अंतरराष्ट्रीय
सैन फ्रांसिस्को, 16 अगस्त | अमेरिकी दूरसंचार दिग्गज टी-मोबाइल एक संभावित डेटा उल्लंघन की जांच कर रही है, जिसने 100 मिलियन यूजर्स को प्रभावित किया है। हैकर्स ने डार्क वेब पर छह बिटकॉइन 270,000 डॉलर) के लिए डेटा बेचने का काम किया है। विक्रेताओं ने मदरबोर्ड को बताया कि उन्होंने 100 मिलियन से अधिक लोगों से संबंधित डेटा प्राप्त किया है जो टी-मोबाइल सर्वर से आए हैं। इसमें सामाजिक सुरक्षा नंबर, नाम, पते और ड्राइवर लाइसेंस की जानकारी शामिल है।
टी-मोबाइल ने एक बयान में कहा, हम एक भूमिगत मंच में किए गए दावों से अवगत हैं। सक्रिय रूप से उनकी वैधता की जांच कर रहे हैं। हमारे पास इस समय साझा करने के लिए कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं है।
टी-मोबाइल पिछले कुछ वर्षों में कई डेटा उल्लंघनों में शामिल रहा है।
इस साल जनवरी में, टी-मोबाइल को कथित तौर पर एक सुरक्षा उल्लंघन का सामना करना पड़ा, जिससे उसके कुछ ग्राहकों के कॉल रिकॉर्ड और फोन नंबर है।
टी-मोबाइल के अनुसार, डेटा उल्लंघन ने खाताधारकों के नाम, भौतिक पते, ईमेल पते, वित्तीय डेटा, क्रेडिट कार्ड की जानकारी, सामाजिक सुरक्षा नंबर, कर आईडी, पासवर्ड या पिन को उजागर नहीं किया गया है।
टी-मोबाइल ने कहा कि उल्लंघन में ग्राहकों की नेटवर्क जानकारी (सीपीएनआई) को उजागर किया, जिसमें फोन नंबर और कॉल रिकॉर्ड शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया, इससे पहले टी-मोबाइल ने 2018 में ग्राहकों की जानकारी को उजागर किया, 2019 में प्रीपेड ग्राहकों की जानकारी और पिछले साल मार्च में ग्राहक और वित्तीय डेटा को शेयर किया।
टी-मोबाइल ने कहा कि लेटेस्ट उल्लंघन ने ग्राहकों की एक छोटी संख्या (0.2 प्रतिशत से कम) को प्रभावित किया है।
मार्च 2020 के उल्लंघन ने कुछ टी-मोबाइल ग्राहकों की वित्तीय जानकारी, सामाजिक सुरक्षा नंबर और अन्य खाते की जानकारी को उजागर कर किया था। (आईएएनएस)
काबुल, 16 अगस्त | काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अमेरिकी सैनिकों को चेतावनी देने के लिए हवा में गोली चलाने के मजबूर होना पड़ा। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद हताश नागरिक जल्द से जल्द उड़ान भरना चाह रहे हैं। एक अधिकारी ने एक वैश्विक समाचार एजेंसी को यह जानकारी दी। अधिकारी के हवाले से कहा गया, "भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई है। फायरिंग केवल अराजकता को शांत करने के लिए की गई थी।"
सोशल मीडिया पर कई वीडियो में गोलियों की आवाज सुनी जा सकती है। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि लोग विमान के चारो और से इसमें चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिकी सैनिक हवाई अड्डे पर प्रभारी हैं, जहां वे कथित तौर पर सैन्य उड़ानों में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को निकालने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अमेरिका ने पहले कहा था कि उसने अपने दूतावास के सभी कर्मचारियों को हवाई अड्डे पर भेज दिया है।
काबुल हवाई अड्डे पर अराजकता और भ्रम की स्थिति है क्योंकि हजारों अफगान देश छोड़कर जाना चाहते हैं।
एक चश्मदीद ने न्यूज वायर को बताया, "मुझे यहां बहुत डर लग रहा है। वे हवा में लगातार फायरिंग कर रहे हैं।"
लोगों के हवाई अड्डे के रनवे पर दौड़ने और उड़ानों में चढ़ने की कोशिश करने के कई वीडियो सामने आए हैं।
ऐसी खबरें हैं कि राजनयिक कर्मचारियों को देश से बाहर ले जाने वाली अमेरिकी उड़ानों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे लोगों में आक्रोश है और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। (आईएएनएस)
एक युवा चीनी महिला का कहना है कि उसे आठ दिनों तक दुबई में चीन द्वारा संचालित गुप्त हिरासत केंद्र में कम से कम दो मके साथ रखा गया. यह पहला सबूत हो सकता है कि चीन अपनी सीमाओं से परे एक तथाकथित केंद्र चला रहा है.
26 साल की वु हुआन के मंगेतर को चीन से असहमति रखने वाला माना जाता है. हुआन चीन वापस प्रत्यर्पण से बचने के लिए भाग रही थीं. उन्होंने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उन्हें एक होटल से अगवा कर लिया गया और चीनी अधिकारियों ने एक विला में उन्हें रखा जो जिसे एक जेल में तब्दील किया गया था.
हुआन ने बताया कि उन्होंने सुना या देखा कि दो और कैदी वहां मौजूद थे, जो कि उइगुर थे.
दुबई में चीनी जेल
महिला ने बताया कि उनसे चीनी भाषा में पूछताछ की गई और धमकी दी गई. उनके मंगेतर को परेशान करने के लिए कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. आखिरकार महिला 8 को जून को रिहा कर दिया गया और अब वह नीदरलैंड्स में शरण मांग रही है.
हालांकि "ब्लैक साइट्स'' चीन में आम है. हुआन ने जो बताया है वह विशेषज्ञों के लिए भी हैरानी का कारण है कि चीन ने इस तरह के केंद्र को देश से बाहर भी स्थापित कर लिया है.
इस तरह के केंद्र यह बताते हैं कि कैसे चीन विदेशों से अपने नागरिकों को हिरासत में लेने या वापस लाने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का तेजी से इस्तेमाल कर रहा है. चाहे वे असंतुष्ट हों, भ्रष्टाचार के संदिग्ध हों या उइगर जैसे जातीय अल्पसंख्यक हों.
एपी हुआन के इस दावे स्वतंत्र रूप से पुष्टि या खंडन करने में असमर्थ है.
महिला के पास सबूत
हालांकि पत्रकारों ने उनके पासपोर्ट में लगे स्टैंप, एक चीनी अधिकारी द्वारा उनसे सवाल जवाब की रिकॉर्डिंग और महिला के द्वारा मदद के लिए भेजे गए मेसेज वाले साक्ष्य देखे और सुने हैं. चीन और दुबई ने टिप्पणी के लिए अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया है.
ताइवान के एकेडेमिया सिनिका में सहायक प्रोफेसर यू जिए चेन का कहना है कि उन्होंने दुबई में एक चीनी गुप्त जेल के बारे में नहीं सुना है, और किसी अन्य देश में ऐसी सुविधा असामान्य होगी.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा किया कि चीन चुनिंदा नागरिकों को वापस लाने के लिए आधिकारिक माध्यमों जैसे कि प्रत्यर्पण संधियों पर हस्ताक्षर करने का रास्ता अपना सकता है. अनौपचारिक साधनों जैसे कि वीजा रद्द करने या परिवार पर दबाव भी डाल सकता है.
चेन ने कहा कि विशेष रूप से उइगुरों को प्रत्यर्पित किया जा रहा है या चीन वापस लाया जा रहा है. उनका कहना है कि उइगुर को आतंकवाद के संदेह या फिर सिर्फ प्रार्थना करने पर हिरासत में लिया जा रहा है.
अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि दुबई का इतिहास एक ऐसे स्थान के रूप में है जहां उइगुरों से पूछताछ की जाती है और वापस चीन भेज दिया जाता है.
दुबई में डिटेन्डेड एडवोकेसी ग्रुप की स्थापना करने वाली राधा स्टर्लिंग कहती हैं कि उन्होंने ऐसे दर्जन भर लोगों के साथ काम किया है जिन लोगों को कथित तौर पर विला में हिरासत में रखा गया था. हिरासत में रखे गए लोगों में कनाडा, भारत और जॉर्डन के लोग थे लेकिन चीन के नहीं.
स्टर्लिंग के मुताबिक, ''इसमें कोई शक नहीं है कि यूएई ने विदेशी सरकारों की तरफ से लोगों को हिरासत में लिया है, जिन सरकारों के साथ उसके संबंध हैं.''
हालांकि, कतर में एक पूर्व अमेरिकी राजदूत पैट्रिक थेरोस, जो अब गल्फ इंटरनेशनल फोरम के रणनीतिक सलाहकार हैं, इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं.
हुआन का कहना है कि 27 मई को चीनी अधिकारियों ने उनसे होटल में पूछताछ की थी और उसके बाद पुलिस उन्हें ले गई. उन्हें तीन दिनों तक पुलिस स्टेशन में रखा गया और तीसरे दिन एक चीनी अधिकारी ने उनसे पूछताछ की. हुआन का कहना है कि चीनी अधिकारी ने पूछा कि क्या उन्होंने चीन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए विदेशी समूहों से पैसे लिए हैं.
एए/वीके (एपी)
हैती में शनिवार को आए भूकंप ने फिर सैकड़ों जानें ले लीं. ऐसा क्या है कि हैती में आने वाले भूकंप इतनी तबाही मचाते हैं?
हैती में शनिवार को आए भूकंप में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए. 11 साल पहले भी ऐसा ही एक भूकंप आया था जिसमें दसियों हजार लोग मारे गए थे. 2010 के उस भूकंप में एक लाख इमारतें क्षतिग्रस्त हुई थीं.
हैती में ऐसा क्या है कि वहां आने वाले भूकंप इतनी तबाही मचाते हैं. पेश है, एक पड़ताल...
क्यों आते हैं हैती में इतने भूकंप?
पृथ्वी की अंदरूनी परत में एक टेक्टॉनिक प्लेट के ऊपर दूसरी रखी होती है. ये प्लेट हिलती डुलती या खिसकती रहती हैं और उसे ही भूकंप कहते हैं. हैती जहां है, वहां दो प्लेट एक दूसरे से मिलती हैं. नॉर्थ अमेरिकी प्लेट और कैरेबियाई प्लेट के सिरे के ठीक ऊपर हैती है.
हैती और डॉमिनिकन रिपब्किल के साझे द्वीप हिस्पैन्योला के ठीक नीचे कई दरारें हैं. हर दरार का व्यवहार अलग होता है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के शोधकर्ता रिच ब्रिग्स बताते हैं, "हिस्पैन्योला के ठीक नीचे दो प्लेट एक दूसरे से टकराती हुई गुजरती हैं. यह वैसा ही है जैसे शीशे के स्लाइडिंग डोर की ट्रैक में पत्थर फंस जाए. फिर उसका आना जाना ऊबड़ खाबड़ हो जाएगा.”
अब भूकंप क्यों आया?
शनिवार को जो भूकंप आया था, उसकी तीव्रता 7.2 आंकी गई थी. माना जा रहा है कि यह एनरिकीलो-प्लैन्टेन दरार के करीब हुई हलचल की वजह से आया. अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण संस्थान (USGS) के मुताबिक यह दरार हैरती के दक्षिण-पश्चिम में टिबरोन प्रायद्वीप के नीचे से गुजरती है.
इसी जगह 2010 का भयानक भूकंप आया था. और अनुमान है कि 1751 और 1860 के बीच कम से कम तीन भूकंप इसी दरार के कारण आए थे. उनमें से दो ऐसे थे जिन्होंने राजदानी पोर्ट ओ प्राँ को तहस नहस कर दिया था.
इतने विनाशकारी क्यों होते हैं हैती के भूकंप?
इसकी कई वजह हैं. सबसे पहली बात तो यह कि हैती के नीचे सक्रियता बहुत ज्यादा है. फिर वहां, आबादी का घनत्व भी काफी है. देश में एक करोड़ दस लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. वहां की इमारतों को चक्रवातीय तूफानों को झेलने लायक तो बनाया जाता है लेकिन वे भूकंप रोधी नहीं होतीं.
हैती की इमारतें कंक्रीट की बनाई जाती हैं जो तेज हवाओं को झेल सकती हैं लेकिन जब धरती हिलती है तो उनके गिरने का, उनके गिरने की वजह से विनाश का खतरा ज्यादा होता है.
2010 में भूकंप का केंद्र पोर्ट ओ प्राँ के नजदीक था और उसने भयानक तबाही मचाई थी. हैती की सरकार ने मरने वालों की संख्या तीन लाख बताई थी जबकि अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट में 46 हजार से 85 हजार के बीच लोगों के मरने की बात कही गई थी.
इनकॉरपोरेटेडे रीसर्च इंस्टिट्यूशंस फॉर सीस्मोलॉजी में जियोलॉजिस्ट वेंडी बोहोन कहती हैं, "एक बात हमें समझनी चाहिए कि कुदरती आपदा कुछ नहीं होती. यह एक कुदरती घटना है जिसे आपकी व्यवस्था संभाल नहीं पाती.”
क्या भविष्य में भी ऐसा होगा?
भूगर्भ विज्ञानी कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. यूएसजीएस के गैविन हेज कहते हैं, "हम इतना जानते हैं कि ऐसा भूकंप अगली दरार में भी ऐसी ही हलचल पैदा कर सकता है. और ऐसी हलचल कम तैयार जगहों पर भारी तबाही मचा सकती है.”
हैती में भूकंप-रोधी इमारतों का निर्माण एक चुनौती है. पश्चिमी गोलार्ध के इस सबसे गरीब देश के पास इतने संसाधन भी नहीं हैं. अभी तो देश पिछले भूकंप की तबाही से भी नहीं उबरा है. 2016 के चक्रवात मैथ्यू ने भी हैती को काफी नुकसान पहुंचाया था. फिर पिछले महीने देश के राष्ट्रपति की हत्या हो गई, जिससे वहां राजनीतिक कोलाहल भी मचा है.
नॉर्दन इलिनोई यूनिवर्सिटी में मानवविज्ञानी प्रोफेसर मार्क शूलर कहते हैं, "हैती में तकनीकी ज्ञान है. प्रशिक्षित आर्किटेक्ट हैं. नगरयोजना बनाने वाले हैं. वहां समस्या नहीं है. समस्या है धन की और राजनीतिक इच्छाशक्ति की.”
वीके/सीके (एपी)
तालिबान ने लगभग पूरे अफ़गानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया है. अफग़ान राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी और उप राष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है.
ऐसे में अब अफ़गानिस्तान की सत्ता किन तालिबान नेताओं के हाथ में आएगी?
इस सवाल के जवाब में जिन दो नामों पर सबसे है ज़्यादा चर्चा है, वो हैं- मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर और हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा.
कौन हैं ये दोनों नेता और तालिबान के भीतर इनकी क्या भूमिका रही है?
तालिबान के साथ जंग का अवाम की आंखों में बढ़ता ख़ौफ़, एक भारतीय महिला पत्रकार की आंखों देखी
मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर उन चार लोगों में से एक हैं जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था.
साल 2001 में जब अमेरिका के नेतृत्व में अफ़ग़ानिस्तान पर हुए आक्रमण में तालिबान को सत्ता से हटा दिया गया था तब वो नेटो सैन्य बलों के ख़िलाफ़ विद्रोह के प्रमुख बन गए थे.
बाद में फ़रवरी 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान के एक संयुक्त अभियान में उन्हें पाकिस्तान के कराची शहर से गिरफ़्तार कर लिया गया था.
साल 2012 तक मुल्ला बरादर के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी.
उस समय अफ़ग़ानिस्तान सरकार शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जिन बंदियों को रिहा करने की मांग करती थी उनकी सूची में बरादर का नाम प्रमुख होता था.
सितंबर 2013 में पाकिस्तानी सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया था, लेकिन ये स्पष्ट नहीं हो सका कि वो पाकिस्तान में ही रुके या कहीं और चले गए.
मुल्ला बरादर तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के सबसे भरोसेमंद सिपाही और डिप्टी थे.
जब उन्हें गिरफ़्तार किया गया था तब वो तालिबान के दूसरे सबसे बड़े नेता थे.
अफ़ग़ानिस्तान प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को हमेशा ये लगता था कि बरादर के क़द का नेता तालिबान को शांति वार्ता के लिए मना सकता है.
साल 2018 में जब क़तर में अमेरिका से बातचीत करने के लिए तालिबान का दफ़्तर खुला तो उन्हें तालिबान के राजनीतिक दल का प्रमुख बनाया गया.
मुल्ला बरादर हमेशा से ही अमेरिका के साथ वार्ता का समर्थन करते रहे थे.
1994 में तालिबान के गठन के बाद उन्होंने एक कमांडर और रणनीतिकार की भूमिका ली थी.
मुल्ला उमर के ज़िंदा रहते हुए वे तालिबान के लिए फ़ंड जुटाने और रोज़मर्रा की गतिविधियों के प्रमुख थे.
वे अफ़ग़ानिस्तान के सभी युद्धों में तालिबान की तरफ़ से अहम भूमिका निभाते रहे और ख़ासकर हेरात और काबुल क्षेत्र में सक्रिय थे.
जब तालिबान को सत्ता से हटाया गया था तब वो तालिबान के डिप्टी रक्षा मंत्री थे.
उनकी गिरफ़्तारी के समय अफ़ग़ानिस्तान के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया था, 'उनकी पत्नी मुल्ला उमर की बहन हैं. तालिबान का सारे पैसे का हिसाब वही रखते हैं. वो अफ़ग़ान बलों के ख़िलाफ़ सबसे खूंख़ार हमलों का नेतृत्व करते थे.'
तालिबान के दूसरे नेताओं की तरह ही मुल्ला बरादर पर भी संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाए थे. उनकी यात्रा और हथियार ख़रीदने पर प्रतिबंध था.
2010 में गिरफ़्तार होने से पहले उन्होंने चुनिंदा सार्वजनिक बयान दिए थे.
2009 में उन्होंने ईमेल के ज़रिए न्यूज़वीक पत्रिका को जवाब दिए थे.
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की बढ़ती मौजूदगी पर उन्होंने कहा था कि तालिबान अमेरिका को भारी से भारी नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा था कि जब तक हमारी ज़मीन से दुश्मनों का ख़ात्मा नहीं होगा, हमारा जिहाद चलता रहेगा.
इंटरपोल के मुताबिक मुल्ला बरादर का जन्म उरूज़गान प्रांत के देहरावुड ज़िले के वीटमाक गांव में 1968 में हुआ था.
माना जाता है कि उनका संबंध दुर्रानी क़बीले से है. पूर्व राष्ट्रपति हामिद क़रज़ई भी दुर्रानी ही हैं.
हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा
हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा अफ़ग़ान तालिबान के नेता हैं जो इस्लाम धर्म के विद्वान है और कंधार से आते हैं. माना जाता है कि उन्होंने ही तालिबान की दिशा बदली और उसे मौजूदा हालत में पहुंचाया.
तालिबान के गढ़ रहे कंधार से उनके संबंध ने उन्हें तालिबान के बीच अपनी पकड़ बनाने में मदद की.
1980 के दशक में उन्होंने सोवियत संघ के ख़िलाफ़ अफ़ग़ानिस्तान के विद्रोह में कमांडर की भूमिका निभाई थी, लेकिन उनकी पहचान सैन्य कमांडर के मुकाबले एक धार्मिक विद्वान की अधिक है.
वो अफ़ग़ान तालिबान का प्रमुख बनने से पहले भी तालिबान के शीर्ष नेताओं में शुमार थे और धर्म से जुड़े तालिबान के आदेश वही देते थे.
उन्होंने दोषी पाए गए क़ातिलों और अवैध सेक्स संबंध रखने वालों की हत्या और चोरी करने वालों के हाथ काटने के आदेश दिए थे.
हिब्तुल्लाह तालिबान के पूर्व प्रमुख अख़्तर मोहम्मद मंसूर के डिप्टी भी थे. मंसूर की मई 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी. मंसूर ने अपनी वसीयत में हिब्तुल्लाह को अपना वारिस घोषित किया था.
माना जाता है कि पाकिस्तान के क्वेटा में हिब्तुल्लाह की मुलाक़ात जिन तालिबानी शीर्ष नेताओं से हुई उन्होंने ही उन्हें तालिबान का प्रमुख बनवाया. समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक वसीयत का पत्र उनकी नियुक्ति को वैधता देने के लिए था.
हालांकि तालिबान ने उनके चयन को सर्वसम्मिति से हुआ फ़ैसला बताया था.
क़रीब साठ साल के मुल्ला हिब्तुल्लाह ने अपना अधिकतर जीवन अफ़ग़ानिस्तान में ही बिताया है. उनके क्वेटा में तालिबान की शूरा से भी नज़दीकी संबंध रहे हैं.
हिब्तुल्लाह के नाम के मायने हैं 'अल्लाह की तरफ़ से मिला तोहफ़ा'. वो नूरज़ाई क़बीले से ताल्लुक़ रखते हैं. (bbc.com)
पोर्ट-ओ-प्रिंस, 16 अगस्त| देश की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने घोषणा की है कि हैती में सप्ताहांत में आए 7.2 तीव्रता के भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,297 हो गई है।
हैती के सिविल प्रोटेक्शन सर्विस ने रविवार को एक ट्वीट में कहा कि सूद में 1,054, निप्स में 122, ग्रैंड एन्से में 119 और नॉर्ड-ऑएस्ट में दो लोग मारे गए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री एरियल हेनरी ने रविवार को कहा कि भूकंप के बाद 'बेहद गंभीर स्थिति' का सामना करने के लिए 'एक साथ काम करना' आवश्यक है।
उन्होंने कहा,"मैंने भूकंप पीड़ितों से मुलाकात की। डॉक्टर, बचाव दल और पैरामेडिक्स हवाई अड्डे से सहायता प्रदान करने के लिए पहुंच रहे हैं।"
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर कहा, "यह एक कठोर और दुखद वास्तविकता है जिसका हमें साहस के साथ सामना करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि विभिन्न टीमें 'पीड़ितों को सहायता देने' के लिए मैदान पर हैं और संकट से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई का आह्वान किया।
शनिवार को 7.2 तीव्रता का भूकंप हैती के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में आया, जिसका केंद्र पोर्ट-ओ-प्रिंस की राजधानी से लगभग 150 किमी दूर था। (आईएएनएस)
काबुल, 16 अगस्त | काबुल पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद तालिबान आतंकी समूह के एक प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि अफगान राजधानी में दूतावासों, राजनयिक मिशनों और विदेशी नागरिकों के लिए कोई खतरा नहीं है। साथ ही तालिबान ने कहा कि वह पूरे देश में सुरक्षा बनाए रखेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने रविवार शाम दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मुहम्मद नईम के हवाले से कहा, "हम काबुल में सभी दूतावासों, राजनयिक मिशनों, संस्थानों और विदेशी नागरिकों के आवासों को आश्वस्त करते हैं कि उन्हें कोई खतरा नहीं है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि तालिबान आंदोलन की ताकतों को काबुल और देश के अन्य शहरों में सुरक्षा बनाए रखने का काम सौंपा गया है।
यह घोषणा तब हुई जब हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा देश से बाहर जाने वाली उड़ानों का इंतजार कर रहे दसियों यात्रियों से खचाखच भरा हुआ था लेकिन उन्हें कोई विमान नहीं मिला और वे अभी भी वहीं फंसे हुए हैं।
प्रांतीय राजधानी शहरों पर कब्जा करने के बाद, तालिबान ने रविवार की सुबह हर तरफ से काबुल में प्रवेश करना शुरू कर दिया।
हालांकि तालिबान ने पहले कहा था कि अफगान राजधानी में सैन्य रूप से प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है।
अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने करीबी सहयोगियों और प्रथम महिला के साथ ताजिकिस्तान के लिए काबुल से रवाना हुए, तालिबानी राष्ट्रपति भवन में भी प्रवेश करने में कामयाब रहे।
रविवार की रात खामा प्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गनी के भागने के बाद पैदा हुई शक्ति शून्य से बचने के लिए, राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और हिज्ब-ए-इस्लामी के प्रमुख गुलबदीन हिकमतयार ने एक साथ आकर एक अस्थायी परिषद का गठन किया।
परिषद का उद्देश्य तालिबान को शांति से सत्ता हस्तांतरित करना है और अफगान सुरक्षा बलों और अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात के बलों को काबुल को सुरक्षित करने और किसी भी अराजकता की अनुमति नहीं देने के लिए कहा है।
तीनों ने अपने अलग-अलग वीडियो क्लिप में काबुल के लोगों को अलग-अलग संदेश दिए।
अब्दुल्ला ने अशरफ गनी पर देश से भागने और लोगों को परेशानी में डालने का आरोप लगाया।
समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि रविवार की रात काफी शांत थी, लेकिन छिटपुट जगहों पर आग लगने की घटना हुई थी। हेलिकॉप्टर अफगान राजधानी में गश्त कर रहे थे।(आईएएनएस)
काबुल, 15 अगस्त| उच्च परिषद राष्ट्रीय सुलह के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट कर पुष्टि की है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने लोगों से शांत रहने और अफगान सुरक्षा बलों से सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करने को कहा है।
अब्दुल्ला ने तालिबान से काबुल शहर में प्रवेश करने से पहले बातचीत के लिए कुछ समय देने के लिए कहा।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान बलों को शहर के भीतर देखा गया है, लेकिन अधिकांश विद्रोही शहर के बाहरी इलाके में रहते हैं।
अफगान गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गनी काबुल से ताजिकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं।
टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर, राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि वह सुरक्षा कारणों से अशरफ गनी के जाने के बारे में कुछ नहीं कह सकता।
तालिबान के एक प्रतिनिधि, जो रविवार को पहले राजधानी काबुल में प्रवेश कर गया, ने कहा कि समूह गनी के ठिकाने की जांच कर रहा है।
रविवार को तालिबान के शहर में घुसने के बाद गनी देश छोड़कर जा चुके हैं।
अफगान मीडिया ने बताया कि सूत्रों के मुताबिक, उनके साथ उनके करीबी सहयोगी भी देश छोड़कर चले गए हैं।
इससे पहले दिन में, कार्यवाहक रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह मोहम्मदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने देश में संकट को हल करने का अधिकार राजनीतिक नेताओं को सौंप दिया है।
मोहम्मदी ने कहा कि देश के हालात पर बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दोहा का दौरा करेगा।
प्रतिनिधिमंडल में यूनुस कानूननी, अहमद वली मसूद, मोहम्मद मोहकिक सहित प्रमुख राजनीतिक नेता शामिल हैं।
तालिबान के करीबी सूत्रों ने कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि गनी राजनीतिक समझौते के बाद इस्तीफा दे देंगे और सत्ता संक्रमणकालीन सरकार को सौंप देंगे।
अफगानों ने कहा है कि वे एक राजनीतिक समाधान चाहते हैं और देश में जारी हिंसा को समाप्त करना चाहते हैं।
अफगान मीडिया ने बताया कि इससे पहले, तालिबान को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए अफगान राष्ट्रपति भवन में बातचीत चल रही थी, जिसमें अब्दुल्ला ने इस प्रक्रिया में मध्यस्थता करने की बात कही थी।
सूत्रों ने यह भी कहा है कि अली अहमद जलाली को नई अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा। (आईएएनएस)
काबुल, 15 अगस्त (आईएएनएस)| अशरफ गनी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मुहिब और राष्ट्रपति फजल महमूद फाजली के प्रशासनिक कार्यालय के प्रमुख के साथ अफगानिस्तान से ताजिकिस्तान के लिए रवाना हुए। कुछ विधायक इस्लामाबाद भी भाग गए हैं। इससे पहले, अफगान संसद के अध्यक्ष मीर रहमान रहमानी, यूनुस कनुनी, मुहम्मद मुहाक, करीम खलीली, अहमद वली मसूद और अहमद जिया मसूद इस्लामाबाद भाग गए, अफगान मीडिया ने बताया।
राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक वीडियो क्लिप में कहा कि पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों को बदहाली और बदहाली में छोड़ दिया है और उसी के अनुसार उनका न्याय किया जाएगा।
तालिबान ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि लड़ाकों को काबुल शहर में प्रवेश करने का निर्देश दिया गया था, ताकि वे शहर में संभावित लूटपाट और अराजकता को रोक सकें।
बयान में कहा गया है कि चूंकि अफगान बलों ने काबुल शहर में चौकियों को छोड़ दिया है, इसलिए लूटपाट का खतरा है।
लड़ाकों द्वारा काबुल को ऐसे समय में लिया जाता है, जब सत्ता का हस्तांतरण अभी तक नहीं हुआ है और कहा जाता है कि एक प्रतिनिधिमंडल प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दोहा के लिए रवाना हो रहा है।
नई दिल्ली, 15 अगस्त| काबुल से 129 यात्रियों को लेकर एयर इंडिया का एक विमान रविवार शाम दिल्ली पहुंच गया। एआई 244 ने शाम 6.06 बजे उड़ान भरी थी। रविवार को काबुल हवाईअड्डे से जब तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी पहुंचे और वे अब सत्ता संभालने के करीब हैं।
एयर इंडिया के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस को बताया, हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और फिलहाल काबुल के लिए अपनी निर्धारित उड़ानें जारी रखे हुए हैं।
इसके अलावा, अधिकारी ने कहा कि काबुल के लिए अगली उड़ान सोमवार को सुबह 8.50 बजे उड़ान भरने वाली है।
अफगानिस्तान की स्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए विमान में सवार एक महिला ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि दुनिया ने अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ दिया है। हमारे दोस्त मारे जा रहे हैं।
यात्रियों में काबुल में भारतीय दूतावास में तैनात राजनयिक और सुरक्षा अधिकारी भी शामिल हैं।
अफगानिस्तान में स्थिति रविवार को और भी खराब हो गई, क्योंकि काबुल पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। इसके अलावा, राष्ट्रपति अशरफ गनी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मुहिब और राष्ट्रपति फजल महमूद फाजली के प्रशासनिक कार्यालय के प्रमुख के साथ ताजिकिस्तान के लिए अफगानिस्तान से रवाना हुए।
अफगान मीडिया ने बताया कि कुछ सांसद भी इस्लामाबाद भाग गए हैं, जिनमें अफगान संसद के अध्यक्ष मीर रहमान रहमानी, यूनुस कानूनी, मुहम्मद मुहकक, करीम खलीली, अहमद वली मसूद और अहमद जि़या मसूद शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक वीडियो क्लिप में कहा कि गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया।
जब से अमेरिकी सैनिकों ने युद्ध से तबाह देश से बाहर निकाला है, तालिबान पिछले कुछ हफ्तों में प्रांतों को अपने नियंत्रण में ले रहा है, जिससे विश्व स्तर पर चिंता बढ़ रही है।
जैसा कि अफगानिस्तान में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच भीषण लड़ाई के साथ, राजनयिकों सहित कई भारतीय नागरिकों को देश से निकाल लिया गया है। (आईएएनएस)
काबुल, 16 अगस्त | तालिबान ने काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने का दावा किया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को पहले देश छोड़ दिया, लेकिन महल की सही स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है। स्थानीय पत्रकार बिलाल सरवरी के अनुसार, जिन्होंने सीधी बातचीत में शामिल दो अफगानों से बात की, समझौते का एक हिस्सा यह था कि गनी महल के अंदर सत्ता परिवर्तन समारोह में शामिल होंगे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने और उनके वरिष्ठ सहयोगियों ने देश छोड़ दिया।
सहयोगियों ने कहा, महल के कर्मचारियों को कथित तौर पर छोड़ने के लिए कहा गया था और अब महल खाली हो गया है। तालिबान ने बाद में एक वैश्विक तार सेवा को बताया कि उन्होंने इसे अपने कब्जे में ले लिया है।
सरकारी अधिकारियों की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है।
तालिबान के दो अधिकारियों ने तार को बताया कि अफगानिस्तान में उनके प्रकाश व्यवस्था के बाद कोई संक्रमणकालीन सरकार नहीं होगी। तालिबान जो अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा उखाड़ फेंके जाने के बाद दो दशक बाद राजधानी में वापस आ गया है।
गनी के बारे में आंतरिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह ताजिकिस्तान के लिए रवाना हुए थे, जबकि विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उनका स्थान अज्ञात था और तालिबान ने कहा कि यह उनके ठिकाने की जांच कर रहा है।
कुछ स्थानीय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उन्हें अराजकता में छोड़ने के लिए उन्हें कायर करार दिया।
आंतरिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तार को बताया कि तालिबान लड़ाके हर तरफ से काबुल पहुंचे और शहर के चारों ओर छिटपुट गोलीबारी की कुछ खबरें आईं।
बीबीसी ने काबुल में एक अस्पताल चलाने वाले एक एनजीओ की रिपोर्ट में दावा किया है कि 40 से अधिक लोग उनके अस्पताल पहुंचे हैं। ज्यादातर काराबाग इलाके से आए हैं, जहां लड़ाई हो रही है।
ट्वीट, जिसे बीबीसी द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सकता, कहता है कि 22 लोगों का अस्पताल में इलाज किया गया है और अधिक मामूली चोटों वाले लोगों को अन्य सुविधाओं के लिए भेजा गया है।
अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी सुरक्षा अलर्ट के अनुसार, काबुल के हवाईअड्डे पर गोलीबारी की खबरें हैं।
अधिकारियों ने क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों को शरण लेने का निर्देश दिया है, क्योंकि काबुल में सुरक्षा की स्थिति तेजी से बदल रही है।
तालिबान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात बैनर के तहत एक बयान जारी कर कहा कि समूह को अब काबुल में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।
बयान में दावा किया गया है कि अफगान पुलिस और अन्य संबंधित संस्थानों ने अपने कर्तव्यों को छोड़ दिया और चोरी, लूटपाट और अपराध को रोकने के लिए, समूह की सेना को राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।
बयान में कहा गया, तालिबान काबुल में अफगान बलों द्वारा छोड़े गए क्षेत्रों को सुरक्षित करेगा।
इसने नागरिकों को आश्वस्त करने की मांग की कि बल न तो उनके घरों में प्रवेश करेंगे और न ही उन्हें परेशान करेंगे। (आईएएनएस)
काबुल, 16 अगस्त| अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी सहायता व्यय प्रहरी ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी सेना के पास अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (एएनडीएसएफ) की क्षमता को जानने का बहुत कम या कोई साधन नहीं है, जबकि मार्च 2021 तक अफगानिस्तान में सुरक्षा संबंधी पुनर्निर्माण पर 88.3 अरब डॉलर खर्च किया गया था। अफगान सरकार की सेवा करने वाले 300,699 फौजियों की तुलना में तालिबान के पास 80,000 सैनिक हैं, फिर भी पूरे देश को कुछ ही हफ्तों में प्रभावी ढंग से खत्म कर दिया गया है, क्योंकि सैन्य कमांडरों ने कुछ ही घंटों में बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया।
द गार्जियन ने बताया कि यह दो सेनाओं की कहानी है, एक वैचारिक रूप से अत्यधिक प्रेरित और दूसरी नाममात्र की अच्छी तरह से सुसज्जित, लेकिन नाटो के समर्थन पर निर्भर, खराब नेतृत्व वाली और भ्रष्टाचार से ग्रस्त।
नाटो ने अमेरिकी सेना को अफगान सैन्य क्षमता के बारे में लगातार आशावादी पाया, भले ही उसके पास उस आकलन के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं था।
उसने कहा, प्रहरी ने बल के भीतर भ्रष्टाचार के संक्षरक प्रभावों के बारे में बार-बार चेतावनी दी थी। उन्नत उपकरणों पर अपनी निर्भरता के साथ, और अपने रैंकों में व्यापक निरक्षरता के साथ, बल मजबूती से अपनी ताकत और युद्ध की तैयारी को बनाए नहीं रख सका।
वॉचडॉग ने कहा, खर्च किए गए 88.3 अरब डॉलर। सवाल यह है कि क्या उस पैसे को अच्छी तरह से खर्च किया गया था? अगर खर्च किया गया तो जमीन पर लड़ाई के नतीजे क्यों नहीं सामने आए?
रिपोर्ट की स्पष्ट चेतावनियों की अमेरिकी कांग्रेस द्वारा समीक्षा किए जाने की संभावना है क्योंकि वह यह समझने की कोशिश करती है कि अफगान सेना को प्रशिक्षण देने पर इतने बड़े खर्च से तालिबान का पतन कुछ ही हफ्तों में क्यों हो गया, जिससे पश्चिमी राजनेता हैरान और चकित रह गए।
यह इस सवाल को भी उठाता है कि बाइडेन प्रशासन ने कभी क्यों सोचा था कि एएनडीएसएफ ग्राउंड वाहनों के लिए एयर कवर, लॉजिस्टिक्स, रखरखाव और प्रशिक्षण सहायता सहित प्रमुख कौशल के लिए अमेरिका पर निर्भरता के दशकों के बाद अफगान बलों को अपने दम पर छोड़ना सुरक्षित था।
अतिरिक्त समस्या यह थी कि केंद्र सरकार एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही थी, जो सीमा शुल्क राजस्व के नुकसान और सहायता प्रवाह में गिरावट के कारण उत्पन्न हुई थी। कई अधिकारियों ने शिकायत की कि उन्हें महीनों से भुगतान नहीं किया गया है। (आईएएनएस)
काबुल, 15 अगस्त| तालिबान ने रविवार को राजधानी काबुल में प्रवेश किया और यह घोषणा करने को है कि उन्होंने देश पर कब्जा कर लिया है और अब यह अफगानिस्तान का इस्लामिक अमीरात है। प्रेस एसोसिएशन ने एक तालिबान अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी। द गार्जियन ने बताया कि यह घोषणा अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद काबुल में राष्ट्रपति भवन से किए जाने की उम्मीद है।
बीबीसी ने बताया कि तालिबान काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने का दावा कर रहे हैं।
राष्ट्रपति गनी ने रविवार को पहले देश छोड़ दिया, लेकिन महल की सही स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है।
स्थानीय पत्रकार बिलाल सरवरी के अनुसार, उन्होंने सीधी बातचीत में शामिल दो अफगानों से बात की, समझौते का एक हिस्सा यह था कि गनी महल के अंदर सत्ता परिवर्तन समारोह में शामिल होंगे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने और उनके वरिष्ठ सहयोगियों ने देश छोड़ दिया।
सहयोगियों ने कहा, महल के कर्मचारियों को कथित तौर पर छोड़कर जाने के लिए कहा गया था और अब महल खाली है। तालिबान ने बाद में एक वैश्विक तार सेवा को बताया कि उसने इसे अपने कब्जे में ले लिया है।
सरकारी अधिकारियों की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है।
तालिबान के दो अधिकारियों ने तार को बताया कि अफगानिस्तान में उनके प्रकाश व्यवस्था के बाद कोई संक्रमणकालीन सरकार नहीं होगी, जो दो दशक बाद अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा समूह को उखाड़ फेंकने के बाद राजधानी में वापस आ गई थी।
आंतरिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गनी ताजिकिस्तान के लिए रवाना हुए थे, जबकि विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उनका स्थान अज्ञात है और तालिबान ने कहा कि यह उनके ठिकाने की जांच कर रहा है।
कई मीडिया रिपोटरें के अनुसार, काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास में अमेरिकी ध्वज को हटा दिया गया है। अमेरिकी राजदूत और झंडा अब काबुल में हवाईअड्डे पर होने की सूचना है, अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता तालिबान से घिरा हुआ है और चरमपंथी विद्रोही बलों द्वारा नियंत्रित सड़क क्रॉसिंग है।
अंतिम रिपोर्टें थीं कि अमेरिकी दूतावास मंगलवार तक बंद कर दिया जाएगा और एक कंकाल-स्तरीय टीम द्वारा स्टाफ किया जा रहा था। गार्जियन ने बताया कि जमीन पर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
अफगानिस्तान में सीएनएन के रिपोर्टर क्लेरिसा वार्ड के अनुसार, हवाईअड्डे की सड़क यातायात से ठप है, क्योंकि अफगान लोग उड़ान भरने या बाहर निकलने के लिए उस तक पहुंचने की सख्त कोशिश करते हैं। (आईएएनएस)
काबुल, 15 अगस्त| सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने रविवार को अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह देश की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। मलाला ने ट्विटर पर लिखा, हम पूरे सदमे में हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। मैं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के पैरोकारों के बारे में बहुत चिंतित हूं।
मलाला ने जोर देकर कहा कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय शक्तियों को तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना चाहिए और युद्धग्रस्त देश में तत्काल मानवीय सहायता और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए। (आईएएनएस)
-ख़ुदा-ए-नूर नासिर
अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिणी प्रांत कंधार की राजधानी के मुख्य स्थान कंधार शहर से अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल तक जाने वाली सड़क के आसपास का अधिकांश क्षेत्र अब तालिबान के नियंत्रण में है.
इस रास्ते पर पड़ने वाले बड़े शहरों में से केवल तीन या चार पर ही अफ़ग़ान सरकार का कंट्रोल है. कंधार के रहने वाले एक व्यक्ति दाऊद (बदला हुआ नाम) ने हाल ही में कंधार से काबुल तक सड़क मार्ग से यात्रा की और बीबीसी उर्दू को अपनी यात्रा का आँखों देखा हाल सुनाया.
कंधार शहर से निकलते ही तालिबान के सफेद झंडे दिखने शुरू हो जाते हैं. जगह-जगह सड़क के दोनों ओर तालिबान के लोग खड़े नज़र आते हैं.
कई जगहों पर अफ़ग़ान सेना से जंग के बाद ज़ब्त की गई गाड़ियां भी दिखाई देती हैं, जिन पर तीन रंगों वाले अफ़ग़ान झंडे के बजाय सफेद झंडा लहरा रहा है.
कंधार शहर से ज़ाबुल प्रांत की राजधानी कलात शहर तक, सड़क के आस-पास के सभी क्षेत्र तालिबान के नियंत्रण में दिखाई दिए और कंधार शहर से निकलने के बाद पहली बार, कलात शहर के अंदर अफ़ग़ान सेना नज़र आई.
कलात के बाद काबुल तक, पूरे रास्ते में भी अफ़ग़ान सरकार का अधिकार केवल शहरों में ही था जबकि शहरों के बाहरी इलाक़े से लेकर दूरदराज़ के गाँवों तक सभी क्षेत्रों में तालिबान का प्रभुत्व नज़र आया.
रास्ते में, तालिबान लड़ाकों ने उन सभी चौकियों पर अपने झंडे लगाए हुए थे, जहाँ इससे पहले अफ़ग़ान सेना के चेक पोस्ट और क़िले होते थे.
तालिबान रास्ते में हर गाड़ी को नहीं रोकते और न ही सभी गाड़ियों की तलाशी लेते हैं, लेकिन जिनके बारे में तालिबान के जासूसी नेटवर्क ने उन्हें पहले से सूचित किया हो, उस गाड़ी को रोक कर उसमे मौजूद व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही थी.
तालिबान का जासूसी नेटवर्क
दाऊद सहित उस रास्ते पर यात्रा करने वाले दो अन्य लोगों के अनुसार, तालिबान के जासूस कंधार और काबुल के ठिकानों सहित रास्ते में सभी बस स्टॉप और महत्वपूर्ण स्थानों पर पाए जाते हैं, जो इस रास्ते पर आने-जाने वाले सभी व्यक्तियों पर नज़र रखते हैं.
जहां भी वे किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं, जिस पर उन्हें किसी तरह का संदेह होता है, वे उसका पीछा करते हैं और वह व्यक्ति जिस गाड़ी में यात्रा करता है, जासूस, उस गाड़ी का नंबर और संदिग्ध के हुलिये की जानकारी फ़ोन के ज़रिए रास्ते में मौजूद अपने साथियों को दे देते हैं.
दाऊद ने बीबीसी को बताया कि यात्रा के दौरान कई बार ऐसा हुआ कि तालिबान जिन लोगों को पूछताछ के लिए नीचे उतारते थे, उनमें ज़्यादातर लोग सरकारी कर्मचारियों, अफ़ग़ान सेना या पुलिस विभाग से संबंध रखने वाले, या उन लोगों की होती थी, जिन पर तालिबान विरोधी होने का संदेह हो.
स्मार्टफ़ोन के बिना यात्रा
कंधार से क़ाबुल या क़ाबुल से कंधार तक यात्रा करने के लिए इस रास्ते पर जाने वाले अधिकांश लोग अपने साथ कोई स्मार्टफ़ोन नहीं ले जाते हैं. दाऊद ने भी अपने स्मार्टफ़ोन को गाड़ी में अपने सामान में छिपा कर रखा और एक सामान्य फ़ोन सेट के साथ यह यात्रा शुरू की.
दाऊद का कहना है कि इस रास्ते पर लोग अपने साथ स्मार्टफ़ोन इसलिए नहीं ले जाते हैं क्योंकि अगर तालिबान ने पकड़ लिया तो वे फ़ोन का सारा डेटा चेक करते हैं और फ़ोन में मौजूद तस्वीरों पर भी पूछताछ करते हैं.
दाऊद अपने एक अन्य दोस्त का हवाला देते हुए बताते हैं कि तालिबान ने उनके एक दोस्त के मोबाइल फ़ोन में एक महिला की तस्वीर देखी, तो उनसे (उनके दोस्त से) पूछा कि यह महिला कौन है?
उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि वह उनकी पत्नी है, तो तालिबान ने न केवल उस व्यक्ति को थप्पड़ मारा, बल्कि उसका मोबाइल फ़ोन भी यह कहते हुए तोड़ दिया, कि "महिलाओं की तस्वीरें लेने से अश्लीलता और नग्नता फैलती है."
दाऊद ने बताया कि अगर किसी यात्री के फ़ोन में किसी अफ़ग़ान सेना या अफ़ग़ान पुलिस अधिकारी की तस्वीर मिलती है, तो उसे उतार लिया जाता है और उस तस्वीर के बारे में उससे पूरी जानकारी ली जाती है.
तालिबान ऐसे लोगों पर अफ़ग़ान सेना या पुलिसकर्मी होने का संदेह करते हैं और अगर ऐसा होता है तो उनका वहीं से अपहरण कर लेते हैं. दाऊद ने बीबीसी को तालिबान के पूछताछ करने के अंदाज़ और अनोखे तरीक़ों के बारे में भी जानकारी दी.
अपने एक परिचित के बारे में वह बताते हैं कि उनके मोबाइल फ़ोन में कुछ अफ़ग़ान अधिकारियों की तस्वीरें मिली थी, जिसके बाद तालिबान ने उन्हें उतार लिया और उन्हें पास की एक चौकी पर ले गए.
बीबीसी के साथ साझा की गई इस घटना में, उन्होंने बताया कि तालिबान ने उस व्यक्ति के मोबाइल फ़ोन में डायल लिस्ट में मौजूद एक नंबर पर फ़ोन किया. कॉल रिसीव होने पर, तालिबान ने अपना परिचय एक अफ़ग़ान पुलिस अधिकारी के रूप में दिया और कहा कि वह जिस व्यक्ति के नंबर से कॉल कर रहे हैं, उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए उन्हें इनके बारे में जानकारी दें ताकि उनकी मदद की जा सके.
जवाब में फ़ोन करने वाले ने जो जानकारी दी उससे यह साबित हुआ कि तालिबान ने जिस व्यक्ति को पकड़ा है उसका पुलिस या सेना से कोई संबंध नहीं था. हालांकि, तालिबान ने उसे रिहा करने से पहले उसका फ़ोन पूरी तरह से तोड़ दिया.
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दाऊद ने बीबीसी को बताया कि काबुल और कंधार के बीच इस रास्ते पर यात्रा करते समय बहुत से लोग स्मार्टफ़ोन न ले जाने के साथ-साथ एक अफ़ग़ान टेलिकॉम कंपनी का सिम कार्ड भी साथ नहीं ले जाते हैं.
क्योंकि किसी भी व्यक्ति के पास जब ये विशेष सिम कार्ड मिलता है, तो तालिबान उन्हें ज़बरदस्ती उस सिम कार्ड को चबा का खाने पर मजबूर कर देते हैं. अफ़ग़ानिस्तान की सरकारी टेलिकॉम कंपनी 'सलाम' लंबे समय से तालिबान की हिट लिस्ट में है.
पूर्व में तालिबान ने देश के कई प्रांतों में काम करने वाली मोबाइल कंपनियों को रात में सिग्नल बंद करने की धमकी दी थी, जिसके बाद उनमें से कई कंपनियों ने इस मांग को स्वीकार कर लिया था.
लेकिन चूंकि सलाम टेलिकॉम एक सरकारी कंपनी थी, इसलिए उन्होंने कभी भी तालिबान की बात नहीं मानी और कहा जाता है कि इसी वजह से तालिबान आज तक इस मोबाइल कंपनी के ख़िलाफ़ है.
तालिबान कई इलाक़ों में रात में मोबाइल सिग्नल बंद करने का दबाव इसलिए डालते थे, क्योंकि उनके मुताबिक़ रात में ही मोबाइल फ़ोन के ज़रिये उनके लड़ाकों की जासूसी होती थी, जिसके बाद अफ़ग़ान सेना उनके ठिकानों पर हवाई या ज़मीनी हमले करते हैं. (bbc.com)
कुआलालंपुर, 14 अगस्त| मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहीद्दीन यासीन ने संसद में उनके प्रधानमंत्री पद के लिए आगामी विश्वास मत में उनकी सरकार का समर्थन करने के लिए सभी दलों के सांसदों से अपील की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को एक टेलीविजन भाषण में, मुहीद्दीन ने स्वीकार किया कि कई सांसदों ने उनकी सरकार के लिए समर्थन वापस ले लिया था, जिससे उनके प्रीमियर और उनकी सरकार की वैधता पर संदेह पैदा हो गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के तहत उनके पास दो विकल्प हैं, या तो राजा को संसद भंग करने की सलाह देना या नए प्रधानमंत्री के लिए रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा देना।
लेकिन मुहीद्दीन ने जोर देकर कहा कि वर्तमान में कोई भी सांसद संसद के निचले सदन में बहुमत का समर्थन नहीं करता है, इसलिए कोई नया प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता, जिसका मतलब है कि देश कोविड-19 महामारी के बीच में सरकार के बिना होगा।
मुहीद्दीन ने कहा कि वह द्विदलीय राजनीतिक सहयोग के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करेंगे, सभी सांसदों और सीनेटरों के लिए वित्तीय आवंटन, राजनीतिक दलों की परवाह किए बिना करेंगे।
उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि विपक्ष द्वारा निभाई गई भूमिका को मान्यता देने के लिए विपक्षी नेता को एक वरिष्ठ मंत्री का दर्जा दिया जाए।
हालांकि, ये तभी लागू होंगे जब संसद में उनके लिए विश्वास मत को मंजूरी दी जाएगी।
उन्होंने कहा, "अगर द्विदलीय सहयोग के प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है, तो मैं जल्द ही प्रधानमंत्री के लिए विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाऊंगा।"
मुहीद्दीन ने पहले कहा था कि वह यह तय करने के लिए सितंबर में विश्वास मत मांगेंगे कि क्या उन्हें देश के संसद के निचले सदन के सदस्यों के बीच बहुमत का समर्थन प्राप्त है।
उनकी घोषणा संयुक्त मलेशियाई राष्ट्रीय संगठन (यूएमएनओ) के अध्यक्ष अहमद जाहिद हमीदी के बाद हुई है, जो सत्तारूढ़ मुहीद्दीन गठबंधन के एक घटक हैं। उन्होंने कई सांसदों के साथ प्रधानमंत्री के लिए यूएमएनओ के समर्थन को वापस लेने की घोषणा की।
मुहीद्दीन पिछले साल प्रधानमंत्री बनने के बाद से कम बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हैं और यूएमएनओ की वापसी से उनके पास शासन जारी रखने के लिए अपर्याप्त सांसदों की संख्या हो सकती है। (आईएएनएस)
लंदन, 14 अगस्त | भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर फारूख इंजीनियर ने भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन का खेल शुरू होने से पहले शनिवार को लॉर्ड्स में घंटी बजाई। फारूख ने 1961 से 1975 तक भारत के लिए 46 टेस्ट खेले हैं और 2611 रन बनाए हैं जिसमें दो शतक और 16 अर्धशतक शामिल हैं। विकेट के पीछे उन्होंने 66 कैच पकड़े और 16 स्टंपिंग की।
फारूख ने भारत के लिए वनडे में पांच मैच खेले हैं जिसमें 114 रन बनाए और एक अर्धशतक जड़ा।
वह उन भारतीयों में शामिल हैं जिन्होंने काउंटी क्रिकेट में हिस्सा लिया है। उन्होंने लंकाशायर के लिए 1968 से 1976 तक 175 मैच खेले जिसमें 5942 रन बनाए।
लॉर्डस में एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर, प्रशासक या खेल के जाने-माने लोगों द्वारा टेस्ट मैच के दौरान पांच मिनट की घंटी बजना एक परंपरा है जो 2007 में शुरू हुई थी। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 14 अगस्त | फेसबुक ने घोषणा की है कि वह मैसेंजर पर वॉयस और वीडियो कॉल को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड बनाने के विकल्प के साथ-साथ गायब होने वाले संदेशों के लिए अपडेटेड कंट्रोल का विकल्प पेश कर रहा है। मैसेंजर के उत्पाद प्रबंधन निदेशक रूथ क्रिकेली ने एक में कहा,लोग उम्मीद करते हैं कि उनके मैसेजिंग ऐप सुरक्षित और निजी होंगे, और इन नई सुविधाओं के साथ हम उन्हें इस बात पर अधिक नियंत्रण दे रहे हैं कि वे अपनी कॉल और चैट को कितना निजी रखना चाहते हैं।
कंपनी ने कहा कि 2016 के बाद से उन्होंने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ वन-ऑन-वन टेक्स्ट चैट को सुरक्षित करने का विकल्प दिया है। पिछले एक साल में, मैसेंजर पर एक दिन में 150 मिलियन से अधिक वीडियो कॉल के साथ ऑडियो और वीडियो कॉलिंग के उपयोग में वृद्धि देखी गई।
क्रिकेली ने कहा,अब हम इस चैट मोड में कॉलिंग की शुरूआत कर रहे हैं ताकि आप अपने ऑडियो और वीडियो कॉल को इसी तकनीक से सुरक्षित कर सकें, यदि आप चुनते हैं।
व्यक्तिगत बातचीत को हैकर्स और अपराधियों से सुरक्षित रखने के लिए व्हाट्सएप जैसे ऐप्स द्वारा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पहले से ही व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
कंपनी ने कहा, आपके संदेशों और कॉल की सामग्री एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड बातचीत में उस क्षण से सुरक्षित है जब यह आपके डिवाइस को रिसीवर के डिवाइस तक पहुंचाता है।
कंपनी ने कहा कि उसने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड चैट के भीतर एक्सपायरिंग मैसेज फीचर को भी अपडेट किया है।
आने वाले हफ्तों में, कुछ लोगों को इन पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड चैट के भीतर और अधिक परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त हो सकती है जो लोगों को उनकी बातचीत में अधिक गोपनीयता और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
कंपनी ने कहा, हम उन दोस्तों और परिवार के लिए वॉयस और वीडियो कॉल सहित ग्रुप चैट के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का परीक्षण शुरू करेंगे, जिनके पास पहले से ही एक मौजूदा चैट थ्रेड है या पहले से जुड़ा हुआ है।
कंपनी ने कहा कि वह कुछ देशों में वयस्कों के साथ एक सीमित परीक्षण भी शुरू करेगी। जो उन्हें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संदेशों के लिए ऑप्ट-इन करने और इंस्टाग्राम पर आमने-सामने बातचीत के लिए कॉल करने की सुविधा देता है। (आईएएनएस)
काबुल, 14 अगस्त | तालिबान और अफगान सरकारी बलों के हिंसा जारी है। इस बीच राष्ट्र के नाम एक संबोधन में राष्ट्रपति अशरफ गनी ने शनिवार को देश में और रक्तपात को रोकने का संकल्प लिया है। गनी ने कहा कि अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (एएनडीएसएफ) को फिर से संगठित करने के उपाय चल रहे हैं।
टोलो न्यूज ने गनी के हवाले से कहा, "मौजूदा स्थिति में, सुरक्षा और रक्षा बलों को फिर से संगठित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस उद्देश्य के लिए आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।"
उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, "मुझे पता है कि आप अपने वर्तमान और भविष्य के बारे में चिंतित हैं, लेकिन मैं आपको आपके राष्ट्रपति के तौर पर आश्वस्त करता हूं कि मेरा ध्यान मेरे लोगों की अस्थिरता, हिंसा और विस्थापन को रोकने पर है।"
राष्ट्रपति ने कहा, "ऐसा करने के लिए, मैंने राजनीतिक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सरकार के भीतर और बाहर व्यापक विचार-विमर्श शुरू किया है और मैं जल्द ही लोगों के साथ परिणाम साझा करूंगा।"
गनी ने कहा कि वह चल रहे युद्ध को और अधिक लोगों की जान लेने, सार्वजनिक संपत्ति के विनाश और निरंतर अस्थिरता की अनुमति नहीं देंगे।
उनकी टिप्पणी तब आई है, जब तालिबान अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और अब तक हेरात, कंधार और गजनी जैसे प्रमुख शहरों सहित कुछ 18 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है।
मई में शुरू हुए अमेरिकी नेतृत्व वाले बलों की वापसी के बाद से देश में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ने लगी है।
समूह अब बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ और फराह प्रांत के मैमाना पर कब्जा करने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखे हुए है।
हिंसा की वजह से हाल के दिनों में देश भर में हजारों अफगानों की मौत हुई है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। (आईएएनएस)
लंदन, 14 अगस्त | ब्रिटेन के रक्षा सचिव बेन वालेस ने कहा कि अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अमेरिका का फैसला एक 'गलती' है, जिसने तालिबान को देश में एक 'गति' प्रदान की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को स्काई न्यूज से बात करते हुए, वालेस ने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा दोहा, कतर में वापसी समझौता एक 'बेकार सौदा' था।
वालेस ने कहा, "ट्रम्प के समय, जाहिर तौर पर तालिबान के साथ, मुझे लगा कि इस तरह से ऐसा करना एक गलती थी। हम सभी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में शायद इसका परिणाम भुगतेंगे।"
"मैं सार्वजनिक रूप से इसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं और जब अमेरिकी फैसलों की बात आती है तो यह काफी दुर्लभ बात है, लेकिन रणनीतिक रूप से यह बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है और एक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के रूप में, आज हम जो देख रहे हैं, वह बहुम मुश्किल परिस्थिति है।"
रक्षा सचिव ने कहा, "बेशक मैं चिंतित हूं, इसलिए मुझे लगा कि यह निर्णय लेने का सही समय नहीं है क्योंकि अल कायदा वापस आ जाएगा और निश्चित रूप से वह उस प्रकार के बीडिंग ग्राउंड को पसंद करेगा।"
देश से ब्रिटिश सैनिकों की वापसी के बारे में बात करते हुए, वालेस ने कहा कि ब्रिटेन के पास अपनी सेना को बाहर निकालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को वहां एक साथ काम करना था।
रक्षा सचिव ने यह भी पुष्टि की कि ब्रिटिश नागरिकों और दुभाषियों को देश छोड़ने में मदद करने के लिए ब्रिटेन अफगानिस्तान में 600 सैनिकों को तैनात करेगा।
अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि वह दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए काबुल हवाई अड्डे पर हजारों सैनिकों को तैनात करेगा।
1 मई से शुरू हो रहे अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की वापसी के बाद से युद्धग्रस्त देश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
तालिबान का दावा है कि उसने अब तक 10 से अधिक प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। (आईएएनएस)
काबुल, 14 अगस्त | तालिबान ने दावा किया है कि उसने पिछले एक सप्ताह में एक दर्जन से अधिक प्रांतीय राजधानी पर पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में दो और राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया कि विद्रोहियों ने उरुजगन प्रांत की राजधानी तिरिन कोट और घोर प्रांत की राजधानी फिरोज कोह पर कब्जा कर लिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि लोगार प्रांत की राजधानी पुल-ए-आलम के अधिकांश हिस्से तालिबान के कब्जे में आ गए हैं, और शहर में एक खुफिया एजेंसी के कार्यालय और दो सैन्य ठिकानों पर संघर्ष जारी है।
राष्ट्रीय राजधानी काबुल से लगभग 60 किलोमीटर दक्षिण में पुल-ए-आलम में शुक्रवार तड़के से भारी झड़पें हुई हैं।
इस बीच, अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पुल-ए-आलम के बाहरी इलाके में हवाई हमले के बाद कम से कम 21 तालिबानी आतंकवादी मारे गए।
मंत्रालय के अनुसार, अफगान वायु सेना द्वारा की गई छापेमारी में आतंकवादियों का एक वाहन, हथियार और गोला-बारूद नष्ट हो गया।
अफगान सरकार ने अभी तक तालिबान के तिरिन कोट और फिरोज कोआह पर कब्जा करने के दावे की पुष्टि नहीं की है।
हेरात प्रांत में तालिबान ने कहा कि पूर्व सोवियत विरोधी जिहादी नेता इस्माहिल खान ने प्रांतीय अधिकारियों, सैन्य कमांडरों और सैकड़ों सैनिकों के साथ तालिबान सदस्यों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
तालिबान सदस्यों ने गुरुवार को हेरात शहर पर कब्जा कर लिया।
इससे पहले अगस्त में, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने कई प्रांतीय राजधानियों में नागरिकों की सुरक्षा के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की थी। (आईएएनएस)
अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा संकट पर अमेरिका की आलोचना करते हुए ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा है कि राष्ट्रपति बाइडन का अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने का फ़ैसला एक 'गलती' थी. उनके अनुसार, अमेरिका के इस क़दम ने ही अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को 'मज़बूती' मिली है.
स्काई न्यूज़ से बात करते हुए, बेन वालेस ने चेताया है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी का खामियाज़ा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि वहॉं अल-क़ायदा फिर से अपनी जड़ें जमा लेगा.
दोहा समझौता पर सवाल
ब्रितानी रक्षा मंत्री ने अफ़ग़ानिस्तान से फौज को वापस बुलाने के लिए अमेरिका के पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन द्वारा क़तर की राजधानी दोहा में तालिबान के साथ किए गए समझौते को 'बेकार सौदा' क़रार दिया है. उन्होंने बताया कि ब्रिटेन ने इसका विरोध करने की कोशिश की थी.
वालेस ने कहा, "मुझे लगता है कि दोहा में हुआ सौदा बेकार था. इसने उस तालिबान को जो जीत नहीं रहा था, उसे बताया कि वह जीत रहा है. इस समझौते ने अफ़ग़ानिस्तान की सरकार को कमज़ोर कर दिया. आज हम वहॉं तालिबान को लगातार मज़बूत होते देख रहे हैं.''
'दोहा समझौता का समर्थन करना हमारी मजबूरी'
हालांकि ब्रिटेन द्वारा उस समझौते का समर्थन करने को उन्होंने अपनी मजबूरी क़रार दिया है. वालेस ने कहा कि ब्रिटेन के पास अफ़ग़ानिस्तान से सैनिकों को बाहर निकालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ही चलना था.
उन्होंने कहा, "मैं अमेरिका के फ़ैसले का मुखर आलोचक रहा हूँ. अमेरिका के उस फ़ैसले ने रणनीतिक रूप से बहुत सी समस्याएं पैदा कर दी. आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए मौजूदा स्थिति बहुत कठिन है.''
आने वाले वक़्त में अफ़ग़ानिस्तान में चरमपंथ के पनपने की जगह बन जाने के ख़तरे के बारे में वालेस ने कहा, "असफल देश पहले भी आतंकी समूहों के पनपने की जगह रहे हैं. इसे लेकर मैं चिंतित था. मेरा मानना है कि वह अफ़ग़ानिस्तान से लौटने का फ़ैसला लेने का सही वक़्त नहीं था क्योंकि इससे अल-क़ायदा शायद वापस आ जाएगा."
"अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका जा रहा है और उसके साथ हम भी जा रहे हैं. इसी के साथ, हम एक बहुत बड़ी समस्या तालिबान को भी छोड़े जा रहे हैं. ज़ाहिर है, हम इसे पसंद नहीं करेंगे. मैंने उस ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लाने की कोशिश भी की लेकिन यह देखकर डर गया कि उस समुदाय की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी.
अनुवादकों और ब्रितानी नागरिकों को निकालेंगे 600 ब्रितानी सैनिक
वालेस ने क़रीब 3,000 अनुवादकों और ब्रितानी पासपोर्ट धारकों को सुरक्षित अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए 600 ब्रितानी सैनिकों को वहॉं तैनात करने का ऐलान किया है.
वह इसलिए कि शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया था कि तालिबान ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार के साथ दक्षिण में हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्कर गाह पर कब्जा कर लिया था.
काबुल, 14 अगस्त | अफगानिस्तान में उरुजगान प्रांत के गवर्नर मोहम्मद उमर शेरजाद ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि लोगों ने उनसे तालिबान लड़ाकों का विरोध नहीं करने को कहा था, ताकि लोग मारे न जाएं और शहर क्षतिग्रस्त नहीं हो। यह जानकारी मीडिया रिपोर्टो में दी गई। वीडियो में, शेरजाद ने कहा कि कबायली बुजुर्गों और राजनीतिक नेताओं ने उन्हें रक्तपात से बचने के लिए तालिबान का कोई प्रतिरोध नहीं करने के लिए कहा है, इसलिए उन्होंने आतंकवादी लड़ाकों को नियंत्रण सौंप दिया।
तालिबान ने पिछले 24 घंटों में छह प्रांतीय राजधानियों को गिरा दिया है, जिससे लड़ाकों की कुल संख्या 18 हो गई है।
पिछले 24 घंटों में कंधार, हेलमंद, हेरात, बडघिस, घोर, लोगर, जाबुल और ओरुजगान प्रांत पर तालिबान का कब्जा हो गया है।
इन प्रांतों के अलावा, पक्तिया और वर्दक जैसे अन्य प्रांत भी हैं, जहां अफगान सरकार की सेना केवल प्रांतीय राजधानियों को नियंत्रित करती है, जबकि तालिबान शेष भूगोल को नियंत्रित करता है।
तालिबान ने शुक्रवार को पुष्टि की कि उन्होंने हेरात के पूर्व गवर्नर, सरदार इस्माइल खान और उनके कई शीर्ष सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है।
हेरात प्रांत में, पूर्व जिहादी नेता इस्माइल खान, उप आंतरिक मंत्री अब्दुर्रहमान रहमान, गवर्नर अब्दुलसाबोर कानी, अफगान नेशनल आर्मी जफर के कमांडर और राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के स्थानीय कार्यालय के प्रमुख ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
अफगान प्रेसिडेंशियल पैलेस से केवल दो घंटे की दूरी पर स्थित लोगार प्रांत में भी राजधानी पोल-ए-आलम में तालिबान और अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के बीच भारी संघर्ष देखा गया।
प्रांत में स्थानीय लोगों द्वारा कैप्चर किए गए वीडियो से पता चलता है कि केंद्रीय जेल को तोड़ा गया है और जेल से भाग रहे कई कैदी हैं, हालांकि अफगान सरकार ने अभी तक जेल या प्रांत के पतन के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
तालिबान के लाभ में वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला दोहा से काबुल पहुंचे और राजनेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं।(आईएएनएस)
सुरक्षा से जुड़े खतरों और स्थानीय लोगों की नाराजगी के बावजूद, चीन लगातार पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. निवेश के बहाने वहां की अर्थव्यवस्था को अपने कब्जे में ले रहा है.
डॉयचे वैले पर एस खान की रिपोर्ट-
चीन ने वर्ष 2015 में पाकिस्तान में 50 बिलियन डॉलर से अधिक की एक आर्थिक परियोजना की घोषणा की थी. इसका नाम चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) है. सीपीईसी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से जुड़ी अरबों डॉलर की परियोजना है.
इसका उद्देशय पाकिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना और देश के पश्चिम में स्थित ग्वादर बंदरगाह को पश्चिमी चीन से जोड़ना था. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के जरिए पाकिस्तान में 46 बिलियन डॉलर का निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. अब इसे बढ़ाकर 65 अरब डॉलर करने का अनुमान है.
सीपीईसी के पहले चरण के दौरान, चीनी धन की मदद से बिजली और सड़क जैसी दर्जनों परियोजनाओं से जुड़ी संरचनाएं बेहतर की गई. दूसरा चरण पिछले साल दिसंबर में शुरू हुआ है. इसमें विनिर्माण क्षमताएं बढ़ाने और नए रोजगार पैदा करने जैसी 27 परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
चीन न सिर्फ पाकिस्तान के मुख्य हिस्सों में, बल्कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत जैसे इलाकों को विकसित करने के लिए पैसा खर्च कर रहा है. चीन के निवेश पर पाकिस्तान के कई लोग उत्साहित हैं. वे कहते हैं कि पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने के लिए, चीनी निवेश की जरूरत है.
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से देश की आर्थिक स्थिति को काफी नुकसान पहुंचा है. दसियों हजार कारोबार बंद हो गए. 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी चली गई.
अर्थव्यवस्था के लिए ‘आशीर्वाद'
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत 2004 और 2015 के बीच इस्लामी आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित था. इस क्षेत्र के जनजातीय इलाकों को इस्लामी चरमपंथियों का केंद्र माना जाता था. इनमें अल-कायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल थे.
इलाके की कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पश्चिम के कई देश और कारोबारी यहां निवेश करने को तैयार नहीं थे. कराची चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष कैसर अहमद शेख कहते हैं कि चीन पश्चिमी देशों की तरफ से छोड़ी गई खाई को पाटने के लिए आगे बढ़ा है.
खैबर पख्तूनख्वा विमिंस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की अनिला खालिद का मानना है कि चीनी निवेश पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए "आशीर्वाद का स्रोत” है. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "चीन ने सीपीईसी के तहत हमारे प्रांत में निवेश किया. बिजली और अन्य बुनियादी ढांचों को बेहतर बनाया. अब यह स्वच्छता और अन्य परियोजनाओं में भी निवेश कर रहा है.”
खतरों की परवाह नहीं
सिंध के दक्षिणी प्रांत में चीनी कंपनियों ने ना सिर्फ कई सीपीईसी परियोजनाओं को पूरा किया है, बल्कि पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (पीएसएक्स) कंपनी में 40% हिस्सेदारी भी खरीदी है.
कराची के प्रमुख व्यवसायी और पीएसएक्स के निदेशक अहमद चिनॉय ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीनियों के पास अब पीएसएक्स के प्रबंध निदेशक, मुख्य वित्तीय अधिकारी और मुख्य नियामक अधिकारी को नियुक्त करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि इस तरह की नियुक्तियों के लिए निदेशक मंडल का समर्थन होना चाहिए.
पिछले जून में बलूच विद्रोहियों ने स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया था. ये विद्रोही उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत में चीनी निवेश से नाराज थे. हालांकि ऐसा लगता है कि चीन को इस तरह के खतरों की कोई परवाह नहीं है.
कई स्रोतों ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीन कराची में एक पावर यूटिलिटी खरीदने की योजना बना रहा है. यह देश की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनियों में से एक है. एक क्षेत्रीय सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "चीन सिंध में हर जगह निवेश करने की कोशिश कर रहा है.” उन्होंने बताया कि हाल ही में, पांच जिलों में चीनी कंपनियों को साफ-सफाई के अनुबंध दिए गए थे.
कई कारोबारियों, कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन और विभिन्न ट्रेड यूनियन सदस्यों ने अधिकारी के दावे की पुष्टि की. उन्होंने चीनी कंपनियों को ऐसे ठेके देने के लिए सरकार पर गुस्सा जाहिर किया. उनका मानना है कि ऐसा करने पर नागरिक निकाय के अधिकार कम होंगे.
कराची में आवामी वर्कर्स पार्टी के महासचिव खुर्रम अली का दावा है कि सिंध में तेल के कई कुएं भी चीनी कंपनियों को दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि पहले ब्रिटिश पेट्रोलियम जैसी पश्चिमी कंपनियां ऐसे कुओं का संचालन करती रही हैं.
बलूचिस्तान में चीन की मौजूदगी
बलूचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह इसी प्रांत में स्थित है. इस बंदरगाह का संचालन चीनी कंपनी करती है. प्रांत में पिछले 17 वर्षों में कई आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें कुछ हमलों में चीनी लोगों और चीनी कंपनियों को निशाना बनाया गया था.
बलूच विद्रोही क्षेत्र को आजाद कराने के लिए पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं. उन्होंने पुलिस और सेना को निशाना बनाने के अलावा अक्सर गैर-बलूच के साथ-साथ बलूच विरोधियों पर भी हमला किया है.
इस क्षेत्र को निवेश के लिहाज से जोखिम भरा माना जाता है. इसके बावजूद, ऐसा लगता है कि चीन को अब तक प्रांत में पैसा लगाने में कोई परेशानी नहीं है. वे कई अन्य प्रमुख परियोजनाओं के साथ ग्वादर में एक हवाई अड्डे का निर्माण कर रहे हैं.
ग्वादर शहर निवासी और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के पूर्व सलाहकार रहीम जफर ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीनियों ने ग्वादर बंदरगाह के समीप तीन कारखाने स्थापित किए, जो सीपीईसी का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वे मछली पकड़ने के कारोबार में भी शामिल हैं और गहरे समुद्र में ट्रॉलर ला रहे हैं. साथ ही, वे बेतरतीब तरीके से मछली पकड़ रहे हैं और स्थानीय लोगों को मछली नहीं पकड़ने दे रहे हैं.”
बलूचिस्तान सरकार के पूर्व प्रवक्ता जान मुहम्मद बुलेदी ने डीडब्ल्यू को बताया कि चीनी कारोबारी प्रांत के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय लोगों के साथ मिलकर संगमरमर और खनिज निकालने का काम कर रहे हैं.
सस्ते मजदूर और ज्यादा लाभ?
लाहौर स्थित विश्लेषक अहसान रजा का मानना है कि पिछले साल लगभग 100 चीनी निवेशकों के साथ प्रधानमंत्री इमरान खान की बैठक हुई थी. इससे चीनी निवेशक पाकिस्तान में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हुए.
रजा ने कहा, "सरकार ने आम तौर पर निवेशकों और विशेष रूप से चीनी निवेशकों के लिए नियामक ढांचे में सुधार किया है. इसलिए, वे हॉस्पिटैलिटी, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, कंसल्टेंसी और अन्य क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं.”
कराची चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रमुख शेख का मानना है कि सस्ती मजदूरी और ज्यादा लाभ चीनियों को पाकिस्तान में निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "प्रतिस्पर्धा भी कम है क्योंकि सरकार ने सभी निवेशकों के लिए छूट और विशेषाधिकारों की घोषणा की है. हालांकि, पश्चिमी देश के कारोबारी पाकिस्तान में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हैं.”
पाकिस्तान में कुछ कारोबारी दावा करते हैं कि सार्वजनिक अनुबंधों के मामले में चीनी कंपनियों को तरजीह दी जा रही है. हालांकि, सरकार ऐसे आरोपों को खारिज करती है. सत्तारूढ़ दल के सांसद फजल मुहम्मद खान ने डीडब्ल्यू को बताया, "हम न तो चीनी कंपनियों को कोई तरजीह देते हैं और न ही अनुबंधों को समाप्त करते हैं. हम हितों के टकराव और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हैं. चीनी और पश्चिमी, दोनों के लिए मैदान खुला है.” (dw.com)
लंदन, 13 अगस्त | इंग्लैंड और भारत के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन शुक्रवार को लॉर्डस लाल रंग से रंग जाएगा। रेड फॉर रूथ दिवस पर, दोनों टीमों के खिलाड़ी रूथ स्ट्रॉस फाउंडेशन के लोगो और रेड प्लेइंग नंबरों के साथ विशेष कमोमोरेटिव शर्ट पहनेंगे। रूथ दिवस के लिए वार्षिक रेड त्रासदी का सामना करने पर माता-पिता और बच्चों के लिए समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा। फाउंडेशन की स्थापना इंग्लैंड के पूर्व कप्तान सर एंड्रयू स्ट्रॉस ने अपनी दिवंगत पत्नी रूथ की याद में की थी। दिसंबर 2018 में केवल 46 वर्ष की आयु में नॉन स्मोकिंग लंग कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
स्ट्रॉस अपने बेटों सैम (15) और लुका (13) के साथ लाल सूट में तीसरे 'रेड फॉर रूथ' दिन के लिए शुक्रवार को लॉर्डस में होंगे।
शुक्रवार की पहल के माध्यम से, फाउंडेशन देश भर में हजारों परिवारों के लिए अपनी सहायता सेवा का विस्तार करने और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत करने की उम्मीद करता है। यह गैर-धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर में और अधिक शोध की आवश्यकता का भी समर्थन कर रहा है।
द रेड फॉर रूथ को पहले ही सचिन तेंदुलकर से समर्थन प्राप्त हो चुका है, जिन्होंने 2011 विश्व कप फाइनल जीत का जश्न मनाते हुए उनके 290 ए4 प्रिंट पर हस्ताक्षर किए हैं और फाउंडेशन द्वारा नीलामी के लिए रखे गए हैं। लंदन में विश्व प्रसिद्ध आईमैक्स सिनेमा भी रूथ दिवस के लिए रेड के सम्मान में लाल रंग से जगमगाता है। (आईएएनएस)