अंतरराष्ट्रीय
वाशिंगटन, 27 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश रुथ बादर गिंसबर्ग के निधन के बाद रिक्त हुए पद के लिए एमी कोनी बैरेट को नये न्यायाधीश के रूप में नामित किया है।
श्री ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस प्रांगण में कहा, ''हमारे देश की सबसे प्रतिभाशाली और बेहतरीन कानूनविद में से एक बैरेट को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नामित करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। वह विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं और संविधान के प्रति गहरी निष्ठा रखती हैं।''
संबोधन के दौरान सुश्री बैरेट अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बगल में खड़ी थीं। श्री ट्रम्प ने कहा, ''इस तरह का यह तीसरा नामंकान है। मेरे लिए बेहद खुशी के क्षण हैं। आप बेहतरीन हैं।''
कराची, 27 सितंबर (वार्ता) पाकिस्तान में सिंध प्रांत के कराची में एक वैन में आग लग जाने से 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि पांच लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
यह हादसा शनिवार की रात नूरीबाद थाना क्षेत्र में हुआ। वैन हैदराबाद से कराची की ओर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में उसमें आग लग गई। हादसे में वैन में सवार 13 लोगों की जल जाने से मौत हो गई।
पुलिस महानिदेशक मोटरवे डॉ. आफताब पठान ने बताया कि वैन में कुल 20 लोग सवार थे। आग लगने के बाद वैन पलट गई जिसके कारण सभी यात्री उसमें फंस गए। तेरह यात्रियों की झुलस जाने से मौत हो गई। उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपनी जान बचाने में सफल रहे लेकिन उन्हें भी गंभीर चोटें आई हैं। पांच लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। डा. आफताब ने बताया कि वैन में से शवों को निकालने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने बताया कि वैन हैदराबाद से करीब 60 किमी दूर पहुंची थी, इसी दौरान यह हादसा हो गया। वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी है। सूचना मिलते ही मौके पर एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड राहत कार्य के लिए मौके पर पहुंच गयी। हादसे में बचने वालों में वैन का चालक और एक बच्चा शामिल है। मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है।
नूरीबाद के पुलिस उपाधीक्षक नजर दीशक ने बताया यह हादसा हैदराबाद से 63 किलोमीटर दूर हुआ है।
बीजिंग, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| चीनी विशेषज्ञों ने 25 सितंबर को पेइचिंग में आयोजित एक न्यूज ब्रिफिंग में कहा कि अब चीन में 11 नए कोरोनावायरस टीके का नैदानिक परीक्षण किया जा रहा है। चीन के नए कोरोनावायरस वैक्सीन का दीर्घकालिक सुरक्षात्मक प्रभाव होगा चीनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामाजिक विकास प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वु युवान पीन ने कहा कि चीन का नए कोरोनावायरस वैक्सीन अनुसंधान और विकास विश्व की अग्रिम पंक्ति पर है। चीन की जूंगशेंग कंपनी के दो वैक्सीन का 35 हजार लोगों के शरीर पर परीक्षात्मक प्रयोग किया गया है। अभी तक कोई गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं हुई। दूसरी कंपनियों ने दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी एशिया और यूरोप के देशों में भी वैक्सीन का परीक्षात्मक प्रयोग शुरू किया है।
उधर चीनी सीडीसी के विशेषज्ञ जंग क्वांग ने कहा कि तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों को पूरा करने के बाद हम टीका के संरक्षण के बारे में निष्कर्ष निकाल सकते हैं। अभी तक प्राप्त जो परिणाम है वह संतोषजनक है।
चीनी स्वास्थ्य आयोग के तहत चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी विकास केंद्र के प्रधान जंग जूंग वेई ने कहा कि हम वैक्सीन के लिए वैश्विक पहुंच तंत्र का समर्थन करते हैं। इसी संदर्भ में हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संपर्क रख दिया है। हमारा उद्देश्य नए कोरोनावायरस वैक्सीन को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनाने को बढ़ावा देना है।
( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )
बीजिंग, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने महामारी की आड़ में बारांबार चीन पर आरोप लगाया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन पर बेमतलब हमला बोला। उनका उद्देश्य अपने देश में महामारी की रोकथाम में विफल होने का ठीकरा चीन पर फोड़ना है, जो कि सरासर बेबुनियाद और बेकार है। झूठ कभी सच को ढक नहीं सकता है। महामारी की रोकथाम में चीन के व्यवहार को पूरी दुनिया ने साफ तौर पर देखा है और इसकी प्रशंसा करती है। कोरोना वायरस मानव जाति का समान दुश्मन है। चीन कोरोना वायरस से ग्रस्त है, बल्कि महामारी की रोकथाम में अहम योगदान देने वाला देश भी है। चीन ने समय पर महामारी की सूचना दुनिया को दी, समय पर इसकी पहचान की और समय पर वायरस का जीन अनुक्रम साझा किया।
वायरस के मानव से मानव संक्रमित होने की पुष्टि के बाद चीन ने समय पर वुहान शहर को बंद करने का फैसला किया। चीन ने हूपेई प्रांत और वुहान शहर में आवाजाही पर सख्त नियंत्रण किया। जब 23 जनवरी को चीन ने वुहान में लॉकडाउन शुरू किया, तब चीन के बाहर अन्य देशों और क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के सिर्फ 9 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ एक मामला अमेरिका में है। 31 जनवरी को अमेरिका ने चीन जाने वाली सीधी उड़ान को स्थगित किया। फिर 2 फरवरी को अमेरिका ने सभी चीनी नागरिकों के अमेरिका जाने पर पाबंदी लगायी। उस समय अमेरिका में बस 10 मामले थे। महामारी की रोकथाम में चीन का प्रयास साफ, खुला और पारदर्शी है।
लेकिन अमेरिका ने क्या किया। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर बगैर किसी कारण के आरोप लगाया और डब्ल्यूएचओ से हटने का फैसला किया। यह महामारी की रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए खतरनाक है। इससे न सिर्फ दुनिया के लोगों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि अमेरिकी लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
तथ्यों ने फिर एक बार साबित कर दिया है कि एकतरफावाद और धौंस जमाने का व्यवहार दुनिया के सामने मौजूद सबसे गंभीर खतरा है। अमेरिका को जल्द एकतरफावाद छोड़कर राजनीतिक कुचेष्टा बंद कर देनी चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ महामारी की समान रोकथाम करनी चाहिए, न कि दूसरों पर जिम्मेदारी लादना और कालिख पोतना।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
टोक्यो, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में जापान के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री योशीहिदे सुगा ने कहा है कि वह उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन से 'बिना किसी शर्त के' मिलने के लिए तैयार हैं। जापान टाइम्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क में वैश्विक नेताओं की वार्षिक सभा में शुक्रवार को एक रिकॉर्ड किए गए भाषण में सुगा ने कहा, "जापान और उत्तर कोरिया के बीच रचनात्मक संबंध स्थापित करना न केवल दोनों पक्षों के हितों में होगा, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में भी बहुत योगदान देगा।"
उन्होंने कहा, "मैं पूरे समर्पण के साथ कदम उठाने में को लेकर कोई मौका नहीं छोड़ूंगा।"
1970 और 1980 के दशक में जापानी नागरिकों के उत्तर कोरिया द्वारा अपहरण के मसले के बारे में सुगा ने कहा कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।
कोरोनावायरस के बारे में उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रसार मानव सुरक्षा के लिए एक संकट है, जो दुनिया भर में लोगों के जीवन, आजीविका और गरिमा के लिए खतरा है। इस संकट को दूर करने के लिए हमारे लिए मार्गदर्शक सिद्धांत 'किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना' होना चाहिए।
--आईएएनएस
वे घर में काम करने वाली एक सामान्य महिला थीं जो इंडोनेशिया से सिंगापुर के एक अमीर परिवार के यहाँ काम करने पहुँची थीं।
परिवार भी कोई आम परिवार नहीं - एक ऐसा परिवार जो सिंगापुर की बड़ी-बड़ी कंपनियों का मालिक है।
एक दिन इस परिवार ने महिला पर कऱीब 115 कपड़े, कुछ महंगे हैंडबैग, एक डीवीडी प्लेयर और घड़ी चोरी करने का आरोप लगाया। परिवार ने पुलिस में शिक़ायत कर दी जिसके बाद ये एक हाई-प्रोफ़ाइल केस बन गया।
लेकिन इस महीने की शुरुआत में पारती लियानी को अदालत ने बरी कर दिया।
अदालत के आदेश के बाद पारती ने कहा, मैं बहुत ख़ुश हूँ। मैं अंतत: आज़ाद हूँ। मैं चार साल से लड़ रही थी। लेकिन पारती के केस ने सिंगापुर की न्यायिक व्यवस्था पर कुछ सवाल खड़े किये हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या न्यायिक व्यवस्था पर भी असमानता का प्रभाव है? क्योंकि निचली अदालत ने इसी मामले में दोषी ठहरा दिया था।
क्या था पूरा मामला?
कहानी 2007 से शुरू होती है, जब पारती लियानी ने ल्यू मोन लियॉन्ग के घर काम करना शुरू किया। इस परिवार में कई सदस्य थे जिनमें से एक ल्यू के बेटे कार्ल भी थे।
साल 2016 में कार्ल ल्यू और उनके परिवार ने अलग रहने का निर्णय लिया और वो किसी दूसरी जगह रहने चले गए।
कोर्ट के दस्तावेज़ों से पता चलता है कि पारती को कार्ल ल्यू के नये घर और दफ़्तर की सफ़ाई करने के लिए कई बार कहा गया। हालांकि ये सिंगापुर के श्रम क़ानूनों का उल्लंघन था और पारती ने इसकी शिकायत मालिकों से की भी थी।
कुछ महीने बाद ल्यू परिवार ने पारती से कहा कि उन्हें चोरी के शक़ में नौकरी से निकाल जा रहा है। लेकिन पारती के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने कार्ल ल्यू से कहा था कि मैं जानती हूँ कि मुझे नौकरी से क्यों निकाला जा रहा है, दरअसल आप नाराज़ हैं क्योंकि मैंने आपका शौचालय साफ़ करने से मना कर दिया था।
एक धमकी का अंजाम
बहरहाल, पारती को दो घंटे का समय दिया गया कि वे अपना सामान पेटियों में समेट लें ताकि उन्हें इंडोनेशिया में पारती के घर तक भेजा जा सके। पैकिंग के बाद पारती वापस अपने घर इंडोनेशिया लौट आईं। हालांकि, सामान बांधते समय पारती ने ल्यू परिवार को यह धमकी दे दी थी कि वे सिंगापुर प्रशासन को बतायेंगी कि उनसे कार्ल ल्यू का घर साफ करवाया गया।
पारती के जाने के बाद ल्यू परिवार ने तय किया कि उनके सामान की जाँच की जाये, और कथित पड़ताल के बाद उन्होंने दावा किया कि उन्हें पारती के सामान में अपना कुछ सामान मिला। इसके बाद ल्यू मोन लियॉन्ग और उनके बेटे कार्ल ल्यू ने 30 अक्तूबर 2016 को पुलिस में पारती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
पारती के अनुसार, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पाँच हफ़्ते बाद जब वे नये काम की तलाश में फिर से सिंगापुर लौटीं तो पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।
अब चूंकि पारती का नाम एक आपराधिक मुक़दमे में शामिल था, इसलिए वे काम नहीं कर सकती थीं। ऐसे में उन्हें प्रवासी श्रमिकों के बसेरे में शरण लेनी पड़ी और आर्थिक मदद के लिए भी वे उन्हीं पर निर्भर रहीं।
पारती पर जिस सामान की चोरी का आरोप लगा, उसकी कुल क़ीमत एक अनुमान के अनुसार - लगभग 34 हज़ार सिंगापुर डॉलर यानी 18 लाख रुपये से अधिक थी।
दो साल दो महीने जेल की सज़ा
सुनवाई के दौरान पारती ने दलील दी कि जिस सामान का चोरी का सामान कहा जा रहा है, उसमें से कुछ उन्हीं का सामान है, कुछ सामान ऐसा है जिसे परिवार ने फेंक दिया था और कुछ सामान वो है जो उन्होंने पैक ही नहीं किया था।
साल 2019 में एक जि़ला न्यायाधीश ने उन्हें चोरी का दोषी ठहराया और इसके लिए पारती को दो साल दो महीने जेल की सज़ा सुनाई गई।
मगर पारती ने अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील की और सिंगापुर के हाई कोर्ट ने आखिरकार इस महीने उन्हें बरी कर दिया।
जज ने कहा कि परिवार ने ग़लत मक़सद से उनके खिलाफ आरोप लगाये। साथ ही उन्होंने पुलिस, अभियोजन पक्ष और यहाँ तक कि जि़ला न्यायाधीश के इस केस को हैंडल करने के रवैये पर सवाल उठाये।
जज ने कहा कि परिवार ने पुलिस रिपोर्ट इसलिए दर्ज की ताकि पारती को कार्ल ल्यू का घर साफ़ करवाने की शिकायत करने से रोका जा सके।
जज ने नोट किया कि जिन चीज़ों को चुराने का पारती पर आरोप लगाया गया, वो सब खऱाब थीं और खऱाब चीज़ों को सामान्यत: चोरी नहीं किया जाता।
इस केस को लेकर सिंगापुर में काफ़ी हंगामा हुआ। इसे अमीर बनाम गऱीब की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था।
प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच?
इस केस पर सार्वजनिक विरोध को देखते हुए ल्यू मोन लियॉन्ग ने कई कंपनियों के चेयरमैन पद से रिटायर होने की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वे हाई कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं और उन्हें सिंगापुर की न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है। उन्होंने पुलिस रिपोर्ट करने के अपने फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सच में लगा था कि कुछ गलत हुआ है और इसलिए ये उनका फजऱ् था कि वे पुलिस को इसकी ख़बर दें।
इस केस से पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए। क़ानून और गृह मंत्री के शनमुगम ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कुछ तो ग़लत हुआ है।
इस केस ने यह भी दिखाया है कि प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच है।
पारती सिंगापुर में रहकर केस लड़ सकीं क्योंकि उन्हें ग़ैर-सरकारी संस्थान का सहयोग मिला और उनके वकील अनिल बालचंदानी ने बिना पैसे लिये उनका केस लड़ा।
इस मामले में बाइज़्ज़त बरी होने के बाद पारती ने कहा, मैं अब घर लौट रही हूँ। मेरी परेशानियाँ ख़त्म हुईं। मैं ल्यू परिवार को माफ़ करती हूँ और उनसे यह कहना चाहती हूँ कि फिर किसी के साथ ऐसा ना करें। (bbc.com/hindi)
ढाका, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| बांग्लादेश के सिलहट जिले के मुरारी चंद कॉलेज के एक हॉस्टल में एक महिला के साथ पुरुषों के एक समूह ने सामूहिक दुष्कर्म किया।
समाचार पत्र द डेली स्टार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कॉलेज गई महिला और उसके पति को अपराधी हॉस्टल ले गए, जहां उन्होंने पति को बांध दिया और शुक्रवार रात को महिला संग दुष्कर्म किया।
सिलहट मेट्रोपॉलिटन पुलिस (एसएमपी) के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (मीडिया) ज्योतिर्मय सरकार ने कहा, "सूचना पर, पुलिस ने दुष्कर्म पीड़िता और उसके पति को बचाया और देर रात 12.10 बजे के असपास सिलहट एमएजी उस्मानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर भेज दिया।"
उन्होंने कहा, "पुलिस अपराधियों की पहचान की पुष्टि करने और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।"
पुलिस सूत्रों का आरोप है कि अपराधी कॉलेज के छात्र थे।
घटना पर कॉलेज की प्रतिक्रिया आनी बाकी है।
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (आईएएनएस)| भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण पर आईना दिखाते हुए करारा जवाब दिया है। इसमें पाकिस्तान को बांग्लादेश में नरसंहार के रिकॉर्ड को याद दिलाने समेत पाकिस्तानी धरती आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनाने और अल्पसंख्यकों के लिए दमन का अड्डा बनाने की बात कही। दरअसल, खान ने महासभा में पिछले साल के आरोप ही इस साल दोहराए जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर केंद्रित थे और कहा कि भारत अल्पसंख्यकों को सताने पर जोर दे रहा। खान ने संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर में शांति सेना भेजने की भी अपील की।
भारतीय संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रथम सचिव मिजितो विनितो ने शुक्रवार को इस पर जबाव देते हुए कहा, "मैं जोर देकर यह बात कहता हूं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। वहां लागू किए गए नियम-कानून भारत का आंतरिक मामला है।"
उन्होंने कहा, कश्मीरी क्षेत्र पर इस्लामाबाद का अवैध कब्जा है, जिसे खाली करना होगा। साथ ही कहा कि खान के भाषण में नयापन बहुत कम था।
विनितो ने कहा, "पाकिस्तान शांति, संवाद और कूटनीति जैसे आधुनिक सभ्य समाज के सिद्धांत दूर है। उनके पास न दिखाने के लिए कुछ है ना बोलने के लिए कोई उपलब्धि हैऔर ना दुनिया के लिए कोई उचित सुझाव है।"
उन्होंने आगे कहा, "पिछले 70 वर्षो में दुनिया को जो एकमात्र गौरव उन्होंने दिया है, वह है आतंकवाद, नैतिकता का पतन, कट्टरवाद और अवैध परमाणु व्यापार।"
विनीतो ने पाकिस्तान को बांग्लादेश में किए गए नरसंहार का रिकॉर्ड भी याद दिलाया, जिसके लिए उसने आज तक माफी भी नहीं मांगा।
वहीं आतंकवाद में पाकिस्तान के रिकॉर्ड पर विनितो ने याद दिलाया कि खान ने अल कायदा के प्रमुख आतंकवादी को 'शहीद' कहा था। वहीं पाकिस्तान ने "संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए आतंकवादियों में से कई की सालों का मेजबानी की।"
विनितो ने कहा, "ये वही नेता हैं जिन्होंने पिछले साल खुद सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के पास 30,000 से 40,000 प्रशिक्षित आतंकवादी हैं। यह वह देश है जिसने अपने ईश निंदा कानूनों का दुरुपयोग कर हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों का धर्मांतरण किया।"
वहीं पाकिस्तान के प्रथम सचिव मुहम्मद जुल्कारनैन छीना ने कहा कि इस साल के शुरू में दिल्ली के शाहीन बाग में हुए दंगों ने हिंदुत्व की विचारधारा को उजागर किया।
उन्होंने कुलभूषण जाधव का भी जिक्र किया जिनके बारे में भारत का कहना है कि उन्हें ईरान से अगवा करके पाकिस्तान ले जाया गया था।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की गुरुवार को हुई 19वीं बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर और आतंकवाद के मसले पर बहस छिड़ गई.
दोनों देशों में से किसी ने साफतौर पर एक-दूसरे का नाम नहीं लिया लेकिन फिर भी अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी बात कह गए.
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की ये वार्षिक अनौपचारिक बैठक वर्चुअली हुई थी. इसमें भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान पर निशाना साधा.
बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्क के सभी सदस्य देशों से कहा, ''वे सामूहिक रूप से आतंकवाद के संकट को और आंतक व टकराव को पोषित करने, सहायता देने और बढ़ावा देने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रतिबद्धता जताएं. ये दक्षिण एशिया में सामूहिक सहयोग और समृद्धि के सार्क के उद्देश्य में रुकावट पैदा करता है.''
हालांकि, इस दौरान एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया.
वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने सार्क के मंच से लंबे समय से चलते आ रहे विवादों के समाधान पर एक विस्तृत बयान दिया. हालांकि, उन्होंने इसमें साफतौर पर जम्मू-कश्मीर का नाम नहीं लिया लेकिन परोक्ष तौर पर उनका संदर्भ जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर था.
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा, ''हमें विवादित क्षेत्रों में एकपक्षीय/अवैध तरीके से यथास्थिति बदलने की कोशिशों की निंदा और विरोध ज़रूर करना चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करती हैं.''
क़ुरैशी ने इस दौरान लंबे समय से चले रहे विवादों के कारण लोगों के मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन का ज़िक्र भी किया.
नेपाल ने की अध्यक्षता
इस बैठक की अध्यक्षता नेपाल कर रहा था. इसमें सार्क के सभी सदस्य देशों अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के विदेश मंत्री शामिल थे.
हालांकि, सभी सार्क देशों ने इस बैठक में कोरोना वायरस से लड़ने में सहयोग देने को लेकर प्रतिबद्धता जताई. एस. जयशंकर ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ उठाए गए भारत के कदमों का भी ज़िक्र किया.
सार्क दक्षिण एशिया के सात देशों का संगठन है. आठ दिसंबर 1985 को बने इस संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया में आपसी सहयोग से शांति और प्रगति हासिल करना है.
सीआईसीए में भी विवाद
इस तरह का बयान गुरुवार को हुई कॉन्फ्रेंस ऑन इंटरैक्शन ऐंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (सीआईसीए) की मंत्रीस्तरीय बैठक में भी जारी किया गया.
27 देशों की इस बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया. जिसका भारत ने राइट टू रिप्लाई के तहत जवाब दिया.
भारत ने कहा, ''हम पाकिस्तान को सलाह देते हैं कि वो भारत के ख़िलाफ़ आंतकवाद को अपनी स्पॉन्सरशिप और समर्थन देना बंद करे. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और रहेंगे. पाकिस्तान को भारत के घरेलू मुद्दों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. पाकिस्तान का बयान भारत के आंतरिक मुद्दों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में दखल है जो सीआईसीए के सदस्यों के बीच 1999 में संबंध मार्गदर्शक सिद्धांतों पर की गई सीआईसीए घोषणा का उल्लंघन है.''
जब बैठक छोड़कर कर गए भारत-पाक
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले भी अंतरराष्ट्रीय बैठकों में विवाद होता रहा है.
पिछले हफ़्ते भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक को तब छोड़कर चले गए थे जब पाकिस्तान ने भारत के दावे वाले इलाक़ों को अपने नक़्शे में दिखाया था.
पिछले साल सार्क की बैठक में एस. जयशंकर और शाह महमूद क़ुरैशी ने दोनों के भाषणों का बहिष्कार किया था.
सार्क की 19वीं बैठक पहले साल 2016 में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होने वाली थी लेकिन उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था. कई और देशों ने भी इसमें भारत का साथ दिया था.(bbc)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में एक कोरोना वायरस वैक्सीन बनने से पहले COVID-19 से वैश्विक मौतों का आंकड़ा 20 लाख को पार कर सकता है. यू.एन. एजेंसी के आपात कार्यक्रम के प्रमुख माइक रयान ने शुक्रवार को एक ब्रीफिंग में कहा जब तक हम यह सब नहीं करते, 20 लाख लोगों के मौत की संभावना है. चीन में कोरोना वायरस के पता चलने के नौ महीने बाद होने वाली मौतों की संख्या 10 लाख के करीब है. रयान ने कहा कि हाल ही में बढ़ती चिंताओं के बावजूद संक्रमण के लिए युवा लोगों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि वे दुनिया भर में प्रतिबंध और लॉकडाउन के बाद इसका प्रसार बढ़ा रहे हैं.''
WHO चीन के साथ वैक्सीन से वित्त पोषण योजना में अपनी संभावित भागीदारी के बारे में निरंतर बातचीत कर रहा है, जो कि COVID-19 टीकों को वैश्विक स्तर पर तेजी से और समान पहुंच की गारंटी देने के लिए बनाई गई है. COVID -19 के खिलाफ टीके, उपचार और डायग्नोस्टिक्स के लिए WHO के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस आयलवर्ड ने कहा "हम चीन के साथ चर्चा कर रहे हैं, जैसा कि हम आगे बढ़ सकते हैं." उन्होंने पुष्टि की कि ताइवान ने इस योजना पर हस्ताक्षर किए हैं, हालांकि डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं है.
चीन की एक फार्मास्यूटिकल कंपनी ने दावा किया है कि साल 2021 की शुरुआत से अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस वैक्सीन डिट्रिब्यूशन के लिए तैयार हो जाएगी. SinoVac के सीईओ, यिन वेइदॉन्ग ने कहा कि अगर यह ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में सफल होती है तो अमेरिका में CoronaVac को बेचने के लिए यूएस फ़ूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से जल्द आवेदन किया जायेगा.
यिन ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस वैक्सीन प्रायोगिक टीका दिया गया है. उन्होने कहा "शुरुआत में हमारी रणनीति इस वैक्सीन को चीन के लिए और वुहान के लिए डिज़ाइन की थी. इसके तुरंत बाद जून और जुलाई में हमने अपनी रणनीति में बदलाव किया और इसे दुनिया तैयार करने का फैसला किया. शुक्रवार तक भारत में COVID-19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 58,18,571 थी, जिसमें 9,70,116 सक्रिय मामले थे. अब तक 47,56,165 लोगो को रिकवर किया गया है.(catch)
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुरक्षा परिषद से अपील की है कि वो कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की सेना भेज कर हस्तक्षेप करे। शुक्रवार को हुए इस सत्र से भारत ने शुरुआत में ही वॉकआउट कर दिया था।
शुक्रवार को खान ने कहा, "सुरक्षा परिषद को कश्मीर में संघर्ष को रोकना चाहिए और अपने प्रस्तावों का कार्यान्वयन करना चाहिए, जैसा कि पूर्वी तिमोर में किया गया था।"
पूर्वी तिमोर मॉडल में इंडोनेशिया द्वारा आक्रमण करने के बाद सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्तावों को लागू करने और 1999 में तिमोर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और चुनावों की देखरेख करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय बल को अधिकृत किया था। फिर इसके अगले साल संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने तिमोर-लेस्ते में कमान संभाली थी।
2006 में तिमोर में असफल तख्तापलट होने और बड़े पैमाने पर फैली अशांति के बाद फिर से शांति सैनिकों में भेजा था।
1948 में पारित हुए प्रमुख सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 47 मांग करता है कि पाकिस्तान पहले कश्मीर से अपने सैनिकों और नागरिकों को वापस ले। जवाहरलाल नेहरू इस मामले में जनमत संग्रह कराने तैयार हो गए थे लेकिन पाकिस्तान द्वारा प्रस्ताव की शर्त का पालन नहीं करने के कारण जनमत नहीं हो सका था।
इसके बाद भारत ने कश्मीर में चुनाव कराए और बकौल नई दिल्ली यह भारत में इसके शामिल होने की पुष्टि करता है।
वहीं, पुर्तगाली उपनिवेश पूर्वी तिमोर (फ्रेटिलिन) की स्वतंत्रता के लिए एक क्रांतिकारी मोर्चा लड़ रहा था। जब तख्तापलट ने पुर्तगाल में सलाजार शासन को उखाड़ फेंका तो 1975 में फ्रेटिलिन ने स्वतंत्रता की घोषणा की। लेकिन इसके तुरंत बाद ही इंडोनेशिया ने इस पर आक्रमण किया और 1999 तक शासन किया क्योंकि विद्रोहियों ने इंडोनेशिया का समर्थन किया था।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए जनमत संग्रह के बाद 2006 में परेशानी तब पैदा हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने अपने शांति सैनिकों को फिर से वहां भेजा।
ऐसे में तिमोर की तरह कश्मीर में वह मॉडल लागू करें तो सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का पालन करने के लिए कश्मीर से पाकिस्तानियों को हटाना होगा।
वाशिंगटन, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रसिद्ध सोशल कंजर्वेटिव एमी कोनी बैरेट को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सुप्रीम कोर्ट की नई जस्टिस के रूप में नामित करने की संभावना है।
इंटरनेशनल मीडिया ने बताया कि बैरेट लिबरल जस्टिस रूथ बेडर जिन्सबर्ग का स्थान लेंगी, जिनका पिछले शुक्रवार को निधन हो गया था। इस फैसले का एलान व्हाइट हाउस में शनिवार को होने की संभावना है।
उनके नाम पर मुहर लगने को लेकर सीनेट में टकराव देखने को मिल सकती है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव भी नजदीक है।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 48 वर्षीय एमी कोनी बैरेट, रिपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 2017 में नील गोरसच और 2018 में नील गोरसच औेर 2018 में ब्रेट कवाना के बाद नियुक्त तीसरी जस्टिस होंगी।
वाशिंगटन, 26 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने श्वेत लोगों का समूह कू क्लक्स क्लान (केकेके) को एक आतंकवादी समूह के रूप में घोषित करने की योजना बनाई है। व्हाइट हाउस की एक पूल रिपोर्ट में श्री ट्रम्प के चुनावी अभियान का हवाला देते हुए इसका जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में श्री ट्रम्प के चुनावी अभियान की प्लेटिनम योजना के बारे में बताया कि केकेके के अलावा दक्षिणपंथी संगठन एंटीफा को भी आतंकवादी समूह नामित करने के अलावा, अश्वेत समुदायों को लगभग 500 अरब डॉलर की पूंजी तक पहुंच बढ़ाना, जूनतींथ को एक संघीय अवकाश घोषित करना और अश्वेत समुदाय के लिए तीस लाख नए रोजगार पैदा करना शामिल है।
श्री ट्रम्प ने अटलांटा, जॉर्जिया में अपने अभियान के दौरान प्लेटिनम योजना के बारे में बात की, लेकिन केकेके को आतंकवादी समूह घोषित करने या जूनतींथ को एक संघीय अवकाश घोषित करने का जिक्र नहीं किया।
व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वाशिंगटन, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका में ओरेगन सीफूड प्लॉट के 77 कर्मचारी कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। समाचार एजेंसी सिंहुआ के रिपोर्ट के मुताबिक, पॉजिटिव कर्मचारी क्लैटसॉप काउंटी में सीफूड प्लांट से हैं।
काउंटी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को कहा कि प्राइवेट लैब द्वारा इस सप्ताह से नाइट शिफ्ट के 159 कर्मचारियों का जांच किया गया, जिसमें 77 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
ओरेगन हेल्थ अथॉरिटी ने पॉजिटिव कर्मचारियों के लिए क्वारंटीन सुविधा की व्यवस्था की है, वहीं अन्य संपर्को का भी पता लगाया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी डे शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के भी जांच कर रही है।
पॉजिटिव मामलों में से कोई भी अस्पताल में भर्ती नहीं है।
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) में सुनी जा रही समीक्षा और पुनर्विचार मामले में कुलभूषण जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेशी वकील रखने की भारत की मांग को स्वीकार नहीं करेगा और जाधव की किस्मत पाकिस्तानी अदालतों के हाथों में छोड़ दिया है।
जाधव को फांसी होगी या नहीं, इस सवाल का जवाब देते हुए, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने एक साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के न्यायाधीश के फैसले के अनुपालन के अपने दायित्व का पूरी तरह से संज्ञान लेता है।"
उन्होंने कहा, "मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि मामले में निर्णय क्या होगा, लेकिन मामले में प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार केवल पाकिस्तानी न्यायालयों द्वारा प्रदान किया जा सकता है।"
चौधरी ने कहा कि जाधव ने पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात स्वीकार की थी।
उन्होंने कहा, "जब कमांडर जाधव को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, तो उन्होंने जांच के दौरान पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल की। भारत ने आईसीजे में कमांडर जाधव को कांसुलर एक्सेस देने के मुद्दे को उठाया।
फैसले में, आईसीजे ने वियना कन्वेंशन के तहत कमांडर जाधव को उनके अधिकारों से अवगत कराने, भारतीय कांसुलर अधिकारी के माध्यम से उन्हें कांसुलर एक्सेस प्रदान करने, उनकी कनविक्शन के संबंध में प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार प्रदान करने और एक प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार उपलब्ध कराने तक उनकी फांसी पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
प्रवक्ता ने कहा, "पाकिस्तान इन सभी का अनुपालन कर रहा है।"
चौधरी ने भारत पर आईसीजे के फैसले को लागू करने के पाकिस्तान के प्रयासों को विफल करने और जाधव के मामले को पाकिस्तान के खिलाफ प्रचार के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
जाधव का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक भारतीय या एक विदेशी वकील उपलब्ध कराने की नई दिल्ली की मांग के बारे में बात करते हुए, चौधरी ने कहा कि यह भारत को बार-बार बताया गया है कि केवल वही वकील कोर्ट में कमांडर जाधव का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है।
उन्होंने कहा, यह आदेश क्षेत्राधिकार के अनुसार है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में यह भी फैसला सुनाया है कि विदेशी वकील देश के भीतर वकालत नहीं कर सकते हैं।
प्रवक्ता ने आईसीजे के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए भारत सरकार को आगे आने और पाकिस्तान में न्यायालयों के साथ सहयोग करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान सरकार ही है जिसने जाधव के मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोलंबो, 25 सितंबर (आईएएनएस)| श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने लाइट रेलवे ट्रांजिट (एलआरटी) प्रोजेक्ट को खत्म करने का आदेश दिया है। इसका निर्माण राजधानी कोलंबो में किया जाना था। यह जानकारी स्थानीय इकॉनोमीनेक्स्ट की रिपोर्ट से मिली।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अधिकारियों ने बताया कि एलआरटी प्रोजेक्ट जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित परियोजना थी और इसके प्रभावी परिवहन समाधान नहीं होने के कारण राष्ट्रपति ने इसके तत्काल निलंबन का आदेश दिया।
इकोनॉमीनेक्स्ट ने राष्ट्रपति के सचिव पी.बी. जयसुंदर द्वारा परिवहन मंत्रालय के सचिव को लिखे पत्र के हवाले से बताया कि यह परियोजना बहुत महंगी थी और शहरी कोलंबो परिवहन बुनियादी ढांचे के लिए उचित प्रभावी परिवहन समाधान नहीं था।
इस परियोजना पर अनुमानित 150 करोड़ अमेरिकी डॉलर लागत आने की संभावना थी।
राष्ट्रपति द्वारा परियोजना कार्यालय को तत्काल बंद करने का आदेश देने की भी जानकारी देते हुए जयसुंदर ने लिखा, "शहरी विकास और आवास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के राष्ट्रीय योजना विभाग के परामर्श से एक उपयुक्त परिवहन समाधान पर काम किया जा सकता है।"
श्रीलंका ने परियोजनाओं के लिए मार्च 2020 में जापान सरकार के साथ 3000 करोड़ येन (28.457 करोड़ अमेरिकी डॉलर) रियायती ऋण पर हस्ताक्षर किए। साथ ही सरकार ने उन इमारतों के बारे में भी चिंता व्यक्त की जो एलआरटी से प्रभावित हो सकती हैं।
लंदन, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| सात टोरी सांसदों के एक समूह ने 'द कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर' नाम के एक समूह को रिलॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य कश्मीर की 'स्वाधानीता' के लिए अभियान चलाना है। इससे टोरी समर्थक ब्रिटिश भारतीयों में नाराजगी पैदी हो गई है। समूह ने हाल ही में ट्वीट किया, "हमने कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर को रि-लॉन्च कर दिया है। हम कश्मीर और जम्मू में मानवाधिकारों के हनन और स्वाधीनता के लिए अभियान चला रहे हैं। कंजर्वेटिव सांसदों और कार्यकर्ताओं के बीच हमारे कारण से समर्थन बढ़ रहा है। हमें और हमारे काम को फॉलो करें।"
इस कदम ने भारत के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआई) को हतोत्साहित कर दिया है, जो ब्रिटिश भारतीयों के बीच पार्टी को बढ़ावा देता है।
इस सप्ताह की शुरूआत में समूह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट को रीट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था, "हम कश्मीर के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स को फिर से लॉन्च करने के लिए आपके बहुत आभारी हैं। आपकी आवाज कश्मीर के आहत लोगों के लिए आशा की एक किरण की तरह चमकती है। बेसहारा, पस्त, मताधिकारहीन - वे न्याय के लिए आपकी और आपके सहयोगियों की ओर देखते हैं।"
समूह में टोरी के सांसदों में पॉल ब्रिस्टो (पीटरबरो), जेम्स डेली (ब्यूरी नॉर्थ), जैक ब्रेरेटन (स्टोक ओन ट्रेंट साउथ) और स्टीव बेकर (व्योमबे) शामिल हैं, जो सभी पाकिस्तानी आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ब्रेरेटन, डेली और ब्रिस्टो ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑन कश्मीर (एपीपीजीके) में भी शामिल रहे हैं, जिसकी अध्यक्षता लेबर सांसद डेबी अब्राहम्स ने की थी, जिन्हें 17 फरवरी को दिल्ली एयरपोर्ट पर यह सूचित किए जाने के बाद दुबई भेजा गया था कि उनका ई-वीजा वैध नहीं था। अगले दिन वह पाकिस्तान चली गई और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मिली थी। बड़ी बात यह है कि इसका सारा खर्चा इस्लामाबाद द्वारा वहन किया गया।
बाद में पता चला कि एपीपीजीके को 18 फरवरी से 22 फरवरी 2020 के बीच पीओके की यात्रा के लिए 31,501 पाउंड (29.7 लाख रुपये) और 33,000 पाउंड (31.2 लाख रुपये) के बीच लाभ भी मिला।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) के अध्यक्ष कुलदीप शेखावत ने एक मसौदा तैयार करने और उसे कंजर्वेटिव पार्टी के सह-अध्यक्षों को भेजने की योजना बनाई है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि इस पर 200 से अधिक पीआईओ कार्यकर्ता हस्ताक्षर करेंगे।
उन्होंने कहा, "हम कंजर्वेटिव टीम के इस तरह के भारत विरोधी कदम से खुश नहीं हैं। ब्रिटेन को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।"
बीजिंग, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| 75वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तमाम देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के सामने तथ्यों की अनदेखी कर कोविड-19 महामारी, इंटरनेट सुरक्षा और पारिस्थितिकी पर्यावरण आदि मुद्दों पर अकारण चीन पर आरोप लगाया और मनमाने ढ़ंग से राजनीतिक वायरस फैलाया। संयुक्त राष्ट्र महासभा एक गंभीर मंच है, पर ट्रंप ने इस मंच के जरिए चीन के खिलाफ राजनीतिक हमला किया। सभी मौके पर चीन पर कालिख पोतने की कार्रवाई से न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ पर लांछन लगाया गया, बल्कि विश्व शांति भी भंग हुई।
तो ट्रंप ने क्यों इस मंच पर तथ्यों की अनदेखी कर झूठ बोला? सबसे बड़ा उद्देश्य आम चुनाव जीतने के लिए चीन पर जिम्मेदारी थोपना है। ट्रंप ने इसलिए कोरोना वायरस को फिर एक बार चीनी वायरस कहकर बुलाया, क्योंकि वे मतदाताओं में अपना समर्थन बढ़ाना चाहते हैं। ट्रंप के विचार में जितने बड़े मंच पर चीन पर लांछन लगाया जाएगा, अमेरिकी मतदाता उतना ही विश्वास करेंगे। वास्तव में ट्रंप संयुक्त राष्ट्र महासभा के जरिए नागरिकों को उत्तेजित करना चाहते हैं।
दरअसल, लंबे समय से अमेरिका दुनिया भर में चीन को नुकसान पहुंचाने वाली छवि बनाना चाहता है। इसलिए अमेरिका ने आरोप लगाया कि चीन को कोविड-19 महामारी की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, चीन इंटरनेट हमला करता है, यहां तक कि चीन पारिस्थितिकी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। अमेरिका दुनिया को बताना चाहता है कि चीन अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा है, चीन को रोकने पर ही सभी समस्याएं ठीक हो सकेंगी। वास्तव में अमेरिका के कथन का दुनिया विश्वास नहीं करती, लेकिन ट्रंप के विचार में जब तक बात करते करेंगे, देर-सबेर लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा।
इसके अलावा, अमेरिका विश्व मंच पर चीन पर दबाव डालने के लिए बहाना और वैधता ढूंढ़ना चाहता है। आने वाले समय में अमेरिका अवश्य ही लगातार पूरी तरह से चीन पर दबाव डालेगा, लेकिन इससे दुनिया में अमेरिका की प्रतिष्ठा कमजोर हो जाएगी। इसलिए चीन पर कालिख पोतने के जरिए अमेरिका अपने राजनीतिक हमले के लिए बहाना ढूंढ़ना चाहता है।
लेकिन इन बेहूदा दलीलों की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पहले से ही अपील की है। द लान्सेट, नेचर आदि प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक पत्रिकाओं ने बारांबार महामारी को राजनीतिक बनाने की कार्रवाई का ²ढ़ विरोध किया, लेकिन कुछ राजनीतिज्ञ अपने गिरेबान में नहीं झांकते। जब ट्रंप संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दे रहे थे, तब अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 2 लाख से अधिक हो गई है। इस घड़ी में अमेरिकी सरकार नागरिकों की जान बचाने के बजाय लोगों का ध्यान चीन की ओर आकर्षित करना चाहती है। वास्तव में यह दुनिया के लोगों के साथ धोखा है।
तथ्य सबसे अच्छा सबूत है। महामारी को राजनीतिक बनाना लोगों की इच्छा के विरुद्ध है, राजनीतिक वायरस फैलाना अमेरिका में महामारी की स्थिति बेहतर नहीं बना सकती। महामारी पर जानकारी बढ़ने के चलते अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने सहमति बनाई है कि वायरस मानव जाति का समान दुश्मन है। एकजुट होकर सहयोग करने पर ही महामारी को पराजित कर सकेंगे। कुछ राजनीतिज्ञों की महामारी के जरिए राजनीतिक लाभ उठाने की कुचेष्टा विफल नहीं होगी।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नवंबर में चुनाव हार जाने के बाद भी शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण से इनकार किया है.
डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि उनका मानना है कि चुनाव के नतीजे अमरीकी सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे क्योंकि उन्हें पोस्टल वोटिंग पर शक है.
कई राज्य मेल के ज़रिए मतदान को बढ़ावा दे रहे हैं जिसके पीछे वो कोरोना वायरस से सुरक्षा को वजह बता रहे हैं.
डोनल्ड ट्रंप से एक पत्रकार ने सवाल किया था कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन से चुनाव हारने, जीतने या ड्रॉ होने की स्थिति में क्या वो शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण करेंगे.
इस पर डोनल्ड ट्रंप ने कहा, ''मैं मतपत्रों को लेकर शिकायत करता आया हूं और वो एक मुसीबत हैं.''
जब पत्रकार ने कहा कि लोग हंगामा कर रहे हैं तो डोनल्ड ट्रंप ने उन्हें टोकते हुए कहा, ''मतपत्रों से छुटकारा पाएं और बहुत-बहुत शांतिपूर्ण- सत्ता हस्तांतरण नहीं होगा बल्कि वही सरकार जारी रहेगी.''
साल 2016 में भी डोनल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन से चुनाव लड़ते हुए भी नतीजों को स्वीकार ना करने की बात कही थी. हिलेरी क्लिंटन ने इसे अमरीकी लोकतंत्र पर हमला बताया था.
हालांकि, चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप की जीत हुई लेकिन उन्होंने 30 लाख वोट भी खोए जिस पर वो आज भी संदेह जताते हैं.
डेमोक्रेट्स ने क्या कहा
पिछले महीने हिलेरी क्लिंटन ने जो बाइडन से किसी भी स्थिति में हार ना मानने के लिए कहा था.
उन्होंने ऐसी स्थिति का जिक्र किया था जिसमें रिपब्लिकन पार्टी एबसेंटी बैलेट्स (मतदान के दौरान अनुपस्थित मतदाता) को लेकर हंगामा करेगी और नतीजों को चुनौती देने के लिए वकीलों की एक फौज़ इकट्ठा करेगी.
रिपब्लिकन नेताओं ने बुधवार को जो बाइडन पर भी अगस्त में चुनाव से पहले यह कहने को लेकर अशांति फैलाने का आरोप लगाया कि ''क्या किसी का मानना है कि डोनल्ड ट्रंप के जीतने पर अमरीका में कम हिंसा होगी.''
ट्रंप का सुप्रीम कोर्ट को लेकर बयान
इससे पहले बुधवार को, अमरिकी राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश रूथ बेडर गिन्सबर्ग की मृत्यु के बाद खाली हुए पद पर चुनाव से पहले नियुक्ति के अपने फैसले का बचाव किया. साथ ही कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव अदालत में जाकर ख़त्म होंगे.
जस्टिस रूथ बेडर गिन्सबर्ग की 18 सितंबर को मौत हो गई थी.
ट्रंप ने कहा, ''मुझे लगता है कि ये सुप्रीम कोर्ट में ख़त्म होगा और वहां नौ न्यायाधीशों का होना बहुत ज़रूरी है. ये बेहतर है कि चुनाव से पहले ऐसा कर दिया जाए क्योंकि डेमोक्रेट्स जो घोटाला कर रहे हैं वो अमरीकी सुप्रीम कोर्ट के सामने होगा.''
डोनल्ड ट्रंप ने फिर से इस बात का जिक्र किया कि मेल से होने वाले मतदान में धोखाधड़ी आसान है.
उन्होंने कहा कि वह इस शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के लिए एक महिला उम्मीदवार को नामांकित करेंगे. उनकी जस्टिस रूथ बेडर गिन्सबर्ग की जगह नियुक्ति होगी.
पोस्टल वोटिंग को लेकर हंगामा क्यों
कोरोना वायरस संक्रमण के ख़तरे के चलते इस बार पोस्टल वोटिंग में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है.
पोस्टल वोटिंग में लोग खुद वोट करने नहीं जाते बल्कि डाक के ज़रिए वोट देते हैं.
कमिश्नर ऑफ द फेडरल इलेक्शन कमीशन एलेन वीट्रॉब ने कहा, ''इस साजिश का कोई आधार नहीं है कि मेल से मतदान में धोखाधड़ी होती है.''
पोस्टल बैलेट धोखाधड़ी के अलग-अलग मामले सामने आए हैं, जैसे कि 2018 में नॉर्थ कैरोलाइना प्राइमरी में. जहां एक रिपब्लिकन उम्मीदवार के मतदान पत्रों से छेड़छाड़ के बाद फिर से मतदान किया गया था.
न्यू जर्सी में इस साल एक मामला आया था जिसमें दो डेमोक्रेटिक काउंसलर्स पर पोस्टल वोटिंग में कथित धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था.
ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस के 2017 के एक अध्ययन के मुताबिक अमरीका में मतदान धोखाधड़ी की दर 0.00004% और 0.0009% के बीच है.
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक राजनीतिक वैज्ञानिक चार्ल्स स्टीवर्ट के शोध के अनुसार, पोस्टल बैलट के मामले में मतपत्रों के लापता होने की संभावना अधिक होती है.
उन्होंने गणना की है कि 2008 के चुनाव में मेल से किए गए मतदान में खोने वाले मतों की संख्या 76 लाख या उन पांच व्यक्तियों में से एक हो सकती है जिन्होंने अपने मतपत्र पोस्ट किए थे.(bbc)
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| नेपाल सरकार ने भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव को देखते हुए अपने सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को तिब्बती शरणार्थियों की आवाजाही पर करीब से नजर रखने का निर्देश दिया है।
इससे पहले नेपाली सेना ने एक समीक्षा की थी, जहां यह स्पष्ट तौर पर कहा गया कि 'भारत और चीन के बीच 'शत्रुता' की स्थिति में ये शरणार्थी सुरक्षा के लिहाज से खतरा होंगे।'
सूत्रों ने कहा कि चीनी सीमा के पीछे गुप्त संचालनों में भारत के विशेष सीमांत बल(एसएफएफ) में कुछ तिब्बती शामिल हैं, जिसके बाद चीन के दबाव में नेपाल ने तिब्बती शरणार्थियों पर नजर रखने का निर्णय लिया है।
इससे पहले, एक एसएफएफ सुबेदार नेइमी तेनजीन पूर्वी लद्दाख के चुसूल में 30 अगस्त को एक ऊंचाई पर कब्जा जमाने के अभियान में शहीद हो गए थे, जिसके बाद इनका ध्यान तिब्बती शरणार्थियों पर गया।
एसएफएफ की स्थापना 1962 भारत-चीन युद्ध के तुरंत बाद भारत की खुफिया ब्यूरो ने की थी। पहले इसका नाम इस्टेबलिस्मेंट 22 था। बाद में इसका नाम एसएसएफ कर दिया गया, यह अब कैबिनेट सचिवालय के दायरे में आता है।
अब चीन नेपाल में तिब्बती शरणार्थियों पर कड़ी नजर रखना चाहता है।
नेपाल चीन के साथ 1236 किलोमीटर लंबे सीमा को साझा करता है। नेपाल में करीब 20,000 तिब्बती शरणार्थी है। इनमें से कई पूर्व डिटेंशन कैंपों में रहते हैं, जिसे स्थायी सेटलमेंट में बदल दिया गया है।
नेपाल और चीन के बीच 2008 से कई सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने वाले समझौते प्रभावी हैं।
चीन के प्रभाव में आकर नेपाल तिब्बती लोक प्रशासनों पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गया था। इसके साथ ही वह तिब्बती समुदाय, इसके नेताओं पर कड़ी निगरानी रखता है।
सूत्रों के अनुसार, "नेपाल में अधिकतर तिब्बतियों के पास रेसिडेंट परमिट नहीं है। वे लोग बैंक खाते भी नहीं खोल सकते और अपनी संपत्ति भी नहीं खरीद सकते।"
शारजाह, 23 सितंबर (आईएएनएस)| एक प्रवासी भारतीय आखिरकार 20 साल बाद स्वदेश जाने की तैयार में है। शारजाह के अधिकारियों द्वारा 750,000 दिरहम की रियायत दिए जाने के बाद उसकी घर वापसी सुनिश्चित हुई है। गल्फ न्यूज के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भारतीय कामगार थानावेल मथियाझागन का कहना है कि निर्धारित अवधि से ज्यादा रहने के जुर्म में उस पर जुर्माना लगाया गया। जुर्माने की रकम में लगभग 750,000 की राहत मिलने के बाद उसका घर लौटना मुमकिन हुआ।
भारतीय राज्य तमिलनाडु के रहने वाले शख्स का दावा है कि वह पिछले 20 वर्षो में संयुक्त अरब अमीरात में आम माफी के अवसरों का लाभ नहीं उठा सका, क्योंकि गृह राज्य में बने दस्तावेजों में उसके पिता के नाम में मिसमैच था, जिस कारण उसकी पहचान का सत्यापन भारत से नहीं कराया गया और पिता का गलत नाम ही उसके पासपोर्ट पर दर्ज था। भारत में दस्तावेजों में उसके पिता के नाम में स्पेलिंग को लेकर त्रुटि थी।
56 साल के मथियाझागन ने कहा कि उसे मंजूरी न मिलने के कारण का तब अहसास हुआ, जब यूएई में दो सामाजिक कार्यकर्ताओं से उसने कोविड-19 महामारी के दौरान घर लौटने के लिए मदद मांगी और तब उसकी अर्जी पर पुनर्विचार के लिए उसने फिर से अनुरोध किया।
उसने गल्फ न्यूज को बताया कि वह अबू धाबी में नौकरी के लिए भर्ती एजेंट को 120,000 रुपये (6,048 दिरहम) का भुगतान करने के बाद 2000 में यूएई में आया था। यह उसके इम्प्लाइमेंट वीजा परमिट एंट्री पर मुहर से सत्यापित किया जा सकता है। मथियाझागन के पास केवल यह और इसके अलावा पासपोर्ट के अंतिम पृष्ठ की एक प्रति ही दस्तावेज के तौर पर है।
उसने कहा कि एजेंट ने उनका ओरिजनल पासपोर्ट यह दावा करते हुए ले लिया कि मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होने के बाद पासपोर्ट में उनके रेसिडेंस वीजा पर मुहर लग जाएगी।
उसने कहा, "मैंने मेडिकल टेस्ट लिया और अपने रोजगार वीजा का इंतजार किया। लेकिन, एजेंट ने इसमें देरी की और बाद में मुझे पता चला कि कंपनी, जो मुझे नौकरी पर रखने वाली थी, बंद हो गई है।" उन्होंने कहा कि आखिरकार एजेंट ने उनकी कॉल का जवाब देना बंद कर दिया और बाद में उसका पता नहीं चला।
उसने कहा, "मैं अपने मूल स्थान के कुछ लोगों के साथ एक कमरे में रहा। मैं आठ महीने तक बिना किसी नौकरी के साथ रहा। उसके बाद मैं शारजाह आया और कुछ काम करने लगा।"
मथियाझागन ने कहा कि वह अवैध रूप से यूएई में रहकर विभिन्न परिवारों और कंपनियों के लिए पार्ट-टाइम नौकरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे।
उसने दावा किया कि उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में पिछले वीजा माफी प्रस्तावों के दौरान घर लौटने की कोशिश की और उन लोगों की बातों में आकर 10,000 से अधिक दिरहम गंवा दिए जिन्होंने दस्तावेजों की मंजूरी के साथ उनकी मदद करने का वादा किया था।
हालांकि, ए.के. महादेवन और चंद्र प्रकाश पी. जिन्होंने अबू धाबी में भारतीय दूतावास के माध्यम से मथियाझागन को ईसी प्राप्त करने में मदद की, ने कहा कि वह महामारी के दौरान भारत से आइडेंटिटी क्लीयरेंस पाने में विफल रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें मथियाझागन के महादेवन से मिलने के बाद अर्जी खारिज होने की वजह पता चली।
त्रिची क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा सेंधुरई पुलिस स्टेशन को उनके पहचान सत्यापन के लिए भेजे गए दस्तावेजों में उनके पिता का नाम थंगावेल बताया गया है, जबकि उनके पिता का वास्तविक नाम थनावेल है, कुल मिलाकर अतिरिक्त 'जी' अक्षर ने उनके लिए परेशानी खड़ी कर दी थी।
दोनों ने कहा कि उन्होंने भारतीय दूतावास और मथियाझागन के गांव में स्थानीय विभागों से संपर्क कर गलती को सुधारने और उनके दस्तावेजों को प्रॉसेस करने के लिए संपर्क किया। प्रकाश ने कहा, "यूएई में भारतीय राजदूत पवन कपूर ने इस मामले को हल करने में विशेष रुचि ली।"
महादेवन ने कहा कि वह खुश हैं कि मथियाझागन जल्द ही घर वापसी के लिए उड़ान भरेंगे और अपनी सबसे छोटी बेटी से मिलेंगे, जो उनके यूएई आने के बाद पैदा हुई है।
लॉस एंजेलिस, 23 सितंबर (आईएएनएस)| मेलिसा बेनोइस्ट स्टारर सुपरहीरो सीरीज, 'सुपरगर्ल', अपने छठे सीजन के साथ समाप्त होगी। उसके छठे सीजन का प्रीमियर साल 2021 में होने की उम्मीद है। बेनोइस्ट ने इसकी पुष्टि करते हुए कि शो का छठा सीजन इसका अंतिम सत्र होगा, उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "मैं बहुत उत्साहित हूं कि हमें अपनी इस अद्भुत यात्रा को अंजाम पर पहुंचाने के लिए योजना मिल गई है और मैं इस बात का इंतजार नहीं कर पा रही हूं कि आपको बताऊं कि हमारे पास आपके लिए क्या है। मैं वादा करती हूं कि हम इसे एक यादगार अंतिम सीजन बनाने जा रहे हैं।"
अपने पोस्ट में बेनोइस्ट ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने जो दावा किया था कि लड़कियों पर शो का "अविश्वसनीय प्रभाव" पड़ेगा, वह प्रभाव पड़ा है।
31 वर्षीय अभिनेत्री ने लिखा, "यह कहना एक सम्मान की बात है कि इस प्रतिष्ठित चरित्र का चित्रण एक बड़े पैमाने पर समझा जाएगा। दुनियाभर की युवा लड़कियों पर इस शो के अविश्वसनीय प्रभाव को देखकर हमेशा मैं अवाक रह जाती हूं।"
बेनोइस्ट ने आगे कहा, "उसका मुझ पर भी प्रभाव पड़ा है। उसने मुझे वो ताकत सिखाई है जो मुझे नहीं पता था कि मेरे पास है, वह है सबसे अंधेरे में आशा की तलाश करना। वह बेहतर होने के लिए हम सभी को आगे की ओर ढकेलती है। मेरे जीवन में उसका बेहतर प्रभाव पड़ा है।"
वेरायटी डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम सीजन का प्रोडक्शन इस महीने के अंत में शुरू होगा और सीजन 6 में 20 एपिसोड होंगे।
इस्लामाबाद, 23 सितंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान में 22 साल की एक युवती के कथित अपहरण और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म में शामिल तीन आरोपियों में से एक ने पीड़िता को नौकरी की जरूरत होने पर संपर्क करने के लिए एक 'प्रभावशाली' व्यक्ति का फोन नंबर दिया। यह जानकारी पुलिस ने बुधवार को पीड़िता के बयान के हवाले से दिया। जियो टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि अपहृत युवती को वापस छोड़ते हुए कथित दुष्कर्म के आरोपी ने उसे एक मोबाइल फोन नंबर दिया और नौकरी की जरूरत पड़ने पर 30,000 रुपये महीने की नौकरी की पेशकश भी की।
पुलिस ने बुधवार को कहा कि मोबाइल नंबर की जांच पूरी हो गई है और संपर्क नंबर 'एक प्रभावशाली व्यक्ति' का है। हालांकि, जांच से पता चला कि इसका इस्तेमाल अपराध होने वाले स्थल पर नहीं किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि उस प्रभावशाली व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की भी जांच की गई, लेकिन घटना में उस व्यक्ति के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला। अधिकारियों ने कहा कि व्यक्ति के बच्चों के डेटा की भी जांच की जा रही है।
इसके अलावा, पुलिस ने पीड़िता के संकेत पर मंगलवार की रात को क्लिफ्टन के एक फ्लैट में भी छापा मारा। हालांकि, इसमें शामिल किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि आसपास के अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।
अब तक, कथित सामूहिक दुष्कर्म की घटना में शामिल तीन संदिग्धों में से एक की पहचान युवती द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर की गई है।
एक दिन पहले एक काली टोयोटा विगो में तीन लोगों ने रात के करीब 9.30 बजे युवती का अपहरण कर लिया था। तब युवती शहर के अपस्केल इलाके क्लिफ्टन में घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी। उनमें से दो ने बारी-बारी से युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, जबकि तीसरे ने अपराध में उनका साथ दिया।
पुलिस को घटना की जानकारी तब मिली, जब युवती की बहन ने मंगलवार दोपहर को हेल्पलाइन 15 पर घटना के बारे में उन्हें बताया। उन्होंने युवती का बयान दर्ज किया और आगे की जांच शुरू की।
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसे एक फ्लैट में ले जाया गया, जहां संदिग्धों ने उसे यौन हिंसा का शिकार बनाया और दुष्कर्म के बाद वे उसे बदहवास हालत में उसी स्थान पर छोड़ गए, जहां से उसका अपहरण किया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने युवती के हवाले से बताया, "एक काले विगो में आरोपी मुझे अब्दुल्ला शाह गाजी के मस्जिद के पास से उठाकर एक इमारत की तीसरी मंजिल पर ले गए और मेरे साथ दुष्कर्म किया।" उन्होंने आगे कहा, "उसके बाद वे मुझे क्लिफ्टन मॉल के बाहर छोड़कर चले गए।"
युवती ने घटना के एक दिन बाद मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई और उसे जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर (जेपीएमी) भेज दिया गया, जहां प्रारंभिक रिपोर्टों में दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई।
पुलिस ने कहा कि तीनों आरोपियों के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई है। युवती का डीएनए टेस्ट कराया गया है। पुलिस ने कहा कि वह और उसका परिवार नाम उजागर नहीं होने देना चाहता है।
पुलिस ने कहा, "महिला ने प्रभावशाली संदिग्धों की पहचान कर ली है, वे जल्द ही पकड़े जाएंगे।"
साउथ जॉन के पुलिस प्रमुख उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) जावेद अकबर रियाज ने कहा कि अधिकारियों ने 'संदिग्धों की पहचान कर ली है।'
उन्होंने आगे कहा, "हम पीड़िता के वर्जन पर काम कर रहे हैं। हमने संदिग्धों को गिरफ्तार करने और सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाने के लिए अपने अधिकारियों को तैनात किए हैं।"
-सुमी खान
ढाका, 23 सितंबर (आईएएनएस)| पति-पत्नी जीवन में एक-दूसरे के लिए कितना कुछ कर सकते हैं, इसकी एक मिसाल एक बांग्लादेशी व्यक्ति ने पेश की है।
बांग्लादेश में लालमोनिरहाट के पंचग्राम निवासी दुलाल चंद्र रॉय ने अपनी पत्नी तुलसी रानी दासी का सपना पूरा करने के लिए अपनी जमीन बेच दी और उससे हाथी खरीदा है।
दुलाल पेशे से किसान हैं। उसने अपनी जमीन का दो बीघा हिस्सा बेचा और मौलवीबाजार जाकर 16.5 लाख टका में एक हाथी खरीद लिया। वह पिछले हफ्ते 20,000 टके में ट्रक किराए पर लेकर हाथी के साथ घर लौटा है।
उन्होंने कहा, "मैंने जमीन बेच दी और अपनी पत्नी के सपने को पूरा करने के लिए हाथी खरीदा।"
दासी ने कहा कि उसने एक साल पहले एक सपना देखा था जिसमें उसने एक हाथी खरीदा था और वह उसकी देखभाल कर रही थी।
यह पहली बार नहीं है, जब उसने सपने में जानवर देखकर इसे हकीकत में बदला और जानवर खरीदा। कुछ साल पहले तुलसी एक घोड़ा, एक हंस और एक बकरा खरीद चुकी हैं। अब इस हाथी को देखने के लिए आस-पास के इलाकों से लोग इस दंपति के घर पहुंच रहे हैं।
दुलाल ने इस हाथी के लिए 15,000 टका के मासिक वेतन पर महावत भी रखा है।
हाथी देखने आईं राजरहाट क्षेत्र की रहने वाली संतोना रानी ने कहा, "मैंने जिंदगी में पहली बार किसी को अपनी पत्नी का सपना पूरा करने के लिए हाथी खरीदते देखा है।"
खोजी पत्रकारों ने कई बड़े बैंकों के ज़रिए दुनिया के कई देशों से चलने वाले एक मनी लॉन्ड्रिंग के पेचीदा नेटवर्क का पर्दाफ़ाश किया है.
मनी लॉन्ड्रिंग पर शिकंजा कसने वाली अमरीकी संस्था फ़ाइनेंशियल क्राइम्स एन्फ़ोर्समेंट नेटवर्क (FinCEN) या फ़िनसेन की संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टों या एसएआर से पाकिस्तान से दुबई और अमरीका तक फैले हेरा-फेरी के एक बड़े नेटवर्क का पता चलता है.
'सस्पिशस एक्टिविटी रिपोर्ट' को संक्षेप में एसएआर कहा जाता है. ऐसी हज़ारों फ़ाइलों को खोजी पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) ने खंगाला है जिनसे कई राज़ सामने आए हैं, बीबीसी भी आइसीआइजे से जुड़ी हुई है.
आर्थिक फ़र्जीवाड़े का यह नेटवर्क अल्ताफ़ खनानी नाम का एक पाकिस्तानी नागरिक चला रहा था, जिसे भारत से फ़रार माफ़िया सरगना दाऊद इब्राहिम के पैसों का इंतज़ाम देखने वाले मुख्य व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है.
न्यूयॉर्क के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की ओर से दाखिल की गई इन एसएआर रिपोर्टों की तहक़ीक़ात अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने की है जो आइसीआइजे में शामिल है.
फिनसेन फाइलों के ज़रिए जो गोपनीय दस्तावेज़ सामने आए हैं उनसे यह भी पता चलता है कि कैसे बड़े बैंकों ने अपराधियों को दुनिया भर में पैसों की लेनदेन की अनुमति दे रखी थी.
इसी सिलसिले में एसआर खनानी की वित्तीय गतिविधियों की तफ़सील यह बताती है कि दशकों तक उन्होंने ड्रग माफ़ियाओं के साथ-साथ तालिबान और अल क़ायदा जैसे चरमपंथी संगठनों के लिए भी तक़रीबन 14 से 16 ट्रिलियन डॉलर इधर से उधर किया है. खनानी के इस धंधे को अमरीकी अधिकारियों ने 'मनी लॉन्ड्रिंग ऑर्गेनाइज़ेशन' नाम दिया है जिसे संक्षेप में एमएलओ लिखा गया है.
दुनिया भर में चली तहक़ीक़ात के बाद 11 सितम्बर 2015 को खनानी को पनामा एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार करके मयामी की जेल में डाल दिया गया था. फिर जुलाई 2020 में हिरासत ख़त्म होने के बाद निर्वासन के लिए अमरीकी इमिग्रेशन अधिकारियों को सौंप दिया गया था. लेकिन इसके बाद यह साफ़ नहीं हो पाया है कि अमरीकी अधिकारियों ने उन्हें निर्वासित कर पाकिस्तान भेजा है या संयुक्त अरब अमीरात (यूएई).
अमरीका के फ़ॉरेन ऐसेट्स कंट्रोल दफ़्तर (ओएफ़एसी) ने खनानी की गिरफ़्तारी के बाद उन पर प्रतिबंध घोषित करते वक़्त, दाऊद इब्राहिम के साथ उनके रिश्तों के दस्तावेज़ तैयार किए थे.
11 दिसंबर 2015 को जारी किए गए एक नोटिस में ओएफ़एसी कहता है, "खनानी के एमएलओ ने आतंकवादियों, ड्रग तस्करों और आपराधिक संगठनों के लिए विश्व भर में खरबों डॉलर का इंतज़ाम करने के लिए कई वित्तीय संस्थाओं से अपने सम्बन्धों का इस्तेमाल किया. खनानी एमएलओ और अल जूरानी एक्सचेंज के प्रमुख अल्ताफ़ खनानी इस मामले में तालिबान तक के लिए पैसों की हेरा-फेरी में शामिल पाए गए हैं. साथ ही लश्कर-ए-तैबा, दाऊद इब्राहिम, अल-क़ायदा और जैश-ए-मोहम्मद से भी उनके रिश्ते हैं".
खनानी की गिरफ़्तारी को भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियाँ एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही थीं. ख़ास तौर पर इस वजह से क्योंकि ओएफ़एसी ने दाऊद इब्राहिम से सीधे सम्बंध के साथ-साथ लश्कर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद से खनानी के तार सीधे तौर पर जुड़े हुए बताए थे.
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि खनानी पर प्रतिबंधों की घोषणा करने वाली उस मूल नोटिस के जारी होने के ठीक एक साल बाद, 10 अक्टूबर 2016 को, ओएफएसी ने खनानी और खनानी एमएलओ से संबंधित कुछ अन्य लोगों के नाम की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में खनानी के परिवार के कई लोग और कुछ 'संस्थाओं' के नाम शामिल थे जो पाकिस्तान में रहते हुए खनानी और उनके नेटवर्क की मदद कर रहे थे.
इन संस्थाओं की लिस्ट में सबसे ऊपर दुबई स्थित मज़ाक़ा जनरल ट्रेडिंग लिमिटेड कम्पनी का नाम आता है. आज उन प्रतिबंधों के घोषित होने के ठीक 4 साल बाद, फ़िनसेन फ़ाइलें यह बताती हैं कि 'मॉस्को मिरर नेटवर्क' में खनानी एमएलओ की आर्थिक पैठ कितनी गहरी थी.
'मिरर ट्रेडिंग' दरअसल व्यवसाय का एक ऐसा अनौपचारिक तरीक़ा है जिसमें व्यक्ति या संस्था एक जगह से सिक्योरिटी ख़रीद कर बिना किसी आर्थिक लाभ के दूसरी जगह बेच देते हैं. इस तरह रकम के मूल स्रोत और अंतिम गंतव्य स्थान की जानकारी छिपा ली जाती है.
फिनसेन फ़ाइलों में 54 शेल कम्पनियों के नामों वाली 20 पन्ने की एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट शामिल है. शेल कंपनियां उनको कहते हैं जो कोई वास्तविक कारोबार नहीं करती बल्कि ऐसे ही लेन-देन के लिए काग़ज़ों पर खड़ी की जाती हैं.
यह रिपोर्ट कहती है कि 2011 से ही यह 54 कंपनियाँ रूस और यूरोप के बाज़ारों में सालाना खरबों डॉलर तक के हेरफेर में शामिल रही हैं.
फिनसेन इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक़ मज़ाका जनरल ट्रेडिंग कम्पनी को मार्च 2013 से अक्टूबर 2016 के बीच मॉस्को मिरर नेटवर्क संस्थाओं के ज़रिए 49.78 मिलियन डॉलर की रक़म मिली थी. इसके साथ ही मज़ाका ने सिंगापुर की 'आस्क ट्रेडिंग पीटीइ' नाम की एक कंपनी से भी लेनदेन किया था.
यहां रोचक यह भी है कि ओएफएसी ने आतंकवादियों को ग़ैरक़ानूनी पैसा पहुँचने वाली 'खनानी मनी लॉन्ड्रिंग ऑर्गेनाइज़ेशन' की मदद करने की वजह से मज़ाका को प्रतिबंधित कर दिया था.
खनानी और मज़ाका की कहानी में भारतीय कड़ियाँ जुड़ती नज़र आती हैं. लीक दस्तावेज़ों के अनुसार न्यूयॉर्क के जेपी मॉर्गन और सिंगापुर के ओवरसीज़ बैंक के साथ साथ बैंक ऑफ़ बड़ौदा की दुबई शाखा का इस्तेमाल भी मज़ाका जनरल ट्रेडिंग और आस्क ट्रेडिंग पीटीइ के बीच लेन-देन के लिए हुआ था.
इसके अलवा मज़ाका जनरल ट्रेडिंग के खातों की तहक़ीक़ात करने पर नई दिल्ली की 'रंगोली इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड' का नाम सामने आता है. कपड़ों के थोक व्यवसाय में लगी इस कंपनी की स्थापना 2009 में हुई थी.
फ़िनसेन फ़ाइलों में रंगोली इंटरनेशनल के नाम के आगे तक़रीबन 70 लेन-देन दर्ज हैं जो का पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, विजया बैंक और ऑरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स जैसे कई भारतीय बैंकों से होती हुई यूएई पहुँचती थी.
17 जगहों से चल रही इस हेरा-फेरी का आँकड़ा 10.65 मिलियन डॉलर तक जाता है. इसमें एक महत्वपूर्ण लेनदेन 18 जून 2014 को किया गया था जब मज़ाका जनरल ट्रेडिंग को पंजाब नेशनल बैंक के ज़रिए 136,254 डॉलर भेजे गए.
रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ (आरओसी) के दस्तावेज बताते हैं कि मार्च 2014 के आसपास रंगोली इंटरनेशनल के मुनाफ़े में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. इस वक़्त 339.19 करोड़ के राजस्व पर कंपनी ने 74.87 करोड़ रुपए का नुक़सान उठाया था. 2015 के बाद से कंपनी ने आज तक न ही शेयरहोल्डरों की सालाना बैठक बुलाई है और न ही अपनी सालाना बैलेंस शीट ही जमा की है.
कई भारतीय बैंकों ने रंगोली की चूकों पर अलर्ट भी जारी किए हैं. भारतीय यूनियन और कॉर्पोरेशन बैंकों ने वसूली के लिए रंगोली इंटरनेशनल की अचल सम्पत्ति की नीलामी के नोटिस तक जारी किए थे.
इलाहाबाद बैंक ने तो 2015 में ही इस कंपनी को अपने शीर्ष 50 नॉन परफॉर्मिंग एससेट्स की सूची में शामिल कर लिया था.
इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) की ओर से संपर्क किए जाने पर अल्ताफ़ खनानी के वकील मेल ब्लैक ने कहा, "मिस्टर खनानी ने अपनी ग़लती मान ली है और उसकी लंबी सज़ा जेल में काट चुके हैं. इस दौरान वह अपने परिवार से अलग रहे और उनके भाई की मौत भी हो गई. उनके पास अब कोई पैसा नहीं बचा, सारे अकाउंट फ़्रीज़ कर दिए गए हैं और आगे ओएफ़एसी के ब्लॉक की वजह से उनके दोबारा पैसे कमाने की सारी गुंजाइश ख़त्म हो चुकी है. बीते पाँच सालों से वह किसी भी व्यापरिक गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं. वह आगे क़ानून को मानने वाले एक साधारण नागरिक का जीवन जीना चाहते हैं".
सम्पर्क करने पर रंगोली इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक लव भारद्वाज ने कहा, "2013 से 2014 के बीच के जिन 70 लेन-देन के बारे में आप पूछ रहे हैं, उनका हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है इसलिए इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं होगा".
"हम कपड़ों में व्यापार में हैं और माल बेचने के बाद भुगतान की राशि का हमारे खातों में आना रूटीन बात है. 18 जून 2014 को पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए जिस ट्रांज़ैक्शन की आप बात कर रहे हैं, उसका कोई रिकॉर्ड हमारे पास मौजूद नहीं है. मज़ाका जनरल ट्रेडिंग और अल्ताफ़ खनानी के साथ न ही हमारा कोई व्यापारिक सम्बंध हैं और न ही हम उन्हें जानते हैं".(bbc)