राष्ट्रीय
जम्मू और कश्मीर के राज्य के दर्जे को खत्म करने, धारा 370 को हटाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के दो साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आम कश्मीरियों की जिंदगी के लगभग हर पहलू के भविष्य पर आज भी सवालिया निशान लगा हुआ है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
कश्मीर में पसरी शांति के मायने आज लोग अपनी अपनी विचारधारा के हिसाब से निकालते हैं. कोई इस शांति को अच्छा और कश्मीर में आए "सकारात्मक" बदलाव का संकेत मानता है, तो कोई और इसे मायूसी के रूप में देखता है. सच जानने के लिए आपको कई आंकड़े देखने होंगे और साथ में देखना होगा दिल्ली से आ रहे संकेतों को.
आतंकवाद अभी भी इलाके के लिए एक चुनौती बना हुआ है. आए दिन सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ की खबरें आती रहती हैं. "द हिन्दू" अखबार के मुताबिक, इस साल अभी तक कम से काम 89 आतंकवादी मारे गए हैं. अकेले जुलाई में 15 मुठभेड़ें हुईं जिनमें 31 आतंकवादी मारे गए.
पैर पसारता आतंकवाद
इसके अलावा आतंकवादी संगठनों के लोग स्थानीय लोगों को लगातार अपने संगठनों में भर्ती भी कर रहे हैं. अखबार कि इसी रिपोर्ट में दावा किया गया है इसी साल जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे संगठनों ने अभी तक 82 लोगों को भर्ती किया है. जैश का ध्यान तो राजधानी श्रीनगर पर खास तौर से केंद्रित है, जहां से उसने कई लोगों को भर्ती किया है.
इतना ही नहीं, जम्मू और कश्मीर में ड्रोन के रूप में आतंकी हमलों के एक हथियार का भी उदय हुआ है. जून में जम्मू स्थित वायु सेना के हवाई अड्डे के अंदर दो ड्रोनों के विस्फोटक गिराने से धमाके हुए जिसमें वायु सेना के दो कर्मी घायल हो गए. और यह सब तब हो रहा है जब जम्मू और कश्मीर में पहले के मुकाबले अभूतपूर्व संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं.
अर्थव्यवस्था ठप
भारत के बाकी हिस्सों में तो तालाबंदी कोविड-19 महामारी के आने के बाद मार्च 2020 से लगी, लेकिन कश्मीर में तालाबंदी अगस्त 2019 से ही लागू हो गई थी. कर्फ्यू लग गया था, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं और जगह जगह सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए थे. महामारी के आने के बाद लगी तालाबंदी इलाके के लोगों के लिए दोहरी मार ले कर आई.
आम जन-जीवन तो ठप हुआ ही, अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से चरमरा गई. पर्यटन बंद हो गया, सेबों का व्यापार बंद हो गया, बाजार बंद रहने लगे और रोजगार मिलना दूभर हो गया. कमोबेश आज भी स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है. बाजार अब खुलते हैं लेकिन व्यापार अब भी नहीं होता. पर्यटन तो अभी भी अपने पैरों पर दोबारा खड़ा नहीं हो पाया है.श्रीनगर में रहने वाले पत्रकार रियाज वानी बताते हैं कि दरअसल कश्मीर में तालाबंदी जैसे हालात फरवरी 2019 में हुए पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद से ही कायम हैं. वानी ने डीडब्ल्यू से कहा, "भारत के दूसरे इलाकों में 2020 और 2021 में लगाई गई तालाबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था सिमट कर एक चौथाई हो गई. ऐसे में लगभग ढाई सालों से तालाबंदी जैसे हालत में कश्मीर की अर्थव्यवस्था का क्या हाल हुआ है, इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं."
राजनीतिक दमन
पांच अगस्त 2019 के फैसलों की सबसे बड़ी कीमत शायद कश्मीर ने राजनीतिक दृष्टि से चुकाई है. जो इलाका निर्वाचित नुमाइंदों वाली विधान सभा के साथ एक पूरा राज्य हुआ करता था, वो आज दो प्रदेशों में विभाजित है जिनके सभी बड़े फैसले दिल्ली से लिए जाते हैं. राजनीतिक आत्मनिर्भरता के इस नुकसान का लोगों के मानस पर क्या असर हुआ है इसे मापने का शायद ही कोई पैमाना हो.
इसके अलावा पूरे इलाके के राजनीतिक नेतृत्व को एक तरह से शांत कर दिया गया है. अगस्त 2019 में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कम से कम 290 नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत आरोप लगाकर उन्हें या तो जेल में डाल दिया गया था या उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया था.इन पूर्व मुख्यमंत्रियों में से फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को सात महीनों और महबूबा मुफ्ती को 14 महीनों तक हिरासत में रखा गया. बड़ी संख्या में कई नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता अभी भी हिरासत में हैं. "इंडियन एक्सप्रेस" अखबार के मुताबिक जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने 2019 से अभी तक यूएपीए और पीएसए के तहत 1200 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए हैं और इनमें 3,200 से भी ज्यादा लोगों को नामजद किया है.
इनमें से यूएपीए के तहत हिरासत में लिए गए लोगों में से 46 प्रतिशत और पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए लोगों में से करीब 30 प्रतिशत अभी भी जेल में हैं. इनके अलावा 5,500 से भी ज्यादा अतिरिक्त लोगों को सीआरपीसी की धारा 107 के तहत गिरफ्तार किया गया था. सरकार का कहना है कि अब इन सभी को रिहा कर दिया गया है.
अनिश्चितता जारी है
2019 में केंद्र ने ही कहा था कि जम्मू और कश्मीर के राज्य के दर्जे का हटाया जाना एक अस्थायी कदम है और दर्जे को लौटाने के प्रति केंद्र प्रतिबद्ध है, लेकिन दो साल बाद अभी तक इसका रोडमैप सामने नहीं आया है. इलाके के लोग फिर कब अपने जन-प्रतिनिधियों को चुन पाएंगे उन्हें इस बात की कोई खबर नहीं है. चुनावों पर भी परिसीमन की तलवार लटक रही है.ऐसे में अगस्त 2019 के फैसलों के दो साल पूरा होने पर केंद्र ने ऐसा भी कोई कदम नहीं उठाया है जिसे लोगों के मन पर लगे घावों पर मरहम लगाने का संकेत भर भी दिया जा सके. उल्टा केंद्र सरकार और दमन के ही संकेत दे रही है. जुलाई 2021 में जम्मू और कश्मीर प्रशासन में दशकों से काम कर रहे कम से कम 11 कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. प्रशासन ने उन पर आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने का आरोप लगाया और बिना किसी जांच के उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
अगस्त में जम्मू और कश्मीर पुलिस ने आदेश जारी किया कि जो लोग प्रदर्शनों के दौरान पत्थर फेंकने जैसी वारदातों में शामिल पाए गए हैं उन्हें पासपोर्ट और अन्य सरकारी सेवाओं के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा. इसके अलावा पांच अगस्त को भी श्रीनगर से खबरें आईं कि पुलिस ने दुकानदारों को विरोध के रूप में अपनी दुकानें बंद रखने की इजाजत नहीं दी.पत्रकार आमिर पीरजादा ने दावा किया कि जिन दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं पुलिस ने उनकी दुकानों के ताले तोड़ कर जबरन दुकानों को खोल दिया. इस तरह के कदमों से संकेत यही मिल रहा है कि प्रशासन अभी भी आम कश्मीरियों के दिलों को छूने की कोशिश करने की जगह मनमानी का ही परिचय दे रहा है. ऐसे में कश्मीर के हालात में सुधार आने का इंतजार और लंबा ही होता चला जा रहा है. (dw.com)
भारत में इंटरनेट पर सामान बेचने वाली कंपनी फ्लिपकार्ट को सौ अरब रुपये के जुर्माने का नोटिस भेजा गया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने यह खुलासा किया है.
रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में तीन सूत्रों और एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापकों को नोटिस भेजकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछा है कि क्यों ना कंपनी पर सौ अरब रुपये का जुर्माना लगा दिया जाए. यह मामला विदेशी निवेश संबंधित कानूनों के उल्लंघन का है.
ईडी कई साल से फ्लिपकार्ट और एमेजॉन द्वारा विदेशी निवेश के नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच कर रहा है. नाम न छापने की शर्त पर ईडी के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि फ्लिपकार्ट और संबद्ध पक्ष डबल्यूएस रीटेल ने विदेशी निवेश हासिल किया और फिर अपनी वेबसाइट पर उत्पाद बेचे, जिसकी भारतीय कानून इजाजत नहीं देता. इस बारे में भेजे गए सवालों का ईडी ने फिलहाल जवाब नहीं दिया है.
जुलाई में भेजा गया नोटिस
इस मामले से परिचित तीन और सूत्रों ने बताया कि इस बारे में ईडी ने एक कथित कारण बताओ नोटिस बीती जुलाई में जारी किया था जो चेन्नै स्थित फ्लिपकार्ट के दफ्तर और इसके संस्थापकों सचिन बंसल और बिनी बंसल को भेजा गया था. इस नोटिस में मौजूदा निवेशक टाइगर ग्लोबल का भी नाम था.
इस बारे में सवाल पूछे जाने पर फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी भारत के सारे नियम-कानूनों का पालन कर रही है. प्रवक्ता ने कहा, "हम अधिकारियों से पूरा सहयोग करेंगे जो नोटिस के मुताबिक 2009-2015 के दौरान के मामले को देख रहे हैं.”
ईडी अपनी जांच के दौरान इस तरह के नोटिस सार्वजनिक नहीं करता है. एक सूत्र ने कहा कि फ्लिपकार्ट और अन्य के पास इस नोटिस का जवाब देने के लिए 90 दिन का समय है. डब्ल्यूएस रीटेल 2015 में ही भारत से अपना कामकाज समेट चुकी है. टाइगर ग्लोबल ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. सचिन और बिनी बंसल ने भी अभी इस बारे में टिप्पणी नहीं की है.
छोटे विक्रेता नाराज हैं
2018 में वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट में मुख्य हिस्सेदारी खरीदी थी, जो अमेरिकी कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था.
फ्लिपकार्ट पहले भी कई मुश्किलों से गुजर रही है. कंपनी के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है और छोटे विक्रेताओं ने भी बड़ी संख्या में शिकायतें की हैं.
भारत के छोटे विक्रेताओं का कहना है कि एमेजॉन और फ्लिपकार्ट अपने यहां चुनिंदा विक्रेताओं को प्राथमिकता देते हैं और विदेशी निवेश संबंधी कानूनों से बचने के लिए जटिल ढांचे का प्रयोग करते हैं, जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान होता है. दोनों ही कंपनियां इन आरोपों को गलत बताती हैं.
भारत में ऑनलाइन रीटेल
भारत में बिजनस टु बिजनस ईकॉमर्स में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की इजाजत है. भारतीय बाजार में ऑनलाइन रीटेल का दायरा लगातार बढ़ रहा है. इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक 2020 की आखिरी तिमाही में ई-कॉमर्स का आकार 36 प्रतिशत बढ़ा, जिनमें सबसे बड़ा हिस्सा ब्यूटी-वेलनेस से जुड़े उत्पादों का था. (dw.com)
नई दिल्ली: पेगासस कथित जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली 9 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज एकसाथ सुनवाई हुई. इन याचिकाओं में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम तथा शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो ये आरोप काफी गंभीर हैं. मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा ने सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल को रोका तो CJI ने इस पर आपत्ति जताई. CJI रमना ने शर्मा से कहा, "आपकी याचिका में अखबारों की कटिंग के अलावा क्या डिटेल है? आप चाहते हैं कि सारी जांच हम करें और तथ्य जुटाएं. ये जनहित याचिका दाखिल करने का कोई तरीका नहीं है." सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं. यह एक जटिल मसला है. नोटिस लेने के लिए केंद्र की ओर से किसी को पेश होना चाहिए था. मामले की अगली सुनवाई अब 10 अगस्त को होगी.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
मामले की सुनवाई करते हुए CJI रमना ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि 2019 में पेगासस का मुद्दा सामने आया और किसी ने भी जासूसी के बारे में सत्यापन योग्य सामग्री एकत्र करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया. उन्होंने कहा कि अधिकांश जनहित याचिकाएं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के समाचार पत्रों की कटिंग पर आधारित हैं.
उन्होंने कहा, हम ये नहीं कह सकते कि इस मामले में बिल्कुल कोई सामग्री नहीं है. हम सबको समाचार पत्रों की रिपोर्ट और प्रतिष्ठित पत्रकारों की सामग्री नहीं कहना चाहते हैं. जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया कि उनके फोन हैक हो गए हैं. आप आईटी और टेलीग्राफिक अधिनियम के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हैं. ऐसा लगता है कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास नहीं किया. ये चीजें हमें परेशान कर रही हैं."
सीजेआई की दलील पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, सूचना तक हमारी सीधी पहुंच नहीं है. एडिटर्स गिल्ड की याचिका में जासूसी के 37 सत्यापित मामले हैं.
CJI ने कहा, "मैं यह भी नहीं कहना चाहता कि दलीलों में कुछ भी नहीं है. याचिका दायर करने वाली कुछ याचिकाएं प्रभावित नहीं होती हैं और कुछ का दावा है कि उनके फोन हैक हो गए हैं लेकिन उन्होंने आपराधिक शिकायत दर्ज करने का प्रयास नहीं किया है." CJI ने कहा कि जिन लोगों को याचिका करनी चाहिए थी वे अधिक जानकार और साधन संपन्न हैं. उन्हें अधिक सामग्री डालने के लिए अधिक मेहनत करनी चाहिए थी.
CJI ने कहा कि हलफनामे के मुताबिक कुछ भारतीय पत्रकारों की भी जासूसी की गई है. ये कैलिफोर्निया कोर्ट ने भी कहा है लेकिन ये बयान गलत हैं. कैलिफोर्निया कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा है. इसके बाद CJI ने पूथा कि अभी वहां कोर्ट का क्या स्टेटस है? इस पर सिब्बल ने कहा कि अभी केस चल रहा है. इसके अलावा सिब्बल ने कहा, हम भी यही कह रहे हैं कि सरकार सारी बातों का खुलासा करे. मसलन, किसने कांट्रेक्ट लिया, किसने पैसा दिया?
सिब्बल ने कहा कि व्हाट्सएप के मुताबिक इजरायली एजेंसी ने इसे 1400 लोगों के लिए बनाया जिसमें 100 भारतीय हैं.उन्होंने कहा कि मंत्री ने भी बयान दिए हैं. उन्होंने पूछा कि लोकसभा के जवाब में नाम कैसे आए?
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए.
गिल्ड ने अपनी अर्जी, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता हैं, में कहा है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वे सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण करके सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, हैकिंग और स्पाइवेयर के उपयोग, और निगरानी के लिए मौजूदा कानूनी व्यवस्था की वैधता को भी चुनौती दी गई है. SIT जांच करवाने के अलावा गिल्ड ने अपनी याचिका में ये भी कहा है कि कोर्ट सरकार को आदेश दे कि इस सॉफ्टवेयर खरीद मामले के तमाम दस्तावेज कोर्ट को सौंपे ताकि सरकारी दावे की सच्चाई सामने आ सके.
न्यायालय वरिष्ठ पत्रकार प्रांजय गुहा ठकुराता की ओर से दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा. उनका नाम उस कथित सूची में शामिल है जिनकी पेगासस की मदद से जासूसी की जा सकती थी. पत्रकार ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि शीर्ष अदालत केन्द्र सरकार को जांच से जुड़ी सभी सामग्री सार्वजनिक करने का निर्देश दे. ठकुराता ने अपनी अर्जी में कहा है कि पेगासस की मौजूदगी का भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने न्यायालय से स्पाईवेयर या मालवेयर के उपयोग को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है.
इस बीच, उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के दो अधिकारियों, भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के वकील और अगस्ता वेस्टलैंड मामले के कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के वकील के फोन नंबरों के साथ-साथ शीर्ष अदालत के अब सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पुराने नंबर इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे. ‘द वायर' द्वारा जारी नवीनतम नामों से यह जानकारी मिली है.
इसमें कहा गया है कि राजस्थान का एक मोबाइल नंबर जो पूर्व में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नाम पर पंजीकृत था, 2019 में संभावित लक्ष्यों के डेटाबेस में जोड़ा गया था. न्यायमूर्ति मिश्रा सितंबर 2020 में उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं.
समाचार पोर्टल ने कहा कि इसके अलावा, 2019 के वसंत में किसी समय, उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के दो अधिकारियों के टेलीफोन नंबर "गुप्त सूची" में शामिल किए गए थे, जिसमें सैकड़ों नंबर शामिल थे. इनमें से कुछ पेगासस स्पाईवेयर के साथ लक्षित होने के स्पष्ट सबूत दिखते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों अधिकारियों ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के महत्वपूर्ण ''रिट'' खंड में काम किया था, जब उनके नंबर डेटाबेस में जोड़े गए थे. ‘द वायर' सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग कर निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.
एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस की सूची में नेता राहुल गांधी सहित विपक्षी नेता, केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव, उद्योगपति अनिल अंबानी, सीबीआई के एक पूर्व प्रमुख और कम से कम 40 पत्रकार शामिल थे. हालांकि, यह स्थापित नहीं हुआ है कि सभी फोन हैक किए गए थे.
नई दिल्ली, 5 अगस्त | राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को शुरू होने के बाद, उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदन में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। तृणमूल के एक निलंबित सांसद ने एक दरवाजे का शीशा तोड़ दिया और संसद कर्मचारियों के साथ हाथापाई की है। उनके बारे में शिकायत दर्ज कराई गई है। उपसभापति ने कहा कि घटना बुधवार को हुई।
महिला सहायक सुरक्षा अधिकारी ने तृणमूल सांसद अर्पिता घोष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
हरिवंश ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।
इस पर तृणमूल नेता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, "सांसद को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन जब सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई तो वह आना चाहती थीं। तब उसे कैसे रोका जा सकता है? सदन में ये चल क्या रहा है।"
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और उन्होंने कर्मचारियों का बचाव करते हुए कहा कि सांसद को इसलिए रोका गया क्योंकि सफाई का काम शुरू होने वाला था।"
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सदन में विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का विरोध लोकतांत्रिक अधिकारों का हिस्सा है और यहां तक कि दिवंगत अरुण जेटली ने भी कहा था कि विरोध करना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 अगस्त | भारत ने गुरुवार को पिछले 24 घंटों में कोविड -19 के 42,982 नए मामले दर्ज किए। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है कि इसी अवधि में कुल 533 लोगों ने भी कोरोना संक्रमण से दम तोड़ दिया। 533 मौतों के साथ, भारत में अब मरने वालों की संख्या 4,26,290 हो गई है।
भारत ने बुधवार को 42,625 कोविड 19 मामले दर्ज किए थे। 723 नए सक्रिय मामलों के साथ, भारत का सक्रिय कोविड संक्रमण गुरुवार को 4,11,076 हो गया है। सक्रिय मामले भारत के कुल आंकड़े का 1.29 प्रतिशत हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 41,726 मरीजों को अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से छुट्टी दे दी गई, जिससे अब तक ठीक होने वालों की कुल संख्या 3,09,74,748 हो गई है क्योंकि पिछले 57 दिनों से वायरस एक लाख से कम लोगों को संक्रमित करता रहा है।
भारत की रिकवरी रेट फिलहाल 97.37 फीसदी है। साप्ताहिक सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और वर्तमान में 2.37 प्रतिशत है। दैनिक सकारात्मकता दर लगातार 56 दिनों से 5 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है और वर्तमान में 2.58 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले 24 घंटों में कुल 37,55,115 कोविड वैक्सीन की खुराक दी गई। इसके साथ ही अब तक कुल टीकाकरण संख्या 48,93,42,295 हो गई है। भारत में अब तक 18-44 आयु वर्ग में 17.64 करोड़ से अधिक टीके की खुराक दी जा चुकी है।
मंत्रालय के आंकड़ों ने आगे बताया कि कुल 47.48 करोड़ से अधिक कोविड परीक्षण किए गए है। (आईएएनएस)
बेंगलुरु,5 अगस्त | कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ की अध्यक्षता में मुख्य न्यायाधीश ए.एस. ओका ने चुनाव आयोग से कोविड संकट के कारण स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने के लिए कहने के राज्य सरकार के कदम पर आपत्ति जताई है। मुख्य न्यायाधीश ओका ने बुधवार को राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाया, "अगर लोग धार्मिक स्थलों पर जा सकते हैं, तो वे मतदान केंद्रों पर क्यों नहीं जा सकते।"
पीठ ने सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण के साथ एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है।
कैबिनेट का फैसला 17 मई को पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की सरकार के समय हुआ था। निर्णय ने चुनाव आयोग से दिसंबर के अंत तक लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग और राज्य सरकार को निर्देश देने के लिए स्वत: जनहित याचिका दायर की है।
हाईकोर्ट की बेंच ने सवाल किया, "कैबिनेट का फैसला बहुत पहले हो गया था। आज चीजें बदल गई हैं। कोविड नियमों में ढील दी गई है। धार्मिक केंद्र, मॉल खुल गए हैं, फिर सरकार चुनाव क्यों नहीं करा सकती।"
सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि यह निर्णय दूसरी कोविड लहर की पृष्ठभूमि के खिलाफ लिया गया था।
बेंच ने सवाल किया, "समय सीमा के भीतर चुनाव कराना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। क्या इसे इससे बाहर रखा गया है?"
के.एन. चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फणींद्र ने अदालत को सूचित किया कि हुबली-धारवाड़, बेलागवी, कलबुर्गी निगमों और डोड्डाबल्लापुर, तारिकेरे नगर पालिकाओं के चुनाव के लिए 28 जुलाई को एक बैठक हुई थी, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि स्थानीय निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है और समय पर चुनाव कराए जाने चाहिए। जिसके बाद मामले की सुनवाई 13 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 अगस्त | पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने लगातार हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र में व्यवधान पड़ने पर विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि संसद के दोनों सदनों में व्यवधान के कारण अब तक 130 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पूर्व कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मीडिया से कहा, आज 5 अगस्त का शुभ दिन है। 2 वर्ष पहले आज ही के दिन अनुच्छेद 370 समाप्त हुआ। पिछले साल इसी दिन प्रभु राम के भव्य राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास हुआ और आज फिर हॉकी टीम की जीत से देश में खुशी और उल्लास है।
रवि शंकर प्रसाद ने कहा, कांग्रेस ने 1947 के बाद से करीब 50 साल राज किया। लेकिन आज उनका व्यवहार कितना उचित है ये देश को जानना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का एक सीधा मंत्र है कि परिवार का हित जब तक संसद साधेगी, तब तक संसद चलने दी जाएगी। जहां परिवार का हित नहीं होगा, वहां संसद नहीं चलने दी जाएगी
रवि शंकर ने कहा, कोविड को लेकर कांग्रेस पार्टी की गंभीरता बस इतनी ही है कि प्रधानमंत्री जी ने जब बैठक बुलाई थी, उसमें में कांग्रेस पार्टी शामिल नहीं हुई थी। आज हम संसद में चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन कांग्रेस की कोई गंभीरता नहीं है।
रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि पेगासस पर मंत्री का वक्तव्य हुआ तो इन लोगों ने उसे मंत्री के सामने फाड़ दिया। कोई गंभीरता इन लोगों में नहीं है। क्या आज तक इन्होंने कोई सबूत दिया है कि इनका फोन टेप हुआ है? नहीं।
रवि शंकर ने कहा, लगातार व्यवधान के कारण संसद न चलने से अभी तक 130 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। हम संसद में चर्चा के लिए तैयार हैं। बहुत तीखे सवाल भी हमें कांग्रेस पार्टी से पूछने हैं। लेकिन एक सवाल ईमानदारी से हम पूछते हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी और विपक्ष संसद में चर्चा चाहते हैं? (आईएएनएस)
जयपुर, 5 अगस्त | राजस्थान में अलवर पुलिस ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो कथित तौर पर 'सेक्सटॉर्शन' और 'कैट फिशिंग' के जरिए लोगों को ब्लैकमेल करने का काम करते थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस सिलसिले में बुधवार को आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से अधिकतर 10वीं-12वीं पास हैं। इनमें दो ट्रक चालक हैं।
इन आरोपियों ने अमेरिका में भी लोगों को ठगा है।
टेक्सास में रह रहे एक एनआरआई से डेढ़ लाख रुपये ठगे गए। कुल मिलाकर गिरोह ने लोगों से 15 करोड़ रुपये ठगे हैं। यह गिरोह कथित तौर पर फर्जी बैंक खाते खोलने, नकली मोबाइल सिम कार्ड जारी करने और एटीएम से धोखाधड़ी करने में माहिर थे।
गिरफ्तार आरोपी दौसा के कोट गांव और जयपुर के शास्त्री नगर के रहने वाले है।
आरोपितों ने अश्लील वीडियो दिखाकर स्क्रीन रिकॉर्डर के जरिए अश्लील वीडियो बनाकर रिकॉडिर्ंग की और फिर फर्जी खातों में जमा कर अलग-अलग एटीएम से निकाले गए पैसे को ब्लैकमेल कर रंगदारी वसूली करते थे।
इसी तरह कैट फिशिंग कर वे महिलाओं के वेश में मासूम और अनजान लोगों से दोस्ती करते थे और फिर उनसे चैट करते थे और बाद में उन्हें ब्लैकमेल करते थे।
अलवर के एसपी तेजस्वनी गौतम ने कहा कि पुलिस ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई की और आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया क्योंकि उन्होंने मुखबिर के साथ अपने फोन पर बातचीत की।
पुलिस ने टेक्निकल सेल की मदद से पास से गुजर रही एक कार को रोका, जिसमें दोनों आरोपी बैठे थे।
उनके वीडियो की जांच करने पर यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी अपराध में शामिल थे। पूछताछ करने पर गिरोह के अन्य सदस्यों के नाम सामने आए।
दरअसल, यह गैंग अमेरिकी एनआरआई से करीब डेढ़ लाख रुपये ठगने के बाद भी उससे पैसे की मांग कर रहा था। शख्स का आपत्तिजनक वीडियो भी बनाया गया था। (आईएएनएस)
अल जजीरा ने खबर दी है कि भारत हिंद महासागर में मॉरिशस के पास निर्माण कर रहा है, जिसका इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए हो सकता है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
उपग्रह से मिली तस्वीरें कहती हैं कि मॉरिशस के द्वीप अगालेगा में दो नौसैनिक जेटी और एक बड़ी हवाई पट्टी बनाई जा रही हैं. अल जजीरा को कुछ सैन्य विशेषज्ञों ने बताया है कि लगभग तय है कि ये निर्माण सैन्य प्रयोग के लिए हैं.
वैसे ऐसी ही खबरें 2018 में भी आई थीं और तब भारत और मॉरिशस दोनों ने इस निर्माण को सैन्य इस्तेमाल से जुड़ा होने का खंडन किया और कहा कि यह द्वीप पर रहने वाले लोगों की जरूरतों के लिए है. मॉरिशस की मुख्य भूमि से करीब 1,100 किलोमीटर दूर स्थित इस द्वीप पर 300 लोग रहते हैं.
भारत ने हाल के दिनों में हिंद और प्रशांत महासागर में अपनी गतिविधियां और पहुंच बढ़ाई हैं. एक दिन पहले ही खबर आई थी कि भारत दक्षिण चीन सागर में अपना नौसैनिक टास्क फोर्स भेज रहा है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के साथ उसका सैन्य संपर्क भी लगातार बढ़ रहा है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि हिंद और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर प्रशांत क्षेत्र के देशों में चिंता बढ़ रही है इसलिए वे उसे संकेत भेजना चाहते हैं.
चीन मामलों के विशेषज्ञ मेलबर्न यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. प्रदीप तनेजा कहते हैं, "इसका मतलब यह है कि चीन की गतिविधियां अगर बढ़ती रहेंगी और चीन भारत के पड़ोसी देशों, खासकर दक्षिण एशियाई देशों के नजदीक अगर चीन के जहाज और पनडुब्बियां आएंगी, तो भारत को यह सोचना होगा कि चीन क्यों इन देशों के साथ अपने सैनिक संबंध इतने बढ़ा रहा है.”
भारत भी बढ़ा रहा है संबंध
पिछले कुछ सालों में प्रशांत क्षेत्र में भारत ने कई देशों से अपने सैन्य संबंध बढ़ाए हैं. इनमें सबसे प्रमुख ऑस्ट्रेलिया है, जिसके साथ भारत के सैन्य अभ्यास और अन्य आदान-प्रदान में काफी तेजी आई है.
इसी साल ऑस्ट्रेलिया के बेहद प्रतिष्ठित सैन्य अभ्यास तालिस्मान साबर में अन्य देशों के अलावा भारत को भी बतौर पर्यवेक्षक बुलाया गया है. ऑस्ट्रेलिया ने ऐसी इच्छा भी जताई है कि 2023 के तलिस्मान साबर अभ्यास में भारत भी हिस्सा ले.
पिछले साल भारत ने ऑस्ट्रेलिया को अपने सैन्य अभ्यास मालाबार में आमंत्रित किया था, जो लगभग दो दशक बाद हुआ था. पिछले साल सितंबर में भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के बीच एक रणनीतिक वार्ता हुई थी जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया इंडिया स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप संधि हुई थी जिसमें सैन्य संबंधों को अहम जगह दी गई थी.
पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच नियमित सैन्य आदान-प्रदान भी बढ़ा है. दोनों देशों के जहाज और अधिकारी नियमित रूप से आते जाते हैं. हाल ही में भारतीय सेना के कई बड़े अधिकारी ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर चुके हैं.
क्वॉड की बढ़ती ताकत
भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के संगठन क्वॉड्रिलैटरल सिक्यॉरिटी डायलॉग (क्वॉड) का मजबूत होता आधार भी इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है. क्वॉड में शामिल चार देश लगातार अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा कर रहे हैं. हाल ही में भारत की यात्रा पर गए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी क्वॉड पर खासा जोर दिया और इसी साल संगठन की एक बैठक कराने का प्रस्ताव भी रखा.
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के नजरिए से यह एक सकारात्मक कदम है क्योंकि वह अकेला चीन का सामना नहीं कर सकता.
डॉ. तनेजा कहते हैं, "भारत का रक्षा बजट, चीन के रक्षा बजट के एक चौथाई से भी कम है. तो भारत के पास अकेले इतनी शक्ति नहीं है कि चीन की जो बढ़ती हुई ताकत है, उसका मुकाबला कर सके. तो भारत ने यही नीति अपनाई है कि जो दूसरे समदर्शी देश हैं, उनके साथ मिलकर इंटेलिजेंस शेयरिंग और बातचीत के जरिए यह आंका जा सके कि चीन के इरादे क्या हैं और अगर इरादे ठीक नहीं हैं तो उसका कैसे जवाब दिया जाए.”
चीन को घेरने की कोशिश?
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत ने ही नहीं बल्कि अन्य कई देशों ने भी अपनी गतिविधियां तेज की हैं. ब्रिटेन का का विमानवाहक युद्धतपोत क्वीन एलिजाबेथ और उसके सहयोगी जहाज सितंबर में जापान पहुंच रहे हैं. जापान के टोक्यो में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि उसके दो पोत स्थायी तौर पर एशिया में तैनात रहेंगे.
टोक्यो और लंदन के बीच मजबूत होते रणनीतिक संबंधों के बीच यह ऐलान हुआ है. हाल ही में जापान ने चीन के अपनी सीमाओं के प्रसार के मंसूबों को लेकर चिंता जताई थी. इसमें ताईवान को लेकर चीन के इरादों की ओर भी इशारा किया गया था.
जापान, दक्षिण कोरिया और इस क्षेत्र के अन्य कई देश भी न सिर्फ अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहे हैं बल्कि विभिन्न देशों के साथ मिलकर ऐसे कदम भी उठा रहे हैं जिन्हें चीन के खिलाफ देखा जा सकता है.
हालांकि डॉ. तनेजा इसे चीन को घेरने की कोशिश नहीं मानते. वह कहते हैं, "यह घेरने वाली बात नहीं है. इन देशों को लगता है कि हमें मिल जुलकर एक संकेत देना चाहिए कि चीन अगर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा तो उसे सहन नहीं किया जाएगा.”
चीन दक्षिणी चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपने अधिकार का दावा करता है. यह दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तनाव और विवाद की बड़ी वजह है क्योंकि कई अन्य देश भी इन इलाकों पर दावा करते हैं, जिन्हें अमेरिका और यूरोप का भी समर्थन मिलता है. कथित ‘नाईन डैश लाइन' पर उसके अधिकार का दावा द हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भी खारिज हो चुका है. (dw.com)
नई दिल्ली, 4 अगस्त: दिल्ली में दलित किशोरी से बलात्कार व उसकी हत्या के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ट्वीट गई तस्वीर पर एनसीपीसीआर यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ट्विटर इंडिया को नोटिस जारी किया है. नोटिस में राहुल गांधी द्वारा पोस्ट की गई तस्वीर को हटाने का निर्देश दिया गया है. तस्वीर से दलित लड़की की पहचान का खुलासा हो सकता है. यह तस्वीर राहुल गांधी ने बुधवार सुबह दिल्ली छावनी के ओल्ड नंगल गांव में किशोरी के परिवार से मिलने के बाद पोस्ट की थी. तस्वीर में राहुल गांधी और किशोरी के माता-पिता एक वाहन में बैठकर बातचीत कर रहे हैं, इसमें सभी के चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं.
एनसीपीसीआर ने इसका संज्ञान लेते हुए पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के उल्लंघन में किशोरी के माता-पिता की तस्वीर ट्वीट करके लड़की की पहचान का खुलासा करने के खिलाफ ट्विटर को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि ट्विटर राहुल गांधी को नोटिस जारी करे और उनसे पोस्ट हटाने को कहे.
NCPCR ने ट्विटर इंडिया को याद दिलाया कि किशोर न्याय अधिनियम और POCSO अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार के मीडिया के माध्यम से नाबालिग की पहचान का खुलासा करना, या किसी भी तरह से उसकी पहचान प्रकट करने वाली किसी भी जानकारी या तस्वीर को प्रकाशित करना अवैध है.
इससे पहले आज राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किशोरी के परिवार से मुलाकात की. पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने किशोरी के माता-पिता की तस्वीर ट्वीट की और लिखा, "पीड़ित माता-पिता के आंसू केवल एक ही बात कह रहे हैं - उनकी बेटी, इस देश की बेटी, न्याय की हकदार है. मैं न्याय के इस पथ पर उनके साथ हूं."
पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद केजरीवाल ने कहा "नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती" उन्होंने दुख व्यक्त किया और वादा किया कि दोषियों को अधिकतम संभव सजा मिले, यह सुनिश्चित करने में दिल्ली सरकार पूरा प्रयास करेगी. मुख्यमंत्री ने परिवार के लिए 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की.
इस दर्दनाक घटना के तीन दिन बाद तक दिल्ली पुलिस ने मौत के कारणों की पुष्टि नहीं की है. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्वी दिल्ली) इंजीत प्रताप सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि पोस्टमॉर्टम में कुछ साफ नहीं हो सका है. उन्होंने कहा कि आरोपियों का लाई डिटेक्टर टेस्ट होगा.
बेंगलुरु, 4 अगस्त | कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेंद्र, बसवराज बोम्मई सरकार में कैबिनेट बर्थ से बाहर हो गये। विजयेंद्र पर सुपर मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने का आरोप लगाया गया था, कि कथित तौर पर वह अपने पिता के लिए सब कुछ तय कर रहे थे। सूत्रों ने कहा कि यह उस पार्टी की छवि के लिए हानिकारक होगा जो येदियुरप्पा के साये से आगे बढ़ना चाहती है।
सूत्रों ने कहा कि येदियुरप्पा को पद छोड़ने के लिए राजी करने के समय पार्टी ने विजयेंद्र को उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी। हालांकि, येदियुरप्पा ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। बदले में, उन्होंने विजयेंद्र को राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में नियुक्त करने का एक निर्थक प्रयास किया, जिसे पार्टी ने खारिज कर दिया।
सूत्रों का कहना है, अपने इस्तीफे के बाद, येदियुरप्पा ने अपना विचार बदल दिया और अपने बेटे के लिए मंत्री पद की मांग रखी। हालांकि, शीर्ष नेताओं ने इसके खिलाफ फैसला किया।
यह भी पता चला है कि नए मंत्रियों की सूची की घोषणा को लेकर अंतिम समय में असमंजस की स्थिति थी। येदियुरप्पा, पार्टी के फैसले के बारे में जानने के बाद, परेशान थे और शीर्ष नेताओं को उन्हें शांत करने के लिए व्यक्तिगत रूप से फोन करना पड़ा।
मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्य प्रभारी अरुण सिंह ने येदियुरप्पा को संदेश दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से अंतिम समय में विजयेंद्र को टिकट से वंचित कर दिया गया था। बाद में उन्हें प्रदेश पार्टी उपाध्यक्ष का पद दिया गया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अगस्त | भारतीय शोधकतार्ओं एक अभिनव हाइड्रोजन निर्माण मार्ग के साथ आए है जो इसके उत्पादन को तीन गुना बढ़ाता है और आवश्यक ऊर्जा को कम करता है जो कम लागत पर पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। एक ईंधन के रूप में, हाइड्रोजन हरित और टिकाऊ अर्थव्यवस्था की दिशा में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कोयले और गैसोलीन जैसे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक कैलोरी मान होने के अलावा, ऊर्जा को मुक्त करने के लिए हाइड्रोजन के दहन से पानी पैदा होता है और इस प्रकार यह पूरी तरह से गैर-प्रदूषणकारी है।
पृथ्वी के वायुमंडल (350 पीपीबीवी) में आणविक हाइड्रोजन की अत्यधिक कम प्रचुरता के कारण, हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पानी का विद्युत-क्षेत्र चालित विघटन एक आकर्षक मार्ग है।
हालांकि, ऐसे इलेक्ट्रोलिसिस के लिए उच्च ऊर्जा इनपुट की आवश्यकता होती है और यह हाइड्रोजन उत्पादन की धीमी दर से जुड़ा होता है। महंगे प्लेटिनम और इरिडियम-आधारित उत्प्रेरकों का उपयोग भी इसे व्यापक व्यावसायीकरण के लिए हतोत्साहित करता है। इसलिए, 'हरित-हाइड्रोजन-अर्थव्यवस्था' के लिए संक्रमण ऐसे ²ष्टिकोण की मांग करता है जो ऊर्जा और सामग्री की लागत को कम करता है और साथ ही साथ हाइड्रोजन उत्पादन दर में सुधार करता है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से एक विज्ञप्ति में कहा गया है।
सी. सुब्रमण्यम के नेतृत्व में आईआईटी बॉम्बे के शोधकतार्ओं की एक टीम ने एक अभिनव मार्ग निकाला है जो इन सभी चुनौतियों का व्यवहार्य समाधान प्रदान करता है। इसमें बाहरी चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में पानी का इलेक्ट्रोलिसिस शामिल है।
वैज्ञानिकों ने समझाया कि इस विधि में, वही प्रणाली जो 1 मिली हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करती है, उसी समय में 3 मिली हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए 19 प्रतिशत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह उत्प्रेरक साइट पर विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों को सहक्रियात्मक रूप से जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
सरल ²ष्टिकोण किसी भी मौजूदा इलेक्ट्रोलाइजर (जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में पानी को तोड़ने के लिए बिजली का उपयोग करता है) को बाहरी मैग्नेट के साथ डिजाइन में भारी बदलाव के बिना रेट्रोफिट करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे एच 2 उत्पादन की ऊर्जा दक्षता में वृद्धि होती है।
हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए यह प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट प्रदर्शन एसीएस सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इलेक्ट्रोकैटलिटिक सामग्री - कोबाल्ट-ऑक्साइड नैनो-क्यूब्स जो हार्ड-कार्बन आधारित नैनोस्ट्रक्च र्ड कार्बन फ्लोरेट्स पर बिखरे हुए हैं - इस प्रभाव को प्राप्त करने के लिए प्रमुख महत्वपूर्ण है और इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सामग्री के अनुदान के समर्थन से विकसित किया गया था।
सुब्रमण्यम ने कहा, "बाहरी चुंबकीय क्षेत्र का आंतरायिक उपयोग ऊर्जा कुशल हाइड्रोजन उत्पादन प्राप्त करने के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है। इस उद्देश्य के लिए अन्य उत्प्रेरक भी खोजे जा सकते हैं।"
डीएसटी फंडिंग द्वारा समर्थित दोनों छात्रों जयता साहा और रानादेब बॉल ने कहा, "0.5 एनएम 3, एच क्षमता के एक बुनियादी इलेक्ट्रोलाइजर सेल को उत्प्रेरक को बदलकर और चुंबकीय क्षेत्र की आपूर्ति करके तुरंत 1.5 एनएम 3 , एच क्षमता में अपग्रेड किया जा सकता है।"
यह दिखाने के बाद कि विधि बहुत जटिल नहीं है, टीम अब टीआरएल स्तर को बढ़ाने और इसके सफल व्यावसायीकरण को सुनिश्चित करने के लिए एक औद्योगिक भागीदार के साथ काम कर रही है।
सुब्रमण्यम ने कहा, "हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था के महत्व को देखते हुए, हमारा लक्ष्य एक मिशन-मोड में परियोजना को लागू करना और स्वदेशी मैग्नेटो-इलेक्ट्रोलाइटिक हाइड्रोजन जनरेटर का एहसास करना है।"(आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 4 अगस्त | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ओडिशा कर्मचारी चयन आयोग (ओएसएससी) के सदस्य बिरंची नारायण साहू के एक पूर्व निजी सचिव की संलिप्तता की जांच करेगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। ईडी के संयुक्त निदेशक माधब चंद्र मिश्रा ने बुधवार को यहां कहा, "हमने मामला दर्ज कर लिया है और मामले में शामिल धन शोधन की जांच करेंगे। ईडी मामले के सभी पहलुओं की जांच करेगा।"
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी मौद्रिक लेनदेन के स्रोत और तरीके की जांच कर सकती है कि किसने धन प्राप्त किया है और लाभार्थी कौन हैं।
सूत्र ने कहा कि वर्तमान में, राज्य सतर्कता ने साहू को 3.51 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति बनाने के लिए पूछताछ के लिए चार दिन के रिमांड पर लिया है, जो कि उनकी आय के ज्ञात स्रोतों का 268 प्रतिशत है।
31 जुलाई को, ओडिशा की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा ने साहू को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया था।
विजिलेंस ने 25 लाख रुपये नकद, नीलाद्री विहार में दो दो मंजिला इमारतें, भक्ति विहार में दो एक मंजिला इमारत, भुवनेश्वर, पुरी और खोरधा में 14 प्लॉट, एक चार पहिया, दो दोपहिया वाहन, बीमा जमा का पता लगाया है। पिछले सप्ताह छापेमारी के दौरान 56 लाख रुपये और 60 लाख रुपये के सोने के गहने का पता चला है।
छापेमारी के दौरान भर्ती से संबंधित आवेदक प्रवेश पत्र और ऐसे अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अगस्त | राज्यसभा ने बुधवार को सीमित देयता भागीदारी संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य सरकार के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अभियान को तेज करना है और इस सेगमेंट के लिए अन्य बड़ी कंपनियों के समान नियम लाना है। इस विधेयक (बिल) को पहले लोकसभा ने मंजूरी दी थी। इसलिए अब संसदीय मंजूरी से यह राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा।
2008 में एलएलपी कानून के लागू होने के बाद से यह पहला संशोधन है। यह बड़े पैमाने पर बढ़ते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करता है, जहां कंपनियां फल-फूल रही हैं।
नए संशोधित कानून ने एलएलपी के लिए 12 अपराधों को अपराध से मुक्त कर दिया है और पहले के कानूनों के तीन वर्गों को छोड़ दिया गया है।
एलएलपी के विकास का समर्थन करने के लिए छोटे एलएलपी की एक नई परिभाषा पेश की गई है, जिसने व्यक्तिगत या साझेदार योगदान स्तर को वर्तमान 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया है। साथ ही एलएलपी में होने वाले टर्नओवर की सीमा भी 40 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दी गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले कहा था कि संशोधन कंपनी अधिनियम के तहत आने वाली बड़ी कंपनियों की तुलना में एलएलपी को समान खेल मैदान (प्रतिस्पर्धा के लिहाज से एक समान) में लाएंगे।
विशेषज्ञों और उद्योग के हितधारकों ने एलएलपी अधिनियम में बदलाव की सराहना की है और कहा है कि यह निर्णय व्यवसाय करने में आसानी की दिशा में एक बड़ा विकास है।
रिसर्जेंट इंडिया में प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गाड़िया ने कहा, "एलएलपी अधिनियम में संशोधन अब उल्लंघन के संबंध में आपराधिक कोण को हटाने का प्रस्ताव करता है और अब बिना किसी आपराधिक कार्रवाई के जुमार्ने के रूप में केवल आर्थिक दंड देना होगा। इससे मध्यम स्तर के उद्यमी को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों और विकास में सुविधा होगी।"
परिवर्तनों को स्वागत योग्य कदम बताते हुए, एडीआईएफ के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जॉर्ज ने कहा कि यह संस्थापक-अनुकूल कदम है।
उन्होंने कहा कि संशोधन लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप को और भी आकर्षक माध्यम बना देगा और भारतीय एक अधिक मांग वाला गंतव्य बन जाएगा।
यह कदम संस्थापकों (फाउंडर) के जीवन को सरल बनाने में मदद करेगा और व्यापार करने में आसानी लाने के लिए सरकार की मंशा में विश्वास पैदा करेगा। (आईएएनएस)
बिहारशरीफ, 4 अगस्त | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा जिले के छबीलापुर थाना क्षेत्र में बुधवार को जमीनी विवाद में हुए खूनी संघर्ष में पांच लोगों की मौत हो गई जबकि एक से दो लोग घायल बताए जाते हैं। घटना के बाद पुलिस घटनास्थल पहुंच गई है। घटना की पुष्टि करते हुए नालंदा के पुलिस अधीक्षक हरि प्रसाथ ने आईएएनएस को बताया, "छबीलापुर के लोदीपुर गांव में जमीन के विवाद को लेकर बुावार की दोपहर दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस घटना में एक पक्ष के पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई जबकि एक से दो लोग घायल बताए जा रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि लोदीपुर गांव में दो पटीदारों (गोतिया) के बीच पिछले कई दिनों से जमीन को लेकर विवाद था। इसी क्रम में बुधवार को भी दोनों पक्षों के लोग आमने-सामने आ गए और एक पक्ष के लोगों ने गोलीबारी कर दी।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई है तथा मामले की छानबीन की जा रही है।
इधर, पुलिस सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। पुलिस टीम गांव में कैंप कर रही है। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया है।
पुलिस की टीम आरोपियों की गिरतारी के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है। (आईएएनएस)
केंद्र के साथ ऐतिहासिक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर के छह साल बीत जाने के बावजूद केंद्र ने नागालैंड की समस्या पर कथित रूप से चुप्पी साध रखी है. इसके विरोध में उग्रवादी संगठन एनएससीएन ने मंगलवार को 12 घंटे का बंद रखा.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
एनएससीएन के आह्वान पर हुए 12 घंटे के बंद का असर अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के नागा बहुल इलाकों पर भी पड़ा. दूसरी ओर, राज्य के तमाम विधायकों ने आम राय से सदन में प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले नागालैंड की राजनीतिक समस्या के समाधान की मांग की है. बीते 24 वर्षों से नागा समस्या के स्थायी समाधान के लिए जारी शांति प्रक्रिया अब भी किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं नजर आ रही है. छह साल पहले जिस फ्रेमवर्क समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी, वह भी समस्या के समाधान की राह नहीं खोल सका है. कभी अलग झंडे तो कभी अलग संविधान की मांग ने इस शांति प्रक्रिया की राह में लगातार रोड़े अटकाए हैं.
क्या है नागा समस्या?
वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के समय नागा समुदाय के लोग असम के एक हिस्से में रहते थे. देश आजाद होने के बाद नागा कबीलों ने संप्रभुता की मांग में आंदोलन शुरू किया था. उस दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा भी हुई थी जिससे निपटने के लिए उपद्रव वाले इलाकों में सेना तैनात करनी पड़ी थी. उसके बाद साल 1957 में केंद्र सरकार और नागा गुटों के बीच शांति बहाली पर आम राय बनी. इस सहमति के आधार पर असम के पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले तमाम नागा समुदायों को एक साथ लाया गया. बावजूद इसके इलाके में उग्रवादी गतिविधियां जारी रहीं.
तीन साल बाद नागा सम्मेलन में तय हुआ कि इस इलाके को भारत का हिस्सा बनना चाहिए. उसके बाद वर्ष 1963 में इसे राज्य का दर्जा मिला और अगले साल यानी 1964 में यहां पहली बार चुनाव कराए गए. अलग राज्य बनने के बावजूद लेकिन नागालैंड में उग्रवादी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका. 1975 में तमाम उग्रवादी नेताओं ने हथियार डाल कर भारतीय संविधान के प्रति आस्था जताई, लेकिन यह शांति क्षणभंगुर ही रही. वर्ष 1980 में राज्य में सबसे बड़े उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) का गठन किया गया और उसके बाद राज्य में उग्रवाद का लंबा दौर जारी रहा.
राज्य में शांति बहाली के मकसद से केंद्र सरकार ने सबसे बड़े उग्रवादी संगठन एनएससीएन (आई-एम) के साथ ठीक 24 साल पहले वर्ष 1997 में युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट यानी समझौते के प्रारूप पर हस्ताक्षर करने के बाद शांति प्रक्रिया के मंजिल तक पहुंचने की कुछ उम्मीद जरूर पैदा हुई थी. हालांकि इस प्रक्रिया में अक्सर गतिरोध पैदा होते रहे हैं.
एनएससीएन (आई-एम) शुरू से ही असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नागा-बहुल इलाकों को मिला कर नागालिम यानी ग्रेटर नागालैंड के गठन की मांग करता रहा है. इलाके के यह तीनों राज्य केंद्र से कोई भी समझौता करने से पहले बाकी राज्यों की संप्रभुता बरकरार रखने की अपील करते रहे हैं.
वर्तमान स्थिति क्या है?
एनएससीएन (आईएम) ने छह साल पहले हुए फ्रेमवर्क समझौते पर भारत सरकार की कथित चुप्पी के विरोध इलाके के नागा बहुल इलाकों में 12 घंटे के बंद की अपील की थी. इसका असर नागालैंड के अलावा पड़ोसी मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुल इलाकों पर भी पड़ा. संगठन ने एक बयान में कहा है, "छह साल बीत जाने के बाद भी भारत सरकार की ओर से अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. नागाओं के साथ ऐसा सलूक नहीं किया जा सकता.'' उसका दावा है कि केंद्र सरकार अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है.
दरअसल, नगालैंड में स्थायी शांति लाने के प्रयास जून से ही ठप्प हैं. क्योंकि केंद्र सरकार ने एनएससीएन की ओर से अवैध रूप से टैक्स की वसूली रोक दी है. संगठन की दलील है कि केंद्र सरकार का यह फैसला ठीक नहीं है. यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि यह उग्रवादी संगठन अपनी स्थापना के समय से ही राज्य के तमाम लोगों, व्यापारियों और सरकारी कर्मचारियों तक से टैक्स वसूलता रहा है.
विधानसभा में भी चर्चा
नागालैंड विधानसभा के वर्षाकालीन अधिवेशन के पहले दिन भी सदन में नागालैंड समस्या छाई रही. सदन में आम राय से पारित एक प्रस्ताव में नागा राजनीतिक समस्या के शीघ्र समाधान की अपील की गई. प्रस्ताव में तमाम नागा संगठनों से इस दिशा में सामूहिक प्रयास करने की भी अपील की गई है. दूसरी ओर, राज्य के सभी सांसदों और विधायकों ने शांति प्रक्रिया तेज करने की दिशा में काम करने और नागा मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए केंद्र पर दबाव बनाने का फैसला किया है.
क्या है फ्रेमवर्क समझौता?
केंद्र सरकार ने तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन के इसाक मुइवा गुट के साथ एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन उसके प्रावधानों को गोपनीय रखा गया था. बाद में वर्ष 2017 में नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप जैसे सात विद्रोही गुटों को शांति समझौते में शामिल किए जाने से कुछ नागा संगठनों ने निराशा जताई थी और इसे शांति प्रक्रिया को लंबा खींचने का बहाना बताया था. कुछ दिनों पहले एनएससीएन ने फ्रेमवर्क समझौते के प्रावधानों को सार्वजनिक करते हुए लंबे अरसे तक शांति प्रक्रिया में मध्यस्थ रहे एन.रवि पर साझा संप्रभुता का हवाला देते हुए मूल समझौते में कुछ लाइनें बदलने का आरोप लगाया था.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एनएससीएन अलग संविधान और जांच की मांग पर अड़ा है जबकि केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. यही शांति प्रक्रिया की राह में सबसे बड़ी बाधा है. अब एनएससीएन ने एक बार फिर शांति प्रक्रिया और केंद्र की मंशा पर सवाल उठाए हैं. पर्यवेक्षकों की राय में इससे आने वाले दिनों में राज्य में नए सिरे से अशांति पैदा होने के आसार हैं.(dw.com)
नई दिल्ली, 4 अगस्त | कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्ट और अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल के बीच बुधवार को संसद परिसर में कृषि कानूनों के मुद्दे पर कहासुनी हो गई। दोनों ने एक-दूसरे पर किसानों को ठगने का आरोप लगाया।
रवनीत बिट्ट ने कहा कि पहले अकाली दल, फिर एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री ने विधेयक पारित किया और अब विरोध कर रहे हैं।
हरसिमरत कौर ने जवाब दिया कि उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था और पूछा कि विधेयक पारित होने पर राहुल गांधी कहां थे।
बिट्टू ने जवाब दिया कि जब कैबिनेट में बिल पास हुआ तो वह सरकार का हिस्सा थीं।
दोनों सांसद संसद परिसर में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे और तख्तियां लेकर नारेबाजी कर रहे थे।
पंजाब में दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हैं, जहां कृषि कानून एक बड़ा मुद्दा है और राज्य में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं।
कांग्रेस तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रही है। पिछले हफ्ते राहुल गांधी आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर से संसद पहुंचे। उस समय मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, "मैं संसद में किसानों का संदेश लाया हूं। वे (सरकार) किसानों की आवाज दबा रहे हैं और संसद में चर्चा नहीं होने दे रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि सरकार को इन काले कानूनों को निरस्त करना होगा। उन्होंने कहा, "पूरा देश जानता है कि यह (तीन कृषि कानून) किसके फायदे के लिए किया जा रहा है। यह किसानों के पक्ष में नहीं है और सरकार को इन तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेना होगा।" (आईएएनएस)
अर्चना शर्मा
जयपुर, 4 अगस्त | सीखना और न सीखना कॉपोर्रेट जगत का नया मानदंड हो सकता है, लेकिन राजस्थान भाजपा अब इस कॉपोर्रेट फॉमूर्ले का पालन कर रही है ताकि रेगिस्तानी राज्य में बदलाव की नई लहरें ला सकें और 2023 में विधानसभा चुनावों में जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकें।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने आईएएनएस से कहा, "हालांकि चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन हमने इसके लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।"
"हमने कुछ राज्यों को जमीनी स्तर पर अपने आधार को मजबूत करने के लिए अलग तरह से काम करते देखा है और इसलिए हम उनके मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं और राजस्थान में भी उनका पालन करेंगे। उदाहरण के लिए, हमारे पड़ोसी राज्य, एमपी ने केंद्र सरकार की योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए जमीनी स्तर पर अच्छा काम किया है। इसी तरह, कर्नाटक भाजपा ने अपनी बूथ समितियों को मजबूत करके अलग तरह से काम किया है।"
पूनिया ने कहा कि इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश ने भी डॉक्टरों, वकीलों आदि सहित विभिन्न प्रकोष्ठों को मजबूत करके नवाचार के साथ काम किया।
उन्होंने आगे कहा कि अंतत: हजारों की संख्या में पेशेवरों की अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है, जिन्होंने जमीनी स्तर पर भगवा पार्टी को मजबूत किया है।
"पिछले कुछ महीनों से, हम पहले से ही 'पन्ना मॉडल' पर काम कर रहे हैं, जो गुजरात में सफल साबित हुआ है। इस मॉडल के तहत, हमारे कार्यकर्ता एक मजबूत आधार बनाने के लिए एक विशेष ब्लॉक के प्रत्येक परिवार के साथ जुड़ रहे हैं"
उन्होंने कहा, "यह मॉडल एक पार्टी के निर्माण खंड की तरह काम करता है। गुजरात में, पार्टी पन्ना मॉडल के सौजन्य से चुनाव जीतती रही है, जिसकी छाप अब राजस्थान में भी दिखाई देगी।"
उन्होंने कहा, "हम राजस्थान में एक पार्टी के वैकल्पिक रूप से चुनाव जीतने के दशकों पुराने मॉडल को अब समाप्त होते देखना चाहते हैं" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अगस्त | हर वर्ष हजारों पक्षी तेज मांझे की चपेट में आते है, इन प्रतिबंधित मांझो के कारण कई अन्य तरह की दुर्घटनाएं होती हैं। दिल्ली के बहुत से बाजारों में कानूनन प्रतिबंधित माँझे की बिक्री करने वालों पर कार्यवाही करते हुए दिल्ली पुलिस की एक अंडरकवर टीम ने पीपल फार द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के प्रतिनिधि की उपस्थिती में लालकुआँ इलाके में अचानक छापा मारा। इस दबिश में दिल्ली पुलिस की इस विशेष टीम ने विक्रेताओं से जानलेवा माँझे की सैंकड़ों चरखियाँ जब्त की और गैर कानूनी माँझे की बिक्री कर रहे चार दुकानदारों के खिलाफ ह्यपर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के सेक्शन 5 तहत कार्यवाही की।
दरअसल दिल्ली सरकार ने माँझे के सभी प्रारूपों की बिक्री, निर्माण, भंडारण, आपूर्ति एवं आयात को प्रतिबंधित किया है। इन्सानों, पक्षियों, अन्य जानवरों एवं पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने तेत माँझे पर यह फैसला लिया है।
इस आदेश के तहत पतंगबाजी के लिए केवल सूती धागे का इस्तेमाल करने की अनुमति है। सूती डोर को तीखा बनाने के लिए उसपर किसी भी तरह का काँच, मेटल व अन्य कोई लेप नहीं चढ़ा होना चाहिए।
पेटा इंडिया के एडवोकेसी एसोसिएट प्रदीप रंजन डोले बर्मन ने बताया, इस छापेमारी और गैरकानूनी तरीकों से अवैध माँझे की बिक्री करने वालों के खिलाफ इस कार्यवाही हम दिल्ली पुलिस के आभारी है। पक्षियों और इन्सानों व अन्य जानवरों की सुरक्षा के मद्देनजर की गयी यह कार्यवाही एक बड़ा संदेश देती है।
माँजा पक्षियों एवं इन्सानों के लिए जानलेवा है इसमे उलझकर अनेकों पक्षी गंभीर रूप से घायल एवं मौत का शिकार हो जाते हैं। अगर लोगों को यह पता हो की माँझा कितना खतरनाक है तो फिर लोग पतंगबाजी हेतु केवल सूती डोर का ही इस्तेमाल करेंगे।
दरअसल पेटा इंडिया के अनुसार, पिछले वर्ष भी दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के कुछ इलाकों में छापेमारी की थी। वहीं हर वर्ष हजारों पक्षी इन तेज मांझो की चपेट में आकर अपनी जान गंवा देते हैं। मांझे में उलझ कर उनके पंख कट जाते है या फिर शरीर पर लिपट जाने से वह कई-कई ह़फ्तों तक पेड़ों या इमारतों पर फंसे रहते है।
पेटा इंडिया ने बताया, इसी वर्ष जुलाई माह में तीखे माँझे की चपेट में आने पर एक मोटर साईकल सवार की मौत हो गयी थी। इसके अलावा वर्ष 2019 में भी दिल्ली के तिमारपुर में तीखे माँझे से गला कट जाने से एक मोटर साईकल सवार की मौत हो गयी थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 4 अगस्त | महंगाई, कथित पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्ष के विरोध के बीच बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित कर दी गई। पहला स्थगन सुबह 11.14 बजे से 11.30 बजे तक और दूसरा 11.35 बजे से दोपहर 12 बजे तक हुआ।
पहले स्थगन के बाद सुबह 11.30 बजे सदन शुरू होने के तुरंग बाद उपाध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने प्रश्नकाल जारी रखने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते रहे और कुर्सी पर तख्तियां दिखाते रहे।
वेल में विरोध कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने की अपील करते हुए उपाध्यक्ष ने कहा कि गलती करने वाले सदस्यों के व्यवहार से सदन की मर्यादा को ठेस पहुंची है, जिससे उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
अग्रवाल ने विपक्षी सदस्यों से कहा, "जब अध्यक्ष कुछ अपील कर रहा हो, तो आपको तख्तियां नहीं दिखानी चाहिए और आप सभी को अपनी सीटों पर वापस जाना चाहिए। वेल में तख्तियां दिखाना सही नहीं है और मयार्दा के खिलाफ है और इस पर कार्रवाई की जा सकती है।"
लेकिन वे वेल में ही रहे और अपना विरोध जारी रखा जिसके बाद उपाध्यक्ष ने सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
पूर्वाह्न् 11.00 बजे जब सदन की बैठक शुरू हुई, तो अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के आठ पूर्व सदस्यों के निधन पर शोक व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सदन ने उन पूर्व सदस्यों के संबंध में मौन रखा।
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद, अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू किया, और जल्द ही विपक्षी सदस्य बैनरों को प्रदर्शित करते हुए वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे।
बिरला ने उन्हें समझाने की कोशिश की और अपनी-अपनी सीटों पर जाने की अपील की और वह प्रश्नकाल के साथ आगे बढ़े लेकिन उनकी सलाह का सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा।
सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न् 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
प्रश्नकाल की संक्षिप्त अवधि के दौरान, भाजपा विधायक धर्मबीर सिंह ने हरियाणा में रुकी हुई रेलवे परियोजनाओं पर एक सवाल उठाया, जबकि बीजद सदस्य अनुभव मोहंती ने रेल मंत्रालय से अपने निर्वाचन क्षेत्र केंद्रपाड़ा के लिए एक रेलवे लिंक पर पुनर्विचार करने की मांग की। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 4 अगस्त | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने घोषणा की कि 29 कैबिनेट मंत्री बुधवार दोपहर राजभवन के ग्लास हाउस में शपथ लेंगे। बोम्मई ने राज्य प्रभारी अरुण सिंह के साथ विधान सौध से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि उनका मंत्रिमंडल अनुभव और उत्साह का मिश्रण होगा।
उन्होंने बताया कि कैबिनेट में 8 लिंगायत, 7 वोक्कालिगा, 7 ओबीसी, 3 दलित, 1 अनुसूचित जाति, 1 रेड्डी होंगे और एक सीट महिलाओं को दी जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेंद्र का नाम सूची में नहीं है।
उन्होंने कहा, "पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और मैंने व्यक्तिगत रूप से येदियुरप्पा जी को संदेश दिया है।"
विस्तृत चर्चा के बाद नए मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। उन्होंने कहा, "मैंने पार्टी अध्यक्ष के साथ विस्तार से चर्चा की है और बाद में शीर्ष नेताओं ने इस पर आगे चर्चा की। दबाव में आने का कोई सवाल ही नहीं था।"
बोम्मई ने कहा, "कैबिनेट का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के इच्छा के अनुरूप ही हुआ है। (आईएएनएस)
जम्मू, 4 अगस्त| जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के रंजीत सागर बांध में मंगलवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए ध्रुव हेलीकॉप्टर के पायलट और सह-पायलट अभी भी लापता हैं। हालांकि इस दुर्घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि पायलट और सह-पायलट दोनों 'सुरक्षित' थे।
कठुआ में पुलिस सूत्रों, जो जिले के बसोहली इलाके में हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बचाव अभियान का हिस्सा थे, ने कहा कि दोनों अभी भी लापता हैं।
"बचावकतार्ओं ने बांध के पानी से एक हेलमेट, एक बैग और एक जोड़ी जूते बरामद किए हैं, लेकिन लापता पायलट और सह-पायलट का कोई पता नहीं चला है।"
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि, "कल अंधेरे के कारण बचाव अभियान बंद कर दिया गया था। इसे आज सुबह फिर से शुरू किया जा रहा है।"
हेलीकॉप्टर ने पंजाब के पठानकोट से उड़ान भरी थी और बहुत नीचे उड़ने के बाद यह बांध में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 अगस्त | उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रहने वाले कुमार विश्वास सिंह ने सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं में सौ परसेंट अंक हासिल किए हैं। कुमार विश्वास को इन परीक्षाओं में 500 में से 500 नंबर मिले हैं। विद्याज्ञान स्कूल में पढ़ने वाले कुमार विश्वास सिंह को बेस्ट फाइव सब्जेक्ट्स में अधिकतम अंक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों में ही पूर्ण अंक प्राप्त किए हैं। कुमार ने जिन विषयों के साथ 500 में से 500 अंक हासिल किए हैं, उनमें अंग्रेजी, हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शामिल है।
दिलचस्प बात यह है कि बोर्ड परीक्षाओं में शत प्रतिशत नंबर लाने वाले कुमार विश्वास सिंह ने पूरे साल किसी टाइमटेबल को फॉलो नहीं किया। उन्होंने आईएएनएस से कहा कि मेरे पास कोई टाइम टेबल नहीं था। मैं टाइम टेबल में विश्वास भी नहीं करता। मुझे जब कभी भी जिस विषय का अध्ययन करना अच्छा लगता है, मैं उसे तब तक पढ़ता हूं जब तक मैं बोर नहीं हो जाता है। मेरा यही तरीका मुझे 100 फीसदी कुशल बनाता है।
कुमार ने कहा कि वास्तव में यह महामारी मेरे लिए एक अवसर थी। इस दौरान मैंने डिजिटल मीडिया का सबसे अच्छा उपयोग किया और शिक्षकों के बुलावे पर मेरी शंकाओं का समाधान हो सका। मेरे माता-पिता ने भी साल भर साथ दिया। यह था आसान नहीं है, लेकिन सभी प्रियजनों के समर्थन से यह संभव हो सका।
गौरतरब है कि 12वीं की ही तरह 10वीं कक्षा में भी बड़ी संख्या में छात्रों ने 95 फीसदी और उससे अधिक अंक हासिल किए हैं। 10वीं में कुल 57,824 छात्रों ने 95 फीसदी या उससे अधिक अंक हासिल किए हैं।
गाजियाबाद के रौनक गुप्ता ने सीबीएसई की दसवीं कक्षा के रिजल्ट में 99.8 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। आनंदराम जयपुरिया स्कूल के छात्र रौनक को कुल 500 में से 499 नंबर मिले हैं। रौनक ने अपने स्कूल में टॉप किया है। हालांकि सीबीएसई ने दसवीं कक्षा के परिणाम घोषित करते हुए इस बार देशभर में आधिकारिक तौर पर मेरिट लिस्ट या टॉपर घोषित नहीं किए हैं।
सीबीएसई ने एक आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा कि सीबीएसई दसवीं बोर्ड के नतीजों में त्रिवेंद्रम क्षेत्र 99.99 फीसदी रिजल्ट के साथ सबसे आगे है। सीबीएसई 10वीं बोर्ड के रिजल्ट में 98.89 प्रतिशत छात्र और 99.24 फीसदी छात्राएं पास हुई हैं। लड़कियों का पास प्रतिशत लड़को के मुकाबले 0.35 फीसदी अधिक है। वहीं इस वर्ष कंपार्टमेंट के छात्रों की संख्या में भी भारी कमी आई है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 3 अगस्त | सीबीएसई बोर्ड 10वीं और 12वीं के सिलेबस को दो भागों में बांट चुका है। परीक्षा भी दो सत्रों में ली जाएगी, लेकिन फिर भी बोर्ड छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन और प्रोजेक्टस पर फोकस करेगा। कोरोना संक्रमण के कारण यदि सीबीएसई बोर्ड (2 में से) किसी एक सत्र की परीक्षा नहीं ले सका तो भी अगले साल बोर्ड कक्षाओं का परिणाम सही समय पर घोषित किए जा सकेगा। ऐस स्थित में आधे पाठ्यक्रम के आधार पर हुई परीक्षाओं और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट घोषित किया जा सकता है। शिक्षा मंत्रालय के लिए अगले साल होने वाली 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा एक बड़ा मुद्दा है। सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा और परीक्षा परिणाम प्रक्रिया के समाधान की दिशा में शिक्षा विशेषज्ञ और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अभी से जुट गए हैं।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई ने 10वीं एवं 12वीं कक्षा का सिलेबस दो हिस्सों में बांट चुका है। सीबीएसई के शिक्षा निदेशक जोसेफ इमैनुएल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, पहले टर्म की परीक्षा नवंबर-दिसंबर, 2021 में होगी जबकि दूसरे टर्म की परीक्षा मार्च-अप्रैल, 2022 में होगी।
इन परीक्षाओं में बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रश्न (एमसीक्यू) होंगे। पहले सत्र में सीबीएसई प्रश्नपत्र और मूल्यांकन की योजना स्कूलों को भेजेगा। पहले के अंत में बोर्ड नवंबर-दिसंबर, 2021 में चार से आठ सप्ताह की समय सीमा में परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा।
दूसरी परीक्षा मार्च-अप्रैल में आयोजित की जाएगी। यह परीक्षाएं बाहर से आए परीक्षकों और सीबीएसई द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की निगरानी में होंगी।
विद्यार्थी प्रश्नों का उत्तर ओएमआर शीट पर भरेंगे। इन शीट को स्कैन करने के बाद सीधे-सीधे सीबीएसई की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है। मार्च-अप्रैल 2022 में बोर्ड द्वारा तय परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा होगी।
इस सब के बावजूद सीबीएसई आंतरिक मूल्यांकन एवं प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान देगी। अगर परीक्षा के लिए हालात फिर अनूकूल नहीं होती हैं तो दूसरे टर्म के अंत में भी एमसीक्यू आधारित परीक्षा करायी जा सकती है।
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने कहा कि पहली बार जब कोविड आया तो हमने अपनी तैयारी तभी शुरू कर दी थी। लेकिन कोविड की पहली लहर जाने के बाद हमें लगा था कि अब हम सामान्य प्रक्रिया अपना सकेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब हमने जो प्रक्रिया बनाई है उसके तहत छात्रों की दो बार परीक्षा ली जाएगी। हम प्रयास करेंगे कि छात्रों की परीक्षा दो बार ली जा सके। यदि पहला एग्जाम ही हो सके तो बहुत अच्छा है और यदि दूसरा एग्जाम हो सके तो भी बहुत अच्छा है। हम इन तैयारियों के आधार पर अगले वर्ष छात्रों का रिजल्ट घोषित कर सकेंगे।(आईएएनएस)
पटना, 3 अगस्त | बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में मंगलवार को दो नाबालिग बच्चों को कथित तौर पर बिजली के खंभे से बांधकर पीटा गया। दोनों पर 200 रुपये चोरी करने का आरोप है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस अधिकारियों को घटना की जानकारी हुई।
सिसिरिया पुलिस स्टेशन के एसएचओ प्रणव कुमार ने कहा, "हमने इस घटना का संज्ञान लिया है और वीडियो में दिखाई देने वाले कथित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। आरोपियों में से एक पीड़िता का चचेरा भाई है।"
एसएचओ ने कहा, "हमने कुछ कथित व्यक्तियों की पहचान की है, जैसे शिवनाथ यादव, माधव यादव, आदि।"
पुलिस के मुताबिक घटना भगरवा गांव की है, जहां 12 से 15 साल के दो बच्चों को बिजली के खंभे से बांध दिया गया। उनके आसपास के लोगों ने सिर मुंडवा लिया और उन्हें डंडों से पीटा। पीड़ित रहम की गुहार लगा रहे थे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी।
पीड़ितों की पहचान प्रवासी मजदूरों के बच्चों के रूप में हुई है और वे दूसरे राज्यों से आए थे। (आईएएनएस)