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सबसे ज्यादा 96 रायपुर से
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। आज रात 8.45 तक 150 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गई है। इसमें रायपुर से 96, जांजगीर-चांपा 17, कांकेर 9, सरगुजा 5, बालोद, बिलासपुर, कोरिया, बस्तर और नारायणपुर 3-3, धमतरी 2, दुर्ग, गरियाबंद, कबीरधाम, बलौदाबाजार, रायगढ़, और बलरामपुर से 1-1 मरीज की पहचान हुई है।
प्रदेश में आज 83 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। एक्टिव मरीजों की संख्या 909 है।
-अजीत साही
जैसे ही किसी देश का लीडर राष्ट्रवाद या धर्म का नाम लेकर सरकारी कदम उठाए आपको फ़ौरन पता करना चाहिए - इसकी नेतागिरी ख़तरे में है क्या?
दरअसल तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोगन के साथ यही हो रहा है.
तुर्की की अर्थव्यवस्था बदहाल है. इस साल तुर्की की करेंसी, जिसे लीरा कहते हैं, तेरह फ़ीसदी गिर चुकी है. पिछले साल ये बीस फ़ीसदी गिरी थी. उसके पिछले साल भी बीस फ़ीसदी गिरी थी. किसी देश की करेंसी की वैल्यू जब गिरती है तो पूरे देश पर उसका बहुत बुरा असर होता है. एक ओर विदेशी क़र्ज़ की अदायगी और महँगी हो जाती है. और दूसरी ओर विदेश से इंपोर्ट होने वाला सामान और भी महँगा हो जाता है. इससे महंगाई भी बढ़ती है और लोगों की आर्थिक संपन्नता भी कम होती है. यानी ग़रीबी बढ़ती है.
सरकारी आँकड़ों के हिसाब से तुर्की में महंगाई की दर बारह फ़ीसदी है. ये आँकड़ा भी फ़र्ज़ी है. असली दर इससे कहीं अधिक है. पिछले साल तुर्की की सरकार ने महंगाई की दर बीस फ़ीसदी बताई थी. लेकर अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीव हैंक (twitter: steve_hanke) का अनुमान है कि पिछले साल तुर्की में महंगाई की असली दर 43% के आसपास थी. ज़ाहिर सी बात है कि लोगों की आय उस अनुपात में नहीं बढ़ती है जितनी महंगाई बढ़ती है. पिछले साल जो दस हज़ार मिल रहे थे वो आज पाँच हज़ार के बराबर हो चुके हैं.
तुर्की में बेरोज़गारी भी चरम पर है. कल ही तुर्की के Statitical Institute ने बताया कि देश का हर चौथा नौजवान बेरोज़गार है. सरकार के मुताबिक बेरोज़गारी की दर तेरह फ़ीसदी है. ये भी फ़्रॉड आँकड़ा है. दरअसल कोरोनावायरस के दौर में अर्दोगन ने प्राइवेट कंपनियों में छंटनी पर रोक लगा दी है. लेकिन साथ ही सैलरी न देने की इजाज़त दे दी है. तो आज की तारीख में लाखों तुर्क बगैर पगार के घर बैठे हैं लेकिन आँकड़ों में नौकरीशुदा हैं. ज़ाहिर है महीनों बाद ये नौकरी पर नहीं लौट नहीं पाएंगे और आज नहीं तो कल, बेरोज़गार गिने जाएँगे. इसी महीने के आँकड़े बता रहे हैं कि रोज़गार दर 5% घट कर 41% पर आ गई है. यानी पाँच में दो तुर्क ही नौकरीशुदा है.
पिछले तीन-चार सालो से तुर्की में उद्योग और व्यापार में भी काफ़ी मंदी आई है. मुनाफ़ों में भारी गिरावट आई है. विदेश निवेश पीछे हट रहा है. देशी कंपनियाँ भी व्यापार के विस्तार से चूक रही हैं. भवन निर्माण यानी construction industry तुर्की के जीडीपी का दस फ़ीसदी है. ये सेक्टर भी भयानक दौर से गुज़र रहा है. देश में लॉकडाउन करने के बावजूद अर्दोगन की हिम्मत नहीं हुई कि construction पर रोक लगाई जाए. लिहाज़ा कई मज़दूर कोरोना की चपेट में आ गए. इससे मज़दूरों में नाराज़गी है. अर्दोगन के विरोध में प्रदर्शन भी हुए हैं.
2003 में पहली बार चुनाव जीत कर सत्ता हासिल करने के बाद अर्दोगन ने अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए उधार लेकर जम कर पैसा ख़र्च किया. पहले पाँच साल तो अर्थव्यवस्था बढ़ी भी. लेकिन फिर रफ़्तार धीमे होने लगी. आज सरकार और निजी कंपनियों का क़र्ज़ पाँच लाख करोड़ डॉलर हो चुका है. ये रकम देश की जीडीपी का दो-तिहाई है. इसकी अदायगी कर पाना न सरकार और न ही निजी कंपनियों के बस की बात है. तुर्की पर दबाव बन रहा है कि वो International Monetary Fund से उधार लेकर अपनी माली हालत सुधारने की कोशिश करे. लेकिन IMF से लोन लेने का मतलब होगा कि सरकार पर और सरकारी कंपनियों पर होने वाले ख़र्चों में कटौती हो. वो भी अर्दोगन के बस की बात नहीं है. तुर्की में सरकारी भ्रष्टाचार भी चरम पर है. Transparency International के मुताबिक भ्रष्टाचार से लड़ाई में पिछले साल दुनिया के 180 देशों में तुर्की 78 नबंर पर था. इस साल वो गिर कर 91 नंबर पर पहुँच गया. यानी सिर्फ़ एक साल में भ्रष्टाचार ख़ासा बढ़ गया है. 2010 में ये 56 नंबर पर था. यानी दस साल में भ्रष्टाचार लगभग दोगुना हो चुका है.
इन सब कारणों से अर्दोगन का विरोध बढ़ रहा है. पिछले साल तुर्की के सबसे बड़े और सबसे अधिक आबादी वाले शहर इस्तांबुल में मेयर के चुनाव में अर्दोगन की पार्टी AKP की हार हो गई. अर्दोगन ने उस फ़ैसले को मानने से मना कर दिया और चुनाव अधिकारियों पर दबाव बना कर तीन महीने बाद दोबारा चुनाव करवाया. दूसरे चुनाव में तो पार्टी और अर्दोगन को और भी मुंह खानी पड़ी. कई और शहरों में अर्दोगन की पार्टी को बुरी हार मिली है.
पिछले कुछ सालो में अर्दोगन ने देश भर में अपने विरोधियों को जेल भेजना शुरू कर दिया. हज़ारों पत्रकार, यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर, एक्टिविस्ट, वकील, और जजों को भी या तो नौकरी से निकलवा दिया है या जेल में डाल दिया है. तुर्की की न्यायपालिका आज अपनी स्वतंत्रता खो चुकी है. पिछले हफ़्ते Amnesty International के तीन मुलाज़िमों को अदालत ने आतंकवादी घोषित करके जेल की सज़ा सुना दी है.
अब तो आप जान गए कि अर्दोगन ने अचानक क्यों एक संग्रहालय को मस्जिद में तब्दील करने का फ़ैसला ले लिया.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 12 जुलाई। महासमुन्द जिले में डकैती की योजना बनाते मध्यप्रदेश व उड़ीसा के 7 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। अभी शाम 6 बजे जिला मुख्यालय कंट्रोल रूम में पत्रकार वार्ता में एसपी प्रफुल्ल कुमार ठाकुर ने इस मामले का खुलासा किया। आरोपियों से 1 नग ऑटोमेटिक पिस्टल, 1 नग मैग्जीन, 2 नग जिन्दा कारतूस व 1 नग देशी कट्टा, 2 नग जिन्दा कारतूस, घटना में प्रयुक्त स्कार्पियों वाहन व टाटा कंपनी की 10 चक्का ट्रक के अलावा 60 हजार रुपये नगद भी बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपी मध्यप्रदेश में भी वॉन्टेड हैं और मध्यप्रदेश की एस.टी.एफ. भी आरोपियों की तलाश कर रही है।
पुलिस के अनुसार आज दोपहर ओडिशा की ओर से एक सफेद स्कार्पियों आती दिखी। उसमें कुछ लोग सवार थे। पुलिस को देखकर उक्त वाहन चालक बेरिकेटिंग को तोड़ते हुए सरायपाली की ओर भाग निकला। इस पर थाना सरायपाली के नवागढ़ बेरियर में तैनात टीम के जवानों ने भी नाकेबंदी की और सारंगढ़ के पास ओवरटेक कर वाहन रोका गया। पूछताछ करने पर स्कार्पियों के वाहन चालक ने अपना नाम सोनू बाल्मिकी जिला शाजापुर, मध्यप्रदेश और दूसरे ने अपना नाम कुरूध्वज तांडी ग्राम केन्दुपाली जिला नवापडा ओडिशा बताया। उन्होंने बताया कि अपने 5 अन्य साथियों के साथ उक्त स्कार्पियों एवं 10 चक्का ट्रक से आए हैंं और सरायपाली व सिघोड़ा के आस-पास खड़े तेल के टैंकरों एवं ट्रकों से डीजल चुराते हैंं। अपने सभी साथियों के साथ पेट्रोल पम्प को लूटने व रेकी करके किसी मालदार के घर में डकैती डालने की योजना भी बना रहे हैंं।
पुलिस ने तलाशी में उक्त स्कार्पियों में बैठे व्यक्ति कुरूध्वज ताण्डी के पास से 1 नग देशी कट्टा व 2 नग जिन्दा कारतूस बरामद किया। आरोपियों के अन्य 5 साथी ट्रक में बसना के रास्ते में पकड़े गये। पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम अनिश गौसिया नगर इन्दौर, जावेद उर्फ गोलू संजीव नगर हजराना, इस्माइल खान मालीखेडी जिला शाजापुर, ब्रज मोहन पता पोलाय थाना सुन्दरसिंह जिला शाजापुर, सौदान पिता भीमसिंग भिलाला जिला शाजापुर मध्यप्रदेश बताया है।
जांच के दौरान पता चला कि ट्रक में एक गुप्त चेम्बर बना है और 1000-1500 लीटर एस्ट्रा डीजल टंकी है। रात को आरोपी तेल के टैंकरों एवं ट्रकों से डीजल चोरी कर लेते हैंं। चोरी करने के दौरान टैंकर एवं ट्रक ड्राईवर यदि जाग जाता है तो उसे अपने पिस्टल की नोंक पर बंधक बना लेते हैं। ज्यादा विरोध करने पर हत्या तक कर देते हैंं। आरोपियों ने मध्यप्रदेश के इन्दौर में डीजल चोरी करने के दौरान ड्राईवर की हत्या करना स्वीकार किया है। तलाशी के दौरान ट्रक ड्राईवर मो. अनिश पिता जमील खान के कब्जे से 1 नग आटो मेटिक पिस्टल, 1 नग मैगजीन व 2 नग जिन्दा कारतूस बरामद किया गया है। आरोपियों से लोहे का सब्बल, हथौड़ा, छैनी, चाईनीज चाकू, स्टील का रॉड एवं नगदी 60 हजार रुपए बरामद किया गया है। मामले में थाना सरायपाली में धारा 394, 398, 399 भादवि कायम कर विवेचना में लिया गया है।
नई दिल्ली, 12 जुलाई(एजेंसी )। चीन के साथ सीमा मुद्दे को लेकर जारी विवाद के बीच भारतीय सेना एक बार फिर से 72 हजार एसआईजी 716 असॉल्ट रायफल्स अमेरिका से मंगाने जा रही है। असॉल्ट रायफल्स की दूसरी खेप के लिए ऑर्डर दिया जा रहा है। पहली खेप में 72 हजार रायफल्स का ऑर्डर पहले ही अमेरिका की तरफ से भारत को भेजा जा किया जा चुका है और उसे सेना की तरफ से नॉर्दर्न कमांड और अन्य ऑपरेशनल इलाकों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई से बताया, "आर्म्ड फोर्सेज को दी गई फाइनेंशियल पावर के तहत हम 72 हजार और रायफल्स का ऑर्डर देने जा रहे हैं।" आतंकवाद निरोधी अभियान को धार देने के लिए भारतीय सेना को असॉल्ट रायफल्स की पहली खेप मिल चुकी है। भारत ने फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) कार्यक्रम के तहत रायफल्स की खरीददारी की है।
नई रायफल्स वर्तमान में सुरक्षाबलों की तरफ से इस्तेमाल किए जा रहे इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इन्सास) 5.56x45mm रायफल्स की जगह लेगी। इन्सास का प्रोडक्शन स्थानीय तौर पर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में ही किया जा रहा था।
योजना के मुताबिक, करीब डेढ लाख आयातित रायफल्स का इस्तेमाल आतंकवाद विरोधी अभियान और नियंत्रण रेखा पर फ्रंट लाइन ड्यूटी में होना था। जबकि, बाकी बलों को एके-203 रायफल्स दी जाएंगी, जिसे भारत और रूस ने अमेठी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में तैयार किया जाना है।
दोनों पक्षों की तरफ से कई प्रक्रियागत मुद्दों को चलते इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होना अभी बाकी है। भारतीय सेना पिछले कई समय से INSAS असॉल्ट रायफल्स को रिप्लेस करने की कोशिश कर रही थी लेकिन एक के बाद दूसरे कारणों के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था।
हाल में इन बंदुकों की कमी के चलते रक्षा मंत्रालय ने लाइन मशीन गन (एलएमजी) को इजरायल से मंगाने का ऑर्डर दिया था। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने हैं और चीनी की सेना ने मई के पहले हफ्ते से ही बिना किसी उत्तेजना के करीब 20 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात कर रखा है।
गुजरात के नगीनदास संघवी
एनडीटीवी के रवीश कुमार ने लिखा- बहुत दिनों बाद किसी के चरण छूकर आशीर्वाद लेने का मन किया है।
हमारे बीच कोई पत्रकार सौ साल पूरे कर रहा है, इसकी तो मुनादी होनी चाहिए। उत्सव मनाया जाना चाहिए। उनकी रचनाओं पर गोष्ठियां होनी चाहिए। उम्मीद है गुजरात की हवाओं में इस बात की खुश्बू होगी कि नगीनदास संघवी 10 मार्च को सौ साल पूरे करने जा रहा है।
संघवी साहब 19 साल की उम्र से ही पत्रकारीय लेखन कर रहे हैं तब उनका पहला लेख गुजरात की एक बेहद लोकप्रसिद्ध पत्रिका चित्रलेखा में छपा था। ताज़ा लेख नागरिकता कानून को लेकर है। जिसमें नगीनादास जी ने लिखा है कि भारत में 100 साल से रह रहे हैं लेकिन उनके पास साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं है। 3 मार्च को उन्होंने 11 लाख की सम्मान राशि ठुकरा दी और कहा कि यह पैसा दूसरे लेखकों को मिले। मोरारी बापू उन्हें सम्मानित करना चाहते थे।
100 साल की उम्र में भी नगीनदास जी स्वस्थ्य हैं। कोई गंभीर रोग नहीं है। 1919 के साल में पैदाइश हुई। गुजरात के भावनगर के भुंभली गांव में। मुंबई में बीमा कंपनी में काम किया। फिर राजनीतिक शास्त्र पढ़ाया। 32 साल बाद मीठी बाई कालेज से सेवानिवृत्त हो गए।
50 साल में संघवी साहब की कलम एक दिन नहीं रुकी। कभी संपादक से यह नहीं कहा कि आज लेखनहीं हो पाएगा। हर सप्ताह 5000 शब्द लिखने वाले संघवी साहब खुद टाइप करते हैं। उनके चार कॉलम छपते हैं। चित्रलेखा के अलावा दिव्य भास्कर की कलश पूर्ति में हर बुधवार को उनका कॉलम आता है। रविवार को तड़ ने फड़ नाम से कॉलम आता है। तड़ ने फड़ कालम में छपे लेख से कई किताबें भी बनी हैं।
चार किताबें अंग्रेज़ी में भी हैं।1. Gujarat: a political analysis 2. Gandhi: the agony of arrival 3. Gujarat at cross roads 4. A brief history of yoga.अमरीकन इतिहास और राजनीति पर उन्होंने नौ किताबो का गुजराती अनुवाद किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय सफर पर भी उन्होंने किताब लिखी है। देश और दुनिया की राजनीति पर 30 परिचय पुस्तिकाएं लिखी हैं।
संघवी साहब ने हमेशा ही अपने कॉलम में वचिंत तरफ़ी की है। सेकुलर मूल्यों को बढ़ावा दिया है। निडर हैं। 26 जून 2019 के लेख में लिखते है कि.. ' राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति के बारे में प्रधानमंत्री की विचारधारा आरएसएस की है और वो बिल्कुल ग़लत है '। यह भी तथ्य है कि उन्हें पद्म श्री भी मोदी सरकार के दौर में ही मिला। लेकिन संघवी साहब की कलम कहां किसी का कहा मानती है। गुजरात में एक परंपरा देखने को मिली है। कांति भाई भट्ट के लेखन और लोकप्रियता से यह समझा है कि लेखक और पत्रकार घोर आलोचक होते हैं समाज और सत्ता के। यह बात मैं जनरल नहीं कह रहा है। सभी के लिए नहीं कह रहा लेकिन जिन नेताओं की आलोचना भी करते हैं वे भी इस बात का ख्याल करते हैं कि उनका वोटर पाठक भी होता है और वो पाठक कभी अपने लेखक का अपमान सहन नहीं कर सकता है।
मुझ तक जिस आर्जव के ज़रिए जानकारी पहुंची है, उनका बहुत शुक्रिया। उन्होंने इसके लिए आनलाइन मैगज़ीन में छपे लेख का अनुवाद किया ताकि हिन्दी का संसार भी नगीनदास जी के किस्सों से धन्य हो सके। संघवी साहब के लेखों के बारे में लिखा है कि " भावों से भरपूर और अंगत स्पर्श वाले लेख कभी देखने को नहीं मिलते, वे हमेशा तर्कबद्ध, सजावट मुक्त लेख लिखते है।" उनके बौद्धिक धैर्य और मौलिक चिंतन का उदाहरण ' रामायण नी रामायण ' लेखमाला में मिलते है। वह कहते है कि 13 जनवरी से 24 फरवरी 1985 के दौरान मुंबई के ' समकालीन ' में लिखी गई सीरीज का उद्देश्य वाल्मीकि रामायण की मूल कथा का सत्य बड़े आधारभूत तरीके से सबके सामने रखना था। धर्म की आड़ में अपने पेट भरनेवाले बाबा लोग जो ' भ्रम ' पैदा करते थे उसको दूर करना था। इस लेख का काफी विरोध हुआ था। जब अखबार के संपादक ने जवाब देने की जगह नहीं दी तो सांघवी साहब ने किताब छपवा दी। ' रामायण नी अंतर यात्रा ' नाम से । डॉ. अम्बेडकर के पुस्तक ' रिडल आफ राम ' की याद दिलाता हुए इस पुस्तक के हरेक पन्नों पर स्वतंत्र चिंतन दिखता है।
2019 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित नगीनदास संघवी को गुजरात के लोग ' नगीन बापा ' और ' बापा ' कह के बुलाते है।
कांति भाई भट्ट के बाद नगीन बापा गुजरात की पत्रकारिता के अदभुत उदाहरण हैं। नगीन बापा की शतकीय पारी शानदार रही है।
मैं आप सभी के लिए नगीन बापा के जीवन के बारे में टाइप करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमारी पत्रकारिता को उनका आशीर्वाद मिले। सभी पत्रकारों को गौरव होना चाहिए कि उनके बीच एक ऐसा पत्रकार भी है जिसके सौ साल हो रहे हैं।
आप सभी नगीन बापा को बधाई दें। उनके स्वस्थ्य और सुंदर जीवन की कामना करें। उनके लिखे लेखों का पाठक बनें।
एक ऐसे दिन जब मुझे गोलियों से मार देने की धमकी दी जा रही है उस दिन नगीन बापा के सौ साल पूरे करने पर लिखते हुए महसूस हो रहा है कि मुझे भी उनके सौ साल मिले हैं।
इसलिए मुझे गुजरात से प्यार है।
बहुत दिनों बाद किसी के चरण छू कर आशीर्वाद लेने का मन किया है।
-रवीश कुमार
चंडीगढ़, 12 जुलाई। हरियाणा के कम से कम छह उपायुक्तों ने यह कहते हुए सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगा दी है कि ऐसे प्लेटफार्मों द्वारा असत्यापित और भ्रामक समाचारों के प्रसार से समाज में शांति भंग हो सकती है और यह कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्य के कार्यकर्ताओं ने इस कदम को अघोषित आपातकाल करार दिया और कहा कि यह सोशल मीडिया की आवाजों को चुप कराने की कोशिश है.
सोनीपत, कैथल, चरखी दादरी, करनाल, नारनौल और भिवानी के उपायुक्तों द्वारा वॉट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, पब्लिक ऐप और लिंक्डइन पर आधारित सभी सोशल मीडिया समाचार प्लेटफॉर्म को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए गए हैं.
करनाल के उपायुक्त ने जहां 15 दिन का प्रतिबंध लगाया है, वहीं बाकी के पांच उपायुक्तों ने अगले आदेश तक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.
पहला ऐसा आदेश चरखी दादरी के उपायुक्त ने इस साल 12 मई को जिलाधिकारी के रूप में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जारी किया था. इसके बाद करनाल जिले के उपायुक्त ने 10 जुलाई को ऐसा आदेश जारी किया था.
सोनीपत के उपायुक्त श्याम लाल पूनिया द्वारा 16 जून को जारी आदेश में कहा गया, ‘सोनीपत के किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने न्यूज चैनल के रूप में काम करने की अनुमति नहीं ली है. उन्हें न तो हरियाणा सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय से पंजीकरण मिला और न ही केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आयुक्त से.’
आदेश में आगे कहा गया, ‘सोशल मीडिया के समाचार चैनलों से जानबूझकर या अनजाने में फर्जी समाचार या गलत रिपोर्टिंग के कारण कोरोना वायरस महामारी की इस असामान्य परिस्थिति में समाज के एक बड़े वर्ग के बीच भय (फैलने) की संभावना है. इसलिए समाचार चैनल के रूप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कामकाज के लिए किसी भी नियामक संस्था से पंजीकरण कराना आवश्यक है.’
ये प्रतिबंध आईपीसी की धारा 188, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और महामारी रोग अधिनियम, 1957 के तहत लगाए गए हैं. यह भी उल्लिखित किया गया है कि इन कानूनों का उल्लंघन करने पर जेल की सजा और जुर्माना भी लग सकता है.
हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ता सुखविंदर नारा ने इन प्रतिबंधों को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है.
पेशे से वकील नारा ने कहा, ‘संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (ए) बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है जिसमें मीडिया की स्वतंत्रता शामिल है. अधिकारियों की कार्रवाई इस संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन है. संबंधित उपायुक्त ने प्रतिबंध लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया है, लेकिन शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘प्रतिबंध के आदेश में उल्लेखित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सावधानीपूर्वक अवलोकन करने पर पता चलता है कि शीर्ष अदालत ने केवल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से फेक न्यूज को रोकने के लिए कहा है. ऐसा लगता है कि जिला मजिस्ट्रेटों ने सुप्रीम कोर्ट आदेश की गलत व्याख्या की है और बिना किसी कारण के प्रतिबंध लगाया है.’
नारा ने राज्य के मुख्य सचिव को एक ज्ञापन भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि अधिकारियों ने बिना कोई डेटा एकत्र किए कार्रवाई की है.
उन्होंने आगे कहा, ‘यदि कोई भी सोशल मीडिया समाचार चैनल किसी भी मुद्दे पर फेक न्यूज प्रकाशित कर रहा है, तो अधिकारी संबंधित समाचार चैनलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए सक्षम हैं, लेकिन उनके पास सोशल मीडिया समाचार प्लेटफार्मों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने का कोई अधिकार नहीं है.’
इसी तरह आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम का दुरुपयोग कर रहा है. इस तरह के चैनलों की अनुपस्थिति में प्रशासन को स्थानीय स्तर के मुद्दों के कड़वे सच के बारे में कुछ पता नहीं चल पाएगा.’
हालांकि, प्रतिबंध के आदेश को सही ठहराते हुए श्याम लाल पूनिया ने कहा, ‘ऐसे प्लेटफॉर्म के लिए भी नियंत्रण और संतुलन जरूरी है. इस तरह के प्लेटफार्मों के लिए कुछ प्रकार का पंजीकरण होना चाहिए ताकि उनकी ओर से भी जवाबदेही की भावना आए.’
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पूनिया ने कहा, ‘ये प्लेटफॉर्म कोरोना मरीजों की जानकारी उनके नाम के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. मरीजों की सूची गलत थी. यहां तक की हम भी मरीजों के नाम सार्वजनिक नहीं करते हैं.’
वहीं, हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष केबी पंडित ने कहा कि कई अधिकारी ही कोरोना वायरस मरीजों की पहचान उजागर कर देते हैं इसलिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
पंडित ने आगे कहा, ‘फिलहाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के पंजीकरण के लिए कोई सिस्टम नहीं है.’
इस बीच, पंडित के नेतृत्व में वेबपोर्टल पत्रकारों के एक समूह ने शनिवार को करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की.
पंडित ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि 48 घंटे के भीतर सोशल मीडिया के लिए एक नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें सरकार वेब-पोर्टल को भी सहायता देने का प्रयास करेगी. मेरा मानना है कि ऐसे प्लेटफॉर्मों के सोशल मीडिया पत्रकारों और विज्ञापनों को मान्यता देने के लिए जल्द ही मानदंड को अंतिम रूप दिया जाएगा.’
बता दें कि बीते 6 जुलाई को हरियाणा कैबिनेट ने भारत में उभरते नए डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को देखते हुए डिजिटल मीडिया पॉलिसी, 2020 पेश करने का फैसला किया था.
तब सरकार ने कहा था, ‘वेबसाइटों, नए ऐप्लिकेशनों की पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ उनके कंटेंट की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए नीति में कई सहायक नियंत्रण और संतुलन को शामिल किया गया है.’(thewire)
-श्रवण गर्ग
आँखों के सामने इस समय बस दो ही दृश्य हैं: पहला तो उज्जैन स्थित महाकाल के प्रांगण का है।उस प्रांगण का जो पवित्र क्षिप्रा के तट पर बस हुआ है और उस शहर में समाए हुए हैं जो सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी रहा है। जहाँ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विराजित है।जो काल भैरव और कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।जहाँ भगवान कृष्ण और बलराम गुरु सांदिपनी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे।इसी महाकाल के प्रांगण में एक आदमी निश्चिंत होकर बहुत ही इत्मिनान से फ़ोटो खिंचवा रहा है।इधर से उधर आ-जा भी रहा है।और फिर भगवान के दर्शन करने के बाद बाहर आकर घोषणा भी करता है कि वह कानपुर वाला विकास दुबे है।इसका वीडियो भी बन जाता है और वायरल भी हो जाता है। सब ऐसे चलता है जैसे किसी शूटिंग के दृश्य की शूटिंग चल रही हो।
दूसरा दृश्य उक्त प्रांगण से कानपुर शहर के नज़दीक भौंती नाम की जगह का है। उस जगह का जो बिकरू नामक गाँव से कोई पचास किलो मीटर दूर है जहाँ तीन जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद से विकास दुबे फ़रार हो गया था और चारों ओर कड़ी चौकसी का मज़ाक़ उड़ाते हुए फ़रीदाबाद के रास्ते तेरह सौ किलो मीटर यात्रा कर महाकाल के प्रांगण तक पहुँच गया था।महाभारत काल अथवा उसके भी काफ़ी पहले के उज्जयिनी नगर से भौंती तक के लगभग सात सौ किलो मीटर के बीच का जो मार्ग है, वही आज़ादी के बाद हुए भारत के कुल विकास की यात्रा है। यह भी कह सकते हैं कि विकास औद्योगिक नगर कानपुर पहुँचने के पहले यहाँ रोक दिया गया था।
कोई चलता-फिरता अपराधी अपने गिरोह की मदद से समूची व्यवस्था के कपड़ों पर गंदगी लगाकर पहले तो उसका ध्यान भंग करता है और फिर उसके हाथ से लोकतंत्र के बटुए को छीनकर फ़रार भी हो जाता है। वह यही काम बार-बार तब तक करता रहता है, जब तक कि व्यवस्था कराहने नहीं लगती।उसके बाद जो कुछ होता है उसी पर इस समय बहस चल रही है।बहस यह कि न्याय की प्रतिष्ठा की दृष्टि से एक ऐसे अपराधी का एंकाउंटर में मारा जाना कहाँ तक उचित है जिसने कथित तौर पर महाकाल प्रांगण में स्वयं ही उपस्थित होकर अपने उस व्यक्ति होने की खुले आम मुनादी की थी जिसे बटुए से लुटी हुई व्यवस्था चारों तरफ़ ढूँढ रही थी ।
वफ़ादारी के टुकड़ों-टुकड़ों में बँटी व्यवस्था से जुड़े हुए लोग भी कई-कई हिस्सों में बंट गए हैं।इनमें एक वे हैं जो मानते हैं कि वर्तमान न्यायिक व्यवस्था में अपराधियों को या तो सजा मिल ही नहीं पाती या फिर उसमें काफ़ी विलम्ब हो जाता है। ये लोग भीड़ की हिंसा, मॉब लिंचिंग या हैदराबाद जैसे एंकाउंटर को भी जायज़ मानते हैं। एक दूसरा वर्ग कह रहा है कि आम नागरिक का न्याय व्यवस्था के प्रति कुंठित हो जाना तो समझा जा सकता है, पर यहाँ तो व्यवस्था का ही व्यवस्था की ज़रूरत पर से यक़ीन ख़त्म होता दिख रहा है जो कि और भी ज़्यादा ख़तरनाक है। व्यवस्था के इस कृत्य में न सिर्फ़ नागरिक की भागीदारी ही नहीं है उसे प्रत्यक्षदर्शी बनने से भी किसी नाके के पहले ही रोका जा रहा है।
विकास दुबे तो एक ऐसा बड़ा अपराधी था जिसे अपने अपराधों के लिए संवैधानिक न्याय प्रक्रिया के तहत मौत जैसी सजा मिलनी ही चाहिए थी।पर सवाल यह है कि पिछले तीन दशकों के बाद भी क्या पुलिस व्यवस्था में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है ? वर्ष 1987 के मई माह की उस घटना का क्या स्पष्टीकरण हो सकता है जिसमें प्रोविंशियल आर्म्ड कोंस्टेबुलरी (पी ए सी) के जवान मेरठ की एक बस्ती से एक समुदाय विशेष के पचास लोगों को उठाकर ले गए और फिर उन्हें गोलियों से उड़ाकर शवों को पानी में बहा दिया गया। केवल आठ लोग किसी तरह बच पाए । तीन दशकों तक चले मुक़दमे में सोलह को दो साल पहले ही सजा सुनाई गई ।केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह तब कांग्रेसी हुकूमतें थीं।दोषियों को सजा से बचाने के लिए तब हर स्तर पर प्रयास किए गए थे।क्या हमें ऐसा नहीं मानना चाहिए कि विकास दुबे के एंकाउंटर में शामिल लोगों को भी बचाने के वैसे ही प्रयास किए जाएँगे ?
चर्चा है कि विकास दुबे की एंकाउंटर में मौत के बाद बिकरू गाँव के लोगों ने मिठाइयाँ बाँटी और जश्न मनाया।यह भी आरोप है कि इसी गाँव के कई युवक उस समय विकास की मदद कर रहे थे जब पुलिसकर्मियों पर गोलियाँ बरसाई जा रही थी और अब पुलिस द्वारा सभी हथियारों के समर्पण की माँग की जा रही है। बिकरू गाँव में मिठाई बाँटने वाले क्या सचमुच सही मान रहे हैं कि एंकाउंटर में विकास दुबे की मौत के साथ ही आतंक के युग की समाप्ति हो गई है ? ऐसा है तो फिर हमें अदालतों और भारतीय दंड संहिता और इस तरह भारतीय लोकतंत्र के प्रति किस तरह की निष्ठा और आदर का भाव रखना चाहिए ?
एक सवाल यह भी है कि अगर तीन जुलाई को मारे जाने वाले लोगों में आठ पुलिसकर्मियों के स्थान पर सामान्य नागरिक होते तब भी क्या विकास दुबे को इसी तरह से महाकाल के प्रांगण तक की यात्रा और अपने वहाँ होने की मुनादी करना पड़ती ?कहा जाता है कि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त एक प्रभावशाली व्यक्ति की हत्या के बाद भी अपराधी गवाहों के अभाव में पर्याप्त सजा पाने से छूट गया था।इस तरह के दुर्दांत अपराधी क्या बिना किसी संरक्षण के ही ऐसी हत्याएँ करने का साहस जुटा सकते हैं ? दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जिस घटनाक्रम को संदेह की दृष्टि से देखते हुए उसके लोकतंत्र के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंतित होना चाहिए, उसके प्रति संतोष व्यक्त किया जा रहा है।प्रश्न यह भी है कि जो कुछ भी चल रहा है उसके अगर प्रति थोड़ी सी भी अप्रसन्नता व्यक्त करना हो तो फिर इससे भी गम्भीर और क्या घटित होना चाहिए! और अंत में यह कि इस बात का ज़्यादा मातम नहीं मनाना चाहिए कि विकास अपनी मौत के साथ तमाम सारे राज़ और रहस्य भी लेकर चला गया है।वे राज अगर खुल जाते तो पता नहीं किस तरह के और एंकाउंटरों ,खून-ख़राबे और राजनीतिक-प्रशासनिक उथल-पुथल के दिन देखना पड़ जाते !
-विष्णु नागर
एक मित्र ने याद दिलाया कि संसद परिसर में एक बुजुर्ग महिला ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कालर पकड़ कर उनसे पूछा था:' भारत आजाद हो गया, तुम देश के प्रधानमंत्री बन गए, मुझ बुढ़िया को क्या मिला?' नेहरू जी का जवाब था:' आपको ये मिला कि आप प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ कर खड़ी हैं।'
ऐसी बातें याद मत दिलाया करो मित्रो, रोना आ जाता है। इस युग में बता रहे हो कि आजाद भारत ने इसके नागरिकों को प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ने तक की आजादी दी है। अब बता रहे हो,जब आज के राजनीतिक शिखर -पुरुष को अपना पुरुषार्थ नेहरू जी के बारे में अल्लमगल्लम झूठ फैलाने में नजर आ रहा है, जब पाठ्यक्रम से भी धर्मनिरपेक्षता गायब की जा रही है। पता नहीं है क्या कि अब यह देशद्रोह की श्रेणी में आता है ! जेल जाना चाहते हो क्या? इस युग में तो अगर कोई सपने में भी प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ ले तो उसके सपने की स्कैनिंग हो जाएगी और बीच चौराहे पर उसका काम तमाम कर दिया जाएगा और सब उसके वीडियो फुटेज को ' एनज्वाय ' करेंगे।प्रत्यक्षदर्शी उस आदमी की यह हालत होते देख कर हँसेगे, ताली-थाली बजाएँँगे। खुशी से पागल हो जाएँँगे,मिठाई बाँटेंगे ,पटाखे फोड़ेंगे। एक दूसरे के मुँह और सिर पर गुलाल मलेंगे।दिये जलाएँँगे। मोदी जी के जयकारे लगाएँगे, 'जय मोदी हरे' आरती गाएँँगे। और यह सब टीवी चैनलों पर गौरवपूर्वक प्राइम टाइम में दिखाया जाएगा। सिर्फ़ यह नहीं दिखाया जाएगा कि उसकी बीवी दहाड़े मार कर रो रही है, कि उसके बच्चों को समझ में नहीं आ रहा है कि यह आखिर हुआ क्या है,पापा को जमीन पर क्यों लेटाया गया है!इनकी तबीयत खराब है तो इन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाते? और मृतक की माँँ गश खाकर गिर पड़ी है।
लोग किसी भी तरह के सपना देखने से डरने लगेंगे- चाहे वह 'कौन बनेगा करोड़पति' में सात करोड़ रुपये जीतने का सपना हो!आज अच्छा सपना आया तो कल गिरेबान पकड़नेवाला सपना भी आ सकता है,जैसे उसे आया था! और कोई जरूरी है कि सपना उतना ही भयंकर आए,उससे भयंकर नहीं आएगा!लोग सपने से इतने डरेंगे कि कोई भी सपना आए, लोग रात को उठ बैठेंगे,पसीने -पसीने हो जाएँगे।ईश्वर या अल्लाह से दुआ माँगेंगे कि आइंदा कोई भी सपना न आए। लोग डाक्टर के पास जाएँगे कि डाकसाब ऐसी दवा दो कि नींद आए मगर अच्छे या बुरे सपने न आएँ! सुन कर डाक्टर खुल कर हँसेगा।कहेगा, यही तो मेरी भी समस्या है,मेरी भी बीमारी है,तुमको इसका क्या इलाज बताऊँ!ईश्वर में आस्था रखो,सोने से पहले रात को उसका स्मरण कर लिया करो,मैं भी यही करता हूँ।इसीसे ऊपरवाला बेड़ा पार करेगा तो करेगा वरना मझधार हिम्मत रखो।
मत दिलाया करो इस तरह कि याद बंधु,अब तो आडवाणी भी उनके कंधे पर हाथ रख कर खड़े नहीं हो सकते।वे भी सुरक्षा के लिए खतरा मान लिए जाएँगे और पता नहीं, उनका बाकी जीवन कहाँ और कैसे बीते!
मत रुलाया करो बंधु,मत रुलाया करो।रोने को बहुत कुछ है और अब भी पता नहीं क्यों कोई गाँधी, कोई नेहरू, कोई अंबेडकर, कोई भगत सिंह,कोई लालबहादुर शास्त्री , कोई सीमांत गाँधी,कोई मौलाना आजाद की बातें याद दिला देता है।देखो आजकल 'न्यू इंडिया' बनाया जा रहा है,यह उन सब बातों को भूलने का समय है। बंधु, अतीत में ले जाना बंद करो।ले ही जाना हो तो सभी मुगलों,सभी मुसलमानों के मुँँह पर कालिख पोतने के लिए ले जाओ।ले जाना हो तो इतने पीछे ले जाओ कि सोमनाथ मंदिर तोड़ने का दर्द हरा हो जाए और 2002 का दर्द भूल जाएँ।याद दिलाना हो तो ऐसे तमाम किस्से याद दिलाओ कि हम किस प्रकार उस समय जगद्गुरु थे,जब हमें पता भी नहीं था कि जगत् होता क्या है,हाँ गुरु का पता था!
इस तरह तुम याद दिलाते रहे तो फिर तुम पूरे स्वतंत्रता संघर्ष की याद भी दिलाने लगोगे! मत करो ऐसे उल्टे काम।आज तो वे तुम्हें और हमें शायद माफ कर दें, कल ऐसी याद को वे कानूनन गुनाह घोषित कर देंगे।'झूठ' फैलाने और 'सांप्रदायिक सौहार्द' खत्म करने के आरोप में तुम्हें -हमें अंदर कर देंगे और कोई यानी कोई भी बाहर नहीं ला पाएगा।लोकतंत्र अब हमारे यहाँ बहुत ही अधिक ' विकसित' हो चुका है, बहुत ही ज्यादा।इतना ज्यादा कि दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबा रही है और मोदीजी चेतावनी दे रही है कि अरे -अरे, तुम यह क्या कर रहे हो,इतना ' लोकतंत्र ' भी ठीक नहीं है और जरा उस अमित शाह से भी कहो कि गृहमंत्री होकर भी वह क्यों लोकतंत्र का इतना 'विकास' और ' विस्तार ' कर रहा है,क्यों वह आपके और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला रहा है? रोको उसे और खुद भी रुक जाओ। कदम पीछे की ओर ले जाओ।लोगों को सिखाओ कि पीछे की ओर देखे बिना कदमताल कैसे किया जाता है और इसे देशप्रेम कैसे समझा जाता है!
ये गिरेबान पकड़ने वाली बातें साझा मत किया करो बंधु, और गिरेबान पकड़ने की याद दिलाते हो तो यह बता दिया करो कि ये हकीकत नहीं, किस्से-कहानियाँँ हैं,लोककथाएँ हैं, गप हैं,ये वे सपने हैं,जो तब लोग देख लिया करते थे।ये सच नहीं था।तब भी यही निजाम था,अब भी यही है।आगे भी यही रहेगा।सच अगर कुछ है तो यही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 12 जुलाई। बीती रात महात्मा गांधी मार्केट पॉवर हाउस स्थित सुविधा लॉज से छावनी पुलिस द्वारा सेक्स रैकेट को पकड़ा गया, जिसमें लिप्त तीन महिलाएं एवं तीन पुरुष को गिरफ्तार किया गया है। इस अवैध कारोबार में लॉच का मैनेजर भी शामिल था। पुलिस द्वारा देह व्यापार से संबंधित सामग्री लॉज से जब्त की गई है ।
नगर पुलिस अधीक्षक विश्वास चंद्राकर ने बताया कि कल रात को मुखबिर से सूचना मिली कि महात्मा गांधी मार्केट स्थित सुविधा लॉज में देह व्यापार का कारोबार किया जा रहा है, जिसमें लॉज में काम करने वालों की भी संलिप्तता है। इस सूचना पर प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक डॉ. चित्रा वर्मा, छावनी थाना प्रभारी विनय सिंह बघेल शहीद थाने के पेट्रोलिंग बल द्वारा तत्काल दबिश दी गई।
सुविधा लॉज के मैनेजर अभिषेक धवल द्वारा लॉज में देह व्यापार का अवैध कारोबार करना स्वीकार किया गया। लॉज के कमरों की तलाशी के दौरान इस अवैध कारोबार में लिप्त तीन महिलाएं, एक ग्राहक, एक दलाल संदेहजनक अवस्था में पाए गए। जिनके पास से देह व्यापार से संबंधित सामग्री एवं व्यापार में अर्जित रकम बरामद किया गया। साथ ही लॉज के मैनेजर के काउंटर से भी देह व्यापार से संबंधित सामग्री एवं चिन्हित रकम बरामद किया गया।
पिछले कुछ समय से इस लॉज में देह व्यापार का होना आरोपियों द्वारा स्वीकार किया गया। अपराध करना पाए जाने पर 3 महिला एवं 3 पुरुष को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए आरोपियों में अभिषेक धवल (25) निवासी थाना बैकुरा पश्चिम बंगाल हाल मुकाम सीधा लाल जीबी रोड भिलाई, सनी चौधरी (19) निवासी जोन 3 दुर्गा मंदिर कबीर मंदिर चौक खुर्सीपार, खबीर शेख (39) ग्राम कबीलपुर थाना सागर बिगही जिला मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल हालमुकाम रिसाली मरोदा शीतला मंदिर बड़ा तालाब नेवई एवं तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया गया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 12 जुलाई। वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी भिलाई टाउनशिप में रह रही बांग्लादेशी महिला को भिलाई नगर पुलिस ने कल रात को पकड़ा। विदेशी महिला द्वारा भारत का आधार कार्ड एवं पैन कार्ड भी बनाया गया है। विदेशी महिला के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
थाना प्रभारी त्रिनाथ त्रिपाठी ने बताया कि कल मुखबीर से सूचना मिली कि थाना भिलाई नगर क्षेत्र के सेक्टर 06 एवेन्यु डी. क्वाटर नं. 15 क्यु. में महिला रह रही है जो कि बांग्लादेशी है। तत्काल स्टाफ उप निरी. राजीव तिवारी एवं महिला आर. 579, 1328 एवं गवाह के साथ दबिश दी गई। देखा कि मकान में एक महिला निवास कर रही हैं। महिला ने अपना नाम ज्योति रसेल शेख पति मोहम्मद शेख (30) होना बताया।
ज्योति रसेल शेख से बारीकी से पूछताछ की गई, जिस पर उसके द्वारा मूल पासपोर्ट बांग्लादेश का पासपोर्ट नंबर बीक्यू0028107 जिस पर नाम शाहिदा खातून बांग्लादेश जन्मतिथि 1990 जारी दिनांक 21 अगस्त 2017 वैधता दिनांक 21 अगस्त 2022 पिता का नाम मोहम्मद अब्दुस सलाम खा, मां का नाम हुस्नेआरा बेगम, पति का नाम मोहम्मद रसेल पता बाला रघुनाथ नगर, झिकरगाछा लिखा है। इस पासपोर्ट से एक बार भारत के लिए वीसा जारी किया गया है एवं वीसा की समाप्ति की तारीख 13.09.2018 है। इस प्रकार वीसा समाप्ति के पश्चात भी भारत में रूकी हुई है।
ज्योति रसेल शेख के द्वारा भारत देश का नागरिकता के संबंध में आधार कार्ड नं. 363667141687 पेनकार्ड नंबर जेयूकेपीएस 7267 ई ज्योति रसेल शेख के नाम पर एवं इंडियन बैंक जुहु नगर नवी मुम्बई का बैंक पासबुक खाता क्र. 609946752 प्रस्तुत की, जिसे सबूत में लिया गया। ज्योति रसेल शेख उर्फ शाहिदा खातून के द्वारा बांग्लादेश का पासपोर्ट होते हुए एवं बांग्लादेश की नागरिकता रहते हुए भी भारत देश का आधार कार्ड , पेन कार्ड एवं इंडियन बैंक का पासबुक को अपने आपको भारत का नागरिक बताते हुए प्राप्त किया गया है। इसी प्रकार भारत का वैध वीसा दिनांक 13.09.2018 के समाप्ति के पश्चात भी भारत में निवास कर रही है। ज्योति रसेल शेख उर्फ शाहिदा खातून द्वारा अपने पास रखे भारत सरकार द्वारा जारी आधार कार्ड, स्थाई लेखा संख्या कार्ड, इंडियन बैंक जुहु नगर नवी मुम्बई का बैंक पासबुक खाता क्र. 609946752, अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है।
आरोपी का कृत्य धारा 420, 467, 468, 471 के तहत तथा भारतीय पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1)ख तथा विदेशी विषयक अधिनियम धारा 14 के तहत अपराध का घटित करना पाया गया है। उसके खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।
सत्ता में होने का नशा सिर्फ उस पद पर बैठे नेता को ही नहीं होता, बल्कि उसका परिवार भी अपने आप को कानून से ऊपर समझता है। ऐसा ही एक ममला गुजरात से सामने आया है। यहां भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री के बेटे ने महिला कॉन्स्टेबल को धमकाते हुए कहा, ‘ मैं एक साल तक तुम्हें यहीं खड़ा रख सकता हूं।’ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कुमार कनानी के बेटे प्रकाश का एक ऑडियो भी वायरल हुआ है। वायरल ऑडियो में कथित तौर से प्रकाश महिला पुलिसकर्मी सुनीता यादव को धमकाते हुए सुनाई दे रहा है। यह भी खबर है कि महिला पुलिस अधिकारी ने इससे परेशान होकर इस्तीफा दे दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महिला कॉन्स्टेबल सुनीत यादव ने बीते बुधवार की रात सूरत के मानगढ़ चौक के पास बीजेपी मंत्री के बेटे प्रकाश और उनके दोस्तों को कर्फ्यू के नियमों का उल्लंघन कर घूमने के आरोप में रोका था। मंत्री जी के बेटे ने मास्क भी नहीं लगाया था जिसपर सुनीता ने उनसे सवाल पूछे। जनसत्ता की खबर के मुताबिक प्रकाश का एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रहा है जिसमें वो यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि ‘मेरे पास पावर है। 365 दिन तक तुम्हें यहीं खड़ा कर सकता हूं। इसके बाद महिला कॉन्स्टेबल प्रकाश को कड़ा जवाब देते हुए कहती हैं कि वो उनके या उनके पिता की नौकरानी नहीं हो जो वो उन्हें एक साल तक यहां खड़ा कर सकते हैं।’
खबरों के मुताबिक कॉन्स्टेबल सुनीता इस पूरे घटना की जानकारी अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को भी देती हैं। इस क्लिप में कथित तौर पर वो अपने अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को फोन पर इस घटना के बारे में सूचना देती सुनाई दे रही हैं। वो अपने सीनियर पुलिसकर्मी को बताती हैं कि उन्होंने रात के वक्त कर्फ्यू तोड़ कार से घूम रहे 5 लोगों को रोका है। इनमें विधायक कनानी के बेटे भी हैं। वो कहती हैं कि प्रकाश उन्हें धमकी दे रहे हैं और गालियां दे रहे हैं। लेकिन सुनीत के सीनियर ने उनसे कहा कि वो वहां से चली जाएं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जुलाई। राजनांदगांव जिले में कोरोना के 10 नए मरीज मिले हैं। नए मरीजों में सर्वाधिक 6 पैरामिलिट्री फोर्स आईटीबीपी के जवान समेत एक रुरल मेडिकल अफसर व तीन क्वॉरंटीन सेंटर के ग्रामीण शामिल हैं।
मिली जानकारी के अनुसार देर रात को जारी मेडिकल रिपोर्ट में जिले के सोमनी स्थित आईटीबीपी के क्वॉरंटीन सेंटर के 6 जवान कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं। वहीं मोहला में पदस्थ आरएचओ व क्वॉरंटीन सेंटर के दो ग्रामीण कोरोनाग्रस्त मिले हैं।
बताया जाता है कि डोंगरगांव के एक क्वॉरंटीन सेंटर का एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया गया है। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में बताया कि आज मिले नए मरीजों को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज लाया गया है।
32 सीआरपीएफ, 8 आईटीबीपी जवान संक्रमित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। रायपुर जिले में आज दोपहर 65 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इसमें बाराडेरा सीआरपीएफ कैम्प से 32 जवान और आईटीबीपी आरंग में 8 जवान पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा विदेश से आए 6 लोग भी संक्रमित पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर हेल्थ टीम सभी मरीजों तक पहुंचने में लगी है, ताकि उससे जुड़ी और भी जानकारी सामने आ सके। जिला स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि की है।
सीआरपीएफ कैंप, तुलसी, बाराडेरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 जुलाई। कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक डॉ. रेणु जोगी के प्रतिनिधि डॉ. ओमप्रकाश अग्रवाल ने आज मरवाही में प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल के समक्ष कांग्रेस प्रवेश कर लिया।
मरवाही उप-चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने यहां पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिये जनसम्पर्क बढ़ा दिया है। इसी क्रम से 10 जुलाई से पंचायतों में चाय-चौपाल कार्यक्रम भी रखे जा रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम पार्टी की ओर से तय किया गया है पर इसका स्वरूप शासकीय आयोजन की तरह देकर जनपद पंचायतों को व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया गया है। इसी के तहत मरवाही में आयोजित आज एक कार्यक्रम में मंत्री अग्रवाल के समक्ष कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक प्रतिनिधि व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के स्थानीय नेता ओमप्रकाश अग्रवाल (बंका) ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। वे बीते 10 वर्षों से डॉ. रेणु जोगी के विधायक प्रतिनिधि थे और इस परिवार के करीबियों में शामिल हैं।
पत्रकारिता के मौलिक सिद्धांतों का अंतिम संस्कार !
-रवीन्द्र वाजपेयी
वर्ष 2002 में जुलाई महीने की 28 तारीख थी। एक दिन पहले उस समय के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का निधन हो गया था। उनके दिल्ली स्थित आवास पर विशिष्ट जनों का आना-जाना लगा था। अंतिम यात्रा की तैयारियां चल रही थीं। अखबारी संवाददाताओं के अलावा टीवी चैनलों के रिपोर्टर आँखों देखा हाल देश और दुनिया तक पहुँचाने के लिए कैमरामैन के साथ जुटे थे। और वहां आती जा रही विशिष्ट हस्तियों द्वारा दिवंगत उपराष्ट्रपति के प्रति व्यक्त की जा रही श्रद्धांजलि को प्रसारित करते जा रहे थे। इसी दौरान एक चैनल के एंकर ने स्टूडियो से अपने रिपोर्टर को कहा जरा हमारे दर्शकों को ये भी दिखलाइये कि वहां का माहौल कैसा है? और रिपोर्टर ने भी कैमरा घुमा-घुमाकर उदास चेहरे दिखलाते हुए बताया कि सभी लोग गमगीन हैं।
बात आई-गई हो गई
लेकिन उसके बाद जनसत्ता नामक अखबार के प्रधान संपादक स्व. प्रभाष जोशी ने अपने साप्ताहिक स्तंभ कागद कारे में उक्त टीवी चैनल के एंकर की जबरदस्त खिंचाई करते हुए कटाक्ष किया कि जिस घर में किसी की लाश रखी हो और अंतिम यात्रा की तैयारियां चल रही हों वहां का माहौल कैसा होगा, ये भी क्या पूछने की चीज है? प्रभाषजी किसी भी विषय पर अपनी बात बहुत ही दबंगी से रखते थे । उस दौर में अखबार और टीवी समाचार चैनलों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी थी। ऐसे में प्रथम दृष्टया ये माना गया कि जोशी जी ने उस बहाने टीवी पत्रकारिता पर प्रहार किया जो कि व्यावसायिक प्रतिद्वन्दिता का हिस्सा कहा जा सकता था। लेकिन कालान्तर में ये बात खुलकर सामने आ गई कि टीवी पत्रकारिता के आने के बाद समाचारों के संकलन और प्रस्तुतीकरण में दायित्वबोध और सम्वेदनशीलता का अभाव होने लगा है। सबसे पहले और केवल हमारे चैनल या पत्र में जैसे दावों के बीच समाचार को भी बाजार की वस्तु बना दिया गया है।
ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जिस तरह फिल्म निर्माता बॉक्स आफिस पर हिट होने के लिए फिल्म में अश्लीलता, हिंसा और सनसनी का सहारा लेते हैं, उसी तरह अब समाचार माध्यम विशेष रूप से टीवी समाचार चैनल भी समाचार के जरिये अपनी टीआरपी बढ़ाने का प्रयास करने लगे हैं। देखा-सीखी अखबार जगत के भी सरोकार बदलते जा रहे हैं।
गत दिवस इसका एक और उदाहरण सामने आया। हुआ यूं कि कानपुर के कुख्यात गुंडे विकास दुबे की एनकाउंटर में हुई मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार हो रहा था। श्मसान भूमि में विकास की पत्नी भी मौजूद थी। पत्रकारगण भी वहां फोटोग्राफरों के साथ जा पहुंचे। विकास दुबे के मारे जाने के बाद उसका क्रियाकर्म विशुद्ध पारिवारिक विधि थी। यदि वह कोई विशिष्ट व्यक्ति होता जिसकी अंत्येष्ठि राजकीय सम्मान के साथ हो रही होती तब वह समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण था। लेकिन न जाने किस उद्देश्य से समाचार जगत के लोग श्मसान भूमि में अंतिम संस्कार वाली जगह पर झुण्ड बनाकर खड़े हो गए। जब विकास की पत्नी ने उनसे जाने के लिए कहा तब उसे सामने आकर अपनी शिकायत बताने जैसी बातें कही गईं, जिस पर वह बिफर उठी और उसके बाद उसने तेज आवाज में जमकर खरी-खोटी सुनाई जिसमें अनेक ऐसी बातें हैं जिनका उल्लेख शोभा नहीं देता। वैसे विभिन्न चैनलों पर उसके वीडियो मौजूद हैं।
मुझे लगता है उस महिला ने जो कहा, उस हालात में कोई दूसरा भी होता तो समाचार संकलन करने गए लोगों को हो सकता है उससे भी तीखी जुबान में झिडक़ता।
विकास दुबे को लेकर बीते दिनों जो भी घटनाक्रम घटित हुआ उसकी वजह से उप्र की योगी सरकार, राज्य की पुलिस-प्रशासन और राजनीतिक बिरादरी तो सवालों के घेरे में है ही लेकिन अनायास समाचार माध्यम भी आलोचनाओं का शिकार हो गए जिनके प्रतिनिधि अति उत्साह में श्मसान पत्रकारिता करने जा पहुंचे और बेइज्जत होकर लौटे। विकास की पत्नी से बातचीत कतई गलत नहीं थी। परन्तु उसके लिए क्या इन्तेजार नहीं किया जाना चाहिए था? ज्यादा न सही कम से कम उसके घर लौटने तक तो रुका ही जा सकता था ।
गत वर्ष एक प्रसिद्ध टीवी चैनल की तेज तर्रार एंकर अपनी टीम लेकर पटना के एक बड़े सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में घुसकर वहां व्याप्त अव्यवस्था को लाइव दिखाते हुए एक चिकित्सा कर्मी से उलझ गईं । उसने कहा भी कि कृपया डाक्टर से बात करें लेकिन रिपोर्टर ने रौब झाडऩा जारी रखा। उल्लेखनीय है उस समय चमकी बुखार नामक संक्रामक बीमारी के कारण सैकड़ों मरीज वहां भर्ती थे। और बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित था। बाद में उक्त रिपोर्टर की बिना अनुमति आईसीयू वार्ड में कैमरामैन सहित घुसने के लिए काफी आलोचना हुई।
लेकिन संभवत: भारतीय पत्रकारिता में ये पहला उदाहरण होगा जब श्मसान भूमि में अपने पति की लाश के बगल में खड़ी उसकी पत्नी से अपेक्षा की जा रही थी कि वह संवाददाताओं से मुखातिब होकर कैमरों के समक्ष पति की एनकाउंटर में हुई मौत के बारे में बतियाए। उसने गुस्से में उन सबको वहां से जाने के लिए कहा भी किन्तु उसके बाद भी कोई टस से मस नहीं हुआ।
पत्रकारिता के अपने अनुभव और वरिष्ठों से मिले ज्ञान के आधार पर मुझे लगता है कि पत्रकारिता के भीतर घुस आई जबरिया मानसिकता का भी एनकाउंटर किया जाना जरूरी है। पैपराजी कहलाने वाली फोटोग्राफरों की एक प्रजाति पूरी दुनिया में है। इनका काम विशिष्ट हस्तियों के निजी जीवन में ताक-झाँक करना होता है। टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ अपने बहुमंजिला निवास की छत पर बने स्वीमिंग पूल के किनारे कम कपड़ों में धूप ले रही थी। पैपराजी समूह ने हेलीकाप्टर किराये पर लेकर उनके चित्र खींचकर महंगे दाम में बेचे। कहा जाता है ब्रिटेन के युवराज चाल्र्स की पहली पत्नी डायना अपने पुरुष मित्र के साथ कार में जा रही थीं। पैपराजी उसके पीछे अपनी कार दौड़ा रहे थे क्योंकि वह फोटो उनके लिए लिए सोने का अंडा होती। उनसे बचने की लिए डायना के ड्रायवर ने कार की गति बढ़ाई। नतीजा कार दुर्घटना और डायना के मित्र सहित मारे जाने के रूप में सामने आया।
आज भारत में भी पैपराजी संस्कृति की पत्रकारिता ने पदार्पण कर लिया है। जिसमें किसी की भी निजता में अतिक्रमण करना अपना अधिकार मान लिया जाता है।
समय के साथ वाकई बहुत कुछ बदलता है। मर्यादाएं भी नए सिरे से परिभाषित होती हैं। लेकिन पत्रकारिता के जो मौलिक सिद्धांत हैं उनको यदि तिलांजलि दे दी गई तब वह अपनी उपयोगिता और सार्थकता दोनों खो बैठेगी। उसकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता तो पहले से ही सवालों के घेरे में आ चुकी हैं। ऐसे में विकास दुबे के अंत्येष्ठि स्थल पर जाकर उसकी पत्नी से बात करने की कोशिश में जो फजीहत हुई वह रोजमर्रे की बात बनते देर नहीं लगेगी।
बेहतर हो पत्रकारिता आत्मावलोकन करे कि खुद को पेशेवर साबित करने के लिए किसी के शोक का व्यवसायीकरण करना कहाँ तक उचित है?
भोपाल, 12 जुलाई। राजस्थान में सियासी उठा पठक के बीच एमपी में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी भी पार्टी छोड़ दिया है। लोधी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने से पहले प्रद्युमन सिंह लोधी पूर्व सीएम उमा भारती से मिलने उनके आवास पर गए थे।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने कहा है कि हम विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी को सीएम शिवराज सिंह से मिलवाने ले जा रहे हैं। सीएम आवास में प्रद्युमन सिंह लोधी ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मिठाई खिलाई है। सदस्यता ग्रहण करते वक्त सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मौजूद थे।
सदस्यता ग्रहण करने के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लोधी को मिठाई खिलाई है। चर्चा है कि लोधी को भी राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके साथ ही कांग्रेस के अन्य भी कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।
बुंदेलखंड में झटका
2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मलहरा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ललिता यादव और कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) के बीच मुकाबला था। यहां कांग्रेस के कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) ने जीत दर्ज की थी। बुंदेलखंड में कांग्रेस को यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे।
उमा भारती यहां से लड़ती थीं चुनाव
2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तब वह बड़ा मलहरा सीट से ही विधायक चुनी गईं थीं। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा और आठ महीने बाद ही उन्हें सीएम की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी।
पहले ही आ चुके हैं 22 विधायक
लोधी से पहले भी कांग्रेस के 22 विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। 22 में से 12 लोग शिवराज कैबिनेट में मंत्री बन चुके हैं। लोधी को लेकर अब तक 23 विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोग पार्टी छोड़ सकते हैं। (navbharattimes.indiatimes.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। राजधानी रायपुर के अग्रसेन चौक से तेलघानी नाका के बीच आज सुबह डामर सडक़ करीब 10 फीट लंबी धसक गई और यहां करीब 5-6 फीट तक गहरा गड्ढ़ा बन गया। हालांकि सडक़ धसने के दौरान किसी तरह के हादसे की खबर नहीं है। दूसरी तरफ निगम पीडब्ल्यूडी ठेकेदार द्वारा इसकी मरम्मत शुरू करा दी गई है, लेकिन सडक़ निर्माण को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
तात्यापारा वार्ड पार्षद, एमआईसी सदस्य रितेश त्रिपाठी का कहना है कि सडक़ धसने की खबर उसे सुबह लगी। उन्होंने तुरंत मौके पर जाकर एक गार्ड को वहां तैनात किया, ताकि कहीं कोई हादसा न हो। दूसरी तरफ उन्होंने निगम जोन-7 कमिश्नर विनोद पांडेय को फोन पर इसकी जानकारी दी। जोन कमिश्नर के निर्देश पर ठेकेदार ने यहां मरम्मत का काम शुरू कराया और शाम तक करीब यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
अब इस सडक़ को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि भाजपा शासनकाल में यह सडक़ बनी है। नीचे पाईप लाइन की जगह मुरम-गिट्टी ठीक से ना डालने की वजह से यह सडक़ धस गई है। जांच में इस सडक़ को लेकर और कई गड़बड़ी सामने आ सकती है।
स्वास्थ्य विभाग का मामला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में सफाई का ठेका निरस्त कर दिया गया है। करीब 40 करोड़ के इस ठेके में अनियमितता की शिकायत आई थी और सरकार ने जांच कमेटी भी बना दी थी। मगर जांच रिपोर्ट आने से पहले ही ठेका निरस्त कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में सफाई ठेका निरस्त होने की पुष्टि की है। हालांकि ठेके में अनियमितता की गंभीर शिकायत आई थी और इसकी जांच भी हो रही है। मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला प्रकरण की जांच कर रही हैं। डॉ. शुक्ला ने अभी जांच पूरी नहीं की है और ठेके से जुड़े अफसरों को जवाब तलब किया था। चर्चा है कि पहली नजर में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर सरकार ने ठेका निरस्त कर दिया है।
बताया गया कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों, नर्सिंग और आयुष के अस्पतालों में सफाई के लिए एक साथ टेंडर बुलाए गए थे। चर्चा है कि विभाग से जुड़े लोगों ने पसंदीदा ठेकेदार को ठेका दिलाने की नीयत से कुछ शर्तों को बदल दिया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से इसकी शिकायत हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय सचिव से इस पूरे मामले पर जानकारी चाही थी। गड़बड़ी के बाद अब ठेका निरस्त कर दिया गया है।
जानकारी मिली है कि सफाई के लिए नए सिरे से टेंडर बुलाए जा रहे हैं। इसमें नियम शर्तों को ठीक किया जा रहा है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे, इसकी कोशिश भी हो रही है।
मदनवाड़ा नक्सल हमले की 11वीं बरसी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 जुलाई। बारह जुलाई 2009 को मानपुर क्षेत्र के कोरकोट्टी-मदनवाड़ा नक्सल हमले की 11वीं बरसी पर शहीदों को याद करते लोगों के चेहरे में गम और दर्द नजर आया। परिजनों की आंखों में शहादत की घटना को याद करते आंखे भर आई। पुलिस महकमे के सालाना इस दिन होने वाले आयोजन में आज शहीद जवानों के परिजनों के अलावा राजनीतिक एवं गैरराजनीतिक लोगों ने उनकी वीरता को याद किया। 11 साल पहले नक्सलियों के हमले में पूर्व एसपी स्व. विनोद चौबे समेत 29 जवान शहीद हो गए थे।
स्थानीय पुलिस लाइन में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में स्व. चौबे समेत जवानों को नमन करते हुए उनके हौसलों को सलाम किया। इस मौके पर शहीदों के परिजनों को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। नक्सल मोर्चे पर शहीद हुए स्व. चौबे ने बतौर एसपी रहते नक्सल मांद में जा घुसे। नक्सलियों से लड़ते हुए स्व. चौबे समेत 29 जवानों को शहादत झेलनी पड़ी।
इधर आज हुए शहादत कार्यक्रम में अधिकारियों ने स्व. चौबे और जवानों की शौर्य गाथा को याद करते हुए उनके वीरता का बखान किया। इधर पुलिस लाइन स्थित जवानों की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। परिजनों को सम्मानित किया गया।
आयोजन में महापौर हेमा देशमुख, विधायकद्वय इंद्रशाह मंडावी, छन्नी साहू, पूर्व महापौर मधुसूदन यादव, पूर्व महापौर सुदेश देशमुख, शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा, कांग्रेस महिला शहर अध्यक्ष रोशनी सिन्हा, पूर्व महापौर शोभा सोनी, सुनीता फडऩवीस, संतोष पिल्ले, मोहन साहू, दुर्ग रेंज आईजी विवेकानंद सिन्हा, कलेक्टर टीके वर्मा, एसपी जितेन्द्र शुक्ला, एएसपी गोरखनाथ बघेल, सीएसपी एमएस चंद्रा, कोतवाली प्रभारी विरेन्द्र चतुर्वेदी, समेत बड़ी संख्या में शहीद जवानों के परिजन और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।
रक्तदान और वृक्षारोपण
शहादत दिवस पर स्थानीय पुलिस लाइन में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में पुलिस जवानों ने बड़ी संख्या में रक्तदान कर अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। बताया गया है कि रक्तदान में स्वस्फूर्त रूप से जवानों ने रूचि ली। इधर पुलिस लाइन में ही शहीदों की याद में पौधरोपण किया गया। वृक्षारोपण के दौरान अलग-अलग पौधों का भी रोपण किया गया।
अस्वस्थ चौबे की पत्नी कार्यक्रम में नहीं पहुंची
स्व. विनोद चौबे की धर्मपत्नी रंजना चौबे पुलिस लाइन में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सेहत खराब होने के कारण नहीं पहुंची। बीते 10 साल से वह लगातार कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेष रूप से पहुंचती रही है। बताया गया है कि पुलिस के आलाधिकारियों ने उनसे कार्यक्रम में उपस्थित होने की गुजारिश की, तो उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर कार्यक्रम में नहीं आने की जानकारी दी। बताया जा रहा है कि हर साल स्व. चौबे और 29 जवानों की शहादत दिवस पर श्रीमती चौबे की उपस्थिति का महकमे को भी इंतजार रहता है। बताया जा रहा है कि उनसे एसपी जितेन्द्र शुक्ला समेत अन्य अधिकारियों ने कार्यक्रम में मौजूद होने की गुजारिश की।
एमपी पुलिस ने गलत बताया
नई दिल्ली, 12 जुलाई। आठ पुलिसकर्मियों पर हमले के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यूपी एसटीएफ की कई थ्योरीज सवालों के घेरे में है। भले ही सरकार और पुलिस के तमाम दावे सवालों के घेरे में हों, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विकास ने कानपुर में भागने का प्रयास किया था और इसके बाद ही उसके फायरिंग करने पर पुलिस ने गोली चलाई।
इन सबसे इतर एसटीएफ के एक अधिकारी ने टाईम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि विकास दुबे को एमपी पुलिस के जवान उनके पास एक दूसरे थाने से बाइक पर लेकर आए थे। एमपी में भी एसटीएफ के पास पहुंचने पर विकास ने भागने का प्रयास किया था, लेकिन उसे पकड़ लिया गया।
विकास को लेने के लिए एमपी गई यूपी एसटीएफ टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महाकाल मंदिर में विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ऐक्टिव हो गई थी। एमपी पुलिस ने उन्हें उज्जैन के एक पुलिस स्टेशन में विकास को लेने के लिए बुलाया था। इस फोन कॉल के बाद विकास दुबे को लेने एसटीएफ अधिकारी उज्जैन के थाने पर पहुंचे।
एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि जब यूपी की टीम एमपी पुलिस के बुलावे पर थाने में पहुंची तो वहां तैनात लोगों ने कहा कि विकास को एक दूसरे थाने में रखा गया है, लेकिन उसे यहां ले आया जा रहा है। थाने के लोगों ने एसटीएफ टीम को इंतजार करने के लिए कहा। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने देखा कि थाने का एक सिपाही मोटरसाइकल के जरिए विकास दुबे को दूसरे थाने से लेने के लिए निकला।
एसटीएफ अधिकारी ने दावा किया कि विकास को एमपी पुलिस का अधिकारी दूसरे थाने से बाइक पर लेकर हमारी मौजूदगी वाले थाने पर आया। यहां पहुंचने पर विकास ने बाइक से उतरकर भागने की कोशिश की। लेकिन इसी बीच थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे दौड़ाकर पकड़ लिया। पुलिसकर्मियों के पकड़ते ही विकास ने उन जवानों को भद्दी गालियां दीं।
एसटीएफ अधिकारियों के इस दावे को एमपी पुलिस के अफसरों ने गलत बताया। एमपी के पुलिस अफसरों ने कहा कि ना विकास दुबे को एमपी में बाइक से किसी थाने से लाया या ले जाया गया और ना ही उसने यहां भागने का प्रयास किया।
एसटीएफ अधिकारियों ने कहा कि विकास दुबे को बाइक पर लाने के बाद उसने भागने का प्रयास किया था। इसे देखते हुए बाद में उसे पूरी सुरक्षा के बीच एसयूवी में ले जाने की व्यवस्था की गई। इसके बाद एक एसयूवी में विकास दुबे को लेकर पुलिस अधिकारी एमपी से यूपी के लिए रवाना हुए।
एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि विकास दुबे को लेकर निकली एसटीएफ टीम शिवपुरी में एक स्थान पर एसयूवी के पहिये में हवा का प्रेशर चेक कराने के लिए कुछ देर के लिए रुकी। वाहन रुका देख विकास ने फिर भागने का प्रयास किया। हालांकि इस दौरान एसटीएफ की मौजूदगी में ऐसा नहीं हो सका।
विकास दुबे के इस मुठभेड़ में घायल होने के बाद उसे तत्काल हैलट अस्पताल भेजा गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद विकास दुबे को ला रही पुलिस टीम का वाहन कानपुर के भौती हाइवे के पास पलट गया। पुलिस का कहना है कि विकास ने इस दौरान एसटीएफ के एक घायल अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसके बाद जवानों ने उसे सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन विकास ने इस पर फायरिंग कर दी। इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए उस पर भी गोलीबारी की गई।
एमपी पुलिस के अफसरों का कहना है कि विकास दुबे ने शिवपुरी में भी भागने की कोशिश की, ये दावा सही नहीं है। बल्कि एसटीएफ ने ऐसा कहा है कि विकास ने यहां भागने का प्रयास किया था। (navbharattimes.indiatimes.com)
वशिंगटन, 12 जुलाई । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुख्य रणनीतज्ञ स्टीव बैनन ने दावा किया है कि चीन के वुहान लैब के एक्सपर्ट पश्चिमी खुफिया इंटेलिजेंस के साथ आकर मिल गए हैं। उन्होंने कहा है कि इनकी मदद से एजेंसियां पेइचिंग के खिलाफ इस बात का केस तैयार कर रही हैं कि कोरोना महामारी वुहान की वायरॉलजी लैब से लीक हुई थी और उसे छिपाना हत्या के बराबर है। द मेल से बातचीत में बैनन ने यह खुलासा किया है। इससे पहले हॉन्ग-कॉन्ग की एक एक्सपर्ट भी इस बात का आरोप लगाकर वहां से भाग निकली हैं कि कोरोना वायरस के बारे में चीन और डब्ल्यूएचओ को पहले पता चल गया था लेकिन उन्होंने इसे छिपाकर रखा।
वहीं, बैनन ने पश्चिमी देशों से अपील की है कि वे एक साथ मिलकर चीन के कू्रर और सत्तावादी शासन को हटाने के लिए काम करे। उन्होंने दावा किया है कि चीन से भागे हुए कुछ लोग एफबीआई (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वुहान में क्या हुआ था। उन्होंने दावा किया, वे अभी मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं लेकिन वुहान और दूसरे लैब के लोग पश्चिम आए हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ सबूत दे रहे हैं। मुझे लगता है लोग हैरान रहने वाले हैं। बैनन ने दावा किया है कि चीन और हॉन्ग-कॉन्ग से फरवरी के बाद से लोग आ रहे हैं और अमेरिका कानूनी केस तैयार कर रहा है जिसमें वक्त लग सकता है।
अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल में शामिल रह चुके बैनन ने कहा कि जासूस यह केस तैयार कर रहे हैं कि चीन के लैब में स््रक्रस्-जैसे वायरसों की वैक्सीन और दवा तैयार करने के एक्सपेरिमेंट के दौरान वहां से वायरस लीक हो गया। उन्होंने आशंका जताई है कि लैब में ऐसे खतरनाक एक्सपेरिमेंट किए जा रहे थे जिनकी इजाजत नहीं थी और वायरस किसी इंसान के जरिए या गलती से लैब से बाहर आ गया। उन्होंने दावा किया है कि डिफेक्टर्स अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि खुफिया एजेंसियों के पास इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस है और लैब में जाने वालों की जानकारी है जिससे अहम सबूत मिले हैं।
बैनन ने यह भी कहा है कि चाहे वायरस वुहान के वेट मार्केट से फैला हो या लैब से निकला हो, इसके फैलने के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने जैसे इसे छिपाया है, वह हत्या के बराबर है। उन्होंने कहा कि ताइवान ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसबंर को बताया था कि हुबेई प्रांत में कई महामारी फैल रही है। पेइचिंग की सीडीसी ने इस बारे में जानकारी छिपाकर अमेरिका के साथ जनवरी में ट्रेड डील करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, अगर वे दिसंबर के आखिरी हफ्ते में सच्चाई बताते तो 95 प्रतिशत जानें और आर्थिक नुकसान को बचाया जा सकता था। बैनन ने दावा किया कि इस बीच चीन ने दुनियाभर का प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जमा कर लिया। (navbharattimes.indiatimes.com)
मौतें-17, एक्टिव-810, डिस्चार्ज-3070
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। प्रदेश में कोरोना मरीज 39 सौ के करीब पहुंच गए हैं। बीती रात मिले 65 नए पॉजिटिव के साथ प्रदेश में इनकी संख्या 38 हजार 97 हो गई है। इसमें 17 की मौत हो चुकी है। 810 एक्टिव हैं, जो अलग-अलग कोरोना अस्पतालों में भर्ती हैं। दूसरी तरफ ठीक होकर 3 हजार 70 मरीज अपने घर भी लौट चुके हैं, सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं और रायपुर जिले में उनका यह आंकड़ा 638 पर पहुंच चुका है, जिसमें से 296 एक्टिव हैं। इसी तरह नांदगांव, बलौदाबाजार, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा में भी कोरोना मरीजों की संख्या बाकी जिलों की तुलना में अधिक है। बस्तर के सभी जिलों में मरीजों के आंकड़े फिलहाल सौ के भीतर ही हैं। बाकी की जांच-पहचान चल रही है।
जारी रिपोर्ट के मुताबिक बीती रात रायपुर जिले में सबसे अधिक 36 नए पॉजिटिव पाए गए। बस्तर से 9, बिलासपुर से 6, कोरिया से 4, सरगुजा से 3, कोरबा व नारायणपुर से 2-2 एवं कांकेर, धमतरी, दुर्ग से 1-1 मरीज शामिल रहे। ये सभी मरीज एम्स समेत आसपास के कोरोना अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। उनके आसपास या संपर्क में आने वालों की पहचान जारी है।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाकर रखना जरूरी है, लेकिन कहीं ना कहीं चूक हो रही है और बीमारी फैल रही है। रायपुर में सबसे अधिक मरीज मिल रहे हैं। इसके अलावा कोरबा, नांदगांव, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा में भी मरीजों के आंकड़े ज्यादा हैं। उनका मानना है कि प्रदेश में कोरोना मरीजों के आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं।
मुंबई, 12 जुलाई (वार्ता)। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन के कोरोना संक्रमित होने के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने उनके आवास ‘जलसा’ को रविवार को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया।
महानायक और उनके पुत्र ने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी खुद शनिवार देर रात अलग-अलग ट््वीट कर दी थी। दोनों को कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद उपचार के लिए नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बीएमसी के कर्मचारी आज सुबह श्री बच्चन के आवास जलसा को सेनिटाइज करने पहुंचे।
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निगम की तरफ से जलसा को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने के बाद घर के बाहर पोस्टर भी चिपका दिया गया है।
नानावती अस्पताल के अनुसार, अमिताभ बच्चन को वायरस के हल्के लक्षण हैं और उनकी हालत स्थिर है। वह फिलहाल अस्पताल की आइसोलेशन इकाई में हैं। अस्पताल सूत्रों बताया कि अमिताभ की सेहत को लेकर फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है।
इससे पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया था कि दोनों की हालत स्थिर है और चिंता की कोई बात नहीं है। श्री टोपे ने कहा, अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन में हल्के लक्षण हैं। कोविड-19 के रैपिड एंटीजेन टेस्ट में दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और दोनों को नानावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अमिताभ की पत्नी सांसद जया बच्चन और बहू अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन की कोरोना जांच नेगेटिव आई है।
मुंबई, 12 जुलाई (वार्ता)। अभिनेता अनुपम खेर की मां, भाई, भाभी और भतीजी कोरोना संक्रमित हैं जबकि वह संक्रमण से पीडि़त नहीं हैं।
श्री खेर ने रविवार को स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, मेरी मां दुलारी कोरोना पॉजिटिव हो गई हैं और उन्हें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं। हमने उन्हें उपचार के लिये कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया है।
श्री खेर ने लिखा, पूरे ऐहतियात बरतने के बावजूद मेरा भाई, भाभी और भतीजी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्हें भी वायरस के मामूली लक्षण हैं। मैंने भी अपनी कोरोना जांच कराई जो नेगेटिव आई है।
अभिनेता ने कहा इस संबंध में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को सूचना दे दी गई है।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस देश के आठ केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक 1,24,680 लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है, जो देश में अब तक इस संक्रमण से प्रभावित हुई देश की कुल आबादी का लगभग 14.68 प्रतिशत है।
केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से सबसे बुरी स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है, यहां पर इस संक्रमण से अब तक 110921 लोग संक्रमित हुए हैं। इसके बाद इस जानलेवा विषाणु ने सबसे अधिक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 10156 लोगों को अपनी गिरफ्त में लिया है। वहीं पुड्डुचेरी में 1337, लद्दाख में 1077, चंडीगढ़ में 555,दादर-नगर हवेली और दमन-दीव में 441 और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 163 लोग इससे संक्रमित हुए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 28637 नये मामले सामने आए हैं जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या बढक़र 849553 हो गई है। देश में अब तक इस महामारी से 22,654 लोगों की मौत हुई है तथा 534621 लोग स्वस्थ हुए हैं। देश में इस समय कोरोना वायरस के 2,92258 सक्रिय मामले हैं।