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हिन्दुस्तानी खेलों की दुनिया के लिए एक बुरी खबर है कि कुश्ती की वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय पहलवान भारतीय झंडे के साथ नहीं खेल सकेंगे। भारत में कुश्ती महासंघ के चुनाव न होने की वजह से इस खेल की दुनिया की सर्वोच्च संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भारतीय कुश्ती महासंघ की सदस्यता निलंबित कर दी है। इसके चुनाव लगातार स्थगित होते चले गए, और 7 मई को चुनाव होने थे लेकिन खेल मंत्रालय ने उसे रोक दिया था।
ऐसा भी नहीं है कि यह बात आसमानी बिजली की तरह आकर गिरी है। अंतरराष्ट्रीय संगठन बार-बार इसके लिए नोटिस देते चल रहा था, और जिस तरह भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष, भाजपा सांसद, बृजभूषण शरण सिंह महिला खिलाडिय़ों के यौन शोषण के कई मामलों में अदालती कटघरे में हैं, उसे लेकर भी कुश्ती की दुनिया में बेचैनी चल रही थी। यह एक अलग बात है कि पूरी की पूरी केन्द्र सरकार इस भाजपा सांसद को बचाने पर आमादा दिख रही थी, और पहलवान लड़कियां सडक़ों पर पुलिस के हाथ पिट रही थीं। पूरा देश धिक्कार रहा था लेकिन केन्द्र सरकार इस सांसद को बचाने पर अड़ी हुई थी, और सारे संबंधित मंत्रालय, विभाग, और खेल संगठन इतनी सारी खिलाड़ी लड़कियों के आंसुओं को अनदेखा करते हुए इस बाहुबली खेल पदाधिकारी की क्रूर हॅंसी को बढ़ावा दे रहे थे।
जिन लोगों को देश के गौरव का गुणगान करते हुए हर अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर भारत की शान का झंडा फहराना रहता है, उन्होंने भी अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से ओलंपिक से मैडल लेकर आने वाली अपनी लड़कियों की यौन शोषण की शिकायतों को कुचलने के अलावा कुछ नहीं किया। आज हालत यह है कि इस खेल से देश का झंडा छिन गया है, बृजभूषण शरण सिंह की गाड़ी पर तिरंगा जरूर लहरा रहा है। देश भर से न सिर्फ राजनीतिक दलों ने, न सिर्फ महिला संगठनों ने, न सिर्फ खेल संगठनों ने, बल्कि बड़े-बड़े नामी-गिरामी लोगों ने खुलकर इस बात पर केन्द्र सरकार को लानत भेजी थी, लेकिन केन्द्र पर सत्तारूढ़ भाजपा ने आज तक इस पसंदीदा बाहुबली को एक नोटिस भी नहीं भेजा है। ऐसे में लगता है कि कोई भी खिलाड़ी, कोई भी लडक़ी या महिला इस देश में तभी तक महफूज हैं जब तक उन पर किसी सत्तारूढ़ की नीयत नहीं डोलती, वरना उसके बाद इस देश में कोई ताकत उन्हें नहीं बचा सकती। उत्तरप्रदेश के एक और भाजपा नेता, उन्नाव के भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर का मामला भी सामने है जिसके खिलाफ 2017 में एक नाबालिग से बलात्कार करने का मामला चल रहा था, जिस पर उसे बाद में उम्रकैद हुई, लेकिन वह इस जुर्म के महीनों बाद तक हॅंसता-मुस्कुराता घूमते रहा, और बलात्कार की शिकार लडक़ी के पिता को भी पुलिस हिरासत में मार डाला गया था। इसे भी सेंगर के कहे हुए ही गिरफ्तार किया गया था, और उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार के मातहत इस बलात्कारी भाजपा विधायक की ताकत ऐसी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को उत्तरप्रदेश की जिला अदालत से दिल्ली ट्रांसफर किया था।
सत्ता के पसंदीदा बलात्कारियों का हिन्दुस्तान में जो सम्मान है उसे देखते हुए इस देश के लोगों से किसी भी देवी की पूजा का अधिकार छिन लेना चाहिए। अभी सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल ही रहा है जिसमें गुजरात की बिलकिस बानो के बलात्कारियों और उसके परिवार के हत्यारों को गुजरात सरकार द्वारा समय से पहले जेल से रियायती रिहाई दी गई है। और कल तो सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई में एक नई जानकारी आई कि छूटे हुए बलात्कारी-हत्यारों में से एक ने वकालत का अपना पेशा फिर शुरू कर दिया है। अदालत ने इस पर पूछा है कि क्या मुजरिम ठहराए जाने के बाद किसी सजायाफ्ता को क्या फिर से वकालत करने का लाइसेंस दिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि कानून को एक महान पेशा माना जाता है, और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताना चाहिए कि क्या कोई मुजरिम वकालत कर सकता है? लोगों को याद होगा कि बिलकिस बानो को गुजरात दंगों के दौरान उस वक्त 11 हिन्दुओं ने गैंगरेप का शिकार बनाया, जब वह गर्भवती थी, इन लोगों ने उसकी छोटी सी बच्ची को पटक-पटककर मार डाला था, बिलकिस बानो की मां को मार डाला था, और परिवार के आधा दर्जन लोगों सहित कुल 14 लोगों की हत्या की थी। इन्हें गुजरात सरकार ने केन्द्र की मोदी सरकार की सहमति से समय से पहले जेल से रिहा किया, और उसके लिए यह झूठा तर्क दिया गया कि इनका आचरण अच्छा है इसलिए इन्हें समय-पूर्व रिहाई दी गई, जबकि इनमें से कुछ लोगों के खिलाफ पैरोल पर बाहर आने पर लोगों को धमकाने की शिकायतें पहले से थीं। अब बिलकिस बानो सुप्रीम कोर्ट में खड़ी है, और अदालत ने गुजरात सरकार से पूछा है कि ऐसी रियायत और कितने मुजरिमों को दी गई है, किन्हें दी गई है।
केन्द्र हो या कोई राज्य, सरकारों का यह रवैया मुजरिमों सरीखा है कि देश के लिए ओलंपिक से मैडल लेकर आने वाली खिलाडिय़ों की यौन शोषण की शिकायतों को अनदेखा करके अपने बाहुबली सांसद को सिर पर बिठाकर रखना। यह सिलसिला खत्म होना चाहिए, यह तो सुप्रीम कोर्ट का दखल था कि दिल्ली पुलिस को मजबूरी में मन मारकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जुर्म दर्ज करना पड़ा, यह एक और बात है कि पुलिस ने इस सांसद की गिरफ्तारी तक नहीं की जबकि उसके खिलाफ आधा दर्जन लड़कियों की रिपोर्ट थी। इस देश की संसद में, और संसद के बाहर सत्तारूढ़ महिला सांसदों का मुंह भी न खिलाडिय़ों के यौन शोषण पर खुला, न मणिपुर में वीभत्स सामूहिक बलात्कार और हत्या पर खुला। यह गजब का पार्टी अनुशासन है कि लोग अपनी इंसानियत भी छोडक़र चुप्पी साधे रखें। इस देश की महिलाओं को मुजरिमों की पार्टी की महिला उम्मीदवारों को घेरकर यह सवाल करना चाहिए कि ये मामले उनकी नजरों के सामने होते रहे, और उन्होंने आंख-कान बंद रखना बेहतर समझा था, तो उन्हें अब वोट क्यों दिया जाए? उनके चुनाव क्षेत्र की किसी महिला से उनकी पार्टी का कोई नेता बलात्कार करेगा, तो उसके खिलाफ भी ये महिला सांसद या विधायक कुछ नहीं करेंगी। जब तक आम लोगों की भीड़ घेरकर ऐसे सवाल नहीं करेगी, तब तक सत्ता पर काबिज लोगों के ऐसे बलात्कार जारी ही रहेंगे। जब तक ऐसे नेताओं, उनकी पार्टियों, और उनके समर्थकों को चुनावों में हराया नहीं जाएगा, तब तक कोई लडक़ी या महिला सुरक्षित नहीं रहेगी।
नई दिल्ली, 25 अगस्त। लद्दाख दौरे पर गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को चीन के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा.
राहुल गांधी ने कहा, ''चीन ने हिंदुस्तान की ज़मीन हमसे छीन ली है. पीएम मोदी सच नहीं बोल रहे हैं.''
राहुल ने ये बात ऐसे वक़्त में कही है, जब पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है.
दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारत और चीन ने सीमा विवाद पर भी बात की है.
अब राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है.
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ''आप जाकर चेक कर सकते हैं कि 2020 में चीन के थिंक टैंक माने जाने वाले ने ये शब्द इस्तेमाल किया है कि थियानमेन चौक के नरसंहार के बाद चीन सबसे अलग-थलग पड़ने की स्थिति में है. ये हम नहीं कह रहे हैं, ये वहां के लोग कह रहे हैं.
त्रिवेदी बोले, ''मुझे ये समझ नहीं आता कि राहुल गांधी को बार-बार चीन की बातों पर इतना प्यार क्यों उमड़ आता है? ये चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से राहुल गांधी का इकरार है या राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले दान का अहसान है कि वो बार-बार भारत सरकार से तकरार करने को तैयार रहते हैं.''
बीजेपी नेता ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा, ''आपकी नीति थी कि शांति वार्ता आतंकवाद से प्रभावित नहीं होगी. मोदी जी की नीति है शांति वार्ता आतंकवाद के साथ शुरू ही नहीं होगी. इसलिए पिछले नौ साल में हमने कोई औपचारिक विपक्षी वार्ता नहीं की. इसलिए शांति, सौहार्द को लेकर प्रवचन देने की कोशिश ना करें.''
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ''वो आकर कहते हैं कि मुझे लोगों ने बताया. ये कौन लोग हैं, कौन बता रहा है.''
लद्दाख दौरे पर गए राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर भी मोदी सरकार को घेरा है. (bbc.com/hindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अगस्त। छत्तीसगढ़ में तीसरी ताकत बनने का प्रयास कर रही आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने दौरे बढ़ा दिए हैं। रायपुर में दो और बिलासपुर में दो कार्यक्रम करने के बाद केजरीवाल ने बस्तर जाने का फैसला किया।
वे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान व राष्ट्रीय संगठन महासचिव व राज्यसभा सांसद डॉ संदीप पाठक व छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी व बुराड़ी विधायक संजीव झा के साथ संयुक्त दौरे पर आ रहे हैं।
पार्टी के प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने सभी प्रदेश पदाधिकारियों व प्रकोष्ठों के अध्यक्ष/सचिव ,लोकसभा अध्यक्ष/सचिव, जिला अध्यक्ष/सचिव व कार्यकर्ता साथियों को सूचित किया है।
ये राष्ट्रीय नेता 16 सितंबर को जगदलपुर आ रहे है। प्रदेश सहित बस्तर संभाग के समस्त पदाधिकारी इस कार्यक्रम की तैयारी निर्धारित समय तक पूरी कर लें।
भाजपा में नाम बदलने की आशंका
भाजपा के सारे 21 विधानसभा प्रत्याशी दो दिन पहले पार्टी दफ्तर पहुंचे, तो कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें प्रत्याशी बनने पर बधाई दी। बावजूद इसके प्रत्याशी सशंकित थे।
एक-दो प्रत्याशियों ने प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम माथुर से पूछ लिया कि बाद में प्रत्याशी तो नहीं बदल दिए जाएंगे? इसकी वजह भी थी कि कई जगहों पर प्रत्याशी बदलने की मांग उठ रही है। प्रत्याशियों की घोषणा के बाद सरायपाली जैसे एक-दो जगहों पर तो कई लोगों ने इस्तीफे भी दे दिए हैं। मगर माथुर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि घोषित प्रत्याशियों को किसी भी दशा में नहीं बदले जाएंगे। माथुर और नेताओं ने उन्हें प्रचार को लेकर टिप्स दिए।
आम लोगों से व्यक्तिगत मुलाकात पर जोर दिया। प्रत्याशियों ने खर्च को लेकर भी रोना रोया। उन्हें आश्वस्त किया गया कि पार्टी पूरी मदद करेगी, साथ ही बैनर-पोस्टर भी उपलब्ध कराएगी। पार्टी नेताओं ने चुनाव आचार संहिता तक सादगी से प्रचार करने की हिदायत दी है।
टेकाम के आने से अधिक सक्रिय नेताम
आखिरकार विशेष सचिव स्तर के अफसर नीलकंठ टेकाम भाजपा में शामिल हो गए। उनका केशकाल सीट से प्रत्याशी बनना भी तकरीबन तय है। टेकाम की उम्मीदवारी को भांपते हुए केशकाल के मौजूदा कांगे्रस विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने इस बार पहले के चुनाव के मुकाबले ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। नेताम तीसरी बार विधायकी के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखे हैं। वो हर गांव में रात गुजार रहे हैं।
बताते हैं कि कोण्डागांव कलेक्टर रहते टेकाम ने केशकाल में खूब मेहनत की थी। उन्होंने लोगों से व्यक्तिगत संपर्क बना लिया था। कुछ इलाकों में जहां टेकाम की पकड़ दिखती है, वहां संतराम नेताम ज्यादा समय गुजार रहे हैं। कुल मिलाकर संतराम नेताम अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखे हैं। ऐसे में यहां मुकाबला पिछले चुनावों से ज्यादा रोचक होने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ मीडिया पर ख़ास ध्यान
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के अनुभवी राष्ट्रीय नेताओं को छत्तीसगढ़ में मीडिया प्रबंधन में लगाया है। यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थनाथ सिंह तो मीडिया का कामकाज देखेंगे, साथ ही मीडिया विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष केके शर्मा भी चुनाव तक यहां रहेंगे।
शर्मा को बिलासपुर संभाग की जिम्मेदारी दी जा रही है। सिद्धार्थनाथ सिंह वर्ष-2003 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। दिल्ली से एक टीम पहले से यहां काम कर रही है। कुल मिलाकर पिछले चुनावों के मुकाबले भाजपा इस बार मीडिया पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
प्रबोध मिंज फांस तो नहीं बन जाएंगे?
लुंड्रा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रबोध मिंज ने सरपंच से लेकर महापौर तक की सीढ़ी तय की है। जनपद अध्यक्ष रहते तक करीब दो दशक उन्होंने कांग्रेस में बिताया। विधानसभा टिकट की मांग की, नहीं मिली तो एनसीपी में, फिर भाजपा में आ गए। भाजपा से ही वे अंबिकापुर नगर-निगम में दो बार महापौर चुने गए, तब जबकि यहां से कांग्रेस हमेशा विधानसभा जीतती आई और सिंहदेव परिवार का असर भी है। इस समय भी अंबिकापुर नगर निगम में वे नेता प्रतिपक्ष हैं। उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा बताती है कि वे ठीक-ठाक जनाधार रखते हैं। उन्हें जिस लुंड्रा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है वह भाजपा के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। 2003 में जब कांग्रेस की सत्ता छीनी थी तो भाजपा के विजय नाथ सिंह केवल 43 वोट से जीतकर विधायक बने थे। उसके बाद लगातार तीन चुनावों में यह सीट कांग्रेस के पास रही। इस समय डॉ. प्रीतम राम विधायक हैं। पहले पिता चमरू राम विधायक थे, फिर एक बेटे रामदेव राम, अब दूसरे बेटे डॉ. प्रीतम। वे उरांव समाज से आते हैं। गोंड समाज के बाद सर्वाधिक वोट इसी समाज के हैं। इसके बाद कंवर वोट हैं। भाजपा ने पहले के चुनावों में गोंड प्रत्याशियों को खड़ा किया लेकिन वह उन्हें एकजुट नहीं कर पाई। पिछले चुनावों में विजय प्रताप सिंह सर्वाधिक वोट वाले गोंड समाज से होने के बावजूद नहीं जीत पाए। अब इस बार भाजपा की रणनीति कांग्रेस में एकजुट होते रहे उरांव वोटों को विभाजित करने की है। सोच यह है कि गोंड और कंवर समाज के पारंपरिक भाजपा वोटों को तो हासिल कर लिया जाए और कांग्रेस के उरांव वोट टूटे और जीत का मुकाम हासिल कर लिया जाए। पर, इस दांव पर अब ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। गोंड और कंवर समाज से जुड़े भाजपा कार्यकर्ता विरोध पर उतर आए हैं। वे अंबिकापुर में पत्रकार वार्ता करना चाहते थे, पर वरिष्ठ नेताओं के समझाने पर मान गए। भाजपा जिला अध्यक्ष को ज्ञापन देकर उन्होंने प्रत्याशी बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि 90 प्रतिशत ‘हिंदू आदिवासी’ क्षेत्र में मत परिवर्तन करने वाले यानि ईसाई धर्म अपनाने वाले उरांव को टिकट दी गई है। भाजपा से पूर्व सांसद कमलभान सिंह और पूर्व जिला पंचायत सदस्य फुलेश्वरी देवी, उपेंद्र गोंड सहित कई दावेदार यहां से हैं।
यह दिलचस्प है कि उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर में भाजपा से जुड़े लोग घर वापसी अभियान चलाते हैं। दक्षिण में बस्तर के लगभग हर जिले में भाजपा ने धर्मांतरण, मतांतरण को मुद्दा बना रखा है। इतना बड़ा मुद्दा कि कुछ भाजपा नेताओं को जेल भी जाना पड़ा। उनसे जुड़े लोगों ने ईसाईयों के बहिष्कार की शपथ दिलाई। राजधानी रायपुर में धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की मांग पर बड़ा प्रदर्शन किया गया।
यह गौर करना चाहिए कि सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर में एक बड़ी आबादी ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों की है। इसलिए प्रबोध मिंज को टिकट देने से परंपरागत रूप से खिलाफ जाने वाले इन मतदाताओं का दूसरे इलाकों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद भाजपा को है। हो सकता है कि लुंड्रा के कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर शांत कर लिया जाए, पर घर वापसी और धर्मांतरण के मुद्दे पर उसके रुख का क्या होगा? टिकट वितरण के बाद कांग्रेस की राजधानी में पत्रकार वार्ता हुई थी, जिसमें यही सवाल उठाया गया था। जाहिर है चुनाव आते तक कांग्रेस इसे और जोर-शोर से उठाएगी।
जिन्होंने चांद पर जमीन खरीदी
चांद पर जमीन खरीदने को लेकर कानून रोक-टोक नहीं लगाता, क्योंकि यह कोई भी देश उसका मालिक नहीं है। दुनिया में कई कंपनियां चांद पर जमीन बेचती हैं। लोग चर्चा में आने के लिए खरीदते हैं। वहीं इनमें से कुछ लोगों को यकीन है कि एक न एक दिन चांद में इंसानों की बस्ती बसा ली जाएगी। जमीन खरीदने वालों में कई नामी-गिरामी लोग शामिल हैं। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने एक प्लाट चांद में खरीदा था। शाहरूख खान के आस्ट्रेलिया के फैन ने चांद पर जमीन खरीदकर उन्हें गिफ्ट किया था। बहुत से आम लोगों ने भी जमीन खरीद रखी है, भले ही आज तक न वे अपनी जमीन देख पाए हैं, और न ही नाप-जोख करा पाए हैं। इन लोगों में छत्तीसगढ़ के तखतपुर के दो युवा व्यवसायी परवेज भारमल और वितेंद्र पाठक भी हैं। 17 साल पहले उन्होंने अखबारों में विज्ञापन देखा जो इंटरनेशनल लूनर लैंड रजिस्ट्री कंपनी की ओर से था। इंटरनेट के जरिये कंपनी से उन्होंने संपर्क किया और शौक के चलते 10-10 हजार रुपये में एक-एक एकड़ जमीन खरीद ली। उनके एकाउंट पर रुपये ट्रांसफर किए। सरकारी रजिस्ट्री तो हो नहीं सकती थी, इसलिये कंपनी ने बकायदा अक्षांश देशांश और प्लाट नंबर सहित एक सेल डीड भेजी। इस पर 17 दिसंबर 2006 की तारीख लगी है। चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने की खबर पर इन दोनों प्लाट मालिकों ने भी जश्न मनाया और मिठाईयां बांटी, कहा-हमारी जमीन का सही इस्तेमाल हुआ।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई.
इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने संबंधों में सुधार और साझा हितों पर बात की.
अब एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने चीन के विदेश मंत्रालय के बयान पर कहा है कि पीएम मोदी क्यों चीन से बैठक की मांग कर रहे हैं, वो देश से क्या छुपा रहे हैं?
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हमारे प्रधानमंत्री लद्दाख सीमा पर वास्तविक स्थिति के बारे में अपने देश को अंधेरे में रखते हुए चीनी राष्ट्रपति के साथ बैठक की मांग कर रहे हैं. मोदी क्या छुपाना चाह रहे हैं?”
ओवैसी लिखते हैं, “सीमा संकट पर समाधान के नाम पर कुछ भी स्वीकार करने के लिए मोदी सरकार सेना पर दबाव क्यों बना रही है? वह मई 2020 की यथास्थिति पर लौटने पर जोर क्यों नहीं दे रही है? चीन के अवैध सैन्य क़दम को मोदी इनाम क्यों दे रहे हैं? ”
ओवैसी ने कहा, “हमारे बहादुर सैनिक 40 महीने तक सीमा पर डटे रहे और चीनियों से डरे नहीं. मोदी शी के सामने खड़े क्यों नहीं हो सकते और हमारे सैनिकों पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते? क्या मोदी को टेरेटरी का यह नुकसान मंज़ूर है?”
“सीमा मुद्दे पर चीन के सामने मोदी सरकार का समर्पण शर्मनाक और ख़तरनाक है. यह मोदी की निजी संपत्ति नहीं है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इस पर संसद के विशेष सत्र में बहस की ज़रूरत है”
भारत-चीन के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा है?
चीनी विदेश मंत्रालय ने मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात पर बयान जारी करके कहा है कि 23 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर चीन-भारत संबंधों और साझा हित के सवालों पर बातचीत की.
“दोनों पक्षों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और सीमा मुद्दे को ठीक से संभालना चाहिए ताकि सीमा क्षेत्र में शांति और संयुक्त रूप से सुरक्षा बनाए रखी जा सके.”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात पर कहा है कि दोनों नेताओं ने सीमा पर तनाव कम करने के प्रयासों को तेज़ करने पर सहमति जताई.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने एक ब्रीफिंग में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की और एलएसी पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर चर्चा की.
क्वात्रा ने बताया, “प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए ज़रूरी है.”
“दोनों नेता संबंधित अधिकारियों को सीमा पर तनाव कम करने के प्रयासों को तेज़ करने का निर्देश देने पर सहमत हुए.”
राहुल गांधी ने कहा- चीन ने हमारी ज़मीन ले ली
राहुल गांधी ने शुक्रवार को कारगिल में जनसभा के दौरान कहा, 'एक बात एकदम साफ़ है. चीन ने हिंदुस्तान की हज़ारों किलोमीटर ज़मीन हमसे ली. दुख की बात है कि पीएम मोदी ने विपक्ष की बैठक में कहा कि हिंदुस्तान की एक इंच ज़मीन नहीं ली गई.''
राहुल गांधी बोले- लद्दाख के लोग जानते हैं कि चीन ने भारत की ज़मीन ली है और पीएम मोदी सच नहीं बोल रहे हैं.
राहुल गांधी के इस बयान की बीजेपी ने निंदा की है. (bbc.com)
बाइक सवार को बचाते बिजली खंभे से भिड़ी, सभी सुरक्षित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 25 अगस्त। आज सुबह हैदराबाद से जगदलपुर जा रही कृष्णा ट्रेवल्स की यात्री बस नैमेड़ में दुर्घटना ग्रस्त हो गई। हादसे में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है। सभी यात्री व चालक परिचालक सुरक्षित हैं।
नैमेड़ थाना प्रभारी जेएल सलाम ने बताया कि कृष्णा ट्रेवल्स की यात्री बस क्रमांक सीजी 17 केडब्ल्यू 0539 शुक्रवार को हैदराबाद से जगदलपुर यात्रियों को लेकर जा रही थी। इसी बीच सुबह 6 बजे के दरमियान बाईक सवार को बचाने के चलते बस अनियंत्रित होकर एनएच 63 के मुख्य सडक़ से उतर गई और पंचायत भवन के सामने लगे बिजली खम्भे से जा टकराई। इस दुर्घटना में हालांकि किसी भी यात्री और न ही चालक-परिचालक को चोट आई हैं। सभी सुरक्षित हैं।
ओवरटेक करती माजदा ट्रेलर से टकराई, तेज रफ्तार जीप ने बाइक को रौंदा
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 25 अगस्त। जिले के मस्तूरी थाना इलाके में दो सड़क दुर्घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई और एक घायल हो गया।
पहली घटना मस्तूरी थाना क्षेत्र के लावर ग्राम में स्थित खनिज नाका के पास आज सुबह करीब 6.30 बजे हुई । स्वराज माजदा गाड़ी को चालक ने सामने जा रही ट्रेलर को ओवरटेक करने का प्रयास किया। मगर वह उससे टकराकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। टकराने के बाद ड्राइवर वेद परसदा निवासी महेंद्र साहू (29 वर्ष) और हेल्पर रविंद्र साहू (26 वर्ष) तथा एक अन्य सवार दिनेश कुमार मरावी घायल हो गए। मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने राहगीरों की मदद से माजदा में फंसे तीनों को बाहर निकाला। तीनों को मस्तूरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां डॉक्टरों ने महेंद्र व रविंद्र को मृत घोषित कर दिया वहीं दिनेश मरावी का इलाज चल रहा है।
दूसरी घटना भी मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम टिकारी की है। मेनरोड पर सुबह करीब 11.50 बजे तेज रफ्तार बोलेरो जीप ने सामने से आ रही मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। बाइक कई फीट दूर जाकर गिरी और बोलेरो का भी संतुलन बिगड़ गया। वह भी सड़क से नीचे उतरकर खेत में जा घुसी। घटनास्थल पर ही बाइक के नाबालिग चालक 17 साल के धनराज उर्फ आयुष कुशाल की तथा पीछे बैठे 15 वर्षीय रणवीर मरकाम की मौत हो गई। दोनों मस्तूरी इलाके के ही दोड़की गांव के रहने वाले थे।
भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी विवेक रामास्वामी ने गुरुवार को रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद की बहस की और इसके बाद उनकी ऑनलाइन फ़ंड रेज़िंग में जबरदस्त वृद्धि हुई.
उनके कैंपेन की प्रवक्ता ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने गुरुवार को एपी को बताया कि विवेक रामास्वामी ने बुधवार रात की बहस के बाद से औसतन 38 डॉलर के हिसाब से पहले घंटे में 450,000 डॉलर पैसे जुटाए हैं.
रामास्वामी रिपब्लिकन नेता है और उन्होंने पार्टी से अपनी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पेश की है. गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप की ग़ैरमौजूदगी में रामास्वामी के भाषण की चर्चा ज़ोरों पर थी.
बहस के बाद सामने आए पहले सर्वे में कहा गया कि बहस सुन रहे 504 लोगों में से 28% ने कहा कि रामास्वामी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया.
रामास्वामी के अलावा इस रेस में रिपब्लिकन नेता और दक्षिण कैरोलीना की गवर्नर निक्की हेली, पूर्व न्यू जर्सी गवर्नर क्रिस क्रिसटीज़ और पूर्व उप राष्ट्रपति माइक पेंस भी शामिल हैं. (bbc.com)
चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर अपना सफ़र शुरू कर दिया है.
इसरो ने विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर निकलने का वीडियो जारी किया है.
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रज्ञान कैसे लैंडर से बाहर निकलकर चांद की सतह पर चल रहा है.
चंद्रयान-3 भारत से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था.
23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी.
भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला देश बन गया है.
भारत से पहले सोवियत संघ, अमेरिका और चीन चांद तक पहुंच चुके हैं. (bbc.com)
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है, ''अजित पवार हमारे नेता हैं. उन्होंने अलग रुख़ अपनाया है लेकिन ये कहना ठीक नहीं कि पार्टी में फूट है.''
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने बारामती में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बयान दिया.
उन्होंने कहा, “हां, वो (अजित पवार) हमारे नेता हैं. इसमें कोई विवाद नहीं है. पार्टी में फूट कब होती है? यदि कोई समूह राष्ट्रीय स्तर पर अलग हो जाता है तो उसे विभाजन कहा जाता है. लेकिन ऐसी स्थिति हमारे साथ नहीं है.”
शरद पवार बोले, “अगर कुछ लोग पार्टी छोड़ते हैं या कुछ लोग अलग रुख़ अपनाते हैं तो लोकतंत्र में यह उनका अधिकार है. उन्होंने ये फैसला लिया तो इसे बँटवारा कहने का कोई कारण नहीं है, यह उनका निजी फैसला है.”
ये दिलचस्प है कि शरद पवार की बेटी और एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भी गुरुवार को ऐसा ही बयान दिया था.
इसके बाद शरद पवार ने भी ऐसा ही बयान दिया, जिससे राजनीतिक चर्चाएं गर्म हो गई हैं.
इस बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने बयान दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार हमारे साथ आएंगे. (bbc.com)
मधुमिता शुक्ला मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से इंकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई हुई.
अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को आज जेल से रिहा होना था.
गोरखपुर जेल से सुप्रीटेंडेंट दिलीप पांडे ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी.
अमरमणि और मधुमणि ने जेल में 16 साल की सज़ा पूरी कर ली है. अमरमणि और मधुमणि इस वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं.
इस रिहाई का मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने विरोध किया और वो जेल के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं.
क्या है ये केस
मई 2003 में मधुमिता शुक्ला को गोली मारकर हत्या की गई थी. जब उनकी हत्या की गई तब वो प्रेग्नेंट थीं.
सितंबर 2003 में अमरमणि को गिरफ़्तार किया था. अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी.
इस केस की सीबीआई ने जांच की थी.
अमरमणि साल 2001 में बीजेपी की टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और वो राज्य में मंत्री भी रहे थे.
अमरमणि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में भी रह चुके हैं. (bbc.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अगस्त। सीएम भूपेश बघेल शुक्रवार को दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की।
कहा जा रहा है कि सीएम ने उन्हें विधानसभा चुनाव तैयारियों का ब्यौरा दिया है। सीएम आज दोपहर बाद रायपुर आएंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अगस्त। सीएम के ओएसडी आशीष वर्मा के यहां रेड के दौरान बदसलूकी के मामले पर ईडी ने दुर्ग एसपी को कार्रवाई करने के लिए लिखा है। बताया गया कि ईडी अफसरों के साथ धक्का-मुक्की की गई थी।
क्लिक करें और पढ़ें : राजपथ-जनपथ : ईडी से धक्कामुक्की?
ईडी के वकील डॉ. सौरभ पांडेय ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि सीएम के ओएसडी आशीष वर्मा के भिलाई निवास पर ईडी ने रेड की थी। इस दौरान बाहर प्रदर्शनकारियों ने ईडी अफसरों की गाड़ी में तोडफ़ोड़ की। यही नहीं, उनके साथ धक्का-मुक्की भी की गई। डॉ. पांडेय ने बताया कि ईडी ने इस पूरे मामले पर दुर्ग एसपी को एफआईआर करने के लिए कहा है।
बताया गया कि न सिर्फ आशीष वर्मा बल्कि एक अन्य ओएसडी मनीष बन्छोर व सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के यहां जांच के दौरान बाहर युवक कांग्रेसियों ने बड़ा प्रदर्शन किया था।
बिलासपुर, 25 अगस्त। ओवरटेक करने के प्रयास में एक स्वराज माजदा ट्रेलर से टकरा कर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और उसमें सवार ड्राइवर तथा हेल्पर की मौत हो गई तथा एक अन्य सवार घायल हो गया।
घटना मस्तूरी थाना क्षेत्र के लावर ग्राम में स्थित खनिज नाका के पास आज सुबह करीब 6.30 बजे की है। ट्रेलर से टकराने के बाद ड्राइवर वेद परसदा निवासी महेंद्र साहू (29 वर्ष) और हेल्पर रविंद्र साहू (26 वर्ष) तथा एक अन्य सवार दिनेश कुमार मरावी घायल हो गए। मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने राहगीरों की मदद से माजदा में फंसे तीनों को बाहर निकाला। तीनों को मस्तूरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां डॉक्टरों ने महेंद्र व रविंद्र को मृत घोषित कर दिया वहीं दिनेश मरावी का इलाज चल रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ राज्य के अपने पदाधिकारियों की एक नई लिस्ट कल घोषित की है जिसमें डेढ़ सौ से अधिक पदाधिकारी बनाए गए हैं, लेकिन इनमें दलित, आदिवासी, ओबीसी, और महिलाओं की क्या हालत है इस बारे में छत्तीसगढ़ के एक राजनितिक विश्लेषक सुदीप श्रीवास्तव ने कड़ा हमला बोला है।
उन्होंने लिखा है कि छत्तीसगढ़ के जातिगत ढांचे को पूरी तरह अनदेखा करते हुए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पदाधिकारियों की यह लिस्ट बनाई गई है। उन्होंने इस लिस्ट को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, के.सी.वेणुगोपाल, और मल्लिकार्जुन खडग़े को भी टैग किया है। उन्होंने लिखा है कि 23 जनरल सेक्रेटरी में से कुल 5 ओबीसी हैं जबकि इस तबके की आबादी 42 फीसदी है, और इनमें भी ओबीसी की 20 जातियों में से कुल 3 को जगह दी गई है।
उन्होंने आगे लिखा है कि प्रदेश में साढ़े 12 फीसदी आबादी दलितों की है लेकिन कुल 2 दलित जनरल सेक्रेटरी बनाए गए हैं, और वे भी सिर्फ सतनामी समाज से हैं। उन्होंने लिखा कि 32 फीसदी आदिवासी आबादी है, लेकिन उसकी 10 प्रमुख जातियों में से कुल 3 जातियों के 4 महासचिव बनाए गए हैं। जबकि 2 फीसदी मुस्लिम आबादी पर 2 मुस्लिम जनरल सेक्रेटरी हैं, 10 फीसदी ऊंची जाति की आबादी में से 10 महासचिव बनाए गए हैं।
इस लिस्ट में 140 सेक्रेटरी बनाए गए हैं लेकिन इनमें से कुल 6 दलित हैं, 14 आदिवासी हैं, और 37 ओबीसी हैं। इनके मुकाबले 10 फीसदी आबादी वाली ऊंची जातियों के 70 सचिव बनाए गए हैं। सुदीप श्रीवास्तव का कहना है कि इस लिस्ट में क्षेत्रीय संतुलन का भी ख्याल नहीं रखा गया है।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन में महिलाओं को 33 फीसदी प्रतिनिधित्व देने की बात की गई थी, लेकिन 23 जनरल सेक्रेटरी में से कुल 4 महिलाएं हैं, और 140 सेक्रेटरी में से कुल 12 महिलाएं हैं।
उन्होंने ‘छत्तीसगढ़’ अखबार से फोन पर आगे बताया कि बिलासपुर संभाग में सबसे ज्यादा 24 विधानसभा सीटें हैं, वहां से कुल एक जनरल सेक्रेटरी बनाया गया है। सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं, वहां कुल 2 जनरल सेक्रेटरी बनाए गए, और दोनों ही पत्थलगांव से हैं। बस्तर में 12 सीटें हैं, और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज वहीं के हैं, वहां 4 जनरल सेक्रेटरी हैं। सबसे अधिक 17 जनरल सेक्रेटरी रायपुर और दुर्ग संभाग से बनाए गए हैं।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत में सीमा पर तनाव कम करने पर ज़ोर दिया गया .
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने एक ब्रीफिंग में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की और एलएसी पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं की चर्चा की.
क्वात्रा ने बताया, “प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखना और एलएसी का सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए ज़रूरी है.”
“दोनों नेता संबंधित अधिकारियों को सीमा पर तनाव कम करने के प्रयासों को तेज़ करने का निर्देश देने पर सहमत हुए.”
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने ब्रिक्स नेताओं की प्रेस ब्रीफिंग से पहले हाथ मिलाया और एक-दूसरे का अभिवादन किया. दोनों नेता मंच पर कुछ देर बातचीत करते भी नजर आए. (bbc.com/hindi)
-नितिन श्रीवास्तव
दोपहर के 12 बजने को हैं और मणिपुर सेंट्रल जेल के भीतर गहमागहमी बढ़ी हुई है.
तक़रीबन 700 क़ैदियों ने खाना ख़त्म कर लिया है और ज़्यादातर अपनी बैरकों में पहुँच रहे हैं.
सायरन के बंद होते ही जेल में सन्नाटा पसर चुका है लेकिन गार्डों की निगरानी में क़रीब पचास लोगों की एक क़तार हमारी तरफ़ आ रही है.
ये सभी भारत के पड़ोसी देश म्यांमार के अलग-अलग प्रांतों के रहने वाले हैं और अगले दो घंटों तक इनका बायोमीट्रिक वेरिफ़िकेशन किया जाएगा.
मणिपुर में कोई फ़ॉरेन डिटेंशन सेंटर नहीं था, इसलिए प्रदेश की सबसे बड़ी जेल के भीतर एक अस्थायी फ़ॉरेन डिटेंशन सेंटर बनाया गया है, जिसके एक हिस्से में पुरुष हैं और दूसरे हिस्से में महिलाएँ और बच्चे.
मुलाक़ात म्यांमार के रहने वाले 26 साल के लिन खेन मेंग से हुई, जिनका दावा है कि वे भारतीय सीमा के भीतर कुछ पैसे कमाने की मंशा से आया करते थे.
2022 में उन्हें भारतीय सीमा के भीतर पकड़ लिया गया और छह महीने की सज़ा हुई जो उन्होंने काट ली है, लेकिन मणिपुर में जारी हिंसा के चलते वापस जाने के दरवाज़े फ़िलहाल बंद हैं.
लिन ने बताया, “मैं म्यांमार के सगैंग राज्य से भारत में गाय बेचने आता था. नौ महीने पहले मुझे गिरफ़्तार किया गया था, तब से डिटेंशन सेंटर में हूँ. मेरी पत्नी-बच्चों और माँ-बाप को पता भी नहीं कि मैं यहाँ फँसा हुआ हूँ.”
ग़ैरक़ानूनी तरीक़ा
इस जेल में 100 से भी ज़्यादा ऐसे लोग है जो म्यांमार से कथित तौर पर ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से भारत आए थे.
म्यांमार के चिन प्रांत के रहने वाले यू निंग का दावा है कि वे, “अक़्सर भारत के सीमावर्ती गाँवों में हैंडलूम का काम करने आते थे लेकिन पिछले साल ग़लतफ़हमी के चलते पकड़े गए.”
उन्होंने कहा, “मेरा एक दोस्त WY टैबलेट्स (नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रतिबंधित दवा) बेचता था, उसकी वजह से मुझे भी पकड़ लिया गया. सज़ा पूरी कर ली है लेकिन घर नहीं जा सकता क्योंकि सीमाएं बंद हैं”.
तमाम लोगों ने ये भी बताया कि वो भारत का बॉर्डर क्रॉस करके म्यांमार से इसलिए आए क्योंकि वहाँ जारी मिलिट्री ऑपरेशन से बच सकें.
साल 2021 से म्यांमार में सैन्य शासन है और आम नागरिकों पर फ़ौजी कार्रवाई के चलते हज़ारों लोगों ने पड़ोसी देश भारत के मणिपुर और मिज़ोरम राज्यों में शरण ली है.
म्यांमार के हालात
पड़ोसी म्यांमार की सैन्य सरकार से PDF यानी पीपल्स डिफ़ेंस फ़ोर्स और KNA यानी कुकी नेशनल आर्मी की हिंसक झड़पें अभी भी जारी हैं.
इधर भारत और मणिपुर सरकार ने कथित शरणार्थियों या अवैध घुसपैठियों को राज्य में जारी हिंसा का ज़िम्मेदार ठहराया है. हिंसा में कम से कम 180 लोगों की जान गई है और 60,000 से ज़्यादा लोग बेघर हुए हैं.
म्यांमार में बीबीसी संवाददाता न्यो लेइ यी के मुताबिक़ म्यांमार में जारी फ़ौजी कार्रवाई का सीधा असर मणिपुर सीमाओं पर दिख रहा है.
उन्होंने बताया, “मैंने म्यांमार से मणिपुर भागे कई लोगों से बात की और वे यहां जारी हिंसा के चलते ही गए थे. लेकिन वे इस बात से आहत हैं कि उन्हें मणिपुर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. वो कहते हैं कि उनके बायोमीट्रिक डेटा को जमा करने से उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है जबकि मणिपुर में उन्हें मदद मिलनी चाहिए थी.”
मणिपुर के एक सीमावर्ती शहर में पहचान बदल कर रहने वाली म्यांमार की एक महिला ने बीबीसी से ख़ास बात करते हुए अपनी दास्तान सुनाई.
कुकी-चिन जनजाति वाली डोई श्वे (नाम बदला हुआ) म्यांमार की सैन्य कार्रवाई से अपने बच्चों समेत पूरे परिवार को बचा कर 2021 में मणिपुर पहुँची थीं.
उन्होंने बताया, “म्यांमार में फ़ौज बहुत लोगों को पकड़ रही है. नौकरी करने वाले मेरे कई सहयोगी पकड़े गए, पुलिस मुझे भी ढूँढ रही थी, मेरे परिवार को भी जेल में डाल देती. यहां तो कोई रेफ़्यूजी कैंप नहीं था जब हम 2021 में आए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने हमें सहारा दिया और रहने की जगह दी. पारिभाषिक तौर पर हम सभी एक ही हैं.”
डोई को लगा था ख़तरा टल गया और पूरा परिवार अब भारत में महफ़ूज़ है. लेकिन तीन महीने पहले मणिपुर में मैतेई और कुकी समाज एक दूसरे से भिड़ गए और छिटुपुट तौर पर ये हिंसा आज भी जारी है.
नम आँखों से डोई श्वे ने पूछा, “इम्फ़ाल और चूराचांदपुर में हिंसा शुरू होने से हम बेचैन हो गए थे. एक माँ होने के नाते मेरी चिंता बढ़ रही है. अभी तक हम एक बैग में कुछ कपड़े और ज़रूरी दस्तावेज़ लेकर सोते हैं, लेकिन ये पता नहीं कि अगर भागना पड़ा तो किधर जाएंगे? आख़िरकार हमें म्यांमार लौटना है, लेकिन कब, ये पता नहीं.”
समुदायों में रंजिश
मणिपुर में फ़िलहाल मैतेई और कुकी समुदाय अलग-अलग रह रहे हैं. आज़ादी के बाद ईसाई धर्म मानने वाले कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला था जबकि मैतई लोग हिंदू बने.
झगड़े की वजह यही है क्योंकि मैतेई लोग कुकी-बहुल इलाक़ों में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते और अब जनजाति का दर्जा भी चाहते हैं. मसला सरकारी नौकरियों में आरक्षण का भी है.
मौजूदा संकट के लिए पड़ोसी म्यांमार के चिन और सगैंग प्रांत से भाग कर आए चिन-कुकी लोगों पर भी आरोप लगे हैं, जिन्हें राज्य सरकार ‘अवैध घुसपैठिया’ बताती है.
बहुसंख्यक मैतेई लोगों के संगठन मानते हैं कि हिंसा में ‘हथियारबंद कुकी घुसपैठियों’ का हाथ है जो भारत-म्यांमार सीमा पर ड्रग्स के उत्पादन और कारोबार में लिप्त हैं.
तीन मई को राज्य में हिंसा भड़कने के दो महीने बाद भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “हमारे राज्य और मणिपुर का बॉर्डर 398 किलोमीटर लंबा और पोरस है, जिसकी पूरी निगरानी भी नहीं हो सकती."
उन्होंने कहा था, "अब इसमें क्या-क्या हो रहा है ये मैं क्या कहूँ. हमारी भारतीय फ़ौजें तैनात हैं लेकिन वो इतने लंबे-चौड़े बॉर्डर को तो कवर नहीं कर सकती. इसमें क्या हो रहा है उससे हम इनकार नहीं कर सकते. सब कुछ वेल-प्लांड तो लग रहा है, लेकिन वजह साफ़ नहीं है.”
चिन-कुकी लोगों का इतिहास
कुकी समुदाय इन आरोपों का खंडन करते हुए अलग प्रशासन की मांग कर रहा है, जिसे केंद्र सरकार ने ख़ारिज कर दिया है.
‘अवैध घुसपैठिए’ वाले आरोपों को ‘मनगढ़ंत कहानी’ बताते हुए कुकी समुदाय के लोग इस क्षेत्र के इतिहास की बात दोहराते हैं.
मणिपुर के डिटेंशन सेंटर में क़ैद म्यांमारी क़ैदियों के एडवोकेट डेविड वायफ़ेइ का मानना है कि, “अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बनाते समय ब्रितानी सरकार ने ग़ौर ही नहीं किया कि यहां कौन रहते हैं”.
उन्होंने आगे बताया, “जैसे मेरी कई पीढ़ियाँ इस बॉर्डर पर रहती रही हैं और हम भारतीय हैं. लेकिन मेरी बहन की शादी एक बर्मीज़ कुकी परिवार में हुई है और वे सीमा के ठीक उस पार रहते हैं. अगर वो यहां रहने आती है तो उसे अवैध घुसपैठिया कहना ग़लत होगा. वे राजनीतिक शरणार्थी तक कहे जा सकते हैं क्योंकि वे यहां हमेशा के लिए नहीं आना चाहते. म्यांमार में उन्हें ज़्यादा आराम है अगर राजनीतिक स्थिरता हो तो.”
भारत और म्यांमार के बीच 1,643 किलोमीटर की सीमा है जो मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है.
2022 में भारत द्वारा रोक लगाने से पहले दोनों देशों के बीच ‘फ़्री मूवमेंट रिजीम’ का करार था. इसके तहत सीमा पर रहने वाली जनजातियों को वीज़ा का बिना के एक-दूसरे की सीमा के 16 किलोमीटर भीतर तक आने-जाने की छूट थी.
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने म्यांमार से टिम्बर (टीक, सागौन जैसी क़ीमती लकड़ी) का आयात बढ़ाया था और जबकि म्यांमार ने भारतीय कम्पनियों से हथियार और सैन्य उपकरण भी ख़रीदने शुरू कर दिए थे.
इस व्यापार में पहली मंदी कोविड-19 के दौरान दिखी थी और दूसरी तब महसूस हुई जब भारत ने फ़्री मूवमेंट रिजीम’ बंद कर दी.
क्योंकि मणिपुर में छिटपुट हिंसा अब भी जारी है तो इस बात की पड़ताल ज़रूरी है कि आख़िर म्यांमार से यहां आने वाले लोग कौन हैं.
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ क़रीब ढाई हज़ार ऐसे लोगों की पहचान कर ली गई है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ म्यांमार में फ़ौजी शासन आने के बाद से क़रीब 80,000 रेफ़्यूजी दूसरे देशों में भाग गए हैं जिसमें भारत भी शामिल है.
भारत ने म्यांमार से अपने कूटनीतिक रिश्तों के संजीदगी को ध्यान में रखते हुए वहां लोकतंत्र की बहाली की बातें दोहराई है लेकिन भारत भाग आए शरणार्थियों को वापस भेजे जाने पर कोई बात आगे नहीं बढ़ी है.
‘वॉर रेफ़्यूजी’ ?
सवाल अब भी है कि म्यांमार से आने वालों में से ‘अवैध घुसपैठिया’ किसे कहेंगे और ‘वॉर रेफ़्यूजी’ किसे कहेंगे.
हमने मणिपुर के सूचना मंत्री सपम राजन से जानने की कोशिश की कि कहीं राज्य में जारी हिंसा के पीछे सिर्फ़ “अवैध घुसपैठ” को वजह बताना एक सरकारी नैरेटिव सा तो नहीं बन गया है?
सपम रंजन ने कहा, “हमारा किसी समुदाय के ख़िलाफ़ कुछ नहीं है, बस चिंता उनकी है जो बाहर से आ चुके हैं. बहुत से लोग हमारे राज्य में अवैध तरीक़े से आते रहे हैं तो हमें इस अहम मुद्दे को तो उठाना ही था. लोगों के बायोमीट्रिक वग़ैरह लिए जा रहे हैं और अभी तो सिर्फ़ शुरुआत हुई है. अब सीमा पर फ़ेंसिंग शुरू होगी”.
सीमा पर फेंसिंग शुरू करने की पहल की पुष्टि सांसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कर चुके हैं.
उन्होंने पिछले सांसद सत्र में कहा था, ““क्योंकि भारत -म्यांमार सीमा पर आज़ादी के बाद से हूँ फ़्री बॉर्डर है तो बड़ी मात्रा में कुकी भाइयों का यहां आना शुरू हुआ. और जब परिवार जंगलों में बसने लगे तो मणिपुर के लोगों में एक तरह से असुरक्षा की भावना हुई है”.
मणिपुर-म्यांमार सीमा का दौरा करने पर हमें कई ऐसे गांव मिले जिनमें कुछ घर भारत में आते हैं और कुछ म्यांमार का हिस्सा हैं.
सीमा पर रहने वालों की भाषा भी समान है, पहनावा भी और खान-पान भी. इनमें मैतेई और कुकी दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं. मणिपुर का कुकी समुदाय इस बात से आहत लग रहा है कि कई लोग इन सभी को “अवैध घुसपैठिए’ वाली श्रेणी में डाल रहे हैं.
चूराचांदपुर में कुकी पीपुल्स एलायंस के उपाध्यक्ष चिनखोलाल थांसिंग से इसी मसले पर लंबी बात हुई.
उनके मुताबिक़, “चाहे सीरिया से हो या कहीं और जारी हिंसक संघर्ष वाले देश से...शरणार्थियों को मानवीय आधार पर यूरोप, ब्रिटेन या अमेरिका जैसे देशों में शरण मिलती रही है. ठीक उसी तरह म्यांमार में सैन्य शासन से परेशान होकर आने वाले शरणार्थियों के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए भारत में उनका स्वागत करना चाहिए”.
लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यही है कि सैकड़ों सालों से साथ रह रहे कुकी और मैतेई लोगों के बीच दुश्मनी गहराती जा रही है.
65 साल के एन पुलिंद्रो सिंह भारत-म्यांमार सीमा पर बसे मोरेह शहर में व्यापार करते थे. चार मई को एक गुस्साई हुई भीड़ ने इनके घर और गोदाम को जला दिया.
भारतीय सेना ने इनके परिवार को बचाकर इम्फ़ाल पहुँचाया.
एन पुलिंद्रो सिंह ने इम्फ़ाल में विपक्षी समुदाय के एक ख़ाली घर को अपने परिवार का ठिकाना बना लिया है.
वापस लौटने की शर्त भी है क्योंकि पड़ोसी म्यांमार से बढ़ते हुए व्यापार में मोरेह के व्यापारियों का बड़ा हाथ था.
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार और राज्य सरकार जब मोरेह में स्टेट फ़ोर्स रखेंगे तभी हम लोग वापस जाएंगे. अगर मणिपुरी लोगों को मोरेह में नहीं रहने देंगे तो हमारा बिज़नेस जो मणिपुर को खिला रहा है, वो सब फेल हो जाएगा और नुक़सान पूरे मणिपुर का होगा.” (bbc.com/hindi)
रायपुर, 25 अगस्त। 13 जुलाई अपनी नियुक्ति के करीब 38 दिनों बाद पीसीसी चीफ दीपक बैज ने अपनी जंबो कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। कुछेक परिवर्तन को छोड़ कर पूरी सूची बघेल की कही जा रही है। बैज ने अपनी ही तरह 50 वर्ष या कम आयु के लोगों को शामिल किया है। नौ पुराने महामंत्रियों को हटाकर 23 नये बनाए गए हैं। मरकाम से छिटककर अलग किए गए रवि घोष को ही यथावत रखा गया हेै।वहीं 140 सचिव लिए गए हैं। अधिकांश तीसरी पीढ़ी के नेता है।
पूरी सूची को बारीकि से देखने वाले कांग्रेसियों का कहना है कि कुछ वहीं पुराने मंत्री, विधायकों को छोड़ दशकों से पार्टी में सक्रिय पुराने नेताओं के "बुजुर्ग" ठहरा दिया गया है।
बैज की इस सूची में सबसे विवाद महामंत्री दीपक दुबे को लेकर सुना जा रहा है। उनके मुताबिक उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ा है। वहीं दुर्ग के कांग्रेसी कहते हैं कि दीपक, आज भी कमलनाथ की सरकार गिराने में अग्रणी रहे मोदी के मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के करीबी हैं। दोनों से बराबर का संपर्क है। राजपूत दुर्ग आए थे तब दीपक ने पूरी आवभगत करते हैं। दिल्ली में सिंधिया से पूरा संपर्क रहता है। इसकी जानकारी स्वयं विधायक अरूण वोरा संगठन को देते रहे हैं। बावजूद इसके पहले बाबा के कहने पर मरकाम ने और अब बैज ने महामंत्री जैसे अहम पद पर नियुक्त किया है। सूची को देखकर राजीव भवन में जो छिद्रांवेषण किया गया है, उसके मुताबिक चुनावी वर्ष के बाद भी संयुक्त महासचिव और सयुक्त सचिवों कि नियुक्ति को रोक लिया गया है।सूची में गुटीय संतुलन नजर नहीं आ रहा है। वहीं सबसे अहम जातिय संतुलन की अनदेखी की गई है।इसके तहत अजा, जजा नेताओ का प्रतिनिधित्व कम दिख रहा है। 2018 के अनुभवी नेता राजीव भवन से बाहर कर दिए गए हैं। सूची में दीपक बैज के करीबियों को शामिल कर लिया गया है तो मोहन मरकाम पीछे दरवाजे से अपने समर्थकों को शामिल करने में कामयाब रहे। दिल्ली परिक्रमा करने वाले नए नेता शामिल हो पाए हैं।पंचायतों और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों की कमी के साथ साथ, टिकिट के आवेदन कर्ता बड़ी संख्या में सूची में शामिल किए गए हैं।
रायपुर, 25 अगस्त। चंद्रयान-3 की सफलता में इसरो साइंटिस्ट आर आदित्य की भूमिका पर उनके पिता रायपुर निवासी, आर मुरली का सम्मान किया गया। पद्मश्री घंटसाला चैतन्य वेदिका छत्तीसगढ़ के सचिव के लक्ष्मीनारायण राव (भिलाई ) ने गुरूवार को सुंदर नगर में आर मुरली का सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस दौरान मौजूद लोगो ने आर. आदित्य के योगदान और उनके किए हुए कार्यों के बारे में पिती से जाना।और उनके कार्यों की प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के गणमान्य अतिथि जी. वेणुगोपाल, डी श्रीनिवास, टी श्रीनिवास रेड्डी, के शंकर राव, पीयूष , धर्मराज कुशवाह, पूजा गुप्ता, प्रीति शर्मा, पारुल अग्रवाल, प्रीति त्रिपाठी, उमा कुशवाह आदि उपस्थित थे। वहीं एलआईसी पंडरी में अधिकारी कर्मचारियों ने आदित्य की मां , आर.रामलक्ष्मी को बुके देकर सम्मानित किया।
चंडीगढ़, 25 अगस्त। पंजाब पुलिस ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा के बेटे पर पंजाब विश्वविद्यालय के कानून के एक छात्र के साथ कथित तौर पर मारपीट करने का मुकदमा दर्ज किया।
सुखजिंदर सिंह रंधावा के बेटे ने भी कानून के छात्र के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है।
पुलिस ने बताया कि सुखजिंदर सिंह रंधावा के बेटे उदयवीर सिंह रंधावा और कानून के विद्यार्थी नरवीर सिंह गिल की शिकायतों के आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं और मामले की जांच की जा रही है।
गिल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि वह बुधवार को रात्रि भोज के लिए एक होटल में गया था और वहां जब वह शौचालय में गया तो उदयवीर सिंह रंधावा ने उससे मारपीट की। गिल का कहना है कि जब वह शौचालय से बाहर आया तो रंधावा के परिवार के सदस्यों ने भी उससे मारपीट की।
पुलिस ने बताया कि ऐसी जानकारी है कि गिल और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के बेटे के बीच पुरानी रंजिश है।
वहीं उदयवीर सिंह रंधावा ने भी अपनी शिकायत में गिल पर उन पर हमला करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि युवाओं के बीच ऐसी चीजें होती रहती हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस से कहा है कि अगर उनका बेटा दोषी पाया जाता है तो वह कार्रवाई करें। (भाषा)
जोहानिसबर्ग, 25 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को दक्षिण अफ्रीका की यात्रा का समापन करते हुए इसे ‘‘बेहद सार्थक’’ बताया और वह वहां से यूनान रवाना हो गए।
दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के दौरान मोदी ने 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया और दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
मोदी कोविड-19 महामारी के कारण लगातार तीन साल तक वर्चुअल माध्यम से हुई बैठकों के बाद ब्रिक्स नेताओं के पहले आमने-सामने के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार को दक्षिण अफ्रीका पहुंचे थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका की सार्थक यात्रा पूरी की जिसने ब्रिक्स के सफर में एक नया अध्याय शुरू किया है। प्रधानमंत्री अब यूनान रवाना हो गए हैं।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘दक्षिण अफ्रीका की मेरी यात्रा बहुत सार्थक रही। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन सार्थक और ऐतिहासिक रहा । हमने इस मंच पर नए देशों का स्वागत किया। हम वैश्विक हित के लिए एक साथ मिलकर काम करते रहेंगे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, लोगों तथा सरकार का उनके आतिथ्य सत्कार के लिए आभार।’’
मोदी यूनान के अपने समकक्ष क्रियाकोस मित्सोताकिस के निमंत्रण पर शुक्रवार को एथेंस पहुचेंगे।
मोदी की एथेंस यात्रा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि सितंबर 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यूनान यात्रा के बाद से भारत के प्रधानमंत्री के स्तर पर यह पहली यात्रा होगी। (भाषा)
गोपेश्वर, 25 अगस्त। उत्तराखंड के भूधंसाव ग्रस्त जोशीमठ नगर में आ रही नई दरारों के सर्व़ेक्षण के लिए फिर से केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) की मदद ली जाएगी ।
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बृहस्पतिवार को एक बैठक में अधिकारियों को जोशीमठ में आ रही नई दरारों का सीबीआरआइ के वैज्ञानिकों से सर्वेंक्षण कराने को कहा ।
जोशीमठ में हुए भूधसांव के बाद विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यो को लेकर बैठक में खुराना ने अधिकारियों को सीबीआरआइ से समन्वय करते हुए जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित भवनों की रेट्रोफिटिंग एवं नरसिंह मंदिर मोटर मार्ग के सुदृढीकरण के लिए शीघ्र विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा ।
उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जोशीमठ के प्रीफैब्रिकेटेड भवन हेतु भूमि का चयन करने और डिग्री कॉलेज के क्षतिग्रस्त भवन निर्माण हेतु त्वरित कार्रवाई करने के साथ ही पर्यटन विभाग को पर्यटन व्यावसायियों से सुझाव लेते हुए पर्यटक सुविधा केन्द्रों के लिए भूमि चयन करने के निर्देश भी दिए।
खुराना ने अधिकारियों से क्षतिग्रस्त रोपवे का काम शुरू करने के लिए शासन से समन्वय बनाने तथा शिक्षा विभाग को जोशीमठ में बनने वाले नए विद्यालय भवनों के लिए भूमि चिन्हित करने को भी कहा ।
उन्होंने सिंचाई विभाग को टीएचडीसी से समन्वय करते हुए जोशीमठ क्षेत्र में अलकनंदा नदी के तट पर सुरक्षा दीवार बनाने हेतु डीपीआर तैयार करने को भी कहा । (भाषा)
नयी दिल्ली, 25 अगस्त। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान -3 के सफलतापूर्वक उतरने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह पूरी मानवता खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ के लोगों के लिए एक सफलता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार मोदी ने बृहस्पतिवार को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत की।
बयान के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री और भारत के लोगों को चंद्रयान -3 मिशन की सफलता पर हार्दिक बधाई दी।
इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस सद्भाव के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि चंद्रयान की सफलता पूरी मानवता खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ के लोगों की सफलता है।
अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में लंबी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान -3 बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा। भारत अब उन चार विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है जो चंद्रमा पर पहुंचे हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है।
भारत से पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ चंद्रमा पर पहुंचे थे। (भाषा)
आगरा, 24 अगस्त। आगरा में दहेज प्रताड़ना से परेशान होकर एक महिला ने अपनी दो साल की बेटी के साथ चलती ट्रेन के सामने कथित रूप से छलांग लगा दी। पुलिस ने बृहस्पतिवार को बताया कि घटना में मां की मौत हो गई है जबकि बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलिस ने बताया कि घटना 21 अगस्त की है और बृहस्पतिवार को महिला का एक वीडियो सामने आया है जो उसने अपनी एक सहेली को भेजा था। महिला ने इस वीडियो में अपने पति और ससुराल वालों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है।
महिला के पिता देव सिंह ने आरोप लगाया है कि उनका दामाद मुकेश दहेज को लेकर अकसर उनकी बेटी आरजू को परेशान करता था।
देव सिंह ने आरोप लगाया है कि दहेज प्रताड़ना से परेशान होकर आरजू ने 21 अगस्त को अपनी बेटी के साथ चलती ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या करने का प्रयास किया।
अछनेरा थाना के प्रभारी रोहित आर्य ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है लेकिन अभी तक कोई तहरीर नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि तहरीर मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। (भाषा)