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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। छत्तीगसढ़ में आज अब तक के एक दिन के सर्वाधिक कोरोना पॉजिटिव की लिस्ट में रायपुर बहुत बुरी तरह खतरे में दिख रहा है। इसमें रायपुर जिले में 121 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। अब इन मरीजों में शहर के अधिकतर इलाकों के लोग हैं। न्यू शांतिनगर, लोधीपारा चौक, मंगल बाजार, आनंद नगर, अवंति विहार, दुर्गा नगर, श्री शिवम नामक कपड़ा दुकान की कर्मचारी, टाटीबंध, सेजबाहर हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी, धरमपुरा आईएएस कॉलोनी, कचना मजदूर बस्ती, टिकरापारा, दुबे कॉलोनी मोवा, संजय नगर, नूतन स्कूल टिकरापारा, भाटागांव, शंकरनगर, धरसींवा, सिलतरा, अमलीडीह, एम्स टाटीबंध, मोहबाबाजार, पहाड़ी चौक गुढिय़ारी, बालाजी कॉलोनी टाटीबंध, कबीरनगर हाऊसिंग बोर्ड, आजाद चौक बीरगांव, आश्रम के पास, राधास्वामी नगर, चंगोराभाठा, होटल अमित रीजेंसी, कुकुरबेड़ा, न्यू राजेंद्र नगर।
आज किसी एक बस्ती में सबसे अधिक 32 पॉजिटिव मंगल बाजार में निकले हैं। इसी के बगल में विवेकानंद आश्रम के पास भी बहुत से पॉजिटिव और मिले हैं। उल्लेखनीय है कि कल भी मंगल बाजार में दो दर्जन से अधिक पॉजिटिव मिले थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। छत्तीगसढ़ में आज अब तक के एक दिन के सर्वाधिक कोरोना पॉजिटिव की लिस्ट में रायपुर बहुत बुरी तरह खतरे में दिख रहा है। इसमें रायपुर जिले में 121 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। अब इन मरीजों में शहर के अधिकतर इलाकों के लोग हैं। न्यू शांतिनगर, लोधीपारा चौक, मंगल बाजार, आनंद नगर, अवंति विहार, दुर्गा नगर, श्री शिवम नामक कपड़ा दुकान की कर्मचारी, टाटीबंध, सेजबाहर हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी, धरमपुरा आईएएस कॉलोनी, कचना मजदूर बस्ती, टिकरापारा, दुबे कॉलोनी मोवा, संजय नगर, नूतन स्कूल टिकरापारा, भाटागांव, शंकरनगर, धरसींवा, सिलतरा, अमलीडीह, एम्स टाटीबंध, मोहबाबाजार, पहाड़ी चौक गुढिय़ारी, बालाजी कॉलोनी टाटीबंध, कबीरनगर हाऊसिंग बोर्ड, आजाद चौक बीरगांव, आश्रम के पास, राधास्वामी नगर, चंगोराभाठा, होटल अमित रीजेंसी, कुकुरबेड़ा, न्यू राजेंद्र नगर।
आज किसी एक बस्ती में सबसे अधिक 32 पॉजिटिव मंगल बाजार में निकले हैं। इसी के बगल में विवेकानंद आश्रम के पास भी बहुत से पॉजिटिव और मिले हैं। उल्लेखनीय है कि कल भी मंगल बाजार में दो दर्जन से अधिक पॉजिटिव मिले थे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। राजधानी रायपुर में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। रायपुर में कोरोना का कहर अब आमलोगों के साथ-साथ खास लोगों पर भी टूट रहा है। आज राजधानी में 2 पत्रकार और निगम के पूर्व अफसर सहित 106 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। राजधानी में आज एक ही परिवार के 18 लोग कोरोना पॉजेटिव पाये गये हैं। रायपुर के शांति नगर में मिले एक ही परिवार के डेढ़ दर्जन लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद शहर में हडक़ंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक निगम के पूर्व अधिकारी का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव मिला है। परिवार की ट्रेवल हिस्ट्री के बारे में अभी जानकारी जुटाई जा रही है, हालांकि कहा जा रहा है कि कभी आउटिंग के दौरान परिवार संक्रमण की चपेट में आया है। हालांकि निगम के पूर्व अधिकारी के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद शहर के एक नामी डॉक्टर व कोरोना कमांड सेंटर से जुड़े कुछ शीर्ष अधिकारियों पर कोरोना का खतरा मंडराने लगा है।
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जानकारी के मुताबिक निगम के पूर्व अधिकारी को पिछले एक सप्ताह से परेशानी महसूस हो रही थी, जिसके बाद उन्होंने शहर के एक चेस्ट स्पेशलिस्ट व मेकाहारा में पदस्थ एक सीनियर डाक्टर से इलाज कराया था। वो डाक्टर फिलहाल कोरोना कमांड सेंटर के भी एक विंग के इंचार्ज हैं। कोरोना पॉजिटिव मिले पूर्व अधिकारी ने डॉक्टर को पहले दिन ही कोरोना की आशंका जताते हुए पूछा था कि क्या उन्हें जांच कराना चाहिये ? लेकिन डॉक्टर ने लक्षण को कोरोना का नहीं बताते हुए जांच की सलाह नहीं दी।
तबीयत में सुधार नहीं होता देख अधिकारी ने खुद और अपने परिवार का कोरोना टेस्ट कराया, जिसमें 18 सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। उधर डॉक्टर पर भी अब कोरोना का खतरा मंडरा रहा है, वहीं कोरोना के कमांड सेंटर से जुड़े लोगों पर भी अब संक्रमण का साया गहराता दिख रहा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि आज रात 8.45 बजे तक राज्य में 215 नए कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 4976 हो गई है। जिसमें 3512 स्वस्थ्य हो चुके हैं और 1440 एक्टिव मरीज हैं।
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आज मिले 215 पॉजिटिव मरीजों में रायपुर 106, दुर्ग 23, राजनांदगांव 18, बिलासपुर और सरगुजा 17-17, बालोद 8, जांजगीर-चांपा 7, गरियाबंद 5, जशपुर 4, रायगढ़ और मुंगेली 3-3, दंतेवाड़ा 2, बलौदाबाजार व धमतरी 1-1 मरीज की पहचान हुई है।
6461 निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए 54 हजार 102 बच्चों का चयन
रायपुर, 17 जुलाई। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में बीपीएल परिवार के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 15 और 16 जुलाई को पहली लॉटरी निकाली गई। प्रदेश में 6 हजार 461 निजी स्कूलों की 81 हजार 452 सीटों के लिए इस लॉटरी में कुल 79 हजार 505 आवेदन प्राप्त हुए थे। पहली लॉटरी में 54 हजार 102 विद्यार्थियों का चयन हुआ है। प्रथम लॉटरी के बाद 17 हजार 111 बच्चों का चयन नहीं हो पाया है। चयनित नहीं हो पाये इन बच्चों को दूसरे लॉटरी में अपने आवेदनों को संशोधित करने एवं नवीन आवेदन प्रस्तुत करने के लिए शालाओं में अन्य मापदण्डों को ध्यान में रखते हुए पुनः आवेदन करने या प्रस्तुत आवेदन में संशोधन करने का अवसर मिलेगा। पुनः आवेदन या प्रस्तुत आवेदन को संशोधन करने की सुविधा 21 जुलाई से प्रारंभ होगी।
संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 15 जुलाई को 14 जिलों की लॉटरी निकाली गई थी। शेष जिलों की लॉटरी 16 जुलाई को निकाली गई। इस प्रकार दाखिले के लिए पहली लॉटरी में राज्य के 6461 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश देने के लिए सभी विकल्पों के आधार पर निकाली गई। संचालनालय द्वारा चयनित बच्चों को प्रवेश दिलाने हेतु उनके पालकों को एसएमएस के माध्यम से सूचना भेजी जा रही है। श्री शुक्ला ने बताया कि जिनका आवेदन रदद् हुआ है वे फिर से दूसरे स्कूल के लिए आवेदन कर सकते हैं। सरकार का प्रयास है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की पूरी सीट भरी जाए।
लोक शिक्षण संचालनालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पहली लॉटरी जिलेवार स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की स्थिति इस प्रकार है। प्रदेश के जिला रायपुर के 825 स्कूलों के लिए 6 हजार 65 बच्चे, बिलासपुर के 606 स्कूलों के लिए 5 हजार 396 बच्चे, दुर्ग में 552 स्कूलों के लिए 4 हजार 350 बच्चे, कोरबा जिले के 288 स्कूलों के लिए 3 हजार 911 बच्चे, जांजगीर चांपा जिले के 406 स्कूलों के लिए 3 हजार 924 बच्चे, राजनांदगांव जिले के 311 स्कूलों के लिए 2 हजार 936 बच्चे, बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के 284 स्कूलों के लिए 2 हजार 894 बच्चे, रायगढ़ जिले के 357 स्कूलों के लिए 3 हजार 62 बच्चे, मुंगेली जिले के 176 स्कूलों के लिए 2 हजार 214 बच्चे, कोरिया जिले के 205 स्कूलों के लिए एक हजार 461 बच्चे, महासमुंद जिले के 224 स्कूलों के लिए एक हजार 732 बच्चे, धमतरी जिले के 205 स्कूलों के लिए एक हजार 384 बच्चे, कवर्धा जिले के 177 स्कूलों के लिए एक हजार 305 बच्चे, शिक्षा जिला सक्ती के 205 स्कूलों के लिए एक हजार 637, बस्तर जिले के 121 स्कूलों के लिए एक हजार 566 बच्चे, सरगुजा जिले के 192 स्कूलों के लिए एक हजार 215 बच्चे, सूरजपुर जिले के 267 स्कूलों के लिए एक हजार 414 बच्चे, जशपुर 175 स्कूलों के लिए एक हजार 189 बच्चे, बेमेतरा जिले के 161 स्कूलों के लिए एक हजार 99 बच्चे, बलरामपुर जिले के 150 स्कूलों के लिए एक हजार 285 बच्चे, कांकेर जिले के 157 स्कूलों के लिए 975 बच्चे, गरियाबंद जिले के 86 स्कूलों के लिए 923 बच्चे, बालोद जिले के 164 स्कूलों के लिए 994 बच्चे, कोण्डागांव जिले के 84 स्कूलों के लिए 647 बच्चे, बीजापुर जिले के 33 स्कूलों के लिए 192 बच्चे, दंतेवाड़ा जिले के 21 स्कूलों के लिए 129 बच्चे, सुकमा जिले के 15 स्कूलों के लिए 120 बच्चे और नारायणपुर जिले के 14 स्कूलों के लिए 83 बच्चे प्रवेश के लिए चयनित हुए हैं।
रायपुर, 17 जुलाई । कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव के चलते राजभवन में 31 जुलाई 2020 तक सभी सौजन्य भेंट स्थगित की जाती है। आवश्यक होने पर नागरिकगण राजभवन सचिवालय में पत्र भेजकर या दूरभाष पर विषय से अवगत करा सकते हैं। साथ ही ईमेल भी किया जा सकता है। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि अभी पिछले कुछ दिनों से पूरे प्रदेश सहित राजधानी रायपुर में संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, इसलिए नागरिक विशेष सावधानी बरतें जब भी घर से बाहर निकले तो मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें। अनावश्यक घर से बाहर न निकले। अपने बुजुर्गों और बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखें।
राज्यपाल ने कहा है कि अपने आसपास साफ-सफाई रखे और अपने हाथों को बार-बार साबून से धोयें। यदि किसी को सर्दी या फ्लू हो तो खांसते समय रूमाल या टीसू पेपर का इस्तेमाल करें। आपस में निश्चित दूरी बनाकर रखें। यदि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस से संबंधित लक्षण दिखाई देते है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें और परीक्षण कराएं, साथ ही सजग और जागरूक रहें।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 17 जुलाई। स्टेट बार कौंसिल द्वारा महाधिवक्ता को जारी नोटिस को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है साथ ही कौंसिल को महाधिवक्ता के खिलाफ मिली शिकायत को बार कौंसिल ऑफ इंडिया में भेजने के आवेदन को भी खारिज कर दिया है।
महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ स्टेट बार कौंसिल में एक याचिकाकर्ता कुंदन सिंह नामक एक याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि 1000 करोड़ रुपये के निःशक्त जन स्त्रोत संस्थान के घोटाले के लिये जिम्मेदार अधिकारियों को महाधिवक्ता ने बचाने की कोशिश की। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महाधिवक्ता वर्मा को स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर चंदेल ने कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। महाधिवक्ता ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका लगाई और कहा कि कौंसिल को उन्हें नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है। कौंसिल के एक्ट 12 (अ) के तहत यह नोटिस असंवैधानिक है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पी.पी. साहू की बेंच में इस याचिका पर 29 जून को अंतिम सुनवाई हुई थी, जिसमें फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। आज पारित आदेश में कोर्ट ने वर्मा के खिलाफ स्टेट बार कौंसिल की याचिका को निरस्त कर दिया। इसके अलावा कुंदन सिंह के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया है जिसमें जिसमें उन्होंने अपनी शिकायत कार्रवाई के लिये बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजने की मांग की थी। महाधिवक्ता की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला ने की।
जयपुर, 17 जुलाई। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच दो ऑडियो क्लिप सामने आए हैं, जो कि अशोक गहलोत सरकार को गिराने को लेकर षडयंत्र रचने से संबंधित बताए जा रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद राजस्थान की सरगर्म राजनीति में और उबाल आ गया है। अब इस मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानी SOG ने जयुपर के बीकानेर के लूणकरणसर के मूल निवासी होटल व्यावसायी संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया है।
बीजेपी ने मामले में पेश की सफाई
अब संजय जैन की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष पार्टी भारतीय जनता पार्टी की ओर से सफाई पेश की गई है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मानिक चंद सुराणा ने इसको लेकर सफाई दी है। सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने राणा की तरफ से सफाई देते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री का संजय जैन से कोई वास्ता नहीं है। उन्हें ना तो इस मामले की पूरी जानकारी है और ना ही उनके संजय जैन से किसी तरह के संबंध हैं।
उनके बीच संबंधों को लेकर चल रही चर्चाएं अफवाह है
सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने साफ-साफ कहा है कि पूर्व वित्त मंत्री और संजय जैन के संबंधों को लेकर चल रही चर्चा महज अफवाह है। इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। गौरतलब है कि यह ऑडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने दो शिकायत दर्ज कराई है। राजस्थान SOG के ADG अशोक राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने वायरल ऑडियो को लेकर दो शिकायतें दर्ज कराई हैं।
क्या है इस वायरल ऑडियो में?
बता दें कि कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कल शाम मीडिया के माध्यम से दो चौंकाने वाले ऑडियो टेप सामने आए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि जो ऑडियो टेप सामने आए हैं, उससे एक बात साफ है कि बीजेपी द्वारा जनमत का अपहरण की कोशिश की जा रही है। सरकार गिराने का षड्यंत्र बेनकाब हो चुका है। उन्होंने कहा कि इन ऑडियों में कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा, भाजपा नेता संजय जैन और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की आवाज है। इनका षड्यंत्र बेनकाब हो चुका है।
मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी दी सफाई
इनके बीच तथाकथित बातचीत से पैसों की सौदेबाजी की जा रही है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मांग की कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के ख़िलाफ़ SOG द्वारा एफआईआर दर्ज की जाए। इस मामले की जांच की जाए और गलत पाए जाने पर उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। वहीं कांग्रेस के इस आरोप पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी सफाई पेश की है।
ऑडियो क्लिप में मेरी आवाज नहीं- शेखावत
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ऑडियो क्लिप में मेरी आवाज नहीं है। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि यह ऑडियो फेक है। मैं मारवाड़ी बोलता हूं, जबकि ऑडियो क्लिप में जो आवाज है उसमें झुंझुनू टच है। ऑडियो में जिस गजेंद्र का जिक्र किया गया है, उसके कोई पद का जिक्र नहीं किया गया है।
यहां तक कि ऑडियो में कोई जगह तक का जिक्र नहीं है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि ऑडियो जोड़-तोड़ कर भी तैयार किया जा सकता है। मैं कई संजय जैन को जानता हूं, इसलिए बताया जाए कि ये कौन सा वाला है और उन्होंने मेरे किस मोबाइल नंबर पर बात कराई है।(newstrack)
बेंगलुरु, 17 जुलाई। कर्नाटक के बेंगलुरु में कोरोना के इलाज के लिए एक शीर्ष सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर्स पर रखे गए 97 फीसदी मरीजों की मौत हो गई, जो ब्रिटेन, अमेरिका और इटली जैसे देशों की तुलना में अत्याधिक है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआई) से संबद्ध 100 साल पुराने विक्टोरिया अस्पताल में अप्रैल से अब तक कोरोना से 91 मौतें हो चुकी हैं. इनमें से 89 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया था.
बीएमसीआरआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराए गए 1,500 मरीजों में से अब तक 92 मरीज को सांस लेने में मदद के लिए इन्ट्यूबेशन की जरूरत थी.
बेंगलुरु के सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के वरिष्ठ प्रोफेसर का कहना है, ‘वेंटिलेटर्स पर 97 फीसदी मरीजों की मृत्यु दर से पता चलता है कि इंटेंसिव केयर में कुछ गड़बड़ी है. इटली में कोरोना के चरम पर होने पर भी वहां वेंटिलेटर पर मरीजों की मृत्यु दर 65 फीसदी थी.’
विक्टोरिया अस्पताल में शुरुआत में कोरोना मरीजों के लिए 1,200 बेड होने थे लेकिन बाद में इसे सिर्फ 550 बेड कर दिया गया, जो जुलाई की शुरुआत में भर गए.
पिछले पखवाड़े में अस्पताल में 30 से अधिक मौतें हुई थी, जबकि अप्रैल और जून में यह 58 थी.
बीएमसीआरआई में कोविड-19 कोर समिति की नोडल अधिकारी डॉ. स्मिथा सेगु ने कहा, ’15 जुलाई तक अस्पताल में 206 मरीज भर्ती हुए और आईसीयू में 91 मौतें हुईं जबकि आईसीयू से 103 लोग डिस्चार्ज भी हुए.’
उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर्स पर रखे गए मरीजों की अत्याधिक मृत्यु दर का कारण यह है कि अन्य अस्पताल इनका इलाज करने में सफल नहीं हुए, जिसके बाद ये मरीज विक्टोरिया अस्पताल पहुंचे.
डॉ. सेगु ने कहा, ‘ये मौतें अस्पताल में देरी से भर्ती करने की वजह से हुई हैं. जो मरीज समय पर अस्पताल पहुंचे, उनमें से कुछ ही आईसीयू में गए. वे बहुत बुरी स्थिति में अस्पताल आए थे, जिनमें से 39 मरीजों की अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटों के भीतर ही मौत हो गई थी.’
उन्होंने कहा कि जिन 95 फीसदी लोगों की मौत हुई है, उनमें कई बीमारियां थीं जबकि 30 फीसदी की उम्र 60 से अधिक थी.
डॉ. सेगु ने कहा, ‘हम उच्च प्रवाह के ऑक्सीजन सपोर्ट से मरीजों का इलाज करना चाहते थे लेकिन जब मरीजों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो हमें उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा.’
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के वाइस चांसलर डॉ. सच्चिदानंद ने कहा कि वे अभी भी विक्टोरिया अस्पताल में कोरोना से अत्याधिक मृत्यु दर के तकनीकी कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें अभी तक इस संबंध में कोई पेपर नहीं मिला है. हमने अब तक 1,000 ऑडिट किए हैं. हमने इन ऑडिट को विकेंद्रीकृत करने का फैसला किया है. ऐसा करना एक टीम के लिए मानवीय रूप से संभव नहीं है.’
डॉ. सच्चिदानंद कर्नाटक में मार्च महीने से ही कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट कर रहे विशेषज्ञ समिति के प्रमुख भी हैं.
कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में 300 से अधिक आईसीयू बेड होने का दावा किया है, जिनमें से सिर्फ 80 आईसीयू बेड ही सरकारी अस्पतालों में हैं. गुरुवार तक बेंगलुरु में 317 मरीज आईसीयू में भर्ती हुए हैं.(thewire)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। पुराने और नए दोनों पुलिस मुख्यालयों में दर्जनों कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद भी पुलिस विभाग में सावधानी नहीं बरती जा रही है। अभी पिछले तीन दिनों में नया रायपुर के पुलिस मुख्यालय में तीन और लोग कोरोना पॉजिटिव निकले हैं, जिनमें से एक व्यक्ति तो बाकी करीब 75 लोगों की जांच कराने में सक्रिय था, और अपने लक्षणों के बावजूद अपनी जांच नहीं करा रहा था।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि पुराना पुलिस मुख्यालय में दो इमारतों में पुलिस के कई दफ्तर काम कर रहे हैं। वहां दर्जन भर से अधिक पॉजिटिव निकल चुके हैं, लेकिन अधिकारी सावधान नहीं हो रहे, और कर्मचारियों के हाथ से चाय-पानी बनवा रहे हैं। इधर नया रायपुर के पुलिस मुख्यालय में भी स्वास्थ्य विभाग ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर पुलिस कर्मचारी-अधिकारी अपने लक्षण छुपाएंगे तो जांच होने के पहले, और रिपोर्ट आ जाने तक वे और कई लोगों के लिए खतरा बनेंगे।
अभी कुछ दिन पहले वहां एक साथ 64 लोगों की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट आने में ही दो-तीन दिन लग गए थे। इस दौरान भी सभी कर्मचारी एक-दूसरे से मिलते रहे। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि भिलाई में तीसरी बटालियन में हुई परीक्षा में दूसरी बटालियनों से भी अधिकारी पहुंचे थे, और जिन कर्मचारियों ने उन्हें चाय-पानी पेश किया था, वे कोरोना पॉजिटिव निकले। लेकिन यहां से लौटे हुए उन दूसरे अधिकारियों ने कोरोना की जांच नहीं करवाई है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि पुलिस के बड़े अफसर जब जांच से बचना चाहते हैं, तो स्वास्थ्य विभाग उन पर दबाव नहीं डाल पाता। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग पर काम का इतना अधिक दबाव है कि सहयोग न करने वाले लोगों पर समय नहीं लगाया जा सकता।
7 दिनों में रिपोर्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। राजधानी रायपुर के पंडरी जिला अस्पताल में 4 दिन पहले मठपुरैना की एक गर्भवती महिला को भर्ती ना करने और गर्भ में ही बच्चे की मौत मामले की अब जांच होगी। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य अफसर डॉ. अल्का गुप्ता मामले की जांच करेंगी।
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने पंडरी जिला अस्पताल में 13 जुलाई को प्रसव के पहले गर्भ में शिशु की मौत मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव के निर्देश पर विभाग ने पूरे मामले की विस्तृत जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त किया है। विभागीय सचिव सुश्री निहारिका बारिक सिंह के निर्देश के बाद संचालक, स्वास्थ्य द्वारा विभाग की उपसंचालक डॉ. अलका गुप्ता को जांच अधिकारी बनाया गया है। उन्हें सात दिनों में विस्तृत जांच कर जांच प्रतिवेदन एवं दोषी अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं को देने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर भाजपा महिला मोर्चा ने कल यहां जमकर प्रदर्शन किया था। दर्जनों कार्यकर्ता, स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव का निवास घेरने जा रही थीं, तभी पुलिस ने उन्हें सडक़ पर रोक लिया था।
लखनऊ, 17 जुलाई। उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में विकास दुबे पर गोली चलाई. यूपी सरकार ने ये बात सुप्रीम कोर्ट में कही है.
विकास दुबे की कथित पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. इस कथित एनकाउंटर को लेकर कई सवाल भी उठे थे कि इतनी संख्या में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विकास दुबे ने भागने की कैसे कोशिश की.
उत्तर प्रदेश की सरकार का कहना है कि 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई थी और विकास दुबे ने वहाँ से भागने की कोशिश की. सरकार का कहना है कि भागते समय वो लगातार पुलिसवालों पर गोलियाँ चला रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा है कि विकास दुबे के ख़िलाफ़ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे और एक मामले में वे आजीवन कारावस की सज़ा पा चुके थे.
यूपी सरकार ने कहा है कि 2 जुलाई की रात बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ के दौरान विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी.
कथित एनकाउंटर में विकास दुबे की मौत पर सरकार का कहना है कि पुलिस के पास गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि विकास दुबे पुलिसवालों को मारकर भागने की कोशिश कर रहे थे.
कथित एनकाउंटर पर सवाल
अपने हलफ़नामे में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा है कि विकास दुबे ने पुलिस से पिस्तौल छीनकर फ़ायरिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने दावा किया कि घटना बिल्कुल वास्तविक है, इसे गढ़ा नहीं गया है.
उन्होंने ये भी बताया कि सरकार इस मामले में एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन पहले ही कर चुकी है. लेकिन उनका कहना था कि इस मामले को फर्जी मुठभेड़ नहीं कहना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में अपराधी-पुलिस-राजनेता संबंध के अलावा बिकरू गाँव में हुई मुठभेड़ और उसके बाद विकास दुबे और उनके कई साथियों की एनकाउंटर में मौत को लेकर कई याचिकाएँ दायर की गई हैं. इसी के जवाब में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है.
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई कर सकता है. कोर्ट ने पहले ही ये संकेत दिया है कि हैदराबाद एनकाउंटर की जाँच की तर्ज पर वो इस मामले में भी एक कमेटी का गठन कर सकता है. हालांकि यूपी सरकार का कहना है कि ये मामला हैदराबाद एनकाउंटर से बिल्कुल अलग है.
हैदराबाद में एक डॉक्टर के गैंगरेप और हत्या के मामले में चारों अभियुक्तों को एक कथित एनकाउंटर में पुलिस ने मार दिया था.
क्या है विकास दुबे का पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ स्पेशल टास्क फ़ोर्स की एक टुकड़ी दुबे को लेकर 10 जुलाई को मध्य प्रदेश से कानपुर लौट रही थी जब उनकी एक गाड़ी पलट गई जिसके बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस की कार्रवाई में अभियुक्त की मौत हो गई.
दरअसल, विकास दुबे प्रकरण की शुरुआत 2-3 जुलाई की रात से हुई, जब विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस की एक टीम पर हमला हुआ.
विकास दुबे और उनके साथियों को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की गई. इस गोलीबारी में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे. यह मुठभेड़ कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के दिकरू गाँव में हुई थी.
मुठभेड़ में कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे. इसके बाद यूपी पुलिस ने विकास दुबे की धरपकड़ का अभियान शुरू किया.
लेकिन नौ जुलाई तक विकास दुबे यूपी पुलिस की गिरफ़्त में नहीं आ सका. नौ जुलाई को उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया, जहां उसने खुद से ही अपनी पहचान ज़ाहिर किया था.(bbc)
भोपाल, 17 जुलाई। गुना में दलित किसान की बर्बरतापूर्वक पिटाई और किसान दंपत्ति के जहर पीने के मामले में राजनीति अब पूरे उफान पर है। मध्य प्रदेश सरकार ने आईजी, कलेक्टर और एसपी को हटाये जाने के बाद गुरूवार को उन छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया जिन्होंने किसान और उसके परिजनों को जमकर पीटा था।
गुना से हटाये गये एसपी तरूण नायक ने कार्यमुक्त होने से पहले गुरूवार को इस मामले में शामिल रहे एक उप निरीक्षक और पांच आरक्षकों को निलंबित कर दिया। सस्पेंड किये गये कुल पांच आरक्षकों में दो महिला आरक्षक भी शामिल हैं।
बता दें, मंगलवार को गुना के पीजी काॅलेज से लगी सरकारी ज़मीन से नगर पालिका का अतिक्रमण विरोधी अमला कब्जा हटाने पहुंचा था। दलित किसान राजकुमार अहिरवार और उसके परिवार ने दावा किया था कि वे लोग इस ज़मीन पर दादा के वक्त से खेती कर रहे हैं। उसे भी खेती करते बरसों हो चुके हैं। एक दर्जन लोगों का परिवार खेती पर ही निर्भर है।
राजकुमार और उसके परिवारजनों ने अतिक्रमण विरोधी दस्ते और अफसरों से यह भी कहा था कि उन्होंने चार लाख रुपये का कर्ज लेकर फसल बोई है और अंकुरित फसल को ना उजाड़ा जाये। फसल पकने और कटने के बाद कार्रवाई की जाये। मगर अमला नहीं माना था।
सिंधिया ने की शिवराज से बात
कीटनाशक पीने और पिटाई मामले का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया था और राजनीति भी शुरू हो गई थी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के नये नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बातचीत की थी और इसके लिए जिम्मेदार बड़े अधिकारियों को तत्काल हटाने और बर्बर तरीके से किसान को पीटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बुधवार देर रात को रेंज के आईजी, कलेक्टर और एसपी को हटा दिया था। गुरूवार को भी सरकार एक्शन में रही। किसान और उसके परिवार वालों से मारपीट करने में शामिल पुलिस वालों को निलंबित करने के आदेश जारी हो गये।
किसान और उसकी पत्नी द्वारा कीटनाशक पीने और पिटाई मामले की मजिस्ट्रियल जांच का ऑर्डर भी गुरूवार को हो गया। इधर, भोपाल से भी आला अफसरों की टीम गुना पहुंच गई। टीम ने अपने स्तर पर जांच आरंभ कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को यह टीम अपनी रिपोर्ट देगी।
राहुल, मायावती उतरे मैदान में
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी गुरूवार को ‘मैदान’ में उतर आये। दोनों ने ट्वीट करके गुना की घटना की तीखी निंदा करते हुए शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया। राहुल गांधी ने कहा, ‘इसी सोच और अन्याय के खिलाफ है, कांग्रेस की लड़ाई।’ उधर, मायावती ने दलित किसान के साथ बर्बरता को बीजेपी की सरकार का चरित्र करार दिया। मायावती ने कहा, ‘कांग्रेस और बीजेपी एक हैं। दोनों केवल दलित के नाम पर राजनीति करते हैं। दलितों को इस बारे में सोचना होगा।’
कांग्रेस का जांच दल गुना पहुंचा
गुना के घटनाक्रम पर शिवराज सरकार को जमकर आड़े हाथों लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल नाथ ने पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन की अगुवाई में एक जांच दल का गठन किया है। यह जांच दल गुरूवार को गुना पहुंच गया। दल ने जांच के साथ ही किसान और उसके परिवार से बातचीत की। कांग्रेस की प्रदेश महासचिव और दल की सदस्य विभा पटेल ने डेढ़ लाख रुपये की नकद राशि किसान परिवार को भेंट की।(satyahindi)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अफसरों के प्रभार बदले गए। इस कड़ी में तकनीकी शिक्षा संचालक अवनीश कुमार शरण को सीईओ राज्य कौशल विकास अभिकरण का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। साथ ही साथ नीलेश क्षीर सागर को राज्य भंडार गृह निगम का एमडी बनाया गया है।
आदेश इस प्रकार हैं-
जयपुर, 17 जुलाई। राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट गुट की ओर से दायर संशोधित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान पायलट खेमे को थोड़ी राहत जरूर मिली। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को मंगलवार शाम तक नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले पर सुनवाई सोमवार यानी 20 जुलाई, सुबह 10 तक के लिए टाल दी है।
पायलट खेमे को थोड़ी राहत
शुक्रवार को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में सुनवाई के दौरान पायलट खेमे की ओर से हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि पायलट गुट ने दल-बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया है। ऐसे में स्पीकर को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। साल्वे के बाद मुकुल रोहतगी ने भी पक्ष रखा। हाईकोर्ट में सचिन पायलट गुट की पैरवी के बाद स्पीकर की ओर से दलील देते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को तत्काल खारिज करने की अपील की। सिंघवी ने पायलट गुट की याचिका को प्रीमेच्योर बताते हुए मांग की कि इसको खारिज कर दिया जाए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने 20 जुलाई सुबह 10 बजे तक मामले पर सुनवाई टाल दी है।
साल्वे ने स्पीकर के आदेश पर उठाए सवाल
सचिन पायलट खेमे की संशोधित याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहन्ती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में हो रही। याचिका में संविधान की 10वीं अनुसूची के आधार पर दिए गए नोटिस काे चुनौती दी गई है। पायलट खेमे के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में अपनी दलील में स्पीकर के आदेश पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा है कि इस मामले में दसवीं अनुसूची का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने स्पीकर को कोर्ट में बुलाने की मांग की। साथ ही कहा कि पायलट गुट ने दल बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया है।
साल्वे की दलील- पार्टी को जगाना बगावत नहीं
हरीश साल्वे ने सचिन पायलट के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि पार्टी को जगाना बगावत नहीं है। विधानसभा के बाहर दल-बदल कानून का प्रावधान लागू नहीं होता है। ऐसे में स्पीकर को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। साल्वे ने दलील में ये भी कहा कि पार्टी ग्रुप ने कोई विद्रोह नहीं किया है, वह सिर्फ अपनी बात रखने के लिए गए थे। साल्वे ने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने की आजादी के अधिकार के खिलाफ है जो उन्हें नोटिस थमाया गया है। सचिन पायलट और अन्य विधायक दिल्ली में अपना पक्ष रखने के लिए गए थे, जबकि सरकार ने स्पीकर के जरिए अनुच्छेद 10 के तहत नोटिस थमा दिया। साल्वे के बाद मुकुल रोहतगी अपनी दलीलें रखीं।
पायलट खेमे की याचिका पर सुनवाई
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों को मिले नोटिस का जवाब देने का शुक्रवार को अंतिम दिन था। हालांकि, इस बीच हाईकोर्ट से पायलट खेमे को राहत मिली है। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को मंगलवार शाम तक इस नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट पहुंचे पायलट खेमे की याचिका पर दिन में करीब तीन बजे जज सतीश चन्द्र शर्मा ने सुनवाई की। लेकिन, पायलट खेमे की ओर से शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए समय मांगा। शाम करीब पांच बजे असंतुष्ट खेमे ने संशोधित याचिका दाखिल की और कोर्ट ने इसे दो जजों की पीठ की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती को भेज दिया।(nbt)
डीजल खर्च निकालना मुश्किल-बस मालिक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। प्रदेश में लॉकडाउन में छूट के साथ ही बसें शुरू हो गई हैं, लेकिन करीब दो हफ्ते बाद भी उन्हें पर्याप्त सवारी नहीं मिल रही है। ऐसे में बस मालिक परेशान हैं और एक-एक कर अपनी बसें खड़ी करने में लगे हैं। उनका कहना है कि यात्रियों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में बसों की संख्या और घट सकती है।
राज्य सरकार के निर्देश पर प्रदेश में यात्री बसें 5 जुलाई से शुरू हुई है, लेकिन बहुत कम बसें सडक़ों पर देखी जा रही हैं। रायपुर से गिनती की बसें आ-जा रही हैं। इसी तरह धमतरी, महासमुंद, दुर्ग-भिलाई समेत बाकी जगहों से भी गिनती की बसें चल रही हैं। बस मालिकों का कहना है कि जिस ढंग से यात्री आ रहे हैं, उससे उन्हें डीजल खर्च निकालना कठिन हो गया है।
छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश देशलहरा व अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में 10 से 12 हजार निजी बसें हैं, जिसमें से मुश्किल से डेढ़ से दो सौ बसें ही चल रही हैं। बाकी अधिकांश बसें खड़ी हुई हैं। चल रही बसों में भी पर्याप्त सवारी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में ये बसें भी आगे चलकर खड़ी हो सकती हैं।
उनका कहना है कि सरकार से लॉकडाउन अवधि को छोडक़र बाकी छह महीने का टैक्स माफ करने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। जबकि दूसरी तरफ, खेती किसानी और कोरोना के चलते बसों में सवारी नहीं है। बस मालिकों को डीजल खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि सरकार ने बस चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन यात्री न होने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हरेली पर बाहर निकलने पर रोक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। रायपुर में कोरोना के बढ़ते प्रकरण को रोकने के लिए बीरगांव इलाके में तीन दिन लॉकडाउन करने की तैयारी है। बताया गया कि बीरगांव इलाके से कोरोना शहर की तरफ फैल रहा है। साथ ही कोरोना पीडि़तों का संपर्क सूत्र तलाशने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया गया है।
रायपुर में कोरोना के प्रकरणों में एकाएक तेजी आई है। अभी तक पांच सौ से अधिक पॉजिटिव मरीज हैं। जिनका उपचार अस्पताल में चल रहा है। रायपुर शहर में ज्यादातर कोरोना के प्रकरण बीरगांव से होकर आए हैं। बीरगांव, उरला, गुढियारी, कोटा, कबीर नगर होते हुए धीरे-धीरे शहर में भी कोरोना मरीज मिल रहे हैं।
बीरगांव इलाके में औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग रहते हैं। इनमें बड़ी संख्या में उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग रहते हैं। कोरोना के बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए बीरगांव इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा रहा है। साथ ही तीन दिन का लॉकडाउन करने की तैयारी है। बीरगांव के आसपास में हरेली पर्व के दौरान भी पूरी तरह लॉकडाउन रहेगा।
हरेली पर्व को ग्रामीण इलाकों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस दौरान भीड़ भाड़ को देखते हुए विशेष रूप से सतर्कता बरती जा रही है और इसको लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं। खास बात यह है कि बीरगांव इलाके में ही सबसे ज्यादा कोरोना मरीज पाए गए थे। यहां श्रमिक वर्ग ज्यादा कोरोना संक्रमित रहा है। रायपुर शहर के विवेकानंद आश्रम के पीछे के मंगलबाजार इलाके को कंटेनमेेंट जोन घोषित कर दिया है। यहां कोरोना के 23 मरीज मिले हैं।
इसी तरह शांति नगर इलाके में भी एक ही परिवार के 18 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों का संपर्क तलाशने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया गया है। इसके लिए कई टीम बनाई गई है। जिनमें उच्च शिक्षा विभाग, उद्योग विभाग और अन्य विभाग के अफसरों को लगाया गया है।
बताया गया कि रायपुर नगर निगम के सभी 10 जोन में हरेक जोन में दो-दो टीम बनाई गई है। इस टीम के साथ मेडिकल लैब टेक्निशियन भी रहेंगे। सभी जोन में नायब तहसीलदार के अलावा जोन कमिश्नर को भी सहयोग करने के लिए कहा गया है। संपर्क सूत्र टीम नायब तहसीलदार और अन्य अफसरों को रिपोर्ट करेंगे।
कॉलेज शिक्षकों की संपर्क
तलाशने ड्यूटी, आपत्ति भी
कोरोना मरीजों का संपर्क सूत्र तलाशने के लिए कॉलेज शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई है। रायपुर शहर के कॉलेजों के करीब 50 से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें से कुछ ने कलेक्टर से मिलकर आपत्ति भी की है।
आपत्ति करने वाले शिक्षकों का कहना है कि कोरोना मरीजों का संपर्क सूत्र तलाशने के काम में यंग अफसरों की ड्यूटी लगाने के स्पष्ट निर्देश हैं। मगर 55 और 60 वर्ष वाले शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। इनमें से कई शुगर और बीपी के मरीज हैं। इन्हें ही कोरोना संक्रमण का खतरा है। बावजूद इसके उन्हें ड्यूटी लगाई गई है। इनमें से कुछ ने कलेक्टर से मिलकर अपनी आपत्ति जताई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। राजधानी रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में कोरोना से एक महिला की मौत हो गई। यह महिला बालाघाट से यहां इलाज कराने आई थीं और डायबिटिज से पीडि़त थीं। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि महिला की मौत बीती शाम-रात में हुई थीं। मौत के बाद उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उल्लेखनीय है कि अंबेडकर अस्पताल में कल जांजगीर-चांपा के एक 66 वर्षीय व्यक्ति ने दम तोड़ दिया था, जिसे मिलाकर रायपुर जिले में 4 मौतें दर्ज की गई थी।
मौतें-4, एक्टिव-536, डिस्चार्ज-462
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। राजधानी रायपुर समेत जिले में कोरोना मरीज तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। बीती रात मिले 57 पॉजिटिव के साथ आज दोपहर 27 और नए पॉजिटिव मिले हैं। इन्हें मिलाकर जिले में कोरोना मरीज 975 से बढक़र 1002 हो गए हैं। इसमें 4 की मौत हो चुकी है। 536 एक्टिव हैं और इन सभी का इलाज जारी है। दूसरी तरफ ठीक होने पर 462 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं।
कोरोना की शुरूआत यहां समता कॉलोनी रायपुर से हुई थी। 18 मार्च को यहां पहला मरीज सामने आया था। इसके बाद मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई। और अब यहां दर्जनों की संख्या में हर रोज कोरोना मरीज मिल रहे हैं। बीती रात में 57 नए कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इसमें गृहणी, विद्यार्थी, ड्राइवर, पुलिस जवान, फूड सप्लायर, सफाई कर्मी, फेरी वाला, सुरक्षा गार्ड, आया, कूक, फैक्ट्री कर्मी, व्यापारी आदि शामिल रहे। आज एसपी ऑफिस व कबीर नगर थाने के एक-एक जवान कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके अलावा मंगलबाजार, स्वीपर कॉलोनी समेत और कई जगहों पर नए मरीज मिले हैं। संपर्क में आने वालों की जांच-पहचान जारी है।
जानकारी के मुताबिक बीती रात मंगलबाजार, ओम कॉम्पलेक्स फाफाडीह, वीआईपी करिश्मा, टाटीबंध, कृष्णा नगर कोटा, शंकर नगर, लालगंगा के पीछे, ढीमर मोहल्ला टिकरापारा, श्रीनगर, मोतीबाग मॉर्डन कॉम्पलेक्स, कुशालपुर, सब्जी बाजार देवपुरी, करण नगर चंगोराभाठा, खल्लारी चौक, आजाद चौक थाना परिसर, प्रोफेसर कॉलोनी, पुलिस लाइन, तिरंगा चौक, लाखेनगर, बेबीलॉन केपिटल, कोटा, टाटीबंध, अमलीडीह, बेबीलॉन केपिटल, पंडरी, कचना हाउसिंग बोर्ड, विवेकानंद आश्रम, सिविल लाइन पुलिस, लालगंगा मॉल के पीछे, विवेकानंद आश्रम, मॉर्डन कॉम्पलेक्स, पुलिस क्वार्टर काशीरामनगर, कबीर नगर एएसआई, बीएसयूपी कॉलोनी भाठागांव, मंगल बाजार, आजाद चौक, मोवा थाना आमासिवनी, सब्जी बाजार देवपुरी, इन फ्रंट मनजीत ग्रीन सिटी चंगोराभाठा, खरोरा सुभाष चौक, मंगलबाजार, मोतीलाला नगर कोटा, महात्मा गांधी परिसर सिटी कोतवाली, टिकरापारा, बिरगांव से कोरोना पॉजिटिव सामने आए थे।
-डॉ राजू पाण्डेय
मध्यप्रदेश के गुना में दलित दंपत्ति के साथ पुलिस की बर्बरता संवेदनहीन भारतीय समाज और शासन व्यवस्था की कार्यप्रणाली का स्थायी भाव है। प्रशासन और पुलिस के जिन उच्चाधिकारियों के तबादले हुए उन्होंने अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया में इस घटना को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया था। यह हमारे प्रशासन तंत्र की उस मानसिकता को दर्शाता है जिसमें असहाय पर अत्याचार करना और शक्ति सम्पन्न के सम्मुख शरणागत हो जाना सफलता का सूत्र माना जाता है। इन उच्चाधिकारियों को अपने आचरण में कुछ आपत्तिजनक नहीं लगा। उन्होंने दलित दंपति की फसल उजाड़ने वाले, इन्हें बेरहमी से पीटने वाले, इनकी मासूम संतानों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले और अंततः इन्हें आत्महत्या के लिए विवश करने वाले पुलिस और प्रशासनिक अमले के आचरण को सही ठहराया। इन अधिकारियों का तर्क था कि मॉडल कॉलेज के लिए दी गई जमीन पर बेजा कब्जा कर खेती कर रहे दलित दंपति ने बेजा कब्जा हटाने गए अमले के कार्य में बाधा डाली और इन पर हल्का बल प्रयोग अनुचित नहीं कहा जा सकता। यह भी कहा गया कि इस दंपति ने विषपान कर लिया था और भीड़ इन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दे रही थी इस कारण भी बल प्रयोग किया गया। पुलिस ने इस दंपति के विरुद्ध धारा 353, 141 और 309 के तहत मामला भी दर्ज कर लिया है। जैसा कि इस तरह के अधिकांश मामलों में होता है सरकार बड़े धीरज और शांति से इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि मीडिया कोई नई सुर्खी ढूंढ ले और बयानबाजी कर रहे विरोधी दल इस मामले से अधिकतम राजनीतिक लाभ लेने के बाद अधिक सनसनीखेज और टिकाऊ मुद्दा तलाश लें। जब मीडिया और विपक्षी पार्टियों का ध्यान इस मुद्दे से हट जाएगा तब भी यह धाराएं कायम रहेंगी और दलित दंपत्ति को पुलिस महकमे और न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच अपनी हारी हुई लड़ाई लड़नी होगी। मध्यप्रदेश सरकार ने पुलिस और प्रशासन के संबंधित उच्चाधिकारियों का तबादला कर दिया है किंतु यदि कोई यह सोचता है कि यह तबादला उनकी अमानवीयता और असंवेदनशीलता के मद्देनजर हुआ है तो यह उसकी भूल है। अधिक से अधिक उन्हें इस बात की सजा दी गई है कि वे एक दीन हीन, लाचार और असहाय दलित परिवार तक से बिना शोरगुल के जमीन खाली करवाने में नाकामयाब रहे और उन्होंने अपनी लापरवाही से मीडिया और विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है - वह भी ऐसे समय में जब उपचुनावों की तैयारी चल रही है।
यह पूरा घटनाक्रम देश के लाखों निर्धनों और दलितों के जीवन में व्याप्त असहायता, अनिश्चितता और अस्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है। सरकारी जमीन पर वास्तविक कब्जा उस क्षेत्र के एक बाहुबली पूर्व पार्षद या स्थानीय नेता का था। उससे यह भूमि संभवतः कृषि कार्य के लिए बंटाई पर इस दलित परिवार द्वारा ली गई थी। यह कोई असाधारण घटना नहीं है। हर कस्बे, हर शहर और हर महानगर में रसूखदार और बाहुबली जनप्रतिनिधि इस तरह के निर्धन लोगों को अपने आर्थिक लाभ हेतु या वोटों की राजनीति के लिए सरकारी जमीनों पर गैरकानूनी रूप से बसाते हैं। जो गरीब ऐसी सरकारी भूमि पर अपनी झोपड़ी या दुकान या ठेला लगाते हैं उन्हें अधिकांशतया यह पता भी नहीं होता कि यह भूमि सरकारी है। पुलिस, नगरीय निकाय और स्थानीय प्रशासन के भ्रष्ट कारिंदे एक नियमित अंतराल पर इनसे अवैध वसूली करते रहते हैं। भ्रष्टाचार का इन निर्धनों के जीवन में ऐसा और इतना दखल है कि यह वसूली इन्हें गलत नहीं लगती क्योंकि अपने हर वाजिब हक के लिए भी इन्हें भ्रष्ट तंत्र शिकार होना पड़ता है। इस तरह अवैध बस्तियां बसती हैं। फिर एक दिन अचानक विकास का वह बुलडोजर जो ताकतवर और सत्ता से नजदीकी रखने वाले लोगों की अवैध संपत्तियों को गिराने में अपनी नाकामी की तमाम खीज समेटे होता है इन बस्तियों तक पहुंचता है और बेरहमी से विकास का मार्ग प्रशस्त करने लगता है। गुना के दलित परिवार पर निर्दयतापूर्वक लाठियां बरसाते पुलिस कर्मियों के प्रहारों के पीछे असली अपराधियों का कुछ न बिगाड़ पाने की हताशा को अनुभव किया जा सकता है। आज भी हमारे देश में लाखों गरीबों की जिंदगी साधन संपन्न लोगों के लिए गुड्डे गुड़ियों के खेल की तरह है- इन्हें जब चाहा बसाया और जब चाहा उजाड़ा जा सकता है। उजड़ने के बाद इनकी सहायता के लिए देश का सरकारी अमला और देश का कानून कभी सामने नहीं आते। इन्हें फिर किसी बाहुबली या फिर किसी भ्रष्ट जनप्रतिनिधि की प्रतीक्षा करनी पड़ती है जो इन्हें किसी ऐसी जगह पर बसाता है जहां से विस्थापित किया जाना इनकी नियति होती है।
गुना में दलित परिवार के साथ जो कुछ घटा वह अपवाद नहीं है। अपवाद तो तब होता जब भूमि सुधारों के क्रियान्वयन द्वारा इन्हें खेती के लिए किसी छोटी सी जमीन का मालिकाना हक मिल जाता, राज्य और केंद्र सरकार की किसी ऋण योजना के अधीन -इन्हें बिना ब्याज का या कम ब्याज दरों पर ही- ऋण मिल जाता। इनके द्वारा उपजाए गए अन्न को कोई बिचौलिया नहीं बल्कि स्वयं सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद लेती और बिना देरी इनके खाते में भुगतान भी कर दिया जाता। अपवाद तब भी होता जब कृषि मजदूरों को कृषक का दर्जा और मान-सम्मान दिया गया होता और तब शायद प्रचार तंत्र द्वारा गढ़े गए आभासी लोक में सफलता के नए कीर्तिमान बना रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाओं का लाभ इस परिवार को मिल रहा होता। शायद तब प्रधानमंत्री के कोरोना राहत पैकेज में घोषित तथा सरकारी अर्थशास्त्रियों द्वारा गेम चेंजर के रूप में प्रशंसित ऋण योजनाओं की जद में भी यह परिवार आ जाता। किन्तु मीडिया द्वारा गढ़े गए चमकीले और रेशमी आभासी लोक से एकदम अलग यथार्थ की अंधेरी और पथरीली दुनिया है जहां दूसरों के खेतों पर आजीवन बेगार करना और सूदखोरों का कभी खत्म न होने वाला कर्ज लेना किसान की नियति है। अब ऐसे अपवादों की आशा करना भी व्यर्थ है। भारतीय राजनीति में अब जनकल्याण कर वोट बटोरने का चलन कम होता जा रहा है। इसका स्थान घृणा, दमन, हिंसा और विभाजन की रणनीति ने लिया है जो चुनाव जीतने के लिए ज्यादा कारगर लगती है।
विकास के हर पैमाने पर दलितों की स्थिति चिंताजनक है। देश के 68 प्रतिशत लोगों पर निर्धनता की छाया है, इनमें से 30 प्रतिशत लोग तो गरीबी रेखा से नीचे हैं। प्रतिदिन 70 रुपए से भी कम कमाने वाले इन लोगों में 90 प्रतिशत दलित हैं। देश में बंधुआ मजदूरों की कुल संख्या का 80 प्रतिशत दलित ही हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर 15 मिनट में कोई न कोई दलित अपराध का शिकार होता है। प्रतिदिन 6 दलित महिलाएं बलात्कार की यातना और पीड़ा भोगने के लिए विवश होती हैं। शहरी गंदी बस्तियों में रहने वाले 56000 दलित बच्चे प्रतिवर्ष कुपोषण के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। वैसे भी मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल है जहां दलितों पर होने अत्याचारों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014 से 2018 की अवधि में दलितों पर होने वाले अत्याचारों में सर्वाधिक 47 प्रतिशत की वृद्धि उत्तरप्रदेश में दर्ज की गई। जबकि गुजरात 26 प्रतिशत के साथ दूसरे तथा हरियाणा एवं मध्यप्रदेश 15 तथा 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ असम्मानजनक तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। क्या इन सब राज्यों का भाजपा शासित होना महज संयोग ही है? या फिर भाजपा जिस समरसता की चर्चा करती है उसमें समता के लिए कोई स्थान नहीं है- इस बात पर चिंतन होना चाहिए।
नेशनल दलित मूवमेंट फ़ॉर जस्टिस की 10 जून 2020 की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार विभिन्न मीडिया सूत्रों के जरिए एकत्रित डाटा यह दर्शाता है कि लॉक डाउन की अवधि में दलितों पर अत्याचार की 92 घटनाएं हुईं। यह घटनाएं छुआछूत, शारीरिक और यौनिक हमले, पुलिस की क्रूरता, हत्या, सफाई कर्मियों के लिए पीपीई किट की अनुपलब्धता, भूख से मृत्यु, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मौत तथा प्रवासी मजदूरों की मृत्यु से संबंधित हैं। प्रायः यह देखा जाता है कि महामारी या अन्य किसी भीषण प्राकृतिक आपदा के दौरान जो आर्थिक-सामाजिक संकट उत्पन्न होता है वह उन समुदायों के लिए सर्वाधिक विनाशकारी सिद्ध होता है जो पहले से हाशिए पर होते हैं। कोरोना काल की वर्तमान परिस्थितियां इसी ओर संकेत कर रही हैं।
इस घटना पर राजनेताओं और राजनीतिक दलों के बयान आ रहे हैं। एक बयान पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ का है जिनके परिजन स्वयं उद्योगपति हैं तथा जिनके उद्योगपतियों से पारिवारिक संबंध हैं और इसी कारण जिन्हें उद्योगों की स्थापना के लिए छल-कपट, प्रलोभन, बल प्रयोग एवं शासकीय तंत्र के दुरुपयोग द्वारा ग्रामीणों से जमीनें खाली कराने का विशद अनुभव अवश्य होगा। एक बयान सुश्री मायावती जी का है जो बसपा को सवर्ण मानसिकता से संचालित दलित राजनीति की धुरी बनाने में लगी हैं और दलित हितों को उससे कहीं अधिक नुकसान पहुंचा रही हैं जितना सवर्ण नेतृत्व प्रधान मुख्य धारा का कोई दल पहुंचा सकता था। बयान हाल ही में दल बदल कर नए नए भाजपाई बने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दिया है। उन्हें लगता होगा उनके राजनीतिक जीवन के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल में उपचुनावों की चर्चा के बीच उनके किसी राजनीतिक शत्रु ने ही यह घातक दांव चला है। स्वाभाविक है कि इन बयानों में नैतिक बल नहीं है। बयान शिवराज सरकार के मंत्रियों की ओर से भी आ रहे हैं। इन बयानों में पीड़ा से अधिक निश्चिंतता झलकती है। आखिर निश्चिंतता हो भी क्यों न। मंदसौर में जून 2017 में किसानों पर हुई फायरिंग में 6 किसानों की मौत के बाद हुए विधानसभा चुनावों में जनता द्वारा नकार दिए गए शिवराज आज पुनः सत्तासीन हैं। चुनावों का परिणाम कुछ भी हो सत्ता वापस हासिल कर लेने का हुनर जिसे पता हो वह तो निश्चिंत रहेगा ही।
यह पूरा घटनाक्रम जिस परिस्थिति की ओर संकेत कर रहा है उसे लिखने और स्वीकारने का साहस नहीं हो पा रहा है- यदि आप निर्धन हैं, दलित हैं और ऊपर से किसान भी हैं तो नए भारत की विकास धारा में आपका वैसा ही स्वागत होगा जैसा गुना के इस दलित परिवार का हुआ।
रायगढ़, छत्तीसगढ़
देश के प्रमुख मीडिया से निराश और नाराज राहुल गांधी ने अब सोशल मीडिया के मार्फत अपनी बात रखना तय किया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे रोज मुद्दों पर अपनी सोच के वीडियो पोस्ट करेंगे। आज दोपहर पोस्ट किए अपने वीडियो में उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति को नाकामयाब बताते हुए करीब 4 मिनट में अपनी बात कही है।
Since 2014, the PM's constant blunders and indiscretions have fundamentally weakened India and left us vulnerable.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2020
Empty words don't suffice in the world of geopolitics. pic.twitter.com/XM6PXcRuFh
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। कोरोना मरीज मिलने पर राजधानी रायपुर का एसएसपी दफ्तर व कबीर नगर थाना आज सील कर दिया गया। एसएसपी ऑफिस तीन दिन बाद खोला जाएगा। फिलहाल यहां सफाई के साथ सेनिटाइज जारी है। इसी तरह कबीर नगर थाने में भी सफाई-सेनिटाइज का काम चल रहा है।
राजधानी रायपुर में कोरोना मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आज एसएसपी ऑफिस के ऊपर की एक शाखा में पुलिस कर्मी पॉजिटिव पाया गया। ऐसे में पूरे एसएसपी ऑफिस को सील किया गया है। एसएसपी अजय यादव यहां से अपना कामकाज हटाकर अब रेडक्रॉस सभा भवन में अपना काम निपटा रहे हैं। दूसरी तरफ कबीर नगर थाने का एक एसआई कोरोना पॉजिटिव मिला है। यहां भी पूरे थाने को सील किया गया है। थाने का काम आमानाका पुलिस को दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले कोरोना मरीज मिलने पर रायपुर के मंदिर हसौद, तेलीबांधा, पुरानी बस्ती, आजाद चौक थाने सील हो चुके हैं और यहां का कामकाज दूसरे थानों को सौंपा गया है।
देश के प्रमुख मीडिया से निराश और नाराज राहुल गांधी ने अब सोशल मीडिया के मार्फत अपनी बात रखना तय किया है। उन्होंने घोषणा की है कि वे रोज मुद्दों पर अपनी सोच के वीडियो पोस्ट करेंगे। आज दोपहर पोस्ट किए अपने वीडियो में उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति को नाकामयाब बताते हुए करीब 4 मिनट में अपनी बात कही है।
Since 2014, the PM's constant blunders and indiscretions have fundamentally weakened India and left us vulnerable.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 17, 2020
Empty words don't suffice in the world of geopolitics. pic.twitter.com/XM6PXcRuFh
बीती रात मिले थे 27 संक्रमित, अधिकांश फेरीवाले
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जुलाई। राजधानी रायपुर के विवेकानंद आश्रम के पीछे मंगलबाजार (आमापारा) में बीती रात में एक साथ 27 नए पॉजिटिव मिले हैं। वहीं पास के स्वीपर कॉलोनी में आज दोपहर 3 नए पॉजिटिव पाए गए हैं। ये सभी मरीज अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं। दूसरी तरफ पूरा मोहल्ला सील कर मरीजों के परिजनों और संपर्क में आने वालों की जांच-पहचान की जा रही है। इस तरह एक साथ यहां 30 मरीज मिलने पर हडक़ंप की स्थिति है।
जानकारी के मुताबिक मंगलबाजार व आसपास क्षेत्र में गुजरात से आकर कई परिवार रहते हैं और ये सभी गली-सडक़ों पर फेरी लगाते हुए पुराने कपड़ों के बदले नए बर्तन बेचते हैं। इनमें से कुछ लोग पॉजिटिव निकले हैं। इसके अलावा यहां के दर्जभर पॉजिटिव यादव परिवार से हैं। स्वीपर कॉलोनी में भी अब पॉजिटिव निकल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले 2 दिनों में यहां स्वास्थ्य शिविर लगाकर जांच की जा रही थी। कल 80 लोगों की जांच कर इनके कोरोना सैंपल भेजे गए हैं। आज भी परिजनों और संपर्क में आने वालों की जांच चल रही है।
बताया गया कि मंगलबाजार की गली नंबर 9 में चार दिन पहले एक कोरोना मरीज मिला था। इसके बाद जिला प्रशासन ने इस पूरे मोहल्ले को कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए जांच शुरू करा दी। जांच में कल एक साथ 27 मरीजों के सामने आने पर यहां आज जांच और तेज कर दी गई है। मंगलबाजार के अलावा आसपास की बस्तियों में भी जांच शुरू की जा रही है। दूसरी तरफ निगम की टीम नाली-सडक़ों की सफाई करते हुए सेनिटाइज में लगी है।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी कमेटी के सदस्य और ऑर्गेनाइजर के पूर्व संपादक शेषाद्री चारी ने अपनी पार्टी को आगाह किया है कि पार्टी के अंदर एक सीमित वर्ग से उठ रही जोरदार आवाज भाजपा आलाकमान को चेता रही है कि वह हर उस बागी को जगह न दे जो उसका दरवाजा खटखटाता है, विशेषकर उन्हें जो कड़ी मेहनत, वैचारिक प्रतिबद्धता या निस्वार्थ सेवा और बलिदान के जरिये हासिल करने के बजाये ‘विरासत’ में मिली नेतृत्वशीलता को अपना उत्तराधिकार समझते हों।
उनका कहना है कि भाजपा जैसी कैडर-आधारित पार्टी के लिए बहुत बाद में और पिछले दरवाजे से आने वाले विपक्षी खेमे के नेताओं के कुछ मायने नजर नहीं आते हैं। यह राजस्थान में और भी ज्यादा प्रासंगिक है, जहां भाजपा के पास अच्छी कैडर क्षमता, व्यापक जनाधार वाले और हर स्तर पर लोकप्रिय नेता हैं।भाजपा को ध्यान में रखना चाहिए कि हर राज्य असम नहीं हो सकता, जहां कांग्रेस से आए हेमंत बिस्व सरमा ने पार्टी को 2016 में पहली बार सत्ता में लाने के लिए स्थितियों को एकदम बदलकर रख दिया था। असम एक अलग किस्म का मामला है।
एक वेबसाइट, ‘द प्रिंट’ पर लिखे एक लेख में शेषाद्री चारी ने राजस्थान के सचिन पायलट के भाजपा प्रवेश के सन्दर्भ में यह बातें लिखीं हैं।
उन्होंने लिखा- अपने ‘युवा और होनहार नेता’ सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राज्य इकाई के अध्यक्ष के पद से हटाने के 24 घंटे के भीतर ही कांग्रेस ने उनसे पार्टी में लौटने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ जो भी ‘कोई मतभेद’ हों उन्हें सुलझाने की अपील कर दी। फिलहाल तो सचिन पायलट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल नहीं हो रहे हैं, जो कांग्रेस नेता के साथ ही संभवत: 15 विधायक जो उनका समर्थन कर रहे हैं, को अपने पाले में लाने के लिए बेहद उत्सुक थी। लेकिन कुछ बातें हैं जो भाजपा को अवश्य ही ध्यान में रखनी चाहिए। यह किसी से छिपा नहीं है कि कांग्रेस में कई ऐसे असंतुष्ट तत्व हैं जो ‘डूबते जहाज’ को छोडऩे की मंशा रखते हैं। ऐसा लगता है कि खुद कांग्रेस ही भाजपा के ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ के संकल्प को पूरा करने में लगी है। ऐसे में, सचिन पायलट के ऐलान को शपथ लेकर की गई दृढ़ प्रतिज्ञा जैसा नहीं माना जा सकता है। जैसे-जैसे घटनाक्रम आगे बढ़ेगा, कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आ सकती है। ऐसे परिदृश्य में भाजपा के लिए आंतरिक चेतावनियों को सुनना ही ज्यादा बेहतर रहेगा।
सतर्क भाजपा
चारी का कहना है- फिलहाल अभी, पार्टी के अंदर एक सीमित वर्ग से उठ रही जोरदार आवाज भाजपा आलाकमान को चेता रही है कि वह हर उस बागी को जगह न दे जो उसका दरवाजा खटखटाता है, विशेषकर उन्हें जो कड़ी मेहनत, वैचारिक प्रतिबद्धता या निस्वार्थ सेवा और बलिदान के जरिये हासिल करने के बजाये ‘विरासत’ में मिली नेतृत्वशीलता को अपना उत्तराधिकार समझते हों। भाजपा जैसी कैडर-आधारित पार्टी के लिए बहुत बाद में और पिछले दरवाजे से आने वाले विपक्षी खेमे के नेताओं के कुछ मायने नजर नहीं आते हैं। यह राजस्थान में और भी ज्यादा प्रासंगिक है, जहां भाजपा के पास अच्छी कैडर क्षमता, व्यापक जनाधार वाले और हर स्तर पर लोकप्रिय नेता हैं। भाजपा को ध्यान में रखना चाहिए कि हर राज्य असम नहीं हो सकता, जहां कांग्रेस से आए हेमंत बिस्व सरमा ने पार्टी को 2016 में पहली बार सत्ता में लाने के लिए स्थितियों को एकदम बदलकर रख दिया था। असम एक अलग किस्म का मामला है।
उन्होंने लिखा-आमतौर पर भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व और गृह मंत्री अमित शाह की शानदार रणनीतियों के बलबूते चुनाव जीतती रही है। नवागंतुक शायद ही इस मामले में पार्टी में कोई योगदान दे पाते हैं। भाजपा वैसे उन चुनाव क्षेत्रों में अपनी जीत की संभावनाएं बेहतर कर सकती है, जहां बागी नेता का खासा प्रभाव है और जैसे चुनाव नजदीक आएगा। इसका दामन थामने के इच्छुक बागियों की संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी। लेकिन पार्टी को अभी अनपेक्षित नतीजों पर नजर रखनी चाहिए और पार्टी के अंदर उठ रही आवाजों को सुनना चाहिए।
कांग्रेस के लिए एक और संकट
लेख में आगे लिखा है- कांग्रेस के लिए राजस्थान संकट काफी समय से गहरा रहा था। वास्तव में, अशोक गहलोत को 2018 में जब मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब ऐसा माना जा रहा था कि ऐसी सहमति बनी है कि एक-दो साल बाद ही सचिन पायलट, जिन्हें राज्य में कांग्रेस की जीत का श्रेय दिया जाता है, मुख्यमंत्री से कमान अपने हाथ में ले लेंगे। लेकिन तथ्य यह है कि गहलोत के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया गया, यह देखते हुए कि पुराने योद्धा को रणनीतिक रूप से और शासन क्षमता का गहरा अनुभव है। उनके ‘जादू’ (गहलोत के बारे में माना जाता है कि उन्होंने अपने पिता से जादू के गुर सीखे थे) ने तो महाराष्ट्र में भी काम किया था, जहां उनके अनुसार, कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली थी। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘यह मानकर कि पार्टी सफल नहीं हो सकती, उन्होंने (महाराष्ट्र और हरियाणा कांग्रेस) ने विधानसभा चुनाव जीतने की कोई कोशिश करनी भी बंद कर दी थी। जबकि पार्टी को अपनी पूरी क्षमता और ऊर्जा के साथ चुनाव लडऩा चाहिए, न कि पराजित मानसिकता के साथ।’
चारी ने लिखा-एक समय जब उनके केंद्र में पार्टी के लिए अहम भूमिका निभाने की उम्मीद थी, उन्हें राजस्थान भेज दिया गया और उन्हें अपने वर्चस्व के लिए संघर्ष करना पड़ा। अशोक गहलोत ने राज्य का बजट को पेश करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘मैं मुख्यमंत्री पद का हकदार था। यह स्पष्ट था कि किसे मुख्यमंत्री बनना चाहिए और किसे नहीं। जनभावना का सम्मान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष के नाते राहुल गांधी ने मुझे मौका दिया।’ जाहिर है इसके आगे पायलट संकट बहुत ही मामूली नजर आता है।
कांग्रेस में क्या बचा?
उनका कहना है-क्या कांग्रेस एक और विभाजन के कगार पर खड़ी है? कहीं ऐसा तो नहीं कि बड़ा आंतरिक झगड़ा ‘हिलाकर रख देने वाले’ अंजाम तक पहुंचा सकता हो? सीधा नतीजा यह हो सकता है कि सिंधिया की तरह, कांग्रेस की युवा पीढ़ी के कई बागी भाजपा की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं, जो हमेशा ऐसे लोगों के स्वागत में रेड कार्पेट बिछाने को तैयार रहती है। इन नेताओं में से अधिकांश में यह भावना बढ़ रही है कि ऐसी पार्टी में बने रहना निरर्थक है जिसका कम से कम हाल-फिलहाल तो कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है। एक राजनीतिक व्यक्ति जो सार्वजनिक जीवन पर अपना लंबा समय और बहुत कुछ व्यय करता है, जाहिर है इसे लेकर चिंतित जरूर होगा कि बदले में हासिल क्या है और इसलिए भाजपा में सुनहरा भविष्य तलाशेगा।
शेषाद्री चारी ने लिखा है-कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति पर बोलते हुए सचिन पायलट ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में सुझाव दिया था कि प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए आगे लाया जाना चाहिए। उन्हें और कुछ अन्य युवा नेताओं को ‘प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ’ लॉबी का हिस्सा माना जाता रहा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि बगावत प्रकरण में राहुल गांधी एकदम पीछे रहे। प्रियंका, बीच-बचाव की भूमिका में रहीं, ने कथित तौर पर चार बार पायलट से बात की और उन्हें पार्टी न छोडऩे के लिए समझाया जबकि वह मुख्यमंत्री गहलोत की बुलाई बैठकों में भाग नहीं ले रहे थे।
उनका कहना है- राजनीतिक दल विचारधारा-आधारित रहने के बजाय तेजी से नेता-उन्मुख होते जा रहे हैं। लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विपरीत नेतृत्व की अपरिहार्यता बढ़ती जा रही है। कांग्रेस का प्रथम परिवार पार्टी के लिए उत्तरदायित्व साबित हो रहा है। भिन्न स्तर पर, अत्यधिक प्रतिभाशाली लोग साथ छोडक़र एक दूसरे मंच पर दूसरे नेता की छत्रछाया में नया अवतार ले सकते हैं। गांधी परिवार जितनी जल्दी इस बात को समझकर एक प्रतिभाशाली टीम को कमान सौंपता है, कांग्रेस के लिए उतना ही अच्छा होगा। (hindi.theprint.in)