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नयी दिल्ली 24 अगस्त (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच रविवार देर रात तक संक्रमितों का आंकड़ा 30.80 लाख के पार हो गया तथा मृतकाें की संख्या 57 हजार से अधिक हो गई।
कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर में लगातार सुधार हो रहा है और आज यह 74.90 फीसदी पहुंच गई।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार आज देर रात तक संक्रमितों का कुल आंकड़ा 30,80,483 तथा मृतकों की संख्या 57,263 हो गयी है।
स्वस्थ होने वालों की अपेक्षा नये मामलों में निरंतर वृद्धि के कारण सक्रिय मामलों भी बढ़ते जा रहे हैं और इस बीच आज सक्रिय मामले बढ़कर 7,11,193 हो गये।
इस दौरान आज 31,022 लोगों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त हाेने वालों का आंकड़ा 23,10,922 पर पहुंच गया जिससे मरीजो के स्वस्थ होने की दर पिछले दिन के 74.84 फीसदी से सुधरकर आज 74.90 फीसदी पर पहुंच गयी। मृत्यु दर भी घटकर 1.86 फीसदी रह जाने से राहत मिली है।
रिपोर्ट के मुताबिक आज रात तक महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 6,71,942 हो गई। राज्य में आज रात तक सक्रिय मामलों बढ़कर 1,69,516 हो गये और इस बीच अब तक स्वस्थ होने वाले संक्रमितों की संख्या भी बढ़कर 4,80,114 हो गई है। राज्य में आज मृतकों की संख्या बढ़कर 21,995 हो गई है।
इसके बाद तमिलनाडु में आज कोरोना वायरस के 5,975 नए मामले सामने आने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,79,385 हो गई है। तमिलनाडु में कोरोना वायरस के लगातार तेजी से बढ़ते मामलों के बीच राहत की बात यह है कि राज्य में नए मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या अधिक है। राज्य में आज कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हाेने वालों की संख्या 6,047 रही और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गयी जिसके बाद अब तक रोगमुक्त होने वाले लोगो की संख्या बढ़कर 3,19,327 हो गई है। इस बीच आज वायरस के संक्रमण से 97 और मरीजों की मौत के साथ ही मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 6, 517 हो गया।
स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के मुताबिक राज्य में कोरोना के संक्रमण से जिन 97 और मरीजो की मौत हुई है उनमें से 76 की सरकार अस्पताल और 21 की निजी अस्पताल में मौत हुई है। कोरोना के संक्रमण के 5942 नए मामलों में से 5942 प्रदेश के मामले है और 33 बाहर से आए प्रवासी है। जिनमें से कुछ विदेश से आए है और कुछ अन्य राज्यों से लौटे हैं।
वाशिंगटन, 24 अगस्त (आईएएनएस)| जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनियाभर में कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 2.33 करोड़ के पार हो गई है, वहीं इससे होने वाली मौतों संख्या बढ़कर 807,000 से अधिक हो गई हैं।
विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि सोमवार सुबह तक कुल मामलों की संख्या 23,348,081 थी और इससे होने वाली मौतें बढ़कर 807,383 हो गई हैं।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा 5,701,557 मामले और 176,797 लोगों की मौतों के साथ अमेरिका प्रभावित देशों की सूची में शीर्ष पर बना हुआ है।
ब्राजील 3,605,783 संक्रमण और 114,744 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।
सीएसएसई के अनुसार, मामलों की ²ष्टि से भारत तीसरे (3,044,940) स्थान पर है, और उसके बाद रूस (954,328), दक्षिण अफ्रीका (609,773), पेरू (585,236), मेक्सिको (560,164), कोलम्बिया (533,103), चिली (397,665), स्पेन (386,054), ईरान (358,905), अर्जेंटीना (342,154), ब्रिटेन (327,643), सऊदी अरब (307,479), बांग्लादेश (294,598), पाकिस्तान (292,765), फ्रांस (280,459), इटली (259,345), तुर्की (258,249), जर्मनी (234,494), इराक (204,341), फिलीपींस (189,601), इंडोनेशिया (153,535), कनाडा (126,815), कतर (117,008), बोलिविया (108,427), इक्वाडोर (107,769), यूक्रेन (107,379), कजाकिस्तान (104,543) और इजरायल (102,663) है।
वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश मेक्सिको (60,480), भारत (56,706), ब्रिटेन (41,515), इटली (35,437), फ्रांस (30,518), स्पेन (28,838), पेरू (27,453), ईरान (20,643), रूस (16,341), कोलम्बिया (16,968), दक्षिण अफ्रीका (13,059) और चिली (10,852) हैं।
उत्तराखंड ने बड़ी तबाही देखी हुई है, लेकिन आज भी सड़कों को चौड़ा करने के लिए पहाड़ काटे जा रहे है, पेड़ गिराए जा रहे हैं. ऐसे में बारिश के वक़्त कैसे भूस्खलन हुआ, यह देखें. वीडियो पोस्ट किया है एक पत्रकार राजेश कालरा ने...!
Constant messing with environment, coupled here with rains, result in this formidable fury of nature that humans can’t still comprehend.
— Rajesh Kalra (@rajeshkalra) August 24, 2020
This is yesterday near Byasi, past Rishikesh, on the road to Joshimath.
Given our greed & quest to tame nature, unlikely we’d ever learn. pic.twitter.com/5Sw8oVoppR
- ललित मौर्य
वैज्ञानिकों के अनुसार बिल्डिंग्स और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जहां आद्रता 40 फीसद से कम होती है, वहां कोरोनावायरस आसानी से फैल सकता है। यह चौंका देने वाली जानकारी भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किए एक नए अध्ययन में सामने आई है। इसलिए वैज्ञानिकों ने अस्पताल, स्कूलों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कार्यालयों में जहां ज्यादा लोग हो वहां आद्रता का स्तर कम से कम 40 फीसदी बनाए रखने की सलाह दी है।
यह शोध जर्मनी के लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर ट्रोपोस्फेरिक रिसर्च और नई दिल्ली में सीएसआईआर नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है, जोकि जर्नल एयरोसोल एंड एयर क्वॉलिटी रिसर्च में छपा है। वैज्ञानिकों का मानना है पांच माइक्रोमीटर की छोटी बूंदें हवा में लगभग नौ मिनट तक तैर सकती हैं। ऐसे में जिन स्थानों पर आद्रता का स्तर 40 से 60 फीसदी के बीच होता है, वहां नमी भी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से वायरस नाक में मौजूद श्लेष्मा झिल्ली से आगे नहीं जा पाता। ऐसे में वायरस का प्रसार भी रुक जाता है। ऐसे में सार्वजनिक स्थानों पर जहां अधिक संख्या में लोगो हो वहां आद्रता के निर्धारित स्तर को बनाए रखना अत्यंत जरुरी है।
अध्ययन में क्या कुछ आया सामने
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता अजीत अहलावत ने बताया कि एयरोसोल के अध्ययन में यह हवा में आद्रता की मात्रा मायने रखती है। उनके अनुसार आद्रता (नमी) बूंदों में मौजूद वायरस और सूक्ष्मजीवों के व्यवहार पर असर डालती है। सतह पर मौजूद वायरस का बने रहना और खत्म होना, आद्रता से प्रभावित होता है। इसके साथ ही आद्रता शुष्क हवा में वायरस के प्रसार को भी प्रभावित करती है। अहलावत ने समझाया, "अगर घर के अंदर हवा में मौजूद नमी 40 फीसदी से कम है, तो संक्रमित लोगों द्वारा उत्सर्जित कण कम पानी सोखते हैं, हल्के रहते हैं, और ज्यादा देर तक हवा में मौजूद रहते हैं। जिससे उनके स्वस्थ लोगों में पहुंचने की संभावना भी अधिक होती है।"
इसके साथ ही हवा के शुष्क होने पर नाक में मौजूद श्लेष्मा झिल्ली आसानी से वायरस को अवशोषित कर लेती है और शरीर में जाने देती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दियों का मौसम आने वाला है ऐसे में यह शोध मायने रखता है क्योंकि सर्दी से बचने के लिए लोग गर्म कमरों में रहेंगें जहां वातावरण में नमी कम होगी। इसी तरह ठन्डे इलाकों में भी घर के अंदर हवा बहुत शुष्क होती है, जिससे इस वायरस को फैलने का मौका मिल जाता है।
जबकि इसके विपरीत यदि नमी अधिक होती है तो बूंदे बहुत तेजी से बढ़ती है और जल्द जमीन पर गिर जाती हैं। जिससे इनके स्वस्थ लोगों की सांस में पहुंचने का खतरा कम हो जाता है।
एयर कंडीशन का बहुत ज्यादा उपयोग भी है हानिकारक
इस शोध से जुड़े एक अन्य वैज्ञानिक सुमित कुमार मिश्रा जोकि नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी से सम्बन्ध रखते हैं ने बताया कि आद्रता के इस स्तर को बनाए रखने से न केवल कोविड-19 बल्कि कई अन्य वायरल बीमारियों जैसे मौसमी फ्लू से भी बचा जा सकता है। ऐसे में भविष्य में कमरे के अंदर तापमान से जुड़े दिशानिर्देशों में इसे भी शामिल किया जाना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने चेताया है कि जहां एक तरफ ठन्डे क्षेत्रों में आद्रता के स्तर को बनाए रखना जरुरी है। वहीं गर्म इलाकों में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की एयर कंडीशनिंग की मदद से कमरों को बहुत ज्यादा ठंडा न किया जाए। क्योंकि जब हवा बहुत ज्यादा सर्द हो जाती है तो वो हवा और उसमें मौजूद कणों को शुष्क बना देती है। जिससे यह शुष्क कण बहुत देर तक हवा में मौजूद रहते हैं।
दुनिया भर में 2 करोड़ से ज्यादा लोग इससे हो चुके हैं पीड़ित
दुनिया भर में यह वायरस 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को अपनी जद में ले चुका है, जबकि इसकी वजह से अब तक 797,601 लोगों की जान जा चुकी है। भारत में अब तक कोरोना के 29,05,823 मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में इससे बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क का उपयोग आदि उपायों को अपनाने की पहले ही सलाह दी जा रही है। यह नया शोध बिल्डिंग्स और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कम से कम 40 फीसदी की नमी को बनाए रखने की सलाह देता है जिससे बंद जगहों पर जहां मास्क का उपयोग सीमित है वहां भी इस वायरस के प्रसार को रोका जा सके।(downtoearth)
- मृणाल पाण्डे
इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक अब समाप्ति पर है। विश्वव्यापी महामारी और तेजी से बदलते पर्यावरण ने दुनिया को एक बार फिर युद्ध और विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है। जिधर तक निगाह जाती है, अ-शांति की नई भूमिकाएं बन रही हैं। रंगभेद, नस्ल वैमनस्य, धार्मिक कट्टरपंथिता और दुनिया का इकलौता आर्थिक ध्रुव बनने की अश्लील उतावली उफान पर है। जाहिर है कि अपने तमाम तकनीकी विकास, राजनीतिक, आर्थिक और दार्शनिक चिंतन के बावजूद इक्कीसवीं सदी भी युद्ध, बेपनाह पैसा कमाई की हवस और कलह को बेमतलब बनाने वाली मानसिकता नहीं रच पाई है। दहलीज पर खड़े अमेरिकी चुनावों ने कई गड़े मुर्दे उखाड़े हैं जिनमें से गत चुनावों में ट्रंप द्वारा नई तकनीकी और पुतिन की मदद से प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ रचे गलतबयानी के चक्रव्यूह बनाना भी शामिल है। उसी नई तकनीकी पर फेसबुक और वाट्सएप की मार्फत हमारे लोकतंत्र में भी राजनीतिक दलों के दबाव से प्रतिबंधित दुर्भावनामय टिप्पणियों पर रोक लगाने-नलगाने को लेकर नागरिकों की निजता सुरक्षा पर तीखे सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सरकार एक विदेशी अखबार के आरोप को गलत कह रही है कि फेसबुक की भारतीय प्रमुख ने चुनावों के दौरान कुछ विद्वेषी टिप्पणियों को न हटाने के आदेश दिए थे क्योंकि उनका खुद राजनीतिक दल विशेष से पारिवारिक धरातल पर जुड़ाव था। खुद कंपनी की तरफ से भरोसेमंद जवाब जब आएगा, तब आएगा लेकिन यह अनायास नहीं कि अमेरिका में भी उसके कामकाज की महीन जांच हो रही है। इस वाकये ने सभी उपभोक्ताओं को याद दिलाया है कि आज नहीं तो कल, उनके निजी डेटा का उनकी जानकारी बिना व्यावसायिक इस्तेमाल होना लगभग तय है। तमाम दैनिक व्यस्तताओं, पुरानी कट्टरपंथिता और नई तकनीकी मजबूरियों के उभार के बीच लोकतंत्रों के मीडिया और राजनीति में आज मनुष्यकी निजी आजादियों के लिए कोई गहरा सम्मान या सुरक्षित जगह वैसे भी इन दो दशकों में कहां बची है?
यह साल जाते-जाते बताता है कि जो जीवनशैली और बाहर से आयातित सूचना प्रसार तकनीकी पिछले बीस सालों में हमने बांहें पसार कर अपनाई है, उनसे चुनावी राजनीति और गंदली और अपारदर्शी हो जाने का भारी खतरा है। और दुनिया के हर लोकतंत्र में कोविड के पैर पसारने के बाद से मीडिया द्वारा मतदाता को सभ्य और समझदार बनाने के बजाय सभ्यता की बुनियाद: कला, दार्शनिक विचार और भाषा पर खुले संवाद के लिए जगह या अभिव्यक्ति की आजादी तेजी से कमजोर की जा रही है। कोविड के लॉकडाउन ने मिलेनियल पीढ़ी को भी जिसकी खुद से सोचने की क्षमता लगातार कम होती गई थी, जीवन में पहली बार असली अकेलेपन से परिचित करा दिया है। मानसिक संतुलन खो कर अचकचाए बुजुर्ग ही नहीं, बीसेक बरस के युवा भी पा रहे हैं कि बेदिमाग अकेलेपन को ओटीटी की धाराप्रवाह फिल्में देख कर या ऑनलाइन ऑर्डर की गई चीजों से नहीं भरा जा सकता। नई सदी के सारे वैभव और उदासी को एक साथ अनुभव करने वाले वे अमीर और प्रोफेशनल लोग भी खुद को प्रेम और विश्वास से रहित पा रहे हैं। सड़क से स्कूली बच्चे तक- सब कहीं अनिद्रा जनित बीमारियां, मानसिक अवसाद, और आत्महत्या के विचार बढ़ रहे हैं। इसकी कई विचलित करने वाली खबरें इधर हर छोटे-बड़े शहर से लगातार मिल रही हैं। कभी चहकता रहा बॉलीवुड भी इसका अपवाद नहीं।
जब मनुष्य उदासी और अकेलेपन के बीच ईमानदारी से अपने जिये जीवन पर सोचता है, तो उस समय साहित्य और कलाओं का महत्व समझ आता है। अफसोस यह कि हमारी पिछले दशकों की राजनीति, पारिवारिक जीवनशैली, शिक्षा पद्धति और भाषाई सिकुड़न ने अधिकतर भारतीयों के लिए इनपर आजादी के शुरुआती दिनों की तरह कई पीढ़ियों, कलाकारों और राजनेताओं के एकजुट होकर खुलेपन से विचार साझी करना असंभव बना दिया है। बड़े लोग मीडिया पर शिक्षा के माध्यम से लेकर किसी फिल्मी सितारे की आकस्मिक मौत तक पर विचार करने बैठें, तो राजनीति पर काबिज धरतीपुत्रों के बीच तुरंत क्षेत्रीय तलवारें म्यानों से निकलने लगती हैं। और देश का ध्यान लोकतंत्र, कला या साहित्य की दशा-दिशा के बजाय क्षेत्रीय अपने-परायेपन पर भटक जाता है। हिंदी दक्षिण के लिए पराई है। सुशांत सिंह राजपूत या रिया चक्रवर्ती फिल्म स्टारों से पहले बिहारी-बंगाली हैं। किसी सूबे में थानेदारों की जातिकी तालिका बनाई जाने का आदेश सुनाई देता है तो किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते हैं कि उनके राज्य में आगे से सरकारी नौकरियां केवल प्रदेश के लोगों के वास्ते ही आरक्षित होंगी। ऐसे माहौल में व्यास, कबीर, तुलसी, अष्टछाप कवियों, दक्षिणी अलावार संतों, जायसी, खुसरो, गालिब, मीर की रचनाएं जो सदियों से सारे भारत में सबके सुख-दुख की भाषा बनी हुई हैं, को पढ़ने-पढ़ाने की बात करने वाला पागल मानलिया जाए तो अचंभा क्या?
आज के माहौल में जब हम सुनते हैं कि कई भाषाओं के उदारवादी साहित्य को शिक्षा और सरकारी सोच से बुरी तरह बेदखल किया जा रहा है, तो यह लेखिका एक तरह से तो सुरक्षित अनुभव करती है कि अब हम अपनी कला की दुनिया में निरापद होकर रह सकते हैं। पर पहले केवल अंत:करण में जगमगाते इस अद्भुत घर में आज सेंधमारी या उपभोक्तावाद की घुसपैठ की आशंका बनचली है। उधर, राज-समाज से जुड़े एक पत्रकार के दिल में यह सवाल भी रह-रहकर सर उठाता है कि कोविड का उफान उतरने पर स्थानीयता में किसी तरह की गहरी जड़ों से रहित हमारी नई पीढ़ी में नई ग्लोबल व्यवस्था में राजनीति से सामाजिक जीवन तक में सही भागीदारी करने लायक कितनी योग्यता होगी? क्या भारत को हर कीमत पर ग्लोबल ताकत बनाने का मतलब इतना ही बचा है कि हम सिर्फ आर्थिक, औद्योगिक और व्यापारिक तरक्की को ही राष्ट्र की तरक्की मानलें? हाशिये का समाज बेदखल होता रहे, गांव, वन, पहाड़- सब विकास के सुरसा मुख में समाते चले जाएं, निजीकरण के तहत आते जा रहे आरोग्य और शिक्षा केवल उनको मिले जो इसकी वाजिब कीमत दे सकें, तो कुछ सालों बाद हम कहां होंगे? प्लास्टिक के पेड़, नायलॉन के फूल, रबर की नकली चिड़ियां ही नहीं, ट्विटर, फेसबुक की भाषा और कथनियां, टीवी की बेबुनियाद खरीदी बेची जा रही बहसें और सीरियल- सभी हमारे संभावित मानसिक पतन का जीता-जागता प्रमाण बन चले हैं। अचरज नहीं कि महामारी के बीच भी आभासी मनोरंजन व्यवसाय इकलौता उद्योग है जो घर कैद भोगते परिवारों के बीच खूब फलता- फूलता रहा है। और यह कतई अकारण नहीं कि सरकारें जनभावना के सबसे उच्छृंखल पक्ष से जुड़े इस क्षेत्र का अब जमकर राजनीतिक इस्तेमाल कर रही हैं। 90 के दशक मंदिर निर्माण का माहौल रचने में राम और कृष्ण की जिन शालीन छवियों को धर्म ग्रंथों से निकाल कर छोटे पर्दे पर लाया गया था, उनकी भारी भूमिका रही। इस नई बुद्धिहीनता के बीच पुनरुत्थानवाद से अंधा लगाव फिर लगातार बढ़ाया जा रहा है। ऐनलॉक डाउन के बीच भी भूमिपूजन से पहले इन छवियों को बार-बार दिखाया गया। क्योंकि पुनरुत्थानवाद का डायनामो है देश की जनता को हिंदुत्व के खंभों: सतयुग, त्रेता या द्वापर की पुरानी दंतकथाओं, अंधविश्वासों के बीच लौटाना जब समाज जड़, स्त्री-शूद्र विरोधी और गो-ब्राह्मण पूजक था। इसीलिए इधर राजनीति में नेता और ग्लैमर जगत से खिलाड़ी तथा अभिनेता 90 के दशक की ही तरह दोबारा गले मिल रहे हैं। जन भावना के साथ हास्यास्पद होता यह खिलवाड़ दरअसल बहुत खतरनाक है। यह जनता में धार्मिक विवेक या वसुधैव कुटुंबकम के विचार का पुनर्जागरण नहीं, धार्मिक- राजनीतिक अज्ञान और नाटकीय मरीचिका का पुनरुत्थान है।
वसुधैव कुटुंबकम् का सही अर्थ इतिहास के मुर्दों और खंडहरों की तरफ देखना नहीं, जीवन की तरफ, समन्वय की तरफ मुड़ना होता है। भारत का इतिहास बौद्ध और बौद्ध पूर्व समय से लाखों हमलावरों, आतताइयों, युद्धों और रक्तपात से सना हुआ है। फिर भी अपने साहित्य और संस्कृति-लेखन की मदद से यह देश गांधी के आने तक कई-कई संस्कृतियों के मेल से बनी अहिंसा, शांति और आध्यात्मिक बोध की अपनी जड़ें हरी रख पाया। उनको अब चुनावी राजनीति की दुधारी तलवार और नई तकनीकी की मदद से काटना तकलीफदेह तो है ही, इस समय, जब सारी मनुष्य जाति खुद को और अपने पर्यावरण को बचाने के लिए एक बड़ा युद्ध लड़रही है, यह एक आत्मघाती कदम भी साबित होगा।(navjivan)
एक ख़ुफ़िया रिकॉर्डिंग में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी बहन और पूर्व फ़ेडरल जज मैरिएन ट्रंप बैरी ने अपने भाई को झूठा बताया है. इसमें वो कह रही हैं कि उनके भाई का 'कोई सिद्धांत नहीं है.'
ट्रंप की बहन की यह टिप्पणी उनकी भतीजी मैरी ट्रंप ने रिकॉर्ड की थी. मैरी ट्रंप ने ही पिछले महीने एक किताब प्रकाशित की थी जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप की कड़ी आलोचना की गई थी.
ट्रंप की बहन मैरिएन को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'उसके बकवास ट्वीट और झूठ से, ईश्वर ही बचाए. यह धोखेबाज़ी और क्रूरता है.'
मैरी ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने अपनी आंटी को ख़ुफ़िया तरीक़े से इसलिए रिकॉर्ड किया था ताकि किसी भी क़ानूनी दांवपेच से बचा जा सके.
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस रहस्योद्घाटन पर अपना बयान दिया है जो व्हाइट हाउस ने जारी किया है. इसमें कहा गया है कि 'हर दिन कुछ अलग होता है, इसकी कौन परवाह करता है.'
इस रिकॉर्डिंग को सबसे पहले वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार ने प्रकाशित किया था जिसके बाद एसोसिएटेड प्रेस ने भी इसे छापा.
'उन्होंने अपनी जगह परीक्षा देने के लिए दिए थे पैसे'
इस ख़ुफ़िया रिकॉर्डिंग में बैरी ट्रंप प्रशासन की माइग्रेशन नीति की निंदा कर रही हैं. इस नीति के तहत बच्चों को सीमा पर प्रवासी हिरासत केंद्रों में रखा जाता है.
मैरी ट्रंप ने अपनी जीवनी टू मच एंड नेवर इनफ़: हाऊ माई फ़ैमिली क्रिएटेड द वर्ल्ड्स मोस्ट डेंजरस मैन' में यह रहस्योद्घाटन किया था कि उनके चाचा डोनाल्ड ट्रंप ने ख़ुद की जगह एसएटी की परीक्षा देने के लिए अपने दोस्त को पैसे दिए थे.
रिकॉर्डिंग में बैरी इस ओर इशारा कर रही हैं और यह भी बता रही हैं कि वो उस दोस्त का नाम जानती हैं.
बैरी अपने भाई डोनाल्ड का समर्थन करती रही हैं और पहले भी कह चुकी हैं कि वो दोनों बहुत क़रीब हैं.
उन्होंने एक बार बताया था कि जब वो एक ऑपरेशन के सिलसिले में अस्पताल में भर्ती थीं तो उनके भाई रोज़ाना उन्हें देखने आते थे.
स्टॉर्मी डेनियल्स को देनी होगी क़ानूनी फ़ीस
वहीं, कैलिफ़ोर्निया की शीर्ष अदालत के जज ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्टेफ़नी क्लिफ़ॉर्ड उर्फ़ स्टॉर्मी डेनियल्स को 44,100 डॉलर देने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने यह आदेश दोनों के बीच हुए एक गुप्त समझौते की क़ानूनी फ़ीस देने के लिए दिया है.
डेनियल्स का आरोप था कि ट्रंप ने 2006 में लेक ताहो के एक होटल के कमरे में उनसे शारीरिक संबंध बनाए थे. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने इन आरोपों से इनकार किया था.
डेनियल्स ने कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले अक्तूबर 2016 में 1.3 लाख डॉलर में उनसे चुप रहने के लिए एक समझौता किया गया था.
ऑनलाइन प्रकाशित जज के आदेश में कहा गया है कि यह मामला ज़रूर ख़ारिज हो गया था लेकिन डेनियल्स इस मामले में एक 'मज़बूत पार्टी' थीं इसलिए उन्हें क़ानूनी केस की रक़म भी मिलनी चाहिए.(bbc)
वाशिंगटन 24 अगस्त (वार्ता) अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) ने गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस (कोविड-19) के मरीजों के इलाज के लिए आपात स्थिति में प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी प्रदान कर दी है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
श्री ट्रम्प ने कहा, “ मैं काफी लंबे समय से प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी दिलाने के लिए काम कर रहा था। चीनी वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई के संबंध में मुझे यह ऐतिहासिक घोषणा करते हुए आज काफी खुशी हो रही है। इससे कई लोगों की जिंदगी बचाई जायेगी।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि शोध में यह पाया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिये कोरोना के मरीजों में मृत्यु दर को 35 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
श्री ट्रम्प ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके अमेरिकी लोगों से बढ़-चढ़कर प्लाज्मा दान करने की भी अपील की।
एफडीए ने कहा कि शोध में यह पाया गया है कि यदि कोरोना से संक्रमित किसी मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के तीन दिनों के भीतर उसे प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है तो उससे मरीज के स्वास्थ्य में सुधार होने की संभावना बढ़ जाती है। एफडीए ने कहा कि उसने हाल के महीनों में जुटाए गए आंकड़ों की समीक्षा के आधार पर ही प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी प्रदान की है। अमेरिका में अभी तक कोरोना के 70 हजार से अधिक मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जा चुका है।
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से गंभीर रूप से जूझ रहे अमेरिका में यह महामारी विकराल रूप ले चुकी है और अब तक 57 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की संख्या 57 लाख काे पार कर 57,00,487 हो गयी है। जबकि इस महामारी से मरने वालों की संख्या 1,76,797 पहुंच गयी है।
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व गांधी परिवार का कोई सदस्य करे या फिर परिवार के बाहर का कोई नेता, सोमवार को होने वाली कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले सोशल मीडिया पर ये चर्चा तूल पकड़ रही है.
ऐसा दिख रहा है कि पार्टी एक बार फिर सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नाम पर आकर ठहर सकती है.
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के कार्यकाल का एक साल पूरा हो चुका है और पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष की माँग तेज़ हो गई है.
ऐसे में हाल में पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के भीतर शीर्ष से लेकर नीचे तक बड़े बदलाव की बात कही थी.
इन हालातों के बीच सोमवार को होने वाली बैठक से पहले रविवार को मीडिया में ये ख़बरें आने लगीं कि सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफ़ा दे सकती हैं. हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने देर शाम इस ख़बर का खंडन करते हुए कहा कि सोनिया गांधी के इस्तीफ़े की ख़बर झूठी है.
रविवार को सोशल मीडिया पर कांग्रेस के जहां कई नेताओं ने सोनिया गांधी से गुहार लगाई कि वो पार्टी अध्यक्ष के पद पर बनी रहें, वहीं कइयों ने कहा कि इस पद के लिए अगर राहुल गांधी का नाम पेश किया जाए तो वो उनके नाम का भी समर्थन करते हैं.
सोनिया गांधी के नाम का समर्थन
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव कमलनाथ ने ट्वीट किया, "सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कोई भी सुझाव या आक्षेप बेतुका है. मैं श्रीमती सोनिया गांधी से अपील करता हूं कि वे अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस पार्टी को मज़बूती प्रदान करें और कांग्रेस का नेतृत्व करती रहें."
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि "अगर पार्टी के 23 नेताओं के कार्यकारी अध्यक्ष को पत्र लिखने वाली बात सही है तो ये अविश्वसनीय है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके लिए मीडिया के पास जाने की कोई ज़रूरत नही थी."
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, "एक ऐसे वक्त जब हमारा गणतंत्र मुश्किल वक्त से गुज़र रहा है सोनिया गांधी को पार्टी की कमान संभाले रखनी चाहिए. लेकिन अगर वो किसी कारणवश पार्टी का नेतृत्व करना नहीं चाहतीं तो ऐसे में कमान राहुल गांधी को सौंपी जानी चाहिए."
पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद बी मणिकराम टैगोर ने पत्र लिखकर सोनिया गांधी से कहा है कि, "उनके नेतृत्व पर पार्टी को पूरा भरोसा है और उनके व राहुल गांधी ने हाथों में पार्टी सुरक्षित रहेगी."
वहीं कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा है "कर्नाटक कांग्रेस गांधी परिवार और सोनिया गांधी के नेतृत्व के साथ है."
उन्होंने कहा, "सोनिया गांधी ने मुश्किल दौर में पार्टी का नेतृत्व किया है और पार्टी को बचाया है."
गांधी परिवार पर भरोसा जताते नेता
वहीं, यूथ कांग्रेस, सचिन पायलट, असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोराट और पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी को नेतृत्व की कमान सौंपने का समर्थन किया है.
यूथ कांग्रेस ने मांग की है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष पद से सोनिया गांधी हटती हैं तो उस सूरत में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए.
कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट किया है, "श्रीमती गांधी और राहुल जी ने दिखाया है कि पार्टी और लोगों की भलाई के लिए बलिदान करने का क्या अर्थ होता है. यह समय आम सहमति और मज़बूती बनाने का है. हमारा भविष्य तभी मज़बूत होगा जब हम एकजुट रहेंगे. अधिकतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है कि राहुल जी पार्टी का नेतृत्व करें."
असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने एक पत्र जारी कर लिखा, "पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंपी जाए जो न केवल पार्टी का नेतृत्व करें बल्कि बीजेपी और आरएसएस के ख़िलाफ़ भी आगे बढ़ कर लड़ाई करें."
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने लिखा, "अब वक्त आ गया है जब राहुल गांधी पार्टी की कमान अपने हाथों में लें. हम कहना चाहते हैं कि राहुल जी आप वापस आइए और पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कम करें. सोनिया जी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का मार्गदर्शन करें."
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब तक सोनिया गांधी चाहें पार्टी की कमान संभालें, उनके बाद ये ज़िम्मेदारी राहुल गांधी को दी जाए जो इस ज़िम्मेदारी को निभाने में पूरी तरह सक्षम हैं.
पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष के पद पर रहें या ना रहें, पार्टी का पूरा समर्थन उन्हें है.
पिछले दो लोकसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी हार हुई है और पहली बार 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उसे सौ से कम सीटें आईं.
2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद सोनिया गांधी को एक साल के लिए पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था.
इस बीच, पार्टी में नए पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग होने लगी. लेकिन पार्टी को एक बार फिर गांधी परिवार से ही अध्यक्ष मिलेगा या फिर किसी और के नाम पर मुहर लगेगी ये सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होने वाली कार्यसमिति की बैठक के बाद ही पता चलेगा.(bbc)
For all those willing to have a virtual darshan of Lord Ganesha Siddhi Vinayak temple, Mumbai????????on the occasion of Ganesha Chaturthi.#गणेश_चतुर्थी#HappGaneshChaturthi#ganpatibappa#GaneshaChaturthi2020 pic.twitter.com/D6PYOfueWD
— Mayank Bisaria (@bisaria_mayank) August 22, 2020
#GaneshChaturthi has always been a community festival. But this year, let us celebrate individually while remaining together in spirit & pray to #Ganesh for end of #COVID__19. Sharing a gracious video of #LordGanesh of Shri Siddhi Vinayak #Temple, #Mumbai.#HappyGaneshChaturthi pic.twitter.com/DqEFyhAwgn
— Parimal Nathwani (@mpparimal) August 22, 2020
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिग्गज भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की तारीफ करते हुए कहा है कि कई सारे लोग हैं, जो इस सबसे धनी क्रिकेट लीग से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। आईपीएल के 13वें संस्करण का आयोजन 19 सितंबर से यूएई में होगा।
गावस्कर ने इंडिया टुडे के एक शो में कहा, " ऐसे लोग आईपीएल में सिर्फ पैसे ही देखते हैं। वे ये नहीं देखते हैं कि आईपीएल क्या करता है। मेरे हिसाब से इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वे आईपीएल से जलते हैं। जिन लोगों को आईपीएल से कोई फायदा नहीं मिलता वे ही इसकी आलोचना करते हैं।"
उन्होंने कहा, " कई सारे लोग हैं जिनकी आजीविका आईपीएल से ही चलती है। कोई मैच के दौरान लोगों के चेहरे पर पेंट लगाकर अपनी रोजी-रोटी कमाता है। स्टेडियम के बाहर जो टी-शर्ट बिकते हैं कोई वो बनाता है, या फिर कई वेंडर होते हैं जो मैदान के बाहर खाना बेचते हैं। तो आईपीएल से कई सारे लोग पैसे कमाते हैं।"
गावस्कर ने साथ ही कहा कि आईपीएल लोगों के लिए एक सॉफ्ट टार्गेट बन गया है।
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, " कोई अगर इंटरनेट पर मशहूर होना चाहता है तो फिर वो आईपीएल की आलोचना करने लगता है। आईपीएल एक सॉफ्ट टार्गेट बन गया है। आईपीएल का विरोध करने वाले लोग कहते हैं कि हमें भारतीय क्रिकेट की फिक्र है। तो क्या आप ही सिर्फ हैं जो भारतीय क्रिकेट के बारे में सोचते हैं और उसका भला चाहते हैं, बिल्कुल भी नहीं।
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है, पर 700 वर्ष में ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जाएंगे, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा। यह बात हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कही।
निजामी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी 1947 में भी दरगाह से ताजियों के साथ निकालने वाले जुलूस पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली और केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है। इसलिए मोहर्रम पर ताजिये के साथ जुलूस निकलने की अनुमति भी नहीं मिली है।"
उन्होंने बताया, "700 वर्षो से अधिक समय से दरगाह से कुछ ही दूरी पर स्थित इमामबाड़ा में सबसे बड़ा फूलों का ताजिया रखा जाता है। यहां और चार ताजिये रखे जाते हैं। 10वीं मोहर्रम पर दरगाह से ताजियों के साथ छुरी और कमां का मातमी जुलूस निकलता है। नौजवान हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करके अपने बदन से लहू बहाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इन सब पर पाबंदी लगी है। इसलिए इस बार कर्बला में सिर्फ ताजिये का फूल भेजा जाएगा।"
दिल्ली के अलीगंज जोरबाग में शा-ए-मरदान दरगाह व अंजुमन कर्बला कमेटी के सदस्य गौहर असगर कासमी ने बताया, "हर साल मोहर्रम की पहली तारीख से ही मजलिसें शुरू हो जाती हैं। ज्यादा जगहों पर ताजिया भी रख दिए जाते हैं। दस तारीख को लगभग यहां 70 बड़ी ताजियों के साथ जुलूस पहुंचता है। यहां पर ताजियों को दफन किया जाता है। 12 तारीख को तीज पर मातम का जुलूस निकलता है। लेकिन इसबार प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है। सिर्फ इमामबाड़ा में मजलिस का आयोजन हो रहा है। कोरोना वायरस के चलते हो रही मजलिस का सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजन में भाग लेने की अनुमति दी जा रही है।"
उन्होंने बताया, "जोरबाग की कर्बला सबसे पुरानी कर्बला है। यहां तैमूर लंग के शासनकाल से ताजिये रखने का सिलसिला चला आ रहा है। कर्बला में दिल्ली के आखिरी सुल्तान बहादुर शाह जफर की दादी कुदशिया बेगम की भी कब्र है।"
मोहर्रम पर प्रतिवर्ष हिंदू-मुस्लिम एकता भी देखने को मिलती है। हजारों की संख्या में लोग मोहर्रम के मातमी जुलूस में शामिल होने के लिए पहुंचते थे।
हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह से जुड़े मोहम्मद जुहैब निजामी ने बताया, "आसपास के कई हिंदू परिवार भी आस्था के कारण कई वर्षो से ताजिये रखते चले आ रहे हैं। वहीं महरौली का एक हिंदू परिवार तो कई दशकों से ऐसा कर रहा है।"
कोरोना वायरस ने ताजिये के कारोबार से जुड़े लोगो की जिंदगी पर भी असर डाला है। पूरी दिल्ली में हजारों की संख्या में तीजिये बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते लोग अकीदत के लिए ताजिये खरीद नहीं रहे हैं।
मोहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हुसैन की शहादत में गमजदा होकर उन्हें याद करते हैं। शोक के प्रतीक के रूप में इस दिन ताजिये के साथ जूलूस निकालने की परंपरा है। ताजिये का जुलूस इमाम बारगाह से निकलता है और कर्बला में जाकर खत्म होता है।
ताजिये का भारत में इतिहास के बारे में बताया गया है कि इसकी शुरुआत तैमूर लंग के दौर में हुई। ईरान, अफगानिस्तान, इराक और रूस को हराकर भारत पहुंचे तैमूर लंग ने यहां पर मुहम्मद बिन तुगलक को हराकर खुद को शहंशाह बनाया। साल में एक बार मुहर्रम मनाने वह इराक जरूर जाता था। लेकिन एक साल बीमार रहने पर वह मुहर्रम मनाने इराक नहीं जा पाया, दिल्ली में ही मनाया।
तैमूर के इराक नहीं जाने परे उसके दरबारियों ने अपने शहंशाह को खुश करने की योजना बनाई। दरबारियों ने देशभर के बेहतरीन शिल्पकारों को बुलवाया और उन्हें कर्बला में स्थित इमाम हुसैन की कब्र के जैसे ढांचे बनाने का आदेश दिया। बांस और कपड़े की मदद से फूलों से सजाकर कब्र जैसे ढांचे तैयार किए गए और इन्हें ताजिया नाम दिया गया और इन्हें तैमूर के सामने पेश किया गया।
उसके बाद शहंशाह तैमूर को खुश करने के लिए देशभर में ताजिये बनने लगे। ताजिये की यह परंपरा भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में भी चली आ रही है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| महाराष्ट्र के कोल्हापुर में उस समय एक अलग ही घटना देखने को मिला जब पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सीमित ओवरों के उपकप्तान रोहित शर्मा के फैंस आपस में हाथापाई पर उतर आए। उनके इस हरकत को देख पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने उनसे एक दूसरे से झगड़ा नहीं करने की अपील की है। रोहित और धोनी के फैंस अपने-अपने हीरो के पोस्टर लेकर जोश में सड़कों पर निकले थे। जहां धोनी के फैंस उनके संन्यास की खबर के बाद ऐसा कर रहे थे वहीं रोहित के फैंस उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुने जाने का जश्न मना रहे थे।
एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच कुछ अनजान लोगों ने रोहित शर्मा के पोस्टर फाड़ दिए, जिसके बाद दोनों फैंस आपस में भिड़ गए। इसी बीच एक फैन को कुछ लोगों ने खेत में जाकर जमकर पीटा।
सहवाग ने इस घटना पर सभी फैंस से शांति बनाए रखने की अपील की है।
सहवाग ने ट्विटर पर कहा, " क्या करते हो पागलों। खिलाड़ी आपस में एक-दूसरे को बहुत पसंद करते हैं या ज्यादा बात नहीं करते बस काम से काम रखते हैं। पर कुछ फैंस अलग ही लेवल के पागल है। झगड़ा-झगड़ी मत करो। टीम इंडिया को एक टीम के तौर पर याद रखो।"
रोहित ने धोनी की कप्तानी में ही अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरूआत की थी। रोहित ने हाल में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले धोनी की तारीफ की थी
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| बंटी सजदेह की कॉर्नरस्टोन स्पोर्ट एंड मैनेजमेंट कंपनी जहां दिशा सालियान ने अपनी रहस्यमयी मौत से पहले एक मैनेजर के रूप में काम किया था, जिसमें भारत के क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और उनकी टीम के कई साथियों के अलावा अन्य खेलों के बड़े सितारों के नाम शामिल हैं। दिशा दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मैनेजर थीं और दोनों की जून में रहस्यमय तरीके सें मौत हो जाती है। वह कॉर्नरस्टोन के साथ काम करती थीं, जिसके माध्यम से वह सुशांत के संपर्क में आई थीं।
कंपनी के वेबसाइट के अनुसार कॉर्नरस्टोन नए युग का स्पोर्ट और इटरटेनमेंट कंसल्टेंसी है।
वेबसाइट में लिखा है कि कॉर्नरस्टोन 2008 में स्थापित किया गया है, जो खेल और मनोरंजन के क्षेत्र में भारत की अग्रणी प्रतिभा प्रबंधन एजेंसी है।
वेबसाइट में लिखा है, "हम सेलिब्रिटी एसोसिएशन, स्पॉन्सरशिप, आईपी डेवलपमेंट और एफिलिएशन के साथ-साथ ब्रांड एक्टिविटीज से लेकर यूनिक और डिफरेंट सॉल्यूशंस देने के लिए ब्रांड्स के साथ काम करते हैं।"
सीएसई कंसल्टिंग एलएलपी, कॉर्नरस्टोन का ही चेन है, जो एक फूल सर्विस लाइसेंसिंग और न्यू-मीडिया मार्केटिंग एजेंसी है, जिसका फोकस स्पोर्ट और इटरटेनमेंट क्षेत्र में है।
वेबसाइट में बंटी सजदेह, जो कॉर्नरस्टोन के सीईओ हैं उनका विवरण कुछ इस प्रकार लिखा है, 'कॉर्नरस्टोन' के शीर्ष पर बंटी सजदेह हैं, 'द किंग ऑफ 7 स्टेट्स'। हालांकि अपनी यह पता नहीं चल पाया है कि उन्हें 'द किंग ऑफ 7 स्टेट्स' क्यों कहा जाता है।
कॉर्नरस्टोन में सबसे प्रमुख स्पोर्ट्स नाम में विराट कोहली और उनकी टीम , केएल राहुल, उमेश यादव, रवींद्र जडेजा, युवराज सिंह, कुलदीप यादव, ऋषभ पंत, और शुभमन गिल के नाम शामिल हैं। वहीं अन्य स्पोर्ट्स में टेनिस स्टार सानिया मिर्जा, स्क्वैश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल, पेशेवर गोल्फर शर्मिला निकोलेट, महिला कुश्ती स्टार विनेश फोगाट आदि के नाम शामिल हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 अगस्त। प्रदेश में आज रात 8.45 बजे तक 557 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सर्वाधिक रायपुर जिले से 215 पॉजिटिव हैं। इसके बाद रायगढ़ 64, जांजगीर-चांपा 48, राजनांदगांव 41, बिलासपुर 35, दुर्ग 28, बस्तर 17, महासमुंद 15, कोरिया 13, जशपुर व कांकेर 10-10, बालोद 8, कोरबाव कोण्डागांव 7-7, बलौदाबाजार, सरगुजा व सूरजपुर 6-6, नारायणपुर 5, गरियाबंद व सुकमा 4-4, मुंगेली व दंतेवाड़ा 2-2, धमतरी, जीपीएम, बीजापुर व अन्य राज्य 1-1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 अगस्त। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को अपने जन्मदिन पर वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए अपने शुभचिंतकों और प्रशंसकों से रूबरू होकर उनसे शुभकामनाएं स्वीकार की और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया। कांग्रेस के कई मंत्रियों-नेताओं ने सीएम से मुलाकात उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान विभिन्न जिलों में वर्षा की स्थिति और खरीफ फसलों की स्थिति के बारे में जानकारी भी ली।
वीडियो कॉफ्रेंस के दौरान जनप्रतिनिधियों ने केक काटकर, गुलदस्ते के साथ मुख्यमंत्री को जन्मदिन की बधाई दी। सुकमा जिले और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही सहित विभिन्ना जिले के जनप्रतिनिधियों ने केक काटा। मस्तूरी के पूर्व विधायक दिलीप लहरिया ने छत्तीसगढ़ी गीत ’जय हो छत्तीसगढ़ महतारी, तोर हवय चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी’ गीत गा कर मुख्यमंत्री को बधाई और शुभकामनाएं दी। कोटा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि वे लोग मुख्यमंत्री श्री बघेल का जन्मदिन किसान दिवस के रूप में मना रहे हैं। मालखरौदा के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि आज के दिन मालखरौदा में सात हजार पौधों का रोपण किया गया है। महासमुंद में जनप्रतिनिधियों ने 65 कोरोना वारियर्स को सम्मानित किया। रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय ने मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर हवन कराया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के जनप्रतिनिधियों से वहां बाढ़ की स्थिति की जानकारी भी ली और उनसे कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को स्कूल और पंचायत भवनों में सुरक्षित रखने और उनके भोजन की व्यवस्था की जाए। उन्हें आवश्यक होने पर उपचार की सुविधा भी दी जाए। मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों के प्रतिनिधियों को चर्चा के दौरान तीजा, गणेश चतुर्थी, नुआखाई पर्व की बधाई दी।
उन्होंने कहा कि बस्तर में कोरोना से बहुत बेहतर ढंग से लड़ाई लड़ी गई है। अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है। इससे बचाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि 20 अगस्त को राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना की राशि किसानों और पशुपालकों को दी गई है। इससे कृषि कार्यो में मदद मिलेगी और त्यौहारों के समय खर्च की व्यवस्था भी हो सकेगी।
बिलासपुर जिले के जनप्रतिनिधियों ने अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण के गठन और नगर निगम बिलासपुर की सीमा बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। नवगठित गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के जनप्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि अरपा महोत्सव का आयोजन अब इस नवगठित जिले में किया जाएगा।
मरवाही में स्वर्गीय बिसाहूदास महंत के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय खोला जाएगा। जांजगीर-चांपा जिले के जनप्रतिनिधियों ने वहां यूरिया खाद की कमी की जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को अधिक कीमत में खाद मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूरिया खाद की कालाबाजारी करने वालों की यदि जानकारी है तो जिला प्रशासन को दे। कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश में यूरिया की कमी नहीं है। किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया खाद मिलेगी।
मुंगेली जिले के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि जिले के तीन विकासखण्डों पथरिया, लोरमी और मुंगेली के कुछ गांवों में अतिवृष्टि से फसल और घरों को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर के माध्यम से ऐसे गांवों का जल्द सर्वे कराकर फसल और घरों को हुए नुकसान का मुआवजा संबंधित लोगों को किया जाएगा। पाटन के जनप्रतिनिधियों ने मोबाइल फोन पर मुख्यमंत्री जन्मदिन की बधाई दी। मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखण्ड के जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर वहां सिंचाई डेम के लिए सर्वे कराने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री निवास में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिय़ा, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, लोकसभा सांसद दीपक बैज, राज्यसभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, संसदीय सचिव शकुन्तला साहू, श्रीमती अंबिका सिंह देव, डॉ. श्रीमती लक्ष्मी ध्रुव, श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा, नगर निगम रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर, सभापति प्रमोद दुबे, राज्य खाद्य आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा, रूचिर गर्ग और राजेश तिवारी सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री बघेल से मुलाकात कर उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं दी।
-सुसान चाको, ललित मौर्या
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त, 2020 को दिए अपने आदेश में साफ कर दिया है कि देश में कोरोनावायरस से निपटने के लिए अलग से नई राष्ट्रीय नीति बनाने की जरुरत नहीं है। कोर्ट इस मामले में सरकार को नई राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाने और उसे लागु करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पहले ही अलग-अलग आदेशों के अनुरूप 2019 में एक राष्ट्रीय योजना पहले ही लागु की जा चुकी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है। यह जनहित याचिका कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दायर की गई थी। जिसमें कोरोनावायरस से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक नई योजना तैयार, अधिसूचित और लागू करने की मांग की गई थी।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने इस महामारी से निपटने और जरुरी मदद देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के उपयोग की भी मांग की थी। इसके साथ ही यह भी मांग की गई थी कि सभी व्यक्तियों/ संस्थानों से जो भी अंशदान और अनुदान कोविड-19 से निपटने के लिए दिया जा रहा है उसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में जमा कराया जाए। साथ ही अब तक इस उद्देश्य के लिए जो फण्ड पीएम केयर में डाला गया है उसे भी राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में जमा कराया जाए। कोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की इस मांग को अस्वीकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष और पीएम केयर दो अलग तरह के फण्ड हैं, जिनके उद्देश्य भी अलग हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार महामारी से लड़ने में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष का बहुत बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही है। इसमें नए दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्यों के अनुरोध पर फंड जारी किया जा रहा है।
आदेश के अनुसार पीएम केयर फंड एक अलग तरह का फण्ड है जोकि एक तरह का सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट है।
देश में 30 लाख से ज्यादा हो चुके हैं मामले
भारत ही नहीं दुनिया भर के सामने कोरोनावायरस एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह बीमारी दुनिया भर में 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। अकेले भारत में इसके 30,44,940 मामले सामने आ चुके हैं। इस संक्रमण से अब तक 56,706 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 69,239 नए मामले सामने आये हैं और 912 लोगों की मौत हुई। जबकि देश भर में 22,80,565 मरीज ठीक हो चुके हैं।
यदि राज्यस्तर पर देखें तो अब तक महाराष्ट्र में इसके 671,942 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 480,114 ठीक हो चुके हैं। जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहां अब तक 373,410 मामले सामने आ चुके हैं। तीसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है, जहां अब तक 345,216 मामले सामने आ चुके हैं। कर्नाटक में 271,876, उत्तरप्रदेश में 182,453, दिल्ली 160,016, पश्चिम बंगाल में 135,596, बिहार में 119,529, तेलंगाना में 104,249, असम में 89,468 जबकि गुजरात में भी अब तक संक्रमण के करीब 85,523 मामले सामने आ चुके हैं। (downtoearth)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 अगस्त। प्रदेश में आज शाम 7 बजे तक 494 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये आंकड़े केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के हैं। राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने इसी समय तक 150 कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि की है।
आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक आज के 494 में से 215 अकेले रायपुर जिले के हैं। इसके अलावा रायगढ़ 44, बिलासपुर 41, जांजगीर-चांपा 40, कांकेर 36, राजनांदगांव 20, बस्तर 15, महासमुंद 15, दुर्ग 9, बीजापुर 8, कोरबा 8, बालोद 6, बलौदाबाजार 6, मुंगेली 6, नारायणपुर 6, बेमेतरा 5, जशपुर 4, सरगुजा 4, गरियाबंद 3, सुकमा 2, धमतरी 1 पॉजिटिव मिले हैं।
राज्य शासन के आंकड़ों के मुताबिक 150 पॉजिटिव में से 77 अकेले रायपुर जिले के हैं, रायगढ़ 21, राजनांदगांव 20, महासमुंद 8, बिलासपुर 7, बालोद 5, कोरबा 3, और मुंगेली 2 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के आंकड़े शाम को आईसीएमआर के आंकड़ों से पीछे रहते हैं, लेकिन फिर वे रात तक न सिर्फ बराबर आ जाते हैं बल्कि आईसीएमआर से आगे भी निकल जाते हैं।
-रश्मि सहगल
कोविड-19 महामारी डैने फैलाकर बढ़ रही है। इसकी रफ्तार ऐसी है कि कोई आश्चर्य नहीं कि इससे संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में भारत अमेरिका को पछाड़कर पहले नंबर पर पहुंच जाए। संक्रमण की स्थिति की पहचान और इससे बचाव के लिए 2 अप्रैल को आरोग्य सेतु ऐप की घोषणा की गई थी। 2 अप्रैल को जब इसकी घोषणा की गई, वह पहले लॉकडाउन का नौवां दिन था। उस वक्त कोविड-19 के मामले काफी कम थे और अधिकांश लोगों को भरोसा था कि कुछ ही हफ्तों में इसकी बढ़ने की रफ्तार पर हम काबू पा लेंगे।
हमें बताया गया था कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के खयाल से आरोग्य सेतु ऐप महत्वपूर्ण कदम होगा- इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति के आसपास आने या होने पर सतर्क करने वाली सूचना मिल जाएगी। इस ऐप ने इस कदर आशा जगाई थी कि सिर्फ 13 दिनों के रिकॉर्ड समय में इसे पांच करोड़ लोगों ने डाउनलोड कर लिया था। यह पूरी दुनिया में डाउनलोड किया गया सबसे तेज ऐप बन गया। लगभग दस करोड़ लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं।
कोविड-19 से निबटने में टेक्नोलॉजी और डाटा प्रबंधन के मामलों की देखरेख करने वाले समूह 9 के चेयरमैन के तत्वावधान में 12 मई को हुई प्रेस मीट में एक अधिकारी ने बताया कि यह मोबाइल ऐप्लीकेशन संक्रमित व्यक्ति के आसपास होने की वजह से संक्रमण के संभावित खतरे को लेकर लगभग 1.4 लाख लोगों को चेतावनी दे चुका है और इसने देश में करीब 700 हॉटस्पॉट को लेकर सूचना जुटाने में मदद की है। आरोग्य सेतु आपके फोन के ब्लूटूथ और लोकेशन डेटा का उपयोग करते हुए आपको संक्रमण के पहचाने जा चुके मामलों के डाटाबेस को स्कैन कर बताता है कि आप कोविड-19 वाले किसी व्यक्ति के आसपास हैं या नहीं। फिर, ये आंकड़े सरकार को दिए जाते हैं।
कई विशेषज्ञों ने इस बारे में चेताया है कि कोविड-19 के नए मामलों का पता लगाने के खयाल से ब्लूटूथ एप्लीकेशन किस तरह बेकार है। फिर भी, सरकार ने इस बात पर जोर देते हुए इसे आगे बढ़ाया कि अगर कोई व्यक्ति पिछले दो हफ्तों में कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया है, तो यह ऐप संक्रमण और निकटता के खतरे की गणना कर सकता है और वह इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति को सलाह दे सकता है कि वह संक्रमण से किस तरह बचे। कुछ अन्य विशेषज्ञ सवाल उठाते हैं कि आखिर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी टेक्नोलॉजी डाउनलोड करने का अनुरोध क्यों किया जिसकी क्षमता को लेकर पूरी तरह प्रामाणिकता सिद्ध नहीं है। फिजीशियन और हार्वर्ड में मानवाधिकारों के लिए एफएक्सबी सेंटर के फेलो डॉ. सचित बल्सारी का कहना है कि अधिकांश देशों ने पाया है कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग वाले ऐप काम नहीं करते और उन्होंने इसे वापस ले लिया है। वह कहते हैं कि ‘पारंपरिक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बहुत कठिन है इसलिए इसका वैसी टेक्नोलॉजी के साथ संवर्धन करना होगा जो वैध हैं। लेकिन इस किस्म का सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप तब ही बढ़ाया जाना चाहिए जब टेक्नोलॉजी विधि मान्य हो।’
दरअसल, ये ऐप यूनिवर्सिटी कैंपस जैसे अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रों में काफी ज्यादा संख्यावाले स्मार्टफोन वाली आबादी में कुछ भूमिका निभाने वाले पाए गए हैं। लेकिन ज्यादा बड़े क्षेत्र में उनकी क्षमता कई तरह की चीजों पर निर्भर करती है। यह बिल्कुल सटीकता के साथ गतिविधि को पकड़ने की संवेदनशीलता पर निर्भर है। यह ऐप किसी शॉपिंग मॉल के दो छोरों या किसी दीवार के दोनों तरफ के लोगों के भी विवरण पकड़ पाने में असमर्थ पाया गया है। यह उन नाजुक फर्क को पकड़ने में भी सक्षम नहीं है कि कोविड-19 वायरस कैसे फैलता है।
और तब भी, कन्टेनमेंट जोन में रहने वाले लोगों तथा सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य बना दिया गया है। नोएडा में इसे डाउनलोड करना अनिवार्य है और जो ऐसा नहीं करते, उन्हें छह माह की जेल हो सकती है। जोमैटो और स्विगी-जैसे खाना पहुंचाने वाले स्टार्ट-अप ने भी इसे अनिवार्य कर दिया है। हवाई और ट्रेन यात्रा करने वालों के लिए भी यह अनिवार्य है। हाल में दिल्ली से अहमदाबाद जाने और वहां से वापस हवाई यात्रा करने वाली गुड़गांव की एक होम मेकर मिन्नी मेहता ने बताया, ‘जब आप एयरपोर्ट में प्रवेश करते हैं और जब वहां सिक्योरिटी चेक करवाने जाते हैं- दोनों ही अवसरों पर आपको अपना ऐप दिखाना पडता है, अन्यथा आपको आगे जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।’ उन्होंने बताया कि ‘जब मैं हवाई अड्डेपर थी, तो ऐप ने मुझे बताया कि 'आप किसी संक्रमित व्यक्ति के पास नहीं हैं।’ जब मैं अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंची, तब भी मुझ उसी तरह का संदेश मिला।’
कई लोगों ने इसे एक्टिवेट किए बिना भी इसे डाउनलोड कर लिया है। उद्यमी तृप्ति जोशी ने बताया कि 'मैंने इसे डाउनलोड कर लिया है क्योंकि मुझे कम समय के नोटिस पर यात्रा करनी पड़ती है। लेकिन मैंने अपने ऐप को एक्टिवेट नहीं किया है क्योंकि मुझे इसके कुछ फीचर्स बहुत ही आक्रामक लगते हैं।’
इस ऐप को लेकर कुछ अन्य चीजें हैं जिनसे संदेह पैदा हो रहे हैं। भारत की आबादी का 70 फीसदी से ज्यादा बड़े हिस्से के पास स्मार्टफोन नहीं हैं और इसलिए वे लोग इस ऐप को डाउनलोड करने की हालत में नहीं हैं। एक बिजनेस मैन ने कहा कि ‘रेलवे पहले 16,000 ट्रेन चला रही थी। सरकार इस वक्त महज 260 ट्रेन चला रही है। यह भी चलेगी या नहीं, इसका तब की स्थिति पर फैसला होता है। ऐसे में, इस बड़ी आबादी की ट्रेन यात्रा फिलहाल दूर की कौड़ी ही है।’ और इसलिए उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलनी है।
कोई व्यक्ति कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता है, तो इस ऐप में यह सूचना डाल दी जाती है। लेकिन वैसे लक्षणहीन (एसिम्पटोमैटिक) लोगों का क्या जिन्हें खुद भी पता नहीं है कि वे संक्रमित और वायरस के कैरियर हैं? उनकी केस हिस्ट्री इस ऐप में दर्ज नहीं होगी और वे संक्रमण फैलाते रहेंगे। सवाल यह भी है कि अगर ऐप आधारित कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के परिणाम इतने ही असाधारण थे, तो सरकार टेस्टिंग को लगातार बढ़ाने पर क्यों जोर देती रही है। अभी 17 अगस्त को एक ही दिन में नौ लाख लोगों के टेस्ट किए गए और स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इनकी संख्या और बढ़ानी होगी।
गुड़गांव में कोलम्बिया एशिया अस्पताल के प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोनिक मेहता दावा करते हैं कि इस ऐप का एक मात्र लाभ यह है कि यह हमारे बिल्कुल आसपास के इलाके को लेकर हमें कुछ जानकारी देता है। वह कहते हैं, ‘अभी के हाल में यह एकमात्र ऐप है जिसे सरकार या कोई प्राइवेट ऑपरेटर कुछ नया लेकर सामने आया है।’
भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसने करोड़ों लोगों के लिए कोराना वायरस ट्रैकिंग ऐप को अनिवार्य बनाया है। वह भी ऐसे समय में जब हमारे यहां कोई राष्ट्रीय डेटा प्राइवेसी कानून नहीं है और यह भी साफ नहीं है कि इस ऐप से किसे और किन स्थितियों में डाटा एक्सेस करने का अधिकार है। इस वक्त, डेटा को एक्सेस करने या उसका उपयोग करने को लेकर कोई कड़ी, पारदर्शी नीतिया डिजाइन सीमाएं भी नहीं हैं। यह बात कई नागरिक अधिकार विशेषज्ञ रेखांकित कर चुके हैं। कई लोगों ने यह भी कहा है कि इसका कोड ओपन सोर्स नहीं है और सरकार जो कुछ कह रही है, उसमें कई झोल लगते हैं।
यह प्रमुख सवाल भी विशेषज्ञ भी उठाते हैं कि टेक्नोक्रेट्स की टीम कौन-सी है जिसने यह दावा करते हुए प्रधानमंत्री को गुमराह किया है कि यह महामारी के नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाएगा जबकि ऐसा है नहीं। (navjivan)
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में बगावत झेल चुकी 'दिशाविहीन' कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से नेतृत्व का मुद्दा चर्चाओं में है। पिछले चुनाव के बाद से पार्टी ऑटो पायलट मोड पर चल रही है। पार्टी के कई नेता ये सवाल पूछ रहे हैं कि पार्टी का बॉस कौन है - सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा? कोई स्पष्टता नहीं होने से कांग्रेस नेता अब खुल कर नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले साल नेतृत्व के मुद्दे पर टकराव के बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया ताकि पार्टी में यथास्थिति बनी रहे। उसके बाद से नए नेतृत्व का चुनाव अब तक नहीं हो पाया है। वहीं, सं भावित उम्मीदवार को लेकर अनौपचारिक रूप स पार्टी के अंदर बातचीत होती रही, लेकिन हुआ कुछ नहीं। क्या इस बार भी ऐसा ही होगा? क्या फिर पार्टी में यथास्थिति बनी रहेगी?
पिछली बार चर्चा थी कि पार्टी में एक कार्यकारी अध्यक्ष होगा और क्षेत्रीय स्तर पर उपाध्यक्ष होंगे जो पार्टी में जान फूंकने का काम करेंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि पार्टी 'फैमिली फस्ट' सोच का शिकार हो गई।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए जो नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी नाम शामिल है जो सचिन पायलट की बगावत झेल चुके हैं। गहलोत के पास संगठन का अनुभव भी है। इसके अलावा कमल नाथ हैं, जनकी अग्निपरीक्षा मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में होगी। रेस में पिछली लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, हरियाणा के भूपिंदर हुड्डा और मनीष तिवारी भी हैं।
जानकारों का मानना है कि पार्टी में अब गैर गांधी परिवार के नेता के अध्यक्ष पद बनने का वक्त आ गया है। ये बात इससे भी साफ हो जाती है कि राहुल गांधी ने ही 2019 चुनाव में हार के बाद इसके लिए मांग की थी।
पार्टी के संगठन को मजबूत करना और चुनाव के जरिए पार्टी के पदों पर नियुक्ति एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए गहलोत की क्षमता को नकारा नहीं जा सकता। गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने तक पार्टी के महासचिव (संगठन) थे।
अगर गहलोत अध्यक्ष बनते हैं तो सचिन पायलट के लिए राजस्थान में रास्ता साफ हो सकता है। गहलोत को अहमद पटेल और राहुल गांधी दोनों नेताओं का समर्थन प्राप्त है और वो एक सबकी सहमति से बनने वाले अध्यक्ष हो सकते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ और यथा स्थिति बनी रही तो 'फैमिली फस्ट' वाली सोच फिर से हावी हो सकती है।
आने वाले समय में बिहार में चुनाव हैं उसके बाद पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में मतदान। देश की सबसे पुरानी पार्टी दिशाहीन फिलहाल बनी हुई है और के रल, पंजाब और असम को छोड़ कर देश के अन्य भागों में इसकी उपस्थिति न के बराबर है।
लोकतंत्र में एक मजबूत विपक्ष का होना भी उतना ही जरूरी है। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष पद बनने से इनकार करने के बाद कांग्रेस पार्टी 'सस्पेंडेंड एनीमेशन' में है। अब वक्त आ गया है कि पार्टी खुद अपने अंदर लोकतंत्र को जीवित करे और 'फैमिली फस्ट' की मानसिकता से बाहर निकले। अगर इस साल भी ऐसा ही हुआ, जैसा पिछले साल हुआ था तो पार्टी और कमजोर हो सकती है।
बीजिंग, 23 अगस्त (आईएएनएस)| विश्व बैंक के महानिदेशक डेविड मालपास ने हाल ही में यह चेतावनी दी कि कोविड-19 महामारी से 10 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी में वापस लौट सकते हैं। इससे पहले विश्व बैंक ने यह अनुमान लगाया कि कोविड-19 महामारी से 6 करोड़ लोग अति गरीबी की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन नए अनुमान के अनुसार यह स्थिति बिगड़ रही है। 7 करोड़ से 10 करोड़ तक लोग अत्यधिक गरीबी में कैद हो जाएंगे।
मालपास ने कहा कि अगर महामारी की स्थिति गंभीर होती है तो इस संख्या के बढ़ने की संभावना है।
विश्व बैंक ने यह वचन दिया कि आपात स्थितियों का मुकाबला करने के लिए 2021 के जून तक 100 देशों को 1 करोड़ 60 लाख अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाई जाएगी। इस वर्ष के जून के अंत तक विश्व बैंक ने 21 लाख अमेरिकी डॉलर की पूंजी लगाई।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
बेंगलुरू, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भगोड़े स्वंयभू बाबा नित्यानंद का उद्देश्य 'रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा' के बाद अब छह माह में एक हिंदू संसद के निर्माण का है। उन्होंने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से कहा, "गणपति के आशीर्वाद से, हम हिंदू धर्म आधारित संगठनों के प्रशासन के लिए एक मॉडल सरकार स्थापित करने के लिए एक हिंदू संसद स्थापित करना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा, "संसद को स्थापित करने में छह माह का वक्त लग सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि जनवरी तक यह कार्य पूरा हो जाएगा।"
हिंदू संसद में पांच संस्थाओं का गठन होगा, जिनमें चित सभा, राजा सभा, देव सभा, कांगा सभा और नित्यानंद सभा रहेंगी।
ये सभी पांच संस्थाएं उस तरह से होंगे, जिसके बारे में 'परमशिव' ने वेदों और 'आगमशास्त्रों' में कहा है।
चित सभा चेतना आधारित आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान पेश करेगी, जो सभी हिंदू प्रतिनिधियों, प्रबुद्ध स्वामी, गुरु और अन्य लोगों का स्वागत करती है, जो स्वेच्छा से संसद के विनम्र अनुरोध और निमंत्रण को स्वीकार करती है।
यह साथ ही हिंदू आशीर्वाद प्रणाली पेश करेगी।
राजा सभा एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सेटअप होगी, जो देशों के हिंदू नेताओं, सहानुभूति रखने वाले और हिंदू सिद्धांतों की सराहना करने वाले राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित करेगी।
उन्होंने कहा, "जो इन सिद्धांतों को कई देशों में राजनीतिक स्तर पर कार्यात्मक बना सकती है।"
जबकि हिंदू देव सभा व्यक्तियों के लिए एक थिंक टैंक है, जो वेदों, इतिहास, पुराणों और आगामों में निहित उच्चतम हिंदू प्रशासनिक सिद्धांतों पर रहने के लिए दूसरों को प्रेरित करती है।
कांगा सभा हिंदू अस्तित्व के विकास से संबंधित संघटित सिद्धांतों के समूह के साथ एक इकाई है।
उन्होंने कहा, "इसमें इंसान की समृद्धि से संबंधित व्यक्तियों और महत्वपूर्ण नेताओं को शामिल किया जाएगा, जिसमें जीवनशैली, धनराशि, अनाज, ईंधन, बिजली जैसे विभिन्न आवश्यक संसाधन शामिल हैं।"
कांगा सभा का उद्देश्य इन सूचनाओं को एकत्रित करना और इसे बाहर की दुनिया में शेयर करना है।
उन्होंने कहा, "नित्यानंद सभा, एक जिम्मेदार लोकतांत्रिक सभा है जिसमें उन व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा, जो महाकालीसा के प्रशासन को सुव्यवस्थित करेंगे, जो स्वयं विज्ञान के साथ दुनिया की समृद्धि को अनुभव करते हैं।"
इन पांच सभाओं के संगम को नित्यानंद हिंदू संसद बता रहे हैं।
प्रत्येक सभा में 1,008 सदस्यों की क्षमता होगी।
दुष्कर्म के आरोपी बाबा ने कहा, "छह माह के अंदर, हम सदस्यों के नाम, संरचना, इसके सिद्धांत व नीतियों के नाम जारी कर देंगे।"
रविवार को रात 7.30 बजे, वह संसद की योजना के बारे में नित्यानंदा डॉट टीवी पर बताएंगे।
इसबीच, उन्होंने कैलासा के लिए मुफ्त में ई-सिटीजनशिप लांच किया है। साथ ही उन्होंने मुफ्त में ई-पासपोर्ट की भी पेशकश की है।
शनिवार को स्वयंभू बाबा ने रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा की करेंसी पेश की थी, जिसमें भगवान गणेश के पांव की तस्वीर है।
माना जाता है कि दुष्कर्म का आरोपी आधात्मिक गुरु अक्टूबर 2019 में भारत से भाग गया था।
दिसंबर 2019 में, नित्यानंद ने घोषणा की थी कि उसने अपने हिंदू देश कैलासा की नींव रख दी है।
लॉस एंजेलिस, 23 अगस्त (आईएएनएस) फिल्मकार जेम्स गुन ने अपने 'सुसाइड स्क्वाड' का परिचय एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से कराया। साथ ही कहा कि यह फिल्म अब तक बनी किसी भी अन्य सुपर हीरो फिल्म से बहुत अलग होगी। गुन की 'सुसाइड स्क्वाड' की दुनिया के पहले नजारे का अनावरण वर्चुअल डीसी फैंडम के माध्यम से किया गया। इसे 1970 के दशक की युद्ध फिल्म के रूप में वर्णित किया जा रहा है।
गुन ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा, "स्टूडियो फिल्म से बहुत अधिक खुश है। एक्शन बेहतरीन है। यह अपने उचित समय पर मजेदार और नाटकीय दोनों ही है।"
उन्होंने फिल्म के पोस्ट-प्रोडक्शन की प्रक्रिया पर भी अपडेट साझा किया, जिसे उन्होंने 'अब तक की सबसे मजेदार फिल्म' बताया।
फिल्मकार ने कहा, "यह अब तक की बनी किसी भी सुपरहीरो फिल्म से अलग है।"
गुन ने वर्चुअल कार्यक्रम में कलाकारों द्वारा निभाए जा रहे भूमिकाओं की भी जानकारी दी।
क्लिप के माध्यम से यह जानकारी मिली की जॉन सीना पेसमेकर की भूमिका निभा रहे हैं जबकि एदरिस एल्बा ब्लड्सपोर्ट की भूमिका में हैं।
फिल्म में मार्गोट रोबी हार्ली क्विन के रूप में अपनी भूमिका फिर से निभाएंगी। वहीं वायोला डेविस (अमांडा वालर के रूप में), जोएल किन्नमन (रिक फ्लैग) और जय कोर्टनी (कप्तान बूमरैंग) भी फिल्म में शामिल हैं।
मुंबई, 23 अगस्त (आईएएनएस) फिल्मकार महेश भट्ट और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की व्हाट्सएप पर हुई बातचीत लीक होने के बाद अभिनेत्री सोनी राजदान और पूजा भट्ट को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है। महेश भट्ट की पत्नी सोनी और बड़ी बेटी पूजा ने फिल्मकार का बचाव करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। सोनी और पूजा ने कहा कि महेश द्वारा रिया को फॉरवॉर्ड मैसेज उन्हें भी भेजा गया था और साथ ही फिल्मकार की संपर्क सूची में शामिल कई अन्य लोगों को भी भेजा गया था।
पूजा ने ट्वीट में कहा, "दिलचस्प बात यह है कि यह मैसेज जिसे 'सबसे विस्फोटक रहस्योद्घाटन' माना जा रहा है, उसे मेरे पिता ने मुझे और अपने फोन की लिस्ट के अनगिनत अन्य लोगों को उसी दिन (9 जून) भेजा और बाद में (26-6-2020) ट्विटर पर भी पोस्ट किया। अपनी जानकारी थोड़ी ठीक करें।"
सोनी ने साझा किया, "हां सच में। यह रहा मेरा। हमें वह रोज मिलते हैं। समाचार चैनल वास्तव में हमें मनगढ़ंत स्पिन-ऑफ की बजाय वास्तविक समाचार कब देंगे। लगता है कि ज्यादातर स्टारडस्ट और सिने ब्लिट्ज के सर्वाधिक भद्दे संस्करण में परिवर्तित हो गए हैं।"
बीते 10 जून को महेश ने रिया को एक फॉरवॉर्डेड तस्वीर और पंक्ति भेजी थी, जिसमें लिखा था "कभी-कभी वास्तव में उन चीजों को उसी तरह से देखना चाहिए, जैसे वे हैं, आपको एक कदम पीछे लेना होगा, और एक और कदम, और फिर कुछ और कदम।" इस पर रिया ने जवाब दिया था, "सच में। अभी भी मैं अपना ²ष्टिकोण वापस पाने की राह पर हूं। गुड मॉनिर्ंग।"
वहीं 12 जून को महेश ने अन्य मैसेज भेजा, "अकेलापन व्यक्तिगत रचनात्मकता के बीज को पोषित करने और स्वंय के वास्तविक संस्करण को पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"
वहीं 14 जून को सुशांत की मौत होने वाले दिन रिया ने महेश भट्ट को सुबह 9.35 पर मैसेज किया, "गुड मॉनिर्ंग सर। आप व्हाट्सएप पर जो सुबह पंक्तियां भेजते हैं, मैं उसमें अपने हिस्से की उर्जा की मांग करती हूं। बस इतना ही, लव यू।"
इस पर महेश भट्ट ने प्रतिक्रिया दी, "हवाओं से भरे आकाश में भावनाएं बादलों की तरह आते-जाते रहते हैं। सचेतन सांसे, मेरा सहारा है।"
इसके बाद महेश ने फिर मैसेज किया, "लव यू बच्चे।"
जिसपर रिया ने जवाब दिया, "लव यू सर, माई एंजल।"
वहीं 14 जून को दोपहर में 2.35 बजे महेश ने रिया को मैसेज किया, "मुझे फोन करो।"
हालांकि, उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और उन्होंने रिया को व्हाट्सएप पर करीब 4 और 5 बजे दो बार कॉल किया।
हालांकि सोनी ने अपने कमेंट सेक्शन को प्रतिबंधित कर दिया है, वहीं पूजा को अपने पिता का बचाव करने पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
एक यूजर ने लिखा, "सिर्फ एक सवाल है, जब आपके पिता ने कुछ भी नहीं किया है तो आप इतने स्पष्टीकरण क्यों दे रही हैं। बस शांत रहें और सीबीआई को अपना काम करने दें। सत्य कभी अपना बचाव नहीं करता। इसलिए थोड़ा धैर्य रखें।"
अन्य ने लिखा, "आप एक बड़ी फॉलोवर जान पड़ती हैं। आप अवसाद के प्रति उनके एक्सन को कैसे समझाएंगी, जो एसएसआर के खिलाफ साजिशन रची गई थी। आप उन्हें पसंद इसलिए करती हैं, क्योंकि आप सिक्के के दूसरे पक्ष को नहीं देखती हैं।"
अन्य ने लिखा, "वह वक्त आ गया है जब तुम जेल में अपने पिता की तथाकथित लड़की रिया के साथ उनको देखोगी। हम जनता उनकी लाइफटाइम फिल्म को निर्देशित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की उम्मीद कर रहे हैं . इसके लिए तैयार रहें।"
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस कार्य समिति (सी डब्ल्यू सी) की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले पार्टी के कई नेताओं का लिखा हुआ एक पत्र सामने आया है जिसमें पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन और सुधार करने की मांग की गई है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के पार्टी का नेतृत्व संभालने को लेकर कोई चुनौती नहीं है, लेकिन अगर कोई दूसरा नेता अध्यक्ष पद की दावेदारी पेश करता है तो पार्टी में जबरदस्त घमासाम मच सकता है। बता दें कि राहुल गांधी पहले ही पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि राहुल गांधी पार्टी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल का नाम आगे कर सकते हैं। इसलिए हर नेता अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। लेकिन अगर कार्य समिति चुनाव कराने पर फैसला लेती है तो बात वहीं खत्म हो सकती है। इस बीच पता चला है कि कांग्रेस के बड़े नेता असंतुष्टों से बात करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
राज्य सभा सांसद पी.एल. पुनिया ने कहा, हम राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग करते हैं। पार्टी के दूसरे गुट की भी यही राय है।
कांग्रेस पार्टी से निलंबित प्रवक्ता संजय झा ने कहा, करीब 300 कांग्रेसी नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। ये नेता देश के हर कोने से हैं। लेकिन सिर्फ 23 नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।
कांग्रेस ने पहले किसी भी पत्र से इनकार किया था लेकिन अब 20 नेताओं के हस्ताक्षर का पत्र सामने आ रहा है।
पत्र में भाजपा के उत्थान पर चिंता जताई गई है और पार्टी के लिए एक फुल-टाइम अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की गई है। पिछले साल के अगस्त महीने से ही सोनिया गांधी पार्टीी की अंतरिम अध्यक्ष पद पर हैं।
पत्र में ये भी कहा गया है कि देश आर्थिक संकट, कोरोना महामारी और चीन से सीमा विवाद के संकट से जूझ रहा है। इन नेताओं का कहना है कि कार्य समिति से लेकर पार्टी के दसूरे सभी पदों के लिए चुनाव होने चाहिए। इसके साथ ही पार्लियामेंट्री बोर्ड को भी फिर से जीवित किया जाना चाहिए।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रमुख हैं -- गुलाम नबी आजाद, आनन्द शर्मा, भूपिन्दर सिंह हूडा, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चौहान आदि।
पत्र में कहा गया है कि हार पर पश्चाताप करने के बजाय पार्टी आगे का एजेंडा सेट करे और भाजपा को घेरने के लिए एक नई रणनीति बनाए। इसके अलावा राज्यों में नेतृत्व को और ज्यादा स्वतंत्रता देने की मांग की गई है।
सूत्रों के मुताबिक पत्र में सोनिया गांधी के कामकाज की भी तारीफ की गई है।
पत्र में कहा गया है कि पार्टी लगातार नीचे की ओर जा रही है और भाजपा से लड़ने में विफल साबित हो रही है।
सोमवार को होने वाली कार्य समिति की बैठक में पार्टी सभी मुद्दों पर खुल कर चर्चा करना चाहती है।
गुवाहाटी, 23 अगस्त। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तरुण गोगोई ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया, ‘मेरे सूत्रों से पता चला है कि रंजन गोगोई का नाम राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की सूची में है. मुझे लगता है कि उन्हें असम के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई राज्यसभा सांसद बन सकते हैं, तो वह असम में भाजपा के अगले संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी सहमत हो सकते हैं.
गोगोई ने कहा, ‘यह सब राजनीति है. भाजपा अयोध्या राममंदिर मामले में फैसले को लेकर रंजन गोगोई से खुश थी. उसके बाद उन्होंने राज्यसभा नामांकन स्वीकार कर धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से क्यों इनकार नहीं किया? वह आसानी से मानवाधिकार आयोग या किसी अन्य अधिकार संगठन के अध्यक्ष बन सकते थे. उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं थी इसलिए उन्होंने राज्यसभा का नामांकन स्वीकार किया.’
असम के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह असम में कांग्रेस के अगले संभावित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं बनने जा रहे.
वह भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), लेफ्ट और क्षेत्रीय पार्टियों के महागठबंधन की वकालत कर रहे हैं.
तरुण गोगोई ने कहा, ‘मैं राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनने जा रहा. मैं मार्गदर्शक या सलाहकार के तौर पर काम करना चाहूंगा. कांग्रेस में कई योग्य उम्मीदवार हैं, जो प्रभार संभाल सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि संभावित गठबंधन के एक साझा उम्मीदवार को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदावर के तौर पर पेश करना चाहिए.
हालांकि, कांग्रेस के कई नेता एआईयूडीएफ के साथ पार्टी के गठबंधन के विचार का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के समक्ष अपना नाराजगी व्यक्त भी की है.
इन नेताओं का मानना है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाने से असम के ऊपरी इलाकों में कांग्रेस के मतदान प्रतिशत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. ऐसे इलाकों में जहां चाय बागान समुदाय या जनजातीय लोगों के वोट अधिक हैं.
जोरहाट के पूर्व विधायक राणा गोस्वामी का कहना है, ‘मैंने तरुण गोगोई से बात की और उनसे कहा कि हो सकता है कि एआईयूडीएफ के साथ हाथ मिलाना उचित नहीं हो. हालांकि, अगर महागठबंधन होगा तो स्थिति में बदलाव आएगा.’ (thewire)