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'छत्तीसगढ़' न्यूज़डेस्क
दक्षिण अफ्रीका से लाकर भारत के कर्णाटक में तीन चीतों को रखा गया है. इनमें एक नर और दो मादा हैं. दुनिया में कोरोना फैलने के बाद यह वन्यजीवों का पहला ट्रांसफर है. इन्हें एक महीने एक बाड़े में रखकर बाद में पर्यटकों और दर्शकों के लिए वन्यजीवन अभ्यारण्य में छोड़ दिया जायेगा. (तस्वीरें कर्नाटक वन विभाग से)
पहले भारत के मैदानों में एशियाई चीते सामान्य रूप से देखे जाते थे, लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश के जमाने में उनका इतना शिकार हुआ कि वे पूरी तरह खत्म हो गए. 1950 के बाद से उभारत में एक भी चीता नहीं देखा गया. माना जाता है कि ईरान के घने जंगलों में अभी भी करीब 100 एशियाई चीते बचे हैं.
इस बरस(2020) जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने प्रयोग के तौर पर सरकार को अफ्रीकी चीते को भारत में उचित स्थान पर रखने की अनुमति दे दी है। इस चीते के वास से यह देखा जाएगा कि क्या यह भारत की जलवायु में खुद को ढाल सकता है। भारतीय चीते की प्रजाति के विलुप्त होने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने न्यायालय ने नामीबिया से अफ्रीकी चीता लाकर भारत में बसाने की अनुमति मांगी थी।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी अनुमति देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत इस परियोजना की निगरानी करेगी। पीठ ने इस संबंध में तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में भारत के पूर्व वन्यजीव निदेशक रंजीत सिंह, भारत के वन्यजीव महानिदेशक धनंजय मोहन और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वन्य जीव उपमहानिरीक्षक शामिल हैं। यह समिति इस मामले में फैसला करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का मार्ग निर्देशन करेगी। पीठ ने कहा कि यह समिति हर चार महीने पर अपनी रिपोर्ट न्यायालय को देगी।
पीठ ने यह भी कहा कि अफ्रीकी चीता बसाने के बारे में उचित सर्वेक्षण के बाद ही निर्णय लिया जाएगा और वन्यजीव को छोड़ने की कार्रवाई बाघ संरक्षण प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ दी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि विशेषज्ञों की समिति बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देशानुसार काम करेगी और बड़े पैमाने पर ऐसा करने की व्यावहारिकता के बारे मे सर्वेक्षण के बाद सावधानी से स्थान का चयन किया जाएगा। पीठ ने कहा कि इसमें किसी प्रकार की कठिनाई होने पर इसे अधिक वास वाले स्थान में बदला जाएगा।
मामले में न्याय मित्र के रूप में न्यायालय की मदद कर रहे अधिवक्ता एडीएन राव ने अफ्रीकी चीते को देश में बसाने का विरोध करने की वजहों से पीठ को अवगत कराया। पीठ ने भारत के पूर्व वन्यजीव निदेशक रंजीत सिंह का पक्ष सुनने के बाद कहा कि चूंकि यह पायलट परियोजना है, इसलिए इसका विरोध नहीं होना चाहिए।
इसके पहले 2012 में भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीका से चीता लाकर उसे देश में बसाने की योजना पर रोक लगा दी थी. विशेषज्ञों ने देश में चीता लाने को पूरी तरह गलत ढंग से सोची गई योजना बताया था. भारत में एक भी चीता नहीं बचा है.
भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 5.6 करोड़ डॉलर की मंजूरी दी थी. इस योजना के तहत चीतों को नामीबिया के जंगलों से लाकर मध्य प्रदेश के अभयारण्य में बसाया जाता. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस सीके प्रसाद की बेंच ने सरकार को इस योजना पर आगे बढ़ने से रोक दिया. अदालत ने कहा था कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड एनबीडब्ल्यू से कोई चर्चा नहीं की गई जबकि वह वन्यजीव कानूनों पर अमल के लिए संवैधानिक संस्था है.
कोर्ट द्वारा नियुक्त सलाहकार पीएस नरसिम्हा ने कहा था, "अध्ययन दिखाते हैं कि अफ्रीकी चीता और एशियाई चीता एक दूसरे से जेनेटिक रूप से और चरित्र में पूरी तरह अलग हैं." उन्होंने कोर्ट को बताया कि अफ्रीकी चीता भारत में कभी नहीं था.
नरसिम्हा ने कहा था कि चीते का पुनर्वास इंटरनेशनल यूनियन फॉर कनजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के वन्यजीव प्रजातियों के पुनर्वास से संबंधित दिशानिर्देशों के भी खिलाफ है. आईयूसीएन ने विदेशी और बाहरी प्रजातियों को बसाने के खिलाफ साफ तौर पर चेतावनी दी है.
पहले भारत के मैदानों में एशियाई चीते सामान्य रूप से देखे जाते थे, लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश के जमाने में उनका इतना शिकार हुआ कि वे पूरी तरह खत्म हो गए. 1950 के बाद से उभारत में एक भी चीता नहीं देखा गया. माना जाता है कि ईरान के घने जंगलों में अभी भी करीब 100 एशियाई चीते बचे हैं.
रायपुर, 18 अगस्त। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर ईमिल लकड़ा को लोक आयोग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इस आशय के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
लकड़ा राजस्व मंडल के सचिव हैं और लोक आयोग के सचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। प्रदेश में रात 8.15 बजे तक राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने 701 पॉजिटिव मिलने की जानकारी दी है।
रायपुर जिले से 205, दुर्ग 92, रायगढ़ 63, बस्तर व राजनांदगांव 48-48, बिलासपुर 44, बालोद 34, कोरबा 21, नारायणपुर 20, जशपुर 19, कांकेर 18, सुकमा 16, जांजगीर-चांपा 15, बीजापुर 12, सरगुजा 11, सूरजपुर 9, कोरिया, दंतेवाड़ा, और गरियाबंद 4-4, कबीरधाम 3, बेमेतरा, बलौदाबाजार, महासमुंद, बलरामपुर और कोंडागांव 2-2, मुंगेली 1 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं।
आज प्रदेश में 8 मौतें हुई हैं।
मुंबई, 18 अगस्त (आईएएनएस)| अभिनेत्री कंगना रनौत ने मंगलवार को सरकार से फिल्म निर्माता करण जौहर को मिला पद्मश्री सम्मान वापस लेने का अनुरोध किया। अभिनेत्री ने अपने सत्यापित अकाउंट पर करण जौहर के नए प्रोजेक्ट 'गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल' से संबंधित पोस्ट को फिर से साझा किया।
कंगना की टीम ने ट्विटर पर लिखा, "मैं केजेओ की पद्मश्री वापस लेने के लिए भारत सरकार से अनुरोध करती हूं, उसने मुझे खुले तौर पर डराया और मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उद्योग छोड़ने के लिए कहा, सुशांत के करियर में बर्बाद करने की साजिश रची, उन्होंने उरी लड़ाई में पाकिस्तान का समर्थन किया और अब हमारी सेना के खिलाफ एंटीनेशनल फिल्म बनाई है। इस लिए सरकार की तरफ से दिया गया पद्मश्री उनसे वापस ले लिया जाए।"
हाल ही में अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक कविता के माध्यम से फिल्म निर्माता करण जौहर और उनकी फिल्म गुंजन सक्सेना पर कटाक्ष किया था।
इससे पहले उन्होंने जाह्न्वी कपूर-अभिनीत फिल्म 'गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल' पर कमेंट किया था।
सोशल मीडिया पर करण जौहर को फिल्म में जेंडर बायस दिखाने का आरोप लगाकर ट्रोल किया जा रहा है।
फिल्म 'गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल' पहली भारतीय वायुसेना की महिला पायलट गुंजन सक्सेना पर आधारित है, जो 1999 के कारगिल युद्ध का हिस्सा थीं।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| मुकेश अंबानी कई ईकॉमर्स कंपनियों का अधिग्रहण करके खुदरा क्षेत्र (रिटेल सेक्टर) में अपनी पहुंच को और मजबूत करना चाह रहे हैं। इसे भारत के हॉट ई-कॉमर्स खुदरा बाजार के लिए अमेजन के साथ चल रही लड़ाई के अग्रदूत के रूप में देखा जा रहा है।
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) फर्नीचर आउटलेट, अर्बन लैडर, लॉन्जरी ब्रांड, जिवामे और ऑनलाइन फार्मा स्टोर, नेटमेड्स में शेयर खरीदने या इन्हें अधिग्रहित करने के लिए चर्चा में है।
खबरों के अनुसार, रिलायंस जिवामे के लिए 16 करोड़ डॉलर का भुगतान कर सकती है, जबकि अर्बन लैडर सौदा तीन करोड़ डॉलर और नेटमेड्स सौदा 12 करोड़ डॉलर में हो सकता है।
इसके अलावा चर्चा है कि रिलायंस दूध डिलीवरी कंपनी मिल्कबॉस्केट को भी खरीद सकती है। अंबानी ने जियो प्लेटफॉर्म में हिस्सेदारी बेचकर 20 अरब डॉलर से अधिक जुटाए हैं।
बताया जा रहा है कि आरआईएल किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप की रिटेल संपत्तियों के पूर्ण या कुछ हिस्सों का अधिग्रहण करने की भी तैयारी में है। आरआईएल ने पहले स्पष्ट किया था कि वह फ्यूचर ग्रुप के खुदरा व्यवसायों के अधिग्रहण के लिए एक सौदे पर चल रही अटकलों और अफवाहों पर टिप्पणी करने में असमर्थ है।
आरआईएल ने फ्यूचर ग्रुप के साथ संभावित सौदे पर स्टॉक एक्सचेंजों को स्पष्टीकरण में जवाब भी दिया।
आरआईएल ने कहा, स्पष्ट करना चाहेंगे कि हम मीडिया अटकलों और अफवाहों पर टिप्पणी करने में असमर्थ हैं और ऐसा करना हमारे लिए अनुचित होगा।
मुंबई, 18 अगस्त (आईएएनएस)| रिया चक्रवर्ती की कानूनी टीम ने अभिनेत्री द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की बहन प्रियंका पर लगाए गए आरोप पर विस्तार से बात की है। टीम में शामिल एक वकील का कहना है कि प्रियंका ने नशे में धुत होकर रिया के साथ छेड़खानी की थी, जिससे बाद भाई-बहन के रिश्ते में दरार आ गई थी। रिया के वकील सतीश मणेशिंदे ने अपने एक हालिया बयान में पूरी घटना का जिक्र किया है।
उन्होंने कहा, "अपने रिश्ते के शुरुआती कुछ महीने के दौरान जब रिया सुशांत के घर गई थीं, उस वक्त अभिनेता की बहन प्रियंका और उनके पति सिद्धार्थ उन्हीं के साथ रहते थे।
अप्रैल, 2019 के आसपास एक रात रिया और प्रियंका दोनों एक पार्टी में गई हुई थीं। प्रियंका ने काफी ज्यादा शराब पी ली थी, जिसके चलते वह पार्टी में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं संग भी अजीब हरकतें करने लगी थीं। रिया प्रियंका को जैसे-तैसे सुशांत के घर ले आईं। घर लौटने के बाद सुशांत और उनकी बहन ने शराब पीना जारी रखा, जबकि रिया सो गईं, क्योंकि अगले दिन उन्हें शूटिंग पर जाना था।"
उन्होंने आगे कहा, "रिया सुशांत के कमरे में सो रही थीं। जब अचानक उनकी आंख खुली तो उन्होंने प्रियंका को अपने साथ बिस्तर में पाया जो जबरदस्ती उन्हें छूने की कोशिश कर रही थीं। रिया इस बात से बेहद हैरान हो गईं और उन्होंने प्रियंका को कमरे से तुरंत निकल जाने को कहा। इसके बाद रिया खुद ही घर से निकल गईं। रिया ने इस बारे में सुशांत को बताया और इस बात को लेकर सुशांत और उनकी बहन के बीच बहस भी हुई। इस वाकये के चलते सुशांत और रिया के परिवार के बीच संबंध शुरू से ही तनावपूर्ण रहे थे।
सुशांत के निधन के बाद भी जब अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले बीस लोगों की सूची बनाई गई थी, तो रिया का नाम उसमें शामिल नहीं किया गया था और इसी के साथ उन्हें अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी बाहर रखा गया था।"
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने फ़ैसला किया है कि प्रदेश की सभी नौकरियां अभी प्रदेश के मूल निवासियों के लिए आरक्षित होंगी.
मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह भी कहा कि इसके लिए जो भी ज़रूरी क़ानून है वह जल्द बनाया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने यह ऐलान ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर किया.
उन्होंने कहा, "मेरे प्रिय प्रदेशवासियों, अपने भांजे-भांजियों के हित को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश में शासकीय नौकरियाँ अब सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों को ही दी जाएंगी. इसके लिए आवश्यक क़ानूनी प्रावधान किया जा रहा है. प्रदेश के संसाधनों पर प्रदेश के बच्चों का अधिकार है."
मुख्यमंत्री की घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि अभी तक प्रदेश के बाहर के बच्चे बड़ी तादाद में नौकरी में आवेदन करते थे और चुने भी जाते थे. इसमें किसी भी तरह की कोई रोकटोक नहीं थी. लेकिन इसके बाद क्या स्थिति बनती है, यह देखना होगा.
वहीं मुख्यमंत्री ने अभी यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि प्रदेश के बाहर के जो लोग यहां पर रह रहे हैं उनके लिए क्या नियम होंगे.
प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस घोषणा को ऐतिहासिक फ़ैसला बताया है.
कांग्रेस ने किया फ़ैसले का स्वागत
वहीं विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है.
कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, "मध्यप्रदेश सरकार को इस मुद्दे की ख़बर 15 साल तक नहीं आयी और 15 साल तक मध्यप्रदेश की जनता और विद्यार्थियों का शोषण हुआ. जब हमारी सरकार ने 70 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की और दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश से 10वीं की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता की मांग की. तब जाकर इस सरकार ने यह कदम उठाया है."
भूपेंद्र गुप्ता ने कहा, "देर आए दुरुस्त आए. मध्यप्रदेश के बच्चों का जिस भी निर्णय में हित छुपा है कांग्रेस पार्टी उसका स्वागत करती है."
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कुछ दिनों पहले मांग की थी कि सरकार सरकारी नौकरी में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए क़ानून बनाए. उन्होंने कहा था कि मौजूदा समय में नौजवान बेरोज़गार हो रहे हैं इसलिए यह ज़रूरी है कि उन्हें सरकारी नौकरी में मौका दिया जाए.
उन्होंने यह भी कहा था कि सरकारी नौकरी उन्हें ही दी जानी चाहिए जिन्होंने 10वीं की परीक्षा प्रदेश से पास की हो.
उमर अब्दुल्ला का तंज़
लेकिन इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ देश के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पर तंज़ कसा है. उन्होंने ट्वीट किया, "जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नौकरियां तो सभी के लिए हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में सिर्फ राज्य के लोगों के लिए ही."
इसके पहले कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने भी निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के युवाओं को 70 फ़ीसदी आरक्षण देने की बात कही थी. उन्होंने भी लगभग एक साल पहले इसके लिए क़ानून बनाने की बात कही थी.
उन्होंने कहा था, "निजी क्षेत्रों में राज्य के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी. नई औद्योगिक इकाई शुरू होने पर इसे लागू किया जाएगा. इसके तहत कुल रोज़गार का 70 प्रतिशत मध्य प्रदेश के स्थायी निवासियों को ही देना होगा."
क्या इसके पीछे राजनीति है?
इस पूरी घोषणा को प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है. मध्यप्रदेश में इस वक़्त भाजपा की सरकार है और उन्हें 27 सीटों पर उपचुनाव लड़ना है. अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सरकार में बने रहना है तो उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा सीटें जीतनी होगी.
माना जा रहा है कि यह घोषणा उसी चुनाव को देखते हुए की गई है. सरकार ने इसके लिए क़ानून में संशोधन की बात भी की है.
राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता मानते हैं कि यह पूरा फ़ैसला चुनाव को लेकर किया गया है.
उन्होंने कहा, "इससे बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं होना है लेकिन सरकार को उम्मीद है कि वो इस मुद्दे से फ़ायदा उठाएगी. यह मामला अभी लंबा चलेगा और तब तक चुनाव भी ख़त्म हो जाएंगे."
उनका यह भी कहना है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी मिलना सरकार ने ही मुश्किल बना दिया है.
उन्होंने कहा, "सेवानिवृत्ति की आयु 60 से 62 कर दी गई उसके अलावा बड़ी तादाद में शिक्षकों को संविदा पर रखा गया है. सरकारी नौकरी की कमी नहीं है बल्कि नीति ऐसी है जिससे यह प्रतीत होता है कि सरकारी नौकरियां तो है ही नहीं."(bbc)
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने मंगलवार को कहा है कि देश कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन करेगा और सभी नागरिकों को मुफ्त में ये वैक्सीन देगा.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वीडिश-ब्रितानी कंपनी एस्ट्राज़ेनिका के साथ ऑस्ट्रेलिया ने एक करार किया है जिसके तहत ऑक्सफोर्ड की बनाई वैक्सीन अब उन्हें भी मिल सकती है.
उन्होंने कहा, “फिलहाल ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दुनिया की सबसे उन्नत और भरोसेमंद वैक्सीन है. कंपनी के साथ करार के तहत हमने अपने सभी नागरिकों के लिए अब ये वैक्सीन सुनिश्चित कर ली है.”
अगर ये वैक्सीन कारगर साबित हुई तो हम बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करेंगे और सभी 250 लाख ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों तक मुफ्त में इसे पहुंचाएंगे.
ऑक्सफोर्ड में बनाई जा रही वैक्सीन दुनिया की उन पांच वैक्सीन में से एक है जिसकी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल के ख़िर तक इसके नतीजे भी आ जाएंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कुछ और संभावित वैक्सीन बना रही टीमों से संपर्क कर रही है और साथ ही देश के भीतर भी वैज्ञानिकों को उनकी कोशिशों में मदद कर रही है.
हालांकि अब तक एस्ट्राज़ेनिका के साथ वैक्सीन की क़ीमत क्या होगी और देश में उसका उत्पादन कौन करेगा इसे लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाई है.(bbc)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। केन्द्र सरकार के संगठन आईसीएमआर के आज शाम 6.30 तक के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 543 कोरोना पॉजिटिव आज मिले हैं। इनमें सर्वाधिक 196 पॉजिटिव राजधानी रायपुर जिले के ही हैं।
राज्य शासन के आंकड़े शाम इसी समय तक काफी पीछे चल रहे हैं क्योंकि राज्य शासन आज के कोरोना पॉजिटिव आंकड़ों के बजाय जांचे हुए आंकड़े जारी करता है कि उनमें कोई पहले के पॉजिटिव मरीज की नई जांच रिपोर्ट का आंकड़ा तो नहीं जुड़ गया है। लेकिन देर रात तक ये दोनों आंकड़े करीब आसपास आ जाते हैं।
क्लिक करें और यह भी पढ़ें : प्रदेश में शाम 6 बजे तक 183 पॉजिटिव, रायपुर 74
आईसीएमआर के आंकड़ों के मुताबिक रायपुर जिले में 196, रायगढ़ 67, दुर्ग 66, बिलासपुर 41, राजनांदगांव 40, बालोद 36, सुकमा 19, जशपुर 18, कोरबा 16, कांकेर 12, बलौदाबाजार 8, जांजगीर-चांपा 6, गरियाबंद 4, बलरामपुर, बीजापुर, महासमुंद, और सरगुजा 2-2, बस्तर, कबीरधाम, कोरिया 1-1 पॉजिटिव मिले हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। प्रदेश में शाम 6 बजे तक कोरोना के 183 पॉजिटिव मिले हैं। इसमें से रायपुर में सर्वाधिक 74 पॉजिटिव हैं। इसके अलावा रायगढ़ में 62, दुर्ग 45, और बालोद व जांजगीर-चांपा में 1-1 पॉजिटिव मिले हैं। यह जानकारी राज्य शासन के कोरोना कंट्रोल रूम ने दी है।
एक हफ्ते में 15 सौ ठीक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। प्रदेश में कोरोना की रिकवरी दर राष्ट्रीय औसत से कम है। कोरोना से मृत्यु दर 0.94 प्रतिशत और रिकवरी दर 66.14 प्रतिशत है, जबकि इनका राष्ट्रीय औसत क्रमश: 1.93 प्रतिशत और 72.51 प्रतिशत है। खास बात यह है कि प्रदेश में साढ़े 10 हजार से अधिक मरीजों ने कोरोना को मात दी है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राहत की भी खबर है। प्रदेश के विभिन्न कोविड अस्पतालों और आइसोलेशन सेंटर्स (कोविड केयर सेंटर्स) से पिछले एक सप्ताह में 1581 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है। वहीं प्रदेश में अब तक कुल दस हजार 598 मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। इनमें से 3296 मरीज रायपुर जिले के हैं। पिछले एक हफ्ते में रायपुर जिले से 620, राजनांदगांव से 153, बिलासपुर से 127, दुर्ग से 95 और जांजगीर-चांपा जिले से 53 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। अस्पताल से घर लौटने वाले मरीजों को सावधानीपूर्वक दस दिनों के होम आइसोलेशन में रहने कहा गया है।
राज्य शासन द्वारा कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए लगातार जांच और इलाज की सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। सरकार द्वारा तत्परता से उठाए जा रहे कदमों की वजह से रोज बड़ी संख्या में मरीज स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए सभी जिलों में सैंपल जांच की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। रोजाना दस हजार से अधिक सैंपलों की जांच की जा रही है। राज्य में अब तक दस हजार 598 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। इनमें रायपुर जिले के 3296, राजनांदगांव के 888, दुर्ग के 865, बिलासपुर के 788, जांजगीर-चांपा के 526, बलौदाबाजार-भाटापार के 428, कोरबा के 421, रायगढ़ के 291, जशपुर के 266, कांकेर के 260, सरगुजा के 252, बलरामपुर-रामानुजगंज के 245 तथा बस्तर के 231 मरीज शामिल हैं।
कोविड अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स में इलाज के बाद कबीरधाम जिले के 192, मुंगेली के 174, नारायणपुर के 172, महासमुंद के 171, दंतेवाड़ा के 144, बेमेतरा और कोरिया के 138-138, गरियाबंद के 118, कोंडागांव के 109, बालोद के 108, सूरजपुर के 101, सुकमा के 91, बीजापुर के 86, धमतरी के 62 और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 31 मरीज पूर्णत: स्वस्थ हो चुके हैं। प्रदेश में वर्तमान में कोविड-19 की मृत्यु दर 0.94 प्रतिशत एवं रिकवरी दर 66.14 प्रतिशत है, जबकि इनका राष्ट्रीय औसत क्रमश: 1.93 प्रतिशत और 72.51 प्रतिशत है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा ने पीएम-केयर्स फंड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी पर निशाना साधा और राजीव गांधी फाउंडेशन मामले को लेकर पार्टी को घेरने की कोशिश की। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पीएम-केयर्स फंड को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष(एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "अभी तक, कोरोनावायरस से लड़ने के लिए पीएम-केयर्स फंड में 31,00 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। इनमें से 2000 करोड़ रुपये वेंटीलेटर के लिए दिए गए हैं।"
राजीव गांधी फाउंडेशन से तुलना करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "फाउंडेशन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, यह कहा गया था कि भारत-चीन रिश्ते को बेहतर करने के लिए, यह जरूरी है कि भारत के बाजार को उस देश के लिए खोला जाए।"
प्रसाद ने कहा कि पीएम-केयर्स के अन्य 1,000 करोड़ रुपये को राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए दिए गए। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये कोरोना वैक्सीन रिसर्च के लिए दिए गए।
उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, "पीएम-केयर्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट है, जिसे कोविड-19 जैसी आपात स्थिति के लिए निर्मित किया गया है।"
उन्होंने कहा, "राजीव गांधी फाउंडेशन एक परिवारिक फाउंडेशन है। आप जानते हैं कि इसने चीन से भी मदद ली है। फाउंडेशन की रिपोर्ट में, वे लोग भारत के बाजार को चीनी उत्पाद के लिए खोले जाने की बात करते हैं।"
राहुल गांधी के 'बेईमानी' के आरोप को पूरी तरह नकारते हुए प्रसाद ने कहा, "मोदी सरकार ईमानदारी से काम कर रही है। यह लोगों का आशीर्वाद है। इसी तरह की ईमानदारी पीएम-केयर्स में दिखती है।"
उन्होंने दावा किया कि भारत ने कोरोनावायरस से लड़ाई में सफलता हासिल की है, और यहां का रिकवरी रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा है। रविशंकर प्रसाद बोले कि राहुल गांधी शुरुआत से ही कोरोनावायरस के खिलाफ देश की लड़ाई में एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा है कि सभी को डॉक्टर्स, नर्सो, स्वीपर और पुलिस जैसे कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में ताली बजानी चाहिए।"
इससे पहले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधा था।
एक एनजीओ 'द सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' ने पीएम-केयर्स फंड के पैसे को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 अगस्त। पंडरी बस स्टैंड में निर्मित व्यावसायिक कॉम्पलेक्स पर हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा आदेश पारित किया है। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नगर निगम से स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण कार्य हुआ है। यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है। कोर्ट ने आदेश पारित किया है कि जितनी जमीन पर अवैध निर्माण हुआ है, उसे जल्द से जल्द हटाया जाए।
याचिकाकर्ता के वकील आशीष सुराना ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम ने कार्रवाई के लिए नोटिस भी जारी किया था। जिसके खिलाफ प्रमोटर बिल्डर जिला अदालत और बाद में हाईकोर्ट में अपील की थी। दोनों जगहों पर नगर निगम के पक्ष में फैसला आया था।
चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को दो हफ्ते के भीतर नगर निगम के पास भी अभ्यावेदन प्रस्तुत करना होगा। बस स्टैण्ड में अवैध निर्माण के खिलाफ रायपुर के गोविंद बर्मन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने इस बात की जानकारी दी थी कि पंडरी बस स्टैंड में बना कॉम्प्लेक्स अवैध है क्योंकि जितनी जमीन निगम की ओर से आबंटित की गई थी उससे कहीं ज्यादा जमीन पर नक्शे के विपरीत निर्माण किया गया है।
यह भी बताया गया कि 2013 में भी इस मामले में याचिका लगाई गई थी। उस समय भी कोर्ट ने अवैध कब्जा हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन सात साल बाद भी रायपुर नगर निगम ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
हाई कोर्ट ने भी माना कि इस याचिका पर फैसला पहले ही यानी 2013 में जारी हो चुका है। याचिका निराकृत हो चुकी है। ऐसे में निगम को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भी आदेश दिया कि वे अपना अभ्यावेदन निगम के पास प्रस्तुत करें। क्योंकि 7 साल बाद उसी निराकृत मामले पर सुनवाई की जरूरत है। कोर्ट ने निगम को अभ्यावेदन पर त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश देते हुए जनहित याचिका को निराकृत कर दिया है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मंगलवार को पुण्यतिथि है। उनके लापता होने को लेकर कई तरह की बातें और साजिशों तक की बात सामने आ चुकी है। हालांकि एक आम धारणा यह है कि जापान के एक बौद्ध मंदिर में उनकी अस्थियां रखी हुई हैं और उसे पूरे सम्मान के साथ भारत लाया जाना चाहिए। नेताजी की बेटी अनीता बोस के पत्र से लेकर उनके भतीजे चंद्र कुमार बोस के मुखर समर्थन तक यह मांग समय के साथ बुलंद होती गई।
नेताजी के अस्थि-कलश को लेकर कुछ तथ्य ऐसे हैं, जिनके बारे में आज भी कम ही लोग जानते हैं :
- नेताजी की कथित अस्थियां जिस रेंको-जी बौद्ध मंदिर में रखी है, उसे 1954 में समृद्धि और खुशियों के भगवान से प्रेरित होकर बनाया गया था। चंद्र कुमार बोस के अनुसार, मंदिर के उच्च पुजारी और अब उनके बेटे द्वारा इस राख को सुरक्षित रखा गया है। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्रियों में जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक, सभी ने अपनी जापान यात्रा के दौरान उस बौद्ध मंदिर का दौरा किया, जिससे इस बात को बल मिला कि वहां वास्तव में नेताजी की अस्थियां रखी हैं।
- विदेश मंत्रालय में पूर्व अतिरिक्त सचिव अजय चौधरी ने कहा था कि नेताजी की अस्थियों वाले बक्से को मंदिर के परिसर में एक अलमारी में रखा गया है। जब कोई आगंतुक इसे देखना चाहता है, तो इस बक्से को बाहर निकालकर दो मोमबत्तियों के बीच रखा जाता है।
- टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, अस्थियों को एक छोटे से टिन या लकड़ी के बक्से में रखा गया था। 2 माचर्, 2007 को आरटीआई आवेदन का जवाब देते हुए बताया गया कि अस्थियों को लगभग 6 इंच चौड़े व 9 इंच लंबे डिब्बे में (जो टिन या लकड़ी से बना है) में रखा गया है।
- प्रधानमंत्री नेहरू के सचिव एम.ओ. मथाई ने 2 दिसंबर, 1954 के एक पत्र में कहा, "टोक्यो में हमारे दूतावास के विदेश मंत्री को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां और अन्य अवशेषों के साथ 200 रुपये प्राप्त हुए थे।"
- केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 21 अक्टूबर, 1995 को जर्मनी में नेताजी की विधवा एमिली शेंक से मुलाकात की थी, इसके बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को नेताजी की अस्थियों के बारे में लिखा था। मुखर्जी ने उस साल एक गोपनीय पत्र में लिखा था, "मुझे लगता है कि नेताजी की विधवा और बेटी बहुत उत्सुक हैं कि नेताजी की अस्थियों की भारत में वापसी के मुद्दे का जल्द समाधान हो।"
इस बात को दशकों बीत चुके हैं, कई आरटीआई याचिका दायर की गइईं, लेकिन नेताजी की कथित अस्थियां अब भी जापान में ही हैं।
मौतें-150, एक्टिव-5277, डिस्चार्ज-10598
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। प्रदेश में कोरोना मरीज 16 हजार पार हो गए हैं। बीती रात मिले 404 नए पॉजिटिव के साथ इनकी संख्या बढक़र 16 हजार 25 हो गई है। इसमें से 150 की मौत हो चुकी है। 5 हजार 277 एक्टिव हैं और उनका इलाज जारी है। 10 हजार 598 मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए हैं। सैंपलों की जांच जारी है।
प्रदेश में कोरोना कहर लगातार जारी है। खासकर राजधानी रायपुर और आसपास रोज नए मरीज मिल रहे हैं। बुलेटिन के मुताबिक बीती रात सवा 8 बजे 372 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें रायपुर जिले से सबसे अधिक 170 मरीज रहे। दुर्ग जिले से 59, बिलासपुर से 34, सरगुजा से 20, राजनांदगांव व महासमुंद से 14-14, बलौदाबाजार, रायगढ़ व कांकेर से 7-7, जांजगीर-चांपा, दंतेवाड़ा, सुकमा से 5-5, जशपुर से 4, बालोद, कोरिया व बस्तर से 3-3, बेमेतरा, कबीरधाम, धमतरी व सूजरपुर से 2-2 एवं मुंगेली, कोंडागांव, नारायणपुर व बीजापुर से 1-1 मरीज शामिल रहे।
इसके बाद रात 11 बजे 32 और नए पॉजिटिव की पहचान की गई। इसमें रायपुर जिले से 20, सुकमा से 5, बलौदाबाजार से 3, बिलासपुर से 2 एवं बेमेतरा, कोरिया से 1-1 मरीज शामिल रहे। दूसरी तरफ 8 मरीजों की मौत हो गई। इन मरीजों के संपर्क में आने वालों की जांच-पहचान जारी है।
स्वास्थ्य अफसरों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना जांच बढ़ा दी गई है और उनकी टीम नए-नए जगहों पर जाकर जांच में लगी है। सैंपल जांच बढ़ाने से मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। रायपुर और आसपास काफी संख्या में मरीज मिल रहे हैं। फिलहाल मरीजों के आने का क्रम इसी तरह बना रह सकता है। दूसरी तरफ भर्ती मरीजों में अधिकांश ठीक होकर अपने घर भी लौट रहे हैं। बीती रात में 363 मरीज डिस्चार्ज किए गए। यह जरूर है कि कुछ गंभीर मरीजों की मौत भी हो रही है। ऐसे में हम सबको सतर्क रहने की जरूरत है।
सुकांत दीपक
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| एक छह साल का बच्चा स्कूल जाने के अपने रास्ते में पड़ने वाले एक छोटे से दुकान से जब बेगम अख्तर की गजल 'दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे' को सुनता था तो उसके कदम यूं ही रूक जाते थे। बाद में जाकर यही नन्हा सा बालक दुनिया में पंडित जसराज के नाम से जाना गया जिन्होंने अपने गायन में आध्यात्म को लाकर श्रोताओं को अपना मुरीद बनाया।
सोमवार को अमेरिका में स्थित अपने घर में दिल का दौरा पड़ने के साथ इस महान संगीतज्ञ ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
वह 90 साल के थे, लेकिन इसके बावजूद वह संगीत के बारे में प्रशंसा करने से नहीं थकते थे और उनसे मिली इसी तारीफ से आजकल के संगीतकारों को बेहद प्रेरणा मिलती थी।
उनके करियर का विस्तार आठ दशक से अधिक लंबे समय तक रहा। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने गायन में अपना पहला प्रशिक्षण प्राप्त किया, बाद में बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से उन्होंने तबला बजाने का प्रशिक्षण भी लिया। पंडित मणिराम से उन्होंने शास्त्रीय गायन की शिक्षा ली और बाद में मात्र 22 साल की आयु में जयवंत सिंह वाघेला, गुलाम कादिर खान और स्वामी वल्लभास दामुलजी के साथ उन्होंने नेपाल में अपने पहले सोलो कॉन्सर्ट में प्रस्तुति दी।
हवेली संगीत के इस विशेषज्ञ ने जसरंगी जुगलबंदी का भी निर्माण किया। वह मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे जिन्हें उनके समकालीन व जूनियरों द्वारा एक ऐसे कलाकार के रूप में याद किया जाता है जो खुद को नई-नई चीजों में ढालने से नहीं कतराते थे, लेकिन जब एक व्यक्तित्व के तौर पर वह मंच पर पहुंचते थे तब उन्हें अपनी कला से भिन्न महसूस करना काफी मुश्किल हो जाता था।
प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान पंडित जसराज के निधन को संगीत के एक स्वर्ण युग के अंत के तौर पर देखते हैं। उन्होंने कहा, "मैंने साठ के दशक से पंडित जसराज के साथ कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने बेहद ही सहजता से गायन को एक अनूठा आयाम दिया। वह एक ऐसे कलाकार थे जो अपने समय से काफी आगे थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत के स्वर्ण युग के गायकों में वह अंतिम कलाकार थे जिनमें उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब, उस्ताद अमीर खान साहब, पंडित भीमसेन जोशी और पंडित कुमार गंधर्व जैसे संगीतज्ञ शामिल थे। मेवाती घराने की पहचान आज उन्हीं की वजह से है। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी व्यक्तिगत क्षति है।"
उन्हें याद करते हुए मशहूर सितार वादक उस्ताद शुजात खान कहते हैं, "मैं हमेशा उनसे कहा करता था कि उनकी प्रस्तुति के बाद ही मुझे अपनी प्रस्तुति पेश करते हुए काफी अजीब लगता था क्योंकि वह मुझसे काफी सीनियर थे, लेकिन वह इस बात को हमेशा हंसी में उड़ा देते थे। उनका जाना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है बल्कि यह पूरे देश के लिए एक नुकसान है। मुझे आज ग्रीन रूम मे बैठकर अपने बीच हुई बातें, हमारे सफर, कॉन्सर्ट सभी की बहुत याद आ रही है। उनकी अपनी एक अलग जगह थी। दिल्ली में कुछ साल पहले सुबह के वक्त आयोजित उनके एक कार्यक्रम को मैं कभी नहीं भुला सकता। उस दिन भैरव राग की उनकी प्रस्तुति ने मुझे एहसास दिलाया था कि संगीत का इंसान की भावनाओं के साथ क्या जोड़ है।"
प्रख्यात गायिका आशा भोंसले इस दिग्गज के बारे में कहती हैं, उनमें बच्चों की तरह उत्साह था। उनकी छत्रछाया में रहना एक आशीर्वाद था। वे पल काफी बेहतरीन थे। उनका जाना संगीत जगत की एक अपार क्षति है। आज मैंने अपने बड़े भाई को खो दिया।"
अमेरिका से आईएएनएस से बात करते हुए सितार वादक शाहिद परवेज ने कहा कि संगीत की दुनिया के लिए पंडित भीमसेन जोशी के बाद पंडित जसराज का जाना एक बड़ी क्षति है। कई यादें उनसे जुड़ी हैं। वो हमेशा हमारी मदद के लिए तैयार रहते थे। उन्होंने ही मुझे पहली बार उस्ताद कहा था।
आधा दर्जन शिक्षक क्वॉरंटीन, हडक़ंप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। छत्तीसगढ़ कॉलेज के इतिहास विभाग के एक प्राध्यापक के कोरोना संक्रमित होने से हडक़ंप मच गया है। उनके संपर्क में आने वाले कॉलेज के आधा दर्जन से अधिक शिक्षकों को क्वॉरंटीन पर रहने कहा गया है। कॉलेज को सेनेटाइज भी कराया जा रहा है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमिताभ बैनर्जी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ. अनूप परसाई के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना मिली है। इसके बाद उनके संपर्क में रहने वाले 7-8 शिक्षकों और कॉलेज स्टॉफ को क्वॉरंटीन पर रहने के लिए कहा गया है।
डॉ. बैनर्जी ने बताया कि इतिहास विभाग को फिलहाल सील किया जा रहा है। साथ ही कॉलेज बिल्डिंग को सेनेटाइज किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बुधवार से कॉलेज में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो रही है। ऐसे में हर तरह से सभी की सुरक्षा को देखी जा रही है।
बताया गया कि इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ. अनूप परसाई शुक्रवार को कॉलेज की स्टॉफ काउंसिल की बैठक में शामिल हुए थे। वे नियमित कॉलेज आ रहे थे और स्टॉफ के लोगों के साथ स्वाभाविक तौर पर बैठक में शिरकत करते थे। फिलहाल स्टॉफ काउंसिल की बैठक में डॉ. परसाई के साथ शामिल होने वाले स्टॉफ को क्वॉरंटीन पर रहने कहा गया है। इस पूरे घटनाक्रम से कॉलेज में हडक़ंप मच गया है।
छत्तीसगढ़ के पत्रकार आवेश तिवारी ने दर्ज कराई जवाबी रिपोर्ट !
नई दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा)। भारत में फेसबुक की वरिष्ठ अधिकारी आंखी दास ने अपनी जान का खतरा जताते हुए दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपनी शिकायत में पांच लोगों का नाम लिया है। दक्षिण और मध्य एशिया में फेसबुक की पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास ने यह शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले पर पर दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी ने कहा कि मामला साइबर सेल को सौंप दिया गया है।
वहीं, फेसबुक पर सांप्रदायिक भावनाओं को भडक़ाने के आरोप में आंखी दास के खिलाफ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक एफआईआर दर्ज की गई है। सोमवार की देर रात पत्रकार आवेश तिवारी की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज की गई। इसमें फेसबुक अधिकारी और दो अन्य लोगों पर जान से मारने की धमकी देने, मानहानी और लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए द्वेशपूर्ण लेख प्रसारित करने का आरोप लगाया है।
49 वर्षीय आंखी दास की शिकायत उस रिपोर्ट के बाद दर्ज कराई गई है, जिसमें सोशल मीडिया कंपनी की अधिकारी पर कथित तौर पर आरोप है कि उन्होंने सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में दखलअंदाजी की थी। बता दें वॉल स्ट्रीट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर में फेसबुक में काम करने वालों के साक्षात्कारों का उल्लेख करते हुए उपरोक्त दावा किया गया है।
मुझे अपशब्द कहे जा रहे- आंखी दास
आंखी दास ने अपनी शिकायत में कहा है कि तब से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘(पोस्ट की जा रही) सामग्री में, यहां तक कि मेरी तस्वीरें भी शामिल हैं और मुझे जान से मारने की और शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जा रही है तथा मुझे अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का डर है। एक खबर के आधार पर सामग्री में मेरी छवि भी धूमिल की गई है और मुझे अपशब्द कहे जा रहे, साइबर धौंस दी जा रही तथा ऑनलाइन फब्तियां कसी जा रही हैं।’
आंखी दास ने आरोप लगाया कि आरोपी द्वारा अपने ‘राजनीतिक जुड़ाव’ को लेकर इरादतन उन्हें निशाना बनाया जा रहा है तथा अब वे ऑनलाइन एवं ऑफलाइन गाली-गलौज करने में लग गये हैं, उन्हें आपराधिक धमकियां दी जा रही और उनके खिलाफ अश्लील टिप्पणी की जा रही है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर में फेसबुक द्वारा भारत में (केंद्र में) सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर घृणा भाषण संबंधी नियमों को लागू करने में लापरवाही का दावा किये जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू होने के बीच ये टिप्पणी आई है।
सोशल मीडिया कंपनी राष्ट्रवादी आवाज को दबा रही
एक ओर जहां भाजपा ने आरोप लगाया है कि सोशल मीडिया कंपनी राष्ट्रवादी आवाज को दबा रही है, वहीं विपक्षी कांग्रेस ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि फेसबुक की विषय वस्तु की नीति सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन करती है।
वहीं उधर, फेसबुक ने इस तरह के आरोपों के बीच सोमवार को सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर नफरत या द्वेष फैलाने वालों ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने जांजगीर-चांपा जिले के बहेराडीह ग्राम स्थित श्री कृष्णा इंडस्ट्रीज की एक महिला मजदूर गंगोत्री बाई कंवर की मौत पर उसके परिजनों को मुआवजे को लेकर राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं क्षतिपूर्ति राहत पर 6 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने कहा है।
आयोग ने 11 अगस्त को एक आदेश जारी कर कहा है कि 27 जनवरी 2020 की रिपोर्ट का अवलोकन कर उस पर विचार किया, और छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए निर्देश दिया है कि, क्यों न 2 लाख रुपये का नगद मुआवजा मृतक गंगोत्री बाई कंवर के निकटतम परिजन को दिया जाए? और अनुपालन रिपोर्ट 4 हफ्ते में पेश किया जाए?
जानकारी के मुताबिक यह मामला बजरंग यादव (29)की 12 सितंबर 2018 को सिलिकोसिस से हुई मृत्यु से संबंधित है, जिसकी शिकायत जयगोपाल सोनी ने आयोग से की थी। आयोग ने अपने आदेश 11 अगस्त 2020 में लिखा है कि मृतक मेसर्स श्री कृष्णा इंडस्ट्रीज में काम कर रहा था और फैक्ट्री में स्वास्थ्य-सुरक्षा उपायों का पालन न करने पर वह सिलिकोसिस से संक्रमित हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि 13 अन्य मजदूर जो इसी फैक्ट्री में काम कर रहे थे और सिलिकोसिस से संक्रमित थे।
आयोग ने 27 दिसंबर 2018 को मामले का संज्ञान लिया और राज्य सरकार के मुख्य सचिव को 6 हफ्ते में कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा। आयोग ने पूर्व में दी गई रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि मृतक राम कुमार यादव की एनओके को मुआवजे की राहत दी गई है, जबकि मजदूर गंगोत्री बाई कंवर के संबंध में बायोप्सी जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। खीक राम यादव बायोप्सी के जांच रिपोर्ट में सिलिकोसिस बीमारी पर किसी टिप्पणी का उल्लेख नहीं किया है और उनके फेफड़ों में कोई जहरीला पदार्थ नहीं पाया गया है।
बताया गया है कि आयोग के निर्देश के अनुपालन में, 27 जनवरी 2020 की एक रिपोर्ट अतिरिक्त सचिव, श्रम विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिसमें कहा गया है कि मृतक मजदूर, गंगोत्री बाई कंवर की मृत्यु में सिलिकोसिस का कोई उल्लेख नहीं है और गंगोत्री बाई कंवर के बिसरा जांच के दौरान कोई जहरीला रसायन नहीं मिला।
स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, अंतिम आंकड़ें दिनांक 18 अगस्त 2020, सुबह 8:00 बजे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 18 अगस्त 2020, सुबह 8:00 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में मामलों की संख्या बढ़कर 27,02,742 पर पहुंच चुकी है। जिनमें 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इस संक्रमण से अब तक 51,797 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 55,079 नए मामले सामने आये हैं और 876 लोगों की मौत हुई। जबकि देश भर में 19,77,778 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं एक विदेशी नागरिक अपने देश वापस जा चुका है।
पिछले 24 घंटों में सबसे ज्यादा 8,493 मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं| जबकि आंध्रप्रदेश (6,780), तमिलनाडु (5,890) और कर्नाटक में 6,317 मामले सामने आये हैं
अब तक महाराष्ट्र में 604,358 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 428,514 ठीक हो चुके हैं। ऊपर ग्राफ में देखिए कि किस राज्य में कब कितने मामले सामने आए। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहाँ अब तक 343,945 मामले सामने आ चुके हैं। तीसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है, जहां अब तक 296,609 मामले सामने आ चुके हैं। कर्नाटक में 233,283, उत्तरप्रदेश में 158,216, दिल्ली 153,367, पश्चिम बंगाल में 119,578, बिहार में 106,307, तेलंगाना में 93,937 जबकि गुजरात में भी अब तक संक्रमण के करीब 79,710 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि उनमें से 62,595 मरीज ठीक हो चुके हैं। गौरतलब है कि गुजरात में पहला मामला 20 मार्च को सामने आया था।
पिछले 24 घंटों में सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में 8,493 सामने आये हैं। जबकि आंध्रप्रदेश में (6,780), तमिलनाडु (5,890), कर्नाटक(6,317), उत्तरप्रदेश (3,798), दिल्ली (787), जम्मू कश्मीर (422), गुजरात (1030), पश्चिम बंगाल (3,080), राजस्थान (1,334), मध्यप्रदेश में 930 मामले सामने आये हैं।
स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, अंतिम आंकड़ें दिनांक 18 अगस्त 2020, सुबह 8:00 बजे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 18 अगस्त 2020, सुबह 8:00 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में मामलों की संख्या बढ़कर 27,02,742 पर पहुंच चुकी है। जिनमें 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इस संक्रमण से अब तक 51,797 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 55,079 नए मामले सामने आये हैं और 876 लोगों की मौत हुई। जबकि देश भर में 19,77,778 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं एक विदेशी नागरिक अपने देश वापस जा चुका है।
भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, जबकि प्रति दस लाख आबादी पर सिर्फ 22,393 टेस्ट किये गए हैं
भारत में अब तक कोरोना के 27,02,742 मामले सामने आ चुके हैं। जिसके साथ वो दुनिया का तीसरा सबसे संक्रमित देश बन गया है। यदि गंभीर मामलों को देखें तो अमेरिका के बाद भारत का दूसरा स्थान है। जहां 8,944 मरीज गंभीर रूप से बीमार हैं।
मनरेगा के तहत अजमेर सहित पांच जिलों में ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में किक्रेट मैदान, बास्केटबॉल कोर्ट और ट्रैक एंड फील्ड बनाए गए
-अनिल अश्वनी शर्मा
राजस्थान के गांवों की नवपौध यानी बच्चे जब स्कूल जाते हैं तो उन्हें स्कूल तो जैसे-तैसे नसीब हो जाता है, लेकिन खेल के मैदान के नाम पर स्कूल के आसपास की खाली पड़ी जमीनों पर लगी जंगली झाड़ियों से भरा मैदान ही नसीब हो पाता है। वहीं राज्य सरकार की प्राथमिकताएं भी ग्रामीण अंचलों में खेल मैदान तो दूर केवल स्कूल खोलने तक ही सीमित रहती हैं, लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
अकेले अजमेर जिले में मनरेगा के माध्यम से अब तक नौ स्कूलों में खेल के मैदान, ट्रैक एंड फील्ड और बाक्केटबॉल कोर्ट तैयार किए गए हैं। इस सबंध में अजमेर जिला परिषद में मनरेगा अधिकारी गजेंद्र सिंह राठौर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि हमने यह महसूस किया है कि मरनेगा के तहत कहने के लिए तमाम विकास कार्यों को स्वीकृति दी जा रही है। और जिस प्रकार से हमने जिले में तमाम जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के साथ अन्य विकास कार्यों को शुरू करने के लिए पहले पहल ग्रामीणों के साथ बैठक कर अंतिम निर्णय पहुंचे थे। ठीक उसी प्रकार से मई में हमने कम से कम आधा दर्जन से अधिक स्कूलों से बातचीत की और इस दौरान यह बात निकल कर आई कि स्कूल तो हैं लेकिन खेल के मैदान नदारद।
वे बताते हैं कि ऐसे में हमने अब तक चार स्कूलों में खेल के मैदान, 200 मीटर दौड़ के लिए ट्रैक एंड फील्ड और बास्केटबॉल के मैदान तैयार किए हैं। स्कूलों में बने खेल के मैदान के संबंध में जिले के एक अन्य मनरेगा अधिकारी अमित माथुर बताते हैं कि अकेले राजस्थान में ही नहीं देशभर के ग्रामीण अंचलों में सरकारों ने स्कूल तो खोल दिए हैं लेकिन अधिकांश स्कूलों में खेल के मैदान नहीं होते हैं। और इसे एक कमी के रूप में कोई भी नहीं उठाता।
वह बताते हैं कि अक्सर इसके लिए वित्तीय संसाधन की कमी को एक बड़े कारण के रूप में बताया जाता है। चूंकि हमारे पास मनरेगा फंड था तो हमने इस प्रकार से मनरेगा में खर्च करने की तैयारी की, ताकि गांव में हर प्रकार की मूलभूत सुविधाओं का निर्माण हो सके। केवल तालाब या नाली या सड़क तक ही मनरेगा के कामों को सीमित नहीं रखा गया।
उन्होंने बताया कि हमने देखा कि कई गांवों में स्कूल तो हैं लेकिन खेल के मैदान नहीं, ऐसे में हमने ग्राम पंचायत प्रमुख से बातचीत करके उनसे जमीन लेकर मनरेगा के तहत खेल मैदान तैयार करवाए। वह बताते हैं कि किक्रेट अब अकेले शहरी खेल नहीं रहा, अब बड़ी संख्या में ग्रामीण बच्चे भी इसमें अपना कौशल दिखाने में पीछे नहीं रहते। इसी बात को ध्यान में रखकर हमने दो स्थानों पर तो बकायदा किक्रेट खेलने के लिए सीमेंट की पिच तक तैयार करवा दी है। ताकि कोई भी खेल प्रतिभा केवल इस बिना पर पीछे न रह जाए कि उसके पास खेल के मैदान नहीं था, इस प्रकार दो स्कूलों में बास्केटबॉल कोर्ट भी तैयार किए हैं। (downtoearth)
मौदहापारा 16, रावतपुरा कॉलेज 20, बीएसएफ के 5 कोरोनाग्रस्त
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अगस्त। राजधानी रायपुर का मौदहापारा दरगाह पास और पचेड़ा अभनपुर का रावतपुरा सरकार कॉलेज नया हॉट स्पॉट बन गया है। रायपुर और आसपास की बस्तियों में बीती रात में 152 नए पॉजिटिव सामने आए। इसमें मौदहापारा दरगाह के पास 16 और रावतपुरा सरकार पचेड़ा अभनपुर में 20 नए पॉजिटिव मिले हैं। इसके अलावा बीएसएफ के 5 जवान भी संक्रमित पाए गए हैं। ये सभी मरीज आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराए जा रहे हैं।
प्रदेश की राजधानी रायपुर-आसपास कोरोना मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और यहां नए-नए हॉट स्पॉट बन रहे हैं। बीती रात में जिन जगहों से नए पॉजिटिव मिले हैं, उसकी सूची निम्नानुसार है-न्यू राजेंद्र नगर अमलीडीह रायपुर रविग्राम, सेक्टर 1 आरएमएस कॉलोनी अरविंद नगर, रायपुर 7, सरोना रायपुर, कृष्णा टॉकिज समता कॉलोनी, वॉलफोर्ड सिटी रायपुर 2, वीआईपी रोड बेबीलॉन होटल रायपुर 2, भावना नगर कचना रोड रायपुर, मठपुरैना रायपुर, दलदल सिवनी रायपुर, सांई विहार कॉम्पलेक्स श्रीनगर, परशुराम नगर रायपुर, कंचना असवा परिसर एचआईजी डीडी नगर, न्यू पीजी हॉस्टल पीटी जेएनएमएमसी रायपुर 2, पुराना रायपुर, आनंद विहार, त्रिमूर्ति नगर, चौबे कॉलोनी, बिरगांव रायपुर, मोवा 2, लालपुर, आदर्श नगर मोवा, जीटी कॉम्पलेक्स संतोषी नगर रायपुर, सिमरन सिटी, पीएस सिटी चंगोराभाठा, शांति विहार कॉलोनी डंगनिया, देवेंंद्र नगर रायपुर, गोविंद नगर पंडरी 2, टैगोर नगर, श्रीराम नगर रायपुर, न्यू चंगोराभाठा आशा दीप स्कूल, देवपुरी, कोटा रायपुर 3, टिकरापारा 3, अमलीडीह, बढ़ईपारा, गुढिय़ारी 2, गोल्डन टावर अमलीडीह, सालासर सरोना, दरगाह मौदहापारा 16, शिवानंद नगर, बूढ़ापारा नथानी बाड़ा कोठारी हॉस्पिटल, राजेंद्र नगर, जागृति नगर भनपुरी, ब्राम्हणपारा, तेलीबांधा, हनुमान मंदिर रायपुर, देवेंद्र नगर पंडरी, राम नगर शीतलापारा रायपुर, पीपरूद रायपुर, रियल कॉलोनी रायपुर, मौलश्री विहार वीआईपी रोड, हीरापुर पेट्रोल पंप सिंघानिया बिल्डिंग, महिंद्रा पॉवर प्लान्ट, उरला मेन रोड, बजरंग नगर सरोरा, एग्रो एलाईंस न्यू बेंद्री, आजाद नगर रावा, भनपुरी रिंग रोड, बीएसएफ पालूद 5, गीतांजली नगर रायपुर, शैलेंद्र नगर 2, टाटीबंध, टैगोर नगर, रोणिपुरम, जैन विहार रायपुर, एनएचएमएमआई हॉस्पिटल 2, गुढिय़ारी रावतपुरा सरकार पचेड़ा अभनपुर 20, चौबे कॉलोनी प्रगति कॉलेज, विकास विहार कॉलोनी विद्या भवन के पीछे रायपुर, भोई पारा लाखे नगर, जोरापारा ठाकुर देव मंदिर 2, छोटापारा ठाकुर देव मंदिर के पास रायपुर 3, फूल चौक नवीन मार्के के पास रायपुर, ग्रीन सरोना, बजरंग नगर, लालपुर इंफ्रॉन्ट एमएमआई हॉस्पिटल, नयापारा फूल चौक, महावीर नगर कृष्णा मेडिकल के पास रायपुर 2, सांई विहार कॉम्पलेक्स श्रीनगर गुढिय़ारी, फाफाडीह छोटी लाइन रायपुर, कैलाशपुरी बजरंग चौक रायपुर, शंकर नगर शिव मंदिर, गायत्री नगर जगन्नाथ मंदिर अवंति विहार।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भर्ती कराया गया है। वो 14 अगस्त को कोरोना निगेटिव पाए गए थे। उन्हें थकान और बदन दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एम्स से जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्हें तीन दिनों से बदन दर्द की शिकायत थी और थकान भी महसूस हो रही थी।
एम्स से जारी एक बयान में कहा गया, उनकी तबीयत स्थिर है और वो अस्पताल से ही कामकाज कर रहे हैं।
2 अगस्त को शाह ने कोरोनो पॉजिटिव होने की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर दी थी। उन्होंने कहा था कि वो अस्पताल में भर्ती हैं और डाॉक्टरों की सलाह पर उनका इलाज चल रहा है। उनका इलाज मेदांता अस्पताल में चल रहा था।
दुनिया भर में बढ़ते एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ प्रदूषण में हो रही वृद्धि भी जिम्मेवार है
-ललित मौर्य
दुनिया भर में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स, स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसके विषय में हाल ही में किए एक नए शोध से पता चला है कि यह केवल बढ़ते एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग के कारण ही नहीं हो रहा है, इसके लिए बढ़ता प्रदूषण भी जिम्मेवार है। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जोकि जर्नल माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने प्रदूषण और एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स के सम्बन्ध को समझने के लिए जीनोमिक एनालेसिस की मदद ली है। जिससे पता चला है कि भारी धातु के प्रदूषण और एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स के बीच एक मजबूत सम्बन्ध है। वैज्ञानिकों के अनुसार जिस मिटटी में भारी धातुओं की अधिकता थी उसमें बड़ी मात्रा में वो बैक्टीरिया मौजूद थे जिनके जीन में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स के गुण मौजूद थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार इस मिटटी में एसिडोबैक्टीरियोसाय, ब्रैडिरिज़ोबियम और स्ट्रेप्टोमी जैसे बैक्टीरिया मौजूद थे। इन बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीन होते हैं जिन्हें एआरजी के रूप में जाना जाता है। जिसकी वजह से इनपर वैनकोमाइसिन, बेसिट्रेसिन और पोलीमैक्सिन जैसे एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है। इन तीनों दवाओं का उपयोग मनुष्यों में संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता जेसी सी थॉमस के अनुसार इन बैक्टीरिया में जो एआरजी जीन होते हैं, वो इन्हें मल्टीड्रग रेसिस्टेन्स बनाने के साथ-साथ इन भारी धातुओं से भी बचाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार जब ये एआरजी मिट्टी में मौजूद थे, तब उन सूक्ष्मजीवों में आर्सेनिक, तांबा, कैडमियम और जस्ता सहित कई धातुओं के लिए, धातु प्रतिरोधी जीन (एमआरजी) भी मौजूद थे।
थॉमस के अनुसार वातावरण में जैसे-जैसे एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है यह सूक्ष्मजीव उतना ज्यादा इन दवावों के प्रति अपनी प्रतिरोधी क्षमता को विकसित कर रहे हैं। लेकिन इन बैक्टीरिया में मौजूद जीन केवल एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति ही रेसिस्टेंट नहीं होते इसके साथ ही यह कई अन्य यौगिकों के प्रति भी प्रतिरोध विकसित करते हैं जो सेल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिसमें यह हैवी मेटल्स भी शामिल हैं।
पब्लिक हेल्थ कॉलेज में प्रोफेसर ट्रेविस ग्लेन के अनुसार चूंकि एंटीबायोटिक दवाओं के विपरीत, भारी धातुएं पर्यावरण में आसानी से ख़त्म नहीं होती इसलिए वो लम्बे समय तक नुकसान पहुंचा सकती हैं। थॉमस के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग ही केवल एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स का कारण नहीं है। कृषि और जीवाश्म ईंधन, खनन जैसी गतिविधियों के कारण भी यह बढ़ रहा है।
क्या होता है एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स
एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स तब उत्पन्न होता है, जब रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों (जैसे बैक्टीरिया, कवक, वायरस, और परजीवी) में रोगाणुरोधी दवाओं के संपर्क में आने के बाद से बदलाव आ जाता हैं और वो इन दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं। नतीजतन, यह दवाएं इन पर अप्रभावी हो जाती हैं। इसके कारण संक्रमण शरीर में बना रहता है। इन्हें कभी-कभी "सुपरबग्स" भी कहा जाता है।
दुनिया में कितना बड़ा है एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट का खतरा
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि दुनिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट एक बड़ा खतरा है। अनुमान है कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो 2050 तक इसके कारण हर साल करीब 1 करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2030 तक इसके कारण 2.4 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे। साथ ही इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
शोधकर्ताओं के अनुसार इन बैक्टीरिया के बारे में जानना जरुरी है कि समय के साथ यह कैसे विकसित हो रहे हैं। यह हमारे भोजन, पानी के जरिए हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए सही समय पर इनसे निपटना जरुरी है। (downtoearth)
-जुबैर अहमद(बीबीसी संवाददाता)
फे़सबुक भारत में राजनीतिक विवाद में फंस गया है. अमरीका के अख़बार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के मुताबिक फ़ेसबुक ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और वैचारिक रूप से संघ के क़रीब मानी जाने वाली सत्तारूढ़ बीजेपी की मदद की है. अब विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर है.
शुक्रवार को 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में छपी एक रिपोर्ट में फे़सबुक के कुछ मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से दावा किया गया है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की हेट स्पीच और सांप्रदायिक कंटेंट को नज़रअंदाज किया है. फे़सबुक के पास ही वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का भी मालिकाना हक है.
निष्पक्षता को लेकर फे़सबुक के दावों पर सवालिया निशान?
विश्लेषकों का कहना है कि 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' की ओर से फे़सबुक पर लगाए गए आरोपों ने इसकी निष्पक्षता के दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इस आरोप की वजह से फे़सबुक पर चले 2014 और 2019 के चुनावी अभियानों को भी शक़ की निगाहों से देखा जाने लगा है. इन दोनों चुनावों में बीजेपी को भारी बहुमत मिला था.
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक परंजॉय गुहा ठाकुरता ने पिछले साल आई अपनी किताब में बीजेपी और फे़सबुक के रिश्तों की पड़ताल की थी. ठाकुरता कहते हैं कि उन्हें विश्वास है कि फे़सबुक और वॉट्सऐप ने पिछले दो लोकसभा चुनावों के नतीजों को काफी अधिक प्रभावित किया है. उन्होंने बीबीसी से कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की स्टोरी ने भारत में फेसबुक की भूमिका की उनकी जांच पर मुहर ही लगाई है.
वह कहते हैं, "भारत में 40 करोड़ फे़सबुक यूज़र्स हैं और 90 करोड़ वोटर. देश में चुनाव से पहले, बाद में और इसके दौरान इस प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग होने दिया गया. लोगों ने किसे वोट डाला और कैसे वोट डाला इस पर निश्चित तौर पर इनका बड़ा असर रहा है. संक्षेप में कहें तो आज की तारीख में फे़सबुक और वॉट्सऐप जिस तरीके से काम कर रहे हैं, इससे न सिर्फ़ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र को ख़तरा पैदा हुआ है".
फे़सबुक का दोहरा रवैया?
आलोचकों का कहना है कि फे़सबुक अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम और गाइडलाइंस बनाता है. फे़सबुक दूसरे देशों में सत्ताधारी दलों के आगे हथियार डाल देता है लेकिन अमेरिका में जहां इसका मुख्यालय हैं, वहां राजनीति से दूरी बनाता दिखता है. यह इसका दोहरा रवैया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह फे़सबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित कर रही है. उन्होंने संसद की संयुक्त कमेटी से इसकी जांच कराने की मांग की है.
लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि फे़सबुक, वॉट्सऐप को नियंत्रित करने में उनकी सरकार की कोई भूमिका नहीं है. प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, "जो लूज़र ख़ुद अपनी पार्टी में भी लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते वो इस बात का हवाला देते रहते हैं कि पूरी दुनिया को बीजेपी और आरएसएस नियंत्रित करते हैं."
अमरीका में अपने मुख्यालय से बयान जारी करते हुए फे़सबुक ने इन आरोपों का खंडन किया है. उसके बयान में कहा गया है, " हम हिंसा भड़काने वाले हेट स्पीच और कंटेंट को रोकते हैं. पूरी दुनिया में हमारी यही पॉलिसी है. हम किसी राजनीतिक पार्टी का पक्ष नहीं लेते हैं और न हमारा किसी से जुड़ाव है".
हालांकि फे़सबुक ने माना है कि इस तरह के मामलों से बचने के लिए और भी काफ़ी कुछ करना होगा. अपने बयान में उसने कहा, "हमें पता है कि इस दिशा में अभी कुछ और क़दम उठाने होंगे. लेकिन हम अपनी प्रक्रिया के लगातार ऑडिट और उन्हें लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं ताकि हमारी निष्पक्षता और सटीकता पर आंच न आए."
फे़सबुक और बीजेपी की नज़दीकियों की पड़ताल
फे़सबुक और बीजेपी सरकार के बीच संबंधों की खबरों से ठाकुरता को अचरज नहीं हुआ. वह कहते हैं, "पिछले साल जब मैंने फे़सबुक पर किताब लिखी और इसके और वॉट्सऐप से मोदी सरकार के नजदीकी रिश्तों का ब्योरा दिया तो मीडिया ने इसे नजरअंदाज किया. अब जब एक विदेशी अख़बार ने यह मुद्दा उठाया है तो मीडिया में गज़ब की फुर्ती और दिलचस्पी दिख रही है".
ठाकुरता ने बीबीसी से कहा कि फे़सबुक और मोदी की पार्टी बीजेपी की दोस्ती काफी पुरानी है. मोदी को सत्ता में पहुंचाने वाले 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले दोनों के बीच काफी अच्छे रिश्ते बन चुके थे.
फे़सबुक से लोकतंत्र को खतरा ?
अमरीका और यूरोप के राजनीतिक नेताओं ने लोकतंत्र के सिद्धांतों को कथित तौर पर चोट पहुंचाने के लिए फे़सबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कटघरे में खड़ा किया है.
ब्रिटेन में हयूमन राइट्स कमेटी के अध्यक्ष हैरियट हरमन का कहना है "आमतौर पर सांसद काफी शिद्दत से यह मान रहे हैं सोशल मीडिया जो कुछ कर रहा है उससे लोकतंत्र के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है".
इस तरह के कई मामलों के बाद फे़सबुक और वॉट्सऐप पर चारों ओर से अपने कामकाज में सुधार लाने के दबाव बढ़ने लगे हैं. ट्विटर जैसे दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूज़र फे़सबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को सलाह दे रहे हैं वह भारत में अपनी कंपनी की गड़बड़ियों को ठीक करे. हालांकि ट्विटर पर भी गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं.
ज़करबर्ग की पिछले दिनों अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पोस्ट के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न करने पर आलोचना हुई थी. फे़सबुक के शुरुआती दौर में इसमें काम कर चुके 30 कर्मचारियों ने सार्वजनिक तौर पर एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि ट्रंप को पोस्ट को मॉडरेट करने से फे़सबुक का इनकार करना ठीक नहीं है. इसने अमरीकी जनता को उन ख़तरों की ओर धकेल दिया, जिन्हें वह पहले ही देख चुका है. इस पत्र में फे़सबुक पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया था.
हेट स्पीच और हिंसा के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इन-हाउस गाइडलाइंस होते हैं और वे इन्हें बढ़ावा देने के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी करते हैं. लेकिन इस मामले में वो ज्यादातर यूज़र पर ही निर्भर रहते हैं कि वे नियमों के उल्लंघन के प्रति उन्हें सतर्क करें.
ज़करबर्ग ने हाल ही में इसराइली इतिहासकार युआल नोह हरारी से कहा था कि फे़सबुक के लिए यूज़र की प्राइवेसी और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है. लेकिन हरारी इससे सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि ऐसे मामलों में फे़सबुक ने सब कुछ यूज़र पर छोड़ दिया है. उसे इन मामलों में एक कदम आगे बढ़ कर काम करना चाहिए क्योंकि आम आदमी को अक्सर यह पता नहीं होता कि उसका फायदा उठाया जा रहा है. उनका कहना था आम यूज़र के पास फेक न्यूज़ का पता करने का ज़रिया नहीं होता.
'सोशल मीडिया का मकसद सिर्फ पैसा कमाना'
ठाकुरता का कहना है कि सोशल मीडिया का राजनीतिक या कोई और दूसरा मकसद नहीं होता. उसका एक मात्र मकसद "मुनाफा और पैसा कमाना होता है."
फे़सबुक ने हाल में रिलायंस के जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये का निवेश किया है ताकि भारत में इसका धंधा और बढ़े.
यूज़र की तादाद के हिसाब से भारत फे़सबुक का सबसे बड़ा बाजार है. देश की 25 फीसदी आबादी तक इसकी पहुंच है. 2023 तक यह 31 फीसदी लोगों तक पहुंच सकता है, वॉट्सऐप की पहुंच तो और ज्यादा है.
उन्होंने कहा, " 2013 में मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते ही फे़सबुक और बीजेपी के बीच काफी अच्छे संबंध बन गए थे. मैंने लिखा है कि कैसे फे़सबुक के कुछ आला अफसरों ने बीजेपी के आईटी सेल, इसके सोशल मीडिया विंग और फिर बाद में पीएमओ में मोदी के करीबियों के साथ मिल कर काम किया."
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फे़सबुक के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से कहा है कि अगर यह प्लेटफॉर्म हेट स्पीच या दूसरे नियमों के उल्लंघन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कदम उठाता तो देश में कंपनी की कारोबारी संभवानाओं चोट पहुंचती. इस स्टोरी में कहा गया है कि फे़सबुक के पास बीजेपी का पक्ष लेने का एक 'विस्तृत पैटर्न' है. हालांकि बीजेपी अब इस आरोप से इनकार कर रही है कि फे़सबुक ने उसकी कोई मदद की है.(BBCNEWS)