अंतरराष्ट्रीय
पणजी, 13 सितंबर (आईएएनएस)| गोवा में कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रविवार को कहा कि राज्य में सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 50 लाख तक का जीवन बीमा मुहैया कराया जाएगा। सावंत ने ट्वीट किया, "यह योजना कोरोनावायरस से मरने वाले प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को 50 लाख रुपये का बीमा कवर मिलेगा, वहीं कर्तव्यों का निवाहन करते वक्त हुई मौत को भी जीवन बीमा कवर दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "गोवा में सभी स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया गया है।"
स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि गोवा में शनिवार को कोरोना के 740 नए मामले पाए गए हैं, जिससे यहां वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़कर 24,185 हो गई है, वहीं यहां सक्रिय मामलों की संख्या 5,323 हो गई है।
इस्लामाबाद, 13 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान में हाल के दिनों में हुई मूसलाधार बारिश और उसके बाद बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 310 हो गई है, जबकि 239 लोग घायल हुए हैं। यह जानकारी नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने दी। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शनिवार को अपने नए अपडेट में जानकारी दी कि पीड़ितों में 135 पुरुष, 107 बच्चे और 70 महिलाएं शामिल हैं।
सिंध सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है, यहां 136 लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद खैबर पख्तूनख्वा में 116, पंजाब में 16, बलूचिस्तान में 21, पीओके में 12 और गिलगित-बाल्टिस्तान में 11 लोगों की जान गई है।
एनडीएमए ने कहा कि घायलों में छह महिलाएं, 142 पुरुष और 41 बच्चे शामिल हैं, जबकि इस आपदा में 78,521 घर ध्वस्त हो गए हैं और 139,102 क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
भारी बारिश से 13 सड़कों, 10 पुलों, तीन होटलों, तीन दुकानों, पांच मस्जिदों और सात बिजलीघरों को भी नुकसान पहुंचा है।
फेडरल फ्लड कमीशन (एफएफसी) ने शनिवार को कहा कि सिंधु का जलस्तर मध्यम बाढ़ स्तर पर है, वहीं इसे छोड़कर सभी मुख्य नदियां, झेलम, चिनाब, रावी और सतलज का जलस्तर सामान्य है।
काबुल, 13 सितंबर (आईएएनएस)| कतर की राजधानी दोहा में तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता शुरू होने के बीच आतंकवादी समूह ने अफगानिस्तान के 18 प्रांतों में हमले किए। युद्धग्रस्त देश में दशकों पुराने संघर्ष के समाधान के लिए दोहा में दोनों पक्षों के प्रतिनिधि वार्ता कर रहे हैं। लेकिन, इन हमलों ने वार्ता के सफल होने को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है।
टोलो न्यूज के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि अधिकांश हमले कुंदुज, हेलमंद, बल्ख, जौजान, फारयाब, घोर, बादगीस, हेरात, गजनी और उरुजगन प्रांत में हुए।
मंत्रालय के प्रवक्ता रोहुल्लाह अहमदजा ने कहा, "पिछले 24 घंटों में, तालिबान समूह ने 18 प्रांतों में अफगान सुरक्षा और रक्षा बलों पर हमले शुरू किए। लेकिन सेना ने हमलों को नाकाम कर दिया और समूह को भारी नुकसान पहुंचाया।"
इस बीच, तालिबान ने एक बयान में कहा कि सद्भावना के तौर पर समूह ने शनिवार को हेलमंद प्रांत में 22 अफगान सैनिकों को रिहा कर दिया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शनिवार को दोहा में अंतर-अफगान वार्ता शुरू हुई, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सहित विभिन्न देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
वार्ता कार्यक्रम का उद्घाटन अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला द्वारा किया गया।
दुबई, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| एक भारतीय नागरिक को 14 हजार डॉलर कैश और 2 लाख दिरहम कीमत के सोने से भरा बैग मिला लेकिन उसने उसे पुलिस को लौटा दिया। दुबई पुलिस ने इसके लिए भारतीय नागरिक को पुरस्कृत किया है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा करते हुए भारतीय ने बैग वापस कर दिया।
शनिवार को अल कुसैस पुलिस स्टेशन के निदेशक ब्रिगेडियर यूसुफ अब्दुल्लाह सलीम अली अदीदी ने रेतेश जेम्स गुप्ता को पुरस्कृत किया और कम्यूनिटी और पुलिसिंग के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी बनने पर उनकी प्रशंसा की।
पुलिस ने बैग उसके मालिक को लौटा दिया या नहीं, इसका अभी पता नहीं चला है। बैग मालिक की खोज की जा रही है।
काबुल, 13 सितंबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान ने दोहा में काबुल सरकार और तालिबान के बीच बहुप्रतीक्षित आमने-सामने की वार्ता का बड़े पैमाने पर स्वागत किया है। हालांकि वह दशकों के संघर्ष के बाद युद्धग्रस्त देश में स्थायी शांति लाने के लिए इस जटिल प्रक्रिया के परिणाम को लेकर सतर्क है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दोहा में शनिवार को अंतर-अफगान वार्ता हुई, जिसमें विभिन्न देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इनमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोपिंयो और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शामिल थे।
समारोह का उद्घाटन अफगानिस्तान के उच्च परिषद के राष्ट्रीय पुनर्गठन के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने किया।
पूर्व खुफिया प्रमुख मोहम्मद मासूम स्टेनकेजई के नेतृत्व में 21 सदस्यीय अफगान टीम अफगानिस्तान के लंबे समय से चल रहे युद्ध का हल निकालने के लिए तालिबान प्रतिनिधिमंडल से मिल रही है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक विश्लेषक और राज्य में दैनिक अनीस के प्रधान संपादक मोहम्मद शाकिर जरीबी ने कहा, "दोहा में अंतर-अफगान वार्ता का उद्घाटन समारोह आज अफगानिस्तान के लोगों के लिए देश में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक सुनहरा अवसर और ऐतिहासिक दिन है।"
वार्ता को जटिल प्रक्रिया बताते हुए विश्लेषक ने कहा, "वार्ता की शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन पिछले 19 वर्षों में देश ने जिन मूल्यों और उपलब्धियों को हासिल किया है, उन्हें स्वीकार करना तालिबान के लिए मुश्किल है।"
एक अन्य स्थानीय पर्यवेक्षक खान मोहम्मद दानेशो ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा, "साल 2001 में क्षेत्र में तालिबान के शासनकाल के खात्मे के बाद से सरकार को मान्यता देने और महिलाओं के अधिकारों, मानवाधिकारों, प्रेस की स्वतंत्रता और अफगानिस्तान में हुई प्रगति का समर्थन करने के लिए तालिबान समूह को समझाना मुश्किल है।"
हालांकि अबदी दैनिक के प्रधान संपादक दानेशजो ने वार्ता को एक 'सुनहरा अवसर' बताते हुए कहा, "हमें देश के भविष्य के बारे में आशावादी होना चाहिए, क्योंकि युद्ध समाधान नहीं है और सरकार के साथ शांति वार्ता में तेजी लाने के लिए तालिबान अंतत: संघर्ष विराम को स्वीकार करेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "तालिबान द्वारा 'संघर्ष विराम या हिंसा में कमी करने' को अपनाना राजनीतिक साधनों के माध्यम से देश की समस्याओं को हल करने की दिशा में इस सशस्त्र समूह की ईमानदारी के लिए एक परीक्षा हो सकती है।"
वहीं एक फेरीवाला मोहम्मद अशर ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा, "मैं युद्ध में पैदा हुआ था, युद्ध में पला हूं, अभी भी युद्ध में जी रहा हूं और अब मुझे अपने देश में शांति लाने के लिए अफगानों के बीच वार्ता की सफलता को देखने की उम्मीद है।"
अंतर-अफगान वार्ता अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को कतर की राजधानी में हुए ऐतिहासिक समझौते का हिस्सा थी।
सैन फ्रांसिस्को, 13 सितम्बर (आईएएनएस)| तकनीकि क्षेत्र के दिग्गज बिल गेट्स ने कुछ वक्त पहले टेस्ला के इलेक्ट्रिक ट्रक के बारे में कहा था कि ये ज्यादा लंबी दूरी तय करने के मामले में सक्षम नहीं हैं और अब इसी को लेकर टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने गेट्स पर निशाना साधा है। ट्विटर पर एक फॉलोअर ने मस्क से जब इलेक्ट्रिक ट्रक की व्यवहारिकता को लेकर गेट्स के दिए राय पर उनकी प्रतिक्रिया को लेकर सवाल पूछा, तो मस्क ने इस पर अपना जवाब देते हुए कहा, "उन्हें इसकी कोई समझ नहीं है।"
अगस्त के महीने में गेट्स ने अपने ब्लॉग पोस्ट पर जिक्र किया था कि इन इलेक्ट्रिक वाहनों में यह दिक्कत है कि इनकी बैटरी काफी बड़ी और भारी होती है।
उन्होंने कहा था, "बैटरी के क्षेत्र में काफी प्रगति होने के बावजूद 18-पहियों वाली गाड़ियों, कार्गो शिप्स और पैसेंजर जेट्स के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बेहतर समाधान नहीं साबित होंगे। कम दूरी तय करने के लिए तो ये सही हैं, लेकिन लंबी दूरी तय करने वाले वाहनों के लिए हमें कुछ और सोचने की आवश्यकता है।"
इस बात से गेट्स का इशारा जैव ईंधन की ओर था, जिनका उपयोग बैटरी की जगह किया जा सकता है।
दूसरी ओर, मस्क इलेक्ट्रिक ट्रक को लेकर काफी उत्साहित रहे हैं और बताया जा रहा है कि उन्होंने टेस्ला को आने वाले समय में 800 किलोमीटर की रेंज वाले सेमी कमर्शियल वाहनों को बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
कराची, 13 सितंबर (एएनआई)। कराची में शुक्रवार को शिया विरोधी प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल हुए जिससे सांप्रदायिक दंगा भडक़ने की आशंका है। देश में सोशल मीडिया पर लिखे गए पोस्ट, प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियोज सांप्रदायिक दंगे को भडक़ाने की संभावना को प्रबल कर रहे हैं। इन वीडियोज में आतंकी संगठन सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान का बैनर हाथ में लिए प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है, ‘शिया काफिर हैं’। सालों से शियाओं की हत्या से यह आतंकी संगठन जुड़ा है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर शिया जनसंहार हैशटैग ट्रेंड करने लगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले माह मुहर्ररम पर आशूरा जुलूस के ब्रॉडकास्ट के दौरान देश में कुछ मुख्य शिया नेताओं ने इस्लाम विरोधी अपमानजनक बयान दिए थे जिसके बाद कराची में यह प्रदर्शन हुआ। एक्टिविस्ट आफरीन ने बताया कि अनेकों शिया मुस्लिमों पर धार्मिक आलेखों को पढऩे और आशूरा जुलूस में हिस्सा लेने के लिए हमला किया गया। अभी इराक में स्थित करबला में 680 एडी में हुए जंग के दौरान मोहम्मद की शहादत की याद में आशुरा जुलूस निकाली जाती है।
प्रदर्शन को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि हिंसा को कवर करने वाले पत्रकार बिलाल फारूकी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह शियाओं का नरसंहार ही है। पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है और लोगों को इसका दोषी पाए जाने पर मौत की सजा होती है। आफरीन ने आरोप लगाया है कि कुछ साल पहले शियाओं को मारने के लिए अंजान नंबर से मैसेज किए जा रहे थे। कभी उन पर ग्रेनेड भी फेंके जाते हैं।
आफरीन ने ट्वीट कर कहा, मुहर्रम की शुरुआत से हमने देखा है कि अनेकों शियाओं को निशाना बनाया गया।, इस प्रदर्शन को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए जब हमारे भाइयों और बहनों का अपहरण किया जाता है और उनकी मान्यताओं के कारण उनकी हत्या की जा रही है। आफरीन ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को इसकी जिम्मेवारी लेनी होगी क्योंकि उनकी सरकार शिया मुस्लिमों के विरोध में हेट स्पीच को समर्थन दे रही है।
लाहौर, 12 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक महिला के साथ उसके दो नाबालिग बच्चों के सामने सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर लोगों का व्यापक रोष देखने को मिल रहा है। महिलाओं ने पाकिस्तान में अपनी सुरक्षा के पर्याप्त उपायों की मांग की है और साथ ही देश में दोषियों की सार्वजनिक फांसी की मांग भी उठ रही है।
यह घटना बुधवार को गुज्जरपुर इलाके के पास घटित हुई। महिला की कार बंद हो गई थी और वह सड़क पर मदद का इंतजार कर रही थी। उसी वक्त वहां दो लोग पहुंचे और उन्होंने बंदूक की नोक पर महिला के के साथ दुष्कर्म किया।
महिला ने लाहौर-सियालकोट मार्ग पर टोल प्लाजा को पार कर लिया था कि तभी ईंधन की कमी के कारण उनकी कार रुक गई।
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने गुजरांवाला में अपने रिश्तेदार को फोन किया था, जिसने उसे मदद के लिए पुलिस को फोन करने के लिए कहा और वह खुद भी उस तक पहुंचने के लिए घर से चल दिया था।
हालांकि जब तक वह घटनास्थल पर पहुंचा तो उसने पाया कि महिला खून से लथपथ हालत में थी।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कम से कम दो हथियारबंद लोगों ने महिला को अकेले पाया तो वह उसे और बच्चों को बंदूक की नोक पर पास के खेत में ले गए और महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
पंजाब सरकार के प्रवक्ता मुसरत चीमा ने कहा, "अब तक 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और अभी भी तलाश जारी है।"
पंजाब पुलिस ने कहा, "पीड़िता और उसके परिवार को तत्काल न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।"
पंजाब पुलिस ने बयान में कहा, "पुलिस की टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। आरोपी की पहचान के लिए डीएनए सबूत, जियो-फेंसिंग, सीसीटीवी फुटेज और एनएडीआरए रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।"
हालिया जानकारी के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को सूचित किया है कि मामले में संदिग्ध में से एक की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने कहा, "संदिग्ध में से एक का नाम आबिद अली है। उसके पास 2013 से ही लूट और दुष्कर्म के मामलों का आपराधिक रिकॉर्ड है। महिला की कार से लिए गए नमूनों के आधार पर डीएनए परीक्षण के जरिए उसकी पहचान की गई है।"
इस घटना के बाद से पूरे पाकिस्तान में महिला अधिकार कार्यकर्ता और सिविल सोसायटी की बीच गुस्सा उत्पन्न हुआ है। लोगों ने क्रूर घटना के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है, जो उनके गुस्से और निंदा को व्यक्त करता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता आमना अमीर ने कहा कि यह राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह अपने लोगों के जीवन की रक्षा और सुरक्षा करे।
लाहौर के लिबर्टी स्क्वायर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान आमना आमिर ने कहा, "हमारे जीवन की रक्षा और सुरक्षा के लिए राष्ट्र की जिम्मेदारी है। मैं आज पूछती हूं कि राज्य कहां है? अपने दो मासूम छोटे बच्चों के साथ खड़ी एक महिला के साथ क्रूरता से दुष्कर्म किया जाता है और राज्य उसके सम्मान की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं कर सकता है।"
उन्होंने कहा, "हमें महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत है और जब तक राष्ट्र पीड़ितों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए न्याय सुनिश्चित नहीं करता है, तब तक हम इस अन्याय के खिलाफ विरोध करने के लिए हर रोज यहां आते रहेंगे।"
प्रधानमंत्री इमरान खान ने महिलाओं, लड़कियों और छोटे बच्चों पर यौन उत्पीड़न की चल रही घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं हमारे सामाजिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता और जिम्मेदारी है। किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की बर्बरता की इजाजत नहीं दी जा सकती। ऐसी घटनाएं हमारे सामाजिक मूल्यों और हमारे समाज पर एक बदसूरत दाग हैं।"
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध करने वाला चाहे कोई भी हो उसे पीड़िता को यातना देने के लिए सख्त सजा भुगतनी होगी।
--आईएएनएस
कराची, 12 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक अखबार से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार को कराची में गिरफ्तार कर लिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देश की सेना के खिलाफ 'अत्यधिक उत्तेजक पोस्ट' साझा करने का आरोप लगाया गया है। कराची के पुलिस प्रमुख गुलामनबी मेमन ने डॉन समाचार को पुष्टि की कि द ट्रिब्यून के बिलाल फारूकी को रक्षा पुलिस के स्टेशन जांच अधिकारी (एसआईओ) ने शुक्रवार शाम को गिरफ्तार किया था। फारूकी अखबार के दफ्तर में समाचार संपादक के रूप में काम करते हैं।
डॉन समाचार ने एफआईआर के हवाले से लिखा कि फारूकी के फेसबुक और ट्विटर एकाउंट्स पर पाकिस्तान सेना के खिलाफ अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री मिली।
फारूकी के खिलाफ शिकायतकर्ता ने कहा है कि उनकी पोस्ट में धार्मिक घृणा से संबंधित सामग्री भी थी। आगे आरोप लगाया गया कि फारूकी ने पाकिस्तान सेना को 'बदनाम' किया है, लिहाजा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मामले को लेकर कराची यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (केयूजे) ने शुक्रवार रात एक बयान में कहा कि यह गिरफ्तारी 'स्वतंत्र आवाजों को दबाने के अभियान' का हिस्सा है। केयूजे ने यह भी कहा कि फारूकी ने 'कभी भी पाकिस्तानी कानूनों का उल्लंघन नहीं किया है'।
हमजा अमीर
कराची, 12 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के कराची में हजारों लोग शिया-विरोधी प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए। कराची में शिया समुदाय से संबंध रखने वालों को धर्म के प्रति विश्वास व्यक्त न करने वाला करार दिया जा रहा है। लोगों द्वारा 'शिया काफिर हैं' के नारे बुलंद किए जा रहे हैं। ऐसे नारों के बुलंद होने के बाद देश में चल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के पाकिस्तान के इरादों पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
आतंकी संगठन सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (एसएसपी) की अगुवाई में निकाली गई रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। यह रैली मुख्य एम. ए. जिन्ना मार्ग पर दिन के उजाले में निकाली गई। एसएसपी पाकिस्तान में शिया अल्पसंख्यकों की हत्या में शामिल रहा है।
रैली के दौरान 'शिया काफिर हैं' के नारे बुलंद किए जा रहे हैं, और लोगों द्वारा आतंकी संगठन सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान के बैनर लहराए जा रहे हैं। इसके साथ ही देश में दंगों की आशंका पैदा होने लगी है।
पाकिस्तान के आर्थिक के आर्थिक केंद्र कराची में एक आतंकी संगठन के बैनर तले एक समुदाय विशेष के खिलाफ हुई इस बड़ी रैली को देख आम जनता को भी झटका लगा है। यही नहीं रैली में शिया विरोधी नारे लगाने वाले लोगों को किसी प्रशासन या अधिकारियों का भी डर नहीं लग रहा था, जो कि इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार की ओर से देश में आतंकी संगठनों को जड़ से उखाड़ने के इरादों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
इस शिया विरोधी रैली का मंचन मुहर्रम पर आशूरा जुलूस के प्रसारण के दौरान शिया नेता द्वारा कथित तौर पर एक टेलीविजन शो में इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी देने के बाद किया गया था।
शिया अधिकार कार्यकर्ता गुल जहरा रिजवी ने कहा, "जब कराची में खुलेआम शिया-विरोधी रैली निकाली जा सकती है, तो यह दर्शाता है कि सांप्रदायिक हिंसा जारी रहेगी। यह रैली एक आतंकी संगठन द्वारा निकाली गई थी, जो पाकिस्तान में गैर-कानूनी संगठनों की आधिकारिक सूची में सूचीबद्ध है।"
रिजवी ने कहा, "फिर भी, वे रैली करने में सक्षम थे। यह चिंताजनक है।"
उन्होंने कहा, "मुहर्रम की शुरूआत के बाद से, हम कई शिया समुदाय के लोगों को धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने और आशूरा स्मरणोत्सव में भाग लेने के लिए लक्षित के तौर पर देखते रहे हैं।"
एक अन्य शिया अधिकार कार्यकर्ता अरफीन ने कहा, "इस प्रदर्शन को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। खासकर तब, जब हमारे भाइयों और बहनों का अपहरण करने और उनकी मान्यताओं के लिए उन्हें मार दिया जाता है।"
शिया नेताओं ने शिया मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले कृत्यों को समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री की सख्त जवाबदेही का आह्वान किया है।
अरफीन ने कहा, "कुछ साल पहले पाकिस्तान में शियाओं को गुमनाम संदेश मिल रहे थे, जिसमें कहा गया था कि 'शियाओं को मार डालो'। जहां अशूरा जुलूस हो रहे थे, वहां पर आतंकवादियों ने हथगोले फेंके।"
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या पाकिस्तान सरकार ने ज्ञात आतंकवादियों को दूर-दूर तक शिया विरोधी बयानबाजी फैलाने की अनुमति दी है। इमरान खान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।"
शिया विरोधी रैली पर एक और ट्विटर यूजर ने लिखा, "कल मेरा शहर काफिर-काफिर, शिया काफिर के नारों से गूंज उठा। कुछ घंटे बाद ही हिंसा को कवर करने वाले पत्रकार बिलाल फारूकी को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह शियाओं का नरसंहार नहीं तो और क्या है?"
बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है और अक्सर इसी मुद्दे पर शिया समुदाय और अल्पसंख्यकों को इसका दोषी करार देते हुए प्रताड़ित किया जाता है।
लॉस एंजेलिस, 12 सितंबर (आईएएनएस)| लॉस एंजेलिस काउंटी में वैन नुय्स हवाई अड्डे के पास एक छोटे विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो लोगों की मौत हो गई। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लॉस एंजेलिस अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार को हुई घटना में किसी प्रत्यक्ष संरचना को क्षति नहीं पहुंची है।
विभाग के एक अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए सिटी न्यूज सर्विस ने कहा, "प्रारंभिक जानकारी से संकेत मिला है कि एकल इंजन वाली नेवी बी विमान ने वान नुय्स हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी और वह सांता बारबरा काउंटी में सांता यनेज हवाई अड्डे के लिए रवाना हुई थी।"
घटना के गवाह रहे जमीन पर मौजूद एक सूत्र ने सीबीएस लॉस एंजेलिस को बताया कि विमान टेक ऑफ करने के बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि विमान ने खड़ी उड़ानभरी थी और पाकिर्ंग स्थल में नाक के बल पर गिरा।
दुर्घटना के कारणों की जांच चल रही है।
किंशासा, 12 सितंबर (आईएएनएस)| अफ्रीकी देश कांगो में एक सोने की खान धंसने से कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई। एक स्थानीय एनजीओ ने यह जानकारी दी है।
स्काई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इनिशिएटिव ऑफ सपोर्ट एंड सोशल सुपरविजन ऑफ वूमेन की अध्यक्ष एमिलियेन इटोंगा ने कहा कि शुक्रवार को भारी बारिश के बाद कामितुगा के पास स्थित साइट दोपहर करीब 3 बजे ढह गई।
बीबीसी ने बताया कि देश के इस अनौपचारिक खनन क्षेत्र में ऐसी दुर्घटनाएं आम हैं क्योंकि इन जगहों पर सुरक्षा के मानक सही नहीं है।
इससे पहले पिछले अक्टूबर में पूर्वी शहर केम्पेन में सोने की एक अवैध खदान धसकने से 21 लोग मारे गए थे। वहीं जून 2019 में लुआलाबा प्रांत में तांबे और कोबाल्ट की खदान धंसने से दर्जनों मजदूर मारे गए थे।
कोरोना वायरस का दुनिया भर में प्रकोप जारी है। इस बीच चीन एक वैज्ञानिक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उसने दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन द्वारा मानव निर्मित है।
वीरोलॉजिस्ट लि-मेंग यान ने कहा है कि उनके पास कोरोनावायरस को मानव निर्मित साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं जिसे वह जल्द पेश करेंगी। उन्होंने चीन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस वायरस को लेकर चीन बहुत कुछ छुपा रहा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि यह एक चीन द्वारा मानव निर्मित वायरस है।
इतना ही नहीं उन्होंने ये भी दावा किया है कि कोरोना वायरस वुहान के मीट मार्केट से नहीं आया है। इसके पीछे उन्होंने वजह बताई कि यह मीट मार्केट एक स्मोक स्क्रीन है, जबकि यह वायरस प्रकृति की देन नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि इस वायरस का जीनोम अनुक्रम एक मानव फिंगर प्रिंट की तरह है और इसके आधार पर ही वे साबित कर देंगी कि यह एक मानव निर्मित वायरस है। उन्होंने कहा कि किसी भी वायरस में मानव फिंगर प्रिंट की उपस्थिति यह बताने के लिए काफी है कि इसकी उत्पत्ति मानव द्वारा की गई है।
लि-मेंग ने का कहना है कि अगर किसी के पास जीव विज्ञान की जानकारी नहीं हो तो लेकिन इसके इसके आकार से इस वायरस की उत्पत्ति की पहचान कर लेंगे। इस दौरान उन्होंने चीन सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चीन सरकार की धमकी के बाद मैं हांगकांग छोड़कर अमेरिका चली गई। सरकार मुझे झूठा साबित करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है और हत्या करने तक का आरोप लगा रही है, लेकिन मैं अपने लक्ष्य से पीछे हटने वाली नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि मैं हर चुनौती का सामना करने को तैयार हूं और जल्द ही साबित कर दूंगी कि यह वायरस मानव निर्मित है।(navjivan)
रियो डी जनेरियो, 12 सितंबर (आईएएनएस)| ब्राजील सरकार ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से और 874 मौतें दर्ज करने के बाद यहां मौत का आंकड़ा 130,000 को पार कर गया हैं। संक्रमण से अब तक कुल 130,396 मौतें हो गई हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोविड-19 के 43,718 नए मामले सामने आए हैं, जिसके बाद संक्रमण के कुल मामले 4,282,164 हो गए हैं।
देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य साओ पाउलो संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित हैं, जहां 882,809 मामले और 32,338 मौतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद रियो डी जनेरियो में 240,453 मामले और 16,883 मौतें हुई हैं।
लैटिन अमेरिका में ब्राजील में कोविड-19 मामलों और मौतों की संख्या सबसे अधिक है।
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से परिषद द्वारा अपेक्षित स्तर पर अपने देश के बच्चों और स्कूलों की सुरक्षा के प्रति दायित्व को पूरा करने के लिए आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया है।
भारत ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद को लिखे एक बयान में कहा, "सदस्य देशों को आतंकवाद के अपराधियों और उनके सहयोगियों और प्रायोजकों को पकड़ने के लिए अधिक से अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति दर्शाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से परिषद द्वारा अनुमोदित बाल संरक्षण दायित्वों को पूरा करने के लिए।"
भारत ने कहा, "आतंकवादी संगठनों और परिषद द्वारा निषिद्ध व्यक्ति बाल अधिकारों के दुरुपयोग के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।"
हालांकि, भारत ने किसी भी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन यह टिप्पणी पाकिस्तान के संदर्भ में मालूम पड़ी, जहां जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और लश्कर-ए-झंगवी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा खुले तौर पर प्रतिबंधित हैं ।
भारत ने कहा, "परिषद के बाल संरक्षण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए कार्रवाई करने की जरूरत है।"
भारत ने कहा कि जैसा कि आतंकवादी नेटवर्क सीमाओं पर अपने जाल फैलाते हैं, बच्चे ही इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि वे भय और अनिश्चितता के माहौल में रहते हैं और अक्सर शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित होते हैं।
वहीं, बच्चों और सशस्त्र संघर्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गैम्बा ने कहा कि स्कूलों पर आतंकवादी हमलों को बच्चों, समुदायों और किसी भी सुरक्षा, भविष्य की आशा को लूटने, खत्म करने के मकसद को ध्यान में रखकर अंजाम दिया जाता है।
वॉशिंगटन, 11 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में टिकटॉक को अपना कारोबार बेचने के लिए 20 सितंबर तक का समय दिया था और अब उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कह दिया है कि वह इस समय सीमा का विस्तार नहीं करेंगे। चीन स्थित टिकाटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को या तो इस बीच यूएस में अपना कारोबार बेचना होगा या पूर्ण प्रतिबंध का सामना करना होगा।
चीन द्वारा अपने प्रौद्योगिकी निर्यात नियम में बदलाव किए जाने के बाद अमेरिका में टिकटॉक के कारोबार बेचने की बात कुछ समय के लिए रूक गई थी।
अपडेट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसका इस्तेमाल टिकटॉक के मालिकाना हक वाली चीनी कंपनी बाइटडांस करती है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने गुरुवार पत्रकारों को बताया, "देखते हैं क्या होता है। इसे या तो पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा या उन्हें बेचना होगा।"
ट्रंप ने इस दौरान स्पष्ट कर दिया कि टिकटॉक के लिए समयसीमा में कोई विस्तार नहीं किया जाएगा।
बाइटडांस ने इधर कहा है कि कंपनी चीन द्वारा लगाए गए निर्यात के नए नियमों का सख्ती से पालन करेगी।
बेरूत, 10 सितम्बर (आईएएनएस)| लेबनान के बेरूत बंदरगाह में गुरुवार को भीषण आग लगने की घटना सामने आई है। इससे लगभग एक माह पहले बंदरगाह और इसके आस-पास का क्षेत्र जोरदार धमाके से दहल गया था। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। आग की वजह से आसमान में काला धुंआ छा गया।
यहां 4 अगस्त को हुए विस्फोट में 191 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। दरअसल बंदरगाह के वेयरहाउस में करीब सात साल से 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था, जिसमें धमाका हो गया था।
--आईएएनएस
वाशिंगटन, 10 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिकी एयरोस्पेस और रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी नॉथ्रेप ग्रुमैन ने दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर एक स्पेसक्राफ्ट का नाम रखा है। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं। स्पेसक्राफ्ट का नाम एस.एस. कल्पना चावला रखा जाएगा, यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) तक कार्गो ले जाएगा।
कंपनी ने कहा, "पूर्व अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर एनजी -14 सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम रखने को लेकर नॉथ्र्राॅप ग्रुमैन को गर्व है।"
सिग्नस स्पेसक्राफ्ट 'एस.एस. कल्पना चावला' को ले जाने वाले एंटेरास रॉकेट का प्रक्षेपण 29 सितंबर को वर्जीनिया के वॉलॉप्स द्वीप से होने वाला है।
नॉथ्र्राॅप ग्रुमैन ने कहा कि यह कंपनी की परंपरा रही है कि प्रत्येक सिग्नस का नाम एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर रखा जाए, जिसने मानव अंतरिक्ष यान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो।
कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई, 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। वह पहली बार 1997 में अंतरिक्ष में गई थी और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली दूसरी भारतीय सदस्य बनीं।
उन्होंने 1982 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की और 1984 में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस-आलिर्ंगटन से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। उन्हें 1988 में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी से सम्मानित किया गया।
नासा के अनुसार, चावला ने एसटीएस-87 (1997) और एसटीएस-107 (2003) में उड़ान भरी थी और 30 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट में अंतरिक्ष में प्रवेश किया था।
साल 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष यान आपदा में उनकी मृत्यु हो गई। पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान टेक्सस में शटल विध्वंस हो गया था। यह हादसा निर्धारित लैंडिंग से मात्र 16 मिनट पहले हुआ था।
मृत्युंजय कुमार झा
कौन है मोहम्मद याकूब उर्फ मौलवी याकूब? कुछ साल पहले तक किसी ने इसका नाम नहीं सुना था। 2015 में तालिबान ने अपने सुप्रीम कमांडर अमीर मुल्ला मोहम्मद उमर की मौत का ऐलान किया था.उसमें कहा गया था कि मुल्ला उमर पाकिस्तान के पेशावर में 2013 से ही बीमार थे। क्या बीमारी थी, कब से बीमार थे, कब मरे, इसका इसका कोई खुलासा नहीं हुआ।
उसी समय पहली बार तालिबान के एक आंख वाले अमीर, मुल्ला उमर का बेटा मोहम्मद याकूब सामने आया था। उसने लोगों को भरोसा दिलाया कि उसके पिता की मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी। उसने अपने पिता का हवाला देते हुए तमाम तालिबानी नेताओं से एकता बनाए रखने की गुजारिश की थी। उसके बाद कुछ सालों तक वह गायब रहा। लोगों की निगाहों से दूर जरूर था लेकिन याकूब का रुतबा तालिबान के अंदरुनी खेमे में बढ़ता जा रहा था।
इस साल 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के समझौते के 3 महीने बाद मोहम्मद याकूब का नाम चर्चा में आया। तालिबान की सुप्रीम काउंसिल ने मोहम्मद याकूब को तालिबान की मिल्रिटी विंग का कमांडर नियुक्त किया था। मोहम्मद याकूब अब कमांडर मुल्ला याकूब बन चुका है। जिन लोगों को लगा था कि मुल्ला उमर के बाद उनके परिवार का तालिबान पर कुछ भी प्रभाव नहीं रहेगा, वे सभी गलत साबित हुए हैं।
पत्रकार रहीमुल्लाह युसुफजई का मानना है कि, तालिबान में याकूब से कई ज्यादा अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने मुल्ला उमर के साथ काम किया है। माना जा रहा था कि मिल्रिटी चीफ का पद किसी पुराने वफादार को मिलेगा, लेकिन याकूब की नियुक्ति ने यह बात साफ कर दी कि तालिबान पर मुल्ला उमर के परिवार का दबदबा कायम है। जानकारों के अनुसार, पिछले कई महीनों से तालिबान में मिल्रिटी कमांडर के पद को लेकर अंदरुनी खींचतान चल रही थी। तब याकूब डिप्टी कमांडर था।
पत्रकार एंटोनियो जियोस्टोज्जी 2010 से तालिबान पर रिसर्च कर रहे हैं और उन्होंने सभी तालिबानी नेताओं का इंटरव्यू किया है। उनका कहना है कि मुल्ला उमर का बड़ा बेटा याकूब, तालिबान की मौजूदा लीडरशिप में सबसे नरमपंथी रवैये वाला नेता है और अलकायदा की तरह वह अमेरिका और दूसरे पश्चिम देशों का दुश्मन नहीं है।
2015 से पहले मोहम्मद याकूब को तालिबान में कोई पद नहीं मिला था। याकूब अमेरिका से समझौते के पक्ष में रहा है। यही वजह है कि पिछले दो महीनों में तालिबान ने अमेरिका से हुए समझौते का पालन करते हुए, अमेरिकी फौज या ठिकानों पर हमला नहीं किया है, लेकिन वह अलकायदा को ऐसा करने से रोकने में नाकाम रहा। मुल्ला याकूब अफगानिस्तान की सरकार में भागीदारी चाहता है। या यूं कहें कि मौजूदा सरकार के बारे में उसकी राय यह है कि यह सरकार अफगानों पर थोपी हुई सरकार है। यही वजह है कि तालिबान ने समझौते के बाद भी अफगान सरकार के ठिकानों और उसकी सेना पर हमला जारी रखा है।
याकूब से पहले इब्राहिम सद्र तालिबान का मिल्रिटी चीफ था और अमेरिका और अफगानिस्तान की गनी सरकार से समझौते के खिलाफ था। अमेरिका की मोस्टवॉन्टेड लिस्ट में सद्र का नाम भी है। कई बार ड्रोन से उस पर हमला किया गया, लेकिन वह हर बार बच निकला। कहा जाता है कि उसे ईरान का समर्थन हासिल है। कुछ महीने पहले अपने समर्थकों को लेकर सद्र ने तालिबान से अलग होकर एक नया संगठन हिज्ब-ए-वलायत-ए-इस्लामी बना लिया। मुल्ला उमर के कुछ साथी कंमाडर मुल्ला कयूम जाकिर को तालिबान का मिल्रिटी चीफ बनाना चाहते थे। जाकिर भी अमेरिका से समझौते के खिलाफ था, उसे भी पार्टी से हटा दिया गया।
मुल्ला याकूब के बारे में कहा जाता है कि उसे सऊदी अरब के राजशाही सउद परिवार का पूरा समर्थन हासिल है और तालिबान को जिस धन की जरुरत है, वो सऊदी अरब से मिलता है। एंटोनियो जियोस्टोज्जी का कहना है कि सऊदी और अमेरिका दोनों तालिबान के उन लोगों को बाहर रखना चाहते हैं, जिनका संबंध ईरान से है।
2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमले के दौरान याकूब अपने परिवार के साथ पेशावर में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण आ गया। वहीं उसने तालिबान और अल-कायदा के कट्टरपंथी मदरसों में तालीम हासिल की। जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर की निगरानी में उसने गुरिल्ला की लड़ाई सीखी। इसी दौरान लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद के साथ मुजफ्फराबाद में भी रहा और वहां भी हथियारों की ट्रेनिंग ली।
पाकिस्तान को पता था कि मुल्ला उमर की अहमियत क्या है और जब भी अमेरिकी फौज अफगानिस्तान से हटेगी, तालिबान की अहम भूमिका रहेगी। यही वजह थी कि पाकिस्तान याकूब को भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार कर रहा था। तालिबान में कुछ पुराने कंमाडरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, लेकिन उमर के परिवार के पास धन की कमी नहीं थी और सबको खरीद कर उनका मुंह बंद करा दिया गया। एक अनुमान के मुताबिक तालिबान अभी भी अपने कब्जे वाले इलाके में अफीम की खेती, गैरकानूनी माईनिंग से करीब चार अरब डॉलर सालाना कमा रहा है। इस कमाई का लेखा-जोखा मुल्ला उमर के परिवार के पास है।
2015 में मुल्ला उमर की मौत के बाद उसके भाई मुल्ला अब्दुल मनान ने कुछ वक्त के लिए तालिबान प्रमुख का काम संभाला था और उसी समय उसने भतीजे मुल्ला याकूब को अफगानिस्तान के 34 में से 15 राज्यों का मिल्रिटी डिप्टी चीफ बना दिया था। अफगान इंटेलिजेंस के मुताबिक याकूब ज्यादा सफल नहीं रहा। क्योंकि एक तो उसे अफगानिस्तान की जमीनी हकीकत का पता नहीं था, दूसरा तालिबान में अंदर ही कुछ लोग ऐसे थे, जिन्हें लगता था कि याकूब को यह ओहदा काबिलियत के चलते नहीं बल्कि विरासत के चलते मिला था।
पत्रकार रहीमुल्ला युसुफजई ने बचपन से याकूब को देखा है। उनके मुताबिक याकूब सेल्फ सेंटर्ड है और इंट्रोवर्ट है। उसे लगता है पिता के बाद तालिबान पर उसका ही अधिकार है.जैसे राजशाही में होता है। उसकी उमर क्या है .कोई तीस के पास.लेकिन बचपन से उसने दुनिया देखी है।
याकूब को पता है कि अमेरिका से दुश्मनी लेकर उसका जिंदा रहना मुश्किल है। उसे पता है कि बिन लादेन का क्या अंत हुआ? साथ ही उसके पिता को जान के लाले पड़ गए थे। पाकिस्तान में छुपकर रहना पड़ा था। यही वजह थी कि तालिबान प्रमुख मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने उसे मिल्रिटी कमीशन के चीफ के साथ-साथ अपना डिप्टी भी नियुक्त किया। यानि तालिबान में नंबर दो।
अफगानिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मामलों के पूर्व मंत्री अली जलाली का कहना है, तालिबान और अफगान सरकार के बीच अगर कोई समझौता होता है.चाहे आज या फिर कभी, तालिबान की भूमिका बढ़ेगी। यकीनन याकूब तालिबान का चेहरा होगा जो तालिबान की मिल्रिटी और पॉलिटकल विंग के बीच कड़ी होगा। देखिए, अगर उसे मेन स्ट्रीम में आना है तो तालिबन वो नहीं रह सकता जो 2001 के पहले था।
जलाली ने कहा कि 19 साल की लंबी लड़ाई और अस्थिरता के बाद तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत की कोशिशें हो रही हैं। जबकि तालिबान को न तो सरकार पर भरोसा है, न ही सरकार को तालिबान पर। रही बात अफगानिस्तान के लोगों की.वो तो तालिबान के शासन की याद करते ही कांप उठते हैं। उनका मानना है कि तालिबान कितना भी दावा करे, लेकिन अपनी बुनियादी कट्टरपंथी नीतियों को नहीं छोड़ सकता। पिछले महीने मुल्ला याकूब के मारे जाने की खबर भी उड़ी थी, लेकिन तालिबान ने इससे इनकार किया था।
(यह कंटेंट इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ साझेदारी के तहत है)
लाहौर, 10 सितम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान में रह रहे सिख समुदाय ने कहा है कि वह गुरु ग्रंथ साहिब की एक हस्तलिखित प्रति को गुरुद्वारा डेरा साहिब में रखना चाहता है। अभी यह प्रति लाहौर के एक संग्रहालय में डिस्प्ले में रखी हुई है। अनुमान है कि यह प्रति करीब 300 साल पुरानी है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि विशेषज्ञों के मुताबिक सिखों के पवित्र ग्रंथ की हस्तलिखित प्रति बेहद दुर्लभ है।
शोधकर्ता और लाहौर संग्रहालय में सिख धर्म को समर्पित सेक्शन की प्रभारी अलीजा सबा रिजवी ने कहा, "हालांकि इस पर कोई तारीख नहीं है लेकिन इसके लेखन और स्याही से पता चलता है कि यह तीन सौ साल से अधिक पुराना है।"
रिजवी के अनुसार, यह पांडुलिपि अन्य कलाकृतियों के साथ संग्रहालय को विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा किए गए दान में मिली थी।
रिजवी ने कहा, "यह गुरु ग्रंथ साहिब की एक दुर्लभ प्रति है। ऐसी ही एक प्रति भारत के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में है।"
अब पाकिस्तान में सिख समुदाय चाहता है कि इस पवित्र ग्रंथ को गुरुद्वारा डेरा साहिब के अंदर रखा जाए। यह गुरुद्वारा लाहौर के मध्य में उस जगह पर बना है, जहां 1606 में गुरु अर्जन देव की मृत्यु हुई थी।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा, "गुरु ग्रंथ साहिब की इस प्राचीन प्रति को गुरुद्वारा साहिब में रखा जाना चाहिए।"
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के पूर्व प्रमुख सरदार बिशन सिंह ने कहा, "इसे किसी भी साधारण किताब की तरह एक कोठरी में नहीं रखा जा सकता है। इसे गुरुद्वारे के अंदर ही रखा जाना चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि वह पीएसजीपीसी की अगली बैठक में यह मांग रखेंगे।
सिंह ने यह सुझाव भी दिया कि संग्रहालय को या तो दुर्लभ ग्रंथ को गुरुद्वारे में स्थानांतरित कर देना चाहिए या पवित्र ग्रंथ की सिख रीति-रिवाजों के अनुसार देखभाल करने के लिए समुदाय का एक आदमी रखना चाहिए।
सिएटल, 10 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय मूल के एक फेसबुक इंजीनियर अशोक चंदवाने ने कंपनी पर अमेरिका और पूरी दुनिया में सोशल मीडिया नेटवर्क पर 'नफरत से पेश आने' का आरोप लगाते हुए नौकरी छोड़ दी है। पिछले 5 से ज्यादा साल से फेसबुक पर काम करने वाले चंदवने ने इस सोशल मीडिया दिग्गज को अपने प्लेटफॉर्म के जरिए नफरत फैलाने वाले भाषण और गलत सूचना का प्रसार करने के कारण आड़े हाथों लिया है।
चंदवने ने इस सप्ताह एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "मैं इसे इसलिए छोड़ रहा हूं क्योंकि मैं अब ऐसे संगठन में योगदान नहीं दे सकता, जो अमेरिका और दुनिया भर में नफरत को बढ़ावा दे रहा है।"
चंदवने ने म्यांमार में रोहिंग्याओं के नरसंहार और एक मिलिशिया समूह की पोस्ट को लेकर लिखा, जिसमें विस्कॉन्सिन के केनोशा में जैकब ब्लेक के विरोध प्रदर्शन में सशस्त्र नागरिकों को हिस्सा लेने के लिए कहा गया था।
उन्होंने लिखा, "घृणा करने वाले हिंसक समूह और फार-फाइट मिलिशिया वहां मौजूद हैं और वे फेसबुक का इस्तेमाल कर लोगों की भर्ती करने और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए कर रहे हैं। इस बारे में मानदंड कहां हैं?"
बता दें कि केनोशा में हुई गोलीबारी में दो लोगों के मरने के बाद फेसबुक ने उस पोस्ट को हटा दिया था। जुकरबर्ग ने इसे थर्ड पार्टी के कॉन्ट्रैक्टर्स और समीक्षकों की 'ऑपरेशनल गलती' बताया था।
चंदवेनी ने अपने त्याग पत्र में कहा है, "फेसबुक इतिहास के गलत पक्ष को चुन रहा है।"
उन्होंने कहा, "यदि चाहते तो समय रहते सही निर्णय करके इन्हें रोक सकते थे। ऐसा लगता है कि फेसबुक को प्लेटफॉर्म से घृणा को दूर करने के लिए सही व्यापार मूल्य नहीं मिला है। जबकि उस पर नागरिकों, उसके अपने कर्मचारियों, सलाहकारों और ग्राहकों के बहिष्कार करने का दबाव है।"
वाशिंगटन, 10 सितंबर (आईएएनएस)| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अगले साल के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच शांति समझौते में ट्रंप की अहम भूमिका को देखते हुए यह फैसला किया गया है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नॉर्वे संसद के अति रूढ़िवादी सांसद क्रिश्चियन टाइब्रिंग गजेड ने ट्रंप को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामित किया है, जिन्होंने ट्रंप की दुनिया भर में संघर्षों के समाधान के लिए उनके प्रयासों की प्रशंसा की है।
सिंगापुर में किम जोंग-उन के साथ मुलाकात के लिए 2018 में ट्रंप को नामांकित करने वाले एक टाइब्रिंग गजेड ने अमेरिकी राष्ट्रपति से जुड़े नहीं होने का दावा किया है।
ट्रंप समर्थक नहीं होने का दावा करते हुए गजेड ने फॉक्स न्यूज को बताया, "उनकी योग्यता को देखते हुए मुझे लगता है कि उन्होंने अधिकांश अन्य शांति पुरस्कार नोमनी की तुलना में राष्ट्रों के बीच शांति बनाने के लिए अधिक प्रयास किए हैं।"
उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने हाल के वर्षो में शांति पुरस्कार प्राप्त किया है, उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में बहुत कम काम किया है। उदाहरण के लिए, बराक ओबामा ने कुछ नहीं किया है।"
नॉर्वे की प्रोग्रेस पार्टी से चार बार के सांसद और नाटो संसदीय सभा के चेयरमैन क्रिश्चियन टाइब्रिंग गजेड ने कहा कि ट्रंप प्रशासन यूएई और इजरायल के बीच संबंधों की स्थापना में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित होने के योग्य है।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)| भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों ने बुधवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से मुलाकात की, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही। दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधि फिर से विचार-विमर्श के लिए मिलेंगे।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने सात सितंबर को एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों को उनकी पोजिशन से विचलित करने के लिए एक उत्तेजक सैन्य प्रयास किया था और चेतावनी के तौर पर फायरिंग भी की थी।
एक सूत्र ने कहा, "दोनों देशों के ब्रिगेड कमांडरों के बीच आज वार्ता हुई।"
सूत्र ने आगे कहा कि भारत ने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर चीनी सैनिक उत्तेजक सैन्य कार्रवाई को अंजाम देंगे, तो भारतीय सैनिक जवाबी कार्रवाई करेंगे।
इससे पहले दिन में यह देखा गया कि चीन ने पैंगोंग झील के उत्तर में फिंगर क्षेत्र में एक ताजा निर्माण शुरू किया।
पीएलए सैनिकों की तैनाती मंगलवार शाम से बढ़ गई है। वे अधिक सामग्री और लॉजिस्टिक आइटम भी ला रहे हैं।
दोनों पक्षों के सैनिक एक दूसरे से थोड़ी ही दूरी पर हैं। एक सरकारी सूत्र ने कहा, "वे स्पष्ट दृश्यमान सीमा के भीतर हैं (एक-दूसरे को अच्छे से देख सकते हैं) और भारतीय सैनिक उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं।"
मंगलवार को भी पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला के उत्तर में भारतीय सेना के ठिकानों से कुछ ही मीटर दूर तकरीबन 40 से 50 चीनी सैनिक भाले, बंदूक और धारदार हथियारों से लैस होकर पहुंचे थे।
पीएलए के सैनिक भारतीय सेना को उसके ठिकानों से हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं।
यह घटनाक्रम झील के दक्षिणी तट पर सात सितंबर को एक झड़प होने के तुरंत बाद शुरू हुआ है, जहां भारतीय सेना अपनी पहुंच बनाए हुए है।
भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच बना ली है और चीन ने यहां कई अन्य पोजिशन पर अपना कब्जा करने के लिए कई प्रयास किए हैं।
यह नया गतिरोध बिंदु बन गया है, क्योंकि भारतीय सेना यहां एक लाभप्रद स्थिति में है।
भारतीय सेना ने उन ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया है, जो इसे चीनी नियंत्रण के तहत आने वाले चीनी मोल्दो गैरीसन और स्पंगुर गैप पर हावी होने में फायदा पहुंचा सकती है। भारत और चीन दोनों इनमें से कुछ ऊंचाइयों पर अपना दावा करते हैं।
भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों में से एक है रेचिन ला, जिसका चीनी विरोध कर रहे हैं।
भारत और चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास चार महीने से आमने-सामने है। कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है।
न्यूयॉर्क, 10 सितंबर (आईएएनएस)| जॉन्स होपकिंस विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कोविड -19 से हुई मौतों की संख्या 900,000 से अधिक हो गई हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सीएसएसई के आंकड़ों से खुलासा हुआ कि वैश्विक स्तर पर मौत का आंकड़ा बुधवार को बढ़कर 900,079 हो गया, वहीं दुनियाभर में कोविड-19 के मामले 2.76 करोड़ से अधिक हो गए थे।
अमेरिका महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देश है। यहां 6,356,310 मामले और संक्रमण से हुई 190,649 मौतें दर्ज की गई हैं, जो कि वैश्विक स्तर पर हुई मौत का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
अमेरिका के बाद ब्राजील में सबसे अधिक मौतें 127,464 दर्ज की गई हैं, इसके बाद भारत 73,890 का स्थान है। सीएसएसई के अनुसार, भारत ने हाल ही में मामलों की ²ष्टि से ब्राजील को पीछे कर दिया है और यहां 43 लाख मामले दर्ज किए गए हैं।
वहीं 30,000 से अधिक मौतों वाले देशों में मैक्सिको, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस और पेरू भी शामिल हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात को जानते थे कि कोरोना वायरस फ़्लू की तुलना में ज़्यादा ख़तरनाक है, लेकिन उन्होंने जानबूझकर इस महामारी के प्रकोप को कम करके बताया.
अमरीका से छपने वाली एक नई किताब में ये दावा किया गया है.
किताब लिखने वाले हैं 70 के दशक में वाटरगेट स्कैंडल को उजागर करने वाले मशहूर पत्रकार और लेखक बॉब वुडवर्ड.
बॉब वुडवर्ड का दावा है कि उन्होंने दिसंबर 2019 से जुलाई 2020 तक ट्रंप का 18 बार इंटरव्यू किया है.
किताब में ट्रंप के हवाले से दावा किया गया है कि अमरीका में कोरोना से पहली मौत होने से पहले ही ट्रंप ने उन्हें बताया था कि कोरोना एक 'जानलेवा' बीमारी है.
इस किताब पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने कहा कि वो नहीं चाहते थे कि कोरोना को लेकर लोगों में अफ़रा-तफ़री मच जाए.
अमरीका में अब तक कोरोना से एक लाख 90 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं.
बुधवार को कुछ अमरीकी मीडिया ने ट्रंप और बॉब वुडवर्ड के बीच हुई बातचीत के कुछ अंशों को छापा जिसमें बताया गया है कि ट्रंप कोरोना महामारी, नस्लवाद और दूसरे मुद्दों पर क्या सोचते हैं.
बॉब वुडवर्ड की ये किताब 'रेज' 15 सितंबर को आधिकारिक रूप से बाज़ार में आएगी.
किताब में ट्रंप और कोरोना के बारे में क्या कहा गया है?
ट्रंप ने साफ़ इशारा किया था कि कोरोना कितना ख़तरनाक है इस बारे में वो अच्छे से जानते थे लेकिन वो सार्वजनिक रूप से कभी भी यह नहीं कहते थे.
फ़रवरी में हुई एक बातचीत के दौरान ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था कि कि कोरोना फ़्लू से ज़्यादा जानलेवा है.
ट्रंप ने सात फ़रवरी को बातचीत के दौरान कहा था, "यह हवा के ज़रिए फैलता है. आपको इसे छूने की भी ज़रूरत नहीं. आप सिर्फ़ सांस लें और यह आपतक आ जाएगा. यह फ़्लू से ज़्यादा ख़तरनाक और जानलेवा है."
फ़रवरी के ही महीने में ट्रंप ने कहा था कि वायरस पूरी तरह नियंत्रण में है और बहुत जल्द ही कोरोना संक्रमितों की संख्या शून्य के बराबर हो जाएगी. और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि फ़्लू कोरोना से ज़्यादा ख़तरनाक है.
10 मार्च को उन्होंने राजधानी वाशिंगटन में कहा था, "आप बस शांत रहें. यह (कोरोना) चला जाएगा."
नौ दिनों के बाद जब तक अमरीका में कोरोना महामारी को राष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित किया जा चुका था, ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था, "मैं हमेशा से ही इसे (कोरोना) को कम करके दिखाना चाहता था. मैं अभी भी इसे कम करके ही बताना चाहता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि लोगों में घबराहट और दहशत फैल जाए."
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि लोग ख़ौफ़ज़दा हों, मैं नहीं चाहता कि अफ़रा-तफ़री मचे, और निश्चित तौर पर मैं इस देश और दुनिया के लोगों में उन्माद फैले. हमलोग आत्मविश्वास दिखाना चाहते हैं, अपनी ताक़त दिखाना चाहते हैं."
किताब की आलोचना करते हुए ट्रंप ने कहा, "वुडवर्ड की किताब राजनीतिक रूप से मेरे ऊपर हमला है."
किताब के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए ट्रंप की प्रेस सचिव केले मैकएनानी ने कहा, "राष्ट्रपति ने कभी भी कोरोना वायरस के ख़तरे को कम नहीं आंका. राष्ट्रपति लोगों का ढाढस बंधाना चाहते थे. राष्ट्रपति इसको लेकर काफ़ी गंभीर थे."
ट्रंप के चुनावी प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन ने ट्वीट कर कहा, "जब एक जानलेवा वायरस हमारे देश को तबाह कर रहा था, राष्ट्रपति जानबूझकर अपना काम करने में नाकाम रहे हैं. यह अमरीकी लोगों के साथ धोखा है जो कि ज़िंदगी और मौत का सवाल है."
बाइडन ने कहा कि ट्रंप ने सिर्फ़ दो हफ़्ते पहले कार्रवाई की होती तो सिर्फ़ मार्च और अप्रैल में ही 54 हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन राष्ट्रपति ने ख़तरे को कम दर्शाया और कार्रवाई करने से मना कर दिया, जिससे लोगों की जान गई और हमारी अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान हुआ.
बाइडन के मुताबिक़ ये सरासर लापरवाही है जिसको कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता.
किताब और क्या कहती है?
वुडवर्ड कहते हैं कि उन्होंने 19 जून को ट्रंप से हुई बातचीत में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन का ज़िक्र किया था और कहा था कि उन जैसे लोगों को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि अमरीका में काले लोग इस बारे में क्या महसूस कर रहे हैं. इस पर ट्रंप ने वुडवर्ड का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा था, "आपने सचमुच में कूल-एड पी रखी है."
कूल-एड एक तरह का फ़्लेवर्ड जूस है जो अमरीका में बच्चों के बीच काफ़ी पसंद किया जाता है.
मई के महीने में जॉर्ड फ़्लॉयड नाम के एक काले अमरीकी की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद पूरे अमरीका में पुलिस बर्बरता और नस्लभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे.
वुडवर्ड के अनुसार ट्रंप बार-बार यही कहते रहे कि उन्होंने अब्राहम लिंकन के बाद किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति की तुलना में अफ़्रीकी-अमरीकी लोगों के लिए ज़्यादा किया है.
लिंकन ने अपने कार्यकाल में अमरीका से ग़ुलामी ख़त्म कर दी थी.
आठ जुलाई को ट्रंप ने एक बार फिर कहा था कि उन्होंने काले लोगों के लिए बहुत काम किया है लेकिन उन्हें उनकी तरफ़ से कोई प्यार का एहसास नहीं होता.
वाशिंगटन अख़बार में भी एक इंटरव्यू छपा है जिसमें वुडवर्ड ट्रंप से पूछते हैं कि क्या अमरीका में संस्थागत रूप से नस्लभेद है.
इस पर ट्रंप का जवाब था, "इस तरह की समस्याएं हर जगह होती हैं. मेरा मानना है कि दूसरी जगहों की तुलना में यहां कम है, कई जगहों से कम है."
ट्रंप ने इस बात को स्वीकार किया कि नस्लभेद ने अमरीकी लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है और इसे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया था.
वुडवर्ड की किताब में ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच दर्जनों ख़त का भी ज़िक्र है. उन ख़तों में किम जोंग उन बहुत सम्मान के साथ ट्रंप को संबोधित करते हुए कहते हैं कि 'उनकी गहरी और विशेष दोस्ती एक मैजिक की तरह काम करेगी.'
अमरीकी मीडिया के अनुसार ट्रंप ने किम के साथ अपने संबंधों के बारे में वुडवर्ड से कहा था, "आप एक महिला से मिलते हैं. एक ही सेकंड में आपको पता चलजाता है कि बात आगे बढ़ने वाली है या नहीं. आपको दस मिनट या छह हफ़्ते नहीं लगते. एक सेकंड से भी कम समय में आपको पता चल जाता है."
ट्रंप ने वुडवर्ड से पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के बारे में कहा था कि उन्हें लगता है कि ओबामा को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है.
ट्रंप ने कहा था, मुझे नहीं लगता कि ओबामा स्मार्ट हैं और मुझे नहीं लगता कि वो एक महान स्पीकर हैं.
सीएनएन के अनुसार ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था कि उन्होंने राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को एक 'बेवक़ूफ़ व्यक्ति बना दिया था जो कि वो सचमुच में थे.'(bbc)