अंतरराष्ट्रीय
बीजिंग, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| दो हफ्तों में टेस्ला, फोर्ड मोटर, थार्गेट वालग्रीन और होम डिपो समेत लगभग 3500 अमेरिकी कंपनियों ने ट्रंप सरकार पर मुकदमे चलाये हैं। और यह कहा गया है कि ट्रंप सरकार द्वारा 3 खरब अमेरिकी डॉलर वाले चीनी उत्पादों के प्रति टैरिफ बढ़ाने की कार्रवाई अवैध है। समाचार एजेंसी रॉयटर ने 26 सितंबर को यह रिपोर्ट दी है। उक्त मुकदमे अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में चलाये गये हैं। जिन में अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर और अमेरिकी कस्टम्स व सीमा रक्षा ब्यूरो पर कई बार चीनी उत्पादों के प्रति टैरिफ बढ़ाकर निरंतर रूप से व्यापारिक संघर्ष गंभीर बनाने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, मुकदमे चलाने वाली कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों की हैं, और कंपनियों की संख्या बहुत अधिक है।
बीते दो वर्षों में ट्रंप ने क्रमश: चार बार चीनी उत्पादों के प्रति अतिरिक्त टैरिफ लिये हैं। जिनमें शामिल उत्पादों का कुल मूल्य लगभग 5 खरब अमेरिकी डॉलर है। पर वर्तमान में चलाये गये मुकदमे केवल चीन के प्रति टैरिफ मालों की सूची 3 व सूची 4 से संबंधित हैं। सूची 3 में चीन से आयातित 2 खरब अमेरिकी डॉलर वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लिया गया। और सूची 4 में लगभग 1.2 खरब अमेरिकी डॉलर वाले चीनी उत्पादों पर 7.5 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया।
-शुमाइला जाफ़री
16 सितंबर 2020 को पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने इस्लामाबाद स्थित संघीय सचिवालय में कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान मामलों के राज्य मंत्री अली अमीन गांडापुर से उनके कार्यालय में मुलाक़ात की थी.
पत्रकार शब्बीर हुसैन राज्य मंत्री अली अमीन से मिलने वालों में शामिल थे.
बाद में उन्होंने बीबीसी को बताया, "उस बैठक में अली अमीन ने ही यह सूचना दी कि 'पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार ने सभी ज़िम्मेदार लोगों से राय-मशविरा करने के बाद यह निर्णय लिया है कि गिलगित-बल्तिस्तान को सभी संवैधानिक अधिकारों के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाये."
अली अमीन ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को पाकिस्तान की संसद में प्रतिनिधित्व भी देना चाहती है. शब्बीर हुसैन ने मंत्री के हवाले से बताया कि इमरान ख़ान जल्द ही इस क्षेत्र का दौरा करेंगे और इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी.
शब्बीर हुसैन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मंत्री ने उन्हें यह भी कहा कि गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में 'चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर' योजना के अंतर्गत एक स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन का काम ज़ल्द शुरू होगा. इससे क्षेत्र में स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन और शिक्षा से जुड़ी बेहतर सुविधाएं पहुँचेंगी.
जम्मू और कश्मीर
भारत ने हमेशा ही पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है.
जुलाई में जब पाकिस्तान के कहा था कि वो इस क्षेत्र में चुनाव करायेगा, तब भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, "हम पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के भारतीय क्षेत्रों में भौतिक परिवर्तन लाने के प्रयासों को पूरी तरह अस्वीकार करते हैं. पाकिस्तान ने जिन भारतीय क्षेत्रों पर कब्ज़ा किया है, ये उसे छिपाने की दिखावटी कोशिशों से ज़्यादा कुछ नहीं."
हालांकि भारत ने पाकिस्तान की ओर से आईं ताज़ा सूचनाओं पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
साल 2019 में भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य के विशेषाधिकार को छीनकर, उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया था और उसके एक हिस्से को दूसरे केंद्र शासित प्रदेश - लद्दाख के तौर पर विभाजित कर दिया था.
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर का प्रवेश द्वार
1948 में हुए पहले कश्मीर युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित वास्तविक सीमा रेखा खींची गई थी. उससे पहले गिलगित-बल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर की पूर्व रियासत का ही हिस्सा था.
ऐतिहासिक विवरणों में कहा गया है कि ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी, जो 'गिलगित स्काउट्स' नामक एक अर्ध-सैनिक बल के क्षेत्र प्रमुख थे, उन्होंने ही अक्तूबर 1947 में पाकिस्तान की इस क्षेत्र पर नियंत्रण जमाने में मदद की थी.
इस क्षेत्र की आबादी क़रीब 15 लाख है जो कश्मीरियों से जातीय रूप से भिन्न हैं.
ये इलाक़ा बहुत ही ख़ूबसूरत है. बर्फ़ जमी वादियाँ, हरे-भरे पहाड़, बड़ी घाटियाँ और फलों के बहुत सारे बागान इस इलाक़े की ख़ास पहचान बनाते हैं. लेकिन इस क्षेत्र की रणनीतिक स्थिति किसी भी देश के लिए इसे और अधिक वांछनीय बनाती है. भारत, पाकिस्तान, चीन और तज़ाकिस्तान समेत चार देशों की सीमाएं इस एक क्षेत्र को छूती हैं.
पाकिस्तान की संघीय व्यवस्था
गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र आगामी 'चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर' (सीपीईसी) योजना का प्रवेश द्वार भी है. मोटे तौर पर देखें, तो पाकिस्तान के नियंत्रण में इस इलाक़े की स्थिति शांत ही रही है, लेकिन कुछ राष्ट्रवादियों को इस क्षेत्र की हालत देखकर हमेशा ही यह शिक़ायत रही है कि 'पाकिस्तान का इस क्षेत्र को अपना कहना, पाखंड से ज़्यादा और कुछ नहीं.'
पाकिस्तान की संघीय व्यवस्था में पूर्ण रूप से शामिल होने की माँग, गिलगित-बल्तिस्तान में कई वर्षों से एक लोकप्रिय माँग रही है.
हालांकि, पाकिस्तान इसे स्वीकार करने से हिचकिचाता रहा है और उसने हमेशा ही गिलगित-बल्तिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय सहमति के तहत इसे कश्मीर-विवाद से जुड़ा हुआ माना, इसीलिए इस क्षेत्र को कश्मीर समस्या के समाधान तक पाकिस्तान में विलय नहीं किया जा सकता है.
शुरुआत में, गिलगित-बल्तिस्तान को 'स्टेट सब्जेक्ट रूल' यानी एसएसआर के तहत शासित किया गया था जिसके तहत केवल स्थानीय लोगों को सरकारी कार्यालयों और भूमि के स्वामित्व का अधिकार था, लेकिन 1970 में ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने इसे ख़त्म कर दिया था.
वर्षों से पाकिस्तान में अधिकारियों द्वारा इस क्षेत्र को राजनीतिक रूप से मुख्यधारा में लाने की माँग पर विभिन्न क़ानूनी व्यवस्थाएं की गई हैं. वर्तमान में, इस क्षेत्र में एक मुख्यमंत्री और एक राज्यपाल हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से यह अभी भी देश के बाकी चार प्रांतों की तरह पाकिस्तान से संलग्न नहीं है.
इससे क्या बदलेगा?
राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक डॉक्टर हसन असकरी रिज़वी कहते हैं कि गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों की ये बहुत पुरानी माँग है. सरकार इस क्षेत्र के स्टेटस को लेकर कुछ बदलाव करने जा रही है, पर वो किस तरह के बदलाव होंगे, इसका कोई विवरण अभी साझा नहीं किया गया.
वे कहते हैं, "अगर इस क्षेत्र के मामले में कोई अल्पकालीन व्यवस्था की जाती है तो होशियारी इसे में होगी कि कश्मीर मुद्दे को इससे नुक़सान ना पहुँचे. यह अभी स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान सरकार इस क्षेत्र को बाकी चार प्रांतों जैसी ही सवैधानिक मान्यता देने वाली है या स्थिति थोड़ी अलग रहेगी. लेकिन गिलगित-बल्तिस्तान की मौजूदा स्थिति में किसी भी तरह का परिवर्तन पाकिस्तान के साथ इस क्षेत्र के संबंधों को पूरी तरह से बदल देगा."
जानकारों का मानना है, "पाकिस्तान का क़ानून और संसदीय मंत्रालय इससे संबंधित अधिनियमों को तैयार करने पर लगा होगा. हालांकि, वर्तमान में सरकार और विपक्ष के बीच जारी खींचतान इसमें देरी का कारण बन सकती है. लेकिन विपक्ष भी स्पष्ट रूप से यह समझ रहा है कि पाकिस्तान की सेना इस मुद्दे पर कहाँ खड़ी है."
डॉक्टर हसन असकरी का मानना है कि गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, चाहे वो भारत के साथ पाकिस्तान की स्थिति हो या चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर, इस क्षेत्र का अपना महत्व है.
वे कहते हैं, "पाकिस्तान सीपीईसी के लिए स्थिरता चाहता है. साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहता है कि क्षेत्र के लोगों की चिंताओं और माँगों का ध्यान रखा जाये, ताकि सीपीईसी से जुड़ी योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके."
"लेकिन कश्मीर मुद्दे को कम से कम नुक़सान पहुँचे, इसके लिए पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान के मामले में अल्पकालीन या अस्थायी जैसे शब्दावली का उपयोग करेगा, इसकी काफ़ी संभावना है. हालांकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नेता इससे ख़ुश नहीं होंगे, इसलिए पाकिस्तान सरकार को 'रणनीतिक और राजनीतिक' तौर पर बहुत ही सोच समझ कर आगे बढ़ना होगा."
डॉक्टर हसन असकरी ने इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष की संभावना को भी ख़ारिज किया और कहा कि "नियंत्रण रेखा पर इससे थोड़ा बहुत तनाव बढ़ सकता है, राजनयिक संबंध बिगड़ सकते हैं, पर दोनों के बीच युद्ध के आसार बहुत कम हैं."
डॉक्टर हसन असकरी इस बात से भी इनकार करते हैं कि 'भारत-चीन सीमा तनाव से इसका कोई संबंध है.'
उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान भविष्य में भारत-चीन के सशस्त्र संघर्ष में सैन्य रूप से शामिल नहीं होगा, लेकिन वो निश्चित रूप से राजनीतिक और कूटनीतिक ढंग से चीन का समर्थन करेगा."
'धोखाधड़ी और फ़र्जीवाड़ा'
गिलगित-बल्तिस्तान में राष्ट्रवादी समूह पाकिस्तान सरकार के इस क़दम की आलोचना कर रहे हैं. वो इसे 'पाकिस्तान का दुरंगीपन' कह रहे हैं. वो पाकिस्तान से पूर्ण संघीय दर्जे की माँग करते रहे हैं और वो चाहते हैं कि बाकी चार प्रांतों की तरह गिलगित-बल्तिस्तान को भी समान अधिकार मिलें. इसलिए वो इस घोषणा से ख़ुश नहीं हैं.
मंज़ूर परवाना गिलगित-बल्तिस्तान संयुक्त आंदोलन के अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि 'राष्ट्रवादी वास्तव में पाकिस्तान सरकार की तभी सराहना करेंगे, जब गिलगित-बल्तिस्तान को पंजाब, सिंध, केपी और बलूचिस्तान की तरह पूर्ण प्रांत माना जायेगा.' लेकिन उन्हें भारी आशंका है कि ऐसा होगा.
वे कहते हैं, "जब तक कश्मीर का मसला हल नहीं होता, हमें बाकी प्रांतों की तरह कभी बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाएगा. यह घोषणा इस क्षेत्र के लोगों के साथ एक धोखा और फ़र्ज़ीवाड़ा है. यह पाकिस्तान तहरीक़े इंसाफ़ पार्टी द्वारा चुनाव से पहले समर्थन हासिल करने की एक राजनीतिक चाल है."
"हमें ये पहले भी ऐसे लॉलीपॉप देते रहे हैं. इनका हमारे लिए कोई मतलब नहीं है. दुनिया में कहीं भी अनंतिम प्रांत का कोई उदाहरण नहीं है. बल्कि राष्ट्रवादियों का मानना है कि यह गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों से और इस क्षेत्र से विशेष दर्जे को छीनने का रास्ता साफ़ करेगा."
मंज़ूर परवाना ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यधारा के राजनीतिक दल स्थानीय लोगों के सच्चे प्रतिनिधि नहीं हैं और इस मुद्दे पर क्षेत्र के लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया है.
वे कहते हैं, "वे हमें कश्मीर के मुद्दे पर घसीटते रहेंगे, वे स्थिति को इस तरह बदलना चाहते हैं कि गिलगित-बल्तिस्तान पर पाकिस्तान की पकड़ को मज़बूत कर सकें, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत कश्मीर के मामले को नुक़सान भी ना पहुँचे."
'राजनीतिक फ़ायदा'
पत्रकार शब्बीर हुसैन का कहना है कि इस घोषणा के बाद से गिलगित-बल्तिस्तान की आबादी का एक अच्छा बड़ा हिस्सा बहुत ख़ुश है. उन्हें लग रहा है कि पाकिस्तान सरकार के इस निर्णय के बाद बहुत सारी चीज़ें बदलेंगी और इस बदलाव से बेहतर भविष्य के अवसर पैदा होंगे.
शब्बीर इस घोषणा से संबंधित घटनाक्रमों पर नज़र बनाये हुए हैं. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा कि नवंबर में आम चुनावों के बाद गिलगित-बल्तिस्तान को एक प्रांत बनाने के प्रयासों को गति मिलेगी.
शब्बीर कहते हैं कि पाकिस्तान सरकार को गिलगित-बल्तिस्तान की स्थिति बदलने के लिए एक संवैधानिक संशोधन करना होगा. इस उद्देश्य के लिए सरकार को दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, जो विपक्षी दलों के सहयोग के बिना संभव नहीं.
शब्बीर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक संसदीय समिति पहले से ही संवैधानिक संशोधनों के विवरण को अंतिम रूप देने पर काम कर रही हैं, लेकिन विपक्षी दलों का विचार है कि नवंबर के मध्य में चुनाव होने के बाद ही इस बदलाव पर आगे कोई काम होना चाहिए क्योंकि उन्हें डर है कि पाकिस्तान तहरीक़े इंसाफ़ पार्टी इसका राजनीतिक लाभ ले सकती है.
पाकिस्तान में मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियाँ पाकिस्तान तहरीक़े इंसाफ़, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) चुनाव में मुख्य प्रतियोगी होंगी. (bbc)
रियाद, 27 सितंबर (आईएएनएस)| सऊदी अरब में अधिकारियों ने अगले महीने आगंतुकों के लिए मक्का में आस्था-स्थलों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है। कोरोनावायरस के कारण ये महीनों से ये बंद पड़े हैं। यह जानकारी मीडिया को दी गई। गल्फ न्यूज ने शनिवार को देश के सरकारी मीडिया के हवाले से बताया कि ग्रैंड मॉस्क (मस्जिद-ए-हरम) और पैगंबर की मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) के जनरल मामलों के अध्यक्ष अब्दुलरहमान अल सुदैस ने काबा किस्वा के लिए किंग अब्दुलअजीज कॉम्प्लेक्स को फिर से खोलने का निर्देश दिया है।
अल सुदैस ने आगंतुकों की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अनुशंसित एहतियाती उपायों के अनुपालन की जरूरत को रेखांकित किया।
सऊदी अरब ने हाल ही में वायरस से संबंधित कई प्रतिबंधों में ढील दी है।
पिछले हफ्ते, अधिकारियों ने उमरा को बहाल करने और अगले महीने से मक्का और मदीना में दोनों पवित्र मस्जिदों की यात्रा की बहाली को लेकर एक योजना का अनावरण किया।
जायरीनों को 4 अक्टूबर से शुरू होने वाले पहले चरण में स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों के बीच 30 प्रतिशत की क्षमता पर प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।
विदेशियों को 1 नवंबर से उमरा करने के लिए सऊदी अरब जाने की अनुमति दी जाएगी।
ओटावा, 27 सितंबर (आईएएनएस)| कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो ने घोषणा की है कि देश ने 2 करोड़ से अधिक कोविड-19 वैक्सीन डोज को हासिल करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सीबीसी न्यूज के मुताबिक, टड्रो ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में विकसित रही वैक्सीन तक पहुंच के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
उन्होंने कहा, "हम शुरू से ही विज्ञान द्वारा गाइड किए जाते रहे हैं और कोविड-19 वैक्सीन टास्क फोर्स और इम्युनिटी टास्क फोर्स सबसे कारगर वैक्सीन विकल्पों और रणनीतियों की पहचान करने में हमारी मदद करने के लिए महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।"
नई डील के साथ, टड्रो सरकार ने अब तक छह प्रमुख वैक्सीन कैंडिडेट तक पहुंच हासिल कर ली है।
हेल्थ कनाडा ने कहा है कि वह प्रत्येक वैक्सीन के लिए सुरक्षा, प्रभावकारिता और विनिर्माण गुणवत्ता के साक्ष्य की समीक्षा करेगा, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि नागरिकों को उपलब्ध होने से पहले वैक्सीन देश में व्यक्तिगत उपयोग के लिए अनुमोदित किए जाएंगे या नहीं।
टड्रो द्वारा यह घोषणा किए जाने के कुछ दिनों बाद यह डील साइन किया गया है।
संभावित राष्ट्रीय लॉकडाउन को लेकर चिंताओं के बीच देश में कोरोनोवायरस की दूसरी लहर शुरू हो गई है।
एसपीएस पन्नू
नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुलेआम यह कहकर इमरान खान सरकार को झटका दे दिया है कि देश एफएटीएफ द्वारा कालीसूची (ब्लैकलिस्ट) में डाले जाने के कगार पर है, क्योंकि इसे सैन्य नेतृत्व द्वारा बाहरी मुद्दों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था।
शरीफ, जिनका प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल 2013 से 2017 तक बढ़ा था, ने पाकिस्तानी जनरलों के गुस्से को बढ़ा दिया था, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि वह (शरीफ) उन इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करें जो भारत और अफगानिस्तान में सीमा पार से आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे। नतीजतन, शरीफ को आखिरकार पद छोड़ना पड़ा।
इस्लामाबाद से रायटर की एक रिपोर्ट में शरीफ के हवाले से कहा गया, "जब हमने बताया कि हमारे मित्र देश हमें बाहरी मुद्दों पर हमारी भागीदारी के बारे में चेतावनी दे रहे हैं, जो कि सेना के इशारे पर किए जा रहे थे, तो हम पर हमला किया गया और इसे एक घोटाले में बदल दिया गया।"
वह रविवार को लंदन से एक वीडियो लिंक के माध्यम से पाकिस्तानी विपक्षी दलों के एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
शरीफ ने कहा, "अब पाकिस्तान को एफएटीएफ जैसे प्लेटफार्मो द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश के शर्म से निपटना होगा।" वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का जिक्र कर रहे थे, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंस का मुकाबला करने के लिए काम करने वाला ग्लोबल वाचडॉग है।
शरीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान अगले महीने होने वाली बैठक में एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टेड किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा है। फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में, पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय लिया था, लेकिन चेतावनी दी गई थी कि अगर यह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा।
एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
भले ही शरीफ को भ्रष्टाचार मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान में यह सब जानते हैं कि सेना न्यायपालिका पर भी काफी प्रभाव डालती है।
शरीफ ने कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि पाकिस्तान के इतिहास को देखा जाए तो ज्यादातर सैन्य तानाशाही रही है या जब एक निर्वाचित सरकार थी, तो एक समानांतर सरकार सेना द्वारा चलाई जा रही थी।
उन्होंने कहा, "हमारा संघर्ष इमरान खान के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन ताकतों के खिलाफ है, जिन्होंने उनकी अवैध सरकार को सत्ता में स्थापित किया है। जबकि राजनेताओं को जवाबदेही के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया गया।"
शरीफ ने कहा, "हम चाहते हैं कि निर्वाचित नेता देश के मसलों को हल करें, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करें और विदेश नीति तय करें।"
उन्होंने इमरान खान सरकार की विदेश नीति की भी आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ गया है। उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब और इस्लामिक सहयोग संगठन के साथ पाकिस्तान के संबंधों को मजबूत करने का जिम्मा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दिया। शरीफ ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, महंगाई बढ़ रही है, जबकि पाकिस्तानी रुपया ऐतिहासिक रूप से कम स्तर पर है और आर्थिक विकास में तेजी से मंदी आई है।
गुस्साए इमरान खान ने कहा कि शरीफ को इलाज के लिए ब्रिटेन जाने देना गलती थी और इस फैसले का उन्हें अफसोस है।
वॉशिंगटन, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| अपने आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम के तहत नासा की योजना 2024 तक चांद की धरती पर दोबारा इंसानों को भेजने की है और इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। तैयारी के एक चरण के रूप में अंतरिक्ष यात्रियों को हर उस चुनौतियों से रूबरू करवाया जा रहा है, जिनका सामना उन्हें चांद की सतह पर करना पड़ सकता है।
प्रशिक्षण के तहत अंतरिक्ष यात्रियों से अंडर वॉटर टास्क ज्यादा कराए जा रहे हैं और इसके लिए बड़े-बड़े पूलों का निर्माण किया गया है, जिनमें कृत्रिम वातावरण का निर्माण भी किया गया है, ताकि इन्हें चांद के पर्यावरणीय स्थिति से मिलाया जा सके।
नासा ने कहा, "ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में न्यूट्रल ब्यूएन्सी लैब (एनबीएल) में होने वाली एक टेस्ट सीरीज के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यात्री और इंजीनियर्स स्पेससूट और गोता लगाने के लिए जरूरी उपकरण हार्ड हेट जैसी चीजों के साथ कई अलग-अलग तरह के टास्क कर रहे हैं, जिन्हें उन्हें चांद की सतह पर करना पड़ सकता है।"
इन परीक्षणों के नेतृत्व में शामिल डैरन वेल्श ने कहा, "ये शुरुआती परीक्षण भविष्य के आर्टेमिस ट्रेनिंग और मिशन के लिए जरूरतों और हार्डवेयर के विकास के लिए मददगार साबित होंगे।"
इस एनबीएल की लंबाई 202 फीट, चौड़ाई 102 फीट और गहराई 40 फीट है (जमीनी स्तर से 20 फीट ऊपर और 20 फीट नीचे) और इसमें 62 लाख गैलन पानी भरा है।
अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किए जा रहे टास्क में चांद की सतह से नमूनों को संग्रह करने, चंद्र लैंडर (चांद पर उतरने वाला यान) का परीक्षण करने और अमेरिकी ध्वज को चांद की सतह पर लगाने संबंधी काम शामिल हैं।
दुबई, 27 सितंबर (आईएएनएस)| दुबई में जॉगिंग कर रही एक महिला से छेड़छाड़ करने के आरोप में एक प्रवासी भारतीय को छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को दुबई कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने दावा किया कि आरोपी ने महिला को उस वक्त अनुचित तरीके से छुआ, जब वह जून में बुर दुबई में अपने आवास के पास व्यायाम कर रही थी।
अदालत ने आरोपी को जेल पूरी करने के बाद निर्वासित करने का भी आदेश दिया।
दुबई पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने प्रवासी पर यौन शोषण और अवैध शराब के सेवन का आरोप लगाया है।
जगन्नाथ चटर्जी
नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भुटिया ने देश के दो शीर्ष फुटबाल क्लबों-मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में शामिल होने पर खुशी जताई है।
मोहन बागान की टीम पहले ही आईएसएल का हिस्सा बन चुकी है और वह एटीके के साथ जुड़ चुकी है। अब ईस्ट बंगाल की टीम भी आईएसएल से जुड़ गई है और वह इस लीग में भाग लेगी।
भुटिया का मानना है कि हर किसी के लिए यह एक जीत जैसी स्थिति है।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, " मुझे लगता है कि इस जुड़ाव से हर किसी को फायदा होगा। ईस्ट बंगाल और मोहन बागान को आईएसएल जैसे प्लेटफॉर्म की जरूरत है और आईएसएल को भी इनके जैसे क्लबों की आवश्यकता है। इन क्लबों का बहुत बड़ा फैन बेस है, इसलिए मुझे लगता है कि हर किसी को इससे फायदा होगा।"
ऐसा माना जा रहा था कि आयोजक इन दो बड़े क्लबों को लीग में शामिल करने और इन नामों को अपनाने के लिए अनिच्छुक थे। लेकिन पूर्व भारतीय फुटबाल कप्तान का मानना है कि ईस्ट बंगाल और मोहन बागान जैसे विरासत वाली क्लबों पर फैसला लेने में समय लगता है।
भुटिया ने कहा, " ईस्ट बंगाल और मोहन बागान जैसे क्लबों को अपनाने में समय लगता है। उन्होंने सोचा कि यह शुरू में महत्वपूर्ण नहीं था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आईएसएल प्रबंधन ने कभी सोचा था कि वे ईस्ट बंगाल और मोहन बागान को शामिल नहीं करेंगे। यह केवल समय की बात थी।"
उन्होंने साथ ही कहा, "हर देश को एक अच्छी लीग और उसमें खेलने वाली अच्छी टीमों की जरूरत होती है। और अच्छी टीमों के साथ एक अच्छी लीग से ही देश में फुटबॉल के विकास में मदद मिलेगी।"
आईएसएल का सातवां सीजन इस बार नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होगी और इसके मैच तीन मैदानों-जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम फातोर्दा, जीएमसी एथलेटिक स्टेडियम, बामबोलिम और तिलक मैदान स्टेडियम वास्को में खेले जाएंगे।
वाशिंगटन, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। वर्जीनिया के लेफ्टिनेंट गवर्नर के लिए रिपब्लिकन नामांकन में पुनीत अहलूवालिया का नाम सामने आया है, जो एक भारतीय-अमेरिकी व्यापार सलाहकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उनका कहना है कि राज्य को निवेश, रोजगार, विकास और धन को आकर्षित करने के लिए एक नए नेतृत्व की आवश्यकता है।
अमेरिकन बाजार की शनिवार की रिपोर्ट में 55 वर्षीय के बयान का हवाला देते हुए कहा गया कि, "वर्जीनिया अभी मुसीबत में है, और हम वक्त से पीछे चल रहे हैं, क्योंकि डेमोक्रेट वही पुराने थके हुए वादे पेश करते हैं।"
दिल्ली में जन्मे अहलूवालिया ने अपने समर्थकों से अपनी टिप्पणी में कहा, "वर्जीनिया को नए विचारों और एक कारोबारी माहौल की आवश्यकता है जो निवेश, रोजगार, विकास और धन को आकर्षित करेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "वर्जीनिया को अपनी कड़ी मेहनत और साहसी पुलिस का समर्थन करने, द्वितीय संशोधन अधिकारों की रक्षा करने और कानून और व्यवस्था के लिए खड़े होने की आवश्यकता है।"
साल 1990 में अमेरिका चले गए दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के पूर्व छात्र अहलूवालिया द लिविंगस्टन ग्रुप के साथ ग्राहक अधिग्रहण, मार्केटिंग और रणनीतिक मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों के लिए एक सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं।
अहलूवालिया ने लिखा, "मैं एक अमेरिकी के तौर पर नहीं जन्मा हूं, लेकिन मेरी पत्नी और मैं पसंद के हिसाब से अमेरिकी हैं। मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूं, मैं अमेरिकी सपने को जीने वाला एक गौरवान्वित अमेरिकी हूं।"
दो दशकों से अधिक समय से रिपब्लिकन पार्टी की राजनीति में सक्रिय अहलूवालिया उत्तरी वर्जीनिया रिपब्लिकन बिजनेस फोरम पर भी काम करते हैं।
लंदन, 27 सितंबर (आईएएनएस)| लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर में लॉकडाउन के विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़कने के बाद करीब 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, वहीं नौ पुलिस अधिकारियों के घायल होने की जानकारी सामने आई है। मेट्रो समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए हजारों लोग शनिवार को ट्राफलगर स्क्वायर में एकत्रित हुए और 'हम सहमत नहीं हैं' जैसे कई प्रकार के संकेत वाले, झंडे और तख्तियां प्रदर्शित कर रहे थे।
प्रदर्शन में उपस्थित लोगों ने न ही मास्क पहन रखा था, न ही वे सामाजिक दूरी जैसे सुरक्षा उपायों का पालन कर रहे थे।
इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने जहां सरकार पर वायरस के प्रसार को रोकने के प्रयास में व्यापक प्रतिबंधों के जरिए लोगों पर 'अत्याचार' का आरोप लगाया, वहीं कुछ ने संभावित कोविड-19 वैक्सीन की तुलना 'साइनाइड' से की।
कुछ लोगों ने नाजी प्रचारक जोसेफ गोएबल्स के एक उद्धरण के साथ पोस्टर प्रदर्शित किए, जिस पर लिखा था, "यदि आप एक झूठ को बड़े पैमाने पर बताते हैं और उसे दोहराते रहते हैं, तो अंतत: लोग उस पर विश्वास करने लगते हैं।"
हालांकि पुलिस अधिकारियों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प के बाद विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें फेंकी और 'अपना पक्ष लो' का नारा लगाने लगे, वहीं अधिकारियों ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए डंडों का इस्तेमाल किया।
मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी कोरोनावायरस नियमों का उल्लंघन, पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट, सार्वजनिक आदेश का उल्लंघन, अपराध और हिंसक कृत्य जैसे अपराधों के तहत की गई।
लंदन के मेयर सादिक खान ने विरोध को 'स्वीकार्य नहीं' बताते हुए जोर दिया कि कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
मेट्रो समाचार ने मेयर के बयान के हवाले से कहा, "कुछ प्रदर्शनकारियों के लापरवाह और हिंसक व्यवहार ने कड़ी मेहनत करने वाले पुलिस अधिकारियों को घायल कर दिया है और वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक संवेदनशील क्षण में हमारे शहर की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।"
उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। कुछ लोगों के स्वार्थी व्यवहार के कारण हम लंदनवासियों के बलिदान को कम नहीं होने दे सकते।"
ट्रम्प कई बार यह धमकी दे चुके हैं कि अगर वह चुनाव हार जाते हैं तो आसानी से सत्ता नहीं छोड़ेंगे और तब तक राष्ट्रपति के रूप में काम करते रहेंगे, जब तक चुनाव के नतीजों का फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट से नहीं हो जाएगा।
इस बीच, अमरीका की पोलिटिको पत्रिका ने व्हाइट हाउस के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ट्रम्प की टीम ने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इन दिनों व्हाइट हाउस की सबसे व्यवस्थित संचालन इकाइयों में से एक संभावित सत्ता हस्तांतरण की योजना बनाने में व्यस्त है।
ट्रम्प हालिया दिनों में कई बार पोस्टल मतों के बारे में संदेह जता चुके हैं और अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन पर नशा करने और सोते रहना का आरोप लगाकर धमकी दे चुके हैं कि वह इतनी आसानी से सत्ता नहीं छोड़ेंगे, जबकि उनके शीर्ष सहयोगी क्रिस लिडेल पिछले कई हफ़्तों से बाइडन को संभावित सत्ता हस्तांतरण की योजना तैयार कर रहे हैं।
व्हाइट हाउस के जानकार सूत्रों का कहना है कि लिडेल एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिन्हें सत्ता के हस्तांतरण की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
इससे पहले अमरीकी न्यायपालिका ने कहा था कि नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन के जीतने की स्थिति में सत्ता के हस्तांतरण के लिए शुरूआती चरणों पर काम शुरू हो जाना चाहिए।
राष्ट्रपति पद के हस्तांतरण के केन्द्र के प्रमुख डेविड मारचिक का कहना है कि उन्होंने नियमों के पालन पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा है और यह काम अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है।
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए सत्ता हस्तांतरण का काम अंजाम देने वाली टीम के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि मुझे नहीं लगता, ट्रम्प को इन गतिविधियों की जानकारी नहीं होगी।
व्हाइट में ट्रम्प के निकट सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति को लिडेल की गतिविधियों की पूरी जानकारी है और वह क़ानून के अनुसार सत्ता के हस्तांतरण के लिए तैयार हैं।(parstoday)
वाशिंगटन, 27 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश रुथ बादर गिंसबर्ग के निधन के बाद रिक्त हुए पद के लिए एमी कोनी बैरेट को नये न्यायाधीश के रूप में नामित किया है।
श्री ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस प्रांगण में कहा, ''हमारे देश की सबसे प्रतिभाशाली और बेहतरीन कानूनविद में से एक बैरेट को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नामित करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। वह विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं और संविधान के प्रति गहरी निष्ठा रखती हैं।''
संबोधन के दौरान सुश्री बैरेट अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बगल में खड़ी थीं। श्री ट्रम्प ने कहा, ''इस तरह का यह तीसरा नामंकान है। मेरे लिए बेहद खुशी के क्षण हैं। आप बेहतरीन हैं।''
कराची, 27 सितंबर (वार्ता) पाकिस्तान में सिंध प्रांत के कराची में एक वैन में आग लग जाने से 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि पांच लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
यह हादसा शनिवार की रात नूरीबाद थाना क्षेत्र में हुआ। वैन हैदराबाद से कराची की ओर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में उसमें आग लग गई। हादसे में वैन में सवार 13 लोगों की जल जाने से मौत हो गई।
पुलिस महानिदेशक मोटरवे डॉ. आफताब पठान ने बताया कि वैन में कुल 20 लोग सवार थे। आग लगने के बाद वैन पलट गई जिसके कारण सभी यात्री उसमें फंस गए। तेरह यात्रियों की झुलस जाने से मौत हो गई। उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपनी जान बचाने में सफल रहे लेकिन उन्हें भी गंभीर चोटें आई हैं। पांच लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। डा. आफताब ने बताया कि वैन में से शवों को निकालने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने बताया कि वैन हैदराबाद से करीब 60 किमी दूर पहुंची थी, इसी दौरान यह हादसा हो गया। वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी है। सूचना मिलते ही मौके पर एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड राहत कार्य के लिए मौके पर पहुंच गयी। हादसे में बचने वालों में वैन का चालक और एक बच्चा शामिल है। मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है।
नूरीबाद के पुलिस उपाधीक्षक नजर दीशक ने बताया यह हादसा हैदराबाद से 63 किलोमीटर दूर हुआ है।
बीजिंग, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| चीनी विशेषज्ञों ने 25 सितंबर को पेइचिंग में आयोजित एक न्यूज ब्रिफिंग में कहा कि अब चीन में 11 नए कोरोनावायरस टीके का नैदानिक परीक्षण किया जा रहा है। चीन के नए कोरोनावायरस वैक्सीन का दीर्घकालिक सुरक्षात्मक प्रभाव होगा चीनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामाजिक विकास प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वु युवान पीन ने कहा कि चीन का नए कोरोनावायरस वैक्सीन अनुसंधान और विकास विश्व की अग्रिम पंक्ति पर है। चीन की जूंगशेंग कंपनी के दो वैक्सीन का 35 हजार लोगों के शरीर पर परीक्षात्मक प्रयोग किया गया है। अभी तक कोई गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं हुई। दूसरी कंपनियों ने दक्षिण अमेरिका, दक्षिण-पूर्वी एशिया और यूरोप के देशों में भी वैक्सीन का परीक्षात्मक प्रयोग शुरू किया है।
उधर चीनी सीडीसी के विशेषज्ञ जंग क्वांग ने कहा कि तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों को पूरा करने के बाद हम टीका के संरक्षण के बारे में निष्कर्ष निकाल सकते हैं। अभी तक प्राप्त जो परिणाम है वह संतोषजनक है।
चीनी स्वास्थ्य आयोग के तहत चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी विकास केंद्र के प्रधान जंग जूंग वेई ने कहा कि हम वैक्सीन के लिए वैश्विक पहुंच तंत्र का समर्थन करते हैं। इसी संदर्भ में हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संपर्क रख दिया है। हमारा उद्देश्य नए कोरोनावायरस वैक्सीन को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनाने को बढ़ावा देना है।
( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )
बीजिंग, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने महामारी की आड़ में बारांबार चीन पर आरोप लगाया, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन पर बेमतलब हमला बोला। उनका उद्देश्य अपने देश में महामारी की रोकथाम में विफल होने का ठीकरा चीन पर फोड़ना है, जो कि सरासर बेबुनियाद और बेकार है। झूठ कभी सच को ढक नहीं सकता है। महामारी की रोकथाम में चीन के व्यवहार को पूरी दुनिया ने साफ तौर पर देखा है और इसकी प्रशंसा करती है। कोरोना वायरस मानव जाति का समान दुश्मन है। चीन कोरोना वायरस से ग्रस्त है, बल्कि महामारी की रोकथाम में अहम योगदान देने वाला देश भी है। चीन ने समय पर महामारी की सूचना दुनिया को दी, समय पर इसकी पहचान की और समय पर वायरस का जीन अनुक्रम साझा किया।
वायरस के मानव से मानव संक्रमित होने की पुष्टि के बाद चीन ने समय पर वुहान शहर को बंद करने का फैसला किया। चीन ने हूपेई प्रांत और वुहान शहर में आवाजाही पर सख्त नियंत्रण किया। जब 23 जनवरी को चीन ने वुहान में लॉकडाउन शुरू किया, तब चीन के बाहर अन्य देशों और क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के सिर्फ 9 मामले दर्ज हुए, जिसमें सिर्फ एक मामला अमेरिका में है। 31 जनवरी को अमेरिका ने चीन जाने वाली सीधी उड़ान को स्थगित किया। फिर 2 फरवरी को अमेरिका ने सभी चीनी नागरिकों के अमेरिका जाने पर पाबंदी लगायी। उस समय अमेरिका में बस 10 मामले थे। महामारी की रोकथाम में चीन का प्रयास साफ, खुला और पारदर्शी है।
लेकिन अमेरिका ने क्या किया। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर बगैर किसी कारण के आरोप लगाया और डब्ल्यूएचओ से हटने का फैसला किया। यह महामारी की रोकथाम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए खतरनाक है। इससे न सिर्फ दुनिया के लोगों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि अमेरिकी लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
तथ्यों ने फिर एक बार साबित कर दिया है कि एकतरफावाद और धौंस जमाने का व्यवहार दुनिया के सामने मौजूद सबसे गंभीर खतरा है। अमेरिका को जल्द एकतरफावाद छोड़कर राजनीतिक कुचेष्टा बंद कर देनी चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ महामारी की समान रोकथाम करनी चाहिए, न कि दूसरों पर जिम्मेदारी लादना और कालिख पोतना।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
टोक्यो, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में जापान के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री योशीहिदे सुगा ने कहा है कि वह उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन से 'बिना किसी शर्त के' मिलने के लिए तैयार हैं। जापान टाइम्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क में वैश्विक नेताओं की वार्षिक सभा में शुक्रवार को एक रिकॉर्ड किए गए भाषण में सुगा ने कहा, "जापान और उत्तर कोरिया के बीच रचनात्मक संबंध स्थापित करना न केवल दोनों पक्षों के हितों में होगा, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में भी बहुत योगदान देगा।"
उन्होंने कहा, "मैं पूरे समर्पण के साथ कदम उठाने में को लेकर कोई मौका नहीं छोड़ूंगा।"
1970 और 1980 के दशक में जापानी नागरिकों के उत्तर कोरिया द्वारा अपहरण के मसले के बारे में सुगा ने कहा कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।
कोरोनावायरस के बारे में उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रसार मानव सुरक्षा के लिए एक संकट है, जो दुनिया भर में लोगों के जीवन, आजीविका और गरिमा के लिए खतरा है। इस संकट को दूर करने के लिए हमारे लिए मार्गदर्शक सिद्धांत 'किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना' होना चाहिए।
--आईएएनएस
वे घर में काम करने वाली एक सामान्य महिला थीं जो इंडोनेशिया से सिंगापुर के एक अमीर परिवार के यहाँ काम करने पहुँची थीं।
परिवार भी कोई आम परिवार नहीं - एक ऐसा परिवार जो सिंगापुर की बड़ी-बड़ी कंपनियों का मालिक है।
एक दिन इस परिवार ने महिला पर कऱीब 115 कपड़े, कुछ महंगे हैंडबैग, एक डीवीडी प्लेयर और घड़ी चोरी करने का आरोप लगाया। परिवार ने पुलिस में शिक़ायत कर दी जिसके बाद ये एक हाई-प्रोफ़ाइल केस बन गया।
लेकिन इस महीने की शुरुआत में पारती लियानी को अदालत ने बरी कर दिया।
अदालत के आदेश के बाद पारती ने कहा, मैं बहुत ख़ुश हूँ। मैं अंतत: आज़ाद हूँ। मैं चार साल से लड़ रही थी। लेकिन पारती के केस ने सिंगापुर की न्यायिक व्यवस्था पर कुछ सवाल खड़े किये हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या न्यायिक व्यवस्था पर भी असमानता का प्रभाव है? क्योंकि निचली अदालत ने इसी मामले में दोषी ठहरा दिया था।
क्या था पूरा मामला?
कहानी 2007 से शुरू होती है, जब पारती लियानी ने ल्यू मोन लियॉन्ग के घर काम करना शुरू किया। इस परिवार में कई सदस्य थे जिनमें से एक ल्यू के बेटे कार्ल भी थे।
साल 2016 में कार्ल ल्यू और उनके परिवार ने अलग रहने का निर्णय लिया और वो किसी दूसरी जगह रहने चले गए।
कोर्ट के दस्तावेज़ों से पता चलता है कि पारती को कार्ल ल्यू के नये घर और दफ़्तर की सफ़ाई करने के लिए कई बार कहा गया। हालांकि ये सिंगापुर के श्रम क़ानूनों का उल्लंघन था और पारती ने इसकी शिकायत मालिकों से की भी थी।
कुछ महीने बाद ल्यू परिवार ने पारती से कहा कि उन्हें चोरी के शक़ में नौकरी से निकाल जा रहा है। लेकिन पारती के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने कार्ल ल्यू से कहा था कि मैं जानती हूँ कि मुझे नौकरी से क्यों निकाला जा रहा है, दरअसल आप नाराज़ हैं क्योंकि मैंने आपका शौचालय साफ़ करने से मना कर दिया था।
एक धमकी का अंजाम
बहरहाल, पारती को दो घंटे का समय दिया गया कि वे अपना सामान पेटियों में समेट लें ताकि उन्हें इंडोनेशिया में पारती के घर तक भेजा जा सके। पैकिंग के बाद पारती वापस अपने घर इंडोनेशिया लौट आईं। हालांकि, सामान बांधते समय पारती ने ल्यू परिवार को यह धमकी दे दी थी कि वे सिंगापुर प्रशासन को बतायेंगी कि उनसे कार्ल ल्यू का घर साफ करवाया गया।
पारती के जाने के बाद ल्यू परिवार ने तय किया कि उनके सामान की जाँच की जाये, और कथित पड़ताल के बाद उन्होंने दावा किया कि उन्हें पारती के सामान में अपना कुछ सामान मिला। इसके बाद ल्यू मोन लियॉन्ग और उनके बेटे कार्ल ल्यू ने 30 अक्तूबर 2016 को पुलिस में पारती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
पारती के अनुसार, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पाँच हफ़्ते बाद जब वे नये काम की तलाश में फिर से सिंगापुर लौटीं तो पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।
अब चूंकि पारती का नाम एक आपराधिक मुक़दमे में शामिल था, इसलिए वे काम नहीं कर सकती थीं। ऐसे में उन्हें प्रवासी श्रमिकों के बसेरे में शरण लेनी पड़ी और आर्थिक मदद के लिए भी वे उन्हीं पर निर्भर रहीं।
पारती पर जिस सामान की चोरी का आरोप लगा, उसकी कुल क़ीमत एक अनुमान के अनुसार - लगभग 34 हज़ार सिंगापुर डॉलर यानी 18 लाख रुपये से अधिक थी।
दो साल दो महीने जेल की सज़ा
सुनवाई के दौरान पारती ने दलील दी कि जिस सामान का चोरी का सामान कहा जा रहा है, उसमें से कुछ उन्हीं का सामान है, कुछ सामान ऐसा है जिसे परिवार ने फेंक दिया था और कुछ सामान वो है जो उन्होंने पैक ही नहीं किया था।
साल 2019 में एक जि़ला न्यायाधीश ने उन्हें चोरी का दोषी ठहराया और इसके लिए पारती को दो साल दो महीने जेल की सज़ा सुनाई गई।
मगर पारती ने अदालत के इस निर्णय के खिलाफ अपील की और सिंगापुर के हाई कोर्ट ने आखिरकार इस महीने उन्हें बरी कर दिया।
जज ने कहा कि परिवार ने ग़लत मक़सद से उनके खिलाफ आरोप लगाये। साथ ही उन्होंने पुलिस, अभियोजन पक्ष और यहाँ तक कि जि़ला न्यायाधीश के इस केस को हैंडल करने के रवैये पर सवाल उठाये।
जज ने कहा कि परिवार ने पुलिस रिपोर्ट इसलिए दर्ज की ताकि पारती को कार्ल ल्यू का घर साफ़ करवाने की शिकायत करने से रोका जा सके।
जज ने नोट किया कि जिन चीज़ों को चुराने का पारती पर आरोप लगाया गया, वो सब खऱाब थीं और खऱाब चीज़ों को सामान्यत: चोरी नहीं किया जाता।
इस केस को लेकर सिंगापुर में काफ़ी हंगामा हुआ। इसे अमीर बनाम गऱीब की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था।
प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच?
इस केस पर सार्वजनिक विरोध को देखते हुए ल्यू मोन लियॉन्ग ने कई कंपनियों के चेयरमैन पद से रिटायर होने की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वे हाई कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं और उन्हें सिंगापुर की न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है। उन्होंने पुलिस रिपोर्ट करने के अपने फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि उन्हें सच में लगा था कि कुछ गलत हुआ है और इसलिए ये उनका फजऱ् था कि वे पुलिस को इसकी ख़बर दें।
इस केस से पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए। क़ानून और गृह मंत्री के शनमुगम ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कुछ तो ग़लत हुआ है।
इस केस ने यह भी दिखाया है कि प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच है।
पारती सिंगापुर में रहकर केस लड़ सकीं क्योंकि उन्हें ग़ैर-सरकारी संस्थान का सहयोग मिला और उनके वकील अनिल बालचंदानी ने बिना पैसे लिये उनका केस लड़ा।
इस मामले में बाइज़्ज़त बरी होने के बाद पारती ने कहा, मैं अब घर लौट रही हूँ। मेरी परेशानियाँ ख़त्म हुईं। मैं ल्यू परिवार को माफ़ करती हूँ और उनसे यह कहना चाहती हूँ कि फिर किसी के साथ ऐसा ना करें। (bbc.com/hindi)
ढाका, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| बांग्लादेश के सिलहट जिले के मुरारी चंद कॉलेज के एक हॉस्टल में एक महिला के साथ पुरुषों के एक समूह ने सामूहिक दुष्कर्म किया।
समाचार पत्र द डेली स्टार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कॉलेज गई महिला और उसके पति को अपराधी हॉस्टल ले गए, जहां उन्होंने पति को बांध दिया और शुक्रवार रात को महिला संग दुष्कर्म किया।
सिलहट मेट्रोपॉलिटन पुलिस (एसएमपी) के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (मीडिया) ज्योतिर्मय सरकार ने कहा, "सूचना पर, पुलिस ने दुष्कर्म पीड़िता और उसके पति को बचाया और देर रात 12.10 बजे के असपास सिलहट एमएजी उस्मानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर भेज दिया।"
उन्होंने कहा, "पुलिस अपराधियों की पहचान की पुष्टि करने और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।"
पुलिस सूत्रों का आरोप है कि अपराधी कॉलेज के छात्र थे।
घटना पर कॉलेज की प्रतिक्रिया आनी बाकी है।
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (आईएएनएस)| भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण पर आईना दिखाते हुए करारा जवाब दिया है। इसमें पाकिस्तान को बांग्लादेश में नरसंहार के रिकॉर्ड को याद दिलाने समेत पाकिस्तानी धरती आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनाने और अल्पसंख्यकों के लिए दमन का अड्डा बनाने की बात कही। दरअसल, खान ने महासभा में पिछले साल के आरोप ही इस साल दोहराए जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर केंद्रित थे और कहा कि भारत अल्पसंख्यकों को सताने पर जोर दे रहा। खान ने संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर में शांति सेना भेजने की भी अपील की।
भारतीय संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रथम सचिव मिजितो विनितो ने शुक्रवार को इस पर जबाव देते हुए कहा, "मैं जोर देकर यह बात कहता हूं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। वहां लागू किए गए नियम-कानून भारत का आंतरिक मामला है।"
उन्होंने कहा, कश्मीरी क्षेत्र पर इस्लामाबाद का अवैध कब्जा है, जिसे खाली करना होगा। साथ ही कहा कि खान के भाषण में नयापन बहुत कम था।
विनितो ने कहा, "पाकिस्तान शांति, संवाद और कूटनीति जैसे आधुनिक सभ्य समाज के सिद्धांत दूर है। उनके पास न दिखाने के लिए कुछ है ना बोलने के लिए कोई उपलब्धि हैऔर ना दुनिया के लिए कोई उचित सुझाव है।"
उन्होंने आगे कहा, "पिछले 70 वर्षो में दुनिया को जो एकमात्र गौरव उन्होंने दिया है, वह है आतंकवाद, नैतिकता का पतन, कट्टरवाद और अवैध परमाणु व्यापार।"
विनीतो ने पाकिस्तान को बांग्लादेश में किए गए नरसंहार का रिकॉर्ड भी याद दिलाया, जिसके लिए उसने आज तक माफी भी नहीं मांगा।
वहीं आतंकवाद में पाकिस्तान के रिकॉर्ड पर विनितो ने याद दिलाया कि खान ने अल कायदा के प्रमुख आतंकवादी को 'शहीद' कहा था। वहीं पाकिस्तान ने "संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए आतंकवादियों में से कई की सालों का मेजबानी की।"
विनितो ने कहा, "ये वही नेता हैं जिन्होंने पिछले साल खुद सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के पास 30,000 से 40,000 प्रशिक्षित आतंकवादी हैं। यह वह देश है जिसने अपने ईश निंदा कानूनों का दुरुपयोग कर हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों का धर्मांतरण किया।"
वहीं पाकिस्तान के प्रथम सचिव मुहम्मद जुल्कारनैन छीना ने कहा कि इस साल के शुरू में दिल्ली के शाहीन बाग में हुए दंगों ने हिंदुत्व की विचारधारा को उजागर किया।
उन्होंने कुलभूषण जाधव का भी जिक्र किया जिनके बारे में भारत का कहना है कि उन्हें ईरान से अगवा करके पाकिस्तान ले जाया गया था।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की गुरुवार को हुई 19वीं बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर और आतंकवाद के मसले पर बहस छिड़ गई.
दोनों देशों में से किसी ने साफतौर पर एक-दूसरे का नाम नहीं लिया लेकिन फिर भी अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी बात कह गए.
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की ये वार्षिक अनौपचारिक बैठक वर्चुअली हुई थी. इसमें भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान पर निशाना साधा.
बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्क के सभी सदस्य देशों से कहा, ''वे सामूहिक रूप से आतंकवाद के संकट को और आंतक व टकराव को पोषित करने, सहायता देने और बढ़ावा देने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रतिबद्धता जताएं. ये दक्षिण एशिया में सामूहिक सहयोग और समृद्धि के सार्क के उद्देश्य में रुकावट पैदा करता है.''
हालांकि, इस दौरान एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया.
वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने सार्क के मंच से लंबे समय से चलते आ रहे विवादों के समाधान पर एक विस्तृत बयान दिया. हालांकि, उन्होंने इसमें साफतौर पर जम्मू-कश्मीर का नाम नहीं लिया लेकिन परोक्ष तौर पर उनका संदर्भ जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर था.
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा, ''हमें विवादित क्षेत्रों में एकपक्षीय/अवैध तरीके से यथास्थिति बदलने की कोशिशों की निंदा और विरोध ज़रूर करना चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करती हैं.''
क़ुरैशी ने इस दौरान लंबे समय से चले रहे विवादों के कारण लोगों के मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन का ज़िक्र भी किया.
नेपाल ने की अध्यक्षता
इस बैठक की अध्यक्षता नेपाल कर रहा था. इसमें सार्क के सभी सदस्य देशों अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के विदेश मंत्री शामिल थे.
हालांकि, सभी सार्क देशों ने इस बैठक में कोरोना वायरस से लड़ने में सहयोग देने को लेकर प्रतिबद्धता जताई. एस. जयशंकर ने कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ उठाए गए भारत के कदमों का भी ज़िक्र किया.
सार्क दक्षिण एशिया के सात देशों का संगठन है. आठ दिसंबर 1985 को बने इस संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया में आपसी सहयोग से शांति और प्रगति हासिल करना है.
सीआईसीए में भी विवाद
इस तरह का बयान गुरुवार को हुई कॉन्फ्रेंस ऑन इंटरैक्शन ऐंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मेज़र्स इन एशिया (सीआईसीए) की मंत्रीस्तरीय बैठक में भी जारी किया गया.
27 देशों की इस बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया. जिसका भारत ने राइट टू रिप्लाई के तहत जवाब दिया.
भारत ने कहा, ''हम पाकिस्तान को सलाह देते हैं कि वो भारत के ख़िलाफ़ आंतकवाद को अपनी स्पॉन्सरशिप और समर्थन देना बंद करे. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और रहेंगे. पाकिस्तान को भारत के घरेलू मुद्दों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. पाकिस्तान का बयान भारत के आंतरिक मुद्दों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में दखल है जो सीआईसीए के सदस्यों के बीच 1999 में संबंध मार्गदर्शक सिद्धांतों पर की गई सीआईसीए घोषणा का उल्लंघन है.''
जब बैठक छोड़कर कर गए भारत-पाक
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले भी अंतरराष्ट्रीय बैठकों में विवाद होता रहा है.
पिछले हफ़्ते भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक को तब छोड़कर चले गए थे जब पाकिस्तान ने भारत के दावे वाले इलाक़ों को अपने नक़्शे में दिखाया था.
पिछले साल सार्क की बैठक में एस. जयशंकर और शाह महमूद क़ुरैशी ने दोनों के भाषणों का बहिष्कार किया था.
सार्क की 19वीं बैठक पहले साल 2016 में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होने वाली थी लेकिन उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था. कई और देशों ने भी इसमें भारत का साथ दिया था.(bbc)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में एक कोरोना वायरस वैक्सीन बनने से पहले COVID-19 से वैश्विक मौतों का आंकड़ा 20 लाख को पार कर सकता है. यू.एन. एजेंसी के आपात कार्यक्रम के प्रमुख माइक रयान ने शुक्रवार को एक ब्रीफिंग में कहा जब तक हम यह सब नहीं करते, 20 लाख लोगों के मौत की संभावना है. चीन में कोरोना वायरस के पता चलने के नौ महीने बाद होने वाली मौतों की संख्या 10 लाख के करीब है. रयान ने कहा कि हाल ही में बढ़ती चिंताओं के बावजूद संक्रमण के लिए युवा लोगों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि वे दुनिया भर में प्रतिबंध और लॉकडाउन के बाद इसका प्रसार बढ़ा रहे हैं.''
WHO चीन के साथ वैक्सीन से वित्त पोषण योजना में अपनी संभावित भागीदारी के बारे में निरंतर बातचीत कर रहा है, जो कि COVID-19 टीकों को वैश्विक स्तर पर तेजी से और समान पहुंच की गारंटी देने के लिए बनाई गई है. COVID -19 के खिलाफ टीके, उपचार और डायग्नोस्टिक्स के लिए WHO के वरिष्ठ सलाहकार ब्रूस आयलवर्ड ने कहा "हम चीन के साथ चर्चा कर रहे हैं, जैसा कि हम आगे बढ़ सकते हैं." उन्होंने पुष्टि की कि ताइवान ने इस योजना पर हस्ताक्षर किए हैं, हालांकि डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं है.
चीन की एक फार्मास्यूटिकल कंपनी ने दावा किया है कि साल 2021 की शुरुआत से अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस वैक्सीन डिट्रिब्यूशन के लिए तैयार हो जाएगी. SinoVac के सीईओ, यिन वेइदॉन्ग ने कहा कि अगर यह ह्यूमन ट्रायल के तीसरे फेज में सफल होती है तो अमेरिका में CoronaVac को बेचने के लिए यूएस फ़ूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से जल्द आवेदन किया जायेगा.
यिन ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस वैक्सीन प्रायोगिक टीका दिया गया है. उन्होने कहा "शुरुआत में हमारी रणनीति इस वैक्सीन को चीन के लिए और वुहान के लिए डिज़ाइन की थी. इसके तुरंत बाद जून और जुलाई में हमने अपनी रणनीति में बदलाव किया और इसे दुनिया तैयार करने का फैसला किया. शुक्रवार तक भारत में COVID-19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 58,18,571 थी, जिसमें 9,70,116 सक्रिय मामले थे. अब तक 47,56,165 लोगो को रिकवर किया गया है.(catch)
संयुक्त राष्ट्र, 26 सितंबर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुरक्षा परिषद से अपील की है कि वो कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की सेना भेज कर हस्तक्षेप करे। शुक्रवार को हुए इस सत्र से भारत ने शुरुआत में ही वॉकआउट कर दिया था।
शुक्रवार को खान ने कहा, "सुरक्षा परिषद को कश्मीर में संघर्ष को रोकना चाहिए और अपने प्रस्तावों का कार्यान्वयन करना चाहिए, जैसा कि पूर्वी तिमोर में किया गया था।"
पूर्वी तिमोर मॉडल में इंडोनेशिया द्वारा आक्रमण करने के बाद सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्तावों को लागू करने और 1999 में तिमोर की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और चुनावों की देखरेख करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय बल को अधिकृत किया था। फिर इसके अगले साल संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने तिमोर-लेस्ते में कमान संभाली थी।
2006 में तिमोर में असफल तख्तापलट होने और बड़े पैमाने पर फैली अशांति के बाद फिर से शांति सैनिकों में भेजा था।
1948 में पारित हुए प्रमुख सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव नंबर 47 मांग करता है कि पाकिस्तान पहले कश्मीर से अपने सैनिकों और नागरिकों को वापस ले। जवाहरलाल नेहरू इस मामले में जनमत संग्रह कराने तैयार हो गए थे लेकिन पाकिस्तान द्वारा प्रस्ताव की शर्त का पालन नहीं करने के कारण जनमत नहीं हो सका था।
इसके बाद भारत ने कश्मीर में चुनाव कराए और बकौल नई दिल्ली यह भारत में इसके शामिल होने की पुष्टि करता है।
वहीं, पुर्तगाली उपनिवेश पूर्वी तिमोर (फ्रेटिलिन) की स्वतंत्रता के लिए एक क्रांतिकारी मोर्चा लड़ रहा था। जब तख्तापलट ने पुर्तगाल में सलाजार शासन को उखाड़ फेंका तो 1975 में फ्रेटिलिन ने स्वतंत्रता की घोषणा की। लेकिन इसके तुरंत बाद ही इंडोनेशिया ने इस पर आक्रमण किया और 1999 तक शासन किया क्योंकि विद्रोहियों ने इंडोनेशिया का समर्थन किया था।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए जनमत संग्रह के बाद 2006 में परेशानी तब पैदा हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने अपने शांति सैनिकों को फिर से वहां भेजा।
ऐसे में तिमोर की तरह कश्मीर में वह मॉडल लागू करें तो सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का पालन करने के लिए कश्मीर से पाकिस्तानियों को हटाना होगा।
वाशिंगटन, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रसिद्ध सोशल कंजर्वेटिव एमी कोनी बैरेट को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सुप्रीम कोर्ट की नई जस्टिस के रूप में नामित करने की संभावना है।
इंटरनेशनल मीडिया ने बताया कि बैरेट लिबरल जस्टिस रूथ बेडर जिन्सबर्ग का स्थान लेंगी, जिनका पिछले शुक्रवार को निधन हो गया था। इस फैसले का एलान व्हाइट हाउस में शनिवार को होने की संभावना है।
उनके नाम पर मुहर लगने को लेकर सीनेट में टकराव देखने को मिल सकती है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव भी नजदीक है।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो 48 वर्षीय एमी कोनी बैरेट, रिपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 2017 में नील गोरसच और 2018 में नील गोरसच औेर 2018 में ब्रेट कवाना के बाद नियुक्त तीसरी जस्टिस होंगी।
वाशिंगटन, 26 सितंबर (स्पूतनिक) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने श्वेत लोगों का समूह कू क्लक्स क्लान (केकेके) को एक आतंकवादी समूह के रूप में घोषित करने की योजना बनाई है। व्हाइट हाउस की एक पूल रिपोर्ट में श्री ट्रम्प के चुनावी अभियान का हवाला देते हुए इसका जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में श्री ट्रम्प के चुनावी अभियान की प्लेटिनम योजना के बारे में बताया कि केकेके के अलावा दक्षिणपंथी संगठन एंटीफा को भी आतंकवादी समूह नामित करने के अलावा, अश्वेत समुदायों को लगभग 500 अरब डॉलर की पूंजी तक पहुंच बढ़ाना, जूनतींथ को एक संघीय अवकाश घोषित करना और अश्वेत समुदाय के लिए तीस लाख नए रोजगार पैदा करना शामिल है।
श्री ट्रम्प ने अटलांटा, जॉर्जिया में अपने अभियान के दौरान प्लेटिनम योजना के बारे में बात की, लेकिन केकेके को आतंकवादी समूह घोषित करने या जूनतींथ को एक संघीय अवकाश घोषित करने का जिक्र नहीं किया।
व्हाइट हाउस ने इस मुद्दे पर कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वाशिंगटन, 26 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका में ओरेगन सीफूड प्लॉट के 77 कर्मचारी कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। समाचार एजेंसी सिंहुआ के रिपोर्ट के मुताबिक, पॉजिटिव कर्मचारी क्लैटसॉप काउंटी में सीफूड प्लांट से हैं।
काउंटी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को कहा कि प्राइवेट लैब द्वारा इस सप्ताह से नाइट शिफ्ट के 159 कर्मचारियों का जांच किया गया, जिसमें 77 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
ओरेगन हेल्थ अथॉरिटी ने पॉजिटिव कर्मचारियों के लिए क्वारंटीन सुविधा की व्यवस्था की है, वहीं अन्य संपर्को का भी पता लगाया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी डे शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों के भी जांच कर रही है।
पॉजिटिव मामलों में से कोई भी अस्पताल में भर्ती नहीं है।