अंतरराष्ट्रीय
यूक्रेन, 8 फरवरी । यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का शुक्रिया अदा किया है.
जे़ेलेंस्की ने ट्वीट किया, ''राष्ट्र को संबोधित करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति का यूक्रेन को मज़बूती से समर्थन देने के लिए धन्यवाद. हम यूक्रेन की मदद करने के लिए अमेरिकी नेतृत्व के आभारी हैं. हमारे मूल्य समान हैं और हमारा एक ही मकसद है जीतना. अपने भविष्य को खुद चुनना. ये मकसद है और यही रहेगा.''
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए यूक्रेन के लिए एकजुटता से खड़े रहने की बात कही थी.
बाइडन ने कहा, "अमेरिका आपके देश की मदद के लिए एकजुट है. चाहे जितना भी समय लगे हम आपके साथ खड़े रहेंगे."
उन्होंने नेटो गठबंधन और रूस के सामने उसकी मज़बूती के प्रदर्शन की तारीफ़ भी की. (bbc.com/hindi)
हांगकांग के जाने-माने लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं पर नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के अंतर्गत मुकदमा शुरू हुआ है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मुकदमा हांगकांग की न्यायिक स्वतंत्रता का लिटमस टेस्ट है.
हांगकांग के जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ चल रही सुनवाई पर दुनियाभर की नजर है. नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत हो रहा अबतक का सबसे बड़ा मुकदमा है. अगर ये कार्यकर्ता दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें उम्रकैद की सजा हो सकती है. इन कार्यकर्ताओं में मशहूर एक्टिविस्ट जोशुआ वांग भी शामिल हैं.
6 फरवरी को शुरु हुए इस मुकदमे का घटनाक्रम 2019-2020 के आंदोलन से जुड़ा है. जुलाई 2020 में लोकतंत्र समर्थक धड़े ने एक अनौपचारिक प्राइमरी का आयोजन किया था. इसका मकसद था, लोकतंत्र समर्थक मजबूत उम्मीदवारों को चुनना, जिनकी लेजिस्लेटिव काउंसिल के चुनाव में जीतने की ज्यादा संभावना हो. ताकि लोकतंत्र के पक्षधरों को काउंसिल में बढ़त मिल सके.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने की आलोचना
इसमें शामिल कई लोगों को जनवरी 2021 में गिरफ्तार कर लिया गया था. अरेस्ट किए गए लोगों में से 47 पर नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत सत्ता पलट की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इन्हें "हांगकांग 47" कहा जाता है.
47 में से 16 आरोपियों ने खुद को दोषी नहीं माना है. अभी शुरू हुई अदालती कार्रवाई इन्हीं पर केंद्रित है. बाकी 29 एक्टिविस्ट जिन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को स्वीकार कर लिया है, उन्हें इस मुकदमे के बाद सजा सुनाई जाएगी. यह मुकदमा 90 दिन तक चलने की उम्मीद है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसकी आलोचना कर रहा है. मानवाधिकार संगठन आरोपियों को रिहा किए जाने की मांग कर रहे हैं.
यह तस्वीर लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता माइकल पांग की है. 6 फरवरी को नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत शुरू हुए ट्रायल में जिन लोगों पर मुकदमा चल रहा है, उनमें माइकल भी शामिल हैं. यह तस्वीर लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता माइकल पांग की है. 6 फरवरी को नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत शुरू हुए ट्रायल में जिन लोगों पर मुकदमा चल रहा है, उनमें माइकल भी शामिल
हांगकांग का संक्षिप्त इतिहास
1839 से 1842 तक चले पहले अफीम युद्ध में ब्रिटेन के हाथों चीन की हार हुई. अगस्त 1842 में नानकिंग संधि के साथ युद्ध खत्म हुआ. संधि की शर्तों के मुताबिक ना केवल ब्रिटेन को चीन में मुक्त व्यापार का अधिकार मिला, बल्कि उसे हांगकांग द्वीप का नियंत्रण भी मिल गया. 1898 में चीन ने करीब 235 द्वीप 99 साल के लीज पर ब्रिटेन को दिए. लीज की अवधि 1 जुलाई, 1898 से शुरू हुई. इसे 99 साल बाद 1 जुलाई, 1997 को खत्म होना था.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1941 में जापान ने हांगकांग पर कब्जा कर लिया. साम्राज्यवादी जापान की हार के बाद हांगकांग दोबारा ब्रिटेन के नियंत्रण में आ गया. यहां एक सरकार का गठन किया गया. आने वाले दशकों में हांगकांग बड़ा औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र बनकर उभरा.
वन कंट्री, टू सिस्टम्स
चूंकि द्वीप पर ब्रिटेन को मिले लीज की अवधि खत्म होने की ओर बढ़ रही थी, ऐसे में 1982 में ब्रिटेन और चीन के बीच हांगकांग के भविष्य को लेकर वार्ता शुरू हुई. 1984 में दोनों पक्षों ने एक साझे मसौदे पर दस्तखत किए. तय हुआ कि 1997 में हांगकांग वापस चीन को मिल जाएगा.
चीन ने हांगकांग को "विशेष प्रशासनिक क्षेत्र" का दर्जा दिया. इसके तहत चीन का हिस्सा होते हुए भी हांगकांग को अलग सिस्टम मिला. इस विशेष संबंध की पॉलिसी है- वन कंट्री, टू सिस्टम्स. यानी एक देश दो व्यवस्थाएं. इसी के तहत हांगकांग को काफी स्वायत्तता मिली. यहां का कानूनी सिस्टम अलग था. प्रेस की आजादी थी. नागरिकों के अपेक्षाकृत मजबूत अधिकार थे. उसे ये आजादी "बेसिक लॉ" नाम की एक संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत मिली. हालांकि इस कानून की मियाद केवल 50 साल है, जो 2047 में खत्म हो जाएगी.
हांगकांग के विरोध प्रदर्शन
1997 में चीन को दोबारा नियंत्रण मिलने के बाद हांगकांग में कई बार बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए. साल 2003 में नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ के खिलाफ लोग सड़कों पर आए. इसी तरह 2012 में भी छात्रों ने बड़ा आंदोलन किया. ये दोनों विरोध प्रदर्शन अपने मकसद में काफी हद तक सफल रहे थे. लेकिन 2014 में जब हांगकांग में लोग निष्पक्ष चुनाव की मांग में सड़कों पर उतरे, तब स्थितियां अलग थीं.
हांगकांग का प्रशासन एक लेजिस्लेटिव काउंसिल देखती है. लोगों का आरोप था कि इसका नियंत्रण चीन समर्थक समूहों के हाथ में है. इसी पृष्ठभूमि में 2014 में "अम्ब्रैला मूवमेंट" शुरू हुआ. लोग ज्यादा लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि उन्हें निष्पक्ष लोकतांत्रिक तरीके से स्थानीय नेता चुनने की आजादी दी जाए.
प्रदर्शनकारी पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पेपर स्प्रे और आंसू गैस से बचने के लिए छाता लेकर आने लगे. इसी वजह से इस आंदोलन को "अम्ब्रैला मूवमेंट" कहा जाने लगा. प्रशासन ने आंदोलनकारियों पर सख्ती दिखाई. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए. कई पर मुकदमे भी चले. कई जानकारों की राय है कि इसी समय से हांगकांग पर चीन का रुख कड़ा होता गया.
2019-20 के विरोध प्रदर्शन
हांगकांग पर चीन के बढ़ते नियंत्रण के बीच अप्रैल 2019 में प्रशासन ने एक प्रत्यर्पण नीति का प्रस्ताव रखा. इसके तहत आपराधिक मामलों में आरोपियों को मुकदमा चलाने के लिए चीन ले जाया जा सकता था. आलोचकों का कहना था कि इससे ट्रायल की निष्पक्षता प्रभावित होगी. आलोचकों, विपक्षियों और पत्रकारों को निशाना बनाना आसान हो जाएगा. न्यायिक स्वतंत्रता कम होगी और चीन का दखल बढ़ेगा. जून 2019 में इस प्रस्तावित प्रत्यर्पण नीति के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन शुरू हुए.
भारी विरोध के बीच सितंबर 2019 में प्रस्ताव वापस ले लिया गया, मगर आंदोलन जारी रहा. आंदोलनकारियों को डर था कि प्रस्तावित बिल वापस लाया जा सकता है. ऐसे में अब वो हांगकांग को पूरी तरह लोकतांत्रिक बनाने की मांग करने लगे. साथ ही, प्रदर्शनकारियों पर की गई पुलिस कार्रवाई की जांच भी बड़ा मुद्दा थी. प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की सख्ती बढ़ती गई. हिंसक झड़पों की नियमितता बढ़ गई.
जिला काउंसिल के चुनाव
इसी माहौल में नवंबर 2019 में स्थानीय जिला काउंसिल चुनाव हुए. इसमें लोकतंत्र समर्थकों को बड़ी जीत मिली. 18 में से 17 काउंसिल में उन्हें जीत मिली. राजनैतिक अधिकारों के लिहाज से जिला काउंसलर्स के पास बहुत ताकत नहीं थी. मगर उनकी अहम भूमिका चीफ एक्जिक्यूटिव के चुनाव से जुड़ी थी.
यह चुनाव सितंबर 2020 में होना था. चीफ एक्जिक्यूटिव को चुनने के लिए 1,200 सदस्यों की एक समिति वोट डालती है. इनमें जिला काउंसलर्स भी होते हैं. ऐसे में इन काउंसिलों के भीतर लोकतांत्रिक धड़े की बढ़त से चीफ एक्जिक्यूटिव, यानी हांगकांग के अगले लीडर के चुनाव पर भी असर पड़ने की उम्मीद थी.
कब आया नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ?
साल 2020 में ब्रिटेन द्वारा चीन को हांगकांग सौंपे जाने की 23वीं सालगिरह थी. इससे ठीक पहले 30 जून, 2020 को रात के तकरीबन 11 बजे चीन ने हांगकांग में एक विशेष कानून लागू किया. इसे नेशनल सिक्यॉरिटी लॉ कहते हैं. इसके तहत कई विशेष कानून लागू किए गए. मसलन, विदेशी शक्तियों के साथ "मिलीभगत" साबित होने पर उम्रकैद का प्रावधान. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, आतंकवादी गतिविधि मानी जाएगी.
इन कानूनों को लागू करने के लिए हांगकांग एक राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग का गठन करेगा, जिसमें चीन द्वारा नियुक्त किया गया एक सलाहकार भी होगा. साथ ही, हांगकांग के चीफ एक्जिक्यूटिव के पास राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए जजों की नियुक्ति का अधिकार होगा. मुकदमों की सुनवाई बंद दरवाजों के पीछे भी हो सकेगी. इसके अलावा चीन के पास कानून की विवेचना का भी अधिकार होगा.
लोगों का आरोप था कि इन नए कानूनों के तहत ना केवलहांगकांगकी स्वायत्तता घटाई जा रही है, बल्कि नागरिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का भी दमन किया जा रहा है. आलोचकों का कहना था कि इन नए कानूनों की मदद से मनमाने आरोप लगाकर और यथोचित प्रक्रिया का पालन किए बिना, निष्पक्ष ट्रायल के बिना विरोधियों को निशाना बनाना आसान हो जाएगा.
इन कानूनों के खिलाफ हांगकांग में प्रदर्शन जोर पकड़ता गया. प्रशासन ने प्रदर्शनों को दबाने में काफी सख्ती दिखाई. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया. बड़ी संख्या में एक्टिविस्ट्स को जेल में डाल दिया गया. कई एक्टिविस्ट देश छोड़कर चले गए. सख्तियों के चलते धीरे-धीरे प्रदर्शन भी कमोबेश खत्म होता गया.
हांगकांग में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और प्रबंधित हो गई. कोरोना का खतरा बताकर लेजिस्लेटिव चुनाव रोक दिए गए. बाद के महीनों में चुनावी व्यवस्था का पुनर्गठन किया गया. जानकारों का कहना है कि इस व्यवस्था ने चीन की शक्ति बढ़ा दी है. हांगकांग की स्थानीय सरकार में कौन चुना जाएगा, इसपर चीन का नियंत्रण पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.
एसएम/एडी (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
वाशिंगटन, 8 फरवरी । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने संसद में दिए भाषण में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर निशाना साधा है.
अमेरिकी आसमान में चीन के 'जासूसी' गुब्बारे के दिखने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.
ऐसे में 2024 चुनाव से पहले अहम माने जाने वाले इस स्टेट ऑफ़ यूनियन स्पीच में बाइडन ने चीन पर भी कुछ बातें कही हैं.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, "मेरे सत्ता संभालने से पहले चीन की ताक़त बढ़ने और दुनिया में अमेरिका के पिछड़ने की कहानी सुनाई देती थी, लेकिन अब और नहीं."
बाइडन बोले, "मैंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ये स्पष्ट कर दिया था कि हम प्रतिस्पर्धा चाहते हैं, संघर्ष नहीं. मैं इस बात के लिए माफ़ी नहीं मांगूंगा कि हम अमेरिका को ताक़तवर बनाने के लिए निवेश कर रहे हैं. हम अमेरिका में नई चीज़ों और उद्योगों में निवेश कर रहे हैं जो हमारा भविष्य तय करेंगी. लेकिन चीन की सरकार हावी होने पर ज़ोर दे रही है."
बाइडन ने कहा, "बीते दो सालों में लोकतंत्र कमज़ोर नहीं, मज़बूत हुआ है. निरंकुशता कमज़ोर हुई है न कि ताक़तवर. आप मुझे एक ऐसे नेता का नाम बताइए, जो आज के समय में शी जिनपिंग की जगह लेना चाहेगा. कोई नेता ऐसा नहीं करना चाहेगा."
बाइडन चीन पर और क्या बोले?
हम अपने सहयोगियों के साथ आधुनिक तकनीक पर काम कर रहे हैं ताकि उसका इस्तेमाल हमारे ख़िलाफ़ ना हो.
हम अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर काम कर रहे हैं ताकि स्थिरता क़ायम रख सकें.
दुनिया के किसी भी देश की तुलना में आज हम चीन के सामने सबसे मज़बूती से खड़े हैं.
जहाँ अमेरिकी हितों और दुनिया के लिए फ़ायदे की बात होगी, वहाँ मैं चीन के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हूँ.
किसी तरह की ग़लती ना करते हुए हमने बीते हफ़्ते ये स्पष्ट किया कि अगर चीन हमारी संप्रभुता पर ख़तरा बनेगा, तो हम अपने देश की रक्षा करेंगे और हमने ऐसा किया भी.
एक बात और स्पष्ट कर दूँ. चीन से प्रतिस्पर्धा जीतने के लिए हम सबको एक होना होगा. हम पूरी दुनिया में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
बाइडन ने पुतिन पर क्या कुछ कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का ये भाषण ऐसे वक़्त में हो रहा है, जब यूक्रेन-रूस युद्ध को एक साल पूरा हो रहा है.
बाइडन ने अपने भाषण में पुतिन पर भी हमला बोला. बाइडन ने कहा, "हम पुतिन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ खड़े हुए."
बाइडन ने नेटो सहयोगियों की तारीफ़ की. उन्होंने कहा, "एक साथ मिलकर हमने वो किया, जो अमेरिका हमेशा सबसे अच्छे से करता है. हमने नेतृत्व दिखाया."
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हमने नेटो देशों को एकजुट किया और एक वैश्विक गठबंधन बनाया. हम पुतिन के ख़िलाफ़ खड़े हुए और हमने यूक्रेन के लोगों का साथ दिया."
बाइडन जब ये भाषण दे रहे थे, तब अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत भी वहाँ मौजूद थे.
बाइडन ने कहा, "अंबेसडर, आपके देश का साथ देने के लिए अमेरिका एकजुट है. जितना भी वक़्त लगे, हम आपके साथ खड़े रहेंगे."
पुलिस सुधारों, टीचर की सैलरी पर बाइडन क्या बोले?
जो बाइडन ने अपने भाषण में अमेरिका में पुलिस में सुधारों को लेकर हो रही चर्चा का भी ज़िक्र किया.
बाइडन ने कहा, "क़ानून के अंतर्गत सभी को समान सुरक्षा एक ऐसी प्रतिज्ञा है, जो हम अमेरिका में एक-दूसरे से करते हैं."
कुछ दिन पहले अमेरिका के टेनेसी प्रांत में 29 साल के टायरी निकोल्स की मौत हो गई थी.
पुलिसकर्मियों ने टायरी निकोल्स के साथ मार-पीट की थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.
इस मामले के सामने आने के बाद अमेरिका में एक बार फिर पुलिस सुधारों को लेकर मुहिम शुरू होती दिखी.
टायरी निकोल्स के वकील बेन क्रंप ने अमेरिकी संसद से गुज़ारिश की थी कि पुलिस व्यवस्था में सुधारों से जुड़े क़ानून को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए.
ये बिल इससे पहले जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद चर्चा में आया था, लेकिन कांग्रेस में पास नहीं हो सका था.
अगर ये बिल पास होता है, तो पुलिसवालों की ज़िम्मेदारी तय की जाएगी और विभागों से संबंधित सुधारों को लागू किया जाएगा.
बाइडन ने अपने भाषण में टीचर्स की सैलरी बढ़ाए जाने का भी एलान किया.
बाइडन ने कोविड दौर के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था के उभरने की भी बात की.
बाइडन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका पर क़र्ज़ बढ़ाने को लेकर आलोचना की.
ट्रंप का ज़िक्र आते ही बाइडन को विरोध का सामना करना पड़ा. (bbc.com/hindi)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 8 फरवरी। चीन ने भारत और जापान समेत कई देशों को निशाना बनाकर जासूसी गुब्बारों के एक बेड़े को संचालित किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी सेना ने अमेरिका के संवेदनशील प्रतिष्ठानों के ऊपर मंडरा रहे एक चीनी निगरानी गुब्बारे को नष्ट कर दिया था।
अमेरिकी अधिकारियों ने भारत समेत अपने मित्रों एवं सहयोगियों को चीनी गुब्बारे संबंधी जानकारी से अवगत कराया है। इस गुब्बारे को शनिवार को अटलांटिक महासागर के ऊपर साउथ कैरोलाइना के तट पर एक लड़ाकू विमान ने नष्ट कर दिया था।
अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने सोमवार को यहां करीब 40 दूतावासों के अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी।
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने मंगलवार को कहा कि गुब्बारे से निगरानी के प्रयास के तहत ‘‘जापान, भारत, वियतनाम, ताइवान और फिलीपीन समेत कई देशों और चीन के लिए उभरते रणनीतिक हित वाले क्षेत्रों में सैन्य संपत्तियों संबंधी जानकारी एकत्र की गई है।’’
यह रिपोर्ट कई अनाम रक्षा एवं खुफिया अधिकारियों से ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के साक्षात्कार पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा है कि चीन की पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) वायु सेना द्वारा संचालित इन निगरानी यान को पांच महाद्वीपों में देखा गया है।
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ‘‘ये गुब्बारे पीआरसी (चीनी जनवादी गणराज्य) के गुब्बारों के बेड़े का हिस्सा हैं, जिन्हें निगरानी अभियान चलाने के लिए विकसित किया गया है और इन्होंने अन्य देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।’’
दैनिक समाचार पत्र के अनुसार, हाल के वर्षों में हवाई, फ्लोरिडा, टेक्सास और गुआम में कम से कम चार गुब्बारे देखे गए और इसके अलावा पिछले सप्ताह एक गुब्बारा देखा गया।
इन चार में से तीन घटनाएं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान हुईं, लेकिन चीनी निगरानी यान के रूप में इनकी पहचान हाल में हुई।
पेंटागन ने मंगलवार को गुब्बारे की तस्वीरें जारी कीं। (भाषा)
तुर्की, 8 फरवरी । तुर्की सरकार द्वारा दो दशक से ज़्यादा समय पहले लगाए गए "भूकंप टैक्स" के इस्तेमाल पर आम जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
अनुमानित 88 बिलियन लीरा की रकम का इस्तेमाल आपदा की रोकथाम और आपातकालीन सेवाओं के विकास.पर खर्च किया जाना था.
1999 में, उत्तर पश्चिमी तुर्की में आए शक्तिशाली भूकंप में 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे.
जब भी तुर्की में भूकंप आता है तब इस टैक्स के बारे में सवाल पूछे जाते हैं. अधिकारी इसे "विशेष संचार कर" कहते हैं.
बीबीसी तुर्की का कहना है कि सरकार ने कभी सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया कि इस पैसे को कैसे खर्च किया जाता है.
61 वर्षीय सेलाल डेनिज़ का भाई और भतीजा मलबे में दबे हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा, "1999 से एकत्र किए गए हमारे सभी कर कहां गए?" (bbc.com/hindi)
(एम जुल्करनैन)
लाहौर, 8 फरवरी। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भारत के साथ संबंध तभी आगे बढ़ाए जा सकते हैं जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करें।
भारतीय संसद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को 2019 में रद्द कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख- में विभाजित कर दिया था।
खान ने लाहौर स्थित अपने जमान पार्क निवास में विदेशी मीडिया से बातचीत के दौरान मंगलवार शाम को ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया है। अब भारत के साथ वार्ता तभी हो सकती है जब मोदी (के नेतृत्व वाला) प्रशासन इसे (विशेष दर्जे को) बहाल करे।’’
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता ने कानून के शासन संबंधी एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यदि कानून का शासन नहीं हो, तो पाकिस्तान का कोई भविष्य नहीं होगा। उदाहरण के लिए भारत को लीजिए। उसने कानून के शासन के कारण प्रगति की।’’
खान पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावों में देरी की पीएमएल (एन) (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज) नीत सत्तारूढ़ गठबंधन की ‘‘साजिश को नाकाम’’ करने और ‘‘संविधान की रक्षा’’ के लिए न्यायपालिका से आस लगाए हुए हैं। इन दोनों प्रांतों में पिछले महीने विधानसभाएं भंग होने के बाद 90 दिन में चुनाव होने हैं।
खान को पीएमएलएन ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया था। खान ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने सैन्य प्रतिष्ठान में अपने आकाओं के समर्थन से उन्हें राजनीति से निकालने के लिए साजिश रची।
यह पूछे जाने पर कि क्या सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर भी इस प्रकार के प्रयासों में शामिल थे, उन्होंने कहा, ‘‘वह दो महीने से कार्यालय में नहीं हैं और मैं उन्हें संदेह का लाभ देता हूं।’’
खान ने आरोप लगाया कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ उन्हें अयोग्य घोषित कराना चाहते हैं। खान ने नवाज शरीफ पर पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार पर संसद में मतदान के दौरान बाजवा के साथ सौदा करने का भी आरोप लगाया।
इमरान खान ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि सैन्य प्रतिष्ठान ‘‘शरीफ और जरदारी जैसे भ्रष्ट अपराधियों का पक्ष’’ कैसे ले सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सेना और लोगों के बीच एक स्पष्ट खाई है। वे इस देश को लूटने वालों को सेना के समर्थन देने से नाराज हैं। मैं आपको बता दूं कि यह देश के लिए बहुत खतरनाक है।’’ (भाषा)
वाशिंगटन, 8 फरवरी । अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन ने दोनों मुल्कों के रक्षा मंत्रियों लॉयड ऑस्टिन और जनरल वी फेंगहे के बीच बातचीत की पेशकश को ठुकरा दिया है.
मंगलवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता पैट राइडर ने कहा कि शनिवार को रक्षा मंत्रालय ने चीन के ग़ुब्बारे को गिरा दिया था जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने फ़ोन पर चीन से गुज़ारिश की कि दोनों देशओं के रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत हो.
हमें लगता है कि ये ज़रूरी है कि संबंधों में ज़िम्मेदारी दिखाते हुए दोनों के बीच बातचीत के रास्ते खुले रखे जाएं. इस तरह की स्थिति में दोनों मुल्कों के बीच संवाद के दरवाज़े खुले रहने चाहिए."
इससे पहले शनिवार को अमेरिका ने एक फ़ाइटर जेट की मदद से अमेरिका में दिखा चीन का ग़ुब्बारा गिरा दिया था.
इस मामले में चीन ने कहा था कि ये ग़ुब्बारा मौसम की जानकारी के लिए छोड़ा गया था और ग़लती से अमेरिका के वायु क्षेत्र में दाख़िल हो गया. चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इसके लिए खेद जताया था.
इसके बाद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन का अपना दौरा भी रद्द कर दिया था.
चीन ने ग़ुब्बारे को गिराने की अमेरिका की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया था और कहा कि अमेरिका ने ताक़त का इस्तेमाल किया. चीन ने कहा कि अमेरिका मामला बढ़ाकर स्थति को और जटिल न बनाए. (bbc.com/hindi)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 8 फरवरी। संदिग्ध जासूसी गुब्बारे को लेकर चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अगर अमेरिका की संप्रभुता के लिए चीन खतरा उत्पन्न करता है तो आत्मरक्षा में कदम उठाए जाएंगे।
बाइडन ने मंगलवार रात अपने ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में कहा, ‘‘ मैं चीन के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जहां वह अमेरिकी हितों को आगे बढ़ा सकता है और दुनिया को फायदा पहुंचा सकता है। हालांकि कोई संदेह न रखें, हमने पिछले सप्ताह ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर चीन हमारी संप्रभुता के लिए खतरे उत्पन्न करता है, तो हम अपने देश की रक्षा के लिए कार्रवाई करेंगे।’’
अमेरिकी सेना ने पिछले हफ्ते अटलांटिक महासागर के ऊपर संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को गिरा दिया है। इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने मंगलवार को कहा कि वह इस मामले में ‘‘दृढ़ता से अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करेगा।’’
अमेरिका ने चीन पर अमेरिकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
बाइडन का इस बार का बयान ‘‘एकता’’ के इर्द-गिर्द घूमता रहा। उन्होंने कहा कि उनके दो साल के प्रशासन में निरंकुशता कम हुई है।
वार्षिक संबोधन के दौरान इस बार नजारा पिछले दो साल से अलग रहा, क्योंकि मध्यावधि चुनाव में प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन ने बहुमत हासिल कर लिया है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अमेरिका जलवायु और वैश्विक स्वास्थ्य से लेकर खाद्य असुरक्षा, आतंकवाद और क्षेत्रीय आक्रामकता तक तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए फिर से दुनिया को एकजुट कर रहा है।"
उन्होंने कहा, ‘‘ सहयोगी बढ़ रहे हैं, अधिक कार्रवाई कर रहे हैं। प्रशांत और अटलांटिक में भागीदारों के बीच सेतु कायम हो रहे हैं। अमेरिका के खिलाफ जाने वाले लोगों को पता चल रहा है कि वे कितने गलत हैं। अमेरिका के खिलाफ जाना कभी सही नहीं होता।’’
बाइडन ने अपने भाषण में कई बार चीन का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने से पहले कहानी यह थी कि कैसे चीन अपनी ताकत बढ़ा रहा है और अमेरिका दुनिया में पिछड़ रहा है।
बाइडन ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘ अब ऐसा नहीं है। मैंने राष्ट्रपति शी (चिनफिंग) को स्पष्ट किया है कि हम प्रतिस्पर्धा चाहते हैं, संघर्ष नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे कोई खेद नहीं है कि हम अमेरिका को मजबूत बनाने के लिए निवेश कर रहे हैं। अमेरिकी नवाचार, उद्योगों में निवेश भविष्य को परिभाषित करेंगे और जहां चीन की सरकार हावी होना चाहती है। हमारी उन्नत प्रौद्योगिकियां की रक्षा के लिए हमारे गठबंधनों में निवेश कर रहे हैं और हमारे सहयोगियों के साथ काम कर रहे हैं, ताकि उनका इस्तेमाल हमारे खिलाफ न हो पाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ स्थिरता की रक्षा करने और आक्रामकता को रोकने के लिए हमारी सेना का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। आज हम चीन या दुनिया में किसी और के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए पिछले कई दशकों के मुकाबले काफी मजबूत स्थिति में हैं।’’ (भाषा)
हैदराबाद, 8 फरवरी। अमेरिका में कथित रूप से गोली लगने से मरे तेलंगाना के खम्मम जिले के छात्र के माता-पिता ने सरकार से अपने बेटे का शव वापस लाने में मदद मांगी है।
पुलिस ने बताया कि खम्मम जिले के मधिरा कस्बे के रहने वाले अखिल साई महानकली (25) का अमेरिका के अल्बामा राज्य में सोमवार को निधन हो गया था और इस सिलसिले में वहां की पुलिस ने एक भारतीय नागरिक को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है।
छात्र के माता-पिता ने मंगलवार को बताया कि अखिल अमेरिका में एमएस की पढ़ाई कर रहा था। वह 13 महीने पहले वहां गया था और पार्ट-टाइम काम भी करता था।
उसकी मां ने रोते हुए कहा, ‘‘ हमने अपने बेटे को पढ़ने के लिए भेजा था। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हम अपने बेटे को ऐसे खो देंगे।’’
अखिल के माता-पिता ने तेलंगाना, भारत और अमेरिका सरकार से बेटे का शव घर लाने में मदद करने का अनुरोध किया है। (भाषा)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर कई बातें कहीं.
उन्होंने नेटो गठबंधन और रूस के सामने उसकी मज़बूती के प्रदर्शन की तारीफ़ की.
उन्होंने कहा, "एक साथ, हमने वो किया जो अमेरिका हमेशा करता है, अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश. हमने नेतृत्व किया. हमने नेटो को एकजुट किया और वैश्विक गठबंधन बनाया. हम पुतिन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ खड़े हुए. हम यूक्रेन के लोगों के साथ खड़े हुए."
जो बाइडन ने अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत की कांग्रेस में मौजूदगी को लेकर भी ज़िक्र किया.
वह पिछले साल के संबोधन में भी उपस्थित थे. बाइडन ने कहा, "अमेरिका आपके देश की मदद के लिए एकजुट है. चाहे जितना भी समय लगे हम आपके साथ खड़े रहेंगे."
इसके अलावा उन्होंने चीन के साथ अमेरिका के संबंधों का भी ज़िक्र किया. बाइडन ने बताया कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को साफ़ कर दिया है कि अमेरिका प्रतिस्पर्धा चाहता है, टकराव नहीं.
उन्होंने अमेरिका में मिले चीनी 'जासूसी गुब्बारे' का साफ़तौर पर ज़िक्र नहीं किया लेकिन, कहा कि उनका प्रशासन हमेशा अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा. (bbc.com/hindi)
तुर्की में सोमवार को आए शक्तिशाली भूकंप के कारण हुई व्यापक तबाही के बाद राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने देश के दक्षिणी हिस्से के 10 प्रांतों में आपातकाल लगा दिया है.
टेलीविज़न पर प्रसारित एक संदेश में अर्दोआन ने कहा कि ये आपातकाल तीन महीनों के लिए होगा. तुर्की में आए भूकंप के कारण यहां और पड़ोसी सीरिया में क़रीब 7,800 लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग घायल हैं.
इससे पहले तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान शोयलू ने कहा था कि भूकंप का बड़ा असर देश के 10 शहरों- कहमानमारश, हैटे, गाज़िएनटेप, ओस्मानिये, अदियामान, सनलिउर्फ़ा, मलेटिया, अदाना, दियारबाकिएर और किलिस पर पड़ा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार तीन महीनों के आपातकाल के कारण यहां 14 मई को राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होने हैं और आपातकाल इन चुनावों से ठीक पहले ख़त्म होगा.
इससे पहले जुलाई 2016 में अर्दोआन ने तख़्तापलट की कोशिशों के बाद पूरे देश में आपातकाल लगा दिया था.
अर्दोआन ने ये भी कहा है कि राहत और बचाव कार्य में मदद के लिए क़रीब 70 देशों ने हाथ बढ़ाया है. (bbc.com/hindi)
विमान में पांच यात्री भी थे जिनमें एक बच्चा था. माना जा रहा है कि यात्रियों को रिहा कर दिया गया है.
न्यूज़ीलैंड के एक पायलट को इंडोनेशिया के पापुआ क्षेत्र में अलगाववादी लड़ाकों ने अगवा कर लिया है. उन्होंने पायलट को जान से मारने की धमकी दी है.
पायलट फिलिप मर्टेंस को तब अगवा किया गया जब विमान में आग लगने के बाद उसे नुडगा के पहाड़ी इलाक़े में उतारा गया था.
विमान में पांच यात्री भी थे जिनमें एक बच्चा था. माना जा रहा है कि यात्रियों को रिहा कर दिया गया है.
अलगाववादियों की मांग है कि इंडोनेशिया पश्चिमी पपुआ प्रांत को स्वतंत्र घोषित करे.
पुलिस का कहना है कि वो मामले की जांच कर रही है. हालांकि, इसमें काफ़ी मुश्किलें हैं क्योंकि इलाक़े में सिर्फ़ विमान के ज़रिए ही पहुंचा जा सकता है.
पश्चिमी पापुआ में सक्रिय नेशनल लिबरेशन आर्मी ने इस अपहरण की ज़िम्मेदारी ली है. इंडोनेशिया की सरकार इसे एक आतंकी समूह मानती है.
नेशनल लिबरेशन आर्मी के प्रवक्ता सेबी सैमबॉम ने कहा कि अगर इंडोनेशिया "अड़ियल रुख़ अपनाता है" और पश्चिम पापुआ की स्वतंत्रता पर बातचीत करने में विफ़ल रहता है तो पायलट को मार दिया जाएगा.
वहीं, न्यूज़ीलैंड की सरकार ने कहा है कि उन्हें इस घटना की जानकारी है और इंडोनेशिया में उनके राजदूत पायलट के परिवार की मदद कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक़ ये विमान सुसी एयर का था जो पड़ोसी ज़िले में खनन वाले शहर टिमिका से सामान आपूर्ति कर रहा था.
पापुआ इलाक़ा एक डच कॉलोनी रहा है जो दो हिस्सों में विभाजित था- पापुआ और पश्चिमी पापुआ.
इसे संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में किए गए एक विवादित मतदान के बाद इंडोनेशिया में शामिल किया गया था. इसके बाद से अलगाववादियों और इंडोनेशियाई सेना के बीच लड़ाई जारी है.
वहीं, पापुआ और पापुआ न्यू गिनी दो अलग जगह हैं. पापुआ न्यू गिनी एक देश है जिसे ऑस्ट्रेलिया से 1975 में आज़ादी मिली थी.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने भूकंप से बुरी तरह प्रभावित देश के 10 इलाकों में अगले तीन महीनों तक के लिए आपातकाल लगाने का एलान किया है.
अर्दोआन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से उनके ट्वीट किए गए बयान में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 119 का इस्तेमाल करते हुए हमने आपदा से प्रभावित 10 सूबों में राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाने के लिए आपातकाल लगाने का फ़ैसला किया है.
अर्दोआन ने यह भी बताया है कि केवल तुर्की में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 3,549 हो गई है.
उन्होंने दुनिया के 70 देशों से मदद के प्रस्ताव मिलने की पुष्टि की है.
राष्ट्रपति अर्दोआन ने तुर्की के पांचवें सबसे बड़े शहर अंताल्या में भूकंप से बेघर हुए लोगों को वहां के होटलों में रखने की योजना का भी एलान किया है. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य तानाशाह जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को मंगलवार को उनके गृहनगर कराची में दफ़ना दिया गया.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता इंटरस्टेट पब्लिक रिलेशंस के अनुसार, जनरल मुशर्रफ़ का शव दफ़नाते वक़्त कराची के पोलो ग्राउंड में विदाई की नमाज़ अता की गई.
इस मौक़े पर उनके परिजनों, प्रशंसकों के अलावा ज्वाइंट चीफ़ आफ़ स्टाफ़ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर भी मौजूद थे.
उनके अलावा सेना के कई सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे.
इससे पहले दुबई से ख़ास हवाई जहाज़ से जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ का शव पाकिस्तान लाया गया. उनका 79 साल की उम्र में रविवार को दुबई में निधन हो गया था. (bbc.com/hindi)
भारत में तुर्की के राजदूत फिरात सुनेल ने सोमवार तड़के अपने देश में आए भूकंप के तगड़े झटकों के कुछ ही घंटों के भीतर भारत द्वारा दी गई मदद की जमकर सराहना की है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि ज़रूरत में मदद करने वाला दोस्त वाक़ई दोस्त होता है. उन्होंने कहा कि 'दोस्त' शब्द तुर्क भाषा में है और कोई दोस्त अपने दूसरे दोस्त की मदद करता है.
उन्होंने कहा है कि भारत उन देशों में शामिल है, जिसने तुर्की में राहत और बचाव दस्ते भेजे. उनके अनुसार, पहले झटके के बाद भारत के पीएम मोदी के निर्देश के बाद एनडीआरएफ़ ने एक समन्वय बैठक बुलाई.
उन्होंने कहा कि वो भारत के गंभीर और उदार मदद की सराहना करते हैं. भूकंप के बाद के 48 से 72 घंटे बहुत अहम हैं और इस दौरान भारतीय टीमें वहां पहुंच गई.
उन्होंने कहा कि शुरुआती घंटों में सबसे ज़्यादा राहत और बचाव टीमों के साथ कुत्तों के प्रशिक्षित दल की ज़रूरत होती है.
उन्होंने बताया कि सोमवार को भारत ने राहत और बचाव कार्य चलाने के लिए उपकरणों के साथ मालवाहक विमान भेजे. आज सुबह में यह अदाना पहुंचा. दूसरा जहाज़ आज शाम से पहले तक वहां पहुंच जाएगा.
उन्होंने बताया कि दक्षिण पूर्वी तुर्की में आए भूकंप के झटकों से 1.4 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. यह बड़ी आपदा है.
इससे अब तक क़रीब 21 हज़ार लोग घायल हुए हैं. क़रीब 6,000 इमारतें ध्वस्त हो गई हैं और तीन एयरपोर्ट क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. (bbc.com/hindi)
पाकिस्तान, 7 फरवरी । पाकिस्तान में ईशनिंदा से संबंधित कंटेंट ना हटाने को लेकर विकिपीडिया पर लगा बैन अब हट गया है.
द हिंदू में छपी ख़बर के मुताबिक़, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने छह फरवरी को जारी आदेश में विकिपीडिया को अनब्लॉक करने के लिए कहा है.
दो दिन पहले ही विकिपीडिया को ब्लॉक किया गया था. ये ब्लॉक करने का फ़ैसला उस चेतावनी के बाद आया था, जिसमें गुरुवार को पाकिस्तान टेलिकम्युनिकेशन अथॉरिटी की ओर से कहा गया था कि 48 घंटों के अंदर अगर ईशनिंदा से जुड़ा कंटेंट नहीं हटाया गया तो विकिपीडिया को प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है.
विकिपीडिया ने जब ये कंटेंट नहीं हटाया तो इस पर दो दिन पहले प्रतिबंध लगाया गया था.
पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट के चलते यू-ट्यूब और फ़ेसबुक को मुल्क में कभी प्रतिबंध का सामना करना पड़ा था.
ऐसे में जब विकिपीडिया पर बैन लगाने का पीटीए ने फ़ैसला किया तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कमेटी बनाकर जांच करने का आदेश दिया.
इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विकिपीडिया से बैन हट सका है. (bbc.com/hindi)
बांग्लादेश, 7 फरवरी । बांग्लादेश से एक बार फिर हिंदू मंदिरों को निशाने बनाने की ख़बरें आ रही हैं.
ये मंदिर बांग्लादेश के ठाकुरगांव ज़िले के बालियाडंगी में थे. इन 12 मंदिरों में लगी 14 मूर्तियों को रात के अंधेरे में तोड़ा गया है. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. अब इस घटना पर बांग्लादेश के गृहमंत्री की प्रतिक्रिया आई है.
इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक़, बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज़्ज़मां ख़ान ने इंटरव्यू में कहा- हिंदू हमारे देश में थे और आगे भी रहेंगे.
असदुज़्ज़मां ख़ान बोले, ''मंदिरों पर हमला करने वालों की जल्द पहचान की जाएगी और उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जाएगा. हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. बांग्लादेश की बड़ी आबादी ने कभी आतंकवाद का समर्थन नहीं किया. ये हमारी सरकार को बदनाम करने की साजिश है.''
बांग्लादेश के गृह मंत्री कहते हैं, ''आतंकवादी इस्लाम के नाम पर जो कर रहे हैं, वो पूरी तरह से गलत है. इस्लाम आतंकवाद का समर्थन नहीं करता है. इस्लाम आधारित हमारी पार्टियां और आम लोग ऐसे लोगों से नफ़रत करते हैं. ये आतंकवादी कई बार विदेश भाग जाते हैं. पहाड़ों में ट्रेनिंग लेते हैं और लौटकर आतंक फैलाते हैं. हमारी सरकार ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ लड़ने में सफ़ल रही है और आतंकवाद अब नियंत्रण में है. लोगों की जान लेने की इस्लाम में कोई जगह नहीं है.''
बांग्लादेश में इससे पहले भी कई बार हिंदुओं और हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले होते रहे हैं.
असदुज़्ज़मां ख़ान ने कहा, ''सभी धर्मों के लोगों के सामान अधिकार हैं. कुछ संगठन धार्मिक भाईचारे को ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इसे सहन नहीं करेंगे. हिंदू मंदिरों पर हमला करने वालों को जल्द पकड़ा जाएगा.'' (bbc.com/hindi)
इस्लामाबाद, 7 फरवरी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने विकिपीडिया नामक वेबसाइट पर लगी रोक को "तत्काल प्रभाव से" हटाने का आदेश दिया है।
इससे पहले पाकिस्तान के दूरसंचार निगरानी निकाय ने आपत्तिजनक और ईशनिंदा संबंधी सामग्री को हटाने में नाकाम करने के कारण ऑनलाइन विश्वकोश विकिपीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री मरियम औरंगजेब ने सोमवार को प्रधानमंत्री का आदेश अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने वेबसाइट पर लगी रोक को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने विकिपीडिया और अन्य ऑनलाइन सामग्री से संबंधित मामलों पर गौर करने के लिए एक कैबिनेट समिति भी गठित की है।"
विकिपीडिया एक निशुल्क ऑनलाइन विश्वकोश है, जिसे दुनिया भर के स्वयंसेवियों द्वारा संपादित किया गया है।
एक प्रवक्ता के अनुसार पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण ने कहा कि उसने विकिपीडिया पर रोक लगा दी थी क्योंकि सामग्री को हटाने के लिए 48 घंटे की समय सीमा को उसने नजरअंदाज कर दिया था।
नियामक के प्रवक्ता मलहत ओबैद ने कहा, ‘‘ऐसी चीजों से मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं।’’ उन्होंने कहा कि वेबसाइट को सुनवाई का अवसर भी दिया गया था लेकिन उसने न तो ईशनिंदा सामग्री को हटाने के आदेश का पालन किया और न ही प्राधिकरण के सामने पेश हुआ।
वेबसाइट का संचालन करने वाले विकिमीडिया फाउंडेशन ने पिछले शुक्रवार को कहा था, "विकिपीडिया पर कौन सी सामग्री शामिल की गई है या उस सामग्री को कैसे बनाए रखा जाता है, इस बारे में वह फैसला नहीं करता है।’’
आलोचकों ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा था कि यह सूचना तक पहुंचने के पाकिस्तानियों के अधिकारों का उल्लंघन है।
फेसबुक और यूट्यूब जैसे दिग्गज सोशल मीडिया मंचों पर भी अतीत में ईशनिंदा संबंधी सामग्री को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं। (भाषा)
अमेरिकी सेना ने कैरोलाइना समुद्रतट के पास संदिग्ध चीनी जासूसी बलून को गिरा दिया. राष्ट्रपति जो बाइडेन की मंजूरी के बाद एफ-22 फाइटर से एक मिसाइल दागकर बलून को गिराया गया.
अमेरिका के मुताबिक, यह बलून उत्तरी अमेरिका के कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों से गुजरा था. अब अमेरिकी नौसेना इस कथित जासूसी बलून का मलबा खोज रही है. इसका मलबा पानी करीब 11 किलोमीटर के इलाके में फैला है. इसे जमा करने के लिए कई जहाजों को लगाया गया है. नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और अमेरिकी नॉदर्न कमांड के कमांडर जनरल ग्लैन वान हेर्क ने बताया कि नौसेना बलून और उसके पेलोड को तलाश रही है. स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि मलबे का हिस्सा लहरों के साथ बहकर समुद्रतट पर पहुंच सकता है. लोगों से कहा गया है कि वे मलबे के किसी हिस्से को हाथ ना लगाएं और ऐसा कुछ दिखते ही प्रशासन को जानकारी दें.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रपति बाइडेन पहले ही इस बलून को गिराना चाहते थे. मगर उन्हें सलाह दी गई कि बलून के समुद्र के ऊपर पहुंचने के बाद ही ऐसा करना बेहतर होगा. सैन्य अधिकारियों को अंदेशा था कि जमीनी इलाके के ऊपर रहते हुए अगर बलून को गिराया जाए, तो नीचे लोगों के लिए खतरा हो सकता है.
चीन ने बलून गिराए जाने पर नाराजगी जताई है. उसने अमेरिकी कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे गैरजरूरी प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया.
क्या है मामला?
2 फरवरी को अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने बताया कि वो एक संदिग्ध जासूसी बलून पर नजर रख रहा है. पेंटागन ने कहा कि यह बलून चीन का है और पिछले कई दिनों से अमेरिकी हवाई क्षेत्र में घूम रहा है. अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि बलून ने अमेरिका के कई सामरिक ठिकानों की निगरानी करने की कोशिश की. अमेरिका का आरोप है कि यह दरअसल एक चीनी जासूसी बलून था. इसके बाद 3 फरवरी को पेंटागन ने बताया कि एक और बलून लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में भी देखा गया है.
अमेरिका के मुताबिक, उसके और लैटिन अमेरिकी हवाई क्षेत्र में देखे गए बलून चीन के उन हवाई उपकरणों का हिस्सा हैं जिन्हें वह निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल करता है. एक अधिकारी के मुताबिक, इन बलूनों में नीचे की ओर एक हिस्सा होता है, जिनमें उपकरण लगे होते हैं. ये उपकरण वैसे नहीं हैं, जो आमतौर पर मौसमी सर्वेक्षणों या रिसर्च जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल होते हैं.
बलून कब पहुंचा अमेरिका?
अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, यह बलून पहली बार 28 जनवरी को अलास्का स्थित अलूशन आइलैंड्स के उत्तर से होते हुए अमेरिकी हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ. फिर अलास्का के ऊपर से होते हुए यह कनाडाई हवाई सीमा में घुसा और फिर 31 जनवरी को उत्तरी इडाहो के ऊपर से वापस अमेरिका में दाखिल हुआ. व्हाइट हाउस के मुताबिक, इसी रोज पहली बार राष्ट्रपति बाइडेन को बलून के बारे में जानकारी दी गई. 1 फरवरी को यह बलून मोंटाना के ऊपर देखा गया. यहां अमेरिकी वायु सेना का बेस है और परमाणु मिसाइल लॉन्चिंग साइलोस भी हैं.
न्यूज एजेंसी एपी ने रक्षा विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अमेरिका ने कुछ दिनों तक बलून की निगरानी और समीक्षा की. इसके उड़ने के तरीके की जांच की गई और यह भी देखा गया कि क्या बलून सर्विलांस करने में सक्षम है. इन अधिकारियों ने एपी को यह भी बताया कि संबंधित विभागों ने अपनी जांच में पाया कि यह बलून, सैटेलाइट से जमा की जा सकने वाली खुफिया जानकारियों के परे चीन को ऐसी खास अतिरिक्त जानकारी नहीं दे सकता.
चीन ने क्या कहा?
यह मामला सामने आने के बाद से ही चीन जासूसी के आरोपों से इनकार कर रहा है. अमेरिकी सेना द्वारा बलून गिराए जाने के बाद 5 फरवरी को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि चीन के पास जवाबी कदम उठाने का अधिकार है.
चीन का दावा है कि संबंधित बलून एक सिविलियन एयरशिप था और रास्ता भटक कर अमेरिका में दाखिल हुआ. बकौल चीन, इस एयरशिप के पास खुद को उड़ाने की सीमित क्षमता थी. चीन का यह भी कहना है कि इस एयरशिप को मुख्यतौर पर मौसम संबंधी सर्वे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और तेज हवा के कारण यह अपने रास्ते से भटक गया.
एयरशिप एक खास तरह का गुब्बारानुमा विमान होता है, जिसमें हवाई जहाज की तरह डैने नहीं होते. इसमें हीलियम जैसी हल्की गैस भरी होती है और इंजन लगा होता है.
बलून के कारण बढ़ा तनाव
इस बलून की अमेरिकी हवाई क्षेत्र में मौजूदगी को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. इस प्रकरण के कारण अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बीजिंग की अपनी प्रस्तावित यात्रा भी रद्द कर दी. ब्लिंकन 3 फरवरी को बीजिंग के लिए रवाना होने वाले थे. ब्लिंकन ने कहा कि उन्होंने फोन पर चीन के वरिष्ठ राजनयिक वांग यी को दौरा रद्द करने की जानकारी दी.
हालांकि ब्लिंकन का दौरा स्थगित होने को चीन ने सार्वजनिक तौर पर बहुत तवज्जो नहीं दी है. चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "दरअसल अमेरिका और चीन ने कभी इस यात्रा के बारे में ऐलान ही नहीं किया था. अमेरिका ऐसी कोई घोषणा करे, तो यह उनका फैसला है और हम इसका सम्मान करते हैं."
यह पहली बार नहीं है, जब चीन के संदिग्ध जासूसी बलून अमेरिका में दाखिल हुए हों. ट्रंप प्रशासन के दौरान कम-से-कम तीन बार ऐसे बलून देखे गए. बाइडेन के कार्यकाल में भी पहले एक बार ऐसा बलून देखा जा चुका है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पहले कोई बलून इतने लंबे समय तक अमेरिकी क्षेत्र में मौजूद नहीं रहा.
एसएम/आरपी (एपी)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 7 फरवरी। अमेरिका ने सोमवार को चीन के जासूसी गुब्बारे के अवशेष उसे लौटाने से इनकार कर दिया। इस गुब्बारे को शनिवार को साउथ कैरोलिना में अटलांटिक महासागर के तट पर मार गिराया गया था।
अमेरिका सेना ने चीन के जासूसी गुब्बारे के अवशेषों को एकत्रित करने के अपने प्रयास तेज कर दिये हैं जो पिछले सप्ताह कई दिनों तक मोंटाना से साउथ कैरोलिना तक अमेरिका के आसमान में उड़ता दिखा था।
व्हाइट हाउस ने गुब्बारे के बारे में मिली आरंभिक सूचना के आधार पर सोमवार को पूरे यकीन से कहा कि यह एक जासूसी गुब्बारा था। अधिकारियों ने कहा कि इसने अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं देशों की संप्रभुता का उल्लंघन किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘‘मैं इसे (गुब्बारे के अवशेष को) लौटाने की मंशा या ऐसी किसी योजना के बारे में नहीं जानता।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना ने समुद्र से कुछ अवशेष बरामद किए हैं और वे अब भी समुद्र में उन्हें तलाश रहे हैं।
शनिवार को गुब्बारे को एक लड़ाकू विमान द्वारा मार गिराए जाने से पहले किर्बी ने कहा कि इसके बारे में कई अहम सूचना एकत्रित की गई है।
नॉर्दर्न कमांड के कमांडर जनरल ग्लेन वानहर्क के अनुसार, गुब्बारा 200 फुट की ऊंचाई पर था। इसमें अमूमन एक क्षेत्रीय जेट विमान के बराबर आकार का कई हजार पाउंड का एक पेलोड था।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरिन ज्यां पीयरे ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने सेना, खुफिया समुदाय को निर्देश दिया है कि वे गुब्बारे के बारे में सूचनाएं एकत्र करें ताकि चीन की क्षमताओं के बारे में वे ज्यादा से ज्यादा जान सकें।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने पत्रकारों से कहा कि चीन इसके बारे में जानता है कि वह क्या है।
अमेरिकी अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा चीन की जासूसी के खिलाफ रक्षात्मक तरीकों की मजबूती में सुधार के आदेशों के कारण यह गुब्बारा पकड़ा गया।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि बाइडन के कार्यभार संभालने के बाद से अमेरिका ने ‘‘अपने क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। हमने चीजों का पता लगाने की अपनी क्षमता में सुधार किया है जो पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में नहीं थी।’’
ट्रंप प्रशासन के दौरान के कई अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान चीनी गुब्बारे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। (भाषा)
कराची, 7 फरवरी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति एवं 1999 में करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार रहे जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ को छावनी क्षेत्र में आज यानी मंगलवार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
कई वर्षों से बीमार मुशर्रफ का दुबई के एक अस्पताल में रविवार को निधन हो गया था। वह 79 वर्ष के थे। वह 2016 से यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) में रह रहे थे। दुबई में उनका ‘एमाइलॉयडोसिस’ का इलाज चल रहा था।
अधिकारियों ने बताया कि विशेष विमान कड़ी सुरक्षा के बीच जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुराने टर्मिनल क्षेत्र में उतरा और पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को मलीर छावनी क्षेत्र ले जाया गया। उनका परिवार भी छावनी क्षेत्र पहुंच रहा है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘ मलीर छावनी में पूरे इंतजाम किए गए हैं, जहां उन्हें कराची के ‘ओल्ड आर्मी ग्रेवयार्ड’ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मलीर छावनी के गुलमोहर पोलो ग्राउंड में नमाज ए-जनाजा पढ़ी जाएगी।’’
ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सूचना सचिव ने कहा कि सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोपहर पौने दो बजे गुलमोहर पोलो ग्राउंड में नमाज ए-जनाजा पढ़ी जाएगी।’’
मुशर्रफ ने सेवानिवृत्त होने के बाद ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग का गठन किया था।
मुशर्रफ की मां को दुबई में और उनके पिता को कराची में सुपुर्दे-ए-खाक किया गया था।
करगिल में मिली नाकामी के बाद मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया था। वह 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
मुशर्रफ का जन्म 1943 में दिल्ली में हुआ था और 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। वह पाकिस्तान पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य तानाशाह थे। (भाषा)
(ललित के झा)
वाशिंगटन, 7 फरवरी। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले की यादें भारत और अमेरिका दोनों देशों के जेहन में अब भी ताजा हैं। बाइडन प्रशासन ने सोमवार को यह बात कही।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “2008 में मुंबई में जो आतंकवादी हमला हुआ था, उसकी यादें बेशक आज भी ताजा हैं। वे भयानक यादें यहां (अमेरिका) और भारत में अब भी ताजा हैं।”
उन्होंने कहा, “हम सब उस दिन के भयानक मंजर को याद कर सकते हैं, होटल पर हमला, उससे हुआ रक्तपात, और यही कारण है कि हमने इसके साजिशकर्ताओं की जवाबदेही तय करने पर जोर देना जारी रखा है, न सिर्फ उन हमलावरों की जवाबदेही, जिन्होंने उस दिन इतने निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि उन आतंकवादी समूहों की भी, जिनका हाथ इस हमले के पीछे था और जिन्होंने इन्हें अंजाम देने में मदद की थी।”
भारत के इतिहास में हुए सबसे भयानक आतंकवादी हमलों में से एक 26/11 के मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे।
इस दौरान, भारतीय सुरक्षा बलों ने हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया था, जबकि अजमल कसाब इकलौता आतंकी था, जिसे जिंदा पकड़ा गया था। कसाब को चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई थी। (भाषा)
(ललित के. झा)
वाशिंगटन, 7 फरवरी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि चीन ने अमेरिकी महाद्वीप में गुब्बारों को उड़ाने का दुस्साहसपूर्ण कृत्य किया क्योंकि वह चीन की सरकार है।
बाइडन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, ‘‘ वह चीन की सरकार है।’’
बाइडन ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘गुब्बारे और अमेरिका पर जासूसी करने का प्रयास कुछ ऐसा है जिसकी चीन से अपेक्षा की जा सकती है। सवाल यह है कि जब हमने चीन से पूछा कि वे क्या कर रहे हैं, तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि यह उनका गुब्बारा नहीं है। उन्होंने सिर्फ इसके पीछे के मकसद से इनकार किया।’’
राष्ट्रपति ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘‘बात चीन पर भरोसा करने की नहीं है, यह इस बात का फैसला करने का समय है कि क्या हमें साथ काम करना चाहिए और हमारे पास क्या विकल्प हैं।’’
बाइडन ने कहा कि इससे अमेरिका-चीन संबंध कमजोर नहीं होने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि हम क्या करने जा रहे हैं। वे हमारी स्थिति को समझते हैं। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हमने सही कदम उठाए। (संबंध) कमजोर या मजबूत होने की बात नहीं है यह वास्तविकता है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि उनका हमेशा से मानना था कि गुब्बारे को गिराना ही उचित है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा रुख हमेशा से यही था। गुब्बारे के कनाडा से अमेरिका आते ही मैंने रक्षा मंत्रालय से इसे तुरंत गिराने को कहा था। वे भी इसी फैसले पर पहुंचे हैं कि इसे जमीन पर गिराना ही सही है। यह कोई गंभीर खतरा नहीं है। हम इसके समुद्री क्षेत्र को पार करने तक इंतजार करेंगे।’’ (भाषा)
कराची, 7 फरवरी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और 1999 में करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार रहे जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ को सोमवार को सूर्यास्त के बाद (मगरीब) की नमाज के बाद सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए यहां सेना के छावनी इलाके में सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। दुबई से एक विशेष विमान के जरिये उनका पार्थिव शरीर लाए जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
लंबी बीमारी के बाद दुबई के एक अस्पताल में रविवार को मुशर्रफ का निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। वह 2016 से यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) में रह रहे थे और अमेरिकन हॉस्पिटल में इलाज करा रहे थे।
अधिकारियों और पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मुशर्रफ के पार्थिव शरीर को यूएई एयरफोर्स की एक विशेष उड़ान से या अमीरात सरकार द्वारा मंजूरी दी गई एक अन्य उड़ान के जरिये कराची लाया जाएगा।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘पार्थिव शरीर को यहां लाये जाने के लिए कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है लेकिन मालिर कैंट में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जहां उन्हें कराची के ओल्ड आर्मी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मगरीब की नमाज मालिर कैंट के गुलमोहर पोलो ग्राउंड में अदा की जाएगी।’’
पूर्व सैन्य तानाशाह का पार्थिव शरीर सोमवार दोपहर कराची हवाई अड्डा लाये जाने का कार्यक्रम था, लेकिन विमान की उपलब्धता में विलंब होने और यूएई स्थित पाकिस्तानी दूतावास तथा पाकिस्तान सरकार के बीच कुछ दस्तावेजी एवं अनापत्ति प्रमाणपत्र की प्रक्रियाओं के चलते मुशर्रफ के पार्थिव शरीर को लाये जाने में देर हुई है।
पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी सबा, बेटा बिलाल और बेटी आयला उनके पार्थिव शरीर के साथ कराची आएंगे।
मुशर्रफ की मां को दुबई में, जबकि उनके पिता को कराची में दफन किया गया था।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यूएई में हमारा दूतावास उनके परिवार से संपर्क में है।’’
मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया था। वह 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
उनका जन्म 1943 में दिल्ली में हुआ था और 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था। वह पाकिस्तान पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य तानाशाह थे।
सेवानिवृत्ति के बाद मुशर्रफ द्वारा गठित ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सूचना सचिव ताहिर हुसैन ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के परिवार ने इस बात की पुष्टि की है कि उनका पार्थिव शरीर एक विशेष विमान से सोमवार को कराची लाया जाएगा।
हुसैन ने कहा, ‘‘सभी इंतजाम कर लिये गये हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस बारे में अब भी कुछ संदेह है कि अंत्येष्टि मंगलवार तक टल सकती है, लेकिन मालिर कैंट में मुशर्रफ को सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। (भाषा)
ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 6 फरवरी। जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित बाजार 2030 तक लगभग 22 ट्रिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का हो जाएगा। एआई इंसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने जा रही है। इस समय एआई आधारित जो प्रणालियां हैं उनमें चैट जीपीटी दुनिया भर में चर्चा के केंद्र में है। चैटजीपीटी आपके लिए निबंध और कोड लिख सकती है, संगीत और कलाकृति निर्मित कर सकती है, और सामने बैठे किसी व्यक्ति की तरह वार्तालाप कर सकती है। लेकिन अगर इस एआई का अपराध जगत द्वारा इस्तेमाल किया गया तो क्या होगा?
पिछले सप्ताह, स्ट्रीमिंग कम्युनिटी एक घटना से दहल गई। लोकप्रिय ट्विच स्ट्रीमर एट्रियोक ने माफीनामे वाला एक वीडियो पोस्ट किया, उसकी आंखों में आंसू थे। उसे अन्य महिला स्ट्रीमर के चेहरों पर दूसरे चेहरे लगाकर पोर्न सामग्री देखते हुए पकड़ लिया गया था।
‘डीप फेक’ टेक्नोलॉजी में किसी सिलेब्रिटी के चेहरे के फोटो को कुछ समय के लिए किसी पोर्न स्टार के चेहरे पर लगा दिया जाता है। लेकिन तकनीक जितनी आधुनिक होती जा रही है, उतना ही ऐसे फर्जीवाड़े का पता लगाना मुश्किल होता जा रहा है।
लेकिन यह तो विशाल समस्या का केवल एक छोटा सा नमूना भर है। गलत हाथों में पड़ने पर एआई भयानक नुकसान पहुंचा सकती है। यदि कायदे कानूनों के जरिए इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके चलते बहुत कुछ बिखर जाएगा।
विवाद से लेकर अपराध तक
पिछले महीने, एआई ऐप लेंसा की बहुत आलोचना हुई। उसके सिस्टम ने उपयोगकर्ताओं के चेहरों की तस्वीरें लेकर पूरी तरह निर्वस्त्र और अति उत्तेजित तस्वीरें तैयार कर दीं। इतना ही नहीं, इसने महिलाओं की त्वचा की रंगत बदल दी और उन्हें यूरोपीय नैन नक्श वाला बना दिया।
हो हल्ला तो मचना ही था। लेकिन इस हंगामे में एक बात की अनदेखी कर दी गई कि घोटालों में एआई कितनी खतरनाक भूमिका अदा कर सकती है। घटना की अतिवादी तस्वीर यह है कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि एआई के ये टूल फर्जी फिंगरप्रिंट और फेसियल स्कैन भी तैयार कर सकते हैं (ऐसी विधि जिससे हम अपने फोन का लॉक खोलते हैं।)
अपराधी भी खेल में बढ़त हासिल करने के लिए जनरेटिव एआई के इस्तेमाल के नए तरीके ढूंढ़ रहे हैं ताकि वे ज्यादा सफाई के साथ अपराधों को अंजाम दे सकें।
घोटालों में जनरेटिव एआई के इस्तेमाल के प्रति आकर्षण इसकी बड़ी मात्रा में डेटा में पैटर्न खोजने की क्षमता से आता है।
साइबर सिक्योरिटी ने ‘बैड बोट्स’ में वृद्धि देखी है : ये ऐसे दुर्भावनापूर्ण आटोमेटिड प्रोग्राम्स हैं जो अपराध को अंजाम देने के लिए मानवीय व्यवहार की नकल करते हैं। जनरेटिव एआई से इन्हें और धार मिलेगी और इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाएगा।
आपको कभी ‘टैक्स आफिस’ से कोई घोटाला संदेश मिला है जिसमें दावा किया गया हो कि आप आकर अपनी बड़ी धनराशि ले जाएं? या कभी कोई ऐसा फोन काल आया हो कि आपकी गिरफ्तारी का वारंट है।
ऐसे घोटालों में, जनरेटिव एआई का इस्तेमाल संदेश या ईमेल की क्वालिटी सुधारने में किया जा सकता है ताकि वे अधिक विश्वसनीय लगें।
उदाहरण के लिए अब जनरेटिव एआई की मदद से रोमांस घोटाले सामने आ रहे हैं जहां अपराधी रोमांटिक संबंध की आड़ में अपने शिकारों से धन ऐंठते हैं।
इसके अलावा, इन प्रणालियों का उपयोग कंप्यूटर कोड को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसके बारे में कुछ साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर के लिए मैलवेयर और वायरस बनाना आसान और उनका पता लगाने में कठिन होगा।
तकनीक आ चुकी है और हम तैयार नहीं हैं
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की सरकारों ने एआई से संबंधित नियम प्रकाशित किए हैं, लेकिन वे बाध्यकारी नियम नहीं हैं। जहां तक एआई के प्रभाव का संबंध है, गोपनीयता, पारदर्शिता और भेदभाव से स्वतंत्रता से संबंधित दोनों देशों के कानून उतने मजबूत नहीं हैं। यहां हम बाकी दुनिया से पिछड़ जाते हैं।
अमेरिका में 2021 से एक राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव कानून है। और 2019 के बाद से कैलिफ़ोर्निया में यह गैर-कानूनी है कि बिना यह बताए कि वह मानव नहीं है, बॉट वाणिज्य या चुनावी उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करे।
हालांकि चैटजीपीटी जैसे टूल्स से प्राप्त एआई आउटपुट का पता लगाने के लिए टूल्स विकसित किए जा रहे हैं। अगर ये प्रभावी साबित हुए तो एआई आधारित साइबर अपराधों से निपटने में काफी मददगार हो सकते हैं। (द कन्वरसेशन)
(द कन्वरसेशन)