अंतरराष्ट्रीय
काबुल, 17 जनवरी | काबुल में रविवार को 2 महिला अफगानी जस्टिस की हत्या कर दी गई है। अज्ञात हमलावरों ने उस वाहन में आग लगा दी, जिसमें वे यात्रा कर रही थीं। सुरक्षा बलों ने कहा है कि हमलावरों ने युद्धग्रस्त देश में निशाना लगाकर ये हत्याएं की हैं। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि यह घटना शहर के पुलिस जिला 4 के तैमनी में हुई। उन्होंने बताया कि गोली लगने से 2 अन्य सरकारी कर्मचारी घायल हो गए हैं।
रविवार की घटना अफगानिस्तान में निशाना लगाकर की जा रही हत्याओं की कड़ी में नई घटना है। इससे पहले 12 जनवरी को ही उत्तरी बल्ख प्रांत में इसी तरह की घटना में 2 महिला सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी और 2 महिला अधिकारी और एक ड्राइवर घायल हो गए थे।
किसी भी समूह ने अब तक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।(आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 17 जनवरी | फेसबुक ने अमेरिका में कम से कम 22 जनवरी तक ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की है, जो हथियारों व सुरक्षात्मक उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे और ऐसा यहां 20 जनवरी को आयोजित हो रहे प्रेसिडेंशियल इनॉगरेशन के मद्देनजर किया जा रहा है। कंपनी ने शनिवार को अपने दिए एक बयान में कहा, "हमने पहले ही साइलेंसर जैसे हथियार एक्सेसरीज (हथियारों के रखरखाव व सजावट के सामान) के विज्ञापनों पर रोक लगा रखी है और अब हम अमेरिका में गन सेफ्स, वेस्ट और गन होल्सटर्स जैसी चीजों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने जा रहे हैं।"
यह कदम कुछ अमेरिकी सीनेटरों द्वारा फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को लिखे गए एक पत्र के बाद उठाया गया है, जिसमें उन उत्पादों के विज्ञापनों पर स्थायी रूप से रोक लगाने के लिए कंपनी से फेसबुक की नई नीति के विकास और इनके निष्पादन का आग्रह किया गया, जो मुख्य रूप से घातक हथियारों से संबंधित हैं।
20 जनवरी को 59वें इनॉगरेशन सेरेमनी में नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस अपने पदों के लिए शपथ लेने वाले हैं, ऐसे में फेसबुक ने अपने यूजर्स को बता दिया है कि व्हाइट हाउस, यूएस कैपिटल बिल्डिंग या किसी भी स्टेट कैपिटल बिल्डिंग के करीब से या निकट जाकर कोई लाइव वीडियो नहीं किया जा सकेगा।
एक नई जानकारी में फेसबुक ने बताया है कि उनकी टीमें उन सभी फेसबुक इवेंट्स की पुन: समीक्षा कर रही है, जो इनॉगरेशन से संबंधित है और उन सभी को हटाया जा रहा है जिनके द्वारा उनकी नीतियों का उल्लंघन किया जा रहा है। (आईएएनएस)
वॉशिंगटन, 17 जनवरी | अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बहु-प्रतीक्षित स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) का परीक्षण जल्दी ही खत्म हो गया क्योंकि इसके चार रॉकेट इंजनों में ईंधन सिर्फ कुछ ही पल के लिए जला, जबकि इसे कम से कम आठ मिनट तक जलना था। नासा के आर्टिमीज कार्यक्रम के तहत एसएलएस की भूमिका काफी अहम है, जिसका मकसद चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाना है।
इस एसएलएस कार्यक्रम का आयोजन नासा के स्टेनिस स्पेस सेंटर पर किया गया, जो कि अमेरिका के मिसीसिपी में स्थित है।
नासा ने शनिवार देर रात को जारी एक बयान में कहा, "सभी चार आरएस-25 इंजनों को सफलतापूर्वक प्रज्वलित किया गया, लेकिन लगभग एक मिनट के बाद ही टेस्ट को रोक दिया गया। इस चरण तक यह टेस्ट पूरी तरह से स्वचालित था।"
टीम की योजना थी कि इंजनों में ईंधन का प्रज्वलन कम से कम आठ मिनट तक हो या कम से कम उतने वक्त तक हो, जितना वक्त चांद के लिए इसके भविष्य के अभियान को लॉन्च करने में लगेगा।
नासा ने कहा, "ईंधन को जलाते वक्त ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर ने बिल्कुल सही से काम किया है और इंजनों का शटडाउन भी सुरक्षा के साथ हुआ है।"
परीक्षण के दौरान प्रणोदक टैंक पर दबाव पड़ते देखा गया और यह आंकड़ा काफी अहम है क्योंकि टीम को अब इसी हिसाब से आगे बढ़ना है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जनवरी| वॉशिंगटन सुंदर भारत के लिए डेब्यू टेस्ट में तीन या उससे अधिक विकेट लेने के अलावा अर्धशतक लगाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। सुंदर ने ब्रिस्बेन में जारी चौथे टेस्ट मैच में डेब्यू करते हुए आस्ट्रेलिया के तीन बल्लेबाजों को आउट किया और फिर शानदार अर्धशतक लगाकर भारत को मुश्किल से निकाला।
इससे पहले, भारत के लिए टेस्ट मैच में वाकया 1947-48 सीरीज में हुआ था। आजाद भारत की टीम पहली बार जब आस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी तब दत्तू फडकर ने ऑलराउंडर के तौर पर सिडनी टेस्ट के साथ डेब्यू किया था।
फडकर ने 51 रनों की पारी खेली थी, जिसमें उन्होंने 101 गेंदों का सामना करते हुए चार चौके लगाए थे। इसके बाद फडकर ने 10 ओवर में दो मेडन सहित 14 रन देकर आस्ट्रेलिया के तीन विकेट भी लिए थे।
अब सुंदर ने 72 साल के बाद वही रिकार्ड दोहराया है। सुंदर ने ब्रिस्बेन में अर्धशतक लगाने के अलावा 89 रन देकर तीन विकेट भी लिए। इसमें स्टीवन स्मिथ का भी विकेट शामिल है। (आईएएनएस)
अरुल लुईस
न्यूयॉर्क, 17 जनवरी | अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन शपथ ग्रहण के बाद अपने कार्यकाल के पहले 10 दिनों में जो काम करेंगे उसके मास्टरप्लान की घोषणा हो चुकी है। उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई, अर्थव्यवस्था और आव्रजन पर ध्यान केंद्रित किया है।
उनके चीफ ऑफ स्टाफ रॉन क्लैन ने वरिष्ठ कर्मचारियों को एक ज्ञापन भेजा जिसमें कई क्षेत्रों में निर्वतमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उठाए गए कदमों पर रोक लगाने, योजना का विवरण आदि शामिल है। इसे रविवार को मीडिया के लिए ट्रांजिशन कार्यालय द्वारा जारी किया गया।
क्लैन ने लिखा, "निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन एक्शन लेंगे, न केवल ट्रंप प्रशासन से हुए सबसे बड़े नुकसान को उलटने के लिए, बल्कि हमारे देश को आगे बढ़ाने के लिए भी।"
आव्रजन मोर्चे पर, ज्ञापन ने कहा कि बुधवार को अपने कार्यालय के पहले बाइडेन एक आव्रजन बिल भेजेंगे।
इसने विवरण नहीं दिया, लेकिन कहा कि बाइडेन प्रणाली को 'सम्मानपूर्वक बहाल करने के अपने वादे' को पूरा करेंगे।
अपने प्लेटफॉर्म में, बाइडेन ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ वीजा प्रणाली, एच 1-बी वीजा में सुधार करने के लिए काम करेंगे, ताकि वीजा पर रहने वालों को नौकरी स्विच करने की अनुमति मिल सके।
1.1 करोड़ अवैध प्रवासियों को वैध बनाने का एक और वादा किया गया था, उनके घोषणापत्र के अनुसार, इनमें से 500,000 भारतीय हैं।
क्लेन ने कहा कि बाइडेन कार्यान्वयन में तेजी लाते हुए दर्जनों कार्यकारी आदेश, राष्ट्रपति के ज्ञापन और कैबिनेट एजेंसियों को निर्देश के माध्यम से अभियान के वादों को पूरा करने की कोशिश की।
डेमोक्रेट्स ने कांग्रेस से बचने के लिए कार्यकारी आदेशों का सहारा लेने के लिए ट्रंप की आलोचना की थी और इस बात को ध्यान में रखते हुए, क्लैन ने कहा कि बाइडेन की कार्रवाई अच्छी तरह से स्थापित कानूनी सिद्धांत पर आधारित होगी।
उन्होंने कहा कि बाइडेन पदभार ग्रहण करने के बाद पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने पर फिर से चर्चा करेंगे जिससे ट्रंप प्रशसान ने अमेरिका को अलग कर लिया था।
उग्र कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने के लिए, बाइडेन विमानों, ट्रेनों और बसों में मास्क पहनना अनिवार्य कर देंगे। (आईएएनएस)
बगदाद, 17 जनवरी| इराकी सुरक्षा बलों ने स्लामिक स्टेट (आईएस) के 2 आतंकवादियों को मार गिराया है और 6 आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने अनबर के ऑपरेशन कमांडर नासिर अल घन्नम के हवाले से बताया कि इराकी विमानों के एक सेना बल ने राजधानी बगदाद से 50 किमी दूर फालुजा में अल-गार्मा शहर के पास एक आईएस ठिकाने पर हमला किया था।
कमांडन इन चीफ के प्रवक्ता येहिया रसूल ने एक अलग बयान में कहा कि इसके अलावा इराकी काउंटर-टेररिज्म सर्विस (सीटीएस) ने किरकुक, सलाउद्दीन, अनबर और बगदाद के प्रांतों में ऑपरेशन चलाया, जिसमें आईएस के एक नेता समेत 6 आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई।
आईएस के आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं, जिसके कारण दर्जनों लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं। इसी के जबाव में यह ऑपरेशन चलाया गया था।
बता दें कि 2017 के अंत में देश भर में आईएस के आतंकवादियों को पूरी तरह से मात देने के बाद से इराक में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन आईएस के बचे हुए आतंकी शहरी क्षेत्रों, रेगिस्तान और बीहड़ क्षेत्रों में लगातार सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमले कर रहे हैं। (आईएएनएस)
काठमांडू, 17 जनवरी| नेपाली पर्वतारोहियों ने सर्दियों के मौसम में पहली बार दुनिया के दूसरे सबसे ऊंचे पर्वत शिखर के2 पर पहुंचकर इतिहास रच दिया है। इस अभियान को अयोजित करने वाली कंपनी ने यह जानकारी दी। सेवन समिट ट्रेक्स कंपनी ने शनिवार शाम ट्वीट कर कहा, "हमने यह कर दिखाया, यकीन कीजिए हमने इसे किया - शिखर तक की यात्रा पहले कभी नहीं की गई। काराकोरम का 'सेवेज माउंटेन' को सबसे खतरनाक मौसम में सदिर्यो में फतह किया गया। नेपाली पर्वतारोही आखिरकार पर्वत शिखर के2 (छोगोरी 8,611 मी) पर स्थानीय समयानुसार, दोपहर 5 बजे पहुंचे।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ से बात करते हुए, पाकिस्तान के अल्पाइन क्लब के सेकट्रेरी जनरल करार हैदरी ने कहा कि 10 सदस्यीय नेपाली टीम सर्दियों में 8,611 मीटर लंबी शिखर पर पहुंचने वाली पहली टीम है।
उन्होंने कहा कि पांच महिलाओं सहित कुल 48 पर्वतारोही 29 दिसंबर, 2020 को अभियान को अंजाम देने के लिए पहाड़ के बेस कैंप पर पहुंचे, जिनमें से पांच घायल हो गए और कई अन्य लोग चोटी पर बहुत खराब मौसम के कारण वापस लौट आए।
के2 चीन-पाकिस्तान सीमा पर उत्तरी पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र और चीन के शिंजियांग के टैक्सकोर्गन ताजिक ऑटोनोमस काउंटी में दफदर टाउनशिप के बीच स्थित है। (आईएएनएस)
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार, नवाज़ शरीफ़ की पार्टी के नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी के नेतृत्व में इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि 'पीटीआई के 23 बैंक खातों में इसराइल और भारत से भी पैसे आये.'
अख़बार जंग के अनुसार, मुस्लिम लीग (नवाज़) के महासचिव एहसान इक़बाल ने कहा कि अगर विदेशी फ़ंडिंग केस का फ़ैसला वक़्त पर आ जाता तो इमरान ख़ान सियासत के लिए अयोग्य क़रार दिए जाते और उनकी पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाता.
इमरान ख़ान ने विपक्ष और नवाज़ शरीफ़ के हमलों का जवाब दिया है.
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार, इमरान ख़ान ने कहा, "मुझे ख़ुशी है कि पीडीएम वाले चुनाव में धांधली के आरोप के बाद अब चुनाव आयोग में विदेशी फ़ंडिंग पर आ गये हैं. मैं चुनाव आयोग से अपील करता हूँ कि वो हमारा, पीपीपी, मुस्लिम लीग (नवाज़) और मौलाना फ़ज़लुर्रहमान का हिसाब-किताब सामने रख दें, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा."
इमरान ने कहा, "मैं गारंटी देता हूँ कि इन दोनों पार्टियों ने बाहर के मुल्कों से पैसा लिया है. शेख़ रशीद (मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री) सब बता सकते हैं, जब वे मुस्लिम लीग में थे और नवाज़ शरीफ़ के साथ बाहर गए तो किन-किन मुल्कों ने इनको पैसा दिया."
इमरान ने कहा, "मुझे भी दो मुल्कों ने फ़ंडिंग की पेशकश की थी जो उन दोनों बड़ी पार्टियों को फ़ंडिंग कर रहे हैं. उनमें इसराइल शामिल नहीं लेकिन नाम इसलिए नहीं बता सकता कि इन मुल्कों के साथ संबंध ख़राब हो जाएंगे."
इमरान ने कहा कि 'उनकी पार्टी पाकिस्तान के इतिहास में पहली पार्टी है जिसने आधिकारिक रूप से सबको बताकर सियासी फ़ंड रेज़िंग की.'
इमरान ख़ान की पार्टी ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वो मुस्लिम लीग (नवाज़) और पीपीपी के ख़िलाफ़ विदेशी फ़ंडिंग के केस की रोज़ाना सुनवाई करे.
पीटीआई का कहना है कि इन दोनों के ख़िलाफ़ केस चार सालों से लटका हुआ है इसलिए इसे फ़ौरन निपटाया जाए.
पाकिस्तान में असल लड़ाई लोकतंत्र बचाने की है: इमरान ख़ान
इमरान ख़ान ने विपक्षी पार्टियों पर एक और हमला करते हुए कहा कि 'पाकिस्तान में इस वक़्त असल लड़ाई लोकतंत्र बचाने की है.'
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार, एक निजी टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा, "पाकिस्तान में इस वक़्त सामंती प्रथा है, मतलब ये कि नाम तो लोकतंत्र का लेते हैं लेकिन परिवार शासक बन जाते हैं और 25 साल का नौजवान अपनी माँ की वसीयत पर आ जाता है."
इमरान ख़ान ने कहा कि यह देखा जाना चाहिए कि ये दोनों (शरीफ़ और भुट्टो) ख़ानदान पहले क्या थे और सत्ता में आने के बाद कहाँ पहुँचे.
उन्होंने ख़ुद का बचाव करते हुए कहा, "मैं पाकिस्तान का अकेला राजनेता हूँ जो जीएचक्यू (सेना मुख्यालय) की नर्सरी में नहीं पला, अय्यूब (फ़ील्ड मार्शल अय्यूब ख़ान) की कैबिनेट में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अकेले सिविलियन मंत्री थे और नवाज़ शरीफ़ को पाल कर राजनेता बनाया गया." (bbc.com)
अख़बार दुनिया के अनुसार, अफ़ग़ान तालिबान प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह ने एक बयान जारी कर अफ़ग़ान तालिबान नेताओं से अपील की है कि वो ज़्यादा शादियाँ ना करें क्योंकि इससे दुश्मन को उन लोगों के ख़िलाफ़ प्रोपगैंडा करने का मौक़ा मिल जाता है.
बयान में कहा गया है कि अगर कोई दूसरी शादी करना चाहता है तो उसे अफ़ग़ान तालिबान प्रमुख से लिखित इजाज़त लेनी होगी.
बयान में कहा गया है कि ज़्यादा शादियों के कारण तालिबान नेताओं की तरफ़ से इस काम (शादियों) के लिए फ़ंडिंग की माँग बढ़ने लगी थी.
बयान में एक से ज़्यादा शादी पर फ़िलहाल पाबंदी नहीं लगाई गई है लेकिन इतना ज़रूर कहा गया है कि अगर तालिबान नेतृत्व और तालिबान के कमांडर ज़्यादा शादियाँ ना करें तो वो इस तरह की परेशानियों से बच जाएंगे और दुश्मन को उनके ख़िलाफ़ प्रोपगैंडा का भी मौक़ा नहीं मिलेगा.
ज़्यादातर तालिबान नेताओं ने एक से ज़्यादा शादियाँ कर रखी हैं. अफ़ग़ान तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर और उनके बाद प्रमुख मुल्ला अख़्तर मंसूर की तीन-तीन पत्नियां थीं.
तालिबान के मौजूदा प्रमुख की दो पत्नियाँ हैं. दोहा में तालिबान के सबसे वरिष्ठ नेता मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर की तीन बीवियां हैं. (bbc.com)
उधर लंदन में रह रहे नवाज़ शरीफ़ को वहाँ के क़ानून की वजह से राहत मिली है.
अख़बार जंग के अनुसार, ब्रितानी सरकार ने कहा है कि लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग की तरफ़ से नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती गिरफ़्तारी वारंट जारी करने के आधार पर सरकार उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकती है.
ब्रितानी सरकार का कहना है कि यह मामला नवाज़ शरीफ़ और पाकिस्तान सरकार के बीच है और ब्रिटेन की पुलिस ब्रिटेन से बाहर किसी अदालत के आदेश पर अपने मुल्क में रह रहे किसी आदमी को गिरफ़्तार नहीं कर सकती.
ब्रिटेन ने कहा कि पाकिस्तान और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि भी नहीं है. ब्रिटेन की सरकार ने हालांकि आगे कहा कि संधि नहीं होने के बावजूद किसी को प्रत्यर्पित किया जा सकता है लेकिन इसका एक प्रॉपर चैनल होता है.
सरकार और विपक्षी महागठबंधन पीडीएम के बीच जारी गतिरोध के दौरान सरकार ने सुलह सफ़ाई की भी कोशिश की है. (bbc.com)
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री शेख़ रशीद ने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने उनकी (शेख़ रशीद) अध्यक्षता में विपक्ष से बात करने के लिए एक कमेटी बना दी है.
लाहौर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष की रैली और विरोध प्रदर्शन में कोई रुकावट नहीं डाली जाएगी, लेकिन इजाज़त देने का मतलब खुली छूट नहीं है, शांति भंग करने की कोशिश की गई तो क़ानून अपना काम करेगा.
उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि विपक्षी सांसद इस्तीफ़ा नहीं देंगे और विपक्षी पार्टियाँ सीनेट और उप-चुनाव में हिस्सा भी लेंगी.
उन्होंने पीडीएम के अंदर के मतभेद को उजागर करने की कोशिश करते हुए कहा कि हमें पीडीएम के नेतृत्व से कोई डर नहीं है. मौलाना फ़ज़लुर्रहमान पाँच ओवर का मैच खेलना चाहते हैं और पीपीपी टेस्ट मैच खेल रही है, जबकि आसिफ़ अली ज़रदारी ग्राउंड के दोनों तरफ़ खेल रहे हैं.
16 अक्तूबर से अब तक विपक्ष सरकार के ख़िलाफ़ गुजरांवाला, कराची, क्वेटा, पेशावर, मुल्तान, लाहौर और बूनं में बड़ी रैलियां कर चुका है जिनमें हज़ारों लोग शरीक हुए थे.
(bbc.com)
लंदन, 17 जनवरी | फुटबॉल आइकन डेविड बेकहम और उनकी डिजाइनर पत्नी विक्टोरिया बेकहम के बेटे क्रूज ने अपने हुडी को नीलामी के लिए रखा है और इसकी कीमत 1.50 लाख डॉलर (1 करोड़ रुपये से ज्यादा ) लगाई है। द सन डॉट को डॉट यूके की रिपार्ट के मुताबिक, 15 साल के क्रूज ने अपने कलेक्शन से लुई विटॉन की सुप्रीम हुडी को महंगी कीमत लगाते हुए बेचने के लिए रखा है। इसके साथ ही उन्होंने यह हुडी पहने हुए अपनी एक फोटो भी साझा की है।
डेविड और विक्टोरिया के डिजाइनर दोस्त किम जोन्स ने क्रूज को यह हुडी उपहार में दी थी। इस हुडी को लेकर पोस्ट में लिखा गया है, "क्रूज बेकहम की एक सुप्रीम एक्स लुइस विटॉन बॉक्स लोगो हुडी, जिसे किम जोन्स ने उन्हें उपहार में दिया था। इसे 150,000 डॉलर में अभी खरीदें।"
बता दें कि क्रूज बेकहम दंपति की तीसरी संतान हैं। उनके दो बड़े भाई- ब्रुकलिन और रोमियो और एक छोटी बहन हार्पर है।
(आईएएनएस)
तेहरान, 17 जनवरी | ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने एक नई मिसाइल ड्रिल का आयोजन किया, जिसमें उसने 1,800 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में बैलिस्टिक मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसकी पुष्टि एक शीर्ष अधिकारी ने की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने आईआरजीसी के कमांडर इन चीफ हुसैन सलामी के हवाले से कहा है कि रक्षा नीतियों और रणनीतियों में हमारा मुख्य उद्देश्य दुश्मन के युद्धपोतों को मारना है, जिनमें विमान वाहक और युद्धक क्रूजर भी शामिल हैं।
आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, आईआरजीसी के एयरोस्पेस फोर्स की निगरानी प्रणालियों द्वारा नकली दुश्मन की युद्धपोतों का पता लगाने और उनके विनाश करने के लिए 'ग्रेट पैगंबर -15' नाम के कोड का इस्तेमाल किया गया था।
सलामी ने कहा कि यह कम गति वाली क्रूज मिसाइलों के साथ मोबाइल नौसैनिक लक्ष्यों को मारने के लिए है। साथ ही उन्होंने आईआरजीसी के एयरोस्पेस फोर्स की लंबी दूरी की रक्षा की रणनीति में हुए विकास की प्रशंसा की।
ईरानी सशस्त्र बल के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाकरी ने भी इस वॉर ड्रिल में हिस्सा लिया और ईरान के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ दुश्मनों को चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, "नौसैनिक ठिकानों के खिलाफ लंबी दूरी की मिसाइलों का एक बैराज चुनने से पता चलता है कि अगर इस्लामिक गणतंत्र के दुश्मन हमारे राष्ट्रीय हितों, समुद्री व्यापार मार्गों और क्षेत्र के खिलाफ गलत इरादे रखते हैं, तो वे मिसाइल हमले की चपेट में आकर नष्ट हो जाएंगे।"
(आईएएनएस)
पेरिस, 17 जनवरी | बुरकीना फासो के एथलीट ह्यूज जांगो ने यहां आयोजित एक इवेंट के दौरान इंडोर ट्रिपल जम्प स्पर्धा में एक नया वर्ल्ड रिकार्ड कायम किया है। विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक विजेता जांगो के कोच टेडी टैमघो ने 2011 में जो रिकार्ड बनाया था, उसे उन्होंने 15 सेमी के अंतर से तोड़ दिया।
वर्ल्ड एथलेटिक्स के मुताबिक 18.07 मीटर दूरी के साथ जांगो अब इंडोर इवेंट्स में 18 मीटर की दूरी नापने वाले पहले एथलीट बन गए हैं।
इसके साथ जांगो कोई विश्व रिकार्ड कायम करने वाले बुरकीना फासो को पहले एथलीट बन गए हैं। साथ ही वह पुरुषों की जम्प इवेंट में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले पहले अफ्रीकी एथलीट भी बन गए हैं।
(आईएएनएस)
-ज़ुबैर अहमद
वाशिंगटन,16 जनवरी | 20 जनवरी बुधवार को 78 वर्षीय जोसेफ़ रॉबनेट बाइडन जूनियर विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे. राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थकों के हमले के डर के कारण राजधानी वाशिंगटन डीसी में सुरक्षा के बंदोबस्त तगड़े होंगे. कहा जा रहा है कि इराक़ या अफ़ग़ानिस्तान में भी अमेरिकी सैनिकों की संख्या उतनी नहीं होगी जितनी इस अवसर पर वाशिंगटन डीसी में होगी.
हालाँकि इस बार शपथ समारोह सुरक्षा और महामारी के कारण फीका रहेगा, लेकिन इसके बावजूद इस बार भी 20 जनवरी को समारोह के दौरान दुनिया अमेरिका की परंपरागत चमक-दमक और रौनक देखेगी. ये समारोह अमेरिका की कामयाबी और खुशहाली को शो-केस करने का भी एक अवसर होता है.
लेकिन इन समारोहों को देखकर कौन कहेगा कि अमेरिका सिर से पैर तक कर्ज़ में डूबा हुआ है और इसकी आने वाली दो पीढ़ियाँ कर्ज़ चुकाने में गुज़ार देंगी.
ऐसे में जो बाइडन ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से पहले ऐसा कदम उठाने की बात कही है जिससे अमेरिका पर कर्ज़ और बढ़ जाएगा.
गुरुवार को बाइडन ने लगभग 2 खरब डॉलर के एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जिसका उद्देश्य महामारी से लड़ना, नागरिकों को टीका लगवाना, कम आय वालों की नगदी से सहायता करना, छोटे व्यापारियों की मदद करना और पूरी अर्थव्यवस्था को गति देना है. इसे फ़ेडरल बैंक फाइनेंस करेगा.
क़र्ज़ में डूबा अमेरिका
गुरुवार को किये गए पैकेज के ऐलान से पहले, पिछले नौ महीनों में दिए गए आर्थिक पैकेज में से सरकार 3.5 खरब डॉलर ख़र्च चुकी है. महामारी की रोकथाम और बड़े पैकेज के रोल आउट करने के बावजूद विकास दर कमज़ोर है और महामारी तेज़ी से फैल रही है. गुरुवार तक 3,75,000 अमेरिकी इस बीमारी से अपनी जान गंवा चुके हैं और हर दिन औसतन 4,000 लोग इसका शिकार हो रहे हैं.
ग़रीब जनता परेशान है. छोटे व्यापारी निराश हैं. बेरोज़गारी एक बार फिर से बढ़ रही है. इस लिहाज़ से इस पैकेज की लोगों को सख़्त ज़रुरत है. ये एक ऐसी कड़वी दवा है जिसे पीना देश के लिए ज़रूरी है, इस आशा में कि देश की सेहत बहाल हो जाएगी. लेकिन इसका उल्टा असर भी हो सकता है.
प्रोफेसर स्टीव हैंकि जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में एप्लाइड अर्थशास्त्र के एक प्रसिद्ध शिक्षक हैं और राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने जो बाइडन के नए आर्थिक पैकेज पर अमेरिका से बीबीसी को ईमेल द्वारा बताया कि इससे सरकार का क़र्ज़ और भी बढ़ेगा. वो कहते हैं, "अमेरिकी सरकार को खर्च में वृद्धि की क़ीमत चुकानी पड़ेगी. राष्ट्रीय ऋण में वृद्धि कर ख़र्च को फ़ाइनैंस किया जाएगा"
पिछले साल दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद 21. 44 खरब डॉलर था लेकिन इसका राष्ट्रीय ऋण 27 खरब डॉलर था. अगर ये क़र्ज़ देश की 32 करोड़ आबादी में बाँट दिया जाए तो हर नागरिक के नाम 23,500 डॉलर का क़र्ज़ होगा. इसका अर्थ ये हुआ कि अमेरिका ने अगर अपनी पूरी अर्थव्यवस्था बेच दी, तब भी वो अपने पूरे क़र्ज़ को अदा नहीं कर पाएगा.
कौन है इसका ज़िम्मेदार?
अमेरिकी आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि देश के बढ़ते क़र्ज़ के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ज़िम्मेदार हैं. उनके अनुसार ट्रंप ने सत्ता में आने से पहले क़र्ज़ को कम करने का वादा किया था लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया.
राष्ट्रपति ट्रंप के चार साल में देश का क़र्ज़ 7.8 ख़रब डॉलर के हिसाब से बढ़ा. जब राष्ट्रपति ने 2016 में चुनाव जीता था तो उस समय प्रशासन का क़र्ज़ 19.95 ट्रिलियन डॉलर था. 31 दिसंबर, 2020 तक, राष्ट्रीय ऋण 27.75 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया
प्रो पुब्लिका नाम की एक पत्रिका में पिछले हफ़्ते छपे एक लेख के अनुसार ट्रंप के कार्यकाल के दौरान संघीय वित्त महामारी के आने से पहले भी गंभीर स्तिथि में था. ये एक ऐसे समय में हुआ जब अर्थव्यवस्था में उछाल आ रहा था और बेरोज़गारी ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर थी. ट्रंप प्रशासन के स्वयं के विवरण के अनुसार महामारी के पहले ही राष्ट्रीय ऋण का स्तर "संकट" में था.
इस संकट की वजह थी ट्रंप द्वारा टैक्स में कटौती और सरकारी खर्च में रोक न लगाना, जैसा कि वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार ने हाल में लिखा, "ट्रंप ने 2017 में टैक्स में भारी कटौती की और गंभीर खर्च पर कोई संयम नहीं बरता जिसके कारण राष्ट्रीय ऋण में ज़रुरत से ज़्यादा इज़ाफा हुआ." याद रहे कि ट्रंप ने कॉर्पोरेट टैक्स 35 प्रतिशत से घटाकर 21 प्रतिशत कर दिया था.
लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के रिकॉर्ड का बचाव करने वाले तर्क देते हैं कि उनके काल में अमेरिका ने क़र्ज़ लिए तो इसका फायदा भी नज़र आया - आर्थिक विकास की दर में बढ़ोतरी हुई, महँगाई कम हुई, बेरोज़गारी में रिकॉर्ड तोड़ कमी आयी और ब्याज़दर कम हुए. दक्षिणपंथी अर्थशास्त्री कहते हैं कि राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनसे पहले राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के दौर में सब से अधिक क़र्ज़ बढ़े.
जोहान्स केपलर यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रिया के कुछ शिक्षकों ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों द्वारा खर्च के रिकॉर्ड पर एक रिसर्च पेपर तैयार किया है जिसके अनुसार ओबामा के दौर में खर्च बढ़े थे और इससे पहले जॉर्ज बुश के दौर में और ज़्यादा भी ऐसा ही हुआ था क्योंकि राष्ट्रपति बुश के दौर में अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू किया था जो सालों तक चला.
लेकिन अब कर्ज़ और अधिक बढे हैं, जैसा कि प्रो पुब्लिका के लेख में दावा किया गया, "हमारा राष्ट्रीय ऋण उस स्तर पर पहुंच गया है जो द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में था. याद रहे कि 75 साल पहले युद्ध के कारण कर्ज़ बढ़ा था, ट्रंप के दौर में कोई सैन्य अभियान नहीं शुरू किया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के क़र्ज़ों की खाई से निकलना आसान था क्योंकि सरकार के पास मेडिकेयर और सोशल सिक्योरिटी जैसे मोटे खर्च वाली ज़िम्मेदारी नहीं थीं"
बाइडन के बेटे हंटर टैक्स मामलों को लेकर जांच के दायरे में
बाइडन का रुख़ भारत से जुड़े कई मसलों पर ट्रंप से है अलग
ताज़ा पैकेज के लिए क़र्ज़ कौन देगा और इसके नतीजे क्या होंगे?
अमेरिका में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के प्रसिध्य अर्थशास्त्री स्टीव हैंकि ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि ताज़ा कर्ज़ फेडरल रिजर्व (भारत में सेंट्रल बैंक आरबीआई जैसी वित्तीय संस्था) देगा.
इसका नतीजा क्या होगा इस पर प्रो हैंकि प्रकाश डालते हैं, "इसका मतलब ये है कि अतिरिक्त महँगाई बढ़ने का समय नज़दीक है. गहरे कर्ज की खाई में जाने के अलावा, नए सरकारी ख़र्चों के बोझ को कुछ नए करों को उठाना पड़ेगा, और नए करों के बोझ से निजी क्षेत्र में जीवन मुश्किल हो जाएगा." (https://www.bbc.com/hindi)
न्यूयॉर्क, 16 जनवरी | कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले परिवार की बेटी समीरा फाजिली उन भारतीय अमेरिकियों की सूची में शामिल हो गई हैं, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ए-टीम में नियुक्त किया गया है। फाजिली को नेशनल इकानॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।
जो बाइडेन के नए प्रशासन के कार्यभार संभालने के कुछ दिन पहले ही फाजिली को व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों में शामिल किया गया है।
इस हफ्ते की शुरुआत में बाइडेन की ट्रांजिशन टीम ने फाजिली का परिचय देते हुए और उनके प्रोफेशनल काम के बारे में बताते हुए लिखा था कि फाजिली अटलांटा के फेडरल रिजर्व बैंक में थीं, जहां उन्होंने एंगेजमेंट फॉर कम्युनिटी एंड इकानॉमिक डेवलपमेंट के डायरेक्टर के तौर पर काम किया। ओबामा-बाइडेन प्रशासन में, फाजिली ने व्हाइट हाउस की नेशनल इकानॉमिक काउंसिल में एक वरिष्ठ नीति सलाहकार के रूप में और घरेलू वित्त और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के लिए अमेरिकी ट्रेजरी विभाग में एक वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया था। इससे पहले वह येल लॉ स्कूल में कानून की क्लिनिकल लेक्च रर थीं।
फाजिली अपने पति और 3 बच्चों के साथ जॉर्जिया में रहती हैं। वे येल लॉ स्कूल और हार्वर्ड कॉलेज से स्नातक हैं। समीरा फाजिली कश्मीर में जन्मे डॉक्टर दंपति मुहम्मद यूसुफ फाजिली और रफीका फाजिली की बेटी हैं, जो मूल रूप से गोजवाड़ा क्षेत्र के हैं। (आईएएनएस)
जिनेवा, 16 जनवरी | विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस एडहोम घेब्रेयेसिस ने कोविड-19 वैक्सीन तक सभी की पहुंच निष्पक्ष रखने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि वह "अगले 100 दिनों में हर देश में टीकाकरण होते देखना चाहते हैं"। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रेडोस ने जोर देकर कहा कि मध्यम और निम्न-आय वाले देशों को भी संरक्षित करने के लिए समान रूप से कोशिशें की जानी चाहिए।
टीकाकरण की शुरूआत करने वाले देशों में ऊंची आय वाले देशों द्वारा असमान प्रतिनिधित्व किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि हमें पिछली महामारी से मिले सबक को नहीं भूलना चाहिए।
ट्रेडोस ने कहा कि जब एड्स की दवाएं पहली बार आईं तो वे केवल अमीर देशों में उपलब्ध थीं जब तक कि स्वास्थ्य अधिवक्ताओं, समाज और मैन्यूफेक्चर्स ने ऐतिहासिक रूप से कम लागत वाली एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं नहीं लाईं। उन्होंने याद किया कि एच1एन1 महामारी ने 2009-2010 में दुनिया को प्रभावित किया था और जब तक कम आय वाले देशों को यह वैक्सीन मिली, तब तक महामारी खत्म हो चुकी थी।
ट्रेडोस ने कहा, "हम नहीं चाहते कि ऐसा फिर से हो। मैं अगले 100 दिनों में हर देश में टीकाकरण को देखना चाहता हूं, ताकि स्वास्थ्य कर्मचारियों और ज्यादा जोखिम वाले लोगों को सबसे पहले सुरक्षित किया जाए। हम जिस दुनिया में रहते हैं वह एक निष्पक्ष दुनिया नहीं है। ऐसे में कोवैक्स सुविधा हमारे लिए निष्पक्षता तक पहुंचने का एक तरीका है।"
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जर्मनी, चीन, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों में वर्तमान में 236 उम्मीदवार वैक्सीन विकसित किए जा रहे हैं। इनमें से 63 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के चरण में हैं। (आईएएनएस)
लंदन, 16 जनवरी | नॉर्वे में कोविड -19 फाइजर-बायोएनटेक एमआरएनए वैक्सीन लेने के बाद 23 बुजुर्ग मरीजों की मौत की चौंकाने वाली खबर सामने आने पर देश ने मामलों में विस्तृत जांच शुरू किया है। प्रतिष्ठित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ने शुक्रवार की रिपोर्ट में कहा कि, सामने आई मौतों के बाद नॉर्वे में डॉक्टरों को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन प्राप्त करने वाले बुजुर्ग मरीजों का अधिक गहन मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है।
नार्वेजियन मेडिसिन्स एजेंसी (एनओएमए) के मेडिकल डायरेक्टर, स्टीमर मैडसेन ने बीएमजे को बताया, "यह एक संयोग हो सकता है, लेकिन फिलहाल हम निश्चिंत नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "इन मौतों और वैक्सीन के बीच कोई निश्चित संबंध नहीं है।"
एजेंसी ने अब तक 13 मौतों की जांच की है और निष्कर्ष निकाला है कि एमआरएनए टीकों की सामान्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं, जैसे कि बुखार, मतली और दस्त से कुछ कमजोर रोगियों पर वैक्सीन का बुरा प्रभाव पड़ा।
मैडसेन के हवाले से कहा गया, "यह संभावना हो सकती है कि ये सामान्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं, जो कि स्वस्थ, युवा रोगियों में खतरनाक नहीं हैं, वह बुजुर्गों में बीमारी को बढ़ा सकती हैं।"
उन्होंने कहा, "हम अब डॉक्टरों से टीकाकरण जारी रखने के लिए कह रहे हैं, लेकिन बहुत बीमार लोगों का अतिरिक्त मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है।"
वहीं फाइजर ने अपने बयान में कहा, "फाइजर और बायोएनटेक बीएनटी 162 बी 2 लेने के बाद रिपोर्ट की गई मौतों से अवगत हैं। हम सभी प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के लिए एनओएमए के साथ काम कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "सभी रिपोर्ट की गई मौतों का एनओएमए द्वारा पूरी तरह से मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या ये घटनाएं वैक्सीन से संबंधित हैं या नहीं। नार्वे सरकार मरीजों के स्वास्थ्य को अधिक ध्यान में रखने के लिए उनके टीकाकरण निर्देशों को समायोजित करने पर भी विचार करेगी।"
जर्मनी में पॉल एर्लिच इंस्टीट्यूट भी कोविड-19 टीकाकरण के तुरंत बाद 10 मौतों की जांच कर रहा है।
नॉर्वेजियन मीडिया एनआरके की रिपोर्ट के अनुसार, "सभी मौतें नर्सिग होम में बुजुर्ग व अन्य बुजुर्ग मरीजों की हुई हैं। सभी की उम्र 80 साल से अधिक है और उनमें से कुछ 90 से अधिक हैं।" (आईएएनएस)
-अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 16 जनवरी | भारत में दुनिया के सबसे अधिक प्रवासी हैं, यह संख्या लगभग 1.8 करोड़ है, जिनका जन्म तो भारत में हुआ, लेकिन वह रहते विदेश में हैं। यह खुलासा डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड सोशल अफेयर्स में यूएन पोपुलेशन डिविजन के निदेशक जॉन विलमॉट ने किया है।
इंटरनेशनल माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 पेश करते हुए शुक्रवार को उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रवासियों के लिए शीर्ष मेजबान देश है, जहां उनमें से 5.1 करोड़ लोग या दुनिया के कुल जीवित लोगों में से 18 प्रतिशत वहां रह रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2000 और 2020 के बीच, विदेशों में प्रवासी आबादी का आकार दुनिया के लगभग सभी देशों और क्षेत्रों के लिए बढ़ा है, जिसमें भारत उस अवधि के दौरान लगभग 1 करोड़ का सबसे बड़ा लाभ प्राप्त करता है, जो 2000 में तीसरे स्थान से 2020 में पहले स्थान पर आ गया है।
इस रिपोर्ट में प्रवासियों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें छात्र और विदेश जाने वाले लोग भी शामिल हैं।
भारत से प्रवास के बारे में बताते हुए यूएन पोपुलेशन अफेयर्स के अधिकारी क्लेयर मेनोज्जी ने कहा, "भारतीय प्रवासी सबसे जीवंत गतिशील दुनिया में से एक है .. यह सभी क्षेत्रों में, सभी महाद्वीपों में मौजूद है।"
उन्होंने कहा, "भारतीय प्रवासी भिन्न रूपों में हैं, मुख्य रूप से ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो कर्मचारी हैं, इनमें छात्र भी हैं, और वे लोग जो पारिवारिक कारणों से स्थानांतरित हुए हैं।"
मेनोज्जी ने कहा कि, खाड़ी देशों में पैदा हुए भारत में जन्मे प्रवासियों की टुकड़ी उन देशों की आर्थिक समृद्धि में केंद्रीय भूमिका निभा रही है।
उन्होंने कहा, "वह उत्तरी अमेरिका और कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी व्यापक रूप से मौजूद हैं।"
उन्होंने कहा, "और यदि आप अमेरिका में उदाहरण के लिए देखें, तो मैं भारत में पैदा होने वाले कुछ ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा के बारे में जानता हूं, जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की है, कुछ ने इसके तीन गुणा या यहां तक कि पोस्ट-डॉक्टरल और इसके बाद भी शिक्षा हासिल की है।"
उन्होंने कहा कि "यह गलतफहमी है कि प्रवास अवसर की कमी की प्रतिक्रिया है।"
जबकि कुछ संदर्भों में यह सच भी हो सकता है, "यह गतिशीलता का भी संकेत है, एक व्यक्ति के पास अवसरों का पीछा करने का विकल्प होता है।" (आईएएनएस)
वॉशिंगटन, 16 जनवरी | दुनिया में कोरोनावायरस के संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 9.37 करोड़ और इस घातक वायरस के कारण मरने वालों की संख्या 20 लाख से अधिक हो चुकी है।
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) के शनिवार सुबह के नए आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में दुनिया में मामलों की संख्या 93,787,372 और मौतों की संख्या 2,006,987 है।
दुनिया में सबसे अधिक 2,35,20,563 मामले और 3,91,922 मौतों के साथ अमेरिका सबसे बुरी स्थिति में है। 1,05,27,683 मामलों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है। यहां अब तक 1,51,918 मौतें हो चुकी हैं। ब्राजील में 83,93,492 मामले और 2,08,246 मौतें हुईं हैं। मामलों की संख्या में ब्राजील तीसरे नंबर पर है और मौतों की संख्या में दूसरे नंबर पर है।
10 लाख से अधिक मामले वालों देश में ब्राजील (8,393,492), रूस (34,83,531), ब्रिटेन (33,25,642), फ्रांस (29,31,396), तुर्की (2,373,115), इटली (23,52,423), स्पेन (22,52,164), जर्मनी (2,023,801), कोलम्बिया (18,70,179), अर्जेंटीना (17,83,047), मेक्सिको (15,88,369), पोलैंड (14,22,320), ईरान (13,18,295), दक्षिण अफ्रीका (13,11,869), यूक्रेन (11,83,963) और पेरू (10,48,662) हैं।
ऐसे देश जिनमें 20 हजार से ज्यादा मौतें हुईं हैं, उनमें मेक्सिको (1,37,916), ब्रिटेन (87,448), इटली (81,325), फ्रांस (70,090), रूस (63,558), ईरान (56,621), स्पेन (53,314), कोलंबिया (47,868), जर्मनी (45,705), अर्जेंटीना (45,227), पेरू (38,564), दक्षिण अफ्रीका (36,467), पोलैंड (32,844), इंडोनेशिया (25,484), तुर्की (23,664), यूक्रेन (21,479) और बेल्जियम (20,294) हैं। (आईएएनएस)
कोविड-19 महामारी के दौरान ही एक बार फिर चीनी विदेश मंत्री वांग यी दक्षिणपूर्व एशिया के चार देशों के दौरे पर निकल गये हैं. इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई से पहले वह म्यांमार पहुंचे.
वैसे तो दक्षिणपूर्व एशिया के इन तमाम देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना अपने आप में एक बड़ा काम है लेकिन बाइडेन प्रशासन के 20 जनवरी को अमेरिकी प्रशासन की बागडोर संभालने और उसके चलते पैदा होने वाली संभावनाओं को कम कर के नहीं आंका जा सकता. चीन के लिए दक्षिणपूर्व एशिया की वही महत्ता है जो भारत के लिए दक्षिण एशिया की है या रूस के लिए सेंट्रल एशिया की. लिहाजा चीन का अपने कूटनीतिक किले को अभेद्य बनाने की कवायद लाजमी लगती है. हालांकि बात इतनी भी सीधी नहीं है.
कोविड-19 वैक्सीन को लेकर दुनिया के बड़े देशों के बीच एक नयी होड़ सी लगती दिख रही है. हर देश और उसकी बड़ी फार्मा कंपनियों ने दावे ठोकने चालू कर कर दिए हैं कि उनकी बनाई वैक्सीन सबसे कारगर है. इस बात पर ध्यान कम दिया जा रहा है कि ब्रिटेन और जापान जैसे देशों में कोविड-19 के वायरस के नए स्ट्रेन मिल गए हैं और पर्यावरण के मुताबिक रूपांतरित होने या म्यूटेट होने की क्षमता रखने वाले कोविड को हराने के लिए वैक्सीन खुराकों में भी तेजी से बदलाव लाने होंगे. बहरहाल, वांग यी ने 3 लाख वैक्सीन खुराकें देने की घोषणा की, जिसे म्यांमार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था से जूझ रहे म्यांमार के लिए यही काफी है. गौरतलब है कि म्यांमार ने सबसे पहले भारत से वैक्सीन भेजने का अनुरोध किया था. चीन इसे व्यापारिक और सॉफ्ट पावर चुनौती मान कर भारत से पहले वैक्सीन पहुंचाना चाहता है. लगता है कि वह ऐसा कर भी लेगा.
चीनी विदेश नीति की एक खास बात है उसका ट्रांजेक्शनल रूप. दोस्ती और धंधे के बीच चीन हमेशा धंधे को वरीयता देता है. यह दुनिया के अधिकांश देशों की विदेश नीतियों से काफी अलग है जहां मूल्यपरक और नियम्बद्ध विदेशनीति के कड़े मानदंड हैं. भारत, जापान, जर्मनी जैसे देशों में विदेशनीति के निर्धारण के पीछे व्यापार, सामरिक सहयोग, मानव और तकनीकी संसाधन विकास के अलावा दूरगामी मानवीय और सामाजिक मूल्यों और सिद्धांतों को मजबूती देने पर भी जोर दिया जाता रहा है. दूसरी तरफ चीन अक्सर अच्छे सम्बंधों के बहाने अपने व्यापारिक हितों को आड़े तिरछे तरीके से साध ले जाता है. यही वजह है कि जब डॉनल्ड ट्रंप जैसा उद्योगपति नेता चीन से धंधे की बात करने पर आया तो चीन के होश उड़ गए और ट्रेड युद्ध की नौबत आ गई.
बहरहाल, धंधे की बात करें तो चीन की बेल्ट ऐंड रोड परियोजना पर दोनों पक्षों के बीच चर्चा हुई. वांग यी की यात्रा से ठीक पहले दोनों देशों के बीच एक मसौदे पर सहमति हुई थी जिसके तहत म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और पोर्ट सिटी क्याकफू के बीच एक रेलवे लिंक की स्थापना होगी. फिलहाल इस संदर्भ में व्यावहारिकता का अध्ययन करने पर सहमति हुई है. चीन की मांडले में रेलवे ट्रैक बनाने और उसे क्याकफू से जोड़ने की इच्छा किसी परोपकारी विचार का नतीजा नहीं हैं. वजह यह है कि क्याकफू में चीन ने करोड़ों डालर का निवेश कर रखा है. चीन वहां पर गहरे समुद्री पोर्ट प्रोजेक्ट को अंजाम देने में पिछले एक दशक से अधिक से जुटा है. क्याकफू को व्यापार संबंधी जरूरतों से जोड़ने के लिए मांडले एक बड़ी मदद कर सकता है लेकिन दोनों के बीच दूरी 650 किलोमीटर से ज्यादा है और रास्ता दुर्गम नहीं तो सुगम तो बिल्कुल नहीं है. यही वजह है कि दोनों शहरों के बीच रेलवे लाइन बिछाने की जरूरत चीन को आन पड़ी.
बीजिंग ओलंपिक
कैसे अमेरिका को चुनौती देने वाली महाशक्ति बन गया चीन
मील का पत्थर, 2008
2008 में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से खस्ताहाल हो रही थी, तभी चीन अपने यहां भव्य तरीके ओलंपिक खेलों का आयोजन कर रहा था. ओलंपिक के जरिए बीजिंग ने दुनिया को दिखा दिया कि वह अपने बलबूते क्या क्या कर सकता है.
चीन की दूरगामी योजना है कि क्याकफू को मांडले के रास्ते चीन के सुदूर दक्षिणी प्रान्त युन्नान से जोड़ा जाय. युन्नान और क्याकफू के बीच पहले से ही गैस पाइपलाइन चल रही है. ऐसे में रेल लिंक बनाने की योजना चीन को म्यांमार के रास्ते हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी तक सीधा रास्ता देगी. सिर्फ संसाधन ही नहीं लोगों का भी आना जाना हो सकेगा. चीन इस काम को अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जाएगा क्योंकि उसे मालूम है कि भारत और अमेरिका दोनों से निपटने के लिए हिंद महासागर में सीधी दखल और पकड़ बनाना जरूरी है.
अपनी यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रोहिंग्या मसले पर म्यांमार की मदद करने का वादा भी किया. और हो भी क्यों ना? दोनों ही देश अल्पसंख्यक समुदायों के मानवाधिकारों के हनन के मामलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं का शिकार हुए हैं. ऐसे में वांग यी का म्यांमार को समर्थन राष्ट्रपति विन म्यिन्त, आंग सान सू ची और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी राहत की वजह है.
दरअसल, अमेरिका में जो बाइडेन प्रशासन के आने की खबर से म्यांमार समेत तमाम मानवाधिकारों के मुद्दे पर लचर रिकार्ड रखने वाले देशों में खलबली का माहौल है. माना जा रहा है कि एक डेमोक्रेट होने के नाते बाइडेन प्रशासन और उसके तमाम उच्चाधिकारियों का ध्यान मानवाधिकार हनन, पर्यावरण संरक्षण, मुक्त व्यापार, लोकतांत्रिक मूल्यों, नियमबद्ध क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के मुद्दों पर ज्यादा होगा. डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों की पौ बारह हो गयी थी क्योंकि ट्रंप ने उदारवादी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तीनों मूलभूत पहलुओं पर से सिर्फ ध्यान ही नहीं हटाया था बल्कि एक समय पर तो वह इन तीनों के विरोध में ही खड़े दिख रहे थे. ये तीन मूलभूत पहलू हैं, खुली और उदारवादी अंतरराष्ट्रीय बाजार व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय संगठनों का समर्थन, और लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्थन.
क्या चीन पर आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा निर्भर है भारत?
सर्वे में शामिल लगभग आधे लोगों को लगता है कि भारत की चीन पर बहुत अधिक आर्थिक निर्भरता है. वहीं 27 फीसदी को लगता है कि ऐसा नहीं है.
ट्रंप के जाने से ऊहापोह की स्थिति म्यांमार में तो है ही चीन का मन भी बाइडेन प्रशासन के नित नये चुने जा रहे मंत्रिमंडल सदस्यों और उच्चाधिकारियों का नाम सुन कर खट्टा हो रहा है. ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका की एशिया पिवट नीति में खासा योगदान देने वाले कर्ट कैंपबल जैसे लोगों के बाइडन प्रशासन में एशिया की जिम्मेदारी से कम से कम यह तो साफ है कि चीन के अच्छे दिन तो फिलहाल आने से रहे. ऐसे में एक ही नाव में सवार देशों को इकट्ठा करने में कोई बुराई नहीं हैं. और इस लिहाज से वांग यी की म्यांमार यात्रा का बहुत सामरिक महत्व है.
दिलचस्प बात यह है कि चीन का मयांमार को रोहिंग्या मुद्दे पर समर्थन एक तरफ दोस्ताना कदम नहीं था. बदले में म्यांमार के राष्ट्रपति को भी चाहे अनचाहे कहना ही पड़ा कि म्यांमार चीन को तिब्बत, ताइवान, और शिनजियांग के मुद्दे पर अपना समर्थन देता है.
दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों के साथ ‘इस हाथ दे, उस हाथ ले' की चीन की ट्रांजेक्शनल नीति फिलहाल तो कारगर है पर मूल्यविहीन नितियां काठ की वो हांडियां हैं जो शायद ज्यादा दिन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की भट्ठियों का ताप झेल नहीं पायेंगी.
(राहुल मिश्र मलाया विश्वविद्यालय के एशिया-यूरोप संस्थान में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं.)
उत्तरी इटली में पार्मा शहर के पास एक भूलभुलैया है. कहते हैं कि यह यूरोप की सबसे बड़ी भूलभुलैया है. एक प्रसिद्ध भूलभुलैया लखनऊ में भी है, लेकिन पार्मा वाले से अलग वह इमारत में बनी है और उससे अलग तो है ही.
यूरोप की सबसे बड़ी भूलभुलैया बांसों की भूलभुलैया है. यूं तो हर कहीं जगह जगह पर मक्के के खेतों में भूलभुलैया बने मिल जाते हैं लेकिन यूरोप की सबसे बड़ी भुलभुलैया के रास्ते तीन किलोमीटर में फैले हैं और इसका क्षेत्रफल है 70 हजार वर्ग मीटर. इस लिहाज से "लाबिरिंतो डेला मासोने" यूरोप की सबसे बड़ी भूलभुलैया है. पेशे से प्रकाशक रहे फ्रांको मारियो रिची ने इस भूलभुलैया का सपना तब देखा था जब वे नौजवान थे, तीस साल पहले. दरअसल पार्मा शहर के बाहर उनका एक वीकएंड हाउस हुआ करता था. वहां उनके दोस्त और उनके प्रकाशन गृह से जुड़े लेखक अर्जेंटीना के खॉर्गे लुइस बोर्गेस भी आकर रहा करते थे.
बोर्गेस की रचनाओं का एक विषय लेवरिंथ भी था. 1899 में जन्मे बोर्गेस की 55 साल के होते होते आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई थी. फोंटानेलाटो में अपने वीकएंड हाउस में उनका हाथ पकड़ इधर उधर ले जाते रिची को इस बात का अहसास हुआ कि जीवन में अनिश्चितताएं कितनी महत्वपूर्ण होती हैं, जब आप चीजों को देख न सकें या उनका आभास न कर सकें. और इसी अहसास से फ्रांको मारियो रिची के उस सपने का जन्म हुआ जिसे उन्होंने बाद में अपनी निजी जमीन पर साकार किया.
एक सपना बनी हकीकत
फ्रांको मारियो रिची अपने अनुभवों को दुनिया के बहुत से दूसरे लोगों के साथ साझा करना चाहते थे, उन्हें जिंदगी की भूलभुलैया की याद दिलाने के लिए एक कृत्रिम भूलभुलैया में ले जाना चाहते थे. तो अपनी जमीन पर उन्होंने बांस के लगभग दो लाख पेड़ लगाए. जो लोग गांवों में रहते हैं और जिनके पास बांस के बगीचे हैं उन्हें पता है कि बांस के पेड़ बहुत तेजी से बढ़ते हैं, हमेशा हरे भरे रहते हैं और 15 मीटर तक बढ़ सकते हैं. और बांस के पेड़ अगर बड़े इलाके में फैले हों तो उनके झुरमुट में कोई भी रास्ता भूल सकता है.
फ्रांको मारियो रिची की भूलभुलैया में घुसने का एक रास्ता है और निकलने का भी. लेकिन उनके बीच इतने सारे रास्ते हैं कि आदमी उनमें खो ही जाता है. सारे रास्ते एक जैसे लगते हैं और लोगों को लगता है कि उन्हें तो यह रास्ता पता है और फिर लगता है कि यह तो बिल्कुल ही अलग जगह है. बिल्कुल अलग. पता ही नहीं चलता कि वे कहां हैं और वहां से बाहर कैसे निकलें. "लाबिरिंतो डेला मासोने" एक ज्यामिति डिजाइन पर आधारित है और रोमन दौर की याद दिलाता है. सीधे सीधे रास्ते हैं जो 90 डिग्री के कोण पर मुड़ते हैं. इसीलिए उन्हें याद रखना और मुश्किल हो जाता है.
लेकिन ये भूलभुलैया इतनी भी बड़ी नहीं कि उससे बाहर न निकला जा सके और लोग घबड़ाने लगें. लोग यहां जितने कन्फ्यूज होते हैं, उतने ही मंत्रमुग्ध भी. इमरजेंसी की स्थिति में वे मदद मांग सकते हैं. भूलभुलैया में जगह जगह पर पहचान के लिए पोजिशन मार्क लगे हैं. फोन करके खोए हुए लोग अपनी पोजिशन बताते हैं और उसके बाद भूलभुलैया के डायरेक्टर एदुआर्दो पेपीनो उन्हें खुद लेने पहुंचते हैं और बाहर लेकर आते हैं. वे बताते हैं, "इस भूलभुलैया का मूल अर्थ बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है. यह हमारे जीवन का प्रतीक है, ऐसी ही मुश्किल चीजों से हमारा वास्ता अपने जीवन में पड़ता है और ऐसे ही मुश्किल रास्तों से हम गुजरते हैं और आखिर में हमें अपनी मुक्ति का रास्ता मिल ही जाता है."
पर्यटकों के लिए म्यूजियम
भूलभुलैया के केंद्र में एक इमारत है या यूं कहें नियो क्लासिकल इमारतें. इनमें एक म्यूजियम है जिसमें वो सारी कलाकृतियां प्रदर्शित हैं जो फ्रांको मारिया रिची ने अपने जीवन में इकट्ठा कीं. इसके अलावा उनका किताबों का कलेक्शन और वे सारी किताबें जो उनके प्रकाशन ने 50 सालों में छापी, वहां देखी जा सकती है. भूलभुलैया हमेशा से इंसानों को मंत्रमुग्ध करती रही हैं. उनका जिक्र प्राचीन काल से लेकर ग्रीक गाथाओं और साहित्य में भी मिलता है. यह जगह दिवगंत इतालवी प्रकाशक और संपादक फ्रांको मारिया रिची की विरासत का हिस्सा है. वे नायाब कला कृतियों पर विशेष पुस्तकें प्रकाशित करते थे, साथ ही वो आर्ट मैगजीन एमएमआर भी निकालते थे. उनके कला संग्रह में पांचवीं सदी की कलाकृतियां भी शामिल हैं.
फ्रांको मारिया रिची ने 82 साल की उम्र में सितंबर 2020 में आखिरी सांस ली. भूलभुलैया उनके आखिरी प्रोजेक्ट्स में एक है. उनकी पत्नी लॉरा कासालिस बताती हैं, "ये फ्रांको का सपना है. चीजों को करने का उनका अलग ही अंदाज था. उन्होंने अपनी जिंदगी में वो सब किया जो कोई सोच भी नहीं सकता." और अब लोग उनके भूलभुलैये में जाकर वहां टहलने, खोने और जिंदगी के बारे में सोचने का मजा ले सकते हैं. समय है तो म्यूजियम की सैर और भूख लगे या कॉफी पीने का मन हो तो बिस्त्रो, कॉफीहाउस और स्थानीय भोजन परोसने वाला रेस्तरां भी वहां मौजूद है. यूरोप की सबसे बड़ी भूलभुलैया में खो जाने का अनुभव भी निश्चित तौर पर बहुत ही मजेदार और रोमांचक है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की रूढ़िवादी पार्टी सीडीयू की पार्टी कांफ्रेस बर्लिन में शुरू हो गई है. शनिवार को पार्टी प्रमुख का नाम तय करने के लिए मतदान होगा जो मैर्केल का वारिस ढूंढने की दिशा में पहला कदम है.
सीडीयू यानी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन में नेतृत्व पद के लिए मुकाबला काफी व्यापक हो गया है. पार्टी के बैलेट पेपर पर तीन उम्मीदवारों के नाम हैं. पहला नाम आर्मीन लाशेट का है जो जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के मुख्यमंत्री हैं. उनके अलावा कॉर्पोरेट लॉयर फ्रीडरीष मैर्त्स और विदेश नीती के जानकार नॉर्बर्ट रोएटगन भी इस दौड़ में हैं.
पार्टी में मतदान जर्मन राजनीति के लिहाज से अहम साल की बिल्कुल शुरुआत में हो रहा है. इसी साल सितंबर में चुनाव होने वाले हैं. चांसलर अंगेला मैर्केल इस चौथे कार्यकाल के खत्म होने के बाद अपनी रिटायरमेंट का एलान कर चुकी हैं.
चांसलर की उम्मीदवारी पर ऊहापोह
पारंपरिक रूप से सीडीयू का नेता अपनी पार्टी के साथ ही बवेरियाई सहयोगी पार्टी सीएसयू के चुनावी अभियान का नेतृत्व करने के साथ ही चांसलर का उम्मीदवार भी होता है. हालांकि इस बार चुनावी साल में सीडीयू/सीएसयू का नेतृत्व करने के लिए दूसरे उम्मीदवार भी सामने आए हैं.
इनमें खासतौर से सीएसयू के नेता मार्कुस जोएडर का नाम लिया जा रहा है जो बवेरिया के मुख्यमंत्री हैं और जर्मनी के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में एक हैं.
जर्मनी के जेडडीएफ चैनल के कराए एक ओपिनियनल पोल के शुक्रवार को जारी नतीजे बताते हैं कि सितंबर के चुनाव में इस बार रूढ़िवादी पार्टियों की तरफ से कौन उम्मीदवार होगा, इसे लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.
जर्मनी के अगले चांसलर के लिए जोएडर सबसे ज्यादा 54 फीसदी लोगों की पसंद हैं. स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने भी इन तीनों लोगों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है जो पार्टी के शीर्ष पद के लिए मैदान में हैं. उन्हें सर्वे में शामिल 32 फीसदी लोगों का समर्थन मिला है. मैर्त्स और रोएटगन को 29-29 फीसदी जबकि लाशेट उनसे बस थोड़े से ही पीछे यानी 28 फीसदी लोगों की पसंद हैं. चांसलर पद के लिए सीडीयू/सीएसयू के संयुक्त उम्मीदवार का फैसला मार्च में होने की उम्मीद की जा रही है.
ऑनलाइन मीटिंग और डिजिटल वोटिंग
बर्लिन में शुरू हुआ दो दिन का अधिवेशन दो बार पहले ही टाला जा चुका है. पार्टी कांफ्रेंस में कुल 1,001 प्रतिनिधि ऑनलाइन रूप से हिस्सा ले रहे हैं और यह पहली बार है जब डिजिटल वोट के जरिए नए नेता का चुनाव होगा. जर्मनी की राजनीति के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव है. पार्टी प्रमुख पद के लिए विजेता के नाम की आधिकारिक पुष्टि 22 जनवरी को पोस्टल वोटों के रूप में नतीजों की पुष्टि के बाद होगी.
मैर्त्स, लाशेट और रोएटगन तीनों ने ऑनलाइन वोटों के नतीजे स्वीकार करने का एलान किया है. इसका मतलब है कि चुनाव में हारने वाला शनिवार के बाद पोस्टल वोटों में जीत के लिए अभियान नहीं चलाएगा. नया नेता आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर की जगह पार्टी के प्रमुख का पद हासिल करेगा. कारेनबाउअर को मैर्केल के रिटायरमेंट के बाद उनका उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन वे पार्टी के भीतर इस मसले पर आम सहमति बनाने में नाकाम रहीं और खुद को इस दौड़ से अलग करने का फैसला कर लिया. शुक्रवार को पार्टी के अधिवेशन में आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर, मैर्केल और जोएडर का भाषण होना है.
एनआर/आईबी (डीपीए)
बीजिंग, 16 जनवरी | सेना के साथ संबंधों के चलते कुछ चीनी कंपनियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्रंप प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। प्रवक्ता ने कहा है कि यह दुनिया को दिखाता है कि वह अपने से कम कमजोर लोगों के साथ क्या कर रहे हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक प्रवक्ता झाओ लिजियन ने शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि "चीनी फर्मों के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बार-बार प्रतिबंध लगाए जाने का चीन कड़ा विरोध करता है। अमेरिका का यह कदम बाजार की प्रतिस्पर्धा और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यापार के सिद्धांतों के खिलाफ है।"
उन्होंने कहा कि अमेरिकी कदम ने दोनों देशों के बीच सामान्य आर्थिक, व्यापार और निवेश सहयोग में हस्तक्षेप किया है। साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका में विदेशी कंपनियों द्वारा निवेश करने और वहां व्यापार संचालित करने के विश्वास को कम कर दिया है, जो आखिर में अमेरिकी कंपनियों और निवेशकों को नुकसान पहुंचाएगा।
झाओ ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर दुनिया को दिखाया है कि एकतरफावाद, दोहरे मापदंड और अपने से कमजोर को दबाना क्या होता है।
झाओ ने कहा, "चीन चीनी इण्डस्ट्रीज के वैध अधिकारों और उनके हितों की रक्षा के लिए जरूरी उपाय करेगा और कानून के अनुसार अपने अधिकारों और हितों की रक्षा करने में चीनी इण्डस्ट्रीज का पूरा समर्थन करेगा।"
--आईएएनएस
न्यूयॉर्क, 16 जनवरी | अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए जो बाइडन ने शुक्रवार को स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ विदुर शर्मा को अपनी कोविड-19 रिस्पांस टीम के परीक्षण सलाहकार के रूप में नामित किया।
शर्मा राष्ट्रपति के लिए चुने गए बाइडन और उपराष्ट्रपति के लिए चुनी गईं भारतीय मूल की कमला हैरिस के प्रशासन में एक प्रमुख पद के लिए नवीनतम भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवार हैं। वह सर्जन जनरल-नॉमिनी विवेक मूर्ति और कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य अतुल गवांडे और सेलीन गाउंडर जैसे कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई से जुड़े अन्य लोगों की सूची में शामिल होंगे।
शर्मा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में भी अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, जब बाइडन उपराष्ट्रपति थे।
उस कार्यकाल में वह ओबामा के के हस्ताक्षर कार्यक्रम को लागू करने के लिए काम करने वाले घरेलू नीति परिषद के एक स्वास्थ्य नीति सलाहकार के तौर पर कार्यरत थे। वह उक्त कार्यक्रम के तहत सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित करने वाले लोगों में एक रहे हैं, जिन्हें ओबामाकेयर के रूप में जाना जाता है।
हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान ओबामाकेयर को समाप्त करने की कोशिश की, मगर शर्मा ने संगठनों के एक समूह प्रोटेक्ट ऑवर केयर के उप अनुसंधान निदेशक के तौर पर मोर्चा संभाले रखा।
उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र के संगठनों को सलाह देने का काम भी बखूबी किया है।
व्हाइट हाउस कोविड-19 रिस्पांस टीम के लिए शर्मा और अन्य नामों की घोषणा करते हुए हैरिस ने कहा, मैं इन समर्पित लोक सेवकों के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हूं।
--आईएएनएस