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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 14 मार्च। धमतरी जिले के सिहावा थाना क्षेत्र के ग्राम सांकरा मार्ग पर बाइक पुल से टकरा गई। हादसे में बाइक पुल के ऊपर ही रह गई, जबकि तीनों युवक पुल के नीचे गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई।
बुधवार शाम करीब 7.30 बजे मोटरसाइकिल में सवार होकर कोलकाता क्षेत्र के तीन मजदूर शरीफुल हक, अब्दुल रहीम, कमालीन जमाल तीनों निवासी पश्चिम बंगाल ग्राम भोथली बोडरा में रहकर हाईटेंशन तार लगाने का काम करते थे और पिछले कुछ माह से यहीं रह रहे थे।
शाम को बाइक से अपने गांव से सिहावा सांकरा की ओर आ रहे थे। इस दौरान अचानक उनकी बाइक पुल से टकरा गई और हादसे में बाइक पुल के ऊपर ही रह गई। जबकी तीनों युवक 14 फीट पुल के नीचे गिर गए, जिससे उनकी मौत हो गई।
नई दिल्ली, 14 मार्च । दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने गुरुवार को एकल पीठ के एक आदेश को बरकरार रखा और यमुना तथा गंगा नदियों के बीच विशाल क्षेत्र पर संपत्ति के अधिकार का दावा करने वाले कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने पिछले साल दिसंबर में कुँवर सिंह पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था और उनकी वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें दोनों नदियों के बीच दावा किए गए जमीन के बड़े टुकड़े के लिए सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने गुरुवार को याचिका दायर करने में काफी देरी का हवाला देते हुए कुंवर सिंह की अपील खारिज कर दी।
पीठ ने कहा कि कुंवर सिंह की याचिका स्पष्ट रूप से देरी और विलंब के साथ-साथ समाप्ति के सिद्धांत से बाधित थी क्योंकि याचिका भारत की आजादी के सात दशक बाद दायर की गई थी।
कुँवर सिंह ने बेसवान परिवार के उत्तराधिकारी होने का दावा करते हुए अदालत से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना उनके दावे वाले क्षेत्रों में चुनाव न कराए।
एकल-न्यायाधीश ने रिट याचिका को "पूरी तरह से गलत" पाया था और उठाए गए दावों को रिट याचिका के माध्यम से निर्णय के लिए अनुपयुक्त माना था।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा था कि कुँवर सिंह की प्रस्तुति में मानचित्रों सहित पर्याप्त सबूतों का अभाव है, और ऐतिहासिक विवरण बेसवान परिवार के अस्तित्व या कुँवर सिंह के अधिकारों का संकेत नहीं देते हैं।
खंडपीठ ने भी न्यायमूर्ति प्रसाद के फैसले से सहमति जताई कि कुंवर सिंह का दावा काफी समय बीत जाने के कारण रिट कार्यवाही में तय नहीं किया जा सकता है। वर्ष 1947 में शिकायत के बाद से बहुत समय बीत चुका है।
खंडपीठ ने 75 साल से अधिक की देरी के बाद कुंवर सिंह के स्वामित्व के दावे के आधार पर सवाल उठाते हुए, इतने वर्षों के बाद इस तरह के दावे को संबोधित करने की असंभवता पर टिप्पणी की।
खंडपीठ ने टिप्पणी की, “आप कहते हैं कि यमुना और गंगा के बीच का पूरा क्षेत्र आपका है। आप किस आधार पर आ रहे हैं? 75 साल बाद आप जागे हैं।''
इसमें कहा गया है, “शिकायत 1947 में उठी थी। क्या इस पर विवाद करने के लिए अब बहुत देर नहीं हो गई है? यह 1947 की बात है और हम 2024 में हैं। कई साल बीत गये। आप राजा हैं या नहीं, हम नहीं जानते। आप आज शिकायत नहीं कर सकते कि आपको 1947 में वंचित किया गया था।”
अदालत ने कहा, “अब हम इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। आज बहुत देर हो चुकी है। हमें कैसे पता चलेगा कि आप मालिक हैं? हमारे पास कागजात नहीं हैं। यह सब देरी और लापरवाही से बाधित है। आप मुकदमा दायर करें, घोषणा का दावा करें। हमें पता नहीं। अब यह कैसे हो सकता है?''
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा था कि रिट याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और न्यायिक समय की बर्बादी है।
जवाब में, अदालत ने कुंवर सिंह को चार सप्ताह के भीतर सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में लागत की राशि जमा करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा था कि कुँवर सिंह को अपने दावों को साबित करने के लिए दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य सहित उचित कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।
अदालत ने स्पष्ट किया था कि रिट याचिकाएँ उन तथ्यात्मक विवादों पर निर्णय देने के लिए उपयुक्त नहीं हैं जिनके लिए सिविल अदालत में उचित मुकदमे की आवश्यकता होती है।
(आईएएनएस)
छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी इलाके के एक आवासीय विद्यालय में पढ़ रही छात्रा ने कल एक बच्चे को जन्म दिया है, जिसके बाद हडक़म्प मच गया। बीजापुर नक्सल प्रभावित इलाका है, और वहां छात्रा को पेट दर्द की शिकायत के बाद सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था, वहां बच्चे को जन्म देने के बाद दोनों सुरक्षित हैं। इस पर कांग्रेस ने अपनी एक महिला विधायक की अगुवाई में 8 सदस्यीय जांच दल बनाया है। जिस स्कूल छात्रावास में यह लडक़ी रह रही थी, उसकी अधीक्षिका को निलंबित कर दिया गया है। आदिवासी इलाकों में छात्राओं के साथ लगातार इसी तरह, या कई तरह के मामले होते रहते हैं, और उनके शोषण की बातें कई बार स्थापित भी हो चुकी हैं, कई लोगों की गिरफ्तारी भी होते रहती है। इस मामले में छात्रावास अधीक्षिका का कहना है कि यह छात्रा बालिग थी, और उसका एक लडक़े से प्रेमप्रसंग था जो कि दोनों परिवारों की जानकारी में भी था, और उसी के नतीजे में यह गर्भ और जन्म हुआ है। अधीक्षिका ने अपनी सफाई में कहा है कि यह संबंध दोनों परिवारों की जानकारी में था, और छात्रा को छात्रावास से बाहर जाने की इजाजत पारिवारिक सहमति के आधार पर ही मिलती थी।
हो सकता है कि अधीक्षिका ने अपनी सफाई में जो कुछ कहा है, सब सही हो, लेकिन एक सवाल यह उठता है कि छात्रावास में रहते हुए कोई छात्रा अगर गर्भवती हो रही है, और पूरे गर्भकाल के बाद एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे रही है, तो छात्रावास के प्रभारी लोगों को इसकी जानकारी कैसे नहीं हुई? हमारा ख्याल है कि हॉस्टल के बच्चों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण का नियम रहता है, और छात्राओं के मामले में तो इस पर और अधिक गौर किया जाता होगा। ऐसे में हॉस्टल की जानकारी के बिना बात इतनी आगे बढ़ जाना परले दर्जे की लापरवाही के सुबूत के अलावा और कुछ नहीं है। बस्तर के इलाके में छात्रावासी छात्राओं के ऐसे मामले पहले भी सामने आए हैं, और यह बात साफ है कि स्कूल शिक्षा विभाग, या आदिम जाति कल्याण विभाग, जिनके भी स्कूल-छात्रावास होते हैं, उनकी लापरवाही और गैरजिम्मेदारी ऐसे मामलों में रहती है। इन विभागों में आदिवासी इलाकों में लोग अपनी तैनाती खरीददारी के लिए करवाते हैं जहां वे मनचाहे दाम पर खरीदी करते हैं, और उनके भ्रष्टाचार को पकडऩे वाले कोई नहीं रहते। लेकिन जब ऐसी घटनाएं बढक़र देह शोषण तक पहुंच जाती हैं, तो फिर मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं रहता।
हमने बस्तर के इलाके में, और छत्तीसगढ़ के दूसरे सिरे के आदिवासी सरगुजा में भी आदिवासी बच्चियों के साथ ऐसा सरकारी बर्ताव देखा हुआ है। इसमें नई बात कुछ नहीं है, लेकिन यह बात कम गंभीर भी नहीं है। आज कांग्रेस अपनी महिला विधायक की अगुवाई में बड़ी सी टीम इस बच्ची के मां बनने की जांच के लिए बना चुकी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि 9 महीने चले गर्भ की शुरूआत कांग्रेस सरकार के वक्त ही हुई होगी, और अभी तीन महीने पहले आई हुई विष्णु देव साय की सरकार के तहत तो उस गर्भ से संतान भर हुई है। इसमें किसे जिम्मेदार माना जाए? मौजूदा भाजपा सरकार को तो अगर सरकार बनते ही यह पता लग भी जाता कि एक लडक़ी गर्भवती है, तो भी वह गर्भ का तो कोई समाधान कर नहीं सकती थी, छात्रावास अधीक्षिका पर कार्रवाई जरूर हो सकती थी। यह बात भी कुछ हैरान करती है कि अधीक्षिका का कहना है कि अभी कुछ अरसा पहले एक मेडिकल जांच के लिए टीम छात्रावास आई थी, और सभी छात्राओं की जांच करके गई थी। जाहिर है कि गर्भवती छात्रा का पता नहीं लगना, मेडिकल टीम की भी लापरवाही रही होगी।
हम पहले भी इस बात को लिख चुके हैं कि आदिवासी इलाकों के लिए सरकार को अधिक संवेदनशील अधिकारी-कर्मचारी रखने चाहिए, और खासकर जहां आदिवासी बच्चों, लड़कियां, और महिलाओं का मामला हो, वहां पर सरकारी अमले को बड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। वैसे भी नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता सुरक्षा व्यवस्था हो जाती है, और वहां पर बाकी कोई भी बात अधिक नहीं सोची जाती। ऐसी बहुत सी शिकायतें लंबे समय से रही हैं कि सुरक्षा कर्मचारियों में से कुछ लोग किस तरह स्थानीय महिलाओं से बुरा बर्ताव करते हैं, और उस पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं होती कि सुरक्षा बलों का मनोबल टूटेगा। लोगों को याद होगा कि हथियारबंद मोर्चे वाले जितने भी प्रदेश इस देश में रहे हैं, वहां सरकारी संगीनों वाली बंदूकों की लगातार लंबी मौजूदगी से ऐसा नुकसान होता है कि मानवाधिकार बेमायने लगने लगते हैं, और महिलाओं पर तरह-तरह का जुल्म होता है। मणिपुर की नग्न महिलाओं का प्रदर्शन लोगों को याद होगा जो कि फौज को मिली हुई एक खास हिफाजत के कानून को खत्म करने के लिए कई बार किया गया है। बस्तर में नौबत उतनी बुरी नहीं रही, लेकिन सुरक्षा बलों के हाथ महिलाओं के शोषण की शिकायतें भी बहुत रही हैं। ऐसे ही जुल्मों की वजह से बस्तर जैसे शांत इलाके में नक्सलियों को आने और पांव जमाने का मौका मिला। इसलिए जहां कहीं स्थानीय आदिवासियों के साथ सरकारी अमले की लापरवाही या गैरजिम्मेदारी रहती है, उस पर कड़ाई से कार्रवाई होनी चाहिए।
बस्तर की बालिग या नाबालिग, इस स्कूली छात्रा का इस तरह मां बनना या सरकार के लिए कई किस्म के सवाल खड़े करता है। इस पर कांग्रेस को जांच दल बनाने के बजाय अपने कार्यकाल में हुई लापरवाही को मंजूर करना चाहिए, लेकिन चुनाव के माहौल में सच से अधिक लंबा रिश्ता किसी का रहता नहीं है। ऐसी घटनाएं सरकार को यह मौका भी देती हैं कि वह अपना घर सुधार ले। पूरे प्रदेश में हर किस्म के सरकारी छात्रावास की छात्राओं के स्वास्थ्य की जांच भी होनी चाहिए, और उन्हें गर्भधारण या बीमारी से बचने के रास्ते भी बताने चाहिए। उनसे सिर्फ नैतिकता की उम्मीद जायज नहीं होगी, उन्हें उनकी उम्र के मुताबिक जरूरी सलाह भी देनी चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)
शिक्षकों का नैतिक पतन
तिल्दा-नेवरा के केसदा गांव में एक शिक्षक पैन सिंह चंदेल को पुलिस ने गिरफ्तार किया जिसे कोर्ट ने जेल भेज दिया है। नारायणपुर में तीन शिक्षकों धर्मेंद्र देवांगन, नारायण देवांगन और नरेंद्र ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद तीनों शिक्षक फरार हैं। बिल्हा में एक शिक्षक कमलेश साहू को गिरफ्तार किया गया है। मल्हार मस्तूरी में भी एक शिक्षक संजय साहू को गिरफ्तार कर लिया गया है। कुनकुरी में हाईस्कूल के व्याख्याता संजय साहू को गिरफ्तार किया गया। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग कोने के इन सभी शिक्षकों पर अपने स्कूल में पढऩे वाली छात्राओं के साथ छेडख़ानी, अश्लील मेसैज भेजने जैसे आरोप हैं। हर एक मामले में क्षोभ की बात यह रही है कि शाला के प्राचार्य, प्रधान पाठकों ने बच्चियों की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। कहीं पर छात्रों और ग्रामीणों को स्कूल प्रबंधन का घेराव करना पड़ा तो कहीं पीडि़त परिवार को खुद जाकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी, तब जाकर कार्रवाई हुई। कानून सख्त होने के कारण पुलिस ऐसी शिकायतों को टाल नहीं पाती, अगर शिकायतकर्ता जागरूकता दिखाए। मगर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षकों के निलंबन आदि की कार्रवाई भी तब की जब रिपोर्ट दर्ज हो गई, या फिर गिरफ्तारी हो गई।
ये सब घटनाएं बीते 15-20 दिन के भीतर हुई हैं। इस बीच हमने महिला अंतरराष्ट्रीय दिवस भी मना लिया। पीडि़त छात्राओं की सराहना करनी होगी कि उन्होंने फेल करने, निष्कासित करने की धमकी मिलने के बावजूद शिकायत लेकर सामने आईं। मगर, प्रदेश के दूसरे स्कूलों में और भी पीडि़त छात्राएं हो सकती हैं, वे सकता हैं वे सहमी हों, सहन कर रही हों।
छत्तीसगढ़ में स्कूलों का शैक्षणिक स्तर पूरे देश में 27वें नंबर पर है, यानि बेहद बुरी स्थिति में। अब ऐसे शिक्षक अपनी करतूतों से साबित करने में लगे हैं, कि वे स्कूलों का शैक्षणिक स्तर ही नहीं गिराएंगे बल्कि गुरुजनों की नैतिकता नापने का कोई पैमाना हो तो उसमें भी वे सबसे नीचे तक ले आएंगे। ऐसे शिक्षक जो अपने अधिकारियों के संरक्षण में शिकायत को दबाने और गिरफ्तारी तथा निलंबन की कार्रवाई को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे थे। पॉक्सो एक्ट में कड़ी सजा का प्रावधान होने के बावजूद वे जमानत पाने और अदालत से बरी होने के लिए भी अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर सकते हैं। पर बच्चियों के लिए इससे बुरा कुछ नहीं होगा कि ये शिक्षक दोबारा स्कूल में पढ़ाने के लिए आ जाएं।
चार कॉलेजों के एक प्राचार्य
जशपुर जिले के कांसाबेल स्थित सरकारी कॉलेज से बागबहार की दूरी 17 किलोमीटर, बगीचा की दूरी 46 किलोमीटर और सन्ना की दूरी 75 किलोमीटर है। इन तीनों स्थानों में भी सरकारी कॉलेज हैं। खास बात यह है कि इन चारों कॉलेजों में किसी में भी स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की गई है। कांसाबेल में इतिहास विषय की पढ़ाई कराने वाले सहायक प्राध्यापक को प्रभारी प्राचार्य बनाकर रखा गया है। पर उनको इसी एक कॉलेज की जिम्मेदारी नहीं उठानी है, बल्कि जिन बाकी तीन कॉलेजों की बात की जा रही है, वहां का प्रभार भी उनको ही दे दिया गया है। यानि एक साथ, एक छोर से दूसरे छोर वाले चार कॉलेजों के प्रभारी। उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कितना गंभीर है, इससे समझा जा सकता है।
आत्मनिर्भर किसान
मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 2019 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया था। एक किसान से 10 क्विंटल अधिकतम खरीदी करना था और यह खरीदी 28 फरवरी तक ही की जानी थी। धमतरी जिले में करीब 500 हेक्टेयर में इस बार मक्के की खेती की गई। एक अनुमान के अनुसार करीब 26 हजार क्विंटल उत्पादन हुआ। पर किसी भी किसान ने सोसायटी में जाकर मक्का नहीं बेचा। वजह, बाजार में उन्हें समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा कीमत मिली।
छत्तीसगढ़ में धान की खूब पैदावार ली जाती है। धान के सरकारी प्रोत्साहन में हजारों करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। धान में बहुत पानी भी लगता है। मक्के में जरूरत कम पड़ती है। सरकार मिलेट्स को बढ़ावा देने की बात करती है। तब उसे ऐसे आत्मनिर्भर किसानों की सुध जरूर लेनी चाहिए।
नेता बच्चों के ट्यूटर
स्कूल शिक्षा विभाग में जिला शिक्षाधिकारियों की तबादला सूची को लेकर काफी हलचल रही। सूची में जयनारायण पांडेय स्कूल के प्राचार्य मोहन सावंत और दानी स्कूल के प्राचार्य विजय खंडेलवाल का भी नाम है। दोनों को प्रभारी जिला शिक्षाधिकारी बनाकर क्रमश: महासमुंद और रायपुर में पदस्थ किया गया है।
बताते हैं कि दोनों ही अफसर पिछले डेढ़ दशक से एक ही स्कूल में पदस्थ थे। उन्हें हटाने की खूब कोशिश भी हुई लेकिन दोनों अपने अपार संपर्कों की वजह से पद पर बने रहे। दोनों ही अच्छे शिक्षक भी माने जाते हैं, और स्थानीय बड़े नेताओं के बच्चों के ट्यूटर भी रहे हैं।
यही वजह है कि जब-जब तबादला सूची में उनका नाम जोड़ा जाता था, बड़े नेता नाम हटवा देते थे। अब जब दोनों को मनचाही पोस्टिंग मिली है, तो उनकी जगह लेने के लिए शिक्षकों में होड़ मच गई है। देखना है आगे क्या होता है।
पीडि़तों की मुख्य धारा
कांग्रेस शासनकाल में पीडि़त रहे अधिकारी कर्मचारियों ने बड़ी अच्छी उक्ति लगाई है। इनके तबादले पोस्टिंग के लिए एक टैग लाइन, पंच लाइन चल पड़ी है। पीडि़तों को मुख्य धारा में लाना है। भाईसाहबों के हाथ लिखी ये लाइन देखते ही पीडि़त मुख्य धारा में लौटने लगे हैं। दो दिन पहले ही रानु कुनबे के ऐसे ही दागी दो खनिज अधिकारी, माइनिंग डिस्ट्रिक्ट कहे जाने वाले फील्ड में पदस्थ कर दिए गए। जबकि इनके यहां ईडी विजिट कर चुकी थी। वैसे विभाग में चर्चा है कि इन दोनों ने काफी कुछ इनपुट दिया था। सो इनाम मिलना ही था। इसी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग ने निलंबित व्याख्याता को न केवल बहाल किया बल्कि प्रभारी डीईओ बना दिया। यह कहकर की नक्सल जिलों में कोई जाना नहीं चाहता। इन्हें पिछले ही माह सदन में निलंबित किया गया था। ये पीडि़त भी मुख्य धारा में लौट आए।
बस्तर के बर्तन...
बस्तर संभाग के, बस्तर जिले के, बस्तर ब्लॉक के, बस्तर पंचायत के, बस्तर गांव का सोमवार बाजार। गर्मी में मांग बढ़ जाती है, पर बहुत से स्थानीय आदिवासी परिवार हैं जो हर मौसम में मिट्टी के घड़ों से ही काम चलाते हैं। वैसे मौसम विभाग का आंकड़ा बताता रहता है कि घने जंगलों वाले बस्तर और घनी बिल्डिंग वाली राजधानी रायपुर के तापमान में अब ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। आज की ही बात करें तो बस्तर में अधिकतम तापमान 35 डिग्री है, जबकि रायपुर में 36 डिग्री सेल्सियस।
नई दिल्ली, 14 मार्च । विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को यहाँ आयरलैंड के उद्यम, व्यापार एवं रोजगार मंत्री साइमन कोवेनी से मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों पर चर्चा की।
साइमन कोवेनी एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जो दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आर्थिक संबंधों और बढ़ते व्यापारिक सहयोग पर फोकस करने के लिए इस सप्ताह भारत आया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "आयरलैंड के उद्यम, व्यापार एवं रोजगार मंत्री साइमन कोवेनी से मिलकर खुशी हुई। भारत और आयरलैंड के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों पर बहुत सकारात्मक चर्चा हुई।"
दोनों नेताओं ने युद्धग्रस्त गाजा और यूक्रेन पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
साइमन कोवेनी ने भारत के लिए रवाना होने से पहले एक वीडियो संदेश में कहा, "यह कई मायनों में एक आकर्षक देश है - सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक और दुनिया में सबसे तेजी से विकासशील समाजों में से एक।"
अपने देश में भारतीय समुदाय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि आज आयरलैंड में "91 हजार भारतीय नागरिक" रह रहे हैं, जो आयरिश समाज और अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा हैं।
साइमन कोवेनी ने कहा, "आयरलैंड में लगभग 50 भारतीय कंपनियाँ हैं, जो पाँच-छह हजार लोगों को रोजगार देती हैं। आयरिश अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव बढ़ रहा है जो बहुत सकारात्मक है।"
आयरलैंड के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा सोमवार को बेंगलुरु के गार्डन सिटी से शुरू हुई है। आयरिश सरकार की व्यापार और नवाचार एजेंसी एंटरप्राइज आयरलैंड तथा आयरलैंड की एफडीआई एजेंसी, आईडीए आयरलैंड, ने आयरिश दूतावास के साथ मिलकर इसका आयोजन किया है।
बेंगलुरु में साइमन कोवेनी ने फार्मा कंपनी बायोकॉन के साथ-साथ आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों इंफोसिस और विप्रो के शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की।
उनके आगमन पर, भारत में आयरिश राजदूत, केविन केली ने एक्स पर कहा कि यह यात्रा "भारत और आयरलैंड के बीच और भी अधिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मौजूद क्षमता का पता लगाने का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगी"।
केविन केली ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार पहले से ही "प्रति वर्ष 10 अरब यूरो के स्वस्थ स्तर पर" है।
पिछले साल शुरू की गई अपनी नवीनीकृत एशिया प्रशांत रणनीति के हिस्से के रूप में, आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन ने कहा था कि उनका देश भारत के साथ अपने आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने का इरादा रखता है।
माइकल मार्टिन के अनुसार, यह रणनीति भविष्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी और एशिया प्रशांत क्षेत्र में विस्तार करने की आयरलैंड की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करेगी।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 मार्च । अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने गुरुवार को बताया कि उसने गुजरात में और 126 मेगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता का संचालन शुरू किया है। इसके साथ ही राज्य में 300 मेगावाट की परियोजना पूरी हो गई है। शेष 174 मेगावाट क्षमता का संचालन पहले ही शुरू हो चुका था।
कुल 300 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना में सालाना लगभग 109.1 करोड़ बिजली इकाई का उत्पादन होगा। इससे लगभग आठ लाख टन सीओ2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जन से बचा जा सकेगा।
कंपनी ने एक बयान में कहा, "परियोजना के संचालन के साथ, एजीईएल ने देश भर में 9,604 मेगावाट के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो का संचालन करते हुए अपने बाजार नेतृत्व को और मजबूत किया है।"
इसमें कहा गया है, "कंपनी की परिचालन परिसंपत्तियों की रखरखाव और निगरानी इसके क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म 'एनर्जी नेटवर्क ऑपरेशंस सेंटर' (ईएनओसी) द्वारा की जाती है, जो रियल टाइम निगरानी को सक्षम बनाता है और एनालिटिक्स तथा मशीन लर्निंग का लाभ उठाते हुए उद्योग में अग्रणी प्रदर्शन के लिए मानक स्थापित करता है।"
कंपनी के अनुसार, ग्रिड संतुलन के लिए देश के ऊर्जा मिश्रण में पवन ऊर्जा महत्वपूर्ण है। पवन ऊर्जा की पूरक प्रकृति, सौर तथा अन्य स्रोतों के साथ एकीकृत होकर ग्रिड की स्थिरता को मजबूत करती है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया में चौथी सबसे अधिक स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता वाला देश है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान ने देश की कुल पवन ऊर्जा क्षमता भूतल से 120 मीटर की ऊँचाई पर 695.5 गीगावॉट और 150 मीटर की ऊँचाई पर 1163.9 गीगावॉट होने का अनुमान लगाया है।
एजीईएल यूटिलिटी-स्केल के ग्रिड से जुड़े सौर, पवन और हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों के विकास, स्वामित्व और संचालन में काम करता है। कंपनी का लक्ष्य 21.8 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। वर्तमान में 12 राज्यों में इसकी 9.5 गीगावॉट से अधिक की स्थापित क्षमता ऑपरेशनल है जो देश में सर्वाधिक है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 मार्च । भारत में 23.5 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स अपने मोबाइल लॉक स्क्रीन पर ट्रेंडिंग कंटेंट और एक्सपीरियंस तलाशते हैं।
एक रिपोर्ट में गुरुवार को यह खुलासा हुआ है। स्मार्ट लॉक स्क्रीन प्लेटफॉर्म ग्लांस के अनुसार, अपने मोबाइल लॉक स्क्रीन पर कंटेंट तक पहुंचने वाले 55 फीसदी यूजर्स टियर 1 शहरों से थे। जबकि टियर 2 और 3 शहर भी 45 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
ग्लांस के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर विकास चौधरी ने कहा, "235 मिलियन से ज्यादा भारतीय अपने स्मार्ट लॉक स्क्रीन के जरिए कंटेंट और इंटरनेट एक्सपीरियंस से जुड़े हुए हैं। हमारी ग्लांस स्मार्ट लॉक स्क्रीन ट्रेंड्स रिपोर्ट इंडिया 2024, इन यूजर्स की आदतों को दर्शाती है।''
जेंडर को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुष आबादी महिलाओं की तुलना में 61:39 के अनुपात के साथ अपने स्मार्ट लॉक स्क्रीन पर कंटेंट की खोज और उपभोग करने के लिए ज्यादा इच्छुक है।
टॉप तीन कंटेंट श्रेणियां राष्ट्रीय समाचार, खेल और मनोरंजन थीं, जिनकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 16 प्रतिशत थी।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 मार्च । दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद द्वारा 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक बड़ी साजिश के मामले में दायर नियमित जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए पुलिस को एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया।
कड़कड़डूमा कोर्ट के विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने खालिद की दूसरी नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए अब 21 मार्च की तारीख तय की है।
न्यायाधीश ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद के अधिक समय माँगने के आवेदन पर अभियोजन को समय दे दिया।
एसपीपी ने अदालत को बताया कि खालिद की जमानत याचिका पर जवाब 18 मार्च को दाखिल किया जाएगा। वह सितंबर 2020 से हिरासत में है।
अप्रैल 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने खालिद की पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी उसकी अपील खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय ने 29 फरवरी को दिल्ली पुलिस से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में एक बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाले यूएपीए मामले में उनकी जांच पूरी हो गई है या वह अतिरिक्त आरोपपत्र दायर करेगी।
खालिद पर आतंकवाद विरोधी कड़े कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले में आरोपियों में ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद, सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल शामिल हैं।
(आईएएनएस)
जब प्रतिभाएं निखरती हैं तो समाज भी निखरता है-साय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में राज्य खेल अलंकरण समारोह में विभिन्न खेल विधाओं के 544 प्रतिभावान खिलाडिय़ों को पुरस्कृत किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रतिभा ईश्वर की देन है, यह समाज को ईश्वर का अनुपम उपहार है। जब प्रतिभाएं निखरती हैं तो समाज भी निखरता है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने की। कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंकराम वर्मा और विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्रीरामविचार नेताम और सांसद सुनील सोनी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में 5 साल बाद प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को उनका सम्मान और पुरस्कार मिलने जा रहा है, मैं सभी खिलाडिय़ों को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के शहीदों के नाम पर स्थापित राज्य खेल अलंकरण समारोह का शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली हमारी सरकार द्वारा ही किया गया था। यह बहुत अफसोस की बात है कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पिछले 5 बरसों से राज्य में खेल अलंकरण समारोह का आयोजन हुआ ही नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार को बने अभी केवल 3 महीने ही हुए हैं। इन थोड़े से ही दिनों में ही राज्य में हमने खेलों के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय ले लिए हैं। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की आवासीय खेल अकादमी प्रारंभ की जाएगी। राज्य में पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करने के लिए छत्तीसगढिय़ा क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना शुरू की जाएगी। जशपुर में मॉडर्न खेल स्टेडियम एवं रायगढ़ तथा बलौदाबाजार जिले में इंडोर स्टेडियम कॉम्प्लेक्स के निर्माण का निर्णय लिया जा चुका है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि युवा खिलाडिय़ों ने इस सम्मान के लिए बहुत संघर्ष किए हंै। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस सम्मान का आयोजन रोक दिया गया था। जिसके लिए खिलाडिय़ों को रास्ते में आकर आंदोलन करना पड़ा। उसी का परिणाम है कि आज हमारी सरकार द्वारा पुन: इस खेल अलंकरण सम्मान को शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य में खेल गतिविधि को बढ़ावा देने एवं खिलाडिय़ों को हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है।
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री टंक राम वर्मा ने वीर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि वर्ष 2007 से राज्य में उत्कृष्ट खिलाड़ी योजना प्रारंभ की गई है। राज्य में 74 खिलाडिय़ों को नौकरी दी जा चुकी है। उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की घोषणा के लिए खिलाडिय़ों से प्राप्त आवेदनों के पुनर्परीक्षण हेतु समिति का गठन किया जा चुका है, जल्द ही उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की घोषणा की कार्यवाही भी की जाएगी।
कार्यक्रम में विधायक राजेश मूणत, मोतीलाल साहू, अनुज शर्मा, इन्द्रकुमार साहू, जनप्रतिनिधि, विभिन्न खेल संघों के पदाधिकारी, खेल एवं युवा कल्याण सचिव हिमशिखर गुप्ता, संचालक खेल एवं युवा कल्याण श्रीमती तनुजा सलाम एवं सहित खेल विभाग के अधिकारीगण और बड़ी संख्या में खिलाड़ी शामिल थे।
नई दिल्ली, 14 मार्च । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग द्वारा असली एनसीपी करार दिए गए अजित पवार गुट द्वारा वरिष्ठ नेता और पार्टी के संस्थापक शरद पवार के नाम व तस्वीर का उपयोग करने पर नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा,“आप (अजित पवार) उनकी तस्वीर का उपयोग क्यों कर रहे हैं? आप अपनी स्वयं की तस्वीरों के साथ आगे बढ़ें। आप उनकी पीठ पर क्यों सवार हो?”
जवाब देते हुए, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि पार्टी ऐसा नहीं कर रही है। वह दूसरे पक्ष के इस दावे का उचित जवाब देंगे।
इस पर पीठ ने कहा, “कौन रोकेगा? जिम्मेदारी कौन लेगा? हमें शपथ पत्र दें कि आप अपने किसी भी कार्यकर्ता को शरद पवार की तस्वीर का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे। अन्यथा, हम आदेश देने को बाध्य होंगे।” पीठ मेें न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन भी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ''हम आपसे स्पष्ट और बिना शर्त आश्वासन चाहते हैं कि आप (अजित पवार) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शरद पवार के नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे।''
शीर्ष अदालत के सुझाव से सहमत होते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक ऐसा तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, जहां गलत तरीके से तैयार सामग्री की जिम्मेदारी अजित पवार गुट पर न डाली जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस आशय का हलफनामा देने के लिए दो दिन का समय देते हुए कहा, “आप सार्वजनिक रूप से खुलासा करें कि आप राजनीतिक जगत में कैसे पहचाने जाना चाहते हैं। ”
उधर, शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 'घड़ी' चुनाव चिन्ह शरद पवार के नाम के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। अजित पवार गुट को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
मामले को अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए निर्देश दिया कि शरद पवार गुट अगले आदेश तक 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार' नाम का इस्तेमाल जारी रख सकता है।
इसने वरिष्ठ पवार को पार्टी चिन्ह के आवंटन के लिए भारत के चुनाव आयोग से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को आवेदन प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर इसे आवंटित करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में एनसीपी विभाजित हो गई थी। शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 मार्च । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 'विकसित भारत एंबेसडर' कार्यक्रम के तहत गुरुवार को असम स्थित आईआईटी गुवाहाटी परिसर पहुंची और वहां उन्होंने उत्तर-पूर्वी राज्यों को तेज गति से विकास के रास्ते पर ले जाने और देश के अन्य हिस्सों की तरह विकास का समान अवसर प्रदान करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराया।
आईआईटी गुवाहाटी में 'विकसित भारत एंबेसडर कैंपस डायलॉग' को संबोधित करते हुए, वित्त मंत्री ने पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार के द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैसे इससे देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास में गति आई है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर को कई दशकों तक उपेक्षित रखा, लेकिन 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने इसके विकास पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के 'विकास' में गहरी दिलचस्पी ली है और स्थानीय संसाधनों के जरिए उन्होंने यहां के विकास की कल्पना की है और यह अब अभूतपूर्व परिणाम दे रहा है।
उन्होंने कहा कि 'बांस मिशन कार्यक्रम' ने उत्तर-पूर्व की तरफ सबका ध्यान आकर्षित किया है। जैसे-जैसे दुनिया तेजी से कागज और प्लास्टिक का उपयोग छोड़ रही है, वैसे-वैसे बांस को वैश्विक स्वीकृति मिल रही है।
केंद्र की योजनाओं को गिनाते हुए वित्त मंत्री ने बताया, ''अब तक पूर्वोत्तर राज्यों को 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विकास के लिए आवंटित की गई है, जबकि 6,600 करोड़ रुपये रोजगारोन्मुखी विकास के लिए क्षेत्र में दिए गए हैं।''
उन्होंने कहा कि भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। इसके 100 में से 20 से अधिक कार्यक्रम पूर्वोत्तर के राज्यों में आयोजित किये गये। कई मंत्री और विदेशी प्रतिनिधि इस क्षेत्र में आए, जिससे स्थानीय लोगों को अपने उत्पादों को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का मौका मिला।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि असम में सात कैंसर अस्पताल बन रहे हैं। यह इस क्षेत्र को चिकित्सा सेवाओं के केंद्र के रूप में स्थापित कर देगा और इसमें पूरे दक्षिण एशिया से मरीज सस्ते और उच्च-स्तरीय उपचार के लिए यहां आएंगे।
उन्होंने आगे कहा, ''अभी कुछ समय पहले पीएम मोदी ने असम में सात कैंसर अस्पतालों की आधारशिला रखी थी। इसके अलावा 8 नये मेडिकल कॉलेज और 2 नये आईआईआईटी खोले गये हैं। शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 800 से अधिक स्कूल इस क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं।''
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि "उत्तर-पूर्व में विकास की यह गति पहले कभी नहीं देखी गई।"
वित्त मंत्री से जब वहां उपस्थित लोगों ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने के रोडमैप के बारे में पूछा, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "यही कारण है कि हम आपसे विकसित भारत के एंबेसडर बनने का आग्रह कर रहे हैं।"
उन्होंने वहां कार्यक्रम में उपस्थित लोगों और छात्रों से विकसित भारत एंबेसडर के तौर पर जुड़ने का आग्रह किया।
(आईएएनएस)
गुवाहाटी, 14 मार्च । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र ने, जहां पहले कम विकास हुआ था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में केवल 10 वर्षों में काफी ध्यान आकर्षित किया है और यहाँ कई परियोजनाएँ शुरू हुई हैं।
आईआईटी गुवाहाटी में विकासित भारत पर एक परिसर संवाद में वित्त मंत्री ने बताया कि कैसे लगभग हर पहलू में प्रधानमंत्री के शासन मॉडल के कारण देश के इस क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ है।
उन्होंने कहा, "पिछले 10 साल में, पीएम मोदी ने 65 बार पूर्वोत्तर का दौरा किया है, यानी हर दूसरे महीने प्रधानमंत्री यहाँ थे। केंद्रीय मंत्रियों ने इस दौरान पूर्वोत्तर के कम से कम 850 दौरे किये।"
केंद्रीय वित्त मंत्री ने पीएम मोदी के शासनकाल में और पहले की सरकारों के तहत किए गए विकास कार्यों के बीच बड़े अंतर को रेखांकित किया।
निर्मला सीतारमण ने कहा, ''आजादी के बाद 2014 से पहले पूर्वोत्तर में 10 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हुआ था, जबकि पिछले 10 साल में छह हजार किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण हुआ। पूर्वोत्तर में 2014 तक केवल सात हवाई अड्डे हुआ करते थे। वर्तमान में पूर्वोत्तर में 17 हवाई अड्डे हैं जिनमें से चार से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार के तहत अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम पहली बार देश के बाकी हिस्सों से हवाई सेवाओं से जुड़े।
उन्होंने कहा, "पूर्वोत्तर ने पिछले 10 साल के दौरान कई चीजें पहली बार देखी हैं। इससे यह उम्मीद भी जगी है कि यह क्षेत्र 2047 में देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 मार्च । विश्व में हर साल 14 मार्च को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर गुरुवार को डॉक्टरों ने बढ़ती किडनी (गुर्दे) की बीमारी को लेकर बात की। डॉक्टरों का कहना है कि नमक और चीनी से भरपूर डाइट के साथ अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण बच्चों में किडनी की बीमारी बढ़ रही है।
विश्व किडनी दिवस मनाने का उद्देश्य किडनी के विभिन्न खतरों के बारे में जागरूकता फैलाना है। अनहेल्दी फास्ट फूड का सेवन, व्यायाम की कमी किडनी की बीमारियों के बढ़ने में प्रमुख फैक्टर रहे हैं। ये फैक्टर हाई ब्लडप्रेशर और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों को भी जन्म देते हैं, जो किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
दिल्ली स्थित सीके बिरला हॉस्पिटल में नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स की निदेशक पूनम सिदाना ने आईएएनएस को बताया, ''बचपन में किडनी की बीमारी में बढ़ोतरी पर आकड़े हैं। यह बढ़ोतरी लाइफस्टाइल फैक्टरों से जुड़ी है।''
उन्होंने आगे कहा कि नमक और चीनी से भरपूर डाइट के साथ अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण बच्चों में किडनी की बीमारी बढ़ रही है। ये आदतें खराब स्वास्थ्य में योगदान करती हैं, जिसमें मधुमेह और मोटापे में वृद्धि भी शामिल है, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। धूम्रपान और शराब के सेवन से भी किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।''
बेंगलुरु के नारायणा हेल्थ सिटी की बाल रोग विशेषज्ञ अखिला वसंत हसन ने आईएएनएस को बताया, ''बच्चों में पथरी के मामले विश्व स्तर पर बढ़े हैं।"
उन्होंने अफसोस जताया कि 'नमक और प्रोटीन की बढ़ती खपत तथा बढ़ता मोटापा बच्चों में 75 से 85 प्रतिशत किडनी स्टोन के लिए जिम्मेदार है। कुपोषण और पानी की कमी भी किडनी की पथरी में वृद्धि में योगदान दे सकती है।
डॉक्टरों ने किडनी और अच्छी हेल्थ के लिए रोजाना व्यायाम, हेल्दी डाइट, फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाने और ज्यादा नमक खाने से बचने और चीनी से बने खाद्य पदार्थों का कम सेवन करने की सलाह दी है।
(आईएएनएस)
पुणे, 14 मार्च । वैश्विक इंजीनियरिंग एवं डिजिटल सेवा कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज ने गुरुवार को सुकन्या सदाशिवन को अपना नया मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) नियुक्त किया। उन पर डिलीवरी और आंतरिक डिजिटल तथा आईटी सिस्टम को मजबूत करने की जिम्मेदारी होगी।
कंपनी ने एक बयान में कहा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में तीन दशकों से अधिक समय तक विभिन्न भूमिकाओं में रहने के बाद सीओओ सदाशिवन टाटा टेक्नोलॉजीज में ज्ञान और अनुभव का खजाना लेकर आई हैं।
वह सीईओ और प्रबंध निदेशक वॉरेन हैरिस को रिपोर्ट करेंगी। वहीं, वैश्विक डिलीवरी, अभ्यास संगठन और डिजिटल सूचना की टीमें उन्हें रिपोर्ट करेंगी।
हैरिस ने कहा, "मुझे विश्वास है कि उनकी अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन हमारी टीम को कंपनी के विकास के अगले चरण के लिए तैयार करने में मदद करेगी। हम दुनिया भर में आरएंडडी पर खर्च करने वाली शीर्ष कंपनियों के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रहे हैं।"
सदाशिवन ने कहा, "मैं परिचालन उत्कृष्टता बढ़ाने, ग्राहक जुड़ाव बढ़ाने और कंपनी की रणनीतिक विकास पहल का समर्थन करने के लिए अपने अनुभव का लाभ उठाने के लिए उत्सुक हूं।"
वह टाटा टेक्नोलॉजीज के लिए सेवा क्षेत्र में तीन दशकों से अधिक का गहन ज्ञान और अनुभव लेकर आई हैं।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च । सीएम विष्णु देव साय ने आज 130 से अधिक खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खेल सम्मान दिया। यह सम्मान छह वर्ष बाद दिए गए हैं । कार्यक्रम में स्पीकर डॉ रमन सिंह, मंत्री टंकराम वर्मा, बृजमोहन अग्रवाल आदि भी शामिल रहे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 मार्च। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों को नई पदस्थापना दी है। रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी आदेश के अनुसार रजिस्ट्रार, जांच एवं निरीक्षण बलराम प्रसाद वर्मा को रजिस्ट्रार सतर्कता नियुक्त किया गया है। दुर्ग परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी को छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी का निदेशक नियुक्त किया गया है। राजनांदगांव के जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक कुमार को हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार, जांच एवं निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। दुर्ग के चतुर्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा हाईकोर्ट में अतिरिक्त रजिस्ट्रार डीई और इंस्पेक्शन नियुक्त किए गए हैं। कटघोरा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश वेंसेलास टोप्पो को हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार (कम्प्यूटर) नियुक्त किया गया है। वे ई कोर्ट परियोजना के भी समन्वयक होंगे। मनेंद्रगढ़ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद प्रकाश दीक्षित छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी में अतिरिक्त निदेशक बनाए गए हैं।
पुलिस से पहले बड़ा खुलासा...
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च । आमासिवनी पुलिस कॉलोनी में पुलिसकर्मी की पत्नी जॉली सिंह की हत्या में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। मृतका के मुंबई निवासी प्रेमी जय सिंह ने की हत्या।मृतका शादी नही करने पर पुलिस में शिकायत करने का आरोपी प्रेमी पर दबाव बना रही थी।धमकी से परेशान होकर हत्या की साजिश रचा। आरोपी प्रेमी से कड़ी पूछताछ में पुलिस जुटी हुई है। दोनों की 4 साल पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्म टिकटॉक,फेसबुक, इस्टाग्राम के जरिए दोस्ती होने की चर्चा है।आरोपी रायपुर से मुंबई की वापसी फ्लाइट मिस करके ट्रेन से यूपी फरार हुआ था। रायपुर पुलिस भदोही से यूपी से गिरफ्तार करले आई है। 5-6 मार्च की दरमियानी रात को महिला की हत्या की थी। पुलिस देर शाम पूरा खुलासा कर सकती है ।
नई दिल्ली, 14 मार्च । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की कई चेतावनियों के बाद अश्लील सामग्री परोसने को लेकर 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सरकार का डंडा चला है और उन्हें ब्लॉक कर दिया गया है। बता दें कि सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई में ओटीटी प्लेटफॉर्म की 19 वेबसाइट, 10 ऐप्स, 57 सोशल मीडिया हैंडल ब्लॉक किए गए हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अश्लील सामग्री प्रसारित करने वाले 18 ओटीटी प्लेटफार्मों के खिलाफ कार्रवाई की है। 19 वेबसाइटें, 10 ऐप्स (गूगल प्ले स्टोर के 7, एप्पल प्ले स्टोर के 3) और इन प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े 57 सोशल मीडिया अकाउंट भारत में ब्लॉक कर दिए गए हैं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बार-बार 'रचनात्मक अभिव्यक्ति' की आड़ में अश्लीलता का प्रचार-प्रसार न करने के लिए प्लेटफार्मों की जिम्मेदारी पर जोर दिया था। इसके बाद 12 मार्च को अनुराग ठाकुर ने घोषणा की थी कि अश्लील सामग्री प्रकाशित करने वाले 18 ओटीटी प्लेटफार्मों को ब्लॉक कर दिया गया है। यह निर्णय भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों/विभागों और मीडिया और मनोरंजन जगत के साथ महिला अधिकारों और बाल अधिकारों के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले डोमेन विशेषज्ञों के परामर्श के बाद सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के तहत लिया गया।
ये ओटीटी प्लेटफॉर्म ड्रीम्स फिल्म्स, वूवी, येस्मा, अनकट अड्डा, ट्राई फ्लिक्स, एक्स प्राइम, नियॉन एक्स वीआईपी, बेशरम, शिकारी, खरगोश, एक्स्ट्रामूड, न्यूफ़्लिक्स, मूडएक्स, मोजफ्लिक्स, हॉट शॉट्स वीआईपी, फुगी, चिकूफ़्लिक्स, प्राइम प्ले हैं, जिन्हें ब्लॉक किया गया है।
इन प्लेटफार्मों पर प्रसारित की गई सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अश्लील और महिलाओं को अपमानजनक तरीके से चित्रित करने वाला पाया गया। इसमें विभिन्न संदर्भों में नग्नता और यौन कृत्यों को परोसा गया है, जैसे कि शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंध, अनाचारपूर्ण पारिवारिक रिश्ते आदि।
इसे आईटी अधिनियम की धारा 67 और 67ए, आईपीसी की धारा 292 और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 की धारा 4 का उल्लंघन माना गया था। ओटीटी ऐप्स में से एक को 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड मिले हैं, जबकि दो अन्य को गूगल प्ले स्टोर पर 50 लाख से अधिक डाउनलोड मिले हैं।
इसके अलावा, इन ओटीटी प्लेटफार्मों ने दर्शकों को अपनी वेबसाइटों और ऐप्स पर आकर्षित करने के लिए ट्रेलरों, विशिष्ट दृश्यों और बाहरी लिंक को प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग किया। संबंधित ओटीटी प्लेटफार्मों के सोशल मीडिया खातों पर 32 लाख से अधिक फ़ॉलोअर्स थे।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 14 मार्च। घर के बच्चों के साथ खेल रही एक साल की बच्ची पत्थर पर गिर गई। जिससे उसकी मौत हो गई। परपा थाना क्षेत्र के ग्राम एर्राकोट का मामला है।
पेशे से वाहन चलाने का काम करने वाले रामू बघेल ने सोचा भी नहीं था कि गुरुवार की सुबह उसके घर में दुखों का पहाड़ टूट पड़ेगा, जब उसकी एक साल की बच्ची खेलने के दौरान एक पत्थर पर गिर जाने से उसकी मौत हो जाएगी, घटना के बाद से घर से लेकर गांव में शोक की लहर छा गई, वही शव को पीएम के लिए भेज दिया गया।
बताया जा रहा है कि गुरुवार की सुबह करीब 6 बजे वाहन चालक रामू की एक वर्षीय बेटी हिमांशी बघेल अपने घर के ही बच्चों के साथ घर आंगन में खेल रही थी, उसकी माँ घर के कामों के चलते पानी भरने के लिए गई हुई थी, जबकि घर के अन्य लोग अन्य कामों में व्यस्त चल रहे थे, उसी समय हिमांशी खेलने के दौरान पत्थर पर गिर गई, जिससे उसके सिर पर चोंट आई।
घटना के बाद बच्ची बेहोश हो गई, वहीं उसके सिर से निकलते खून को देखते हुए परिजन उसे तोकापाल के अस्पताल ले गए, जहाँ से चिकित्सकों ने उसे मेकाज भेज दिया, जहाँ मेकाज पहुँचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
बच्ची के मौत की खबर लगते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया, वहीं मोहल्ले में मातम छा गया। पुलिस ने घटना की जानकारी थाने में दे दी है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च । खनिज विभाग ने नौ सहायक भौमिकीविद को चयन और परीविक्षावधि पूरी करने के बाद पहली पोस्टिंग दी है ।इन्हे तत्काल रिलीव कर नयी जगह कार्यभार लेने कहा गया है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च । कल सौ दिन पूरे होने के साथ ही सरकारी निगम मंडलों में नियुक्तियों की चर्चाएं होने लगीं हैं। लेकिन ऐसे दावेदारों को कुछ और इंतजार करना होगा। इस समय विभागीय मंत्री ही इन निगम मंडलों के पदेन अध्यक्ष बने हुए हैं।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष किरण सिंह देव ने भी साफ़ किया है कि लोकसभा चुनाव के पूरा होने के बाद सरकार इस अहम् विषय पर फैसला लेगी, निगम-मंडल में नियुक्तियां की जाएगी।
कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन, थाने व तहसील में शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 मार्च। सक्ती जिला कलेक्ट्रेट से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित सकरेली पंचायत के ग्राम आमादहरा में आदिवासी समुदाय के 80 परिवार पिछले तीन साल से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं। बहिष्कार खत्म करने के लिए उन्हें प्रति परिवार 30 हजार रुपये यानि करीब 24 लाख रुपये जुर्माना भरने कहा गया है। इन गरीब परिवारों को समझ नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी रकम कैसे चुकाएं। प्रशासन और पुलिस में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बहिष्कार खत्म करने की मांग को लेकर उन्होंने एक माह के भीतर दूसरी बार कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया है।
ये सभी परिवार कंवर समुदाय से आते हैं। उनका कहना है कि गांव में कई लोग सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके अवैध निर्माण करा रहे हैं। तीन साल पहले इन्हीं में एक उनके ही समाज के एक प्रोफेसर भुवनेश्वर कंवर के अवैध निर्माण की इन ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत की थी। इसकी प्रशासन से जांच कराई। शिकायत सही पाये जाने पर उसका अवैध कब्जा तोड़ दिया गया। इस पर प्रोफेसर तिलमिला गया और उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए समाज के पदाधिकारियों से मिलकर सभी 80 परिवारों का एक साथ बहिष्कार कर दिया। समाज में वापस लेने के लिए 30 हजार रुपये प्रति परिवार दंड का प्रावधान किया गया है। इस तरह से यदि वे समाज में वापस आना चाहते हैं तो उनको 24 लाख रुपये दंड की व्यवस्था करनी पड़ेगी। सामाजिक बहिष्कार के उनका जीना मुश्किल हो गया है। जब से बहिष्कृत हैं तबसे कोई नाते रिश्तेदार उनके संबंध नहीं रखते। उन्हें किसी सामाजिक कार्यक्रम में बुलाया नहीं जाता। बहिष्कार में यह भी शर्त जोड़ी गई है कि यदि कोई सगा संबंधी हम लोगों से संपर्क रखेगा तो उनका भी बहिष्कार किया जाएगा और बराबर 30 हजार अर्थदंड देने पर वापस लिया जाएगा। बहिष्कार के कारण बेटे-बेटियों की शादी रुक गई है। उनके परिवारों में पिछले 3 साल से कोई समारोह नहीं हुआ है। दुकानों में उन्हें सामान नहीं मिलता, यहां तक की दूध सब्जी खरीदना भी संभव नहीं है।
पीड़ितों ने बताया कि इस सामाजिक बहिष्कार के विरोध में उन्होंने कई बार अलग-अलग स्तर पर शिकायत की लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की। वे पहले कलेक्टर, तहसीलदार और बाराद्वार थाने में शिकायत कर चुके हैं। न तो प्रशासन ने शिकायत की जांच कराई न ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। सभी ने केवल आश्वासन दिया है। पिछले महीने पीड़ित परिवारों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया था और बहिष्कार से मुक्ति नहीं मिलने पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी थी, इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस स्थिति की जानकारी मिलने पर गुरु घासीदास सेवादार संघ और सामाजिक बहिष्कार उन्मूलन मोर्चा के संयोजक लखन सुबोध कुर्रे के नेतृत्व में ग्रामीणों ने एक बार फिर लंबी रैली निकालकर कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा। इस प्रदर्शन में उनके साथ संगठन की विधिक सलाहकार प्रियंका शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक मिश्रा, संतोष बंजारे, ललित बघेल, मिथिलेश बघेल आदि भी शामिल हुए।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 मार्च । राज्य सरकार ने शासकीय विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं, मांगों पर समीक्षात्मक प्रक्रिया शुरू करने बहुप्रतीक्षित समिति का गठन कर दिया है। प्रमुख सचिव आईटी निहारिका बारिक को अध्यक्ष बनाया गया है ।