राष्ट्रीय
मुंबई, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)| बृहन्मुंबई नगर निगम आपदा नियंत्रण ने मंगलवार को जानकारी दी कि दो नाबालिग लड़के दक्षिण मुंबई से दूर अरब सागर में डूब गए है। हादसा उस वक्त हुआ जब आठ बच्चों का एक दल मालाबार हिल में प्रियदर्शिनी पार्क के सामने तैरने गया था। हालांकि, उनमें से दो तट पर लौटने में विफल रहे।
बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान के बाद, मुंबई फायर ब्रिगेड ने मंगलवार तड़के मोहम्मद दिलशाद शेख, 12 और रहमान रिजवान शेख, 15 के शव बरामद किए।
घटना के कारणों की जांच की जा रही है क्योंकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या लड़के तैर नहीं सकते थे या समुद्री धाराओं में फंस गए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार उस चट्टानी खंड में जाना प्रतिबंधित है।
भोपाल, 5 अक्टूबर | मध्य प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस में रस्साकशी का दौर जारी है। बैठकें चल रही हैं और चुनाव जिताऊ उम्मीदवार के चयन पर मंथन हो रहा है क्योंकि एक सीट पर एक से ज्यादा दावेदार मौजूद हैं। राज्य में तीन विधानसभा क्षेत्रों रैगांव, पृथ्वीपुर और जोबट के अलावा खंडवा संसदीय क्षेत्र में मतदान 30 अक्टूबर केा होना है। इस लिहाज से महज 25 दिन ही बचे हैं, मगर दोनों दल सभी उम्मीदवारों के नामों का फैसला नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस ने पृथ्वीपुर विधानसभा सीट के लिए नीतेंद्र राठौर का नाम तय करके उम्मीदवारों के चयन के मामले में भाजपा से कुछ आगे निकल गई है मगर अन्य सीटों पर पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है।
कांग्रेस जहां शेष तीन उम्मीदवारों के चयन में लगी है तो वहीं उसे बड़ा झटका खंडवा संसदीय सीट और जोबट विधानसभा क्षेत्र को लेकर लगा है, क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव खंडवा से पार्टी के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे थे और उन्होंने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया है। इसके अलावा जोबट से पूर्व विधायक सुलोचना रावत अपने बेटे विषाल के साथ भाजपा में शामिल हो गई है। इन दो घटनाक्रमों से पार्टी पशोपेश में फंस गई है कि आखिर अब वो करे तो क्या करें, क्योंकि यादव बीते सात आठ माह से मैदान में सक्रिय थे और हर कोई यही मान रहा था कि कांग्रेस के उम्मीदवार वही होंगे । पार्टी के सामने अब समस्या है कि वह किसे खंडवा में उम्मीदवार बनाए, वही जोबट और रैगांव को लेकर भी काफी खींचतान चल रही है, क्योंकि पार्टी यहां दलबदलू पर भी दांव लगाने की तैयारी में है।
एक तरफ जहां कांग्रेस में खींचतान जारी है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा भी उम्मीदवार चयन के मामले में सहज नहीं है क्योंकि उसके सामने एक सीट से एक से ज्यादा नाम आ रहे हैं। खंडवा में तो दो दावेदार पूरी तरह आमने-सामने है। पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और नंद कुमार सिंह चैहान के पुत्र हर्ष वर्धन सिंह चौहान आमने सामने हैं और इससे पार्टी के अंदर असंतोष भी है । इतना ही नहीं जोबट में भी कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक सुलोचना रावत व उनके बेटे विशाल रावत को भाजपा की सदस्यता दिलाई जाने से कई नेता नाराजगी तक जता रहे हैं । इसी तरह रैगांव और पृथ्वीपुर में पार्टी के सामने बेहतर उम्मीदवार का चयन मुश्किल बना हुआ है।
उम्मीदवार चयन को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि भाजपा वंशवाद परिवारवाद से सर्वथा दूर रहकर टिकट का चयन करती है। पार्टी का स्थानीय नेतृत्व प्रदेश का केन्द्रीय नेतृत्व से चर्चा करता है। केन्द्रीय नेतृत्व अंतिम रूप से फाइनल करता है। वैसे भी नवरात्रि आ रही है। फॉर्म तो नवरात्रि के प्रारंभ होने पर ही भरेंगे । इसलिए भाजपा में सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है। नाम घोषित हो जाएंगे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वालों को लेकर तंज कसते हुए ट्वीट किया, भाजपा अब कॉंग्रेस मय होती जा रही है। मुझे पुराने भाजपा के कर्मठ कार्यकतार्ओं पर दया आती है। अब भाजपा पूरी तरह से टिकाऊ लोगों को छोड़ कर पूरे तरीके से बिकाऊ लोगों पर निर्भर हो चुकी है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली : क्रूज पार्टी ड्रग्स मामले में NCB ने तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो ड्रग्स पैडलर हैं और एक क्रूज शिप से सोमवार को लाया गया यात्री है. आज सभी को कोर्ट में पेश किया जाएगा. बता दें कि एनसीबी ने गोवा जा रहे ‘कॉर्डेलिया क्रूज़' के पोत पर छापेमारी के बाद बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और सात अन्य को गिरफ्तार किया था. एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि एनसीबी की मुंबई इकाई ने छापेमारी के बाद गिरफ्तार किए लोगों से जुड़े मादक तस्करों की तलाश शुरू की थी. क्रूज पोत से पकड़े गए लोगों सहित कुछ संदिग्धों को पूछताछ के लिए एनसीबी के कार्यालय भी लाया गया था. नाम एवं पहचान उजागर किए बिना अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान दो और लोगों की भूमिका सामने आई है, जिसके बाद ये गिरफ्तारी की गई. क्रूज़ पोत मादक पदार्थ मामले में अभी तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
एनसीबी ने सोमवार को अदालत में दावा किया था कि आर्यन खान और दो अन्य आरोपियों की व्हाट्सएप चैट में ‘‘चौंकाने वाली और दोष साबित करने वाली सामग्री'' मिली है, जो अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी को भी दर्शाती है. उन्होंने कहा था, ‘‘आरोपी आर्यन खान, व्हाट्सएप चैट में, खरीद (नशीले पदार्थो की) के लिए किए जाने वाले भुगतान के तरीकों पर चर्चा कर रहा है. कई कोड नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है. सभी आरोपियों का एक-दूसरे से आमना-सामना कराना होगा. अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की जांच की जरूरत है.'' आर्यन खान (23) और अन्य आठ आरोपियों को बृहस्पतिवार तक एनसीबी की हिरासत में भेज दिया गया है. आर्यन खान के वकील ने दावा किया है कि उनके मुवक्किल के पास से मादक पदार्थ बरामद नहीं हुए हैं. (भाषा)
रूड़की में एक चर्च और वहां प्रार्थना कर रहे लोगों पर हमले के दो दिन बाद भी अभी तक पुलिस आरोपियों को पकड़ नहीं पाई है. एफआईआर में 200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए हैं.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
मामला उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के रूड़की का है. रविवार 3 अक्टूबर को शहर के एक चर्च में 200 लोगों से ज्यादा की एक भीड़ अचानक से घुस आई थी. भीड़ में शामिल लोगों पर आरोप है कि उन लोगों ने वहां तोड़फोड़ की और वहां प्रार्थना करने के लिए जमा हुआ लोगों पर भी हमला किया.
प्रदेश पुलिस के प्रमुख डीजीपी अशोक कुमार ने पत्रकारों को बताया है कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हरिद्वार के एसपी (ग्रामीण) प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने पत्रकारों को बताया कि हमले में कुछ लोगों को चोटें भी आई थीं और उनमें से एक को देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.
'बजरंग दल' पर आरोप
उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. एफआईआर में 200 से भी ज्यादा लोगों के नाम हैं लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. एफआईआर चर्च के पादरी की पत्नी प्रिओ साधना की शिकायत पर दर्ज की गई थी.
उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि हमले के दिन चर्च में करीब एक दर्जन लोग प्रार्थना के लिए जमा हुए थे तभी 200 से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं की एक भीड़ चर्च के अंदर घुस आई. साधना के अनुसार इन लोगों ने हाथों में लोहे के डंडे लिए हुए थे.
उन्होंने वहां जमा लोगों के साथ गाली-गलौच की, चर्च में तोड़फोड़ की, मोबाइल फोन और कीमती सामान छीन लिया और लोगों पर हमला भी किया. साधना ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि हमलावर बजरंग दल और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों से संबंध रखते थे लेकिन पुलिस ने कहा है कि इस आरोप की जांच की जाएगी.
कई राज्यों में हमले
मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने कुछ जिलों में हिंसा की वारदातों को देखते हुए सभी 13 जिलों के जिला अधीक्षकों को अगले तीन महीनों तक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत कर दिया है.
पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में चर्चों पर इसी तरह के हमले हो चुके हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने ट्विटर पर ऐक्टिविस्ट जॉन दयाल के हवाले से लिखा कि 3 अक्टूबर को ही रुड़की के अलावा हरिद्वार के ही ज्वालापुर में कुछ लोगों ने एक चर्च में प्रार्थना सभा को भंग किया और लोगों को धमकाया.
उनके अनुसार उसी दिन छत्तीसगढ़ के भिलाई में पुलिस ने एक पादरी को पुलिस स्टेशन बुलाया, उन पर धर्मांतरण करवाने का आरोप लगा कर पूछताछ की और फिर छोड़ दिया. उसी दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पादरी नंदू नथानिएल और उनकी पत्नी को धर्मांतरण करवाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.
अमेरिका में भी चिंता
उसी दिन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक एवांजलिस्ट पादरी और उनके चर्च पर हमला किया गया. छत्तीसगढ़ के महासमंद में भी एक चर्च पर हमला किया गया.
पिछले महीने कई पादरियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिख कर पूरे देश में चल रही ईसाई-विरोधी हिंसा को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की थी.
इसी साल अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार द्वारा प्रोत्साहित की जाने वाली हिन्दू राष्ट्रवादी नीतियों की वजह से "धार्मिक स्वतंत्रता" का सुनियोजित तरीके से "घोर उल्लंघन" हो रहा है. भारत सरकार ने रिपोर्ट के नतीजों को पक्षपातपूर्ण और बेबुनियाद बता कर ठुकरा दिया था. (dw.com)
भारत सरकार ने कहा है कि उन मामलों की जांच की जाएगी, जिनका जिक्र सोमवार को पैंडोरा पेपर्स नामक खुलासे में हुआ है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक इन मामलों में कई बड़े उद्योगपतियों और खेल जगत की हस्तियों के नाम हैं.
भारत ने पैंडोरा पेपर्स की जांच की बात कही है तो पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने भी मामलों की जांच का आश्वासन दिया है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन, जिनका नाम दस्तावेजों में शामिल है, ने कहा कि जिनके नाम दस्तावेजों में आए हैं, उनकी जांच होगी.
भारत के वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "सरकार सक्रिय तौर विदेशी अधिकारियों से बात करेगी और प्रासंगिक करदाताओं व कंपनियों की जानकारियां हासिल करेंगे.”
उधर रूस ने कहा है कि व्लादीमीर पुतिन के सहयोगी द्वारा धन छिपाने के बारे में किसी तरह के सबूत इन दस्तावेजों ने नहीं मिलते. वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा था कि पुतिन की एक महिला मित्र ने मोनैको में घर खरीदने के लिए विदेशों में रखे गए धन का इस्तेमाल किया.
क्या है पैंडोरा पेपर्स?
पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है जिन्हें विदेशों में बनाया गया था. 14 कंपनियों के एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों का इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने एक साल तक अध्ययन किया है जिसके बाद ऐसा दावा किया गया है कि विभिन्न देशों के व्यापारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं और खेल व मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियों ने अपना धन छिपाया.
इस पड़ताल में भारत का अखबार इंडियन एक्सप्रेस शामिल था. अखबार के मुताबिक इन दस्तावेजों में 300 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं जिनमें उद्योपति अनिल अंबानी, नीरव मोदी की बहन और किरन मजूमदार शॉ के पति जैसे लोग शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार मीडिया संस्थानों के उस समूह का हिस्सा है जिन्होंने इस दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की है. अखबार के मुताबिक उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके प्रतिनिधियों ने जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और साइप्रस में कम से कम 18 विदेशी कंपनियां बना रखी थीं.
2007 से 2010 के बीच स्थापित सात ऐसी कंपनियों के जरिए कम से कम 1.3 अरब डॉलर उधार लिए गए और निवेश किए गए. चीन के तीन बैंकों से विवाद होने के बाद 2020 में रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने लंदन में एक अदालत से कहा था कि वह दिवालिया हो गए हैं.
एक वकील ने अंबानी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि उनके मुवक्किल ने कानून सम्मत जानकारियां सरकार को दी हैं.
अखबार के मुताबिक इस वकील ने बताया, "हमारे मुवक्किल भारत के करदाता नागरिक हैं और कानून के हिसाब से जो भी जानकारियां सरकार को देनी होती हैं, उन्होंने दी हैं. लंदन की अदालत में जानकारी देते वक्त सारी बातों का ध्यान रखा गया था. रिलायंस एडीए ग्रुप दुनियाभर में व्यापार करता है और जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर कंपनियां बनाई जाती हैं.”
60 से ज्यादा नाम
जिन नामों का खुलासा अब तक किया गया है उनमें पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि 60 से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों और कंपनियों की पड़ताल की गई है जिनका खुलासा आने वाले दिनों में किया जाएगा. अखबार लिखता है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद धनकुबेरों ने अपना धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए हैं.
मिसाल के तौर पर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पनामा पेपर्स खुलासे के सिर्फ तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. सचिन तेंदुलकर के वकील ने कहा है कि उनका सारा निवेश वैध है.
मंगलवार को छापी खबर में अखबार ने भारतीय सेना के इंटेलिजेंस प्रमुख रहे एक सैन्य अफसर और उनके बेटे द्वारा सेशेल्स में कंपनी बनाने की बात कही है. अखबार के मुताबिक 2016 में पनामा पेपर्स का खुलासा होने के तुरंत बाद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार लूंबा ने अपने बेटे राहुल लूंबा के साथ मिलकर रेअरिंट पार्टनर्स लिमिटेड नाम की एक सेशेल्स इंटरनेशनल बिजनेस कंपनी स्थापित कर ली थी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम ने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि वो कोई आतंकवादी नहीं है और उस पर चल रहा मामला कानून की तरफ से स्थापित एक सरकार के कारण नहीं बल्कि किसी बादशाह के हुक्म का नतीजा है. संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ बयान देने के आरोप में इमाम को गिरफ्तार किया गया था.
शरजील इमाम ने 2019 में दो विश्वविद्यालयों में भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से काटने की धमकी दी थी. इस संबंध में दर्ज मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने की. जिन भाषणों के लिए इमाम को गिरफ्तार किया गया था वो कथित तौर पर 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए थे.
शरजील इमाम पर कानून विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है और वो जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं. उसके विरुद्ध राजद्रोह का मामला भी दर्ज है. इमाम के वकील तनवीर अहमद मीर ने जमानत का अनुरोध करते हुए अदालत में कहा कि सरकार की आलोचना करना राजद्रोह नहीं माना जा सकता. मीर ने कहा कि अभियोजन की दलील का पूरा सार ये है कि अब अगर हमारे विरोध में बोलेंगे तो ये राजद्रोह होगा. उन्होंने कहा कि इमाम को सजा इसलिए नहीं दी जा सकती कि उसने सीएए या एनआरसी की आलोचना की.
वकील ने कहा कि शरजील इमाम का अभियोजन कानून की तरफ से स्थापित एक सरकार की अपेक्षा किसी बादशाह का हुक्म अधिक प्रतीत होता है. ये वो तरीका नहीं है जैसे किसी सरकार को काम करना चाहिए. सरकार बदल भी सकती है. कुछ भी स्थाई नहीं है. विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि विरोध जताने के मौलिक अधिकार का अर्थ ये नहीं है कि सार्वजनिक रूप से लोगों को नुकसान पहुंचाया जाए. उन्होंने अदालत में कहा कि इमाम के भाषण के बाद हिंसक दंगे भड़के. प्रसाद ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उसने ये कहकर अराजकता फैलाने का प्रयास किया कि मुस्लिम समुदाय के लिए उम्मीद नहीं बची है और अब कोई रास्ता नहीं है. (tv9hindi.com)
विजयानगर (कर्नाटक), 4 अक्टूबर | राज्य के हुविनाहदगली तालुक के मकरब्बी गांव में दूषित पानी पीने से छह लोगों की मौत हो गई है। वहीं इस घटना के बाद कर्नाटक के नवगठित विजयनगर जिले का प्रशासन हाई अलर्ट पर है। आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए, जिला प्रशासन ने गांव में दो एम्बुलेंस तैनात की हैं ताकि किसी को भी दस्त और उल्टी के लक्षण विकसित होने पर रोगियों को जल्दी से अस्पतालों में स्थानांतरित किया जा सके।
मृतकों की पहचान मकराब्बी गांव के लक्ष्माम्मा, बसम्मा हवानुरू, नीलाप्पा बेलावगी, गोनेप्पा, महादेवप्पा और केंचम्मा के रूप में हुई है। दूषित पानी पीने से बीमार हुए 200 से अधिक लोगों का इलाज बल्लारी, होस्पेट, हुबली, हावेरी और अन्य अस्पतालों में किया जा रहा है।
23 सितंबर को दो लोगों की मौत हो गई थी और एक अन्य व्यक्ति, 50 वर्षीय महिला ने 1 अक्टूबर को दम तोड़ दिया था।
सूत्रों ने कहा कि मकराब्बी गांव जहां त्रासदी हुई, वहां की आबादी 2,000 से अधिक है। बोरवेल में नई पाइप लाइन डालने के दौरान पुराने पाइप क्षतिग्रस्त हो गए और सीवेज का पानी पीने के पानी में मिल गया।
50 से अधिक लोग जिनकी स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो गई है, उन्हें हुबली, दावणगेरे, हावेरी, बल्लारी और अन्य स्थानों के विभिन्न अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि कई अभी भी नाजुक स्थिति में हैं।
तालुक स्वास्थ्य निरीक्षक डॉ विनोद ने कहा कि 26 अगस्त को सबसे पहले उल्टी और दस्त के 9 मामले सामने आए और उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि वह उपचार के बाद ठीक हो गए। अधिकारियों की एक टीम ने गांव का दौरा किया और पानी के तीन नमूने लिए। इनमें से, 2 नमूनों की रिपोर्ट से पता चला कि पानी पीने के उपयोग के लिए अनुपयुक्त है।
23 सितंबर को फिर उल्टी और दस्त के मामले सामने आए। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने गांव में एक अस्थायी अस्पताल खोला और आपात स्थिति में मरीजों को शिफ्ट करने के लिए दो एंबुलेंस तैनात की गईं।
गांव में तीन बोरवेल और एक कुएं को बंद करने की कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि टैंकरों से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और गांव में आरओ प्लांट भी लगाया गया है।(आईएएनएस)
गुरुग्राम, 4 अक्टूबर | साइबर सिटी गुरुग्राम की जिला अदालत में कार्यरत दो वकीलों ने सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो के आधार पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। वायरल वीडियो में मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में भाजपा के किसान मोर्चा की एक बैठक के दौरान प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ कथित तौर पर 'जैसे को तैसा' रणनीति के बारे में बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
शिकायतकर्ता अधिवक्ताओं की पहचान मनदीप सेहरा और दिनेश कुमार के रूप में हुई है।
उन्होंने शिकायत में कहा है, "3 अक्टूबर को एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें हरियाणा के सीएम ने उत्तरी और पश्चिमी हरियाणा के लिए 500, 700 और 1,000 के स्वयंसेवक समूह बनाने के लिए कहा है, क्योंकि दक्षिण हरियाणा में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने 'उठा लो डंडे' (लाठी उठाकर तैयार रहना) जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। उसके बाद हर जगह 'शठे शाठ्यं समाचरेत'.. इसका क्या अर्थ है, जैसे को तैसा।"
शिकायत में कहा गया है कि मुख्यमंत्री खट्टर यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा, "चिंता मत करो, जब आप वहां (जेल में) एक महीना, तीन महीने या छह महीने रहोगे तो बड़े नेता बन जाओगे। इतिहास में नाम भी दर्ज होगा।"
शिकायत में कहा गया है, "यह वीडियो सोशल मीडिया और यूट्यूब पर उपलब्ध है और यहां तक कि कुछ अखबारों ने भी इस खबर को छापा है।" उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री की टिप्पणी के बाद गहरे सदमे में हैं।
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि वे चिंतित हैं कि खट्टर का वीडियो वायरल होने के बाद राज्य में दंगे और हिंसा फैल सकती है।
इसके अलावा, गुरुग्राम जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने सोमवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री का पुतला फूंका।
हरियाणा कांग्रेस की प्रवक्ता निकिता अरोड़ा ने एक बयान में कहा, "हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कह रहे हैं कि एक लाठी उठाओ और जेल की परवाह मत करो। यह बेहद निंदनीय है। मुख्यमंत्री के बयान से यह साबित होता है कि सरकार देश में आपसी भाईचारे को नष्ट करने में लगी हुई है। लोगों को भड़का रही है और हिंसा को बढ़ावा दे रही है।"
बता दें कि खट्टर की इस कथित टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है।
उनका बयान वायरल होने के बाद कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, अगर एक मुख्यमंत्री हिंसा को बढ़ावा देगा तो राज्य में कानून-व्यवस्था कैसे चलेगी।
खट्टर का बयान तब सामने आया है, जब उत्तर प्रदेश में किसानों का आंदोलन हिंसक हो गया है और किसानों का आरोप है कि इस घटना में केंद्रीय मंत्री का बेटा शामिल है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर | राजधानी दिल्ली में एक और सामूहिक दुष्कर्म की घटना सामने आई है। यहां पुलिस ने सोमवार को कहा कि एक ऑटो-रिक्शा लेने वाली 27 वर्षीय एक महिला को राष्ट्रीय राजधानी के आईटीओ क्षेत्र के पास कथित तौर पर कहीं और ले जाया गया और चार लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया। इस वारदात को अंजाम देने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपनी शिकायत में, उत्तर प्रदेश के संभल की रहने वाली महिला ने कहा कि वह शनिवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके से कश्मीरी गेट के लिए ऑटो में बैठी थी।
हालांकि बीच रास्ते में उसे एक सुनसान कमरे में ले जाया गया जहां ऑटो-रिक्शा चालक और तीन अन्य लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसे कश्मीरी गेट पर छोड़ दिया। सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों ने पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण किया है।
इस बीच पुलिस ने अपना जुर्म कबूल करने वाले ऑटो रिक्शा चालक को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने ऑटो रिक्शा चालक समेत 4 आरोपियों के खिलाफ आईपी एस्टेट थाने में प्राथमिकी दर्ज की है।
अन्य तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।(आईएएनएस)
मुंबई, 4 अक्टूबर | मुंबई की एक अदालत ने सोमवार को बॉलीवुड मेगास्टार शाहरुख खान और निर्माता गौरी के बेटे आर्यन खान की एनसीबी हिरासत 7 अक्टूबर तक बढ़ा दी। इसके अलावा, अदालत ने दो सह-आरोपियों मुनमुन धमेचा और अरबाज मर्चेट को भी 7 अक्टूबर तक नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की हिरासत में भेज दिया, जिन्हें आर्यन के साथ गिरफ्तार किया गया था।
एनसीबी के वकीलों और तीनों आरोपियों के वकीलों के बीच कई घंटों की बहस के बाद अदालत ने जमानत के लिए बाद की याचिका को खारिज कर दिया और तीनों को और तीन दिनों के लिए एजेंसी की हिरासत में भेज दिया।
उनकी एक दिन की रिमांड रविवार को खत्म होने के बाद तीनों को अदालत में पेश किया गया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर । संघ परिवार से जुड़े किसान संगठन ने लखीमपुर खीरी में हुई घटना को निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आरोप लगाया है कि घटना में लिप्त लोग किसान नहीं थे। आईएएनएस से बातचीत करते हुए भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने यह आरोप लगाया कि लखीमपुर में वामपंथी तरीकों से घटना को अंजाम दिया गया और घटना में लिप्त लोग किसान नहीं बल्कि विविध राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता थे।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए संघ परिवार से जुड़े भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि लखीमपुर में जिस तरह से लाठियों से पीट-पीटकर लोगों की निर्मम हत्या की गई , वो कम से कम किसान तो नहीं कर सकते। उन्होंने इसके लिए वामपंथी और नक्सली ताकतों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि ये सब राष्ट्रविरोधी ताकते हैं, इसलिए भारतीय किसान संघ इस कृत्य की भर्त्सना करता है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करता है ताकि अपराधियों को कठोर से कठोर दंड दिया जा सके।
बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि कानून हाथ में लेना, सरेआम हत्याएं कराना, ऐसा लगता है कि प्रोफेशनल जल्लादों ने यह काम किया है। उन्होने इस पूरे मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच करवा कर, जिम्मेदार लोगों को कठोरतम दंड देने की मांग की है।
बद्रीनारायण चौधरी ने आरोप लगाया कि यह सियासत करने वाले तथाकथित किसानों और किसान नेताओं का कृत्य है, जिसको देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी।
इस तरह की घटना होने की आशंका पहले ही जताने का दावा करते हुए भारतीय किसान संघ के नेता ने कहा कि संघ ने भी एमएसपी के मुद्दें पर 8 सितंबर को देशव्यापी आंदोलन किया था। जिस आंदोलन में देशभर के 97 हजार किसानों ने देश के 513 जिलों पर धरना-प्रदर्शन किया जो पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा था।
भारतीय किसान संघ ने घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को जल्द से जल्द न्याय देने की मांग भी की है।( आईएएनएस)
चेन्नई, 4 अक्टूबर | मद्रास उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति (एससी), पिछड़ा वर्ग (बीसी) और महिलाओं के लिए आरक्षण में विसंगतियों का आरोप लगाए जाने के बाद सोमवार को पुडुचेरी में निकाय चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति पी.डी. ऑडिकेसवालु ने यह आदेश इसलिए दिया, क्योंकि इन श्रेणियों के लिए आरक्षण में विसंगतियों पर सुनवाई के लिए कई याचिकाएं आई थीं।
इसमें कहा गया, "नामांकन प्राप्त करने की प्रक्रिया जो पहले शुरू हो चुकी है, उसे रोक दिया जाएगा। पहले विसंगतियों को दूर किया जाए और प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने से पहले दूर किया जाए।"
यह आदेश तब आया, जब पुडुचेरी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर. शंकरनारायणन ने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश की सरकार को चुनाव टालने की सलाह दी थी।
अदालत ने कहा कि एएसजी ने उसे सूचित किया था कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 21 अक्टूबर से होने वाले निकाय चुनाव को टाल दिया जाएगा।
नामांकन दाखिल करना 30 सितंबर से शुरू होना था, लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी और केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों से विसंगतियों को सुधारने के बारे में संतोषजनक जवाब देने को कहा। कोर्ट ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने की अनुमति दे दी थी।
पहले चरण का मतदान 21 अक्टूबर, दूसरे चरण का 25 अक्टूबर और तीसरे चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होना है।
निर्दलीय विधायक जे.प्रगाश कुमार और पूर्व नगर निकाय पार्षद पेरियनन ने अदालत में याचिका दायर कर चुनाव की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की।(आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 4 अक्टूबर | केरल विधानसभा में कांग्रेस के सभी विधायकों ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आधिकारिक आवास पर विरोध प्रदर्शन किया। विधायकों ने विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन के नेतृत्व में यह प्रदर्शन किया। सतीसन ने कहा, "उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में जो हुआ, वह एक केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे का काम था, जो किसानों को खत्म करने के लिए माफिया डॉन की तरह काम कर रहे हैं।"
सतीसन ने कहा, "गांधी को हिरासत में लेने का कृत्य और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों का रास्ता रोकना लोकतांत्रिक अधिकारों पर धब्बा है। जो कृषि कानून पारित किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह केवल कॉर्पोरेट की मदद करने के लिए है। केंद्र को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और किसानों की मदद करने के लिए सही फैसला लेना चाहिए।"
प्रियंका को सोमवार सुबह से सीतापुर पीएसी मुख्यालय में हिरासत में रखा गया है। उन्हें जिस कमरे में रखा गया है, उसमें पर्याप्त साफ-सफाई नहीं थी, जिसके बाद प्रियंका ने झाड़ू मांगा और खुद ही कमरे की सफाई में जुट गईं। प्रियंका गांधी का कमरा साफ करते हुए एक वीडियो भी अब वायरल हो गया है।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 4 अक्टूबर | पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू सोमवार को उत्तर प्रदश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के खिलाफ राजभवन के बाहर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें पार्टी विधायकों के साथ हिरासत में ले लिया गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान सिद्धू ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाए, हरियाणा के मुख्यमंत्री के भड़काऊ बयान और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की गिरफ्तारी की निंदा की।
उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को कार से रौंदने के आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे की गिरफ्तारी की मांग की।
चंडीगढ़ पुलिस ने बाद में सिद्धू और अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
सिद्धू ने प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए लिखे एक ट्वीट में कहा, "यूपी के लखीमपुर खीरी में केंद्र सरकार द्वारा किसानों पर अत्याचार, बर्बर हत्या का विरोध करने पर आपको गिरफ्तार किया गया। हम अपनी आखिरी सांस तक किसानों के साथ मजबूती से खड़े हैं!!"
उन्होंने आगे लिखा, "साहस, तेरा नाम एट द रेट प्रियंका गांधी है!!"
सिद्धू ने पिछले हफ्ते महाधिवक्ता और डीजीपी की नियुक्ति के विरोध में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने न अभी तक न तो अपना इस्तीफा वापस लिया है और न ही आलाकमान ने अब तक उनकी स्थिति पर कोई सफाई दी है।(आईएएनएस)
मेरठ (यूपी), 4 अक्टूबर | उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में 'ऑनर किलिंग' के एक मामले में चार लोगों ने दूसरी जाति के व्यक्ति से शादी करने पर अपनी बहन की कथित तौर पर हत्या कर दी। यह घटना शनिवार को हुई, जब तीन भाइयों और चचेरे भाइयों ने कथित तौर पर अपनी 18 वर्षीय बहन को परिवार का नाम 'बदनाम' करने का आरोप लगाते हुए मार डाला।
आरोपियों ने बहन को मारने में अपने दोस्तों की मदद ली। पुलिस ने 10 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक, युवती ने अलग जाति के लड़के से शादी कर ली थी और उसका परिवार इस शादी के खिलाफ था।
युवती ने हाल ही में अपने परिवार को दूसरी जाति के युवक से अपने रिश्ते के बारे में बताया था, जिससे उसके भाई नाराज हो गए थे। परिवार ने उस पर अपनी पसंद के किसी और युवक से शादी करने का दबाव बनाया।
युवती के 'पति' ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि 18 वर्षीय युवती ने बुरी तरह पीटे जाने के बाद दम तोड़ दिया। उसके परिवार ने आनन-फानन में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
भवनपुर के थाना प्रभारी ने बताया कि 10 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (अपराध के सबूत मिटाने) और 147 (दंगा करने) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एसएचओ ने कहा, "हमने परिवार के सदस्यों से पूछताछ शुरू कर दी थी और उन्हें शक हुआ, क्योंकि वे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस दल अब संदिग्धों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं।"
शिकायतकर्ता ने प्राथमिकी में दावा किया कि उसने इसी साल जुलाई में एक मंदिर में शादी की थी। उसने आरोप लगाया कि उसकी 'पत्नी' को भाइयों से जान से मारने की धमकी मिल रही थी।
युवक ने पत्नी के बारे में कहा, "जुलाई में वह 18 साल की हो गई, उसके बाद हमने शादी कर ली। उसके परिवार को हमारी शादी के बारे में पता चला। मेरी शिकायत पर पुलिस के पहुंचने से पहले उसके परिवार ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।" (आईएएनएस)
कश्मीर के मधुमक्खी पालक सर्दी के मौसम में गर्म इलाके में शहद उत्पादन के लिए जाते हैं. वे हर साल करीब 750 किलोमीटर की यात्रा करते हैं.
जैसे-जैसे सर्दियों के महीने नजदीक आ रहे हैं आबिद हुसैन जैसे कश्मीरी मधुमक्खी पालक गर्म मौसम, अधिक शहद और मोटी कमाई की तलाश में वादी से निकलकर वार्षिक प्रवास की तैयारी कर रहे हैं.
हुसैन अपने हाथों और चेहरे को मधुमक्खी के डंक से बचाने के लिए सुरक्षात्मक गियर का इस्तेमाल करते हैं. वे हिमालयी क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में मधुमक्खियों को भेजने के लिए तैयारी कर रहे हैं. हुसैन कहते हैं, "सर्दियों में कश्मीर में प्रकृति समेत सब कुछ ठप हो जाता है." हुसैन यहां से करीब 750 किलोमीटर दूर राजस्थान के श्रीगंगानगर के सरसों के खेतों में मधुमक्खियों को ले जाएंगे.
उनके दर्जनों साथी मधुमक्खी पालक भी इसी तरह से शरद ऋतु में यात्रा करते हैं. वे पहाड़ी रास्तों से होते हुए मैदानी इलाकों के गर्म क्षेत्र में जाते हैं.
शहद के उत्पादन का काम करने वाले किसान 1980 के दशक से इस तरह की यात्रा कर रहे हैं, जब एक कीट रोग ने स्थानीय मधुमक्खियों की आबादी को लगभग मिटा दिया. इसके बाद यहां यूरोपीय प्रजाति की मधुमक्खी को पालने का चलन बढ़ा जो कि हिमालयी ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील है.
अब करोड़ों मधुमक्खियां हर साल कश्मीर के समृद्ध कृषि फसलों से रस लेती हैं और इससे मधुमक्खी पालकों को बेहतर कारोबार मिल पाता है. श्रीगंगानगर में रहने के दौरान मधुमक्खी के प्रत्येक छत्ते से करीब 9 हजार रुपये का शहद हुसैन को मिल पाता है.
कठोर मौसम का असर
सरसों के खेत में मधुमक्खियां फूलों से रस लेकर शहद बनाती हैं और इसी के साथ वे पॉलिनेशन यानी परागण का काम भी करती हैं. इसी कारण सरसों के किसान उनके आने से खुश रहते हैं.
कश्मीर के कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर परवेज अहमद सोफी कहते हैं कि मधुमक्खी पालकों के लिए वार्षिक यात्रा उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है. वे कहते हैं, "प्रवासन मधुमक्खियों को कठोर मौसम से बचाता है, उन्हें कॉलोनियों को दोबारा बनाने और शहद का उत्पादन करने में मदद करता है." वे कहते हैं इसके बिना मधुमक्खी पालकों के पास साल में केवल दो फसलें होती हैं, अगर वे राजस्थान की यात्रा करते हैं तो चार फसलें होती हैं.
फरवरी में तापमान बढ़ने के साथ हुसैन उत्तर की ओर अपनी वापसी शुरू करेंगे. वे वापसी में पाकिस्तान की सीमा के पास प्राचीन शहर पठानकोट में दो महीने के लिए भी रुकेंगे.
अप्रैल के शुरूआत में वे लीची पर फूल आने का यहीं इंतजार करेंगे और उसके बाद वे एक और फसल के बाद घर वापसी करेंगे. लेकिन कश्मीर घाटी में अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र का तापमान बढ़ रहा है, जबकि भयंकर सर्दियों के तूफान इसके वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं.
पिछले साल लगभग 750 टन शहद का उत्पादन किया गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में और अधिक उत्पादन हो सकता है. हाल के सालों में तूफान, गर्म सर्दी और अप्रत्याशित बारिश ने उत्पादन को प्रभावित किया है. (dw.com)
एए/सीके (एएफपी)
भारत में सेलिब्रिटियों द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन की खबरें अक्सर सुर्खियां बटोर लेती हैं और इन पदार्थों की आपूर्ति की समस्या पर ध्यान ही नहीं जा पाता. जानिए भारत में ड्रग्स की समस्या कितनी बड़ी है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
तीन अक्टूबर को बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने की खबर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी. आर्यन को मुंबई के तट के करीब समुद्र में एक क्रूज शिप पर हो रही पार्टी पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा मारे गए छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया.
एनसीबी के अनुसार इस छापे में कुल 13 ग्राम कोकीन, 21 ग्राम चरस, एमडीएम प्रतिबंधित दवा की 22 गोलियां और पांच ग्राम एमडी बरामद की गई. अगर आप इसे कोई बहुत बड़ी मात्रा समझ रहे हैं तो जान लीजिए कि भारत में हर साल दो से चार टन चरस और कम से कम 300 टन गांजा बरामद किया जाता है.
करोड़ों लोग करते हैं सेवन
इसके अलावा 2017 में देश में कुल 69 किलो कोकीन जब्त की गई थी. ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी) ने 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में दिए थे.
भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में नशे के लिए शराब के बाद सबसे ज्यादा सेवन भांग, गांजा, चरस और अफीम का किया जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में कम से कम तीन करोड़ लोगों ने भांग, गांजा और चरस का सेवन किया और कम से कम 2.26 करोड़ लोगों ने अफीम, डोडा, फुक्की और हेरोइन का इस्तेमाल किया. इनके अलावा कोकीन (0.10 प्रतिशत), एम्फेटामाइन जैसे उत्तेजक पदार्थ (0.18 प्रतिशत) और हैलूसिनोजेन पदार्थों (0.12 प्रतिशत) का सेवन तुलनात्मक रूप से कम ही होता है.
भांग, गांजा और चरस का सबसे ज्यादा सेवन उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में पाया गया. अफीम और उसके अलग अलग प्रकारों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में पाया गया.
अफीम की खेती
संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स और जुर्म संस्था (यूएनओडीसी) कहती है कि भारत दुनिया के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादन के इलाकों के ठीक बीच में है. इन्हें गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल कहा जाता है. इसकी वजह से भारत अफीम और उसके अलग अलग प्रकारों के व्यापार का ना सिर्फ एक बड़ा रास्ता है बल्कि ठिकाना भी है.
देश के अंदर अभी भी भारी मात्रा में अवैध अफीम उगाई जाती है, जो अपने आप में चिंता का विषय है. अफीम का इस्तेमाल खाने के कुछ उत्पादों में और दवा के रूप में भी होता है जिसके लिए नियंत्रित मात्रा में इसे उगाने के लिए एनसीबी लाइसेंस देता है.
लेकिन 2017 में जहां 2,322.5 हेक्टेयर भूमि पर अफीम की वैध खेती की अनुमति थी, उसके मुकाबले 3,000 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर अफीम की अवैध खेती पाई गई. इन खेतों को नष्ट कर दिया गया. उसी साल 3,400 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि पर भांग की अवैध खेती भी पाई गई और नष्ट कर दिया गया.
भ्रष्टाचार से मदद
भारत में इस तरह के नशीले पदार्थों का कितना बड़ा बाजार है इसका अंदाजा इनके दामों से लगाया जा सकता है. यूएनओडीसी की 2010 की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भारत में थोक बाजार में हेरोइन का दाम था दो लाख रुपए प्रति किलो. खुले में 600-800 रुपये में आधा ग्राम हेरोइन मिलती थी.
आधा ग्राम ब्राउन शुगर का दाम था 250-350 रुपए. इसी तरह हशीश का थोक बाजार में दाम था 13,500 रुपए प्रति किलो लेकिन रिटेल में देश के कई इलाकों में 35,000 रुपए प्रति किलो के दाम पर भी उपलब्ध थी. गांजा का थोक भाव 400 रुपए प्रति किलो के आस पास था, लेकिन सड़कों पर यह 4,000 - 6,000 रुपए प्रति किलो में उपलब्ध थी.
यह पुराने दाम हैं और इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में इनके बाजार का क्या आकार हो चुका होगा. माना जाता है कि नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में इतना पैसा होने की वजह से भ्रष्ट अधिकारी भी इसमें शामिल हो जाते हैं और उनकी मिलीभगत से व्यापार चलता रहता है. (dw.com)
चंद महीनों पहले हुए विधानसभा चुनाव में जो बीजेपी ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रही थी, वह उपचुनाव में बिल्कुल फीकी नजर आई. ममता बनर्जी के सामने राज्य में पूरा विपक्ष बेबस दिखा.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
पश्चिम बंगाल में बीते सप्ताह जिन तीन सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें सबकी निगाहें कोलकाता की भवानीपुर सीट पर लगी थी. यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार थीं. इलाके की करीब 46 फीसदी गैर-बंगाली आबादी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने यहां एक हिंदीभाषी प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारा था. इस सीट पर ममता की जीत कोई खबर नहीं है. उनकी जीत के भारी अंतर से भी किसी को कोई अचरज नहीं है. वोटर भी जानते थे कि वे मुख्यमंत्री को वोट दे रहे हैं.
लेकिन भवानीपुर और बाकी दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने राज्य में विपक्षी राजनीति का मौजूदा चेहरा उजागर कर दिया है. नेतृत्व में बदलाव और आंतरिक गुटबाजी से जूझ रही बीजेपी महज छह महीने पहले तक टीएमसी को कड़ी चुनौती देती नजर आ रही थी. लेकिन उपचुनाव में उसका खाता तक नहीं खुल सका. उसके विधायकों की तादाद भी लगातार घटती जा रही है. अप्रैल-मई में हुए विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीतने वाली भगवा पार्टी के पास अब महज 70 विधायक ही बचे हैं. कांग्रेस ने तो भवानीपुर में उम्मीदवार नहीं देने का फैसला कर अपनी लाज बचा ली. लेकिन सीपीएम उम्मीदवार की दुर्गति हो गई और उसे नोटा से महज 27 सौ वोट ही ज्यादा मिले. कई राउंड में पार्टी नोटा से भी पिछड़ी थी.
ममता की जीत
भवानीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए नाक और साख का सवाल बन गया था. दरअसल, भवानीपुर में सवाल कभी यह नहीं रहा कि ममता जीतेंगी या नहीं. यहां सबसे बड़ा सवाल था कि वे कितने वोटों के अंतर से जीतेंगी? ममता ने करीब 59 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. इससे पहले वर्ष 2011 में हुए उपचुनाव में यहां वे करीब 54 हजार वोटों से जीती थीं. वर्ष 2016 में उनकी जीत का अंतर करीब 25 हजार था जबकि इस साल अप्रैल में हुए चुनाव में टीएमसी उम्मीदवार शोभनदेव चटर्जी ने करीब 29 हजार वोटों से जीत हासिल की थी. इससे साफ है कि अबकी जीत का अंतर दोगुने से ज्यादा है.
अपनी रिकॉर्ड जीत के बाद ममता ने कहा, "नंदीग्राम की साजिश का भवानीपुर के लोगों ने माकूल जवाब दे दिया है.” यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि नंदीग्राम में कड़े मुकाबले में ममता बीजेपी उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से 1,956 वोटों से हार गई थी. हालांकि उन्होंने इस नतीजे को हाई कोर्ट में चुनौती दी है और यह मामला विचाराधीन है.
भवानीपुर के अलावा मुर्शिदाबाद जिले की जिन दो सीटों-जंगीपुर और शमशेरगंज में उपचुनाव हुआ, वे भी टीएमसी ने भारी अंतर से जीत ली हैं.
जातीय समीकरण
भवानीपुर इलाका अपनी आबादी की विविधता की वजह से ‘मिनी इंडिया' कहा जाता है. इलाके में करीब 46 फीसदी गैर-बंगाली हैं और 20 फीसदी अल्पसंख्यक. ममता ने दावा किया कि इस बार उनको सभी तबके के लोगों का समान समर्थन मिला है. चुनाव नतीजों के विश्लेषण से ममता का दावा सही नजर आता है. बीते अप्रैल में विधानसभा चुनाव के समय पार्टी के उम्मीदवार शोभनदेव चटर्जी को यहां 57.71 फीसदी वोट मिले थे जबकि ममता को 71.91 फीसदी वोट मिले हैं. यानी पार्टी को मिलने वाले वोटों में करीब 25 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है. दूसरी ओर, पिछले चुनाव में यहां बीजेपी उम्मीदवार को 35.16 फीसदी वोट मिले थे जबकि अबकी पार्टी उम्मीदवार प्रियंका को 22.29 फीसदी वोटों से ही संतोष करना पड़ा है.
सबसे खराब स्थिति रही सीपीएम उम्मीदवार श्रीजीव विश्वास की. उनको महज 3.56 फीसदी वोट ही मिल सके. हालांकि शुरुआती कई राउंड तक नोटा को मिले वोटों से भी पीछे चलने वाले श्रीजीव को इस बात का संतोष हो सकता है कि आखिर में उनके और नोट में पड़े वोटों के बीच करीब 27 सौ वोटों का अंतर रहा. बीते विधानसभा चुनाव में यहां लेफ्ट-कांग्रेस गठजोड़ के उम्मीदवार को 4.09 फीसदी यानी करीब एक हजार वोट ज्यादा मिले थे.
अब सवाल उठ रहा है कि वर्ष 2011 में सत्ता से बाहर होने वाली सीपीएम क्या बंगाल की राजनीति में पूरी तरह अप्रासंगिक हो चुकी है? पार्टी के वरिष्ठ नेता रबीन देब कहते हैं, "विधानसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन बेहद खराब रहा और खाता तक नहीं खुला था. अब छह महीने से भी कम समय में होने वाले उपचुनाव से पहले हमें संगठित होने का मौका नहीं मिल सका. लेकिन नतीजा इतना खराब होने की उम्मीद नहीं थी.” उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री को जिताने के लिए पूरा सरकारी तंत्र मैदान में उतर गया था.
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं, "सीपीएम की इतनी दुर्गति होगी, यह किसी ने कल्पना तक नहीं की थी. अगर हमने उम्मीदवार खड़ा किया होता तो इससे कई गुना ज्यादा वोट मिले होते. शमशेरगंज और जंगीपुर के नतीजे इसका सबूत हैं. इससे पता चलता है कि हमारी पार्टी बंगाल की राजनीति में अब भी प्रासंगिक है.”
बीजेपी की अंतरकलह
भवानीपुर सीट पर उपचुनाव से पहले बीजेपी में आंतरिक कलह भी लगातार तेज हो रही थी. मतदान से ठीक पहले जहां आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो ने टीएमसी का दामन थाम लिया, वहीं अचानक प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा दिया गया. उनकी जगह बालूरघाट के सांसद सुकांत मजूमदार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. तेजी से बदले इस घटनाक्रम से साफ है कि बीजेपी कभी चुनौती देने की स्थिति में नहीं रही. चुनाव अभियान के दौरान भी केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी और स्मृति ईरानी के अलावा कोई बड़ा नेता यहां नजर नहीं आया.
जहां तक प्रियंका टिबरेवाल को टिकट देने का सवाल है, पार्टी के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं था. पहले मिथुन चक्रवर्ती समेत कई बड़े नामों को भवानीपुर में मैदान में उतरने के लिए मनाया गया था. लेकिन सबने हाथ खड़े कर दिए थे. आखिर में पहले दो चुनाव हार चुकी प्रियंका को ही मैदान में उतारा गया. इलाके के जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी को उम्मीद थी कि वे जीत भले नहीं सकें, ममता को खासी टक्कर दे सकती हैं. लेकिन नतीजों से साफ है कि पार्टी के तमाम समीकरण गड़बड़ा गए. हालांकि नतीजों के बाद अब पार्टी के नेता चुनावी धांधली के आरोप उठा रहे हैं. मतदान के दौरान पार्टी ने करीब दो दर्जन शिकायतें चुनाव आयोग को भेजी थीं. लेकिन आयोग ने निराधार बताते हुए उनको खारिज कर दिया था.
विपक्ष का चेहरा
क्या भवानीपुर की भारी जीत ने ममता बनर्जी को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनको विपक्षी राजनीति का सबसे अहम चेहरा बना दिया है. टीएमसी नेताओं के अलावा सपा नेता अखिलेश यादव तो कम से कम ऐसा ही मानते हैं. अखिलेश यादव ने जीत पर शुभकामनाएं देते हुए ममता को ही विपक्षी गठबंधन का चेहरा करार दिया है. एनसीपी नेता शरद पवार,तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के हेमंत सोरेन और कांग्रेस के नेता कमलनाथ और आनंद शर्मा समेत दर्जनों नेताओं ने ममता को जीत की बधाई दी है.
टीएमसी के वरिष्ठ नेता फिरहाद हकीम कहते हैं, "ममता ने भवानीपुर की भारी जीत के साथ ही मोदी-विरोधी यात्रा शुरू कर दी है. हर तबके के लोगों ने ममता का समर्थन किया है. इसलिए अब उनके मोदी-विरोध का सबसे बड़ा चेहरा होने पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता.”
लेकिन बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार इससे सहमत नहीं है. वह कहते हैं, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का कोई मुकाबला नहीं है. इसलिए प्रधानमंत्री बनने का ममता का सपना महज सपना ही बन कर रह जाएगा.”
हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन के कारण राजमार्ग बंद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर समस्या के हल के लिए विभिन्न किसान संगठनों के 43 लोगों को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत में सोमवार को इस पर सुनवाई होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हरियाणा सरकार ने किसान आंदोलन के कारण राजमार्ग बंद होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर समस्या के हल के लिए विभिन्न किसान संगठनों के 43 लोगों को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत में सोमवार को इस पर सुनवाई होगी। नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्र वाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सड़क बंद होने के कारण दिल्ली जाने-आने में हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने लंबे समय से राजमार्गों के बंद रहने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि रास्ते को हमेशा के लिए बाधित नहीं किया जा सकता।
कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन के चलते राजमार्गो के बंद होने का मामला
यह भी कहा था कि कोर्ट व्यवस्था देता है उसे लागू कैसे किया जाए, यह देखना कार्यपालिका का काम है। हरियाणा ने कोर्ट से किसान संगठनों के नेताओं को पक्षकार बनाने का आग्रह किया था जिस पर कोर्ट ने उनसे औपचारिक अर्जी दाखिल करने को कहा था। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में भाकियू के राकेश टिकैत और स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव के भी नाम
अब हरियाणा सरकार की ओर से दायर की गई अर्जी में विभिन्न किसान संगठनों के 43 लोगों को पक्षकार बनाया गया है। इसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के ही ऋषभ चौधरी, क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन पाल, भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहा के जोगिन्दर सिंह, कुल हिंद किसान संघर्ष तालमेल कमेटी के हन्नान मोल्लाह, स्वाराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव शामिल हैं। किसान महापंचायत की अर्जी पर भी आज सुनवाई इस मामले के अलावा किसान महापंचायत की अर्जी भी सोमवार को सुनवाई पर लगी है, जिसमें जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को आड़े हाथ लिया था
इस पर न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने किसानों द्वारा सड़क रोकने से लोगों को हो रही दिक्कतों पर नाराजगी जताते हुए किसान महापंचायत को आड़े हाथ लिया था। संगठन की ओर से जब कहा गया कि उन्होंने सड़क बाधित नहीं की है बल्कि पुलिस ने बाधित की है और वे किसानों के धरने में शामिल नहीं हैं, तो कोर्ट ने संगठन को हलफनामा दाखिल कर यह बात कहने का निर्देश दिया था और मामले को सोमवार को सुनवाई पर लगा दिया था। (jagran.com)
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कार से कुचलकर किसानों के मारे जाने के बाद भड़की हिंसा में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है. इलाके में तनाव है और विपक्ष के कई बड़े नेता आंदोलन स्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
रविवार को लखीमीपुर खीरी में भड़की हिंसा में कम से कम आठ लोगों की मौत हो चुकी है. किसान लखीमपुर खीरी जिले में प्रदर्शन कर रहे थे, जहां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कार्यक्रम होना था.
खबरों के मुताबिक मंत्री मिश्रा के काफिले में शामिल वाहनों में से दो ने किसानों को कुचल दिया. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने समाचार चैनल सीएनएन-न्यूज18 को बताया, "लखीमीपुर खीरी की घटना में आठ लोग मारे गए हैं. इनमें से चार किसान थे और चार लोग वाहनों में सवार थे.”
सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जिनमें किसानों को खून से लथपथ सड़क किनारे कराहते देखा जा सकता है. जलती कारों के वीडियो और तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझी की गई हैं.
मंत्री के बेटे की भूमिका
किसान संगठनों ने दावा किया है कि जिस कार ने चार किसानों को कुचला, उसमें मंत्री अजय मिश्रा का बेटा या तो खुद सवार था या फिर चला रहा था. घटना के बाद भड़के किसानों ने कारों में आग लगा दी. हिंसा के दौरान चार उन लोगों की मौत हो गई जो मंत्री के काफिले का हिस्सा थे.
अजय मिश्रा ने अपने बेटे के घटना में शामिल होने के दावे को गलत बताया है. उन्होंने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने उनके काफिले पर हमला किया और भारतीय जनता पार्टी के तीन कार्यकर्ताओं व एक ड्राइवर की हत्या कर दी.
उन्होंने कहा कि कार को उनका ड्राइवर चल रहा था और शरारती तत्वों द्वारा पथराव किए जाने के बाद उसने नियंत्रण खो दिया और लोगों पर चढ़ गई. समाचार एजेंसी एएनआई से मिश्रा ने कहा, "अगर मेरा बेटा वहां होता तो वह जिंदा वापस न आता.”
पुलिस ने अजय मिश्रा के बेटे समेत कई लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घटना को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. रविवार को उन्होंने ट्विटर पर कहा, "जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है. यूपी सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी तथा घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी व दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी.”
इस बीच जिले में इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गईं और राज्य की राजधानी लखनऊ की ओर जाने वाली सड़कों पर नाकेबंदी कर दी गई है.
विपक्ष के कई नेताओं ने घटना पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ट्वीट कर कहा, "जो इस अमानवीय नरसंहार को देखकर भी चुप है, वो पहले ही मर चुका है. लेकिन हम इस बलिदान को बेकार नहीं होने देंगे- किसान सत्याग्रह जिंदाबाद!”
उनकी बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. खबर है कि वह लखीमपुर खीरी जाने के प्रयास में हैं. उन्होंने अपने ट्विटर पर कहा कि किसान सत्याग्रह और मजबूत होगा.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, "भाजपा देश के किसानों से कितनी नफरत करती है? उन्हें जीने का हक नहीं है? यदि वे आवाज उठाएंगे तो उन्हें गोली मार दोगे, गाड़ी चढ़ाकर रौंद दोगे? बहुत हो चुका. ये किसानों का देश है, भाजपा की क्रूर विचारधारा की जागीर नहीं है. किसान सत्याग्रह मजबूत होगा और किसान की आवाज और बुलंद होगी."
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने लिखा, "लखीमपुर खीरी में भाजपाइयों द्वारा गाड़ी से रौंदे जाने की घटना में गंभीर रूप से घायल किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क जी से अभी थोड़ी देर पहले बात हो पाई. उनकी अति गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार तुरंत उन्हें सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराए. बस एक मांग मुख्यमंत्री इस्तीफा दें.”
किसान आंदोलन का एक साल
पिछले लगभग एक साल से भारत के कई हिस्सों में किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. पिछले हफ्ते ही किसानों ने इन कानूनों को राष्ट्रपति की मंजूरी का एक साल पूरा होने पर प्रदर्शन किया था.
केंद्र ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक पिछले साल अध्यादेश की शक्ल में जून में लागू कर दिए थे. उसके बाद इन्हें संसद में पेश किया गया.
विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के किसान इन तीनों अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य है अनाज, दालों, तिलहन, आलू और प्याज जैसी सब्जियों के दामों को तय करने की प्रक्रिया को बाजार के हवाले करना. बिल के आलोचकों का मानना है कि इससे सिर्फ बिचौलियों और बड़े उद्योगपतियों का फायदा होगा और छोटे और मझौले किसानों को अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पाएंगे.
भारत सरकार का कहना है कि कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सुधारों की जरूरत है और ये कानून उसी मकसद से लाए गए हैं. लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों को डर है कि ये कानून उन्हें बड़े उद्योगपतियों के रहम ओ करम पर ले आएंगे.
लखीमपुर खीरी की घटना का राजनीतिक महत्व भी है क्योंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिनके लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य दल भी प्रचार मोड में आ चुके हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
चंडीगढ़, 2 अक्टूबर | पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों के खिलाफ रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) द्वारा दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और विभिन्न किसान संगठनों के सदस्यों के खिलाफ मामलों को वापस लेने पर विचार करने के लिए कहा है।
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के हिस्से के रूप में किसानों ने पंजाब में रेलवे पटरियों पर धरना दिया था।(आईएएनएस)
निशांत अरोड़ा
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर | फेसबुक के स्वामित्व वाला व्हाट्सएप, जिसने 2018 में भारत में अपने महत्वाकांक्षी पीयर-टू-पीयर (पी2पी) डिजिटल भुगतान पायलट प्रोजेक्ट को लगभग 10 लाख उपयोगकर्ताओं के साथ शुरू किया था, अब इसे और अधिक सफल बनाने में विफल रहा है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) भुगतानों के लेनदेन मूल्य के रूप में अपनी स्थापना के तीन साल से अधिक समय से देश में सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
सितंबर महीने में 6,54,351 करोड़ रुपये के 3.65 अरब लेनदेन दर्ज किए गए। भारत में प्रमुख यूपीआई खिलाड़ी इस समय फोनपे, आईपीओ-बाउंड पेटीएम और गूगल पे हैं। फोनपे का लेन-देन पर हावी होना जारी है - लगभग आधा बाजार आकार 47 प्रतिशत पर, इसके बाद गूगल पे 35 प्रतिशत पर है।
मार्क जुकरबर्ग द्वारा संचालित प्लेटफॉर्म के लिए मौजूदा आंकड़े निराशाजनक हैं। नवीनतम एनपीसीआई आंकड़ों के अनुसार, देर से प्रवेश करने वाले व्हाट्सएप के पास इस समय यूपीआई भुगतान मात्रा का केवल 0.01 प्रतिशत हिस्सा है।
दो साल से अधिक समय तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ नियामक बाधाओं और डेटा अनुपालन मुद्दों का सामना करने के बाद, व्हाट्सएप आखिरकार पिछले साल नवंबर में भारत में यूपीआई भुगतान सेवा के साथ लाइव हो गया, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से मंजूरी मिली थी।
फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेजिंग सेवा को एनपीसीआई से चरणबद्ध तरीके से यूपीआई को लाइव करने की मंजूरी मिली थी।
व्हाट्सएप भुगतान अभी भी देश में लगभग 2 करोड़ उपयोगकर्ताओं की सीमा तक ही सीमित है। इसका विकास रुक गया है और संख्या स्पष्ट रूप से एक खेदजनक तस्वीर पेश करती है।
व्हाट्सएप, जिसके भारत में 40 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं, पेटीएम, फोनपे और गूगल पे के प्रभुत्व वाले देश में अपनी भुगतान सुविधा को तेजी से ट्रैक करने में विफल रहा है।
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक मिश्रित बैग है, जिसका नेतृत्व प्रमुख वित्तीय डेटा की सुरक्षा, नवीनतम फेसबुक डेटा-साझाकरण पंक्ति, अपने उपयोगकर्ताओं के लिए अपर्याप्त संदेश और विनियमन परिदृश्य पर अनिश्चितताओं पर गरमागरम राजनीतिक बहस के कारण होता है।
देश के शीर्ष साइबर कानून विशेषज्ञों में से एक पवन दुग्गल ने आईएएनएस को बताया, "व्हाट्सएप भुगतानों को सूक्ष्म नजर से देखने की जरूरत है, मुख्य रूप से भुगतान में, क्योंकि आप संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा के साथ काम करेंगे और साइबर सुरक्षा व्हाट्सएप के लिए अपने उचित परिश्रम को प्रदर्शित करने के लिए एक आवश्यक बिल्डिंग ब्लॉक घटक होने जा रहे हैं।"
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के उद्योग खुफिया समूह (आईआईजी) के प्रमुख प्रभु राम ने कहा कि भारत के लिए व्हाट्सएप लंबे समय से पसंदीदा मैसेजिंग ऐप रहा है।
राम ने आईएएनएस से कहा, "मोबाइल भुगतान जैसे अन्य क्षेत्रों में व्हाट्सएप की पहुंच और पैमाने का लाभ उठाना प्लेटफॉर्म के लिए एक आसान और स्वाभाविक कदम होगा। हालांकि, मैसेजिंग के आसपास व्हाट्सएप की मजबूत ब्रांड प्रतिध्वनि व्हाट्सएप के भुगतान में बाधा उत्पन्न कर रही है।"
आरबीआई के अप्रैल 2018 के परिपत्र के अनुसार, डेटा स्थानीयकरण के अनुपालन के लिए व्हाट्सएप भुगतान के खिलाफ मामला अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। सेंटर फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएएससी) व्हाट्सएप को कोर्ट ले गया था।
पिछले कुछ महीनों में भारत में डेटा संरक्षण की बहस अपने चरम पर पहुंच गई है और सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई लगातार सोशल मीडिया ऐप्स को डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में अनुमति देने के जोखिम का मूल्यांकन कर रहे हैं।
ऐसे 'विश्वास की कमी' के समय में, व्हाट्सएप के लिए डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करना और भी कठिन है।
व्हाट्सएप ने गुरुवार को अपने चैट कंपोजर में भारतीय रुपये के प्रतीक का अनावरण किया, ताकि भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग करके भुगतान भेजना आसान हो सके।
कंपनी के अनुसार, इन नवीनतम अपडेट के साथ व्हाट्सएप पर भुगतान अधिक समावेशी और सहज हो जाएगा।
'भारत' को सरल समाधानों की आवश्यकता है जो 'भुगतान कैसे करें' सीखने के लिए घर्षण को दूर करते हैं। एक समावेशी उत्पाद जो ग्रामीण और शहरी उपयोगकर्ताओं के लिए समान रूप से आसान, संबंधित और उपयोग में आसान है और व्हाट्सएप जैसा प्लेटफॉर्म जिस पर वे भरोसा कर सकते हैं, गोद लेने के लिए ड्राइव कर सकते हैं। ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल (जीएफएफ) 2021 के दौरान व्हाट्सएप इंडिया के निदेशक (भुगतान) मनेश महात्मे ने कहा।
उन्होंने कहा कि कंपनी 'अभी चरणबद्ध तरीके से विस्तार कर रही है' और 'हम इस पैमाने के माध्यम से काम करने के लिए एनपीसीआई के साथ साझेदारी कर रहे हैं'।
प्लेटफॉर्म कथित तौर पर अपने भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए 'कैशबैक' नामक भुगतान के लिए एक सुविधा पर भी काम कर रहा है। यूजर्स 48 घंटे के बाद व्हाट्सएप पेमेंट्स का इस्तेमाल कर कैशबैक प्राप्त कर सकेंगे।
हालांकि, डिजिटल लेनदेन में तेजी से बढ़ रहे देश में व्हाट्सएप पेमेंट्स के लिए सफलता की राह अभी भी बहुत दूर है।
प्रभु ने कहा, "एक अति-प्रतिस्पर्धी डिजिटल अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिए व्हाट्सएप को उपभोक्ताओं की उभरती धारणाओं को समझने में निवेश करने और नए व्हाट्सएप उपयोग के मामलों के बारे में उपयोगकर्ता जागरूकता और समझ पैदा करने के लिए लाभ उठाने की जरूरत होगी।"(आईएएनएस)
मुंबई, 2 अक्टूबर | फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर आगामी फिल्म 'गोडसे' का निर्देशन करेंगे। शनिवार को गांधी जयंती के मौके पर इसकी घोषणा की गई। फिल्म में महात्मा गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे की कहानी दिखाई जाएगी।
फिल्म के बारे में बात करते हुए, मांजरेकर ने कहा, "नाथूराम गोडसे की कहानी हमेशा मेरे दिल के करीब रही है। लोग गोडसे के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, इसके अलावा उन्होंने गांधी पर गोली चलाई थी। उनकी कहानी बताते समय, हम न तो संरक्षण देना चाहते हैं और न ही किसी के खिलाफ बोलेंगे। हम इसे दर्शकों पर छोड़ देंगे कि कौन सही है या गलत है।"
फिल्म का निर्माण संदीप सिंह और 'ड्रीम गर्ल' (2019) के निर्देशक राज शांडिल्य करेंगे।
निर्माता राज शांडिल्य ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में, नाथूराम गोडसे के बारे में जानने में एक नई रुचि पैदा हुई है। साथ ही, हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विभिन्न ²ष्टिकोणों और विचारों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसलिए, हमें लगता है कि यह सही है नाथूराम गोडसे पर फिल्म लाने का समय आ गया है।"
संदीप सिंह ने कहा, "यह एक अनकही कहानी है, जो सिनेमाघरों के सामने प्रस्तुत की जानी चाहिए। गोडसे और गांधीजी के बारे में कहानियों के विभिन्न संस्करण हैं। महेश, राज और मैं आज की पीढ़ी के लिए तथ्यात्मक कहानी सामने लाना चाहते हैं।"
विमल लाहोटी, जय पांड्या और अभय वर्मा द्वारा सह-निर्मित, 'गोडसे' के 2022 में शुरू होने की उम्मीद है।(आईएएनएस)
बीजिंग, 2 अक्टूबर | चीन में भारतीय दूतावास में शानिवार यानि की आज महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन एवं सूत्र वाक्यों की गूंज सुनाई दी। यहां हर तबके के लोग आज भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की 152वीं जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए। भारत की आजादी में महात्मा गांधी के अभूतपूर्व योगदान को कोई नहीं भुला सकता। महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाने के लिए चीन में भारतीय दूतावास ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने सबसे पहले गांधी जी की तस्वीर पर फूल की माला चढ़ाकर उनको श्रद्धांजलि दी, और वहां उपस्थित जनों को संबोधित किया।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि महात्मा गांधी को पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा का प्रतीक माना जाता है। वे सत्य और अहिंसा की राह पर चलने वाले महात्मा थे। देश-दुनिया में आज भी उनके विचार जीवित हैं। उनका सम्मान पूरी दुनिया करती है।
उन्होंने आगे कहा कि गांधी जी 21वीं सदी में इतने प्रासंगिक क्यों हैं? क्योंकि गांधी जी की उपलब्धियां स्मारकीय थीं। उन्होंने जो लक्ष्य हासिल किए, उनमें से भारत की स्वतंत्रता, मानव इतिहास में पैमाने और दायरे में बेजोड़ थी और अब भी बनी हुई है।
राजदूत मिस्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि जब कोई गांधी जी के कार्यों को पढ़ना शुरू करता है, तो कई प्रकार के संघर्षों से घिरी दुनिया में संघर्ष समाधान जैसे मुद्दों के लिए गांधीवादी शिक्षाओं की निरंतर प्रासंगिकता को तुरंत देखा जा सकता है; सर्वोदय का उनका दर्शन या सभी का बढ़ता कल्याण, भारत के वर्तमान फोकस के पीछे प्रेरणा है। विश्वास, पर्यावरण और एक स्थायी जीवन शैली के गुणों पर गांधी जी के विचार आज भी विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।
इसके बाद, भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन लोक गणराज्य की स्थापना की 72वीं वर्षगांठ के अवसर पर वहां उपस्थित लोगों को गोल्डन वीक की बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी दी।
भारतीय दूतावास के स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र में संगीत शिक्षक जयदेव मुखर्जी ने अपने शिष्यों के साथ गांधी जी का प्रसिद्ध भजन रघुपति राघव राजा राम सुनाया। उसके बाद, स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र में नृत्य शिक्षिका अमरजीत कौर ने गांधी जी की दैनिक प्रार्थना में गाया जाने वाला प्रसिद्ध भजन वैष्णव जन पर एक खूबसूरत नृत्य किया।
वहीं, चीनी विद्यालय ताछंग शिंगफू स्कूल के बच्चों ने अपने विद्यालय द्वारा संकलित गांधी जी के सबसे लोकप्रिय सूत्र वाक्यों का वर्णन किया। उन बच्चों ने लाल स्कार्फ के साथ सफेद कपड़े पहने हुए थे।
सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, इतिहासकार डॉ. शोभना राधाकृष्णा ने वीडियो के माध्यम से उपस्थित जनों को गांधी जी की विचारधाराओं और सिद्धांतों से अवगत करवाया, और गांधी कथा सुनायी। उन्होंने कहा कि गांधी जी का मानवतावादी नजरिया बस भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए था। भारत के अलावा एशिया के कई और देशों पर भी गांधी जी का असर पड़ा है।
बता दें कि गांधी जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 15 जून, 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर दुनिया से यह आग्रह किया कि वह शांति और अहिंसा के विचार पर अमल करे और महात्मा गांधी के जन्म दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाए।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर | सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को हैशटैग मी टू आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए महिला वकीलों की प्रशंसा की, जो एक वैश्विक अभियान है और जो पीड़ितों के यौन हिंसा के अनुभवों पर केंद्रित है और उन्हें अपने अनुभवों को उजागर करने के लिए प्रोत्साहित करता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि केस-टाइप-विशिष्ट डेटाबेस का निर्माण समय की आवश्यकता है और बताया कि इस तरह के डेटाबेस को संकलित किया जा रहा है, जिसे 2018 में हैशटैग मी टू आंदोलन के उदय के साथ देखा गया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, मी टू आंदोलन का उदय, जहां युवा महिला वकीलों ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं की सहायता के लिए अपनी सेवाएं मुफ्त में देना शुरू कर दिया है, यहां तक कि वकीलों के डेटाबेस का निर्माण भी हुआ है, जिनसे विशिष्ट मुद्दों के लिए संपर्क किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए या नालसा) के 6 सप्ताह लंबे पैन इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच कैंपेन के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह की कवायद संस्थागत स्तर पर की जानी चाहिए, वर्तमान में नालसा के माध्यम से कानूनी सहायता के मामले केवल पैनल में शामिल वकीलों को सौंपे जाते हैं, जिनके पास विशेष अभ्यास क्षेत्र नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, नालसा के लिए युवा वकीलों से समर्थन मांगना सार्थक हो सकता है, जो कुछ विशिष्ट मुद्दों के बारे में भावुक हैं। इससे संकोच करने वाले व्यक्तियों को शर्मिदा या परेशान होने के डर के बिना कानूनी सहायता को लेकर आराम मिलेगा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि इसी तरह की कवायद शायद ट्रांसजेंडर या यौन अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के लिए भी की जा सकती है। उन्होंने कहा, इन समुदायों में कई लोग गुप्त बने हुए हैं और अपनी पहचान के खुलासे के डर से कानूनी सहायता नहीं लेते हैं। उनमें से कई को समाज और यहां तक कि अपने परिवार के सदस्यों से भी जीवन के लिए महत्वपूर्ण खतरा है। इन मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले वकीलों तक पहुंचना उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, कानूनी सहायता सेवाओं के प्रावधान को बढ़ाया जा सकता है, यदि वकील किसी विशेष कारण के लिए समर्पित हों और केवल उन्हीं मामलों के लिए जिम्मेदार हों।
कानूनी जागरूकता और आउटरीच अभियान शुरू करने वाले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, एक देश के रूप में, हमारा लक्ष्य महिला विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ना है। इसलिए, राष्ट्रीय कानूनी सेवाओं में महिलाओं की संख्या में वृद्धि करना है। संस्थाएं उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि महिला लाभार्थियों की अधिकतम संभव संख्या तक पहुंचना।
उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर 47,000 से अधिक पैनल अधिवक्ताओं में लगभग 11,000 महिला वकील हैं और लगभग 44,000 की कुल संख्या में से लगभग 17,000 महिला पैरा-लीगल वालंटियर हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने भी मी टू मूवमेंट के सिलसिले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के सुझावों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता देने वाले व्यक्ति में सहानुभूति होनी चाहिए, नहीं तो उस व्यक्ति का उक्त मुद्दे पर मन ही नहीं लगेगा।(आईएएनएस)