अंतरराष्ट्रीय
इराक में 2017 में "इस्लामिक स्टेट" को हराए जाने के बाद सैकड़ों लोगों को इस आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के आरोप में फांसी पर चढ़ाया गया है. मानवाधिकार संस्थाएं कहती हैं कि आनन फानन में लोगों को मौत की सजा दी जा रही है.
इराक में हजारों लोग आतंकवाद के आरोपों में हिरासत में रखे गए हैं
इराक के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि देश के उत्तरी हिस्से में स्थित बदनाम नासिरियाह जेल में सोमवार को 21 लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया गया. इन लोगों को 2005 के आतंकवाद रोधी कानून के तहत दोषी करार दिया गया था.
अधिकारियों ने विस्तार से इस बारे में ब्यौरा नहीं दिया है कि इन लोगों के अपराध क्या क्या थे. लेकिन मंत्रालय के बयान में यह जरूर कहा गया है कि इनमें से कुछ लोग उत्तरी शहर तल अफार में हुए दो आत्मघाती हमलों में शामिल थे जिनमें दर्जनों लोग मारे गए थे.
इराक ने 2017 में तथाकथित इस्लामिक स्टेट पर जीत का एलान किया. तब से वहां सैकड़ों संदिग्ध जिहादियों के खिलाफ मुकदमे चलाए गए हैं और कई बार लोगों को सामूहिक तौर पर फांसी पर चढ़ाया गया है.
आईएस ने 2014 में इराक के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया था. लेकिन इसके बाद आने वाले तीन सालों में अमेरिकी सैन्य अभियान की मदद से इस्लामिक स्टेट को ना सिर्फ इराक में बल्कि सीरिया में भी हरा दिया गया.
बेरहम नरसंहार
2014 में आईएस ने सीरिया में कम से कम 10,000 यजीदियों को मार दिया. मरने वाले सारे पुरुष थे. आईएस के आतंकवादियों ने 12 साल से अधिक उम्र के सभी लड़कों को भी मार डाला. अब तक कम से कम 80 सामूहिक कब्रें मिली हैं.
न्याय व्यवस्था की खामियां
इराक में सैकड़ों लोगों को आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी करार दिया गया है. लेकिन अधिकारियों ने उनमें से सिर्फ कुछ ही सजाओं पर अमल किया है, क्योंकि इसके लिए देश के राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी पड़ती है.
इराकी अदालतों में दर्जनों विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी आईएस से जुड़े होने के आरोप में मुकदमे चले हैं. इनमें से फ्रांस के 11 और बेल्जियम के एक नागरिक को फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन उनकी सजा पर अभी अमल नहीं हुआ है.
इराक की सरकार ने इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है कि संदिग्ध आतंकवादियों को कहां रखा गया है या फिर कितने लोगों के खिलाफ ऐसे मामलों में मुकदमे चल रहे हैं. कुछ अध्ययन बताते हैं कि लगभग बीस हजार लोगों को आईएस के साथ संबंध रखने के आरोप में हिरासत में रखा गया है.
आईएस के लिए हिरासत केंद्र
कुछ हिरासत केंद्रों को हाल के सालों में बंद किया गया है जिनमें बगदाद की अबू गरेब जेल भी शामिल है. इसी जेल से अमेरिकी अधिकारियों के हाथों शोषण का शिकार होने वाले कैदियों की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद दुनिया भर में अमेरिका की आलोचना हुई थी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इराक की न्याय व्यवस्था में बहुत भ्रष्टाचार है और जज परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर तुरत फुरत फैसले सुना रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार अभियुक्तों को अपना बचाव करने के लिए वकील भी नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं. इराकी अधिकारी इस तरह के दावों को खारिज करते हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौत की सजा देने वाले देशों में इराक पांचवें पायदान पर है. संगठन के अनुसार 2019 में वहां 100 लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया. इसका मतलब है कि जितने भी लोगों को पिछले साल मौत की सजा दी गई, उनमें हर सातवां व्यक्ति इराक में फांसी के तख्ते पर झूला था.
एके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)(dw.com)
बीजिंग, 18 नवंबर | हाल ही में संपन्न हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता यानी आरसीईपी पर चीन सहित पंद्रह देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, लेकिन भारत कुछ चिंताओं के चलते इसमें शामिल नहीं हुआ है। भारत के इसमें शामिल न होने की क्या वजहें हो सकती हैं, भारत इस महत्वपूर्ण मंच में भविष्य में हिस्सा लेगा या नहीं। इस बारे में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार और जेएनयू में प्रोफेसर बी.आर. दीपक ने सीएमजी संवाददाता अनिल पांडेय के साथ बातचीत में जोर दिया कि कभी न कभी भारत को इस समझौते में शामिल होना ही होगा। बकौल दीपक अगर हम चाहते हैं कि हमारा उद्योग प्रतिस्पर्धी हो तो हमें जल्द या बाद में आरसीईपी का हिस्सा बनना पड़ेगा। जितना जल्दी हो उतना बेहतर रहेगा।
उनके मुताबिक यह एक तरफ हमें आर्थिक पुनर्गठन करने और प्रमुख क्षेत्रों को विकसित करने के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए मजबूर करेगा, दूसरी ओर उन क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने का मौका भी देगा।
अगर भारत इसमें सक्रिय रूप से भाग नहीं लेता है तो उसका आरसीईपी देशों के साथ मौजूदा अंतर और व्यापार घाटे में लगातार बढ़ोतरी होगी। ऐसे में यह भारत के नुकसान वाली स्थिति होगी।
दीपक के अनुसार पिछले साल जब भारत ने आरसीईपी से अलग रहने का फैसला किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के हितों की बात कही। मोदी ने कहा कि चूंकि समझौता किसी भी भारतीय के हित में नहीं है, इसलिए न गांधीजी के न ही मेरे विवेक ने मुझे आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति दी। हमें यह समझना होगा कि इससे भारत के क्या हित जुड़े हैं।
यहां बता दें कि भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय चीन के साथ 53.5 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। हालांकि आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा 21.8 अरब डॉलर का है। वहीं दक्षिण कोरिया के साथ 12 अरब डॉलर, ऑस्ट्रेलिया के साथ 9.6 अरब डॉलर और जापान के साथ करीब 8 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा भारत को झेलना पड़ रहा है।
तर्क है कि अगर भारत आरसाईपी पर हस्ताक्षर करता है तो वह अगले 15 वर्षों में अपने यहां आयातित वस्तुओं में 90 फीसदी टैक्स ड्यूटी कम करने के लिए मजबूर हो जाएगा। इसलिए, आशंका है कि ऑटो-ट्रिगर मैकेनिज्म की अनुपस्थिति में भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों की बाढ़ सी आ जाएगी। भारत ने आयात पर नजर रखने के लिए इस तंत्र की मांग की थी, जिसे नहीं माना गया।
हालांकि, बताया जाता है कि वियतनाम में हुई 7वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत चीनी उत्पादों पर 28 फीसदी टैरिफ को तत्काल कम करने के लिए राजी हो गया था। जबकि शेष टैरिफ अगले 15 सालों में चरणबद्ध तरीके से घटाने की बात कही गयी थी।
इसके साथ ही भारत को चीन द्वारा रूल ऑफ ऑरिजिन को बिगाड़ने संबंधी चिंता भी है, जिसका समाधान नहीं हो सका है। वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के डेयरी उत्पाद इंडिया के घरेलू डेयरी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। जबकि अन्य उद्योगों जैसे स्टील और कपड़ा इंडस्ट्री ने भी सुरक्षा की मांग की है।
इसके साथ ही भारत ने आरसीईपी देशों में श्रम और सेवाओं की अधिक सरल आवाजाही की मांग की है, जो कि इन देशों में कड़े आव्रजन कानूनों के कारण आसान नहीं है।
(अनिल आजाद पांडेय-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)(आईएएनएस)
इराक में 2017 में "इस्लामिक स्टेट" को हराए जाने के बाद सैकड़ों लोगों को इस आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के आरोप में फांसी पर चढ़ाया गया है. मानवाधिकार संस्थाएं कहती हैं कि आनन फानन में लोगों को मौत की सजा दी जा रही है.
इराक के गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि देश के उत्तरी हिस्से में स्थित बदनाम नासिरियाह जेल में सोमवार को 21 लोगों को फांसी पर चढ़ा दिया गया. इन लोगों को 2005 के आतंकवाद रोधी कानून के तहत दोषी करार दिया गया था.
अधिकारियों ने विस्तार से इस बारे में ब्यौरा नहीं दिया है कि इन लोगों के अपराध क्या क्या थे. लेकिन मंत्रालय के बयान में यह जरूर कहा गया है कि इनमें से कुछ लोग उत्तरी शहर तल अफार में हुए दो आत्मघाती हमलों में शामिल थे जिनमें दर्जनों लोग मारे गए थे.
इराक ने 2017 में तथाकथित इस्लामिक स्टेट पर जीत का एलान किया. तब से वहां सैकड़ों संदिग्ध जिहादियों के खिलाफ मुकदमे चलाए गए हैं और कई बार लोगों को सामूहिक तौर पर फांसी पर चढ़ाया गया है.
आईएस ने 2014 में इराक के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया था. लेकिन इसके बाद आने वाले तीन सालों में अमेरिकी सैन्य अभियान की मदद से इस्लामिक स्टेट को ना सिर्फ इराक में बल्कि सीरिया में भी हरा दिया गया.
न्याय व्यवस्था की खामियां
इराक में सैकड़ों लोगों को आतंकवाद से जुड़े मामलों में दोषी करार दिया गया है. लेकिन अधिकारियों ने उनमें से सिर्फ कुछ ही सजाओं पर अमल किया है, क्योंकि इसके लिए देश के राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी पड़ती है.
इराकी अदालतों में दर्जनों विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी आईएस से जुड़े होने के आरोप में मुकदमे चले हैं. इनमें से फ्रांस के 11 और बेल्जियम के एक नागरिक को फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन उनकी सजा पर अभी अमल नहीं हुआ है.
इराक की सरकार ने इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है कि संदिग्ध आतंकवादियों को कहां रखा गया है या फिर कितने लोगों के खिलाफ ऐसे मामलों में मुकदमे चल रहे हैं. कुछ अध्ययन बताते हैं कि लगभग बीस हजार लोगों को आईएस के साथ संबंध रखने के आरोप में हिरासत में रखा गया है.
आईएस के लिए हिरासत केंद्र
कुछ हिरासत केंद्रों को हाल के सालों में बंद किया गया है जिनमें बगदाद की अबू गरेब जेल भी शामिल है. इसी जेल से अमेरिकी अधिकारियों के हाथों शोषण का शिकार होने वाले कैदियों की तस्वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद दुनिया भर में अमेरिका की आलोचना हुई थी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इराक की न्याय व्यवस्था में बहुत भ्रष्टाचार है और जज परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर तुरत फुरत फैसले सुना रहे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार अभियुक्तों को अपना बचाव करने के लिए वकील भी नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं. इराकी अधिकारी इस तरह के दावों को खारिज करते हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौत की सजा देने वाले देशों में इराक पांचवें पायदान पर है. संगठन के अनुसार 2019 में वहां 100 लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया. इसका मतलब है कि जितने भी लोगों को पिछले साल मौत की सजा दी गई, उनमें हर सातवां व्यक्ति इराक में फांसी के तख्ते पर झूला था. एके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)
सेलम 11 साल की उम्र में अपने गांव से भागी थी क्योंकि बड़ी उम्र के एक आदमी से उसकी शादी हो रही थी. तब उसने सोचा था कि वह आजाद हो गई है. लेकिन बेहतर भविष्य की उसकी उम्मीदें जल्द ही टूट गईं.
सेलम (बदला हुआ नाम) ने पिछले तीन साल अफ्रीकी देश इथियोपिया के उत्तरी शहर गोंडर में देह व्यापार में बिताए हैं. अधिकारियों और साामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस शहर में सैकड़ों लड़कियां इस धंधे में पिस रही हैं और कोरोना महामारी के चलते उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है.
सेलम ने 11 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था. इसलिए वह अपने घर लौटने की स्थिति में नहीं थी. सेलम कहती है कि उसे देह व्यापार से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखा. इथियोपिया में देह व्यापार की अनुमति है इसलिए बड़े हिस्से में यह काम धड़ल्ले से होता है. कम उम्र लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाना दंडनीय अपराध है. लेकिन उम्र तय करना हमेशा मुश्किल होता है.
अब 14 साल की हो चुकी सेलम ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "ये काम गंदा है, लेकिन अगर ये करना छोड़ दूंगी तो फिर क्या खाऊंगी." सेलम अभी अपनी एक पड़ोसन के घर पर आराम कर रही है, जो व्यस्क है और वह भी सेक्स वर्कर है. सेलम कहती है, "मैं इससे बाहर निकलना चाहती हूं, लेकिन बाहर निकलकर करूंगी क्या."
महामारी का चंगुल
जिन दर्जन भर सेक्स वर्कर्स से बात की गई, उनमें से पांच नाबालिग थीं. कार्यकर्ता और अधिकारी अमहारा इलाके में बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन उनके सामने कई बाधाएं हैं जिनमें कोरोना महामारी भी शामिल है.
महिला, बाल और युवा मंत्रालय में बाल अधिकार विभाग के निदेशक किबरी हैलु अबे का कहना है कि सरकार स्थानीय अधिकारियों की मदद कर रही है. वह कहते हैं, "बच्चों की सुरक्षा के लिए कई अहम कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं." उनके मुताबिक 10 वर्षीय कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया जाएगा, हॉटलाइन बनाई जाएगी और यौन अपराधियों का रजिस्टर बनाया जाएगा.
सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि गांवों में कुछ परिवार अपनी लड़कियों को शहरों में नौकरियां करने भेजते हैं, जहां उनके लिए देह व्यापार ही पैसा कमाने का अकेला जरिया बचता है. कई लड़कियां तस्करों को पैसे देकर बेहतर जिंदगी की तलाश में सऊदी अरब या यूरोप जाना चाहती हैं.
गोंडर में फैमिली गाइडेंस एसोसिएशन ऑफ इथियोपिया नाम की संस्था की तरफ से चलाने जाने वाले एक क्लीनिक के प्रमुख गेटाशियू फेंटाहुन कहते हैं, "उनके पास जीवित रहने का बस यही जरिया है." यह संस्था गरीब लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराती है.
गेटाशियू कहते हैं कि वेटर और घरों में नौकरानी का काम करने वाली बहुत सी लड़कियां कोरोना महामारी के कारण बेरोजगार हुई हैं. वे खाली हाथ वापस अपने गांव जाने की बजाय देह व्यापार में ही लौट रही हैं. महामारी ने दुनिया भर में बहुत से परिवारों को गरीबी में धकेला है. ऐसे में, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि खास तौर से बच्चों पर बाल श्रम और समय से पहले उनकी शादी करने का जोखिम मंडरा रहा है.
विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि 2021 के अंत तक कोविड-19 की वजह से 15 करोड़ लोग बेहद गरीबी में जा सकते हैं. इसके चलते पिछले तीन साल में गरीबी को खत्म करने के लिए जितनी प्रगति हुई है, उस पर पानी फिर सकता है.
हमारी परवाह किसे है?
गोंडर और उसके पास मामेताम शहर में सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नाबालिग लड़कियों के देह व्यापार को रोकना इतना आसान नहीं है क्योंकि लड़कियां अपनी उम्र के बारे में झूठ बोलती हैं. उन्हें अधिकारियों पर भरोसा नहीं है. इसलिए वे मदद मांगने से भी डरती हैं.
गोंडर में तैनात एक पुलिस कमांडर अलमाज लाकेयू कहते हैं कि देह व्यापार में लगी लड़कियां इसलिए पुलिस से छिपती हैं क्योंकि उन्होंने डर है कि कहीं उन्हें वापस उनके गांव ना भेज दिया जाए. वह कहते हैं, "इस तरह हमारे लिए उनकी मदद करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है."
ईसाई बहुल आबादी वाले गेंडर में बहुत सी सेक्स वर्कर रात के समय बार और रेस्त्रां में मिलती हैं. वे खुद को वहां काम करने वाली वेट्रेस के तौर पर पेश करती हैं. लेकिन उनका असल काम अपने ग्राहक तलाशना होता है. रेस्त्रां और बार के मालिकों को भी उनकी कमाई से कमीशन मिलता है.
दूसरी तरफ, बहुत से सेक्स वर्कर गली के कोने पर खड़ी होकर ग्राहकों का इंतजार करती हैं. उन्हें एक बार किसी के साथ सोने के 100 बिर यानी (लगभग 200 रुपये से भी कम) मिलते हैं. जिन लड़कियों और महिलाओं को कोई ग्राहक नहीं मिलता, उन्हें अकसर खुले में ही रात गुजारनी पड़ती है.
कई सेक्स वर्कर्स का कहना है कि उनकी परवाह ना तो समाज करता है और ना ही अधिकारी. 19 साल की मेकदेस कहती है, "लोग हमें कूड़े की तरह देखते हैं. कुछ लोग हमारी मजबूरी और परेशानियों को समझते हैं जबकि बाकी लोग समझते हैं कि हम किसी काम की नहीं हैं."
एके/ओएसजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
सैन फ्रांसिस्को, 17 नवंबर | गूगल ने अपने ताजातरीन स्मार्टफोन पिक्सल 4ए को एक और रंग बेयर्ली ब्ल्यू में लॉन्च किया है। इससे पहले यह फोन काले और नीले रंगों में उपलब्ध था। ये फोन 349 डॉलर में बिक रहे थे। नए रंग के साथ भी यह फोन अमेरिका में इसी कीमत पर उपलब्ध होगा।
गूगल ने हालांकि कहा है कि यह लिमिटेड एडिशन रंग है और एक बार इसका स्टॉक खत्म होने के बाद इसे दोबारा रीस्टॉक नहीं किया जाएगा।
अमेरिका के अलावा यह फोन जापान में इस साल के अंत तक इस रंग में उपलब्ध होगा।
पिक्सल 4ए में 5.8 इंच का ओलेड डिस्प्ले है। यह फोन कई विशेषताओं से लैस है और इसी तरह नेस्ट भी काफी स्मार्ट और इंटेलीजेंट स्पीकर है।
इस फोन में क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 730जी मोबाइल प्लेटफॉर्म का उपयोग हुआ है। यह 6जीबी-128जीबी वेरिएंट में उपलब्ध है।
इस फोन में 3140एमएएच की बैटरी है और यह 18वॉट फास्ट चार्जिग को सपोर्ट करता है।
--आईएएनएस
वाशिंगटन, 17 नवंबर | संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पिछले साल अमेरिका में घृणा को लेकर किए जाने वाले अपराध एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे। बीबीसी ने बताया कि सोमवार को जारी की गई एफबीआई के वार्षिक हेट क्राइम स्टेटिस्टिक्स एक्ट (एचसीएसए) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में 7,314 हेट क्राइम हुए, उससे एक साल पहले 7,120 हुए। 2019 के ये आंकड़े 2008 के 7,783 संख्या के बाद सबसे अधिक रहे।
रिपोर्ट के अनुसार, यहूदियों या यहूदी संस्थानों को निशाना बनाने वाली घटनाओं में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ धर्म आधारित हेट क्राइम्स में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह भी पाया गया कि लातीनी समुदाय के खिलाफ ऐसे अपराधों में खासी बढ़ोतरी हुई। यह आंकड़े 2018 में 485 से 8.7 प्रतिशत बढ़कर 2019 में 527 हो गए, जो 2010 के बाद से सबसे ज्यादा हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों को अन्य की तुलना में ज्यादा निशाना बनाया गया।
हालांकि, एफबीआई ने कहा कि अफ्रीकी-अमेरिकियों के खिलाफ घृणा से जुड़े अपराधों की संख्या 1,943 से घटकर 1,930 हो गई है।
इसमें यह भी कहा गया कि नफरत से प्रेरित हत्याएं भी 2019 में एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। 2019 में 51 मौतें हुईं, जो 2018 के कुल योग से दोगुनी थीं।
--आईएएनएस
एक अतिवादी इस्लामिक मौलाना के हजारों समर्थकों ने इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को खत्म कर दिया है. वे फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों के दोबारा छापे जाने पर द्विपक्षीय रिश्ते तोड़ लेने की मांग कर रहे थे.
प्रदर्शनकारी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के सदस्य थे. उन्होंने धरना तब खत्म किया जब सरकार ने आश्वासन दिया कि फ्रांस से रिश्तों पर पुनर्विचार पर तीन महीनों में संसद में चर्चा कराई जाएगी. इसे लेकर पार्टी के नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच सोमवार देर रात समझौता हुआ.
धरने का नेतृत्व तेजतर्रार मौलाना खादिम हुसैन रिजवी कर रहे थे. इसकी शुरुआत रविवार रात एक जुलूस से हुई जो सैन्य छावनी वाले इस्लामाबाद के करीबी शहर रावलपिंडी से निकाला गया. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच रावलपिंडी को इस्लामाबाद से जोड़ने वाले फैजाबाद चौराहे पर झड़प भी हुई.
प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और इस क्रम में कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए. हिंसा के खत्म होने के बाद प्रदर्शनकारी धरने पर बैठ गए और मांग करने लगे कि सरकार इस्लामाबाद से फ्रांस के राजदूत को निष्कासित कर दे.
पैगंबर पर बनाए गए इन कार्टूनों को लेकर एशिया और मध्य पूर्वी देशों में काफी विरोध हुआ है और लोगों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की है.
पैगंबर पर बनाए गए इन कार्टूनों को लेकर एशिया और मध्य पूर्वी देशों में काफी विरोध हुआ है और लोगों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की है. माना जा रहा है इसी रोष की वजह से पिछले कुछ सप्ताहों में कई स्थानों पर फ्रांसीसी लोगों और संपत्ति पर हमले भी हुए हैं.
तहरीक-ए-लब्बैक के प्रवक्ता शफीक अमिनी ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली है और फ्रांस से रिश्ते तोड़ने के फैसले को संसद के सामने रखा जाएगा. उन्होंने ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए उनकी पार्टी के सभी सदस्यों को रिहा भी कर दिया जाएगा.
सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया. अपनी मांगो को लेकर धरने और प्रदर्शन आयोजित करने का तहरीक-ए-लब्बैक का पुराना इतिहास है. नवंबर 2017 में पार्टी के समर्थकों ने एक सरकारी फॉर्म से पैगंबर की पवित्रता के उल्लेख को हटाने के खिलाफ 21 दिनों तक धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया था.
सैन फ्रांसिस्को, 17 नवंबर| माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने मशहूर हैकर पीटर मज जाटको को अपना नया सिक्योरिटी प्रमुख नियुक्त किया है। ट्विटर से जुड़ने से पहले जाटको डिजिटल पेमेंट्स स्टार्टअप स्ट्राइप के लिए इसी पद पर काम कर रहे थे।
जाटको ने अपनी नियुक्ति को लेकर खुशी जाहिर की है। ट्विटर के सीईओ जैक डोर्से ने भी एक ट्वीट कर जाटको का अपनी टीम में स्वागत किया है।
जाटको काफी मशहूर हैकर हैं और एक दशक पहले अमेरिका रक्षा मुख्यालय पेंटागन में डिफेंस रिसर्च एंड प्रोजेक्ट्स एजेंसी में भी काम कर चुके हैं।
इसके बाद वह गूगल के साथ जुड़े और उसके लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी एंड प्रोजेक्ट्स डिविजन में काम किया।
हाल के दिनों में ट्विटर के कई हाईप्रोफाइल अकाउंट हैक किए गए। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्विटर ने जाटको को अपना सिक्योरिटी प्रमुख बनाने का निर्णय लिया। (आईएएनएस)
इस्लामाबाद, 17 नवंबर| पाकिस्तान में बीते दिनों कोरोनावायरस महामारी के नए मामलों में इजाफा देखने को मिला है, ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान खान ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया है और साथ ही लोगों द्वारा मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के पालन की आवश्यकता की बात को भी दोहराया है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसी) की एक बैठक के बाद देश को संबोधित करते हुए खान ने लोगों से मास्क पहनने और दूरी बनाए रखने का आग्रह किया।
कोविड-19 की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्होंने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सार्वजनिक समारोहों को भी रद्द कर दिया और अन्य राजनीतिक दलों को नियमों का पालन करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शादी-ब्याह का आयोजन केवल खुले स्थान में ही करने की अनुमति दी जाएगी और इनमें मेहमानों की संख्या 300 से अधिक नहीं मानी जाएंगी, जबकि फैक्ट्री, दुकानें, जिन पर लोगों की आजीविका निर्भर है, वे खुली रहेंगी। (आईएएनएस)
लंदन, 17 नवंबर | ब्रिटेन में 10 अन्य कंजर्वेटिव सांसद वर्तमान में प्रधानमंत्री मंत्री बोरिस जॉनसन के साथ सेल्फ-आइसोलेशन में हैं, इनमें से एक के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद अन्य सांसदों ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। कोरोना से संक्रमित होने और 13 नवंबर को स्वाद खो देने के बाद, कंजर्वेटिव सांसद ली एंडरसन ने रविवार को घोषणा की कि वह अपनी पत्नी के साथ सेल्फ-आइसोलेशन में हैं।
स्काई न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, 12 नवंबर को, एंडरसन ने जॉनसन के साथ एक बैठक में भाग लिया, साथ ही पांच अन्य कंजर्वेटिव सांसद -- एंडी कार्टर, कैथरीन फ्लेचर, ब्रेंडन क्लार्क-स्मिथ, क्रिस क्लार्कसन, लिया निसिहू भी शामिल हुए, जो वर्तमान में सेल्फ-आइसोलेशन में हैं।
प्रधानमंत्री के दो राजनीतिक सहयोगी, जो शामिल हुए थे, वे भी क्वारंटीन में हैं।
इस बीच, दो अन्य सांसदों, मार्को लोंगी और मैट विकर्स ने सोमवार को घोषणा की कि वे एनएचएस टेस्ट और ट्रेस सेवा से एक संदेश प्राप्त करने के बाद सेल्फ-आइसोलेशन में हैं।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वे 12 नवंबर की बैठक में शामिल हुए थे या नहीं।
वहीं, प्रधानमंत्री के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि बैठक में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया था।
महामारी ने अब तक पूरे ब्रिटेन में 1,394,299 लोगों को संक्रमित किया है और 52,240 लोगों ने जान गंवाई है।(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 17 नवंबर | 'रेजिलिएंस' नाम का स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान, चार अंतरिक्ष यात्रियों के साथ फ्लोरिडा से फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होने के एक दिन बाद सफलतापूर्वक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंच गया है। नासा के अंतरिक्ष यात्री माइकल हॉपकिंस, विक्टर ग्लोवर, शैनन वॉकर और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएक्सएए) के अंतरिक्ष यात्री सोईची नोगुची के साथ स्पेसएक्स क्रू-1 मिशन रविवार शाम 7.27 बजे ईएसटी (भारत के समयानुसार सोमवार सुबह 5.57 बजे) पर रवाना हुआ था। यह सोमवार की रात 11.01 बजे ईएसटी (भारत के समयानुसार मंगलवार सुबह 9.31 बजे) अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचा।
यह मिशन नासा के 6 सर्टिफाइड क्रू मिशन में से एक है और और यह स्पेसएक्स एजेंसी के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम का हिस्सा है।
स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने ट्वीट किया, "डॉकिंग की पुष्टि - क्रू ड्रैगन स्पेश स्टेशन में पहुंच गया है।"
इसके बाद क्रू-1 के अंतरिक्ष यात्री नासा के एक्सपेडिशन 64 फ्लाइट इंजीनियर केट रूबिंस, स्टेशन कमांडर सर्गेई रेजिकोव और 14 अक्टूबर को स्टेशन पर पहुंचे रोसोमोस के फ्लाइट इंजीनियर सर्गेई कुद-सेवरचोव को जॉइन करेंगे।
इस क्रू-1 मिशन में कई और खास बातें हैं, जैसे पहली बार अमेरिकी कमर्शियल स्पेशक्राफ्ट पर 4 अंतरराष्ट्रीय क्रू को लॉन्च किया गया। इसके अलावा पहली बार अंतरिक्ष स्टेशन पर क्रू की संख्या 6 से बढ़कर 7 हो जाएगी जिससे क्रू के पास रिसर्च का समय ज्यादा होगा।
क्रू 6 महीने से ज्यादा समय के प्रवास के बाद 2021 के वसंत में लौटेगा। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 17 नवंबर | अमेरिका की पहली भारतीय और अश्वेत अमेरिकी उपराष्ट्रपति चुनी गईं कमला हैरिस ने सोमवार की दोपहर को कोरोनावायरस के कारण प्रभावित हुई अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अपनी पहली टिप्पणी दी। हैरिस ने इंडस्ट्री के लीडर्स के साथ बैठक करने के बाद भाषण दिया। चुनाव जीतने के बाद हैरिस का अर्थव्यवस्था पर यह पहला भाषण था। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति-चुने गए बाइडेन और मैंने हमारे देश के कुछ बिजनेस और यूनियन लीडर्स से मुलाकात की। वे हमारे देश भर में लाखों श्रमिकों और अमेरिका की कुछ अग्रणी प्रौद्योगिकी, ऑटो और खुदरा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस महामारी से श्रमिकों पर पड़ने वाले प्रभाव पर हमने अहम बातचीत की। विशेष रूप से जरूरी श्रमिकों, फ्रंटलाइन वर्कर्स - जिन्होंने अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर दूसरों की सेवा की। कई लोगों ने तो हमें सुरक्षित रखने और हमारी अर्थव्यवस्था को चालू रखने में अपना जीवन दे दिया।"
महामारी के कारण अश्वेतों पर हुए असर को लेकर उन्होंने कहा, "महामारी और मंदी ने अश्वेत अमेरिकियों को ज्यादा प्रभावित किया है। पिछले महीने अश्वेत अमेरिकियों के लिए बेरोजगारी दर दूसरों की तुलना में लगभग दोगुनी थी।"
व्यवसायों पर हुए असर पर हैरिस ने कहा, "इस महामारी ने हमारी अर्थव्यवस्था पर इस तरह असर डाला है कि इससे फॉर्च्यून 500 से लेकर छोटे व्यवसायों तक सभी प्रभावित हुए हैं, जिस पर इतने सारे समुदाय भरोसा करते हैं। श्रमिकों ने भी अपने संघर्षों के अनुभव हमसे साझा किए। छोटे व्यवसायों के मालिक जिन्होंने अपने कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए पूरी जमापूंजी लगा दी और अपने दरवाजे खुले रखे। कई ऐसे लोग भी थे जिन्होंने इस डर से अपने दरवाजे बंद कर लिए कि अब फिर से कुछ नहीं खुलेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "चुनाव अभियान के दौरान और बाद में ऐसी कई कहानियां हमने देखीं-सुनीं। अब मैं और बाइडेन सभी अमेरिकियों के लिए अपने देश को बेहतर बनाने के लिए पूरी तरह से केंद्रित हैं। जैसा कि मैंने चुनाव जीतने की रात को कहा था कि असली काम अब शुरू हुआ है। इस वायरस को नियंत्रण में रखना, लोगों की जान बचाना, इस महामारी को मारना और हमारी अर्थव्यवस्था को जिम्मेदारी से खोलना और इसे बेहतर करना।"
हैरिस ने आखिर में कहा, "आगे की राह आसान नहीं होगी। लेकिन हम सब जानते हैं आज अमेरिका के सामने जो चुनौतियां हैं, वे बहुत बड़ी हैं और हमारे पास बर्बाद करने के लिए एक पल भी नहीं है।"(आईएएनएस)
तेहरान, 17 नवंबर | ईरान के स्वास्थ्य मंत्री सईद नमाकी ने सोमवार को कहा कि चार ईरानी कंपनियों ने कोविड-19 वैक्सीन के मानव परीक्षण शुरू कर दिए हैं। नामकी ने कहा कि ईरानी कंपनियां उन वैश्विक संस्थानों में से हैं, जो फिलहाल वैक्सीन उत्पादन के उन्नत चरणों में पहुंच गए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, नामकी ने यह भी कहा कि महामारी के नए वैश्विक उछाल के बीच, ईरान प्रति दिन 1,00,000 से अधिक टेस्ट कर रहा है ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके।(आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 17 नवंबर| अमेरिका में कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के बाद से 10 लाख से अधिक बच्चे इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं। नवीनतम आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इस हफ्ते कोरोना से संक्रमित लगभग 112,000 नए बच्चे सामने आए हैं जो महामारी के बाद से अब तक की सबसे अधिक साप्ताहिक वृद्धि है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) और चिल्ड्रन हॉस्पिटल एसोसिएशन द्वारा हाल ही में प्रकाशित आंकड़ों में कहा गया है कि 12 नवंबर तक, कोरोना संक्रमित बच्चों की कुल संख्या 1,039,464 थी और यह सभी मामलों का लगभग 11.5 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि यह मालूम पड़ा था कि कोविड-19 के कारण गंभीर बीमारी बच्चों में दुर्लभ है, बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव पर अधिक डेटा एकत्र करने की तत्काल आवश्यकता है।
एएपी ने एक बयान में कहा, "प्रति 100,000 बच्चों पर कुल दर 1,381 मामले हैं।"
मंगलवार सुबह तक, कुल कोरोनावायरस मामलों और दुनिया भर में मृत्यु का आंकड़ा क्रमश: 5,48,26,773 और 13,25,752 था। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में यह जानकारी दी।
सीएसएसई के अनुसार, 1,11,97,791 मामलों और 2,47,142 मौतों के साथ अमेरिका दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश है। (आईएएनएस)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने कहा है कि एक वैक्सीन खुद कोरोना वायरस महामारी को नहीं रोक सकती. गौरतलब है कि सामने आने के बाद से कोरोना की महामारी लगातार बढ़ती जा रही है और अब तक पांच करोड़ 40 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. यहीं नहीं, करीब करीब 13 लाख लोगों को इसके कारण जान गंवानी पड़ी है. WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम ने कहा, 'एक वैक्सीन हमारे पास मौजूद अन्य टूल्स के पूरक का काम करेगी, यह उसे रिप्लेस नहीं कर सकती.' WHO के शनिवार के आंकड़ों के अनुसार, यूएन हेल्थ एजेंसी को 660,905 केस रिपोर्ट हुए जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है. इससे पहले शुक्रवार को 645,410 केस रिकॉर्ड किए गए थे. इसने सात नवंबर को दर्ज किए गए 614,013 के आंकड़े को पीछे छोड़ा है.
टेड्रोस ने कहा कि शुरुआत में वैक्सीन की सप्लाई आमलोगों के लिए प्रतिबंधित होगी क्योंकि इस मामले में शुरुआत में हैल्थ वर्कर्स, बुजुर्गों और सर्वाधिक जोखिम वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी. उम्मीद है कि इससे मृत्यु दर में गिरावट आएगी और हैल्थ सिस्टम को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, 'इस सबसे भी वायरस की आशंका को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता. निगरानी अभी भी रखनी होगी तो लोगों को अभी भी टेस्ट कराना होगा और पॉजिटिव होने की स्थिति में क्वारंटाइन होना पड़ेगा.'
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 16 नवंबर| पिछले 10 दिनों में दूसरी बार अमेरिका में चुनाव के बाद कोविड-19 वैक्सीन पर गेमचेंजर घोषणा हुई है। अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन के 94 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया है।
फाइजर ने ठीक एक सप्ताह पहले 90 फीसदी तक प्रभावी वैक्सीन विकसित करने की घोषणा की थी। अगर अंतिम स्टडी में ये खरे उतरते हैं तो ये दोनों टीके अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन के पास आपातकालीन उपयोग की अनुमति के लिए जाएंगे।
ट्रंप के कोरोनोवायरस टास्क फोर्स के एंथनी फौची को उम्मीद है कि ये टीके अगले कुछ महीनों में 'सब कुछ बदल देंगे'।
फाइजर वैक्सीन के अंतिम परिणाम नवंबर के तीसरे सप्ताह आने वाले हैं।
अमेरिका में कोविड के मामले 15 नवंबर तक 1.1 करोड़ को पार कर गए, जिसमें पिछले एक सप्ताह में 10 लाख मामले शामिल हैं। देश में मृत्यु का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है। अंतिम गिनती तक ये आंकड़ा 246,000 को पार कर गया था।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के वैक्सीन कार्यक्रम के प्रमुख ने संकेत दिया है कि दिसंबर तक करीब 2 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा सकता है और उसके बाद हर महीने ढ़ाई से 3 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा सकता है।
अमेरिका इस वक्त 6 वैक्सीन पर काम कर रहा है, जिसमें तीन अलग-अलग तकनीकों के आधार पर विकसित किए जा रहे हैं और हर तकनीक के दो उम्मीदवार हैं।
फाइजर और मॉडर्ना के टीके मैसेंजर आरएनए का इस्तेमाल करते हैं। जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका लाइव वेक्टर का उपयोग करते हैं, जबकि नोवाक्स और सनोफी/ ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन प्रोटीन प्लेटफॉर्म पर अपने टीके का निर्माण कर रहे हैं।(आईएएनएस)
मुजफ्फरगढ़, 16 नवंबर | पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुजफ्फरगढ़ इलाके में पुलिस ने एक अवैध 'जिरगा' के जरिए एक महिला और उसके बच्चे को मारने की कोशिश को नाकाम कर दिया, जिसमें इलाके के बुजुर्गो ने एक महिला को कुप्रसिद्ध 'कारो कारी' रिवाज के तहत मौत की सजा सुनाई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरगढ़ में एक अवैध जनजातीय जिरगा ने एक महिला को 'कारी' घोषित किया और उसके नवजात बच्चे के साथ उसे मारने का फैसला किया।
महिला के ताउनसा नामक प्रेमी को एक अन्य शहर में मार दिया गया है, जिसने पीड़िता और उसके छह दिन के बच्चे को बचने के लिए झंग की शरण लेने के लिए कहा था।
पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस से पुष्टि की है कि नूर शाह नाम के एक व्यक्ति को इसी मामले में जिरगा के तहत मौत की सजा सुनाई गई थी और उसे इस साल जून में मार दिया गया था। उसी जिरगा के इसी तरह के फैसले के तहत महिला और उसके नवजात बच्चे को मारने का फैसला किया गया था।
पुलिस ने पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 310-ए, 506-बी (आपराधिक धमकी के लिए सजा, अगर मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए खतरा हो आदि), 148 (दंगाई, घातक हथियार से लैस) और 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्रित होना का हर सदस्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
प्राथमिकी के अनुसार, कम से कम छह नाम सामने आए हैं, जो कथित तौर पर अवैध जिरगा कार्य और इसके निर्णयों में शामिल थे।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "प्राथमिकी में नामित छह संदिग्धों में से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है और नौ बच्चों वाली महिला को सुरक्षा प्रदान की गई है।"
पुलिस ने कहा कि पीड़ित महिला जर्ना बीबी ने 18 साल पहले मकाम खान से शादी की थी और तब से इस दंपति के छह बेटे और तीन बेटियां हैं।
मकाम के भाई काला खान ने बाद में अपने भाई की पत्नी पर नूर शाह नाम के एक व्यक्ति के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया, जो जून में जिरगा के फैसले के बाद मारा गया था।
--आईएएनएस
बेल्जियम में एक कबूतर की नीलामी 200 यूरो से शुरू हुई. लेकिन दो चीनी अमीरों में ऐसी होड़ छिड़ी कि कबूतर रिकॉर्ड 16 लाख यूरो (सवा 14 करोड़ रुपये) ले उड़ा.
बेल्जियम के हाले शहर में रविवार को रेस लगाने वाले कबूतरों की नीलामी हुई. इसमें दो साल की मादा कबूतर न्यू किम भी सामने थी. यूरोप में कई रेसें जीत चुकी न्यू किम के लिए शुरुआत बोली 200 यूरो रखी गई थी. लेकिन नीलामी के आखिर तक न्यू किम का दाम आसमान पर था. दो चीनी अमीर उसे पाने के लिए एक दूसरे से उलझे हुए थे. आखिरकार दुनिया में किसी कबूतर का सबसे महंगा सौदा हुआ. 16 लाख यूरो को बोली लगाकर सुपर डुपर नाम के चीनी नागरिक ने न्यू किम को खरीद लिया.
न्यू किम को खरीदने वाले चीनी अमीर की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है. लेकिन माना जा रहा है कि सुपर डुपर ने ही पिछले साल बेल्जियम में अर्मांडो नाम का नर कबूतर भी खरीदा था. मार्च 2019 में अर्मांडो को 12.52 लाख डॉलर में खरीदा गया था.
बेल्जियम में रेसिंग कबूतरों की बिक्री
कबूतरबाजी का मक्का बना चेन्नई
यूरोप में कबूतरों की रेस का खेल काफी पुराना है. हर साल तमाम देशों के कबूतरबाज इनाम की मोटी रकम के लिए इन रेसों में शामिल होते हैं. चीन में भी अब कबूतरों की रेस जोर पकड़ने लगी है. माना जा रहा है कि अर्मांडो और न्यू किम का जोड़ा कई सुपरफिट कबूतर पैदा करेगा. चीनी ब्रीडर इनके बच्चों से पैसे कमाएंगे. मादा कबूतर 10 साल की उम्र तक प्रजनन कर सकती है.
कबूतर के मालिक 76 साल के गास्तोन फान डे वोवर को शुरुआत में नीलामी के नतीजों पर भरोसा ही नहीं हुआ. लंबे समय से रेसिंग कबूतरों की ब्रीडिंग कर रहे वोवर को लगा कि ये कोई सपना सा है. वैसे कबूतरबाजी के खेल में वोवर एक बड़ा नाम हैं. अब तक 445 कबूतरों की बिक्री से वह 60 लाख यूरो से ज्यादा रकम कमा चुके हैं. बेल्जियम में कबूतरों की नीलामी करने वाले ऑक्शन हाउस पिपा के मुताबिक देश में 18,000 से ज्यादा लोग कबूतरों की ब्रीडिंग करते हैं.
ओएसजे/एके (एएफपी, रॉयटर्स)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और डेमोक्रेट नेता बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिका आज चार साल पहले से भी ज़्यादा बंट गया है जब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने थे.
ओबामा का कहना है कि जो बाइडन की जीत इस विभाजन को कम करने की शुरूआत है लेकिन सिर्फ़ एक चुनाव इस बढ़ते ट्रेंड को दूर करने के लिए काफ़ी नहीं होगा.
ओबामा का इशारा 'कॉन्स्पिरेसी थ्योरी' के ट्रेंड को बदलने की ओर था जिनकी वजह से देश में विभाजन और गहरा गया है.
उन्होंने कहा कि ध्रुवीकरण के शिकार देश को सिर्फ़ नेताओं के फ़ैसलों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता बल्कि इसके लिए संरचनात्मक बदलाव की ज़रूरत है, लोगों को एक-दूसरे को सुनने की ज़रूरत है और बहस करने से पहले सार्वजनिक तथ्यों पर एकमत होने की ज़रूरत है.
कैसे अमरीका में बढ़ता गया विभाजन?
ओबामा ने बीबीसी आर्ट्स के लिए इतिहासकार डेविड ओलुसोगा को दिए इंटरव्यू में कहा कि ग्रामीण और शहरी अमेरिका के बीच गुस्सा और नाराज़गी, आप्रवासन, ग़ैर-बराबरी और षड्यंत्र सिद्धांतों को अमरीकी मीडिया संस्थानों ने बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया और इसमें सोशल मीडिया ने आग में घी का काम किया.
ओबामा ने कहा, ट्रंप की बात लोकतंत्र के लिए ख़तरा
उनके मुताबिक़ इसकी कुछ वजह ट्रंप का अपनी राजनीति के लिए उनके प्रशंसकों का विभाजन होते देना भी रहा.
उन्होंने कहा कि जिस एक वजह ने इसमें सबसे ज़्यादा भूमिका निभाई है वो है इंटरनेट पर ग़लत जानकारी का फैलना जहां तथ्यों की कोई परवाह नहीं की जाती.
ओबामा ने कहा, "लाखों लोग हैं जिन्होंने इस बात को मान लिया कि जो बाइडन समाजवादी हैं, जिन्होंने इस बात को मान लिया कि हिलेरी क्लिंटन किसी ऐसी साज़िश का हिस्सा हैं जो बच्चों का यौन शोषण करने वाले गिरोह में शामिल है."
ओबामा उस फ़ेक कहानी की बात कर रहे थे जिसमें ये कहा गया था कि डेमोक्रेट नेता वाशिंगटन के एक पिज़्ज़ा रेस्टोरेंट में पीडोफाइल रिंग चला रहे थे.
ओबामा ने कहा कि हाल के सालों में कुछ मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों ने फ़ैक्ट चैकिंग शुरू की है ताकि ऑनलाइन ग़लत जानकारी को फैलने से रोका जा सके. लेकिन अक्सर ये कोशिश अपर्याप्त रह जाती है क्योंकि जब तक सच बाहर आता है तब तक झूठ दुनिया भर में फैल चुका होता है.
उन्होंने कहा कि इस विभाजन के पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण भी काम कर रहे हैं जैसे शहरी और ग्रामीण अमेरिका के बीच असामनता. ऐसे मुद्दे ब्रिटेन और बाकी दुनिया में भी उठ रहे हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि अर्थव्यवस्था की सीढ़ी पर उनकी पकड़ छूटती जा रही है और इसलिए प्रतिक्रिया आती है और कहा जाता है कि ये इस ग्रुप की ग़लती है या उस ग्रुप की ग़लती है.
अमेरिका के पहले ब्लैक नस्ल के राष्ट्रपति बन इतिहास रचने वाले ओबामा का कहना है कि नस्ल का मुद्दा अमेरिका के इतिहास में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है.
उन्होंने कहा, "पुलिस हिरासत में एक ब्लैक व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मृत्यु के बाद जो घटनाक्रम हुआ और ना सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया भर से जिस तरह से प्रतिक्रिया आई, उसने दुख और उम्मीद दोनों को जन्म दिया."
"दुख इसलिए क्योंकि हमारी न्याय व्यवस्था में अब भी नस्लवाद और पक्षपात की इतनी प्रबल भूमिका है और उम्मीद इसलिए क्योंकि आपने विरोध प्रदर्शन होते देखा, इसे लेकर दिलचस्पी देखी, और ये शांतिपूर्ण था."
उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण था क्योंकि इन प्रदर्शनों में हर नस्ल के लोग शरीक हुए.
"वे समुदाय भी जहां बहुत कम ब्लैक लोग हैं, वे भी जाकर 'ब्लैक लाइव्स मैटर' कह रहे थे और मान रहे थे कि बदलाव आना चाहिए.
ओबामा ने अपनी किताब 'ए प्रॉमिस लैंड' को लेकर बीबीसी से बात की जो 17 नवंबर को रिलीज़ होने वाली है. ये किताब उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के बारे में है.
इस साल अमेरिकी चुनावों में कॉन्सपिरेसी थ्योरी यानी साज़िश बताने वाली बातें ख़ूब वायरल हुईं और ट्रंप के कार्यकाल में ऐसी सोच छाई रही.
वो इसलिए क्योंकि अब इस तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरी के साथ फैलाई गई ऑनलाइन ग़लत सूचना इंटरनेट के किसी अंधेरे कोने तक सीमित नहीं है.
अब इन सूचनाओं को बड़ी हस्तियाँ भी फैलाती हैं जिनके बहुत सारे प्रशंसक हैं, इसमें व्हाइट हाउस के लोग भी शामिल हैं.
इंटरनेट की ध्रुवीकृत दुनिया जहां सब कुछ अब एक राय है ना कि तथ्य और सब अपना अपना गुट चुन लेते हैं, वहां षडयंत्रों और ग़लत सूचनाओं के लिए उपजाऊ ज़मीन तैयार हुई है.
सोशल मीडिया को रिसर्च के तौर पर इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है और वे भ्रामक निष्कर्ष पर पहुंचते है. ये तब और ज़्यादा बढ़ जाता है जब पक्षपाती मीडिया एकतरफ़ा रिपोर्ट करती है.
जैसा कि बराक ओबामा ने भी कहा, ये झूठ और भ्रामक दावे जब मीडिया और सार्वजनिक हस्तियाँ फैलाते हैं तब ये सच से ज़्यादा लोकप्रिय हो जाते हैं. फिर इसका हल इससे नहीं हो सकता कि आप सच सामने ला दें. ये भी समझना ज़रूरी है कि क्यों लोग ऑनलाइन षडयंत्रों के शिकार हो जाते हैं और बार-बार उसकी चपेट में आते हैं.
मैं अक्सर ऐसे लोगों से बात करती हूं जो ऑनलाइन कॉन्सपिरेसी थ्योरी से प्रभावित रहे हैं और जानने की कोशिश करती हूं कि इससे क्या नुक़सान होता है और किस तरह का विभाजन पैदा होता है. उससे पता चलता है कि इस नुक़सान की भरपाई कितनी मुश्किल और जटिल है.(bbc.com/hindi)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क, 16 नवंबर | पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने नए संस्मरण में 'भारत की हिंसा और जातिवाद' की उस छवि को सामने लाया है, जो पश्चिमी देशों के मन में उसके लिए हमेशा से सबसे खराब रूढ़िवादी तस्वीर की रही है। साथ ही 'यूरोपीय मूल की मां' सोनिया गांधी को लेकर भी बात की है जो सबसे शक्तिशाली राजनेता के रूप में उभरती हैं और अल्पसंख्यक तबके से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करती हैं।
उन्होंने अपने नए संस्मरण 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' में लिखा है, "पूरे देश में करोड़ों लोग गंदगी में झुग्गी-बस्तियों में रहते हैं। वहां का भारतीय उद्योग जगत वैसी विलासितापूर्ण जीवनशैली का आनंद लेता है, जैसे राजा और मुगल लेते थे।"
वह आगे लिखते हैं, "सार्वजनिक और निजी, दोनों ही तरह के भारतीय जीवन में हिंसा व्यापक तौर पर है।"
भारत की इस छवि को उन्होंने अपने पाठकों के लिए शानदार संवेदना के साथ पेश किया है। उन्होंने कहा है कि ये सब उन्होंने खुद नहीं देखा है, ना ही राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने कभी भारत की यात्रा की है, लेकिन 'इस देश का मेरी कल्पनाओं में हमेशा एक विशेष स्थान रहा'।
रूढ़िवादी सोच के बारे में उन्होंने लिखा, "अपनी वास्तविक आर्थिक प्रगति के बावजूद, भारत एक गरीब देश बना हुआ है। धर्म और जाति को लेकर बड़े पैमाने पर विभाजित, भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों और सत्ता के दलालों से बंधा हुआ और एक पाखंडी नौकरशाही वाला देश जो बदलावों के प्रतिरोधी थे।"
उन्होंने भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी का भी जिक्र किया। इसके अलावा कहा, "सरकार में हुए बार-बार के बदलावों, राजनीतिक दलों के भीतर के तीखे झगड़ों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और सभी तरह के भ्रष्टाचार के घोटाले के बाद भी कई मामलों में आधुनिक भारत को एक सफल कहानी के रूप में गिना जाता है।"
खबरों के मुताबिक ओबामा और उनकी पत्नी को अपने संस्मरण के लिए प्रकाशक से अग्रिम भुगतान के तौर पर रूप में 65 मिलियन डॉलर (4 अरब से ज्यादा रुपये) मिले हैं।
जातिवाद का जिक्र यहीं खत्म नहीं होता, उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को लेकर भी इस बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा, "एक से अधिक राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना था कि सोनिया गांधी का चुनाव सही था। एक बुजुर्ग सिख, जिनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 40 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे।"
इस दौरान उहोंने पूर्व प्रधानमंत्री का जिक्र सिख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के तौर पर किया। साथ ही उन्हें 'ईमानदार, बुद्धिमान और शालीन व्यक्ति' के साथ-साथ 'सफेद दाढ़ी और एक पगड़ी वाले सिख' के तौर पर किया जो पश्चिमी लोगों को किसी धार्मिक व्यक्ति जैसा अहसास देते हैं।
बता दें कि 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' अभी खत्म नहीं हुआ है, इसमें केवल 2011 तक की बातों का समावेश किया गया है इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र किताब में नहीं हैं।(आईएएनएस)
हांगकांग, 16 नवंबर| हांगकांग में एक इमारत में आग लगने से कम से कम सात लोग मारे गए और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यहां की सरकार ने सोमवार को ये जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, आग जॉर्डन के कैंटन रोड पर एक नेपाली रेस्तरां में रविवार को लगभग 8 बजे शाम को लगी। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, हताहतों में ज्यादातर नेपाली थे और एक नौ साल का बच्चा भी शामिल था।
अग्निशमन सेवा विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि अपार्टमेंट के अंदर एक सभा हुई थी, जबकि एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि वे जांच कर रहे हैं कि क्या परिसर एक बिना लाइसेंस वाला रेस्तरां था।
हांगकांग के चीफ एक्सक्यूटिव कैरी लैम ने एक बयान में कहा कि उन्हें इस घटना पर गहरा दुख है। उन्होंने घायलों के इलाज और दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं। (आईएएनएस)
लंदन, 16 नवंबर | ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए एक व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद खुद को क्वारंटीन कर लिया है। डाउनिंग स्ट्रीट के एक प्रवक्ता ने रविवार को एक बयान में यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने कहा कि "प्रधानमंत्री ठीक हैं और उनमें कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं हैं। वे डाउनिंग स्ट्रीट से काम करना जारी रखेंगे, जिसमें कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ सरकार की लड़ाई का नेतृत्व करना शामिल है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जॉनसन ने गुरुवार की सुबह 10 डाउनिंग स्ट्रीट में कुछ सांसदों के साथ बैठक की थी, जिसमें ऐसफील्ड के सांसद ली एंडरसन शामिल थे, जिनका बाद में कोरोना परीक्षण पॉजिटिव आया था। इससे पहले मार्च के आखिर में प्रधानमंत्री कोरोना संक्रमित हो गए थे और अप्रैल की शुरूआत में गहन देखभाल में 3 दिन बिताने के बाद वे इस बीमारी से उबर गए।
वर्तमान में इंग्लैंड 2 दिसंबर तक के लिए एक महीने के देशव्यापी लॉकडाउन में है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार को ब्रिटेन में 24,962 नए मामले सामने आने के बाद कुल मामलों की संख्या 13,69,318 हो गई है और मौतों की संख्या 51,934 पर पहुंच गई है।(आईएएनएस)
- रवि प्रकाश
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी दवाई कंपनियां लगी हुई हैं। जल्द ही कोरोना वैक्सीन के बाजार में आने की उम्मीद है। लेकिन इसी बीच बाजार में नकली वैक्सीन्स बेचे जाने का भी खतरा मंडराने लगा है। ब्रिटेन के नेशनल क्राइम एजेंसी के अधियारियों ने चेतावनी दी है कि, जैसे ही कोरोना की किसी वैक्सीन की बिक्री का ऐलान किया जाता है, इसके साथ ही अपराधी नकली वैक्सीन बाजार में उतार सकते हैं।
ब्रिटेन की एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के अधिकारियों ने फेक कोरोना वैक्सीन की बिक्री रोकने के लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि महामारी के शुरुआती दिनों में अपराधियों ने नकली पीपीई वगैरह बेचने की कोशिश भी की थी।
ब्रिटेन के नेशनल क्राइम एजेंसी के इकोनॉमिक क्राइम सेंटर के डायरेक्टर जनरल ग्रेएम बिगर ने कहा है कि वैक्सीन को लेकर फर्जीवाड़ा किए जाने का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही वैक्सीन तैयार हो जाएगी, लोगों को फर्जी वैक्सीन ऑफर करने वाले गैंग सक्रिय हो जाएंगे। इसे रोकने के लिए हम पहले से तैयारी कर रहे हैं। बाजार में कोरोना की फेक वैक्सीन्स बेची जा सकती हैं। जैसे ही कोरोना की किसी वैक्सीन की बिक्री का ऐलान किया जाता है, इसके साथ ही अपराधी नकली वैक्सीन बाजार में उतार सकते हैं। ब्रिटेन के नेशनल क्राइम एजेंसी के अधिकारियों ने ये चेतावनी दी है।
गौरतलब है कि फाइजर, ऑक्सफोर्ड और नोवावैक्स सहित कई कंपनियां कोरोना की वैक्सीन्स की ट्रायल कर रही हैं। इन वैक्सीन्स की ट्रायल आखिरी चरण में हैं। उम्मीद की जा रही है कि कुछ ही महीने में वैक्सीन बाजार में आ सकती है।(navjivan)
लंदन, 15 नवंबर | यूके सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा है कि इंग्लैंड में योजना के मुताबिक 2 दिसंबर को एक महीने का लॉकडाउन खत्म करने के लिए अगले 2 हफ्ते 'बहुत अहम' होंगे। सरकार के साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप फॉर इमरेजेंसी (एसएजीई) के प्रोफेसर सुसान मिशी ने शनिवार को कहा कि अगले दो सप्ताह "बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे, क्योंकि इसमें आंशिक तौर पर कारण मौसम होगा और दूसरा कारण जो मुझे लगता है वह है कि लोग वैक्सीन आने की उम्मीद के कारण उपायों को लेकर लापरवाह हो जाएंगे। ऐसे में ही गड़बड़ी होगी। चूंकि वैक्सीन के इस साल के आखिर या अगले साल की शुरूआत में आने की बहुत संभावना नहीं है और इससे मौजूदा दूसरी लहर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में अगले दो हफ्तों के लिए सभी को कड़े संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।"
बता दें कि पिछले हफ्ते ही इंग्लैंड में 2 दिसंबर तक के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया है क्योंकि यहां मामलों की संख्या में फिर से खासी बढ़ोतरी हो रही थी। देश में कुल मामलों की संख्या 13,17,496 और मौतों की संख्या 51,304 हो गई है।
ब्रिटेन कोरोनावायरस के कारण 50 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज करने वाला पहला यूरोपीय राष्ट्र है। यहां अमेरिका, ब्राजील, भारत और मैक्सिको के बाद सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं।(आईएएनएस)
बेरूत, 15 नवंबर | लेबनान में दो हफ्ते का लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिसके बाद से सभी रेस्तरां, बार, कैफे, जिम और मॉल बंद हो गए हैं। ये फैसला कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लिया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को लागू हुए लॉकडाउन के तहत देश के अधिकांश क्षेत्रों में पुलिस तैनात की गई है जो प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार है।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री हसन दीएब ने देश के नागरिकों से अर्थव्यवस्था के मुकाबले स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए लॉकडाउन के नियमों का पालन करने की अपील की है।
दीएब ने कहा, लॉकडाउन समस्या का समाधान नहीं है, लेकिन यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारियों को बढ़ाने का एक मौका है, पिछले कुछ हफ्तों में कोरोनोवायरस संक्रमण में नाटकीय वृद्धि हुई है।
लेबनान में कोविड-19 संक्रमण की संख्या 100,000 से अधिक हो गई, जबकि मरने वालों की संख्या 800 के करीब पहुंच रही है।
देश 21 फरवरी से वायरस से लड़ रहा है।(आईएएनएस)