अंतरराष्ट्रीय
चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका ने पिछले एक साल में 10 से ज़्यादा बार उनके हवाई क्षेत्र में गुब्बारे उड़ाए हैं.
चीन का यह बयान 4 फरवरी को अमेरिका द्वारा अपने हवाई क्षेत्र के ऊपर एक संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद आया है.
इसे चीन ने एक नागरिक गुब्बारा बताया था.
इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए हैं.
अमेरिका का कहना है कि हाल के दिनों में उसने कई अन्य अज्ञात वस्तुओं को भी मार गिराया है.
सोमवार को पूछे गए सवाल पर बीजिंग ने कहा कि अमेरिका ने कई बार हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "अमेरिका के लिए अन्य देशों के हवाई क्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करना असामान्य नहीं है."
"पिछले एक साल में ही चीनी अधिकारियों से किसी भी अनुमोदन के बिना अमेरिकी गुब्बारे अवैध रूप से चीन के ऊपर 10 से अधिक बार उड़ाए गए हैं."
प्रवक्ता ने कहा, " अमेरिकी पक्ष को चीन को बदनाम करने और आरोप लगाने के बजाय थोड़ा आत्म-चिंतन करना चाहिए." (bbc.com/hindi)
-एलिस कडी
तुर्की और सीरिया में आए भयंकर और विनाशकारी भूकंप को एक सप्ताह हो चुका है. इन भूकंपों में हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है. लेकिन चौतरफ़ा मायूसी और दर्द के बीच कुछ करिश्में लोगों में आस बंधा रहे हैं.
जब नेकला चामुज़ ने 27 जनवरी को अपने दूसरे बेटे को जन्म दिया, उसने उसे नाम दिया - यागिज़. यागिज़ का अर्थ है - बहादुर.
दस दिन बाद सुबह 04:17 बजे नेकला, तुर्की के दक्षिण प्रांत हटाय में, अपने बेटे को दूध पिलाने के लिए उठीं. पल भर बाद वो लोग एक मलबे के ढेर के नीचे दब चुके थे.
नेकला और उनका परिवार समनदाग शहर में एक पांच-मंज़िला इमारत की दूसरी मंज़िल पर रहते थे.
नेकला कहती हैं ये एक अच्छी बिल्डिंग थी और वो लोग वहां सुरक्षित महसूस करते थे.
उसे क्या ख़बर कि उस सुबह एक भूकंप सारे इलाके को झकझोर कर रख देगा. इलाक़े के हर गली-कूचे में धराशायी इमारतें हैं. हर तरफ़ तबाही का आलम है.
नेकला कहती हैं, "जब भूकंप शुरू हुआ तो मैंने अपने पति की ओर जाना चाहा तो वे दूसरे कमरे में थे और वो मेरे कमरे की ओर आने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब वो मेरे दूसरे बेटे के साथ मेरे कमरे की ओर आ रहे थे, उनपर कपड़ों से भरी एक अलमारी गिर गई."
"जैसे-जैसे भूकंप तेज होता गया, दीवारें गिरनी शुरू हो गईं. कमरे बेतहाशा हिलने लगे. इमारत झूले की तरह आगे-पीछे हो रही थी. मुझे तो ख़बर ही नहीं कि मैं कब एक मंज़िल नीचे पहुँच चुकी थी. मैंने अपने पति और बेटे को आवाज़ें लगाईं लेकिन कोई जवाब नहीं आया,"
33 साल की नेकला अपने नन्हें बच्चे को छाती से लगाकर मलबे में बैठी रहीं. मां-बेटे के बगल में एक अलमारी गिर गई थी जिसने गिर रहे मलबे से उनकी रक्षा की.
ये दोनों क़रीब चार दिन तक इसी तरह मलबे में दबे रहे.
मलबे के नीचे से नेकला को घुप अंधेरे के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था, लेकिन वो हर पल यही अंदाज़ा लगाने में लगी रहीं कि बाहर क्या हो रहा है.
उन्हें ये अहसास भी नहीं था कि उनका बेटा याग़िज़ जीवित भी है कि नहीं.
धूल की वजह से शुरुआत में उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत थी लेकिन धीरे-धीरे ग़ुबार बैठ गया. मलबे में फंसे होने के कारण उन्हें ठंड भी कम लग रही थी.
नेकला को ऐसा लग रहा था कि वे बच्चों के खिलौनों के ऊपर पड़ी हुई हैं लेकिन उनके लिए ये चेक करना नामुमकिन था.
वे न तो इंच भर हिल पा रहीं थीं और न ही ख़ुद के लिए आरामदायक जगह बना पा रहीं थीं.
वो अलमारी जो उनकी ढाल बनी हुई थी और अपने बेटे के छाती पर होने के नर्म अहसास के अलावा नेकला को अपने चारों और सिर्फ़ कंक्रीट और मलबा दिख रहा था.
पास ही उन्हें कुछ आवाज़ें भी सुनाई दे रहीं थीं. उन्होंने ज़ोर-ज़ोर से चीख कर मदद मांगनी चाही. अलमारी को पीट-पीटकर आवाज़ें निकालीं.
नेकला कह रही थीं, "कोई है…कोई है…कोई मुझे सुन पा रहा है?"
जब कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने पास पड़े कंक्रीट के कुछ छोटे टुकड़े उठाए और उनसे अलमारी को पीटना शुरू कर दिया.
उन्हें डर था कि अगर अपने ऊपर पड़े मलबे पर चोट मारी तो वो उन पर गिर सकता है.
लेकिन कोई जवाब नहीं आया. नेकला को अहसास हो गया था कि कहीं से कोई मदद नहीं आने वाली. वो पूरी तरह आतंकित हो चुकी थीं.
मलबे के नीचे ज़िंदगी
मलबे के नीचे नेकला को समय का अहसास बिल्कुल नहीं हो रहा था.
उनके दिमाग़ में चल रहा था कि ज़िंदगी ऐसी तो बिल्कुल नहीं होती है.
नेकला बताती हैं, "जब आप के घर नन्हा बच्चा आता है तो आपको लाख़ों ख़्वाब होते हैं…और तभी अचानक पता चलता है कि आप उस नन्हीं जान के साथ मलबे के नीचे हैं.
लेकिन मां तो मां होती है.
ज़िंदगी और मौत के बीच झूजते हुए भी नेकला ने अपने बच्चे को दूध पिलाना जारी रखा. उतनी तंग जगह में ये करना बिल्कुल आसान नहीं था.
लेकिन ख़ुद पेट भरने या प्यास बुझाने के लिए नेकला के पास कोई साधन नहीं था. उन्होंने ख़ुद का पेट भरने के लिए, अपना ही दूध पीने की भी कोशिश की.
उन्हें अपने ऊपर ड्रिलिंग की आवाज़ें आनी शुरू हो गई थीं. लोगों के क़दमों की आवाज़ें भी आ रही थीं. लेकिन ये सब बहुत दूर से सुनाई दे रहा था.
नेकला ने तय किया कि वे अपनी ऊर्जा बचाए रखने की कोशिश करेंगी. उन्होंने हिलना-ढुलना बंद कर दिया.
उनके ख़्यालों में हर पल अपना परिवार था. उनका बहादुर नवजात पुत्र यागिज़, उनकी छाती पर था लेकिन दूसरा बेटा और पति पता नहीं किस हाल में थे.
उन्हें अपने अन्य रिश्तेदारों का भी ख़्याल आ रहा था. पता नहीं उनका इस भूकंप में क्या हुआ होगा.
नेकला को लगा कि वे इस मलबे के ढेर के नीचे से ज़िंदा नहीं बच पाएंगी, लेकिन उन्हें यागिज़ की मौजूदगी ने उम्मीद बंधाई.
यागिज़ अधिकतर समय सोता रहता था और जब भी उठता तो रोना शुरू कर देता. जैसे ही वो रोना शुरू करता नेकला उसे दूध पिलाकर शांत करने की कोशिश करतीं.
90 घंटे मलबे के नीचे रहने के बाद, नेकला को बाहर कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आई. पहले तो उन्हें लगा कि वे कोई सपना देख रही हैं.
लेकिन कुत्तों के बाद इंसानी आवाज़ें भी आनी शुरू हो गईं.
मलबे के बाहर से एक आवाज़ आई, "क्या आप ठीक हैं? अगर आप ठीक हैं तो आवाज़ करें. आप कौन सी अपार्टमेंट में रहती थीं?"
नब्बे घंटे बाद नेकला को रेस्क्यू करने वालों ने खोज लिया था. बचावकर्मियों ने बहुत ही सलीके से नेकला के पास खोदना शुरू किया.
और फिर अचानक उनकी आँखें टॉर्च की रोशनी से चौंधिया गईं.
जब इस्तांबुल से आई रेस्क्यू टीम ने नेकला से पूछा कि बच्चे की उम्र क्या है, तो वे कुछ भी बोल नहीं पा रही थीं. उन्हें मालूम नहीं था कि वे कब से मलबे के नीचे हैं.
उन्हें तो बस ये पता था कि जिस दिन भूकंप आया था वो दस दिन का था.
यागिज़ को बचावकर्मियों के हवाले कर नेकला को एक स्ट्रेचर पर रख दिया गया. एक बहुत बड़ी भीड़ के सामने से उन्हें एंबुलेंस में ले जाया गया. वो किसी चेहरे को नहीं पहचान पा रहीं थीं.
नेकला ये भी जानने का प्रयास कर रही थीं कि उनके दूसरे बेटे का क्या हुआ.
वहां उन्हें पता चला कि उनके पति और बड़े बेटे को मलबे से ज़िंदा निकाला जा चुका है. लेकिन उन्हें अदाना के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
अब नेकला के पास घर नहीं है लेकिन परिवार वाले उन्हें एक नीले टेंट में ले गए हैं. वहां उनके परिवार के 13 सदस्य हैं.
टेंट में परिवार एक दूसरे को दिलासा देता रहता है. एक छोटे से स्टोव पर कॉफ़ी बनाई जाती है, क़िस्से कहानियां सुनाई जाती हैं और शतरंज की बाज़ियां खेली जाती हैं.
नेकला अब भी हालात को समझने की कोशिश कर रही हैं. उन्हें लगता है कि नन्हें यागिज़ ने ही उनकी जान बचाई है.
नेकला कहती हैं, "मुझे लगता है कि मेरा बेबी अगर ये सब सहन करने के काबिल न होता तो मेरी हिम्मत भी टूट जाती."
बस अब उनकी यही इच्छा है कि उनके बेटे को कभी दोबारा ऐसे मंज़र से दो-चार न होना पड़े.
नेकला ने कहा, "मैं ख़ुश हूं कि वो एक नवजात शिशु है और उसे कुछ याद नहीं रहेगा."
तभी नेकला को वीडियो कॉल आया.
दूसरी तरफ़ उसके पति इरफ़ान और बड़ा बेटा करीम थे.
इरफ़ान कह रहे थे - हैलो, मेरा योद्धा बेटा कैसा है."
नेकला के चेहरे पर मुस्कान थी. (bbc.com/hindi)
-गरेथ इवांस
वाशिंगटन, 13 फरवरी । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते रविवार की दोपहर कनाडा की सीमा के नजदीक ह्यूरॉन झील के पास एक फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट को गिराने का आदेश दिया था. इसके बाद अमेरिकी वायुसेना ने इसे गिरा दिया.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने इस चीज़ को गिराने पर कहा है कि ये ऑब्जेक्ट व्यावसायिक उड़ानों के लिए मुसीबत पैदा कर सकता था क्योंकि यह बीस हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था.
इस बयान में ये भी सामने आया है कि इस ऑब्जेक्ट को सबसे पहले मोंटाना में सैन्य ठिकानों के ऊपर उड़ते हुए देखा गया था.
इस महीने में ये चौथा मौका है जब अमेरिकी वायु सेना ने आसमान में उड़ने वाली किसी अनजान चीज़ पर हमला करके उसे गिराया हो.
दिखने में कैसी थी ये 'उड़ने वाली चीज़'
सैन्य अधिकारियों के मुताबिक़, ये एक अष्टकोणीय मानवरहित ऑब्जेक्ट था और इसे सैन्य ख़तरे के रूप में नहीं देखा गया.
अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय से आदेश आने के बाद वायुसेना के एफ़-16 फ़ाइटर जेट ने स्थानीय समयानुसार 2 बजकर 42 मिनट पर मिसाइल के ज़रिए इस ऑब्जेक्ट को आसमान से गिरा दिया.
इस घटना ने उत्तरी अमेरिका के आसमान में अनजान फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट्स नज़र आने और उन पर अमेरिकी वायु सेना के हमलों की संख्या बढ़ने को लेकर नए सवाल खड़े किए हैं.
बीती चार फ़रवरी को अमेरिकी महाद्वीप के आसमान में कई दिनों तक विचरने के बाद संदिग्ध चीनी जासूसी ग़ुब्बारे को अमेरिकी प्रांत दक्षिणी कैरोलाइना के तटीय क्षेत्र में गिरा दिया गया था.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया था कि ये एक चीनी ग़ुब्बारा था जिसे संवेदनशील ठिकानों पर नज़र रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, चीन ने इस ग़ुब्बारे के जासूसी उपकरण होने की बात का खंडन किया है.
चीन का कहना था कि ये मौसम पर नज़र रखने वाली डिवाइस थी जो रास्ते से भटक गयी थी.
इस ग़ुब्बारे के दिखने और उस पर अमेरिकी प्रतिक्रिया को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता देखा गया था.
चीन से बढ़ा तनाव
बीते रविवार रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि पहला अनजान फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट दिखने पर चीन की ओर से कई दिनों तक जवाब नहीं आने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से बात की थी.
इस बातचीत में क्या चर्चा हुई, इसे लेकर अब तक स्पष्टता नहीं है.
इस घटना के बाद से अमेरिकी वायु सेना के विमान तीन अनजान फ़्लाइंग ऑब्जेक्ट्स को गिरा चुके हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को अलास्का के आसमान में उड़ रहे ऑब्जेक्ट को मार गिराने का आदेश दिया था.
इसके बाद शनिवार को कनाडा से लगती सीमा के पास आसमान में उड़ती हुई एक चीज़ दिखाई दी और अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के आदेश पर इसे भी गिरा दिया गया.
अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक सार्वजनिक रूप से इन चीज़ों के स्रोत और उद्देश्य को लेकर जानकारी नहीं दी है.
अमेरिका और कनाडा, आसमान में मार गिराई गई इन चीज़ों के अवशेष तलाशने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन अलास्का में तापमान कम होने की वजह से अवशेषों को तलाशने में समय लग रहा है.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता ने बताया, "ये चीज़ें एक-दूसरे जैसी नहीं थीं और चार फ़रवरी को दिखे ग़ुब्बारे से काफ़ी छोटी थीं. इन चीज़ों के अवशेष मिलने तक हम इनके बारे में कुछ भी नहीं बता सकते."
'परग्रह जीवन की संभावना से इनकार नहीं'
रविवार को अमेरिकी वायुसेना के जनरल ग्लेन वेनहर्क ने मीडिया को बताया कि वे किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं.
अमेरिकी पत्रकारों ने जनरल वेनहर्क से सवाल किया था कि क्या इसका संबंध दूसरे ग्रह के जीवन से हो सकता है.
इस पर ग्लेन वेनहर्क ने कहा, "मैं इंटेलिजेंस कम्युनिटी और काउंटर इंटेलिजेंस कम्युनिटी को इसका पता लगाने दूंगा. मैं अब तक किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहा हूं."
अमेरिकी सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने एबीसी न्यूज़ को बताया है कि हाल में जिन ऑब्जेक्ट्स को मार गिराया गया है, उनके मौसम पर नज़र रखने वाले ग़ुब्बारे होने की संभावना है.
इस अधिकारी ने इन चीज़ों के सर्विलांस डिवाइस होने की संभावनाओं से इनकार किया है.
लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सांसद ने बताया है कि ख़ुफ़िया अधिकारी इन्हें ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने वाली डिवाइसों के रूप में देख रहे हैं.
सीनेट मेजॉरिटी लीडर चक शूमर ने कहा है, 'उन्हें लगता है कि वे ग़ुब्बारे थे.'
'लेकिन अहम बात ये है कि कुछ महीनों पहले तक हमें इन ग़ुब्बारों के बारे में कुछ भी नहीं पता था.'
अमेरिकी राजनीति में खलबली
अमेरिकी संसद में मिशिगन का प्रतिनिधित्व करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता डेबी डिंगेल ने सेना की तारीफ़ करते हुए उन आवाज़ों को मज़बूती दी है जो रक्षा विभाग से इस बारे में अधिक जानकारी देने की मांग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हमें तथ्यों की जानकारी चाहिए. हमें ये जानना है कि ये कहां से आ रहे हैं, इनका मक़सद क्या है और इनकी संख्या क्यों बढ़ रही है."
अमेरिकी प्रांत मोंटाना का प्रतिनिधित्व करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर जॉन टेस्टर ने बीबीसी के अमेरिकी पार्टनर सीबीएस को बताया है, "पिछले दो हफ़्ते में जो कुछ सामने आया है, वो अजीबोग़रीब है, और सेना को सिर्फ़ ये पता लगाने की योजना नहीं बनानी चाहिए कि बाहर क्या कुछ है, बल्कि उसके ख़तरों का अंदेशा लगाना भी ज़रूरी है."
रिपब्लिकन पार्टी की ओर से लगातार इस मामले में बाइडन प्रशासन की आलोचना की जा रही है.
रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का मानना है कि पहले संदिग्ध ख़ुफ़िया ग़ुब्बारे के बारे में पता चलने के बाद जिस तरह से प्रतिक्रिया दी गयी, वह उचित नहीं थी. उनका मानना है कि इस ग़ुब्बारे को गिराने में देरी की गयी.
इसी बीच ब्रितानी रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने कहा है कि अमेरिका और कनाडा में ये घटनाएं सामने आने के बाद ब्रिटेन अपनी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेगा.
उन्होंने कहा, "इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि दुनिया भर में स्थितियां किस तरह बिगड़ रही हैं."(bbc.com/hindi)
फ़िलीपींस , 13 फरवरी । फ़िलीपींस ने चीन पर दक्षिण चीन सागर में अपनी नाव पर सैन्य स्तर की लेज़र लाइट से हमला करने के आरोप लगाए हैं.
फ़िलीपींस का कहना है कि उसकी नाव विवादित दक्षिण चीन सागर में आपूर्ति करने जा रही थी जब उसे भटकाने के लिए चीन ने उस पर लेज़र लाइट चला दी.
लेज़र लाइट की वजह से फ़िलीपींस के तटरक्षकों की इस नाव के कर्मचारी अस्थायी रूप से अंधे हो गए थे. इस वजह से नाव को वापस लौटना पड़ा.
ये नाव दक्षिण चीन सागर में सेंकड थॉमस शॉल (समंदर में उभरा रेतीला टीला) पर डूबे हुए फ़िलीपींस के नौसैनिक पोत पर आपूर्ति करने जा रही थी. फ़िलीपींस इस पोत की मौजूदगी के ज़रिए इस जगह पर अपना दावा ठोकता रहा है.
चीन इससे पहले दक्षिण चीन सागर के अधिकतर हिस्से पर अपना दावा ठोकने के लिए पानी की बौछारों और सायरनों का इस्तेमाल करता रहा है.
ये घटना 6 जनवरी की है लेकिन इसके बारे में जानकारी सोमवार को ही सार्वजनिक की गई है. फ़िलीपींस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ये समंदर में फ़िलीपींस के संप्रभु अधिकारों का खुला उल्लंघन है.
फ़िलीपींस का आरोप है कि चीन के जहाज़ ने लेजर लाइट के इस्तेमाल के अलावा फ़िलीपींस के जहाज़ के दाहिनी तरफ़ क़रीब आने की कोशिश भी की और वो सिर्फ़ 137 मीटर दूर था.
चीन ने फ़िलीपींस के इन आरोपों पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
2016 में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है. (bbc.com/hindi)
इसराइल, 13 फरवरी । इसराइल की सरकार ने वेस्ट बैंक की नौ यहूदी बस्तियों को मान्यता दे दी है. पहले ये बस्तियां अनाधिकृत थीं.
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की नई सरकार का ये पहला अहम कदम बताया जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसी सभी बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अवैध मानता है.
हालांकि, इसराइल इस पर असहमति दर्ज कराता आया है.
फ़लस्तीन क्षेत्र के लोग इसराइल के साथ शांति वार्ता में इन बस्तियों को बड़ा रोड़ा मानती है.
फ़लस्तीन क्षेत्र के लोगों की मांग है कि वेस्ट बैंक और ईस्ट येरूशलम से ऐसी बस्तियों को हटाया जाए.
1967 के बाद से इसराइल ने वेस्ट बैंक और ईस्ट येरूशलम में ऐसी 140 बस्तियां बसाई हैं, जिनमें लगभग छह लाख यहूदी रहते हैं. (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 13 फरवरी । पाकिस्तानी मूल के ब्रितानी अभिनेता ज़िया मोहियुद्दीन नहीं रहे.
सोमवार सुबह 92 साल की उम्र में ज़िया मोहियुद्दीन ने आख़िरी सांस ली.
नेशनल एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के सीईओ जुनैद ज़ुबेरी ने ज़िया मोहियुद्दीन के निधन की जानकारी दी.
पत्रकार अज़हर अब्बास ने बीबीसी को बताया, ''ज़िया मोहियुद्दीन लंबे वक़्त से बीमार थे और सोमवार सुबह छह बजे उनका निधन हो गया. ज़िया मोहियुद्दीन को कराची में दफ़नाया जाएगा.''
ज़िया मोहियुद्दीन को इंग्लिश और उर्दू शब्दों के सही उच्चारण पर ज़ोर देने के लिए भी याद किया जाएगा.
ज़िया मोहियुद्दीन का 20 जून 1931 को पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद में जन्म हुआ था.
उन्होंने लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रैमेटिक आर्ट से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली थी.
ज़िया मोहियुद्दीन उन चंद पाकिस्तानियों में शामिल हैं, जिन्होंने मुल्क़ से बाहर जाकर थियेटर और फ़िल्मों में काम किया था.
वो लगभग 67 सालों तक थियेटर और फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहे.
हाल के सालों में ज़िया मोहियुद्दीन के कुछ वीडियो यू-ट्यूब पर नज़र आते रहे हैं. इन वीडियोज़ में वो कहीं उच्चारण तो कहीं मशहूर नाटकों या संवादों को पेश करते दिखे थे. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी विमानों ने आसमान में उड़ती एक और अनजान चीज को मार गिराया है. हाल के दिनों में यह चौथी बार है जब अमेरिका ने इस तरह का ऑपरेशन किया है. कहां से आ रही हैं ये चीजें?
अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने रविवार को कनाडा की सीमा के पास ह्यूरोन झील के ऊपर एक अनजान चीज को मार गिराया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर इस अभियान को अंजाम दिया गया. उनके रक्षा मंत्रालय ने कहा यह अन्य उड़ानों के लिए खतरा हो सकता था.
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "हमने इसे जमीन पर किसी तरह के सैन्य खतरे के रूप में नहीं देखा लेकिन अन्य विमानों के लिए यह खतरनाक हो सकता था और किसी तरह की जासूसी की भी संभावना थी."
चीनी गुब्बारे से छोटा
यह एक अष्टकोणीय चीज थी. इस पर किसी तरह का पेलोड या सामग्री नहीं थी. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि सावधानी के तहत इसे गिराया गया है. अलास्का और कनाडा के आसमानों में इस तरह अनजान चीजों को गिराये जाने की यह तीसरी घटना है. इससे पहले पिछले हफ्ते अमेरिका ने कैलिफॉर्निया के पास एक चीनी गुब्बारे को गिराया था, जिसे चीन अपना भटका हुआ वेदर-बलून बता रहा था.
चीन के गुब्बारे को गिराये जाने की घटना के बाद इन अज्ञात चीजों के आने की बारंबारता में तेजी से वृद्धि हुई है. गुब्बारे की घटना ने चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ा दिया है. यह गुब्बारा अमेरिका के आसमान में जनवरी के आखरी हफ्ते में दिखाई देना शुरू हुआ था. कई दिनों तक के इंतजार के बाद पिछले हफ्ते इसे गिराया गया.
अमेरिका का आरोप है कि चीन इस गुब्बारे के जरिए उसकी जासूसी कर रहा है. उसने तो यहां तक कहा कि चीन ने 40 से ज्यादा देशों की जासूसी की है. चीन इसे मिथ्या आरोप बताता है. उसका कहना है कि यह एक वेदर-बलून था जो भटक कर अमेरिका के वायु क्षेत्र में पहुंच गया.
क्या हैं ये चीजें?
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये अज्ञात चीजें क्या हैं और कहां से आ रही हैं. इस बारे में सवाल भी पूछे जा रहे हैं. मिशिगन की सांसद डेबी डिंगल ने कहा, "हमें इस बारे में तथ्य चाहिए कि ये चीजें कहां से आ रही हैं और इनकी बारंबारता इतनी क्यों बढ़ रही है."
शनिवार को अमेरिकी विमानों ने कनाडा सीमा पर युकोन झील के नजदीक एक अज्ञात चीज को गिराया था. उसके एक ही दिन पहले अलास्का में डेडहॉर्स नामक जगह पर भी ऐसी ही घटना हुई थी.
"जासूसी गुब्बारे" को अमेरिका ने किया पंचर, नाराज चीन ने दी चेतावनी
एक अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा, "चे चीजें एक चीनी गुब्बारे जैसी नहीं थीं और बहुत छोटी थीं. हम तब तक इनके बारे में कुछ नहीं कह सकते जब तक इनके मलबे को बरामद नहीं कर लिया जाता, जिस पर हम काम कर रहे हैं."
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि इन अज्ञात चीजों में से एक ने कनाडा के वायु क्षेत्र का उल्लंघन कया. एक ट्वीट में शनिवार को उन्होंने कहा कि उनकी सेना इनके मलबे की तलाश कर रही है और तब विश्लेषण किया जाएगा.
रविवार को सेनेट के मेजोरिटी लीडर चक शूमर ने समाचार चैनल एबीसी को बताया कि गिराई गईं चीजें छोटे गु्ब्बारे थे लेकिन इनका आकार चीनी गुब्बारों से छोटा था. शूमर ने कहा कि दो चीजें तो 40 हजार फुट से भी कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे. चीनी गुब्बारे 60 हजार फुट की ऊंचाई पर था.
वीके/एए (एपी, डीपीए, रॉयटर्स)
न्यूज़ीलैंड के कई इलाकों में चक्रवाती तूफ़ान गैब्रिएल का असर दिखना शुरू हो गया है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़, इस तूफ़ान की वजह से 58 हज़ार से ज़्यादा घरों की बिजली चली गई है.
अधिकारियों ने तेज़ हवाओं और बारिश की चेतावनी दी है. इस तूफ़ान को ध्यान में रखते हुए सैकड़ों उड़ानों को भी रद्द कर दिया गया है.
कुछ इलाक़ों में आपातकाल लगाने का एलान कर दिया गया है.
तूफ़ान न्यूज़ीलैंड के नॉर्थ आइलैंड के क़रीब पहुंच गया है. ये तूफ़ान ऐसे वक़्त में आ रहा है, जब कुछ दिन पहले ऑकलैंड और आस-पास के इलाक़ों में तेज़ बारिश और बाढ़ आई थी और चार लोगों की मौत हो गई थी.
न्यूज़ीलैंड की सरकार पूरे देश में इमरजेंसी लगाए जाने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा हुआ तो ये तीसरी बार होगा, जब न्यूज़ीलैंड में इमरजेंसी लगाई जाएगी.
ये तूफ़ान फिलहाल भू-भाग से टकराया नहीं है लेकिन इसने तबाही मचानी शुरू कर दी है.
इसके चलते कई पेड़ उखड़ गए हैं, सड़कें टूट गई हैं और बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है.
तूफ़ान को ध्यान में रखते हुए स्कूल और स्थानीय सरकारी कार्यालय बंद कर दिए गए हैं.
माना जा रहा है कि मंगलवार तक हालात सामान्य होने की दिशा में बढ़ेंगे. (bbc.com/hindi)
तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 33 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
भूकंप प्रभावित इन दोनों देशों की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. इन देशों में भारत, जर्मनी, ग्रीस, ईरान, इराक, इसराइल, मलेशिया, क़तर और चीन जैसे देश शामिल हैं.
भारत उन शुरुआती देशों में शामिल रहा है जिसने तुर्की की मदद के लिए राहत सामग्री भेजी थी.
भारत के इस क़दम की तुर्की के राजदूत ने तारीफ़ भी की थी. मगर मदद करते देशों में से एक चीन ने अब अपने क़दम रोके हैं.
चीन ने भूकंप प्रभावित सीरिया में राहत सामग्री की दूसरी खेप रवाना कर दी है. लेकिन अपने बचाव दल के कर्मियों के दौरे रद्द कर दिए हैं.
चीन का कहना है कि ये क़दम रेस्क्यू ऑपरेशन पर बोझ कम करने और ख़राब मौसम को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है.
द चाइना एसोसिएशन फ़ॉर डिज़ास्टर प्रिवेंशन ने चीनी बचाव दलों से तुर्की और सीरिया के दौरे रद्द करने को कहा है ताकि भूकंप की मार झेल रहे इलाकों में बोझ ना बढ़े और ख़राब मौसम के जोख़िम से बचा जा सके.
चीनी मीडिया सीसीटीवी के मुताबिक़, चीन की रेड क्रॉस सोसाइटी ने सीरिया को कॉटन टेंट, फ़ैमिली किट, जैकेट और रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ों समेत मेडिकल उपकरण मुहैया करवाए हैं.
चीन ने तुर्की और सीरिया की वित्तीय मदद भी की है और सरकार के 82 सदस्यों को भी इन दोनों देशों में भेजा था. (bbc.com/hindi)
बांग्लादेश में सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग ने रविवार को पूर्व न्यायाधीश, और इस्लामी बैंक बांग्लादेश लिमिटेड के उपाध्यक्ष मोहम्मद शाहाबुद्दीन को देश का अगला राष्ट्रपति नामित किया है.
निर्वाचित होने पर मोहम्मद शाहाबुद्दीन बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति होंगे. वर्तमान में राष्ट्रपति अब्दुल हमीद का कार्यकाल 23 अप्रैल को समाप्त हो रहा है.
रविवार को अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त के कार्यालय पहुंचकर उनका नामांकन पत्र जमा किया.
राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन 14 फरवरी तक वापस लिए जा सकते हैं.
नामांकन के बाद 19 फरवरी को संसद में मतदान होगा. चूंकि अवामी लीग के पास फिलहाल संसद में पूर्ण बहुमत है, इसलिए पार्टी के उम्मीदवार के अगले राष्ट्रपति बनने के प्रबल संभावना है.
निर्वाचित होने के बाद वे अगले पांच साल तक राष्ट्रपति का पद संभालेंगे. (bbc.com/hindi)
जापान, 12 फरवरी । जापान ने अपने जलक्षेत्र में एक चीनी नौसैनिक जहाज़ के प्रवेश करने पर चीन के सामने अपना कूटनीतिक विरोध जताया है.
इससे पहले, जापान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीनी नौसेना का एक सर्वे करने वाला जहाज़ रविवार की सुबह याकूशिमा द्वीप के दक्षिण से गुजरा.
पिछले एक साल से भी कम समय में किसी चीनी जहाज़ ने सातवीं बार जापान के जलक्षेत्र में प्रवेश किया.
ज़्यादातर चीनी जहाज़ों को सेनकाकू द्वीप के पास पाया गया है.
जापान के नियंत्रण वाले इस द्वीपसमूह पर कई सालों से चीन दावा कर रहा है. (bbc.com/hindi)
जापान, 12 फरवरी । जापान के ओकिनावा प्रांत में एक निर्जन द्वीप को एक चीनी महिला ने खरीद लिया है. अब तक महिला की पहचान जाहिर नहीं की गई है लेकिन उनकी उम्र लगभग 30 साल बताई जा रही है.
महिला ने चीनी मीडिया को बताया है कि उनके एक संबंधी की कंपनी ने यानाहा द्वीप खरीदा है. ये द्वीप ओकिनावा मुख्य द्वीप के उत्तर में है और इसके एक हिस्से पर टोक्यो की एक कंसल्टिंग फर्म का स्वामित्व है. इस फर्म को ही महिला अपने रिश्तेदार की कंपनी बता रही हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने आज जापान टाइम्स के हवाले से ये रिपोर्ट दी है. अख़बार लिखता है कि सार्वजनिक रिकॉर्ड्स के मुताबिक़ ये फर्म चीनी कारोबार में विशेषज्ञता रखती है.
ओकिनावा प्रांत के ही ईज़ेना गांव में कंपनी का दफ़्तर है जिसके मुताबिक़ कंपनी के पास कुल ज़मीन का 50 प्रतिशत है. इसके अधिकतर बीच पर स्थानीय सरकार का नियंत्रण है.
इस महिला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करके द्वीप खरीदने की जानकारी दी थी. इस वीडियो में वो यानाहा द्वीप पर दिख रही थीं.
जापान टाइम्स के हवाले से अख़बार लिखता है कि ईज़ेना द्वीप पर रहने वाले लोग उन्हें और एक अन्य महिला को नाव पर यानाहा द्वीप लेकर गए थे. लोगों का कहना है कि महिला वहां कई घंटों तक रुकीं, वहां की तस्वीरें लींऔर आसपास के इलाक़े का वीडियो बनाया.
वीडियो में एक दस्तावेज़ भी दिखाई पड़ता है जिसमें उस कंसल्टिंग फर्म का पता है जो अपनी वेबसाइट पर यानाहा द्वीप खरीदने का दावा करती है. (bbc.com/hindi)
दक्षिण अफ़्रीका के जाने माने रैप सिंगर किएरनन जैरेड फ़ोर्ब्स की डरबन के एक रेस्तरां के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
दुनिया में एकेए (AKA) के नाम से मशहूर ये रैपर केवल 35 साल के थे.
उनके साथ, उनके क़रीबी दोस्त और पेशे से शेफ़ और कारोबारी टेबेलो 'टिब्ज़' मोत्सोने की भी हत्या कर दी गई है.
माना जा रहा है कि जब गोली मारी गई, तब वे दोनों एक नाइटक्लब में एक परफॉर्मेंस में भाग लेने जा रहे थे.
हालांकि हत्या की वजह का अभी तक पता नहीं चला है. पुलिस का कहना है कि इस हत्याकांड की जांच की जा रही है.
पुलिस के प्रवक्ता कर्नल रॉबर्ट नेत्शिउंडा ने बीबीसी को बताया कि रैपर एकेए और उनके दोस्त जब अपनी कार से कहीं जा रहे थे, तभी दो हथियारबंद लोगों ने आकर दोनों को नज़दीक से गोली मार दी. इसके बाद हमलावर पैदल ही मौक़े से फरार हो गए.
पुलिस के अनुसार, वो यह अंदाज़ा नहीं लगाना चाहते कि क्या यह हत्याकांड 'हिट एंड रन' का मामला है. हालांकि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
रोज़ होने वाली हत्याओं के लिहाज़ से देखें तो दक्षिण अफ़्रीका दुनिया के अग्रणी देशों में आता है. गोलीबारी की घटनाएं वहां असामान्य बात नहीं है.
'गन फ्री साउथ अफ्रीका' नाम की एक संस्था का अनुमान है कि इस देश में प्रतिदिन 30 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है.
कौन थे AKA?
एकेए ने अपना संगीत करियर रैप ग्रुप 'एंटिटी' के एक सदस्य के तौर पर शुरू किया था. बाद में वो अकेले गाने लगे.
अपने गानों के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कई पुरस्कार जीते. वहीं सोशल मीडिया पर एकेए के मित्र मोत्सोने को लोग 'एक सच्चा इंसान' बता रहे हैं.
एकेए ने अमेरिका में ब्लैक एंटरटेनमेंट टेलीविज़न (बीईटी) अवार्ड और एमटीवी यूरोप म्यूज़िक अवार्ड के लिए कई नॉमिनेशन भी मिले.
अपनी हत्या के कुछ घंटे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने आने वाले एलबम 'मास कंट्री' के बारे में एक पोस्ट किया. यह एलबम इस महीने के अंत में रिलीज़ किए जाने के लिए तैयार है.
एकेए के माता-पिता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाले गए एक बयान में अपने बेटे को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा, "किएरनन जैरीड फ़ोर्ब्स हमारे लिए एक बेटा, भाई, पोता, भतीजा और दोस्त था, वो अपनी प्यारी बेटी काहिरा के पिता के रूप में हमारा प्रिय था."
उनके अनुसार, "कई लोग उन्हें एकेए, सुपा मेगा, भोवा और कई अन्य प्यारे नामों से बुलाते थे. लोगों ने हमारे बेटे को प्यार किया और बदले में उसने भी प्यार दिया." (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 12 फरवरी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बताया कि अमेरिकी लड़ाकू विमान ने अलास्का से उत्तरी कनाडा के हवाई क्षेत्र में घुसी एक अज्ञात एवं मानवरहित वस्तु को नष्ट किया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय व्हाइट हाउस ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद इस संबंध में फैसला किया गया।
इससे एक दिन पहले अमेरिका के एक लड़ाकू विमान ने अलास्का के उत्तरी तट के पास करीब 40,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही छोटी कार के आकार की एक वस्तु को बाइडन के आदेश पर नष्ट किया था।
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर पैट राइडर ने बताया कि ‘नार्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड’ (एनओआरएडी) ने शुक्रवार देर शाम अलास्का के ऊपर एक वस्तु देखी।
व्हाइट हाउस ने बताया कि एनओआरएडी ने इसके बाद 24 घंटे इस वस्तु पर निकटता से नजर रखी और राष्ट्रपति को उनके राष्ट्रीय सुरक्षा दल ने इसकी लगातार जानकारी दी।
व्हाइट हाउस ने कहा, ‘‘अत्यधिक सावधानी बरतते हुए और अपनी सेनाओं की सिफारिश पर राष्ट्रपति बाइडन और कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो ने इसे नष्ट करने की अनुमति दी।’’
बाइडन ने इस अभियान के लिए एनओआरएडी को सौंपे गए अमेरिकी लड़ाकू विमान को इस अभियान के लिए अधिकृत किया और एक अमेरिकी एफ-22 विमान ने कनाडा के अधिकारियों के साथ निकट समन्वय से कनाडाई क्षेत्र में वस्तु को नष्ट कर दिया।
राइडर ने बताया कि एक अमेरिकी एफ-22 विमान ने अमेरिकी एवं कनाडाई प्राधिकारियों के निकट समन्वय के बीच ‘एआईएम 9एक्स’ मिसाइल का इस्तेमाल करके वस्तु को नष्ट कर दिया।
इस बीच, कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रुडो ने भी बताया कि उनके आदेश पर एक अमेरिकी लड़ाकू विमान ने युकोन के हवाई क्षेत्र में उड़ रही एक ‘‘अज्ञात वस्तु’’ को नष्ट कर दिया।
अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह वस्तु कितनी ऊंचाई पर उड़ रही थी।
एफ-22 लड़ाकू विमान अब तक तीन ऐसी वस्तुओं को नष्ट कर चुके हैं, जिनमें से कम से कम वस्तु चीनी जासूसी गुब्बारा था, लेकिन शेष दो की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
अमेरिका ने एक सप्ताह पहले ही अटलांटिक महासागर में दक्षिण कैरोलाइना के तट के पास चीन के एक गुब्बारे को नष्ट किया था, जिसने 30 जनवरी को अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। पेंटागन ने कहा है कि उक्त गुब्बारा एक बड़े निगरानी कार्यक्रम का हिस्सा था जिसे चीन "कई सालों" से चला रहा है।
चीन ने स्वीकार किया है कि यह गुब्बारा उसका था लेकिन उसने इस बात से इनकार किया कि इसका मकसद जासूसी करना था। चीन का कहना है कि इसका उद्देश्य मौसम संबंधी जानकारी जुटाना था। (भाषा)
तुर्की और सीरिया में इस हफ़्ते आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 28 हज़ार से अधिक हो गई है. हालांकि, छह दिनों बाद लोगों के मलबे से जीवित निकालने की उम्मीद अब धूमिल पड़ रही है.
इस बीच शनिवार को जर्मन बचाव दल और ऑस्ट्रिया की सेना ने अज्ञात समूहों के बीच झड़प की बात कहते हुए तुर्की में अपना खोज अभियान रोक दिया.
मीडिया के अनुसार, लूटपाट के आरोप में क़रीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनसे कई बंदूकें भी जब्त की गई हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि वे क़ानून तोड़ने वाले को दंडित करने के लिए अपनी आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करेंगे. वहीं एक बचावकर्मी का कहना है कि खाद्य आपूर्ति घटने से सुरक्षा हालात और बिगड़ने की आशंका है.
संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स का कहना है कि इस आपदा से निपटने के लिए चिकित्सा सहायता मुहैया कराने की तत्काल आवश्यकता है.
उनके अनुसार, फील्ड अस्पताल के साथ ज़िंदा बचे लोगों को भोजन और रहने के ठिकाने उपलब्ध कराने की भी ज़रूरत है.
आर्मेनिया से मिली तुर्की को मदद
इधर तुर्की तक मानवीय राहत पहुंचाने के लिए तुर्की और आर्मेनिया के बीच की अलीकन चौकी को पिछले 30 सालों में पहली बार खोला गया है.
इस चौकी को खाना, पानी और दवाइयां ले जाने वाले ट्रकों ने पहली बार पार किया. इन दोनों पड़ोसियों के बीच की सीमाएं दशकों से बंद हैं और रिश्ते भी ठंडे पड़े हुए हैं.
आर्मेनिया में तुर्की के विशेष दूत सरदार किलिक ने अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा है कि वो आर्मेनिया के लोगों की ओर से भेजी गई यह मदद हमेशा याद रखेंगे.
सीरिया के विद्रोही इलाक़ों में पहुंचने लगी मदद
ग्रिफ़िथ्स ने बीबीसी को ये भी बताया है कि विद्रोहियों के कब्ज़े वाले उत्तर पश्चिम सीरिया, जहां बहुत कम सहायता पहुंची है, संयुक्त राष्ट्र वहां अधिक क्रॉसिंग खोलने के लिए सक्रियता और मज़बूती से काम करेगा.
उधर सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिनिधि इमान शांकिती ने कहा है कि आबादी की ज़रूरतें तत्काल पूरी करने के लिए डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉ टेड्रोस एडहॉनम गीब्रिएसुस के साथ कुछ सहायता पहुंचनी शुरू हो गई है.
हालांकि उन्होंने कहा है कि देखभाल की निरंतरता बनाए रखना और बुनियादी सेवाएं फिर से शुरू करना बहुत ज़रूरी है. (bbc.com/hindi)
अंटाक्या (तुर्किये), 11 फरवरी। तुर्किये और सीरिया में आए भीषण भूकंप के बाद मृतक संख्या 25,000 को पार कर गई है।
तुर्किये के राष्ट्रपति ने शनिवार को बताया कि देश में मृतक संख्या बढ़कर 21,848 हो गई है जबकि सीरिया में सरकारी और चरमपंथी बहुल इलाकों में मरने वालों की संख्या 3,553 हो गई है।
तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सनलिउर्फा शहर में कहा कि अकेले तुर्किये में 80,104 लोग घायल हुए हैं। भूकंप के 130 से अधिक घंटे बाद भी जीवित बचे कुछ और लोगों को मलबे से बाहर निकाला जा रहा है।
समाचार वेबसाइट ‘हेबरतुर्क’ की खबर के अनुसार गंजियातेप प्रांत में भूकंप से बुरी तरह प्रभावित नूरदगी में मलबे से मां-बेटी हवा और फातमागुल असलान को सबसे पहले निकाला गया। टीम ने बाद में लड़की के पिता हसन असलान तक पहुंची, लेकिन उन्होंने बचावकर्मियों से पहले उसकी अन्य बेटी जेनेप और बेटे सालतिक बुगरा को बचाने की अपील की। इसके बाद, असलान को भी बचावकर्मियों ने बाहर निकाला।
इसके दो घंटे बाद, गंजियातेप प्रांत के ही इसलाहिये शहर में मलबे से तीन साल की बच्ची और उसके पिता को बाहर निकाला गया और इसके एक घंटे बाद हाते प्रांत में भूकंप के करीब 321 घंटे बाद सात साल की बच्ची को बचाया गया।
कड़ाके की सर्दी और घटती उम्मीदों के बावजूद शनिवार को करीब 12 लोगों को बचाया गया।
तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने भूकंप प्रभावित दियारबकिर का दौरा किया और कहा कि गर्मी आने तक विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा दी जाएगी ताकि बेघर भूकंप पीड़ितों को सरकारी संस्थानों के परिसरों में आश्रय दिया जा सके।
तुर्किये के अंटाक्या में सीरियाई शरणार्थियों की मदद कर रही एक अंतरराष्ट्रीय परमार्थ संस्था ने शहर की सीमा के पास खुले मैदान पर कई लोगों को आश्रय दिया है। मलहम चैरिटी के संस्थापक अहमद अबु अल-शार ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि अंटाक्या में कोई ऐसा घर नहीं है जो रहने लायक हो। इसलिए एकमात्र आसरा सड़क है।’’
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का अनुमान है कि भूकंप के कारण सीरिया में कम से कम 53 लाख लोग बेघर हुए हैं। सीरिया के सरकारी टीवी ने कहा कि राष्ट्रपति बशर असद और उनकी पत्नी ने तटीय शहर लटाकिया में भूकंप से घायल हुए लोगों से अस्पतालों में मुलाकात की।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘सना’ की खबर के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस शनिवार को सीरिया के उत्तरी शहर अलेप्पो पहुंचे। वह अपने साथ 35 टन चिकित्सा उपकरण लाए थे। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त 30 टन चिकित्सा उपकरणों के साथ अन्य विमान आगामी दिनों में पहुंचने वाला है। (एपी)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 11 फरवरी। महाराजा चार्ल्स तृतीय के छह मई को होने वाले राज्याभिषेक का राजकीय चिह्न शनिवार को बकिंघम पैलेस में जारी किया गया । इस वृत्ताकार पुष्पकीय डिजाइन को उसी मशहूर ब्रिटिश डिजाइनर ने तैयार किया है जिसने एप्पल आई फोन के डिजाइन बनाये थे।
प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल के मुख्य डिजाइन अधिकारी रहे सर जॉनी आईव द्वारा डिजाइन यह चिह्न उनके रचनात्मक संग्रह ‘लव फ्रॉम’ से लिया गया है और यह नए शासन की ऐतिहासिक शुरुआत का प्रतीक है जिसे ब्रिटेन का कैरोलियन युग कहा जा रहा है। सर जॉनी के नाम पर दुनियाभर में 14000 से अधिक पेटेंट हैं।
इसमें 74 वर्षीय राजा के प्राकृतिक विश्व के प्रति प्रेम तथा ब्रिटेन के चार देशों-- इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और नॉदर्न आयरलैंड की वनस्पतियों को दर्शाया गया है।
आईव ने कहा, ‘‘ इस उल्लेखनीय राष्ट्रीय अवसर में योगदान करने में सक्षम होना बड़े सम्मान की बात है और हमारी टीम को इस काम पर बहुत गर्व है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह डिजाइन इस ग्रह, प्रकृति के प्रति महाराजा चार्ल्स के प्रेम तथा प्राकृतिक विश्व के प्रति उनके गहरे सरोकार से प्रेरित है।’’ (भाषा)
-सैम कब्रेल और क्लोई किम
वाशिंगटन, 11 फरवरी । अमेरिका ने अलास्का के आसमान में बहुत ऊंचाई पर उड़ रही एक अनजान वस्तु को जेट से हमला कर नीचे गिरा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को इसे गिराने के आदेश दिए थे.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि ये अनजानी वस्तु 'एक छोटी कार के आकार' की है और यात्री विमानों के लिए 'ख़तरा बन गई थी'.
जॉन किर्बी ने कहा कि ये वस्तु कहां से आई थी और इसका क्या उद्देश्य है, ये अभी तक साफ़ नहीं है.
ये फ़ैसला ऐसे वक्त आया है जब सप्ताह भर पहले अमेरिका के आसमान में उड़ रहे एक चीनी बलून को साउथ कैरोलीना तट पर सेना के एक विमान ने गिरा दिया था.
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में जॉन किर्बी ने बताया कि अलास्का के आसमान में मिली वस्तु को वायु सेना के एफ़-22 फाइटर जेट ने शुक्रवार को नीचे गिराया गया था. इसका मलबा चीनी बलून के मलबे के मुक़ाबले बहुत कम है.
उन्होंने बताया कि ये वस्तु अलास्का के उत्तरी तट पर 40 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ रही थी. जबकि यात्री विमान 40 से 45 हज़ार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं. ऐसे में ये यात्री विमानों के लिए ख़तरा बन सकता था.
उन्होंने बताया कि जब इस वस्तु को गिराया गया तो ये 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से नॉर्थ पोल की तरफ़ बढ़ रही थी.
हवा में कैसे उड़ रही थी ये वस्तु?
इस वस्तु के मलबे की तलाश के लिए ब्यूफ़ोर्ट सागर के जमे हुए पानी के आसपास हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट को तैनात किया गया है.
जॉन किर्बी ने कहा, "हमें नहीं पता कि ये किसका है. ये किसी सरकार का है या किसी कंपनी का या व्यक्ति की निजी वस्तु है."
गुरुवार रात को पहली बार इस वस्तु को आसमान में देखा गया था, हालांकि अधिकारियों ने इसके देखे जाने समय की पुष्टि नहीं की है.
किर्बी ने कहा, "हम अपने हवाई क्षेत्र को लेकर बेहद सजग रहते हैं. राष्ट्रपति देश की सुरक्षा के दायित्व को सबसे ऊपर रखते हैं."
उन्होंने कहा कि सबसे पहले दो फ़ाइटर विमानों ने इस वस्तु के आसपास चक्कर लगाया और ये सुनिश्चित किया कि इसमें कोई व्यक्ति सवार नहीं है.
एबीसी न्यूज़ के मुताबिक़ इस वस्तु को कोई और चीज़ संचालित नहीं कर रही थी.
मीडिया संस्थान के वैश्विक मामलों के पत्रकार मार्था रेडेट्ज़ ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से लिखा था, "ये वस्तु हवा में तैर रही थी. ये सिलिंडर आकार की थी और चांदी की चमक वाले स्लेटी रंग की थी."
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने बताया कि ये वस्तु पिछले हफ़्ते मिले "चीनी गुब्बारे के आकार और ढांचे की तरह नहीं थी".
उन्होंने पुष्टि की कि एफ़-22 जेट ने इस वस्तु को शुक्रवार को यूरोपीय समयानुसार एक बज तक 45 मिनट पर साइडविंडर मिसाइल से गिरा दिया था. जनरल राइडर ने कहा कि अभी तक काफ़ी मलबा इकट्ठा कर लिया गया है. इसे जहाजों पर लादकर 'विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला' में लाया जा रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि अभी ये साफ़ नहीं हुआ है कि इस वस्तु का उद्देश्य निगरानी करना था या नहीं. हालांकि उन्होंने संवाददता सम्मेलन के दौरान एक पत्रकार से कहा कि ये वस्तु बलून नहीं थी
जॉन किर्बी ने ये पूरी तरह साफ़ नहीं किया कि ये कहां गिराया गया है लेकिन फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि गिरने से पहले ये वस्तु उत्तरी अलास्का के डेडहोर्स के ऊपर अमेरिकी हवाई क्षेत्र के लगभग 10 वर्ग मील के नज़दीक था.
ये जगह कनाडा की सीमा से 130 मील दूर है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्विटर पर कहा कि उन्हें अमेरिकी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाली इस वस्तु के बारे में जानकारी दी गई थी और 'वो इस कार्रवाई का समर्थन करते हैं'.
वहीं व्हाइट हाउस के मुताबिक़ फिलहाल अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चिंता पैदा करने वाली कोई वस्तु नहीं है.
जॉन किर्बी ने कहा कि इस वस्तु को चलाने के लिए चीनी गुब्बारे जैसा इसमें कुछ नहीं था. ये हवा की गति से साथ बहता हुआ लग रहा था.
चीनी गुब्बारे को पिछले शनिवार को गिराने के बाद रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने अपने चीनी समकक्ष को स्पेशल क्राइसिस लाइन पर संपर्क किया. लेकिन, रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ चीनी रक्षा मंत्री ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया था.
चीनी अधिकारियों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि अमेरिका इस मामले का राजनीतिकरण कर रहा है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है.
वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को साक्षात्कार में चीनी गुब्बारे को लेकर अमेरिकी प्रतिक्रिया का बचाव किया था. हालांकि, ये भी कहा था कि ये कोई बड़ा उल्लंघन नहीं था. (bbc.com/hindi)
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बिजली की कमी के कारण राष्ट्रीय आपदा का ऐलान किया है. सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से देश में बनी बिजली की रिकॉर्ड कमी से निपटने की कोशिशें तेज की जा सकेंगी.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने 9 फरवरी को अपने सालाना भाषण में कहा, "हम राष्ट्रीय आपदा की घोषणा कर रहे हैं, ताकि बिजली संकट और इसके असर से निपटा जा सके." राष्ट्रपति ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में असाधारण फैसले लेने पड़ते हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक विशेष मंत्री नियुक्त करेगी, जो बिजली के लिए जिम्मेदार होगा. रामाफोसा ने कहा, "ऊर्जा संकट हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए अस्तित्व का संकट बन गया है."
बहुत गंभीर है बिजली संकट
दक्षिण अफ्रीका अपने सबसे गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है. कई सालों से कायम यह समस्या हालिया महीनों में चरम पर पहुंच गई है. बिजली आपूर्ति का नेटवर्क सरकारी ऊर्जा कंपनी एस्कोम के हाथों में है, लेकिन उसपर काफी कर्ज है. आधारभूत ढांचा मुख्य तौर पर कोयले पर आधारित है. एस्कोम बिजली की मांग से रफ्तार बिठाने में नाकाम रहा है.
राष्ट्रीय आपदा की घोषणा से अतिरिक्त फंड और संसाधन मिल सकेंगे. आशा है कि इससे संकट दूर करने में मदद मिलेगी. रामाफोसा पहले ही यह घोषणा करना चाहते थे, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसमें देरी हुई. 13 महीने पहले आगजनी में दक्षिण अफ्रीकी संसद क्षतिग्रस्त हो गई थी. अबतक उसकी मरम्मत नहीं हो सकी है. ऐसे में केप टाउन के सिटी हॉल में संसद बैठ रही है.
राष्ट्रपति के प्रस्तावित भाषण पर विपक्ष के विरोध के कारण यहां माहौल काफी गरम रहा. रामाफोसा जब भाषण देने वाले थे, उस समय विपक्षी इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स (ईएफएफ) मंच पर पहुंच गए. सुरक्षाबलों और पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उन्हें वहां से हटाया.
बिजली संकट अकेली चुनौती नहीं
दक्षिण अफ्रीका में अर्थव्यवस्था बदहाल है. इसके अलावा बढ़ते अपराध, बेरोजगारी दर, बेकाबू होती महंगाई और पानी की कमी से भी लोग बहुत परेशान हैं. मगर बिजली संकट लोगों की सबसे बड़ी शिकायत है. देश की करीब छह करोड़ आबादी को हर दिन करीब 12 घंटे बिना बिजली के रहना पड़ रहा है.
मांग और आपूर्ति के बीच बड़े फासले को देखते हुए बड़े स्तर पर लोडशेडिंग की जा रही है. बिजली संकट के कारण विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. ऐसे ही एक प्रदर्शन में शामिल एक प्रदर्शनकारी डीना बोश ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "हमारा देश पहले से ही आपदा की स्थिति में है. हर चीज तबाह है."
2024 में चुनाव होना है
रामाफोसा पांच साल पहले सुधार के वायदे के साथ सत्ता में आए थे. पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा का कार्यकाल भ्रष्टाचार और स्कैंडलों के कारण चर्चित रहा था. ऐसे में रामाफोसा ने जनता को "नई सुबह" लाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अर्थव्यवस्था के अलावा और भी कई मोर्चों पर सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं बताया जा रहा है. खासतौर पर बिजली की रिकॉर्ड कमी के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है.
अनुमान है कि पिछले साल की 2.5 फीसदी विकास दर के मुकाबले इस साल रफ्तार 0.3 फीसदी के करीब होगी. इसी हफ्ते एक मंत्री ने अनुमान जताया था कि बिजली संकट के कारण देश को हर दिन करीब 57 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस संकट के कारण रामाफोसा का राजनैतिक भविष्य भी प्रभावित हुआ है.
2024 में यहां आम चुनाव होने हैं. जानकारों के मुताबिक, दोबारा सत्ता में आने की रामाफोसा की संभावनाएं फिलहाल बहुत मजबूत नहीं हैं. दक्षिण अफ्रीकी थिंक टैंक "सेंटर फॉर डेवेलपमेंट एंड एंटरप्राइज" के ऐन बर्नस्टाइन कहते हैं, "दुखद है कि मौजूदा राष्ट्रपति के सुधारक होने की छवि अब विश्वसनीय नहीं रही, बल्कि असल में यह छवि एक मायाजाल है."
एसएम/आरपी (एएफपी)
पुरातत्वेत्ताओं को केन्या में खुदाई में कुछ बेहद प्राचीन पत्थर के औजार मिले हैं. इन्हें कौन इस्तेमाल करता था, अभी यह रहस्य बना हुआ है. पहले अनुमान था कि मौजूदा इंसानों के ठीक पहले के पूर्वज ही ऐसे औजार बनाया करते थे.
केन्या में जिस जगह पर ताजा खोज हुई है, वहां औजारों के साथ दो बड़े दांतों के जीवाश्म भी मिले हैं. ये जीवाश्म मानवों के ही एक विलुप्त हो चुके रिश्तेदार पैरनथ्रोपस के हैं. यह जानकारी 9 फरवरी को साइंस जर्नल में छपी एक रिसर्च में दी गई है.
यह खोज उन साक्ष्यों का हिस्सा है, जिनसे पता चलता है कि हम इंसान जिस होमो वंशावली से सीधे तौर पर जुड़े हैं, वो औजार बनाने वाले पाषाण युग के अकेले जीव नहीं थे. स्मिथसोनियन्स ह्युमन ओरिजिन्स प्रोग्राम के निदेशक और इस शोध के लेखक रिक पॉट्स बताते हैं, "ये दांत एक हैरतअंगेज जासूसी कहानी के कथानक जैसे हैं. असली सवाल यह है कि औजार बनाने वाले ये शुरुआती जीव कौन थे?"
करीब 29 लाख साल पुराने हैं ये औजार
रिसर्च के मुताबिक, इस दौर में शुरुआती मानव मांस के लिए गैंडों का शिकार करने और उन्हें काटने में ये औजार इस्तेमाल करते थे. केन्या में इससे भी प्राचीन पत्थर के औजार मिल चुके हैं, जिनकी तारीख करीब 33 लाख साल पुरानी बताई जाती है. यह हमारे होमो पूर्वजों के अस्तित्व में आने से काफी पहले का दौर था. जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में पुरातत्वेत्ता शैनॉन मैकफेरॉन बताते हैं कि ये औजार कमोबेश ज्यादा सामान्य थे और अब तक केवल एक ही जगह पर बरामद हुए हैं.
हालिया खोज उस विस्तृत परंपरा से मेल खाती है, जिसे ओल्डोवान टूलकिट कहा जाता है. इसी तरह के औजार पूरे अफ्रीका समेत कुछ और जगहों पर मिले हैं. रिक पॉट्स बताते हैं कि ये ओल्डोवान टूलकिट के औजार प्रागैतिहासिक काल से करीब 10 लाख साल पहले के दौर के हैं.
पत्थरों के औजार इस्तेमाल करने का तरीका
स्टोन एज इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियाना की एंथ्रोपोलॉजिस्ट कैथी शिक बताती हैं कि शुरुआती मानव एक हाथ में पत्थर पकड़ते थे और उस पर दूसरे पत्थर से चोट करते थे. इस तरह वो पत्थर को पतला करते और किनारों को पैना बनाते थे. पत्थर और इन नुकीले फ्लैक्स की मदद से प्राचीन मानव कई तरह की चीजों को काट और तोड़ सकते थे. मुमकिन है कि केन्या की साइट पर मिले औजार सबसे प्राचीन ओल्डोवान टूलकिट का हिस्सा हों. इनसे संकेत मिलता है कि ये औजार एक बहुत खास प्रयोजन में उनकी मदद करते थे, वो था खाना.
यह खोज लेक विक्टोरिया के किनारे एक हरी-भरी पहाड़ी जगह न्यायंगा में हुई है. यहां 2015 में खुदाई शुरू हुई थी. अब तक शोधकर्ताओं को कई तरह के पुरावशेष, शिल्पकृतियां और जानवरों की हड्डियां मिल चुकी हैं. गैंडे की हड्डियों पर मिले चीरने-प्रहार करने के कई निशान मिले हैं. इनसे संकेत मिलता है कि उन्हें मांस के लिए काटा गया था. शुरुआती मानव इस मांस को कच्चा खाते होंगे. शोधकर्ताओं का मानना है कि शुरुआती मानव अपने औजारों से ऐंटिलोप्स की हड्डियां तोड़कर वसायुक्त मज्जा खाते होंगे. वो पौधों की जड़ों के सख्त बाहरी छिलके उतारने के लिए औजारों की मदद लेते होंगे.
शोध के मुख्य लेखक और न्यूयॉर्क सिटी यूनिवर्सिटी स्थित क्वीन्स कॉलेज के एंथ्रोपोलॉजिस्ट थॉमस प्लमर बताते हैं, "इतने शुरुआती दौर में भी पत्थर के औजारों की मदद से वो वातावरण से कई सारे संसाधन ले पाते थे. अगर आप गैंडे को काट सकते हैं, तो आप कमोबेश किसी भी चीज को काट सकते हैं."
मुश्किल है रहस्य सुलझाना
प्लमर बताते हैं कि पहले यह मानना आसान था कि हमारे एकदम सीध के पूर्वज ही इन औजारों का इस्तेमाल करते थे. मगर अब जो दांत मिले हैं, उन्हें देखते हुए यह संभावना खारिज नहीं की जा सकती कि बाकी शुरुआती मानव भी अपने-अपने औजार बनाया करते होंगे. इनमें हमारे विलुप्त हो चुके रिश्तेदार पैरनथ्रोपस भी शामिल हैं, जिनके पास बड़े दांत और छोटे दिमाग थे.
हालांकि इन औजारों को कौन इस्तेमाल करता था, इस रहस्य को सुलझाना मुश्किल होगा. क्योंकि हम ठोस तौर पर नहीं कह सकते कि ये औजार पैरनथ्रोपस इस्तेमाल करते थे या वो बस संयोग से वहां मरे, जहां औजार मिले हैं. कैथी शिक कहती हैं, "जब हमें होमिनिन जीवाश्म पत्थर के औजारों के साथ मिलते हैं, तो हमेशा यह उलझन होती है कि यह खाना है या खाने वाला?"
एसएम/आरपी (एएफपी)
अगर कोई इंडोनेशिया की विशाल खनिज संपदा का लाभ उठाना चाहता है तो उसे अपना मुनाफा, उसके साथ बांटना होगा. इस नीति के कारण दुनिया भर के निवेशक इंडोनेशिया में अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं. लेकिन यूरोप, एक बार फिर पीछे रह गया है.
डॉयचे वैले पर इंसा व्रेडे की रिपोर्ट-
चीन और रूस पर अपनी निर्भरता कम करते हुए जर्मनी की नयी ऊर्जा रणनीति, खासकर कच्चे माल की अहम आपूर्ति को देखते हुए, अपनी सप्लाई चेन में विविधता लाने की है. लेकिन कीमतों में बढ़ोत्तरी और बाजार में पैदा हो रहे अवरोधों के दौर में, संसाधन-संपन्न कई देश अपनी संपदा को लेकर पहले जैसी अकड़ दिखाने से परहेज करने लगे हैं. बल्कि अपने पक्ष में झुक रहे वैश्विक नजरिये से वे श्रेष्ठतम लाभ उगाहने की कोशिश कर रहे हैं.
पश्चिम के बहुत से विकसित देशों की तरह, जर्मनी विकासशील देशों से सस्ता कच्चा माल आयात कर उसे आला दर्जे के तैयार उत्पादों में तब्दील कर देता था. दुनिया के बाजारों में वे उत्पाद कई गुना ऊंची कीमतों में बेचे जाते थे. चीन कई साल पहले विश्व व्यापार के इस दोषपूर्ण पैटर्न से सचेत हो चुका था. सस्ती वैश्विक वर्कशॉप के रूप में अपनी छवि को उसने धीरे धीरे बदलना शुरू किया और अब शानदार उत्पादों के ठिकाने के रूप में पहचाना जाने लगा है. एशिया में ही दूसरा देश इंडोनेशिया अब चीन के नक्शेकदम पर चल रहा है. वो उत्पादन का महाअभियान चला कर 20 साल की अंतहीन वृद्धि करना चाहता है.
इंडोनेशिया में जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख यान रोएनेफेल्ड ने डीडब्ल्यू को बताया कि इंडोनेशियाई निर्यात में "वस्तुओं का वर्चस्व " हुआ करता था. इस कारण से भी वो पूरी तरह से उभरती अर्थव्यवस्था नहीं बन पाया. इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो अब अपने देश की आर्थिक किस्मत को बदलना चाहते हैं. वस्तुओं के सप्लायर देश को उत्पादन का प्रमुख ठिकाना बनाने पर उनका जोर है. इंडोनेशिया को 2045 तक एक मुकम्मल औद्योगिक देश बनाने का, उनका लक्ष्य है.
उदारीकरण के बीच प्रतिबंध
दक्षिण पूर्व एशियाई देश इंडोनेशिया कोयला, टिन, निकेल, बॉक्साइट और तांबे के विशाल भंडारों से मालामाल है. वह थर्मल कोयले, पाम ऑयल और रिफाइंड टिन का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है. कुछ खनिजों को बाहर भेजने पर रोक लगाकर, विडोडो ने 2014 में इंडोनेशिया की निर्यात नीति को बदलना शुरू कर दिया था. विदेश व्यापार प्रोत्साहन एजेंसी, जर्मनी ट्रेड एंड इन्वेस्ट (जीटीएआई) से जुड़े फ्रांक मालेरियुस ने डीडब्ल्यू को बताया कि प्रतिबंध पर अमल हमेशा से "ढीलाढाला" ही रहा, लेकिन सरकार अब निर्यात के नियमों को सख्त बना रही है.
जैसे कि 2020 से लागू नियमों के मुताबिक, इंडोनेशियाई निकेल के विदेशी खरीदारों को घरेलू स्मेल्टरों यानी धातु गलाने की मशीनों में निवेश करना होगा और कच्चे माल की प्रोसेसिंग स्थानीय स्तर पर ही करनी होगी. इंडोनेशिया के पास दुनिया में सबसे ज्यादा निकेल भंडार है. इस्पात उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरियां बनाने के लिए दुनिया भर में निकेल की भारी मांग है.
इंडोनेशिया में उत्पादन की धूम
नये निवेश को बढ़ावा देने के लिए इंडोनेशिया ने देश के निवेश और श्रम कानूनों को लचीला बनाया है. इसके तहत अर्थव्यवस्था के बड़े क्षेत्रों के दरवाजे विदेशी स्वामित्व के लिए खोल दिए गए हैं. फ्रांक मालेरियुस कहते हैं कि विडोडो की नीति "सरकार की जो उम्मीद थी, उस पर खरी उतरी." उम्मीद थी कि ज्यादा से ज्यादा विदेशी कंपनियां इंडोनेशिया में निवेश के लिए आएंगी, वही हुआ.
जर्मन सरकार के निवेश समन्वयन बोर्ड (बीकेपीएम) से हासिल डाटा के मुताबिक अकेले 2022 के पहले छह महीनों में कुल 20.15 अरब यूरो का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश इंडोनेशिया में आ चुका था. 2021 की उसी अवधि के मुकाबले ये 40 फीसदी ज्यादा निवेश था. मालेरियुस कहते हैं कि निवेश का ये बूम मुख्यतः चीनी इस्पात निर्माताओं की वजह से आया था. चीनी कंपनियां "स्मेल्टर और इस्पात मिलें" बनाती रहीं और उन्होंने इंडोनेशिया को इस्पात का निर्यातक बना दिया.
करीब पांच साल पहले, इस्पात के विश्व बाजार में इंडोनेशिया की कोई जगह नहीं थी. मालेरियुस कहते हैं कि अब देश का इस्पात निर्यात करीब 20 अरब डॉलर का है और इंडोनेशिया दुनिया के सबसे बड़े इस्पात निर्यातक देशों में शामिल हो गया है.
इंडोनेशिया का दम और चीन का साथ
जर्मन कार निर्माता कंपनी फोल्क्सवागेन और उसकी अमेरिकी प्रतिद्वंद्वी फोर्ड और टेस्ला जैसी बहुत सारी विदेशी कंपनियां इंडोनेशिया में उत्पादन में आई तेजी का हिस्सा बनने के बारे में विचार कर रही हैं. देश की निकेल संपदा पर उनका खास ध्यान होगा. मालेरियुस कहते हैं, "लेकिन उनके लिए ऐसी सप्लाई चेन खोज पाना मुश्किल होगा जिसमें चीन किसी न किसी रूप में पहले से शामिल न हो." वे ये भी कहते हैं कि चीनी कंपनियों के साथ भागीदारी, विदेशी निवेशकों के लिए इकलौता रास्ता हो सकता है.
इंडोनेशिया के आवश्यक कच्चे माल पर बढ़ती निर्भरता के बावजूद, यूरोपीय संघ ने देश के निकेल निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शिकायत लगाई थी. पिछले साल नवंबर के फैसले में उसकी शिकायत सही भी पाई गई. लेकिन विडोडो डब्ल्यूटीओ के फैसले को दरकिनार कर चुके हैं.घाव पर नमक छिड़कते हुए एक महीने बाद ही, दिसंबर में जी20 शिखर बैठक के दौरान बाली में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति विडोडो ने ये ऐलान कर दिया कि ओपेक तेल कार्टेल की तरह, वो दूसरे देशों के साथ बैटरी निर्माण में काम आने वाली निकेल जैसे कच्चे माल का कार्टेल बनाने की योजना बना रहे हैं.
इंडोनेशिया से धातुओं की सप्लाई को निर्बाध बनाए रखने के लिए इस बीच जर्मनी की रासायनिक कंपनी बीएएसएफ ने जनवरी में फ्रांस की खनन कंपनी इरामेट के साथ साझेदारी की है. दोनों मिलकर इंडोनेशिया में निकेल-कोबाल्ट प्लांट बना रही हैं. 2.4 अरब यूरो का ये सौदा पूरा होने वाला है. नया प्लांट 2026 से काम शुरू कर देगा.
सिर्फ निर्यात के भरोसे नहीं इंडोनेशिया
लेकिन विडोडो सिर्फ निकेल के निर्यात के सहारे नहीं बैठे हैं. तांबा, टिन और बॉक्साइट जैसी धातुएं भी उनके ध्यान में हैं. इस साल जून से गैर-प्रोसेस्ड बॉक्साइट के निर्यात पर बैन लग चुका है. ये धातु कार और विमानन उद्योग के लिए अल्युमिनियम बनाने के काम आती है. इंडोनेशिया पूरी दुनिया में बॉक्साइट के सबसे बड़े निर्यातक देशों में एक है. उसने पाम ऑयल का निर्यात भी रोक दिया है. विश्व बाजार में पाम ऑयल की 60 फीसदी की भागीदारी इंडोनेशिया की है.
विडोडो के दूसरे ऑनशोर यानी घर पर ही तैयार प्रोजेक्टों में दुर्लभ खनिज का उद्योग भी शामिल है. इसके जरिए देश में स्वच्छ प्रौद्योगिकी वाले उद्योगों की मांग पूरी की जाएगी. हाल में सरकारी समाचार एजेंसी अंतारा न्यूज ने बताया कि देश में कच्चे माल के भंडारों की निशानदेही की जा रही है और उनके उपयोग को लेकर एक कंसेप्ट तैयार किया जा रहा है.
जर्मन उद्योग के लिए अवसर की खिड़की
चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि यान रोएनेफेल्ड कहते हैं, "भले ही इंडोनेशिया बहुत दूर है, लेकिन जर्मन कंपनियों के लिए वहां कई क्षेत्रों में संभावना है." देश का विशाल भौगोलिक आकार और करीब 30 करोड़ की आबादी, जिसमें से 10 करोड़ मध्यवर्ग है, हर क्षेत्र में संभावना मुहैया कराएगी. अभी तक चीनी, जापानी और दक्षिण कोरियाई कंपनियां, इंडोनेशिया में अपना काम शुरू कर चुकी हैं. उधर जर्मन कंपनियां निवेश को लेकर हां-ना के पसोपेश से ही जूझ रही हैं. रोएनेफेल्ड फिर भी ये मानते हैं कि इंडोनेशिया भले ही "आसान बाजार नहीं" है, उसके बावजूद "यूरोप से और निवेश निश्चित ही आएगा. " सामान्य तौर पर, जोखिम और लाभ के बीच के संबंधों की रोशनी में ही उद्यम जगत के फैसले तय होते हैं. कई सेक्टरों में महज हल्की प्रतिस्पर्धा की वजह से इंडोनेशिया, अपेक्षाकृत बड़े मुनाफे का अवसर मुहैया कराता है. कुछ क्षेत्रों में 90 फीसदी उत्पाद निर्यात किए जाते हैं. (dw.com)
स्पेन के एक मिंक पार्क में बर्ड फ्लू संक्रमण ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है. पहली बार वायरस स्तनपायी से स्तनपायी में फैल रहा है और इस लिहाज से वह इंसानों के लिए खतरा बन सकता है.
डॉयचे वैले पर जनेट स्विंक की रिपोर्ट-
ये बात अक्टूबर 2022 में सामने आई, जब उत्तरपश्चिम स्पेन के गैलेसिया के एक फार्म में बहुत सारे मृत मिंक पाए गए. मिंक खास तरह के उदबिलाव होते हैं. पशु चिकित्सकों
ने पहले कोरोना वायरस को इसका जिम्मेदार बताया था. लेकिन परीक्षणों से पता चला कि ऊदबिलावों की मौत के लिए खतरनाक रोगाणु बर्डफ्लू वायरस एच5एन1 जिम्मेदार था.
इस रोगाणु को फैलने से रोकने के लिए 50,000 से ज्यादा मिंक मार डाले गए. वैसे तो इस बीमारी से फार्म मजदूर संक्रमित नहीं हुए थे लेकिन ये मामला वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है.
मिंक फार्म संक्रमण 'बेहद चिंताजनक'
परिंदों से दूसरी प्रजातियों में वायरस का फैलाव नयी बात नहीं है. बर्ड फ्लू या एवियन इंफ्लुएंजा पैदा करने वाला वायरस रकूनों, लोमड़ियों और सीलों में मिला है. हालांकि वे अलग अलग मामले थे. एच5एन1 से इंसानों के संक्रमित होने के कुछ मामले बेशक रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इंसानों से इंसानों में संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं मिला.
जर्मनी स्थित फ्रीडरिष लोएफलर संस्थान के डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी विभाग से जुड़े बर्ड फ्लू विशेषज्ञ टिम हार्डर के मुताबिक, इंसानों और दूसरे स्तनपायियों में ये बीमारी, संक्रमित पक्षियों की बीट या उनके शवों के सीधे संपर्क में आने से ही फैली है.
लेकिन मिंकों में फैला संक्रमण एक दुर्लभ मामला लगता है जिसमें सीधे संक्रमित पक्षी से संपर्क में आने से स्तनपायियों में बीमारी नहीं फैली बल्कि एक स्तनपायी से दूसरे स्तनपायी में गई. टिम हार्डर कहते हैं ये मामला कुछ "नया" है. उनके मुताबिक, एक समस्या ये है कि मिंक की सघन फार्मिंग की जाती है. सिकुड़ी हुई जगहों पर बड़ी संख्या में उन्हें रखा जाता है. इसका अर्थ ये है कि ज्यादा संवेदनशील स्तनपायियों में संक्रमण तेजी से फैलता है.
हार्डर ने ये भी बताया कि शोधकर्ताओं ने मिंक में वायरस के बहुत सारे म्युटेशनों की शिनाख्त की है. इन्हीं में से एक म्युटेशन "वायरस को स्तनपायियों में बेहतर ढंग से पनपने" का मौका देता है. वैज्ञानिकों की चिंता ये है कि पूरी दुनिया में लाखों करोड़ों परिंदों की जान लेने वाला वायरस, और भी मिंक फार्मों में फैल कर "ज्यादा संक्रामक" बन सकता है. वैज्ञानिक जर्नल साइंस को दिए एक इंटरव्यू में इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वायरोलजिस्ट टॉम पीकॉक कहते हैं, "ये बेहद चिंता की बात है. एच5 वैश्विक महामारी के उभार की ये स्पष्ट प्रक्रिया है."
क्या बर्ड फ्लू से भड़क सकती है इंसानों में महामारी
डब्लूएचओ के मुताबिक, पूरी दुनिया में जनवरी 2003 से नवंबर 2022 तक इंसानों में एच5एन1 के 868 ज्ञात मामलों में से 457 में मौत हुई थी. लेकिन क्योंकि इंसान से इंसान में कोई टिकाऊ संक्रमण नहीं रहा है, लिहाजा बर्ड फ्लू से इंसानों में संक्रमण का खतरा कम है.
बर्ड फ्लू के कुछ ज्यादा खतरनाक वायरसों में, नयी पशुजन्य बीमारियां पैदा करने की क्षमता बढ़ी हुई होती है. ऐसी बीमारियां जानवरों से इंसानों में और इंसानों से जानवरों में फैलती हैं. टिम हार्डर कहते हैं कि "बेशक इंसानों में ज्यादा व्यापक अनुकूलन के लिए वायरसों के सामने असंख्य बाधाएं मौजूद हैं, फिर भी मिंक को संक्रमित करने वाले वायरस म्युटेशनों का आगे भी अध्ययन और आकलन करते रहना होगा."
कैसे बनता है कोई निर्दोष वायरस खतरनाक
पशु व्यवहार पर माक्स प्लांक संस्थान में पक्षीविज्ञानी, वोल्फगांग फीडलर कहते हैं कि लंबे समय तक मुर्गाबी (जलपक्षी) में इंफ्लुएंजा वायरस पनपता रहा था, लेकिन उसके शुरुआती स्ट्रेनों से रोग कम फैलता था. वायरस ज्यादा संक्रामक या नुकसानदायक नहीं थे. वे बताते हैं कि जंगली पक्षियों के लिए निर्दोष ये वायरस जब फैक्ट्री पोल्ट्री फार्मों में पनपने लगे, जहां हजारों पक्षियों को एक साथ सिकुड़ी हुई जगह में कस कर रखा जाता है, तो बीमारी तेजी से फैली और वायरस में म्युटेशन भी होने लगे.
नतीजा था, वायरस के अधिक संक्रामक स्ट्रेन एच5एन1 और एच5एन8. एवियन इंफ्लुएंजा और जंगली पक्षियों पर संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक ये स्ट्रेन बहुत मुमकिन है कि पूर्वी एशिया के पोल्ट्री फार्मों से निकले थे. फार्मों की बतखों में जंगली पक्षियों से संक्रमित होने की आशंका रहती है. फीडलर उदाहरण देते हुए बताते हैं कि बतखें, "सुअरों के साथ रखी जाती हैं," जिससे म्युटेशन की आशंका बढ़ जाती है. पशुपालन के ऐसे तरीके "इस किस्म के वायरस को मजे से पनपने का खुला मौका देते हैं."
संयुक्त राष्ट्र की बर्ड फ्लू पर स्पेशल टास्क फोर्स के मुताबिक, दरअसल रोग फैलाने वाले उच्च स्तर के वायरस स्ट्रेन का संक्रमण, "सघन घरेलू मुर्गीपालन और उसके व्यापार और बाजार पद्धतियों" से ही खासतौर पर जुड़ा होता है. "दूषित पोल्ट्री, पोल्ट्री उत्पाद और बेजान चीजों के जरिए ये संक्रमण फैलता है." वायरोलजिस्ट टिम हार्डर के मुताबिक संक्रामक एच5एन1 और एच5एन8 वायरस स्ट्रेन संक्रमित मुर्गियों के जरिए जंगली पक्षियों में जाता है. प्रवासी पक्षियों के साथ वायरस लंबी दूरियों तक पहुंच सकते हैं.
बर्ड फ्लू संक्रमण से हुआ कितना नुकसान
यूरोपीय संघ के यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण के मुताबिक, मौजूदा बर्ड फ्लू संक्रमण यूरोप में अब तक का सबसे बड़ा है. अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच 37 देशों में पांच करोड़ फार्म पक्षियों को मारना पड़ा. जंगली परिंदों में संक्रमण के 3800 से ज्यादा मामले पाए गए. जानकार मानते हैं कि ऐसे मामलों की संख्या और भी ज्यादा होगी जो रिपोर्ट नहीं हो पाए.
हाल तक, बर्ड फ्लू शरद और शीत ऋतुओं में ही मुख्यतः होता था. लेकिन हार्डर कहते हैं कि "अब वायरस गर्मियों में भी जंगली पक्षियों के बीच फैल रहा है." वे कहते हैं कि अपेक्षाकृत गरम महीनों में परिंदे बड़े सामूहिक ठिकानों में पास पास ब्रीडिंग करते हैं और उससे वायरस को पनपने के लिए आदर्श स्थितियां मिल जाती हैं. बर्ड फ्लू की लहर शरद में पहली बार दक्षिण अमेरिका भी पहुंच गई. पेरु, वेनेजुएला, इक्वाडोर और कोलम्बिया जैसे देश प्रभावित हुए. होंडुरास में एक सप्ताह में ही 240 से ज्यादा पेलिकन मरी हुई पाई गईं.
हार्डर कहते हैं कि उनकी चिंता ये है कि वायरस दक्षिण अमेरिका से अंटार्कटिक तक चला गया तो पेंग्विनों के लिए खतरा बन सकता है. अभी अंटार्कटिक के अलावा, सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही इस वायरस से बचा हुआ है. पक्षियों में तीव्र संक्रमण के बावजूद, हार्डर को उम्मीद की एक किरण नजर आती है. वो ये कि, वायरस का ये व्यापक फैलाव, जंगली परिंदों में इम्युनिटी को प्रोत्साहित कर सकता है. जीवित पशुओं में एंटीबॉडीज मिलने ही लगी हैं. (dw.com)
यूक्रेन, 11 फरवरी । पिछले डेढ़ साल से कई राजनीतिक और आर्थिक संकटों से जूझने के बाद यूरोपीय देश मोल्दोवा की सरकार ने इस्तीफ़ा दे दिया है.
देश की निवर्तमान प्रधानमंत्री नतालिया गैव्रिलिटा ने शुक्रवार को दिए अपने इस्तीफ़े में कहा कि यूरोप का सबसे ग़रीब देश 'कई संकटों' से जूझ रहा है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 2021 में जब चुनी गई थी, तो किसी को भी 'यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पैदा हुए इतने संकटों से जूझने' का अनुमान नहीं था.
यूक्रेन के दक्षिण पश्चिम में बसा यह देश रूस के आक्रामक रुख़, महंगाई, तेल की बढ़ी क़ीमत और शरणार्थियों की समस्या की समस्या से जूझ रहा है. मोल्दोवा की 1,222 किलोमीटर की सीमा यूक्रेन से लगती है.
सरकार के इस्तीफ़े की ख़बर मोल्दोवा के एयरस्पेस से रूसी मिसाइलों के गुजरने के बाद सामने आई. (bbc.com/hindi)
बीते शुक्रवार को चीन ने कहा है कि उसने बार-बार अपने मानवरहित बलून के बारे में अमेरिका के साथ जानकारी साझा की है.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन ने अमेरिका के साथ अपने मानवरहित एयरशिप से जुड़ी जानकारी साझा की है और मौसम संबंधी जानकारी जुटाने वाले ये एयरशिप अप्रत्याशित कारणों से अमेरिका के हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था.
अमेरिका का दावा है कि उसे चीनी बलून में ऐसे उपकरण मिले हैं जिसका इस्तेमाल साफ़ तौर पर इंटेलिजेंस सर्विलांस के लिए होता है न कि मौसम संबंधी जानकारी जुटाने में.
शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में माओ निंग से समाचार एजेंसी एएफ़पी के संवाददाता ने सवाल पूछा कि इस बारे में चीन का क्या कहना है.
इसे जवाब में माओ निंग ने कहा कि बलून पर लगे उपकरण के बरे में अभी उनके पास जानकारी नहीं है.
इस दौरान उन्होंने अमेरिका के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने चीनी बलून के ज़रिए अमेरिका की कथित जासूसी करने के चीन के प्रयास की कड़ी निंदा की है.
चीन ने अमेरिका के इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि अमेरिकी कांग्रेस का यह प्रस्ताव पूरी तरह से राजनीतिक लाभ लेने और मामले को नाटकीय बनाने की कोशिश है. उसके अनुसार, चीन इस तरह की कोशिशों का पुरज़ोर विरोध करता है.
चीनी वदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने अमेरिका के कई राज्य सरकारों के उस प्रस्ताव की भी आलोचना की है, जिसके तहत नेशनल सिक्योरिटी का हवाला देते हुए चीनी नागरिकों की संपत्ति ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है, जो बाज़ार अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के विपरीत है. इससे अमेरिका के प्रति दुनिया का विश्वास कमज़ोर होगा. (bbc.com/hindi)
अमेरिकी आसमान में चीनी बलून नज़र आने के बाद अब अमेरिका ने छह चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. देश के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक़, इन कंपनियों का संबंध सैन्य समर्थन वाले चीनी के बैलून जासूसी प्रोग्राम से है.
मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि इन छह कंपनियों का संबंध चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के एरोस्पेस प्रोग्राम से है. इनसे देश की सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है.
बयान में कहा गया है कि ये छह कंपनियां अमेरिकी सरकार की अनुमति के बिना न तो अमेरिकी उपकरण खरीद सकेंगी और न ही अमेरिकी तकनीक ही खरीद सकेंगी.
बयान में डिप्टी व्यापार मंत्री डॉन ग्रेविस ने कहा कि अमेरिकी सुरक्षा और संप्रभुता को बचाने की दिशा में अमेरिका व्यापार मंत्रालय रेगुलेटरी व्यवस्थाओं के इस्तेमाल से पीछे नहीं हटेगा.
बयान में कहा गया है कि चीनी सेना खुफ़िया जानकारी जुटाने के लिए ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारों का इस्तेमाल कर रही है जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए ख़तरा है. जिन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में शामिल किया गया है वो हैं-
1. बीजिंग नानजियांग एरोस्पेस टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन,
2. चाइना इलेक्ट्रोनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन,
3. 48 रिसर्च इंस्टीट्यूट दोन्गुआन लिंगकॉन्ग रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन,
4. ईगल्स मैन एविएशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन,
5. गुआंगज़ू तियान-हाई-शियांग एविएशन टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन और
6. शान्शी ईगल्स मैन एविएशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन. (bbc.com/hindi)