राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 26 सितंबर । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि देश के युवाओं को भाजपा ने धोखा दिया है क्योंकि इसने साल दर साल उनसे केवल नौकरियां छीनी हैं।
एक्स पर एक पोस्ट में खड़गे ने कहा, ''मोदी सरकार ने आजादी के बाद से देश के युवाओं में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ाई है। ऐसा कोई युवा नहीं है, जिसे भाजपा ने धोखा न दिया हो। सारे आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार ने सालाना दो करोड़ नौकरियां देना तो दूर, साल दर साल युवाओं से नौकरियां ही छीनी हैं।''
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में ही 31 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं, जिनमें से 26 लाख महिलाएं हैं।
खड़गे ने यह भी कहा कि देश में 32.06 करोड़ लोगों के पास नौकरी नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नौकरियों और बेहतर रोजगार में महिलाओं की भागीदारी घटकर केवल 10 प्रतिशत रह गई है, जबकि 2021-22 में 25 वर्ष से कम आयु के 42.3 प्रतिशत स्नातक बेरोजगार थे।
खड़गे ने कहा, "पिछले एक साल में गिग वर्कर्स की नौकरियों में 17.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। मैंने एक-एक पैसा बचाकर पढ़ाई की, लेकिन भर्ती का मौका नहीं मिला। टूटी उम्मीदें, टूटे हुए सपने, बर्बाद भविष्य, तलाश में भटकता बेबस नौकरी, कैसे गुजारा करें? हमारे युवा मोदी सरकार के कुशासन के तहत संघर्ष कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि कांग्रेस बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के मुद्दे पर सरकार से सवाल करती रहेगी। (आईएएनएस)।
भुवनेश्वर, 26 सितंबर । ओडिशा में एक जर्मन मूल की महिला प्रोफेसर और एक विशेष रूप से विकलांग व्यक्ति की शादी ने इस लोकप्रिय कहावत की पुष्टि की है कि सच्चा प्यार सभी सीमाओं से परे है।
उलरिक जेसन और शिवाजी पांडा की प्रेम कहानी ने ओडिशा के सुबरनापुर जिले के लोगों का ध्यान खींचा है।
उलरिक ने उड़िया में कहा, "मुझे ग्रामीण जीवन पसंद है, जो प्रकृति से भरपूर है। मुझे महानदी... गायें पसंद हैं। जिस तरह से उनके परिवार ने मेरा स्वागत किया, उससे मैं आश्चर्यचकित था। हमारे पास में एक स्कूल है और मैं वहां शिक्षकों के साथ काम करती हूं। मैं अब ओडिशा की बहू हूं और ज्यादातर समय यहीं बिताऊंगी।''
मूक-बधिर शिवाजी सुबरनापुर जिले के सिंदूरपुर गांव के रहने वाले हैं।
ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में सांकेतिक भाषा की प्रोफेसर उलरिक कुछ साल पहले शिवाजी के संपर्क में आईं, जो उसी विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे।
बाद में 2016 में ब्रिटेन के विश्वविद्यालय की नौकरी छोड़ने के बाद शिवाजी अपने मूल स्थान पर लौट आए।
उन्होंने सुबरनापुर जिले में एक सांकेतिक भाषा स्कूल खोला और अपने गांव के पास महानदी के तट पर एक "इको-विलेज" स्थापित किया।
हालांकि, हजारों किलोमीटर दूर रहने के बावजूद प्यार ने उलरिक और शिवाजी दोनों को फिर से एक कर दिया।
जब 17 जून, 2023 को करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में ब्रिटेन की एक अदालत में शिवाजी से शादी हुई, तो संबलपुरी साड़ी में लिपटी उलरिक एक सामान्य ओडि़या दुल्हन की तरह लग रही थीं।
बाद में यह जोड़ा ओडिशा लौट आया, जहां शिवाजी के परिवार ने उनका स्वागत किया।
दोनों अपने इको-विलेज में पेड़, पौधे और झाड़ियां उगाकर खुशी से रह रहे हैं। (आईएएनएस)।
गुवाहाटी, 26 सितंबर । असम कांग्रेस के नेताओं ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के साथ कोई गठबंधन नहीं करने की घोषणा करने के लिए राहुल गांधी की सराहना की है।
असम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ ने कहा, "एआईयूडीएफ ने भाजपा के साथ गुप्त गठबंधन किया है। यदि आप घटनाओं की श्रृंखला को स्पष्ट रूप से देखें, तो कोई भी इसे समझ सकता है। भाजपा शासन में सबसे बड़ा लाभार्थी है बदरुद्दीन अजमल। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अपने व्यवसाय को कई गुना बढ़ाया है।"
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा और एआईयूडीएफ में कोई फर्क नहीं है।
कांग्रेस के एक अन्य विधायक राणा गोस्वामी ने कमलाख्या के बयान का समर्थन किया।
गोस्वामी ने कहा, "बदरुद्दीन अजमल और उनकी पार्टी हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देशों पर काम कर रहे थे। उन्होंने शुरू में इंडिया गठबंधन के नेताओं को गुमराह करने की कोशिश की और गठबंधन में प्रवेश की तलाश में थे। लेकिन हमारी पार्टी के नेता एयूआईडीएफ के मकसद को समझ गए और उन्हें गठबंधन में शामिल नहीं किया गया। राहुल गांधी ने भ्रम को दूर कर दिया है।''
असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा कई बार कह चुके हैं कि सबसे पुरानी पार्टी भविष्य में एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि एआईयूडीएफ ने 2021 के विधानसभा चुनाव में हिंदू वोटों को मजबूत करने के लिए भाजपा की मदद की थी। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 26 सितंबर । मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में चार महीने की देरी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को कड़ी फटकार लगाए जाने के कुछ दिनों बाद अध्यक्ष ने सोमवार को दोनों गुटों की बात सुनने के बाद 13 अक्टूबर को आधिकारिक सुनवाई होनी तय की।
शिंदे गुट के साथ गठबंधन करने वाले विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने में स्पीकर द्वारा अपने पैर खींचने के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 18 सितंबर को टिप्पणी की कि स्पीकर को शीर्ष अदालत की गरिमा का पालन करना होगा और उन्हें एक सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाओं पर सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
मई में एक संविधान पीठ ने निर्देश दिया था कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे सहित शिवसेना विधायकों के खिलाफ "अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय में फैसला करना चाहिए।"
शिवसेना-यूबीटी नेता सुनील प्रभु ने 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्पीकर एकनाथ शिंदे को अवैध रूप से मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 26 सितंबर । भारतीय खुफिया एजेंसियों की एक बैठक में चर्चा हुई कि कैसे कनाडा स्थित खालिस्तानी आतंकवादी अब स्थानीय हिंदुओं और भारत समर्थक सिखों को खुलेआम धमकी दे रहे हैं और वहां के मंदिरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने कहा, भारत समर्थक सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में कनाडा के सरे में हत्या कर दी गई थी। सूत्रों ने कहा कि उनकी हत्या हरदीप सिंह निज्जर ने कराई थी, जिसे हाल ही में प्रतिद्वंद्वियों ने मार डाला था। हालांकि, कनाडाई एजेंसियों ने कभी भी निज्जर या किसी खालिस्तानी गुर्गे के खिलाफ कोई जांच शुरू नहीं की।
बैठक में हाल के दिनों में मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाओं पर भी चर्चा हुई।
अधिकारियों ने इस बात पर भी चर्चा की कि कैसे खालिस्तानी समर्थक कनाडा में भारतीय राजनयिकों को खुलेआम डरा रहे थे और उनके अनुसार, यह वियना कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन था।
चर्चा के अन्य विषयों में खालिस्तानी अलगाववादियों के लिए सूक्ष्म समर्थन शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप खालिस्तान समर्थक तत्वों (पीकेई) के प्रभाव और संसाधनों के कारण कनाडा के प्रमुख गुरुद्वारों से उदारवादी, भारत समर्थक सिखों को बाहर कर दिया गया।
खुफिया एजेंसियों के रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि पंजाब इस समय कनाडा से शुरू होने वाली जबरन वसूली योजनाओं के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है।
एक सूत्र ने कहा, "कनाडा स्थित गिरोह के सदस्य पाकिस्तान से नशीली दवाओं की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें बाद में पूरे पंजाब में वितरित किया जाता है। इन अवैध गतिविधियों से प्राप्त आय का एक हिस्सा कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी चरमपंथियों को वापस भेज दिया जाता है। यह पंजाब को भी प्रभावित कर रहा है।"
वर्ष 2016 के बाद पंजाब में सिखों और हिंदुओं की लक्षित हत्याएं देखी गईं और इसके पीछे निज्जर का हाथ था। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कनाडाई एजेंसियां निष्पक्ष जांच करने के बजाय खालिस्तानी चरमपंथियों को पनाह दे रही हैं। (आईएएनएस)।
एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में बाल तस्करी के मामलों में 68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट कहती है कि महामारी के बाद कई राज्यों में बाल तस्करी के मामले बढ़े हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
गेम्स24x7 और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली बाल तस्करी के लिए हॉटस्पॉट बन गई है. रिपोर्ट के मुताबिक तस्करी से बचाए गए एक-चौथाई से अधिक बच्चे दिल्ली से आते हैं.
"भारत में बाल तस्करी" रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में तस्करी की संख्या में 68 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई वहीं उत्तर प्रदेश में तस्करी किए गए बच्चों की संख्या में लगभग छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है.
दिल्ली में बाल तस्करी के मामले
रिपोर्ट के मुताबिक जिलों में भी शीर्ष 10 जिलों में से पांच जिले दिल्ली के थे, जहां से तस्करी के शिकार बच्चों को बचाया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश शीर्ष तीन राज्य हैं जहां से बच्चों की तस्करी की गई.
गेम्स24x7 की डाटा साइंस टीम द्वारा एकत्र किया गया डाटा 2016 और 2022 के बीच भारत के 21 राज्यों के 262 जिलों में बाल तस्करी के मामलों में केएससीएफ और उसके सहयोगियों के हस्तक्षेप पर आधारित है. मौजूदा रुझानों की स्पष्ट तस्वीर देने के लिए डाटा को एकत्रित किया गया है.
होटल और ढाबे में बाल मजदूर
आंकड़ों के मुताबिक 2016 से 2022 के बीच 18 साल से कम उम्र के 13,549 बच्चों को बचाया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन उद्योगों में सबसे ज्यादा बाल मजदूरों को रोजगार मिलता है, वे होटल और ढाबे (15.6 फीसदी) हैं.
इसके बाद एक परिवार के स्वामित्व वाली ऑटोमोबाइल या परिवहन उद्योग (13 प्रतिशत) और कपड़ा क्षेत्र (11.18 फीसदी) हैं. बचाए गए अधिकांश बच्चे (80 प्रतिशत) 13 से 17 वर्ष की आयु के थे.
रिपोर्ट के मुताबिक 13 प्रतिशत बच्चे 9 से 12 वर्ष की आयु के थे और 2 प्रतिशत से अधिक 9 वर्ष से कम उम्र के थे.
देश में बाल तस्करी के मामलों की बढ़ती संख्या पर केएससीएफ के प्रबंध निदेशक एवीएसएम (रिटायर्ड) रियर एडमिरल राहुल कुमार श्रावत ने कहा, "भले ही संख्या गंभीर और चिंताजनक दिखती है, इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत ने पिछले दशक में बाल तस्करी के मुद्दे का सख्ती से सामना किया है और इस मुद्दे को काफी ताकत और गति दी है."
पिछड़े राज्यों से बच्चों की तस्करी कर उन्हें ऐसे शहरों या राज्यों में बेच दिया जाता है, जिससे उनका इस्तेमाल छोटे-मोटे उद्योगों या घरेलू काम के लिए किया जा सके.
कई बार तस्कर बच्चों को ऐसे गैंग को भी बेच देते हैं जो भीख मांगने जैसे वाले रैकेट चलाते हैं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2019 में देश में मानव तस्करी (बच्चों और वयस्कों समेत) के जितने भी मामले थे, उनमें से सबसे ज्यादा मामले जबरन श्रम, देह व्यापार, घरों में जबरन काम और जबरन शादी के थे. (dw.com)
उत्तर प्रदेश के आगरा में सरकारी जमीन से कथित तौर पर अवैध कब्जा हटाने गई पुलिस की टीम पर आश्रम के लोगों ने हमला कर दिया. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की. दोनों ओर से कई लोग घायल हुए हैं. इस विवाद की पूरी वजह क्या है?
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के दयालबाग इलाके में रविवार शाम स्थानीय पुलिस राधास्वामी सत्संग सभा की ओर से सरकारी जमीन पर कथित अवैध कब्जे को हटाने के लिए पहुंची थी. सत्संग सभा परिसर से लाउड स्पीकर के जरिए पुलिस को भीतर नहीं आने की हिदायत दी जा रही थी.
पुलिस पर पथराव
पुलिस परिसर के नजदीक पहुंचते ही बड़ी संख्या में मौजूद सत्संगियों ने पुलिस बल पर पथराव कर दिया. पुलिस ने लाउड स्पीकर से ऐसा नहीं करने की अपील की. पुलिस ने यह भी अपील की कि यदि पत्थरबाजी नहीं रुकी तो पुलिस वालों को आत्मरक्षा में लाठी चार्ज करना पड़ेगा. पत्थरबाजी नहीं रुकी और पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. घंटों दोनों तरफ से पत्थरबाजी होती रही, लाठी-डंडे चलते रहे. दर्जनों लोग घायल हुए जिनमें पुलिसकर्मी और सत्संगी दोनों तरफ के लोग थे.
मौके पर मौजूद रहे आगरा के एडिशनल एसपी सूरज कुमार राय ने बताया, "राजस्व विभाग की ओर से एक सरकारी चकमार्ग पर अवैध निर्माण को हटाने के लिए पुलिस फोर्स की मांग की गई थी. उसी क्रम में पुलिस बल पहुंचा था लेकिन कुछ लोग वहां तैयारी के साथ मुस्तैद थे. पुलिस बल के ऊपर पथराव किया गया. पुलिस ने संयम और अनुशासन के साथ भीड़ को नियंत्रित किया. फिलहाल मौके पर शांति है. आश्रम के लोगों को अपने सभी दस्तावेज दिखाने को कहा गया है.”
सरकारी जमीन पर कब्जा
आगरा के दयालबाग इलाके के जगनपुर मौजा में राधास्वामी सत्संग सभा का आश्रम है. आश्रम के भीतर एक रास्ता है जिसे आश्रम के लोग अपना बताते हैं जबकि प्रशासन का दावा है कि उस जमीन पर आश्रम का अवैध कब्जा है. इसके अलावा भी आश्रम का काफी हिस्सा प्रशासन के मुताबिक, सरकारी जमीन पर बना है. शनिवार को आगरा प्रशासन ने रास्ते के प्रवेश द्वार पर बना गेट और कुछ अवैध निर्माण बुलडोजर चलाकर ढहा दिया था. उसी दिन देर शाम सत्संगियों ने फिर से गिराई गई दीवारों की जगह पर कटीले तार और गेट लगाकर उस जमीन पर कब्जा कर लिया.
रविवार को पुलिस फिर से अवैध कब्जा हटाने पहुंची. पुलिस बल जैसे ही अवैध कब्जे वाली जगह पहुंचा तो पहले सत्संगियों को समझने का प्रयास किया गया लेकिन थोड़ी ही देर बाद सत्संगियों की ओर से पत्थरबाजी होने लगी.
स्थानीय पत्रकार यतीश लवानियां भी घटना को कवर कर रहे थे. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो बताते हैं, "आश्रम के वरिष्ठ स्वामी जिन्हें सब हुजूर साहब कहते थे वो भीतर एक ऑटो में बैठे थे. अंदर से घोषणा हो रही थी कि पुलिस वाले हट जाएं, दुर्व्यवहार ना करें, हमारा मसला हाईकोर्ट में चल रहा है. अचानक हुजूर साहब के इशारे के बाद सत्संगी एकदम आक्रामक हो गए. पत्थर फेंकने लगे. कांटे लगे हुए डंडों से पुलिस वालों को पीटने लगे. छोटे-छोटे बच्चों को आगे कर दिया गया. जेसीबी भी तोड़ दी गई. फिर पुलिस वालों ने भी अपने बचाव में पथराव किया और लाठी चार्ज भी किया.”
यतीश लवानियां बताते हैं कि आश्रम में लड़कियों की भी एक विंग बनी हुई है और ये लड़कियां पैरामिलिट्री फोर्स जैसी वर्दी में रहती हैं. ये लड़कियां लाठियों के जरिए शक्ति प्रदर्शन भी कर रही थीं और बाद में पुलिस के साथ उनकी भिड़ंत भी हुई.
इस भिड़ंत में कई पुलिसकर्मी और पत्रकार भी घायल हुए. पथराव कर रहे सत्संगियों को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब कुछ देर बाद भीड़ छंटी. राजस्व विभाग और पुलिस की ओर से सत्संगियों को कुछ समय दिया गया ताकि अगर उनके पास कोई कागज है तो वे उसे दिखाएं.
जमीन छीनने के आरोप
हालांकि प्रशासन ने सत्संग सभा को पहले ही नोटिस दे दिया था और कब्जा हटाने का समय भी दिया गया था ताकि कोई कानूनी पेंच ना फंस सके. वहीं दूसरी ओर, सत्संग सभा का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन जबरन उनकी जमीन छीनने और उसे कथित तौर पर बिल्डरों को सौंपने के षडयंत्र के तहत ऐसा कर रही है. राधास्वमी सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी एसके नैयर ने डीडब्ल्यू को बताया कि प्रशासन ने हठधर्मिता दिखाते हुए सत्संग सभा की जमीन और निर्माण को गलत तरीके से तोड़ा है.
नैयर का कहना है, "हमारे पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं. प्रशासन यहां जबरन रास्ता बनाना चाहता है जबकि रास्ता हमारा है, हमने इसे अपने खेत में से निकाला है. रास्ते के दोनों ओर की जमीनें आश्रम की हैं. हमारे पास सारे कागज हैं, प्रशासन कह रहा है कि ये फर्जी हैं जबकि ये सारे कागज प्रशासन की ओर से ही जारी किए गए हैं. श्मसान भूमि और सड़क सब आश्रम की हैं. किसी और के पास यहां के कागज हों तो दिखाएं. हम लोग कोर्ट जाएंगे, मानवाधिकार आयोग भी जाएंगे राष्ट्रीय महिला आयोग भी जाएंगे.”
ग्रामीणों की जमीन
आस-पास के ग्रामीणों ने भी राधास्वामी सत्संग सभा पर धीरे-धीरे करके ग्रामीणों की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है. कई टीवी चैनलों पर बड़ी संख्या में आस-पास के ग्रामीण ऐसे बयान देते हुए दिखे. हालांकि आश्रम के मीडिया प्रभारी ऐसे आरोपों से साफ इनकार करते हैं.
दयालबाग के खेतों और चकरोड पर कब्जा करने के आरोप राधास्वामी सत्संग सभा पर पहले भी कई बार लगे हैं और कुछ मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं. हालांकि सत्संग सभा के खिलाफ 113 साल में पहली बार प्रशासन का बुलडोजर चला है. यतीश लवानियां बताते हैं कि 1949 से लेकर अब तक जमीन का विवाद कई बार आक्रामक हुआ लेकिन सत्संग सभा ने प्रशासन को अपने परिसर के आस-पास फटकने नहीं दिया. यह पहला मौका है जब उनके किसी निर्माण को ढहाया गया है.
100 साल से ज्यादा पुराना आश्रम
राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग की स्थापना साल 1910 में हुई थी. आजादी के बाद 1949 में जमीन कब्जा करके रास्ता बंद करने संबंधी मामला कलेक्ट्रेट में पहुंचा और लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था. उसके बाद लगातार प्रदर्शन, पथराव, मारपीट और यहां तक कि गोलीबारी की भी कई घटनाएं हो चुकी हैं.
यतीश लवानियां बताते हैं कि ताजा मामले की शुरुआत तब हुई जब कुछ महीने पहले सत्संग सभा ने खेतों के चकरोड, मेन रोड और नहर की जमीन पर गेट लगाकर किसानों का रास्ता बंद कर दिया. इसी साल 28 अप्रैल को करीब 155 बीघा जमीन कब्जाने के साथ 10 हेक्टेयर जमीन पर गेट लगाने के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की. नोटिस का समय बीतने पर ही शनिवार को बुलडोजर चलाया गया. यही नहीं, पिछले हफ्ते सत्संग सभा के अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों को भूमाफिया घोषित करने की भी सिफारिश की जा चुकी है. (dw.com)
2023 के पहले छह महीने में मुस्लिम विरोधी नफरत-भरी बयानबाजी की संख्या रोजाना एक से ज्यादा रही है. अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित एक संस्था हिंदुत्वा वॉच ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
हिंदुत्वा वॉच की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2023 के पहले छह महीनों में हेट स्पीच के 255 मामले दर्ज किये गये. हालांकि पिछले सालों के इस तरह के कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि पहले ऐसे मामले ज्यादा होते थे या कम, लेकिन रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया है कि चुनावों के करीब इस तरह के मामले बढ़ जाते हैं.
हिंदुत्वा वॉच ने हेट स्पीच के मामलों का दस्तावेजीकरण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा को आधार बनाया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हेट स्पीच ‘किसी भी तरह का संवाद हो सकता है जिसमें किसी अन्य व्यक्ति या समूह के खिलाफ धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता, रंग, मूल, लिंग या अन्य पहचान के आधार पर भेदभावपूर्ण भाषा का प्रयोग किया जाए.‘
बीजेपी शासित राज्य सबसे प्रभावित
रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से जून के बीच भारत में हेट स्पीच के जो मामले दर्ज किये गये, उनमें से 70 फीसदी उन राज्यों में हुए जहां 2023 या 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हेट स्पीच के सबसे ज्यादा मामले देखे गये. महाराष्ट्र इनमें सबसे ऊपर था जहां 29 फीसदी मामले दर्ज हुए.
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर मामलों में मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार की बात की गयी और उनके खिलाफ हिंसा को उकसाया गया. अक्सर हेट स्पीच के इन संवादों में ऐसी बातें कही गईं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं था और वे कॉन्सपिरेसी थ्योरीज से प्रेरित थीं.
रिपोर्ट यह भी ध्यान दिलाती है कि 80 फीसदी मामले उन राज्यों में हुए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. हिंदुत्वा वॉच ने कहा कि उसने हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी की, सोशल मीडिया पर साझा किए गये हेट स्पीच वाले वीडियो की पुष्टि की और उन मामलों को भी रिपोर्ट में गिना जिनके बारे में मीडिया में खबरें आई थीं.
लगातार बढ़ते मामले
भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं पर भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे बयान देने के आरोप लगते रहे हैं. पिछले हफ्ते ही लोकसभा में बीजेपी के सांसदरमेश बिधूड़ीने एक बहुजन समाज पार्टी से सांसद कुंवर दानिश अली को अपशब्द कहे थे. भारतीय जनता पार्टी ने इस संबंध में अपने सांसद पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
इससे पहले जून महीने में उत्तराखंड राज्य में ऐसे पोस्टर दीवारों पर चिपके मिले थे जिनमें मुसलमानों को इलाका छोड़ने की चेतावनी दी गयी थी. उत्तरकाशी जिले में 'देवभूमि रक्षा अभियान' नाम के संगठन द्वारा ये पोस्टर लगाये गये. इन पोस्टरों में जिले के एक समुदाय विशेष के सदस्यों से दुकान खाली करने को कहा गया.
हिंदुत्ववादी संगठन ने अपने पोस्टर में लिखा, "लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत होने से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो वह वक्त पर निर्भर करेगा." ऐसे पोस्टर पुरोला के मुख्य बाजार में लगाये गये थे जहां कुल 700 दुकानें हैं और लगभग 40 दुकानें मुसलमानों की हैं.
भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र समेत कई संस्थाएं भारत सरकार से मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी शिकायतें कर चुकी हैं. ऐसे कई मामले हो चुके हैं जब किसी तरह का आरोप लगने पर प्रशासन ने मुसलमानों के घर ढहा दिये. कई संगठनों का आरोप है कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार बढ़ा है. हालांकि भारत सरकार इन्हें गलत आरोप बताती रही है. (dw.com)
लोकप्रिय सोशल मीडिया ब्लॉग ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' के संस्थापकों ने उस ब्लॉग का भारतीय प्रारूप चलाने वालों की आलोचना की है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
भारत में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' नाम से यह ब्लॉग चलाया जाता है और उसके लाखों फॉलोअर्स हैं. ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' के संस्थापक ब्रैंडन स्टैन्टन ने भारत में चलाये जा रहे ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' पर गैरवाजिब तरीकों से उनकी कहानियों से कमाई करने का आरोप लगाते हुए आलोचना की है. स्टैन्टन ने 2010 में ‘ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' शुरू किया था. इस ब्लॉग पर वह आम लोगों के जीवन की कहानियां और तस्वीरें साझा करते हैं.
शुरुआत के बहुत जल्द बाद ही यह ब्लॉग काफी सफल हो गया था. तीन साल बाद भारत की करिश्मा मेहता ने ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' शुरू किया. उसके इंस्टाग्राम पर 27 लाख फॉलोअर्स हैं. इसी महीने मेहता ने एक अन्य सोशल मीडिया अकाउंट ‘पीपल ऑफ इंडिया' पर कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया. उनका कहना है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' के इंस्टाग्राम अकाउंट पर ‘बहुत सारी तस्वीरें और वीडियो लगाये गये हैं' जो उनके पेज से कॉपी किये गये हैं.
इस केस ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल मचा दी थी और यह हलचल स्टैन्टन तक भी पहुंची. स्टैन्टन ने बीते शनिवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "अब तक मैं अपने काम का इस्तेमाल किये जाने को लेकर चुप रहा क्योंकि मुझे लगता है कि ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे महत्वपूर्ण कहानियां साझा करता है. हालांकि उन्होंने इस तरह से कमाई की है जैसा मैं ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क पर करने में असहज हूं. लेकिन जिस चीज के लिए मैंने आप लोगों को माफ किया, उसी चीज के लिए आप दूसरों पर मुकदमा नहीं कर सकते.”
कमाई का जरिया
मेहता पर तंज करते हुए स्टैन्टन ने कहा कि वह ‘ह्यूमंस ऑफ एम्सटर्डम' प्रोजेक्ट के प्रशंसक हैं क्योंकि "वे लोगों की कहानियों को अपने धंधे का चेहरा नहीं बनाते.” जवाब में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने कहा है कि उनका ‘पीपल ऑफ इंडिया' पर मुकदमा सामग्री की चोरी को लेकर है.
एक्स पर एक बयान में ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने कहा, "शायद आप इस मामले में जल्दबाजी कर रहे हैं. आपको इस केस के बारे में पूरी जानकारी और सूचनाएं जुटानी चाहिए. ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे कहानियों की ताकत का पूरा समर्थन करता है लेकिन ऐसा ईमानदारी और नैतिकता से किया जाना चाहिए.”
उसके बाद ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे ने ट्वीट में यह भी लिखा कि वे स्टैन्टन द्वारा शुरू की गयी मुहिम के कायल हैं. उन्होंने लिखा, "हम ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क और ब्रैंडन के आभारी हैं कि उन्होंने कहानियों का यह आंदोलन शुरू किया. हमारा मुकदमा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और हमारी सामग्री को लेकर है, कहानियां कहने को लेकर नहीं. कोर्ट जाने से पहले हमने इस मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की कोशिश की थी लेकिन हम अपनी टीम की मेहनत की सुरक्षा करना चाहते हैं.”
क्या है ‘पीपल ऑफ इंडिया'?
उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘पीपल ऑफ इंडिया' अकाउंट चलाने वालों को नोटिस जारी कर दिया है. अपने अकाउंट पर ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने वो सामग्री साझा की है जो उसके मुताबिक ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने चुराई है. उन्होंने कई तस्वीरें साझा की हैं जो ज्यों की त्यों ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' पर प्रकाशित हो चुकी हैं.
‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' का आरोप है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने उनके बिजनस मॉडल को ही नहीं बल्कि कहानियों को भी ज्यों का ज्यों का त्यों चुरा लिया है. उनका आरोप है कि ‘पीपल ऑफ इंडिया' ने उन्हीं लोगों के इंटरव्यू किये जिनके इंटरव्यू ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' ने किये थे और उन्हें अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया.
‘पीपल ऑफ इंडिया' के इंस्टाग्राम पर 15 लाख फॉलोअर्स हैं. उनका एक्स अकाउंट इसी महीने शुरू हुआ है. इस प्लैटफॉर्म की फाउंडर के रूप में दृष्टि सक्सेना का नाम दर्ज है. यह प्लैटफॉर्म 2020-21 में शुरू किया गया था.
फरवरी 2021 में एक इंटरव्यू में सक्सेना ने कहा था, "अक्सर हर सफल व्यक्ति के पीछे एक प्रेरणा होती है जो उसके अंदर आगे बढ़ने का विश्वास जगाती है. लिखने की मेरी यात्रा भी इसी तरह शुरू हुई. एक बार एक चाय की दुकान पर मैं एक महिला से मिली थी. उसने अपने जीवन के अनुभव मुझे सुनाये. वह दिन था जब मैंने नियमित लिखना शुरू किया. तब से मैं जमीन के लोगों के अनुभव लिख रही हूं.” (dw.com)
यूपी के एक स्कूल में एक बच्चे की सहपाठियों द्वारा पिटाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एफआईआर "बहुत देरी" से दर्ज की गई. कोर्ट ने कहा वरिष्ठ आईपीएस अफसर की निगरानी में जांच कराई जाए.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
मुजफ्फरनगर के एक निजी स्कूल में सात साल के छात्र की दूसरे छात्रों से पिटवाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के रवैये पर नाखुशी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामला "बहुत गंभीर" है और इसकी जांच के लिए यूपी सरकार वरिष्ठ आईपीएस की नियुक्ति एक हफ्ते के भीतर करे और स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करे. इसके अलावा कोर्ट ने निर्देश दिया कि घटना में शामिल बच्चों की काउंसिलिंग कराए.
इस मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने की. बेंच ने अपराध होने के बावजूद पीड़ित के पिता की शिकायत पर शुरू में एनसीआर (नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट) दर्ज करने के लिए यूपी पुलिस की खिंचाई की.
बेंच ने कहा टीचर द्वारा छात्रों को एक विशेष समुदाय के सहपाठी को थप्पड़ मारने का निर्देश देने का वायरल वीडियो "राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला" है.
सवालों में पुलिस की एएफआईआर
इस घटना को "गंभीर" बताते हुए बेंच ने आदेश दिया कि दो सप्ताह की देरी के बाद दर्ज की गई एफआईआर की जांच एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर में सांप्रदायिक आरोपों के नहीं होने पर हैरानी जताई.
पीड़ित बच्चे के पिता ने शिकायत की थी कि टीचर ने धर्म के आधार पर टिप्पणी की थी. लेकिन एफआईआर में इस आरोप का जिक्र नहीं है. बेंच ने एफआईआर में इन आरोपों के नहीं होने पर कहा, "जिस तरह से एफआईआर दर्ज की गई है उस पर हमें गंभीर आपत्ति है."
कोर्ट: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विफल
इस मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा, "जब तक छात्रों में संवैधानिक मूल्यों के महत्व को बढ़ाने का प्रयास नहीं किया जाता है, तब तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है."
बेंच ने आगे कहा, "अगर किसी छात्र को केवल उसके धर्म के आधार पर दंडित किया जाता है, तो वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है. इसी तरह, यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) और उसके तहत बने नियमों के अनिवार्य अनुपालन में प्रथमदृष्टया राज्य की विफलता है."
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह चार हफ्ते के भीतर शिक्षा के अधिकार अधिनियम पूरे राज्य में लागू करने की रिपोर्ट पेश करे.
बेंच ने यह भी कहा कि अगर आरोप सही है तो यह एक शिक्षक द्वारा दी गई सबसे बुरी तरह की शारीरिक सजा हो सकती है, क्योंकि शिक्षक ने अन्य छात्रों को पीड़ित को पीटने का निर्देश दिया.
यूपी सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि राज्य किसी को भी नहीं बचा रहा है, लेकिन साथ ही कहा कि "सांप्रदायिक कोण को अनुपात से अधिक उछाला जा रहा है."
मुजफ्फरनगर के नेहा पब्लिक स्कूल से जुड़ा वीडियो 24 अगस्त को सोशल मीडिया में वायरल हुआ था जिसमें टीचर तृप्ता त्यागी ने बच्चों से कथित तौर पर दूसरे समुदाय के बच्चे को मारने का निर्देश दिया था.
इस मामले पर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने घटना को लेकर राज्य पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था. इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी. (dw.com)
ग्रेटर नोएडा, 25 सितंबर । ग्रेटर नोएडा से एक बेहद खौफनाक खबर आ रही है। एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने 4 साल की मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया है। इस समय बच्ची की हालत बेहद नाजुक है। उसे अस्पताल में एडमिट कराया गया है।
सूचना मिलने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की छानबीन शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला ग्रेटर नोएडा के जेवर थाना क्षेत्र का है। जहां पर एक करीब 40 साल के व्यक्ति ने 4 साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया। वारदात का अंजाम देकर आरोपी फरार हो गया।
परिजन जब मौके पर पहुंचे तो बच्ची की हालत नाजुक देखी। उन्होंने तत्काल मामले की जानकारी पुलिस को दी और बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट करवाया। बताया जा रहा है कि इस समय बच्ची की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। पुलिस इस मामले में आरोपी को पकड़ने की कोशिश कर रही है। कई टीमों का गठन किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 25 सितंबर : जून के मध्य में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक सिख मंदिर में अज्ञात हमलावरों द्वारा कनाडाई-भारतीय और प्रतिबंधित खालिस्तान के नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत के बीच हाल ही में राजनयिक दरार पैदा हो गई है।
चार महीने के बाद कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो अचानक पार्लियामेंट हिल में हाउस ऑफ कॉमन्स में खड़े हुए और ओटावा में सांसदों से कहा कि उनकी सरकार के पास "विश्वसनीय" आरोप हैं जो हत्या के लिए भारतीय खुफिया संभावित लिंक की ओर इशारा करते हैं।
जैसा कि राजनीतिक इतिहासकार मोहिउद्दीन अहमद कहते हैं, कनाडा भारत के ख़िलाफ़ आरोपों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सामने आया। लेकिन दूसरी ओर, कनाडा ने कभी भी चीनी हस्तक्षेप और उनकी गुप्त गतिविधियों को सार्वजनिक नहीं किया है।
अहमद ने टिप्पणी की, कनाडा भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कट्टरपंथी सिखों द्वारा घृणा फैलाने वाले भाषण की अनुमति देता है, जो न केवल दोहरा मापदंड है बल्कि एक पाखंडी सरकार है।
कनाडा के सहयोगी अब भी शांत! ट्रूडो ने भारत से स्वतंत्र खालिस्तान के लिए कबूल किए गए चरमपंथियों की हत्या पर सहयोग करने के लिए कहते हुए पश्चिम से निंदा की अपेक्षा की। सिखों के लिए एक अलग क्षेत्र के लिए भारत विरोधी आतंकवादी अभियान को खतरनाक पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा सहायता और बढ़ावा दिया गया है।
खैर, उनकी सरकार ने अभी तक निज्जर की मौत के लिए भारत को दोषी ठहराने वाले सबूत साझा नहीं किए हैं, जो खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का प्रमुख था और उसे नई दिल्ली से 'सहयोग' मिलने की संभावना नहीं है। ओटावा ने भारत और अन्य जगहों पर किए गए अपराधों के लिए कुछ "सर्वाधिक वांछित" सिखों के प्रत्यर्पण से इनकार कर दिया है।
जैसे को तैसा के तहत राजनयिक संरक्षण के तहत जासूसी एजेंसी के अधिकारियों को एक-दूसरे देश से निष्कासित करना।
उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन में प्रोफेसर, भारतीय मूल के अशोक स्वैन @ashoswai ट्वीट करते हैं : "मोदी ने कनाडा, भारत का नया पाकिस्तान बना दिया है!"
पियरे ट्रूडो (जस्टिन ट्रूडो के पिता) ने आतंकवादी संगठन के प्रमुख तलविंदर सिंह परमार नामक एक सिख आतंकवादी को सौंपने के भारत के अनुरोध को ठुकरा दिया।
1985 में एयर इंडिया की उड़ान में बम रखने के लिए 'रुचि के व्यक्ति' को दोषी ठहराया गया है। बम हवा में फट गया, जिसमें 329 लोग मारे गए, जिनमें से 268 कनाडाई नागरिक थे।
कनाडा को अपने नए घर के रूप में अपनाने वाले लाखों आप्रवासी नहीं जानते कि कनाडा नाज़ी युद्ध अपराधियों और दण्ड से मुक्त रहने वाले अन्य वांछित अपराधियों का स्वर्ग है।
अपने गृह देशों के राजनेता और पूर्व अधिकारी स्पष्ट कारण से रोकी गई देशों की सूची नए आगमन के लिए कनाडा की "कोई सवाल नहीं पूछे जाने की नीति" के साथ लूट, भ्रष्टाचार और अवैध कार्टेल से जमा किए गए धन को वैध बना रहे हैं।
न्यायमूर्ति जूल्स डेसचेन्स (1985-1986) द्वारा युद्ध अपराधियों पर जांच आयोग के अनुसार, युद्ध अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए लगभग एक हजार संदिग्धों के बारे में माना जाता है कि वे कनाडा में रह रहे हैं।
रॉयल कमीशन यह स्थापित करने में सक्षम था कि जर्मनी में किए गए अपराधों और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाज़ी कब्जे वाली सेनाओं पर हमला करने के लिए पहचाने गए नाजी युद्ध अपराधियों को स्थायी निवास दिया गया था। नाजी युद्ध अपराधी यूरोप और विशेषकर यहूदियों से भारी धन लूटकर लाए थे।
2000 में प्रकाशित हॉवर्ड मार्गोलियन की पुस्तक 'अनऑथराइज्ड एंट्री: द ट्रुथ अबाउट नाजी वॉर क्रिमिनल्स इन कनाडा, 1946-1956' कनाडाई लोगों के बीच नई लहर लाती है, जैसा कि युद्ध अपराध वकालत समूहों, मीडिया और यहां तक कि एक शाही आयोग ने सुझाव दिया है कि कनाडा ने सुझाव दिया है। ऐसे अपराधियों को शरण दी गई।
आयोग की सिफारिश पर कनाडा ने मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराध अधिनियम, 2000 लागू किया। नए कानून के तहत, एक रवांडा आप्रवासी को नरसंहार करने का दोषी पाया गया और मई 2009 में जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
मानवता के विरुद्ध कनाडाई अपराध और युद्ध अपराध कार्यक्रम ने वर्तमान में कनाडा में रहने वाले 200 अपराधियों की जांच की।
भारत को नुकसान पहुंचाने वाले "सर्वाधिक वांछित" चरमपंथियों के प्रत्यर्पण के लिए वर्षों से भारत के बार-बार अनुरोध के बावजूद कनाडा ने इसका अनुपालन नहीं करने का फैसला किया और कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।
दूसरी ओर, बांग्लादेश ने भी 20 वर्षों में 'मोस्ट वांटेड' सेना अधिकारी एस.एच.एम.बी. को निर्वासित करने का अनुरोध किया था। नूर चौधरी को 15 अगस्त, 1975 को एक सैन्य हमले में बांग्लादेश के स्वतंत्रता नायक, बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। 73 वर्षीय भगोड़ा 1996 से कनाडा में रह रहा है।
कनाडाई पत्रकार चार्ली गिलिस लिखते हैं, "यही कारण है कि हमारे बीच का हत्यारा कनाडा में सुरक्षित है।"
नूर ने एक सरकारी प्रसारक कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (सीबीसी) को बंगबंधु की हत्या में भाग लेने के आरोप से इनकार करते हुए कहा कि एक जूनियर सैन्य अधिकारी के रूप में उन्होंने अपने वरिष्ठों के आदेशों का पालन किया।
शेख मुजीब की बेटी, बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पिता के हत्यारे को निर्वासित करने के लिए वैश्विक कार्यक्रमों के अलावा कई बैठकों में अपने समकक्ष जस्टिन ट्रूडो से गुहार लगाई। हालांकि उसकी अपील अनसुनी कर दी गई।
सितंबर 2011 में बांग्लादेश में कनाडा के नए उच्चायुक्त हीदर क्रुडेन ने एक विस्फोटक बयान में कहा था कि "कनाडा विदेश में संभावित फांसी का सामना करने के लिए किसी भी संदिग्ध अपराधी को निष्कासित नहीं करेगा।"
उन्होंने ढाका में संवाददाताओं से कहा, "हमारी सरकार की स्पष्ट नीति है कि हम लोगों को ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं कर सकते जहां मौत की सज़ा हो।"
राजनयिक ने कनाडा और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को फिर से हवा दे दी है, जिसके दौरान बांग्लादेशी अधिकारियों ने कई बार कनाडा पर 27 साल से सर्वाधिक वांछित भगोड़े को शरण देने का आरोप लगाया है।
कनाडाई न्याय मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल, नागरिकता और आप्रवासन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय एक ही धुन गाते हैं। एक नीति वक्तव्य कुछ इस तरह कहता है : "बांग्लादेश न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है और किसी निश्चित व्यक्ति के निर्वासन या प्रत्यर्पण से उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी और राजनीति से प्रेरित न्याय प्रणाली द्वारा उसकी सुरक्षा से समझौता किया जाएगा।"
"जब व्यक्ति को अपने मूल देश में लौटने के लिए मजबूर किया जाता है तो नुकसान होने की संभावना होती है।"
कनाडा ने चौधरी के निर्वासन के अनुरोध पर एक विशिष्ट तर्कसंगत तर्क प्रदान किया, जिसे शेख मुजीब की हत्या के लिए उसकी अनुपस्थिति में दोषी ठहराया गया था और 1998 में ढाका में एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी और उसे भगोड़ा घोषित किया गया था। उसका नाम इंटरपोल की रेड लिस्ट में है।
कनाडाई मीडिया ने बीच-बीच में इस मुद्दे को जीवित रखा है। इसका संभवतः बांग्लादेश सरकार द्वारा चौधरी के शरण मामले की अस्वीकृति और प्रत्यर्पण की मांग पर असर पड़ा है।
शरणार्थी अदालत, अपील अदालत और उच्च न्यायालय के सभी दरवाजे बंद हो जाने के बाद कनाडा में रहने की उनकी सारी उम्मीदें धराशायी हो गई हैं। चौधरी के शरण मामले को बार-बार अस्वीकार किया गया है।
कनाडा में बांग्लादेशी प्रवासियों के लिए पहले 24/7 एनआरबी टेलीविजन के संस्थापक और सीईओ शाहिदुल इस्लाम मिंटू चौधरी के मामले पर नज़र रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भगोड़ा किराने का सामान खरीदने के अलावा शायद ही कभी अपने अपार्टमेंट से बाहर जाता है। एक बार उन्हें गुस्साए बांग्लादेशी नागरिकों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने मुजीब की हत्या के लिए उनकी निंदा की और सजा की मांग की। वह टोरंटो के एटोबिकोक में एकांत में रहता है।
एक बेशर्म चाल चलते हुए ओटावा दुष्ट सैन्य अधिकारी एकेएम मोहिउद्दीन अहमद को तीसरे देश (अधिमानतः कनाडा) भेजने के लिए वाशिंगटन डीसी के साथ बातचीत करना चाहता था, जिसने कसम खाई थी कि उसने शेख मुजीब की हत्या में कोई भूमिका नहीं निभाई थी।
लॉस एंजिल्स, अमेरिका में अहमद के शरण मामले को अपील अदालतों में कई बार खारिज कर दिया गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने उसे निर्वासित करने का फैसला किया, जो वास्तव में बांग्लादेश के लिए एक आश्चर्य था।
भगोड़े को बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया और अपराध के लिए फांसी की सजा दी गई।
पार्लियामेंट हिल ऑनलाइन संग्रह में लिखा है, मई 2007 को न्याय मंत्री इरविन कोटलर ने संसद के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए नागरिकता और आप्रवासन मंत्री सुश्री डायने फिनले से कहा कि "कनाडाई कनेक्शन वाले बांग्लादेश के पूर्व राजनयिक को अमेरिका से बांग्लादेश में आसन्न निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है।''
“इस मानवीय मुद्दे को देखते हुए और मोहिउद्दीन अहमद का कनाडा में तत्काल परिवार है, क्या मंत्री इस मामले की समीक्षा करने के लिए तैयार होंगे, श्री अहमद को इस मामले में सुरक्षा प्रदान करने के लिए और इस मामले के समाप्त होने तक उनके निर्वासन के निलंबन को सुरक्षित करने में मदद करेंगे। समीक्षा की गई?"
हालांकि, फिनले ने पार्लियामेंट हिल में सदस्यों को आश्वासन दिया कि कनाडा के पास "दुनिया में सबसे स्वागत योग्य और निष्पक्ष आप्रवासन प्रणालियों में से एक है।"
आमतौर पर ज्यादातर लोग जानते हैं कि यातना के सैकड़ों अंतर्राराष्ट्रीय पीड़ितों को कनाडा में सुरक्षा मिली है, जिनमें असंतुष्ट, विपक्ष, पत्रकार, लेखक और शिक्षाविद शामिल हैं।
फिर भी, ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा इस कथन का खंडन किया गया है। एक विनाशकारी संयुक्त रिपोर्ट में कनाडा पर यह आरोप लगाया गया है कि उसने हर साल हजारों लोगों (15 से 83 वर्ष की उम्र के बीच) को, जिनमें विकलांग लोग भी शामिल हैं, आव्रजन संबंधी आधार पर अक्सर अपमानजनक स्थितियों में कैद किया है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल कनाडा के महासचिव केटी निव्याबंदी ने कहा, "कनाडा की अपमानजनक आप्रवासन हिरासत प्रणाली समृद्ध विविधता और समानता और न्याय के मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है, जिसके लिए कनाडा विश्व स्तर पर जाना जाता है।"
बेशक, कनाडा ने कई अप्रवासियों को उनके मूल देश में जाने के लिए मजबूर किया था, जो क्रूरता और यातना के बाद देश छोड़कर भाग गए थे।
माहेर अरार के मामले में सीरिया में जन्मे एक कनाडाई नागरिक को 2002 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अल-कायदा संदिग्ध के रूप में सौंपे जाने के बाद सीरिया में क्रूरता और अत्याचार का शिकार होना पड़ा था।
अरार, एक दूरसंचार इंजीनियर, न्यूयॉर्क के जेएफके हवाईअड्डे पर ट्यूनीशिया से कनाडा वापस जाने के लिए उड़ान में सवार हो रहा था। उसे न्यूयॉर्क में 12 दिनों तक हिरासत में रखा गया और गुप्त रूप से सीरिया भेज दिया गया।
अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क अल कायदा का सदस्य था और कहा कि उन्होंने कनाडाई पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा पर कार्रवाई की।
एमनेस्टी का कहना है कि सीरिया में उन्हें अपमानजनक और अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया, पूछताछ की गई और एक साल तक प्रताड़ित किया गया।
मीडिया और अधिकार समूहों के आक्रोश के बाद, कनाडा को उसे वापस लाने के लिए मजबूर होना पड़ा और उसे 10.5 मिलियन डॉलर का मुआवजा देना पड़ा।
इसी तरह की घटनाएं कनाडा में सीरियाई मूल की आप्रवासी असंतुष्ट नूरा अल-जिजावी के साथ हुईं, जब उन्होंने स्थायी निवासी (पीआर) कार्ड के लिए आवेदन किया था तो उन्हें सुरक्षा जोखिम के रूप में चिह्नित किया गया था। इसके अलावा, मिस्र में जन्मे कनाडाई नागरिक जोसेफ अत्तार जासूसी के आरोप में मिस्र में 15 साल की कैद की सजा काटकर घर लौट आए।
फरवरी 2007 में ओटावा ने 9/11 के हमलों के बाद सीरिया में तीन कनाडाई नागरिकों अब्दुल्ला अल्माल्की, अहमद अबू-एलमाती और मुय्यद नुरेद्दीन के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार में अधिकारियों की भूमिका के लिए औपचारिक रूप से माफ़ी मांगी। जांच आयोग ने पाया कि तीन व्यक्तियों के साथ जो हुआ उसके लिए कनाडाई अधिकारी अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे।
शायद नूर चौधरी की अल्लाह से गुजारिश ने उसे अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से बचा लिया है। न्याय की चुनौती का सामना करने के लिए दुष्ट सैन्य अधिकारी को ढाका वापस लाने की कूटनीतिक व्यस्तता आने वाले वर्षों में निराशाजनक बनी रहेगी।
(लेखक सलीम समद बांग्लादेश में रहने वाले पुरस्कार विजेता स्वतंत्र पत्रकार हैं। ये उनकी निजी विचार हैं। ट्विटर : @saleemsamad ; ईमेल : [email protected])
(यह आलेख Indianarrative.com के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रसारित की जा रही है)
पुणे, 25 सितंबर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को कहा कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नाम और चुनाव चिह्न के संबंध में चुनाव आयोग का ‘अंतिम’ निर्णय स्वीकार करेंगे।
अजित पवार और शरद पवार नीत गुट दोनों ने ही पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावेदारी की है।
अजित पवार पुणे में भगवान गणेश के विभिन्न पंडालों के दौरे से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
अजित पवार जुलाई में आठ विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने चाचा शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा के अधिकतर विधायकों के समर्थन का दावा किया था साथ ही चुनाव आयोग में पार्टी के नाम और चिह्न पर दावा पेश किया था।
शरद पवार गुट ने अजित पवार गुट के इस कदम को चुनाव आयोग में चुनौती दी थी और इस पर निर्णय लंबित है।
शरद पवार गुट द्वारा उनके समूह में शामिल होने वाले विधायकों पर कार्रवाई करने के सवाल पर अजित पवार ने कहा कि वे अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, चुनाव आयोग (ईसी) ही अंतिम निर्णय लेता है। दोनों पक्ष निर्वाचन आयोग के पास गए हैं और तय तारीखों पर वे अपने पक्ष रखेंगे। जहां तक मेरा सवाल है, मैं आयोग के फैसले को स्वीकार करूंगा।’’
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 16 विधायकों (शिवसेना) को अयोग्य ठहराए जाने और मुख्यमंत्री को बदलने की अटकलों पर उन्होंने कहा कि इन सभी खबरों का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी खबरें एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री (जून 2022) बनने के दिन से ही चल रही हैं। ये सारी खबरें अर्थहीन हैं।’’ (भाषा)
ठाणे, 25 सितंबर महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक व्यक्ति को एक दिन पहले मानसिक रूप से कमजोर अपनी 10 वर्षीय बेटी की कथित तौर पर गला दबाकर हत्या करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दंपति की चार बेटियां हैं, जिनकी उम्र पांच से 14 वर्ष के बीच है और सबसे छोटी बेटी पैतृक गांव में अपने दादा-दादी के साथ रहती है।
अधिकारी ने प्राथमिकी के हवाले से बताया कि आरोपी मनोज अग्राहरि ने डोंबिवली में अपने घर पर कथित तौर पर बेटी लवली का गला घोंट दिया। वारदात के समय परिवार के अन्य सदस्य बाहर गए हुए थे।
उन्होंने बताया कि अग्राहरि शराब पीने का आदी है और अपनी पत्नी के साथ मारपीट भी करता है।
आरोपी एक किराने की दुकान पर काम करता है जबकि उसकी पत्नी डोंबिवली के महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) क्षेत्र में एक कंपनी में काम करती है।
पीड़िता लवली जन्म से ही मानसिक रूप से कमजोर थी और बोलने तथा सुनने में भी अक्षम थी।
शिकायत के अनुसार, अग्राहरि रविवार को उस कबाड़ी की दुकान पर गया जहां उसकी 14 वर्षीय बेटी काम कर रही थी और उसे बताया कि लवली मर गई है।
अधिकारी ने बताया कि जब वह घर पहुंची तो उसने अपनी बहन को बिस्तर पर मृत देखा और अपनी मां को सूचित किया।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है। (भाषा)
इंदौर (मध्यप्रदेश), 25 सितंबर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को तुरंत लागू नहीं किए जाने को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सोमवार को सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का केवल एक जुमला भर है और महिलाओं को आरक्षण देने का भाजपा का कभी कोई इरादा नहीं था।
तन्खा ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम पर भाजपा को एक जुमला कहना था और केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने यह कह दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘अब वे (भाजपा) कहते हैं कि जनगणना, सीटों के परिसीमन और आरक्षण के बाद यह अधिनियम वर्ष 2029 में लागू होगा। अब ईश्वर ही बताएगा कि यह अधिनियम 2029 में लागू होगा या 2039 में?’’
तन्खा ने दावा किया कि नारी शक्ति वंदन विधेयक इसलिए पेश किया गया क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा नये संसद भवन में एक कार्यक्रम आयोजित करना चाहती थी। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने इस विधेयक के नाम पर महज रस्म अदायगी की है और महिलाओं को आरक्षण देने का उसका कभी कोई इरादा नहीं था।’’
तन्खा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है और ‘‘विश्वस्त सूत्रों’’ ने उन्हें आसूचना ब्यूरो (आईबी) की कथित रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि भाजपा को विधानसभा चुनावों में कुल 230 में से केवल 60-65 सीटें मिलेंगी।
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली के लिए संसद में अपशब्दों के इस्तेमाल की निंदा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि बिधूड़ी जैसे लोगों को जन प्रतिनिधि के रूप देखना शर्मनाक है।
तन्खा ने एक सवाल पर कहा कि सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि किसी भी धर्म के खिलाफ ऐसा कोई बयान नहीं दिया जाना चाहिए जिससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचे। (भाषा)
नई दिल्ली, 25 सितंबर । केरल में संदिग्ध हवाला लेनदेन को लेकर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन के पूर्व सदस्यों से जुड़े कई स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी चल रही है।
ईडी सूत्रों ने बताया कि पीएफआई के स्लीपर सेल राज्य में सक्रिय थे। केंद्रीय जांच एजेंसी संदिग्ध विदेशी हवाला धन लेनदेन की जांच कर रही है, जिसके माध्यम से पूर्व सदस्य कथित तौर पर देश भर में कट्टरपंथी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे।
सोमवार सुबह शुरू हुई छापेमारी एर्नाकुलम, वायनाड, त्रिशूर और मलप्पुरम जिलों में 12 स्थानों पर जारी है।
आईएएनएस को पीएफआई के पूर्व जिला पदाधिकारी लतीफ पोकाकिलमथी के घर पहुंची ईडी टीम के वीजुअल्स मिले हैं।
सूत्रों ने खुलासा किया कि प्रतिबंध के बाद भी संदिग्ध वित्तीय लेनदेन होते रहे।
जब ईडी ने आगे जांच की तो पता चला कि पैसा हवाला के जरिए पीएफआई नेताओं तक पहुंच रहा था।
ईडी के एक सूत्र ने कहा, "सभी लेनदेन केरल में रिपोर्ट किए गए थे। वे विदेश से आए थे और हवाला चैनलों के माध्यम से किए गए थे। इसका पता चलने पर, हमने पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए एक जांच शुरू की।"
वायनाड के मननथावडी में, पूर्व पीएफआई नेता अब्दुल समद के परिसर की भी ईडी टीम ने तलाशी ली, जिनके बारे में बताया जाता है कि वे कर्नाटक में काम कर रहे हैं।
एर्नाकुलम के कुम्बलम में पीएफआई नेता जमाल के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
मलप्पुरम के अरीकोड में एसडीपीआई नेता नूरुल अमीन के आवास पर तलाशी ली गई। इस स्थान पर छापेमारी पूरी हो चुकी है।
ईडी के कोच्चि कार्यालय के अधिकारियों की एक टीम तलाशी में सहायता कर रही थी।
मलप्पुरम के मंचेरी में ईडी के छापे में मंचेरी ईस्ट के पूर्व पीएफआई कार्यकर्ता अब्दुल जलील; नुरुल अमीन, एक निजी स्कूल में अरबी शिक्षक; और मलप्पुरम के निवासी हम्सा के घरों की तलाशी ली गई।
फिलहाल, ईडी ने इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। (आईएएनएस)।
कोलकाता, 25 सितंबर । पश्चिम बंगाल में राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच एक बार फिर राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है। इस बार मामला राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के सोमवार को 11 दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना होने से पहले राज्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों को दी गई सलाह से जुड़ा है।
कुलपतियों के साथ रविवार रात एक आभासी बैठक के दौरान, राज्यपाल ने उनसे दूसरों की बातों को महत्व दिए बिना स्वतंत्र रूप से काम करने को कहा।
हालांकि राज्यपाल ने यह नहीं बताया कि "अन्य" से उनका आशय किससे है, लेकिन स्पष्ट संकेत राज्य सरकार, विशेष रूप से राज्य शिक्षा विभाग की ओर था, जिसके साथ राजभवन का राज्य विश्वविद्यालयों के मामलों को लेकर विवाद चल रहा है।
यह पता चला है कि बैठक के दौरान, राज्यपाल, जो राज्य के विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति भी हैं, ने तीन चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जो कुलपतियों को किसी भी कीमत पर सुनिश्चित करनी चाहिए।
ये तीन फोकस क्षेत्र हैं - प्रत्येक विश्वविद्यालय में एंटी-रैगिंग सेल की उचित स्थापना और कार्यप्रणाली, पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया और अंततः समय पर परीक्षा और परिणामों का प्रकाशन।
राज्यपाल ने कथित तौर पर कुलपतियों से कहा कि अब से वह खुद इस बात की निगरानी करेंगे कि विश्वविद्यालयों में एंटी-रैगिंग सेल काम कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वह विभिन्न प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ राज्य विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक गठजोड़ सुनिश्चित करने में व्यक्तिगत रूप से पहल करेंगे।
उन्होंने जहां तक संभव हो मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने पर भी जोर दिया। इन राज्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों को भेजे गए राज्यपाल के संदेश पर तृणमूल कांग्रेस ने उन पर तंज कसा है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कहा, "राज्य के विश्वविद्यालयों में अराजकता का माहौल पैदा करने के लिए केवल राज्यपाल और राज्यपाल ही जिम्मेदार हैं।"
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के अनुसार, अगर राजभवन और राज्य शिक्षा विभाग के बीच समन्वय हो तो विश्वविद्यालय ठीक से काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल इस समन्वय पहलू की परवाह किए बिना अपना स्वतंत्र निर्णय ले रहे हैं। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 25 सितंबर । भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि दी।
भाजपा मुख्यालय में आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी.एल. संतोष, राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और दुष्यंत गौतम के अलावा पार्टी के कई अन्य पदाधिकारियों और नेताओं ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
इससे पहले जेपी नड्डा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को प्रेरणास्रोत बताते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा, "एकात्म मानववाद के प्रणेता, भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा-पुंज श्रद्धेय पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। आपका तपस्वी जीवन व अंत्योदय का संकल्प सदैव भारतीय समाज के समावेशी उत्कर्ष हेतु हमारी प्रेरणा बना रहेगा।"
आपको बता दें कि, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम को 6:30 बजे के लगभग नई दिल्ली के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 25 सितंबर । भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि दी।
भाजपा मुख्यालय में आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी.एल. संतोष, राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और दुष्यंत गौतम के अलावा पार्टी के कई अन्य पदाधिकारियों और नेताओं ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
इससे पहले जेपी नड्डा ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को प्रेरणास्रोत बताते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा, "एकात्म मानववाद के प्रणेता, भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा-पुंज श्रद्धेय पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं। आपका तपस्वी जीवन व अंत्योदय का संकल्प सदैव भारतीय समाज के समावेशी उत्कर्ष हेतु हमारी प्रेरणा बना रहेगा।"
आपको बता दें कि, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम को 6:30 बजे के लगभग नई दिल्ली के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे। (आईएएनएस)।
उमरिया/शहडोल, 25 सितंबर । मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात एक कार अनियंत्रित होकर पेड़ से जा टकराई। इस हादसे में कुल पांच लोगों की मौत हुई है जिनमें दो सरकारी अधिकारी बताए जा रहे हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, पाली रोड क्षेत्र में एक आयोजन स्थल से लौट रहे लोगों की कार अनियंत्रित हो गई और वह एक पेड़ से टकरा गई। यह हादसा पाली थाने के घुनघुटी चौकी के मजगांव क्षेत्र में हुआ।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, इस कार में शहडोल जिले में पदस्थ खनिज विभाग के निरीक्षक पुष्पेंद्र त्रिपाठी और लोक सेवा प्रबंधन के अश्वनी दुबे के अलावा तीन अन्य लोग सवार थे, जो शहडोल से रीवा आए थे और एक जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल होने के बाद लौट रहे थे। तभी उमरिया जिले के हाईवे पर यह हादसा हो गया।
इस हादसे में पांच लोगों की मौत हुई है, तीन लोगों की तो मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो ने अस्पताल पहुंचने के बाद दम तोड़ा। सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया है। (आईएएनएस)।
गया, 25 सितंबर । बिहार के मुजफ्फरपुर में कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत और दो लोगों के आंख की रोशनी जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है।
गया में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुजफ्फरपुर की घटना के विषय में पूछे गए सवाल पर मांझी ने कहा कि ऐसे तो बिहार में शराबबंदी है नहीं। इसके नाम पर गरीबों की हत्या हो रही है, गरीबों को जेल भेजा जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार अपने अहंकार में हैं। इन्हें समझ ही नहीं आता है कि क्या करें। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने कहा कि जब हमलोग इनके साथ थे तब भी मैंने खुद इन्हें कहा था कि आपकी शराब नीति गलत है।
उन्होंने कहा कि मैंने गुजरात की तरह शराब नीति बनाने की वकालत की थी। इससे राज्य को आर्थिक लाभ भी होता और गरीब जो जहरीली शराब पीने से मर जा रहे हैं, वे भी नहीं मरेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि लोग चोरी छिपे जल्दबाजी में शराब बनाते हैं और नशा के लिए कई तरह की चीजें अधिक मात्रा में डाल देते है, जिससे शराब जहरीली हो जाती है और यही गरीब पीकर मरते हैं। बड़े लोग तो महंगी शराब पीते हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में शराबबंदी लागू है और लोगों की शराब पीने से मौत भी होती रहती है। (आईएएनएस)
उत्तर कन्नड़, 25 सितंबर । कर्नाटक पुलिस ने उत्तर कन्नड़ जिले में एक नाबालिग लड़के के यौन उत्पीड़न के आरोप में एक मौलाना को गिरफ्तार किया है जो मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला है।
आरोपी की पहचान 25 वर्षीय मौलाना अब्दुल समद जियायी के रूप में हुई है।
पीड़ित के पिता की शिकायत के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के मुताबिक, लड़का हर दिन मस्जिद में कुरान की आयतें पढ़ने जाता था।
आरोपी ने लड़के को फुसलाया और 23 सितंबर की रात को कथित तौर पर उसका यौन शोषण किया।
शिकायत के बाद कुमटा पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
आरोपी को जिला सत्र न्यायालय में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
फिलहाल मामले की जांच चल रही है। (आईएएनएस)।
भोपाल, 25 सितंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मध्य प्रदेश के प्रवास से पहले कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की झूठ के प्रति निष्ठा जग जाहिर है। वे अपने झूठ में प्रधानमंत्री को भी शामिल कर लेते हैं। यही कारण है कि प्रदेश की जनता के साथ प्रधानमंत्री मोदी भी उनसे त्रस्त हैं।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने एक्स पर लिखा, ''शिवराज जी, आज आप जरा धीरज से काम लीजिएगा। प्रधानमंत्री जब भी मध्य प्रदेश आते हैं तो आप उन्हें अपने किसी न किसी झूठ में शामिल करा लेते हैं। आपकी झूठ मशीन की डबल स्पीड से मध्य प्रदेश की जनता के साथ प्रधानमंत्री भी त्रस्त हैं। इसीलिए उन्होंने पूरे चुनाव अभियान से आपको बाहर कर दिया है। आप देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं जो मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं हैं।''
कमलनाथ ने कुछ उदाहरणों के साथ कहा, ''रीवा में आपने उनके (प्रधानमंत्री के) सामने बोल दिया कि किसानों की आमदनी दुगनी से अधिक हो गई है, जबकि उनके नीति आयोग की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश के किसानों की आमदनी घटी थी।
''भोपाल में आपने उन्हें गलत पर्चा पकड़ा दिया और वह मध्य प्रदेश में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये लीटर से कम बता गए। इस तरह उन्हें दूसरे झूठ में शामिल कर लिया।''
कमलनाथ ने आगे कहा, ''गैस सिलेंडर की कीमतों पर भी आपका झूठ प्रधानमंत्री से टकरा रहा है। आप देते किसी को नहीं, लेकिन कहते हैं कि गैस सिलेंडर 450 रुपए का देंगे। वहीं, प्रधानमंत्री कहते हैं कि सिलेंडर 900 रुपये का देंगे।
''प्रधानमंत्री की सागर जिले की यात्रा में आपने उनसे कहला दिया कि कांग्रेस सरकार ने बुंदेलखंड पर ध्यान नहीं दिया जबकि यूपीए सरकार ने 7,200 करोड रुपए का विशेष बुंदेलखंड पैकेज बुंदेलखंड क्षेत्र को दिया था।''
कमलनाथ ने तंज कसते हुए कहा, ''यद्यपि झूठ के प्रति आपकी निष्ठा और समर्पण जग जाहिर है, फिर भी आशा है कि मध्य प्रदेश की जनता को आज कोई नया झूठ देखने को नहीं मिलेगा।'' (आईएएनएस)।
लखनऊ, 25 सितंबर । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अवध प्रांत की बैठक में लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों जागरूक करने की बात संघ प्रमुख मोहन भागवत के सामने उठाई गई है।
इस दौरान निर्णय लिया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी तत्व सक्रिय हैं। इनके खिलाफ मुहिम चलाकर समाज को जाग्रत किया जाएगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार से लखनऊ के चार दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने अवध प्रांत के विभिन्न दायित्वधारी लोगों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर बैठक की है। साथ ही संघ के शताब्दी वर्ष पर हर क्षेत्र में संघ की शाखा पहुंचाने का विशेष जोर है।
आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख अशोक दुबे ने एक बयान में बताया कि बैठक में विभिन्न क्षेत्र के लोगों से संपर्क करने पर चर्चा हुई। संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने के साथ-साथ, विशेषकर उन क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में जहां असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी तत्व सक्रिय हैं, ‘लव जिहाद’ और धर्म परिवर्तन के खिलाफ जन जागरूकता फैलाने का काम किया जाएगा।
अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में संघ प्रमुख का यह दौरा बेहद अहम है। अशोक दुबे ने बताया कि हिंदू समाज के हित चिंतन की दृष्टि से अवध प्रांत में आगामी संभावनाओं को खोजने एवं उनके क्रियान्वयन पर चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि सामाजिक समरसता के क्षेत्र में समाज के वंचित लोगों को अधिकार एवं सम्मान दिलाने के लिए संघ प्रतिबद्ध है एवं उसके लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य भी कर रहा है। नयी पीढ़ी के बालकों में भी संघ के विचार-संस्कार व्याप्त हों इसके लिए संगठन काफी मजबूती के साथ काम करेगा। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 25 सितंबर । संसद के विशेष सत्र में पिछले सप्ताह पारित महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग करते हुये कांग्रेस आज 21 शहरों में प्रेस कांफ्रेस करेगी जिसमें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के ''विश्वासघात'' को उजागर किया जायेगा।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य पवन खेड़ा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "21 शहर, 21 महिला नेता, एक एजेंडा - महिला आरक्षण के नाम पर मोदी सरकार द्वारा किए गए विश्वासघात को उजागर करना।"
कांग्रेस महिला आरक्षण विधेयक को अविलंब लागू करने की मांग कर रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को फिर कहा कि महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा की 33 प्रतिशत सीटें आवंटित करके महिला आरक्षण विधेयक कल लागू किया जा सकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा, "महिला आरक्षण और जनगणना या परिसीमन के बीच कोई संबंध नहीं है।"
उन्होंने कहा, "हम दृढ़ता से महसूस करते हैं कि भारतीय महिलाएं राजनीतिक व्यवस्था में उस तरह से भाग नहीं ले रही हैं जिस तरह से उन्हें लेना चाहिए। उन्हें राजनीति में भाग लेने में मदद करने का सबसे बड़ा कार्य कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया था, यानी, पंचायती राज में 33 प्रतिशत आरक्षण जो एक था बदलावकारी कदम था।
"कृपया यह भी समझें कि हम पंचायती राज में महिला आरक्षण को पारित करने की कोशिश कर रहे थे, और यह तथ्य भी कि आरएसएस महिलाओं को अपने रैंकों में अनुमति नहीं देता है। इसलिए महिला सशक्तीकरण में किसकी रुचि है, यह बहुत स्पष्ट है।" (आईएएनएस)।