राष्ट्रीय
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 20 अप्रैल | दवा कंपनी संचालित करने वाले लखनऊ के उमेश सिंह को चार दिन पहले कोरोना के लक्षण आए तो उन्होंने अपनी आरटी-पीसीआर जांच कराई, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आयी। उनकी हालत बिगड़ती चली गयी तो उन्होंने अपने को आइसोलेट कर बाहर से 50 हजार रुपये खर्च कर जांच करवाई। रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला वह इस समय घर पर ही उपचार करवा रहे हैं।
इसी प्रकार लखनऊ के अंकुश त्रिपाठी को कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखे। उन्होंने भी आरटी-पीसीआर जांच कराई, जिसमें वह निगेटिव रहे। लेकिन उनकी हालत बहुत खराब नहीं हुई। उनके गले में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत रही है। वह आइसोलेशन में अभी अपना इलाज घर पर कर रहे हैं। अभी कुछ ठीक होंने लगे हैं।
कोरोना की दूसरी लहर का नया स्ट्रेन पहले से बिल्कुल अलग है। लोगों में लक्षण तो आ रहे हैं लेकिन जांच रिपोर्ट में निगेटिव आ रही है। एंटीजन क्या आरटी-पीसीआर जांच से भी मर्ज पकड़ में नहीं आ रहे हैं।
लेक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड(हैदराबाद) के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम ऑन्कोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक राम शंकर उपाध्याय कहते हैं, "यह जो नया स्ट्रेन आया है वह जांच में पकड़ में मुश्किल से आ रहा है। उनका मानना है कि मरीज के सैंपल को ठीक से लिया जाना चाहिए। यह देखने की बात है। सैंपल लेने के लिए ट्रेंड व्यक्ति को दोनों को नाक का सैंपल लेना चाहिए। नाक के अंदर नेरोफैंजिल कैविटी के अंदर से सैंपल लिया जाना चाहिए। इसके अलावा मुंह में सैंपल लेने के लिए ओरोफैंजिल कैविटी तक सैंपल स्टिक रूई पहुंचनी चाहिए। इसके अलावा उसे तीन से चार सकेंड घुमाना चाहिए। अगर सैंपल ढंग से नहीं लिया गया तो संक्रमण को पहचानने में दिक्कत होगी।"
उन्होंने बताया, "जो पहले के आरटी-पीसीआर किट का डिजाइन 2020 के वायरस के स्वरूप के हिसाब से था। अब संक्रमण की जेनिटेक संरचना बदल चुकी है। उस कारण काफी केस पकड़ में नहीं आएंगे। पहले भी आरटी-पीसीआर की एक्यूरेसी 80 प्रतिशत थी। 20 प्रतिशत फॉल्स पॉजिटिव-निगेटिव रिपोर्ट आते थे। यह एक्यूरेसी और घट चुकी है। काफी सारे वायरस बदल चुके है। अगर किसी को पता करना है तो आरटी-पीसीआर को अपडेट करना पड़ेगा। उसके लिए ऑल जीन आरटी-पीसीआर करना पड़ेगा। ओ,आर, एस ए, बी, आर यह सारे जीन है। मान लीजिए कोई व्यक्ति नए वायरस के चपेट में है। उसकी आरटी-पीसीआर जांच की जाती है। अगर वायरस 'एस' जीन में हुआ तो आरटी-पीसीआर जांच में दिखेगा ही नहीं ऐसे में रिपोर्ट में पुष्टि होंने की संभावना कम हो जाएगी। इसकी जगह हम ऑल जीन आरटी-पीसीआर जांच करेंगे तो भले ही किसी भी जीन में वायरस हो तो वह पकड़ में आ जाएगा। आगे चलकर वायरस का स्वरूप बदलेगा। सरकारी प्रयोगशाला अपग्रेड करना चाहिए। रेग्युलर जिनामिक सिकवेंसी सर्विलांस करते रहना चाहिए। इससे यह पता चलेगा पब्लिक के अंदर किस प्रकार म्यूटेसन का स्ट्रेन है। पब्लिक में फैलने से पहले लोग जागरूक हो जाएंगे और आरटी-पीसीआर किट भी अपडेट होती रहेगी। सरकारी प्रयोगशालाओं को प्रयास करते रहना चाहिए कि वह जिनोमिक और सिरोलाजिकल सर्विलांस को देश के अंदर बढ़ाए। जीन आरटीपीसीआर का खर्च 700-1000 के बीच हो जाना चाहिए।"
उपाध्यय एक दशक से अधिक समय तक स्वीडन (स्टॉकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च कॉउंसिल ब्रिटेन (लंदन),रैनबैक्सी, ल्यूपिन जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। वह लेक्साई और सीएसआईआर (कॉउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्री रिसर्च) से मिलकर कोविड की दवा खोजने पर भी काम कर रहे हैं। फिलहाल वह स्टॉकहोम में रह रहे हैं।
वहीं, किंग जार्ज मेडिकल के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा कहती हैं, "कई तरह किट उपलब्ध है। वह विभिन्न प्रकार के जीन जांच रही है। पुरानी किट पर जांच हो रही है। अभी किट बदलने के बारे में कोई गाइडलाइन नहीं आयी है। कुछ मरीजों में देखा गया है। वह आरटी-पीसीआर वह निगेटिव आ रहे है। पर उनमें कोविड के लक्षण है। उनका सिटी स्कैन कराकर उन्हें कोविड के कुछ डिफरेंट इलाके में रखकर वहां उनका कोरोना वाला इलाज हो सकता है। आरटी-पीसीआर निगेटिव है और कोरोना के लक्षण आ रहे तो सैंपल लेने के तरीके में बदलाव करना होगा। संक्रमण बहुत निचले स्तर पर है। उससे दूसरे पर प्रसार का खतरा कम है। अभी सैंपल उसके थ्रोट से ले रहे है। बलगम से भी लेने की जरूरत है। जांच और किट से संबधित फैसले स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर जारी करते हैं। कोई संस्थान अपनी ओर से लागू नहीं कर सकता है।"
रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, 'रेलवे कोविड के खिलाफ अपनी लड़ाई में पहला ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रहा है. 7 खाली टैंकरों वाली यह रो-रो सर्विस महाराष्ट्र के कलमबोली से विजाग के लिए निकली है. एक्सप्रेस ग्रीन कॉरिडोर से निकलेगी.' (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 20 अप्रैल | केरल की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने मंगलवार को जानकारी दी कि अपने बेटे और उसकी पत्नी के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्होंने खुद को क्वारंटीन कर लिया है।
शैलजा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि क्वारंटीन होने का यह उनका खुद का निर्णय था।
शैलजा ने लिखा, "मुझमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं है, लेकिन मैं उनके संपर्क में थी । इसलिए मैंने क्वारंटीन होने का फैसला किया। पिछले कुछ दिनों में मैंने केवल ऑनलाइन बैठकों में हिस्सा लिया है और आगे भी ऐसा ही करती रहूंगी।अभी में कन्नूर में अपने घर पर आराम कर रही हूं।"
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी पिछले सप्ताह कोविड निगेटिव आने के बाद कन्नूर में अपने घर में आइसोलेशन में हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 20 अप्रैल | बिहार में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के तेजी से फैलने और इसे रोकने लिए सरकार द्वारा लगाए गए नाइट कर्फ्यू के बाद इस शादी ब्याह के मौसम में अब शादियों की तिथियां टलने लगी हैं। इस कारण तमाम बुकिंग भी रद्द होने लगे हैं।
पटना के जगदेव पथ में रहने वाले राजेश दास की बहन की शादी मधुबनी में तय हुई थी। मई में शादी की तिथि तय थी। इस रिश्ते के लिए सगाई किसी तरह अप्रैल महीने में हो गई, लेकिन जिस तरह कोरोना का संक्रमण फैल रहा है और नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है उसमें अब विवाह मुश्किल दिख रहा है।
उन्होंने कहा, "शादी की तिथि रदद कर दी गई। अब आगे की तिथियां खोजी जा रही है। अब नवंबर में नया मुहूर्त खोजा जा रहा है।"
आम तौर पर खरमास महीने के बाद यानी 14 अप्रैल के बाद शादी का मूहुर्त प्रारंभ होता है। इस साल अप्रैल और मई में शादी के लिए कई लग्न हैं। शादी के लिए सराती-बराती दोनों पक्ष की ओर से तैयारियां भी पूरी हो गई थी।
अब कोरोना के कारण कई लोग जहां शादियों की तिथि टाल रहे हैं वहीं कई लोग आयोजन में ही कटौती करने को मजबूर हो रहे हैं।
बोरिंग रोड के रहने वाले सागर अपनी बेटी की शादी बड़े धूमधाम से करने वाले थे। इसके लिए सभी तैयारियां भी कर ली गई थी। बैंक्वेट हॉल बुक कर दिया गया था। रिसेप्शन को लेकर भव्य तैयारी की जा रही थी।
उन्होंने कहा कि कॉर्ड भी बंट गए थे, लेकिन अब सब कुछ कैंसिल करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप्प के जरिए मैसेज देकर शादी और पार्टी में नहीं आने का अनुरोध कर रहा हूं। कोरोना के कारण घरों में ही रहने का निवेदन कर रहा हूं।
वे कहते हैं, "अब शादी घर से ही कर दी जाएगी, जिसमें कुछ घर परिवार के लोग ही शामिल होंगे।"
कोरोना के कारण विवाह भवन, होटल, गेस्ट हाउस, हलवाई, सजावट, वाहन, ब्यूटीशियन आदि के आर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं।
एक बैंक्वेट हॉल के प्रबंधक अजीत कुमार कहते हैं कि अब तक 50 प्रतिशत बुकिंग कैसिंल हो गए हैं। कई ग्राहकों को तो पैसा लौटाने की नौबत आ गई है। कुछ लोग शादियों की तिथियां नवंबर-दिसंबर तक टाल रहे हैं, जो आज भी अग्रिम बुिंकंग करवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल गर्मी के महीने में काफी लग्न था, हम सभी पिछले साल के हुए नुकसान की भरपाई करना चाहते थे, लेकिन इस बार फिर सीजन में एक बार फिर कोरोना का कहर टूट पड़ा।
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस साल अप्रैल, मई जून, नवंबर और दिसंबर में शादी का मुहूर्त है। बनारसी पचांग के मुताबिक अप्रैल महीने में सात दिन वैवाहिक मुहूर्त है जबकि मई में 19 दिन विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है। जून महीन में 13 दिन शादी का शुभ मुहूर्त बना है। (आईएएनएस)
दिल्ली में छह दिनों की तालाबंदी लागू होने के बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी तालाबंदी लगने के आसार नजर आ रहे हैं. जानकार कह रहे हैं कि संक्रमण जिस गति से फैल रहा है, उसे रोकने के लिए तालाबंदी के अलावा कोई चारा नहीं है.
पढ़ें डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
दिल्ली में तालाबंदी फिल्हाल सिर्फ छह दिनों के लिए लगाई गई है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इस अवधि को बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन दिल्ली और देश के कई अन्य राज्यों में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं. दिल्ली में पिछले 24 घंटों में संक्रमण के 23,686 नए मामले सामने आए और संक्रमण से 240 लोगों की मौत हो गई.
हालात को देखते हुए कहा नहीं जा सकता कि संक्रमण के फैलने की रफ्तार कब कम होगी. साथ ही इस पर भी संदेह बना हुआ है कि सिर्फ एक राज्य में तालाबंदी लगा कर इस गति को कम करने में कितनी मदद मिल पाएगी. दिल्ली में तालाबंदी की घोषणा होते ही लाखों प्रवासी श्रमिकों ने राजधानी छोड़ कर अपने अपने गृह राज्य लौटना शुरू कर दिया. जानकार सवाल उठा रहे हैं कि जब इस तरह की यात्राएं नहीं रुकेंगी तब तक संक्रमण का फैलना कैसे रुकेगा.
अपनी किताब "भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा संकट: कोरोना वायरस का असर और आगे का रास्ता" में दूसरी लहर का पूर्वानुमान कर चुके जाने माने अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना है कि तालाबंदी लगाने में पहले ही कम से कम तीन सप्ताह की देर हो चुकी है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि कुंभ मेला और चुनावी रैलियों जैसे "सुपर-स्प्रेडर" यानी बड़ी संख्या में संक्रमण फैलाने वाले कार्यक्रमों को रद्द कर देना चाहिए था.
अरुण कुमार मानते हैं कि अब जब लोग इन कार्यक्रमों से अपने अपने गृह राज्य वापस लौट रहे हैं तो संक्रमण उनके साथ जाएगा और अगले एक महीने तक देश के अलग अलग हिस्सों में फैलता रहेगा. उनका कहना है कि इस समय दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में तीन सप्ताह की तालाबंदी लगा दी जानी चाहिए. जानकार यह भी कह रहे हैं कि तालाबंदी लगाने में गरीबों, श्रमिकों और अन्य सुविधाहीन तबकों की जरूरतों का विशेष ख्याल रखना पड़ेगा.
जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा, "इस समय बहुत जरूरी है कि दिल्ली सरकार भोजन उपलब्ध कराने के कार्यक्रम शुरू करे, विशेष रूप से उन लोगों के लिए भी जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं." महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह जब तालाबंदी जैसे प्रतिबंधों की घोषणा की गई थी, तो साथ साथ भोजन और कई तरह की आर्थिक मदद के इंतजाम भी किए गए थे, लेकिन दिल्ली में अभी तक ऐसे कदमों की घोषणा नहीं हुई है. (dw.com)
जगदलपुर, 15 अप्रैल । डिमरापाल स्थित शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 137 बिस्तर उपलब्ध हैं। यहां कोरोना मरीजों के उपचार के लिए आरक्षित 200 बिस्तरों में से 63 बिस्तरों पर मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें 32 मरीजों को आक्सीजन सुविधा युक्त बिस्तर, 10 मरीजों को हाई डिपेंडेंसी यूनिट, 12 मरीजों को आईसीयू, एक मरीज को वेंटिलेटर और आठ मरीजों को बिना ऑक्सीजन वाले बिस्तरों में भर्ती की गई है।
भारत सरकार ने एक अहम फ़ैसले में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की घोषणा कर दी है. ये फ़ैसला एक मई से लागू होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए एक अहम बैठक में सोमवार को ये फ़ैसला लिया गया कि एक मई से 18 साल से ज़्यादा उम्र के हरेक व्यक्ति को अब कोरोना वैक्सीन की ख़ुराक दी जा सकेगी.
एक मई से कोरोना टीकाकरण अभियान अपने तीसरे चरण में दाख़िल हो जाएगा जिसमें वैक्सीनेशन में तेज़ी लाई जाएगी और इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है.
अभी तक 45 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन लेने की इजाज़त दी गई थी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा भारतीयों को कम से कम समय में वैक्सीन मुहैया कराने के लिए पिछले एक साल से भी ज़्यादा समय से उनकी सरकार काम कर रही थी.
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत विश्व में दूसरे देशों की तुलना में रिकॉर्ड तेज़ी से लोगों को कोरोना का टीका लगा रहा है और इस अभियान को आगे भी तेज़ी से जारी रखा जाएगा.
भारत में कोविड टीकाकरण अभियान का पहला चरण इस साल 16 जनवरी को शुरू हुआ था जिसमें शुरुआत में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाई गई थी.
वैक्सीनेशन के दूसरे चरण की शुरुआत एक मार्च, 2021 को हुई जिसमें 45 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए टीके का प्रावधान किया गया.
कोराना वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की दो वैक्सीन को इजाज़त दी थी और इसके बाद विदेश में बने स्पुतनिक वैक्सीन को भी आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दी गई. स्पुतनिक का निर्माण अब भारत में हो सकेगा.
तीसरे चरण में राष्ट्रीय वैक्सीन नीति के तहत टीके की क़ीमत को लेकर और इसका दायरा बढ़ाने के लिए छूट दी जाने की बात कही गई है.
भारत में कोरोना टीकाकरण का तीसरा चरण औपचारिक रूप से एक मई से शुरू हो जाएगा.
तीसरे चरण के लिए प्रमुख दिशा निर्देश
वैक्सीन बनाने वाली दवा कंपनियां अपने कुल उत्पादन का आधा भारत सरकार को मुहैया कराएंगी और बाक़ी आधा उत्पादन राज्य सरकारों या खुले बाज़ार में आपूर्ति करने के लिए स्वतंत्र होंगी.
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां खुले बाज़ार और राज्य सरकारों को आपूर्ति के लिए रखे गए 50 फ़ीसद कोटे की क़ीमत एक मई से पहले सार्वजनिक करेंगी. इस क़ीमत के आधार पर राज्य सरकारें, निजी अस्पताल, औद्योगिक प्रतिष्ठान वग़ैरह दवा कंपनियों से वैक्सीन की ख़रीद का फ़ैसला कर सकेंगी. प्राइवेट अस्पतालों को अपनी ख़रीदारी इसी 50 फ़ीसद कोटे से करनी होगी. प्राइवेट हॉस्पिटल्स को पारदर्शी तरीक़े से वैक्सीन की क़ीमत बतानी होगी. 18 साल से ऊपर के उम्र के सभी वयस्क इस चैनल के ज़रिये वैक्सीन हासिल कर सकेंगे.
पहले की तरह भारत सरकार के वैक्सीन सेंटर्स पर हेल्थ वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 45 साल से ज़्यादा उम्र के सभी लोगों को निशुल्क वैक्सीन दिया जाता रहेगा.
वैक्सीन चाहे भारत सरकार या इससे इतर किसी भी माध्यम के ज़रिये दी जा रही हो, ये अभियान नेशनल वैक्सीनेशन प्रोग्राम का हिस्सा रहेगा और सभी लोगों को पूर्व निर्धारित प्रोटोकॉल और कोविन ऐप के प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.
हालांकि अभी तक ये साफ़ नहीं हो पाया है कि 45 साल से अधिक उम्र के जिन लोगों ने सरकार के द्वारा तय की गई 250 रुपये की कीमत देकर निजी अस्पतालों या संस्थानों से वैक्सीन ली थी, उन्हें अपनी दूसरी खुराक के लिए क्या कीमत चुकानी होगी. क्योंकि एक मई से प्रभावी होने वाली नई नीति के मुताबिक निजी अस्पतालों को वैक्सीन की कीमत खुद तय करने का हक होगा. (bbc.com/hindi)
नासा ने पहली बार धरती के अलावा किसी और ग्रह की सतह पर एक विमान की नियंत्रित उड़ान कराने में सफलता हासिल कर ली है. नासा के छोटे रोबोट हेलिकॉप्टर इंजेन्युइटी ने मंगल ग्रह की सतह पर उड़ान भी भरी और नीचे भी उतर आया.
नासा ने कहा है कि यह उपलब्धि मंगल ग्रह और सौर-मंडल में दूसरे ठिकानों पर भी खोज के नए साधनों के इस्तेमाल का रास्ता खोल सकती है. इन नए ठिकानों में शुक्र ग्रह और शनि का चंद्रमा टाइटन शामिल हैं. मंगल से आए इंजीनियरिंग डाटा ने पुष्टि की कि दो रोटरों वाले 1.8 किलो के इस हेलिकॉप्टर ने 40 सेकंड की अपनी उड़ान तीन घंटे पहले पूरी कर ली.
तय प्रोग्रामिंग के अनुसार, विमान को सीधा हवा में 10 फीट उठना था, फिर आधे मिनट तक मंगल की सतह पर स्थिर रह कर, घूम कर अपने चारों पैरों पर लैंड करना था. नासा के अधिकारियों ने बताया कि मार्स से आए डाटा से पता चला है कि उड़ान ठीक इसी तरह से पूरी हुई है.
लॉस एंजेलेस में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) से हो रही लाइवस्ट्रीमिंग के दौरान नासा ने भी उड़ान की पहली तस्वीरें दिखाईं. एक काली-सफेद तस्वीर में मंगल ग्रह की सतह पर इंजेन्युइटी के ठीक नीचे उसकी छाया दिखाई दे रही है. तस्वीर इंजेन्युइटी पर ही लगे नीचे की तरफ झुके एक कैमरा से ली गई है.
मंगल पर नासा के रोवर पर्सीवरेंस पर लगे एक और कैमरे से ली गई कलर वीडियो के एक टुकड़े में नारंगी रंग के परिदृश्य के आगे उड़ता हुआ हेलिकॉप्टर दिखाई दे रहा था. पर्सीवरेंस हेलिकॉप्टर से 200 फीट दूर था. इस मौके पर जेपीएल इंजेन्युइटी अभियान प्रबंधक मिमी ऑन्ग ने कहा, "हम अब कह सकते हैं कि इंसानों ने एक दूसरे ग्रह पर सफलतापूर्वक एक विमान उड़ा लिया है." (dw.com)
सीके/आईबी (रॉयटर्स)
पश्चिम बंगाल में तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच सीपीएम से लेकर कांग्रेस और टीएमसी ने अपनी रैलियां स्थगित करने या उसमें कटौती करने का एलान किया है. लेकिन बीजेपी ने अब तक ऐसा कुछ नहीं कहा है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
अमित शाह ने शुक्रवार को कहा था कि चुनाव से कोरोना संक्रमण का कोई संबंध नहीं है. चुनाव आयोग की ओर से आयोजित सर्वदलीय बैठक के बावजूद रैलियों में कोविड प्रोटोकॉल का सरेआम उल्लंघन हो रहा है. नतीजतन नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बढ़ते संक्रमण के लिए बीजेपी और केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने केंद्र से जरूरी दवाओं और वैक्सीन की तत्काल सप्लाई करने की भी मांग की है. इस मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सख्ती और चुनाव आयोग की ओर से आयोजित सर्वदलीय बैठक के बावजूद स्थिति जस की तस है.
चुनाव या कोरोना?
बढ़ते कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए लेफ्ट, कांग्रेस और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने तो अपनी रैलियों और रोड शो में कटौती का एलान कर दिया है. लेकिन बीजेपी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इससे राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि उसकी प्राथमिकता चुनाव है या कोरोना. लेकिन अमित शाह के बयान को ध्यान में रखें तो पार्टी का अपने चुनाव अभियान में कटौती का कोई इरादा नहीं है. शाह ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि चुनाव के साथ कोरोना संक्रमण बढ़ने का कोई संबंध नहीं है. उनकी दलील थी कि महाराष्ट्र में तो सबसे ज्यादा संक्रमण है. क्या वहां चुनाव हो रहे हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में चुनाव अभियान के साथ संक्रमण बढ़ने का सीधा संबंध है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. मार्च के पहले सप्ताह में जब चुनाव अभियान की शुरुआत हुई थी, तो दो मार्च को संक्रमण के नए मामलों की संख्या महज 171 थी. 27 मार्च को जिस दिन पहले चरण का मतदान हुआ था, राज्य में 24 घंटों के दौरान 812 नए मामले सामने आए थे और चार लोगों की मौत हुई थी. लेकिन अब यह आंकड़ा साढ़े चार हजार के पार पहुंच गया है. पहली अप्रैल यानी दूसरे चरण के मतदान के दिन यह आंकड़ा 1,274 था जो तीसरे चरण के मतदान के दिन बढ़ कर 2,058 तक पहुंच गया. उसके बाद 10 अप्रैल यानी चौथे चरण के मतदान के दिन 4,043 नए मामले सामने आए थे. अब नौ दिनो के भीतर ऐसे मामलों की संख्या दोगुनी से ज्यादा बढ़ कर ऐसे मामले नौ हजार तक पहुंच गई है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को रैलियों और रोड शो के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सभी जिलाशासकों से राजनीतिक कार्यक्रमों में कोरोना की स्थिति पर नजर रखने को कहा है. अदालत ने आयोग से इस मुद्दे पर रिपोर्ट भी मांगी है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयोग ने 16 अप्रैल को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. लेकिन उसके बाद भी उसका कोई जमीनी असर नहीं नजर आ रहा है.
राजनीतिक दलों की पहल
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर सीपीएम ने पहल ही और कोई बड़ी सभा या रैली आयोजित नहीं करने का फैसला किया था. लेफ्ट फ्रंट की ओर से एक ट्वीट में कहा गया, "पश्चिम बंगाल चुनाव के बाकी चरणों के दौरान बड़ी सभाओं के आयोजन से परहेज करने का फैसला किया है. इसकी बजाय घर-घर जाकर और सोशल मीडिया के जरिए अभियान चलाने पर जोर दिया जाएगा." सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम कहते हैं, "लेफ्ट फ्रंट अब किसी बड़ी रैली या रोड शो का आयोजन नहीं करेगा. मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र और राज्य जिम्मेदार हैं."
उसके बाद राहुल गांधी ने भी अपनी तमाम रैलियां रद्द कर दूसरे दलों से भी ऐसा करने की अपील की है. लेकिन उसके बाद भी बीजेपी से लेकर तृणमूल की रैलियों और रोड शो में उमड़ती भीड़ कोविड प्रोटोकॉल को ठेंगा दिखाती रही. अब राज्य में संकट गहराने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि कोलकाता में वे महज एक प्रतीकात्मक रैली करेंगे. उसके अलावा न तो कोई रोड शो होगा और न ही रैली. उनकी बाकी रैलियां छोटी होंगी और उनके समय में भी काट-छांट की गई है. अब कहीं भी ममता की रैली आधे घंटे में ही खत्म हो जाएगी.
दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि वह सोशल मीडिया समेत प्रचार के दूसरे तरीकों पर जोर दे रही है. प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य कहते हैं, "पार्टी के नेताओं की तमाम रैलियों और रोड शो में कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है." हालांकि तमाम टीवी चैनलों पर नजर आने वाली तस्वीरें अलग ही कहानी कहती हैं. भट्टाचार्य ने राहुल गांधी के चुनावी रैलियां नहीं करने के फैसले को नाटक बताया है.
ममता का पत्र
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश भर में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण में नाकाम रहने की वजह से अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. ममता ने रविवार को प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में बंगाल में कोरोना की परिस्थिति का जिक्र करते हुए उनसे वैक्सीन, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की सप्लाई सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया है.
ममता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में नाकाम रहे हैं. वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि चमकाने के लिए वैक्सीन का निर्यात कर रहे हैं, जबकि देश में इसकी भारी कमी है. मुख्यमंत्री ने कहा, "मौजूदा परिस्थिति के लिए मोदी ही जिम्मेदार हैं. बीजेपी गुजरात में तो संक्रमण से निपटने में नाकाम हैं ही, उसने बंगाल समेत दूसरे राज्यों में भी संक्रमण बढ़ा दिया है."
उन्होंने दोहराया कि सरकार ने चुनाव से पहले राज्य के तमाम लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने के लिए इसकी 5.4 करोड़ डोज मांगी थी. लेकिन केंद्र ने उसका कोई जवाब ही नहीं दिया. राज्य सरकार इस वैक्सीन की कीमत देने को तैयार है. देश में ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर की भी भारी कमी है. आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? टीएमसी प्रमुख का कहना था, "वैक्सीन, ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं के मुद्दे से निपटने की बजाय मोदी बंगाल में चुनावी रैलियों में हिस्सा ले रहे हैं."
लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए ऑनलाइन प्रचार पर जोर दिया जाना चाहिए. एक विशेषज्ञ अरिंदम विश्वास कहते हैं, "राहुल गांधी ने इस मामले में ठोस पहल की है. दूसरे दलों को उनके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए." वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम के महासचिव राजीव पांडेय कहते हैं, "तमाम राजनीतिक दलों को अपनी रैलियां और रोड शो तुरंत बंद कर देने चाहिए." (dw.com)
कोरोना से मची खलबली के बीच कारोबारियों का कहना है कि पूर्ण तालाबंदी से हालात और खराब होंगे.
डॉयचे वैले पर हृदयेश जोशी की रिपोर्ट-
रविवार को भारत में कोरोना के 2 लाख 75 हजार मामले सामने आए और आधिकारिक रूप से 1,600 से अधिक लोगों की कोरोना से मौत हुई. यह सिर्फ आधिकारिक आंकड़े हैं. असल संख्या इससे अधिक होने की आशंका है क्योंकि राजधानी दिल्ली समेत देश के तमाम शहरों में लोग या तो कोरोना टेस्ट नहीं करा पाए या दो-तीन दिन से अपनी रिपोर्ट का इंतजार ही कर रहे थे.
इस बीच कई राज्यों ने आंशिक तालाबंदी यानी लॉकडाउन के कड़े नियमों को लागू किया है. दिल्ली सरकार ने सोमवार रात से राजधानी में हफ्ते भर का कर्फ्यू लगा दिया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं को जारी रखने के साथ जरूरी चीजों की दुकानें खुली रखने, फूड डिलीवरी का काम जारी रखने और निर्माण इकाइयों को खुला रखने के आदेश दिया है.
केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों से भी कहा है वह शहर छोड़कर न जाएं क्योंकि यह लॉकडाउन लंबा नहीं होगा और उम्मीद है कि इसे आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उद्योगपतियों, खासतौर से छोटे और मझौले कारोबारियों ने सरकार से अपील की है कि कोई कड़ा कदम उठाते वक्त अर्थव्यवस्था और गरीबों की रोजी रोटी का खयाल रखा जाए. इस बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने औद्योगिक संघों को भरोसा दिलाया कि पिछले साल की तरह लॉकडाउन का सरकार का अभी कोई इरादा नहीं है.
असमंजस के हालात
कोरोना के बिगड़ते हालात के बीच प्रवासी मजदूरों और कर्मचारियों में एक बार फिर से डर बैठ गया है. तमाम राज्यों के बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर घर लौटने के लिए लोग जमा हो रहे हैं. पिछले साल मार्च में घोषित लॉकडाउन के बाद लाखों प्रवासियों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर घर जाना पड़ा था और वह दोबारा वैसे हालात से गुजरना नहीं चाहते. जाहिर है इसका असर कारोबार पर दिखने लगा है.
दिल्ली से सटे फरीदाबाद के कारोबारी राज चावला, जो सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योगों (एमएसएमई सेक्टर) को मदद करने वाली एक संस्था के अध्यक्ष भी हैं, का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन को लेकर किसी स्पष्ट नीति की घोषणा में सरकार ने बहुत देर कर दी है. चावला के मुताबिक, "व्यापार पर महामारी का असर पहले ही दिख रहा है. मार्च से सेल्स में कमी आने लगी और उत्पादन गिर रहा है. बिजनेस पहले ही ढलान पर है. अब जिस तरह से पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार चला है और कुंभ जैसे धार्मिक समागम हुए हैं, हम महसूस करते हैं कि बीमारी का ग्राफ मई तक ही पीक पर पहुंचेगा क्योंकि संक्रमित लोगों के लक्षण दिखने में दो हफ्ते तक वक्त लग जाता है. ऐसे में उद्योगों पर कड़ी तालाबंदी किसी मकसद को हल नहीं करती."
पाबंदियां मंजूर, तालाबंदी नहीं
लॉकडाउन की आशंका से सबसे अधिक एमएसएमई सेक्टर के कारोबारी और कर्मचारी ही घबराए हुए हैं. यह क्षेत्र देश की जीडीपी में एक तिहाई से अधिक योगदान देता है और इसमें कम से कम 15 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है. उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक राजस्व कमाने वाले जिले नोएडा में 20 हजार उद्योग हैं जिनमें 15 लाख से अधिक कर्मचारी काम करते हैं. नोएडा एमएसएमई औद्योगिक संघ के जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा कहते हैं कि 13 लाख कर्मचारियों के बीमा और सामाजिक सुरक्षा कार्ड बने हैं.
नाहटा कहते हैं, "हम पाबंदियों के पक्ष में हैं लेकिन पूर्ण तालाबंदी के पक्ष में कतई नहीं हैं. हम चाहें तो एक दिन आधा मार्केट खोलकर दूसरे दिन बाकी आधा कारोबार खोल सकते हैं. कर्मचारियों की प्रतिदिन हाजिरी आधी कर सकते हैं लेकिन सब कुछ बंद करना तो समाधान नहीं है क्योंकि यह भी तो नहीं पता कि कोविड की समस्या कब चलेगी."
नाहटा कहते हैं कि ऐसे कठिन समय में उद्योगों को प्रशासन का सहयोग चाहिए क्योंकि जितनी विनाशक कोरोना महामारी है, उतनी ही भुखमरी और बेरोजगारी, "जब पिछले साल मजदूर अपने घरों को लौट गएह थे, तो हमारे कारोबारी साथियों ने यहां के सुधरते हालात के वीडियो बना कर उन्हें भेजे थे और भरोसा देकर वापस बुलाया. अब वही मजदूर वापस जाने को हैं. इससे किसका फायदा होगा? हम प्रशासन से सहयोग मांग रहे हैं लेकिन सभी अधिकारी उदासीन बने हुए हैं."
उधर यूपी की ही एक अन्य कारोबारी शोभा धवन कहती हैं कि काम के दौरान कोविड से जुड़े नियमों का पालन सख्ती से हो, इसके लिए उनकी फैक्ट्रियों में रोजाना दो बार लैक्चर दिया जाता है. धवन के मुताबिक, "इस बीमारी से लड़ने के लिए अनुशासन चाहिए. लॉकडाउन हल नहीं है. हम कोविड से जुड़े नियम और हिदायतें रोज समझा रहे हैं ताकि वर्कर सुरक्षित भी रहें और काम भी चले. काम को रोकना समस्या का कोई हल नहीं है."
सरकार कारोबारियों के संपर्क में
महाराष्ट्र में पहले ही धारा 144 के साथ एक मई तक सख्त लॉकडाउन लगा दिया है. वहीं राजस्थान ने भी रविवार को कुछ रियायतों के साथ 15 दिन का लॉकडाउन घोषित किया. यूपी में नाइट कर्फ्यू लागू है और इसी तरह की पाबंदियां अन्य राज्य भी लगा रहे हैं लेकिन सभी राज्यों ने फैक्ट्रियों को इस तालाबंदी से छूट दी है जिससे पता चलता है कि सरकार को इस बार अहसास है कि पूर्ण तालाबंदी अर्थव्यवस्था और गरीब पर भारी पड़ेगी और इससे हालात बिगड़ेंगे.
उत्तराखंड में कुंभ में बड़े जमावड़े के बाद दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया है कि राज्य से आने वाले हर व्यक्ति को 15 दिन के होम आइसोलेशन में रहना होगा और 30 अप्रैल को अगले स्नान के लिए जाने वाले को अपनी पूर्ण पहचान के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा. मध्य प्रदेश सरकार ने भी हरिद्वार से आने वालों को क्वारंटीन करने के आदेश दिए हैं और गुजरात ने इन यात्रियों को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट दिखाने को कहा है.
सूत्र बताते हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग संघों को भरोसा दिलाया कि सरकार का पूर्ण लॉकडाउन का कोई इरादा नहीं है. इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक वित्तमंत्री ने उद्योगों से कहा है कि लॉकडाउन के बजाया सरकार छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन बनाए ताकि बीमारी का फैलाव रुके.(dw.com )
कोलकाता, 19 अप्रैल | कोविड-19 मामलों में अभूतपूर्व उछाल को देखते हुए, पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार से अगले नोटिस तक सभी सरकारी स्कूलों को बंद रखने की घोषणा की है। वर्तमान में, राज्य मे 9 से 12वीं तक की कक्षाएं चल रही थीं, क्योंकि जनवरी के बाद महामारी के प्रसार में कमी आई थी।
राज्य शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा, "स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां मंगलवार से शुरू हो जाएंगी और अगले आदेश तक सभी स्कूल बंद रहेंगे। वर्तमान कोविड की स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राज्य मुख्य सचिव के साथ-साथ शिक्षा सचिव के साथ इस संबंध में चर्चा की।"
कक्षा 9, 10, 11 और 12 के छात्र-छात्राओं को कोविड प्रोटोकॉल के साथ फीजिकल मोड में कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति थी। लेकिन विभाग ने अब यह फैसला किया है कि कोविड मामलों में तेजी से वृद्धि के बीच फीजिकल कक्षाओं का आयोजन नहीं किया जाएगा। कक्षा 1 से 8 तक के छात्र, हालांकि पहले से ही वर्चुअल मोड में कक्षाएं ले रहे थे।
जब कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं के बारे में पूछा गया, जो पहले मार्च के बजाय इस साल जून में आयोजित करने की घोषणा की गई थी, तो राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा, "जून से पहले अभी भी उचित समय बचा है। सही समय पर निर्णय लिया जाएगा।"
हालांकि, शहर में सीबीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूलों ने कोविड मामलों में वृद्धि के कारण पहले से ही उपस्थिति पर अंकुश लगा दिया है।(आईएएनएस)
बलिया (उप्र), 19 अप्रैल | एक ओर जहां कोरोना काल में चिकित्साकर्मी लोगों की हरसंभव मदद करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर लोग चिकित्साकर्मी पर हमला करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया में दो डॉक्टर सहित तीन चिकित्साकर्मियों और उनके चालक के एक समूह के लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद घायल हो गए। चिकित्साकर्मी वहां एक कोविड मरीज को दवा देने गए थे। यह घटना रविवार को बलिया के पासवान चौक गांव में हुई और बैरिया पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार, मेडिकल टीम के वाहन को लगभग 60 लोगों ने घेर लिया और उन पर हमला किया गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) संजय यादव ने कहा, "टीम गांव के कोरोना मरीज घनश्याम को दवाइयां और उसकी स्थिति की जांच करने के लिए गई थी।"
घटना में घायल हुए चिकित्सा अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, "महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 60 लोगों ने हमारे सरकारी वाहन को घेर लिया और टीम पर हमला किया।"
हमले के पीछे का मकसद अभी तक पता नहीं चला है।
एएसपी ने कहा, "टीम के सदस्य किसी तरह वहां से भागने में सफल रहे। डॉ नीरज कुमार सिंह, डॉ. अमित कुमार गौतम, प्रयोगशाला सहायक उपेंद्र प्रसाद और ड्राइवर लाल बहादुर यादव घायल हो गए।"
इस मामले में जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया है।
बलिया की जिला मजिस्ट्रेट अदिति सिंह ने कहा कि "प्रशासन गिरफ्तार किये गये आरोपी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत योजना बना रहा है।"(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 19 अप्रैल | कोरोना की दूसरी लहर इतनी घातक की है कि यह किसी को छोड़ने के मूड में नहीं है। आम लोग जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली उनको तो यह वायरस बक्श ही नहीं रहा, लेकिन जिन्होंने कोरोना की दोनों डोज ले ली है उनको भी शिकार बना रहा है। ऐसा ही एक मामला लुधियाना से आया है। जहां कोरोनावायरस वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के एक महीने बाद, लुधियाना के पुलिस आयुक्त राकेश अग्रवाल ने सोमवार को कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने 14 मार्च को कोविशिल्ड की दूसरी खुराक ली थी।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 19 अप्रैल | कोरोना की दूसरी लहर इतनी घातक की है कि यह किसी को छोड़ने के मूड में नहीं है। आम लोग जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली उनको तो यह वायरस बक्श ही नहीं रहा, लेकिन जिन्होंने कोरोना की दोनों डोज ले ली है उनको भी शिकार बना रहा है। ऐसा ही एक मामला लुधियाना से आया है। जहां कोरोनावायरस वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के एक महीने बाद, लुधियाना के पुलिस आयुक्त राकेश अग्रवाल ने सोमवार को कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। डॉक्टरों ने कहा कि उन्होंने 14 मार्च को कोविशिल्ड की दूसरी खुराक ली थी।(आईएएनएस)
सुमी खान
ढाका, 19 अप्रैल | ढाका की एक अदालत ने सोमवार को मोहम्मदपुर पुलिस स्टेशन में पिछले साल दर्ज एक मामले में कट्टरपंथी संगठन हेफाजत-ए-इस्लाम के संयुक्त महासचिव मामूनुल हक को सात दिन की रिमांड पर भेजा है।
ढाका मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, देबदाश चंद्र अधिकारी ने यह आदेश सुनाया। इससे पहले थाने के उप-निरीक्षक, एम डी सजदुल हक ने उनके रिमांड की मांग की थी।
पुलिस ने कहा कि आतंकवादी शीर्ष नेता और उपदेशक को सुरक्षा के आधार पर डीबी कार्यालय में उनके भारी खर्च के स्रोत के लिए पूछताछ की जाएगी।
तेजगांव डिवीजन पुलिस और डीएमपी की जासूसी शाखा की संयुक्त टीम ने शनिवार दोपहर मोहम्मदपुर में जामिया रहमानिया अरबिया मदरसा से मामूनुल को गिरफ्तार किया था।
नवंबर 2020 में, मामूनुल ने सरकार से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की आगामी प्रतिमा को हटाने का आह्वान किया था, जिसमें दावा किया गया था कि प्रतिमाओं को इस्लाम में प्रतिबंधित किया गया था। बाद में, उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनका उद्देश्य बंगबंधु का अनादर करने का नहीं था।
मामुनूल और उनके हेफाजत सहयोगियों ने 26-27 मार्च को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था, जिससे हुई हिंसा में कई लोगों की जान चली गई।
मामूनुल की गिरफ्तारी के बाद, तेजगांव जोन के पुलिस उपायुक्त, हारुन-या-रशीद ने कहा कि मामूनुल और हेफाजत के कई नेताओं पर कई मामलों में आरोप लगाए गए हैं, जिनमें पुलिस स्टेशनों पर नियोजित हमले शामिल हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
राशिद ने कहा कि मामूनुल पर काफी समय से नजर रखी जा रही है और 2020 के मामले में बर्बरता और हिंसा की जांच चल रही है।
नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा के दौरान ढाका में बैतुल मुकर्रम क्षेत्र में हिंसा के संबंध में मामूनुल और कट्टरपंथी संगठन के अन्य साथियों के खिलाफ 17 मामले दर्ज किए गए हैं।
मामुनूल इस मामले में आरोपी 17 लोगों में से एक है।
मामूनुल को धार्मिक सभाओं में और सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा और हेट स्पीच फैलाने के लिए जाना जाता है।
वहीं अदालत के आदेश के बाद, मामूनुल को पूछताछ के लिए राजधानी के मिंटू रोड स्थित डीबी कार्यालय ले जाया गया है।(आईएएनएस)
लखनऊ,19 अप्रैल : आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के पांच शहरों में आज रात से 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू करने का फैसला किया गया है. इन शहरों में राजधानी लखनऊ, वाराणसी और तीन अन्य शहर शामिल हैं, इस दौरान केवल जरूरी सेवाओं की इजाजत होगी.लखनऊ और वाराणसी के अलावा जिन तीन अन्य शहरों में लॉकडाउन लागू किया गया है, उसमें प्रयागराज, गोरखपुर और कानपुर शामिल हैं.इन शहरों में कोरोना के केसों में तेजी से हो रहे इजाफे के कारण यह निर्णय लिया गया है.
लॉकडाउन के दौरान फार्मेसी और किराना स्टोर (तीन के कम स्टाफ मेंबर्स की मौजूदगी होनी चाहिए) जैसी जरूरी सेवाओं को ही खुले रहने की इजाजत होगी. लॉकडाउन की अवधि के दौरान सभी धार्मिक गतिविधियां और धार्मिक संस्थान बंद रहेंगे, इसी तरह शॉपिंग काम्पलेक्स और मॉल्स भी इस दौरान बंद रहेंगे. निजी या सरकारी शैक्षणिक संस्थान भी इस दौरान बंद रहेंगे. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान यूपी में बड़ी संख्या में केस आए हैं. राज्य में इस समय कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या एक लाख 91 हजार के पार पहुंच गई है. यूपी में कोरोना संक्रमण के कारण अब तक 9,800 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.
गौरतलब है कि यूपी ही नहीं, पूरे देश में कोरोना के केसों की संख्या खतरनाक ढंग से बढ़ी है. सोमवार को लगातार दूसरे दिन देश में ढाई लाख से ज़्यादा नए COVID-19 केस दर्ज किए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में 2,73,810 नए कोरोना मामले सामने आए, जबकि एक दिन में वायरस के चलते 1,619 मौतें दर्ज हुईं. यह दोनों ही आंकड़े एक दिन में अब तक दर्ज हुई सबसे बड़ी संख्याएं हैं. इन आंकड़ों को जोड़कर कोरोना का फैलाव होने के बाद से देशभर में अब तक 1,50,61,919 लोग संक्रमण का शिकार हो चुके हैं, और कुल 1,78,769 लोगों ने वायरस के कारण जान गंवाई है.
अमरावती, 19 अप्रैल | टीकाकरण के बाद भी कोरोना वायरस फैलने की अफवाहों के बीच आंध्र प्रदेश कोविड कमान और नियंत्रण केंद्र ने यह स्पष्ट किया कि टीकाकरण के बाद भी पॉजिटिव रिपोर्ट बताती है कि वायरस पहले से बॉडी में मौजूद था । कमांड सेंटर के एक अधिकारी ने कहा, "अगर आरटी-पीसीआर पॉजिटिव है तो पोस्ट टीकाकरण का मतलब है कि बीमारी पहले से मौजूद है, ना कि वैकसीन के कारण पॉजिटिव है।"
उन्होंने कहा कि न तो कोवैक्सीन और न ही कोविशील्ड आरटी-पीसीआर रिपोर्ट को पॉजिटिव करता है।
अधिकारी ने कहा "पोस्ट टीकाकरण के बाद बुखार को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। इसको उपचार केवल पेरासिटामोल 650 एमजी से करें।"
कोविशील्ड एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है, न कि एक क्षीण टीका है, जिसमें एसएआरएस-कोव 2 नहीं, बल्कि एसएआरएस-कोव -2 के आनुवांशिक पदार्थों का एक भाग होता है।
कोवैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक और कोविडशील्ड का पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है।(आईएएनएस)
लखनऊ, 19 अप्रैल | उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगभग 30 प्रतिशत हेल्थ वर्कर कोरोना पॉजिटिव हुए। इनमें प्रमुख कोविड अस्पतालों के डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन, वार्ड बॉय और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
इससे विभिन्न अस्पतालों में कोविड की सेवाएं पर काफी असर पड़ा रहा है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा यहां एक दिन में 40 डॉक्टरों कोरोना पॉजिटिव हुए। यह बीमारी इतनी संक्रामक है कि हर बार एक टीम 14-दिवसीय कोविड ड्यूटी पर जाती है, जिनमें से लगभग एक-चौथाई उनके साथ पॉजिटिव होकर लौटते हैं।
उन्होंने कहा कि उनमें से कई होम आइशोलेशन में हैं, जबकि कुछ अस्पताल में भर्ती हैं।
राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी 2,000 कर्मचारियों में से कम से कम 600 कर्मचारियों कोरोना पॉजिटिव है।
आरएमएलआईएमएस के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह ने कहा करीब 30 फीसदी स्टाफ संक्रमित हैं। वहीं गैर-कोविड टीम कोविड पेसेंट की पहचान करते हुए भी संक्रमित हो रही है।
उन्होंने आगे कहा, "हमने अपने कर्मचारियों को लगभग पूरी तरह से टीका लगाया है और काम करते समय उन्हें और सुरक्षित रहने को भी कहा है।"
इसी तरह की स्थिति बलरामपुर अस्पताल में भी है, जहां पिछले 72 घंटों में, 15 डॉक्टरों सहित कम से कम 24 स्टाफ सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो गए।
बलरामपुर अस्पताल में कोविड फैसिलिटीज के नोडल अधिकारी डॉ वी के पांडे ने कहा कि टेस्टिंग यूनिट को स्वच्छता के लिए 48 घंटे के लिए बंद कर दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 अप्रैल | दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड और यूपी कौशाम्बी बस स्टैंड पर रोजी रोटी और कोरोना बीमारी की जंग में एक बार फिर प्रवासी मजदूर हार चुके हैं। जिसके बाद मजदूर पलायन करने पर मजबूर हो गये हैं। पिछले साल की तरह सैकड़ों किलो मीटर पैदल न चलना पड़े इस डर से प्रवासी मजदूर दिल्ली छोड़ अभी से अपने घर वापसी कर रहे हैं। राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों ने सरकार को भी बेचैन कर दिया है। जिसके बाद दिल्ली में आज रात 10 बजे से 26 अप्रैल को सुबह 6 बजे तक लॉकडाउन लगा दिया है। घोषणा होते ही प्रवासी मजदूर अपने घर भागने लगे हैं।
क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी सर पर सामना लाधे फिर अपने घर भागने लगे हैं। तपती धूप में मानो पसीना शरीर को भिगो रहा है लेकिन रोजी रोटी खोने के डर से पलायन करना ज्यादा आसान दिख रहा है।
बस स्टैंड पर मौजूद प्रवासी मजदूर मनोज ने आईएएनएस को बताया, "लॉकडाउन के कारण गांव जा रहा हूं, गरीब आदमी हूं कमरे का किराया कैसे दूंगा। कंपनी बंद हो जाएंगी कहां से कमा कर खाऊंगा, पिछले साल 4 महीने का किराया भरा था, जो जेब से देना पड़ा था। छोटे छोटे बच्चे हैं बहुत दिक्कत होती है, अब वापस नहीं आऊंगा।"
प्रेम सागर ने आईएएनएस को बताया कि, "गांव जा रहा हूं, काम बंद हो जाएगा फिर कहां से कमाऊंगा ? अब जब फिर से काम चालू होगा तब आऊंगा।"
दिल्ली और गाजियाबाद के विभिन्न हिस्सों से सड़कों के माध्यम से लोग बस स्टैंड पहुंच रहे हैं, एक के ऊपर एक बैठे प्रवासी मजदूर फिलहाल कोरोना बीमारी भूल चुके हैं । याद सिर्फ इतना है कि घर वापस पहुंचना है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 अप्रैल | दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा हो और शराब की दुकानों पर भीड़ न लगे ऐसा असंभव है। राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज रात 10 बजे से 26 अप्रैल को सुबह 6 बजे तक लॉकडाउन लगा दिया है। जिसके बाद दिल्ली में शराब की दुकानों पर भीड़ जुटना शुरू हो गई है। दिल्ली में शराब की दुकानों पर मानों फ्ऱी में शराब बट रही हो, एक के ऊपर एक चढ़ लोग शराब खरीद रहे हैं। क्योंकि दिल्ली में अगले सोमवार तक लॉकडाउन लगा दिया गया है।
कुछ शराब की पेटियां खरीद रहें है तो कुछ दो तीन बोतलों से ही काम चलाने में जुटे हैं। शराब की दुकानों पर लगी भीड़ देख ऐसा लग रहा है जैसे मानों कोरोना अचानक भाग गया हो।
शराब की दुकान पर खड़े एक ग्राहक ने आईएएनएस को बताया कि, "सबसे महंगी शराब की बोतल खरीदूंगा।"
दिल्ली में पहले राज्य सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन का ऐलान किया, लेकिन अब बिगड़ते हालात को देखते हुए एक हफ्ते का लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। लॉकडाउन के दौरान सिर्फ जरूरी क्षेत्र से जुड़े लोगों को ही छूट रहेगी।
वहीं, सिर्फ मेडिकल, फल, सब्जी, दूध की डेयरी या किराना सामान से जुड़ी दुकानें ही खुल सकेंगी। यही कारण है कि दिल्ली के कई बाजारों में अभी से ही पैनिक बाइंग शुरू हो गई है।
(आईएएनएस)
चेन्नई, 19 अप्रैल | बढ़ते कोविड मामलों के कारण, ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) ने मंगलवार से शहर के समुद्र तटों और पार्कों को जनता के लिए बंद करने की घोषणा की है। नागरिक निकाय ने एक बयान में कहा कि मॉल, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, चाय की दुकानें, रेस्टोरेंट, सब्जी बाजार, किराना दुकानें और इसेंसियल दुकानें रात नौ बजे तक खोली जाएंगी और एक समय में केवल 50 फीसदी ग्राहकों को ही सामान लेने की अनुमति दी जाएगी।
इसके अलावा, जीसीसी यह भी सुनिश्चित करेगा कि लोग फेस मास्क पहनें और सामाजिक दूरी बनाए रखें।
शहर में भीड़भाड़ वाले कई रेस्तरां भी बंद रहेंगे।
जीसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि, "उन रेस्तरां पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है, जिन्होंने कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया और भारी भीड़भाड़ की आने की अनुमति दी।
"हम कोविड प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए प्रति दिन 10 लाख रुपये का जुर्माना लगा रहे हैं। जुर्माने से अधिक, हम पर्याप्त रूप से सतर्क हैं कि हर कोई कोविड प्रोटोकॉल बनाए रखे, और अपनी सुरक्षा के लिए उनका उल्लंघन नहीं करें।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 अप्रैल | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस की कथित रूप से रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जमाखोरी के लिए निंदा की। यह इंजेक्शन कोरोना रोगियों के लिए जीवन रक्षक दवा है। उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, "जब देश के कोने-कोने से लोग रेमडेसिविर उपलब्ध कराने की गुहार लगा रहे हैं और तमाम लोग जान बचाने के लिए किसी तरह एक शीशी रेमडेसिविर जुटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, उस समय जिम्मेदार पद पर रह चुके भाजपा नेता का रेमडेसिविर की जमाखोरी करने का कृत्य मानवता के खिलाफ अपराध है।"
मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने दावा किया था कि रेमडेसिवीर की कम से कम 60,000 शीशियों को ब्रुक फार्मा ने शहर के विभिन्न स्थानों जैसे विले पार्ले, मलाड, कांदिवली, ब्रुक फार्मा द्वारा दक्षिण मुंबई में संग्रहित किया गया था।
लेकिन विपक्षी नेता देवेंद्र फड़नवीस, ब्रुक फार्मा के अधिकारी का 'बचाव' करने के लिए पुलिस कार्यालय गए, जिसे पुलिस ने आपूर्ति पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, फार्मा कंपनी की दमन और दीव में अपनी मेन्यूफैक्चरिंग कंपनी है। जानकारी के अनुसार बीजेपी एमएलसी ने महाराष्ट्र में कोविड रोगियों के लिए इंजेक्शन खरीदने के लिए कंपनी को अप्रोच किया था।
अपने बचाव में फड़नवीस ने सफाई दी है कि फार्मा कंपनी ने सभी अनुमतियां प्राप्त कर ली हैं और महाराष्ट्र को इंजेक्शन उपलब्ध करा रही हैं।
वहीं शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि, रेमडेसिवीर बांटने के लिए बीजेपी ने गुजरात राज्य के प्रदेश अध्यक्ष की तरह ही स्टॉक खरीदे। साथ ही शिवसेना ने पूछा, "फडणवीस जैसे निजी व्यक्ति ने गुजरात से रेमडेसिवीर स्टॉक कैसे खरीदा, जब केवल सरकार को बिक्री की अनुमति है।" (आईएएनएस)
सोनीपत, 19 अप्रैल | जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल (जेजीबीएस) ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) में सोमवार से मीडिया, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स में डिजिटल बिजनेस इनोवेशन का स्पेशलाइजेशन नामक एक साल का कोर्स शुरू किया है। इस विशेष कोर्स से छात्रों को गर्मियों की छुट्टी में अमेरिका के कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स विश्वविद्यालय (यूसीएलए) के परिसर में सांस्कृतिक चीजें सीखने का अनुभव होगा।
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति (प्रो) डॉ. सी.राज कुमार के अनुसार, यह अनूठा कार्यक्रम वास्तव में बहु-अनुशासनात्मक है और विश्वविद्यालय के सभी बीबीए प्रोग्राम के छात्रों के लिए उपयुक्त है।
कुमार ने कहा कि "जेजीबीएस के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय ²ष्टिकोण प्राप्त करने और परिसर में सांस्कृतिक चीजें सीखने के अनुभव से लाभ का अवसर मिलेगा। जो कि 22 विषयों और गर्मियों में बिना यात्रा किए ऑन-कैंपस इंटरैक्शन के अधीन होगा। यह सांस्कृतिक चीजें सभी को रोमांचित करेंगी और लॉस एंजिल्स के पारिस्थितिकी तंत्र को जानने के अद्भुत अवसर देंगी।'
नए पाठ्यक्रम को जेजीयू के संस्थापक कुलपति और प्रोफेसर राजेश चक्रवर्ती, जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के डीन जय टकर के साथ-साथ सेंटर ऑफ मैनेजमेंट इन मीडिया, एंटरटेनमेंट एंड स्पोर्ट्स एंड एंडरसन के प्रबंधन के कार्यकारी निदेशक के वरिष्ठ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लॉन्च किया गया।
टकर ने कहा कि "हम उत्सुकता से वर्चुअल परिसर में जेजीबीएस छात्रों की मेजबानी करने के लिए उद्योग क्षेत्र की यात्राओं के साथ-साथ एक गहन 3-सप्ताह के सांस्कृतिक अनुभव और डिजिटल व्यापार नवाचार मुद्दों पर खेल, मनोरंजन, मीडिया और तकनीकी उद्योगों के विशेषज्ञ अतिथि वक्ताओं के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।"
उन्होंने कहा, "छात्रों को मीडिया, खेल और मनोरंजन उद्योगों के जीवंत और उच्च प्रवाह डोमेन के संदर्भ में लागू डिजिटल व्यापार अंतर्²ष्टि के एक दिलचस्प मिश्रण से फायदा होगा।"
विश्वविद्यालय ने एक वीडियो लिंक भी साझा किया, जिसमें इस कार्यक्रम से जुड़ी बहुत सी बातों का उल्लेख किया गया है।
जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल के डीन प्रो. राजेश चक्रवर्ती ने कहा, "यह विशेषज्ञता अंतर्राष्ट्रीय ²ष्टिकोणों के अनुभव सहित सर्वोत्तम प्रथाओं को दिखाता है, जो कि भौतिक, डिजिटल और अनुभवात्मक सीखने के प्रभावी मिश्रण के माध्यम से गहरी उद्योग की भागीदारी से सीखती है।" (आईएएनएस)
पुणे, 19 अप्रैल | 7 बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रह चुकीं मराठी फिल्म निर्माता और राइटर सुमित्रा भावे का लंबी बीमारियों के कारण पुणे में निधन हो गया। सोमवार की सुबह पुणे के एक निजी अस्पताल में 78 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। भावे, अपने सहयोगी और सह-निर्देशक सुनील सुखथंकर के साथ बेहतरीन फिल्म-निर्माता मानी जाती थीं, जिन्होंने मराठी फिल्म इंड्रस्टीज में एक बड़ा बदलाव लाया, जिससे इसे व्यावसायिक सफलता और आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।
पुणे में जन्मी भावे ने अपना एमए राजनीति विज्ञान में पूरा किया और बाद में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में डबल एम.ए किया।
बाद में उन्होंने पुणे के कर्वे इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में एक एनजीओ और ऑल इंडिया रेडियो के साथ मराठी न्यूजरीडर के रूप में भी काम किया।
उन्होंने 1985 में स्त्री वाणी के लिए अपनी पहली लघु फिल्म 'बाई' बनाई, जिसके लिए फैमिली वेलफेयर (1986) में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म के लिए उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, इसके बाद उनकी एक और लघु फिल्म 'पानी' को 1988 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला ।
सुमित्रा भावे जब अपनी पहली फिल्म बना रही थीं, तब वह एक एफटीआईआई ग्रेजुएट सुनील सुखथंकर के संपर्क में आईं और उन्होंने एक सहायक निर्देशक के रूप में उनके साथ काम किया। उन्होंने एक मराठी फिल्म 'दोगी' (1995) बनाई, जिसके लिए उन्हें महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार और 1996 में एक और राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
उन्होंने एक और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 'वास्तुपुरुष' (2002) और 'दाहवी फा' में कॉलब्रेट किया, जिसने 2003 में महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता।
दोनों की फिल्म 'देवराई' (2004) को नेशनल अवॉर्ड मिला और टेलीविजन धारावाहिक 'कथा सरिता' और 'माझी शाला' को कई राज्य पुरस्कार भी मिले।
उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में 'कसाव' (2016) भी थी जिसने 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया, 'आस्तु' (2013) जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और अन्य लघु और फीचर फिल्में जिन्हें दुनिया भर में विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार दिया गया। (आईएएनएस)
पटना, 19 अप्रैल | बिहार में कोरोना के बढ़ते मामले अब लोगों को डराने लगा है। इस बीच, बिहार में सत्ताधारी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का कोरोना से निधन हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। विधायक के परिजनों के मुताबिक तीन दिन पहले चौधरी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और उन्हें पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार को तड़के उनकी मौत हेा गई।
बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान कहा गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका निधन दुखद है और शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से मैं व्यक्तिगत रूप से मर्माहत हूं।
उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
मेवालाल चैधरी बिहार के तारापुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य के शिक्षा मंत्री के पद से हटा दिया गया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार में बढ़ते मामले को देखते हुए बिहार सरकार ने रविवार को राज्य में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। राज्य सरकार ने ये भी निर्णय लिया है कि बिहार में स्कूल, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थान 15 मई तक बंद रहेंगे। इस दौरान कोई भी सरकारी स्कूल और विश्वविद्यालय कोई परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली , 19 अप्रैल | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर का उत्पादन हमारे पास पर्याप्त है, लेकिन एहतियात के तौर पर इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शाह ने रविवार को कहा, "रेमडेसिविर का उत्पादन पर्याप्त है। हमने एहतियात के तौर पर निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि कोरोना के दहशत में लोग इसे थोक में खरीद रहे हैं, जिससे इसमें कमी आना लाजिमी है।"
उन्होंने कहा, "मैं लोगों से इसे केवल डॉक्टरों की सलाह पर ही खरीदने की अपील करता हूं।"
शाह का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र सहित कई राज्य सरकारों ने इंजेक्शन की कमी के बारे में शिकायत दर्ज की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में रविवार को कोरोना के 2,61,500 ताजा मामले दर्ज किए , जो अब तक का सबसे बड़ा एकल दिवसीय मामला है, जिससे अब पूरे देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,47,88,109 तक पहुंच गई है। (आईएएनएस)