राष्ट्रीय
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की हिंसक घटना में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास में शामिल हुईं. लखीमपुर हिंसा में मारे गए चार किसानों और पत्रकार रमन कश्यप को श्रद्धांजलि देने के लिए आज तिकुनिया में अरदास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, यूपी कांग्रेस के प्रमुख अजय कुमार लल्लू पहुंचे. वहीं अकाली दल से मनजिंदर सिंह सिरसा पहुंचे. संयुक्त किसान मोर्चा ने नेताओं का आभार जताया लेकिन मंच पर नहीं आने दिया.
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा से पूछताछ शुरू
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा मामले में आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को मंगलवार को अपराध शाखा कार्यालय ले जाया गया, जहां विशेष जांच दल (SIT) उससे गहन पूछताछ कर रही है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अदालत से मंजूरी मिलने पर आशीष मिश्रा को पुलिस हिरासत में लिया गया.
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने सोमवार को बताया कि अदालत (मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी) में आशीष मिश्रा को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजने के लिए शनिवार को अर्जी दी गई थी जिस पर सुनवाई हुई और अदालत ने 12 से 15 अक्टूबर तक उसे पुलिस हिरासत में भेजने के आदेश दिए. उन्होंने बताया कि आशीष मिश्रा का चिकित्सकीय परीक्षण कराया जाएगा और उसे पूछताछ के नाम पर पुलिस प्रताड़ित नहीं करेगी. यादव ने यह भी बताया कि इस दौरान उसके अधिवक्ता मौजूद रहेंगे.
उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के सिलसिले में आशीष मिश्रा को शनिवार को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया और आधी रात के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में लखीमपुर जिला जेल भेज दिया गया. एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप महानिरीक्षक (मुख्यालय) उपेंद्र अग्रवाल ने शनिवार रात मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद पत्रकारों को बताया, ''मिश्रा ने पुलिस के प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दिया और जांच में सहयोग नहीं किया. वह सही बातें नहीं बताना चाह रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है.'' लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: दिल्ली में सीएम अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर छठ पूजा को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे बीजेपी के नेता मनोज तिवारी घायल हो गए. बताया जा रहा है कि वाटर कैनन चलने के दौरान बैरीकेडिंग से गिरने की वजह से उन्हें चोट आई है. उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है. बता दें कि दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा समारोह पर रोक लगाई गई है. इसे लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी कहा है कि ये त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाएगा. डीडीएमए ने कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा समारोह पर रोक लगा दी थी. मनोज तिवारी ने भी इस आदेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने की बात की कही थी.
भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर काम करने वाली सरकारी और निजी कंपनियों को साथ लाने के लिए 'इंडियन स्पेस एसोसिएशन' की शुरुआत की गई है. इसमें इसरो के अलावा टाटा, भारती, और एलएंडटी जैसी बड़ी निजी कंपनियां भी शामिल हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर काम करने वाली सरकारी और निजी कंपनियों को साथ लाने के लिए 'इंडियन स्पेस एसोसिएशन' की शुरुआत की गई है. इसमें इसरो के अलावा टाटा, भारती और एलएंडटी जैसी निजी कंपनियां भी शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर को इस्पा की शुरुआत करते हुए कहा कि इससे "भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को नए पंख मिल गए हैं."
उन्होंने यह भी कहा, "75 सालों से भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र पर सरकारी संस्थानों का वर्चस्व रहा है. इन दशकों में भारत के वैज्ञानिकों ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि भारतीय प्रतिभा पर किसी तरह की पाबंदी ना हो, चाहे वो सरकारी क्षेत्र में हो या निजी क्षेत्र में."
निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका
इस्पा का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र की सरकारी संस्थाओं और निजी कंपनियों को साथ लेकर एक नीतिगत ढांचा तैयार करना है. इसके संस्थापक सदस्यों में एलएंडटी, टाटा समूह की कंपनी नेलको, भारती इंटरप्राइजेज की कंपनी वनवेब, गोदरेज, मैपमाईइंडिया और कई कंपनियां शामिल हैं.
भारत में कई दशकों तक इसरो ही अंतरिक्ष क्षेत्र में अकेले काम करती रही लेकिन हाल के सालों में इस क्षेत्र में कई भारतीय और विदेशी निजी कंपनियां भी सक्रिय हुई हैं. जैसे वनवेब 322 सैटेलाइट लॉन्च कर भी चुकी है. कंपनी की योजना 648 सैटेलाइट लॉन्च करने की है जो धरती से ज्यादा ऊपर नहीं होंगी और संचार व्यवस्था में मदद करेंगी.
कंपनी का लक्ष्य है कि 2022 में इनकी मदद से वो भारत और दुनिया भर में तेज गति और कम विलंब वाली इंटरनेट सेवाएं पहुंचा सके. अमेजॉन और स्पेसएक्स जैसी कंपनियां भी इसी तरह की योजनाओं पर काम कर रही हैं. स्पेसएक्स की तो 1,300 सैटेलाइटें लॉन्च भी की जा चुकी हैं.
वैश्विक व्यवस्था में भारत पीछे
इस समय सैटेलाइट आधारित संचार व्यवस्था का इस्तेमाल कम ही होता है. इसका इस्तेमाल या तो सरकारी संस्थाएं करती हैं या बड़ी निजी कंपनियां लेकिन माना जाता है कि आने वाले सालों में सुदूर इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में इसका बड़ा योगदान रहेगा.
इसरो के मुताबिक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य करीब 360 अरब डॉलर है लेकिन भारत की इसमें सिर्फ दो प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इसरो का अनुमान है कि अगर भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र का और विस्तार किया जाए तो देश 2030 तक इस हिस्सेदारी को बढ़ा कर नौ प्रतिशत तक ले जा सकता है.
कुछ साल पहले हुए एक शोध में कहा गया था कि भारत में हर साल करीब साठ लाख लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं लेकिन इन्हें दर्ज नहीं किया जाता है. (dw.com)
दिल्ली में बीते एक हफ्ते में डेंगू तेजी से फैला है. पिछले एक हफ्ते के दौरान दिल्ली में डेंगू के 139 मामले दर्ज किए गए हैं. इस साल अब तक 480 मामले दर्ज हो चुके हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
दिल्ली में डेंगू हर सप्ताह तेजी से पैर पसार रहा है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा साझा की गई रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 9 अक्टूबर तक डेंगू के 480 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं बीते हफ्ते में डेंगू के कुल 139 मरीज सामने आए हैं. बीते वर्षों की बात करें तो 2019 में जनवरी से इस वक्त तक 467 और 2020 में 316 कुल मामले सामने आए थे. यानी बीते 2 सालों के मुकाबले इस बार सबसे अधिक मामले मिले हैं.
गर्मी और बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया ज्यादा फैलता है. डेंगू से संक्रमित होने पर मरीज के प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है. डेंगू बुखार आने पर सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने लगता है, वहीं आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी, भूख न लगना, गले में दर्द भी होता है.
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा
डेंगू के अलावा दिल्ली में मलेरिया और चिकनगुनिया के 127 और 62 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से अब तक किसी मरीज की मौत नहीं हुई है.
साल 2016 और 2017 में डेंगू के कारण 10-10 मौतें हुई थीं. वहीं 2018, 2019 और 2020 में 4, 2 और 1 मौत हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी नगर निगम में अब तक कुल 141 मामले सामने आए हैं, वहीं उत्तरी निगम क्षेत्र में 114 और पूर्वी निगम क्षेत्र में 56 मामले दर्ज किए गए हैं.
दरअसल डेंगू के मच्छर साफ और स्थिर पानी में पैदा होते हैं, जबकि मलेरिया के मच्छर गंदे पानी में भी पनपते हैं. इस साल में अब तक मामलों की बात करें तो दिल्ली में जनवरी महीने में डेंगू का कोई मामला सामने नहीं आया था, वहीं फरवरी में 2, मार्च में 5, अप्रैल में 10 मामले दर्ज किए गए थे.
दरअसल डेंगू व चिकनगुनिया के मच्छर ज्यादा दूर तक नहीं जाते हैं. हालांकि जमा पानी के 50 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों के लिए परेशानी हो सकती है.
दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि यह मौसम मच्छरों की ब्रीडिंग के लिए अनुकूल है. ना तो अभी मौसम सर्द है और ना ही ज्यादा गर्मी. ऐसे मौसम में ही डेंगू के मच्छरों की ब्रीडिंग तेजी से हो रही है. (dw.com)
केरल में 28 साल के एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की हत्या का दोषी पाया गया है. अदालत ने इस व्यक्ति के अपराध को 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' करार दिया.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
28 साल के सूरज को कोल्लम जिला अदालत ने अपनी पत्नी की हत्या का दोषी पाया है. उस पर आरोप था कि उसने पिछले साल मई में सांप से कटवाकर अपनी पत्नी की हत्या की. जज ने कहा कि यह ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मामला है. सूरज को सजा बुधवार को सुनाई जानी है.
क्राइम ब्रांच ने इस मामले की गहन जांच की थी क्योंकि मृतक महिला उथारा के परिजनों ने सूरज के व्यवहार पर संदेह जताया. पुलिस के मुताबिक पत्नी की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद सूरज ने उसके नाम पर दर्ज संपत्तियों को हासिल करने की कोशिश की.
दूसरी बार कोशिश
पुलिस ने चार्जशीट में कहा था कि सूरज उथारा से छुटकारा चाहता था और उसका धन व सोना पाकर किसी और से शादी करना चाहता था. पुलिस के मुताबिक इसके लिए सूरज एक बार पहले भी उथारा की हत्या की कोशिश कर चुका था.
फरवरी 2020 में भी उथारा पर उसने वाइपर सांप से हमला करवाया था. तब सांप के काटने के बावजूद उथारा बच गई थी. वह एक महीना अस्पताल में रहकर आई थी.
दोनों बार सूरज को सांप अपने एक दोस्त से मिले थे जो सांप पकड़ने का काम करता है. पुलिस ने बताया कि इस बार सूरज ने कोबरा सांप से हमला किया, और उथारा की जान चली गई.
राज्य के पुलिस महानिदेशक अनिल कांत ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह वाकई एक बेहद विलक्षण मामला था जिसमें आरोपी को हालात के आधार पर दोषी पाया गया. उन्होंने मीडिया से कहा, "यह एक मिसाल है कि कैसे हत्या के एक मामले को वैज्ञानिक और पेशवराना तरीके से जांच करके हल किया गया.”
कांत ने अपने पुलिस अफसरों को बधाई दी जिन्होंने फॉरेंसिक सबूतों, फाइबर डेटा और सांप के डीएनए की गहन जांच की.
सांप से हत्या के मामले
सांप से हत्या कराने के मामले भारत में तेजी से बढ़े हैं. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले पर टिप्पणी की थी. राजस्थान के एक मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने कहा था, "यह एक नया चलन है कि लोग किसी सपेरे से जहरीले सांप ले आते हैं और उससे कटवाकर व्यक्ति की हत्या कर डालते हैं. राजस्थान में यह बहुत बढ़ रहा है.”
यह मामला राजस्थान के झुनझुनूं जिले का है, जहां तीन व्यक्तियों पर हत्या का आरोप है. इनमें से एक आरोपी कृष्ण कुमार के वकील आदित्य चौधरी ने अदालत से पूछा, "क्या यह संभव है कि जहां अपराध हुआ, आरोपी उस जगह के आसपास भी ना हो हत्या करने का हथियार भी ना मिले, और फिर भी वह दोषी हो?”
चौधरी को जवाब देते हुए जस्टिस कांत ने कहा कि यह संभव है, अगर हथियार एक सांप हो. जस्टिस कांत के अलावा चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस हिमा कोहली की इस बेंच ने कृष्ण कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी.
कुमार पर आरोप है कि वह मुख्य आरोपी के साथ सपेरे के पास गया और दस हजार रुपये में सांप खरीदा. 2019 में यह मामला सुर्खियों में रहा था जब एक महिला पर अपनी बहू को सांप से कटवाकर मारने का आरोप लगा.
हर साल हजारों मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में पिछले दो दशकों में भारत में दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत सांप के काटने से हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2019 के बीच 12 लाख लोग सांप के काटने से मारे गए, यानी औसतन सालाना 58,000 लोग. इनमें से आधे से ज्यादा लोगों की आयु 30 से 69 साल के बीच थी.
सांप के काटने से मरने वाले लोगों में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात में हुई है. 2014 के बाद ऐसी घटनाओं में कमी आई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है कि 2030 तक सांप के काटने से दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या आधी की जाए. इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. (dw.com)
केंद्रीय मंत्री रहे दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान खूब चर्चा में हैं. ऐसा क्या हुआ कि सभी पार्टियां उनको अपना बता रही हैं? उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग भी उठ गई है.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट
बिहार के राजनीतिक गलियारे में आजकल फिर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) चर्चा में है और सामने है बिहार विधानसभा की दो सीटों, तारापुर व कुशेश्वर स्थान में होने वाला उपचुनाव. जाहिर है, बात दलित वोटों की है इसलिए पार्टियों का सक्रिय व सजग होना लाजिमी है.
एलजेपी के संस्थापक व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के समय उनके पुत्र चिराग पासवान द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का घटक दल होने के बावजूद एकला चलो की रणनीति पर अमल करते हुए कई सीटों पर जनता दल यूनाइटेड की हार का सबब बनने से एलजेपी चर्चा में थी.
इसके बाद यह पार्टी चर्चा में तब आई जब रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का असली वारिस घोषित करने की होड़ में पार्टी टूट गई. एक गुट के मुखिया बने उनके भाई पशुपति पारस तो दूसरे गुट के प्रमुख बने उनके बेटे चिराग पासवान. दोनों में यह साबित करने की होड़ मच गई कि असली वारिस वे ही हैं.
मामला निर्वाचन आयोग में गया. दोनों को नया नाम व चुनाव चिन्ह दिया गया है. पुत्र होने के नाते चिराग का दावा तो है ही, लेकिन पशुपति पारस भी कहते रहे हैं कि मैं ही रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का असली उत्तराधिकारी हूं, चिराग तो अपने पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी हैं
दिल्ली में राहुल गांधी, पटना में नीतीश कुमार
बीते आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान की पहली पुण्यतिथि मनाई गई. भाई पशुपति पारस ने इस मौके पर पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया तो बेटे चिराग पासवान ने दिल्ली स्थित सरकारी आवास 12 जनपथ में. दोनों के बीच शक्ति प्रदर्शन की ऐसी होड़ थी कि दोनों ने ही बड़े नेताओं को आमंत्रित किया था.
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अन्य नेताओं के अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह तथा राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी के साथ पहुंचे. सभी ने पासवान के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद चिराग ने इसे लेकर ट्वीट भी किया.
रामविलास पासवान को मौसम विज्ञानी की संज्ञा देने वाले लालू प्रसाद ने उनकी पहली पुण्यतिथि पर उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर दी. दरअसल, इसी बहाने वे बीजेपी व जदयू को पर्दे के बाहर लाने की जुगत में हैं. वहीं पटना में आयोजित कार्यक्रम में उनके भाई व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के निमंत्रण पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी पहुंचे. उन्होंने पासवान के साथ छात्र जीवन के अपने संबंधों की चर्चा भी की.
इससे पहले हिंदू कैलेंडर के हिसाब से बीते 12 सितंबर को केंद्रीय मंत्री पासवान की पहली बरसी पटना में मनाई गई थी. इस आयोजन से नीतीश कुमार समेत जदयू नेताओं ने दूरी बना ली थी जबकि बड़ी संख्या में भाजपा नेता शामिल हुए थे. इसकी वजह थे आयोजनकर्ता चिराग पासवान. हालांकि, एलजेपी में टूट के बावजूद चिराग ने चाचा पशुपति पारस को आमंत्रित किया था और वह इसमें शामिल भी हुए.
क्यों जरूरी हैं रामविलास?
दरअसल, एलजेपी के संस्थापक व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान बिहार में दलितों के एकछत्र नेता थे. 1971 में जब इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था, तभी से दलित वोटरों को लुभाने की राजनीति शुरू हुई थी. इसके बाद के दौर में पासवान ने दलितों तथा अन्य जातियों को लेकर राजनीति की.
इस दरम्यान भोला पासवान शास्त्री और रामसुंदर दास की लोकप्रियता में कमी आई और रामविलास पासवान बिहार में दलितों के नायक बनकर उभरे. बिहार के खगडिय़ा जिले के शहरबन्नी गांव में जन्मे रामविलास पासवान पुलिस की नौकरी छोडकर राजनीति में आए थे.
वह पहली बार 1969 में कांग्रेस विरोधी मोर्चा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से खगड़िया की अलौली (सुरक्षित) विधानसभा सीट से विधायक बने तथा 1977 में पहली बार सांसद बने. इसी साल देश की जनता इनके नाम से परिचित हुई. वजह थी रिकार्ड मतों से हुई जीत. इसके बाद अगले चार दशक तक वह राष्ट्रीय राजनीति में छाए रहे. केवल 1984 तथा 2009 में उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था.
1996 में पहली बार पासवान जनता दल की सरकार में केंद्र में मंत्री बने. वह ऐसे इकलौते राजनेता हैं जो छह प्रधानमंत्रियों यथा वीपी सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह तथा नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री रहे. हर सरकार में चाहे वह जनता दल की सरकार रही हो या कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए गठबंधन की या फिर भाजपा नीत एनडीए की, सभी में उन्होंने अपनी जगह बनाई.
पासवान ने श्रम, खदान, रसायन व उर्वरक, रेलवे, संचार तथा खाद्य व उपभोक्ता मामलों जैसे विभिन्न मंत्रालयों को संभाला. उनके इसी कौशल पर तंज कसते हुए कभी उनके साथी रहे और फिर विरोधी बन गए लालू प्रसाद यादव ने उन्हें राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा था. लंबे समय तक अपने वोट बैंक को साथ जोड़े रखने के संदर्भ में राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं, ‘‘ऐसा नहीं है कि उन्होंने दलितों को लेकर कभी कोई बड़ा आंदोलन किया. किंतु उन्होंने उस समय खुलकर आवाज उठाई जब दलितों के अधिकार पर किसी तरह का खतरा मंडराने का अंदेशा हुआ हो.''
करीब 50 साल से अधिक समय तक विधायक व सांसद रहे पासवान का राज्य के दलितों खासकर दुसाध (पासवान) और मुसलमानों में खासा आधार था जो अंत समय तक उनके साथ बना रहा. पासवान वोट का ध्रुवीकरण उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई थी. पत्रकार अनूप श्रीवास्तव कहते हैं, ‘‘जिस राजनेता के पास छह फीसद से ज्यादा वोट रहेगा, उसे कौन पार्टी दरकिनार करने का हिम्मत करेगी! रामविलास पासवान की लंबी पारी का कारण उनका एकमुश्त वोट बैंक व जनता के प्रति सह्दय व्यवहार ही रहा. उनसे कोई नाराज नहीं रहा, इसलिए दलित के अलावा सवर्ण व पिछड़ों का साथ भी उन्हें मिलता रहा.''
वैशाली जिले के महनार निवासी शिक्षाविद अरुण सिंह कहते हैं, ‘‘रेल मंत्री रहते हुए उनके काम को याद कीजिए. हाजीपुर में उन्होंने रेलवे का क्षेत्रीय मुख्यालय बनवा दिया. जनता के हित में खासकर अपने इलाके के लोगों के लिए वे हमेशा आगे बढ़कर काम करवाने में विश्वास रखते थे.''
पासवान के वोट बैंक पर सबकी नजर
जाहिर है, रामविलास पासवान को अपना बताने वाले सभी दलों की नजर दरअसल बिहार के छह फीसद पासवान वोटरों पर है. आज भी इस तबके का झुकाव रामविलास पासवान की पार्टी की ओर ही है.
नीतीश कुमार ने जब महादलित वर्ग बनाया तो उसमें पासवान जाति को शामिल नहीं किया. बाद में रामविलास पासवान के कहने पर 2018 में इस जाति को महादलित का दर्जा दिया. अब जब पशुपति पारस का झुकाव नीतीश कुमार की ओर है तब इसका फायदा जदयू को मिल सकता है.
वहीं तेजस्वी भी चिराग को अपना इसलिए बता रहे कि उन्हें पता है कि अगर पासवान वोट का कुछ हिस्सा भी उन्हें मिल गया तो उनकी जीत की राह थोड़ी आसान हो जाएगी. लोजपा में टूट के बाद राजद को प्रदेश की सियासत में उलटफेर की संभावना दिख रही थी. इसलिए हमदर्दी जताते हुए तेजस्वी ने चिराग को भाई तक कहा.
यही हाल बीजेपी का है. उसे सवर्णों के करीब 14 फीसद वोट का भरोसा है और इसी के साथ वह हिंदुत्व के साथ ओबीसी का कार्ड खेल रही है. अगर पासवान का वोट मिल जाए तो जीत तय हो सकती है. जानकारों का कहना है कि इसी कारण बीजेपी दोतरफा खेल रही है. पशुपति पारस को एक तरफ केंद्रीय मंत्री बना दिया तो वहीं दूसरी तरफ चिराग पासवान के भी हर आयोजन में बीजेपी उनके साथ खड़ी हो जाती है.
साफ है, पार्टी चिराग को भी नाराज नहीं करना चाहती है. चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच की जंग भी इसी वोट बैंक को लेकर है. उन्हें अच्छी तरह पता है कि इसी के सहारे रामविलास पासवान ने 50 वर्षों तक राजनीति की और इस वोट बैंक की सहानुभूति उनके निधन के बाद भी कायम रह सकती है.
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर साल भर से चल रहे गतिरोध का अंत अभी भी नजर नहीं आ रहा है. दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत का ताजा दौर भी विफल हो गया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में पैट्रोलिंग पॉइंट 15 (पीपी 15) पर भारत और चीन की सेनाएं अभी भी एक दूसरे के सामने डटी हुई हैं. इस गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर पर बातचीत के 12 दौर हो चुके हैं. रविवार 10 अक्टूबर को इसी बातचीत का 13वां दौर आयोजित किया गया, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही.
सोमवार 11 अक्टूबर को दोनों पक्षों ने अलग अलग बयान जारी कर एक दूसरे पर बातचीत के विफल होने का आरोप लगाया. भारत ने कहा कि यथास्थिति को बदलने की चीन की एकतरफा कोशिशें गतिरोध के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि चीन का कहना था कि भारत को बड़ी मुश्किल से हासिल की गई मौजूदा स्थिति को संजो कर रखना चाहिए.
'एकतरफा कोशिशें'
भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "बैठक में भारतीय पक्ष ने बाकी बचे इलाकों के समाधान के लिए रचनात्मक सुझाव दिए लेकिन चीनी पक्ष ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और अपनी तरफ से भविष्य की तरफ देखने वाला कोई प्रस्ताव भी नहीं दिया."
चीन की सेना पीएलए के पश्चिमी कमांड के प्रवक्ता लॉन्ग शाओहुआ ने कहा, "भारतीय पक्ष अनुचित और अवास्तविक मांगों पर अड़ा रहा जिसकी वजह से बातचीत मुश्किल हो गई." लॉन्ग ने यह भी कहा कि "स्थिति का गलत आकलन करने की जगह भारतीय पक्ष को मुश्किल से हासिल की हुई इस स्थिति को संजो कर रखना चाहिए."
फरवरी में दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो झील के पास से कुछ इलाकों से अपनी अपनी सेनाओं को पीछे ले लेने का निर्णय लिया था. हॉट स्प्रिंग्स, डेपसांग तराई और डेमचोक इलाकों में ऐसा अभी तक नहीं हो पाया है. इससे पहले जब भी बातचीत बेनतीजा रही है तब दोनों पक्षों ने इसके बारे में साझा बयान जारी किए हैं.
आमने सामने
यह पहली बार है जब इस तरह के अलग अलग और एक दूसरे पर आरोप लगाने वाले बयान जारी किए गए हैं. पीपी 15 पर एलएसी के पार भारत के इलाके के अंदर अभी भी चीनी सेना की एक टुकड़ी तैनात है. भारत का दावा है कि चीन भारत को उत्तर में स्थित डेपसांग तराई में अपने ही पांच पैट्रोलिंग बिंदुओं तक नहीं पहुंचने दे रहा है.
डेपसांग तराई भारतीय वायु सेना के दौलत बेग ओल्डी हवाई अड्डे के पास स्थित है, इसलिए यह भारत के लिए काफी संवेदनशील है. अनुमान है कि पूरे इलाके में दोनों सेनाओं के लगभग 50,000 सैनिक हथियारों, तोपों, आर्टिलरी बंदूकों, और हवाई सुरक्षा उपकरणों के साथ तैनात हैं.
भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने हाल ही में कहा था कि चीन इलाके में निर्माण कर रहा है "वहां रहने का इरादा रखता है." उन्होंने यह भी कहा था, "अगर वो यहां जमे रहने के लिए आए हैं तो हम भी जमे रहेंगे. हमारी तरफ भी वैसी ही तैनाती और निर्माण किया गया है जैसा उस तरफ पीएलए ने किया है."
(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर बीजेपी के भीतर भी विवाद बढ़ता दिख रहा है.
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से लोकसभा सांसद वरुण गाँधी अपनी ही पार्टी की सरकार को इस मुद्दे पर लगातार घेरते दिख रहे हैं.
शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उन्होंने वरुण गाँधी को बुलाकर बात की थी. नड्डा ने ये भी कहा था कि अब इस मामले सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन रविवार को वरुण गाँधी ने एक और ट्वीट किया, जिससे पता चलता है कि सब कुछ ठीक नहीं हुआ है.
अपने ट्वीट में वरुण गाँधी ने लिखा है, "लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश हो रही है. ये न सिर्फ़ अनैतिक है बल्कि झूठ भी है. ऐसा करना ख़तरनाक है और उन जख़्मों को कुरेदने जैसा है, जिन्हें ठीक होने में पीढ़ियाँ लगीं. हमें तुच्छ राजनीति को राष्ट्रीय एकता के ऊपर नहीं रखना चाहिए."
ज़ाहिर है कि केंद्र और राज्य दोनों में बीजेपी की ही सरकार है और वरुण गाँधी की ये शिकायत व्यवस्था से ही है.
वरुण गांधी किसानों के आंदोलन को लेकर अपनी सरकार को संवेदनशीलता से हल करने की सलाह दे चुके हैं.
वे गन्ना के समर्थन मूल्य को लेकर भी राज्य सरकार पर निशाना साधते रहे हैं और तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत को लेकर वो लगातार ट्विटर पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने घटना का एक वीडियो ट्वीट करते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की थी.
हालांकि वरुण गाँधी पार्टी में लंबे समय से हाशिए पर ही हैं. उनकी माँ मेनका गाँधी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थीं लेकिन दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी.
गुरुवार सात अक्टूबर को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नामों की लिस्ट जारी हुई तो उसमें ना तो वरुण गांधी का नाम था और ना ही उनकी माँ मेनका गांधी का. बीजेपी के इस फ़ैसले को पार्टी की वरुण गाँधी से नाराज़गी के तौर पर देखा जा रहा है.
सिर्फ़ ट्विटर पर ही सक्रिय हैं वरुण गांधी?
कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि वरुण को किसानों के समर्थन में ट्विटर से आगे सड़क पर उतरना चाहिए.
कांग्रेस पार्टी की नेता अलका लांबा इसे लकर पहले ही सवाल उठा चुकी हैं.
शुक्रवार आठ अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने वरुण गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था, ''मैं वरुण गाँधी को सुझाव दूँगी कि अगर वह लखीमपुर खीरी में कुचले गए किसानों के लिए अपनी लड़ाई को लेकर ईमानदार हैं, तो उन्हें ट्विटर पर लड़ाई लड़ने के बजाय भाजपा छोड़कर सड़कों पर उतरना चाहिए और अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए.''
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारतीय जनता पार्टी के नेता को कांग्रेस में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही हैं तो लांबा ने कहा, ''मैं उन्हें कोई निमंत्रण देने वाली नहीं हूँ, यह वरुण गांधी का फ़ैसला होगा.''
किसान संगठनों ने भी हिंदू-सिख हिंसा की बात कही थी
किसान संगठनों ने किसानों से 12 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकुनिया गाँव में जुटने का आह्वान किया है. किसान संगठन के कार्यक्रम को लेकर दो दिन पहले सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं ने आपसी विमर्श किया था.
इससे पूर्व सिंघु बॉर्डर पर हुई चर्चा में शामिल अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने बाद में पत्रकारों से कहा था कि तीन अक्टूबर रविवार को तिकुनिया में कम से कम 20,000 लोग जमा हुए होंगे. उस समय हिंदुओं और पंजाबी सिखों के बीच दंगा भड़क सकता था. किसान नेता राकेश टिकैत ने इसे रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने अजय मिश्रा और दूसरे बीजेपी नेताओं पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साज़िश का आरोप भी लगाया था.
बीजेपी में वरुण गांधी का घटता क़द
वरुण भाजपा में साल 2004 में शामिल हुए थे. उन्हें उस वक़्त भाजपा की मुख्य रणनीतिकारों लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन का पूरा समर्थन प्राप्त था.
महाजन ने वरुण और मेनका के भाजपा के साथ आने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए दावा किया था कि केवल गांधी ही कांग्रेसी गांधी का मुक़ाबला कर सकते हैं.
महाजन की भविष्यवाणी 2009 के चुनावों में कुछ ही हद तक साकार होती दिखी जब सोनिया और राहुल गांधी के सेकुलर विचारों के बरअक्स वरुण ने कथित कम्युनल ब्रांड को बढ़ावा देना शुरू किया और पार्टी को कुछ चुनावी फ़ायदा हुआ.
लेकिन उसके बाद भी भाजपा वरुण को बढ़ावा देती रही. पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह 'एकजुटता दिखाने के लिए' जेल में जाकर उनसे मिले थे.
भाजपा के किसी नेता ने वरुण के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोला. हालाँकि कुछ नेता अंदरख़ाने उनके भड़काऊ बयानों के राजनीतिक परिणामों को लेकर खीझते रहे.
राजनाथ सिंह ने उन्हें पार्टी का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त करने के साथ ही उन्हें अपने तरीक़े से काम करने की पूरी आज़ादी भी दी.
लेकिन राजनाथ के बाद अध्यक्ष बने नितिन गडकरी ने 2012 के विधान सभा चुनावों में वरुण के पर कतर दिए. तब कहा जा रहा था कि वरुण अपनी छवि पार्टी से बड़ी बनाने की कोशिश कर रहे थे.
भाजपा में ऐसे नेता भी थे, जो वरुण के 'नेहरू-गांधी विरासत' से बहुत प्रभावित नहीं थे. नरेंद्र मोदी और अमित शाह ऐसे ही नेताओं में थे. इस वक़्त पार्टी की कमान इन्हीं दोनों के हाथ में है. (bbc.com/hindi)
तमिलनाडु की दुकानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को "बैठने का अधिकार" मिल गया है. तमिलनाडु ऐसा कानून लाने वाला दूसरा राज्य बन गया है. इससे पहले केरल यह नियम लागू कर चुका है.
तमिलनाडु में लागू हुआ "बैठने का अधिकार" खासकर महिला कर्मचारियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. वे कई-कई घंटों तक खड़े हो कर दुकानों और रिटेल स्टोर में काम करती हैं. चेन्नई के एक रिटेल स्टोर में काम करने वाली एस लक्ष्मी को हर रोज करीब 10 घंटे खड़े होना पड़ता था. जब वह घर लौटतीं तो वह थकान से चूर हो जातीं और उनकी एड़ियों में दर्द होता.
पिछले महीने तमिलनाडु दूसरा भारतीय राज्य बना जो कानूनन रिटेल स्टोर और दुकानों में कर्मचारियों को "बैठने का अधिकार" देता है. कानून के मुताबिक स्टोर मालिकों से कहा गया है कि वे कर्मचारियों की बैठने की व्यवस्था करें और कर्मचारियों को काम के दौरान जब भी संभव हो आराम करने का मौका दें.
पिछले 10 सालों से कपड़े के स्टोर में काम करने वाली 40 साल की लक्ष्मी कहती हैं, "अब तक इन शिफ्ट के दौरान एकमात्र आराम का समय हमें 20 मिनट के लंच ब्रेक में मिलता था. हमारे दुखते पैरों को सहारा देने के लिए हम कुछ पल के लिए शेल्फ के सहारे आराम कर लेते थे."
वह कहती हैं, "ग्राहक नहीं होने पर भी हमें फर्श पर बैठने की इजाजत नहीं होती."
भारत में कई दुकानों और रिटेल स्टोर्स में काम करने वाले कर्मचारियों को खड़े होकर काम करना होता है. यह एक ऐसा नियम हो जो समान रूप से सभी कर्मचारियों पर लागू होता है.
तमिलनाडु समेत दक्षिणी राज्यों में बड़े परिवार द्वारा आभूषण, साड़ी और कपड़ों के रिटेल स्टोर चलाए जाते हैं. वे महिला ग्राहकों की सेवा के लिए कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को काम पर रखते हैं.
साल 2018 में करेल ने इसी तरह का कानून लागू किया था. टेक्सटाइल स्टोर में काम करने वाले कर्मचारियों ने इस अधिकार को लेकर प्रदर्शन किया था. अधिकार समूहों का कहना है कि श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए यह देर से उठाया गया स्वागत योग्य कदम है.
कामकाजी महिला समन्वय के तमिलनाडु राज्य संयोजक समिति की एम धनलक्ष्मी कहती हैं, "यह लंबे समय से लंबित मांग थी." वह कहती हैं, "जब से वे काम पर जाने के लिए बस में चढ़ती हैं, तब तक 12-14 घंटे की शिफ्ट के बाद घर लौटती हैं वे मुश्किल से बैठ पाती हैं. वे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझती हैं और उन्हें लगातार तनाव में काम करना पड़ता है. यह नियम लंबे समय से लंबित था."
केरल से शुरू हुआ आंदोलन
पेशे से दर्जी पी विजी ने केरल में बैठने का अधिकार आंदोलन को शुरू किया है. उन्होंने यूनियन का गठन किया, यह खासकर ऐसे कर्मचारियों के लिए था, जो असंगठित क्षेत्र जैसे कि दुकानों में सहायक के तौर पर काम करते हैं.
विजी कहती हैं, "चूंकि महिलाओं को काम पर बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, इसलिए वे अपने सिर पर कुर्सियां लेकर विरोध में चल पड़ीं." वे तमिलनाडु के नए कानून को लेकर उत्साहित हैं.
विजी कहती हैं, "लेकिन असली परीक्षा इसको लागू करना है. एक संघ के रूप में हम लगातार दुकानों की जांच करते हैं और शिकायत दर्ज करते हैं यदि (बैठने की) सुविधाएं नहीं हैं. कानून का कोई मतलब नहीं है अगर इसे लागू नहीं किया जाता है."
तमिलनाडु के श्रम सचिव आर किर्लोश कुमार कहते हैं कि इंस्पेक्टर जांच करने दुकानों पर जाएंगे ताकि कानून को लागू किया जा सके. वह कहते हैं, "हम इसे श्रमिकों के लिए एक प्रमुख कल्याणकारी उपाय के रूप में देखते हैं और स्टोर मालिकों की तरफ से कानून का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे."
"लंबा सफर अभी बाकी"
यूनियन नेताओं और महिला अधिकार आंदोलनकर्ताओं का कहना है कि बैठने में सक्षम नहीं होना दुकान के कर्मचारियों के सामने आने वाली दैनिक कठिनाइयों में से एक है. दुकान सहायकों को अक्सर न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किया जाता है और उन्हें सप्ताह के सातों दिन काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्हें प्रबंधकों द्वारा निरंतर निगरानी में और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है. आरोप तो यह भी लगते हैं कि महिला कर्मचारियों को बाथरूम के इस्तेमाल से भी रोका जाता है.
धनलक्ष्मी कहती हैं, "बैठने का अधिकार उन मांगों में से एक है जो पूरी हो गई हैं. लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना है." वह कहती हैं, "उचित वेतन, उचित टॉयलेट ब्रेक और कम निगरानी की लड़ाई जारी है जबकि दुकान मालिक सीसीटीवी कैमरों को सही ठहराते हैं यह कहते हुए कि यह ग्राहकों द्वारा चोरी को रोकता है. वे असल में इसका इस्तेमाल कर्मचारियों पर जासूसी करने के लिए करते हैं."
वह कहती हैं, "दुकानों का माहौल गला घोंटनेवाला है."
केरल में यूनियन सीसीटीवी निगरानी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं. यूनियन के सदस्य कहते हैं कि इसका इस्तेमाल कर्मचारियों को आपस में बात करने या कुछ समय के लिए अपनी जगह छोड़ने के लिए दंडित करने के लिए किया जाता है.
एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद किसानों के आंदोलन के समर्थन में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में बंद बुलाया है. राज्य सरकार ने घोषणा की है कि आपात सेवाओं के अलावा राज्य में सब कुछ एक दिन के लिए बंद रहेगा.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
राज्य में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी गठबंधन सरकार के घटक दलों शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी ने खुद ही एक प्रेस वार्ता करके बंद के आयोजन के बारे में जानकारी दी थी. बंद का आह्वान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हाल ही में हुई घटना की पृष्ठभूमि में किया जा रहा है.
तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में गाड़ियों के एक काफिले ने कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचल दिया था, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई थी. इन गाड़ियों में से कम से कम एक गाड़ी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की थी.
सरकारी 'बंद'
मौके पर मौजूद कई चश्मदीद गवाहों ने कहा है कि यह गाड़ी मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा चला रहा था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने आशीष के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है और उसे गिरफ्तार कर लिया है.
महाराष्ट्र बंद के बारे में बताते हुए शिव सेना नेता संजय राउत ने पत्रकारों से कहा, "गठबंधन की तीनों पार्टियां सक्रिय रूप से बंद में हिस्सा लेंगी. लखीमपुर खीरी में जो हुआ वो संविधान की हत्या थी, कानून का उल्लंघन था और देश के किसानों को मारने की एक साजिश थी."
बंद के तहत पूरे राज्य में दुकानों को बंद रखने की योजना है. व्यापारियों के कई संगठनों ने बंद को समर्थन देने का फैसला किया है. मुंबई में भी दुकानें बंद रहेंगी. बस, ऑटो और टैक्सी सेवाएं भी बाधित होने की खबरें आ रही हैं, लेकिन लोकल ट्रेनें चल रही हैं.
बीजेपी ने बंद का विरोध किया है और चेतावनी भी दी है कि अगर व्यापारियों को दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया गया तो पार्टी इसका विरोध करेगी.
निष्पक्ष जांच की जरूरत
कांग्रेस ने इसके अलावा इस मुद्दे को लेकर अलग से राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन की भी घोषणा की है. पार्टी ने सभी राज्यों में अपनी प्रदेश इकाइयों से राज भवन या केंद्र सरकार के कार्यालयों के आगे मौन व्रत का आयोजन करें.
पार्टी ने मांग की है लखीमपुर खीरी वारदात में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ साथ केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त भी किया जाना चाहिए.
इस बीच आशीष मिश्रा को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि आशीष से पूछताछ करने वाले एसआईटी ने बताया कि वारदात के दिन वो कहां था इस बारे में उसने स्पष्ट जवाब नहीं दिए हैं.
चश्मदीद गवाहों ने यह भी दावा किया है कि आशीष ने किसानों पर गोली भी चलाई थी. कुछ खबरों में यह भी बताया गया है कि उसकी गाड़ी से खाली कारतूस भी बरामद हुए थे और और वो इनके बारे में भी एसआईटी को स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया.
उसके खिलाफ लगे सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच हो पाए इसके लिए उसके पिता के मंत्रिपद छोड़ देने की मांग भी भी जोर पकड़ रही है. (dw.com)
भारत सरकार ने बिजली संकट की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि उसके पास पर्याप्त कोयला है. पिछले कई दिनों से कोयला बिजली संयंत्रों के पास ईंधन खत्म हो जाने की खबरें आ रही हैं.
भारत सरकार ने कहा है कि पावर प्लांट्स की मांग पूरी करने के लिए उसके पास पर्याप्त कोयला है. रविवार को एक बयान जारी कर भारत सरकार ने कहा कि बिजली का संकट नहीं होने जा रहा है.
केंद्र सरकार ने कहा कि कोयला बिजली संयंत्रों के पास 72 लाख टन कोयला भंडार हैं जो चार दिन के लिए पर्याप्त हैं. इसके अलावा सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड के पास भी चार करोड़ टन कोयला भंडार होने की बात कही गई है.
कोयला मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा, "बिजली कटौती की आशंकाएं बेवजह हैं.” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोयला संकट के चलते दिल्ली को बिजली कटौती झेलनी पड़ सकती है, जिसके बाद केंद्र को यह सफाई देनी पड़ी.
क्यों है कोयले का संकट
भारत में हाल के महीनों में कई इलाकों में बिजली की भारी समस्या रही है. देश के कोयला संयंत्रों के पास सितंबर के आखिर में सिर्फ चार दिन का कोयला बचा था, जो कई दशकों में सबसे कम है.
दुनिया में दूसरे सबसे ज्यादा कोयला उपभोग करने वाले देश भारत में कोयले की इस कमी की बड़ी वजह चीन में हो रही बिजली कटौती है. चीन के बिजली संकट के कारण फैक्ट्रियां काम नहीं कर पा रही हैं और उत्पादन प्रभावित होने से वैश्विक सप्लाई पर असर पड़ा है.
भारत में जरूरत की 70 प्रतिशत बिजली कोयले से बनाई जाती है. इसके लिए तीन चौथाई ईंधन स्वदेशी ही होता है. लेकिन मॉनसून की भारी बारिश ने कोयला खदानों में पानी भर दिया है और परिवहन को भी प्रभावित किया है, जिसके चलते कोयले की कमी हो गई है और कीमतें आसमान छू रही हैं.
हालांकि केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि मांग में तेज बढ़त और भारी मॉनसून के बावजूद "घरेलू सप्लाई ने बिजली उत्पादन को बड़ा समर्थन बनाए रखा है.”
बायोमास का इस्तेमाल
कोयले की सप्लाई के अलावा भारत ने बिजली उत्पादन का स्तर बनाए रखने के लिए और भी कई कदम उठाए हैं. मसलन कुछ कोयला बिजली संयंत्रों में बायोमास का इस्तेमाल अनिवार्य बना दिया गया है. इसका मकसद कृषि के कचरे से बिजली बनाकर वायु प्रदूषण को कम करना है.
शुक्रवार को बिजली मंत्रालय ने यह फैसला किया था जिसके तहत तीन श्रेणियों के थर्मल पावर प्लांट में कोयले के साथ 5 प्रतिशत बायोमास मिलाने की बात कही गई है.
उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में किसान फसल की कटाई के बाद बचे हिस्से को जलाकर खेत साफ करते हैं. इससे इलाके में वायु प्रदूषण होता है, जिसे लेकर पिछले दो-तीन साल से काफी चिंता जताई जा रही है. सरकार इसे कोयला संयंत्रों में इस्तेमाल करना चाहती है.
बायोमास के इस्तेमाल पर एक केंद्रीय नीति भी बनाई गई है जो अगले साल अक्टूबर से लागू हो जाएगी. इस नीति के तहत दो श्रेणियों के कोयला बिजली संयंत्रों को अगले दो साल में बायोमास का इस्तेमाल 7 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा.
बिजली मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "(कोयले के साथ) बायोमास जलाने की नीति 25 साल तक या फिर प्लांट की आयु पूरी होने तक, जो भी पहले खत्म हो तब तक लागू रहेगी.”
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
जब से चीन के साथ लद्दाख में भारत का हिंसक सीमाविवाद हुआ है, चीन लगातार अपनी गतिविधियों से भारत को परेशान कर रहा है. एक ओर सैनिक अधिकारियों की बातचीत हो रही है तो दूसरी ओर चीनी सैनिक जब चाहे भारतीय सीमा में घुस रहे हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
रविवार को भारत और चीन के सेनाधिकारियों के बीच सीमा पर तनाव घटाने के लिए 13 वें राउंड की वार्ता हुई. बातचीत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल कही जाने वाली सीमा के चीनी इलाके में स्थित मोल्डो में हुई. कमांडर रैंक के अधिकारियों के बीच यह बातचीत सुबह साढ़े दस बजे शुरू होकर शाम करीब सात बजे तक चली.
बातचीत का पिछला दौर करीब दो महीने पहले हुआ था जिसके बाद दोनों पक्ष गोर्गा या पैट्रोल पॉइंट-17ए से पीछे हटने को सहमत हुए थे. रविवार को हुई बातचीत के केंद्र में हॉट स्प्रिंग्स और दिप्सांग में बढ़ा तनाव रहा लेकिन बातचीत का ब्यौरा नहीं दिया गया.
भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन प्रतिनिधि थे, जो लेह स्थित चौदहवीं कॉर्प्स के कमांडर हैं. यही टुकड़ी लद्दाख में एलएसी पर तैनात है. चीन की तरफ से मेजर जनरल लू लिन ने कमान संभाली थी.
लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद चीनी सेना अब पूर्वोत्तर सीमा पर अपनी गतिविधियां लगातार तेज कर रही है. बीते दिनों उसके अरुणाचल प्रदेश से लगी तिब्बत की सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक तक रेलवे लाइन और हाइवे समेत दूसरे आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की खबरें आई थी. उसके बाद भारतीय सीमा में गांव बसाने के आरोप भी सामने आए थे.
स्थानीय नेता चीन पर लगातार नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश करने के आरोप लगाते रहे हैं. इससे पहले चीनी सेना ने पांच भारतीय युवकों का अपहरण भी कर लिया था. उनको राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद 12 दिनों बाद रिहा किया गया. चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता है और उसे दक्षिणी तिब्बत बताता है.
ताजा मामला
एक ताजा मामले में चीनी सेना के करीब दो सौ जवान तवांग सेक्टर में भारतीय सीमा में घुस आए थे. वहां भारतीय जवानों के साथ उनकी हाथापाई भी हुई. लेकिन बाद में स्थानीय कमांडरों के स्तर पर मामला सुलझा लिया गया और चीनी जवानों को वापस भेज दिया गया. लेकिन इलाके में चीन की लगातार बढ़ती गतिविधियों ने सामरिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है.
चीन की लगातार घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने भी देर से ही सही, ताजा घुसपैठ वाले तवांग के यांगत्से इलाके समेत आसपास के इलाकों में सड़कों का आधारभूत ढांचा मजबूत करने की पहल की है.
सितंबर महीने के आखिरी दिनों में उत्तराखंड में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरें आई थीं और अब उसके एक सप्ताह के भीतर ही अरुणाचल से भी ऐसी ही खबर सामने आई है. कोलकाता में सेना की पूर्वी कमान के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "बीते सप्ताह चीनी सैनिक नियंत्रण रेखा पार कर भारत की तरफ आ गए थे.
वहां भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई. कुछ घंटे बाद तय प्रोटोकॉल के हिसाब से मसले को सुलझा लिया गया." अधिकारी का कहना है कि चीन ने कभी भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को मान्यता नहीं दी है. इसी वजह से उसके सैनिक अक्सर सीमा पार भारतीय इलाके में घुस जाते हैं. लेकिन ऐसे विवादों को स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाता रहा है.
तवांग की अहमियत
लेकिन आखिर अरुणाचल प्रदेश और खासकर तवांग इलाके में चीन की बढ़ती गतिविधियों की वजह क्या है? चीन वैसे तो पूरे अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है. तवांग की सामरिक तौर पर खासी अहमियत है. राजधानी ईटानगर से करीब 450 किलोमीटर दूर स्थित तवांग अरुणाचल प्रदेश का सबसे पश्चिमी जिला है. इसकी सीमा तिब्बत के साथ भूटान से भी लगी है. तवांग में तिब्बत की राजधानी ल्हासा के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती बौद्ध मठ है.
तिब्बती बौद्ध केंद्र के इस आखिरी सबसे बड़े केंद्र को चीन लंबे अरसे से नष्ट करना चाहता है. वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी तवांग ही लड़ाई का केंद्र था. इस मठ की विरासत चीन और भारत के बीच विवाद का केंद्र रही है. पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने अपनी किताब 'चॉइस इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' में बताया है कि बीजिंग ने लंबे समय से यह साफ कर दिया है कि वह तवांग को चाहता है. लेकिन सरकार बीजिंग की इस मांग का लगातार विरोध करती रही है.
बढ़ती गतिविधियां
गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से ही चीन ने पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर अपनी गतिविधियां असामान्य रूप से बढ़ा दी हैं. बांध से लेकर हाइवे और रेलवे लाइन का निर्माण हो या फिर भारतीय सीमा के भीतर से पांच युवकों के अपहरण का मामला, चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
कुछ महीने पहले यह बात भी सामने आई थी कि चीन पीएलए में सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले भारतीय युवाओं को भर्ती करने का प्रयास कर रहा है. उसके बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने केंद्र से सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत परियोजनाओं का काम तेज करने का अनुरोध किया था ताकि बेरोजगारी और कनेक्टिविटी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके.
चीन ने सीमा से 20 किमी के दायरे में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य किया है. तिब्बत की राजधानी ल्हासा से करीब सीमा तक नई तेज गति की ट्रेन भी शुरू हो गई है. उससे पहले उसने एक हाइवे का निर्माण कार्य भी पूरा किया था. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बीते एक साल के दौरान चीनी सैनिकों के सीमा पार करने की कई घटनाओं की सूचना मिली है. लेकिन वह इलाका इतना दुर्गम है कि हर जगह सेना की तैनाती संभव नहीं है और सूचनाएं भी देरी से राजधानी तक पहुंचती हैं.
अरुणाचल की चिंता
राज्य के बीजेपी सांसद तापिर गाओ कहते हैं, "राज्य से सटी सीमा को सही तरीके से चिन्हित करना ही इस समस्या का एकमात्र और स्थायी समाधान है." चीन की सक्रियता का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार ने हाल में इलाके में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने का काम शुरू किया है. इसके तहत ब्रह्मपुत्र पर नए ब्रिज के अलावा सुरंग और सड़कें बनाने का काम शुरू हुआ है. लेकिन इन परियोजनाओं का काम काफी धीमा है. तवांग के एक सरकारी अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, "दुर्गम भौगोलिक स्थिति और प्रतिकूल मौसम की वजह से परियोजनाओं का काम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है."
सामरिक विशेषज्ञ जीवन दासगुप्ता कहते हैं, "केंद्र सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेकर इसके स्थायी समाधान की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए ताकि चीन के मंसूबों से समय रहते निपटा जा सके. साथ ही सीमावर्ती इलाकों में विकास और आधारभूत परियोजनाओं को शीघ्र लागू करना भी जरूरी है.” (dw.com)
वाराणसी (यूपी), 10 अक्टूबर | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का शंखनाद कर दिया है। काशी से चुनाव प्रचार का आगाज करते हुए प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। वाराणसी में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए प्रियंका ने किसानों और गरीबों के साथ अन्याय के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों पर हमला बोला।
उन्होंने कहा, "दो साल पहले, सोनभद्र में भूमि विवाद में 13 आदिवासी मारे गए थे। इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ नेता शामिल थे और लोगों ने कहा कि उन्हें न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। मैं वहां गई और पीड़ित परिवारों के लोगों ने कहा कि वह न्याय चाहते हैं।"
प्रियंका ने कहा कि फिर महामारी आई और हमने लोगों को बिना ऑक्सीजन, बिना दवा के मरते देखा। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार मदद करेगी, लेकिन कोई मदद नहीं की गई और इसी उम्मीद में कई लोगों की जान चली गई।
उन्होंने कहा, "इसके बाद हाथरस में अपराध हुआ और सरकार ने आरोपी को बचा लिया और पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला। लखीमपुर में भी ऐसा ही हुआ है, जहां एक मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल दिया और सरकार आरोपियों को बचा रही है।"
प्रियंका गांधी ने घोषणा की है कि कांग्रेस लखीमपुर मुद्दे पर तब तक लड़ाई जारी रखेगी, जब तक कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी घटना की निष्पक्ष जांच की अनुमति देने के लिए अपना इस्तीफा नहीं सौंप देते।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में कहीं भी पुलिस आरोपी को अपना बयान दर्ज करने के लिए निमंत्रण नहीं भेजती है, लेकिन लखीमपुर में मंत्री के बेटे को बयान देने के लिए निमंत्रण दिया गया। क्या ऐसे ही इंसाफ होता है?"
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सफाई कर्मचारियों के रूप में काम करने वाले दलितों का अपमान किया है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा, "मैं लखनऊ के एक वाल्मीकि मंदिर में गयी और झाडू लगाया। मैं दलित बस्ती के लोगों से मिली और हर परिवार ने मुझसे कहा कि उनके बच्चे शिक्षित हैं, लेकिन उनके पास कोई रोजगार नहीं है। आज प्रधानमंत्री के 'करोड़पति' दोस्त हर दिन हजारों करोड़ कमा रहे हैं, लेकिन इस देश के लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने लिए दो विमान खरीदे हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 8,000 करोड़ रुपये है। दोनों विमानों की कीमत 16,000 करोड़ रुपये है, लेकिन अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में बेचा गया है।"
उन्होंने कहा कि किसान ही देश के असली 'गंगापुत्र' हैं, लेकिन दुनिया भर की यात्रा करने वाले प्रधानमंत्री को दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लोगों से बात करने का भी समय नहीं मिला है।
प्रियंका ने कहा कि सीमाओं की रक्षा करने वाले किसानों के बेटे ही हमारी सुरक्षा और आजादी सुनिश्चित करते हैं।
प्रियंका ने कहा, "यह देश एक उम्मीद है। गांधी जी ने गरीबों के लिए स्वतंत्रता और न्याय की आशा की थी, लेकिन आज न्याय और आशा केवल उनके लिए है जो भाजपा, उनके नेताओं और उनके दोस्तों के साथ हैं। देश को बर्बाद किया जा रहा है और मीडिया का इस्तेमाल एक अभियान बनाने के लिए किया जा रहा है, जो दिखाता है कि सब ठीक है। हम अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे और उन्हें हमें न्याय दिलाने के लिए मजबूर करेंगे, जैसे हम आजादी के लिए लड़े थे।"
इससे पहले प्रियंका काशी विश्वनाथ मंदिर और दुर्गा मंदिर गईं, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने अगले साल इंग्लैंड के बमिर्ंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से हटने के हाकी इंडिया के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह फैसला महासंघ अकेले नहीं ले सकता है।
रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय खेल मंत्री ठाकुर ने कहा कि इस तरह के बड़े फैसले की घोषणा करने से पहले सरकार से सलाह लेनी चाहिए थी।
ठाकुर ने कहा, मुझे लगता है कि किसी भी महासंघ को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए। उन्हें पहले सरकार के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए। यह महासंघ की टीम नहीं जा रही है। यह देश की टीम है जो एक कार्यक्रम के लिए जाती है। मेरा मानना है कि हॉकी इंडिया को सरकार और खेल विभाग से परामर्श करना चाहिए।
हॉकी इंडिया ने हाल ही में कोविड -19 चिंताओं और देश के यात्रियों के लिए यूके के भेदभावपूर्ण क्वारंटीन नियमों का हवाला देते हुए, अगले साल के बमिर्ंघम राष्ट्रमंडल खेलों से अपनी पुरुष और महिला टीमों को वापस लेने की पुष्टि की।
भारतीय ओलंपिक संघ (आईएओ) के प्रमुख नरिंदर बत्रा को लिखे पत्र में, एच आई के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने 'भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों' का हवाला दिया जो 'भारत के खिलाफ पक्षपाती' हैं, यह खेल इवेंट को रद्द करने के कारणों में से एक हैं।
एसआई ने यह भी तर्क दिया कि बमिर्ंघम गेम्स (जुलाई 28 से अगस्त 8 तक) और हांग्जो में (10 सितम्बर से 25 सितम्बर तक) खेला जाने वाला एशियाई खेलों के बीच केवल 32 दिनों का अंतराल है। एशियाई खेल 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक के लिए एक सीधा क्वालीफायर है।(आईएएनएस)
चेन्नई, 10 अक्टूबर | तमिलनाडु जल संसाधन विभाग ने रविवार को चेन्नई उपनगरों में भारी बारिश के बाद बाढ़ की चेतावनी जारी की है। विभाग का कहना है कि पूंडी और सत्यमूर्ति सागर जलाशय, जो चेन्नई के लिए मुख्य पेयजल स्रोत है, वे खतरे के निशान से ऊपर तक पहुंच सकते है। बढ़ते जल स्तर के साथ, जलाशय ने रविवार को दोपहर 2 बजे से अधिशेष पानी छोड़ना शुरू कर दिया है।
विभाग ने तिरुवल्लुर जिले के प्रशासन को पहले ही मनाली और एन्नोर में रहने वाले लोगों सहित कोसाथालियार नदी के किनारे के करीब रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगह पर स्थानांतरित होने को कह दिया गया है।
विभाग के एक बयान के अनुसार, पूंडी बांध का भंडारण स्तर 35 फीट है और पानी के 34 फीट की ऊंचाई को छूने की उम्मीद है।
रविवार को जलस्तर पहले ही 33.95 फीट तक पहुंच चुका है और अगर लगातार बारिश के कारण प्रवाह में और वृद्धि हो रही है, जिससे चरणों में और पानी छोड़ा जाएगा।
आईएमडी ने रविवार और सोमवार के लिए चेन्नई और कांचीपुरम, चेंगलपट्टू और तिरुवल्लूर जिलों सहित उपनगरों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की शनिवार को होने वाली बैठक से पहले पार्टी में जी-23 नेताओं और कांग्रेस नेतृत्व के बीच सुलह की कोशिश तेज हो गई है। सीडब्ल्यूसी, जो पार्टी का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, उसकी बैठक में संगठनात्मक चुनावों को मंजूरी देने की संभावना है, जो कि असंतुष्ट ग्रुप से जुड़े नेताओं की प्रमुख मांग है। प्रियंका गांधी वाड्रा दूतों के जरिए दूसरे खेमे तक पहुंच रही हैं। कमलनाथ असंतुष्ट समूह से बात कर रहे हैं और प्रियंका भी भूपिंदर हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को लखीमपुर खीरी हिंसा के विरोध में शामिल करके जी -23 तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। वह अपनी रैली के लिए जूनियर हुड्डा को वाराणसी भी ले गई हैं।
सुलह के संकेत कांग्रेस के उस पत्र से मिले हैं, जिसे पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी कांड पर एक ज्ञापन सौंपने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का समय मांगा है। पत्र के हस्ताक्षरकतार्ओं में राहुल गांधी के बाद दूसरे नंबर पर गुलाम नबी आजाद शामिल हैं। गुलाम नबी आजाद जी-23 नेताओं में से एक हैं।
कांग्रेस पिछले साल अगस्त 2020 से आंतरिक अंतर्कलह से घिरी हुई है, जब सोनिया गांधी को ²श्यमान और प्रभावी नेतृत्व के लिए एक पत्र लिखा गया था। पिछले महीने गुलाम नबी आजाद ने फिर सोनिया गांधी को सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने के लिए पत्र लिखा था और अब कांग्रेस आलाकमान ने 16 अक्टूबर को बैठक बुलाई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने हाल ही में कहा था, हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है, इसलिए हमें नहीं पता कि सभी निर्णय कौन ले रहा है। हम इसे जानते हैं, फिर भी हम नहीं जानते, मेरे किसी वरिष्ठ सहयोगी ने शायद लिखा है या सीडब्ल्यूसी की तत्काल बैठक बुलाने के लिए अंतरिम अध्यक्ष को पत्र लिखने वाला है ताकि बातचीत शुरू की जा सके।
लखीमपुर खीरी कांड के बाद जी-23 ने अपने बयानों में नरमी ला दी है। जी-23 के नेताओं में से एक आनंद शर्मा ने गांधी परिवार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के उन किसानों के साथ करुणा और एकजुटता के साहसी कार्य की सराहना करते हैं, जिनके बेटे मारे गए थे। शोक संतप्त किसानों के लिए न्याय के लिए लड़ने के लिए एक ईमानदार और प्रतिबद्धता जताई, जिसे कानून के शासन का सम्मान करने वाले सभी लोगों का समर्थन करना चाहिए।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 10 अक्टूबर | पंजाब एक बार फिर बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की विभिन्न सहायक कंपनियों की ओर से अपर्याप्त ईंधन आपूर्ति के चलते पंजाब के ताप संयंत्रों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जानकारी रविवार को राज्य के अधिकारियों ने दी।
अधिकांश संयंत्रों में एक-दो दिनों के जीवाश्म ईंधन का भंडारण बचा है और इस वजह से वे न्यूनतम क्षमता पर काम कर रहे हैं।
कोयले की कमी को दूर करने के लिए राज्य भर में रोजाना तीन से चार घंटे तक बिजली कटौती की गई है।
मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह बिजली संकट से निपटने के लिए कोटा के अनुसार राज्य को कोयले की आपूर्ति तुरंत मुहैया कराए।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को कोयले की आपूर्ति में कमी के बीच बिजली की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि अपर्याप्त कोयला प्राप्त होने के कारण सभी थर्मल प्लांट बिजली की पूरी क्षमता से उत्पादन करने में असमर्थ हैं।
हालांकि, उन्होंने धान की फसलों की सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति देने के लिए अपनी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया। हालांकि, उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ ग्रिड अनुशासन बनाए रखने के लिए शहरों और गांवों में घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली कटौती की जा रही है।
इससे पहले पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक ए. वेणु प्रसाद ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि देशभर के थर्मल प्लांट कोयले की कमी और कोयले की आपूर्ति के संकट से जूझ रहे हैं।
राज्य के भीतर, स्वतंत्र बिजली उत्पादक (आईपीपी) संयंत्रों के पास दो दिन से भी कम समय कोयला यानी नाभा पावर लिमिटेड (1.9 दिन), तलवंडी साबो पावर प्रोजेक्ट (1.3 दिन), जीवीके (0.6) दिन का ईंधन बचा है। कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा आपूर्ति आवश्यकताओं के अनुसार नहीं है।
पीएसपीसीएल प्लांट्स यानी गुरु गोबिंद सिंह सुपर थर्मल पावर प्लांट और गुरु हरगोबिंद थर्मल प्लांट में भी सिर्फ दो दिनों के कोयले के स्टॉक में कमी आई है।
इन सभी संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति विभिन्न कोल इंडिया की सहायक कंपनियों द्वारा उनके साथ इन संयंत्रों के ईंधन आपूर्ति समझौतों के अनुसार की जाती है, लेकिन वर्तमान में प्राप्ति आवश्यक स्तर से काफी नीचे है।
पिछले साल किसानों के विरोध के कारण एक महीने से अधिक समय तक मालगाड़ियों के न चलने के कारण राज्य के ताप संयंत्रों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ा था।(आईएएनएस)
जम्मू, 10 अक्टूबर | नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने रविवार को पार्टी पद से इस्तीफा दे दिया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और एमओएस (पीएमओ) जितेंद्र सिंह के छोटे भाई राणा की गिनती एनसी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में होती थी।
पार्टी से उनके जाने को यहां एनसी के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
पिछले कई दिनों से डॉ फारूक अब्दुल्ला और एनसी के कुछ अन्य नेताओं द्वारा अनुनय-विनय के बावजूद, राणा एनसी छोड़ने के लिए दृढ़ थे। उनका दावा है कि जम्मू क्षेत्र में रहने वाले लोगों के हितों की रक्षा के लिए ये फैसला किया गया है।
राणा के करीबी सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि उनके सोमवार को दिल्ली में एक अन्य वरिष्ठ एनसी नेता सुरजीत सिंह सलाथिया के साथ भाजपा में शामिल होने की संभावना है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | देश भर में उर्जा संकट इस महीने और गंभीर हो गया जब पावर प्लांट्स के लिए इंधन की सप्लाई में कमी आ गई। इस संकट की वजह से आने वाले दिनों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के पहिये ठप हो गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत में देश के 135 थर्मल प्लांट में औसतन सिर्फ चार दिनों के कोयले के स्टॉक बचा है, जो अगस्त की शुरूआत में 13 दिनों के कोयले के स्टॉक से कम है। नियम के मुताबिक, थर्मल प्लांटों में 22 दिनों का कोयला स्टॉक रखना अनिवार्य है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु राज्यों में कई संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। दिल्ली में राज्य के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि अगर कोयले की आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो दिल्ली में दो दिन में बिजली गुल हो जाएगी।
बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी ऐसे समय में आई थी जब कोल इंडिया का उत्पादन, जो देश की लगभग 80 प्रतिशत ईंधन जरूरतों को पूरा करता है, इस साल लंबे मानसून के कारण घट गया था। हालांकि सीआईएल का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल इसकी आपूर्ति कहीं भी निचले स्तर पर नहीं है। बिजली क्षेत्र के सूत्रों ने कहा कि समस्या भी बढ़ रही है क्योंकि कर्ज में डूबी राज्य इकाईयों द्वारा बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए अधिक कोयला खरीदने जहमत कम उठाई गई।
मुंबई स्थित डेलॉइट टौच तोहमात्सु में पार्टनर देबाशीष मिश्रा ने कहा, आर्थिक सुधार के कारण बिजली की मांग में वृद्धि, कई महीने से मौसमी कोयला आपूर्ति में कमी, राज्य जेनकोस के पास मानसून से पहले 22 दिनों के कोयले के स्टॉक को स्टोर करने की वित्तीय क्षमता नहीं है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले और एलएनजी की हाई स्पॉट प्राइस हैं। ये सभी इस तनावपूर्ण स्थिति को पैदा करने वाले कारक हैं।
घरेलू कमी को पूरा करने के लिए, विदेशों से कोयला खरीदने का विकल्प उपलब्ध है, लेकिन कोविड के बाद दुनिया भर में बिजली की मांग में वृद्धि ने ईंधन स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त रुचि पैदा की है जिसने वैश्विक कोयले की कीमतों को बढ़ा दिया था। इंडोनेशियाई कोयले की आयातित कोयले की कीमत मार्च, 2021 में 60 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 160 डॉलर प्रति टन (सितंबर / अक्टूबर, 2021 में) 5,000 जीएआर (प्राप्त के रूप में सकल) कोयले की हो गई है। आयात प्रतिस्थापन और आयातित कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण 2019-20 की तुलना में कोयले के आयात में कमी आई है। इतना ही नहीं, ऑस्ट्रेलियाई गैर-कोकिंग कोयले की कीमत 200 डॉलर प्रति टन से अधिक है।
इसके अलावा, चरम मौसम की घटनाएं भी खेल खराब कर रही हैं। चीन के शीर्ष कोयला उत्पादक प्रांत ने भारी बारिश और बाढ़ के कारण 27 खानों में उत्पादन को निलंबित कर दिया, जिससे देश में ऊर्जा संकट पर और दबाव बढ़ गया। चीन कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। नवीकरणीय ऊर्जा में पर्याप्त वृद्धि की कमी और प्राकृतिक गैस की आसमान छूती कीमतें भी वैश्विक ऊर्जा संकट को बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। किसी भी कीमत पर विश्व स्तर पर उपलब्ध ईंधन के सभी उपलब्ध स्रोतों को सुरक्षित करने का चीन का निर्णय विश्व बाजार में कमी और कीमतों में तेजी से उछाल पैदा कर रहा है।
चार बड़ी ऑडिट फर्मों में से एक के बिजली क्षेत्र के विश्लेषक ने कहा दुनिया भर में हो रहे बदलाव अब भारतीय बाजारों पर भी असर कर रहे हैं। कोविड महामारी में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेज वृद्धि ने पिछले तीन महीने में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु जैसे प्रमुख औद्योगिक राज्यों के साथ बिजली की मांग को 14-20 प्रतिशत के बीच बढ़ते हुए देखा है।
थर्मल प्लांटों में कोयले की सूची अगले मार्च तक धीरे-धीरे ही सुधरेगी। क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए यह दो साल के औसत 18 दिनों की तुलना में 10 दिनों के आसपास रहेगा।
इसका मतलब यह होगा कि आयात से समर्थन के अभाव में ईंधन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोल इंडिया के साथ भारतीय त्योहारी सीजन के दौरान संकट जारी रहेगा।
बिजली मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि बिजली संयंत्र के अंत में कोयले के भंडार में कमी के चार कारण हैं - अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि; सितंबर के दौरान कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदानों से कोयले के प्रेषण पर प्रतिकूल प्रभाव; आयातित कोयले की कीमतों में अभूतपूर्व उच्च स्तर तक वृद्धि के कारण आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में पर्याप्त कमी आई जिससे घरेलू कोयले पर अधिक निर्भरता हुई और चौथा, मानसून की शुरूआत से पहले पर्याप्त कोयला स्टॉक जमा नहीं करना।
कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश की कोयला कंपनियों के भारी बकाया के पुराने मुद्दे भी हैं।
कोविड की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में उछाल के कारण बिजली की मांग और खपत में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। बिजली की दैनिक खपत प्रति दिन 4 अरब यूनिट (बीयू) से अधिक हो गई है और 65 प्रतिशत से 70 प्रतिशत मांग कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन से ही पूरी हो रही है, जिससे कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को दो मामलों - आईएसआईएस वॉयस ऑफ हिंद और टीआरएफ मामले को लेकर कश्मीर घाटी में 16 स्थानों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर, अनंतनाग, कुलगाम और बारामूला में कुल नौ जगहों पर छापेमारी जारी है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान कई पथराव करने वाले लोगों और भारत विरोधी तत्वों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
पिछले 2-3 दिनों में श्रीनगर में 70 युवाओं को हिरासत में लिया गया है और पूरे कश्मीर में कुल 570 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
तीन दिन पहले अल्पसंख्यकों पर हुए आतंकी हमले के ठीक बाद सुरक्षा बलों ने भारत विरोधी तत्वों पर ये कार्रवाई की है।
पिछले दिनों नकाबपोश उग्रवादियों का एक समूह कश्मीर के एक स्कूल में शिक्षकों की धार्मिक पहचान जानने का बहाना बनाकर घुस गया था।
पुलिस के अनुसार, फिर उन्होंने दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों को अलग कर दिया और उन्हें गोली मार दी।
श्रीनगर में गुरुवार को हुई हत्याएं घाटी में बड़े पैमाने पर हिंदू और सिख नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए हमलों की श्रृंखला में नवीनतम थीं।
तीन दशक पहले आतंकवाद के बढ़ने से कश्मीरी पंडितों सहित धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों को खदेड़ने की घटनाएं चिंताजनक हैं।
वॉयस ऑफ हिंद पत्रिका के अनुसार, आईएसआईएस आतंकी संगठन फरवरी 2020 से ऑनलाइन मासिक भारत को अधार बनाकर पत्रिका जारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य घाटी में मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाना है।
द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) मामले में एनआईए छापेमारी करके लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी संगठनों की जांच कर रही है।
कश्मीर में टीआरएफ कमांडर सज्जाद गुल के घर पर भी छापेमारी की गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | भारत ने पिछले 24 घंटों के दौरान 18,166 नए कोविड मामले दर्ज किए, जिससे देश के संक्रमण के मामलों को 3,39,53,475 तक पहुंचा दिया गया। इस दौरान 214 और लोगों की मौतों के साथ मरने वालों की संख्या 4,50,589 तक पहुंच गई। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय रविवार को दी है।
देश भर में कोरोना के सक्रिय मामले 5,672 घटकर 2,30,971 हो गए, जो 208 दिनों में सबसे कम है।
पिछले 24 घंटों की अवधि में, 23,624 लोग कोरोना के संक्रामक वायरस से उबर गए, इसके साथ ही बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की 3,32,71,915 तक हो गई।
इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कहा कि अब तक 58.25 करोड़ (58,25,95,693) नमूनों का कोरोनावायरस के लिए परीक्षण किया गया है। इसमें से शनिवार को 12,83,212 लोगों का परीक्षण किया गया।
देश ने अब तक 94,70,10,175 लोगों का टीकाकरण किया है, जिनमें से 66,85,415 लोगों को पिछले दिनों टीका लगाया गया है। (आईएएनएस)
पटना, 10 अक्टूबर | बिहार देश के उन कुछ राज्यों में शामिल है जहां अपराधी पुलिस कर्मियों पर खुलेआम और दिनदहाड़े हमला करने से नहीं हिचकिचाते हैं। बिहार में पुलिस टीमों पर हमले के कई उदाहरण हैं जहां शराब माफिया, रेत माफिया, बाहुबली (बलवान), कुख्यात अपराधियों के अलावा राजनीतिक नेता पुलिस पर हमला करने में शामिल होते है।
3 अक्टूबर को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के लखपत बीघा गांव में एक शराब माफिया ने छापेमारी कर एक एसएचओ समेत छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
गोविंदपुर थाने के एसएचओ नरेंद्र प्रसाद ने कहा कि हमें पता चला कि लखपत बीघा में एक देशी शराब निर्माण इकाई चालू थी। हमने छापेमारी की और शराब इकाई में मौजूद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। जब हम थाने लौट रहे थे, तो महिलाओं सहित शराब माफिया ने हम पर हमला कर दिया।
शराब माफिया ने गांव की बिजली काट दी और पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। उन्होंने पुलिस कर्मियों को डंडों और लोहे की रॉड से भी पीटा। वे गिरफ्तार लोगों को पुलिस वैन से छुड़ाने में सफल रहे। शराब निर्माण इकाई को बुधन यादव और उनके पिता राम बृक्ष यादव चलाते थे।
उसी दिन (3 अक्टूबर) को सीतामढ़ी जिले में एक नवनिर्वाचित मुखिया (ग्राम प्रधान) के समर्थकों ने एक पुलिस दल पर पथराव किया और उन्हें डंडों से भी पीटा।
वहीं नानपुर थाना क्षेत्र के गौरी गांव में योगेंद्र मंडल के समर्थक डीजे बजाकर उनकी जीत का जश्न मना रहे थे। जब अन्य ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की, तो एएसआई आरके यादव के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गांव पहुंची और जश्न मनाने वालों से आवाज कम करने को कहा, लेकिन उन पर हमला कर दिया गया।
हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिला एसपी प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि वर्तमान में उपलब्ध वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान चल रही है। उसके अनुसार मामला दर्ज किया जाएगा।
पटना पुलिस और नगर निगम की एक संयुक्त टीम पर मलाही पकड़ी इलाके में भी हमला किया गया, अतिक्रमणकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और उन पर डंडों, बेसबॉल बैट और हॉकी स्टिक से पीटा भी।
अतिक्रमणकारियों को सड़क से हटाने के लिए मौके पर पुलिस की टीम पहुंची थी। ग्रामीणों ने हालांकि दावा किया कि वे कई वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे थे और पुलिस दल यहां उनकी झोपड़ियों को हटाने के लिए आए थे।
बिहार पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक इस साल अगस्त में पुलिस टीमों पर हमले के 24 मामले सामने आए। एडीजी (कानून व्यवस्था) विनय कुमार की अध्यक्षता में बिहार पुलिस की मासिक बैठक में यह खुलासा हुआ है।
गया, वैशाली और नालंदा जिलों में तीन-तीन मामले दर्ज किए गए। नवादा, औरंगाबाद और बेगूसराय में दो-दो और पूर्णिया, खगड़िया, बांका, बाघा, दरभंगा, गोपालगंज, सीवान, कटिहार और मुजफ्फरपुर जिलों में एक-एक मामला दर्ज किया गया।
हमने जिलों के सभी एसपी और एसएसपी को पुलिस कर्मियों पर हमले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हर जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना बेहद जरूरी है ताकि ऐसी घटनाएं न हों। हमने शीर्ष से भी पूछा है हर जिले के अधिकारी शराब निर्माण इकाइयों पर छापेमारी, बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई या आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने से पहले पूरी तैयारी सुनिश्चित करें।
एडीजी ने कहा कि बड़े छापे के मामले में, डीएसपी रैंक के अधिकारियों को छापेमारी टीमों का नेतृत्व करना चाहिए और अधिकारियों को एसपी और एसएसपी को अग्रिम रूप से छापे की सूचना देनी चाहिए। हमने आरोपियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई और मुकदमा चलाने की भी मांग की है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर | पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रविवार को लगातार छठे दिन एक बार फिर तेजी दर्ज की गई, जिसके बाद कीमतें नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत में 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई। कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गए हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर सवालिया निशान लग गया है।
दिल्ली में पेट्रोल 104.14 रुपये प्रति लीटर और डीजल 92.82 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। दूसरी ओर, भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में, पेट्रोल 29 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया और इसकी दर 110.12 रुपये प्रति लीटर हो गई, जो सभी चार मेट्रो शहरों में सबसे अधिक है। मुंबई में एक लीटर डीजल की कीमत 37 पैसे की बढ़ोतरी के साथ 100.66 रुपये है।
पिछले छह दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच रही हैं। 4 अक्टूबर, 2021 को पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन उसके बाद दैनिक वृद्धि देखी गई।
डीजल की कीमतें अब पिछले 17 दिनों के बाद लगातार बढ़ रहीं हैं, जिससे दिल्ली में इसकी खुदरा कीमत 4.20 रुपये प्रति लीटर हो गई है। डीजल की कीमत में पहले 20-30 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई थी लेकिन बुधवार से यह 35 पैसे प्रति लीटर की दर से बढ़ रही है।
डीजल की कीमत तेजी से बढ़ने के साथ, देश के कई हिस्सों में ईंधन अब 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर उपलब्ध है। यह संदिग्ध अंतर पहले पेट्रोल के साथ था जो कुछ महीने पहले देश भर में 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर गया था।
पेट्रोल की कीमतों में 5 सितंबर से स्थिरता बनी हुई थी, लेकिन तेल कंपनियों ने पिछले सप्ताह से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी को देखते हुए आखिरकार अपने पेट्रोल पंप पर कीमतें बढ़ा दीं।
तेल विपणन कंपनियों ने कीमतों में कोई संशोधन करने से पहले वैश्विक तेल स्थिति पर कीमतों पर अपनी नजर बनाए रखने को प्राथमिकता दी थी। यही वजह है कि पिछले तीन हफ्ते से पेट्रोल की कीमतों में संशोधन नहीं किया गया है। लेकिन वैश्विक तेल मूल्य आंदोलन में अत्यधिक अस्थिरता ने अब ओएमसी को वृद्धि को प्रभावित करने के लिए प्रेरित किया है।
देश भर में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 30-40 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई, लेकिन राज्य में स्थानीय करों के स्तर के आधार पर उनकी खुदरा दरें भिन्न थीं।
देश में ईंधन की कीमतें इस साल अप्रैल से इसकी खुदरा दरों में 41 वृद्धि के कारण रिकॉर्ड स्तर पर मंडरा रही हैं। यह कुछ मौकों पर गिरा लेकिन काफी हद तक स्थिर रहा है।
कच्चे तेल की कीमतें तीन साल के उच्च स्तर 82 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चढ़कर बढ़ रही हैं। 5 सितंबर से, जब पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में संशोधन किया गया था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत अगस्त के दौरान औसत कीमतों की तुलना में लगभग 9-10 डॉलर प्रति बैरल अधिक है।
तेल कंपनियों द्वारा अपनाए गए मूल्य निर्धारण फामूर्ले के तहत, उनके द्वारा दैनिक आधार पर पेट्रोल और डीजल की दरों की समीक्षा और संशोधन किया जाना है। नई कीमतें सुबह छह बजे से प्रभावी हो गई हैं।
कीमतों की दैनिक समीक्षा और संशोधन पिछले 15 दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क ईंधन की औसत कीमत और विदेशी विनिमय दरों पर आधारित है। (आईएएनएस)
आजमगढ़, 10 अक्टूबर | इलाके में एक कथित दुष्कर्म पीड़िता ने थाने में जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इस मामले में पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। यह घटना शनिवार को हुई, जिसके बाद स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) चुन्ना सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि मेहनाजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली महिला का हाल ही में कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था।
उसके पति ने दावा किया कि उसने उसी गांव के अनिल की आरोपी के रूप में पहचान की थी, लेकिन पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई करने में विफल रही।
एसपी ने कहा, "थाना प्रभारी चुन्ना सिंह को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।"
पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने कई बार पुलिस से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
शनिवार को महिला थाने पहुंची और बाद में जहर खा लिया। एसपी ने कहा कि उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के प्रमुख और आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव ने घटना को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "आजमगढ़ में दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से आहत एक महिला ने थाने में आत्महत्या कर ली। यह बहुत दुख की बात है!"
उन्होंने आगे कहा, "यह घटना भाजपा सरकार के मुंह पर तमाचा है, जो आम आदमी को न्याय दिलाने का लंबा-चौड़ा दावा करती है। सरकार को दोषी पुलिस अधिकारियों और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।" (आईएएनएस)
भोपाल, 10 अक्टूबर | मध्य प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के सोशल मीडिया के ट्विटर अकाउंट से छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत मंत्री के मीडिया समन्वयक ने पुलिस की अपराध शाखा में की है। बताया गया है कि नगरीय प्रशासन मंत्री के ट्विटर एकाउंट से शनिवार को छेड़छाड़ की गई। छेड़छाड़ का खुलासा तब हुआ, जब किसी हैकर ने मंत्री भूपेंद्र सिंह के ट्विटर अकाउंट से मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई की एक पोस्ट को लाइक किया गया। इसके बाद मंत्री की सोशल मीडिया सक्रिय हुआ और उसने पुलिस को शिकायत की।
मंत्री सिंह के मीडिया समन्वयक आशीष मंगल सोनी ने पुलिस के अपराध शाखा में आवेदन देकर बताया कि नगरीय विकास एंव आवास मंत्री सिंह के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट को नौ अक्टूबर को सुबह के वक्त हैक किया गया। इसके बाद हैकरों ने मंत्री भूपेंद्र के ट्विटर अकाउंट से मध्यप्रदेश कांग्रेस के द्वारा शेयर की गई एक पोस्ट को लाइक किया गया, जिससे मंत्री की छवि धूमिल हुई है। इस पोस्ट के संबंध में जैसे ही जानकारी मिली, उसके बाद विशेषज्ञों की मदद से मंत्री सिंह के अकाउंट को रिकवर कराया गया है।
क्राइम ब्रांच को दी गई शिकायत में इस पूरे मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग मंत्री सिंह की ओर से की गई है।
ज्ञात हो कि राज्य में तीन विधानसभा रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट के अलावा खंडवा लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने वाले हैं। इन उपचुनावों के लिए मतदान 30 अक्टूबर को होना है और नामांकन भरने का काम पूरा हो चुका है। भाजपा संगठन द्वारा उपचुनाव के लिए बनाई गई चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक मंत्री भूपेंद्र सिंह को बनाया गया है। ऐसे में मंत्री के ट्विटर अकाउंट के जरिए कांग्रेस की पोस्ट को लाइक किए जाने के मामले की सियासी गलियारों में चर्चा है। (आईएएनएस)