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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 17 जुलाई। जिले के ग्राम कोमा की एक महिला ने खल्लारी थाना प्रभारी पर एक मामले में एक लाख रुपए लेने का आरोप लगाया है। महिला के मुताबिक थानेदार ने रकम लेने के बाद भी उसके पति के खिलाफ शराब मामले में प्रकरण बना दिया। अब पीडि़त महिला ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री सहित डीजीपी को पत्र भेजकर की है।
गुरूवार को ग्राम कोमा निवासी पीडि़त महिला रूखमणी साहू शिकायत लेकर संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर के कार्यालय पहुंची थी। उन्होंने शिकायत पत्र देते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया है कि पिछले दिनों ग्राम कोलदा में शराब बेच रहे दो लडक़ों को खल्लारी पुलिस ने पकड़ा था। इस मामले में खल्लारी थाना प्रभारी ने अपने थाने की पुलिस मोनू सरदार और देवचरण सिन्हा को उनके घर भेजकर पैसे की मांग की। लगातार थाना प्रभारी के दबाव के चलते इधर-उधर से पैसे की व्यवस्था कर एक लाख रुपए थाना प्रभारी के कहने पर मोनू सरदार व देवचरण सिन्हा को दिया गया।
आरोप है कि पैसा मिलने के बाद भी प्रार्थी महिला के पति हितेश साहू को शराब के एक मामले में फंसा दिया गया। उन्होंने शिकायत पत्र देते हुए थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
महिला का आरोप है कि एक लाख रुपए देने के बाद थानेदार फिर से एक लाख रुपए की मांग कर रही है। थानेदार ने मांग पूरा नहीं करने पर उसके पति को फंसा देने की बात कह रही है जबकि एक लाख रुपए थानेदार को पहले ही दिया जा चुका है। मांग पूरी नहीं करने पर पुलिस उसके घर में रखी कार को जबरदस्ती ले गई हंै उसमें शराब रखवाकर कार की जब्ती बनाई गई है और उसके पति के खिलाफ झूठा मामला बनाने की बात कह रही है। टीआई लगतार धमकी दे रही है कि मांगें नहीं मानी तो गांजा के मामले में फंसा दिया जाएगा। पुलिस की इस धमकी से उसका परिवार भयभीत है।
इस मामले में खल्लारी थाना टीआई दीपा केंवट का कहना है कि महिला का आरोप बेबुनियाद है। मामले की जांच कराने पर वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाएगी। रहा सवाल हितेश साहू को फंसाने का, तो उसके खिलाफ थान में पहले ही कई मामले दर्ज हंै।
बीजिंग/जिनेवा/नई दिल्ली, 17 जुलाई (वार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है और दुनियाभर में इसके कारण अब तक 5.89 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तथा 1.37 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
कोविड-19 के संक्रमितों के मामले में अमेरिका दुनिया भर में पहले, ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है। वहीं इस महामारी से हुई मौतों के आंकड़ों के मामले में अमेरिका पहले, ब्राजील दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर है जबकि भारत मृतकों की संख्या के मामले में आठवें स्थान पर है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,37,892,73 हो गयी है जबकि अब तक इस महामारी के कारण 5,84,990 लोगों ने जान गंवाई है।
विश्व महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना से अब तक 3754371 लोग संक्रमित हो चुके हैं तथा 1,38339 लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में अब तक 2012151 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 76688 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 34956 नये मामले सामने आये हैं और इसके बाद संक्रमितों की संख्या 1003832 हो गयी है। वहीं इस दौरान 687 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 25602 हो गई है। संक्रमण के तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच राहत की बात यह है कि इससे स्वस्थ होने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। देश में अब तक 635757 मरीज रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना के 342473 सक्रिय मामले हैं।
रूस कोविड-19 के मामलों में चौथे नंबर पर है और यहां इसके संक्रमण से अब तक 7,51,612 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 11,920 लोगों ने जान गंवाई है। पेरू में लगातार हालात खराब होते जा रहे है वह इस सूची में पांचवें नम्बर पर पहुंच गया है। यहां संक्रमितों की संख्या 3,41,586 हो गई तथा 12,615 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से संक्रमित होने के मामले में दक्षिण अफ्रीका छठे स्थान पर पहुंच गया है। यहां इससे अब तक 324221 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 4669 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं मैक्सिको में कोरोना से अब तक 3,24041 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 37574 लोगों की मौत हुई है। कोविड-19 से संक्रमित होने के मामले चिली अब आठवें नंबर पहुंच गया है। यहां इससे अब तक 3,23698 लोग संक्रमित हुए हैं और मृतकों की संख्या 77290 है।
ब्रिटेन संक्रमण के मामले में नौवें नंबर पर है। यहां अब तक इस महामारी से 2,94114 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 45,204 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
वहीं खाड़ी देश ईरान में संक्रमितों की संख्या 2,67,061 हो गई है और 13,608 लोगों की इसके कारण मौत हुई है। वहीं स्पेन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,58,855 है जबकि 28,416 लोगों की मौत हो चुकी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 2,57,914 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 5426 लोगों की मौत हो चुकी है।
यूरोपीय देश इटली में इस जानलेवा विषाणु से 2,43,736 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 35017 लोगों की मौत हुई है। सऊदी अरब में कोरोना संक्रमण से अब तक 2,43,238 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 2370 लोगों की मौत हो चुकी है। तुर्की में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,16873 हो गयी है और 5440 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,11102 हैं और 30,141 लोगों की मौत हो चुकी है। जर्मनी में 2,01,450 लोग संक्रमित हुए हैं और 9086 लोगों की मौत हुई है।
बंगलादेश में 1,96323 लोग कोरोना की चपेट में आए हैं जबकि 2496 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस से बेल्जियम में 9792, कनाडा में 8875, नीदरलैंड में 6156, स्वीडन में 5593, इक्वाडोर में 5207, मिस्र में 4129, इंडोनेशिया में 3873, इराक में 3522, स्विट्जरलैंड में 1969, रोमानिया में 1971, अर्जेंटीना में 2112, बोलीविया में 1984, आयरलैंड में 1749 और पुर्तगाल में 1679 लोगों की मौत हो चुकी है।
-श्रवण गर्ग
कांग्रेस और भाजपा के बीच इस समय जो कुछ भी चल रहा है उसे लेकर लोगों के मन में दो-तीन तरह के सवाल हैं : क्या कांग्रेस (या कांग्रेसियों) की मूल आत्मा अभी भी वही बची है जिसे जनता आज़ादी के पहले से समझती आ रही है ? कहीं ऐसा तो नहीं है कि पार्टी की मूल विचारधारा और प्रतिबद्धताओं को लेकर मतदाताओं को धोखे में रखा जा रहा है ? दूसरी ओर, क्या भाजपा मीटर गेज पर चल रही अपनी परम्परागत विचारधारा से उतरकर कांग्रेसवाद की बुलेट ट्रेन पर इसलिए तो सवार नहीं हो रही है कि उसे अब सभी राज्यों में भी अपना साम्राज्य तुरंत चाहिए ?
पहले सवाल के जवाब हाल की कुछ घटनाओं में तलाश किए जा सकते हैं। बहुत पीछे केरल के इतिहास में नहीं जाना हो तब भी सचिन पायलट-सिंधिया प्रसंग में किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता ने ऐसा आरोप खुलकर नहीं लगाया है कि ये युवा नेता साम्प्रदायिकता फैलाने वाली हिंदुत्ववादी ताक़तों के हाथों में खेल रहे हैं। वे नाम लेकर इसे केवल भाजपा नाम की एक पार्टी का षड्यंत्र बता रहे हैं। कांग्रेस जानती है कि महाराष्ट्र में वह किस पार्टी के साथ सत्ता में भागीदार है। सचिन और सिंधिया यदि बसपा-सपा के साथ ‘षड्यंत्र’ में लगे होते तो किसी को भी इतनी शिकायत नहीं होती। तो क्या सचिन और सिंधिया की आत्माएँ मूलतः भाजपाई ही रही हैं और वे केवल दुर्घटनावश कांग्रेस में वक्त काट रहे थे ? पर कांग्रेस में अकेले ये दो ही तो नहीं हैं !
सचिन के पार्टी से विद्रोह पर शशि थरूर की तात्कालिक प्रतिक्रिया में भाजपा या साम्प्रदायिक शक्तियों जैसे किसी शब्द का कोई उल्लेख नहीं था।सचिन की प्रतिभा की भरपूर तारीफ़ करते हुए थरूर ने भावना व्यक्त की कि ऐसी स्थिति नहीं आनी थी। थरूर के ट्वीट की ख़ास बात यह थी कि सचिन को पार्टी में ही रहते हुए खुद के और बाक़ी लोगों के सपनों के लिए उसे बेहतर और प्रभावशाली बनाने की कोशिशों के साथ जुड़ना चाहिए था।किसी ने थरूर से तब सवाल भी किया था कि क्या सचिन ने पार्टी छोड़ दी है?
याद यह भी किया जा सकता है कि यूपीए सरकार में मंत्री रहे जयराम रमेश ने एक समारोह में यह कहते हुए सबको हैरत में डाल दिया था कि :'अब समय है कांग्रेस मोदी द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में किए गए उन कार्यों को मान्य करे, जिनके कारण वे सत्ता में वापस आने में सफल हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी ऐसी भाषा बोलते हैं, जो उन्हें जनता के साथ सीधे जोड़ती है। देखते ही देखते थरूर और अभिषेक मनु सिंघवी भी जयराम रमेश के साथ ऐसे जुड़ गए मानों सब्र का कोई बांध किसी कमज़ोर कोने से दरकने की प्रतीक्षा कर रहा था। बीच में सिंघवी को लेकर भी अफ़वाहें चल पड़ीं थीं।
और एक प्रसंग यह भी कि कांग्रेस की तब तेज-तर्रार प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी के पार्टी छोड़ने का कारण सिंधिया द्वारा कथित तौर पर उन लोगों का बचाव करना था, जिनकी गतिविधियों से वे नाराज़ थीं। सवाल यह नहीं है कि उन्हें जाने दिया गया बल्कि यह है कि कांग्रेस छोड़कर वे उसी शिव सेना में गईं जिसकी कट्टर हिंदुत्ववादी नीतियों की वे स्वयं घोर विरोधी थीं। बाद में तो कांग्रेस ने भी शिव सेना से हाथ मिला लिया। पूछा तो यह भी जा सकता है कि सलमान ख़ुर्शीद सहित पार्टी के तमाम मुस्लिम चेहरे इस समय कहाँ हैं ! क्या हिंदू वोटों की चिंता में उन्हें ‘पर्दे के पीछे’ कर दिया गया है ?
अब बात भाजपा की : कांग्रेस में तो युवा नेताओं को समझाया जा रहा है कि उम्र के मान से उन्हें काफ़ी दिया जा चुका है। अब उन्हें थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। भाजपा इन युवाओं से कह रही है कि आप कांग्रेस के बुजुर्गों के लिए दरियाँ बिछाने और भीड़ जुटाने का काम अब बंद करो और गांधी ‘परिवार’ को छोड़कर संघ ‘परिवार’ में आ जाओ। हमारे यहाँ अब कोई बुजुर्ग सत्ता में नहीं है। 'तुम हमें समर्थन दो, हम तुम्हें सत्ता देंगे।' अब धैर्य दिखाने की ज़िम्मेदारी भाजपा के युवकों की है जैसा कि वे सिंधिया समर्थकों के सामने मध्य प्रदेश में दिखा रहे हैं।
क्या यह मान लिया जाए कि भाजपा को जिस तरह से राजनीतिक धर्म परिवर्तन कराने या अपनी पार्टी के अंदर ही पार्टियाँ बनने देने की मज़बूरी झेलनी पड़ रही है, उसका बड़ा कारण उसके स्वयं के पास उस नेतृत्व का अभाव है जो कि कांग्रेस के पास अभी भी क़ायम है ? तो क्या उसके देश भर में फैले अठारह करोड़ सदस्य उन राज्यों में सत्ता नहीं दिलवा सकते, जहाँ अभी कांग्रेस और अन्य दलों की सरकारें हैं ? भाजपा के पास लोक सभा में 303 सीटें (56 प्रतिशत) हैं पर राज्यों की विधान सभाओं में केवल 35 प्रतिशत सीटों पर ही उसका क़ब्ज़ा है। भाजपा का सपना तो सभी राज्यों में भी जल्द से जल्द भगवा झंडा फहराने का है।
भाजपा की गंगा में एक तरफ़ तो कांग्रेसी विचारधारा की नहरों का पानी मिल रहा है और दूसरी तरफ़ मंत्रालयों का काम राज नेताओं की जगह सेवा-निवृत नौकरशाहों के हवाले हो रहा है। यानि पार्टी का पारम्परिक नेतृत्व अपनी ‘किसी भी समझौते से परे ‘वाली विचारधारा को जान-बूझकर डायल्यूट कर रहा है। तो फिर इसे लेकर उन साधु-संतों, पुराने मंदिर-मार्गियों और कट्टर राष्ट्रवादी तबके की क्या प्रतिक्रिया है, जिसने बाबरी विध्वंस के लिए संघर्ष किया था और धर्म-ध्वजाओं के साथ रथ यात्राएं निकालीं थीं? कांग्रेस का तो समझ में आता है पर भाजपा और संघ का नेतृत्व अपनी वैचारिक ज़मीन पर उसकी नज़र में अब तक ग़ैर-राजनीतिक जात के माने जाने वाले लोगों का अतिक्रमण कैसे बर्दाश्त कर रहा है? निश्चित ही किसी सोची-समझी दीर्घकालिक नीति के तहत ही सब कुछ हो रहा होगा। कुल मिलाकर हालात यही हैं कि कांग्रेस में ‘तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता’ और भाजपा में ‘ऑन द स्पॉट पेंटिंग कॉम्पीटीशन’ चल रही है। जनता की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है कि वह कान लगाकर सुने या फिर आँखें फाड़कर देखे !
लांसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 2100 तक भारत सर्वाधिक जनसंख्या और प्रवास वाला देश बन जाएगा
-रिचर्ड महापात्रा
इस वक्त हम एक नए युग को घोषित करने की प्रक्रिया में है। इस युग का नाम है एंथ्रोपोसीन। यह युग प्रकृति पर इंसानों के असर का परिणाम है। ठीक इसी समय हमारी जनसंख्या भी प्राकृतिक रूप से घट रही है। आबादी घटने की दर आगे चलकर इतनी तेज होगी कि रिकवरी मुश्किल हो जाएगी। लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि 2064 में दुनिया की आबादी 9.73 बिलियन हो जाएगी। यह आबादी का चरम होगा। इसके बाद अगले 36 सालों में यानी सदी के अंत तक यह आबादी घटकर 8.79 बिलियन रह जाएगी।
इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स और वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में अलग मॉडल का उपयोग किया गया है। उन्होंने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) और मृत्युदर व प्रजनन दर से अलग जनसंख्या के प्रवास के संकेतकों का इस्तेमाल किया। इस अध्ययन में 2018-2100 की अवधि के लिए 195 देशों को शामिल किया गया।
अध्ययन के शोधकर्ता क्रिस्टोमर मरे ब्रिटिश मीडिया को बताया कि बड़ी बात यह है कि दुनिया के अधिकांश देश जनसंख्या में प्राकृतिक कमी के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, वैश्विक प्रजनन दर (टीएफआर) 2017 में 2.4 के मुकाबले 2100 में 1.7 प्रतिशत रह जाएगी।
अध्ययन में कहा गया है कि 2100 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होगा और चीन तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। भारत के बाद नाइजीरिया की आबादी सबसे अधिक होगी। जनसंख्या के मामले में चौथे नंबर पर अमेरिका और पांचवे नंबर पर पाकिस्तान होगा। 2050 के बाद भारत की जनसंख्या तेजी से घटेगी, बावजूद इसके वह सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।
अध्ययन के अनुसार, भारत और चीन की आबादी 2050 से पहले अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी। इसके बाद 2100 तक चीन की आबादी में 51.1 प्रतिशत और भारत की आबादी में 68.1 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
अध्ययन के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर 2018 में पहले ही प्रतिस्थापन के स्तर से नीचे पहुंच गई है। 2040 तक यह दर तेजी से कम होगी और 2100 तक 1.29 प्रतिशत हो जाएगी।
इसी के साथ जनसांख्यकीय में भी तेजी से बदलाव होगा। वर्तमान में कहा जाता है कि धरती पर इस समय किसी भी समय से अधिक युवा आबादी है। लेकिन अध्ययन की मानें तो 2100 में स्थिति उलट होगी। सदी के अंत तक 2.37 बिलियन लोग 65 साल से अधिक उम्र के होंगे जबकि 20 साल से कम उम्र के युवाओं की आबादी 1.70 बिलियन होगी। इस अवधि में 80 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी 866 मिलियन हो जाएगी। 2017 में यह आबादी 141 मिलियन थी।
अध्ययन में कहा गया है कि जैसे-जैसे बुजुर्गों की आबादी बढ़ेगी, वैसे-वैसे बच्चों की आबादी घटती जाएगी। 2017 से 2100 के बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी 41 प्रतिशत कम हो जाएगी।
हालांकि सब सहारा अफ्रीका, उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्रों में सदी के बाद भी आबादी बढ़ती जाएगी। मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप, और मध्य एशिया के क्षेत्रों में आबादी 1992 में ही उच्चतम स्तर पर जा चुकी है। यहां की आबादी में पूरी शताब्दी गिरावट जारी रहेगी। अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, ओसेनिया, मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में आबादी में गिरावट की दर सबसे गंभीर होगी।
अध्ययन में भविष्य में होने वाले प्रवास का भी अनुमान लगाया गया है और यह काफी चिंताजनक है। अनुमान के मुताबिक, 2100 में 195 में से 118 देशों में प्रवास की दर 1000 लोगों में 1 के बीच होगी। इसके अलावा 44 देशों में प्रति 1000 की आबादी पर यह दर इससे दोगुनी होगी। तीन देशों- अमेरिका, भारत और चीन में अप्रवासियों की संख्या सबसे अधिक होगी। दूसरी तरफ सोमालिया, फिलिपींस और अफगानिस्तान से सबसे अधिक लोग देश छोड़ेंगे। (downtoearth)
नयी दिल्ली,17 जुलाई (वार्ता)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार सुबह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो दिन के दौरे पर रवाना हो गये।
श्री सिंह ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा," दो दिन के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दौरे पर रहूंगा। इस दौरान मैं सीमा पर स्थिति की समीक्षा के लिए सीमावर्ती इलाकों में जाऊंगा और वहां सैन्य बलों से मुलाकात कर जानकारी लूंगा।"
Delhi: Defence Minister Rajnath Singh leaves for Leh on a two-day visit to Ladakh and Jammu&Kashmir. He is being accompanied by Chief of Defence Staff General Bipin Rawat and Army Chief General Manoj Mukund Naravane. He will visit Ladakh today and Srinagar tomorrow. pic.twitter.com/sc3tzLOJn3
— ANI (@ANI) July 17, 2020
श्री सिंह के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे भी गये हैं। रक्षा मंत्री लद्दाख और शनिवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे।
गलवान घाटी में 15-16 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद स्थिति बहुत तनावपूर्ण बनी हुई है। इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार जुलाई को लद्दाख का औचक दौरा किया था।
-मिश्रा, यामिनी
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वाशिंगटन, 17 जुलाई (स्पूतनिक) ट्विटर ने गुरुवार को कहा कि जानी-मानी हस्तियों के हालिया ट्वीटर अकाउंट हैक होने के दौरान उन अकाउंट के पासवर्ड हैकर्स के हाथ लगने का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है।
ट्विटर ने गुरुवार को एक बयान में कहा, '' हमारे पास हैकर्स के हाथों पासवर्ड लगने का कोई प्रमाण नहीं है। अभी हमें नहीं लगता कि पासवर्ड पुन: सेट करने की जरूरत है।''
ट्विटर ने बताया कि उसने कई ऐसे खातों को बंद कर दिया है, जिनके साथ छेड़छाड़ की आशंका थी, लेकिन ऐसे खातों की संख्या बहुत कम है।
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गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल जो बिडेन, अमेरिका के पूर्व राष्टपति बराक ओबामा, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स समेत अमेरिका के कई बड़े कारोबारियों और नेताओं के ट्विटर अकाउंट गुरुवार को हैक कर लिये गये थे। अधिकारियों के मुताबिक यह एक बिटकॉइन घोटाला प्रतीत हो रहा है। इन अकाउंट से कथित तौर पर क्रिप्टोकरेंसी में दान करने को कहा गया था। ट्विटर ने कहा कि इस मामले की जांच हो रही है और इससे संबंधित जानकारी जल्द ही दी जाएगी।
- शुभम
वाशिंगटन 17 जुलाई (वार्ता) अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) ने शुक्रवार को बताया कि उसने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन सहित मशहूर व्यक्तियों के ट्विटर अकाउंट को हैक किये जाने के मामले की जांच शुरू कर दी है।
एफबीआई ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए अकाउंट को हैक या गया है। हम लोगों को परामर्श देते हैं कि वे क्रिप्टोकरेंसी या पैसे भेजकर इस घोटाले का शिकार न हों। इस मामले की जांच की जा रही है और इस समय हम इससे अधिक टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।"
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उल्लेखनीय है कि श्री बिडेन, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, टीवी स्टार किम कार्दाशियां, एलन मास्क जैसी मशहूर हस्तियों तथा एपल जैसे कंपनियों के ट्विटर अकाउंट को हैक करके क्रिप्टोकरेंसी की लेन-देन को लेकर मैसेज किये गये थे।
-संतोष, यामिनी
मास्को, 17 जुलाई (वार्ता) चीनी सोशल नेटवर्किंग एप्प टिकटॉक को टक्कर देने के लिये फेसबुक इंस्टाग्राम रील एप्प को अमेरिका सहित 50 से अधिक देशों में लांच करेगा।
राष्ट्रीय प्रसारण कंपनी (एनबीसी) के सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि यह एप्प अगस्त में अमेरिका में भी लांच हो सकता है। इंस्टाग्राम रील टिकटॉक की तरह फेसबुक का एक एप्प है जिसमें 15 सेकेंड के वीडियो अपलोड किये जा सकते हैं। इसके कई फीचर टिकटॉक से मिलते जुलते हैं।
हाल ही में भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों के मद्देनजर टिकटॉक समेत 59 चीनी एप्प पर प्रतिबंध लगा दिये थे। इसके कुछ दिनों बाद फेसबुक ने भारत में इंस्टाग्राम रील एप्प को लांच कर दिया। हालांकि अमेरिका में टिकटॉक की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगे हैं।ट्रंप सरकार टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के उपायों पर विचार कर रही है। एप्प इससे पहले यह एप्प ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी में लांच किया जा चुका है।
-शुभम
आज 17 जुलाई की सुबह भारत में कोरोना ने 10 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है. वॉल्डोमीटर के आज सुबह के आंकड़े।
कोरोना वायरस से दुनिया भर में मौतों का आंकड़ा 588,383 हो गया है. वहीं संक्रमितों की संख्या 1.37 करोड़ हो गई है.
बुरी तरह प्रभावित अमरीका में 35 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हैं जबकि 138,267 की मौत हो चुकी है. ब्राज़ील में संक्रमितों का कुल आंकड़ा 20 लाख के पार हो गया है. यहां ये वायरस 76,688 जानें ले चुका है.
भारत में बीते 24 घंटों में कोरोना के 32,695 नए मामले दर्ज किए गए हैं जिसके बाद अब देश में संक्रमण का आंकड़ा 10 लाख के क़रीब हो गया है. संक्रमण के सबसे अधिक 7,975 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि आने वाले 12 सप्ताह में कोरना टेस्टिंग की क्षमता एक दिन में 10 लाख तक बढ़ाई जाएगी.
एक फार्म में कुछ ऊदबिलावों के कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने के बाद स्पेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वो एक लाख ऊदबिलावों को ख़त्म करेंगे.(bbc)
चकरभाठा थाना सील, बिलासपुर में एक ही दिन में 35 केस, जिनमें 34 शहर के
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 जुलाई। शहर में आज कोरोना टेस्ट के नतीजे ने हिलाकर रख दिया। जिले में कुल 35 केस आज दर्ज किये गये जिनमें एक को छोड़कर बाकी सभी बिलासपुर शहर के हैं। चकरभाठा को आज संक्रमण की आशंका से सील कर दिया गया। चंद्रा पार्क अपार्टमेंट में हड़कम्प है जहां सिम्स की नोडल अधिकारी के डॉक्टर पति और बेटे सहित 15 लोग संक्रमित पाये गये हैं। सिम्स के कोरोना संक्रमित वार्ड ब्वाय की पत्नी और तीन साल के बेटे को भी कोरोना संक्रमित पाया गया है।
जिले में आज कुल 35 कोरोना संक्रमितों का पता चला है। मस्तूरी के एक कोरोना पॉजिटिव के अलावा शेष सभी बिलासपुर शहर के हैं। कोरोना ने सबसे ज्यादा कहर चंद्रा पार्क में बरपाया जहां सिम्स की कोरोना विभाग की नोडल अधिकारी डॉ. आरती पांडेय का निवास है। वे दो बार के टेस्ट में खुद तो संक्रमित होने से बची हुई हैं। उनकी 30 वर्षीय घरेलू सहायिका को दो दिन पहले कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उसके सम्पर्क में आने वाले अपार्टमेंट के करीब 35 लोगों का स्वैब सैम्पल लिया गया था। इनमें 15 संक्रमित पाये गये। संक्रमित लोगों मे मानसिक चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर पति और उनका बेटा भी शामिल है। सिम्म चिकित्सालय में कोरोना विभाग में काम करने वाले दो स्टाफ को कोरोना संक्रमित पाया गया था। इनमें से एक वार्ड ब्वाय के 25 साल की पत्नी और तीन साल के बेटे को भी कोरोना संक्रमित पाया गया है।
इधर शहर के नजदीक स्थित चकरभाठा थाने को आज शाम सील कर दिया गया। दरअसल यहां के एक स्टाफ के परिवार में कोरोना संक्रमित केस मिला है। चकरभाठा थाने के पूरे स्टाफ का स्वैब सैम्पल लेकर टेस्ट के लिये भेजा गया है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को होम क्वारांटीन पर भेज दिया गया है। पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि थाने का पूरा काम फिलहाल हिर्री थाने से सम्पादित किया जायेगा।
विपक्षी दलों ने किया था कड़ा विरोध
भारतीय निर्वाचन आयोग ने बीते दिनों जारी अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें 65 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं को पोस्टल बैलेट से वोट देने की सुविधा देने का ऐलान किया गया था। चुनाव आयोग ने गुरुवार को जारी सूचना में कहा है कि आगामी बिहार विधानसभा और अन्य उपचुनावों में 65 वर्ष से अधिक के मतदाताओं को पोस्टल बैलेट सुविधा न देने का फैसला किया गया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि कोरोना वायरस को देखते हुए ६५ वर्ष से अधिक के लोगों को वोट डालने के लिए पोस्टल बैलेट सुविधा देने की सिफारिश हुई थी। ताकि वे बगैर किसी के संपर्क में आए अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। आयोग की सिफारिश पर विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 19 जून को नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी थी। लेकिन इस नियम को लागू नहीं किया जाएगा।
आयोग ने तर्क देते हुए कहा है कि इन नियमों को लागू करने से पहले आयोग जमीनी हालात से लगातार रूबरू हो रहा है। कोरोना वायरस से उपजे इस अप्रत्याशित माहौल में चुनाव तैयारियों की लगातार आयोग निगरानी कर रहा है। कमीशन ने हर पोलिंग सेंटर पर एक हजार वोटर्स की संख्या सीमित कर दी है। मतदाताओं को कोरोना से बचाने के लिए अन्य तमाम उपाय किए जा रहे हैं। जिसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की व्यवस्था हो रही है।
ऐसे में इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अब 65 साल से ऊपर के लोगों को पोस्टल बैलेट की सुविधा न देने का फैसला किया गया है। हालांकि, पोस्टल बैलेट की सुविधा पहले की तरह 80 साल से ऊपर के लोगों को मिलेगी। इसके अलावा कोविड पॉजिटिव या फिर होम आइसोलेशन में रहने वाले पोस्टल बैलेट से वोट डाल सकेंगे। इसके लिए सक्षम अधिकारी से प्रमाणपत्र भी देना होगा।(navjivan)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोरबा, 16 जुलाई। डकैती की योजना बना रहे मेवाती गैंग के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों से तलवार, देशी कट्टा, सब्बल व अन्य हथियार बरामद किए गए हैं।
पुलिस ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कटघोरा के चकचकवा पहाड़ के पास हरियाणा के मेवाती गैंग के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में इन्होंने बताया कि कटघोरा क्षेत्र की कई ज्वेलरी दुकानें व मोबाइल शॉप में डकैती डालने की योजना इनके द्वारा बनाई जा रही थी। इससे पहले की डकैत अपने मंसूबों में कामयाब होते हैं पुलिस ने इन्हें धर दबोचा। इस मामले में पुलिस ने आशिक मोहम्मद, शाहिद दोनों 28 वर्ष निवासी ग्राम नुह, मेवात हरियाणा एवं आरिफ 26 वर्ष निवासी ग्राम आधांकी जिला नुह, मेवात हरियाणा को गिरफ्तार कर चोरी व डकैती में उपयोग लाए जाने वाले सामानों का जखीरा बरामद किया गया है। आरोपियों के विरूद्ध धारा 399, 402 भादवि एवं 25 आर्म्स एक्ट के तहत जुर्म दर्ज कर चोरी के और मामलों में जांच-पड़ताल व पूछताछ की जा रही है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जुलाई। प्रदेश में आज कोराना पॉजिटिव का आंकड़ा 200 से 3 कदम पीछे रह गया। आज 197 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
जिला रायपुर से 57, बिलासपुर 32, राजनांदगांव 23, दुर्ग 17, कबीरधाम 16, सरगुजा 14, जांजगीर-चांपा 12, बेमेतरा 9, जशपुर 5, कोरबा 4, रायगढ़ व बलौदाबाजर 3-3, बलरामपुर व अन्य राज्य से 1-1 पॉजिटिव मरीज मिले हैं जिन्हें भर्ती करने की प्रक्रिया जारी है।
जांजगीर निवासी कोरोना पीडि़त 66 वर्षीय एक व्यक्ति की कल अंबेडकर अस्पताल में मृत्यु हुई।
हायर सेकेण्डरी 22 से 29 जुलाई और हाईस्कूल 4 से 9 अगस्त तक असाइनमेंट का वितरण
रायपुर, 16 जुलाई। राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल की परीक्षाएं अब असाइनमेंट पद्धति से संपन्न कराई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल की हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी की मुख्य और अवसर परीक्षा वर्ष 2020 कोविड-19 संक्रमण के तहत अभी तक आयोजित नहीं हो पाई हैं। छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल के सचिव प्रोफेसर व्ही.के. गोयल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हायर सेकेण्डरी कक्षा 12वीं की परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों को आबंटित परीक्षा केन्द्र के माध्यम से 22 जुलाई से 29 जुलाई तक असाइनमेंट कार्य का वितरण किया जाएगा। इसी प्रकार हाई स्कूल कक्षा 10वीं की परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों को आबंटित परीक्षा केन्द्र के माध्यम से 4 अगस्त से 9 अगस्त तक असाइनमेंट कार्य का वितरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हायर सेकेण्डरी के परीक्षार्थियों को जिस दिन असाइनमेंट प्रदान किया जाएगा, उसे दो दिवस के भीतर संबंधित परीक्षा केन्द्र में जमा करना अनिवार्य होगा। असाइनमेंट जमा करने की अंतिम तिथि 24 जुलाई से 31 जुलाई तक रहेगी, अर्थात जो छात्र 22 जुलाई को असाइनमेंट प्राप्त करेंगे उसकी अंतिम तिथि 24 जुलाई और जो छात्र 29 जुलाई को असाइनमेंट प्राप्त करेंगे उनकी अंतिम तिथि 31 जुलाई होगी। रविवार 26 जुलाई को अवकाश के दिन भी असाइनमेंट प्रदान करने और जमा करने का कार्य किया जाएगा।
इसी प्रकार हाई स्कूल कक्षा 10वीं के परीक्षार्थियों को जिस दिन असाइनमेंट प्रदान किया जाएगा, उसे दो दिवस के भीतर संबंधित परीक्षा केन्द्रों में जमा करना अनिवार्य होगा। असाइनमेंट जमा करने की अंतिम तिथि 6 अगस्त से 11 अगस्त तक रहेगी। जो छात्र 4 अगस्त को असाइनमेंट प्राप्त करेंगे, उसकी अंतिम तिथि 6 अगस्त और जो छात्र 9 अगस्त को असाइनमेंट प्राप्त करेंगे उनकी अंतिम तिथि 11 अगस्त होगी। रविवार 9 अगस्त को अवकाश के दिन भी असाइनमेंट प्रदाय करने और जमा करने का कार्य किया जाएगा।
सचिव छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल ने बताया कि शासकीय अवकाश के दिनों में भी असाइनमेंट वितरण और जमा किया जाएगा। सभी छात्र निर्धारित तिथियों में असाइनमेंट अपने परीक्षा केन्द्रों से प्राप्त करेंगे और इसे प्राप्त करने की तिथि से दो दिन के भीतर असाइनमेंट परीक्षा केन्द्रों में जमा करेंगे। जो छात्र इन तिथियों में असाइनमेंट प्राप्त नहीं करेंगे उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा। जो छात्र दो दिन की समय-सीमा में असाइनमेंट जमा नहीं करेंगे वे भी अनुपस्थित माने जाएंगे। दो दिन की समय-सीमा में शासकीय अवकाश की भी गणना की जाएगी। परीक्षा केन्द्र में कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए शासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य है। इसके अंतर्गत परीक्षा केन्द्रों में मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग और अन्य गाईडलाइन को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाएगा।
नई दिल्ली, 16 जुलाई। । तृणमूल कांग्रेस से सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कर्मचारियों को बिना वेतन के पांच साल के लिए अवकाश पर भेजने की एअर इंडिया की योजना के लिए उसकी आलोचना की और कहा कि यह कदम श्रम कानूनों का उल्लंघन करता है तथा यह शीर्ष प्रबंधन को बचाने तथा अन्य कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने की ‘‘स्पष्ट चाल’’ है। ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘नया नाम छंटनी है।’’ ‘
एअर इंडिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरेक जैसे मानकों पर कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू की है और उन्हें पांच वर्ष के लिए बिना वेतन के अवकाश (एलडब्ल्यूपी) पर भेजा जाएगा। इसको लेकर विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘बिना वेतन के अवकाश पर भेजने की एअर इंडिया की योजना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के इतिहास में अप्रत्याशित है कि एक पीएसयू महामारी के वक्त में कर्मचारियों का इस्तेमाल करके उन्हें फेंक देगा, वह भी तब, जब वंदे भारत मिशन में लगे एअर इंडिया के 150से ज्यादा कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।’’(navodayatimes)
राजेश अग्रवाल
बिलासपुर,16 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। एचआईवी पॉजिटिव बालिकाओं का जीवन बेहतर बनाने के लिये संचालित प्रदेश की एकमात्र संस्था महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते बंद होने के कगार पर है। विभाग के एक अधिकारी पर अनुदान के लिये रिश्वत मांगने का आरोप लगाये जाने के बाद कोई कार्रवाई तो हुई नहीं बल्कि इसके बदले में संस्था पर लगातार दबाव बनाकर बालिकाओं के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ किया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब हाईकोर्ट ने इस मामले में एक बार स्थगन दिया है और एक बारे में कलेक्टर से रिपोर्ट भी मांगी है।
शहर में एचआईवी संक्रमित बालिकाओं का आश्रम ‘अपना घर’ संचालित है। इन बच्चियों को यहां भोजन, आवास, कपड़े के अलावा अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में शिक्षा दी जा रही है। बीते 11 वर्षों से यह संस्था चल रही है जिसका सन् 2018 में स्थायी लाइसेंस भी ले लिया गया है।
संस्था के संचालक संजीव खट्टर का बचपन बहुत अभाव में बीता। उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने एचआईवी पीडि़त बालिकाओं की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी सेवा का संकल्प लिया। उनका मकसद सिर्फ यही कि गरीब परिवार की इन बच्चियों को शिक्षित कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर सकें। खट्टर ने अपने ही मकान को एक संस्था बनाकर इन बच्चियों के आवास के लिये रजिस्टर्ड करा दिया। वे खुद एक बेडरूम वाले किराये के मकान में रहते हैं। समाजसेवियों से उन्हें आर्थिक सहयोग मिलता रहा है पर बीच-बीच में सहायता मिलने में देर हो जाती है।
सन् 2018 में दानदाताओं ने निरन्तर सहयोग करने में असमर्थता जताई तब खट्टर ने महिला बाल विकास विभाग में अनुदान के लिये आवेदन लगाया। विभाग के अधिकारियों ने आकर निरीक्षण किया और सैद्धांतिक रूप से उन्हें अनुदान देने की सहमति दी गई। खट्टर के अनुसार इसके बाद जब वे दफ्तर में पता लगाने गये तो वहां जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने उन्हें बताया कि 58 लाख रुपये की स्वीकृति तो हुई है पर इसके लिये कमीशन देना पड़ेगा। यह रकम 20 प्रतिशत बिलासपुर ऑफिस के लिये होगा और 10 प्रतिशत रायपुर के लिये। खट्टर के अनुसार उन्होंने कमीशन देने से इंकार कर दिया और इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों से कर दी। शिकायत में उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि राशि मौखिक मांगी गई है, इसलिये उनके पास कोई प्रमाण नहीं है। सिर्फ यही प्रमाण है कि उनकी संस्था के लिये राशि स्वीकृत होने के बावजूद जारी नहीं की गई है।
खट्टर ने कहा कि रिश्वत देना उनके उसूल के खिलाफ भी है, दूसरी बात हमने जो बजट बताया उसका 75 प्रतिशत ही अनुदान के रूप में मंजूर किया गया है 25 प्रतिशत की व्यवस्था उन्हें खुद ही करनी है। इसमें यहां कार्यरत 9 कर्मचारियों का वेतन, मानदेय भी शामिल है। इसमें यदि 30 प्रतिशत कमीशन में दे दिये जायें तो बच्चियों का हक़ मारा जायेगा।
इसके बाद जून 2019 में विभाग द्वारा उन्हें पत्र भेजा गया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के अंतर्गत प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है अतएव यहां पर रह रही बच्चियों को उनके गृह जिलों में वापस भेजा जायेगा। वे महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आवासों में रहेंगीं। इस पर खट्टर ने कलेक्टर के समक्ष आवेदन लगाया और बताया कि बच्चियां यहां से जाना नहीं चाहती क्योंकि सरकारी आश्रय केन्द्रों की व्यवस्था से वे संतुष्ट नहीं हैं।
इसके बाद कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर व अन्य अधिकारियों से निरीक्षण कराया । निरीक्षण के दौरान तार की घेराबंदी और कुछ और सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित कुछ दूसरी कमियां गिनाई गईं, जिन्हें संचालक ने पूरा कर दिया। इसके बाद नवंबर में महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालनालय से अधिकारियों की एक टीम फिर पहुंची, उन्होंने भी निरीक्षण किया। इसके बाद समय-समय पर महिला बाल विकास विभाग बिलासपुर के अधिकारी निरीक्षण के लिये आते रहे। खट्टर का दावा है कि यहां के कर्मचारियों को निरीक्षण के दौरान भयभीत किया गया जिसके चलते चार लोगों ने इस्तीफा दे दिया। इसके तुरंत बाद संचालक खट्टर के पास नोटिस आई कि संस्था को बंद करना है और जो बच्चे यहां रह रहे हैं उन्हें सरकारी व्यवस्था में शिफ्ट किया जाना है।
संचालक खट्टर इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गये। 27 नवंबर को मामला दायर हुआ। 6 दिसम्बर को बाल संरक्षण समिति के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस की गाड़ी लेकर महिला विकास विभाग के अधिकारी ‘अपना घर’ पहुंचे और बिलासपुर जिले की चार बच्चियों को अपने साथ ले जाने लगे। ठीक इसी समय हाईकोर्ट का आदेश आ गया जिसमें हॉस्टल से बच्चियों को ले जाने पर स्थगन दिया गया था। तब महिला बाल विकास विभाग और पुलिस की टीम को वापस लौटना पड़ा। खट्टर के अनुसार इसी आदेश में कलेक्टर से प्रतिवेदन मांगा गया था। इसकी सुनवाई मार्च में होनी थी लेकिन कोरोना संकट के कारण तिथि तय नहीं हो पाई। इधर 19 मार्च 2020 को महिला बाल विकास विभाग की ओर से फिर बताया गया कि कलेक्टर ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है अतएव अपना घर से बच्चियों को हटाना होगा।
संस्था की बच्चियों की उम्र चार वर्ष से 18 वर्ष के बीच है। इनकी संख्या 14 है जिनमें से 12 के माता-पिता नहीं हैं। सभी बेहद गरीब परिवारों से आती हैं। एक बच्ची के पिता जीवित हैं पर उसने दूसरी शादी कर ली है। वह बच्ची को रखने के लिये राजी नहीं है। एक की मां जीवित है पर उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और वह आर्थिक रूप से सक्षम भी नहीं है। बच्ची उसके पास नहीं जाना चाहती।
दरअसल संस्था की कोई भी बच्ची इस जगह को छोडऩे की इच्छा नहीं रखती। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को दिये गये अपने बयान में भी यह बात बता दी है। खट्टर ने बताया कि इनमें से किसी भी बच्ची को वे खुद लेने नहीं गये। इन सभी को बाल संरक्षण समिति की सिफारिश पर ही महिला बाल विकास विभाग ने यहां लाकर छोड़ा है। उनकी शिकायत है कि सरकारी आश्रम, हॉस्टल में उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया जाता है। खाना अलग बिठाकर दिया जाता है। जबकि स्पर्श से एचआईवी फैलता ही नहीं। उनके लिये हाइजेनिक पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है जो वहां नहीं मिलता। उन्हें दवाओं की तथा मेडिकल सुविधाओं की दिक्कत होती है। सामान्य बच्चों के बीच में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। खट्टर ने बताया कि यहां ये बच्चियां स्वस्थ वातावरण में रह रही हैं। उनके मेडिकल और भोजन की यथासंभव बेहतर व्यवस्था की जा रही है। इन्हें सामान्य बच्चों के बीच अच्छे निजी स्कूलों में पूरी फीस देकर पढ़ाया जा रहा है। स्कूल संचालकों को यह बताया गया है कि सभी स्पेशल केयर वाले बच्चे हैं पर सहपाठियों को इसकी जानकारी नहीं दी गई है।
विभाग के अधिकारी लगातार दबाव बना रहे हैं कि बच्चों को छोड़ा जाये पर खट्टर का कहना है कि उनके आश्रम का लाइसेंस जीवित है और कोई भी बच्ची जाने के लिये तैयार नहीं है। हाईकोर्ट में भी उनका केस अभी जीवित है। खट्टर ने कल ही एक आवेदन देकर महिला बाल विकास विभाग से जानकारी मांगी है कि वे किस आधार पर ‘अपना घर’ को बंद करने के लिये कह रहे हैं। कलेक्टर ने यदि कोई आदेश दिया है तो उन्हें दिखाया जाये। खट्टर कहते हैं कि उनका पूरा परिवार इन बच्चियों का भविष्य संवारने में जुटा हुआ है। सरकारी अनुदान मिले तो बहुत अच्छा, लेकिन अनुदान न मिले तब भी नये सिरे से समाजसेवियों और संस्थाओं से सहयोग लेकर उनकी मदद से इसे संचालित करते रहना चाहते हैं। उन्होंने महिला बाल विकास विभाग की मंत्री, सचिव और अन्य उच्चाधिकारियों को भी ज्ञापन, आवेदन देकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। फिर भी उन पर खतरा मंडरा है कि किसी भी दिन इन बच्चियों को उनकी इच्छा के विपरीत सरकारी हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया जाये और प्रदेश का एकमात्र एचआईवी ग्रसित बच्चियों के लिये संचालित संस्था में ताला लग जाये।
नई दिल्ली, 16 जुलाई। देश में कोरोना हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है। जितनी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आने वाले कुछ महीनों में देश में कैसे हालात होंगे? संक्रमितों की संख्या कहां तक बढ़कर जा सकती है। इस संबंध में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने एक अनुमान लगाया है, जिससे लोगों की चिंता बढ़ सकती है।
आईआईएससी के मुताबिक, अगर देश में ज्यादा हालत नहीं बिगड़े हैं तो सबसे बेहतर स्थिति में मार्च 2021 तक कुल कोरोना मरीजों की संख्या 37.4 लाख तक पहुंच जाएगी और अगर हालात ज्यादा बिगड़े तो और बुरी स्थिति में पहुंचा तो इस दौरान 6.18 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो जाएंगे।
आईआईएससी मॉडल संक्रामक रोगों के गणितीय मॉडलिंग में एक प्रतिमान है। यह देश के कोरोना डाटा और इस साल 23 मार्च से 18 जून के बीच सामने आए कोरोना संक्रमितों पर आधारित है। लेकिन फिलहाल जो देश में कोरोना को लेकर स्थिति है अगर उसके हिसाब से देखा जाए तो अनुमान अलग होने की संभावना है।
आईआईएससी के मुताबिक, मार्च 2021 के अंत तक भारत में कोरोना वायरस के मामले चरम पर नहीं पहुंचने की संभावना है। भारत में कोरोना वयारस सितंबर के दूसरे हफ्ते या अक्तूबर के महीने तक चरम पर पहुंच सकता है।
आईआईएससी ने अपने अनुमान में कहा है कि अगर बढ़ते कोरोना मामलों पर काबू पाना है तो हर हफ्ते सप्ताह में एक या फिर दो दिन तक लॉकडाउन पर जोर दिया जाना चाहिए। अध्ययन के अनुसार, अगर हर हफ्ते एक या दो दिन का लॉकडाउन और लोगों द्वारा सामाजिक दूरी का पालन किया गया तो संक्रमण में काफी हद तक कमी आ सकती है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन नहीं होने की वजह से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, क्वारंटाइन और सामाजिक दूरी संक्रमण को रोकने के लिए बेहतर विकल्प हैं।(navjivan)
-दयानिधि
हाल ही में परागण करने वाले जीवों की तरफ ध्यान खींचने के लिए राष्ट्रीय परागणक सप्ताह मनाया गया था। दुनिया भर में कई कारणों से इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। इनमें अधिकतर मधुमक्खियों और पौधों की प्रजातियों का जीवन एक दूसरे पर निर्भर करता है।
इसी को लेकर अमेरिका की यॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मधुमक्खियों और पौधों की प्रजातियों पर एक अध्ययन किया है। अध्ययन में पाया कि पिछले 30 वर्षों में दुनिया भर में खासकर उत्तर-पूर्वी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन और कृषि के बढ़ते दायरे से मधुमक्खियों के आवास समाप्त हुए है। इसके कारण पौधों में परागणकर्ता (पॉलिनेटर) नेटवर्क का 94 प्रतिशत नुकसान हुआ है।
शोधकर्ता और विज्ञान संकाय के प्रोफेसर सैंड्रा रेहान और न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र मिन्ना माथियासन ने वर्तमान समय और आंकड़ों के माध्यम से 125 साल पहले के पौधों में परागणकर्ता नेटवर्क का विश्लेषण किया। नेटवर्क में जंगली मधुमक्खियों और देशी पौधे शामिल थे, उनमें से अधिकांश अब गायब हो गए हैं। यह अध्ययन इन्सेक्ट कंजर्वेशन एंड डाइवर्सिटी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
लगभग 30 प्रतिशत पौधे-परागकण नेटवर्क से पूरी तरह से गायब हो गए थे, जिनमें से या तो मधुमक्खियां, पौधों अथवा दोनों के गायब होने के बारे में बताया गया है। एक और 64 प्रतिशत नेटवर्क के नुकसान से जंगली मधुमक्खियां, जैसे कि मजदूर मक्खियां, या देशी पौधे, जैसे सुमेक और विलो, अभी भी पारिस्थितिक तंत्र में मौजूद हैं, लेकिन मधुमक्खियां अब उन पौधों पर नहीं बैठती हैं। क्योंकि इनका आपसी जुड़ाव अब समाप्त हो गया है।
पौधों के परागणक नेटवर्क के शेष छह प्रतिशत अभी भी मौजूद हैं, यहां तक कि छोटी मधुमक्खियां जो परागण का काम करती हैं।
नेटवर्क में होने वाले नुकसान के कई कारण हैं। जिनमें से जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा कारण है। रेहान कहते हैं कि पिछले 100 वर्षों में वार्षिक तापमान में 2.5 डिग्री का बदलाव आया है। यह उस समय खिलने वाले पौधों में बदलाव करने के लिए पर्याप्त था।
एक मधुमक्खी के लिए जो महीनों बाहर रहती है, जो कि एक सामान्य परागणकर्ता है, यह वातावरण उसके लिए ठीक है, लेकिन एक मधुमक्खी जो वर्ष के केवल दो सप्ताह के लिए बाहर रहती है और केवल कुछ ही फूलों पर बैठती है, यह उसके लिए विनाशकारी हो सकता है। मधुमक्खियों की अलग प्रजातियों में और पौधों की आक्रामक (इनवेसिव) प्रजातियों में वृद्धि भी नेटवर्क में गिरावट का एक और कारण है।
रेहान कहते हैं हमें हर साल बहुत सारी आक्रामक प्रजातियां और इस प्रजाति के नए रिकॉर्ड मिल रहे हैं। यह आम तौर पर व्यापार और सजावटी पौधों के माध्यम से होता है। इनमें से बहुत सी मधुमक्खियां पेड़ों की शाखाओं में रहती हैं, इसलिए बिना जाने-समझे मधुमक्खी की प्रजातियां पौधों के साथ आयात हो जाती हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि वन्य जीवों की जैव विविधता में सुधार के लिए आवासों की बहाली और कृषि भूमि में देशी फूलों के पौधों की वृद्धि महत्वपूर्ण है, लेकिन लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा भी जरूरी है।
मधुमक्खियां और अन्य परागणकर्ता हमारे द्वारा खाए जाने वाली फसलों का परागण करके दुनिया भर में सैकड़ों अरबों रुपये के अनाज पैदा करने में मदद करते हैं। जंगली मधुमक्खियां 87 प्रतिशत या 308,006 से अधिक फूलों के पौधों की प्रजातियों में परागण करने वाली सूची में सबसे ऊपर हैं। इनमें से कई फसलें आर्थिक, व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जैसे सेब और ब्लूबेरी।
रेहान कहते हैं इन जंगली परागणकर्ताओं की आबादी और पौधों की प्रजातियों के साथ उनके विशेष, विकासवादी संबंधों को प्रभावित करने वाली, पर्यावरणीय परिस्थितियों की गहरी समझ हासिल करने की तत्काल आवश्यकता है। (downtoearth)
नई दिल्ली, 16 जुलाई। पाकिस्तान ने कहा है कि कुलभूषण जाधव को भारत के अनुरोध पर गुरुवार को कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया. जाधव को दूसरी बार कॉन्सुलर एक्सेस मिला है. इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी उन्हें कॉन्सुलर एक्सेस मिला था.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कॉन्सुलर रिलेशंस पर वियना कन्वेंशन के तहत भारत को ये मौक़ा दिया गया है. 25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव की माँ और पत्नी को भी उनसे मिलने का मौक़ा मिला था.
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है- इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के दो अधिकारियों को बिना किसी रुकावट और बिना किसी बाधा के स्थानीय समय के मुताबिक़ तीन बजे उनसे मिलवाया गया.
पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान में एक कार्रवाई के दौरान गिरफ़्तार किया गया था. पाकिस्तान ये भी कहता है कि पूछताछ के दौरान कुलभूषण जाधव ने पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात स्वीकार की है.
हालांकि भारत इन सबका खंडन करता है. भारत का कहना है कि वो एक पूर्व नौसेना अधिकारी और बिज़नेसमैन हैं. इसी महीने के शुरू में पाकिस्तान ने कहा था कि कुलभूषण जाधव ने अपनी फाँसी की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील करने से मना कर दिया है.
जाधव की रहम की अपील पाकिस्तान के राष्ट्रपति के सामने भी लंबित है. भारत ने जाधव के अपील दाख़िल न करने के पाकिस्तान के दावे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि ये पाकिस्तान के उसी स्वांग का हिस्सा है 'जो खेल वो पिछले चार सालों से रचता रहा है'.
भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को मजबूर किया है कि वो पुनर्विचार याचिका नहीं दाख़िल करें. जाधव को 2017 में पाकिस्तान की एक फ़ौजी अदालत ने जासूसी और अन्य मामलों में मौत की सज़ा सुनाई थी.
भारत ने कुलभूषण जाधव के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस से अपील की थी कि वो भारतीय नागरिक को रिहा करे. (BBC)
भारतीय सेना के जवानों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाए गए बैन के ख़िलाफ़ दायर याचिका को सुनते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
सेना के वरिष्ठ अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें 'फ़ेसबुक ज़्यादा पसंद है तो उनके पास इस्तीफ़ा देने का विकल्प मौजूद है.'
याचिकाकर्ता लेफ़्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके परिवार के सदस्य विदेश में रहते हैं और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के बिना उनसे संपर्क करना मुश्किल होगा, ऐसे में उन्हें सेना के इस आदेश से राहत दी जाए.
लेकिन इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अकाउंट डिलीट करने का आदेश देते हुए कहा कि ये अकाउंट बाद में भी बनाए जा सकते हैं.
क्या है सेना का ये आदेश?
डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री इटेलिजेंस ने इस महीने की शुरुआत में एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक़ भारतीय सेना में कार्यरत 13 लाख जवानों को 89 ऐप की एक लिस्ट दी गई है जिसे उन्हें 15 जुलाई तक अनइंस्टॉल कर देना था. इस लिस्ट में अमरीकी सोशल नेटवर्किंग साइट्स फ़ेसबुक, इंस्टग्राम, ट्रू-कॉलर भी शामिल हैं.
सेना का कहना है कि ये आदेश सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है ताकि संवेदनशील जानकारियों को लीक होने से बचाया जा सके.
इससे पहले भारत सरकार ने देश में 59 चीनी ऐप्स को बैन किया था जिनमें से टिक-टॉक, वीचैट शामिल थे.
इससे पहले भी भारतीय सेना में फ़ेसबुक के इस्तेमाल को लेकर कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं, साथ ही सेना के जवानों को औपचारिक कामों के लिए मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कम से कम करने को कहा जाता रहा है.
सोशल मीडिया से सेना को कितना ख़तरा?
सोशल मीडिया ऐप इस्तेमाल करने का सबसे बड़ ख़तरा डेटा की चोरी है. हालाँकि ये डेटा चोरी सिर्फ़ सेना तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका ख़तरा सभी सोशल मीडिया यूजर्स को है.
लेकिन सेना में काम करने वालों के लिए ये ख़तरा बढ़ जाता है क्योंकि ये ऐप कई बार लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं. माइक्रोफ़ोन या कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से ख़तरनाक साबित हो सकता है.
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक़, "ऐप हमसे कई तरह के परमिशन मांगते हैं, हम अक्सर बिना पढ़े परमिशन दे देते हैं. ये परमिशन सोशल मीडिया कंपनियों को हमारे माइक्रोफ़ोन, लोकेशन से लेकर फ़ोटो तक इस्तेमाल करने का अधिकार दे देता है. किसी सैनिक के फ़ोन के फ़ोटो से उसके लोकेशन से जुड़ी जानकारियां मिल सकती हैं, जो देश की सुरक्षा के लिहाज़ से बहुत ख़तरनाक हो सकता है."
ये पहली बार नहीं है कि सेना में सोशल मीडिया को लेकर चर्चा हुई है.
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग कहते हैं, "ये बहस 8-10 सालों से चली आ रही है. दूसरे देशों में भी ऐसी बहस होती रही है. हर जवान के पास फ़ोन है, सभी सेनाओं ने इसे लेकर गाइडलाइन बनाई है लेकिन इसके बावजूद अगर बैन की ज़रूरत है, तो ये वाजिब क़दम है."
पनाग मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से हनी ट्रैप का ख़तरा भी बना रहता है.
पनाग के मुताबिक, "अपनी पहचान छिपा पर सैनिकों से सोशल मीडिया पर फ़ेक अकाउंट बना कर बात करना और सैनिक जो अपने घर-परिवार से दूर अकेले रहते हैं उन्हें हनी ट्रैप करने की कोशिशें आम हैं. हमने कई ऐसी ख़बरें और मामले देखे हैं." पनाग के मुताबिक़ सेना के लिए ये बैन लागू करना भी आसान नहीं होगा.'
वहीं पवन दुग्गल मानते हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़े ख़तरे सिर्फ़ सेना ही नहीं बल्कि अर्धसैनिक बलों और पुलिस को भी है.
वो कहते हैं, "डेटा लीक होना और हनी ट्रैप का ख़तरा दोनों ही जगह हैं. हर विभाग को ऐसी समस्यों से निपटने के लिए अपने स्तर पर कोशिश करनी होगी. सेना की चिंता और गंभीरता दोनों ज़्यादा हो जाती हैं क्योंकि वो देश की सीमाओं पर रहते हैं, अधिकारी बड़ी-बड़ी रणनीतियाँ बनाते हैं. अगर इस स्तर पर जानकारी लीक हुई तो देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बढ़ जाता है.
पाबंदी का ये कोई पहला मामला नहीं
जब सोशल मीडिया नहीं था तब भी सेना के जवानों पर कई तरह की चीज़ों से जुड़ी पाबंदियाँ लगती थीं.
पनाग कहते हैं, "ये कोई नई बात नहीं है. आज से 50 साल पहले जब मैं सेना में आया था उस वक्त कैमरा एक ख़तरा था, अगर आपके पास कैमरा था तो सेना के पास उसे रजिस्टर करवाना पड़ता था. ट्रांजिस्टर और रेडियों को लेकर भी सेना एहतियात बरता करती थीं. सोशल मीडिया आज की समस्या है, इससे या तो अच्छी शिक्षा के साथ निपटना होगा या अगर ख़तरा ज़्यादा है तो बैन लगाना एक अकेला विकल्प है. "
दूसरे देशों की सेना के लिए क्या हैं नियम?
भारत ही नहीं, कई दूसरे देशों में भी सोशल मीडिया और स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की गाइडलाइन्स हैं.
साल 2019 से रूस ने सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल के डर से सैनिकों के स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी. सैनिकों को ऐसे मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल के लिए मना किया गया, जिनमें तस्वीरें खींचने, वीडियो रिकॉर्ड करने और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की सुविधा होती है.
सिर्फ़ कॉलिंग करने वाले बेसिक फ़ोन के इस्तेमाल की इजाज़त दी गई है.
अमरीका ने भी सैनिकों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए है. साल 2018 में एक फ़िटनेस कंपनी ने सैनिकों के व्यायाम रुटीन से जुड़ी जानकारियाँ साझा कर दी थीं, जिसके बाद सोशल मीडिया और सुरक्षा को लेकर अमरीका में कई सवाल उठाए गए थे.
इसके अलावा अमरीका ने सैनिकों के ऑफिशियल फोन पर चाइनीज़ ऐप टिक-टॉक पर बैन लगा रखा है.(bbc)
गुवाहाटी,16 जुलाई। असम में बुधवार को बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में सात और लोगों की मौत हो गई और 33 में से 26 जिलों के लगभग 36 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने कहा कि मोरीगांव जिले में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि बरपेटा में दो, सोनितपुर और गोलाघाट जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई.
राज्य में बाढ़ से संबंधित घटनाओं में अब तक 92 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 66 लोगों की मौत बाढ़ से हुई है, जबकि 26 लोगों की जान भूस्खलन की वजह से चली गई.
धुबरी बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित जिला है, यहां 5.51 लाख लोग प्रभावित हैं.
इसके अलावा असम के धेमाजी, लखीमपुर, बिश्वनाथ, सोनितपुर, दरांग, बक्सा, नलबाड़ी, बरपेटा, चिरांग, बोंगाइगांव, कोकराझाड़, दक्षिण सालमारा, गोआलपाड़ा, कामरूप, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, मोरीगांव, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और कर्बी आंगलांग जिले भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.
एएसडीएमए ने बताया कि 3,376 गांव पानी में डूबे हुए हैं और 127,647.25 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है. राज्य के 23 जिलों में बने 629 राहत शिविरों में 36,320 लोग शरण लिए हुए हैं.
ब्रह्मपुत्र नदी गुवाहाटी, धुबरी और गोआलपाड़ा शहरों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जोरहाट के निमतीघाट और सोनितपुर जिले के तेजपुर में भी नदी की जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है.
ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां धनसिरी गोलाघाट के नुमालीगढ़, जिया भराली नदी सोनितपुर के एनटी रोड क्रॉसिंग, कोपिली नदी कामरूप और नगांव में धरमतुल नदी, बरपेटा में रोड ब्रिज के पास बेकी नदी और कुशियारा नदी करीमगंज कस्बे में लाल निशान से ऊपर बह रही हैं.
अमर उजाला के मुताबिक, राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने बुधवार को बताया कि ब्रह्मपुत्र सहित राज्य की आठ प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. एक सींग वाले गैंडों के लिए मशहूर काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 फीसदी हिस्सा पानी में डूब गया है.
पार्क के निदेशक पी. शिवकुमार ने बताया कि 66 पशुओं की मौत हो चुकी है.
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ऊपरी असम के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा लिया है. उसके बाद सोनोवाल ने जोरहाट जिले के एक स्कूल में लगाए गए राहत शिविर का दौरा किया और लोगों से बात की.(thewire)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जुलाई। पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों और उनके परिजनों की समस्याओं के निराकरण के लिए अलग से सेल का गठन किया गया है। सेल के प्रभारी एआईजी मनीष शर्मा बनाए गए हैं। सेल पांच कर्मचारियों की पदस्थापना की गई है।
पिछली सरकार में पुलिस कर्मचारियों के परिवार के लोग आंदोलित रहे हैं। जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था। विभाग में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों और मृत कर्मियों के परिजनों की विभागीय समस्याओं के निराकरण के लिए डीजीपी डीएम अवस्थी ने अलग से सेल का गठन किया है।
बताया गया कि एआईजी मनीष शर्मा को सेल का प्रभारी बनाया गया है। इसके अलावा एसआई आरके तिवारी, पोरस शुक्ला, दुर्गेश चंद्राकर, दीपक देवांगन और नितिन दीक्षित की पदस्थापना की गई है। ये सभी एआईजी श्री शर्मा के मातहत काम करेंगे। सेल द्वारा पुलिस बल के अधिकारियों-कर्मचारियों के अलावा रिटायर्ड कर्मियों के प्रस्तुत आवेदन पर कार्रवाई की जाएगी।
नई दिल्ली, 16 जुलाई। माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर ढेरों बड़े सिलेब्रिटीज के अकाउंट हैक होने का मामला सामने आया है। ना सिर्फ ढेरों सिलेब्स के अकाउंट हैक हुए बल्कि स्कैमर्स ने हैक किए गए अकाउंट्स की मदद से सोशल मीडिया यूजर्स से क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन भी उन्हें भेजने को कहा। हैक किए गए अकाउंट्स एक के बाद एक बढ़ते गए और ऐपल, एलन मस्क, जेफ बेजोस के बाद जॉन बिडेन, बराक ओबामा, उबर, माइक्रोसॉफ्ट को-फाउंडर बिल गेट्स और कई बिटकॉइन स्पेशलिटी फम्र्स के अकाउंट हैक हो गए।
माइक्रोब्लॉगिंग सर्विस ने एक ट्वीट कर कहा, हमें ट्विटर अकाउंट्स के साथ हुए एक सिक्यॉरिटी इंसीडेंट के बारे में पता चला है। ट्विटर ने कहा कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और इसे फिक्स करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सभी को जल्द ही अपडेट देते रहेंगे। बताया कि ट्विटर ने हैक किए गए अकाउंट्स फौरन लॉक कर दिए और हैकर्स की ओर से किए गए फर्जी ट्वीट्स को भी फौरन डिलीट कर दिया गया।
ट्विटर सपॉर्ट टीम ने एक ट्वीट में कहा कि हो सकता है कि इस हैकिंग इवेंट का अड्रेस पता लगने तक आप अपने अकाउंट का पासवर्ड रिसेट ना कर सकें या फिर ट्वीट ना कर पाएं। अकाउंट्स हैक किए जाने के बाद स्कैमर्स की ओर से ट्वीट कर कहा गया कि अगले आधे घंटे में अगर कोई यूजर 1000 डॉलर बिटकॉइन में भेजते हैं, तो उन्हें दोगुनी कीमत की क्रिप्टोकरंसी भेजी जाएगी। जेमिनी क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज को फाउंडर ने कहा, यह एक स्कैम है, इसमें हिस्सा ना लें।
क्रिप्टोकरंसीज में होने वाले ट्रांसफर को मॉनीटर करने वाली साइट ने बताया कि करीब 12.58 बिटकॉइन स्कैमर्स की ओर से बताए गए ईमेल अड्रेसेज पर भेजे गए और इनकी वैल्यू 116,000 डॉलर ( करीब 87.2 लाख रुपये) होती है। लगभग हर ट्वीट में स्कैमर्स ने लिखा कि अकाउंट होल्डर अपने फॉलोअर्स को बिटकॉइन दे रहे हैं और इसके लिए उन्हें बताए गए अड्रैस पर बिटकॉइन भेजने होंगे। कई ट्वीट्स में यूजर्स को दिए गए लिंक पर क्लिक करने को भी कहा गया। (navbharattimes.indiatimes.com)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 जुलाई। आखिरकार सरकार के निगम-मंडलों में कांग्रेस नेताओं की नियुक्ति शुरू हो गई है। इस कड़ी में 32 नेताओं को पद बांटे गए हैं, जिनमें से चार विधायक भी हैं। इसमें पूर्व मंत्री देवेन्द्र बहादुर सिंह को वन विकास निगम, शैलेष नितिन त्रिवेदी पाठ्य पुस्तक निगम, कुलदीप जुनेजा हाऊसिंग बोर्ड और राजेन्द्र तिवारी को खादी ग्रामोद्योग बोर्ड और गिरीश देवांगन को खनिज निगम का चेयरमैन बनाया गया है। वरिष्ठ नेता सुभाष धुप्पड़ को आरडीए की जिम्मेदारी की गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद निगम-मंडलों में पार्टी नेताओं की नियुक्ति के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है। सूची में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और अन्य नेताओं की सिफारिशों को महत्व दिया गया है।
निगम-मंडलों में चार विधायकों को भी जगह मिली है। पूर्व मंत्री देवेन्द्र बहादुर सिंह, कुलदीप जुनेजा के साथ-साथ चौथी बार के विधायक अरूण वोरा को भी निगम चेयरमैन बनाया गया है। अरूण वोरा को राज्य वेयर हाऊसिंग कॉर्पोरेशन का चेयरमैनशिप दिया गया है। नारायणपुर के विधायक चंदन कश्यप को छत्तीसगढ़ राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है।
मुख्यमंत्री के करीबी गिरीश देवांगन को छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम, रामगोपाल अग्रवाल को राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम का चेयरमैन बनाया गया है। जबकि संचार विभाग के चेयरमैन शैलेष नितिन त्रिवेदी को छत्तीसगढ़ राज्य पाठ्य पुस्तक निगम की जिम्मेदारी दी गई है। उनके लिए सभी नेता सहमत थे। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के करीबी सुभाष धुप्पड़ को रायपुर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इसी प्रकार श्रीमती करूणा शुक्ला को समाज कल्याण बोर्ड, श्रीमती किरणमयी नायक को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग, राजेन्द्र तिवारी को छत्तीसगढ़ राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, बलौदाबाजार के किसान नेता सुरेन्द्र शर्मा को राज्य कृषक कल्याण परिषद का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। जबकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पसंद पर बालकृष्ण पाठक को छत्तीसगढ़ राज्य वनौषधि पादप बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इसी तरह सिंहदेव के एक अन्य करीबी शफी अहमद को छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। गुरप्रीत बामरा को राज्य खाद्य आयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि विधानसभा टिकट से वंचित महंत राम सुन्दर दास को राज्य गौ-सेवा आयोग, बैजनाथ चंद्राकर को राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के करीबी थानेश्वर साहू को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष और पूर्व मंत्री धनेश पाटिला को छत्तीसगढ़ अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम, एमआर निषाद को मछुआ कल्याण बोर्ड और जगदलपुर के नेता मिथिलेश स्वर्णकार को छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
सुश्री राजकुमारी दीवान को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष, अजय अग्रवाल को राज्य बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति का उपाध्यक्ष, सुश्री नीता लोधी अंत्यावसायी सहकारी वित्त एवं विकास निगम का उपाध्यक्ष, छविन्द्र कर्मा को छत्तीसगढ़ राज्य वनौषधि पादप बोर्ड का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इसी प्रकार महेश शर्मा और सतीश अग्रवाल को छत्तीसगढ़ राज्य भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल का सदस्य, नितिन सिन्हा को छत्तीसगढ़ राज्य पाठ्य पुस्तक निगम का सदस्य, श्रीमती पद्मा मनहर को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग की सदस्य, महेश चंद्रवंशी को छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य, नितिन पोटाई को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का सदस्य और श्रीमती कल्पना सिंह को छत्तीसगढ़ राज्य समाज कल्याण बोर्ड का सदस्य बनाया गया है।