राष्ट्रीय
गोरखपुर, 17 अप्रैल । यूपी के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने बुधवार दोपहर श्रीरामनवमी के महापर्व पर विधि-विधान से भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर मंदिर परिसर प्रभु श्रीराम के भजनों से गुंजायमान रहा।
वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी मंदिर परिसर स्थित राम दरबार पहुंचे। दोपहर के 12 बजते ही उन्होंने पालने में विराजमान प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के विग्रह की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की।
प्रभु विग्रह को तिलक लगाने और माल्यार्पण करने के बाद आरती उतारी। पूजन का अनुष्ठान पूर्ण करने के साथ सीएम योगी ने बाल स्वरूप भगवान को पालने में झुलाया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने भगवान श्रीराम से लोकमंगल की प्रार्थना की।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 अप्रैल । विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए बिहार की राजधानी पटना रवाना होने से पहले मीडिया से रूबरू हुए।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा अपनी बेटी के चुनाव प्रचार करने पर वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि लालू यादव चुनाव प्रचार के लिए निकले हैं। इसे इंडिया गठबंधन और हम लोगों के लिए और राह आसान हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा।
मुकेश सहनी ने कहा कि देश का गरीब परेशान है और आप हर जिले में आलीशान होटल जैसे दफ्तर बना रहे हैं। पीएम मोदी के बयान, संविधान के निर्माण के समय 80 से 90 प्रतिशत सनातन के लोग थे, पर मुकेश सहनी ने कहा कि हम लोग इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं, किसने बनाया इस पर बात करने की जरूरत नहीं है। बात इसपर होनी चाहिए कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो आप क्या वादा करके आए। हर साल 2 करोड़ युवाओं से रोजगार का वादा किया था, क्या आप वो पूरा कर रहे हैं, आपने कहा था कि विदेश से काला धन लाएंगे। किसान की आय दोगुनी करने की बात कही थी, आपने कहा था कि 2022 तक पूरे देश में जितने गरीब हैं, उन्हें घर बनाकर देंगे। क्या आपने बनाकर दिया?
मुकेश सहनी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में 16,000 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा ले लिया। आपने ईडी और सीबीआई का धौंस दिखाकर कैसे चंदा ले लिया। आपने कैसे बड़े-बड़े टेंडर देकर उसके बदले में उनसे चंदा लिया। देश का विकास नहीं हो रहा है। गरीब परेशान है और आप हर जिला में आलीशान होटल जैसा कार्यालय बना रहे हैं। आखिर इतना पैसा कहां से ला रहे हैं, केंद्र में 400 करोड़ रुपए खर्च कर बड़े-बड़े कार्यालय बना रहे हैं। इससे पहले जरूर देश के युवाओं को नौकरी देना। इस पर कोई डिबेट नहीं कर रहा है कि सनातन क्या है, संविधान किसने बनाया, हम संविधान के साथ खड़े हैं। संविधान को बदलने की बात करेंगे, हम उससे पहले उस व्यक्ति को बदल देंगे।
(आईएएनएस)
कासरगोड (केरल), 17 अप्रैल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने बुधवार को दावा किया कि भारत में जिसने भी भगवान राम का विरोध किया है उसका पतन हुआ है और यही देश में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ हुआ।
सिंह ने आरोप लगाया कि दोनों दल भगवान राम या रामनवमी के महत्व को नहीं समझते।
कांग्रेस और माकपा विपक्षी गुट ‘इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का हिस्सा हैं।
भाजपा नेता ने एक चुनावी बैठक में कहा,‘‘ उन्होंने राम नवमी का पर्व मनाने में बाधा डाली। हम सबको मालूम है कि भारत में जिसने भी भगवान राम का विरोध किया है उसका पतन हुआ है और यही देश में कांग्रेस और माकपा के साथ हुआ है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है और वह देश की सबसे विश्वसनीय राजनीतिक पार्टी है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर कांग्रेस और कम्युनिस्ट दलों की कथनी और करनी में अंतर है।
सिंह ने कहा कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में केरल में दोहरे अंक में सीट मिलेंगी।
केरल में 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव होंगे और मतगणना चार जून को होगी। (भाषा)
नलबाड़ी (असम), 17 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि वह 2014 में लोगों के बीच आशा, 2019 में विश्वास और 2024 में गारंटी लेकर आए।
यहां बोरकुडा मैदान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर में सूर्य तिलक समारोह के साथ 500 वर्ष बाद उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है।
इससे पहले मोदी ने बुधवार को राम नवमी के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा, “यह पहली रामनवमी है, जब अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर में हमारे राम लला विराजमान हो चुके हैं। राम नवमी के इस उत्सव में आज अयोध्या अप्रतिम आनंद में है।”
उन्होंने कहा, “हम अयोध्या में उत्सव में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन हमें अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाकर और भगवान राम की पूजा करके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले पांच साल तक बिना किसी भेदभाव के सभी को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों का 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
मोदी यहां तीन निर्वाचन क्षेत्रों के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने आए थे, जिनमें बारपेटा से असम गण परिषद के प्रत्याशी फणी भूषण चौधरी, कोकराझार से यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी, लिबरल के उम्मीदवार जयंत बसुमतारी और गुवाहाटी से भाजपा की प्रत्याशी बिजुली कलिता मेधी शामिल हैं। तीनों उम्मीदवार रैली में मौजूद थे। (भाषा)
गाजियाबाद, 17 अप्रैल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड योजना दुनिया की सबसे बड़ी वसूली योजना है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'भ्रष्टाचार के चैंपियन' हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह दावा भी किया कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ज्यादा से ज्यादा 150 सीट मिल रही हैं।
राहुल गांधी ने कहा, "यह विचारधारा का चुनाव है। एक तरफ आरएसएस-भाजपा संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ ('इंडिया') उसको बचाने में लगा है। "
उन्होंने दावा किया कि इस चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई, भागीदारी जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं, लेकिन भाजपा 24 घंटे लोगों को गुमराह करने में लगी रहती है।
राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के लोग मुद्दों के बारे में बात नहीं करते हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना राजनीति को साफ करने के लिए लायी गई थी। अगर ऐसा है तो उच्चतम न्यायालय ने इसे रद्द क्यों किया?"
उन्होंने आरोप लगाया, "चुनावी बॉण्ड योजना दुनिया की सबसे बड़ी वसूली योजना है। प्रधानमंत्री चाहे भी कितनी भी सफाई दे दें, पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं।"
यह पूछे जाने पर कि उन्हें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है, राहुल गांधी ने कहा कि वह सीट को लेकर अनुमान नहीं लगाते, लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठबंधन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहेगा।
उन्होंने कहा, "15- 20 दिन पहले लग रहा था कि भाजपा को 180 सीटें मिलेंगी, लेकिन अब लग रहा है कि वह 150 सीट तक ही जाएगी। हर राज्य से हमें रिपोर्ट मिल रही है कि हमारी स्थिति मजबूत हो रही है और भाजपा के खिलाफ लहर है।"
उन्होंने कहा, "जहां तक उत्तर प्रदेश में गठबंधन की बात है तो हमारा गठबंधन बहुत शक्तिशाली है। हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा होगा। "
राहुल गांधी ने दावा किया, "गरीबी को एक झटके में नहीं मिटाया जा सकता, लेकिन उसे गहरी चोट पहुंचाई जा सकती है। देश में गरीबी का एक बड़ा कारण यह है कि नरेन्द्र मोदी जी ने देश का पूरा धन कुछ चुनिंदा लोगों को दे दिया है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए हम जातिगत जनगणना कराएंगे, गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देंगे, युवाओं को 'अप्रेंटिसशिप' (प्रशिक्षुता) का अधिकार भी हम देने जा रहे हैं। किसान सही एमएसपी, कर्ज माफी की मांग कर रहा है। हम एमएसपी की कानूनी गारंटी देंगे और किसानों का कर्ज भी माफ करेंगे।"
अखिलेश यादव ने कहा कि बदलाव की हवा चल रही है और उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है।
राहुल गांधी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह भी कहा कि 'एनडीए' (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को 'पीडीए' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) हराएगा।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि मतों का विभाजन न होने दें और अपने बूथ की चौकीदारी करें ताकि भाजपा का सफाया सुनिश्चित हो सके।
यादव ने कहा, "उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक भाजपा का सफाया होने जा रहा है... बदलाव की हवा चल रही है। भाजपा की हर बात झूठी निकली। न किसान की आय दोगुनी हुई, न युवाओं को रोजगार मिला। विकास के वादे भी अधूरे हैं। "
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "चुनावी बॉण्ड ने इनकी पोल खोल दी है। भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बन गई है।"
उन्होंने कहा, "गठबंधन एक नई उम्मीद है। जिस दिन देश का किसान खुश हो जाएगा, उन्हें सही एमएसपी मिलेगी और उनकी आय बढ़ेगी, उस दिन से गरीबी खत्म होने लगेगी। "
यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना भी एक जरूरी कदम है, क्योंकि इससे सामाजिक न्याय होगा और लोगों को मान-सम्मान मिलेगा। (भाषा)
रांची, 17 अप्रैल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य के खिलाफ कथित अवैध जमीन हड़पने से जुड़े धनशोधन मामले में चार और लोगों को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान अंतु तिर्की, प्रिय रंजन सहाय, बिपिन सिंह और इरशाद के रूप में हुई है।
ईडी ने मंगलवार को यहां तिर्की और कुछ अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी और उनसे पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया।
तिर्की कथित तौर पर सोरेन से जुड़ा हुआ है जबकि सिंह एक रियल एस्टेट व्यवसायी है। ईडी द्वारा इस मामले में दायर किये गये आरोपपत्र के अनुसार सहाय ने अन्य के साथ मिलकर इस जमीन से संबंधित दस्तावेजों में भी फर्जीवाड़ा किया है।
ईडी द्वारा चार और लोगों को गिरफ्तार किये जाने के बाद इस मामले में अब तक कुल आठ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
ईडी ने जनवरी में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद सोरेन (48) को गिरफ्तार कर लिया था।
वह फिलहाल रांची के होटवार में स्थित बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी व राजस्व विभाग के पूर्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, मोहम्मद सद्दाम हुसैन और अफसर अली को भी गिरफ्तार किया गया है।
रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबंधित मामले में सोरेन के खिलाफ जांच की जा रही है। ईडी ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अवैध रूप से यह जमीन हासिल की थी।
सोरेन ने मंगलवार को रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
एजेंसी ने 30 मार्च को यहां एक विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष प्रसाद, हेमंत सोरेन, उनके सहयोगियों राज कुमार पाहन और हिलरिया कछप तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिनोद सिंह के कथित सहयोगी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
ईडी ने रांची में स्थित जमीन भी कुर्क कर ली है और अदालत से भूखंड को जब्त करने का अनुरोध किया है।
झारखंड पुलिस द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों समेत कई लोगों के खिलाफ जमीन घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद इस मामले में धनशोधन की जांच शुरू की गई थी।
ईडी ने एक बयान जारी कर बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी भानु प्रताप प्रसाद है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सोरेन सहित कई लोगों को गैर कानूनी गतिविधियों में मदद कर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है।
उन्होंने यह भी दावा किया, ''झारखंड में भू-माफियाओं का एक गिरोह सक्रिय है जो रांची में भूमि रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा करता था।'' (भाषा)
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने जहां दो दशक पहले अपने-अपने घोषणापत्र में पर्यावरण के बारे में महज कुछ पंक्तियों को शामिल किया था वहीं इस बार इनके घोषणापत्रों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय ह्रास को लेकर बढ़ती चिंताओं का व्यापक उल्लेख है।
जानकारों ने इन मुद्दों पर जोर दिए जाने का स्वागत किया, हालांकि उन्होंने कहा कि वन और वन्यजीव संरक्षण समेत कुछ मामलों में सरकारों के "विरोधाभासी" दृष्टिकोण को देखते हुए कई वादे "प्रतीकात्मक" साबित हुए हैं।
चुनाव घोषणापत्र पार्टियों के राजनीतिक रुख को दर्शाते हैं और चुनावों के दौरान अक्सर उन पर चर्चा, बहस व तुलना की जाती है। घोषणापत्रों में अंतरराष्ट्रीय नीति से लेकर नौकरियों, स्वास्थ्य और शिक्षा तक कई मुद्दों का जिक्र किया जाता है और इनसे मतदाताओं को प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
पिछले शनिवार को अपना 69 पृष्ठ का चुनाव घोषणापत्र जारी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने "सतत भारत के लिए मोदी की गारंटी" खंड के तहत पर्यावरण व जलवायु मुद्दों का तीन पृष्ठ पर जिक्र किया है, जबकि 1999 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में उसने महज एक पैराग्राफ में “पर्यावरण” का जिक्र किया था।
फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भाजपा के 1999 और 2004 के घोषणापत्रों में "जलवायु परिवर्तन" शब्द का जिक्र तक नहीं था।
कांग्रेस ने अपने 2024 के चुनाव घोषणापत्र में दो पृष्ठ पर पर्यावरण, जलवायु, आपदा प्रबंधन, जल और स्वच्छता से संबंधित मुद्दों का जिक्र किया है।
कांग्रेस के पिछले लोकसभा चुनाव घोषणापत्रों की समीक्षा से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता के मुद्दों पर जोर दिया गया है।
‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के 2022 के एक अध्ययन में कहा गया है कि कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों में लगातार जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर दिया है और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशिष्ट कदमों का जिक्र किया है जैसे कि ग्रीन बजटिंग और इस पर काम करने के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन।
भाजपा के 2024 के घोषणापत्र में प्रमुख प्रतिबद्धताओं में 2070 तक उत्सर्जन नेट जीरो करना, गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल, नदियों की स्थिति में सुधार, 60 शहरों में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करना, वृक्ष क्षेत्र का विस्तार करना और आपदा सहनशीलता को बढ़ावा देना शामिल है।
कांग्रेस ने हरित परिवर्तन और नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक कोष स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए अपने घोषणापत्र में विशिष्ट कदमों की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की है।
‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ के वरिष्ठ रेजिडेंट फेलो देबादित्यो सिन्हा ने कहा, "(भाजपा का) घोषणापत्र उन मुद्दों को प्रतिबिंबित नहीं करता जो पारिस्थितिकी विज्ञानी पर्यावरण नीतियों के संबंध में उठा रहे हैं, जहां बड़े सुधारों की आवश्यकता है।"
वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ता और जल नीति विशेषज्ञ हिमांशु ठक्कर ने कहा कि जब ऐसे मामलों में पारदर्शिता की बात आती है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की तुलना में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
उन्होंने दावा किया, "उदाहरण के लिए संप्रग ने हमारी बात सुनी और केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया, जो पन्ना बाघ अभयारण्य व जंगलों के बड़े हिस्से को पूरी तरह से नष्ट कर देगी। भाजपा सरकार असहमति की आवाज को दबा रही है।" (भाषा)
छिंदवाड़ा, 17 अप्रैल । मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के प्रवास पर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रामनवमी के मौके पर बुधवार को यहां के ऐतिहासिक राम मंदिर में दर्शन किए। इस प्रवास के दौरान जहां उनका रोड शो हुआ, वहीं उन्होंने पार्टी के नेताओं को जीत का मंत्र भी दिया।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह बुधवार को रामनवमी के अवसर पर छिंदवाड़ा में ऊंट खाना स्थित राम मंदिर पहुंचे और दर्शन किए। यह ऐतिहासिक और लगभग 400 साल पुराना मंदिर है और इसका शंकराचार्य से करीबी नाता रहा है।
केंद्रीय गृहमंत्री मंगलवार की शाम छिंदवाड़ा पहुंचे थे। उनका यहां ऐतिहासिक रोड शो हुआ।
इस रोड शो को लेकर शाह भी संतुष्ट नजर आए और उन्होंने अपने एक्स पर भी लिखा, "छिंदवाड़ा रोड शो का जोश और उत्साह भाजपा की प्रचंड जीत का संदेश दे रहा है। इस अपार स्नेह और समर्थन के लिए छिंदवाड़ा की जनता का हृदय से आभार।"
भाजपा सूत्रों का कहना है कि रोड शो के बाद अमित शाह ने भाजपा के प्रमुख नेता मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश के चुनाव प्रभारी महेंद्र सिंह, क्लस्टर प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के साथ बंद कमरे में काफी देर चर्चा की। चर्चा में उन्होंने छिंदवाड़ा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के साथ कुछ हिदायत दी और नई रणनीति पर काम करने की भी बात कही।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 17 अप्रैल । रामनवमी के अवसर पर कोलकाता में निकाले जाने वाले जुलूसों को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुल 2,500 पुलिसकर्मी, जिनमें सशस्त्र पुलिस बल के जवान भी शामिल हैं, दिन भर कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सड़कों पर तैनात किए गए हैं।
वहीं, प्रत्येक पुलिस स्टेशन के सामने हेवी रेडियो फ्लाइंग स्क्वाड (एचआरएफएस) की एक यूनिट तैनात की गई है, जो अपने स्थान के आसपास किसी भी परेशानी या तनाव वाले स्थान पर तुरंत पहुंचेगी और स्थिति को नियंत्रित करेगी।
सूत्रों ने कहा कि इसी तरह की सावधानी कोलकाता से सटे तीन पुलिस कमिश्नरी -- विधाननगर, हावड़ा और बैरकपुर के तहत आने वाले इलाकों में अपनाई जा रही है।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) का कार्यालय भी नजर रखे हुए है।
पश्चिम बंगाल के सीईओ आरिज आफताब ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि इस साल विशेष सुरक्षा इंतजाम होंगे। राज्य में संवेदनशील इलाकों की पहचान कर ली गई है और वहां विशेष सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है।
याद दिला दें कि पिछले साल हावड़ा और हुगली जिलों में रामनवमी जुलूस पर हिंसा की दो अलग-अलग घटनाएं हुई थीं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी उन मामलों की जांच कर रही है।
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुबह एक बयान जारी कर राज्य के लोगों से रामनवमी के मौके पर सावधानी बरतने की अपील की।
(आईएएनएस)
देहरादून, 17 अप्रैल । उत्तराखंड में मंगलवार को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज परीक्षा के अंतिम नतीजे घोषित हुए, जिसमें उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार की बेटी कुहू गर्ग ने लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज में 178वीं रैंक के साथ आईपीएस में उनका चयन हुआ है।
कुहू गर्ग ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई देहरादून स्थित सेंट थॉमस कॉलेज से की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के एसआरसीसी कॉलेज से पूरी की। कुहू गर्ग बैडमिंटन की इंटरनेशनल खिलाड़ी भी हैं। कुहू ने एशियाई चैंपियनशिप के साथ ही ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं। उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग सेन के साथ मिलकर ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं। इंटरनेशनल खिलाड़ी कुहू गर्ग के कोच डॉ. डी.के. सेन रहे हैं।
(आईएएनएस)
47 साल की सियासत के बाद लालू प्रसाद बिहार की राजनीति में आज भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं. राज्य की सभी पार्टियां एक तरफ और लालू अकेले दूसरी तरफ हैं.
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार की रिपोर्ट-
2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए लालू के भ्रष्टाचार, परिवारवाद या फिर "जंगलराज" की चर्चा करके ही अपने पक्ष में वोट मांग रहा. बिहार की जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी सरकार द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा के साथ-साथ इस किंगमेकर पर सीधा प्रहार करने से नहीं चूक रहे.
महागठबंधन में कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी भी लालू के सामने नतमस्तक ही है, वहीं वामदल भी उनके रहमोकरम पर ही नजर आते हैं. उनके समर्थकों का मानना है कि वे ही एकमात्र ऐसे राजनेता हैं जो बीजेपी से मुकाबला कर सकते हैं. शायद इसलिए तमाम तरह के आरोपों के बावजूद उनके कोर वोटर आज भी उनके साथ बने हुए हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के आलोचक कहते हैं कि लालू भले ही सबों की सुन लें, किंतु करते अपनी ही हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में तमाम उछल-कूद के बावजूद उन्होंने टिकटों का बंटवारा अपने आकलन के अनुसार ही किया. कूद-फांद करने वालों की तो दूर, मान-मनौव्वल तो उन्होंने नीतीश कुमार की भी नहीं की. इसलिए उन पर महागठबंधन की राह में रोड़े बिछाने का भी आरोप लगता रहा है.
पत्रकार शिवानी सिंह कहती हैं, "कन्हैया कुमार और पप्पू यादव के मामले पर गौर करें तो साफ है कि लालू ऐसी किसी शख्सियत को उभरने नहीं देना चाहते जो आगे चलकर तेजस्वी के सामने बड़ी लकीर खींच दे. लाख चाहने के बावजूद बेगूसराय और पूर्णिया में कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगा. पप्पू यादव ने तो अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में विलय तक कर दिया. सभी जानते हैं, नीतीश को आखिर इंडिया गठबंधन से क्यों बाहर आना पड़ गया." हालांकि, इस बार लालू ने प्रत्याशियों के चयन में एक हद तक बीजेपी की रणनीति पर ही काम किया. अब तक आरजेडी के घोषित 22 उम्मीदवारों में 11 चेहरे ऐसे हैं, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इस सियासी दांव का फायदा उन्हें कितना मिलेगा, यह तो चार जून को ही पता चल सकेगा.
लालू का "जंगलराज" अब गुजरे जमाने की बात
पत्रकार अमित पांडेय कहते हैं, "अब केवल लालू के जंगलराज की बात बताकर वोट मांगना बेमानी है. जिस पीढ़ी ने उसे झेला है, वे तो इसे समझ सकते हैं. किंतु तीन दशक बीत जाने के बाद आज का युवा रोजी-रोजगार, पढ़ाई और विकास की बात करता है. उसे बीते दिनों से कुछ नहीं लेना. एनडीए को यह बात समझनी होगी कि राह इतनी आसान नहीं रह गई है."
इसमें कोई दो राय नहीं कि तेजस्वी ने रोजगार को तो मुद्दा बना ही दिया और नीतीश के साथ सरकार में रहने के दौरान नौकरियां भी बांटी. इसका श्रेय लेने की राजनेताओं के बीच भले ही होड़ मची हो, लेकिन 30-34 आयु वर्ग के युवा इसका श्रेय तो तेजस्वी को ही दे रहे. निश्चित तौर पर युवाओं में तेजस्वी का क्रेज बढ़ा है. लालू के परिवारवाद, "जंगलराज" और भ्रष्टाचार से इस वर्ग को कुछ लेना-देना नहीं है. ऐसा लगता है कि चुनाव में इसका फायदा महागठबंधन को मिलेगा.
परिवारवाद और भ्रष्टाचार का मुद्दा
इस बार के आम चुनाव में एनडीए परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार कर रहा. लालू तो इससे प्रभावित हो रहे थे. उनके परिवार के पांच सदस्य राजनीति में हैं. अब तो उनकी बेटी रोहिणी आचार्य भी राजनीति में आ गईं. नीतीश कुमार भी खुद को भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर का असली उत्तराधिकारी बताते हैं, वे कहते रहे हैं कि कर्पूरी ठाकुर की तरह उन्होंने भी परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया. हवा का रुख मोड़ देने के माहिर लालू ने तेजस्वी से एनडीए में वंशवादी राजनीति करने वालों की सूची जारी करवा दी.
अपने एक्स हैंडल पर तेजस्वी ने बिहार में प्रथम चरण की चार लोकसभा सीट समेत राज्य की ऐसी 14 सीट की सूची जारी कर दी, जहां परिवारवादी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस परिवारवाद के बारे में भी जिक्र करने का आग्रह भी कर दिया. तेजस्वी को लालू को यह सीख एनडीए पर एक हद तक तो भारी पड़ ही गई. जमुई की सभा में वंशवादी राजनीति पर न तो पीएम मोदी ने कुछ कहा और न ही भाजपा के अन्य नेताओं ने. हालांकि, लालू तो पहले से ही कहते रहे हैं कि "उनका बेटा राजनीति में नहीं जाएगा तो क्या भैंस चराएगा."
राजनीति में एक और बेटी
लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी डॉ. मीसा भारती पहले से ही राजनीति में हैं. वर्तमान में वह राज्यसभा की सदस्य हैं. 2014 और 2019 में मीसा लोकसभा का चुनाव कभी लालू के काफी करीबी रहे रामकृपाल यादव से हार चुकी हैं. तीसरी बार फिर उनके खिलाफ ही चुनाव मैदान में उतरी हैं. इस बार उनकी दूसरी बेटी डॉ. रोहिणी आचार्य भी सारण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. अब तक उनका परिचय यही है कि वे लालू प्रसाद की बेटी हैं और उन्होंने जरूरत पड़ने पर पिता को अपनी किडनी दी. इसके अलावा वे सोशल मीडिया पर अपने परिवार के पक्ष में तीखे तेवर से विरोधियों को घेरने के लिए भी जानी जाती हैं. जवाब देने में वे भाषाई मर्यादा के पार जाने से भी नहीं चूकतीं.
राजनीतिक समीक्षक अरुण कुमार चौधरी कहते हैं, "मीसा के समक्ष 2009 में पाटलिपुत्र में पिता लालू प्रसाद की पराजय का बदला लेने की चुनौती है. उस समय लालू अपने मित्र और जेडीयू के उम्मीदवार रंजन प्रसाद यादव के हाथों 25 हजार से अधिक मतों से हार गए थे. मीसा भी दो बार चुनाव हार चुकी हैं. उन्हें भी रामकृपाल यादव से अपनी हार का बदला लेना है. वहीं, रोहिणी के समक्ष सारण में मां राबड़ी देवी की 2014 की पराजय का बदला लेने की चुनौती है. हो सकता है, लालू सारण का अपना पुराना गढ़ फिर से हासिल करना चाह रहे हों."
रोहिणी ने उन्हें अपनी किडनी दी है और इसको लेकर लोगों में "पापा की प्यारी" बिटिया के प्रति सहानुभूति तो हो ही सकती है. शायद यही वजह है कि राजीव प्रताप रूडी भी रोहिणी के लिए सधे शब्दों में कहते हैं कि "हर पिता को ऐसी बेटी मिलनी चाहिए. मेरी लड़ाई तो लालू प्रसाद से है."
तेजस्वी के लिए खतरा तो नहीं!
रोहिणी भले ही कह रही हों कि वे उस समय ही राजनीति में आने वाली थी, जब बिहार में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में महापाप हुआ था. लेकिन, पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से नहीं आ सकीं. पार्टी में उनका हाल बड़ी बहन मीसा जैसा होगा या उनका कद बढ़ेगा, यह तो आम चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा. लेकिन उनकी एंट्री यह तो संकेत दे ही रही कि तेजस्वी के लिए घर के बाहर और अंदर परेशानियां बढ़ेंगी.
जानकार बताते हैं कि तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या को लेकर विवाद सतह पर है ही और हो सकता है पत्नी राजश्री को लेकर भी कहीं तेजस्वी पसोपेश में न पड़ गए हों. शायद इसलिए पत्रकार शिवानी सिंह कहती हैं, "देखिए रोहिणी की एंट्री का लालू परिवार और आरजेडी पर असर पड़ना तो लाजिमी है. बहुत कुछ दोनों बहनों की जीत पर निर्भर करेगा. बड़ी बेटी होने के कारण मीसा भारती पहले से ही पार्टी की पहली कतार के नेताओं के संपर्क में हैं और अगर रोहिणी जीत कर आती है तो इतना तो तय है कि परिवार में विरासत की जंग भविष्य में तेज होगी, जिसका असर अंतत: तेजस्वी पर ही पड़ेगा." (dw.com)
भारत में अंग्रेजों के जमाने में तितलियों के नाम भी अंग्रेजी में ही रखे गए थे. लेकिन अब 'राष्ट्रीय तितली नामकरण सभा' ने तितलियों के नाम हिन्दी में रखने की पहल की है.
डॉयचे वैले पर रामांशी मिश्रा की रिपोर्ट-
विश्व भर में तितलियों की 15 हजार से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं, भारत में 1,400 से अधिक तितलियों की प्रजातियां हैं. इन तितलियों में एक नाखून से भी छोटे आकार की ‘रत्नमाला' (ग्रास ज्वेल) और 150 मीटर से अधिक पंख फैलाने वाली ‘रंगोली जटायु' (गोल्डन बर्डविंग) तक शामिल हैं.
भारत में तितलियों की खोज अंग्रेजों के जमाने में शुरू हुई थी. तब उनके नाम भी अंग्रेजी में रखे गए थे. लेकिन अब हिन्दी में तितलियों के नाम रखने को लेकर जुलाई 2023 में ‘राष्ट्रीय तितली नामकरण सभा' का गठन किया गया है. इस सभा में वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, प्रकृति प्रेमी, भाषा विशेषज्ञ, वनाधिकारी समेत कई अन्य सदस्य शामिल हैं.
सभा में शामिल सदस्य देश के अलग अलग हिस्सों से जुड़े हुए हैं. प्रोफेसर कृष्णमेघ कुंटे, धारा ठक्कर और रूपक डे के साथ इसमें नेशनल बटरफ्लाई क्लब मुंबई के सचिव दिवाकर थोंब्रे, स्प्राउट्स संस्था मुंबई के सीईओ आनंद पेंढारकर, हिन्दी भाषा विशेषज्ञ और झारखंड तितली समूह के संस्थापक मनीष कुमार, उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम के मैनेजर रतींद्र पांडे और देहरादून स्थित दून नेचर वॉक के विशेषज्ञ राहुल काला शामिल हैं.
पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा हैं तितलियां
बहुत ही छोटे जीवनकाल वाली तितलियां पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य चक्र में एक विशेष भूमिका निभाती है. झारखंड में नेचुरल ज्वैल्स संस्था की संस्थापक और पर्यावरणविद धारा ठक्कर ने डीडब्ल्यू को बताया, "जैव विविधता में तितलियां बड़ी भूमिका निभाती है. सामान्य तौर पर जिस जगह पर तितलियां नहीं होती वहां का पर्यावरण अच्छा नहीं माना जाता. कंक्रीट के जंगलों के बीच भी यदि एक हरा भरा वातावरण है तो वहां तितलियां अपने आप ही आने लगती हैं. साथ ही तितलियां हवा, पानी और मिट्टी तीनों को शुद्ध करती हैं."
वह आगे बताती हैं, "आम जनमानस के बीच तितलियों को लेकर जागरूकता की कमी है. ऐसे में आसान भाषा में तितलियों के हिन्दी नाम रखे गए हैं ताकि लोग भी इनके संरक्षण में कुछ योगदान दे सकें.”
केवल उत्तर प्रदेश में ही तितलियों की 200 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व वनाधिकारी रूपक डे ने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले छह महीनों में सभा के सदस्यों ने मिलकर हिन्दी में भारतीय तितलियों के नाम रखने के लिए उनके वैज्ञानिक और अंग्रेजी नाम, उनकी विशेषताएं, व्यवहार और अन्य पहलुओं पर विमर्श किया ताकि उनके आसान नाम रखे जा सकें.”
तितलियों के नाम ऐसे रखे गए हैं जिन्हें याद करना आसान हो, जो अंग्रेजी नाम का सिर्फ अनुवाद न हो बल्कि स्थानीय संस्कृति के अनुरूप हो. इसके लिए प्रजातियों की रुपात्मक विशेषताओं के साथ उनकी उड़ान, व्यवहार, मेजबान पौधों और प्रजातियों के कैटरपिलर आदि पर आधारित नाम भी रखे गए हैं.
रामायण के किरदारों की भूमिका
बेंगलुरू स्थित नैशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर कृष्णमेघ कुंटे ने डीडब्ल्यू को बताया, "तितलियों के नाम रखने में रामायण के विभिन्न किरदारों की भी भूमिका रही है. रावण के दरबार में अंगद के पैर को कोई नहीं हिला पाया था. उसी के आधार पर गोल्डन एंगल प्रजाति की तितली का नाम अंगद रखा गया है क्योंकि यह अपने मूल स्थान से जल्दी विस्थापित नहीं होती. उनकी प्रजातियों में स्पॉटेड एंगल का नाम ‘चित्तीदार अंगद', एलिदा एंगल का नाम ‘अलिदा अंगद', ब्लैक एंगल का नाम ‘कृष्णा प्रतल' और गोल्डन एंगल का नाम ‘सुनहरा अंगद' रखा गया है.”
इसी तरह बड़े पंखों वाली बर्डविंग तितली का नाम जटायु के नाम पर रखा गया है. कॉमन वर्डविंग का नाम ‘बिंदी जटायु', गोल्डन बर्डविंग का नाम ‘रंगोली जटायु' और सह्याद्री बर्डविंग का नाम ‘सह्याद्री जटायु' रखा गया है.
क्षेत्रीय भाषाओं को नहीं मिली सफलता
रूपक डे ने बताया, "1902 में डी-रे फिलिप ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तितलियों की 92 प्रजातियों की खोज की थी. अंग्रेजों ने जब तितलियों की खोज की थी तो उन्हें कमांडर, जोकर, कैस्टर, सेलर जैसे नाम दिए थे." हालांकि, आजादी के बाद तितलियों पर काम हुआ. हाल के 20 वर्षों में पर्यावरणविदों और प्रकृति प्रेमियों ने तितलियों के संरक्षण पर काम शुरू किया.
प्रोफेसर कृष्णमेघ ने डीडब्ल्यू को बताया, "इससे पहले एक छोटे मराठी संगठन ने 1980 के दशक में तितलियों के नामकरण किए थे, लेकिन उसे अधिक सफलता नहीं मिली. यही हाल कन्नड़ और मलयालम भाषा के साथ हुआ. क्षेत्रीय भाषाओं में नामकरण के प्रारूप को लेकर कोई दिशा-निर्देश तय न होने से उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. मराठी में दोबारा हुए नामकरण को पहचान मिली. हिन्दी भाषा में भी नामकरण से पहले इसे लेकर सभा ने कुछ दिशा निर्देश तय किए. उस आधार पर तितलियों के नाम रखे गए."
प्यार भरे नाम भी किए गए शामिल
तितलियों के कई ऐसे भी नाम रखे गए हैं जो हिन्दी भाषी क्षेत्रों में बच्चों को प्यार से पुकारे जाते हैं. जैसे डार्लेट प्रजाति की तितली का नाम ‘लाडली' रखा गया है, स्मॉलर डोरलेट तितली का नाम ‘छुटकी लाडली', स्मॉल क्यूपिड का नाम ‘छोटा मदन', कार्नेलियन का नाम ‘लालन', ग्रास ब्लूज का नाम ‘नीलू' रखा गया है. ग्रास डार्ट्स नामक तितली का नाम ‘घसियारा' रखा गया है.
कुछ तितलियों का नाम उनके मेजबान पौधों के आधार पर रखा गया है. जैसे, चंपा के पौधे पर सबसे अधिक बसने वाली तितली ग्रास डेमोन का नाम ‘डोलन चंपा' रखा गया है. इसके अलावा नींबू के पौधे पर लार्वा रखने वाली लाइम ब्लू तितली का नाम ‘निंबुड़ा' रखा गया है.
बड़े आकार की तितली ब्लू मॉर्मोन या ग्रेट मॉर्मोन का नाम ‘बहुरूपिया' रखा गया है. इस प्रजाति में पंखों पर मोर के पंखों जैसी धारियां होती हैं. ऐसे में कुछ अन्य तितलियों के नाम ‘मालाबारी मयूरी', ‘दख्खन मयूरी', ‘मखमली मयूरी' और ‘कृष्णा मयूरी' रखे गए हैं.
संरक्षण पर काम जरूरी
तितलियों के संरक्षण को लेकर कई देशों में काम हो रहा है. सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर ही बटरफ्लाई गार्डेन बनाया गया है. वहां तितलियों की 40 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल सकती हैं. वहीं, दुबई में जलवायु अनुकूल न होने के बावजूद तितलियों के संरक्षण पर लगातार काम किया जा रहा है. धारा के अनुसार, "तितलियां कई हजार किलोमीटर तक प्रवास कर सकती हैं. इनका जीवन चक्र थोड़े समय का होता है. ऐसे में प्रवास के दौरान ही उनकी पीढ़ियां भी जन्म ले लेती हैं.”
रूपक डे ने बताया, "प्राथमिक तौर पर अभी हमने 231 तितलियों के हिन्दी नाम की पहली किस्त जारी की है जिन्हें हम ‘शहरी हरियाली की तितलियां' मानते हैं. दूसरे चरण में हिन्दी भाषी क्षेत्र में पाई जाने वाली बाकी प्रजातियों का नामकरण किया जा रहा है और तीसरे चरण में अन्य सभी तितलियों के नाम शामिल होंगे." (dw.com)
इंफाल, 17 अप्रैल । कुकी-जोमी आदिवासी समुदाय की शीर्ष संस्था कुकी इनपी सदर हिल्स (केआईएसएच) ने मंगलवार को अपने सदस्यों को आगामी लोकसभा चुनाव में भाग लेने से दूर रहने का निर्देश दिया।
केआईएसएच की प्रचार शाखा ने एक बयान में यह स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए उनका दृष्टिकोण "बहिष्कार" करना नहीं है, बल्कि "मतदान से दूर रहने" का विकल्प चुनना है।
बयान में कहा गया है कि 18वीं लोकसभा चुनाव में कुकी-ज़ोमी समुदाय से कोई उम्मीदवार नहीं है। आदिवासियों के लिए आरक्षित बाहरी मणिपुर संसदीय क्षेत्र में चार उम्मीदवारों के बीच एक सर्वसम्मति वाले उम्मीदवार का चयन करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, सर्वसम्मति नहीं बन सकी। इसलिए, कुकी इंपी मणिपुर द्वारा स्वीकार किए गए सभी हितधारकों के साथ तालमेल कर आगामी चुनाव में मतदान से दूर रहने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।"
बाहरी मणिपुर लोकसभा सीट के लिए चार उम्मीदवार हैं, जिनमें भाजपा समर्थित नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के उम्मीदवार कचुई टिमोथी जिमिक भी शामिल हैं। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने इस सीट पर अल्फ्रेड कन्नगम एस. आर्थर को मैदान में उतारा है। जिमिक और आर्थर दोनों नागा समुदाय से हैं।
इस सीट के लिए दो स्वतंत्र उम्मीदवार एस खो जॉन और एलिसन अबोनमई भी मैदान में हैं।
मणिपुर में दो चरणों में 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदान होगा।
(आईएएनएस)
पूर्वोत्तर भारत में देश की सीमा शुरु होने पर पहला गांव आता है किबिथू. बीते सालों में यहां सरकार ने विकास के कुछ काम शुरू किए हैं जिनसे यहां की तस्वीर धीरे धीरे बदल रही है. हालांकि ज्यादातर काम अभी शुरुआती दौर में ही हैं.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
पूर्वोत्तर में भारत के साथ लगी चीन और म्यांमार की सीमा पर लोहित नदी के किनारे खूबसूरत पहाड़ियों पर बसा किबिथू गांव बीते साल अप्रैल में पहली बार उस समय सुर्खियों में आया था जब केंद्र सरकार ने इसे जीवंत गांव कार्यक्रम (वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम) में शामिल किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तब खुद यहां पहुंचे थे.
इलाके के विकास के लिए तमाम आधारभूत योजनाओं की घोषणा के बाद इस दुर्गम गांव के लोगों की आंखों में सुनहरे सपने उभरने लगे थे. अब धीरे-धीरे इलाके की तकदीर और तस्वीर बदल रही है. सामरिक रूप से इस गांव की बहुत अहमियत है.
केंद्र सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में बढ़ती चीनी गतिविधियों से निपटने के लिए जिस वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की थी, उसमें अंजाव जिले के किबिथू के साथ लोहित नदी के पार बसे काहो के अलावा मेशाई गांव शामिल हैं.
बुनियादी सुविधाओं की कमी
अपनी बेमिसाल प्राकृतिक खूबसूरती और काफी हद तक अछूते इस इलाके में आधारभूत सुविधाओं की कमी के कारण पर्यटन को उम्मीद के मुताबिक बढ़ावा नहीं मिल सका है. लोगों को उम्मीद थी कि अब विकास परियोजनाएं तेजी से लागू होंगी और इलाके का चेहरा बदल जाएगा.
बीते साल गांव में एयरटेल का एक टावर लगाया गया. हालांकि मोबाइल नेटवर्क अब भी बेहतर नहीं हो सका है. अब स्थानीय लोगों की उम्मीदें इलाके में बिछने वाली ऑप्टिकल फाइबर केबल पर टिकी हैं. इसके इस महीने के आखिर तक तक वालोंग पहुंचने की उम्मीद है.
इलाके में मौजूद ईस्टर्न बेकरी यहां की पहली बेकरी है. इसके मालिक प्रेम कुमार सोनम उम्मीद जताते हैं कि ऑप्टिकल फाइबर केबल के यहां पहुंचने के बाद कनेक्टिविटी की समस्या खत्म हो जाएगी. वह बताते हैं, "किसी वीआईपी के यहां पहुंचने पर तो मोबाइल नेटवर्क ठीक काम करता है. लेकिन बाद में पता नहीं उसे क्या हो जाता है."
जगह जगह साइन बोर्ड
अंजाव जिला मुख्यालय हवाई में है जो यहां से 80 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के जिला उपायुक्त तालो जेरांग कहते हैं, "वाइव्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत तमाम योजनाएं फिलहाल निविदा की प्रक्रिया से गुजर रही हैं. उनका काम शीघ्र शुरू होगा. फिलहाल राज्य सरकार के पैसों से कुछ काम शुरू हुआ है." इस गांव में जगह-जगह वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत होने वाले निर्माण के बोर्ड नजर आते हैं.
जिला योजना अधिकारी मार्तो दिरची इन परियोजनाओं के नोडल अधिकारी भी हैं. उनका कहना है कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत 47 सामान्य और 16 सड़क परियोजनाओं पर काम होना है. इनमें से हवाई वालोंग ब्लॉक के तहत अकेले किबिथू में ही आठ परियोजनाएं हैं. इनमें अस्पताल, स्कूल, बैडमिंटन कोर्ट, स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी कर्मचारियों के लिए आवासीय परियोजनाएं शामिल हैं.
ईस्टर्न बेकरी के प्रेम कुमार को उम्मीद है कि जल्दी ही तमाम परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी. ईस्टर्न बेकरी भारतीय सेना ने शुरू की है. फिलहाल इसमें चार महिलाएं काम करती हैं. सेना इसके आधुनिकीकरण की एक योजना पर काम कर रही है. प्रेम कुमार के मुताबिक, गांव में होम स्टे शुरू करने की योजना पर भी काम चल रहा है. लोहित के दूसरे किनारे पर बसे काहो गांव में कुछ होम स्टे शुरू हुए हैं. उम्मीद है किबिथू में भी यह जल्दी शुरू हो जाएगा. तब पर्यटकों के आने की भी संभावना है.
मुश्किल है किबिथू पहुंचना
समुद्रतल से करीब तेरह सौ मीटर की ऊंचाई पर बसा यह इलाका कितना दुर्गम है, यह समझने के लिए इलाके का भूगोल समझना जरूरी है. पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश से लगी असम सीमा में स्थित डिब्रूगढ़ यहां पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो 390 किमी दूर है. इसी तरह सबसे नजदीकी स्टेशन तिनसुकिया से इस गांव की दूरी 340 किमी है. वहां से एक दिन में यह दूरी तय करना मुमकिन नहीं है.
यहां तक पहुंचने के लिए रास्ते में या तो तेजू में रात को रुकना पड़ेगा या फिर जिला मुख्यालय हवाई या वालोंग में. किबिथू गांव में फिलहाल पर्यटकों के रहने की कोई सुविधा नहीं है. इसलिए यहां तक पहुंचने वाले पर्यटकों को 30 किमी दूर स्थित वालोंग या नदी पार काहो स्थित होमस्टे में ठहरना होता है. वहां से आकर किबिथू घूमने के बाद फिर वहीं लौटना जरूरी है.
किबिथू से करीब 18 किमी पहले वह डांग कस्बा भी है जहां सूरज की किरणें सबसे पहले भारतीय जमीन को स्पर्श करती हैं. गांव के लोगों का कहना है कि पर्यटकों की तादाद धीरे-धीरे बढ़ तो रही है. लेकिन उनके रहने का कोई इंतजाम नहीं होने के कारण इससे स्थानीय लोगों को कोई खास फायदा नहीं होता. अब प्रशासन यहां होम स्टे शुरू करने पर विचार कर रहा है.
सेना से मिलता है रोजगार
फिलहाल गांव में तीन तरह के ही रोजगार हैं. इनमें भारतीय सेना के साथ पोर्टर के तौर पर काम करने के अलावा निर्माण कार्यों में मजदूरी और खेती शामिल है. लंबे समय से यहां तैनात इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सेना के जवान ही गांव के लोगों की जीवनरेखा बने हुए हैं.
फिलहाल गांव के स्कूल में आठवीं तक ही पढ़ाई होती है. अब इसे बढ़ा कर दसवीं तक करने की योजना है. इसके अभाव में गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए मजबूरी में दूसरे कस्बों तक भेजना पड़ता है.
वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत किबिथू स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए आवास भी तैयार किए जाएंगे. गांव वालों का कहना है कि पहले तो यहां ना अच्छी सड़कें थी और ना ही बिजली का कोई भरोसा था. अब सड़कें बेहतर है और बिजली भी रहती है, लेकिन अभी बहुत काम होना बाकी है.
चीन का हमला
यह अनाम-सा कस्बा साल 1962 के भारत-चीन युद्ध में टकराव का एक प्रमुख केंद्र था. 21 अक्टूबर, 1962 को आधी रात के समय चीनी सैनिकों ने यहां भारतीय चौकियों पर तोप से गोलाबारी शुरू कर दी थी.
चीनी सेना के मुकाबले तादाद कम होने के बावजूद उस समय 6 कुमायूं रेजिमेंट के जवानों ने बेहद बहादुरी से चीनी हमले का सामना किया था. बाद में हथियारों की कमी के कारण उन सैनिकों को वालोंग लौटने का निर्देश दिया गया था. वालोंग की रक्षा के लिए करीब तीन सप्ताह तक चली लड़ाई सेना के इतिहास में बहादुरी और साहस के इतिहास के तौर पर दर्ज है.
दो साल पहले यहां के सैन्य शिविर का नाम बदल कर भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के नाम पर रख दिया गया. यहां उनकी याद में एक द्वार भी है. जनरल रावत ने साल 1999-2000 के दौरान यहां अपनी बटालियन 5/11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली थी, तब वो सेना में कर्नल थे.
किबिथू में सैन्य शिविर के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके ठीक सामने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की सीमा चौकी है, जो यहां से दिखाई देती है. (dw.com)
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ईवीएम से पड़े वोटों के वीवीपैट पर्ची की 100 फीसदी गिनती या फिर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की पुरानी व्यवस्था लागू करने को अव्यवहारिक होने का संकेत दिया.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
सुप्रीम कोर्ट में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट से निकलने वाली सभी पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पड़े वोटों के साथ कराने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने कोर्ट में याचिका दायर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट पर्चियों की 100 फीसदी की मिलान की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाकर्ताओं से सवाल किया, जिन्होंने ईवीएम के माध्यम से मतदान की विश्वसनीयता पर संदेह उठाया है.
"बैलेट पेपर से चुनाव कराना चुनौती"
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने एडीआर की याचिका पर सुनवाई के दौरान 1960 के दशक में बैलेट पेपर से चुनाव के दौर को याद किया और कहा कि देश में फिलहाल मतदाताओं की संख्या 96 करोड़ से अधिक है. ऐसे में बैलेट पेपर या वीवीपैट की 100 फीसदी गिनती की व्यवस्था से चुनाव कराना बहुत चुनौती वाला काम होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि जब बैलेट पेपर थे तो क्या होता था. आप जानते होंगे, लेकिन हम भूले नहीं हैं."
एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि मौजूदा समय में एक विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ पांच ईवीएम के संबंध में वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाता है, जो बहुत कम हैं.
बहस के दौरान जर्मनी का जिक्र
बहस के दौरन प्रशांत भूषण ने कहा कि जर्मनी जैसे यूरोपीय देश बैलेट पेपर पर लौट आए हैं. जस्टिस दत्ता ने कहा कि जर्मनी की छह करोड़ आबादी की तुलना में भारत में 98 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं.
जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, "यह (भारत में चुनाव) एक बहुत बड़ा काम है. मेरा गृह राज्य, पश्चिम बंगाल, जर्मनी से भी अधिक आबादी वाला है. हमें किसी पर भरोसा करने की जरूरत है. इस तरह व्यवस्था गिराने की कोशिश न करें."
याचिकाकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्हें आबादी की चिंता नहीं है, बल्कि ईवीएम में "त्रुटियों की बहुत अधिक संभावना" है.
जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर उम्मीदवार कुल डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच विसंगति पाते हैं तो वे अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने कोर्ट में याचिका दायर ईवीएम के वोटों और वीवीपैट पर्चियों की 100 फीसदी की मिलान की मांग की है
क्या है वीवीपैट
जब कोई मतदाता अपना वोट डालने के लिए मतदान केंद्र पर जाता है तो वहां रखी ईवीएम के साथ एक और मशीन होती है इसके साथ एक ट्रांसपेरेंट बॉक्स रखा होता है. इसे वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल कहा जाता है. जब वोटर अपना वोट डाल देता है तो वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है और वह बॉक्स में गिर जाती है. उस पर्ची पर वोटर ने जिस पार्टी को वोट दिया है उसका सिंबल दर्ज होता है.
वीवीपैट की पर्ची से वोटर यह जान पाता है कि उसका वोट सही जगह गया है या नहीं और वह जिस उम्मीदवार का समर्थन करता है, उसे ही गया है या नहीं.
विवाद होने पर पर्ची को निकाला भी जाता है और उसे वेरिफाई किया जाता है.
वीवीपैट की सभी पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराने वाली याचिका पर अगली सुनवाई अब 18 अप्रैल को होगी. यानी लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले. (dw.com)
प्रयागराज, 17 अप्रैल । उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के शाहगंज क्षेत्र में एक किराए के मकान से एक महिला समेत दो कांस्टेबलों के शव बरामद किए गए।
शव मंगलवार शाम महिला पुलिसकर्मी के घर में पाए गए। कांस्टेबल का शव छत से लटका हुआ मिला, जिसकी पहचान मथुरा निवासी राजेश (32) के रूप में हुई, जबकि महिला कांस्टेबल का शव बिस्तर पर पड़ा था।
पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
डीसीपी दीपक भूकर ने बताया, "शुरुआती जांच में पता चला है कि एसीपी कोतवाली कार्यालय में तैनात राजेश मंगलवार को ड्यूटी पर नहीं आए थे।"
पुलिस की एक टीम महिला के किराए के मकान पर गई, लेकिन बार-बार बुलाने के बावजूद किसी ने दरवाजा नहीं खोला। बाद में पुलिस घर का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई तो उन्हें शव मिले।
महिला कांस्टेबल कानपुर की रहने वाली थी। पुलिस ने बताया कि मृतक राजेश शादीशुदा था और महिला कांस्टेबल का करीबी दोस्त था। करीब 30 वर्षीय महिला कांस्टेबल टूरिस्ट थाने में तैनात थी और अकेली रह रही थी।
अधिकारियों ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। दोनों मृतकों के परिवारों को सूचित कर दिया गया है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 17 अप्रैल । उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को पहले चरण के मतदान में कुछ उम्मीदवार अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश करेंगे।
इन उम्मीदवारों के परिवार दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी राजनीतिक किस्मत कुछ हद तक डूब गई है। इन चुनावों में इन परिवारों की युवा पीढ़ी अपने परिवार की प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित करने के लिए एकजुट होकर प्रयास कर रही है।
ब्रिगेड का नेतृत्व यूपी के मंत्री जितिन प्रसाद कर रहे हैं, जो प्रतिष्ठित पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
जितिन प्रसाद कांग्रेस के पूर्व दिग्गज जीतेंद्र प्रसाद के बेटे हैं और उन्हें उस सीट को बरकरार रखने का काम दिया गया है जिसे गांधी परिवार - मेनका और वरुण गांधी का गढ़ माना जाता है। वरुण को टिकट नहीं दिया गया है और जितिन प्रसाद अब मोदी लहर पर सवार हैं।
2009 में, प्रसाद ने धौरहरा से चुनाव लड़ा और जीता। हालांकि, वह उसी निर्वाचन क्षेत्र से 2014 और 2019 का चुनाव वो हार गए। प्रसाद 2021 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया और योगी कैबिनेट में फिलहाल मंत्री हैं।
दूसरी उम्मीदवार इकरा हसन हैं जो समाजवादी टिकट पर कैराना सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनके दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्वर हसन और मां तबस्सुम हसन कई बार इस सीट से जीत चुके हैं।
उनके भाई नाहिद हसन कैराना विधानसभा सीट से दूसरी बार सपा विधायक हैं, लेकिन हाल ही में जमानत मिलने तक उन्होंने पिछले कुछ साल जेल में बिताए।
इकरा हसन 2022 में चुनावी मैदान में उतरीं जब उन्होंने जेल में बंद अपने भाई नाहिद हसन के लिए प्रचार किया और सीट पर उनकी जीत सुनिश्चित की। इस बार वह चुनावी मैदान में हैं और उनका मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप चौधरी से है।
कैराना लोकसभा सीट से मौजूदा बीजेपी सांसद प्रदीप चौधरी को राष्ट्रीय लोक दल भी समर्थन दे रहा है जो अब एनडीए का हिस्सा है।
(आईएएनएस)
भोपाल, 17 अप्रैल । मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में छह संसदीय क्षेत्रों में मतदान होने वाला है। इन क्षेत्रों में तमाम उम्मीदवार अपने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। शाम छह बजे चुनाव प्रचार थमने वाला है।
राज्य में लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में छह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र -- सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में 19 अप्रैल को सुबह सात से शाम छह बजे तक मतदान होना है, वहां पर 17 अप्रैल की शाम छह बजे से चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा।
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बालाघाट के तीन विधानसभा क्षेत्र -- बैहर, लांजी और परसवाड़ा में सुबह सात से शाम चार बजे तक ही मतदान होना है, इसलिए इन क्षेत्रों में 17 अप्रैल को शाम चार बजे से ही चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान समाप्ति के लिये निर्धारित समय के 48 घंटे से पहले चुनाव प्रचार बंद करने का प्रावधान है। प्रचार-प्रसार समाप्त होने की समय-सीमा के बाद बाहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को, जो उस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता नहीं हैं, उन्हें वह क्षेत्र छोड़ना होता है। इस हेतु सघन अभियान चलाया जाता है।
राज्य में लोकसभा की 29 सीटें है, जिनमें चार चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा।
(आईएएनएस)
गाजियाबाद, 17 अप्रैल । उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बुधवार को राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कई सवालों के जवाब भी दिए और लगातार भाजपा और प्रधानमंत्री पर हमला बोला। इस मौके पर इंडिया गठबंधन की ओर से एक वीडियो सॉन्ग भी जारी किया गया। इस सॉन्ग में 2017 से लेकर अब तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी के एक साथ वीडियो और फोटो शामिल हैं।
इसके अलावा गाजियाबाद के प्रत्याशी समेत अन्य दो और प्रत्याशियों ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ मंच पर फोटो खिंचवाई।
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने कई सवालों के जवाब भी दिए जिनमें राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वह अमेठी से चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी करेगी। अगर पार्टी कहती है तो वह चुनाव लड़ सकते हैं।
संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के बाद गाजियाबाद से कांग्रेस के प्रत्याशी डॉली शर्मा, बागपत के प्रत्याशी अमरपाल शर्मा और बुलंदशहर के प्रत्याशी कमलेश वाल्मीकि ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ मंच पर फोटोग्राफ खिंचवाए।
गाजियाबाद की प्रत्याशी डॉली शर्मा कांग्रेस की उम्मीदवार हैं और गठबंधन से काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि इस बार बदलाव जरूर आएगा क्योंकि गाजियाबाद में भाजपा की सरकार ने बिल्कुल भी विकास नहीं किया, लोगों को मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। मशहूर विचारक एस गुरुमूर्ति ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी महत्व रखता है। क्योंकि यूरोप और मध्य-पूर्व में बढ़ती शत्रुता और टकराव के कारण एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो भविष्य में शीत युद्ध की स्थिति को रोक सके।
एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से एक्सक्लूसिव बात करते हुए एस गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत ऐसी शक्ति बनकर उभरा है, जो शायद भविष्य में शीत युद्ध से बचा सकता है। उन्होंने कहा, "अगर आप इस बार एक नेता का चुनाव कर रहे हैं, तो आप भारतीय धरती पर एक वैश्विक नेता का चुनाव कर रहे हैं।"
उन्होंने भारत की 'शांतिवादी' भूमिका पर अपने दावों की पुष्टि करने के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण दिया और कहा कि मोदी सरकार के इस स्थिति से निपटने के कुशल तरीके से देश को हर तरफ से सराहना मिली। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रुपये में रूसी तेल खरीदने के मोदी सरकार के फैसले से तेल की कीमतों को 200 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने से रोकने में मदद मिली।
उन्होंने बताया, "इससे न केवल तेल की कीमत बढ़ने का खतरा कम हुआ, बल्कि इससे भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हो सकता था। उससे बचा गया।"
उन्होंने विपक्षी दलों के 'अघोषित आपातकाल' के दावों पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे बेबुनियाद और निराधार बताया। साथ ही एक व्यक्तिगत घटना का भी जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि मैंने 1975-77 में आपातकाल के दौरान भूमिगत होकर काम किया। हर तरफ अंधेरा छाया हुआ था। मैंने उस दौरान एक भूमिगत कार्यकर्ता के रूप में काम किया। मैं अपने घर के अंदर खाना नहीं खा सका, मैं अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका।
उन्होंने आगे बताया, ''आपातकाल सभी अधिकारों पर एक संवैधानिक अंकुश है। ऐसा नहीं होता कि कोई मजबूत नेता कोई मजबूत फैसला ले। कोई व्यक्ति तभी निरंकुश होता है, जब उसके संवैधानिक अधिकार छीन लिए जाते हैं।''
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पीएम नरेंद्र मोदी के कुछ प्रमुख फैसलों ने विश्व शक्तियों को उनके बारे में अपनी राय बदलने में मदद की। गुरुमूर्ति ने कहा, "उन्हें मिनी-हिटलर के रूप में देखा जाता था, लेकिन उनके अनुकरणीय नेतृत्व के कारण देश सभी मोर्चों पर तेजी से प्रगति कर रहा है और आज दुनिया भारत की ओर देख रही है।
इस आदर्श बदलाव के लिए, मोदी सरकार की दो नीतियां महत्वपूर्ण साबित हुईं - महामारी के दौरान सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रकोप के दौरान भारतीय कूटनीति।''
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नई दिल्ली, 16 अप्रैल । भाजपा ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर कांग्रेस द्वारा क्यूआर कोड के जरिए वोटर्स को लुभाने के लिए देशभर में प्रचार किए जा रहे नई गारंटी स्कीम के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है।
चुनाव आयोग से मुलाकात करने के बाद भाजपा राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कांग्रेस की नई गारंटी स्कीम के प्रचार अभियान को मतदाताओं को रिश्वत देने का प्रयास बताया।
उन्होंने कांग्रेस पर यह भी कटाक्ष किया कि कांग्रेस यह जानती है कि यह मुंगेरीलाल के हसीन सपने के बराबर है, वह चुनाव जीतने नहीं जा रही है बल्कि इस बार के चुनाव में तो कांग्रेस का सीटों का आंकड़ा सबसे कम रहने जा रहा है तो फिर कांग्रेस जनता को गुमराह करने के लिए ऐसे वायदे क्यों कर रही है।
भाजपा नेता ओम पाठक ने बताया कि कांग्रेस ने पिछले सप्ताह से देशभर में जो प्रचार अभियान शुरू किया है, उसी तरह का प्रचार अभियान पिछले वर्ष राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस ने चलाया था, जिस पर चुनाव आयोग ने उस समय रोक लगा दिया था। उन्होंने चुनाव आयोग से उसी आधार पर इस बार भी कांग्रेस के इस प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है।
पाठक ने बताया कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय इस तरह के प्रचार अभियान के कारण चुनाव आयोग की भर्त्सना मिलने के बावजूद कांग्रेस एक बार फिर से उसी तरह का अभियान चला रही है।
उन्होंने कहा कि इस प्रचार अभियान के जरिए कांग्रेस देश के वोटर्स को ऐसा बताने की कोशिश कर रही है जैसे कि वह देश के लोगों को कुछ दे रही है और उसके बदले उनके नाम और उनके पर्सनल डिटेल्स कांग्रेस लोगों से ले रही है। चुनाव आयोग को त्वरित कार्रवाई कर इस पर रोक लगाना चाहिए।
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बेंगलुरु, 16 अप्रैल । कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को बताया कि राहुल गांधी बुधवार को कर्नाटक पहुंचेंगे। राहुल गांधी मांड्या और कोलार संसदीय क्षेत्रों में कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह पहला कर्नाटक दौरा है।
डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "सांसद राहुल गांधी बुधवार दोपहर बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरेंगे और यहां से मांड्या शहर जाएंगे।"
उन्होंने आगे बताया कि राहुल गांधी मांड्या से कोलार जाएंगे और वहां से बेंगलुरु पहुंचेंगे। इसके बाद यहां से वह नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
पत्रकारों ने प्रियंका गांधी वाड्रा के राज्य दौरे के बारे में भी पूछा। इसके जवाब में शिवकुमार ने कहा कि वह जल्द ही अपने कर्नाटक दौरे की तारीख बताएंगी।
पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी के साथ रस्साकशी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "व्यक्तिगत तौर पर मैं पहले भी कुमारस्वामी का सम्मान करता था और भविष्य में भी करता रहूंगा। लेकिन, यदि वह बार-बार ओछी व्यक्तिगत टिप्पणी करेंगे तो यह उनकी गरिमा के अनुरूप नहीं होगा।"
शिवकुमार ने कहा, "यदि मैं अपनी संपत्ति पर बोल्डर निर्यात करने का बिजनेस कर रहा हूं, तो यह मेरा बिजनेस है। तो, क्या हुआ? अब मैंने यह बिजनेस बंद कर दिया है। अगर वह आमने-सामने बहस के लिए नहीं आ रहे हैं तो ठीक है, मैं सदन में उनका सामना करूंगा।"
(आईएएनएस)
नोएडा, 16 अप्रैल । नोएडा पुलिस ने मोहम्मद समीर और समीर खान की गिरफ्तारी के साथ अन्तर्राजीय वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इनके कब्जे से चोरी की 9 बाइक और एक स्कूटी बरामद की।
पुलिस ने बताया कि यह गैंग मोटर साईकिल और स्कूटी चोरी करने वाला गिरोह है। यह एनसीआर क्षेत्र में घर के बाहर और बाजारों में खड़ी गाड़ियों को ऑन डिमांड चोरी करता था। 19 साल का मोहम्मद समीर कालिंदी कुंज दिल्ली का रहने वाला है।
दूसरा आरोपी 20 वर्षीय समीर खान भी कालिंदी कुंज दिल्ली का रहने वाला है। इनसे बरामद वाहनों के बारे में दिल्ली और गाजियाबाद के थाने में चोरी के मामले दर्ज हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 16 अप्रैल। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मंगलवार को दिनदहाड़े एक व्यक्ति ने दिल्ली पुलिस के एएसआई की गोली मारकर हत्या कर दी। अधिकारी ने बताया कि एक अन्य राहगीर भी गोली लगने से घायल हो गया।
घटना के बाद हमलावर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक एएसआई की पहचान दिनेश शर्मा के रूप में हुई है। जबकि, घायल अमित कुमार को इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने बताया कि एएसआई दिनेश शर्मा दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा में तैनात थे। जब मीत नगर फ्लाईओवर पर यह घटना हुई तब वह अपनी बाइक पर यात्रा कर रहे थे।
पुलिस के अनुसार, नंद नगरी थाने को मंगलवार सुबह 11:42 बजे मीत नगर फ्लाईओवर पर हुई घटना के संबंध में जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची।
मौके पर पहुंची पुलिस ने दिनेश शर्मा और अमित कुमार को जीटीबी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने शर्मा को मृत घोषित कर दिया। वहीं, अमित कुमार का इलाज जारी है। अमित कुमार घटना के समय अपनी स्कूटी पर मीत नगर फ्लाईओवर पर यात्रा कर रहे थे। उनके पीठ पर गोली लगी है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी जॉय टिर्की ने कहा, "आरोपी मुकेश ने एएसआई शर्मा और कुमार को गोली मारी थी। वह जबरन एक ऑटो-रिक्शा में बैठ गया। जब ऑटो-रिक्शा चालक ने विरोध किया तो उसने उसपर गोली चला दी, लेकिन गनीमत यह रही कि चालक बिना किसी चोट के भागने में सफल रहा।"
डीसीपी ने आगे कहा कि इसके बाद, ऐसा लगता है कि ऑटो-रिक्शा की पिछली सीट पर बैठे हुए मुकेश ने खुद को सिर में गोली मार ली। जीटीबी अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसके सिर पर दो घाव हैं।
ऑटो-रिक्शा की पिछली सीट पर 7.65 मिमी की पिस्तौल मिली है। फ्लाईओवर पर तीन जगहों पर कई जिंदा राउंड और खाली खोखे भी पाए गए। हत्या के पीछे का कारण अभी तक पता नहीं चला है। ज्योति नगर थाने में आर्म्स एक्ट के साथ हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जा रहा है।
(आईएएनएस)
पटना, 16 अप्रैल । बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे पर राजद नेता तेजस्वी यादव के सवाल उठाए जाने पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने से तेजस्वी यादव तिलमिलाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अतीत से सबक लेकर आने वाला भविष्य सुधारेंगे।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि सजायाफ्ता, भ्रष्टाचारी लोग अब प्रदेश और देश के भविष्य को सुधारने की बात करते हैं, इससे बड़ा हास्यास्पद क्या है। बिहार के युवाओं को पलायन करने के लिए विवश करने वाला, सामाजिक समरसता को बिगाड़ने वाला, जातीय उन्माद पैदा करने वाला कौन है?
उन्होंने कहा कि राजद के लोग एनडीए के कार्यकाल में किए गए कार्यों का क्रेडिट लेने में जुटे हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव को राजनीतिक गप्पेबाज़ भी बताया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब सच उजागर करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का प्रतीक कौन है, तो ये तिलमिलाए हुए हैं। आज सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार और अपराध है। इसी कारण बिहार बर्बाद हुआ। यही वे पीएम हैं, जिनके कार्यकाल में आतंकवाद और उग्रवाद समाप्त हुआ। लेकिन, बिहार के अंदर राजद के कार्यकाल में जातीय जहर के कहर से पलायन बढ़ा।
(आईएएनएस)