अंतरराष्ट्रीय
स्कॉटलैंड, 16 फरवरी । स्कॉटलैंड में नए फ़र्स्ट मिनिस्टर (शासन प्रमुख) की खोज शुरू हो गई है.
ये खोज निकोला स्टर्जन के इस्तीफ़ा देने के बाद शुरू हुई है. निकोला आठ साल से ज़्यादा वक़्त से इस पद पर थीं.
निकोला के अचानक इस्तीफ़े से कई लोगों को हैरानी हुई थी.
जब तक स्कॉटलैंड के नए फ़र्स्ट मिनिस्टर पद पर कोई नया नहीं आ जाता, तब तक निकोला स्टर्जन पद पर बनी रहेंगी.
एसएनपी की नेशनल एक्ज़ीक्यूटिव कमेटी गुरुवार को बैठक करके नए नेतृत्व को चुने जाने से जुड़ी समय सीमा तय करेगी.
निकोला स्टर्जन ने कहा, ''मेरे दिल और दिमाग़ ने कहा कि वक़्त आ गया है. ये फ़ैसला मेरे, मेरी पार्टी और मेरे देश के लिए सही है.'' (bbc.com/hindi)
थाईलैंड, 16 फरवरी । साल 2018 में थाईलैंड की एक गुफ़ा में 12 बच्चे फँस गए थे.
इन बच्चों को बचाने के लिए दुनियाभर से गोताखोर और बचावकर्मी आगे आए थे.
ये 12 बच्चे जब सुरक्षित गुफा से बाहर निकले तो कुछ लोगों ने इसे चमत्कार की तरह देखा और बच्चों के बचने की ख़ुशियां मनाई गईं.
मगर अब लगभग पांच साल बाद इन 12 बच्चों में से एक डुआंगपेच प्रोमथेप की मौत हो गई है.
प्रोमथेप की मौत ब्रिटेन में हुई है. बीते साल ही प्रोमथेप ने ब्रिटेन की फुटबॉल एकेडमी में दाखिला लिया था.
प्रोमथेप उस फुटबॉल टीम के कप्तान थे, जो थाईलैंड की गुफ़ा में कोच सहित फँस गई थी.
इन बच्चों को बचाने के लिए जब रेस्क्यू टीम गुफा के अंदर गई थी, तब टॉर्च मारने पर प्रोमथेप का चेहरा दिखा था.
ये तस्वीर उस घटना की यादगार तस्वीरों में से एक थी.
प्रोमथेप की मौत की वजह के बारे में अभी पता नहीं चल पाया है.
पुलिस का कहना है कि इस मौत को फिलहाल संदिग्धता भरी निगाहों से नहीं देखा जा रहा है.
थाईलैंड में छपी कुछ रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि प्रोमथेप के सिर पर चोट लगी थी.
प्रोमथेप को रविवार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
बीते साल अगस्त में प्रोमथेप ने इंस्टाग्राम पर ख़ुद के ब्रिटेन की फुटबॉल एकेडमी में दाखिला और स्कॉलरशिप मिलने की बात साझा की थी.
प्रोमथेप के दोस्त ख़ुश थे. प्रोमथेप ने तब लिखा था- आज मेरा सपना पूरा हो गया.
लेकिन छह महीने बाद ही ये पूरा होता सपना बीच में टूट गया और प्रोमथेप दुनिया छोड़कर चले गए. (bbc.com/hindi)
चीन की सड़कों पर फिर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ये प्रदर्शन रिटायर हुए लोग कर रहे हैं.
प्रदर्शन मेडिकल इंश्योरेंस में की जाने वाली कटौती के ख़िलाफ़ हो रहे हैं.
ये प्रदर्शन वुहान में हुए, जहां कोरोना का पहला मामला सामने आया था.
प्रदर्शनकारी बुधवार को वुहान और डालियान में जुटे थे.
सात दिनों में ये दूसरी बार है, जब चीनी सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
पहला प्रदर्शन 8 फ़रवरी को तब हुआ था जब प्रशासन की ओर से ये एलान किया गया था कि इलाज के लिए दिए जाने वाले पैसों में कटौती की जाएगी.
ये वो रक़म है जिसे रिटायर हुए लोग सरकार से अस्पताल ख़र्च का बिल लगाकर वापस लेते हैं.
ये प्रदर्शन ऐसे वक़्त में हो रहे हैं जब कुछ दिनों में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की सालाना बैठक होनी है.
सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही पोस्ट में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या बुज़ुर्गों की है.
कुछ दिनों पहले चीन की सरकार के ख़िलाफ़ देश में जमकर प्रदर्शन हुए थे. ये प्रदर्शन कोविड आने के तीन साल बाद भी जारी लॉकडाउन को हटाने को लेकर हुए थे.
इन प्रदर्शनों के बाद चीन की सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में कुछ ढील की थी.
हालांकि इस ढील के बाद चीन में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ने की ख़बरें भी आई थीं. (bbc.com/hindi)
वाशिंगटन, 16 फरवरी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ दीर्घकालिक संबंध को अमेरिका महत्व देता है लेकिन दक्षिण एशियाई देश की मौजूदा घरेलू राजनीति पर कोई टिप्पणी नहीं की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘‘हम पाकिस्तान के साथ अपने दीर्घकालिक सहयोग को महत्व देते हैं। हमने हमेशा एक समृद्ध एवं लोकतांत्रिक पाकिस्तान को अपने हितों के लिए महत्वपूर्ण माना है, जिसमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है। हम किसी भी द्विपक्षीय संबंध में ‘प्रोपेगेंडा’, गलत, भ्रामक सूचना को नहीं आने देंगे, भले ही उनका अंत हो या न हो।’’
प्राइस ने कहा, ‘‘इसमें जाहिर तौर पर पाकिस्तान के साथ हमारे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध भी शामिल हैं। जहां तक पाकिस्तान के अंदर विभिन्न राजनीतिक पक्षों की बात है तो एक राजनीतिक उम्मीदवार या पार्टी बनाम दूसरी में हमारी कोई भूमिका नहीं है। हम उनका समर्थन करते हैं, जैसा कि हम दुनिया भर में करते हैं, लोकतांत्रिक, संवैधानिक और कानूनी सिद्धांतों का शांतिपूर्ण समर्थन करते हैं।’’
उन्होंने हालांकि प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के अपने बयान से पलटने पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आरोप-प्रत्यारोप पर कोई टिप्पणी नहीं करने जा रहा हूं। जब से ये गलत आरोप सामने आए हैं हमने इसके बारे में स्पष्ट तौर पर बात की है। हमने लगातार कहा है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है।’’
अमेरिकी नेतृत्व से मुलाकात के लिए एक पाकिस्तानी रक्षा प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में है। प्राइस ने कहा, ‘‘मैं सार्वजनिक रूप से यह साझा करना चाहूंगा कि पाकिस्तान अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। यह कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।’’ (भाषा)
(ललित के. झा)
कार्लेस्टन (साउथ कैरोलिना), 15 फरवरी। भारतीय मूल की रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने बुधवार को कहा कि अश्वेत-श्वेत दुनिया में बड़ी हुई एक गेहुआं रंग की लड़की के रूप में उन्होंने अमेरिका में सपनों को साकार होते हुए देखा है।
हेली ने 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा करने के बाद पहले सार्वजनिक भाषण में ये बात कही।
साउथ कैरोलिना के तटीय शहर कार्लेस्टन में एक कार्यक्रम के दौरान अपने उत्साहित समर्थकों को संबोधित करते हुए हेली ने कहा, “मुझे पहले से कहीं अधिक विश्वास है कि हम अपने समय में इस दृष्टिकोण को वास्तविक बना सकते हैं - क्योंकि मैंने अपने पूरे जीवन में यही देखा है। एक श्वेत-अश्वेत दुनिया में पली-बढ़ी गेहुआं लड़की के रूप में मैंने अमेरिका में सपनों को साकार होते हुए देखा है।”
हेली ने संयुक्त राष्ट्र में अपने अनुभव, भारतीय प्रवासियों की संतान के रूप में अपनी पृष्ठभूमि का जिक्र किया और जोर देकर कहा, “मैं जो कह रही हूं वह सच है, अमेरिका एक नस्लवादी देश नहीं है।”
निक्की हेली उर्फ निमरत निक्की रंधावा का जन्म 1972 में दक्षिण कैरोलिना के बामबर्ग में सिख माता-पिता अजीत सिंह रंधावा और राज कौर रंधावा के यहां हुआ था, जो 1960 के दशक में पंजाब से कनाडा गए और फिर अमेरिका आकर बस गए थे।
हेली एक सिख महिला के तौर पर बड़ी हुईं, लेकिन 1996 में माइकल हेली से शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया।
अमेरिका में अपने जीवन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता ने बेहतर जीवन की तलाश में भारत छोड़ा। वे यहां बामबर्ग, साउथ कैरोलिना में बसे, जिसकी आबादी 2,500 थी। हमारा छोटा शहर हमसे प्यार करने लगा, लेकिन यह हमेशा आसान नहीं था। हमारा परिवार एकमात्र भारतीय परिवार था। कोई नहीं जानता था कि हम कौन थे, हम क्या थे, या हम यहां क्यों आए थे।”
उन्होंने कहा, “लेकिन मेरे माता-पिता जानते थे। और हर दिन, उन्होंने मुझे, मेरे भाइयों और मेरी बहन को याद दिलाया कि हमारे सबसे बुरे दिन में भी, हम अमेरिका में रहने के लिए धन्य हैं। वे तब सही थे - और वे अब भी सही हैं। मेरे माता-पिता एक ऐसे देश में आए थे जो ताकतवर बन रहा था और जिसका आत्मविश्वास बढ़ रहा था।” (भाषा)
तुर्की में बीती छह फरवरी की सुबह आए शक्तिशाली भूकंप के बाद कई देश इस मुश्किल घड़ी में उसका साथ देने के लिए आगे आए हैं.
इन देशों की लिस्ट में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है.
भूकंप आने के बाद पाकिस्तान की सूचना प्रसारण मंत्री मरियम औरंगज़ेब ने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के तुर्की जाने की घोषणा की थी.
मरियम औरंगज़ेब ने कहा था कि पीएम शरीफ़ आठ फ़रवरी को तुर्की दौरे पर रवाना होंगे और वह भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताएंगे.
लेकिन शहबाज़ शरीफ़ को जिस दिन जाना था, उसी दिन पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री का तुर्की दौरा स्थगित कर दिया गया है.
इस घोषणा के कुछ दिन बाद ही एक बार फिर शहबाज़ शरीफ़ के तुर्की दौरे पर जाने की ख़बर आई है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, पीएम शहबाज़ शरीफ़ 16 - 17 फ़रवरी को तुर्की दौरे पर रहेंगे.
इस यात्रा के दौरान शहबाज़ शरीफ़ तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से भी मिलेंगे.
विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक़, शरीफ़ इस मुश्किल वक़्त में तुर्की के साथ खड़े रहने की बात को दोहराएंगे.
इसके साथ ही पाकिस्तान तुर्की की हर संभव मदद करने की भी कोशिश करेगा.
अपने दौरे में शरीफ़ तुर्की के भूकंप प्रभावित इलाक़ों में भी जाएंगे. शरीफ़ ने छह फ़रवरी को रेचेप तैय्यप अर्दोआन से फ़ोन पर बात की थी और राहत और बचाव कार्य में मदद करने का आश्वासन दिया था.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि तुर्की और पाकिस्तान के रिश्ते गहरे हैं और दोनों मुल्क हर मुश्किल वक़्त में एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे.
शरीफ़ का दौरा रद्द होने पर कैसी प्रतिक्रिया रही थी?
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित का कहना है कि जिस तरह से तुर्की का दौरा प्लान किया गया और जिस तरह से रद्द करना पड़ा वह पाकिस्तान के लिए शर्मनाक है.
बासित ने कहा था कि 'यह तुर्की दौरे का सही मौक़ा नहीं था. लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. तुर्की में पाकिस्तान के राजदूत रहे करामतुल्लाह गोरी ने एक बार बताया था कि 1999 में तुर्की में इसी तरह का भूकंप आया था. तब प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ थे.
तब नवाज़ शरीफ़ ने भी तुर्की जाकर संवेदना व्यक्त करने का फ़ैसला किया था. सरताज़ अज़ीज़ तब विदेश मंत्री थे और वह नवाज़ शरीफ़ को तुर्की जाने से मना कर रहे थे. उनका कहना था कि यह सही वक़्त नहीं है.' (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है.
इस कारण पाकिस्तान में काफ़ी ज़्यादा महंगाई है. खाने-पीने की चीज़ों के दाम आसमान पर हैं.
पेट्रोल की क़ीमतें पहले से ही काफ़ी ज़्यादा थीं.
अब गुरुवार यानी आज से पाकिस्तान में पेट्रोल, डीज़ल की नई क़ीमतें लागू हो जाएंगी.
बुधवार को पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल के दाम 22 रुपये और हाई स्पीड डीज़ल के दाम 17 रुपये बढ़ाने का फ़ैसला किया था.
बढ़ी क़ीमतों के बाद पाकिस्तान में पेट्रोल 272 और हाई स्पीड डीज़ल 280 रुपये प्रति लीटर मिलेगा.
केरोसिन के दाम भी अब 202 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं.
पाकिस्तान इन दिनों विदेशी मुद्रा भंडार के खाली होने के ख़तरे से जूझ रहा है.
पाकिस्तान के पास एक महीने के आयात के लिए ही डॉलर बचा है.
जनवरी में पाकिस्तान की वार्षिक मंहगाई दर 27 फ़ीसदी थी.
1975 के बाद पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की ये सर्वाधिक दर है. बीते हफ़्ते पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुक़ाबले 275 तक पहुँच गया. ये पिछले साल इन दिनों 175 के आस-पास था. (bbc.com/hindi)
बीते सप्ताह तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा 41 हज़ार के पार पहुंच चुका है. इसे इस सदी के सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदा कहा गया था.
यहां तेज़ी से राहत और बचाव कार्य चल रहा है और कड़ाके की ठंड में लोग खुले में रहने को मजबूर हैं.
कई देशों की टीमें राहत और बचाव कार्य में हाथ बंटाने तुर्की पहुंची हैं. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कहा है कि वो भूकंप प्रभावित सीरिया की मदद के लिए अतिरिक्त 5 करोड़ डॉलर देगा.
बीते सप्ताह यूएई ने सीरिया के लिए 5 करोड़ डॉलर की मदद दी थी. साल 2018 में सीरिया के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने वाले यूएई ने सीरिया की मदद के लिए राहत सामग्री से भरे 38 विमान भी भेजे हैं.
जॉर्डन के विदेश मंत्री आयमान अल-सफ़ादी ने 15 फरवरी को सीरिया पहुंच कर राष्ट्रपति बशर-अल-असद से मुलाक़ात की और मदद का भरोसा दिया. सीरिया से होते हुए आयमान अल-सफ़ादी तुर्की रवाना हुए.
इस बीच सीरिया में भूकंप प्रभावित एक शहर में पहली बार राहत सामग्री पहुंची है.
संयुक्त राष्ट्र ने बताया है कि तुर्की से सीरिया बाब अल-सलमा में 11 ट्रकों में लादकर राहत सामर्गी पहुंचाई गई है.
इस कस्बे में अब से पहले इतनी मात्रा में राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई थी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भूकंप के कारण सड़कें ध्वस्त हो गई थीं, जिस कारण यहां मदद पहुंचाने में उन्हें देरी हुई.
तुर्की के साथ सटी सीरिया की सीमा पर दो और चेक नाकों के खुलने के बाद विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाक़े में मदद पहुंचने लगी है. संयुक्त राष्ट्र के लिए सीरिया के दूत ने कहा है कि राहत बांटने के मामले में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. (bbc.com/hindi)
-गैरेथ इवान्स
अमेरिकी राज्य साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निकी हेली ने साल 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में अपनी रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की घोषणा की है. डोनाल्ड ट्रंप पहले ही पार्टी के उम्मीदवार बनने की इच्छा जता चुके हैं.
आज से एक दशक पहले निकी हेली ने 39 साल की उम्र में अमेरिका की सबसे युवा गवर्नर बनने का रिकॉर्ड बनाया था. माना जाता है कि अमेरिकी राजनीति में उन्हें राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिलना यहीं से शुरू हुआ.
उनके गृह राज्य साउथ कैरोलाइना में उनकी ये जीत कई मायनों में एतिहासिक रही थी- वे कंज़र्वेटिव पार्टी का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य की पहली महिला और पहली एशियाई-अमेरिकी गवर्नर बनीं.
हालांकि उस वक्त इसमें निकी हेली की दावेदारी को हमेशा ही दूर की कौड़ी माना जाता था.
उनकी दोस्त ने अमेरिकी मैग़ज़ीन 'पॉलिटिको' को बताया है कि "उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता था. हममें से कुछ दस लोग थे जो मानते थे कि वह जीत सकती हैं."
लेकिन लंबे समय तक चलाए गए अभियान के ज़रिए उनकी दावेदारी में मज़बूती आई और आख़िरकार उन्होंने मिट रोमनी और सारा पेलिन जैसे बड़े नेताओं का समर्थन हासिल किया.
उन्होंने उस रेस में जीत हासिल की थी जिसमें उनके अलावा बाकी सभी उम्मीदवार पुरुष थे और इस तरह उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उभरते हुए नेता के रूप में अपनी छवि बनाई.
वहीं पार्टी ने निकी हेली से उम्मीद लगाई थी कि वह शायद पार्टी की पुरुष प्रधान छवि को बदल पाएंगी.
उन्होंने अपने विजय जुलूस में भी कहा था कि "ये इस राज्य के उन सभी लोगों के लिए बेहतरीन रात है जिन्होंने महत्वपूर्ण न माने गए इस अभियान में अपना भरोसा जताया."
निकी हेली साल 2011 से 2017 तक गवर्नर के रूप में दो कार्यकाल पूरे कर चुकी हैं. इस दौरान अमेरिकी राजनीति के लिहाज़ से कई अहम मुद्दों पर उनका रुख़ स्पष्ट हो चुका है.
51 साल की निकी हेली ने अपनी छवि मुख्यधारा की रूढ़िवादी नेता के तौर पर बनाई, साथ ही उन्होंने व्यापारिक समुदाय के प्रति भी दोस्ताना रवैया रखते हुए अपना ध्यान साउथ कैरोलाइना में बड़ी कंपनियों को लाने पर लगाया.
एक समय में उन्होंने व्यावसायिक समूहों की एक बैठक को संबोधित करते हुए यहां तक कहा था कि "अगर आप यहां आएंगे तो बाक़ी राज्यों की तुलना में यहां काम करने पर होने वाला ख़र्च कम रहेगा."
निकी हेली ने खुद को प्रो-लाइफ़ यानी भ्रूण की ज़िंदगी के हक़ में खड़े रहने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया. इसके साथ ही उन्होंने उस विधेयक का समर्थन किया था जिसे साउथ कैरोलाइना में गर्भपात रोकने के लिए लाया गया था.
निकी हेली ने गवर्नर के रूप में अपने पहले कार्यकाल में अवैध अप्रवासन रोकने के लिए क़ानून पर हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद से वह सीमाओं को लेकर राष्ट्रपति बाइडन की नीतियों की आलोचना करती रही हैं.
उन्होंने ये भी कहा है कि वह अमेरिकी नागरिकों को मिले बंदूक रखने के अधिकार की समर्थक हैं और इसे बचाने के लिए संघर्ष करेंगी.
चर्च पर हमला और हेली के रुख़ में बदलाव
गवर्नर के रूप में उनकी राजनीति को परिभाषित करने वाला दौर 2015 में उस वक्त आया जब एक व्हाइट सुपरिमेसिस्ट शख़्स ने (गोरे लोगों को दूसरों से बेहतर नस्ल का मानने वाले) चार्ल्सटन में मदर इमैनुअल एमई चर्च में घुसकर नौ काले लोगों को मार दिया था.
निकी हेली ने कुछ समय बाद कहा कि इस हमले ने जैसे उनकी 'दुनिया को तबाह कर दिया'. उन्होंने इसे नस्लीय युद्ध शुरू करने की कोशिश करार दिया.
इस बंदूकधारी को कनफेडरेट फ़्लैग उस समय तक ये झंडा दक्षिणी कैरोलाइना की कैपिटॉल बिल्डिंग पर लहरा रहा था लेकिन इस हमले के बाद इसे लेकर विरोध तेज़ हुआ. पकड़े देखा गया था. ये फ्लैग अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान काले लोगों को ग़ुलाम बनाए रखने के पक्षधर राज्यों का झंडा था जिसे आज भी नस्लवाद के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
कई सालों तक इस झंडे के विरोध से बचने के बाद इस घटना के बाद आख़िरकार निकी हेली अपना रुख़ बदलना पड़ा. चर्च में हुए हमले के पांच दिन बाद उन्होंने दक्षिणी कैरोलाइना में स्टेट ग्राउंड्स से इन झंडों को हटाने की अपील की.
इसके बाद एक प्रस्ताव लाया गया, भावनात्मक बहस हुई और राज्य में इन झंडों को उतारने का क़ानून पास हुआ.
इस क़ानून पर हस्ताक्षर करते हुए निकी ने कहा, "इस झंडे की अपनी जगह है लेकिन वो ऐसी जगह नहीं जहां साउथ कैरोलाइना के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व होता हो."
हालांकि कुछ साल बाद साल 2019 में निकी हेली ने एक कंज़र्वेटिव रेडियो होस्ट से कहा कि कनफेडरेट फ़्लैग "सेवा, त्याग और विरासत" का प्रतीक है और चार्ल्सटन चर्च के हमलावर ने इसे "हाईजैक" कर लिया था. उनके इस बयान के लिए उनकी तीखी आलोचना की गई थी.
उन्होंने ये भी कहा कि गोलीबारी की इस घटना में मीडिया ने भी नैरेटिव बनाने की कोशिश की थी. हेली ने कहा था, "वो इसे नस्लीय भेदभाव का मुद्दा बनाना चाहते थे. वो इसे गन कंट्रोल से जोड़ना चाहते थे."
चर्च में हुई इस घटना में दक्षिण कैरोलाइना से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधि जेए मूर की बहन की भी मौत हो गई थी. उस वक्त उन्होंने कहा था, "निकी हेली इस त्रासदी का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से कर रही हैं, ये घृणित कार्य है."
बाद में निकी हेली ने इस पर सफ़ाई देते हुए वॉशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा और कहा कि उनके पोज़िशन में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने लिखा, "आज के नाराज़ होने वाले कल्चर में दूसरे पक्ष की आवाज़ नहीं बची है. ये लोग चाहते हैं कि आप या तो जीतें या फिर हार जाएं."
भारत के साथ नाता
अपने चुनाव प्रचार के दौरान निकी हेली कई बार अपने परिवार के बारे में बात करती रही हैं.
उनका जन्म भारत से जाकर अमेरिका के साउथ कैरोलाइना के बामबर्ग में बसे एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ है. उनके परिवार का कपड़ों का व्यापार है. जन्म के वक्त निकी का नाम निम्रता निकी रंधावा था.
निकी हेली कहती हैं कि अपने बचपन में उन्होंने नस्लीय भेदभाव का सामना किया है और ताने सहे हैं. निकी हेली ने एक वीडियो जारी कर राष्ट्रपति की रेस में शामिल होने की घोषणा की है. इस वीडियो में उन्होंने कहा. "न तो मैं काले समुदाय से थी और न ही गोरे समुदाय से - मैं अलग थी."
साल 2019 में अपने संस्मरण में निकी हेली ने लिखा, "बचपन में मैंने जाना कि मैं बाहरी थी लेकिन इसमें कुछ अजीब नहीं था. जो लोग दूसरों से अलग होते हैं वो दुनिया में हर जगह बाहरी की माने जाते हैं. अमेरिका अलग है क्योंकि हमारा समुदाय हमें पूरी तरह से स्वीकार करता है."
साल 2020 में निकी हेली ने रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा था कि वो खुद नस्लवाद झेल चुकी हैं लेकिन मानती हैं कि एक मुल्क के तौर पर अमेरिका संस्थागत तौर पर नस्लवादी नहीं है. उन्होंने कहा, "वो झूठ है, अमेरिका नस्लवादी मुल्क नहीं है."
उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की गई. कई लोगों ने कहा निकी अपना पहला नाम इस्तेमाल करने से बच रही हैं. कुछ ने तो यहां तक दावा किया किया कि उन्होंने अपनी पहचान "बदल ली" है.
हालांकि बाद में यूएस टुडे नाम के अख़बार को निकी हेली के प्रवक्ता ने बताया कि क़ानूनी तौर पर जन्म से जो उनका नाम है वो उसके मिडल नाम 'निकी' कर रही हैं.
अकाउंटिंग की पढ़ाई करने के दौरान क्लेमसन युनवर्सिटी में निम्रता निकी रंधावा की मुलाक़ात माइकल हेली से हुई. दोनों ने साल 1996 में शादी कर ली जिसके बाद निकी ने अपने पति का आख़िरी नाम अपना लिया.
दोनों की शादी दो रीति-रिवाज़ों के अनुसार हुई थी, पहला ईसाई मेथोडिस्ट चर्च के नियमों के अनुसार और दूसरा सिख रीति के अनुसार. दोनों के दो बच्चे हैं.
पढ़ाई ख़त्म करने के बाद निकी अपने पाति के कपड़ों के व्यापार में हाथ बंटाने लगीं. बाद में उन्होंने निजी क्षेत्र की कंपनियों मे सीनियर पोज़िशन पर काम किया.
कौरोलाइना की असेंबली सीट में जीत दर्ज करने के साथ निकी ने राजनीति में प्रवेश किया. असेंबली नेता के तौर पर तीन कार्यकाल पूरे करने के बाद वो इस राज्य की गवर्नर बनीं.
साल 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में निकी हेली शुरूआती दौर में डोनाल्ड ट्रंप के लिए कड़ी प्रतिद्वंदी खड़ी की थी. प्राइमरीज़ के दौरान उन्होंने ट्रंप के कई विरोधियों का ये कहते हुए साथ दिया था कि वो "ट्रंप की फैन नहीं" हैं.
उन्होंने कहा कि ट्रंप हर उस चीज़ का प्रतीक हैं "जिसके बारे में बच्चों को उन्होंने सिखाया था कि वो ये काम स्कूल में कभी न करें."
साल 2017 में राष्ट्रपति ने उन्हें बतौर अमेरिका का दूत संयुक्त राष्ट्र में भेजने के लिए नामित किया जिसके बाद उन्होंने साउथ कैरोलाइना के गवर्नर के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
दो साल तक वो इस पद पर रहीं. उस दौर में अपने ही चुने हुए कई नेताओं के साथ ट्रंप की बहस हुई थी, कुछ के साथ तो ये बबहस सार्वजनिक तौर पर भी हुई थी. लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान निकी हेली की कभी भी ट्रेप के साथ कोई बहस नहीं हुई.
वो ट्रंप प्रशासन के इसराइल के समर्थन वाले स्टैंड को आगे बढ़ाती रहीं और रुस और उत्तर कोरिया को लेकर उन्होंने कड़ा रुख़ अख्तियार किया.
2018 नवंबर में मध्यावधि चुनावों से पहले जब निकी ने पद से इस्तीफ़ा दिया तो ये कयास लगाए जाने लगे कि 2020 में वो ट्रंप को चुनौती देंगी या फिर उनके प्रशासन में उप-राषट्रपति की भूमिका में रहेंगी.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो साउथ कौरोलाइना लौट आईं और इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाक़ात करना जारी रखा और दो क़िताबें भी लिखीं.
छह जनवरी 2021 को कैपिटल हिल में हुई हिंसा के लेकर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ट्रंप की आलोचना की. पॉलिटिको से उन्होंने कहा कि "हमें ये बात स्वीकार करनी होगी कि उन्होंने हमें शर्मिंदा किया है."
हिंसा के एक दिन बाद निकी हेली ने एक बयान में कहा कि, "चुनाव के दिन से उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं, इतिहास उसका कठोर न्याय करेगा." इस घटना के बाद से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर उनका नज़रिया बदल गया था.
साल 2021 में एक वक्त वो भी आया जब उन्होंने कहा कि वो व्हाइट हाउस तक की रेस में कभी ट्रंप को चुनौती नहीं देंगी.
लेकिन बीते महीनों में उन्होंने अपने इस नज़रिए में बदलाव आया है और उन्होंने 76 साल के डोनाल्ड ट्रंप की तरफ इशारा कर कहा है कि अब 'पीढ़ी के बदलने' की ज़रूरत है.
राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल होने की बात करते हुए उन्होंने कहा, "वक्त आ गया है कि नई पीढ़ी अब देश की अर्थव्यवस्था की ज़िम्मेदारी ले, अपनी सीमाओं को सुरक्षित करे और देश को और मज़बूत करे." (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 15 फरवरी। पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने निर्वाचन आयोग के बाहर विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक मामले की सुनवाई में शामिल होने में विफल रहने पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जमानत बुधवार को खारिज कर दी। इस फैसले के बाद खान की गिरफ्तारी हो सकती है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने पिछले साल प्रतिबंधित वित्तपोषण मामले में पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) द्वारा खान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन किया था।
पिछले साल अक्टूबर में, पुलिस ने आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत एक मामला शुरू किया था और मामले में पूर्व प्रधानमंत्री अंतरिम जमानत पर थे।
बुधवार को, इस्लामाबाद में आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास ने टिप्पणी की कि खान को अदालत में पेश होने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे। वहीं खान के वकील बाबर अवान ने अपनी दलीलों में अदालत से आग्रह किया कि खान को व्यक्तिगत रूप से पेशी से एक बार की छूट दी जाए क्योंकि खान पिछले साल के हमले के बाद से अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाये हैं।
न्यायाधीश ने याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और यह कहते हुए खान को पेश होने का आदेश दिया कि अदालत खान जैसे "शक्तिशाली व्यक्ति" को ऐसी कोई राहत नहीं दे सकती है जो एक आम व्यक्ति को नहीं दी जाती है।
अंतत:, न्यायाधीश ने अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद 70 वर्षीय खान को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
वहीं, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने एक बैंकिंग अदालत को पीटीआई के खिलाफ प्रतिबंधित वित्तपोषण संबंधी संघीय जांच एजेंसी के मामले में खान की जमानत याचिका पर कोई निर्देश पारित करने से रोक दिया।
पिछले साल ईसीपी ने पीटीआई के खिलाफ वित्तपोषण मामले में फैसला सुनाया था कि पार्टी को प्रतिबंधित वित्तपोषण मिला था।
बाद में, संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने खान और पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ पीटीआई खाते के हस्ताक्षरकर्ता/लाभार्थियों के रूप में मामला दर्ज किया था, जहां धन जमा किया गया था। (भाषा)
पाकिस्तान के एंटी-टेररिज्म कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से जुड़े एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की ज़मानत ख़ारिज कर दी है.
चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने के मामले में इमरान ख़ान पर मुकदमा किया गया था. लेकिन सुनवाई में हाज़िर न होने की वजह से उनकी जमानत याचिका ख़ारिज कर दी गई.
कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है. समाचार एजेंसी पीटीआई की ख़बर के मुताबिक़ पिछले साल चुनाव आयोग की ओर से अयोग्य साबित करने के बाद इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने आयोग के दफ्तर का सामने प्रदर्शन किया था.
इसके बाद पुलिस ने आतंकवाद निरोधक कानून के तहत पूर्व प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था. लेकिन उन्हें अंतरिम ज़मानत मिल गई थी.
बुधवार को चुनाव आयोग से जुड़े केस की सुनवाई के दौरान एंटी टेररिज्म कोर्ट के जज राजा जवाद अब्बास ने कहा कि इमरान ख़ान को कोर्ट के सामने हाज़िर होने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था.
इमरान ख़ान के वकील ने कहा कि बाबर अवान ने कहा कि उन्हें एक बार छूट दे दी जाए क्योंकि इमरान ख़ान गोली लगने के बाद अभी तक ठीक नहीं हुए हैं.
लेकिन अदालत ने उनकी अपील ये कह कर ख़ारिज कर दी कि वह इमरान ख़ान जैसे 'ताकतवर इंसान' को वो छूट नहीं दे सकते हैं जो किसी आम आदमी को नहीं दी जाती है.(bbc.com/hindi)
पाकिस्तान में मौजूदा साल की पहली छमाही के दौरान औसत महंगाई बढ़ कर 33 फ़ीसदी तक जा सकती है.
मूडीज एनालिटिक्स के एक सीनियर इकोनॉमिस्ट ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई के ट्रेंड और विदेशी मुद्रा भंडार संकट को देखते हुए अकेले आईएमएफ़ का बेलआउट पैकेज भी अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकालने के लिए नाकाफ़ी है.
मूडीज एनालिटिक्स की सीनियर इकोनॉमिस्ट कैटरिन ऐल ने कहा,’’ सिर्फ़ आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के भरोसे अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने की उम्मीद नहीं की जा सकती. पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को लगातार ठोस प्रबंधन की ज़रूरत है.’’
उन्होंने कहा,‘’ पाकिस्तान के लिए निश्चित तौर पर आगे का सफ़र काफी कठिन है. लेकिन हमें उम्मीद है सरकार 2024 में राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को कड़ा बनाए रखेगी.’’
पाकिस्तान इस वक़्त गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है. पिछले साल के जनवरी महीने से 2023 के जनवरी महीने तक खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 27.5 फीसदी पर पहुंच गई है.
महंगाई दर 27.5 फ़ीसदी पर पहुंची
पाकिस्तान इस वक़्त गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है. पिछले साल के जनवरी महीने से 2023 के जनवरी महीने तक खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 27.5 फ़ीसदी पर पहुंच गई है.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घटता जा रहा है. तीन फ़रवरी को खत्म हुए सप्ताह में यह सिर्फ 2.91 अरब डॉलर का रह गया था.
लेकिन अगले कुछ महीनों के दौरान उसे मूल क़र्ज़ और ब्याज मिला कर 9 अरब डॉलर चुकाने होंगे.
पाकिस्तानी रुपए की क़ीमत बेतहाशा गिर रही है और इस वजह से उसके सामने क़र्ज़ का पहाड़ खड़ा हो गया है.
पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच बेलआउट के लिए फ़िलहाल कोई समझौता नहीं हो पाया है. पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचाने के लिए ये डील ज़रूरी है. लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई है.
पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच बेलआउट पर फ़िलहाल सहमति नहीं
पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच बेलआउट के लिए फ़िलहाल कोई समझौता नहीं हो पाया है. पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचाने के लिए ये डील जरूरी है. लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई है.
पाकिस्तान को आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मिलना था. बेलआउट पैकेज का ये हिस्सा 2.5 अरब डॉलर के उस पैकेज हिस्सा है, जिस पर आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच 2019 में सहमति बनी थी.
आईएमएफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कई स्ट्रक्चरल सुधार करने को कहा है. इसमें तेल, गैस और बिजली के दाम बढ़ाने को कहा गया है. आईएमएफ के रुख को देखते हुए पाकिस्तान में नेचुरल गैस के दाम बढ़ाए गए हैं. आईएमएफ कुछ नए टैक्स लगाने की भी मांग कर रहा है. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 15 फरवरी | इस्लामाबाद की एक आतंकवाद-निरोधी अदालत ने बुधवार को पीटीआई प्रमुख इमरान खान की जमानत याचिका खारिज कर दी। पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के बाहर विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में इमरान खान अदालत के सामने पेश नहीं हुए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, खान इस मामले में अंतरिम जमानत पर हैं और अदालत ने उन्हें बुधवार को पेश होने को कहा था।
इससे पहले सुनवाई जज राजा जवाद अब्बास की कोर्ट में शुरू हुई, लेकिन इमरान खान कोर्ट नहीं पहुंचे। खान के वकील बाबर अवान ने अपनी दलीलें पेश कीं।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद की धारा इस मामले में लागू नहीं होती। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यदि अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है तो मामले को दूसरी अदालत में ट्रांसफर किया जा सकता है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक जज ने कहा कि अभियुक्तों की उपस्थिति के बिना इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती, और ये सुनवाई पूर्व प्रधानमंत्री की जमानत अर्जी के संबंध में है।
वकील ने कहा कि खान कुछ कारणों से यात्रा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जहां पूरी कैबिनेट पीटीआई प्रमुख को गिरफ्तार करने में लगी हुई है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि जज ने कहा कि अदालत ऐसी मिसाल कायम करेगी जो हमेशा के लिए कायम रहेगी, और कहा कि वह एक शक्तिशाली व्यक्ति को वही राहत देगी जो आम आदमी को देती है।
अवान ने कहा कि एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 27 फरवरी तक इमरान खान को अंतरिम जमानत दी थी और उन्होंने इस कोर्ट से भी ऐसा ही करने का अनुरोध किया। (आईएएनएस)|
पाकिस्तान, 15 फरवरी । आर्थिक संकट में फँसा पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से क़र्ज़ लेने के लिए बुधवार को टैक्स संशोधन बिल पेश करने जा रहा है. इसे वित्त बिल 2023 कहा जा रहा है.
पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों में यह बिल पेश किया जाएगा. कहा जा रहा है कि इस बिल के ज़रिए पाकिस्तान की शहबाज़ शरीफ़ सरकार आईएमएफ़ की शर्तें पूरी करेगी. पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक़ डार बिल पेश करेंगे.
सरकार संसद में जाने के लिए मजबूर हुई है क्योंकि राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी ने वित्त मंत्री से कहा था कि 170 अरब रुपए से ज़्यादा नए टैक्स के लिए बिल पहले संसद से पास कराना होगा. पाकिस्तान की सरकार आईएमएफ़ से 170 अरब डॉलर के नए टैक्स के लिए सहमत हो गई है.
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, नए टैक्स इस तरह से हैं-
देश में बनने वाली सिगरेट पर 60 अरब रुपए का उत्पाद शुल्क लगेगा.
55 अरब रुपए सेल्स टैक्स के रूप में लगेंगे.
55 अरब रुपए एयरलाइन के टिकट और ड्रिंक्स पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाएंगे.
आईएमफ़ से पिछले 31 जनवरी से बात चल रही थी लेकिन सहमति नहीं बन पा रही थी. लेकिन पाकिस्तान की हालत लगातार बिगड़ रही है और आईएमएफ़ के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नज़र नहीं आ रहा है. (bbc.com/hindi)
कनाडा , 15 फरवरी । कनाडा में 13 फ़रवरी को एक और हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई है.
कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग का कहना है कि मिसिसॉगा के राम मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए थे.
भारतीय उच्चायोग ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ‘’मिसिसॉगा के राम मंदिर को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश हुई. उसकी दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए. हमने कनाडाई अधिकारियों से इस घटना की जांच करने और इस पर तुरंत कदम उठाने की मांग की है.’’
मंदिर के फ़ेसबुक पेज पर कहा गया है, ’ओटांरियो के मिसिसॉगा के श्री राम मंदिर में बीती रात ( 13 फरवरी) में तोड़फोड़ की घटना हुई. हम इस घटना से काफ़ी परेशान हैं. हम इस मामले में पुलिस से बात कर रहे हैं.’’
पिछले महीने कनाडा के ही ब्रैंपटॉन में एक हिंदू मंदिर की दीवार पर भारत विरोधी नारा लिखने की ख़बर आई थी. (bbc.com/hindi)
चीन, 15 फरवरी । मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप झेल रहे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एक अधिकारी का ब्रिटेन दौरा रद्द हो गया है.
ब्रिटेन के सांसदों ने सरकार से अपील की थी कि एरकिन तुनियाज़ को लंदन ना आने दिया जाए.
एरकिन चीन के शिनजियांग प्रांत के गवर्नर हैं.
2021 में ब्रिटेन की संसद में एक प्रस्ताव पेश किया गया था.
इस प्रस्ताव में शिनजियांग में वीगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराध और नरसंहार किए जाने की बात कही गई थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि ऐसा लगता है कि एरकिन तुनियाज़ ने अपना दौरा रद्द कर दिया है.
सरकार ने ज़ोर दिया कि एरकिन तुनियाज़ को बुलाया नहीं गया था और ना ही उनकी मुलाक़ात किसी मंत्री से होनी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक़, ब्रिटेन की सरकार हर उस मौक़े का इस्तेमाल करेगी, जिसमें चीन के शिनजियांग में मानवाधिकारों उल्लंघनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात होगी.
वीगर मुसलमानों के उत्पीड़न का आरोप चीन पर लगता रहा है. आरोप है कि शिनजियांग प्रांत में हज़ारों वीगर मुसलमानों को कैंपों में हिरासत में रखा गया था.
संयुक्त राष्ट्र ने भी चीन पर मानवाधिकार उल्लंघनों के गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि चीन वीगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न के आरोपों को ख़ारिज करता रहा है. (bbc.com/hindi)
संयुक्त राष्ट्र, 15 फरवरी संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को सचेत किया कि यदि ग्लोबल वार्मिंग को ‘‘चमत्कारिक रूप से’’ 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर भी लिया जाए, तो भी समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ेगा और बांग्लादेश, चीन एवं भारत जैसे देशों के लिये यह खतरे की बात है।
गुतारेस ने कहा कि पृथ्वी के ‘ग्लोबल वार्मिंग’ की ऐसी राह पर आगे बढ़ने की आशंका है, जहां समुद्रों का जलस्तर बढ़ने का मतलब कई देशों के लिए अस्तित्व का संकट होगा।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि डिग्री का हर अंश मायने रखता है, क्योंकि अगर तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो समुद्र का स्तर दोगुना हो सकता है।
उन्होंने समुद्र के स्तर में वृद्धि पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के उद्घाटन पर कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की खातिर आवश्यक कदम उठाने के लिए समर्थन तैयार करने में परिषद की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस बैठक में 75 देशों ने भाग लिया।
गुतारेस ने कहा कि किसी भी परिदृश्य में बांग्लादेश, चीन, भारत और नीदरलैंड जैसे देश जोखिम में हैं और काहिरा, लागोस, मापुटो, बैंकॉक, ढाका, जकार्ता, मुंबई, शंघाई, कोपेनहेगन, लंदन, लॉस एंजिलिस, न्यूयॉर्क, ब्यूनस आयर्स और सैंटियागो सहित हर महाद्वीप के बड़े शहरों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने मंगलवार को गुतारेस द्वारा उद्धृत आंकड़े जारी किए, जिनमें कहा गया है कि यदि तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लिया जाता है, तो वैश्विक मध्यमान समुद्र स्तर अगले 2,000 वर्षों में लगभग दो मीटर से तीन मीटर (लगभग 6.5 से 9.8 फीट) तक बढ़ जाएगा।
डब्ल्यूएमओ के अनुसार, तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के होने पर समुद्र का जलस्तर छह मीटर (19.7 फीट) तक बढ़ सकता है और पांच डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर यह 22 मीटर (72 फीट) तक बढ़ सकता है।
गुतारेस ने कहा कि दुनिया वर्तमान नीतियों के कारण तापमान में ‘‘2.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी’’ की ओर बढ़ रही है जो उन देशों के लिए ‘‘मौत की सजा’’ जैसा है, जिन पर खतरा अधिक है। (एपी)
बीजिंग, 15 फरवरी चीन के राष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ के प्रमुख को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के भ्रष्टाचार रोधी निकाय के एक वाक्य के बयान में कहा गया है कि चेन शुयुआन को राष्ट्रीय और हुबेई प्रांतीय खेल निकायों द्वारा जांच के दायरे में रखा गया है। उन पर लगे आरोपों के बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया।
चेन चीन के फुटबॉल महासंघ के प्रमुख हैं और इसकी पार्टी समिति के उपाध्यक्ष हैं।
ओलंपिक में सफलता के बावजूद चीन ने लगभग 20 साल पहले केवल एक बार विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था।
चीन के राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग ने देश को फुटबॉल महाशक्ति बनाने का लक्ष्य बनाया था लेकिन धन और उत्साह कम होता दिखाई दे रहा है। (एपी)
मुंबई, 15 फरवरी | 'डेथ ऑन द नाइल' और 'विक्टोरिया एंड अब्दुल' जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता अली फजल अमेरिका में अकादमी के सदस्य हैं। अभिनेता ने हाल ही में प्रतिष्ठित ऑस्कर लंच में भाग लिया जहां उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
शौनक सेन की 'ऑल दैट ब्रीथ्स', 'आरआरआर' को सर्वश्रेष्ठ मूल गीत और गुनीत मोंगा की 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स' के लिए कार्तिकी गोंजाल्विस द्वारा निर्देशित ऑस्कर की दौड़ में भारत के तीन नामांकन हैं।
उसी के बारे में बात करते हुए अली ने बताया, भारतीय सिनेमा के प्रतिनिधि के रूप में शौनक और गुनीत के साथ वहां होना गौरव की बात है। 'ऑल दैट ब्रीथ्स' सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक है जिसे मैंने हाल के दिनों में देखा है। फिल्म देखना और हमारे सिनेमा का जश्न मनाया जाना एक गर्व का क्षण था।
इस लंच में अंतरराष्ट्रीय सुपरस्टार टॉम क्रूज सहित हॉलीवुड की बड़ी हस्तियों ने शिरकत की।
अली को 2018 में अकादमी के सदस्य के रूप में चुना गया था, तब वह भारत के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे।
अली जो अपनी कार्य प्रतिबद्धताओं के हिस्से के रूप में लॉस एंजेलिस में हैं, प्रतिभाशाली समूह में शामिल हो गए और देश का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय फिल्मों के लिए अपना हौसला बढ़ाया। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 15 फरवरी | सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनिओफ ने स्वीकार किया है कि दो घंटे के अंदर हजारों कर्मचारियों की छंटनी करना अच्छा आइडिया नहीं था। सॉफ्टवेयर कंपनी सेल्सफोर्स ने जनवरी में अपने 10 प्रतिशत कार्यबल को निकाल दिया था, जिससे 7,000 कर्मचारी प्रभावित हुए।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में, बेनिओफ ने कहा कि ये अच्छा आईडिया नहीं था।
उन्होंने कहा, "हम स्थिति साफ करने की कोशिश कर रहे हैं। इतने बड़े समूह के साथ इस तरह फैसला मुश्किल भरा है और क्या यह प्रभावी है और हमने इसकी कीमत चुकाई है।"
सेल्सफोर्स के कर्मचारियों ने बैठक के दौरान बेनिऑफ की आलोचना की थी।
इस महीने की शुरुआत में, सेल्सफोर्स के कई कर्मचारियों को पता चला कि उन्हें निकाल दिया गया है, क्योंकि कंपनी ने 7,000 कर्मचारियों या उसके 10 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी थी।
लगभग 4,000 लोग दो दिनों के भीतर सेल्सफोर्स के स्लैक चैनल से गायब हो गए।
वार्न नोटिस के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में, छंटनी के दौर में 258 कर्मचारी प्रभावित हुए, जिससे 'बिक्री और ग्राहक सेवा', 'प्रौद्योगिकी और उत्पाद' और 'सामान्य प्रशासन' प्रभावित हुए।
आयरलैंड में कंपनी के 2,100 कर्मचारियों में से 200 को निकाला गया।
यूएस में, प्रभावित कर्मचारियों को कम से कम लगभग पांच महीने का वेतन, स्वास्थ्य बीमा, करियर संसाधन और अन्य लाभ प्राप्त होंगे जो उनके परिवर्तन में मदद करेंगे।
बेनिओफ ने कहा था, "अमेरिका के बाहर के लोगों को समान स्तर का समर्थन प्राप्त होगा और हमारी स्थानीय प्रक्रियाएं प्रत्येक देश में रोजगार कानूनों के साथ संरेखित होंगी।" (आईएएनएस)
सुमी खान
ढाका, 15 फरवरी | भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा द्विपक्षीय मुद्दों पर विदेश कार्यालय परामर्श के लिए ढाका पहुंचे।
क्वात्रा बुधवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना और विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन से मुलाकात करेंगे।
मंगलवार को क्वात्रा के आगमन पर बांग्लादेश के उनके समकक्ष मसूद बिन मोमेन ने उनका स्वागत किया।
विदेश सचिव के तौर पर क्वात्रा की ढाका की यह पहली यात्रा है। इससे पहले, वह 1 मई, 2022 को नए कार्यालय का कार्यभार संभालने से पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ गए थे।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा, "यह यात्रा भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुरूप है।"
यात्रा के दौरान, दोनों विदेश सचिव राजनीति और सुरक्षा, जल, व्यापार और निवेश, बिजली और ऊर्जा, रक्षा, कनेक्टिविटी और उप-क्षेत्रीय सहयोग सहित द्विपक्षीय मुद्दों की पूरी श्रृंखला की समीक्षा करेंगे।
इसमें कहा गया है कि ये यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी और विविध क्षेत्रों में चल रहे सहयोग को गति प्रदान करेगी।
इसमें कहा गया है, "बांग्लादेश भारत का सबसे शीर्ष विकास भागीदार और क्षेत्र में इसका सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।"
इससे पहले दोनों देशों के बीच एफओसी 29 जनवरी, 2021 को दिल्ली में हुई थी।
हाल ही में मसूद ने कहा था कि यह भारतीय विदेश सचिव के साथ नियमित बैठक है जिसमें दोनों देशों के बीच सभी मुद्दों पर चर्चा होगी।
मसूद ने कहा कि क्वात्रा के साथ चर्चा में पिछले साल उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान लिए गए निर्णयों को लागू करना भी शामिल होगा।
भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभालने के बाद बांग्लादेश को 'गेस्ट स्टेट' के रूप में शामिल किया है। इसके तहत एके अब्दुल मोमेन मार्च की शुरुआत में जी-20 गठबंधन की विदेश मंत्री स्तर की बैठक में शामिल होंगे।
हसीना सितंबर में दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाली हैं।
मसूद ने आईएएनएस को बताया कि बैठक के दौरान प्रधानमंत्री की संभावित यात्रा पर भी चर्चा की जाएगी। (आईएएनएस)
ब्रिटेन के नए राजा बनने जा रहे चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी के वक्त महारानी के ताज में कोहिनूर हीरा नहीं लगा होगा. ब्रिटिश राजघराने ने यह फैसला किया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
आने वाली छह मई को जब किंग चार्ल्स तृतीय और उनकी पत्नी कमिला के नए ब्रिटिश राजा और रानी के रूप में ताजपोशी होगी तो शाही परिवार विवादों से दूर रहना चाहता है. यही वजह है कि शाही परिवार ने कमिला के ताज में कोहिनूर हीरे का इस्तेमाल ना करने का फैसला किया है.
समकालीन इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब महारानी के ताज में बदलाव किए जाएंगे और कोहिनूर के बिना उसे पहना जाएगा. हालांकि दिवगंत महारानी के गहनों में से कई इसमें इस्तेमाल किए जाएंगे.
ब्रिटिश महारानी के ताज में कोहिनूर हीरा दशकों से लगा हुआ है. दुनिया के सबसे बड़े और कीमती हीरों में शुमार इस हीरे पर लंबा विवाद है और भारत इसे वापस मांगता रहा है. शाही परिवार नहीं चाहता था कि ताजपोशी के वक्त भारत के साथ किसी तरह का कूटनीतिक विवाद हो.
पर्यावरण के अनुकूल ताज
बकिंगम पैलेस ने कहा है कि महारानी के रूप में कमिला को ‘क्वीन मैरी' का ताज पहनाया जाएगा क्योंकि इसका इस्तेमाल "पर्यावरण के अनुकूल और सक्षमता” के हक में है.
दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि स्वरूप ताज को उनके निजी संग्रह में मौजूद गहनों से सजाया जाएगा. इसमें कलिनन तीन, चार और पांच नामक हीरे इस्तेमाल किए जाएंगे. ये हीरे एलिजाबेथ द्वितीय के कंगनों में जड़े थे. इन्हें दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था और कलिनन डायमंड से लिया गया था.
किंग चार्ल्स तृतीय ताजों का ताज कहे जाने वाले सेंट एडवर्ड्स नाम के ताज को राजतिलक के वक्त ग्रहण करेंगे. इसे उनके सिर के हिसाब से बदला गया है और फिलहाल लंदन टावर में प्रदर्शन के लिए रखा गया है.
इस ताज को सबसे पहले 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय के लिए बनाया गाय था. उससे पहले जो ताज चार्ल्स द्वितीय के पास था वह इंग्लैंड के गृह युद्ध में नष्ट हो गया था. एलिजाबेथ द्वितीय ने भी अपनी ताजपोशी के वक्त यही ताज पहना था. हालांकि अन्य राजा अपने लिए अलग-अलग तरह के ताज बनवाते रहे हैं.
कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर दुनिया का सबसे शुद्ध या सबसे बड़ा हीरा तो नहीं है लेकिन इसे दुनिया के सबसे विवादास्पद हीरों में से एक कहा जाता है. इसके उद्गम को लेकर बहुत तरह के किस्से-कहानियां मशहूर हैं लेकिन बहुत से इतिहासकार इस बात को लेकर सहमत हैं कि इस हीरे को 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह से भारतीयों ने छीना था.
उसके बाद युद्धों और लूटपाट के दौरान कोहिनूर के मालिक बदलते रहे और 1846 में जब पंजाब पर अंग्रेजों की जीत हुई तब यह तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास आ गया. हालांकि तब लॉर्ड डलहौजी ने जिस लाहौर संधि के तहत पंजाब को हासिल किया था, वह पंजाब के महाराजा दलीप सिंह के साथ हुई थी संधि के वक्त था. उस समय दलीप सिंह की आयु मात्र पांच साल थी.
जिन हालात में यह हीरा अंग्रजों के पास गया, उसे लेकर हमेशा विवाद रहा है और भारत इस वापस लौटाने की मांग करता रहा है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी इस हीरे पर दावे किए हैं. (dw.com)
ईरान, 15 फरवरी । ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी चीन की यात्रा पर हैं.
चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक़, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर जल्द से जल्द और उचित प्रस्ताव लाने के लिए कहा है.
जिनपिंग ने ईरान के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए अपना समर्थन देने की बात की है.
जिनपिंग ने बीजिंग में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी से कहा कि वो ईरान के परमाणु समझौते को लागू करने लिए फिर से सकारात्मक तौर पर बातचीत शुरू करेंगे.
साल 2015 में ईरान ने जर्मनी, चीन, अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के साथ एक समझौता किया था.
इस समझौते के तहत ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के बदले ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करना था. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इससे अलग कर लिया था, इसके बाद से यह समझौता रद्द हो गया था.
चीन ने इस क़दम की आलोचना की थी और कहा था कि इस समझौते पर फिर से लौटने के लिए अमेरिका को पहल करनी चाहिए.
सितंबर महीने में अमेरिका ने ईरान के तेल निर्यात से जुड़ी कुछ कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए थे, इनमें पांच कंपनियां चीन की थीं. (.bbc.com/hindi)
-नफ़ीसे कोहनावर्द
मर्वी! इरम! मर्वी! इरम. तुर्की में भूकंप के बाद लोगों को मलबों से निकालने में लगे बचावकर्मी मुस्तफ़ा ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे हैं.
यहां खड़े हम सभी को चुप रहने के लिए कहा गया है. राहतकर्मियों की टीम यहां मलबे में दो बहनों की तलाश में लगी हैं. मलबे से निकाल लिए गए कुछ लोगों का कहना है के ये बहनें अभी भी मलबे के ढेर में दबी हैं.
बचावकर्मी संवेदनशील यंत्रों के ज़रिये दोनों बहनों की आवाज़ सुनने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं. हर कोई किसी उम्मीद से जहां के तहां ठिठका हुआ है.
तभी एक आवाज़ गूंजती हैं. मुस्तफ़ा कहते हैं,'' इरम, मेरी बच्ची. मैं तुम्हारे बिल्कुल नज़दीक हूं. क्या तुम मेरी आवाज़ सुन रही हो.
इस ऑपरेशन को यहां देख रहे लोगों को कोई आवाज़ सुनाई नहीं पड़ रही है. लेकिन अब ये साफ़ हो गया है वो जवाब दे रही है. लड़कियों का एक छोटा समूह चुपचाप इंतज़ार कर रहा है.
अचानक मुस्तफ़ा बोल पड़ते हैं '' आप कमाल हो! अब बिल्कुल शांत रहो और मेरे सवालों का जवाब दो. अरे वाह, वो रही मर्वी. मर्वी डियर. सिर्फ़ मेरी बातों का जवाब दो.''
24 साल की मर्वी और उनकी 19 साल की बहन इरम दक्षिणी तुर्की के अंतकाया में एक अपार्टमेंट के मलबे में दबे हुए थे. भूकंप ने इस अपार्टमेंट को बिल्कुल जमींदोज़ कर दिया है. भूकंप को आए सिर्फ़ दो दिन बीते हैं. लेकिन उन्हें ऐसा लग रहा है कि हफ्तों का वक्त बीत चुका है. ''
मुस्तफ़ा उन्हें हिम्मत देते हैं,'' नहीं बेटे,आज बुधवार है. तुम चौदह दिनों से यहां नहीं फंसे हो. मुझे सिर्फ़ पांच मिनट दो. तुम्हें मैं बाहर निकाल लूंगा.''
मुस्तफ़ा को पता है कि इस काम में घंटों लगेंगे. लेकिन हमसे उन्होंने कहा,''अगर मैं ऐसा न कहता तो वो उम्मीद खो देतीं. निराशा में उनकी मौत हो सकती है.''
मर्वी और इरम अब राहत में हैं. अब तो उन्होंने हंसी-मज़ाक भी शुरू कर दिया है. मैं मुस्तफ़ा के चेहरे पर मुस्कुराहट देख सकती थी.
बचावकर्मियों के हिसाब से लड़कियां उनसे दो मीटर की दूरी पर हैं. लेकिन राहत टीम के कमांडर कहते हैं कंक्रीट में सुरंग बनाने में बेहद सतर्कता की ज़रूरत होती है. ये काम बड़ा महीन है. एक गलत कदम भयावह साबित हो सकता है.
लड़कियों को निकालने के लिए चल रहे ऑपरेशन के दौरान एक बुलडोज़र लाया जाता है.यह कंक्रीट को थोड़ा ऊपर उठा कर कर थामे रखता है ताकि बिल्डिंग पूरी तरह ध्वस्त होकर ज़मीन पर न आ जाए. और फिर इस बीच खुदाई शुरू हो जाती है.
मुस्तफ़ा कहते हैं,''लड़कियों मैं अब तुम लोगों को तुरंत कंबल दूंगा.'' लेकिन दोनों बहनें बोल पड़ती हैं,''अरे नहीं, आप चिंता न करें. हमें ठंड नहीं लग रही है और न ही हम थके हुए हैं.''
मुस्तफ़ा कहते हैं कि मर्वी राहतकर्मियों के हालात को लेकर चिंतित हैं. रात के साढ़े आठ बज रहे हैं और मौसम बेहद ठंडा है. लोगों का कहना है कि ये सबसे ज़्यादा ठंडे इलाकों में से एक है.
बचावकर्मी पूरी ताकत से खुदाई शुरू कर देते हैं. वे कंक्रीट के बड़े-बड़े टुकड़े को अपने हाथों से उठा-उठा कर दूर फेंक रहे हैं.
लेकिन कुछ ही घंटों में हमारे पैरों के नीचे की ज़मीन हिलती मालूम होती है. ये एक बड़ा आफ्टरशॉक है. बचाव अभियान को रोकना ही पड़ेगा. हम तुरंत इस जगह को छोड़ देते हैं. ''
हसन कहते हैं,'' ये बड़ा ही क्रूर सच है''.लेकिन अपनी टीम की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है.''
लगभग आधे घंटे के बाद मुस्तफ़ा और तीन अन्य बचावकर्मी वापस लौटते हैं और खुदाई फिर शुरू हो जाती है.
मुस्तफ़ा चिल्ला कर कहते हैं,'' डरो मत. भरोसा रखो हम तुम लोगों को छोड़ कर नहीं जाएंगे. मैं तुम लोगों को बाहर निकालूंगा और फिर हम साथ लंच करेंगे.''
इस तरह चला ऑपरेशन
ज़मीन हिलने की वजह से बचावकर्मियों के यहां से चले जाने के बाद लड़कियों ने सोचा था कि उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया है.
रात के बारह बज रहे हैं. खुदाई फिर शुरू हो गई है. पिछले कुछ दिनों के दौरान बचावकर्मी शायद ही सोए होंगे. खुदाई चल रही है.
हम लोग अगली बिल्डिंग के सामने जलाई गई आग तापने के लिए इसके चारों ओर जमा हो गए हैं.
इस बीच थोड़ी-थोड़ी देर में एक आवाज़ गूंजती है- सेसिज़लिक. मतलब- साइलेंस. बत्ती बुझ जाती है. पूरा अंधेरा छा जाता है.
बचावकर्मियों ने कंक्रीट में एक छोटा छेद बना लिया है. वो ये देखना चाह रहे हैं मुस्तफ़ा के टॉर्च की रोशनी को लड़कियां देख पा रही हैं या नहीं.
हां… बिल्कुल ठीक! मैं एक छोटा कैमरा सरका रहा हूं. जैसे ही ये तुम्हें दिखाई पड़े तुम लोग बता देना. फिर मैं बताऊंगा कि तुम लोगों को क्या करना है. ''
अचानक सब लोगों में उत्साह भर जाता है. हसन अपनी टीम में शामिल हो जाते हैं ताकि नाइट विज़न कैमरे से जुड़ी स्क्रीन में इन लड़कियों को देख सकें.
'' तुम बड़ी सुंदर हो.'' ज़्यादा हिलो-डुलो मत. इरम कैमरे को थोड़ा खींच लो ताक हम मर्वी को ठीक से देख सकें.''
स्क्रीन पर हम देख रहे हैं कि इरम मुस्कुरा रही है. अच्छी बात ये है कि कंक्रीट से घिरे होने के बाद भी उन लोगों के लिए पर्याप्त जगह बची है.
अब हर किसी के चेहरे पर राहत के निशान दिख रहे हैं. लड़कियां अच्छी स्थिति में दिख रही हैं. कम से कम इरम के पास तो इतनी जगह है कि अगर छेद को बड़ा किया जाए तो वो खुद वहां से सरक कर निकल सकती हैं.
लेकिन अचानक ही ये टीम चिंतित दिखने लगी. मर्वी ने उनसे कहा था कि उसे ठंड लगने लगी है. उसके पैर पर कोई वज़नी चीज पड़ी हुई है.
बचाव दल में शामिल मेडिकलकर्मी चिंतित हो गए. उन लोगों ने सोचा,क्या मर्वी के पैरों में गैंगरीन हो गया है? या ये हाइपोथर्मिया के शुरुआती लक्षण हैं?
मलबे से कैसे निकाली गईं दोनों बहनें
अब सुबह के पांच बज चुके हैं. सुरंग अब इतनी चौड़ी हो गई है कि टीम के सबसे छरहरा शख्स इससे सरक कर वहां तक पहुंच सकता है. अगले कुछ लम्हों में बचाव दल का ये सदस्य इरम तक पहुंचने में सफल हो गया. फिर थोड़ी ही देर में उसका हाथ इरम को छूने लगा.
शरीर ने कहा, '' मेरी मां का शव मेरे सामने पड़ा है. उससे बदबू आ रही है. हम ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं. ये लड़कियां अपनी मां की लाश के पास कई दिनों से पड़ी हुई थीं.
ये झकझोर देने वाला वाकया था. क्या ऐसा भी वक्त आ सकता है जब आप अपनी मां से दूर होना चाहेंगे.
हसन ने वहां शांत, तनाव से घिरी और चुपचाप खड़ी उन लड़कियों की सहेलियों से कहा कि वे उनकी तस्वीरें शेयर करें. ताकि बचावकर्मी उनकी काया देख कर यह अंदाज़ा लगा सकें कि उन्हें निकालने के लिए सुरंग कितनी चौड़ी की जाए.
तस्वीर दिखाई गई. ये किसी शादी समारोह की तस्वीर थी. दोनों लड़कियां पार्टी ड्रेस पहन कर मुस्करा रही थीं.
हसन बोले, '' बिल्कुल सही. अब हम उन्हें बाहर निकाल सकते हैं''. मेडिकल टीम थर्मल कंबल और स्ट्रेचर के साथ तैयार थी. हर कोई रोमांचित दिख रहा था.
सुबह के साढ़े छह बजे गए थे. बचावकर्मी अपने अभियान के आख़िरी चरण में थे.पहले इरम को निकाला गया. वो हंस रही थीं लेकिन लेकिन वक्त उन्हें रोना भी आ रहा था.
'' अल्लाह आपका भला करे. प्लीज़ मर्वी को भी निकाल लाइए, प्लीज. इरम बचावकर्मियों से मिन्नत करने में लगी थीं. हसन कहते हैं,''मर्वी को भी निकाल लाएंगे. चिंता मत करो. मैं वादा करता हूं.''.
लेकिन मर्वी को निकालने में बचावकर्मियों को और आधा घंटा लग गया.
कंक्रीट से दबे उनके पांव इस तरह खींच कर निकाला, जिससे उन्हें कोई चोट न पहुंचे.
आखिरी कॉल
मर्वी को बाहर निकालते हुए वहां खुशी की लहर दौड़ पड़ी. लोग तालियां बजा-बजा कर खुशियां मना रहे थे. मैंने सुना मर्वी दर्द से कराह रही थी लेकिन ये भी पूछे जा रही थी, क्या मैं ज़िंदा हूं.?
मुस्तफ़ा ने मुस्कुराते हुए कहा, हां डियर. बिल्कुल. बिल्डिंग के चारों ओर रात भरे खड़े उन लड़कियों के दोस्त खुशी से चिल्ला रहे थे.'' उनकी आंखों में आंसू थे.
मर्वी! इरम! हम सब यहां हैं. डरो मत. बाहर निकाले जाते ही दोनों बहनों को तुरंत एंबुलेंस में डाल कर फ़ील्ड अस्पताल ले जाया गया.
लेकिन खुशियों के इन लम्हों के बाद चुप्पी छा जाती है. फिर एक आवाज़ गूंजती है. एक बचावकर्मी सबसे चुप रहने को कहता है. ये आखिरी कॉल है.
वो कहता है, ''अगर किसी को मेरी आवाज़ सुनाई पड़ रही है तो जवाब दे. अगर आप जवाब नहीं दे सकते तो सतह को छूने की कोशिश करें.''
फिर हसन ने ये बात दोहराई. उन्हें गिरी हुई बिल्डिंग के अलग-अलग कोणों से ज़ोर-ज़ोर से ये बात दोहराई.
इसके बाद जब कोई और आवाज़ नहीं आई तो कंक्रीट से लाल रंग के स्प्रे से वहां चिन्ह बना दिया गया. वहां एक कोड डाल दिया गया ताकि कोई दूसरी बचाव टीम फिर इस बिल्डिंग में तलाशी अभियान न चलाए.
हसन कहते हैं, ''लोगों को बचाना एक खूबसूरत अहसास है. हमारी दुआ है किसी की मौत न हो. ये कहते हुए उनके चेहरे पर उदासी साफ़ दिखती है. ''
मैंने पूछा,'' क्या आप मर्वी और इरम के साथ लंच करेंगे. वो मुस्कुराते हैं. उम्मीद है एक दिन हम ऐसा कर पाएंगे. लेकिन सबसे अहम चीज तो ये है कि वे ज़िंदा हैं. और अच्छे लोगों की निगरानी में हैं. (bbc.com/hindi)
रूस में एक यूनिवर्सिटी स्टूडेंट को 10 साल तक की सज़ा हो सकती है.
वजह, यूक्रेन युद्ध के दौरान इंस्टाग्राम पर पोस्ट की एक स्टोरी.
ओलेस्या क्रिवटसोवा बीते कुछ दिनों से यूनिवर्सिटी नहीं जा पा रही हैं. वो घर में नज़रबंद हैं.
20 साल की ओलेस्या के पैरों में इलैक्ट्रॉनिक टैग लगा है और पुलिस के पास उनकी पल-पल की जानकारी है.
ओलेस्या का कथित अपराध ये है कि उन्होंने यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच जंग के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पोस्ट की. इनमें से ये पोस्ट क्राइमिया के पुल उड़ाने से संबंधित थी.
ओलेस्या ने कहा- मैंने पुल से जुड़ी स्टोरी इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी कि यूक्रेन के लोग इससे किस क़दर नाख़ुश थे. मैंने अपने दोस्त की जंग से जुड़ी पोस्ट भी शेयर की थी.
ओलेस्या कहती हैं, ''इन पोस्ट के बाद एक दिन मैं अपनी मां से फ़ोन पर बात कर रही थी. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. दरवाज़ा खुला तो पुलिस आई. मेरा फ़ोन छीना और मुझे ज़मीन पर लिटा दिया.''
ओलेस्या पर आतंकवाद को सही ठहराने और रूसी सेना के योगदान को नकारने जैसे आरोप लगाए गए हैं.
इन आरोपों के चलते ओलेस्या को 10 साल की क़ैद हो सकती है.
ओलेस्या को सिर्फ़ कोर्ट आने और घर जाने की इजाज़त है. (bbc.com/hindi)