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उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले का एक युवक क़रीब 11 साल पहले ग़लती से सीमा पार करके पाकिस्तान चला गया था. एक दशक से भी ज़्यादा समय तक पाकिस्तान की जेल में गुज़ारने और क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंगलवार रात युवक अपने घर पहुंच गया.
मिर्ज़ापुर के भरहुना गांव के रहने वाले 35 वर्षीय पूर्णमासी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है. साल 2009 में वह न जाने कैसे बॉर्डर पार करके पाकिस्तान की सीमा में जा पहुंचे. उन पर पाकिस्तान के नौलखा, लाहौर में मुक़दमा भी दर्ज हुआ. तब से पूर्णमासी वहीं जेल में बंद थे.
पिछले दिनों पाकिस्तान सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय को इस बात की जानकारी दी.
पाकिस्तान से मिले पते के आधार पर राष्ट्रीयता की पुष्टि के लिए गृह मंत्रालय के विदेश प्रभाग ने पूर्णमासी के परिजनों को ढूंढने की कोशिश की. स्थानीय पुलिस की मदद से पता चला कि पूर्णमासी समहर थाना के भरहुना गांव के रहने वाले हैं.
मिर्ज़ापुर के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिंह ने बताया कि पूर्णमासी के माता-पिता का देहांत हो चुका है और उनके परिवार में कोई नहीं है.
बहन भाई को लेने गई
एसपी अजय कुमार सिंह के मुताबिक़, "पूर्णमासी के एकमात्र संबंधी उनकी बहन किरन हैं, जो कि थाना लालगंज के बेलहरा गांव की निवासी हैं और उनके एक चचेरे भाई जवाहिर ने फ़ोटो देखकर शिनाख़्त की. हमने यहां से पूर्णमासी की बहन और उनके बहनोई को एक पुलिस कांस्टेबल के साथ अमृतसर उसे लाने के लिए भेजा. मंगलवार देर शाम सभी लोग सकुशल वापस आ गए."
एसपी अजय कुमार सिंह ने बताया कि भारत सरकार के प्रयासों से 17 नवंबर 2020 को पाकिस्तान ने पूर्णमासी को पंजाब में अटारी बॉर्डर पर बीएसएफ़ को सौंपा था. 14 दिन तक क्वारंटीन रहने के बाद उन्हें मिर्ज़ापुर लाने की कार्रवाई शुरू हुई. मिर्ज़ापुर ज़िला प्रशासन ने पूर्णमासी की बहन किरन और उनके पति मुन्नू के साथ एक सिपाही को अमृतसर भेजा था.
उनके साथ गए पुलिस कांस्टेबल मनोज गौड़ ने बीबीसी को बताया, "मिर्ज़ापुर से हम लोग एक तारीख़ को बनारस गए और फिर वहां से बेगमपुरा एक्सप्रेस ट्रेन से अमृतसर पहुंचे. काग़ज़ी कार्रवाई के बाद 35 वर्षीय पूर्णमासी को एक नायब तहसीलदार ने हमें सौंप दिया. फिर हम ट्रेन से ही मंगलवार को वापस आ गए."
पुनर्वास के लिए प्रशासन करेगा मदद
मिर्ज़ापुर पहुंचने पर पूर्णमासी का ज़िले के आला अधिकारियों की मौजूदगी में फूल-मालाओं से स्वागत किया गया. पुलिस लाइन में प्रभारी ज़िलाधिकारी अविनाश सिंह और एसपी अजय कुमार सिंह भी इस मौक़े पर मौजूद थे.
मिर्ज़ापुर के प्रभारी ज़िलाधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि पूर्णमासी के पुनर्वास के लिए ज़िला प्रशासन हर संभव मदद करेगा और जल्दी ही आवास भी मुहैया कराया जाएगा.
वहीं पूर्णमासी की बहन किरन ने बताया कि उनका अमृतसर का सफ़र भी चुनौतियों भरा रहा.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया, "अमृतसर में उसे हेल्थ केयर सेंटर में रखा गया था जहां उसके पास ठंड में भी कोई गरम जैकेट नहीं था. पूर्णमासी की मानसिक हालत पहले से ही ठीक नहीं थी, इतने दिनों तक जेल में रहने के बाद हालत और भी ख़राब हो गई है. हम लोगों के रुकने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी. काफ़ी परेशानी के बाद हमें रेडक्रॉस के सराय में दो दिन रुकवाया गया." (bbc)
भारत में कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनियों भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने मंगलवार को एक साझा बयान जारी किया है.
इस बयान में कंपनियों ने बताया है कि वे यह बात समझती हैं कि इस समय दुनिया के लोगों और देशों के लिए वैक्सीन की अहमियत क्या है, ऐसे में हम इस बात का प्रण लेते हैं कि कोविड 19 वैक्सीन की उपलब्धता वैश्विक स्तर पर हो सके.
ये बयान जारी करने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीइओ अदार पूनावाला ने अपने ट्वीट में लिखा, "इस (साझा बयान) से किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी दूर हो जानी चाहिए. हम इस महामारी के ख़िलाफ़ जंग में एक साथ खड़े हैं."
भारत बायोटेक ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ये साझा बयान शेयर करते हुए लिखा है, "हमारा प्रण भारत और विश्व में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के साथ सहज ढंग से वैक्सीन पहुँचाना है."
दोनों कंपनियों ने कोविड 19 के ख़िलाफ़ जंग में एकजुट होकर काम करने की बात कही है. लेकिन कुछ घंटों पहले तक दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारी एक दूसरे की वैक्सीन पर हमला बोलते दिख रहे थे.
serum institute
क्या साझा बयान भरेगा घाव?
स्वास्थ्य क्षेत्र के कई विशेषज्ञों और राजनेताओं ने कंपनियों के बीच जारी विवाद पर केंद्र सरकार से सवाल जवाब किए.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वैक्सीन को मंज़ूरी दिए जाने और दोनों कंपनियों के बीच जारी रहे गतिरोध को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया.
गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दख़ल देने की अपील की थी.
गहलोत ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, "सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक कंपनियों की वैक्सीन को भारत में मंज़ूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियों के बीच हुई आपसी बयानबाज़ी दुर्भाग्यपूर्ण है. यह संवेदनशील मुद्दा है जिसमें प्रधानमंत्री को दख़ल देना चाहिए."
कैसे शुरू हुआ ये विवाद?
बीते कुछ दिनों से कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंज़ूरी दिए जाने पर काफ़ी विवाद जारी है.
दोनों ही वैक्सीनों की एफ़िकेसी यानी प्रभावकारिता को लेकर सवाल किए जा रहे हैं.
एक सरल सवाल ये पूछा जा रहा है कि कौन सी वैक्सीन कितनी प्रभावी है.
इसी सिलसिले में जब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला से एक टीवी कार्यक्रम में दवा के बारे में पूछा गया.
इस पर उन्होंने कहा, "इस समय दुनिया में सिर्फ़ तीन वैक्सीन हैं जिन्होंने अपनी प्रभावकारिता सिद्ध की है. इसके लिए आपको बीस से पच्चीस हज़ार लोगों पर दवा आज़मानी होती है. कुछ भारतीय कंपनियां भी इस पर काम कर रही हैं. और उनके नतीजों के लिए हमें इंतज़ार करना होगा. लेकिन फ़िलहाल सिर्फ़ तीन वैक्सीन फ़ाइज़र, मॉडर्ना और एस्ट्रोज़ेनेका ऑक्सफ़ोर्ड हैं जिन्होंने ये साबित किया है कि ये काम करती हैं. इसके अलावा कोई भी चीज़ जिसने ये साबित किया है कि वह सुरक्षित है. वह पानी जैसी है. जैसे पानी सुरक्षित होता है. लेकिन एफ़िकेसी 70%, 80% या 90% होती है. ये सिर्फ़ इन तीन वैक्सीनों ने साबित किया है."
पूनावाला के इस बयान से काफ़ी विवाद पैदा हुआ क्योंकि ये कहना कि बाक़ी सारी वैक्सीन पानी जैसी हैं, भारत में बन रही वैक्सीन की गुणवत्ता पर एक सवाल की तरह था.
ऐसे में भारत बायोटेक के एमडी कृष्णा एल्ला ने अपनी वैक्सीन को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने काफ़ी भावनात्मक होते हुए कई दलीलों से अपनी वैक्सीन का बचाव करने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, "किसी कंपनी ने मुझे (कोवैक्सिन को) पानी की संज्ञा दी है. इस वजह से मुझे ये बताना पड़ रहा है. अगर मैं थोड़ा नाराज़गी के साथ बोलूं तो मुझे माफ़ करिएगा. इस सबसे दुख होता है. एक वैज्ञानिक को दुख होता है जो 24 घंटे काम करता है. क्योंकि उसे लोगों की ओर से आलोचना मिलती है. वो भी उन लोगों के स्वार्थी कारणों की वजह से. इससे दुख होता है."
एल्ला ने कहा है, "कई लोग कहते हैं कि मैं अपने डेटा को लेकर पारदर्शी नहीं हूं. मुझे लगता है कि लोगों में थोड़ा धैर्य होना चाहिए ताकि वे इंटरनेट पर पढ़ सकें कि हमने कितने लेख प्रकाशित किए हैं. अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में हमारे 70 से ज़्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं. कई लोग गपशप कर रहे हैं. ये सिर्फ़ भारतीय कंपनियों के लिए एक झटका है. ये हमारे लिए ठीक नहीं है. हमारे साथ ये सलूक नहीं होना चाहिए. मर्क कंपनी की इबोला वैक्सीन ने कभी इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल पूरा नहीं किया लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर भी लाइबेरिया और गुआना के लिए आपातकालीन मंज़ूरी दे दी."
"जब अमरीकी सरकार कहती है कि अगर कंपनी का अच्छा इम्यूनाइज़ेशन डेटा है तो उसे इमरजेंसी मंज़ूरी दी जा सकती है. मर्क कंपनी की इबोला वैक्सीन को मंज़ूरी फ़ेज़ 3 ट्रायल पूरा होने से पहले दी गई. जॉन्सन एंड जॉन्सन ने सिर्फ़ 87 लोगों पर टेस्ट किया, और उसे मंज़ूरी मिल गई."
दलीलें कितनी सही?
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इल्ला ने अपने बचाव में तमाम तर्क दिए लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या इन दलीलों से वैक्सीन की गुणवत्ता सिद्ध हो सकती है.
प्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ जय प्रकाश मुलियल कहते हैं, "उन्हें डेटा देना चाहिए. मुझे लगता है कि हमारे देश को किसी भी वैक्सीन को तब तक स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए जब तक उसका डेटा पियर रिव्यू के चरण से पार नहीं हो जाए और उसके बारे में कहा जा सके कि वह काम करती है."
"और मुझे नहीं लगता है कि हमें वैक्सीन को लेकर किसी के बयान पर भरोसा करना चाहिए. इसके लिए एक प्रक्रिया है, और वैक्सीन को मंज़ूरी देने के लिए उसका ठीक ढंग से पालन किया जाना चाहिए."
विवाद से साझा बयान तक
कई घंटों तक विवाद जारी रहने के बाद मंगलवार सुबह अदार पूनावाला ने ट्वीट करके जानकारी दी कि उनकी कंपनी और भारत बायोटेक जल्द ही एक बयान जारी करेगी.
और दोनों कंपनियों की ओर से संयुक्त बयान जारी होने के बाद कहा है कि वे उम्मीद करते हैं कि इससे हर तरह की ग़लतफ़हमी दूर हो जाएगी.
ये संभव है कि इस साझा बयान से दोनों कंपनियों के बीच जारी जंग को लेकर कुछ ग़लतफ़हमियां दूर भी हो जाएं. इस मुद्दे पर की जा रही ख़बरों की संख्या में कमी आ जाए.
लेकिन सवाल ये है कि विवादों से भरे इस अध्याय से कोविड 19 टीकाकरण अभियान को कितना नुक़सान पहुँचा है.
टीकाकरण अभियान को पहुँचा नुक़सान
डॉक्टर जयप्रकाश मुलियल मानते हैं कि दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों का व्यवहार काफ़ी निराशापूर्ण है.
वे कहते हैं, "भारत के लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. और हम शुरुआत में काफ़ी ख़ुश थे कि कंपनियां आगे आकर वैक्सीन बनाने के लिए तैयार हुई हैं. इस वायरस के बारे में अच्छी बात ये है कि ये काफ़ी इम्यूनेजेनिक वायरस है. ऐसे में इससे वैक्सीन बनाना आसान है. और हमारी तकनीक काफ़ी विकसित हुई है तो ये कंपनियां तकनीक की मदद से वैक्सीन बना सकती हैं. ऐसे में सब कुछ अच्छा है."
"लेकिन जब व्यापारिक स्थिति पैदा होती है तो सामान्य रूप से प्रतिस्पर्धा आ जाती है. कंपनियां ज़्यादा मुनाफ़े के लिए एक दूसरे के साथ झगड़ती हैं. लेकिन यहां मैंने सोचा था कि इन लोगों की प्राथमिकता ये नहीं होगी. मैंने सोचा था कि प्राथमिकता लोगों की ज़िंदगियां बचाना होगी. ऐसा नहीं है कि उन्हें पैसे नहीं कमाने चाहिए. बिलकुल कमाने चाहिए. लेकिन वह मुख्य प्राथमिकता नहीं हो सकती. ऐसे में इन कंपनियों के इस व्यवहार को लेकर मैं काफ़ी निराश हूं. क्योंकि मुझे इन कंपनियों से आचार-विचार और मूल्यों को लेकर काफ़ी उम्मीदें थीं."
डॉ. मुलियल मानते हैं कि कंपनियों के बीच खड़े हुए इस विवाद से टीकाकरण अभियान को काफ़ी नुक़सान पहुँचता है.
वे कहते हैं, "इससे पहले लोग इन कंपनी मालिकों को एक मसीहा की तरह देखते. लेकिन अब लोग उन्हें सामान्य व्यापारियों की तरह देखेंगे. ये अच्छा नहीं है. इससे टीकाकरण अभियान को नुक़सान पहुँचता है."
वहीं, पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया से जुड़े संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. गिरिधर बाबू मानते हैं कि कंपनियों की ओर से बयानबाज़ी टीकाकरण अभियान के लिए ठीक नहीं है.
वे कहते हैं, "अभी तक जो भी टीकाकरण अभियान होते थे, उसमें वैक्सीन किस कंपनी की ओर से बनाई गई है, ये कभी भी पब्लिक नॉलेज में नहीं आता था. रेगुलेटर वैक्सीन को मंज़ूरी देते थे और सरकार या यूनिसेफ़ जो भी वैक्सीन लेते थे, वो सरकारी तंत्र में चली जाती थी. इस बार जो हुआ है, वो सब काफ़ी दुर्भाग्यशाली है. ये सब नहीं होना चाहिए था. मैं पोलियो टीकाकरण पर कई सालों तक काम किया है."
डॉ. गिरिधर बाबू कहते हैं, "मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि लोगों का वैक्सीन में भरोसा पैदा करने में बहुत समय लगता है. लोगों के पास जाकर वैक्सीन से जुड़ीं शंकाओं का निवारण करना होता है. ये सब करने में कई साल लगे हैं. जब एक वैक्सीन को लेकर शक पैदा किया जाता है तो जनता को नहीं पता होता है कि किस वैक्सीन को लेकर बात की गई है. वे सभी वैक्सीनों को शक की नज़र से देखते हैं. इस वजह से ये जो चर्चा है, वो वैज्ञानिकों के लिए मुफ़ीद है. मुझे लगता है कि ये सब बातें आम जनमानस तक पहुँचाने का वक़्त नहीं है."
"इस समय ज़रूरत है कि वैक्सीन के प्रति भरोसा पैदा किया जाए, लोगों को बताया जाए कि फ़लां वैक्सीन अच्छी है और उसे लिया जा सकता है. जब ट्रायल पूरी होगी, तब कौन सी वैक्सीन अच्छी, ये सब को बताया जाएगा. तब तक तसल्ली रखें और इंतज़ार करें."
इतिहास के पन्ने पलटें तो पाकिस्तान से लेकर अफ़ग़ानिस्तान और दुनिया के तमाम देशों में पोलियो टीकाकरण के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन के प्रति शक की वजह से हिंसा तक का सामना करना पड़ा है.
लेकिन एक सवाल अभी भी बना हुआ है कि अगर कोई भी वैक्सीन लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं है, तो सरकार की ओर से सरल शब्दों में इसे लेकर सूचना जारी क्यों नहीं होती है. (bbc)
कोरोना की मुसीबत अभी बनी हुई ही थी कि भारत में एक और संकट खड़ा होता दिख रहा है.
देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू फैलने की ख़बरें आ रही हैं.
मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में बड़ी तादाद में पक्षियों की मौत अचानक से हुई है.
इसके बाद यह संदेह जताया जाने लगा था कि देश में बर्ड फ्लू फैल रहा है.
कई राज्यों से बर्ड फ्लू की ख़बरें
सोमवार को केरल, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान ने इस बात की पुष्टि कर दी कि उनके यहां बड़े पैमाने पर पक्षियों की मौत की वजह बर्ड फ्लू है.
मध्य प्रदेश में कौवों में इसकी पुष्टि हो चुकी है.
इसके अलावा, गुजरात और महाराष्ट्र से भी बर्ड फ्लू की ख़बरें आ रही हैं.
पोंग डैम के आसपास प्रवासी पक्षियों में मिला बर्ड फ्लू
हिमाचल प्रदेश के एनिमल हस्बेंडरी डिपार्टमेंट में सीनियर वेटनरी पैथोलॉजिस्ट और बर्ड फ्लू के नेशनल कंसल्टेंट डॉक्टर विक्रम सिंह कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में पोंग डैम का इलाक़ा इसका एपीसेंटर है और सोमवार तक क़रीब 2400 प्रवासी पक्षियों की मौत हुई है.
वे कहते हैं, "इस डैम के 10 किमी के दायरे में अलर्ट जारी किया गया है. लेकिन, अभी तक पॉल्ट्री में इसके लक्षण नहीं मिले हैं, क्योंकि इस इलाक़े में कोई पॉल्ट्री फ़ार्म नहीं है."
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मछलियों और पॉल्ट्री पर रोक
इस इलाक़े में मछलियों की ख़रीद-बिक्री पर इस वजह से रोक लगाई गई है क्योंकि पोंग डैम में पकड़ी गई मछलियों में यह फ्लू पक्षियों के ज़रिए पहुँच सकता है.
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने कई इलाक़ों में एहतियातन पॉल्ट्री की ख़रीद-फ़रोख्त और मीट के लिए इन्हें काटने पर रोक लगा दी है.
इसके अलावा, पॉल्ट्री उत्पादों और मछलियों के निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है.
इंदौर में डेली कॉलेज से शुरू हुआ बर्ड फ्लू
मध्य प्रदेश के इंदौर में पिछले हफ्ते से कौवों की मौत हो रही है और उनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है. इसके बाद प्रशासन ने बर्ड फ्लू का अलर्ट जारी कर दिया.
इंदौर संभाग के जॉइंट डायरेक्टर (वेटनरी सर्विसेज) डॉक्टर जीएस डाबर बताते हैं, "इंदौर के डेली कॉलेज कैंपस में रात में कौवे रुकने आते हैं. वहां पर पिछले एक हफ्ते से रोज़ाना 20-30 कौवे सुबह मरे मिल रहे हैं. इन कौवों का भोपाल की राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान में परीक्षण कराया गया. इनमें बर्ड फ्लू पाया गया. इंदौर में रविवार तक 114 कौवों की मौत हो चुकी है."
डॉक्टर डाबर बताते हैं कि इसके बाद पूरे इंदौर संभाग में यह अलर्ट जारी कर दिया गया कि जहां भी इस तरह की मौतें होती हैं वहां से इसे रिपोर्ट किया जाए.
मध्य प्रदेश में पक्षियों के बैठने वाली जगहों पर डिसइनफ़ेक्शन करवाने, पेड़ों के नीचे लोगों को जाने से रोकने, पक्षियों को पॉलिथीन में बंद करके ज़मीन में दबाने जैसे उपाय लिए जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश में इंदौर के अलावा खंडवा, बड़वानी, मंदसौर, नीमच, सिहोर, रायसेन और उज्जैन समेत कई जगहों पर पक्षियों के मरने की ख़बरें आ रही हैं.
मध्य प्रदेश में कौवों के अलावा बगुलों के भी मरने की ख़बरें हैं. बड़वानी में कबूतरों के मरने की ख़बर है.
डॉ. डाबर कहते हैं कि हमने हेल्थ, फॉरेस्ट, नगर निगम और वेटनरी डिपार्टमेंट को निर्देश जारी किए हैं कि जहां भी ज्यादा संख्या में कौवे रात में बैठ रहे हैं वहां ज़मीन पर बीट के ज़रिए भी वायरस फैल सकता है. ऐसे में इन जगहों पर चूने से ज़मीन को धुलवाकर हाइपोक्लोराइड से उसे डिसइनफ़ेक्ट किया जाए.
बर्ड फ्लू वायरस के चलते पूरे मध्य प्रदेश को हाई अलर्ट कर दिया गया है और इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है.
हरियाणा में मुर्ग़ियों में मिला बर्ड फ्लू
हरियाणा के बरवाला में गुज़रे कुछ दिनों में क़रीब एक लाख मुर्ग़ियों की मौत हुई है और इसके पीछे बर्ड फ्लू होने का शक जताया जा रहा है.
राजस्थान में कौवों के मरने का सिलसिला जारी है.
झालावाड़ ज़िले में कई कौवों की मौत हुई है और माना जा रहा है कि ऐसा एवियन इंफ्लूएंजा या बर्ड फ्लू फैलने की वजह से हो रहा है.
केरल में कुछ बत्तख़ों के टेस्ट करने पर उनमें भी बर्ड फ्लू निकला है.
किस वजह से फैला है बर्ड फ्लू?
डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं कि एच5एन1 या एच7 तरह के जितने भी बर्ड इनफ्लूएंजा होते हैं, वे नैचुरली पैदा होते हैं. इकोलॉजिकल या एनवायरनमेंटल वजहों से जिन पक्षियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है उनमें यह वायरस पनप सकता है.
हालांकि, वे कहते हैं कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर भी पक्षियों की मौत हो रही है और अभी यह साफ़ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यह वायरस कैसे फैलना शुरू हुआ है.
डॉ. डाबर कहते हैं कि सर्दियों के दौरान इंदौर में बाहर से बड़ी संख्या में कौवे आते हैं और ऐसा लग रहा है कि ये वायरस बाहर से आए हुए कौवों के ज़रिए फैला है.
जानकारों के मुताबिक़, यह वायरस म्यूटेट करता है.
भारत में पॉल्ट्री में मिलने वाला बर्ड फ्लू एच5एन1 वायरस है, जबकि कौवों में यह म्यूटेट किया हुआ रूप एच5एन8 पाया गया है.
क्या है बर्ड फ्लू और कितना ख़तरनाक है यह?
बर्ड फ्लू या एवियन इंफ्लूएंज़ा एक वायरल इंफ़ेक्शन है जो कि पक्षियों से पक्षियों में फैलता है. यह ज्यादातर पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है.
साथ ही पक्षियों से इंसानों और दूसरे प्राणियों में पहुँचने पर यह उनके लिए भी घातक साबित होता है.
बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में सामने आया था और तब से इससे संक्रमित होने वाले क़रीब 60 फ़ीसद लोगों की जान जा चुकी है.
लेकिन, इंसानी फ्लू से अलग बर्ड फ्लू एक शख्स से दूसरे शख्स में आसानी से नहीं फैलता है.
कुछ ही मामलों में मनुष्यों से मनुष्यों में यह ट्रांसमिट हुआ है और ऐसा उन लोगों में ही हुआ है जो एक-दूसरे के निकट संपर्क में आते हैं. (bbc)
नई दिल्ली, 6 जनवरी | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार से कहा कि वह जूनियर इंजीनियर बलवंत सिंह मुल्तानी की तीन दशक पुराने हत्या मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ ताजा एफआईआर में दाखिल चार्जशीट को रिकॉर्ड पर लाए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा, राज्य के वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने चार्जशीट और अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकॉर्ड में रखने के लिए समय मांगा है। उसे दो सप्ताह के भीतर यह करने दीजिए।
पीठ ने निचली अदालत से 22 जनवरी को होने वाली मामले की सुनवाई स्थगित करने को भी कहा है, क्योंकि यह पहले से ही इस मामले को जब्त कर चुका है।
यह टिप्पणी सैनी की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें पिछले साल मई में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।
पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सुब्रमण्यन ने शीर्ष अदालत के समक्ष पेश होकर कहा कि 22 जनवरी को अदालत में पेशी के लिए सैनी को चार्जशीट दाखिल की गई है और समन जारी किया गया है।
पीठ ने कहा, राज्य सरकार के वकील द्वारा यह सूचित किया गया है कि याचिकाकर्ता की उपस्थिति के लिए मजिस्ट्रेट द्वारा 22-01.2021 को मामला तय किया गया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, मजिस्ट्रेट के लिए यह उचित होगा कि वह फरवरी 2021 के अंत तक तारीख स्थगित करे।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में सैनी को पहले ही अग्रिम जमानत दे दी थी।
सैनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकती, क्योंकि एफआईआर की वैधता पर सवाल पर अभी शीर्ष अदालत का फैसला होना बाकी है। रोहतगी ने निचली अदालत के समक्ष आरोप पत्र की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी। उन्होंने शीर्ष अदालत से 22 जनवरी को अपने वकील के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराने की स्वतंत्रता देने का आग्रह किया।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में मुल्तानी की हत्या के ताजा मामले में सैनी को अग्रिम जमानत दे दी थी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में सैनी की अग्रिम जमानत और ताजा एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से मना कर दिया था।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 6 जनवरी | प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिस्ट फोरम ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा दो वैक्सीन उम्मीदवारों को दिए गए आपातकालीन उपयोग प्राधिकार के लिए मंजूरी वापस लेने की मांग की है। फोरम ने कहा, विज्ञान निजी लाभ और राजनीतिक लाभ की खोज में समझौता नहीं कर सकता है।
पीएमएसएफ ने वैक्सीन उम्मीदवारों के अनुमोदन को रद्द करने और प्रभावकारिता डेटा और अन्य विचारों के आधार पर टीकाकरण और अनुमोदन रणनीति पर पुनर्विचार करने की मांग की।
डीसीजीआई ने रविवार को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भारत बायोटेक और कोविशील्ड द्वारा बनाई कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी। दवा नियंत्रक द्वारा नैदानिक परीक्षण मोड में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति दी गई थी।
हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी देने पर कड़ी आपत्ति जताई है, क्योंकि फर्म को अभी अपने चरण 3 परीक्षणों की प्रभावकारिता डेटा पेश करना है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 6 जनवरी | भारतीय वायुसेना का एक मिग-21 बाइसन विमान उड़ाने के तुरंत बाद मंगलवार को राजस्थान के सूरतगढ़ एयर बेस पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि पायलट सुरक्षित है और जांच शुरू कर दी गई है। घटना रात 8.15 बजे हुई।
विमान के उड़ान संभालते ही इसमें तकनीकी गड़बड़ी हुई, जिसके बाद पायलट को बाहर निकाला गया। पायलट सुरक्षित उतरा और उसके बाद इमरजेंसी उपाय किए गए।
यह साल की पहली घटना है।
भारत ने 1961 में रूसी मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो निर्मित मिग-21 को खरीदा था। हाल के दिनों में कई घातक घटनाओं के बाद भी भारतीय वायुसेना अभी भी यह विमान उड़ा रही है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 6 जनवरी | कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शक्ति सिंह गोहिल को बिहार के प्रभार से मुक्त कर दिया है, लेकिन वह दिल्ली प्रभारी बने रहेंगे, उनकी जगह छत्तीसगढ़ के नेता भक्त चरणदास को बिहार का प्रभार दिया गया है। गोहिल ने सोमवार को कहा था कि वह व्यक्तिगत आधार पर जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हैं।
कोविड से संक्रमित हुए गोहिल ने कहा कि वह पार्टी में कम भारी भूमिका चाहते हैं।
दिल्ली प्रभारी गोहिल ने कहा, "निजी कारणों से मैंने अपनी पार्टी हाईकमान से अनुरोध किया है कि वह मुझे अगले कुछ महीनों के लिए हल्का काम आवंटित करे और मुझे बिहार प्रभारी के रूप में एएसएपी से राहत दे।
हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी चुनाव में उतरी आई थी और गठबंधन सहयोगी राजद ने कम सीटें लाने के कारण उस पर हमला बोला था।
यह मामला 19 दिसंबर को वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की बैठक के दौरान उठा था।
--आईएएनएस
गुरुग्राम, 6 जनवरी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के महासचिव अभय सिंह चौटाला एलेनाबाद से विधायक हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध के समर्थन में अगर किसान संगठन ऐसा मांगते हैं तो वह हरियाणा विधान सभा से इस्तीफा देने से नहीं हिचकेंगे। चौटाला ने यहां राजीव चौक के पास एक मैदान में विरोध पर बैठे किसानों से मुलाकात की और उनके साथ एकजुटता का इजहार किया।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इनेलो हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करेगी।
भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांगों को स्वीकार करना चाहिए।
एलेनाबाद विधायक ने कहा कि वह सात जनवरी को ट्रैक्टर पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सिंघु सीमा पर जाएंगे और किसानों की मांगों के समर्थन में धरने पर बैठेंगे।
चौटाला ने जिला गुरुग्राम के सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट किसान मोर्चा-गुरुग्राम को समर्थन देने के लिए हर दिन विरोध स्थल पर आने के निर्देश दिए।
चौटाला ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों के किसी भी मोर्चे में शामिल होने के लिए तैयार है और कृषि कानूनों को वापस लेने तक पूरा समर्थन देगी।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 5 जनवरी | राज्य में 14 दिसंबर को ब्रिटेन से लौटे 6 यात्रियों को करोनोवायरस के नए प्रकार से पॉजिटिव पाया गया, जिसके बाद यहां अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसकी जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी।
स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने लोगों से आह्वान किया कि वे खुद से लॉकडाउन लगा लें।
उन्होंने कहा, "लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद और लोग बाहर आ रहे हैं। हमें अब खुद से लगाए गए लॉकडाउन को अपनाना होगा और खुद से अनुशासन दिखाना होगा। लोगों को केवल आपातकालीन कार्यो के लिए ही अपने घरों से बाहर निकलना चहिए, ऐसा अगले कुछ सप्ताह तक करना जरूरी है।"
मंत्री ने कहा, "ब्रिटेन से लौटे पॉजिटिव यात्रियों को क्वारंटीन कर दिया गया था, और उनके सैंपलों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजा गया था, जहां से मिली रिपोर्ट में वह कोरोना के नए प्रकार से संक्रमित पाए गए।"
शैलजा ने कहा कि संक्रमित लोगों को इलाज के लिए अस्पाल में भेज दिया गया है और उनके संपर्कों की सूची तैयार की जा रही है।
इस बीच, राज्य ने पहले चरण में स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए कोरोना वैक्सीनों की 5 लाख खुराक के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जनवरी | केरल सोना तस्करी मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए विशेष अदालत में 20 आरोपियों के खिलाफ अपनी चार्जशीट दाखिल की, जिसमें सारथ पी.एस. और स्वप्ना सुरेश भी शामिल हैं। केरल में राजनयिक सामान में 14.82 करोड़ रुपये के 30 किलोग्राम सोने की तस्करी में उनकी कथित भागीदारी की बात सामने आई है। एनआईए के प्रवक्ता ने कहा, "स्वप्ना सुरेश और सारथ पी.एस के अलावा रमेश के.टी, जलाल ए.एम, मोहम्मद शफी पी., सैदल्वी ई., अब्दू पी.टी, रबिंस हमीद, मोहम्मदअली इब्रांहिम, मोहम्मदअली, सराफुद्दीन के.टी, मोहम्मद शफीक ए., हमजथ अब्दुलसलाम, सम्जू टी.एम., हमजद अली के., जिफ्सल सी.वी., अबूबेकर पी., मोहम्मद अब्दु शमीम के.वी., अब्दुल हमीद और शमशुदीन के ऊपर यूएपीए के विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई।
अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान 31 अन्य व्यक्ति, जिन्होंने भारत की आर्थिक सुरक्षा को चोट पहुचाने के इरादे से और अधिक सोना खरीदने और तस्करी के लिए हवाला चैनलों के माध्यम से यूएई को इसके निपटान और उसके हस्तांतरण की सुविधा के अलावा सोने की तस्करी की साजिश रची और वित्तपोषित किया।
मामले में अब तक 21 लोगों को एनआईए ने गिरफ्तार किया है, जबकि आठ फरार हैं। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 5 जनवरी | जम्मू और कश्मीर के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जेकेडीएमए) ने मंगलवार को यहां के ऊंची जगहों पर मध्यम से निम्न स्तर के एक नए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। पुंछ, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, अनंतनाग, कुलगाम, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों के अलावा वाल्तेंगू कुंद, जवाहर टनल का दक्षिणी और उत्तरी पोर्टल, वेरीनाग, कापरान, चौकीबल-एनसी दर्रा, गुरेज, दावर और नीरू क्षेत्र के ऊंचे इलाकों के लिए मध्यम स्तर के हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई है।
ठीक इसी तरह से उधमपुर, बारामूला, गांदरबल, सोनमर्ग-जोजिला, जेड-गली-कलारूस,कन्जलवान, तंगमारग और गुलमर्ग के ऊंचे इलाकों के लिए निम्न स्तर के हिमस्खलन की चेतावनी जारी की गई है।
यहां लोगों को किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 5 जनवरी | हैदराबाद के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने नौ साल के लड़के के फेफड़ों से एक बल्ब निकाला, जिसे उसने गलती से निगल लिया था। तेलंगाना के महबूबनगर के प्रकाश ने सोमवार को खेलते समय गलती से बल्ब निगल लिया था। जिसके बाद खांसी और सांस लेने में कठिनाई के लक्षणों के साथ उसे मेडिकवर अस्पतालों में ले जाया गया।
डॉक्टरों के मुताबिक, उनके सीटी स्कैन से उसके सीने में इस बल्ब का पता चला। अगर इसे छोड़ दिया जाता तो, यह उसके जीवन के लिए गंभीर समस्या बन सकता था।
पीडियाट्रिक रिगिडि ब्रोंकोस्कोपी करने का निर्णय लिया गया और डॉक्टरों की एक टीम ने सफलतापूर्वक खिलौना बल्ब को हटा दिया।
ऑपरेशन के बाद बच्चा बिलकुल स्वस्थ्य पाया गया और बिना किसी परेशानी के उसे उसी दिन छुट्टी दे दी गई। (आईएएनएस)
गोपालगंज, 5 जनवरी | बिहार के गोपालगंज जिले के नगर थाना क्षेत्र में मंगलवार को अपराधियों ने होमगार्ड की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का कारण भूमि विवाद बताया जा रहा है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि, "एकडरेवां गांव में अपराधियों ने 55 वर्षीय होमगार्ड भोला सिंह की गोली मारकर तब हत्या कर दी, जब वे घर से अपनी डयूटी पर जाने के लिए निकले थे। मृतक थावे थाने में तैनात थे। "
इधर, इस घटना की सूचना के बाद ग्रामीणों ने हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर जमकर हंगामा किया। आक्रोशित लोग सदर अस्पताल में हंगामा करने के बाद बंजारी मोड़ और चैनपट्टी के समीप एनएच-28 जाम कर दिया। इस दौरान लोगों ने सड़क पर टायर जलाए और प्रदर्शन किया।
करीब चार घंटे तक हंगामें के बाद लोग सड़कों से हटे और पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
मृतक होमगार्ड पर इसके पहले भी बीते 26 नवंबर को अपराधियों ने गोली चलायी थी।
गोपालगंज (सदर ) अनुमंडल पुलिस अधिकारी नरेश पासवान ने कहा कि, "मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।"
एसडीपीओ के मुताबिक मृतक के परिजनों ने संजय सिंह उर्फ बनरी सहित अन्य लोगों पर हत्या करने का आरोप लगाया है। पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जून | संयुक्त किसान मोर्चा ने ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर सात जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के एक दिन बाद मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से ट्रैक्टर मार्च की तारीख के साथ-साथ दो सप्ताह तक देश-जागरण अभियान चलाने की भी घोषणा की गई। इससे पहले सिंघु बॉर्डर पर दिन में किसान संगठनों की बैठक हुई। बैठक के बाद एक प्रेसवार्ता के दौरान किसान नेताओं ने आंदोलन तेज करने को लेकर छह जनवरी से लेकर 20 जनवरी तक देशभर में जनजागरण अभियान चलाने के साथ-साथ अन्य कार्यक्रमों का भी ऐलान किया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि नौ जनवरी को सर चौधरी छोटूराम की पुण्य तिथि पर सभी मोर्चो पर याद किया जाएगा। सर छोटूराम को एक किसान नेता के रूप में याद किया जाता था। इसके बाद 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 जनवरी को मकरसंक्रांति को किसान संकल्प दिवस के रूप में मनाने का एलान किया गया है।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन का मंगलवार को 41वां दिन था।
केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
इस मसले के समाधान के लिए किसान और सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 5 जनवरी | पिछले 10 दिनों में हरियाणा के पंचकूला जिले में एशिया की सबसे बड़ी पोल्ट्री बेल्ट में 4 लाख से अधिक पक्षियों की मौत के बाद, राज्य के पशुपालन और डेयरी विभाग ने मंगलवार को कहा कि उनकी इन पक्षियों की मौत के लिए एवियन इन्फ्लुएंजा की कोई पुष्टि नहीं हुई है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि नमूने एकत्र किए गए और जालंधर में रिजनल डिजीज डायग्नोस्टिकलेब्रोटेरी को भेजे गए, जहां से अभी भी रिपोर्ट का इंतजार है।
पक्षियों के री-सैंपलिंग के लिए प्रयोगशाला से एक दल बरवाला क्षेत्र में पहुंचा है। ये पक्षी रानीखेत या संक्रामक लेरिंजियो-ट्रैक्टिस से ग्रसित हो सकते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि पंचकुला जिले में पोल्ट्री फॉर्मो में 77,87,450 पक्षी हैं, और 409,970 पक्षियों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि भले ही पिछले महीने की तुलना में अधिक मुर्गियों की मौत हुई है, लेकिन आज तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि पॉल्ट्री या पॉल्ट्री उत्पादों के सेवन से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हुआ हो। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जनवरी | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 13 जनवरी से देश में बड़े पैमाने पर कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ टीकाकरण की तैयारी की जा रही है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "वैक्सीन के ड्राय रन से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर इसके आपातकालीन इस्तेमाल की आधिकारिक तिथि के मिलने के दस दिनों के भीतर ही टीकाकरण करने के लिए हम तैयार हैं। ज्ञात हो कि तीन जनवरी को दो टीकों को मंजूरी दी गई थी।"
भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा रविवार को दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने की घोषणा की गई। इनमें से एक है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेने का कोविशील्ड और भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन।
वैक्सीन को लेकर किया गया यह ऐलान भारत के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, जो अमेरिका के बाद संक्रमण के मामले में दूसरे नंबर पर है।
सबसे पहले टीकाकरण एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स, दो करोड़ फ्रंटलाइन और एसेंशियल वर्कर्स और 27 करोड़ उन बुजुर्गो को दिया जाएगा, जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है और जो कई बीमारियों से घिरे हैं।
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने घोषणा की थी कि एक करोड़ स्वास्थ्य सेवा कर्मियों साथ-साथ दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी। (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 5 जनवरी | असम में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी ) ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए 10 करोड़ रुपये के कुल प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति राशि के गबन के सिलसिले में राष्ट्रीयकृत बैंक के बिजनेस कॉरेस्पॉडेंट सहित दो और लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गबन बीते दो वित्तीय वर्षो में किए गए। अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि इन गिरफ्तारियों के बाद राज्य के चार जिलों से गिरफ्तार किए गए कुल लोगों की संख्या 32 हो गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। असम पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि सीआईडी ने पुलिस की मदद से, कामरूप जिले के दो पुलिस स्टेशनों-नगरबेरा और बोको के तहत विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली, जहां से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों में से एक राष्ट्रीयकृत बैंक का बिजनेस कॉरस्पॉडेंट और एक आईटी सेंटर का मालिक है।
अब तक गिरफ्तार किए गए 32 अभियुक्तों में, प्रधानाध्यापक, शिक्षक, राष्ट्रीयकृत बैंकों के कस्टमर सर्विस प्वाइंट(सीएसपी) के मालिक, एक स्कूल प्रबंधन समिति, इलेक्ट्रॉनिक डेटा प्रोसेसर के अध्यक्ष के अलावा 12 बिचौलिए शामिल हैं।
माना जाता है कि गोलपारा जिले का रबी ऊल इस्लाम इस पूरी धोखाधड़ी का मास्टर माइंड था। उसने छात्रवृति निधि का गबन करने के लिए फर्जी आवेदन दाखिल किए और इनके माध्यम से धन की निकासी की।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति कोष में कथित रूप से हेराफेरी करने के लिए लोगों को पिछले महीने की शुरूआत में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, मामले के बाकी आरोपियों को पकड़ने के लिए सीआईडी की टीमें नियमित रूप से विभिन्न जिलों में छापेमारी कर रही हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 5 जनवरी | यूपी में एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई पूरी कर इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को योगी सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। छात्रों की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को मासिक भत्ते के रूप में 7,500 रुपये की जगह अब 12,000 रुपये देने फैसला लिया है। भत्ते में यह बढ़ोतरी 10 साल बाद की गई है। अब तक यह राशि महज 7,500 थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है। ताजा फैसले के मुताबिक प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों, विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस अथवा बीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर इंटर्नशिप कर रहे छात्रों को वर्तमान में मिल रहे 7500 रुपयों की जगह अब प्रतिमाह 12,000 इंटर्नशिप भत्ता मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी ने भत्ता राशि बढ़ोतरी को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया है। (आईएएनएस)
पटना, 5 जनवरी | बिहार पुलिस ने सीआरपीएफ के जवान की हत्या के मामले में एक सीआरपीएफ के जवान सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसकी जानकारी एक अधिकारी ने दी। 23 दिसंबर को जहानाबाद जिले के लोदीपुर गांव के पास पटना-गया राज्य राजमार्ग पर दयानंद पासवान नाम के जवान की हत्या कर दी गई थी।
जहानाबाद की एसपी मीनू कुमारी ने कहा, "आरोपियों की पहचान करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं होने के कारण ये मामला अभी पेचीदा है। अथक प्रयासों से हम सीसीटीवी फुटेज हासिल करने में कामयाब रहे, जिसकी मदद से संदिग्धों को पकड़ा गया है।"
उन्होंने कहा, "हमने वैज्ञानिक रूप से सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया है और शूटरों की पहचान करने में कामयाब रहे। उस आधार पर, हमने पटना जिले के बख्तियारपुर शहर के नालंदा निवासी धनंजय नट और संतोष नट नामक दो शूटरों को गिरफ्तार किया है।"
पूछताछ के बाद, उन्होंने मुख्य आरोपियों के नामों का खुलासा किया, जिन्होंने उन्हें पासवान को मारने की सुपारी दी थी।
अधिकारी ने कहा, "जितेंद्र कुमार नाम का आरोपी सीआरपीएफ कर्मी अपने सहयोगी दयानंद पासवान की पत्नी पर नजर गड़ाए हुए था और उसके साथ संबंध स्थापित करना चाहता था। दयानंद का भतीजा लवकुश पासवान भी उसकी कैंटीन पर नजर गड़ाए हुए था। इसलिए, जितेंद्र और लवकुश दोनों मिलकर दयानंद के खिलाफ साजिश रच रहे थे। "
अधिकारी ने कहा कि धनंजय और संतोष ने उसे मारने के लिए 5 लाख की सुपारी ली थी।
एसपी ने कहा, "आरोपियों से पूछताछ में अपराध में शामिल अन्य शूटरों के नाम सामने आए हैं। उन्हें गिरफ्तार करने के प्रयास जारी हैं। हमने उनके कब्जे से एक देसी कट्टा और तीन जिंदा कारतूस जब्त किए हैं।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जनवरी | किसान नेताओं के साथ सातवें दौर की वार्ता के एक दिन बाद मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला है। सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद अब आठ जनवरी को आठवें दौर की वार्ता होनी है।
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, मोदी सरकार की उदासीनता और अहंकार ने 60 से अधिक किसानों के जीवन का अंत कर दिया है। उनके आंसू पोंछने के बजाय, भारत सरकार उन पर आंसू गैस से हमला कर रही है। ऐसी क्रूरता सिर्फ पूंजीपतियों के व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देने के लिए है। कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करें।
राहुल गांधी कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर लगातार हमला कर रहे हैं और कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को विज्ञान भवन में सरकार के साथ किसान समूहों की सातवें दौर की वार्ता अनिर्णीत रही क्योंकि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 जनवरी | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत है और हिंदी हमारी एकता की परिचायक है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कामकाज अधिक से अधिक हिंदी में होना चाहिए और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। तोमर की अध्यक्षता में यहां कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संयुक्त हिंदी सलाहकार समिति की बैठक हुई। बैठक में तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय से देशभर के किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ राजभाषा के उपयोग के माध्यम से अच्छे से पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कृषि अनुसंधान को भी किसानों तक हिंदी में अधिकाधिक पहुंचाने पर जोर दिया, ताकि कृषि क्षेत्र में नीचे गांव-गांव तक इसका लाभ सभी को मिल सके।
तोमर ने कहा, राजभाषा हिंदी के प्रति हम सब के मन में सम्मान है और इस बात की महती आवश्यकता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह सम्मान निरंतर बढ़े ताकि हमारी एकता ज्यादा मजबूत हो। भाषायी व मजहबी विविधता हमारे लोकतंत्र की बड़ी ताकत है। हिंदी हमारी एकता की परिचायक है। केंद्र सरकार का कामकाज अधिक से अधिक हिंदी में होना चाहिए और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
तोमर ने कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग में बनाए जा रहे सरल हिंदी शब्द कोष का कार्य समय-सीमा में पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश दिए।
इस मौके पर कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरल हिंदी का उपयोग किया जाए और इसका सभी अनुपालन करे तो राष्ट्रभाषा का गौरव बढ़ेगा। राष्ट्रभाषा के माध्यम से देशभक्ति के भाव प्रबल होते हैं।
वहीं, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि देश के अधिकांश राज्यों में हिंदी बोली व समझी जाती है, ऐसे में किसानों को सारी जानकारी हिंदी में मिलेगी तो उन्हें आसानी होगी।
कार्यक्रम को बतौर समिति के सदस्य, सांसद सुनीता दुग्गल, डॉ. रामबोध पांडे और विजय कुमार के अलावा कृषि सचिव संजय अग्रवाल एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी अपने विचार रखे। (आईएएनएस)
पटना, 5 जनवरी | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने पार्टी हाईकमान से बिहार प्रभार जैसे बड़े कार्यो से मुक्त करने का अनुरोध किया है। गोहिल की इस मांग के बाद बिहार कांग्रेस नेताओं ने भले ही अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भाजपा और जदयू ने कांग्रेस पर जोरदार कटाक्ष किया है। गुजरात से राज्यसभा सांसद ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, "निजी कारणों से मैंने अपनी पार्टी के आलाकमान से अनुरोध किया है कि अगले कुछ महीनों के लिए मुझे हल्के काम आवंटित की जाएं और बिहार के प्रभार से मुक्त किया जाए।"
उल्लेखनीय है कि गोहिल पिछले साल कोविड -19 वायरस से संक्रमित भी हो गए थे। सूत्रों का कहना है कि गोहिल स्वास्थ्य कारणों से ही बिहार का प्रभार छोड़ना चाह रहे हैं। इधर, गोहिल की बिहार प्रभार से मुक्त किए जाने की मांग ने राजग में शामिल भाजपा और जदयू को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया।
बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कांग्रेस का मजाक उड़ाते हुए कहा कि, "गोहिल के इस ट्वीट ने यह साबित कर दिया कि, कांग्रेस अब धरातल पर नहीं बल्कि ट्विटर, फेसबुक और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की पार्टी रह गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से हकीकत सामने आ गई।"
इधर, जदयू भी कांग्रेस पर कटाक्ष करने से पीछे नहीं रही। जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि, "बिहार कांग्रेस प्रभारी गोहिल का पार्टी हाईकमान से बिहार के संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त करने की अपील करना दरअसल और कुछ नहीं बल्कि समस्याओं को दूसरी तरफ मोड़ने का प्रयास है।"
उन्होंने कहा, "बिहार में कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं बचा है और कांग्रेस पूरी तरह से जमींदोज हो चुकी है।"
बहरहाल, गोहिल के बिहार प्रभार से मुक्त किए जाने को लेकर विरोधी जहां अपने सियासी तीर चला रहे हैं, वहीं कई लोग इसे बिहार में कांग्रेस की गुटबाजी से जोड़कर देख रहे हैं। बिहार चुनाव में पार्टी के लचर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के बिहार प्रभारी पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया था।
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन केवल 19 में ही जीत हासिल कर सकी थी। इसके बाद कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर सौदेबाजी का आरोप लगाया था। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 5 जनवरी (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी को हुए लगभग 10 माह का वक्त होने को आ गया है और इस अवधि में भाजपा ने पूर्ण बहुमत तो हासिल कर लिया है मगर उसके सामने अब असंतोष को काबू में रखने की बड़ी चुनौती नई मुसीबत बनने लगी है।
राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, मगर कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद भाजपा को मार्च 2019 में फिर सत्ता मिल गई थी। उसके बाद 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए उनमें से 19 पर भाजपा ने और नौ पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। उप चुनाव के बाद भाजपा को राज्य में पूर्ण बहुमत मिल गया।
राज्य में दिसंबर में हुए उपचुनाव के नतीजों से प्रदेश सरकार को पूर्ण बहुमत हासिल हो गया। उसके बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार और पार्टी संगठन के विस्तार के साथ ही निगम-मंडलों की नियुक्ति की तमाम नेता आस लगाए हुए हैं। पिछले दिनों मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, मगर दो उन विधायकों को मंत्री बनाया गया जो अभी हाल ही में उप चुनाव जीते थे और उन्हें बगैर विधायक रहते हुए छह माह का वक्त हो जाने पर पद त्याग करना पड़ा था। शिवराज सरकार के चौथे मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिलने से कई नेता नाराज और संतुष्ट हैं। इसे खुले तौर पर अजय विश्नोई ने जाहिर भी किया है। विश्नोई ने तो विंध्य और महाकौशल की उपेक्षा का भी सीधे तौर पर आरोप लगा डाला।
वहीं दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश संगठन के विस्तार की कवायद तो लंबे अरसे से चल रही है और कई बार यहां तक कहा गया कि जल्दी ही कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी, मगर उसमें विलंब होता जा रहा है. इसके साथ ही निगम-मंडलों में भी नियुक्ति का सभी को इंतजार है।
भाजपा के भीतर पनप रहे असंतोष पर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि यह व्यक्तिगत पीड़ा हो सकती है, मगर संगठन अपने हिसाब से सोचता है, विचार करता है, निर्णय करता है और उसके हिसाब से काम करता है। अजय विश्नोई बहुत वरिष्ठ नेता हैं, उनके मन की पीड़ा स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन संगठन को सारी बातें सोचकर निर्णय करना पड़ता है और उसी के हिसाब से निर्णय होंगे।
भाजपा में असंतोष पनपने पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने तो इशारों ही इशारों में 35 विधायकों के कांग्रेस के संपर्क में होने की बात तक कह डाली। उनका कहना है कि जिन्हें सत्ता में बैठना है, वे संगठन से संतुष्ट नहीं होंगे। 35 ऐसे विधायक हैं जो छह और सात बार निर्वाचित हुए है, वरिष्ठता के मामले मे बहुत आगे हैं, उन्हें संगठन का लालच देकर रोक नहीं पाओगे क्योंकि उन्हें सत्ता में बैठाने का वादा किया था, अब वे रुकने वाले नहीं है।
राजनीतिक विश्लेशक साजी थामस का कहना है कि राजनीति में जो लोग हैं वे सत्ता में हिस्सेदारी के साथ संगठन में भागीदारी चाहते हैं। भाजपा सत्ता में है इसलिए अधिकांश नेताओं की कोशिश यही है कि उनकी सत्ता में हिस्सेदारी हो, इसमें देरी हो रही है इससे ऐसे लोगों का असंतुष्ट होना या यूं कहें असंतोष स्वभाविक है। सत्ता और संगठन के सामने यह चुनौती भी है, लेकिन भाजपा में बगावत की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं इसीलिए सत्ता और संगठन दोनों निश्चिंत भी रहता है।
नई दिल्ली, 5 जनवरी | भारत में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के 20 और मामले मिले हैं। इसके बाद देश में ऐसे मामलों की कुल संख्या 58 हो गई है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "इन सभी लोगों को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तय की गई स्वास्थ्य सुविधाओं में एक अलग कमरे में आइसोलेशन में रखा गया है। उनके करीबी संपर्क में आए लोगों को भी क्वारंटीन में रखा गया है। इसके अलावा उनके सह-यात्रियों, परिवार के संपर्कों और संपर्क में आए अन्य लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है। नमूनों पर जीनोम सीक्वेंसिंग का काम चल रहा है।"
इन सभी मामलों में से 8 नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) में, 11 सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) में और 10 मामलों को बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो (एनआईएमएसएएनएस) में रजिस्टर्ड किया गया है।
हैदराबाद में सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी में ऐसे 3 मामलों, पश्चिम बंगाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स में 1 मामले और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 25 मामलों के बारे में पता चला है।
29 दिसंबर को ब्रिटेन से वापस आए 6 लोगों में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट का पता चला था। इस नए स्ट्रेन के ये भारत में रिपोर्ट किए जाने वाले पहले मामले थे। नए स्ट्रेन की ट्रेसिंग और परीक्षण का काम तब शुरू किया गया था, जब ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की थी कि ब्रिटेन की आबादी में वायरस के एक नए रूप की पहचान की गई है, जो संचरण में 70 फीसदी अधिक तेज है।
ब्रिटेन का यह स्ट्रेन डेनमार्क, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में पहले ही मिल चुका है।
मंत्रालय ने कहा कि वह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और राज्यों को लैबोरेटरीज में नमूनों की अच्छे से निगरानी करने, संक्रमण को नियंत्रित करने और परीक्षण बढ़ाने के लिए नियमित तौर पर सलाह दे रहा है। (आईएएनएस)
--समीरात्मज मिश्र
उत्तर प्रदेश के मुरादनगर की संगम विहार कॉलोनी उस श्मशान घाट से महज़ पांच सौ मीटर दूर है जहां हुए हादसे ने इस पूरी कॉलोनी को ही श्मशान घाट सा शोकाकुल बना दिया है.
इस कॉलोनी की जिस गली के आख़िर में 65 वर्षीय जयराम का घर है, उस गली में उनके अलावा चार अन्य घरों के भी चिराग उजड़ गए हैं और मातम पूरी गली में ही नहीं बल्कि पूरे इलाक़े में छाया हुआ है.
हादसे के शिकार लोग जयराम के ही अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान घाट गए हुए थे, जिनका रविवार दिन में निधन हो गया था. मोहल्ले के लोगों और रिश्तेदारों समेत क़रीब सौ लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.
जयराम की पत्नी मुन्नी देवी अपनी एक बहू और दो बेटियों के साथ घर में गुमसुम बैठी थीं. वो कहने लगीं, "हम अपना दुख भूल गए लेकिन हम सब पर जो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, वो तो कभी नहीं भूला जाएगा. हमारे परिवार में ही चार लोगों की मौत हो गई. मोहल्ले के चार लोग चले गए. दामाद अस्पताल में है. घर के और कई लोग अस्पताल में हैं. किसी का सिर फट गया है, किसी का हाथ टूट गया है. कई लोगों का तो अभी भी पता नहीं चल रहा है."
जयराम का 15 वर्षीय पोता आयुष उस घटना का प्रत्यक्षदर्शी था, जिसने 25 लोगों की जान ले ली और कई घायल अब भी ज़िंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं.
आयुष ने घटना के बारे में कुछ इस तरह बताया, "पंडित जी ने परिवार वालों को मंत्र पढ़ने के लिए अपने पास बुलाया. मेरे पापा, चाचा और हम लोग थोड़ी दूरी पर उनके पास चले गए. हल्की-हल्की बारिश होने लगी तो ज़्यादातर लोग छत के नीचे आ गए. तभी एकाएक धड़ाम से वो छत गिर गई. हम लोगों को भी चोट लगी लेकिन बच गए. मेरे चचेरे भाई के पास फ़ोन था.''
''घर पर फ़ोन किया. 112 नंबर पर फ़ोन किया. क़रीब पंद्रह बीस मिनट के बाद पुलिस आई. लेकिन उससे पहले ही मोहल्ले के लोग यहां आ गए और वहां फँसे लोगों को निकालने की कोशिश करने लगे."
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दो महीने पहले शुरू हुआ था निर्माण कार्य
श्मशान घाट में जिस गलियारे की छत ढही है, उसका निर्माण कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ था. इस गलियारे को बनाने में क़रीब 55 लाख रुपए की लागत आई थी और अभी दो हफ़्ते पहले ही इसे आम लोगों के लिए खोला गया था.
परिसर के प्रवेश द्वार से लेकर पीछे कुछ दूर तक इस गलियारे का निर्माण इसीलिए किया गया था ताकि लोगों को छाया मिल सके. लेकिन यह छत ख़ुद कुछ घंटों की लगातार बारिश भी बर्दाश्त नहीं कर सकी और ढह गई.
मलबे से लोगों को निकालने के बाद मलबे में फँसी चप्पलें, जूते, छाते, शॉल और कपड़े घटना की भयावहता को बयां कर रहे हैं. दूसरी ओर, मलबे में दिख रही ईंटें, सीमेंट और बालू निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही और भ्रष्टाचार की कहानी सुना रहे हैं.
सोमवार को कुछ घंटों की धूप के बाद मलबे का कुछ हिस्सा सूख गया था. वहां मौजूद लोग हाथों में सीमेंट और बालू के उस मिश्रण को लेकर छत की गुणवत्ता परख रहे थे जिसका इस्तेमाल ईंटों की चिनाई और छत की ढलाई में किया गया था.
श्मशान घाट के बाहर यामीन मिले जो घटना के समय उधर से गुज़र रहे थे.
उन्होंने बताया, "ऐसा लगा कि आस-पास कहीं बम फट गया है. लेकिन उसके बाद चीख-पुकार सुनाई पड़ी तो देखा यह हादसा हो गया है. हम लोग अंदर पहुंचे तो देखा कि छत ढह गई है और लोग उसके नीचे दबे हैं. अफ़रा-तफ़री मची थी. हम लोगों ने वहां फँसे लोगों को निकालना शुरू किया. कई लोगों को निकाला भी लेकिन जब पुलिस आ गई तो उन्होंने हम लोगों को वहां से भगा दिया."
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अस्पताल में भर्ती होने में हुई देरी
रविवार को हादसे की ख़बर पाकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी तत्काल मौक़े पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू कराया गया. बारिश होने के कारण बचाव अभियान में कुछ रुकावटें भी आईं. देर रात तक बचाव कार्य चलता रहा. घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया.
हालांकि, हादसे में पीड़ित परिवारों का यह भी कहना था कि कुछ घायलों को अस्पताल वालों ने भर्ती नहीं किया और इधर-उधर कई अस्पतालों के चक्कर लगाने में देर होने के चलते कुछ लोगों की जान चली गई.
लेकिन, ग़ाज़ियाबाद के पुलिस अधीक्षक नगर अभिषेक वर्मा ने बताया कि घायलों को तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई और जो लोग गंभीर रूप से घायल थे और जिन्हें तत्काल ऑपरेशन की ज़रूरत थी, उन्हें वे सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. उनके मुताबिक, "अभी भी घायलों का बेहतर उपचार सुनिश्चित कराया जा रहा है और इसके लिए ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी निर्देश दिए हैं."
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मुआवजे की घोषणा
घटना के तत्काल बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग़ाज़ियाबाद के ज़िलाधिकारी और एसएसपी को तुरंत पहुंचने के निर्देश दिए और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की.
लेकिन, इस आर्थिक मदद की घोषणा ने दुखी पीड़ित परिजनों को क्रोधित कर दिया. एक मृतक की रिश्तेदार ज्योति बड़े ग़ुस्से में बोलीं, "दो लाख रुपये की भीख देने की बात कहकर सरकार ने हमारे जले पर नमक छिड़क दिया है."
सोमवार को मृतकों के परिजन दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और मुआवज़ा बढ़ाने की मांग को लेकर शव के साथ दिन भर सड़क पर बैठे रहे. देर शाम डीएम अजय शंकर पांडेय और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में मृतकों के परिजनों को दस लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई.
ग़ाज़ियाबाद के एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह ने बताया, "सभी घायलों का नि:शुल्क इलाज होगा, वो चाहे जिस अस्पताल में भर्ती हैं. मृतकों के परिजनों को दस लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के सदस्यों को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जाएगी. जो बच्चे बेसहारा हो गए हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई का पूरा ख़र्च ज़िला प्रशासन उठाएगा, जब तक वो बालिग नहीं हो जाते हैं."
लेकिन, रोते-बिलखते लौटते परिजनों का कहना था कि बारिश के कारण प्रशासन ने शवों को ज़बरन हटवा दिया और एंबुलेंस में लादकर अंतिम संस्कार कराने पर मजबूर किया गया. हादसे में अपने पति नितिन को खोने वाली नीलम को दो महिलाएं पकड़े हुए थीं. नीलम रोते हुए बोलीं, "कुछ नहीं हुआ. हमारा तो सब कुछ लुट गया. ज़बर्दस्ती बॉडी उठा ले गए. क्या करते. हमें इन पर कोई भरोसा नहीं है."
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सरकारी लापरवाही को लेकर गुस्सा
बारिश से कुछ देर पहले भी प्रशासन ने अचानक एंबुलेंस बुलवाकर शवों को वहां से हटाने की कोशिश की लेकिन परिजनों के प्रबल विरोध के चलते ऐसा न कर सके. सोमवार को मृतकों के परिजनों ने दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर शवों को रखकर दिन भर प्रदर्शन किया और देर शाम प्रशासन की देख-रेख में शवों का अंतिम संस्कार कराया गया.
लोगों में इस बात को लेकर भी बेहद ग़ुस्सा है कि सरकारी लापरवाही ने इतने लोगों की जान ले ली.
लापरवाही के आरोप में पुलिस ने मुरादनगर नगरपालिका की अधिशाषी अधिकारी निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर सीपी सिंह और सुपरवाइजर आशीष के ख़िलाफ़ केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया जबकि ठेकेदार अजय त्यागी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.