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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भरूच में ‘उत्कर्ष-समारोह’ में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार जानकारी के अभाव में लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. योजनाएँ सिर्फ़ काग़ज़ पर ही रह जाती हैं. लेकिन इरादा साफ़ हो तो नतीजे भी मिलते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, “दिल्ली से देश की सेवा करते हुए मुझे आठ साल पूरे हो रहे हैं. ये आठ वर्ष सेवा सुशासन और ग़रीब कल्याण को समर्पित रहे. आज जो कुछ भी मैं कर पा रहा हूं, वो मैंने आपके बीच ही सीखा है.”
पीएम मोदी ने साल 2014 के अपने पहले कार्यकाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि साल 2014 में जब देश ने सेवा का मौक़ा दिया था, तो देश की क़रीब-क़रीब आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक अकाउंट की सुविधा से वंचित थी. लेकिन अनेक योजनाओं को शत प्रतिशत सेचुरेशन के क़रीब ला पाने में कामयाबी मिली है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुए इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, “मैंने पहले भी कहा कि ऐसे काम कठिन होते हैं, राजनेता भी उन पर हाथ लगाने से डरते हैं.लेकिन मैं राजनीति करने के लिए नहीं, देशवासियों की सेवा करने के लिए आया हूँ.”
इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य सरकार की चार प्रमुख योजनाओं के शत-प्रतिशत पूर्ण होने के सिलसिले में किया गया. (bbc.com)
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू को उनकी लक्ष्मण रेखा वाली टिप्पणी पर घेरा है. बुधवार को राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किरेन रिजिजू ने कहा था कि कोर्ट को विधायिका और सरकार का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा था कि सरकार को भी अदालतों का सम्मान करना चाहिए. दोनों के कार्यक्षेत्र निर्धारित हैं और किसी को लक्ष्मण रेखा नहीं पार करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र को इस क़ानून पर फिर से विचार करने को कहा था और ये भी आदेश दिया था कि समीक्षा पूरी होने तक इस क़ानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं होगी. अब पी चिदंबरम ने किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि भारत के क़ानून मंत्री को मनमाने तरीक़े से लक्ष्मण रेखा खींचने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 13 को पढ़ना चाहिए.
उन्होंने आगे लिखा है- विधायिका क़ानून नहीं बना सकती और न ही उस क़ानून को क़ानून की किताब में बने रहने दिया जा सकता है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. पी चिदंबरम ने कहा कि क़ानून के कई जानकारों की नज़र में राजद्रोह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री या उनके लोग उस क़ानून को बचा नहीं सकते. (bbc.com)
सीएम ने की घोषणा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 मई। सरकार ने मनरेगा में लगे रोजगार सहायकों की बड़ी मांग पूरी कर दी है। उनके वेतन वृद्धि के आदेश दिए गए हैं। अब उन्हें कलेक्टर दर पर 9540 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा।
सीएम भूपेश बघेल ने रोजगार सहायकों के एक प्रतिनिधि मंडल से चर्चा के बाद इस आशय की घोषणा की। इनकी सेवा शर्तों से संबंधित मांगों पर निर्णय राज्य स्तरीय गठन समिति के प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद लिया जाएगा।
इलाहाबाद, 12 मई। मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान HC ने मथुरा की अदालत को मूल वाद से जुड़े सभी प्रार्थना पत्रों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए. हाईकोर्ट की ओर से अधिकतम 4 महीने में सभी अर्जियों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए हैं.सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य पक्षकारों के सुनवाई में शामिल न होने पर एकपक्षीय आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्र मनीष यादव की अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया. जस्टिस सलिल कुमार राय की सिंगल बेंच में यह सुनवाई हुई.
गौरतलब है कि मथुरा की अदालत में जन्म भूमि विवाद से जुड़े सभी मुकदमों की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने और उनका निस्तारण किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी. इस अर्जी में मथुरा की अदालत में चल रहे सभी मुकदमों को क्लब कर एक साथ सुनवाई किए जाने की भी मांग की गई थी.
कुलपति-कुलसचिव की गाडिय़ां लौटाने के आदेश भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर/बिलासपुर, 12 मई। जमीन मुआवजा प्रकरण पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने विवि की संपत्ति की कुर्की के आदेश पर रोक लगा दी है, और गाडिय़ों को वापस करने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस पीपी साहू की एकल पीठ ने प्रकरण की सुनवाई की। मुआवजा प्रकरण पर विश्वविद्यालय का तर्क था कि विवि ने सेंट्रल स्कूल के लिए सरकार को जमीन दी थी। इसके एवज में राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहित कर विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई है। ऐसे में मुआवजा विवाद निपटाने की जिम्मेदारी राज्य शासन की है।
विवि प्रशासन का तर्क था कि पहले भी मुआवजा से जुड़े विवाद को लेकर विवि प्रशासन समय-समय पर अवगत कराते रहा है, लेकिन इस दिशा में समुचित कार्रवाई नहीं होने के कारण विवि की एक के बाद एक संपत्ति कुर्क होते जा रही है।
कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन, और अन्य संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद संपत्ति कुर्की के सभी तरह के आदेश पर रोक लगा दी है। यही नहीं, अब तक कुर्क की गई कुलपति व कुलसचिव की सरकारी गाडिय़ों, और अन्य संपत्तियों को लौटाने के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय की तरफ से अधिवक्ता नीरज चौबे ने पैरवी की।
उल्लेखनीय है कि रविवि और भू-स्वामियों के बीच करीब 5.16 एकड़ जमीन के मुआवजे को लेकर विवाद चल रहा है। रविवि के पास तकरीबन 3 सौ एकड़ जमीन है। वर्ष 2005-06 में शासन ने भू-स्वामियों से करीब 74 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर रविवि को दी। इसके लिए भू-स्वामियों को मुआवजे की राशि दी गई। लेकिन अतिरिक्त मुआवजे को लेकर 31 किसान कोर्ट गए।
जिला न्यायालय ने 2017 में किसानों के पक्ष में निर्णय दिया। इसके तहत करीब 6.63 करोड़ रुपए 15 प्रतिशत ब्याज की दर से मुआवजा देने को कहा। अब यह राशि ज्यादा हो गई है। विवि ने इस राशि की मांग शासन से की। लेकिन शासन ने पैसे देने से मना कर दिया। मुआवजे की राशि नहीं मिलने पर कुर्की की कार्रवाई की जा रही है।
गुजरात के छह सौ के करीब मुस्लिम मछुआरों ने भेदभाव का दावा करते हुए हाईकोर्ट से इच्छामृत्यु की मांग की है. स्थानीय मछुआरा समुदाय के एक नेता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
पोरबंदर के गोसाबारा के तटीय इलाके में रहने वाले मछुआरा समुदाय के एक नेता ने अपने और अपने समुदाय के 600 लोगों के लिए हाईकोर्ट में इच्छामृत्यु की मांग वाली याचिका दायर की है. मुस्लिम मछुआरों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करते हुए अल्लाहरखा इस्माइलभाई थिमार ने अपने वकील धर्मेश गुर्जर के जरिए याचिका दायर की.
याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके साथ प्रशासन धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और मूलभूत सुविधाएं प्रदान नहीं करता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने मुस्लिम मछुआरा समुदाय के 600 सदस्यों और अपने परिवार के लिए रहम की मांग की थी.
याचिका में आरोप लगाया कि संबंधित विभाग के अधिकारी उन्हें गोसाबारा या नवी बंदर पर नावों को लंगर डालने की अनुमति नहीं देते हैं और 2016 से उन्हें परेशान कर रहे हैं, जिसके कारण वे बहुत कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
इस्माइलभाई का आरोप है कि अधिकारी "धर्म के आधार पर उनके समुदाय के साथ भेदभाव कर रहे हैं." उनका यह भी आरोप है कि हिंदू मछुआरों को नियमित रूप से सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.
याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम मछुआरों ने अपनी समस्या सुलझाने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों से भी गुहार लगाई है लेकिन अब तक मामला नहीं सुलझ पाया है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि इस्माइलभाई ने कहा कि मुस्लिम मछुआरों ने अपनी शिकायत मुख्यमंत्री और राज्यपाल से भी की थी, उन्हें कई रिमाइंडर भी भेजा था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद किसी ने उनकी गुहार नहीं सुनी जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका डाली.
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम मछुआरा समुदाय हमेशा "देश के प्रति वफादार" रहा है और कभी भी तस्करी जैसी "राष्ट्र विरोधी गतिविधियों" में शामिल नहीं रहा है. साथ ही कहा, इसके विपरीत मुस्लिम मछुआरों ने अक्सर ऐसी गतिविधियों के बारे में "सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी" प्रदान की है, जो "पाकिस्तान और अन्य द्वारा प्रायोजित" हैं. (dw.com)
चीन और यूरोप की अगुआई में इस साल विश्व अक्षय ऊर्जा की क्षमता के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने बताया है कि इसके पीछे इन दोनों महाद्वीपों में सौर ऊर्जा के मामले में हुई तरक्की है.
इस साल रिन्यूएबल एनर्जी के मामले में दुनिया की क्षमता रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाएगी. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अपनी नई रिपोर्ट में बताया है कि इसमें बड़ी हिस्सेदारी बीते साल जोड़ी गई अतिरिक्त क्षमता की है. केवल 2021 मे ही दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में 295 गीगावॉट की क्षमता बढ़ाई गई. यह बढ़ोत्तरी भी ऐसे समय में हुई जब सप्लाई चेन में कई तरह की बाधाएं आ रही थीं, निर्माण सेक्टर में हर जगह देरी देखने को मिल रही थी और कच्चे माल के दाम भी काफी ऊपर चले गए थे.
यह सारी जानकारी देते हुए आईईए ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समय में यह काफी मददगार हो सकती है. एजेंसी ने कहा, "2022 और 2023 में नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में जो भी अतिरिक्त क्षमता हासिल होगी, उससे रूसी गैस और पावर सेक्टर पर यूरोपीय संघ की निर्भरता काफी हद तक घटाना संभव हो पाएगा."
इसी साल आने वाले महीनों में 320 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता पैदा करने की योजना पर काम चल रहा है. इसके लिए पावर प्लांट लगाए जाएंगे. इसे ठीक से समझने के लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि इस अतिरिक्त क्षमता से जर्मनी जैसे देश में बिजली की कुल जरूरत पूरी हो सकती है. यूरोपीय संघ के स्तर पर देखें, तो जितनी ऊर्जा प्राकृतिक गैस से आती है, वह सारी इस अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा से ली जा सकती है.
इस नवीकरणीय ऊर्जा में सबसे बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा का है. एजेंसी ने बताया कि 2022 में सौर ऊर्जा का हिस्सा करीब 60 फीसदी रहेगा. यह पवन ऊर्जा और पनबिजली से काफी आगे है. आईईए विश्व के विकसित देशों को उनकी ऊर्जा नीति से जुड़ी सलाह देती है. लेकिन 2023 में एजेंसी ने वृद्धि की यह दर कम पड़ने की आशंका भी जताई है.
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यूरोपीय संघ ने ऊर्जा के लिए रूसी प्राकृतिक गैस पर अपनी निर्भरता घटाने का प्रण लिया है. संघ ने रूसी गैस पर अपनी निर्भरता को इसी साल दो-तिहाई कम करने का लक्ष्य रखा है. आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने कहा, "ऊर्जा बाजार में हाल के महीनों में हुए गतिविधियों ने, खासकर यूरोप में, एक बार फिर साबित कर दिया है कि ऊर्जा सुरक्षा की ओर बढ़ने में नवीकरणीय ऊर्जा की कितनी अहम भूमिका है. उत्सर्जन को घटाने में इसके असर को तो पहले से ही माना जाता है."
एजेंसी ने सरकारों से अपील की है कि नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिए तेजी से परमिट दिए जाएं और इसे बढ़ावा देने के कुछ तरीके अपनाए जाएं. एजेंसी ने चेतावनी भी दी है कि आजकल जैसी नीतियां लागू हैं उनके हिसाब से तो "नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक वृद्धि अगले साल तक रफ्तार खो देगी." पेरिस में मुख्यालय वाले आईईए ने बताया कि एक ओर सौर ऊर्जा बहुत बढ़ी लेकिन पनबिजली की क्षमता में करीब 40 फीसदी की गिरावट आने और पवन ऊर्जा की क्षमता में कोई खास तरक्की नहीं होने से नेट फायदा कम हो गया.
आरपी/एनआर (एएफपी)
लास वेगस के संगठित अपराध की कई कहानियां एक झील का पानी सूखने के बाद सामने आये शवों के टुकड़ों के साथ ऊपर आ गई हैं. लेक मीड से दूसरी बार अज्ञात लोगों के शवों के टुकड़े बाहर आए हैं.
कोलोराडो नदी के पानी से बनी यह झील लास वेगस स्ट्रिप से करीब 30 मिनट की दूरी पर है. नेवाडा और एरिजोना के बीच हूवर डैम से बनी झील में पिछले महीने पानी का स्तर घटने की वजह से ऊपरी हिस्से में पानी काफी कम हो गया. इसी हिस्से से पीने का पानी जाता था. इसके बाद क्षेत्रीय जल प्रशासन को झील की गहराई से पानी लेने पर मजबूर होना पड़ा. यह व्यवस्था 2020 में बन कर तैयार हुई थी ताकि कैसिनो, उपनगरों और 24 लाख निवासियों के साथ ही हर साल यहां आने वाले चार करोड़ सैलानियों को पानी मिल सके.
झील में शव
इसके बाद के सप्ताहांत में बोट की सवारी करने वालों ने एक आदमी का सड़ा गला शव किनारे पर मौजूद कीचड़ में एक जंग लगी बैरल में देखी. शव की पहचान नहीं हो सकी लेकिन लास वेगस की पुलिस को पता चला कि उस व्यक्ति को 1970 से 1980 के दशक के बीच कभी गोली मारी गई थी. इसका पता उसके जूतों से चला है और उसकी मौत की जांच नरसंहार के रूप में की जा रही है.
इसके कुछ ही दिन बाद दूसरा बैरल भी नजर आया लेकिन वह खाली था. शनिवार को लास वेगस के उपनगर हेंडर्सन में पैडल बोटिंग कर रही दो बहनों ने एक पूर्व रिजॉर्ट के पास पानी घटने के कारण सामने आए रेत में हड्डियां देखीं. यह जगह बैरलों के मिलने की जगह से करीब 14.5 किलोमीटर दूर है.
इन हड्डियों की तस्वीरें लेने वाले लिंडसे मेल्विन का कहना है कि पहली बार उन्हें यह हड्डियां किसी बड़े सिंग वाले हिरण की लगीं जिसका यहां बसेरा है. उन लोगों ने पार्क के रेंजरों को कॉल किया. बाद में नेशनल पार्क सर्विस ने इस बात की पुष्टि की कि हड्डियां वास्तव में इंसानों की ही हैं.
लास वेगस की पुलिस ने सोमवार को कहा कि किसी तरह की गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं हैं इसलिए हम आगे जांच नहीं कर रहे हैं. पुलिस का कहना है कि अगर प्रशासन यह पुष्टि कर देता है कि मौत संदिग्ध है तो नरसंहार की जांच शुरू की जा सकती है.
झील में मिले शव किसके हैं?
लास वेगस के पूर्व मेयर ऑस्कर गुडमैन ने सोमवार को कहा, "लेक मीड में जो हमें मिलेगा उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. यह शवों को डालने के लिए बुरी जगह नहीं है." तीन बार लास वेगस के गवर्नर रहने से पहले गुडमैन माफियाओं के वकील रहे हैं. इनमें एक नाम एंथनी स्पिलोत्रो उर्फ "टोनी द एंट" का भी है.
गुडमैन ने यह कयास लगाने से मना कर दिया कि इस विशाल झील में शव के रूप में कौन कौन मिलेगा. उन्होंने हंसते हुए कहा, "मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि वह जिम्मी होफा नहीं थे." जिम्मी होफा मजदूर नेता थे जो 1975 में लापता हो गये. उन्होंने कहा कि शायद उनके पुराने मुवक्किल (माफिया) जलवायु में दिलचस्पी ले रहे थे और इसलिए झील में पानी का स्तर इतना बनाए रखना चाहते थे ताकि शव इस पानी की कब्रगाह में नीचे पड़े रहें.
दरअसल दुनिया में आज जैसा जलवायु परिवर्तन झेल रही है उसके कारण लेक मिड में पानी का स्तर 1983 की तुलना में करीब 52 मीटर तक नीचे चला गया है. दक्षिण पश्चिमी राज्यों के आदिवासियों समेत शहरों के करीब 4 करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाली झील में इसकी क्षमता का बस एक तिहाई पानी बचा है.
लास वेगस के नेवाडा यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर मिषाएल ग्रीन का कहना है, "अगर झील और ज्यादा नीचे जाती है तो संभव है कि कुछ बहुत दिलचस्प चीजें सतह पर आ जाएं. ग्रीन का कहना है, "मैं यह दावा नहीं कर सकता कि बुग्सी सीगल को किसने मारा था लेकिन हम इसका पता लगा लेंगे."
बुग्सी सीगल एक कुख्यात गैंगस्टर था जिसने 1946 में फ्लेमिंगो कैसिनो खोला जो बाद में स्ट्रिप क्लब बन गया. सीगल को 1947 में बेवर्ली हिल्स में गोली मार दी गई. उसके हत्यारों की आज तक पहचान नहीं हो सकी है. ग्रीन ने कहा, "लेकिन मैं यह दावा कर सकता हूं कि अभी यहां कई और शव होंगे."
ड्रम में शव होने का क्या मतलब है?
मॉब म्यूजियम के उपाध्यक्ष गेयॉफ शूमाखर ने पानी के नीचे जो झील में जो शव मिल रहे हैं उसके पीछे डूबने का कारण होने की आशंका जताई है. हालांकि उन्होंने यह भी साफ तौर पर कहा कि जो कोई भी बैरल में है वह टार्गेट बना होगा. शूमाखर का कहना है कि बैरल में शव का पाया जाना हिंसा की आशंका को मजबूत करता है.
ग्रीन और शूमाखर दोनों ने "हैंडसम जॉनी" यानी जॉन रोसेली की मौत का जिक्र किया. 1950 के दशक में लास वेगास का यह बदमाश 1976 में लापता हो गया. कुछ दिनों बाद उसका शव लोहे के ड्रम में मियामी तट पर तैरता हुआ मिला.
पूर्व पुलिस अधिकारी से अब लास वेगस की एक पॉडकास्ट के को-होस्ट बन चुके डेविड कोलहाइमर ने बताया कि पिछले हफ्ते ड्रम ढूंढने पर 5,000 डॉलर का इनाम घोषित करने के बाद उन्हें सैन डिएगो और फ्लोरिडा के लोगों ने कहा है कि वे कोशिश करेंगे. कोलहाइमर चाहते हैं कि पेशेवर गोताखोर झील में ड्रमों की तलाश करें. हालांकि नेशनल पार्क सर्विस के अधिकारियों का कहना है कि इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि गहराई में सैकड़ों बैरल हैं जिनमें से कुछ 1930 में हूवर डैम के निर्माण के समय से ही वहां मौजूद हैं.
कोलहाइमर का कहान है कि कई लापता हुए लोगों के परिवारों और कुछ मामलों से जुड़े लोगों की भी इसमें दिलचस्पी है. इनमें से एक मामला उस संदिग्ध से जुड़ा है जिसने 1987 में अपनी मां और भाई की हत्या कर दी थी.
एनआर/आरपी (एपी)
हाल ही में जर्मनी में पेश हुए अपराध से जुड़े सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि 2021 में ऐसे अपराधों में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई जो राजनीति से प्रेरित थे. कोविड से जुड़ी पाबंदियों के कारण कई लोग सरकार से नाराज रहे.
जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय और संघीय अपराध कार्यालय बीकेए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2021 में बीते साल के मुकाबले राजनीति से प्रेरित अपराध करीब एक चौथाई और बढ़े हैं. 2021 में 55 हजार से अधिक आपराधिक मामलों की कोई ना कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि थी. इनमें से करीब 22 हजार मामलों के तार दक्षिणपंथियों से जुड़े थे, जो कि एक साल पहले की अवधि के मुकाबले सात फीसदी कम हुआ. लगभग 10 हजार मामले वामपंथी विचारधारा वाले लोगों के पाए गए. इसमें भी एक साल पहले की तुलना में आठ फीसदी कमी आई है.
जिस तरह के अपराधों में डेढ़ सौ फीसदी की बढ़ोत्तरी आई है, वे किसी भी एक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं. ऐसे 21 हजार से भी ज्यादा मामले हैं, जिनमें से ज्यादातर का संबंध उन लोगों से रहा जो कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुए. कोविड 19 के संक्रमण पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने जो नियम और पाबंदियां लगाईं, उनसे बहुत से लोग नाखुश थे.
देश के आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने अति-दक्षिणपंथी अपराधों को "लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा अतिवादी खतरा" बताया. रिपोर्ट जारी करने के बाद उन्होंने कहा कि जर्मनी में हिंसक अपराधों के 41 फीसदी पीड़ित किसी ना किसी दक्षिणपंथी अतिवादी के शिकार बने. उन्होंने कहा कि जर्मनी इस समस्या का सामना "सब सुविधाओं से लैस सुरक्षा सेवाओं, अभियोजन पक्ष के अथक प्रयासों और सक्रिय नागरिकों" से करेगा.
ऐसे अपराधों में भी 50 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई जिसमें किसी व्यक्ति को उसकी सेक्शुअल ओरिएंटेशन या पहचान के चलते निशाना बनाया गया हो. एंटी-सेमिटिक यानि यहूदी विरोधी भावना से प्रेरित अपराध भी करीब 29 फीसदी बढ़े और दक्षिणपंथी सोच वाले लोग इसमें आरोपी बनाए गए हैं.
इस तरह के अपराधों के बढ़ने को "देश के लिए शर्मनाक बताते हुए मंत्री फेजर ने होलोकॉस्ट की ऐतिहासिक भूल को हल्के में लेने पर दुख जताया. कोविड पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने इन दोनों की तुलना कर डाली थी.
मिसाल के तौर पर एक गैस स्टेशन पर 20 साल के आलेक्सांडर की हत्या का मामला, जिसमें हमलावर ने मास्क पहनने से मना कर दिया था और इसी पर गुस्सा होकर वहां काम करने वालों ने युवा पर हमला कर दिया. पिछले साल बीकेए को कोविड के टीके का विरोध करने वालों और कोरोनावायरस को ना मानने वालों को "रेलेवेंट रिस्क" की श्रेणी में रखना पड़ा था.
आरपी/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)
लखनऊ, 12 मई। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आज़म खान को करीब दो वर्षों से जेल में बंद रखे जाने को न्याय का गला घोंटने जैसा बताया है।
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश और भाजपा शासित अन्य राज्यों में ‘‘गरीबों, दलितों, आदिवासियों एवं मुस्लिमों को जुल्म-ज्यादती एवं भय आदि का शिकार बनाकर जिस प्रकार परेशान किया जा रहा है, वह अति-दुःखद है।’’
मायावती ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने विरोधियों पर लगातार द्वेषपूर्ण कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘वरिष्ठ विधायक मोहम्मद आजम खान को करीब सवा दो वर्षों से जेल में बंद रखने का मामला काफी चर्चा में है। यह मामला न्याय का गला घोंटना नहीं, तो और क्या है?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि देश के कई राज्यों में दुर्भावना एवं द्वेषपूर्ण रवैया अपनाकर प्रवासियों एवं मेहनतकश लोगों को अतिक्रमण के नाम पर डराया जा रहा है और उनकी रोजी-रोटी छीनी जा रही है, जो अत्यंत चिंताजनक है।
सपा नेता आजम खान विभिन्न मामलों में पिछले करीब दो साल से सीतापुर जेल में बंद है। (भाषा)
पणजी, 12 मई। गोवा पुलिस ने उत्तरी गोवा के अरामबोल स्थित एक रिसॉर्ट में रूस की एक नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के आरोप में पड़ोसी राज्य कर्नाटक से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी अरामबोल स्थित रिसॉर्ट में बतौर सहायक काम करता था।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़िता की मां ने नौ मई को शिकायत दर्ज कराई थी। पेरनेम पुलिस के एक दल ने 10 मई को कर्नाटक के गडग से आरोपी को, छह मई को हुई यौन उत्पीड़न की घटना के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपी की पहचान रवि लमानी (28) के तौर पर की गई है, जो विवाहित है।
पेरनेम पुलिस स्टेशन के निरीक्षक विक्रम नाइक ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि घटना के संबंध में महिला ने शिकायत करवाई थी। शिकायत में उसने कहा कि उनकी नाबालिग बेटी का रिसॉर्ट के तरणताल में और बाद में होटल के कमरे में आरोपी ने यौन उत्पीड़न किया, जो रिसॉर्ट में सहायक के रूप में काम करता था।
उन्होंने कहा, 'शिकायत के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब लड़की की मां अपनी बेटी को तरणताल में छोड़कर पास के बाजार से कुछ जरूरी सामान लेने गई थीं।'
नाइक ने कहा कि घटना के बाद आरोपी फरार हो गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन शिकायत मिलने के चौबीस घंटे के भीतर आरोपी को गडग में ढूंढ़ने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। ’’
नाइक ने बताया कि लमानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), गोवा बाल अधिनियम की धारा आठ और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। (भाषा)
युनाइटेड किंग्डम ने स्वीडन और फिनलैंड के साथ सुरक्षा समझौते किए हैं, जिनके तहत संकट के समय एक दूसरे की मदद करने का वादा किया गया है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने दोनों देशों की यात्रा की.
समझौते में कहा गया है कि यदि किसी भी देश पर हमला होता है या कोई संकट आता है तो वे एक दूसरे की मदद को मौजूद रहेंगे. स्वीडन की प्रधानमंत्री माग्डालेना एंडरसन के साथ एक साझा बयान में जॉनसन ने कहा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर की गई कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में यह समझौता और ज्यादा जरूरी हो जाता है.
एंडरसन ने कहा कि उनका देश ब्रिटेन के साथ हुए समझौते के चलते ज्यादा सुरक्षित होगा. उन्होंने कहा, "बेशक, यह बेहद अहम है. हम स्वीडन में कोई भी नीति बनाएं, यह अहम कदम है.” एंडरसन ने स्पष्ट किया कि उनका देश सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है और नाटो की सदस्यता ग्रहण करना उनमें से एक है.
"अपनी सुरक्षा की खातिर”
फिनलैंड के साथ हुए समझौते का ऐलान वहां के राष्ट्रपति साउली निनीस्ता की मौजूदगी में किया गया. इस मौके पर बोरिस जॉनसन ने कहा कि यूके और फिनलैंड के बीच हुई यह घोषणा ‘एक बेहद मुश्किल समय' को दिखाती है, जिससे फिलहाल हम गुजर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह फिलहाल के लिए अंतर पाटने का कोई समझौता नहीं है कि जब तक फिनलैंड नाटो की सदस्यता पर विचार करे, तब तक के लिए किया गया हो, बल्कि यह दो देशों द्वारा एक-दूसरे को दिया गया भरोसा है जो कायम रहेगा.
जब पत्रकारों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से पूछा कि युद्ध होने की सूरत में क्या ब्रिटेन के सैनिक फिनलैंड भेजे जाएंगे तो उन्होंने कहा कि सैन्य मदद की पेशकश की जाएगी लेकिन वह मदद क्या और कैसी होगी यह ‘मदद पाने वाले पक्ष के अनुरोध पर निर्भर करेगा.' जॉनसन ने कहा कि यह समझौता "अन्य जरियों से हमारे रक्षा संबंधों को और मजबूत करने का आधार बनेगा.”
फिनलैंड के राष्ट्रपति निनिस्ता ने कहा कि उनका देश नाटो की संभावित सदस्यता के मुद्दे पर ब्रिटेन के "जोरदार समर्थन” के लिए आभारी है. उन्होंने कहा कि नाटो की सदस्यता का अर्थ किसी के विरुद्ध जाना नहीं है और युनाइटेड किंग्डम के साथ हुआ समझौता "किसी ना किसी तरीके से अपनी सुरक्षा को मजबूत करने का” माध्यम है.
नाटो की सदस्यता का प्रश्न
जब पत्रकारों ने निनिस्ता से पूछा कि यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को उकसा सकता है तो उन्होंने कहा कि अगर स्वीडन या फिनलैंड नाटो सदस्यता ग्रहण करते हैं तो इसके लिए रूस जिम्मेदार होगा. उन्होंने कहा कि सदस्यता ग्रहण करने के खिलाफ धमकी देकर रूस यह कह रहा है कि इन दोनों देशों की अपनी कोई इच्छा ही नहीं है.
निनिस्ता ने कहा, "वे अपने पड़ोसी देश पर हमला करने को तैयार हैं तो मेरा जवाब होगा कि आपकी वजह से ऐसा हुआ, आईना देखिए.”
फिनलैंड की रूस के साथ 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. ऐसे में उसका नाटो सदस्यता ग्रहण करने का अर्थ होगा कि नाटो सेनाएं रूस की सीमा पर तैनात होंगी. रूस को यूक्रेन की सदस्यता पर भी इसी वजह से आपत्ति थी. फिनलैंड और स्वीडन का नाटो में जाने का अर्थ यह भी होगा कि नाटो की बाल्टिक सागर में मौजूदगी मजबूत हो जाएगी. रूस इसे अपने लिए खतरा मानता है.
स्वीडन को नाटो की सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए या नहीं, इस सवाल के जवाब में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि इस फैसले में "हमारा दखल देना नहीं बनता है” और यह उनकी अंदरूनी बहस है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "अगर स्वीडन ऐसा करन चुनता है तो हम उसकी सदस्यता को पूरी ताकत से समर्थन करेंगे. हम कोशिश करेंगे कि चीजें जितना हो सके, आसानी से हो जाएं.”
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
मुंबई, 12 मई। दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बेटे बाबिल खान ने अपनी आगामी सीरीज़ 'द रेलवे मेन' की शूटिंग पूरी कर ली है।
1984 की भोपाल गैस त्रासदी के गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि के रूप में वर्णित इस सीरीज़ में अभिनेता आर माधवन, के के मेनन और दिव्येंदु शर्मा भी हैं।
बाबिल ने इंस्टाग्राम पर सीरीज़ के सेट से एक 'रैप-अप' वीडियो पोस्ट किया, जिसका निर्माण दिसंबर में शुरू हुआ था। अभिनेता ने कैप्शन में लिखा, 'द रेलवे मेन के लिए रैप' (रेलवे मेन की शूटिंग हुई पूरी)।
यश राज फिल्म्स की हाल ही में लॉन्च की गई डिजिटल शाखा वाईआरएफ एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित सीरीज़ का निर्देशन शिव रवैल द्वारा किया गया है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से दो दिसंबर और तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे और 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
'द रेलवे मेन' के इस साल दिसंबर तक रिलीज़ होने की उम्मीद है।
फिल्म 'बुलबुल' से प्रसिद्धि पाने वाली अन्विता दत्त द्वारा निर्देशित नेटफ्लिक्स पर आने वाली फिल्म 'काला' में भी बाबिल नजर आएंगे। (भाषा)
एक नए अध्ययन में पता चला है कि यूरोप और अमेरिका में हवा के साफ हो जाने के कारण यानी प्रूदषण कम हो जाने के कारण अटलांटिक महासागर में चक्रवातीय तूफान बढ़ गए हैं.
अमेरिका के नेशनल ओशियानिक ऐंड ऐटमॉसफेरिक ऐडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) द्वारा किए गए एक अध्ययन में ऐसे नतीजे सामने आए हैं कि क्षेत्रीय वायु प्रदूषण में वैश्विक स्तर पर हुए बदलावों के कारण तूफानों की गतिविधियां ऊपर-नीचे होती रहती हैं. इसी कारण यूरोप और अमेरिका की हवा में प्रदूषक तत्वों की 50 प्रतिशत कमी को पिछले लगभग दो दशकों में अटलांटिक में तूफानों में हुई वृद्धि से जोड़ा गया है.
बुधवार को साइंस अडवांसेज नाम एक पत्रिका में छपे इस अध्ययन में कहा गया कि अटलांटिक महासागर में तूफान बढ़ रहे हैं जबकि प्रशांत महासागर में, जहां प्रदूषण ज्यादा है, वहां तूफान कम हुए हैं. संस्था के लिए चक्रवातों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक हीरोयुकी मुराकामी ने इस शोध के लिए दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में तूफानों की कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए जांच-पड़ताल की. मुराकामी ने पाया कि तूफानों की गतिविधियों और उद्योगों व वाहनों से होने वाले एयरोसोल प्रदूषण, सल्फर के कणों और बूंदों में संबंध है, जिनके कारण हवा सांस लेने लायक नहीं रहती.
वैज्ञानिकों को यह जानकारी काफी समय से है कि एयरोसोल प्रदूषण के कारण हवा के तापमान में कमी आती है. कई बार तो इनके कारण ग्रीनहाउस गैसों को व्यापक दुष्प्रभाव भी कम होते हैं. लेकिन अब तक हुए अध्ययनों में कहा गया कि हवा के एयरोसोल के कारण ठंडे होने से संभवतया अटलांटिक में तूफान बढ़े हैं. लेकिन मुराकामी ने अपने अध्ययन में दुनियाभर में इसका असर पाया.
कैसे आते हैं चक्रवात?
चक्रवातों को गर्म पानी की जरूरत होती है. वह पानी, जो हवा के कारण गर्म हुआ हो. वही चक्रवातों का ईंधन बनता है और हवा के ऊपरी स्तर में बदलाव लाता है. मुराकामी कहते हैं कि अटलांटिक में साफ हवा और प्रशांत में भारत और चीन के प्रदूषण से आ रही गंदी हवा चक्रवातों को प्रभावित कर रही है.
1980 के दशक में अटलांटिक में एयरोसोल प्रदूषण अपने चरम पर था और तब से इसमें लगातार गिरावट हो रही है. इसका अर्थ है कि जो तत्व ग्रीनहाउस गैसों को प्रभाव कम करते थे और हवा को ठंडा रखते थे वे कम हो रहे हैं. मुराकामी कहते हैं कि इसलिए समुद्र की सतह का तापमान और बढ़ रहा है. और इसके ऊपर, एयरोसोल तत्वों के कम होने के कारण जेट स्ट्रीम यानी हवा की वो घुमावदार नदी जो मौसम को पश्चिम से पूर्व की ओर ले जाती है, और ज्यादा उत्तर की ओर धकेली जा रही है.
द क्लाइमेट सर्विस नामक संस्था में काम करने वाले चक्रवातीय वैज्ञानिक जिम कॉसिन कहते हैं, "यही कारण है कि 1990 के दशक के मध्य से अटलांकि महासागर पगला सा गया. और इसी कारण 1970 और 1980 के दशक में यह इतना शांत था.” कॉसिन खुद तो अध्ययन का हिस्सा नहीं थे लेकिन वह इसके नतीजों से सहमत दिखते हैं. वह कहते हैं कि एयरोसोल प्रदूषण के कारण 1970-80 में लोगों को तूफानों से कुछ राहत रही लेकिन उसका खामियाजा हम अब भुगत रहे हैं.
फिर भी प्रदूषण खतरनाक है
मुराकामी स्पष्ट् करते हैं कि ट्रॉपिकल तूफानों के आने के पीछे और भी कई वजह होती हैं जैसे कि ला निन्या और अल नीनो जैसी प्राकृतिक गतिविधियां, भूमध्य रेखा के आसपास तापमान में बदलाव और पूरी दुनिया के जलवायु में परिवर्तन आदि. वह कहते हैं कि इंसानी वजहों से होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीनहाउस प्रभाव भी एक कारक है, जो एयरोसोल प्रदूषण कम होने से और बढ़ेगा.
ग्रीनहाउस गैसों के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन से तूफानों में मामूली कमी आने का अनुमान है लेकिन कॉसिन, मुराकामी और अन्य वैज्ञानिक कहते हैं कि अत्याधिक शक्तिशाली तूफानों की बारंबारता और शक्ति में और वृद्धि होगी, वे ज्यादा पानी लेकर आएंगे और ज्यादा विनाशक बाढ़ आएंगी.
मुराकामी ने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि यूरोपीय और अमेरिकी हवा में एयरोसोल प्रदूषण कम होने से हवाओं का वैश्विक पैटर्न बदल गया है और ऑस्ट्रेलिया के इर्द-गिर्द दक्षिणी गोलार्ध में तूफानों में कमी आई है.
लेकिन वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर क्रिस्टी एबी कहती हैं कि अटलांटिक में तूफानों का बढ़ना भले ही एक दिक्कत हो, फिर भी उनकी तुलना वायु प्रदूषण के कारण होने वाली सालाना 70 लाख मौतों से नहीं की जा सकती. एबी कहती हैं, "वायु प्रदूषण एक मुख्य हत्यारा है इसलिए उत्सर्जन घटाना जरूरी है, चाहे चक्रवातों में कैसा भी बदलाव हो.”
वीके/सीके (एपी)
नोएडा, 12 मई। गौतमबुद्ध नगर के नोएडा में नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर अगवा कर बेचने वाले गिरोह के दो सदस्यों को बादलपुर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गिरोह के नौ लोगों की पहले गिरफ्तार किया था।
बादलपुर थाना के पुलिस आयुक्त आलोक सिंह के मीडिया प्रभारी पंकज कुमार ने बताया कि पुलिस ने बीती रात को एक सूचना पर कार्रवाई करते हुए आरोपी नौशाद और रूप किशोर को गिरफ्तार किया है।
आयुक्त ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ बीते साल 26 दिसंबर को थाना बादलपुर क्षेत्र के छपरौला गांव में रहने वाली एक महिला ने शिकायत की थी, कि उनकी नाबालिग बेटी को इन लोगों ने अगवा कर हरियाणा में किसी व्यक्ति को बेच दिया है।
आयुक्त ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनसे की गई पूछताछ के आधार पर यह बात सामने आई थी कि यह गिरोह नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी करवाने के नाम पर उन्हें बेच देता है।
उन्होंने बताया कि पुलिस आरोपियों पर अपहरण, बलात्कार सहित विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है। उक्त मामले में वांछित चल रहे दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। (भाषा)
भरूच, 12 मई (भाषा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी भी सरकारी योजना में जब शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया जाता है तो इससे तुष्टीकरण की राजनीति समाप्त होती है।
प्रधानमंत्री यहां आयोजित ‘‘उत्कर्ष समारोह’’ को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन भरूच जिले में राज्य सरकार की चार प्रमुख सरकारी योजनाओं के शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा होने के अवसर पर किया गया है।
मोदी ने कहा कि उनके नेतृत्व में केंद्र सरकार के पिछले आठ वर्ष सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित रहे हैं और उनकी सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि कोई भी हकदार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित ना रह जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम किसी भी योजना में शत प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करते हैं, तो इसका मतलब होता है शासन-प्रशासन संवेदनशील है...जब ‘सेचुरेशन’ होता है तो भेदभाव की सारी गुंजाइश खत्म हो जाती है। किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं होती... जब शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल होता है तो तुष्टीकरण की राजनीति समाप्त हो जाती है, उसके लिए कोई जगह ही नहीं बचती।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जानकारी के अभाव में अक्सर बहुत से लोग योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कभी कभी तो योजनाएं कागज पर ही रह जाती हैं। कभी-कभी इन योजनाओं का फायदा बेईमान लोग उठा ले जाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि 2014 में जब उन्हें देश की सेवा का मौका दिया गया था तो देश की करीब-करीब आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक खाते की सुविधा से वंचित थी।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को हम शत प्रतिशत लक्ष्य के करीब ला पाए हैं।’’
आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार की गईं झारखंड की वरिष्ठ आईएएस पूजा सिंघल को रांची के पास स्थित बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया है. उन पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
पूजा सिंघल से बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई घंटों की पूछताछ की थी. पूछताछ के बाद ईडी ने सिंघल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने उन्हें पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा है. सिंघल साल 2000 बैच की आईएएस हैं और वह झारखंड सरकार की खनन सचिव थीं.
ईडी की अब तक की जांच में सिंघल और उनके पति अभिषेक झा को प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संलिप्त पाया गया है.
आईएएस पर क्या है आरोप
सिंघल पर आरोप है कि 2009-2010 में खूंटी में डिप्टी कमिश्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मनरेगा फंड के कथित रूप से घोटाला हुआ था. यह घोटाला कई करोड़ रुपये का बताया जाता है. उस वक्त के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने जांच के आदेश भी दिए थे और एक गिरफ्तारी भी हुई थी. गिरफ्तार जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा ने पूछताछ में सिंघल का नाम लिया था.
सिन्हा पर विजिलेंस ब्यूरो ने धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें कथित तौर पर सरकारी पैसे के गबन के आरोप लगाए थे. सिन्हा पर आरोप थे कि उन्होंने अपने और अपने परिवार के नाम से घोटाले के पैसे निवेश किए.
पिछले हफ्ते ईडी ने सिंघल से कथित रूप से जुड़े एक चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार को गिरफ्तार किया था, जिसके एक दिन बाद ईडी ने 6 मई को चार राज्यों में 18 स्थानों पर छापे मारे थे. इन छापों में आईएएस अधिकारी से जुड़े परिसर भी शामिल थे. सीए के परिसर से 19 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद होने की रिपोर्टें हैं.
यही नहीं, सिंघल के पति अभिषेक झा से जुड़े परिसरों पर भी छापे मारे गए थे, जिसमें उनके अस्पताल भी शामिल थे. झा पल्स संजीवनी हेल्थकेयर प्राइवेट हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक हैं. इनका रांची में पल्स अस्पताल और पल्स डायग्नोस्टिक्स सेंटर है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा कि ईडी के अधिकारियों को सिंघल के सीए सुमन कुमार ने पूछताछ में बताया कि हर महीने करीब 30 करोड़ रुपये को व्हाइट किया जाता था.
इस बीच खनन सचिव पर ईडी की कार्रवाई से राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर विपक्षी पार्टी बीजेपी ने हमला तेज कर दिया है. सोरेन खुद खनन पट्टा मामले में विवादों में घिरे हुए हैं और उन्हें चुनाव आयोग का नोटिस तक जारी हो चुका है. (dw.com)
नोएडा (उप्र) 12 मई। गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर थाना क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेस-वे पर बृहस्पतिवार को हुए एक भीषण सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई और दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
जेवर के थाना प्रभारी अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि हादसा बृहस्पतिवार तड़के करीब पांच बजे हुआ। इस हादसे में कार में सवार सात लोग घायल हो गए, जिन्हें जेवर स्थित कैलाश अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने पांच लोगों को मृत घोषित कर दिया। दो घायलों की हालत नाजुक है।
पुलिस के अनुसार, हादसे में महाराष्ट्र के पुणे जिले के चंद्रकांत बुराड़े (68), स्वर्ण बुराड़े (59), मलन कुंभार (68), रंजना पवार (60) और कर्नाटक के बेलगाम के नुवंजन मुजावर (53) की मौत हो गई। महाराष्ट्र के सतारा जिले के नारायण कोलेकर (40) और कर्नाटक के बेलगाम की सुनीता गस्टे (35) हादसे में घायल हो गईं।
पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
गौतमबुद्ध नगर पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ महिंद्रा बोलेरो (कार) में सात लोग सवार थे। वे आगरा से नोएडा की ओर आ रहे थे। जेवर टोल प्लाज़ा के पास उनकी तेज रफ्तार कार आगे चल रहे एक ट्रक से टकरा गई।’’
थाना प्रभारी ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए इस हादसे के चलते काफी देर तक यातायात बाधित रहा। पुलिस ने क्रेन की सहायता से दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को मौके से हटा दिया है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक जताया तथा गौतमबुद्ध नगर जिले के अधिकारियों को घायलों का समुचित इलाज सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेस-वे पर दो वाहनों की टक्कर में पांच लोगों की मौत होने की घटना पर दुख जताया है। उन्होंने दिवंगत लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की है।’’ (भाषा)
मुंबई, 12 मई । शिवसेना के नेता एवं महाराष्ट्र के विधायक रमेश लटके का दुबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 52 वर्ष के थे।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘लटके का दुबई में बुधवार देर रात निधन हो गया, जहां वह अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने गए थे।’’
लटके मुंबई शहर के अंधेरी ईस्ट विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे। विधायक चुने जाने से पहले लटके बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में पार्षद भी रहे।
उनकी पार्थिव देह को बृहस्पतिवार को मुंबई लाए जाने की संभावना है।
पदाधिकारी ने कहा, ‘‘ हमने उनके शव को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पार्टी के अन्य नेताओं को सूचित कर दिया है। हमें उम्मीद है कि शव बृहस्पतिवार को वापस लाया जाएगा।’’
महाराष्ट्र में इस समय शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है।
पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने लटके के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘रमेश लटके जी के निधन की सूचना से दुखी और स्तब्ध हूं। निरंतर बनी रहने वाली उनकी ऊर्जा, कोविड-19 के दौरान समर्पण भाव से किया गया कार्य और निर्वाचन क्षेत्र के साथ उनका जुड़ाव अपार था। उनकी कमी खलेगी। वह बहुत जल्दी चले गए। मैं उनके परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।’’
भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं विधायक नितेश राणे ने ट्वीट किया, ‘‘शिवसेना विधायक रमेश लटके के अचानक निधन की सूचना पाकर स्तब्ध हूं। उनसे कुछ ही महीनों पहले आंगणेवाड़ी यात्रा के लिए कोंकण जाने वाली एक उड़ान में मुलाकात हुई थी। मैंने खान-पान पर नियंत्रण करके वजन कम करने के लिए उनकी सराहना की थी। वह पार्टी लाइन से परे एक मित्र थे। अविश्वसनीय।’’ (भाषा)
लखनऊ, 12 मई । आगरा में ताजमहल के अंदर बंद 20 कमरे खोलने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है. याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कृपया PIL सिस्टम का मज़ाक मत बनाएं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने कहा इस मुद्दे पर डिबेट करने के लिए अपने ड्राइंग रूम में स्वागत करते है. लेकिन कोर्ट रूम में नहीं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि कल आप हमारा कमरा खोल कर देखना चाहेंगे. वहीं इस मामले की सुनवाई 2 भेजे तक के लिए टाल दी गई है. 2 बजे के बाद सुनवाई फिर शुरू की जाएगी.
ये याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में दायर याचिका में कहा गया है ताजमहल के इतिहास के सच को सामने लाने के लिए तथ्यों की जानकारी करने वाली एक कमेटी के गठन किया जाए. शनिवार को दायर की गई याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के 22 बंद कमरों को भी खोलने की मांग की गई.
याचिका में 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई है. इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था . इसमें केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा राज्य सरकार को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. याचिका में ये भी दावा किया गया कि माना जाता है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है. याचिका में अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस के वहां जाने और उन्हें उनके भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया है. (भाषा इनपुट के साथ)
नई दिल्ली, 12 मई। कोरोनावायरस से संक्रमित होने के दो साल बाद भी अस्पताल में भर्ती हुए आधे से अधिक लोगों में कम से कम एक लक्षण बचा हुआ है. कोरोना की एक फॉलो अप स्टडी में यह सामने आया है. मेडिकल पत्रिका लेंसेट का यह कहना है. लेंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन ने एक स्टडी में कहा कि सबूत यह दिखाते हैं कि कोरोना संक्रमण से ठीक हुई एक बड़ी आबादी में कई अंगों और सिस्टम्स पर लंबे समय का असर बना रहा. लेंसेट ने अपनी स्टडी के सारांश में कहा, शुरुआती बीमारी की गंभीरता का फर्क पड़े बिना, कोविड-19 से बचे मरीजों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा गया, अधिकतर लोग अपने काम पर दो साल में लौट आए, लेकिन लक्षणों का असर काफी अधिक है.
यह स्टडी कहती है. "पिछले 2 साल में कोविड19 से बचे मरीजों के स्वास्थ्य की गुणवत्ता कम देखी गई. यह स्डटी दिखाती है कि लॉन्ग कोविड के असर और प्रभाव के बारे में जानकारी जुटाने की तुरंत ज़रूरत है ताकि लॉन्ग कोविड का खतरा कम किया जा सके.
इस स्टडी में कहा गया है कि लॉन्ग कोविड गंभीर संक्रमण के बाद 2 साल तक रह सकता है. इससे यह संकेत मिलता है कि लंबे समय तक इसकी निगरानी करना जरूरी है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोविड से बचे मरीज कब पूरी तरह से ठीक होंगे.
लेंसेट ने कहा, " भविष्य की स्टडी लॉन्ग कोविड के बारे में और जानकारी जुटाएंगी और इससे बचाव की प्रभावी रणनीतियां तैयार करेंगी ताकि लंबे समय तक रहने वाले कोविड का असर कम किया जा सके.
मेडिकल पत्रिका लेंसेट ने कहा कि कोविड से ठीक हुए लोगों की बड़ी संख्या देखते हुए, गंभीर कोविड से ठीक होने के बाद प्रभाव स्वास्थ्य की बड़ी चिंताओं में से एक हैं और इससे बड़ा मेडिकल और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है.
ब्रिटेन ने अप्रेल के आखिर में कहा था कि चार में एक व्यक्ति भी कोविड से अस्पताल में भर्ती होने के पूरे एक साल बाद भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है. साथ ही यह चेतावनी दी गई थी कि लॉन्ग कोविड एक सामान्य स्थिति बन सकता है.
Long Covid के लक्षण
लॉन्ग कोविड के सबसे सामान्य लक्षण हैं थकान, मांसपेशियों में दर्द, अच्छी नींद ना आना, शारीरिक तौर पर धीमा हो जाना और सांस फूलना.
इससे पहले अमेरिका (US) में किए गए एक अध्ययन के अनुसार भी यही सामने आया था कि कोविड-19 (Covid19) से संक्रमित 30 प्रतिशत लोग ‘‘लॉन्ग कोविड'' से पीड़ित पाए गए.
‘‘लॉन्ग कोविड'' ऐसी स्थिति को कहते हैं, जब सार्स-सीओवी-2 (SARS-COV2) संक्रमण के लक्षण प्रारंभिक चरण के बाद महीनों तक बने रहते हैं. अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिलिस के शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च ‘‘बॉडी मास इंडेक्स'' वाले मरीज जो पहले भी अस्पताल में भर्ती हुए थे या मधुमेह से पीड़ित थे, उनके ‘‘लॉन्ग कोविड'' से पीड़ित होने की अधिक आशंका थी.
यह अध्ययन जर्नल ऑफ जनरल इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है. इसमें पाया गया कि जातीय, वृद्धावस्था और सामाजिक आर्थिक दर्जा इस स्थिति से जुड़ा हुआ नहीं था, हालांकि ऐसी विशेषताओं को गंभीर बीमारी और कोविड से मृत्यु के अधिक जोखिम से जोड़ा गया है.
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 मई। मंत्रालय में दो अवर सचिव को इधर से उधर किया गया है। इस कड़ी में स्कूल शिक्षा विभाग की अवर सचिव सरोज उइके को राजभवन में भेजा गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने विधिवत आदेश जारी कर दिए हैं। सरोज उइके की जगह स्कूल शिक्षा का प्रभार तीरथ प्रसाद लडिय़ा को दिया गया है। लडिय़ा मुख्यमंत्री सचिवालय में उपसचिव के पद पर हैं। उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
डेढ़ दर्जन घायल, गंडई के नजदीक धोधा में मंगलवार रात की घटना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 मई। गंडई के पंडरिया वार्ड में एक शादी के लिए बाराती लेकर निकली मालवाहक गाड़ी के पलटने से तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं मालवाहक में ठसाठस भरे बारातियों में डेढ़ दर्जन घायल हो गए हैं। तेज रफ्तार में बारात लिए दौड़ रही मालवाहक का चालक गति को नियंत्रित करने में नाकाम रहा। जिसके चलते यह हादसा हुआ।
मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार रात को लगभग 10 बजे के आसपास अहिवारा के पंचदेवरी से टंडन परिवार बारात लेकर पंडरिया के लिए निकला था। इसी दौरान धोधा गांव के नजदीक मालवाहक पलट गई। गाड़ी पलटने से वहां चीख-पुकार से अफरा-तफरी मच गई। हादसे में तीन लोग बुरी तरह से जख्मी हुए। जिसमें 65 वर्षीय भुवन लाल की गंडई अस्पताल में ही उपचार के दौरान मौत हो गई। जबकि दो को राजनांदगांव रिफर किया गया। जिसमें राजू टंडन और सरजू टंडन ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। हादसे में तकरीबन 17 लोग से ज्यादा लोग घायल हैं। घटना के संबंध में गंडई थाना प्रभारी सनत सोनवानी ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि घायलों की हालत में सुधार हुआ है। वहीं मृतकों के शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। घायल बारातियों के हवाले से पुलिस ने बताया कि मालवाहक चालक को रफ्तार कम करने के लिए कहा गया, लेकिन वह अपने धुन में ही गाड़ी चला रहा था। पुलिस का कहना है कि वाहन में करीब 25 लोग सवार थे। क्षमता से अधिक सवारी होने के कारण वाहन को नियंत्रित करने में चालक नाकाम रहा। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पाठ्य पुस्तक निगम के जीएम पर प्रताड़ना का आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 मई। पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला की याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जांच के लिए बनाई गई विशाखा कमेटी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
पाठ्य पुस्तक निगम की एक महिला कर्मचारी ने महाप्रबंधक अरविंद कुमार पांडे पर यौन उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की थी। इस पर विभाग ने विशाखा कमेटी को जांच का जिम्मा दिया। पीड़ित महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर कहा कि विशाखा कमेटी में जिन लोगों को सदस्य बनाया गया है वे महाप्रबंधक के नीचे ही काम करने वाले कर्मचारी और भृत्य हैं। उन पर स्वाभाविक रूप से महाप्रबंधक का दबाव है। यह कमेटी उसके साथ न्याय नहीं कर सकती। महाप्रबंधक पांडे निगम में प्रतिनियुक्ति पर है। उनकी नियुक्ति तत्काल समाप्त की जाए, ताकि शिकायत की निष्पक्ष जांच हो सके। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने शासन के समक्ष आवेदन भी दिया था पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक की ओर से प्रतिवादी ने कहा कि महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। विशाखा कमेटी ने जब जांच शुरू की तब वह उसमें शामिल नहीं हुई। अब कोर्ट से अंतरिम राहत देने की मांग की गई है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस पीपी साहू सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य शासन और विशाखा कमेटी के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही कमेटी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
रांची, 12 मई। झारखंड राज्य सरकार ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह रोजगार पूर्व कुछ परीक्षाओं में हिंदी को एक भाषा के रूप में शामिल करने को तैयार है।
उच्चतम न्यायालय के वकील मुकुल रोहतगी ने राज्य की ओर से दलील देते हुए कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हिंदी को विषयों की सूची में शामिल किया जाएगा।
अदालत ने सरकार को मामले में एक समग्र और विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
एक छात्र रमेश हंसदा ने जेएसएससी द्वारा प्रस्तावित भाषा के पेपर में अंग्रेजी और हिंदी को विषय के रूप में हटाने को चुनौती दी है। (भाषा)