राष्ट्रीय
जिन लोगों ने हिंदी भाषी परिवेश में ज्यादा वक्त नहीं गुजारा उनके लिए ये भाषा सीखना हमेशा से ज्यादा मुश्किल होता है. उनके लिए एक पत्रिका शुरू हुई है. इस पत्रिका में विदेशी हिंदी भाषियों के रचना संसार की झलक दिखाई देगी.
डॉयचे वैले पर पूजा यादव की रिपोर्ट-
दुनियाभर के कई हिस्सों में अहिंदी भाषी लोग स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में हिंदी को बतौर भाषा पढ़-लिख रहे हैं. मगर कई बार उनके लिए एक ऐसे इंटरनेशनल मंच की कमी महसूस होती है, जो उन्हें एक साथ लाए. इसके लिए कई प्रोफेसरों ने साथ मिलकर एक पहल शुरू की है. दरअसल, अहिंदी भाषी देशों में हिंदी पढ़ने-लिखने वाले लोगों के लिए कई यूनिवर्सिटियों के शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर एक मंच तैयार किया है. जिसके जरिए वे लोग खुद को हिंदी भाषा में अभिव्यक्त कर पाएंगे.
30 जुलाई को 'अंतरदेश' नाम की पत्रिका आधिकारिक रूप से लॉन्च होने जा रही है. यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय मंच होगा, जो सभी को साथ लाने के साथ ही अपने विचार और अपनी रचनाएं साझा करने की जगह देगा. इसके जरिए अहिंदी भाषियों के बीच न सिर्फ लिखित संवाद होगा बल्कि वे ऑडियो-विजुअल तरीकों से भी अपने को अभिव्यक्त कर पाएंगे. पत्रिका में सिर्फ एकेडेमिक कंटेट नहीं होगा, बल्कि यात्रा वृतांत से लेकर अपने मनपसंद विषयों पर लिखने की आजादी होगी है.
पत्रिका का अगला अंक जापान केंद्रित
दिव्यराज अमिय जर्मनी के टुबिंगन विश्वविद्यालय और स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाते हैं. वे इस अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रिका की पहल करने वाले लोगों में शामिल हैं. उन्हें डीडब्ल्यू के साथ एक बातचीत में बताया, "अंतरदेश एक व्यवस्थित मंच है, जिसके जरिये हिंदी सीखने वाले लोग खुद को अभिव्यक्त कर पाएंगे." पत्रिका का पहला अंक करीब 200 पेज का है. आइडिया से लेकर इस जर्नल के लॉन्च होने में दो साल का वक्त लग गया. तैयारी पिछले साल में ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन इसका आधिकारिक विमोचन अब किया जा रहा है.
दिव्यराज अमिय कहते हैं, "इसमें लघुकथा, कहानियां, यात्रा-वृतांत, लेख, समीक्षा और अन्य लगभग हर तरीके का विषय लिखा जा सकता है. हमारी पत्रिका का दूसरा अंक जापान पर केंद्रित होगा. जबकि हम बाद का अंक पूर्वी यूरोप के किसी देश से निकालने पर विचार कर रहे हैं." यह पत्रिका भारत से बाहर के देशों में हिंदी पढ़ने-लिखने वाले स्टूडेंट्स को जोड़ने का काम करेगी. उन्हें भाषा सीखने में मदद मिलेगी और वह अपने नजरिये को हिंदी में व्यक्त भी कर पाएंगे.
पत्रिका के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग
अलग-अलग देशों और विश्वविद्यालयों की स्थानीय टीमों द्वारा शुरू की जा रही ये पत्रिका रोटेशन के आधार पर काम करेगी. इसका मतलब है कि इसका प्रकाशन दुनिया के हर कोने से हो सकेगा, जहां अहिंदी भाषी लोग हिंदी में रुचि रखते हैं. इसका प्रकाशन नॉटनुल (https://notnul.com/) वेबसाइट पर किया जाएगा.
अंतरदेश के पहले अंक में कनाडा, चीन, जर्मनी, जापान, बुल्गारिया, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड से लेखकों ने योगदान दिया है. जर्मनी की माइंस यूनिवर्सिटी में हिंदी पढ़ाने वाली डॉ. सोन्या वेंगोबोर्स्की ने कहा कि हिंदी उर्दू मिलाकर दुनिया की सबसे बड़ी भाषाओं में से एक है. हालांकि, इनकी लिपियां अलग-अलग हैं. मगर दुनिया में एक बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में, यह पहल अहिंदी भाषी लोगों के लिए यह नया कंसेप्ट है.
दुनियाभर से साथ आए शिक्षक
इस जर्नल के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं: लाइपजिग यूनिवर्सिटी के एडेल हेनिग-टेम्बे, बुल्गारिया के सोफिया विश्वविद्यालय के आनंद वर्धन शर्मा, इटली की तूरीन विश्वविद्यालय की एरिका कैरेंटी, चीन में बीजिंग फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी की ली यालान, जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के राम प्रसाद भट्ट, ओसाका विश्वविद्यालय, जापान के वेद प्रकाश सिंह, लिस्बन विश्वविद्यालय, पुर्तगाल के शिव कुमार सिंह, टोरेंटो विश्वविद्यालय, कनाडा की हंसा दीप, और दिव्यराज अमिय शामिल हैं.
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. तोमिओ मिजोकामि जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे हैं. वे कहते हैं, "ये सबसे पहला सुनियोजित प्रयास है जिसमें कई देशों के शिक्षक और छात्र मिलकर काम कर रहे हैं. 30 जुलाई को ऑनलाइन विमोचन कार्यक्रम में चर्चा भी होगी, जिसमें दुनियाभर से विचारक और शिक्षक जुड़ेंगे. इसके जरिये इस पहल में और तेजी से सक्रियता आएगी."
संस्कृति में भाषा बहुत अहम
टोरंटो विश्वविद्यालय की हिंदी प्रोफेसर हंसा दीप ने बताया, "अंतरदेश पत्रिका के जरिये अहिंदी भाषियों को एक सार्वजनिक पटल मिलेगा, जिससे वो अपने हिंदी प्रेम को व्यक्त कर सकते हैं. यह पत्रिका विविधता से परिपूर्ण होगी. इसमें मनोरंजन से लेकर शैक्षिक लेख भी मिल जाएंगे." इस पहल की एक बड़ी खासियत ये होगी कि यह संस्कृतियों को जोड़ने वाली किसी पुल की तरह काम करेगा.
किसी भी संस्कृति में भाषा बहुत अहम होती है. नई पत्रिका के जरिए, अहिंदी भाषी लोग मूल हिंदी भाषी लोगों से संपर्क में रहकर गहरा जुड़ाव महसूस करेंगे. ऐसे में, अहिंदी भाषी को संस्कृति को पहचानना, समझना और आत्मसात करना ज्यादा आसान होगा. वो खुद को भाषा के और ज्यादा करीब समझेंगे. पत्रिका पर अपने अनुभव साझा करने के अलावा अहिंदी भाषी लोग नयी भाषा सीखने में आने वाली कठिनाइयों को भी साझा कर पाएंगे. (dw.com)
कोच्चि, 12 अगस्त । एर्नाकुलम के मार अथानासियस कॉलेज की 33 छात्राओं ने संस्थान में महिला छात्रावास में भेदभाव के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
छात्राएं इस बात से परेशान हैं कि जहां उनके लिए हॉस्टल में प्रवेश का समय शाम 6.30 बजे है, वहीं लड़कों के लिए हॉस्टल में प्रवेश का समय रात 9 बजे है।
इस भेदभाव से परेशान छात्राओं ने 2019 के केरल सरकार के आदेश की ओर इशारा करते हुए कानूनी प्रणाली का रुख किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेज छात्रावासों में छात्राओं के प्रवेश का समय रात 9.30 बजे तक निर्धारित किया गया है।
अदालत ने मामले की सुनवाई 18 अगस्त को तय की है। (आईएएनएस)।
बिजनौर 12 अगस्त । उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले अमानगढ़ रेंज के शेरकोट में रिहायशी इलाके में तेंदुआ के पहुंच जाने से दहशत फैल गया।
शेरकोट के मोहल्ला हकीमान निवासी छूनू मियां के घर में तेंदुआ घुस गया, जिससे मोहल्ले में कुछ देर के लिए अफरातफरी की स्थिति बन गई। बाद में वन विभाग की टीम ने तेंदुआ को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया।
बिजनौर डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ), अनिल कुमार ने शनिवार को बताया कि जंगल से निकलकर एक तेंदुआ शुक्रवार की रात शेरकोट के मोहल्ला हकीमान पहुंचकर शिकार की तलाश में एक घर में प्रवेश कर गया। इसे देखकर मोहल्ले के लोग शोर मचाने लगे और दहशत में मोहल्ले में अफरातफरी मच गई।
स्थानीय लोगों की सूचना के बाद वन विभाग की टीम शेरकोट के हकीमान में पहुंची और तीन-चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद तेंदुआ को बेहोश किया गया और फिर उसे रेस्क्यू कर लिया गया। डीएफओ ने कहा कि कई बार तेंदुए जैसे जंगली जानवरों को भोजन और आश्रय की तलाश में मानव बस्तियों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
यही स्थिति अक्सर मानव-तेंदुए के संघर्ष की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि तेंदुआ को फिर से जंगल में छोड दिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि शिकार की तलाश में तेंदुआ गांव में पहुंच गया होगा। (आईएएनएस)।
श्रीनगर, 12 अगस्त । श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने शनिवार को तीर्थयात्रियों की घटती संख्या के कारण अमरनाथ यात्रा को अब एक दिन के अंतराल पर अनुमति देने की घोषणा की।
एक जुलाई को वार्षिक तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद से 4.30 लाख से अधिक यात्री यात्रा कर चुके हैं।
अधिकारियों ने कहा कि 1,600 से अधिक यात्रियों ने शुक्रवार को गुफा मंदिर के अंदर दर्शन किए, जबकि 915 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था शनिवार को जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से सुरक्षा काफिले में घाटी के लिए रवाना हुआ।
अधिकारियों ने कहा, "इन 915 यात्रियों में से 736 पुरुष, 151 महिलाएं, 25 साधु और 3 साध्वियां शामिल हैं।" (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 12 अगस्त । कर्नाटक पुलिस विभाग ने हिंदू कार्यकर्ता पुनीथ उर्फ पुनीथ केरहल्ली के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है और उसे गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
गौरक्षक पुनीथ को हाल ही में गाय ले जाने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में गिरफ्तार किया गया ।
जांच से पता चला कि मृतक ने कानूनी रूप से गायों का परिवहन किया था।
पुलिस बताती है कि वह 2013 से 2023 के बीच 10 पुलिस मामलों में शामिल था।
आरोपी बार-बार समाज में शांति भंग करने की कोशिश, असामाजिक गतिविधियों में शामिल था, इसके बाद उस पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए। स्पेशल विंग सीसीबी पुलिस ने शुक्रवार को उसे हिरासत में ले लिया।
गौरतलब है कि गुंडा एक्ट के तहत गिरफ्तार आरोपियों को एक साल तक जमानत नहीं मिलेगी। पुलिस को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आरोपी को न्यायाधीश के सामने पेश करने की आवश्यकता नहीं है और उसे पुलिस हिरासत में लेने के लिए प्रक्रिया का पालन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पुलिस ने कहा कि हासन का मूल निवासी पुनीत राष्ट्र रक्षा पद के नाम पर जबरन वसूली के उद्देश्य से आपराधिक मामलों में शामिल रहा है।
उसे असामाजिक गतिविधियों से रोकने के लिए, कर्नाटक गुंडा अधिनियम के तहत 11 अगस्त को हिरासत का आदेश जारी किया गया था और सीसीबी पुलिस ने उसे 11 अगस्त को पकड़ लिया था। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 12 अगस्त । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने को सरकार का अपने लोगों के प्रति पवित्र कर्तव्य बताते हुए एक बार फिर कहा है कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से कोलकाता में आयोजित जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि लालच हमें सच्चाई का एहसास करने से रोकता है। भ्रष्टाचार से लड़ना अपने लोगों के प्रति सरकार का पवित्र कर्तव्य है और भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है।
उन्होंने कहा कि समय पर संपत्ति का पता लगाना और अपराध से प्राप्त आय की पहचान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है और जी- 20 देश अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और मजबूत उपायों के कार्यान्वयन के माध्यम से बदलाव ला सकते हैं।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने यह भी जोड़ा कि अपनी प्रशासनिक और कानूनी प्रणालियों को मजबूत करने के अलावा, हमें अपनी मूल्य प्रणालियों में नैतिकता और अखंडता की संस्कृति को भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों के खिलाफ बनाए गए कानून और भारत सरकार के आक्रामक रवैये का जिक्र करते हुए जी 20 देशों से सामूहिक प्रयास के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि अतंर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और भ्रष्टाचार के मूल कारणों को संबोधित करने वाले मजबूत उपायों के कार्यान्वयन के माध्यम से एक बड़ा अंतर लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने बैठक को संबोधित करते हुए, नोबेल पुरस्कार विजेता गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के शहर, कोलकाता में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि यहां पहली बार जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक भौतिक रूप से हो रही है। टैगोर के लेखन और प्राचीन भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने लालच के प्रति आगाह करते हुए कहा कि यह हमें सच्चाई का एहसास करने से रोकता है।
मोदी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का सबसे अधिक प्रभाव गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह संसाधनों के उपयोग को प्रभावित करता है, बाजारों को विकृत करता है, सेवा वितरण को प्रभावित करता है और अंततः लोगों के जीवन की गुणवत्ता को कम करता है।
अर्थशास्त्र में कौटिल्य का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने लोगों के कल्याण को अधिकतम करने के लिए राज्य के संसाधनों को बढ़ाना सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार से लड़ने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि यह अपने लोगों के प्रति सरकार का पवित्र कर्तव्य है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की लड़ाई के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। भारत एक पारदर्शी और जवाबदेह पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस का लाभ उठा रहा है। कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी परियोजनाओं में लीकेज और कमियों को दूर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप ही भारत में सैकड़ों मिलियन लोगों को उनके बैंक खातों में अरबों रुपयों से अधिक की राशि का हस्तांतरण प्राप्त हुआ है। भ्रष्टाचार एवं लीकेज को रोककर सरकार ने 33 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि बचाई है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल बनाया है और सरकारी सेवाओं का स्वचालन और डिजिटलीकरण कर रही है। 2018 के आर्थिक अपराध अधिनियम के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार आक्रामक रूप से आर्थिक अपराधियों का पीछा कर रही है और आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों से 1.8 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति की वसूली की गई है।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम का भी जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसने 2014 से अपराधियों की 12 बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति जब्त करने में मदद की है। प्रधानमंत्री ने 2014 के अपने पहले जी-20 शिखर सम्मेलन में सभी जी 20 देशों और ग्लोबल साउथ के लिए भगोड़े आर्थिक अपराधियों की चुनौतियों पर कही गई अपनी बात को याद करते हुए 2018 के जी-20 शिखर सम्मेलन में भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई और संपत्ति की वसूली के लिए अपने द्वारा पेश किए गए नौ सूत्री एजेंडे का भी जिक्र किया।
मोदी ने सुझाव दिया कि जी 20 देश विदेशी संपत्तियों की वसूली में तेजी लाने के लिए गैर-दोषी-आधारित जब्ती का उपयोग करके एक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं और यह उचित न्यायिक प्रक्रिया के बाद अपराधियों की त्वरित वापसी और प्रत्यर्पण सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी संयुक्त लड़ाई के बारे में एक मजबूत संकेत भेजेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी 20 देशों के सामूहिक प्रयास भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण रूप से समर्थन कर सकते हैं और अतंर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और भ्रष्टाचार के मूल कारणों को संबोधित करने वाले मजबूत उपायों के कार्यान्वयन के माध्यम से एक बड़ा अंतर लाया जा सकता है।
मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में ऑडिट संस्थानों की भूमिका के बारे में भी बोलते हुए गणमान्य व्यक्तियों से हमारी प्रशासनिक और कानूनी प्रणालियों को मजबूत करने के साथ-साथ मूल्य प्रणालियों में नैतिकता और अखंडता की संस्कृति को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि केवल ऐसा करके ही हम एक न्यायपूर्ण और टिकाऊ समाज की नींव रख सकते हैं। (आईएएनएस)।
अहमदाबाद, 11 अगस्त गुजरात के अहमदाबाद जिले में एक मिनी ट्रक एक खड़े ट्रक से टकरा गया जिससे मिनी ट्रक में सवार 10 लोगों की मौत हो गई जबकि चार अन्य घायल हो गए। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि मरने वालों में तीन बच्चे भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि यह घटना राजकोट-अहमदाबाद राजमार्ग पर बगोदरा गांव के पास उस समय हुई जब लोगों का एक समूह पड़ोसी सुरेंद्रनगर जिले के चोटिला से अहमदाबाद लौट रहा था।
अहमदाबाद जिले के पुलिस अधीक्षक अमित वसावा ने कहा, “सुबह हुई दुर्घटना में पांच महिलाओं, तीन बच्चों और दो पुरुषों की मौत हो गई।”
और विवरण की प्रतीक्षा की जा रही है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ यौन हमले पर रोष व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भीड़ दूसरे समुदाय को अपने आधिपत्य का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल करती है और राज्य इसे रोकने के लिए बाध्य है।
अदालत ने अपने द्वारा गठित सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति से चार मई से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करने को भी कहा।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सात अगस्त के अपने आदेश में कहा कि महिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा का शिकार बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता के संवैधानिक मूल्यों का गंभीर उल्लंघन है।
यह आदेश बृहस्पतिवार रात अपलोड किया गया।
पीठ ने कहा, "भीड़ आमतौर पर कई कारणों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सहारा लेती है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि यदि वे एक बड़े समूह के सदस्य हैं तो वे अपने अपराधों के लिए सजा से बच सकते हैं।’’
आदेश में कहा गया कि सांप्रदायिक हिंसा के समय, भीड़ उस समुदाय को अपने आधिपत्य का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल करती है जिससे पीड़ित या बचे हुए लोग संबंधित होते हैं।
न्यायालय ने कहा, “संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ इस तरह की भयानक हिंसा एक अत्याचार के अलावा और कुछ नहीं है। लोगों को ऐसी निंदनीय हिंसा करने से रोकना और जिन लोगों को हिंसा में निशाना बनाया जाता है, उनकी रक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य है - उसका सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य भी।"
बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस के लिए आरोपी व्यक्ति की शीघ्र पहचान करना और उसे गिरफ्तार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि जांच पूरी करने के लिए उनकी जरूरत पड़ सकती है।
यह रेखांकित करते हुए कि सांप्रदायिक संघर्ष के कारण आवासीय संपत्ति और धार्मिक स्थलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अपने संवैधानिक दायित्व को निभाते हुए कदम उठाने के लिए बाध्य है।
पीठ ने कहा, ‘‘जो उपाय बताए गए हैं उनके बारे में अदालत को लगता है कि वे सभी समुदायों के लिए किए जाएंगे और उन सभी लोगों के साथ न्याय किया जाएगा जो सांप्रदायिक हिंसा में (किसी भी तरह से) हताहत हुए हैं।’’
इसने कहा, “हिंसा के पीड़ितों को उपचारात्मक उपाय प्राप्त होने चाहिए चाहे और इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे किस समुदाय के हैं। इसी तरह, हिंसा के अपराधियों को हिंसा के स्रोत की परवाह किए बिना जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों सहित कई गंभीर आरोप हैं, जो दर्शाते हैं कि कानून लागू करने वाली मशीनरी हिंसा को नियंत्रित करने में नाकाम रही है और कुछ स्थितियों में, अपराधियों के साथ मिली हुई है।
इसने कहा, “उचित जांच के अभाव में, यह अदालत इन आरोपों पर कोई तथ्यात्मक निष्कर्ष नहीं निकालेगी। लेकिन, कम से कम, ऐसे आरोपों के लिए वस्तुनिष्ठ तथ्यान्वेषण की आवश्यकता है।’’
पीठ ने कहा, "जो लोग सार्वजनिक कर्तव्य के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, भले ही उनकी रैंक, स्थिति या पद कुछ भी हो।"
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य का प्रत्येक अधिकारी या कर्मचारी जो न केवल संवैधानिक और आधिकारिक कर्तव्यों की अवहेलना का दोषी है, बल्कि अपराधियों के साथ मिलकर खुद अपराधी बनने का भी दोषी है, उसे हर हाल में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
इसने कहा, "यह न्याय का वादा ही है जिसकी मांग संविधान इस अदालत और राज्य की सभी इकाइयों से करता है।"
यह सुनिश्चित करने के लिए कि हिंसा रुके, हिंसा के अपराधियों को दंडित किया जाए और न्याय प्रणाली में समुदाय का विश्वास और भरोसा बहाल हो, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के तीन पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति गठित की। इस समति में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल, बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शालिनी फणसलकर जोशी और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशा मेनन शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति का काम सभी उपलब्ध स्रोतों से मणिपुर में चार मई से महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करना होगा, जिसमें जीवित बचे लोगों के साथ व्यक्तिगत बैठकें, बचे लोगों के परिवारों के सदस्य, स्थानीय/समुदाय प्रतिनिधि, राहत शिविरों के प्रभारी अधिकारी और दर्ज प्राथमिकियों के साथ-साथ मीडिया में आई खबरें शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि समिति बलात्कार के आघात से निपटने, समयबद्ध तरीके से सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक सहायता, राहत और पुनर्वास प्रदान करने सहित पीड़ितों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदमों पर भी एक रिपोर्ट भी सौंपेगी।
यह निर्देश देते हुए कि जांच की प्रक्रिया की निगरानी शीर्ष अदालत द्वारा की जाएगी, पीठ ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक दत्तात्रेय पडसलगीकर को सीबीआई के पास स्थानांतरित की गई प्राथमिकियों की जांच और राज्य की जांच मशीनरी द्वारा शेष प्राथमिकियों की जांच की निगरानी करने के लिए नियुक्त किया।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘सीबीआई को स्थानांतरित की गई प्राथमिकियों से जुड़े मामलों में उचित जांच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से कम से कम पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पांच अधिकारियों को सीबीआई के अधीन रखेगा।’’
आदेश में कहा गया, “इन पांच अधिकारियों में से कम से कम एक महिला होगी। इस प्रयोजन के लिए, उपरोक्त राज्यों के पुलिस महानिदेशक, कम से कम पुलिस उपाधीक्षक स्तर के एक अधिकारी को सीबीआई में प्रतिनियुक्ति के लिए नामित करेंगे।'
पीठ ने कहा कि प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी सीबीआई की समग्र संरचना के तहत अपने कार्य करेंगे और आवश्यकतानुसार समय-समय पर जानकारी और रिपोर्ट जमा करेंगे।
न्यायालय ने कहा, “दत्तात्रेय पडसलगीकर से उन आरोपों की जांच करने का भी अनुरोध किया जाता है कि कुछ पुलिस अधिकारियों की मणिपुर में संघर्ष के दौरान हिंसा (यौन हिंसा सहित) को अंजाम देने वाले अपराधियों के साथ मिलीभगत थी।’’
आदेश में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस जांच को पूरा करने के लिए आवश्यक कोई भी सहायता प्रदान करेगी। निष्कर्ष एक रिपोर्ट के रूप में इस न्यायालय को प्रस्तुत किए जाएंगे।’’ (भाषा)
अहमदाबाद, 11 अगस्त गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
दोनों नेताओं के खिलाफ यहां एक मेट्रोपॉलिटन अदालत में चल रही मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए, न्यायमूर्ति समीर दवे ने कहा कि दोनों ने पहले सत्र अदालत को आश्वासन दिया था कि वे अपने बयान दर्ज कराने के लिए मेट्रोपॉलिटन अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आपको उपस्थित रहना होगा...आप अदालत में पेश होने से बच रहे हैं।’’
इससे पहले एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य सिंह को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के संबंध में उनकी "व्यंग्यात्मक" और "अपमानजनक" टिप्पणी पर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर मानहानि मामले में 11 अगस्त को तलब किया था।
बाद में आप के दोनों नेताओं ने मानहानि मामले में मेट्रोपॉलिटन अदालत के समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक समीक्षा याचिका दायर की थी।
हालांकि, सत्र अदालत ने हाल ही में उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से नफरत भरे भाषण के मामलों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने को कहा।
उच्चतम न्यायालय हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में हुई रैलियों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार के आह्वान संबंधी कथित ‘‘घोर नफरत भरे भाषणों’’ को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
हरियाणा में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगों में छह लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त तक समिति के बारे में सूचित करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता।’’
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को वीडियो सहित सभी सामग्री एकत्र करने और उसके 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के अनुसरण में नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया।
पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दाखिल अर्जी में उच्चतम न्यायालय के दो अगस्त के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था, “हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए और कोई हिंसा न हो या संपत्तियों को नुकसान न हो।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी आवश्यक हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे के जरिये वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जाये। (भाषा)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य राघव चड्ढा को नियमों के घोर उल्लंघन और अवमाननापूर्ण आचरण के चलते विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया।
इसके साथ ही, अशोभनीय आचरण तथा नियमों के उल्लंघन के आरोप में निलंबित किए गए आप सदस्य संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक बढ़ा दी गई।
उच्च सदन में आम आदमी पार्टी के 10 सदस्य हैं।
मानसून सत्र के अंतिम दिन, शुक्रवार को सदन के नेता सदन पीयूष गोयल ने राघव चड्ढा द्वारा नियमों का उल्लंघन करने तथा सदन की एक समिति के लिए चार सदस्यों का नाम उनकी सहमति लिए बिना प्रस्तावित करने का मुद्दा उठाया।
चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने राज्यसभा में 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' को पारित कराने की प्रक्रिया के दौरान प्रवर समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था और इस समिति के लिए चार सांसदों.. सस्मित पात्रा (बीजू जनता दल), एस फान्गनॉन कोन्याक (भारतीय जनता पार्टी), एम थंबीदुरई (ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कषगम) और नरहरि अमीन (भाजपा) के नाम उनकी अनुमति के बिना शामिल किए थे।
पीयूष गोयल ने कहा कि जिन सदस्यों के नाम चड्ढा ने समिति के लिए प्रस्तावित किए थे, उनका कहना है कि इसके लिए उनसे अनुमति नहीं ली गई थी। उनके अनुसार, सदस्यों की शिकायत से स्पष्ट होता है कि यह नियमों का तथा विशेषाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि ये सदस्य अपने अधिकारों का संरक्षण चाहते हैं।
गोयल ने कहा कि आप सदस्य राघव चड्ढा ने संसद के बाहर भी गलत बयान दिया।
उन्होंने कहा कि यह मामला विशेषाधिकार समिति के पास जांच के लिए भेजा गया है। उन्होंने विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक चड्ढा को उच्च सदन से निलंबित किए जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सदस्यों ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
प्रस्ताव पारित करने के समय कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे क्योंकि मणिपुर मुद्दे को लेकर वे पहले ही सदन से बहिर्गमन कर गए थे।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नौ अगस्त, बुधवार को उन सांसदों की शिकायतों को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि चड्ढा ने नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना प्रवर समिति में उनका नाम शामिल करने का प्रस्ताव किया।
चड्ढा ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन आरोपों को ‘निराधार’ बताया था। आप सांसद ने दावा किया था कि एक सांसद किसी अन्य सदस्य के नाम को उनकी लिखित सहमति या हस्ताक्षर के बिना प्रवर समिति के लिए प्रस्तावित कर सकता है।
राज्यसभा के एक बुलेटिन में कहा गया था कि सभापति को उच्च सदन के सदस्य सस्मित पात्रा, एस फांगनोन कोन्याक, एम थंबीदुरई और नरहरि अमीन से शिकायतें मिली हैं, जिन्होंने चड्ढा पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है और अपनी शिकायत में सात अगस्त को एक प्रस्ताव में प्रक्रिया एवं नियमों का उल्लंघन करते हुए उनकी सहमति के बिना उनके नाम शामिल किए जाने का जिक्र किया है।
आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को, 24 जुलाई को उच्च सदन में हंगामा और आसन के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए वर्तमान मानसून सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित किया गया था।
सिंह मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर सदन में प्रधानमंत्री के बयान और चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर आसन के समक्ष आ गए थे। सभापति धनखड़ ने उन्हें अपने स्थान पर वापस जाने के लिए कहा। सिंह के वापस न जाने पर सभापति ने उनके नाम का उल्लेख किया।
आसन द्वारा किसी सदस्य के नाम का उल्लेख किए जाने पर उस सदस्य को तत्काल सदन से बाहर जाना होता है और वह पूरे दिन सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता।
इसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने सिंह को मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव करते हुए कहा था कि आप सदस्य का आचरण सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं है। हंगामे के बीच ही गोयल के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
आज, उच्च सदन में गोयल ने प्रस्ताव रखा कि आप सदस्य संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक बढ़ा दी जाए।
इस प्रस्ताव को सदन में ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।
इससे पहले गोयल ने कहा कि संजय सिंह ने राज्यसभा के 12 सत्रों में 56 बार आसन के समक्ष आकर हंगामा किया और जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित किया। उन्होंने बताया कि ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए पहले भी दो बार संजय सिंह का सदन से निलंबन हो चुका है। (भाषा)
कोलकाता, 11 अगस्त अदालती कार्यवाही की पृष्ठभूमि पर आधारित हिंदी फिल्म ‘सेक्शन 84’ में अमिताभ बच्चन के साथ अभिनय करने वाली अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी का मानना है कि एक महिला को अपनी सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना किसी भी कार्यस्थल पर खुद को साबित करने के लिए 200 प्रतिशत अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
अपने दो दशक लंबे करियर में पहली बार बांग्ला वेब सीरीज ‘निखोज’ में एक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहीं, स्वास्तिका ने कहा कि लैंगिक रूढ़िवादिता इस धारणा के साथ मौजूद रही कि शादी और बच्चों के बाद महिलाएं पहले की तरह काम करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
अभिनेत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एक अजीब लैंगिक पूर्वाग्रह मौजूद है। यह माना जाता है कि एक महिला पहले की तरह काम को करने में असमर्थ होगी, क्योंकि उन्हें अपने ‘घर संसार’ और ‘छेले पुले’ (बच्चों के लिए बंगाली में उपयुक्त शब्द) की देखभाल करनी होती है। निखोज ने इस मुद्दे को रेखांकित किया है।’’
अभिनेत्री (42) वर्तमान में मुंबई और कोलकाता में एक के बाद एक फिल्मों पर काम कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह हर महीने एक फिल्म रिलीज होने में विश्वास नहीं करती हैं।
उन्होंने ‘कला’ में प्रभावशाली प्रदर्शन किया था, जो दिसंबर 2022 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी और हाल में 70 के दशक में हावड़ा में एक महिला गैंगस्टर के वास्तविक जीवन से प्रेरित एक बंगाली फिल्म ‘शिबपुर’ में अभिनय किया।
महिला-केंद्रित ‘शिबपुर’ और ‘निखोज’ में केंद्रीय पात्र अपने परिवार और अपने समुदाय की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ते हुए दिखाई देता है।
‘शिबपुर’ में स्वास्तिका ने जिस महिला डॉन मंदिरा बिस्वास का किरदार निभाया है, वह अपने ससुराल वालों और बच्चों की सुरक्षा करती है। ‘निखोज’ में वह कोलकाता पुलिस उपायुक्त की भूमिका में हैं, जो अपनी लापता बेटी को ढूंढने की कोशिश कर रही है, यह मामला आधिकारिक तौर पर उसे सौंपा गया है।
अपने द्वारा निभाए गए दो बिल्कुल विपरीत किरदारों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक उनके संबंधित कार्यस्थलों में उनकी लड़ाई का सवाल है, इन दोनों किरदारों में काफी समानताएं हैं... कार्यस्थलों पर आमतौर पर पुरुषों का वर्चस्व होता है।’’
स्वास्तिका ने कहा कि ‘निखोज’ में उन्हें एक मां और एक मेहनती पुलिसकर्मी के व्यक्तित्व के बीच संतुलन बनाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखना था कि एक पहचान दूसरी पर हावी न हो जाए... मैं एक कामकाजी एकल मां का किरदार निभा रही थी और मुझे याद है कि मैं हर शूटिंग के बाद निर्देशक अयान चक्रवर्ती से पूछती थी कि क्या मैं सही संतुलन बना पा रही हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मां के किरदार को जांच अधिकारी के किरदार से ऊपर रखना आसान था, लेकिन पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाते समय मैं व्यक्तित्व में बदलाव को लेकर सावधान थी।’’
‘निखोज’ में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के अभिनेता तोता रॉय चौधरी भी हैं। यह फिल्म 11 अगस्त से एक प्रमुख बंगाली ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई जाएगी।
अपनी भविष्य की भूमिकाओं के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं बड़ी संख्या में फिल्में करने में विश्वास नहीं करती। मेरे लिए संख्या से अधिक गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। अगर मेरे पास हर महीने रिलीज के लिए फिल्में कतार में हों, तो क्या आप उन सभी को याद रखेंगे? नहीं, मैं कम काम करना पसंद करती हूं लेकिन उन फिल्मों में जो लोगों के दिमाग में कुछ छाप छोड़ें, जैसे ‘शिबपुर’।’’ (भाषा)
अगर भारत अपने कृषि निर्यातों को सीमित करता है तो दुनिया में बड़ा खाद्यान्न संकट खड़ा हो सकता है, वहीं अगर वह इसी तरह इन फसलों का उत्पादन जारी रखता है तो देश के अंदर बड़ा भूजल संकट खड़ा हो सकता है.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट-
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. आजादी के तुरंत बाद के दौर में देश खाद्यान्न के मामले में काफी गरीब रहा था. हालांकि आज अपने बड़े निर्यातक के दर्जे पर काफी गर्व करता है. बदलती सच्चाईयों के बीच, यह गर्व नहीं चिंता की बात लगने लगी है. इसकी मुख्य वजह है, पानी. पानी, जो चावल यानी धान की खेती में बहुत ज्यादा मात्रा में चाहिए होता है.
चावल या ऐसी ही अन्य फसलों में, उन फसलों की शक्ल में छिपकर असल में देश का भूजल निर्यात हो रहा होता है. पानी के इस छिपे हुए निर्यात को ‘वर्चुअल वाटर एक्सपोर्ट‘ कहा जाता है. भूजल के मामले में पहले से ही गरीब भारत से यह वर्चुअल वाटर एक्सपोर्ट लगातार जारी है.
भारत से उलट दुनिया की राह
साल 2021 को छोड़ दें तो साल 2017 के बाद से लगातार चीन ने चावल के उत्पादन में कमी की है. मिस्र खेती के अपने स्रोतों का पूरा इस्तेमाल नहीं करता और अपने खाद्य उत्पादन का करीब 40 फीसदी आयात करता है. हाल ही में थाईलैंड ने अपने किसानों से चावल के बजाए, पानी के कम इस्तेमाल वाली फसलों की खेती करने को कहा है.
कमाल के अन्न हैं मोटे अनाज, लेकिन खाद्य क्रांति अभी दूर है
दूसरी तरफ बीच के दो एक सालों को छोड़ दें तो भारत से चावल का निर्यात 2016 के बाद से लगातार बढ़ा है. बल्कि 2016 से तुलना करें तो 2022 में यह दोगुना हो गया था. इस मामले में बारीकी से देखें तो भारत सिर्फ चावल नहीं बल्कि चावल उगाने में भारी मात्रा में इस्तेमाल होने वाले भूजल का भी निर्यात कर रहा है. और यह संकट लगातार बढ़ रहा है.
भारत में पानी की गरीबी
इसकी वजह है गेहूं और चावल जैसी फसलों के बड़े निर्यातक, भारत की इन फसलों की खेती के लिए भूजल पर निर्भरता का और बढ़ते जाना. आज भारत सालभर में कुल मीठे पानी का जितना इस्तेमाल करता है, उसका 80 फीसदी सिर्फ खेती में इस्तेमाल होता है. आने वाले वर्षों में अल नीनो, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक भूजल का दोहन समस्या को और गंभीर बनाने वाले हैं.
भारत जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों में से एक है. भारत जल स्रोतों के मामले में सबसे समृद्ध दुनिया के पांच देशों की लिस्ट से भी बाहर है. वाटर रिसोर्सेज ग्रुप के मुताबिक भारत के पास अपनी जरूरत का सिर्फ 50 फीसदी पानी होगा. यह खतरा अब टाला नहीं जा सकता और खेती पर इसका बहुत बुरा असर होना तय है.
टिकाऊ खेती या घाटा
अनियमित बारिश के बीच किसानों के लिए फसलें उगाने के लिए भूजल ही स्थायी स्रोत होते हैं. कुछ इलाकों में नहरों से सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन देश के बहुत से इलाकों में इसकी सुचारु व्यवस्था नहीं है. बिहार के बेतिया और सासाराम जैसे सीमावर्ती जिलों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं. उत्तर प्रदेश के एटा जिले के किसान बृजेश यादव बताते हैं कि सिंचाई के लिए बारिश के भरोसे भी रहना संभव नहीं होता. ऐसे में वह और इलाके के ज्यादातर किसान ट्यूबवेल से सिंचाई करते हैं. कई बार खरीदे हुए पानी से सिंचाई करनी होती है.
किसान बताते हैं कि खेतों की समुचित सिंचाई सिर्फ समृद्ध किसानों के लिए ही संभव हो पाती है. वंचित जातियों के लोगों के पास जो थोड़े बहुत खेत हैं, वो उनकी सिंचाई का भी प्रबंध नहीं कर पाते. यूपी की सीमा पर स्थित बिहार के कुछ जिलों के किसान बताते हैं कि धान की फसल के लिए कुछ हद तक बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है, नहीं तो पूरी तरह से डीजल इंजन से सिंचाई करना इतना महंगा पड़ेगा कि खेती से कमाई के बजाए घाटा होगा.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वाटर मैनेजमेंट में मुख्य वैज्ञानिक डॉ दिलीप कुमार पांडा कहते हैं, "बारिश के अनिश्चित पैटर्न के बीच भूजल से सिंचाई की परंपरा पिछले दो दशकों में ज्यादा बढ़ी है.”
खेती पर निर्भर लोग संकट में
सिंचाई के मामले में सिंचाई के लिए पानी की फिजूलखर्ची भी है. दुनिया भर में सामान्य कृषि उपज के लिए जितना पानी इस्तेमाल होता है, उत्तर प्रदेश में उतनी ही उपज के लिए दो से तीन गुना पानी इस्तेमाल होता है. इसके अलावा राज्य भारत में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक भी है.
फिर बाढ़ और सूखे का दुष्चक्र भी है, जिससे भारत जैसे विकासशील देशों में गरीब आबादी पर सबसे ज्यादा बुरा असर होता है. भारत में भी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी अपने गुजारे के लिए सीधे खेती पर निर्भर होती है. वह इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. इसलिए भी भारत के लिए तेजी से जलवायु परिवर्तन के हिसाब से योजनाएं बनाना जरूरी हो जाता है.
सरकारी योजनाएं, ऊंट के मुंह में जीरा
भारत सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए भी हैं. राष्ट्रीय जल मिशन, भूजल प्रबंधन से जुड़े मिशन जैसे, अटल भूजल योजना, और जिम्मेदार ढंग से पानी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने वाली योजना जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना. कई प्राइवेट बिजनेस को भी पानी के जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ईएसजी जैसे मानक इसी क्रम में पालन किए जा रहे हैं. जिनमें किसी बिजनेस की पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का आकलन किया जाता है. हालांकि इतना सब काफी नहीं है.
जानकार मानते हैं कि खेती के पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता बढ़ाना और गेहूं, चावल, गन्ने जैसी अधिक पानी के इस्तेमाल वाली फसलों के बजाए पारंपरिक अनाजों और सब्जियों को खेती को बढ़ावा भी एक उपाय हो सकता है.
निर्यात नहीं, असल समस्या चावल
डॉ दिलीप कुमार पांडा कहते हैं, "असल समस्या चावल का निर्यात नहीं बल्कि चावल खुद है. भारत के अंदर भी खाद्यान्न के तौर पर उसे बढ़ावा दिया जा रहा. भारत में बहुत से ऐसे राज्य हैं, जहां राजनीतिक दल जीत के बाद मुफ्त चावल देने का वादा करते हैं. ऐसे वादे से भी चावल का उत्पादन प्रोत्साहित होता है.”
डॉ पांडा के मुताबिक ऐसे में चावल के विकल्प के तौर पर अन्य अनाजों को प्रोत्साहित करने की योजना एक अच्छा कदम हो सकती है. उड़ीसा जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही इस दिशा में प्रयास किए हैं.
मार्केट भी इसके लिए बदले
इसके लिए प्राइवेट कंपनियों को भी किसानों से की जाने वाली खाद्य उत्पादों की मांग में बदलाव लाने होंगे और अपने उत्पादों को उसी हिसाब से बदलना होगा. इस प्रक्रिया में जब तक किसी फसल को उगाना किसानों के लिए फायदेमंद नहीं होगा, वो उसे उगाने के लिए आकर्षित नहीं होंगे.
साथ ही देश के कुछ इलाकों में टिकाऊ खेती के जो प्रयोग सफल रहे हैं, उन्हें बड़े इलाके में लागू करने की योजना भी होनी चाहिए. मनरेगा स्कीम इसमें काम आ सकती है. (dw.com)
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने सैन्य ड्रोनों के स्थानीय निर्माताओं को चीन में बने पुर्जे इस्तेमाल करने से मना कर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने घोषणा नहीं की है, लेकिन कई महीनों से इस नीति को लागू किया जा रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ सरकारी कागजात और रक्षा अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर यह दावा किया है. अधिकारियों ने बताया कि देश के सुरक्षा तंत्र से जुड़े नेताओं को चिंता है कि ड्रोनों के कम्युनिकेशन फंक्शन, कैमरा, रेडियो ट्रांसमिशन और ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर में चीनी पुर्जों के मौजूद होने से खुफिया जानकारी हासिल करने की प्रक्रिया संकट में पड़ सकती है.
इनमें से तीन अधिकारियों, सरकार और उद्योग जगत के छह में से कुछ और व्यक्तियों ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर रॉयटर्स से बात की. विषय की संवेदनशीलता की वजह से उन्हें मीडिया से बात करने का अधिकार नहीं दिया गया है.
सुरक्षा को लेकर चिंताएं
रॉयटर्स ने भारत के रक्षा मंत्रालय से भी सवाल पूछे लेकिन मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया. ये कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब दोनों पड़ोसी परमाणु ताकतों के बीच तनाव चल रहा हैऔर भारत सैन्य आधुनिकीकरण की ऐसी रणनीति पर काम कर रहा है जिसमें ड्रोन, लॉन्ग-एंड्यूरेंस सिस्टम और दूसरे ऑटोनोमस प्लेटफॉर्म के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है.
ड्रोन के पुर्जों को लेकर नई नीति सर्विलांस ड्रोनों के आयात पर 2020 के बाद से चरणबद्ध तरीके से लगाए गए प्रतिबंधों की राह पर ही चल रही है. इस नीति को सैन्य टेंडरों के जरिये लागू किया जा रहा है.
फरवरी और मार्च में दो बैठकों में भारतीय सैन्य अधिकारियों ने संभावित बोली लगाने वालों से कहा कि "भारत से जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से" उपकरण या पुर्जे "सुरक्षा कारणों से स्वीकार्य नहीं होंगे." यह जानकारी इन बैठकों के मिनट्स में दी गई थी. मिनट्स में सैन्य अधिकारियों का नाम नहीं लिया गया.
एक टेंडर डॉक्यूमेंट के मुताबिक इस तरह के पुर्जों में "सुरक्षा कमियां" होती हैं जो क्रिटिकल सैन्य डाटा को खतरे में डालती हैं. टेंडर में विक्रेता को पुर्जों के मूल देशों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया है. एक वरिष्ठ रक्ष अधिकारी ने बताया कि "पड़ोसी देश" का मतलब चीन है.
अधिकारी ने यह भी कहा कि साइबर हमलों के खतरे के बावजूद भारतीय उद्योग चीन पर निर्भरहो गया था. चीन ने साइबर हमलों में शामिल होने से इनकार किया है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने भारत के इन कदमों को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया.
इसी मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ही कुछ ड्रोनों और ड्रोन से संबंधित उपकारों के निर्यात पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी. 2019 में अमेरिका की संसद ने भी सरकार को चीन में बने ड्रोन और पुर्जे खरीदने से प्रतिबंधित कर दिया था.
उत्पादन में समस्या
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभावित खतरों से निबटने के लिए देश को खुद ड्रोन विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया है. सरकार ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए 2023-24 में 1,600 अरब रुपये आवंटित किये हैं, जिसमें से 75 प्रतिशत राशि स्थानीय उद्योग के लिए है.
हालांकि जानकारों का कहना है कि चीनी पुर्जों पर प्रतिबंध से देश के अंदर ड्रोन बनाने का खर्च बढ़ गया है. ड्रोन बनाने वालों को ये पुर्जे कहीं और से मंगवाने की जरूरत पड़ रही है.
भारतीय सेना को छोटे ड्रोन सप्लाई करने वाली बेंगलुरु की न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के संस्थापक समीर जोशी ने बताया कि सप्लाई चेन का 70 प्रतिशत सामान चीन में ही बनता है. उनका कहना है, "मान लीजिये मैं पोलैंड के किसी सप्लायर से बात करता हूं तो उसके पास भी जो पुर्जे हैं वो चीन से ही आ रहे हैं."
जोशी ने बताया कि गैर चीनी पुर्जे जुटाने के चक्कर में दाम नाटकीय ढंग से बढ़ गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ उत्पादक तो अभी भी चीन से ही सामग्री आयात कर रहे हैं, बस सामान को "वाइट लेबल कर के दाम कम रख रहे हैं."
तकनीकी कमजोरी
भारत में कुछ किस्म के ड्रोन बनाने की जानकारी की कमी है और इसलिए देश पुर्जों और पूरे के पूरे सिस्टम के लिए विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है.
सरकारी संस्थान एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीई) के निदेशक वाई दिलीप ने बताया कि देश के अंदर मीडियम ऑल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन बनाने का एक सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम चल रहा है लेकिन यह कम से कम पांच साल देरी से चल रहा है.
दिलीप ने बताया कि तपस नाम के इस प्लेटफार्म ने अधिकांश जरूरतें पूरी कर दी हैं लेकिन सेना के लक्ष्य पर खरा उतरने के लिए अभी इस पर और काम किया जाना बाकी है. सेना का लक्ष्य एक ऐसे ड्रोन का है जो 30,000 फीट की ऑपरेशनल ऊंचाई पर पहुंच सके और 24 घंटों तक हवा में रह सके.
उन्होंने यह भी कहा, "मुख्य रूप से हम इंजनों की वजह से विवश थे." क्योंकि ना तो देश के अंदर बनने वाले और ना भारत को उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय मॉडल जरूरत के अनुकूल थे. तपस के सैन्य ट्रायल इस महीने शुरू हो सकते हैं.
तपस के अलावा एडीई एक स्टेल्थ अनमैन्ड प्लेटफार्म और एक हाई ऑल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस प्लेटफार्म पर भी काम कर रही है लेकिन दोनों पर काम पूरा होने में अभी कई साल लग जाएंगे. इस स्थिति को देखते हुए भारत ने जून में घोषणा की कि वो तीन अरब डॉलर के दाम पर अमेरिका से 31 एमक्यू-9 ड्रोन खरीदेगा.
सीके/एए (रायटर्स)
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में विपक्ष और खासतौर से कांग्रेस पार्टी की जमकर आलोचना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश भर में अपना विश्वास खो चुकी है.
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी तोड़ने के लिए कांग्रेस और विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्तावका सहारा लिया था. पक्ष और विपक्ष के बीच दो दिन चली तीखी बहस के बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर संसद में भाषण दिया. हालांकि उनके भाषण का ज्यादातर हिस्सा विपक्ष की आलोचना को ही समर्पित रहा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी देश की कोई बुराई करता है तो कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल उसे हाथोंहाथ ले लेते हैं और पूरे देश में उसे फैलाने में जुट जाते हैं. उनका कहना है, "कोई ऐरी गैरी एजेंसी भारत को भुखमरी के शिकार देशों में नीचे दिखा देती है और ये लोग उसका सहारा लेकर भारत को बदनाम करने में जुट जाते हैं."
"मणिपुर की समस्या के लिए कांग्रेस जिम्मेदार"
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर और मणिपुर की समस्या के लिए भी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया और उन पर अपने शासन के दौरान इस इलाके की उपेक्षा करने की बात कही. प्रधानमंत्री का कहना है कि मणिपुर की समस्याके समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिल कर प्रयास कर रहे हैं और जल्दी ही शांति और विकास का दौर वापस आएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत "जिगर का टुकड़ा"है. उन्होंने इलाके में किए जा रहे विकास कार्यों का हवाला दे कर आने वाले समय में उसके अंतरराष्ट्रीय पटल पर उभरने की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा, "विपक्ष के लोग देख नहीं पा रहे हैं कि दक्षिण पूर्वी एशिया में जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं उनमें पूर्वोत्तर भारत नये केंद्र के रूप में चमकेगा."
मणिपुर के बारे में प्रधानमंत्री का कहना है, "जब कांग्रेस की सरकार थी तब वहां उग्रवादियों की मर्जी से सबकुछ होता था. अब बंद और ब्लॉकेड का दौर बीत चुका है." प्रधानमंत्री ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को "अक्षम्य अपराध" कहा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया. हालांकि शांति बहाली और पीड़ित परिवारों के राहत के लिए क्या कुछ किया जाएगा इसका कोई ब्यौरा उनके भाषण में शामिल नहीं था.
मणिपुर पर चर्चा नहीं
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मणिपुर के बारे में चर्चा नहीं करा कर विपक्ष ने यह मौका भी खो दिया. उनका कहना था कि गृह मंत्री अमित शाह ने चिट्ठी लिख कर केवल मणिपुर पर चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा था लेकिन विपक्ष ने उसे स्वीकार नहीं किया और अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए. उनका कहना था कि बीते पांच सालों में विपक्ष ने मुद्दों को लेकर कोई तैयारी नहीं की.
नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, बंगाल और नागालैंड जैसे राज्यों का जिक्र करते हुए कहा कि इन इलाकों में कांग्रेस पार्टी लंबे समय से अपना विश्वास खो चुकी है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने मणिपुर में "भारत मां की हत्या" करने की बात कही थी. इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, "मां भारती के बारे में जो कहा गया है उससे देश को गहरी ठेस लगी है. भारत माता की हत्या करने की कामना करने वाले लोगों ने 1947 में आजादी के समय उसके तीन टुकड़े कर दिए थे. कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न भिन्न करने का रहा है."
(dw.com)
केंद्र सरकार के उस बिल का विपक्ष विरोध कर रहा है जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने वाली समिति से भारत के सीजेआई को हटाने का प्रस्ताव है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
गुरुवार को केंद्र सरकार ने राज्य सभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल में बदलाव को लेकर एक बिल पेश किया. इस बिल में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) का चयन करने वाली समिति से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाने का प्रावधान है.
इस बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कैबिनेट का एक मंत्री शामिल होंगे. राज्य सभा में मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के बीच इस बिल को पेश किया गया. हालांकि यह बिल उन 31 बिलों में शामिल नहीं है जिन्हें सरकार ने संसद के मानसून सत्र में पारित कराने के लिए सूचीबद्ध कराया था.
बिल के प्रावधान
राज्य सभा में विधि और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया. इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे. इस बिल में मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों का दर्जा और स्थिति को सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर से घटाकर कैबिनेट सचिव के बराबर करने का भी प्रावधान है.
यह बिल सुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्च में दिए गए उस आदेश के महीनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संसद की ओर से कानून न बनाए जाने तक प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा इन चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी.
विपक्ष ने कहा संविधान विरोधी कदम
विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और इसे संविधान विरोधी बता रहा है. कांग्रेस ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों से जुड़े बिल पर केंद्र का जोर है, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर देगा. यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक जबरदस्त प्रयास है.
केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, "चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का जबरदस्त प्रयास है. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले का क्या जिसमें एक निष्पक्ष पैनल की बात कही गई है?"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है? यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है - हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे."
राज्य सभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि सरकार इस बिल के जरिए सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है.
प्रस्तावित बिल को लेकर आने वाले दिनों में सियासी टकराव हो सकता है. क्योंकि संसद के इसी सत्र में दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा विधेयक पारित किया गया था, जिस पर विपक्ष ने कहा था कि केंद्र सरकार जबरन सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट रही है. (dw.com)
हैदराबाद, 11 अगस्त । पुराने शहर हैदराबाद के बंदलागुडा इलाके में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के एक पूर्व कार्यकर्ता की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
गुरुवार की रात, शेख सईद बावज़ीर (27), जो एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जाने जाते थे, अपने कार्यालय में थे, तभी एक अज्ञात व्यक्ति ने अंदर घुसकर उन पर चाकू से हमला कर दिया, इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
उपद्रवी बताए जा रहे आरोपी ने बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस ने शव को पोस्टमाॅर्टम के लिए उस्मानिया जनरल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया और बरकस क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी, जहां वह सक्रिय थे।
वह पहले एमआईएम के सक्रिय कार्यकर्ता थे, लेकिन बाद में कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।
बावज़ीर जलपल्ली नगर पालिका में एआईएमआईएम नेताओं के कटु आलोचक बन गए थे।
कुछ दिनों से उन्हें अपनी जान को खतरा होने का डर था और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था।
उन्होंने दावा किया था कि पुलिस ने उनकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने यह भी दावा किया था कि कुछ स्थानीय जन प्रतिनिधि उन्हें जलपल्ली नगर पालिका में काम करने के लिए निशाना बना रहे थे, खासकर उन इलाकों में, जो हाल की बारिश में जलमग्न हो गए थे।
एक मामले में बरी होने के बाद बावजीर ने आरोप लगाया था कि पुलिस सांसद और विधायक के दबाव में उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर रही है।
उनकी हत्या के बाद, उनके परिवार के सदस्यों ने वीडियो में उनके द्वारा नामित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। (आईएएनएस)।
पटना, 11 अगस्त । लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के कथित 'फ्लाइंग किस' को लेकर बिहार की राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस की विधायक नीतू सिंह ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए ऐसा विवादास्पद बयान दिया कि भाजपा के नेता हमलावर हो गए।
कांग्रेस की नेता नीतू सिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि राहुल गांधी पर यह आरोप एक साजिश के तहत लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के पास फ्लाइंग किस देने के लिए लड़कियों की कमी नहीं है, अगर उन्हें किसी को फ्लाइंग किस देना होगा तो वह स्मृति ईरानी जैसी 50 साल की किसी बूढ़ी को क्यों देंगे?
उन्होंने कहा, यह आरोप निराधार है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हो रही बहस के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गांधी पर फ्लाइंग किस का आरोप लगाया था।
हिसुआ की विधायक नीतू सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि राहुल गांधी के बचाव में कांग्रेस विधायक का बयान हास्यास्पद है। उन्होंने विधायक से पूछा कि क्या राहुल गांधी सड़क छाप व्यक्ति हैं कि सड़क पर फ्लाइंग किस देने लगे। आनंद ने विधायक के इस बयान को शर्मनाक बताया। (आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) लोकसभा में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ‘केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023’ और ‘एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किये गए । इसके माध्यम से ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ क्लबों में दांव पर लगाई जाने वाली पूरी राशि पर 28 प्रतिशत कर लगाने के लिए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है।
निचले सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उक्त विधेयकों को पेश किया । इस दौरान विपक्षी सदस्य कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी निलंबित करने और मणिपुर के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे थे।
शुक्रवार को संसद के मानसून सत्र का आखिरी दिन है। सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों में संशोधन संसद में पारित होने के पश्चात राज्यों को संबंधित विधानसभाओं से राज्य जीएसटी कानून में ऐसे ही संशोधनों को मंजूरी लेनी होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ही इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी । इससे पहले जीएसटी परिषद ने केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) अधिनियमों में संशोधन को पिछले सप्ताह मंजूरी दी थी।
जीएसटी परिषद ने दो अगस्त को अपनी 51वीं बैठक में कसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग में आपूर्ति पर कराधान स्पष्ट करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम 2017 की अनुसूची तीन में संशोधन की सिफारिश की थी।
परिषद ने विदेशी संस्थाओं द्वारा प्रदान किए गए ऑनलाइन मनी गेमिंग पर जीएसटी तय करने के लिए आईजीएसटी अधिनियम, 2017 में एक प्रावधान डालने की भी सिफारिश की है। ऐसी संस्थाओं को भारत में जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक होगा।
यह ऑनलाइन गेमिंग, ऑनलाइन मनी गेमिंग, ऑनलाइन गेम के भुगतान के लिए उपयोग की जाने वाली डिजिटल संपत्तियों और ऑनलाइन गेमिंग के मामले में आपूर्तिकर्ताओं को परिभाषित करेगा।
अमृतसर, 11 अगस्त पंजाब के अमृतसर में एक बाप ने एक दिन घर से बाहर रहने के बाद लौटी अपनी 20 वर्षीय बेटी की कथित तौर पर हत्या कर दी तथा उसके शव को मोटरसाइकिल से बांधकर गांवभर में घसीटा। आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि आरोपी पिता ने अपनी बेटी के शव को बाद में रेलवे पटरी पर फेंक दिया। मोटरसाइकिल से शव को घसीटे जाने की घटना इलाके के सीसीटीवी में कैद हो गई।
पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) कुलदीप सिंह ने बताया कि घटना जंडियाला शहर के अंतर्गत आने वाले मुच्छल गांव की है। उन्होंने बताया कि आरोपी बाऊ एक निहंग सिख है और वह एक मजदूर के रूप में काम करता है।
सिंह ने बताया कि उसकी बेटी बुधवार को परिवार में किसी को बताए बिना घर से चली गई और बृहस्पतिवार को वापस लौटी। इस बात को लेकर बाऊ अपनी बेटी से नाराज था और जब वह घर लौटी तब उसने उसकी पिटाई की और बाद में धारदार हथियार से उसकी हत्या कर दी।
उपाधीक्षक ने बताया कि आरोपी पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। (भाषा)
त्रिशूर (केरल), 11 अगस्त केरल में 56 वर्षीय एक व्यक्ति ने बेवफाई के शक में शुक्रवार को अपनी पत्नी की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान उन्नीकृष्णन के रूप में हुई है और वह कुछ समय से विदेश में काम कर रहा था।
उसने बताया कि देश लौटने के तीन दिन बाद उसने कथित तौर पर घटना को अंजाम दिया।
पुलिस ने बताया कि अपनी 46 वर्षीय पत्नी की हत्या करने के बाद आरोपी ने शुक्रवार तड़के विय्यूर पुलिस थाने पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया।
एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'वह विदेश में था और आठ अगस्त को केरल पहुंचा।'
उन्होंने बताया कि आरोपी ने अपराध कबूल कर लिया है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी को अपनी पत्नी की गतिविधियों पर संदेह था और उसने उस पर बेवफाई का आरोप लगाकर उसके साथ मारपीट की थी। (भाषा)
बेंगलुरु, 11 अगस्त । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया शुक्रवार को अथानी शहर में बसवेश्वर प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे और अन्य विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे।
अथानी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी करते हैं।
अथानी शहर के बसवेश्वर सर्कल में लिंगायत समुदाय द्वारा बसवेश्वर की मूर्ति प्रतिष्ठित है। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व उत्तरी कर्नाटक में लिंगायत वोट बैंक को लेकर खास तौर पर चिंतित है।
मुख्यमंत्री दिन में बाद में अथानी तालुक के कोकातनुरा में पेयजल और अन्य सिंचाई परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे।
कार्यक्रम के बाद वह पार्टी नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे और शाम को बेंगलुरु लौट आएंगे।
लक्ष्मण सावदी और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
उनके कांग्रेस में प्रवेश से लिंगायत वोट बैंक का टूटना सुनिश्चित हो गया, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला।
हालांकि, जगदीश शेट्टार चुनाव क्षेत्र हार गए थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें एमएलसी बनाया और आने वाले दिनों में उन्हें एक प्रमुख पद देने का भी वादा किया।
पार्टी धारवाड़ निर्वाचन क्षेत्र से केंद्रीय खान, कोयला और संसदीय मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी के खिलाफ जगदीश शेट्टार को मैदान में उतारने पर भी विचार कर रही है, जहां लिंगायत वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। (आईएएनएस)।
वाराणसी, 11 अगस्त। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में शुक्रवार को भी एएसआई की टीम सर्वे के लिए पहुंच गई है। सर्वे में एएसआई अलग-अलग मशीनों का भी उपयोग कर रही है। नींव से लेकर इमारतों के इतिहास को खंगालने के लिए उन हिस्सों की थ्रीडी मैपिंग भी की जा रही है।
अधिकारियों के अनुसार, ज्ञानवापी सर्वे में एएसआई टीम में कानपुर के विशेषज्ञ भी जुड़ गए हैं।
ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) समेत आधुनिक जांच मशीनों के साथ पहुंची टीम दीवारों के पीछे व जमीन के नीचे जांच करेगी। इनके आने के साथ ही सर्वे में शामिल सदस्यों की संख्या भी बढ़ गई है। पहले जहां 42 सदस्य सर्वे कर रहे थे अब इनकी संख्या 52 हो गई है।
सर्वे के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने गुरुवार को अलग-अलग जगहों की फोटो और वीडियोग्राफी की। इसके साथ ही परिसर के अलग-अलग हिस्सों में अत्याधुनिक मशीनों की मदद से नाप-जोख भी की गई।
सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक करीब सात घंटे के सर्वे में एएसआई की टीम ने वैज्ञानिक विधि से अपनी जांच जारी रखी।
ज्ञानवापी के चारों ओर स्थित मकान की छत पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहे ताकि कहीं से कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी अनधिकृत रूप से न की जाए। (आईएएनएस)।
बेंगलुरु, 11 अगस्त । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक तलाशी अभियान के दौरान बेंगलुरु में अवैध रूप से रह रहे 24 बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाया और उन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप दिया। सूत्रों ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की।
पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि एनआईए ने सोमवार को शहर के बेलंदूर इलाके में एक तलाशी अभियान के दौरान तीन अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों - खलील चपरासी, अब्दुल खादिर और मोहम्मद ज़हीद को ट्रैक किया था।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि अप्रवासी, जो वर्तमान में क्षेत्राधिकार बेलंदूर पुलिस की हिरासत में हैं, 2011 से देश में अवैध रूप से रह रहे थे।
वे एक दलाल की मदद से उसे 20 हजार रुपये देकर देश में दाखिल हुए।
अवैध अप्रवासी आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य सरकारी पहचान पत्र प्राप्त करने में भी कामयाब रहे।
स्थानीय पुलिस ने इस संबंध में विदेशी अधिनियम की धारा 14 (सी), 14 (ए) और पासपोर्ट अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच कर रही है। (आईएएनएस)।
शिमला, 11 अगस्त । हिमाचल प्रदेश की राजधानी और राज्य के ऊपरी इलाकों की मुख्य जीवन रेखा चंडीगढ़-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग शुक्रवार तड़के सोलन जिले में भारी भूस्खलन के बाद फिर से बंद कर दिया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।
नवनिर्मित राजमार्ग को चक्की का मोड़ के पास बंद कर दिया गया है, सिंकिंग जोन के कारण राजमार्ग लगभग एक सप्ताह तक बंद रहा।
राजमार्ग को मंगलवार को यातायात के लिए फिर से खोल दिया गया था।
अधिकारियों ने राजमार्ग को चलने योग्य बनाने के लिए कर्मियों और मशीनरी को तैनात किया है।
विशेषज्ञ परवाणू और सोलन शहरों के बीच कई बिंदुओं पर राजमार्ग पर लगातार हो रहे भूस्खलन के लिए अवैज्ञानिक सड़क निर्माण को जिम्मेदार मानते हैं।
पिछले सप्ताह चक्की का मोड़ के पास 40 मीटर लंबी सड़क पूरी तरह बह गई थी।
पुलिस ने यात्रियों को चंडीगढ़ से शिमला की ओर जाने के लिए परवाणू-जंगशु-काला अंब-नाहन-कुमारहट्टी या बद्दी-नालागढ़-रामशहर-कुनिहार जैसी वैकल्पिक सड़कों का उपयोग करने का निर्देश दिया है। (आईएएनएस)।