राष्ट्रीय
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), 13 जनवरी| उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में गांधी पार्क इलाके में रेलवे पटरियों के पास से एक 15 वर्षीय लड़की का शव बरामद किया गया है, जिसका कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका जताई जा रही है। पुलिस के अनुसार, किशोरी रविवार सुबह हरदुआगंज थानाक्षेत्र के अंतर्गत गांव में अपने घर से लापता हो गई थी।
उसके बाद किशोरी के परिवार को मैसेज मिला कि उसका अपहरण कर लिया गया है और उसकी रिहाई के लिए फिरौती के रूप में पांच लाख रुपये की मांग की गई।
अपहरणकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर फिरौती का भुगतान नहीं किया गया, तो पीड़िता की आपत्तिजनक स्थिति वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया जाएगा।
गांधी पार्क पुलिस स्टेशन में सोमवार को लड़की के परिवार द्वारा दायर की गई शिकायत के अनुसार, वे पैसे नहीं जुटा पा रहे थे और लड़की की तलाश करने की पूरी कोशिश कर रहे थे।
पुलिस ने किशोरी के परिवार को मंगलवार को एक लड़की के शव की शिनाख्त करने के लिए बुलाया। शव रेलवे पटरियों पर उनके गांव से कई किलोमीटर दूर पाया गया। शव लापता किशोरी का ही निकला।
पुलिस अधीक्षक (सिटी) कुलदीप सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि इस घटना के संबंध में परिवार ने तीन लोगों का नाम लिया है।
उन्होंने कहा कि तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि तीनों पर हत्या और पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने कहा कि वे घटनास्थल पर मिले सुसाइड नोट की भी जांच कर रहे हैं, जो पीड़िता के शव के साथ मिला था।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 13 जनवरी| श्रीनगर में इस सीजन की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। बुधवार को यहां तापमान माइनस 7.8 डिग्री सेल्सियस रहा। यहां अभी 40 दिन की भीषण ठंड वाली अवधि 'चिल्लई कलां' चल रही है और अब यह अपने चरम पर है। यह 31 जनवरी को खत्म होगी। स्थानीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है, "माइनस 7.8 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ श्रीनगर में मौसम की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। अब से 8 साल पहले 14 जनवरी 2013 को भी इतना ही तापमान दर्ज किया गया था।"
यहां की डल झील और घाटी की अन्य प्रमुख झीलों के कई हिस्से जम गए हैं। लोगों को चेतावनी दी गई है कि वे जमे हुए जलस्रोतों पर स्केटिंग न करें क्योंकि इससे उनके जीवन को खतरा हो सकता है।
श्रीनगर में बुधवार को न्यूनतम तापमान माइनस 7.8, पहलगाम में माइनस 11.7 और गुलमर्ग में माइनस 10 डिग्री सेल्सियस रहा।
वहीं लद्दाख के लेह शहर में रात का न्यूनतम तापमान माइनस 16.3, कारगिल में माइनस 19.6 और द्रास में माइनस 28.4 रहा।
जम्मू शहर का न्यूनतम तापमान 6.9, कटरा में 4.4, बटोटे में 4.9, बेनिहाल में 4.0 और भद्रवाह में माइनस 0.4 डिग्री सेल्सियस रहा। (आईएएनएस)
जोहान्सबर्ग, 13 जनवरी | द इंडिपिडेंट कम्युनिकेशंस अथॉरिटी ऑफ साउथ अफ्रीका (आईसीएएसए) ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे उन मिथकों का शिकार न हों जो कोविड-19 प्रसार को 5जी तकनीक से जोड़ रहे हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, आईसीएएसए के चेयरपर्सन केबेत्सवे मोदिमेंग ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा, "हम सभी को उन सबूतों पर भरोसा करना चाहिए जिनका वैज्ञानिक आधार है। हमें ऐसे निराधार सिद्धांतों से दूर रहने की जरूरत है जो देश में डर और अस्थिरता लाने पर आमादा हैं।"
दरअसल, कुछ लोगों ने पिछले हफ्ते वोडाकॉम और एमटीएन टेलीकॉम टावरों को जला दिया था। उनका मानना है कि कोविड-19 का प्रसार 5जी टेक्नॉलॉजी आने से जुड़ा है।
मोदिमेंग ने कहा, "कुछ टेलीकॉम इंडस्ट्री ने दक्षिण अफ्रीका की कुछ जगहों पर 5जी टेक्नॉलॉजी की फ्रिक्वेंसी जांचने का काम 2020 में महामारी आने से पहले ही ऑपरेटरों को दे दिया था। ऐसे में इस तरह के झूठे सिद्धांत केवल निराशा का कारण बन सकते हैं और दक्षिण अफ्रीकी लोगों में अनावश्यक टेक्नोफोबिया फैलाते हैं। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।"
आईसीएएसए ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों का पालन किया है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि 5जी टेक्नॉलॉजी देश या इसके नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए कोई जोखिम पैदा करता है। (आईएएनएस)
दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की पहल का स्वागत तो करते हैं मगर उनका आरोप है कि जो कमिटी किसानों की मांगों को लेकर बनाई गई है 'वो सरकार के ही पक्ष' में काम करेगी.
किसानों के संगठनों के प्रतिनिधि और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि जिन चार लोगों की कमिटी बनाई गई है उनपर किसानों को भरोसा इसलिए नहीं है क्योंकि इनमें से कुछ एक ने कृषि बिल को लेकर सरकार का खुलेआम समर्थन किया है.
सुप्रीम कोर्ट में चली कार्यवाही के बाद दिल्ली की सरहद से फ़ोन पर बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि किसान अपना आंदोलन जारी रखेंगे और अपने आंदोलन के स्थल को भी नहीं बदलेंगे.
उनका कहना था, "हम सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं कि माननीय मुख्य न्यायाधीश और बेंच के दूसरे न्यायाधीशों ने कम से कम आंदोलन कर रहे किसानों की मुश्किलों को तो समझा. सर्वोच्च अदालत ने आंदोलन करने के अधिकार का भी बचाव किया है. ये बहुत बड़ी बात है."
मगर टिकैत का कहना है कि बिल को स्थगित करने से किसानों को कुछ नहीं मिलने वाला है. उन्होंने कहा, "हमारी मांग है कि सरकार कृषि क़ानून वापस ले. इसके अलावा हम कुछ नहीं चाहते. वैसे हम क़ानून विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं मगर ये तो तय है कि जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं."
कमिटी के पक्ष में नहीं थे किसान
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में किसानों की तरफ से दुष्यंत दवे, प्रशांत किशोर, एचएस फूलका और कोलीन गोंजाल्वेज़ आज अदालती कार्यवाही में मौजूद नहीं थे.
किसान यूनियनों ने कल ही स्पष्ट कर दिया था कि वो इस मामले में किसी कमिटी के गठन के पक्ष में नहीं हैं और ये भी कह दिया था कि उनकी तरफ से मगंलवार को सुनवाई के दौरान कोई वकील मौजूद नहीं रहेगा.
इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने साझा एक बयान जारी कर कहा कि "सरकार की हठधर्मिता से साफ़ है कि वो क़ानून वापस लेने के सवाल पर कमिटी के सामने राज़ी नहीं होगी."
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद बैठकों का दौर शुरू हो गया है और आंदोलनरत किसान संगठन अपनी आगे की रणनीति को लेकर विमर्श कर रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा के लिए काम कर रहे परमजीत सिंह का कहना है कि लगभग सभी संगठन इस पर सहमत हैं कि कमिटी बनाने से कोई हल नहीं निकलने वाला है. वो कहते हैं कि क़ानूनों को अगले आदेश तक स्थगित करने का मतलब ही है कि मामला खिंच जाएगा और बात घूम फिर कर वहीं आ जाएगी जहाँ आज है.
कृषि मामलों और कृषक इतिहास के जानकार वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द कुमार का कहना था कि किसानों को सरकार की नियत पर इसलिए शक हो रहा है क्योंकि जिस तरीके से इन क़ानून को पारित कराने की प्रक्रिया अपनाई किसान उसे ग़लत मानते हैं.
अरविन्द कुमार कहते हैं कि अगर सरकार इन क़ानूनों को पारित करने से पहले संसद का विशेष सत्र बुला लेती और सदस्य इस पर अपनी राय व्यक्त करते तो शायद सरकार की नियात पर किसानों को शक नहीं होता.
उनका कहना था, "सरकार को अध्यादेश की जगह कृषि क़ानून से संबंधित विधेयक लाना चाहिए था. अगर ऐसा सरकार करती तो तो किसान आक्रोशित ना होते. फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा समय-समय पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर की गई टिप्पणी ने भी किसानों को भड़काने का काम ही किया है."
जारी रहेगा आंदोलन
वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयुक्त सचिव और वकील अवीक साहा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के बाद किसान संगठनों के प्रतिनिधि संयुक्त किसान ओरछा के तत्वाधान में मिले और उन्होंने फैसला किया है कि गणतंत्र दिवस पर जो ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया गया है वो जारी रहेगा.
उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि ये मार्च तब निकालने की बात कही गई है जब सरकारी कार्यक्रम समाप्त हो जाएगा. वो कहते हैं, "गणतंत्र दिवस पर सरकारी कार्यक्रम के खत्म होने के बाद भारत का नागरिक इस दिवस का जश्न मना सकता है. ये सबका अधिकार है. इसमें किसी की छवि ख़राब होने की बात कहां से आ गई."
साहा कहते हैं कि किसान संगठनों ने ये भी तय किया है कि वो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को चुनौती देंगे क्योंकि सभी एकमत हैं कि जो नीति बनाते हैं वो किसानों से बात करें ना कि अदालत.
साहा के अनुसार किसान संगठनों ने कहा कि आंदोलन में जो महिलाएं शामिल हैं वो अपनी मर्जी से आई हैं. उनका कहना था कि अदालत को इन आंदोलनकारी महिलाओं को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए.
वहीं क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रोफेसर दर्शन पाल का कहना था, "सुप्रीम कोर्ट की कमिटी में चाहे वो बीएस मान हों या बाक़ी के तीन सदस्य, सब सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों का समर्थन करते आए हैं. ऐसे में ये एक तरफ़ा फैसला ही लेंगे जिससे किसानों का कोई भला नहीं होने वाला है."
सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमिटी के गठन की घोषणा की है उसमें मान के अलावा शेतकारी संगठन के अनिल घनावत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, और इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के दक्षिण एशिया के प्रमुख रहे प्रमोद जोशी शामिल हैं.
कमिटी के सदस्यों को लेकर सवाल
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कृषि कानूनों को अगले आदेश तक स्थगित करने के आदेश पर कानूनविदों की राय बनती हुई है.
जहाँ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेन्द्र मल लोढ़ा ने कहा कि उनके पास कमिटी की अध्यक्षता करने का प्रस्ताव आया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया, सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश मार्कंडे काटजू का कहना है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका की अपनी-अपनी सीमाएं हैं जिसके अन्दर ही तीनों को काम करना चाहिए.
काटजू के अनुसार जजों को ज्यादा सक्रियता से बचना चाहिए और उनकी कार्यशैली कहीं से भी ऐसी नहीं लगनी चाहिए, जिससे ये लगता हो कि वो सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं. वो कहते हैं कि न्यायपालिका को लोकतंत्र के दूसरे अंगों का सम्मान करना चाहिए और उनके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए.
काटजू सहित दूसरे क़ानूनविदों का भी मानना है कि जो क़ानून संसद ने बनाए हैं उसे निरस्त करने का अधिकार भी संसद को ही होना चाहिए.
काटजू मानते हैं, "अदालत या जज ये तो कह सकते हैं कि अमुक क़ानून ग़ैर-संवैधानिक है या संविधान के हिसाब से 'अल्ट्रा वायर्स' है. मगर अदालत या जज क़ानून को लागू होने से रोक नहीं सकते."
संवैधानिक सवाल
काटजू के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के बीच चल रहे गतिरोध को ख़त्म करने के लिए ऐसा किया होगा लेकिन वो मानते हैं कि संविधान की अनदेखी कर ऐसा करना भी ग़लत है.
संवैधानिक विशेषज्ञ गौतम भाटिया ने ट्वीट कर कहा है कि एक तो अदालत किसी क़ानून को निलंबित नहीं कर सकती है. अगर वो ऐसा करती भी है तो उसे पहले इसे ग़ैर-संवैधानिक घोषित करना पड़ेगा.
वो कहते हैं कि कृषि क़ानूनों को स्थगित करने से पहले अदालत ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमिटी के गठन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये काम अदालत का नहीं है.
दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह क़दम सही था जबकि सरकार ज़िद पर अड़ी हुई है.
स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेन्द्र यादव ने भी ट्वीट कर कहा है कि किसान किसी भी दिन कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मिलकर बातचीत करना पसंद करेंगे बजाय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी के.
कृषि मामलों के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ट्वीट कर कहा कि, "इस कमिटी में कौन-कौन है उसपर ग़ालिब का ये शेर याद आता है ....क़ासिद के आते- आते ख़त इक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में..." (बीबीसी)
कोलकाता, 13 जनवरी | पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनकी विरासत को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि भाजपा को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने का कोई अधिकार नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता के गोलपार्क से हाजारा तक एक रैली निकाली, जहां बनर्जी ने कहा, "भाजपा को स्वामी जी को याद करते हुए कोई भी रैली निकालने का अधिकार नहीं है। उन्हें महान आइकन के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वामी विवेकानंद के नाम का गलत उच्चारण किया था तो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसका विरोध नहीं किया।"
तृणमूल सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी इस स्तर तक नहीं जाएगी कि उन्हें स्वामी जी की जयंती पर राजनीति करनी पड़े।
उन्होंने कहा, हम उस स्तर तक नहीं जा सकते। स्वामी जी की विचारधारा हमें आने वाले वर्षों में आगे बढ़ा सकती है।
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी केंद्र के दबाव में कभी नहीं झुकेंगी, क्योंकि बंगाल विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं करता है।
अभिषेक बनर्जी ने कहा, राजनीतिक दल, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के साथ राष्ट्र को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और जिसने अतीत में शिक्षाविद् विद्यासागर की प्रतिमा के साथ बर्बरता की है, बंगाल के लोग उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
--आईएएनएस
गुवाहाटी, 13 जनवरी | गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मंगलवार को असम विधानसभा सचिव द्वारा कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मिली मान्यता वापस लेने की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी। न्यायमूर्ति अचिंया मल्ला बुजोर बरुआ ने सैकिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष, मुख्य सचिव, सचिव और प्रमुख सचिव को दो सप्ताह के भीतर नोटिस जारी किया।
सैकिया ने रिट याचिका दायर कर 1 जनवरी को विधानसभा सचिव द्वारा जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें विपक्ष के नेता के रूप में उनकी मान्यता वापस ले ली गई थी।
विधानसभा अधिकारियों ने कहा था कि हाल ही में कांग्रेस के दो विधायकों (जो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए) के इस्तीफे के बाद 126 सदस्यीय सदन में कांग्रेस की संख्या घटकर 20 रह गई है, जो जरूरत से एक कम संख्या है। इन दोनों के बाहर होने के अलावा कांग्रेस के मौजूदा विधायकों पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और प्रणब गोगोई का पिछले साल निधन हो गया।
इसके अलावा असम गण परिषद सदस्य पबिंद्र डेका ने इस्तीफा दे दिया और भाजपा विधायक राजेन बोरहटाकुर की मौत हो गई, जिससे सदन की प्रभावी ताकत 119 (अध्यक्ष की गिनती नहीं) हो गई।
--आईएएनएस
मुंबई, 13 जनवरी | दूरसंचार प्रमुख भारती एयरटेल ने मंगलवार को कहा कि उसे अपनी डाउनस्ट्रीम कंपनियों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए आवश्यक नियामकीय मंजूरी मिल गई है। एक नियामक फाइलिंग में कंपनी ने कहा कि वह अपनी विदेशी निवेश सीमा को तत्काल प्रभाव से 100 प्रतिशत तक संशोधित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर रही है, जिसके बारे में जमाकर्ताओं को सूचित कर दिया गया है।
नियामक फाइलिंग में कंपनी ने कहा, "21 जनवरी, 2020 को जारी हमारी सूचना के अनुसार, हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि दूरसंचार विभाग द्वारा कंपनी को दी गई 20 जनवरी, 2020 की एफडीआई मंजूरी के अनुपालन में कंपनी ने अपने डाउनस्ट्रीम निवेशों के लिए अनुमोदन प्राप्त कर लिया है।"
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर भारती एयरटेल के शेयर मंगलवार को 565.75 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुए, जिसमें पिछले बंद से प्रति शेयर 18.65 रुपये या 3.41 प्रतिशत उछाल देखने को मिला।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 13 जनवरी | वस्तु एवं सेवा कर खुफिया विभाग के महानिदेशक (डीजीजीआई) ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के कथित गलत दावे को लेकर ई-कॉमर्स प्रमुख अमेजन इंडिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी खुफिया शाखा ने 175 करोड़ रुपये की मांग की है।
डीजीजीआई की एक जांच में ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा की गई गणना में त्रुटियां पाई गई हैं।
इस संबंध में बताया जा रहा है कि अमेजन ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान किया, जिसके लिए उसे रिफंड का दावा करना चाहिए था। इसके बजाय इसने उच्च कर स्लैब के बहाने आईटीसी का गलत दावा किया।
डीजीजीआई के नोटिस में गलत तरीके से दावा किए गए आईटीसी के कारण अब ब्याज की मांग की गई है।
हालांकि अभी अमेजन ने कंपनी को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं दिया है।
डीजीजीआई द्वारा कैब सर्विस मुहैया कराने वाली उबर और ओला के खिलाफ जीएसटी की चोरी को लेकर जांच शुरू करने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है। डीजीजीआई ने करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी के मामले में कंपनियों के अधिकारियों को तलब किया है।
--आईएएनएस
मुंबई बीएमसी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा है कि बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद अवैध निर्माण करने के आदी हैं. बीएमसी ने हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि सोनू सूद पहले दो दफा अवैध निर्माण तोड़े जाने के बावजूद जुहू के इलाके में अपना अवैध निर्माण कार्य जारी रखे हुए हैं.
बीएमसी ने यह हलफनामा सोनू सूद की ओर से पिछले हफ्ते दायर एक याचिका के जवाब में दिया है. सोनू सूद ने बीएमसी के नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. बीएमसी की ओर से यह नोटिस पिछले साल अक्टूबर में उन्हें दी गई थी.
निचली अदालत ने बीते दिसंबर के महीने में बीएमसी के नोटिस को चुनौती देने वाले मुकदमे को खारिज कर दिया था.
नोटिस में बीएमसी ने सोनू सूद पर आरोप लगाया है कि सूद रिहायशी इलाके में छह मंजिले ‘शक्ति सागर’ इमारत को एक कमर्शियल होटल में तब्दील कर रहे हैं.
हलफनामे में बीएमसी ने कहा है,"याचिकाकर्ता अवैध निर्माण करने का आदतन अपराधी है और वो अनधिकृत तरीके से कमर्शियल निर्माण कार्य में लगे हुए है. उसने एक बार फिर से ध्वस्त की गई इमारत पर निर्माण कार्य शुरू किया है ताकि उसमें बिना लाइसेंस विभाग से मंजूरी लिए बिना ग़ैर-क़ानूनी तरीके से होटल बना सके." (बीबीसी)
किसान आंदोलन के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय समिति में शामिल अनिल घनवत ने मंगवलार को कहा कि “प्रदर्शनकारी किसानों को न्याय मिलेगा.”
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीनों कृषि क़ानूनों पर रोक लगा दी और विशेषज्ञों की एक समिति गठित की, जो कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों की शिकायतों और सरकार की बात सुनेगी और दो महीने के अंदर अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
महाराष्ट्र के प्रमुख किसान संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “ये आंदोलन कहीं जाकर रुकना चाहिए और किसानों के हित में एक क़ानून बनाया जाना चाहिए. पहले हमें किसानों को सुनना पड़ेगा, अगर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज बाज़ार समित (एपीएमसी) को लेकर कोई ग़लतफ़हमी है, तो हम उसे दूर करेंगे, उन्हें ये भरोसा दिया जाना ज़रूरी है कि जो भी हो रहा है वो उनके हित में ही हो रहा है.”
उन्होंने कहा, “कई किसान नेता और संगठन एपीएमसी के एकाधिकार से आज़ादी चाहते हैं, इसे रोकने की ज़रूरत है और किसानों को अपनी फसल बेचने की आज़ादी दी जानी चाहिए. बीते 40 सालों से ये मांग की जा रही थी. जिन किसानों को एमएसपी चाहिए, उन्हें वो मिले और जिन्हें इससे आज़ादी चाहिए, उनके पास भी विकल्प होना चाहिए.”
इस बीच प्रदर्शनकारी किसान नेताओं ने साफ़ किया कि वो समिति बनाने के अदालत के फ़ैसले को स्वीकार नहीं करेंगे. किसान नेताओं के मुताबिक़, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए इस समिति को ला रही है. उनका दावा है कि इस समिति के सभी सदस्य सरकार के समर्थन में हैं और ये सदस्य क़ानूनों को ही सही बात रहे हैं.
घनवत कहते हैं कि किसानों का ये मानना बिल्कुल ग़लत है.
उन्होंने कहा, “ये पूरी तरह से एक ग़लतफ़हमी है. अशोक गुलाटी कोई राजनीतिक नेता नहीं है या ना ही किसी समूह का हिस्सा हैं. वो एक कृषि अर्थशास्त्री हैं. मैं भी इसपर निष्पक्ष रहा हूं, मैंने कभी किसी राजनीतिक पार्टी के लिए काम नहीं किया, बल्कि हमेशा किसानों के लिए काम किया, और आने वाले दिनों में जो कुछ भी होगा, हम पूरी कोशिश करेंगे कि हम पूरे देश के किसानों के हित को देखते हुए मसले का हल निकालेंगे, ना कि सिर्फ महाराष्ट्र या पंजाब के किसानों को ध्यान में रखकर.”
घनवत के अलावा सुप्रीम कोर्ट की समिति में भारतीय किसान संगठन के मान धड़े के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, इंटरनैशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है.
घनवत ने कहा कि समिति तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकती, जब तक कि उसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिशा-निर्देश ना मिल जाएं. उन्होंने कहा, “जैसे ही ये मिलेंगे, हम सभी किसान नेताओं से मुलाक़ात करेंगे और उनकी मांगों को लेकर उनकी राय लेंगे और पूछेंगे कि ये कैसे किया जा सकता है.”
घनवत ने साथ ही कहा, “मैं अपने निजी विचारों को किनारे रखूंगा, प्रदर्शनकारी किसान नेताओं को समिति के साथ मिलकर काम करना चाहिए और अपने विचार व्यक्त करने चाहिए.” (बीबीसी)
नई दिल्ली 12 जनवरी। संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयान जारी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमेटी में शामिल सभी चारों सदस्य नए कृषि कानून के पैरोकार हैं। मोर्चा की तरफ से जारी बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि हमें संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी है।
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर हुई सुनवाई के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में किसानों के रुख को स्पष्ट कर दिया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मौखिक आदेश से हमारी राय की पुष्टि होती है।
संयुक्त किसान मोर्चा तीनों किसान विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि यह आदेश हमारी इस मान्यता को पुष्ट करता है कि यह तीनों कानून असंवैधानिक हैं। लेकिन यह स्थगन आदेश अस्थाई है जिसे कभी भी पलटा जा सकता है। हमारा आंदोलन इन तीन कानूनों के स्थगन नहीं इन्हें रद्द करने के लिए चलाया जा रहा है। इसलिए केवल इस स्टे के आधार पर हम अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं कर सकते।
संयुक्त किसान मोर्चा अपने कल के बयान में किसी भी कमेटी के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है।
"हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन हमने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना नहीं की है और ऐसी किसी कमेटी से हमारा कोई संबंध नहीं है। चाहे यह कमेटी कोर्ट को तकनीकी राय देने के लिए बनी है या फिर किसानों और सरकार में मध्यस्थता के लिए, किसानों का इस कमेटी से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने जो चार सदस्य कमेटी घोषित की है उसके सभी सदस्य इन तीनों कानूनों के पैरोकार रहे हैं और पिछले कई महीनों से खुलकर इन कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की असफल कोशिश करते रहे हैं। यह अफसोस की बात है कि देश के सुप्रीम कोर्ट में अपनी मदद के लिए बनाई इस कमेटी में एक भी निष्पक्ष व्यक्ति को नहीं रखा है।"
"इसलिए हम एक बात फिर स्पष्ट करते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। हमारे सभी पूर्व घोषित कार्यक्रम यानी 13 जनवरी लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाने का कार्यक्रम, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से 'किसान गणतंत्र परेड' आयोजित कर गणतंत्र का गौरव बढ़ाएंगे। इसके साथ साथ अदानी अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार करने और भाजपा के समर्थक दलों पर दबाव डालने के हमारे कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेंगे। तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए किसानों का शांति पूर्वक एवं लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रहेगा।"
बिहार में 20 से ज्यादा जगहों पर किसानों के पक्के धरने लगे हुए हैं। छत्तीसगढ़ में 80 से ज्यादा जगहों पर किसानों ने बैठकें कर दिल्ली आने की तैयारी की है। कर्नाटक के गुलबर्गा में लोगों ने बाइक रैली निकालकर तीन कृषि कानूनों का विरोध जताया है। केरल से सैंकड़ो की संख्या में किसान दिल्ली कुच कर रहे हैं। महाराष्ट्र में पोल खोल यात्रा के तहत केंद्र सरकार के किसान विरोधी चेहरे की पोल खोली जा रही है। विजयवाड़ा और हैदराबाद में भी बड़े प्रदर्शन किए गए। राजस्थान और हरियाणा में जागरूकता पखवाड़ा के तहत किसानों को आंदोलन में जोड़ा जा रहा है और अनेक जिलों में ट्रैक्टर मार्च समेत अनेक तरह के प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
दिल्ली की सभी सीमाओं पर, जिन पर किसानों के धरने लगे हुए हैं, किसान लोहड़ी पर्व को मनाने की तैयारियां कर रहे हैं। इस बार लोहड़ी का त्यौहार तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर मनाया जाएगा। गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। टीकरी मंच पर दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटक भी प्रस्तुत किये गए। दिनों-दिन पुस्तकालय में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर वकीलों और कलाकारों ने पहुंच कर किसानों का समर्थन दिया और उनको कुछ जरूरती सामान भी मुहैया करवाया। (आईएएनएस)
पणजी, 12 जनवरी। गोवा पुलिस और दिल्ली पुलिस के साइबर अपराध अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने दिल्ली से दो अफ्रिकियों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने मेट्रीमोनिएल साइट के जरिए गोवा की एक महिला को 37 लाख रुपये का चूना लगाया। गोवा पुलिस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि आरोपी ने गोवा की एक महिला के समक्ष खुद को उसके प्रेमी के रूप में पेश किया। आरोपी ने उसे विदेश से उपहार भेजने और इसके लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को भुगतान करने का झांसा दिया।
बयान में कहा गया है, "पीड़िता ने साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में शिकायत कराई कि एक व्यक्ति ने मेट्रीमोनिएल साइट पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर उसे विवाह का प्रस्ताव दिया।"
बयान के अनुसार, "इसके बाद, अपराधी ने उसे यह कहकर लालच दिया कि वह विदेश में डॉक्टर के रूप में काम करता है और उसे मंहगे उपहार देना चाहता है। इसके लिए उसे कस्टम क्लीयरेंस कराना होगा। आरोपी ने उससे इसी बहाने से 37 लाख रुपये ठग लिए। "
दोनों आरोपियों की पहचान कैमरून के सुपा सेबेस्टियन और आइवरी कोस्ट के सेनेहॉउन फ्रैंक के रूप में हुई है। दोनों राष्ट्रीय राजधानी के महरौली इलाके के रहने वाले हैं। मंगलवार को साइबर क्राइम और साउथ दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने दोनों को गिरफ्तार किया।
बयान में कहा गया है, "दोनों को फर्जी पहचान पर जारी किए गए कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड और 650 लोगों के डेटाबेस के साथ गिरफ्तार किया गया। आगे की जांच चल रही है।" (आईएएनएस)
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में नौकरी से बर्खास्त किए गए हजारों शिक्षक बीते 37 दिनों से धरने पर बैठे हैं. इस दौरान इनमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है और एक शिक्षिका ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-
मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने इन शिक्षकों से धरना वापस लेने की अपील की है. लेकिन शिक्षकों के वैकल्पिक रोजगार का इंतजाम नहीं होने तक धरना खत्म नहीं करने की जिद के चलते इस मुद्दे पर गतिरोध जस का तस है. शिक्षकों के साथ उनके घरों के बच्चे और महिलाएं भी कड़ाके की सर्दी में धरने पर हैं. राज्य की पूर्व लेफ्टफ्रंट सरकार की कथित गलत नियुक्ति प्रक्रिया के तहत नियुक्त 10,323 शिक्षकों को लंबी अदालती लड़ाई के बाद बर्खास्त कर दिया गया है.
दरअसल, 2010 और 2014 में तत्कालीन लेफ्टफ्रंट सरकार ने संशोधित रोजगार नीति के तहत इन शिक्षकों की नियुक्ति की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट का फैसला बहाल रखा था. लेकिन उसने एडहॉक आधार पर मार्च 2020 तक इन शिक्षकों से काम कराने की अनुमति दी थी. अब उसके बाद तमाम शिक्षक बेरोजगार हो चुके हैं. इसलिए राज्य की बीजेपी सरकार ने अब शीर्ष अदालत से इन लोगों को चपरासी के पद पर नियुक्त करने की अनुमति मांगी है.
इन शिक्षकों की नियुक्ति महज मौखिक इंटरव्यू के जरिए की गई थी. लेकिन सात मई 2014 को त्रिपुरा हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था. उसके बाद 29 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसी साल 31 दिसंबर को कहा था कि आगे से तमाम ऐसी नियुक्तियां नई नीति बना कर की जाएं.
अदालती निर्देश के बाद सरकार ने 2017 में एक नई नीति बनाई और बर्खास्त शिक्षकों को तदर्थ आधार पर बनाए रखा. उसकी दलील थी कि राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है. उसके बाद नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त शिक्षकों को तदर्थ आधार पर 31 मार्च 2020 तक काम करने की अनुमति दे दी थी. अदालती आदेश के बाद सरकार ने बर्खास्त शिक्षकों को दूसरे पदों पर नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा और 1200 पदों पर नियुक्तियां भी हो गईं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अदालत की अवमानना का नोटिस भेज दिया. उसके बाद ऐसी नियुक्तियां रोक दी गईं. मार्च 2020 में इन सबकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं.
धरने पर बैठे तीन शिक्षकों की मौत के शोक में कुछ अन्य शिक्षकों ने अपना सर मुंडवाया
अब तक 81 लोगों की मौत
शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाली ज्वायंट मूवमेंट कमिटी के नेता सत्यजित दे बताते हैं, "बर्खास्त शिक्षकों में अब तक 81 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बीते शनिवार को मानसिक अवसाद से पीड़ित रूमी दे नामक शिक्षिका ने आत्महत्या कर ली. इससे पहले दो जनवरी को दक्षिण त्रिपुरा जिले में 32 साल के उत्तम त्रिपुरा ने भी आत्महत्या कर ली थी.' एक शिक्षक गौतम देबबर्मा कहते हैं, "अब जल्दी ही स्कूल-कॉलेज खुलने वाले हैं. शिक्षकों की कमी का पठन-पाठन पर बेहद प्रतिकूल असर होगा.'
राज्य मंत्रिमंडल ने बीते साल सितंबर में एक नई नीति का अनुमोदन किया था जिसके तहत इन बर्खास्त शिक्षकों में से 9,686 लोग गैर-तकनीकी ग्रुप सी के 9,700 खाली पदों के लिए आवेदन कर सकते थे. इनके मामले में 31 मार्च 2023 तक उम्र के मामले में रियायत देने का भी फैसला किया गया था.
लेकिन शिक्षकों ने दूसरे विभागों में खाली पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. इन पदों पर नियुक्ति की अधिसूचना जारी की जा चुकी है.
शिक्षकों के हितों के खिलाफ
शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ मौजूदा समस्या के लिए राज्य की पूर्व लेफ्टफ्रंट सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. वे कहते हैं, "सरकार इंटरव्यू और दूसरी औपचारिकताओं के बिना किसी को नौकरी नहीं दे सकती. सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षकों को सरकारी नौकरियों के लिए तय उम्र सीमा में छूट दे दी है. इन लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिए.'
दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री और अब विधानसभा में विपक्ष के नेता मानिक सरकार कहते हैं, "त्रिपुरा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की ओर से इन शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द होने के बाद तत्कालीन लेफ्टफ्रंट सरकार ने इन सबको वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने के लिए 13 हजार पदों का सृजन किया था. 2018 के चुनावों के दौरान बीजेपी ने सत्ता में आने पर इन पदों पर नियुक्त शिक्षकों की नौकरी नियमित करने का वादा किया था. लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया.
ज्वायंट मूवमेंट कमिटी की संयुक्त संयोजक डालिया दास कहती हैं, "सरकार का प्रस्ताव शिक्षकों के हितों के खिलाफ है. कई शिक्षक सात से दल साल पढ़ा चुके हैं. अब वे दूसरा काम नहीं कर सकते.' उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने बीते साल तीन अक्टूबर को दो महीने के भीतर शिक्षकों की समस्याओं के स्थाई समाधान का वादा किया था, "लेकिन दो महीने से ज्यादा समय तक इंतजार के बाद हमने सात दिसंबर से धरना शुरू किया. अब तक सरकार ने चुप्पी साध रखी है."
उधर, शिक्षा मंत्री की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की वजह से सरकार के हाथ बंधे हुए हैं. वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकती. नाथ कहते हैं, "हमें इन शिक्षकों से पूरी सहानुभूति है. लेकिन सरकारी नौकरियों के लिए उनको इंटरव्यू में शामिल होना पड़ेगा.'
दोनों पक्षों की दलीलों और कानूनी पेचीदगियों से साफ है कि इस गतिरोध के शीघ्र खत्म होने के आसार कम ही हैं. (dw.com)
रांची, 12 जनवरी| झारखंड पुलिस ने चांदवे गांव में एक महिला का कटा सिर बरामद किया है, जिसका 9 दिन पहले नग्न अवस्था में शव बरामद किया गया था। इसकी जानकारी मंगलवार को अधिकारियों ने दी। पुलिस के अनुसार, महिला का सिर उसके पूर्व पति आरोपी शेख बिलाल के उपजाऊ जमीन में दफना हुआ पाया गया।
3 जनवरी को झारखंड के रांची जिले के ओरमांझी से एक महिला का नग्न अवस्था में शव बरामद किया गया था। अगले दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा हमला किया गया था। बदमाश एक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे, जो महिला के शरीर की बरामदगी के बाद किशोरगंज चौक पर विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने घटना के पीछे दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
रांची पुलिस ने सोमवार को आरोपी की तस्वीर जारी की।
पुलिस ने कहा कि बेलाल एक साल पहले जेल गया था।
इस सनसनीखेज मामले ने प्रदेश में तहलका मचा दिया था। सत्तारूढ़ झामुमो ने भाजपा पर सीएम के काफिले पर हमले का आरोप लगाया था। बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर भगवा पार्टी सोरेन सरकार पर निशाना साध रही है। (आईएएनएस)
अमरावती, 12 जनवरी | हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि स्वस्थ जीवन के लिए कोरोनोवायरस वैक्सीन देश के सभी लोगों तक पहुंचेगा। दत्तात्रेय वर्तमान में आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं। दत्तात्रेय ने कहा, "हम कोरोनोवायरस पर जीत हासिल करेंगे। यह एक शानदार पहल है। इस टीके, कोवैक्सिन को देश के सभी लोगों तक पहुंचना चाहिए और हर किसी को स्वस्थ होना चाहिए।"
उन्होंने राजभवन में आंध्र प्रदेश के अपने समकक्ष बिस्वा भूषण हरिचंदन से मुलाकात की।
दोनों राज्यपालों ने अपने-अपने राज्यों द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे विभिन्न विकास कार्यक्रमों पर चर्चा की।
आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 जनवरी | भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। सेना प्रमुख नरवणे ने भारतीय सेना की वार्षिक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि "पाकिस्तान आतंकवाद को लगातार बढ़ावा दे रहा है, लेकिन उसे स्पष्ट संदेश दिया गया है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पलटवार का हमारा अधिकार सुरक्षित है। इसकी जगह और समय हम तय करेंगे। हमारा वार अचूक होगा।"
उन्होंने कहा कि भारत में आतंक के प्रति शून्य-सहिष्णुता है।
सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन की जुगलबंदी हमारे लिए बड़ा खतरा पैदा करती है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उत्तर की सीमाओं पर हम पूरी तरह चौकस हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य और गैर-सैन्य दोनों क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है। जनरल नरवणे ने जोर देकर कहा कि भारत दोनों ही खतरों से मजबूती से निपटने के लिए तैयार है।
जम्मू एवं कश्मीर में स्थानीय भर्तियों के बारे में बात करते हुए, सेना प्रमुख ने कहा कि कश्मीर में विभिन्न आतंकवादी समूहों में भर्तियां अभी भी हो रही हैं।
जनरल नरवणे ने कहा, "हम घाटी में सफल काउंटर टेरर ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं, लेकिन साथ ही आतंकी समूहों में भर्तियां भी हो रही हैं। हम हमेशा कोशिश करते हैं कि हम कैसे ऐसी भर्तियों को रोक सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि स्थानीय भर्ती को रोकने के लिए, भारतीय सेना विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम चला रही है, जहां सुरक्षा बल उन युवाओं से मिलने की कोशिश करते हैं, जो आतंकी समूहों के जाल में फंस जाते हैं।
जनरल नरवने ने कहा, "यह एक निरंतर प्रयास है, जो हम कर रहे हैं। इस तरह के प्रयासों के कारण हर साल भर्तियों में थोड़ी कमी होती है। यह ऊपर और नीचे जाती रहती है।"(आईएएनएस)
गांधीनगर, 12 जनवरी | कोविड -19 वैक्सीन की 2,76,000 खुराक का पहला बैच मंगलवार को अहमदाबाद के सरदार पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचा। वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) पुणे से लाया गया। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कोविशील्ड वैक्सीन के पहले बैच की आगवानी की। जिन्होंने गांधीनगर, भावनगर और अहमदाबाद में विभिन्न भंडारण डिपो के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जहां 16 जनवरी से टीकाकरण का पहला चरण शुरू होने तक खुराक सुरक्षित रखा जाएगा। इस दौरान हवाईअड्डे पर गृह राज्य मंत्री (एमओएस) प्रदीपसिंह जडेजा भी मौजूद थे।
पटेल ने मीडियाकर्मियों को कहा, "हमें 23 बक्से मिले हैं, जिनमें से प्रत्येक में वैक्सीन की 12,000 खुराक हैं। इनमें से आठ को गांधीनगर में राज्य के वैक्सीन स्टोर, 10 को अहमदाबाद के रिजनल वैक्सीन स्टोर और पांच को विशेष रूप से ट्रांसपोर्टेशन के लिए बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के जरिए भावनगर जोन में भेजा जाएगा।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 जनवरी | हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश में भी पोल्ट्री में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। केंद्रीय पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी मंत्रालय से मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से प्राप्त पोल्ट्री के सैंपल में भी एवियन इन्फ्लूएन्जा यानी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इससे पहले मंत्रालय की ओर से पोल्ट्री में हरियाणा के पंचकूला और महाराष्ट्र के परभणी जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि की जा चुकी है। पोल्ट्री-बत्तख में सबसे पहले केरल में इसकी पुष्टि हुई थी।
मंत्रालय द्वारा दी गई ताजा जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित नेशनल इंस्ट्रीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज ने झाबुआ से प्राप्त पोल्ट्री के सैंपल में बर्ड फ्लू की पुष्टि की है।
मंत्रालय ने बताया कि 12 जनवरी तक एवियन इन्फ्लूएन्जा (एच-5 एन-8) की पुष्टि राजस्थान के झूंझनू जिला स्थित एचसीएल खेत्री नगर में मृत कौवों भी हो चुकी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कानपुर जैव उद्यान में बड़े बत्तख (पेलकन) में और कोवों में एवियन इन्फ्लूएन्जा (एच-5 एन-1) के मामलों की पुष्टि हुई है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित जगनोली और फतेहपुर गावों में मृत कौवों में भी बर्ड फ्लू पाया गया है।
पशुपालन और डेयरी विभाग ने सभी राज्यों को जांच के प्रोटोकॉल जारी किए हैं और उन्हें राज्य स्तर पर उपयुक्त जैव सुरक्षा केंद्र में जांच करवाने को प्रोत्साहित किया है। महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद महाराष्ट्र और गुजरात में इसके प्रकोप की निगरानी के लिए टीम तैनात की गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 जनवरी | 'कोविशिल्ड' वैक्सीन की लगभग 2.5 लाख खुराक वाली एक खेप मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के आईजीआई हवाईअड्डे पर उतरी है और इसे दिल्ली के एकमात्र वैक्सीन भंडारण सुविधा राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (आरजीएसएसएच) तक पहुंचाया जाएगा। अधिकारियों ने आईएएनएस को यह जानकारी दी। यह कोविशिल्ड वैक्सीन की पहली खेप है जो मंगलवार सुबह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआईए) पर पहुंची। पुणे से दिल्ली तक आने वाली इस खेप में 34 बक्से हैं और इसका वजन 1,088 किलोग्राम है। इन खुराकों को भारी सुरक्षा के साथ एक विशेष वाहन से आरजीएसएसएच ले जाया जाएगा।
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आरजीएसएसएच राष्ट्रीय राजधानी में प्रमुख कोविड-19 सुविधाओं में से एक है। अस्पताल ने टीकों के भंडारण के लिए मजबूत तैयारी की है, जिसका उपयोग अन्य प्राथमिकता समूहों के टीकाकरण से पहले दिल्ली में लगभग 3 लाख हेल्थ वर्कर्स को टीका लगाने के लिए किया जाएगा।
अधिकारियों ने जानकारी दी कि परिसर के तीन मंजिला इमारत में अपेक्षाकृत एकांत कोने में स्थित 4,700 वर्ग फीट के क्षेत्र में टीके को संग्रहित किया जाएगा। खुराक के आगमन से पहले, दिल्ली सरकार के परिवार कल्याण निदेशालय ने इस प्रतिष्ठान को अपने अधीन में ले लिया और इसमें सार्वजनिक प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया।
अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि अस्पताल के कर्मचारियों को भी सरकार की अनुमति के बिना भवन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों ने कहा कि टीकों को भवन के ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर संग्रहित किया जाएगा, जबकि थर्ड फ्लोर का उपयोग टीकाकरण के दौरान आवश्यक सीरिंज और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं को रखने के लिए किया जाएगा।
टीके को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान मेंरखने के लिए 90 डीप फ्रीजर को रखा गया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 जनवरी | किसान नेताओं ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों को निलंबित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि वे तब तक विरोध स्थल नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि तीनों कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मीडिया से बात करते हुए, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, हमारा विरोध जारी रहेगा। हम मांग कर रहे हैं कि सरकार तीनों कानूनों को निरस्त करे और हमारी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी के लिए एक कानून भी बनाए।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों का विरोध जारी रहेगा, चाहे जितने दिन लगें।
टिकैत ने यह भी कहा कि वह दूसरे किसान नेताओं के साथ तीन कृषि कानूनों को होल्ड पर रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चर्चा करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या किसान शीर्ष न्यायालय द्वारा गठित पैनल में भाग लेंगे, इस पर टिकैत ने कहा, हम किसानों की मुख्य समिति में इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और हम 15 जनवरी को होने वाली सरकार के साथ बैठक के लिए भी जाएंगे।
26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा, गणतंत्र दिवस की परेड योजना के अनुसार होगी।
टिकैत की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के तुरंत बाद सामने आई है। शीर्ष अदालत ने एक समिति बनाने को कहा है, जिसमें ज्यादातर किसान शामिल होंगे, जो कानूनों के खिलाफ किसान यूनियनों की शिकायतों को सुनेंगे।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को अगले आदेश तक स्थगित करने जा रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बी. एस. मान को समिति में शामिल किया है, जो नए कृषि कानूनों के संबंध में किसानों के मुद्दों को सुनेंगे।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस के आवेदन पर नोटिस भी जारी किया, जिसमें किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने से रोकने की मांग की गई है।
एक किसान नेता जसप्रीत सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए कहा, हम इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। किसान पिछले चार महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, कम से कम 70 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले 48 दिनों से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की कई सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले सरकार के साथ किसानों की बातचीत के आठ दौर अनिर्णायक रहे हैं। सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता 15 जनवरी को होनी है। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 12 जनवरी | मध्य प्रदेश की आधी आबादी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खास नजर है और इस वर्ग के लिए नई योजनाओं की शुरुआत के साथ उनके मान, सम्मान और सुरक्षा का भरोसा दिलाकर मुख्यमंत्री इस वर्ग के बीच अपनी पैठ को और मजबूत बनाना चाह रहे हैं।
मुख्यमंत्री चौहान के हाथों में चौथी बार राज्य की कमान है। बीते तीन कार्यकाल में चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान विवाह योजना, साइकिल योजना जैसी अनेक योजनाओं को अमली जामा पहनाया था, वहीं नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया। यही कारण रहा कि उनकी पहचान राज्य की लड़़कियों के बीच मामा और महिलाओं के बीच भाई की छवि बन गई थी। इसकी ब्रांडिंग में तत्कालीन सरकार भी पीछे नहीं रही थी।
चौथी बार सत्ता में आने के बाद चौहान पिछले कार्यकाल में बनाई गई योजनाओं से आगे निकलकर आधी आबादी को नए तरीके से लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चौहान ने काम की तलाश में जाने वाली बालिकाओं के पंजीयन की व्यवस्था किए जाने के संकेत दिए हैं। इसके लिए वे अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। इसकी वजह यह है कि राज्य के विभिन्न स्थानों से युवतियां काम की तलाश में बाहर जाती हैं और उनमें से बड़ी संख्या में युवतियां वापस ही नहीं लौटतीं।
एक तरफ जहां बालिकाओं के गायब होने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए महिला जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं की रक्षा के लिए जिन लोगों ने रक्षक की भूमिका निभाई, उनके लिए सरकार ने सम्मान अभियान शुरू किया है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री चौहान अब हर क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा, रक्षा और सम्मान के लिए खड़े होते नजर आना चाहते हैं।
चौहान ने राज्य की चौथी बार सत्ता मार्च 2020 में संभाली थी। उसके बाद अप्रैल से 31 दिसंबर तक के आंकडे जारी कर सरकार की ओर से दावा किया गया है कि अप्रैल-2019 से दिसम्बर-2019 तक की अवधि की तुलना में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में उल्लेखनीय कमी आई है। इस तरह तुलनात्मक अवधि में 15.2 प्रतिशत महिला अपराधों में कमी आई है। अप्रैल 2019 से दिसम्बर-2019 के नौ माह की अवधि में कुल 24 हजार 187 मामले दर्ज किये गये, जबकि अप्रैल-2020 से दिसम्बर-2020 के नौ माह की अवधि में महिला अपराधों के 20 हजार 522 मामले ही दर्ज हुए।
एक तरफ जहां चौहान महिला सुरक्षा और सम्मान के लिए पहल कर रहे हैं, वहीं उन्होंने शादी के लिए बालिका की आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की पैरवी की है। चौहान की इस पैरवी ने नई बहस को जन्म दे दिया है।
वहीं युवती राजेश्वरी देवी का कहना है कि, "यह पहल अच्छी है क्योंकि जब 18 साल की आयु थी तब नौकरी आदि जल्दी मिल जाया करती थी और बहुसंख्यक लडकियां परिजनों की बात मानकर शादी कर लेती थीं, मगर अब युवतियों के नौकरी की तलाश में कई साल गुजर जाते हैं। इतना ही नहीं युवतियां अपने फैसले भी खुद करने लगी हैं, इसलिए अगर शादी की उम्र बढ़ाई जाती है तो अच्छा होगा।"
वहीं मुख्यमंत्री चौहान की घोषणाओं पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। प्रवक्ता दुर्गेष शर्मा का कहना है कि, "चौहान ने अपने पिछले कार्यकालों में हजारों घोषणाएं की थी, जो पूरी नहीं हुई, अब बीते नौ माह में भी सैकड़ों घोषणाएं किए जा रहे है। चौहान का भरोसा सिर्फ घोषणाएं करने में है, उन्हें पूरा करने में नहीं। राज्य में महिलाओं और बेटियों में असुरक्षा का भाव बढ़ा है, क्योंकि अपराध बढ़े है। "
राजनीति के जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री चौहान आधी आबादी के बीच अपनी पैठ बनाए रखना चाहते हैं, यही कारण है कि पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार द्वारा महिला उत्थान के लिए बनाई गई योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाते आए हैं। चौहान एक तरफ जहां पुरानी योजनाओं को शुरू करने का दावा कर रहे हैं, तो वहीं नए कदम बढ़ा रहे है इसका मकसद महिलाओं में गहरी पैठ बढ़ाना है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 12 जनवरी | भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी को तमिलनाडु में होंगे और पोंगल उत्सव में शामिल होंगे। नड्डा यहां तमिलनाडु भाजपा इकाई द्वारा आयोजित 'नम्मा ऊरु पोंगल विज्हा' (हमारा शहर पोंगल उत्सव) में भाग लेंगे।
नड्डा तमिलनाडु के पोंगल पर आयोजित खेल स्पर्धाओं और पारंपरिक कलाओं को देखेंगे, बैलगाड़ी की सवारी करेंगे और अंत में भाषण भी देंगे।
नड्डा उस दिन तमिल पत्रिका 'तुगलक' के वार्षिक समारोह में भी भाग लेंगे।
दूसरी ओर, कांग्रेस की राज्य इकाई ने कहा कि राहुल गांधी मदुरै में पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू में हिस्सा लेंगे।
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) के अनुसार, राहुल गांधी 14 जनवरी को जल्लीकट्टू का खेल देखेंगे। इसी दिन राज्य में फसल उत्सव पोंगल मनाया जाता है।
गांधी की तमिलनाडु यात्रा के लिए टैग लाइन 'राहुलिन तमीज वनक्कम' होगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 जनवरी | केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आई-टी रिटर्न दाखिल करने के लिए नियत तारीखों के और विस्तार की प्रतीक्षा कर रहे सभी करदाताओं की उम्मीदों को धराशायी करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में 'अनिश्चितकाल' देरी नहीं की जा सकती। इससे कर विभाग की कार्यप्रणाली और सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस निर्णय का अर्थ है कि व्यक्तिगत करदाता जो रिटर्न भरने के लिए 10 जनवरी की समय सीमा से चूक गए हैं, उन्हें अब इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जुर्माना देना पड़ सकता है। इसी तरह, जिन करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने से पहले ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करनी होगी, उन्हें 15 जनवरी तक ऐसा करना होगा और 15 फरवरी तक अपना रिटर्न दाखिल करना होगा।
आयकर विभाग ने रिटर्न भरने की तारीखों को आगे बढ़ाने के लिए कई अभ्यावेदन(रिप्रेजेंटेशन) प्राप्त किए थे, क्योंकि महामारी की वजह से व्यवधान के कारण समस्याएं पैदा हो रही थीं। यह सुझाव था कि सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए तारीखों को बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया जाए।
बोर्ड ने यह भी कहा कि भारत अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक उदार रहा है।
इसके अलावा, इस साल दाखिल किए गए रिटर्न के आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि संख्या पिछले साल की तुलना में अधिक है। 2019-20 में, नियत तिथि तक लगभग 5.62 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए थे और इस वर्ष (2020-21) 10 जनवरी तक पहले से ही 5.95 आईटीआर दायर किए गए हैं।
सीबीडीटी ने अपने आदेश में कहा कि आगे कोई भी विस्तार रिटर्न फाइलिंग अनुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और उन लोगों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने नियत समय से पहले रिटर्न फाइल करने के लिए कष्ट सहे हैं।
कार्यालय के आदेश में कहा गया है कि समयसीमा विस्तार करने से कोविड के समय में गरीबों को राहत देने के सरकार के प्रयासों में भी बाधा आएगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के लागू करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर लंबी बहस चली. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने सरकार से ये भी पूछा कि क्या कोई प्रतिबंधित संगठन भी किसानों के प्रदर्शन और ट्रैक्टर रैली में भाग लेने वाले हैं. इस सवाल के जवाब में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि वो इस बारे में बुधवार को जवाब देंगे. बता दें कि किसान संगठन 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालना चाहते हैं. लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगाने की मांग की है.
अटॉर्नी जनरल ने CJI के सवाल के जवाब में कहा कि कुछ खालिस्तानी संगठन के होने की बात कही जा रही है. लेकिन सरकार इस बारे में आईबी रिपोर्ट बुधवार को कोर्ट में जमा करेगी. उन्होंने ये भी कहा कि प्रोटेस्ट को दिल्ली में लाने की बात कही जा रही है. वे लोग कहां आएंगे, कहां जाएंगे और कहा रहेंगे, हम नहीं बता सकते. बाद में सीजीआई ने कहा कि ये पुलिस का अधिकार होगा कि वो प्रोटेस्ट की इजाज़त किस तरह से देते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रैक्टर रैली को लेकर किसान संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सरकार ने रैली पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. किसान 26 जनवरी को रैली दिल्ली में लाना चाहते हैं. सरकार का कहना है कि इससे गणत्रंत दिवस समारोह में दिक्कतें आएंगी. केंद्र सरकार ने सोमवार देर रात इस मामले को लेकर हलफनामा दाखिल किया है. किसानों ने कृषि कानूनों को लेकर अपनी मांगें न मानी जाने की सूरत में 26 जनवरी को दिल्ली में विशाल ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है. किसानों का दावा है कि इस रैली में कम से कम 20 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे.
नए कानून पर फिलहाल रोक
सुप्रीम कोर्ट ने किसान और सरकार के बीच समाधान निकालने के लिए 4 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है. इसमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत शामिल हैं. सुनवाई के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब चर्चा करेंगे, उसके बाद ही कुछ फैसला लेंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी.
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चेन्नई, 12 जनवरी | शतरंज की वैश्विक नियामक संस्था-फिडे ने अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के नए चयनित अधिकारियों को अपनी मान्यता दे दी है। फिडे ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एआईसीएफ के नए अधिकारियों का नाम अपलोड कर दिया है। उल्लेखनीय है कि भरत सिंह चौहान की खेमे वाली टीम ने बीते महीने एआईसीएफ के चुनावों में एकतरफा जीत हासिल की। चौहान की खेमे वाली टीम ने पूर्व अध्यक्ष पी.आर. वेंकटरामा राजा के खेमे को हराया।
अंतिम परिणाम के अनुसार, संजय कपूर एआईसीएफ के अध्यक्ष चुने गए जबकि चौहान को सचिव और नरेश शर्मा को कोषाध्यक्ष घोषित किया गया।
अब फिडे ने अपनी वेबसाइट पर संजय कपूर, सचिव चौहान और कोषाध्यक्ष शर्मा की तस्वीर के साथ उनके बारे में विस्तृत जानकारी मुहैया कराई है।
चुनावों में अनंता डीपी भावेश पटेल, विप्नेश भारद्वाज, अजय अजमेरा, पीसी लालियांगथांगा और इआर नियापुंग कोनिया उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए।
वहीं, राजेश आर, महेंद्र ढकाल, अतुल कुमार, मुगाहो अवामी, दिलजीत खन्ना और अतनु लाहिड़ी नवनिर्वाचित संयुक्त सचिव हैं।
मद्रास उच्च न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, निर्वाचन अधिकारी के कन्नन के अनुसार, परिणामों की घोषणा पर नजर रखने के लिए कोई पर्यवेक्षक नहीं था क्योंकि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि प्रक्रिया के बावजूद इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए थे। उसकी उपस्थिति के लिए चुनाव पोर्टल में एक विंडो उपलब्ध कराई गई।
चुने गए नए पदाधिकारी 2023 तक अपने पद पर बने रहेंगे। (आईएएनएस)