अंतरराष्ट्रीय
चीन ने एक ट्रेन शुरू की है जो 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है. यह दुनिया की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन होगी. चीन में भी ऐसी ट्रेन कम ही हैं.
चीन के सरकारी मीडिया ने खबर दी है कि देश की नई मेगलेव ट्रेन शुरू हो गई है. इस ट्रेन की अधिकतम गति 600 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है.
चीन ने यह ट्रेन घरेलू स्तर पर ही विकसित की है. इसे तटीय शहर किंगदाओ की एक फैक्ट्री में बनाया गया है. धरती पर यह सबसे तेज गति से चलने वाला वाहन है.
कैसे चलती है मेगलेव ट्रेन
इस ट्रेन में इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक फोर्स का इस्तेमाल होता है. चुंबकीय शक्ति के कारण यह ट्रेन ट्रैक से कुछ इंच ऊपर हवा में चलती है. यानी ट्रेन के पहिये और पटरी के बीच कोई संपर्क नहीं होता. हालांकि यह तकनीक नई नहीं है. चीन पिछले दो दशक से यह तकनीक इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन अब तक इसका प्रयोग सीमित रहा है.
शंघाई से पास के एक कस्बे को जाने वाली मेगलेव लाइन है, जहां इस तकनीक पर चलने वाली ट्रेन प्रयोग होती है. चीन में शहरों के अंदर या विभिन्न प्रांतों के बीच भी कोई मेगलेव लाइनें नहीं हैं. फिर भी तेज रफ्तार ट्रेनें चीन में खूब इस्तेमाल होती हैं. और अब मेगलेव ट्रेनों को लंबी दूरी में इस्तेमाल करने को लेकर काम शुरू हो गया है. शंघाई और चेंग्दू जैसे कई शहरों ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है.
कम ही हैं ऐसी ट्रेन
600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से इस मेगलेव ट्रेन को बीजिंग से शंगाई की एक हजार किलोमीटर की दूरी तय करने में ढाई घंटे का वक्त लगेगा. विमान से यह सफर साढ़े तीन घंटे का है. और दूसरी तेज रफ्तार ट्रेन इसमें साढ़े पांच घंटे लगाती है.
चीन की देखा-देखी दुनिया के अन्य देशों में भी तेज रफ्तार ट्रेनें चलाने पर विचार हो रहा है. जापान के अलावा जर्मनी भी मेगलेव नेटवर्क तैयार करने पर विचार कर रहे हैं.
हालांकि यह बहुत खर्चीली परियोजना है और ट्रेनों का मौजूदा नेटवर्क मेगलेव तकनीक के लिहाज से पूरी तरह अलग है इसलिए ऐसी योजनाएं कहीं और सिरे नहीं चढ़ पाई हैं. भारत में भी बुलेट ट्रेन के रूप में तेज रफ्तार ट्रेनें चलाने की बात बहुत सालों से चल रही है. भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले, 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार में देश में बुलेट ट्रेन चलाने का वादा किया था. बाद में मुंबई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने का ऐलान भी किया गया लेकिन फिलहाल वह योजना अधर में है.
वीके/सीके (रॉयटर्स)(dw.com)
पाकिस्तान में इमरान खान के फोन केइजरायली जासूसी साफ्टवेयर पेगसास के जरिए हैक होने की खबर से बवाल मचा हुआ है। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री फर्रुख हबीब ने मंगलवार को संदेह जताया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के कार्यकाल में इमरान खान का फोन हैक हुआ था। हबीब ने कहा कि ऐसी आशंका है कि नवाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री और अपने 'दोस्त' नरेंद्र मोदी के जरिए इजरायली साफ्टवेयर की मदद से इमरान खान का फोन हैक कराया।
हबीब ने कहा कि मोदी सरकार भी एनएसओ ग्रुप के ग्राहकों में शामिल है। उन्होंने फैसलाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'नवाज शरीफ ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था और जम्मू कश्मीर के हुर्रियत नेताओं से मुलाकात नहीं की थी।' हबीब ने कहा कि देश में यह सवाल उठ रहा है कि क्यों प्रधानमंत्री इमरान खान का फोन हैक किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नवाज शरीफ का जजों के फोन टैप करने का लंबा इतिहास रहा है।
भारत के जासूसी के मुद्दे को जरूरी मंचों पर उठाएगा पाक
इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि वह भारत के जासूसी के इस मुद्दे को जरूरी मंचों पर उठाएगा। पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि उनका देश प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की भारत से हैकिंग के मुद्दे पर और ज्यादा डिटेल की प्रतीक्षा कर रहा है। चौधरी ने कहा कि जैसे ही इमरान खान के फोन की हैकिंग का पूरा डिटेल आने पर इसे उचित मंचों पर उठाया जाएगा। पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि हैक किए जा रहे फोन्स की लिस्ट में एक नंबर इमरान खान का भी है। एक दावे के मुताबिक भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई है।
पाकिस्तान के कई सौ नंबर भी इसमें शामिल
डॉन अखबार में द पोस्ट के हवाले से दावा किया गया है कि भारत के कम से कम एक हजार नंबर सर्विलांस लिस्ट में शामिल थे जबकि पाकिस्तान के कई सौ नंबर भी इसमें थे। इनमें से एक नंबर ऐसा था जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी करते थे। हालांकि, पोस्ट ने यह साफ नहीं किया है कि इमरान के नंबर को हैक करने की कोशिश सफल रही या नहीं।
भारत के कई नंबर शामिल
वहीं, भारत में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिस्ट में मिलने से राजनीतिक तूफान और बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 300 नंबर मंत्रियों, विपक्षी नेताओं से लेकर पत्रकारों और वैज्ञानिकों तक के हैं। भारत में रिपोर्ट सामने आने के बाद पाकिस्तानी केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने चिंता जताई थी और भारत की मोदी सरकार पर देश का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया था। साल 2019 में भारत सरकार ने इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का खंडन किया था। सबसे पहले 2016 में यह मालवेयर चर्चा में आया ता जब रिसर्चर्स ने संयुक्त अरब अमीरात के एक शख्स की जासूसी का आरोप इजरायल के NSO समूह पर लगाया था जो यह सॉफ्टवेयर बनाता है। (navbharattimes.indiatimes.com)
अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से लौटता देख लोग पूछ रहे हैं कि इस युद्ध से क्या हासिल हुआ. बहुत से सैनिक मानते हैं कि अमेरिका यह युद्ध हार गया.
जेसन लाइली मरीन रेडर नाम के विशेष अमेरिकी बल का हिस्सा थे और उन्होंने इराक व अफगानिस्तान में कई अभियानों में हिस्सा लिया. 41 साल के लाइली जब राष्ट्रपति जो बाइडेन के अफगानिस्तान से सेनाएं वापस बुलाने के फैसले के बारे में सोचते हैं तो जितना उन्हें अपने देश पर प्यार आता है, उतनी ही राजनेताओं के प्रति घिन भी जाहिर करते हैं.
अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध में जो धन और लहू बहाया गया, उस पर लाइली को बहुत अफसोस है. वह कहते हैं कि उन्होंने जो साथी इस युद्ध में खोए हैं, वे बेशकीमती थे. लाइली कहते हैं, "हम यह युद्ध हार गए. सौ फीसदी. मकसद तो तालिबान का सफाया था. और वो हमने नहीं किया. तालिबान फिर से देश कब्जा लेगा.” बाइडेन का कहना है कि अफगानिस्तान के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना होगा और अमेरिका को एक ना जीते जा सकने वाले युद्ध में एक और पीढ़ी बर्बाद नहीं करनी है.
बेमकसद युद्ध
11 सितंबर 2001 को न्यू यॉर्क में अल कायदा द्वारा किए गए आतंकवादी हमले के जवाब में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था. ब्राउन यूनिवर्सिटी के कॉस्ट्स ऑफ वॉर प्रोजेक्ट के तहत दो दशक तक चले इस युद्ध में अमेरिका और उसके सहयोगियों के 3,500 सैनिकों की मौत हुई. 47 हजार से ज्यादा अफगान नागरिक मारे गए. कम से कम 66 हजार अफगान सैनिकों की जान गई और 27 लाख से ज्यादा अफगान नागरिकों ने देश छोड़ दिया.
16 साल तक अमेरिका के ‘आतंक के खिलाफ युद्ध' में मोर्चे पर तैनात रहे लाइली पूछते हैं कि क्या यह युद्ध लड़ने लायक था? वह तो सोचते थे कि फौजों को इसलिए तैनात किया गया है ताकि दुश्मन को हराया जाए, अर्थव्यवस्था को गति मिले और अफगानिस्तान को पूर्ण रूप से ऊपर उठाया जा सके. लेकिन जो हासिल हुआ, उस पर वाइली कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि इसके लिए दोनों तरफ से एक भी जान गंवाई जानी चाहिए थी.”
ऐसा सोचने वाले लाइली अकेले नहीं हैं. दो दशक की जंग के बाद जब अमेरिकी फौजें घर लौट रही हैं तो देश के बहुत से लोग इसके नतीजों पर विचार कर रहे हैं. कई अन्य पूर्व सैनिक लाइली से सहमत नहीं हैं. बहुत से लोगों को लगता है कि इस युद्ध की बदौलत महिलाओँ की स्थिति बेहतर हुई और नेवी सील कमांडो अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर खत्म करने में कामयाब रहे.
सेना की वापसी सही
हालांकि, सेनाओं को वापस बुलाने के बाइडेन के फैसले के पक्ष में ज्यादातर लोग हैं. इसी महीने हुए रॉयटर्स-इप्सोस के एक सर्वेक्षण के मुताबिक सिर्फ 30 प्रतिशत डेमोक्रैट्स और 40 प्रतिशत रिपब्लिकन मानते हैं कि सेनाओं को वापस बुलाने का फैसला गलत है. लेकिन लाइली और उन जैसे बहुत से पूर्व सैनिक इस युद्ध की तुलना वियतनाम युद्ध से करते हैं. वह कहते हैं कि दोनों ही युद्धों का कोई स्पष्ट मकसद नहीं था. दोनों युद्धों के दौरान एक से ज्यादा राष्ट्रपति बदले और दोनों बार सामना एक बहुत खूंखार दुश्मन से था जिसकी कोई वर्दी नहीं है.
लाइली और उनका नेटवर्क अमेरिकी जनता को युद्ध की कीमत बताने का काम कर रहा है. उन्हीं के नेटवर्क में काम करने वाले 34 वर्षीय जॉर्डन लेयेर्ड कहते हैं कि उनके साथी अफगानिस्तान और इराक को ‘विएतस्तान' कहते हैं. वह अफगानिस्तान के हेल्मंड प्रांत में अक्टूबर 2010 से अप्रैल 2011 के बीच तैनात रहे. इस दौरान उन्होंने 25 साथी खोए और 200 से ज्यादा अपंग हो गए.
साम्राज्यों की कब्रगाह
वाइली कहते हैं कि अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान उन्होंने जाना कि क्यों इस जगह को इतिहासकारों ने ‘साम्राज्यों की कब्रगाह' कहा है. 19वीं सदी में ब्रिटेन ने दो बार अफगानिस्तान पर हमला किया और 1842 में सबसे बुरी हार झेली. सोवियत संघ ने 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान में जंग लड़ी और 15 हजार लाशें व हजारों घायल सैनिक लेकर लौटा.
लाइली बताते हैं कि अमेरिकी सेना के युद्ध के नियमों को लेकर वह हमेशा सशंकित रहे. जैसे कि उन्हें रात को तालिबान पर हमले की इजाजत नहीं थी. वह कहते हैं, "मरीन सैनिक बच्चों को चूमने और पर्चे बांटने के लिए नहीं बने हैं. हम वहां सफाया करने के लिए होते हैं. हम दोनों काम नहीं कर सकते. इसलिए हमने कोशिश की और हार गए.”
लाइली की आलोचना पर अमेरिका सेना ने कोई टिप्पणी नहीं की. लेकिन लाइली एक तालिबानी कैदी की बात को अक्सर याद करते हैं. उस कैदी ने लाइली से कहा था कि तालिबान अमेरिका के जाने का इंतजार करेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि एक दिन अमेरिकी इस युद्ध पर भरोसा खो बैठेंगे, ठीक वैसे ही जैसे सोवियतों के साथ हुआ था. लाइली कहते हैं, "यह 2009 की बात थी. आज हम 2021 में हैं. और वह सही था.”
वीके/सीके (रॉयटर्स)
एमनेस्टी ने कहा है कि पेगासस की संभावित जासूसी वाली सूची में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों सहित कुल 14 प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजा शामिल हैं. फ्रांस ने इस पूरे मामले में जांच करने की घोषणा की है.
एमनेस्टी के महासचिव ऐग्नेस कालामार्ड ने कहा, "इन अभूतपूर्व खुलासों से दुनिया भर के नेताओं को कांप जाना चाहिए." अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि एमनेस्टी और फ्रांसीसी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज को लीक किए गए 50,000 फोन नंबरों की एक सूची में मिले संभावित शिकारों में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और इराक के राष्ट्रपति बरहम सालिह का भी नाम है.
इसके अलावा सूची में मोरक्को के राजा मोहम्मद VI और प्रधानमंत्री साद एद्दीन एल ओथमानी, पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान और मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबूली शामिल हैं. वॉशिंगटन पोस्ट ने यह भी बताया कि इनमें से किसी भी राष्ट्राध्यक्ष ने अपना फोन जांच के लिए नहीं दिया, जिससे इस बात की पुष्टि हो सकती थी कि उनके फोन पर जासूसी के सॉफ्टवेयर बनाने वाली इस्राएली कंपनी एनएसओ समूह के पेगासस स्पाईवेयर का हमला हुआ था या नहीं.
फ्रांस में जांच
अभी तक आई खबरों में दावा किया गया है कि कम से कम 37 फोनों को या तो हैक कर लिया गया या उनमें हैक किए जाने की कोशिश के संकेत मिले हैं. फ्रांसीसी अखबार ला मोंड ने दावा किया है कि राष्ट्रपति माक्रों के अलावा फ्रांसीसी सरकार के 15 और सदस्यों की भी जासूसी की कोशिश की गई है. माक्रों के फोन पर हमला 2019 में किए जाने की संभावना है.
ला मोंड ने कहा कि माक्रों और दूसरे तत्कालीन सरकारी सदस्यों के नंबर उन हजारों नम्बरों में से थे जिन्हें एनएसओ के किसी ग्राहक ने संभावित रूप सर्विलांस के लिए चुना था. फ्रांस के नंबरों के संबंध में यह ग्राहक मोरक्को की एक अज्ञात सुरक्षा एजेंसी थी. माक्रों के दफ्तर में एक अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट की जांच की जाएगी और अगर यह साबित हो पाया तो यह "बहुत ही गंभीर" होगा.
एनएसओ का इंकार
अखबार ने यह भी कहा कि एनएसओ ने उसे बताया है कि उसके ग्राहकों ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति को कभी निशाना नहीं बनाया. इस बीच पेरिस में प्रोसिक्यूटर के कार्यालय ने कहा है कि वो इस पूरे मामले की जांच कर रहा है. फ्रांस के कानून के तहत जांच में संदिग्ध अपराधी का नाम नहीं दर्ज किया गया है लेकिन जांच का लक्ष्य यह जानना है कि मुकदमा किसके खिलाफ किया जाना है.
सीके/वीके (एपी)
-पॉल रिंकन
अरबपति अमेरिकी कारोबारी और अमेज़न के संस्थापक जेफ़ बेज़ोस मंगलवार को तीन अन्य लोगों के साथ अंतरिक्ष की उड़ान भरी.
इस यात्रा में बेज़ोस के साथ उनके भाई मार्क बेज़ोस, 82 साल की पूर्व पायलट वैली फ़ंक और 18 साल के छात्र ओलिवर डायमेन भी गए थे. ये सभी 10 मिनट और 10 सैकेंड के बाद पैराशूट के जरिए धरती पर वापस लौट आए.
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खुशी में चीख पड़े अंतरिक्ष यात्री
ये सभी लोग बेज़ोस की कंपनी ब्लू ओरिजन के अंतरिक्ष यान 'न्यू शेफ़र्ड' से रवाना हुए. ब्लू शेफ़र्ड को अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने के नज़रिए से डिज़ाइन किया गया है. न्यू शेफ़र्ड में बहुत बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ हैं ताकि इसमें सवार सभी लोग अंतरिक्ष से धरती का ख़ूबसूरत नज़ारा कर सकें.
न्यू शेफ़र्ड ने भारतीय समयानुसार मंगलवार शाम 6:30 बजे के कुछ देर बाद अमेरिका के टेक्सस से उड़ान भरी. इसे जेफ़ बेज़ोस की निजी लॉन्च साइट वैन हॉर्न से एक रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया गया.
उड़ान भरने के बस दो मिनट बाद कैप्सूल रॉकेट से अलग हो गया और सौ किलो मीटर ऊपर अंतरिक्ष की सतह तक गया. वहां पहुंचते ही कैप्सूल में सवार सभी अंतरिक्ष यात्रियों को 'वाउ' कहते सुना गया. सभी खुशी में चीख पड़े.
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वैली फ़ंक ने कहा, "ओह दुनिया को देखो."
सफ़र पर जाने के पहले उन्होने कहा था कि जब अंतरिक्ष में उनका भार शून्य हो जाएगा तो वो सिर ऊपर करके कसरत करेंगी.
वहीं, उड़ान से पहले सीबीएस न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में बेज़ोस ने कहा, "मैं उत्साहित हूँ. लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या मैं नर्वस हूँ. सच कहूँ तो मैं नर्वस नहीं हूँ. मैं उत्सुक हूँ. मैं जानना चाहता हूँ कि हम वहाँ क्या सीखेंगे."
उन्होंने कहा, "हम ट्रेनिंग ले रहे हैं. अंतरिक्ष यान तैयार है. क्रू तैयार है और हमारी टीम अद्भुत है. हम इसके बारे में सचमुच अच्छा महसूस कर रहे हैं."
चार मिनट तक ज़ीरो-ग्रैविटी का अनुभव
चारों यात्रियों ने करीब चार मिनट तक भार हीनता का अनुभव किया.
उन्होंने अपनी सीट की पेटी खोली और हवा में तैरने का अनुभव किया. उन्होंने वहां से बहुत दूर दिख रही धरती को निहारने का मज़ा भी लिया.
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इस सफ़र पर गईं वैली फ़ंक 1960 के दशक में मर्करी 13 नाम के महिलाओं के उस समूह का हिस्सा थीं, जिन्हें पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों की तरह ही टेस्ट और स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा, लेकिन उन्हें कभी अंतरिक्ष में जाने का मौका नहीं दिया गया.
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न्यू शेफ़र्ड के इस लॉन्च को 'अरबपतियों की स्पेस रेस' का हालिया उदाहरण माना जा रहा है.
जेफ बेज़ोस की ये फ़्लाइट पिछले हफ़्ते अरबपति बिज़नेसमैन सर रिचर्ड ब्रैनसन की कामयाब उड़ान के बाद हुई. सर रिचर्ड ब्रैनसन का वर्जिन गैलेक्टिक रॉकेट प्लेन अंतरिक्ष की छोर तक पहुंचने में कामयाब रहा था.
पिछले हफ़्ते ही रिचर्ड बैनसन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके लिए जेफ़ बेज़ोस को पछाड़ना ज़रूरी नहीं था. उन्होंने बेज़ोस को एक 'दोस्ताना सलाह' भी दी थी. उन्होंने कहा था, "अंतरिक्ष से बस आप बाहर का नज़ारा देखिए. ये ज़िंदगी में एक बार मिलने वाला मौका है."
वर्जिन गैलेक्टिन रॉकेट प्लेन से सफ़र करने के लिए एक आम शख़्स को ढाई लाख डॉलर तक खर्च करना पड़ सकता है. न्यू शेफ़र्ड के टिकट का दाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
जेफ बेज़ोस दुनिया के सबसे दौलतमंद लोगों में से एक हैं. उन्होंने साल 2000 में अपनी कंपनी 'ब्लू ओरिजिन' की शुरुआत की थी. पिछले महीने उन्होंने इस उड़ान का एलान किया था. उन्होंने कहा था कि वे और उनके भाई इस सफ़र पर जाएंगे.
ज़ेफ़ बेज़ोस के 53 वर्षीय भाई मार्क बेज़ोस एक एडवर्टाइजिंग एजेंसी के संस्थापक और न्यू यॉर्क स्थित चैरिटी कंपनी रॉबिन हुड में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट हैं.
वहीं, 18 वर्षीय ओलिवर डायमेन वित्तीय फ़र्म 'सोमरसेट कैपिटल पार्टनर्स' के सीईओ जोएस डायमेन के बेटे हैं.
ओलिवर डायमेन को ये मौक़ा उस अज्ञात व्यक्ति की जगह पर मिला जिन्होंने इसके लिए एक पब्लिक ऑक्शन में 28 मिलियन डॉलर की आख़िरी बोली लगाई थी.
जेफ बेज़ोस की स्पेस कंपनी 'ब्लू ओरिजिन' ने बताया था कि इस मौक़े के लिए ऑक्शन में सबसे ऊंची बोली लगाने वाले शख़्स समय की कमी के कारण मिशन पर नहीं जा पा रहे हैं.
'ब्लू ओरिजिन' ने बताया जोएस डायमेन ने दूसरी फ्लाइट के लिए सीट बुक कराई थी, लेकिन जब पहले विजेता ने अपना नाम वापस ले लिया तो उन्हें ये मौक़ा दिया गया. लेकिन इसके बाद जोएस डायमेन ने अपनी जगह बेटे को भेजने का निर्णय लिया.
ओलिवर डायमेन भौतिक विज्ञान के छात्र हैं. वहीं, वैली फ़ंक इस यात्रा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाली सबसे उम्रदराज़ शख़्स बन गईं.
हालाँकि अंतरिक्ष में जाने के लिए बेतहाशा खर्च करने पर जेफ़ बेज़ोस और रिचर्ड बैनसन की आलोचना भी हो रही है. कई लोगों का मानना है कि अरबपति इस पैसे का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई या महामारी से निबटने में लगा सकते थे. (bbc.com)
इसराइल ने कन्ज़्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनी यूनिलीवर को गंभीर 'नतीजे भुगतने' की चेतावनी दी है.
दरअसल, यूनिलीवर की स्वामित्व वाली कंपनी 'बेन एंड जेरीज़' ने इसराइल के नियंत्रण वाले इलाकों में आइसक्रीम नहीं बेचने का फ़ैसला लिया है. दूसरी तरफ़ इसराइल ने अमेरिकी प्रांतों से बहिष्कार रोधी क़ानूनों को लागू करने की भी अपील की है.
इसराइल और वेस्ट बैंक की यहूदी बस्तियों में कारोबार को लेकर अमेरिकी प्रांत वर्मोंट से चलने वाली इस कंपनी पर फ़लस्तीन समर्थक समूहों की ओर से दबाव पड़ रहा था जिसके बाद 'बेन एंड जेरीज़' ने सोमवार को ये फ़ैसला लिया है.
कंपनी इसराइल में साल 1987 से ही लाइंसेंस पार्टनर के जरिये कारोबार कर रही है. बेन एंड जेरीज ने कहा है कि अगले साल इसराइली पार्टनर का लाइसेंस ख़त्म हो रहा है जिसे फिर जारी नहीं किया जाएगा.
हालांकि कंपनी इसराइल में कारोबार करती रहेगी लेकिन उसकी शर्तें अलग होंगी. वेस्ट बैंक और उन इलाकों में कंपनी की आइसक्रीम नहीं बेची जाएगी जहां फलस्तीनी आज़ादी की मांग कर रहे हैं.
इसराइल की प्रतिक्रिया
इसराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने यूनिलीवर के चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर एलान जोप से इस 'भड़काऊ इसराइल विरोधी कदम' को लेकर शिकायत की है.
नफ्ताली बेनेट ने एलान जोप से फोन पर कहा, "इसराइल के नजरिये से इस कार्रवाई के गंभीर नतीजे होंगे. नागरिकों को निशाना बनाकर की गई बहिष्कार की किसी भी कार्रवाई के ख़िलाफ़ क़ानूनी और अन्य तरह से कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
यूनिलीवर ने इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. दुनिया की ज़्यादातर ताक़तें इसराइल की बस्तियों को अवैध मानती हैं. लेकिन इसराइल इन दलीलों को नहीं मानता है. यहूदी बस्तियों वाली ज़मीन के लिए इसराइल ऐतिहासिक और सुरक्षा कारणों का हवाला देता है.
इसराइल के अर्थव्यवस्था मंत्री ओर्ना बार्बिवाई ने एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वे बेन एंड जेरीज़ की आइसक्रीम का एक टब कचरे में फेंकते हुए दिख रही हैं.
इसराइल के अल्पसंख्यक अरब समुदाय के विपक्षी नेता आयमान ओदेह ने एक तस्वीर ट्वीट की है जिसमें वे मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं.
बेन एंड जेरीज़ इसराइल की दलील
'बेन एंड जेरीज़' इसराइल के सीईओ एवी ज़िंगर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि वे यहूदी बस्तियों में इसराइली नागरिकों को आइसक्रीम बेचने से इनकार करने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि 'मुझे रोकने का कोई तरीका नहीं है तो उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया.'
वाशिंगटन में इसराइल के राजदूत गिलाड एरडान ने कहा है कि उन्होंने बेन एंड जेरी के फैसले को लेकर उन 35 अमेरिकी गवर्नरों को चिट्ठी लिखी है जिनके यहां इसराइल का बहिष्कार करने के ख़िलाफ़ क़ानून लागू है.
इसराइली राजदूत ने लिखा है, "ऐसी यहूदी विरोधी और भेदभावपूर्ण कार्रवाइयों का जवाब देने के लिए जल्द ठोस कदम उठाना चाहिए."
उन्होंने इसके लिए साल 2018 के एयर्बन्ब की उस घोषणा का भी जिक्र किया जिसमें यहूदी बस्तियों की रेंटल प्रॉपर्टी वेबसाइट से हटाने का एलान किया गया था.
अमेरिका में जब एयर्बन्ब के सामने क़ाननू चुनौतियां आनी शुरू हुईं तो उसने अपना फ़ैसला वापस ले लिया था. लेकिन कंपनी ने कहा था कि उन बस्तियों से मिलने वाली बुकिंग में जो मुनाफा होगा, उसका मानवीय उद्देश्यों से दान किया जाएगा.
फलस्तीनियों ने बेन एंड जेरीज़ के फ़ैसले का स्वागत किया है. वे जिस स्वतंत्र फ़लस्तीन की मांग कर रहे हैं, उसमें वेस्ट बैंक, पूर्वी यरूशलम और गज़ा पट्टी शामिल है.
इसराइल पूरे यरूशलम को अपनी राजधानी मानता है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे मान्यता नहीं देता. गज़ा पर हमास का नियंत्रण है जो इसराइल के साथ सहअस्तित्व नहीं चाहते हैं. (bbc.com)
वॉशिंगटन. दुनिया के सबसे बड़े रईसों में शुमार अमेजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस आज स्पेस मिशन पर जाने को तैयार हैं. जेफ बेजोस अंतरिक्ष में जाने वाले सबसे पहले अरबपति भले ही न हों, लेकिन वह इस उड़ान के साथ एक नया इतिहास रचने वाले हैं. मंगलवार को बेजोस अपने भाई के साथ स्पेस में जा रहे हैं. इसके साथ ही वह अपने साथ सबसे बुजुर्ग और सबसे युवा ऐस्ट्रोनॉट को लेकर जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस यात्रा के दौरान बेजोस कुल 11 मिनट तक ही अंतरिक्ष में रहेंगे.
बेजोस ने CBS के 'द लेट नाइट शो विद स्टीफेन कोबर' पर अपने साथी यात्रियों से कहा, 'सिट बैक, रिलैक्स, खिड़की के बाहर देखिए और बाहर के नज़ारे को महसूस कीजिए.' बेजोस और उनके भाई मार्क बेजोस जिस रॉकेट से जा रहे हैं, यह पूरी तरह से ऑटोनॉमस है. हालांकि इसमें भी खतरा बना हुआ है.
अंतरिक्ष को जीतने का जो सपना अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने साल 2000 में देखा था. वो साल 2021 में पूरा होने जा रहा है, जेफ बेजोस के सपने को स्पेस शटल पूरा करेगा. 60 फुट लंबे इसी स्पेस शटल से जेफ बेजोस 20 जुलाई को धरती से अंतरिक्ष की सैर पर जाएंगे. जिस स्पेस शटल 'न्यू शेफर्ड' से 4 टूरिस्ट स्पेस में जाएंगे, उसे बनाने वाली टीम में भारतीय मूल की संजल गवांडे भी शामिल हैं. यानी जेफ बेजोस को अंतरिक्ष भेजने में भारत की बेटी का भी योगदान है.
टेक्सस में बने लॉन्चिंग पैड से भरेंगे उड़ान
जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन का स्पेस शटल 'न्यू शेफर्ड' अमेरिका के टेक्सस में बने लॉन्चिंग पैड से लॉन्च होने के लिए तैयार है. जेफ बेजोस का न्यू शेफर्ड रॉकेट एक कैप्सूल के साथ अंतरिक्ष में उड़ेगा. धरती से करीब 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट और कैप्सूल अलग-अलग हो जाएंगे. वहां से कैप्सूल धरती से 105 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचेगा.
जीरो ग्रैवेटी में 4 मिनट तक रुकेगा कैप्सूल
जीरो गुरुत्वाकर्षण में ये कैप्सूल 4 मिनट तक रहेगा और उसके बाद कैप्सूल की धरती पर वापसी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. धरती की कक्षा में आने के बाद कैप्सूल में लगे पैराशूट खुल जाएंगे और कैप्सूल की लैंडिंग टेक्सस के रेगिस्तान में होगी. इस स्पेस टूर में कुल 11 मिनट लगेंगे.
अफगानिस्तान में 15 राजनयिक मिशनों ने तालिबान के बढ़ते हमले के बीच संघर्ष विराम का आग्राह किया है. यह अपील ऐसे समय में की गई है जब तालिबान इलाकों पर तेजी से कब्जा कर रहा है.
तालिबान और अफगान सरकार के बीच सोमवार, 19 जुलाई को दोहा में शांति समझौता नहीं होने के बाद अफगानिस्तान में नाटो के प्रतिनिधि के साथ-साथ 15 देशों के राजनयिक मिशनों ने तालिबान से जंग रोकने की अपील है.
अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों ने शनिवार और रविवार को कतर की राजधानी दोहा में शांति वार्ता में हिस्सा लिया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद संघर्ष विराम नहीं हो सका.
राजनयिक मिशनों का क्या कहना है?
अफगानिस्तान में लगभग 15 राजनयिक मिशनों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "तालिबान की कार्रवाई सीधे उनके इस दावे को नकारती है कि वे दोहा में शांति और बातचीत के माध्यम से संघर्षों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
बयान में आगे कहा गया, "ईद के मौके पर तालिबान को बेहतरी के लिए अपने हथियार डालने चाहिए और दुनिया को बताना चाहिए कि वे वास्तव में शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध हैं."
बयान को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस के साथ-साथ अन्य कई सरकारों द्वारा समर्थित किया गया है. नाटो के वरिष्ठ नागरिक प्रतिनिधि ने इस बयान का समर्थन किया है.
तालिबान का आगे बढ़ना जारी
हाल की ईद की छुट्टियों के दौरान तालिबान ने छोटी अवधि के युद्धविराम की घोषणा यह कहते हुए की थी कि वे अफगानों को शांति के साथ कुछ समय बिताना देना चाहते हैं.
अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद से तालिबान ने सरकारी बलों पर हमलों की एक श्रृंखला शुरू करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया है, जो अब भी जारी है. इस बीच तालिबान ने सुरक्षाबलों से कई प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा ले लिया है. आधे से अधिक देश अब उनके नियंत्रण में है.
सोमवार के बयान में अधिकारों के उल्लंघन की भी निंदा की गई है, जैसे हाल ही में क्षेत्रों में स्कूलों और मीडिया कंपनियों को बंद करने की कोशिशों का भी जिक्र किया गया है. तालिबान ऐसी कार्रवाइयों से इनकार कर चुका है.
सोमवार को तालिबान लड़ाकों ने काबुल के दक्षिण में स्थित उरुजगान प्रांत के देहरावुड जिले पर नियंत्रण का दावा किया था. तालिबान ने पहले ही हेरात प्रांत के 17 जिलों पर कब्जा कर लिया है, जबकि हेरात शहर की घेराबंदी की जा रही है. राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सोमवार को हेरात की राजधानी का दौरा किया था.
दूर-दूर तक शांति का संकेत नहीं
अफगान सरकार के प्रतिनिधियों और तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व ने कहा है कि वे दोहा शांति वार्ता के तहत जल्द ही फिर मिलेंगे. दोनों ने यह भी आश्वासन दिया है कि वे सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. दोहा में तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने उन मीडिया रिपोर्टों से इनकार किया जिसमें कहा गया है कि तालिबान ईद के मौके पर कैदियों की रिहाई के बदले युद्धविराम के लिए सहमत हो गए हैं.
सोमवार को अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के शांति दूत जलमय खलीलजाद ने इस्लामाबाद का दौरा किया और प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की. अमेरिकी दूतावास के एक बयान में कहा गया, "अफगानिस्तान और तालिबान के बीच एक व्यापक राजनीतिक समझौते की तात्कालिकता पर खलीलजाद ने जोर दिया है."
खलीलजाद का पाकिस्तान दौरा ऐसे समय में हुआ है जब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. दोनों देशों के बीच आरोपों का नया सिलसिला छिड़ गया है. अफगान सरकार का आरोप है कि पाकिस्तान तालिबान को शरण दे रहा है.
एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)
कोरोनावायरस के कारण एक बार फिर समुद्र में एक संकट तैयार हो रहा है. एक लाख लोग ऐसे हैं जो समुद्र में भटक रहे हैं और जमीन देखने को तरस गए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इसे मानवीय संकट करार दिया है.
"मैंने आदमियों को रोते हुए देखा है.” कैप्टन तेजिंदर सिंह का यह कहना सुनकर लोग चौंक जाते हैं. बीते सात महीनों से सिंह ने जमीन पर कदम नहीं रखा है और उन्हें बिल्कुल पता नहीं कि वह कब अपने घर जा पाएंगे. महीनों से समुद्र में भटक रहे सिंह कहते हैं कि हम ‘भुलाए हुए लोग हैं जिनकी किसी को परवाह नहीं है. वह कहते हैं, "लोगों को पता नहीं है कि उनकी सुपरमार्किट में सामान कहां से आता है.”
तेजिंदर सिंह एक जहाज के कैप्टन हैं जो पिछले सात महीने से यहां से वहां भटक रहा है. वह और उनके चालक-दल के 20 सदस्य भारत से अमेरिका होते हुए चीन पहुंचे और हफ्तों तक वहीं फंसे रहे. वहां उन्हें अपने जहाज से सामान उतारना था लेकिन जहाजों की भीड़ के कारण नंबर ही नही आया. अब वह ऑस्ट्रेलिया के रास्ते पर हैं.
भटक रहे हैं एक लाख लोग
तेजिंदर सिंह जैसे एक लाख से ज्यादा लोग हैं जो इस वक्त दुनिया के अलग-अलग समुद्रों में फंसे हुए हैं. आमतौर पर ये लोग तीन से नौ महीने तक एक बार में यात्रा करते हैं लेकिन इंटरनेशनल चैंबर ऑफ शिपिंग के मुताबिक इन एक लाख लोगों को अपने तय समय कहीं ज्यादा हो चुका है, जबकि ये समुद्र में ही हैं. यहां तक कि जमीन पर इन्हें आमतौर पर मिलने वाला ब्रेक भी नहीं मिला है. इसके अलावा एक लाख से ज्यादा नाविक ऐसे हैं जो जहाज पर नहीं जा पा रहे हैं और बेरोजगार हैं.
इस वक्त कोरोनावायरस का डेल्टा वेरिएंट एशिया के कई देशों में कहर बरपा रहा है. ऐसे में कई देशों ने समुद्री जहाजों को अपने यहां आने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है. एशिया में 17 लाख से ज्यादा नाविक हैं, जो इन पाबंदियों से प्रभावित हुए हैं. आईसीएस का अनुमान है कि नाविकों में से सिर्फ ढाई फीसदी को ही वैक्सीन मिली है.
संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक मानवीय संकट बताया है और सरकारों से आग्रह किया है कि नाविकों को जरूरी कामगार माना जाए. दुनिया के व्यापार में 90 फीसदी सामान की आवाजाही समुद्र के रास्ते ही होती है, इसलिए यह संकट व्यापारों पर भी कहर बनकर टूटा है क्योंकि तेल से लेकर खाद्य पदार्थों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों तक तमाम चीजों की सप्लाई प्रभावित है.
कोई उम्मीद नहीं
तेजिंदर सिंह को फिलहाल तो कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. उन्होंने कहा है कि पिछली बार वह 11 महीने तक समुद्र में फंसे रहे थे. वह बताते हैं कि उनके चालक दल के भारतीय और फिलीपीनी नाविक 15x6 फुट के एक केबिन में बसर करने को मजबूर हैं. सिंह कहते हैं, "बहुत ज्यादा समय तक समुद्र में रहना बहुत मुश्किल होता है. सबसे मुश्किल सवाल होता है बच्चों का, कि पापा घर कब आओगे.”
आईसीएस के महानिदेशक गाय प्लैटन कहते हैं कि दुनिया के एक तिहाई कमर्शल नाविक भारत और फिलीपीन से ही आते हैं और दोनों ही देश इस वक्त कोविड की मार झेल रहे हैं. वह कहते हैं समुद्र में यह दूसरा संकट तैयार हो रहा है. पिछली बार 2020 में भी ऐसा ही हुआ था जब दो लाख नाविक महीनों तक समुद्र में फंसे रहे थे.
संयुक्त राष्ट्र नाविकों के लिए एक बार में अधिकतम 11 महीने की यात्रा की ही इजाजत देता है. लेकिन एक सर्वे के मुताबिक फिलहाल नौ प्रतिशत मर्चेंट सेलर ऐसे हैं जो अधिकतम सीमा पार कर चुके हैं. मई में ऐसे नाविकों की संख्या 7 प्रतिशत थी.
वीके/सीके (रॉयटर्स)
विश्लेषकों का मानना है कि चीन और अमेरिका के बीच की तनातनी ने एशिया में हथियारों की एक दौड़ छेड़ दी है और वे एशियाई देश भी मिसाइलों का जखीरा जमा कर रहे हैं, जो आमतौर पर निष्पक्ष रहते थे.
चीन बड़ी तादाद में डीएफ-26 मिसाइलें बना रहा है. ये मिसाइल चार हजार किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती हैं. उधर अमेरिका भी प्रशांत क्षेत्र और चीन के साथ विवाद को ध्यान में रखते हुए हथियार विकसित कर रहा है. इस तनातनी का नतीजा यह हुआ है कि अन्य एशियाई देश भी मिसाइलें खरीद रहे हैं या विकसित कर रहे हैं.
सैन्य अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि इस दशक के आखिर तक एशिया में ऐसी मिसाइलों के बड़े-बड़े जखीरे तैयार हो जाएंगे, जो लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. पैसिफिक फोरम के अध्यक्ष डेविड सानतोरो कहते हैं, "एशिया में मिसाइलों का परिदृश्य बदल रहा है, और बहुत तेजी से बदल रहा है.”
विशेषज्ञ मानते हैं कि खतरनाक और आधुनिक मिसाइलें तेजी से सस्ती हो रही हैं और जब कुछ देश उन्हें खरीद रहे हैं तो उनके पड़ोसी भी पीछे नहीं रहना चाहते. मिसाइलें न सिर्फ अपने दुश्मनों पर भारी पड़ने का जरिया होती हैं बल्कि ये भारी मुनाफा कमाने वाला निर्यात उत्पाद भी हैं.
सानतोरो कहते हैं कि इस आने वाले समय में हथियारों की यह दौड़ क्या नतीजे देगी, यह कहना तो अभी मुश्किल है लेकिन शांति स्थापना में और शक्ति संतुलन में इन मिसाइलों की भूमिका संदिग्ध ही है. वह कहते हैं, "ज्यादा संभावना इस बात की है कि मिसाइलों का प्रसार एक दूसरे पर संदेह बढ़ाएगा, हथियारों की दौड़ को हवा देगा, तनाव बढ़ाएगा और अंततः संकट ही पैदा करेगा, जिनमें युद्ध भी शामिल हैं.”
घरेलू मिसाइलें
एक गोपनीय सैन्य रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका की इंडो-पैसिफिक कमांड फर्स्ट आईलैंड चेन पर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तैनात करने की योजना बना रही है. इस नेटवर्क में रूस और चीन के पूर्वी तटों को घेरे हुए देश जैसे कि जापान, ताईवान और अन्य प्रशांतीय द्वीप शामिल हैं.
नए हथियारों में लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक वेपन भी शामिल है, जो 2,775 किलोमीटर की दूरी तक वॉरहेड ले जा सकती है और वह भी ध्वनि की गति से पांच गुना तेज रफ्तार से. इंडोपैसिफिक कमांड के एक प्रवक्ता ने हालांकि कहा है कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है कि ये मिसाइल कहां तैनात होंगी.
इसकी एक वजह यह भी हो सकती है प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सहयोगियों में से कोई भी फिलहाल इन मिसाइलों को अपने यहां तैनात करने को लेकर राजी नहीं हुआ है. मसलन, जापान यदि अपने यहां इस मिसाइल की तैनाती की इजाजत देता है तो उसे चीन की नाराजगी बढ़ने का खतरा उठाना होगा. और यदि इसे अमेरिकी क्षेत्र गुआम में तैनात किया जाता है तो वहां से यह चीन तक पहुंच नहीं पाएगी.
सबको चाहिए मिसाइल
अमेरिका के सहयोगी देश अपनी मिसाइलें भी बना रहे हैं. जैसे कि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में ऐलान किया था कि आने वाले दो दशको में वह आधुनिक मिसाइल बनाने पर 100 अरब डॉलर खर्च करेगा. ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटिजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट के माइकल शूब्रिज कहते हैं कि यह सही सोच है.
वह कहते हैं, "चीन और कोविड ने दिखा दिया है कि संकट के समय, और युद्ध में अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन पर निर्भर रहना एक गलती होती है.इसलिए ऑस्ट्रेलिया में उत्पादन क्षमता होना एक समझदारी भरी रणनीतिक सोच है.”
जापान ने लंबी दूरी की एक हवा से मार करने वाली मिसाइल पर करोड़ों खर्च किए हैं और अब वह जहाज-रोधी मिसाइल विकसित कर रहा है, जिसे ट्रक पर से लॉन्च किया जा सकता है और जो एक हजार किलोमीटर तक मार करेगी.
अन्य अमेरिकी सहयोगी दक्षिण कोरिया ने भी अपना बेहद तीव्र मिसाइल कार्यक्रम शुरू कर रखा है. हाल ही में अमेरिका के साथ हुए एक समझौते से इस कार्यक्रम में और मजबूती आई. उसकी हायुनमू-4 मिसाइल का दायरा आठ सौ किलोमीटर है, यानी चीन के काफी भीतर तक.
चीन चिंतित, अमेरिका बेपरवाह
जाहिर है, चीन भी इन गतिविधियों पर नजर रख रहा है. बीजिंग स्थित रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ जाओ टोंग ने हाल ही में लिखा था, "जब अमेरिका के सहयोगियों की लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता बढ़ती है तो क्षेत्रीय विवाद में उनके इस्तेमाल की संभावना भी बढ़ती है.”
पर चीन की इन चिंताओं के बावजूद अमेरिका का कहना है कि वह अपने सहयोगियों को प्रोत्साहित करता रेहगा. अमेरिकी संसद की हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमिटी के सदस्य, सांसद माइक रोजर्स कहते हैं, "अमेरिका अपने सहयोगियों और साझीदारों को उन रक्षा क्षमताओं में निवेश को प्रोत्साहित करता रहेगा, जो समन्वयित अभियानों के अनुकूल हैं.”
विशेषज्ञों की चिंता सिर्फ इन मिसाइलों को लेकर नहीं बल्कि इनकी परमाणु क्षमताओं को लेकर भी है. चीन, उत्तर कोरिया और अमेरिका के पास परमाणु हमला कर सकने लायक मिसाइलें हैं. अमेरिका स्थित आर्म्स कंट्रोल असोसिएशन की नीति निदेशक केल्सी डेवनपोर्ट कहती हैं कि जैसे-जैसे इन मिसाइलों की संख्या बढ़ेगी, इनके इस्तेमाल होने का खतरा भी बढ़ेगा.
वीके/एए (रॉयटर्स)
इराक़ की राजधानी बग़दाद के एक बाज़ार में सोमवार को हुए एक बम धमाके में कम से कम 25 लोग मारे गए हैं और दर्जनों घायल हो गए हैं.
इस धमाके में जान गँवाने और ज़ख्मी होने वालों में ज़्यादातर वो लोग हैं जो बाज़ार में ईद की खरीदारी करने गए थे.
यह बग़दाद में पिछले छह महीनों में हुआ सबसे भयानक बम धमाका है.
व्यस्त अल-वुहालियत बाज़ार में यह धमाका एक डिवाइस के ज़रिए किया गया.
हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट समूह (आईएस) ने ली है. आईएस का कहना है कि उसके ही एक सदस्य ने धमाके वाली डिवाइस को उड़ाया.
इराक़ की सरकार ने साल 2017 के अंत में सुन्नी मुसलमान जिहादी समूह आईएस के ख़िलाफ़ अपनी जीत का ऐलान किया था.
हालाँकि इसके बाद भी इराक़ में आईएस की स्लीपर सेल लगातार सक्रिय है.
जान गँवाने वालों में औरतें और बच्चे
इससे पहले अप्रैल में शहर के बाज़ार में एक कार में एक बम धमाका हुआ था जिसमें चार लोग मारे गए थे.
आईएस ने इस हमले की भी ज़िम्मेदारी ली थी. बग़दाद के जिस इलाके में ये धमाके हुए हैं, वहां ज़्यादातर शिया मुसलमान रहते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि धमाके में मारे जाने वालों में महिलाएं और बच्चे भी थे. धमाके के बाद कुछ दुकानों में आग भी लगा दी गई थी.
इराक़ी सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी ने बाज़ार की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार पुलिस इंचार्ज़ की गिरफ़्तारी के आदेश दिए हैं और मामले की जाँच शुरू कर दी गई है. (bbc.com)
चेक गणराज्य में जमीन के नीचे सोना भरा पड़ा है. लेकिन इस सोने को खोदने करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. कुछ ऐसी ही सोच लीथियम भंडार के बारे में भी है क्योंकि उसके खनन से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं.
डॉयचे वैले पर लूबोश पलाता की रिपोर-
चेक गणराज्य में 5,000 की आबादी वाला कस्बा इयोव उ प्राहे. देश की राजधानी प्राग को समृद्ध करने में इस कस्बे का ऐतिहासिक योगदान रहा है. 14वीं शताब्दी में रोमन राजवंश यहां से सोना निकाला करता था. इयोव उ प्राहे के रिजनल म्यूजियम की निदेशक सारका यूरीनोवा कहती हैं, "यहां से निकाले गए सोने से प्राग शहर का एक बड़ा इलाका तैयार किया गया है. आज भी मौजूद चार्ल्स यूनिवर्सिटी की इमारत इसी सोने की देन है."
म्यूजियम आज भी अपने मेहमानों को सोना पाने का मौका देता है. यूरीनोवा कहती हैं, "हम शायद अकेला ऐसा म्यूजियम हैं जहां सिर्फ एंट्री टिकट के जरिए आप खुद सोना छानकर घर ले जा सकते हैं." म्यूजियम के अहाते में एक छिछला तालाब है. मेहमान इस तालाब की रेत छान सकते हैं. रेत में चमकीले सोने के कण मिलते हैं. जिसे जो स्वर्ण कण मिला, उसे वह अपने साथ ले जा सकता है. लेकिन औद्योगिक लिहाज से यहां 1968 से सोने की खुदाई बंद है.
म्यूजियम के जियोलॉजिस्ट यान वाना कहते हैं, "इयोव के आस पास ही करीब सात टन सोना है." एक मीट्रिक टन अयस्क में चार ग्राम सोना मौजूद है. यान के मुताबिक यहां आज भी सोने की खुदाई मुनाफा दे सकती है. तो फिर सोना क्यों नहीं खोदा जा रहा है? 20 अरब यूरो मूल्य वाले 7 टन सोने को निकालने के लिए पर्यावरण और ऐतिहासिक कस्बे को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यान कहते हैं, "जहरीले साइनाइड का इस्तेमाल किए बिना बहुत ही कम सोना मिलेगा."
कई स्थानीय निवासी दूसरी राय रखते हैं. उन्हें लगता है कि एक दिन इयोव की स्वर्ण खदान फिर से खुल जाएगी. एक स्थानीय बुजुर्ग महिला कहती हैं, "हम दक्षिण अफ्रीका से आयात किए जाने वाले सोने के बजाए चेक रिपब्लिक का सोना खरीद सकेंगे."
कितनी हैं सोने की खदानें
कई साल पहले इयोव में कई किलोग्राम भारी सोने के टुकड़े मिले. गेंद के आकार का एक टुकड़ा तो स्थानीय म्यूजियम में भी रखा गया है. आज भी इयोव के कई लोग साजावा नदी की सहायक नदियों में सोना छानने के लिए जाते हैं.
चेक गणराज्य में सोने की कई खदानें हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश की जमीन में करीब 400 मीट्रिक टन सोना दबा है. 1990 से अब तक सोने की खुदाई बहाल करने की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन ये सारे प्रयास नाकाम रहे हैं. ऐसी कोशिशों को या तो सरकार ने कोई समर्थन नहीं दिया या फिर स्थानीय निवासियों और प्रशासन ने उनका विरोध किया.
सरकारी खनन कंपनी डियामो ने 2020 में देश के उत्तर में मौजूद स्लाटे होरी की खदानों का सर्वे किया. डियामो के डायेक्टर लुडविक कास्पर ने चेक न्यूज एजेंसी सीटीके से कहा, "भूगर्भीय सर्वे तीन साल तक चलेगा और उसके नतीजों के आधार पर ही तय किया जाएगा कि स्लाटे होरी के स्वर्ण भंडार का क्या करना है."
खनन को हां, साइनाइड को ना
चेक गणराज्य की उद्योग और व्यापार मंत्री स्टेपांका फिलिपोवा ने देश के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार एमएफ दनेस से कहा, "शोध सरकार को सोने के भंडार का संभावित इस्तेमाल करने और उससे जुड़ी चीजों के बारे में एकदम ताजा जानकारी देगा." माना जा रहा है कि अगर सोने की खुदाई शुरू भी हुई तो उसे उसकी प्रोसेसिंग विदेशों में करवाई जाएगी.
आम तौर पर अयस्क से सोने को अलग करने के लिए बेहद जहरीले साइनाइड का प्रयोग करना पड़ता है. साइनाइड के इस्तेमाल के बिना सोने की खुदाई का फायदेमंद होना बहुत मुश्किल लगता है.
लीथियम सुपरपावर बनने का मौका
बैटरी बनाने में इस्तेमाल होने वाले लीथियम को "सफेद सोना"भी कहा जाता है. जर्मनी से लगने वाले चेक गणराज्य के इलाके में लीथियम का भी विशाल भंडार है. सीमांत के उस इलाके में चेक सीमा के भीतर 60 फीसदी और जर्मन इलाके में 40 फीसदी लीथियम मौजूद है. अनुमान है कि यह यूरोप में लीथियम का सबसे बड़ा भंडार है.
चेक सरकार का कहना है कि वह पूरी कोशिश करेगी कि इन खदानों का नियंत्रण सरकारी कंपनियों को ही मिले. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लीथियम की खुदाई 2025 में शुरू हो सकती है. कहा जा रहा है कि हर साल 18 लाख मीट्रिक टन अयस्क खोदा जा सकता है.
लीथियम को रणनीतिक रूप से बेहद अहम कच्चा माल कहा जाता है. किफायती और कुशल बैटरियां बनाने के लिए लीथियम बहुत ही जरूरी है. लेकिन लीथियम खनन में भी बेहद विषैले तत्व बाहर निकलते हैं. चेक गणराज्य में लीथियम की खुदाई से पहले भी पर्यावरण संबंधी चिंताओं को हल करना एक जरूरी कदम सा है. (dw.com)
हाथ मिलाने या छूने भर से डोपिंग हो सकती है. जर्मन यूनिवर्सिटी में 12 लोगों पर प्रयोग करने के बाद यह बात साबित हुई है.
हाथ, गर्दन और बांह को छूने से भी डोपिंग टेस्ट पॉजिटिव आ सकता है. जर्मनी के सरकारी प्रसारक एआरडी और कोलोन यूनिवपर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक मेडिसिन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. प्रयोग में 12 प्रतिभागियों पर टेस्ट किया गया. उन्हें कुछ देर के लिए बस छुआ गया. गर्दन, बांह और हथेली के जरिए किया हल्का बॉडी टच, एनाबॉलिक स्टेरॉयड्स के ट्रांसमिशन के लिए काफी था. त्वचा के जरिए इन प्रतिभागियों के शरीर में स्टेरॉयड्स दाखिल हो गए.
कुछ घंटे बाद से लेकर 14 दिन बाद भी जब डोप टेस्ट किया गया, तो प्रतिभागी पॉजिटिव निकले. एआरडी के मुताबिक प्रयोग में हिस्सा लेने वाले की उम्र 18 से 40 साल के बीच थी. उन्हें शारीरिक संपर्क के जरिए चार प्रकार के स्टेरॉयड्स दिए गए. इस संपर्क के एक घंटे बाद प्रतिभागियों के पेशाब के नमूने लिए गए. कुछ में तुरंत स्टेरॉयड्स की मौजूदगी सामने आ गई. 14 दिन बाद लिए गए नमूनों में सभी प्रतिभागी डोप पॉजिटिव आए.
फंसने वाले खिलाड़ियों का क्या?
2014 में रूसी डोपिंग स्कैंडल को लेकर अहम खुलासे करने वाले एआरडी के पत्रकार हागो जेपेल्ट के मुताबिक बॉडी टच से डोपिंग एक बड़ी चिंता है. ओलंपिक समेत तमाम बड़े खेल आयोजनों में हर मुकाबले के बाद खिलाड़ियों का एक दूसरे से हाथ मिलाना और सांत्वना देने के लिए गले मिलते हुए गर्दन टच करना आम बात है. अगर इस दौरान डोपिंग की जाए तो क्या होगा?
फिलहाल डोप टेस्ट पॉजिटिव आते ही खिलाड़ी को एक तरह से दोषी मान लिया जाता है. उसके पदक छिन जाते हैं और उसे अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाता है. यह निलंबन तब तक चलता है जब तक खिलाड़ी यह साबित न कर दे कि उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया. अगर खिलाड़ी ऐसा करने में नाकाम रहे तो उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
"बहुत ही दुर्लभ मामले"
वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के मुताबिक इस बात की संभावना "बहुत ही दुर्लभ" है कि कोई खिलाड़ी सिर्फ शारीरिक संपर्क के कारण डोपिंग टेस्ट में पकड़ा जाएगा. एआरडी की डॉक्यूमेंटी रिलीज होने के बाद वाडा ने कहा, "एंटी डोपिंग कम्युनिटी इस संभावना को अच्छी तरह जानती है. इसे बहुत ही दुर्लभ माना जाता है क्योंकि ऐतिहासिक तौर पर ऐसे मामले बहुत ही कम सामने आए हैं."
खेलों में डोपिंग के मामलों पर नजर रखने वाली शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संस्था वाडा के मुताबिक बहुत ही कम ऐसे तत्व हैं जो त्वचा के लिए जरिए किसी व्यक्ति के शरीर में पहुंचाए जा सकते हैं. वाडा का कहना है कि एआरडी और जर्मन यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट पर प्रतिष्ठित समीक्षा पत्रों का भी इंतजार किया जाएगा. यह रिपोर्ट टोक्यो ओलंपिक से ठीक पहले सामने आई है. जापान की राजधानी टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त तक ओलंपिक खेल होने हैं. (dw.com)
ओंकार सिंह जनौटी (एएफपी)
इस्लामाबाद में अपने राजदूत की बेटी के अपहरण के बाद अफगानिस्तान ने अपने सभी राजनयिक कर्मचारियों को वापस बुला लिया है. पाकिस्तान ने इस कदम पर खेद जताया और कहा कि अफगानिस्तान को फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
बीते शुक्रवार को पाकिस्तान में अफगान राजदूत की बेटी का अपहरण कर लिया गया था और उनके साथ मारपीट के आरोप लगे थे. हालांकि, कुछ घंटों बाद ही उसे रिहा भी कर दिया गया. अफगान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "पाकिस्तान में अफगान राजदूत की बेटी के अपहरण के बाद, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद से अफगान दूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिकों को वापस काबुल वापस बुला लिया है, जब तक कि सभी सुरक्षा खतरे दूर नहीं हो जाते." मंत्रालय ने अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने की मांग की.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अफगान विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद से अपने पूरे राजनयिक स्टाफ को वापस बुलाने के अफगानिस्तान के फैसले को "खेदजनक और निराशाजनक" बताया. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अफगान सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी."
इस्लामाबाद में अफगान राजदूत नजीबुल्लाह अलीखील की बेटी का शुक्रवार, 16 जुलाई को अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर अपहरण कर लिया था. अफगान अधिकारियों ने अपहरणकर्ताओं पर अलीखील को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया था.
खतरा टलने तक कर्मचारी नहीं लौटेंगे
कथित अपहरण के बाद अफगान अधिकारियों ने पहले राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की और इसे सुधारने का आह्वान किया. हालांकि रविवार को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस्लामाबाद में तैनात सभी वरिष्ठ कर्मचारियों को पाकिस्तान छोड़ने का निर्देश दिया, जिसमें राजदूत नजीबुल्लाह अलीखील भी शामिल हैं.
अफगान विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सुरक्षा स्थिति में सुधार होने, सुरक्षा चिंताओं को दूर करने और अपराधियों की गिरफ्तारी तक राजनयिक कर्मचारियों को वापस नहीं भेजा जाएगा.
अफगान विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "एक अफगान प्रतिनिधिमंडल जल्द ही सभी प्रासंगिक मुद्दों की समीक्षा करने और मामले पर तत्काल कार्रवाई के लिए पाकिस्तान का दौरा करेगा. यात्रा के नतीजों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी."
कथित अपहरण से अफगान चिंतित
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि अफगान राजदूत की बेटी के अपहरण और उसके बाद के दुर्व्यवहार ने "देश की आत्मा को घायल किया है."
लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अफगान सरकार के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी प्रधानमंत्री इमरान खान के आदेश के बाद से कथित अपहरण और हमले की उच्च स्तरीय जांच कर रहे हैं. बयान के मुताबिक, "पाकिस्तान में राजदूत, उनके परिवार और अफगान वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है."
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका
पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में वर्चस्व के लिए लड़ रहे तालिबान की मदद करने के प्रयास करने के आरोप लगते रहे हैं. अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ रही है और तालिबान ने अफगानिस्तान के 85 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया है. तालिबान ने पिछले हफ्ते ही पाकिस्तानी सीमा के पास स्पिलन बोलदाक जिले पर कब्जा कर लिया था.
बीते शुक्रवार पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा से अफगानिस्तान में स्थायी शांति और स्थिरता चाहता है. चौधरी के मुताबिक, "पाकिस्तान भविष्य में भी इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, अंत में अफगानों को ही अपने भविष्य के बारे में फैसला करना है." (dw.com)
एए/वीके(एएफपी, एपी, रॉयटर्स)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई एक जांच में दावा किया गया है कि इस्राएली जासूसी तकनीक के जरिए सरकारों ने अपने लोगों की जासूसी की. इनमें भारत के कई बड़े नाम शामिल हैं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
भारतीय समाचार वेबसाइट द वायर ने खबर दी है कि इस्राएल की निगरानी रखने वाली तकनीक के जरिए भारत के तीन सौ से भी ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई, जिनमें देश के मंत्रियों और विपक्ष के नेताओं से लेकर पत्रकार, जाने-माने वकील, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल हैं.
द वायर और 16 अन्य मीडिया संस्थानों की एक साझी जांच के बाद यह दावा किया गया है कि इस्राएल के सर्वेलांस सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए इन फोन नंबरों की जासूसी की गई. द वायर लिखता है कि इस जांच के तहत कुछ फोन्स की फॉरेंसिक जांच की गई जिससे "ऐसे स्पष्ट संकेत मिले की 37 मोबाइलों को पेगासस ने निशाना बनाया, जिनमें 10 भारतीय थे.”
द वायर कहता है, "बिना किसी फोन के तकनीकी विश्लेषण के यह बता पाना संभव नहीं है कि उस पर सिर्फ हमला हुआ था या उसे हैक किया गया था.”
कैसे हुई जांच?
इस्राएल की कंपनी एनएसओ ग्रुप पेगासस सॉफ्टवेयर बेचता है. द वायर के मुताबिक कंपनी का कहना है कि उसके ग्राहकों में सिर्फ सरकारें शामिल हैं, जिनकी संख्या 36 मानी जाती है. हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया है कि कौन कौन से देशों की सरकारें उसके ग्राहक हैं लेकिन द वायर लिखता है कि कम से कम यह संभावना तो खत्म हो जाती है कि भारत में या बाहर की कोई निजी संस्था इस जासूसी के लिए जिम्मेदार है.
यह जांच फ्रांस की एक गैर सरकारी संस्था ‘फॉरबिडन स्टोरीज' और एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिले एक डेटा के आधार पर हुई है. यह डेटा दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थानों का उपलब्ध कराया गया था, जिनमें द वायर, ला मोंड, द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, डी त्साइट और ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग के अलावा मेक्सिको, अरब और यूरोप के दस अन्य संस्थान शामिल हैं.
इन संस्थानों के पत्रकारों ने मिलकर यह खुफिया जांच की, जिसे प्रोजेक्ट पेगासस नाम दिया गया. ‘फॉरबिडन स्टोरीज' का कहना है कि उसे जो डेटा मिला था, उसमें एनएसओ ग्रुप के ग्राहकों द्वारा चुने गए फोन नंबर शामिल थे. हालांकि एनएसओ ग्रुप ने इस दावे का खंडन किया है.
भारत में किस-किस का नाम?
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक में इस सूची में भारत के 40 पत्रकार, तीन बड़े विपक्षी नेता, एक संवैधानिक विशेषज्ञ, नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा संस्थानों के मौजूदा और पूर्व प्रमुख और कई उद्योगपति शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर फोन नंबरों को 2018 से 2019 के बीच निशाना बनाया गया था. 2019 में भारत में आम चुनाव हुए थे और नरेंद्र मोदी दोबारा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने थे.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत मिले डेटा में इन भारतीय लोगों के नाम शामिल हैः
हिंदुस्तान टाइम्स
शिशिर गुप्ता, प्रशांत झा, औरंगजेब नक्शबंदी और राहुल सिंह
सैकत दत्ता (पूर्व)
द हिंदू
विजेता सिंह
इंडियन एक्सप्रेस
मुजामिल जलील, रितिका चोपड़ा, सुशांत सिंह(पूर्व)
इंडिया टुडे
संदीप उन्नीथन
द वायर
सिद्धार्थ वरदराजन, स्वाति चतुर्वेदी, देवीरूपा मित्रा, रोहिणी सिंह, एमके वेणु
द पायनियर
जे गोपीकृष्णन
न्यूजक्लिक
प्रंजॉय गुहा ठाकुरता
फ्रंटियर टीवी
मनोरंजन गुप्ता
स्वतंत्र पत्रकार
शबीर हुसैन बुच
इफ्तिकार गिलानी
प्रेमशंकर झा
संतोष भरतीय
दीपक गिडवानी
भूपिंद सिंह सज्जन
जसपाल सिंह हेरान
इंडियन अहेड
स्मिता शर्मा
कार्यकर्ता
हसन बाबर नेहरू
उमर खालिद
रोना विल्सन
रूपाली जाधव
डिग्री प्रसाद चौहान
लक्ष्मण पंत
कई ऐसे लोग भी सूची में हैं, जिन्होंने मीडिया संस्थानों से अपने नाम सार्वजनिक ना करने का आग्रह किया है.
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों के फोन हैक करने के दावों को गलत बताया है. एक बयान में सरकार ने कहा है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्र आजादी के लिए प्रतिबद्ध है.
द वायर द्वारा भारत सरकार को भेजे गए सवालों के जवाब कहा गया, "भारत एक स्थापित लोकतंत्र है जो अपने नागरिकों के निजता के अधिकार का एक मूलभूत अधिकार के तौर पर सम्मान करता है. इसी प्रतिबद्धता के तहत पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 और इंन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी (इंटरमीडिएरी गाइडलिन्स ऐंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 लाया गया ताकि लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा की जा सके और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वाले लोगों को और अधिकार दिए जा सकें.”
‘पेगासस प्रोजेक्ट' के तहत हुए शोध को कमजोर बताते हुए भारत सरकार ने कहा कि चूंकि इन सवालों के जवाब पहले से ही सार्वजनिक मंचों पर मौजूद हैं, इससे पता चलता है कि जाने-माने मीडिया संस्थानों ने कमजोर शोध किया है और जरूरी परिश्रम नहीं किया है.
भारत सरकार कहती है, "चुनिंदा लोगों पर सरकार की जासूसी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और इनमें कोई सच्चाई नही है. पहले भी भारत सरकार द्वारा वॉट्सऐप पर पेगासस के जरिए जासूसी करने के दावे किए गए थे. उन खबरों का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सभी पक्षों ने उन्हें खारिज कर दिया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में वॉट्सऐप का खंडन भी था.”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कौन प्रभावित?
‘पेगासस प्रोजेक्ट' का हिस्सा रहे अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक 50 हजार नंबरों की एक सूची है जिसके लिए 37 स्मार्टफोन्स को निशाना बना गया. अखबार लिखता है कि ये नंबर उन देशों में से हैं, जो अपने नागरिकों की जासूसी करने के लिए जाने जाते हैं और एनएसओ ग्रुप के ग्राहक भी हैं.
पूरी सूची में जो नंबर शामिल हैं उनमें से 50 देशों के एक हजार से ज्यादा लोगों की पहचान संभव हो पाई है. इन लोगों में अरब के शाही परिवार के कई सदस्य, कम से कम 65 उद्योगपति, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता, 189 पत्रकार और 600 से ज्यादा नेता और सरकारी अधिकारी शामिल हैं. अखबार स्पष्ट करता है कि इस सूची का मकसद स्पष्ट नहीं हो पाया है.
अखबार के मुताबिक एनएसओ ग्रुप का कहना है कि लोगों के फोन की जासूसी उसके पेगासस स्पाइवेयर लाइसेंस की शर्तों के प्रतिकूल है क्योंकि उसका सॉफ्टवेयर सिर्फ बड़े अपराधियों और आतंकवादियों की जासूसी के लिए है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने एनएसओ प्रमुख शालेव हूलियो के हवाले से लिखा है कि वह इन खबरों से बहुत चिंतित हैं. हूलियो ने अखबार को बताया, "हम हर आरोप की जांच कर रहे हैं और यदि कुछ आरोप भी सत्य पाए जाते हैं तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे. जैसा हमने पहले भी किया है, हम उनके कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर देंगे. यदि किसी ने पत्रकारों की जासूसी की है, चाहे वह पेगासस से हो या नहीं, चिंता की बात है.”
(dw.com)
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक बस और ट्रक की टक्कर में कम-से-कम 30 लोगों की मौत हो गई है और 40 से ज़्यादा व्यक्ति घायल हो गए हैं.
अधिकारियों के अनुसार ये दुर्घटना डेरा ग़ाज़ी ख़ान में इंडस हाइवे पर सुबह के वक़्त हुई. मृतकों में महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं.
एक स्थानीय पत्रकार तारिक़ इस्माइल ने बीबीसी उर्दू को बताया कि 46 सीटों वाली बस के भीतर लगभग 75 लोग सवार थे जबकि लगभग 15 लोग छत पर भी बैठे थे.
ये बस सियालकोट से राजनपुर जब तेज़ गति की वजह से चालक नियंत्रण खो बैठा और बस एक ट्रक से टकरा गई.
ज़्यादातर सवार सियालकोट की फ़ैक्टरियों में काम करनेवाले मज़दूर बताए जा रहे हैं जो बकरीद के मौक़े पर घर जा रहे थे.
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख़ रशीद ने दुर्घटना पर ट्वीट कर कहा- "अल्लाह मरने वालों को जन्नत नसीब करे और उनके रिश्तेदारों को इस दुख को झेलने की ताक़त दे."
वहीं सूचना प्रसारण मंत्री फ़वाद चौधरी ने उर्दू भाषा में ट्वीट में लिखा- "30 लोगों की जान इस सड़क दुर्घटना में चली गई. एक मुल्क़ के तौर पर हम कब समझेंगे कि ट्रैफ़िक नियमों को तोड़ना जानलेवा होता है. सार्वजनिक वाहन चलाने वाले ड्राइवर लोगों की ज़िंदगियों के रखवाले होते हैं." (bbc.com)
लंदन. ब्रिटेन में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के बीच लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दे दी गई है. 19 जुलाई की आधी रात से ज्यादातर कोरोना वायरस प्रतिबंधों को हटा लिया जाएगा. इसे देशवासी फ्रीडम डे के तौर पर सेलिब्रेट कर रहे हैं. लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के पहले हजारों की तादाद में लोग नाइट क्लब में उमड़ पड़े. 15 महीने में पहली बार बिना किसी पाबंदी के नाइट क्लब के अंदर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई है. आलम यह रहा कि रविवार की रात को नाइट क्लब और बार के बाहर बड़ी-बड़ी लाइनें देखी गईं.
कई लोगों को तो बार और क्लब के अंदर घुसने के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा. पिछले साल मार्च में लगाए गए प्रतिबंधों के बाद पहली बार लोगों ने बिना किसी प्रतिबंध के पार्टी का मजा लिया. वे पूरी रात डांस करना चाहते थे और एक-दूसरे से बात करना चाहते थे.
ब्रिटेन में फ्रीडम डे का जश्न मनाने के लिए भले ही नाइट क्लबों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं, लेकिन 73 फीसदी क्लब जाने वाले लोगों का कहना है कि वे वापस नहीं लौटना चाहते हैं. क्योंकि देश अभी अभी लॉकडाउन से निकला है. ब्रिटेन में कानूनी रूप से मास्क पहना भी जरूरी नहीं है, नाइट क्लब में जाने वालों की संख्या पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है. क्लबों का कहना है कि वे और उनके कस्टमर इसी मौके का इंतजार कर रहे थे.
महामारी की तीसरी लहर की चपेट में ब्रिटेन
इस बीच ब्रिटेन के इस फैसले की दुनियाभर में आलोचना भी हो रही है. ब्रिटेन इस समय कोरोना महामारी की तीसरी लहर की चपेट में है. शुक्रवार को 51 हजार 870 नए केस के साथ 6 महीने पुराना रेकॉर्ड टूट चुका है. जनवरी के बाद पहली बार ब्रिटेन में 50 हजार से ज्यादा केस आए हैं, वह भी तब जब करीब 68 प्रतिशत आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है या फिर टीके की कम से कम एक डोज ले चुकी है.
अब तक कितने लोगों को लगी वैक्सीन?
स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग (डीएचएससी) ने कहा कि ब्रिटेन में कोविड टीकों की अब तक कुल 81,959,398 खुराकें दी जा चुकी हैं. इनमें से 46,227,101 (87.8 प्रतिशत) लोगों के पहली जबकि 35,732,297 (67.8) प्रतिशत को दूसरी खुराक दी गई है.
दुनिया में कोरोना के कितने केस
पूरे विश्व में कोरोना के मामले बढ़कर 19 करोड़ हो गए है.18 जुलाई को दुनिया में 4,45,267 नए मामले सामने आए. ऐसे में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 19.12 करोड़ हो गई है. रविवार को कोरोना से 6,878 लोगों की मौत हुई और 3,37,306 लोगों ने इसे मात दी. दुनिया में कोरोना से अब तक मरने वालों की कुल संख्या 41.05 लाख हो गई है. रिकवर करने वाले कुल लोगों की संख्या 17.41 करोड़ पहुंच गई है.
लिस्बन, 19 जुलाई| ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी ग्राउंडफोर्स के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण पुर्तगाल में रविवार को 327 उड़ानें रद्द कर दी गईं। यह जानकारी पुर्तगाल हवाईअड्डों का प्रबंधन करने वाली कंपनी एएनए के आधिकारिक सूत्र ने दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को निर्धारित 511 आगमन और प्रस्थान उड़ानों में से 301 को लिस्बन हवाईअड्डे पर और 26 अन्य उड़ानों को पोटरे हवाई अड्डे पर रद्द कर दिया गया।
एएनए ने एक बयान में कहा, "हैंडलिंग सेवा की हड़ताल के कारण, हम रद्द उड़ानों वाले यात्रियों से लिस्बन हवाई अड्डे पर नहीं जाने और अन्य चैनलों, डिजिटल और टेलीफोन के माध्यम से जानकारी लेने की अपील करते हैं।"
लिस्बन हवाई अड्डे पर टर्मिनल 2 का उपयोग करने वाली केवल कम लागत वाली एयरलाइनों ने अपना नियमित संचालन बनाए रखा क्योंकि उन्हें अन्य हैंडलिंग कंपनियों द्वारा सेवा दी जाती है।
ग्राउंडफोर्स की हड़ताल शनिवार को दो मुख्य पुर्तगाली हवाई अड्डों पर 260 उड़ानों को रद्द करने के साथ शुरू हुई।
यूनियन ऑफ एयरपोर्ट हैंडलिंग टेक्नीशियन (एसटीएचए) ने हड़ताल को "अस्थिर वेतन और अन्य आर्थिक घटकों के समय पर भुगतान के संबंध में बुलाया था, जिसका ग्राउंडफोर्स के वर्कर्स ने फरवरी 2021 से सामना किया है।"
ग्राउंडफोर्स का स्वामित्व पासोगल समूह के पास 50.1 प्रतिशत और टीएपी समूह के पास 49.9 प्रतिशत है, जो 2020 से पुर्तगाल द्वारा नियंत्रित है।
ग्राउंडफोर्स ने टीएपी पर पहले से प्रदान की गई सेवाओं के लिए 12 मिलियन यूरो (14.17 मिलियन डॉलर) के कर्ज का आरोप लगाया, लेकिन टीएपी ने कहा कि उसके पास ग्राउंडफोर्स के लिए कोई बकाया नहीं है। (आईएएनएस)
काठमांडू, 18 जुलाई| नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने रविवार को संसद में रविवार को विश्वास मत हासिल कर लिया। हाउस स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोटा ने वोट के नतीजे पढ़े, जिसमें देउबा को 165 वोट मिले जबकि 84 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया। जबकि निचले सदन में वर्तमान में 271 सदस्य हैं, केवल 249 विधायक मतदान के लिए उपस्थित थे क्योंकि कुछ ने मतदान का बहिष्कार किया और कुछ अनुपस्थित रहे।
देउबा को उनकी अपनी नेपाली कांग्रेस, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र), जनता समाजवादी पार्टी के साथ-साथ मुख्य विपक्षी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-यूएमएल के कुछ सांसदों का समर्थन प्राप्त था, जिनकी कुर्सी उनके पूर्ववर्ती के.पी. शर्मा ओली।
नेपाली कांग्रेस के पास 61 सीटें हैं जबकि गठबंधन सहयोगी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के पास 49 सीटें हैं। इसी तरह राष्ट्रीय जनमोर्चा ने भी एक सीट के साथ देउबा को वोट देने का फैसला किया।
लेकिन जनता समाजवादी पार्टी, जिसके कुल 32 सदस्य हैं, के आधे सांसदों ने भी रविवार को कटु चेहरा बना लिया और अचानक देउबा को वोट देने का फैसला कर लिया। (आईएएनएस)
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान मे कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान शांति प्रक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया राजनयिक प्लेटफ़ॉर्म बनाया गया है जिसमें अमेरिका, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल होंगे.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार चार देशों के इस राजनयिक प्लेटफ़ॉर्म का संयुक्त अधिवेशन जल्द ही होगा.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार इस नए राजनयिक गठबंधन में शामिल चारों देश अफ़ग़ानिस्तान में स्थाई शांति को क्षेत्रीय सहयोग के लिए अहम समझते हैं. प्रवक्ता ने कहा कि चारों देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते खोलने के ऐतिहासिक अवसर को स्वीकार करते हैं, और व्यापार बढ़ाने और व्यवसायी संबंधों को और मज़बूत करने के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग करने का इरादा रखते हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चारों देशों ने सर्वसम्मति से इस बात को स्वीकार किया है कि अगले महीने इसकी बैठक की जाएगी. (bbc.com)
जंग अख़बार के अनुसार वाटर एंड पावर डेवेलपमेंट अथॉरिटी (वापडा) के प्रवक्ता का कहना है कि डासू बांध परियोजना पर काम करने वाली चीनी कंपनी ने पाकिस्तानी कर्मचारियों को निकालने का नोटिस वापस ले लिया है. प्रवक्ता के अनुसार डासू की घटना के बाद सिविल प्रशासन, वापडा और चीनी कंपनी ने आपस में विचार विमर्श करने के बाद यह फ़ैसला किया गया है. प्रवक्ता के अनुसार चीनी कंपनी इस परियोजना पर दोबारा काम शुरू कर देगी. प्रवक्ता का कहना है कि परियोजना पर काम रोकने का मक़सद सुरक्षा इंतज़ामों की नए सिरे से जाँच करनी है.
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत में 15 जुलाई को हुए एक 'बस हादसे' में कम से कम 13 लोग मारे गए थे जिनमें नौ चीनी नागरिक थे. ये डासू बांध परियोजना पर काम कर रहे थे. ये धमाका अपर कोहिस्तान ज़िले में हुआ था. इस हादसे में मारे गए नौ चीनी इंजीनियरों के अलावा, पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर के दो जवान और दो आम नागरिक भी शामिल थे.
चीन ने इस हादसे को बम धमाका बताया था जबकि पाकिस्तान ने पहले तो इसे गैस लीकेज की वजह से हुआ धमाका कहा, लेकिन बाद में पाकिस्तान ने भी इस बात की आशंका जताई कि यह धमाका एक चरमपंथी कार्रवाई हो सकती है. चीनी कंपनी ने काम रोकने का फ़ैसला किया था और इसमें काम करने वाले पाकिस्तानी कर्मचारियों को निकालने का नोटिस जारी कर दिया था.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने चीनी समकक्ष से फ़ोन पर बात की थी और उन्हें विश्वास दिलाया था कि इस मामले की पूरी जाँच होगी. इमरान ख़ान ने कहा था, ''किसी भी शत्रु ताक़त को पाकिस्तान और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को नुक़सान पहुँचाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.'' (bbc.com)
-इक़बाल अहमद
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार क़तर की राजधानी दोहा में अफ़ग़ानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत हुई जिसमें युद्ध रोकने, तालिबान क़ैदियों की रिहाई और अंतरिम सरकार बनाने पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी.
अख़बार के अनुसार किसी भी मामले में कोई सहमति नहीं बन पाई है. इस अवसर पर अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने कहा कि "हम सब की प्राथमिकता युद्ध की पूरी तरह समाप्ति और सर्वसम्मति से सियासी हल की तलाश होनी चाहिए. हम सब की निगाह संयुक्त भविष्य पर होनी चाहिए जिसके अफ़ग़ान नागरिक हक़दार हैं."
इस अवसर पर तालिबान प्रतिनिधि मंडल के नेता अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक समझौते तक पहुँचने के लिए सबसे ज़रूरी है कि एक दूसरे पर अविश्वास को ख़त्म किया जाए. उन्होंने कहा, "हमें अपने निजी स्वार्थ को नज़रअंदाज़ कर अफ़ग़ानिस्तान की अवाम की एकता के लिए कोशिश करनी चाहिए."
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई भी इस बातचीत में शामिल होने वाले थे लेकिन डॉन न्यूज़ के अनुसार वो काबुल में ही रुक गए और बातचीत में शामिल नहीं हो सके. अफ़ग़ानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत ज़िल्मे ख़लीलज़ाद दोहा बातचीत के दौरान मौजूद थे.
डॉन न्यूज़ के अनुसार तालिबान नेता ने बातचीत में ज़्यादा प्रगति नहीं होने पर अफ़सोस जताया है. अब्दुल ग़नी बिरादर ने कहा, "लेकिन फिर भी उम्मीद पैदा होनी चाहिए और तालिबान बातचीत के सकारात्मक नतीजे के लिए कोशिश करेंगे."
अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रतिनिधिमंडल की प्रवक्ता नाजिय अनवरी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि बातचीत तेज़ी से पूरी हों और जल्द ही दोनों पक्ष किसी नतीजे पर पहुँच जाएंगे और अफ़ग़ानिस्तान में स्थायी शांति का दौर देखें."
दोनों पक्षों ने बातचीत को जारी रखने और ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई लेकिन अभी यह तय नहीं है कि बातचीत कब तक चलेगी और ना ही कोई साझा बयान जारी किया गया.
पिछले साल 29 फ़रवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न गुटों के बीच बातचीत की शुरुआत हुई थी लेकिन 10 महीनों तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला था और बातचीत बंद कर दी गई थी. लेकिन अब दोनों पक्षों के बीच दोबारा बातचीत शुरू हुई है. लेकिन यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब तालिबान हर दिन अफ़ग़ानिस्तान के एक नए इलाक़े पर अपनी पकड़ मज़बूत करते जा रहे हैं. (bbc.com)
वाशिंगटन, 18 जुलाई | अमेरिका के ओरेगन राज्य के पोर्टलैंड शहर में हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम छह अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पोर्टलैंड पुलिस के अनुसार शनिवार को शूटर मौके से भाग गए, और किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने पुलिस के हवाले से बताया कि एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई और बाद में एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
ओरेगनलाइव की एक रिपोर्ट के अनुसार, अन्य ज्ञात पीड़ित के सर्वाइव करने की उम्मीद है।
पुलिस प्रवक्ता केविन एलन ने कहा कि गोलीबारी के और भी शिकार हो सकते हैं, क्योंकि पुलिस के आने से पहले अन्य लोग घटनास्थल से चले गए होंगे। (आईएएनएस)
जोहानसबर्ग, 18 जुलाई | दक्षिण अफ्रीका के न्याय और सुधार सेवा मंत्री रोनाल्ड लामोला ने 7 जुलाई से लूटपाट और सार्वजनिक हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ त्वरित सुनवाई के निर्देश जारी किए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, निर्देश मांग करते हैं कि हाल ही में हुई सार्वजनिक हिंसा, सार्वजनिक अव्यवस्था और बड़े पैमाने पर लूट के मामलों में तेजी लाई जाए।
लमोला ने शनिवार को कहा कि ये निर्देश हमारी अदालतों और न्याय प्रणाली को हालिया अशांति और सार्वजनिक हिंसा से उत्पन्न मामलों से निपटने के लिए प्रभावी ढंग से और उचित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन मामलों के प्रसंस्करण में कुछ भी बाधित न हो और जनता को हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पर भरोसा और विश्वास हो सके।
"निर्देश अन्य बातों के अलावा, ²श्य-श्रव्य लिंक के माध्यम से मामलों को स्थगित करने और प्रत्येक अदालत में एक प्राथमिकता रोल के संकलन के लिए प्रदान किए गए हैं जो अदालतों को प्राथमिकता वाले मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता देने में सक्षम करेगा जिसमें लिंग आधारित हिंसा और यौन अपराध, भ्रष्टाचार, बच्चों से जुड़े मामले और कोविड -19 नियमों का उल्लंघन शामिल हैं।"
लमोला ने कहा, यदि आवश्यक हो, तो अनुभवी सेवानिवृत्त मजिस्ट्रेटों और अभियोजकों के एक पूल सहित अतिरिक्त समर्पित कर्मचारियों को इन मामलों को तेजी से ट्रैक करने के लिए बुलाया जाएगा जहां सैकड़ों गिरफ्तारियां पहले ही प्रभावित हो चुकी हैं।
पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की कैद को लेकर पिछले हफ्ते देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
मरने वालों की संख्या 212 हो गई है।
हिंसा के मद्देनजर, तैनात दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय रक्षा बल की संख्या बढ़कर 25,000 हो गई है।
तैनाती 12 अगस्त तक रहेगी।
कभी रंगभेद के खिलाफ लड़ाई के लिए जाने जाने वाले जूमा को अदालत के आदेशों की अवहेलना करने के लिए एस्टकोर्ट सुधार केंद्र में 15 महीने की कैद हुई है। (आईएएनएस)
पश्चिमी यूरोप में आई भीषण बाढ़ में अब तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
बचाव कर्मियों के सामने अब लापता लोगों को खोजने की चुनौती है.
रिकॉर्ड बारिश के बाद जर्मनी और बेल्जियम में आई भीषण बाढ़ में सैकड़ों लोग लापता हैं.
स्विट्ज़रलैंड, लग्ज़मबर्ग और नीदरलैंड्स में भी भारी बारिश हुई है.
नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री मार्क रूटे ने देश के दक्षिणी प्रांत में आपातकाल घोषित कर दिया है.
यूरोपीय नेताओं ने इस त्रासदी के लिए जलवायु परिवर्तन को ज़िम्मेदार बताया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मूसलाधार बारिश की संभावना बढ़ जाती है.
औद्योगिक युग की शुरुआत की बाद से दुनिया का तापमान अब तक 1.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है.
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टेनमायर ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा किया.
जर्मनी में अब तक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वॉल्टमायर ने कहा कि वो बर्बादी देखकर हैरान हैं.
लापता लोगों के लिए बढ़ रही है आशंका
स्टेनमायर ने कहा, "पूरे के पूरे इलाक़ों पर बर्बादी के निशान हैं. बहुत से लोगों ने वो सब खो दिया है, जो उन्होंने ज़िंदगी भर कमाया था."
शुक्रवार को भारी बारिश की वजह से पैदा हुए हालात से बचाव कार्य भी प्रभावित हो रहा है. लापता लोगों के परिजन आशंकाओं से घिरे हैं.
फ़ोन नेटवर्क टूट गया है. सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं और एक लाख से अधिक घरों में बिजली नहीं हैं.
बारिश से सबसे ज़्यादा प्रभावित उत्तरी प्रांत हुए हैं. राइन वेस्टफालिया, राइनलैंड-पालाटिनेट और सारलैंड बुरी तरह प्रभावित हैं.
अधिकारियों के मुताबिक़ राइनलैंड-पालाटिनेट के अर्हवीलर ज़िले में शुक्रवार को 1300 लोग लापता हुए.
हालांकि अधिकारियों का कहना था कि हर घंटे ये आँकड़ा कम हो रहा है.
एक स्थानीय नागरिक ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से बताया, "यहां का दृश्य किसी युद्धक्षेत्र जैसा है, पानी गाड़ियों को बहा ले गया है, मकान टूट गए हैं. हर तरफ बर्बादी का मंज़र है."
प्रांतीय गृह मंत्री ने स्थानीय मीडिया से कहा है कि यहाँ मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
बेल्जियम में देश के दस में से चार प्रांतों में सेना को राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है.
20 जुलाई को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया गया है.
बेल्जियम में बाढ़ से कम से कम बीस लोग मारे गए हैं और ये यहाँ हाल के दशकों की सबसे बड़ी त्रासदी है.
दक्षिणी शहर मास्टराइक्ट और आसपास के शहरों में जलस्तर घट रहा है और लोग अपने घरों को लौट रहे हैं.
वैज्ञानिक कई सालों से ये चेतावनी देते रहे हैं कि इंसानों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मियों में होने वाली बारिश और हीटवेव भीषण होगी.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग में हाइड्रोलॉजी की प्रोफ़ेसर हाना क्लॉक कहती हैं, 'यूरोप में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से जो त्रास्दी हो रही है जानें जा रही हैं, इनसे बचा जा सकता था.'
'उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों में इस समय रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्मी पड़ रही है और आग लग रही है. ये इस बात का संकेत है कि लगातार गर्म होती हमारी धर्ती में मौसम किस हद तक ख़राब हो सकता है.'
वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकारों को कार्बन उत्सर्जन कम करना चाहिए और साथ ही विकट मौसम के लिए तैयार भी रहना चाहिए.
इसी बीच ब्रिटेन में, जहां सोमवार को बाढ़ आई थी, सरकार की जलवायु परिवर्तन पर समिति ने बताया है कि ब्रिटेन खराब मौसम के हालात से निबटने के लिए पांच साल पहले के मुकाबले कम तैयार है.
और इसी सप्ताह ब्रितानी सरकार ने लोगों से कहा है कि उन्हें अपनी हवाई यात्राएं कम करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विज्ञान के ज़रिए कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निबटा जा सकता है.
अधिकतर वैज्ञानिक ये मानते हैं कि ये धारणा एक तरह का जुआ है, जिसमें जीत ही हो, ऐसा नहीं है. (bbc.com)