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रायपुर, 10 मई। दिल्ली दौरे से वापस रायपुर लौटे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सली भारत के संविधान विश्वास व्यक्त कर दे हम किसी भी मंच पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक पर कहा जोधपुर में होने वाले चिंतन शिविर पर अलग-अलग नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।
नक्सलियों से चर्चा पर कहा की नक्सली भारत के संविधान विश्वास व्यक्त कर दे हम किसी भी मंच पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
छत्तीसगढ़ सरकार अच्छा काम कर रही है इसलिए जनता लगातार तारीफ कर रही है जनप्रतिनिधि अधिकारी कर्मचारी लगातार बढ़िया काम कर रहे हैं।
भेंट मुलाकात अभियान पर कहा कि जो शासकीय योजनाएं हैं उस की जमीनी हकीकत जानने के लिए हम निकले हुए हैं।
बहुत अच्छा रिस्पांस हमें मिल रहा है किसान बहुत खुश हैं छात्र-छात्राएं महिलाएं जो गरीब लोगों को सुविधाएं मिल रही है। उसकी जानकारी भी हम लोग ले रहे हैं और जहां कमी है तो उसको पूरा करने के लिए निर्देश भी दिया जा रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 मई। शादी के पांच दिन बाद ससुराल से मायके जा रही विवाहिता की दुपहिया वाहन से गिर जाने से मृत्यु हो गई। पुलिस ने मामले को जांच में लिया है।
मजगांव निवासी महेश्वरी जायसवाल का विवाह 3 मई को गिरधौना निवासी मिथिलेश जायसवाल के साथ हुई थी। विवाह के बाद महेश्वरी के परिजन उसे लेने के लिए पहुंचे थे। माहेश्वरी अपने बहनोई विश्वनाथ के साथ दुपहिया वाहन से 9 मई को मायके जा रही थी। वाहन जोरापारा बस्ती के पास पहुंची थी कि तभी महेश्वरी बाइक से गिर गई और उसके सिर में गंभीर चोंट आई। लोगों की मदद से उसे स्वास्थ्य केंद्र तखतपुर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने सूचना पर मामले को जांच में ले लिया है।
शव को दूसरे गांव में फेंककर जला दिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 9 मई। शादी के बाद भी मिलने के लिए बार-बार परेशान करने से तंग आकर एक महिला ने पति और भाई के साथ मिलकर अपने प्रेमी की हत्या कर दी और लाश को जला दिया।
जिले के लैलूंगा थाने के पोकड़ेगा गांव में बीते 3 मई को एक युवक की लाश मिली थी। लाश को बुरी तरह जला दिया गया था। इसके चलते पुलिस को मृतक के शिनाख्त में मुश्किल हुई। दो दिन बाद पता चला कि मृतक का नाम सत्यनारायण पैकरा है और वह जशपुर जिले के माटी पहाड़ गांव का रहने वाला है। पहचान की पुष्टि के बाद पुलिस ने परिजनों के पास जाकर पूछताछ की। मालूम हुआ कि मृतक का सुनीता नाम की एक महिला के साथ प्रेम संबंध था, जिसकी शादी लैलूंगा के पास हुई है। मृतक की भी कुछ दिन बाद शादी होने वाली थी। 2 मई से वह घर से निकला था। 3 मई को उसके मोबाइल नंबर से एक मैसेज उसके मंगेतर के पास आया, जिसमें उसने लिखा था कि वह अपने कृत्य से शर्मिंदा है। वह किसी को मुंह नहीं दिखा सकता। वह अब कभी लौटकर घर नहीं आएगा।
पुलिस ने अब सुनीता नाम की महिला की तलाश की और भागमुंडा गांव में उसके घर पहुंची। पुलिस को देखकर वह घबरा गई। कड़ाई से पूछताछ करने पर उसने पूरा राज उगल दिया। उसने बताया कि शादी से पहले उसका मृतक सत्यनारायण से प्रेम संबंध था। शादी के बाद भी वह उससे लगातार मिलने के लिए परेशान करता था। यह बात उसने अपने पति रघुनंदन और भाई मदन पैकरा को दी। सबने मिलकर उसकी हत्या का इरादा बनाया। योजना के मुताबिक 2 मई को सुनीता ने सत्यनारायण को अपने पास मिलने के लिए बुलाया। पहुंचने के बाद भाई और पति ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। इसके बाद उसे बाइक पर लादकर पोकडेगा गांव के पास सूनी जगह पर फेंक दिया। शव की पहचान छिपाने के लिए उन्होंने शव को जला भी दिया। इसके बाद 3 मई को मृतक के ही मोबाइल फोन से मैसेज कर दिया कि वह कभी लौटकर नहीं आएगा।
पुलिस ने मौके पर ही महिला सुनीता और उसके भाई मदन को गिरफ्तार कर लिया, जबकि पुलिस पहुंचने की भनक लगने पर उसका पति रघुनंदन फरार हो गया। उसकी तलाश की जा रही है।
-सौतिक बिस्वास
एक महीने से ज्यादा समय से राजधानी दिल्ली के पास संदीप मल की फैक्ट्री को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. कभी कभी ये बिजली कटौती दिन में 14 घंटे तक हो जाती है.
संदीप मल की फैक्ट्री हरियाणा के फरीदाबाद के एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब में है. जहां फैक्ट्री में लगी 50 मशीनें एरोनॉटिक्स, ऑटोमोबाइल, खनन और निर्माण उद्योगों के लिए उत्पाद बनाती हैं.
संदीप मल कहते हैं, "हर बार जब बिजली जाती है तो मशीनें बंद हो जाती हैं जिसके कारण प्रोडक्ट पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाता. ये उत्पाद खारिज हो जाता है और हमें फिर से शुरू करना पड़ता है."
ऐसा तब होता है जब वे फैक्ट्री को चालू रखने के लिए डीजल जनरेटरों को चलाते हैं. उनका कहना है कि फैक्ट्री को डीजल पर चलाना बिजली कंपनियों को पैसा देने से तीन गुना ज्यादा महंगा है.
"इससे हम मार्केट में मुकाबला नहीं कर पाते, क्योंकि मुनाफे में सीधा कटौती होती है. ये बहुत परेशान करने वाला है. दस सालों में ये सबसे खराब बिजली कटौती में देख रहा हूं."
अप्रैल में शुरू हुई बिजली कटौती का सामना आज पूरा भारत कर रहा है. इसके चलते कारखानों में काम धीमा पड़ गया है. स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है और प्रदर्शन तेज हो रहे हैं.
मतदान एजेंसी लोकलसर्किल ने एक सर्वे किया है जिसमें 322 जिलों के 21 हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया है.
सर्वे के अनुसार तीन घरों में से दो घरों ने कहा कि उन्हें बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं, तीन में से एक घर ने बताया कि हर दिन दो घंटे या उससे अधिक समय के लिए बिजली गुल रहती है.
हरियाणा समेत कम से कम 9 राज्य लंबे समय से बिजली संकट का सामना कर रहे हैं. बिजली की इतनी कम आपूर्ति का मुख्य कारण कोयले की कमी है.
कोयले के उत्पादन और उसके उपभोक्ता के रूप में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. जीवाश्म ईंधन की वजह से देश रौशन रहता है.
जितनी बिजली बनती है उसका तीन चौथाई हिस्सा कोयले के इस्तेमाल से बनता है. भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है.
भारत दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी का दावा करता है. लेकिन भारत में प्रति व्यक्ति खपत अभी भी कम है.
भारत अपनी खपत के एक चौथाई से थोड़ा कम आयात करता है. इसमें ज्यादातर कोकिंग कोयला है.
इस कोयले का इस्तेमाल स्टील बनाने के लिए ब्लास्ट फर्नेस में किया जाता है. ये घरेलू स्तर पर उपलब्ध नहीं होता है. इसकी लगातार कमी है.
पिछले साल अक्तूबर में भारत बिजली संकट के कगार पर पहुंच गया था. तब देश के 135 कोयले से चलने वाले संयंत्रों में से आधे से ज्यादा के स्टॉक ने चिंता बढ़ा दी थी.
इन संयंत्रों में कोयले का स्टॉक सामान्य रूप में जितना रहना चाहिए उसका 25 प्रतिशत से नीचे चला गया था.
अब कहा जाता है कि 173 बिजली संयंत्रों में से 108 में कोयले का स्टॉक बहुत कम है. यूक्रेन में युद्ध ने कोयले और प्राकृतिक गैस की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ा दी हैं.
ऐसे में कोयले का आयात करना काफी महंगा और मुश्किल हो गया है.
दिल्ली के एक थिंक टैंक, सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस के सीनियर फेलो राहुल टोंगिया कहते हैं, "इस बार का बिजली संकट पिछली बार की तुलना में और ज्यादा बढ़ा है, क्योंकि असल में मांग बहुत ज्यादा है. एक गंभीर स्थिति बन चुकी है और इसके लिए कई कारण हैं"
गर्मी ने कैसे बढ़ाई बिजली की खपत
उत्तर और मध्य भारत में अप्रैल महीने में उम्मीद से अधिक लू चल रही है. अप्रैल महीने में औसत तापमान 120 सालों में सबसे अधिक है जिसने बिजली की मांग को रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा दिया है.
कोविड महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने के बाद बिजली की मांग अपने शीर्ष पर है.
इसके अलावा भारतीय रेलवे माल ढुलाई के साथ साझा पटरियों पर अधिक यात्रियों को यात्रा करवा रहा था जिसके चलते देश भर में कम वैगनों में कोयले की ढुलाई हुई.
राहुल टोंगिया कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि भारत में पूरी तरह से कोयला खत्म हो गया है. हम यकीनन भंडार समस्या का सामना कर रहे हैं, और ये नया नहीं है. हमारे पास जो सिस्टम है उसे कमी की देखभाल करने और जोड़ने के प्रबंधन के लिए बनाया गया है. इसे दक्षता और जोखिम के समय आवंटन को देखते हुए नहीं बनाया गया है."
विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली की मांग मौसमी है. भंडार बनाने में अधिक पैसा खर्च होता है और इसमें समय लगता है.
भारत की ऊर्जा सुरक्षा
भारत ने परंपरागत रूप से कोयले का आयात करके आपूर्ति को मजबूत किया है.
राहुल टोंगिया कहते हैं, "महीनों से अधिक आपूर्ति के साथ स्टॉक जमा होने की स्थिति को आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है."
सरकार का कहना है कि वह आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वह सब कर रही है जो वह कर सकती है.
कोयला मंत्रालय के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हुए उत्पादन में 12 प्रतिशत की वृद्धि की है.
कोल इंडिया ने अप्रैल में बिजली पैदा करने वाली कंपनियों को 49.7 मिलियन मीट्रिक टन कोयला भी भेजा है, जो पिछले साल अप्रैल महीने की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है.
इसके साथ ही रेलवे ने ईंधन की कमी से जूझ रहे संयंत्रों तक ज्यादा कोयला पहुंचाने के लिए एक हजार से अधिक ट्रेनों को रद्द किया है.
कोयला कमी से जूझते बिजली संयंत्र
कोयल केंद्रीय और राज्य सरकारों के लिए अच्छा खासा राजस्व पैदा करता है.
लेकिन सीएसईपी के एक ऊर्जा विशेषज्ञ दलजीत सिंह के अनुसार, भारत में कोयला और बिजली के बीच खराब संबंध इस मामले में मदद नहीं करता.
उनका कहना है कि भारत के बिजली संयंत्र कई चैनलों के माध्यम से कोयले की खरीद करते हैं जिसमें उसकी कीमत काफी अहम होती है.
एक ही जगह पर एक ही कोयले की कीमत किसी संयंत्र के लिए अलग अलग हो सकती है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि संयंत्र प्राइवेट है या वो सरकारी है.
जब से 'बिजली खरीद समझौते' के आधार पर इसे शुरू किया गया है तब से बिजली वितरण करने वाली ज्यादातर कंपनियां कर्ज में डूबी हुई हैं.
वे कहते हैं, "ये सरकारी बिजली संयंत्रों के पक्ष में झुका हुआ है."
रिन्यूएबल एनर्जी
भारतीय रेलवे यात्री किराए को कम रखने के लिए कोयले की ढुलाई पर ज्यादा शुल्क लेते हैं.
राहुल टोंगिया कहते हैं कि ये बस एक उदाहरण मात्र है. कई खराबियां जो कोयले के इको सिस्टम में विजेता या किसी को हराती हैं वो परिवर्तन को मुश्किल बना देती हैं"
भारत ने कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को 450 गीगावाट तक बढ़ाने का वादा किया है.
लेकिन रिन्यूएबल एनर्जी का बढ़ना कोयले के बढ़ने को रोकने के लिए काफी नहीं है.
राहुल टोंगिया कहते हैं, "भारत की प्राथमिकता अपने कोयले को कम करने की बजाय खत्म करने की होनी चाहिए."
भारतीय कोयले में राख की मात्रा करीब 35 प्रतिशत है जो काफी अधिक है. जिसके चलते ये इसे काफी प्रदूषित बनाता है.
ग्रीनपीस के अनुसार, कोयला उत्सर्जन हर साल 1 लाख भारतीयों की मौत के लिए जिम्मेदार है.
फरीदाबाद में फैक्ट्री चलाने वाले संदीप मल कहते हैं, उन्होंने 27 साल पहले अपनी फैक्ट्री शुरू की थी.
इतने सालों में उन्होंने एक भी दिन ऐसा नहीं देखा जब बिजली की कटौती ना हुई हो. लेकिन अब लगातार हो रहे ब्लैकआउट ने संदीप मल को पूरी तरह से थका दिया है.
वे कहते हैं, "ये बिजनेस करने का तरीका नहीं है. नौकरियां और टैक्स देने के बाद ये है जो हमें मिलता है?" (bbc.com)
कोलकाता नाइट राइडर्स ने मुंबई इंडियंस को 52 रनों से हराया
आईपीएल 15 में मुंबई इंडियंस का सामना कोलकाता नाइट राइडर्स से हुआ. इस मैच में कोलकाता ने मुंबई को हराकर अपनी प्लेऑफ की उम्मीदों को ज़िंदा रखा है. KKR ने इस मैच में 52 रनों से जीत हासिल की. 166 रन के स्कोर का पीछा करते हुए 113 रन ही बना सकी. ये मुंबई की इस सीजन में 9वीं हार हैं. वहीं, इस मैच में बुमराह ने अपने आईपीएल करियर में पहली बार 5 विकेट हासिल किये थे.
मुंबई के बल्लेबाजों ने किया निराश
166 रन के स्कोर का पीछा करते हुए मुंबई के बल्लेबाजों ने एक बार फिर से निराश किया. टीम के कप्तान रोहित शर्मा मात्र 2 रन बना कर आउट हो गए. उनके आउट होने के बाद ईशान किशन और तिलक वर्मा ने टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया. तिलक वर्मा भी कुछ ख़ास नहीं कर सके और 6 रन बना कर आउट हो गए. 2 विकेट गिरने के बाद ईशान किशन ने एक छोर संभाल कर रखा था. हालांकि दूसरे छोर से कोई भी बल्लेबाज कुछ ख़ास नहीं कर सका. रमनदीप और टिम डेविड सस्ते में आउट हो गए. इसके बाद भी ईशान ने अपनी पारी को आगे बढ़ाया और अर्धशतक पूरा किया. वो अपने इस अर्धशतक को बड़ी पारी में नहीं बदल पाए और 51 रन बना कर कमिंस का शिकार बन गए. इसके बाद कमिंस ने सैम्स और अश्विन को भी सस्ते में आउट कर दिया. उनके आउट होने के बाद पोलार्ड ने मैच को आगे लें जाने की कोशिश की.
KKR के बल्लेबाज़ हुए फेल
तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (5/10) की ताबड़तोड़ गेंदबाजी की वजह से डॉ. डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकादमी में खेले गएआईपीएल 2022 के 56वें मुकाबले में मुंबई इंडियंस ने कोलकाता नाइट राइडर्स को 165 रन पर रोक दिया. कोलकाता ने 20 ओवरों में नौ विकेट खोकर 165 रन बनाए और केकेआर को जीत के लिए 166 रन का लक्ष्य दिया है. केकेआर की ओर से वेंकेटेश अय्यर (43) और नितीश राणा (43) ने धुंआधार पारी खेली. (एजेंसी)
कोलकाता, 9 मई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी 161वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोमवार को निराशा जताई कि 18 साल पहले चोरी हुआ उनका नोबेल पुरस्कार अभी तक नहीं मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीआई की यह ‘‘नाकामी’’ बंगाल के लोगों के लिए ‘‘बड़ा अपमान’’ है। राज्य सरकार के एक कार्यक्रम में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अब तक जांच बंद कर दिए जाने की आशंका व्यक्त करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझे इस बात से दुख होता है कि नोबेल पुरस्कार का पता इतने सालों बाद भी नहीं लगाया जा सका। यह (चोरी) वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल में हुई थी। मैं नहीं जानती कि अब कोई साक्ष्य बचा है या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पहला नोबेल था जो हमें प्राप्त हुआ था। और कोई उसे हमसे छीन कर ले गया। यह हमारे लिए बड़ी बदनामी है।’’
टैगोर को 1913 में उनके काव्य संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिये साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। विश्व भारती संग्रहालय की तिजोरी से 25 मार्च 2004 को पदक और प्रशस्ति पत्र चोरी हो गए थे।
बनर्जी ने कहा कि महान कवि टैगोर अपने काम के जरिये हमेशा जीवित रहेंगे। बनर्जी ने कहा, ‘‘याद रखिए रवींद्रनाथ टैगोर को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नोबेल पुरस्कार जो खो गया वह हमारे दिलों पर अंकित है। सिर्फ एक ही कविगुरु हो सकते हैं।’’
इससे पहले दिन में, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक मनगोविंदो अधिकारी ने यह कहकर नया शिगूफा छोड़ दिया कि ‘बंगाल के लड़कों’ ने कवि के अपमान का बदला लेने के लिये नोबेल पुरस्कार चुराया था।
विधायक ने हालांकि यह नहीं बताया कि उनके बयान के पीछे क्या तर्क है। अधिकारी ने बाद में कहा कि उनकी ‘जुबान फिसल गई’ थी। सीबीआई पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया कि राज्य पुलिस अब तक नोबेल पुरस्कार की चोरी का मामला सुलझा चुकी होती।
भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि जांच में देरी के लिये टीएमसी सरकार की केंद्रीय एजेंसी के प्रति ‘असहयोगात्मक’ रवैया जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई अब तक अपना काम पूरा कर लेती। टीएमसी सरकार के असहयोग की वजह से जांच में विलंब हुआ।’ सिन्हा ने आरोप लगाया कि चोरी में टीएमसी के नेता शामिल थे। सत्ताधारी दल ने इन आरोपों को ‘निराधार’ बताकर खारिज कर दिया।
टीएमसी के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ‘किसी भी रिपोर्ट में सीबीआई ने कभी दावा नहीं किया कि राज्य सरकार की तरफ से उसे सहयोग नहीं मिला। आरोप निराधार व राजनीति से प्रेरित हैं।’ (भाषा)
नयी दिल्ली, 9 मई। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना सभी राज्यों और क्रेंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों का कर्तव्य है कि बच्चे स्कूल आएं ।
न्यायालय की यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी की वजह से अभिभावकों की नौकरी या जीविकोपार्जन खत्म होने की वजह से बच्चों के स्कूल छोड़ने को लेकर जताई जा रही चिंता के बीच आई है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने इसके साथ ही एनसीपीसीआर को पोर्टल बनाने का निर्देश दिया जिसपर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस संदर्भ में उठाए गए कदम की जानकारी अपलोड करनी होगी।
शीर्ष अदालत ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट का आकलन करने के बाद आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे शिक्षा या महिला एवं बाल विभाग के अधिकारियों को जिलावार नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात कंरे। अदालत ने कहा कि ये नोडल अधिकारी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को निर्देश दे सकते हैं कि वे व्यक्तिगत तौर पर स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता से संपर्क करें और एनसीपीसीआर को उठाए गए कदम की जानकारी दें, उनका नामांकन कराएं।
शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे उठाए गए कदमों और पारित आदेश का बड़े पैमाने पर प्रसार करें।
न्यायालय ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार को एनसीपीसीआर द्वारा बेघर बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के लिए तैयार मानक परिचालन प्रकिया (एसओपी) को लागू करने का निर्देश दिया। (भाषा)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई। राज्य में आज रात 09.00 बजे तक 4 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें सबसे अधिक 3 रायपुर जिले से हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के इन आंकड़ों के मुताबिक आज रात तक किसी भी जिले में 5 से अधिक कोरोना पॉजिटिव नहीं मिले हैं। आज कुल 26 जिलों मेें एक भी पॉजिटिव नहीं मिले हैं।
आज कोई मौत नहीं हुई है।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दुर्ग 0, राजनांदगांव 0, बालोद 0, बेमेतरा 0, कबीरधाम 0, रायपुर 3, धमतरी 0, बलौदाबाजार 0, महासमुंद 0, गरियाबंद 0, बिलासपुर 0, रायगढ़ 0, कोरबा 1, जांजगीर-चांपा 0, मुंगेली 0, जीपीएम 0, सरगुजा 0, कोरिया 0, सूरजपुर 0, बलरामपुर 0, जशपुर 0, बस्तर 0, कोंडागांव 0, दंतेवाड़ा 0, सुकमा 0, कांकेर 0, नारायणपुर 0, बीजापुर 0, अन्य राज्य 0 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
नयी दिल्ली, 9 मई। उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सोमवार को रोक लगा दी जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग को कोंटाई नगरपालिका चुनावों के सीसीटीवी फुटेज फोरेंसिक जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारा लोकतंत्र आम नागरिकों के भरोसे पर टिका है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कोंटाई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष सौमेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी तथा उनसे उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका वापस लेने पर विचार करने को कहा। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा 26 अप्रैल को पारित आदेश पर रोक लगा दी तथा अधिकारी और अन्य को नोटिस जारी कर उनसे जवाब देने को कहा।
पीठ ने कहा, "चुनाव के बाद किसी भी हस्तक्षेप से कानून की ज्ञात प्रक्रिया के अनुसार निपटा जाना चाहिए, अन्यथा यह पूरे राजनीतिक क्षेत्र में एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा। यह पूरे देश में होगा और वह भी एक जनहित याचिका पर। एक संवैधानिक अदालत के रूप में, हम केवल कोंटाई चुनावों को लेकर चिंतित नहीं हैं।"
पीठ ने कहा कि सीसीटीवी लगाने और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति जैसे उच्च न्यायालय द्वारा पारित पूर्व के आदेशों से शीर्ष अदालत को कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए था, लेकिन चुनाव के बाद की स्थितियों में, ऐसा चुनाव याचिकाओं पर होना चाहिए।
पीठ ने कहा, "हमारा लोकतंत्र आम नागरिक के भरोसे पर टिका है। पीठ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दलील दी गई है कि चुनाव प्रक्रिया समाप्त हो जाने और परिणाम घोषित कर दिए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने 26 अप्रैल के अपने आदेश में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत "अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन" किया है
कोंटाई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष अधिकारी ने 27 फरवरी को हुए चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर कब्जा, फर्जी मतदान और हिंसा जैसे कदाचार का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी और केंद्रीय बलों की तैनाती करके नगरपालिका में नए सिरे से चुनाव कराने के आदेश का अनुरोध किया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 9 मई। खुदरा बाजारों में गेहूं के आटे की औसत कीमत सोमवार को 32.91 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले साल की समान अवधि तुलना में लगभग 13 प्रतिशत अधिक है। सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है ।
आठ मई, 2021 को गेहूं के आटे का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 29.14 रुपये प्रति किलोग्राम था।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि सोमवार को आटे की अधिकतम कीमत 59 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 22 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 28 रुपये प्रति किलो थी।
आठ मई, 2021 को अधिकतम कीमत 52 रुपये प्रति किलो, न्यूनतम कीमत 21 रुपये प्रति किलो और मानक कीमत 24 रुपये प्रति किलो थी।
सोमवार को मुंबई में आटे की कीमत 49 रुपये किलो, चेन्नई में 34 रुपये किलो, कोलकाता में 29 रुपये किलो और दिल्ली में 27 रुपये किलो थी।
मंत्रालय 22 आवश्यक वस्तुओं - चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर (अरहर) दाल, उड़द दाल, मूंग दाल, मसूर दाल, चीनी, गुड़, मूंगफली तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, पाम तेल, चाय, दूध, आलू, प्याज, टमाटर और नमक की कीमतों की निगरानी करता है। इन वस्तुओं के कीमतों के आंकड़े देशभर में फैले 167 बाजार केंद्रों से एकत्र किए जाते हैं।
इस बीच, गर्मियां जल्दी आने से फसल उत्पादकता प्रभावित होने के कारण सरकार ने जून में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं उत्पादन के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया है, जो पहले 11 करोड़ 13.2 लाख टन था।
फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 10 करोड़ 95.9 लाख टन रहा था।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने पिछले सप्ताह कहा था कि उच्च निर्यात और उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच चालू रबी विपणन वर्ष में केंद्र की गेहूं खरीद आधे से कम रहकर 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना है।
इससे पहले, सरकार ने विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य 4.44 करोड़ टन निर्धारित किया था, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह लक्ष्य 43 करोड़ 34.4 लाख टन था। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है।
हालांकि, सचिव ने कहा था कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कोई चिंता नहीं होगी।
उन्होंने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की संभावना से भी इनकार किया था क्योंकि किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक कीमत मिल रही है।
वित्त वर्ष 2021-22 में गेहूं का निर्यात रिकॉर्ड 70 लाख टन रहा था। (भाषा)
मेरठ (उप्र) 9 मई। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में जिस रफ्तार से बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है उससे देश में संकट खड़ा होने वाला है।
राज्यपाल के पद पर रहकर सरकार के खिलाफ बोलने पर सत्यपाल मलिक ने दो टूक कहा कि असली बात यही है कि सरकार के साथ भी रहो और सवाल भी उठाओ। उन्होंने कहा,'अगर मैं गलत सवाल उठाता हूं तो जिस दिन प्रधानमंत्री कह देंगे कि आप पद छोड़ दें, उसी दिन मैं राज्यपाल का पद छोड़ दूंगा।'
यहां मेरठ बार एसोसिएशन की ओर से पं.नानक चंद सभागार में आयोजित अपने सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा, 'पूरे देश में कोई भी नेता बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई पर बोलने को तैयार नहीं है। भारत सरकार चाहे, तो टैक्स घटाकर महंगाई को कम किया जा सकता है। पाकिस्तान जैसे देश में भी डीजल या पेट्रोल इतने महंगे नहीं है जितने हमारे भारत में।'
मेरठ कॉलेज के छात्र रहे मलिक ने सक्रिय राजनीति में आने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा, 'मैं सेवानिवृति के बाद किसानों की लड़ाई के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की पीठ की लड़ाई भी लड़ूंगा।' केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में कोई जानवर भी मरता है तो उसका भी शोक संदेश जारी किया जाता है, लेकिन किसान आंदोलन के समय कितने किसानों की मौत हुई मगर सरकार की तरफ से कोई संदेश नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हालांकि बाद में प्रधानमंत्री ने किसानों के हित में कदम उठाए लेकिन अभी तक भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून नहीं बनाया है, जबकि सरकार को पता होना चाहिए कि किसान आंदोलन स्थगित हुआ है खत्म नहीं और यह कभी भी बड़ा रूप ले सकता है।
किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में लालकिले पर झंडा फहराने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लड़कों ने लालकिले पर झंडा फहराया उनकी वह कोई गलती नहीं थी, क्योंकि वह झंडा किसी पार्टी का नहीं था। राज्यपाल ने कहा कि उन लोगों ने 'निशान साहिब' फहराया जिसके नीचे हजारों सिक्खों ने कुर्बानियां दीं, इसलिए वह अपवित्र झंडा नहीं है। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर मलिक ने कहा कि जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद का मसला उठाया जा रहा है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 9 मई। सरकार ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 की पहली खुराक लेने के बाद लाभार्थी को दूसरी खुराक का समय निर्धारित करने या दूसरी खुराक लेने के समय उसी मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करने की जरूरत है, जिसका इस्तेमाल पहली खुराक के समय किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अगर कोई लाभार्थी दूसरी खुराक के लिए अलग मोबाइल नंबर का उपयोग करता है और टीकाकरण का समय निर्धारित करता है, तो यह स्वत: रूप से लाभार्थी के लिए पहली खुराक के रूप में पहचाना जाएगा।
मंत्रालय का बयान ऐसे वक्त आया है जब मीडिया की कुछ खबरों में दावा किया गया है कि को-विन में तकनीकी गड़बड़़ी के कारण पुणे में 2.5 लाख लाभार्थियों को पहली खुराक के दो प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि को-विन ने भारत के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए डिजिटल ढांचे के रूप में सफलतापूर्वक काम किया है। बयान में कहा गया है कि इसने देश के 100 करोड़ से अधिक लोगों के लिए कोविड टीकाकरण की 190 करोड़ से अधिक खुराक को दिया जाना सुगम बनाया।
मंत्रालय ने कहा कि एक व्यक्ति को पंजीकरण के लिए अपना मोबाइल नंबर प्रदान करने की आवश्यकता है।
बयान के अनुसार इसके साथ नाम, आयु (जन्म का वर्ष) और लिंग की जानकारी दिए जाने के साथ टीकाकरण के लिए समय तय करने या केंद्र पर जाकर टीका प्राप्त करने की सुविधा है। पहचान के प्रमाण के रूप में नौ फोटो पहचान प्रमाणों में से चुनने का विकल्प दिया गया है।
बयान में कहा गया, ‘‘हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि टीकाकरण की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद लाभार्थी को टीकाकरण की पहली खुराक के समय उपयोग किए गए उसी मोबाइल नंबर के साथ उसी टीके की दूसरी खुराक निर्धारित करने या प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। एक ही लाभार्थी को टैग की जाने वाली पहली और दूसरी खुराक दोनों के विवरण के लिए यह एकमात्र तंत्र है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘यदि कोई लाभार्थी दूसरी खुराक के लिए अलग मोबाइल नंबर का उपयोग करता है और टीकाकरण का समय निर्धारित करता है, तो यह स्वत: ही लाभार्थी के लिए पहली खुराक के रूप में पहचाना जाएगा। इसके अलावा, एक ही पहचान प्रमाण को दो अलग-अलग मोबाइल नंबर पर इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।’’
ऐसे परिदृश्यों के लिए एक प्रावधान है जहां एक व्यक्ति ने एक ही पंजीकृत मोबाइल नंबर के तहत दो अलग-अलग पहचान प्रमाण प्रदान किए हों।
बयान में कहा गया है कि यदि नाम, आयु और लिंग लाभार्थी द्वारा जमा किए गए फोटो पहचान के अनुसार मेल खाते हैं, तो को-विन दोनों खुराक को लेकर एकल पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र देने के लिए दो पहली खुराक प्रमाणपत्रों को मिलाने का संकेत देता है। (भाषा)
रायपुर, 9 मई। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी संगठन राज्य सरकार से केंद्र के समान 34%महंगाई भत्ते की माँग और 7वे वेतनमान की दर से गृह भाड़ा का भुगतान की माँग को लेकर संघर्ष कर रहे परन्तु राज्य सरकार ने महज 5%महंगाई भत्ता देकर मायूस और कर्मचारियो को नाखुश कर दिया। वे अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। दूसरी ओर यह मामला कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व तक जा पहुंचा है।
इन मांगो के समर्थन मे अखिल भारतीय कर्मचारी फेडरेशन के महासचिव प्रेमचंद ने कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर से दिल्ली मे मुलाकात कर राज्य के कर्मचारियो को केंद्र के समान महंगाई भत्ता 34%और सातवे वेतनमान के आधार पर गृह भाड़ा देने के लिए माँग पत्र सौपा।इसे संज्ञान लेते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव तारिक अनवर ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख कर मांगो को पूर्ण करने को कहा है।
-सरोज सिंह
एक साल पहले भारत के ख़ुदरा बाज़ार में आटे की औसत कीमत 2880 रुपये प्रति क्विंटल थी. आज ये बढ़कर 3291 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.
यानी आटे के दाम में पिछले एक साल में ख़ुदरा बाज़ार में प्रति क्विंटल तक़रीबन 400 रुपये का इजाफ़ा हुआ है.
आपके घर के आटे का बजट भी इसी क्रम में कुछ हद तक ज़रूर प्रभावित हुआ होगा.
मार्च-अप्रैल में रिकॉर्ड गर्मी
गेहूं की खेती भारत में उत्तर भारत में ज्यादा होती है. मध्य भारत में मध्य प्रदेश में भी पैदावार खूब होती है.
मार्च और अप्रैल के महीने में ही गेहूं की कटाई ज़्यादातर इलाकों में होती है.
इस साल उत्तर भारत में मार्च और अप्रैल के महीने में रिकॉर्ड गर्मी पड़ी है. जिस वजह से गेहूं की पैदावार पर काफ़ी असर पड़ा है.
गेहूं को मार्च तक 25-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान की ज़रूरत होती है. लेकिन मार्च में उत्तर भारत के कई इलाकों में पारा इससे कहीं ऊपर था.
सरकारी फाइलों में गेहूं की पैदावार 5 फ़ीसदी के आसपास कम बताई जा रही है.
लेकिन ruralvoice.in से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार हरवीर सिंह कहते हैं, "पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसानों से मैंने बात की. 15-25 फ़ीसदी पैदावार इस बार कम हुई है."
आटे के लिए गेहूं की ज़रूरत होती है. पैदावर कम होने की वजह से गेहूं के दाम पर असर पड़ा. आटे की कीमत में इजाफ़ा होने के लिए ये अहम वजह है.
वैश्विक परिस्थितियों ने भी गेहूं की कीमतें बढ़ाने में योगदान दिया. फरवरी के अंत में रूस यूक्रेन की जंग ने भारत के गेहूं की माँग दुनिया में थोड़ी और बढ़ा दी.
विश्व में गेहूं का निर्यात करने वाले टॉप 5 देशों में रूस, अमेरिका, कनाडा, फ़्रांस और यूक्रेन हैं. इसमें से तीस फ़ीसदी एक्सपोर्ट रूस और यूक्रेन से होता है.
रूस का आधा गेहूं मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश ख़रीद लेते हैं. जबकि यूक्रेन के गेहूं के ख़रीदार हैं मिस्र, इंडोनेशिया, फिलीपींस, तुर्की और ट्यूनीशिया.
अब दुनिया के दो बड़े गेहूं निर्यातक देश, आपस में जंग में उलझे हों, तो उनके ग्राहक देशों में गेहूं की सप्लाई बाधित होना लाज़िमी है.
युद्ध शुरू होने के कुछ हफ़्ते बाद ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में गेहूं निर्यातकों से एक अपील की थी.
उन्होंने कहा था, "इन दिनों दुनिया में भारत के गेहूं की तरफ़ आकर्षण बढ़ने की ख़बरें आ रही हैं. क्या हमारे गेहूं के निर्यातकों का ध्यान इस तरफ़ है? भारत के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का ध्यान इस तरफ़ है क्या?"
उनके इस बयान का मतलब निकाला गया, गेहूं के निर्यातक यूक्रेन संकट के बीच, भारत के निर्यातक उन देशों को गेहूं निर्यात करने के बारे में सोचें, जो अब तक यूक्रेन और रूस से इसे ख़रीदते आए हैं.
गेहूं निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
नतीजा ये हुआ कि गेहूं का निर्यात भी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर हुआ है. पिछले तीन सालों में गेहूं के निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है.
नीचे दिए गए ग्राफ़ से इस बढ़ोतरी को आसानी से समझा जा सकता है. रूस-यूक्रेन संकट का असर गेहूं की सरकारी ख़रीद पर भी दिखा.
केंद्र सरकार ने खु़द स्वीकार किया है कि इस साल सरकारी ख़रीद कम हुई है क्योंकि प्राइवेट व्यापारियों ने एमएसपी से ज़्यादा दाम पर गेहूं खरीदा.
हरवीर सिंह के मुताबिक़, "सरकारी ख़रीद कम होने की पीछे केंद्रीय मंत्रियों का बड़बोलापन भी कहीं ना कहीं ज़िम्मेदार है. उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था कि आने वाले दिनों में दाम इस क़दर बढ़ने वाले हैं."
बाज़ार सेंटीमेंट - दाम कम नहीं होने वाले
निर्यात बढ़ोतरी के मद्देनज़र बाज़ार में घरेलू ख़रीद के लिए गेहूं कम मिला. कुछ व्यापारियों ने आगे दाम बढ़ने की आशंका के मद्देनज़र पूरे स्टॉक बाज़ार में नहीं निकाले.
घरेलू बाज़ार में भी जब ख़रीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर पर हुई तो अलग अलग शहरों में गेहूं के दाम बढ़े.
बाज़ार में बढ़ी हुई कीमतों के मद्देनज़र एक संदेश ये गया कि अभी गेहूं के भाव में तेज़ी रहने वाली है.
इस वजह से गेहूं से बनने वाली हर चीज़ के दाम बढ़ गए हैं. पिछले कुछ महीनों में ब्रेड और बेकरी आइटम्स के दाम में 8-10 फ़ीसदी दाम बढ़े हुए हैं. आटे के भाव में भी तेज़ी इसी वजह से देखी गई.
खबरों के मुताबिक़ अप्रैल के महीने में रिकॉर्ड निर्यात में सरकारी नीतियों का बहुत योगदान रहा.
केंद्र और सरकार ने गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई क़दम उठाए.
मसलन मध्य प्रदेश के दौरे पर गए केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने ये एलान किया था कि निर्यात के ऑर्डर दिखा कर रेल मंत्रालय से तुरंत माल ढोने की रेक मुहैया कराई जा सकेगी.
इसके साथ ही कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) की तरफ़ से भी कई देशों में बिजनेस सेमिनार आयोजित किए गए, इससे बाज़ार तलाशने में मदद मिली, एक्सपोर्ट क्वालिटी गेहूं के निर्यात के लिए टेस्टिंग की सुविधा बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई गई.
असर
फिलहाल सरकारी स्टॉक में जितना गेहूं पहले हुआ करता था, उस मुकाबले इस बार थोड़ा कम है. एक वजह तो पैदावार की कमी है, जिसके कारण सरकारी ख़रीद पर भी असर पड़ा है.
दूसरी वजह है, प्रधानमंत्री ग़रीब अन्न कल्याण योजना को सितंबर 2022 तक बढ़ाया जाना. इस साल एक अप्रैल सेंट्रल पूल में गेहूं का ओपनिंग स्टॉक लगभग 190 लाख टन था.
केंद्र सरकार ने लगभग इस साल 195-200 लाख टन ही गेहूं ख़रीदने का लक्ष्य रखा है. सालों बाद ये नौबत आई है कि जितना गेहूं पिछली ख़रीद का बचा है, उतना ही नए साल में ख़रीदने का लक्ष्य है.
हरवीर सिंह के मुताबिक़, "गेहूं के आयात निर्यात का पूरा आँकड़ा देखने के बाद भी सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिए बहुत बेहतर रणनीति है, ऐसा प्रतीत नहीं होता. पीडीएस और प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना में गेहूं वितरण की साल भर की ज़रूरत को देखते हुए सरकार को 480 लाख टन गेहूं की ज़रूरत होगी. लेकिन पिछले साल के गेहूं का सरकारी स्टॉक और इस साल का स्टॉक मिला कर देखें को 380 लाख टन गेहूं की ज़रूरत ही पूरा होने की उम्मीद है. यानी 100 लाख टन की कमी अभी के अनुमान के मुताबिक़ भविष्य में कर हो सकती है."
हालांकि हरवीर सिंह मानते हैं कि आटे के दाम में बढ़ोतरी की अहम वजह मौसम की मार है. लेकिन वो साथ ही कहते हैं कि अब सही वक़्त है कि भारत सरकार निर्यात को नियंत्रित करने के लिए कोई कदम उठाए, होर्डिंग (अगर हो रही है) के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू करें ताकि बाज़ार में भाव नियंत्रित हो सके.
आलोक सिन्हा 2006 से 2008 तक फ़ूड कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एफसीआई) के चेयरमैन रहे हैं.
बीबीसी से बातचीत में वो कहते हैं, "इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज़्यादा दाम पर गेहूं किसानों ने बेचा. किसानों आंदोलन के बीच ये एक अच्छी ख़बर किसानों के लिए भी है और केंद्र सरकार के लिए भी है."
"सरकारी ख़रीद के अनुमान अभी पूरी तरह आए नहीं हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता है कि खाद्य सुरक्षा के लिहाज से जितना गेहूं स्टॉक में चाहिए उसमें कोई कमी होने वाली है. देश की दो-तिहाई आबादी दुकानों में जाकर अब आटा नहीं ख़रीददती, बल्कि खाद्य वितरण प्रणाली और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत उन्हें गेहूं मिलता है, जिसे पिसवा कर वो आटे का इस्तेमाल करती है. यानी आटे के दाम केवल उन लोगों के लिए बढ़ा है, जो आटा ख़रीद कर खाते हैं. कुल मिला कर किसानों को और केंद्र सरकार दोनों को गेहूं के निर्यात से फ़ायदा ही हो रहा है." (bbc.com)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि BPSC पेपर लीक की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई और परीक्षा रद्द की गई. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अभी इसकी जाँच की जा रही है कि पेपर कहाँ से लीक हुआ. नीतीश कुमार ने कहा- मैंने पुलिस को जाँच में तेज़ी लाने के लिए कहा है. जिस व्यक्ति ने भी पेपर लीक किया, उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी.
इस बीच बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसकी निंदी की है और कहा है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है. तेजस्वी यादव ने कहा- कई परीक्षाओं में ऐसा कई बार हुआ है. लेकिन इससे किसी से कुछ सीखा नहीं है. हमने इस मामले को कई बार उठाया है, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
दूसरी ओर बीजेपी नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि उनकी सरकार इस मामले में सख़्त कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा- हमलोग ज़ीरो टॉलरेंस पर काम करते हैं. हमारी सरकार सख़्त से सख़्त कार्रवाई करेगी. तेजस्वी यादव क्या बोलते हैं, ये विषय नहीं है. मेरे लिए विषय है कि राज्य में ऐसी घटना होती है तो सरकार किस प्रकार कार्रवाई करती है. रविवार को बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द कर दी गई थी. परीक्षा शुरू होने से कुछ पहले ही सोशल मीडिया पर पेपल वायरल होने की ख़बरें आने लगी थी, जिसके बाद बीपीएससी ने तीन सदस्यीय जाँच समिति का गठन किया था. (bbc.com)
शाहीन बाग में अतिक्रमण हटाने के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील से हाई कोर्ट जाने को कहा. कोर्ट ने कहा- कृपया इस मंच का इस्तेमाल न करें .
याचिका दायर करने वालों के वकील पी सुरेंद्रनाथ ने कहा कि याचिका व्यापक हित में दायर की गई है. बिल्डिंग गिराए जा रहे हैं. आप इसमें दखल दें. लेकिन जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच कहा कि आप हाई कोर्ट जाइए.
जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा, ''हमें जहांगीरपुरी मामले में दखल देना है, जहाँ कई स्ट्रक्चर गिराए जा रहे हैं. लेकिन ये क्या केस है. क्या ये जहांगीरपुरी जैसा ही मामला है. ''
उन्होंने कहा, ''अगर हॉकरों ने कथित तौर ग़ैर क़ानूनी रूप से फुटपाथ को घेर लिया और क़ानून का पालन नहीं कर रहे हैं तो क़ानून के मुताबिक़ अतिक्रमण हटाना ही होगा.''
हालांकि जस्टिस राव ने कहा कि पहले से नोटिस दिए बगैर किसी स्ट्रक्चर को न तोड़ा जाए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, '' यह नियमित कार्रवाई है. नोटिस उन लोगों को दिया जा चुका है. लेकिन राजनीतिक मकसद से हंगामा किया गया है. कोई भी स्ट्रक्चर ध्वस्त नहीं किया गया है.'' (bbc.com)
केंद्र सरकार ने राजद्रोह क़ानून पर समीक्षा के मामले में यू-टर्न ले लिया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राजद्रोह क़ानून की समीक्षा की जाएगी और केंद्र पुराने पड़ चुके औपनिवेशिक क़ानूनों को ख़त्म करने पर काम कर रहा है.
केंद्र ने कहा है कि प्रधानमंत्री को राजद्रोह क़ानून के अलग-अलग विचारों और इसके दुरुपयोग को लेकर उठाए गए सवालों के बारे में पता है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह राजद्रोह क़ानून के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना करे और केंद्र की ओर से पुनर्विचार की कवायद शुरू होने तक इंतजार करे.
इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि ये क़ानून बहुत ज़रूरी है.
केंद्र ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे में कहा है कि वह देश की संप्रभुता बरकरार रखने और उसके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्र ने कहा है कि वह सेक्शन 124ए (राजद्रोह) के प्रावधानों की दोबारा समीक्षा और पुनर्विचार करने के लिए तैयार है. केंद्र के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है.
सरकार इस साल औपनिवेशिक क़ानून का बोझ ख़त्म कर देना चाहती है. गृह मंत्रालय ने राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट में तीन पन्ने का हलफ़नामा दायर किया है. (bbc.com)
राजस्थान में मंत्री महेश जोशी के बेटे पर लगे बलात्कार के आरोप पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिक्रिया दी है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा- मैंने मीडिया रिपोर्ट्स देखी है. हमें ये देखना होगा कि एफ़आईआर में क्या है और जाँच में क्या सामने आता है. इस बीच मंत्री महेश जोशी ने भी कहा है कि उन्हें मीडिया से पता चला है कि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है. उन्होंने कहा- पुलिस को इस मामले में सख़्ती और गहराई से जाँच करनी चाहिए. मैं हमेशा इस मामले या किसी भी अन्य मामलों में सत्य और न्याय के साथ खड़ा रहूँगा. बिना किसी मीडिया ट्रायल के पुलिस को अपना काम करने दीजिए.
राजस्थान के जल संसाधन मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी के ख़िलाफ़ बलात्कार के आरोप में दिल्ली में ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज की गई है. ये मामला राजस्थान के एक स्थानीय न्यूज़ चैनल में कार्यरत रही महिलाकर्मी ने दर्ज करवाया है. बीबीसी से बात करते हुए मुक़दमा दर्ज करने वाली 23 वर्षीय युवती ने कहा, "राजस्थान में मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं था क्योंकि अभियुक्त मंत्री का बेटा है और उसने मुझे भंवरी देवी जैसा अंजाम भुगतने की धमकी दी थी. इसलिए मैंने दिल्ली में एफ़आईआर दर्ज करवाई है ताकि मामले की जांच हो सके." इस युवती का आरोप है कि अभियुक्त ने उससे दोस्ती की और फिर उसका रेप किया. युवती ने वीडियो बनाए जाने और उसके आधार पर ब्लैकमेल किए जाने के आरोप भी लगाए हैं. दिल्ली पुलिस ने बीबीसी से ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज किए जाने की पुष्टि की है. हालाँकि राजस्थान पुलिस का कहना है कि उसे अभी एफ़आईआर नहीं मिली है. (bbc.com)
राज्य पावर कंपनी के पास तीन दिन स्टॉक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई। छत्तीसगढ़ में भी कोयले की कमी की वजह से बिजली की समस्या पैदा हो सकती है। बताया गया कि राज्य पावर कंपनी के संयंत्र में तीन दिन का ही कोयला बाकी है। कहा जा रहा है कि एसईसीएल से कोयले की आपूर्ति न होने की स्थिति में बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
देश में कोयले की कमी का असर अब यहां भी दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में पूरे देश का करीब 30 फीसदी कोयला उत्पादन होता है। बाकी राज्य कोयले की कमी से जूझ रहे हैं, और वहां बिजली संकट पैदा हो गया है। वैसी स्थिति अभी छत्तीसगढ़ मेें नहीं आई है, लेकिन जल्द ही यहां कोयले की कमी के चलते बिजली संकट पैदा हो सकता है।
बताया गया कि तेज गर्मी के चलते बिजली की डिमांड पीक अवर में करीब 5 हजार मेगावॉट तक पहुंच गया है। इतना राज्या पॉवर कंपनी के बिजली संयंत्रों, और एनटीपीसी से मिल भी रहा है, लेकिन अब एक हजार मेगावॉट के कोरबा के संयंत्र में उत्पादन प्रभावित हो सकता है। कंपनी प्रबंधन के मुताबिक यहां अभी मात्र तीन दिन के लिए ही कोयला उपलब्ध है। सूत्रों के मुताबिक सीएस अमिताभ जैन ने ऊर्जा सचिव अंकित आनंद से पूरी जानकारी ली है। साथ ही एसईसीएल के सीएमडी से बात की है। चर्चा है कि जल्द ही कोयले की आपूर्ति व्यवस्थित करने का भरोसा दिलाया है।
जर्मनी की ओर से इंडोनेशिया को जून में होने वाले जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. उम्मीद की जा रही है कि इससे तनावपूर्ण भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाएं बेहतर होंगी.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ यानी आसियान ने अक्सर यूरोपीय संघ के तौर-तरीके अपनाने की कोशिश की है. दूसरी ओर, यूरोपीय संघ ने अक्सर आसियान के लिए एक बड़े भाई और छोटे भाई वाले दृष्टिकोण को अपनाया है, जिसे दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में अच्छी निगाह से नहीं देखा गया है. इस ब्लॉक-टू-ब्लॉक साझेदारी की विशिष्टता को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि दोनों क्षेत्रीय संघों के दो बड़े दिग्गजों- जर्मनी और इंडोनेशिया के बीच संबंध प्रगाढ़ होंगे. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा नहीं है.
वियना विश्वविद्यालय में इंडो-पैसिफिक अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ अल्फ्रेड गेर्ल्सटल कहते हैं, "यह देखते हुए कि जर्मनी और इंडोनेशिया यूरोपीय संघ और आसियान के भीतर आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र और प्रमुख हिस्सेदार हैं, लेकिन उनके बीच के द्विपक्षीय संबंध बहुत ही अविकसित स्थिति में हैं.”
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "दोनों देशों के बीच ना तो राजनीतिक और ना ही आर्थिक या नागरिक समाज के संबंध बहुत करीबी हैं.”
हालांकि इंडोनेशिया आसियान देशों के कुल सकल घरेलू उत्पाद की एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन जर्मनी के साथ उसका व्यापार काफी कम है. जर्मनी के व्यापारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 6.6 अरब यूरो का था. इसकी तुलना यदि आसियान समूह के छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों से करें तो वियतनाम और मलेशिया के साथ जर्मनी का व्यापार लगभग 13 अरब यूरो का था.
इंडोनेशिया के G20 शिखर सम्मेलन में जर्मनी मध्यस्थ है?
हालांकि जर्मनी और इंडोनेशिया इस वर्ष द्विपक्षीय संबंधों की 60 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इन संबंधों में कुछ गर्मी आएगी.
इस हफ्ते एक महत्वपूर्ण बयान में जर्मनी ने कहा कि वह जून के अंत में बवेरियन आल्प्स में होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में भारत, दक्षिण अफ्रीका और सेनेगल के साथ-साथ इंडोनेशिया को भी आमंत्रित करेगा.
जर्मनी मौजूदा समय में G7 देशों का अध्यक्ष है जो उसे रोटेशन क्रम के तहत मिली है और इंडोनेशिया इस वर्ष G20 का अध्यक्ष है.
अल्फ्रेड गेर्स्ट्ल कहते हैं, "यह निमंत्रण उस साझेदारी में कुछ जोश ला सकता है जो ‘बहुत अधिक महत्वाकांक्षी नहीं है'. तुलनात्मक रूप से कम आर्थिक लेन-देन के विस्तार और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है.”
इंडोनेशिया नवंबर में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा और इस बात को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है कि क्या इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आमंत्रित करेंगे?
विडोडो ने कहा है कि वो चाहते हैं कि पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की दोनों ही इसमें भाग लें. लेकिन अधिकांश पश्चिमी देशों की सरकारों ने पुतिन के भाग लेने पर शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने की धमकी दी है और इंडोनेशिया से अपना निमंत्रण वापस लेने का आह्वान किया है.
यदि विडोडो इससे असहमति दिखाते हैं, तो यह ना केवल शिखर सम्मेलन बल्कि इस साल G20 के अध्यक्ष के रूप में इंडोनेशिया के कार्यकाल और पश्चिम देशों में कई लोगों की नजर में इंडोनेशिया की छवि को खराब कर सकता है.
हालांकि पुतिन को G20 के निमंत्रण के मामले में जर्मनी पश्चिमी देशों में सबसे कम विरोध करने वालों में से रहा है और अब तक इस मामले में अडिग रहा है.
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था, "जब G20 का एक सदस्य इस दुनिया में किसी दूसरे देश को बम से नष्ट करना चाहता है, तो हम केवल यह दिखावा नहीं कर सकते कि कुछ नहीं हुआ और फिर हमेशा की तरह हम राजनीति में वापस लौट आएं. लेकिन रूस को G20 से बाहर करने के लिए हमें अन्य सभी G19 देशों की आवश्यकता है.”
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि यदि पुतिन को जकार्ता में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है तो वो पुतिन के साथ बैठने की संभावना से इंकार नहीं कर रहे हैं. जर्मन मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "मुद्दा सामने आएगा तो हम फैसला लेंगे कि क्या करना है.”
एशिया विशेषज्ञ गेर्स्टल कहते हैं कि उनकी समझ में जर्मनी को G20 शिखर सम्मेलन से पहले G7 देशों के अन्य सदस्यों और इंडोनेशिया के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की आवश्यकता होगी, और शायद इसी वजह से इंडोनेशिया को जून में G7 की बैठक में आमंत्रित किया गया है.
अपने देश को G20 के अध्यक्ष पद के तौर पर सफल बनाने के लिए उत्सुक विडोडो को, शॉल्त्स जैसे व्यक्ति की अगुवाई करने में खुशी होगी. इसके लिए जर्मनी और इंडोनेशिया के बीच सामान्य से अधिक संवाद की आवश्यकता होगी.
क्या इंडोनेशिया और जर्मनी चीन की नीति पर सहयोग कर सकते हैं?
गेर्स्टल का मानना है कि इंडोनेशिया और जर्मनी के बीच बेहतर संबंध यूरोपीय संघ और आसियान के संबंधों को सुदृढ़ करने में मदद कर सकते हैं. इंडोनेशिया आसियान तंत्र का केंद्र है और यहां की राष्ट्रीय सरकार ने अक्सर क्षेत्रीय एजेंडा निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
चीन के उत्थान का मतलब यह भी है कि जर्मनी जैसी यूरोपीय शक्तियों के साथ इंडोनेशियाई साझेदारी अब ऐसे दो पक्षों के लिए अधिक फायदेमंद है जो चीन के दबदबे का मुकाबला करने में बराबर दिलचस्पी रखते हैं.
यूरोपीय संघ एक सामूहिक इंडो-पैसिफिक नीति पर चल रहा है और जर्मनी ने साल 2020 में अपने इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी पेपर की घोषणा की.
जर्मनी में इंडोनेशिया के बारे में यह समझा जाता है कि इसकी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका या चीन के साथ बहुत नजदीकी नहीं है.
वारसॉ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संकाय के सहायक प्रोफेसर राफल उलातोव्स्की कहते हैं कि जर्मन-इंडोनेशियाई संबंधों में सुधार की संभावनाएं ‘उम्मीद जगाने वाली' हैं.
वो ये भी कहते हैं कि चूंकि दोनों देशों के बीच कोई गंभीर रणनीतिक मतभेद नहीं हैं, इसलिए ये परिस्थितियां एक-दूसरे को भागीदारी के लिए आकर्षित करती हैं. (dw.com)
जन्माष्टमी से शुरू होगा वृक्षारोपण अभियान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई। रामवन गमन पथ के बाद सरकार कृष्ण कुंज विकसित करने जा रही है। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में कृष्ण कुंज बनाए जाएंगे। सीएम भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को न्यूनतम एक एकड़ जमीन आबंटित करने के निर्देश दिए हैं।
कृष्ण कुंज का मकसद सांस्कृतिक महत्व वाले जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण किया जाएगा। सभी नगरीय क्षेत्रों में कृष्ण कुंज बनाए जाएंगे।
सीएम भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ जमीन आबंटित करने के निर्देश दिए हैं। वृक्षारोपण स्थल का नाम ही कृष्ण कुंज होगा। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन से पूरे राज्य में कृष्ण कुंज में वृक्षों के रोपण का कार्य शुरू होगा।
बताया गया कि ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाए जाएंगे। कृष्ण कुंज में सांस्कृतिक महत्व के पेड़ लगाए जाएंगे, बड़े पैमाने पर पेड़ संरक्षित होंगे। कृष्ण कुंज में बड़े पैमाने बरगद, पीपल, नीम और कदम्ब के पेड़ लगेंगे।
बदमाशों ने स्कूटी सवार कैशियर को बनाया शिकार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई। शहर में सोमवार की सुबह दस लाख रुपये की लूट की बड़ी वारदात सामने आई है। एक प्राइवेट कंपनी में कैशियर का काम करने वाले को स्कूटी से जाते वक्त दो बदमाशों ने एक्सप्रेस-वे पर चूनाभट्ठी के पास लूट लिया। कैशियर अपने साथ दस लाख रुपये बैग में भरकर काम से निकला था, इसी दौरान बदमाशों ने उस पर टारगेट किया। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक जिस रास्ते में बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया वह काफी सूनसान इलाके का हिस्सा है। चूनाभट्ठी से ठीक कुछ ही दूरी पर गुढिय़ारी और फिर रेलवे स्टेशन जाने का रास्ता है। रास्ते में पहले से डेरा जमाने वाले बदमाश संभवतया दोपहिया के जरिए इसी रास्ते से भाग निकले।
पुलिस का आशंका है कि बदमाश पहले गुढिय़ारी और फिर यहां से गोगांव या गोंदवारा मार्ग होकर सीधे रिंग रोड 02 की तरफ निकल गए। सवा ग्यारह बजे पुलिस को लूट की घटना के बारे में जानकारी होने पर तुरंत नाकाबंदी की गई लेकिन संदिग्धों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका। जिस तरह से आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया है पुलिस को शक है कि किसी बाहरी पेशेवर गैंग का हाथ है। बदमाशों के तरीके से पुलिस ने यह भी संभावना जताई है कि कैशियर के आने जाने वाले वक्त की पहले से रेकी की गई थी। बैंक के काम के सिलसिले में निकलने वाले वक्त में बदमाशों ने टारगेट फिक्स किया। जब कैशियर देवेंद्र नगर से रेलवे स्टेशन-गुढिय़ारी की तरफ बायपास एक्सप्रेस वे में दोपहिया दौड़ाई इसी दौरान बदमाश भी लूट के लिए पीछे लग गए होंगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 मई। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की कमीशन सरकार की विदाई सुनिश्चित हो गई है। नायक बनने निकले भूपेश बघेल को जनता आइना दिखा रही है कि वे नायक नहीं, खलनायक गिरोह के महानायक हैं। यह कमीशन सरकार है, जिसमें दस फीसदी कमीशन नौकरशाही के निचले क्रम का कमीशन है। बढ़ते क्रम में स्थिति यह है कि राजीव गांधी के जमाने का कीर्तिमान ध्वस्त है। तब रुपये में पंद्रह पैसे का लाभ जनता तक पहुंच जाता था। भूपेश बघेल के राज में दस पैसे का लाभ भी जनता तक नहीं पहुंच रहा। यह सरकार छत्तीसगढ़ के लिए कलंक है। पंद्रह साल का विकास साढ़े तीन साल में कमीशन और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जिस सरकार के मंत्रियों पर उसी के विधायक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं, जिस सरकार के मंत्री कलेक्टर को भ्रष्ट बताकर उस पर कार्रवाई न होने पर सहमति मानने की स्पष्ट भावना व्यक्त करते हैं, जिस सरकार में विधायक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर सत्ताधारी दल से जुड़े युवा को पार्टी से निकाल दिया जाता है, वह सरकार जनता को लूटने वाले बड़े बड़े महारथियों को संरक्षण देकर छोटे मोटे कर्मचारियों, अधिकारियों पर दिखावे की कार्रवाई करके अपनी असलियत छुपा नहीं सकती।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झूठ का जो तानाबाना खड़ा किया है, वह उनके ही मैदानी दौरे में बेनकाब हो गया है। अभी तो पार्टी शुरू हुई है। पांच रोज में ही झूठी शान के परखच्चे उड़ गए। जहां जहां भूपेश बघेल जा रहे हैं, वहां वहां जनता उनको उनका असल चेहरा दिखा रही है। तीन साल में केंद्र की आर्थिक मदद से टिके भूपेश बघेल पैसों की तंगी का रोना रोने की बीमारी से पीडि़त हैं और दूसरी तरफ उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ को कमीशन प्रशासन दे रखा है।
भ्रष्टाचार तो कांग्रेस के डीएनए में ही है लेकिन भूपेश बघेल की सरकार ने इस मामले में नम्बर वन का खिताब जीतने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। दूसरों को अपना आइना दिखाने वाले भूपेश बघेल को जनता ने उनके ही आइने में उनकी बदरंग सूरत दिखा दी है। छत्तीसगढ़ की जनता को इस साफगोई के लिए डॉ. रमन का प्रणाम।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 मई। हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई रोकने की मांग करते हुए आम आदमी पार्टी ने सरकार के विरोध में देवकीनंदन चौक पर प्रदर्शन किया।
देवकीनंदन चौक पर रविवार को शाम 5 से 7 बजे तक पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका शुक्ला के नेतृत्व में किए गए प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार आदिवासियों के संवैधानिक हक व पर्यावरण की चिंता को ताक पर रखकर हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल ब्लॉक की अनुमति दे रही है।
आप प्रवक्ता ने कहा कि डब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट में इस खनन के खिलाफ चेतावनी दी गई है पर भूपेश बघेल सरकार भी रमन सिंह की सरकार की तरह अडानी के चरणों में नतमस्तक है। जुमलेबाजी की इस सरकार को जनता उखाड़ फेंकेगी। आप के प्रदेश
कोषाध्यक्ष जसबीर सिंह, जीएसएस संयोजक लखन सुबोध व अन्य वक्ताओं ने कहा कि हसदेव अरण्य में खदान खुलने से बांगो डेम का कैचमेंट एरिया खत्म हो जाएगा, जलभराव घटेगा, साथ ही हाथी कॉरिडोर होने के कारण मानव के साथ हाथी का संघर्ष बढ़ेगा। सभा को जाकिर अली, संतोष बंजारे, राकेश यादव व सोनिया सोनी ने भी संबोधित किया। सभा में बताया गया कि आगामी दिनों में हसदेव कॉल का आह्वान किया जाएगा, जिसमें सभी स्थानीय लोगों के साथ मिलकर यह लड़ाई लड़ी जाएगी।
फिलीपींस की पत्रकार और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया रेसा का कहना है कि सोशल मीडिया के उदय ने खतरनाक प्रोपेगेंडा को पनपने दिया है और पेशेवर पत्रकारों पर हमले का खतरा लगातार बना रहता है.
फिलीपींस के समाचार संगठन 'रैपलर' की सीईओ मारिया रेसा का कहना है कि जहां सोशल मीडिया ने प्रगति की है, वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने भी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरों और नकारात्मक प्रचार के कारण कई लोग और संस्थान प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही पत्रकारों के लिए स्थिति नाटकीय रूप से "निराशाजनक" है.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में रेसा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मीडियाकर्मियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थिति का एक कारण यह भी था कि सूचना प्रसारित करने के साधन नाटकीय रूप से बदल गए हैं.
58 वर्षीय रेसा ने कहा कि सोशल मीडिया ने झूठी खबरें फैलाना आसान बना दिया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने प्रोपेगेंडा फैलाना आसान कर दिया है, इसके जरिए तथ्यों से इनकार किया जा सकता है और ऐतिहासिक संदर्भों को बिगाड़ा जा सकता है.
मारिया रेसा और उनके मीडिया संगठन को राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते की सरकार के कामों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए कई बार निशाना बनाया जा चुका है. वह गलत जानकारियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का भी एक अहम हिस्सा हैं.
रेसा ने कहा कि फिलीपींस का उदाहरण लें, जहां सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में फर्डिनांड मार्कोस जूनियर की जीत निश्चित है.
रेसा कहती हैं फर्डिनांड के पिता एक तानाशाह थे और अपने मानवाधिकारों के हनन और भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सोशल मीडिया पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया और नायकों के रूप में चित्रित किया गया, उससे जनता की राय में बहुत फर्क पड़ा है और अगर वे जीतते हैं तो यह सोशल मीडिया के प्रचार के कारण होगा.
वे कहती हैं ऐसी स्थिति में ऐसी फर्जी खबरों को बेनकाब करने की जिम्मेदारी पत्रकारों की होती है. रेसा के मुताबिक, ''पत्रकारिता का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.''
रेसा यूक्रेन युद्ध का भी उदाहरण देती हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यह प्रोपेगेंडा तेज हो गया कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है.
रेसा जोर देकर कहती हैं कि ऐसी अनिश्चितताओं में प्रामाणिक समाचारों तक पहुंच महत्वपूर्ण है. वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि ये ऐसे क्षण हैं जब पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है और वे जो कुछ भी करते हैं वह महत्वपूर्ण हो जाता है."
एए/सीके (एपी)