राष्ट्रीय
कई साल तक सूखे के कारण नुकसान उठाने वाले महाराष्ट्र के किसान अब अच्छी फसल ले रहे हैं. वे खेती के नए तरीके अपना रहे हैं. बहुत से किसान कहते हैं कि सरकार का मुंह ताकने की बजाय उन्होंने चीजें अपने हाथ में लेना बेहतर समझा.
डॉयचे वैले पर मुरली कृष्णन का लिखा-
पश्चिमी महाराष्ट्र के गंगापुर गांव के 26 वर्षीय किसान कृष्ण नरोडे जब अपने खेतों को देखते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है. उन्होंने चार एकड़ जमीन पर पपीते, गन्ने, गेहूं और अदरक समेत कई फसलें लगाई हैं. कुछ ही महीनों में फसल काटने का समय आएगा. नरोडे को उम्मीद है कि खेती बाड़ी के जो प्राकृतिक तरीके उन्होंने अपनाए, उनका पूरा फायदा मिलेगा. उन्होंने डीडब्ल्यू को बातचीत में बताया, "उम्मीद है कि इस साल में फसल से लगभग छह लाख रुपये की आमदनी होगी. 2016 में इतनी कम आमदनी हुई थी कि मैंने खेती को छोड़ने का मन बना लिया था."
इससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मंगला मारुती वाघमारे रहती हैं. वह भी किसान हैं. उन्हें भी इस साल सहजन, शरीफा और आम की फसल से अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है. उन्होंने डीडब्ल्यू से बाचतीत में कहा, "मेरे फल बहुत स्वादिष्ट हैं और बाजार के दाम से दोगुने पर बिकेंगे. अलग अलग फसलें उगाने की तकनीक से उन किसानों को फायदा हो रहा है जो खेती के तरीकों को बदलना चाहते हैं."
लातूर मराठवाड़ा क्षेत्र के बड़े जिलों में शामिल है. वहीं कई साल से सूखे की स्थिति है. एक समय यह इलाका पानी की किल्लत और उसकी वजह से होने वाली किसानों की आत्महत्याओं के लिए खासा बदनाम था. पांच साल पहले अधिकारियों को यहां पानी की आपूर्ति करने के लिए विशेष ट्रेनें भेजनी पड़ी. पानी का वितरण ठीक से हो, इसके लिए पुलिस को तैनात करना पड़ा.
बड़े बदलाव
कृषि विज्ञानी महादेव गोमारे के नेतृत्व में यहां हालात बदलने के लिए कुछ साल पहले एक पहल शुरू हुई. इसमें किसानों को साथ लिया गया. उन्होंने 143 किलोमीटर लंबी मंजारा नदी और उसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवित किया. यह इस इलाके के 900 गांवों के लगभग पांच लाख लोगों के पानी का मुख्य स्रोत है.
नदी से लगभग नौ लाख घन मीटर गाद निकालकर इसे नया जीवन दिया गया. इस गाद को खेतों में जमीन को समतल करने के लिए इस्तेमाल किया गया. गोमारे ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक बार जब नदियां पुनर्जीवित हो गई, तो इससे पानी की उपलब्धता बढ़ गई. इसके अलावा इलाके की जैवविविधता और इकॉलोजी को सुधारने के लिए कई पहलें शुरू की गईं."
इस काम में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन संस्था की भी मदद ली गई. इसका इलाके के किसानों को बहुत फायदा हुआ है. किसान धीरे-धीरे खेती के प्राकृतिक तरीकों की तरफ बढ़े. उन्होंने ऐसी फसले उगाने पर ध्यान केंद्रित किया जो जलवायु परिवर्तन का सामना असरदार तरीके से कर सकती हैं. वृक्षारोपण किया और पहले से मौजूद जंगलों की भी देखभाल की.
पानी की उपलब्धता बढ़ने से पूरे गांव के ईकोसिस्टम पर बहुत अच्छा असर हुआ. किसानों की जिंदगी में बड़े बदलाव हुए. एक किसान काका सेहब सिंडी कहते हैं, "समय लगा, लेकिन हमारी मेहनत का फल हमें मिला. अब हमें ज्यादातर किसानों के चेहरे पर मुस्कान दिखती है."
लातूर के किसान प्राकृतिक तरीकों से खेती कर रहे हैं
अपनी किस्मत अपने हाथ
भारत में खेती की कुल जमीन का 86 फीसदी हिस्सा छोटे और मझौले किसानों के पास है. इनमें वे लोग शामिल हैं जिनके पास खेती की जमीन दो हेक्टेयर से कम है. ऐसे में गांव देहात में खेती बाड़ी की नई तकनीकें पहुंचाना और किसानों बाजार से जोड़ना एक बड़ी चुनौती है. किसान पांडुगंगाधर कहते हैं, "देश भर के किसान खुश नहीं हैं क्योंकि उनकी आमदनी घट रही है. यही बात उनके विरोध प्रदर्शन में दिखती है. हम अच्छी तरह समझते हैं कि पंजाब किसान क्यों न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लड़ रहे हैं."
अनाज उगाने वाले अंबालेशन काशीनाथ कहते हैं, "हमें पता है कि दिल्ली के बाहर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हमने अपनी तकदीर अपने हाथ में लेने का फैसला किया."
इस इलाके में प्राकृतिक तरीके से खेती करने की वजह से ना सिर्फ किसानों का उत्पादन भी बढ़ा है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निटपने के लिए भी वे खुद को तैयार कर रहे हैं. (dw.com)
आकांक्षा खजुरिया
नई दिल्ली, 22 जनवरी | वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने शुक्रवार सुबह दिल्ली और मुंबई सहित देश के 22 शहरों में कोवैक्सिन की 25 लाख से अधिक की दूसरी खेप की आपूर्ति शुरू करने के साथ ही महामारी के खिलाफ अपनी गति को बढ़ा दिया है।
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक का कोवैक्सिन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशिल्ड वैक्सीन के साथ कोविड-19 के खिलाफ सरकार के सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा हैं। टीकाकरण कार्यक्रम 16 जनवरी को शुरू हुआ था।
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, "कोवैक्सीन की दूसरी शिपमेंट 22 स्थानों पर भेजी जा रही है। आज शाम या शनिवार तक ट्रांसपोर्टेशन पूरा हो जाएगा।" इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन की पहली उड़ान शुक्रवार सुबह को हुई।
वैक्सीन डिस्पैच डिटेल्स के अनुसार, 1,28,343 शीशियों में वैक्सीन की 25,66,860 खुराकें दी जाएंगी। प्रत्येक 10 मिलीलीटर की शीशी में 20 खुराक होती हैं। उन्हें हैदराबाद से चेन्नई, करनाल, कोलकाता और मुंबई के सरकारी मेडिकल स्टोर डिपो में भेजा जाएगा।
भारत का स्वदेशी टीका आंध्र प्रदेश, कुरुक्षेत्र, पटना, लखनऊ, गुवाहाटी, कोलकाता साल्ट लेक, जयपुर, गांधी नगर और भोपाल सहित अन्य स्थानों पर भेजा जाने वाला है।
इसके अलावा इसे दिल्ली, रायपुर, रांची, तिरुवनंतपुरम, चंडीगढ़, बेंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर और हैदराबाद में ले जाया जाएगा।
चेन्नई में लगभग 2,33,080 खुराकें भेजी जा रही हैं, इसके बाद हैदराबाद के लिए 1,56,820, जयपुर के लिए 1,52,000 और 1,50,400 से दिल्ली, पुणे, भोपाल और गांधीनगर में खुराकें भेजी जाएंगी।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू होने से तीन दिन पहले 13 जनवरी को, 2.4 लाख कोवैक्सिन खुराक की पहली खेप ग्यारह शहरों- आंध्र प्रदेश, गुवाहाटी, पटना, दिल्ली, कुरुक्षेत्र, बेंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर, जयपुर, चेन्नई, लखनऊ में भेजी गई थी।
भले ही टीका अपर्याप्त परीक्षण डेटा के कारण विवादों में आ गया हो, लेकिन इसका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल और फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। कई प्रमुख डॉक्टरों ने भी अफवाहों और हिचकिचाहट को दूर करने के लिए इसे लिया है।
कोवैक्सिन भारत का पूरी तरह से स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है, जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है।
इनएक्टीवेट वैक्सीन भारत बायोटेक के बीएसएल -3 (बायोसाफ्टी लेवल 3) बायोकॉनटेन्मेंट सुविधा में विकसित और निर्मित है। (आईएएनएस)
कांग्रेस की कार्यसमिति की शुक्रवार को बैठक हुई जिसमें कांग्रेस कार्यसमिति ने किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए खेती व किसानी के खिलाफ कुत्सित भावना से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारत के करोड़ों किसान अपने खेत एवं जमीन, जीवन व आजीविका, अपने वर्तमान एवं अपने भविष्य को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं. कंपकपाती ठंड, ओले और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं. किसान संगठनों के अनुसार मोदी सरकार के इस बर्बर खेल में अभी तक 147 किसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं.
प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी भाजपा सरकार फिर भी उनका दर्द व पीड़ा समझने तथा उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार करती है. पूरे देश में किसान व खेत मजदूर आंदोलन कर रहे हैं, रैलियां निकाल रहे हैं, भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ट्रैक्टर यात्रा कर रहे हैं और व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अत्याचारी भाजपा सरकार लाखों किसानों के रोष को खारिज कर उनको जबरन ‘राष्ट्र विरोधी' साबित करने के षडयंत्र में लगी है.
तीनों कृषि कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) का मानना है कि ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद एवं राशन प्रणाली यानि पीडीएस को खत्म करने की शुरुआत हैं। सीडब्लूसी का यह भी मानना है कि इन तीन कृषि कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया.
खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को ध्वनि मत द्वारा अप्रत्याशित तरीके से पारित कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था. अंत में इन तीनों कानूनों को लागू करने से देश का हर नागरिक प्रभावित होगा क्योंकि खाने-पीने की हर चीज की कीमत का निर्धारण मुट्ठीभर लोगों के हाथ में होगा. एक समावेशी भारत में इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता.
भारत के किसानों एवं खेत मजदूरों की केवल एक मांग है - इन तीन विवादास्पद कानूनों को खत्म किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार किसानों को बरगलाकर, बांटकर, धमकाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार, धोखा एवं छल कर रही है. भाजपा सरकार को यह अटल सच्चाई जान लेनी चाहिए कि भारत का किसान न तो झुकेगा और न ही पीछे हटेगा. कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को फौरन निरस्त करे.
सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है
इसके साथ ही प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने एवं अन्य मामलों के सनसनीखेज खुलासों की जेपीसी जांच हो. कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) देश की सुरक्षा से खिलवाड़ को उजागर करने वाली षड्यंत्रकारी बातचीत के हाल ही में हुए खुलासों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है. यह स्पष्ट है कि इसमें शामिल लोगों में मोदी सरकार में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग शामिल हैं और इस मामले में महत्वपूर्ण व संवेदनशील सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है. इस सनसनीखेज खुलासे में सरकारी मामलों की गोपनीयता तथा पूरे सरकारी ढांचे को मिलीभगत से कमजोर करने, सरकारी नीतियों पर बाहरी व अनैतिक तरीके से दबाव बनाने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कुत्सित हमले के अक्षम्य अपराधों की जानकारी प्रथम दृष्टि से सामने आई है. इससे मोदी सरकार एवं सरकार से बाहर बैठे मित्रों के बीच एक षडयंत्रकारी साजिश तथा निंदनीय गठबंधन का पर्दाफाश हुआ है.
सुराक्षा से हो रहा खिलवाड़
चौंकाने वाली बात यह है कि इन खुलासों के कई दिन बाद भी प्रधानमंत्री और केंद्रीय भाजपा सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. सच्चाई यह है कि उनकी चुप्पी, उनकी मिलीभगत, अपराध में साझेदारी एवं प्रथम दृष्टि से दोषी होने का सबूत है, लेकिन जिम्मेदारी व जवाबदेही सुनिश्चित करने की निरंतर उठ रही मांग को दबाया नहीं जा सकता. यह तूफान रुकेगा नहीं और हम देश की सुरक्षा को खतरे में डालने एवं विरोधियों की मदद करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार से जवाब मांगते रहेंगे. कांग्रेस कार्यसमिति देश की सुरक्षा से खिलवाड़, ऑफिशियल सीक्रेट्स अधिनियम के उल्लंघन एवं उच्चतम पदों पर बैठे इसमें शामिल लोगों की भूमिका की तय समय सीमा में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग करती है. अंत में, जो लोग राजद्रोह के दोषी हैं, उन्हें कानून के सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
-शैलेन्द्र सिंह नेगी
नैनीताल. नैनीताल में एक रिसर्च स्कॉलर का अजीब-ओ-गरीब कारनामा सामने आया है. ये ऐसा कारनामा था जिससे महिलाएं रोजाना अजीब सी परेशानी में फंस जाती थीं. उनका महीने का बजट भी गड़बड़ा रहा था. दरअसल ये रिसर्च स्कॉलर महिलाओं द्वारा धूप में सुखाने के लिए डाले गए उनके अंडर गारमेंट्स चोरी कर लेता था. महिलाएं खासी परेशान थीं क्योंकि उन्हें आए दिन नए अंडर गारमेंट्स खरीदने पड़ते थे.
दरअसल, फांसी गधेरे में सरकारी स्टाफ क्वाटर बने हैं. यहां कर्मचारी अपने परिवारों के साथ रहते हैं. यहीं ये कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डीएसबी कैंपस और अन्य डिपार्टमेंट्स के लिए रास्ता है. आम लोगों के साथ ही स्टूडेंट गुजरते रहते हैं. स्टाफ क्वाटर में रहने वाली महिलाएं कई महीनों से परेशान थीं क्योंकि जो भी अंडर गारमेंट्स को धोने के बाद सुखाने के लिए डालती थी, वो गायब हो जाते थे. यह बात महिलाओं के बीच चर्चा का विषय बन गई.
ऐसे पकड़ में आया रिसर्च स्कॉलर
महिलाओं ने तल्लीताल पुलिस थाने में इसकी शिकायत की. पुलिस ने महिलाओं की शिकायत को गंभीरता से लिया. एसओ तल्लीताल विजय मेहता अपनी टीम के साथ स्टाफ क्वार्टर में नजर रखे हुए थे, तभी एक स्मार्ट का लड़का वहां पहुंचा. उसने पहले इधर-उधर देखा और फिर किसी को करीब न देख तार में लटके अंडर गारमेंट्स बैग में रखने लगा. पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और थाने ले आई.
पूछताछ में पता चला कि ये लड़का कुमाऊं यूनिवर्सिटी के डिमार्टमेंट से रिसर्च यानी पीएचडी कर रहा है. पुलिस ने जब उससे महिलाओं के अंडरगारमेंट्स चुराने की बात पूछी तो उसने सच स्वीकार किया. उसने बताया कि उसे महिलाओं के अंडर गारमेंट्स छूना और उनकी खूशबू अच्छी लगती थी. इसलिए वो मौका देखते ही उन्हें चुरा लेता था. पुलिस ने इस रिसर्च स्कॉलर की काउंसलिंग कर धारा 151 में चालान काटा और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया.
मानसिक बीमारी ये है आदत
डॉ. युवराज पंत कहते हैं कि ये एक प्रकार का मानसिक रोग होता है. मनोविज्ञान की भाषा में इसे ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर कहते हैं. इसका मतलब है कि इस शख्स को ऐसा काम करने की आदत हो जाती है जो उसे अच्छा लगता है. ऐसे व्यवहार करने करने पर उसे बैचेनी होती है, इसलिए वो
बार-बार करते हैं और जैसे ही ये ऐसा काम कर देता है उसकी बेचैनी खत्म हो जाती है. डॉ. युवराज पंत के मुताबिक इस बीमारी का इलाज संभव है जिसके लिए फार्माकॉलोजी और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की मदद ली जाती है.
-सुशील कौशिक
ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पत्नी ने खाने में मछली नहीं बनाई तो पति हैवान बन गया. गुस्साए शख्स ने 7 महीने की गर्भवती पत्नी की पीट-पीट कर हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद मौके से आरोपी पति फरार हो गया था, जिसे बाद में पुलिस गिरफ्तार कर लिया. दिल दहला देने वाली यह घटना मोहना थाना के श्यामपुर गांव में हुई.
ग्वालियर का रहने वाला मिथुन बाल्मिकी मोहना के श्यामपुर गांव में एक फॉर्म हाउस में PIG सेंटर में काम करता है. मिथुन के साथ ही फार्म हाउस में उसकी पत्नी अनिता बाल्मिकी भी रहती थी. बीती रात मिथुन ग्वालियर आया जहां उसने शराब पी और मछली खरीदी. देर रात फार्म हाउस स्थित घर पहुंचा और पत्नी अनिता को मछली बनाने के लिए कहा. अनिता गर्भवती थी और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं थी. उन्होंने खाने में मछली नहीं बनाई तो नाराज़ मिथुन ने अनिता की लोहे की रॉड से पिटाई शुरू कर दी. वह अनीता को तब तक मारता रहा, जब तक उसकी मौत नहीं हो गयी.
आरोपी पति गिरफ्तार
घटना के बाद आरोपी मिथुन मौके से फरार हो गया. फॉर्म पर काम करने वाले लोगों ने पुलिस को इसकी खबर दी. सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक अनीता के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया. मोहना थाना के सब इंस्पेक्टर JK पाठक ने बताया कि पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी पति को दबोच लिया. पुलिस ने पति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
गर्भस्थ शिशु ने भी दम तोड़ा
आरोपी पति मिथुन की डेढ़ साल पहले अनीता से शादी हुई थी. शादी के बाद मिथुन श्यामपुर गांव के फार्म हाउस पर नौकरी करने लगा. पत्नी अनीता गर्भवती हुई तो मिथुन उसे अपने साथ फॉर्म हाउस पर ले गया. मिथुन शराब के नशे में अनीता के साथ झगड़ा करता रहता था, लेकिन बीती रात तो उसने अपनी पत्नी ही नहीं उसके पेट में पल रहे सात महीने के बच्चे की भी जान ले ली.
सौद्धृति भबानी
कोलकाता, 21 जनवरी (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रवादी आइकन और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस साल हाई-वोल्टेज चुनावी लड़ाई लड़ने वाले राजनीतिक दलों के लिए नया मुद्दा बनने वाले हैं।
केंद्र ने हर साल 23 जनवरी को बोस की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। वहीं बुधवार को, भारतीय रेलवे ने अपनी सालगिरह समारोह के आगे हावड़ा-कालका मेल का नाम बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया है।
रेल मंत्रालय ने कहा, "भारतीय रेलवे को 12311/12312 हावड़ा-कालका एक्सप्रेस का नाम नेताजी एक्सप्रेस के तौर पर घोषित करने को लेकर खुशी महसूस हो रही है, क्योंकि नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता और विकास को एक्सप्रेस मार्ग पर रखा था।"
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्वीट किया, "नेताजी के 'पराक्रम' (वीरता) ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर लाकर खड़ा किया। मैं 'नेताजी एक्सप्रेस' की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं।"
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच महत्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनाव से पहले इस बार बोस की विरासत और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
दोनों दल बोस की जयंती पर बोस के सच्चे ध्वजवाहक और बंगाली 'अस्मिता' (गौरव) को परिभाषित करने वाले सच्चे देशभक्त के रूप में उभरने के लिए बेताब हैं।
बोस के परपोते इंद्रनील मित्रा ने आईएएनएस को बताया, "यह अब एक आम बात हो गई है। हमें बहुत बुरा लगता है, क्योंकि राजनीतिक दल हर साल नेताजी के प्रति लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं। इस बार यह और भी मजेदार है, क्योंकि चुनाव करीब आ रहा है। चुनाव की गर्मी खत्म होते ही नेताजी एक बार फिर गुमनामी में डूब जाएंगे और हकीकत में कुछ नहीं होगा। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने भारत के स्वतंत्रता नायक के कद को काफी हद तक तुच्छ बनाया है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।"
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों ने विधानसभा चुनावों को हिंदू राष्ट्रवाद और बोस पर बंगाली गौरव के बीच एक लड़ाई बना दिया है, वहीं उनकी मृत्यु का रहस्य अभी भी कायम है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी द्वारा प्रायोजित एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा पहले ही कर दी है, जो बंगाल में सालभर चलने वाले कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभालेगी। कवि शंखा घोष और बोस के परिजन सुगाता बोस भी समिति के सदस्य हैं, जो वर्ष भर हर जिले में उनकी जयंती मनाएंगे।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इस अवसर पर हर जिले में बोस की तस्वीरें और मूर्तियों पर माला चढाने के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए तैयार है, उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम और फिल्म की स्क्रीनिंग होगी। पार्टी को बंगाली संस्कृति से गहराई से जुड़ा दिखाने के लिए, तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार राज्य के आदर्श व्यक्ति को सम्मान देने की कोशिश कर रही है। ममता बनर्जी 23 जनवरी को एक जनसभा को संबोधित करने वाली हैं।
राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने कहा, "वे जिस स्कूल की राजनीति कर रहे हैं, मेरा मतलब है कि भाजपा और टीएमसी दोनों, बोस की राजनीतिक विचारधारा से मेल नहीं खाते हैं। इसमें उनकी विचारधारा का कोई प्रतिबिंब नजर नहीं आ रहा है। वे इस अवसर का उपयोग बिना किसी संदर्भ के सार्वजनिक भावनाओं को अपने पक्ष में करने के लिए कर रहे हैं। यह स्वतंत्रता किंवदंती का अपमान है और हम बंगालियों को उनकी 125वीं जयंती पर नेताजी के लिए किए जाने वाली गतिविधियों पर बहुत शर्म आ रही है।"
इस बीच, भाजपा की राज्य इकाई ने 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित करने का अनुरोध किया है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तदनुसार एक कार्यक्रम तैयार करने की कोशिश कर रहा है। बोस की जयंती के अवसर पर, भगवा ब्रिगेड भी पीछे नहीं रहना चाहती है और उन्होंने राष्ट्रीय नायक को श्रद्धांजलि देने के लिए दिन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, 22 जनवरी | नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने चेन्नई से दो श्रीलंकाई तमिलों को गिरफ्तार किया है, जो एक अंतर्राष्ट्रीय ड्रग रैकेट के मुख्य संचालक थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। एनसीबी के उप निदेशक केपीएस मल्होत्रा ने आईएएनएस को बताया कि श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी के आधार पर पिछले साल नवंबर में उनके द्वारा श्रीलंका से सौ किलोग्राम हेरोइन जब्त किए गए थे। सूत्रों ने बताया कि इनकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है।
यह हेरोइन तस्करी सिंडिकेट पाकिस्तान और श्रीलंका पर आधारित है और इसका जाल अफगानिस्तान, ईरान, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया तक फैला हुआ है।
मल्होत्रा ने कहा कि गिरफ्तार किए गए आरोपी एमएमएम नवास और मोहम्मद अफनास चेन्नई में अपनी पहचान छिपाकर रहते थे, लेकिन एजेंसी किसी तरह से उन्हें धर दबोचने में कामयाब रही है।
दरअसल 26 नवंबर, 2020 को भारतीय जल सीमा क्षेत्र के करीब तूतीकोरिन बंदरगाह के पास इंडियन कोस्ट गार्ड और एनसीबी द्वारा 95.87 किलोग्राम हेरोइन और 18.32 किलोग्राम मेथमफेटामाइन के साथ मछली पकड़ने वाली श्रीलंकाई जहाज 'शेनाया दुवा' को जब्त किया गया था और यही से कार्रवाई करने की मुख्य शुरुआत हुई।
एनसीबी अधिकारी ने कहा कि एनसीबी ने इस जहाज से पांच पिस्तौल और मैगजीन भी जब्त किए थे। छह श्रीलंकाई लोगों की गिरफ्तारी की गई है, जो इस वक्त न्यायिक हिरासत में हैं।
अधिकारी ने आगे बताया कि रैकेट के अंतर्राष्ट्रीय तालुकात होने की बात से एनसीबी वाकिफ थी, जो कि खास तौर पर अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान संग था। उन्होंने कहा, "इसलिए हम मामले की हर कड़ी की जांच बारीकी से करने लगे और जल्द ही हमें मालूम पड़ा कि इस गिरोह के दो मुख्य व्यक्ति चेन्नई में रहते हैं। इसके बाद एनसीबी नवास और अफनास को पकड़ने में जुट गई।" (आईएएनएस)
मुंबई, 22 जनवरी | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को मुंबई में पीएमसी बैंक घोटाला मामले में 5 स्थानों पर तलाशी ली। घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में मेहुल ठाकुर और अन्य के परिसरों में ये तलाशी ली गई है। ईडी के सूत्रों से ये जानकारी मिली है। जांच से जुड़े ईडी के सूत्रों के मुताबिक, वित्तीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार सुबह ठाकुर से जुड़े तीन स्थानों और चार्टर्ड अकाउंटेंट से जुड़े दो स्थानों पर तलाशी ली।
मेहुल ठाकुर विवा होम्स के मालिक और निदेशक हैं जो चिरायु समूह का एक हिस्सा है।
ईडी के अधिकारी ने इस मामले में और कोई जानकारी नहीं दी।
ईडी के एक सूत्र ने कहा कि एजेंसी को कुछ लिंक मिले थे कि करोड़ों रुपए की राशि एचडीआईएल से विवा ग्रुप ट्रस्ट और कंपनियों को हस्तांतरित की गई थी, जिसे ठाकुर के परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
इस महीने की शुरूआत में, ईडी ने शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत से इस मामले में पूछताछ की थी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 जनवरी | भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जगत प्रकाश (जेपी) नड्डा पहली बार लखनऊ के दो दिनी दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब कभी 'वाद' शब्द जुड़ता है तो ये लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करता है। नड्डा के लखनऊ के दो दिवसीय दौरे का आज आखिरी दिन है। इस दौरान बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब कहीं 'वाद' शब्द जुड़ता है, चाहे वो परिवारवाद हो या जातिवाद हो या कुछ और हो, वो हमेशा लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करता है।
लेकिन भाजपा का एक गौरवशाली अतीत है। मोदी जी एक बात कहते हैं कि चुनाव जीतने के लिए कई मंत्र हो सकते हैं लेकिन एक मूलमंत्र है बूथ जीता, चुनाव जीता। इसलिए आप सभी कार्यकर्ताओं, बूथ अध्यक्षों का स्वागत है।
उन्होंने कहा, लॉकडाउन के दौरान हमने इसे जनता की सेवा के माध्यम से आगे बढ़ाया है, ये बहुत अभिनन्दन पूर्ण है। आज के समय में कोई ऐसा बूथ नही है जो शासन की योजनाओं की जानकारी से बचा हो। उन्होंने कहा कि, आप चाहे बाई चांस आये हों, चाहे बाई डिफॉल्ट आए हों, लेकिन एक बात मैं सबको कहना चाहता हूं कि आप सही जगह आये हो। हमको अगर परिवर्तन लाना है तो आइडियोलॉजी के साथ चलना होगा। सच्चाई हमेशा आगे बढ़ती है, वो लालच के साथ नहीं जुड़ती हैं।
नड्डा ने कहा, भगवान ने हमको ये आज मौका दिया कि हम मोदीजी के साथ जुड़कर देश प्रदेश का उत्थान करें। देश में करीब 1500 राजनीतिक दल हैं, उसमें से कुछ दल राष्ट्रीय स्तर के हैं, कुछ क्षेत्रीय हैं, लेकिन जिसको भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम करने का मौका मिला है, उसे खुद को भाग्यशाली मानना चाहिए।
नड्डा व महामंत्री संगठन बी.एल. संतोष ने किसी होटल में ठहरने के बजाय पार्टी मुख्यालय में रात्रि विश्राम किया। शुक्रवार को घने कोहरे के बीच भी नड्डा जियामऊ पहुंचे और भाजपा के नये राज्य मुख्यालय की जमीन का निरीक्षण करने के बाद विश्व संवाद केंद्र में आरएसएस के प्रचारकों के साथ बैठक की। नड्डा के साथ संतोष समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बैठक में सरकार के कामकाज को परखा और मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड पर भी चर्चा की। नड्ड़ा की मंत्रियों के साथ बैठक के बाद बदलाव के संकेत मिले हैं। देरी से लखनऊ पहुंचने पर उनकी पहली दो बैठकें संगठन के दूसरे पदाधिकारियों ने ली।
संगठन के लिहाज से नड्डा का दौरा अहम बेहद अहम है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद वह राज्यों के प्रवास पर हैं और यूपी का दौरा भी इसी का हिस्सा है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 जनवरी | इतिहास में शायद ही कभी ऐसा हुआ है कि किसी नेता के निधन के आधी सदी बीत जाने के बाद भी उनके बारे में तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे हों।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस अगस्त 1945 में भले ही एक विमान दुर्घटना में 'मौत हो गई' हो, लेकिन जो लोग उन पर विश्वास करते हैं, उनके लिए वह अब भी 'गुमनामी बाबा' के रूप में जीवित हैं।
गुमनामी बाबा - जिनके बारे में कई लोगों का मानना है कि वह वास्तव में नेताजी (बोस) हैं और उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर साधु की वेश में रहते थे, जिनमें नैमिषारण्य (निमसर), बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद शामिल हैं।
लोगों का मानना है कि वह ज्यादातर शहर के भीतर ही अपना निवास स्थान बदलता रहते थे।
उन्होंने कभी अपने घर से बाहर कदम नहीं रखा, बल्कि कमरे में केवल अपने कुछ विश्वासियों से मुलाकात की और अधिकांश लोगों ने उन्हें कभी नहीं देखने का दावा किया।
एक जमींदार, गुरबक्स सिंह सोढ़ी ने उनके मामले को दो बार फैजाबाद के सिविल कोर्ट में ले जाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
यह जानकारी उनके बेटे मंजीत सिंह ने गुमनामी बाबा की पहचान करने के लिए गठित जस्टिस सहाय कमीशन ऑफ इंक्वायरी को दिए अपने बयान में दी।
बाद में एक पत्रकार वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनकी मृत्यु हो गई और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अगर यह वास्तव में नेताजी थे, तो वे 88 वर्ष के थे।
अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनकी मृत्यु हुई है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।
वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनकी मृत्यु के 42 दिन बाद लोगों को पता चला।
उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा और कोई नहीं जानता कि क्यों।
एक स्थानीय अखबार, जनमोर्चा ने पहले इस मुद्दे पर एक जांच की थी। उन्होंने गुमनामी बाबा के नेताजी होने का कोई सबूत नहीं पाया। इसके संपादक शीतला सिंह ने नवंबर 1985 में नेताजी के सहयोगी पबित्रा मोहन रॉय से कोलकाता में मुलाकात की।
रॉय ने कहा, "हम नेताजी की तलाश में हर साधु और रहस्यमय व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं, सौलमारी (पश्चिम बंगाल) से कोहिमा (नागालैंड) से पंजाब तक। इसी तरह, हमने बस्ती, फैजाबाद और अयोध्या में भी बाबाजी को ढूंढा। लेकिन मैं निश्चितता के साथ कह सकता हूं कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे।"
आधिकारिक या अन्य सूत्रों से इनकार करने किए जाने बावजूद उनके 'विश्वासियों' ने यह मानने से इनकार कर दिया कि गुमनामी बाबा नेताजी नहीं थे।
हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक रूप से इस दावे को खारिज कर दिया है कि गुमानामी बाबा वास्तव में बोस थे, उनके अनुयायी अभी भी इस दावे को स्वीकार करने से इनकार करते हैं।
गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था।
सरकार ने 28 जून 2016 को एक जांच आयोग का गठन किया, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति विष्णु सहाय थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'गुमनामी बाबा' नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे।
गोरखपुर का एक प्रमुख सर्जन, जो अपना नाम नहीं उजागर करना चाहते, ऐसा ही एक बिलिवर थे।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, "हम भारत सरकार से यह घोषित करने के लिए कहते रहे कि नेताजी युद्ध अपराधी नहीं थे, लेकिन हमारी दलीलों को सुना नहीं जाता है। बाबा अपराधी के रूप में दिखना नहीं चाहते थे। यह बात मायने नहीं रखती है कि सरकार को उन पर विश्वास है कि नहीं। हम विश्वास करते हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे। हम उनके 'विश्वासियों' के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं क्योंकि हम उन पर विश्वास करते हैं।"
डॉक्टर उन लोगों में से थे, जो नियमित रूप से गुमनामी बाबा के पास जाते थे और अब भी 'उनपर कट्टर' विश्वास करते हैं।
फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस को उनकी मृत्यु के बाद गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद लाया गया था।
पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उसने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की। बाबा के कमरे में 25 स्टील ट्रंक में 2,000 से अधिक लेखों का संगह था। उनके जीवनकाल में इसे किसी ने नहीं देखा था।
यह उन्हें मानने वाले लोगों के लिए बहुत कम मायने रखता है कि जस्टिस मुखर्जी और जस्टिस सहाय की अध्यक्षता में लगातार दो आयोगों ने घोषणा की थी कि 'गुमनामी बाबा' नेताजी नहीं थे। (आईएएनएस)
पटना, 22 जनवरी | इंडिगो एयरलाइंस कंपनी के स्टेशन मैनेजर रूपेश कुमार सिंह हत्याकांड की गुत्थी भले ही पुलिस अब तक नहीं सुलझा पाई है, लेकिन उनकी हत्या के ठेका विवाद से जुड़े होने के सूत्र मिलने के बाद बिहार सरकार ने सभी तरह के सरकारी ठेके में ठेकेदारों के लिए चरित्र प्रमाणपत्र को अनिवार्य कर दिया है। बिहार में अब सरकारी ठेका लेने के पहले ठेकेदार को अपना चरित्र प्रमाणपत्र जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम का सख्ती से पालन भी किया जाएगा।
वैसे, अधिकारियों का यह भी कहना है कि यह परंपरा पहले से ही है, लेकिन अब इसका सख्ती से लागू कराया जाएगा।
बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों को दिए जाने वाले चरित्र प्रमाणपत्र को लेकर ही बैठक हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया।
एक अधिकारी ने बताया कि जल्दी ही इसको लेकर सभी विभागों को आदेश जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ठेकेदार के साथ-साथ वहां काम करने वाले सभी कर्मियों का भी चरित्र प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है। जिनके पास चरित्र प्रमाणपत्र नहीं होंगे, उन्हें काम करने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह चरित्र प्रमाण पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी हुआ होना चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि अब बस स्टॉप, पाकिर्ंग, सब्जी हाट जैसे ठेके भी इसमें शामिल किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि इसमें लोगों से ठेकेदार के कर्मियों का सीधे संपर्क होता है, जिसमें सभी कर्मियों को ठेकेदार द्वारा पहचान पत्र देना आवश्यक किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार में ठेके के विवाद में कई अपराधिक घटनाएं घटती रहती हैं। सरकार इन विवादों पर अंकुश लगाने के लिए ऐसी पहल करने जा रही है।
गौरतलब है कि रूपेश सिंह की हत्या मामले में पुलिस महानिदेशक ए के सिंघल ने दावा करते हुए कहा था कि प्रथम ²ष्टया इस हत्या के पीछे ठेका विवाद से जुड़ा मामला सामने आ रहा है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | सीबीआई ने 5.62 लाख भारतीय फेसबुक उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा के कथित 'अवैध हार्वेस्टिंग' के एक मामले में ब्रिटेन की कैंब्रिज एनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "एजेंसी ने 19 जनवरी को आईटी एक्ट के तहत अलेक्जेंडर निक्स के प्रतिनिधित्व वाले कैंब्रिज एनालिटिका और एलेक्जेंडर कोगन के प्रतिनिधित्व वाले ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
केंद्र सरकार की सिफारिश पर जुलाई 2018 में सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच शुरू किए जाने के बाद मामला दर्ज किया गया था। केंद्रीय कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा को बताया था कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद सीबीआई ने प्राथमिक जांच दर्ज करवाई है।
ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड (जीएसआर) के माध्यम से कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) द्वारा फेसबुक उपयोगकर्ताओं और उनके दोस्तों के व्यक्तिगत डेटा की कथित अवैध हार्वेस्टिंग के संबंध में कई मीडिया रिपोर्टों के बाद प्राथमिक जांच दर्ज की गई है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कथित उल्लंघन के लिए फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका से विवरण मांगा था।
सीबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भारतीयों के कथित डेटा हार्वेस्टिंग के सिलसिले में सीए और फेसबुक द्वारा साझा किए गए विवरणों की जांच की थी।
फेसबुक ने बताया कि संभावित रूप से 5.62 लाख भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा को अवैध रूप से हार्वेस्ट किया गया होगा। जबकि सीए लिमिटेड ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को जवाब नहीं दिया है।
प्राथमिकी से पता चला है कि कोगन ने एक एप्लिकेशन बनाया है, जिसका नाम 'थिसिसयोरडिजिटललाइफ' है।
सीबीआई ने आरोप लगाया, "फेसबुक के लिए प्लेटफॉर्म नीति के अनुसार, एप्लिकेशन को शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ताओं के कुछ विशिष्ट डेटा एकत्र करने के लिए अधिकृत किया गया था। एप्लिकेशन ने हालांकि उपयोगकर्ता के अतिरिक्त अनधिकृत डेटा के साथ-साथ फेसबुक पर यूजर के दोस्तों के भी डेटा को एकत्र किया।"
जांच से खुलासा हुआ है कि डेटा को उपयोगकर्ताओं की जानकारी और सहमति के बिना एकत्र किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि फेसबुक ने एजेंसी को सूचित किया कि भारत में 335 उपयोगकर्ताओं ने इस एप्लिकेशन को इंस्टाल किया था। 'उन्होंने अनुमान लगाया है कि लगभग 5.62 लाख अतिरिक्त उपयोगकर्ताओं के डेटा को इन 335 उपयोगकर्ताओं की मदद से एकत्र किया गया, जो इन यूजर के फ्रेंड नेटवर्क में आते थे।
सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा 335 एप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं से संपर्क किया गया, जिनमें से छह ने जवाब दिया।
सीबीआई ने कहा, "उन्होंने सर्वसम्मति से कहा कि एप्लिेकशन से गुमराह किया गया और इस तथ्य से अनजान थे कि उनके दोस्तों के डेटा को हार्वेस्ट किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह ऐसा जानते तो वह एप को इंस्टॉल नहीं करते।" (आईएएनएस)
पटना, 22 जनवरी | बिहार में सोशल मीडिया पर मंत्री, अधिकारी, विधायक, सांसद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर सख्त कार्रवाई करने को लेकर जारी आदेश के बाद अब सियासत शुरू हो गई है। राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि 'करो गिरफ्तार'। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए लिखा, 60 घोटालों के सृजनकर्ता नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह, दुर्दांत अपराधियों के संरक्षणकर्ता, अनैतिक और अवैध सरकार के कमजोर मुखिया है। बिहार पुलिस शराब बेचती है। अपराधियों को बचाती है निर्दोषों को फंसाती है। मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूं - अब करो इस आदेश के तहत मुझे गिरफ्तार।
तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि नीतीश कुमार हिटलर के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। इधर, राजग के घटक दल के नेता इस आदेश के बचाव में उतर आए हैं।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आदेश का बचाव करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जरीए कई दंगाई तत्व, संगठन समाज में आपसी भाईचारा खत्म करने पर तुले हैं, जिसका परिणाम सबको भुगताना पड़ रहा है। ऐसे तत्वों पर सरकार कारवाई कर रही है तो विपक्ष को इतना खौफ क्यों सता रहा है? ऐसा तो नहीं कि वही लोग सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करके दंगा फैला रहें हैं?
इधर, जदयू के प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि ये उन अनपढ़-जाहिल लोगों के लिए है जो दूसरों की मां-बहन की इज्जत नही करना जानते। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस आदेश से वैसे लोग ही परेशान हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने कहा है कि अगर सोशल मीडिया पर सरकार, मंत्री, सांसद, विधायक और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक, अभद्र एवं भ्रंतिपूर्ण टिप्प्णियां करते हैं, तो आप पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 22 जनवरी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने लखनऊ आते ही मंत्रियों को अनुसाशन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने मंत्रियों से साफ कहा कि मैं नहीं, हम भाव से टीम वर्क मजबूत करें। जेपी नड्डा दो दिवसीय प्रवास के लिए गुरुवार शाम को लखनऊ पहुंचे। लखनऊ पहुंचे कुछ घंटे ही हुए थे, जनता और कार्यकर्ताओं से फीडबैक न होने के बावजूद जिस तरह से नड्डा ने मंत्रियों को सीख दी है। उससे इशारा मिलता है कि रिपोर्ट कार्ड तो पहले ही दिल्ली पहुंच चुका था। सरकार और संगठन के कामकाज के साथ ही समन्वय की भी तारीफ की, लेकिन मंत्रियों को अपने काम के तौर-तरीके बदलने की स्पष्ट सलाह दी। उन्होंने समझाया कि मैं नहीं, हम भाव से टीम वर्क मजबूत करें।
नड्डा ने प्रदेश मुख्यालय में योगी सरकार के मंत्रियों और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार के काम की सराहना की। खासकर कोरोना संकट के दौरान किए सेवा कार्यों के लिए सरकार के साथ संगठन की पीठ भी थपथपाई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सेवा कार्यों को राजनीति का माध्यम बनाने की अनूठी पहल हुई है।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाएं। संपर्क-संवाद बढ़ाकर सेवा कार्यों के जरिए चुनावी तैयारियों में जुटें। उन्होंने सरकार व संगठन के समन्वय की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश में विकास के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | दिल्ली के आईटीओ में स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की बिल्डिंग में शुक्रवार को आग लग गई। हालांकि इसमें किसी के भी आहत होने की सूचना नहीं मिली है और आग पर काबू पा लिया गया है। अग्निशमन विभाग ने इसकी जानकारी दी है। इमारत में यह आग एक मीटर बोर्ड से लगी।
दिल्ली फायर सर्विस के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा, "हमें सुबह साढ़े आठ बजे के करीब आईटीओ के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स की बिल्डिंग के मीटर बोर्ड में आग लगने की सूचना मिली। कुल 12 दमकल कर्मी मौके पर भेजे गए। आग इमारत के दूसरे माले पर लगी थी।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को असम के तेजपुर विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवाओं से आत्मनिर्भर भारत के लिए कार्य करने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने नार्थ ईस्ट के विकास के लिए हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए युवाओं को संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी किया। इस दीक्षांत समारोह में वर्ष 2020 में पास होने वाले 1,218 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करने के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के 48 टॉपरों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधन में कहा, आज 1200 से ज्यादा छात्रों के लिए जीवन भर याद रहने वाला क्षण हैं। आपके शिक्षक, आपके माता पिता के लिए भी आज का दिन बहुत अहम है। सबसे बड़ी बात आज से आपके करियर के साथ तेजपुर विश्वविद्यालय का नाम हमेशा के लिए जुड़ गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्र, इस वर्ष स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। असम के असंख्य लोगों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है। अब, यह आप पर है कि आप अपने जीवन का उपयोग आत्मनिर्भर भारत के लिए करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से कहा, हमारी सरकार आज जिस तरह नार्थ ईस्ट के विकास में जुटी है, जिस तरह कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य हर सेक्टर में काम हो रहा है, उससे आपके लिए अनेकों नई संभावनाएं बन रही हैं। इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाइये। उन्होंने जमीनी स्तर के इनोवेशन से स्थानीय लोगों को जोड़ने की भी अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नवाचारों के जरिए स्थानीय समस्याओं को सुलझाने में मदद होती है और विकास के नए द्वार खुलते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | किसानों और केंद्र के बीच ग्यारहवें दौर की बैठक से पहले, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को दिल्ली में शुरू हुई। इस बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा किसानों के आंदोलन पर चर्चा होगी। पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है। कांग्रेस महासचिव और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, सीडब्ल्यूसी की बैठक शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सीडब्ल्यूसी को संबोधित कर रही हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक में अर्णब गोस्वामी की कथित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चैट लीक, कोविड-19 स्थिति के अलावा किसानों के आंदोलन पर भी चर्चा होगी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि बैठक के दौरान नए पार्टी प्रमुख के चुनाव के कार्यक्रम पर भी चर्चा होगी।
हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
मंगलवार को पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने तीन कृषि कानूनों पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय कृषि क्षेत्र को नष्ट करने के लिए लाया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कर्नाटक की एक खदान में हुए विस्फोट के पीड़ितों के परिवारों के साथ शोक जताया और घटना की जांच की मांग की। केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, कर्नाटक में पत्थर खनन खदान में विस्फोट की खबर दुखद है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। इस तरह की घटनाओं की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके।
उनकी ये टिप्पणी खनन ब्लास्ट में 10 लोगों के मारे जाने के बाद आई।
गुरुवार की देर रात, शिवमोगा में पत्थर खदान में हुए विस्फोट में कम से कम 10 लोग मारे गए।
यह घटना शिवमोगा-हंगल राज्य राजमार्ग के साथ स्थित अब्बालगेरे गांव में हुई, जो कि सवलुंगा और शिकारीपुरा से होकर गुजरता है।
शिकारीपुरा बेंगलुरु से 290 किलोमीटर दूर स्थित है, और ये कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। (आईएएनएस)
किसानों ने विवादित कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. कानूनों को निरस्त किए जाने की अपनी मांग पर किसानों के बने रहने के बीच, सरकार और उनकी 11वें दौर की बातचीत होनी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय लिखा-
तीनों कानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगा देने के सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों द्वारा तुरंत ना ठुकराए जाने से गतिरोध के शांत होने की संभावना नजर आई थी. लेकिन गुरुवार 21 जनवरी को संगठनों ने आपस में चर्चा कर प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया. लगभग 40 किसान संगठनों वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त ही किया जाए.
इसके अलावा किसानों ने यह भी मांग की है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू रखने के लिए भी अलग से एक कानून लाया जाए. मीडिया में आई कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कई संगठन सरकार के प्रस्ताव को मान लेने के पक्ष में थे, लेकिन अंत में बहुमत के फैसले से प्रस्ताव को ठुकराना ही तय हुआ. किसानों के आंदोलन की जानकारी देने वाले ट्विटर हैंडल किसान एकता मोर्चा ने इस घोषणा को ट्वीट भी किया.
किसानों ने बताया कि 26 जनवरी को उनकी अपनी परेड निकालने की योजना पर भी वो आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने उनसे परेड को रोक देने का अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. संगठनों का कहना है कि इस आंदोलन में अभी तक 143 किसानों की जान जा चुकी है और उनकी मौत व्यर्थ ना हो जाए इसीलिए वो अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.
शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है. देखना होगा कि सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने के बाद बैठक का माहौल कैसा होगा. किसान भी सरकार पर दबाव बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अब कर्नाटक, केरल और छत्तीसगढ़ में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और इनमें से कई राज्यों से और भी किसान दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं.
-रवि एस नारायण
पटना. बिहार सरकार के मंत्रियों, विधायकों या फिर किसी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलतबयानी अब महंगा पड़ सकता है. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने सरकार के सभी विभागों के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर आपत्तिजनक टिपण्णी करने वाले लोगों की शिकायत करने की बात कही है. आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने सभी विभागों से कहा है कि संस्थान या विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोई भी भ्रामक पोस्ट लिखा जाता है तो इसकी तत्काल सूचना दी जाए, ताकि सख्ती से एक्शन लिया जा सके.
जाहिर है इस आदेश के बाद अब सोशल मीडिया पर अगर किसी मंत्री, विधायक के खिलाफ गलत प्रचार किया गया तो कठोर कार्रवाई तय है. गौरतलब है कि बिहार में साइबर अपराध को रोकने के लिए आर्थिक अपराध इकाई को ही नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसलिये EOU ने सभी विभागों के पास चिट्ठी भेजी है.
सरकारी नीतियों के खिलाफ भ्रामक प्रचार भी होगा बंद
आर्थिक अपराध इकाई ने अपने इस आदेश में वैसे किसी भी पोस्ट पर सख्ती बरतने की घोषणा की है, जिससे सरकार की छवि धूमिल होती है. सरकार के नीतियों को लेकर भी अगर कोई दुष्प्रचार करेगा तो उसके खिलाफ आईटी एक्ट के धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, अक्सर देखा जाता है कि सरकार के नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैम्पेन तक चलाई जाती है. अब ऐसे सारे दुष्प्रचारों पर लगाम लगेगी.
नीतीश कुमार भी दुष्प्रचार रोकने की करते रहे हैं बात
सोशल मीडिया पर होने वाले दुष्प्रचार और गलत बयानबाजी को लेकर सीएम नीतीश कुमार भी मंचों से कई बार बात उठाते रहे हैं. पिछले दिनों लॉकडाउन के बाद पहली बार जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के दौरान भी नीतीश कुमार ने सख्ती के साथ कहा था कि सरकार के अच्छे कामों के बजाए गलत बातों को सोशल मीडिया में ज्यादा प्रचारित किया जाता है. ऐसी बातों पर रोक लगनी चाहिए और लोगों के लिए सरकार के किये गए कामों को पहुंचाना चाहिए.
जबलपुर, 22 जनवरी | मध्य प्रदेश में माफियाओं और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान का क्रम जारी है। इसी क्रम में जबलपुर में 15 एकड़ सरकारी जमीन कब्जाधारियों के कब्जे से मुक्त कराई गई। इस जमीन की कीमत 25 करोड़ से अधिक आंकी गई है। बताया गया है कि जिलाधिकारी कर्मवीर शर्मा की अगुवाई में माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई जारी है। एक साथ छह स्थानों पर बड़ी कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में 25 करोड़ 46 लाख रुपये अनुमानित बाजार मूल्य की 15 एकड़ से अधिक शासकीय भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया।
जबलपुर की पनागर तहसील के ग्राम पिपरिया बनियाखेड़ा में रसूखदार वीरेन्द्र पटेल के कब्जे से करीब 18 करोड़ 66 लाख रुपये बाजार मूल्य की 12 एकड़ शासकीय भूमि को मुक्त कराया गया। स्कूल एवं मुख्य सड़क से लगी बेशकीमती जमीन पर पूर्व सरपंच वीरेन्द्र पटेल द्वारा 15 वर्षों से कब्जा कर खेती की जा रही थी।
जिला प्रशासन की अगुवाई में पुलिस और नगर निगम के सहयोग से की गई कार्यवाही के दौरान हिस्ट्रीशीटर और निगरानीशुदा बदमाश मोहम्मद शमीम उर्फ शमीम कबाड़ी द्वारा खजरी में पत्नी संजीदा बी के नाम पर बनाये जा रहे आलीशान घर के अवैध हिस्से को जमींदोज करने के साथ-साथ उसके द्वारा नजदीकी ग्राम चांटी में बनाये गये गोदाम को भी जेसीबी मशीनों की सहायता से ध्वस्त कर दिया गया।
इसी तरह एक अन्य कार्रवाई में ग्राम पिपरिया, बनियाखेड़ी निवासी मोहनलाल पटेल द्वारा शासन की करीब दो करोड़ पांच लाख रुपये बाजार मूल्य की तीन एकड़ जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से गोदाम व दुकानों के निर्माण को जमींदोज किया गया।
(आईएएनएस)
पीलीभीत (उत्तर प्रदेश), 22 जनवरी | अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए खुद को एक स्थानीय फर्जी संगठन से बताकर लोगों से कथित तौर पर चंदा इकट्ठा करने के आरोप में पांच लोगों पर केस दर्ज किया गया है। इन पांच आरोपियों में से एक का आपराधिक रिकॉर्ड भी है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के जिला अध्यक्ष द्वारा इस पर एक लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी।
भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए परिषद द्वारा एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत लोगों से स्वैच्छिक तौर पर चंदा इकट्ठा करने का काम किया जा रहा है। इस अभियान के एक हिस्से के तौर पर पीलीभीत में विहिप और आरएसएस कार्यकर्ताओं की टीमें गठित की गई हैं।
सुनगढ़ी थानान्तर्गत काला मंदिर इलाके में जब यह फर्जी टीम लोगों से चंदा जुटाने पहुंची, तो भक्तों ने असली टीम के सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने तो चंदा पहले ही दे दिया है, तो फिर से क्यों पैसे जुटाए जा रहे हैं।
विहिप के एक अधिकारी ने पुलिस को बताया कि उस संगठन के सदस्यों ने स्वैच्छिक दाताओं को फर्जी रसीदें भी जारी की थी, जबकि राम मंदिर के निर्माण के लिए पैसे जुटाने का अधिकार उन्हें है ही नहीं।
पुलिस ने अब उन्हें आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत हिरासत में लिया है।
(आईएएनएस)
नेताजी, 22 जनवरी | पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा और टीएमसी के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का दावा करने के लिए अब कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस ने वादा किया है कि वो राज्य में नेताजी की 'सबसे ऊंची प्रतिमा' बनाएगी। कांग्रेस के पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा, भाजपा अब नेताजी के बारे में सोच रही है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति की तरह पिछले छह वर्षों में नेताजी की प्रतिमा का निर्माण क्यों नहीं हुआ? कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो नेताजी की सबसे ऊंची मूर्ति का निर्माण करेगी।
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी पर कांग्रेस का ये बयान भाजपा और टीएमसी के नेताजी को 'अपना' कहने के बाद आया है। नेताजी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आईएनए का गठन किया था।
इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को 'देश नायक दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इससे कुछ ही घंटे पहले केंद्र सरकार ने नेताजी की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का ऐलान किया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि नेताजी के सम्मान में 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव अप्रैल-मई 2021 में होने वाले हैं।
नेताजी बोस 1938 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुन गए थे, लेकिन 1939 में फिर से चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्हें अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ कथित मतभेदों के बाद पद से हटा दिया गया था।
कांग्रेस से बाहर होने के बाद, वे नवंबर 1941 में जर्मनी चले गए और बर्लिन में 'फ्री इंडिया सेंटर' और दैनिक प्रसारण के लिए 'फ्री इंडिया रेडियो' की स्थापना की।
नेताजी पर भाजपा के भारी पड़ते दिखने के बाद अब कांग्रेस को उनकी विरासत पर दावा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए नेताजी की विरासत का उपयोग करने की कोशिश कर रही है। हालांकि उन्होंने उनकी नीतियों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, आजाद हिंद फौज में विभिन्न भारतीय समुदायों के लोग शामिल थे और उन्होंने उनके साथ समान व्यवहार किया। दूसरी ओर, भाजपा विभाजनकारी राजनीति करती है।
यह याद रखना उचित है कि कांग्रेस ने पिछले साल नेताजी की जयंती पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।
तृणमूल कांग्रेस और अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक, जिसे नेताजी ने स्थापित किया था, ने पहले मांग की थी कि इस दिन को 'देशप्रेम दिवस' के रूप में मनाया जाए। फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक बयान में कहा था, भाजपा नेतृत्व को अभी भी नेताजी के योगदान का एहसास नहीं है। इसीलिए वे 'प्रकाश दिवस' और 'देशप्रेम दिवस' के बीच के अंतर को नहीं समझ सकते हैं।
(आईएएनएस)
21 जनवरी का दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा. अपने 145 साल के इतिहास में पहली बार इसके सूचकांक ने 50,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया और दिन के अंत में ये थोड़ा नीचे जा कर 49,624.76 अंकों पर बंद हुआ.
ये एक बड़ी उपलब्धि की तरह से देखा जा रहा है. ये कामयाबी कितनी अहम है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च के अंत में देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के बाद सेंसेक्स 25,638 अंक तक गिर चुका था. अब उछाल आसमान को छू रहा है.
यानी 10 महीने में सूचकांक में दोगुनी वृद्धि हुई है. एक आकलन के मुताबिक़, साल 2020 में शेयर बाज़ार में निवेश करने वालों को 15 प्रतिशत का फ़ायदा हुआ. इतने कम समय में, इतना उम्दा मुनाफ़ा कमाना किसी भी दूसरे क्षेत्र में निवेश करके असंभव था.
पिछले 10 महीनों में शेयर बाज़ार में इस ज़बरदस्त उछाल के क्या कारण हैं? और ये 'फ़ीलगुड' समय कब तक जारी रहेगा?
इन दोनों सवालों पर प्रकाश डालने से पहले इस प्रश्न पर ग़ौर करना ज़रूरी है कि अगर भारत की अर्थव्यवस्था महामारी के नतीजे में चौपट हुई है, तो पिछले 10 महीने में शेयर बाज़ार में इतना उछाल क्यों आया है?
अर्थव्यवस्था और बाज़ार में अंतर क्यों?
मुंबई के दलाल स्ट्रीट में अगर जश्न का माहौल है, तो देश में कई लोग ये सवाल कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के बीच इतना डिस्कनेक्ट क्यों है? इसका जवाब सीधा नहीं है. लेकिन भारत के अलावा अमेरिका, दक्षिण कोरिया और कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं में भी ऐसे ही रुझान देखने को मिले हैं.
इसे एक वैश्विक रुझान कहा जा सकता है. मुंबई स्थित अर्थशास्त्री विवेक कौल कहते हैं कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था सिकुड़ने वाली है, लेकिन शेयर बाज़ारों में उछाल है.
इसका मुख्य कारण बाज़ार में ज़रूरत से ज़्यादा उपलब्ध लिक्विडिटी (नगदी) है.
अमेरिका में व्हार्टन बिज़नेस स्कूल दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसके एक डेली रेडियो शो में स्कूल के वित्त मामलों के प्रोफ़ेसर इते गोल्डस्टीन (Itay Goldstein) ने शेयर बाज़ार और अर्थव्यवस्था के बीच डिस्कनेक्ट के वैश्विक रुझान के तीन कारण बताये.
वे कहते हैं कि पहला, जो हर समय के लिए सच है, वो ये कि शेयर बाज़ार के निवेशक आने वाले समय पर निगाह रखने वाले होते हैं. सामान्य तौर पर अर्थव्यवस्था में अभी जो आप देख रहे हैं, वो अभी चल रहा है. यानी मौजूदा समय में क्या हो रहा है अर्थव्यवस्था ये देखती है, जैसे कि उत्पादन, रोज़गार के क्षेत्र में क्या हो रहा है.
प्रोफ़ेसर गोल्डस्टीन के अनुसार, दूसरा कारण केंद्रीय बैंक द्वारा वित्तीय सिस्टम में बहुत अधिक नक़दी डालना है. उनका कहना है कि सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने महामारी से जूझने के लिए वित्तीय पैकेज दिये हैं जिसके कारण मार्केट में नक़दी आई है.
प्रोफ़ेसर गोल्डस्टीन कहते हैं कि इस रुझान का तीसरा कारण ये तथ्य है कि शेयर बाज़ार से जो कंपनियाँ जुड़ी हैं, ये ज़रूरी नहीं कि वो पूरी अर्थव्यवस्था की प्रतिनिधि हैं. अपने तर्क के पक्ष में वो फ़ेसबुक, गूगल, अमेज़न और नेटफ़्लिक्स जैसी कंपनियों का उदाहरण देते हैं जिन पर महामारी का कोई नकारात्मक असर नहीं हुआ, लेकिन इनके स्टॉक शेयर के भाव तेज़ी से बढे हैं और ये कंपनियाँ पूरी अर्थव्यवस्था का नेतृत्व नहीं करतीं.
बाज़ार में उछाल के क्या कारण हैं?
पिछले कुछ महीनों से वैश्विक और घरेलू दोनों कारणों से शेयर बाज़ार में 'बुल रन' यानी उछाल देखने को मिल रहा है.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड सिक्योरिटीज़ के प्रतीक कपूर के अनुसार, अमेरिका में महामारी से जूझने के कई पैकेज आ चुके हैं जिसके कारण मार्केट में काफ़ी लिक्विडिटी है.
वे बताते हैं, "भारत इमर्जिंग मार्किट में सबसे सुरक्षित और मुनाफ़े वाला बाज़ार है, इसलिए विदेशी संस्थागत निवेशक (एफ़आईआई) भारत में निवेश कर रहे हैं और तेज़ी से कर रहे हैं. जनवरी के पहले हफ़्ते में कुछ दिनों के लिए वो हमारे मार्केट से पैसे निकालने लगे थे जिसकी वजह से मार्केट में गिरावट आई थी लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से वो फिर से काफ़ी निवेश कर रहे हैं."
प्रतीक कपूर के अनुसार, दूसरा कारण है ब्याज दर में कमी. उनके विचार में अमेरिका में चुनाव के ख़त्म होने के बाद से सियासी स्थिरता और बुधवार को जो बाइडन के शपथ ग्रहण और उनके द्वारा उठाए गए कुछ अहम क़दमों का अमेरिकी मार्केट पर सकारात्मक असर देखने को मिला जिसका सीधा असर भारत के शेयर बाज़ार पर भी पड़ा.
साल 2020 में विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाज़ारों में 32 अरब डॉलर का सौदा किया जो किसी एक साल के लिए अब तक का रिकॉर्ड है.
साल 2019 भी विदेशी निवेशकों के निवेश का साल था और साल 2021 में भी विदेशी निवेशकों की रुचि भारतीय स्टॉक मार्केट में बनी रहेगी.
एक अनुमान है कि 25 से 30 अरब डॉलर तक का विदेशी निवेश भारत में आ सकता है.
विवेक कौल कहते हैं कि इन दिनों शेयर बाज़ार आसानी से उपलब्ध कैश के कारण उछाल पर है.
वे कहते हैं, "विदेशी निवेशकों ने पिछले साल (2020) भारतीय शेयरों को ख़रीदने में 32 अरब डॉलर ख़र्च किया है. कई स्थानीय निवेशकों ने भी ब्याज दरों में भारी गिरावट के बाद शेयरों पर दांव लगाया है. आरबीआई ने वित्तीय प्रणाली में बड़े पैमाने पर पैसा लगाया है. इन सबके चलते शेयर बाज़ार ऊपर जा रहा है, जबकि इस वित्तीय साल में अर्थव्यवस्था में गिरावट की उम्मीद है."
मार्केट में निवेश करने का देश के अंदर रुझान बढ़ रहा है. ये भी एक कारण है. एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में खुदरा निवेशकों की श्रेणी में युवा निवेशकों की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई. लॉग टर्म की दृष्टिकोण रखने वाले निवेशक अब बैंकों में पैसे रखने या रियल स्टेट में पैसे निवेश करने की बजाय स्टॉक्स एंड शेयर्स में निवेश करना पसंद करते हैं.
क्या ये उछाल जारी रहेगा?
फ़िलहाल कुछ अनिश्चितता है. विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है. प्रतीक कपूर कहते हैं कि मार्केट अभी और भी ऊपर जाएगा.
वे बताते हैं, "अभी विदेशी निवेशक आते रहेंगे. जो बाइडन का नया आर्थिक पैकेज भी मार्केट में रंग लाएगा. लेकिन शॉर्ट टर्म में करेक्शन आ सकता है यानी आगे कुछ दिनों या हफ़्तों में मार्केट में उतार-चढाव होगा और कुछ कंपनियों के स्टॉक्स के भाव नीचे जाएँगे. करेक्शन होना या मार्केट का थोड़ा बहुत गिरना नकारात्मक नहीं है. थोड़ा करेक्शन चाहिए क्योंकि मार्केट ज़रूरत से अधिक गर्म है.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास, वित्तीय स्थिरता पर ज़ोर देते हुए कहते हैं कि वो इस बात से चिंतित हैं कि हाल के समय में अर्थव्यवस्था और मार्केट में डिसकनेक्ट बढ़ा है. इस रुझान पर नज़र रखना ज़रूरी है. (बीबीसी)
नई दिल्ली, 22 जनवरी | आम आदमी पार्टी ने नगर निगम पर एक और आरोप लगाया है। आप के मुताबिक दक्षिण एमसीडी ने सड़क किनारे रेस्टोरेंट-फूड कोर्ट खोलने के लिए स्थायी लाइसेंस देने की योजना पास की है। यह योजना पुराने वेंडरों और दिल्लीवासियों के खिलाफ है। दिल्ली में इस योजना से बड़े पैमाने पर अराजकता पैदा हो जाएगी। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, "सड़कों पर बैठे पुराने लोगों को अभी तक वेंडिंग जोन में जगह नहीं मिली है, जबकि इस पॉलिसी से नए दुकानदार और तैयार हो जाएंगे। योजना में नियम है कि रेस्टोरेंट खोलने के लिए लाइसेंस स्थानीय पार्षद से लेना होगा। पार्षदों को करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार की नई स्कीम लेकर आए हैं। आरडब्ल्यूए के लोगों को पॉलिसी के संबंध में पता ही नहीं है। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि भाजपा तुरंत इस योजना को वापस ले।"
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने गुरूवार को पार्टी मुख्यालय में कहा, "दिल्ली के अंदर आप सभी लोग जानते हैं कि जगह-जगह ट्रैफिक जाम की परेशानी है। दिल्ली में जगह जगह पर नई गैर-आधिकारिक दुकानें खुलती जा रही हैं। उनको पार्षदों और नगर निगम का संरक्षण है। अब यह एक नई स्कीम लेकर आए हैं। दक्षिणी नगर निगम ने बुधवार को अपने हाउस की बैठक में पॉलिसी पास की है। नई पॉलिसी कहती है कि सड़क के किनारे रेस्टोरेंट, फूड ट्रक सहित अन्य तरीके से खाद्य पदार्थो की बिक्री के लिए स्थाई लाइसेंस दिए जाएंगे। दिल्ली नगर निगम से जाते-जाते भाजपा सड़कों और निगम की जो जमीन बची हुई है, वहां पर स्थाई रूप से रेस्टोरेंट्स बनाने की तैयारी कर रही है।"
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, "केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन एक्ट एक कानून बनाया था। जिसके अंदर बीसों सालों से जो वेंडर सड़कों के किनारों पर बैठे हैं, उनका सर्वे कर पहचान करनी थी। स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जो लोग आते हैं और योग्य हैं, उनको वेंडिंग जोन के अंदर दुकानें देनी थी। भाजपा अगर नई हजारों दुकानें-रेस्टोरेंट्स दिल्ली की सड़कों पर खोल देगी, तो यह लोग भी उन्हीं वेंडिंग जोन के अंदर दुकानें मांगेंगे।"
आप के मुताबिक, "सड़कों पर जो पुराने लोग बैठे हैं, उनको अभी तक वेंडिंग जोन के अंदर जगह नहीं मिली है। ऐसे में इस पॉलिसी से नए दुकानदार और तैयार हो जाएंगे। यह आम जनता, यातायात और गाड़ी चलाने वाले लोगों के लिए ना सिर्फ एक नया सर दर्द होगा, बल्कि जो पुराने बैठे हुए हैं उनके लिए भी परेशानी खड़ा करेगा। दिल्ली के अंदर अराजकता फैलाने की कोशिश है। यह एक नई लूट की स्कीम है।"
--आईएएनएस