कुछ नया करने के बारे में सोचते हैं। चाहे वह धीमी बाउंसर हो या स्लो गेंदबाजी। किसी प्रकार की भिन्नता। दुर्भाग्य से, उनके पास वास्तव में बल्लेबाजों को परेशान करने की गति नहीं है। इसलिए कुछ भिन्नता विकसित करनी होगी।
गंभीर ने स्टार स्पोर्ट्स के हवाले से कहा, वह उमरान मलिक नहीं है, वह मोहम्मद सिराज नहीं है। इसलिए एक चीज जो उन्हें करने की जरूरत है, वह शायद अपनी नो बॉल के मुद्दे को सुझाना है।
अर्शदीप ने इस महीने की शुरूआत में पुणे में श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टी20 में पांच नो-बॉल फेंकी थी, जो किसी भारतीय गेंदबाज द्वारा फेंकी गई सबसे अधिक थी। न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टी20 में, अर्शदीप ने अपने आखिरी ओवर में एक नो-बॉल सहित 27 रन दिए, जिसमें भारत अंतत: हार गया।
लेकिन वह लखनऊ में गेंदबाजों की मदद वाली पिच पर भारत की छह विकेट की जीत में 2/7 लेने के साथ वापसी की। ये प्रदर्शन बेहतर है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन नो-बॉल को फेंक नहीं सकते। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, खासकर इस स्तर पर, क्योंकि इससे टीम को काफी नुकसान पहुंचता है।"
गंभीर ने कहा, केवल मूल बातें सही रखें। देखिए, विश्व कप की स्थिति आपके घर में सामान्य रूप से मिलने वाली स्थिति से पूरी तरह से अलग है। ऑस्ट्रेलिया में नई गेंद से आपको स्विंग और उछाल मिल रही थी। लेकिन जब आप उपमहाद्वीप में खेलते हैं, तो परिस्थिति बिल्कुल अलग होती है।" (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 31 जनवरी | ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने पुष्टि की है कि वह भारत के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में नहीं खेल पाएंगे, क्योंकि वह उंगली की चोट से जूझ रहे हैं। स्टार्क को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बॉक्सिंग डे टेस्ट में अपने बाएं हाथ की उंगली पर चोट लग गई और बाद में श्रृंखला के आखिरी मैच में चूक गए।
स्टार्क से उनकी फिटनेस के बारे में पूछा, तो तेज गेंदबाज ने कहा, मैं ठीक होने की कगार पर हूं अभी भी कुछ ह़फ्ते और फिर शायद दिल्ली में खिलाड़ियों से मिलेंगे। उम्मीद है कि पहला टेस्ट जीतकर दिल्ली पहुंचेंगे।"
पहला टेस्ट नौ से 13 फरवरी तक नागपुर में और दूसरा नई दिल्ली में 17 से 21 फरवरी तक होना है।
स्टार्क के अलावा, कैमरून ग्रीन भी प्रोटियाज पर बॉक्सिंग डे टेस्ट जीत के बाद से उंगली की समस्या से जूझ रहे हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई कोच एंड्रयू मैकडॉनल्ड ने कहा कि ग्रीन को श्रृंखला के शुरुआती मैच से पहले अपनी फिटनेस साबित करने का हर मौका दिया जाएगा।
मैकडॉनल्ड के हवाले से कहा गया, उन्हें खारिज नहीं किया गया है। हम सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम अपने सभी खिलाड़ियों को सफलता के लिए तैयार करें और उन्हें फिटनेस साबित करने का पूरा मौका मिले। (आईएएनएस)|
अहमदाबाद, 31 जनवरी भारतीय टीम बुधवार को यहां तीसरे और निर्णायक टी20 अंतरराष्ट्रीय में जब न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो मेजबान देश के शीर्ष क्रम के युवा बल्लेबाजों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होगा।
यह कहना उचित होगा कि रोहित शर्मा, विराट कोहली और लोकेश राहुल जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में शुभमन गिल, इशान किशन और राहुल त्रिपाठी की तिकड़ी मौकों का फायदा उठाने में नाकाम रही है।
बुधवार को होने वाले मुकाबले के बाद भारत लंबे समय तक टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले नहीं खेलेगा जिसके चलते युवा खिलाड़ियों के पास ऑस्टेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला से पहले अपनी छाप छोड़ने का अंतिम मौका है।
बांग्लादेश में दोहरा शतक जड़ने के बाद से इशान बल्लेबाजी में लय हासिल करने में नाकाम रहे हैं जबकि टर्न होती गेंद के खिलाफ गिल को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है। गिल एकदिवसीय प्रारूप की फॉर्म को टी20 में दोहराने में विफल रहे हैं। नियमित रूप से तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले कोहली की गैरमौजूदगी में मिले मौकों का त्रिपाठी फायदा नहीं उठा पाए हैं।
रविवार को सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या की पारियों ने भारत बड़ी मुश्किल से 100 रन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो पाया।
श्रृंखला की पिचें समीक्षा के दायरे में हैं और देखना होगा कि नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खिलाड़ियों को एक बार फिर स्पिन की अनुकूल पिच का सामना करना पड़ता है या नहीं।
गेंदबाजी विभाग में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव के एक साथ खेलने से भारत को विरोधी टीम पर दबाव बनाने में मदद मिली है। दूसरे टी20 में पिच से काफी मदद मिलने के बावजूद चहल से सिर्फ दो ओवर गेंदबाजी कराना काफी हैरानी भरा था जबकि इस लेग स्पिनर ने सलामी बल्लेबाज फिन एलेन को भी आउट किया था।
नोबॉल से जूझने के बाद तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह लखनऊ में शानदार लय में दिखे जिससे निर्णायक मुकाबले से पहले उनका मनोबल बढ़ा होगा।
इस श्रृंखला के साथ वापसी करने वाले पृथ्वी साव को खिलाने की मांग हो रही है लेकिन निर्णायक मैच में कप्तान पंड्या के अंतिम एकादश में बदलाव करने की संभावना नहीं है।
दूसरी तरफ न्यूजीलैंड को अपने मध्यक्रम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी। भारत में श्रृंखला जीतने की उपलब्धि न्यूजीलैंड की टीम को प्रेरित करने के लिए काफी है।
ग्लेन फिलिप्स अब तक अपनी आक्रामक बल्लेबाजी का नजारा पेश नहीं कर पाए हैं और टीम को बुधवार को उनसे मैच विजेता पारी की उम्मीद होगी। एकदिवसीय श्रृंखला में शानदार प्रदर्शन करने वाले माइकल ब्रेसबेल से भी बड़ी पारी की उम्मीद है। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले मार्क चैपमैन की नजरें भी बड़ी पारी पर टिकी हैं।
न्यूजीलैंड ने पिछले मैच में आठ गेंदबाजों का इस्तेमाल किया जिसमें चार स्पिनरों ने अपने कोटे के ओवर पूरे किए।
दो साल पहले यहां खेले गए पिछले टी20 में 200 से अधिक रन बने थे और लखनऊ में कम स्कोर वाले मैच के बाद प्रशंसकों को एक बार फिर बड़ा स्कोर देखने की उम्मीद होगी।
टीम इस प्रकार हैं:
भारत: हार्दिक पंड्या (कप्तान), सूर्यकुमार यादव, इशान किशन, शुभमन गिल, पृथ्वी साव, दीपक हुड्डा, राहुल त्रिपाठी, जितेश शर्मा, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, अर्शदीप सिंह, उमरान मलिक, शिवम मावी और मुकेश कुमार।
न्यूजीलैंड: मिशेल सेंटनर (कप्तान), फिन एलेन, माइकल ब्रेसवेल, मार्क चैपमैन, डेवोन कॉनवे, डेन क्लीवर, जेकब डफी, लॉकी फर्ग्युसन, बेंजामिन लिस्टर, डेरिल मिशेल, ग्लेन फिलिप्स, माइकल रिपन, हेनरी शिपले, ईश सोढ़ी और ब्लेयर टिकनर।
समय: मैच शाम सात बजे शुरू होगा। (भाषा)
नयी दिल्ली, 30 जनवरी। वे अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। क्रिकेट के दीवाने देश भारत में भी हालांकि महिला क्रिकेट में अंडर-19 विश्व कप के रूप में देश का पहला आईसीसी खिताब जीतने से पहले बहुत कम लोगों ने ही इन खिलाड़ियों के बारे में सुना था।
ये खिलाड़ी कौन हैं। पीटीआई भाषा आपको पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दे रहा है।
शेफाली वर्मा, कप्तान, सलामी बल्लेबाज: रोहतक की रहने वाली अंडर-19 टीम की यह कप्तान टीम की सबसे चर्चित खिलाड़ी हैं जो सीनियर स्तर पर पहले ही तीन विश्व कप फाइनल खेल चुकी है। नवंबर 2019 में 15 साल 285 दिन की उम्र में वह अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर को पछाड़कर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अर्धशतक जड़ने वाली सबसे युवा खिलाड़ बनीं।
श्वेता सहरावत, सलामी बल्लेबाज: दक्षिण दिल्ली की यह लड़की वॉलीबॉल, बैडमिंटन और स्केटिंग में हाथ आजमाने के बाद क्रिकेट से जुड़ी। खिताबी मुकाबले में 69 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए जल्दी पवेलियन लौटी लेकिन टीम के फाइनल के सफर में उनकी भूमिका अहम रही। वह सात पारियों में 99.00 की औसत और लगभग 140 के स्ट्राइक रेट से 297 रन बनाकर शीर्ष स्कोरर रहीं।
सौम्या तिवारी, उप कप्तान: अपनी मां द्वारा कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल होने वाली थापी से क्रिकेट खेलना शुरू करने वाली सौम्या तो शुरू ने उनके कोच सुरेश चियानानी ने नहीं चुना था लेकिन बाद में उन्होंने इस बल्लेबाज को मौका दिया। उन्होंने फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ सात विकेट की जीत के दौरान विजयी रन बनाए।
तृषा रेड्डी, सलामी बल्लेबाज: तेलंगाना के भद्राचलम की रहने वाली तृषा पूर्व अंडर-16 राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोंगादी रेड्डी की बेटी हैं। बचपन में ही उन्होंने अपनी आंखों और हाथ के बीच तालमेल से अपने पिता को प्रभावित किया जिन्होंने उसकी क्रिकेट महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी चार एकड़ की पैतृक भूमि बेच थी।
ऋषिता बासु, वैकल्पिक विकेटकीपर: कई अन्य खिलाड़ियों की तरह ऋषिता ने शुरुआत गली क्रिकेटर के रूप में की। कोलकाता के हावड़ा की रहने वाली ने नवंबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ पदार्पण का मौका मिलने के बाद इसका पूरा फायदा उठाया।
रिचा घोष, विकेटकीपर-बल्लेबाज: रिचा विकेटकीपर के साथ आक्रामक बल्लेबाज हैं। वह महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानती है लेकिन यह उनके पिता मानवेंद्र घोष ने जिन्होंने उनका ‘पावर गेम’ निखारने में मदद की। उन्होंने पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की टी20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में 36 और 26 रन की अहम पारियां खेलकर सुर्खियां बटोरी।
टिटास साधू, तेज गेंदबाज: उनका परिवार आयु वर्ग का क्लब चलाता है। वह 10 साल की उम्र में क्लब की क्रिकेट टीम के साथ ‘स्कोरर’ के रूप में जाती थी। फाइनल की स्टार खिलाड़ियों में शामिल टिटास अपने राज्य बंगाल की दिग्गज झूलन गोस्वामी की राह पर चल रही हैं। वह तेज गति से गेंद कराती हैं, उछाल हासिल करती हैं और गेंद को दोनों ओर स्विंग करा सकती हैं। वह अपने पिता की तरह फर्राटा धाविका बनना चाहती थी। उन्होंने 10वीं की बोर्ड परीक्षण में 93 प्रतिशत अंक जुटाए लेकिन क्रिकेट में करियर बनाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी।
सोनम यादव, बाएं हाथ की स्पिनर: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की 15 साल की इस स्पिनर के पिता मुकेश कुमार कांच की फैक्टरी में काम करते हैं। उन्होंने सबसे पहले लड़कों के साथ खेलना शुरू किया और उनकी रुचि को देखते हुए मुकेश ने अपनी बेटी को एक अकादमी के साथ जोड़ दिया। बल्लेबाज के रूप में शुरुआत करने वाली सोनम अपने कोच की सलाह पर गेंदबाजी करने लगी।
मन्नत कश्यप, बाएं हाथ की स्पिनर: हवा में तेज गति से गेंद करने वाली मन्नत का एक्शन सोनम से बेहतर है। पटियाला की रहने वाली यह खिलाड़ी लड़कों के साथ गली क्रिकेट खेलते हुए बड़ी हुई और अपनी एक रिश्तेदार के कहने पर खेल को गंभीरता से लेने लगी।
अर्चना देवी, ऑफ स्पिन ऑलराउंडर: अपने क्रिकेट सफर की शुरुआत से पहले ही कैंसर के कारण अपने पिता का गंवाने वाली अर्चना का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रताई पूर्वा गांव के एक गरीब परिवार में हुआ। एक दिन अर्चना के मारे शॉट पर गेंद ढूंढते समय सांप के काटने के कारण उनके भाई बुद्धिराम की मौत हो गई। उनके भाई ने ही अर्चना के क्रिकेटर बनने की इच्छा जताई थी।
पार्श्वी चोपड़ा, लेग स्पिनर: बुलंदशहर की इस लड़की की स्केटिंग में रुचि थी लेकिन उन्हें क्रिकेट देखना भी पसंद था। पहले प्रयास में नाकाम रहने के बाद उन्हें एक साल बाद राज्य के ट्रायल में चुना गया। उन्होंने विश्व कप में छह मैच में 11 विकेट चटकाए और श्रीलंका के खिलाफ पांच रन देकर चार विकेट हासिल किए।
फलक नाज, तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर: टूर्नामेंट में फलक को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अभ्यास मैच में इस तेज गेंदबाज ने किफायती गेंदबाजी करते हुए तीन ओवर में सिर्फ 11 रन दिए लेकिन उन्हें विकेट नहीं मिला। उनके पिता नासिर अहमद उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में काम करते हैं और उनकी मां गृहणी है।
हर्ले गाला, ऑलराउंडर: मुंबई में एक गुजराती परिवार में जन्मीं हर्ले ने 15 साल की उम्र में सीनियर टीम के साथ पदार्पण किया। उन्होंने घरेलू मैच में शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा के विकेट चटकाकर लोगों का ध्यान खींचा था।
सोनिया मेधिया, बल्लेबाजी ऑलराउंडर: हरियाणा की सोनिया ने टूर्नामेंट में चार मैच खेले लेकिन उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। उन्होंने पांच ओवर में 30 रन दिए।
शब्बम एमडी, तेज गेंदबाज: विशाखापत्तनम की इस 15 वर्षीय तेज गेंदबाज ने दो मैच खेले और एक विकेट चटकाया। उनके पिता नौसेना में हैं और वह भी तेज गेंदबाज थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 30 जनवरी। विश्व कप में खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय पुरूष हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड और सहयोगी स्टाफ के दो अन्य सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है जिसे हॉकी इंडिया ने स्वीकार कर लिया ।
रीड के कोच रहते तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम ओडिशा में हुए विश्व कप में क्वार्टर फाइनल में जगह नहीं बना सकी और नौवें स्थान पर रही ।
रीड के अलावा विश्लेषण कोच ग्रेग क्लार्क और वैज्ञानिक सलाहकार मिशेल डेविड पेम्बरटन ने भी त्यागपत्र दे दिया है ।
हॉकी इंडिया द्वारा जारी बयान के अनुसार रीड ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की को विश्व कप खत्म होने के एक दिन बाद इस्तीफा सौंपा । टिर्की और हॉकी इंडिया के महासचिव भोलानाथ सिंह ने टीम के प्रदर्शन पर चर्चा के लिये रीड और अन्य सहयोगी स्टाफ से मुलाकात की थी ।
रीड के अलावा क्लार्क और डेविड ने भी सोमवार को सुबह इस्तीफे दे दिया । तीनों अगले महीने नोटिस पीरियड में रहेंगे ।
रीड ने कहा ,‘‘ अब मेरे लिये अलग होने और नये प्रबंधन को कमान सौंपने का समय है । इस टीम और हॉकी इंडिया के साथ काम करने में बहुत मजा आया । इस शानदार सफर के हर पल का मैने आनंद लिया । टीम को भविष्य के लिये शुभकामनायें ।’’
रीड और उनकी टीम के साथ भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक कांस्य पदक जीता था । इसके अलावा टीम ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और एफआईएच प्रो लीग 2021 . 22 सत्र में तीसरा स्थान हासिल किया ।
रीड के कोच रहते भारतीय टीम ने 2019 में एफआईएच विश्व सीरिज फाइनल्स जीता था । इसके बाद भुवनेश्वर में ओलंपिक क्वालीफायर जीतकर तोक्यो खेलों के लिये क्वालीफाई किया ।
रीड समेत तीनों के इस्तीफे स्वीकार करते हुए हॉकी इंडिया अध्यक्ष टिर्की ने कहा ,‘‘ग्राहम रीड और उनकी टीम का भारत सदैव ऋणी रहेगा जिन्होंने हमें अच्छे नतीजे दिये । खासकर ओलंपिक खेल में । हर यात्रा में नये पड़ाव आते हैं और अब हमें भी टीम के लिये नयी सोच के साथ आगे बढना होगा ।’’ (भाषा)
मुंबई, 30 जनवरी | क्रिकेट के दिग्गज और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पदाधिकारी बुधवार को अहमदाबाद में दक्षिण अफ्रीका में पहले आईसीसी अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप में ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम को सम्मानित करेंगे। रविवार को पोटचेफस्ट्रूम में शेफाली की टीम ने शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन के साथ-साथ शानदार क्षेत्ररक्षण के दम पर इंग्लैंड को सिर्फ 68 रन पर ढेर कर दिया था।
तेज गेंदबाज तीतस साधु, ऑफ स्पिनर अर्चना देवी और लेग स्पिनर पार्शवी चोपड़ा अपनी लाइन और लेंथ में सटीक थीं और उन्हें पर्याप्त मदद मिली। उन्होंने दो-दो विकेट लिए। जबकि शेफाली, मन्नत कश्यप और सोनम यादव ने दबदबे वाली गेंदबाजी में एक-एक विकेट हासिल किया।
अंडर-19 महिला टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे और अंतिम टी20 मैच की शुरुआत से ठीक पहले भारतीय समयानुसार शाम 6:30 बजे नरेंद्र मोदी स्टेडियम में सम्मानित किया जाएगा।
बीसीसीआई सचिव जय शाह ने सोमवार को एक ट्वीट में लिखा, मुझे बहुत खुशी हो रही है कि भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और बीसीसीआई के पदाधिकारी 1 फरवरी को नरेंद्र मोदी स्टेडियम में शाम 6:30 बजे विजयी भारत अंडर19 टीम को सम्मानित करेंगे।
जय शाह ने कहा, युवा क्रिकेटरों ने भारत को गौरवान्वित किया है और हम उनकी उपलब्धियों का सम्मान करेंगे।
रविवार को, शाह ने अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम और सहयोगी स्टाफ के लिए 5 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की थी, जब उन्होंने इंग्लैंड को सात विकेट से हरा दिया था।
शाह ने भारतीय अंडर-19 महिला टीम को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में जश्न का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया था, जब बुधवार को भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीसरा टी20 मैच खेला जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 जनवरी | पूर्व भारतीय कप्तान अंजुम चोपड़ा ने महिला टीम की दक्षिण अफ्रीका में पहले अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप जीतने पर तारीफ की और कहा कि टूर्नामेंट जीतने के लिए देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना बड़ी बात है। उन्होंने कहा, सबसे पहले विश्व कप जीतना बड़ी बात है और फिर अंडर-19 महिलाओं का पहला विश्व कप जीतना, जिससे भारत का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, बड़ी बात है। वैसे महिला क्रिकेट टीम कई बार वल्र्ड कप का सेमीफाइनल खेला और कई बार फाइनल में पहुंचा, लेकिन कभी ट्रॉफी नहीं जीत पाई।
अंजुम ने भारत के पूर्व पुरुष खिलाड़ी आकाश चोपड़ा से जियो सिनेमा के नए दैनिक शो 'आकाशवाणी' पर कहा, तो, मैं समझती हूं कि यह एक बहुत ही अलग एहसास है और अब ऐसा लग रहा है कि काश हम छोटे बच्चे होते और एक बार फिर से खेलने का मौका मिलता, ऐसा मैं महसूस करती हूं। मैं इतनी उत्साहित हूं कि खुशी की कोई सीमा नहीं है, और यह दिखता है जैसे मैंने विश्व कप जीता है। यह सभी क्रिकेटरों के लिए उनके उज्जवल भविष्य के लिए एक सुनहरा अवसर है।"
रविवार को पोटचेफस्ट्रूम में, शेफाली वर्मा की टीम ने शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन के साथ-साथ कुछ शानदार क्षेत्ररक्षण के दम पर इंग्लैंड को सिर्फ 68 रन पर समेट दिया।
शेफाली की टीम ने शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन के साथ-साथ कुछ शानदार क्षेत्ररक्षण के दम पर इंग्लैंड को सिर्फ 68 रन पर ऑलआउट कर दिया। तेज गेंदबाज तीतास साधु, ऑफ स्पिनर अर्चना देवी और लेग स्पिनर पार्शवी चोपड़ा अपनी लाइन और लेंथ में सटीक थीं और उन्हें पर्याप्त मदद मिली। उन्होंने दो-दो विकेट लिए। जबकि शेफाली, मन्नत कश्यप और सोनम यादव ने दबदबे वाली गेंदबाजी में एक-एक विकेट हासिल किया।
इसके बाद 69 रनों का पीछा करते हुए धीमी पिच पर भारत ने पहले चार ओवरों में शेफाली और श्वेता सहरावत को खो दिया।
लेकिन सौम्या तिवारी (नाबाद 24) और गोंगाडी तृषा (24) ने तीसरे विकेट के लिए 46 रन की साझेदारी कर लक्ष्य का पीछा 14 ओवर में पूरा किया और भारत को महिला क्रिकेट में उसका पहला विश्व कप खिताब दिलाया।
अंजुम ने आगे बताया कि सलामी बल्लेबाज श्वेता सहरावत, जो 297 रनों के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी थीं, साथ ही लेग स्पिनर पार्शवी चोपड़ा, जिन्होंने 11 विकेट लिए और ऑफ स्पिनर अर्चना देवी विजयी भारतीय अंडर19 टीम के भविष्य के सुपरस्टार होंगी।
उन्होंने कहा, श्वेता सहरावत इस भारतीय टीम में मेरी सर्वोच्च और शीर्ष क्रम की खिलाड़ी हैं। वह उनमें से एक हैं जिन्होंने इस विश्व कप में सबसे अलग प्रदर्शन किया है। वह लगभग प्लेयर ऑफ द सीरीज से चूक गई थीं। वास्तव में, वह इस पूरे विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी हैं और उन्होंने तीन मैच जीते हैं और प्लेयर ऑफ द मैच भी जीता है। इसलिए, इन सभी चीजों को जोड़कर, मुझे लगता है कि श्वेता सहरावत मेरे लिए नंबर वन खिलाड़ी होंगी। (आईएएनएस)|
लखनऊ, 30 जनवरी | कम स्कोर वाले दूसरे टी20 मैच में भारत के फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव ने 31 गेंदों पर नाबाद 26 रन बनाकर तीन मैचों की श्रृंखला में 1-1 से बराबरी करने में मदद की। अब बुधवार को अहमदाबाद में एक निर्णायक मुकाबला खेला जाएगा। स्पिनरों की मददगार वाली पिच पर न्यूजीलैंड के पांच स्पिनरों ने भारत को नियंत्रण में रखा। लेकिन सूर्यकुमार और कप्तान हार्दिक पांड्या ने 32 गेंदों पर नाबाद 31 रनों की साझेदारी कर भारत को 100 रनों के लक्ष्य तक पहुंचाया।
प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार लेने वाले सूर्यकुमार ने बीसीसीआई द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि उन्हें खुद पर भरोसा था कि वे अंत तक क्रीज पर टिके रहे और तो आखिरी ओवर में भारत को जिताएंगे।
उन्होंने कहा, मैं एक स्पष्ट मानसिकता के साथ मैदान पर था कि यह खेलने के लिए एक कठिन विकेट है और किसी के लिए आखिरी तक खेलना महत्वपूर्ण था। छोटी साझेदारी बनाना और परिस्थितियों के अनुकूल होना भी उतना ही महत्वपूर्ण था।
उन्होंने आगे कहा, मुझे पता था कि मैं जिस पिच पर खुलकर खेलता हूं, यह उससे बिल्कुल अलग पिच थी। मुझे विश्वास था कि अगर मैं आखिरी ओवर तक टिके रहा, तो मैं आखिरी ओवर में भी मैच जीत सकता हूं। जब हार्दिक आए, तो हमने बातचीत की और मैच को अंत तक ले जाने की योजना बनाई।
आखिरी दो गेंदों पर तीन रनों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हम मैच जीतने के लिए काफी आश्वस्त थे और हार्दिक और मैं बातचीत कर रहे थे कि अगर हममें से कोई बड़ा हिट लगता है, तो मैच हमारा होगा। हम घबराए नहीं और हार्दिक के साथ बातचीत बहुत महत्वपूर्ण थी।
मजाकिया अंदाज में सूर्यकुमार ने अपनी बल्लेबाजी के टिप्स के लिए युजवेंद्र चहल को श्रेय दिया और कहा, धन्यवाद, मैं आपके बल्लेबाजी टिप्स का उपयोग कर रहा हूं। आप मेरे बल्लेबाजी कोच हैं। वह मुझे सब कुछ सिखाते हैं।
वीडियो में, चाइनामैन कुलदीप यादव ने लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल से भारत के लिए टी20 में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बनने के बारे में पूछा, जो उन्होंने दूसरे टी20 के दौरान हासिल की।
उन्होंने कहा, किसी भी प्रारूप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज होना अच्छा लगता है। जब मैंने खेलना शुरू किया तो मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा था। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 30 जनवरी | भारत के सलामी बल्लेबाज मुरली विजय ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी है। विजय ने आखिरी बार 2018 पर्थ टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जबकि उनकी राज्य की टीम तमिलनाडु के लिए उनका आखिरी प्रदर्शन दिसंबर 2019 में रणजी ट्रॉफी में हुआ था। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए एक आधिकारिक बयान में कहा, आज, मैं अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा करता हूं। 2002-2018 की मेरी यात्रा मेरे जीवन का सबसे शानदार वर्ष रहा है, क्योंकि यह खेल के उच्चतम स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान था।
भारत के लिए अपने 61 टेस्ट में, विजय ने 38.29 की औसत से 3982 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 15 अर्धशतक शामिल थे। वो 2014 के इंग्लैंड के टेस्ट दौरे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी थे। उन्होंने भारत के लिए 17 वनडे और नौ टी20 में भी भाग लिया, जिसमें क्रमश: केवल 339 और 169 रन बनाए।
उन्होंने कहा, "मैं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (टीएनसीए) और चेन्नई सुपर किंग्स द्वारा मुझे दिए गए अवसरों के लिए आभारी हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "मेरी टीम के सभी साथियों, कोचों, मेंटर्स और सहयोगी स्टाफ के साथ पल बिताना सौभाग्य की बात है, और मैं आप सभी को मेरे सपने को हकीकत में बदलने में मदद करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
अपने प्रथम श्रेणी करियर में, विजय ने 135 मैच खेले हैं, जिसमें 9205 रन बनाए हैं, जिसमें 25 शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में, विजय 2010, 2011 और 2018 में ट्रॉफी जीतने वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम के अभिन्न सदस्य थे।
विजय ने कहा, क्रिकेट प्रशंसकों ने अंतर्राष्ट्रीय खेल के उतार-चढ़ाव बाद भी मेरा समर्थन किया है। मैं हमेशा उन पलों को संजो कर रखूंगा जो मैंने आप सभी के साथ बिताए हैं और आपका समर्थन हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है।
उन्होंने आगे कहा, अंत में, मैं अपने परिवार और दोस्तों को मेरे करियर के दौरान प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। उनके बिना मैं वह हासिल नहीं कर पाता जो आज मेरे पास है।
उन्होंने बताया, मैं यह घोषणा करने के लिए उत्साहित हूं कि मैं क्रिकेट की दुनिया में नए अवसरों की खोज करूंगा, जहां मैं उस खेल में भी भाग लेना जारी रखूंगा जिसे मैं प्यार करता हूं और नए वातावरण में खुद को चुनौती दे सकता हूं। (आईएएनएस)|
नई दिल्ली, 30 जनवरी । मुरली विजय ने सोमवार को इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारूपों से रिटायर होने का एलान किया है.
ट्विटर पर उन्होंने एक पत्र जारी करके ये सूचना दी.
इस पत्र में उन्होंने कहा है कि इंटरनेशनल स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात रही.
विजय ने इस ट्वीट में बीसीसीआई, तमिलनाडु क्रिकेट संघ, आईपीएल और चेन्नई सुपर किंग्स को भी टैग करते हुए लिखा है कि वे क्रिकेट खेलने का मौक़ा देने के लिए सबके आभारी हैं.
उन्होंने अपने सपने को सच करने में सहयोग देने के लिए अपने साथी खिलाड़ियों, कोच, मेंटर और सपोर्ट स्टाफ का शुक्रिया अदा किया है.
विजय ने क्रिकेट प्रशंसकों का भी शुक्रिया अदा किया है. उन्होंने अपने परिजनों और दोस्तों को भी धन्यवाद दिया है.
मुरली विजय ने 61 टेस्ट में कुल 3,982 रन बनाए, जबकि 17 वनडे में 339 रन. टेस्ट में इन्होंने 12 सेंचुरी और 15 हाफ़ सेंचुरी बनाई है. टेस्ट में इनका बैटिंग औसत 38.3 का रहा. (bbc.com/hindi)
लखनऊ, 30 जनवरी चार बरस की उम्र में अपने पिता को खो चुकी अर्चना देवी ने विषम परिस्थितियों में भी अपनी मां की मेहनत और गुरू की लगन के दम पर अपने क्रिकेट के शौक को जिंदा रखा और उसे परवान चढाया भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव के सहयोग ने ।
अर्चना देवी निषाद पहला अंडर 19 महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय टीम की सदस्य हैं । दक्षिण अफ्रीका में इंग्लैंड के खिलाफ अंडर 19 महिला क्रिकेट विश्व कप फाइनल में अर्चना देवी ने तीन ओवर में 17 रन देकर दो विकेट हासिल किए ।
उनकी इस कामयाबी के पीछे बलिदानों का लंबा सिलसिला है जिसकी शुरूआत उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव में पुआल से बने घर से हुई ।
मां सावित्री देवी ने कैंसर के कारण अपने पति को खो दिया था जब अर्चना मात्र चार साल की थी । ऐसे में अपनी बेटी के सपनों को जिंदा रखना उनके लिये कतई आसान नहीं था । उन्हें क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता लेकिन अपनी बेटी की उपलब्धि पर गर्व है ।
सावित्री ने कहा,' क्रिकेट के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हूं लेकिन अपनी बिटिया को मैदान पर खेलते देख बहुत खुश हूं । कल रात उसने फोन पर बात करते हुए कहा था कि अम्मा हम जीत गयें । तब से मन बहुत खुश हैं, काश उसके बापू भी इस खुशी में शामिल होते ।'
उन्होंने कहा ,'कल रात से गांव में लडडू बांट रहे हैं और जब बिटिया लौटेंगी तो और लडडू बांटेंगे ।'
अर्चना के भाई ने बताया कि उन्हें डर था कि बार बार बिजली जाने के कारण वे शायद फाइनल मैच नहीं देख पायेंगे लेकिन जब स्थानीस पुलिस के एक अधिकारी को इस बात का पता चला तो उन्होंने उनके घर पर इन्वर्टर और बैटरी भेजी और पूरे गांव ने साथ में टीवी पर मैच देखा ।
कुलदीप और अर्चना के कोच कपिल पाडेंय ने कहा ,‘‘ मैच जीतने के बाद रविवार रात अर्चना से बात हुई थी जो अपनी जीत से बहुत खुश थी और अब उसका सपना टीम इंडिया के लिए खेलना है ।'
राजधानी लखनऊ से करीब सौ किलोमीटर दूर उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के गंगा कटरी के गांव रतई पुरवा में भारत की जीत के बाद से खुशी का माहौल हैं । मैच समाप्त होने के बाद गांव में लोगों ने नाच गाकर जश्न भी मनाया ।
रोहित ने बताया कि छठी कक्षा में अर्चना का दाखिला गंजमुरादाबाद स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया गया जहां शिक्षिका पूनम गुप्ता ने उनकी खेल प्रतिभा को पहचाना । आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पूनम उसे लेकर कानपुर में पांडेय के पास ले गयी ।
पांडेय ने बताया ,'2017 में जब अर्चना मेरे पास आयी तो मैने उससे गेंदबाजी करायी तो मुझे उसके अंदर छिपी प्रतिभा का पता चल गया । लेकिन उसके पास संसाधन नही थे और कानपुर में ठिकाना नहीं था । उसका गांव कानपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर था और वह रोज आ जा नहीं सकती थी ।' पांडे ने पूनम और कुछ अन्य लोगो के सहयोग से उसे कानपुर की जेके कालोनी में किराये पर एक कमरा दिलवा कर उसके रहने और खाने का इंतजाम करवाया । इसके बाद कुलदीप ने उसे क्रिकेट किट दिलवाई ।
पांडे ने कहा ,'जब कुलदीप कानपुर में होते तो वह अर्चना सहित अन्य बच्चों के साथ अभ्यास करते और उन्हें क्रिकेट की बारीकियां सिखाते । पहले अर्चना मध्यम तेज गेंदबाजी करती थी लेकिन बाद में मैने उसे आफ स्पिन डालने को कहा और फिर वह एक अच्छी आफ स्पिनर बन गयी ।' (भाषा)
पोशेफ्स्ट्रूम , 30 जनवरी अंडर 19 विश्व कप में खिताबी जीत से आहलादित भारत की चैम्पियन बल्लेबाज शेफाली वर्मा के लिये यह महज एक शुरूआत है और उनका इरादा दो सप्ताह बाद सीनियर टीम के साथ इस सफलता को दोहराने का है ।
महिला टी20 विश्व कप दस फरवरी से दक्षिण अफ्रीका में खेला जाना है और यहीं पर भारतीय अंडर 19 टीम ने शेफाली की कप्तानी में पहला टी20 विश्व कप जीतकर इतिहास रचा है ।
उन्नीस वर्ष की शेफाली भारत की सीनियर टीम का भी हिस्सा हैं और वह दूसरी बार खिताब जीतकर दक्षिण अफ्रीका दौरे को यादगार बनाना चाहती है ।
जीत के बाद उसने कहा ,‘‘ मैं जब यहां आई तो फोकस अंडर 19 विश्व कप पर था लेकिन उसे हम जीत चुके हैं । अब नजरें सीनियर विश्व कप पर हैं । मैं इस जीत को भुलाकर अब सीनियर विश्व कप पर फोकस करूंगी ।’’
शेफाली उस भारतीय टीम का भी हिस्सा थी जो 2020 टी20 विश्व कप फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार गई थी ।
उसने कहा कि उस हार की टीस अभी भी सालती है ।
उसने कहा ,‘‘ मेलबर्न में खेला गया फाइनल मेरे लिये काफी जज्बाती था । हम उस मैच को जीत नहीं सके थे ।’’
शेफाली ने कहा ,‘‘ जब मैं अंडर 19 टीम से जुड़ी तो बस यही सोचती थी कि हमें विश्व कप जीतना है ।मैं लड़कियों से यही कहती थी कि हमें जीतना ही है और हम जीत गए ।’’
उसने कहा ,‘‘ हम विश्व कप हारने के बाद खूब रोये थे लेकिन अब ये खुशी के आंसू हैं । हम जो जीतने आये थे, वह हमने जीता ।’’
पुरस्कार वितरण के समय अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सकी शेफाली ने कहा ,‘‘ मैने आंसू रोकने की कोशिश की लेकिन रोक नहीं सकी । मैं आगे भी अच्छा प्रदर्शन करके भारत के लिये रन बनाती रहूंगी । लेकिन इस विश्व कप से ही संतोष नहीं है । यह तो अभी शुरूआत भर है ।’’ (भाषा)
बुलंदशहर (उप्र), 30 जनवरी। अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट में भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाली बुलंदशहर की हरफनमौला खिलाड़ी पार्श्वी चोपड़ा कभी स्केटिंग की दीवानी थीं लेकिन अब क्रिकेट ही उनकी जिंदगी बन गया है।
भारत ने पहले महिला अंडर-19 टी-20 विश्व कप के फाइनल में रविवार को इंग्लैंड को सात विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा कर लिया। इस जीत में 16 वर्षीय लेग ब्रेक गेंदबाज पार्श्वी ने चार ओवर में मात्र 13 रन देकर दो महत्वपूर्ण विकेट लिए।
भारत की ऐतिहासिक जीत पर जहां देश भर में जश्न का माहौल है, वहीं बुलंदशहर के सिकंदराबाद में पार्श्वी के पिता गौरव चोपड़ा के घर में भी खुशियां छाई हुई हैं। भारत की खिताबी जीत के बाद पार्श्वी के पैतृक निवास सिकंदराबाद में ढोल की धुन पर उनके तमाम रिश्तेदारों ने जमकर नृत्य किया और मिठाइयां बांटी।
पार्श्वी के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा ,‘‘ पार्श्वी बचपन से ही क्रिकेट मैच देखती थी। मगर शुरुआत में उसे स्केटिंग का जुनून था और वह इसमें काफी अच्छा कर रही थी लेकिन स्केटिंग से उसका मन अचानक हटकर क्रिकेट में लग गया। अब क्रिकेट ही उसकी जिंदगी बन चुका है।’’
चोपड़ा ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनकी बेटी ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा है।
उन्होंने कहा ,‘‘ हमने कभी पार्श्वी की कोचिंग में कोई कमी नहीं होने दी। पार्श्वी ने दो अकादमी जॉइन की हैं ताकि उसे रोजाना सीखने का मौका मिले। एक अकादमी हफ्ते में तीन से चार दिन ही चलती है।’’
उन्होंने कहा कि पार्श्वी ने सफलता की पहली सीढ़ी हासिल की है। अभी बहुत लंबा सफर है और सीखने की उम्र तो कभी खत्म नहीं होती है। (भाषा)
पार्श्वी की मां शीतल चोपड़ा ने बताया कि पार्श्वी जब 10 साल की थी तब से खेल पर मेहनत कर रही है। वह जब 12 साल की थी तब उसने अपना पहला ट्रायल दिया था, लेकिन तब उसका चयन नहीं हो पाया था। उसके बाद 13 साल की उम्र में उसका चयन हुआ। वह अंडर-16 भी खेल चुकी है।
भारत ने फ़ाइनल मुक़ाबले में इंग्लैंड पर सात विकेट से ज़ोरदार जीत दर्ज की. भारत ने इंग्लैंड की ओर से मिले 69 रन के लक्ष्य को 14वें ओवर में ही हासिल कर लिया.
भारत की दोनों ओपनर सस्ते में ही पैवेलियन लौट गईं लेकिन सौम्या तिवारी (नाबाद 24 रन) और गोंगदी त्रिशा (24 रन) ने टीम पर दबाव नहीं आने दिया.
भारत के लिए कप्तान शेफ़ाली वर्मा ने 15 और श्वेता सहरावत ने पांच रन बनाए. भारत के पहले दो विकेट गिरे तो स्कोर था 20 रन. इसके बाद त्रिशा और सौम्या के बीच 46 रन की साझेदारी हुई.
इस साझेदारी ने इंग्लिश टीम को मैच से लगभग बाहर कर दिया. जब जीत सिर्फ़ तीन रन दूर थी तब त्रिशा आउट हो गईं.
टॉस रहा भारत के नाम
दक्षिण अफ़्रीका के पोचेफ़स्ट्रॉम में खेले जा रहे फ़ाइनल मैच में भारतीय अंडर 19 टीम की कप्तान शफ़ाली वर्मा ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को बल्लेबाज़ी के लिए बुलाया.
भारतीय गेंदबाज़ों ने कप्तान का फ़ैसला सही साबित कर दिखाया. इंग्लैंड टीम के टॉप ऑर्डर की कोई बल्लेबाज़ विकेट पर टिकने का दम नहीं दिखा सकीं.
इंग्लैंड की पूरी टीम 17.1 ओवर में ढेर हो गई. इंग्लैंड के खिलाड़ी सिर्फ़ 68 रन जुटा पाए.
पांचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी के लिए आईं रियान मैक्डॉनल्ड गे (19 रन), सातवें नंबर पर खेलने आईं एलेक्सा स्टोनहाउस (11 रन), दसवें नंबर पर खेलने उतरीं सोफिया (11 रन) और तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी के लिए उतरीं एन हॉलैंड (10 रन) ही दहाई का आंकड़ा पार कर सकीं..
भारत की दमदार गेंदबाज़ी
टीम की कोई और खिलाड़ी दहाई के अंक तक नहीं पहुंच सकीं. इंग्लिश टीम की पांच खिलाड़ी सिर्फ़ 39 रन के स्कोर पर पैवेलियन लौट चुकी थीं.
भारत के लिए टिटास साधू, पार्श्वी चोपड़ा और अर्चना देवी ने दो-दो विकेट लिए.
भारतीय टीम ने सेमीफ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड और इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर फ़ाइनल में जगह बनाई थी.
मैच के दौरान भारतीय महिला क्रिकेट टीम का उत्साह बढ़ाने के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी नीरज चोपड़ा भी स्टेडियम पहुंचे थे.
विश्व कप जीतने के बाद सोशल मीडिया पर बधाई का सिलसिला भी शुरू हो गया. बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने ट्वीट कर पूरी टीम और पूरे सपोर्ट स्टाफ़ को 5 करोड़ रुपये की इनामी राशि देने की भी घोषणा की.
जय शाह ने लिखा, "भारत में महिला क्रिकेट उफान पर है और विश्व कप की जीत ने महिला क्रिकेट का कद कई पायदान ऊंचा कर दिया है. पूरी टीम और सपोर्ट स्टाफ़ के लिए 5 करोड़ रुपये की ईनामी राशि की घोषणा करते हुए मुझे खुशी हो रही है. यह वास्तव में नई मिसाल कायम करने वाला साल है." (bbc.com/hindi)
कीर्ति
"घर में वो मोगरी (कपड़े धोने वाले बैट) से खेलती थी. फिर सौम्या और उसकी बड़ी बहन साक्षी घर के नीचे क्रिकेट खेलने लगीं और कुछ दिनों बाद मोहल्ले के मैदान में. बहन ही उसे अरेरा क्रिकेट क्लब लेकर गई और अब वो अंडर-19 टीम की उपकप्तान हैं."
स्कूटर संभालकर सौम्या के पिता मनीष तिवारी ने बड़े इत्मीनान से अपनी बिटिया के बारे में कई बातें कहीं.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अंडर-19 टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड को सात विकेट से हरा दिया है. इस मैच में सबसे अधिक नाबाद 24 रन सौम्या तिवारी ने बनाए.
सौम्या भोपाल की पहली महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनी है. भोपाल की अरेरा अकादमी से इंडिया टीम तक का सफ़र उन्होंने महज़ छह साल में ही पूरा कर लिया.
सौम्या के पिता मनीष तिवारी कलेक्टर दफ़्तर की निर्वाचन शाखा में सुपरवाइज़र हैं. वो ख़ुद भी क्रिकेट खेलते थे, लेकिन 1986 में स्कूटर से ऐसा हादसा हुआ कि पैर की हड्डी के दो टुकड़े हो गए और पेशेवर क्रिकेट खेलने का सपना भी टूट गया. लेकिन मनीष तिवारी का यह सपना उनकी बेटी की आंखों में पलने लगा.
कैसे हुई शुरुआत
तिवारी कहते हैं, "हम पुराने भोपाल के शाहजहानाबाद में रहते थे. 2000 के बाद नए भोपाल के गौतम नगर इलाक़े में आए. मुझे क्रिकेट खेलने और देखने का शौक़ था, इसलिए मेरे साथ पूरा परिवार भी क्रिकेट का शौक़ीन बन गया.
"सौम्या मोगरी और प्लास्टिक की बॉल से घर में क्रिकेट खेलती थी. 5 साल की उम्र में मोहल्ले के मैदान में बच्चों को क्रिकेट खेलता देख उसे पैड और हेलमेट पहनने का शौक़ पैदा हुआ. 2016 में गर्मी की छुट्टियों के दौरान उसकी बहन उसे ओल्ड कैंपियन स्कूल में समर कैंप में लेकर गई.''
वो कहते हैं, "दूसरे दिन जब वो आई तो ज़िद करने लगी कि सर ने कहा है क्रिकेट की किट चाहिए. मैंने समझाने की कोशिश की, तो वो अड़ गई और कहा कि सर ने कहा है कि किट के साथ ही मैदान में आना है तो मैंने सबसे सस्ता किट खरीद कर दे दिया. अब हमारे ज़माने में तो हम एक पैड से, कॉर्क बॉल से मैट पर खेलते थे, लेकिन सौम्या ने पूरा किट ख़रीदा."
सौम्या ऑलराउंडर हैं. ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी के साथ वो ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी भी करती हैं. 6-7 सालों के सफ़र में उन्होंने ये कामयाबी हासिल की है, इस कहानी के अहम किरदार उनके कोच सुरेश चेनानी हैं.
चेनानी बताते हैं कि जब सौम्या की बड़ी बहन उसे अकादमी लेकर आई थीं तो उन्होंने कोचिंग देने से मना कर दिया था.
वो कहते हैं, "मैं 2000 में लड़कियों को कोचिंग देता था. उस वक़्त एक बच्ची श्वेता मिश्रा अंडर-19 इंडिया कैंप के संभावितों में चयनित हुई थी. 2008 में इंडिया टीम का कैंप करने के बाद जब उसका चयन नहीं हुआ तो वो घर बैठ गई. इसी तरह एक और लड़की थी. फिर मेरा मन खट्टा हो गया.''
"मैं लड़कियों पर मेहनत करता हूं कि ये लड़कियां लड़कों से अच्छा करें और भोपाल का नाम आगे बढ़ाएं. इसीलिए मैंने सौम्या को मना कर दिया, लेकिन वो ज़िद पर अड़ गई कि सर मुझे आपसे ही कोचिंग लेनी है. वो बराबर आती रही, फिर मैंने जूनियर ग्रुप में उसे रखा."
लड़कों के टूर्नामेंट में फ़ील्डिंग
चेनानी के अनुसार, "थोड़े दिनों बाद इसी मैदान पर अंडर-14 इंटर एकेडमी लड़कों का टूर्नामेंट हो रहा था. वो आकर खड़ी हो गई और बोली सर मुझे मैच खेलना है, तो मैंने कहा कि बेटा ये प्रैक्टिस नहीं टूर्नामेंट का मैच है और आप अभी नए हो तो ऐसा नहीं चलेगा. इस पर वो बहुत रुआंसी हो गई और घर जाकर अपने पापा को बताया.''
वो कहते हैं, "उनके पापा ने मुझे फ़ोन किया और बोले कि फ़ील्डिंग ही करवा दो. तब मैंने कहा कि ठीक है सामने वाली टीम से बोलकर ये करवा सकते हैं. उन्होंने परमिशन दे दी, उस मैच में इसने लड़कों से कहीं ज़्यादा अच्छी फ़ील्डिंग की, तब मैंने सोचा कि इस पर अच्छी मेहनत करते हैं. उसके बाद इसे ऑफ़ स्पिनर के तौर पर तैयार किया. उसके बाद इसका डिविज़न में सेलेक्शन हो गया."
"डिविज़न के बाद स्कूल नेशनल के लिए चयन हुआ जिसे खेलने वो खंडवा गई. उसी वक़्त भोपाल के एमवीएम कॉलेज में लड़कों का अंडर-14 टूर्नामेंट हो रहा था. मुझे भरोसा था कि ये आएगी तो मेरी टीम और मज़बूत हो जाएगी और इसका भी आत्मविश्वास बढ़ेगा. मैंने इसे रात में फ़ोन किया और कहा कि सुबह मैदान पर आ जाओ. वो सुबह 4 बजे भोपाल पहुंची. उस दिन उसने 6 ओवर में मात्र 18 रन देकर 6 विकेट लिए, तब पूरा भोपाल आश्चर्य में आ गया कि ये कौन सी बच्ची है, कहां से आई है. उस समय इसकी उम्र महज़ 11-12 साल थी."
"उस प्रदर्शन के बाद मैंने इसकी बैटिंग पर भी ध्यान दिया. एक साल बाद ऑलसेंट कॉलेज में अंडर 14 टूर्नामेंट हुआ तो मैंने दो और लड़कियों को मौक़ा दिया. सौम्या ने पहले ही मैच में सीहोर के ख़िलाफ़ 100 रनों की पारी खेली. इस तरह मेरा विश्वास भी बढ़ता गया.''
लड़कों के बीच जमाई धाक
सौम्या ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ़ कॉन्वेंट में 12वीं की छात्रा है. अपने कोच की बात उन्होंने लड़कों के बीच धाक जमाकर साबित की. यह धाक स्कोरबोर्ड पर भी दिखती है.
उनके कोच चेनानी बताते हैं, "सौम्या जब 14-15 साल की थी, तभी मध्यप्रदेश की अंडर-19 टीम में इसका चयन हो गया और फिर अंडर-23 में आ गई. पिछले 2 साल से अंडर-19 में इतना अच्छा कर रही थी कि अपनी टीम को पिछले साल जयपुर में रनर-अप बनाया. चैलेंजर ट्रॉफ़ी में मौका मिला तो पहले मैच में ही नाबाद 105 रन बना दिया."
वो बताते हैं, "हाल में अंडर 19 टी 20 टूर्नामेंट हुआ तो इसने मप्र को चैंपियन बनाया. सारे मैचों में एकतरफ़ा प्रदर्शन किया. न्यूज़ीलैंड के साथ 5 मैचों की सिरीज़ में ढेर सारे रन बटोरे.''
"उसमें लगन और समझ है. 6 साल क्रिकेट को दिया और अब इंडिया खेल रही है. इतना प्रतिभाशाली कम ही बच्चा होता है. वो लड़कों पर भारी है. जो हमने सिखाया वो उसे फ़ौरन सीखती है. इसने दिखाया है कि जहां रहेगी लड़कों से बेहतर करेगी.''
विराट कोहली सौम्या के पसंदीदा क्रिकेटर हैं, वो कोहली की तरह 18 नंबर की जर्सी पहनती हैं और उन्हीं की तरह बल्लेबाज़ी करने की कोशिश करती हैं.
लड़कों की टीम का आधे मैच में खेलने से इनकार
उनके कोच चेनानी लड़कों के साथ सौम्या के खेलने के दौरान हुई एक दिलचस्प घटना भी बताते हैं.
"एक टूर्नामेंट था ऑयकॉनिक कप. हमने सौम्या का नाम दिया. इसने बैटिंग कर ली, लेकिन टीम जब फ़ील्डिंग करने उतरी तो गेंद सौम्या के हाथ में थी. तब विपक्षी टीम ने आपत्ति की कि वे लड़कियों को नहीं खिलाते. हमने कहा जब हमने टीम का नाम दिया, तब आपने आपत्ति नहीं की. उसने बल्लेबाज़ी कर ली, तब भी आपत्ति नहीं हुई. अब आप आपत्ति कर रहे हैं ये ठीक नहीं है. हम अपनी टीम ले जा रहे हैं, लेकिन वो नहीं माने.''
"मेरे लिये बहुत बेइज़्ज़ती वाली बात थी, लेकिन वो नहीं माने. और तब सौम्या सामने आई और कहा कि सर प्लीज़, आप टीम को खेलने दीजिए, मैं बाहर बैठ जाती हूं. तो उसकी ये खेल भावना थी कि उसने अपने स्वाभिमान के आगे टीम भावना को रखा.''
"भोपाल में ये ट्रेंड था कि लड़कियां, लड़कों के साथ नहीं खेलती थीं. सामने वाली टीम को भी लगता था ये लड़की है क्या ही कर लेगी. लेकिन जब इसने रंग दिखाना शुरू किया, तो सब इसके नाम से घबराने लगे. बोलने लगे कि नहीं, हम इसे नहीं खिलाएंगे, हम लड़कों के साथ ही खेलेंगे.''
सौम्या की कप्तानी में मध्य प्रदेश ने अंतरराज्यीय महिला अंडर-19 टी-20 टूर्नामेंट में कर्नाटक को 26 रन से हराकर ख़िताब जीत लिया.
इस सिरीज़ में कप्तान के रूप में सौम्या ने 8 पारियों में 255 रन बनाए. बतौर गेंदबाज़ इन 8 मैचों में उसने 15 विकेट भी लिए, जो टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा था.
उनके कोच सौम्या की कप्तानी कौशल की तारीफ़ करते हुए एक और क़िस्सा बताते हैं.
उन्होंने बताया, "पिछले साल तहसीन सगीर टूर्नामेंट था जिसमें सौम्या कप्तानी कर रही थी. 40 ओवर का मैच था. फ़ाइनल चल रहा था, 128 पर टीम ऑल आउट हो गई. हमें लगने लगा कि हम हार जाएंगे, लेकिन सौम्या की कप्तानी में बच्चों ने ग़ज़ब की फ़ील्डिंग की.
"उस मैच में सौम्या ने तीन विकेट लिए. उसने ग़ज़ब का कैच पकड़ा. आख़िर में उन्हें मात्र आठ रन चाहिए थे और तीन विकेट बाक़ी थे. सौम्या ने दांव खेला और दूसरी लड़की श्रेया दीक्षित को बॉलिंग दी. वहां श्रेया ने एक ओवर में तीन विकेट ले लिए और हम छह रन से मैच जीत गए. इससे मुझे भरोसा हुआ कि ये लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं.''
जश्न मनाने को लेकर परिवार सतर्क
हाल ही में समाप्त चार देशों की महिला अंडर-19 टी-20 सिरीज़ में सौम्या ने 102 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए. इस सिरीज़ में श्रीलंका, वेस्टइंडीज, टीम इंडिया 'ए' और टीम इंडिया 'बी' खेली.
सौम्या के पिता मनीष तिवारी खुशी ज़ाहिर करते हुए कहते हैं कि 'हमने क़दम दर क़दम सौम्या को आगे बढ़ते देखा है, मोहल्ले से राज्य और फिर देश के लिए खेलना.'
वो कहते हैं कि 'लक्ष्य अभी सीनियर टीम है, इसलिए उसे मंज़िल की तरफ़ बढ़ते जाना है. हमने ख़ुशी मनाई है, लेकिन उसकी ही तरह संभल-संभल कर.' (bbc.com/hindi)
भोपाल, 29 जनवरी | निशानेबाज मनीष नरवाल ने 2021 में टोक्यो पैरालम्पिक्स में स्वर्ण पदक जीता और नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस उपलब्धि के लिए उन्हें खेलो रत्न अवार्ड मिला और उन्होंने सैकड़ों बच्चों को निशानेबाजी चुनने के लिए प्रेरित किया।
2021 में अपने शानदार प्रदर्शन से पूर्व मनीष ने अपने छोटे भाई शिवा नरवाल को निशानेबाजी चुनने के लिए प्रेरित कर दिया था।
शिवा ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के 2020 संस्करण में स्वर्ण पदक जीता और खेलों के 2021 संस्करण में भी स्वर्ण जीता। 17 वर्षीय शिवा ने पिछले वर्ष मिस्र विश्व चैंपियनशिप में अपना सीनियर पदार्पण किया और 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में पहुंचकर पेरिस ओलम्पिक कोटा हासिल करने के करीब भी पहुंच गए थे लेकिन आठवें स्थान पर रहे।
उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में पदक नहीं जीत पाने की निराशा को एशियन एयरगन चैंपियनशिप में पुरुष एयर पिस्टल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर दूर किया।
मनीष ने जहां खुद को देश के सर्वश्रेष्ठ पैरा शूटर्स के रूप में स्थापित कर दिया है जबकि शिवा का लक्ष्य खेलो इंडिया यूथ गेम्स में एक और पदक जीतना और स्वर्ण की हैट्रिक पूरा करना है।
शिवा ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि मैं खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए चुना गया हूं। पिछले दो संस्करणों में मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा है और मैं उम्मीद करता हूं यह मध्य प्रदेश में भी जारी रहेगा और मैं हरियाणा के लिए फिर पदक जीत सकूंगा। '' (आईएएनएस)
दुबई, 29 जनवरी | डेजर्ट वाइपर्स ने दुबई कैपिटल्स को डीपी वल्र्ड आईएल टी20 के 20वें मैच में शनिवार रात को 12 रन से हराकर अंक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया।
डेजर्ट वाइपर्स ने कप्तान कॉलिन मुनरो की 32 गेंदों पर 40 रन की शानदार पारी से नौ विकेट पर 149 रन का सामान्य स्कोर बनाया लेकिन दुबई कैपिटल्स को पांच विकेट पर 137 रन पर रोक दिया। रोहन मुस्तफा ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 27 रन पर दो विकेट लिए।
दुबई कैपिटल्स की तरफ से अपना पहला मैच खेलते हुए एडम जम्पा ने 16 रन पर तीन विकेट लिए जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।
दुबई कैपिटल्स के कप्तान रोवमैन पॉवेल (नाबाद 34) और युसूफ पठान (नाबाद 35) ने 6.3 ओवर में 52 रन की साझेदारी की लेकिन कसी गेंदबाजी के सामने उनका यह प्रयास बेकार गया।
इस हार के बाद दुबई कैपिटल्स दो जीत, चार हार और पांच अंकों के साथ पांचवें स्थान पर है। (आईएएनएस)
भोपाल, 28 जनवरी। विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज को उम्मीद है कि ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी)’ एथलेटिक्स में जमीनी स्तर की प्रतियोगिता और शीर्ष प्रतियोगिता के बीच की खाई को पाट देगी।
‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ का आगामी सत्र मध्य प्रदेश के आठ शहरों में आयोजित होगा। 30 जनवरी से शुरू होने वाले इस आयोजन में 27 खेलों को शामिल किया गया है।
केआईवाईजी 2022 में ट्रैक एंव फील्ड स्पर्धा तीन दिनों तक चलेगा। इसका आयोजन भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में तीन से पांच फरवरी तक होगा।
भोपाल के अलावा इन खेलों का आयोजन इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, मंडला, खरगोन (महेश्वर) और बालाघाट में होगा।
लंबी छलांग लगाने वाली पूर्व खिलाड़ी अंजू सरकार के मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य हैं। वह टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) के लिए एथलीटों का चयन करने के लिए जिम्मेदार है। उनका मानना है कि खेलो इंडिया योजना प्रतिभा को निखारने के मामले में नींव का काम करेगा।
अंजू ने ‘केआईवाईजी मीडिया’ को एक कार्यक्रम के दौरान बताया, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्रालय के सही इरादे के साथ एक अनूठी परियोजना है। इसने पहले ही परिणाम देना शुरू कर दिया है। हालांकि यह एक सतत प्रक्रिया है और हमें इसे आगे बढ़ाना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इन खेलों में 18 साल तक के छोटे बच्चों को प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है । इस तरह का मौका पहले मौजूद नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें जगह बनाने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए सरकार धन मुहैया कराती है। उन्हें जेब भत्ता भी मिलता है।’’ (भाषा)
-फिलेम दीपक सिंह
भुवनेश्वर, 28 जनवरी (भाषा)। भारत के पूर्व पुरुष हॉकी मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमेंस ने एफआईएच पुरुष विश्व कप के मौजूदा सत्र में भारत के जल्दी बाहर होने के पर रणनीतिक जागरूकता की कमी और क्लब संस्कृति की गैर-मौजूदगी को जिम्मेदार ठहराया है।
भारतीय टीम न्यूजीलैंड से क्रॉसओवर मैच में सडन डेथ में 4-5 से पिछड़ने के बाद क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने में चूक गयी थी।
भारत के वर्तमान मुख्य कोच ग्राहम रीड ने भी हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के 2017 में समाप्त हो जाने के बाद क्लब संस्कृति की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की थी।
भारतीय टीम के साथ 2015 से 2017 तक मुख्य कोच के तौर पर जुड़े रहे ओल्टमेंस ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ भारत में कोई क्लब संस्कृति नहीं है, यह निश्चित तौर पर टूर्नामेंट से बाहर होने का एक कारण है। खिलाड़ियों को खेल जारी रखने की जरूरत होती है जिसका और क्लब स्तर के मैचों की गैरमौजूदगी में इसकी कमी रही।’’
साल 2013 से 2015 तक भारतीय हॉकी के हाई परफार्मेंस निदेशक रहे नीदरलैंड के इस कोच ने कहा, ‘‘ इसमें कोई शक नहीं कि ये भारतीय शानदार हॉकी खिलाड़ी हैं। लेकिन आपको यह जानने की जरूरत है कि खेल के किस क्षण क्या करना है। अगर अचानक, आप 10 खिलाड़ियों के खिलाफ खेल रहे है तो क्या करना है यह समझना होगा।’’
न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे क्वार्टर में स्कोर 3-3 से बराबर होने के बाद, निक रॉस को 53वें मिनट में पीला कार्ड मिला और वह पांच मिनट के लिए मैच से निलंबित हो गये। भारतीय टीम इसका फायदा उठाने में नाकाम रही और पेनल्टी शूटआउट में मैच गंवा बैठी।
रियो ओलंपिक में भारतीय टीम के मुख्य कोच रहे ओल्टमेंस ने कहा, ‘‘ मैच खत्म होने से पहले भारत के पास पांच मिनट का समय था जब न्यूजीलैंड का एक खिलाड़ी मैदान से बाहर था। ऐसे समय में भारत क्या कर रहा था? आपको रणनीतिक खेल खेलने और योजनाओं को ठीक से लागू करने की जरूरत है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जर्मनी की टीम ने आखिरी तीन मिनट में दो गोल किये (इंग्लैंड के खिलाफ) और भारत को कुछ ऐसा करने पर मेहनत करने की जरूरत है।’’
ओल्टमेंस इस बात से हैरान थे कि भारत के पास मेंटल-कंडीशनिंग (मानसिक अनूकुलन) कोच नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वह टीम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे तब बेंगलुरु में भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) केंद्र एक मनोवैज्ञानिक टीम के साथ था।
उन्होंने कहा, ‘‘बिल्कुल, इससे (मेंटल कंडीशनिंग कोच होने से) फर्क पड़ता है। जब मैं (रियो) ओलंपिक से पहले मुख्य कोच था, तो मेरे स्टाफ में एक मनोवैज्ञानिक था। यह कमोबेश मेंटल कंडीशनिंग कोच की तरह ही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खेल के शारीरिक चीजों के लिए हमारे पास शारीरिक प्रशिक्षण है, खेल के रणनीतिक भाग के लिए, हमारे पास रणनीतिक प्रशिक्षण है, कौशल प्रशिक्षण के लिए हमारे पास ड्रैग-फ्लिक ट्रेनर हैं। लेकिन मानसिक पहलू ने एक बड़ा अंतर डाला और वहां हमारे पास कोई ट्रेनर नहीं है। यह अजीब है।’’
उन्होंने कहा कि कप्तान हरमनप्रीत सिंह पर बहुत अधिक जिम्मेदारियां थी और हो सकता है कि इससे विश्व कप में उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा। हरमनप्रीत को अपनी ड्रैग-फ्लिक से गोल करने में संघर्ष करना पड़ा, जिसे भारत के टूर्नामेंट से जल्दी बाहर होने का एक अहम कारण माना जा रहा है।
ओल्टमेंस ने कहा, ‘‘एक टीम में, आप हमेशा जानते हैं कि आपका नेतृत्व कौन कर रहा है। दुनिया हरमनप्रीत के खेल को 2016 के जूनियर विश्व कप के बाद से देख रही है। अब हम 2023 के बारे में बात कर रहे हैं। इन वर्षों में उन्होंने दिखाया है कि वह एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं।’’
पूर्व कोच ने कहा, ‘‘वह (हरमनप्रीत) डिफेंस का नेतृत्व कर रहा है और वह मुख्य पेनल्टी-कॉर्नर लेने वाला है। हम उसे एक ही समय में इतनी सारी जिम्मेदारियां देना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि उसके पास टीम का नेतृत्व करने के गुण हैं, लेकिन बहुत अधिक ज़िम्मेदारियां खेल को प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि मुझे पता है कि वह तनावपूर्ण परिस्थितियों में काफी शांत और तनाव मुक्त खिलाड़ी हैं।"