राष्ट्रीय
आरती टिक्कू सिंह
नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान का पंजाब प्रांत जहां 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की साजिश रची गई थी, 12 साल बाद खुद बुरी तरह उबल रहा है। यह प्रांत इस्लामी कट्टरवाद की चपेट में है।
यहां चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का दबदबा है, जो इसके संस्थापक खादिम हुसैन रिजवी के इस्लाम के 'ईश निंदा' के मुद्दे को खासी अहमियत देता है।
व्हीलचेयर से चलने वाले मौलवी ने हाल ही में हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद में धरना प्रदर्शन किया और इमरान खान सरकार से पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर हुए ताजा विवाद के चलते फ्रांस से कूटनीतिक संबंध खत्म करने की मांग की थी। आंदोलन के दबाव में आकर खान सरकार ने टीएलपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए कि वह तीन महीने में नेशनल असेंबली द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद फ्रांस के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देंगे।
रहस्यमय रूप से 54 साल के रिजवी की मौत 19 नवंबर को हो गई। उनके दफन होने के बाद उनके बेटे हाफिज साद रिजवी ने अपने पिता के मिशन को 'ईशनिंदा' के खिलाफ आगे बढ़ाने की कसम खाई है।
मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधियों लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, आतंकवादी अजमल कसाब, लश्कर के सरगना डेविड कोलमैन हेडली और तहवुर हुसैन राणा और रिजवी के बीच एक खास संबंध है कि वे सभी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आते हैं। साथ ही सभी इस्लाम को लेकर कट्टरपंथी और ईशनिंदा को लेकर एक जैसी सोच रखते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि हेडली और राणा भारत के खिलाफ मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के अलावा ईश निंदा के मुद्दे से भी प्रेरित थे। लश्कर के निर्देश पर दोनों ने डेनमार्क के समाचार पत्र जाइलैंड्स-पोस्टेन के खिलाफ आतंकी हमले की योजना बनाई, जिसने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के 12 कार्टून प्रकाशित किए थे।
हाल ही में खादिम रिजवी के नेतृत्व में नए सिरे से 'ईशनिंदा' के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया था, जब एक फ्रांसीसी शिक्षक ने फ्री स्पीच पर हुई चर्चा में पैगंबर के कैरिकेचर दिखाए थे। शिक्षक को एक इस्लामवादी छात्र ने मार डाला, जिसकी पूरी दुनिया में निंदा हुई। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों न केवल शिक्षक और फ्रांस की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खड़े हुए, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका देश इस्लामी कट्टरपंथ को बर्दाश्त नहीं करेगा।
यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी हेडली, राणा और खादिम रिजवी के साथ ईशनिंदा के मुद्दे पर उनकी ही सोच वाले हैं। उन्होंने फ्रांस को चेतावनी दी थी कि फ्री स्पीच की आड़ में इस्लाम की 'निन्दा' नहीं की जा सकती है।
पाकिस्तान में अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पंजाब प्रांत में इस्लामी कट्टरता चरम पर पहुंच गई है। यह पाकिस्तान सेना द्वारा भारत के खिलाफ अपने रणनीतिक लक्ष्यों के लिए पंजाब प्रांत में विभिन्न संप्रदायों के धार्मिक कट्टरपंथियों का बार-बार इस्तेमाल करने का ही नतीजा है। यहां भारत में कश्मीर को निशाना बनाने के लिए स्कूलों, देवबंदी, जमात-ए-इस्लामी और अहल-ए-हदीस का इस्तेमाल आतंकी तैयार करने के लिए किया गया था। खासे अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद भी कश्मीर के लिए उनके सभी प्रमुख और आतंकी कैंप अभी भी यहां चल रहे हैं।
लाहौर के एक पत्रकार ने आईएएनएस से कहा, "लेकिन 26/11 के बाद से पाकिस्तान में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले बरेलवी समुदाय इस्लामिक कट्टरवाद फैला रहे हैं। यह पाकिस्तान के दिल को चीर रहा है।"
गौरतलब है कि पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से अधिकांश पंजाब प्रांत के ही हैं।
---
मनोज पाठक
पटना, 26 नवंबर | बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब बदलाव के मूड में है। विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त कर बिहार में राजग की सरकार ने कार्यभार संभाल लिया है।
नई सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा राज्य में पहली बार दो उप मुख्यमंत्रियों को शामिल किया गया है। अब तक भाजपा के सरकार में शामिल होने के बाद सुशील कुमार मोदी को नीतीश कुमार के सहयोगी के तौर पर उपमुख्यमंत्री बनाया जाता था। लेकिन इस बार सुशील कुमार मोदी को दरकिनार कर कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद को तथा बेतिया की विधायक रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
राजग को विधानसभा चुनाव में 125 सीटें मिलीं जिनमें भाजपा की 74, जदयू की 43, हम व वीआइपी की चार-चार सीटें शामिल हैं।
गौर से देखा जाए तो भाजपा इस बार राज्य में पार्टी के पुराने दिग्गजों से किनारा कर नई टीम तैयार करने में जुटी है। सुशील मोदी के अलावा पिछली सरकार में पथ निर्माण मंत्री रहे नंदकिशोर यादव तथा कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार को भी किनारे कर दिया गया। नंदकिशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अचानक विजय कुमार सिन्हा को इस पद के लिए उपयुक्त माना गया और सिन्हा अध्यक्ष बन गए।
भाजपा के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया, परिवर्तन ही नियम है। पार्टी ने टीम में बदलाव कर इतना तो साफ कर दिया है कि अब सब कुछ पहले जैसा नहीं रहा, चीजें बदल गई हैं। नए लोगों को मौका दिया गया है। पार्टी नेतृत्व जिसको दायित्व दे रहा है, वह निभा रहा है, इसके दूसरे मायने नहीं निकाले जाने चाहिए।
वैसे इस बदलाव को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार में पार्टी का हस्तक्षेप बढ़ेगा जो सुशील मोदी के उपमुख्यमंत्री रहते कतई संभव नहीं था। दूसरी बात कि इस तरह नेतृत्व की दूसरी पंक्ति भी राज्य में खड़ी हो सकेगी।
वैसे, भाजपा के नेता यह भी मानते हैं कि राजग को सत्ता तक पहुंचाने में महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका है, यही कारण है कि महिला को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मदारी सौंपी गई है।
भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, "भाजपा एक लोकतांत्रिक पार्टी है। नए चेहरों को जगह देकर भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का साधारण कार्यकर्ता भी अपने बूते शिखर पर पहुंच सकता है। यह किसी पॉकेट और परिवार की पार्टी नहीं है, कि एक परिवार की इच्छा ही चलेगी। भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा यह कोई नहीं बता सकता। यहां मतदान केंद्र से लेकर बड़ा नेता भी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री बन सकता है।"
बहरहाल, भाजपा इस चुनाव के बाद 'बड़े भाई' की भूमिका में आ गई है और अब वह अपने बूते बिहार में खड़ा होना चाहती है। यही कारण माना जा रहा है कि भाजपा में नई टीम तैयार करने की कवायद चल रही है। वैसे, यह बदलाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार के लिए कितना कारगर होता है यह तो अब देखने वाली बात होगी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 26 नवंबर| उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 28 नवंबर को ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के 150 वाडरें के लिए होने वाले चुनावों के लिए प्रचार करेंगे। भाजपा हैदराबाद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है, और योगी आदित्यनाथ ओल्ड सिटी के गोलकोंडा क्षेत्र से अपना प्रचार अभियान शुरू करेंगे।
हालांकि निगम चुनाव आमतौर पर एक स्थानीय मामला होता है लेकिन भाजपा अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार रही है, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हैं।
योगी आदित्यनाथ हाल के दिनों में पार्टी के सबसे बड़े भीड़ खींचने वाले नेताओं में से एक के रूप में उभरे हैं, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण हाल में संपन्न हुए बिहार विधानसभा का चुनाव है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि, मुख्यमंत्री 28 नवंबर को हैदराबाद में एक रोड शो करेंगे। वहां वो एक दिन का प्रचार करेंगे।
1 दिसंबर को होने वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम का चुनाव भाजपा के लिए एक प्रतिष्ठा का सवाल है और ये इस बात से पता चलता है कि यहां भाजपा के कई स्टार प्रचारक मैदान में उतर रहे हैं जो कि अकसर स्थानीय चुनाव में देख्रने को नहीं मिलता है। (आईएएनएस)
भोपाल, 26 नवंबर| दुनिया के हर हिस्से में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन रही है। मध्य प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के मसले पर बच्चों से समाज के जागरुक लोगों ने संवाद किया तो एक बात सामने निकलकर आई कि स्कूली पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर यूनिसेफ और नाइन इज माईन (प्रत्येक) के साथ मिल कर मध्य प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों ने राज्य में जलवायु परिवर्तन पर अनुशंसाओं के लिए राज्य बाल संसद का आयोजन किया। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि बहुत अधिक प्रभावित होती है। जल स्रोत सूख रहे हैं और पानी की कमी हर जगह देखी जा रही है। ऐसे समय में जलवायु परिवर्तन पर बच्चों का बात करना महत्वपूर्ण है। हम बड़े लोगों को उनकी बात सुननी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को अपने विचार और सिफारिशें साझा करते हुए देख कर उन्हें बहुत संतोष हुआ है। यह सुखद है कि यूनिसेफ और नाइन इज माईन ने बच्चों को जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखने में सक्षम बनाया है और उन्हें अभिव्यक्ति साझा करने का अवसर दिया है।
बाल संसद में बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए मांगों का चार्टर तैयार किया है। इस क्रम में बच्चों ने जानकारों के साथ संवाद में जलवायु परिवर्तन पर मांगों के चार्टर को प्रस्तुत किया।
इस संवाद में चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने कहा कि आज हम जलवायु परिवर्तन पर मांगों के चार्टर को साझा करते हुए बच्चों की बात सुन रहे हैं। हम इसको गंभीरता से लें क्योंकि बच्चों की आवाज को सुनने और नीति निमार्ताओं तक उनकी बात पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है।
भाजपा नेता पंकज चतुवेर्दी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित मांगों के चार्टर को बच्चों ने अच्छे से बनाया है और प्रस्तुत किया है। हमें स्कूली पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन को एक विषय के रूप में शामिल करना चाहिए। बहुत कम उम्र से बच्चों को पर्यावण संरक्षण के बारे में पढ़ाना शुरू करना चाहिए।
प्रत्येक के निदेशक स्टीव रोचा ने कहा कि बच्चे भविष्य नहीं हैं, वे वर्तमान हैं। उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए ताकि उनके लिए बेहतर भविष्य बनाया जा सके। पृथ्वी के अधिकार के बिना बाल अधिकारों का कोई अर्थ नहीं है। अगर कोई आपदा आती है, तो वह सभी रूपों में बच्चों को प्रभावित करता है और उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है।
कोंडरिया की सरपंच अनुराधा जोशी कोंडरिया ने कहा कि हम ग्रामीण स्तर पर लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, प्लास्टिक उपयोग न करें, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वर्षा जल संचयन के लिए कुछ कदम उठाए। इसी तरह, सभी स्तरों पर और व्यक्तिगत स्तर पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संभव कदम उठाए जाने चाहिए।
यूनिसेफ मध्य प्रदेश के संचार विषेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि निर्णय लेने के स्तर पर बच्चों की आवाज को पहुंचाने के लिए हम सब को सक्रिय होना चाहिए।
बाल प्रतिनिधि श्रेयांश, अनन्या और पूनम ने कहा कि भविष्य में आपदाओं को रोकने के लिए, हमें अब कार्रवाई करनी चाहिए। इसके पहले कि बहुत देर हो जाए हमें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में छोटे कदम उठाने शुरू कर देने चाहिए। (आईएएनएस)
वाराणसी (उप्र), 26 नवंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 नवंबर को 'देव दीपावली' के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी का दौरा कर सकते हैं। इस अवसर पर वह वाराणसी के राजघाट पर मिट्टी का पहला दीया जलाकर 80 घाटों पर सजाए गए 10 लाख दीयों को जलाए जाने का शुभारंभ करेंगे।
प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना में प्रगति का जायजा भी लेंगे और छह घंटे तक यहां रहने के बाद शहर से रवाना होने से पहले साउंड एंड लाइट शो देखेंगे।
जिला मजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा के अनुसार, "हमें देव दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री की संभावित यात्रा के संबंध में प्रारंभिक सूचना मिली है, जिसके बाद उनके द्वारा भाग लिए जाने वाले कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाएगा और तदनुसार अन्य तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।"
प्रधानमंत्री के लिए उपस्थिति को देखते हुए तैयार किए जा रहे प्रस्ताव के अनुसार, पर्यटन विभाग एक समारोह की मेजबानी करेगा, जहां प्रधानमंत्री कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले त्योहार की शुरुआत को चिह्न्ति करने के लिए राजघाट में देव दीपावली का पहला दीप जलाएंगे।
इसके बाद लगभग 45 मिनट की अवधि का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सभी घाटों पर मिट्टी के दीपक जलाए जाने के बाद प्रधानमंत्री गंगा नदी के किनारे घाटों की सुंदरता को देखने के लिए नौकाविहार पर जाएंगे।
महामारी के दौरान प्रधानमंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र का यह पहला दौरा होगा।
चेन्नई, 26 नवंबर | गंभीर चक्रवाती तूफान निवार ने 25 नवंबर की रात और 26 नवंबर की सुबह के दौरान पुडुचेरी के पास से पुडुचेरी और तमिलनाडु तट को 120-130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पार कर लिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
चक्रवात के कारण तमिलनाडु का कुड्डालोर जिला बहुत प्रभावित हुआ है, वहां तेज हवाओं के कारण कई पेड़ गिर गए। जिला प्रशासन गिरे हुए पेड़ों को हटाने में जुटा है।
मौसम विभाग के अनुसार, तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी में चक्रवात का केन्द्र पुडुचेरी से उत्तर में 25 किलोमीटर पर वायु गति 90-100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के बीच बना हुआ है।
आईएमडी ने कहा कि अगले 3 घंटों के दौरान चक्रवाती तूफान और कमजोर होगा।
चक्रवात ने बुधवार रात लगभग 10.30 बजे तटीय इलाके में दस्तक दिया। इस दौरान उसकी गति 16 किलोमीटर प्रतिघंटा थी।
मौसम विभाग के अनुसार, निवार ने 25 नवंबर को रात 11.30 बजे से 26 नवंबर को सुबह 2:50 बजे के बीच तटीय इलाके को पार किया। करीब 6 घंटे तक तेज रहने के बाद अब इसके धीरे-धीरे कमजोर होने की संभावना है।
समुद्र के किनारे अभी लहरें में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जिसके कारण भारी लहरें तटों से टकरा रही हैं। इसके चलते 26 नवंबर को अधिकांश या कई स्थानों पर भारी/बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। इसमें तमिलनाडु के रानीपेट, तिरुवन्नमलाई, तिरुपत्तूर, वेल्लोर जिलों और चित्तूर, कुरनूल, प्रकाशम और आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले शामिल हैं।
मौसम विभाग ने कहा कि हवा की गति तमिलनाडु के आंध्र प्रदेश और चित्तूर जिले के आंतरिक जिलों (रानीपेट, तिरुवन्नमलाई, तिरुपत्तूर, वेल्लोर) में 65-75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक कम होने की संभावना है।
पुडुचेरी सरकार ने चक्रवात के चलते गुरुवार को भी सार्वजनिक अवकाश घोषणा की है। वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 25 टीमों को तमिलनाडु, पुदुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 26 नवंबर | डिस्क्लेमर: भारत के "मौजूदा क़ानून में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है."
रिपोर्ट की शुरुआत में इस तरह के डिस्क्लेमर का ख़ास संदर्भ है. कई राजनीतिक नेता इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन ऊपर लिखा वाक्य केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ़ से चार फ़रवरी 2020 को लोकसभा में दिए गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब का अंश है.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंतर-धार्मिक विवाह के ख़िलाफ़ एक अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है. भारतीय जनता पार्टी की चार और राज्य सरकारें इसी तरह के अध्यादेश लाने की बात कर चुकी हैं.
भारत में इस मुद्दे पर ज़ोरों से बहस छिड़ी हुई है.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस कथित जबरन अंतर-धार्मिक शादी (जिसे बीजेपी लव जिहाद कहती है) के अध्यादेश के विरोध को अपने पन्नों पर जगह दी है.
सिंगापुर के स्ट्रैट टाइम्स अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया है कि ''लव जिहाद'' लाने की बात करने वाले पाँच राज्य वो हैं जहाँ बीजेपी की सरकारें हैं. अख़बार के अनुसार उत्तर प्रदेश में लाए गए अध्यादेश और दूसरे चार राज्यों में इस पर प्रस्ताव से ''लव जिहाद'' के मुद्दे को हवा मिलेगी.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ के बयानों को काफ़ी जगह दी है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश में इस पर एक अध्यादेश को मंज़ूरी मिली है.
अख़बार ने यूपी के मुख्यमंत्री के 31 अक्टूबर वाले एक बयान को प्रमुखता से छापा है. अख़बार ने लिखा है, "योगी आदित्यनाथ, एक हिन्दू पुरोहित जो भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, 31 अक्टूबर को एक चुनावी सभा में कहते हैं कि सरकार 'लव जिहाद' को रोकने के लिए एक फ़ैसला ले रही है. हम उन लोगों को वार्निंग देते हैं जो अपनी शिनाख़्त को छिपाते हैं और हमारी बहनों की बेइज़्ज़ती करते हैं. अगर आप बाज़ नहीं आए तो आपका अंतिम संस्कार जल्द होगा."
'यूएस न्यूज़' नाम की अमेरिका की एक मीडिया आउटलेट ने लखनऊ डेटलाइन से ताज़ा अध्यादेश पर अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "भारतीय राज्य ने विवाह के लिए 'जबरन' धर्म परिवर्तन को अपराध ठहराया."
आलोचकों के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, "आलोचक कहते हैं कि योगी की कैबिनेट ने जिस ग़ैर-क़ानूनी धर्म परिवर्तन वाले अध्यादेश को मंज़ूरी दी है उसका उद्देश्य भारत के 17 करोड़ मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग करना है."
अख़बार ने इस रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां के एक बयान को भी जगह दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि ''लव जिहाद'' नाम की कोई चीज़ है ही नहीं और ये बीजेपी की केवल एक सियासी चाल है.
अल-जज़ीरा ने अपनी वेबसाइट पर इसे जगह दी है और पश्चिमी देशों के कई अख़बारों की वेबसाइट ने भी इस ख़बर को छापा है.
अधिकतर मीडिया आउटलेट भारत में इससे जुड़े मुद्दों को भी साझा कर रहे हैं. अल-जज़ीरा ने अक्टूबर में हुई उस घटना का हवाला दिया है जिसमें तनिष्क जेवेलरी स्टोर को वो विज्ञापन हटाना पड़ा था जिसमें एक हिन्दू बहू को उसके मुस्लिम पति के साथ दिखाया गया था.
फ़र्स्टपोस्ट वेबसाइट ने नेटफ्लिक्स में दिखाई जा रही मीरा नायर की फ़िल्म 'ऐ सूटेबल बॉय' में एक मंदिर के अंदर एक चुंबन दृश्य (किसिंग सीन) पर हुए विवाद को ''लव जिहाद'' के अध्यादेश से जोड़ते हुए भारत में बढ़ते असहिष्णुता पर रिपोर्टिंग की है.
इस किसिंग सीन में एक मुस्लिम युवा एक मंदिर के अंदर अपनी हिन्दू गर्लफ़्रेंड को चूमते हुए दिखाई देता है जिसके ख़िलाफ़ कुछ हिन्दू संस्थाओं ने पुलिस से शिकायत दर्ज की है. मध्य प्रदेश में नेटफ्लिक्स के कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है.
''लव जिहाद'' क्या है?
हिन्दू राइट विंग संस्थाएं 'लव जिहाद' ऐसे प्रेम विवाह को कहती हैं जिसमें एक मुस्लिम मर्द एक हिन्दू औरत से शादी करके उसे इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर करता है. अगर उल्टा हो यानी एक मुस्लिम औरत एक हिन्दू मर्द से शादी करे तो इस पर कुछ हिन्दू संस्थाएं ख़ामोश हैं तो कुछ संस्थाएं ऐसी शादियों का बढ़चढ़ कर समर्थन करती हैं.
भारत सरकार और निजी सामाजिक संस्थाओं के पास इन शादियों के आंकड़ें नहीं हैं लेकिन एक अनुमान के मुताबिक़ ऐसी शादियाँ तीन प्रतिशत से भी कम हैं.
सरकारी एजेंसियों की कई रिपोर्टों में हिन्दू औरत और मुस्लिम मर्द के बीच विवाह में 'जिहाद' के इल्ज़ाम ग़लत पाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद बीजेपी की पाँच राज्य सरकारें इसे रोकने के लिए क़ानून का सहारा ले रही हैं.
इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल कहाँ और कब हुआ ये कहना मुश्किल है लेकिन 2009 के आसपास कर्नाटक और केरल में इस शब्द के इस्तेमाल की मिसाल मिलती हैं जहाँ के कुछ हिंदू और ईसाई संस्थानों को मुस्लिम मर्दों द्वारा हिन्दू या ईसाई महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए धोखा देकर शादी करने की साज़िश का उल्लेख किया गया है.
भारत में अंतर-धार्मिक शादियाँ स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत होती हैं जिसके लिए अदालत में शादी रजिस्टर करानी पड़ती है और इससे पहले अदालत एक महीने का नोटिस जारी करती है ताकि किसी को इस विवाह से आपत्ति हो तो अदालत को बता सकते हैं.
''लव जिहाद'' शब्द के प्रचलन से पहले सालों से दक्षिणपंथी हिन्दू संस्थाएं अदालत में ऐसी शादियों का विरोध करते आए थे जिसमें जोड़े को धमिकयां भी दी जाती थीं लेकिन ये इतना सार्वजनिक तरीक़े से नहीं किया जाता था.
''लव जिहाद'' के ख़िलाफ़ मुहिम के अंतर्गत हिन्दू-मुस्लिम शादियों का खुल कर विरोध होना शुरू हो गया, ख़ास तौर से उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार संस्थाओं और मीडिया ने इसे एक नागरिक के मौलिक अधिकारों पर प्रहार बताया है. (bbc)
नई दिल्ली, 26 नवंबर | महान फुटबाल खिलाड़ी अर्जेंटीना के डिएगो माराडोना का बुधवार को 60 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। उनके निधन के बाद फुटबाल जगत शोक में है। पुर्तगाल के महान खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने माराडोना को जादूगर बताते हुए कहा कि वह काफी जल्दी दुनिया से चले गए। रोनाल्डो ने ट्वीट किया, "आज मैंने अपने एक अच्छे दोस्त को अलविदा कह दिया और विश्व ने एक महान जिनियस को। विश्व के सर्वकालिक महान जादूगर। वह जल्दी चले गए लेकिन अपने पीछे एक विरासत छोड़ गए और एक ऐसा शून्य जिसे कभी नहीं भरा जा सकता। भागवान आपकी आत्म को शांति दे। आप कभी नहीं भूलाए जा सकते"
दुनिया के महान फुटबाल खिलाड़ियों में शुमार माराडोना की कप्तानी में ही अर्जेटीना ने विश्व कप जीता था। इस विश्व कप में माराडोना ने कई अहम पल दिए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है, जिसमें से सबसे बड़ा और मशहूर पल इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में आया था जब उनके द्वारा किए गए गोल को 'गोल ऑफ द सेंचुरी' कहा गया था। उन्होंने 60 यार्ड से भागते हुए इंग्लैंड की मिडफील्ड को छकाते हुए गोल किया था।
ब्यूनस आयर्स के बाहरी इलाके में 30 अक्टूबर 1960 में पैदा हुए माराडोना ने 1976 में अपने शहर के क्लब अर्जेटीनोस जूनियर्स के लिए सीनियर फुटबाल में पदार्पण किया था। इसके बाद वह यूरोप चले गए जहां उन्होंने स्पेन के दिग्गज क्लब बार्सिलोना के साथ पेशेवर फुटबाल खेली। 1984 में कोपा डेल रे के फाइनल में विवाद के कारण स्पेनिश क्लब के साथ उनका सफर खत्म हुआ।
इसके बाद वह इटली के क्लब नापोली गए जो उनके करियर के सबसे शानदार समय में गिना जाता है। क्लब के साथ उन्होंने दो सेरी-ए, कोपा इटालिया और एक यूईएफए कप के खिताब जीते। वह क्लब से उसके सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी के तौर पर विदा हुए। उनके रिकार्ड को 2017 में मारेक हानिसिक ने तोड़ा।
इसके बाद उन्होंने स्पेनिश क्लब सेविला और फिर अर्जेटीना के नेवेल के साथ करार किया।
कोच के तौर पर वह अपनी राष्ट्रीय टीम के साथ 2008 से 2010 तक रहे।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 25 नवंबर | दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हथियार तस्कर गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया। आरोपी के पास से 10 अत्याधुनिक पिस्तौल जब्त की गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी बुधवार को दी। डीसीपी स्पेशल सेल पीएस कुशवाह ने कहा, "सागर गौतम और श्याम सिंह दोनों उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले हैं और पिछले तीन सालों से मध्य प्रदेश से इनकी सोर्सिग के बाद दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी यूपी में अवैध हथियारों की बिक्री करते हैं।"
मंगलवार को आनंद विहार आईएसबीटी से गिरफ्तार दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से पिस्तौल और कारतूस लाते थे।
पुलिस अधिकारी ने कहा, "सागर 7,000 रुपये में एक पिस्तौल खरीद कर उसे एनसीआर में 25,000 रुपये से 30,000 रुपये की कीमत में बेचता था। गिरोह के अन्य लिंक की पहचान करने के प्रयास जारी हैं।"(आईएएनएस)
मुंबई, 25 नवंबर| बॉबी देओल-स्टारर क्राइम ड्रामा वेब सीरीज 'आश्रम' के दूसरे सीजन को दर्शकों द्वारा काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जिसके बाद अभिनेता अब इसके तीसरे सीजन का इंतजार कर रहे हैं। वेब सीरीज 'आश्रम' में बॉबी एक धोखेबाज बाबा निराला का किरदार निभाते हुए दिखाई दिए, जिसमें वो बुरे कामों में लिप्त हैं।
वेब सीरीज को दोनों सीजन में मिली सफलता के बारे में बात करते हुए बॉबी ने कहा कि वह दर्शकों की प्रतिक्रिया से अभिभूत हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, "मैं इसके (तीसरे सीजन) का इंतजार कर रहा हूं। मैं आश्रम के लिए मिले प्यार के लिए सभी प्रशंसकों को धन्यवाद देना चाहता हूं।" (आईएएनएस)
मुंबई, 25 नवंबर | बॉक्सिंग चैंपियन एमसी मैरी कॉम ने ओमंग कुमार की अगली फिल्म की घोषणा करने के लिए बुधवार को ट्विटर का सहारा लिया। ओमंग कुमार की नई फिल्म का नाम 'जनहित में जारी' है। फिल्म मार्च 2021 तक पर्दे पर आने के लिए तैयार है।
फिल्म के पोस्टर को ट्वीट करते हुए मैरी कॉम ने लिखा, "एक वुमनिया सब पे भारी .. ये सोचना है। हैशटैग जनहित में जारी। मैं इस फिल्म का इंतजार कर रही हूं, इसमें बहुत दिलचस्प कॉन्सेप्ट है।"
बॉक्सिंग चैंपियन के पोस्ट पर रिप्लाई देते हुए डायरेक्टर ने कहा, "मैरी को बहुत बहुत धन्यवाद। " (आईएएनएस)
रांची, 25 नवंबर (आईएएनएस)| चारा घोटाले के मामले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बिहार में राजग के एक विधायक को प्रलोभन दिए जाने का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद झारखंड भाजपा ने लालू प्रसाद पर अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। भाजपा नेता और झारखंड विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को कहा कि, "लालू प्रसाद यादव ने बिहार विधान सभा के एक सदस्य को फोन पर प्रलोभन दिया है, यह हर्स ट्रेडिंग का मामला है। राज्य सरकार को इस पर तुरंत लालू प्रसाद पर प्रलोभन का आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि, "राज्य में विधि व्यवस्था नाम की कोई चीज शायद नहीं रह गई है, तभी तो इस प्रकार की इजाजत एक सजायाफ्ता कैदी को दी जा रही है।"
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार चाहे तो उन्हें बिहार ही भेज दे। मरांडी ने पूरे प्रकरण में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय से स्वत: संज्ञान लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो साथ ही इन्हें अन्यत्र जेल में स्थानांतरित किया जाए।
नई दिल्ली, 25 नवंबर| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को बिहार, तमिलनाडु और केरल में रेलवे के मुख्य अभियंता, सहायक निदेशक, सहायक अभियंता के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग संपत्तियों और भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों के सिलसिले में तलाशी ली। साथ ही 1 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसी की कई टीमों ने बिहार, तमिलनाडु और केरल में तलाशी ली और एक करोड़ रुपये नकद, आरोपी व्यक्तियों के परिसरों से निवेश, आभूषण आदि से जुड़े दस्तावेज बरामद किए।
अधिकारी ने कहा कि रेलवे के मुख्य अभियंता, भारत पर्यटन के एक सहायक निदेशक और अन्य लोगों के खिलाफ संपत्ति और भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों के सिलसिले में तलाशी ली गई। (आईएएनएस)
काइद नाजमी
मुंबई, 25 नवंबर | 26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों के पूरे ट्रायल में जो सबसे अधिक पुख्ता सबूत माना गया, वो था अजमल आमिर कसाब का पकड़े जाना। वो 10 आतंकियों में से एकमात्र जीवित आतंकी था जो पकड़ा गया। आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में करीब 60 घंटे तक विनाशकारी तांडव मचाया था। बाद में ट्रायल के बाद कसाब को फांसी दी गई।
मुंबई की देविका एन. रोटावन तब 8 साल की थीं। कसाब और उसके सहयोगियों ने जब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस बिल्डिंग के अंदर अंधाधुंध फायरिंग की थी, तो एक गोली देविका के पैर में जा लगी थी।
वह अपने पिता नटवरलाल के साथ 33 वर्षीय अपने भाई भरत से मिलने के लिए पुणे जाने के लिए ट्रेन पकड़ने की प्रतीक्षा कर रही थी।
अब 21 साल की हो चुकीं देविका ने उस भयावह रात का जिक्र करते हुए कहा, "अचानक, हमने कुछ गोलियों की आवाज और जोरदार धमाकेदार आवाजें सुनीं, लोग चिल्ला रहे थे, रो रहे थे, इधर-उधर भाग रहे थे। चारों तरफ अराजकता थी जैसा कि हमने भागने की कोशिश की, मैंने ठोकर खाई, मेरे पैर से खून निकल रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मुझे गोली मार दी गई थी। मैं गिर गई और अगले दिन तक बेहोश थी।"
किसी तरह उन्हें पास के सर जे.जे. अस्पताल ले जाया गया जहां अगले दिन, उनके दाहिने पैर में एके -47 से मारी गई गोली निकालने के लिए एक सर्जरी की गई।
अगले छह महीनों में, उनके पैर की अन्य सर्जरी हुई और बाद के तीन वर्षों में 6 ऑपरेशन हुआ।
नटवरलाल रोटावन ने आईएएनएस को बताया, "वह बहुत छोटी थी। मैंने 2006 में अपनी पत्नी सारिका को खो दिया था, और मेरे दो बेटे भी हैं। हमने देविका की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी।"
देविका ने कहा, "वे तीन साल खराब थे, मैं शुरू में पाली जिले (राजस्थान) के अपने मूल सुमेरपुर गांव में शिफ्ट हो गई, जहां मेरे पिता, भाइयों और अन्य रिश्तेदारों ने मेरी देखभाल की। जल्द ही, हमें अदालती मामलों के लिए वापस लौटना पड़ा।"
बेटी और पिता दोनों 26/11 के हमलों में न केवल जीवित बचे थे, बल्कि अहम गवाह भी थे और आखिरकार जून 2009 में न्यायालय में उनकी गवाही ने एक तरह से कसाब के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम किया।
भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत सभी कानूनी दांवपेंचों का इस्तेमाल करने के बाद, कसाब को फांसी दी गई (21 नवंबर, 2012), लेकिन देविका को अपने बचपन, किशोरावस्था को त्याग करना पड़ा और अगले महीने वह 22 साल की हो जाएंगी।
वह किसी तरह आईईएस न्यू इंग्लिश हाई स्कूल, बांद्रा पूर्व से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में कामयाब रहीं, उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज, चर्चगेट से एचएससी पूरा करने का रास्ता अपनाया और अब वह बांद्रा के चेतना कॉलेज से अपनी एफवाईबीए कर रही हैं।
नटवरलाल ने कहा, "शुरू में हमें मुआवजे के रूप में लगभग 3.50 लाख रुपये मिले। इसके अलावा, हमें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत एक घर भी देने का वादा किया गया था, जिसका पूरा होना बाकी है।"
उन्होंने कहा, "हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखा.. मोदीजी 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' के बारे में बात करते हैं। देविका के बारे में क्या? मेरी बेटी ने हमारे देश के लिए आतंकवादियों और पाकिस्तान को चुनौती दी .. लेकिन हम केवल पीएम के खोखले वादों को सुनते हैं।"
देविका आईपीएस अधिकारी बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह 12 वर्षो से यह सपना देख रही हैं। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 25 नवंबर | पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को अहमद पटेल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने एक दोस्त और पार्टी के मजबूत नेता को खो दिया है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मित्र अहमद पटेल जी के असामयिक निधन के बारे में जान कर हैरान और दुखी हूं।
वे एक समर्पित कार्यकर्ता, हमारी पार्टी के मजबूत नेता थे और कठिन समय में इसे आगे बढ़ाया। उनके परिवार, दोस्तों और कार्यकर्ताओं के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। हम आपको याद करेंगे।
कांग्रेस नेता अहमद पटेल का बुधवार सुबह 3.30 बजे एक गुरुग्राम अस्पताल में कोविड-19 जटिलताओं के बाद 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 नवंबर | दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से निलंबित आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा फरवरी के दंगों के मामले में दायर की गई जमानत याचिका पर जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने वकील रिजवान के माध्यम से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले को 11 दिसंबर को सुनवाई के लिए टाल दिया।
हुसैन पर कड़े यूएपीए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो कि 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों के कथित साजिश से संबंधित है। ये दंगे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के समर्थकों और विरोधियों में झड़प के बाद हुए थे। हिंसा में कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 200 घायल हो गए। (आईएएनएस)
सुगंधा रावल
नई दिल्ली, 25 नवंबर मुंबई में 26/11 यानी 26 नवंबर को हुए हमले को 12 साल हो गए हैं। लेकिन आज भी यह आधुनिक भारतीय इतिहास का दुखद अध्याय शोबिज के कैनवास पर अपनी छाप छोड़ता रहता है।
गौरतलब है कि 26 नवंबर, 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसकर शहर के विभिन्न हिस्सों में तबाही मचाई थी। उन्होंने 160 से अधिक लोगों को मार डाला। इस हमले के दौरान 9 आतंकवादी भी मारे गए, जबकि एक मोहम्मद अजमल कसाब, उसे जिंदा गिरफ्तार किया गया और आखिरकार नवंबर 2012 में उसे फांसी दे दी गई।
आतंकवादियों ने शहर के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन, ताज महल पैलेस होटल, कैफे लियोपोल्ड, कामा और अलब्लेस अस्पताल, नरीमन हाउस और ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल जैसे जगहों पर बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी।
हालांकि इस घटना को एक दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज भी यह डरावनी घटना फिल्मकारों को पर्दे पर उसे दिखाने के लिए प्रेरित करती है और कई फिल्मकारों ने इस घटना को अलग-अलग ²ष्टिकोण से पेश करने का प्रयास किया।
आतंकवादियों से लोहा लेने वाले बहादुर वीरों से लेकर अपनों को खो चुके लोगों के दु:ख तक, सुरक्षा खामियों से लेकर आतंकवादियों की सोच तक, फिल्मकारों ने इस त्रासदी से जुड़े विभिन्न वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना जारी रखा है।
इनमें जल्द ही आ रही निखिल आडवाणी की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज 'मुंबई डायरीज 26/11' है, जिसमें कोंकणा सेनशर्मा और मोहित रैना ने अभिनय किया है। कहानी के आधार को उजागर नहीं किया गया है। वहीं आडवाणी के शो में हमले के एक काल्पनिक कहानी को दिखाया जाएगा, जो कामा अस्पताल की घटनाओं पर केंद्रित होगा।
वहीं इसी हमले से जुड़े एक पहलू को तेलुगू सुपरस्टार महेश बाबू ने फिल्म निर्माण के जरिए पेश करने का फैसला लिया। उन्होंने एक स्क्रिप्ट चुनी, जिसमें 26/11 के हमले में शहीद हुए एनएसजी कमांडो संदीप उन्नीकृष्णन को सलाम किया है। इसका शीर्षक 'मेजर' है, जिसका निर्देशन शशि किरण टिक्का करने वाले हैं, इसमें तेलुगू अभिनेता अदिवी सेश शहीद की भूमिका निभाएंगे। महेश बाबू ने इसे तेलुगू भाषा के साथ-साथ हिंदी में प्रस्तुत करने का फैसला लिया है।
यह त्रासदी दर्शकों के लिए कितनी प्रासंगिक बनी हुई है, इसका पता हाल ही में वेब शो 'स्टेट ऑफ सीज: 26/11' की सफलता से आंकी गई। यह शो इस साल की शुरुआत में प्रदर्शित हुई।
अभिनेता अर्जुन बिजलानी, अर्जन बाजवा और विवेक दहिया के साथ एनएसजी कमांडो की भूमिका निभाते हुए, यह शो 26/11 की अनकही कहानियों को बताता है, मुख्य रूप से वर्दी में पुरुषों की वीरता को उजागर करता है। यहां तक कि उनकी 26/11 सागा को लेकर मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया ने निमार्ताओं को 'स्टेट ऑफ सीज' को एक फ्रेंचाइजी में बदलने के लिए प्रेरित किया। वे जल्द ही वेब फिल्म 'स्टेट ऑफ सीज: अक्षरधाम' के साथ वापस आएंगे।
स्टेट ऑफ सीज: 26/11 के क्रिएटर अभिमन्यु सिंह ने कहा, "मैंने कहानी को दो मुख्य कारणों से बनाया है। भारत में आतंकवाद रोधी अभियानों में उनके अच्छे कामों के बावजूद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड पर वास्तव में कुछ भी नहीं बनाया गया है। हमें अपने सुरक्षाकर्मियों के प्रति सम्मान दर्शाने की आवश्यकता है, जो सभी बाधाओं के खिलाफ हमारे लिए लड़ते हैं और अपने जीवन की परवाह नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि ऐसा कुछ है जिसे भारत को देखने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा, "दूसरा उद्देश्य यह भी था कि हमारे सिस्टम में झूठ बोलने वाले लोगों को दिखाया जाए, जिन्हें सुधरने की आवश्यकता है। इस तरह के संकटों से निपटने के लिए हमें बेहतर तरीके से तैयार रहना चाहिए। हमें अपने इतिहास से कुछ सीखने की जरूरत है, और निमार्ताओं के रूप में हमारा उद्देश्य यही था।"
नीरज पांडेय की जासूसी एक्शन थ्रिलर सीरीज 'स्पेशल ऑप्स' एक काल्पनिक कहानी है, लेकिन इसकी प्रेरणा भारत में पिछले 19 सालों में हुए आतंकी हमलों, जिसमें 26/11 भी है, उसमें भारतीय खुफिया विभाग से ली गई है। शो के एक हाइलाइट सीन में हिम्मत सिंह (के के मेनन द्वारा निभाया गया किरदार) आतंकवादी अजमल कसाब से पूछताछ करते हुए दिखाई देता है।
शो के बारे में बात करते हुए के के ने कहा था, "26/11 एक ऐसा दिन था, जब पूरा देश जाग रहा था। 'स्पेशल ऑप्स' भारतीय खुफिया की भूमिका के लिए एक अनूठा परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है। अंडरकवर एजेंट हमारे समय के सच्चे गुमनाम नायक हैं। 'स्पेशल ऑप्स' इन एजेंटों के जीवन को सामने लाने की कोशिश करता है, जो कई दुर्भाग्यपूर्ण हमलों के पीछे मास्टरमाइंड को पकड़ने की कोशिश करते हैं। भारतीय इंटेलिजेंस हमारे देश के लिए बहुत कुछ कर रही है और हमें उनके ऋणी होने की आवश्यकता है।"
26/11 के हमलों ने इन सालों में कई फिल्मों को जन्म दिया है, हालांकि सभी समान रूप से सराहनीय नहीं रही हैं। इसमें एंथनी मारस द्वारा निर्मित 'होटल मुंबई' को लिया जा सकता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाया गया था। इसमें देव पटेल और अनुपम खेर हैं। वहीं राम गोपाल वर्मा ने 'द अटैक्स ऑफ 26/11' बनाया। वहीं नसीरुद्दीन शाह द्वारा अभिनीत एक लघु फिल्म 'रोगन जोश' भी है, जिसमें एक परिवार पर त्रासदी के भयावह प्रभाव को दर्शाया गया है।
वहीं कमर्शियल बॉलीवुड स्पेस में कबीर खान की 'फैंटम' रही है, जो 26/11 के मुंबई हमलों के बाद अभिनेत्री कटरीना कैफ और सैफ अली खान के साथ बनाई गई थी।
इनमें हंसल मेहता की 'शाहिद' ने बहुत ही गहरी छाप छोड़ी थी। फिल्म में 26/11 के हमलों के बैकग्राउंड के साथ भारतीय मुस्लिम पहचान दिखाया गया था। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रही इस भूमिका में वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता शाहिद आजमी के रूप में राजकुमार राव नजर आए थे। फिल्म में आजमी की कहानी दिखाई जाती है, जिसमें उसके युवा अवस्था से लेकर वकील बनने तक और 26/11 के हमले के आरोपी रहीम अंसारी का बचाव करने तक का सफर दिखाया गया है।
ओटीटी पर पेश किए गए विभिन्न काल्पनिक आतंकवादी कहानियों पर 26/11 के हमलों का अप्रत्यक्ष प्रभाव रहा है। उदाहरण के लिए मनोज बाजपेयी-स्टारर 'द फैमिली मैन', जिसमें वह श्रीकांत तिवारी के तौर पर आतंकवादी हमले को रोकने का प्रयास करते हैं। सीरीज की शुरुआत आतंकी संदिग्धों की गिरफ्तारी से होती है जो भारत में '26/11 से भी बदतर' कुछ करने की योजना बना रहे होते हैं।
वहीं अभी जो परियोजनाएं आ रही हैं, उनमें एक अमेरिकी टीवी सीरीज भी है, जो 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड पर आधारित है। सीमित सीरीज डेविड कोलमैन हेडली के जीवन और 2008 के हमलों में उसके कथित साथी तहव्वुर हुसैन राणा के बारे में बताएगी। परियोजना के बारे में अभी तक ज्यादा खुलासा नहीं किया गया है।
हाल ही में सामने आई कई रिपोटरें में संकेत दिया गया था कि स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत अपनी मृत्यु से पहले 26/11 हमलों पर आधारित एक फिल्म के लिए बातचीत कर रहे थे। हालांकि इस परियोजना के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था। पिछले साल, शिवसेना सांसद संजय राउत ने यह भी खुलासा किया कि वह जल्द ही 26/11 हमलों पर आधारित अनकही कहानियों पर एक फिल्म बनाएंगे।
फिल्म ट्रेड विश्लेषक गिरीश जौहर ने आईएएनएस से कहा, "सभी जानते हैं कि यह भारतीय इतिहास के सबसे काले अवधियों में से एक था। हर कोई विशेषकर मुंबईवासी हैरान थे। यह एक दाग बना हुआ है। यही कारण है कि इन उदाहरणों के बारे में बात करना प्रासंगिक हो जाता है। फिल्मकार त्रासदी के विभिन्न ²ष्टिकोणों के बारे में बता रहे हैं। दुकान के मालिकों के ²ष्टिकोण से, पुलिस अधिकारियों के ²ष्टिकोण से, और आतंकवादियों के ²ष्टिकोण से फिल्म बनी है।"
जौहर ने आगे कहा, "फिल्मकार त्रासदी की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए विभिन्न ²ष्टिकोणों को पेश करते हैं, और यह जितना पुराना होता है, उतना ही दिलचस्प हो जाता है।" (आईएएनएस)
केंद्र सरकार के नए श्रमिक कानून से करीब 40 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी और आर्थिक गुलामी की स्थिति बन जाएगी। यह आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने कहा है कि “मोदी सरकार मजदूरों और कामकाजी लोगों के दमन” को बढ़ावा दे रही है।
मोदी सरकार के नए मजदूर कानून को लेकर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि इस कानून में बदलाव कर मोदी सरकार मजदूर और कामकाजी तबके के शोषण के लिए नई तरह की गुलामी को बढ़ावा दे रही है। कांग्रेस का कहना है कि इस नए श्रमिक विरोधी कानून से आर्थिक गुलामी की स्थिति बन जाएगी। कांग्रेस ने आशंका जताई है कि इस कानून से संगठित क्षेत्र में 41 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी।
कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को कहा कि “भारत में गुलामी प्रथा एक सदी पहले खत्म हो चुकी है, लेकिन मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए ‘पेशेवर सुरक्षा, स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संहिता- 2020’ के जरिए ‘आर्थिक गुलामी’ की व्यवस्था कर दी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने शोषण रोकने की बजाय मजदूरों और उत्पादन कार्य में लगे कामकाजी तबके के दमन की खुली छूट दे दी है।
सुरजेवाला ने कहा कि नए नियमों के अंतर्गत फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों के लिए 12 घंटे की शिफ्ट का प्रावधान किया जा रहा है, जिससे उनके पास फैक्ट्री आने के लिए घंटों तक का सफर करने, आराम करने, घर के काम करने या फिर परिवार को देने के लिए समय ही नहीं बचेगा और उनके काम और जीवन का संतुलन बिगड़ जाएगा। इससे भारत में मजदूर एवं कर्मचारी वर्ग की शारीरिक एवं मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि, “इस नियम के लागू होने के बाद फैक्टरियों में काम करने वाले एक तिहाई कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं बचेगा और वो बेरोजगार हो जाएंगे, क्योंकि उद्योग मौजूदा ‘तीन शिफ्ट’ के बजाए सिर्फ ‘दो शिफ्ट’ में काम करने की व्यवस्था लागू कर देंगे।“ उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि, “2017-18 में किए गए उद्योगों के वार्षिक सर्वे के अनुसार, भारत में अकेले संगठित क्षेत्र में लगभग 1.22 करोड़ कर्मचारी फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे, लेकिन अब बीजेपी सरकार द्वारा नए नियमों के तहत काम के घंटे बढ़ा दिए जाने के बाद एक तिहाई यानी 40 लाख से ज्यादा कर्मचारी फौरन बेरोजगार हो जाएंगे।“
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी सरकार ने अपवादों की लंबी सूची प्रस्तावित की है। इसमें उद्योग मालिक कर्मचारियों को प्रतिदिन 12 घंटे से भी ज्यादा काम करने को मजबूर कर सकता है। ये अपवाद भारत में नई तरह की गुलामी प्रथा को शुरू करने के यंत्र हैं, क्योंकि इनके लागू होने के बाद फैक्टरी और मिल मालिक गरीब और कमजोर तबके का शोषण करने के लिए आजाद होंगे। उन्होंने कहा कि, “बिना योजना के लॉकडाउन लागू कर हजारों मजदूरों की मौत की जिम्मेदार बीजेपी की गरीब-विरोधी मानसिकता उजागर हो गई है।“ सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी सरकार ने इस कानून के जरिए आधुनिक भारत के निर्माताओं यानी प्रवासी मजदूरों का अपमान किया है और नए नियमों में उनके अस्तित्व के रिकॉर्ड के प्रावधान को समाप्त कर दिया है।“
कांग्रेस ने कहा कि, “सरकार संसद में इस सवाल के जवाब में कि पीड़ितों के परिवारों को कोई भी मुआवज़ा याआर्थिक सहायता दी है?’ तो कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।“ (navjivanindia.com)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 25 नवंबर | मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद आखिरकार तीन मंत्रियों ने इस्तीफे दे ही दिए हैं। इससे भाजपा को राहत मिली है क्योंकि हार के बावजूद भी मंत्रियों के इस्तीफे न दिए जाने से कांग्रेस हमलावर थी। अभी यह इस्तीफे मंजूर नहीं हुए है।
राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे जिनमें से भाजपा ने 19 स्थानों पर जीत दर्ज की थी मगर तीन मंत्री एदल सिंह कंसाना, इमरती देवी और गिरराज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। चुनाव नतीजे आने के बाद एदल सिंह कंसाना ने इस्तीफा दे दिया था, मगर गिरराज दंडोतिया और इमरती देवी के इस्तीफा में हुई देरी पर कांग्रेस हमलावर थी। पहले गिरराज दंडोतिया ने इस्तीफा दिया और उसके बाद इमरती देवी ने भी इस्तीफा दे दिया है।
इमरती देवी ने कहा है कि वह अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज चुकी हैं जहां तक मंजूर करने की बात है तो यह मुख्यमंत्री को ही करना है।
ग्वालियर के डबरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा न देने पर इमरती देवी पर सबसे ज्यादा कांग्रेस की ओर से हमले बोले जा रहे थे, ऐसा इसलिए क्योंकि इमरती देवी की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में होती है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के मीडिया सलाहकार नरेंद्र सलूजा ने तो यहां तक कह दिया था कि उपचुनाव हार चुकी मंत्री ईमरती देवी ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? उनके आका का इशारा नहीं होगा? ऐसी जानकारी भी मिली है कि उनके विभाग में अभी कुछ बड़े टेंडर होना बाकी है, इसलिये अभी इस्तीफा नहीं? सीएम अपने अधिकारों का उपयोग कर विभागीय निर्णयों पर रोक लगाएं व उन्हें पद से हटाएं।
भाजपा नेता कृष्ण गोपाल पाठक का कहना है कि कांग्रेस के पास अब जमीन बची नहीं है, कार्यकर्ता है नहीं, लिहाजा बयान देकर और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना उनका मकसद है। यही कारण है कि मंत्रियों के इस्तीफे आदि को लेकर तरह-तरह के बयान दे रहे है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जो मंत्री चुनाव हार गए हैं, वे विधायक न रहते हुए भी छह माह तक मंत्री रह सकते हैं। जो तीन मंत्री चुनाव हारे हैं उन्होंने जुलाई में शपथ ली थी। इस लिहाज से जनवरी तक तो मंत्री रह ही सकते थे। फिर भी नैतिकता का तकाजा है कि जब जनता ने उन्हें चुनाव हरा दिया तो इस्तीफा दे देना चाहिए था। इस्तीफा में देर हुई मगर संवैधानिक तौर पर गलत नहीं हुआ। कांग्रेस विरोधी दल है इसलिए उसे तो हमला करना ही था सो उसने किया। अब भाजपा को बचाव के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने होंगे क्योंकि तीनों मंत्रियों ने अपने इस्तीफा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिए हैं। इस्तीफों से भाजपा को राहत तो मिली ही होगी। (आईएएनएस)
तृणमूल कांग्रेस ने ओवैसी की पार्टी के कई असरदार नेताओं को तोड़ कर अपने खेमे में शामिल कर लिया है. क्या तृणमूल को भी ओवैसी से खतरा महसूस होने लगा है?
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा -
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) क्या अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले अहम विधानसभा चुनावों में खासकर सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक समीकरणों को गड़बड़ा सकती है? क्या वह बिहार की तरह यहां भी अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगा सकती है? बिहार के चुनावी नतीजों के बाद बंगाल के चुनाव मैदान में उतरने के ओवैसी के एलान के बाद यहां राजनीतिक हलकों में अब यह सवाल उठने लगे हैं.
ऐसे सवाल लाजिमी भी हैं. इसकी वजह यह है कि राज्य में करीब 30 फीसदी मुस्लिम वोटर विधानसभा की 100 से 110 सीटों पर निर्णायक स्थिति में हैं और यह तृणमूल कांग्रेस का ठोस वोट बैंक रहा है. ओवैसी ने बीजेपी को हराने के लिए ममता को चुनाव पूर्व गठजोड़ का भी प्रस्ताव दिया है. लेकिन इसे खारिज करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने उल्टे ओवैसी की पार्टी के कई असरदार नेताओं को तोड़ कर अपने खेमे में शामिल कर लिया है. इससे साफ है कि तृणमूल को भी ओवैसी से खतरा महसूस होने लगा है.
पश्चिम बंगाल में 2011 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही अलपसंख्यक वोट बैंक पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा रहा है. देशभर में कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल में ही सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. ऐसे में ओवैसी की पार्टी के आने से मुस्लिम वोटों में कुछ विभाजन हो सकता है. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि ओवैसी का असर सिर्फ हिंदी और उर्दू भाषी मुस्लिमों पर है, बंगाल के मुस्लिमों पर नहीं. दूसरी ओर, बीजेपी ने कहा है कि उसे बंगाल की सत्ता में आने के लिए ओवैसी या दूसरे किसी राजनीतिक दल की बैसाखी की जरूरत नहीं है. वह अपने बूते दो सौ से ज्यादा सीटें जीतने में सक्षम है. उधर, कांग्रेस और सीपीएम ने भी ओवैसी के विधानसभा चुनावो में उतरने की स्थिति में धार्मिक आधार पर धुव्रीकरण तेज होने का अंदेशा जताया है.
बिहार के चुनावी नतीजों के बाद ओवैसी ने बीजेपी को हराने के लिए ममता को चुनाव पूर्व गठजोड़ का भी प्रस्ताव दिया था. लेकिन ममता और उनकी तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है. इससे पहले ममता बनर्जी ओवैसी पर बीजेपी से पैसे लेकर बंगाल में पांव जमाने के आरोप भी लगा चुकी हैं. दरअसल, हाल के वर्षों में बीजेपी के मजबूत होने के साथ बंगाल में जिस तेजी से धार्मिंक आधार पर धुव्रीकरण तेज हुआ है उसमें ओवैसी की मौजूदगी खास कर सत्तारुढ़ पार्टी के समीकरणों को बिगाड़ने में सक्षम है.
बनी रहेगी एनडीए की सरकार
243 सदस्यों की विधान सभा में 125 सीटें जीत कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सत्ता में बनी रहेगी. लेकिन राज्य में पहली बार बीजेपी जेडीयू को पीछे कर एनडीए का बड़ा दल बन गई है. बीजेपी का संख्या-बल 2015 की 53 सीटों से बढ़ कर 74 पर पहुंच गया है और जेडीयू का 71 से गिर कर 43 पर आ गया है.
ओवैसी की पार्टी इन चुनावों में कितना असर डाल पाएगी, इस सवाल का जवाब तो बाद में मिलेगा. लेकिन राज्य के जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उसका मैदान में उतरना काफी अहम है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में 27.01 प्रतिशत मुस्लिम थे. अब यह आंकड़ा 30 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है. राज्य के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों में मुसलमान मतदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत से ज्यादा है. कुछ इलाकों में तो यह और भी ज्यादा है. मिसाल के तौर पर मुर्शिदाबाद में 67 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 51 प्रतिशत, मालदा में 52 प्रतिशत और दक्षिण दिनाजपुर में 49.92 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं.
मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में विधानसभा की 34 सीटें हैं.यह तीनों जिले बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं. विधानसभा की 294 सीटों में से 100 से 110 सीटों पर इसी तबके के वोट निर्णायक हैं. बीते लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 40 प्रतिशत वोट मिले थे और तृणमूल को 43 प्रतिशत. यानी दोनों के बीच महज तीन प्रतिशत का ही अंतर था. लेकिन साथ ही यह ध्यान भी जरूरी है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मुद्दों में फर्क होता है. ऐसे में लोकसभा के नतीजों के हिसाब से कोई अनुमान लगाना उचित नहीं है.
2006 तक राज्य के मुस्लिम वोट बैंक पर वाममोर्चा का कब्जा था. लेकिन उसके बाद यह लोग धीरे-धीरे ममता की तृणमूल कांग्रेस की ओर आकर्षित हुए और 2011 और 2016 में इसी वोट बैंक की बदौलत ममता सत्ता में बनी रहीं. लेकिन बीजेपी की ओर से मिलती मजबूत चुनौती के बीच अब ओवैसी के यहां चुनावी राजनीति में उतरने की वजह से ममता बनर्जी सरकार के लिए नया सिरदर्द पैदा होने का अंदेशा है. हालांकि ममता अल्पसंख्यकों की सहायता के लिए दर्जनों योजनाएं शुरू कर चुकी हैं. इनमें अल्पसंख्यकों के मदरसों को सरकारी सहायता, इस तबके के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और मौलवियों को आर्थिक मदद भी शामिल है. इसी वजह से बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक दल उनके खिलाफ तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगाते रहे हैं.
ओवैसी की ओर से मिलने वाली चुनौती के बीच तृणमूल कांग्रेस ने एआईएमआईएम के 20 नेताओं को अपने पाले में कर लिया है. पार्टी के प्रमुख नेता अनवर पाशा कहते हैं, "ममता बनर्जी भारत में सबसे अधिक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं. वह देश की अकेली नेता हैं जो एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरी थीं." पाशा का दावा है कि एआईएमआईएम वोटों का ध्रुवीकरण कर बीजेपी को मदद पहुंचा रही है. उसने बिहार में वोटों के ध्रुवीकरण में अहम भूमिका निभाते हुए वहां बीजेपी को सरकार बनाने में मदद पहुंचाई. लेकिन उनके अनुसार बिहार की कामयाबी बंगाल में दोहराना ओवैसी के लिए संभव नहीं है.
कैसे होता है विधान परिषद का गठन
यदि कोई राज्य अपने यहां विधान परिषद का गठन करना चाहता है तो इसके लिए विधानसभा के एक तिहाई सदस्यों के समर्थन के साथ प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजना होता है. केंद्र की मंजूरी के बाद राज्य में विधान परिषद का गठन हो सकता है.
दूसरी ओर, एआईएमआईएम का दावा है कि इससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. 'मिशन पश्चिम बंगाल' के लिए पार्टी प्रवक्ता असीम वकार कहते हैं, "पार्टी ने राज्य में 23 जिलों में से 22 में अपनी यूनिट बनाई हैं. फिलहाल एक सर्वेक्षण किया जा रहा है. उसके बाद ही सीटों पर फैसला किया जाएगा.”
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत राय कहते हैं, "ओवैसी का असर हिंदी और उर्दूभाषी मुसलमानों पर है, बांग्लाभाषियों पर नहीं. ऐसे में उनको यहां बिहार जैसी कामयाबी नहीं मिलेगी. हमें ओवैसी से कोई खतरा नहीं है.” सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "ओवैसी की पार्टी बंगाल की राजनीति में कोई छाप नहीं छोड़ सकेगी.” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, "ओवैसी की पार्टी का एकमात्र लक्ष्य मुस्लिम वोटों का विभाजन कर धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों को नुकसान पहुंचाना है. इसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा.”
क्या ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने से बीजेपी को सच में कोई फायदा होगा? इस सवाल पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय कहते हैं, "हमें बंगाल में जीतने के लिए किसी दूसरे दल की जरूरत नहीं है. पार्टी अपने बूते यहां दौ सौ से ज्यादा सीटें जीतेगी. बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि बंगाल में अब अल्पसंख्यक तबका भी बीजेपी को वोट दे रहा है.”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ओवैसी की पार्टी बंगाल में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह अभी तय नहीं है. लेकिन बिहार में उनकी कामयाबी और बंगाल में चुनाव मैदान में उतरने के एलान से राज्य के सियासी हलके में खलबली तो मच ही गई है. एक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "ओवैसी की ओर से मिलने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ही तृणमूल कांग्रेस यहां उनकी पार्टी के नेताओं को तोड़ने में जुट गई है. ओवैसी ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन उनके आने से राजनीतिक समीकरणों में थोड़ा-बहुत बदलाव तो तय है.”
कायद नज्मी
मुंबई, 25 नवंबर | देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर, 2008 (26/11) को हुए दहला देने वाले आतंकी हमले की 12 वीं वर्षगांठ पर वकील पद्मश्री उज्जवल निकम ने बताया कि 2009 में कैसे उन्होंने इस मामले का 'सार्वजनिक तौर पर ट्रायल' कराने के लिए जोर दिया था।
इस मामले के स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर रहे निकम ने आईएएनएस को बताया, "सरकार ने इस मामले पर 'इन-कैमरा ट्रायल' रखने पर विचार किया था। ये निर्णय बड़े पैमाने पर सुरक्षा चिंताओं के अलावा, मामले को लेकर घरेलू, क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक प्रभाव की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए लिया गया था। मैंने ²ढ़ता से आग्रह किया कि दुनिया के लिए मामले की पूरी सुनवाई खुली और पारदर्शी होनी चाहिए।"
सभी की मामले में गहरी दिलचस्पी को देखते हुए सरकार ने मंजूरी दे दी और फिर घरेलू-अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने आर्थर रोड सेंट्रल जेल के अंदर बनाई गई एक उच्च-सुरक्षा वाली विशेष अदालत में सबसे बड़ा कानूनी युद्ध शुरू हुआ।
वकीलों और जांचकर्ताओं की पूरी टीम के साथ निकम ने एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल अमीर कसाब के खिलाफ आरोप लगाए, जिसे जिंदा पकड़ लिया गया था। हालांकि उसे जिंदा पकड़ने के लिए 29 नवंबर 2008 की सुबह साहसी पुलिसकर्मी तुकाराम गोपाल ओम्बले को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ी थी।
संभवत: दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ था जब एक बर्बर बंदूकधारी आतंकी को रंगे हाथों पकड़ा गया था जिसने अपने 9 सहयोगियों के साथ मिलकर मौत का तांडव रच दिया था। कसाब को छोड़कर उन सभी को सुरक्षाबलों ने दक्षिण मुंबई में चली लड़ाई के बीच 60 घंटे के भीतर अलग-अलग जगहों पर गोलियों से उड़ा दिया था।
26 नवंबर, 2008 की देर रात से शुरू हुए इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 लोग घायल हुए थे।
67 वर्षीय निकम कहते हैं, "भारत गर्व से घोषणा कर सकता है कि यह एक क्रूर आतंकवादी का एक अभूतपूर्व ओपन-ट्रायल था, जैसा दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा था। जब 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई तो यह कई मामलों के लिए मिसाल बन गया।"
निकम के मुताबिक इस ट्रायल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसकी 'धर्मनिरपेक्ष' प्रकृति थी। जिसमें अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग धर्म के लोग शामिल रहे। मुकदमे के विशेष न्यायाधीश एमएल तिलियियानी, एसपीपी निकम, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रामा वी.सावंत-वागुले (वागुले ने 29 नवंबर, 2008 की सुबह कसाब का बयान दर्ज किया था), अलग-अलग स्तरों पर कसाब का बचाव करने सरकार द्वारा नियुक्त किए गए वकील अब्बास काजमी, केपी पवार, अमीन सोलकर और फरहाना शाह आदि सभी अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि से हैं। फिर भी सभी ने 'न्याय' के एक समान उद्देश्य को लेकर पूरी तरह से पेशेवर तरीके से काम किया।
मिसाल के तौर पर जब 'कसाब के नाबालिग होने' का दावा किया गया, तो इसने अभियोजन पक्ष को अनजान साबित कर दिया। फिर अभियोजन पक्ष ने बचाव पक्ष पर देरी का का आरोप लगाते हुए कहा कि 'कसाब जेल में मटन बिरयानी की दावत कर रहा है'। हालांकि बाद में ये दोनों घोषणाएं झूठी साबित हुईं।
निकम ने आगे कहा, "इतने सालों में कभी किसी ने इस ट्रायल को सांप्रदायिक नजर से नहीं देखा, ना ही भारत या पाकिस्तान में किसी भी पक्ष के धार्मिक कट्टरपंथी द्वारा इस कार्यवाही को लेकर कुछ कहा गया।" (आईएएनएस)
निकम इसे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर "भारतीय न्याय प्रणाली के लिए असीम सम्मान और विश्वसनीयता की एक मिसाल" मानते हैं, क्योंकि इस ट्रायल पर कोई सवाल नहीं उठाया गया और कसाब को भारत के राष्ट्रपति से दया याचिका करने का पूरा मौका दिया गया।
उन्होंने उम्मीद की कि पाकिस्तान भी ऐसी निष्पक्ष, विश्वसनीय और पारदर्शी कार्यवाहियां करे क्योंकि 26/11 मामले के अभियुक्तों में से 7 "कंगारू कोर्ट (ऐसा कोर्ट जो जानबूझकर कानून और आरोपों की अनदेखी करता है) में शर्मनाक मुकदमे" का सामना कर रहे हैं।
----
प्रवीण शर्मा
खेती से जुड़े केंद्र सरकार के तीन क़ानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान 26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' के आह्वान के साथ राजधानी में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.
ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने बताया है कि 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन का योजना के मुताबिक जारी रहेगा और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
इन संगठनों के मुताबिक, जहां भी किसानों को दिल्ली में जाने से रोका जाएगा, किसान वहीं पर बैठकर विरोध-प्रदर्शन करेंगे.
ANI
योगेंद्र यादव की पार्टी 'स्वराज इंडिया' के किसान संगठन 'जय किसान आंदोलन' के हरियाणा कार्यकारिणी के सदस्य राजीव गोदारा ने बीबीसी हिंदी को बताया कि हरियाणा पुलिस दिल्ली जाने की कोशिश कर रहे किसानों को गिरफ्तार कर रही है.
गोदारा कहते हैं, "हरियाणा पुलिस ने एक एडवाइज़री जारी कर दी है कि हरियाणा से आगे किसानों को नहीं जाने देंगे. किसान संगठनों ने तय किया है कि दिल्ली जा रहे किसानों को जहां रोक दिया जाएगा वे वहीं बैठ जाएंगे."
ANI
गोदारा कहते हैं कि तकरीबन डेढ़ से दो लाख किसान तो अकेले पंजाब से ही दिल्ली पहुंच रहे हैं, इसके अलावा हरियाणा, यूपी और दूसरी जगहों से भी बड़ी तादाद में किसान दिल्ली कूच करेंगे.
सितंबर में केंद्र सरकार के लाए गए तीन किसान क़ानूनों का इन्हें पेश किए जाने के बाद से ही देशभर में किसान संगठनों की ओर से विरोध किया गया है. इसके अलावा, विपक्षी पार्टियों ने भी इन कानूनों को लेकर कड़ा एतराज जताया है.
भारतीय किसान यूनियन लखोवाल ग्रुप के पंजाब के राज्य सचिव गुरविंदर सिंह कूमकलां का कहना है कि पंजाब के हर ज़िले से करीब 150-200 ट्रॉलियों में किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे.
गुरविंदर सिंह ने बीबीसी को बताया, "पंजाब के कई जिलों से तो किसान आज ही दिल्ली के लिए चल दिए हैं. अगर हरियाणा दिल्ली बोर्डर या कहीं दूसरी जगह किसानों को रोका जाएगा तो किसान वहीं पर विरोध प्रदर्शन करेंगे."
गुरविंदर सिंह कहते हैं कि दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की तरफ से अभी तक दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन की इजाज़त नहीं मिली है.
ANI
हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का संगठन भारतीय किसान संघ इस आंदोलन में शामिल नहीं है.
भारतीय किसान संघ के हरियाणा राज्य के महामंत्री वीरेंद्र सिंह बड़खालसा ने बीबीसी हिंदी को बताया, "भारतीय किसान संघ को इस 'दिल्ली चलो' कार्यक्रम की न कोई सूचना है, न ही हम इसमें शामिल हैं."
हालांकि, उन्होंने कहा, "हम किसान बिलों पर अपनी मांगों को लेकर कायम हैं."
वीरेंद्र सिंह बड़खालसा कहते हैं, "ऐसी खबरें आ रही हैं कि हरियाणा में किसान नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है."
पंजाब और हरियाणा में इन कानूनों के विरोध में किसानों का जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है.
पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के केंद्र के किसान कानूनों को खारिज करने और अपने कानून पास किए जाने के बावजूद विरोध प्रदर्शन रुके नहीं हैं. किसानों के पटरियों को रोकने के चलते पंजाब में रेल सेवाएं ठप्प पड़ी हैं.
केंद्र के इन कानूनों में बदलाव की किसान संगठनों की मांग को अभी तक न माने जाने के चलते एआईकेएससीसी ने 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो का ऐलान कर दिया है.
एआईकेएससीसी ने अपने बयान में कहा है कि किसान विरोधी और जन विरोधी कानूनों को वापस लिए जाने के लिए किसानों की सामूहिक प्रतिबद्धता के चलते केंद्र सरकार में खलबली है और दिल्ली पुलिस जैसी केंद्र सरकार की एजेंसियां किसानों के इस शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के कार्यक्रम को दबाने की कोशिशों में लगी हुई हैं.
खबरों के मुताबिक, बड़ी तादाद में बसों, ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों से किसान पंजाब और दूसरी जगहों से दिल्ली की ओर कूच करने वाले हैं.
किसान संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि दिल्ली के लिए रवाना की गई राशन से लदी 40 ट्राॉलियों को हरियाणा सरकार ने दिल्ली सीमा पर ही रोक लिया है.
किसान संगठनों का कहना है कि हरियाणा में खासतौर पर दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे किसान नेताओं को पुलिस रात में गिरफ्तार कर रही है और किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने की कोशिश कर रही है. (bbc.com)
पटना, 25 नवंबर | बिहार में सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया है। राजग के प्रत्याशी सिन्हा के पक्ष में 126 मत आए जबकि उनके विपक्ष में 114 मत आए।
महागठबंधन ने सीवान के विधायक अवध बिहारी चौधरी को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया था।
बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने कार्यवाही प्रारंभ होने के बाद अध्यक्ष पद को लेकर पहले ध्वनिमत से चुनाव कराने की बात कही, तब विपक्ष के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस क्रम में वे वेल में आ गए। इस हंगामे के बीच प्रोटेम स्पीकर बार-बार सदस्यों को अपने सीट पर जाने का आग्रह करते रहे।
विपक्ष का कहना था कि मुख्यमंत्री इस सदन के सदस्य नहीं हैं, इस कारण मतदान के दौरान नहीं रह सकते हैं। हालांकि प्रोटेम स्पीकर इसे नियम के मुताबिक बताते हुए कहा कि ये मुख्यमंत्री हैं, सदन में उपस्थित रह सकते हैं, लेकिन मतदान में शामिल नहीं होंगे।
इसके बाद भी जब विपक्ष का हंगामा शांत नहीं हुआ तब प्रोटेम स्पीकर ने पांच मिनट के लिए विधानसभा स्थगित कर दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही प्रारंभ होने के बाद मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। मत विभाजन की प्रक्रिया के बाद प्रोटेम स्पीकर ने विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में 126 मत तथा विपक्ष में 114 मत की बात की घोषणा करते हुए उन्हें निर्वाचित घोषित कर दिया।(आईएएनएस)
काइद नाजमी
मुंबई, 25 नवंबर | 26 नवंबर (शुक्रवार) को साल 2008 में हुए हमले के 12 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसी दिन हथियारों से लैस 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने नृशंस कृत्य को अंजाम दिया था, जिसमें सैकड़ों लोगों ने जान गवां दी थी। उस हृदयविदारक हमले को इतने साल बीत चुके हैं, लेकिन पीड़ितों को अभी भी पूरी तरह से न्याय नहीं मिला है।
विशेष सरकारी अभियोक्ता उज्जवल निकम ने कहा, "जहां तक हमलावरों की बात है, भारत ने मामले में पूरा न्याय किया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हम उन मुख्य अपराधियों की गिरफ्तारी और सजा दे कर पूर्ण न्याय चाहते हैं जो वर्तमान में पाकिस्तान में छिपे हुए हैं।"
वैश्विक ध्यान आकर्षित करने वाले हाई-प्रोफाइल मामले की देखरेख करने वाले सेलिब्रिटी वकील ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी जैसे मुख्य साजिशकर्ता और योजनाकार भारत में आरोपी होने के बावजूद अभी भी आराम से हैं।
गौरतलब है कि भारत ने बीते पखवाड़े में औपचारिक रूप से मांग की थी कि पाकिस्तान 26/11 हमलों के मुकदमे में अपने 'अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वहन करने में अपने आपत्तिजनक और कमजोर रणनीति' का त्याग करे।
एमईए प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि यहां तक कि अन्य देशों ने भी पाकिस्तान से हमलों के अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने का आह्वान किया है।
श्रीवास्तव ने कहा, "यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत द्वारा साझा किए गए अपने स्वयं के सार्वजनिक स्वीकृति के साथ-साथ सभी आवश्यक साक्ष्यों को उपलब्ध कराने के बावजूद पाकिस्तान 15 देशों के 166 पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने में ईमानदारी नहीं दिखा रहा है, जबकि दुनिया 26/11 हमले की 12 वीं वर्षगांठ के करीब पहुंच चुकी है।"
निकम ने कहा कि 'भारतीय पक्ष की ओर से मामले में' 50 प्रतिशत न्याय किया गया है, लेकिन 166 पीड़ितों को पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान द्वारा अभी भी कार्रवाई किया जाना बाकी है और कई विदेशी नागरिकों सहित घायलों के साथ न्याय किया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा कि भारत ने सिर्फ कसाब के बारे में ही नहीं, बल्कि डेविड कोलमैन हेडली के बारे में भी पर्याप्त सबूत दिए थे, जिसमें उसके लश्कर और पाकिस्तान के आईएसआई के बीच घनिष्ठ संबंध का खुलासा किया गया था, इसके अलावा "उनके (लश्कर-आईएसआई) के बीच ईमेल आदान-प्रदान के दस्तावेजी साक्ष्य भी उपलब्ध कराए गए हैं।"
निकम ने कहा, "हेडली ने शिकागो कोर्ट में साक्ष्य उपलब्ध कराए थे, जिसे बाद में अमेरिकी प्रशासन द्वारा भी स्वीकार कर लिया गया और उसके बाद उसे दोषी ठहराया गया और 35 साल जेल की सजा मिली। वह वर्तमान में अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि, 'याचिका सौदा' के अनुसार, भारत ने फरवरी 2018 में वीडियो-कांफ्रेंस द्वारा हेडली के सबूतों का संज्ञान लिया और अपने सबूतों को दर्ज करने या भारत द्वारा प्रदान किए गए मूर्त प्रमाण को स्वीकार करने के लिए अब पाकिस्तान की बारी थी।
निकम ने कहा कि भारत ने बार-बार पाकिस्तान से कहा है कि वह अपने देश में छिपे 26/11 के अपराधियों पर मुकदमे में तेजी लाए, वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए भारतीय गवाहों की जांच करें, या उनके बयान दर्ज करने के लिए भारत में एक न्यायिक आयोग भेजे, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
भारत ने एक कदम आगे बढ़ते हुए खूंखार आतंकवादी सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जिंदल को गिरफ्तार कर लिया, जिसने कराची से लश्कर के आतंकवादियों को नियंत्रित किया और 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई में तबाही मचाने के दौरान 10 आतंकवादियों का हमले के अंत तक मार्गदर्शन किया।
निकम ने कहा, "अबू जिंदल ने आतंकवादी हमले के दौरान अपनी भूमिका कबूल की है, दुर्भाग्य से वह लखवी और अन्य एजेंसियों जैसे लश्कर के मास्टरमाइंड के साथ जुड़ा हुआ था, इन सब के बावजूद पाकिस्तान ने पूरी तरह से न्याय दिलाने के लिए चीजों को आगे नहीं बढ़ाया है।"
वर्तमान में अबू जिंदल का मुंबई की विशेष अदालत में ट्रायल चल रहा है। यह ट्रायल एकमात्र ऐसा मामला है, जो 26/11 की घटना से जुड़ा हुआ है, जिसका निपटान किया जाना बाकी है। जिंदल को नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय इंदिरा गांधी हवाई अड्डे से 25 जून, 2012 को गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि सामने आने वाले सकारात्मक परिणाम यह रहे कि 26/11 के बाद महाराष्ट्र में एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ है। साथ ही भारतीय केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों ने भविष्य में इस तरह की किसी भी घटना से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। (आईएएनएस)
गांधी परिवार के बाद दो दशक से कांग्रेस पार्टी में सबसे ताकतवर नेता रहे अहमद पटेल का निधन हो गया है. वो 71 वर्ष के थे और कोविड-19 से संक्रमित हो जाने के बाद उनकी हालत नाजुक हो गई थी.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा -
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मृत्यु के तुरंत बाद अहमद पटेल का देहांत कांग्रेस पार्टी के लिए दूसरा बड़ा झटका है. अपनी मृत्यु से पहले कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद संभाल रहे अहमद अपने आप में पार्टी में सत्ता के एक केंद्र थे. इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक और सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक, वो पार्टी के नेतृत्व की चार पीढ़ियों के नेताओं के करीब रहे.
1977 में इंदिरा गांधी ने उन्हें लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए चुना, जिसमें वो जीत भी गए और उसके बाद वो तीन बार लोक सभा के सदस्य और चार बार राज्य सभा के सदस्य रहे. 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें अपना संसदीय सचिव नियुक्त किया और उसके बाद पूरी उम्र वो गांधी परिवार के नेताओं के करीबी सलाहकार रहे.
राजीव गांधी के निधन के बाद सोनिया गांधी को राजनीति में लाने, पार्टी की बागडोर उनके हाथों में सौंपने और उन्हें एक अनिच्छुक राजनेता से 'सुपर प्राइम मिनिस्टर' बनाने में अहमद पटेल की भूमिका को अहम माना जाता है. उनके निधन पर जारी किए अपने शोक संदेश में सोनिया गांधी ने पटेल को अपना ऐसा "कॉमरेड, विश्वसनीय सहकर्मी और दोस्त" बताया जिसका "स्थान कोई और नहीं ले सकता".
प्रधानमंत्री के "अहमद भाई"
इन दिनों भी जब पार्टी में पुरानी और नई पीढ़ी के नेताओं के बीच संघर्ष चल रहा है, इन हालात में वो दोनों खेमों के बीच एक पुल का काम कर रहे थे. पार्टी के एक युवा नेता ने डीडब्ल्यू को बताया कि पटेल के निधन से पार्टी में चल रहा संकट और गहरा जाएगा क्योंकि उनके बाद अब स्थिति को संभालने वाला कोई नहीं बचा.
पटेल गुजरात के रहने वाले थे और माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी नजदीकी रिश्ते रखने वाले गिनती के कांग्रेस नेताओं में वो शामिल थे. प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में उन्हें "अहमद भाई" कह कर संबोधित किया है.
कई जानकारों का कहना है कि मोदी से उनकी इसी करीबी के कारण गुजरात में कांग्रेस पिछले दो दशकों में बीजेपी को मजबूती से टक्कर नहीं दे पाई. हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अहमद पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुछ मामलों में केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी.
गुजरात की ही कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक और उसके मालिक संदेसाड़ा परिवार के खिलाफ बैंकों से धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों की जांच में ईडी ने पटेल से भी कई बार पूछताछ की. जांच अभी भी चल रही है.