राष्ट्रीय
कोच्चि, 22 अक्टूबर | 15 महीनों के लंबे समय के बाद, सीमा शुल्क विभाग ने शुक्रवार को आर्थिक अपराध अदालत में कुख्यात केरल सोने की तस्करी मामले में 3,000 पन्नों का आरोप पत्र पेश किया। शीर्ष नौकरशाह और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के प्रधान सचिव एम. शिवशंकर की गिरफ्तारी के बाद से सुर्खियों में आए इस मामले में सीमा शुल्क विभाग ने 29 लोगों को आरोपी बनाया है। कई महीने जेल में बिताने के बाद, वह अब जमानत पर बाहर है और सेवा से निलंबित है।
सूत्रों के अनुसार, आरोपपत्र में शिवशंकर को 29वें आरोपी के रूप में आरोपित किया गया है, जो घटनाओं से अवगत होने के बावजूद कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है।
इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि जांच में, हालांकि, किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए सोने की तस्करी के माध्यम से जुटाए गए धन का उपयोग करने का कोई सबूत नहीं मिला।
29 लोगों में वे लोग शामिल हैं जो सीधे तौर पर सोना ले जाने में शामिल थे, जिन्होंने इसे खरीदा था और जो एजेंट के रूप में काम करते थे।
तस्करी का मामला 5 जुलाई, 2020 को सामने आया, जब सीमा शुल्क विभाग ने यूएई वाणिज्य दूतावास के एक पूर्व कर्मचारी सरित को वाणिज्य दूतावास के लिए नियत राजनयिक सामान में सोने की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया।
स्वप्ना सुरेश, जो यूएई वाणिज्य दूतावास की पूर्व कर्मचारी थीं, और उनके सहयोगी संदीप नायर को कुछ दिनों बाद बेंगलुरु से राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
सरथ पहला आरोपी है, स्वप्ना दूसरा और संदीप तीसरा आरोपी है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लखीमपुर खीरी कांड की जांच करने वाले एसआईटी का नेतृत्व कर रहे उपेंद्र अग्रवाल समेत छह आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। अभी तक डीजीपी मुख्यालय से जुड़े रहे अग्रवाल को डीआईजी देवीपाटन रेंज भेजा गया है।
हालांकि, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुकुल गोयल ने कहा कि उपेंद्र अग्रवाल एसआईटी के प्रमुख बने रहेंगे।
शुक्रवार को ट्रांसफर किए गए अधिकारियों में तीन इंस्पेक्टर जनरल रैंक के और तीन डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल रैंक के हैं।
राज्य सरकार द्वारा लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जिसमें चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।
अन्य का तबादला डीआईजी देवीपाटन, राकेश सिंह को उसी पद पर प्रयागराज में स्थानांतरित किया गया है, जबकि आईजी प्रयागराज के.पी. सिंह नए आईजी, अयोध्या रेंज होंगे।
अयोध्या रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) संजीव गुप्ता को डीजीपी मुख्यालय में आईजी कानून व्यवस्था और राजेश मोदक को नया आईजी बस्ती रेंज बनाया गया है।
बस्ती रेंज के आईजी अनिल कुमार राय को इसी पद पर प्रोविंशियल आम्र्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) में स्थानांतरित किया गया है। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर | बिहार में विपक्षी दलों का महागठबंधन अब लगभग टूटता नजर आ रहा है। हालांकि अब तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। बिहार में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में महागठबंधन के दो घटक दलों राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस में दूरी लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच, कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास ने शुक्रवार को यहां कहा कि कांग्रेस अब अपने आप की ताकत पर खड़ी होगी और आने वाले लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीटों पर लड़ेंगे।
दिल्ली से पटना पहुंचे कांग्रेस के नेता दास ने महागठबंधन टूटने का आरोप सीधे तौर पर राजद पर लगाते हुए कहा कि अपनी सीट पर लड़ना राजनीतिक आवश्यकता है और हम लड रहे हैं।
उन्होंने कहा, आज हम 2 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस आगे अपने आप की ताकत पर खड़ी होगी और आने वाले लोकसभा चुनाव में अपने बूते बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी।
भाजपा और जदयू के नेताओं द्वारा राजद, कांग्रेस में नूराकुश्ती होने के संबंध में पूछे जाने पर दास ने कहा कि कांग्रेस पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस मजबूती के साथ तारापुर और कुशेश्वरस्थान में चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के सभी नेता चुनाव प्रचार में लगे हैं और आगे और नेता पहुंच रहे हैं।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि फिलहाल हम बराबरी पर हैं और आगे हम और आगे बढेंगे। उन्होंने दोनों सीटों पर जीत का दावा करते हुए कहा कि राजद और राजग दोनों को लोग देख चुके हैं। केंद्र की राजग सरकार और यहां की सरकार को भी जनता देख रही है।
उल्लेखनीय है कि बिहार के कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में राजद और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं जबकि राजग की ओर से जदयू के कोटे में यह सीट गई है। (आईएएनएस)
फिरोजाबाद/एटा (यूपी), 22 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के दो जिलों में 20 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती पर शिक्षकों को सौंपे गए कार्यों को लेकर व्यापक आक्रोश है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), फिरोजाबाद, अंजलि अग्रवाल ने खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्राथमिक विद्यालयों से प्लास्टिक कचरे का संग्रह सुनिश्चित करने के लिए कहा था।
जिले के सभी ब्लॉक में स्कूलों को 100 किलो प्लास्टिक कचरा इक्ठ्ठा करने और एक नामित पंचायत भवन में जमा करने के लिए कहा गया था।
उसी दिन सलाई के संकट मोचन धाम में वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कासगंज जिले के 15 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वाल्मीकि रामायण के छंद पाठ के लिए कहा गया था।
एटा में एक शिक्षक ने कहा, "वाल्मीकि रामायण संस्कृत में है और मैं एक विज्ञान का शिक्षक हूं। मैंने संस्कृत पढ़ने की पूरी कोशिश की, लेकिन यह मेरे लिए बहुत कठिन था। कार्यक्रम स्थल पर चार में से केवल तीन लोग मौजूद थे। मुझे इस तरह के आदेश जारी करने का उद्देश्य समझ में नहीं आता है।"
विभिन्न शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर अपना असंतोष व्यक्त किया और सोशल मीडिया पर उन अधिकारियों की आलोचना की जिन्होंने शिक्षकों को उक्त कार्यों को करने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा, "अगर किसी धार्मिक स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने और शास्त्रों को पढ़ने के लिए शिक्षक को जिम्मेदारी दी जाती है, तो उसे छात्रों को पढ़ाने का अपना कर्तव्य निभाने का समय कब मिलेगा?"
स्कूल शिक्षा महानिदेशक, अनामिका सिंह ने कहा, "मुझे प्लास्टिक कचरे के संग्रह के संबंध में जारी आदेशों के बारे में पता चला है और घटना के बारे में अधिक जानकारी मांगी है।"
रामायण मुद्दे के बारे में उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगी।
राज्य के बुनियादी शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा, "मुख्य विकास अधिकारी सहित जिला प्राधिकरण ये आदेश जारी करते हैं, जिन्हें बीएसए द्वारा लागू किया जाता है। जिला अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि वे इसके लिए विभागों को निर्दिष्ट किए बिना ऐसे आदेश क्यों जारी करते हैं।" (आईएएनएस)
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल करता रहेगा. बीबीसी के मुताबिक लीक हुई एक रिपोर्ट से यह बात पता चली है. नरेंद्र मोदी कोप26 सम्मेलन में हिस्सा लेने ग्लासगो जा रहे हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
बीबीसी ने लीक हुई एक रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र को स्पष्ट कह दिया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल जारी रखेगा. भारत उन देशों में शामिल है जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल एकदम बंद करने के खिलाफ हैं.
नवंबर में होने वाले यूएन के जलवायु सम्मेन (कोप26) में दुनियाभर के देशों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने का अनुरोध किया जाएगा. चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है.
भारत
भारत ने यूएन से कहा, कोयला तो जलता रहेगाः रिपोर्ट
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल करता रहेगा. बीबीसी के मुताबिक लीक हुई एक रिपोर्ट से यह बात पता चली है. नरेंद्र मोदी कोप26 सम्मेलन में हिस्सा लेने ग्लासगो जा रहे हैं.
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बीबीसी ने लीक हुई एक रिपोर्ट के हवाले से खबर दी है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र को स्पष्ट कह दिया है कि अगले कुछ दशकों तक वह कोयले का इस्तेमाल जारी रखेगा. भारत उन देशों में शामिल है जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल एकदम बंद करने के खिलाफ हैं.
नवंबर में होने वाले यूएन के जलवायु सम्मेन (कोप26) में दुनियाभर के देशों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने का अनुरोध किया जाएगा. चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है.
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क्या हमेशा से काला रहा है कोयले के इतिहास
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर (सीएटी) के मुताबिक भारत का लक्ष्य 2030 से पहले अपने कुल बिजली उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों और परमाणु ऊर्जा से हासिल करने का है, जिसे वक्त से पहले भी हासिल किया जा सकता है.
कोयला जलता रहेगा
भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसके बिजली ग्रिड का 70 फीसदी इसी खतरनाक ईंधन से चलता है. बीबीसी की रिपोर्ट है कि भारत ने यूएन की रिपोर्ट तैयार कर रहे वैज्ञानिकों को बताया है कि कोयले को छोड़ना मुश्किल होगा. यह रिपोर्ट ग्लासगो सम्मेलन में पेश की जाएगी.
यह रिपोर्ट यूएन के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा तैयार की जा रही है, जिसमें ऐसे सबूत दिए जाएंगे कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के क्या-क्या तरीके हो सकते हैं.
लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से बीबीसी ने लिखा है कि भारत के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग ऐंड फ्यूल रिसर्च के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अच्छी-खासी वृद्धि होने के बावजूद देश की स्थिर आर्थिक प्रगति के लिए अगले कुछ दशकों तक कोयला ऊर्जा मुख्य ऊर्जा स्रोत बना रह सकता है.”
भारत ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह शून्य कार्बन उत्सर्जन करना चाहता है या नहीं और यदि करेगा तो कैसे करेगा. दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक और सबसे ज्यादा कोयला उपभोग करने वाला देश चीन कह चुका है कि 2060 तक कार्बन शून्य हो जाएगा. चीन में कोयले की मांग भी तेजी से घटी है इसलिए भारत पर कोयला उपभोग का बड़ा हिस्सा निर्भर करेगा.
ग्लासगो जाएंगे मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लासगो सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इटंरव्यू में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह जानकारी दी.
यादव ने कहा, "प्रधानमंत्री ग्लासगो जा रहे हैं.” सम्मेलन का आयोजन कर रहे ब्रिटेन ने इस खबर का स्वागत किया है. ब्रिटेन ने कहा कहा कि भारत की भूमिका अहम है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा, "इसमें भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री ने मोदी से जलवायु परिवर्तन की अहमियत पर कई बार चर्चा की है. इसलिए हम उनके साथ और चर्चा को लेकर उत्साहित हैं.”
भारत ने अभी ग्लासगो में अपने रुख को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि आने वाले हफ्ते में इस बारे में कोई फैसला हो सकता है. पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत उत्सर्जन घटाने में अपना काम कर रहा है. उन्होंने कहा, "भारत के एनडीसी (जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए योजनाएं) काफी महत्वाकांक्षी हैं. हम अपने हिस्से से ज्यादा काम कर रहे हैं. हमारे लक्ष्य दूसरे बड़े प्रदूषकों से कहीं ज्यादा बड़े हैं.”
उधर सरकार के सूत्रों के मुताबिक ग्लासगो में भारत का किसी तरह का वादा करने की संभावना कम ही है क्योंकि मुश्किल समयसीमा तय करने से उसके आर्थिक प्रगति के लक्ष्यों पर असर पड़ सकता है. (dw.com)
भोपाल, 22 अक्टूबर | मध्य प्रदेश में हो रहे तीन विधानसभा क्षेत्रों और एक लोकसभा के उपचुनाव का प्रचार का रंग गहरा रहा है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गैरहाजरी चचार्ओं का विषय बनी हुई है। सवाल यही पूछा जा रहा है क्या दिग्विजय सिंह खुद प्रचार करने नहीं जा रहे अथवा यह पार्टी की रणनीति का हिस्सा है? राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों जोबट पृथ्वीपुर और रैगांव के साथ ही खंडवा संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। यह चारों उपचुनाव निर्वाचित प्रतिनिधियों के निधन के कारण हो रहा है। इन चुनावों को जीतने के लिए दोनों ही दल पूरा जोर लगाए हुए हैं और प्रचार में ताकत भी झोंक चुके हैं।
भाजपा में चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा संभाले हुए हैं। इन दोनों नेताओं की हर रोज औसतन आधा दर्जन से ज्यादा सभाएं या कार्यक्रम हो रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। खंडवा संसदीय क्षेत्र में प्रचार की कमान पूर्व प्रदेषाध्यक्ष अरुण यादव संभाले हुए है। प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की गैर हाजिरी चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार हो या संगठन पर लगातार हमले बोलने वाले दिग्विजय सिंह की वर्तमान दौर में चुप्पी सवाल तो खड़े कर ही रही है। वही उनका उपचुनाव क्षेत्रों में प्रचार के लिए न जाना अबूझ पहेली बना हुआ है। पृथ्वीपुर में कांग्रेस उम्मीदवार नितेंद्र राठौर का नामांकन पत्र भरवाने सिह जरूर पहुंचे थे, उसके बाद अब तक वे प्रचार करते नजर नहीं आए।
कांग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी चंद्र प्रभाष शेखर ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि , पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय िंसह का आगामी दिनों में खंडवा संसदीय क्षेत्र में दौरा है। वे यहां तीन जनसभाएं लेने वाले है।
कांग्रेस पार्टी में प्रचार के लिए नेताओं केा भेजने की परंपरा है। एक तो उम्मीदवार की मांग पर नेता को भेजा जाता है, दूसरा नेता को अगर लगता है कि संबंधित क्षेत्र में उसका प्रभाव है, तो वह खुद पहल करना है। इस पर पार्टी का संगठन फैसला लेता है।
भाजपा की ओर से लगातार दिग्विजय सिंह की गैर हाजिरी को लेकर तंज कसे जा रहे है। इतना ही नहीं, भाजपा नेताओं के निशाने पर दिग्विजय सिंह का एक दशक का षासन काल भी है। लोगों को सड़क और बिजली की हालत की याद दिलाई जा रही है।
वहीं कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, दिग्विजय सिंह हमेशा भाजपा और उसके हिंदुत्व के साथ राजनीति में धर्म के उपयोग पर सवाल उठाते है, मगर जब वे भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़े, तो उन्होंने बाबाओं की फौज लगा दी। सिंह व्यक्तिगत तौर पर नफा-नुकसान हेा जानते है और उसी तरह से चाल चलते है। उनके बयान यह बताते है कि उनके लिए पार्टी कहीं पीछे है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अक्टूबर | बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर घोषणाओं पर तंज कसा है और कहा कि कांग्रेस ने चुनावी छलावे के तहत भाजपा व सपा की तरह ही अनेकों प्रकार के लोक लुभावन वादे करने शुरू कर दिए हैं।
मायावती ने शुक्रवार को तीन ट्वीट करके कांग्रेस के साथ भाजपा पर भी हमला बोला है और उनको सुझाव भी दिए हैं। मायावती के इस हमले में कांग्रेस पर अधिक ही प्रहार हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चुनावी छलावे के तहत भाजपा व सपा की तरह ही अनेकों प्रकार के लोक लुभावन वादे आदि करने शुरू कर दिए हैं, जिसके तहत इस पार्टी ने यूपी में सरकार बनने पर उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्टफोन व स्कूटी देने की बात कही है, लेकिन मूल प्रश्न यह है कि इनपर विश्वास कौन व कैसे करे।
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की राजस्थान व पंजाब में सरकार है तो क्या इन्होंने ऐसा कुछ वहाँ करके दिखाया है, जो लोग उनकी बातों पर यकीन करे लें? नहीं किया है तो फिर लोग उनपर विश्वास कैसे करें? यही वजह है कि कांग्रेस व भाजपा आदि पार्टियों के दावों व वादों के प्रति जन विश्वास की घोर कमी है।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि जनता से छल व वादाखिलाफी आदि के कारण कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं तथा इन्हीं कुछ खास कारणों से भाजपा के भी बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। 'अच्छे दिन' का सपना दिखाकर लोगों पर महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि का पहाड़ तोड़ने का खामियाजा तो भाजपा को भी भुगतना पड़ेगा।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने का एलान करने के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को एक और बड़ी घोषणा की है। यूपी कांग्रेस ने एलान किया है कि प्रदेश में सरकार बनने पर इंटर पास छात्राओं को एक-एक स्मार्ट फोन वितरित किया जाएगा। वहीं, ग्रेजुएट हो चुकी छात्राओं को इलेक्ट्रॉनिट स्कूटी दी जाएगी। (आईएएनएस)
दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक), 22 अक्टूबर | दक्षिण कन्नड़ जिले की तीसरी अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत ने विट्टाला मालेकुडिया और उनके पिता लिंगप्पा मालेकुडिया को बरी कर दिया है, जिन्हें 9 साल पहले नक्सलियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गुरुवार को दोनों को बरी कर दिया गया।
नक्सल विरोधी बल (एएनएफ) ने 3 मार्च 2012 को नक्सली होने के आरोप में पिता और पुत्र को गिरफ्तार किया था।
उनके घर की तलाशी के दौरान, एएनएफ अधिकारियों ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह पर एक किताब, एक दूरबीन और अन्य 36 वस्तुओं को हिरासत में लिया था। चुनावों के बहिष्कार पर उनके लेखन को एक देशद्रोही कृत्य माना गया। मामला वेनूर थाने में दर्ज किया गया था। एएनएफ की चार्जशीट में छठे आरोपी के रूप में विट्टाला मालेकुडिया और सातवें आरोपी के रूप में उनके पिता लिंगन्ना मालेकुडिया का उल्लेख किया गया है।
गिरफ्तारी के समय विट्टाला मालेकुडिया मंगलुरु विश्वविद्यालय में पत्रकारिता में प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे। वह हिरासत में रहते हुए परीक्षाओं में शामिल हुए थे। विट्ठल मालेकुडिया की हथकड़ी में परीक्षा लिखने की तस्वीरें वायरल हुई थीं।
न्यायाधीश बसप्पा बलप्पा जकाती ने उन्हें बरी करने का आदेश दिया। बरी किए गए लोगों की ओर से अधिवक्ता दिनेश उलेपाडी पेश हुए। (आईएएनएस)
चंदौली (उत्तर प्रदेश), 21 अक्टूबर | चंदौली पुलिस ने सेना में नौकरी भर्ती के नाम युवाओं से धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है और इसके 6 सदस्यों को धनपुर से गिरफ्तार किया है। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने कहा कि गिरोह के सरगना की उपस्थिति के संबंध में, जिसे जबलपुर पुलिस द्वारा एक मामले में दर्ज किया गया था। स्पेशल विपंस एण्ड टैक्टिस (स्वाट) की निगरानी सेल और धनापुर पुलिस की एक संयुक्त टीम ने बुधवार को चाहनिया-धनपुर मार्ग की घेराबंदी की और सेना की वर्दी में चार धोखेबाजों को ले जा रही एक एसयूवी को रोक लिया था।
वाहन से दो पिस्तौल, एक सेना की टोपी और जाली दस्तावेज बरामद किए गए। पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और एसयूवी को जब्त कर लिया।
गिरफ्तार लोगों की पहचान रविकांत यादव, रिंकू सिंह यादव, रोहित यादव उर्फ धुक्कू, देवेंद्र श्रीवास्तव, विकास सिंह और दीपक यादव के रूप में हुई है।
उनके पास से एक मोटरसाइकिल, दो देशी पिस्तौल, जिंदा कारतूस, सेना की वर्दी, नौ मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, पासबुक और विभिन्न बैंकों की चेक बुक, कंप्यूटर, जाली दस्तावेज और नकली टिकट बरामद किए गए हैं।
पूछताछ के दौरान रविकांत ने खुलासा किया कि वह अनुचित तरीकों से सेना में भर्ती होने में कामयाब रहा, लेकिन सत्यापन प्रक्रिया के दौरान प्रशिक्षण सत्र से बाहर कर दिया गया, जिसके बाद उसने एक गिरोह बनाया और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
उसके गिरोह ने सेना भर्ती प्रक्रिया के लिखित और मेडिकल टेस्ट को पास करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार से पांच लाख रुपये लिए। उसने ऐसे 20 से अधिक उम्मीदवारों को निशाना बनाया और उनसे लिए गए रुपयों को घर, मोटरसाइकिल और शौक पूरे करने पर खर्च करता था।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर | लोगों के हितों की सेवा के लिए अपना खुद का राजनीतिक संगठन शुरू करने की घोषणा के दो दिन बाद पंजाब के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को एआईसीसी महासचिव हरीश रावत की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन पर भरोसा न करके और पार्टी को नवजोत सिंह सिद्धू जैसे 'अस्थिर व्यक्ति' के हाथों में देकर अपने हितों को नुकसान पहुंचाया है।
उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने एक ट्वीट में अमरिंदर सिंह के हवाले से कहा, "आपकी आशंका यह है कि मैं पंजाब में कांग्रेस के हितों को नुकसान पहुंचाऊंगा.. हरीश रावत जी, तथ्य यह है कि पार्टी ने मुझ पर भरोसा न करके और पंजाब कांग्रेस को नवजोत सिंह सिद्धू जैसे अस्थिर व्यक्ति के हाथों में देकर अपने स्वयं के हितों को नुकसान पहुंचाया है, जो कि केवल खुद के प्रति वफादार हैं।"
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, अमरिंदर सिंह ने रावत, जो पंजाब मामलों के प्रभारी हैं, से पूछा, "हरीश रावत जी, आज आप मुझ पर मेरे प्रतिद्वंद्वी अकाली दल को साढ़े चार साल तक मदद करने का आरोप लगा रहे हैं। क्या इसलिए आपको लगता है कि मैं पिछले 10 सालों से उनके खिलाफ कोर्ट केस लड़ रहा हूं? और 2017 के बाद से मैंने पंजाब में कांग्रेस के लिए सभी चुनाव क्यों जीते हैं?"
पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया रावत के यह कहने के एक दिन बाद आई है कि अमरिंदर की नई पार्टी बनाने की घोषणा से पंजाब में कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा।
रावत ने कहा कि यह वास्तव में राज्य में कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वियों के वोटों को विभाजित करेगा। रावत ने कहा, "हमारा वोट चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। चन्नी ने जिस तरह से शुरुआत की है, उसने पंजाब और पूरे देश के सामने एक अच्छी छाप छोड़ी है।"
इस बीच, राज्य पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को तीन काले कृषि कानूनों के वास्तुकार के तौर पर दोषी ठहराया।
सिद्धू ने कृषि कानूनों के अमल में आने पर खेती में बड़े उद्योगपतियों का दखल बढ़ने के किसानों के आरोपों के संदर्भ में ट्वीट करते हुए कहा, "तीन काले कानूनों के वास्तुकार.. जो अंबानी को पंजाब की किसानी में लाए.. जिन्होंने एक-दो बड़े कॉर्पोरेट के लाभ के लिए पंजाब के किसानों, छोटे विक्रेताओं और मजदूरों को बर्बाद किया।"
सिद्धू ने हालांकि इस ट्वीट में अमरिंदर सिंह का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया, लेकिन इसके साथ उनका एक वीडियो साझा कर उन्हें कृषि कानूनों का वास्तुकार करार दिया।(आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 अक्टूबर | अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने तीन स्टॉक निवेशकों द्वारा दायर एक आवेदन की जांच करते हुए दावा किया है कि अदाणी समूह पर भ्रामक समाचार रिपोर्टों के कारण उनके निवेश पर भारी नुकसान हुआ है और इसके पीछे एक साजिश का आरोप लगाते हुए, एक संपादक सहित दो मीडिया हाउस के चार पत्रकारों को तलब किया है। अहमदाबाद के कुछ निवेशकों ने अपराध शाखा के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि अदाणी समूह में एफपीआई की संदिग्ध हिस्सेदारी के बारे में भ्रामक, असत्य और असत्यापित कहानी प्रकाशित करके देश के निवेशकों को धोखा देने की देशव्यापी साजिश रची गई है।
अहमदाबाद अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक निखिल ब्रह्मभट्ट ने आईएएनएस से कहा, "सीआरपीसी की धारा 160 के प्रावधानों के तहत जांच अधिकारी समन जारी कर सकता है और हमने आवेदन के संबंध में एक प्रमुख समाचार चैनल के एंकर के साथ-साथ एक संपादक सहित एक प्रमुख वित्तीय समाचार पत्र के तीन पत्रकारों को तलब किया है। आवेदन अदाणी समूह के बारे में भ्रामक समाचारों के कारण भारी नुकसान का दावा करने वाले अहमदाबाद के तीन निवेशकों द्वारा दायर किया गया।"
उन्होंने कहा, "अपराध शाखा ने आवेदन के संबंध में सभी चार पत्रकारों के साथ-साथ स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी के बयान दर्ज किए हैं। हम आवेदन की जांच कर रहे हैं और जांच कर रहे हैं कि क्या टीवी मीडिया आउटलेट्स द्वारा स्पष्ट इरादों और इससे संबंधित अन्य चिंताओं के साथ साजिश रची गई थी। अगर एसीबी को आवेदन में किए गए दावों में कोई योग्यता मिलती है, तो हम मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करेंगे।"
पुलिस ने कहा कि आवेदन चैनल और अखबार द्वारा उपरोक्त विषय पर प्रसारित समाचारों के आधार पर दायर किया गया था। आवेदन के अनुसार, उस दिन 'भ्रामक और असत्यापित समाचार' प्रसारित करके देश के निवेशकों के खिलाफ साजिश रची जा रही थी।
आवेदन में कहा गया है कि अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ। याचिका में कहा गया है कि अहमदाबाद के कुछ निवेशकों को समाचार चैनल द्वारा चलाए जा रहे इस तरह के 'भ्रामक अभियान' के कारण भारी मौद्रिक नुकसान हुआ।(आईएएनएस)
गुवाहाटी, 21 अक्टूबर | सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने असम सरकार से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के नौ चिन्हित वाइल्डलाइफ कॉरिडोर्स (वन्यजीव गलियारों) में किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा है। असम वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सीईसी के सदस्य-सचिव अमरनाथ शेट्टी ने मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को लिखे पत्र में चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पत्र में कहा गया है, "यह अनुरोध किया जाता है कि 12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए किए गए सभी निर्मार्णों को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए और नौ चिन्हित एनिमल कॉरिडोर्स में किसी भी नए निर्माण की अनुमति न दी जाए।"
सीईसी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी, प्रमुख हेमेन हजारिका द्वारा 10 सितंबर को प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, जिसमें वन उप महानिरीक्षक (मध्य) लैक्टिटिया जे. सिएमियोंग की रिपोर्ट संलग्न है, जो कि '12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर पेश की गई है।'
अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले निजी भूमि पर नए निर्माण पर रोक लगा दी थी, जो काजीरंगा के नौ पहचाने गए गलियारों का हिस्सा है, जो 2,400 से अधिक एक सींग वाले भारतीय गैंडों का घर है।
शीर्ष अदालत ने इन गलियारों में सभी तरह के खनन पर भी रोक लगा दी थी।
काजीरंगा के निदेशक, कर्मश्री पी. शिवकुमार के साथ, सिएमियोंग ने अगस्त में नौ गलियारों में से आठ पर निर्माण गतिविधियों का अध्ययन किया था।
सीईसी के पत्र में कहा गया है कि एनिमल कॉरिडोर के नौ में से पूरे आठ हिस्सों को पार करने के बाद फील्ड स्तर पर निरीक्षण किया गया, जहां पाया गया कि चारों तरफ अवैध निर्माण हुआ है।
पैनल सदस्य की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अवैध निर्माणों के अलावा, केएनपी और टीआर के जानवरों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ट्रकों आदि की उपस्थिति से है। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि ट्रक, टैंकर और अन्य वाहन सड़क पर पार्क करने के लिए रुक रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि इससे जंगली जानवरों की आवाजाही में अनावश्यक बाधा पैदा होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान 500 से अधिक ट्रक और वाहन देखे गए थे और कार्बी-आंगलोंग हिल रेंज से निकलने वाली नदियों और नालों के पानी का उपयोग ड्राइवरों और सहायकों द्वारा स्नान करने और वाहनों की धुलाई के लिए किया जा रहा था, जिससे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने वाला पानी प्रदूषित हो रहा था।
इसके अलावा पत्र में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि ऑटोमोबाइल गैरेज से तेल और ग्रीस, वाहन धोने से अपशिष्ट जल, ढाबों और होटलों से आने वाला सीवेज पानी डिफालो नदी में प्रवेश कर रहा है, जो काजीरंगा की जीवन रेखा है। वहीं ध्वनि प्रदूषण के कारण भी उद्यान का वातावरण बिगड़ने की बात कही गई है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | स्पेनिश पुलिस ने 17 अक्टूबर को कोकीन तस्करों के एक डच गिरोह को हिरासत में लिया है, जिसमें ज्यादातर तुर्की मूल के लोग हैं। वे सेलबोट्स से लैटिन अमेरिकी देशों से यूरोप में कोकीन की तस्करी कर रहे थे। स्पेन की पुलिस ने कोस्टा डेल सोल के तट से दूर सेलबोट 'गोल्डवासर' पर एक अभियान चलाया था। पुलिस को शुरू में सेलबोट पर 2.5 टन कोकीन मिली, लेकिन जब नाव को उत्तर-पश्चिमी स्पेन के विगो में ले जाया गया, तो 500 किलो और कोकीन मिली। जब्त की गई तीन टन कोकीन इस ऑपरेशन को स्पेनिश पुलिस के लिए सबसे बड़े ड्रग भंडाफोड़ में से एक माना जा रहा है। पुलिस ने गिरोह के सदस्यों के घरों में एक साथ अभियान चलाया, जहां उन्होंने हथियार और लगभग 35,000 यूरो नकद जब्त किए।
अभियान के तहत गिरोह के 60 वर्षीय नेता समेत कम से कम पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। डच नागरिक तुर्की मूल के हैं और गिरोह के सदस्यों में एक स्वीडन के साथ-साथ अमेरिकी नागरिक और लैटिन अमेरिकी के भी हैं।
ग्लोबल ऑर्गनाइज्ड क्राइम इंडेक्स 2021 में तुर्की 12वें स्थान पर है, जिसे 28 सितंबर, 2021 को ग्लोबल इनिशिएटिव अगेंस्ट ऑर्गनाइज्ड क्राइम द्वारा प्रकाशित किया गया था। वहीं, ईरान (7.10), अफगानिस्तान (7.08) और इराक (7.05) को छोड़कर, तुर्की का आपराधिकता स्कोर 10 में से 6.89 था, जो यूरोप के साथ-साथ एशिया में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक था।
सूचकांक 'अपराधिक', 'आपराधिक मार्केट', 'आपराधिक अभिनेताओं' और 'रेजिलिएंस' और उनकी उप-श्रेणियों की श्रेणियों में देशों और क्षेत्रों में अपराध की जांच करता है।
6.4 अंकों के साथ तुर्की आपराधिक श्रेणी में दुनिया भर में 13वें स्थान पर है। वहीं, मानव ट्रैफिकिंग में 7.0, मानव तस्करी में 9.0, वनस्पति अपराधों में 4.0 और जीव अपराधों में 3.0 अंक प्राप्त किए हैं।
हथियारों की तस्करी रैंकिंग में डेमोक्रेटिककांगो और इराक के साथ पहला स्थान साझा करते हुए तुर्की मानव ट्रैफिकिंग रैंकिंग में सबसे ऊपर है।
क्रिमिनल एक्टर्स इंडेक्स में तुर्की ने 7.38 स्कोर किया और 12वें स्थान पर रहा। इसने 'माफिया-शैली के समूहों' में 8.0, 'आपराधिक नेटवर्क' में 7.5, 'राज्य-एम्बेडेड आपराधिक अभिनेताओं' में 9.0 और 'विदेशी अभिनेताओं' में 5.0 स्कोर किया है।
स्टेट-एम्बेडेड एक्टर्स श्रेणी में, तुर्की सीरिया के बाद दूसरे स्थान पर है, जिसने 10 में से 10 स्कोर किए हैं। डेमोक्रेटिक कांगो, दक्षिण सूडान और अफगानिस्तान ने भी इस श्रेणी में 9.0 स्कोर किया है।
तुर्की, जो रिपोर्ट में 'उच्च अपराध दर-निम्न विरोध' श्रेणी में 57 देशों में शामिल है। रेजिलिएंस इंडेक्स में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में 151वें स्थान पर है। तुर्की का औसत रेजिलिएंस स्कोर 3.54 है और उप-श्रेणियों में इसके स्कोर क्षेत्रीय अखंडता में 6.5, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग सिस्टम में 2.0, आर्थिक विनियमन क्षमता में 4.0, पीड़ित और गवाह समर्थन में 4.0, अपराध की रोकथाम में 3.5 और गैर-राज्य के खिलाफ अभिनेता में 3.5 पर हैं।
तुर्की नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। 'मिडास-बैलेस्ट्रिंक' नामक वर्तमान स्पैनिश पुलिस ऑपरेशन की तैयारी 2019 में की गई थी, जब स्पेनिश पुलिस ने समुद्र के द्वारा कोकीन के परिवहन के संदिग्ध लोगों को निर्धारित करने के लिए खुफिया काम किया था। बाद में, पुलिस ने कोस्टा डेल सोल और जिब्राल्टर के बीच नौकायन करने वाली नौकाओं पर फोकस किया।
बाद में, स्पेनिश अधिकारियों ने निर्धारित किया कि ड्रग गिरोह ने 'गोल्डवासर' सेलबोट खरीदा था। तुर्की ने वर्तमान सरकार के समर्थन से एक सुस्थापित अपराध नेटवर्क विकसित किया है। इस नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में माफिया डॉन सेदत पीकर का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे सरकार की मदद से पकड़ा गया था। उसके खुलासे से पता चला है कि सरकार हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी और अब मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल है।(आईएएनएस)
प्रयागराज (यूपी), 21 अक्टूबर | प्रयागराज में एक दुर्लभ और लुप्तप्रजाति का उल्लू (स्ट्रिक्स ओसेलटा) देखा गया है। एक वन्यजीव फोटोग्राफर और कैंसर सर्जन, डॉ अर्पित बंसल ने उल्लू की दुर्लभ प्रजाति की एक तस्वीर क्लिक की है।
मध्य भारत के जंगलों में पाए जाने वाले मटमैले लकड़ी के उल्लुओं को 2016 से इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (कवउठ) की रेड लिस्ट में 'खतरनाक प्रजाति' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
डॉ बंसल ने चित्तीदार उल्लू, जंगल उल्लू, खलिहान उल्लू और भारतीय स्कॉप्स उल्लू को भी क्लिक किया है, जो सभी विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं।
डॉ बंसल ने कहा कि भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की 1,349 प्रजातियों में से वह 887 फोटो खींच चुके हैं।
भारत में उल्लुओं की कुल 36 प्रजातियाँ पाई जाती हैं और डॉक्टर ने उनमें से 32 की तस्वीरें खींची हैं।
डॉ बंसल ने कहा, मोटेल्ड वुड उल्लू एक नई प्रजाति है जो मैंने पहली बार शहर में इबर्ड डॉट ओर.के अनुसार फोटो खिंचवाई थी। यह हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचआरआई) परिसर के पास झूंसी क्षेत्र में फोटो खिंचवाया गया था। इसके साथ, मैंने कुल पांच लुप्तप्राय क्लिक किए हैं।
उन्होंने कहा, यह एक दुर्लभ खोज है और हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे पक्षी की रक्षा करने में मदद कर सकें।
जैसा कि एक आम प्रथा है, दिवाली के दौरान देश में काले जादू के नाम पर उल्लू को अवैध रूप से पकड़ा जाता है और उसकी बलि दी जाती है।
भारतीय लोककथाओं के अनुसार, उल्लू ज्ञान और सहायकता का प्रतिनिधित्व करता है, और भविष्यवाणी करने की शक्ति रखता है। अठारहवीं शताब्दी के दौरान उल्लुओं के प्राणी संबंधी पहलुओं को बारीकी से अवलोकन के माध्यम से विस्तृत किया गया।
जिला वन अधिकारी (डीएफओ) प्रयागराज, रमेश चंद्र ने कहा कि पक्षी प्रेमियों और संरक्षणवादियों द्वारा प्रयागराज में पिछले कुछ वर्षों में 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों को देखा गया है।
हम शहर और उसके आसपास उल्लू की कुछ प्रजातियों जैसे जंगल उल्लू, चित्तीदार उल्लू, कॉलर वाले स्कॉप्स उल्लू, छोटे कान वाले उल्लू और रॉक ईगल उल्लू की उपस्थिति से अवगत है। लुप्तप्राय धब्बेदार लकड़ी के उल्लू को देखना अच्छी खबर है और उन्हें नुकसान से बचाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | उत्तराखंड में आई अचानक तेज बरसात के कारण हुए घटनाओं में अभी तक 64 व्यक्तियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो चुकी हैं। बरसात और इससे जुड़ी आपदाओं के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे 3500 लोगों को रेस्क्यू किया गया, जबकि 16 हजार लोगों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पहाड़ी राज्य में एनडीआरएफ की 17 टीमें, एसडीआरएफ की 7 टीमें, पीएसी की 15 कम्पनियां और पुलिस के 5 हजार जवान अभी भी बचाव व राहत में लगे हैं। डिजास्टर फंड में उत्तराखण्ड को पहले से ही 250 करोड़ रूपए की राशि दी गई है। इससे राहत व बचाव का कार्य किया जा रहा है। केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड के आपदाग्रस्त व जलभराव वाले क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी जाएं ताकि बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। क्षतिग्रस्त बिजली लाईनों को पूरी तरह जल्द से जल्द ठीक की जाए।
उत्तराखंड में 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई तेज बारिश एवं उसके बाद उत्पन्न हुई स्थितियों के कारण अब तक 64 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। राज्य सरकार ने बताया कि भारी बारिश का अलर्ट मिलने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री स्तर पर समीक्षा की गई। तुरंत इन्सीडेंस रेस्पोंस सिस्टम को राज्य व जिला स्तर पर सक्रिय कर दिया गया। एहतियातन तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया गया।
साथ ही स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित कर दिया गया। विभिन्न माध्यमों से यात्रियों और जनसाधारण को भी अलर्ट किया गया। ट्रैकर्स को भी अलर्ट किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में नदियों के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। इस संबंध में आवश्यक कदम भी उठाए गए हैं। आईएमडी के अनुसार सामान्य रूप से 1.1 मिमि बारिश होती है जबकि अभी 122.4 मिमि बारिश हुई। इन दो दिनों में सभी जगह रिकार्ड बारिश हुई। परंतु सही समय पर अलर्ट और तदनुसार एहतियात कदम उठाने से हानि को कम किया जा सका। प्रदेश में इस समय एनडीआरएफ की 17 टीमें तैनात हैं।
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक गुरुवार को नकेन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा लिया। उनके साथ उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जरनल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी थे।
गुरुवार को जौलीग्रांट में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में आपदा की स्थिति और संचालित राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार देवभूमि की हर सम्भव सहायता करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्र से मिले सहयोग पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सेना, एनडीआरएफ, सीडब्ल्यूसी, बीआरओ के साथ मिलकर राज्य सरकार आपदा की तीव्रता को कम कर सकी। लोगों को अधिक से अधिक राहत पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। चारों धाम की यात्रा शुरू की जा चुकी है।
राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम यात्रियों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया। इसी का परिणाम है कि अभी तक चारधाम यात्रियों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। यात्रा अब शुरू भी कर दी गई है। सभी एजेंसियां समय पर सक्रिय हो गई थी। प्रधानमंत्री जी ने मुख्यमंत्री से बात कर समय पर राज्य को हेलीकाप्टर उपलब्ध कराए।
भारत सरकार से हर सम्भव सहयोग दिया जा रहा है। सेंटर वाटर कमीशन और सिंचाई विभाग में भी आपदा के दौरान अच्छा समन्वय रहा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मजबूत जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता पर जोर देते हुए गुरुवार को 2020 के बाद के लिए दीर्घकालिक जलवायु वित्त की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करने और विकसित देशों द्वारा 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता लक्ष्य की पूर्ति की आवश्यकता को रेखांकित किया। वह यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष, यूरोपीय ग्रीन डील, फ्रैंस टिमरमैन के साथ आयोजित द्विपक्षीय बैठक में बोल रहे थे, जिसमें दोनों पक्षों ने सीओपी26, यूरोपीय संघ-भारतीय जलवायु नीतियों और द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित जलवायु मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की।
आगामी सीओपी26 के संबंध में, ब्रिटेन के ग्लासगो में 31 अक्टूबर से होने वाला वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पारस्परिक रूप से, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुएसभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दे जैसे कि अनुच्छेद 6, सामान्य समय सीमा, उन्नत पारदर्शिता ढांचा आदि को हल किया जाना चाहिए।"
दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि भारत और यूरोपीय संघ को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए सीओपी 26 के सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जिस पर काम करने के लिए सरकारों द्वारा 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए उत्सर्जन को प्रतिबंधित करना।
यादव ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा कि अक्षय ऊर्जा, ई-वाहनों सहित टिकाऊ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, वन और जैव विविधता संरक्षण आदि के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए हरित संक्रमण की दिशा में भारत की महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।
जलवायु कार्रवाइयों पर भारत के नेतृत्व की सराहना करते हुए टिमरमैन ने कहा कि 2030 तक भारत के 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्ष जलवायु और पर्यावरण पर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने का पता लगा सकते हैं, विशेष रूप से उन तरीकों और साधनों पर जो कम कार्बन मार्गो को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 21 अक्टूबर | केरल में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को चापलूसी करने वालों के घेरे से बाहर आना होगा। सतीसन ने कहा, "वह चापलूसी करने वालों के एक समूह से घिरे हुए हैं और सभी जानते हैं कि विजयन को आलोचना पसंद नहीं है। जो कोई भी ऐसा करता है उसे 'राष्ट्र-विरोधी' कहा जाता है या जिसे राज्य से प्यार नहीं है। "
उन्होंने बुधवार को विजयन के हमले के बाद मीडिया से बात करते हुए सतीसन ने केरल सरकार द्वारा पिछले सप्ताह राज्य में आई बाढ़ से 42 लोगों की जान लेने वाले गैर-जिम्मेदाराना तरीके की आलोचना की।
सतीसन ने दोहराया कि विजयन सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है और यहां तक कि कार्रवाई करने में भी विफल रही है जब आईएमडी ने स्पष्ट रूप से 12 अक्टूबर को ही चेतावनी जारी की थी।
"यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह लगातार चौथा वर्ष है जब केरल ने बारिश और बाढ़ का प्रकोप देखा है। फिर भी, केरल जैसे राज्य में जब आपदा आती है तब भी कई चीजों का समय से पहले कार्रवाई करने के लिए एक मूर्खतापूर्ण प्रणाली नहीं है। हमें बताया गया है कि कुछ जगहों पर त्रासदी के एक दिन बाद बचाव और राहत अभियान शुरू हुआ था।"
राज्य में विशेष रूप से इडुक्की, कोट्टायम और पथानामथिट्टा जिलों में बाढ़ आने के तुरंत बाद सतीसन ने विजयन को फटकार लगाई और बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सबसे बड़ी आपदा बन गया है।
सतीसन ने कहा, "यह हो रहा है और कुछ भी रचनात्मक नहीं हो रहा है, क्योंकि उसके आसपास के लोग उसके क्रोध के डर से उसे सही तरीके से सलाह देने से डरते हैं। विजयन को चापलूसी करने वालों के इस समूह से बाहर आना होगा।" (आईएएनएस)
श्रीनगर, 21 अक्टूबर | जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में गुरुवार को एक बड़ा हादसा टल गया। दरअसल, सुरक्षा बलों को एक इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का पता चला, जिसके बाद उसे निष्क्रिय कर दिया। पुलिस ने कहा कि 32 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने गुरुवार को बारामूला जिले के रफियाबाद इलाके के सैदपोरा गांव के पास एक यात्री शेड से एक आईईडी बरामद किया। जिसके बाद बम निरोधक दस्ते को इसे निष्क्रिय करने के लिए तैनात किया गया।"
"सतर्क सुरक्षा बलों द्वारा समय पर कार्रवाई से एक बड़ी त्रासदी को टालने में मदद मिली है, क्योंकि यात्री शेड का उपयोग अक्सर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता है।"
सुरक्षा बलों और वीआईपी कैवलकेड के काफिले को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में रिमोट ट्रिगर आईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मेटल डिटेक्टरों और खोजी कुत्तों से लैस सुरक्षा बलों की रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) को सुरक्षा बल के काफिले और वीआईपी घुड़सवारों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले राजमार्गों और सड़कों को सुरक्षित करने के लिए तैनात किया जाता है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 21 अक्टूबर | राज्य की राजधानी में एक एनजीओ चलाने वाली महिला सामाजिक कार्यकर्ता के साथ अपनी पत्नी की नजदीकी को लेकर हुए विवाद के बाद एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने गोमती नगर में पीड़ित के घर से तीन सुसाइड नोट बरामद कर पीड़िता की पत्नी और उसके सहयोगी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, किराना स्टोर चलाने वाले निखिल ने सुसाइड नोट में आरोप लगाया कि उसकी मौत के लिए उसकी पत्नी और उसकी बॉस जिम्मेदार हैं।
नोट में लिखा है, "मेरी पत्नी की सहेली ने मेरा वैवाहिक जीवन हमेशा के लिए तबाह कर दिया है। पुलिस को मेरी पत्नी और उसकी महिला सहयोगी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।"
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), गोमती नगर, के.के. तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि निखिल की पत्नी और उसके नियोक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि निखिल की 2012 में शादी हुई थी और उनकी एक बेटी भी है।
शादी के कुछ साल बाद, उनकी पत्नी ने एक एनजीओ में काम करना शुरू कर दिया और अपने नियोक्ता के करीब आ गईं। उसने अपने परिवार पर ध्यान देना बंद कर दिया।
निखिल के पिता किशन कुमार ने पुलिस को बताया कि दंपति के बीच मंगलवार को कहासुनी हुई जिसके बाद उनकी बहू ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
पिता ने कहा, "हमने उसकी मां को सूचित किया जो उसकी बेटी को अपने साथ ले गई। निखिल उसे वापस आने के लिए मनाता रहा और बाद में बुधवार को उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 21 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आगे बढ़ाने में लगी कांग्रेस की महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने अब पार्टी का मोर्चा और तेजी से संभाल लिया है। उन्होंने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र से पहले छात्राओं को के लिए स्मार्ट फोंन और स्कूटी देने का एलान किया है।
प्रियंका गांधी ने गुरूवार को ट्वीटर के माध्यम से लिखा कि "कल मैं कुछ छात्राओं से मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ने व सुरक्षा के लिए स्मार्टफोन की जरूरत है। मुझे खुशी है कि घोषणा समिति की सहमति से आज कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि सरकार बनने पर इंटर पास लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी दी जाएगी।
लखनऊ से आगरा जाते समय बुधवार को महिला पुलिसकर्मियों के साथ सेल्फी लेने और 1090 चौराहे के पास चोटिल छात्रा की मरहम पट्टी करने के बाद गुरुवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत सीट महिलाओं को देने की घोषणा करने के बाद अब उन्होंने छात्राओं के लिए वादा किया है।
गौरतलब उत्तर प्रदेश विाानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आधी आबादी के लिए 40 प्रतिषत टिकट का दांव चलकर अन्य पार्टियों के लिए चुनौती बढ़ा दी है। इसकी काट के लिए राजनीतिक दल जब तक नया पासा फेंकते, तब तक उन्होंने एक और घोषणा कर दी है।
प्रियंका का कहना है कि 40 प्रतिशत महिला टिकट आरक्षण का फैसला महिलाओं की राजनीति में नुमाईंद्गी को बढ़ाएगी और प्रदेश का विकास तेजी से होगा। प्रियंका गांधी ने यूपी की करीब साढ़े तीन करोड़ महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। एक बार फिर उन्होंने स्मार्टफोन और स्कूटी से नए वोटरों को साधने का प्रयास किया है।
ज्ञात हो कि प्रियंका गांधी यूपी के मैदान में मेहनत कर रही है, लेकिन चुनावी जंग जीतने के लिए सबसे जरूरी होता है, ज़मीन पर संगठन की मौजदगी, जो कांग्रेस के पास नदारद है। शायद इसीलिए कांग्रेस औऱ टीम प्रियंका को एक्स फैक्टर की तलाश है, जो संगठन की इसी कमजोरी को दरकिनार कर उन्हें चुनावी मुकाबले में बढ़त दिला सके। इसी कारण ऐसे मुद्दे उछाल कर प्रियंका अन्य पार्टियों के लिए चुनौती बन रही हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बतौर प्रभारी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने हर उस मुद्दे को थामने का प्रयास किया, जिसमें सरकार को घेरने की जरा भी गुंजाइश नजर आई। अन्य विपक्षी दलों की तुलना में उनकी सक्रियता खास तौर पर महिला उत्पीड़न से जुड़े उन्नाव दुष्कर्म कांड और हाथरस कांड में ज्यादा रही। हालांकि, मुद्दों के चयन को लेकर पार्टी के रणनीतिकारों का असमंजस भी साथ-साथ चला। अब लड़की हूं, लड़ सकती हूं के नारे के साथ टिकट वितरण में चालीस फीसदी महिला आरक्षण की घोषणा के बाद स्मार्ट फोन और स्कूटी का वादा इसे कांग्रेस का अच्छा और मजबूत पासा माना जा रहा है। (आईएएनएस)
एक शोध में यह पुष्टि हुई है कि बिहार के कई जिलों के पानी में यूरेनियम मौजूद है. खतरनाक स्तर तक इस रेडियोधर्मी पदार्थ की मौजूदगी कहीं किसी भयावह खतरे का संकेत तो नहीं है!
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट
आयरन, फ्लोराइड व आर्सेनिक की मानक से अधिक मात्रा बिहार में, खासकर बक्सर से लेकर भागलपुर तक गंगा नदी के किनारे बसे जिलों के भूजल में पहले से मौजूद है. कई इलाकों के लोग इसका कुप्रभाव भी झेल रहे हैं. सरकार हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उपाय भी कर रही है.
किंतु, बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित महावीर कैंसर संस्थान, यूनाइटेड किंगडम (यूके) की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेचेस्टर, ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी व आईआईटी खड़गपुर व रूड़की तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, उत्तराखंड द्वारा संयुक्त रूप से डेढ़ साल तक किए गए शोध में राज्य के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की मौजूदगी का पता चला है.
करीब दस जिलों में इसकी मात्रा मानक से अधिक पाई गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार पानी में इसकी मात्रा 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (एमपीएल) से अधिक नहीं होनी चाहिए, किंतु राज्य के इन जिलों में पानी में यूरेनियम की मात्रा 50 एमपीएल से अधिक मिली. सुपौल जिले के सैंपल में तो 80 एमपीएल तक यूरेनियम पाया गया.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष तथा महावीर कैंसर संस्थान के शोध प्रभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष के अनुसार बिहार के भूजल में खासकर आर्सेनिक की मात्रा का ही पता लगाया जा रहा था लेकिन फिर तय किया गया कि कुछ अन्य खनिजों का भी पता लगाया जाए.
इसी विचार के साथ 2018 में संयुक्त रूप से शोध शुरू किया गया. यह कार्य अभी चल रहा है. विदित हो कि भारत के केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा ब्रिटेन के नैचरल इन्वॉयरन्मेंट रिसर्च काउंसिल ने शोध का 50-50 फीसद खर्च उठाया है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष, महावीर कैंसर संस्थान के अरुण कुमार और यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के डेविड पोल्या व लाउरा ए रिसर्चड्स की शोध में अग्रणी भूमिका रही है. इस सिलसिले में राज्य के सभी 38 जिलों में 273 जगहों से हैंडपंपों (चापानल) समेत विभिन्न स्रोतों के जरिए 46 हजार से भी अधिक ग्राउंड वॉटर सैंपल लिए गए.
शोध के दौरान ज्ञात हुआ कि राज्य के सुपौल, पटना, सिवान, गोपालगंज, सारण (छपरा), नवादा और नालंदा जिले के पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से काफी अधिक है. इसके अलावा गया, जहानाबाद तथा औरंगाबाद से भी लिए गए सैंपल में भी यूरेनियम पाया गया.
जहां आर्सेनिक कम वहां यूरेनियम ज्यादा
शोध के दौरान एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है कि जहां के पानी में यूरेनियम की मात्रा अधिक थी, वहां आर्सेनिक या तो नहीं मिला या कम मिला. इसके उलट, जिस सैंपल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा मिली वहां यूरेनियम नहीं पाया गया.
नालंदा, नवादा, सारण, सिवान व गोपालगंज जिले के पानी में आर्सेनिक की मात्रा कभी नहीं मिली. इन जिलों के सैंपल में मानक से अधिक यूरेनियम मिला है. डॉ. अशोक घोष कहते हैं, ‘‘सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने भी हाल में ही बिहार के भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी की पुष्टि की है. अब यह शोध का विषय है कि भूजल में यूरेनियम आखिर कहां से आ रहा है. इससे पहले आज तक राज्य के ग्राउंड वॉटर में यूरेनियम नहीं पाया गया था. पता लगाना होगा कि यह जियोजेनिक है या फिर एंथ्रोपोजेनिक.''
यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि जहां यूरेनियम मिला है, वहां इसके खदान की तो संभावना नहीं है. गंगा और सोन नदी के तटवर्ती इलाके खासकर गंगा के दक्षिणी हिस्से में इसकी मात्रा अधिक पाई गई है. वहीं उत्तरी हिस्से में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है. विदित हो कि अविभाजित बिहार के सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा में यूरेनियम पाया जाता था. यह इलाका विभाजन के पश्चात झारखंड में चला गया है.
यूरेनियम के कारण कैंसर?
वैसे तो वॉटर प्यूरीफायर की व्यापक रेंज उपलब्ध है, किंतु आम तौर पर घरों में लगाए जाने वाले प्यूरीफायर से यूरेनियम को साफ नहीं किया जा सकता है. यह भी जरूरी नहीं है कि प्यूरीफायर सभी मिनिरल्स को साफ कर दे. इसलिए पीने के पानी को लेकर काफी सतर्क होना जरूरी है.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. निखिल चौधरी बताते हैं, ‘‘यूरेनियम किडनी को सर्वाधिक प्रभावित करता है. पानी में यूरेनियम का पाया जाना काफी चिंताजनक है. इस परिणाम से इस अवधारणा को बल मिलना स्वाभाविक है कि किडनी फेल होने के जिन 30 फीसद मामलों में कारण का पता नहीं चल पाता है, उनकी वजह कहीं यूरेनियम तो नहीं है.''
वहीं कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के. झा के अनुसार यूरेनियम लीवर को नुकसान पहुंचाने के साथ गॉल ब्लैडर की समस्या का भी बड़ा कारण बन सकता है. हाल के दिनों में जिस तरह से गंगा व सोन नदी के किनारे वाले इलाके में कैंसर तथा गॉल ब्लैडर के मामले बढ़े हैं, उसका कारण यूरेनियम हो सकता है.
भूगोलवेत्ता कंचन सिन्हा कहती हैं, ‘‘पृथ्वी की बनावट के कारण यह काफी हद तक संभव है कि झारखंड के उन इलाकों से जहां यूरेनियम की मौजूदगी है, वहां से यह कालांतर में बिहार के भूगर्भीय जल में समावेशित हुआ हो. वैसे यह तो शोध का विषय है.''
फूड चेन में भी आर्सेनिक
साल 2003 में सबसे पहले राज्य के भोजपुर जिले में पानी में आर्सेनिक के होने का पता चला था. इसके बाद 2007 में व्यापक पैमाने पर किए गए अध्ययन में पटना, खगड़िय़ा, मुंगेर, बक्सर, भागलपुर, कटिहार, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, भोजपुर तथा बेगूसराय समेत 11 जिलों के भूजल में आर्सेनिक होने की बात सामने आई थी.
आज राज्य के 22 जिलों के पानी में आर्सेनिक पाया जाता है तथा 90 लाख से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं. नालंदा व नवादा दो ऐसे जिले हैं, जहां कभी आर्सेनिक नहीं पाया गया, वहां यूरेनियम पाया गया है. ये दोनों जिले गंगा के किनारे भी नहीं हैं.
वहीं एक अन्य शोध से पता चला है कि बिहार में केवल पेयजल में ही आर्सेनिक मौजूद नहीं है, बल्कि फूड चेन खासकर चावल, गेहूं और आलू में भी यह मौजूद है. यहां तक कि कच्चे चावल की तुलना में पके हुए चावल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा पाई गई. इसलिए पेयजल की गुणवत्ता के साथ-साथ सिंचाई के पानी की भी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है.
(dw.com)
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकरण एनजीटी पर्यावरण को होने वाले नुकसान खुद संज्ञान ले सकता है, और वह सिर्फ इसलिए नहीं बैठा रह सकता कि किसी ने शिकायत नहीं की है.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पास एनजीटी एक्ट के तहत स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है. कोर्ट ने यह भी कहा कि एनजीटी के लिए जो भूमिका निर्धारित है, उसमें वह ऐसा नहीं कर सकता कि जब तक कोई उसका दरवाजा न खटखटाए, वह मूकदर्शक बना देखता रहे.
एनजीटी के स्वत: संज्ञान लेने के मसले पर आई अपीलों पर फैसला देते हुए एएम खानविलकर, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के तहत स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार भी आता है और एनजीटी को संविधान के मामले में अनुच्छेद 21 को लागू कराने के लिए संवैधानिक आदेश के तहत स्थापित किया गया है.
एनजीटी भारत की पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी विशेष न्यायिक संस्था है. पर्यावरण से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए इसे साल 2010 में शुरू किया गया था. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. नियमों के मुताबिक इसके पास आने वाले पर्यावरण संबंधी हर मुद्दे को छह महीने में निपटाना जरूरी होता है.
एनजीटी मजबूत हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया है कि एनजीटी एक ट्राइब्यूनल है और कानून का अंग है और इस तरह यह अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता. इसका मतलब है कि इसके पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति नहीं है और न ही यह मामलों का स्वत: संज्ञान ले सकता है. जानकार मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से एनजीटी की शक्तियां बढ़ी हैं.
भारत में पानी से जुड़ी समस्याओं बारे में काम करने वाले मंथन अध्ययन केंद्र के संस्थापक श्रीपद धर्माधिकारी कहते हैं, "एनजीटी कोर्ट न होकर एक अधिकरण है, जो सिर्फ कानूनी तर्कों के बजाए किसी पर्यावरणीय मामले पर स्थान और स्थिति की गंभीरता के हिसाब से विचार कर सकता है. ऐसे में स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार से बहुत फायदा होगा."
नियुक्तियों में पारदर्शिता जरूरी
ज्यादातर जानकार मानते हैं कि एनजीटी को मिली शक्तियों से तब तक कोई फायदा नहीं होगा, जब तक एनजीटी के सदस्यों के चयन में निष्पक्षता नहीं आती. नियुक्तियों को पारदर्शी बनाना जरूरी है. जानकार यह भी कहते हैं कि एनजीटी में चयन की प्रक्रिया को राजनीतिक दबावों से मुक्त बनाने की जरूरत है. इससे आधी समस्याएं खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगी. साथ ही पेशेवर और विशेषज्ञ लोगों को भी इसमें जगह मिलने लगेगी.
श्रीपद धर्माधिकारी भी भविष्य में एनजीटी की भूमिका को लेकर आशावादी हैं. एनजीटी की उपयोगिता का जिक्र करते हुए वह इसके थर्मल पावर प्लांट्स के प्रदूषण पर नियंत्रण, बांधों पर रोक, गोवा के मोपा एयरपोर्ट जैसे फैसलों का उल्लेख करते हैं. हालांकि वह भी अधिकरण में खाली पड़े पदों पर चिंता जताते हैं. उनका कहना है, "समय पर नियुक्तियां होनी चाहिए. एनजीटी को सिर्फ सरकारी विशेषज्ञों से बचने की जरूरत भी है. ज्यादा अच्छा होगा कि एनजीटी में सभी विशेषज्ञ नौकरशाही से ही न नियुक्त किए जाएं बल्कि इसमें पर्यावरण से जुड़े कुछ निजी क्षेत्र और एनजीओ के लोगों को भी जगह दी जाए."
आम जनता का ध्यान रखना जरूरी
लेकिन नेशनल सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ अमिय कुमार साहू वर्तमान एनजीटी को पर्यावरण का संरक्षण कर पाने के मामले में पर्याप्त नहीं मानते. वह कहते हैं, "एनजीटी के सदस्यों में अब भी विशेषज्ञता की कमी है. इसके चलते कई बार फैसले अनुभवहीन होते हैं. एक ऐसे ही फैसले में मैसूर में हर घर में कचरे का इस्तेमाल कर कंपोस्टिंग का आदेश दे दिया गया. ऐसा कुछ भी कर पाना साधारण लोगों के लिए असंभव होता है. हर कोई कंपोस्टिंग को नहीं समझ सकता. इसलिए एनजीटी में ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत है, जो आम जनता के हिसाब से सुझाव दे सकें."
श्रीपद धर्माधिकारी यह भी कहते हैं कि राजनीतिक दबाव हमेशा रहते हैं लेकिन एनजीटी के लिए इस तरह नियम बनाने की जरूरत है कि इसके अधिकारी किसी भी दबाव में न आएं. जानकार यह भी मानते हैं कि पहले कई बार ऐसा होता रहा है कि एनजीटी बिल्कुल आखिरी समय पर पहुंचता था, जब पर्यावरण को पर्याप्त नुकसान हो चुका होता था. आशा है कि अब स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार मिलने के बाद एनजीटी ऐसे कई नुकसान को रोक पाने में सफल रहेगा. (dw.com)
जयपुर, 20 अक्टूबर | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक नोटिस जारी कर फोन टैपिंग मामले में दिल्ली में पेश होने को कहा है। गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को 22 अक्टूबर को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने तलब किया है। शर्मा को पहले भी दिल्ली आने का नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह नहीं गए थे। उन्हें अब सुबह 11 बजे ई-मेल के जरिए नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। हालांकि, शर्मा इस मामले को लेकर कानूनी राय ले रहे हैं। इससे पहले शर्मा को 24 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह उस वक्त पेश नहीं हुए थे।
शर्मा ने फोन टैपिंग मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में ओएसडी को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
शर्मा के सामने गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को भी जून में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह भी नहीं गए थे।
जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस साल 25 मार्च को फोन टैपिंग का मामला दर्ज कराया था। केस दर्ज कराते हुए शेखावत ने कहा था कि फोन टैपिंग के जरिए उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई है।
शर्मा ने इस एफआईआर को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में अब तक इस मामले की 3 बार सुनवाई हो चुकी है। अभी हाल ही में लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से 13 जनवरी तक राहत मिली है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | इस साल भी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां सीबीएसई ने अपनी बोर्ड परीक्षाओं का शेड्यूल जारी कर दिया है, वहीं आईसीएसई और आईएससी ने कक्षा 10वीं और 12वीं के पहले चरण की बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित करने का निर्णय लिया है। आईसीएसई का कहना है कि अपरिहार्य कारणों एवं कुछ मौजूदा परिस्थितियों के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है। बोर्ड परीक्षाएं स्थगित करने का निर्णय छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए भी लिया है। आईसीएसई 10वीं और आईएससी 12वीं बोर्ड की टर्म वन की परीक्षा को स्थगित किया है।
सितंबर माह में सीआईएससीई ने 10वीं और आईएससी 12वीं बोर्ड के पहले चरण की परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी किया था। इसके तहत 10वीं और 12वीं बोर्ड के पहले चरण की परीक्षा 15 नवंबर, 2021 से शुरू होनी थी।
सितंबर में जारी किए गए कार्यक्रम के मुताबिक आईएससी कक्षा 12वीं की परीक्षा 16 दिसंबर, 2021 को समाप्त होनी थी। आईसीएसई 10वीं की परीक्षा 6 दिसंबर को समाप्त होनी थी। अब इन परीक्षाओं के लिए नया शेड्यूल जारी किया जाएगा। फिलहाल परीक्षाओं की नई तारीख व शेड्यूल घोषित नहीं किया गया है। बोर्ड का कहना है कि इस विषय में आधिकारिक जानकारी जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।
इस वर्ष काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन आईसीएसई का पास प्रतिशत 99.98 फीसदी था। आईसीएसई में लड़कियों और लड़कों दोनों ने 99.98 फीसदी के साथ पास प्रतिशत हासिल किया है।
आईएससी के लिए, लड़कों का पास प्रतिशत 99.86 और लड़कियों का पास प्रतिशत 99.66 फीसदी रहा था। विदेशों में भी 100 फीसदी छात्र उतीर्ण हुए।
सीआईएससीई ने देशभर के 2,19,499 छात्रों का परिणाम जारी किया था। इन 219,499 छात्रों में 1,18,846 लड़के थे जो कुल या 54.14 फीसदी होते हैं। वहीं इनमें 45.86 फीसदी यानी 1,00,653 लड़कियां थी।(आईएएनएस)
आगरा, 20 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के जगदीशपुरा थाने के 'माल खाना' (स्ट्रांगरूम) से 25 लाख रुपये लूटने के आरोपी वाल्मीकि समुदाय के एक सफाई कर्मचारी की हिरासत में मौत होने के बाद वाल्मीकि जयंती पर बुधवार को बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। वाल्मीकि समुदाय ने मृतक के परिवार को दो करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा दिए जाने तक सभी समारोहों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
इस बीच, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित अन्य कांग्रेस नेता वाल्मीकि समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मृतक के परिवार से मिलने गए।
आरोपी अरुण को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। लूटी गई नकदी बरामद करने के लिए पुलिस उसे उसके घर ले जा रही थी, तभी उसकी हालत बिगड़ गई जिसके बाद अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने प्राथमिकी में कहा कि पूछताछ के दौरान लगी चोटों के कारण उसने दम तोड़ दिया।
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज ने कहा कि आरोपी ने कबूल किया है कि चोरी के पैसे उसके घर पर रखे हुए हैं।
पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
शव को एस. एन. मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम वार्ड में रखा गया है, जबकि जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मामले की गहन जांच और मृतक के परिवार को मुआवजे की मांग की है।
नवीनतम रिपोटरें में कहा गया है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रोक दिया गया है, जहां वह अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ धरने पर बैठी थीं।(आईएएनएस)