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अंग्रेजी का शब्द यहीं से निकला है!
रायपुर के जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों एक गाड़ी पर लदा हुआ एक पहिया लोगों की दिलचस्पी का केन्द्र बना हुआ है। टाईम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार रश्मि ड्रोलिया ने अपने फेसबुक पेज पर इसकी तस्वीर के साथ लिखा है कि यह ओडिशा के जगन्नाथपुरी के रथ का एक पहिया है जो कि कुछ समय भक्तों के दर्शन के लिए रायपुर के जगन्नाथ मंदिर को दिया गया है, और यह पुरी वापिस चला जाएगा। उन्होंने लिखा है कि यह पुरी के रथ के 24 चक्कों में से एक है, और इसे बनाने में सिर्फ लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है, किसी भी तरह लोहे की कोई कीलें इसमें नहीं लगाई गई हैं। उनके मुताबिक इस पहिए के लकड़ी के हिस्से एक-दूसरे में इस तरह फंसाए गए हैं कि वे आपस में मजबूती से जुड़ जाते हैं, जिस तरह कि किसी पहेली के हिस्से। यह चक्का जगन्नाथपुरी लौटकर वहां इसकी लकड़ी मंदिर में प्रसाद पकाने के चूल्हे में काम आएगी। वहां हर बरस एक नया रथ बनता है, और पुराने रथ के हिस्से इसी तरह इस्तेमाल कर लिए जाते हैं।
रश्मि ने एक दिलचस्प जानकारी लिखी है कि अंग्रेजी भाषा में बहुत बड़ी-बड़ी गाडिय़ों या वाहनों के लिए जगरनॉट शब्द का इस्तेमाल होता है। अंग्रेजी के इस शब्द की बुनियाद जगन्नाथ के रथ से है, जो कि दुनिया में किसी भी धर्म का सबसे बड़ा रथ रहता है। इसके विशालकाय आकार के मुताबिक विशाल वाहनों के लिए जगरनॉट शब्द प्रचलन में बहुत समय से आ चुका है।
बृहस्पत ने क्या बिगाड़ा था...
विधानसभा चुनाव के तीन माह बाद लोकसभा चुनाव आ जाने के चलते कांग्रेस के कई निलंबित पदाधिकारियों का निलंबन ज्यादा टिका नहीं। पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल, बिलासपुर महापौर रामशरण यादव और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रेमचंद जायसी को पार्टी में वापस ले लिया गया है। यादव और जायसी निलंबित थे, जायसवाल निष्कासित। मगर एक और पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का निष्कासन समाप्त नहीं किया गया है।डॉ. जायसवाल ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी सचिव चंदन यादव पर सात लाख रुपये टिकट के लिए लेने का आरोप लगाया था। महापौर यादव का एक ऑडियो जारी हुआ था, जिसमें वे कथित रूप से पूर्व विधायक अरुण तिवारी को फोन पर बता रहे हैं कि उनकी टिकट इसलिये कट गई क्योंकि वे करोड़ों रुपये प्रदेश प्रभारी कु. सैलजा को नहीं दे सके। जिन्होंने दी उनको मिल गई। जायसी मस्तूरी सीट से टिकट चाहते थे। वहां से कांग्रेस ने पूर्व विधायक दिलीप लहरिया को फिर से मैदान में उतारा। सन् 2018 में वे हार गए थे, इस बार फिर जीत गए। आरोप है कि जायसी ने कांग्रेस के खिलाफ काम किया था। इन तीनों की बहाली के बीच एक महत्वपूर्ण नाम पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का रह गया। टिकट कटने की खबर मिलने पर उन्होंने टीएस सिंहदेव और कुमारी सैलजा के खिलाफ बयान दिए थे। प्रदेश में हार के लिए दोनों को जिम्मेदार बताया था। सिंहदेव के खिलाफ उनका पहले भी कई विवादित बयान थे। शायद संगठन को लगा होगा कि बृहस्पत सिंह का मामला ज्यादा गंभीर है। अब यह देखना है कि चुनाव प्रचार के दौरान उन पर कोई नरमी बरती जाती है या नहीं। यदि इस दौरान वापसी नहीं हुई तो उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
भारी पड़ गई सिफारिश
पिछली सरकार को हमेशा हमेशा के लिए स्थाई मानकर तत्समय के विपक्ष के बड़े बड़े नेताओं को परेशान करने वाले पुलिस अफसर तीन महीनों से परेशान हैं। एक ने तत्समय के पूर्व विधायक को तो हिरासत में लेकर पूरी शाम पेट्रोलिंग वैन में गश्त कराया था। सरकार आने के बाद ऐसे अफसरों को नक्सल मोर्चे पर भेजा गया । पर एक एएसपी का ऐसा उदयन हुआ कि साहब आचार संहिता के फेर में आनन फानन में तर गए। कैसे नहीं तरते, सिफारिश भी कमल विहार से आई थी। इस बात की भनक जब विधायक जी को लगी तो उन्होंने पड़ताल की। तो यह सच्चाई सामने आए। सबसे दुखद यह हो गया कि सिफारिश कर्ता ही मध्य क्षेत्र खेत दिए गए ।
दीवाली भी गई अब होली भी
इसलिए मांग और प्रक्रिया चल रही है एक देश एक चुनाव की। हर छमाह में आचार संहिता लगने पर त्यौहारी बेनिफिट का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब अपने यहां ही देख ले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता में धनतेरस,दीवाली गई। और अब आम चुनाव के चलते होली पर खरमास लग गया। साथ ही साथ ईदी भी जाती रही। उसी दौरान अपने यहां चुनाव चरम पर होगा। इफ्तारी की दावत के सार्वजनिक आयोजन भी आचार संहिता में फंस जाएंगे।सारे त्यौहार तो चल जाते हैं लेकिन होली पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। अध्दी पौव्वा बोतल देने और लेने वाले अभी से सोचने लगे हैं। कैसे होगा। 19-19 एजेंसियां फ्रीबीज़ पर गिध्द नजर बिठा चुकीं हैं।डिस्टलरीज़ से लेकर दुकान तक सीसीटीवी, जीपीएस के साथ साथ,हर गाड़ी के पीछे एक गुप्तचर अलग दौड़ रहा है।इसे देखते हुए कहने लगे हैं कि यदि शौकीनों के बीच जनमत संग्रह या वोटिंग करा ले तो वन नेश न वन इलेक्शन बहुमत से जीत जाएगा।
बिना उम्मीदवार प्रचार
दस दिन पहले लोकसभा के 6 प्रत्याशियों की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ की बची 5 सीटों पर कांग्रेस नामों का ऐलान नहीं कर पाई है। कुछ राज्यों की दूसरी सूची भी जारी हुई, मगर उसमें छत्तीसगढ़ के नाम नहीं थे। अब कहा जा रहा है कि बाकी ऐलान 18-19 मार्च को होगा। भाजपा कटाक्ष कर रही है कि उसे उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। यह स्थिति भाजपा के साथ होती तो अलग बात थी। वहां तो मोदी के चेहरे और गारंटी पर लड़ा जाना है, पर कांग्रेस में उम्मीदवार का नाम भी तय करेगा कि जीत-हार का फासला कितना होगा। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बची हुई सीटों पर भी चुनाव प्रचार शुरू करने का निर्देश दिया है। पदाधिकारी-कार्यकर्ता बाहर निकल रहे हैं तो लोग एक ही सवाल कर रहे हैं, किसे खड़ा किया है? कार्यकर्ता कह रहे हैं, यह जल्दी बता देंगे।
साहबों की खातिरदारी
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के भेलवाडीह में स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारी शौचालयों के निरीक्षण दौरे पर पहुंचे। पंचायत ने उनकी खूब खातिरदारी की। बिल बना 34 हजार 500 रुपये का। यह भी साफ-साफ लिखा कि बकरा और मुर्गा खिलाया गया। पंचायत की रकम कैसे फूंकी जाती है, यह उसका एक नमूना है। बिल कुछ पुराना है, पर कलेक्टर से शिकायत हाल ही में की गई है।
पंजाब में 2022 में वहां के एक लोकप्रिय गायक सिद्धू मुसेवाला का एक गिरोह ने साजिश के साथ बड़ी तैयारी से कत्ल कर दिया था। सिद्धू अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। अब उसके बूढ़े मां-बाप ने उसकी याद में, और अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से एक बेटे को जन्म दिया है। सिद्धू के 60 बरस के पिता बलकौर सिंह ने सोशल मीडिया पर बेटे के साथ अपनी फोटो पोस्ट की है, और कहा है कि सब स्वस्थ हैं। पंजाब में बड़े-बड़े गिरोह काम करते हैं, और उनके सरगना तिहाड़ जैसी जेल में रहकर भी अपना गिरोह चलाते हैं, या विदेश में रहकर भी। लेकिन पंजाब के ऐसे संगठित अपराध पर चर्चा उतनी अहमियत नहीं रखती जितनी अहमियत यह बात रखती है कि बुजुर्ग हो चुकी एक महिला किस तरह 58 बरस की उम्र में अपने बेटे की याद में एक और बेटे को जन्म देती है। भारत में शायद कुछ कानूनी अड़चन के चलते ऐसा गर्भधारण करना मुमकिन नहीं था तो सिद्धू मुसेवाला की मां चरणकौर ने दूसरे देश में यह मेडिकल मदद ली। यह अपने किस्म का पहला मामला नहीं है जिसमें एक महिला इस उम्र में मां बने, लेकिन यह कुछ अनोखा मामला तो है ही क्योंकि दुनिया की साधारण समझबूझ यह सुझाती है कि इस उम्र में मां-बाप बनना उतनी समझदारी की बात नहीं है।
अपने बेटे की याद में कुछ करना अच्छी बात है, लेकिन यह भी समझने की जरूरत है कि इंसान के शरीर और उसकी जिंदगी की कुछ सीमाएं रहती हैं, और लोगों को उनका ख्याल इसलिए रखना चाहिए कि जिन बच्चों को मां-बाप अपनी भावनात्मक जरूरतों से पैदा करते हैं, उन्हें बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े होने में खासा समय लगता है, और तब तक उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए मां-बाप की उम्र तो बची होनी चाहिए। वैसे तो बच्चों को जन्म देना हर किसी का मौलिक अधिकार होना चाहिए, लेकिन जब कोई देश एक जनकल्याणकारी राज्य की तरह काम करता है, तो वहां पर अजन्मे बच्चों के अधिकारों की भी फिक्र करनी चाहिए।
आज 60 बरस की उम्र में अगर कोई पिता बना है, और 58 बरस की उम्र में कोई मां बनी है, तो उनकी अपनी जिंदगी का कितना लंबा ठिकाना रहेगा? यह जरूर हो सकता है कि परिवार संपन्न होने पर बच्चे की देखरेख के लिए पैसों का इंतजाम तो पुख्ता हो सकता है, लेकिन मां-बाप दोनों की उम्र अगर बुढ़ापे में दाखिल हो चुकी है, तो उनके अभी हुए बच्चे की जिंदगी के पहले 20-25 बरस मां-बाप के साथ की कोई गारंटी नहीं दिखती है। यहां पर आकर अगर कोई देश कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के इस्तेमाल के लिए कोई उम्र सीमा तय करते हैं, तो वह निजी मामलों में दखल नहीं मानी जानी चाहिए।
हिन्दुस्तान में हमने सरोगेसी का कानून आने के ठीक पहले तक कई फिल्मी सितारों को इस तकनीक से बच्चे पैदा करते देखा है, और कुछ तो ऐसे भी रहे जिनके पहले से पर्याप्त बच्चे थे, लेकिन उन्होंने इस तकनीक से और बच्चे हासिल किए। सरोगेसी जैसी तकनीक को लेकर पूरी दुनिया में कई तरह की सोच है, और कई तरह के कानून हैं। यह सिर्फ हिन्दुस्तान में नहीं हैं, बल्कि बहुत सी जगहों पर लोगों को दूसरे देशों में जाना पड़ता है, क्योंकि अपनी खुद की जमीन पर उन्हें इसकी इजाजत नहीं रहती है।
लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए एक सवाल यह सूझता है कि क्या अपनी गर्भ किराए पर देकर अगर कोई बहुत गरीब महिला नौ महीनों बाद अपने परिवार का बेहतर ख्याल रख सकती है, तो क्या उसकी इजाजत दी जानी चाहिए? यह एक समय बिकने वाली किडनी से कुछ अलग मामला है। बदन में किडनी सीमित रहती हैं, और एक किडनी जरूरतमंद मरीज को दे देने पर अपने खुद के बदन पर कई तरह के खतरे आ जाते हैं, और कई तरह की सीमाएं बाकी जिंदगी पर लागू हो जाती हैं। दूसरी तरफ किसी महिला का गर्भाधान उसके लिए उतना बड़ा खतरा नहीं रहता, और उसकी बाकी जिंदगी पर इसकी वजह से कोई बहुत बुरा असर नहीं पड़ता। फिर अपनी कोख किराए पर देना किसी तरहसे अंगदान जैसा नहीं है कि जिससे शरीर के किसी हिस्से को बेचने का काम हो जाए। आज जब देश में भुगतान की क्षमता वाले लोग हैं, और सबसे गरीब लोग पैसों की कमी से एक सामान्य जिंदगी नहीं जी पाते हैं, उनके बच्चे अभाव में बड़े होते हैं, किन्हीं अवसरों तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में भारत के मौजूदा सरोगेसी कानून के तहत क्या ऐसी कोई ढील नहीं देनी चाहिए जिससे गरीब परिवारों की महिलाएं किसी बच्चे को जन्म देकर अपने खुद के बच्चों के लिए एक अच्छी रकम जुटा सकें? यह बात सुनने में अमानवीय लग सकती है कि हम कोख किराए पर देने की वकालत कर रहे हैं, लेकिन यह बात किसी महिला की अपनी और उसके परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने की बात भी है, साथ-साथ बिना बच्चों वाले लोगों के लिए एक मौका मुहैया कराने की बात भी है।
हिन्दुस्तान जैसे मुल्क की इस हकीकत को नहीं भूलना चाहिए कि इस देश में महिलाएं अपने बच्चों को कुपोषण से मरते देखती हैं, बिना इलाज बच्चे बड़े सब मर जाते हैं, छोटे-छोटे बच्चे सडक़ों पर कचरा बीनने और भीख मांगने जैसे रोजगार में लगने को मजबूर रहते हैं। और इससे भी अधिक कड़वी हकीकत यह भी है कि ह्यूमन राईट्स वॉच नामक संस्थान के एक अंदाज के मुताबिक हिन्दुस्तान में करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं देह बेचने के धंधे में लगी हुई हैं। एशिया का सबसे बड़ा सेक्स बाजार मुम्बई है जहां पर एक लाख से अधिक वेश्याएं काम करती हैं। सरकारें इन आंकड़ों को न जानना चाहती हैं, न मानना चाहती हैं, लेकिन जब अपनी जिंदगी और परिवार को चलाने के लिए इस देश में डेढ़ करोड़ महिलाएं दुनिया में सबसे अधिक बीमारियों के खतरे वाला यह धंधा करती हैं, तो क्या इसके मुकाबले किसी के बच्चे की मां बन जाना अधिक बुरा काम होगा?
चूंकि वेश्यावृत्ति को कानूनी हक देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार और संसद को इस बारे में कुछ नहीं करना पड़ा, इसलिए वे असुविधा से बचे हुए हैं। लेकिन चूंकि सरोगेसी को लेकर संसद को कानून बनाना पड़ा है इसलिए सरकार और संसद उस मामले में ऐसे दिखना नहीं चाहते कि वे बदन को किराए पर देने का समर्थन कर रहे हैं। जबकि शरीर को कुछ मिनटों या घंटों के सेक्स के लिए किराए पर देने का कारोबार सबकी जानकारी में है, और उसे मानते कोई भी नहीं हैं।
हमने बात तो सिद्धू मुसेवाला के मां-बाप के बच्चे के फैसले को लेकर शुरू की थी, लेकिन वह आगे बढक़र इस तकनीक पर आ गई है, और किस तरह इस तकनीक से कुछ कमाने की इजाजत लोगों को मिलनी चाहिए, क्योंकि वे अपने बदन के कई और अधिक बुरे इस्तेमाल कर ही रहे हैं। आज भी हिन्दुस्तान में किडनी ट्रांसप्लांट जैसे कारोबार में कानून को चकमा देकर किडनी की खरीद-बिक्री चलती ही है। संसद में पिछले बहुत समय से किसी कानून को लेकर सार्थक चर्चा और बहस का सिलसिला खत्म हो गया है, इसका नतीजा यह हुआ है कि कई ऐसे कानून भी बन जाते हैं जो कि जायज नहीं होते। सरोगेसी कानून का गरीबों के जिंदा रहने के लिए किस तरह इस्तेमाल हो सकता है इस पर बात होनी चाहिए।
ईडी ने ईओडब्ल्यू को कार्रवाई के लिए लिखा था
नई दिल्ली, 17 मार्च। छत्तीसगढ़ पुलिस ने महादेव ऑनलाइन बुक ऐप घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी आरोपी बनाया है। करीब 6 हजार करोड़ के इस घोटाले में ईडी ने कई और के खिलाफ कार्रवाई की है। खास बात यह है कि बघेल इस समय राजनांदगांव सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ईडी के पत्र के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी ने भूपेश बघेल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
हिन्दुस्तान टाईम्स की खबर के अनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में बघेल पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 11 के तहत आरोप लगाए गए हैं। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) 4 मार्च को रायपुर में प्रकरण दर्ज किया है।
एफआईआर में बघेल के साथ जिन लोगों के नाम हैं, उनमें महादेव के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल, 16 अन्य नामित आरोपी व्यक्ति, और सीएम के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान अनाम नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और विशेष कर्तव्य पर अधिकारी (ओएसडी) शामिल हैं। एचटी ने एफआईआर की एक प्रति की समीक्षा की है।
घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा इस साल 8 और 30 जनवरी को राज्य पुलिस को दो संदर्भ भेजे जाने के बाद बघेल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जो उसके निष्कर्षों के आधार पर राज्य सरकार के पदाधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा करता है। शीर्ष स्तर पर कथित संरक्षण धन के बदले महादेव की अवैध गतिविधियों को अनुमति के लिए दिया गया।
बताया गया कि वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने नवंबर 2023 में आरोप लगाया था कि चंद्राकर और उप्पल ने बघेल को 508 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। दोनों वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात की एक सुविधा में हिरासत में हैं और प्रत्यर्पण अनुरोध पहले ही विदेश मंत्रालय (एमईए) के माध्यम से भेजा जा चुका है।
महादेव बुक ऐप के प्रमोटरों ने पुलिस को उनकी अवैध गतिविधियों पर कोई कार्रवाई करने से रोकने के लिए विभिन्न पुलिस अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों को भारी मात्रा में संरक्षण राशि का भुगतान किया। यह पैसा हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचता था और फिर आगे अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों तक पहुंचता था। इस तरह, कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षा धन के रूप में खुद को लाभ पहुंचाने और अवैध संपत्ति बनाने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि एफआईआर में किसी भी वरिष्ठ पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी का नाम नहीं है। ऊपर बताए गए लोगों में से एक ने कहा, ईडी इस एफआईआर के आधार पर बघेल के नाम पर एक नया मनी लॉन्ड्रिंग मामला दर्ज कर सकता है।
दिसंबर में विधानसभा चुनाव हारने के बाद, बघेल राजनांदगांव सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। एचटी ने पूर्व सीएम की टिप्पणी के लिए बघेल के राजनीतिक सलाहकार से संपर्क किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
ईडी के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, एफआईआर में दावा किया गया है कि महादेव बुक ऐप और उसकी सहयोगी कंपनियों ने मिलकर अवैध रूप से हर महीने 450 करोड़ रुपये की अपराध आय एकत्र की।
ईडी ने 8 जनवरी को छत्तीसगढ़ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए कहते हुए अपने पत्र में कहा, चंद्रभूषण वर्मा ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया, जिसमें खुलासा किया गया कि छत्तीसगढ़ में पुलिस अधिकारी-नौकरशाह गैरकानूनी सट्टेबाजी गतिविधियों को नजरअंदाज करने के लिए अवैध रूप से रिश्वत ले रहे थे। वर्मा ने खुलासा किया कि वह सट्टेबाजी वेबसाइटों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और सुरक्षा धन के रूप में हवाला भुगतान एकत्र कर रहा था और उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सीएम के ओएसडी को वितरित कर रहा था।
अब तक, ईडी ने मामले में दो आरोप पत्र दायर किए हैं, जिनमें एक चंद्राकर और उप्पल के खिलाफ है। ईडी ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि चंद्राकर ने फरवरी 2023 में संयुक्त अरब अमीरात के रास अल खैमा में शादी की थी और इस कार्यक्रम के लिए लगभग 200 करोड़ नकद खर्च किए गए थे और उनके रिश्तेदारों को भारत से संयुक्त अरब अमीरात और मशहूर हस्तियों को लाने-ले जाने के लिए निजी जेट किराए पर लिए गए थे। शादी में प्रदर्शन करने के लिए भुगतान किया गया था। मामले में अपराध से अनुमानित आय लगभग 6,000 करोड़ रुपये है। इस मामले में अब तक ईडी द्वारा 572.41 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त या फ्रीज की जा चुकी है।
वित्तीय वर्ष समाप्ति के 16 दिन पहले ही लक्ष्य हासिल कर बनाया रिकॉर्ड
बिलासपुर, 17 मार्च। एसईसीएल का ओवरबर्डन रिमूवल 310 मिलियन क्यूबिक मीटर के आंकड़े को पार कर गया है और इसी के साथ कंपनी ने इस वर्ष के ओबीआर लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
एसईसीएल वित्तीय वर्ष 23-24 की समाप्ति के 16 दिन पहले ही लक्ष्य हासिल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। अब इस वित्त वर्ष में कंपनी अपने इतिहास का सर्वाधिक ओबीआर का नया कीर्तिमान बनाने जा रहा है। एसईसीएल गत वर्ष के उत्पादन एवं डिस्पैच के आंकड़े को पहले ही पार कर चुकी है।
तुलना की जाए तो पिछले वर्ष 15 मार्च तक कंपनी ने लगभग 248 मिलियन क्यूबिक मीटर ओबीआर किया था और इस प्रकार इस वर्ष कंपनी ने 24.64% (61.32 मिलियन क्यूबिक मीटर) की वृद्धि दर्ज की है। कंपनी इस उपलब्धि में तीनों मेगापरियोजनाओं गेवर, दीपका एवं कुसमुंडा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एसईसीएल की इस उपलब्धि पर सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि कंपनी के कर्मचारी में बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करने का सामर्थ्य है। एसईसीएल में ओबीआर के लिए दुनिया की सबसे बड़ी एवं अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है जिसमें वर्टिकल रिपर जोकि बिना ब्लास्टिंग के मिट्टी हटाने में सक्षम है, 42 क्यूबिक मीटर शोवेल एवं 240 टन डंपर, 381 एमएम ड्रिल मशीन आदि शामिल हैं।
बिलासपुर, 17 मार्च। अवैध प्लाटिंग करने वाले भू माफियाओं के खिलाफ नगर निगम ने छह लोगों के खिलाफ सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराया है। मोपका,चिल्हाटी,बिजौर,खमतराई,बहतराई क्षेत्रों में कच्चे प्लाट को टुकड़ों में बेचा जा रहा था, जिस पर कार्रवाई करते हुए कुछ दिन पहले निगम ने इन अवैध प्लाटों पर बुलडोजर चलाया था और अब इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
नगर निगम ने सरकंडा थाने में शैलेन्द्र सिंह, प्रवीण कुमार देवांगन, मिथिलेश जायसवाल, ललित देवांगन, भुवनेश्वर प्रसाद सिंगरौल व धीरज कुमार देवांगन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है। आने वाले दिनों में और भी कई भू माफियाओं के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी, जिसकी सूची तैयार की जा रही है और उनके खिलाफ दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। भवन अधिकारी सुरेश शर्मा ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ न्यायालय में परिवाद भी दायर किया जाएगा।
बेंगलुरु, 17 मार्च। कर्नाटक में कुछ मंत्रियों और विधायकों के लोकसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताने के बाद कांग्रेस के लिए ‘‘जीतने योग्य’’ उम्मीदवारों की तलाश करना मुश्किल दिखायी दे रहा है।
कांग्रेस को सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा किए 10 दिन बीत गए हैं लेकिन बाकी की 21 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
कांग्रेस ने आठ मार्च को जारी अपनी पहली सूची में किसी भी मंत्री तथा विधायक को उम्मीदवार नहीं बनाया था।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व कुछ मंत्रियों और विधायकों को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उन्हें कई निर्वाचन क्षेत्रों में जीतने योग्य उम्मीदवारों को चुनने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने हाल में कहा था कि पार्टी में सात से आठ मंत्रियों को प्रत्याशी बनाने पर चर्चा की जा रही है।
कुछ मंत्री खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ाने पर जोर दे रहे हैं और सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व उनके परिजनों को प्रत्याशी बनाने से जनता के बीच जाने वाले संदेश को लेकर चिंतित दिखायी दे रहा है।
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों को प्रत्याशी बनाने के मुद्दे पर फैसला अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता व सांसद राहुल गांधी समेत पार्टी नेतृत्व को लेना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने शनिवार को कहा कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शनिवार को संपन्न हुई, रविवार को ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की जनसभा है और 19 मार्च को उम्मीदवारों पर निर्णय लेने के लिए हमारी बैठक है। 19 मार्च की रात या 20 मार्च की सुबह तक हमारे सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी।’’
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस कैबिनेट मंत्रियों एच सी महादेवप्पा को चामराजनगर, के एच मुनियप्पा को कोलार, बी. नागेंद्र को बेल्लारी, सतीश जारकीहोली को बेलगाम, ईश्वर खांद्रे को बिदर और कृष्णा बायरे गौड़ा को बेंगलुरु उत्तर से उम्मीदवार बनाना चाहती है।
इनमें से लगभग सभी मंत्रियों ने चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताई है और कुछ ने अपने परिवार के सदस्यों के नामों का सुझाव देते हुए आश्वासन दिया है कि वे उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।
कांग्रेस ने शुरुआत में मंत्रियों को संभावित उम्मीदवारों का चयन करने का जिम्मा सौंपा था लेकिन शिवकुमार ने कहा था कि उनसे प्राप्त हुई रिपोर्ट संतोषजनक नहीं है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था जबकि वह राज्य में जनता दल (सेक्यूलर) के साथ गठबंधन में सत्ता में थी। इसे देखते हुए कई वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की संभावनाएं अब भी आशाजनक नहीं दिख रही हैं।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एम मल्लिकार्जुन खरगे, वीरप्पा मोइली और मुनियप्पा समेत कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था।
इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन शिवकुमार के लिए एक और महत्वपूर्ण परीक्षा है जिन्होंने विधानसभा के कार्यकाल के बीच में सत्ता हस्तांतरण की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा जगजाहिर कर रखी है।
भाजपा ने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उसने अभी तक आठ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है जिनमें से तीन सीट उसके गठबंधन के साझेदार जद(एस) के पाले में जा सकती हैं।
कर्नाटक में कुल 28 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा ने 2019 के चुनाव में 25 सीटें जीती थीं जबकि पार्टी द्वारा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। कांग्रेस और जद(एस) ने एक-एक सीट हासिल की थी। (भाषा)
नयी दिल्ली, 17 मार्च। आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से जुड़े एक "फर्जी" मामले में अपनी जांच में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया समन भेजा है।
आतिशी ने यहां एक प्रेस वार्ता में दावा किया, ‘‘कोई नहीं जानता कि डीजेबी का यह मामला किस चीज को लेकर है। यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक वैकल्पिक योजना लगती है।”
आतिशी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के कुछ घंटों बाद शनिवार को दो समन मिले जिनमें केजरीवाल को अगले सप्ताह संघीय एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि इनमें से एक आबकारी नीति मामले से जुड़ा है और दूसरा डीजेबी से संबंधित है।
‘आप’ नेता ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को अपने "गुंडों" के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
इस पर ईडी और सीबीआई की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया है।
धनशोधन रोधी कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के 55 वर्षीय राष्ट्रीय संयोजक को बुलाया गया है।
उन्हें दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में भी पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है। केजरीवाल इस मामले में अब तक आठ समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं।
दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति मामले में समन की अवहेलना करने के लिए एजेंसी की ओर से दायर दो शिकायतों पर केजरीवाल को शनिवार को जमानत दे दी। (भाषा)
देहरादून, 17 मार्च। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटों पर एक बार फिर से जीत हासिल करने की उम्मीद के साथ लगी हुई है। भाजपा ने 2014 और 2019 के आम चुनावों में राज्य के सभी संसदीय क्षेत्रों में जीत हासिल की थी।
उत्तराखंड में दो लोकसभा सीटें - नैनीताल-उधम सिंह नगर और अल्मोडा कुमाऊं क्षेत्र में स्थित हैं और शेष तीन सीटें हरिद्वार, टिहरी गढ़वाल और गढ़वाल (पौड़ी) गढ़वाल क्षेत्र में आती हैं।
केंद्रीय पर्यटन और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 3,39,096 वोटों से हराकर नैनीताल -उधम सिंह नगर सीट जीती थी। उनकी जीत का अंतर चार अन्य विजयी भाजपा उम्मीदवारों में सबसे अधिक था।
कुमाऊं क्षेत्र की दूसरी सीट अल्मोड़ा है, जो पहाड़ी राज्य की एकमात्र आरक्षित (एससी) सीट है। वर्ष 2014 से यहां से भाजपा के अजय टम्टा जीतते आ रहे हैं। वर्ष 2019 में उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को 2,32,986 वोटों से हराया था।
गढ़वाल (पौड़ी) में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 2019 में भाजपा के दिग्गज भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे और कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे मनीष खंडूरी को 3,02,669 वोटों से हराया था।
वर्ष 2021 में पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने से पहले तीरथ सिंह रावत चार महीने तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे थे।
टिहरी राजघराने की माला राज्य लक्ष्मी शाह ने 2019 में कांग्रेस के प्रीतम सिंह को 3,00,586 वोटों से हराकर लगातार तीसरी बार टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की थी, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 2,58,729 वोटों से हराया था।
वर्ष 2019 में इस सीट से पोखरियाल की यह लगातार दूसरी चुनावी जीत थी। 2014 में उन्होंने इस सीट पर हरीश रावत की पत्नी रेणुका को 1,77,822 वोटों से हराया था।
राज्य की सभी पांच लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं। भाजपा ने तीन सीटों पर अपने मौजूदा सांसदों को मैदान में उतारा है, जबकि दो अन्य सीटों के लिए अभी तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई है।
भाजपा ने जिन तीन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है उनमें से दो सीटें कुमाऊं क्षेत्र में और एक सीट गढ़वाल में हैं।
अजय भट्ट को नैनीताल-उधमसिंह नगर से, माला राज्य लक्ष्मी शाह को टिहरी गढ़वाल से और टम्टा को अल्मोडा से फिर से मैदान में उतारा गया है।
जिन दो सीटों से पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, उनमें हरिद्वार है, जिसका प्रतिनिधित्व लोकसभा में इस समय निशंक कर रहे हैं, वहीं गढ़वाल (पौड़ी) सीट पर 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जीत हासिल की थी। (भाषा)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय से नौवां समन मिला है.
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि केजरीवाल ने बीजेपी के उन सभी नेताओं का मुंह बंद कर दिया, जो कह रहे थे कि वे कोर्ट और ईडी से भाग रहे हैं.
रविवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली की मंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने केजरीवाल का बचाव करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा.
आतिशी ने कहा, "अरविंद केजरीवाल कल कोर्ट गए थे. उन्होंने बीजेपी के उन सभी नेताओं को जवाब दे दिया है, जो बार-बार कह रहे थे कि अरविंद केजरीवाल कोर्ट और ईडी से भाग रहे हैं. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनका मुंह बंद कर दिया है."
केजरीवाल को मिला एक और समन
आतिशी ने बताया कि सीएम केजरीवाल को दिल्ली जल बोर्ड के एक मामले में पूछताछ के लिए ईडी से एक समन मिला है.
उन्होंने कहा, "दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कल शाम ईडी द्वारा एक और समन मिला. उन्होंने उनसे दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित जांच में शामिल होने के लिए कहा है. हम दर्ज किए गए मामले से अनजान हैं. ईडी ने इस फर्जी मामले में अरविंद केजरीवाल को तलब किया है."
आतिशी ने कहा, "दिल्ली जल बोर्ड के इस मामले के बारे में किसी को नहीं पता. ये समन इसलिए भेजे जा रहे हैं, क्योंकि पीएम मोदी को भरोसा नहीं हो रहा है कि वे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में गिरफ्तार कर पाएंगे. इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक बैकअप प्लान शुरू किया जा रहा है." (bbc.com/hindi)
गुजरात यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अफ्रीका, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ हॉस्टल में कथित तौर पर नमाज़ पढ़ने को लेकर मारपीट करने का मामला सामने आया है.
इस घटने से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हैं. वीडियो में कुछ लोग पत्थरबाज़ी और वाहनों को तोड़ते हुए दिख रहे हैं.
इस पूरी घटना पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कितनी शर्म की बात है. आपकी भक्ति और धार्मिक नारे तभी सामने आते हैं, जब मुसलमान शांति से अपने धर्म का पालन करते हैं. आप मुसलमानों को देखते ही गुस्से में आ जाते हैं. यह सामूहिक कट्टरवाद नहीं तो क्या है? यह नरेंद्र मोदी और अमित शाह का गृह राज्य है. क्या वे सख़्त संदेश देने के लिए हस्तक्षेप करेंगे?"
ओवैसी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को टैग करते हुए कहा कि भारत के अंदर मुस्लिम विरोधी भावना देश की छवि को खराब कर रही है. (bbc.com/hindi)
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में ईडी की टीम पर हुए हमले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले के मुख्य अभियुक्त और टीएमसी के निलंबित नेता शाहजहां शेख़ के भाई शेख़ आलमगीर और दो लोगों को गिरफ़्तार किया है.
गिरफ़्तार किए गए अन्य दो लोग मफ़ुज़र मुल्ला और सिराजुल मुल्ला हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि इन तीनों लोगों को रविवार को जज के सामने पेश किया जाएगा.
गिरफ़्तार करने से पहले सीबीआई इन तीनों से पूछताछ कर रही थी.
इस मामले के मुख्य अभियुक्त शाहजहां शेख़ पहले से सीबीआई की गिरफ़्त में हैं.
क्या है मामला
राशन घोटाले में नाम आने के बाद टीएमसी नेता शाहजहां शेख़ की गिरफ़्तारी के लिए प्रवर्तन निदेशालय और सीआरपीएफ की टीम पांच जनवरी को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली पहुंची थी.
वहां उन पर सैकड़ों लोगों ने हमला कर दिया था.
इस हमले के कुछ दिन बाद शाहजहां शेख़ समेत टीएमसी के कुछ स्थानीय नेताओं पर महिलाओं के उत्पीड़न के आरोप लगे.
उसके बाद, तृणमूल कांग्रेस ने शाहजहां शेख को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया.
वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने सवाल किया था कि सीबीआई की हिरासत में होने के बावजूद शाहजहां शेख़ अब तक उत्तर 24-परगना ज़िला परिषद के सदस्य कैसे बने हुए हैं? इस मामले की अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी.
कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच का ज़िम्मा मिलने के बाद सीबीआई ने तीन एफ़आईआर दर्ज की है. (bbc.com/hindi)
नयी दिल्ली, 17 मार्च। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया समन जारी कर उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया है। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
आम आदमी पार्टी (आप) के 55 वर्षीय राष्ट्रीय संयोजक को मध्य दिल्ली में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।
सूत्रों ने कहा कि नौवां समन जारी किया गया है ताकि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत केजरीवाल का बयान दर्ज किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने इन समन को अवैध बताते हुए हर बार पेश होने से इनकार किया है।
इस मुद्दे पर ‘आप’ रविवार को प्रेस वार्ता कर सकती है।
दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में पिछले आठ समन में से छह की अवहेलना करने के लिए एजेंसी की ओर से दायर दो शिकायतों पर केजरीवाल को शनिवार को जमानत दे दी।
ईडी ने मामले में जारी समन पर पेश नहीं होने के लिए केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया था।
एजेंसी ने इस मामले में दो दिन पहले बीआरएस नेता के. कविता को गिरफ्तार किया था।
आबकारी नीति मामले में ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र में केजरीवाल के नाम का कई बार उल्लेख किया गया है। एजेंसी ने कहा है कि आरोपी 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने को लेकर केजरीवाल के संपर्क में थे।
इस मामले में ईडी अब तक ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह, पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर और कुछ शराब कारोबारियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
ईडी ने अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि ‘आप’ ने गोवा विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में लगभग 45 करोड़ रुपये की "अपराध से अर्जित आय" का इस्तेमाल किया था।(भाषा)
अहमदाबाद, 17 मार्च। गुजरात के कच्छ जिले में शनिवार देर रात भूकंप का 3.3 तीव्रता का हल्का झटका महसूस किया गया। भूकंपीय अनुसंधान संस्थान (आईएसआर) ने रविवार को यह जानकारी दी।
गांधीनगर स्थित संस्थान ने बताया कि भूकंप का झटका शनिवार देर रात 12 बजकर 12 मिनट पर महसूस किया गया और उसका केंद्र खावडा के पास था।
जिले के अधिकारियों ने बताया कि जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
कच्छ जिला अत्यधिक जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है जहां कम तीव्रता के भूकंप अक्सर आते रहते हैं।
इस महीने कच्छ में अब तक तीन बार भूकंप के हल्के झटके महसूस हो चुके हैं।
आईएसआर रिकॉर्ड के अनुसार, जिले में पांच मार्च को 3.2 तीव्रता का और 11 मार्च को 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था।
साल 2001 में कच्छ में विनाशकारी भूकंप आया था। यह दो सदियों में कच्छ का तीसरा सबसे भीषण और भारत का दूसरा सबसे विनाशकारी भूकंप था। इसमें करीब 13,800 लोगों की जान गई थी और 1.67 लाख जख्मी हुए थे। (भाषा)
(सुगंधा झा)
नयी दिल्ली, 17 मार्च। देश में दुनिया के सबसे बड़े चुनावी उत्सव की तैयारियां शुरू होने के साथ ही राजनीतिक दल मतदाताओं के मनोविज्ञान पर असर डालने के लिए व्हाट्सऐप जैसे ‘मैसेजिंग’ मंच और सोशल मीडिया ‘इन्फ्लूएंसर्स’ का सहारा ले रहे हैं। विज्ञापन गुरुओं और राजनीतिक विश्लेषकों ने यह जानकारी दी।
राजनीतिक दल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी उपलब्धियों का प्रचार करने तथा मतदाताओं से समर्थन मांगने के लिए व्यापक पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व्हाट्सऐप पर ‘‘प्रधानमंत्री की ओर से पत्र’’ भेजकर मतदाताओं से जुड़ने का प्रयास कर रही है और नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मतदाताओं से ‘फीडबैक’ ले रही है।
व्हाट्सऐप के भारत में हर महीने 50 करोड़ से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता होते हैं।
भाजपा ने ‘माय फर्स्ट वोट फॉर मोदी’ वेबसाइट शुरू की है जिसमें मतदाता मोदी के लिए वोट करने का संकल्प ले सकते हैं और अपनी पसंद की वजह बताते हुए एक वीडियो अपलोड कर सकते हैं। वेबसाइट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में किए गए विकास कार्यों को दिखाते कई लघु वीडियो भी हैं।
वहीं, कांग्रेस ‘राहुल गांधी व्हाट्सऐप समूह’ चलाती है जिसमें राहुल लोगों से संवाद करते हैं और उनके सवालों का जवाब देते हैं।
व्हाट्सऐप पर सूचनाओं के प्रसार की निगरानी जिला स्तर पर की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह जनता तक पहुंचे और पार्टी के मतदाता आधार को मजबूत करे।
चुनावी विश्लेषक और समीक्षक अमिताभ तिवारी ने कहा, ‘‘जिस भी राजनीतिक दल के अधिक व्हाट्सऐप समूह हैं, वह मतदाताओं से तेजी से और बेहतर तरीके से संवाद कर सकता है। इससे उन्हें तेजी से अपनी उपलब्धियों का प्रचार करने और मतदाताओं को प्रभावित करने में मदद मिलती है।’’
तिवारी के अनुसार, एक समय सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए सबसे पसंदीदा मंच रहा फेसबुक अब राजनीतिक पेज पर विज्ञापनों संबंधी कई पाबंदियों के कारण राजनीतिक दलों को पसंद नहीं रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पार्टियां ऐसे सोशल मीडिया मंच को चुनती है जो उन्हें बगैर ज्यादा पाबंदियों के और बड़े उपयोगकर्ता आधार के साथ तेजी से जनता से जोड़ने में मदद करते हैं। इंस्टाग्राम और ट्विटर (अब एक्स) जैसे कई अन्य मंच हैं जो जनता के एक खास वर्ग की आवश्यकताओं को पूरी करते हैं और उनके अलग-अलग प्रारूप हैं।’’
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया विज्ञापनों (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक, ‘बल्क’ एसएमएस, केबल वेबसाइट, टीवी चैनल आदि) पर 325 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि कांग्रेस ने 356 करोड़ रुपये खर्च किए।
‘पॉलिटिक एडवाइजर’ के संस्थापक और आम आदमी पार्टी (आप) के आईटी प्रकोष्ठ के पूर्व प्रमुख अंकित लाल ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद सूचना के एक माध्यम के रूप में सोशल मीडिया के प्रति दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई राजनीतिक दल मतदाताओं से जुड़ने के लिए अपने चुनाव प्रचार अभियान में पहले डिजिटल माध्यम को चुनते हैं क्योंकि मतदाता सूचना पाने के लिए काफी हद तक सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स एक और महत्वपूर्ण माध्यम बन गए हैं जिनके जरिए पार्टियां उन लोगों का प्रभावित करने की कोशिश करती हैं जो वोट नहीं करते लेकिन धारणा बनाने में भूमिका निभाते हैं।’’
पिछले कुछ महीनों में कई नेता युवा दर्शकों से जुड़ने के लिए मशहूर सोशल मीडिया ‘इन्फ्लूएंसर्स’ (सोशल मीडिया पर लोगों पर प्रभाव डालने वाले लोग) के यूट्यूब चैनलों पर दिखायी दिए हैं।
एस. जयशंकर, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल और राजीव चंद्रशेखर जैसे भाजपा नेताओं ने पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया को साक्षात्कार दिए हैं जिनके यूट्यूब पर 70 लाख से अधिक फॉलोअर हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यात्रा और भोजन के वीडियो पॉडकास्ट ‘कर्ली टेल्स’ की संस्थापक कामिया जानी से भोजन पर बातचीत की थी।
चुनावी नतीजों पर सोशल मीडिया प्रचार की महत्ता बताते हुए लाल ने कहा, ‘‘औसतन दो लाख की आबादी वाले किसी विधानसभा क्षेत्र में 40 फीसदी तक इंटरनेट पहुंच के साथ डिजिटल माध्यमों के जरिए 75,000 से 80,000 लोगों को प्रभावित करना संभव है। किसी भी विधानसभा चुनाव में 5,000 वोटों का अंतर भी किसी भी जीत-हार का अच्छा अंतर होता है।’’
इस बीच, राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रचार को विनियमित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि निर्वाचन आयोग को प्रौद्योगिकी कंपनियों से चुनावी निकाय के नियमों का उल्लंघन करने वाले पोस्ट हटाने के लिए उनके तंत्र को मजबूत करने पर बात करनी चाहिए। (भाषा)
मुंबई, 17 मार्च। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार सुबह दक्षिण मुंबई में महात्मा गांधी के आवास मणि भवन से 'न्याय संकल्प पदयात्रा' निकाली।
राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाद्रा और महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी भी कांग्रेस समर्थकों के साथ पैदल मार्च में शामिल हुए। यह मार्च अगस्त क्रांति मैदान तक निकाला जाएगा, जहां 1942 में अंग्रेजों के शासन से भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान 'भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू हुआ था।
विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के कुछ सदस्य पदयात्रा में शामिल हुए।
शनिवार को कांग्रेस सांसद ने मध्य मुंबई में डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक 'चैत्यभूमि' पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करके और संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपनी 63 दिवसीय 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समापन किया।
यह यात्रा 14 जनवरी को संघर्षग्रस्त मणिपुर से शुरू हुई थी।
विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन शक्ति प्रदर्शन के लिए रविवार शाम को यहां एक जनसभा आयोजित करेगा, जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव हिस्सा ले सकते हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 17 मार्च। भारतीय नौसेना ने भारतीय तट से 1,400 समुद्री मील दूर एक व्यापारी जहाज को बंधक बनाने वाले 35 जलदस्यु को आत्मसमर्पण करने के लिए ‘मजबूर’ कर दिया और चालक दल के 17 सदस्यों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
नौसेना ने अपने पी-8I समुद्री गश्ती विमान, फ्रंटलाइन जहाज आईएनएस कोलकाता और आईएनएस सुभद्रा और मानव रहित हवाई यान को तैनात किया। अभियान के लिए सी-17 विमान से विशिष्ट मार्कोस कमांडो को उतारा गया।
इससे पहले, नौसेना ने सोमालिया के पूर्वी तट पर जहाजों के अपहरण के सोमालियाई समुद्री डाकुओं के एक प्रयास को विफल कर दिया था।
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि समुद्री डाकू रुएन नामक एक मालवाहक जहाज पर सवार थे जिसका करीब तीन महीने पहले अपहरण किया गया था।
नौसेना के प्रवक्ता विवेक मधवाल ने कहा, “ आईएनएस कोलकाता ने पिछले 40 घंटों में ठोस कार्रवाई करके सभी 35 जलदस्यु को सफलतापूर्वक घेर लिया और आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया तथा बंधक बनाए गए जहाज से चालक दल के 17 सदस्यों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की।”
नौसेना ने बताया कि एमवी रुएन का सोमालियाई जलदस्युओं ने 14 दिसंबर को अपहरण कर लिया था।
पहले के बयान में नौसेना ने बताया था कि जहाज से भारतीय युद्धपोत पर गोलीबारी की गई और भारतीय जहाज की ओर से आत्म रक्षा में और नौवहन तथा नाविकों को जलदस्युओं के खतरे से बचाने के लिए आवश्यक न्यूतनम बल के साथ समुद्री डकैती से निपटने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कार्रवाई की गई।
नौसेना ने कहा, ‘‘जहाज पर सवार समुद्री डाकुओं से आत्मसमर्पण करने तथा उनके द्वारा बंधक बनाए जहाज तथा नागरिक को रिहा करने को कहा गया।’’
नौसेना ने बताया कि शुक्रवार को एक भारतीय युद्धपोत और लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान ने बांग्लादेश के एक मालवाहक जहाज का अपहरण किए जाने के बाद उसकी मदद की।
उसने बताया कि सशस्त्र समुद्री डाकुओं द्वारा बंधक बनाए गए चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी और भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने सोमालिया के जल क्षेत्र में पहुंचने तक जहाज के करीब अपनी उपस्थिति बनाए रखी।
पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय नौसेना ने पश्चिमी हिंद महासागर में कई व्यापारी जहाजों पर हमलों के बाद उनकी सहायता की है। (भाषा)
कोलकाता, 16 मार्च। आगामी लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को उत्तरी पश्चिम बंगाल के तीन सीट पर मतदान के लिए केंद्रीय बलों के लगभग 25 हजार कर्मियों को तैनात किया जाएगा। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पहले चरण में कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पर मतदान होगा।
अधिकारी ने बताया, 'उन्नीस अप्रैल को पहले चरण के चुनाव के तहत केंद्रीय बलों की लगभग 250 कंपनियां तैनात की जाएंगी। प्रत्येक जिले में एक नियंत्रण कक्ष होगा और वरिष्ठ अधिकारी उसके प्रभारी होंगे।'
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की एक कंपनी में कम से कम 100 कर्मी होते हैं यानी इन तीन सीट पर मतदान के लिए लगभग 25 हजार कर्मियों को तैनात किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब ने कहा कि राज्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।(भाषा)
नयी दिल्ली, 16 मार्च। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने उत्तरी दिल्ली में एक सड़क पर नमाज पढ़ रहे कुछ लोगों को धक्का देने और लात मारने वाले एक उप-निरीक्षक को तलब करने और उस पर मुकदमा चलाने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी।
यह घटना आठ मार्च को दोपहर करीब दो बजे इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन के पास जुमे की नमाज के दौरान हुई थी। इस कथित कृत्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कौशल ने कहा, ‘‘दलीलें सुन ली गई हैं। संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) से एक मई को कार्रवाई रिपोर्ट मांगी जाए।’’
वकील फराज खान ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी के इस ‘‘बेतुके कृत्य’’ ने लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के अलाव समाज में सद्भाव और शांति को बिगाड़ने का काम किया।
याचिका में अदालत से आरोपी को तलब करने, उस पर मुकदमा चलाने और उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
पुलिस के मुताबिक, उपनिरीक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया गया था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 16 मार्च । अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) को लेकर जारी आलोचना के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि इसे विभाजन के संदर्भ में देखना महत्वपूर्ण है और उन्होंने रेखांकित किया कि ऐसे ‘‘कई उदाहरण’’ हैं जब कई देशों ने नागरिकता देने की प्रक्रिया को त्वरित किया।
जयशंकर ने ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024’ के दौरान अमेरिकी जमीन पर एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने के आरोपों का सामना कर रहे एक भारतीय नागरिक के मामले और अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की भारत एवं अमेरिका के संबंधों पर इसके प्रभाव को लेकर एक दिन पहले की गई टिप्पणियों से जुड़े सवालों का भी जवाब दिया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘आप भारत और कनाडा का निर्बाध रूप से जिक्र करते रहे हैं। मैं कई कारणों से यहां एक रेखा खींचूंगा। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि अमेरिकी राजनीति ने हिंसक चरमपंथी विचारों और गतिविधियों को उस तरह की जगह नहीं दी है जो कनाडा ने दी है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि इन्हें एक साथ रखना अमेरिका के साथ उचित है। मैं दोनों के बीच अंतर करूंगा।’’
कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े आरोपों को लेकर पिछले साल भारत और कनाडा के बीच संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है।
अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत में सीएए की अधिसूचना को लेकर चिंतित है और इसके कार्यान्वयन पर करीब से नजर रख रहा है।
जयशंकर ने सीएए को लेकर कहा, ‘‘देखिए, मैं उनके लोकतंत्र की खामियों या अन्य चीजों या उनके सिद्धांतों या इसके अभाव पर सवाल नहीं उठा रहा। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। जब आप दुनिया के कई हिस्सों की टिप्पणियां सुनते हैं, तो ऐसा लगता है कि मानो भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं और इसके परिणामस्वरूप ऐसी कोई समस्या थी ही नहीं, जिसका समाधान सीएए को करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यदि आप किसी समस्या की बात करते हैं और उससे जुड़े सभी ऐतिहासिक संदर्भ हटा देते हैं... तो मेरे भी सिद्धांत हैं और उनमें से एक सिद्धांत उन लोगों के प्रति दायित्व है जो विभाजन के दौरान निराश हुए और मुझे लगता है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने कल इस पर बहुत स्पष्ट रूप से बात की।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यदि आप मुझसे पूछें कि क्या अन्य देश, अन्य लोकतंत्र जातीयता, आस्था, सामाजिक विशेषताओं के आधार पर नागरिकता के मामलों में तेजी से आगे बढ़ते हैं, तो मैं आपको इसके कई उदाहरण दे सकता हूं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘दुनिया ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है और मेरे लिए संदर्भ बहुत महत्वपूर्ण है।’’
अमेरिकी धरती पर एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने के आरोप का सामना कर रहे भारतीय नागरिक के मामले पर उन्होंने बताया कि भारत इससे कैसे निपट रहा है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हां, अमेरिका ने हमारे साथ कुछ जानकारी साझा की है। इसमें से कुछ जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और कुछ नहीं है। हमारी रुचि भी इस पर गौर करने में है, क्योंकि हमें इसमें एक बहुत मजबूत संगठित अपराध का पहलू नजर आता है जो हमारी अपनी सुरक्षा पर भी असर डालता है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसलिए, जब हमें इस जानकारी से अवगत कराया गया, तो हमने इस पर गौर करने के लिए सक्षम लोगों की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का फैसला किया।’’
कूटनीति और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘देखिए, मुझे विदेश नीति को दुरुस्त करने के लिए भुगतान किया जाता है, न कि सोशल मीडिया को दुरुस्त करने के लिए।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो सोशल मीडिया को कोई भी दुरुस्त नहीं कर सकता।’’(भाषा)
नयी दिल्ली, 16 मार्च। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव के साथ जम्मू कश्मीर में बहुप्रतीक्षित विधानसभा चुनाव नहीं कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले से थोड़ा ‘निराश’ जरूर हैं, लेकिन ‘चकित’ नहीं है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में जो भी गड़बड़ी हुई है उसके लिए कांग्रेस पर ठीकरा नहीं फोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निजी हमला करने से बचने का सुझाव दिया।
अब्दुल्ला ने ‘इंडिया टुडे’ कॉन्क्लेव में ‘इंडिया’ गठबंधन पर ‘भारत का विपक्ष: विमर्श एवं रणनीति की तलाश’ विषयक परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए यह बात कही।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सचिन पायलट और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने भी इस बहस के दौरान अपनी बातें रखीं।
उन्होंने कहा कि यह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की प्रक्रिया को शुरू करने का आदर्श समय था, लेकिन ‘यदि आप देश के बाकी हिस्सों के साथ जम्मू कश्मीर (विधानसभा चुनाव) नहीं करा सकते तो आप कैसे 2029 से ऐसा करने का वादा कर रहे हैं।..’’ (भाषा)
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीख़ें न घोषित किए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने सवाल खड़ा किया है.
समाचार एजेंसी से उन्होंने कहा, “यह दुखद है. एक तरफ़ भारत सरकार एक देश एक चुनाव चाहती है और दूसरी तरफ़ वो चार राज्यों विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ-साथ करा रही है लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है? जब हर पार्टी जम्मू कश्मीर में चुनाव चाहती है तो क्या कारण है कि ऐसा नहीं हो रहा है?”
“अगर वे सुरक्षा का कारण बताते हैं तो मैं ऐसा नहीं सोचता. ये कैसे हो सकता है कि संसदीय चुनावों के लिए सुरक्षा ठीक है और राज्य चुनावों के लिए सुरक्षा ठीक नहीं है.”
शनिवार को भारतीय चुनाव आयोग ने देश में लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा की. सात चरणों में होने वाले आम चुनावों के साथ चार राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में विधानसभा के भी चुनाव कराए जाएंगे.
इसके अलावा तीन चरणों में 26 विधानसभा सीटों पर भी उप चुनाव होंगे. ये चुनाव भी आम चुनावों के साथ होंगे.
कश्मीर में पांच संसदीय सीटों पर पांच चरण में चुनाव होना है. (bbc.com/hindi)
लोकसभा चुनाव 2024 में सात चरणों में वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे चार जून को आएंगे.
पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर, दूसरे चरण में 13 राज्यों की 89 सीटों, तीसरे चरण में 12 राज्यों की 94 सीटों, चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 सीटों, पांचवें चरण में 8 राज्यों की 49 सीटों, छठे चरण में सात राज्यों की 57 सीटों और सातवें चरण में आठ राज्यों में 57 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे.
आगे जानिए किस चरण में किस तारीख़ को किन राज्यों में डाले जाएंगे वोट?
पहला चरण, 19 अप्रैल
पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, जम्मू कश्मीर, लक्षद्वीप, पुदुच्चेरी की कुल 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
दूसरा चरण, 26 अप्रैल
दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर की कुल 89 सीटों पर मतदान होगा.
तीसरा चरण, 7 मई
तीसरे चरण के तहत 7 मई को असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दादरा नगर हवेली और दमन दीव की कुल 94 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
चौथा चरण, 13 मई
चौथे चरण के तहत 13 मई को आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर की कुल 96 सीटों पर वोट डाले जाएंगे.
पांचवां चरण, 20 मई
पांचवें चरण के तहत 20 मई को छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रेदश, पश्चिम बंगाल, बिहार, जम्मू कश्मीर, लद्दाख की 49 सीटों पर मतदान होगा.
छठा चरण, 25 मई
छठे चरण के तहत 25 मई को बिहार, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली की कुल 57 सीटों पर मतदान होगा.
सातवां चरण, 1 जून
सातवें चरण के तहत एक जून को बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ की कुल 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. (bbc.com/hindi)