राष्ट्रीय
बेंगलुरु, 1 अगस्त (आईएएनएस)| कोविड-19 महामारी के बीच यहां के चिड़ियाघर में 12 साल की एक हथिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस नए नर सदस्य के साथ इस चिड़ियाघर में हाथियों की संख्या 24 हो गई। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। बेंगलुरु बन्नरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क (बीबीबीपी) के कार्यकारी निदेशक वनश्री विपिन सिंह ने कहा, "यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि यहां रूपा नाम की हथिनी ने एक नर बच्चे को जन्म दिया है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।"
संयोगवश, रूपा हथिनी दूसरी बार मां बनी है। इससे पहले, दिसंबर 2016 में रूपा ने एक मादा संतान को जन्म दिया था, जिसका नाम गौरी रखा गया। उस समय रूपा की उम्र आठ साल थी।
नागपुर, 1 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के नागपुर स्थित मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड शुगर लिमिटेड फैक्ट्री के बॉयलर में शनिवार अपराह्न् हुए एक भयानक विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो गई। नागपुर ग्रामीण पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, यह घटना अपराह्न् लगभग 2.14 बजे घटी। विस्फोट से फैक्ट्री में आग लग गई, जिससे मजदूरों की जलने से मौत हो गई।
चीनी कारखाना मानस समूह का हिस्सा है, और पहले इसे पूर्ति पॉवर एंड शुगर फैक्टरी के रूप में जाना जाता था, जिसका स्वामित्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के परिवार के पास रहा है।
पुलिस अधीक्षक राकेश ओला घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने आईएएनएस को बताया, प्रथम ²ष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ित इस विशेष साइट पर कुछ वेल्डिंग कार्य कर रहे थे और कुछ गैस रिसाव के कारण विस्फोट हुआ हो सकता है। वास्तविक कारण संबंधित विभाग द्वारा जांच के बाद सामने आएंगे। हम मामले की जांच कर रहे हैं और आवश्यक शिकायतें दर्ज कर रहे हैं।
मृतकों की पहचान मंगेश प्रभाकर नाकेरकर (21), लीलाधर वामनराव शिंदे (42), वासुदेव लाडी (30), सचिन प्रकाश वाघमरे (24) और प्रफुल्ल पांडुरंग मून (25) के तौर पर हुई है और ये सभी वडगांव के रहने वाले थे। पुलिस को शवों की बरामदगी से पहले गुस्साई भीड़ को शांत करना पड़ा और इसके बाद ही मृतकों को घटनास्थल से निकाला जा सका।
वाघमारे संयंत्र में वेल्डर थे और अन्य उनके सहायकों की टीम थी। ये सभी विस्फोट के समय कुछ रखरखाव के काम में लगे हुए थे। घटना के समय फैक्टरी से आग और बड़ी मात्रा में धुआं निकल रहा था।
इस त्रासदी पर दुख व्यक्त करते हुए शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने घटना की गहन एवं समयबद्ध जांच की मांग की है।
तिवारी ने कहा, मारे गए सभी मजदूर दलित हैं और फैक्टरी प्रबंधन का यह दायित्व है कि वे पीड़ितों में से प्रत्येक के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दें।
विस्फोट के बाद के कुछ वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिनमें पता चला है कि विस्फोट में एक दोपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त हुआ है।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अदालत की अवमानना कानून में धारा 2(सी)(आई) की वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करार दिया है। न्यायपालिका के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने और इसे तिरस्कार के दायरे में लाने के लिए भूषण के खिलाफ हाल ही में अवमानना की कार्यवाही को लेकर नोटिस जारी किया गया था। शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को भूषण और ट्विटर इंक को उनके विवादास्पद ट्वीट्स के लिए नोटिस जारी किया था।
दो दिन बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के खिलाफ 2009 के लंबित एक और अवमानना मामले पर सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। दोनों मामलों पर चार और पांच अगस्त को सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि यह उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना के मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है और इससे अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन भी होता है। उन्होंने दावा किया है कि उप-धारा असंवैधानिक और अस्पष्ट है।
अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2 (सी) (आई) किसी भी चीज के प्रकाशन 'आपराधिक अवमानना' के रूप में परिभाषित करती है - चाहे वह शब्दों द्वारा हो, बोला गया हो, लिखित या संकेतों के द्वारा ही क्यों न प्रकट किया गया हो।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा है कि धारा 2 (सी) (आई) को संविधान के अनुच्छेद 19 और 14 का उल्लंघन करने वाला घोषित करना चाहिए।
याचिका में दलील दी गई है कि लागू उप-धारा असंवैधानिक है, क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना मूल्यों और बुनियादी विशेषताओं के साथ असंगत है।
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| अयोध्या में भूमि पूजन की चल रही तैयारियों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) सुरेश भैय्याजी जोशी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राम मंदिर का संकल्प किसी एक व्यक्ति या संगठन का नहीं है। उन्होंने मंदिर निर्माण को पूरे देश और समाज का संकल्प बताते हुए कहा है कि यह देश की ऊर्जा का केंद्र बनेगा।
राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष स्व. अशोक सिंघल के नाम पर बने फाउंडेशन के कार्यक्रम में भैय्याजी जोशी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। संघ में सर संघचालक मोहन भागवत के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दायित्व संभालने वाले भैय्याजी जोशी ने कहा कि अयोध्या में अल्प समय में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार होगा।
उन्होंने शनिवार को कहा, "हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति पर पूरा भरोसा है। जिस तरह से मंदिर निर्माण की अब तक सारी बाधाएं दूर हुईं हैं, उसी तरह से आगे भी कोई बाधा नहीं खड़ी होगी। हिंदू समाज सामथ्र्यवान और दानशील है। देश और समाज के संकल्प से राम मंदिर बनकर तैयार होगा।"
सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा, "राम मंदिर का निर्माण देश का संकल्प है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और राजस्थान की मरुभूमि से लेकर मणिपुर की पहाड़ियों तक यह संकल्प फैला हुआ है। भारत ही नहीं भारत से बाहर रहने वाले भगवान राम के अनुयायियों का यह संकल्प है। यह संकल्प न किसी व्यक्ति का और न ही किसी संगठन का है, यह समाज का संकल्प है।"
अशोक सिंघल को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को याद किया। सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि हमारा सैंकड़ों वर्षों का समृद्ध इतिहास रहा है। बाहरी आक्रमण के बावजूद हम हिंदू हैं-यह कहने वाले लोग बचे हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वाले तमाम साधु-संतों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। तमाम महापुरुषों ने भी भूमि और समाज की रक्षा के लिए बलिदान दिए। ऐसे देश में अनगिनत बलिदानियों की श्रृंखला रही है। देश एक बार फिर से विश्व पटल पर गौरव प्राप्त करेगा।
तिरुवनंतपुरम, 1 अगस्त (आईएएनएस)| केरल सोना तस्करी मामले की कुछ केंद्रीय एजेंसियां भले ही जांच कर रही हैं। कांग्रेस ने शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से कुछ सवाल पूछे। इस मामले की जद में मुख्यमंत्री कार्यालय भी आ रहा है। विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने विजयन से कुछ सवाल पूछे और मुख्यमंत्री के सचिव एम. शिवशंकर और सोना तस्कर गैंग के बीच संबंधों का पता लगाने में उनकी विफलता पर निशाना साधा।
पूर्व आईएस अधिकारी शिवशंकर बीते 50 महीने से विजयन के साथ काम कर रहे थे। उनके पास आईटी सचिव का पद भी है।
सोना तस्करी मामला तब सामने आया था, जब यूएई वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी सरित को 5 जुलाई को कस्टम विभाग ने पकड़ा था। पकड़े जाने के समय वह दुबई से राज्य की राजधानी में 30 किलोग्राम के सोने की कूटनीतिक माध्यम से तस्करी कर रहे थे।
यह मामला तब और पेचीदा हो गया, जब यूएई दूतावास के पूर्व कर्मचारी का नाम इस मामले में आया, जो कि आयकर विभाग के साथ काम करता था।
शिवशंकर को पहले पद से हटा दिया गया और फिर सेवा से निलंबित कर दिया गया।
चेन्निथला ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री को इनसब चीजों के बारे में पता नहीं है। वह इन सब चीजों के बारे में जानने के बाद भी चुप क्यों हैं।
यूएई वाणिज्यदूतावास से राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के.टी. जलील के लगातार बातचीत के मामले को उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि विजयन को ऑफिस में हो रहे क्रियाकलापों का पता क्यों नहीं था।
हैदराबाद, 1 अगस्त। एनएमडीसी के सीएमडी एन बैजेन्द्र कुमार के रिटायर होने के बाद सुमित देब ने शनिवार को एनएमडीसी लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक का कार्यभार ग्रहण किया। एनएमडीसी के सीएमडी पद पर कार्यग्रहण से पूर्व सुमित देब निदेशक( कार्मिक) पद पर थे। सुमित देब को इससे पूर्व आर आईएनएल औरं एनएमडीसी में कार्य का वृहद अनुभव रहा है। वह एनएमडीसी को सफलता के नए शिखर पर ले जाने की आकांक्षा रखते हैं।
सुमित देब ने वर्ष 2015 में एनएमडीसी के महाप्रबंधक (वाणिज्य) के रूप में कार्य ग्रहण किया था, उसके बाद अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) के रूप में पदोन्नत हुए। वर्ष 2019 में उन्होंने निदेशक (कार्मिक) का पदभार संभाला तथा वह कार्मिक एवं प्रशासन, मानव संसाधन विकास, विधि, नैगम संचार, सीएसआर, राजभाषा आदि विभागों के प्रमुख रहे। उन्होंने कंपनी के विजन एवं उद्देश्यों को एक नया आयाम प्रदान किया।
सुमित देब उडीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुबनेश्वर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। एनएमडीसी से पूर्व वह राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल ) में थे। उन्होंने प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में कार्य ग्रहण किया था तथा 25 वर्षों तक आरआईएनएल में कार्यरत होकर इस्पात उद्योग का वृह्द एवं बहुविध अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया जिसमें विदेशी तथा देशी दोनों प्रकार के ग्राहकों के विविध वर्गों के साथ कार्य करने तथा मानव संसाधन, विपणन एवं वितरण जैसे कार्य क्षेत्रों का विशद अनुभव प्राप्त किया।
सुमित देब को मानव शक्ति तथा सक्शेसन योजना, प्रशिक्षण तथा विकास एवं मानव संसाधन के अन्य क्षेत्रों का विशद अनुभव है। उन्हें इस्पात एवं लौह अयस्क, स्पॉज ऑयरन, पैलेट्स तथा हीरे के विपणन एवं वितरण का भी अनुभव है। अपने कैरियर के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण सफतलाएं अर्जित करते हुए उन्होंने अपनी क्षमता को सिद्ध किया है। उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2007-08 में जवाहर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
एन. बैजेन्द्र कुमार, आईएएस, ने एनएमडीसी में अपने कार्यकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस गतिशील एवं जीवंत कंपनी का एक हिस्सा होने पर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं जो कि विनिर्माण क्षेत्र में अपने कार्य का विस्तार करते हुए तथा कोयला, स्वर्ण आदि जैसे अन्य खनिजों में विविधीकरण करते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मुझे विश्वास है कि सुमित देब के नेतृत्व में एनएमडीसी निश्चय ही तेजी से प्रगति करेगा।
सुमित देब ने कार्यग्रहण करते हुए कहा कि, एन.बैजेंद्र कुमार के मजबूत नेतृत्व में हमने एनएमडीसी को उद्योग के अगुआ संगठन के रूप में स्थापित किया तथा कंपनी को कार्यनीतिक विविधीकरण के लिए तैयार करते हुए लाभप्रदता के साथ प्रगति की। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला तथा सीखने के लिए यह एक बहुत अच्छा अनुभव था। हम एक अविश्वसनीय अवसर की स्थिति में हैं तथा मैं प्रगति एवं मूल्य सृजन पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। इस नवरत्न कम्पनी का नेतृत्व करना सम्मान की बात है तथा हम अपनी कार्यनीतिक योजनाओं का निष्पादन करने एवं अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।
नई दिल्ली, 1 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने 38 साल पहले शुरू हुए एक आपराधिक मामले का अंततः निपटारा करते हुए मिलावटी हल्दी पाउडर बेचने के आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट ने अन्य चीजों के अलावा इस बात का उल्लेख किया कि इस मामले में सरकारी विश्लेषक ने इस बात का उल्लेख नहीं किया कि हल्दी पाउडर के नमूने में कीड़े लगे थे या वह मानव उपभोग के योग्य नहीं था। इस तरह के मंतव्य के अभाव में खाद्य अपमिश्रण निरोेधक कानून, 1954 की धारा 2(1ए)(एफ) के मानदंड पूरा किया हुआ नहीं कहा जा सकता।
चंडीगढ़/ अमृतसर/बटाला, 1 अगस्त। पंजाब के कई जिलों में जहरीली शराब पीने से मरने वांलों की संख्या 49 हो गई है। मरने वाले तरनतारन, अमृतसर और बटाला क्षेत्र के हैं। इससे पहले सात लोगों की मौत हो गई थी। आज 42 और लोगों ने दम तोड़ दिया। इससे हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूरी मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वीरवार को मारे गए पांच लोगों के परिजनों ने इस संबंध में पुलिस को बिना सूचना दिए शवों का अंतिम संस्कार कर दिया।
तरनतारन में सबसे ज्यादा 30, बटाला में आठ और अमृतसर में चार की जान गई
पंजाब में लॉकडाउन के दौरान अवैध शराब की बिक्री पर चल रही सियासी खींचतान के बीच शुक्रवार को तीन सीमावर्ती जिलों तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर में जहरीली देसी शराब पीने से 42 लोगों की मौत हुई। तरनतारन में सबसे ज्यादा 30, बटाला (गुरदासपुर) में आठ और अमृतसर में चार लोगों की मौत हुई। वीरवार को अमृतसर में सात लोगों की जान गई थी। इस तरह दो दिन में तीन जिलों के 10 गांवों और दो शहरी इलाकों में 47 लोगों की मौत हुई है। कई लोगों की हालत अभी गंभीर है। मरने वाले लोग ज्यादातर मजदूर तबके के हैं।
तीन जिलों के 10 गांवों व दो शहरी इलाकों में हुई मौतें, कई लोगों की हालत अब भी गंभीर
वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जालंधर के डिवीजनल कमिश्नर को घटना की न्यायिक जांच करने के आदेश दिए हैं। इस जांच में ज्वाइंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर व संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षक भी शामिल होंगे। उधर, पंजाब पुलिस के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि सभी की मौत कच्ची लाहन यानी देसी शराब पीने से हुई।
गौरतलब है कि यह बेल्ट अवैध देसी शराब के लिए बदनाम है। यहां कई बार छप्पड़ों (छोटे तालाब) में अवैध शराब मिलने के मामले सामने आते रहे हैं। प्रारंभिक जांच में तीनों जिलों में हुई घटनाओं में कोई संबंध सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि शराब में इस्तेमाल होने वाला केमिकल किसी एक जगह से खरीदा गया।
तरनतारन के डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह धूरी ने कहा, हम जांच कर रहे हैं कि एक साथ इतने गांवों में जहरीली शराब से इतनी मौतें कैसे हो गईं। शराब बनाने में किन केमिकल आदि का इस्तेमाल हुआ और इनकी सप्लाई कहां से हुई, इन सभी तथ्यों पर जांच की जा रही है।
तरनतारन में मरने वाले 30 लोग नौरंगाबाद, मल्लमोहरी, कक्का कंडियाला, भुल्लर, बचड़े, अलावलपुर, जवंदा, कल्ला व पंडोरी गोला के रहने वाले हैं। इनमें गांव मल्लमोहरी के पिता-पुत्र भी शामिल हैं। मृतकों में 22 वर्ष के युवक से लेकर 60 वर्ष तक के बुजुर्ग शामिल हैं। वहीं, अमृतसर में मुच्छल गांव और बटाला में हाथी गेट व कपूरी गेट में जहरीली शराब से मौतें हुई हैं। यह संख्या कल तक और बढ़ सकती है।
तरनतारन में छह हिरासत में
तरनतारन में छह लोगों को हिरासत में ले लिया है। मरने वाले अधिक लोगों के परिजनों ने पुलिस को सूचित किए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। बटाला में चार परिवारों ने शवों का अंतिम संस्कार कर दिया है। बटाला व अमृतसर में दो-दो मरीजों की हालत खराब है। सिविल अस्पताल तरनतारन व गुरु नानक देव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले आठ लोगों के शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी गई है।
कुछ दिन पहले जिले के तरनतारन के रटौल गांव में तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि एक ग्रामीण की दोनों आंखों की रोशनी चली गई। बटाला के एसएसपी उपेंद्रजीत सिंह घुम्मण ने डीएसपी सिटी की अगुआई में जांच टीम गठित कर दी है। वहीं, एसएमओ डॉक्टर संजीव भल्ला का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल पाएगा।
अमृतसर के तरसिका एसएचओ हिरासत में, महिला गिरफ्तार
अमृतसर के तरसिका थाने के निलंबित एसएचओ (थाना प्रभारी) विक्रम सिंह और शराब बेचने वाली महिला बलविंदर कौर को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। एसएचओ पर शिकायत के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप है। शुक्रवार को पुलिस ने चार शवों को पोस्टमार्टम करवाकर वारिसों के सुपुर्द कर दिए हैं।
एसपी (डी) गौरव तूड़ा ने बताया कि शराब की सप्लाई करने वाले दो अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी के सदस्य कई जगहों पर छापे मार चुके हैं। मामले की जांच के लिए आइजी सुरिंदरपाल सिंह परमार के आदेश पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) बनाई गई है।
इस मामले में मृतकों में गांव मुच्छल के मंगल सिंह, बलविंदर सिंह, दलबीर सिंह, गुरप्रीत सिंह, कश्मीर सिंह, काका सिंह, कृपाल सिंह, जसवंत सिंह , जोगा सिंह के अलावा कांगड़ा गांव के बलदेव सिंह शामिल हैं। बटाला शहर में बूटा राम, भिंडा , रिंकू सिंह, काला, कालू , बिल्ला और जितेंद्र की मौत हुई है।
इन लोगों की मौत देसी ढंग से घरों में तैयार की गई अवैध शराब पीकर हुई है। मारे गए लोगों में गांव नौरंगाबाद निवासी धर्म सिंह, साहिब सिंह, तेजा सिंह, हरबंस सिंह, सुखदेव सिंह, गांव मल्लमोहरी निवासी मिट्ठू सिंह, नाजर सिंह (पिता-पुत्र), जोधपुर निवासी मिट्ठू सिंह, भुल्लर निवासी प्रकाश सिंह, गांव बचड़े गुरमेल सिंह के अलावा तरनतारन निवासी रंजीत सिंह, हरजीत सिंह, हरजीत सिंह हीरा, भाग मल्ल सिंह, अमरीक सिंह शामिल है। डीसी कुलवंत सिंह धूरी का कहना है कि मामले की जांच के आदेश दिए गए है।
गांव मुच्छल के करीब तीस घरों में अवैध शराब का धंधा करते हैं लोग
जानकारी के अनुसार, गांव मुच्छल में वीरवार को जहरीली शराब पीने से पांच लोगों की मौत के बाद शुक्रवार को आसपास के गांव के 16 और लोगों ने दम तोड़ दिया। वीरवार को मरे लोगों की पहचान दलबीर सिंह, बलविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, मंगल सिंह व बलदेव सिंह के रूप में हुई थी। इन पीडि़त परिवारों ने पुलिस को सूचित किए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। साथ ही आरोप लगाया कि गांव के कई घरों में देसी शराब निकालकर बेची जाती है।
सब इंस्पेक्टर अनूप सिंह ने बताया कि पुलिस पीडि़तों के बयान ले रही है। मुच्छल गांव निवासी जागीर कौर ने बताया कि उसका बेटा गुरप्रीत सिंह पिछले तीन साल से शराब पी रहा था। मंगलवार को उसने काफी शराब पी। देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई। बुधवार को उसने दम तोड़ दिया।
वहीं मंगल सिंह, दलबीर सिंह, बलदेव सिंह और बलविंदर सिंह के स्वजनों ने बताया कि चारों ने मंगलवार को गांव में ही शराब पी थी। सभी की मौत बुधवार को हुई। पीडि़त परिवारों ने आरोप लगाया कि गांव में अवैध शराब का धंधा पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है। यहां 30 से अधिक घर अवैध शराब का कारोबार कर रहे हैं। सस्ती शराब के चक्कर में युवाओं की जिंदगी से खेला जा रहा है। एसएसपी विक्रमजीत दुग्गल ने कहा कि मामले की पूरी जांच करवाई जाएगी।(jagaran)
मुजफ्फरपुर, 1 अगस्त। बिहार के कई जिलों में आई बाढ़ ने कई लोगों को बेघर कर दिया है। अपने आशियानों को पानी में डूबते दृश्यों को खुद निहार चुके लोग अब अपना आशियाना सड़कों के किनारे बना चुके हैं। कभी गांवों में शान से जीने वाले ये लोग आज अपने पालतू जानवरों के साथ सड़कों के किनारे रहने को विवश हैं।
बाढ़ के कारण तटबंधों और सड़क के किनारे तंबू और कपड़ा टांगकर रहने को विवश इन लोगों को ना अब प्रशसन से आस है और ना ही सरकार से। ये लोग बस गांव से पानी उतरने के इंतजार में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं कि पानी कम होगी तो ये गांव में पहुंचकर उजड़ चुकी गृहस्थी को फिर से बसाएंगे।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 77 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे गायघाट निवासी शंकर महतो ने कहा, "हमलोगों को प्रशासन और राजनीतिक नेताओं से अब आस नहीं है। हम बस बाढ़ के पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक किसी ने भी सहायता पहुंचाने के लिए यहां नहीं आया है।"
सड़कों पर दिन और रात गुजार रहे कई लोग तो ऐसे हैं, जो बाढ़ की आशंका के बाद अपने घर से कुछ राशन जमा कर ली थी और बाढ़ आने के बाद उन राशनों को लेकर यहां अपना अशियाना बना लिया। लेकिन, कई लोग ऐसे भी हैं जो बाढ़ का पानी गांव में घुसते ही अपनी जान बचाकर भाग आए। ऐसे लोगों की परेशानी तो और बढ़ गई है। इन्हें पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। आने-जाने वाले वाहनों से कुछ मांगकर ये अपना काम चला रहे हैं।
औराई, मीनापुर प्रखंड के लोग एनएच-77 पर तो कई गांवों के लोग एनएच-57 पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके बच्चे भी इनके साथ उन दिनों के इंतजार में हैं, जब उनके गांव से पानी निकल जाएगा।
औराई प्रखंड के बेनीपुर गांव के रहने वाले शंकर सिंह अपने पूरे परिवार के साथ अपनी झोपड़ी में पड़े हुए हैं। बाढ़ के पानी ने इनके जिंदगीभर की कमाई को तहस-नहस कर दिया। इनके पास तो अब बर्तन भी नहीं है, जिसमें वे खाना बना सकें।
उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों से वे बर्तन मांगकर खाना बनाते हैं। बाढ़ में कुछ बचा ही नहीं, सबकुछ डूब चुका है। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि सामुदायिक रसोई खुलने के बाद राहत मिली है। लोग वहां जाकर खाना खा ले रहे हैं।
गोपालगंज में भी कई बाढ़ पीड़ित सडकों के किनारे आशियाना बनाकर जीवन गुजार रहे हैं। गोपालगंज में लोग सड़कों के किनारे दिन तो किसी तरह गुजार ले रहे हैं, लेकिन रात में इन्हें डर सताता है।
मुजफ्फरपुर जिले के जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। लोगों को सामुदायिक रसोईघर में खाना भी खिलाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर के 13 प्रखंडों के 202 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, जिससे 11 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। जिला प्रशासन का दावा है कि 189 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं। हालांकि इस जिले में अभी तक राहत शिविर नहीं बनाए गए हैं।
बिहार के 14 जिलों के 110 प्रखंडों की 45 लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ से प्रभावित है।(ians)
भोपाल, 1 अगस्त। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस अधिकारी रमेश थेटे ने अपने रिटायरमेंट के दिन अपना दर्द बयां किया। आईएएस अधिकारी होने के बावजूद पूरे करियर में कलेक्टर न बन पाने की कसक ने रमेश थेटे के दर्द को बयां कर दिया है। रमेश थेटे ने शुक्रवार को मीडिया को जारी अपने पत्र में सेवानिवृत होने से पहले प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नति नहीं मिलने से वे काफी निराश हैं।
उन्होंने 25 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर प्रमुख सचिव के पद नियुक्त करने की मांग की थी। थेटे ने कहा है कि उनके साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार अंबेडकरवादी होने के नाते किया गया है। उन्होंने कहा है कि एक आईएएस अधिकारी होने के नाते मैंने दबे और कुचले लोगों के लिए काम किया और बड़ी निर्भयता से फैसले भी लिए। लेकिन एक जातिवादी गीरोह ने हमेशा मुझे घेरा और मेरा शिकार किया।
रमेश थेटे ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि उज्जैन के अपर आयुक्त रहते हुए जब मैंने किसानों की अन्यायपूर्ण तरीके से ली गई ज़मीन को मुक्त कराया तब जातिवादी लोकायुक्त नावेलकर ने उनके ऊपर 25 केस ठोक दिए। रमेश थेटे का कहना है कि उन्हें अंबेडकरवादी होने की कीमत चुकानी पड़ी है। सेवानिवृत होने से पहले रमेश अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में सचिव पद पर पदस्थ थे।
मेरी पदोन्नति रोकने के प्रयास किए गए
रमेश थेटे ने कहा है कि लोकायुक्त द्वारा मेरे जबलपुर के शासकीय निवास पर छापा मारा गया तब मेरे निवास पर उन्हें केवल 50 रुपए का नोट मिला जिसे ज़ब्त करने तक में उन्हें शर्म आने लगी। लेकिन इसके बावजूद मेरे खिलाफ एक साजि़श के तहत मामले दर्ज किए गए। लेकिन जब न्यायालय ने उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया तब भी उनके खिलाफ हथकंडे अपनाए जाते रहे। थेटे ने बताया कि उनकी पत्नी तक के खिलाफ मामले इसलिए दर्ज किए गए ताकि उनको पूरे प्रकरण में एक सहयोगी के तौर पर दिखा कर उनकी पदोन्नति रोक दी जाए।
मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं
आईएएस रमेश थेटे ने सिविल सेवाओं से सेवानिवृत होने के दिन अपने मन की बात ज़ाहिर करते हुए कहा है कि अब मैं गुलामी से मुक्त हो चुका हूं। तीन साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव वीपी सिंह को उन्होंने यह वचन दिया था कि जब तक आईएएस की नौकरी करेंगे तब तक मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब जब वे शुक्रवार को सेवानिवृत हो गए हैं तो उन्होंने कहा है कि ‘मैं अब गुलामी से मुक्त हो गया हूं।’ (हम समवेत)
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत शनिवार को संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के अलावा मणिपुर, नागालैंड और उत्तराखंड भी राशन काडरें की नेशनल पोर्टेबिलिटी से जुड़ गए। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, एक अगस्त, 2020 से 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना से कुल 24 राज्यों और संघ शासित प्रदेश जुड़ गए हैं जिससे देशभर में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम(एनएफएसए) के करीब 65 करोड़ लाभार्थी इसका लाभ उठा पाएंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 'वन नेशन वन राशन कार्ड' विभाग की एक महत्वाकांक्षी योजना और प्रयास है, जिसका मकसद सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 'सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस)' के अंतर्गत नेशनल पोर्टेबिलिटी लागू करके राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को, चाहे वे देश में कहीं भी रह रहे हों, उनकी खाद्य सुरक्षा पात्रताओं की डिलीवरी सुनिश्चित की जा सके।
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में 'वन नेशन वन राशन कार्ड'योजना की प्रगति समीक्षा की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, नागालैंड और उत्तराखण्ड की तकनीकी तैयारी अपेक्षित पाई गई। लिहाजा, विभाग ने इन्हें एक अगस्त से नेशनल पोर्टेबिलिटी कलस्टर में पहले से शामिल 20 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ जोड़ दिया है।
इस प्रकार एक अगस्त, 2020 से अब 'वन नेशन वन राशन कार्ड' के तहत कुल 24 राज्य/संघ शासित प्रदेश आ गए हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड हैं।
मंत्रालय ने बताया कि राशन काडरें की नेशनल पोर्टेबिलिटी के माध्यम से कुल लगभग 65 करोड़ आबादी यानी एनएफएसए के कुल लाभाथिर्यों का तकरीबन 80 फीसदी अब इनमें से किसी भी राज्य/संघ शासित प्रदेशों में कहीं भी अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं।
इस प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रवासी लाभार्थी, जो अस्थायी रोजगार आदि की तलाश में अपना निवास स्थान बार-बार बदलते रहते है, उनके पास अब देश में अपनी पसंद की किसी भी उचित दर दुकान पर लगे इलेक्ट्रोनिक पॉइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) उपकरण पर बायोमेट्रिक/आधार कार्ड आधारित प्रमाणन द्वारा अपने उसी/मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके अपने कोटे अनाज ले सकते हैं।
गणेश भट्ट
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| नई शिक्षा नीति में छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मिलेगा मौका। हायर एजुकेशन में भी कई स्तरीय बदलाव होंगे। इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं की भी संरचना बदलेगी। और तो और इस क्रांतिकारी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक कक्षाओं का स्वरूप भी बदल जाएगा। इसे समग्रता प्रदान किया जाएगा। साथ ही साथ सालों से एक ही ढर्रे पर चल रही इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा में भी कई अहम बदलाव होंगे। ये सब बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में कहीं।
प्रस्तुत है केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पूरा साक्षात्कार :
प्रश्न : 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का स्वरूप क्या पहले जैसा होगा अथवा इन में कोई बदलाव होंगे?
उत्तर : नई नीति में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा। इन परीक्षाओं के माध्यम से कोचिंग और रटने के बजाय मुख्य रूप से क्षमताओं एवं योग्यताओं का आकलन किया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं के उच्चतर जोखिम पहलू को समाप्त करने के लिए सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देनी की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और यदि आवश्यक हो तो एक सुधार के लिए अनुमति मिलेगी।
प्रश्न: नई शिक्षा नीति का प्रभाव मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण कार्यक्रमों पर कैसा रहेगा?
उत्तर : मेडिकल एजुकेशन को पुनर्कल्पित किए जाने की आवश्यकता है। हमारे लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलतावादी विकल्पों का प्रयोग करते हैं। हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली को एकीकृत होना चाहिए। जिसका अर्थ है कि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की बुनियादी समझ होनी चाहिए। ऐसा ही अन्य सभी प्रकार की चिकित्सा से संबंधित विद्यार्थियों के विषय में लागू होगा। वहीं इंजीनियरिंग भी बहु-विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जुड़ने के अवसरों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रीत किया जाएगा।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए क्या नया ले कर आई है?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में प्रारम्भिक स्तर से ही छात्रों को लचीली, बहुआयामी, बहुस्तरीय, खेल आधारित, गतिविधि आधारित और खोज आधारित शिक्षा व्यवस्था से लाभान्वित किया जाएगा। इस नीति का समग्र उद्देश्य बच्चों का शारीरिक भौतिक विकास, संज्ञात्मक विकास, समाज संवेगात्मक नैतिक विकास, सांस्कृतिक विकास, संवाद के लिए प्रारम्भिक भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के विकास में अधिकतम परिणामों को प्राप्त करना है।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति से स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने की प्रक्रिया में क्या मूल बदलाव होंगे?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में स्कूल पाठ्यक्रम के बोझ में कमी, बढ़े हुए लचीलेपन, रटकर सीखने के बजाय रचनात्मक तरीके से सीखने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही स्कूल के पाठ्य पुस्तकों में भी बदलाव किया जाएगा। जहां संभव हो, शिक्षकों के पास भी तय पाठ्य पुस्तकों में अनेक विक्ल्प होंगे। उनके पास अब ऐसी पाठ्य पुस्तकों के अनेक सेट होंगे, जिसमें अपेक्षित राष्ट्रीय और स्थानीय सामग्री शामिल होगी। इसके चलते वे ऐसे तरीके से पढ़ा सके जो उनकी अपनी शिक्षण शास्त्रीय शैली और उनके छात्रों की जरूरत के मुताबिक हो।
प्रश्न : उच्च शिक्षा में अर्थात ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिले की प्रक्रिया क्या रहेगी। कैसे अधिक से अधिक छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान की जा सकेगी?
उत्तर : विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए सिद्धांत समान होंगे। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) उच्चतर गुणवत्ता वाली सामान्य योग्यता परीक्षा, साथ ही विज्ञान मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक विषयों में हर साल कम से कम दो बार विशिष्ट सामान्य विषय की परीक्षा लेना का कार्य करेगी। एनटीए उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट और ग्रेजुएट में दाखिले और फैलोशिफ के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का कार्य करेगी।
यह निर्णय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर छोड़ दिया जाएगा कि क्या वह अपने यहां प्रवेश के लिए एनटीए प्रवेश परीक्षा को अपनाएं या नहीं।
प्रश्न : तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति किस प्रकार से प्रभावी होगी?
उत्तर: समस्त मानवीय उद्यमों और प्रयासों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव से तकनीकी शिक्षा और अन्य विषयों के बीच अंतर समाप्त होने की संभावना बढ़ती जा रही है। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा भी बहु विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जोड़ने के अवसरों पर नए सिरे से जोड़ने पर ध्यान केंद्रीत करेगी। तकनीकी शिक्षा में डिग्री एवं डिप्लोमा कार्यक्रम शामिल हैं। उदाहरण के लिए इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, वास्तुकला, फार्मेसी, कैटरिंग आदि जो भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न : नई शिक्षा नीति में अध्यापकों के लिए किस प्रकार के बदलाव किए जाएंगे?
उत्तर : नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सुनिश्चित करने के साथ ही आध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता, भर्ती, पदस्थापन, सेवा शर्तों और शिक्षकों के अधिकारों की स्थिति का आकलन किया गया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा के साथ ही बीएड कार्यक्रम में विस्तार देकर बदलाव सुनिश्चित किया गया है। शिक्षकों की क्षमताओं को अधिकतम स्तर तक बढ़ाना इस नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित है।
शिक्षकों को पाठ्यक्रम और शिक्षण के उन पहलुओं को चयनित करने के लिए ज्यादा स्वायतता दी जाएगी। शिक्षकों को सामाजिक और भावनात्मक पक्षों को ध्यान में रखकर सर्वांगीण विकास की ²ष्टि से शिक्षण कार्य करना होगा। ऐसी विधि अपनाने पर सकारात्मक परिणाम आने की दशा में शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। नई नीति के तहत शिक्षकों को सतत व्यवसायिक विकास के अवसर मिलेंगे।
प्रश्न : आपने कहा था नई शिक्षा नीति ज्ञान, संस्कृति और भारतीयता पर आधारित होगी आपने इसमें ऐसे क्या प्रावधान किए हैं।
उत्तर : यह नीति इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से न केवल साक्षरता और संख्या ज्ञान जैसी बुनियादी क्षमताओं के साथ-साथ उच्चतर स्तर की और समस्या समाधान संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए, बल्कि नैतिक, सामाजिक, भावनात्मक चरित्र का निर्माण भी आवश्यक है। ज्ञान, प्रज्ञा, सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा और दर्शन में सदा सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता है।
प्राचीन भारत में शिक्षा का लक्ष्य पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया है। भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है। वैश्विक महत्व की इस समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ सहेजकर संरक्षित रखने की जरूरत है, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर शोध कार्य होना चाहिए। उसे और समृद्ध किया जाना चाहिए एवं नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाहिए।
प्रश्न: नई शिक्षा नीति से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में किस प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे?
उत्तर: नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालयों का स्वरूप बदल जाएगा। इस नीति के तहत विश्वविद्लाय को परिभाषित करें तो कई तरह के संस्थान होंगे, जो शिक्षण और शोध को बराबर महत्व देने वाले होंगे। प्राथमिक तौर पर स्वायत्त डिग्री देने वाला कॉलेज उच्चतर शिक्षा के एक बड़े बहु विषयक संस्थान को संदर्भित करेगा। वहीं कॉलेजों को ग्रेडेड स्वायत्तता देने के लिए एक चरणबद्ध प्रणाली स्थापित की जाएगी।कालांतर में धीरे-धीरे सभी महाविद्यालय या तो डिग्री प्रदान करने वाले स्वायत्त महाविद्यालय बन जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के अंग के रूप में विकसित होंगे।
विशाखापट्टनम, 1 अगस्त (बीबीसी)। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में शनिवार दोपहर एक भीषण हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, ये हादसा विशाखापट्टनम में स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में एक क्रेन गिरने से हुआ है।
विशाखापट्टनम के जिलाधिकारी विनय चंद ने इस मामले में 11 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पर्यटन मंत्री एम श्रीनिवास राव ने स्थानीय प्रशासन से इस बारे में बात की है।
राव ने कहा है कि उनकी इस बारे में जि़लाधिकारी से बात हुई है और जि़ला प्रशासन की ओर से मौके पर एक टीम भेजी गई है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए ट्वीट किया है।
सीएम ऑफिस की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने विशाखापट्टनम के जि़लाधिकारी और सिटी पुलिस कमिश्नर को इस मामले में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, जि़लाधिकारी विनय चंद ने कहा, ये हादसा एक नयी क्रेन को काम पर लगाने के दौरान हुआ है। इस क्रेन का ट्रायल रन किया जा रहा था ताकि इसे पूर्णतय: काम में लाया जा सके। हमने इस मामले में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड को जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी एक उच्च स्तरीय समिति से इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं।
विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के बाहर अपने परिजनों का हाल जानने की कोशिश करते हुए परिवार
द हिंदू की खबर के मुताबिक, इसी बीच कई परिवार हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में काम करने वाले अपने परिजनों का हाल जानने के लिए मौके पर पहुंच चुके हैं।
इन लोगों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस और कंपनी प्रबंधक कंपनी परिसर में मौजूद कर्मचारियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं।
भुवनेश्वर, 1 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में बीते 24 घंटों में कोरोनावायरस से संक्रमण के 1,602 नए मामले सामने आए। एक दिन में नए मामलों का यह अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इसके साथ ही राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 33,479 हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी शनिवार को दी। गंजम, खुर्दा, गजापति और सुंदरगढ़ जिलों से 10 और मौतें होने की खबर है। इसके साथ राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या 187 हो गई।
कोरोना हॉटस्पॉट गंजम जिले में सबसे ज्यादा 99 मौतें हुई हैं। इसके बाद खुर्दा का स्थान है, जहां 25 मौतें हुई हैं।
नए 1,602 मामलों में 993 क्वारंटीन सेंटरों के और 609 स्थानीय संपर्को से हुए संक्रमण के मामले हैं। नए मामलों की पहचान 29 जिलों में हुई है।
एक अधिकारी ने कहा कि संक्रमित लोग किन लोगों के संपर्क में आए, यह पता लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
बीते 24 घंटों में गंजम जिले में 308, खोर्धा में 285, रायगदा में 164 और गजापति में 108 नए मामले सामने आए हैं।
राज्य में इस समय 12,737 सक्रिय मामले हैं और अब तक 20,517 मरीज ठीक हो चुके हैं।
रांची, 1 अगस्त। गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे की एमबीए की डिग्री फर्जी बताई जा रही है। इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय का एक पत्र चर्चा में है। इस पत्र में निशिकांत की एमबीए डिग्री को फर्जी बताया गया है। हालांकि प्रदेश भाजपा के नेता इस पत्र को ही फर्जी बता रहे हैं। फिलहाल इस मुद्दे पर झारखंड में राजनीति तेज है। इस संबंध में अभी तक गोड्डा सांसद निशिकांत का बयान नहीं मिल पाया है।
एमबीए डिग्री को लेकर लंबे समय से झामुमो समेत अन्य दल सवाल उठाते हुए डिग्री को फर्जी बताते रहे हैं। झामुमो के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य 3 दिन पहले भी रांच में प्रेस कांफे्रंस कर यह दोहराया था कि आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, निशिकांत दुबे की एमबीए की डिग्री फर्जी साबित हुई है। इस संबंध में देवघर में भी एक व्यक्ति ने पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है। अभी तक निशिकांत दुबे की ओर से एमबीए की डिग्री को सही और प्रामाणिक बताया जाता रहा है।
ताजा पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल है। इसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज के लेटर पैड पर झारखंड पुलिस को संबोधित करते हुए मजमून लिखा है।पत्र में लिखा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से 1993 में निशिकांत दुबे नाम के किसी भी व्यक्ति ने पार्ट टाइम एमबीए की डिग्री हासिल नहीं की है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस संबंध में झारखंड पुलिस को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। हालांकि इस पत्र की सत्यता की खोज भी दोनों पक्षों के लोग कर रहे हैं। (dailyhunth)
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने कहा है कि सभी स्ट्राइकर के लिए लगातार गोल करने के लिए छठी इंद्री को जगाना जरूरी है। एआईएफएफ टीवी से बात करते हुए भूटिया ने कहा, "यह छठी इंद्री की बात है। आपको सूंघना पड़ता है कि गोल कहां से आ रहा है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकरों के पास यह क्षमता होती है। आपको स्थिति को पढ़ना होता है। जब तक आप छठी इंद्री को नहीं जगाते हैं तो आप सफल स्ट्राइकर नहीं बन सकते।"
टीम के मौजूदा कप्तान सुनील छेत्री ने एक बार कहा था कि, 'भूटिया भाई के लिए गोल करना जीने-मरने की बात थी।' इस बात का हवाला देते हुए भूटिया ने कहा कि जब भी आपको लगे कि मौका है तो आपको कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, "10 में से एक या दो स्थिति में आपको गोल करने का मौका मिलता है। लेकिन आपको यह लगातार करना होता है।"
उन्होंने कहा, "एक स्ट्राइकर के तौर पर आपको भांपना होता है क्योंकि आपके पास गेंद को नेट में डालने के लिए सिर्फ एक सेकेंड चाहिए होता है। यहीं स्ट्राइकर को तकनीकी और मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए।
उन्होंने कहा, "कई बार स्ट्राइकर मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि जब हम गोल नहीं कर पा रहे होते हैं तो क्या करें। मैं सिर्फ उनसे यही कहता हूं कि चाहे कुछ भी हो आपको मौके के पीछे भागना होगा। अगर आप नौ बार असफल होकर हिम्मत हार जाते हो तो आप 10वीं बार गेंद के पास भी नहीं पहुंचोगे।"
भूटिया ने कहा, "अगर आप रोनाल्डो और मेसी को देखेंगे तो पता चलेगा कि वह हर बार 3-4 डिफेंडरों को पार करते हैं। सभी स्ट्राइकर गेंद का इंतजार करते हैं और टच करते हैं। अंत में यह मौका भांपने की बात है, मैं दोबारा कहता हूं कि अगर आप लगातार कोशिश नहीं करेंगे, मौके नहीं बनाएंगे आप वो भांपने की आदत को नहीं जगा पाएंगे।"
ग्वालियर, 1 अगस्त (आईएएनएस) मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित सरकार दफ्तरों की इमारत मोती महल पहुंचे प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर गंदगी देखकर भड़क उठे और खुद ही टॉयलेट की सफाई में मंत्रीतोमर शुक्रवार को मोती महल संभागायुक्त से चर्चा करने पहुंचे थे। वापस लौटते समय कार्यालय की कुछ महिला कर्मचारियों द्वारा मंत्री तोमर से शिकायत की गई कि कार्यालय में उनके लिए बनाए गए टॉयलेट की साफ-सफाई नियमित रूप से नहीं होती तथा शौचालय गंदे होने के कारण उन्हें काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
महिला कर्मचारियों की शिकायत सुनते ही मंत्री तोमर ने मोतीमहल परिसर स्थित शौचालयों की साफ सफाई व्यवस्था देखी तो शौचालय गंदे पाए गए, जिसको देखते ही उन्होंने आवश्यक सामग्री मंगावकर कर स्वयं ही शौचालयों की साफ सफाई करना प्रारंभ कर दिया।
तोमर ने कर्मचारियों से कहा कि शासकीय कार्यालय परिसर में शौचालयों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी को समझें तथा सभी शासकीय कार्यालयों के शौचालय साफ व स्वच्छ रहना चाहिए। इसके लिए अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग करें और शासकीय कार्यालयों के शौचालयों को नियमित रूप से साफ कराएं।
इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि इस परिसर में टॉयलेटों की साफ सफाई के लिए जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
मंत्री तोमर ने संयुक्त आयुक्त राजस्व आरपी भारती से कहा कि शासकीय कार्यालयों में महिलाओं के लिए उपलब्ध जन सुविधा के संसाधनों का विशेष ध्यान रखें तथा इस परिसर में शौचालयों की साफ सफाई के लिए जो भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करें।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब मंत्री तोमर सफाई का औजार खुद अपने हाथ में थामा हो। इससे पहले भी नाले की सफाई के लिए खुद फावड़ा लेकर नाले में उतर गए थे और इससे पहले झाडू लेकर पार्क की सफाई की थी।
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बेंगलुरु, 1 अगस्त (आईएएनएस)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के दूसरे पुत्र बी.वाई. विजयेंद्र को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पार्टी के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने संगठन के 10 उपाध्यक्षों, 4 महासचिवों, 2 कोषाध्यक्षों और 7 प्रमुखों (संगठनों) की नियुक्ति की है। इनमें से एक उपाध्यक्ष के तौर पर विजयेन्द्र को भी नियुक्त किया गया है।"
अन्य नौ उपाध्यक्षों में अरविंद लिम्बावाली और निर्मल कुमार सुमारना (बेंगलुरु सेंट्रल से), तेजस्विनी अनंतकुमार और एम. शंकरप्पा (बेंगलुरु साउथ), प्रताप सिम्हा और एम. राजेंद्र (मैसूर), शोबा करंदलाजे (उडुपी), मलिकय्या गुटेदार (कलबुर्गी) और एमबी नंदीश (तुमकुर) से हैं।
हालांकि विजयेंद्र राज्य के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के मालनाद के शिवमोग्गा से हैं, लेकिन वे टेक सिटी में येदियुरप्पा के साथ रहते हैं।
विजयेंद्र के बड़े भाई बी.वाई राघवेंद्र शिवमोग्गा से 2009 से लगातार तीसरी बार लोकसभा सदस्य हैं। वे शिकारीपुरा विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं, जिसका वर्तमान में येदियुरप्पा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
चार महासचिवों में एन. रविकुमार (दावणगेरे), सिद्दाराजू (मैसूर ग्रामीण), सी.एन. अश्वथ नारायण (बेंगलुरु सेंट्रल) और महेश तेन्गिनाकाई (हुबली-धारवाड़) हैं।
नारायण भी राज्य सरकार के तीन उपमुख्यमंत्रियों में से एक हैं।
10 सचिवों में सतीश रेड्डी (बेंगलुरु दक्षिण), तुलसी मुनिराजु गौड़ा (बेंगलुरु सेंट्रल), केशव प्रसाद (बेंगलुरु उत्तर), जगदीश हेरमानी (बगलकोट), सुधा जयारुद्रेश (दावणगेरे), भारती मुग्दुम (बेलागवि ग्रामीण), हेमलता नायक (कोप्पल), उज्जवला (बेलागवि शहर), के.एस. नवीन (चित्रदुर्ग) और विनय बिदारे (तुमकुर) हैं।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| देश के 23 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में भूमि अभिलेखों का 90 फीसदी से ज्यादा कम्प्यूटरीकरण हो चुका है और बाकी 11 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में यह काम प्रगति में है। यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को दी। एक कार्यक्रम के दौरान डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) की जानकारी देते हुए मंत्रालय ने बताया कि 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 फीसदी से ज्यादा जमीन के नक्शे का डिजिटलीकरण हो चुका है और नौ राज्यों/संघ शासित प्रदेशा में इस दिशा में काम प्रगति में है।
रजिस्ट्रीकरण का कम्प्यूटरीकरण (एसआरओ) 22 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 90 फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है और आठ राज्यों/संघ शासित राज्यों में इस कार्य में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है।
मंत्रालय ने बताया कि राजस्व कार्यालय के साथ एसआरओ का एकीकरण 16 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 90 फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है और आठ राज्यों/संघ शासित राज्यों में यह कार्य काफी प्रगति में है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग की 'डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम में सर्वोत्तम प्रथाओं' पर एक पुस्तिका जारी की। यह पुस्तिका क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यशालाओं के दौरान राज्यों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों पर आधारित है।
इसमें राष्ट्रीय नीति फ्रेमवर्क और अध्ययन में शामिल नौ राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और राजस्थान में भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण के लिए अपनायी गयी 'सर्वोत्तम प्रथाओं' की सूची दी गई है। इसमें विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे (पंजीकरण, नामांतरण, सर्वेक्षण, निपटान, भूमि अधिग्रहण), प्रौद्योगिकी पहलें और विधिक तथा संस्थागत अवधारणा के कार्यान्वयन में त्रुटियों को भी कवर किया गया है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एक अच्छी भूमि अभिलेख प्रणाली प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 800 करोड़ रुपये के बैंक फर्जीवाड़ा मामल में शुक्रवार को राज सिंह गहलोत के अवासीय परिसर सहित दिल्ली में सात जगह छापेमारी की। जिन ठिकानों पर छापे मारे गए, उनमें अमन हॉस्पिटैलिटी व एंबिएंस ग्रुप की अन्य कंपनियों के कार्यालय परिसर व अन्य कंपनी अधिकारियों के ठिकाने शामिल हैं।
ईडी के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि एंबिएंस ग्रुप के निदेशकों में से एक, राज सिंह गहलोत इस मामले के सिलसिले में वित्तीय जांच एजेंसी के समक्ष मुख्यालय में पेश हुए।
ईडी के अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने धनशोधन निरोधक अधिनियम, 2002 के तहत दिल्ली में सात अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी ली। गहलोत, दयानंद सिंह, मोहन सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों के कार्यालय परिसरों के अलावा अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड व एंबिएंस ग्रुप की अन्य कंपनियों के कार्यालय परिसरों की तलाशी ली गई।
उन्होंने बताया कि राज सिंह गहलोत के आवास की तलाशी के दौरान 16 लाख रुपये नकद और लगभग 24 लाख रुपये के बराबर विदेशी मुद्राएं बरामद की गईं।
ईडी की टीम ने तलाशी के दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज व डिजिटल सबूत भी बरामद किए।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने शेड्यूल्ड अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों के संचालन पर निलंबन शुक्रवार को 31 जुलाई तक बढ़ा दिया।
जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "सरकार ने भारत से या भारत के लिए शेड्यूल्ड अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री सेवा पर निलंबन 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया है।"
बयान में कहा गया है, "एयरमेन (एनओटीएएम) को इस बारे में खास सूचना जारी कर दी गई है।"
यह प्रतिबंध हालांकि सभी कार्गो उड़ानों और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा विशेष रूप से स्वीकृत अन्य उड़ानों पर लागू नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि यात्री उड़ान सेवा 25 मार्च को निलंबित कर दी गई थी, जब कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा दिया गया था। घरेलू उड़ान सेवा हालांकि 25 मई से बहाल हो गई है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को कहा कि कोरोनावायरस ने समाज की कमजोरी को उजागर कर दिया है और अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों की पहचान नहीं की जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे मजदूरों की पहचान करना जरूरी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ वार्ता के दौरान बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक ने कहा, "वित्तीय प्रणाली का निर्माण काफी गलत तरीके से किया गया है। और कोविड-19 संकट ने समाज की कमजोरी का बहुत ही गंदे तरीके से खुलासा कर दिया।"
उन्होंने कहा, "यह समाज में जमा हुआ था और हम इसके अभ्यस्त हो चुके थे। वहां गरीब लोग थे, प्रवासी मजदूर शहरों में थे। लेकिन अचानक हमने देखा कि लाखों की संख्या में ये लोग अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। वह भी इनलोगों ने अपने कदमों से हजारों मिल की दूरी तय की। यह कोविड-19 का सबसे दुखद भाग है, जिसका खुलासा हो गया।"
वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों के जवाब देते हुए इन बातों को रख रहे थे। राहुल गांधी ने उनसे कोरोना की वजह से गरीबों की वित्तीय हालत, महिलाओं पर गरीबी का असर और कैसे यह कोविड-19 संकट और मौजूदा आर्थिक संकट गरीबों पर प्रभाव डालने वाला है, इत्यादि सवाल पूछे थे।
नोबल पुरस्कार विजेता ने कहा, "अर्थव्यवस्था इन लोगों की पहचान नहीं करती है। वे इसे असंगठित क्षेत्र कहते हैं। असंगठित क्षेत्र मतलब हमें उनसे कोई लेना-देना नहीं है। वे अर्थव्यवस्था का भाग नहीं है। अर्थव्यवस्था की शुरुआत संगठित क्षेत्र से होती है, हम संगठित क्षेत्र के साथ व्यस्त हैं। अगर हम केवल उन्हें वित्तपोषित करेंगे, उनका ख्याल रखेंगे तो वे आगे बढ़ेंगे।"
मोहम्मद यूनुस और ग्रामीण बैंक को 2006 में नोबल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
यूनुस ने कहा, "इनसब में महिलाओं की हालत सबसे खराब है। आप संरचना देखें, ये लोग इसमें सबसे नीचे हैं। उनकी कोई आवाज नहीं है। परंपरा उन्हें पूरी तरह से अलग कर देती है। वे समाज की मूल ताकत हैं।"
उन्होंने कहा, "जब बात औद्योगिक क्षमता की आती है और माइक्रोक्रेडिट महिलाओं को दिया जाता है, तो उन्होंने दिखाया है कि उनमें कितनी उद्यम क्षमता है। इसलिए माइक्रोक्रेडिट को पूरी दुनिया में सभी जानते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। वे लड़ सकती हैं, उनमें क्षमता है और सभी तरह का कौशल है। उन्हें भुला दिया गया क्योंकि वे सभी असंगठित क्षेत्र के तहत आते हैं।"
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के यूजीसी के छह जुलाई के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई 10 अगस्त तक स्थगित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में छह जुलाई को जारी यूजीसी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई थी, जिसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर लेने के लिए कहा गया है।
अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने शीर्ष अदालत से एक अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया और हवाला दिया कि कई छात्र बिहार और असम में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंस गए हैं। उन्होंने दलील देते हुए कहा, "मी लॉर्ड वे यात्रा कैसे करेंगे?"
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रही है और मामले को 10 अगस्त को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी केंद्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा, ताकि मामले पर एमएचए स्पष्ट हो सके। मेहता ने जवाब दिया कि यह सोमवार तक हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि छात्रों को यह धारणा नहीं बनानी चाहिए कि उन्हें परीक्षा की तैयारी नहीं करनी है, बल्कि इसके बजाय उन्हें तैयारी करनी चाहिए।
अंतिम वर्ष के छात्र यश दुबे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ के समक्ष कोविड-19 के लगातार बढ़ रहे मामलों की दलील पेश की। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत से पहले के दिशानिर्देशों की जांच करने और फिर छह जुलाई को जारी किए गए दिशानिर्देशों को देखने के लिए कहा है।
सिंघवी ने कहा कि परीक्षा रद्द होने पर आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सितंबर अंत तक अपनी अंतिम-वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए भारत भर के विश्वविद्यालयों को अनिवार्य किए गए छह जुलाई के दिशानिर्देशों को बदलना संभव नहीं है।
यूजीसी ने अदालत को सूचित किया कि प्रो. आर. सी. कुहाड़ की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट सौंपी है कि टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षाएं सितंबर के अंत तक विश्वविद्यालयों/संस्थानों द्वारा आयोजित की जानी चाहिए।
नई दिल्ली,31 जुलाई| दरअसल, सोज़ ने ग़ैरक़ानूनी 'नज़रबंदी' के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इसे ख़ारिज़ कर दिया कि उन पर कोई पाबंदी नहीं है.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सोज़ पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है और अदालत ने इस दावे को स्वीकर किया था.
लेकिन इसके ठीक एक दिन बाद सरकार के दावे के ठीक उलट स्थिति देखने को मिली. कांग्रेस नेता ने गुरुवार को जैसे ही श्रीनगर स्थित अपने घर से बाहर निकलने की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें रोक लिया.
कुछ पत्रकार भी इस मौके पर वहां मौजूद थे और उनकी मौजूदगी में ही पुलिस 83 वर्षीय सोज़ को घर के अंदर भेज दिया.
इसके बाद सैफ़ुद्दीन सोज़ ने अपने घर के अंदर ही, दीवार और कटींले तारों के पीछे से पत्रकारों से बात की. उनका दावा है कि बुधवार को भी, सुप्रीम कोर्ट के याचिका ख़ारिज किए जाने के थोड़ी ही देर बाद उन्होंने घर से निकलने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें रोक दिया गया.
सोज़ ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि वो इस 'ग़ैरक़ानूनी नज़रबंदी' के ख़िलाफ़ फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
उन्होंने कहा, "कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मैं आज़ाद हूं. लेकिन मैं आज़ाद नहीं हूं. पांच अगस्त, 2019 से लेकर अब तक मैं अपने घर में ही क़ैद हूं. अगर ऐसा नहीं है तो मुझे बाहर जाने से क्यों रोका जा रहा है?"(bbc)
लखनऊ, 31जुलाई | राम मंदिर निर्माण के बहाने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से लेकर अगले लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर का मुद्दा गरमाए रखने की बीजेपी की पूरी तैयारी है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय का कहना है कि मंदिर निर्माण का काम किसी भी तरह साढ़े तीन साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य है। राय ने इस संवाददाता से इतना कहकर फोन रख दिया किः ‘हम तीन साल में मंदिर निर्माण का काम पूरा कर लेने का पूरा प्रयास करेंगे लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए, तो हमारे पास छह माह अतिरिक्त हैं। मंदिर निर्माण का काम 2023 अंत तक या 2024 के शुरूआती महीनों में पूर्णहो जाएगा।’ ध्यान रहे अगला लोकसभा चुनावलगभग उसी समय संभावित हैं।
कोरोना की वजह से इस वक्त लाखों की भीड़ वाले कार्यक्रम का आयोजन संभव नहीं था, फिर भी सबकुछ बड़ा ही हो रहा है। पूरे देश में 5 अगस्त को शाम में हर घर के दरवाजे पर 5 दीप जलाने के वाट्सएप मैसेज वायरल हैं। इसकी भाषा भी साफ है कि ‘हर घर को अयोध्या बना देना है।’ उधर, इस कार्यक्रम का लाइव टीवी प्रसारण होना ही है इसलिए अयोध्या को कायदे से सजाया जा रहा है। ठीक है कि कार्यक्रम के लिए आमंत्रित लोगों की सूची 200 लोगों की है लेकिन यह सूची भर ही तो है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां हेलिपैड पर उतरेंगे, वहां से कार्यक्रम स्थल तक के रास्ते के मकानों के बाहर चित्र उकेरे जा रहे हैं। इस काम में साकेत डिग्री कॉलेज के कला विभाग के छात्र लगे हुए हैं। दीवारों पर राम, लक्ष्मण, हनुमान और रामायण के अन्य चरित्रों के चित्र लग भी गए हैं। ऐसे चित्र सुलभ शौचालय तक की दीवारों पर हैं ताकि कोई हिस्सा छूट न जाए।
बीजेपी विधायक वेद गुप्ता बताते हैं: ‘अयोध्या में तीन दिनों तक दीवाली-जैसा उत्सव रहेगा। 3 अगस्त से ही सभी धार्मिक स्थानों, घाटों, मठों पर रोशनी की झालरें लगाई जाएंगी तथा भजन और धार्मिक संगीत लगातार गाए जाते रहेंगे।’ बीजेपी की शहर इकाई के अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव ने उत्साहित स्वर में बताया कि ‘इस वक्त कार्यक्रम में स्थानीय आम लोग भी ज्यादा संख्या में आ तो सकते नहीं इसलिए हम अयोध्या शहर में जगह- जगह एलईडी स्क्रीन लगा रहे हैं ताकि सभी लोग इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के गवाह बन सकें।’ उन्होंने बताया कि पूरे शहर में करीब 3,000 लाउडस्पीकर भी लगाए जाएंगे ताकि पूरा माहौल धार्मिक रहे। वैसे तो इन पर भजन वगैरह बजते रहेंगे लेकिन भूमिपूजन के पूरे कार्यक्रम का लोग आनंद ले सकेंगे।(navjivan)