अंतरराष्ट्रीय
अफगानिस्तान में यूनिवर्सिटी के एंट्रेस एग्जाम में एक लड़की ने टॉप किया है. तालिबान ने उसे बधाई दी है. लेकिन वह डरी हुई हैं, बहुत सारे अन्य युवाओं की तरह.
20 साल की साल्गी को पिछले हफ्ते जब पता चला कि उसने यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा में टॉप किया है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. पिछले कई महीनों से साल्गी अपने घर में बंद इस परीक्षा की तैयारी में जुटी थी. और जब रिजल्ट आना था तो उनका पूरा परिवार सोलर एनर्जी से चलने वाले टीवी के सामने डटा था.
साल्गी कहती हैं कि उनकी मेहनत रंग लाई है. वह बताती हैं, "उस पल में मुझे लगा कि किसी ने मुझे पूरी दुनिया तोहफे में दे दी है. मेरी मां खुशी से रोने लगी. और उसके साथ मैं रोने लगी.”
अनिश्चित भविष्य
साल्गी और उनके परिवार की यह खुशी जल्दी ही चिंता में बदल गई क्योंकि उन्हें याद आ गया कि देश अब तालिबान के नियंत्रण में है. 15 अगस्त को तालिबान काबुल में घुस गया था और अब देश शरिया कानून लागू करने की तैयारी कर रहा है. पिछली बार जब तालिबान सत्ता में था तो महिलाओं के पढ़ने और काम करने पर कड़ी पाबंदियां थीं.
साल्गी कहती हैं, "हमारा भविष्य अनिश्चित है. सोचते रहते हैं कि अब क्या होगा. मुझे लगता है कि मैं सबसे किस्मत वाली और बदकिस्मत एक साथ हूं.”
देश की करीब दो तिहाई आबादी 25 साल से कम आयु की है. यानी पूरी एक पीढ़ी है जिसे तालिबान का शासन याद नहीं है, जो 20 साल पहले सत्ता से हटा दिए गए थे. 1996 से 2001 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया था लेकिन 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और तालिबान को सत्ता से बाहर कर दिया.
आजादी छिनने का डर
दोबारा सत्ता में आने के बाद तालिबान ने छात्रों को यकीन दिलाया है कि उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि महिला अधिकारों का सम्मान किया जाएगा. साथ ही तालिबान ने प्रतिभाशाली पेशेवरों से देश ना छोड़ने की भी अपील की है.
लेकिन मोबाइल फोन, पॉप म्यूजिक और लैंगिक मिश्रण की आदि हो चुकी इस नई पीढ़ी को पुरानी बातों के आधार पर डर सता रहा है कि उनकी सारी आजादियां छीन ली जाएंगी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कई युवाओं से बातचीत की.
21 साल की सूजन नबी कहती हैं कि उन्होंने बड़ी बड़ी योजनाएं बना रखी थीं. वह बताती हैं, "अपने लिए मैंने आने वाले 10 साल के लिए कई ऊंचे लक्ष्य तय किए थे. हमें जिंदगी की उम्मीद थी, बदलाव की उम्मीद थी. लेकिन एक हफ्ते में उन्होंने देश कब्जा लिया और 24 घंटे में हमारी उम्मीदें, हमारे सपने हमसे छीन लिए गए.”
इस बारे में तालिबान प्रवक्ता को कुछ सवाल भेजे गए हैं, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं.
15 अगस्त की सुबह जब तालिबान काबुल की ओर बढ़ रहे थे तब 26 साल के जावेद यूनिवर्सिटी से घर की ओर दौड़ पड़े थे. अपना पूरा नाम बताने से डर रहे जावेद ने सारे ईमेल, सारे सोशल मीडिया मेसेज डिलीट कर दिए हैं, खासकर वे जो अमेरीकियों को भेजे गए थे.
जावेद बताते हैं कि अमेरिकी फंड से चलने वाले प्रोग्राम से उन्हें जितने भी सर्टिफिकेट मिले थे, वे सारे उन्होंने अपने घर के पिछवाड़े में जला दिए. अपने अच्छे काम के लिए उन्हें एक ट्रॉफी मिली थी जो उन्होंने तोड़ दी. पिछले दो हफ्ते में ऐसे तमाम लोगों ने देश छोड़ देने की कोशिश की है, जो विदेशी संस्थाओं के लिए काम करते थे.
इतिहास का डर
इन युवाओं ने तालिबान को अपने माता-पिता द्वारा सुनाए गए किस्से-कहानियों में ही जाना है. बहुतों ने तो पहली बार तालिबान लड़ाकों को देखा भी तब जब वे काबुल की सड़कों पर पैट्रोलिंग करते नजर आए.
लोकतांत्रिक सरकार के दौरान अफगानिस्तान में सेकंड्री स्कूल में बच्चों की संख्या काफी बढ़ी है. 2001 में 12 फीसदी बच्चे सेकंड्री स्कूल में दाखिला लेते थे. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 55 फीसदी हो गई.
कभी देश में सिर्फ एक रेडियो स्टेशन हुआ करता था, आज वहां 170 रेडियो स्टेशन हैं, 100 से ज्यादा अखबार और दर्जनों टीवी स्टेशन हैं. और, स्मार्टफोन और इंटरनेट तो तालिबान के राज में होता ही नहीं था, जिसने युवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाएं खोल दी हैं.
18 साल की इलाहा तमीम ने यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पास की है. वह कहती हैं, "ये चीजें तो हम हर वक्त इस्तेमाल करते हैं. जब रिलैक्स होना है तब भी और जब दुनिया में हो रही नई घटनाओं के बारे में जानना है तब भी. मैं इन्हें खोना नहीं चाहती.”
तालिबान के भरोसा देने के बावजूद बहुत सी लड़कियों ने स्कूल आना बंद कर दिया है. तमीम कहती हैं, "मैं ऐसे माहौल में बड़ी हुई हूं जहां हम आजाद थे. स्कूल जा सकते थे. बाहर जहां चाहे जा सकते थे. मेरी मां उस बुरे वक्त की कहानियां सुनाती है. वे कहानियां बहुत डरावनी हैं.”
दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के सदस्य अम्मार यासिर ने प्रवेश परीक्षा में प्रथम आने वाली साल्गी को खुद बधाई दी है. मेडिकल स्कूल में दाखिले के लिए यारिस ने ट्विटर पर शुभकामनाएं भेजी हैं.
साल्गी उम्मीद करती हैं कि वह डॉक्टर बन पाएंगी. वह कहती हैं, "अगर तालिबान लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने देता है और रुकावट पैदा नहीं करता है तो ठीक है. नहीं तो मेरी जिंदगी की सारी मेहनत खतरे में है.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने काबुल में किए हवाई हमले में आम नागरिकों के मारे जाने की खबरों की जांच का वादा किया है. तालिबान भी अपने स्तर पर जांच करेगा.
अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड के प्रवक्ता बिल अर्बन ने कहा कि हम किसी भी आम नागरिक की जान जाने की संभावना से दुखी हैं. एक बयान जारी कर अर्बन ने कहा, "हम आज काबुल में एक वाहन पर किए गए हमले के दौरान आम नागरिकों के मारे जाने की खबरों से परिचित हैं. हम जानते हैं कि वाहन के नष्ट होने से ताकतवर धमाके हुए थे, जिससे संकेत मिलता है कि वाहन में बड़ी मात्रा में विस्फोटक थे. हो सकता है इससे और लोगों की भी जानें गई हों. अगर ऐसा हुआ होगा तो हमें बहुत दुख है."
अमेरिका ने रविवार को काबुल के करीब एक वाहन पर रॉकेट से हमला किया था. कहा गया था कि इस वाहन में एक आत्मघाती हमलावर था जो काबुल में हमला करने के मकसद से जा रहा था. शुक्रवार को इस्लामिक स्टेट खोरसान ने काबुल में एक आत्मघाती हमला कर सौ से ज्यादा लोगों मार डाला था.
अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन ने खबर दी कि इस हमले में एक ही परिवार के नौ लोगों की जान गई. मरने वालों में छह बच्चे होने की बात कही गई है. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी एपी को बताया कि काबुल एयरपोर्ट के करीब हुए इस हवाई हमले में तीन बच्चे मारे गए.
उधर तालिबान ने कहा है कि वे भी इस हमले की जांच कर रहे हैं और पता लगाया जाएगा कि जिस वाहन पर हमला किया गया, उसमें वाकई कोई आत्मघाती हमलावर सवार था या नहीं.
विदेश मंत्रियों की बैठक
सोमवार को कई देशों के विदेश मंत्री अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए मिलने वाले हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया है कि कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, युनाइटेड किंग्डम, तुर्की, कतर, यूरोपीय संघ और नाटो के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा, "ये प्रतिनिधि आने वाले दिनों और हफ्तों में अफगानिस्तान पर एक साझी रणनीति अपनाने पर चर्चा करेंगे." बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का संबोधन भी होगा जिसमें वह अफगानिस्तान में हो रही गतिविधियों पर जानकारी देंगे.
अफगानिस्तान में जिंदगी दूभर
सरकार के न रहने के कारण अफगानिस्तान में लोगों की आम जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है, जिस कारण भुखमरी और आर्थिक संकट का अंदेशा जताया जा रहा है. आम जरूरत की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं और लोगों के पास संसाधन खत्म हो रहे हैं.
देश में आटा, तेल और चावल बहुत महंगा हो चुका है. देश की मुद्रा कमजोर हो रही है और पाकिस्तान में करंसी बदलने वाले अफगान मुद्रा को लेने से इनकार कर रहे हैं. शनिवार को अधिकारियों ने बैंकों को दोबारा खोलने के आदेश दिए. पैसे निकालने की सीमा 20 हजार अफगानी यानी लगभग 17 हजार भारतीय रुपये कर दी गई है. बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखी जा सकती हैं.
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि कुछ दिन के भीतर नई कैबिनेट का ऐलान किया जाएगा और नए प्रशासन के आने के साथ ही ये दिक्कतें खत्म हो जाएंगी.
तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों से अफगानिस्तान के साथ संबंध कायम रखने की अपील की है. ब्रिटेन ने कहा है कि ऐसा तभी हो सकता है जब तालिबान मानवाधिकारों का सम्मान करे और देश से बाहर जाना चाहने वाले लोगों को सुरक्षित निकलने दे.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
वैज्ञानिकों ने उत्तरी ध्रुव के पास एक छोटे से द्वीप की खोज की है, जिसे पृथ्वी पर "सबसे उत्तरी" शुष्क भूमि कहा जाता है. कहा जा रहा है कि यह जल्द ही समुद्री में डूब जाएगा.
वैज्ञानिकों ने दुनिया के सुदूर उत्तर में शुष्क भूमि के एक टुकड़े की खोज की है, जिसका अभी तक नामकरण नहीं हुआ है. यह द्वीप ग्रीनलैंड के उत्तर में स्थित है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह जल्द ही समुद्री में डूब जाएगा.
जुलाई महीने में वैज्ञानिकों ने नमूने इकट्ठा करने के लिए उड़ान भरी थी और अनुमान लगाया कि यह ग्रीनलैंड के उत्तरी भाग में हो सकता है. उन्होंने सोचा कि यह ओडाक द्वीप था, जिसे 1978 से जाना जाता है. लेकिन जब उन्होंने आर्कटिक द्वीपों के पंजीकरण के प्रभारी अधिकारी डेनिश से अपनी स्थिति की जांच की, तो वे 800 मीटर (2,625 फीट) आगे उत्तर में थे. ओडाक द्वीप को अब तक पृथ्वी का सबसे उत्तरी क्षेत्र माना जाता था.
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक विज्ञान और प्राकृतिक संसाधन विभाग के मॉर्टन रेश के मुताबिक, "हमें बताया गया था कि मेरे जीपीएस में कुछ गड़बड़ी हो सकती है, जिसके कारण हमें ओडाक द्वीप पर उतरना पड़ा."
वे आगे कहते हैं, "तथ्य यह है कि हमने दुनिया में सबसे उत्तरी शुष्क स्थान की खोज की है. इस खोज ने डेनमार्क को थोड़ा और फैला दिया है." ओडाक उत्तरी ध्रुव से 700 किलोमीटर दक्षिण में है, जबकि नया द्वीप ओडाक से 780 मीटर उत्तर में है.
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, "यह अभी भी एक अनाम द्वीप, ग्रीनलैंड का सबसे उत्तरी भाग और पृथ्वी का सबसे उत्तरी द्वीप है."
हालांकि द्वीप समुद्र तल से केवल 30 से 60 मीटर ऊपर है, इसलिए संभव है कि इसका जीवन बहुत लंबा न हो और समुद्र इसे निगल जाए. रेश के मुताबिक, "कोई नहीं जानता कि द्वीप कितने समय तक बचेगा. सिर्फ एक एक मजबूत तूफान ही इसे गायब कर सकता है."
ग्रीनलैंड का डेनिश स्वायत्त क्षेत्र हाल के सालों में सुर्खियों में रहा है. खासकर तब जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने आर्कटिक क्षेत्र के इस हिस्से को खरीदने की इच्छा जताई थी. हालांकि डेनिश सरकार ने प्रस्ताव को अस्पष्ट बताते हुए खारिज कर दिया था.
एए/वीके (डीपीए, एपी)
तालिबान के कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि अफगान महिलाओं को विश्वविद्यालय में पढ़ने की अनुमति होगी लेकिन उनके शासन में मिश्रित कक्षाओं पर प्रतिबंध रहेगा.
पश्चिमी सेनाओं के निकलने के पहले ही 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने कहा है कि देश में लड़कियां यूनिवर्सिटी में पढ़ पाएंगी लेकिन वे लड़कों के साथ बैठकर नहीं पढ़ पाएंगी. पिछली बार जब तालिबान सत्ता में आया था तो उसने लड़कियों के पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
1996 से 2001 तक तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया था लेकिन 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और तालिबान को सत्ता से बाहर कर दिया.
उच्च शिक्षा के लिए कार्यवाहक मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी के मुताबिक, "अफगानिस्तान के लोग शरिया कानून के मुताबिक पढ़ाई जारी रखेंगे. लड़के और लड़कियां अलग-अलग वातावरण में पढ़ेंगे."
उन्होंने कहा कि तालिबान "एक उचित और इस्लामी पाठ्यक्रम बनाना चाहता है जो हमारे इस्लामी, राष्ट्रीय और ऐतिहासिक मूल्यों के अनुरूप हो और दूसरी ओर अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो."
लड़कियों और लड़कों को भी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अलग किया जाएगा जो कि पहले से ही गंभीर रूढ़िवादी अफगानिस्तान में आम था.
तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों में हुई प्रगति का सम्मान करने का वचन दिया है, लेकिन सिर्फ इस्लामी कानून की उनकी सख्त व्याख्या के मुताबिक. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या महिलाएं काम कर सकती हैं, सभी स्तरों पर शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं और पुरुषों के साथ घुलने-मिलने में सक्षम हो सकती हैं.
लेकिन तालिबान की रीब्रांडिंग को संदेह के साथ देखा जा रहा है, कई लोगों ने सवाल किया कि क्या वह अपने वादों पर कायम रहेगा. रविवार को काबुल में हुई शिक्षा मंत्री की बैठक में कोई भी महिला मौजूद नहीं थी, जिसमें तालिबान के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.
पिछली सरकार के दौरान शहर के एक विश्वविद्यालय में काम करने वाली एक लेक्चरर ने कहा, "तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों के कामकाज को फिर से शुरू करने के लिए केवल पुरुष शिक्षकों और छात्रों से परामर्श किया है."
उन्होंने कहा कि यह "फैसला लेने में महिलाओं की भागीदारी की व्यवस्थित रोकथाम" और "तालिबान की प्रतिबद्धताओं और कार्यों के बीच एक अंतर" को दर्शाता है.
तालिबान ने 1996 से 2001 से अफगानिस्ता पर राज किया था. उस दौरान देश में शरिया यानी इस्लामिक कानून लागू कर दिया गया था और महिलाओं के काम करने, लड़कियों के पढ़ने और बिना किसी पुरुष के अकेले घर से बाहर जाने जैसी पाबंदियां लगा दी गई थीं. तालिबान के दोबारा सत्ता में आने पर बहुत से लोगों को वैसे ही कानून दोबारा लागू होने का भय है.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान के आत्मघाती बम हमलावर पर किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में 6 बच्चों समेत 9 आम नागरिकों की भी मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि ये सभी 9 लोग एक ही परिवार के सदस्य थे। इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है।
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक एक ही परिवार के नौ सदस्य मारे गए हैं जिसमें छह बच्चे हैं। इससे पहले अमेरिका की सेना के सेंट्रल कमान ने कहा था कि वे आम नागरिकों की मौत का आकलन कर रहे हैं। इससे पहले काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में उस वाहन को निशाना बनाया गया, जिसमें इस्लामिक स्टेट के एक सहयोगी संगठन के कई आत्मघाती हमलावर सवार थे। अधिकारियों ने बताया कि ये आत्मघाती हमलावर काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिकी सेना के सैन्य निकासी अभियान को निशाना बनाना चाहते थे।
तालिबान के कब्जे के बाद से बहुत अराजकता की स्थिति
यह हमला ऐसे समय पर किया गया है जब अमेरिका अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के लिए एक ऐतिहासिक अभियान संचालित कर रहा है, जिसमें काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हज़ारों लोगों को निकाला गया है। अफगानिस्तान में दो सप्ताह पहले तालिबान के कब्जे के बाद से बहुत अराजकता की स्थिति है। इस्लामिक स्टेट के एक सहयोगी संगठन द्वारा किये गए आत्मघाती हमले के बाद तालिबान ने हवाई क्षेत्र के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है। उस आत्मघाती हमले में 180 से अधिक लोग मारे गए थे। ब्रिटेन ने शनिवार को अपनी निकासी उड़ानें समाप्त कर दीं।
अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध से सभी सैनिकों को वापस निकालने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा निर्धारित मंगलवार की समयसीमा से पहले, अमेरिकी सैन्य मालवाहक विमानों ने रविवार को हवाई अड्डे से उड़ान जारी रखी। हालांकि, देश में रह गए अफगानिस्तानी नागरिकों को तालिबान के अपने पहले के दमनकारी शासन में वापस आने की चिंता है। इस आशंका को हाल ही में विद्रोहियों द्वारा देश में एक लोक गायक की गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद बल मिला है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने इससे पहले पत्रकारों को भेजे संदेश में कहा कि हमले में एक हमलावर को निशाना बनाया गया, जो विस्फोटकों से लदे वाहन को चला रहा था। मुजाहिद ने कुछ और जानकारियां दीं। (navbharattimes.indiatimes.com)
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की अपनी समस्या है, उसे खुद इस समस्या को सुलझाना होगा, ये हमारी समस्या नहीं है. इस तरह से पाकिस्तान को लेकर तालिबान ने अपना रुख साफ कर दिया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि टीटीपी का मुद्दा पाकिस्तान का है और इसे पाकिस्तान सरकार को हल करना चाहिए न कि अफगानिस्तान को. हमारा रुख स्पष्ट है, हम किसी दूसरे देश की शांति को नष्ट करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी को नहीं करने देंगे.Also Read - Pakistan: दाऊद इब्राहिम के करीबी कुख्यात गैंगस्टर फहीम मचमच की कोरोना से मौत
ये बातें मुजाहिद ने शनिवार को जियो न्यूज पर एक इंटरव्यू के दौरान कही. तालिबान की तरफ से आया ये बयान पाकिस्तान के मुंह पर एक करारा तमाचा भी है. इस जवाब से ये भी साफ हो गया है कि तालिबान पाकिस्तान की कठपुतली बनकर रहने वाला नहीं है, इसीलिए अब भविष्य में पाकिस्तान को भी तालिबान से उतना ही खतरा हो सकता है जितना किसी दूसरे देश को होगा.
जबीहुल्लाह ने इस इंटरव्यू के दौरान साफ कर दिया कि उसका तहरीक-ए-तालिबान, टीटीपी से कोई लेना-देना नहीं है. इसे पाकिस्तान, उसके उलेमा या फिर दूसरे धार्मिक नेता देखें. हमें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वो इस पर क्या फैसला लेते हैं और उनकी रणनीति क्या होती है. उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि तालिबान अफगानिस्तान की जमीन पर किसी भी आतंकी गुट को दूसरे देश के खिलाफ हमले की इजाजत नहीं देगा. इस बात को लेकर बेहद स्पष्ट है और पहले भी ये दोहरा चुका है.
बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में टीटीपी के सक्रिय होने का खतरा बढ़ गया था और उसे उम्मीद थी कि बेहतर संबंधों के चलते तालिबान टीटीपी से पाकिस्तान की पैरवी करेगा. (india.com)
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक रेडियो कार्यक्रम में पुष्टि की है कि उनकी पिछले साल 'तालिबान के प्रमुख' से बात हुई थी.
यह प्रमुख कौन था, इसके बारे में वो साफ़-साफ़ नहीं बता सके लेकिन जब रेडियो शो के होस्ट ने उनसे पूछा कि वो मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि 'हाँ मैंने उनसे बात की थी.'
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार 26 अगस्त को कंज़रवेटिव टॉक रेडियो होस्ट ह्यू ह्यूवेट के कार्यक्रम में यह बात रखी.
उन्होंने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षाबलों के लिए साल 2020 में जब बातचीत जारी थी तो उन्होंने यह बातचीत की थी.
मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान के सह-संस्थापक और उपनेता हैं जबकि संगठन के नेता हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा हैं.
ट्रंप की मुलाक़ात कैसे तय हुई
रेडियो कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुल्ला बरादर से बात की थी और उन्होंने उनसे क्या कहा था? तो इस सवाल पर ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मुल्ला बरादर को साफ़ और कड़े लफ़्ज़ों में कहा था कि अगर उन्हें (अमेरिका) नुक़सान पहुँचाया गया तो वो 'तालिबान को ऐसी चोट देंगे, जो घटना आज तक विश्व इतिहास में कभी नहीं हुई होगी.'
ट्रंप ने विस्तार से इस पर बात की और उन्होंने बातचीत की शुरुआत उत्तर कोरिया और किम जोंग उन से मुलाक़ात के मुद्दे से शुरू की.
उन्होंने कहा, "मेरी उनसे (तालिबान नेता) बातचीत तय कराई गई और लोग कह रहे थे कि आपको यह नहीं करना चाहिए. वैसे, मैंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन के साथ भी बातचीत तय की थी. हमारे (अमेरिका-उत्तर कोरिया) बीच कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ था. मैं अगर राष्ट्रपति न होता तो ओबामा की बात सच होती और हमारे बीच परमाणु युद्ध हो चुका होता."
"राष्ट्रपति ओबामा ने मुझसे कहा था कि हम उत्तर कोरिया के साथ परमाणु युद्ध की ओर जा रहे हैं. मैंने कहा कि आपने कभी उनसे बातचीत की तो उन्होंने कहा 'नहीं'. मैंने कहा कि आपको नहीं लगता कि यह अच्छा आइडिया नहीं है."
"लेकिन कोई बात नहीं, मैं जानता था कि वो (ओबामा) उनसे बातचीत करना चाहते थे लेकिन वो कभी बात करने नहीं गए और मुझे लगता है कि दूसरा पक्ष (उत्तर कोरिया) भी ओबामा से बातचीत नहीं करना चाहता था. मैंने उस जाने-माने (तालिबान) प्रमुख से बातचीत की."
ट्रंप ने बातचीत में क्या कहा था
इसके बाद कार्यक्रम के होस्ट ह्यू ने उनसे पूछा कि क्या वो बरादर की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि 'हां मैं उन्हीं की बात कर रहा हूं, जिनको एक प्रमुख के तौर पर जाना जाता है.'
ट्रंप ने कहा कि 'उस प्रमुख को लेकर कोई निश्चिंत नहीं था लेकिन मैं अब निश्चिंत हूं कि वो वही थे, जिनसे मैंने बात की थी और मुझे याद है कि मैंने उनसे जैसे बात की थी तो मैंने परिचय में भी हेलो कहा था और वो ज़ोर से कुछ चिल्लाए थे और उसके बाद मैंने उनसे बातचीत शुरू की थी.'
"मैंने कहा था कि सुनिए हम एक लंबी बातचीत शुरू करने जा रहे हैं और मैं एक बात कहना चाहता हूँ और मैं इसे आपके आगे फिर नहीं दोहराऊंगा. मैं यह कह रहा हूं कि अगर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कुछ भी बुरा हुआ, अगर आपने हमारे नागरिकों या किसी भी अमेरिकी नागरिक के साथ कुछ भी बुरा किया, या अगर आपने कुछ भी असामान्य किया तो आप जान लीजिए कि मैं आपको ऐसी चोट दूंगा कि विश्व इतिहास में कभी किसी ने किसी को नहीं मारा होगा. आपको ऐसी मार पड़ेगी कि कभी किसी देश ने और कभी किसी शख़्स ने विश्व इतिहास में किसी को ऐसे नहीं मारा होगा."
"इसके बाद हमने ख़ास जगहों और शहर में बातचीत शुरू की. मुझे याद है कि मैंने उनके शहर का नाम दोहराया था. इससे हमने बात शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने मुझसे एक सवाल पूछा था और मैंने उनसे कहा था कि हां पूछिए. बस वही एक सवाल उन्होंने किया था."
गिलगित से 32 साल पहले उड़ान भरने वाला वो विमान आख़िर कहां ग़ायब हो गया?
तालिबान से बातचीत में भारत के सामने दुविधा क्या है?
"मैंने बातचीत के दौरान कहा कि हम 21 सालों के बाद (अफ़ग़ानिस्तान) छोड़ने जा रहे हैं. और जब हम छोड़ेंगे तो आपको हमें अकेला छोड़ना होगा और हम बड़े सम्मान और बड़े गौरव के साथ जा रहे हैं. और हम इस स्थिति का ध्यान रखने जा रहे हैं. हम अपना समय लेंगे. हमने एक मई की तारीख़ तय की है लेकिन वे (तालिबान) कुछ शर्तें लागू करवाने से चूक गए. मैं एक मई को बाहर आना चाहता था. मैंने बातचीत में कहा था कि हम एक मई से पहले छोड़ देंगे. लेकिन उन्होंने शर्तों को तोड़ा और उसके बाद हमने उन पर बम बरसाए और तेज़ी से वार किया."
"इसके बाद उन्होंने कहा कि हम उन शर्तों पर सहमत हों जाएं जो वो कह रहे हैं लेकिन मैंने कहा कि नहीं क्योंकि आप पहले ही पिछली शर्तों पर सहमत थे. हमने उन्हें अच्छे से पकड़ रखा था. वे काबुल में नहीं थे. आप देखिए कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान पर कहां से क़ब्ज़ा करना शुरू किया था, जहां पर मैंने उन्हें छोड़ा था. जैसे ही मैं गया वे खूंखार होना शुरू हो गए क्योंकि वे दूसरे राष्ट्रपति से सौदा कर रहे थे."
'राष्ट्रपति कार्यालय की ताक़त का हुआ एहसास'
"मुझे यह एकबार फिर एहसास हुआ कि एक राष्ट्रपति कार्यकाल कितना महत्वपूर्ण और ताक़तवर होता है, जब तक यह नहीं हुआ था तब तक मुझे एहसास नहीं था कि राष्ट्रपति का कार्यालय कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि बीते हफ़्ते से बहुत तेज़ी से कुछ डरावने और बेवकूफ़ाने फ़ैसले लिए गए हैं."
इसके बाद ट्रंप ने अमेरिकी सेना के पहले ही देश छोड़ देने की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि लोगों के निकलने और अपने साज़ो सामान को लाने से पहले ही सेना को जाने देने की अनुमति दे देना ख़राब फ़ैसला था. पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि सेना का सामान ही 83 अरब डॉलर का था.
उन्होंने कहा कि उन सामान को कोई इस्तेमाल करने के लिए नहीं समझ सकता है और हज़ारों गाड़ियों को ऐसे ही छोड़ दिया गया.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस इंटरव्यू के बाद अमेरिकी मीडिया में उन पर सवाल भी उठ रहे हैं. मीडिया में कई पत्रकार यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि जब उन्हें बरादर का नाम ही नहीं पता था तो उन्होंने किससे बात की थी.
इसके अलावा उत्तर कोरिया के साथ परमाणु युद्ध टाल देने जैसे उनके दावों का भी मखौल उड़ाया जा रहा है क्योंकि उनका दावा था कि उन्होंने किम जॉन्ग उन से मुलाकात करके यह किया था.
इस इंटरव्यू के हवाले से ट्रंप की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि क्या वो आज तक अमेरिकी राष्ट्रपति और उसके कार्यालय की ताक़त के बारे में नहीं जानते थे. इसके अलावा वो इंटरव्यू के दौरान कभी राष्ट्रपति की ताक़त जानने और कभी न जानने की दोहरी बातें कह रहे हैं. (bbc.com)
टोक्यो, 29 अगस्त | टोक्यो पैरालम्पिक में महिला टेबल टेनिस एकल क्लास 4 वर्ग में रजत पदक जीतने वाली पैरा एथलीट भाविना पटेल ने कहा है कि भविष्य में लोग उन्हें जब भी चीनी खिलाड़ी जोउ यिंग के खिलाफ खेलते देखेंगे तो इन्हें अलग भाविना नजर आएगी। विश्व रैंकिंग में 12वें नंबर की खिलाड़ी भाविना को फाइनल मुकाबले में यिंग के हाथों 19 मिनट तक चले मुकाबले में 7-11, 5-11, 6-11 से हार का सामना करना पड़ा।
भाविना ने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि मैंने पदक जीता लेकिन साथ ही थोड़ा निराश हुई हूं। मैं थोड़ी नर्वस हो गई थी। हालांक मैं आप सभी को आश्वस्त करती हूं कि जब भी भविष्य में मैं यिंग का सामना करूंगी तो आप एक अलग भाविना देखेंगे। उन्होंने मुझसे बेहतर खेला।"
भाविना के पति निकुल ने कहा, "हमारी शादी को चार वर्ष हो गए हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि वह मुझसे ज्यादा मजबूत हैं। रियो से पहले उनके दस्तावेज को लेकर कोई परेशानी थी जिसके कारण उन्होंने अवसर मिस कर दिया। हम दोनों निराश थे लेकिन मैं बहुत खुश हूं जिस तरह भाविना ने वापसी की।"
भाविना ने कहा, "अगर ऐसा नहीं होता तो मैं यहां पदक नहीं जीत पाता। मैं जिस दौर से गुजरी मैं नहीं चाहती कि जो लोग दिव्यांग है उन्हें इन चीजों का सामना करना पड़े।"
भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीअई) की अध्यक्ष दीपा मलिक ने भी भाविना की जीत पर खुशी जाहिर की। (आईएएनएस)
लॉस एंजिल्स, 29 अगस्त | डिक्सी फायर, इस साल अमेरिका में सबसे बड़ी जंगल की आग और कैलिफोर्निया के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी आग है, जो अब तक 48 प्रतिशत नियंत्रण के साथ 756,000 एकड़ से अधिक को झुलसा चुकी है। कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट्री एंड फायर प्रोटेक्शन (सीएएल फायर) के अनुसार, आग, जो 14 जुलाई को पैराडाइज से लगभग 10 मील उत्तर पूर्व में शुरू हुई थी, शनिवार की सुबह पांच काउंटियों में 756,768 एकड़ में फैल गई है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को सीएएल फायर के हवाले से कहा कि मध्य से उच्च ऊंचाई तक नमी की रिकवरी खराब थी, जिससे आग पूरी रात सक्रिय रूप से जलती रही।
कुछ निकासी आदेशों को चेतावनी में कम कर दिया गया है और कुछ चेतावनियों को हटा दिया गया है, जिससे कुछ निवासियों को अपने घरों और व्यवसायों में लौटने की इजाजत मिल गई है।
44 दिनों से सक्रिय डिक्सी फायर ने 1,275 संरचनाओं को नष्ट कर दिया और अभी भी बट्टे, प्लुमास, तेहामा, लासेन और शास्ता काउंटी में 11,833 संरचनाओं को खतरा हुआ।
अब तक तीन दमकलकर्मी घायल हुए हैं जिनमें किसी नागरिक के हताहत होने या घायल होने की सूचना नहीं है। (आईएएनएस)
काबुल, 29 अगस्त | तालिबान ने काबुल के निवासियों से सरकारी वाहन, हथियार और गोला-बारूद उनके पास सौंपने का निर्देश दिया है। यह जानकारी तालिबान के प्रवक्ता जैबिदुल्लाह मुजाहिद के हवाले से मिली है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक ट्विटर पोस्ट में मुजाहिद के हवाले से कहा कि काबुल में रहने वाले सभी लोगों को 'वाहन, हथियार और गोला-बारूद या किसी भी अन्य चीजों सहित सभी सरकारी संपत्ति वापस करने के लिए' सूचित किया जाता है।
तालिबान की सरकारी संपत्ति वापस करने के आह्वान का समर्थन करने के लिए, नेताओं ने अपने उपदेशों में लोगों से सरकारी संपत्ति को सौंपने का भी अनुरोध किया है, अगर उन्होंने संपत्ति अपने पास रखी है।
तालिबान के नेताओं ने सरकारी कर्मचारियों से अपने कार्यालयों में लौटने और सामान्य रूप से अपना काम फिर से शुरू करने का भी अनुरोध किया है। (आईएएनएस)
काबुल, 29 अगस्त | संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने अनुमान लगाया है कि तालिबान के कब्जे के मद्देनजर अगले चार महीनों में करीब 5,00,000 अफगानों के युद्धग्रस्त देश छोड़ने की संभावना है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जारी एक बयान में यूएनएचसीआर ने कहा कि अगस्त के मध्य में तालिबान के हाथों पूर्व सरकार के पतन के बाद राजनीतिक अनिश्चितता लोगों को बड़े पैमाने पर प्रवास शुरू करने के लिए मजबूर करेगी।
उप उच्चायुक्त केली टी. क्लेमेंट्स ने कहा, "हालांकि हमने इस समय बड़ी संख्या में अफगानों का पलायन नहीं देखा है, लेकिन अफगानिस्तान के अंदर की स्थिति किसी भी उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से विकसित हुई है।"
यूएनएचसीआर ने पड़ोसी देशों से अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखने को कहा।
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह जरूरतमंद अफगानों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए संगठन को 12 मिलियन डॉलर प्रदान करे।
कई निवासियों का कहना है कि राजनीतिक अनिश्चितता, बेरोजगारी और सुरक्षा के मुद्दों ने उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।
हबीबुल्लाह का परिवार उन हजारों परिवारों में से एक है जो काबुल हवाईअड्डे के बाहर इंतजार कर रहे हैं और देश छोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
हबीबुल्ला ने टोलो न्यूज को बताया, "मैंने विदेशियों के साथ चार साल तक काम किया, लेकिन अब मैं बेरोजगार हूं। मैंने अफवाहें सुनीं कि तालिबान विदेशियों के साथ काम करने वाले लोगों को खोज रहे हैं और उन्हें मार रहे हैं। मुझे देश छोड़ना होगा।"
हबीबुल्लाह के बेटे एजातुल्लाह ने कहा, "बेरोजगारी और सुरक्षा खतरों ने हमें अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ने के लिए मजबूर किया है।"
कई अफगान महिलाओं का कहना है कि वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पढ़ाई की है और खूब मेहनत की है लेकिन पता नहीं उनका क्या होने वाला है।
काबुल निवासी रहीला ने कहा, "हमने चुनौतियों को स्वीकार किया और अफगानिस्तान में पढ़ाई की। अब हमें नहीं पता कि हमारा क्या होगा। मुझे देश में लड़कियों के भविष्य की चिंता है।" (आईएएनएस)
काबुल, 29 अगस्त | अमेरिका और गठबंधन बलों ने काबुल हवाईअड्डे के सैन्य खंड के प्रवेश द्वार सहित तीन फाटकों का नियंत्रण तालिबान को सौंप दिया है। समूह के एक अधिकारी ने रविवार को स्थानीय मीडिया को इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अधिकारी इनहामुल्लाह सामानगनी ने टोलो न्यूज से कहा, "अमेरिकी सैनिकों का हवाई अड्डे के एक छोटे से हिस्से पर नियंत्रण है, जिसमें एक ऐसा क्षेत्र भी शामिल है, जहां हवाई अड्डे का रडार सिस्टम स्थित है।"
तालिबान ने करीब दो हफ्ते पहले हवाईअड्डे के मुख्य द्वार पर विशेष बलों की एक यूनिट तैनात की थी।
उन्होंने कहा, हम हवाईअड्डे की सुरक्षा और तकनीकी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं।
अमेरिका ने तालिबान को हवाईअड्डे के फाटक का नियंत्रण ऐसे समय सौंपा है, जब कुछ दिन पहले 26 अगस्त को आईएस-के आतंकवादियों ने सुविधा के पूर्वी द्वार आत्मघाती हमला किया था, जिसमें 170 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
इससे पहले तालिबान के एक अधिकारी ने कथित तौर पर कहा था कि समूह के विशेष बल, और तकनीकी पेशेवरों और योग्य इंजीनियरों की एक टीम अमेरिकी बलों के जाने के बाद हवाई अड्डे के सभी प्रभार लेने के लिए तैयार हैं।
सैन्य विमानों समेत दर्जनों विमानों ने शनिवार देर रात से हवाईअड्डे से उड़ान भरी।
राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा निर्धारित समय सीमा के अनुसार, सभी अमेरिकी और गठबंधन बलों के 31 अगस्त को देश छोड़ने की उम्मीद है। (आईएएनएस)
जकर्ता, 29 अगस्त | स्थानीय आपदा शमन एजेंसी के एक बयान में कहा गया है कि इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा प्रांत के एक गांव में भूस्खलन के कारण कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई। कारो क्षेत्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी ने शनिवार को एक बयान में कहा कि भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में प्रांत के कारो जिले के लौबावांग गांव में चार लोग घायल हो गए और सात घर क्षतिग्रस्त हो गए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बयान में कहा कि घायलों का एक स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है और पांचों शवों को उनके परिवारों को वापस कर दिए गए हैं।
भारी बारिश के बाद देश में अक्सर बाढ़ और भूस्खलन होते रहते हैं। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 28 अगस्त| एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों का वजन अधिक बढ़ गया, खासकर 5 से 11 साल की उम्र के बच्चों का। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित निष्कर्षों ने संकेत दिया कि कोविड -19 महामारी के दौरान शरीर के वजन में वृद्धि और मोटापे की व्यापकता थी, खासकर 5 से 11 वर्ष के बच्चों के लिए।
यह निर्धारित करने के लिए कि क्या महामारी के दौरान बच्चों ने अतिरिक्त वजन उठाया, शोधकर्ताओं ने 1,91,509 बच्चों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, जिनकी आयु 1 मार्च, 2019 से 31 जनवरी, 2021 तक 5 से 17 वर्ष थी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि 5 से 11 साल के बच्चों ने कोविड -19 से पहले की समान अवधि की तुलना में कोविड -19 के दौरान 5.07 पाउंड अधिक प्राप्त किए, जबकि 12 से 15 वर्ष के बच्चों और 16 से 17 वर्ष के बच्चों ने 5.1 पाउंड और 2.26 पाउंड से अधिक प्राप्त किया।
5 से 11 साल के बच्चों में, वजन बढ़ने के कारण लगभग 9 प्रतिशत अधिक बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे हो गए, जबकि 12 से 15 साल के युवाओं में 5 प्रतिशत और 16 से 17 साल की उम्र में 3 प्रतिशत बच्चे थे।
5-11 और 12-15 वर्ष के समूहों में अधिकांश वृद्धि मोटापे में वृद्धि के कारण हुई।
कोएबनिक ने कहा, हमें बिगड़ते मोटापे की महामारी की निगरानी में तुरंत निवेश करना शुरू करना होगा और बच्चों को स्वस्थ वजन हासिल करने और बनाए रखने में मदद करने के लिए आहार और गतिविधि हस्तक्षेप विकसित करना होगा। (आईएएनएस)
शनिवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेंटागन के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों का कम होना शुरू हो गया है.
एक सवाल के उत्तर में उन्होने कहा कि, "हां हम हट रहे हैं." हालांकि उन्होंने सैनिकों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
उन्होंने कहा कि अमेरिका निश्चित समयसीमा के भीतर अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है लेकिन वो अख़िरी घड़ी तक अफ़ग़ान लोगों को वहां से निकालने की पूरी कोशिश करेगा.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी सेना के मेजर जनरल विलियम टेलर ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शुक्रवार को किए गए ड्रोन हमले में आईएसआईएस-के के दो साजिशकर्ता मारे गए हैं जबकि उनका एक मददगार घायल हुआ है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये पूछे जाने पर कि क्या गुरुवार को हुए हमले के बाद अमेरिकी सैनिकों की गोलियों से कुछ अफ़ग़ानियों की मौत हुई, पेंटागन के अधिकारी ने जवाब दिया कि वो इसकी पुष्टि नहीं कर सकते.
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा, “लेकिन हम पूरी तरह से इसे नकारने की स्थिति में भी नहीं है.”
इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने ट्वीट कर कहा है कि काबुल एयरपोर्ट के कुछ हिस्सों में तालिबान के लड़ाके प्रवेश कर रहे हैं. शनिवार को तालिबान के लड़ाकों को एयरपोर्ट के परिसर में बनी इमारतों में देखा गया था.
हालांकि पेंटागन ने कहा है कि एयरपोर्ट के गेट और उड़ानपट्टी पर जारी गतिविधियां फिलहाल अमेरिकी सेना की निगरानी में हो रही हैं.
पेंटागन के मुताबिक़ अमेरिकी सेना ने अब तक 117,000 लोगों को काबुल से बाहर निकाल लिया है, जिनमें ज़्यादातर अफ़ग़ानी हैं.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया में और हमलों की आशंका है.
अफ़ग़ानिस्तान से पश्चिमी देशों की सेना के बाहर जाने की समयसीमा 31 अगस्त को ख़त्म होने वाली है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार शनिवार को 5,000 से अधिक लोग काबुल एयरपोर्ट पर देश से निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
इधर तालिबान के लड़ाकों ने एयरपोर्ट की तरफ आने वाली सड़कों को बंद कर दिया है और केवल उन्हीं लोगों को भीतर आने की इजाज़त दी जा रही है जिसके पास वैध दस्तावेज़ हैं.
तालिबान के एक अधिकारी ने एएफ़पी को बताया कि उनके पास अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमेरिकी नागरिकों की सूची है और जिनके नाम इसमें हैं उन्हें जाने की इजाज़त दी जा रही है.
इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रवक्ता जेन साकी ने कहा था कि अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिन "अब तक के सबसे मुश्किल दिन हो सकते हैं". (bbc.com)
वाशिंगटन, 29 अगस्त| पेंटागन ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के एक स्थानीय सहयोगी आईएसआईएस-के के दो हाई-प्रोफाइल लक्ष्य शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सेना के मेजर जनरल हैंक टेलर ने पेंटागन ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, आईएसआईएस के दो हाई-प्रोफाइल लक्ष्य मारे गए, एक घायल हो गया, और हम शून्य नागरिक हताहतों के बारे में जानते हैं।
यूएस सेंट्रल कमांड ने शुरू में शुक्रवार को आकलन किया कि पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में हुए ड्रोन हमले में आईएसआईएस-के के एक योजनाकार की मौत हो गई।
यह हमला गुरुवार को काबुल हवाईअड्डे के बाहर एक आत्मघाती बम विस्फोट के बाद हुआ, जिसमें अमेरिकी सेवा के 13 सदस्य और करीब 170 अफगान मारे गए थे। आईएसआईएस-के ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने ब्रीफिंग में कहा कि निकासी का समर्थन करने वाली अमेरिकी सेना ने काबुल हवाईअड्डे से अपनी वापसी शुरू कर दी है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन को समाप्त करने की समय सीमा 31 अगस्त निर्धारित की।
15 अगस्त को तालिबान के काबुल में प्रवेश करने के बाद से अमेरिका अमेरिकियों और उसके अफगान सहयोगियों को देश से निकालने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। व्हाइट हाउस ने शनिवार को कहा कि 14 अगस्त से लगभग 111,900 लोग अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। (आईएएनएस)
टोक्यो, 29 अगस्त| जापानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि मॉडर्न इंक के कोविड-19 वैक्सीन के दो शॉट मिलने के बाद दो लोगों की मौत हो गई। मंत्रालय के अनुसार, 30 और 38 वर्ष की आयु के दो पुरुषों की क्रमश: 22 और 15 अगस्त को दूसरा इंजेक्शन लगने के कुछ दिनों के भीतर ही मृत्यु हो गई, और दोनों पुरुषों पर इस्तेमाल किए गए टीके की किसी भी शीशी में कोई विदेशी पदार्थ नहीं पाया गया। एजेंसी ने यह सूचना दी।
मंत्रालय ने कहा कि यह अज्ञात है कि क्या टीकाकरण और उनकी मृत्यु के बीच एक कारण संबंध है, यह कहते हुए कि उनमें से किसी की भी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति या एलर्जी का इतिहास नहीं था।
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पांच प्रांतों में आठ टीकाकरण स्थलों पर 39 अप्रयुक्त शीशियों में विदेशी पदार्थ पाए गए हैं। उसी दिन, एक स्पेनिश कारखाने की एक ही उत्पादन लाइन से आने वाली लगभग 16.3 लाख खुराक को एहतियात के तौर पर उपयोग करने के लिए निलंबित कर दिया गया था।
जापान के टीकाकरण प्रभारी मंत्री तारो कोनो ने कहा, "हालांकि, संभावित दूषित बैचों से 500,000 से अधिक शॉट्स पहले ही प्रशासित किए जा चुके हैं।"
हालांकि 16 अगस्त से विदेशी पदार्थो की पुष्टि की गई थी, जापानी दवा निर्माता टेकेडा फार्मास्युटिकल कंपनी, जो जापान में मॉडर्न वैक्सीन की बिक्री और वितरण के प्रभारी हैं, ने मंत्रालय को समस्या की रिपोर्ट करने के लिए बुधवार तक इंतजार किया।
मॉडर्ना और टाकेडा ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि वे दो मौतों की जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ काम कर रहे हैं।
दोनों कंपनियों ने कहा कि इस समय, उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि ये मौतें मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन के कारण हुईं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अगस्त| अफगानिस्तान में हक्कानी कमांडरों को पिछले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपे जाने के बाद से विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान तालिबान सरकार चलाना चाहता है और करेगा। आने वाले दिनों में अफगान मिलिशिया द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों में प्रमुख भूमिका निभाएं। खलील-उल-रहमान हक्कानी जैसे नेताओं को काबुल का नया सुरक्षा प्रमुख नियुक्त किया गया है, जबकि हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे अब्दुल अजीज अब्बासिन को तालिबान सैनिकों को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति के प्रबंधन का प्रभार दिया गया है, जो पंजशीर घाटी पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं।
हक्कानी नेटवर्क के महत्वपूर्ण कमांडरों को दी गई नई जिम्मेदारियों की श्रृंखला का जिक्र करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान युद्धग्रस्त देश में अहम फैसलों पर हावी होने की कोशिश करेगा।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस समय तालिबान अल कायदा सहित क्षेत्र में सक्रिय किसी भी अन्य आतंकवादी समूह के साथ टकराव का मार्ग नहीं खोलेगा।
यह देखते हुए कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान सामान्य रूप से 1980 के दशक के अंत से पाकिस्तानी सेना और इसकी इंटेलिजेंस विंग करक का डोमेन रहा है, पूर्व राजनयिक अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि उन्होंने अतीत में अमेरिका, सऊदी अरब और सोवियत संघ के साथ लड़ाई लड़ी थी। फिर, वे पाकिस्तानी डिजाइन के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
त्रिगुणायत ने कहा, "हक्कानी नेटवर्क वास्तव में तालिबान को पकड़ने के लिए पाकिस्तान की कुंजी है। यह भी उन समूहों में से एक है जो भारत के खिलाफ है और पूरी तरह से पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। यह पाकिस्तान के इशारे पर ज्यादातर फैसले लेता है।"
उन्होंने कहा कि हक्कानी नेटवर्क एक शक्तिशाली समूह है जो तालिबान का हिस्सा है, लेकिन इस्लामाबाद से निर्देश लेता है और तालिबान उन्हें रोकने की स्थिति में नहीं है।
उन्होंने कहा, इसी तरह के विचार रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी (सेवानिवृत्त) ने व्यक्त किए, जिन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को नष्ट करने के लिए हक्कानी समूह, तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों का उपयोग कर रहा है। अब जबकि नए तालिबान ने वहां सत्ता पर कब्जा कर लिया है, पाकिस्तान अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है।
बख्शी ने कहा, पाकिस्तान चतुराई से खेलने की कोशिश कर रहा है और वह हक्कानी नेटवर्क के माध्यम से नए प्रशासनिक ढांचे पर अप्रत्यक्ष रूप से अफगानिस्तान के शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए दबाव डालेगा। (आईएएनएस)
बीजिंग, 28 अगस्त | स्थानीय समयानुसार 27 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने कोविड-19 वायरस ट्रैसेबिलिटी रिपोर्ट का गैर-गोपनीय मूल्यांकन सारांश जारी किया। खुफिया तंत्र की शाखाएं अभी भी वायरस की उत्पत्ति की दो मुख्य-धाराओं के विचारों- प्रयोगशाला रिसाव सिद्धांत और प्राकृतिक उत्पत्ति सिद्धांत पर सहमत नहीं हो सकी हैं। रिपोर्ट में कोविड-19 वायरस के स्रोत पर कोई निश्चित बात नहीं की गयी। पर रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जांच-पड़ताल के परिणाम से यह जाहिर हुआ है कि कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार के रूप में नहीं बनाया गया था। साथ ही आनुवंशिक इंजीनियरिंग के माध्यम से कोरोना वायरस को तैयार करना लगभग असंभव है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी अधिकारियों को कोविड-19 महामारी के प्रकोप से पहले इस वायरस के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसी को कोविड-19 वायरस ट्रैसेबिलिटी की जांच करने और 90 दिन में परिणाम बताने का आदेश दिया था।(आईएएनएस)
चीन ने इंटरनेट कंपनियों के लिए एल्गोरिदम बनाने से संबंधित दिशा निर्देश जारी किए हैं. कंपनियों को कहा गया है कि वो ऐसे एल्गोरिदम ना बनाएं जिनसे लोग ऐसी चीजों पर खर्च करने के लिए आकर्षित हों जिनसे जन व्यवस्था पर असर पड़े.
ये दिशा निर्देश विशेष रूप से उन एल्गोरिदम के लिए हैं जो यूजर को क्लिक करने के लिए सुझाव देते हैं. चीन के इंटरनेट नियामक ने कहा है कि ये कदम यूजरों की निजता और डाटा की सुरक्षा के लिए उठाए गए हैं. नियामक ने कहा कि इंटरनेट कंपनियों को व्यापार में नैतिक आचरण और निष्पक्षता के सिद्धांत मानने चाहिए.
नियामक के अनुसार कंपनियों को ऐसे एल्गोरिदम मॉडल नहीं बनाने चाहिएं जो यूजरों को बहुत सारा पैसा खर्च करने का प्रलोभन दें. इसके अलावा ऐसे एल्गोरिदम का इस्तेमाल नकली अकाउंट बनाने के लिए भी नहीं होना चाहिए. यूजरों को यह विकल्प भी दिया जाना चाहिए कि वो एल्गोरिदम सुझाने के फीचर को आसानी से बंद कर सकें.
इंटरनेट कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई
नियामक ने कहा कि दिशा निर्देशों के इस मसौदे पर 26 सितंबर तक फीडबैक दिया जा सकता है. यह कदम ऐसे समय पर आया है जब चीन अपने देश की इंटरनेट कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है. सरकार ने एकाधिकार संबंधी गतिविधियों से लेकर उपभोक्ताओं की निजता जैसे मुद्दों पर कंपनियों को निशाना बना कर उन्हें सजा दी है.
कुछ महीनों पहले चीनी उपभोक्ता एसोसिएशन ने लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग करने और लोगों को जबरन खरीदारी करने पर मजबूर करने के लिए इंटरनेट कंपनियों की आलोचना की थी. तब से सरकारी मीडिया ने इस तरह के एल्गोरिदम के नियंत्रण की कई बार मांग की है.
पूरी दुनिया में इंटरनेट कंपनियां यूजरों की पसंद पहचानने और उन्हें सुझाव देने के लिए एल्गोरिदम का इस्तेमाल करती हैं. चीन में इस तरह की कंपनियों में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा, टैक्सी एग्रीगेटर दीदी और टिकटॉक की मालिकाना कंपनी बाइटडांस शामिल हैं.
चीन में टेक नियामन
इस कदम से चीन की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियों पर सीधा असर पड़ेगा. हांग कांग में अलीबाबा समूह के शेयरों में 5.2 प्रतिशत तक की गिरावट आई. कंपनी ने तुरंत इस पर कोई टिप्पणी नहीं की. बीजिंग स्थित कंसल्टेंसी कंपनी ट्रिवियम चाइना में टेक पॉलिसी रिसर्च के मुखिया केंड्रा शैफर कहते हैं, "जहां तक मेरा सोचना है, यह नीति यह दिखाती है कि चीन में टेक नियामन उस स्तर पर नहीं है जिस पर यूरोपीय संघ के डाटा नियम हैं, बल्कि उनसे आगे निकल गया है."
चीन ने हाल ही में एक डाटा सुरक्षा कानून भी पास किया था जो एक सितंबर से लागू होगा. सरकार के मुताबिक इसका उद्देश्य साइबरस्पेस में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों के अधिकारों की सुरक्षा करना और तेजी से बढ़ते देश के इंटरनेट उद्योग पर लगाम लगाना है.
सीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
दशकों से हमने ग्रहों और चंद्रमाओं की टोह लेने के लिए सैटेलाइट और अंतरिक्ष यान रवाना किए हैं. कुछ तो इतना दूर निकल जाते हैं कि उनसे सौरमंडल ही छूट चुका होता है. लेकिन ये मिशन आखिर किसलिए?
डॉयचे वेले पर जुल्फिकार अबानी की रिपोर्ट
फ्लाईबाई -यानी अंतरिक्ष में किसी ग्रह का चक्कर लगाना. वैसे तो ये कोई नयी बात नहीं है. लेकिन एक दिन के अंतराल में एक ही ग्रह की दो फ्लाईबाई? ये तो खास है. अंतरिक्ष में पहली बार, अगस्त में दो यान शुक्र ग्रह के पास से गुजरे- बेपीकोलम्बो ने बुध का रुख किया और सोलर ऑरबिटर, सूरज के सफर पर है.
फ्लाईबाई न करें तो अपने लक्ष्य तक पहुंचना उनके लिए मुमकिन नहीं, ग्रैविटी भी मददगार होती है. लेकिन अफसोस, दोनों एक-दूसरे की फोटो नहीं उतार पाए. वे थे भी तो पांच लाख 75 हजार किलोमीटर दूर!
अंतरिक्ष यान की मदद करता है गुरुत्व
बेपीकोलम्बो अंतरिक्षयान शुक्र के पास से इसलिए गुजरा कि अपनी रफ्तार को धीमी करने में उससे मदद मिल सके. उसे अपनी "कक्षीय ऊर्जा” का बुध की कक्षीय ऊर्जा से मिलान कराना होता है. तभी वो बुध की कक्षा में दाखिल हो पाएगा.
बेपी चला था, धरती की कक्षीय ऊर्जा लेकर, जो काफी ज्यादा होती है. लेकिन अब उसे इतनी तेजी नहीं चाहिए. सीधी सी बात ये कि अपनी ऊर्जा वो शुक्र को दे रहा है और ग्रैविटी यानी गुरुत्व से उसे मदद मिल रही है- गुलेल जैसा खिंचाव और बदला हुआ रास्ता.
शुक्र पर शीत युद्ध
शीत युद्ध का दौर था जब अंतरिक्ष यात्रा की होड़ शुरू हुई थी. सबसे पहले सोवियत संघ ने 1961 में शुक्र ग्रह के पास अंतरिक्ष यान उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहा. उसे चुभा तो होगा लेकिन एक साल बाद ही अमेरिका अपना अंतरिक्ष यान, मैरीनर 2 भेजने में सफल रहा.
सोवियत संघ को अपनी पहली कामयाबी 1978 में मिली. तब तक अमेरिकियों ने बुध, मंगल और बृहस्पति की परिक्रमा कर डाली थी. लेकिन चांद पर सबसे पहले पहुंचने वाले थे- सोवियत अंतरिक्ष यात्री. यहां पर सोवियतों ने लंबा हाथ मारा.
छोर को भी छोड़ते वोयेजर
1977 में लॉन्च किए गए वोयेजर 1 और वोयेजर 2 अंतरिक्षयानों को बाहरी सौरमंडल को खंगालने के लिए भेजा गया था. दोनों धरती की समस्त ध्वनियों के गोल्डन रिकॉर्ड से लैस थेः एलियन्स को सुनाने के लिए हमारी दास्तान. दोनों यानों ने बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून का चक्कर लगाया.
वी 1 ने तो बृहस्पति पर सैकड़ों वर्षो से जमा तूफान- ग्रेट रेड स्पॉट की फोटो भी खींची थी. वी 1 और वी 2 अब हमारे सौरमंडल से बाहर तारों के बीच किसी स्पेस में मंडरा रहे होंगे. उन्हें ही कहा जाता है "सबसे दूर स्थित मानव-निर्मित वस्तुएं.”
बृहस्पति के उन्यासी चंद्रमा
लोग अक्सर इस अकेले, बोदे चंद्रमा को मोहब्बत और ताज्जुब से देखते हैं. और देखें भी क्यों ना, वो मज़ा कहां आता अगर हमारे पास बृहस्पति जैसे ढेर सारे, 79 चंद्रमा होते. वोयेजर 2 ने उनमें से एक खोज निकाला था (नेपच्युन के पांच चंद्रमा भी उसी ने खोजे थे).
और ये पता लगाने वाला वही था कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में धरती से इतर जीवन का कोई रूप मौजूद हो सकता है. हमें इसके खारे महासागरों के बारे में जानने की इच्छा होती है. अपने अंतरिक्षयान यूरोपा क्लिपर के जरिए नासा इसके बारे में और जानना चाहता है.
टूट जाना और जल उठना...गर्व से
अगर आप सोचते हैं कि 79 चंद्रमा तो बहुत हैं तो जरा 82 का सोचिए. शनि महाराज के पास इतने ही हैं. शनि और उसके चंद्रमाओं की खोज में निकला कैसिनी अंतरिक्ष यान अमेरिका और यूरोप का साझा मिशन था. उसने शनि के चंद्रमाओं के 162 चक्कर लगाए.
इनमें टाइटन और एनसिलाडस चंद्रमा भी शामिल थे जहां उसे महासागर मिले. सौरमंडल को 13 साल तक खंगालते हुए एक रोज कैसिनी ने अपनी आखिरी डुबकी शनि पर लगाई. आखिरी समय तक वो अपनी रिपोर्ट जुटाता रहा.
प्लूटो जैसे अदना ग्रह का दौरा भी
वोयेजर 1 और 2 को हमारे सौरमंडल के छोर पर साथ मिल गया, नासा के न्यू होराइजन का. ग्रैविटी का धक्का लेने के लिए बृहस्पति के पास से गुज़रते हुए, छह महीने वो अदना से ग्रह प्लूटो के आसपास मंडराता रहा था.
उसके बाद उसने कुइपर बेल्ट का रास्ता लिया जहां उसने वोयेजर 1 को कैमरे में कैद किया. अंतरिक्ष यान पायनियर 10 और पायनियर 11 ही अब तक उतना दूर जा पाए थे. ये अभियान अंतरिक्ष के भूगर्भ और जीवन से जुड़े सवालों का जवाब देने में हमारी मदद करते हैं.
कभी नहीं खत्म होता अंतरिक्ष
और भी बहुत से नामचीन फ्लाईबाई मिशन सक्रिय हैं- अंतरिक्ष यान रोजेटा ने धरती और मंगल के चक्कर लगाए थे और फिर चुरी धूमकेतु का रुख किया था. हेली धूमकेतु को बारीकी से टटोलने वाला गियोटो भी था.
नासा का डीप स्पेस 1 मिशन, और उसी का डीप इम्पैक्ट मिशन, किसी धूमकेतु से सैंपल के साथ वापसी का पहला मिशन, स्टारडस्ट... और भविष्य में और भी बहुत कुछः धरती से पहली बार सुदूर अंतरिक्ष में दुर्लभ एस्टेरॉयड जोड़े- डिडीमोस से मिलने निकलेगा यूरोप का अंतरिक्ष यान, हेरा. क्यों? बात सारी ये जानने की है कि हम इस ब्रह्मांड में हैं कौन, और कहां पर हैं यानी हमारी हैसियत क्या है. (dw.com)
इसराइली प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट के साथ मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अगर कूटनीति से ईरान के परमाणु संकट का समाधान नहीं होता है तो अमेरिका 'अन्य विकल्प अपनाने के लिए तैयार हैं.'
वॉशिंगटन में नए अमेरिकी राष्ट्रपति और नए इसराइली प्रधानमंत्री के बीच शुक्रवार को ये पहली मुलाक़ात हुई.
बेनेट ने राष्ट्रपति बाइडन के बयान की प्रशंसा की और कहा कि इसराइल कभी भी ईरान को परमाणु हथियार नहीं हासिल करने देगा.
काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाकर किए गए घातक हमले की वजह से बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात 24 घंटों के लिए टल गई थी.
बेनेट इस साल जून में ही इसराइल के प्रधानमंत्री बने हैं. उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उनके एजेंडे के शीर्ष पर रहेगा.
ईरान कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है लेकिन पश्चिमी देश मानते हैं कि ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है.
बेनेट के साथ क़रीब पचास मिनट चली बैठक के बाद बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि हम सबसे पहले कूटनीति से ईरान के परमाणु मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.
परमाणु समझौते पर अंतिम फ़ैसला बाक़ी
बाइडन ने कहा कि यदि कूटनीति नाकाम हो जाती है तो हम फिर दूसरे विकल्प भी अपनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये विकल्प क्या होंगे.
ईरान ने 2015 में पश्चिमी देशों के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर समझौता किया था लेकिन साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया था.
ईरान के साथ हुए समझौते को फिर से जीवित करने के लिए वियना में वार्ता चल रही है, लेकिन कुछ महीनों से इसमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है.
ट्रंप ने अमेरिका को समझौते से अलग करते हुए ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिनके जवाब में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ कर दिया है.
हालांकि ईरान ये कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है लेकिन अब ईरान हथियार बनाने के स्तर तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि वो ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा लेंगे और फिर से समझौते में शामिल हो जाएंगे बशर्ते ईरान समझौते की शर्तों का सख़्ती से पालन करे.
लगी रहीं इसराइली मीडिया की नज़रें
इसराइल के मीडिया की नज़रें बाइडन और बेनेट की इस पहली मुलाक़ात पर टिकी रहीं. प्रधानमंत्री बेनेट को व्हाइट हाउस में दाखिल होते हुए और फिर बाहर निकलते हुए दिखाया गया.
इसराइली अख़बार हॉरेत्ज़ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि बाइडन और बेनेट के बयान दर्शाते हैं कि भले ही खिलाड़ी बदल गए हैं लेकिन खेल चलता रहेगा.
इसराइली मीडिया में ये भी ज़ोर देकर बताया गया है कि बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात तय समय से अधिक चली है जिससे पता चलता है कि ये बैठक कितनी अहम थी.
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के बीच गहरे और क़रीबी रिश्ते थे. ट्रंप के कार्यकाल में यरूशलम को इसराइली राजधानी के रूप में मान्यता मिली थी. इसे इसराइल की एक बड़ी कूटनीतिक जीत और अमेरिका से मिली बड़ी राहत के तौर पर देखा गया था.
अब बाइडन ने भी बेनेट को दोस्त कहा है, जिससे ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और भाईचारा मज़बूत बना रहेगा.
बाइडन ने ये भी कहा है कि अमेरिका इसराइल के आईरन डोम मिसाइल सिस्टम का समर्थन करता रहेगा. बाइडन ने कहा कि अमेरिका इसराइल की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.
हालांकि, दोनों के बीच मतभेद तब नज़र आए जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हम इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच शांति, सुरक्षा और सद्भावना बढ़ाने को लेकर भी चर्चा करने जा रहे हैं."
बेनेट ने अपने बयान की शुरुआत से पहले काबुल में मारे गए अमेरिकी जवानों को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि "मैं यरूशलम से सद्भावना का एक नया साहस लेकर आया हूं."
हॉरेत्ज़ के लेख के मुताबिक़ जब बाइडन ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी मध्य-पूर्व में अमेरिका की नीति निर्धारित करने के लिए शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए तो बेनेट उस समय गहरी सांस ले रहे थे.
मीडिया को दिए अपने बयान में बेनेट ने पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के सख़्त लहजे को ही दोहराया.
उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा सबसे क़रीबी दोस्त है, यरूशलम हमारी ऐतिहासिक राजधानी है और हम ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे.
इसराइल ये कहता रहा है कि वह दुश्मन देशों से घिरा एक छोटा सा देश है और इसलिए इसराइल की सैन्य शक्ति को बनाए रखना ज़रूरी है.
इसराइल को फिर मिल रहा है अमेरिकी समर्थन?
अमेरिका में इस समय डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में है. हाल के सालों में इसराइल के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कम हुआ है.
बिन्यामिन नेतन्याहू ने जब राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था तो डेमोक्रेटिक पार्टी और इसराइल के बीच दूरियां और बढ़ गई थीं.
शुक्रवार को हुई मुलाक़ात में बेनेट और बाइडन ने ये दिखाने की कोशिश भी कि वो द्विपक्षीय समर्थन को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
ईरान के लिए क्या है संदेश?
बाइडन ने ईरान के परमाणु मुद्दे पर कहा कि यदि कूटनीति फेल होती है तो अमेरिका अन्य विकल्पों पर भी विचार करेगा.
राष्ट्रपति बाइडन के इस बयान ने ही सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा है और माना जा रहा है कि उन्होंने ईरान को संदेश देने की कोशिश की है.
बेनेट ने राष्ट्रपति के स्पष्ट स्टैंड पर उनका शुक्रिया भी किया और तारीफ़ भी की.
हालांकि राष्ट्रपति ने ये स्पष्ट नहीं किया कि ये विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं लेकिन इसे ईरान के लिए एक स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.
हाल के महीनों में ईरान और इसराइल के बीच तनाव बढ़ा है और दोनों ने एक दूसरे के जहाज़ों पर हमले करने के आरोप लगाए हैं.
इसराइल ने ये दर्शाने की कोशिश भी की है कि वो अपनी सुरक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेगा और ख़ुद एक्शन लेने के लिए तैयार रहेगा.
अब बाइडन और बेनेट की मुलाक़ात से ये संदेश भी दिया गया है कि अमेरिका इसराइल के साथ मज़बूती से खड़ा है. (bbc.com)
अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसने अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के सदस्यों पर हवाई हमला किया है.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि इस्लामी समूह के योजनाकर्ता को निशाना बनाया गया, जिसने गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट पर बड़े हमले को अंजाम दिया था. इन हमलों में 170 लोगों की मौत की बात कही जा रही है, जिनमें कम से कम 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं.
इन हमलों की ज़िम्मेदारी अफ़ग़ानिस्तान में आईएस के धड़े इस्लामिक स्टेट-ख़ुरासान (IS-K) ने ली थी.
अमेरिका ने कहा है कि उसने नांगाहार प्रांत में ड्रोन से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया है और इसमें आईएस के जिस लक्ष्य को निशाना बनाया गया था, उसके मारे जाने की संभावना है.
बाइडन ने बदला लेने का किया था वादा
गुरुवार को धमाकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कहा था कि इस घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों को ढूंढ निकाला जाएगा.
अमेरिकी अधिकारियों ने संभावित हमलों को देखते हुए काबुल में अपने नागरिकों को नई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे एयरपोर्ट के मुख्य रास्तों से दूर रहें.
वहीं, वरिष्ठ तालिबान अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने काबुल एयरपोर्ट के अंदर पोज़िशन ले ली है और अमेरिकियों के जाते ही वो नियंत्रण संभालने को तैयार हैं.
दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि वो आख़िरी लम्हों तक अफ़ग़ान लोगों को निकालेगा और उसकी सेना के पास अब भी जगह का नियंत्रण है. (bbc.com)
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बताया है कि अमेरिका ने पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट समूह के ख़िलाफ़ एक ड्रोन हमला किया है जिसमें समूह का एक सदस्य मारा गया है.
इस अभियान में नांगाहार प्रांत में इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान समूह के 'साज़िशकर्ता' को निशाना बनाया गया था.
ISIS-K का कहना है कि गुरुवार को उसने काबुल में हमले किए थे. इन हमलों में कम से कम 170 लोगों की मौत हुई है, वहीं मरने वालों में 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं.
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अमेरिका का कहना है कि 'शुरुआती संकेत' बताते हैं कि इस हमले में आईएस के जिस सदस्य को निशाना बनाया गया था वो मारा गया है और किसी आम नागरिक की मौत नहीं हुई है.
इस महीने राजधानी काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से निकाला जाना जारी है.
बीते दो हफ़्तों में 1,00,000 से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है. मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के सुरक्षाबलों के चले जाने की डेडलाइन पूरी हो रही है.
IS-K या इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान प्रांत ने हमले की ज़िम्मेदारी ली थी जो कि इस्लामिक स्टेट समूह की एक ब्रांच है. अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद जिहादी उग्रवादी समूहों में ये सबसे हिंसक माना जाता है.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ के बीच यह धमाका हुआ था.
अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की उम्मीद में इकट्ठा दर्जनों लोग इसमें मारे गए. अमेरिकी सैनिकों के अलावा ब्रिटेन के दो नागरिक और एक ब्रितानी नागरिक का बच्चा भी इस हमले में मारा गया.
बाइडन ने शुक्रवार को इस हमले के साज़िशकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा था, "हम माफ़ नहीं करेंगे, हम नहीं भूलेंगे. हम ढूंढ निकालेंगे और नतीजा भुगतना होगा."
5,000 अमेरिकी सुरक्षाबल तैनात
काबुल एयरपोर्ट पर तक़रीबन 5,000 अमेरिकी सुरक्षाबल तैनात हैं जो कि देश छोड़ रहे अफ़ग़ान लोगों की मदद में लगे हुए हैं.
एक सैन्य अधिकारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से कहा, "अगले 48 घंटों में अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए हम हर विदेशी नागरिक को एक रास्ता मुहैया करा रहे हैं."
तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने एयरपोर्ट के हिस्सों का नियंत्रण ले लिया है लेकिन अमेरिका ने कहा है कि उसके सुरक्षाबलों ने अब भी नियंत्रण ले रखा है.
काबुल में मौजूद बीबीसी की मुख्य अंतरराष्ट्रीय संवादददाता लिज़ डूसे सूत्रों के हवाले से बताती हैं कि अमेरिका और ब्रिटिश सैनिक एयरपोर्ट पर अपना अभियान 'समेट रहे हैं' और तालिबान 'कुछ घंटों के बाद' नियंत्रण ले लेगा.
अधिकतर नेटो देशों ने अपनी आपातकालीन उड़ानों को समाप्त कर दिया है. फ्रांस ने शुक्रवार को ही अपना निकासी अभियान समाप्त कर दिया था. उनका आरोप था कि एयरपोर्ट पर सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती जा रही है.
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, फ़्रांस के अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि सुरक्षा में कमी 'अमेरिकी बलों के तेज़ी से पीछे हटने के कारण हुई है.'
गुरुवार को हुए धमाके के बाद अफ़ग़ानिस्तान में यह अमेरिका का पहला ड्रोन हमला है.
सेंट्रल कमांड के कैप्टन बिल अर्बन ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के नांगाहार प्रांत में एक मानव रहित हवाई हमला किया गया. शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि हमने अपने लक्ष्य को मार दिया है. हमें पता चला है कि आम नागरिकों को कोई नुक़सान नहीं हुआ है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा कि ये हमला आईएस के एक सदस्य को निशाना बनाकर किया गया था.
उन्होंने बताया कि इस हमले को मध्य पूर्व से रीपर ड्रोन से अंजाम दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक अन्य आईएस सदस्य के साथ वो सदस्य एक कार में था जब उसे निशाना बनाया गया और इस हमले मे दोनों लोग मारे गए हैं.
ऐसा माना जाता है कि IS-K के हज़ारों लड़ाके नांगाहार प्रांत में छिपे हुए हैं. यह प्रांत काबुल के पूर्व में है.
अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिकी नागरिकों को नई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि संभावित हमलों के मद्देनज़र वे एयरपोर्ट के दरवाज़ों से दूर रहें.
'हमारे जवान अब भी ख़तरे में हैं'
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने शुक्रवार की दोपहर कहा था कि अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि 'काबुल में एक और आतंकी हमला हो सकता है. ख़तरा जारी है और हमारे जवान अभी भी ख़तरे में हैं.'
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका का मानना है कि एयरपोर्ट के ऊपर अब भी 'विश्वसनीय' ख़तरा बना हुआ है.
उन्होंने कहा, "हम निश्चित रूप से तैयार हैं और भविष्य में किसी भी तरह की कोशिश की उम्मीद रखते हैं."
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि तालिबान लड़ाके राइफ़लों के साथ एयरपोर्ट के बाहर हैं और वो एयरपोर्ट के दरवाज़े पर भीड़ को जाने से रोक रहे हैं, चेक पॉइंट्स पर ट्रक और बख़्तरबंद गाड़ियों के साथ भी वे तैनात हैं.
व्हाइट हाउस अधिकारियों ने कहा है कि बीते 24 घंटों में उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान से 12,500 लोगों को निकाला है.
एयरपोर्ट के बाहर बसों में और बाहर लोग अपने बैग के साथ खड़े हैं, इनकी संख्या सैकड़ों में है जबकि एक दिन पहले यहाँ हज़ारों की तादाद में लोग थे. अभी भी लाखों लोग देश छोड़ना चाहते हैं लेकिन शुक्रवार को एयरपोर्ट गेट पर कुछ ही लोग पहुंच पाए थे.
बाइडन की रेटिंग में आ रही गिरावट
शुक्रवार को अमेरिकी सेना के मेजर जनरल विलियम टेलर ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए धमाके पर कहा था कि 'हमें नहीं लगता है कि दूसरा धमाका हुआ था या बेरन होटल के पास कोई धमाका हुआ था. केवल एक आत्मघाती हमलावर था.'
बम धमाके के बाद शुक्रवार को स्वास्थ्य अधिकारियों ने मरने वालों का आँकड़ा बढ़ा दिया था. इसके बाद कुल मौतों का आंकड़ा 170 हो गया जबकि कम से कम 200 लोग घायल हुए हैं. अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि मारे गए कुछ लोगों में अफ़ग़ान-अमेरिकी लोग भी शामिल हैं.
अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान से इस तरह से निकलने के बाद राष्ट्रपति बाइडन की अप्रूवल रेटिंग में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. गुरुवार को हुए धमाके के बाद उन्हें राजनीतिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि, यह अभी तक साफ़ नहीं है कि भविष्य में इससे उनके राष्ट्रपति कार्यकाल को नुक़सान पहुंचेगा या नहीं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 27 अगस्त | इस्लामिक स्टेट-खुरासान ने भले ही गुरुवार को काबुल में हुए आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी ली हो, जिसमें कम से कम 90 लोग मारे गए थे, लेकिन तालिबान गुट का काबुल में पिछले कई दिनों से आंशिक रूप से नियंत्रण है और इस लिहाज से हक्कानी नेटवर्क की भी जांच होनी चाहिए। जर्नल फॉरेन पॉलिसी में सज्जन एम. गोहेल ने हक्कानी नेटवर्क पर संदेह जताते हुए यह बात कही है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर) होने के अलावा, गोहेल लंदन स्थित एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक भी हैं।
उन्होंने लिखा है कि कुल मिलाकर हमले से हक्कानी नेटवर्क को रणनीतिक रूप से लाभ हुआ है, क्योंकि यह संभवत: विदेशी प्रस्थान को गति देगा और आगे निकासी की संभावना को रोक देगा।
उन्होंने आगे कहा, "इस्लामिक स्टेट-खुरासान के हक्कानी नेटवर्क के साथ-साथ पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों की अस्पष्ट प्रकृति कई आतंकवादी संगठनों के बीच मौन सहयोग की एक जटिल व्यवस्था प्रस्तुत करती है।"
लेख में कहा गया है, "पाकिस्तानी सेना और खुफिया समुदाय के साथ इसके गहन संबंध हैं। इसका अफगान और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए तालिबान को मान्यता देने और वैध बनाने के लिए उत्सुक है।"
गोहेल ने कहा कि यह अक्सर कहा जाता है कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान और तालिबान के बीच एक स्पष्ट विभाजन है, लेकिन अफगानिस्तान में आतंकवाद और राजनीति की कठोर वास्तविकता यह है कि स्थिति कभी भी श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) नहीं होती है।
साथ में शपथ ग्रहण करने वाले शत्रु एक दिन आपस में लड़ सकते हैं और दूसरे दिन आपसी लाभ के लिए सहयोग भी कर सकते हैं। ये समूह आपस में जुड़े हुए हैं और परस्पर जुड़े हुए हैं। उनके रहन-सहन और विवाह संबंध यह सुनिश्चित करते हैं कि वैचारिक अलगाव स्थायी न बने।
हक्कानी नेटवर्क ने पाकिस्तान की शक्तिशाली लेकिन कुख्यात इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किए हैं, जिसने उसे हथियार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की है।
आईएसआई ने क्वेटा शूरा गुट सहित, अब अफगानिस्तान में लौट आए अधिकांश तालिबान नेतृत्व को भी आश्रय प्रदान किया है। गोहेल ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से हक्कानी के सक्षम होने का प्राथमिक कारण यह था कि उसे पाकिस्तान के भीतर सुरक्षित पनाहगाहों से लाभ हुआ है, जिससे उनके लड़ाकों को सीमा पार से हमले शुरू करने और आवश्यकता पड़ने पर वापस आने की क्षमता मिली है।
गोहेल ने कहा कि वास्तव में, इस्लामिक स्टेट-खुरासान और हक्कानी के बीच एक सामरिक और रणनीतिक अभिसरण रहा है।
हक्कानी नेटवर्क एक परिवार-कबीले के उद्यम की तरह है और इसमें विवाह के माध्यम से भाई-बहन, चचेरे भाई और अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
गोहेल ने कहा कि जो भी गुट निकासी सुरक्षा का प्रभारी था, उससे पूछा जाना चाहिए कि परिधि को ठीक से नियंत्रित क्यों नहीं किया गया था और तालिबान की चौकियों ने कई अफगानों को हवाई अड्डे तक पहुंचने से क्यों रोक दिया था, फिर भी हमलावरों को रोकने में विफल रहे। (आईएएनएस)