अंतरराष्ट्रीय
नानजिंग, 17 सितंबर (शिन्हुआ)। चीन के जीवाश्म वैज्ञानिकों ने जर्मनी और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर जंतु जगत के सबसे पुराने शुक्राणु की खोज की है। एंबर के एक टुकड़े में पाया गया यह शुक्राणु करीब 10 करोड़ वर्ष पुराना है।
चीन की विज्ञान अकादमी से संबंधित नानजिंग भूविज्ञान एवं जीवाश्म विज्ञान संस्थान के मुताबिक किसी भी जीव में मिलने वाला यह सबसे पुराना शुक्राणु है। इस खोज से संबंधित शोध पत्र रॉयल सोसाइटी : बायोलॉजिकल साइंसेज में प्रकाशित हुए हैं। इस खोज से पहले दुनिया में सबसे पुराना शुक्राणु करीब पांच करोड़ वर्ष पुराना था।
यह शुक्राणु आर्थोपोडा जंतु जगत के उपवर्ग ऑस्ट्राकोड नामक जीव की एक प्रजाति से संंबधित है। यह जीव आकार में बहुत छोटा होता है और महासागरों, झीलों, नदियों और तालाबों में भी पाया जाता है। इसका आकार करीब एक मिलीमीटर लंबा होता है।
ऑस्ट्राकोड उपवर्ग में पाये गए शुक्राणु का आकार बड़ा होता है। इस खोज से जुड़े वैज्ञानिक वांग ही ने कहा कि शुक्राणु का आकार बड़ा होने से प्रजनन दर में सुधार होता है, इसी कारण इन जीवों की संख्या काफी अधिक होती है।
ढाका, 17 सितंबर (आईएएनएस)| बांग्लादेश में हजारों छात्रों ने मदरसा के प्रमुख (अमीर) और हिफाजत-ए-इस्लामी के प्रमुख अहमद शफी के बेटे अनस मदानी को चटगांव के हथजरी दारुल उलूम मुईनुल इस्लाम मदरसा से निष्कासित करने की मांग को लेकर धरना दिया। छात्रों ने शफी को मदरसे के प्रमुख के तौर पर हटाने की भी मांग की।
विभिन्न बीमारियों से पीड़ित शफी (103) को लेकर विरोध बुधवार को जौहर की नमाज के बाद शुरू हुआ। छात्रों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मौलाना अनस मदानी के कारण 11 शिक्षकों और अधिकारियों को बिना किसी कारण के बर्खास्त कर दिया। पता चला है कि शफी अपने बुढ़ापे के कारण लंबे समय से मदरसे की देखरेख करने में असमर्थ हैं।
हथजरी पुलिस थाना प्रभारी और उपजिला निर्बही अधिकारी की टिप्पणियां इस मामले में नहीं मिल सकीं।
विरोध के दौरान अनस मदानी पर हथजरी मदरसा, हेफजात-ए-इस्लाम और कौमी मदरसा बोर्ड (बीईएफएसी) को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया गया।
हिफाजत-ए-इस्लाम प्रमुख शफी जनवरी 2019 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि लड़कियों को पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा था कि वे वादा करें कि वे रोजाना नमाज पढ़ेंगे और लड़कियों को हिजाब पहनाएंगे।
एक ऑडियो में हिफाजत प्रमुख ने कहा था कि माता-पिता अपनी बेटियों को पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाएं ताकि वे अपने पति के पैसे पर नजर रख सकें और उन्हें चिट्ठी लिख सकें।
बता दें कि शफी को उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए उन्हें 'टेंटुल हुजूर' (इमली मुल्ला) कहा जाता है क्योंकि उन्होंने एक बार 'टेंटुल' (इमली) की तुलना महिलाओं से करते हुए कहा था कि वे भी पुरुषों के मुंह में पानी ला देती हैं।
सैन फ्रांसिस्को, 17 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका के कैलिफोर्निया को 7 हजार से अधिक जंगली आग का सामना करना पड़ा है। राज्य के गवर्नर गेविन न्यूजोम ने कहा है कि इस साल लगीं 7,860 जंगली आग के कारण 34 लाख एकड़ (लगभग 13,759 वर्ग किमी) से अधिक जमीन जल गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की खबर के मुताबिक, कैलिफोर्निया के फॉरेस्ट्री एंड फायर प्रोटेक्शन (कैल फायर) और यूएस फॉरेस्ट सर्विस मोंटाना, उटा, टेक्सस और न्यूजर्सी के कर्मचारियों की मदद से इस आग से लगातार लड़ रही हैं।
न्यूजोम ने कहा है कि राज्य में 17,000 से अधिक अग्निशामक और 2,200 इंजन हैं।
मेंडोकिनो काउंटी में राज्य की सबसे बड़ी अगस्त कॉम्प्लेक्स फायर बुधवार को भी बढ़ती रही। यहां अब तक 7,96,651 एकड़ (लगभग 3,224 वर्ग किमी) जमीन जल चुकी है।
फ्रेस्नो और मादेरा काउंटी में लगी क्रीक फायर के कारण 2,20,025 एकड़ (लगभग 890 वर्ग किमी) जमीन जल चुकी है, जो इन काउंटी का 18 प्रतिशत हिस्सा है।
बटल, प्लमस और यूबा काउंटियों में नॉर्थ कॉम्प्लेक्स फायर से 2,73,335 एकड़ (लगभग 1,106 वर्ग किमी) जमीन जल चुकी है।
सैन फ्रांसिस्को क्रोनिकल ने बुधवार को बताया कि यूरोपियन कमीशन साइंस एजेंसी कोपर्निकस एटमॉस्फियर मॉनीटरिंग सर्विस के अनुसार, अमेरिका के पश्चिमी तटीय कैलिफोर्निया, ओरेगन और वाशिंगटन की घातक जंगली आग से निकला धुआं इस सप्ताहांत तक अटलांटिक महासागर के ऊपर चला जाएगा और यूरोप के वातावरण को भी प्रभावित करेगा।
विलमिंगटन: डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कहा कि कोरोनावायरस के संभावित टीके को लेकर उन्हें वैज्ञानिकों की बात पर तो विश्वास है, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर नहीं.
अमेरिका में 3 नवम्बर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले इन दिनों टीके का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है.
बाइडेन ने कोरोनावायरस के संभावित टीके पर जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद डेलावेयर के विलमिंगटन में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण के वितरण और कोरोनावायरस परीक्षण को लेकर ट्रंप की ‘अक्षमता और बेईमानी’ का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि अमेरिका ‘टीके को लेकर उन विफलताओं को दोहरा नहीं सकता.’
बाइडेन ने कहा, ‘मुझे टीके पर भरोसा है, मुझे वैज्ञानिकों पर भरोसा है लेकिन मुझे डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा नहीं है, और इस समय अमेरिकी लोगों को भी (ट्रंप पर भरोसा) नहीं है.’
ट्रंप ने बुधवार को दावा किया कि कोरोनावायरस का टीका मध्य अक्टूबर तक आ जाएगा. जबकि इससे पहले रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्र के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान कहा था कि अमेरिका के अधिकतर लोगों तक 2021 ग्रीष्मकाल से पहले टीका नहीं पहुंच पाएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन ओर ट्रंप आमने-सामने हैं.(theprint)
न्यूयॉर्क, 16 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका में जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद की छवि एक 'शांतिदूत' के रूप में पेश करने में जुट गए हैं।
ट्रंप ने मध्यस्थता कर इजरायल और दो अरब देशों के बीच मध्य-पूर्व में राजनयिक डील कराया, जबकि तालिबान के बीच शांति समझौते का प्रयास किया। साथ ही कतर में अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति समझौता वार्ता में भी अमेरिका की अहम भूमिका है।
उन्होंने मंगलवार को यह कहते हुए कि यह 'इतिहास के पाठ्यक्रम' में बदलाव है, राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए इजरायल और दो अरब देशों संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर कराएं।
जहां तालिबान और अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में शांति के लिए वार्ता कर रहे हैं, जिसे लेकर ट्रंप को उम्मीद है कि इससे अफगानिस्तान में संघर्ष खत्म होगा।
तालिबान डील से उन्हें यह घोषणा करने का मौका मिलेगा कि 19 साल बाद अमेरिका उनके नेतृत्व में अफगान से अपनी सेना को निकाल सकेगा और यह 2016 के चुनाव से पहले किए गए उनके वादे को पूरा करेगा।
ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी जोसेफ बाइडन पर इराक में विनाशकारी आक्रमण के लिए समर्थन करने और 40 साल के उनके (बाइडन) राजनीतिक कैरियर में कई अन्य विदेशी संघर्षो, उलझनों को लेकर उन पर निशाना साधा है और खुद के बारे में एक शांतिदूत और ऐसा नेता होने का दावा किया है जो सैनिकों को और ज्यादा देशों में तैनाती पर भेजने के बजाय उन्हें स्वदेश लाता है।
अमेरिकी सेना ने घोषणा की है कि वह नवंबर से पहले अफगानिस्तान और इराक से कई हजार सैनिकों को वापस बुला लेगी, जिससे वहां नाम मात्र के सैनिक रह जाएंगे।
ट्रंप प्रशासन के तहत, यूरोप में अपने निकटतम सहयोगियों के साथ वाशिंगटन के संबंध थोड़े कमजोर हुए हैं। ट्रंप द्वारा यूरोपीय देशों की लागतार आलोचना करने, उनसे रक्षा खर्च में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और जर्मनी से अमेरिकी सैनिकों वापस बुलाने के निर्णय को लेकर यूरोप के साथ रिश्ते प्रभावित हुए हैं।
उनकी विदेश नीति की डेमोक्रेट नेताओं के साथ ही कुछ रिपब्लिकन नेताओं द्वारा भी आलोचना की गई ।
उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए देश के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के साथ ट्रंप ने बैठकें भी की, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
चीन ने एशिया में अपना आक्रामक रूप दिखाया और ट्रंप कुछ नहीं कर सके, तो मध्यपूर्व और अफगानिस्तान ही हैं, जहां वह चुनावों से पहले शांतिदूत के रूप में छवि पेशकर परिणाम दिखा सकते हैं।
ट्रंप इजरायली और फिलिस्तीनियों के बीच एक शांति समझौता नहीं करा सके। इसलिए इजरायल और दोनों देशों के बीच समझौता एक सांत्वना पुरस्कार है - लेकिन यह और अधिक अरब देशों के लिए फिलिस्तीनियों के साथ संबंधों को ज्यादा अहमयित नहीं देने और इजरायल को ज्यादा अहमियत देने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि मालूम पड़ता है कि इसे सऊदी अरब की स्वीकृति प्राप्त है।
यह फिलीस्तीन को इजराइल के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भी मजबूर कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने मंगलवार को कहा, "मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि उन्हें इन समझौतों से उम्मीद है कि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के बीच नए सिरे से बातचीत होगी। उन्हें यह भी उम्मीद है कि खाड़ी में क्षेत्रीय स्थिरता विकसित होने का यह एक नया अवसर होगा।"
मंगलवार को ट्रंप की मध्यस्थता के बीच बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल्लातिफ बिन राशिद अल-जायन और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस्लामाबाद, 16 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के करीब 96 प्रतिशत कोरोनावायरस मरीज ठीक हो चुके हैं। बुधवार को 'नेशनल कमांड एंड ऑपरेशंस सेंटर' (एनसीओसी) द्वारा जारी एक स्टेटस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। जियो न्यूज ने बताया कि एनसीओसी के अनुसार, "पाकिस्तान भर में अब तक 290,760 लोग कोरोना से ठीक हुए हैं जो एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है और दर्शाता है कि कुल 303,089 मामलों के साथ 95.93 लोग ठीक हुए हैं, इनमें से 5,936 सक्रिय मामले हैं।"
एनसीओसी ने कहा कि पिछले 24 घंटों में लगभग 29,100 परीक्षण किए गए और 665 लोग जांच में कोरोना पॉजिटिव निकले।
इसने कहा कि सांस की बीमारी से मरने वाले चार लोगों में से तीन की मौत अस्पतालों में और एक की घर पर हुई।
एनसीओसी ने कहा कि देश में कोविड सुविधाओं वाले करीब 735 अस्पताल हैं और देशभर में 995 कोविड मरीज भर्ती हैं।
सुमी खान
ढाका, 16 सितंबर (आईएएनएस)| बांग्लादेश ने भारत सरकार से प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंध को जल्द से जल्द हटाने की अपील की है, ताकि भारत से प्याज का आयात निर्बाध रूप से होता रहे।
विदेश मामलों के राज्यमंत्री एम. शहरियार आलम ने मंगलवार को कहा, "हम इस संबंध में जल्द ही सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं, ढाका ने नई दिल्ली से प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आग्रह किया है, क्योंकि भारत ने पहले बांग्लादेश के लिए यहां लगातार प्याज की आपूर्ति करते रहने की 'अनौपचारिक' तौर पर प्रतिबद्धता जताई थी।
भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर तत्काल प्रभाव से प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले ने बांग्लादेश के प्याज बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
भारत के दिग्गज नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने भी भारत सरकार से प्याज के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि "इस फैसले के संबंध में महाराष्ट्र के प्याज उपज वाले प्रमुख क्षेत्रों से कड़ी प्रतिक्रिया मिली है।"
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध से खाड़ी देशों, श्रीलंका और बांग्लादेश के प्याज बाजारों में भारत का निर्यात हिस्सा जोखिम में है।
आलम ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच काजगी समझौतों के परे एक आपसी समझ है कि नई दिल्ली प्याज निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा और अगर नई दिल्ली इस तरह का निर्णय लेता तो वे ढाका को पहले से सूचित करेंगे।
कल रात प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किए जाने के बाद, आलम ने कहा कि नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग ने इस मुद्दे को भारतीय विदेश मंत्रालय के समक्ष तुरंत उठाया है।
आलम ने यह भी कहा कि बांग्लादेश का वाणिज्य मंत्रालय प्याज आयात के मुद्दे पर विचार कर रहा है।
सैन फ्रांसिस्को, 16 सितंबर (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापकबिल गेट्स के पिता विलियम एच. गेट्स द्वितीय का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे एक वकील और परोपकारी व्यक्ति थे। परिवार ने मंगलवार को घोषणा की कि वॉशिंगटन राज्य के समुद्र तट पर बने उनके घर में अल्जाइमर रोग के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
बिल गेट्स ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "मेरे पिता की बुद्धिमत्ता, उदारता, सहानुभूति और विनम्रता का दुनिया भर के लोगों पर बहुत प्रभाव था। मैं जैसे-जैसे बड़ा होता गया, मैं अपने जीवन में किए गए लगभग हर काम पर अपने पिता के प्रभाव की सराहना करने लगा। माइक्रोसॉफ्ट के शुरूआती वर्षों में मैंने उनसे अहम कानूनी परामर्श लिया था।"
उन्होंने कहा कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन अब उनके पिता के बिना वैसा नहीं रहेगा जैसा पहले था।
उन्होंने आगे कहा, "इस फाउंडेशन की नींव के मूल्यों को उन्हीं ने आकार दिया था। वह अच्छे सहयोगी, विवेकपूर्ण और सीखने को लेकर गंभीर व्यक्ति थे। बिल गेट्स के बेटे होने का अनुभव अविश्वसनीय है। लोग मेरे पिताजी से पूछते थे कि क्या वह असली बिल गेट्स हैं। मैं उन्हें हर दिन याद करूंगा।"
वाशिंगटन, 16 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और चिल्ड्रन हॉस्पिटल एसोसिएशन की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से करीब 550,000 बच्चे इससे संक्रमित हुए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की मंगलवार की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 27 अगस्त से 10 सितंबर तक कुल 72,993 बच्चों के नए मामले सामने आए हैं, जो दो सप्ताह में बच्चों के मामलों में 15 फीसदी की वृद्धि है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, अब तक संयुक्त राज्य में बच्चों के कोविड-19 संक्रमण के कुल 549,432 मामले सामने आए हैं और कुल मामलों में बच्चों के मामले 10 प्रतिशत भागीदार हैं।
जनसंख्या में प्रति 100,000 बच्चों पर कुल मामले 729 है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, अस्पतालों में रिपोर्ट किए गए बच्चे के मामले 0.6 से 3.6 प्रतिशत और कोविड-19 से हुई मौतों के 0 से 0.3 प्रतिशत हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस समय, ऐसा प्रतीत होता है कि कोविड-19 के कारण बच्चों में गंभीर बीमारी दुर्लभ है। हालांकि, राज्यों को कोविड-19 मामलों, टेस्ट, अस्पताल, और मृत्यु और उम्र के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करते रहना चाहिए, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य पर कोविड-19 के प्रभावों पर निगरानी रखी जा सके।
मास्को/नयी दिल्ली 16 सितंबर (वार्ता) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस की अध्यक्षता में मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की शिखर बैठक में पाकिस्तान द्वारा भारतीय भूभाग को प्रदर्शित करने वाला मानचित्र दर्शाये जाने पर कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए आज बैठक का बहिष्कार किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बदनीयती से वह काल्पनिक मानचित्र पेश किया जो उसने कुछ दिन पहले आधिकारिक तौर पर जारी किया है। यह मेज़बान द्वारा जारी परामर्श का घोर असम्मान और बैठक के नियमों का उल्लंघन था। भारतीय पक्ष उसी समय मेजबान से परामर्श करके बैठक से उठकर निकल गया।
प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष बैठक को गुमराह करने वाली बातें करता रहा। राजनयिक सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की इस हरकत से रूस भी हतप्रभ रह गया। सूत्रों के अनुसार मानचित्र में भारतीय भूभाग को पाकिस्तान का क्षेत्र दिखाया जाना एससीओ घोषणापत्र का घोर उल्लंघन है और एससीओ सदस्य देशों की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की सुरक्षा के स्थापित मानदंडों के विरुद्ध है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष द्वारा पाकिस्तानी पक्ष के अवैध मानचित्र दिखाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की गई। रूसी पक्ष ने भी पाकिस्तानी पक्ष को ऐसा करने से रोकने की बहुत कोशिश की। रूस ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पाकिस्तान की इस हरकत का कतई समर्थन नहीं करता है और उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान की इस हरकत से एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी प्रभावित नहीं होगी तथा श्री डोभाल एवं रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के सचिव निकोलई पत्रुशेव के बीच गर्मजोशी भरी मित्रता पर कोई असर नहीं होगा। श्री पत्रुशेव ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बैठक में आने के लिए उनका व्यक्तिगत रूप से आभार व्यक्त किया। श्री पत्रुशेव ने आशा व्यक्त की कि श्री डोभाल आगे अन्य कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मंगलवार को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (एससीओ) की एक मीटिंग छोड़कर अचानक चले गए.
इस वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तानी प्रतिनिधि डॉक्टर मोईद युसुफ़ ने अपने देश का नया राजनीतिक नक़्शा पेश किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को 'विवादित क्षेत्र' के तौर पर दर्शाया गया है और गुजरात के जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया है. इससे नाराज़ होकर अजीत डोभाल मीटिंग से बाहर निकल गए.
इसके बाद एक मीडिया ब्रीफ़िंग में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अजीत डोभाल के ग़ुस्से की पूरी कहानी बताई.
उन्होंने कहा, "अजीत डोभाल एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की एक वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा ले रहे थे जिसकी मेजबानी रूस कर रहा था. इस मीटिंग में पाकिस्तान ने एनएसए मोईद युसुफ़ ने जानबूझकर अपना वो 'काल्पनिक नक़्शा' दिखाया जिसका पाकिस्तान ने हाल ही में प्रचार किया था."
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तानी एनएसए का यह राजनीतिक नक़्शा मीटिंग में दिखाना 'मेजबान (रूस) के दिशानिर्देशों का अपमान और बैठक के नियमों का उल्लंघन था. अजीत डोभाल ने रूसी एनएसए से सलाह-मशविरा करने के बाद ही विरोध के तौर पर मीटिंग छोड़ी थी."
वहीं, पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ का दावा है कि शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन ने उसके नए राजनीतिक नक़्शे पर सहमत था और उसने अजीत डोभाल के विरोध को ख़ारिज कर दिया था.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पांच अगस्त की शाम यानी अनुच्छेद-370 निरस्त किए जाने के एक साल पूरे होने पर पाकिस्तान का नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था.
इस नक़्शे में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और जूनागढ़ को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है. इस नक़्शे में गिलगित बल्टिस्तान और सर क्रीक को भी साफ़ तौर पर पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है.
भारत ने पाकिस्तान के इस नक़्शे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि न तो इसकी क़ोई क़ानूनी वैधता है और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कोई विश्वसनीयता है.
इस्लामाबाद, 15 सितंबर (आईएएनएस)| अफगानिस्तान सुलह के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्मे खलीलजाद ने सोमवार को पाकिस्तानी सैन्य और असैन्य नेतृत्व के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करने के लिए पाकिस्तान की एक दिवसीय यात्रा की, जिससे अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
अपने इस्लामाबाद प्रवास के दौरान, खलीलजाद ने रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) में पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की। खलीलजाद ने अफगान शांति के लिए पाकिस्तान की ओर से 'ईमानदारी और बिना शर्त समर्थन' की सराहना की। उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया इस्लामाबाद के समर्थन के बिना संभव नहीं होगी।
खलीलजाद के साथ अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी था। बैठक में अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि, राजदूत मोहम्मद सादिक भी मौजूद रहे।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख के हवाले से प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "राष्ट्रीय शक्ति के सभी तत्व क्षेत्र में लंबे समय से प्रतीक्षित शांति, प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में एकजुट हैं।"
पाकिस्तानी पक्ष ने अपनी प्रस्तावित चार-स्तरीय रणनीति पर विस्तार से बताया, जिसमें शामिल हैं :
- अंतर-अफगान वार्ता से उभरने वाली सर्वसम्मति का सम्मान करते हुए अफगान-नीत और अफगान-स्वामित्व वाली शांति प्रक्रिया को समर्थन जारी रखना।
- यह सुनिश्चित करना कि अफगानिस्तान अतीत के हिंसक दिनों का गवाह न बने और न ही यहां ऐसे तत्वों के लिए जगह बने, जो इसकी सीमाओं से परे दूसरों को नुकसान पहुंचाए।
- आर्थिक विकास को गहरा और निरंतर करना।
- अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी मातृभूमि में उनकी गरिमा और सम्मान के साथ समयबद्ध वापसी सुनिश्चित करना।
दिलचस्प बात यह है कि खलीलजाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान या विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से नहीं मिले और उन्होंने केवल पाकिस्तान के सेना प्रमुख और राजदूत सादिक के साथ बैठक की।
ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान की खलीलजाद की त्वरित यात्रा तालिबान को दबाने के लिए इस्लामाबाद की मदद लेने और दोहा में पहले दौर की वार्ता के दौरान दीर्घकालिक युद्धविराम की घोषणा करने के लिए मजबूर करने के लिए है।
अफगान सरकार तालिबान से लंबे समय से संघर्ष विराम की मांग कर रही है और दोहा में चल रही वार्ता के दौरान इस बिंदु को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है। अफगान सरकार की शांति प्रक्रिया और बातचीत करने वाली टीम के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तालिबान द्वारा लंबे समय तक युद्धविराम के बदले में अधिक कैदियों और तालिबान लड़ाकों को रिहा करने की पेशकश की है।
काबुल, 15 सितंबर (आईएएनएस)| पहली बार, अफगानिस्तान ने चार साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र में सीएसडब्ल्यू (महिला स्थिति पर आयोग) सीट जीती है। टोलो न्यूज के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि अदेला राज ने यह घोषणा की।
उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, "अफगानिस्तान आज प्रतिस्पर्धी सीएसडब्ल्यू चुनावों में सबसे ज्यादा वोटों के साथ जीता है, हमारे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ 19 साल पहले शुरू की गई प्रक्रिया की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। हम अपनी महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह नए अफगानिस्तान को दर्शाने के लिए हमारी शांति वार्ता के दौरान काफी महत्वपूर्ण है।"
भारत, अफगानिस्तान और चीन सीट जीतने के प्रमुख दावेदारों में थे।
यहां तक जहां भारत और अफगानिस्तान ने 54 सदस्यों के बीच मतदान में जीत हासिल की, चीन आधा वोट भी हासिल नहीं कर सका।
सीएसडब्ल्यू एक प्रमुख वैश्विक अंतर सरकारी निकाय है जो विशेष रूप से लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए समर्पित है।
आर्थिक और सामाजिक परिषद का एक कार्यात्मक आयोग है, इसकी स्थापना 21 जून 1946 को की गई थी।
इस्लामाबाद, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान में मंगलवार को शैक्षणिक संस्थान फिर से खुल गए। कोविड-19 महामारी के कारण ये छह महीने से बंद थे। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा किया कि फिर से खोलने के पहले चरण में, सभी हायर एडुकेशन इंस्टीट्यूशन - कक्षा नौ से 12 तक और उससे ऊपर - मंगलवार से कक्षाएं फिर से शुरू करेंगे।
दूसरे चरण में, माध्यमिक विद्यालय फिर से खुलेंगे और तीसरे चरण में, प्राथमिक विद्यालय फिर से शुरू होंगे।
सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुसार, सभी छात्रों और शिक्षकों के लिए मास्क अनिवार्य है, जबकि स्कूल प्रशासन को गेट पर सैनिटाइजर की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सरकार के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोई मॉर्निग असेंबली नहीं होगी और कक्षाओं में प्रवेश करने से पहले छात्रों के शरीर के तापमान की जांच की जाएगी।
इसके अलावा, छात्रों को कक्षाओं में कुर्सियों के बीच एक सुरक्षित दूरी सुनिश्चित करनी होगी, जबकि सभी संस्थानों के मुख्य गेट पर फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था की गई।
गौरतलब है कि 7 सितंबर को, संघीय और प्रांतीय सरकारों के एक संयुक्त निर्णय के अनुसार, अधिकारियों ने शैक्षणिक संस्थानों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने का फैसला किया था।
सैन फ्रांसिस्को, 15 सितम्बर (आईएएनएस)| गेमिंग हार्डवेयर विक्रेता रेजर द्वारा दुर्घटनावश एक लाख से अधिक गेमर्स की व्यक्तिगत जानकारी लीक हो गई है, जो हैकर्स के द्वारा शोषण के लिए लगभग एक महीने से उपलब्ध था। सुरक्षा शोधकर्ता वोलिडिमिर डियाचेंको की नजर में पहली बार यह बात सामने आई कि 18 अगस्त को रेजर के वेबसाइट पर ग्राहकों की डेटा का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया गया था, हालांकि ऐसा सर्वर मिस कॉन्फिगरेशन के चलते हुआ था।
लीक हुए इस डेटा में पूरा नाम, ईमेल, फोन नंबर, कस्टमर इंटरनल आईडी, ऑर्डर नंबर, ऑर्डर डिटेल्स, बिलिंग और शिपिंग एड्रेस सभी शामिल रहे थे।
इस ऑनलाइन मिस कॉन्फिगरेशन के बारे में पता लगने के तुरंत बाद डियाचेंको ने तीन हफ्ते के दरमियान रेजर संग कई बार संपर्क करने की कोशिश की।
लिंक्डइन पर अपने एक पोस्ट में डियाचेंको ने कहा, "मेरा संदेश कंपनी के अंदर सही लोगों तक कभी नहीं पहुंचा और सार्वजनिक तौर पर इसकी पहुंच न हो पाए, यह सुनिश्चित कराने तक गैर-तकनीकी सहायता प्रबंधकों द्वारा तीन सप्ताह से अधिक समय तक निरंतर संपर्क साधा गया।"
रेजर एक वैश्विक गेमिंग हार्डवेयर निर्माण कंपनी, एस्पोर्ट्स और वित्तीय सेवा प्रदाता है।
अपने एक बयान में, कंपनी ने सर्वर मिस कॉन्फिगरेशन होने की बात को स्वीकारा।
कंपनी ने कहा, "हमें वलोडिमिर द्वारा एक सर्वर मिस कॉन्फिगरेशन के बारे में अवगत कराया गया था, जिसके माध्यम से संभवत: ऑर्डर डिटेल्स, ग्राहक और शिपिंग जानकारी से संबंधित जानकारियों का खुलासा हुआ है। हालांकि क्रेडिट कार्ड नंबर या पासवर्ड जैसे किसी अन्य जरूरी डेटा का खुलासा इसमें नहीं हुआ है।"
कंपनी ने आगे कहा, "हालांकि आंकड़ों के सार्वजनिक होने से पहले ही सर्वर मिस कॉन्फिगरेशन की समस्या को 9 सितंबर ठीक कर लिया गया।"
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच खुलासा हुआ है कि चीन अपनी एक कंपनी के जरिए भारत के करीब 10 हजार से ज्यादा हस्तियों और संगठनों की जासूसी कर रहा है। इतना ही नहीं, वह दुनियाभर अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनियाभर के 24 लाख लोगों की जासूसी कर रहा था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को खुलासा किया था कि चीन की जासूसी लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीजेआई बोबडे जैसी हस्तियां शामिल हैं। अखबार ने मंगलवार को अपने खुलासे की दूसरी कड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर चीन के गहरे जमे जासूसी त्रंत्र के बारे में बताया है। ड्रैगन भारतीय अर्थव्यवस्था की किस कदर जासूसी कर रहा है, इसका अंदाजा इसी ले लगा सकते हैं कि उसकी निगरानी लिस्ट में इंडियन रेलवे में इंटर्नशिप कर रहे इंजीनियरिंग स्टूडेंट से लेकर अजीम प्रेमजी की वेंचर कंपनी के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर तक शामिल हैं।
चीन की सेना और खुफिया एजेंसी से जुड़ी कंपनी झेन्हुआ डेटा इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनी लिमिटेड ने जो ओवरसीज की इंडिविजुअल डेटाबेस (OKIDB) तैयार किया है, उसमें भारत के अर्थ जगत से कम से कम 1,400 लोग, संगठन या कंपनियां शामिल हैं। जिन लोगों की चीन निगरानी कर रहा है उनमें वेंचर कैपिटलिस्ट्स, एंजेल इन्वेस्टर्स, देश के जाने-माने स्टार्टअप और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के चीफ टेक्नॉलजी ऑफिसर्स तक शामिल हैं। इसके अलावा इंडिया में बेस्ड फॉरेन इन्वेस्टर्स की भी चीन जासूसी कर रहा है।
OKIDB के जरिए भारत के अर्थ जगत की जिन हस्तियों की जासूसी की जा रही है, उनमें महिंद्रा ग्रुप के ग्रुप सीएफओ अनीश शाह, रिलायंस ब्रैंड्स के सीटीओ पीके थॉमस, अजीम प्रेमजी की बनाई हुई वेंचर कैपिटल कंपनी प्रेमजी इन्वेस्ट के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर टी. के. कुरियन, रिलायंस रिटेल के चीफ एग्जिक्यूटिव ब्रायन बेड और मॉर्गन स्टैनली के कंट्री हेड विनीत सेखसारिया जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं।
ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट, ऑनलाइन फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म जौमैटो और स्विगी के शीर्ष अधिकारियों की भी चीन निगरानी कर रहा है। फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल, ऊबर इंडिया के ड्राइवर ऑपरेशंस के हेड पवन वैश, पेयू के बिजनस हेड नमीत पोटनीस, नाइका की को-फाउंडर और सीईओ फाल्गुनी नायर, जोमैटो के फाउंडर और सीईओ दीपींदर गोयल और स्विगी के को-फाउंडर और सीईओ नंदन रेड्डी की भी जासूसी हो रही है।
इतना ही नहीं, आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों के डायरेक्टरों तक की चीन जासूसी कर रहा है। इनमें आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रफेसर अभय करांडिकर और आईआईटी बॉम्बे के प्रफेसर दीपक बी. पाठक भी शामिल हैं। भारतीय अर्थ जगत में जिन्हें सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है, उनमें वेंचर कैपिटलिस्ट्स और एंजेल इन्वेस्टर्स शामिल हैं। इसके अलावा कंपनियों/स्टार्टअप्स के संस्थापकों, सीईओ, सीएफओ, सीटीओ और सीओओ को भी बड़े पैमाने पर निशाना बनाया गया है।
भारत में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल हेल्थ सेक्टर और डिजिटल एजुकेशन सेक्टर की चीन निगरानी और जासूसी कर रहा है। भारत के प्रमुख डिजिटल पेमेंट ऐप्स भी OKIDB के डेटा बेस में शामिल हैं।
सिप्ला के सहयोग से चल रही डिजिटल थेरेपी चलाने वाला स्टार्टअप वेल्थी थेरप्यूटिक्स. बेंगलुरु बेस्ड हेल्थकेयर स्टार्टअप स्ट्रैंड लाइफ साइंस, ग्रामीण भारत में हेल्थकेयर सर्विस उपलब्ध कराने वाले ग्रामीण हेल्थकेयर चीनी जासूसी का निशाना बने हैं। इसी तरह मैट्रिक्स पार्टनर इंडिया, कलारी कैपिटल, सीड फंड, फायरसाइड वेंचर्स जैसे एंजेल इन्वेस्टर्स और वेंचर कैपिटलिस्ट्स की भी जासूसी की जा रही है। मैट्रिक्स पार्टनर का ओला, प्रैक्टो और रेजर पे में ठीक-ठाक शेयर है। इसी तरह कलारी केपिटन के पोर्टफोलियो में स्नैपडील, माइंत्रा और अर्बन लैडर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां शामिल हैं।
पेटीएम, रेजरपे और फोन पे जैसी भारत की शीर्ष डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी चीनी जासूसी के जाल से अछूती नहीं है। इसके अलावा पाइन लैब्स, एवेन्यूज पेमेंट्स, एफएसएस जैसी पेमेंट्स कंपनियों की भी चीन जासूसी कर रहा है। एफएसएस पेमेंट्स का आईआरसीटीसी जैसे दिग्गजों के साथ पार्टनरशिप है। इसी तरह बायजु, अड्डा247, ओलाइवबोर्ड जैसे टॉप लर्निंग ऐप्स की भी जासूसी हो रही है।(navbharattimes)
कोरोना वायरस के प्रकोप ने पूरी दुनिया को बुरी तरह से अपनी चपेट में ले रखा है और लोगों को बड़ी बेसब्री से इस बीमारी के वैक्सीन का इंतजार है। दुनिया के सभी प्रमुख देशों की दवा कंपनियां वैक्सीन के निर्माण में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं और इनमें से कई तीसरी फेज के ट्रायल में भी पहुंच चुकी हैं। अभी तक सारे वैक्सीन ट्रायल फेज में ही हैं और आम आदमी इसके उपलब्ध होने का इंतजार कर रहा है। मीडिया में इसके उपलब्ध होने की संभावित महीने की खबरें आती रहती हैं। पहले अगस्त महीना बताया गया था। फिर सितंबर और अब दिसंबर बताया जा रहा है। वहीं कुछ रिपोटर््स में जनवरी तो कुछ में आगामी मई-जून का जिक्र है। ऐसे में यह वैक्सीन कब आएगी, इसका रहस्य गहराता जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने गत रविवार को कहा था कि वैक्सीन अगले साल के शुरू में आ जाएगी। वहीं अमेरिकी वायरस विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने कहा कि अगले साल के आखिर तक वायरस के साथ ही जिंदगी बितानी पड़ेगी। ऐसे में लोगों का कन्फ्यूज होना स्वाभाविक है। अब दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि २०२४ तक भी इतनी वैक्सीन तैयार नहीं हो पाएगी कि संसार के सभी लोगों को खुराक मिल जाए। दुनिया की आबादी इस समय करीब ७५० करोड़ है। उन्होंने हिंदुस्थान के सभी लोगों तक वैक्सीन पहुंचने को लेकर भी चिंता जताई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदार पूनावाला का कहना है कि दवा कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता इतनी अधिक नहीं कर पाई हैं, जिससे कम समय में पूरी दुनिया को वैक्सीन दी जा सके।
कोरोना वायरस की वैक्सीन के अगले साल तक आने की पूरी उम्मीद है। मगर २०२४ तक दुनिया की पूरी आबादी को यह वैक्सीन नहीं मिल पाएगी। क्योंकि आबादी ज्यादा है और निर्माता कंपनियों की उतनी क्षमता नहीं है कि वे एक साथ इतनी वैक्सीन तैयार कर लें। इसलिए दुनिया की पूरी आबादी के लिए वैक्सीन उत्पादन करने में २०२४ से आगे तक का वक्त लग जाएगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि धरती पर मौजूद सभी लोगों को वैक्सीन देने में ४ से ५ साल का वक्त लगेगा।’ उन्होंने कहा कि अगर एक व्यक्ति के लिए कोरोना वैक्सीन की दो खुराक की जरूरत होती है तो पूरी दुनिया के लिए १५ अरब खुराक की जरूरत पड़ेगी।
अदार पूनावाला ने हिंदुस्थान के १.४ अरब लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने को लेकर चिंता भी जताई क्योंकि यहां वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट के लिए कोल्ड चेन सिस्टम नहीं है। बता दें कि वैक्सीन को तैयार होने के बाद प्रâीजर में रखना होता है और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए कोल्ड चेन सिस्टम की जरूरत होती है। अदार पूनावाला ने कहा, ‘मैं अब भी ऐसी कोई ठोस योजना नहीं देख पा रहा हूं जिससे कि ४० करोड़ (हिंदुस्थान के) से अधिक लोगों को वैक्सीन मिल पाएगी। आप ऐसी कोई स्थिति नहीं चाहते कि आपके पास अपने देश के लिए वैक्सीन उत्पादन की क्षमता हो, लेकिन आप इसे कंज्यूम नहीं कर सकते।’ पुणे स्थित कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ समझौता किया है। इनमें एस्ट्रेजेनेका व नोवावैक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। सीरम इंस्टीट्यूट का लक्ष्य एक अरब वैक्सीन की खुराक का उत्पादन करना है, जिनमें से आधी वैक्सीन हिंदुस्थान को मिलेगी। अदार पूनावाला ने कहा कि वह वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए सऊदी अरब के पब्लिक इंवेस्टमेंट फंड, अबु धाबी इंवेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी और अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म से ६०० मिलियन डॉलर जुटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।(hindisaamana)
अमरीका ने सीमा पर तैनात अधिकारियों को आदेश दिया है कि चीन के शिनजियांग प्रांत की कुछ चुनिंदा जगहों पर बनने वाले कपड़ों, कंप्यूटर के पुर्ज़ों और दूसरे सामानों के आने से रोक दिया जाए.
शिनजियांग के वीगर मुसलमानों के साथ कथित सलूक को लेकर चीन पर दबाव बनाने के क्रम में ट्रंप प्रशासन का ये ताज़ा कदम है.
अमरीका का कहना है कि इन जगहों पर मज़दूरों से जबरन काम कराया जाता है.
माना जाता है कि चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर शिनजियांग में दस लाख से ज़्यादा लोगों को हिरासत में रखा हुआ है.
लेकिन चीन का कहना है कि अपने इस कार्यक्रम के तहत वो हिरासत में लिए गए लोगों को मैन्युफेक्चरिंग साइट्स पर भेजता है, जहां उन्हें काम करना सिखाया जाता है और पढ़ाया जाता है.
ट्रंप प्रशासन
चीन का कहना है कि चरमपंथ और अलगाववाद के ख़तरों से निपटने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है.
इस मसले पर अमरीका और चीन बार-बार आमने-सामने आते रहे हैं. अमरीका चीन पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाता है.
सोमवार को दिए आदेश में कहा गया, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साफ संदेश दीजिए कि हम अमरीका की सप्लाई चेन में जबरन मज़दूरी कराने के ग़ैर-कानूनी, अमानवीय और शोषणकारी व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे."
"ट्रंप प्रशासन खड़ा देखता नहीं रहेगा और उन विदेशी कंपनियों को अपने यहां आने की अनुमति देगा जो सताए हुए कामगारों से जबरन काम कराती हैं और साथ ही उन अमरीकी कारोबारों को भी नुक़सान पहुंचाती हैं जो मानवाधिकारों और क़ानून के राज का सम्मान करते हैं."
कपास का उत्पादन
अमरीका पूरे प्रांत पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा था, लेकिन सोमवार को जारी किए आदेश में अमरीका ने सिर्फ कुछ हिस्सों की बात की. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि वो उस संभावना पर भी क़ानूनी रूप से विचार कर रहे हैं.
चीन दुनिया के लगभग 20 प्रतिशत कपास का उत्पादन करता है, जो ज़्यादातर शिनजियांग से आता है. ये क्षेत्र पेट्रोकेमिकल और चीनी फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाले दूसरे सामानों का भी बड़ा स्त्रोत है.
इसी महीने, अमरीका की दिग्गज मनोरंजन कंपनी डिज़्नी ने भी अपनी एक नई फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग शिनजियांग में करने को लेकर आलोचना का सामना किया था.
इस प्रांत से किसी ना किसी तरह से जुड़ी दूसरी कंपनियों को भी ग्राहकों ने बहिष्कार करने की बात कही थी.
सोमवार को जारी हुआ आदेश इनपर लागू होगा:
लोप काउंटी नंबर 4 व्यावसायिक कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र में बनाए गए उत्पादों पर.
लोप काउंडी हेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्रियल पार्क में बने उत्पादों पर.
यिली झुओवान गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और बाओटिंग एलवाईएसज़ेडडी ट्रेड और बिज़नेस कंपनी के बनाए कपड़ों पर.
शिनजियांग जुंगर कॉटन एंड लिनन कंपनी लिमिटेड की ओर से उत्पादित और प्रोसेस्ड कपास पर.
चीन के एन्हुई में हेफ़ेई बिटलैंड सूचना प्रौद्योगिकी कं. लिमिटेड के बने कंप्यूटर भागों पर.(bbc)
जापान, 14 सितंबर | जापान की सत्तारूढ़ पार्टी ने शिंजो आबे के बाद योशिहिदे सुगा को अपना नया नेता चुन लिया है.
अब ये लगभग तय हो गया है कि योशिहिदे ही जापान के नए प्रधानमंत्री होंगे. पिछले महीने ही शिंजो आबे ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया था.
71 साल के योशिहिदे सुगा शिंजो आबे के भी क़रीबी माने जाते हैं और ये माना जा रहा है कि वे उन्हीं की नीतियों को आगे बढ़ाएंगे.
उन्हें नेता चुने जाने के लिए अपनी पार्टी के सांसदों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के 534 में से 377 वोट मिले.
अब बुधवार को संसद में वोटिंग होगी जहां पार्टी के बहुमत को देखते हुए उनका प्रधानमंत्री बनना तय है.
जापान में अगले संसदीय चुनाव सितंबर 2021 में होंगे.
कौन हैं योशिहिदे सुगा
एक स्ट्रॉबरी किसान के परिवार में पैदा हुए योशिहिदे सुगा की शीर्ष तक पहुँचने की कहानी उन्हें उस राजनीतिक अभिजात्य वर्ग से अलग करती है जिसका लंबे समय से जापान की राजनीति में दबदबा रहा है.
उनका राजनीतिक सफ़र उस समय शुरू हुआ जब उन्होंने टोक्यो के होसेई यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के तुरंत बाद संसदीय चुनाव अभियान के लिए काम किया.
बाद में उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद के सेक्रेटरी के रूप में काम किया. इसके बाद उन्होंने ख़ुद के राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की.
वर्ष 1987 में वे योकोहामा सिटी काउंसिल के लिए चुने गए और 1996 में वे पहली बार जापान की संसद के लिए चुने गए.
वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी ने उन्हें आंतरिक मामलों और संचार विभाग का वरिष्ठ उप मंत्री बनाया.
इसके बाद पीएम पद संभालने वाले शिंजो आबे ने सुगा को तीन कैबिनेट पोस्ट देकर वरिष्ठ मंत्री का दर्जा दिया और वे 2007 तक ये ज़िम्मेदारी निभाते रहे.
प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ उनके अच्छे रिश्ते बने रहे. जब 2012 में आबे फिर से पीएम बने तो उन्होंने सुगा को मुख्य कैबिनेट सेक्रेटरी का प्रभावी पद सौंपा.
पिछले आठ साल से शिंजो आबे के दाहिने हाथ माने जाने वाले सुगा सुर्ख़ियों में बने रहे. उन्हें हर दिन दो बार मीडिया ब्रीफ़िंग करनी पड़ती थी. ये भी माना जाता था कि जापान की जटिल नौकरशाही का प्रबंधन भी उनके ही ज़िम्मे था.
जापान में प्रशासन का सार्वजनिक चेहरा माने जाने वाले सुगा के सामने ये भी ज़िम्मेदारी थी कि सम्राट अकिहितो के हटने के बाद 2019 में नए शाही युग का नाम क्या हो. नए सम्राट नरुहितो के अधीन शाही युग का नाम रखा गया- रिवा, जिसका मतलब था सुंदर सदभाव.
सुगा ने इसकी घोषणा की थी और इसके कारण प्यार से उन्हें अंकल रिवा कहा जाने लगा.
जब इस साल 28 अगस्त को पीएम शिंजो आबे ने ख़राब स्वास्थ्य के कारण पद छोड़ने की घोषणा की तो उसी समय से ये माना जा रहा था कि आबे के उत्तराधिकारी सुगा ही होंगे.
दो सितंबर को सुगा ने औपचारिक रूप से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी, लेकिन उस पहले ही पार्टी के ज़्यादातर लोगों ने सुगा को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी थी.
इस समर्थन के कारण ही 14 सितंबर को उन्हें पार्टी का नेता चुन लिया गया. वे पहले ऐसा नेता हैं, जो किसी पार्टी के गुट से नहीं आते और न ही उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. अब वे जापान के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
जापान के सबसे लंबे समय तक नेता रहे शिंजो आबे के कार्यकाल के बाद योशिहिदे सुगा ही देश में निरंतरता और स्थायित्व का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते हैं.
जब उन्होंने नेता पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी तो कहा था कि वे शिंजो आबे की आर्थिक नीति जारी रखेंगे, जिसे आबेनॉमिक्स कहा जाता है. आबे ने ये नीति मौद्रिक रूप से सहज माहौल, राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक सुधारों के आधार पर बनाई थी.
सुगा का लक्ष्य जापान के युद्ध के बाद वाले शांतिवादी संविधान में संशोधन का भी है, ताकि सेल्फ़ डिफ़ेंस फ़ोर्स को वैध बनाया जा सके. ये शिंजो आबे का भी अहम एजेंडा रहा है.
लेकिन फ़िलहाल उनकी चुनौती कोरोना महामारी और इसके कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटना है.
सुगा टेस्टिंग बढ़ाना चाहते हैं और उनका लक्ष्य अगले साल के पहले छह महीनों में उपयुक्त वैक्सीन प्राप्त करना भी है.
वे न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाकर, कृषि सुधारों को बढ़ावा देने और पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना चाहते हैं.
विदेश नीति के मोर्चे पर वे अमरीका और जापान के लंबे समय से चल रहे गठबंधन को प्राथमिकता दे रहे हैं और वे स्वतंत्र इंडो-पैसिफ़िक भी चाहते हैं.
सुगा का लक्ष्य चीन के साथ स्थिर रिश्ता क़ायम रखना भी है.
उनका लक्ष्य 1970 और 1980 के दशक में उत्तर कोरिया द्वारा जापानी नागरिकों के अपहरण का मामला हल करने की कोशिश जारी रखना है. इनमें उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन के साथ बिना शर्त बैठक का भी प्रस्ताव शामिल है.(bbc)
वाशिंगटन, 14 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में कोरोनावायरस परीक्षण के लिए उनकी प्रशंसा की है। अमेरिका इस समय दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। अमेरिका में फिलहाल चुनाव की तैयारी चल रही है और ट्रंप ने नेवादा में शनिवार रात एक चुनावी रैली में यह टिप्पणी की।
ट्रंप ने कहा, "अभी तक हमनें भारत समेत अन्य कई बड़े देशों से अधिक जांच (कोविड-19) की है। अमेरिका के बाद भारत ने सबसे अधिक जांच की है। हमने भारत से 4.4 करोड़ अधिक जांच की है। उनके पास 1.5 अरब लोग हैं।"
ट्रंप ने कहा, "प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने मुझे फोन करके कहा कि आपने जांच के मामले में बेहतरीन काम किया है। मैंने कहा कि आप इन बेईमानों को समझाइए।"
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति का इससे मतलब था कि अमेरिका द्वारा की जा रही जांच पर मोदी की टिप्पणी को मीडिया और ऐसे अन्य लोगों को समझाने की जरूरत है, जो कि कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर उन पर निशाना साध रहे हैं।
ट्रंप ने अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन की भी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर चीनी वायरस (कोरोना) उनके प्रशासन के दौरान आता तो लाखों से अधिक और भी अमेरिकी लोगों की मौत होती।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, सोमवार तक अमेरिका में कोविड-19 मामलों की संख्या 6,520,234 तक पहुंच चुकी है, जबकि संक्रमण की चपेट में आकर अभी तक यहां 194,081 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
अमेरिका के बाद 4,846,427 मामलों के साथ भारत वर्तमान में दूसरे स्थान पर है। भारत में संक्रमण की वजह से 79,722 लोगों की मौत हो चुकी है।
टोक्यो, 14 सितंबर (आईएएनएस)| जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहिदे सुगा को सोमवार को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का नया नेता चुना गया। उन्होंने निवर्तमान प्रधानमंत्री शिंजो आबे की जगह ली, जिन्होंने पिछले महीने स्वास्थ्य कारणों से पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। देश के राष्ट्रीय प्रसारक एनएचके के मुताबिक, 71 वर्षीय सुगा के अब बुधवार को प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद में होने वालं मतदान में जीतने की उम्मीद है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सुगा को डायट (संसद) के दोनों सदनों से पार्टी सदस्यों और स्थानीय प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक में चुना गया। बैठक में मौजूद 394 डायट सदस्यों ने वोट डाला।
देश के 47 प्रीफेक्चरल चैप्टर में से प्रत्येक के तीन प्रतिनिधियों द्वारा कुल 141 वोट दिए गए।
सुगा के अलावा, दो अन्य उम्मीदवारों में पूर्व रक्षा मंत्री शीगेरू इशिबा (63) और एलडीपी के नीति प्रमुख फुमियो किशिदा (63) थे।
सामान्य परिस्थितियों में, एलडीपी के शीर्ष नेता को पार्टी से संबंधित डायट सदस्यों और रैंक-फाइल सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
हालांकि, कोरोना महामारी और आबे के कार्यकाल के बीच इस्तीफा देने के कारण एलडीपी ने प्रक्रिया को सरल बनाने का फैसला किया।
28 अगस्त को जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे आबे ने अपनी पुरानी बीमारी का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की घोषणा की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि वह तब तक सत्ता में रहेंगे, जब तक कि उत्तराधिकारी नहीं चुना जाता।
सुमी खान
ढाका, 14 सितंबर (आईएएनएस) । बांग्लादेश सरकार ने सद्भभावना का संदेश देते हुए दुर्गा पूजा के अवसर पर भारत को 1,450 टन हिल्सा मछली के निर्यात की मंजूरी दी है।
भारत के पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी हिल्सा को स्वाद के लिए जाना जाता है और लोग इसके लिए अधिक मूल्य देने को भी तैयार रहते हैं। 'पद्मार इलिश' (बांग्लादेश में पद्मा नदी की हिल्सा) को स्वाद में बेहतर गुणवत्ता वाला माना जाता है।
वाणिज्य मंत्रालय ने नौ स्थानीय कंपनियों को हिल्सा निर्यात करने की अनुमति दी है।
फिश इम्पोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने रविवार शाम को आईएएनएस को बताया, "करीब 200 निर्यातकों ने मछली निर्यात करने की अनुमति मांगी। सरकार ने सिर्फ नौ निर्यातकों को अगले सप्ताह 1,450 टन हिल्सा निर्यात करने की विशेष अनुमति दी है।"
उन्होंने कहा, "इसे अगले सप्ताह तक बेनापोल-पेट्रापोल सीमा के माध्यम से कोलकाता के लिए भेजा जाएगा।"
गौरतलब है कि बांग्लादेश ने साल 2012 में हिल्सा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और अब उसने इसके निर्यात के लिए विशेष अनुमति जारी की है।
मकसूद ने कहा, "विशेष अनुमति पर गुरुवार रात को हस्ताक्षर किए गए और हमें इसके बारे में सूचित किया गया।"
साल 2019 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार ने 28 सितंबर से 10 अक्टूबर तक अस्थायी अवधि के लिए हिल्सा पर निर्यात प्रतिबंध को हटा दिया था और दुर्गा पूजा के उपहार के रूप में 500 टन मछली भेजी थी।
हालांकि फिर 10 अक्टूबर के बाद भारत को निर्यात पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
व्यापारियों को उम्मीद है कि भविष्य में इसके लिए ऑर्डर जारी रहेगा, क्योंकि हिल्सा का उत्पादन बहुत अधिक होता है।
तेल अवीव, 14 सितंबर (आईएएनएस)| सुपरमॉडल बार रेफेली को टैक्स चोरी करने के मामले में एक इजरायली अदालत ने 9 महीने तक सामुदायिक सेवा करने की सजा सुनाई है। वहीं उसकी मां और एजेंट जिपी रेफेली को 16 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। बार रेफेली (35) और उसकी मां को जुलाई में 10 मिलियन डॉलर की आय पर टैक्स चोरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था।
एनवायडेलीन्यूज डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक बार और जिप्पी ने जून में उस याचिका पर बहस की थी जिसके तहत उन्हें 1.5 मिलियन डॉलर जुर्माना देना था और वह टैक्स देना था, जिसकी उन्होंने चोरी की थी।
फोटो में अदालत में मॉडल और उसकी मां कोविड -19 महामारी के बीच मास्क पहने नजर आईं। उनके साथ बार के पिता रफी और उनके वकील भी थे।
तेल अवीव, 14 सितंबर (आईएएनएस)| सुपरमॉडल बार रेफेली को टैक्स चोरी करने के मामले में एक इजरायली अदालत ने 9 महीने तक सामुदायिक सेवा करने की सजा सुनाई है। वहीं उसकी मां और एजेंट जिपी रेफेली को 16 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। बार रेफेली (35) और उसकी मां को जुलाई में 10 मिलियन डॉलर की आय पर टैक्स चोरी करने के लिए दोषी ठहराया गया था।
एनवायडेलीन्यूज डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक बार और जिप्पी ने जून में उस याचिका पर बहस की थी जिसके तहत उन्हें 1.5 मिलियन डॉलर जुर्माना देना था और वह टैक्स देना था, जिसकी उन्होंने चोरी की थी।
फोटो में अदालत में मॉडल और उसकी मां कोविड -19 महामारी के बीच मास्क पहने नजर आईं। उनके साथ बार के पिता रफी और उनके वकील भी थे।
कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए इसराइल एक बार फिर देशभर में लॉकडाउन लगाने जा रहा है. इसके तहत यहूदी नव वर्ष से कड़े प्रतिबंध लागू होंगे.
इसराइल में दूसरा लॉकडाउन शुक्रवार से शुरू होगा और तीन हफ़्तों तक चलेगा.
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि इस कदम की "हमें भारी क़ीमत चुकानी होगी", लेकिन इसराइल में अब रोज़ाना संक्रमण के 4,000 मामले सामने आ रहे हैं.
लॉकडाउन ऐसे वक़्त में लगाया जा रहा है कि जब अहम यहूदी त्योहार आ रहे हैं. इस लॉकडाउन के विरोध में एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है और सत्ताधारी गठबंधन से अपनी पार्टी का समर्थन वापस लेने की धमकी दी है.
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक़, क़रीब 90 लाख की आबादी वाले इसराइल में कोविड-19 से 1,108 मौतें हो चुकी हैं और संक्रमण के 153,000 से ज़्यादा पुष्ट मामले हैं. हाल के हफ़्तों में वहां मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
नए प्रतिबंध क्या होंगे?
रविवार को एक टीवी संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि रोज़ाना संक्रमण के चार हज़ार मामले दर्ज किए जा रहे हैं.
माना जा रहा है कि ये दूसरा लॉकडाउन इसराइल के लिए महंगा साबित होगा. इससे पहले मार्च के अंत से लेकर मई की शुरुआत तक पहला लॉकडाउन लगाया गया था.
नए प्रतिबंधों के तहत:
10 से ज़्यादा लोग अंदर नहीं मिल सकते, वहीं 20 से ज़्यादा लोग बाहर नहीं मिल सकते.
स्कूल और शॉपिंग सेंटर बंद कर दिए जाएंगे, और लोगों को अपने घर के 500 मीटर के दायरे के अंदर ही रहना होगा. काम पर जाने वालों को विशेष छूट दी जाएगी.
ग़ैर-सरकारी कार्यालय और कारोबार खुले रह सकते हैं लेकिन ग्राहक वहां नहीं जा सकते.
हालांकि सुपरमार्केट और दवा की दुकानें लोगों के लिए खुली रहेंगी.
नेतन्याहू ने माना कि धार्मिक त्योहारों की छुट्टियां मना रहे यहूदी समुदायों को लॉकडाउन से परेशानी होगी. लोग आम तौर पर इन त्योहारों को अपने रिश्तेदारों के साथ मिल-जुलकर मनाते हैं.
उन्होंने कहा, "इस बार ये त्योहार पहले की तरह नहीं होंगे. और हो सकता है कि हम अपने रिश्तेदारों के साथ इन्हें ना मना पाएं."
दूसरे लॉकडाउन से इसराइल की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा, जो पहले से ही महामारी की वजह से मंदी झेल रही है. वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि इससे 1.88 अरब डॉलर का नुक़सान होगा.
लेकिन प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू का कहना है कि हमें ये करना होगा, क्योंकि ये फैसला महामारी के इस दौर में इसराइल के लिए ज़रूरी है.
नेतन्याहू के कोरोना महामारी से निपटने के तरीक़ों की आलोचना होती रही है. आलोचकों का कहना है कि उनकी वायरस से निपटने की नाकामी की वजह से दूसरा देशव्यापी लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है.(bbc)
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