राष्ट्रीय
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर | लोगों के हितों की सेवा के लिए अपना खुद का राजनीतिक संगठन शुरू करने की घोषणा के दो दिन बाद पंजाब के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को एआईसीसी महासचिव हरीश रावत की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन पर भरोसा न करके और पार्टी को नवजोत सिंह सिद्धू जैसे 'अस्थिर व्यक्ति' के हाथों में देकर अपने हितों को नुकसान पहुंचाया है।
उनके मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने एक ट्वीट में अमरिंदर सिंह के हवाले से कहा, "आपकी आशंका यह है कि मैं पंजाब में कांग्रेस के हितों को नुकसान पहुंचाऊंगा.. हरीश रावत जी, तथ्य यह है कि पार्टी ने मुझ पर भरोसा न करके और पंजाब कांग्रेस को नवजोत सिंह सिद्धू जैसे अस्थिर व्यक्ति के हाथों में देकर अपने स्वयं के हितों को नुकसान पहुंचाया है, जो कि केवल खुद के प्रति वफादार हैं।"
ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, अमरिंदर सिंह ने रावत, जो पंजाब मामलों के प्रभारी हैं, से पूछा, "हरीश रावत जी, आज आप मुझ पर मेरे प्रतिद्वंद्वी अकाली दल को साढ़े चार साल तक मदद करने का आरोप लगा रहे हैं। क्या इसलिए आपको लगता है कि मैं पिछले 10 सालों से उनके खिलाफ कोर्ट केस लड़ रहा हूं? और 2017 के बाद से मैंने पंजाब में कांग्रेस के लिए सभी चुनाव क्यों जीते हैं?"
पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया रावत के यह कहने के एक दिन बाद आई है कि अमरिंदर की नई पार्टी बनाने की घोषणा से पंजाब में कांग्रेस को नुकसान नहीं होगा।
रावत ने कहा कि यह वास्तव में राज्य में कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वियों के वोटों को विभाजित करेगा। रावत ने कहा, "हमारा वोट चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। चन्नी ने जिस तरह से शुरुआत की है, उसने पंजाब और पूरे देश के सामने एक अच्छी छाप छोड़ी है।"
इस बीच, राज्य पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को तीन काले कृषि कानूनों के वास्तुकार के तौर पर दोषी ठहराया।
सिद्धू ने कृषि कानूनों के अमल में आने पर खेती में बड़े उद्योगपतियों का दखल बढ़ने के किसानों के आरोपों के संदर्भ में ट्वीट करते हुए कहा, "तीन काले कानूनों के वास्तुकार.. जो अंबानी को पंजाब की किसानी में लाए.. जिन्होंने एक-दो बड़े कॉर्पोरेट के लाभ के लिए पंजाब के किसानों, छोटे विक्रेताओं और मजदूरों को बर्बाद किया।"
सिद्धू ने हालांकि इस ट्वीट में अमरिंदर सिंह का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया, लेकिन इसके साथ उनका एक वीडियो साझा कर उन्हें कृषि कानूनों का वास्तुकार करार दिया।(आईएएनएस)
गांधीनगर, 21 अक्टूबर | अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने तीन स्टॉक निवेशकों द्वारा दायर एक आवेदन की जांच करते हुए दावा किया है कि अदाणी समूह पर भ्रामक समाचार रिपोर्टों के कारण उनके निवेश पर भारी नुकसान हुआ है और इसके पीछे एक साजिश का आरोप लगाते हुए, एक संपादक सहित दो मीडिया हाउस के चार पत्रकारों को तलब किया है। अहमदाबाद के कुछ निवेशकों ने अपराध शाखा के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि अदाणी समूह में एफपीआई की संदिग्ध हिस्सेदारी के बारे में भ्रामक, असत्य और असत्यापित कहानी प्रकाशित करके देश के निवेशकों को धोखा देने की देशव्यापी साजिश रची गई है।
अहमदाबाद अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक निखिल ब्रह्मभट्ट ने आईएएनएस से कहा, "सीआरपीसी की धारा 160 के प्रावधानों के तहत जांच अधिकारी समन जारी कर सकता है और हमने आवेदन के संबंध में एक प्रमुख समाचार चैनल के एंकर के साथ-साथ एक संपादक सहित एक प्रमुख वित्तीय समाचार पत्र के तीन पत्रकारों को तलब किया है। आवेदन अदाणी समूह के बारे में भ्रामक समाचारों के कारण भारी नुकसान का दावा करने वाले अहमदाबाद के तीन निवेशकों द्वारा दायर किया गया।"
उन्होंने कहा, "अपराध शाखा ने आवेदन के संबंध में सभी चार पत्रकारों के साथ-साथ स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी के बयान दर्ज किए हैं। हम आवेदन की जांच कर रहे हैं और जांच कर रहे हैं कि क्या टीवी मीडिया आउटलेट्स द्वारा स्पष्ट इरादों और इससे संबंधित अन्य चिंताओं के साथ साजिश रची गई थी। अगर एसीबी को आवेदन में किए गए दावों में कोई योग्यता मिलती है, तो हम मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करेंगे।"
पुलिस ने कहा कि आवेदन चैनल और अखबार द्वारा उपरोक्त विषय पर प्रसारित समाचारों के आधार पर दायर किया गया था। आवेदन के अनुसार, उस दिन 'भ्रामक और असत्यापित समाचार' प्रसारित करके देश के निवेशकों के खिलाफ साजिश रची जा रही थी।
आवेदन में कहा गया है कि अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ। याचिका में कहा गया है कि अहमदाबाद के कुछ निवेशकों को समाचार चैनल द्वारा चलाए जा रहे इस तरह के 'भ्रामक अभियान' के कारण भारी मौद्रिक नुकसान हुआ।(आईएएनएस)
गुवाहाटी, 21 अक्टूबर | सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने असम सरकार से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के नौ चिन्हित वाइल्डलाइफ कॉरिडोर्स (वन्यजीव गलियारों) में किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा है। असम वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सीईसी के सदस्य-सचिव अमरनाथ शेट्टी ने मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ को लिखे पत्र में चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पत्र में कहा गया है, "यह अनुरोध किया जाता है कि 12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए किए गए सभी निर्मार्णों को हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए और नौ चिन्हित एनिमल कॉरिडोर्स में किसी भी नए निर्माण की अनुमति न दी जाए।"
सीईसी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी, प्रमुख हेमेन हजारिका द्वारा 10 सितंबर को प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, जिसमें वन उप महानिरीक्षक (मध्य) लैक्टिटिया जे. सिएमियोंग की रिपोर्ट संलग्न है, जो कि '12 अप्रैल, 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन पर पेश की गई है।'
अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले निजी भूमि पर नए निर्माण पर रोक लगा दी थी, जो काजीरंगा के नौ पहचाने गए गलियारों का हिस्सा है, जो 2,400 से अधिक एक सींग वाले भारतीय गैंडों का घर है।
शीर्ष अदालत ने इन गलियारों में सभी तरह के खनन पर भी रोक लगा दी थी।
काजीरंगा के निदेशक, कर्मश्री पी. शिवकुमार के साथ, सिएमियोंग ने अगस्त में नौ गलियारों में से आठ पर निर्माण गतिविधियों का अध्ययन किया था।
सीईसी के पत्र में कहा गया है कि एनिमल कॉरिडोर के नौ में से पूरे आठ हिस्सों को पार करने के बाद फील्ड स्तर पर निरीक्षण किया गया, जहां पाया गया कि चारों तरफ अवैध निर्माण हुआ है।
पैनल सदस्य की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अवैध निर्माणों के अलावा, केएनपी और टीआर के जानवरों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ट्रकों आदि की उपस्थिति से है। हाल के दिनों में यह देखा गया है कि ट्रक, टैंकर और अन्य वाहन सड़क पर पार्क करने के लिए रुक रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि इससे जंगली जानवरों की आवाजाही में अनावश्यक बाधा पैदा होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि निरीक्षण के दौरान 500 से अधिक ट्रक और वाहन देखे गए थे और कार्बी-आंगलोंग हिल रेंज से निकलने वाली नदियों और नालों के पानी का उपयोग ड्राइवरों और सहायकों द्वारा स्नान करने और वाहनों की धुलाई के लिए किया जा रहा था, जिससे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने वाला पानी प्रदूषित हो रहा था।
इसके अलावा पत्र में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि ऑटोमोबाइल गैरेज से तेल और ग्रीस, वाहन धोने से अपशिष्ट जल, ढाबों और होटलों से आने वाला सीवेज पानी डिफालो नदी में प्रवेश कर रहा है, जो काजीरंगा की जीवन रेखा है। वहीं ध्वनि प्रदूषण के कारण भी उद्यान का वातावरण बिगड़ने की बात कही गई है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | स्पेनिश पुलिस ने 17 अक्टूबर को कोकीन तस्करों के एक डच गिरोह को हिरासत में लिया है, जिसमें ज्यादातर तुर्की मूल के लोग हैं। वे सेलबोट्स से लैटिन अमेरिकी देशों से यूरोप में कोकीन की तस्करी कर रहे थे। स्पेन की पुलिस ने कोस्टा डेल सोल के तट से दूर सेलबोट 'गोल्डवासर' पर एक अभियान चलाया था। पुलिस को शुरू में सेलबोट पर 2.5 टन कोकीन मिली, लेकिन जब नाव को उत्तर-पश्चिमी स्पेन के विगो में ले जाया गया, तो 500 किलो और कोकीन मिली। जब्त की गई तीन टन कोकीन इस ऑपरेशन को स्पेनिश पुलिस के लिए सबसे बड़े ड्रग भंडाफोड़ में से एक माना जा रहा है। पुलिस ने गिरोह के सदस्यों के घरों में एक साथ अभियान चलाया, जहां उन्होंने हथियार और लगभग 35,000 यूरो नकद जब्त किए।
अभियान के तहत गिरोह के 60 वर्षीय नेता समेत कम से कम पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। डच नागरिक तुर्की मूल के हैं और गिरोह के सदस्यों में एक स्वीडन के साथ-साथ अमेरिकी नागरिक और लैटिन अमेरिकी के भी हैं।
ग्लोबल ऑर्गनाइज्ड क्राइम इंडेक्स 2021 में तुर्की 12वें स्थान पर है, जिसे 28 सितंबर, 2021 को ग्लोबल इनिशिएटिव अगेंस्ट ऑर्गनाइज्ड क्राइम द्वारा प्रकाशित किया गया था। वहीं, ईरान (7.10), अफगानिस्तान (7.08) और इराक (7.05) को छोड़कर, तुर्की का आपराधिकता स्कोर 10 में से 6.89 था, जो यूरोप के साथ-साथ एशिया में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक था।
सूचकांक 'अपराधिक', 'आपराधिक मार्केट', 'आपराधिक अभिनेताओं' और 'रेजिलिएंस' और उनकी उप-श्रेणियों की श्रेणियों में देशों और क्षेत्रों में अपराध की जांच करता है।
6.4 अंकों के साथ तुर्की आपराधिक श्रेणी में दुनिया भर में 13वें स्थान पर है। वहीं, मानव ट्रैफिकिंग में 7.0, मानव तस्करी में 9.0, वनस्पति अपराधों में 4.0 और जीव अपराधों में 3.0 अंक प्राप्त किए हैं।
हथियारों की तस्करी रैंकिंग में डेमोक्रेटिककांगो और इराक के साथ पहला स्थान साझा करते हुए तुर्की मानव ट्रैफिकिंग रैंकिंग में सबसे ऊपर है।
क्रिमिनल एक्टर्स इंडेक्स में तुर्की ने 7.38 स्कोर किया और 12वें स्थान पर रहा। इसने 'माफिया-शैली के समूहों' में 8.0, 'आपराधिक नेटवर्क' में 7.5, 'राज्य-एम्बेडेड आपराधिक अभिनेताओं' में 9.0 और 'विदेशी अभिनेताओं' में 5.0 स्कोर किया है।
स्टेट-एम्बेडेड एक्टर्स श्रेणी में, तुर्की सीरिया के बाद दूसरे स्थान पर है, जिसने 10 में से 10 स्कोर किए हैं। डेमोक्रेटिक कांगो, दक्षिण सूडान और अफगानिस्तान ने भी इस श्रेणी में 9.0 स्कोर किया है।
तुर्की, जो रिपोर्ट में 'उच्च अपराध दर-निम्न विरोध' श्रेणी में 57 देशों में शामिल है। रेजिलिएंस इंडेक्स में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में 151वें स्थान पर है। तुर्की का औसत रेजिलिएंस स्कोर 3.54 है और उप-श्रेणियों में इसके स्कोर क्षेत्रीय अखंडता में 6.5, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग सिस्टम में 2.0, आर्थिक विनियमन क्षमता में 4.0, पीड़ित और गवाह समर्थन में 4.0, अपराध की रोकथाम में 3.5 और गैर-राज्य के खिलाफ अभिनेता में 3.5 पर हैं।
तुर्की नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। 'मिडास-बैलेस्ट्रिंक' नामक वर्तमान स्पैनिश पुलिस ऑपरेशन की तैयारी 2019 में की गई थी, जब स्पेनिश पुलिस ने समुद्र के द्वारा कोकीन के परिवहन के संदिग्ध लोगों को निर्धारित करने के लिए खुफिया काम किया था। बाद में, पुलिस ने कोस्टा डेल सोल और जिब्राल्टर के बीच नौकायन करने वाली नौकाओं पर फोकस किया।
बाद में, स्पेनिश अधिकारियों ने निर्धारित किया कि ड्रग गिरोह ने 'गोल्डवासर' सेलबोट खरीदा था। तुर्की ने वर्तमान सरकार के समर्थन से एक सुस्थापित अपराध नेटवर्क विकसित किया है। इस नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में माफिया डॉन सेदत पीकर का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे सरकार की मदद से पकड़ा गया था। उसके खुलासे से पता चला है कि सरकार हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी और अब मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल है।(आईएएनएस)
प्रयागराज (यूपी), 21 अक्टूबर | प्रयागराज में एक दुर्लभ और लुप्तप्रजाति का उल्लू (स्ट्रिक्स ओसेलटा) देखा गया है। एक वन्यजीव फोटोग्राफर और कैंसर सर्जन, डॉ अर्पित बंसल ने उल्लू की दुर्लभ प्रजाति की एक तस्वीर क्लिक की है।
मध्य भारत के जंगलों में पाए जाने वाले मटमैले लकड़ी के उल्लुओं को 2016 से इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (कवउठ) की रेड लिस्ट में 'खतरनाक प्रजाति' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
डॉ बंसल ने चित्तीदार उल्लू, जंगल उल्लू, खलिहान उल्लू और भारतीय स्कॉप्स उल्लू को भी क्लिक किया है, जो सभी विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे हैं।
डॉ बंसल ने कहा कि भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की 1,349 प्रजातियों में से वह 887 फोटो खींच चुके हैं।
भारत में उल्लुओं की कुल 36 प्रजातियाँ पाई जाती हैं और डॉक्टर ने उनमें से 32 की तस्वीरें खींची हैं।
डॉ बंसल ने कहा, मोटेल्ड वुड उल्लू एक नई प्रजाति है जो मैंने पहली बार शहर में इबर्ड डॉट ओर.के अनुसार फोटो खिंचवाई थी। यह हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट (एचआरआई) परिसर के पास झूंसी क्षेत्र में फोटो खिंचवाया गया था। इसके साथ, मैंने कुल पांच लुप्तप्राय क्लिक किए हैं।
उन्होंने कहा, यह एक दुर्लभ खोज है और हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे पक्षी की रक्षा करने में मदद कर सकें।
जैसा कि एक आम प्रथा है, दिवाली के दौरान देश में काले जादू के नाम पर उल्लू को अवैध रूप से पकड़ा जाता है और उसकी बलि दी जाती है।
भारतीय लोककथाओं के अनुसार, उल्लू ज्ञान और सहायकता का प्रतिनिधित्व करता है, और भविष्यवाणी करने की शक्ति रखता है। अठारहवीं शताब्दी के दौरान उल्लुओं के प्राणी संबंधी पहलुओं को बारीकी से अवलोकन के माध्यम से विस्तृत किया गया।
जिला वन अधिकारी (डीएफओ) प्रयागराज, रमेश चंद्र ने कहा कि पक्षी प्रेमियों और संरक्षणवादियों द्वारा प्रयागराज में पिछले कुछ वर्षों में 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों को देखा गया है।
हम शहर और उसके आसपास उल्लू की कुछ प्रजातियों जैसे जंगल उल्लू, चित्तीदार उल्लू, कॉलर वाले स्कॉप्स उल्लू, छोटे कान वाले उल्लू और रॉक ईगल उल्लू की उपस्थिति से अवगत है। लुप्तप्राय धब्बेदार लकड़ी के उल्लू को देखना अच्छी खबर है और उन्हें नुकसान से बचाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | उत्तराखंड में आई अचानक तेज बरसात के कारण हुए घटनाओं में अभी तक 64 व्यक्तियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो चुकी हैं। बरसात और इससे जुड़ी आपदाओं के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे 3500 लोगों को रेस्क्यू किया गया, जबकि 16 हजार लोगों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पहाड़ी राज्य में एनडीआरएफ की 17 टीमें, एसडीआरएफ की 7 टीमें, पीएसी की 15 कम्पनियां और पुलिस के 5 हजार जवान अभी भी बचाव व राहत में लगे हैं। डिजास्टर फंड में उत्तराखण्ड को पहले से ही 250 करोड़ रूपए की राशि दी गई है। इससे राहत व बचाव का कार्य किया जा रहा है। केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि उत्तराखंड के आपदाग्रस्त व जलभराव वाले क्षेत्रों में मेडिकल टीमें भेजी जाएं ताकि बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। क्षतिग्रस्त बिजली लाईनों को पूरी तरह जल्द से जल्द ठीक की जाए।
उत्तराखंड में 17, 18 और 19 अक्टूबर को आई तेज बारिश एवं उसके बाद उत्पन्न हुई स्थितियों के कारण अब तक 64 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। राज्य सरकार ने बताया कि भारी बारिश का अलर्ट मिलने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री स्तर पर समीक्षा की गई। तुरंत इन्सीडेंस रेस्पोंस सिस्टम को राज्य व जिला स्तर पर सक्रिय कर दिया गया। एहतियातन तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर रोक लिया गया।
साथ ही स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित कर दिया गया। विभिन्न माध्यमों से यात्रियों और जनसाधारण को भी अलर्ट किया गया। ट्रैकर्स को भी अलर्ट किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में नदियों के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। इस संबंध में आवश्यक कदम भी उठाए गए हैं। आईएमडी के अनुसार सामान्य रूप से 1.1 मिमि बारिश होती है जबकि अभी 122.4 मिमि बारिश हुई। इन दो दिनों में सभी जगह रिकार्ड बारिश हुई। परंतु सही समय पर अलर्ट और तदनुसार एहतियात कदम उठाने से हानि को कम किया जा सका। प्रदेश में इस समय एनडीआरएफ की 17 टीमें तैनात हैं।
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक गुरुवार को नकेन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा लिया। उनके साथ उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जरनल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी थे।
गुरुवार को जौलीग्रांट में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में आपदा की स्थिति और संचालित राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार देवभूमि की हर सम्भव सहायता करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्र से मिले सहयोग पर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सेना, एनडीआरएफ, सीडब्ल्यूसी, बीआरओ के साथ मिलकर राज्य सरकार आपदा की तीव्रता को कम कर सकी। लोगों को अधिक से अधिक राहत पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। चारों धाम की यात्रा शुरू की जा चुकी है।
राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम यात्रियों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया। इसी का परिणाम है कि अभी तक चारधाम यात्रियों में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। यात्रा अब शुरू भी कर दी गई है। सभी एजेंसियां समय पर सक्रिय हो गई थी। प्रधानमंत्री जी ने मुख्यमंत्री से बात कर समय पर राज्य को हेलीकाप्टर उपलब्ध कराए।
भारत सरकार से हर सम्भव सहयोग दिया जा रहा है। सेंटर वाटर कमीशन और सिंचाई विभाग में भी आपदा के दौरान अच्छा समन्वय रहा।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर | भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मजबूत जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता पर जोर देते हुए गुरुवार को 2020 के बाद के लिए दीर्घकालिक जलवायु वित्त की स्थापना की प्रक्रिया शुरू करने और विकसित देशों द्वारा 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता लक्ष्य की पूर्ति की आवश्यकता को रेखांकित किया। वह यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष, यूरोपीय ग्रीन डील, फ्रैंस टिमरमैन के साथ आयोजित द्विपक्षीय बैठक में बोल रहे थे, जिसमें दोनों पक्षों ने सीओपी26, यूरोपीय संघ-भारतीय जलवायु नीतियों और द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित जलवायु मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की।
आगामी सीओपी26 के संबंध में, ब्रिटेन के ग्लासगो में 31 अक्टूबर से होने वाला वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पारस्परिक रूप से, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुएसभी महत्वपूर्ण लंबित मुद्दे जैसे कि अनुच्छेद 6, सामान्य समय सीमा, उन्नत पारदर्शिता ढांचा आदि को हल किया जाना चाहिए।"
दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि भारत और यूरोपीय संघ को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए सीओपी 26 के सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जिस पर काम करने के लिए सरकारों द्वारा 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिए उत्सर्जन को प्रतिबंधित करना।
यादव ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा कि अक्षय ऊर्जा, ई-वाहनों सहित टिकाऊ परिवहन, ऊर्जा दक्षता, वन और जैव विविधता संरक्षण आदि के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को कवर करते हुए हरित संक्रमण की दिशा में भारत की महत्वाकांक्षी जलवायु कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला गया।
जलवायु कार्रवाइयों पर भारत के नेतृत्व की सराहना करते हुए टिमरमैन ने कहा कि 2030 तक भारत के 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्ष जलवायु और पर्यावरण पर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने का पता लगा सकते हैं, विशेष रूप से उन तरीकों और साधनों पर जो कम कार्बन मार्गो को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 21 अक्टूबर | केरल में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को चापलूसी करने वालों के घेरे से बाहर आना होगा। सतीसन ने कहा, "वह चापलूसी करने वालों के एक समूह से घिरे हुए हैं और सभी जानते हैं कि विजयन को आलोचना पसंद नहीं है। जो कोई भी ऐसा करता है उसे 'राष्ट्र-विरोधी' कहा जाता है या जिसे राज्य से प्यार नहीं है। "
उन्होंने बुधवार को विजयन के हमले के बाद मीडिया से बात करते हुए सतीसन ने केरल सरकार द्वारा पिछले सप्ताह राज्य में आई बाढ़ से 42 लोगों की जान लेने वाले गैर-जिम्मेदाराना तरीके की आलोचना की।
सतीसन ने दोहराया कि विजयन सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है और यहां तक कि कार्रवाई करने में भी विफल रही है जब आईएमडी ने स्पष्ट रूप से 12 अक्टूबर को ही चेतावनी जारी की थी।
"यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह लगातार चौथा वर्ष है जब केरल ने बारिश और बाढ़ का प्रकोप देखा है। फिर भी, केरल जैसे राज्य में जब आपदा आती है तब भी कई चीजों का समय से पहले कार्रवाई करने के लिए एक मूर्खतापूर्ण प्रणाली नहीं है। हमें बताया गया है कि कुछ जगहों पर त्रासदी के एक दिन बाद बचाव और राहत अभियान शुरू हुआ था।"
राज्य में विशेष रूप से इडुक्की, कोट्टायम और पथानामथिट्टा जिलों में बाढ़ आने के तुरंत बाद सतीसन ने विजयन को फटकार लगाई और बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सबसे बड़ी आपदा बन गया है।
सतीसन ने कहा, "यह हो रहा है और कुछ भी रचनात्मक नहीं हो रहा है, क्योंकि उसके आसपास के लोग उसके क्रोध के डर से उसे सही तरीके से सलाह देने से डरते हैं। विजयन को चापलूसी करने वालों के इस समूह से बाहर आना होगा।" (आईएएनएस)
श्रीनगर, 21 अक्टूबर | जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में गुरुवार को एक बड़ा हादसा टल गया। दरअसल, सुरक्षा बलों को एक इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का पता चला, जिसके बाद उसे निष्क्रिय कर दिया। पुलिस ने कहा कि 32 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने गुरुवार को बारामूला जिले के रफियाबाद इलाके के सैदपोरा गांव के पास एक यात्री शेड से एक आईईडी बरामद किया। जिसके बाद बम निरोधक दस्ते को इसे निष्क्रिय करने के लिए तैनात किया गया।"
"सतर्क सुरक्षा बलों द्वारा समय पर कार्रवाई से एक बड़ी त्रासदी को टालने में मदद मिली है, क्योंकि यात्री शेड का उपयोग अक्सर सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता है।"
सुरक्षा बलों और वीआईपी कैवलकेड के काफिले को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में रिमोट ट्रिगर आईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मेटल डिटेक्टरों और खोजी कुत्तों से लैस सुरक्षा बलों की रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) को सुरक्षा बल के काफिले और वीआईपी घुड़सवारों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले राजमार्गों और सड़कों को सुरक्षित करने के लिए तैनात किया जाता है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 21 अक्टूबर | राज्य की राजधानी में एक एनजीओ चलाने वाली महिला सामाजिक कार्यकर्ता के साथ अपनी पत्नी की नजदीकी को लेकर हुए विवाद के बाद एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने गोमती नगर में पीड़ित के घर से तीन सुसाइड नोट बरामद कर पीड़िता की पत्नी और उसके सहयोगी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, किराना स्टोर चलाने वाले निखिल ने सुसाइड नोट में आरोप लगाया कि उसकी मौत के लिए उसकी पत्नी और उसकी बॉस जिम्मेदार हैं।
नोट में लिखा है, "मेरी पत्नी की सहेली ने मेरा वैवाहिक जीवन हमेशा के लिए तबाह कर दिया है। पुलिस को मेरी पत्नी और उसकी महिला सहयोगी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।"
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), गोमती नगर, के.के. तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि निखिल की पत्नी और उसके नियोक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि निखिल की 2012 में शादी हुई थी और उनकी एक बेटी भी है।
शादी के कुछ साल बाद, उनकी पत्नी ने एक एनजीओ में काम करना शुरू कर दिया और अपने नियोक्ता के करीब आ गईं। उसने अपने परिवार पर ध्यान देना बंद कर दिया।
निखिल के पिता किशन कुमार ने पुलिस को बताया कि दंपति के बीच मंगलवार को कहासुनी हुई जिसके बाद उनकी बहू ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
पिता ने कहा, "हमने उसकी मां को सूचित किया जो उसकी बेटी को अपने साथ ले गई। निखिल उसे वापस आने के लिए मनाता रहा और बाद में बुधवार को उसने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।" (आईएएनएस)
लखनऊ, 21 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आगे बढ़ाने में लगी कांग्रेस की महासचिव व यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने अब पार्टी का मोर्चा और तेजी से संभाल लिया है। उन्होंने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र से पहले छात्राओं को के लिए स्मार्ट फोंन और स्कूटी देने का एलान किया है।
प्रियंका गांधी ने गुरूवार को ट्वीटर के माध्यम से लिखा कि "कल मैं कुछ छात्राओं से मिली। उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ने व सुरक्षा के लिए स्मार्टफोन की जरूरत है। मुझे खुशी है कि घोषणा समिति की सहमति से आज कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि सरकार बनने पर इंटर पास लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी दी जाएगी।
लखनऊ से आगरा जाते समय बुधवार को महिला पुलिसकर्मियों के साथ सेल्फी लेने और 1090 चौराहे के पास चोटिल छात्रा की मरहम पट्टी करने के बाद गुरुवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत सीट महिलाओं को देने की घोषणा करने के बाद अब उन्होंने छात्राओं के लिए वादा किया है।
गौरतलब उत्तर प्रदेश विाानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आधी आबादी के लिए 40 प्रतिषत टिकट का दांव चलकर अन्य पार्टियों के लिए चुनौती बढ़ा दी है। इसकी काट के लिए राजनीतिक दल जब तक नया पासा फेंकते, तब तक उन्होंने एक और घोषणा कर दी है।
प्रियंका का कहना है कि 40 प्रतिशत महिला टिकट आरक्षण का फैसला महिलाओं की राजनीति में नुमाईंद्गी को बढ़ाएगी और प्रदेश का विकास तेजी से होगा। प्रियंका गांधी ने यूपी की करीब साढ़े तीन करोड़ महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। एक बार फिर उन्होंने स्मार्टफोन और स्कूटी से नए वोटरों को साधने का प्रयास किया है।
ज्ञात हो कि प्रियंका गांधी यूपी के मैदान में मेहनत कर रही है, लेकिन चुनावी जंग जीतने के लिए सबसे जरूरी होता है, ज़मीन पर संगठन की मौजदगी, जो कांग्रेस के पास नदारद है। शायद इसीलिए कांग्रेस औऱ टीम प्रियंका को एक्स फैक्टर की तलाश है, जो संगठन की इसी कमजोरी को दरकिनार कर उन्हें चुनावी मुकाबले में बढ़त दिला सके। इसी कारण ऐसे मुद्दे उछाल कर प्रियंका अन्य पार्टियों के लिए चुनौती बन रही हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बतौर प्रभारी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने हर उस मुद्दे को थामने का प्रयास किया, जिसमें सरकार को घेरने की जरा भी गुंजाइश नजर आई। अन्य विपक्षी दलों की तुलना में उनकी सक्रियता खास तौर पर महिला उत्पीड़न से जुड़े उन्नाव दुष्कर्म कांड और हाथरस कांड में ज्यादा रही। हालांकि, मुद्दों के चयन को लेकर पार्टी के रणनीतिकारों का असमंजस भी साथ-साथ चला। अब लड़की हूं, लड़ सकती हूं के नारे के साथ टिकट वितरण में चालीस फीसदी महिला आरक्षण की घोषणा के बाद स्मार्ट फोन और स्कूटी का वादा इसे कांग्रेस का अच्छा और मजबूत पासा माना जा रहा है। (आईएएनएस)
एक शोध में यह पुष्टि हुई है कि बिहार के कई जिलों के पानी में यूरेनियम मौजूद है. खतरनाक स्तर तक इस रेडियोधर्मी पदार्थ की मौजूदगी कहीं किसी भयावह खतरे का संकेत तो नहीं है!
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट
आयरन, फ्लोराइड व आर्सेनिक की मानक से अधिक मात्रा बिहार में, खासकर बक्सर से लेकर भागलपुर तक गंगा नदी के किनारे बसे जिलों के भूजल में पहले से मौजूद है. कई इलाकों के लोग इसका कुप्रभाव भी झेल रहे हैं. सरकार हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के उपाय भी कर रही है.
किंतु, बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित महावीर कैंसर संस्थान, यूनाइटेड किंगडम (यूके) की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेचेस्टर, ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी व आईआईटी खड़गपुर व रूड़की तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, उत्तराखंड द्वारा संयुक्त रूप से डेढ़ साल तक किए गए शोध में राज्य के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की मौजूदगी का पता चला है.
करीब दस जिलों में इसकी मात्रा मानक से अधिक पाई गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार पानी में इसकी मात्रा 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (एमपीएल) से अधिक नहीं होनी चाहिए, किंतु राज्य के इन जिलों में पानी में यूरेनियम की मात्रा 50 एमपीएल से अधिक मिली. सुपौल जिले के सैंपल में तो 80 एमपीएल तक यूरेनियम पाया गया.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष तथा महावीर कैंसर संस्थान के शोध प्रभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष के अनुसार बिहार के भूजल में खासकर आर्सेनिक की मात्रा का ही पता लगाया जा रहा था लेकिन फिर तय किया गया कि कुछ अन्य खनिजों का भी पता लगाया जाए.
इसी विचार के साथ 2018 में संयुक्त रूप से शोध शुरू किया गया. यह कार्य अभी चल रहा है. विदित हो कि भारत के केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा ब्रिटेन के नैचरल इन्वॉयरन्मेंट रिसर्च काउंसिल ने शोध का 50-50 फीसद खर्च उठाया है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष, महावीर कैंसर संस्थान के अरुण कुमार और यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के डेविड पोल्या व लाउरा ए रिसर्चड्स की शोध में अग्रणी भूमिका रही है. इस सिलसिले में राज्य के सभी 38 जिलों में 273 जगहों से हैंडपंपों (चापानल) समेत विभिन्न स्रोतों के जरिए 46 हजार से भी अधिक ग्राउंड वॉटर सैंपल लिए गए.
शोध के दौरान ज्ञात हुआ कि राज्य के सुपौल, पटना, सिवान, गोपालगंज, सारण (छपरा), नवादा और नालंदा जिले के पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से काफी अधिक है. इसके अलावा गया, जहानाबाद तथा औरंगाबाद से भी लिए गए सैंपल में भी यूरेनियम पाया गया.
जहां आर्सेनिक कम वहां यूरेनियम ज्यादा
शोध के दौरान एक दिलचस्प तथ्य सामने आया है कि जहां के पानी में यूरेनियम की मात्रा अधिक थी, वहां आर्सेनिक या तो नहीं मिला या कम मिला. इसके उलट, जिस सैंपल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा मिली वहां यूरेनियम नहीं पाया गया.
नालंदा, नवादा, सारण, सिवान व गोपालगंज जिले के पानी में आर्सेनिक की मात्रा कभी नहीं मिली. इन जिलों के सैंपल में मानक से अधिक यूरेनियम मिला है. डॉ. अशोक घोष कहते हैं, ‘‘सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड ने भी हाल में ही बिहार के भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी की पुष्टि की है. अब यह शोध का विषय है कि भूजल में यूरेनियम आखिर कहां से आ रहा है. इससे पहले आज तक राज्य के ग्राउंड वॉटर में यूरेनियम नहीं पाया गया था. पता लगाना होगा कि यह जियोजेनिक है या फिर एंथ्रोपोजेनिक.''
यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि जहां यूरेनियम मिला है, वहां इसके खदान की तो संभावना नहीं है. गंगा और सोन नदी के तटवर्ती इलाके खासकर गंगा के दक्षिणी हिस्से में इसकी मात्रा अधिक पाई गई है. वहीं उत्तरी हिस्से में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है. विदित हो कि अविभाजित बिहार के सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा में यूरेनियम पाया जाता था. यह इलाका विभाजन के पश्चात झारखंड में चला गया है.
यूरेनियम के कारण कैंसर?
वैसे तो वॉटर प्यूरीफायर की व्यापक रेंज उपलब्ध है, किंतु आम तौर पर घरों में लगाए जाने वाले प्यूरीफायर से यूरेनियम को साफ नहीं किया जा सकता है. यह भी जरूरी नहीं है कि प्यूरीफायर सभी मिनिरल्स को साफ कर दे. इसलिए पीने के पानी को लेकर काफी सतर्क होना जरूरी है.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. निखिल चौधरी बताते हैं, ‘‘यूरेनियम किडनी को सर्वाधिक प्रभावित करता है. पानी में यूरेनियम का पाया जाना काफी चिंताजनक है. इस परिणाम से इस अवधारणा को बल मिलना स्वाभाविक है कि किडनी फेल होने के जिन 30 फीसद मामलों में कारण का पता नहीं चल पाता है, उनकी वजह कहीं यूरेनियम तो नहीं है.''
वहीं कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के. झा के अनुसार यूरेनियम लीवर को नुकसान पहुंचाने के साथ गॉल ब्लैडर की समस्या का भी बड़ा कारण बन सकता है. हाल के दिनों में जिस तरह से गंगा व सोन नदी के किनारे वाले इलाके में कैंसर तथा गॉल ब्लैडर के मामले बढ़े हैं, उसका कारण यूरेनियम हो सकता है.
भूगोलवेत्ता कंचन सिन्हा कहती हैं, ‘‘पृथ्वी की बनावट के कारण यह काफी हद तक संभव है कि झारखंड के उन इलाकों से जहां यूरेनियम की मौजूदगी है, वहां से यह कालांतर में बिहार के भूगर्भीय जल में समावेशित हुआ हो. वैसे यह तो शोध का विषय है.''
फूड चेन में भी आर्सेनिक
साल 2003 में सबसे पहले राज्य के भोजपुर जिले में पानी में आर्सेनिक के होने का पता चला था. इसके बाद 2007 में व्यापक पैमाने पर किए गए अध्ययन में पटना, खगड़िय़ा, मुंगेर, बक्सर, भागलपुर, कटिहार, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, भोजपुर तथा बेगूसराय समेत 11 जिलों के भूजल में आर्सेनिक होने की बात सामने आई थी.
आज राज्य के 22 जिलों के पानी में आर्सेनिक पाया जाता है तथा 90 लाख से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं. नालंदा व नवादा दो ऐसे जिले हैं, जहां कभी आर्सेनिक नहीं पाया गया, वहां यूरेनियम पाया गया है. ये दोनों जिले गंगा के किनारे भी नहीं हैं.
वहीं एक अन्य शोध से पता चला है कि बिहार में केवल पेयजल में ही आर्सेनिक मौजूद नहीं है, बल्कि फूड चेन खासकर चावल, गेहूं और आलू में भी यह मौजूद है. यहां तक कि कच्चे चावल की तुलना में पके हुए चावल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा पाई गई. इसलिए पेयजल की गुणवत्ता के साथ-साथ सिंचाई के पानी की भी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना जरूरी है.
(dw.com)
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकरण एनजीटी पर्यावरण को होने वाले नुकसान खुद संज्ञान ले सकता है, और वह सिर्फ इसलिए नहीं बैठा रह सकता कि किसी ने शिकायत नहीं की है.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के पास एनजीटी एक्ट के तहत स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है. कोर्ट ने यह भी कहा कि एनजीटी के लिए जो भूमिका निर्धारित है, उसमें वह ऐसा नहीं कर सकता कि जब तक कोई उसका दरवाजा न खटखटाए, वह मूकदर्शक बना देखता रहे.
एनजीटी के स्वत: संज्ञान लेने के मसले पर आई अपीलों पर फैसला देते हुए एएम खानविलकर, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के तहत स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार भी आता है और एनजीटी को संविधान के मामले में अनुच्छेद 21 को लागू कराने के लिए संवैधानिक आदेश के तहत स्थापित किया गया है.
एनजीटी भारत की पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी विशेष न्यायिक संस्था है. पर्यावरण से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए इसे साल 2010 में शुरू किया गया था. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. नियमों के मुताबिक इसके पास आने वाले पर्यावरण संबंधी हर मुद्दे को छह महीने में निपटाना जरूरी होता है.
एनजीटी मजबूत हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया है कि एनजीटी एक ट्राइब्यूनल है और कानून का अंग है और इस तरह यह अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता. इसका मतलब है कि इसके पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति नहीं है और न ही यह मामलों का स्वत: संज्ञान ले सकता है. जानकार मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से एनजीटी की शक्तियां बढ़ी हैं.
भारत में पानी से जुड़ी समस्याओं बारे में काम करने वाले मंथन अध्ययन केंद्र के संस्थापक श्रीपद धर्माधिकारी कहते हैं, "एनजीटी कोर्ट न होकर एक अधिकरण है, जो सिर्फ कानूनी तर्कों के बजाए किसी पर्यावरणीय मामले पर स्थान और स्थिति की गंभीरता के हिसाब से विचार कर सकता है. ऐसे में स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार से बहुत फायदा होगा."
नियुक्तियों में पारदर्शिता जरूरी
ज्यादातर जानकार मानते हैं कि एनजीटी को मिली शक्तियों से तब तक कोई फायदा नहीं होगा, जब तक एनजीटी के सदस्यों के चयन में निष्पक्षता नहीं आती. नियुक्तियों को पारदर्शी बनाना जरूरी है. जानकार यह भी कहते हैं कि एनजीटी में चयन की प्रक्रिया को राजनीतिक दबावों से मुक्त बनाने की जरूरत है. इससे आधी समस्याएं खुद-ब-खुद दूर हो जाएंगी. साथ ही पेशेवर और विशेषज्ञ लोगों को भी इसमें जगह मिलने लगेगी.
श्रीपद धर्माधिकारी भी भविष्य में एनजीटी की भूमिका को लेकर आशावादी हैं. एनजीटी की उपयोगिता का जिक्र करते हुए वह इसके थर्मल पावर प्लांट्स के प्रदूषण पर नियंत्रण, बांधों पर रोक, गोवा के मोपा एयरपोर्ट जैसे फैसलों का उल्लेख करते हैं. हालांकि वह भी अधिकरण में खाली पड़े पदों पर चिंता जताते हैं. उनका कहना है, "समय पर नियुक्तियां होनी चाहिए. एनजीटी को सिर्फ सरकारी विशेषज्ञों से बचने की जरूरत भी है. ज्यादा अच्छा होगा कि एनजीटी में सभी विशेषज्ञ नौकरशाही से ही न नियुक्त किए जाएं बल्कि इसमें पर्यावरण से जुड़े कुछ निजी क्षेत्र और एनजीओ के लोगों को भी जगह दी जाए."
आम जनता का ध्यान रखना जरूरी
लेकिन नेशनल सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ अमिय कुमार साहू वर्तमान एनजीटी को पर्यावरण का संरक्षण कर पाने के मामले में पर्याप्त नहीं मानते. वह कहते हैं, "एनजीटी के सदस्यों में अब भी विशेषज्ञता की कमी है. इसके चलते कई बार फैसले अनुभवहीन होते हैं. एक ऐसे ही फैसले में मैसूर में हर घर में कचरे का इस्तेमाल कर कंपोस्टिंग का आदेश दे दिया गया. ऐसा कुछ भी कर पाना साधारण लोगों के लिए असंभव होता है. हर कोई कंपोस्टिंग को नहीं समझ सकता. इसलिए एनजीटी में ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत है, जो आम जनता के हिसाब से सुझाव दे सकें."
श्रीपद धर्माधिकारी यह भी कहते हैं कि राजनीतिक दबाव हमेशा रहते हैं लेकिन एनजीटी के लिए इस तरह नियम बनाने की जरूरत है कि इसके अधिकारी किसी भी दबाव में न आएं. जानकार यह भी मानते हैं कि पहले कई बार ऐसा होता रहा है कि एनजीटी बिल्कुल आखिरी समय पर पहुंचता था, जब पर्यावरण को पर्याप्त नुकसान हो चुका होता था. आशा है कि अब स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार मिलने के बाद एनजीटी ऐसे कई नुकसान को रोक पाने में सफल रहेगा. (dw.com)
जयपुर, 20 अक्टूबर | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने एक नोटिस जारी कर फोन टैपिंग मामले में दिल्ली में पेश होने को कहा है। गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को 22 अक्टूबर को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने तलब किया है। शर्मा को पहले भी दिल्ली आने का नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह नहीं गए थे। उन्हें अब सुबह 11 बजे ई-मेल के जरिए नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। हालांकि, शर्मा इस मामले को लेकर कानूनी राय ले रहे हैं। इससे पहले शर्मा को 24 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह उस वक्त पेश नहीं हुए थे।
शर्मा ने फोन टैपिंग मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में ओएसडी को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
शर्मा के सामने गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को भी जून में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह भी नहीं गए थे।
जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस साल 25 मार्च को फोन टैपिंग का मामला दर्ज कराया था। केस दर्ज कराते हुए शेखावत ने कहा था कि फोन टैपिंग के जरिए उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई है।
शर्मा ने इस एफआईआर को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में अब तक इस मामले की 3 बार सुनवाई हो चुकी है। अभी हाल ही में लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से 13 जनवरी तक राहत मिली है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | इस साल भी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां सीबीएसई ने अपनी बोर्ड परीक्षाओं का शेड्यूल जारी कर दिया है, वहीं आईसीएसई और आईएससी ने कक्षा 10वीं और 12वीं के पहले चरण की बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित करने का निर्णय लिया है। आईसीएसई का कहना है कि अपरिहार्य कारणों एवं कुछ मौजूदा परिस्थितियों के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है। बोर्ड परीक्षाएं स्थगित करने का निर्णय छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए भी लिया है। आईसीएसई 10वीं और आईएससी 12वीं बोर्ड की टर्म वन की परीक्षा को स्थगित किया है।
सितंबर माह में सीआईएससीई ने 10वीं और आईएससी 12वीं बोर्ड के पहले चरण की परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी किया था। इसके तहत 10वीं और 12वीं बोर्ड के पहले चरण की परीक्षा 15 नवंबर, 2021 से शुरू होनी थी।
सितंबर में जारी किए गए कार्यक्रम के मुताबिक आईएससी कक्षा 12वीं की परीक्षा 16 दिसंबर, 2021 को समाप्त होनी थी। आईसीएसई 10वीं की परीक्षा 6 दिसंबर को समाप्त होनी थी। अब इन परीक्षाओं के लिए नया शेड्यूल जारी किया जाएगा। फिलहाल परीक्षाओं की नई तारीख व शेड्यूल घोषित नहीं किया गया है। बोर्ड का कहना है कि इस विषय में आधिकारिक जानकारी जल्द ही वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।
इस वर्ष काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन आईसीएसई का पास प्रतिशत 99.98 फीसदी था। आईसीएसई में लड़कियों और लड़कों दोनों ने 99.98 फीसदी के साथ पास प्रतिशत हासिल किया है।
आईएससी के लिए, लड़कों का पास प्रतिशत 99.86 और लड़कियों का पास प्रतिशत 99.66 फीसदी रहा था। विदेशों में भी 100 फीसदी छात्र उतीर्ण हुए।
सीआईएससीई ने देशभर के 2,19,499 छात्रों का परिणाम जारी किया था। इन 219,499 छात्रों में 1,18,846 लड़के थे जो कुल या 54.14 फीसदी होते हैं। वहीं इनमें 45.86 फीसदी यानी 1,00,653 लड़कियां थी।(आईएएनएस)
आगरा, 20 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के जगदीशपुरा थाने के 'माल खाना' (स्ट्रांगरूम) से 25 लाख रुपये लूटने के आरोपी वाल्मीकि समुदाय के एक सफाई कर्मचारी की हिरासत में मौत होने के बाद वाल्मीकि जयंती पर बुधवार को बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। वाल्मीकि समुदाय ने मृतक के परिवार को दो करोड़ रुपये का आर्थिक मुआवजा दिए जाने तक सभी समारोहों का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
इस बीच, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित अन्य कांग्रेस नेता वाल्मीकि समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मृतक के परिवार से मिलने गए।
आरोपी अरुण को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। लूटी गई नकदी बरामद करने के लिए पुलिस उसे उसके घर ले जा रही थी, तभी उसकी हालत बिगड़ गई जिसके बाद अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने प्राथमिकी में कहा कि पूछताछ के दौरान लगी चोटों के कारण उसने दम तोड़ दिया।
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनिराज ने कहा कि आरोपी ने कबूल किया है कि चोरी के पैसे उसके घर पर रखे हुए हैं।
पुलिस ने कहा कि जांच जारी है और अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
शव को एस. एन. मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम वार्ड में रखा गया है, जबकि जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मामले की गहन जांच और मृतक के परिवार को मुआवजे की मांग की है।
नवीनतम रिपोटरें में कहा गया है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रोक दिया गया है, जहां वह अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ धरने पर बैठी थीं।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर | केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने 2021 के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा है। देश में अब तक कोविड-19 टीकों की 99 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, "भारत में सस्ती, सुलभ, सुरक्षित और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की बड़ी जिम्मेदारी हम पर है। भारत सरकार ने संचारी और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए विभिन्न राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किए हैं।"
मंत्री ने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लक्ष्य की दिशा में काम करते हुए, सरकार ने दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित स्वास्थ्य कार्यक्रम 'आयुष्मान भारत' मिशन शुरू किया है।
पवार ने कहा, "डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को शामिल करने के लिए योजना का विस्तार किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए सरकारी निजी भागीदारी के तहत वित्त उपलब्ध कराना है।"
पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य देखभाल परिणाम संकेतकों के बारे में बात करते हुए, (जिसमें लगातार सुधार का अनुमान है) मंत्री ने कहा, "संचारी और गैर संचारी रोगों के नियंत्रण, बचाव और उन्मूलन के लिए सरकार अथक प्रयास कर रही है, जिसके कारण कई योजनायें और कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किये जा सके हैं। सरकार के प्रयासों से महिलाओं, बच्चों, शिशुओं और नवजातों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।"
भारती पवार बुधवार को निर्माण भवन से फिक्की हेल्थकेयर एक्सीलेंस अवार्ड समारोह में बोल रही थीं। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विभिन्न परिवर्तन और विकास लाने के लिए फिक्की द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के सस्ती, सुलभ और आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के सपने को प्राप्त करने की हमारी बड़ी जिम्मेदारी है।"
पवार ने कहा, "सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विकास के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के साथ-साथ देश भर में अस्पतालों, सार्वजनिक वित्त पोषित प्रयोगशालाओं के सार्वजनिक-निजी बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कई वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और पैरामेडिक्स चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में परिषद की प्रमुख उपलब्धियां रही हैं।"(आईएएनएस)
मुंबई , 20 अक्टूबर: मुंबई क्रूज शिप ड्रग मामले में बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. कोर्ट ने उनकी जमानत नामंजूर कर दी है. जिसके बाद आर्यन खान की ओर से पैरवी कर रही वकीलों की टीम ने हाईकोर्ट का रुख किया है. आर्यन खान के वकीलों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की है.
बता दें कि आज विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने आर्यन और दो अन्य आरोपियों अरबाज मर्चेंट तथा फैशन मॉडल मुनमुन धमेचा की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा को मादक पदार्थ रखने, इससे संबंधित साजिश, इसके सेवन, खरीद और तस्करी करने के आरोप में तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. तीनों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. आर्यन और मर्चेंट मुंबई में ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं तथा धमेचा यहां बायकुला महिला कारागार में बंद है. मामले में आरोपी आर्यन खान और अन्य के खिलाफ एनडीपीएस कानून की धाराओं-8(सी), 20(बी), 27, 28, 29 और 35 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
जमानत नामंजूर होने के बाद आर्यन को अभी आर्थर रोड जेल में ही रहना होगा. गौरतलब है कि आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका पर सेशन कोर्ट में पिछले हफ्ते सुनवाई हुई थी जिसके बाद अदालत ने फैसला 20 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि आर्यन खान को 3 अक्टूबर को इस ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया था और वे पिछले 17 दिनों से हिरासत में हैं.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का आरोप है कि गोवा जा रहे क्रूज शिप में जो ड्रग्स पार्टी आयोजित की गई थी, उसमें आर्यन भी थे. दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि आर्यन के पास से कोई भी ड्रग्स बरामद नहीं हुआ है. न ही उसने इसका सेवन किया है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. NCB लगातार इस केस में बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग गिरोह होने का दावा कर रही है.NCB का आरोप है कि आर्यन विदेशों ड्रग पैडलर के संपर्क में थे. यह ड्रग्स की गैरकानूनी खरीद के ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है.
जांच एजेंसी ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि आरोपी बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीद के लिए विदेशियों के संपर्क में था. जबकि आर्यन के वकीलों ने इसे गलत बताते हुए कहा कि वह क्रूज़ पर भी नहीं था, जिस पर एनसीबी अधिकारियों ने छापा मारा था.आर्यन के पास ड्रग्स खरीदने के लिए रकम नहीं थी. अभिनेता पुत्र के पास कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुई है. जब एनसीबी ने छापा मारा था, तब आर्यन ने क्रूज में एंट्री तक नहीं की थी. न ही ड्रग्स का इस्तेमाल किया था. उनसे पुलिस को कुछ भी नहीं मिला.जमानत न मिलने के बाद आर्यन खान को ऑर्थर रोड जेल में में शिफ्ट कर दिया गया था. अभिनेता के बेटे को विचाराधीन कैदी के तौर पर N956 नंबर मिला है. (भाषा से भी इनपुट)
पहले चीनी और तेल महंगा हुआ, अब प्याज आसमान पर है. भारत में महंगाई से लोगों के जेब पर बन आई है और राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
मुंबई के एक बाहरी इलाके में अपने घर के पास वाले छोटे से बाजार से सब्जी खरीद रहीं शुभांगी पाटिल चीजों के दाम सुनकर हैरान हैं. तेल और चीनी से लेकर अब प्याज तक रोजमर्रा की जरूरत की तमाम चीजों की कीमतें आसमान पर हैं.
भारत में प्याज राजनीतिक रूप से संवेदनशील चीज रहा है. इसकी कीमतें पहले भी कई सरकारें गिरा चुकी हैं. पाटिल कहती हैं, "हर जरूरी चीज महंगी हो गई है. पहले तेल और चीनी महंगे हुए. अब प्याज और टमाटर की कीमत दो हफ्ते में दोगुनी हो गई है. कमाई बढ़ नहीं रही है तो महीने का बजट कोई कैसे संभालेगा?”
प्याज का बोझ
ईंधन और खाने के तेल की कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पाटिल जैसे आम भारतीयों के लिए प्याज का बोझ जेब की जान ले रहा है. हाल ही में भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुई भारी बारिश ने न सिर्फ गर्मी की फसल को नुकसान पहुंचाया है बल्कि सर्दी की फसल की बुआई में भी देर करवा दी है.
मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर धुले जिले के किसान समधन बागुल कहते हैं, "सितंबर में बहुत बारिश हुई तो बीमारी का हमला हुआ और फसल कम हो गई.” एक एकड़ से पांच टन तक फसल लेने वाले बागुल इस साल एक टन फसल की ही उम्मीद कर रहे हैं.
महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य हैं. यहां सितंबर में सामान्य से 268 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है. फसल को नुकसान पहुंचा तो सप्लाई प्रभावित हुई. इसलिए प्याज के सबसे बड़े होलसेल बाजार महाराष्ट्र के लजलगांव में प्याज की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर एक महीने में 33,400 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई. नतीजा यह हुआ कि मुंबई के बाजारों में प्यार 50 रुपये किलो से भी ज्यादा में मिल रहा है.
निर्यात का संकट
विशेषज्ञों का अनुमान है कि त्योहार के मौजूदा दिनों में तो प्याज की कीमतें कम नहीं होने वाली. मुंबई के एक व्यापारी के मुताबिक कम से कम जनवरी तक, जब तक कि नई फसल नहीं आ जाती, प्याज की कीमत उतनी ही बनी रहेगी.
भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है लेकिन महंगाई बढ़ने बावजूद सरकार ने निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई है. व्यापारियों का कहना है कि भारत में बढ़ती कीमतों का असर बांग्लादेश, नेपाल, मलयेशिया और श्रीलंका आदि में भी पड़ेगा.
भारत में बढ़ती कीमतों का नुकसान निर्यातकों को भी हो रहा है. मुंबई स्थित अनियन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह कहते हैं कि आयातक अब तुर्की और मिस्र जैसे दूसरे सप्लायरों के पास जा रहे हैं.
2019 और 2020 में भी प्याज के दाम बहुत बढ़ गए थे. तब सरकार ने कुछ महीनो के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी. इससे श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे उसके पड़ोसियों को किल्लत भी झेलनी पड़ी थी. इस साल भी ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है. मुंबई स्थित एक प्याज निर्यातक के मुताबिक, "अगर सरकार को लगा कि दाम बहुत तेजी से और बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं तो निर्यात पर रोक लगाई जा सकती है.”
सरकार खाद्य पदार्थो की कीमतों को नीचे लाने की कोशिश कर रही है. खाद्य तेलों पर टैक्स घटाने जैसे कदम उठाए गए हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स)
नई दिल्ली : कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी को यूपी सरकार ने आगरा जाने से रोक दिया. वह पुलिस हिरासत में हुई मरे शख्स के परिवार से मुलाकात करने जा रही थीं. इसे लेकर प्रियंका ने ट्वीट भी किया था. उन्होंने लिखा था कि किसी को पुलिस कस्टडी में पीट-पीटकर मार देना कहां का न्याय है? आगरा पुलिस कस्टडी में अरुण वाल्मीकि की मौत की घटना निंदनीय है. भगवान वाल्मीकि जयंती के दिन उप्र सरकार ने उनके संदेशों के खिलाफ काम किया है. इसकी उच्चस्तरीय जांच व पुलिस वालों पर कार्रवाई हो व पीड़ित परिवार को मुआवजा मिले.
प्रशासन द्वारा रोके जाने पर प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ''अरुण वाल्मीकि की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई. उनका परिवार न्याय मांग रहा है. मैं परिवार से मिलने जाना चाहती हूं. उत्तर प्रदेश सरकार को डर किस बात का है? क्यों मुझे रोका जा रहा है. आज भगवान वाल्मीकि जयंती है, पीएम ने महात्मा बुद्ध पर बड़ी बातें की, लेकिन उनके संदेशों पर हमला कर रहे हैं.''
पुलिस आयुक्त डी. के. ठाकुर ने को बताया, ‘‘आगरा के जिलाधिकारी ने लखनऊ पुलिस से लिखित अनुरोध किया था कि राजधानी से आगरा आने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं को कानून-व्यवस्था के मद्देनजर वहां न आने दिया जाए.'' उन्होंने कहा, इसी कारण कांग्रेस महासचिव और उनके साथ जा रहे अन्य लोगों को लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर लखनऊ सीमा के अंदर ही रोक दिया गया. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस महासचिव आगरा अरुण नामक व्यक्ति से मिलने जा रही थीं, जिसकी कथित रूप से पुलिस हिरासत में मौत हो गई है.
गौरतलब है कि आगरा के जगदीशपुरा थाने से के मालखाने से 25 लाख रुपये की चोरी के आरोप में वहां सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने वाले अरुण को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही थी. आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज जी ने बताया कि मंगलवार की रात अरुण की निशानदेही पर चोरी के पैसे बरामद करने के लिए उसके घर की तलाशी ली जा रही थी, उसी दौरान आरोपी की तबियत बिगड़ने लगी. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत लाया हुआ घोषित कर दिया.
इस घटना के संबंध में आगरा जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ने थाना प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. पुलिस ने बताया कि तलाशी के दौरान अरुण के घर से 15 लाख रुपये बरामद हुए हैं.
हाल ही में प्रियंका लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पीड़ितों के परिवार से मिलने जा रही थीं तो भी उन्हें रोककर हिरासत में ले लिया गया था. उस समय प्रियंका ने कहा था कि उन्हें बिना किसी आधार के हिरासत में रखा गया है. प्रियंका ने कहा था कि जस समय मुझे अरेस्ट किया गया मैं सीतापुर जिले में यात्रा कर रही थी जो कि लखीमपुर खीरी जिले की सीमा से करीब 20 किलोमीटर दूर है. मेरी जानकारी में सीतापुर में धारा 144 लागू नहीं थी. खैर, हिरासत में रखे जाने के बाद राहुल और प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाकर पीड़ित परिवार से मिलने की इजाजत दे दी गई थी. (भाषा)
मुंबई : मुंबई क्रूज शिप ड्रग मामले में बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को फिलहाल जेल में ही रहना होगा. कोर्ट ने उनकी जमानत नामंजूर कर दी है.विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने आर्यन और दो अन्य आरोपियों अरबाज मर्चेंट तथा फैशन मॉडल मुनमुन धमेचा की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया.नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने आर्यन खान, मर्चेंट और धमेचा को मादक पदार्थ रखने, इससे संबंधित साजिश, इसके सेवन, खरीद और तस्करी करने के आरोप में तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. तीनों इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. आर्यन और मर्चेंट मुंबई में ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं तथा धमेचा यहां बायकुला महिला कारागार में बंद है. मामले में आरोपी आर्यन खान और अन्य के खिलाफ एनडीपीएस कानून की धाराओं-8(सी), 20(बी), 27, 28, 29 और 35 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों को अब जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करना होगा. जमानत नामंजूर होने के बाद आर्यन को अभी आर्थर रोड जेल में ही रहना होगा. गौरतलब है कि आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की जमानत याचिका पर सेशन कोर्ट में पिछले हफ्ते सुनवाई हुई थी जिसके बाद अदालत ने फैसला 20 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि आर्यन खान को 3 अक्टूबर को इस ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया गया था और वे पिछले 17 दिनों से हिरासत में हैं.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का आरोप है कि गोवा जा रहे क्रूज शिप में जो ड्रग्स पार्टी आयोजित की गई थी, उसमें आर्यन भी थे. दूसरी ओर, बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि आर्यन के पास से कोई भी ड्रग्स बरामद नहीं हुआ है. न ही उसने इसका सेवन किया है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. NCB लगातार इस केस में बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग गिरोह होने का दावा कर रही है.NCB का आरोप है कि आर्यन विदेशों ड्रग पैडलर के संपर्क में थे. यह ड्रग्स की गैरकानूनी खरीद के ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा है.
जांच एजेंसी ने कहा कि व्हाट्सएप चैट से पता चलता है कि आरोपी बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीद के लिए विदेशियों के संपर्क में था. जबकि आर्यन के वकीलों ने इसे गलत बताते हुए कहा कि वह क्रूज़ पर भी नहीं था, जिस पर एनसीबी अधिकारियों ने छापा मारा था.आर्यन के पास ड्रग्स खरीदने के लिए रकम नहीं थी. अभिनेता पुत्र के पास कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुई है. जब एनसीबी ने छापा मारा था, तब आर्यन ने क्रूज में एंट्री तक नहीं की थी. न ही ड्रग्स का इस्तेमाल किया था. उनसे पुलिस को कुछ भी नहीं मिला.जमानत न मिलने के बाद आर्यन खान को ऑर्थर रोड जेल में में शिफ्ट कर दिया गया था. अभिनेता के बेटे को विचाराधीन कैदी के तौर पर N956 नंबर मिला है. (भाषा)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर | उत्तराखंड में लगातार आ रही तेज बारिश के बीच केदारनाथ में चारधाम यात्रा के लिए 06 हजार श्रद्धालु मौजूद थे। इनमें से चार हजार श्रद्धालु वापस आ गये हैं। शेष 2 हजार श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। उतराखंड के नैनीताल, हल्द्वानी, काठगोदाम, रानीखेत, पौड़ी, लैंसडाउन, चमोली आदि क्षेत्रों में भी बीते तीन दिन से लगातार तेज बारिश हो रही। काठगोदाम में तो तेज बारिश के कारण रेलवे ट्रैक की पटरी भी उखड़ गई। जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग ने जानकारी दी कि श्री केदारनाथ में कुल 06 हजार श्रद्धालु थे। इनमें से चार हजार वापस आ गये हैं। शेष दो हजार सुरक्षित स्थानों पर हैं। अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में सेना से तीन हेलीकॉप्टर लगाये जा रहे हैं। जिलाधिकारी चमोली एवं रुद्रप्रयाग को निर्देश दिए गए हैं कि यात्रा मार्गों पर फंसे यात्रियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से जिले की स्थिति व यात्रा की जानकारी ली है। अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया है। आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ धनसिंह रावत व डीजीपी अशोक कुमार भी उनके साथ थे।
जिलाधिकारी पौड़ी के मुताबिक तहसील लैंसडाउन के क्षेत्रान्तर्गत छप्पर गिरने से 03 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 02 लोग घायल हो गये थे। घायलों को हायर सेंटर रेफर किया गया है। रूद्रप्रयाग में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। उत्तराखंड के कई अन्य स्थानों पर पर्यटकों के भी फंसे होने की सूचना है। पर्यटकों को सुरक्षित निकालने के लिए जिला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। मंगलवार शाम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नैनीताल ने जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया है।
वहीं तेज बारिश और तूफान के कारण नैनीताल जिले के कई हिस्से सड़क यातायात से पूरी तरह कट गए हैं। अत्यधिक बारिश के कारण उत्तराखंड स्थित काठगोदाम के गोलापार इलाके में सड़क मार्ग टूटकर नदी में बह गया। काठगोदाम में ट्रेनों का आवागमन भी प्रभावित हुआ है। कई ट्रेनों को स्थगित करना पड़ा है। जबकि कई ट्रेनों को शार्ट टर्मिनेट कर दिया गया है। वहीं रानीखेत को सड़क परिवहन से जोड़ने वाले एक मुख्य पुल के ऊपर तक नदी का पानी पहुंच गया, जिससे यहां यातायात व्यवस्था ठप हो गई।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाय कि बारिश के कारण यदि कोई राजमार्ग बाधित होता है, तो उनमें आवगमन जल्द सुचारू करने के लिए पूरी व्यवस्था हो। जिन क्षेत्रों में अधिक वर्षा हो रही हैं, वहां विशेष सतर्कता बरती जाय।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि अतिवृष्टि से जानमाल का जो नुकसान हुआ है। प्रभावितों को मानकों के अनुसार जल्द अनुमन्य सहायता राशि उपलब्ध कराई जाय।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि धैर्य बनाकर रखें। अतिवृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। सभी जरूरी इंतजाम सरकार द्वारा किये जा रहे हैं।(आईएएनएस)
चेन्नई, 19 अक्टूबर | द्रमुक सांसद कनिमोझी और अन्य ने मंगलवार को फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के भाषाई विवाद में फंसने के बाद कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सर्विस देना अनिवार्य करने की वकालत की है। द्रमुक सांसद का यह बयान तब सामने आया है, जब जोमैटो के एक कस्टमर केयर एजेंट ने एक ग्राहक शिकायतकर्ता से कहा कि हिंदी 'राष्ट्रीय भाषा' है और हर किसी को इसके बारे में थोड़ा-बहुत पता होना चाहिए।
कनिमोझी ने लिस्टेड कंपनी जोमैटो का नाम लिए बिना ट्वीट करते हुए कहा, "कुछ कंपनियों का कस्टमर केयर केवल चुनिंदा भाषाओं में ही काम करता है। कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में सेवा देना अनिवार्य किया जाना चाहिए। एक ग्राहक को हिंदी या अंग्रेजी जानने की जरूरत नहीं है।"
दरअसल चेन्नई के एक ग्राहक ने आरोप लगाया है कि उसे हिंदी न जानने के लिए 'झूठा' करार दिया गया। ग्राहक का कहना है कि कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने उससे कहा कि उसे हिंदी तो थोड़ी बहुत आनी चाहिए, क्योंकि यह हमारी 'राष्ट्र भाषा' है।
इस विवाद के बारे में ग्राहक ने ट्वीट किया और कर्मचारी के साथ हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट साझा किया। विकास ने अपनी शिकायत में कहा कि उसने जो ऑर्डर दिया, उसमें से एक आइटम नहीं पहुंचा है।
जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट के साथ अपनी बातचीत के स्क्रीन शॉट्स पोस्ट करते हुए विकास ने कनिमोझी और अन्य को भी टैग किया था।
जोमैटो के कस्टमर केयर एजेंट, जिन्होंने विकास के साथ विनम्र तरीके से बात की थी, ने कहा कि भाषा को लेकर एक बाधा है। कर्मचारी ने कहा, "आपकी जानकारी के लिए हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। इसलिए यह बहुत आम है कि हर किसी को थोड़ी सी हिंदी जाननी चाहिए।"
कंपनी के कर्मचारी की ओर से ऐसा जवाब मिलने पर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जोमैटो की जमकर आलोचना की। यही नहीं, कुछ लोगों ने तो ऐप को अनइंस्टॉल करने का दावा भी किया। कुछ लोगों ने द्रमुक पर भी निशाना साधा है और कहा है कि इसके कई नेता हिंदी पढ़ाने वाले स्कूल चलाते हैं।
जोमैटो ने विकास को जवाब देते हुए ट्वीट किया, "हम समझते हैं कि भोजन और भाषा किसी भी स्थानीय संस्कृति के मूल हैं और हम दोनों को गंभीरता से लेते हैं।"
हालांकि, जोमैटो ने विकास से माफी मांगते हुए कहा कि उसने उस एजेंट को निकाल दिया है और कहा कि वह एक तमिल ऐप बना रहे हैं और तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक तमिल कॉल/सपोर्ट सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया में है। हालांकि बाद में कंपनी ने कहा कि वह उक्त कर्मचारी को नहीं निकाल रहे हैं।
बता दें कि ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी ने विवाद बढ़ने के बाद एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है।
सीईओ दीपिंदर गोयल ने लिखा, "एक खाद्य वितरण कंपनी के एक सहायता केंद्र में किसी की अनजाने में हुई गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई। हमारे देश में सहिष्णुता और ठंडक बरतने का स्तर आजकल की तुलना में कहीं अधिक होना चाहिए। यहां किसे दोषी ठहराया जाए?।"
सीईओ ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की खामियों को सहन करना चाहिए और हम एक दूसरे की भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं की कद्र करते हैं।
गोयल ने यह भी कहा कि कंपनी के कॉल सेंटर एजेंट युवा हैं, जो अपने सीखने की अवस्था और करियर की शुरुआत में हैं। वे भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जोमैटो तमिलनाडु से उतना ही प्यार करता है, जितना वह देश के बाकी हिस्सों से करता है।
उन्होंने कहा, "तमिलनाडु - हम आपसे प्यार करते हैं। जितना हम देश के बाकी हिस्सों से प्यार करते हैं। अधिक नहीं, कम नहीं। जितना हम अलग हैं, उतना ही हम सभी एक जैसे हैं।"
गोयल ने कहा कि कंपनी ने ग्राहक सेवा एजेंट को बर्खास्त नहीं किया है।
गोयल ने लिखा, "हम एजेंट को बहाल कर रहे हैं - यह अकेले ऐसी चीज नहीं है, जिसके लिए उसे निकाल दिया जाना चाहिए था। वह आसानी से सीख सकती हैं और आगे बढ़ने के बारे में बेहतर कर सकती हैं।"
बता दें कि तमिलनाडु में रहने वाले एक शख्स ने आरोप लगाया कि जोमैटो एक्जीक्यूटिव ने पैसे रिफंड करने के लिए हुई बातचीत में उससे हिंदी सीखने को कहा। स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए विकास नाम के शख्स ने लिखा "कस्टमर केयर का कहना है कि मेरा रिफंड इसलिए नहीं किया क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती। उसने मुझे झूठा भी करार दे दिया।"(आईएएनएस)
रांची, 19 अक्टूबर | गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड की गुरदरी थाना क्षेत्र में दो नाबालिग बहनों से सामूहिक बलात्कार के नौ आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी ने थाना में नामजद मामला दर्ज होने के अगले ही दिन फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। दोनों लड़कियां बीते शुक्रवार की शाम अपने भाई के साथ दशहरा मेला देखकर गांव लौट रही थीं तो रास्ते में दस युवकों ने उन्हें घेर लिया था। आरोपियों ने भाई को मारपीट कर भगा दिया और दोनों लड़कियों को पास के जंगल में ले जाकर उनसे सामूहिक दुष्कर्म किया।
शनिवार को थाने में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने दबिश बढ़ायी तो इनमें से एक आरोपी ने अपने घर में फांसी लगा ली। आज सात आरोपियों को पुलिस ने तब गिरफ्तार किया, जब वे गुमला में एक वकील के घर उनसे मिलने पहुंचे थे। गुमला पुलिस ने बताया कि सातों अभियुक्त अदालत में आत्मसमर्पण करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन वकील के घर से निकलते ही पुलिस ने उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। दो आरोपियों को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
इधर, गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड कार्यालय में तैनात दो होमगार्डस पर एक मूक बधिर महिला ने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए रविवार को प्राथमिकी दर्ज करायी थी। उसने पुलिस को इशारों में बताया कि वह प्रखंड कार्यालय के पास बकरी चराने गयी थी, तभी दो होमगार्ड जवानों ने उसकी इज्जत लूटी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।(आईएएनएस)
एमनेस्टी ने कहा है कि कई सरकारों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने के अवसर के रूप में महामारी का इस्तेमाल किया है. संस्था ने गलत सूचना के प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका पर भी जोर दिया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर की दमनकारी सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोरोना वायरस को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं. इस संबंध में उसने कुछ सरकारों के कदम का भी जिक्र किया.
एमनेस्टी की रिपोर्ट का नाम "साइलेंट एंड मिसइनफॉर्मेड: फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन इन डेंजर ड्यूरिंग कोविड-19" है. अधिकार संस्था ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर की सरकारों द्वारा घोषित उपायों का हवाला दिया, जिन्होंने 2020 के बाद से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर "अभूतपूर्व" अंकुश लगाया.
एमनेस्टी में अनुसंधान वकालत और नीति के वरिष्ठ निदेशक रजत खोसला ने कहा, "मीडिया चैनलों को लक्षित करने का प्रयास किया गया है, सोशल मीडिया को सेंसर किया गया और कई मीडिया आउटलेट बंद कर दिए गए हैं." साथ ही उन्होंने कहा उचित जानकारी के अभाव में कई लोगों की जान भी गई होगी.
एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "जिन सरकारों ने लंबे समय तक सार्वजनिक क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिबंधात्मक कानून के साथ साझा किए जाने पर कड़ा नियंत्रण रखा है, उन्होंने महामारी का इस्तेमाल आलोचना, बहस और सूचनाओं को साझा करने के लिए कानूनों को लागू करने के लिए किया है."
रिपोर्ट में कहा गया है, "कुछ अन्य सरकारों ने महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति और चिंताओं का उपयोग आपातकालीन उपायों को अपनाने और नए कानून बनाने के लिए किया है जो न केवल अनुपातहीन हैं बल्कि गलत सूचना जैसे मुद्दे भी हैं. इससे निपटने में भी अप्रभावी साबित हुए हैं."
चीन और रूस में स्वतंत्रता और भी सीमित
रिपोर्ट में कहा गया है चीन, जहां पहली बार 2019 में कोरोना वायरस का पता चला था, उसने फरवरी 2020 तक 5,115 लोगों के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू की थी. चीनी अधिकारियों के मुताबिक इन लोगों पर महामारी की प्रकृति की "झूठी और हानिकारक जानकारी गढ़ने और फिर जानबूझकर इसे फैलाने" का आरोप लगाया गया था.
एमनेस्टी ने कहा कि रूस ने अपने "फर्जी समाचार" कानून का विस्तार किया और आपातकाल के संदर्भ में "जानबूझकर झूठी जानकारी का सार्वजनिक प्रसार" कहे जाने वाले आपराधिक दंड को लागू करने वाले संशोधन पेश किए हैं.
संस्था के अनुसार रूस ने फर्जी समाचार प्रकाशित करने के नाम पर मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कानून भी बनाए हैं. एमनेस्टी ने कहा कि महामारी के मद्देनजर प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन इस बात की अधिक संभावना है कि महामारी खत्म होने के बाद भी कार्रवाई जारी रहेगी.
अपनी रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोशल मीडिया पर भी प्रकाश डाला कि कैसे वे गलत सूचना के प्रसार को सुविधाजनक बनाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को इस तरह से बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है कि यह यूजर्स का ध्यान खींच सके और उन्हें जोड़े रखें. इस संबंध में वे झूठी और भ्रामक जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए लगन से काम नहीं करते हैं.
मानवाधिकार संस्था ने अपनी 38 पन्नों की रिपोर्ट में कहा,"गलत सूचनाओं का हमला... अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वास्थ्य के अधिकारों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है." (dw.com)
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)